Gujarati words in Devnagari Lipi
Hindi Translation
िदवसो जद ु ाई ना जाय छे
िदन जद ु ाई के जा रहे ह
मारो हाथ जाली ने लई जशे
मेरा हाथ पकडके ले जायगे
मज़ ज ु शत्रओ ु
मेरे शत्रु ही
ए जशे ज र िमलन सध ु ी
वजन सध ु ी
ये जायगे ज र िमलन तक वजन तक
ना धरा सध ु ी ना गगन सध ु ी
न प ृ वी तक, न गगन तक
फकत आपणे तो जवुं हतुं
मात्र हम तो जाना था
मारो हाथ जाली ने लई जशे ...............
मेरा हाथ पकडके ले जायगे
नहीं उ नती , ना पतन सध ु ी
अरे एक मेक ना मन सध ु ी
तमे रांक ना छो रतन समा
नहीं प्रगित, नहीं पतन तक अरे एक दस ु रे के मन तक
तुम हो गरीब के र न (रतन) जैसे
न मलो हे आंसओ धुळ माँ ु
न िमलो हे अ ु ओ धुल म
तो
तो
जो अरज कबल ु हो आटली
दय थी जाओ नयन सध ु ी
अगर िबनती कबुल हो इतनी दय से जाओ नयन तक
मारो हाथ जाली ने लई जशे .........
मेरा हाथ पकडके ले जायगे
तमे राजराणी ना िचर सम
तुम महारानी के व त्र जैसे (हो )
अमे रं क नार नी चु दडी
तमे तन पे रहो घडी बे घडी अमे साथ दईये कफन सध ु ी
हम (है ) गरीब त्री की चुनरी
तुम शरीर पर रहते हो घडी दो घडी हम साथ दे ते ह कफ़न तक
मारो हाथ जाली ने लई जशे .........
मेरा हाथ पकडके ले जायगे
जो
जब
दय नी आग वधी "गनी"
दय की आग बढ़ी " गनी "
तो खुद इ वरे ज कृपा करी ,
तो खद ु भगवान ने ही कृपा कर दी
के पवन न जाये अगन सध ु ी
ता की हवा न जाये अिग्न तक
कोई वास बंध करी गयुं ,
मारो हाथ जाली ने लई जशे ......... ========================== "गनी दहीवाला " is Poet of this gazal.
कोई वास बंद कर गया
मेरा हाथ पकडके ले जायगे ========================== Please see my comments below.
I do not think this gazal needs explanation in English. Simple Hindi translation is enough for you to understand the entire meaning as well as the hidden pain inside, with artistic presentation of the poet. Poet calls the “days of separation” as enemy, but the same enemy will take you , holding your hands, to the days of meeting your own person swajan . I like the stanza where he compares short term relationship with clothes of a queen. Celebrities wear a cloth for a few moments only! And what about a poor woman’s saree? She will wear it perhaps till the end of the life ! So he says, we extend companionship upto “kafan” ! Please listen the gazal now, after reading this , and you will enjoy it more. The poet “Gani Dahivala is from Surat, 60km from Bharuch. Surname comes from his ancestral business of selling curds Dahi . He is considered a shayar with deep thinking and very philosophical approach. It is sung by the great Mohammad Rafi, under music composition by equally renowned in Gujarat Purushottam Upadhyay.