त्रिपिटक (kagyur & tangyur)

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िपित्रिपिपिपिटक

(पिािपिलिख भाषा : िपितिपिपिटक; शािपिब्दिक अभथर्म : तीन िपिपिटारी)

“कग्युर और तन्ग्यूर”

िपित्रिप िपिपि टक बौद्ध धर्म र्म का प्र म ु ख एवं प्र ाचीन ग्र न् थ है , िपिजि सम ें भगवान् बु द्ध के प्र वचनों को तीन िपिपि टारी एवं खण् डों म ें सं ग्र हीत िक या गया है जिो िपिन म्नल िपिलिख िपिख त है ः (१) िपिव नयिपिपि टक ( འདུ ལ ་བའི ་ སྡེ ་ སྣོ ད ། ) (२) सु त्तप िपिपि टक

( མདོ ་ སྡེ ་ སྡེ ་ སྣོ ད།)

(३)

अभिपिभ धर्म् म िपिपि टक ( མངོ ན ་པའི ་ སྡེ ་ སྣོ ད ། ) । इन तीन िपिपि टािर यों को िपित्रिप िपिपि टक कहा गया है ।



पालिलि त्रिपित्रिपिपटक त्रकाल त्रमख् ु य त्रवर्गीकरण 

(१) िपिवनयिपिपिटक

१.१ सुत्तपिपिवभंग (म हािपिवभंग, पिािपितम ोक्ख, पिारािपिजिक आदिदि) १.२ खन्धर्क (म हावग्ग, चुल्लिखवग्ग) १.३ पि​िरवार 

(२) सुत्तपिपिपिटक

२.१ दिीघनिपिनकाय २.२ म िपिज्झिम िपिनकाय २.३ संयुत्तपिपिनकाय २.४ अभंगुत्तपरिपिनकाय २.५ खुद्दकिपिनकाय

(३) अभिपिभधर्म्म िपिपिटक

३.१ धर्म्म संगिपिण ३.२ िपिवभंग ३.३ धर्ातुकथा ३.४ पिुग्गलिखपिञ्ञतिपित ३.५ कथावत्थु

२.५.१ खुद्दक पिाठ २.५.३ उदिान २.५.५ सुत्तपिपिनपिात २.५.७ पिेतवत्थु २.५.९ थेरगाथा २.५.२ धर्म्म पिदि २.५.४ इिपितवुत्तपक २.५.६ िपिवम ानवत्थु २.५.८ थेरीगाथा २.५.१० जिातक २.५.११ िपिनद्देस २.५.१२ पि​िटसंिपिभदिाम ग्ग २.५.१३ अभपिदिान २.५.१४ बुद्धवंस २.५.१५ चिरयािपिपिटक -नेिपित्तपप्पिकरन

३.६ यम क

-पिेतकोपिदिेस

३.७ पिट्ठान

-िपिम िपिलिखन्दिपिञ्ह


िपिविपिभन्न भाषाओं म ें अभनूि दित िपित्रिपिपिपिटक और अभन्य बौद्ध ग्रन्थ संग्र ह ।

बौद्ध ग्रन्थ म ूलिखतः पिािपिलिख और संस्कृ त भाषाओं म ें िपिलिखखा गया है और िपिविपिभन्न भाषाओं म ें अभनूिदित है । म ूलिख पिािपिलिख ग्रन्थ अभभी भी सुरिपिक्षित है, पिरन्तु संस्कृ त म ें रिपिचत म ूलिख ग्रन्थ दिुलिखभ र्म हो चुका है । पिािपिलिख म ें रिपिचत ग्रन्थ िपिलिखटिजिकलिख भाषा (Liturgical Language) के रूपि म ें थेरवादिी पिरम्पिरा का िपिहस्सा बना रहा और आदजि भी जिीिपिवत है जिबिक संस्कृ त की पिरम्पिरा कु छ ग्रंथों के अभलिखावा पिूरी तरह सम ाप्त हो चुकी है। िपित्रिपिपिपिटक संग्रह के िपिवनयिपिपिटक, सुत्तपिपिपिटक और अभिपिभधर्म्म िपिपिटक के कई ग्रन्थ एिपिशयायी प्राचीन भाषाओं और िपिलिखिपिपियों म ें संरिपिक्षित है । आदजि िपित्रिपिपिपिटक के कई ग्रन्थों का बौद्ध दिेशों के आदलिखावा अभंग्रेजिी भाषा से लिखेकर पि​िपिश्चिम ी दिेशों के सभी भाषाओं म ें भी अभनुवादि उपिलिखब्धर् है । संस्कृ त म ूलिख पिर अभधर्ािरत म हायानी पिरं पिरा और पिािपिलिख िपित्रिपिपिपिटक म ें थोड़ा अभन्तर है । संस्कृ त म ें उपिलिखब्धर् म हायानी पिरं पिरा के िपित्रिपिपिपिटक म ें तन्त्रिप ग्रन्थों का भी संग्रह है जिो पिािपिलिख संग्रह म ें उपिलिखब्धर् नहीं है ।


भारत से एिपिशयाई दिेशों म ें बौद्धधर्म र्म का यात्रिपाए


ये िपित्रिपिपिपिटक चीनी भाषा म ें “दिशंगजिींग” ( 大藏經 Dàzàngjīng), जिपिानी म ें “दिइजिोक्यो” ( 大 蔵 経 Daizōkyō); कोिरयायी भाषा म ें “दिएजिग ग्योंग” ( 대장경 Daejanggyeong),िपिवयतनाम ी म ें “दिइ तंग कीन्ह” (Đại tạng kinh) और िपितब्बती भाषा म ें “कग्युर” (བཀའ་འགྱུ ར་ Kagyur) के नाम से प्रिपिसद्ध है और इन सभी का अभथर्म बुद्ध वचन संग्रह व कोश है, जिबिक िपितब्बती म ें “अभनुवादि” का शब्दि भी जिोड़ा हुआद है ।


चीनी और िपितब्बती भाषा म ें ही िपित्रिपिपिपिटक का प्रायः पिूणर्म अभनुवादि सम्पिन्न हुआद है । आदजि इन दिो भाषाओं म ें अभनूिदित िपित्रिपिपिपिटक संग्रह ही अभिपिधर्क प्रचिपिलिखत है और इन म ें ग्रंथों की संख्या भी अभिपिधर्क है । सूचीकरण और वगीकारण का कायर्म चीनी संग्रह की अभपिेक्षिा िपितब्बती संग्रह म ें अभिपिधर्क सुिपिनयोिपिजित ढंग से हुआद है ।


“कग्युर और तन्ग्यूर” (བཀའ་འགྱུ ར་དང་བསྟན་འགྱུ ར།)

(བཀའ་སྡེ ་སྣོ ད་གསུ མ།) कहते है, िकन्तु अभनुवादि म ें इस संग्रह को “कग्युर” और बौद्ध आदचायों द्वारा रिपिचत टीका ग्रन्थों के अभनूिदित संग्रह को “तन्ग्यूर” कहा गया है । अभथार्मत् भोट भाषा म ें अभनूिदित बुद्धवचन और टीका शास्त्रों को “कग्युर और तन्ग्यूर” (བཀའ་འགྱུ ར་དང་བསྟན་འགྱུ ར།) के नाम से दिो म ुख्य वगों म ें िपिवभािपिजित िकया गया है और ये िपितब्बती बौद्धधर्म र्म के म ुख्य संग्रह है ।

 भोट भाषा म ें िपित्रिपिपिपिटक को “का-दिे नोदि्-सुम ”

 िपितब्बत म ें बौद्धधर्म र्म का प्रचार-प्रसार वहाँ के म हाराजिाओं के प्रयासों से हुआद । उन्होंने िपितब्बती

भाषा को संस्कृ त के अभनुकूलिख बनाकर संस्कृ त ग्रन्थों को िपितब्बती म ें अभनुवादि करने का बृहत् कायर्मक्रम आदरम्भ िकया था। इस कायर्म को सातवीं शताब्दिी म ें िपितब्बती यरलिखुंग राजिवंश के 33वें म हाराजिा सोंगचेन गम्पिो (སྲོ ང་བཙན་སྒམ་པོ ། Srong-tsän Gam-po) (569–649 ई.) ने प्रराम्भ िकया और नौवीं शताब्दिी तक राजिशासन का पिूणर्म योगदिान रहा ।


म हाराजिा िठ्रिदिे सोंगचेन अभथार्मत् से-ना-लिखेग् (ཁྲི ་ལྡེ ་སྲོ ང་བཙན་ནམ་ སྲད་ན་ལེ གས། Tridé Srong-tsan or Sad-na-legs) के शासन कालिख (r797-814 ई.) म ें अभनुवादि कायों को सुिपिनिपिश्चित कर सुिपिनणीत करने हेतु िपितब्बती और संस्कृ त भाषा का शब्दिकोश और अभनूिदित ग्रन्थों की सूची िपिनम ार्मण करने का आददिेश हुआद था । आददिेशानुसार भारत के पि​िपिण्डत आदचायों और िपितब्बती लिखोचावा िपिवद्वानों ने सन् 814 ई. म ें म हाव्युत्पि​िपित्तप (སྒྲ་སྦྱོ ར་བམ་པོ ་གཉི ས་པ།) के नाम से िपिद्वभाषी शब्दिकोश का िपिनम ार्मण िकया और इसे िपिवश्व का सबसे पिहलिखा िपिद्वभाषी शब्दिकोश होने का गौरव प्राप्त है। इसके दिो वषर्म बादि सन् 818 ई. म ें पिहलिखीबार िपितब्बती अभनूिदित ग्रन्थों का सूचीकरण िकया गया जिो फं ग-थंग-म ा (འཕང་ཐང་མ།) के नाम से प्रिपिसद्ध है । तत्पिश्चिात् 41वें म हाराजिा ठ्रिीरलिखपिा-चन (806-841 ई.) के शासन कालिख म ें छीम -फु -म ा (མཆི མས་ཕུ ་མ།) और दिेन-कर-म ा नाम क (ལྡན་དཀར་མ།-सन् 824) दिो और सूची तैयार िकये गये िपिजिसम ें छीम -फु -म ा सूची आदजि उपिलिखब्धर् नहीं है । नवीं शताब्दिी म ें रची गयी िपितब्बती म ें अभनूिदित ग्रन्थों की ये नाम ावलिखी भी िपिवश्व की सबसे प्रथम सूची होने का गौरव प्राप्त है । ये सूची तीन राजिम हलिखों म ें संरिपिक्षित ग्रन्थों की सूची है अभतः इन्हीं राजिम हलिखों के नाम से प्रचिपिलिखत हुआद । आदठवीं शताब्दिी म ें

40वें

The Roman Emperor Claudius (10 BCE – 54 CE) is known to have compiled an Etruscan-Latin dictionary, now lost.་One substantial bilingual dictionary was the Mahāvyutpatti. The Great Volume of Precise Understanding or Essential Etymology, was compiled in Tibet during the late eighth to early ninth centuries CE, providing a dictionary composed of thousands of Sanskrit and Tibetan terms designed as means to provide standardized Buddhist texts in Tibetan, and is included as part of the Tibetan Tangyur (Toh. 4346). Dictionaries from Hebrew and Aramaic into medieval French were composed in the European Jewish communities in the 10th century CE. These were used for understanding and teaching the Talmud and other Jewish texts.་http://en.wikipedia.org/wiki/Bilingual_dictionary


अनुवाद का काल और ग्रन्थों की संख्या  पिूवर्मकालिखीन शासनकालिख म ें 33वें म हाराजिा सोंगचेन गम्पिो (569–649 ई.) से

लिखेकर 41वें म हाराजिा ठ्रिी-रलिखपिा-चन (806-841 ई.) तक दिो सौ वषों के शासनकालिख म ें और उत्तपरकालिखीन शासनकालिख म ें लिखोचावा-िरन्छेन-संगपिो (958-1055 ई.) से लिखेकर म ीनदिोलिखलिखीग लिखोचावा धर्म र्मश्री (1654-1717 ई.) तक सात सौ वषों अभथार्मत कु लिख नौ सौ वषों तक संस्कृ त व अभन्य भाषाऔं से िपितब्बती म ें अभनुवादि का कायर्म चलिखता रहा और “कग्युर एवं तन्ग्युर” संगह का िपिनम ार्मण हुआद ।  आदजि कग्युर का 106 पिोिपिथयों एवं तन्ग्युर का 224 पिोिपिथयों म ें कु लिख िपिम लिखाकर 330 पिोिपिथयों

म ें उपिलिखब्धर् है । इस प्रकार िपितब्बती म ें अभनूिदित िपित्रिपिपिपिटक और शास्त्रों का संग्रह तैयार हुआद । इस कायर्म म ें 250+620=870 आदचायों और लिखोचावा िपिवद्वानों का योगदिान है। कग्युर म ें 1,055 और तन्ग्यूर म ें 4,907 कु लिख 5,962 शीषर्मक ग्रन्थ उपिलिखब्धर् है।

7-9वीं शताब्दिी तक और 11वीं शताब्दिी म ें दिूसरा चरण आदिपितश दिीपिंकरश्रीज्ञान (982-1054) और लिखोछेन-िरनछेन-संगपिो (958-1055) के कालिख म ें बौद्ध धर्म र्म

• िपितब्बत म ें बौद्ध धर्म र्म का प्रचार-प्रसार दिो चरणों म ें हुआद, पिहलिखा चरण म हाराजिाओं के शासनकालिख


सूचीकरण (कै टलिखािगग) और वगीकरण (क्लिखािपिसिफके शन) पिद्धिपित  िपितब्बती ग्रन्थों के सूचीकरण की प्रिक्रया भी सातवीं शताब्दिी म ें बौद्ध ग्रन्थों के अभनुवादि

करने का कायर्म के साथ ही अभराम्भ हुआद और नवीं शताब्दिी तक उपियुक्त र्म तीनों सूची बनकर तैयार हो चुकी थी । इन सूिपिचयों म ें से फं ग-थंग-म ा (འཕང་ཐང་མ། सन् 814 ई.) सूची म ें 34 संग्रहीत िपिवषयों के अभन्तगर्मत 961 ग्रन्थों का शीषर्मक उल्लिखेख है और दिेन-कर-म ा (ལྡན་དཀར་མ།- सन् 824ई.) सूची म ें 27 संग्रहीत िपिवषयों के अभन्तगर्मत 735 शीषर्मक नाम वालिखे ग्रथों का उल्लिखेख है । इनम ें ग्रन्थों के नाम के साथ ग्रन्थों का पिृष , पिंिपिक्त, श्लोक एवं शब्दिों की संख्या का भी उल्लिखेख िकया गया है । यह िपितब्बती सूचीकरण की बहुत बड़ी िपिवशेषता है ।

 िपिजिसके कारण आदजि हम ें “कग्युर” म ें 65,420 पिृष संख्या, 450,000 पिंिपिक्तयां, 25 िपिम िपिलिखयन

(2.5 करोड़) शब्दि और “तन्ग्युर” म ें 127,000 पिृष, 850,000 पिंिपिक्तयाँ, 48 िपिम िपिलिखयन (4.8 करोड़) शब्दि अभथार्मत कु लिख 73 िपिम िपिलिखयन (7.3 करोड़) शब्दिों का भण्डार वालिखा संग्रह होने का प्रम ाण िपिम लिखता है ।


“कग्यरु और तन्ग्यरू ” का पहली संग्रह  पिूवर्मकालिखीन शासनकालिख म ें िपितब्बत म ें बौद्धधर्म र्म का प्रचार–प्रसार

सातवीं शताब्दिी से आदरम्भ होकर नवीं शताब्दिी तक हजिारों ग्रन्थों का अभनुवादि हुआद िपिजिनका उपियुर्मक्त सूिपिचयों म ें उल्लिखेख है । िकन्तु यरलिखुंग राजिावंश का शासन सम ाप्त होने के बादि उत्तपरकालिखीन शासनकालिख म ें 13वीं शताब्दिी म ें चोम -दिेन िरग-रे लिख और ऊपिा लिखोसेलिख ने म ध्य िपितब्बत म ें अभनूिदित ग्रन्थों को खोजि कर अभनूिदित ग्रन्थों का दिो खण्डों म ें सूची तैयार की और पिहलिखीबार “कग्युर और तन्ग्यूर” का दिो संग्रह बना । कग्युर करछग् िपिञत-म ा ओत-सर और तन्ग्युर करछग् तेन-पिा ग्यलिख-पिा नाम क सूची बना, िपिजिसके आदधर्ार पिर जिम -गा पिकश्री के सहयोग से पिहलिखी बार कग्युर और तन्ग्युर का संपिादिन प्रकाशन भी हुआद जिो “नरथांग” के नाम से प्रिपिसद्ध हुआद लिखेिकन यह अभब उपिलिखब्धर् नहीं है ।


बु- दिोन कै टलिखोग (सूच ी) और वगीकरण (क्लिखािपिसिफके शन) पिद्धिपित

 प्रिपिसद्ध िपिवद्वान् बु-दिोन िरन-छेन ड्रुब (1290-1364ई.) ने सन् 1322ई. म ें

अभपिने 32वें वषर्म की आदयु म ें नरथांग म हािपिवहार म ें संरिपिक्षित कग्युर और तन्ग्युर का पिुनरावलिखोकन कर एक नया िपिवस्तृत संशोिपिधर्त सूची “छोस ग्युर-वे नाम -द्रंग” नाम क सूची तैयार िकया और सन् 1335ई. म ें शलिखु म हािपिवहार म ें कग्युर और तन्ग्युर का पिूणर्म नविपिनिम त सूची का प्रकाशन हुआद, जिो “तन्ग्युर करछग् यी-शी नुर-बू वंग-गी ग्यलिख-पिो टेंग-वा” नाम से प्रिपिसद्ध है । शलिखु म हािपिवहार म ें नविपिनिम त कग्युर और तन्ग्युर का संपि​िदित प्रकाशन यह भी दिुलिखर्मभ हो चुका है।

 इसके बादि रचे गए छलिखपिा कग्युर (1347-49 ई.) और छेथांग कग्युर

तन्ग्युर (1362 ई.) के प्रकाशन म ें भी उन्हीं का योगदिान रहा है । अभन्य सभी कग्युर और तन्ग्युर के प्रकाशन म ें आदपिके सूचीकरण (कै टलिखािगग) और वगीकारण (क्लिखािपिसिफके शन) की पिद्धिपित को आदधर्ारभूत म ानी जिाती है । जिो िपिनम्र प्रकार है।


कग्युर

བཀའ་འགྱུ ར།

सूत्रयान (མདོ )

तन्त्रयान (རྒྱུ ད།)

1. प्रथम धर्म र्मचक्र : चार आदयर्म सत्य [བཀའ་དང་པོ ་བདེ ན་ གཞི ་ཆོ ས་འཁོ ར།]:िपिवनयिपिपिटक [འདུ ལ་བ] 2. िपिद्वतीय धर्म र्मचक्र : पिरम ज्ञान [བཀའ་བར་པ་མཚན་ཉི ད་ མེ ད་པའི ་ཆོ ས་འཁོ ར།]: प्रज्ञापिरािपिम त [ཤེ ར་ཕྱི ན།] 3 तृतीय धर्म र्मचक्र : संिपिधर्िपिनम ोचन-सूत्रिप [བཀའ་ཐ་མ་ལེ གས་ པར་རྣམ་པར་ཕྱེ ་བའི ་ཆོ ས་འཁོ ར།]: 3.1 अभवतंसक [ཕལ་ཆེ ན།] 3.2 रत-कू ट [དཀོ ན་བརྩེ གས།] 3.3 िपिविपिवधर्सूत्रिप । [མདོ ་སྡེ ་སྣ་ཚོ གས] 3.3.1 श्रावक व प्रत्येकबुद्ध सूत्रिप [ཐེ ག་ཆུ ང་མདོ །] 3.3.2 म हायान सूत्रिप [ཐེ ག་ཆེ ན་མདོ །] 3.3.3 पि​िरणाम ना, प्रिपिणधर्ान, म ंगलिख [བསྔོ ་བ་སྨོ ན་ལམ་ བཀྲ་ཤི ས]

4.1 िक्रयातन्त्रिप [བྱ་རྒྱུ ད།] 4.2 चयार्मतन्त्रिप [སྤྱོ ད་རྒྱུ ད།] 4.3 योगतन्त्रिप [རྣལ་འབྱོ ར་རྒྱུ ད།] 4.4 अभनुत्तपर योगतन्त्रिप [རྣལ་འབྱོ ར་བླ་མེ ད་

རྒྱུ ད།] 4.5 धर्ारणी संग्रह [གཟུ ངས་འདུ ས།]


तन्ग्यूर

བསྟན་འགྱུ ར།

सूत्रिपयान (མདོ ) 1. िपिवशेष टीका [བཀའ་བྱེ ་བྲག་གི ་

དགོ ངས་པ་གསལ་བར་བྱེ ད་པ།] 1.1 प्रथम धर्म र्मचक्र चार अभयर्म सत्य : िपिवनयटीका [འདུ ལ་འགྲེ ལ།] 1.2 िपिद्वतीय धर्म र्मचक्र : पिरम ज्ञान : सूत्रिप- टीका [མདོ ་འགྲེ ལ།]: 1.2.1 अभिपिभसम यालिखंकार प्रज्ञापिारिपिम ता [མངོ ན་རྟོ གས་རྒྱན། ཤེ ར་ཕྱི ན།] 1.2.2 म ाध्यिपिम क [དབུ ་མ] 1.2.3 बोिपिधर्चयार्मवतार [སྤྱོ ད་འཇུ ག] 1.3 तृतीय धर्म र्मचक्र : संिपिधर्िपिनम ोचन सूत्रिप टीका : [བཀའ་ཐ་མ་ལེ གས་པར་རྣམ་པར་ ཕྱེ ་བའི ་ཆོ ས་འཁོ ར།]: [མདོ ་འགྲེ ལ།]: 1.3.1 अभन्य प्रकीणर्म सूत्रिप-टीका [མདོ ་སྡེ ་ སྣ་ཚོ གས་ཀྱི ་འགྲེ ལ་པ།] 1.3.2 योग िपिवज्ञानवादि [སེ མས་ཙམ།] 1.3.3 िपिचत्तपोत्पिादि [སེ མས་བསྐྱེ ད་དང་ སྤྱོ ད་པ་ལ་སློ བ་པའི ་རི མ་པ།] 1.3.4 कथा [གཏམ་དུ ་བྱ་བ་སྣ་ཚོ གས།] 1.3.5 सुलिखख े [སྤྲི ང་ཡི ག་སྣ་ཚོ གས།]

1.3.8 अभवदिान [རྟོ གས་རྗོ ད།] 1.3.9 स्तोत्रिप-संग्रह [བསྟོ ད་ཚོ གས་) 1.3.10 प्रिपिणधर्ान-म ंगलिख [བསྔོ ་བ་ སྨོ ན་ལམ་བཀྲ་ཤི ས།] 2. आदिपिभप्रािपियक टीका [བཀའ་སྤྱི འི ་ དགོ ངས་པ་གསལ་བར་བྱེ ད་པ།] : 2.1 प्रम ाण टीका [ཚད་མའི ་བསྟན་ བཅོ ས།] 2.2 व्याकारण शास्त्र [སྒྲའི ་ བསྟན་བཅོ ས།] 3. साम ान्य ज्ञान शास्त्र [ཐོ ར་བུ ་བ་ ལུ གས་ཀྱི ་བསྟན་བཅོ ས།] : 3.1 नीिपित शास्त्र [ལུ གས་ཀྱི ་བསྟན་ བཅོ ས།] 3.2 िपिचिकत्सा-शास्त्र [གསོ ་བ་རི ག་ པའི ་བསྟན་བཅོ ས།] 3.3 िपिशल्पि-शास्त्र [བཟོ ་རི ག་པའི ་ བསྟན་བཅོ ས།]

तन्त्रिपयान (རྒྱུ ད།)

4.1 िक्रयातन्त्रिप [བྱ་རྒྱུ ད།] 4.2 चयार्मतन्त्रिप [སྤྱོ ད་

རྒྱུ ད།] 4.3 योगतन्त्रिप [རྣལ་འབྱོ ར་

རྒྱུ ད།] 4.4 अभनुत्तपर योगतन्त्रिप [རྣལ་

འབྱོ ར་བླ་མེ ད་ རྒྱུ ད།] 4.5 साम ान्य तन्त्रिप [རྒྱུ ད་ སྡེ ་སྤྱི །] 4.6 धर्ारणी संग्रह [གཟུ ངས་ འདུ ས།]


कग्युर और तन्ग्युर का संपािदत प्रकाशन  बादि रची गयी सभी कग्युर और तन्ग्युर के प्रकाशन का आदधर्ार बु -दिोन

िरनपिोछे ने तैयार िकया । िपिवषयों का िपिवभाजिन और खण्ड-वगीकरण (क्लिखािपिसिफके शन) पिद्धिपित ही म ूलिख आदधर्ार बना । िपिविपिभन्न कालिखों म ें तत्कालिखीन उपिलिखब्धर् नई अभनूिदित ग्रन्थों को सिपिम्म िपिलिखत कर इसका म ात्रिपा बढ़ाया और कु छ िपिवषय-वस्तुओं के क्रम म ें पि​िरवतर्मन िकया गया, िकन्तु बुदिोन िरनपिोछे द्वारा रची गयी वगीकरण पिद्धिपित को ही आदधर्ािरत कर अभनेक कग्युर और तन्ग्युर के संपिािदित संस्करणों का प्रकाशन हुआद है ।  िपितब्बत के भीतर व बाहर िपिविपिभन्न स्थलिखों और कालिखों म ें धर्ािम क िपिनषावान

प्रायोजिकों और िपिवद्वानों ने “कग्युर और तन्ग्युर” के संग्रह को पिूणर्म, अभिपिविपिच्छन्न रखते हुए इसके कई बृहदि् संस्करण एवं प्रकाशन (Enlarge Edition) िकया गया, जिो िपिनम्नलिपिलिखिपिखत है ।


िपितब्बत के भीतर व बाहर िपिविपिभन्न स्थलिखों और कालिखों म ें धर्ािम क िपिनषावान प्रायोजिकों और िपिवद्वानों ने “कग्युर और तन्ग्युर” के संग्रह को पिूणर्म, अभिपिविपिच्छन्न रखते हुए इसके कई बृहदि् संस्करण एवं प्रकाशन (Enlarge Edition) िकया गया, जिो िपिनम्नलिपिलिखिपिखत है ।

संपािदक प्रकाशन 1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 0 1 1 1 2 1 3 1 4 1 5

कग्युर वषर्म

तन्ग्युर

ग्रन्थ

पिोथी

वषर्म

ग्रन्थ

पिोथी

शलिखु कग्युर तन्ग्युर छलिखपिा कग्युर छेथांग कग्युर तन्ग्युर युंगलिखो कग्युर तन्ग्युर थेम पिंगम ा कग्युर पिेिकग कग्युर तन्ग्युर िपिलिखथंग कग्युर तन्ग्युर छोंगग्या तन्ग्युर नया नरथंग कग्युर तन्ग्युर

? 1347-13­49 ? -1410 -1431 1605-17­00 1608-16­21 X 1730-17­32

? ? ? ? ? ? X 774

? 260 ? ? 111 107? 108 X 100

-1335 X 1362 ? X 1724­X 1687 1741-17­42

? X ? ? X 3963? X ? 3973

? X 202 ? X 2 24 X 215 2 17

चोने कग्युर तन्ग्युर

1721-17­31

1056

108

1753-17­72

3327

209

दिेगे कग्युर तन्ग्युर

1729-17­33

1108

103

1737-17­44

3358

2 14

रागग्या कग्युर

1814-18­20

?

?

X

X

X

ऊरगा कग्युर

1908-19­10

?

?

X

X

X

ल्हसा कग्युर

1920-19­34

815?

100

X

X

X

वारी कग्युर

-183?

?

206

X

X

X


प्रवाह संिपिचत्रिप


अभिपिभलिखेख  िपितब्बती भाषा म ें अभनूिदित बुद्धवचन और टीका शास्त्र संग्रह कग्युर और तन्ग्युर

के उपियुक्त र्म संस्करण एवं प्रकाशनों म े से इस सम य कई दिुलिखर्मभ है और कु छ तो पिूणरू र्म पि से नष्ट हो चुका है । आदजि कु छ ऐसे प्रिपित भी उपिलिखब्धर् है जिो इनम ें से िकस संपिािदित संस्करण के है इसकी भी पिुिपिष्ट नहीं हो पिाती है।

 अभिपिधर्कतर ये अभिपिभलिखेख 16वीं शताब्दिी से काष्ट का ब्लिखॉक िप्रट बना कर कागजि

पिर छापिी गयी है । इससे पिूवर्म काग़जि पिर िपिलिखखा गया हस्तिपिलिखिपिखत ही प्रचािपिलिखत था । इनम ें से कु छ स्वणर्म से िपिलिखखी गयी हस्तिपिलिखिपिखत है, तो कु छ तांबे और सोने के प्लिखेट पिर िपिलिखखा गया अभिपिभलिखेख है । पित्थरों पिर तराश कर िपिलिखखी गयी िपिशलिखालिखेख भी बहुत प्रचिपिलिखत रहा है ।


काष्ट का

ब्लॉक िंटप्रंट शेल्फ


काष्ट का ब्लॉक िंटप्रंट शेल्फ


काष्ट का ब्लॉक


स्वण र्ण का हस्तिलिखित


सोना, चांदी, तांबा आदिद की पांडुिलिंटप


पत्थर की पांडुिलिंटप རྫ་དཔལ་དགེ ་རྡོ ་འབུ མ།


पत्थर की पांडुिलिंटप



कग्युर और तन्ग्युर पिर नया अभिपिभनव संकम र्म एवं कृ िपित तोहुकु दिेगे संपिािदित सूची

 Tohoku Imperial University Catalogue of Dege Edition


कग्युर और तन्ग्युर पिर नया अभिपिभनव संकम र्म एवं कृ िपित सुजिुकी पिेिकग संपिािदित सूची

 Otani University Catalogue of Peking Edition


कग्युर और तन्ग्युर पिर नया अभिपिभनव संकम र्म एवं कृ िपित धर्म र्म प्रकाशन संपिािदित सूची


January, 2015 , Cloth, 600 pages, ISBN: 978-1-935011-15-6 American Institute of Buddhist Studies

This is the second volume of a two volume set providing detailed cataloging information for the recently published Comparative (dpe bsdur ma) recension of the Tibetan Tripitaka. The catalogue includes cross-references to four other Tengyur recensions used in the compilation of the Comparative Tengyur. Both numbering systems used in the individual volumes and cumulative Tibetan-language catalog are given for each text. In addition, errors found in the “tables of contents” (dkar chag) and “cross-reference tables” (re’u mig) to the published edition have been corrected and verified against the published volumes and original blockprints. Indices to Tibetan and Sanskrit titles, Tibetan and Sanskrit authors, translators, and revisers have been added, along with concordance tables aligning catalog numbers between the various recensions.


कग्युर और तन्ग्युर पिर नया अभिपिभनव संकम र्म एवं कृ िपित पिेदिरू म ा संपिािदित प्रकाशन


 कग्युर और तन्ग्युर पिर नया अभिपिभनव संकम र्म एवं कृ िपित

अभंग्रजिी भाषा अभनुवादि


कग्युर और तन्ग्युर पिर नया अभिपिभनव संकम र्म एवं कृ िपित आदधर्ुिपिनक इलिखेक्ट्रॉिपिनक तकनीक


कग्युर और तन्ग्युर पिर नया अभिपिभनव संकम र्म एवं कृ िपित आदधर्ुिपिनक इलिखेक्ट्रॉिपिनक तकनीक


िपिवशेषस्तवनाम टीका

དཀར་ཆག་ཕྱོ གས་བསྡུ ས་མ།

Title མཚན་བྱང་། शीर्षक [Skt] िंटवशेषस्तवनामटीका viśeṣastava nāma ṭīkā [Tib] ཁྱད་པར་དུ ་འཕགས་པའི ་བསྟོ ད་པའི ་རྒྱ་ཆེ ར་བཤད་པ། khyad par du 'phags pa'i bstod pa'i rgya cher bshad pa / [CH] [JP] 殊勝聖讃 [KR] [A] ཤེ ས་རབ་གོ ་ཆ།/ (प्रज्ञावमर्णन ्), [Tr] ཀུ ན་དགའ་རྒྱལ་མཚན་དཔལ་བཟང་པོ ་།(आदनन्दध्वजश्रिभदश्रिभद), [Tr] जश्रारन्दन [Tr] རི ན་ཆེ ན་བཟང་པོ ། (रत्नभद) Root Text: ཁྱད་ པར་དུ ་འཕགས་པའི ་བསྟོ ད་པ།་- िंटवशेषस्तव/- उदतिसदस्वािमन ् སློ བ་དཔོ ན་མཐོ ་བཙུ ན་གྲུ བ་རྗེ ས་མཛད།

[ Narthang No.] 0002 bstod tshogs, Ka - 6a3-46a3 (vol. 001, 11-91pp) [Dege No.] 1110 bstod tshogs, Ka 5a1-42b5. [Peking No.] 2002, bstod tshogs, ka 5b3-48a8 (vol.46, p.4) colophon: ཁྱད་པར་དུ ་འཕགས་པ་ཞེ ས་བྱ་བ་དེ ་བཞི ན་གཤེ གས་པའི ་བསྟོ ད་པ།་སློ བ་དཔོ ན་མཐོ ་བཙུ ན་གྲུ བ་རྗེ ས་མཛད་པའི ་རྒྱ་ཆེ ར་བཤད་པ།་བྱང་ཕྱོ གས་ཀྱི ་རྒྱུ ད་དུ ་བྱུ ང་བ།་བྷཾ་ག་ལའི ་ཡུ ལ་གྱི ས་སློ བ་དཔོ ན་ཤེ ས་ རབ་གོ ་ཆས་མཛད་པ་རྫོ གས་སོ །་། རྒྱ་གར་གྱི ་མཁན་པོ ་པཎྜི ་ཏ་ཛཱ ་རནྡ་ན་དང་།་ཞུ ་ཆེ ན་གྱི ་ལོ ་ཙཱ ་བ་དགེ ་སློ ང་རི ན་ཆེ ན་བཟང་པོ ས་བསྒྱུ ར་ཅི ང་ཞུ ས་ཏེ ་གཏན་ལ་ཕབ་པ།་ཡི ད་སྲུ བས་ཟླ་བའི ་གཙུ ག་དང་གོ ས་གསེ ར་ཅན།་རི ག་བྱེ ད་བྱེ ད་པོ ་དགའ་བྱེ ད་ གྲོ ག་མཁར་པ།་རྒྱས་པ་རྒྱལ་དཔོ ག་པ་དང་ས་ཡི ་བུ །་ཐུ བ་པ་རྐང་མི ག་ཕུ ར་བུ ་ལྷ་མི ན་རྗེ ས།་སྐྱོ བ་པ་ཉི ད་མོ ར་བྱེ ད་པའི ་རྒྱུ ད་འཁྲུ ངས་པ།་སྲི ད་གསུ མ་བླ་མ་ཤཱ ཀྱའཱ ་རྒྱལ་པོ ི ་དེ འི །་རྣམ་པར་ཐར་ལ་བསྐྲུ ན་མི ན་ དེ ར་བསྟོ ད་པ།་དེ ་ཡི ་འགྲེ ལ་པ་དེ ་འདི ར་རྫོ གས་པར་བས།་དགེ ་བ་དེ ་ཡི ས་སྲི ད་པའི ་ལྗོ ངས་རྒྱུ ་པས།་བདག་ཏུ ་འཛི ན་པའི ་ཐི བས་པར་འཁྱམས་གྱུ ར་པ།་མུ ་སྟེ གས་བྱེ ད་ཀྱི ་མུ ན་པ་འཇོ མས་བྱེ ད་པའི །་རྒྱལ་བ་ཉི ན་མོ ར་ བྱེ ད་པར་བདག་གྱུ ར་ཅི ག་།་ཁྱད་པར་དུ ་འཕགས་པར་བསྟོ ད་པའི ་རྒྱ་ཆེ ར་བཤད་པ།་སློ བ་དཔོ ན་ཤེ ས་རབ་གོ ་ཆས་མཛད་པ་ལས།་བར་སྐབས་སུ ་ཚི གས་སུ ་བཅད་པ་བཅུ ་གཉི ས་ཀྱི ་འགྲེ ལ་པའི ་རྒྱ་དཔེ ་མ་རྙེ ད་ནས།་དུ ས་ ཕྱི ས་ཤཱ ཀྱའི ་དགེ ་སློ ང་ཀུ ན་དགའ་རྒྱལ་མཚན་དཔལ་བཟང་པོ ་ཞེ ས་བྱ་བ།་དཔལ་ས་སྐྱའི ་དགོ ན་པར་སྦྱར་པ་རྫོ གས་སོ །།


समाप्त

धन्यवाद

ཐུ གས་རྗེ ་ཆེ །


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