पीडीएफ़ ईबक ु – रचनाकार.ऑर्ग की प्रस्ततु त
र्ोवर्गन यादव
की
कहातनयााँ कहानी सग्रं ह : तीस बरस घाटी तीस बरस घाटी
नत्ा
आखिर करें भी तो क्या करें सबस्सर को?
काट जात् हैं
बच्चों को?
पना् िल
पना् मित्रों को या ििर ऩोमसयों को?
का लि न ़ा?
पनाी
सब की सब कन्ाी
सबक् नास पना्-पना् बहाा् हैं
वह आखिर चाहता क्या ह
जागकर गनजार ल् ता ह ? रहती ह ?
िकस् सा न ा
िकसी को जााा् की ्सनकता ाही ह वह क्यों, रात
्सक् क ्ज् िें छायी लुःन ि भरी बल ी क्यों गरजत्-बरसत्
िकसी क् नास िनससत हो तब ा ! िकताा व्यत हो गया ह आज का आलिी
्सक् नास यिल कोई किी ह तो वह सिय की किी ह
िकताा टोटा हो गया ह सिय
का, आलिी क् नास सािा् स् आत् लोत भी ्स् आता ल् िकर, पनाा राता बल हैं ऐस् कििा सिय िें
आखिर करें भी तो क्या करें सबस्सर !
्त्
क िला ्सकी नत्ा ा् ्सकी आोिों िें आोिें ला त् हन
बा ों को सह ात् हन , ्सकी नी़ा को जााा् की कोमिि की कोई तो ह, ्सक् िल
वक्त
सीा् स् चचनक गया
का हा
नूछा् वा ा सोचत् हन
त ा पनाी ािस-ााजक न ्ो गम यों स् ी
का वह पध़्,
गा
वह भावनक हो गया
ा ्सक् क ्ज् िें , वर्षों स् जिें िहििण्ल िनघ
चा ीस-बयाम स सा
ब़ा पच्छा कर बहा्
कलि बच्चा बा गया
ग्
ा ्स् ्स ा और ्सक् ्
ा, ्स सिय पनाी
व्य ा-क ा सनाात् हन वह पना् पतीत की तीस बरस घाटी ्तरा् चारों ओर ितियृ तयों का बीह़ जग ऊग आया ा
गा
ा और ्सक्
सारी बातों को गभीरता स् सा न चनका् क् बाल ्सकी नत्ा ा् पिसोस जतात् हन कहा ातीस बरस का सिय कि ाही होता यिल व् जीिवत होत् तो पब तक ौट आत् प वा चचटिी-नत्री स् पनाा कनि क्ष्ि म ि भ्जत् आलिी इताा न र-िल ा आ
ि्री िााो तो आन बच्चों को
आिा को िातियत मि ्गी और आनकी भी
्कर गयाजी च ् जाओ ्ाका िनण्ल-लाा करा आओ ्ाकी
नत्ा की सनाट बयााी नर ्स् ब्हल रोधोध आया
च्हरा तितिाा्
ा
ा सनात् ही वह ्ब ा्
नर नटककर यह कहत् हन ्ि ि़ा हनआ सोचती हो ि्रा भाई त्जला ह ल् िाा- क िला वह ौट आ गाश्
टोह
गा
ाही होता िक ्स् पनाी जन्िभमू ि याल
्ा् की गरज स्
गा
ा ्सका
ा- श्ति न भी औरों की तरह
क िला, पना् लोाों ब्टों को बन ाया नास सबिाया और नूछा
िक व् क्या सोचत् हैं ब्ट् जाात्
् िक िनता पना् भाई क् बार् िें वह सब कनछ सनााा
ाही चाहें ग्, जो व् कहाा चाहत् हैं जवाब तो आखिकार ्न्हें ल् ाा ही
ा िदलों को तौ त्
हन ब़् ब्ट् ा् कहा- त्श्नताजी... पतीत को पतीत ही रहा् लें और वतसिाा को त्ज ो जो नीछ् छूट गया, सो छूट गया पब, हि सबक् बार् िें सोचच जो आनका वतसिाा तो ह ही और भिवष्य भीश् ा
ऐसा कहत् हन
्सा् पनाा ान्हा- सा ब्टा ्सकी गोल िें ला
िदलों की जालग ू री वह सिह रहा
ा वह यह भी सिह रहा
िलया
ा िक ्सका ितव्य
क्या ह
तियारािा भरी ाजरों स् ्सा् पनाी मिचमिचाती आोिों स् आसिाा को ल् िा हि्िा की तरह तियािस -िात और पनाा ाी ाना म
आसिाा
का क
िटि ा हो गया
ा हवा का च ाा टक ग
कलि बल हो गया
ा और आसिाा िें ़् रही चगद्ध-ची ें पधर िें
्
तियारािा और हतािा क् बीच की
आखिरकार ्सा्
क नत ी सी सनराि क् बीच स् गनजरत् हन , क ऐस् व्यत्क्त को िोज तियाका ा जो ा तो भाग सकता ा, ा त्जस्
भूि सताती ह ा ही प्यास और ा ही वह न्िाब जाा् का बहााा बताकर रिनचक्कर हो सकता
ा
्सा्
क आलिकल आईाा िरील म या और पना् िया-कक्ष िें
गा म या
वह आईा् क् नास बिकर सािा् बि् व्यत्क्त स् पनाी नी़ा ्जागर कर ल् ता ह !वह ्सका पक्स ह! ्सकी ्रतियतच्छाया !
ा
ा जााता
्िका कोई तो ह ्सकी सनाा् वा ा ! पनाी
बात नूरी तरह कह चनका् क् बाल वह नूरी तरह, पलर स् िा ी हो जाता ! ऐसा करत् हन वह ्रसन्ाता स् भरा् गता ा
्स् पब भी याल ह भया राि्सर क् इस तरह च ् जाा् क् बाल ्सक् वद्ध ृ िाता-
िनता नर क्या गज न री ाही गई
ी िाो तो जस् िवक्षक्षप्त सी हो गई
ी और हि्िा रोती ही रहती
ी वह पक्सर कहती-ि्र् राि- क्ष्िण की जो़ी सबछऩ
िनता कहत्-ि्री पजोध्या राि क् बगर सा ू ी हो गई
सिहाा् का ्रयास करत् िाो कहती- कस् भू िहसा ाही
ा कस् भू
जाऊो? कस् कह लो ू िक वह ि्र् िरीर का
क किर् िें कल कर म या
िवर्षधर की िनसकार स् ्ाका गोरा बला का ा ऩ गया िनता पक्सर यह कहत् सना् ग क स् बढ़कर
बावजल ू इसक् व् िाो को
जाऊो िक िैंा् ्स् पनाी कोि िें ाही ना ा
कनछ िला बाल िनता ा् पना् आनको
सकता ह
ी वह कनछ बो ती-बतियतयाती
् िरीर
ा िवयोग क्
ा
क बार सबग़ जा
क लॉक्टर िौजल ू हैं इस ल् ि िें पगर िा
तो ्स् सध न ारा जा
क बार लबका िा
जा , तो ्स् सनधाराा बहनत िनत्श्क ह कहत् हैं िक इसकी लवा हकीि भी ाही ी सबको सीि ल् ा् वा ् िनता का िा भी लबका िा गया ा सबस्सर जब भी गहरी ाील िें होता ह, वह तीस सा
आोिों क् सािा् घि ू ा्
गती ह, िीक मसा्िा की री
क्षण जीवन्त हो ्ित् हैं
नकिाा क् नास
ननरााी घटाा, सनाा बाकर
की तरह
क- क न ,
क- क
कभी जब वह पच्ता पव ा िें रहता ह, तब ्स् कनछ भी
याल ाही रहता यिल ाील िन
गयी तो जागती आोिों स् वह सब ल् िता-सोचता रहता ह
क्योंिक यही तो वह क्षण होत् हैं जब भाई की नष्ट छिव ल् िी जा सकती ह ्सक् सना् िें ्भरता ह
क गाोव
गाोव क् िकाार् बहता चिाराा ा, जहाो ्सक्
नूवज स िर् ढोरों क् िरीर स् चिढ़ा ्तारा करत् ्न्होंा् ्स सिय क् तका ीा जिीलार को
् ्सक् नरलाला
क कनि
क ऐसी पाोिी जूती बााकर ली
जरूरत ऩा् नर कागज की तरह िो़कर ज्ब िें भी रिा जा सकता ाक्कािी और ब् बट ू ् बााा् िें नरू ् छुः िास
चिसकार
ग ग
्
ी त्जस्
ा ्सकी क ािक
्
जिीलार ा् िनर्ष होकर चिाराा ् स्
गी भूमि बक्र्षीस िें ल् त् हन कहा ा िक वह क क ाकार ्स पमभर्षप्त व ्जा़भूमि को पना् कौर्ष स्
यह ल् िाा चाहता ह िक
िकस तरह सवारता ह ्सक् नरलाला ा् ा मसिस क़ी ि्हात की स् ्स् ि्ती
ायक भी बाा ला ा
ी, बत्क पना् नशररि
ा ्स सिय स् वह भूमि ्ाक् पचधकार िें
ी
ल् र्ष आजाल हनआ गाोव क औद्योचगक ागर िें तदली होा् गा जिीा की कीित आसिाा छूा् गी पब जिीलार क् वर्षज ािी व रूतब् क् लि नर वह जिीा हच यााा चाहत्
बाकी
्
गिी क् िला ी
ि्त िा ी
्
ग्हूो कटाई क् बाल िम हााों िें रि िलया गया ्
बच्च् चग ी-लण्ला ि् ा् िें व्यत
्
ा
़्ााी होाी
्चचत पवसर जाा
ितों ा् ्सक् िनता को घ्र म या और ि्त छो़कर भाग जाा् की धिकी ली बात जब ाही जिी तो िम हााों िें आग
गा ली गई
ािियाो बरसायी जाा्
व चीकार की आवाज सबस् निह ् सबस्सर ा् ल् िा श्या... राि्सर आग!
आग की
नटें पना् िवकरा
ा
गी आग की
वह इताा ही कह नाया
रून िें
ी
नटों
ा-
राि्सर सबस्सर स् िात्र चार सा कद्लावर जा नहनोचा
िौ
ा और बम ष्ि भी ्सकी चा
्िका पनवय क् बावजूल वह ी न भर िें वह वहाो
ा ्सा् ल् िा जिीलार का नोता ्सक्
ा
्सा् तियािााा साधकर
न र तियािाा् नर ऩा चटक गई
ा
िें चीत् की सी छ ाग
िनता को भद्ली-भद्ली गाम याो ल् कर
्िा
ब़ा
ी ििर ्सा्
ात-जूतों स् नीट रहा ह ल् ित् ही ्सका िूा
क ब़ा सा न र ्सकी ओर ्छा
ा और वह जिीा नर चगरा त़न रहा क
ित स्
ा
िलया
ा
िायल ्सकी िोऩी
ािी छीाकर वार कराा िरू न कर िलया
ा कनछ
तो भाग ि़् हन ् कनछ जिीा की धू चाट रह् ् इस बीच ननम स भी आ गई इस बार भी सबस्सर चीिा ा-ष्भइया नमन सष् और वह भाग ि़ा हनआ ा ितियृ त क् बतौर यह वही घटाा ह, त्जस् ्सा् पनाी आोिों स् ल् िा
ी
ा और पतियति
बार पना् भाई की सूरत वह बार ितियृ तयों िें इस घटाा को लोहराता ह तािक भाई की वह छिव ल् ि सक् क
म्ब् िक न लि् को वह जीत चनका
ा आज ्स जिीा की वजह स् ्सक् नास
आ ीर्षाा बग ्-िोटर गाड़याो, बैंक-ब ेंस व ाौकर-चाकरों की िौज ह बावजल ू इसक् ाा
होत् हन भी पाा िाो-बान को तो वह िो ही चनका ा क भाई की आस ी वह भी लतियन ाया की भी़ िें ा जाा् कहाॅ िो गया ा तीस बरस बीत ग ा तो वह ौटा, ा ही ्सकी कोई चचटिी-नत्री आयी ्स् पब भी िवष्वास ह िक
क िला वह
क सनबह! वह जली ्ि बिा और पना् बागीच् िें च ा आया
पभी ि ाा बाकी
ी
ौट आ गा
ा भोर की ्जास
्सा् ल् िा!
क व्यत्क्त
ग़ता हनआ ्सकी ओर आ रहा ह ाजलीक आत् ही ्सा् ऊोची आवाज िें कहा- ष्भइया सबस्सर-ल् ि त्रा भाई ौट आया ह ष् िा ू ा् िूा को नहचाा म या वह
ौट आया
ा
लोाों भाई
च ता रहा गी
ा सनाा टूटा और
क धूमि
क-लस ू र् िें म नट् रह्
आर्षाओ का ित ृ ्रायुः जग ी चौलह सा
सबम्ब नष्ट होता जा रहा
आोसओ की धारा बहती रही और िौा सवाल न
ह हाा्
गा
ा त ा िधनिास की िालक गध ि ा्
स् लो गनण ा वावास काट कर राि, पनाी पजोध्या िें
नशरवार का हर छोटा-बला ्राण ी, पना् लालाजी क् चरण ों िें ातितक ल् र रात तक सबस्सर पनाी तीस सा ा कहााी लह न रा रहा
्कर पना् िाता-िनता क् करूण -पत तक की कहााी, ्सा् पब राि्सर की बारी सनााया ा
ी
ा
ा
ौट आ
्
ा जिीा क् ्रकरण स्
क सास िें कह सा न ायी
ी
घर छो़ा् स् घर बसाा् तक की लाताा ्सा् कह
ा सारा कनाबा पना् लाला की बातों को नरी ोक की कहााी की भाोतियत सना रहा
सारी राि-क ा सनाा् क् बाल सबस्सर ा्, पना् भाई स् कहा िक वह पनाी सीता-
सी भाभी व बच्चों को
्कर यहाो आ जा
जिीा-जायजाल िें आज भी ्सका िहसा ह
बात आग् बढ़ात् हन
्सा् यह भी कहा िक
सारी रात लोाों भाई बातें करत् रह् और रात िोिबती की तरह सन गती और
िनघ ती रही
आि-लस िला कस् बीत ग
गी
राि्सर पब
नता ही ाही च ा
ौट जााा चाहता
ी वह तो ्ताव ी िें सबाा बता
सबछोह िें तीस सा
कस् सबता
ा, आघात सहता रहा
्िका
ा
्स् पनाी-बीवी और बच्चों की याल सताा्
ही घर स् तियाक
गया
ा ्सक् भाई ा् ्सक्
होंग् ? कनाा िात्र स् वह मसहर ्िा
ा चोिू क वह िलस
क औरत पना् नतियत क् िवयोग िें तो तका
जाा ही ल्
ल् गी बच्चों का क्या होगा ? राि्सर क् िा िें वह हर हा
िें
ौट जााा चाहता
सबस्सर त्जल
गा
बिा
ाया
रात का सन्ााटा नसरा ऩा
ा और चाहता
ा िक भाई को ्सका िहसा सपन
ा राि्सर िरासटें भर कर सो रहा
ा
िें सोत् पना् िनता को जगाया और किर् िें
्सकी िाो-छोटा भाई व बहन ो नह ् स् ही बि् हन सबस्सर का िलिाक िाका
ा
गी
सबस्सर क् ् आया, जहाो
्
इताी रात ग , इस तरह बन ाा् का ित ब ?
िका-कनिका की घाी ब् ें ्सक् िरीर िें त्जी स् म नटा् बनाा्
ी
ा िक पब वह िकसी भी कीित नर ्स् जाा् ाही ल् गा
कर, ि्र्ष जीवा तियाुःत्श्चन्तता स् सबता गा
्सक् च्हर् नर जा
गी
ा
्सा् कोटस स् टॉम्न-न्नर िरील
ब़् ब्ट् ा् धीर् स् बग
क िवचचत्र आोधी सिरोधय होा्
गी
ी और चचन्ता की िक़ी,
ी
क कनसी िें धसत् हन ्सा् ध़कत् िल स् नूछा िक इताी रात ग , इस तरह बन ाा् का ित ब ? सभी क् म् ाा च्हरों नर ाजरें घि न ात् हन ्सा् नूछा ा ब़् ब्ट् ा् नह
ल् िी जा सकती
करत् हन कहा कहत् हन ्सक् च्हर् नर तााव की नरछाई नष्ट वह ति िें ा वह तिी क् सा बो ा ा बो त् सिय ्सका
ी
िरीर कान भी रहा
ा
िनताजी ... यह क्या नाग ना िचा रिा ह आना्? क्या जरूरत ह ्न्हें िहसा ल् ा् की?
ािों-करो़ों की जिीा आन िनॅनॅनित िें ल् लें ग् ! इस जिीा को
िकता् कष्ट सह् हैं
हितों भि न िरी की िार ह् ी ह
ि्हात तो आना् की ह
इन्होंा् िकया ही क्या
कोटस -कचहरी क् चक्कर आना्
गा
्कर आना्
ा? सारी
हैं और आन इताी ब़ी
जायजाल तश्तरी िें रि कर पना् धोि्बाज भाई क् चरण ों िें रिा् जा रह् हैं हि चन न ाही बिें ग् हि पना् जीत्-जी ऐसा होा् ाही लें ग्
ज ी-कटी बातें सनाकर सबस्सर को
हि ा बो
गा िक पस्य बरस -ित्क्ियों ा् ्स नर
िलया ह और लिों क् तियािाा नूर् िरीर नर ्भर आ
िक ्सक् कऩ् जबशरया ्तार िल
ग
हॅॅ ्स् ऐसा भी
गा
हैं ओर ्स् तनती र् त नर म टा िलया गया ह और
आसिाा स् ्तरकर ची ें और चगद्ध ्सक् िरीर स् िास-िनण्ल ाोंच रह् हैं ्सका लि घनटा्
स् न टत् हन
गा
ा वह वहाो और ज्याला ल् र तक रूक ाही सका
वह ्स किर् िें च ा आया
ा, जहाो ्सका भाई सो रहा
्सकी आोिें िटी की िटी रह गई वह हराा व हत्रभ
ा त्जी
ा
ा, ल् िकर िक ्स किर्
िें ्सका भाई िौजूल ाही ह ्स् सबतर नर ा नाकर ्सका क ्जा धपकाी सा ध़का् गा
ा
्सा् बारी-बारी स् सभी किरों की त ार्ष कर ला ा वह वहाो ाही
तरह चीिता हनआ- ष्भया तनि कहाो हो?ष् वह बाहर तियाक रासत्र पना् पत्न्ति नहर की बची-िनची साोसें
नरतों स् टकरा कर ्सकी आवाज श्राि वण स-ागरी िें
ौट आयी
ितियृ तयों का बीह़ जग , त्जी क् सा
् रही
ा
ी
ी
ि रह भी कस् सकत्
आया
आया
लग स -गहा पधकार की न ि
् श्बनलबनलात् हन
ि ता जा रहा
ा
ा नाग ों की
वह वािनस
ौट
जीवा क् रग हजार श्पब कसी ह जााकी? िकस वालस िें भती ह? लॉक्टर ा् क्या बताया? आन लोाों क् बीच कोई कहा-सनाी तो ाही हनई? क्या िहर िें ट् ीिोा का टोटा हो गया कही स् भी ट् ीिाा कर िबर ल् सकत्
ा? ग ी-ग ी िें बू
िन
ग
हैं,
्? क्या आना् हिें नराया सिह म या ह, तभी तो िबर
ाही ली?श्
व् रोधनद्ध मसहाी की तरह लहा़ रही
्रश्ा तो ऐस् भी
रहाा ही र्यकर
ी, लहा़ सनाकर ्ाकी तियघग्गी बॅध गई
्, त्जन्हें सनाकर व् तियत मि ा भी ग
गा
ा ्न्हें
्
ी कनछ
्रतियतवाल ा करत् हन , चनन
व् चाहत् तो पना् जवाब िें बहनत कनछ कह सकत् ् िदलों का ्ाक् नास पक्षय भण्लार ा िदलों की प व स ता क् ा -ा ्रतियतिाा ल् ा् वा ् मसद्धहत ्राचायस क् म यह कोई लष्न कर कायस ाही जाात्
ा
् व् िक सािा् ि़ा ि्ि कोई और ाही बत्क ्ाकी भाभीजी
स् ही ्न्हें सम्िाा ल् त् आ बाता
हैं
िनोह
गकर बात कस् कर सकत्
ा िक व् ्न्हें लाोटें-िटकारें व् चाहत् व् य् भी जाात्
् िक हर हा
्
ी व् सला
ििर ्न्हें यह हक
िें ्ाका सम्िाा बाा रह्
् िक िवनरीत नशरत् तियतयों िें आलिी की बनिद्ध कनल हो जाती ह
ििर यह जरूरी ाही िक वह जो भी बो ें , वह िीक ही हो धोिा ल् जाती ह, वह बो ाा कनछ चाहता ह और बो बो त् सिय ्ाका च्हरा तितिाया हनआ त्ज सनर िें, बो भी रही ी
पक्सर ऐस् सिय िें जबाा
कनछ जाता ह
ा िदलों िें तिी
ी व् कनछ ज्याला ही
सारा गनसा
क बार िें ्ग
ल् ा् क् नश्चात व्
कलि िात हो गईं
क् कारण प वा सीिढ़याो चढ़ा् क् कारण , व् हाोि रही
्
ी त्ज बो ा्
ी
जयरी क् सा
व् जाात्
सीिढ़याो चढ़त् हन ल् ि, व्ॅ् सीट स् ्ि ि़् हन और नास च ् आ ् िक भाभीजी इस सिय रोधोध िें आिवत्ष्ित हैं आत् ही व् सारा ग न सा
्ानर ्तार ल् गी ि्राी क् सािा् िरगोि बाकर जााा ही र्यकर ्ाका चनन हो जााा, ्ाक् म
क िनभ- क्षण
ा
गा
ा ्न्हें
यिल व् आई.सी.सी.यू वालस क्
सिक्ष ि़ी होकर जोर-जोर स् बो ती, तो सभव ह िक ऐसा िकया जााा िरीजों क् िहत िें ाही होता और ा ही वहाो क् ्रचम त तियायिों क् पानरून पब व् ब़् इतिीााा क् सा स् गी ा करत् हन
पनाी बात कह सा न ााा चाहत्
् सि ू ् ह क को
व् कनछ कह नायें, इसक् नूवस ही जयरी का आरोधोि िूट ऩा
श्िम्िीजी... आन भी कस्-कस् ऊ -जन ू
्रश्ा
ा
्कर बि गईं? क्या आन भू
क ू
गईं
िक इस सिय पक जी िकताी भीर्षण िाामसक यत्रण ाओ क् लौर स् गनजर रह् हैं? क्या आज और पभी ्रश्ा नूछाा जरूरी ह? नत्ा कोिा िें ऩी हैं ब्टा िवल् ि िें ह ऐस् कििा सिय िें इन्हें सवा ों की ाही बत्क कोि -कोि
िदलों िें नग् सहाानभूतियत क् िरहि की
जरूरत ह ऐस् िदल जो इाका ढाोढस बधा सक् श् ्ाका िा ही िा िि न होाा वाभािवक
कर नाई, ्स् ब्टी ा् नरू ा कर िलिाया को कनछ हल तक भू जो होाा
गय्
ा, हो चनका
्
ा
व् सोचा्
ग्
्
जयरी को पना् नक्ष िें ि़ा ना, व् पना् लुःन िों
्िका जयरी क् इस तरह ल ी
ल् ा् स् कही िाो का िल
आहत ा हो गया हो कही व् पना् आनको पनिातियात िहसूस ा करा् बाल िें लोाों क् बीच तकरार ा हो ्ाकी िल ी इच्छा और ब्टी को ्सक् हक की िाबासी मि
जो काि िाो ाही
जा
गी हों सभव ह,
ी िक िाो का सम्िाा भी बाा रह्
बातों का सम्िााजाक सतन ा बाात् हन ्न्होंा् कहा ..जयरी... तनि भू रही हो िक इस सिय तम् न हारी िाो क् िा िें िकताी नी़ा ह? ्न्होंा् सला स् ही हिें पनााना िलया ह व् हिें पनाों स् प ग ाही िााती और तो और व् जााकी को पनाी छोटी बहा िााती ह तनम्ही बताओ...
क बहा... पनाी लस ू री बहा को िौत क् कगार नर ि़ा कस्
ल् ि सकती ह? पतुः इाका रोधोचधत होाा वाभािवक ह िैं कसूरवार हूो िक इन्हें सूचाा ाही ल् नाया ब़् गवस क् सा
िैं
जााकी िायल ही बच नाती िकताी लौ़-भाग कर सकता ह िैं तनम्हारा कजसलार हूो श्
क बात और कहाा चाहता हूो
पगर तनि वक्त नर सा
इस बनढ़ात् िरीर िें पब नह ् जसा ा जोर ह, ा ही जोि
ल् िकर, व् भी पना् नर तियायत्रण ाही रि ना
लोाों की ाि आोिें
् ्ाकी भी आोिें भीग गई
ी
िटििा
करत् हन जयरी ा् कहा श्पक जी... ् ी आईं हैं कृनया सिय नर िााा जरूर िा ीत्ज गा हि घर त
जाकर ईश्वर स् ्रा ा स ा करें गी िक पण्टीजी को होि आ जा
गी
ा
वातावरण को सरस बााा् की नह
हि आनक् म चगी हो जा
िैं भ ा
ा श्जयरी... ति न ा् पनाा िजस तियाभाया और िह न नर कजस चढ़ा िलया
िदलों की जालग ू री ा् पनाा पसर िलिााा िनरू कर िलया
बोखह
ाही होती तो
श्
और व् नह ् की तरह भ ी-
आश्वती और सद्भावाा स् भीगी िनवारों स् ्ाक् लग्ध-हृलय को िीत ता मि ा् ी कृतातावि ्ाक् हा
बरािल् िें
जऩ आ
् और व् ्न्हें जाता हनआ ल् ित् रह्
टक् बब स् हरती नी ी-बीिार रोर्षाी को चीरत् हन ्ाकी ाजर बेंचों नर बि् िरीजों क् पमभभावकों क् च्हरों नर जा िटकी सभी क् म् ाा, नी -् नक् आि की
तरह ग
टकी सूरतें और च्हरों नर चचता की िकड़यों क् बना् घा् जा ों को ल् िकर व् मसहर
् नी ी मिटटी स् ननती लीवारें ्ाक् भय को और बढ़ाा्
गी
ी
व् िा ही िा पना् इष्ट-ल् व क् ााि का जान करत् और िाौती िागत् रह् िक
जााकी जली ही िीक हो जा
तभी वालस क् लरवाज् िें हकी सी ह च
िटिटात् हन
हनईं लरवाजा िन ा क ासस पनाी सैंडल बाहर तियाक ी यत्रवत व् ्ि ि़् हन और ्सक् नीछ् हो म
्न्होंा् ब़् पानाय-िवाय क् सा
जाााा चाहा तिकत् हन ोग भी चा स् ाई बइिता ... ा हि ोगों को चा स् काि
्सा् कहा श्बाबा... तनि
पनाी जााकी क् हा
करा् ल् ता िकती बार हि तनिको बो ा ... हिको ाई िा नि श् कहत् हन जा घस न ी ी च्हरा
टका
व् पनाी जगह नर आकर बि ग
व् कोई सिाचार ्राप्त ाही कर ना ्न्हें और व्यच त करा्
ग्
बेंच नर बि् -बि् ्न्हें कोतत होा् बरािल् िें चह -कलिी करा्
नूर् आि घट् बीत जाा् क् बाल भी
् िा पब बच्ाी िें तियघरा्
्
गा
ा ्टनटाग ्या
व् पनाी सीट स् ्ि ि़् हन और ोगों की ाजरें बचाकर व् आिहता स् खि़की क् नास
ग्
गी
वह लस ू र् वालस िें
ी
जाकर सटकर ि़् हो जात् और जगह-जगह स् िरन च् काच िें स् भीतर हाॅोक कर ल् िा् का ्रयास करत् पलर कनछ भी िलि ाई ाही ऩा व् वहाो स् हट जात् ििर पनाी सीट नर आकर बि जात्
ल् ा्
बेंच नर ऩ् िटििा-कशरयर को ल् ि ्न्हें जयरी क् कह् वाक्यों की पानगूज सनााई गी ष्सिय नर िााा िा जीत्ज गा ष् व् भाव िवव्ह
तियारार्षा क् बाल ों िें आद्रता बढ़ा् िटििा
्कर सीिढ़याो ्तरा्
ग्
्
गी
ी
होा्
ग्
्
िा नर छा
वह कही बरस ा जा , इसस् निह ् ही व्
सीिढ़याो ्तरत् हन व् िा ाही िा कह ्ि् त्ष्कताा ध्याा रिती ह जयरी ्ाका ष् सबिटया जााती ह िक िैं सिय का िकताा ध्याा रिता हूो तभी तो वह जात् सिय, भोजा कर
्ा् की बात कहती गई
भूि तो ्न्हें जोरों की
गी
ी
्िका िा सा
रूग्ण -वातावरण ्न्हें ऐसा ाही करा् ल् रहा क मभिारी को िााा ल् कर व् वािनस पब भी आोिों स् कोसों लरू
ी
ाही ल् रहा
ा ििर पनता
का
ा ौट आ
ी
् रात क् ग्यारह बज चनक्
् ाील
िा ी बेंच नर नर ि ाकर, पना् लोाों हा ों की ्गम यों को आनस िें िसात् हन मसर क् ाीच् रि म या और आोिें बल कर ी ी न कों क् बल होत् ही बीती बातें कक करक् याल आा् लोनहर का
गी
ी
क बजा
ा
व् पना् लाइतियाग-ट् ब
्ाक् रोज का िााा िाा् का सिय
नर बिकर िााा िा रह्
्
यह
ा
िााा िात् हन सिाचार-नत्रों क् नन्ा् न टाा ्ाकी िलाचयास का आवष्यक पग बा गया ा हा ाोिक व् सार् पिबार सब न ह ही बाच चनक् होत् हैं
जााकी इस सिय रसोई-घर िें व्यत
ी ्सका ब्टा पजय बाहर स् घर
ा वह भी िकता् सा ों बाल पजय ्ाका भी ब्टा ह ा
ब्ट् क् आा् की िबर नाकर वह ब्हल ही िनर्ष
ी वह चाहती
ौट रहा
्िका िाो का हक कनछ ज्याला ही
ी और व्यजा तयार करा् िें
गी
ी िक ्सक् आा् क् नूव,स व् सारी चीजें बाकर तयार हो जाा् चािह
जो
्स् सवासचधक ि्रय ह याल कर-करक् व् चीजें बााती जाती, ििर ्स् काच क् ितसबाा िें करीा् स् जिाकर रिती जाती
ी
इस सिय वह िोवा की करत्जयाो सेंक रही
सिच ू ा वाॅातावरण धिधिा रहा कण्ि पब कनछ ज्याला िन
ा हा
गया
च ात् हन वह गा न गनााती भी जा रही ी ्सका ा और गीतों क् बो हवा की नीि नर सवार होकर ्ा
तक आ रह्
्
िकसी िलव्य
ोक िें जा नहनोच् हैं तभी जयरी की हाय-मिचरत िाकलार आवाज सनाकर व् ौटा् ग् ्
्स
ोक स्
िीि् बो
ी कढ़ाई स् ्ि रही िीिी-िीिी गध स्
सनाकर व् हूिा्
ग्
्
्न्हें ऐसा भी
गा्
गा
ा िक व्
्सा् ब़् ही िाोहारी ढग स्
ा ी िें करजी नरोसत् हन कहा श्पक जी... इस् भी तो चिकर ल् खि ... कसी बाी ह? कही कोई कोर-कसर तो बाकी ाही रह गई?श् िोह न िें करजी रित् ही व् वाह-वाह कह ्ि्
सनाकर, जााकी क् गा
ा
हो ्ि्
् पनाी िाा िें काढ़् ग
कसीलों को
्
सनवाल भोजा का रसावाला करत् हन व् जााकी क् तरि ल् िाा ाही भू त् ् पाायास ही ाजरें आनस िें मि ती और वह िरिा कर लस ू री तरि ल् िा् ग जाती ी िवगत तीा-चार िलाों स् िवमभन्ा-िवमभन्ा ्रकार क् नकवाा बाा
जा रह्
्
िााा िात् हन व् सोचा् ग् ् ब्ट् क् आगिा की िि न ी ा् जााकी को नाग बाा िलया ह सच भी ह, ब्ट् क् आगिा की िबर नाकर कौा िाो िि न ाही होती िबर नात् ही िाोओ क् हृलय-कि
ििता की कनम्ह ाई
हशरयों िें िह ोरें
्ा्
खि -खि तियतका
जात् हैं
हशरय
होा्
गता ह िा-ियूर च रका्
गती ह
्ाका नोर-नोर आान्ल की
गता ह नर तो जस् ्ाक् जिीा नर
ही ाही ऩत् हैं व् ििरकी की तरह घूि-घूिकर पना् सिूच् नशरव्ि को सजाा्-सवारा् िें ग जाती ह
जयरी भी ब़ी सनबह स् जााकी क् कािों िें पनाा हा
बोटा रही
ी
वह ्ाक्
त्जगरी लोत गोिवल की इक ौती ब्टी ह लोाों ही नशरवारों क् बीच गहरी पतरगता ह लध ू िें घन ् बताि् की तरह पजय क् आगिा की सच ू ाा नाकर वह भी ब्हल ्त्त्जत ह, लोाों ही बचना स् सा -सा
ि् ्-कूल् , न ्-बढ़् हैं पजय स् वह िात्र नाोच सा
लस ू र् क् यहाो आा्-जाा् िें कभी भी सिय का बधा ाही रहा आा् को तो वह रोज ही आती ह,
ो़ा ि्रबल
पना् ब्ट् क् आगिा की िनिी को यालगार बााा् क् म ी
हि ू रें कहाो-कहाो
व् इस िनिी िें
क-
्िका जब स् ्सा् ााीय कॉ ्ज िें सहायक-
्राध्यानक का नलभार रहणहण िकया ह, तब स् सिय िें
बाा ला ी
छोटी ह
क िाालार नाटी ल् ाा चाहत्
्
पवश्य हनआ ह ्न्होंा् कनछ योजाा कहाो िामियााा
भी ग्गा
ग्गी आवासीय भवा िें िकस तरह की िवद्यत न साज-सज्जा की जा गी
आिल चीजों नर बारीकी स् िाा कर म या
ा और ि् क्लार को ्सका आलसर भी ल् िलया
ा व् चाहत्
् िक पतियत िवमिष्ट वजाों, पतियतच यों और शरश्त्लारों की ्नत् तियत िें
पजय और जयरी की िगाी की भी घोर्षण ा कर ली जााी चािह ाही बत्क
क सच्चा हिलि भी ह
ाही कर् गा ्ाकी िल ी इच्छा
रि
पतियतगोनाीयता बरतत् हन ी ी व् सोचा्
ग्
नह ी त ाईट नक़कर, ्र ाा कर् गा
गोिवल ्ाका लोत ही
्न्हें नक्का यकीा ह िक वह इस शरश्त् स् इाकार
ी िक लोती पब शरश्त्लारी िें बल
जााा चािह
्न्होंा् नज ू ा-ज्व् सस क् यहाो स् व्डलग-शरग भी बावाकर
् दृश्पजय को आा् िें पभी क
का नरू ा िला बाकी ह वह क
सब न ह नण न ् स्
क घट् की छोटी ़्ाा क् बाल ाागनरन नहनोच्गा ििर कार द्वारा यहाो क् म
्स् यहाो आत्-आत्, िाि ही क्या, रात ही हो जा गी
खह मि ाती रोिाी िें ्सका वागत करा् िें िजा आ जा गा श्
खह मि -खह मि
कनााओ क् रग-सबरग् बाल
हिहिाकर बरस रह्
् और व् ्सिें भीग भी रह्
तभी ट् ीिोा की घटी घाघाा ्िी िायल ओवरसीज का होत् हन
शरसीवर ्िाया लस ू री तरि पजय ही बातचीत का रोधि जारी
ा
ी जााकी ा् पतियत-्सािहत
ा
वह होस-होसकर बतियतया रही
ी
च्हरा और िन ह़ी स् हरत् हाय को ल् ि-सनाकर व् भी ्रसन्ा हो रह् होा्
कसा्
्
्रसन्ाता स्
कलक
्
नता ाही, पचााक क्या हनआ, ्सका िलनिलनाता च्हरा बनहा् गा ा वह कातियतहीा गी ी िनक्त हाय व िनकाा की जगह तााव तियघरा् गा ा ्सकी ििन टियाो गी
ी व् कनछ सिहें , वह ही कनछ बो
ना , शरसीवर रोध्ल
नर रि ना , इसक्
नव ू स ही वह गी ी मिटटी की लीवार की तरह भरभरा कर चगर ऩी
ी
श्ह् भगवाा ! य् क्या हो गया श्कहत् हन व् ्ि ि़् हन टटो ी, सिह िें कनछ ाही आया व् बनरी तरह स् घबरा ग ्
नास आकर ल् िा, ादज
को जस् काि िार गया
ा ध़काें बढ़ गई
की लोर कसकर साध रिी नास-ऩोस क्
ी,
ी सबाा सिय गवा
ोगों को िलल क् म
गनहार
गाा्
्िका जयरी ा् पनाी िहम्ित और बनिद्ध
वह तीर की तरह बाहर तियाक
्स घटाा की कनाा िात्र स्, व् मसहर ्ि् पनाी सीट स् ्ि ि़् हन ्नरोधि करा् ग् ्
सोचा् सिहा् की बनिद्ध
गी
ी
् िल
और चह -कलिी करत् हन
गई और
जोरों स् ध़का्
गा
पना् को सािान्य बााा् का
कािी ल् र तक यहाो-वहाो का चक्कर काटा् क् बाल व् पनाी सीट नर आ बि्
का पसर पब भी ्ा नर जारी
ा
ा व्
लहित
जिीा नर और प ग-प ग बेंचों नर ऩ् िरीजों क् पमभभावकों-िनभ-चचन्तकों को
गहरी ाील िें िनरासट् भरत् ल् ि व् सोच िें ऩ ग होगी
िक इन्हें सनि की ाील कस् आ गई
्न्होंा् घ़ी की ओर ल् िा सनबह क् नाोच बज रह्
िें कट गई
ी
व् पनाी इस सोच को
्कर िनि हो रह्
पन्य ा इसकी सूचाा ्न्हें पब तक मि व् सोच रह्
जीवा ही त्ज गी
् ्ाकी नूरी रात आोिों ही आोिों
् िक जााकी पब नह ् स् ब्हतर होगी,
जाती
् ष्जााकी पब जो जीवा त्ज गी तियाुःसल् ह वह जयरी का िलया हनआ सचिच न िें व् ्सक् पहसाािल हैं इस पहसाा क् बल ् िें व्, पना्
जीवा का जो भी सवसर्ष्ि होगा, व् ्स् ्नहार िें ल् लें ग् ष्
व् ाही जाात्, पजय की ्सकी पनाी क्या स्ाच ह क्या वह जयरी को नसल करता ह और जयरी भी पजय को? इसका नता तो ्सक् आा् क् बाल ही च पजय तीा सा ों स् नरल् र्ष िें ह
ना गा
सभव ह, वह िकसी गौराग-बा ा क् जनिों क्
व्योिनार्ष िें ा ् ह गया हो वहाो की यव न तियतयाो जााती हैं िक यहाो का ल ू हा सबस् िटकाऊ होता ह
पजय सनलर ह, िाटस ह, ्सक् तीि् ााक-ाक्र्ष, िरीर िौष्िव को ल् िकर कोई भी
यनवती ्सकी ओर सहज ही आकिर्षसत हो सकती ह, जवााी होती भी तो पधी ह, नर ििस ा् िें ल् र ही िकताी
गती ह ! ज्ञााी-ध्यााी नरि तनवी िवश्वामित्र भी तो ि्ाका
की िालक पलाओ क् सािा् कहाो िटक ना सकत् हैं
्
ऐस्
क ाही , पा्कों ्लाहरण ल् ि् जा
सभव ह, िायल ्सा्, पना् इसी आिय की सूचाा पनाी िाो को ट् ीिोा नर ली
होगी पना् रग-सबरग् सनाों क् रगिह
को धू -धूसशरत होता ल् ि ्सका हृलय कान ्िा
होगा और सा न त् ही वह गश्त िाकर चगर ऩी हर िाो पना् बच्चों को
्कर ्बाब बााती
हैं पगर व् ्न्हें नरू ा होता हनआ ाही ल् िती तो सलिें को ग ् स् गा बिती हैं ्न्हें पब भी िवश्वास ह िक पजय ा् ऐसा-वसा कनछ भी ाही िकया होगा सकृतियतोकियासला और सकारों की घनटटी त्जस् बचना िें ही घोंटकर िन ा ली गई हो, ्सक्
बहका् क् कि ही चास होत् हैं आज हवा का रूि ही बल
गया ह पतुः व् यकीाा तौर
नर कनछ भी ाही कह सकत् आधारहीा बातों को सोच-सोचकर व् पनाा िलिाक िराब कराा ाही चाहत् ्न्हें िा ि ू
् ििर
ा िक पजय को आा् िें पभी बीसो घट् बाकी ह जब सािा् होगा तो सारी
बातों का िन ासा हो जा गा
व् ्िकर छत नर च ् आ
् भोर होा् िें पभी
ो़ा सिय बाकी
छत नर नहनोचत् ही ्न्हें िीत हवा क् होंकों ा् पनाी हवा का निस नाकर व् चतन्य होा् ग् ् हका सा ्जा ा ि
गया
न्ट िें
ा
् म या
ा िीत
ा चचड़यों की चहचहाट स् सिच ू ा वातावरण सगीतिय
हो ्िा और ल् ित् ही ल् ित् पा्क रगों की छटा स् आकाि रगीा हो ्िा पद्भत न सयोजा ल् िकर लग रह ग
्तारकर रगों क् सागर िें ्तरकर लनबकी
्
ा
रगों का
रात पनाी स िा-मसतारों वा ी का ी-कि ी
गाा्
गी
ी सहसा ्न्हें किववर ्रसाल की य्
नत्क्तयाो याल हो आईं, जो ्न्होंा् ्रकृतियत की इस पाननि सॅनॅलरता और दृश्यों को ल् ि कर म िी होंगी
बीती िवभावरी जाग री पबर नाघट िें लनबो रही ताराघट ्र्षा ाागरी िगकन -कन
सा बो
रहा िकस य का पच
लो
रहा
ो यह
तियतका भी भर
ाई िधन िनकन
ाव
रस गागरी
आोिों िें राग पिल िनय् प कों िें ि यज बल िक तू पब तक सोई ह आ ी आोिों िें भरी िवहाग री
ग्
किव की नत्क्तयों को गनागनाात् हन ्
व् िााव जीवा िें सबिर् रगों क् बार् िें सोचा्
नरििनता नरि्श्वर ा् आलिी को िा-ित्तष्क और आोिें ्नहार िें िहज इसम ली ह िक वह हर रस स् ्नन्ा होा् वा ् िवमभन्ा भावों स् ्नन्ा रगों की छटाओ को ल् ि सक्
िा-ित्तष्क और आोिें मि कर
क ऐसा सत्रकोण कक् ्ल ् टकोन का तियािासण करती
ह...्न्हें आकर्षसक बााती ह हर रस की पानभूतियतयों को पनाी ित्क्त और सािथयस स् ल् ि सका् वा ् इन्साा को व् प ग-प ग रग-रून व छटा िलिाती ह हिार् ऋिर्ष-िनतियायों ा् पना् तन और ज्ञाा क् ब
नर यह िोज तियाका ा िक िााव
िरीर क् पलर भी रगों का पद्भनत सयोजा हनआ ह इा रगों क् ता ि् नशरवतसा ्सक् आरोग्य नर गहरा ्रभाव ला ता ह रोधा्ाचरोध कसहत्रार चरोध
िें बैंगाी, िनय्यूटरीचरोध कआज्ञाचरोध
ायराइल किविद्ध न चरोध िें हका ाी ा,
प् क ् सस किखण ननर
् ्ाका र
िें गहरा ाी ा,
ाईिस कहृलयचरोध िें चिकलार हका हरा, सो र
तीव्र नी ा, वाचधष्िाा चरोध प वा हारा चरोध िें गन ाबी-ाारगी
रूटचरोध किू ाधारचरोध िें ्जा ा ि ा्
िें , जरा सा भी
गा
ा
व
रग सिािहत ह
ा
भनवा-भाकर पना् िलव्य-र
सहत्रों-िकरण ों की आभा िें जगिगा रहा
ा
नर आरूढ़ होकर तियाक
चनक्
्न्होंा् मसर हनकाकर ािा िकया और जााकी क् िी रो रोगिनक्त होा् की िग
कािाा क् म
्रा साा की और सीिढ़याो ्तरा्
ग्
्
व् सीढ़ी क् पतियति नायलाा नर आकर ि़् हन ही ् िक ासस ा् ्न्हें सच ू ाा ली िक जााकी को होि आ गया ह और पब व् ्सस् मि सकत् हैं
्ि् हैं
िबर सनात् ही ्न्हें
गा िक िनमियों क् हजारों-हजार रग-सबरग् लीन
क सा
ज
आखिरी तियाण सय
कलि पक् ी ऩ गई
ी सनधा वक्त की आोधी ा् ्सक् ाी़ का
क- क तियताका
ल् त् पभी ्म्र ही क्या ह? नतियत यूो ही ्ि जा गा, िकस् नता
ा ब्चारी....वस्
सबि्रकर रि िलया बढ़ाकर च
ा शरष्त्लार, नास-ऩोस क्
ही लुःन ि क्या कि छोटा सब क्षत-िवक्षत
ा
ा
ोग आत्, लुःन ि लरू करा् क् बजाय लुःन ि
ोगों की बातें पलर ्तर कर क ्जा छ ाी करती रही पलर
क पजीब सी छटनटाहट ा् घ्र म या बावजल ू इसक् ि ा भी च
पलर
रहा
ा पलर-
कस् काट ना गी वह नहा़ जसी त्जन्लगी? कहा् को ाात्-शरष्त्लार बहनत ह, नर व् सान्तवाा क् प ावा ल् भी क्या सकत् हैं हर तरि िोचास-बली ह ़ाई तो ्स् पक् ् ही ़ाी ह हर हा
िें वय को हर िोचचे नर
़ाई
म्बी च ्गी ्धि-साहस, धयस-बनिद्ध-
र्षत्क्त और नरारोधि जस् कारगर हच यार ्स् वय ही जनटाा् होंग् , जााती ह वह िृ यन नर िकसी का वर्ष ाही पिाात क् तौर नर व् ल् व्न्द्र को गोल िें सपन ग ्सक् म
तो जीिवत रहाा ऩ्गा
होगा पना् चा ीस-बयाम स सा
सिी-सह् म यों स् रगार िकया ृ
कलि हटकर
ा ्सका िू
हैं कि स् कि ...
घनट-घनटकर जीा् िें क्या िायला? ्स् ्ि ि़ा होाा
क् जीवा का
्िा-जोिा करा्
गी
ी वह
पनाी
ी वह, सूरत-सीरत ि्ॅ्ॅ कनलरत ा् वय पना् हा ों स्
जब पना् िबाब नर होता ह, भौरों को तियाित्रण ल् ा् ाही जााा
ऩता, िनल ही ्स ओर खिच् च ् आत् हैं पनाी लतियन ाया िें ित, पना् िें ही गनि
इा सब बातों स् वह सबकन
ही ब्िबर
ी
िनताजी चाहत्
् िक ्सकी पब िाली कर ल् ाी चािह
तक िहन्ली सािहय िें
ि. . ाही कर
पनाा तियाण सय सा न ा िलया
ा
क िला, चार बज् क् ् आ
और सा
धना और त्जल की नक्की
्ती, िाली ाही कर् गी श्आोिें ाचात् हन
सोचत् हन
िें कनछ ााश्ता-वाता सनात् ्सका िा ा िाका
पक्सर नाना क् लोत भी आ धिकत् हैं वह चाय बााा्
चाय व ााश्ता का रे ्
ना िििककर ि़ी रह गई
्सा् तियाभीकता स्
गभग ... ्सस् कहा गया िक वह छुः कन चाय तयार करक्
इस वक्त रोज ही बााती ह िम्िी-नाना और वय क् म कोई भी
ी वह श्जब
तीा प्या ी चाय तो
ििर तीा पतियतशरक्त क्यों? होंग्
िायल कोई लोत होंग्
गी
ानरवाही स्
्कर जस् ही वह बिक-िाा् िें नहनोची, पनशरचचतों को सािा्
राि्रसाल जी ... य् ह ि्री ब्टी सनधा सनधा ... य् हैं सनलिसा और ्सक् िाता-िनता, कि स्
कि िदलों िें नाना ा् सबका नशरचय करवा िलया नशरचय स् नह ् ा तो वह ्स व्यत्क्त का ााि जााती
ी और ा ही नह ् कही ल् िा
का राजकनिार श्
ा ल् ित् ही ्सक् िल
ा् ्सस् कहा श्यही ह ्सक् सनाों
बात नक्की हो, इसस् नह ् ही ्सा् पनाा तियाण सय कह सा न ाया िक वह
चाहती ह ्ा िलाों इताी िन कर बात करा् का ्रच ा ाही धाी तियाक ी और ्सकी बात िाा नरीक्षा
ी गई
सिाप्त होत् ही वह ससनरा
नरीक्षा ्तीण स की
ातितक होाा ऩा
आ गई
ी वह मिक्षक्षका बााा चाहती
ि. . कराा
ा सचिनच वह िकित की
शरजट आया
्सा् ्र ि र्ण ी िें
ी, नर रूिढ़वाली नरम्नराओ क् आग् ्स्
श्इस घर की बहू-ब्िटयाो ाौकरी ाही करा करती श् ससनर ा् तियाण सय कह सा न ाया ा
िरिाा जारी करत् हन ससरन की पनाी आढ़तियतया की लक न ाा
ी ढ् रों सारी
भाई और व् वय इसिें पतियत-व्यत रहत्
्
ज्त्न्सयाो भी ्न्होंा्
् रिी
पनाा ी चारों
्सका जी घनटता
ा, इा चार-लीवारी िें रहकर वह कनछ कराा चाहती
ी ऐसा कनछ ... जो
हटकर हो, त्जसस् ्सकी िाामसक क्षनधा िात हो सक् और नशरवार का यि-वधसा ्सा् पना् िा की बात सभी को कह सा न ाई
ी, बल ् िें मि ्
पनाी कनछ ियासला ॅ हैं ... ्स्
् िोस-चटटााों क् स् सि ू ् िदल
श्इस िाालाा की
ाघा् की िकसी को भी इजाजत ाही ह श्
्रयनतर िें वह कनछ ाही कह नायी कनछ भी ाही नर ्स् सा न त् हन कोित पवश्य ी िक ियासला िदल को इताा छोटा करक् आक रह् हैं, य् ोग धा किाा् की ा सा
हनई होाी चािह
... म प्सा ाही, नर इताी भी
ा सा ाही होाी चािह
िक ्सक् आग् सब
कनछ गौण हो जा , सब कनछ बौाा होकर रह जा पनाी हल और जद् िें रहत् हन ्सा् सारी नरम्नरा ो तियाभाई, ्िका पलर क सनधा बिी हनई ी, ्स् कौा सिहा , वह चा स् ाही बिती, सबकन भी ाही जब सारी लतियन ाया सन्ााटा ओढ़कर सो जाती ह
वह कागज-क ि ्िा
ाती और पनाी व्य ा-क ा कागज
नर ्तार ल् ती, जस की तस हा ाोिक ्सा् इस बात की भाक िकसी को भी ाही
गा् ली
और ा ही कभी िकसी स् चचास तक की िक वह छद्ि ााि स् म िती और छनती ह कािी कि ्म्र िें ही ्सा् िहन्ल न ताा की सीिाओ को छू म या
ा
ाली-ाा ्, जग -
नहा़, वा ् जीव-जन्त,न सागर-सीनी-ही ें सब कनछ पना् आन कागज नर ्तरत् च ् आत् ्
िनता िनर्ष
्
िनर्ष इस बात नर िक... जो व् कनछाही कर ना ...्ाकी ब्टी वह सब
कनछ कर ना रही ह व्ॅ् िकसी लस ू री यात्रा की तयारी िें जनट जात् सबला होा् स् निह ् िनता ा् सर नर हा
ि्रत् हन ्सस् कहा ा श्ब्टी... दयाह को नरों की ब़्ी ित सिहाा तह न िें पनार सभावाा िैं ल् ि रहा हूो सब कनछ कराा, िगर िवद्रोह करक् ाही, प्यार िें बहनत ब़ी ताकत होती ह ाली पना् बहा् का राता िल न त ार्ष कर ्ती ह पनाी ाली क् त्रोतों को कभी सूिा् ित ल् ाा श् सबलाई क् भावनक क्षण ों िें िनता इताा ही कह ना तो ल् त् आ
् इताी ही सीि ल् ना
् िनता पनाी ब्िटयों को सीि ही
हैं और इस बात को ्सा् पना् िा िें गाि बाध कर रि म या
ा
सिय नि
गाकर पनाी तियाबासध गतियत स् ़्ता रहा इस दृष्य-जगत क् िच स् व्
नात्र रोधििुः हटत् च ् ग , त्जाका रो
सिाप्त हो गया
ा नह ् सास, बाल िें व् ससरन
्िका सल न िसा क् इस तरह पचााक च ् जाा् स् ्सका जीवा
बल
गया
चारों तरि तनती र् त
कह िलया
धू
भरी आोधी
कलि स् िरू
िें
क िला ्न्होंा् िजाक िें या यूो ही
ा- श् सनधा ि्र् आा् की आहट तो तनि बिूबी निहचाा
्ती हो
्िका ि्र् जाा्
की आहट तनि सना ाही नाओगी श् क- क िदल, ्स् पब भी याल ह तनत् हन र् चगताा िें वह काकी च ा् गी ी और नावों क् ििो ् िटकर पसहय नी़ा नहनोचाा् ग् ् ससनर की आोि बल होत् ही
भाईयों क् म बा नाई
कोिियाो बाकर तयार
ी
ाम्बर
क का जो धा
पनाी लक न ाा-सबका पनाा िकाा भी
ूट िच गई ी
ी त्जसक् जो हा , वह ्सका
चौ ी ्ाक् म
्स् िि होाा ही ी वह
ा
क ्रायव्ट कू
ा, ल् व्न्द्र की नढ़ाई क् म ा
जो ्स् मि
सबकी
क
क नूरी ाली सूि जाती
तो ििर जिा-नोज ू ी िकता् िला च ती
क ा
क िला तो
क छोटी सी कोमिि की ्सा् , जो जरूरी ाही पिनतन पतियावायस भी की पध्यािनका बा गई जााती ह वह ्म्र क् इस ऩाव नर
सरकारी ाौकरी मि ा् स् रही ल् व्न्द्र पनाी नढ़ाई क् मस मस ् िें बाहर जाा क् म
आधी-पधरू ी ही
ा आध्-पधूर् िकाा को नूरा कराा नह ी ्रा मिकता
ा ििर भी ्स् कािी ाही कहा जा सकता
ह, यिल ्सका त्रोत सूि जा
ी
ा, वह चारों क् बीच बराबरी िें बाटा गया
क ब़ी रकि ्स नर िचस हो गई ि्र्ष जो बचा
हल तक कािी
बा रही
ा तीा
रहा
ा नयासप्त
ा
क पक् ी
ा नहा़ जसा िला पक् ् काट् , कहाो कटता
ह ाौकरी क् बहाा् ऐसा कर नााा सभव हो नाया
ी बहनत िि न ल् व्न्द्र ि्शरट-कॉ र होकर नास हनआ और पब वह ्च्च मिक्षा क् म लो सा क् पानबध नर िवल् ि िें ा ्सका ्िक िा भी पब िन कर बाहर आ गया ा िनता भ ् ही सिरीर सा गी
ी
ाही
्
ा वह िि न
्िका ्ाका आिीवासल और ली गई सीि क् सहार् वह नरवाा चढ़ा्
ल् व्न्द्र का ्सका नत्र भी
क पमभन्ा मित्र सनधीर जो इा िलाों भारत आया हनआ ाया ा, ्सस् मि ा् यहाो आया ा
ा और सा
ही
चाय की च न की
्ता हनआ वह ्सक् च्हर् नर पनाी ाजरें केंिद्रत िक हन ा िायल वह च्हर् नर म िी इबारत नढ़ा् की कोमिि कर रहा ा ििर कलि बच्च् की सी हरकतें करत् हन कहा् गा- श् क्या िैं आनको पनाी िम्िी कहकर बन ा सकता हूो िम्िी िदल सनात् ही ्सक् सीा् िें ििव का पजत्र त्रोत िटकर बह तियाक ा िरीर िें रोिाच हो आया िदलों क् सा
आोिें भी आद्रस हो आई
ी ्सका िा ्रसन्ाता स् ााच ्िा िम्िी
िदल सनात् ही वह इताी आात्न्लत हनई ी िक बो ही ाही िूट ना रह् ् पनाी ्ि़तीघनि़ती भावााओ को तियायसत्रत करत् इताा ही कह नायी श्सनधीर ... तनि ि्र् क ्ज् क् टनक़् क् पमभन्ा मित्र हो ति न ि्र् ब्ट् जस् ही हो हाो... ति न ि्र् ब्ट् हो तम् न हें पचधकार ह िक ति न िह न ् िम्िी कहकर बन ा सकत् होश् कहत् हन ा
्सा् ्स् पना् सीा् स्
गा म या
ल् र तक पना् सीा् स् चचनका
रहा् क् बाल, प ग होत् हन , ्सा् ्सक् िा ् नर पना् ििव का पमिट चनम्बा ज़ िलया ा और पब वह पना् ब्ट् का नत्र नढ़ा् गी ी नत्र िें ल् व्न्द्र ा् म िा
जा
ा िक वह कनछ ही िलाों क् म
सही, सनधीर क् गाव पवश्य
बात को आग् बढ़ात् हन ्सा् यह भी म िा ा िक ्सक् कनछ मि ्गा जहाो क स् बढ़कर क पािो रा सबिर् ऩ् हैं नत्र िें क्या कनछ ्सा् म ि भ्जा
्िक िा को वहाो बहनत
ा इस बार् िें सध न ीर सबकन
भी पजाा
ा
म िािा पच्छी तरह बल करत् हन ्स नर ट् न की नटटी भी चढ़ाई हनई ी वह कनछ भी तियात्श्चत ाही कर नायी ी िक सनधीर ा् ििर चहकत् हन पनाी ओर स् ्रश्ा ्छा ा ष्िम्िीजी ... िनह् आज ही गाव जााा ह यिल आन िनाामसब सिहें तो ि्र् सा
गाोव चम
वहाो की ्राकृतियतक सनलरता आनका िा िोह
्गी
ि्र्
आिा ह आन िनह् तियाराि
ाही करें गीश्ण् पब वह लोहर् िो़ आ ि़ी हनई ी ा तो वह पना् ब्ट् क् सनहाव को टा सका् की त् तियत िें ी और ा ही सनधीर क् आरहणह को ्स् हाो कहाा ही ऩा रे ् ा चार बज् िन ती
ी और पभी िला का लो बजा
्सा् पना् कऩ् सि्ट् सूटक्स िें नक िकया रात क् म म
वह
गभग तयार हो चनकी
रे ् ा िीक चार बज् िन
जग
सब नीछ् छूटत् जा रह्
सध न ीर बक न -टॉ
नयासवरण की
ा ्स् तयारी भी करती
िटििा तयार तिययका, जाा् क्
ी सनधीर भी इस बीच शरजवचे िा करवा कर आ चनका
गई
ी
ी
ा
िहाागर का को ाह , भी़ मसि्न्ट-कारोधीट क्
् आज बरसों बाल वह रे ् ा का सिर कर रही
स् कनछ नसत्रका ो िरील
ाया
ा, त्जसिें
ी
क नसत्रका नथ ृ वी और
ी िायल वह नसत्रका ्सा् ्सकी रूचचयों को ल् ित् हन क् िनि-नष्ृ ि नर पा की किवता .वा! कहाो हो तनि नढ़त् हन िवव्ह
िरीली होा्
ी नसत्रका
गी
ी रे ् ा
की खि़की स् ल् ित् हन ्सा् यह बात मसद्लत क् सा पानभव की ी िक ्स् ा तो ब़्िवर्षा ऩ् ल् िा् को मि ्, ा वक्ष ृ ों का सघा सिूह नवसत-र्खण याो भी गभग वक्ष ृ -िवहीा ही
ी
गीतकार ाईि व िवष्ण न िवराट की किवताओ
्रभािवत िकया
हा् लो जीिवत ित होा् लो
गीतों क् नलों ा् भी ्स् गहर् तक
आिीर्षों और लआ न ओ को ब़् बज न ग न ों की सा्ह भीगी ििाओ को बजर
हशरय
वसन् न धरा को
यग न ों-यग न ों स्
च ती आयी नरम्नरा को
कायस और
कारण क् घ्र् स् बाहर ही रिाा होगा गिस हवाओ कोष् िवराट ा् म िा- हस ़्-़् गया ह िाासर तो सबक गया ह ज
सूित् जात् कि
ल
नट ग
क
िोती, सभी लग स धता ह ा पब सशरता िें रहा न न्
पब ा कोसों तक बहारों का नता ह सर सरोवर सूि जााा
तियाहसरों का रूि जााा नौरूर्षी पमभयाा का
काा ाही िनभ ह-पिग
ह
कोई भी किव
गीतकार चाह् वह पा
हों-ाईि हों प वा िवराट ही पथवा कोई
कहााीकार ही क्यों ा हो, य् िात्र लिसक ाही होत् और ा ही िदलों क् जालग ू र यग न दृष्टा भी होत् हैं, जो पनाी
बत्क व्
्िाी क् िाध्यि स् जा-सािान्य को च्ताा् का काि
करत् हैं
कनछ बातें -कनछ िकताबें नढ़त्-नढ़त् कािी रात हो आयी
बूढ़ा इत्जा तियाधासशरत न भूि
हाोिता-िाोसता-िसारता-िनिकारता-िोर
नर परहणसर हो रहा ग आयी
ी
पधकार को चीरता हनआ िचाता, डलदबों को िीचता, पना्
ा
लोाों ा् मि कर िााा िाया
िाता ल् ि ्स् ल् ॅ्व्न्द्र की याल ताजा हो आयी िाता ल् ि तत्ृ प्त का पाभ न व कर रहा ्सकी िाा िें कसील् काढ़ रहा
ी
ा
सनधीर को ्गम याो चाट-चाटकर
क िाकर तप्ृ त हो रहा
िाा् क् वाल का चटिारा
ा तो लस ू रा
्त् हन वह जो ा ्स् सनलिसा की भी याल हो आयी सनलिसा की प वा
ल् व्न्द्र की याल िें आोिें ाि हनईं ी, यह तो वह ाही जााती जाा नायी िक सनधीर ा् ्सक् पतीत क् कनछ न ौटा िल ् ाील क् बोह स् न कें भारी होा्
गी
वह तो क्व
इताा भर
ी और पब वह सो जााा चाहती
ी
क छोट् स् नहा़ी-ट् र्षा नर रूकी हनई ्जास होा् िें पभी कनछ वक्त बाकी ा सािाा सि्टत् हन व् ाीच् ्तर आ
ी
सब न ह जब ाील िन ी तो रे ् ा
्न्हें
भोर की ् यहाो स्
गभग सात िक ोिीटर नल
हराा व नर् र्षाा
च त् हन गाव नहनोचाा ा सध न ीर इस बात को ्कर ा िक ाौकर पब तक पनाी घो़ा-गा़ी ्कर क्यों ाही आया घो़ा-गा़ी
मभजवाा् की बात वह निह ् ही कह चनका वह नढ़ चनकी
ा सनधीर क् च्हर् नर छा
ी पनाी पटची ्िाकर यह कहत् हन वह च नद्रह िक ोिीटर नल च सकती ह सनधीर भी सहित होत् हन
तियारार्षा क् भावों को
ऩी िक वह पब भी लस-
्सक् सा
हो म या
क
ा -मसलरू ी गो ा, नवसत क् नीछ् स् हाक ा्
क् िोर स् सिूचा जग का ि् िीत
जाग ्िा
गा
ा चचड़यों व पन्य नि्रूओ
ा
छपही िकरण ें ऩ्ों नर स् ्तरत् हन - नका-तियछनी जिीा नर आकर नसरा् गी ी हवा भी पब ितवा ी हो च ी ी
ि् त् हन बयारों क् होंक् ्सक् बला स् आकर म नटा्
की िकरण ों का निस नाकर जवाा होा् लिक रही
गी
ी
ग्
् नहा़ों स् ्तर रही ाली-सरू ज
्सकी सिूची ल् ह रामि कनला की सी
ी कभी तो यह भी भ्रि होता िक ्सिें नााी क् बजाय सोाा बहा जा रहा ह
्रकृतियत क् इस पद्भनत ाजार् को ल् ित् हन
वह िकसी पन्य
ोक िें जा नहनोची
ी
इस बीच घो़ा-गा़ी भी आ नहनोची ्सा् सिवाय यह कहकर बिा् स् िाा कर िलया िक ्स् नल च ा् िें ही आान्ल आ रहा ह राता च त् वह ऊोच्-ऊोच् लर्तों को ल् िती च ती िक व् आसिाा स् जा मि ् हैं
जग
कभी तो ऐसा भी ्रतीत होता
क् बीच स् गनजरती त्ढ़ी-ि्ढ़ी नगलडलयाो-सघा
हशरया ी-हशरया ी क् बीच िनकनरात् जग ी िू -िािाओ स् म नट कर िवताा बााती तियतका ो पाननि दृष्य ्नत् त कर रही
याल हो आयी- िगकन -कन भर
ाई-िधन-िनकन
ाव
होकर रह जाऊो न
सा बो
ी
बरबस ही ्स् जयिकर ्रसाल की किवता
रहा-िकस य का पच
लो
रहा- ो यह
रस गागरीण् ्सका जी हनआ िक बस यही बस जाऊो
भर को वह यह भी भू
गई
तियतका भी
यही की
ी िक पभी ्स् कािी लरू जााा भी ह
जग
क् बीच सोई हनई आिलवासी बत्तयाो भी जाग चनकी ी ाग-धलॅग आिलवासी बच्च् ्स् टनकनर-टनकनर जाता हनआ ल् ित् रह् कनछ आिलवासी नरू न र्ष-ििह ा ो पनाी नरम्नराओ को पब भी बचा
हन
िवचचत्र आवाज तियाका त् हन -हा
जो़् ्सका पमभवाला कर रह्
्
क पह़ ाली पब िीक सािा् ी ाली क् ऊनर
क
तियतम ि िें जा सिााा
क़ी का नन
ी जो लरू स् पना् िवल् ही होा् का नशरचय ल् रही
बाा हनआ ा और इस नन नर स् होत् हन ्स् ्स ा, जो लरू स् ही पनाी क ािकता व भव्यता क् सा ्नत् त
ा वह सध न ीर का पनाा घर-ससार
ा
छोट् िगर िूबसूरत बागीच् क् बीच स् होती हनई वह क िकाा क् आहत् िें ्रव्ि कर रही ी िन्य द्वार नर क व्यत्क्त िा ीाता स् हा जो़् ि़ा ा ्सकी नीि क् िीक नीछ् हा
बाध् ाौकर-चाकर भी ि़्
् जस्-जस् वह ाजलीक आती गई ्सका च्हरा
भी नष्ट हो च ा घाी िूछें
ा गिी ा-कसा हनआ बला, य ्ष्ट कल-कािी, ओिों नर किाा सी ताीिनकनरात् ओि और क ही ाजर िें सम्िोहा क् जा िें आिवष्ट करा ल् ा्
वा ी ाी ी-ाी ी आोिें
क बारगी ्स् तो ऐसा भी
गा िक वह कही सल न िसा तो ाही
सल न िसा तो वह ह ही, नर वो सल न िसा ाही त्जसिें ्सक् ता-िा नर बरसों राज िकया मिष्टतावि ्सक् भी हा
आयी नशरचय क्या
ा िक सनधीर क् सा
चनका
ा
राजिह नेंिटग्स
जऩ आ
ा, िहज िािसम िटज़
्
ा
सक्षक्षप्त नशरचय क् बाल वह पलर च ी
ी, जो ्स् तियाभााी
ी वह नह ् स् ही जााता
ल् व्न्द्र की िाो आ रही ह इस आिय की सूचाा वह नह ् ही भ्ज भी
भवा की क ािकता व भव्यता स् वह ्रभािवत हनई ी पलर भी वह िकसी स् कि ्रतीत ाही हो रहा ा जगह-जगह क ािक हा़-िााूस, ितियू तसयाो-ाायाब
टक रही
ी ि्रयरजाजी क् व्यत्क्तव-कृतियतव िें व् चार चाोल
गा रही
ी
िााा िाा् क् बाल ततियाक िवराि करत् हन वह घर का िआ न याा करा् गी ी सारी चीजें साि-सन री व करीा् स् जिायी गईं ी ब़्-ब़् हवालार किरें किरों िें ढ् रों सारी क ािक वतन ो, जसा िक वह बिक-कक्षा िें ल् ि ही चनकी हटकर मभन्ाता म
हन , रिी गई
पब वह ्ा पच ों िें जााा चाहती िकया
ा वह
ी
क-लस ू र् स् बहनत
ी, जहाो ्रकृतियत ा् पाननि-िाभावा मसगार
क- क कोाा घूि ला ाा चाहती
ी कभी वह सध न ीर को सा
् जाती, तो
कभी वय पक् ी तियाक
नलती ि्रयरजा भी सा
होत् नर ्सका सा
कर ल् ता, नता ाही क्यों ्सक् सा
्स् कनछ पसहज
रहत् हन ्सकी साोसें िू ा् गती िल धलका् गता, आोिें हक न जाती, बातें करत् वक्त ढ् रों िदल ह क स् चचनक जात्, नर क-लो बार
क् साहचयस िें सब ाािस
रहा
होता च ा गया और पब वह मित्रवत व्यवहार करा्
लसक् िा क् पलर का
ा
वह िनर्ष
ी
ब्हल िनर्ष
्िक सतत जाग रहा सच ही म िा
क क् बाल
ा ल् व्न्द्र ा् पना् नत्र िें
ौट जााा चाहती
तयारी करा्
गी
नला
ी
सनबह का सिय
ा
ी
वह
ी और पनाी
गाकर ्ल ग , नता ही ाही च
ी सभवतुः सध न ीर को भी वािनस होाा
पभी-पभी सूरज ्गा ही
ा
ा रग-सबरगी ढ् रों सारी तियततम याो यहाो वहाो िलरा रही
बही जा रही
ी, कर रही
सचिनच यहाो
ी
क, नरू ् नन्द्रह िला कब नि
पब वह घर
ी
ा हर न -हर क्षण ाया म िा जा
ाायाब-चीजें सबिरी नली हैं वह त्जताा इकटिा कर ना सकती ्िाी िें भी ्तारती जा रही
गी
ा वह
नाया
ौटा् की
रग-सबरग् िू ों स् बागीचा पटा ी ाली पनाी पहल चा
क बली सी चटटाा नर बिी इस पद्भनत ाजारों को ल् ि रही
स् ी
तभी सनधीर भी वहाो आ नहनोचा ल् ित् ही गा िक वह रातभर सोया ाही ह िायल घर ा छोल नाा् का िोह, प वा ्सस् सबछनल जाा् का गि वह ना ् हन ा सीध् आकर वह नरों क् नास बि गया और पनाी गलस ा ्सक् नरों नर हक न ा म या
ा
पसिजस िें
नता ाही वह क्या कहाा चाहता ह, ्सक् िा िें क्या ह? जब तक कोई बो ्-बता कस् जााा जा सकता ह
ी वह
ाही,
्सा् वय ा् ही नह ् करत् हन नूछा-सनधीर.... क्या बात ह कनछ ज्याला ही नर् िाा िलि रह् हो? ्रश्ा सब कन सीधा-साधा ििव की चािाी िें लूब् हन ् िदल सा न त् ही ्सकी आोिों िें आोसू हरा् को ल् िकर वह लर सी गई
ग्
ी िक इस
् जो ्सकी साली को मभगो रह्
लक् को आज हो क्या गया ह
् ्सकी इस त् तियत
कािी ल् र तक चनप्नी साध् रहा् क् बाल ्सा् िनोह िो ा िम्िीजी... िैं ाही जााता िक िैं ग त हूो या सही िैं यह भी ाही जााता िक िैंा् जो सोच रिा ह, वह कोरी भावााओ का सजा ह या िहज बचकाााना, आनस् इताा ही तियाव्ला ह िक ि्री पन्तस की नी़ा को नूरी तरह सनाें, सनात् ही पनाा तियाण सय ा सनाा लें , ्स नर गहाता स् सोचें , ििर पनाा तियाण सय लें सनधा सिह ाही ना रही
ी िक यह छोकरा क्या कहाा चाहता ह? क्या ह ्सक् िा
िें? तियात्श्चत ही वह िकसी ् हा िें आ िोसा ह, तभी तो कहत् हन कहाा भी चाहता ह
लर भी रहा ह और
सनधीर... जब तक तनि पना् िा की ् हा ाही बत ाओग्... िैं तनम्हारी िलल कस्
कर ना्ो गी बो ो तनि क्या चाहत् हो
क ब्टा पना् िा की बात पनाी िम्िी स् ही तो
कहता ह सभव हनआ तो िैं तनम्हारी िलल भी करूॅगी सनधा ा् कहा
आश्वासा की कनाकनाी धून का निस नाकर िा िें जिी िहिमि ा ो िनघ ा्
ी पब वह आश्वत हनआ जा रहा
गी
ा
श्िैं बहनत िि न ासीब हूो िक आना् िह न ् पनाा ब्टा िााा और िम्िी कहा् का पचधकार िलया िैं चाहता हूो िक पब आनको िम्िी ा कहकर सीध्-सीध् िाो कहकर नक न ारूो ल् खिय्... आन ि्री बातों को पन्य ा ा स्हरा बाोधा् की ाही ह आनका सा
ें
बात क् ििस को सिहें , िैं जााता हूो य् ्म्र इस पव ा िें आनको सहारा चािहय् जो पतियति सासों तक
तियाभाता च ् ि्रा आिय आन नूरी तरह सिह ही गई होंगी श्
वह चनन हो गया
ा
इताा कहकर
सनात् ही सनधा को जस् काि िार गया पलर
क तूिाा ्ि ि़ा हनआ ा जो ्सक् कािी ा वह सिह ाही ना रही ी िक
सयि-िवव्क-बनिद्ध क् नरकच्छ् ़्ा ल् ा् क् म
क्या कह् , इस ाालाा बच्च् स् वह ऐसी-वसी बात कस् सोच सकता ह वह यह ाही जााता िक क्या करा् जा रहा ह यह बात सच ह िक ्सा् ही ्स् िम्िी कहा् का पचधकार िलया ा और वह पनाी िाो की सूरत िें ्सकी सूरत ल् िा्
गा
ा, तो ्सिें ्सका लोर्ष कहाो
ह नर वह जो कनछ सोच रहा ह... क्या वह सभव ह? ाही... यह कलािन सभव ाही ्रश्ा सनधीर की ओर स् भी कह सनाााा ्स् ्सी
ा, ्स् पब ्तर ल् ाा
ा, पब ्सकी बारी
ा ्तर ही ाही बत्क पनाा पतियति तियाण सय
ी वह ्रश्ाों क् कटघर् िें तियघरी ि़ी
ी ्तर तो
हज् िें ल् ाा होगा िक ्सकी हो ी को िनमियों की रातरााी क् सनगचधत िू ों स्
भर ल् -िहका ल्
बहनत कनछ सोचत् हन ्स् पना् िनता की याल हो आयी, सबलाई क् भावक न क्षण ों िें ्न्होंा् कहा ा-ब्टी... दयाह को नरों की ब्ली ित सिहाा तनि िें िैं पनार सभावाा ो
ल् ि रहा हू ..... सब कनछ कराा, िगर िवद्रोह करक् ाही, प्यार िें बहनत बली ताकत होती ह, ाली पना् बहा् का राता िनल-ब-िनल त ाि कर ्ती ह, पनाी ाली क् त्रोत सूिा् ित ल् ाा
और वह बहती ाली की ओर ल् िती रही जो पनाी ्द्याि-गतियत स् क क -छ छ
क् सह न ाा् गीत गाती हनई आग् बढ रही ्तर ना म या ा
ी ्स् ्रश्ाों का ्तर मि
सनधीर... सच ह िैंा् तनम्हें िम्िी कहा् का पचधकार िलया
गया
ा
हाो ्सा्
यह पचधकार पब भी
तनम्हार् नास बरकरार ह तनि िनह् िम्िी कहो-िाो कहो-आई कहो या प ग-प ग भार्षा िें िाो क् म
जो भी िदल हों इसस् क्या िकस नलता ह इसस् िाो की गशरिा कही भी कि
ाही होती, ्सका िाधनयस िि ाही होता और ा ही ििव, लुःन ि हो रहा ह िक तनिा् िाो िदल को
्कर िनह्
्िका यह कहत् हन िनह क चौिट िें घ्रा् का जो ्नरोधि िकया,
्सस् िाो की गशरिा बढी ाही ह पिनतन चगरी ही ह तनिा् यह कस् पाि न ाा
गा म या िक
िैं तनम्हार् िनता की पकिायाी बाूोगी तभी िैं िाो का लजास ना सकूोगी तनिा् िाो िदल को
बहनत छोटा कर क् आोका ह जबिक िाो वह िवराट-सता की वामिाी होती ह, त्जसिें य् तो क्या कई ससार सिा सकत् हैं ति न ा् कभी सोचा िक त्जस िाो ा् मििन को पना् गभस िें ाौ िाह तक रिा और व् ्स् िकसी कारण वि पनाा लध ू ाही िन ा नायी तो क्या व् िाो कह ाा् स् वचचत रह गईं या व् िाो , त्जन्होंा् िाो ा होत् हन व् िाो का लजास ाही ना सकी या ्हें िाोवत ाही िााा गया
भी पनाा लध ू िन ाया क्या
िैं तनम्हार् इस ्रताव स् ा तो लुःन िी हनयी, ा ही पतियत ्रसन्ा ा ही ि्र् िा िें कोई िवर्षाल जागा ह, ा ही तनम्हार् ्रतियत ािरत क् भाव ्िो.......्िो तनि पब भी ि्र् नत्र न हो...... ब्ट्.....हाो िैं तनम्हारी िाो हूो िवकृत तो ा करो
िाो का वरून कभी ाही सबग़ता
्स् कि स् कि
च ो ्िो..... रे ् ा का टाईि हो च ा ह यिल हि सिय स् ाही नहनोचें तो रात ट् र्षा नर ही काटाी ऩ सकती ह
िनिर्षयों वा ी ाली
नोर-नोर िें आ स रें ग रहा जनल ाही ना रहा ा
वराा जोिीजी का जोि ल् िा्
और सजग बा् रहत् नत्रों की ्रय्क
नढत्
ा िक
ाि कोमििों क् बावजूल भी काि स्
ा आज नह ी बार ्न्होंा् मसद्लत क् सा
नाी दृत्ष्ट और चगद्ध की सी
सा
ा और िा
ायक होता
ा
िच यता का पानभव िकया
चीत् की सी चन ता, कागा की सी
कारहणता क् कारण ही ्ाक् पधीा
किसचारी सला चौकस
् ाईा नर स् ्ाकी ाजरें लौलती
ी व् सभी नत्र बली तन्ियता क्
आवश्यक टीन ल् त् और सबचधत िािाओ िें मभजवा ल् त् ्न्हें यह भी ध्याा
बाा रहता
ा िक िकस ट् ब
िलया गया ह
स् जवाब आाा बाकी ह और कौा सा न्नर नेंडलग िें ला
व् सबचधत म िनक को बन ात्
्न्होंा् कभी कोई लायरी-िायरी िें ट्ा ाही की रहती
ी िायल यही कारण
्
इसक् म य्
सारी चीजें िलिाग क् कम्प्यूटर िें पिकत
ा कोई भी किसचारी िकसी को धोिा ही ल् नाता
ही ्नरी आय की आिा ही सजोकर रि नाता रहत्
जवाब ्रतनत करा् को कहत्
ा और ा
ा ऐसा भी ाही िक व् लर्त की तरह ता्
्ाकी सब ौरी आोिें सला होसती िलिती और ओिों नर त्ाग्ध िनकाा हि्िा
लौ़ती ही रहती
ी व् सहृलय और मि ासार भी
और कलकना क् म भी हनका ाही नायी
व् सलव याल िक
जात्
् पनाी नष्टवािलता, साि-सन री छसब
् शरश्वत की आोधी ्की क ि को कभी
ी
गभग नरू ा ही िला व् पना् चॅ्ॅबर िें पनाी कनसी स् चचनक् बि् रह्
कनसी क्
ब्क स् नीि िटकात् हन ्न्होंा् पना् हा ों की ्गम यों को आनस िें कस म या ा और मसर क् नीछ् रित् हन तियामिसि्र्ष ाजरों स् छत को घूर रह् ् आकाि की तरह ही पॅॉििस की छत भी सनाट व भाविून्य
ी
ा
्न्हें जा
तीा करती
क ही चचता िाय् जा रही
्सक् हा
नी ् हो जा
लक् ल् ि चनक्
ी व् चाहत्
आता तो लस ू रा तियतरोिहत हो जाता
् िक िकसी तरह िारला का िववाह हो
और वह पनाी घर-गह ृ ी िें रि जा
पब तक िारला को
् हर बार आिा बधती ििर सि ू ी र् त की तरह ह ् ी स् हर जाया
ी व् सोचत् श् ा क्या किी ह िारला िें! नढी-म िी ह िहरे ी िें
वह भी िटस -क् ास िें ाक्र्ष ह
क ्या
ही
पब परहण्जी िें
ि. . करा् वा ी ह म टर् चर
सी गहरी आोिें हैं, क्र्ष-रािर्ष तियातम्बों को छूती ह
ि. . िकया ह
्कर
तीि् ााक-
छरहरी ल् ह ह
िीिा
बो ती ह मि ासार ह व्यवहाशरक ह गनण ों की िाा होा् क् बावजूल क्व
क किी ह
िोटोज्तियाक ह
नता ाही,
्सिें, ्सका रग
ोला साव ा ह
साव ा होॅ्ा् क् बावजूल वह स ोाी ह
ििर भी वह िकसी ा िकसी बहाा् शरज्क्ट कर ली जाती ह
ब्चारी क् भाग्य िें क्या म िा-बला ह, पाायास ही ्ाकी आोिें छ छ ा आयी की फ्र्ि ततियाक ्ो चा ्िात् हन
्न्होंा् रूिा
स् आोिें नोंछ ला ी
ी
च्हरा
ी चष्िें
यत्रवत ्ाक् हा
ट् ब
चनरासी ा् पलर ्रव्र्ष िकया
स्
गी का ब्
की बटा नर जा नहनोच् का ब् बजत् ही स ाि िोंका और पग ् आल् र्ष की ्रतीक्षा करा् गा
्न्होंा् चनरासी को कलक-िीिी चाय ्न्होंा् ट् ब
ाा् को कहा
आल् र्ष
्कर चनरासी जा चक न ा
ा
नर नल् मसगर् ट क्स को ्िाया मसगर् ट तियाका ी िाचचस की ती ी चिकायी
और गहरा कर्ष भाव स् टगा
त ् ् हन ढ् रों सारा धआ छत की ओर ्छा िलया छत पब भी तियािवसकार नो ा ्नर निा नील स् चक्कर तियघन्ाी काट रहा ा पब तक व् चार बार
चाय नी चनक्
्
आा् वा ी नाचवी
सीट नर बिा् क् सा िाााा
ही सनलकत्
ी
वस् ्ाकी आलत िें िनिार
क चाय
् और िाि को सीट छोला् क् नह ् लस ू री चाय ्ाका
ा िक सीट नर बित् ही चाय इसम
नह ् िोह न
ा िक व्
क हकी सी मििास क् सा
ी जााी चािह
िीिा हो जा
िक काि की िनरूआत क्
चाय की चनकी
्त् हन व् क बा कि ें ही नाय् ् िक लरवाज् नर हकी सी लतक सनााई ली व् कनछ कह नात् ओि बो ा् क् नव ू स िलिलाय् भी ् िदल ओिों तक आ नात् इसक् नूवस ही नािट क् ाीच् ्तर ाही नायी ्
नािट
पलर ्रव्ि कर चनक्
् चाय की चनकी नूरी तरह स् ह क
ी िनोह िें भरा-मसगर् ट का धआ भी व् नूरी तरह ्ग नो
को ल् ित् ही जस् नूर् िरीर िें सबज ी कपध गई
सीट स् ्ि िल् हन और पनाा लािहाा हा आग् बढात् हन बहनत िला बाल आाा हनआ पब तक कहाो गायब रह् ष् नािट
चच ता हा
भी नरू ् जोर्ष स् भर् हन ् न ी न भर िें लो मित्र जोि क् सा
पना् हा
िें
व् नूर् जोि क् सा बो ् ष्आओ नािट
ाही ना
पनाी
आओ,
न ा िरीर होा् क् बावजल ू भी ्ािें चन ता-
हा
मि ा रह्
् बली ल् र तक व् नािट
क्
ाि् रह्
ििर ओिों नर त्ाग्ध िनकाा सबि्रत् हन ्न्हें बिा् का इिारा कर वय पनाी सीट नर बि ग ्ाक् हा का ब् की त्वच नर जा नहनोच् घटी बजत् ही चनरासी ििर हात्जर हनआ ्न्होॅ्ॅा् चाय-ााश्ता ाा् को कहा ििर नािट की आोिों िें आोिें ला त् हन कहा् ग् श्कहाो गायब हो जात् हो नािट ! तनम्हें ल् िा् को जस् आोिें तरस गई व् कनछ आग् बो नात् िक नािट ा् चहकत् हन कहाा िरू न कर िलया
श्ल् ि यार जोर्षी िैं त्र् जसा तो हूो ाही िक िला भर कनसी स् चचनका नला रहूो तू जााता ह पनाी यायावरी त्जन्लगी ह क आजाल नछी की तरह घि क बली ू ता रहता हूो िर्ष न िबरी ह....... सना्गा तो मसर क् ब
िला हो जाय्गा बो
सा न ा्ो श्
श् क तू ही तो ि्रा त्जगरी यार ह........ तू ा होता तो िैं त्जला रह नाता! बो
िबर ह श् नािट
बो
नाय् इसक् नूवस ही ा जाा् िकताी ही िीिी-िीिी कनाा ो, जोर्षी
क् पलर बाती-मििती च ी गई नािट
व् सोचा्
क हा
ग्
क्या
ी
स् सबकनट िाता जाता और लस ू र् हा
्, बनढाना आ गया नािट
को
स् चाय सनलकत् जा रहा
ा
्िका पब तक बचनाा ाही गया और वह ह
िक सिय स् नह ् ही बढ़ ू ा हो गया ह ्ाकी ाजरें पब भी नािट
क् च्हर् स् चचनकी
ी
चाय क् घूट क् सा
सबकनट ह क स् ाीच् ्तारत् हन निट ा् बताया िक व् पभीौट् हैं और आत् ही सीध् यहाो च ् आ हैं ्न्होंा् क का ल् ि रिा ह
पभी िो ाननर स् िारला ब्टी क् म
लका बला होाहार ह नोट रहण्जन ट ह हण्लसि ह और वह क
लस
बज् त्र् यहाो नहनोच जा गा ििर चाय की घूट ह क स् ाीच् ्तारत् हन कहा् ग् ष्जोिी, भगवाा लतात्रय की कृना स् सब िीक हो जाय्गा िैं सब कनछ बता चनका हूो त्र् बार् िें ्स् क्व नािट
़की चािह
और कनछ ाही
भगवाा की लया स् सब कनछ ह ्सक् नासश्ण्
ा् बहनत कनछ कहा नर व् सा न ाही नाय् ् ्ाक् काा िें पब भी व् िदल बार-बार गज ़का िीक लस बज् नहनोच जाय्गा बस इताा सनात् ही व् िकसी तीसर् ोक ू रह् ् िें ़्ाा भरा् ी
ग्
्न्हें ऐसा भी
् सा न त् ही ्ाक् िरीर िें रोिाच आ गया
गा्
गा
ा िक सार् िाोर
क सा
ा आोिें सज
नूर् होा् वा ् हैं
हो ्िी
व् यत्रवत
कनसी स् ्ि िल् हन और पनाी िविा बाहों िें नािट को भर म या ा व् पब और पना् आन को रोक ाही ना ् ्ाकी आोिों स् परध न ारा बह तियाक ी ी, जो नािट क् कनरत् को मभगो ल् ा् क् म
नयासप्त
ी
नािट ्
को छो़ा् क् म
व् तीसरी ित्ज
व् चाहत् तो म िट स् सीध् ्तर सकत्
नािट
स् त्जताी भी बातें की जा सकती
त्जगरी लोत
् और
क िभ न सिाचार भी
पना् चें बर िें
स् सीिढ़याो ्तरत् हन ग्ट तक च ् आ ् चाहकर भी व् वसा ाही कर नाय् ् िक
ी, की जााी चािह ्कर आ
क्योंिक
क तो व् ्ाक्
्
ौटकर ्न्होंा् इटरकाि नर पना् सचचव को सूचचत िकया िक व्
जरूरी काि स् चार घट् नूवस ही पनाा कायास य छो़ रह् हैं ्ाकी चा
बूहत् लीन ििर
ि् गें ल की सी ्छा
क बार िटििटिाा्
बाशरक जााकाशरयाो ्राप्त कर क्या-क्या
ी
ी
ग्
िा ्रसन्ाता स्
् ्न्होंा् नािट
स्
ा
िस ा कर् गा या ििर पना् आई-बाबा क् कधों नर जवाबलारी ला
आिाओ क्
लक् क् बार् िें बाशरक स्
ी ्स् क्या नसल ह? ााश्त् िें वह क्या
्गा? काह् स् आय्गा? िकताी ल् र तक रूक्गा?
्न्होंा् ज्ब िें हा
बर् ज
्गा? िाा् िें
लका ल् िा् क् बाल वय ल् गा?
ला ा नसस तियाका ा नाोच-सात सौ रूनय् भर नल्
् ज्ब िें इता्
स् रूनयों िें क्या होगा! िा ही िा बनलबनलात् हन ्न्होंा् पना् आन स् कहा ा शरट वॉच नर ाजर ला ी तीा बज चनक् ् बैंक प वा नोट पॅॉििस स् रकि पब तियाका ी ाही जा सकती
ी पभी इता् रूनयों िें आवश्यक चीजें िरील
्ाा चािहय्
जाय्गी तो घर क् नास की िकसी लक न ाा स् िरील की जा सकती ह रूनय् तो नल् ही होंग्
कनछ रह भी
सन भा क् नास कनछ
लका आ भी रहा ह तो िहीा् क् पत िें इता् नस् बच ही कहाो
नात् हैं िक हजार-लो हजार की िरील की जा सक् िाह की नह ी तारीि को ता्वाहरूनी
सूरज ्गता ह और िाह क् पत तक आत्-आत् इताा तियात्ज हो जाता ह िक सदजी-भाजी भी ढग स् िरीली ाही जा सकती
क मितियाट स् भी कि सिय िें ्न्होंा् कई बातों नर गहाता स् सोच ला ा
डलनाटस िेंट
टोसस िें घनसकर पयावष्यक चीजें िरीली
टॉन नर बि कर बस की ्रतीक्षा करा्
ग्
्
ा
क
काटूसा िें नक करवाया और बस-
िहाागरों की बसें
की नील स् होल
क तो धीिी गतियत स् ाही च ती
च ती भी ह तो हवाई-जहाज
्ती ह सिय नर आ ही जाय्गी, ्सकी कोई गारटी ाही आ भी गई तो
लस-नाच नायलाा नर
टक् मि ेंग्
तरह-तरह क् ्या
िा को पर्षात कर जात् व् बस
को आता ल् ित् पनाा काटूसा सभा त् तब तक बस चरिराकर आकर िली हो जाती और हटक् क् सा
आग् बढ जाती
ी इता् कि सिय िें लो-चार चढ-्तर नात्
् व् सोचा्
ग् जवााी पब रही ाही लौल-धून ्ाक् बस िें रहा ाही जली की और कही स ट गय्
तो
्ा् क् ल् ॅ् नल जायेंग्
क ्या
जोर्ष िल ाता ह तो लस ू रा हवा तियाक ा ल् ता
ा जाा् िकताी ही बसें आईं और च ी गईं ग
्
पब तक व् बस-टॉन नर बि् ही रह
्न्हें पब पना् आन नर चचढ सी भी होा्
आग बरसा रहा
ा व् ज्ब स् बार-बार रूिा
ा
गी
ी
सरू ज पनाी ्नत् तियत िें
तियाका त् नसीा् स्
न
ल् ह नोंछत् और
हसरत भरी ाजरों स् बस का इतजार करा्
गत् भीर्षण गिी िें ता हन सात् हन िा क् िकसी कोा् स् िवचारों की सशरता बह तियाक ी
्ाक्
श्िैं भी िकताा बला िि ू स हूो कोई चचराग ्कर ढूोढा् तियाक ् तो िह न स् बला िि ू स कोई मि ्गा ाही सचचवा य िें काि कर रहा हूो स्क्सा इचाजस हूो िाइ ों क् बीच स् रूनयों की गनप्त-गोलावरी बहती ह
क- क िाई
ािों-परबों की होती ह पगर
क- क बोल ू भी तियाका
िें ि् ता ि्र् पना् नास भी ब्िकीिती गाली होती गाली होती तो िनह,् जािह
नाता तो आज
ािों
गवारों की तरह यहाो
टान्ज नर बि कर बस का इतजार ाही कराा नलता श्
रहा् क् म य् बान-लालाओ क् हा
का
क टूटा-िूटा सा िकाा ह वह भी ढाई किरों
वा ा घर िें रहा् वा ् नाोच ्राण ी नतियत-नत्ा लो और तीा ब्िटयाो िारला ब्िटयों िें सस् बली ह ि.
क ्रायव्ट कू
्रीिवयस िें ह
िें नढाती ह
मिनी और सा न याा पभी नढ रही ह
सनायाा िटस -ईपर िें
िारला साव ी ह
मिनी
ि्री जसी मिनी पनाी
आई नर गई ह गोरी-चचती ल् िा् िें िारला स् बीसा नलती ह शरश्ता आता ह िारला क् म
नसल कर
ी जाती ह मिनी
बली क् रहत् छोटी की िाली हो! हो ही ाही सकती
सभव भी कस् ह बातें ि ायी जाय्गी लो सा
कर भी लो ू तो बली िें िोट तियाका ी जा गी
नह ्
क
लका आया
ा
साव ी होा् क् बावजूल वह नसल कर
तरह-तरह की ्टी-सीधी
घटों तक वह िारला का इटरव्यू
ी गई
ी
लका तयार
्ता रहा
ा
ा नर वह इस बात नर
पला रहा िक िाॅ-बान की रजािली क् बाल ही वह कनछ कह ना गा जात् ही सूचचत कर् गा बीस-बाईस िला ब्सब्री स् इतजार करा् क् बाल लकी तो नसल ह नर व् चाहत् हैं िक
क नत्र आया
लकी सगीत िें
म िा
ा
आई-बाबा को
ि. . होाी चािह
य् भी कोई
बात हनई! लिकयाो क्या कोई कस्ट की डलदबी ह त्जसिें ढ् रों सारी चीजें ट् न करा ली जा आन िकताी बातों िें लिकयों को नारगत करा सकत् हैं? ्सक् बाल
क
लका और आया
च ्गी नर लाा-लक्षक्षण ा तग़ी चािह
सल न िसा
ी लो
नढा म िा
ा
लकी कसी भी रह्
बली रकि कहाो स् आती शरश्वतिोरी तो पब तक
की ाही ििर-लाका भी तो ाही ला ा जा सकता सकती
ा क
लकी हो तो ्धारवा़ी भी
़िकयाो और भी ह िकस-िकस को िकताी रकि ली जा सकती
होती तब ा! िाि ा ििर िनछ ् सा
ा कध् तक बा
ी ज्ब िें
टक गया
क सबध और आया
हू
ी जा
लका ल् िा् िें ्िाईचगर-सलक छान िजाू
रह्
गता
् लाढी िूछें बढी हनई ी त्जस नर का ा चश्िा चढ़ाय् बली ाजाकत-ािासत स् बात करता ा हा -िह ािह ाकर बातें करत् सिय ्सका नरू ा िरीर च रकता रहता िारला की बढ़ती ्म्र और किजोर ज्ब ल् िकर ह बात आग् बढ़ी
्सकी िाो भी ्सक् सा ्सकी िाो होगी
ग रहा
आयी
नली ्सकी िाो ा् बत ाया
ी, ल् िकर कोई भी ाही कह सकता
ा कोई िॉल
्सका यौवा, गलस ा ाीची िकय् ल् ता
गा िक शरश्ता च
ा
सािा् बिी ह
सकता
ा िक वह
नारलिी कनलों िें स् हाकता
िा नर बला-सा न र रिकर बात आग् बढााी
ा िक व् आजाल ्या ों वा ी ह वतत्र िवचारधारा वा ी ह
़की हिार् नशरवार िें वह चाहती
ी िक
लका,
िें यह सभव ाही िायेंग्
इराला
लजट हो नाय्गी प वा ाही, इस बात का भी ध्याा रिाा होगा
्न्हें
लकी स् िन कर बातें कर सक् नर ढाई किरों वा ् इस िकाा
लकी को
लक् क् सा
बाहर भ्जाा नल्गा
क-लस ू र् को सिहेंग् नरू ी त्जन्लगी का सवा िारला ्सक् सा
सािा् लहाल िार रहा
घॅ ू ूिेंग्,
ी सन भा का भी कनछ इसी तरह का
ी िस ा ्न्ही को
ा पतियाण सयािक-द्वन्ल िा िें च
िारला क् च्हर् नर चचनक जाया करती तक धस आया
जो िहरा
बाहर जाा् को तयार ाही
ा सबकी ाजरें ्ा नर क्त्न्द्रत
सा -सा
रहा
ी िारला क् कोि
्ाा
ाचारी का सिनद्र
ा ्ाकी ाजरें बार-बार
िा िें
ा वह काखियों स् ्ाकी ओर ल् िती जा रही
ा
क पज्ञात भय गहर्
ी तियाण सय ्न्हें ही
्ाा
नर वजाी न र रित् हन व् इताा ही कह ना ् िक घि ू ििर कर जली आाा बान क् च्हर् स् टनकती ाचारी भी वह ल् ि चक न ी ी
ौट
ा िल
लोाों क् बीच जो कनछ भी घटा, ्ा बातों को सोचत् ही तियघा होा्
्स् गालसा िें
गी ह वह
नट
् गया, बेंच नर बित् हन ्स तिया ज् स ज ा् िारला स् नूछा ा श्क्या ्सा् कभी िकसी स् प्यार िकया ह? क्या ्सा् पना् िकसी बॉयफ्र्ण्ल स् िारीशरक सबध ािनत
िकय् हैं? जब लो जवाा त्जि हि-सबतर होत् हैं तो कसा िजा आता ह श्? िारला जस् काि बाकर रह गई
ी ्सक् पलर रोधोध ्ब
सारा जहर नीकर ििर वह ्स् ििि ल् िा् ी रही
ब्हल पश् ी ! ब्हल ्त्जक! िरे न रही
ा चाहत् हन भी वह चनन ् गया ग् क्सी िें मसराको ििि च
क्स ििि
ा
ी
िारला गलस ा ाीची िक
ी...
रही बिी
ाजलीक खिसकत् हन ्सा् ्स् पनाी बाहों िें भर म या ा और ढ् रों सार् चनबा ्सक् गा नर जल िलय् ् और पनाा हा ्सक् द ा्ज िें ला िलया
ििि च
रहा
ी
ा
ियासला की सारी सीिा
वह तोल चनका
ा िारला ा् िकसी तरह पना् आनको ्सक्
नात्श्वक-बधा स् िनक्त कराया और तीा-चार हानल ्सक् गा ौट आयी
ी घर
ौटत् ही ्सा् आना् आनको
नर ज़ िलय्
क किर् िें कल कर म या
् और घर ा आना्
आनको किर् िें बल करा् स् नह ् ्सा् इताा कहा नसल कर् गी नर ऐस्
नच्च्- िग् क् सा
ा िक वह जहर िाकर िर जााा
िाली ाही कर् गी ्सा् यह भी कहा
ा िक पगर
लब न ारा िाली की बात की गई तो वह िकसी ्ो ची इिारत स् कूल कर पनाी इह ी ा सिाप्त कर ल् गी
िारला की सारी व्य ा-क ा सन भा ा् ्ाको बाल िें बताया
िायल वह ्सकी लग न तियस त पवश्य बाा ल् ता च ा् क् तनरत बाल, ्न्हें चािह
निह ् बताती तो
सन भा ा् यह भी सनहाव िलया िक बात नता
लक् क् घर जााा चािह
ििर ्न्हें आा् क् म
ा
कहाा चािह
सारी चीजों की िा ूिात कर
सन भा की बतायी बातों का ्या
गा िक ह क कलनआ हो गया ह ्न्होंा् िासकर ग ा साि िकया और ढ् रों सारा
ओर ्छा
िलया जबाा िें कलनआना पब भी तर रहा
नता ाही क शरश्ता
ाया ह नािट
बढा्
गी
शरश्ता
आा् वा ा
ूक
क
लका ढग का ही होगा ििर नािट
ििर िारला की कही गई बातें याल आत् ही ्ाकी ध़का्
श्लब न ारा िाली की बात की तो वह िकसी ्ो ची इिारत स् कूल कर जाा ल्
ल् गी श् ्न्हें ऐसा भी
गा्
गा
ा िक वह त्जस जगह बि् हैं, वह भी काॅना्
ििर व् पना् आनको सिहाईि ल् ा्
ग्
रहा वह िकसी तरह िारला को िाा
ेंग्
बरन ा सनाा सिहकर भू
जा
नािट
्न्हें इस बात का भी ्या नर नल गई तो वह ्सका हा
ििर पनाा ही ह
हो आया िक मिना को
ा िाोग बि्
गी ह
् व् िारला स् कहें ग् िक िनछ ी बातों को वह भ ा ग त शरश्ता
ोली ल् र क् म
भ्जाा ऩ्गा िकसी सह् ी क् यहाो प वा नलोसी क् घर कही ्स बॅटा ल् गी
आत् ही
्सका त्जगरी लोत ही ाही, सग् भाई स् बढ़कर ह वह कोई ग त
ा भी कस् सकता ह ी
लका कसा तियाक ्!
ा
्ाा
सनायाा रह् गी ा घर िें
क
ाा् स्
ही सही बाहर
लक् की ाजर मिना वह सन भा का हा
लका नूछ भी बिा मिना क् बार् िें तो कह लें ग्, िािा क् घर गई ह
िवचार की आोचधयाो ्ाक् साहस व धयस की चू ें िह ाा्
आोिें न राा् सी
गी
ी व् इस बात को सोचा् क् म
िरी-टूटी िोटर बाईक ही िरील
गी
ी बस क् इतजार िें
िजबूर हो च ्
् िक काि
क
ी होती तो पब तक इस तरह बिाा ाही ऩता नता ाही
वह भी िकस मिटटी का िाधो बाा बिा रहा शरश्वत प वा घस ू िोरी ा
्ा् की पना् िनता
की सीि को वह पना् क ्ज् स् चचनकाय् ा रि नाता तो आज यह लल न स िा ा हनई होती
क्यों बाा रहा वह इस घोर क यनग िें राजा हशरश्चन्द्र? क्या मि ा राजा हशरश्चन्द्र
बाकर? मसवाय फ्रट् िा क् भ ् ही आकण्ि ा लूबता जाता
कनण्िा क्
शरश्वत ा
आिग् ााी क्
्ता
बग ् होत्
ािों बाा
आज ज्ब िें ढ् रों सारा नसा होता
ोग खिच् च ् आत् ह ल्त्जग्ा्िा ल् िकर
जिीा नर िला होाा नलता ह तो पनाी भू चनका होता ह िक वह नारसिण ी ाही बत्क
वह भ्रष्टाचार िें
कि स् कि नरसेंट्ज िाी नर तो सहित हो
क नरस्न्ट प वा आधा ही नयासप्त होता ह
िरबों की योजाा ो बाती ह
नश्चातान क्
जा सकत्
गाड़याो होती
्
आ ीिाा
जब ्न्हें हकीकत की ककरी ी
नर नछताा्
गत् हैं
्न्हें सिह िें आ
क िािू ी काोच का टनकला ह जब ्न्हें यह
भी नता च ता ह िक ब्चारा क जग न ी हशरश्चन्द्र ह तो व् लबी आवाज िें होसा् लरू तियछटका्
परबों-
गत् हैं
गत् हैं
बग ् की कनाा िात्र स् ्स् पना् टूट् -िूट् ढाई किरों वा ् िकाा की याल हो
आयी वह जसा भी हो पनाा िकाा तो ह ्स िकाा िें इताा सनि तो पवश्य सिाया हनआ ह जो नाोच ोगों क् म नयासत ह िकसी क किर् की सिाई कराी नल्गी ्सिें रिा कबा़िााा, िकसी लस ू र् किर् िें िूोसकर भराा होगा भ ् ही प ाई रून िें वह हो ड्राइगरूि िें तो ्स् बल ाा ही होगा, जहाो बिकर क तरह-तरह क् ्या की
क बस सािा् िली
िल
और िलिाक को ि
ी भील भी ाही
बातें की जााी ह
जात् व् कनछ और सोच नात् ष्ब्टष्
ी ्सिें ा ही चढा् -्तरा् वा ों का र् ा
िकसी तरह भारी भरकि काटूसा ्िाकर व् बस िें चढ नाा् िें सि ्तरा् क् सा
ही
गा्
गा
हो सक्
्
ा
बस स्
ा िक िरीर ज़ हो आया ह नोर-नोर िें ऐिा व ललस रें गा्
गा ह
सनबह स् नह ् व् क्या कनछ कर ना ग्
िकसी तरह
इसिें सल् ह होा्
लिलात् कलिों स् व् घर की ओर बढ च ्
च-चा ू -चरस की आवाज क् सा
कााों स् आकर टकराा्
गा
ा
्
काटूसा ्िाय्
ग्ट िन ा पलर ्रव्ि करत् ही िहाकों क् मिचरत वर
ग् व् िििककर वही िल् रह गय् िााो नर िें ब्र्क
ग आ
िहाकों क् मिचरत वरों िें ्ाकी नतियत सन भा की होसी की गूज भी व् सना ना रह् सन भा की होसी क् वर को नहचाात्
्
क िनद्लत बाल व् ्सकी होसी सना ना रह्
लरवाज् की चौिट नर, बला सा काटूसा हा ग्
्
िें
ित ब श्
गा त्श्ा ज् स जता की भी हल होती हण्
व् सोचा्
ग्
्
पन्लर आ जााा चािह
्
क पजाबी को होसता ल् ि ्न्हें
क पजाबी क् सा
सन भा ा् न टकर ल् िा
नलचानों को वह भ ीभाोतियत नहचााती
व्
टकाय्, व् िविोिटत ाजरों स् पलर ल् िा्
होसा् वा ों िें नत्ा और बत्च्चयों क् प ावा
पच्छा ाही
्
हों
िहाक्
नतियत लरवाज् नर ि़् हैं
ी बरसों स् जो सा न ती आ रही
गाा् का नतियत क्
ी ्न्हें तो पब तक
ा सिह गई पलर ा आा् का कारण सहज हाय सबि्रत् हन वह ्सक् नास तक च ी आयी ी ्सक् हा िें मििाई का डलदबा ा िनोह िें मििाई िूोसत् हन , होसकर कहा् गी श्बधाई हो जोिी जी श् नत्ा क् िनि स् जोिी जी सनाकर व् हराा स् होा् ग् ् पब तक तो वह ऐ जी! प वा िारला क् बाबा कहकर नक न ारती आयी
ह बाबा पचााक जोिी जी कस् हो गया? िविाशरत ाजरों स् वह कभी सन भा का च्हरा ल् ित्, कभी बत्च्चयों का, तो कभी पजाबी का सबगलत् रह् न
भर को व्, य् भी भू
गय्
् िक हा
कई रगों क् ि्ल ्ाक् च्हर् नर बात्
िें वजाी काटूसा पब भी
टक रहा ह
काटूसा को ाीच् रित् हन पनाी हेंन मिटाा् का सायास ्रयास करा् ग् ् हा का बोह तो कि हनआ, नर िल नर बोह पब भी ला हनआ ा कौा ह यह पजाबी? िनता को आया ल् ि िारला और यनवक ा् आग् बढकर आलर क् सा ्ाक् चरण निस िक िारला बस इताा ही कह नायी कू
ी-बाबा! िैंा् और िरल ा् गधवस िववाह रचा म या ह िरल ि्र् ही
िें मिक्षक ह हिें आिीवासल लीत्ज
च्हर् नर सय ू ासॅ्लय की सी
ा ी छाा्
गी
बस वह क्व ी
इताा ही बो
नायी
ी ्सक्
सोचा् सिहा् को पब बाकी रह भी क्या गया
जोिी जी का िोया हनआ जोि ििर गा म या ा ग ्
गात् हन बह तियाक ी ह
जोिी जी को
ौट आया
ा जोिी जी की कोर भीग ्िी
ी
ा ्न्होॅ्ॅा् लोाों को ्िाया और ग ् स्
गा िक ्ाकी सूिी ल् ह िें िनमियों की ाली, हरहराकर
पना्-पना् घोंस ् सीिढ़याो चढत् और ्तरत् सिय ्सक् नर पब जवाब ल् ा्
ग्
्
िकसी तरह वह
घट न ाों नर ह ् ी स् लबाव बाात् हन सीिढ़याो चढ़ तो जाती, वही साोसें भी िू ा् ग जाती ी ्तरत् सिय िा क् िकसी कोा् िें क पज्ञात भय हि्िा की तरह ही सिाया रहता िक चगर नल्गी
क- क सीढी, नूरी सावधााी
व सतकसता क् सा
्तरती, सबस् नह ्
नायलाा नर रिती, जब तक वह नूरी तरह स् इस ्रिरोधया िें सि
ाही हो जाती, नक़
पनाी ह ् ी स् र् म ग की नक़ िजबूत करती, ििर आिहता स् नर ्िाकर ाीच् की ढी ी ाही होा् ल् ती
ी
हि्िा की तरह वह सीिढ़याो चढ तो गई नर साोसें धोंकाी की तरह च ा्
कनछ पॅध्रा भी आोिों क् सािा् घि ू ा् तियायसत्रत करा्
ग गई
गा
ा
लीवार स् नीि िटका
ी कािी ल् र बाल वह ाािस
हो नाई
गी
ी
वह साोसों को
ी
नास ऩी कनसी को ्सा् पनाी ओर िीचा और मसर को कनसी स् िटकात् हन आसिाो की ओर ताका् गी ी आसिाा कलि साि ा सूरज क ओर ि़ा िनकनरा रहा ा ्सकी ाजरें पब भी नूर् ाी ाकाि की पनशरमित सीिा को ाान रही
ी
लरू कही स्
भटकता हनआ क बाल का टनकला हवा िें तरता िलिा धीर् -धीर् वह ाजलीक आता च ा गया पब ्सा् सरू ज को नरू ी तरह स् पना् आगोि िें ् म या ा कािी ल् र तक सरू ज बाल
क् सा
आोि-मिचौ ी ि् ता रहा कभी
कभी बाल , आोि-मिचौ ी का यह ि् सूरज स् हटत् हन
लरू तियाक
गया
ा
गता सरू ज त्ज गतियत स् भाग रहा ह तो
भी, ज्याला सिय तक ाही च
कािी ल् र तक आसिाो प साया सा नसरा नला रहा
नाया और पब वह
तभी कही लरू स् नि्रूओ का
क हनण्ल हवा को चीरता हनआ आता िलि ाई नला जब वह कािी लरू ा तो गता ा िक आसिाो नर भनाग् मभा-मभाा रह् हैं रोधििुः वह हनण्ल ाजलीक आता च ा गया और लाों को िलिलात् हन
वह िीक ्सक् मसर नर स् गज न रत् हन
लरू तियाक
गया
ा
्सकी ाजरें पब भी आसिाा स् चचनकी हनई ी, तभी चचडलयों का क ल चचचचयाता हनआ बा्ण्ड्रीवॉ नर बि गया वह वहाो स् ़्ता तो लस ू री तरि आकर बि जाता
ा चचडलयों की चें -चें भी ्सका ध्याा भग ाही कर ना रही
चचडलया ्सक् ाजलीक आकर पिि्म याो करा् चचडलयों क् म
िनटिीभर लाा्
् आई
कनछ लाा् ्सकी ह ् ी स् चचनक् नल्
्
ी तभी कनछ चचल्-
ग् सहसा ्स् ध्याा आया िक ्सा् तो
ी िनिटियाो िो कर लााों को िर्षस नर सबि्र िलय् िायल ह ् ी नसीा् स् गी ी हो आई
ी लोाों
हा ों को आनस िें ि त् हन ्स् चचनक् हन लााों को हा़कर साि िकया चचडलयों की टो ी पब लााा चनगा् िें त ीा हो गयी ी यह इसका ्रतियतिला का तियायि ही ा िक जब भी वह छत नर आती, नि्रूओ क् म य् लााा पवश्य
्कर आती ह या ििर बची हनई ी लााा चग न त् सिय व् आनस िें
रोटी ही त्जस् वह ह ् ी स् चरू ाकर सबि्र िलया करती चचचचयाा् सी
गती
ी, िायल कृताता जत ा रही हों
्सका िा पब पवसार स् भरा्
पनााना बत ाा्
गा
ा
वह सोचा्
गी
ी िक िूक नि्रू भी
गत् हैं नर आलिी! आलिी कही स् भी ऐसा ाही करता बत्क सिय
आा् नर वह लि करा् स् प वा चोट नहनोचाा् स् ाही चूकता ्स् पना् ब्टों की याल हो आई ी िकताा क्या कनछ ाही िकया ्सा् पना् ब्टों क् म चार-चार औ ाल होा् क् बाल भी आज वह तियातान्त पक् ी जीवा काट रही ह
वह और कनछ सोच्, तभी ्सक् काा स् ढो क की
धिक क् मिचरत वर आकर टकराा्
ग्
ानों की आवाज और िजीरों क्
्
्स् सहसा ध्याा आया िक रािल न ारी सनबह ही आई
जन्ि िलवस क् पवसर नर आा् का तियाित्रण ला
गई
ी और ्सा् पना् ााती क्
ी और वह यह भी कह गई
ी िक
आज बरसों बाल ऐसा सनाहरा पवसर आया ह जब हि और तनि मि -बिकर गायेंग्बजायेंग् कहा्
बात ध्याा िें आत् ही वह पना् आनको चधक्कारा्
गी
ी िक ्स् आज छत नर चढाा ही ाही चािह
गी
ी और िा ही िा
ा, त्जताी ित्क्त ्सा् आज
छत नर चढा् नर िचस की ह, िायल ्ताी ही ताकत व् च कर रािल न ारी क् यहाो तक जा सकती
ी
ििर ाय् मसर् स् सोचती िक ्सा् छत नर आकर गनााह ही क्या िकया ह
पगर वह छत नर ाही आयी होगी तो ढ् रों सारी चचडलया आज िाक् िारती ििर न -न बल त् दृष्य को ल् िकर वह पना् गि को भू वहाो रोज-रोज गम्ित होती ह
तो जाती ह
रही बात रािल न ारी की तो
कनछ बातें ऐसी भी होती ह िक ्ाक् सलभस िें ढ् रों सारी िकताबें छाााी नलती ह, कई
नन्ा् न टा् होत् हैं, नर िा नलत्
बस जरा-सा ध्याा
क ऐसी
गाया िक
ायब्र्री ह जहाो ननरााी िकताबों क् नन्ा् न टा् ाही क- क न
आवाज सनाकर ्स् पना् बीत् िला की याल आा् सािा् साकार होॅ्
गा
्
औरतें घ्रा बाा
का सतवासा िकया जााा
ा, गभसधारण िक
सास ा् नूर् िनह ् को न्यौत आई
कर वहाो गया
ा
क- क
म्हा ्सकी आोिों क्
ा
ढो क ढिकाई जा रही
हन
ी, इस िला ्सकी बहू सात िाह हो ग ् ्स् इस िला को
ी, िाो-बाबूजी भी आ
कनलों िें िब ू सजाया सवारा गया
् आई
ी, जहाो घर िें गााा-बजााा च
सािा्
क िग लीन मस गा िलया गया
्सकी ओ ी भरी जाा्
गी
आिीर्षों की बौछारें होा्
गी
ी, िजीर्
बिी हूि-हूिकर गा-बजा रही
िनभ िााकर घर िें ्सव िााया जाता ह
गीतों क् च त् ही ्स् ा
ी
ढो -ढिाक् की
ा
्सका घर िोह ् की औरतों स् पटा नला नीट् जा रह्
गी
जीवत हो ्ित् हैं
रहा ा
् आज क् िला िग -
ा ििर ााल क् हा
ा ्स्
नकल
क नीढ् नर बिा िलया
कनछ छोट् -िोट् ाेंग-लतूर क् बाल
ी बली-बूढी आिीर्षें लें गी- िू ो-ि ो, लध ू ो-ाहाओ क् ढ् रों सार् ी बारी-बारी स् वह सभी क् चरण -निस भी करती जाती
ी
नूरा िला ्सव िााा् िें सबता, तबस् कनछ ज्याला ही पना् होा् वा ् बच्च् क् बार् िें सोचा्
गी
ी बच्च् होा् की कनाा िात्र स् वह ्स िला रोिाचचत हो ्िी
ी जब ्स्
बत ाया गया िक वह िाो बाा् वा ी ह, िायल इस बात की िवचधवत घोर्षण ा की जा चनकी
ी
हा ाोिकवह वय भी जााती
क्योंिक िाहवारी जो ाही आई
ी िक वह न्ट स् ह और यह होाा भी तियात्श्चत
ा
ी
तबस् वह सब न ह-र्षाि हर न
पना् होा् वा ् बच्च् क् बार् िें सोचत् रहा करती, ऐसा
होगा... वसा होगा... बली-बली आोिें होगी... गोरा-ाारा होगा... आिल, आिल
्सका पनाा
कनाा ससार औरों स् तियारा ा ही क ान्हें मििन को जन्ि िलया
बाोध
ी
ी िक ्सका ााि वह राजीव ही रि्गी भ ् ही ्सका जन्ि ााि िकसी पन्य
पक्षर स् तियाक ् सताा्
ा वह िला भी िी रो ही आ ्नत् त हनआ जब ्सा् ा ्सकी बली-बली आोिों को ल् ित् हन ्सा् िा िें गाोि
गी
ी
राजीव पनाी हरकतें त्ज करें इसक् नूवस ही ्स् लस ू र् गभस की चचन्ता क सा
सभी क् प्यार् -िाभावा ही
क् पतरा
िनमियों स् भरा नला
ा ााि भी
् नह ा राजीव, लस ू रा ाीरज, तीसरा सरू ज और चौ ा सन् न लर
बली-बूढी पक्सर कहती
कौिया होाा चािहय्
िें ्सा् चार मििनओ को जन्ि िलया
श्कनसनि त्रा ााि कनसनि ााहक ही रिा ह, त्रा ााि तो
ाश्... कौिया और वह िू ी ाही सिाती
ी, घर का कोाा-कोाा
ा कब िला ढ ता और कब रात बीत जाती, नता ही ाही च
नाता
ा
िनमियों स् आोगा िहिता-लिकता ज्याला िला ाही रह नाया
रात भी आई त्जसिें ्स् सार् चिकत् िला सला-सला क् म
क ऐसी घाी पध्री
ोन हो ग
वह सरू ज ्गा ही ाही जो ्सकी पध्री रातों को ्जास स् भर लें प वा पतियति िकरण िा िें ि्र्ष ऐसा िकाि मि
जा
क्व
क ही आिा
ी िक िकसी तरह चारों की नरवशरि ढग स् हो जा
जहाो न टकर ििर काम ि पनाी जगह ा बाा सक्
सर ढका् को िनर्
् ्सक् बाल
वा ी छत व लस-बारह
को नूरी तरह भर सका् िें पसि स
ी
कल जिीा नास
िन्य कारण तो यह
्न्हें
ी जो न्ट क् गढ्
ा िक ्सा् जीवा क्
जीिवत रहत् हन कभी ्सर भूमि नर नर ही ाही रिा ा चाहती तो वह भी ी िक ्रछाया बा कर ि्तों िें काि करती रह् नर वह ्स् गवारा ाही ा ाही जाा नाई ी
वह कब क्या बोाा-्लााा ह कब ाीलाा-बिरााा ह बटाईलार ा् जो काट कर ् आया वह िकताा िा
् आया-सो
िार रहा ह िकताा जाावरों को खि ा रहा ह ्सका वह जाा्
नर वह इताा ही जाा नाई
ी िक इताी बली जिीा ्ा नाचों का न्ट ाही भर नायेंगी
कािी सिय तक तो ्सा् कनला मस कर तो कभी व्टरें बााकर घर की गाली िीची नर गता िक पब वह भी ज्याला िला िीच ाही नाय्गी न र हो चनक् िल
नर
क बली सी चटटाा और रित् हन -्सा् ि्त ब्च िलया ोग-बाग कहत्, नग ा गई ह, जो बाी बााई सम्नत्त ी, ्स् गण्ल् िें ब्चा् िें जनटी ह
कोई कहता और िला सबर रिो ज्याला िें सबक्गी नर ्स नर क्या बीत रही
ी वह ्सका
चगरधर की िरू त क् सािा् बिकर वह बार-बार रोई
ाा् क् म
वह ही जाा नाई गह न ार
ी, ज्याला भरोस्
व िल ासा क् बो ों स् वह तग आ गई ी और पच्छ् िला ि्र
गाती रही
ी
पना्
ी पब ्स नर भरोसा जत ात् हन ि्त ाान िलया ा जब तक जीाा ह तब तक सीाा ह जो भी कराा ह, िनल क् लि नर कराा ह तियाण सय ग त-स त हों नर तियाण सय िनल क् हों वह जाा चनकी
ी िक वह जो भी करा् जा रही ह ्सक् म
त्जम्ि्लार भी होगी जब आलिी करो या िरो का तियाण सय हा
गती ह िायल वह यह साबर ित्र जाा चनकी ननरााा िकाा ढहाया जाा्
्सकी जगह
्ा्
गी
िकराय् नर ्िा िलया
गा
ी लस ू री ित्ज
ी
गी
् चनका होता ह तब ही सि ता
ा और ्सकी जगह सीिेंट कारोधीट की िोस आकृतियत नर ्सा् पनाा आवास बाा म या
ा ्सा् िा ही िा िें गण न ा भाग
आिलाी नह ् स् कही ज्याला होा्
वह वय
ा और ि्र्ष
गाकर ज्ञात कर म या
ी ि्त को जब वह ि् क् नर ल् ती
ा िक
ी तो ित्न श्क
स् लो हजार की रकि इकटिी हनआ करती ी जबिक इसस् कही ्नर वह िामसक िकराया ् रही ह ्सा् पब नूर् जता क् सा पना् बच्चों को नढाा्-म िाा् और ्न्ातियत क् सोनाा बढाा् क् ननाीत कायस िें जनट गई सिय पना् ला् ि ा िवल् ि जा चक न ा
ी
द्रत न गतियत स् ्ला च ा जा रहा
ा बल् ा् आई. स. स. करक्
ा लस ू रा क ्क्टर होकर, तीसरा सात््यकी पचधकारी व चौ ा तहसी लार
होकर पन्यत्र च ् ग
् ि्र्ष बची रही वह पक् ी िटा् क् म
बच्चों क् नास रहा् ाही गई कर म या
ी गई तो
ी नर कटन पानभव
ऐसा ाही
्कर
ौटी
ा िक वह कभी भी िकसी क् भी नास जाकर ाही रह् गी
ननरााी यालें ताजा होत् ही िा िवर्षाल स् तियघरा्
गा
ा िक वह
ी और ्सा् ्रण
ा लुःन ि का घाव कनछ ज्याला
ही होता ह, तभी तो सार् सिय पलर गहर् तक नसरा नला रहता ह लुःन ि कािी ह का इत्र की तरह होता ह जो जली ही हवा क् सग ्ल जाता ह लुःन ि क् लशरया िें नूरी तरह लूबा् स् तो पच्छा होगा िक नलोस िें होा् जा रह् कायसरोधि िें िामि जाा् की कोमिि कर् वह यह भी पच्छी तरह जााा्
गी
होकर वह सब कनछ भू
ी िक लुःन ि का
क ऐसा कीला
होता ह जो ता को धीर् ही सही, नर नूरी तरह स् कनर् ल-कनर् ल कर िोि ा कर ल् ता ह लुःन ि क् कील् को िारा् का क्व
क ही तरीका ह िक वह ्स् भू
भी इताा आसाा होता ह ्सा् िा ही िा पना् स् कहा ढो
धिाक् की वर
हरी कााों स् आकर टकराा्
्सा् ल् िा-सूरज नहालों क् नीछ् ्तर जाा् क् म जा
न्ट् की तयारी िें जनटा ह
सािा् नीन
ा
जा
नर क्या भन ा नााा
गी
ी कनछ सािान्य होत् हन व्यरहण हो रहा ह और पनाी िकरण ों का
क् न्ल नर नि्रू इकटि् होकर िोर िचा
रह् हैं और नूरा आसिाा मसन्लरू ी रग िें ाहा ्िा ह वह ्ि बिी और आिहता-आिहता सीिढयाो ्तरा्
गी
ी
जब वह वहाो स् सीिढयाो चढा्
गी
टीस ा् ्स् पलर तक लस ू री ित्ज
ौटी तो ी
कलि तरोताजा
ी, पब वह पना् किर् िें बढा् क् म
ह ् ी स् घट न ाों को लबात् हन वह सीिढयाो चढ रही ी ललस की हू नहाा कर िलया ा ्सा् िा ही िा सोचा िक पब वह
नर ा रहकर ाीच् िकसी किर् िें आकर िटक जा गी
िकराय्लार को किरा िा ी करा् को भी कह ल् गी
सभव हो तो िकसी
ता ा िो कर पलर ्रव्ि करत् हन ्सा् त्वच पॅॉा कर िलया, नूरा किरा पब लचू धया रग स् लिका् गा ा
न ग नर बिकर सनतात् हन वह पना् आन कह ्िी ष् क पक् ी जाा क् म क्या िााा-क्या नकााा,्सा् तियाण सय ् म या ा िक वह पब च ू ह् -चौक् िें घनसकर सिय ाष्ट करा् की बजाय बिकर रािायण बाच्गी और
क ग् ास लध ू नीकर सो रह् गी, नज ू ा-घर
स् वह रािायण ्िा
ाई और चश्ि् क् काोच को साली क् न ू स् नोंछत् हन चढाकर रािायण बाचा् गी
काा नर
राि- क्ष्िण , भरत-ित्रना क् चशरत्र बाचत्-बाचत् ्स् पना् चारों ब्टों की याल ताजा हो आई िा ििर िवर्षाल स् तियघरा् पलर
गा
ा, यालों की िहिमि ा ,ो लुःन ि की ्ष्िा नाकर िनघ ा्-सी
क बवण्लर सा ्ि िला होा्
ा्ताााबत ू कर ल् गा ्सकी िक पलर पब कनछ लरका् वह पब
म
क ा
गा
ा पब तो ऐसा भी
मसर् स् सोचा्
गी
ह ्म यों की र् िा ो तक तियघस चनकी ि ाकर ल् िा-सचिनच का ी िलिा्
ी िक क्या कनछ ाही िकया
िाी पना् बल् ब्ट् क् नास िवल् ि गई
बाल
ही
ा
ा ्सा् पना् बच्चों क् ् और
ा, सब कनछ व्य स ही गया, ा्क काि करत्-करत् ्सकी गी
ी, ्सा् पनाी ह ्म यों को
ी ा चाहत् हन भी ्स् व् क्षण याल हो आय् जब वह बाीी ्सकी िाा-िौकत ल् िकर वह िू ी ाही सिा ना रही ी
ा िक ्सकी बचगया िें पस्य िू ् नर ्ािें िि न बू
गी ह
गा
ा, सभी को ्न्हें पच्छ् सकार िलय्
ी, िायल पब का ी भी नला्
गी
ी
ा िक यह तूिाा सब कनछ
गा ह और ्सकी िकरचचया िाोस-न्मियों को छ् ला्
सिाज िें सम्िाा स् जीा् का िागस िलिाया
िू
गा
क- क नरत-लर-नरत ्िाल िेंक्गा ्स् ऐसा िहसस ू सा होा्
पना् जीवा का पकस तियाचोल-तियाचोल कर िन ाया
गता
गा्
गी
खि ् हैं, पसम यत जब सािा् आई तो
ी ही ाही िवल् िी बहू िू ी-िू ी सी िलिती बो ती तो
गा िक िू गता
तो ा िक
िट रह् हों, चगिटर-िनिटर, नता ाही क्या-क्या
्सा् सवचे न्ट िदल का इत्िा
्सका नशरचय पनाी सह् म यों स् बत ात् हन ा तब तो वह ाही जाा नाई ी िक आखिर सवचे न्ट ह िकस
िकया
ब ा का ााि वह तो ्स् सा न कर भी िनि हो रही क् व् रूि् व्यवहार को ल् िकर वह वािनस का प स क्या होता ह प स जााकर
गा
ौट नली
ी िक वह ि्र् िाा िें कसीला नढ़ रही होगी लोाों ी और यहाो नहनोचकर िकसी स् नूछा
ा िक सवचे न्ट
ा िक धरती िट जाती और वह ्सिें सिा जाती नर क्या
धरती ऐस् ही रोज-रोज िटती ह ्सा् िा िें गाोि बाॅध
ी
ी, लब न ारा वह ्स धरती नर कलि भी
ाही रि्गी, जहाो सब कनछ कलि-कलि नर छद्ि भरा हनआ ह ्स् हर चीज स् ािरत-सी हो गई त्जसिें ्सका सकारी लका पना् िरीर स् चचकाय् नला ह
ी,
्स् तो वह घटाा भी याल हो आई जब वह वािनस हा चा
जााा् चाह्
ौटी
् वहाो क् ग् िर क् बार् िें सनााा चाहत्
ी िक नता ाही क्या चगिटर-िनटर करत् हैं वहाो क्
नाा िें िाोस व िराब का ज्याला स्वा करत् हैं
्
ी तो
ोगों ा् वहाो क्
नर ्सा् चनप्नी साध
ोग, जो सिह स् बाहर क्
् िाा-
वहाो की औरतें सर् आि पनाी छातियतयाो
िलिाती घूिती हैं, वहाो हि और कहाो वहाो की पधकचरी सकृतियत ा िनह स् रहा गया, ा ल् िा गया, बस च ी आई वािनस इसक् बाल स् ा तो कनछ बत ाया ही
ोगों ा् कनछ नूछा और ा ही ्सा्
क्या वह यह बत ाती िक वह वहाो ाौकरों की हमसयत स् रह रही
क्या वह यह बत ाती िक ्सक्
लक् को बात करा् तक की िनससत ाही मि ती
वह बत ाती िक ्सा् त्जता् भी सकार घनटटी िें मि ाकर चटाय् लस ू र् और तीसर् ब्ट् क् यहाो भी िाहौ
कनछ ऐसा ही
ी
ी, क्या
्, सब ब्पसर रह्
ा नर कनछ मभन्ा-िकि का
ा, बहू-ब्ट् सब मि त् तो तसबयत स् ् , नर ्ािें बासीना ा गभग बाावटी प वा िलिावा ही ा लरपस सिय की बली किी ी ्ाक् नास ा ब्ट् क् नास सिय, ा बहू क् नास, हाय-ह ो कहक् घर स् तियाक त् ्, ििर कब घर ौटत् ्, वह ाही जााती ्ाक् ाौकर-चाकरों क् बीच बिती तो ्ाकी ्र्टीज िराब होती वा ा
ी ा वहाो कोई बो ा् -बतियतयाा्
ा, ा आिीयता िलि ाा् वा ् जा सनबह स् िाि तक तियायि, कायल् -कााूा, यस
सर-ाो सर वा ों की भील,
ौट नली
ी वहाो स् भी ्लासी ओढकर
चौ ् क् यहाो जाा् का ्रश्ा ही ाही ्िता
तरह पतजासतियत-िववाह ाही िकया
चारों को ही ्सा् सकाशरत िकया
ा
ा
िााा िक ्सा् पब तक तीाों की
्सकी यह धारण ा ज्याला नष्न ट हो आई
ा, तीा ्सिें िर् ाही ्तर् तो चौ ा भी
तीाों जसा ही हो सकता ह कािी रात बीत चक न ी
ी िक जब गभग ्ा
ी ाील पब भी आोिों स् कोसों लरू
ी
पलर तोल-िोल-कोहराि िचा हनआ ा जी िें तो यहाॅ तक भी आया ा िक रो ो ू, पलर आोसनओ की बाढ आ रही ी और वह ाही चाहती ी िक न कों क् तटबध ्सिें लूब जा ॅ बहनत रो चनकी वह, जब ्सका सूरज सला-सला क् म ्स् तन्हा-पक् ा छोल गया ा बस, रोई ी ्सी क् याल िें और त्जता् आोसू बहा सकती ी, वह बहा चनकी पब ा तो आोसनओ का कोई िो
ही रह गया ह, ा ही िहव और ििर ्ाक् म
क्या आोसू
बहााा, जो पना् ा हो सक् आोसनओ क् ्िलत्-घनिलत् स ाब को वह पना् आतप्त हृलय िें सिाती च ी जा रही
ी
पना् पतीत की गहरी-पधी िाई िें ्तरकर वह ाक न ी ी चटटााों स् टकराती पना्-
आनको
हू ह न ाा करती रही ी िकताी ल् र वह इसिें भटकती रही ी जाा नाई ी और कब ाील क् आगोि िें सिा गई ी, वह ाही जााती जब लस ू र् िला सोकर ्िी तो सूरज सर नर चढ आया
जाकर िल्हो कर ल् िा
आोिें सूज आईं
ी, च्हरा तियात्ज सा
ा
वह वय ाही
्सा् आईा् क् सािा् ा
वह बा रूि िें जा
नहनोची ि -ि कर िरीर धोया, तब जाकर गा िक सारा िारीशरक क नर्ष धन -धन कर बह गया ह, नर िा का क र्ष न तो पब भी चचनका ऩा ह िााा िाकर वह छत नर चढा् बिाा ्सकी िजबूरी
ी
गी
िायल ाही भी
ी नर पब भी जवाब ल् रह्
् ्नर छत नर
क्योंिक वहाो बिा् स् जो ्स् ननरजोर सनकूा
मि ता ह, वह वहाो बल किर् िें बिा् स् ाही छत नर ्सकी पनाी चचडलयों की टो ी ह , िन ा पसीि आकाि ह सनकूा ल् ता ह
ब्लाग- कलि िात हका-िीका ाी ाना म
ओढ़ा् िें सनिल् ता ह
कर िलक तो ल् ती ह
बाहर नीन
हन , जो ल् िा् िें हकी प वा त्ज च ा् वा ी हवा, िरीर स् म नट
का बूढा न्ल ह
वसा ही बूढा जसी िक वह वय ह
बात-बात िें वह ता ी बजाता रहता ह, होसता रहता ह, लो त् रहता ह
्सकी िािों नर
पब भी नक्षी वास करत्-चहचहात् हैं ्सक् पना् सगी-सा ी ह, ्न्ही क् िदलों को ओढता्न्ही की भार्षा िें तत न ाकर बातें करता बढ़ ू ा नीन
पब भी जीा् की राह िलिाता होसकर
कहता, जल हूो ििर भी त्जन्ला हूो, तू च -ििर सकती ह ििर भी पलर स् जल हो गई ह बार-बार च्ताता, बार-बार होसता-होसाता छत नर चढत् सिय ्सकी हा ों िें सोिी प ी की
िवि्र्षज्ञ
ा बहनत बारीक पध्यया िकया वह सोिी प ी को नढ रही ी
क िकताब
ी
वह
क नक्षी
ा ्सा् नि्रूओ का धून िें कनसी नर बित् हन
सोिी प ी की
क बात ्सक् िा को छू गई म िा
बााता ह, तो पण्ल् ल् ा् क् म
ा िक नक्षी जब पनाा जोला
लोाों ार-िाला तियताका-तियताका जोलकर घोंस ा बाात् हैं,
घोंस ा बा जाा् क् बाल िाला ्सिें पण्ल् ल् ती ह, घण्टों बिकर पण्लों को स्ती ह, ििर पण्लों क् िूटत् ही बच्च् बाहर तियाक
आत् हैं लोाों मि कर बच्चों को लााा-चनग्गा ल् त् हैं
बच्च् जब तक बल् ाही हो जात्, व् घोंस ् का ्नयोग करत् रहत् हैं जब बच्च् ्लाा सीि जात् हैं, तो घोंस ् की ्नयोचगता ाही रह जाती जोला वय बाात् हैं और पण्ल् ल् ा् क् म आन ही सबिर जाता ह
जब व् बच्च् जवाा होत् हैं तो पनाा
ििर स्
क ाया घोंस ा, ननरााा घोंस ा पना्
इस तरह हर नक्षी पना्-पना् घोंस ् बाात् हैं
करत् हैं, ििर हवा ्न्हें तियताकों िें सबि्र ल् ती ह ्स् ऐसा
गा्
गा
ढ् रों सारा ्रकाि पलर ्तरा्
्ाका ्नयोग
ा िक िा की बल खिलिकयाो चरिराकर िन ा्
गी ह और
गा ह
वर्ष वक्ष ृ
सनबह स् ही ्सकी बाोयी आोि िरक रही
ी जब जब भी ्सकी बाोयी आोि िरकी
ह, तब-तब ्स् िनभ सिाचार सनाा् को मि ् हैं तभी ्स् लािकया आता िलिा ्सा् सहज रून स् पलाज स् भरा्
गा
गाया िक आज वह ्सक् ब्ट् की चचटिी जरूर
ा नोर-नोर स् रोिाच हो आया
्कर आय्गा वह ्रसन्ाता
ा ्सका िग ृ ी-िा कन ाचें भरा्
गा
ा
बनहा च्हरा ििर िलनिलनाा् ्स् ब्सब्री स् इतजार
गा ा
गा
ा
सूिी ल् ह ििर हशरय
ा
िवगत चार िाह स् िला्ि का नत्र ाही आया ा िाा्-नीा् िें ्स् परूचच होा्
गी
गी
ी
इसी िला का
ा, ्सी कारण वह नग ाया सा रहा्
ी रात की ाील व िला का चा तियछा गया
कात क्षण ों िें ्टनटाग िवचार आत्, जो िल
ब्चाी स् भरा रहता
होा्
और िलिाग को ि
ा
जात् वह हि्िा
क िला तो वह लाकघर भी जा नहनोचा ा और पनाी चचिटियों क् बार् िें नूछताछ करता रहा ा लािकय् ा् जब इकार की िनद्रा िें पनाी भारी-भरकि गलस ा िह ा िलया ा, तो वह भी पलर तक िह
गया
वह िला-रात सन गता रहा
ा
तरह-तरह क् ्रश्ा ्सक् िल
ा ्सका िरीर नीन
क् नत् की तरह कान गया
िें सा बोरर की तरह छ् ल करत् रह्
ा
् पगरबती की तरह
ऐसा भी िवचार िा िें आया िक वह िनल िहर च ा जाय् और पनाी आोिों स् सभी
को ल् ि आ
चाहकर भी वह वसा ाही कर नाया
आोिों की वजह स् वह िहम्ित ही ाही जनटा नाया हाो!
क बार वह िहर गया
ा
गया
ा
िगा सा रह गया
आश्चयस हो रहा गा
ा
सयोग स् िला्ि भी सा
गा िक वह हवा िें ्ला जा रहा ह बस स्
ी पाचगात वाहाों को ब् गाि लौलता ल् ि वह लर सा
ा, गगाचनबी इिारतों को ल् िकर
्स् तो इस बात नर भी
ा िक िहर का आलिी च ता कि ह और लौलता ज्याला ह
ा आलिी की िक्
बनिद्ध चकराा्
ा
क तो बनढ़ाती ल् ह, ्नर स् किजोर
चचटू का जन्ि-िला
ा हवा स् बातें करती िोटर िें बि कर ्स् ्तरत् ही ्सकी तियघग्गी बध गई
ा
गी
िहम्ित जवाब ल् गई
िें घोल् लौल रह् हैं भील ल् िकर वह पसहज हो ्िा
ी वह पक् ा जा नाय्गा, इसिें सल् ह होा् ी
गा
वह सोचा् ा ्सकी
ा नह ी बार िें ही
िला्ि नत्र ाही म ि नाया िकरण क् सा
वह ्ि बिता ह
लबाय् वह घर स् तियाक
इसका कारण तो सिह िें आता ह सूरज की नह ी
लतियाक िरोधया-किस स् तियाजात नाकर वह बग
िें िटििा
नलता ह ्स् रात् िें बस भी बल ाी नलती ह पगर नह ी बस
ाही नकली जा सकी, तो लितर सिय नर नहनोच नााा सभव ाही ्सका कायास य भी तो ्सक् घर स् बीस-नच्चीस िक ोिीटर लरू ी नर ह पतुः सिय का नाबल होाा बहनत जरूरी ह, ्सक् म
पतियत-्सािहत होत् हन िला्ि ा् बत ाया ा िक वह लितर स् ोा ्कर िोटर सायिक िरीला् की सोच रहा ह सनात् ही वह बिक गया ा ्सा् लो टूक िदलों ि्ॅ्ॅ कह िलया
ा िक बनरा ्या
तका
िा स् बाहर तियाका
ब् गाि भागत् वाहाों को वह ल् ि ही चक न ा
आलिी, आलिी की तरह सलक नर च तियाक
जााा चाहत् हैं आग् तियाक
िेंक्
ा
वह यह भी ल् ि चक न ा
ा िक
भी कहाो नाता ह सभी नीलिें होत् हैं सभी आग्
भागा् की ितरााक ्रवत्ृ त क् च त् वह गि त का
मिकार हो जाता ह और पसिय ही िौत को ग ् कई ललस ााक हालस् ल् ि भी चनका ह
गा बिता ह पना् पन ्रवास िें वह
िहर की ा तो पनाी कोई तिीज होती ह, ा ही इसाा क् िा िें लया-िितासहाानभूतियत ही
हालसों को ल् िकर वह आग् बढ़ जाता ह
िााो कनछ हनआ ही ा हो कोई रूकाा ाही चाहता कोई न टकर ाही ल् िता हिलली ाही जत ाता वह ाही चाहता िक ्सकी पनाी इक ौती सताा कभी लघ स ाा का मिकार बा् ्सा् सिहा िलया न ट
ा िक बस
स् आा्-जाा् िें ही िायला ह सिय बचााा यहाो जरूरी ाही ह जाा बचााा आवश्यक ह जाा ह तो जहाा ह
पत िें पनाा िस ा सनरक्षक्षत रित् हन ्सा् आल् ि िलया ा िक वह भू कर भी िोटर सायिक ाही िरील् गा और ा ही वह इसक् म इजाजत ही ल् गा िला्ि की बात तो सिह िें आती ह िक ्सक् नास लि िारा् को िनससत ाही ह
जब िनससत ही ाही ह तो क्या िाक वह नत्र म ि ना गा िलाभर! िला्ि पॅॉििस च ा जाता ह
चचटू पना् कू
बहूरााी करती भी क्या ह च ा जाता ह िनससत ही िनससत
रहती ह ्सक् नास वह चाह् तो नर िहारााी म ि ना
काध नोटकालस पना् बूढ् ससनर क् ााि म ि सकती ह
तब ा
तियानट ल् हाती-पानढ-गवार बहू सबहा ाता तो बात लस ू री ी वह तो िहर की कॉ ्ज नढ़ी ़की को बहू बााकर ाया ा ऐसा भी ाही िक ्स्
नत्र म िा् का स्र ाही होगा सब कनछ जााती होगी नता ाही... वह नत्र ाही म िती िलाभर टीवी-िीवी स् चचनकी रहती होगी नर रोधोध हो आया
सच ह
सिय कहाो ह, ्सक् नास
्स् रजाी
ा
पतीत क् गतस िें ्तरकर वह ा् नत्रों क् बण्ल
िें स्
तन्द्रा की िो पनाी भू
हू नहाा होता रहा वह कनछ और सोच नाता, लािक क नत्र छाोटकर ्सक् हा िें िा िलया ा वह पना् िवचारों की
िें स् नूरी तरह स् तियाक
का पहसास होा्
नत्र हा
गा
िें आत् ही
्रसन्ाता की
हर लौला्
इबारतिला्ि क् हा ्रसन्ाता क् सा
भी ाही नाया
ा िक लािकया जा चनका
ा
गा कनब्र का िजााा हा
गी
ही की
ी
ी
ा ्स्
ग आया ह ्सक् नूर् िरीर िें...
्सा् म िाि् को ् ट-न टकर ल् िा
नत्र नर म िी
वह िला्ि की म िावट पच्छी तरह स् नहचााता
्स् पिसोस भी होा्
गा
ा वह सोचा्
गा
ा
ा- काि वह नढा-म िा
होता तो पब तक नत्र नढ जाता सिाचारों स् पवगत हो चनका होता नता ाही िला्ि ा् नत्र िें क्या म ि भ्जा ह गोना
िजिूा जााा् क् म
वह ्ताव ा हनआ जा रहा ा ्स् की याल हो आयी ्सा् हट स् नरों िें जत ू ् ला ् और घर स् तियाक नला राता
च त् ्स् होि आया िक वह बण्ली-धोती िें ही घर स् तियाक भू
ही गया
ा ष्गाोव िें सब च ता हष् यह कहत् हन
राता च त् कई िवचार भी सा
वह ि् ा्-कूला् ा तियाक
च ा्
ऩा ह कनतास नहााा तो वह
व्यरहणता स् आग् बढ च ा
ग् गोना
घर िें मि ्गा भी प वा ाही?
गया हो! सभव ह, वह ि्त नर तियाक
भी होगा, वह ्स् ढूोढ तियाका ्गा
ा
गया हो िर! वह कही
ष्बला प्यारा बच्चा ह गोना
ििर नूरी टयूतियाग भी तो मि ती ह ्सस्
मि ता ह, लालाजी ्रण ाॅाि प वा लालाजी नाय ागू कहाा ाही भू ता
जहाो भी
कोई भी काि
बत ाओ, िौरा कर ला ता ह नढ़ा् को कहो हट तयार हो जाता ह ्सक् नढ़ा् का ढग भी तियारा ा ह ऐस् बाचता ह िााो आोिों ल् िा हा लवात-क ि ्िा
सनाा रहा हो म िा् की कहो िौरा
ाता ह म िता भी क्या गजब का ह, िााो कागज नर िोती टाक रहा
हो ्सा् लरू स् ही ल् ि म या
्ो ची आवाज िें बो बो
ाही नाया
्िा
ा िायल वह कही जाा् की तयारी िें
ा ल् ित् ही वह
ा- ष्गोना ्ॅ्ॅ् िला्र्ष का नत्र आया ह ष् इसक् आग् वह कनछ भी
ा बो ा् को बचा भी क्या
ा पब ्सकी चा
िें गें ल की सी ्छा
म्ब्- म्ब् लग भरता हनआ वह आग् बढ़ च ा ा श्लालाजी-नाय ागश्ू कहता हनआ वह ्सक् नरों तक हक न आया
ा
ी
्सा् ्स् ्िात्
हन पना् सीा् स् गा म या ा ्स् सीा् स् चचनकात् हन ्स् गा, ििता का सोता पलर बह तियाक ा ह भाव-िवहव होत् हन ्सक् ा्त्र सज हो ्ि् ् गोना
ा् ्सक् हा
क
स् म िािा
् म या और ओट ् नर बित् हन ्स् िो ा् गा वह भी ्सस् सटकर बि गया िविाशरत ाजरों स् वह ्स् म िािा िो त् ल् ित् रहा पनाी सारी ित्क्तयों को सि्टकर वह पनाा ध्याा वहाो क्त्न्द्रत करा् की तहें िीक करत् हन
पब वह नत्र नढा्
गा
ा
गा
ा नत्र
िनताजीॅ्ॅ्ॅ्... िनताजी सनात् ही
गा िक िकसी ा् मिरी घो कर ्सक् कााों िें ्ल्
्सकी ल् ह गन्ा् की सी िीिी होा्
गी
्रयक्ष रून स् बिकर बात्ॅ्ॅ कर रहा हो
ी ्स् ऐसा भी
गा्
गा
िलया हो
ा िक िला्ि सािा्
आालनूवक स हूो पॅॉििस की व्यतताओ की वजह स् नत्र म िा् िें कािी िव ब हनआ नत्र ा मि ा् स् आनको िकताी िाामसक नीलाओ क् बीच स् गनजराा नला होगा, आननर कसी, क्या बीती होगी! इस ललस का िह न ् पहसास ह करें
कृनया िाि करा् की कृना
िनताजी... िैंा् िकताी ही बार आनस् िवाती की ह िक आन यहाो आकर हिार् सा
रहें आनको
्कर िैं पक्सर चचताओ स् तियघरा रहता हूो आन गाोव िें तियानट पक् ् रहत् हैं आनको कही कनछ हो गया तो िैं सहा ाही कर ना्गा, ि्री भी आखिर कोई जवाबलारी ह आनक् ्रतियत आन भ ीभाोतियत जाात् ही हैं िक लितर स् बार-बार छनिटटयाो
्कर िैं गाोव ाही
आ सकता आन आाा ाही चाहत् िैं बार-बार ाही आ सकता ऐस् िें कस् काि च ्गा
आन क् ा आ सका् का कारण िैं जााता हूो आन ि्ती-बाली, िकाा और िव्मियों की वजह स् वहाो िोस् रहत् हैं िैं नव ू स िें भी तियाव्ला कर चक न ा हूो िक इा सबको ब्च लाम पच्छी-िासी रकि मि प् ॉट
जाय्गा
जा गी हि या तो यहाो बाा-बााया िकाा िरील सकत् हैं प वा
्कर िकाा बावा सकत् हैं आन-हि-सब सा वह भी लालाजी-लालाजी की रट
आन ही तो कहत् हैं ष्िू
गा
रहें ग् आनको चचटू का भी सा
रहता ह, ्स् आनका सा
मि
मि
जाय्गा
स् सूल ज्याला प्यारा होता ह ष्
पना् िकसी तियाजी काि स् गोिवल िहर आया
ी िैंा् ही नह
करत् हन ब्चा् की वह भी कह रहा नाया ह वह यह भी कह रहा
्सस् कहा ा
ा िनहस् ्सकी िन ाकात हनई ा िक कोई पच्छा-सा रहणाहक बता ि्त-बाली ा
ि्री ही त्जल ल् िकर वह सभी कनछ िरीला् को तयार हो
ा िक तय कीित क् प ावा भी वह नाोच -नच्चीस ज्याला ल् ा्
को तयार ह वह यह भी कह रहा
ा घर की चीज घर िें ही रह् गी
िस ा पब आनको कराा ह इताा पच्छा रोध्ता कहाो मि ्गा आन पनाी सहितियत-
पसहितियत क् बार् िें म ि भ्जें जाय्
ि्र्ष िनभ
िैं सिय नर आ जा्गा तािक रत्जरे ी वगरह करा
ी
आनका
िला्ि क- क िदल वह ध्याानव स सा ू क न रहा
वह बिक गया गा
भी
ा ि्त-बाली-घर ब्च ल् ा् की बात सा न त् ही
ा ्सक् च्हर् नर रोधोध की नरछाईयाो छाा्
ा ्सकी आोि रोधोधात्ग्ा िें भ़का्
गी
ी वह तााव िें तियघरा्
ी वह लाोत भी नीसा्
गा िक पस्य बरस ित्क्ियों ा् ्स नर पचााक धावा बो
क् तियािाा ्भर आ
गी
हैं िदल पलर ्तरकर िविोट करा्
ग्
गा
िलया ह नूर् िरीर िें लि ् पलर सब क्षत-िवक्षत
ा वह तितिाकर ्ि ि़ा हनआ गोना क् हा स् गभग नत्र छीात् हन टनक़्-टनक़् कर िलय् और हवा िें ्छा त् हन घर की ओर ौट ऩा गोना
ा् सभवतुः आज नह ी बार लद्ला को इस तरह भ़कत् ल् िा
रोद्ररून ल् िकर वह घबरा सा गया
ा
ा ्स् ऐसा
्सा् ्सक् ा
लद्ला का
क लर िा की गहराईयों तक ्तर आया
िविाशरत ाजरों स् वह ्स् जाता ल् िता रहा
ा,
घर आकर वह कट् हन ाि क् टि् की तरह सबतर नर चगर ऩा ा वह आव्ि िें ्ब रहा ा ्सका िलिाग पब भी मभन्ाा रहा ा िला्ि की म िी बातें रह-रह कर याल आती िदल क ्ज् को छ ाी कर रह् की बनिद्ध बराबर काि कर रही रहा
ी ्स् िला्ि की बनिद्ध नर तरस आा्
ा त्ष्ला्ि पभी बच्चा ह, पक
्सा् कस् पाि न ाा
् इताा होा् क् बावजूल ्सकी सोचा्-सिहा्
का कच्चा ह तभी तो वह
गा
ा वह सोच
सी-वसी बातें सोच नाया
गा म या िक लद्ला ऐसा कनछ कर सकता ह तियात्श्चत ही गोिवन्ल ा्
्स् भ़काया होगा वह िकसी पन्य काि स् िहर ाही गया
्कर िला्ि स् मि ा होगा जब वह पनाा लाव लद्ला नर ाही
को पनाा िोहरा बााया और वह ब्वकूि ्सक् हाोस् िें आ गया गोिवन्ल न ् लजचे का
ा बत्क वह पना् िाोर
गा नाया तो ्सा् िला्ि
नट ह, बलिाि ह, धूतस ह, चा बाज ह, हरािी ह आय् िला
वह गाोव िें भी कोई ा कोई बि़्ा करता रहता ह ्रनच रचाा ्सकी िितरत ह ्सकी
चगद्ध दृत्ष्ट हि्िा लस ू रों की जायजाल नर ग़ी ही रहती ह लााा ला कर तिािा ल् िा् की
्सकी आलत ह
सा ा हरािी, हराििोर, बलिाि
िकताी ही गाम याो वह बनलबनलात् हन
ल् ता रहा
कनत् का िन ा और भी ा जाा्
गोिवन्ल का ााि जब न ाा नर आत् ही
्सका जी मिच ाा् बढ़ च ा
गा
ा
हरी-भरी,
ह हाती िस ों को ल् िकर ्सका च्हरा कि
आोिों िें िलक भरा् ्ना चढ़ िलया
तियािाा मिटा्
गा-िोह न का वाल कस ा-क़नआ हो आया ह ा आक- ू करत् हन ्सा् ग ा साि िकया और ि्तों की ओर
गी
गा
ा
हवा क् होंकों ा् बला स् म नटत् हन िीत ता की तनत् बला को राहत मि ा् गी ी िरीर नर ्भर आय् लि क्
ा
ग्
की भाोतियत खि ा्
ी िीत
्
ि्त की ि्ढ़ों स् च त् हन वह वक्ष ृ की टहतियायाो को हा िें ्कर िह ाता च ता िााो वह पना् मित्र स् हा मि ा रहा हो कभी वह ऩ्ों क् ताों नर पनाी ह ् ी स् हकी-सी भरा् च
गा
ान ल् ता
िााो वह ्की नीि सह ा रहा हो, ऐसा करत् हन वह ्रसन्ाता स् ा ऐसा कनछ करत् हन ्सा् पना् िनता को ल् िा ा बा सन भ त्जज्ञासा क्
्सा् नूछा
ा िक व् ऐसा क्यों करत् हैं? ्रश्ा सनाकर िनता गभीर हो गय्
आकाि की ओर सर ्िाकर ल् िा् की कोमिि कर रह्
्
ग्
् िायल आकाि िें ि ् िदलों क् सजा
ल् र तक िौा रहा् क् बाल व् बो
् िदल त्क् ष्ट ाही जा सक् आश्चयस तरह
् सीध्-साल् िदल
व कौतूह
होाा वाभािवक
ा
व्
सि्टा्
्
िदलों क् गहा-गभीर िदला स तियछन् हन ् सर और आसाा, त्जस् आसााी स् सिहा
इता् आसाा िक पनज्ञ भी सिह
ा कि िदलों िें कािी कनछ कह ग
िनरू िकया
ना
्
्
्न्होॅ्ॅा् जो कनछ भी कहा, सनाकर
्ाक् कहा् का पलाज कनछ-कनछ लािसतियाक की ् ्न्होंा् पनाी बात जारी रित् हन
बत ााा
जाात् हो िन्ाू...! ईश्वर ा् धरती की ्नत्त क् िीक बाल ऩ्-नौध्
पस्य जीव-जन्तन नला िक
बाल -सबज ी-नााी व् नह ् ही बाा चनक्
िक िकताा भू-भाग छो़ा जा
िकताा ाही
्न्होंा्
ििर
् ईश्वर जाात्
्
क भाग धरती, तीा भाग नााी भर
िलया तािक िकसी जीव-जन्तन को नााी की किी ा ऩ जा करा् क् बाल ्न्होंा् िााव की ्नत्त की ईश्वर जाात्
गा
धरती का िब ू साज-मसगार
् िानष्य की िितरत को और ्सकी ा्क-तियायतियत को भी िलिाग का
भरनूर ्नयोग करा् वा ा वह नह ा ्राण ी
ा ईश्वर यह भी जाात्
् िक
क िला वह
धरती िें छ् ल करक् नाता
तक नहनोच्गा सिनद्र को चीर कर वह ााग ोक और आसिाा िें सनराि करक् वह वगस ोक तक आ धिक्गा और ्स् ही धता बत ाा् ग्गा जहाो क ओर वह साइस और ट् क्ाा ॉजी िें नरचि इबारतें म ि्गा तो वही
हराकर पनाी बिन द्ध कौिय स् ायी-ायी
क िला वह धरती क् िवााि का कारण भी बा्गा
त्जस धरती को ईश्वर ा् वय पना् हा ों स् ल न हा की तरह सजाया-सवारा वह भ ा
धरती का िवध्वि होत् कस् ल् ि सकता
ा ईश्वर की ििर पनाी भी िजबूरी
आलिी की ्नत्त ाही करता तो कौा बताता ईश्वर कसा ह ईश्वर क् िा िें भी िााव को क्व
िानष्य िें ही ला ्
धरती नर भ्जा् का तियाण सय
िल
नाया
्कर कनछ
ा सायें
्सका वरून कसा ह
ी सारी िरोधयािी ता क् गनण तो ्सा्
् ईश्वर की िजबूरी कहें प वा कनछ भी कह ्ाा ही ऩा
ें ्स् आलिी को
ा
जाात् हो िन्ाू! इन्ही ऩ्-नौधों ा् आलिजात को िाा् को िीि् -िीि् ि
तो वही ता ढका् को पनाी िा पनाी ागाई ढक नाया
ी यिल वह
इन्ही ऩ्ों की छा
िाा् को
निहाकर तो वह सयय कह ा
य् बात प ग ह िक आलिी ा् बल ् िें इन्हें क्या िलया
आज वह तियािसिता स् ्ाक् िवााि िें जनटा हनआ ह सच िााो िन्ाू य् ही पस ी धरतीननत्र ह य् क न क् म भी धरती का सा ाही छो़त् वक्ष ृ ों को ऋिर्ष भी कहा गया ह ऋिर्ष सला स् ही कनछ ा कनछ ल् त् आ ा करें
हैं भ ् ही िानष्य इाकी िकताी ही ्रता़ाा क्यों
िन्ाू....!
क नत् की बात और सनाो
आलिजात का कोई भी ्सव हो
तीज -
यौहार हों, सबाा वक्ष ृ प वा वक्ष ृ ों की ्रजातियत क् ्नत् तियत क् सनन्ा ाही होत्, यहाो तक
आलिी जब ्राण यागता ह तो वक्ष ृ ही ्सका सा ी सासबत होता ह, वह भी ्सक् ता क् सा
ज ता हनआ पनाा पत्तव मिटा ल् ता ह
आलिजात जब ्रसन्ाता स् इास् मि ता ह तो य् ब्हल िनि हो जात् हैं, व् भी
्रसन्ाता स् ााच ्ित् हैं व् इि ाा् िह ाऐ सो य् ्रसन्ा होा् ल् ती ह
गत् हैं
गत् हैं कोई ्न्हें ग ्
प वा टहाी नक़कर
हवा इास् मि कर सारी ्रसन्ाता लरू -लरू तक ि ा
नूरा वातावरण ही ्रसन्ाता स् भर ्िता ह
िलि ाओ तो मसहर ्ित् हैं इन्हें भी भय सताा् सिहाया
गा
यिल इन्हें रोधोध िें धारलार हच यार
गता ह ि्र् िनता ा् क्व
इताा ही
ा ्सिें ्र्ि का लिसा तियछना हनआ ह
ििर धरती
धरती तो िाो होती ह, हि
तक ाही की जा सकती
ोगों की
वह पनाी जिीा को
सबाा िाो क् बच्चों की कनाा
क तियाष््राण टनक़ा ाही िााता
त्जताी
्सक् नास ह वह ्स् सम्नूण स रून िें िाो ही िााता आया ह वह पनाी िाो को ब्चा् की कस् सोच सकता ह
क ननत्र पनाी िाो को कस् ब्च सकता ह ्स् क्या पचधकार ह िक
वह ऐसा कर सक् इसी धरती नर, इसी जिीा नर ्सका वि-वक्ष ृ िवतार
्ता आया ह
लस नीढ़ी, बीस नीढ़ी प वा इसस् कनछ ज्याला वह ाही जााता ्स् पनाी िनछ ी सातआि नीढ़ी क् बज न ग न ों क् ााि कण्ि चाहता
याल हैं
वह कलािन पनाी ज़ों स् ाही कटाा
ज़ों स् कटा् का नशरण ाि क्या हो सकता ह, वह यह भ ी-भाोतियत जााता ह
वह
िकसी भी कीित नर पनाी ज़ें छो़कर कही ाही जा गा और ा ही जिीा िकसी और को ब्च्गा वह गोिवन्ल क् मििा को सि
ाही होा् ल् गा कलािन ाही
्सा् ि्त स् पजन ी भर मिटटी ्िायी पना् िा ् स्
भावनक हो ्िा
ा ्सक् ा्त्रों स् परन बहा्
सशरता ्सकी सिूची ल् ह िें हरहराकर िवतार
ग्
्ा्
गाया ऐसा करत् हन वह ् पनाी िाो क् ्रतियत ्ि़ आयी ्र्ि की गी
िाोहर को पनाी भू
का पहसास होा्
गा
ा ्स् याल आया ्स् कभी िला्ि
को इस रहय स् नशरचचत ाही करवाया िला्ि ा् भी कभी कनछ नूछा ही ाही वह रह भी कहाो नाया भ ् ही वह नछ ू ा नाया हो यह ्सका कतसव्य बाता ह िक वह ्स् बत ा क नीढ़ी, आा् वा ी नीढ़ी को बतात् च ् यह रोधि बाा ही रहाा चािह वह िला्ि को सिहाय्गा िक वह ाौकरी छो़कर च ा आ
भी़भा़, चीित्-चच ात्, भागत्-िोरिचात् वाहा ्राण लायक वायन कहाो! साोस
्ाा भी िनत्श्क
िोर-िराबा
क्या रिा ह िहर िें
यही तो ह िहर िें
रहा् को तग-पध्री िोम याो, जहाो चार
वहाो ोग
भी ा बि सक् िाा्-नीा् की सभी चीजें मि ावटी नग-नग नर ल्रा ला ् बिी िौत जाजीवा को तियाग ा् क् म
तनर बिी ह
सरन सा की तरह बला ि ात् जा रह् िहरों को सा न कर वह हत्रभ
वा ् िहर ा् पनाा िवतार
ा
्ाा िरू न िकया ह, तब स् ्सा् गाोवों की िि न हा
जब स् नास त्जलगी को
तियाग ाा िनरू कर िलया ह गाोवों स् नढ़् -म ि् ावयनवक ि्हात िजलरू -मित्त्रयों को िहर क् आकर्षसण ा् गाोव छो़ा् नर िजबूर कर िलया ह गाोवों िें बच् रह गय् हैं व् बा़ी छो़कर ाही जा सकत्, व्
ोग जो पनािहज हैं,
ोग जो ि्ती-
ाचार हैं, बीिार हैं व् ही बच् रह
गय् हैं, बाकी सभी को िहर ा् पना् िें सि्ट म या ह ्स् गाोधीजी की याल हो आयी
गाोधीजी कभी इसी गाोव िें आय्
्
जासभा को
सबोचधत करत् हन ्न्होंा् कभी कहा ा गाोवों िें ही िहन्ल न ताा बसता ह पतुः सरकार को चािह िक वह सारी योजााऐ गाोव स् ही बााी चािह निह ् गाोवों का िवकास हो, तब जाकर सिरहण ल् ि िि न हा
हो सक्गा आजाली क् बाल गाोधी बाबा की बात जस् भन ा ही ली
गई िहर, ागरों िें और ागर-िहाागरों िें िवतार
्त् च ् ग
गाोव कग ् और ्न्क्षक्षत
होत् च ् ग ्स् िा ूि ह, िला्ि की िकताी नगार मि ती ह वह यह भी जााता ह िक सािान्य
नशरवार को जीवा-याना करा क् म
िकता् रूनयों की जरूरत ऩती ह
वह यह भी
जााता ह िक ्स् िाह लो िाह प वा चार िाह िें कनछ रकि भी भ्जाी ऩती ह
तब
जाकर िहर का िचस ्िा नाता ह
वह िला्ि को सिहा गा और बत ा गा भी िक वह
्ताी रामि तो ाौकरों िें बाोट ल् ता ह करा् की पगर वह
ििर क्या जरूरत ह िहर िें रहकर सिय बरबाल
क ाौजवाा को सिहाा् िें सि
हो गया तो पना् आनको धन्य
िाा्गा वह गवस स् यह तो कह सक्गा िक बाबा को वह भ ् ही सम्नूण स रून स् ाही भी जी नाया तो क्या हनआ,
क भटक् हन
आलिी को रात् नर
िवचारों की रि ा रूका् का ााि ही ाही ृ
ा तो सका ह
् रही
ी
्सा् ल् िा
की ओर बहा च ा जा रहा ह ल् ित् ही ल् ित् सनरिई पचधयारा गहराा् सब
काकार होा्
ग्
सूरज पताच
गा
ा ज़-च्ता
्
ब ों क् ग ् िें बॅधी घत्ण्टयों क् िद्लि वर ्सक् कााों स् आकर टकराा्
्सा् पाि न ाा
गाया िक ऩोसी िकसाा घर
ौट रहा होगा
ग्
्
कौा होगा? वह यह ाही
जााता
घत्ण्टयों क् वर पब नष्ट हो च ् बत्क गोिवल ही
ा
ि्ढ़ नर बिकर ्सा् ट् र
् नास स् गनजरा् वा ा व्यत्क्त और कोई ाही
गायी श्कौा गोिवन्लश्
श्हाो लद्ला िैं गोिवन्ल ही हूो श् श्आज ब़ी ल् र कर ली ता्
जरा
क बात तो सना
िइा् सा न ौ हों... तू ि्त बारी सब कनछ
ब्चा बारो ह का कीित धरी ह ता् कीित जो भी धरो होव्, वो स् नच्चीस-नचास जाला लगो ििर ू घर की चीज घरई िें रहाी बी चािहय्, जा िें भ ाई भी ह श्
्िा
गोिवन्ल को ्सा् िाकू
जवाब ल् िलया
ा गोिवन्ल क् नास कोई जवाब ाही
ा
गोिवन्ल को िौा नाकर वह ि न कनरा
ा रह भी कहाो सकता
ा सबाा ्रयनतर िलय्
वहाो स् खिसक जााा ही र्यकर बढ़ गया
ा
ो़ी ल् र क् बाल
चिचिाा्
गा
गा
ा
ा ्सको सनाा-पासनाा करत् हन
वह त्जी स् आग्
गहा पधकार क् गभस को चीरता हनआ चाोल, आकाि-नट
नर
ब्नर आवाजें सूरज क् ्लय होा् क् सा
नारा भी ्ो चाइयाो छूा्
ही िाहौ
गरिाा्
गता
जस्-जस् सूरज ्नर ्िता,
गता और लोनहर होत् ही आसिाा स् आग बरसा्
साय, क् सायरा बजाती हवा, ननम मसया पलाज िें स़कों-ग ी-कूचों िें गश्त घरों और लक न ााों क् नट बल हो जात्
गता िक िहर िें कियूस
सूरज िहर का िाहौ
गाा्
साय-
गती
ोग घरों िें लब न क् रहत् जाावर, लीवा ों की ओट
्त् प वा वक्ष ृ ों की छाोव त ार्ष कर िहर जात्
ाजारा ल् िकर ऐसा
गती
वाहाों क् कािि ्,
गा िलया गया हो
ि स् जात्
्
सारा
सबगा़ ल् , इसक् नूवस हरीि पना् सनबह क् काि तियानटाकर
कायास य जा नहनोचता ह पॅॉििस का विकिंग-पवर ग्यारह बज् स् िनरू होता ह और इस सिय मसवाय चौकीलार क् वहाो कोई भी ाही होता
चौकीलार ्स् आया ल् ि िनकनराता ह और पलब क् सा
स ाि
्ता ह वह भी हो ्
स् ि न कनराता ह और स ाि क् जवाब िें ािकार कहता ह और पना् कसबा िें जा सिाता ह नरू ा कायास य
पर-कडलिन्ल ह वह या तो पनाा न्त्न्लग कायस तियानटाा्
ह या ििर ड्राज स् कोई सािहत्यक-नसत्रका तियाका कर नढ़ा् बि जाता ह
गता
हरीि को यहाो आ
हन , क बरस स् ्नर हो चनका ह और वह पब तक पना् ऩोमसयों स् िास जाा-नहचाा ाही बाा नाया ह ्सा् नह करत् हन ा पना् ऩोसी स् बात कराा चाहा ा ातीजा मसिर तियाक ा ्स् वह ल् र तक पजासबयों की तरह घूरता रहा ििर बनरा सा िनोह बाात् हन पना् ल़ब् िें जा घनसा ्सकी इस हरकत नर ्स् रोधोध आया ष्ब़ा पजीब आलिी हष् िा ही िा बल न बल न ात् रह गया ा वह ्सक् हा ज़ न ् क् ज़ न ् रह ग
नायी
्
्सक् कायास य का भी
गभग वही हा
ा हाय-ह ो क् प ावा बात आग् बढ़ ाही
ी वह यह सोचकर चनन हो जाता िक िायल इस िहर का, कनछ ऐसा ही लतूर होगा
्स् पना् गाोव की याल हो आती ्िता और वह यालों िें िोता च ा जाता
गाोव की याल आत् ही ्सका िा-ियूर च रक
्ो ची-ाीची नहाड़यों क् िध्य, कि -सा खि ा सघा पिराइयाो
क गाोव
गाोव क् चारों तरि ि ी
ऩ्ों स् हरती िली-िली हवा ो, क -क , छ -छ , क् वर तियााािला
करती, नहा़ों स् ्तर कर बहती पह़ ाली
म्ब्-चौ़् ि्त
ि्तों िें
ह हाती िस ें
आसिाा क् सनराि स् िूटती रग-सबरगी रोिाी
ऩ्ों की िािाओ नर धिा-चौक़ी िचात्
िािा-िग चचचचयाती चचड़यों का सिूह हर छोटी-ब़ी चीजों िें भर् होत् जालई न रग ाारी ृ कण्िों िें इताी
बरसात होती रहती चाहता
ोच होती िक कोय
भी िरिा जायें
चारों तरि स् िााों सनाों की
तियततम यों सा िनलकता ्सका िा, कही भी
क जगह िहराा ाही
घर िें िाो-िनताजी ह लो छोट् -भाई बहा ह छोट् स् घर िें िााो वगस मसिट आया
हो िाो-बान का प्यार और आिीवासल नाकर वह तियाहा व् सार् की सार् ्सक् पना् हैं िूिा-िूिी
हो ्िता गाोव िें त्जता् भी घर हैं ,
िकसी िें िािा-िािी हैं
िकसी िें भाई-भौजाई रहत् हैं
िकसी िें चाचा-चाची
िकसी िें
गिूर चच्चा तो जस् ्स नर जाा ही तियछ़कत्
्
बाबा रािलीा को वह पक्सर यह कहत् हन सनाता ा श्जााी-जन्िभूमिष्च वगासॅ्लिन गरीयसीश् और भी ा जाा् क्या-क्या ष्िदलों िें गहर् प स भर् होत् सनाा् िें पच्छ् तो
गत्
्
्िका ्ाका प स वह ्स सिय सिह ाही नाया
ा
जस् -जस् वह
ब़ा होता गया और िकताबों स् ज़ न ता गया, ्ा बातों का प स, ्ाका ििस, ्ाकी गहराईयों स् नशरचचत होता च ा गया सच ही कहा करत्
नढ़ाई
् बाबा श्गाोवों िें वगस बसता ह श्
गाोव िें रहकर ्सा् ििरे क की नरीक्षा नास की और नास वा ् िहर स् कॉ ्ज की ्सा् कभी सना् िें ाही सोचा
भरा् क् म
ा िक ्स् नढ़-म िकर सबत्भर न्ट क् गढ् को
लस ू र् िहर भी जााा ऩ सकता ह
िवकास की पचााक आयी आोधी ा् गाोव की गाोव ्जा़ िलय् गाोवों िें पब बूढ़् और
पनािहजों क् प ावा कोई ाही रहता
व्
तियाि ् िवकास की पवधारण ा स्, गाोव रहा्
ोग रहत् हैं जो ि्ती-बा़ी स् ज़ न ें हैं या ििर ायक ाही बच् और िहर बसा्
ायक
गाोव की मिटटी की सोंधी- सोंधी िहक और पना् वजाों-नशरजाों की याल आत् ही ्सकी ल् ह गन्ा् की सी िीिी होा्
गी
ी
गनजर् हन िलाों की नगलडलयों नर वह ल् र तक चह -कलिी करता रहा और िी रो ही पतीत की भू -भन या स् वतसिाा िें ौट आया ा
पॅॉििस िें बि् -बि् ्स् पना् मित्र जगलीि की याल हो आयी ्सकी िोजी ाजरें , पॅॉििस की खि़की क् ्स नार ्तर कर, ्स् िोजा् का ्नरोधि करा्
आया
्स िला का िला, यालगार िला ा, तो ्सा्
क बा् बाा
क
ा ्सक् म
तियाक ी
ी
िनहावर् का प स, पब ्सकी सिह िें आया िी रो ही वह पना्
जब वह इस िहर िें , नह ी बार
ॉज को पनाा प ायी ििकााा बााया
ढरचे नर च
श्होट
गती
ा ििर ्सकी त्जलगी,
िें िााा और ित्जल िें सोााश् जस्
ा
काकी जीवा स् ्बा् सा
गा
ा ्स्
क मित्र की त ाि
ी
क ऐसा मित्र त्जसस् वह पना् िा की बात कह सक् और पना् सनि-लुःन ि बाोट सक्
िी रो ही ्सकी िोज नरू ी हनई जगलीि को मित्र रून िें नाकर वह ब्हल िि न हनआ
ा
जगलीि की त्जन्ला-िल ी, ्सक् बात करा् का पलाज, ओिों नर ि् ती-िििककर िहर जाती होसी, य् सब ल् िकर वह ब्हल ्रभािवत हनआ ा और ्सा् मित्रता ातियत करा् क् म पनाा हा बढ़ा िलया ा जगलीि आज ्सका मित्र ही ाही पिनतन भाई स् बढ़कर ह
जगलीि ा् ही बताया
ा िक यह िहर सहसा िकसी नर िवश्वास ाही करता िवश्वास
करा् की इसा् ब़ी-ब़ी कीितें चक न ाई ह और जब स् िवश्वास पत्जसत हो जाता ह, तो वह सर आोिों नर सबिाा् िें नीछ् ाही रहता जगलीि क् कहा् नर ्सा्, म या
ॉज की चौहद्ली छो़कर,
ा तो वह िकराय् का िकाा, त्जस् वह पनाा तो कह ही सकता घर-गह ृ ी की चीजें जो़ी जाा्
गी
ा
ी पब वह घर नर ही िााा नकाा्
िनरू िें िााा नकाकर िाा् िें िजा तो आ रहा गया
क िकाा िकराय् नर ्िा
ा,
गा
ा
ा
्स्
्िका जली ही ्सका िा ्चाट सा
बहनत सारा सिय, िााा नकाा्, िाा् और बतसा ि ा् िें जाया हो जाता
नढ़ा् का ब्हल िौक
ा और वह ्सक् म
सिय ाही तियाका
ना रहा
ा
पततोगवा
्स् ििर होट ों की िरण िें जााा ऩा और िी रो ही वह न्ट का िरीज बा बिा जगलीि ा् स ाह ली िक वह
क िााा नकाा् वा ी िहाराजा रि
ें
्स् सब न ह-
िाि ताजा िााा मि ्गा और घर की सिचन चत साि-सिाई भी होती रह् गी सह न ाव पच्छा ा
्िका वह ्स् तका
घर ाही जा नाया
ा
िरोधयात्न्वत करा् क् नक्ष िें ाही
्सकी िल ी इच्छा
ी िक वह
ावजात ननत्र को ल् िता भी आ
कायास य सप्ताह िें नाोच िला
गता
ा
ी
वह
क
म्ब् परस् स्
क बार घर हो आ
सोि व िग
लवास िें तीा िला क् आकत्िक पवकाि क् म र् व् स् सीट भी आरक्षक्षत करवा
ा
की छनिटटयाो
और पना्
आव्ला ्रतनत कर िलया
ी
ी
्सा्
ा और
तियाधासशरत सिय स् नूवस वह पना् बॉस क् च्म्बर िें जा नहनोचा और छनिटटयाो ्रलाा करा् की िवाती करा् गा बॉस ा् ्सका तियाव्ला िनकरात् हन , म्बा-चौ़ा भार्षण िन ा िलया
श्हरीि इस सिय िैं तनम्हें छनटटी ाही ल् सकता
ज्याला टॉि छनटटी नर ह कोई ि्डलक हैं
ऐस् िरोधिटक
ाािस
चाहता गया ा
तनम्हें िा ूि ही ह िक आध् स्
नर ह तो कनछ क् यहाो िाली-दयाह सम्नन्ा होा्
नोजीिा िें छनटटी ाही ली जा सकती
जस् ही पॅॉििस की नोजीिा
होती ह, तनि च ् जााा श्
बात सा न कर ्सका िा कस ा हो ्िा ा
ा
जााता
वह तकस और कनतकस िें िोसाा ाही
ा िक इसस् घातक नशरण ाि ही हो सकत् हैं
ििर ्सका घर भी इताा लरू
गरिी पना् चरि नर
ा िक वह चार िला िें
ी और ्स् हर हा
बि् रहा् की पन्क्षा पच्छ् -पच्छ् ाॉव पॅॉििस की
ा
वह िा िसोसकर रह ौटकर ाही आ सकता
िें , घर नर ही रहाा
नढ़ाा, ्स् ज्याला र्यकर
ायब्र्री स् तीा िकताबें आबिटत करा
ी
ी
्सिें
क
ा घर िें तियाि ् गा
ा
्सा्
ी कि ्श्वर की
त्श्कता् नािकतााश् श् िन्ान भलारी की श्िैं हार गईश्श् औ तीसरी ित्र् ननष्ना की श्पिा कबूतरीश्श् नढ़
्गा
्स् पनाी नढ़ाकू-र्षत्क्त नर नूरा भरोसा
ा िक वह चार िला िें तीाों िकताबें
सािहय जगत क्
दध्रतियतष्ि, बहनआयािी सज रचााकार, नत्रकार, ्िक ृ ािी कि श्् वर क् ्नन्यास की ्रमसिद्ध क् बार् िें ्सा् कािी कनछ सा ्िका यह न रिा ा ्सका पनाा लभ न ासग्य
ा िक वह िकताब िरील ाही नाया
ा ्नन्यास हा ों-हा
ा ्स् नढ़ाा चाहा् वा ों क् मसर नर जनाूा इस कलर हावी
िें िोटो-्रतियतयाो ्राप्त कर पनाी िाामसक भूि मिटा रह् स्ि िें रि् ्नन्यास नर ऩी, सबाा ल् री िक िकताब हा
घर आकर ्सा् पना् कऩ् बल ्
चचनचचनाहट और लग िं स् और भी बनरा हा न ध
् और जस् ही ्सकी ाजर बनक
गा
कि ्श्वर की िव क्षण
ा
ा और वह पब ाहााा चाहता
नसीा् की ा
्सा्
हा ाोिक नााी िें ्ताी िलक ाही
ी बावजूल इसक् ्स् पच्छा
यहाो-वहाो सिय ा गोवात् हन
ा
ा
गिी क् िार् बनरा हा
िॉवर पॅॉा िकया और ल् र तक ्सक् ाीच् ि़ा रहा ी, त्जताी िक होाी चािह
ा िक पानप् दधता की लिा
्सा् ्स् बनक करवा म या
गत् ही ्सका सारा तााव लरू होा्
सबक रहा
ग रहा
ा
्सा् ्नन्यास ्िा म या
्िाी का जाल,ू ्स नर छाा्
गा रूिा
स् बात होत् हन वह ्सका नशरचय ायी-ायी सययता स् करवा रहा ा ्िक
पलीब तक जा नहनोची ी की क ािक सोच, गहरी सिह िनरो ल् ा् की पद्भनत क्षिता व ाूता ्रयोगों स् वह ब्हल ्रभािवत हनआ ा ्नन्यास नढ़ा् िें वह इताा िो चनका ाही रहा िक ग ा सूि आया ह और ्स् नााी नीाा ह
ा िक ्स् इस बात का भी ध्याा
ट् सब जा िटकी गा
नर रिी नााी की बोत रात क् लो बज चनक्
्
्िात् सिय ्सकी ाजरें पाायास ही लीवार घ़ी नर नााी नीकर ्सा् ग ् को तर िकया और ििर नढ़ा्
वह कब तक नढ़ता रहा, यह तो ्स् याल ाही,
्सा् पना् आन को ट् सब ाील िन ा् क् सा
्िका जब ्सकी ाील िन ी तो
नर मसर िटका , सोता हनआ नाया ही वह न ग नर आकर
घटाारोधि ्सकी आोिों क् सािा्, मसा्िा की री
्ट गया
कलि जरूरी सा
बा रूि िें जा सिाया
क तौम
ी गरिी पना् चरि नर
को मभगोया और नीि नर ला
् ल् र रात
ा और ा ही िरीर िें ऐिा-विा
कलि तरोताजा सा िहसूस कर रहा
ल् र तक यूो ही ऩ् रहा् क् बाल ्स् ाहााा
लोनहर हो चनकी
्नन्यास िें वखण सत सार्
की तरह च ायिाा हो रह्
तक जागत् रहा् स् ्नन्ा होा् वा ा आ य ाही जसी कोई चीज वह पना् आन को
ा
ा गा
्ित् हन
ी कू र ाकारा मसद्ध हो रहा
म या ऐसा करत् हन
्स् पच्छा
वह
ा ्सा्
ग रहा
ा
्नन्यास िें िोया हनआ ा वह तभी ्स् ि्ा ग्ट नर होा् वा ी चरस -िरस की ककसि आवाज सनाायी ली कौा हो सकता ह इस वक्त? ऐसी क़ी धून िें बाहर तियाक ा् की िकसा् जरन स त की? सोचत् हन
्सक् िा ् नर ब
ऩा्
ग्
्
कनसी नर स् ्ित् हन ्सा् खि़की नर ऩ् िोट् नलचे को ो़ा सा हटाया ल् िा बाहर त्ज धून ी स़क सूाी ऩी ी और क ििह ा ग्ट नार कर सीिढ़याो चढ़ रही ी ्सा् क हा
स् र् म ग नक़ रिी
ी और लस ू र् स् घनटा् नर लबाव बाा
ल् ित् ही वह सिह गया
हनई
ी
आा् वा ा और कोई ाही बत्क िहाराजा बाई
त्जसक् बार् िें जगलीि ा् ्स् िवतार स् बता िलया
ी,
ा वह कनछ और सोच नाता, लरवाज्
नर लतक की आवाज सा न , वह लरवाजा िो ा् आग् बढ़ा
लरवाजा िन त् ही
आोिें चोचन धयाा्
क त्ज गरि हवा क् होंक् ा् ्स् पनाी
न्ट िें
् म या
गी आोिों क् सािा् ह ् ी की ओट बाात् हन ्सा्, ्सस् कहा- श्इताी क़ी धन ू िें आा् की क्या जरूरत ी आाा ही ा तो िाि को च ी आती या सब न ह आ जाती क्या तनम्हें िरा् स् लर ाही
गता?श् जली...जली स् पलर आ जाओ, वराा त नओ
िें ििो ् ऩ जा ग्.श्..
्सकी आवाज िें रोधोध ्तर आया वाभािवक
ा
हा ात ही कनछ ऐस्
ा वह पना् नर तियायत्रण ाही रि नाया
तर आकर वह लीवार का सहारा
क सिय िें , कोई आया
ा
्कर िस स् ाीच् बि गई और पनाी
पसािान्य हो आयी साोसों को सािान्य बााा् िें आकर धोस गया रोधोध और िवव्क, कभी भी,
्, रोधोध हो आाा
ग गई
ी
वह भी पनाी कनसी नर
क सा , रह ाही सकत्
क ही रह सकता ह रोधोध जा चनका
ा ्स् पब पना् कह् नर नछतावा होा्
गा
ा और ्सका िवव्क
ौट
ा
कनसी की ब्क स् मसर िटकात् हन वर ्नर ल् िा् गा छत सनाट व भाविून्य ी निा पनाी जगह ि़ा, चकरतियघन्ाी काट रहा ा ल् र तक ्स् घरू त् रहा् क् बाल पनाी आोिें िीच
ी
करा्
ा
गी
ी
गा
ी
जगलीि क् द्वारा बत ाई गई बातें ्सक् िलिाग िें ट् न की तरह बजा्
सनिी नशरवार
कात होती
्ा लोाों का
िायल वह पना् िा क् भीतर ्तर का नशरत् तियतयों का आॅक ा
ा ्सका पनाा
गी हनई ्ाकी पनाी जिीा ी पच्छी ी ्ा लोाों क् प ावा ्ाकी पनाी क ब्िी ी ब्टी सयााी हो च ी ी क ही सनाा
ा
िहर स्
ब्टी क् हा
नी ् हो जा
ब़् परिााों स् व् ्सका
ा ा-ना ा, नोर्षण करत्
् ्न्हें नता ही ाही च ा िक कब और िकता् ाािा ूि ढग स्
लभ न ासग्य ्ाका नीछा कर रहा ह
िहर पनाा आकार बढ़ा रहा
ा
जिीा क् लाि आसिाा छू रह्
चगद्ध की तरह ्ाक् सनिों नर हनटटा िारा् क् म कीित ल् ा् को तयार
ा
ाीचता नर ्तर आया हि ा करवा ल् ता लारूण लुःन ि ाही ह् आोसू बहाती, गनहार ा् िि न ौटा
च ाता रहता
गा रिा ा
ा
पना् नर तौ
रहा
्िका व् पनाी जिीा ब्चाा ही ाही चाहत् कभी वह ि़ी िस ों िें आग
नाया और
गाती ा
्
सबलर पब
गवा ल् ता, तो कभी ्ा नर नतियत इता्
क िला... वह लतियन ाया स् ही रूिसत हो गया वह िूा क्
्िका कौा सनाा् वा ा
ा? िकसको इताी िनरसत
ी सबलर
क तरि वह ्सका िहतर्षी िलिायी ल् ता तो लस ू री तरि कनचरोध
गा
ग
पोगि ू ् क् तियािााों की वजह स् वह ब्घर करा ली गई
्सा् कई बार आिहया तक का ्रयास िकया
्िका ्स् जीाा
ा हर हा
्िात् रहा् क् म वह और ज्याला सना ाही नाया
ी
क सबलर
ा वह िनोह-िाोगी
वह जब ाही िााा तो ्सकी ब्टी पगवा करा ली गयी
धोक् स् कागजों नर
की
्
ा
जगलीि ा् ्स् यह भी बत ाया
्सा् जगलीि स् बात बल
िें , लुःन ि
ल् ा् की ्रा ा स ा भी
ा िक यिल वह िकाा बल ी ाही करता, तो
िायल ही वह ्स् काि स् बल करता त्जस जगह ्सका पनाा िकाा ह, वह कािी लरू ह और वह इताी लरू ी तय ाही कर सकती
सनाट
वतसिाा िें
ी लोाों की पनाी िजबशू रयाो
ी
ौटत् हन ्सा्, ्स पध़् ििह ा की ओर ल् िा च्हरा भाव-िून्य व ा वक्त की िक़ी ा्, ्सक् च्हर् नर सघा जा ् चा ् ्सकी आोिें पलर न िल
तक धोसी हनई
ी
्सकी लल न स िा ल् ि हरीि क् िल
और िलिाग िें लरू -लरू तक लुःन ि का
ि ता च ा गया और ्सकी भयााक चीि चारों तरि गूजा् पनाी ाजरें , ्सक् च्हर् नरस् हटा
ी
गी
ी
क सिन्लर
घबराकर ्सा्
वह ्ि ि़ा हनआ िकचा िें गया िफ्रज िो ा और क ोटा नााी गटागट नी गया नााी क् कनछ छीट् च्हर् नर िार् ऐसा करत् हन ्स् कनछ राहत सी मि ा् गी ी ौटकर ्सा् पनाी नेंट की ज्ब स् कनछ रूनय् तियाका ् और ्सकी हनशरस यों स् भरी
ह ् ी नर रित् हन कहा- श्य् कनछ नस् हैं, इन्हें रि ो सबस् नह ् पना् म ायी चप्न ें िरीलाा और लो साड़याो भी और क स् काि नर आ जाााश् वह इताा ही बो नाया
गई
ा नसों को ्सकी ह ् ी नर रित् हन , ्सा् गौर स् ल् िा ा ्सकी ह ्म याो काोन ी िायल ्रसन्ाता की कोई िकरण िूटी ी ्सक् भीतर ढ् रों सार् आिीर्ष ल् त् हन
वह ्ि ि़ी हनई ्स् सनात् हन ऐसा गा िक ्सक् क ्ज् क् कोटर िें बिा कोई ान्हा नशरला चहका हो तार-तार हो आयी सा़ी क् न ू स् आोसओ को नोंछत् हन ्सक् हा ज़ न न आय् ् और पब वह बाहर तियाक गई ी हरीि की आोिें, ्सका नीछा कर रही नार कर वह पना् घर की ओर बढ़ च ी
ी ी
गातार
्सा्
वह सीिढयाो ्तर रही
क बार नीछ् न टकर ल् िा
नतियायााी आोिों िें आिा क् सक़ों लीन खह मि ात् िलि रह्
ी
्सकी
्
लस ू र् िला वह िीक सिय पना् काि नर आ गयी, ्सक् नरों िें ायी चप्न ें
और ्सा् ायी सा़ी भी नहा रिी ी
ी
ग्ट
्सकी ्लास आोिों िें पब खह मि
ी
िनकनराहट
चौक् िें कोई िास सािाा तो नयासप्त
ा ाही
जो
ा वह
क पक् ् आलिी क् म
ा
गस-टोव्ह नर ्ब ् हन लध ू , चाय की िोटी नरतें जिी ी, जो सूि कर बलरग हो गई ी जि ू ् बतसा मसक िें ब्तरतीब ऩ् ् और ििस नर मसगर् ट क् ज -् पधज ् चट न ट् सबिर् ऩ्
् चौका ल् िकर वह ि न कनरा
बगर ा रह सकी
ी
वह काि िें जनट गई हरीि पना् किर् िें आ गया ्सका िा पब िकताबों स् जऩ
ाही ना रहा
ा िायल ्सका िा काोटों िें ् ह गया
िक वह ्स् िकस ााि स् बन ा कराा चाहता
ा ्स् हर हा
िें
बाई कहकर वह
ा ् हा इस बात को
्कर
ी
क ििह ा जातियत की ब्इज्जती ाही
क ििह ा क् सम्िाा की रक्षा कराा
्सकी कल-कािी ल् िकर ्स् पनाी िाो की याल हो आयी
वह भी यही कोई चा ीस-नैंता ीस क् आसनास की सोचत् हन िक वह ्स् पम्िाजी कहकर ही ननकार् गा
ा
िाो क् ्म्र की तो होगी
्सा् तियाण सय
् म या
ा
ऐसा तियाण सय
ीॅ्त् हन ्स् ्रसन्ाता का पानभव हनआ ा, ्रसन्ा बला वह िकचा िें आया ल् िा, सारी चीजें करीा् स् जिा ली गई ी, ििस चिचिा रहा ा ्स् सबोचधत करत् हन ्सा् कहा श्पम्िाजी... िााा लो भी यहाो भोजा कर म या कराा श् श्
म या
सा न त् ही ्सकी आोिों की कोर भीग आयी ा
ी
ज्याला ल् र तक वह, वहाो ि़ा ाही रह सका
बा्गा, आन
ी ्सा् पनाा च्हरा लस ू री ओर घि न ा
िायल वह पना् बहत् आोसू ्स् ाही िलिााा चाहती
त्जन्हें वह नोंछाा ाही चाहती
ोगों क् म
ा
ी
िनिी क् आोसू
् व्,
िला नर िला और इस तरह नूरा सा
िकस तरह बीत गया, नता ही ाही च
नाया
जब वह ट् ीिोा नर बातें करता, पनाी िाो और बाबूजी स्, ्सक् बार् िें बत ाता जरूर ्सका मित्र जगलीि भी ्रसन्ा हनआ आया ह
सा
क िला िाो-बाबूजी, सनाीता और कतियाष्क को सा
का हो गया
सी ्िी
ी
ा वह पब िरारतें भी करा्
क िधनर सगीत सा बजा्
वह कतियाष्क क् सग हो पना् सीा् स् म नटा ा ्सक् भीतर
ििि ी हो ्िा
्ती
गी
्ती कतियाष्क भी िनि
्कर च ् आ
्ती
कभी हूिी लाोट भी िन ाती
ा वह भी िनि ्
ी
क िौसि खि
्िा
्सक् च्हर् का र् िा-र् िा
् आराि क् बहाा् वह न ग तो़त् रहती ौट ग
क िला भी ज्याला िहर जाा् भी तयार ाही
िौसि कभी
क
ा ्सक् भीतर घर क् सार् काि तियानटाकर
नन्द्रह-बीस िला रहकर िाो और बाबूजी गाोव ी यह वह सिय
कतियाष्क नूरा
ौट
ा कतियाष्क को नाकर वह भी खि
रूि् हन नशरन्ल् ौट- ौटकर आा् ग् ा और ्राण ों िें िीिी सी गध भर गयी ी
ा जब ि्तों को पग ी िस
व् इस सिय को िोाा ाही चाहत्
िें
गा
गा
्सकी िरारतों िें रस
सनाीता क् नौ-बारह हो ग
व् पब
ा, यह ल् िकर िक ्सका िोया हनआ वाथय
्
क सा ाही रहता
बार-बार क् आरहणह क् बावजूल,
् ्न्हें पना् ि्तों की चचता सताा् क् म
क बल ाव आ रहा
त यार कराा होता ह और
ा चन न क्-चन न क् हिार् पना् घर
क िाहूस क्षण , सब ी की तरह लब् नाोवों स् च ता हनआ, कब हिार् घर क् भीतर घनस आया, नता ही ाही च ा छोटी-छोटी िनमियों क् तियताकों को जो़-जो़कर बााया गया घोंस ा, ्सकी ्छा स् लरू जा ़््
िें , जिीा नर आ चगरा घोंस ् िें लब न क् नि्रू, चचचचयात् हन , िनरस
नि्रूओ की चहचहाट की जगह पब ककसि वरों ा् हगािों स् भर ्िा
्
ी
ी
ी वह भयभीत िहरण ी की तरह काोन रही
क गहरी साॅह ्सक् िा िें ्तर आयी
रही
ी
आरोनों की जल िें
ी और सनाीता, मसहाी सी गरज रही
ी ्सक् िा क् आोगा िें , चचड़यों की
चहचहाट की जगह, पब ् नओ की भयााक चीिों ा् जगहें बाा करत् रहा् क् बावजूल, सनाीता ्सस् इकरार करवााा चाहती पवसाल ि ा्
आोधी गनजर रही
क पच्छ् िास्
ा
कतियाष्क क् ग ् की सोा् की चा, कही ढूोढ् ाही मि
पम्िाजी
ी घर,
गा
ी
ी
ी ्सक् च्हर् नर
ा ्सका धीरज ााि का नवसत लरक गया
ा
िें इताा नााी बचा ही कहाो
ा
ी
ी
रही
पना् बचाव िें , ्सक् नास िदल ाही
िह ाती रही
् वह क्व
गाय् हन तम् न हें च्ा का नता होाा चािह आसिाा ा् तियाग
ा,
हो ्िती
्िका सनाीता
ी श्कतियाष्क नरू ् िला तो तम् न हारी गोल िें चढ़ा रहता ह
जब ति न ा् ाही तियाका ी तो क्या धरती िा गयी या
म या श् वह बार-बार
ाा् िें रनट लजस कराा् को कहती
वह त्जताी भी सिहाईिें ल् ता, सब व्य स जाती, ्सकी रोधोधात्ग्ा की िवकरा
वह
इाकार की िनद्रा िें पना् हा
ी ब्गनााह होा् का इसस् ब़ा और क्या सबूत हो सकता
क ही रट
ा
ी
सिह नाती, तब ा! वह
क
िकताा ही नााी तो ्सा्
पनाी प्यारी बच्ची क् गि िें त ा नतियत क् पसिय िौत िें रो-रोकर बहाया िवक्षक्षप्त सी िौा ि़ी आरोनों को ह्
क ाी ा
्सक् भीतर स्
ी, त्जसा् आिाओ क् खह मि ात् लीनों स् रोिाी छीा
्सकी आोिों की ही
्सक् इकार
नटें , ्ताी ही
्सा् ननाुः सिहात् हन कहा श्सनाीता... बल करो पनाी बकवास िकसी नर आरोन ज़ा् स् नह ्, िल् िलिाग स् सोचो घर का कोाा-कोाा छाा िारो हो सकता ह, यही कही ऩी होगी
पर् ... त्जसा् त्जन्लगी भर धोक् िाय् हों, वह भ ा िकसी को क्या धोका ल्
सकता ह श्
चनका
सनाीता पब ्सक् सा
वाक-यनद्ध नर ्तर आयी
ा
ी नूरा घर यनद्ध-भूमि िें तदली
हो
यनद्ध की नशरण तियत हि्िा स् ही त्रासल और भयावह होती ह , चाह् वह त्जस भी
नष्ृ िभूमि नर
़ा गया हो
यनद्ध क् बाल की िातियत िकस तरह की होती ह, कृष्ण और
यिन द्धत्ष्िर स् पच्छा भ ा कौा जाा सकता ह सनाीता सिहा
सातवें आसिाा नर
ाही सिह रही
ी बातें तियाष््रभावी हो रही
ा ्सा् लो-चार चाोटें ्सक् गा
नर ज़ िलय्
्
ी ्सका गनसा पब
गनसायी सनाीता ा् सूटक्स नक िकया और िाि की रे ् ा स् घर
कतियाष्क भपचक्का ल् ि रहा
ा सब कनछ ्सिें इताी सिह और सािथयस कहाो
पनाी िाो को रोक नाता सा न ीता जा चक न ी
ी, ििर कभी ा
ी, ििर तियाकट भिवष्य िें
ौट आा् क् म
ौटा् क् म
कहाो-कहाो ाही ढूोढा ्सा् ्स्
बलहवास भटकता रहा
ा
ौट गई
,
ा िक वह
्िका वह जा चक न ी
चच चच ाती धून और ्िस भर् िाहौ
्िका वह ाही मि ी, तो ििर ाही मि ी
ान्हा
िें वह
्स् पब हर हा कतियाष्क क् सा
िें
ाा् िें रनट लजस करवााा ही
वा ी कई तवीरें कल
सहायक मसद्ध हो सकती िाि तियघर आयी
ी
ी
ी
्सक् पना् िोबाई
क गनििनला को त ािा् क् म
ी पना् काोधों नर गहरी ्लासी का
और ब्नर आवाजें ्सका नीछा कर रही
ा
गातार
बाला ला ् वह
िें
, िोटो
ौट रहा
ा
पाोिा तियाण सय
छोट् -िोट् ा्गलतूर तियानटात्-तियानटात्, कब सनबह स् िाि, ििर िाि स् रात तियघर
आई, नता ही ाही च
नाया, नास-ऩोस की ििह ा ो, पना्-पना् घरों को च ी गईं
और वह पब तक जाग रही
ी
कािी ल् र तक तो वह, ओरती की लीवार स्, पनाी नीि िटका
ी
ि़ी रही, ििर धीर्
स् ाीच् बित् हन ्सा्, पना् लोाों नरों को सािा् की ओर ि ा िल ् लोाोॅ्ॅ हा ों को काोध् स् हन ा िलया ा और लीवार स् मसर को िटकात् हन , िण्लन िें टक रही रगसबरगी हूिर-हा रों को लरपस चाहती
ी
कटक ल् िती रही
वह ााचत्-ााचत् ब्हल
क गई
ी और पब
ो़ी ल् र बिकर स न तााा
जब आलिी तियाहायत ही पक् ा होता ह, पक्सर ऐस् सिय िें वह या तो भिवष्य को
्कर सा न हर् सना् बा न ा्
गता ह प वा पतीत की िहरी हनई ाली िें गहरा ्तरकर, ्ा ाायाब िोतियतयों की त ाि करा् गता ह, जो जाा्- पाजाा् िें ्सकी ििन टियों स् ििस कर जा चगर् होत् हैं
राधा जााती ह, ्सका पनाा पतीत कभी भी सनाहरा ाही रहा बहनत छोटी सी ्िर िें ्सा् पनाी िाो को िो िलया ा सौत् ी िाो क् आा् क् बाल क् कनछ िलाों तक तो िीक रहा,
्िका बाल िें ्स् लन कार, गाम याो खह़िकयाो और िार क् प ावा कनछ ाही
मि ा ा तो वह िन कर होस सकती
ी और ा ही रो सकती
ब्बसी और ्लासी ल् िकर सहि सी जाती ्स् लर िो ल्
ी बान क् च्हर् नर
ा िक कही वह पना् िनता को भी ा
वह चप्न नी साध् रहती जवााी की ल् ह ीज नर आ ि़ी हनई ही क पययाि, सबग़् िल ओर और िराबी यनवक स् करा ली गई पना् भिवष्य को
टकी
ी िक ्सकी िाली
्कर वह ज्याला ्सािहत और आिात्न्वत भी ाही
ी ्स् िा ूि
ह िक आज िनिर्षयों क् जो लो ाायाब िोती मि ीॅ् हैं, व् भी कम्िो भौजी की वजह स् मि ्
हैं वह यह तो ाही जााती िक ्सा् पना् िनछ ् जन्ि िें कभी कोई ननण्य का काि िकया ा
सभव ह िक पाजाा् िें ्सा् ्स नर कोई पहसाा कर िलया हो, तभी तो वह इस
जन्ि िें पनाा कजास, िय-दयाज क् ्स्
ौटा रही ह
वह ाही चाहती िक ऐस् सिय िें , जब िमन ियाो ्सक् आोगा िें नाहना बाकर ि़ी ह, वह पना् पतीत क् बार् िें सोच् श््स् सोचाा भी ाही चािह श् वह पना् आनको सिहाईि ल् ा्
गी
ी
सारी व्य स की बातों नर स् ध्याा हटात् हन
वह वतसिाा िें
ौटा्
गी
ी
िहााईयों की िीिी-सनरी ी आवाज, ढो क की ढम्िक-ढि, िजीरों की िाक और
औरतों क् सत्म्िम त वरों की गूज, ्सक् कााों िें पानगनत्जत होा् सा
पब वह वरों क् तियतम ि िें ्रव्ि करा् सनबह स् ही ्सक् आोगा िें भी़ जऩा्
क् छा जाा् क् बाल,
क ओर कनमससयाो ला
िती नर ्तर आ
् कोई ्स ओर स् लौ़
या तो बी़ी का धनोआ ़्ा रह्
ी िण्लन छाया जाा्
ी गहराईयों क्
गा
ा िण्लन
ी िोह ् क् ब़्-बूढ़् कनमससयों िें धोस्
् प वा आनस िें बतियतया रह्
्
बच्च् भी पनाी धीगा-
गाता आता और लस ू र् छोर नर जा नहनोचता
जाा् का लतूर िकया जा रहा
क ि नर लीन ्रज्जवम त कर िलया गया गा
गी
ी
ली गई
ा पब िाि ग़ा
गी
गी
ा
औरतों का ल
िाि क् ग़ा् क् नश्चात,
क
िाभ क् नास बिा बन्ाी गाा्
ा भीतर जाकर भौजी कचा को सा
म वा
ाई और ्स् नट् नर सबिा िलया ििह ा ो
पब बारी-बारी स् ्सकी कचा सी काया िें हली-चला का िग -गीत गा
जा रह्
् ढो क ढिकाई जाा्
िण्लन क् बाहर बिा, बाजा बजाा् वा ों का ल
गी
्न चढ़ाा्
गी
ी
ी िजीर् िाका
वाद्य-यत्र बजाा्
गा
ा
जा रह्
्
िहााईयों की िीिी-सरन ी ी आवाज, ढो क की ढम्िक-ढि, िजीरों की िाक और
ििह ाओ क् सत्म्िम त वरों की गूज क् सा तरि ्सव का सा िाहौ
ही सारा वातावरण रसिय हो गया
ा चारों
ा
ढो क ढिकात्, बन्ाी गात्, कम्िो भौजी ्ि ि़ी हनई और िनिक-िनिककर ााचा् गी ााचत् हन वह चनह बाजी करा् स् भी बाज ाही आ रही ी भौजी को ााचता ल् ि,
पब बाकी औरतें भी बारी-बारी स् पना् ाृ य-कौि
िलिाा्
गी
ी
पनाी िोहक पलाओ स् सभी को शरहाा् वा ी भौजी िनिकत् हन ्स तक च ी आई और ्सका हा नक़कर, ििह ाओ क् ल क् बीच ा ि़ा कर िलया और ्स् ााचा् क् म
्कसाा्
िगा हो रही
ी
गी
ी
इस सिय वह लरू ि़ी, सार् ा्ग-लतूरों को होता हनआ ल् िकर
ब्टी की िाली हो प वा ब्ट् की, कौा िाो भ ा ााचाा ाही चाहती ्रसन्ाता स् भर ्िता ह
नोर-नोर िें रोिाच हो आता ह
्ाका िा
व् ितवा ी हो ्िती ह
ल् ह
्ाकी जस् वलावा बा जाती ह और साोस-्रवास िें जस् बाोसनरी बज ्िती ह नर तो ्ाक् ृ जस् जिीा नर ही ाही ऩत् हैं व् तियतत ी बाी ़्ती-लो ती ििरती ह सताा क् नला होा् क् सा
ही, िाोओ क् िा िें परिाा िच ा्
बाा ल् िाा चाहती ह सचिनच िें ब्हल िनि
ी
बरसों इतजार क् बाल ्सक् यहाो ऐसा िनभावसर आया
्सका िा भी ााचा्-ााचा् को हो रहा सन्ल् ह होा्
गा
ा
तब तक ााचती रही
गत् हैं और व् ्न्हें ल न हा प वा ल न हा
ा
ी और और क ्जा जोरों स् ध़का्
गा
वह
्िका ााच भी नाय्गी प वा ाही , इसिें
ो़ी सी ाा-ानकर और िाा-िाौव
ी, जब तक वह
ा
क् बाल वह ााचा्
ककर चूर ाही
् गई
ा
गी
ी ्सकी साोसें िू
ी वह
रही
पनाी िाो को इस तरह ााचता और ब्तहािा िि न होता हनआ ल् िकर कचा भी हत्रभ ी आज नह ी बार वह पनाी िाो क् बल ् हन वरून को ल् ि रही ी कनाा िें सनि क् बाल
हिहिाकर बरस रह्
ी िक िोकों की आवाज सनाकर वह वतसिाा िें
की
रात नारी िें ताात िकसी ननम स-किी ा्
ी ्सा्
क क् बाल
क बारह िोक्
गा
ौटा्
् और वह ्सिें सराबोर भी हो रही गी
ी
ाा् क् आहत् िें ्
टक रह् घण्ट् नर चोट
लरवाजा बल कर वह भीतर आकर पना् सबतर नर
जााा चाहती
ी
्िका ाील जस् गौरया कचचड़या हो गई
पनाा हा , आिहता स् बढ़ाती हा वह सोचा्
गी
ी
्ट गई वह पब ी
ो़ी ल् र सो
्स् नक़ा् क् म
्स तक नहनोच्, इसक् नव ू स वह िनरस स् ़् जाती
वह
ी
्स् ाील भी कस् आ सकती ह ? वह सोाा चाह् तब भी ाही
क िाो, चा की ाील कहाो सो नाती ह पनाी ब्िटयों को जवााी की ल् ह ीज नर ि़ा ल् ि, ्ाकी ाील गायब हो जाती ह ्ाकी आोिें तो जस् ब्िटयों क् नीि स् ही जा चचनकती ह व् ्ित्-बित्-सोत्- जागत्, पनाी ब्िटयों को नीछा करा् ्ाकी ब्िटयाो ग त राह नर च िें बत ााा भी ाही भू ती च ती ह इस सिय व् तो व् ्स सिय ही
गती ह
व् ाही चाहती िक
नलेंॅ व् सिय-सिय नर ्न्हें ििस ा भरी राहों क् बार्
व् ्न्हें रीतियत-शरवाजों और नरम्नराओ क् बार् िें भी बताती
़िकयों की िाो ही ाही बत्क लोत बा जाती ह चा की ाील
् नाती हैं, जब ब्िटयाो लो ी िें बिकर पना् ससनरा
्स् पाायास ही पनाी िाो की याल ताजा हो आई वह सोचा्
च ी जाती ह गी
ी- श्काि! वह
त्जन्ला होती तो िायल ही ्सकी लग न तियस त होती श् िाो का चचत्र पभी नूरी तरह स् बा भी ाही नाया
ा िक सौत् ी िाो का रौद्ररून ्सकी आोिों क् सािा् ताण्लव करा्
िविाता स् ज़ न ी ्ा तिाि बातों को वह
बातें ऐसी
ी िक वह भू ाा चाह् , तब भी भू
बातों क् लौराा
ाही नाती
क बार ्सक् िनता ा् ्स् कू
ी सनात् ही वह भ़क गई
याल ह
क बारगी भू
ी ्सक् द्वारा कह् गय्
श्का कही ता्? राधा को नढ़ाा् ह? का कर
गा
भी सकती
ा
ी
्िका लो
ी
िें लाखि ा िल ा ल् ा् की बात की क- क िदल ्स् आज भी पक्षरिुः ोग् नढ़ा-म िा क्
घर-चगर ी क्
बातें सीिा लो, जो त्जागी भर काि आवेंग् ििर चनरासी की ब्टी क क्टर बाा् स् रही श् िनता क् च्हर् नर ़्ती हवाई और लबलबाई आोिों को ल् िकर वह रो ऩी
ी
क बार धोक् स्, ्सक् हा ज्वा ािनिी िट गया
स् काोच का ग् ास टूट गया
ा ्सा् चूह् िें ज ती
क़ी स् ्सका हा
ा
्सक् रोधोध का
ज्िी कर िलया
पाायास ही ्सकी ्गम यों क् नोर वहाो जा नहनोच्, ज्ि तो मिट गया आज भी ्ताी ही तीव्रता क् सा चच क रहा ा ्स् आज भ ् ही पक्षर ज्ञाा ाही ह
ा
ा
्िका ललस
्िका ्सा् पना् जीवा की नाििा ा िें नढ़त्
हन यह जाा म या ा िक िाो का जीिवत रहाा बच्च् क् म िकताा िहवनूण स ह ्सक् ा रहा् स् बच्च् पाा ों की तरह न त् हैं िाो क् बगर बच्चों क् सि न ी जीवा की कनाा भी ाही की जा सकती
क िला ऐसा भी आया जब ्सक् भाग्य का सरू ज
्सका नतियत
क बार लूबा तो ििर ाही ्गा
क रात ्स् सोता छो़, पनाी िब ू सरू त ्र्मिका क् सा
कािी- म्नट ्सकी गलराई ल् ह स् जोक की तरह तो चचनका रहता तियत मि ा ्िता
वह
ि् का सूरत ल् ित् ही
ा ्सा् कई बार आइा् क् सािा् बिकर पनाी सूरत को गौर स् ल् िा
्िका कही भी िािी ाजर ाही आई सीरत िें तो वह
िाि ् िें
भाग गया
ो़ा नीछ्
कलि ििट भी
ी, बावजूल इसक् ्स् बलसूरत ाही कहा जा सकता
पना् नसों क् ब
नर ्सा् कई ााजायज सबध भी बाा म
इस बात नर ा तो पनाा आरोधोि िलिाया और ा ही िोनह िो ा
ा
्िका सूरत क्
्
ा
्सा् कभी भी
क िला वह रून का
रमसया ्सकी कोि िें बीज ला कर च ता बाा ििर ्सा् लोबारा न टकर भी ाही ल् िा िक वह िका हा ातों स् गज न र रही ह पसहाय पव ा िें ऩी वह क्व
आिहया करा् की िााी
आोसू ही बहा सकती
्सा् कई बार
्िका लध ू िनोही बच्ची का च्हरा ल् ि, वह ऐसा ाही कर नाई
्सकी गलराई ल् ह ल् िकर, िाोल िें तियछन् भ्ड़ ला ा् क् म
ी
बाहर तियाक
पनाी लरावाी सरू तें और ाक न ी ् लाोत िलिाा्
ग्
आ
्
व् ्स् ची
् वह िहर ही छो़ ल् ाा
चाहती
ी
्िका जाती भी कहाो? ्स् िा ूि
मि त् ही रहें ग्
सयोग स् ्सकी भेंट कम्िो स् हो गई
ी
ा िक वह जहाो भी जा गी, ्स् भ्ड़ वह भी कभी इन्ही हा ातों स् होकर गज न री
क ललस ा् पना् सजातीय ललस को नहचाा म या
ी और पाजाााना
कम्िो जााती ्सा् काोध् नर हा
क गहर् शरश्त् िें
ा लशू रयाो ाजलीिकयों िें बल
गई
ी िक रात् िें ऩ् काोटों को िकस तरह लरू िकया जा सकता ह
रित् हन और ओिों िें आोिें ला त् हन ्सस् कहा श्िैं बो ी ाा त्र् कन, लरा् का ाई, कोई हरािी का िन ा आोि िलिा तो पनना क् भाई का ााि बतााा बो ाा... भाई स् बताय्गी िाबर-ित्र ल् िलया
वो त्री क्या लग स बााय्गा... तू जााश्ण् कम्िो ा् ्स् न त
ा ्सा् िदलों की ताबीज बााकर पना् कण्ि िें धारण कर म या
क
ा
्स िला क् बाल स् वह िकसी की भाभी ह
िकसी की बहा, िकसी की बहू प वा ब्टी ह भाई की छत्र-छाया िें वह तियाभसय जीवा जीा् गी ी भौजी ा् जहाो ्स् जीवा जीा् की
ा सा जगाई
ी, वही ्स् रोजगार भी िनहया करवा िलया
ा
आज वह
क चचचसत भोजाा य की िा िका ह
पना् िवचारों की तद्रा िें िोई राधा को ाील ा् कब आना् आगोि िें
नता ही ाही च
नाया जब वह सोकर ्िी तो
ा
् म या, ्स्
क ाया सरू ज आसिाा िें चिचिा रहा
छोट् -िोट् कािों को तियानटाा् क् प ावा जावास् िें भी सिनचचत व्यव ा की जााी
ी वह ाही चाहती
ी िक िकसी भी ्रकार की कोई कसर बाकी रह जा
बारात क् आगिा िें कािी सिय बाकी
ा
हा ाोिक पभी
ॅनॅाबह स् ही कारीगर पना् काि को पजाि ल् ा् िें जहनट ग ् आि-लस घण्टों की क़ी ि्हात क् बाल क भव्य राजिह ि़ा हो गया ा जगह-जगह हा़-िााूस, रग-सबरगी हा रों और हि ू रों को ल् ि, ्सका िग ृ ी िा कन ाच् भरा् िाि तियघर आई और बारात क् आा् का भी सिय हो च ा
गा
ा
ा बाहरी व्यव ाओ को
नूण त स ा की ओर बढ़ता ल् ि, वह पलर च ी आई ्सा् ल् िा मसगार िें
कचा पनाी सिी-सह् म यों क् बीच तियघरी बिी ह
कोई ्सक् साज-
गी ह तो कोई ्सकी ह ्म यों िें िेंहली स् सनन्लर-सनन्लर आकृतियतयाो ्क्र रही
हैं पनाी ब्टी को ल न हा क् रून िें सजा ल् िकर वह पनाी सनधबनध िोा् ल् र तक टकटकी ्स् ाजर ा
गा
गी
ी
ल् ित् रहा् क् बाल वह वहाो स् यह सोचकर हट गई िक कही
ग जा
नटािों की गूज स् आकाि कोनाती, आधनतियाक वाद्ययत्रों की धना नर च रकत् यनवक-
यनवतियतयों क् ल
क् सा
बारात ्सक् द्वार नर ि़ी
पना् मसरों नर िग -क ि म कनिकनि-रो ी की
ा ी म
ी सनलर नोर्षाकों िें म नटी यनवतियतयाो
बारात क् वागत िें च
सबको सा
्कर च
रही
ऩी
ोक ाज और सकोच क् सा
िें वरिा ा म
गजगामिाी की सी चा
पब वर-वधू ट् ज नर आिा्-सािा् ि़्
िग ाचरण का सवर नाि कर रह्
िें
पना् लािाल की ्ग ी
, पनाी ाजरें ाीची िक ,
िें च त् हन
्
वह भी हा
ी
द्वारचार की नारम्नशरक औनचाशरकता को नरू ा करत् हन नक़कर ट् ज नर ा सबिाया कचा पनाी सिी-सह् म यों स् तियघरी, हा
ी
हा
आग् बढ़ रही
िें िाईक म
ी
नत्ण्लतजी
् इिारा नाकर वधू ा् वरिा ा वर क् ग ् िें ला
ली
ी
पब वर की बारी
बजाा्
ग्
ी
्सक् वरिा ा ला त् ही हजारों-हजार हा
् वाद्य-यत्र नूरी रितार क् सा
ल् िकर वह गलगल हो रही
ी ्स् ऐसा भी
बज ्ि्
क सा
ताम याो
् इस पाननि व पद्भनत दृष्य को
ग रहा
ा िााो धरती नर वगस ्तर आया
हो तोहिा ल् ा् और िोटो खिचवाा् को आतनर
खिचवात् और िनकनरात् हन ाीच् ्तर आत् तरि गहिा-गहिी का िाहौ ा िण्लन क् ाीच् पब िास-िास
ोग ट् ज नर जात्
बाकी क्
ोग ही रह ग
ोग भोजा नर टूट ऩ्
चढ़ाव् की रि नूरा होत् ही पब भाोवर की तयारी की जाा्
कन्यालाा क् म
ित्रोच्चारण कर रह्
िनता को बन वाइय् श्
सनात् ही वह धक स् रह गई
त्श्नता तो ह ाही ी श्
्
चारों
गी
पनाी रौ िें बो त् हन
ी क ्जा िनोह को आ गया
् ी नत्ण्लतजी नरू ी
व् बो
्ि् - श्पब
ा वह सोचा्
गी
ी-
जलबाजी िें वह नत्ण्लतजी को वातिवकता स् नशरचचत ाही करा नाई
इस ्द्घोर्षण ा क् सा
ही ्सा् ल् िा- लरू बिा
क व्यत्क्त पनाी जगह स् ्ि ि़ा
हनआ और कछनआ चा िें च ता हनआ ्स ओर आा् गा ा ल् िकर यह कहा जा सकता ा िक वह कई िलाों स् बीिार च भी कष्ट हो रहा
्
् व् त्जाका वहाो रहाा आवश्यक
ा और व् जो पनाी आोिों स् इस िग -काज को ह् ाता हनआ ल् िाा चाहत्
तन्ियता क् सा
िाा स् िोटो
ा वह
क- क कलि ब़ी ही सावधााी क् सा
्सकी िशरय
चा
को
रहा होगा ्स् च ा् िें
आग् बढ़ा रहा
ा
औरत सब कनछ भू
सकती ह
्िका पनाा नह ा प्यार और नतियत को कलािन ाही
भू ती ईश्वर ा् भेंट वरून ्न्हें पनाी ओर स्
क प ग स् ज्ञाा्त्न्द्रय ल् रिी ह जो
ही ाजर िें सभािवत ितरों और पना् लश्न िाों को निहचाा ्सा् निहचााा् िें ततियाक भी भू
वा ा ्सका ही नतियत ह वह
ाही की
ी
्ती हैं
वह तका
क
ही नहचाा गई, आा्
ौट भी रहा ह तो नूर् नच्चीस बरस बाल
श्वह कस् आ धिका? ्स् िकसा् तियाित्रण -नत्र भ्जा? ्सक् यहाो आा् का क्या ्रयोजा ह? ्सकी िहम्ित कस् हनई यहाो आा् की? क्या वह यहाो आकर कोई बि़्ा तो ि़ा कराा ाही चाहता श्?श् सक़ों ्रश्ा ्सक् ज्हा िें िा ्िा , यहाो-वहाो लो ा् ग् ् सभािवत ितरा ल् िकर त्जस तरह िहरण ी पना् िावकों को पनाी ओट िें चौकन्ाी दृत्ष्ट स् चारों िलिाओ का िनआयाा करा्
गती ह और पना्
्कर
म्ब् कााों को
ि़ा कर, आहटों को नक़ा् की कोमिि करती ह िीक ्सी तरह वह भी चौकस हो गई ी और सभािवत ितर् स् बचा् क् म
गहराई स् सोचा्
गी
श््सका इस तरह पचााक ्रकट हो जााा, ा तो ्सक् म
बच्ची क् म
ी िनभकारी ह और ा ही ्सकी
ा तो बहनत निह ् आता और ल् िता िक वह िकस तरह जी रही ी ्स् याल आया कचा पनाी तनत ाती जनबाा िें पना् िनता क् बार् िें नूछती ी ्सका इस तरह नछ ू ाा ्चचत भी
्स् आाा ही
ा
्स् पचधकार ह िक वह पना् िनता क् बार् िें जाा्
्रश्ा सा न त् ही वह ् हा क्
चरोधव्यह ू िें तियघर जाती सिह ाही ऩता, क्या जवाब ल् सच बताा्की ्सिें िहम्ित ाही ही हूि बो ा् का साहस ्सका िा न्ण्लन ि की तरह लो ायिाा होा्
वह िकस िनोह स् बताती िक त्रा बान िकसी तियछाा
कस् बताती िक त्र् बान क् िकता् पवध सबध
गता
क् सा
ी और ा
ा श्
भाग गया ह, वह यह
् वह यह भी कस् बताती िक त्र् बान को
जनआ-ो लारू का भी चका
ग गया
ा जााती
ी वह िक ्सक् कोि
िा नर इसका क्या
्रभाव ऩ्गा
कचा ्स सिय छोटी
जीवा भर क़व्-सच को
ी पक
की कच्ची
ी वह ाही चाहती
्कर पनाा जीवा धू -धूसशरत कर ल्
हनि ात् हन ्सा् पना् जवाब िें इताा भर कहा इताा ही कहाा, ्सक् म नयासप्त ा
सच को सिाई क् सा
ा- श्व् भगवाा क् घर च ् गय् हैं श्
तीर की तरह पक़कर च ा् वा ी ्सकी ल् ह , किाा बा गई
स् िलनिलनाता ्सका च्हरा तियात्ज हो गया
ी िक ्सकी ब्टी
ी लौ त की चिक
ा वह सिह गई पनाी ्न्िनक्तत, ल् ह और
रून क् ब ी नर जाल ू जगाा् वा ी औरतें ऐस् आलमियों को पना् जा
िें िोसा
्ती हैं व्
िीक ्स िक़ी की तरह होती हैं जो मिकार क् िोसत् ही ्न्हें नरू ी तरह स् चस ू जाती ह गन्ा् की तरह चूसा् क् बाल व् ्न्हें स़कों नर िेंक ल् ती ह इसक् सा
भी वही सब कनछ
हनआ होगा, तभी तो यह वािनस आा् और कन्यालाा क् बहाा् ननाुः ्रव्ि ्ाा चाहता ह वह ऐसी औरतों को हर हा िें लोर्षी भी ाही िााती ्सका पनाा ित ह िक यह कोई ाई-्रिरोधया ाही ह यह तो होता च ा आया ह ्स् तका तय करा् क् म
ूटा् वा ा और
नटाा् वा ों का ि्
पाािलका
स् पावरत
्स घटाा की भी याल हो आई जब पतियारूद्ध क् िनता, कचा का सबध ्सक् यहाो नधार्
कनछ बत ा ल् ाा चाहती
् वह पनाी ओर स् पनाी नष्ृ िभमू ि क् बार् िें सब
ी तो िवाम्रता स् ्न्होंा् ्सक् ्रताव को पिान्य करत् हन कहा ा- श्व् िकसी क् जातीय िाि ् िें हाोकाा ाही चाहत् और ा ही जात-नात को ही िाात्
हैं श् बातों को आग् बढ़ात् हन ्न्होंा् तो यह भी कहा ा िक वह रूनवाा-गनण वाा और सकाशरत ़की को पनाी ननत्र-वधन बाााा चाहत् हैं कचा मसिस पतियारूद्ध की ही ाही बत्क ्ाकी पनाी भी नसल ह, ििर लोाों वचा िलया
क सा
काि भी करत् हैं
ा िक व् कचा को िनता की किी िहसूस ाही होा् लें ग्
्न्होंा् यह भी
तियाण सय
्सका िलिाक इस सिय िीटर की गतियत स् घूि रहा ् म या
चाहती
ा
चल मिाटों िें ही ्सा्
ा िक वह इसक् बढ़त् कलिों को वही रोक ल् गी
वह कलािन भी ाही
ी िक वह यहाो आकर बि़्ा ि़ा कर् प वा ्सकी ्नत् तियत को
्कर कोई और
बि़्ा ि़ा हो श्नत्ण्लतजी... बस नाोच मिाट रूिकय् िैं पभी आई श्
कहत् हन वह त्ज चा राता तय कर नाया ा
बाहर
्सा् िजबूती क् सा
च त् हन
्सका हा
्स तक जा नहनोची पब तक वह क्व
नक़ा और
् आई
बाहर आत् ही वह सबिर ऩी- श्क्यों आ
गा
ा और
हो वस् ही
ौट जाओ कहाो
ी? पब िनह् तनम्हारी जरूरत ाही ह श्
वह इस सिय मसहाी की सी गरज रही धधका्
ावा, िदलों की िक्
वह ्स् िण्लन क्
हो ति न , हि िाो-ब्टी क् जीवा िें जहर घो ा्? िैं
तम् जस् आ न हारा िकसल कभी नरू ा ाही होा् लगी ू जब हिें तनम्हार् सहार् की जरूरत
गभग घसीटत् हन
आधा ही
् ्स सिय ति न ,
ी बरसों स् क ्ज् िें सनप्त ऩा ज्वा ािनिी
िें ढ कर बह तियाका ा
ा
किजोर होत् हन भी ्सा् ्सका हा हटक िलया ा और त्जी स् वह वािनस िऩा् को हनआ ्सा् भी नरू ी िजबत ू ी क् सा ्स् रोकत् हन ्सक् गा नर तीा-चार चाट् रसील कर िलय् िीक ्सी सिय
क पॅॉटो-शरक्िा नास स् गज न र रहा
ा ्सा् ्स् रोका
और पलर जबरा ि् त् हन पॅॉटो-चा क स् कहा श्इस् कही लरू जाकर ्तार ल् ाा श् ्सा् तका पॅॉटो-चा क क् हा िें नचास रूनय् का ाोट िा िलया ा पनाी गवी ी और सधी हनई चा
िें च त् हन
वह वािनस
ौटा्
गी
ी
वह सचिनच िें , नाोच मिाट क् भीतर
ौट आई
ी
पतीत और वतसिाा क् सिातर च त् हन ग ी-कूचों िें पिवाहों की तियततम याो ़् रही
ी ब्िौि कभी व् पिबारों क् नन्ाों
िें म नटकर तो कभी खि़की-लरवाजों की सनरािों िें स् ि ागकर घरों िें ्रव्ि ना जाती ी
तियािा इा सब बातों स् पाजाा
ी
वह ाही जााती
र्षलयत्र रच रहा ह वह तो यह भी ाही जााती आन िें व्यत
ी िक ्सक् खि ाि कौा
ी िक ्सका िकसल क्या ह? वह तो पना्
ी
पना् िें िोई हनई, लीा-लतियन ाया स् ब्िबर, िीरा की तरह, पतियारूद्ध क् ााि का इकतारा बजाती हनई पभी नन्द्रह िला नह ् ही तो वह गोवा की िरे न स् वािनस
सबतर स् जा
गी
ी
ौटी
ी और आत् ही
कॉ ्ज क् ्राचायस ा् ्सका ााि ्रनोज करत् हन , आल् ि नाशरत कर िल ् िक वह ़िकयों क् रहणनन की इचाजस होगी ़कों क् रहणनन का ्रतियततियाचधव पतियारूद्ध कर रहा ा ्स्
जब इस बात की जााकारी मि ी तो ्सा् सााा न य इस ्रताव क् िवरूद्ध पनाी पसहितियत लजस करा ली
ी
्सकी सोच क् केंद्र िें पतियारूद्ध
ा ्सक् ्रतियत बढ़ती आसत्क्त और बाल िें मि ा्
वा ी बलाािी क् लर स्, ्सा् वहाो जाा् स् िाा कर िलया क्सजससा िरे न
ा
ी वह कॉ ्ज की तरि स्
नूर् नन्द्रह िला की
पतियारूद्ध स् ्सकी नह ी िन ाकात ब़ी ही पजीबो-गरीब नशरत् तियतयों िें हनई ी वह िकसी पन्य कॉ ्ज स् ााातशरत होकर आया ा, जहाो वह वय सहायक ्राध्यानक ी कॉिारूि िें ्रव्ि करत् ही ्सकी ाजर पतियारूद्ध नर जा ऩी, वह वही िििककर ि़ी हो गई वह ्स सिय टॉि क् पन्य सलयों क् बीच तियघरा बिा बतियतया रहा मिचरत आश्चयस स् तियघा्
गी
ी श्कौा ह यह ावयव न क? ्सकी िक्
ा
्स् ल् ित् ही वह भय-
तो हू-ब-हू पजय स् मि ती-
जन ती ह, वही ााक-ाक्ि, वही तराि हनआ च्हरा, िरीर-िौष्िव, कल-कािी और बातें करा् का पलाज भी तो मि ता-जन ता ह ्सकी ाी ी-भरू ी आोिें और हो सा् का पलाज भी तो पजय स् मि ता ह श्
वतसिाा िें रहत् हन
वह पतीत की सीिढ़याो ्तरा्
ि. . ्रीिवयस की छात्रा
गी
ी
ी वह ्ा िलाों िाि क् यही कोई चार-साढ़् चार बज् रह्
होंग् यह वह सिय होता ह जब नशरवार क् सार् सलय
क सा
बिकर चाय नीत् हैं वह
िकचा िें चाय बााा् िें व्यत चाय और बढ़ा ल् ा् को कहा हटकत् हन पलाजा िाो यह भी कह गई
ी तभी िाो ा् किर् िें ्रव्ि करत् हन ्सस् तीा प्या ी ्सा् सनाा-पासनाा करत् हन ानरवाही स् पनाी गलस ा को
गाया िक नाना क् लोत-वोत आ धिक् होंग् िकचा स् ी िक चाय क् सा
कनछ िारा-िीिा और सबकनटें भी
ौटत् सिय
्ती आ
क ब़ा-सा रे ् हा
वह बिक-कक्ष िें नहनोची वहाो नाना क् लोत ाही ्... कोई पन्य भद्र-ननरूर्ष बि् िलि ाई िलय् वह सिह गई आा् वा ् तियात्श्चत ही ्स् ल् िा् आ
होंग्
िें ्िा
्सा् सहज ही पलाज
गाया
ा तभी नाना क् कह् िदल याल हो आ
श्जब
तक त्री नढ़ाई नरू ी ाही हो जाती, हि िाली की बात ाही करें ग् श् नाना का वचा याल आत् ही वह आश्वत हो च ी
ी
ाजलीक नहनोची ही ी िक नाना ा् गभग चहकत् हन कहा श्य् रही हिारी सबिटया तियािा...और तियािा.... य् हैं मिटर पजय... कॉ ्ज िें सहायक ्राध्यानक हैं और य् इाक् िाता-िनता ्गम याो ाचात् हन
्न्होंा् सभी का नशरचय करवा िलया
रे ् पब भी हा
िें ही
ा
पमभवाला िकया रे ् को स्न्टर ट् सब
पब
्बर ा सकी
ल् ॅ्ा्
्सा् मिष्टाचारवि पनाी गलस ा को हनकाकर सभी का नर रित् हन
वह िाो क् करीब सटकर बि गई
ी
चाय की प्या ी बढ़ात् हन ्सा् पजय को ल् िा, तो बस ल् ित् ही रह गई ी वह क पजीब िकि की ब्चाी िें तियघरा् गी ी िल जोरों स् ध़का् गा ा साोसें
ब्काबू हो गई
चाह् गी
ा श्
ी
ी
पजय की ाी ी-भूरी आोिों क् सिन्लर िें, जो
क बार लूबी तो ििर
बात नक्की हो, इसस् नूवस ही ्सा् पनाा ितव्य कह सनााया िक वह आग् भी नढ़ाा पजय की वीकृतियत की िनहर
गा
ा
और इस तरह वह पजय क् सा
ग जाा् क् बाल, वह ्स् और भी सन् न लर िलिाई
िाली क् बधा िें बॅधकर ससनरा
िाो-बाबूजी का आिीवासल और पजय का प्यार नाकर वह तियाहा
सनाहर् और रात ितवा ी हो ्िी ्सिें सराबोर भी हो रही
ी
ी
चारों तरि िनमियों क् बाल
च ी आई हो गई
बरस रह्
ी
ी िला
् और वह
नर
नर य् िनमियाो ज्याला िला तक ाही िटक नाई तियायतियत क् रोधूर हा ों ा्, ्सक् िा ्
ग् मसलरू को ब़ी ही ब्रहिी क् सा
ी िू ों की स्ज, काोटों िें बल ा और वह
गई
नोंछ ला ा
ी ्सक् सनाों का रग-िह
क ििासन्तक नी़ा क् लौर स् गनजरा्
िाो और बाबूजी का बनरा हा
गि ा् ्न्हें नग ा सा िलया
ा वह सधवा स् िवधवा बाा ली गई
गी
ी
ा व् िवक्षक्षप्त स् रहा्
ग्
धस ू र-कोटी ा हो गया
् पना् इक ौत् ब्ट् क्
ा ्ाका होसता-ि् ता आमियााा जस् ज कर िाक हो गया
ा पिहया की सी बत न बाी तियािा ा् पनाी नीि नर हका सा निस नाकर नीछ्
न टकर ल् िा वहाो कोई और ाही, बाबज ू ी ि़् को ल् िकर वह भय क् िार् काोना्
सा
गी
् ्ाकी िन् ू य िें हाोकती तियात्ज तियागाहों
ी और पब िबक कर रो ही ऩी
ल् र तक चनप्नी ओढ़् रहा् क् बाल ्न्होंा् पनाा िौा तो़ा िदल जस् लुःन ि क् कीच़ िें सा्
श्ब्टा... पजय जहाो तनम्हारा नतियत
हिें भी ह
लुःन ि आखिर लुःन ि ही होता ह
ा ब़ी ही सजीलगी क्
् और बो त् सिय ्ाकी जनबाा
ा, वही वह हिारा ब्टा भी
ी
़ि़ा रही
ी
ा त्जताा लुःन ि तनम्हें ह, ्ताा
वह ा तो ब़ा होता ह और ा छोटा
वह तो आलिी क्
कितर प वा तीव्रतर पानभव प वा आघात क् आधार नर छोटा-ब़ा हो सकता ह ििर जाा् वा ् क्
नीछ् जाया भी तो ाही जा सकता ा तो कभी कोई गया ह और ा ही यह सभव ह सभी को पनाीपनाी ्िर की िस
यही काटाी होती ह श्
ि्रा इिारा ्स आा् वा ् क
की तरि ह, जहाो हिें या तो िर-िर क् जीाा ह
प वा जीत्-जी िर जााा ह आा् वा ा क
सनिभरा हो... बस ि्री यही कािाा ह ि्रा
क्या ह... बनहता हनआ चचराग हूो ाही जााता... ि्र् लीय् िें िकताा त् बाकी बचा ह आज ाही तो क बनह ही जा्गा तम् न हें पभी जीाा ह, ििर तनम्हारी पभी ्िर ही िकताी ह
िैं ाही जााता, तनि पनाी बात कहकर भू
भी याल ह
तनिा् कहा
ि्री िााो तो क
चनकी हो प वा ाही
ा िक तनि िाली क् बाल भी नढ़ाा चाहती
स् ही कॉ ्ज ज्वाईा करो
ी
्िका िनह् पब
याल आया? तनि
ि. . करो और नरीक्षा की तयारी िें जट न
जाओ तम् न हें ्स िा ी जगह को भराा ह, त्जस् पजय छो़ गया ह
बाबूजी की बातें सनाकर वह हत्रभ भी इसव ्म्र िें भी इताा जोि और जोि वा ी
बातें और भिवष्य िें हाोक सका् वा ी लरू -दृत्ष्ट ल् िकर ्सा् भी पनाी िहम्ित की ढहती लीवारों की िरम्ित कराी िनरू कर ली
ी और इस तरह वह
पना्-आनको नाकर वह गलगल हो ्िी
ी
्सी कॉ ्ज िें च ी आई
ी, जहाो पजय
ा
क सहायक ्राध्यानक बाकर
पजय क् द्वारा िा ी िक
ग
जगह िें
लो मितियाट स् भी कि सिय िें ्सा् पना् पतीत क् गहर् सिन्लर को िगा
ला ा
ा वह और ा जाा् िकताी ही ल् र यूो ही ि़ी रहती, पगर ्स् पनाी सहकिी ि्लि नॉ
ा् हकहोर कर बाहर ा तियाका ा हो त्ष्ािाजी... आज बाहर ही ि़् रहा् का इराला ह क्या?ष् पलर ाही च ेंगी?
पना् पतीत की लतियन ाया को नीछ् छो़त् हन वह बाहर तो आ गई ी ि् का पब भी सािान्य ाही हो नाई ी िल नूवव स त ही जोरों स् ध़क रहा ा और साोसें िू ी हनई ी वह जस्-तस् पना्-आनको ्स किर् िें ि् नाई ी औनचाशरक नशरचय क् बावजल ू वह ्सस् मि ा् प वा बात करा् स् पना्- आनको
बचाती रही
ी वह त्जताा भी बचा् का ्रयास करती, वह ्ताा ही नास आता च ा गया
ा वतसिाा और पतीत क् सिान्तर च त् हन ही नाती ी
वह पना्-आनको पसहजता की त् तियत िें
्राचायस क् आल् ि नाा् क् बाल क् लो िलाों तक वह सो ा सकी टह त् ्स्
क ही ्या
ी
्ित् -बित्-
आ घ्रता, वह कस् जा सक्गी? ्स् जााा ही ाही चािह
नरू ्
नन्द्रह िला तक पजय का और ्सका सा
रह् गा वाभािवक ह... बातें भी कराी ऩ्गी
सिय-सिय नर स ाह-िििवर् भी करा् ऩेंग् प वा ल् ा् ऩेंग् वह पना्-आनको कब तक बचाती ििर् गी क्या वह पतियारूद्ध स् यह कह ना गी िक ्सकी सरू त, ्सक् पजय स् हू-बहू मि ती ह और वह ्सिें पना् नतियत पजय की छसब को ही नाती ह कस् कह सक्गी वह? ििर
क िवधवा को आज का रोधूर और लिकयााूसी सिाज, यह सब कस् करा् ल् गा?
तरह-तरह की बातें बााई जाा् हरकतें कर बिी तो भ ा वह
ग्गी
सभव ह िक सहज होत् हन भी कोई ऐसी-वसी ़िकयों की ाजरों स् पना् को कस् बचा ना गी? व् कध्
्चका-्चका कर यहाो-वहाो कहती ििर् गी िक ्चचत ह
्सकी बलाािी तो होगी ही, सा
वह िकस-िकस क् िनोह नर ढक्का
क िवधवा को यह सब कहाो कराा कहाो तक िें बाबूजी का मसर भी ििस स् हनक जा गा
गाती ििर् गी
ढ् रों सार् ्रश्ाों का जवाब ल् त्-ल् ॅ्त् वह म या
क सी गई
ा िक वह िरे न िें जाा् स् िाा ही कर ल् गी
ी
पत िें ्सा् तियाण सय
्
बाबूजी को जब इस बात का नता
्राचायस िहोलय स् मि ा तो व् िनर्ष ाही हन ् ्ाकी िान्यता ी िक ्रकृतियत का सग पच्छ् स् पच्छ् ज्िों को भी भर ल् ता ह सिहाईर्ष ल् त् हन ्न्होंा् यह भी कहा ा िक व् पना् िवचार ्स नर
ाल ाही रह् हैं बत्क स ाह ल् रह् हैं िक चारलीवारी क् भीतर घनट-
घनटकर जीा् क् बजाय, ्रकृतियत की गोल िें जााा चािह , जहाो हर चीज िन ी होती ह जहाो खि़की-लरवाज् ाही होत्, वहाो ही ईष्वर का वरलाा बरसता ह बाबज ू ी क् िवचार िकसी तनोतियाष्ट साधन नरू न र्ष क् जस्
भरा सम्िोहा तो जाती
ी
ा ही, सा
ही
क िलव्य-दृत्ष्ट भी
्, ्ाक्
क- क िदल िें जाल ू
ी, जो पध्र् को भ्लकर लरू तक
्रयक्ष प वा प्रयक्ष रून स् वह बाबूजी क् आल् ि को टा
ाही सकी
ी ्ाकी
आज्ञा को मिरोधायस करत् हन वह वहाो जाा् की तयारी करा् गी ी औरगाबाल, ननण ्, ाामसक और िनबई होत् हन िरे न गोवा नहनोची ी कॉ ्ज की ओर स् ्रायोत्जत यह क्सकससा िरे न नूर् नन्द्रह िलाों की ी
गोवा की हसीा वािलयों िें कलि रित् ही वह ननाुः पजय की यालों िें िोा्
ी वह जहाो भी जाती, पजय की यालें ्सका बराबर नीछा करती रही
वह भू
पनाी िाली क् बाल हाीिूा िााा् वह गोवा ही तो आई भी कस् सकती
ी ्सा् िा ही िा तियाण सय
स् ऐसा कनछ ाही होा् ल् गी जो बलाािी का कारण बा् का इन्जॉय करा्
गी
ी
गी
ी ्ा यालगार न ों को
् म या
ा िक पब वह पनाी ओर
इस तियाण सय क् सा
ही वह िरे न
ी
पजय क् व्यत्क्तव की वह िनरू स् ही काय
रही ह,
्िका वतसिाा िें सा -सा
रहत् हन ्सा् ्सक् पलर तियछन् पन्य िवमिष्ट गण न ों को भी जाोच-नरि म या ा पजय क् व्यवहार िें कही भी बाावटीना ाही ा ्सक् ासचगसक गण न ों क् कारण ही तो वह क जगिगात् हीर् की तरह होा्
गा
ा
ा
लशू रयाो पब ाजलीिकयों िें बल ा्
िाि का सिय हो च ा
ा
्
क ब़ा सा मसलरू ी गो ा, आसिाा और सिद्र न क् िध्य गी
ी और सिद्र न की ्द्याि ा
मसलरू ी गो ा आिहता-आिहता ाीच् की ओर ्तरा्
सिनद्र का नााी मसलरू ी रग िें बल
गया
टक रहा
हरें िकाारों स् आकर टकराा्
नक्षक्षयों का हण् न ल आसिाा िें पना् करतब िलि ा रह् वातावरण सगीतिय हो ्िा
ी और िौा, िनिर
सभी छात्र-छात्रा ो नहा़ी की चोटी नर बि् सनयासत का
िल चन और पद्भनत ाजारा ल् ि रह्
च ा्
गी
ा
्
ा हवा ॅ त्ज गी
ी
सिनद्री
्ाकी चहचहाटों स् सिच ू ा
गा
ा सिूच् आसिाा और
इस पाननि और पद्भनत ाजार् को ल् ित् हन तियािा, ननाुः पजय की यालों िें तियघरा् गी ी ्स् ऐसा िहसूस हनआ िक पजय ्सस् सटकर बिा ह और ्सकी िविा बाहें
्सकी किर क् इलस -चगलस
ताओ की सी म नटी हनई हैं
पजय तो िर पब इस लतियन ाया िें ाही
हाोक रहा कर रही
ी
ा
ा,
्िका यालों क् हरोिों स् वह पब भी
्सकी तियाकटता स् ्नन्ा तान और निस की ्ष्िा, वह पब भी िहसूस
ल् ित् ही ल् ित् वह सनाहरा गो ा सिनद्र िें नूरी तरह ्तर चनका
सनरिई पोचधयारा तियघरा्
गा
ा और पब वह गहराा् भी
गा
ा
ा
चारों तरि
पना् वतसिाा िें
ौटत् हन वह वािनस ौट जाा् क् म ्ि ि़ी हनई ी नरू ् पना् कलिों को आग् बढ़ात् वह नहा़ी ्तरा् गी ी सारी
इिीााा क् सा
सावधातियायों क् बावजूल ्सका नर बनरी तरह स् ििस ा और वह चगरी ी
ी ्सक् घनटा्, ह ्म याो ज्िी हो ग
पतियारूद्ध ्सस् कनछ िास ा बााकर च
सा न कर वह नास आ गया और िलल क् म
् और बाो
रहा
क चीि क् सा
ाीच् जा
नर की हली सभवतुः चटक गई
ा
्स् चगरा हनआ ल् ि और आवाज छात्र-छात्राओ को आवाज ल् ा् गा ा ्िका
नास िें कोई भी ाही म
ा िायल ्सकी आवाज ्ा तक ाही नहनोची ी ्स् िलल ल् ा् क् पब वय आग् बढ़ा् क् प ावा कोई चारा भी ाही ा ्सा् ्स् पनाी बाहों िें
भरकर ्िा म या और पब वह धीर् -धीर् नहा़ी ्तरा्
गा
ा
िकसी नर-ननरूर्ष क् सािीप्य का वह नह ी बार पानभव कर रही
पना् चरि नर तका
ा बावजूल इसक् वह
ही ्स् हॉत्नट
ी
ललस का स ाब
क तियावसचाीय सनि का भी पानभव कर रही
् जाया गया
ा
ी
सारी जाोच क् बाल लॉक्टर ा् नर िें िक्चर होाा बताया प् ाटर ्सकी टाोग नर चढ़ा िलया गया
ा और पब
ा
िरे न का सारा िजा ही इस लघ स ाा क् बाल िकरिकरा हो गया न ट
सिाना की घोर्षण ा क् सा
क ब़ा-सा
ही छात्र-छात्रा ो वािनस
ा
क िला नव ू स ही
ौटा् की तयारी करा्
ग्
्
्लासी की चालर ओढ़् पतियारूद्ध, पना् किर् िें बिा तियािा क् बार् िें ही सोच रहा लरपस
आज वह पना् िा की गाोि ्स नर ्जागर कर ल् ाा चाहता
कर भी कनछ बो
ाही नाया
स् वह बाहर भी ाही आ नाया
ी, ्वसिी ्सा् हीा् कऩ् नहा रि् ा
ी
आा् वा ा कोई छात्र ाही बत्क
गा
ी
वह सला
पना् कॉ ्ज ज्वाइा करा् क् िलाों स् वह भी ्स् जााा्
ा
पलर आत् ही वह बन बन
क
् नारलिी कऩों क् भीतर स् ्सका गलराया
्वसिी को भ ा कौा ाही जााता पनाी धीगा-िती और िन ्ना क् म
ही सखन िसयों िें बाी रहती
ी िक कोई
्कर ्सक् नास आया होगा
्सकी आोिें िटी की िटी ही रह गई यौवा हाोक रहा
ा िक लरवाज् नर हकी-सी
ानरवाही स् ्स् पलर आा् को कहा ्सकी पनाी सोच
छात्र पनाी सिया को
छात्रा
्िका वह चाह
ा
पना् िवचारों की िो
लतक सा न कर ्सा्
ा
ा
की सी चहका्
श्हाय हण्लसि... िकस गि िें लूब् हन
गी
ी
हो?श्
श्ओह ति न ... क्यों आई हो इस सिय... और वह भी इताी रात ग
?श्
श्क्या करती सर् ॅॅ ् ् ... िल
िाा ही ाही रहा
ा... सो च ी आईश्
्सकी ब्ििी-भरी बातों को सनाकर ्स् रोधोध हो आया
ज ी
कर् और तका
बाहर तियाक
जाा् की कह ल् ,
स् कोई भी बात तियाका ा् क् निह ् वह ्स बात को तौ िो
नाता
ा
यह ्सकी पनाी आलत
लाोव ्टा भी ऩ सकता ह
ऐसी
ा िा िें आया िक ्स् िूब
्िका वह कह ाही नाया म या करता
ी, वह सोचा्
गा
ा िनोह
ा, तब पनाा िोनह
ा िक ऐसा करा् स् कही
़िकयाो पक्सर पना् बचाव को
्कर तरह-तरह क्
लाोव-नेंचों को तियाधासशरत करा् िें िािहर होती हैं व् जााती हैं, कब-कहाो-कौा सा लाोव चािह
गााा
यिल वह ्ट् ्सी नर इजाि िढ़ ल् गी तो वह कहाो-कहाो पनाी सिाई ल् ता
ििर् गा
बातों को गम्भीरता स् सोचत् हन ्सा् तियाण सय म या िक इस िूबसूरत ब ा को, यहाो स् िकसी तरह टा ल् ा् िें ही भ ाई ह ्सा् ब़ी ही पजीजी क् सा
कहा-श्ल् खि
जो भी बातें आन कहाा चाहती हैं... ्स् क ि्र् हा
नर छो़ लीत्ज
िलि... इस सिय िें कािी डलटबस हूो... क् िला िें भी कही जा सकती ह कृनया िह न ्
और आन यहाो स् तिरीि
् जाा् की कृना करें श्
पनाी िालक पलाओ को सबि्रती और गो -गो
जी... िैं आई तो आनक् सा , जा्गी...
आोिें ाचात् हन ्सा् कहा- श्सर ी ही इस इराल् स् िक आज की रात इसी किर् िें सबता्गी... वह भी
्िका... जाा्िा... जाा् की कह रह् हैं
्िका ि्री भी तो कनछ सना
ीत्ज
क्यों
िैं च ी जा्गी... ब्िक च ी
टटू हो रह् हैं आन तियािा ि्लि नर ?
क्या रिा ह, िास ्सिें , जो हििें ाही ह मसर स् नाोव तक भरा त्जि ाान भी 34-24-34 का ह ाान कर ल् ि ्नर का टॉन ्तारकर िेंक िलया
ीत्ज
ा किर स् ्नर का ध़,
कलि ििट... िूबसूरती स्
श् इताा कहत् ही ्सा् पना्
्सकी इस तिया ज् स ज हरकतों को ल् िकर वह लग रह गया
कलि ागा
ा, िववत्र
ा सच ही सोचा
िक वह िकसी भी नायलाा नर ्तर सकती ह ्सकी न्िााी नर नसीाा छूा्
गा
ा ्सा् ा िल
क पजीब सी जक़ा िें कसा् ही ब्सब्री स् इतजार करा्
गा
गा
ा
्वसिी िायल पनाा होि िो बिी ाचात् हन
ा वह कब यहाो स् बाहर जाती ह, वह इसकी ब़ी
ी ्सका नूरा िरीर ्त्जाा िें काॅन-सा रहा
्सा् कहा- श्ल् िा आना्, िैंा् कहा
ा
आोिें
ा ा! तियािाजी स् बीसा ही ऩूोगी श्
िैं
क खि ा हनआ िू हूो, त्जसिें चटक रग ह... िनिबू ह... िकरल ह... पनाी िोखियाो भी ह, वह आनको क कलि आग् बढ़कर िन ा तियाित्रण ल् रहा ह और आन हैं िक बासी िू
नर िलरा रह् हैं कस् भोवर् हैं आनष्
िायल आन ाही जाात्
आनको यह बतााा भी जरूरी ह िक वह
क जूिा ह...
्तरा हनआ कऩा ह सिह रह् हैं ा आन... ि्र् कहा् का ित ब ह िक वह िकसी की िवधवा ह िनह् आनकी सोच नर पिसोस ही ाही हो रहा ह, बत्क तरस भी आ रहा ह िैं जा रही हूो हाो िैं जा रही हूो, ्िका ि्री बात काा िो कर सा न ााि ्वसिी ह ्वसिी क् रून-सपलयस क् सािा् जब िवश्वामित्र भी ाही िटक ना कहाो
गत् हैं? ्वसिी जब कोई चीज िाा
ीत्ज , ि्रा ् तो आन
्ती ह त्ा करक् भी बताती ह ्सका िा त्जस
चीज नर भी आ जाता ह, वह ्स् ्राप्त करक् ही लि
्ती ह जब ि्रा िल
आन नर आ
ही गया ह त्ा आनको नाकर ही रहूोगी... बाई हनक या रोधनक... सिह् आन? िकसी ा् कहा ह िक प्यार िें जोर-जबरलती ाही की जाती िैं आनको पना् राह नर ् ही आ्गी क िला ष् कहत् हन तियाक गई
्सा् जिीा नर ऩ् टॉन को ्िाया, नहाा और जूतियतयाो िटिटाती बाहर
लरवाजा ध़ाि स् बल हो गया
ा
्स िब ू सरू त ब ा को वह गनस् िें जाता ल् िता रहा लरवाज् की ध़ाि सी आवाज सनात् ही
्सका िल
भी जोरों स् ध़का्
गा
ा वह सोचा्
गा
ा- श््वसिी जात्-जात् ्स् िन ी धिकी ल्
गई ह
गरन ासहट स् साि ह कता ह िक वह चा स् ाही बि् गी वह कोई भी हरकत कर सकती ह
बल ा
्ा् क् म
आा् वा ् िला ् हाों स् भर् मि ें ग्... यह तय ह ्स सिय तक घात
गा
क घाय
ााचगा और
क पतप्ृ त-आिा पनाा
बि् रहत् हैं, जब तक व् पनाा बल ा ाही भजा
्त्
्स् पब हर कलि नर सावधााी बरताी होगी श्
वह यह भी सोचा् भ ् ही
गा
ा- श्कसी ाालाा व ब्वकूि
क सम्नूण स औरत क् त्जि िें ढ
गया ह
पक
स् भी कच्ची
गई ह,
़की ह ्वसिी िरीर स् वह
्िका ्सका बचनाा पभी भी ाही
गती ह... वह यह ाही जााती िक िल
कोई ऐसी-वसी
िा तू चीज तो ाही िक जब िा िें आया, िकसी को भी ्िाकर ल् िलया वह क्या जाा् िल
्छा
और िल
की भार्षा श्
ानरवाही स् मसर हटकत् हन
जाा् को वह च ी तो गई गई
ी
्िका
ी ्सका िा भी िकसी ही
हरें , तट नर आकर टकराा्
गी
क िात ही
वािनस
ा
ाला जाा्
ही तियािा सबतर नर जा टगी
वह ा तो च -ििर ही सकती
तिकया का सहारा
क ब़ा-सा न र जरूर ा िवचारों की पस्य
गा
ा
ी
ी और ा ही कोई काि ही कर सकती
ा
ी कभी वह
्कर बिी रहती प वा िग्जीा क् नन्ा् न टती रहती या ििर पनाी
आोिें बलकर पनाी न कों िें िीि् हसीा सनाों को सजाती रहती सिय कट रहा
ा
ी
ही सािाा गाड़यों नर
ौटा् क् सा
िें वह
की तरह पिात हो ्िा
नूरी रात वह चा की ाील ाही सो नाया
सनबह होा् क् सा
्सा् पना् आन स् कहा
ा िक काट् ाही
वह इा बातों स् सवस ा पामभज्ञ ाही जााती
ी िक बाहर कहाो, क्या हो रहा ह वह तो यह भी
ी िक कौा ्सक् खि ाि िवर्ष-विा कर रहा ह सोत्-जागत्-्ित्-बित् वह
पतियारूद्ध क् बार् िें ही सोचती रहती
ी
्सकी आोिों क् सािा् गोवा की हसीा वािलयाो , ्ो ची-ाीची नहाड़याो,
ह हाता
सिनद्र तरत् रहत् और ्ा सबक् बीच होता पतियारूद्ध पतियारूद्ध को नाकर ्सक् िल तरि वसत का सा िाहौ ा ्स् तो ऐसा भी
गा्
छाा्
गा
गा
की िनरहाई कम याो ििर स् िनकनराा्
गी
ी चारों
ा िरीर का रोि-रोि मसतार की तरह हकृत हो रहा
ा जस् वह िकसी नरी ोक िें च ी आई ह
िीि् -हसीा सनाों को ल् िती हनई वह सो रही ी िक पचााक ललस का क स ाब आया और ्सक् सार् सनाों को बहाकर ् गया क तीि् ललस क् पहसास ा् ्स् रोा् नर िजबूर कर िलया
ा
ललस स् तियाजात नाा् क् म
्सा् मसरहाा् ऩ् लवा का रनर ्िाया,
तियाका ी, जीभ नर रिी और नााी क् घूट ो क् सा ललस पब भी नरू ी रितार क् सा ो़ी ल् र बाल ्स् राहत मि ा् ्स् इस ्या
ा्
ही ्स् ह क क् ाीच् ्तार म या
चच क रहा गी
ा
ी वह ननाुः पना् िया ों िें िोा्
गभग चपका ही िलया
क गो ी
गी
ा िक वह क्यों पतियारूद्ध को चाहा्
ी गी
ह? क्या ्स् ऐसा करा् का पचधकार ह? क्या आज का लिकयााूसी सिाज ्स् ऐसा करा् की इजाजत ल् गा? वह कभी िकसी की पिाात रही ह, ्स् वह पनाा िल भी सपन चनकी को जगह ली
ी क्या वह ्सक् ्रतियत िवश्वासघात ाही होगा? त्जस िल
ी, पब क्या वह ्स् तियाका
की क्या िरीर
िें ्सा् पजय
बाहर िेंक्गी और पतियारूद्ध को बसा् की जगह
ल् गी क्या वह इताी आसााी स् ्स् भू
ना गी? पजय को
आसाा ाही ह
यह िीक ह िक ्सक् िा िें पतियारूद्ध को
ह वह ्स् चाहा्
गी ह वह मसिस
तरह का प्यार नान रहा ह?
कलि स् भन ा नााा ्ताा
्कर
क प्यार का नौधा पकनशरत हनआ क-तरिा प्यार ह क्या पतियारूद्ध क् िा िें भी इसी
क्या वह भी ्स् चाहा्
गा ह? ि्र् पना् बार् िें सब कनछ
जाात्-बूहत् हन वह क्या ऐसा कर नाय्गा? ्सा् पनाी ओर स् कभी भी इस बात को ्जागर ाही िकया ह यह टीक ह िक वह रोज़ ्स् ल् िा् आता ह इसका आिय तो यह कलािन ाही
गाया जा सकता िक वह क्व
प्यार जताा् ही आ रहा ह
क् ाात् भी तो वह आ सकता ह
्रश्ाों क् चरोधव्यूह िें वह बरन ी तरह िोस गई
बार् िें कनछ भी ाही जााती
ाौका को सिय क् बहाव क् सा
सब कनछ बहाकर
ग्गी प वा ्द्याि
सिनद्र क् गभस िें सिा जा गी
्सा् पना् जीवा की ा
वह यह ाही
हरों क्
ऩ्ों िें चूर-
्र्ि-प्यार-सिनसण जस् िदलों को ब ा -ताक नर रित् हन , वह ्स घ़ी का इतजार गी ी, जो भिवष्य की ििन टियों िें कल ी ्वसिी चनन बिा् वा ों िें स् ाही
वह इस ्ध़्बना िें
गी रही
ह कण्ल् पनााा् क् सा ी
् जाता ह
िन ा छो़ ल् ा् का िाास बाा म या
जााती िक ्सकी ााव िकस घाट नर जाकर
करा्
जाा् क् रातों क्
ी
सिय का बहाव पना् सा
चूर होकर, सला-सला क् म
ी और बाहर तियाक
क सहकिी होा्
ी वह चनन बिी ही कहाो
ी
आा् क् सा
ी िक वह िकस तरह स् पतियारूद्ध को ना सकती
ी
ही सार्
ही वह ्न्हें सिाज िें बलााि करा् की भी योजाा बाा चनकी
िबरों को सासाीि्ज बाात् हन वह ्स् कागजों नर ्तारती और पिबारों क् नन्ाों क् बीच रिवाकर ्न्हें घरों-घर नहनोचवाा् गी प वा खि़की-लरवाजों की सनरािों स् पलर ल वा ल् ती
िरू न -िरू न िें
ोगों ा् ्स् िहज
क
ल का नज न ास सिहकर रद्ली की
टोकशरयों क् हवा ् कर िलया तो कभी ्स् यूो ही िा़कर िेंक िलया िबरें
ोगों की जनबाा नर चढ़कर बो ा्
गी
बद्रीिविा
क् िविा
ोगों की िहम्ित ्ाक् सािा् िनोह िो ा् की तो ाही हनई, चचास ो आि हो गई ी पना् मििा को पसि
बावजूल ्सा् िहम्ित ाही हारी
व्यत्क्तव क् च त्
्िका लोाों क् ्र्ि-्रसगों की
होता ल् ि वह रोधोध िें भरा् ी
ििर पचााक ही य्
गी
ी
पसि
पब वह कॉ ्ज नशरसर िें ही ा -ा
होा् क्
ह कण्ल्
पनााती और पतियारूद्ध को शरहाा् की कोमिि करती पतियारूद्ध भी कि होमियार ाही वह ्सकी हर चा
नाता
को मिकत ल् ता च ता
ा
पतियारूद्ध तियािा स् मि ा् और हा -चा
जााा् क् म
ा हाो, िाि को वह कॉ ्ज स् छूटत् ही वहाो जा नहनोचता
ा
ा
सनबह सिय ाही तियाका
आा् क् सा
ही वह सीधा बाबूजी क् किर् िें जा नहनोचता ा तियािा क् हा -चा नूछता, ििर यहाो-वहाो की बातें करता हनआ, वह वािनस हो ्ता ा ्सा् कभी-भी भू कर सीध् तियािा क् किर् िें जाा् की जहित ाही ्िाई सजगता और कनि -व्यवहार स् सभी का िल
जीत म या
का वरून ल् िकर ्स् नत्र न वत ा्ह भी करा् सराहाा करत् ाही
कती
ी
लो िाह बाल वह नूण त स ुः व
ििर भी सकती
ी
हो गई
ी
ग्
्
्सकी पनाी िा ीाता, आिा बाबज ू ी भी ्सिें पना् ब्ि्
तियािा भी ्सक् कतसव्यबोध की
ी हडलयाो जनलृ गई
ी और पब वह च -
कॉ ्ज जाा् क् म िकया लरपस ह
हा
पनाी गा़ी ा तियाका त् हन ्सा् नल ही जाा् का तियाश्चय वह यह ल् िाा चाहती ी िक कही कोई कोर-कसर बाकी तो ाही रह गई
िें िकताबों को ्िा
िक इस बीच नूरी लतियन ाया ही बल
वह कॉ ्ज की ओर बढ़ रही
गा
गई ह
्स् ल् ित् ही औरतों और ननरूर्षों की भी़ इकटिी होा्
िनसनर भी करत् जा रह्
ी बाहर आत् ही ्स्
गी
्
ी व् आनस िें िनसनर-
्न्हें ऐसा करता हनआ ल् ि, वह पसहज होा् आश्चयस इस बात नर हो रहा ा िक नूवस िें ऐसा कभी ाही हनआ ा
गी
ी
्स्
जब वह पना् क् ास-रूि िें नहनोची तो द क-बोलस नर पनाी और पतियारूद्ध की तवीरें बाी ल् िकर वह सन्ा रह गई ी किर् िें सन्ााटा नरू ी तरह स् नसरा हनआ ा छात्रछात्रा ो टकटकी
्वसिी
गा
्सक् च्हर् नर ऩा् वा ् ्रभावों को नढ़ा् की कोमिि कर रह्
वह सिह गई ्स् सिहा् िें ज्याला ल् र भी ाही ी
वह जााती
ी िक वह कनछ भी कर सकती ह
ऐसी-वसी हरकतें कर चनकी ी,
ी
्िका तब वह िाहौ
्िका नााी पब सर नर स् ्ो चा बहा् वह यह भी जााती
ी िक इस सिय
गा
ा
गी
्
ी ्सक् सोच क् केंद्र िें
गोवा की िरे न िें भी वह यह
को ग़ब़ होता ाही ल् िाा चाहती
ो़ा-सा भी आरोधोि िलिाा् स् िाि ा िटाई
िें ऩ सकता ह सभव ह िक वह बाजी भी हार जा
और
ोगों क् बीच तिािा बाकर रह
जा पना् धयस और सयि को बचा
रित् हन ्सा् पना् ओिों नर क िवत्ित भर् हाय को सबि्रा, जस् कनछ हनआ ही ा हो ्सा् लटर ्िाया और बोलस साि करत् हन ्सी तन्ियता स् नढ़ाा् गी, जस् वह नह ् भी नढ़ाती आई ी
पनाा िनरीयल नूरा करा् क् बाल ्सा् ्वसिी स् िनिातियतब होकर कहा िक वह ्सस्
प ग स् बात कराा चाहती ह,
कात िें
्स् पब ्वसिी का इतजार इतजार कर रही
ा
क ऩ् क् ाीच् ि़् रहकर वह ्सक् आा् का
ी
्वसिी को आता ल् ि ्सा् सतोर्ष स् गहरी साोसें बढ़ा्
क्यों
गी
ी और पब वह ्सक् सा
आग्
ी
राता च त् ्सा् िौा ओढ़ रिा ् जााा चाहती ह
ा ्वसिी हत्रभ
ी िक िक ि्लि ्स् कहाो और
राता कट गया और कब घर आ गया, नता ही ाही च
कनछ बो ् ्सक् नीछ् -नीछ् यत्रवत च ती रही पना् किर् िें ्रव्ि करा् क् सा
जहाो पजय की तवीर िदलों का इत्िा
टक रही
करत् हन
ी
नाया
ही तियािा ा् पनाी तजसाी ्िाकर ्स ओर इिारा िकया
ी और ्स नर
क िा ा भी
टक रही
कहा- श्य् ि्र् वगसवासी नतियत पजय की िोटो ह श्
्वसिी की ाजरें चकराा्
गी
्वसिी भी सबाा
ी वह सोचा्
गी
ी
्सा् कि स् कि
ी...पर् ... इसकी सरू त तो हू-बहू पतियारूद्ध स् मि ती ह ऐस् कस् हो सकता ह? ्सा् पना् आन स् कहा ा
तीसरी ित्ज बाल
क् टनक़् को आसिाा िें तरता ल् ि वह छत नर च ी आयी
नर बित् हन ्सा् पना् बाल ों को ल् िती रही
म्ब्-घा्-गी ् बा ों को नीछ् हन ा िलया और टकटकी
बजारा बाल ों की बत्तयाो बसा्
गी
ी कनछ आवारा-घनिन्तन िकि क् बाल
भी हवा की नीि नर सवार होकर यहाो-वहाो िवचर रह् वा ा
ी आरािकनसी
्
गा
पब
सरू ज भी भ ा कब नीछ् रहा्
ा वह भी िती िारा् नर ्तर आया कभी वह ्स बती िें जा घस न ता तो कभी
लस ू री िें
जब वह बाल ों की ओट होता तो
जब बाहर तियाक ता तो चिचिाा्
गता
ा
क िोरनिी पचधयारा सा छाा्
गता और
ऋतनओ िें वर्षास-ऋतन ्स् सवासचधक ि्रय ह इा िलाों, ा तो त्ज गिी ही ऩती हैं , ा
ही ह क बार-बार सूिता ह और ा ही िििनरा भरी िल ही सताती ह ि र गतियत स् इि ाइि ाकर च ती ननरवाई, नोर-नोर िें सजीवाी भरा् ्त् हैं जवाा होती
गती ह ऩ्-नौध् ाूता नशरधाा निहा
म का ो वक्ष ृ ों क् ताों स् म नटकर आसिाा स् बातें करा्
ा -नी ्-ाी ्-बैंगाी-गन ाबी िू ों स् यह पनाा रगार रचाती ह ृ
ननीह् की ट् र प ि जगाा्
गती ह
ाली-ाा ् ि न कनराा्
िोर ााचा्
गत् हैं
गता ह
गत् हैं
..... क् कण्िों स्
सरगि िूट तियाक ता ह धरती नर हशरया ी की का ीा सी सबछ जाती ह .ही िनकनराा्
गती हैं
गभग सिूचा
ल् र तक वह बाल ों का ्ि़ाा-घनि़ाा ल् िती रही तभी हवा का
सोंधी-सोंधी गध म
, ्सक् ा ा न ों स् आ टकराया ्सा् सहज ही पलाजा
आसनास नााी बरस रहा ह सभव ह, यहाो भी नााी बरसा् नााी हि-हिाकर बरसा्
गा
ग् वह और कनछ सोच नाती,
िाो-बाबूजी, लाली, लो छोटी बहाें , भाई काशरलॉर िें बि् बतियतया रह्
बाल
बरस रह्
्
गाया िक कही
नााी िें भीगत् हन वह पनाी ितियृ तयों की घनिावलार बचना की ल् ह ीज नर जा नहनोची
सीिढ़यों स् ाीच् ्तरत् हन
सा
क होंका िाटी की
वह चननचान ्िी और आोगा िें तियाक
भीगती रही पब वह ििरकी की तरह गो -गो
घूिकर ााचा्
्
गरज-बरस क्
आयी ल् र तक नााी िें
गी
ी फ्राक क् छोरों को
पनाी ्गम यों िें लबाय् वह च रकती रही ााचत् सिय ्स्
गा िक वह िोर-बाी ााच
रग-सबरग् निों को ि ाय्, ़्ी च ी जा रही ह कभी इस िू
नर जा बिती तो कभी ्स
रही ह बीच-बीच िें िोर की सी आवाज भी तियाका त् जाती कभी िू
नर
िाो चच ाती श्सली हो जाय्गी... बनिार नक़
जा गा
त्जता् िनोह, ्ताी ही बातें
्सा् बाबूजी की ओर ल् िा
बाल ों ा् बरसाा बल ाही कर िलया बाशरि क् ा
वह सभी का कहा-पासनाा कर ल् ती
काखियों स्
गी
ी, जब तक
ी
वह तब तक ााचती रहती
्सका गा
ग्
स् ्सका भीगा बला सनिाा्
वह लाली स् आकर चचनक जाती ्
पब
ा
गती लाली का ब़ब़ााा पब
लाली क् कऩ् भीगा्
गती लाली क् च्हर् नर सिय की िक़ी ा् ढ् रों सार् िहीा जा
गहराा्
्
ित् ही ्सक् नर भी त् र हो जात् लौ़कर वह भीतर आती और िाो स्
आकर म नट जाती िाो तौम भी जारी
्गा श् लाली ब़ब़ाती त्श्ािोतियाया हो
व् ताम याो बजा-बजाकर ्सका ्साहवधसा कर रह्
वह और भी इि ा-इि ाकर ााचा्
ल् ा्
गता िक तियतत ी बाी-
गत्
बना िल
व् खह़िकयाो
् व् पब
लाली ब़ब़ती जाती... बनलबनलाती जाती और पनाी िनरलरन ी ह ्म यों स्
सह ाती जाती
क िनरलरन ् िगर िीि् पहसास स् वह भीग ्िती
बचना स् जऩी पा्क िीिी-िीिी ितियृ तयाो िवतार
्सकी सिच ू ी ल् ह रामि नीन
क् नत् की तरह
कर ल् िा पमभजीत ि़ा ि न कनरा रहा बाशरि क् ही िला
्ा्
गी
र- र काोना्
ी
गी
वह ह़ब़ा ्िी
ी ्सा् नीछ् न ट
ा
् वह छत नर बिी पना् गी ् बा ों को सनिा रही
ी वह लब्
नाोव छत नर चढ़ आया और चननक् स् ्सा्, ्स् पनाी बाॅहों िें भर म या प्रयामित घटाा स् वह सबकन हो आया
ही ब्िबर
ा
पब वह कनछ ज्याला ही हरकत करा् नर ्तर आया
कर ली
्रयास करता कभी बा ों की
इस
ी ह़ब़ा ्िी वह ्स् पमभजीत नर रोधोध
ा और वह ब्िरि िी-िी करक् होस रहा
का पसि
ा
ा कभी वह गल न गल न ा कर होसाा्
टों स् ि् ा्
गता पब की तो ्सा् हल ही
ी नीछ् स्
गभग, नूरा हनकत् हन ्सा् पना् ओि ्सक् पधरों नर रि िल ्सका सिूचा िरीर मसतार की तरह हाहा ्िा ा साोसें पतियायसत्रत सी होॅ् गी न कें िूला् सी
िला जिकर बरस्
गी
ी ब्होिी का आ ि न -्रतियतन
् होि तो ्न्हें तब आया
और सूरज ्ाक् त्जिों को गरिाा्
्सा् आिहता स् आोिें िो ी
गा
ा
बढ़ता जा रहा
ी
भी ्स
ा, जब बाल ों ा् बरसाा बल कर िलया
पमभजीत वहाो ाही
िवगत कई वर्षों स् ्सा् ्सकी सध न तक ाही
ा बाल
्
ी
ी
ा
हो भी कस् सकता
पमभजीत की याल ा् ्स्
रू ा ही िलया लबलबाई आोिों िें ्सक् कई-कई च्हर् आकार-्रकार
ा
ा
गभग
्त् च ् ग
्स् पब भी याल ह, िाली क् बाल, वह कई ििहाों तक पनाी िक्टरी ाही जा नाया
ा िला-रात... सनबह-िाि वह नरछाई बाा आग् -नीछ् लो ता रहा
होता च ा गया जााबूहकर... या... योजााबद्ध तरीक् स्
ा बाल िें वह
ानरवाह
यह वह ाही जााती गो
रहा्
िाह िें
क-लो िला.... नूरा सप्ताह... ििर नरू ् -नूर् िाह वह
गा पमभजीत स् तियारतर बढ़ती लरू ी ा् ्स्
वह जब भी घर
िासनमियत का िन िा चढ़ा
्ता
गभग िा ी हो जाता
्सका इस तरह िौा ओढ़
ा सार् हच यारों का ्रयोग कर चनका् क् बाल, ्सका
वह ििककर रो ऩती और ्सक् सीा् नर पनाा मसर
टीसें पब सिद्र न का सा िवतार
्ा्
गी
ी वह ाही चाहती
ी िक पमभजीत की
िा ब ात और िरीर
गा् नर भी वह किर् िें चक्कर काटती रही कभी
पािाी सी वह ्ि बिी और ाीच् ्तर आयी का- का
्स कनसी नर जा बिती, कभी लस ू री नर
क किर् िें जा घनसती तो लस ू र् स् बाहर तियाक
वह त्जस भी वतन को ल् िती-छूती-्स् पमभजीत की ्नत् तियत का पहसास होता
्सकी गिस-गिस साोसों की गिासहट मि ती ्ताा ही याल आता म या
ि़ा रहता
रोती रहती-्सक् कऩ् मभगो ल् ती
याल ्स् जब-तब रू ा जा
आती
वह िकसी बहरूिनय् की तरह पना् च्हर् नर
मसर हनका
्ाा, ्स् ज्याला िवचम त कर ल् ता
िटका
ा
ौटता, वह िकसी भि ू ी ि्राी की तरह ्स नर हनट ऩती ्रश्ाों
क् नहा़ ्सक् सािा् ि़ा कर ल् ती
तरकि
गभग पिात ही कर िलया
वह ्स् त्जताा भन ाा् की कोमिि करती वह
खिमसयाकर ्सा् पनाी लोाों ह ्म यों स् कााों को कसककर लबा
ा और आोिें भी बल कर
ी
ी तािक ्स् ा तो कनछ िलिाई ल् सक् और ा ही
सा न ाई ऩ् न र को पिहया बाी वह ा जाा् िकताी ही ल् र तक बिी रही घ़ी की ओर ल् िाा ्सा्
गभग बल ही कर िलया
ल् ि् प वा ा भी ल् ि् तो क्या िकस ऩा् वा ा तो भ ा वक्त को कहाो रोक नाती
ा जााती
ी
ी वह घ़ी क् तरि
ा जब वह पमभजीत को रोक ाही नायी
वक्त को पब तक कौा रोक नाया ह
्सिें ा तो
इताी िहम्ित ही ह और ा ही सािथयस िक वह वक्तरूनी पश्व को बाोध ना -रोक ना िला होि िें आकर ्सा् लीवार घ़ी क् स्
ही तियाका कर िेंक िल
्
क
पॅोधकार पब भी आोिों क् सािा् ि़ा ताण्लव कर रहा िलिायी ऩ रही
ी
सहारा का सहारा
बि् -बि् ्स् ्क ाई सी भी होा्
गी
ा चीजें पनष्ट व धनध ो ी ी
िकसी तरह लीवार का
्कर वह ्ि ि़ी हनई और वाि-ब्मसा तक जा नहनोची आोिों नर नााी क् छीटें िार् ... कन ा िकया और तौम स् िोह न नोंछती हनई कनसी नर आकर धम्ि स् बि गयी तौम
स् िनोह नोंछत् हन ्सकी ाजर ट् ब नर ऩ् पिबार नर जा ऩी पिबार क् नन्ा् हवा िें ि़ि़ा रह् ् ा चाहत् हन भी ्सा् पिबार ्िा म या और नढ़ा् गी
ह् ल
राज्य की ाई लतियन ाया का 28 जन ाई 02 का ताजा पक ्सक् हा
िें
ा िोटी-िोटी
ा
चचत्र क् ाीच्
ाईाों नर ाजरें ििस त् हन आग् बढ़ जाती सिाचारों को डलट् िें नढ़ा् िें ्स् पब रूचच ाही रह गई ी राजातियतक घटाारोधि ्स् ्बा् स् गत् वह नन्ा् न टती रही सिाचार-नत्र क् आखिरी नन्ा् नर बारीक पक्षरों िें कनछ म िा भी म िा
क ज्वा ािि न ी का चचत्र छाना गया
ा पब वह ध्याानूवक स नढ़ा्
गी
ी
ा पि्शरका क् हवाई द्वीन त् त ज्वा ािनिी िक ा् स्
ावा बहकर ्रिात
िहासागर िें ्रतियतिला चगर रहा ह तीा जावरी 83 स् ज्वा ािनिी रूक-रूक कर रहा ह
यहाो हर वर्षस
ािों
ोग इस् ल् िा् आत् हैं
ावा ्ग
तीा हितों स् लिसकों की स्या िें
इजािा हनआ ह टकटकी सिााता ो ्ब
गा
वह ज्वा ािि न ी का चचत्र ल् िती रही
िक ा् और ्सिें िकताी
वह भी पना् पलर
क ज्वा ािि न ी ना ् हन ह ्सिें भी तो तियारन्तर ावा रहा ह वह कब िट ऩ्गा, ाही जााती नर इताा जरूर जााती ह िक वह जब भी
िट् गा, ्सका पनाा तियाज ्सका पनाा पत्तव, यहाो तक िक ्सका पनाा वचसव सभी कनछ ज कर राि हो जा गा ़्ा
् जा गा वह सोचा्
गी
ििर त्ज गतियत स् च ा् वा ा पध़ सब कनछ लरू -लरू तक ी
नत्र िें तो यह भी म िा
ा- 3 जावरी 83 स् िक ा् रूक-रूककर
ावा ्ग
रहा
ह िला... तारीि... िहीाा यहाो तक सा भी ्स् िीक स् याल ाही नरतन इताा भर याल ह िक िवगत कई वर्षों स् ्सक् पलर बहता
ावा ्ब
ावा... ्सक् सबछोह िें धधकता
बहा्
गता ह
रहा ह, धधक रहा ह पमभजीत की याल िें
ावा
ावा यला-कला ्सकी मिराओ िें आकर
ावा कब तक यूो ही बहता रह् गा... यह वह ाही जााती
तभी ्सा् िहसूस िकया िक पलर कनछ रलक गया ह और
गा ह
्सकी साोस् पतियायसत्रत-सी होा्
ता ू स् जा चचनकी ह काना्
गी ह
गी
िल
क पजीब-सी ध़का्
्सकी ााजनक कचा-सी काया नीन
िरीर नर बनिद्ध की नक़ ढी ी ऩा्
सम्नण ू स सच्ताा नर हावी होा्
गा ह
होि िें
ौटा्
गी
गी ह
बहा्
गा ह
क् नत् की तरह
जीभ र- र
ब्होिी का आ ि ्सकी
मिटटी की कच्ची लीवार की तरह वह भरभराकर
चगर ऩी वह िकताी ल् र तक सज्ञाहीा ऩी रही च्ताा धीर् -धीर्
ावा त्जी क् सा
ी, ्स् कनछ भी याल ाही
ी सोचा्-सिहा् की बनिद्ध ननाुः सचशरत होा्
गी
ी
ौटत् हन ्सा् िहसूस िकया िक वह ििस नर औधी ऩी हनई ह कऩ्- त् सब पत-व्यत हो ग हैं ाारी सन भ ज्जा क् च त् ्सा् पनाी ागी टागों को ििर िन ् वक्ष को ढका और ्ि बिा् का ्नरोधि करा्
गी
पनाी किजोर टागों नर िकसी तरह
िरीर का बोह ्िात् हन वह ननाुः सबतर नर आकर नसर गई ्सका िा ाॅा पब भी मभन्ाा रहा ा ऐिा क् सा -सा नोर-नोर िें ललस भी रें ग रहा ा इताा सब हो जाा् क् बावजल ू भी यालों क् कबूतर ्सकी ितियृ त की िािों नर बि् गट न रगोू कर रह् वह सोचा् कनसूर
गी
्
ी- त्ष्कता् लारूण लुःन ि ल् रह् हो तनि िनह् पमभजीत आखिर क्या
ा ि्रा? क्या सबगा़ा
ा िैंा् तनम्हारा? क्या प्यार करा् की इताी तियािसि नशरण तियत
होती ह? तनि इता् रोधूर तियाक ोग्, इसकी तो िैंा् कनाा तक ाही की िैंा् जाग-जागकर तनम्हारा इतजार िकया
ी िकताी ही रातें
ा क्या तनम्हें न -भर भी याल ाही आयी? तनिा्
न टकर तक ाही ल् िा िक तनम्हारी िमि्रभा िका हा ातों िें जी रही ह इस तरह त़नात़ना कर िार ला ा् स् तो पच्छा
ा िक ति न िह न ् जहर ही ल् ल् त् इा भीर्षण यत्रण ाओ
स् िनत्क्त तो मि
जाती ग ा ही घोंट ल् त्, िैं ्ि तक ाही करती िकश्त-िकश्त त्जन्लगी
जीत् हन िैं तग आ गयी हूो य् पतहीा टीस्... य् पतहीा नी़ायें... ्ि... पब िैं न भर भी ह् ाही ना्गी िैं भी िूिास तियाक ी... जो तनम्हारी चचकाी-चनऩी बातों िें आ गयी तनम्हार् प्यार को
सवोनशर िााकर ही तो िैं तनम्हार् सा भरिाया
भाग तियाक ी
ा िनह् िकताा ब़ा कनाा-ससार रच रिा
तरह ्न्िनक्त गगा् िें िवचरती रही ऩ सकता ह
ी भू
गयी
ी
रगीा सनाों ा् भी क्या कि
ा िैंा् पना् आसनास नशरन्ल् की
ी िक कभी जिीा नर वािनस आाा भी
वह रात भी िकताी भयकर... िकताी तियािसि... का ी घा्री रात
होकर तम् न हार् सा
हो
ी
तो िनह् गनिाा तक ाही
ी
ी
िैं ब्िौि
इस पधी रात की सब न ह इताी नी़ालायक.... होगी... इसका
ा इस बात का भी ततियाक ध्याा ाही आया िक ि्र् इस तरह
घर स् भाग जाा् क् बाल िाो-बाबूजी नर क्या बीत्गी? जवाा होती बहाों को कौा पनाी चौिट नर जगह ल् ना गा? भाई का क्या होगा? क्या वह गलस ा ्ची िक
सिाज िें च
ना गा? िकस-िकस क् िितर् सनात् रह् गा तनि ि्र् सा
हो... सला-सला क् म
... हि्िा क् म
... बस इसी ्या ी िवश्वास
क् जहरी ् की़् ा् ि्री त्जन्लगी िें ... पना् िूाी नज् गा़ िलय् हैं त्जस िवश्वास को िैंा् िकश्ती जााकर सवार हो ाही जााती
ी
ी वह
क ही हटक् िें िकरची-िकरची होकर सबिर जा गी...
ी ्ि़त्-घि न ़त् ब़ब़ात्... लहा़त् सिाजरूनी सिद्र न स् टक्कर
्ा् की त्जल
िकताी ााकारा... िकताी ााकािी मसद्ध हनई ह... आज जाा नायी तनि सा होत् तो जीा्िरा् का आान्ल म या जा सकता ा नर तनि इता् लरनोक... इता् बनजिल ... तियािोही तियाक ् िक बीच सिर स् ही िकाार कर ग
िकस् ननकारती िैं िलल क् म
जो़ती? िकसक् आग् चग़चग़ाती? कौा सनाा् वा ा ब़ब़ात् सागर की चीि क् आग्, ि्री चीि
? िकसक् हा
ा? कौा बचाा् आा् वा ा
गभग गनि होकर ही रह गई
ी
ा? इस
ोगों को नता च ा िक यह तो घर छो़कर भागी हनई ़की ह ोगों क् िल िें सहाानभूतियत का ज्वारभाटा िच ा् गा ा औरतों क् ्रतियत सहाानभूतियत का प स जाात् हो? सबकी आोिों िें वासाा क् ज्वारभाट िच की चाहत
रह्
् सहााभ न तियू त की आ़ िें
ी सभी क् िा िें पब तम् न ही बताओ पमभजीत... कहाो जा
बान-भाई-बहा यहाो तक सग् सबचधयों ा् भी पना् -पना् द्वार ि्र् म म
बल कर म
क जवाा त्जि
तम् न हारी िमि िाोहि्िा-हि्िा क्
हैं
िााती हूो तनिा् ढ् रों सारी लौ त... िकाा... ऐिो-आरा की चीजें... सभी ि्र् ााि कर ली ह नर बगर तनम्हार् क्या िैं ्सका ्नभोग कर ना्गी?
तम् न हारा िकया-धरा पब सिह िें आा्
ी, वह प्यार-प्यार ा होकर िहज
गा ह लरपस ... त्जस् िैं प्यार सिही बिी
क वासाा का ागा ि्
ा
जहाो जी चाहा... ि्री जवााी को चालर की तरह सबछात् रह् हो वासाा क् बीच ाही आ ना
्
तनिा् जब जी चाहा...
जाात् हो... प्यार और
क हीाा-सा नरला होता ह, तनि कभी भी ्स नलचे को चीरकर इस तरि
िनह.् .. िनह् आज िजबूत कधों की जरूरत
रिकर रो तो सकती
ी
ी न भर को ही सही, िैं पनाा मसर
आज ब्िटयाो नास होती तो िैं ऐसा कर सकती
ी
नर... ति न
तियािोही ा् वह सहारा भी िह न स् छीा म या िह न ् आज भी याल ह ्र्षा जब नला हनई ी... तो ति ी िक इसस् न ा् िह न ् तानाा करा् स् िाा कर िलया ा तम् न हारी पनाी ल ी ि्रा ििगर िराब हो जाय्गा... स्हत चगर जा गी और िैंा् तनम्हारा कहा िाा, ्स् आया की गोल िें ला
तनिा् ्न्हें हॉट
िलया
िें ला
ा लस ू री क् सा
भी यही सब कनछ हनआ व् ो़ा सभ नाती िक िलया और ्न्हें िवल् ि भी भ्ज िलया तियात्श्चत ही तनम्हारी पनाी
योजाा रही होगी िक िैं तनम्हार् िवयोग िें त़ना् क् सा -सा
पनाी ब्िटयों क् सबछोह िें
भी त़नू नता ाही-तनि ्न्हें िकस साोच् िें ढा ाा चाहत् हो... िायल पि्शरका साय् िें
तो आज तम् न हारी ब्िटयाो नरू ी तरह स् पि्शरका-रग िें रग चक न ी ह तम् न हें नता च ा-या ाही,
ाही जााती... जब व् घर
ौटी
ी तो लोाों क् न्ट िें पवध सताा न
कि ्िर िें िकताा कनछ सीि चनकी हैं तनम्हारी ब्िटयाो
रही
ी
इताी
नता ाही... क्यों चचढ़ हैं तनम्हें
भारतीयों स्... भारतीय सकृतियत स्
िकताा ाीच... िकताा किीाा... िकताा िनलगजस होता ह तनम्हारा ननरूर्ष वगस
औरतें भी ब्वकूि होती ह बह
व्
जाती ह... ििस ा्
ो़ा सा ननचकारा् स्... िनस ा ल् ा् स्... बह ा ल् ा् स्...
ग जाती ह ििर सबछ-सबछ जाती ह आलिकल जात क् सािा्
तािक वह ्सका लिहक-िोर्षण कर सक्... पनाी आलिभूि मिटा सक्... औरतों को बल ् िें भ ा चािह
भी क्या! लो जूा की रोटी... टूटी-िूटी होऩी... पलाा सा िकाा... या ििर
कोई आम िाा बग ा... व् तियाहा
हो ्िती ह
ता सजाा् को ढ् रों सार् ज्वर... िनि हो
जाती ह औरतें , ििर वह धीर् स् िकसी ना तू कनत् की तरह ग ् िें ला नटटा...
क जजीर... प वा िग सत्र ू बस इस छोट् स्
ल् ता ह
क
टक्-हटक्... टोटक् िात्र स् औरतें
बध जाती ह िकसी गाय की तरह ्सक् िूट ो ् स्... िरत् लि तक क् म कनछ औरतों की बात हटकर ह
व् पना् आन को वच्छल... वतत्र... वाव बी
िहसूसती हैं... क्या व् पना् आनको िनिाची लशरन्लों क् नजों स् मिकार होा् स् बचा नाती
ह? बल त् यनग िें पब ब ाकार भी सािूिहक हो च ् हैं व् पना् मि कर हनटटा िारत् हैं जब व् वासाा का ि्
ि्
का ्रयास भर कर नाती ह
रह् होत् हैं, तब वह पना् हा -नर च ाकर पना् को बचाा्
्सक् चगरित स् तियाक
पनाी ित्न क्त की कािाा भर होती ह
कहाो नाती ह? ्स् तो ्स सिय
इस जोर-जबरलती िें वह िकस-िकस का च्हरा...
िकस-िकस का ााि याल रि नाती होगी
िरीर तियाच़ न जाा् क् बाल, ्सिें इताा ातियतक
साहस... िहम्ित भी कहाो बच नाती ह िक वह ्सक् खि ाि ि़ी भी हो सक्
ह
्सकी तो बात ही प ग ह, जो िनल होकर पना् कऩ् ्तारा् नर आिाला होती
ननरूर्ष नह
कर् इसस् नह ् व् पना् कऩ् ्तारकर ागी हो जाती ह
करा् नर ्न्हें िनोह-िागी कीित... पकूत सम्नला भ ् ही मि
िााा.... ऐसा
जाती होगी नर ्ाकी आिा
तो कभी की िर चनकी होती ह ढाोककर ही, क्या िकस ऩता ह
जब आिा ही िर गई तो िनलास िरीर को ागा रिो या
तरह-तरह क् ाक न ी ् िवचार ्सकी आिा को
चौ ाई रात बीत चनकी पािा् िा स् ्सा्
ी और वह सो जााा चाहती
क नसत्रका ्िाई और नन्ा् न टा्
ी और नन्ा् ज्याला न ट रही
ाही च
हू- ह गभग तीान ाा करत् रह् ी नर ाील पॅॉिों स् कोसों लरू ी
ी
गी लरपस
ाील ा् कब ्स् पना् आगोि िें
वह नढ़ कि रही
् म या, नता ही
नाया
सोकर ्िी तो िला क् बारह बज रह्
्
्सा् िहसूस िकया िक ललस क् सा -सा
आ स भी िरीर िें रें ग रहा ह सबतर नर ऩ्-ऩ्, पब ्स् ्कताई-सी होा् चाहत् हन
भी ्स् ्िाा ऩा वह सीध् बा रूि िें जा सिाई
गी
ी ा
पना् त्जि को तौम य् स्
ड्र्मसग ट् ब
नर
नटत् हन वह सीध् ड्र्मसग-रूि िें च ी आई ्सा् ल् िा क आित्रण -नत्र ऩा ह आश्चयस स् ्सक् ओि गो होा् ग् कनसी नर
बित् हन ्सा् गी ् हा ों स् आित्रण -नत्र ्िाया नत्र ्िात् ही ्व्ण्लर की भीाी-भीाी िनिबू ्सक् ा रन ों स् आ टकराई नत्र ्सी क् ााि स् ्र्िर्षत िकया गया ा नत्र नर की म िावट भी क्या िूब ल् िा
ी, िााो िोती ज़ िलय् गय् हों
नारलिी प् ात्टक ट् न स् चचनकाया गया
ा
्सा् नत्र को ् ट-न ट कर
नत्र भ्जा् वा ा कोई लयािकर
ा
्रोि्सर लयािकर नत्र भ्जा् वा ् क् तौर-तरीक् स् वह ब्हल ्रभािवत हनई ी िा ही िा वह सोचा् गी ी ष्कौा ह लयार्षकर? ्स् कहाो ल् िा ा? ल् िा हनआ तो ाही गता, कहाो भेंट हनई ी? कहाो मि ी ी? सहनािी ह या ाजलीक का शरष्त्लार?ष् ्सा् पना् ितियृ त क् घो़ों को लरू -लरू तक लौ़ाया भी नर कोई नष्ट तवीर लयािकर की बा ाही नाई ्सा् आिहता स् ट् न ्तारा, नत्र िो ा और
क साोस िें नूरा नढ़ गई वर-वधू
क् ााि, ्सक् पमभभावकों क् ााि, िववाह-तियत ी, िववाह- प ग स्
क चचि भी चना की गई
ी, ्सिें म िा
ा
सभी कनछ
कालस क् सा
िमि जी... ि्री ब्टी ्रभा की
िाली िें तनि जरूर-जरूर आाा तनि क् ाीच् गहरी याही स् र् िािकत िकया गया क् ाीच् िीची गई र् िा ्स् िकसी तियत िी िजाा् की कनजी-सी िायाजा
िें िोसत् जा रही
ी
ा तन ि
गी पब वह तियत ि की
श्क्यों की गई होगी पण्लर ाईा? क्या वह ाजलीकी
िलि ाा् की कोमिि कर रहा ह प वा आिीयता... प वा तियाकट की कोई शरश्त्लार ही, या ्सा् सब जाा-बूहकर िकया ह?श् लयािकर ्स् पब
ा वह इस जाल ू क् सम्िोहा िें तियघरती च ी जा रही
क िल चन जालग ू र भी ी ्सा् तका
गा्
गा
तियाण सय म या िक
इस िाली िें वह जरूर जा गी और तियत िी रहय को ्जागर करक् रह् गी ्स् पब ्स िला, ्स घ़ी का ब्सब्री स् इतजार रहा् तियायत सिय नर ्सा्
गा
ा
क िहोगा सा चगिट आइटि नक कराया पनाा सूटक्स
तयार िकया ड्रायवर को तियालचे ि िलया िक वह गा़ी तियाका िहर को नीछ् छो़त् हनई ्सकी गा़ी पब जग
कतारें
ाय्
क् बीच स् होकर गनजर रही
ी
्ची-ाीची नहाड़याो... ट् ढ़्-ि्ढ़् घनिावलार राश्त्, आकाि को छूत्, बात करत् ऩ्ों की नहा़ की चोटी स् ्तरत्... िनकनरात्... हवा िें सरगि सबि्रत् हरा् कनो ाच् भरत्
िग ृ -िावक
ढोर-लगर चरात् चरवाह्
च चचत्र क् िातियाल न -न
बल त् दृश्य ल् ि वह
पमभभूत हनई जा रही ी भीगी-भीगी हवा क् प ित हपक्, ्सक् गोर् बला स् आकर म नट-म नट जात् ् ्स् ऐसा भी गा् गा ा िक वह िकसी पन्य गह ृ ों नर ़्ी च ी जा रही ह और
क ाया जीवा जीा्
रून ल् िती रही
गी ह िविाशरत ाजरों स् वह ्रकृतियत का िािोहक
कनछ ल् र तक तो ्सका िा ्रकृतियत क् सा
तालाम्य िें बााय् रिता
ििर िका-
कनिकाओ की कटी ी हाड़यों िें जा ् हता कभी ्स् इस बात नर नछतावा होा् िक वह ााहक ही च ी आई ह घर बि् भी तो भेंट वरून रामि भ्जी जा सकती लाकघर स् नासस
द्वारा भी कभी
रहय नर स् नलास भी ्िााा
गता, ्सका आाा जरूरी
गता
ी प वा
ा और लया स् मि कर ्स
ा िक वह ्सक् पतीत क् बार् िें क्या कनछ जााता ह
गा़ी की सीट स् मसर िटकाकर वह कनछ ा कनछ सोचती पवश्य च ती
कनाा- ोक िें िवचरा् लया को ढूॅढा्
की सी चन ता
गी
गी
ी
ी तभी
पब वह
गा िक वह िालीघर िें जा नहन ची ह ्सकी िोजी ाजरें क क़क पध़् भद्र नरू न र्ष आता िलिा ्सकी चा िें चीत्
ी पब वह करीब आ नहनोचा ा ्सा् सूट-टाई नहा रिी ी त ा मसर नर गन ाबी सािा बाोध् हनआ ा गन ाबी नग़ी तियात्श्चत तौर नर ्स् भी़ स् सवस ा प ग कर रही
ी श्यह ही लयािकर होगा श् ्सा् पानिाा
गाया
ा नास आत् ही ्सकी ाजरें
्सक् च्हर् स् जा चचनकी सनगिित ल् हयत्ष्ट, रोबलार च्हरा, च्हर् नर घाी-चौ़ी िूोछें, ओिों
नर त्ाग्ध िनकाा, चश्ि् क् फ्र्ि स् हाॅकती-होसती सब ौरी आोिें ल् ि वह ्रभािवत हनई सबाा ा रह सकी ी नास आत् ही वह िकसी िरारती बच्च् की तरह चहका्
गा
ा आइय्... िमि जी!
आनका िल ी वागत ह कहत् हन ्सक् लोाों हा आनस िें जऩ आय् ् िमि की ाजरें पब भी ्सकी िोहक िनकाा ल् ि ि-सी गई ी वह बार-बार पमभवाला कर रहा ा बार-बार क् आरहणह क् बाल ्सकी च्ताा वािनस नश्चातान सा भी होा् कह नाई
ी
गा
पब वह ्सक् नीछ् हो
ा
ौट आई
पना् हेंन मिटात् हन
ी और ्स् पनाी भू
वह क्व
नर
्रयनतर िें ाित् भी
ी
ी कलि स् कलि मि ात् हन आग् बढ़ च ी ी जगहजगह ्रौढ़-्रौढ़ाओ, यव न क-यव न तियतयों ा् पना्-पना् घ्र् बाा म य् ् और खि खि ाकर होसत् बतियतयात् जा रह्
् च त् हन वह बीच िें रूक भी जाता और ्सका नशरचय भी करवाता च ता लया क् बो ा्-चा ा् का ढग, आोिें िटिटाकर ल् िा् का पलाज ग ् की िाधय स ा न त ल् ि-सना ्स् ऐसा भी
गा्
गा
ा िक ढ् र-सार् घनघ ो रू
क सा
हाहाा ्ि् हों
भी़ को चीरता हन वह लायस की ओर बढ़ च ा ा लायस नर वर-वधू िच की िोभा बढ़ा रह् ् क ाही बत्क पा्कों किर् पनाी-पनाी ि िों स् चकिक-चकिक ्रकाि ्ग
रह्
् िोटोरहणािों को ततियाक रूक जाा् का सक्त ल् त् हन
वह िच नर जा ि़ा हनआ
ा
वह भी ्सका पानसरण करती हनई िच नर जा चढ़ी ी िच नर नहनोचत् ही ्सा् पनाी ब्टी ्रभा का ्सस् नशरचय करवाया ििर वर स् नशरचय करवात् हन वह िोटोरहणािरों
की ओर िि कहा् गा किर् त्क् क हो इसक् नव न ातियतब होत् हन िोटो ्ा् क् म ू स ्सा् पनाी बी बम ष्ि बाोहें ्सक् किर क् इलस -चगलस न्ट ी ी कई-कई किर् क सा चिक ्ि्
्
क पनशरचचत-पजाबी आलिी ्सकी किर िें य् िजा ! ्सका च्हरा तितिाा् गी
गा
ला
ा आोिों िें रोधोध ्तर आया
ी इच्छा इनई िक कसकर चाोटा ज़ ल् नर
सकता ह? ्सकी ा िनिटियाो िीचा्
क पाजाा िहर िें पनशरचचत-पाचीा्
ोगों क् बीच वह ऐसा कस् कर ना गी वह सोचा् लबात् हन
स्-कस् हा
गी
ी िकसी तरह पना् रोधोध को
्सा् ्सक् हा ों को हटक िलया और ट् ज नर स् ्तर आई होि िें
ौटत् हन ्सा् िहसूस िकया िक ्सका ू िरीर पब भी पनाी सीट नर नसरा ऩा ह गा़ी पनाी गतियत स् सरनट भागी जा रही ह ्सा् पनाी ह ् ी स् िा ् को छनआ नूरा च्हरा नसीा् स् तरबतर हो आया
तियाका त् हन ्सा् च्हर् को साि िकया खि़की का िीिा ाीच् ्तारा िण्ली हवा क् होंकों क् पलर आत् ही ्सा् कनछ राहत-सी िहसूस की िलया
ा पब वह
क कनाा िात्र ा् सचिनच ्स् बनरी तरह स् लरा ही
कलि ाािस -सा िहसूस करा्
वह कनछ और सोच नाती, ्सकी गा़ी
रूक गयी
ी
ा नसस िें स् रूिा
गी
ी
क हटक् क् सा ,
क िण्लन क् नास आकर
्सा् खि़की िें स् हाोककर ल् िा
ा जसा िक ्सा् कनछ सिय नूवस कनाा
क भद्र ननरूर्ष ्सक् तरि आत् िलिाई िलया आगन्तनक की चा -ढा
हू-ब-हू वही िण्लन सािा् चिचिा रहा ोक िें िवचरत् हन ल् िा ा गा़ी क् रूकत् ही
िें चीत् की सी चन ता
ी पब वह गा़ी क् कािी ाजलीक
तक आ नहनोचा ा ्सकी ाजरें पनशरचचत व्यत्क्त क् च्हर् स् िााो चचनक सी गई ी वही रोबलार च्हरा घाी-चौ़ी िोछ ू ें रहण् क र की टाई ओिों नर च रकती ि न काा सा न हर्
चश्ि् स् हाोकती सब ौरी आोि् वागत कहत् हन
मिष्टता स् ्सा् पना् लोाों हा
जो़ म य्
् और
ा वह िा ही िा सोचा् नर िववि हो गई
ी-श्ऐस्
्स् गा़ी स् ाीच् ्तरा् ्रा ा स ा करा्
िमि का िा ा चकराा्
गा
कस् हो सकता ह?श् जसा कनछ सोच रिा ी ्स् तो ऐसा भी
गा्
गा
गा
ा
ा वसा ही वह पनाी िन ी आोिों स् ल् ि रही
ा िक वह सचिनच िें तियत ि क् ्स िनहाा् नर आकर
ि़ी हो गई ह, जहाो स् ्स् पलर ्रव्ि कराा ह
श्आइय्... िमि जी पलर च त् हैंश् कहता हनआ वह आग् बढ़ च ा ा वह भी िकसी ित्रिनग्ध िहराी की तरह ्सक् कलिों स् कलि मि ात् हन नीछ् -नीछ् च ा् गी ी भी़ को
गभग नीछ् चीरत् वह तियारतर आग् बढ़ रहा
वजाों स् बतियतयाता-नछ ू ता च हत्रभ
रहा
ा बीच-बीच िें रूकत् हन वह ि्हिााोंा िक ्न्हें कोई पसिन वधा तो ाही हो रही ह
ी िमि िक ्सा् ्सका नशरचय िकसी स् भी ाही करवाया पब वह ट् ज
की ओर बढ़ा्
ट् ज नर नहनोचत् ही ्सा् िमि का नशरचय पनाी ननत्री ्रभा स् करवाया ििर होा् वा ् लािाल स् नशरचय करवाा् क् बाल वह िोटोरहणािरों को तवीर ्ा् की कहा् सोचा्
गा
गा
गी
हरकतें सब कन
ा
ा
क ज्ञात भय ििर िा क् िकसी कोा् स् बाहर तियाक
ी िक िोटो
भी ाही की
्त् सिय वह ्सक् किर िें हा
ला
आया
ा वह
ल् गा नर ्सा् ऐसी-वसी
ी ्सकी कनाा लस ू री बार भी तियािूस
मसद्ध हनई
ी
छोट् -िोट् ा्ग-लतरू , वरिा ा ििर भाोवर् तियानटात्-तियानटात् नरू ी रात कस् बीत गई,
नता ही ाही च चनकी
्
गी
नाया
बारात पब सबला होा् को
ी
ी
सबलाई की सारी रश्िें नूरी की जा
सबलाई क् भावनक क्षण ों िें ्रभा पना् ि्रय नाना को ग ्
ी िमि का क ्जा जस् बिा जा रहा पब वह िमि स् म नटकर रो ऩी
गकर जार-जार रोई जाा्
ा ्सकी आोिाॅोॅ स् भी आोसू छ छ ा ऩ्
ी ्रभा को ग ्
गात् हन
्स् पनाी ब्टी रहणि न ा
की याल हो आई काि! वह नास होती सभव ह , ्सकी भी पब तक िाली हो चनकी होगी ्रभा क् हि्म्र तो वह होगी ही वह सोचा् बीच बहत् हन
गी
ी सबलाई क् जीवत
क ििासन्तक नी़ा का नह ी बार पाभ न व कर रही
व भावनक क्षण ों क्
ी
बारात क् सबला हो जाा् क् बाल लया की हा त ल् िकर वह मसहर ्िी हा त कनछ ऐसी बा गई
ी लया की
ी िक जस् िकसी िखण धारक सनस स् ्सका िखण छीा म या गया
हो ज्याला ल् र तक ्सकी ाजरें लया क् च्हर् नर िटकी ाही रह नाई लया ा् पना् आनको
क किर् िें कल कर म या
ी
ा पना् किर् िें जाा् क् नूवस
्सा् ्स् य् किरा िलिात् हन कहा ा िक वह भी नूरी रात जागती रही ह पतुः ्स् भी ो़ी ल् र सो ्ाा चािह रही ढ् रों सारी बातें करा् की तो व् बाल िें भी की जा सकती हैं िमि ा् नष्ट रून स् िहसस ू िकया
करा् की स्त आवश्यकता ह कराा चाहती
ी
ा िक इस सिय वातव िें लया को आराि
वह वय भी ्रश्ाों को छ् ़कर ्स् और भी व्यच त ाही
किर् की भव्यता
व साज-सज्जा ल् िकर िमि कािी ्रभािवत हनई ी ला न क् सबतरों को ल् ि ्सका भी िा कनछ ल् र सो जाा् क् म िच ा् गा ा पब वह सबतर नर जाकर नसर गई
ी
्सक् नोर-नोर िें ललस रें ग रहा
्सका िा स् ता -ि् करत्
ल् िा
ाही बि ना रहा
ा और वह सचिच न िें सो जााा चाहती ा रह-रहकर ा
्या
ी, नर
और तियतरोिहत हो जाया
् कािी ल् र तक सबतर नर ऩ् रहा् क् बाल वह ्ि बिी ्सा् खि़की स् हाोककर लया का किरा पब भी बल ऩा
ा
पब वह ििर सबतर नर आकर नसर गई
ो़ी- ो़ी ल् र बाल ्िती, खि़की स् हाोकती, लरवाजा बल नाकर ििर
ौट आती
तियाक
सबतर नर ऩ्-नल् ्स् ्कताई सी होा् आई बाहर आकर कनछ पच्छा सा
गी
गा्
गा
ी लरवाजा िो कर वह कारीलोर िें
ा ्स्
नाोच-सात मितियाट ही ि़ी रह नाई होगी िक ्सा् तीसर् किर् स् बाहर तियाक त् ल् िा िक -सूरत स् वह लया की बहा जाा ऩती नाती िक वह ििह ा िीक ्सक् सािा् आकर ि़ी हो गई ा ी
ी
ा ी िें लीन ज
कहाा चाह रही
रहा
ा
क ििह ा को
ी वह कनछ और सोच
ििह ा क् हा
िायल वह ििलर जाा् की तयारी िें
िें नूजा की ी
ी िक ििह ा चहक ्िी
वह कनछ
श्ल् खिय् बहा जी... हि आनको ा तो जाात् हैं और ा ही नहचाात् हैं बस इताा
जरूर जाात् हैं िक लया भया ा् आनको पना् िवि्र्ष कक्ष िें िहराया ह , जािहर ह िक आन हिार् िास ि्हिाा हैं च ाा चाहें तो च
हि पक् ् ही रघनाा
सकत् हैं
ििलर जा रह् हैं लिसाों क् म
हि जब भी कभी यहाो आत् हैं , रघनाा
ििलर जााा कभी
ाही भू त् ब़ी िातियत मि ती ह वहाो जाकर श् िमि ल् ि-सना रही
ी
आगन्तनक ििह ा
ज्याला ही बो ा् की आलत होती ह
आन सा
गातार बो ् जा रही
ी
कनछ
ोगों को
बो त् सिय व् आग् -नीछ् कनछ भी ाही ल् ित् और
बातों ही बातों िें पना् िा की बात ्ग कर रि ल् त् हैं व् इस बात स् भी पामभज्ञ रहत्
हैं िक कोई ्ाकी बातों स् ााजायज िायला भी ्िा सकता ह बातों क् लौराा ्सा् सहज रून स् पनाा नशरचय िल न ही ल् िलया
ा िक वह लया की बहा ह लया की बहा ह यातिया
लया क् बार् िें सब कनछ जााती ह ्स रहयिय तियत ि की गइराई िें ्तरा् क् म यह ििह ा सीढ़ी का काि बिूबी कर सकती ह तका
रिती
तियाण सय
् म या िक वह ििलर पवश्य जा गी
वह िा ही िा सोच रही
गा़ी भी़भा़ वा ् इ ाक् क् बीच स् होकर गनजर रही लरपस
ी, ्सा्
ी, वह ्स् बातों िें ् हाय्
धीर् -धीर् वह पना् िकसल की ओर बढ़ाा चाह रही
ी
बातों क् लौराा
वह लक न ााो-िकााों क् साइा-बोलस भी नढ़त् च ती ल् िा ्स् हरााी-सी होा्
गी
्सा् िमि्रभा मिडल
कू
ी
का बोलस
रात् िें आग् बढ़त् हन पना् ााि क् कई बोलस ल् ि्िमि्रभा हाईकू , िमि्रभा ाारी-ज्ञाा क्न्द्र, िमि्रभा क ा क्न्द्र पना् ााि क् पा्क साइा-बोलस ल् िकर वह आश्चयस स् लोहरी हनई जा रही ी कौा िमि्रभा! वह वय या कोई और यहाो की कोई ााीय सािात्जक कायसकतास- ि. . . ह प वा सासल पब वह पना् आन नर तियायत्रण ाही रि ना रही जााकारी
ी
्सा् भावाव्ि िें ्स ििह ा स् इसक् बार् िें
्ाी चाही िमि को पब लया क् बहा क् ्तरों की ्रतीक्षाॅा
ी
म्बी चनप्नी तो़त् हन ्स ििह ा ा् पनाा िनोह िो ा ा श्ल् खिय् बहा जी... जब आना् नूछा ही ह तो हिें बत ााा ही ऩ्गा... िगर हि यह ाही जााती िक आन बीती बातों को जााकर क्या करें गी श् श्जााकारी
्ा् िें कोई बनराई भी तो ाही हश् िमि ा् पना् सार् हच यार ला त् हन ्सकी आोिों की गहराई िें ्तरत् हन नूछा ा श्यही कोई सत्रह-पिारह सा
्सका ााि िमि्रभा
ा
ननरााी बात ह
व् ्स् िा ही िा चाहा्
भया क् सा ग्
क
़की नढ़ती
ी
् और ्सस् िाली भी कराा
चाहत्
् भया ा् पना् िा की बात िनताजी नर जािहर करत् हन तियाव्ला करत् हन कहा ा िक व् ़की क् िनता स् मि कर बात नक्की कर आ ो ्स ़की क् िनता ा् इस
शरश्त् नर पनाी वीकृतियत की िह न र भी
गा ली
नहनोच् तो नता च ा िक ़की पना् याल क् सा लया भया इस बात को जााकर कािी लखन ित हन
ी जब हि तियायत सिय नर बारात िनछ ी रात ही घर छो़कर भाग गई ् ्ाका िल
जस् टूट ही गया
्न्होंा् ्सकी सिय जीवा भर पिववािहत रहा् का िस ा कर म या व्य ा-क ा बत ात्-बत ात् सािवत्री ििककर रो ऩी रहा
्कर ी
ा और
ा श्पना् भाई की
ी िमि का भी जस् क ्जा बिा जा
ा वह भी पना् आोसनओ क् आव्ग को रोक ाही नाई
क सवा
्सक् िलिाग को ि
रहा
ी पतरव्लाा िें लूबत् हन भी ा आजन्ि पिववािहत रहा् की घोर्षण ा करा् वा ्
लया ा् पभी कनछ घण्टों नव ू स ही तो पनाी ब्टी ्रभा को लो ी िें सबिाकर सबलाई ली
ी ऐस्
कस् सभव ह िक िाली हनई ाही और ब्टी भी हो गई पना् पलर ्ि़-घनि़ रह् ्रश्ा को वह रोक ाही नाई और ्सा् आव्ग क् सा पनाा ्रश्ा लाग िलया ा कािी ल् र तक िन् ू य िें हाोकती रहा् क् बाल सािवत्री ा् बत ाया िक बारात क्
ौटा् क् सा
ही भया िकसी पन्यत्र ाा की यात्रा नर तियाक
ौटाा ाही चाहत्
नर् िाा करती रह्
्
व् ाही चाहत्
व् सब-कनछ भन ा ल् ाा चाहत्
र् -लध स ाा क् मिकार हो गय् कई न ट म्बी
रह्
् िक ्स ्
गय्
्
िायल व् घर
़की की याल ्स् जब-तब घ्रकर ्स् पना् यात्रा क् लौराा व्
क भीर्षण
ोग इस हालस् िें िार् गय् िायल इाकी जीवा-र् िा
ी व् बच गय् िकसी तरह क्षतियतरहणत डलदब् स् बाहर तियाक ा् का सायास ्रयास कर
्, ्न्हें
िार् गय्
्
क पबोध बाम का रोती-सब ित् िलिी इस बच्ची क् िाो-बान इस लघ न सटाा िें भया ्स बच्ची को ्िा
ाय् और ्स् िवचधवत पनाी नत्र न ी की िान्यता
िल ात् हन ्सका ना ा-नोर्षण करा् ग् ्न्होंा् िाो-बान लोाों की सिरोधय भमू िका का तियावसहा िकया सच िााो, ्स बच्ची क् आ जाा् स् भया की त्जन्लगी िें क नशरवतसा आता च ा गया ्न्होंा् पना् जीवा-िूयों को नहचााा और प्यार की ितियृ त को पक्षनण्ण बााय् रिा् क् म
्रयासरत हो ग
मिक्षा क् ्रचार-्रसार क् म च ् ग
गी को
भगीर
व् कॉ ्ज िें ्राध्यानक क् नल नर
तन िकया और
ी सारी बातें जाा चक न ा् क् बाल पब जााा् क् म
कनछ भी ाही बचा
गा िक िदल पलर ्तरकर ्सका क ्जा छ ाी करा् ग् हैं
ग् हैं
िनभ्र धव
ा
िमि
भय-आिका-लुःन ि-ललस
ावा ्सक् मिराओ िें बहता रहा ह, ध्वत
आकाि िें आच्छािलत धू -गनबार की धनध पब धीर् -धीर् छो टा्
आिा-्साह का
वय
क कू -कॉ ्ज िो त्
पना् भाई क् बार् िें िवतार स् जााकारी ल् ा् क् बाल वह ना न ुः िन् ू य िें हाोका्
क् वतियामिसत नवसत त्जास् यला-कला धधकता होा्
क क् बाल
् ही, ्न्होंा्
क ाया सूरज क्षक्षतियतज िें चिचिाा्
गा
ा
गी
ी और
्रकाि िें सराबोर होत् हन ्स् ऐसा भी िहसूस होा् गा ा िक वह क तराजू बाी ि़ी ह, त्जसकी पनाी लो भज क तरि वा ी-िल न ा ो हैं न गजस- िट
्सका पनाा नतियत पमभजीत ि़ा ह, त्जस् ्सा् पना् िल
की गइराइयों स् प्यार िकया
और प्यार क् िातियतर वह पना् िाो-बान, भाई-बहाों को रोता-सब िता छो़कर भाग ि़ी हनई ी बल ् िें ्स् ्सा् क्या िलया? मसवाय लुःन ि-ललस -कनण्िाओ क् लस ू री तरि लया ि़ा ह ्सा् ्स् पना् िा-ििलर िें सबिाकर नज ू ा-पचसाा की ह ्सा् प्यार की कीित को आोका ह
प्यार िकताा बहनिूय होता ह, इस बात को ्सा् वय पनाी आोिों स् ्ा िवद्याििलरों को ल् िा ह जहाो स् ज्ञाा की गगा बहाई जा रही ह और तियाण सयािक द्वल की त् तियत िें ि़ी वह सोचा् ओर जााा चािह
क तरि पमभजीत क् द्वारा तियामिसत लतियन ाया ह
वहाो वािनस जााा ाही चाह् गी
ी िक ्स् पब िकस पब वह भू कर भी
लस ू री तरि लया क् द्वारा तियामिसत लतियन ाया ह, जहाो ्स्
्सकी पान न त् तियत िें ल् वी का लजास िलया गया ह तका
गी
वह वहाो भी जााा ाही चाह् गी
्सा्
तियाण सय म या िक वह िकसी तीसरी लतियन ाया िें च ी जा गी, जहाो ्स् ा तो कोई
जाा ना गा और ा ही नहचाा ना गा तीसरी लतियन ाया िें ्रव्ि करा् क् प ावा पब कोई िवकन भी ाही बचा
ा ्सक् नास
्सा् ड्रायवर को तियालचे ि िलया िक वह ्स् र् व्-ट् िा नर छो़ता हनआ वािनस हो ् ट् िा क् आत् ही ्सा् हटक् क् सा ग्ट िो ा और सरनट भागा् गी लया की बहा इस बात का पलाजा भी ाही
गा नाई िक िमि ऐसा भी कनछ कर सकती ह गा़ी
की खि़की स् गलस ा बाहर तियाका त् हन वह चच ा जा रही ी िक जाा् क् नव ू स ्स् पनाा ााि नता तो बत ाती जा नर ्स् सा न ा-पासा न ा करत् हन वह सरनट भागी जा रही ी प् ्टिािस नर नहनोचत् ही ्सा् ल् िा िक कोई गा़ी ट् िा छो़ रही ह पब वह लग न नाी ताकत क् सा भागा् गी ी भागत् हन िकसी तरह वह पना् आन को क कोच िें चढ़ा नाई
ी रे ् ा ा् पब पनाी नील नक़
ी
ी
कोच िें
क सीट नर बित् हन वह पनाी पतियायसत्रत हो आई साोसों को तियायसत्रत ग गई ी ाािस होत् ही ्सा् खि़की िें स् हाोकत् हन बाहर ल् िा, सब कनछ
करा् िें
लरतगतियत स् नीछ् छूटत् च ा जा रहा न
ा
जत ू ी उसा् नष्ट रून स् िहसूस िकया िक िा क् आगा क् िकसी कोा् स् िती का
ह पब धीर् -धीर् वह मिराओ िें आकर बहा् ओि गन ाबी व
जी ् हो आ
कााों िें हजारों-हजार ाूननर र् ििी रूिा
गा
ा िरीर िें नशरवतसा होा्
् आिें ािी ी होा् क सा
की तरह हवा िें
हराा्
हकृत होा् गा
ग्
गी
ी पना् आन िें गनि
सहजता स् ही पन्लाजा
गा म या
् ्सक् गा
ी सास-्रवास िें ि याच
् ल् ह चन्ला की सी सनवामसत होा्
ा पब वह पना् ि्रय का सिीप्य नाा् क् म
आलिकल आईा् क् सािा् तियावसत्र बिी राधा, पना् जीवा िें तियारीक्षण कर रही
ग्
क सोता िूट तियाक ा
पचााक आ
चटक
्रवािहत होा् गी
गा
ा
ी और िा िकसी
पधीर हो ्िी
ी
नशरवतसाों का सक्ष न िता स्
ी राधा तभी ्सक् कााों स् कनछ ककसि वर आकर टकराा्
ा िक ट् रा् वा ा और कोई ाही बत्क बनआ
ा ,
ग् ्सा्
ी
बनआ ्िस गगा ल् वी ्िस िाकनर लौ त मसह जी क् वगसवासी िनता की िनहबो ी बहा हव् ी िें आा् जाा्
की इन्हें िााही ाही ह व् कभी भी िकसी भी वक्त सबाा रोकटोक क् आ जा सकती हैं नाशरवाशरक िाि ों िें लि लाजी भी कर सकती हैं पनाी स ाह क् सा िहम्ित ाही ह िक वह इाकी आज्ञा टा और भी बढ़ जाया करती ह वह
ो़ा सा सभ
गई
हनक्ि भी ल् सकती हैं इस साम्राज्य िें , िकसी िें भी, इताी सक् िवि्र्षकर, जब िाकनर साहब घर नर ाही होत् हैं, तब इाकी चौकसी
ी िक बनआ तूिाा की चा
सोि् िें आकर सिा गई
ी और सबाा
‘घर का कोाा-कोाा छाा िारा और िहारााी ह िक यहा बिी हनई ह सबहारी की िा आई गई ह आज िाि ्सकी बहू की गोल भराई ह तयार रहाा चार-नाच क् बीच िें ्ा् आऊगी ’
ी न्यौता ला
सिय गवाय्, ्न्होंा् कहाा िरू न कर िलया
तियाक बो
ा-
्रयनतर िें वह कनछ कहाा चाह रही
चनकी
च त् हन
ी ्सक् ओि ि़ि़ा
ही
्, तब तक तो व् किर् क् बाहर भी
ी
राधा ा् गौर स् ल् िा ्ाकी सासें िू ी हनई ी और व् बराबर हाि भी रही ी तियतस नर भी व् िकताा कनछ चक क ति न ी ी ू ाा क् गज न र जाा् क् बाल की भातियत पब चारों ओर िातियत नसरा् गी ी
्सा् ता नर जस्-तस् सा़ी
न्टी ट् ब
नर ऩी कनकू की डलदबी ्िाई िा ् नर
क ब़ा-सा सरू ज
्गात् हन , िाग भरा् ही जा रही ी िक आईा् िें बाा् वा ा ्सका पक्स बो ्िा‘राधा, सबहारी की िाली हन क सा बीता ह और वह बान बाा् जा रहा ह त्री िाली हन बीत ग तू कब िा बा्गी? त्री कोि कब हरी होगी?’ ्रश्ा सनात् ही
गा जस् ्सा् धोि् स् सबज ी का ागा तार छू म या हो नूरा बला हाहाा ्िा आिों
क् सािा् पचधयारा-सा छाा् गहर् तक सूि आया,
तो तीा सा
गा
र- र काना्
गी िा ् नर नसीा् की िोटी-िोटी बलें ू छ छ ा आईं ह क
गा िक मिट्टी की कच्ची लीवार की तरह भरभरा कर वह चगर ही ऩ्गी
पनाी सबिरी हनई ित्क्तयों को सि्टा् का ्सा् ननरजोर ्रयास िकया नर ाही रह गई ह जस् तस् पना् आनको सभा ा और ़ि़ात् कलिों स् च त् हन आकर नसर गई हू ् की
गा िक वह ्सक् बूत् की बात
वह बरािल् िें ऩ् हू ् नर
ोह् की कड़यों स् तियारन्तर आ रही चरस -चरस की आवाज और लहित बढ़ाा्
ज्ञात लर को और गहरा कर जाती
गती
ी
ी
िविशरत ाजरें पब भी छत की लीवार स् चचनकी
ी वह पना् आनस् ही नूछा्
गी, क्या लनसण भी
कभी हूि बो ता ह सच ही तो कहा ह ्सा्, िाली हन तीा सा बीत ग , पब तक ्सक् गभस िहरा ाही ह वह तो नूर् ्राण ना स् िा बाा् को तयार बिी ह िकता् ही ल् वी-ल् वताओ को वह पब तक ावस चक न ी ह तियतस नर भी पगर वह िा ाही बा ना रही ह तो ्सिें ्सका लोर्ष कहा ह
वतसिाा की त्रासली और भिवष्य की भयावहता की नशरकनाा स् वह मसहर ्िती भयााक गतस िें लूब
जाा् क् लर स् वह पना् नर बचाा् का ्रयास करत् हन
की प ाह गहराईयों तक सिा चनका लर, पब रून बल नजों स् बचा् क् म तियाक ता ल् िा
वह सोचती इा तीा सा ों िें िकताा कनछ बल
ा पकूत धा-लौ त की कािाा की
गता वह ्सक् िूाी
ा सा िा िें िह ोरें भरा्
गी
गया ह यह सच ह िक ्सा् कभी िह ों का ्वाब
ी आज सब कनछ ह ्सक् नास जसा जो कनछ चाहा
ी सनाों ा् इताा िवतार म या ही कहा
भी ाही आया
ा ्सा् ्स्
ा िा बाा् की तब वह सोच भी कस्
ा, त्जसिें नतियत होगा-बच्च् होंग् बस क्व
धा चाहा् की
ी बानू यिल धन्ाा स्ि होत् तो िायल ही वह धा-लौ त की कािाा करती
सनाों क् पारू न न हव् ी भी मि
वह िो गया
बल कर सािा् ि़ा होकर लराा्
नैंतर् बल ती, ििर भी िरोंच क् तियािाा ्भर आत् और ल् ह स् िूा िटनिटना कर बह
नूरा-नूरा मि ा ह हा ्स् तब िा बाा् का कभी ्या सकती
कोई सिाधााकारक छत िोजा् का ्रयास करती नर िा
गई ाौकर-चाकर भी मि
ग
नर नास का जो पि ू य िजााा
ा-
ा बात बात नर खि -खि ाकर हस ल् ा् वा ी राधा आज नार्षाण ी ्रतियतिा बाकर िला भर बिी रहती
ह पब तो वह लस ू रों की बजाय वय स् ही बातें ज्याला करा्
गी ह भी़-भा़ स् बचा् का ्रयास करा्
गी ह,
जााती ह वह िक भी़ ्सस् क्या ्रश्ा नूछ्गी क्या वह जवाब ल् नाय्गी? ह ्सक् नास जवाब? वह पना् आनस् ्रश्ा नूछती ििर वय ही ्तर िनल को ल् ती ्रश्ा तो राधा त्र् वय क् नास इता् हैं िक तनह् ्सक् ्तर ही ाही िा ि जब वह वय ही ्तर ाही जााती तो भ ा नछ ू ू ् जाा् नर क्या जवाब ल् गी
उसे लगने लगा था कि वह प्रश्नों िे जलते रे गगस्तान में खडी है । दरू िह ीं दरू आशा िी एि किरण ददखलाई दे ती।
वह हाींफती दौडती उस ति पहीं चती तो पाती कि वह तो िेवल एि मग ृ तष्ृ णा थी। अिारण ह वह दौड-भाग िरती रह । उसे तो
यह भी महसूस होने लगा था कि उसिे तलवों में गहरे जख्मों ने जगह बना ल है और मवाद उसमें से ररस-ररस िर बहने लगा है । वह लगातार चलते तो रहना चाहती है पर जानती है कि पैर उठाये, उठ नह ीं रहे हैं। वह धम्म से नीचे बैठ जाती है । जानती है वह कि रे गगस्तान में िब आींधी चलने लगती है । िभी भी आधी ्ि ि़ी होगी और ्सका सारा वजल ू -सारा वचसव
गिस र् त क् ाीच् लब जाय्गा, लिा हो जाय्गा सला-सला क् म िीत
िली छाह त ् बिकर आराि कराा चाहा्
गा
, हि्िा क् म
्सका िा पब बरगल की
ा तभी िा क् िकसी कोा् स्
क हीाी सी आवाज
सा न ाई ल् गई िक राधा बरगल की िली छाव तो तह न ् तब ासीब होगी जब त्री कोि स् िकसी बीज का पकनर िूट् गा
हसत्-िनकनरात्-हा
नाव च ात् चन -चच
बच्च् की तवीर ्सक् आिों क् सािा् ााचा्
कनाा िात्र स्
गा िक बसत
हवा िें िनलका्
गी हैं बस यह तो वह सब कनछ चाहती ह इन्ही सनाों क् साकार होा् की ्रतीक्षा िें ्सक्
्राण -िवक
ौट आया ह चारों ओर हशरया ी छाा्
गी बच्च् की
गी ह हजारों-हजार रग-सबरगी तियततम या
ब्चा होत् हैं
कनााओ क् गहर् सागर िें ्तरकर वह लूबती-तरती रही तभी
धिाक् क् सा िवक्षत होा्
क बवण्लर सा ्ि ि़ा हनआ जोरलार तियताका-तियताका सबिर गया कनााओ क् कनतरू धरािायी हो ग पलर पब सब कनछ क्षत-
ा चारों ओर गहर् पचधयार् धू
सब कनछ िात होा् क् बाल ििर
मिट्टी क् गनबार क् प ावा बचा भी क्या
क आिा की िकरण खह मि ाती सी िलि ाई
गी िा िें ्साह का सचरण होा्
गा स ोा् सना् ििर सजा्
आिा और तियारािा की पना् आगोि िें
ाील िन ी
ा
हरों नर िहचको ् िात् हन ् म या, नता ही ाही च नाया गा नोर-नोर िें ऐिा क् सा
ी आिा
ििर ब वती
ग्
वह लूबती-्तरती रही इस बीच ाील ा् ्स् कब
आ स भी रें ग रहा ह
्त् हन ्सा् लरू तक ल् िा ल् िा, लीवार की ओट स् हशरया पलर ताक-हाक कर रहा ह वह क्या ल् ि रहा होगा? वह पलर आा् की िहम्ित कस् जनटा नाया ह? तरह-तरह क् ्रश्ा िलिाग को ि ा् तभी
क ्या
कपधा िक नता तो
गाया जा
ग्
क
बी पग़ाई
् वह ्स् लाट कर भगा ल् ा् ही वा ी
िक आखिर वह ल् ि क्या रहा ह ्सा् हू ् नर ऩ्-ऩ् ही चारों
ओर ाजरें घनिाई ऐसा तो कनछ भी ाही िलिाई ल् रहा ह वह वय स् कह ्िी त्जि नर लौ़ाई ल् िा तियावसत्र नूरी ागी ल् ह हू ् नर हू ल् िकर ििस-सी आा्
गी
रही
वह द ा्ज भी ाही नहा नाई
ी ििर ्सा् पनाी ाजरें पना्
ी बात सिह िें आई ्स् वय ही पनाी ल् ह
ी िाामसक सतान क् च त् वह यहा च ी आई
गा िक वह ्स सिय इस त् तियत िें
ी,
ी ही ाही िक सा़ी भी ढग स्
ी ्स् तो पब यह भी याल आा्
न्ट नाती और िायल इसी सतान क् च त्
ी
ाारी की पाावत ृ ल् ह ल् िकर ऋिर्ष िनतिया भी िवचम त हो जात् हैं, तनत्वयों क् तन भग हो जात् हैं, तो
भ ा हशरया हाल-िास का
क जीता जागता इसाा ह, ्सिें भी
क िल
ध़कता ह ाारी सपलयस ल् िकर वह पगर
िवचम त हो ही गया ह तो भ ा इसिें ्सका लोर्ष ही कहा ह काि पगर वह वय ्सकी जगह होती तो ...तो नता ाही... कनछ ा कनछ तो पब तक हो जाता ्सा् पना् आन स् कहा नोर-नोर िें पब रोिाच हो आया हशरया को लाटकर भगा ल् ा् का ्या
िा स् तियतरोिहत हो गया
ा ्सा् ्ित् हन
ा
यह पमभाय करा्
का ्रयास िकया जस् कनछ हनआ ही ाही जस् ्सा् कनछ ल् िा ही ा हो सबिरी हनई सा़ी को ्िाकर न्टत् हन वह पना् किर् िें आकर सिा गई च त् सिय ्सा् न टकर यह भी ल् िा् का ्रयास िकया िक क्या हशरया पब भी वहा ि़ा ह हशरया ्स् िलि ाई ाही ऩा पनाी
िा िका को जागता ल् ि िायल वह लीवार की ओट िें लब न क गया हो और सभव ह वह पब तक भागकर पनाी िो ी िें जा तियछना हो रहता ह
हव् ी स् कािी लरू हटकर ाौकरों क् म
प ग-प ग िोम या बाी हैं इन्ही
क िो ी िें हशरया भी
कलि िात सीधा-साला हशरया पना् काि िें िला भर रिा रहता सनबह-िाि गाय-भैंसें
नााी ल् ता और तियालचे िों का तनरता स् ना ा करता
गाता चारा-
कड़या िा़त् हन ्सा् ्स् कई बार ल् िा ह गिी हनई ल् ह, यत्ष्ट-चौ़ा सीाा, कसी हनई भनजा , जब वह कनहा़ी का भरनूर वार क़ी क् ट्ठ् नर करता, सक़ों िछम या
्सकी भज न ाओ िें ्छ ा्
गती
ी िकसी जरूरी काि स् आ तियाक ा होगा और िह न ् पाावत ृ ल् िकर
होगा िलस ब्चारा- वह िवतार स् सोचा् ल् ह नर सा़ी
न्ट
गी
चा गया
ी
्ा् क् बाल भी ऐसा
ग रहा
ा िक सिूची ल् ह नर हशरया की आिें चचनकी हनई हैं और व् ्स् गातार घूर् जा रही हैं ििस स् वह लोहरी हनई जा रही ी ाहााा पब जरूरी हो गया ा सीध् वह बा रूि िें नहनची ि -ि कर िरीर धोया िरीर को पच्छी तरह सि न ाकर ना्लर तियछ़का बालसर वा ी ाी ी चिचिाती सी सा़ी गी
बनआ का पब तक कही पता-नता ाही
ढो -िजीरों क् वर
न्टी और बाहर आकर बआ का इतजार करा् न
ा बि् -बि् ्स् कोतत होा्
गी
ी ऊची-ऊची लीवारों को
ाघकर
व ििह ाओ क् मिचरत वर पलर तक आ रह्
् बनआ क् इतजार िें वह पधीर हनई जा रही ी ्सस् पब और ाही बिा गया ाौकरााी को आवश्यक तियालचे ि ल् कर वह घर स् तियाक ऩी कबारगी िा
हनआ, कार तियाका ्, नर िा ा् िाा कर िलया ा आि औरतें िायल यह ा सोचा् िलिाा् क् म वह गा़ी नर चढ़ कर आई ह वह नल ही हो ी
गें िक पिीरी का िसा
सबहारी की िा ा् ्सका भरनूर वागत िकया और सबराजा् को भी कहा न भर को ढो -िजीर् बजा् बल
हो ग
् िविशरत ाजरों स् सारी औरतें ्स् घूरकर ल् िा्
गया नूरी िती क् सा नस न रन भी करत् जा रही िलया गया
औरतें गाा्
ी
गा िक
गी
गी
ी ्सक् बित् ही ढो -ढिाका ििर िरू न हो
ी बीच-बीच िें ्सकी तरि ल् ि-ल् िकर
क्ष्य ्स् ही बााया जा रहा ह
क ब़ा सा चौक नूरकर नटा सबछा िलया गया नााी स् भर्
क लस ू र् क् कााों िें िनसनर-
ोट् को क ि बााकर ्स नर लीन भी ज ा
ा सबहारी की बहू को नट् नर ाकर सबिा िलया गया औरतें बारी-बारी स् गोल भराई करती आिीिें ल् ती और पनाी जगह नर आकर बि जाया करती ढो क की ान नर ििह ा पब नूर् जोि क् सा गा बजा रही
ी
राधा को पब पनाी बारी का इतजार हि्म्र रही होगी या सा वचचत ह
लो सा
ा ्सा् गौर स् बहू की ओर ल् िा ली -लौ कािी स् िायल वह छोटी ्सकी कोि िें क बच्चा न रहा ह और वह पब तक इस सनि स्
क ईष्यास भाव िा क् िकसी कोा् िें पग़ाई
्द्व्म त कर रही
ी िक क्या वह आिीवसचाों क् सा
्ा्
गा
ा ध़कत् िल
क् सा
्स्
क बात और
नूतो ि ो-लध ू ो ाहाओ कहा् का पचधकार रिती ह जबिक
इसकी वय की कोि पब तक िा ी ह वह िा ही िा पना् स् बात कर ही रही
ी तभी
क पध़् औरत ा्
जि न ा ्छा त् हन नछ ू ही ला ा ‘‘काह् बाई- पनाो ाबर कब् आा वारो ह- का यही स् ्िकर हव् ी च ा च ें ’’ बात सीधी-साली ी नर ्सा् ्सक् नूर् वजल ू को िह ाकर रि िलया ा त्जस बात को
्कर वह भरी-भरी सी
ी- लरी-लरी सी
ी, वही बात सािा् आकर ि़ी हो गई ्स् कोई
्तर सूह ाही ऩा आिें लबलबा आईं ्स् पब मित ी सी होा् गई औरतों क् हनण्ल को िह न नर हा
गभग
गी,
ाघत् हन वह बहू क् नास नहनची सौ का रिकर सरनट भागी और किर् क् बाहर तियाक गई
त्ज गतियत स् च त् हन कर रह् हैं त्ज चा च त् हन
्स्
गा क हो जाय्गी तितिाकर ि़ी हो क ाोट
िाया और सबाा कनछ कह् ,
गा िक औरतों क् कहकह् , िूह़ हसी और तीि् ानकी ् व्यग्य ्सका नीछा
वह नसीाा-नसीाा हनई जा रही ी लि साधकर ्सा् सोचा- ‘लियन्ती यही नास िें रहती ह, च कर मि
आा् िें क्या हजस ह ्स् पनाी
नह ी िन ाकात की याल हो आई नशरचय नात् ही, सौतियतया लाह क् च त् ्सा् ्सक् िनह नर
ूका और गरजत्
हन कहा ा िक लब न ारा ौटकर यहा कभी ित आाा वह तो क्व सभावाा क् च त् मि ाा चाहती ी ििर ्सा् पना् आनको सिहाईस ल् त् हन ऐसा करा् स् िाा कर िलया िक क किजोर लरी हनई औरत स् मि कर िायला भी क्या होगा पगर वह ततियाक भी िहम्ितवर होती तो नूछती िाकनर स् िक वह बच्चा जा क्यों ाही ना
रही ह ्सिें ्सका लोर्ष ह या िाकनर का बल ् इसक्, ्सा् पना् िा ् नर बाह होा् का िप्ना बग
िें गिरी लबा
सला क् म
च ी आई इस का
लियन्ती क् म
किजोर
औरत- बनलबनलाई
यह घण ृ ा और भी घाीभूत हो ्िी
गा्
गा िक नरू ् बला नर
ा ्सा् पना् बढ़त् हन घर
कोिरी िें ्सा् पना् आन को इस कोिरी िें बल कर म या
ा सला-
वह तो यह भी कहती ह िक िर कर ही इस कोिरी स् तियाक ्गी ्सक् बाल िकसी ा् भी ्स् बाहर
तियाक त् ाही ल् िा ह बनजिल ा ्स् ऐसा
गवा म या और
ा िा िें
ी, जब ्स् याल आया िक ्सक् बला नर
क ू चचनका हनआ ह ता क् सा -सा ौट ऩी ी हव् ी की ओर
पचधयारा भी चारों तरि नसरा ऩा
ही ाही वह ाही जााती और ा ही ्सा्
क घण ृ ा का भाव तियतर आया
क ू ही
कलिों को रोका और
ौटी सन्ााट् क् सा
ी वह
ाईट ज ाा् क् म
ा बब तयूज हो ग
त्वच बोलस की तरि हा
ूक िलया गया
िा भी गला हो च ा ् प वा ाौकरााी ा् ज ा
ही बढ़ा
टटो त् हन वह ्स नर जा बिी आहट नाकर जकी भूका जरूर ा िवचारों की िि ा पब भी ्सका नीछा ाही छो़ रही ी ्रश्ा पना् आनको लह न राा् ृ
पध्र् िें कनसी
गता वह पना्
आन स् नूछती- ‘‘क्या वह िाकनर क् बच्च् को ाही जा नाय्गी? पगर ऐसा ा हनआ तो क्या वह पना् िा ् नर बाह होा् का िप्ना गवा नाय्गी?’’ िा ा बा नाा् की व्य ा औरत को तियत -तियत
करक् ज ाती तो ह, सिाज यिल ्स् बाह कहकर ननकारा्
ग् तो व्य ा और भी बढ़ जाती ह ्सका सिूचा पत्तव ही धू-धू करक् ज
्िता ह क्या वह इस धधकती
पत्ग्ा िें पना्-आनको होंक नाय्गी? तरह-तरह क् ्रश्ाों क् जहरी ् ााग ्सक् बला को कसा्
ग्
्
गा िक
िरीर की सारी हडलया चरिराकर चूर-चूर हो जायेंगी भाविवह्व
होत् हन क िला बआ ा् ्सक् सािा् सच ्ग ही िलया ा िाकनर की नह ी लो औरतों ा् न भी इसी गि को पना् ग ् स् गा म या ा, और तियत -तियत ग त् हन लतियन ाया स् रुिसत हो गई ी तीसरी लियन्ती इसी रात् नर च गया
ही ऩी ह घर स् जब ्स् तियाका ा गया
ा, ्सकी आिा िर गई
ी और ि्र्ष रह
ा िरीर, िरा् क् म पननष्ट िबरों स् ्स् यह भी ज्ञात हो चनका
ा िक पनाी बीिवयों क् रहत्, िाकनर िवमभन्ा िहरों िें रि
भी रि् हन हैं राज् -रजवा़ों, पिीर-्िराओ क् िह ों िें, सबग़् रईसों की हव्म यों िें औरतों की इज्जत होती ही िकताी ी िात्र क जूती क् बराबर जब तक जी चाहा नरों िें ला ् रिा और जब जी चाहा, ्तार िलया चौिट क् बाहर
आज भी इा रईसजालों क् सबतर नर जवाा औरतों को चालर की तरह सबछाया जाता ह और जब चालर ि ी कनच ी हो जाती ह तो ्न्हें िेंककर ाई चालर सबछा ली जाती ह
इन्ही रईसों क् िाालाा स् सबध रित् हैं िाकनर लौ तमसह जी यााी ्सक् नतियत इाकी ाजरों िें आज
भी औरत की कीित
क जूती क् बराबर ह
नसल ाही कर् गी िाकनर को मसिस वह सनूण त स ा क् सा
कबारगी वह चालर जरूर बााा नसल कर् गी नरतन जूती बााा कभी
क वाशरस चािह
और ्स् बस
जी ्ि् गी ्सक् िा का आकाि िनमियों स् हूि ्ि् गा जब ्सका ान्हा राजल न ारा
तनत ाती िीिी जनबाा िें बो ्गा- िा कहकर ननकार् गा तो ्सक् सा िीि् -िीि् गीत गाा्
लसों िलिा
ग्गा ्सक् सार् सतान-सार् लुःन िललस- सारी कनिा
जा ग् ििर चाह् िाकनर ्स् चालर की तरह बल सतान
क औ ाल जब ्सक् औ ाल नला होगी, तो
घ़ी ा् रात क् बारह बज् का िोंका हनई नरों िें चप्न ें ला ी और बाहर तियाक
्िें गी ्सका रोि-रोि
्सी िीिी चािाी िें घन
ल् और ाई चालर भी सबछा
्गी- ा ही आहें भर् गी और ा ही सीकार कर् गी
खि
् तो वह ा तो लि न िााय्गी, ा
गाया ढो -िजीरों क् वर पब भी हवा िें तर रह् ऩी
जा गी-गि न हो
् वह ्ि ि़ी
सन्ााट् स् भर् पचधयार् न
िें , ्सक् कलि हशरया की िो ी क् तरि बढ़ च ्
् िायल
त ाि िें जो ्सका जग आ ोिकत कर सक्
-------------------------------------------------------------------------
ननष्ना ली
लरू ी
ननष्ना लीली का घर बस- टण्ल स् काफ़ी कि
नर ह. बस- टैंल स् फ़वारा होत् हन तियािालगज, ्सी स् गा ह टकारी का नलाव. यिल कोई शरक्िा वगरह ा भी
्ाा चाह् तो बल् आराि
स् नल
च त् हन वहाो नन्द्रह स् बीस मिाट िें आराि स् नहनोच सकता ह. ि् का शरक्िा ्ाा ि्री पनाी िजबूरी
ी.
‘ िनछ ी घटाा को िैं आज तक भू ा ाही
नाया हूो.
क िला ऐस् ही िकसी कायसरोधि िें िनह्
लीली क् यहाो जाा् का पवसर आया. ा. बस स्
्तरत् ही, िैंा् पनाा बग नीि नर टागा और यह सोचत् हन नल ही च तियाक ा िक इताी सी लरू ी क् म क्यों लस_नन्द्रह रुनया िचस िकया जा . गॆट नर नह ी िन ाकात लीली की सास स् हनई. िैं मिष्िाचारवि हा जोलकर ाित् कह नाता और ्ाक् चरण िें पनाा मसर ावा नाता,िक व् बरस नली;”-कस् ्िाईचगर जस् च ् आत् हैं ?,क्या लसनाच रुनट्टी का शरक्िा भी ाही म या जाता तनिस् ? नता ाही कस्-शरश्त्लारों स् ना ा नला ह.”कहत् हन ्न्होंा् पनाा ााक-िनोह मसकोला ा. सनात् ही ताबला िें आग सी सास
ग गई
ी, ्िका व् लीली की
ी, और नता ाही बाल िें व् ्न्ह् िकताी
क सरू ज की
िरी-िोटी सनााती. यह सोच कर िैंा् कोई जबाब
ल् ाा ्चचत ाही सिहा और चननचान वहाो स् खिसक जााा ही र्यकर
गा
ा िनह्. ्स घटाा क् बाल
स् िायल ही कोई ऐसा पवसर आया हो और िैंा् शरक्िा ा म या हो. शरक्िा पनाी गतियत स् भाग रहा
ा.
गभग ्सस् ला ू ी रफ़्तार स् ि्रा िलिाक लौल रहा
ा. शरक्िा िोटर टण्ल स् नह ा िोल
त ् ् हन वह ्स चौराह् स् गनजर् गा,जहाो लािहाी ओर नकज
टाकीज और बायी तरफ़ कि ी वा ् बाबा की िजार ह.वह वहाो स् बाय़ी तरफ़ िनल जा गा िफ़र लायी
ओर. और तीर की तरह सीधा च त् हन क नत ी सी ग ी िें िनलग ् ा. ्सी नत ी सी ग ी िें ननष्ना लीली का ससनरा
ह,जहाो वह िनछ ् लस सा
स्
कल ह.
ननष्ना ली की िाली क् बाल स् ि्रा
वहाो चौ ी बार जााा हो रहा ह. नह ी बार तो िनताजी क् सा
म वावट िें जााा हनआ ा. लस ू री बार जब ्सक् ब्टा नला हनआ ा, तब िाो ा् िनटारा भर सोंि- ि् ी क्
लू त्जसिें काजू,बालाि और
भी ा जाा् िकता् ि्व् ल ् हन घी क् डलदब् क् सा िनह् भ्जा लीली क् ल् वर की िाली
् और नाच िक ो
ा. तीसरी बार
ी और चौ ी बार िनह्
्ाकी ााल की िाली ि् िरीक होाा
ा. जब-जब
भी िनह् वहाो जाा् का हनक्ि हनआ,तब-तब िैंा् साफ़ जाा् स् इाकार कर िलया ा. इाकार करा् क् नीछ् भी पना् िोस कारण
्. नह ा तो यह िक
िनह् आा्-जाा् की िटिकट क् प ावा चगाती क् नस् िल
जात्.और सा
िें ढ् रों सारी िहलायतें िक
िनह् जात् ही सबस् नह ् लीली क् सास-ससनर क् नर छना् हैं और ्ाक् हा
िें कनछ ागल रामि भी भें ट
िें ल् ाा ह. िफ़र हार् हन जनआरी की तरह ्ाक् सािा् बि् रहाा ह.जब तक व् यह आल् ि ा ल् लें िक जा पनाी लीली स् मि
आ, तब तक वहाो स्
िह ाा ित.और तब तक इधर-्धर ताक-हाक भी ित कराा. िाो और िनताजी ि्री आलत जाात्
्
िक िैं जरुरत स् ज्याला बतियतयाा्
गता हू,ो सो यह िहलायत भी घनट्टी की तरह िन ा ली गई िक ज्याला बात ित कराा. त्जताा व् कहें ,क्व
्ाकी बातों
िें हाो िें हाो मि ात् रहाा. पनाी तरफ़ स् कनछ भी ित कहाा .यिल व् हिार् बार् िें नछ ू ें िक व् क्यों ाही आ
तो कोई भी बहााा बत ा ल् ाा. कहाा िाो
की तो बली इच्छा
ी
ि् का लि् क् च त् व् ा आ
सकी और बानू क् बार् िें नछ ू ें तो बत ा ल् ाा िक व् िकसी जरुरी काि स् बाहर ग
हन
हैं.
लीली क् यहाो जब भी जाा् की बात होती ह, सब कन्ाी काट जात् हैं और िनह् ही बम
का
बकरा बाा िलया जाता ह. िैंा् इस बात क् िवरोध िें पनाा िन्तव्य िलया ही जोरलार तिाचा ि्र् बा
गा
्स किर् स् बाहर तियाक ततियाक भी पल् िा ाही इताी बली सजा मि
ा िक िनताजी
ा्
क
नर जल िलया और
ग . ्. िनह् इस बात का
ा िक ि्र् ा कहा् नर
सकती ह. चाटा नलत् ही ि्रा
िलिाक हाहाा गया
ा और आोि् बरसा्
गी
ी .िा िें
क चरोधवाती तूफ़ाा ्ि िला हनआ ा ,जो ल् र तक सरोधीय बाा रहा ा..ि्र् पना् जीवा की यह नह ी यालगार घटाा िैं मसर ाीच् िक
ी.
ल् र तक सनबकता रहा
ा
िक पचााक नीि नर हका सा नर्षस नाकर ि्री च्ताा
ौटी. िैंा् नीछ् न टकर ल् िा. िाो
ही िैं ्ास् म नटकर रो नला.
ी. ल् ित्
ोली ल् र तक चनन
रहा् क् बाल व् िनहस् िनिातियतब हनई और ्न्होंा्
िनह् सिहात् हन कहा:-“ िवजय...तनि इस घर क् बलॆ हो, सिहलार हो. तनम्हार् प ावा ह भी कौा
त्जस् भ्जा जा .? यिल इस घर स् कोई ाही गया तो बला पा स हो जा गा और व् ट् च-ट् च क्
ोग नष्न ना को
हन नहाा कर ल् ग्. ्स् लोहर् आसू रु ा ग्. क्या तनि चाहोग् िक ऎसा हो? ाही ा!
िफ़र क्यों ति न जाा् स् िाा कर रह् हो. हि लोाों िें स् कोई वहाो जाा् की िहम्ित क्यों ाही जनटा
नात् हैं ,क्या यह तनि जाााा ाही चाहोग्.? सना घर क् हा ात ति न स् तियछन् ाही ह. क्व तनम्हार् बाबज ू ी किाा् वा ् हैं और लस
क पक् ्
ोग बठ्कर
िाा् वा ् हैं. घर का िचस िकस तरह च ता ह यह
भी तनम्हें बत ाा् की आवश्यकता ाही ह.िफ़र हिार् नास बान-लालाओ की जिा नूजी भी ाही ह. चूिक ्स घर िें हिारी ब्टी सबहाई ह तो हिें वहाो क्
सभी छोट् -बल् कयसरोधि िें जााा जरुरी हो जाता ह और वहाो क् तियायिों क् तहत ्स ्रकार स् ाेंगलतूर भी करा् नलत् हैं. तनि जाात् ही हो िक ननष्ना का नशरवार करोलनतियत नशरवार ह और हिें ्ाक् ट् टस क् िनतासबक व्यवहार कराा होता
ह,त्जसकी हिारी हमसयत ाही ह. यिल हि िें स् कोई वहाो जा
और ह्का-नत ा व्यवहार
् जा
तो भर् सिाज िें हिारी िकरिकरी होती ह. कोई कह् , ा कह् ,हि पनाी ही ाजरों िें चगर जात् हैं. ब्टा हििें इताी िहम्ित ाही ह िक हि वहाो
ोली
ल् र भी रुक ना . तनम्हार् जाा् स् ्न्हें यह कहा्
का िौका ाही मि ्गा िक हिार् यहाो स् कोई ाही आया. लस ू र् तनम्हारी चगाती
लक िें आती ह.
पतुः कोई तनम्हें ् हााा भी ाही ल् गा. सिह रह् हो ाा तनि ि्री बात को गहराई स् !” िाो इताा कह कर चनन हो गईं
ी .िैंा् ाजर् ऊनर ्िा कर
ल् िा, ्ाकी आोिों िें आसू हर रह्
्.
गातार
हर रह् आसनऒ को ल् िकर ि्रा धीरज लो ा. पब कहा् सनाा्
.बावजूल इसक् रहा
्िा
ायक कनछ बचा ही ाही
क ्रश्ा
ा
गातार ि्रा नीछा कर
ा. िैंा् िहम्ित बटोरकर नूछा:”-िाो..सबध
हि्िा पना् बराबरी वा ों स् िकया जाता ह,िफ़र आना् ननष्ना लीली का सबध इता् बल् घराा् िें क्यों कर िलया.? “
जवाब ल् ा् की बारी पब िाो की
ी.
क
बी चनप्नी क् बाल ्न्होंा् कहा:- हाो..हिें यह सब
नता
ा और नता
ा इस बात का भी िक हि
पनाी हमसयत स् बाहर यह काि करा् जा रह् हैं. ननष्ना सयााी हो च ी
ी. ्सक् रून-गनण की चचास ो
यहाो-वहाो, जब-तब होती रहती िराब च िला
ी जिााा िकताा
रहा ह यह भी तू जााता ह..हिें रात-
क ही चचन्ता िा
जा रही
ी िक ्सकी
िाली िकसी पच्छ् घराा् िें हो जा .और हि चा की ाील सो सकें. िैंा् इस बात का त्जरोध पना् भया स् िकया
ा. ्न्होंा् िनह् आश्वत करत् हन कहा “त्जज्जी ि्री ाजरों ि् क पच्छा सा लका ह. नढा-िलिा ह और ल् िा्-नरिा् ि् ाम्बर
क
.िकसी बैंक-वैंक ि् ाौकरी कर रहा ह. घर स् करोलनतियत ह. ्सक् िाता-िनता को िब ू सूरत
लकी की त ाि ह. िनह् नक्का यकीा ह
िक नष्न ना ल् ित् ही नसन्ल कर तनि
क तियाहायत ही
ी जा गी. िैंा् ्न्हें
ोग क् बार् िें िवतार स् बत ा िलया ह.
लक् क् िनता का कहाा ह िक व् लह् ज
ाही कर् ग्. यिल ्न्हें
्कर िाली
लकी नसन्ल आ गई तो हि
चट िगाी-नट िाली का इराला रित् हैं. सभव ह िक व् पग ् सप्ताह तनम्हार् यहाो नहनोचा् वा ् हैं. िैं भी सा रहूोगा,पतुः चचन्ता कराा् की जरुरत ाही ह.”
जसा तनम्हार् िािाजी ा् कहा
ा,व् ननष्ना को
ल् िा् च ् आ , और ्स् ल् ित् ही शरश्ता नक्का हो गया. हिस् भी त्जताा बा नला,लह् ज िें हिा् सभी आवश्यक चीजें ली .ननष्ना पना् घर िें िज् िें ह . क िा-बान को और क्या चािह
िक ्ाकी ब्टी
राजरााी की तरह रह रही ह. चनिक ्ाक् घर िें िकसी ्रकार की किी ाही ह ,पतुः व् िल
िो कर
िचस करत् हैं. िनछ ी बार जब हि ्ाकी बली ब्टी की िाली िें ग
्,तो लह् ज िें ्न्होंा् नचास तो ्
सोा् क् ज्वर पनाी ब्टी को िल क िारुतियत गाली. टीक् ि् ्न्होंा् भी िलया
् और सा क
िें
ाि ागल
ा. पब तनम्ही बताओ िवजय, हि ्ाकी
नासग िें कहाो बित् हैं ?”.
िाो की बात ज्हा िें ्तर गई जाा् क् म
तयार हो गया
ी और िैं
ा.
काफ़ी सिय नह ् िनताजी ा् प् ाइ का बाा सूटक्स िरीला
ा, जो वर्षॊं स् नला धू
िा रहा
ा. िैंा् आिहता स् ्स् ाीच् ्तारा. ्स नर नली
धू
को साफ़ िकया पना् कनलॆ रि ही रहा
तभी िाो ा् किर् िें ्रव्ि िकया. ्ाक् हा प् ात्टक का
क बग
ा, िें
ा. बग िनह्
िात् हन ्न्होंा् कहा िक जात् बराबर इस् ननष्ना को ल् ल् ाा.और य् लो सौ रुन
हैं,जो आा्-जाा् की िटिकट
और ा्ग-लतूर क् म
हैं. इस् सोच -सिह कर
िचस कराा.
बस स् ्तरत् ही िनह् शरक्ि् वा ों ा् घ्र
म या. तका शरक्िा ा
िनह् िनछ ी बातें याल हो आयी.
्ा् नर लीली की सास क् द्वारा िलया
गया ् हााा िकसी ट् न की तरह ि्र् कााों िें बजा्
गा. ा. िैंा् पब की शरक्ि् स् ा जाकर
आट स् जाा् का िा बााया. बलॆ िनत्श्क
स्
क
आट वा ा बीस रुन
िें जाा् को तयार हनआ. िैंा् बली िाा स् पनाा सािाा आट िें रिा और वह च
नला. राता च त् ि्री आोिों क् सािा् लीली
की सास का च्हरा िलि ाई नलता. िैं सोचा्
गा
ा िक जात् बराबर ही व् िनह् लरवाज् नर बिी
मि ्गी और िैं ्ाक् सािा् आटो स् ्तरत् िलिगा न तो ्ाक् कहा् क् म और ा ही व् िनह् ज ी
कनछ ाही बच्गा
कर ना गी.
आट पब ्ाक् लरवाज् क् िीक सािा् जाकर रुका.. िैंा् ल् िा िक लरवाज् नर कोई भी ाही ह. ि्रा िा बनह सा गया होा्
गा
क नछतावा भी
ा िक िैंा् ााहक ही इता् सार् नस् िचस
िक . यिल िैं नल
भी च ा आता तो यहाो ल् िा्
और कहा् वा ा कौा ्सक् म
ा और
ा ? िर, पब जो हो चनका
क्या नछतााा. ्रव्ि द्वार को नार करत्
हन िैं काफ़ी पन्लर तक च ा आया ा ्िका वहाो भी कोई िौजूल ाही ा. ि्री व्यरहणता बढती जा रही ी िक आखिर सब कहाो च ् ग , जबिक िाली
वा ् घर िें तो भील-भाल रहती ही ह. ि्री ाजरें पब लीली को िोजा्
गी
ी.
गभग नूर् घर को
तक च ा आया
ाघत् हन िैं िनछवालॆ ा. घर क् िीक नीछ् बला सा बाला
ा,जो िन्य सलक स् जा मि ता ह. वहाो जाकर
िैंा् ल् िा िक ननष्ना ली क् ससनर कनसी िें िवराजिाा ह. िैंा् जात् ही सूटक्स को ाीच् रित् हन ्न्हें ्रण ाि िकया और ्ाक् चरण नर्षस िक . िनह् ल् ित् ही ्न्होंा् कहा”- पर् िवजय..कब् आ
?
ूक स् ह क को गी ा करत् हन िैंा् कहा:-बस, िैं च ा ही आ रहा हूो.” वाक्य सिाप्त भी ाही हनआ ा िक ्न्होंा् लस ू रा ्रश्ा ्छा
िलया:-
काह् ..िाटरजी ाही आ ”. तो िैंा् कहा:-बाबूजी का
िा तो इस बार आा् का ् रिी
ी
ा और ्न्होंा् छनट्टी भी
्िका पचााक वाथय गलबल हो
जाा् की वजह स् ाही आ ना . व् और कोई लस ू रा
्रश्ा लाग नात् ,िैंा् आग् बो त् हन पम्िाजी क् ा आ सका् का कारण भी कह सनााया िक ्न्हें प िा ा् बनरी तरह स् नर् िाा कर रिा ह,पन्य ा ्ाका इस बार आाा तय
ा.
काफ़ी ल् र तक चनप्नी साध् रहा् क् बाल
्न्होंा् िौा तोलत् हन कहा:”-िवजय...तनम्हार् बाबूजी क्यों ाही आ इसका कारण िैं सिह सकता हूो. नर ्न्हें इस बार आाा चािह
ा क्योंिक ि्र् घर
की यह आखिरी िाली ह. इसक् बाल जब भी कोई िाली होगी तो वह हिार् नोत् की ही होगी. िर.” ्न्होंा् िनह्
बी सास
्त् हन िनहस् कहा:-“ िवजय, गता ह िक इस सिय घर िें कोई ाही होगा.
तनम्हार् जीजाजी और त्जज्जी सभी नूजा प् स िें मि ्ग्. बारात िाि को तयारी िें व्
ोग
ग्गी,िायल ्सी की
ग् होगें . तनि ऎसा करो, पनाा
सािाा पनाी त्जज्जी क् किर् िें रि लो और िनोह-हा
धोकर फ़्र्ि भी हो
आओ तो सा
ो और जब
ौटकर
बिकर चाय नीत् हैं, िफ़र हि भी
वही च ् च ्गें.”
लालाजी की बात् सनाकर िैं
ोला सहज हनआ ा. लाली होती तो नता ाही िकताी िरी-िोटी सनााती .इसस् नह ् भी िैं यहाो आया हूो तो हर बार ्न्ही क् सा बिकर बात् करता रहा हूो. व् भी ि्री तरह ही बलबो ् हैं. हिारी बातें सनाकर व् चचढ भी जाती
ी और ्हााा ल् कर कह ्िती
ी िक लोाो
मि कर क्या ् टी-सन टी बातें करत् रहत् हो
.कभी-कभी तो व् यहाो तक भी कह जाती िक बनढा ग
हो
्िका छोकरों की जसी बातें करत् तनम्हें
ििस ाही आती.
ोला ्िर का भी तो ्या
िकया
करो. लाली िक ज ी-कटी बातें सनाकर व् ति िें आ जात् और
गभग लाटत् हन कहत्” तनि चनन बि जी, हिार् और िवजय क् बीच पनाा िह नो ित िो ो. यिल सनााा पच्छा ाही
गता ह तो िकसी
लस ू र् किर् िें च ी जाओ”.
्रयनतर िें क्व ”जी” कहता हनआ िैं वहाो स् सीध् लीली क् किर् िें च ा आया.पनाा सािाा रित् हन िैंा् िनोह-हा धोय्. सफ़र िें कनलॆ गल् हो ग ्,सो ्न्हें बल ा और छ ा बाबू बाकर लालाजी क् नास आ गया. िनह् आया ल् ि ्न्होंा्
नास ही नली कनसी नर बिा् का इिारा िकया और हाक
गात् हन पना् ाौकर रािू स् चाय ाा् को कहा. ोली ही ल् र िें वह चाय बााकर ् आया ा. हि लोाों ा् सा
मि कर चाय नी. चाय क् सिाप्त
होत् ही ्न्होंा् पनाी छली ्िाई और बो ् “च ो च त् हैं.” ाोा की साज-सज्जा ल् िकर िैं पमभभूत
हनआ जा रहा ा. वागत-द्वार मिट्टी क् लो बल् हा ी पनाी सूल िें भारी-भरकि िा ा म वागत की िनद्रा िें िल्
्. बा्न्ड्री- वा
न्ल नर बबों की हा रें
हरा रही
सबरगी रोिाी हर रही इत्र का तियछलकाव कर रही
ी,त्जास् रग-
ी .ग्ट स्
्कर िच
ी. पन्लर
ाा िें ला -
पप्सराओ की आलिकल िूतियतसया बाी
ाा की सनन्लरता ि् चार चाल
ि् जगह-जगह फ़ााूसें सिय िकसी राजिह ा. लालाजी क् सा
ग्
ी. लो ्र् ििीा् सनगत्न्धत
तक कारन्ट सबछा ली गयी बा
क् िकाार्
टक रही
गा रही ी.
ी,जो
ी. िण्ढन
ाा इस
स् कि िलिाई ाही ल् रहा
पन्लर ्रव्ि करत् ही ि्री
ाजरें जीजाजी और त्जज्जी को िोजा्
गी
ी.
जीजाजी तो िनह् िलिाई ल् ग . व् इस सिय ाौकरों को आवश्यक िलिा तियालचे ि ल् रह् वहाो त्जज्जी ाही
्िका
ी .िायल पन्यत्र कही व्यत
होगी. िैंा् लालाजी का सा ्स ओर बढा
्.
छोलकर पना् कलि
जहाो जीजाजी िल्
्. नास नहनोच कर िैंा् ्ाक् चरण नर्षस िक . ग ् गात् हन ्न्होंा् ि्री त ा नशरवार की कनि
क्ष्ि नछ ू ् और
िनहस् कहा िक िैं पनाी लीली स् मि
आऊो,जो
इस सिय रसोई घर िें वहाो की व्यव ा ल् िा् गई हनई हैं. िैं पनाी लीली स् मि ा् को सो आल् ि नात् ही िैंा् ्स ओर लौल
न क हनकत् ही िैं ्ाक् सािा् िला
ातिययत
ा.
गा ली.
ा. िा्
हट ्ाक् चरण नर्षस िक . ्न्होंा् िनह् ग ् म या और ल् र तक िनह् पना् स् म नटा पनाी लीली स् कई बरस बाल जो मि
गा
रिा. िैं
रहा
ा.
न -लो न
बाल जब िैं ्ास् प ग हनआ तो ल् िा िक ्ाकी आोिों स् परन हर रह् ्. लीली क् िल नर इस सिय क्या बीत रही होगी,इस् िैं सिह
सकता हूो. ्न्हें रोता ल् ि िैं भी पना् आनको रोक ाही नाया ा.और िैं भी रो नला ा. हि पयन्त ही नास-नास िलॆ नला
्, ्िका हिार् बीच िौा नसरा
ा. ल् र तक पन्यिक िल् रहा् क् बाल
्ाका िौा िनिर हो ्िा. ्न्होंा् ि्री नढाईम िाई क् बार् िें ढ् रों सारी जााकाशरयाो िाो-बाबूजी क् हा चा
ी और
नूछ्. कई पन्य जााकाशरयाो
्ा् क् बावजूल ्न्होंा् िाो-बाबूजी क् ा आा् क्
बार् िें कनछ भी ाही नूछा. िायल व् इसका कारण भ ी-भातियत जााती िाहौ
ी. िैं इस सिय ्स बोखह
को और भी बोखह
बाााा ाही चाहता
.सो िैंा् ्ास् कहा “त्जज्जी..िफ़र बाल िें बिकर
ा
बात् कर् गें. पभी िैं जाकर जीजाजी की सहायता िें ग जाऊो”. और िैं वहाो स् खिसक म या पभी िला क् तीा बज् क् करीब ाौ बज् क् आसनास
ा.
् और बारात रात गाी
ी. जीजाजी
और ननष्नाली चारों तरफ़ घूि-धूि कर बारीकी स् हर काि का िनआयाा कर रह्
्. तािक बाल िें
नर् िााी ा ्िााी नलॆ. गया
इसी बीच ा्ग-लतूर का कायसरोधि िनरु हो
ा. हिें िबर ली गई. िैं,त्जज्जी और जीजाजी
सभी वहाो नहनोच ग
्. ििह ा ो बारी-बारी स् आती,
लालाजी और लाली को हली ा
गाती और भें ट िें
कनलॆ ल् ती और पनाी जगह नर जा बिती. िैं
क कनसी नर धसा यह सब ल् ि रहा
ििह ा ्स लतूर को करा् क् म ी, ्न्होंा् लाली क् म
क् म
ब्हतरीा कनल्
ा िक जो भी आग् बढ रही
कीिती साली त ा लालाजी
ा
्. तभी िनह् याल
आया िक घर स् च त् सिय िाो ा् जो कनल का गठ्ठर िलया
ा ्स् तो िैं त्जज्जी क् किर् िें ही
छोल आया
ा. ्सिें िकता् कीिती कनलॆ होंग्, यह
तो िैं ाही जााता, ्िका िनह् इताा िा नि ह िक िाो ा् व् सार् कनलॆ फ़्री वा ् स् िकतों िें िरील् ् और व् िकता् ्िला िकि क् होंग्, यह िैं सिह सकता हूो. ि्र् िा िें हनआ ा िक िैं ्स गठ्ठर को
क द्वल ्ि िला
्ा् जा्ो या ाही.?
पना्-पना् घोंस ्- पनाा-पनाा आसिाा -------------------------------------------
“बाबूजी sssssss....”
्सकी आवाज ि् तिी
ी. वह चीिकर बो ा
तााव की नरछाइयाो साफ़ ल् िी जा सकती
ा. बो त् सिय ्सक् ओि कान्
ी. वह तितिाया हनआ
.् च्हर् नर
ा. ्सकी तजसाी बाबज ू ी क् तरफ़
ताी हनयी ी. “बाबूजी......बस ! बस बहनत हो चनका. त्जताा कहाा ा.....कह चनक्. हिें पब सिहाा् की जरुरत ाही. बहनत सिहा चनक् आन. पब हि बच्च् ाही रह् ...हिें पनाी त्जन्लगी पना् िहसाब स् जीा् लें ...” राि्रसाल का च्हरा फ़क्क नल गया पवाक
ा. आवाज ग ् िें फ़सकर रह गयी
्. पजय क् च्हर् नर रोधोध की नरतों को कनर् लकर ल् िा्
ग्
बो ् ग
िदलों को िा ही िा लोहराा्
्रयोग िकया
ा. िफ़र
ग्
ा. व्
.् िा िें िवचारों का तफ़ ू ाा ्ि
िला हनआ ा. पलर सब क्षत-िवक्षत ा. ाजारा ल् ित् हन व् सोचा् ग् “पजय िें इताी िहम्ित कहाो स् आ गयी िक वह पना् िनता स् जबाा िकसस् बात कर रहा ह. पना् िनता स्...... वह भी इस
ी. िोह न िन ा रह गया ्.
लाा्
गा. भू
गया वह
हज् िें ... व् पना् आनको टटो ा्
ग्
्.
्. याल ाही नलता िक ्न्होंा् पनिााजाक िदलों का
क बान पना् ब्ट् स् लोयि-लजचे की बात क्यों कर कह सक्गा. वह तो वही
बो ता ह, त्जसिें ्सकी भ ाई छननी हनई होती ह....वह ्सक् म करती हो.”
कयाण कारी हो......्सका िहतवधसा
्ाकी पब तक की त्जन्लगी नढा्-नढाा् िें ही बीती ह. िकता् ही िवध्याच य स ों को व् पब तक नढा चक न ् हैं...िकता् ही िवध्या ी ्ाक् कनि नरम्नरा ,कतसव्यतियाष्िा
नर आ्याा ल् ा् क् म
िागसलिसा िें नी. च.ली की ्नाचधयाो हामस
व आलिस क् म
आलर क् सा
तियात्श्चत ही पजय क् कोि
व् सलव याल िक
बन ाया जाता ह.
जात् हैं. आज भी ्न्हें मभन्ा-मभन्ा िवर्षयों
िा िें िकसी ा् िवर्ष-वक्ष ृ बो िल
चा की त्जन्लगी िें बवण्लर ्िााा चाहता ह? क्यों
कर चनक् हैं. पनाी ्च्च
हैं. कौा ह वह ? क्यों वह ्ाकी पिा-
ोग चाहत् ह िक ्ाक् ाील का तियताका-तियताका
सबिर जा ?” तरह-तरह क् ्रश्ा ्न्हें ्द्व्म त-व्यच त कर जात्.
पजय क् च्हर् स् चचनकी ाजरें हटात् हन ्न्होंा् कामिाी की ओर ल् िा. वह क ओर िली ाजारा ल् ि रही ी. ्सकी आोिों िें क िवि्र्ष चिक ी और होंि नर कनिट ि न काा. व् सिह ग . सिहा् िें ततियाक भी ल् र ाही
गी. हगलॆ की जल िें िायल इसी का हा
हो.?
सरवती क् ननत्र हैं व्, जबिक कामिाी सरवती और
क्ष्िी की लासी.
क करोलनतियत बान की इक ौती सताा. जब
क्ष्िी िें ाही तियाभी तो ्ाक् पाय न ायी क् बीच ता ि्
ा् सला स् ही सरवती-ननत्रों का ििौ
कस् बि सकता ह?.
ही ्लाया ह. िा क् कोा् िें सल् ह क् बीज नाना्
्न्होंा् कातर ाजरों स् काता की ओर ल् िा. व् भी पजय क् व्यवहार स् ाािनि
ग्
क्ष्िीनत्र न ों ्.
ी. वह भी तदध िली
ी. जब त्जला होत् हन भी जलवत, नार्षाण -िण्ल की तरह. न ाा होत् हन भी गगी. ू काता का िा घली क् न्ण्लन ि की तरह लो ायिाा हो रहा ा. कभी इधर-कभी ्धर. वह सोच रही िकसका नक्ष
ो ,ू िकसका ाही. पजय का नक्ष
चगर भी सकती ह. नतियत का नक्ष िववि, िकताी
्ती ह तो नतियतव्रत-धिस आहत होता ह. नतियत क् ाजरों िें
्ती ह, तो ििता घाय
ी.,
होती ह. लो भागों िें बटी औरत िकताी
ाचार, िकताी पवि होती ह. औरत तो सला स् ही िण्ल-िण्ल होती आयी ह.
िण्ल-िण्ल होत् हन भी ्सिें लया-ििता-करुण ा क् िविवध त्रोत बा् ही रहत् हैं. सिलयों स् यह रोधि औरत जात का नीछ करता आया ह. ्न्हें सब कनछ ट न ााा नलता ह. यहाो तक ा्ह भी, प्यार भी और ल् ह भी. व् तरह-तरह स्
ट ू ी जाती रही हैं.
ट न ा् का ढग मभन्ा-मभन्ा हो सकता ह.
िफ़र ्स् िकता् ही सबधों क् बीच स् होकर गज न राा नलता ह. कभी वह लग न ास बाा ली जाती ह, तो कभी का ी, कभी कनछ और. ल् वी बाकार आिीवासल भी तो
ट न ाा् नलत् हैं ्स्. जब वह लाव नर चढा ली जाती
ह तो िववत्र भी िकया जाता ह ्स्. कभी वह वश्या बााकर कोि् नर सबिा ली जाती ह. ल् ह बल ् िें ्स् मि ती ह चाोली की िाक, जो बनढात् ल् ह क् सा नक्ष
् काता, िकसका ा
पजय क् द्वारा कह् ग स् साफ़ ह क रहा म या ह.
्?
िा िें पब भी चरोधवात सिरोधय
ही पनाी चिक िोा्
गती ह. िकस का
ा.
िदलों की पाग न ज ू पब भी इसक् कााों िें सा न ाई नल रही
ा िक ्सा् पनाा राता चना म या ह. पनाा प ग घर बसा
ट न ाा् क्
ी. पजय की बातों
्ा् का िाास बाा
िाो सब कनछ सह सकती ह. लतियन ाया क् सार् लि न -ललस ्िा सकती ह. नर नत्र न िवयोग की बात वह सहा ाही कर सकती. ्सका िा राई क् लााों की तरह सबिर-सबिर गया नत्र न की कािाा ा् िकताा भटकाया
ा.
ा ्स्. िकताी ही िाौतियतयाो िागा्, िकता् ही ल् वा यों की चौिट
नर िाता ावाा्, नीर-नगबरों की िजारों नर सजला करा् क् बाल ्सा् पजय को नाया म
्सा् पना् िला का चा और रातों की ाील सभी कनछ
पना् जीवा का पकस तियाचोलकर िन ाया
ट न ा िलया
ा.
ा. पजय क्
ा ्सा्. ्स् सकार िल . सिाज िें सम्िाानव स जीा् का ू क
हक िलया. िनता ा् भी क्या कनछ ाही िलया. िनता ा् ्स् िरीर-जिीा, आरय मि ा. ्सा् ्स् आसिा िें ्ला् क् म
लीक्षक्षत िकया. आसिाा स् नशरचय करवाया. आज वही पजय पना् िनता को धिकाा्
नर ्तर आया. पखिर क्यों......क्यों....?
काता की ाजरें कामिाी क् च्हर् नर जा िटकी. रुन िें वह खि ् हन कि की तरह ी ,तो रग िें धन ी हनई चालाी की तरह. कामिाी की आोिों िें कपधती सबज ी की चिक और होंिों नर कनिट ि न काा ल् िकर वह पन्लर तक कान सी गई भ ा सिहा
ा ्सा् कामिाी को.
तो वह पजय को पना् लष्न कृय क् म कनछ-कनछ यकीा िें बल ता जा रहा
ी.
क पज्ञात भय िा की गहराइयों तक ्तर आया
ा. िकताा
्िका वह तो गल न भरी हमसया तियाक ी. ्सक् िा िें कनछ ा होता ा.
टोकती. ्स् िाा करती. ्सक् िवरोध िें िली हो जाती. सल् ह
कामिाी ाही चाहती भी ाही चाहती
ी िक ्सका नतियत पनाी िाो का न न नकलॆ-नकलॆ ्सक् नीछ् ल ता िफ़र् . वह यह
ी िक वह पना् िनता की लनगलनगी की आवाज नर ना तू रीछ की तरह ााचता रह् . वह
तो कनछ और ही चाहती
ी. वह चाहती
ी िक पजय क् सग तियतत ी बाकर,हवा की नीि नर सवार
होकर इि ाती-ब िाती लो ती िफ़र् . िफ़र िह ों की रहा् वा ी िहजाली का लि घट न ता िें . वह चाहती चाहती
ी िक
क कासब
पफ़सर पना् ट् टस क् ित न ासबक रह् . पजय
ी िक ्स् सोा् क् वृ त िें जला जााा चािह .
ा कच्च् िकाा
क हीरा ह और वह
इसाफ़ क् तराजू क् नल ् ऊनर-ाीच् होत् हन आखिर च र हो ग . तियाण सय नतियत क् नक्ष िें गया. काता का िौा िि न र हो ्िा. जल-ल् ह चतन्य होा् गी. होंि नर िदल फ़लफ़लाा् ग्. आोिों िें रोधोध ्तर आया. पजय को ्सकी औकात बत ााा भी जरुरी चाटा जला् क् सा
ही वह क्व
ा. ्सा् पजय क् गा
नर तलाक स्
क चाटा जल िलया.
इताा भर कह नायी- “पजय..पब चन न भी कर. क्या पचधकार ह तह न ्
िक तू पना् ल् वतात न य िनता नर ्ग ी ्िा सक्. त्जस ल् वता ा् तह न ् िरीर िलया..... आिा ली.....
वाण ी ली.... तिीज मसिाई..... सिाज िें सम्िाानूवक स जीा् का हक िलया. तू आज ्न्ही की ब्इज्जती करा् नर ्तर आया”. बस...बस इताा ही व् कह नायी ी.
ी और ्स् ग ् स्
पजय क् पलर ्िल-घि न ल रह् िवद्रोह का चरोधवात धीिा नला् घिण्ल क् िहिकनण्ल िनघ कर आोिों स् बह तियाक ्. कामिाी को सिहत् ल् र ा
गी. ्स् पनाा िायाजा
गा
गात् हन
ा. िा नर जिी पह की नरतें और
ध्वत होता ाजर आा्
गा. वह सोचा्
“िाजी ा् रोधोध जता िलया और पनाी ििता का सागर भी ् ीच ला ा”. सारा िाि ा होता िलिा. पनाी िवफ़ ता ल् िकर वह रोधोध िें भरा् पना् तरकि िें बचा आखिरी तीर,
गी
क्ष्य साधकर च ा िलया.
फ़बककर रो नली
गी.
गभग िात
ी. हारकर भी हार ा िाात् हन
्सा्
“पजय....िूब पनिाा करा चनक् तनि पनाा और िकताा पनिातियात होत् रहोग् ? क्यों नलॆ हो िें ढक की तरह इस कन ो िें , त्जसकी पनाी छ टी सी सीिा ह.? तम् न हें तरा् क् म लब न क् नलॆ हो पनाी िाो क् न न स्, जबिक तम् न हें ्ला् क् म
तो
क सिद्र न चािह . क्यों
क आसिाा चािह . क्यों घट न -घट न कर
जी रह् हो, जबिक तनम्हें धरती का सा िवतार चािह . य् तम् न हें कनछ ाही ल् सकत्. य् ल् भी क्या सकत्
हैं तनम्हें .? इाक् नास ल् ा् को कनछ बचा भी क्या ह.? इन्होंा् तम् न हें आलिों का िोिजािा भर नहाा िलया ह. जबिक आज की लतियन ाया िें इसकी कतई जरुरत ाही ह. िोि ् हैं व् सार् िदल. व् कभी क् पनाी प व स ता, पनाी गशरिा, पनाी चिक, सभी कनछ िो चनक् हैं. िीक ह...इाक् सहार् तनि ्स धरात िलॆ तो हो सकत् हो,
्िका आकाि की ऊोचाइयों को कभी ाही छू सकत्. सा न ा् िात्र िें पच्छ्
नर
गत् हैं
य् िदल. पब भी सिय ह पजय....जागो!. ति न इस भरन भरन ी जिीा नर कस् िलॆ रह सकत् हो?. तनि पब भी सि ू ् हन वक्ष ृ की कोटर िें रहाा चाहत् हो तो रहो. िैं क न भी यहाो िहराा ाही चाहती. लि घट न ता ह ि्रा यहाो. तम् न हें पनिातियात होा् िें िजा आ रहा हो तो िौक स् रहो. िैं तम् न हें पनिातियात होता
हनआ ाही ल् ि सकती....हरचगज ाही. िैं आज और पभी, इस घर को छ लकर जा रही हूो. तनि चाहो तो ि्र् सा च सकती हो. बाल िें आाा चाहो तो, आ सकत् हो. तनम्हें ि्री ाजरों की का ीा हि्िा सबछी मि ्गी”.
तीर
क्ष्य साधकर सधाा िकया गया
ा. तीर तियािाा् नर बिा
ा. वह जााती
ी िक तीर की तामसर.
वह तीर ब्होि कर् गा, िगर होि भी बाा रह् गा. वह ल् ि्गा भी तो ्स् ्सका पक्स ाजर आ गा. ्स् ललस भी होगा. आह भी तियाक गी....नर आह क् सा
्सा् ्सक् रुन-यौवा और िल क् सत्म्िरण क् घो सधाा पप्सरा ि्ाका ा् िकया ा. ्सक् होंिों नर
क कनिट
्सका पनाा ााि भी होगा. जााती ह वह. वह तीर िें बनहाकर तयार िकया
ा.
क ऎस् ही तीर का
ा, त्जसकी घातक िार का सािाा ऋिर्ष िवश्वामित्र को भी कराा नला
ि न काा तरा्
गी
ी.
“क्या कह रही हो कामिाी ति न ? क्यों हिार् िवरोध िें पजय को भलका रही हो? क्या हिा् तम् न हें नराया सिहा?. तनम्हें पनाी बहू ाही, ब्टी िााा ह हिा्. क्या िाो-बान को इताा भी पचधकार ाही ह िक व् पना् ब्ट् को लाट भी सकें.? तनि क िाो-बान होा् का हक हिस् छीााा चाहती हो?” काता क् वर िें हतािा क् भाव सत्न्ािहत
्. बो त् सिय ्सक् होंि भी कान्
्.
“िह न ् इस िवर्षय िें कनछ भी ाही कहाा ह और ा ही िैं कनछ कहाा चाहूोगी.” नर नटकत् हन किर् िें जा सिायी और पनाा सट ू क्स तयार करा् गी ी. क िवभाजा-र् िा नष्ट रुन स् िीची जा चक न ी
ी. कामिाी जााती
ी िक पजय ्सक् ्र्ि-नाि िें
इस कलर जकला हनआ ह िक ल् र-सब्र ही सही, ्सक् नास च ा आ गा. पना् हृलय-कि क् भीतर, ्सा् पजय रुनी भपर् को कल करक् जो रि म या ा. कामिाी जा चनकी रह्
्. व् जाात्
ा.
पजय का िला का चा व रातों की ाील तियछा गई
ी. भि ू -प्यास स् जस् ्सको कोई ााता ही ाही रह
ा. वह िोया-िोया सा रहता. बाबूजी सिहात्. िाो सिहाती. कामिाी को वािनस
तो वह चनप्नी
की निनडलयों
ी. ्स् जात् हन सभी ल् ि रह् .् राि्रसाल व काता पना् ाील को ्जलत् हन ल् ि ् िक कामिाी रोक् स् रुका् वा ी ाही ह. कामिाी क् जात् ही क बला सा िून्य सभी
क् िा िें ्तर आया गया
वह पना्
गा जाता और किर् िें पना् आनको बल कर
् आा् की कहत्
्ता.
िाो पना् ननत्र की हा त ल् िकर नर् िाा हो जाती. भ ा वह पना् ननत्र को लि न ी ल् ि भी कस् सकती जााती नकल
ी िक कामिाी त्जद्दी ह. िफ़र
क करोलनतियत बान की इक ौती सताा
ी तो नूरा कराय् बगर वह कब िााती
ी. ्सा्
ी. ्सक् िनता ्सकी त्जद्द नरू ी िकय् ल् त्
क बार त्जल
ी.
्. िाो-बान को
हक ह िक वह पनाी सताा की त्जल नूरी करें , ्िका ्न्हें यह बात ध्याा िें पवश्य रिाी चािह
िक
त्जल कही आलतों िें िि न ार ा हो जा . ाली को पनाी तियाबासध गतियत स् पवश्य बहाा चािह . नर यह भी ध्याा िें रिा जााा चािह ल् ती हैं.
व् ाारी वतत्र्यता की ्रब
िक तटबध िजबत ू हो, पन्य ा वह पनाी ्द्दण्लता क् च त् बत्तयाो ्जाल नक्षधर रही ह. वतत्रता कही वछन्लता िें ा ढ
ध्याा भी िाता-िनता को रिाा चािह . ्न्हें सिहााा चािह बहनत कनछ होता ह. पजय को ्न्होंा् सकार िलय् ना . रह-रहकर
्कर जो पलाजा
िक
जा , इस बात का
ल् ह क् भीतर और ल् ह क् बाहर भी
्. नता ाही...कहाो कोई किी रह गयी िक बीज ढग स् पकनशरत ाही हो
क बवण्लर सा ्िता. रह-रहकर बीती बातें याल आती. िाली स् नूवस ्न्होंा् कामिाी को गाया
ा, वह ित-्रतियतित सच तियाक ा. “सबध हि्िा बराबरी वा ों स् िकया जााा
चािह ” का मसद्धात जाात्-बूहत् हन , और िफ़र पजय की त्जल क् च त् ्न्हें यह शरश्ता वीकार कराा नला ा. िाि को छत नर बिी काता सरू ज को पताच नत् सव ाा्
ग्
मििओ क् म न
. लााा-चग न ा खि ा ल् ा् क् बाल व् आनस िें बतियतयाा्
िफ़र वानस
्. नक्षक्षयों क् ल
ौट आत्
ौटा्
ग्
िें जाता ल् िती रही
.् िायल व् पनाा कौि
नहाल क् ्स नार ्तर जााा चाहता
ा
ी.
्. व् पना् िोह न िें लााा-चनग्गा भर
िलिा रह्
ग्
सबलाई िें साध्य गीत गाा्
ग्
पनाी पतियति िकरण सि्ट
्ा् स् नव ू ,स सरू ज इस बात को ल् िता च ा
बजाकर नक्षक्षयों का ्साहवधसा कर रहा
ा..
लक्षक्षण ाया क् न
्, पना्
क्
्. लरू -लरू तक ्ल कर जात्,
गा
को सि्टकर
ा. सार् नक्षी ्सकी
क् ल् ह िें हरन हनरी सी भर आयी
आान्लिग्ा होकर गीत गा रहा ह. सभी िनिी िें हूि रह् हैं. वह चाहता च ता रहाा चािह . वह इस आिा क् सा
ाई
्. सरू ज पनाी िकरण क् जा
क सरन ियी पचधयारा सा छाा्
्. बूढ् नीन
छपही िकरण स् नीन
ी. वह भी ताम याो बजा-
ा िक ्सका पनाा नशरवर ा िक इसी तरह सब कनछ
नर बढ च ा
ा िक जब वह ा
रून िें
नूरब स् ्ग्गा तो ्स् ्सका सिच ू ा नशरवार, इसी तरह आान्ल िें लूबा मि ्. होसता-गाता मि ् और नूर् जोि-िरोि क् सा
्सका वागत कर् .
छत नर सब न ह-िाि टह ाा-बिाा पब काता की िलाचयास हो गयी पनार िनिी मि ती
ी. िगो ीय घटाा को घटत् ल् ि ्स्
ी. नक्षक्षयों की गतियतिवचधयों को बाशरकी स् ल् ित् रहा् िें ्स् पनार ्रसन्न्ता होती
ी. ्स् यह जााकर ब्हल िनिी हनई ी िक मभन्ा-मभन्ा ्रजातियत क् िक ू -नि्रु िकस तरह आनस िें िह मि कर रहत् हैं. कस् पना् नशरवार को च ात् हैं, जहाो लाई-हगला या िफ़र वाल-िववाल क् म कोई जगह ाही होती.
्सा् ल् िा. नक्षक्षयों क् बच्च् जब पबोध होत् हैं, पना् कोटर िें ही रहत् हैं. िाला, मििन को चनगा-लााा
ल् ती रहती ह. जब ्ाक् नि ्गा् िनरु होत् हैं, तो वह ्न्हें ्लाा भी मसि ती ह. कभी-कभी तो वह पना् मििन को घोंस ् क् बाहर धक्
ल् ती ह तािक व् जली ्लाा सीि जा .
बच्च् जब जवाा होत् हैं तो पनाी नसल का जीवा-सा ी चा न त् हैं. जोला बााकर ही व् गभासधाा की
्रिरोधया पनाात् हैं. िाला क् गभसवती होत् ही, लोाो मि कर ाील बााा् िें व्यत हो जात् ह, तियताकातियताका जोलकर घोंस ा बााया जाा्
गता ह.
ाील क् बात् ही िाला पलॆ ल् ती ह. ्स् स्ती ह तब तक, जब तक मििन बाहर ाही आ जाता. नक्षी की यट ू ी बाती ह िक वह िाला की ल् िभा ्सा्
क बात मिद्दत क् सा
ाोट की
पब ार
कर् और ्सक् ्लर नोर्षण की भी व्यव ा कर् .
ी िक घोंस ा क्व
क बार ही बाता ह. ्सका ्नयोग बाल
िें ाही होता. जब मििन जवाा होकर घोंस ा छ ल चनका होता ह , ब् गाि हवा ्ा घोंस ों को पना्
न्ल स् तहस-ाहस कर ला ती ह. पना् ्जलत् हन घोंस ों को व् वराग्यभाव स् ल् ित् जात् हैं. घोंस क् ्रतियत ्ाका िोह तब तक बाा रहता ह, जब तक इािें ्ाक् बच्च् चहचहात् रहत् हैं.. “त्जस् क बार छ ल िलया, ्सक् ्रतियत िफ़र िोह कसा? िायल यह तियाष्काि-भाव- वराग्य का भाव,्न्होंा् ्रकृतियत क् सातियाध्य िें रहकर ही सीिा होगा. काता को सत्र ू मि
गया
ा. सत्र ू इस ्रकृतियत की िक ू भगवलगीता
की फ़ौज,. ा वहाो कोई िाा-सिाा की भि ू
ी. वहाो ा तो पजना स
ी, ा ही पनिातियात होा् नर ्रतियतिोध क् म
ा. ा कौरवों धधकती
ज्वा ी
ी, ा राज
भी कस् सकत्
ा और ा ही ही नाट, वहाो रीकृष्ण भी ाही
्. सबाा सा न ् व् गीता का भाष्य सा न चक न ी
पहसास भी कर चनकी
्. होाा भी ाही चािह
्. व् वहाो हो
ी. सबाा ल् ि् व् कृष्ण की ्नत् तियत का
ी.
काता ा् राि्रसालजी को छत नर बन ाया. कनसी नर सबिात् हन ्रकृतियत की ्ति व्या्या कह सा न ायी. ाील बाात् जोल व ाील चगराती हवा को ्रयक्ष िलि ाा् गी ी. राि्रसालजी ा् काता की आोिों िें आोिें ला कर भीतर तक हाका. नरू ् िवतार क् सा
क ाी ा, पात सागर, पन्लर पना्
फ़ ा हनआ ा. कनछ हल तक पसहित होत् हन भी ्न्होंा् पनाी सहिती ्रलाा कर ली ग
ी. व् इस बात नर सहित हो
् िक पजय को भी पनाा ाील बााा् की वतत्रता ह. ्न्होंा् तियाश्चय कर म या
ही व् पजय को बधािक् न त कर लें ग् तािक वह ाी गगा िें पनाी ्लाा भर सक्. बाल ों को ब ात हटात् हन
क ाया सरू ज आसिाा क् नट
नर ि न कनराा्
गा
ा िक सब न ह होत्
ा.
चिकारी रात ( क
ोकक ा नर आधाशरत
कनशरवतियतसत रुन िें
चिचिा रहा
िरल ननखण सिा का िला
ा. चाल पना् नूर् यौवा क् सा
ा. िौसि बला सनहााा हो गया
रहा
ा. चारों ओर िातियत का साम्राज्य
रह्
् और लस ू री ला
आकाि नट
ा. रात क् बारह बज् सारा जग
ा. नॆल की
नर तोता और िाा बि् हन लस ू र् की भार्षा सिहत् ्.
क ला
नर
आराि स् सो
नर बन्लर और बन्लशरया बि् जाग
्. यह वह सिय
ा जब निन-नक्षी
क
तोता बो ा:-“िाा, रात ाही कट रही ह. कोई ऎसी बात सनााओ िक वक्त भी कट जा
और िाोरजा भी हो.” िाा िनकनराई और बो ी:-“ क्या कहूो आन बीती या जगबीती. आन बीती िें भ्ल िन त् हैं और जगबीती िें भ्ल मि त् हैं”. तोता होमियार ा, बो ा-“ तनि तो जगबीती सा न ाओ”. िाा ा् कहा:-“ आज की रात स् पित ू कि ता ृ बरस्गा. पित ृ की कनछ बल्
क चिकारी रात ह. आज ही क् िला चन्द्रिा
िें भी चगर् गी, त्जसस् इसका नााी चिकारी
गनण स् यनक्त हो जा गा. यिल कोई ्राण ी आधी रात को इस कि ता
िें कूल जा
तो आलिी
बा जा गा.”. तोता बो ा, क्या सचिनच िें ऎसा हो सकता ह”. िाा ा् कहा:”जो ्र्ि करत् हैं, व् सवा
ाही नूछत्, भरोसा करत् हैं”.तोत् ा् िाा स् कहा “ तो िफ़र ल् र िकस बात की. च ो हि
लोाो ता ाब िें कूल नलत् हैं और आलिी बा जात् हैं”. िाा ा् कहा,” पर् तोता, हि नछी ही भ ्. पभी तू आलिी क् फ़्र िें ाही नला ह, इसम
चहक रहा ह. हि पनाी ही जात
िें बहनत िनि हैं” तोता-िाा की बातें बन्लर और बन्लशरया ा् सनाी तो चपक नलॆ. पधीर होकर बन्लशरया ा् बन्लर स् कहा-“सा ी आओ..कूल नलॆ.” बन्लर ा् पगलाई ही िनि हैं.
क ला
िीि् -िीि् फ़
्त् हन कहा-“पर् छ ल र् सिी, हि ऎस् स् लस ू री और लस ू री स् तीसरी नर छ ाग िारत् रहत् हैं. न्ल नर ग्
िाकर पनाा गनजर-बसर करत् हैं. ा घर बााा् की हहट और ा ही िकसी बात
की चचन्ता. हिें क्या लि न ह. पना् िलिाक स् आलिी बाा् का ्या
तियाका
ल् ”. बन्लशरया
आह भर कर बो ी-“ य् जीवा भी कोई जीवा ह? िैं तो तग आ गई हूो इस जीवा स्. िनह् यह सब कराा पच्छा ाही गता. आलिी की योतिया िें जन्ि ्कर िैं लतियन ाया क् सार् सनि ्िााा
चाहती हूो. ल् िो, िैंा् पनाा िा बाा म या ह और िैं पब ता ाब िें कूला् जा रही हूो. यिल तनि िनहस् सच्चा प्यार करत् हो तो ि्रा सा ल् ाा होगा. िाा की बताई घली बीता् वा ी ह, सोच क्या रह् हो, आओ नकल ि्रा हा
और कूल नल ”. बन्लशरया की बात सा न कर बन्लर िहचकचाा्
गा. बो ा-“ तनि भी िाा की बातों िें आ गयी. नााी िें तो कूल नलेंग्,
्िका िकसी जहरी ्
सान ा् काट म या तो िनफ़्त िें जाा च ी जा गी”. बन्लशरया सिह गयी िक बन्लर सा ल् गा. घली बीता् ही वा ी
ी. बन्लशरया चिकार ल् िा् क् म
िें कूल नली. आश्चयस, बन्लशरया की जगह वह सो ह सा ्सक् रुन स् चालाी रात जगिगा ्िी. ला
ल् िा तो नाग
हो ्िा. ्सा् तका
बा जा गा. ्सा् ला की बीत चनकी
स् छ ाग
गी
ी. तभी सयोग स्
ी.
नर बि् बन्लर ा् जब ्सका पद्भत न रून
गाया और ता ाब िें कूल नला, िला तियाक ा.
ी, हम्ि स् कि ता
की यनवती बा गई
फ़स ा म या िक वह भी कि ता
ी. वह बन्लर का बन्लर ही बाा रहा.
िें पनाा बला गिासा्
्सनक
ा
िें कूलकर आलिी
्िका वह िनभ घली कभी
र- र कानती यनवती, सूरज की गनागनाी धून
क राजकनिार ्धर स् आ तियाक ा. ्सा् ्स
रुनवती यनवती को ल् िा तो बस ल् िता ही रह गया. ्सा् पना् जीवा िें इताी िब ू सूरत यनवती इसक् नह ् कभी ाही ल् िा
ी. ल् र तक पन क ल् ित् रहा् क् बाल, वह ्सक् नास नहनोचा और पनाा ्तरीय ्तारकर ्सक् कधो नर ला िलया. िफ़र पनाा नशरचय ल् त् हन कहा :-ह् सनिनिी...सन ोचाी..िैं इस राज्य का राजकनिार हूो और मिकार ि् ा् क् म इस जग िें आया हूो. इसस् नह ् िैंा् तनम्हें यहाो कभी ाही ल् िा. तनम्हें ल् िकर यह ाही गता की ति न इस ोक की वासी हो. ह् ! सत्र ोकसनन्लरी बत ाओ, तनि िकस और तनम्हारा क्या ााि ह ?”.
ोक स् इस धरती नर पवतशरत हनई हो
क पजाबी और बाक् यनवक को सािा् नाकर वह ििस स् छनईिनई सी हनई जा रही ी. िरीर िें रोिाच हो आया ा. सोचा् –सिहा् की बनिद्ध कनिित सी हो गई ी. वह यह तय ाही
कर ना रही बन्लशरया
ी िक ्रयनतर िें क्या कह् . क्या ्स् यह बत ा
ी और पधसरासत्र िें इस कि ता
ह? ल् र तक ाजरें ाीच् हनका
िें कूला् क् बाल
वह िौा ओढ् िली रही
ी.
राजकनिार ा् लोाों क् बीच नसर् िौा को तोलत् हन ऎस्-वस् सवा नूछ बिा. िनह् यह सब ाही नूछाा चािह सी िवाती ह, ्स् सना
िक कनछ सिय नूवस तक वह
क सनन्लर-सनगढ यनवती बा गई
कहा:-“ िैं भी िकताा िनिस हूो, जो ा. ल् वी िाफ़ करें . ि्री क छ टी
ीत्ज . तनम्हारी यह किाीय काया जग
य् ााजनक नर ्बल-िाबल और किोर धरती नर रिा्
िें रहा् योग्य ाही ह. तनम्हार्
ायक ाही ह. िफ़र जग
क् िहसक निन
तनम्हें ल् ित् ही चट कर जा ग्. िैं ाही चाहता िक तनि ्ाका मिकार बाो. तनम्हें तो िकसी राजिह
िें रहाा चािह . तनि कब तक इस सबयाबाा जग
कहा िााो और ि्र् सा
राजिह
िें यहाो-वहाो भटकती रहोगी. ि्रा
िें च ी च ो. िैं लतियन ाया क् सार् वभव, सनि-सिन वधा ो तनम्हार्
कलिों िें सबछा लो ग ूो ा. नरू ् राजिह ू ा. तनम्हें पनाी रााी बााकर रिग
िें तनम्हारा ही हनक्ि
च ्गा. ल् र ा करो और च ी च ो ि्र् सा ”.
“िायल सच कह रह् हैं राजकनिार, पब यह किाीय काया जग
गई ह. ्स् यह ाही भू ाा चािह ाारी को पनाा ता ढका् क् म
िक पब वह बन्लशरया ाही,
कनाा
ायक रह ाही
क ाारी बा गई ह और
कनलॆ चािह , िफ़र ता सजाा् क् म
वह नॆल नर ाही रह सकती. ्स् रहा् को घर चािह
िें रहा्
क
आभूर्षण चािह . पब
और भी वह सब कनछ चािह ,त्जसकी सनिल
क ाारी करती ह. यह िीक ह िक ्सका िा पब भी पना् ि्रय िें रि रहा ह,
्िका वह ्सकी आवश्यक्ताऒ की नूतियतस ाही कर सकता. ्स् तो पब चननचान राजकनिार का
कहा िााकर ्सक् सा राजकनिार क् सा
हो
्ाा चािह
इसी िें ्सकी भ ाई ह”. यह सोचत् हन ्सा् च ा् की हािी भर ली ी. घोलॆ नर सवार होा् क् नह ् ्सा् पना् ि्रय को
परनननशरत ा्त्रों स् ल् िा और हा
िह ाकर सबलाई िागी.
बन्लर ा् ल् िा िक ्सकी ्राण ि्रया राजकनिार क् सा
जा रही ह, तो ्सा् ्ा लोाो का
नीछा िकया. कहाो घोलॆ की रफ़तार और कहाो बन्लर की ललन की चा . भागता भी तो ब्चारा िकताा भागता.? लि फ़ू ा् चगरा्
गा
गा
ा. आोिों क् सािा् पन्धकार ााचा्
ा आखिरकार वह ब्होि होकर चगर नला.
सयोग स् ्धर स्
क िहािा तियाक
िाजरा सिह ग . ्न्होंा् पना् किण्ल
रह्
स् नााी
्. व् सवसज्ञााी
गा और पब िनह ो स् फ़्स भी ्. बन्लर को ल् ित् ही सारा
्कर ्सक् िनोह नर छीटॆ िार् . बन्लर को
होि आ गया. होि िें आत् ही बन्लर फ़बक कर रो नला और ्सा् िहािाजी स् पनाा लि न ला कह सनााया. िहािा ा् ्स् धीरज बधात् हन कहा िक तनम्हें पना् सा ी नर भरोसा कराा चािह ा. यिल तनि भरोसा करत् तो य् िला ा ल् िा् नलत्. िर जो होाा ा, सो हो चनका. पब तनि िकसी िलारी क् सा
हो
ो. कनछ िला बाल तनम्हें तनम्हारी ि्रयतिा मि
जा गी.
सयोग स् ्धर स्
क िलारी तियाक ा. ्सा् बन्लर को नकल म या. पब वह गाोव-गाोव,
िहर-िहर तरह-तरह क् करतबें िलि ाता घूिा्
गा.
इधर, राजकनिार ्स यनवती स् िववाह करा् की त्जल करा्
पब भी पना् ि्रय िें ही गढ िलया िक ्सा् कोई ाही कर सकती. सा
गा
गा.
ा. राजकनिार क् ्रताव को टा ा् क् म
क ऎसा व्रत
् म या ह िक त्जसक् च त् वह
नूरा होत् ही वह िववाह रचा
्िका ्सका िा तो ्सा्
क सा
्गी. राजकनिार िाा गया,
क बहााा
तक िववाह ि् का वह
हि्िा ्लास बाी रहती. ्स् ्लासी िें तियघरा ल् िकर, राजकनिार को बहनत लि न होता, वह पनाी ओर स् ्सकी ्लासी लरू करा् का त्जताा भी ्रयास करता, ्िका ्सक् च्हर् नर ्रसन्ाता की ह क तक िलि ायी ाही ल् ती.
क िला राजकनिार ा् ्सस् कहा िक िैं ऎसा क्या करु िक
तनि िि न हो जाओ. बन्लशरया स् किम ाी बाी यनवती ा् कहा-राजकनिार, यिल आनक् राज्य िें कोई िलारी-क ावत प वा कोई सगीतकार पनाी क ा का ्रलिसा करा् आ , तो ्स् सबस् नह ् ि्र् िह
िें आकर पनाी क ा का ्रलिसा कराा होगा. यनवती की बात िाात् हन ्सा् नरू ् राज्य िें लपली िनटवा ली िक कोई भी क ाकार पनाी क ा का ्रलिसा कराा चाहता ह तो ्स् सबस् नह ् किम ाी क् सािा् पनाी क ा का ्रलिसा कराा होगा.
सयोग स् वह िलारी ्स राज्य िें आ नहनोचा. तियायि क् िनतासबक ्स् ्स यनवती क्
सािा् पनाी क ा का ्रलिसा कराा
ा. िलारी की रसी स् बध् बन्लर को ल् ित् ही ्सा्
नहचाा म या.. ्सा् िलारी को कनछ पििफ़स या ल् कर ्स् िरील म या. पब वह िला भर बन्लर क् सा रही
रहती. ननराा् लोाों की याल करती और पनाा लि न ला रोती रहती.
क िला, तोता और िाा ्लत् हन पटारी नर आ बि् . इस सिय किम ाी आराि कर ी और बन्लर नास ही बिा हनआ ा. तोत् ा् िाा स् कहा-“सनाो..इस घली कोई िर जा
और ्स् ाीबू क् नॆल क् ाीच् लबा िलया जाय तो पग ् जाि िें वह आलिी बा जा गा”. इताा कहकर व् फ़नरस स् ्ल ग . बन्लर ा् तोत् की बात सना
ी
ी. ्सा् ्स् जगात् हन कहा िक िैं पना् ्राण यागा् जा रहा हूो. तनि िनह् ाीबू क् न्ल क् ाीच् लफ़ाा ल् ाा. पग ् जाि िें िैं आलिी बा जा्ो गा और तनिस् िववाह रचा , ो ूगा. िफ़र हि सला-सला क् म क लस ू र् क् हो जा ग्. इताा कहकर ्सा् पना् ्राण याग िल . राजकनिारी पग ी घली की राता ल् िा् गी. रात आयी तो ्सा् राजकनिार स् कहा िक ि्रा भी पत सिय आ गया ह. ि्र् िरा् क्
बाल तनि ि्र् िरीर को ाीबू क् न्ल क् ाीच् लफ़ाा ल् ाा.
कनछ िलाों बाल लोाो का जन्ि हनआ. यनवती ा् क ब्राह्िण क् घर और बन्लर ा् तियाम्ा जातियत क् घर ि् जन्ि म या. लोाों को पना् नूवस जन्ि का नूरा-नूरा ज्ञाा ा नलौस क् सार् बच्च् मि कर ि्
क
ि् त् और वह बा क पनाी ल् हरी नर बिा ्ाक् ि्
ल् िता रहता. ्सका भी िा होता िक वह भी बच्चों क् सग ि् ्, ्िका कोई ्स् सा
खि ाा्
को तयार ाही होता. बच्चों क् बीच ि् ती किम ाी ्सका ललस सिहती बाा
तियायिों को तोला् की िहम्ित ्सि् ा
बा क का हा
ा. यह ्सक् म
नकला और नास क् जग
्िका सिाज क्
ी.
क िला सार् बच्च् तियछना-तियछन ी का ि्
ा और ि्र्ष बच्च को ्स् ढूढाा
ी,
ि्
रह्
्. किम ाी को कही तियछन जााा
सनाहरा िौका
ा. ्सा् ल् हरी नर बि्
िें जा तियछनी. सार् बच्च् ्स् िला भर ढूढत् रह्
्स् कोई िोज ाही नाया. वह िला भर ्सक् सा
्िका
यहाो-घूिती रही. ढ् रों सारी बातें करती रही
और पनाा लि ू ती िक तियाष्िनर सिाज ्न्हें कभी न व्यक्त करा् स् ाही चक
क ाही होा् ल् गा.
िाि ढ ा् स् नह ् वह बच्च क् बीच आ नहनोची. सार् बच्चों को इस बात नर आश्चयस हनआ िक आखिर वह कौासी जगह नर जा तियछनी ी.? इस तरह िला नर िला बीतत् रह् और वह ोगों की ाजरों स् तियछनती-तियछनाती पना् ि्रय स् मि ती रही. ्िका यह ि् ज्याला िला तक ाही च
सका
ा. पब वह जवााी की ल् ह ीज नर कलि रि चक न ी
ा् पब ्स नर कलॆ ्रतियतबध
गा िल
्. ्सका घर स् बाहर तियाक ाा तक बल कर िलया
वह िला भर पना् घर क् भीतर कली की भातियत रह रही पना् ि्रय क् इलस-चगलस घूिता रहता
ी. ्सक् िाता-िनता
ी,
ि् का ्सका बावरा िा ्सक्
ा.
क िला, िौका नाकर वह घर स् भाग तियाक ी और पना् ि्रय को
तियाक
नली. जग
का
ा.
कात ्स् बला ि्रय
ग रहा
ा. वह ्सक् सा
्कर जग
की ओर
यहा-वहा िवचरती रही,
ढ् रों सारी बातें करती रही िक िकस तरह ्ाका मि ा हो सकता ह, नर गभीरता स् िवचारिवििस करती रही. व् पच्छी तरह जाात्
् िक घर स् भाग जाा् क् बाल भी ्न्हें िोज तियाका ा
जा गा और िफ़र ्सका तियालस यी सिाज ्ाकी िकस तरह की लग न सत बाा गा, त्जसकी कनाा िात्र स् िरीर िें मसहराें होा् ् और
क िविा
गती
न्ल क् ाीच् सो ग
. सयोग स् ्धर स्
लकी,
गा
्.
क आलिी तियाक ा जो लोाो क् िाता-िनता को जााता
्ा लोाो को कई-कई बार सा -सा घूिा्
ी. यहाो-वहाो िवचरत् रहा् क् बाल व् बनरी तरह स्
िवचरत् ल् िा
ा. लोाो को सा
ा. ्स् तो आश्चयस इस बात नर हो रहा
क चाला
क्
लक् क् सा
क ग
ा. ्सा्
सोता ल् िकर ्सका िा ा
ा िक ्च्च कन
ब्राह्िण क् घर नला हनई आराि फ़रिा रही ह. ्स् रोधोध हो आया और वह सीध्
्स ब्राह्िण क् घर जा नहनोचा और जोर-जोर स् चच ा-चच ाकर कहा् गा:-“ पर् सनात् हो नडलत..घोर कम यनग आ गया ह घोर कम यनग घर स् बाहर तियाक कर नडलतजी ा् नूछा :-
“पर् यूोिह चच ात् रहोग् या कनछ बत ाओग् भी. हि भी तो सना् िक आखिर िाजरा क्या ह?”. ्स आलिी ा् सारा िकसा ि्र् सा
क सास िें कह सनााया और कहा िक
च ो और पनाी आोिों स् ल् िो िक तनम्हारी
रही ह. सनात् ही नडलत का च्हरा रोधोध िें तितिाा् वहाो जाकर ्सा् ल् िा िक ्स
तनि पभी और इसी सिय
लकी ्स ाीच क् सा
गा
क्या गन
ा. वह ्स आलिी क् सा
लक् ा् पनाी बाहें फ़ ा रिी
खि ा
हो म या.
ी और ्सकी ब्टी ्सकी बाहों
नर पनाा मसर रिकर आराि स् सो रही
ी. पब नडलतजी क् रोधोध का नारावार ल् िा्
ायक
ा. ्सा् नॆल स्
क टहाी तोली और लोाों को जगात् हन ब्रहिी स् नीटा् गा. िफ़र लक् को िहलायत ल् त् हन कहा िक पगर तनि लोबारा सा िलि् तो तनम्हार् नूर् नशरवार को बती स् बाहर तियाक वा लगा. लात नीसत् हन ्सा् लकी की बाह् नकली और गभग घसीटता हनआ ू ्स्
्कर पना् घर की ओर च
नला. ्स िला क् बाल स् लोाो का मि ाा ा हो सका.
बावजूल इसक् व् इस ्रयास िें रहत् िक िकसी तरह ्ाका मि ाा सभव हो सक्. पचााक
क िला लोाो की िन ाकात हो गई. लोाो ा् तय िकया िक जग
भाग च ें और वहाो बिकर जी भर क् बातें करें ग्. रात हो आयी, ्न्हें नता ही ाही च यौवा क् सा और
आकाि नट
की ओर
बातों ही बातों िें िला कब ढ
नाया. सयोग स् ्स िला िरल नखू ण सिा
ी. चाल पना् नरू ्
ा. तभी तोता और िैंा् कही स् ्लत् हन आ नर बि ग . तोता बो ा:-“िाा, िकताी सनहावाी रात ह. ऎसी पद्भत न रात िें भ ा
क ला
नर चिचिा रहा
गया और
िकस् ाील आती ह. तनि. कोई ऎसी बात सनााओ िक वक्त भी कट जा
और िाोरजा भी हो.”
िाा िनकनराई और बो ी:-“ क्या कहूो..आन बीती या जगबीती. आन बीती िें भ्ल िन त् हैं और जगबीती िें भ्ल मि त् हैं.” तोता होमियार ा, बो ा” तनि तो जगबीती सनााओ”. िाा ा् तोत् स् कहा”-“ तनम्हें याल ह. कभी इसी न्ल नर ऎस् ही पद्भत न रात िें कूल नली
ी और
क बन्लर और बन्लशरया रहा करत्
ी. ्स िला बन्लशरया िानष्य योतिया िें जन्ि क सनन्लर यनवती बा गई
ाारी बा गई ह, तो वह भी आलिी बाा् क् वह िनभ घली बीत चनकी हो गई
ी. जब
्. ्स िला भी
्ा् क् चक्कर िें कि ता
बन्लर ा् ल् िा िक ्सकी ि्रयतिा
ा च िें कि ता
िें कूल नला , ्िका तब तक
ी. वह बन्लर का बन्लर ही बाा रहा. िकसी तरह लोाों की िन ाकात तो
्िका प ग-प ग योतियायों िें जन्ि
्ा् क् कारण ्ाका मि ा ाही हो सकता
पग ् जाि िें व् िानष्य योतिया िें जाि् तो सही,
्िका जात-नात क् च त् ्ाका लब न ारा
ा.
मि ाा पसभव सा ्रतीत होता ह. और भिवष्य़ िें क्भी हो सक्गी, इस बात की सभावाा भी िलिाई ाही ल् ती. हाो, यिल व् पनाी ननरााी योतिया िें िफ़र स् जाि क् वक्त कि ता
िें कूल नलॆ. यिल ऎसा व् कर सक् तो ्ाका मि ा सभव हो सकता ह”.
इताा कहकर तोता और िाा फ़नरस स् ्ल ग . “सनाा....सनाा तनिा्, िाा क्या कह रही
वक्त कि ता सा
ी ? कह रही
ी िक यिल हि आधी रात क्
िें कूल नलॆ तो िफ़र स् पनाी ननरााी योतिया ्राप्त कर सकत् ह.
ल् ा् को तयार हो.? िनछ ी बार तनिा् िनहस् कि ता
तनम्हारा सा
्ाा चाहत् हैं तो आधी रात
ाही िलया
िक च ो कि ता
िें कूला् की त्जल की
क्या तनि ि्र्
ी और िैंा्
ा, त्जसकी सजा िैं पब तक भनगत रहा हूो. पब िैं तनिस् कह रहा हूो िें कूल नलत् ह और िफ़र स् बन्लर-बन्लशरया बा जात् हैं”. पधीर होकर ्स
यनवक ा् किम ाी स् कहा.
किम ाी इस सिय गभीरता स् कनछ और ही सोच रही
ी.
िायल इसम बातों को
्सा् ्सकी बातों नर ध्याा ाही िलया ्कर सोच रही
ा. वह तो इस सिय, िनछ ् जाि की
ी िक िकताी वछन्लता क् सा
ी,जहाो ा तो जात-नात क् बन्धा
वह पना् ि्रय क् सा
रहा करती
् और ा ही िकसी बात नर टोका-टाकी. ा िा िें कोई
चाहाा और ा ही कोई पमभ ार्षा. जब जी चाहा, वहाो च ् ग , और जब जी चाहा, वािनस हो म नली
. ााहक ही ्सा् िैंाा की बातों िें आकर िानष्य बाा् की चाहत ना ी ता
िें . क्या मि ा ्स् िानष्य योतिया िें जाि
कनछ भी तो हामस
ाही कर नायी ह पब तक.
ा. ्स् नक्का यकीा हो च ा
तो ्स सिय ्सका सा
ी, ्धर यनवक का िल
ा िक वह ्सका सा
ल् ा् िें िहचकचाहट िलि ायी
ी और कूल
्कर? मसवाय लि न और नर् िााी क् वह
किम तिया पब तक पनाी सोच क् घ्र् स् बाहर ाही आ नायी
जोरों स् धलक रहा
ी
ाही ल् गी. ्सा् भी
ी,. यिल वह बल ा
्ाा चाह रही ह
तो िीक ही कर रही ह. ्सा् िकसी तरह पना् आन नर काबन रित् हन , ्सक् पत्न्ति फ़स ् क् बार् िें जाााा चाहा और ्स् गभग हहकोरत् हन नूछा:” तनि कहाो ि ई हनई हो.तनम्हें कनछ नता भी ह िक िाा क् द्वारा बत ायी गई घली बीता् जा रही ह और तनि हो िक पब तक फ़स ा ाही कर नायी.. बो ो.., कनछ तो बो ो, आखिर क्या चाहती हो तनि... तनि ि्रा सा लोगी या ाही?”
क गहरी ्लास भरी ाजरें ्सक् च्हर् नर ला त् हन ्तर का इतजार करा् गा ा.
्सा् नूछा और ्सक्
कनछ चतन्य होत् हन ्सा् ्स यनवक का हा नकला और त्जी स् लौल चट्टाा नर जा िली हनई,जहाो स् ्स् कि ता िें छ ाग गााी ी. चिकारी रात क क
आधाशरत कनशरवतियतत स रुन िें िरल ननखण सिा का िला सह न ााा हो गया हन
ा. नॆल की
ा. चाल पना् नूर् यौवा क् सा
ा. रात क् बारह बज् सारा जग
क ला
्. यह वह सिय
आकाि नट
आराि स् सो रहा
नर बन्लर और बन्लशरया बि् जाग रह् ा जब नि-न नक्षी
्स
ोकक ा नर
नर चिचिा रहा
ा. िौसि बला
ा. चारों ओर िातियत का साम्राज्य
् और लस ू री ला
क लस ू र् की भार्षा सिहत्
गात् हन
्.
नर तोता और िाा बि्
तोता बो ा:-“िाा, रात ाही कट रही ह. कोई ऎसी बात सा न ाओ िक वक्त भी कट जा
और िाोरजा भी
हो.” िाा ि न कनराई और बो ी:-“ क्या कहूो आन बीती या जगबीती. आन बीती िें भ्ल िन त् हैं और जगबीती िें भ्ल मि त् हैं”. तोता होमियार ा, बो ा-“ तनि तो जगबीती सा न ाओ”. िाा ा् कहा:-“ आज की रात
क चिकारी रात ह. आज ही क् िला चन्द्रिा स् पित ृ बरस्गा. पित ृ की कनछ बूल् कि ता
िें भी चगर् गी, त्जसस् इसका नााी चिकारी गण स् यक् न न त हो जा गा. यिल कोई ्राण ी आधी रात को इस कि ता
िें कूल जा
तो आलिी बा जा गा.”. तोता बो ा, क्या सचिच न िें ऎसा हो सकता ह”.
िाा ा् कहा:”जो ्र्ि करत् हैं, व् सवा
ाही नूछत्, भरोसा करत् हैं”.तोत् ा् िाा स् कहा “ तो िफ़र ल् र
िकस बात की. च ो हि लोाो ता ाब िें कूल नलत् हैं और आलिी बा जात् हैं”. िाा ा् कहा,” पर् तोता, हि नछी ही भ ्. पभी तू आलिी क् फ़्र िें ाही नला ह, इसम जात िें बहनत िनि हैं”
चहक रहा ह. हि पनाी ही
तोता-िाा की बातें बन्लर और बन्लशरया ा् सा न ी तो चपक नलॆ. पधीर होकर बन्लशरया ा् बन्लर स् कहा“सा ी आओ..कूल नलॆ.” बन्लर ा् पगलाई
्त् हन कहा-“पर् छ ल र् सिी, हि ऎस् ही िनि हैं. क ला स् लस ू री और लस ू री स् तीसरी नर छ ाग िारत् रहत् हैं. न्ल नर ग् िीि् -िीि् फ़ िाकर पनाा
गज न र-बसर करत् हैं. ा घर बााा् की हहट और ा ही िकसी बात की चचन्ता. हिें क्या लि न ह. पना् िलिाक स् आलिी बाा् का ्या
तियाका
ल् ”. बन्लशरया आह भर कर बो ी-“ य् जीवा भी कोई जीवा
ह? िैं तो तग आ गई हूो इस जीवा स्. िह न ् यह सब कराा पच्छा ाही गता. आलिी की योतिया िें जन्ि ्कर िैं लतियन ाया क् सार् सि न ्िााा चाहती हूो. ल् िो, िैंा् पनाा िा बाा म या ह और िैं पब ता ाब िें कूला् जा रही हूो. यिल तनि िह न स् सच्चा प्यार करत् हो तो ि्रा सा ल् ाा होगा. िाा की बताई घली बीता् वा ी ह, सोच क्या रह् हो, आओ नकल ि्रा हा सा न कर बन्लर िहचकचाा्
और कूल नल ”. बन्लशरया की बात
गा. बो ा-“ तनि भी िाा की बातों िें आ गयी. नााी िें तो कूल नलेंग्,
्िका
िकसी जहरी ् सान ा् काट म या तो िफ़् न त िें जाा च ी जा गी”. बन्लशरया सिह गयी िक बन्लर सा ा ल् गा. घली बीता् ही वा ी
ी. बन्लशरया चिकार ल् िा् क् म
कूल नली. आश्चयस, बन्लशरया की जगह वह सो ह सा ्सक् रुन स् चालाी रात जगिगा ्िी. ला ्िा. ्सा् तका छ ाग
बन्लर ही बाा रहा. िला तियाक ा. गी
ी. तभी सयोग स्
की यव न ती बा गई
ी, हम्ि स् कि ता
िें
ी.
नर बि् बन्लर ा् जब ्सका पद्भत न रून ल् िा तो नाग
फ़स ा म या िक वह भी कि ता
गाया और ता ाब िें कूल नला,
्सक न
िें कूलकर आलिी बा जा गा. ्सा् ला
्िका वह िनभ घली कभी की बीत चनकी
हो स्
ी. वह बन्लर का
र- र कानती यव न ती, सरू ज की गा न गा न ी धन ू िें पनाा बला गिासा्
क राजकनिार ्धर स् आ तियाक ा. ्सा् ्स रुनवती यव न ती को ल् िा तो बस
ल् िता ही रह गया. ्सा् पना् जीवा िें इताी िूबसरू त यव न ती इसक् नह ् कभी ाही ल् िा
ी. ल् र तक
पन क ल् ित् रहा् क् बाल, वह ्सक् नास नहनोचा और पनाा ्तरीय ्तारकर ्सक् कधो नर ला िलया. िफ़र पनाा नशरचय ल् त् हन कहा :-ह् सि न ि न ी...सन ोचाी..िैं इस राज्य का राजकनिार हूो और मिकार ि् ा् क् म
इस जग
गता की तनि इस
िें आया हूो. इसस् नह ् िैंा् तम् न हें यहाो कभी ाही ल् िा. तम् न हें ल् िकर यह ाही ोक की वासी हो. ह् ! सत्र ोकसन् न लरी बत ाओ, तनि िकस ोक स् इस धरती नर
पवतशरत हनई हो और तम् न हारा क्या ााि ह ?”.
क पजाबी और बाक् यव न क को सािा् नाकर वह ििस स् छनईिई न सी हनई जा रही ी. िरीर िें रोिाच हो आया ा. सोचा् –सिहा् की बनिद्ध कनिित सी हो गई ी. वह यह तय ाही कर ना रही ी िक ्रयन तर िें क्या कह् . क्या ्स् यह बत ा इस कि ता
ओढ् िली रही
िें कूला् क् बाल ी.
िक कनछ सिय नव ू स तक वह बन्लशरया
ी और पधसरासत्र िें
क सन् न लर-सनगढ यव न ती बा गई ह? ल् र तक ाजरें ाीच् हक न ा
वह िौा
राजकनिार ा् लोाों क् बीच नसर् िौा को तोलत् हन कहा:-“ िैं भी िकताा िि न स हूो, जो ऎस्-वस् सवा नछ ा. ल् वी िाफ़ करें . ि्री क छ टी सी िवाती ह, ्स् सा ू बिा. िह न ् यह सब ाही नछ ू ाा चािह न ीत्ज . तनम्हारी यह किाीय काया जग
किोर धरती नर रिा्
िें रहा् योग्य ाही ह. तनम्हार् य् ााजनक नर ्बल-िाबल और
ायक ाही ह. िफ़र जग
क् िहसक निन तम् न हें ल् ित् ही चट कर जा ग्. िैं ाही
चाहता िक ति न ्ाका मिकार बाो. तम् न हें तो िकसी राजिह सबयाबाा जग
िें रहाा चािह . ति न कब तक इस
िें यहाो-वहाो भटकती रहोगी. ि्रा कहा िााो और ि्र् सा
राजिह
िें च ी च ो. िैं
लतियन ाया क् सार् वभव, सि न -सिन वधा ो तम् न हार् कलिों िें सबछा लो ग ू ा. तम् न हें पनाी रााी बााकर रिग ूो ा. नरू ् राजिह
िें तनम्हारा ही हनक्ि च ्गा. ल् र ा करो और च ी च ो ि्र् सा ”.
“िायल सच कह रह् हैं राजकनिार, पब यह किाीय काया जग ाही भू ाा चािह क् म
िक पब वह बन्लशरया ाही,
ायक रह ाही गई ह. ्स् यह
क ाारी बा गई ह और
क ाारी को पनाा ता ढका्
और भी वह सब कनछ चािह ,त्जसकी सि न ल कनाा
क ाारी करती ह. यह िीक ह
कनलॆ चािह , िफ़र ता सजाा् क् म
रहा् को घर चािह
िें रहा्
आभर्ष ू ण चािह . पब वह नॆल नर ाही रह सकती. ्स्
िक ्सका िा पब भी पना् ि्रय िें रि रहा ह,
्िका वह ्सकी आवश्यक्ताऒ की नूतियतस ाही कर
सकता. ्स् तो पब चननचान राजकनिार का कहा िााकर ्सक् सा
हो
्ाा चािह
इसी िें ्सकी
भ ाई ह”. यह सोचत् हन ्सा् राजकनिार क् सा च ा् की हािी भर ली ी. घोलॆ नर सवार होा् क् नह ् ्सा् पना् ि्रय को परनननशरत ा्त्रों स् ल् िा और हा िह ाकर सबलाई िागी. बन्लर ा् ल् िा िक ्सकी ्राण ि्रया राजकनिार क् सा
जा रही ह, तो ्सा् ्ा लोाो का नीछा िकया.
कहाो घोलॆ की रफ़तार और कहाो बन्लर की लल न की चा . भागता भी तो ब्चारा िकताा भागता.? लि फ़ू ा् गा
ा. आोिों क् सािा् पन्धकार ााचा्
ब्होि होकर चगर नला. सयोग स् ्धर स्
क िहािा तियाक
ग . ्न्होंा् पना् किण्ल
स् नााी
रह्
गा और पब िोह न स् फ़्स भी चगरा्
्. व् सवसज्ञााी
गा
ा आखिरकार वह
्. बन्लर को ल् ित् ही सारा िाजरा सिह
्कर ्सक् िोह न नर छीटॆ िार् . बन्लर को होि आ गया. होि िें
आत् ही बन्लर फ़बक कर रो नला और ्सा् िहािाजी स् पनाा लि न ला कह सा न ाया. िहािा ा् ्स्
धीरज बधात् हन कहा िक तनम्हें पना् सा ी नर भरोसा कराा चािह ा. यिल तनि भरोसा करत् तो य् िला ा ल् िा् नलत्. िर जो होाा ा, सो हो चक न ा. पब ति न िकसी िलारी क् सा हो ो. कनछ िला बाल तनम्हें तनम्हारी ि्रयतिा मि सयोग स् ्धर स्
जा गी.
क िलारी तियाक ा. ्सा् बन्लर को नकल म या. पब वह गाोव -गाोव, िहर-िहर तरह-
तरह क् करतबें िलि ाता घि ू ा्
गा.
इधर, राजकनिार ्स यव न ती स् िववाह करा् की त्जल करा् ि्रय िें ही
क ऎसा व्रत
गा
वह िववाह रचा
ा. राजकनिार क् ्रताव को टा ा् क् म
् म या ह िक त्जसक् च त् वह ्गी. राजकनिार िाा गया,
क सा
गा. ्सा्
्िका ्सका िा तो पब भी पना् क बहााा गढ िलया िक ्सा् कोई
तक िववाह ाही कर सकती. सा
नूरा होत् ही
्िका वह हि्िा ्लास बाी रहती. ्स् ्लासी िें तियघरा
ल् िकर, राजकनिार को बहनत लि न होता, वह पनाी ओर स् ्सकी ्लासी लरू करा् का त्जताा भी ्रयास
करता,
्िका ्सक् च्हर् नर ्रसन्ाता की ह क तक िलि ायी ाही ल् ती.
क िला राजकनिार ा् ्सस्
कहा िक िैं ऎसा क्या करु िक ति न िि न हो जाओ. बन्लशरया स् किम ाी बाी यव न ती ा् कहा-राजकनिार,
यिल आनक् राज्य िें कोई िलारी-क ावत प वा कोई सगीतकार पनाी क ा का ्रलिसा करा् आ , तो ्स् सबस् नह ् ि्र् िह
िें आकर पनाी क ा का ्रलिसा कराा होगा. यव न ती की बात िाात् हन ्सा् नरू ् राज्य िें लपली िनटवा ली िक कोई भी क ाकार पनाी क ा का ्रलिसा कराा चाहता ह तो ्स् सबस् नह ् किम ाी क् सािा् पनाी क ा का ्रलिसा कराा होगा.
सयोग स् वह िलारी ्स राज्य िें आ नहनोचा. तियायि क् ित न ासबक ्स् ्स यव न ती क् सािा् पनाी क ा का ्रलिसा कराा ा. िलारी की रसी स् बध् बन्लर को ल् ित् ही ्सा् नहचाा म या.. ्सा् िलारी को कनछ पििफ़स या ल् कर ्स् िरील म या. पब वह िला भर बन्लर क् सा
रहती. नरन ाा् लोाों की याल करती
और पनाा लि न ला रोती रहती.
क िला, तोता और िाा ्लत् हन पटारी नर आ बि् . इस सिय किम ाी आराि कर रही ी और बन्लर नास ही बिा हनआ ा. तोत् ा् िाा स् कहा-“सा न ो..इस घली कोई िर जा और ्स् ाीबू क् नॆल क् ाीच् लबा िलया जाय तो पग ् जाि िें वह आलिी बा जा गा”. इताा कहकर व् फ़नरस स् ्ल ग . बन्लर ा् तोत् की बात सा न
ी
ी. ्सा् ्स् जगात् हन कहा िक िैं पना् ्राण यागा् जा रहा हूो. तनि िह न ् ाीबू क् न्ल क् ाीच् लफ़ाा ल् ाा. पग ् जाि िें िैं आलिी बा जा्ो गा और तनिस् िववाह रचा , ोग ू ा. िफ़र हि सला-सला क् म
क लस ू र् क् हो जा ग्. इताा कहकर ्सा् पना् ्राण याग िल .
राजकनिारी पग ी घली की राता ल् िा्
गी. रात आयी तो ्सा् राजकनिार स् कहा िक ि्रा भी पत
सिय आ गया ह. ि्र् िरा् क् बाल तनि ि्र् िरीर को ाीबू क् न्ल क् ाीच् लफ़ाा ल् ाा. कनछ िलाों बाल लोाो का जन्ि हनआ. यव न ती ा् क ब्राह्िण क् घर और बन्लर ा् घर ि् जन्ि म या. लोाों को पना् नूवस जन्ि का नूरा-नूरा ज्ञाा ा नलौस क् सार् बच्च् मि कर ि्
ि् त् और वह बा क पनाी ल् हरी नर बिा ्ाक् ि्
्सका भी िा होता िक वह भी बच्चों क् सग ि् ्, ्िका कोई ्स् सा बच्चों क् बीच ि् ती किम ाी ्सका ललस सिहती िहम्ित ्सि् ा
ी.
क िला सार् बच्च् तियछना-तियछन ी का ि्
बच्च को ्स् ढूढाा और नास क् जग
िला भर ्सक् सा
क तियाम्ा जातियत क्
ा. यह ्सक् म
ि्
रह्
ी,
सा न हरा िौका
ल् िता रहता.
खि ाा् को तयार ाही होता.
्िका सिाज क् बाा
तियायिों को तोला् की
्. किम ाी को कही तियछन जााा
ा और ि्र्ष
ा. ्सा् ल् हरी नर बि् बा क का हा
िें जा तियछनी. सार् बच्च् ्स् िला भर ढूढत् रह्
नकला
्िका ्स् कोई िोज ाही नाया. वह
यहाो-घि ू ती रही. ढ् रों सारी बातें करती रही और पनाा लि न व्यक्त करा् स् ाही
चक ू ती िक तियाष्िनर सिाज ्न्हें कभी
क ाही होा् ल् गा.
िाि ढ ा् स् नह ् वह बच्च क् बीच आ नहनोची. सार् बच्चों को इस बात नर आश्चयस हनआ िक आखिर वह कौासी जगह नर जा तियछनी ी.? इस तरह िला नर िला बीतत् रह् और वह ोगों की ाजरों स् तियछनती-तियछनाती पना् ि्रय स् मि ती रही.
्िका यह ि्
ज्याला िला तक ाही च
सका
ा. पब वह
जवााी की ल् ह ीज नर कलि रि चनकी
ी. ्सक् िाता-िनता ा् पब ्स नर कलॆ ्रतियतबध
्सका घर स् बाहर तियाक ाा तक बल कर िलया रही
ी,
्िका ्सका बावरा िा ्सक् पना् ि्रय क् इलस -चगलस घि ू ता रहता
का
कात ्स् बला ि्रय
ग रहा
्.
ा. वह िला भर पना् घर क् भीतर कली की भातियत रह
क िला, िौका नाकर वह घर स् भाग तियाक ी और पना् ि्रय को
जग
गा िल
ा. वह ्सक् सा
ा.
्कर जग
की ओर तियाक
नली.
यहा-वहा िवचरती रही, ढ् रों सारी बातें करती
रही िक िकस तरह ्ाका मि ा हो सकता ह, नर गभीरता स् िवचार-िवििस करती रही. व् पच्छी तरह जाात्
् िक घर स् भाग जाा् क् बाल भी ्न्हें िोज तियाका ा जा गा और िफ़र ्सका तियालस यी सिाज
्ाकी िकस तरह की लग स बाा गा, त्जसकी कनाा िात्र स् िरीर िें मसहराें होा् न त िवचरत् रहा् क् बाल व् बनरी तरह स् . सयोग स् ्धर स् कई बार सा -सा
क ग
् और
क िविा
न्ल क् ाीच् सो ग
क आलिी तियाक ा जो लोाो क् िाता-िनता को जााता िवचरत् ल् िा
आश्चयस इस बात नर हो रहा
ा. लोाो को सा
ा िक ्च्च कन
गती
ी. यहाो-वहाो
्.
ा. ्सा् ्ा लोाो को कई-
सोता ल् िकर ्सका िा ा घि ू ा्
गा
ा. ्स् तो
ब्राह्िण क् घर नला हनई लकी, क चाला क् लक् क् सा आराि फ़रिा रही ह. ्स् रोधोध हो आया और वह सीध् ्स ब्राह्िण क् घर जा नहनोचा और जोर-जोर स् चच ा-चच ाकर कहा् गा:-“ पर् सा न त् हो नडलत..घोर कम यग न आ गया ह घोर कम यग न घर स् बाहर तियाक कर नडलतजी ा् नूछा :-“पर् यिूो ह चच ात् रहोग् या कनछ बत ाओग् भी. हि भी तो सा न ् िक आखिर िाजरा क्या ह?”. ्स आलिी ा् सारा िकसा और इसी सिय ि्र् सा
क सास िें कह सा न ाया और कहा िक तनि पभी
च ो और पनाी आोिों स् ल् िो िक तम् न हारी
खि ा रही ह. सा न त् ही नडलत का च्हरा रोधोध िें तितिाा् वहाो जाकर ्सा् ल् िा िक ्स
गा
लक् ा् पनाी बाहें फ़ ा रिी
पनाा मसर रिकर आराि स् सो रही
लकी ्स ाीच क् सा
ा. वह ्स आलिी क् सा
क्या गन
हो म या.
ी और ्सकी ब्टी ्सकी बाहों नर
ी. पब नडलतजी क् रोधोध का नारावार ल् िा्
ायक
ा. ्सा् नॆल
स्
क टहाी तोली और लोाों को जगात् हन ब्रहिी स् नीटा् गा. िफ़र लक् को िहलायत ल् त् हन कहा िक पगर तनि लोबारा सा िलि् तो तनम्हार् नरू ् नशरवार को बती स् बाहर तियाक वा लगा. लात नीसत् हन ू ्सा्
लकी की बाह् नकली और
गभग घसीटता हनआ ्स् क ् र पना् घर की ओर च नला. ्स िला क् बाल स् लोाो का मि ाा ा हो सका. बावजूल इसक् व् इस ्रयास िें रहत् िक िकसी तरह ्ाका मि ाा सभव हो सक्. पचााक
क िला लोाो की िन ाकात हो गई. लोाो ा् तय िकया िक जग
बिकर जी भर क् बातें करें ग्. बातों ही बातों िें िला कब ढ च
रहा
नाया. सयोग स् ्स िला िरल नूखण सिा
की ओर भाग च ें और वहाो
गया और रात हो आयी, ्न्हें नता ही ाही
ी. चाल पना् नूर् यौवा क् सा
आकाि नट
नर चिचिा
ा. तभी तोता और िैंा् कही स् ्लत् हन आ और क ला नर बि ग . तोता बो ा:-“िाा, िकताी सह न ावाी रात ह. ऎसी पद्भत न . कोई ऎसी बात सा न ाओ िक न रात िें भ ा िकस् ाील आती ह. ति वक्त भी कट जा
और िाोरजा भी हो.” िाा ि न कनराई और बो ी:-“ क्या कहूो..आन बीती या जगबीती. आन बीती िें भ्ल िन त् हैं और जगबीती िें भ्ल मि त् हैं.” तोता होमियार ा, बो ा” तनि तो जगबीती सा न ाओ”. िाा ा् तोत् स् कहा”-“ तनम्हें याल ह. कभी इसी न्ल नर
क बन्लर और बन्लशरया रहा करत्
्.
्स िला भी ऎस् ही पद्भत न रात कि ता
िें कूल नली
ी और
ी. ्स िला बन्लशरया िाष्न य योतिया िें जन्ि
क सन् न लर यव न ती बा गई
ाारी बा गई ह, तो वह भी आलिी बाा् क् घली बीत चनकी
्ा् क् चक्कर िें
ी. जब बन्लर ा् ल् िा िक ्सकी ि्रयतिा
ा च िें कि ता
िें कूल नला , ्िका तब तक वह िनभ
ी. वह बन्लर का बन्लर ही बाा रहा. िकसी तरह लोाों की िन ाकात तो हो गई
प ग-प ग योतियायों िें जन्ि योतिया िें जाि् तो सही,
्ा् क् कारण ्ाका मि ा ाही हो सकता
्िका
ा. पग ् जाि िें व् िाष्न य
्िका जात-नात क् च त् ्ाका लब न ारा मि ाा पसभव सा ्रतीत होता ह. और
भिवष्य़ िें क्भी हो सक्गी, इस बात की सभावाा भी िलिाई ाही ल् ती. हाो, यिल व् पनाी नरन ााी योतिया िें िफ़र स् जाि
्ाा चाहत् हैं तो आधी रात क् वक्त कि ता
िें कूल नलॆ. यिल ऎसा व् कर सक् तो
्ाका मि ा सभव हो सकता ह”. इताा कहकर तोता और िाा फ़नरस स् ्ल ग . “सा न ा....सा न ा तनिा्, िाा क्या कह रही
ी ? कह रही
ी िक यिल हि आधी रात क् वक्त कि ता
कूल नलॆ तो िफ़र स् पनाी ननरााी योतिया ्राप्त कर सकत् ह. क्या तनि ि्र् सा िनछ ी बार ति न ा् िह न स् कि ता
िें कूला् की त्जल की
ल् ा् को तयार हो.?
ी और िैंा् तम् न हारा सा
ाही िलया
ा,
त्जसकी सजा िैं पब तक भग न त रहा हूो. पब िैं तनिस् कह रहा हूो िक च ो कि ता िें कूल नलत् ह और िफ़र स् बन्लर-बन्लशरया बा जात् हैं”. पधीर होकर ्स यव न क ा् किम ाी स् कहा. किम ाी इस सिय गभीरता स् कनछ और ही सोच रही
ी. िायल इसम
वह तो इस सिय, िनछ ् जाि की बातों को पना् ि्रय क् सा
रहा करती
्सा् ्सकी बातों नर ध्याा ाही िलया
्कर सोच रही
ी िक िकताी वछन्लता क् सा
ी,जहाो ा तो जात-नात क् बन्धा
िें
वह
ा.
् और ा ही िकसी बात नर टोका-
टाकी. ा िा िें कोई चाहाा और ा ही कोई पमभ ार्षा. जब जी चाहा, वहाो च ् ग , और जब जी चाहा, वािनस हो म नली
ी ता
तो हामस
. ााहक ही ्सा् िैंाा की बातों िें आकर िाष्न य बाा् की चाहत ना
िें . क्या मि ा ्स् िाष्न य योतिया िें जाि
ी
ी और कूल
्कर? मसवाय लि न और नर् िााी क् वह कनछ भी
ाही कर नायी ह पब तक.
किम तिया पब तक पनाी सोच क् घ्र् स् बाहर ाही आ नायी रहा
ा. ्स् नक्का यकीा हो च ा
ा िक वह ्सका सा
सा
ल् ा् िें िहचकचाहट िलि ायी
ी,. यिल वह बल ा
ी, ्धर यव न क का िल
जोरों स् धलक
ाही ल् गी. ्सा् भी तो ्स सिय ्सका
्ाा चाह रही ह तो िीक ही कर रही ह. ्सा्
िकसी तरह पना् आन नर काबन रित् हन , ्सक् पत्न्ति फ़स ् क् बार् िें जाााा चाहा और ्स् गभग हहकोरत् हन नूछा:” तनि कहाो ि ई हनई हो.तनम्हें कनछ नता भी ह िक िाा क् द्वारा बत ायी गई घली बीता् जा रही ह और तनि हो िक पब तक फ़स ा ाही कर नायी.. बो ो.., कनछ तो बो ो, आखिर क्या चाहती हो तनि... तनि ि्रा सा हन
लोगी या ाही?”
्सा् नूछा और ्सक् ्तर का इतजार करा्
क गहरी ्लास भरी ाजरें ्सक् च्हर् नर ला त्
गा
ा.
कनछ चतन्य होत् हन ्सा् ्स यव न क का हा नकला और त्जी स् लौल िली हनई,जहाो स् ्स् कि ता िें छ ाग गााी ी.
गात् हन
्स चट्टाा नर जा
***************
नशरचय *ााि--गोवधसा यालव *िनता-. व.री.मभक्कन ा
यालव
*जन्ि ाा -िन ताई.कत्ज ा बतन .ि.्र. * जन्ि तियतच - 17-7-1944 *मिक्षा - ाातक *तीा लिक नव ू स किवताऒ क् िाध्यि स् सािहय-जगत िें ्रव्ि *ल् ि की तरीय नत्र-नसत्रकाओ िें
रचााओ का पावरत ्रकािा *आकािवाण ी स् रचााओ का ्रकािा *करीब नच्चीस कृतियतयों नर सिीक्षा कृतियतयाो * िहनआ क् वक्ष न ्रकािा नचकन ाकहशरयाण ा *तीस बरस घाटी ककहााी ृ क कहााी सरहणह सत ज सरहणह,) वभव ्रकािा रायनरन कछ,ग. * पनाा-पनाा आसिाा ककहााी सरहणह िी रो ्रकाश्य. * क घक न ा सरहणह, िी रो ्रकाश्य.
सम्िाा *ि.्र.िहन्ली सािहय सम्ि् ा तियछन्लवाला द्वारा”सारवत सम्िाा” *राष्रे ीय राजभार्षानीि इ ाहाबाल द्वारा “भारती रा “ *सािहय समितियत िन ताई द्वारा” सारवत सम्िाा” *सज ृ ा सम्िाा रायननरकछ.ग. द्वारा” घक न ा गौरव सम्िाा” *सरन मभ सािहय सकृतियत पकालिी िण्लवा द्वारा कि
सरोवर लष्न यतकनिार
सम्िाा *पखि भारतीय बा सािहय सगोष्टी भी वालाकराज. द्वारा”सज ृ ा सम्िाा” *बा ्रहरी प िोलाक्तराच
द्वारा सज ृ ा री सम्िाा *सािहत्यक-साकृतियतक क ा सगि पकालिी
नशरयावाक्रतानगह द्वारा “िवद्धावचनतियत स. *सािहय िल रीाा द्वाराकराज. द्वारा “िहन्ली भार्षा
भर्ष ू ण ”सम्िाा *राष्रे भार्षा ्रचार समितियत वधासकिहाराष्रे द्वारा”िवमिष्ि िहन्ली स्वी सम्िाा *मिव सकन सािहय नशरर्षल ािसलानरन ि होिगाबाल द्वारा”क ा िकरीट”सम्िाा “ *तत ृ ीय पतराष्रे ीय िहन्ली सम्ि् ा
बैंकाकक ाई ण्ल िें “सज ृ ा सम्िाा. *नूवोतर िहन्ली पकालिी मि ागकि्घा य द्वारा”ला.िहाराज जा कृष्ण ितियृ त सम्िाा. *पययल न य बहन्द्द्िीय स ा वधास द्वारा आयोत्जत नोटस ई न स,िारीिस िें िहन्ली स्वी सम्िाा ि.्र.तन सी पकालिी भोना द्वारा “तन सी सम्िाा” स् सम्िातियात. *
िवि्र्ष ्न त्दधयाो:औद्धोचगक ाीतियत और सवधसा िवभाग क् सरकारी कािकाज िें िहन्ली क् ्रगािी ्रयोग स् सबचधत िवर्षयों त ा गह ृ ित्रा य,राजभार्षा िवभाग द्वारा तियाधासशरत ाीतियत िें स ाह ल् ा् क् म
वाखण ज्य और ्द्धोग
ित्रा य,्द्धोग भवा ायी िल ी िें “सलय” ाािािकत क2)क्न्द्रीय िहन्ली तियाल् िा यक िााव ससाधा
िवकास ित्रा य ायी िल ी द्वारा_कहााी सरहणह”िहनआ क् वक्ष ृ ” त ा “तीस बरस घाटी” की िरील की गई.
स्रतियत
- स्वातियावत ृ नोटिाटरक च. स.जी.1* सयोजक राष्रे भार्षा ्रचार समितियत त्ज ा इकाई
तियछन्लवाला (पब वतत्र
्िा फ़ोा.ाम्बर—07162-246651 (चम त 09424356400