गुरु का मनुष्य जीवन में महत्व

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गुरु का मनुष्य के जीवन में क्या महत्व होता है। गुरु का मनुष्य जीवन में विशेष महत्व होता है। माता पिता हमारे प्रथम शिक्षक होते है। जो हमें जन्म देते है। और हमें चलना सिखाते है। बोलना सिखाते है। लेकिन गुरु का दर्जा सबसे ऊं चा होता है। क्युकि गुरु हमें संसार में जीना सिखाते है। और हमें आगे का रास्ता दिखाते है। उद्धारण स्वरूप अगर हम अँधेरे कमरे में बंद हो जाये , और अंधकार में ही हम किसी चीज को ढूंढ रहे है। लेकिन हम विवश है। और उस चीज को ढूंढ नहीं पा रहे है। ऐसे में गुरु जैसे ही हमें बताते है। और वह चीज हमें तुरंत हो जाती है। गुरु के बिना हमारी जिंदगी दुःखो से भर जायेगी। और हम आध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ने में नाकामयाब होंगे। गुरु हमें जीवन में सही दिशा सिखाते है।

गुरु का महत्त्व :-

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मनुष्य के लिए गुरु सबसे ऊपर होता है। गुरु हमें सही मार्ग चुनने में सहायता करते है। गुरु शब्द का निर्माण 2 शब्दों को मिलकर होता है। पहला अक्षर ( गु ) गुरु में गु का अर्थ होता है। ( अंधकार ) दूसरा अक्षर ( रु ) गुरु में रु का अर्थ होता है। रोशनी गुरु हमें अंधकारमय जीवन से प्रकाश की और ले जाते है। गुरु एक दिए की तरह होते है। जो शिष्यों के जीवन को रोशन कर देते है। और जीवन के अलग अलग पड़ाव में ( शिष्यों ) को मुश्किलों स लड़ना सिखाते है। गुरु की भूमिका सबके जीवन में होती है। हर व्यक्ति गुरु के प्रति आस्था , विश्वास और सम्मान रखता है। और छोटे बड़े फै सले लेने से पहले अपने गुरु की राय जानना चाहता है।

गुरु का अनादर नहीं करना चाहिए :-

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यह प्रथा: कई युगो से चलती आ रही है। जब देवताओ और असुरों के बिच समुद्र मंथन हुआ था। तब असुरों ने अपने गुरु का अनादर किया था। जिसके कारण असुरों को अमृत की प्राप्ति नहीं हुई थी। जब असुरों को अपनी गलती का अहसास हुआ। तब असुरों ने अपनी गलती की क्षमा मांगी और यह कहा की हमसे बहुत बड़ी भूल हुई है। हमने अपने गुरु का अनादर किया। मित्रो कलयुग में लोग ना चाहते हुए भी अपने गुरु का अनादर करते है। जिसके कारण वह दुखी: रहते है। हमें अपने इष्ट या अपने गुरु का अनादर नहीं करना चाहिए। गुरु कोई भी हो सकता है। आपको शिक्षा प्रदान करने वाला भी गुरु है। और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने वाला भी गुरु है।

देवताओ ने भी गुरु बनाये :-

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हर व्यक्ति को अलग अलग चीजों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। गुरु का प्रमुख उद्देश्य है। अपने शिष्यों को आध्यात्मिक मार्ग में शिक्षा प्रदान करना। जिससे वह शिष्ये आध्यात्मिक मार्ग में आगे बढ़ सके और अपने जीवन को आनंदित कर अपने स्वरूप का दर्शन करेऔर इस संसार के आवागमन से छुटकारा पा सके जैसा हम सभी जानते है बिना गुरु के गति नहीं होती। बिना गुरु के हम शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते - प्राचीन काल में देवताओ ने भी गुरु बनाये - क्यों की वह जानत्ते थे। कि बिना गुरु धारण किये पमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती जीवन में सभी को कभी ना कभी गुरु धारण करना पड़ता है। जो व्यक्ति यह समझता है। कि गुरु बनाना आवश्यक नहीं है। वह गलत है। भगवान श्री राम ने और भगवान श्री कृ ष्ण ने भी गुरु बनाये और शिक्षा ग्रहण की।

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