Undertaking kahani sangrah

Page 1

рдЕ рдбрд░рдЯреЗ рдХрдВрдЧ рдХрд╣рд╛рдиреАрд╕рдВ рд╣

рдбреЙрди рд╝ рджрд▓рд╛рд▓ рднрд╛рд░рддреА рдПрдотАдрдПтАд редрд╕рдорд╛рдЬрд╢рд╛ ред рдПрд▓тАдрдПрд▓тАдрдмреАтАд ред рдЖрдирд╕ ред рдкреАтАдрдЬреАтАд рдб рд▓реЛрдорд╛-рдПрдЪтАдрдЖрд░тАдрдбреАтАд рд╕рд╡рд╛ рдзрдХрд╛рд░-рд╕реБрд░ рдд рд▓реЗрдЦрдХрд╛рдзреАрди

рдЕ рдбрд░рдЯреЗ рдХрдВрдЧ рдХрд╣рд╛рдиреАрд╕рдВ рд╣ рд╡рд╖ рдкреБ рд╖ рдмрд▓рд╛рд░ рдХреЗ рднрд╛рдЧ рд╕реЗ рд╢рдХрд╣рд░ рдЯреВрдЯ рдЧрдпрд▓-рдпрд╣ рднреЛрдЬрдкреБрд░ рдХрд╣рд╛рд╡рдд рдзреВрд░рдд рд╕рд╛рдж рдЬрдВрдЧрд▓ рдкрд░ рдм рдХреБрд▓ рд╕рд╣ рдмреИрдарддреА рдереАред рдзреВрд░рдд рд╕рд╛рдж рдЬрдВрдЧрд▓ #рдирд╣рд╛рдпрдд %рд╡рд╛рде& 'рдХ%рдо рдХрд╛ рдЖрджрдореА рдерд╛ред рдзреВрд░рдд рд╕рд╛рдж рдЬрдВрдЧрд▓ рдХреЗ рдорд╛рдВ рдмрд╛рдк рдмреЬреЗ рдиреЗрдХ рдЗрдВрд╕рд╛рди рдереЗ ред рдзреВрд░рдд рд╕рд╛рдж рдЬрдВрдЧрд▓ рдХреЗ рдорд╛рдВ-рдмрд╛рдк рдкрд╣рд╛реЬреА рдЬреАрд╡рди рдХреЛ ,рдпрд╛рдЧ рдХрд░ рдореИрджрд╛рдиреА рдЗрд▓рд╛рдХреЗ рдХреЗ рд╢рд╣рд░ рдо- рдЖрдХрд░ рдмрд╕ рдЧрдпреЗ рд╡рд╣ #рдШрд╕реМрдиреА рдХрд░ рдмреЗрдЯреЗ рдХреЛ %рдирд╛рддрдХ рддрдХ рдкрдврд╛рдпреЗред рдмреЗрдЯрд╡рд╛ рдХ1 рдкрдврд╛рдИ рдХ1 3рдЪ5рддрд╛ рдо- рд╡реЗ рдЕрдкрдиреА рдмреБрдвтЧМрд╝тЧМреМрддреА рдХреЗ рд▓рдпреЗ рдХреБрдЫ рдирд╣ рдВ рдЬреЛреЬ рдкрд╛рдпреЗред рд╣рд╛рдВ %рд▓рдо рдЗрд▓рд╛рдХреЗ рдо- рдПрдХ рдЭреБ:рдЧреА рдЬреЛреЬ рд▓рдпреЗ рдереЗ рдЬреЛ рдмрд╛рдж рдо- рд╕рд░рдХрд╛рд░ рдиреА#рддрдп; рдХреЗ


कारण भवन म- बदल गयी थी यह उनक1 सबसे क1मती पूंजी थी। खैर सबसे बड़ी पूंजी तो वे अपने बेटे धूरत साद जंगल को मानते थे । धूरत साद जंगल अ?छे समय म- %नातक तक क1 श@ा पा लया था,%नातक होते ह उसे नौकर मल गयी। बी․काम․पास खूबसूरत बेटवा को नौकर मलते ह मां-बाप ने सजातीय खूब सूरत लड़क1 से Aयाह कर Bदया। नौकर धूरत साद जंगल के पुCतैनी घर-आंगन म- बस5त गमक उठा पर Dया कुछ ह मह न; म- मां-बाप का सपना चकनाचूर हो गया। कुछ ह Bदन; म- वह अपने मां-बाप को बोझ समझने लगा था। मां-बाप बेटवा धूरत साद जंगल क1 तरDक1 अपने Eम क1 साथFकता पर भगवान को मूड़ पटकऋपटक कर ध5यवाद दे ते नह ं थकते थे। मां-बाप क1 दआ ु य- असरदार रह कुछ बरस; क1 नौकर म- उसने ऐसी तरDक1 क1 बड़े-पढ़े लखे फेल हो गये। धूरत साद जंगल क1 भूख बढ़ती जा रह थी।साम दाम दKड और भेद से काम #नकालना इतनी चतुराई से सीख गया था 'क तरDक1 क1 रे स म- बहुत आगे #नकल गया। इस जंगल मामूल सी बाबूगीर से नौकर शुN 'कया था। चOमचागीर के औंजार के सहारे धूरत साद जंगल जोनल मैनजर साहब का खास बन गया था । वह साहब के कु,ते को घूमाने क1 िजOमेदार उठा लया। साहब भी इतने #नरकंु श नह ं थे उ5ह;ने इस वफादार का बड़ा #तफल Bदया। मामल ू टाइQप%ट मR ु य मैनेजर बन गया।अब Dया शेर के मंह ु खन ू लग गया,उसने छोटे कमFचाSरय; का दमन और बड़े अ3धकाSरय; का जत ू ा सर पर लेकर चलने लगा। धूरत साद जंगल साहब लोग; को खश ु करने क1 कला म- माBहर था । रोट -बोट ,शबाबकबाब के साथ खोखा अथवा काटूFन तक का इ5तजाम कर दे ता था। धूरत साद जंगल इस करतत ू ने उसे नौकर म- सफलता के झKडे गड़वा Bदये। धूरत साद जंगल छोटे कमFचाSरय; के लये खासकर नीचले तबके के कमFचाSरय; को तो अपना दCु मन समझता था।ना जाने उसे इतनी 3चढ़ Dय; थी वह कहता छोटे लोग; से दरू बनाकर रखना चाBहये,इनक1 तरफ हाथ बढ़ाया तो सर पर चढकर मत ू ने लगते है । NBढ़वाद मान सकता के लोग धूरत साद जंगल का साथ भी दे ते थे। धूरत साद जंगल छोटे कमFचाSरय; के साफ-सुथरे अथवा नये कपड़े जूते को इतनी बार क1 से दे खता जैसे थानेदार चोर को दे खता है ।छोटे कमFचार का अ?छा कपड़ा पहनना उसे पस5द न था वह छोटे कमFचार को गल ु ाम क1 तरह दे खता था। धूरत साद जंगल का शकार सेवान5द जो उ?च शT@त पर5तु टाइQप%ट DलकF था दभ ु ाF:यवश वह नीचले तबके से भी था। सेवान5द क1 तरDक1 धूरत साद जंगल को त#नक ना पस5द थी।वह सेवान5द के भQवUय को घुन क1 तरह चट करने पर तुला हुआ थी। धूरत साद जंगल ने सेवान5द क1 सी․आर․इतनी खराब कर द थी उसको कOपनी का हर अ3धकार थानेदार क1 #नगाह से दे खता था।सेवान5द के यो:यता जातीय तराजू पर तौले जाने क1 परOपरा धूरत साद जंगल ने शN ु करवा Bदया था।सेवान5द क1 दो बार डी․पीसी हुई दोनो बार जातीय #नOनता क1 तुला पर सेवान5द EेUठ सा बत नह ं हो सका ।अ5ततः उसे नौकर करना था तो टाइQप%ट से उपर सोचना भी अपराध बन गया था।धूरत साद जंगल %वयं और उ?च अ3धकाSरय; से भी कहवा चुका था 'क सेवान5द अफसर बनने क1 तुOहार इ?छा इस कOपनी म- पूर नह ं हो सकती है । बस एक ह तर का है कOपनी क1 नौकर से इ%तीफा दे दो या गले म- अफसर क1 पWट बांध लो।सेवान5द अपने भQवUय के दCु मन; क1द शनाRत तो कर चुका था पर5तु नौकर छोडने के बाद नौकर नह ं मल तो पSरवार के भख ू ; मरने और ब?च; क1 पढ़ाई छूटने के डर से उसका कलेजा मंह ु को आ जाता था। वह इसी उधेड़-बुन म- बूढ़ा हुए जा रहा था। 3च5ता क1 3चता ने उसे कई बीमाSरय; के चXYयूह म- उलझा


Bदया।सेवान5द सेवान5द के रफ को टाइप कर रहा था, इसी बीच एक अजनवी आ गया। सेवान5द से बोला हे लो सेवान5द। सेवान5द -आप कौन ․․․․․․․? रसूख Zखलवी । कहां से आये हो । इसी कOपनी क1 स%टर कंसनF कOपनी म- काम करता हूं।रह स मुझे जानता है ।कहां है रह स । पो%ट आ'फस गया है । आपके Qवष पुNष। कौन․․․․․․․․․․․? अरे जनाब आपके बांस डीपीजे Dया․․․․․․․․․․․? ठ\क सुने माई ]डयर कहां है । दौरे पर गये है । हमने इनका नाम रखा था दोगला साद जंगल एक पुNष।त#नक बड़ा नाम है ना। चलो छोटा कर दे ते है दोगला एक Qवष पुNष। 'कतने साल क1 नौर हो गयी जनाब । अरे बे सक बात तो पूछा ह नह ं आपका नाम सेवान5द ह है ना। सोचोगे कैसे जाना सब जानता हूं ।मेरा भी दफतर पास म- ह है ,ये बात अलग है 'क मेर पोि%टं गदस ू रे शहर म- थी। मह ना भर पहले ह ^वाइन 'कया हुआ । सोचा चलो दोगला एक Qवष पुNष के #घनौना चेहरा दे ख लूं। पुराना घाव ताजा कर लूं। सेवान5द-कैसी बात कर रहे हो रसख ू Zखलवी भाई। Bदल टूटने के बाद आह ह #नकलती है । म_ समझता हूं जनबा आपका Bदल ह नह ं तोड़ा होगा।भQवUय भी इस Qवष पुNष कुचल Bदया होगा ।जानते ह_ भQवUय कुचलने का ददF अपने आ3Eत; तक को आंसू दे ता रहता है । सेवान5द-ऐसा आपके साथ कौन सा गुनाह कर Bदया बांस ने । रसूख Zखलवी-ये गोरा काला अं`ेज है । हमारे दादाजी कहते कहते मर गये बेटा अं`ेज आज के इन कालअं`ेजो से बेहतर थे।गोरो का हौशला 'कसने बढाया । अपने दे श के दCु मन; ने ह ना अपनी Sरयासत पर कAजा और शोQषत; का खन ू पीने के लये। ये दे श के दCु मन इतने 3गर गये 'क अपनी बहन बेBटय; तक


को परोसने लगे थे।आज इन काले अं`ेजो क1 काल करतूत- दे खकर अपना खन ू दे कर दे श को आजाद Bदलाने वाले अमर शह द; क1 आ,माय- Qवलाप कर रह होगी 'क Dया सोचा था Dया हो गया। कैसी आजाद है ,जा#तवाद,भू मह नता,गर बी,अ श@ा,नDसवाद अब तो aUbाचार का ऐसा रा@सी दौर चल पड़ा है 'क आमआदमी के जीवन तबाह होने लगा है और दे श बदनाम ।Dया ये सब दे खकर लगता है 'क हम आजाद दे श म- रहते है ?इतने म- रह स अ5दर आते हुए बोला सच भाई हम आजाद दे श के गल ु ाम हो गये है । रसूख Zखलवी-दोगला Qवष पुNष साइलेKट 'कलर है । रह स-कहां क1 दCु मनी लाकर हमारे बांस के उपर पटक Bदये। रसूख Zखलवी-आज म_ भी फुसFत म- हूं । आया तो था Qवष पुNष को अपना चेहरा Bदखाने ता'क उसका #घनौनी कायFवाह जीQवत हो उठे उसके मन म- और मेरा घाव ताजा। रह स-'कस घाव क1 बात कर रहे हो रसख ू Zखलवी। रसूख Zखलवी-इस Qवष पुNष ने पांच साल पीछे कर Bदया। सेवान5द-कैसे ․․․․․․․। रसख ू Zखलवी- िजस स%टर कOपनी म- काम कर रहा हूं। उसी कOपनी म- ये Qवष पुNष जोनल म_नेजर के पी․ए․ हुआ करते थे। दे खो एक Qवष पुNष कु,ता को बि%कट Zखला कर बड़ा साहब बन बैठा है जब'क इससे उ?च ]ड`ीधार इस कOपनी म- चपरासी तक है । रह स-दरू कहां जा रहे हो आपके सामने ह बैठे है सेवान5द।एजक ु े शन के मामले म- हमारे साहब तो सेवान5द के सामने ब?चा है पर तरDक1 दे खो आसमान छू रहे ह_।बेचारे सेवान5द क1 सार ]ड3`यां इस Qवभाग म- बेकार हो गयी है । सेवान5द-हम तो गांव के ठहरे सीधे-साधे,साफ-सथ ु रा ईमानदार -वफादार से काम करने वाले दोगल नी#त का हमसे तो कोस; तक कोई SरCता नह ं रहा है ।चOमचागीर साहब लोग; का जूता सर पर कैसे लेकर चल सकता था। रह स-झठ ू बोल रहे हो सेवान5द। कैसे म_ झूठा हो गया रह स․․․․․․․․ सेवान5द बोला । रह स-तुOहार ब%ती के कुएं का पानी जातीय EेUठ लोग; के लये अपQवc है तो वे उ?च जातीय लोग तुOहारे हाथ का पानी कैसे पी सकते है ।सेवा-स,कार तो उ5ह ं का %वीकायF होता है जो इसके यो:य होते है ।आप तो जातीय अयो:य हो। ये बात अलग है 'क म_ आपको चाय-पानी Qपला दे ता हूं। उसी कप-3गलास म- िजस म- ये उ?च जातीय कमFचार -अफसर पीते है ।


रसूख Zखलवी-Dया शdय ड का%ट के हो ? रह स-तभी तो ये हाल है । आपके एDस बांस ने ह नह ं िजतने अफसर आये सब जातीय दCु मन #नकाल गये है । Qवष पुNष #नकाल रहे है । रसूख Zखलवी-चचाजान वो कैसे? रह स-सीआर खराब कर द गयी है । मोशन के सारे रा%ते ब5द कर Bदये गये है । बस इतना है 'क नौकर से नह ं #नकाले जा सके है । खैर इसके भी बहुत यास हो चुके है । रसूख Zखलवी-मतलब सेवान5द अपनी का ब लयत क1 वजह से Bटके हुए है वरना ये मुदाFखोर 'क%म के लोग हजम कर गये होते। रह स-Zखलवी भाई सह कह रहे हो। आपके Qवष पुNष तो अपने मां-बा पके नह ं हुए अछूत के बेटा का Dया ह;गे।मेरा तो डायरे Dटर साहब क1 वजह से कोई अफसर कुछ नह ं बगाड़सका। Zखलवी-कौन डायरे Dटर साहब ? रह स-तुOहार स%टर क5सनF कOपनी म- एSरया मैनेजर थे ना डां․Qवषम ताप साहब। Zखलवी-अ?छा वो शराब,कबाब और शबाब के शौक1न।उनम- तो जमींदार का भाव भी कूट-कूट कर भरा था।नीची जा#त वाल; को तो गुलाम समझते थे। अब ना जाने कोई उनम- सुधार हुआ 'क नह ं।वे भी Qवष पुNष ह थे। रह स-रह स मरे नह ं है ।अभी िज5दा है ,दौरे पर गये है ।रह बात Qवष पुNष क1 तो अपने Qवभाग म- एक से बढ़कर एक Qवष पुNष है । Zखलवी के साथ डीपीजे साहब ने नाइंसाफ1 क1 तो वे इनके लये Qवष पुNष है ।अब हमारे सेवान5द के लये तो Qवभाग म- द या लेकर खोजने पर भी कोई आदमी Bहतैषी नह ं मलेगा। सभी अफसर Qवष पुNष सा बत हुए है । ये बात सभी जानते है । सभी अफसर मंBदर के घKटा क1 तरह सेवान5द को बजाये ह है । कराह #नकलने क1 सजा भी इस उ?च शT@त अछूत के बेटे को मल है ।पर5तु टाइQप%ट से साहब बने डीपीजे साहब से ऐसी उOमीद नह ं थी। Zखलवी-ऐसी Dया खा सयत सेवान5द म- है । रह स-डीपीजे साहब भी टाइQप%ट थे और सेवान5द भी पर5तु इस Qवष पुNष ने ^यादा घाव Bदया है । Zखलवी-डीपीजे Qवष पुNष अपने मां -बा पके नह ं हुए ह_ तो ये सेवान5द 'कस खेत क1 मूल है । रह स-मां-बाप कैसे नह ं हुए। Zखलवी-तुम तो चचाजान ऐसे पूछ रहे हो जैसे तुमको कोई खबर ह नह ं हो।


रह स-वाकई Zखलवी। Zखलवी-दाई से पेट #छपाने से नह ं #छपता। तम ु सब जानते हो। Dया तम ु को पता नह ं है । Qवष पN ु ष क1 काल करतूत-। मां-बाप को बेघर कर Bदये। उनके जीते जी उनका बनाया घर ब-च Bदये। मां-बाप खून के आंसू बहाते रहे । ये Qवष पुNष अपने पास म- भी उ5ह- रखने म- शरमाते थे,उनके आते ह दस ू रे SरCतेदार; के यहां भेजने क1 ब5दोब%त म- लग जाता था। चार-चार महलनुमा का मा लक है पर मां-बाप को रहने का Bठकाना नह ं था। मेमसाहब को बूढ़े सास-ससुर क1 सूरत तक पस5द नह ं थी। रह स-सच Zखलवी तुम तो बहुत जानते हो साहब के बारे म- । Zखलवी-अरे अभी तो बहुत कुछ जानता हूं। ये आदमी सचमच ु का Qवष पN ु ष दो पSरवार; क1 इ^जत तक को नीलाम कर चुका है ,तरDक1 के लये।िजतनी सुरत से अ?छे है उतने क1 Bदल के काले है ये◌े जनाब जो Qवष पुNष।इनक1 वजह से साल भर जू#नयर हो गया इतना ह नह ं मोशन म- पांच साल Qपछड़ गया। ना जाने मुझसे इस Qवष पुNष को कौन सी दCु मनी थी 'क मेरा एfवाइKटमेKट लेटर दबाकर रख Bदया था।इस Qवष पुNष का Bदया घाव हमेशा हरा रहता है ।घाव को और हरा करने के लये आया था पर Qवष पुNष से मल ु ाकात नह ं हुई। मलता तो ऐसा बोलता जैसे सगा हो। कहता और Dया हाल है भाई। ये ऐसा जहर ला इंसान है काट ले तो अगल पीढ◌़◌ी तक जहर पहुंच जाये भोपाल गैस cासद जैसे।? रह स-यार हद कर द तुमने भोपाल गैसे cासद क1 तुलना QवषपुNष डीपीजे साहब से कर Bदये। Zखलवी-मेरा लूटा हुआ भQवUय वापस आ सकता है । तुम ह बता रहे थे सेवान5द के भQवUय को कg%तान बनाने म- Qवष पुNष का हाथ है । Dया इस उ?च शT@त आदमी को लूटा हुआ भा:य वापस आ सकता है ,चार छः साल म- टाइQप%ट के पद पर Sरटायर हो जायेगा।इसका भQवUय Dय; तबाह 'कया गया Dय;'क छोट कौम का ब5दा है ।म_ तो सामा5य था पर गैरधम& ये मेरा कसरू तो नह , तो Dया ये तO ु हारे डीपीजे हमारे लये Qवष पुNष नह ं। सेवान5द-Dय; नह ं। ऐसे ह Qवष पुNष; क1 वजह से आम-आदमी ,शोQषत वं3चत कमेर द#ु नया और हा शये के लोग Qपछड़ेपन के दलदल म- ढ़कले जा रहे है । जा#तवाद नफरत का जहर ला वातावरण #न मFत कर रहे है जो सhय समाज के लये उ3चत तो नह ं कहा जा सकता । इन Qवष पN ु ष और ऐसे लोग का ह षणय5c ह 'क वे तरDक1 के शखर पर चढते जा रहे है हा शये के लोग भय-भूख भेद के शकार है । रह स-यह दे खो अपने Qवभाग म- सेवान5द के Zखलाफ Dया-Dया नह ं 'कया है , मोशन के रा%ते ब5द कर Bदये गये,लाभ के सारे रा%ते ब5द कर Bदये गये।मई से तो %थानीय भ,ता और दौरा कायFXम भी ब5द करवा Bदया गया है जब'क दस ू रे Qवष पुNष; क1 राह पर चलने वाल; को बना 'कये दस-दस हजार Nपये से ^यादा अ#तSरDत लाभ Bदया जा रहा है ।सेवान5द के तनRवाह के अलावा सारे फायदे के रा%ते ब5द करवा Bदये है Qवष पुNष; ने।इतने म- सेवान5द के च लतवाताF क1 घKट बज गयी। Zखलवी-सेवान5द बात कर लो हो सकता है डीपीजे का ह फोन न हो। सेवान5द-नया नOबर है ।


рд░рд╣ рд╕-рдмрд╛рдд рддреЛ рдХрд░ рд▓реЛ ред ZрдЦрд▓рд╡реА-рдХреМрди рдерд╛ ? рд╕реЗрд╡рд╛рди5рдж-рдХреБрд▓рдк#рддред ZрдЦрд▓рд╡реА-рдХреБрд▓рдк#рдд рдорддрд▓рдм рдп#реВ рдирд╡ рд╕FрдЯ рд╕реЗред рд╕реЗрд╡рд╛рди5рдж-рдЬреА ред рд░рд╣ рд╕-рджреЗ рдЦреЛ Dрдпрд╛ рдмрдбOрдмрдирд╛ рд╣реИ Qрд╡рднрд╛рдЧ рдо- рдЕрдЫреВрдд рдорд╛рдиреЗ рдЬрд╛рдиреЗ рд╡рд╛рд▓реЗ рдЖрджрдореА рдХреЛ рдХреБрд▓рдк#рдд рдлреЛрди рдХрд░ рд░рд╣реЗ рд╣реИ ред рдЪрд╣реБрдУрд░ рд╕реЗ рдорд╛рди-рд╕Oрдорд╛рди рдорд▓ рд░рд╣рд╛ рд╣реИ рдФрд░ Qрд╡рднрд╛рдЧ рдо- рджKрдбред рдХреИрд╕реА рд╣реИ Qрд╡рд╖ рдкреБNрд╖; рдХ1 рд╕реЗрд╡рд╛рди5рдж Qрд╡рд░реЛрдзреА рдиреА#рдд ? рдмрдврддреЗ рдЬрд╛ рдиреЗрдХрдХрдоF рдХ1 рд░рд╛рд╣ рдореЗрд░реЗ рдпрд╛рд░ред ZрдЦрд▓рд╡реА-рддреБOрд╣рд╛рд░реЗ рд╕iрдХрдоF рдХреЛ рд╕рд▓рд╛рдо рд╕реЗрд╡рд╛рди5рдж ред рдЕ рдбрд░рдЯреЗ рдХрдВрдЧ/рдХ рд╡рддрд╛ рдмрд╣реБрдд рдердХреЗ-рдердХреЗ рд▓рдЧ рд░рд╣реЗ рд╣реЛ рд░рд╛рдЬрди рдХреЗ рдкрд╛рдкрд╛редрдЖрдЬ рддреЛ Bрд╣5рдж Bрджрд╡рд╕ рдкрд░ рд░рд╛рдЬ%рдерд╛рди рдо- рдорд▓реЗ рд╕Oрдорд╛рди рдкрд░ рджрдлрддрд░ рдо- рдЦреВрдм рдорд▓ рд╣реЛрдЧреА рдмрдзрд╛рдИред DрдпреЛ рдЬрд▓реЗ рдкрд░ рдирдордХ #рдЫреЬрдХ рд░рд╣ рд╣реЛ рд╕рд░реЛрдЬ? рдХреЛрдИ рдЧрд▓рдд рдмрд╛рдд рдореБрдВрд╣ рд╕реЗ #рдирдХрд▓ рдЧрдпреА Dрдпрд╛ ? рднрд╛:рдпрд╡рд╛рди рд╕рди реН 1988 рд╕реЗ рдХOрдкрдиреА рдо- рдХрд╛рдо рдХрд░ рд░рд╣рд╛ рд╣реВрдВред рдЖрдЬ рддрдХ рдореЗрд░ рдЦреБрд╢реА рдо- рджрдлрддрд░ рдХреЗ рд▓реЛрдЧ рдЪрд╛рд╣реЗ %рдерд╛рдиреАрдп рд░рд╣реЗ ,рд░рд╛^рдп %рддрд░ рдХреЗ рд░рд╣реЗ рд╣реЛ рдпрд╛ рдореБRрдпрд╛рд▓рдп рдХреЗ рдХрднреА рд╢рд╛ рдорд▓ рд╣реБрдП рд╣реИ 'рдХ рдЖрдЬ Bрд╣5рдж рднрд╛рд╖рд╛ рднрд╖ реВ рдг рд╕Oрдорд╛рди рдорд▓рдиреЗ рд╕реЗ рд╡реЗ рдЦреБрд╢ рд╣реЛ рдЬрд╛рдп-рдЧреЗред рд╣рд╛рдВ рдкрдЧ-рдкрдЧ рдкрд░ рдХрд╛рдВрдЯреЗ рдФрд░ рдкрд▓-рдкрд▓ рдкрд░ рджрджF рдХреЗ рд╕рд╡рд╛рдп рдФрд░ рдХреБрдЫ рдирд╣ рдВ рдорд▓рд╛ред рдЬреАрд╡рди рдХрд╛ рдордзреБрдорд╛рд╕ рдореБрджрд╛FрдЦреЛрд░ рдм5рдзрди рдиреЗ рдкрддрдЭреЬрдмрдирд╛ Bрджрдпрд╛ред рд╕рдлF рдЬрд╛рддреАрдп рдЕрдпреЛ:рдпрддрд╛ рдХреЗ рдореБiрджреЗ рдирдЬрд░редрд╣рд╛рдВ рджреИ #рдирдХ рдЪрдкрд░рд╛рд╕реА рдд#рдирдХ рдЦрд╢ реБ рд▓рдЧрд╛ рдерд╛ рджрдлрддрд░ рдкрд╣реБрдВрдЪрддреЗ рд╣ рд╡рд╣ рдЖрдпрд╛ рдФрд░ рдкреВрдЫрд╛ рд╕Oрдкрдд рдмрд╛рдмреВ рдХрд╛рдпFXрдо рдЕ?рдЫрд╛ рд░рд╣рд╛,рдЦреВрдм рд╕реБZрдЦрдп; рдо- рд░рд╣- рд╣реЛрдЧреЗ ред рдХрдм рд▓реМрдЯреЗ ред рдмрд╣реБрдд рдмBрдврдптЧМрд╝тЧМрд╛ рдерд╛ рд╕реЛрд╣рдиредрджреЗ рд╢ рдХреЗ рдХреЛрдиреЗ-рдХреЛрдиреЗ рд╕реЗ рдмрд╣реБрдд рдмреЬреЗ-рдмреЬреЗ рд▓реЛрдЧ рдЖрдпреЗ рдереЗредрд╕реБрдмрд╣ рдЖрда рдмрдЬреЗ рдЖрдпрд╛ рд╣реВрдВред рд╕реЛрд╣рди-рдмреЬреЗ рдмрд╛рдмреВ рдЖрдк рдЗрддрдиреА рд╡рдлрд╛рджрд░ #рдирднрд╛рддреЗ рд╣реЛ,рджрдлрддрд░ рд╕рдмрд╕реЗ рдкрд╣рд▓реЗ рдЖрддреЗ рд╣реЛ,рдИрдорд╛рдирджрд╛рд░ рд╕реЗ рдХрд╛рдо рдХрд░рддреЗ рд╣реЛ рдкрд░ рдЖрдкрдХреЛ рдорд▓рддрд╛ Dрдпрд╛ рд╣реИ ред рд┐рдЬ рд▓рдд,рдЙрдкреЗ@рд╛ рд╣ рдирд╛ред рдХрд╣рддреЗ рд╣реИ рдЖрдкрдХреЗ рд╕рд╛рде рдиреМрдХрд░ рдо- рдЖрдпреЗ рдЗрд╕реА рдХOрдкрдиреА рдо- рд▓реЛрдЧ рдмреЬреЗ рдмреЬреЗ рдЕрдлрд╕рд░ рд╣реЛ рдЧрдпреЗ рдФрд░ рдорд╛рдореВрд▓ рд╕реЗ рдХрд▓рдХFред рдЕрдм рддреЛ рдиреМрдХрд░ рдЬрд╛рдиреЗ рдХрд╛ рднреА рдЦрддрд░рд╛ рдореЬ рд░рд╣рд╛ рд╣реИ редрдХрд▓ рдмрд╣реБрдд рдХрд╛рдирд╛рдлреВрд╕реА рд╣реЛ рд░рд╣ рдереА рджрдлрддрд░ рдо- ред рд╕реБрдирдиреЗ рдо- рдЖрдпрд╛ 'рдХ рдЖрдкрдХреЛ рдиреМрдХрд░ рд╕реЗ рдмрд╛рд╣рд░ 'рдХрдпрд╛ рдЬрд╛ рд╕рдХрддрд╛ рд╣реИ ,рд╕рдордп рд╕реЗ рдкрд╣рд▓реЗ Sрд░рдЯрд╛рдпрд░ 'рдХрдпрд╛ рдЬрд╛ рд╕рдХрддрд╛ рд╣реИ ,Sрд░рдЯрд╛рдпрд░ рдХреЗ рдкрд╣рд▓реЗ рдХрд╛рд▓реЗ рдкрд╛рдиреА рдХ1 рд╕рдЬрд╛ рднреА рдорд▓ рд╕рдХрддреА рд╣реИ редрдореБRрдпрд╛рд▓рдп рдЕKрдбрд░рдЯреЗ 'рдХрдВрдЧ рдкSрд░рдкc рдЖрдкрдХреЗ рдирд╛рдо рдЬрд╛рд░ рд╣реБрдЖ рд╣реИ ред


सOपत-Dया कह रहे हो सोहन ये कैसा ईनाम । कहां है मुदाFखोर साम5तवाद ब5धन का तुगलक1 फरमान। सोहन-#नरापद को दKड कBहये सOपत बाबू अKडरटे 'कंग पSरपc डाक पैड म- है । अKडरटे 'कंग का मतलब Dया हुआ ? सOपत- वो हाल जैसे कसाई से खूंटे से बंधी गाय । Dय; मजाक कर रहे हो राजन के पापा ? आप और कसाई के खूटे से बंधी गाय । सOपत-सच कह रहा हूं।अKडरटे 'कंग शपथ पc है िजसम- लखा है जब चाहे कOपनी का साम5तवाद मद ु ाFखोर ब5धन #नकाल सकता है ।जब चाहे तब जहां चाहे वहां %थाना5तSरत कर सकता है काले पानी क1 सजा दे सकता है SरटायरमेKट क1 उj से पहले Sरटायर कर सकता है । सरोज-अKडरटे 'कंग का मतलब तो धोखा से गला काटने वाला है ।ब?च; के भQवUय का Dया होगा। ब?च; के भQवUय के लये आपने अपने भQवUय दाव पर लगा Bदये।मद ु ाFखोर अफसर; के ज ु म का शकार हुए। मोशन से बार-बार वं3चत 'कये जाते रहे ।अब मद ु ाFखोरो ने नया चXYयूह रच Bदया।ये कैसे दCु मन है ,यो:यता के का ब लयत के,हक के और इंसा#नयत के।कमजोर आदमी को चैन क1 रोट खाते दे खना साम5तवाद मुदाFखोर; को त#नक नह ं भाता।Dया 'कया अKडरटे 'कंग पSरपc का । सOपत-करना Dया था दसRत कर Bदया। सरोज-फाड़कर फ-क दे ना था। सOपत-5 सतOबर को पSरपc जार हुआ है और हम- 16 सतOबर को मला है । 20 सतOबर तक मुRयालय पहुंचना है । Dया करता सोच Qवचार का समय नह ं था दसRत कर Bदया। सरोज-द%तRत नह ं करना था । सOपत-Dया करता,ये मद ु ाFखोर 'कसी गैर कानन ू ी इ जाम म- फंसाकर खानदान क1 इ^जत मWट म- मला दे ते,आंसू पीकर जमा `ेजय ु ेट क1 रकम भी डूबने का खतरा था। सरोज-इ%तीफा तो Bदया जा सकता था।यह सह मौका था ।यह नह ं कर सकते थे तो कोटF तो जा सकते थे। सOपत-भा:यवान मुझे दोन; तकल फदे ह लगा। सरोज-वो कैसे ?


सOपत- भा:यवान इ%तीफा Bदया तो भूख; मरने क1 नौबत,इस उj म- नौकर कौन दे गा। कोटF गया तो मुदाFखोर ब5धन ऐसी जगह पर भेज सकता है ,जहां से कचहर जाना मुिCकल हो जाये।उपर से कोई इ जाम लगाकर जेल म- ठूसवा Bदया तो Dया बचेगा।बस बचेगा यह ना। सरोज-वो Dया ? सOपत-आ,मह,या। सरोज-चुप रहो,शुभ-शुभ बोला करो । सOपत-भागवान सच तो यह है । तुम बताओ मेरा भQवUय तो उजाड़ Bदया मुदाFखोरो ने अपने ब?च; का उजड़ता हुआ भQवUय कैसे दे ख सकता हूं।अKडरटे 'कंग पर द%तRत करने से कुछ साल नौकर तो चल सकेगी।खैर मुदाFखोर ब5धन ने तो यह पDका कर Bदया है 'क कOपनी म- छोटे लोग; को कोई जगह नह ं है ।हमारे जैसे लोग; के लये तो और भी नह । सरोज-Dय;․․․․․․․․․․․․․? सOपत-द लत होना ददF का कारण तो है उपर से साम5तवाद 'कसको कOपनी म- उ?च शT@त होकर भी पद-द लत होना जीवन को नारक1य बनाना ह है ।सरकार नौकर म- सुर@ा तो थी पर खर दने क1 अपनी औकात नह ं थी इसी लये बरस; क1 बेरोजगार के बाद कOपनी म- कलकF के पद पर काम करना शN ु 'कया था।मुझे बड़ी उOमीद थी 'क समय-समय पर मोशन लता रहा तो उपर पहुंच सकंू गा पर Dया मद ु ाFखोर ब5धन ने तो ढाठ\ दे ने का इ5तजाम कर Bदया है । सरोज-कैडर म- बदलाव के लये जो अज& लगाये थे उसका Dया हुआ । सOपत-भागवान अज& तो 1993 से लगा रहा हूं पर मुदाFखोर साम5तवाद ब5धन कचरे के ]डAबे म- डाल दे ता है ।कOपनी म- #नOन वZणFक भले ह उ?च शT@त हो यो:य हो,काम को पूजा समझते हो पर उ5हदोयम दजl का इंसान समझा जाता है ।यह मेरे साथ हो रहा है ।इस कOपनी म- कमजोर क1 सुनवाई नह ं होती है ,उसी क1 सुनवाई होती है िजसक1 पहुंच होती है ।#नOन वZणFक को बात-बात पर ताना मारा जाता है 'क तम े र हा गये जब'क ु इस कOपनी म- नौकर कर रहे हो Dया कम है ।हमारे साथ के कई तो बड़े मैनज शै@Zणक यो:यता तो कोसो दरू थी। कहते है न िजसक1 लाठ\ उसक1 भ_स कOपनी म- यह हो रहा है ।मेरे कैडर म- बदलाव नह ं हो सका सफF वZणFक अयो:यता के कारण। सरोज-अ ैल मह ने म- भी तो कैडर म- बदलाव क1 अज& लगाये थे। उसका Dया हुआ। सOपत-वह जो पहले से होता आ रहा है ,दोगला साद iवाSरका ने अज& आगे नह ं बढ़ने Bदया । अKडरटे 'कंग जNर आगे बढ़ गयी है । राजन मा-बाप क1 बात चुपचाप सुन रहा था,वह उठा और सOपत के सामने आकर खड़ा हुआ 'फर Qपता का हाथ थामते हुए बोला पापा Sरजाइन कर दो।मुदाFखोर; के बीच ऐसी िज लत भर नौकर मत करो।


सOपत-बेटा नौकर तो नौकर होती है ।काम पूजा होता है ,भगवान पर QवCवास कर फजF पूरा करने क1 को शश कर रहा हूं। राजन-पापा फना हो रहे हो फजF पर, पर मुदाFखोर प,थर Bदल इंसान; का Bदल कभी नह ं पसीजा। आपके आंख- के आंसू सूख गये है ।कंधो पर मरते हुए सपन; का बोझ #नत बढ़ता जा रहा है । मुदाFखोर Bदन दन ू ी रात चौगुनी तरDक1 कर रहे ह_ आप शोषण उ,पीड़न का जहर पीकर नौकर कर रहे हो। पापा अब नह । सरोज-ना जाने Dय; मुदाFखोर लोग कमजोर आदमी का खून पीने म- शान समझते ह_।सच कहा है , दबे-कुचल; को त#नक तरDक1 क1 राह पर चलते, पांव पर जोर अजमाते,सOभलते दे ख आज भी, मुदाFखोर लोग; के Bहया दमन क1 आग दहकने लगती है । सBदय; से आंसू पीया जो,नAजे आज भी उसक1 कराहे जा रह ह_, कहां बराबर का मौका,पग-पग पर कांटे पल-पल पर धोखा ह धोखा, भले आदमी चांद पर चढ़ गया है , मंगल पर ब%ती बसाने को उतावला हो रहा है , ळाय रे जा#त भेद का मोह, मानवीय समानता रास आजी नह ं उसको, ज#तवंश के नात पर ठ;क-ठ;क ताल थकता नह ं आज भी। ये मुदाFखोर; उं च-नीच जा#त भेद के नाम ददF परोसने वालो,कमजोर मानकर दबे-कुचल; क1, िज5दगी %याह करने वाल;,आंख; को आंसूं दे ने वालो मुदाFखोर; खुदा से खौफ तो खाओं आदमी हो आदमी के,आदमी होने के सख ु -चैन को न चुराओ।


राजन-हां मOमी मुदाFखोर 'क%म के लोग ह छल-बल और जातीय EेUठता का नंगा दशFन कर दबे कुचल; क1 नसीब पर नाग क1 तरह बैठे फुफकार रहे है । सरोज-दोगला साद क1 जगह जो दस ू रे बांस आये है ,उनका Dया नजSरया है । सOपत- भा:यवान सब एक ह थैल के चWटे -बWटे है ।शुNआत म- तो लगा था 'क समानता क1 राह चलेगहम- भी तव^ज; मलेगी पर म_ गलत था । सरोज-म_ बोल थी ना इतनी तार फ मत करो,आप नये बांस को खास समझने लगे थे। कुछ Bदन और दे खने क1 बात भी म_ने कह थी।दे खो साफ को 'कतना भी दध ू पीला दो उसका जहर जाता नह ।यह बात साम5तवाद मद ु ाFखोरो पर भी लागू होती है । सOपत-दे वीजी काम तो ऐसे लोग; के साथ करना है तो अपनी तरफ से यास करना मेरा फजF था। सरोज-घाव भी नया मला ना। सOपत-नये बांस का %वजातीय ेम उमड़ रहा है ,आजकल जातीय उपनाम; से बुलाया जाता है । राजन-ये तो जा#तवाद और अकमFKयता को बढावा है । सOपत-यह तो मुदाFखोर साम5तवाद ब5धन क1 बड़ी खामी है । इसी %वजातीय गुट ने ईमानदार , वफादार ,कमFशीलता,फजF,कतFYयपरायणता पर हार कर रहा है मनचाह कमाई को बढ़ावा।कमेर द#ु नया के लोग; के दमन का पुरजोर समथFन।इसीदमन का #तफल तो है अKडरटे 'कंग। इसी बीच बन बुलाये मेहमान क1 तरह बहार घुस आये और बोले कैसी अKडर%टै िKडग चल रह है सOपत बाबू। सरोज-अKडर%टै िKडग नह ं भाई साहब अKडरटे 'कंग। बहार -ये Dया बला है । सOपत-राजन क1 मां बहार बाबू को पानी पीलाओ। बहार -fयास नह ं लगी है । सरोज-पानी के साथ चाय तो चलेगी। बहार -हां पर त#नक दे र से। अKडरटे 'कंग कौन सी मुिCकल आ गयी है ,सOपत बाबू । सOपत-Qवभागीय पSरपc जार हुआ है । बहार -मतलब Dया है ।


सOपत-Qवभाग जब चाहे Sरटायर कर दे ने के लये,%थाना5तरण के लये। बहार - सफF आपके लये । सOपत-कहने को तो सभी सरपलस चपरासी,पी․ए․,डाटा आपरे ट,टाइQप%ट के लये है । मुदाFखोर साम5तवाद सरपलस 'कसको बतायेगा। मुझे ह ना िजसका कोई गाडफादर नह ं और छोटे लोग का। बहार -मतलब मुदाFखोर ब5धन क1 आंख; क1 'कर'कर है छोटे लोग या#न एक कमजोर आदमी के साथ 'फर सािजश।आपके बांस Dया कह रहे है । सOपत-वंशराम साम5ती बांस कहां कम होगे। ब5धन तो बांस और उनके %वजातीय अफसर; के हाथ क1 कठपुतल है ।तभी तो कमजोर पर मुसीबत मड़रा रह है । अKडरटे 'कंग के मुiदे पर वंशराम साम5ती तो बना 'कसी संकोच के बोले-सOपत अKडरटे 'कंग पर दसRत कर दो, बीस सतOबर तक मुRयालय पहुंचना है । अKडरटे 'कंग का मतलब तो समझ ह गये होगे।मैने बोले नह ं तब वे बोले तुOहार नौकर ब5धन क1 दया पर Bटक1 है । अब तम ु 'कसी काम के लये मना नह ं करोगे।समय से पहले आना होगा वो तकरते हो पर जब तक तुOहारा बांस दफतर म- बैठेगा तब तक तुOह- बैठना पड़ेगा नौकर करना है तो वरना ब5धन तो जा ह गया है 'क तुOहारे जैसे लोग सरपलस है ,उनक1 जNरत कOपनी को नह ं है ।काम नह ं करोगे तो बाहर कर Bदये जाओगे।म_ बोला मुझसे ^यादा काम कौन करता है ।लोग बारह बजे आते है ,दो घKटा काम Dया 'कये Bद ल तक शोर मच जाता है । उपर से उ5ह- मनचाहे आ3थFक लाभ के साथ दस ू रे लाभ और सरकार सख ु -सQु वधा का भरपूर उपभोग 'कया जा रहा है ।म_ पेट म- भख ू आंख; म- आंसू लये खन ू पसीना करता रहूं।नौकर करना है तो ऐसे ह करना होगा। याद रखो दस ू र; को Dया लाभ मल रहा है ,तO ु हारे सोचने का Qवषय नह ं है ।जब वंशराम साम5ती बांस का ऐसा उवाच है तो नौकर कैसे बच सकती है । नौकर करना है तो मुदाFखोर साम5ती ब5धन को अपने Bहत को हक वैसे ह कराहते हुए दे खना होगा जैसे शकार जानवर कमजोर जानवर के शर र को न;चते है असहाय मारा जाता है । बहार -मुदाFखोर साम5तवाद ब5धन शकार जानवर जैसे ह है ।इस सब के लये हमार बूढ सामिजक कुYयव%था िजOमेदार है । बातचीत जोर; पर थी इसी बीच जोर-जोर से दरवाजे खटखटाते क1 आवाज सुनकर सरोज ने दरवाजा खोला,सामने Cयामल बाबू । सरोज-आइये भाई साहब। Cयामल-अरे बहार रात यह ं बतानी है Dया ? बहार -Dया हुआ? Cयामल-रामबल मामा के लड़क1 क1 अकाल मौत हो गयी । बहार -Dया कह रहे हो । कहां और कैसे अकाल मौत हुई है ।


Cयामल-धान म- खाद का #छड़काव कर रहा था सांप डंस लया,बरे ल ले जाते समय रा%ते म- मौत हो गयी। बहार -भगवान नवजवान को Dयो उठा लये,उसके न5हे -न5ह- ब?चे 'कसके सहारे जाय-गे। भगवान तुमने ठ\क नह ं 'कया।बूढे मा-बाप को बेसहारा कर Bदया न5हे -न5हे ब?च; को लावाSरस। भगवान भी कमजोर आदमी क1 मदद नह ं करता।'फर भी भगवान हम तुमसे ाथFना ह कर सकते ह_ 'क मत ृ क के पSरवार को सुख सOवQृ o और शाि5त दान करना । इधर सOपत बाबू एक नई मुसीबत म- फंसे है । Cयामल-अब कौन सी नई मुसीबत आ गयी। बेचारे हमेशा नौकर को लेकर परे शान रहते है ।Dया बात हो गयी। बहार -अKडरटे 'कंग कOपनी वाले ले लये है । Cयामल-कैसी अKडरट'कंग। बहार -कOपनी म- सOपत सरपलस है ,मुदाFखोर ब5धन जब चाहे नौकर से #नकाल दे ,काले पानी क1 सजा दे दे या समय से पहले Sरटायर कर दे ने के लये अKडरटे 'कंग ले लया है । Cयामल-Dया 'कसको कOपनी म- चमड़े के सDके चलते ह_ Dया? बहार -हां साम5तवाद मद ु ाFखोर; को Dया कह सकते हो? Cयामल-Bदल पर मरते सपन; का बोझ लये हुए नौकर कर रहे है ,उ?च शT@त होकर भी मोशन से वं3चत है , सफF जातीय अयो:यता क1 वजह से।अब अKडरटे 'कंग का शैतान चैन #छनने के लये मद ु ाFखोर; ने पीछे लगा Bदया। Dया अभी तक मद ु ाFखोर; न कम शोषण उ,पीड़न 'कया है ।सOपत बाबू कोटF जाओ अKडरटे 'कंग के Zखलाफ।इधर-उधर क1 मत सोचो।संQवधान और दे श के कानून पर भरोसा करो यक1नन फैसला तुOहारे प@ म- आयेगा। सरोज-हां राजन के पापा,राजन भी बारहवीं पास कर चुका है । वह भी यह कह रहा है ।सभी लोग कोटF जाने क1 सलाह दे रहे है ।कब तक अ5याय सहते रहोगे,अ5याय सहना भी जुमF है ।मद ु ाFखोर ब5धन के असल चेहरे को बेनकाब तो करने का समय आ गया है । रोज-राज आंसू पी कर जीने से बBढ़या तो यह है 'क डंटकर मुकाबला 'कया जाये। आप 3च5ता छोड◌़◌ो,कोटF जाने क1 तैयार करो अKडरटे 'कंग के Zखलाफ । सOपत-भागवन सलाह तो मानना ह होगा वरना ये मुदाFखोर नरQपशाच नौकर और जीवन भी ले लेगे भQवUय का खुलआ े म क,ल तो कर ह Bदया है ।कोटF जाने म- ह यो:यता,का ब लयत हक, और आदमी होने के सुख कर र@ा हो सकेगी।अKडरटे 'कंग Eम कानून और मानवता के क,ल का iयोतक है ,कोटF म- चुनौती तो दे ना ह होगा।


सOपत ने कोटF म- अKडरटे 'कंग के Zखलाफ या3चका लगा Bदया। कोटF का फैसला ज द आया गया। कोटF के फैसले ने मुदाFखोर साम5तवाद ब5धन के गाल पर जूता जड़ Bदया।सOपत को मला 5याय। डा․न5दलाल भारती मुदा खोर /कहानी मजदरू बाप सख ु ीराम,नाम भर ह सख ु ीराम था।उसके जीवन म- पग-पग पर कांटे और पल-पल ददF था। ऐसे ददF भरे जीवन म- और मुदाFखोर; या#न छुआछूत के पोषक; जा#त के नाम पर कु,ते ब ल जैसा दYु यFवहार करने वाले,पैतक ृ सOप#त ह3थयाने,आदमी होने का सुख #छन लेने वाले शोषक समाज के चंगुल म- फंसा बंधुवा मजदरू सख ु ीराम स,या`ह कर बैठा था बेटे सुदशFन को एम․ए․ तक पढ़ाने का।उसका स,या`ह पूरा भी हुआ था ।सुखीराम के स,या`ह क1 बात %वामीनरायन ब%ती के मजदरू ; से बड़े गौरव से कहता।वह ब%ती के मजदरू ; को उकसाता रहता था 'क वे अपने ब?च; को %कूल भेज- ना 'क दबंग जमींदार; के खेत ख लहान; म- मजदरू करने को। %वामीनरायन बी․ए․पास सद ु शFन को बतौर नजींर पेश करता।वह कहता बाप ने तो बहुत स,या`ह 'कया जमीदार क1 हलवाह करते हुए और अपने स,या`ह मपास हो गया। सुदशFन को मजदरू बनाने क1 जमींदार क1 लालसा पूर नह ं हो सक1।दे खो वह शहर चला गया,भगवान उसक1 मदद कर- उसे बाप क1 तरह स,या`ह ना करना पड़े। सुदशFन गांव से शहर क1 ओर कंू च तो कर गया पर उसे शहर म- कोई Bठकाना ना था कई बरस; तक शहर म- नौकर क1 तलाश म- बावला सा 'फरता रहा पर वह मेहनत मजूदर करने म- त#नक नह ं Bहच'कचाया। मेहनत मजदरू कर झुगी का 'कराया और खुराक1 चलाने लायक कमाने लगा था। इस सबसे जो बचता वह अपने बाप का म#नआडFर कर दे ता। बाप का लगता क1 बेटा सरकार अफसर क1 नौकर मल गया। वह मंछ ू पर ताव दे ते हुए कहता अरे ब%ती वाल; तम ु भी अपने ब?च; को उं ची पढ़ाई करो। बना पढ़ाई के नसीब नह ं बदलेगी,दे खो मेरे बेटवा को हर मह ने म#नआडFर कर रहा है भले ह सौ Nपये का । सुदशFन ब%ता के लये उदाहरण बन गया था पर5तु बेरोजगार क1 सम%या से उबर नह ं पा रहा था।पांच वषF क1 भागदौड़ और #नराशा से Bद ल म- होकर भी उसे Bद ल दरू लगने लगी।पल-पल बदलते Bद ल के रं ग म- उसे Bद ल से◌े दरू जाना कैSरअर संवरने क1 तरक1ब लगने लगा।वह इतना ध#नखा तो था नह ं 'क वह नौकर खर द सके। Bद ल क1 मKडी म- झ ल ढोकर मां बाप के सपन; को पूरा कर सके।Bद ल म- उसे अपना भQवUय मरता हुआ नजर आने लगा था।अ5ततः उसने Bद ल को अलQवदा कहने का मन बना लया । एक Bदन वह पुरानी Bद ल रे लवे %टे शन से रे ल म- बैठ गया,दस ू रे Bदन वह झलकार बाई क1 ,याग भू म क1 ओर %थान कर गया। रे ल से उतरते ह वह रे लवे %टे शन के मेनगेट से बाहर #नकला और अपना भिUय तलाशने #नकल पड़ा । अनजान शहर म- कई Bदन; क1 भागदौड़ के बाद उसक1 सोई नसीब ने करवट बदला और उसे एक अधFशासक1य असतकार कOपनी म- अ%थायी कलकF क1 नौकर मल गयी।@ेc ् मुख रामपूजन साहब ने शुNआती दौर म- श@क क1 भू मका म- नजर आये। तीन मह ना तक #निCच5तता के साथ नौकर 'कया। चौथे माह के ारOभ म- रामपूजन साहब का तबादला हो गया।उनक1 जगह रिज5दर 3गoू आ गये।3गoू साहब तो उपर से बड़े भलमानष ु थे।सुनने म- आया 'क रामपूजन साहब का तबादला 3गoू साहब करवाकर खद ु कायाFलय मख ु बन गये। 3गoू साहब के कायFभार संभालते ह


सुदशFन पर मुसीबत; के पहाड़ 3गरने लगे। 3गoू साहब कहने को तो अBहंसावाद थे पर शोQषत गर ब को आंसू और उसके भQवUय का क,ल करने म- उ5ह- त#नक Bहचक नह ं होती थी। सुदFशन छोट जा#त का है 3गoू साहब को यह खबर डां․Qवजय ताप साहब से लग गयी पहले ह लग गयी थी। अब Dया 3गoू साहब कायाFलय मुख बनते ह सुदशFन को बाहर का रा%ता Bदखाना तय कर लये।इस षणय5c मडां․Qवजय ताप साहब Qवभाग म- जनरल मैनेजर थे उनका पूरा सहयोग 3गoू साहब को मल रहा था।इ5ह के षणय5c से 3गoू साहब कायाFलय मुख बने थे िजनके अधीन%थ तीन संभाग के दजFनो िजले थे। मामूल `ेजुयेट 3गoू साहब डां․Qवजय ताप साहब के अंध भDत थे उनके लये शबाब,शराब और कबाब क1 Yयव%था 3गoू साहब करते थे।िजसक1 वजह से पूरे Qवभाग म- 3गoू साहब का Nतबा सबसे उपर था। Nतबे का भाव Bदखाकर 3गoू साहब ने जातीय अयो:यता के कारण सुदशFन को नौकर से #नकलवा Bदये।वैसे भी इस सतकार Qवभाग म- अछूत; को नौकर नह ं द जाती द थी।रामपूजन साहब ने सद ् ु शFन क1 जा#त नह ं उसक1 ता लम और काब लयत दे खकर नौकर क1 सफाSरस 'कये थे पर 3गoू साहब को सुदशFन फूट आंख नह ं भाता था। 3गoू साहब जातीय षणय5c के तहत ् नौकर से तो #नकलवा Bदया। सुदशFन सतकार Qवभाग म- नौकर करने के लये स,या`ह पर उतर गया । इस Qवभाग म- जैसे कुछ सौ साल मंBदर; और %कूल; म- अछूतो का वेश विजFत था उसी तजF पर सतकार Qवभाग 19वी शताAद के आZखर म- भी अघोQषत Nप से म- अछूत; को नौकर दे ने क1 मनहाई थी। सुदशFन का संघषF रं ग लाया आZखकार असतकार Qवभाग के जमींदार Yयव%था ने उसे बहाल तो कर Bदया। बहाल के बाद 3गoू साहब का अ,याचार बढ़ गया। अ,याचार के Zखलाफ Qवभाग म- कोई सुनने को तैयार नह ं था। 3गoू साहब ने सद ु शFन का कैSरअर बबाFद करने म- जुट गये।धीरे -धीरे सी․आर․ करने म- जुट गये।डां․Qवजय ताप साहब क1 सह तो 3गoू साहब को भरपूर ाfत थी।Qवभाग म- छोटे कमFचार से लेकर उ?च अ3धकार तक अ3धकतर थम एवं iQवतीय वणF के लोग थे,मqय भारत के दफतर म- तो सद ु शFन अनुसू3चत जा#त का इकलौता कमFचार था और सभी का कोपभाजन बनता था।वह चाहता तो उसे सरकार नौकर के लये भी को शश कर सकता था। असतकार Qवभाग म- ^वाइन करने के बाद कई पर @ाएं Bदया था,पास भी कर गया था पर अ,याचार के Zखलाफ स,या`ह का फैसला कर लया था। इस लये अ,याचार के Zखलाफ मौन शAदबीज बोने लगा िजसक1 गूंज दरू -दरू तक सुनायी दे ने लगी थी। डां․Qवजय ताप साहब ने 3गoू साहब क1 समझाइस पर सद ु शFन का मोशन न करने क1 कसम खा लये।सद ु शFन बड़ी ईमानदार से काम करता । काम को पूजा समझा सं%थाBहत म- आगे रहता। समय से आता दे र से जाता पर वह जमींदार Yयव%थापक; #नगाह म- अ?छा कमFचार नह ं था Dय;'क उसके पास उ?चजातीय यो:यता नह ं थी। कई तो ऐसे जा#तवाद के पोषक उ?च3धकार तो ऐसे थे िजनको अं`ेजी Dया चार लाइन Bह5द म- भी लखने पर पसीना छूट जाता था पर वे उ?च अ3धकार थे Dय;'क वे जातीय यो:यता क1 rिUट से यो:य थे। सुदशFन उ?च शT@त होकर भी अयो:य था।सुदशFन अपने स,या`ह पर अ]डग था अपने साथ हो रहे अ,याचार के Zखलाफ मौन संषषFरत ् था । असतकार Qवभाग म- वह अपनी यो:यता के बल पर उ?च पद हा सल करना चाहता था।Qवभाग क1 कई आ5तSरक पर @ाओं म- बैठा भी पर @ा तो पास कर जाता पर डां․Qवजय ताप साहब के इशारे पर इ5टरYयू म- फेल कर Bदया जाता था। डां․Qवजय ताप साहब अब जनरल मैनेजर बन चुके थे पूरे Qवभाग क1 डोर उनके हाथ म- थी। सुदशFन क1 लगन को दे खकर परे शान करने क1 #नय#त से 3गoू साहब उसको काले पानी भेजने के नाम पर आंत'कत करने का यास करते रहते थ।सुदशFन को तबादले से डर तो नह ं था Dयो'क वह स,या`ह पर उतर चुका था । उसे ये भी पता


चल चुका था 'क डां․Qवजय ताप,दे व5s ताप,अवध ताप आर․पूजन,सुरे5द एस․iवाSरका पी․रिज5दर 3गoू जैसे मुदाFखोर उसका कैSरअर बबाFद कर दे ग-। उसे तो बस एक ललक भी 'क असतकार कOपनी मवह डटा रहे जहां शोQषत; का वेश विजFत जैसा है । वह शोQषत समाज के #त#न3ध कमFचार के Nप मQवभाग का बज रहते हुए अपनी ◌्र#तभा Bदखाना चाहता था पर5तु मुदाFखोर 'क%म के NBढ़वाद अफसर सारे रा%ते ब5द कर Bदये थे । कहते है ना जहां चाह वह रहा। उसक1 #तभा उभर कर आने लगी िजससे वह मुदाFखोर अफसर; क1 आख; म- खटकने लगा था। Qवभाग म- सुदशFन को नौकर करते तीस साल हो चुके थे पर तरDक1 अभी भी कोसो दरू थी।डां Qवजय ताप Sरटायर होकर भी Sरटायर नह ं हो रहे थे,कOपनी के उ?च पद से 3चपके हुए थे।सुदशFन का कैSरअर समाfत तो हो ह चुका था पर उसे अपनी यो:यता,कमF और Eम पर QवCवास था । कOपनी म- डां․Qवजय ता क1 दबंगता को लेकर दबी जबान Qवरोध होने लगा था। एक Bदन उनके एक Qवरोध ने सरे आम दफतर म- जत ू ा मा◌ार Bदया। अब वे दफतर म- मंह ु Bदखाने लायक नह ं बचे थे पर उनके मद ु ाFखोर चOमच- िज5हे उनक1 तरह ह कमजोर,शोQषत वगF क1 तबाह को उतना ह मजा आता था जैसे जीQवत पशु नोच-नोच कर खाने म- लकड़ब:धे को।इसी आमनुषता का शकार सुदशFन भी था।नौकर म- उसके जीवन के तीस से अ3धक मधुमास मुदाFखोरो ने पतझड बना Bदया गया था पर Eमवीर सुदशFन का QवCवास सदकमF से नह ं उठा था ।कोई मुदाFखोर उसे बना वजह परे शान करता तो वह कहता सांच बात शहतु ला कहे सबके 3चत से उरतल रहे ।मुदाFखोर उसके मंह ु #नहारते रह जाते। सद ु शFन जब कभी अ3धक परे शान हो जाता तो वह एका5त म- बैठकर गन ु गन ु ा उठता, सच लगने लगा है ,कुYयव%थाओं के बीच थकने लगा हूं, वफा,कतFYय परायणता पर,शक क1 क_ ची चलने लगी है , ईमान पर भेद के प,थर बरसने लगे है । कमF-पूजा खिKडत करने क1 सािजश- तेज होने लगी ह_, पूराने घाव तराशे जाने लगे ह_ भेद भर जहां म- बबाFद हो चुका है ,कल आज कल Dया होगा,Dया पता, कहां सेम कौन तीर छाती म- छे द कर द- , 3च5तन क1 3चता पर बूढा होने लगा हूं, उj के मधुमास पतझड़ बन गये ह_, पतझड़ बनी िज5दगी से,बस5त क1 उOमीद लगा बैठा हूं, कमFरत ् मरते सपन; का बोझ उठाये 'फर रहा हूं,


कलम का साथ बन जाये कोई मशाल,अपनी भी इसी इ5तजार म- शल ू भर राह; पर, चलता रा रहा हूं․․․․․․․․․․ Qवभाग के मुदाFखोर अफसर सुदशFन के कैSरअर को बबाFद तो कर चुके थे अब उसे◌े पागल करार करने के 'फराक म- जुटे रहते थे पर वह सािजश; से बेखबर कमF-पूजा पर qयान केि5sत 'कये रहता था। सुदशFन के बाप उसे अफसर दे खने क1 इ?छा म- मरण शैयया ् पर पड़े चुके थे। Qपता क1 बीमार क1 खबर पाते ह सुदशFन छुWट क1 अज& लगाकर गांव क1 ओर चल पड़ा। सुदशFन को दे खते ह सुखीराम उठ बैठे,जैसे उ5हिज5दगी का उपहार मल गया हो। %वामीनरायन दे खो बेटा को दे खते ह उj मल गयी।%वामी नरायन बेटा अफसर बन गये । सुदशFन बाप क1 आंख; म- दे खते हुए बोला बाबा जीत-जीत कर हारता रहा हूं पर ज द ह सपना पूरा होने क1 उOमीद है ।बेटा बड़ा दख ु होता है ,यह जानकर 'क पढ़े लखे उ?च वZणFक अफसर पुराने जातीय भेदभाव क1 मद ु ाFखोर से नह ं उबर पाये है । ये मुदाFखोर 'क%म के नर Qपशाच लोग, स^जन; को आंसू दे ना,अपनी Qवरासत समझते है , छल- पंच म- माBहर ये दोगले, आदमी के Bदल को चीर कर रख दे ते है । छ\न को यतीम तक कर दे ते है , झूठ\ शान के द वाने Bहटलर नरQपशाच क1 बाढ़ म- बह जाते ह_, वDत के ताल बेपदाF होकर बदनाम हो जाते ह_। सद ु शFन-बाबा जातीय Yयव%था क1 ता सर शोQषत वगF के लोग; का जीवन तबाह करने क1 है । बाबा जा#त Yयव%था दज F ; क1 डरावनी नी#त है , ु न स^जन; को डंसती-सताती मि,त है ,इन खुदगजt क1 मह'फल; म-, स?चे नेक क1 कg खोद जाती है । भेद-चOमचागीर औजार ऐसा िजससे,सोने क1 डाल काट जाती है कमF-Eमवीर को Nसुवाई द जाती है । सद ु शFन-यह तो गम है अपनी जहां से। कल नर के वेष म- शैतान ने,Eमवीर का जनाजा #नकाला था,


आज माथे पर मुदाFखोर के कु-करनी का रौब दहक रहा था, वह जीता सा जब ु ान क1 तलवार भांज रहा था, लूट नसीब का मा लक अदना कमF-पथ पर चला जा रहा था। %वामीनरायन-बेटा वैBदक काल म- अखKड भारत के वXवत& सjाट महाराजा क1 त#नक सी गलती से आज युग; बाद भी मूल#नवा सय; जो लगभग :यारह सौ से प5sह सौ उपजा#तय; म- बंट चुके है ,को दKड भुगतना पड़ रहा है । सुदशFन- कैसी गलती बाबा ․․․․․․․․? %वामीनरायन-बेटा ऐ कैसी आजाद है आजाद होकर भी हम शोQषत,हा शये के लोग,कमेर द#ु नया के लोग झंख रहे है । हमारे समाज क1 वह हाल है -झंखै खरभान जेकर खाले ख लहान,महाराज ब ल ने दान Dया कर 'कया 'क वैBदक काल म- आRएड भारत के राजा सोने क1 3च]ड◌़या कहे जाने वाले दे श के मूल#नवासी वतFमान म- शोQषत रं क हो गये। महाराजा ब ल गुN शुXाचायF क1 बात मानकर छल वामन को अपना सवF%व दान नह ं करते तो आज शोQषत वगF क1 दद ु F शा ना होती बेटा, सच लगन लगा है ,कुYयव%थाओं के बीच थकने लगा हूं, वफा,कतFYयपरायणता पर शक क1 कैची चलती रह है ईमान पर भेद के प,थर बरसने लगे है , कमFपूजा खिKडत करने क1 सािजश होती रह है , जा#तवाद के पुराने घाव तराशे जा रहे ह_, भेद भर जहां म- शोQषत वगF बबाFद हो चुका है Dल Dया होगा कुछ पता नह ,कहा से कौन तीर छाती म- छे द कर दे , यह सोच-सोच सोच बूढ़ा हो गया हूं, डj के मधुमास पतझड़ बना Bदये गये है , पतझड़ बनी िज5दगी से बस5त क1 उOमीद लगाये बैठा हूं, कमFरत ् मरते सपन; का बोझ उठाये 'फर रहा हूं, कलम बने ह3थयार,शोQषत समाज क1 बन जाये मशाल


इसी इ5तजार म- शूल भर राह; पर चलता जा रहा हूं․․․․․․․․․ बेठा सद ु णFन अपने कमF से Qवच लत ना होना,कमF एक Bदन जNर #नखरे गा,वैसे ह जैसे शला #घस#घसकरअनमोल र,न बन जाती है । भले ह मुदाFखोरो ने तुOहारा भQवUय चौपट कर Bदया हो।इस ब%ती के ब?च; के लये तुम उदाहरण हो। सद ु शFन-हां बाबा मै जानता हूं मेरे घर-पSरवार के अलावा ब%ती के लोग; क1 उOमीद- मझ ु से ह_ उ5ह ं क1 दआ ु ओं का #तफल है 'क ददF म- भी सकंू न ढू◌़ढता जा रहा हूं पर बाबा, अपनी जहां के कैसे-कैसे लोग,तरासते खंजर कसाई जैसे लोग, अदना जानकर लूटते हक,#छन जाते आदमी होने का सुख, कर रहे युग; से कैद नसीब,अपनी जहां के लोग․․․․․․ कैसा गम ु ान,वार, रार,तकरार, करते रहते लहुलह ू ान, अदने का िजगर,भले ना हो कोई गुनाह,दे ते रहते, भय शोषण,उ,पीड़न Bदल को कराह․․․․․․․․․․․ अपनी जहां उम- उj गज ् पर, ु र रह ,अदने क1 िज5दगी ददF क1 शैयया मुिCकल- हजार काट; का सफर,बेमौसम अंवारा बादल बरस रहे डूबती उOमीद- 'कनारे नह ं मल रहे ․․․․․․ अदना BहOमत कैसे हारे ,मद ु ाFखोर; क1 मह'फल म- स,या`ह कर रहा हौशले क1 पतवार से जीने को सहारा ढू◌़ढ़ रहा,मुदाFखोर; से चौक5ना, खुल आंख; से सपना बो रहा․․․․․․․․ %वामीनरायन-शाबाश मेरे लाल,तू जNर ब%ती का नाम रोशन करे गा। मद ु ाFखोर; के बीच रहकर भी तम ु स,या`ह कर रहे हो अपने सपने बो रहे हो Dया यह सफलता से कम है ।बेटा जो लोग गर ब,हा शय- के आदमी,शोQषत वगF का उ,पीड़न,शोषण करते ह_,हक #छनते ह_, उनको आसूं दे ते ह_,वे लोग मुदाFखोर तो ह होते है ।ऐसे लोग; के बीच तुम Bटके हुए हो यह तुOहार उ?च शै@Zणक यो:यता और का ब लयत का सबूत है वरना ये लोग ल ल गये होते ।बेटा तू जNर अफसर बेटा मुसा'फर का सपना जNर पूरा होगा। मुदाFखोर तुOह- नह ं रोक पाय-गे। तुOहारे साथ तुOहारे मां-बाप और पूर ब%ती क1 दआ ु य- है ।दे खो तुOह- दे खकर मरणास5न सख ु ीराम के चेहरे पर रौनक आ गयी है ।उनक1 सेवा सE ु ष ु ा करो उठकर चलने लगेगे।वैसे अपनी


शिDत भर चXदशFन और उसके ब?चे कर रहे है ।म_ घर चलता हूं बूBढ◌़◌ा इ5तजार कर रह होगी,मेरे खाने के बाद ह वह खाना खायेगी कहते हुए %वामीनरायन बाबा उठे और अपने घर क1 ओर लपक पड़े। सुदFशन बाप के इलाज करवाकर शहर लौट आया।मन लगाकर नौकर करने लगा।बाप के %वा%थ क1 3च5ता तो सताती रहती थी पर पापी पेट का सवाल था नौकर तो करनी थी पर यह नौकर तो ददF के दSरया म- डूबकर सुदशFन को करना पड़ रहा था ।चैतीस साल क1 Qवभागीय सेवा म- पांच छः बार मोशन के अवसर तो आये पर वह हर पर @ा पास करने के बाद मुदाFखोर अफसर; के इशारे पर मोशन से दरू फेके Bदया जाता था।मुदाFखोर; ने रगजीत,कामनाथ रती5sनाथ जैसे कई अ5य मद ु ाFखोर; क1 पौध भी तैयार कर कर Bदये थे जो Qवभाग को अपनी जागीर समझकर जमींदार -साम5तवाद स तनत कायम करने का भरपूर यास कर रहे थे।सद ु शFन ददF के दSरया म- डूबा हुआ तो था ह ,उसका कैSरअर तो पहले ह साम5तवाद मुदाFखोरो ने चौपट कर Bदया था। उसे अब कैSरअर क1 3च5ता तो थी नह ं बस वह इस लये स,या`ह कर रहा था 'क उस जैसे लोग; के लये Qवभाग का दरवाजा खुले पर5तु साम5तवाद लोग भी बहुत ढ◌़◌ीठ मुदाFखोर थे।सुदशFन नौकर क1 उj के आZखर छोर पर पहुंच चुका था इसी बीच 'फर एक पर @ा हुई उसम- भी वह पास हो गया पर पहले 'क भां#त 'फर फेल कर Bदया पर5तु स,या`ह सद ु शFन बोडF आफ डायरे Dटर के दफतर के सामने बैठ गया,बोडF आफ डायरे Dटर को◌े सद ु शFन के स,या`ह के सामने झुकना पड़ा। सुदशFन अफसर बन गया यह खबर उसके बाप को जीवनदा#यनी सा बत हुई और ब%ती के लये द वाल । असतकार कOपनी सतकार के नाम से जानी जाने लगी और इस अ5तFराUb य कOपनी के दरवाजे सब के लये खुल गये। जमींदार -साम5तवाद मुदाFखोर स तनत का अ5त हो चुका था। सुदशFन का मुदाFखोरो ने बहुत उ,पीड़न,शोषण 'कया,यBद उसके साथ 5याय हुआ होता तो वह बहुत बड़ा अफसर बनकर Sरटायर होता इसका उसे मलाल तो था पर खश ु ी इस बात क1 थी 'क वह मद ु ाFखोर; का गNर तोड़ चुका था सद ु शFन स,या`ह के पथ पर चलकर।भले ह छोटा अफसर था पर चहुंओर उसके स,या`ह क1 जयजयकार थी और मुदाFखोर; क1 #न5दा। डा․न5दलाल भारती लहू के कतरे अरे बाप रे अBह या मांता के शहर के लोग एक दस ू रे के लहू के रं ग से शहर बदरं ग कर रहे ह_। मारने काटने को दौड रहे ह_ कहते हुए सचेतन ज द ज द मोटर साइ'कल खडी 'कये और झटपट घर म- भागे । घर म- घस ु ते ह बेहोश से 3गर पडे । सचेतन क1 हालत दे खकर बीBटया दौडी हुई आयी और जोर जोर से मOमी मOमी बुलाने लगी ।बीBटया जह ू के पुकारने क1 आवाज सन ु कर क पना दौडती भागती आयी । सचेतन को झकझोरते हुए बोल अरे जूह के पापा आंख तो खोलो Dया हो गया तुमको । सचेतन अरे मझ ु े तो अभी कुछ नह ं हुआ है अगर ऐसे ह चलता रहा तो Cशहर क1 आग को यहां तक पहुंचने म- दे र नह ं लगेगी । क पनाः Dया कह रहे हो हम अपने ह घर म- सुरT@त नह ं है । Dया हुआ है Cशहर को । कैसी आग लगी है ◌ंशहर म- साफ साफ कहो तो सह । मेरा तो Bदल बैठा जा रहा है । अरे Dया हुआ है शहर को◌े◌ं । सचेतनःअरे शहर सुलग रहा है ।


क पनाः Dया कह रहे हो । सोलह साल से इस Cशहर म- रह रहे है । कभी तो नह ं सुलगा था यह Cशहर कुछ Bदन; से इस शहर क1 अमन Cशाि5त को ना जाने 'कसक1 नजर लग गयी है ।आज 'फर कौन सी ऐसी बात हो गयी है 'क शहर सुलग रहा है । बात मेर समझ म- नह ं आ रह है । सचेतनःभागवान Cशहर म- दं गा फैल गया है ।लोग एक दस ू रे को मारने काटने पर तूले है । कह दक ु ान जल रह है तो कह 'कसी का घर । कह इ^जत पर हमला हो रहा है तो कह लहू से सडक नहा रह है । क पनाःबाप रे 'फर दं गा । 21 जनवर मुकेर पुरा म- दं गा भडका था दस Bदन बाद कबFला मैदान पर आज 'फर 12 फरवर 2007 को दं गा भडक गया ।एक सO दाय दस ू रे के जान लेने पर तूल है । इस Cशहर क1 अमन Cशाि5त को धा मFक उ5माद खा जायेगा Dया भगवान । हे भगवान उ5माBदय; को सदबुि◌◌़o दो जो लोग धमF क1 अफ1म खाकर दं गा फैला रहे ह_ । बेचारे गर ब मारे जा रहे ह_ ।अ?छा बताओ आज 'कस बात को लेकर दं गा भडका है । सचेतनः िजतने मह ुं उतनी बात- । कोई कह रहा है 'क नर संह बाजार म- एक लडक1 के साथ छे डछाड को लेकर दं गा भडका ह_ । कोई कह रहा ह_ दो पBहया वाहन; का भड5त को लेकर । इ5ह अफवाहो को लेकर पर संह बाजार म- भगदड मच गयी । आग म- घी डालने का काम कुछ भागती हुई मBहलाओं ने भी 'कया यह कहकर 'क उनके घर; म- आग लगा द गयी ह_ । शायद यह अफवाहे साO दा#यक दं गे का Nप धारण कर ल हो । खैर खुरापाती लोग तो बहाना ह ढूढते रहते ह_ जब'क जानते है 'क दं गा करने वाले और दं गे का शकार हुये लोग या#न दोनो मुिCकल म- आते ह_ पर सर'फरे अपनी औकात तो Bदखा ह दे ते ह_ । घरो मं आग लगने क1 अफवाह फेलते ह उपsवी लोग सडक पर आ गये । प,थरबाजी बम पेbोल बम तक एक दस ू रे के उपर पर फेकने म- जरा भी Bहच'कचाये नह ं । जब'क दोनो प@ इसी Cशहर म- रह रहे है एक दस ू रे को बचपन से दे ख रहे ह_ 'फर भी दं गा भडका रहे ह_ । िजस गल गच ु े म- पले पले बढे उसी गल को एक दस ू रे के खन ू से बदरं ग कर रहे ह_ । Dया लोग हो गये ह_ ।एक दस ू रे पर इतेन प,थर फेके गये 'क सडक ह पूर पट गयी । नगर #नगम bको म- भर कर प,थर ले गया । लहू के कतरे बना 'कसी अलगाव के Cशहर के 'फजा को बदरं ग कर रहे है ।उपsवी है 'क अपनी करतूत; पर मदम%त होकर जहर घोल रहे ह_ । Dया लोग हो गये है , आदमी के लहू के कतरे कतरे से अपनी धमाFनधता एवं िजद को संवारने पर तल ू े हुए ह_ । यह साO द#यक दं गे तो धरती पर इंसा#नयत के दCु मन बन हुए ह_ । वाह रे धमF सO दाय क1 अफ1म खाकर शहर अमन शाि5त को चौपट कर जंगल राज %थाQपत करने पर जट ु ा है सच 12 फरवर 2007 का Bदन शहर के इ#तहास का काला Bदवस सा बत हो गया है । क पनाः सरु @ा क1 िजOमेदार पु लस नह ं पहुंची Dया । सचेतनः पुराने ढरl पर । उपsQवय; को खदे डने के लये गो लयां चलायी । गोल चलाने के बाद भी उपsवी ग लय; म- #छप #छप करे प,थरबाजी करते रहे ।पढर नाथ,म हारगंज छcीपुरा थाना @ेc; म- धारा 144 लग गयी ह_ जैसा अखबार म- छपा है । क पनाः Dया हो गया है इस Cशहर के लोगो को Cशाि5त सदभाव को कूचलने पर उतर रहे है । यह शहर तो बहुत सुरT@त था पर अब इस शहर पर ना जाने 'कसक1 नजर लग गयी ।


सचेतनः सच सhय समाज के QवsोBहय; क1 नजर लग गयी है ।पु लस शासन समझा बुझाकर शाि5त बहाल करने मे जुटा है । क पनाःसमझाने के अलावा पु लस तो और भी कदम उठा सकती थी । सचेतनःआसू गैस बल योग तक सी मत रहा। उपsव क1 आग जब अपने चरम पहुंची तब जाकर धारा 144 और कह कह कफयूF लगाया । क पनाः काश यह सब उपsव के CशN ु आती दौर म- लग जाता तब Cशायद न तो जान क1 और नह ं माल क1 हा#न होती । सचेतनः ठ\क कह रह हो । अब तो उपsQवय; ने आमजन के लये मुिCकल खडी ह कर Bदये है । सब बाजार हाट ब5द हो सकता है । क पनाः ब5द तो होना ह चाBहये ।कब उपsQवय; क1 छाती म- उबल रहा उ5माद सुलग उठे और शहर को शमFसार कर दे । पूरे @ेc म- कफयूF लगा दे ना चाBहये । बीच बीच म- छूट मलती रहे ता'क लोग अपने जNर काम कर सके ।उपsQवय; क1 शनाRत कर काले पानी क1 सजा दे दे नी चाBहये ता'क 'फर उ5माद का भत ू न सवार हो सके । कफयूF म- Bढल के वDत पु लस को उपsQवय; पर चौकस #नगाह- भी रखनी होगी ।सडक पर बखरे लहू के कतर; के सफाई क1 भां#त लोग; को भी अपने Bदल; पर जमी मैल क1 परत; को धो दे ना होगा तभी पूणN F पेण सवFधमF सदभाव कायम हो सकेगा । सचेतन ◌ः िजस Bदन शहर म- सदभाव %थाQपत हो गया । सचमच ु म_ जCन मनाउूं गा । क पनाः काश तO ु हार Bदल RवाBहश पूर हो जाती । शासन शासन उपs#य; के साथ सRती से पेश आता हर राजनी#त से उपर उठकर । उपsQवयो क1 हर ग#तQव3धय; पर नजर रखता । सचेतनः भागवना ठ\क तो कह रह हो । होना तो ऐसा ह चाBहये पर लोग अपने कतFवय; पर खरे उतरे तब ना। f◌ु लस शासन को तो आगrिfट अब तो रखना ह हे ागा । खैर जो लोग अमन पस5द Cशहर के लहूलुहान हुए है उनका Dया । क पनाः अमन पस5द लोग अपनी अपनी घाव को भल ू कर शहर क1 Cशाि5त के लए ,याग तो करे गे ह पर5तु उपsवी लोग अपनी करतत ू ो पर लगाम तो लगाये शहर को बदनाम ना कर- । सचेतनः ठ\क कह रह हो उपsव से Cशहर क1 अमन सदभावना को धDका तो लगता ह है । वह समुदाय धमF भी द#ु नया क1 नजरो म- बदनाम हो जाता ह_ जो दं गा फसाद के लये िजOमेदार होता है । खैर अब से भी अमन हो जाता । शहर तो झल ु स ह गया है । उपsवी अब से भी सदभावना Qवरोधी ग#तQव3धय; पर लगाम लगा लेते तो बडा सकून मलता । क पनाः दे खो जी 3च5ता को Bदल से ना लगाओ तO ु हार त बयत भी ठ\क नह ं ह_ । 3च5ता तO ु हारे %वा%थ क1 दCु मन ह_ । रात भी ^यादा हो गयी ह_ । अब सो जाओ ।


सचेतन बडी मुिCकल से सोया पर नींद म- भी कई बार बडबडाता रहा बचाओ बचाओ । अरे 'कसी के आ शयाने म- आग ना लगाओ । सुबह हुई ह नह ं 'क ब?चेा से बार बार अखबार लाने को कहने लगे । Qपता के बार बार अखबार मांगने पर बीBटया जूह बोल अरे पापा अभी अखबार ह नह ं आया तो दे कहां से । रे ]डय; सुन; समाचार आ रहा ह_ शहर म- Cशाि5त %थाQपत हो रह ह_ धीरे धीरे । उठो gश करो दवाई लो । आंख खोले ह नह ं अखबार अखबार मांगने लगे सचेतनः अखबार आज इतना दे र से Dयो आ रहा है । क पनाःअरे अखबार और हांकरो पर भी तो दं गे का असर होगा क1 नह ं । इतने म- कुछ 3गरने क1 आवाज आयी ।सचेतन जोर से बोले दे खो◌े पेपर आ गया Dया । लगता ह_ हांकर अखबार फ-का ह_ । क पनाःज द ज द गयी और अखबार सचेतन को थमाते हुए बोल लो अखबार आ गया सचेतनःअरे बाप रे । क पनाः Dया हुआ । सचेतनः Cशहर म- कफयूF जार ,%कूल कोल ब5द बस; का आनाजाना ब5द । शाि5त माचF । मंगलवार को शाम होते होते ि%थ#त बगडी । दं गे के दस ू रे Bदन भी अमन नह ं Cशहर म- । क पनाः दं गे का कारण लगता ह_ अफवाहे ह रह है वरना छोट सी बात को लेकर इतना बडा दं गा । कभी नह ं होता । छोट मोट बातेा म- धमF सO दाय घुस रहा ह_ और यह दं गे का कारण बन जाता ह_ । दं गाईय; क1 सोची समझी सािजश के तहद सब हो रहा है । सचेतनः मानवता सदभावना के Qवरोधी चाहते Dया ह_ । जूना Sरसाला के एक सामुदा#यक भवन पर बम फ-क Bदया है दं गाईयो ने । क पनाः बम फेका ह_ तो कोई ना कोई हताहत भी हुआ होगा । सचेतनः खैर भगवान ने बचा लया ह_ जान क1 हा#न तो नह ं हुई ह_ । पु लस ने मोचाF खेाल Bदया है । क पनाः उपदQवय; क1 शना◌ाRत कर उनके तलाशी के साथ उनके घर; एवं संBद:ध %ि◌◌ा◌ान; क1 भी तलाशी लेनी चाBहये । दं गाई बम गोले कहां से लाते ह_ । इनके तार हो ना हो 'कसी उ`वाद `प ु से तो नह ं जुडे हुए है । सचेतनः हो भी सकता है । पु लस गहन छान बन कर रह ह_ । रै Qपड एDशन फोसF भी शहर म- आ चुक1 है क पनाः Cशहर का दं गां ◌ं साO दा#यक रं ग के साथ राजनी#तक रं ग म- भी रं गा लगता है । Cशहर क1 आ3थFक राजधानी जहां हमेशा ठसाठस भीड रहती थी वहां स5नाटा पसरा हुआ है ।


सचेतनः एक तरफ तो Cशहर का आवाम बेहाल ह_ दस ू र ओर राजनी#तक गरमी भी बढने लगी ह_ । अमन क1 उOमीद के बीच आरोप ,यारोप भी लग रहे ह_ । क पनाः दं गा भले ह साO दा#यक हो पर राजनी#त क1 उवFरा शिDत भी इसम- Cशा मल तो ह_ । ऐसी खबर गल मोह ले म- फै◌ेल चुक1 है । सचेतनःशहर के लोग संवद े नशील एवं वेदना को समझते ह_ । अमन पस5द लोग ह_ । सामािजक एकता मQवCवास रखने वाले लेाग ह_ । उपsQवय; के इराद; को Qवफल तो कर ह दे गे ।सच यह है 'क कोई तो ह_ जो शहर क1 'फजा बगाडने पर तूला हुआ ह_ । क पनाःठ\क कह रहे हो । उपsQवय; को बेरोजगार अ श@ा,महगाई,गर बी छुआछूत जा#तवाद के मद ु दे Bदखाई ह नह ं पड रहे ह_ । दे श समाज के दCु मन साO दा#यक भावना के सहारे Cशहर का अमन चैन #छन रहे ह_ । सचेतनः समाज म- बैर फेलाने वाले लोग दे श समाज के क याण क1 बात नह ं कर सकते ना । क पनाः यह तो दभ ु ाF:य ह_ । दे श म- पढे लखे बेरोजगार; क1 फौज खडी हो रह ह_ । भूख गर बी पसर पडी ह_ । अ श@ा नार श@ा के लये जंग छे डना चाBहये था पर समाज दे श के Qवरोधी अमन Cशाि5त के Zखलाफ मोचाF खोल रहे है । शहर को कफयूF धारा 144 म- जीने को Qववश कर रहे है सचेतनः ठ\क समझ रह हो भागवान काश उपsवी लोग भी सोचते दे श समाज के BहताथF । क पनाः दं गे के पीछे कोई ताकत तो ह_ । सचेतनः पदाFफाश हो जायेगा । 'कसी के तन पर तो 'कसी के मन पर घाव लगी ह_ । सhय समाज के दCु मनो ने 'कतन; क1 रोट रोजी म- आग लगा Bदये ह_ । । क पनाः दं गा कोई चैन दे सकता है Dया ।नह ना । सचेतनः सब जानकर भी उ5माद लोग एक दस ू रे के खून के fयासे बन जाते ह_ । जब'क मानवता से बडा धमF और ददF से बडा SरCता कोई नह ं होता पर उपsवी सब रौदने पर तूले है । क पनाः खैर िज5दगी पटर पर आने लगी है । सचेतनः Cशहर म- ज द अमन Cशाि5त %थाQपत हो । उपsवी लोग तो आग उगलते ह रहे ह_। क पनाः जूह के पापा कुछ औरते कल आपस म- बात कर रह थी 'क हुकुमत असल मुजSरम; पर हाथ नह ं डालती । तमाम दं गे इस बात के गवाह ह_ । ऐसा करने मे हुकुमत को खतरो से खेलना पड सकता ह_ Dयो'क दं गे के िजOमेदार दोनो प@; म- कटरपं3थय; क1 भरमार होती ह_ । यह दं ग; का राज तो नह ं ह_ ।हुकुमत म- एक 'क%म का कटरपंथी तबका वोट ब_क का इंतजाम करता ह_ तो दस ू रा राजनी#तक बैसाZखय; का ।


सचेतनःठ\क कह रह हो । राजनी#तक आकाओ ने वोटो क1 िजस तरह जा#त धमF अथवा सO दाय के आधार पर Qवभािजत कर Bदया ह_ । उससे से यह कयास लगने लगा ह_ अमन पस5द दे श समाज के नागSरक को 'क शहर अब बाNद के ढे र पर खुद को पाने लगे है । समय आ गया है अब उपsQवय; के Zखलाफ सRत कारF वाई हो । Cशासन शासन इसके लये कमर कस ले । उपsवी चाहे िजना भावशाल Dय; न हो उसे दे श समाज का खतरा समझकर उसके Zखलाफ कारF वाई हो । धा मFक साO दा#यक उ`वाद संगठनो पर पूणF #तब5ध लागू हो जो अमन Cशाि5तं के QवNqद उठ खडे होते ह_ । दे श म- समान संBहता लागू हो ।तभी दं गो से #नपटा जा सकेगा । क पनाः काश ऐसा ह होता । सचेतनःऐसा होगा दे खना एक ना एक Bदन ।ह,या दघ F ना,दं गा उपsव महगाई आBद से लOबे असl से Bदल ु ट दख ु रहा है पर अब सकून क1 खबरे आने लगी है ।महा शवरा c एंव जुOमे क1 नमाज के भाव से Cशाि5त एवं सदभावना क1 बदर छाने लगी है । क पनाःसच धीरे धीरे अब शहर मु%कराने लगा है ।ऐसी खबर आने लगी है ।अमन शाि5त पस5द शहर के लोग सब कुछ भल ू ने लगे ह_ जैसे कुछ हुआ ह न हो ।अ?छा संकेत ह_ सामािजक सदभावना का । सचेतनः अरे जह ू क1 मां ए दे खो । कई Bदनेां के बाद बडा सकून लग रहा ह_ । क पनाः सकून महसूस कर रहे हो यह तो म_ समझ गयी पर Bदखा Dया रहे हो । सचेतनः अखबार ․․․․․․․शहर म- अमन चैन हो गया ह_ ना इसी लये पापा अखबार म- छपी खबर Bदखा रहे ह_ Dयो पापा यह ना । सचेतन ◌ःठ\क समझ रह हो । क पनाः Cशहर म- Cशाि5त हो गयी ह_ । उपsवी अपनी अपनी मांद; म- #छप गये ह_ । अब 'फर कभी सर ना उठाये । शहर और शहर क1 अमन Cशाि5त को उपsQवय; ने साO दा#यकता क1 आग म- धू धू कर जला ह Bदया था पर अब पुनः सदभाव क1 लहर दौड पडी ह_ । सचेतनः अमन Cशाि5त म- ह तो सhय समाज क1 आ,मा बसती है । क पनाः दे खो सब ओर सदभाव पूणF माहौल हो गया ह_ तम ु अपने वादे पर खरे उतरो । सचेतनः Dया । क पनाः अरे नाच; गाओं जCन मनाओ भूल गये Dया ?अब तो उपsQवय; क1 बोयी मुWठ\ भर आग ठKडी हो गयी है ।


सचेतन ◌ः नह ं भागवान ।आज तो वाकई नाचने गाने जCन मनाने का Bदन ह_ शहर म- अमन शाि5त ह_ और घर म- बेटे का ज5म Bदन 17 फरवर आज तो दग ु ुनी खुशी ह_। उपsQवय; iवारा सुलगायी मुWठ\ भर आग ठKडी हो गयी है । क पना ◌ः अब दे र 'कस बात क1 ।कुछ गीत तो सन ु ाओ अब । इस खुशी के माहौल म- चार चांद लगाओ । सचेतनः लो सुनो सुनाता हूं । म_ एक गीत गाता हूं । सदभाव का भूखा, अमन शाि5त का गीत गाता हूं ना बहे लहू के कतरे कतरे यारो शहर जहां शाि5त सदभाव क1 है यार । म_ एक गीत गाता हूं ․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․ कटरपं3थय; उ5माद नह ं अ?छा डर म- जीने वाले Dया करोगे सुर@ा न उगलना कभी आग, मानवता से कर लो यार ․ म_ एक गीत गाता हूं ․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․ चु लू भर पानी Dयो◌े◌ं जी बन मौसम क1 बरसात Dयो․․․․․․ । अभी तो सरू ज आग उगल रहा है । मौसम Qवvानी बता रहे है 'क मानसन ू जन ू के आZखर सfताह म- आ सकता ह_। ये अवारा बादल कहां से टूट पडे Qवशाल क1 मां । गीता- Dया कह रहे हो Qवशाल के पापा मेर तो समझ म- ह नह ं कुछ आ रहा ह_ । अशोक-बहाना नह ं । गीता-कैसा बहाना जी ।


अशोक-तुOहार आंख; म- आंसू Dय; । गीता-अ?छा ये आसं।ू ये तो चु लू भर पानी म- डूब मरने क1 बात है । अशोक-ये कैसी चXवाती बरसात है जो बना 'कसी बरसात और बना बाढ के डूब मरने के लये फुफकार रह है । गीता-थोडी दे र पहले आ गयी थी चXवाती बरसात एक #नरा3Eत बूढ मां के साथ । अशोक-बूढ मां । गीता-हां बूढ मां के ह साथ आयी थी चXवाती बरसात जो लोभी औलादो क1 मंशा को तार तार करने के लये काफ1 थी । अशोक-कौन सी बूढ मां क1 बात कर रह हो । कोई गOभीर मामला ह_ Dया । गीता- हां । आने वाला समय बूढे मां बाप के लये तबाह लेकर आना वाला है । अशोक-Dया कह रह हो Qवशाल क1 मां । गीता-ठ\क कह रह हूं ।एक अंधी बूढ लाचार मां शहर के चकाचौध भरे उजाले म- पता ढूढ रह थी अपनी बट का । बेचार बूढ मां #नUका सत थी । अशोक-#नUका सत । गीता-हां #नfका सत । एक नालायक बेटा अपनी अंधी मां को घर से #नकाल Bदया था । वह बूढ मां अपनी डयोढ पर आ 3गर थी । उनक1 दा%तान सुनकर ये बन मौसम क1 बरसात ह_ । अशोक-ग% ु ताखी के लये @मा करना दे वी जी पर अब वो मां कहा है । गीता-बूढ मां को उसक1 बेट के घर छोड आयी । अशोक-बेट के घर । गीता -हां बेट के घर । बेटा घर से #नकाल Bदया ह_ तो वह बूढ मां बेचार जाती तो जाती कहां ।ना थाह ना पता । बस इतना कालोनी का नाम मालूम और ये भी 'क #तकोने बगीचे के सामने घर ह_ । इसी आधार पर बूढ मां क1 बेट के घर क1 तलाश करनी पडी ह_ । काफ1 मCकत के बाद घर मल गया । अशोक-आज औलाद इतनी %वाथ& हो गयी है 'क अंधी मां को रहने के लये जगह नह ं है उसके ह बनाये आ शयाने म- ।बेटा मां को घर से बेदखल करने पर उतर आया है ।


गीता-हां बेचार बूढ मां दर दर भटक रह थी ना जाने कब से ।आज बेट के घर पहुंच पायी ह_ । यBद उस बूढ मां क1 मदद ना करते तो भटकती रहती ना जाने कहा कहां । थक हार कर 'कसी गाडी के नीचे आ जाती । मरने के बाद लावाSरस हो जाती । बेटा को कफन पर भी खचF ना करना पडता । मां को घर से बेदखल कर खुद मा लक बन बैठा ह_ नालायक बेटा ।मां भूखी fयासी धDके खाने को मजबूर हो गयी ह_ । बेट ना होता तो वह बंढ ू अंधी लाचार मां कहा जाती । बूढ मां क1 दशा दे खकर मन रो उठा Qवशाल के पापा । भगवान ऐसी सजा 'कसी मां बाप को ना द- । अशोक-बूढ मां के साथ दादा ना थे Dया । गीता-नह । वे बेचारे मर गये ह_ ।उनके मरते ह बेचार पर मुसीबत का पहाड 3गर पडा है । अशोक-दौलत के लये मां पर बेटा जु म कर रहा है ।वाह रे बेटा । मां के आसूं का सुख भोग रहा है । गीता-हां जब तक पूर दौलत पर कAजा नह ं हुआ । बूढ मां को कु,ते ब ल क1 भां#त Nखी सूखी रोट मल जाती थी । चल अचल सOप#त पर पूर तरह कAजा होते ह बेटा बहू ने एकदम से दरवाजे ब5द कर लये बेचार लाचार मां सडक पर आ गयी । अशोक-बाप रे िजस घर को बनाने म- और औलाद को पालने म- जीवन के सारे सख ु ो क1 आहु#त दे द उसी घर से बेदखल कर द गयी वह भी खद ु के बेटे के हाथो । गीता-हां ऐसा ह हुआ ह_ उस बूढ मां के साथ । अशोक-वाह रे ममता के दCु मन ।आज मां बाप पुc मोह म- पागल हो रहे ह_। बीBटया को ज5म से पहले मार दे रहे ह_ । वह बेटे बूढे मां बाप को सडक पर ला फेक रहे ह_ । गीता-हां ऐसा ह हुआ ह_ उस बूढ मां के साथ । उसके प#त सरकार नौकर म- थे गाडी बंगला सब कुछ था । अ?छ\ कमाई थी । बेचारे क1 अचानक मौत हो गयी । प#त क1 मौत के बाद लोभी बेटा सब कुछ अपने नाम करवा का बूढ मां केा सडक पर पटक Bदया भीख मांगने को । अशोक- बाप रे अब बूढे मां बापो को अनाथ आEम; म- आEय लेना पडेगा । गीता-Dय; । अशोक-कहां जायेगे । गीता-बेBटया है ना । अशोक-बेBटयां । गीता-हां बेBटया बेटो से 'कसी मायने म- कम नह ं है । बूढ मां क1 बेट मां को दे खकर बलख बलख कर रोने लगी थी जैसे भरत राम रोये थे कभी ।इसी धरती पर कभी Eवण थे जो अपने बूढे मां को बहं गी म-


बठाकर सारे तीथFwत करवाये ।आज दे खो बेटे रोट दे ने को तैयार नह ं है । मां बाप को बोझ समझ रहे ह_ जब'क सब कुछ मां बाप; का ह बनाया हुआ है । अशोक-िजतनी तरDक1 हो रह ह_ उतनी ह तेजी से %वाथFपरता के भाव म- बिृ qद हो रह है । अंधग#त से आदमी का मान सक पतन भी हो रह है । गीता-सच बहुत बुरा समय आ गया ह_ । बूढ मां क1 दशा दे खकर प,थर भी Qपघल जाये पर वो नालायक बेटा नह ं Qपघला । मां को घर से बेदखल ह कर Bदया ।कहते हुए गीता ससकने लगी अशोक-आसूं पोछ; । डर लगने लगा है । कg म- पैर लटकाये बूढे मां बाप वq ृ दाEम; का पता पूछने लगे है । Qवशाल क1 मां ये समाज के लये शभ ु संकेत कतई नह ं है । गीता-आज क1 औलादो को कैसा संXमण लग गया है 'क मां बाप बोझ लगने लगे है ।वq ृ दाEमो क1 शरण मे जा रहे ह_ औलादो के होते हुए भी । वाह रे %वाथ& औलाद- । भूल रहे ह_ मां बाप के ,याग को । अशोक-मां बाप; को भी अपने म- बदलाव करना पडेगा और पुc मोह से उबरकर बेट बेटा को बराबर का हक दे ना होगा ।पुc मोह के अंधQवCवास को तोडना होगा । गीता-बंश का Dया होगा । अशोक-बेBटया बेटो से कम नह ं ह_ ।दोनो को बराबर का हक होना चाBहये । बेट बेटा दोनो को मां बाप क1 परवSरश के लये तैयार रहना होगा । गीता-बूढे मां बाप बेट के घर जाकर रहे गे । इ^जत का Dया होगा । अशोक-बेट के साथ रहने म- इ^जत घटे गी नह ं बढे गी। बेBटया भी तो उसी मां बाप क1 स5तान ह_ ।पुc बंश चला◌ा ह_ गुजरे जमाने क1 बात हो गयी । यह अंधQवCवास तो बूढे मां बाप क1 दद ु F शा का कारण है । जीवन क1 संझा म- सख ु क1 जगह मW ु ठ\ भर भर कर आग दख ु परोस रहा है । गीता-आने वाला समय भयावह न हो । इससे पहले मां बापो को भी सतकF हो जाना चाBहये खासकर युवा दOप#तय; को ।ब?च; को नै#तकता का बोध कराय- । लोभी व#ृ त Qवरासत म- ना दे । मां बाप; के कृ#त,व का भाव ब?च; पर अवCय ह पडता ह_ । यव ु ा दOप#त अपने मां बाप के साथ जो बताFव करते ह_। यक1नन उसका असर न5हे ब?चो पर भी पडता ह_ । आगे चलकर यह न5हे ब?चे बडे होते ह_ । अपने मां बाप iवारा खुद के दादा दाद के साथ 'कये गये बताFव एवं बदसलू'कय; को दोहराते ह_ । युवा दOप#तय; को बचपन से ह ब?च; को अ?छ\ परवSरश के साथ अ?दे सं%कार भी दे ने होगे िजससे आने वाले समय म- उनके साथ कुछ बुरा ना हो सके । मां बाप धन दौलत के पीछे भाग रहे ह_ ब?चे झूलाघरो म- पल रहे ह_ अथवा नौकर; के हाथ; । वे मां क1 ममता और बाप के fयार से बं3चत हो जाते ह_।ऐसे ब?चे मां बाप को Dया समझेगे ।मां बाप क1 धन के पीछे न भागकर ब?चो क1 अ?छ\ परवSरश पर qयान दे ना चाBहये । आगे चलकर ये ब?चे उ` Nप धारण कर लेते ह_ ।नतीजन मां बाप को दद ु F शा झेलना पडता ह_ िजससे उनका सांqयकाल दख ु दायी हो जाता है ।रोट के लये तरसना पड जाता है ।


अशोक-ठ\क कह रह हो । बूढे मां बाप घर से बेघर ना हो । नवदOप#तय; को गहराई से Qवचार करना होगा । धन क1 अंधी दौड से बचना होगा ।मां को अपने और बाप को अपने दा#य,व पर 5याय करना होगा । तभी बूढे मां को घर से बेघर होने से बचाया जा सकेगा । गीता-वq ृ दाEम क1 संRया म- बढती बिृ qद और बूढे मां बाप का सडक पर आना औलाद; को चु लू भर पानी म- डूब मरने वाल बात होगी ।मां बात तो धरती के भगवान ह_ । मां बाप क1 सेवा से बडी कोई भी दौलत सुख नह ं दे सकती । आर"ण Qवधना के पापा आजकल इतनी नफरत Dय; बढ़ रह है ,अपनी जहां के लोग चांद तक पहुंच चुके है #नत नई-नई उचा◌ाईयां छू रहे है ।इसके बाद भी आर@ण को लेकर दं गा-फंसाद औरर सड़क पर उतरकर Qवरोण करने लगे है ।ना जाने Dय; सफलता क1 शखर छू रहे लोग शाQषतो-वं3चतो का उoार नह ं होने दे रहे है जब'क आर@ण तो राUb#नमाFण क1 'Xया है । द नानाथ-लाजव5ती आरर@ण क1 Yयव%था कमजोर और दबे कुचले लोग; का जीवन %तर उठाने के लये क1 गयी है ।आर@ण कोई खैरात नह ं है ,आर@ण हक है । लाजव5ती-कैसे․․․․․? द नानाथ-िज5ह- आरT@त वगF म- रखा गया है वे कौन है । लाजव5ती-अनुसू3चत जा#त,अनुजनजा#त और Qपछड़े वगF के लोग। द नानाथ-अनुसू3चत जा#त,अनुजनजा#त और Qपछड़ा वगF के पहले भारत के मल ू #नवासी है ।शुs राजा सुsास एवं अ5य वैBदक का लन राजाओं के रा^य का ाचीन का लन भारत अखKड था। ाचीन/वैBदक काल मदे श क1 स,ता इ5ह के हाथ म- थी और तब यह दे श सोने क1 3च]ड◌़या कहा जाता था।दे श के वैभव क1 दा%तान द#ु नया के कोने कोन तक पहुंच गयी।चार; ओर से आXमाण होने लगे धीरे -धीरे Qवदे शय; ने दे श पर कAजा कर लया 'फर Dया दे श गल ु ामी के चXYयह ू म- फंसता चला गया।एक के बाद दस ू रे Bदे श कबज करते रहे आZखर म- दे श पर गोरो ने कAजा कर लया।आज भी ाचीन काल म- मूलQवासी राजा ब ल का नाम बड़ी Eoा से मूल#नवा साय- के बीच लया जाता है । दे श के मूल#नवासी गर ब अ#त गर ब होते चले गये,जंगल; म- रहने को मजबूर हो गये। इनके लये श@ा के दरवाजे ब5द कर Bदये गये थे,मंBदर वेश ब5द हो गया। जीवनयापन कBठन हो गया था। गुलाम; जैसी ि%थ#त बन गयी थी। बंधुवा मजदरू बना लया गया था,जल-जमीन और जंगल से बेदखल कर Bदया गया था। अं`ेजो के राज म- जमींदार था ने जोर पकड़ा बची खुची जमीन से भी अ3धकतर मूल#नवासी हाथ धो बैठे।आज शोQषत,वं3चत,मजदरू ,द लत अछूत बना Bदये गये है जब'क दे श क1 ाकृ#तक सOपदा पर इनका अ3धकार होना चाBहये था। लाजव5ती-बात समझ म- आई । द नानाथ-Dया․․․․․․?


लाजवा5ती-आर@ण बदलते वDत के साथ धोखा हो गया है ।भले ह शुNआती दौर म- दबे कुचल; के लये क याणकार माना गया हो पर5तु अब छल तो हो गया है ।इस राजनै#तक आर@ण क1 आड़ म- दबंग लोग अ3धकर से दरू रखने का खेल खेल रहे है ।आर@ण क1 Yयव%था तो कुछ बरस; के लये थी। बार-बार इसी लये बढ़ाया जा रहा है 'क दबे कुचले वगF का सामािजक आ3थFक समानता और पूणF शै@Zणक अ3धकार न मल सके।आर@ण शोQषत वगF कहां मांग रहा है ,उसे तो अपनी जमीन पर अ3धकार चाBहये,Yयापार म- सहभा3गता का हक चाBहये,सामािजक समानता चाBहये,%व-धमाF नातेदार चाBहये।सच तो ये है 'क दबंग राजनै#तक और धा मFक स,ताधीश आर@ण ख,म ह नह ं होने दे ना चाहते है Dयो'क वे जानते है आर@ण ख,म करने के पहले उ5ह- सामािजक और आ3थFक समानता लानी होगी।दे खो न 'कतनी बड़ी असमानता है ,िजसका जीवन खेतीबार म- बीत रहा है वह भू मह न है ,िजसका खेतीबार से दरू -दरू तक कोई नाता नह ं है वे भ ू म के मा लक है । आर@ण ख,म करने के पहले ये आर@ण तो ख,म होना चाBहये। द नानाथ-तुम तो समताXाि5त के पथ पर चलने लगी हो। लाजव5ती-Dय; न चलूं। कब तक जु म ढोते रह- गे अ3धकार से वं3चत 'कये लोग। एक तरफ सBदय; पुराने आर@ण को ख,म करने क1 कोई बात ह नह ं कर रहा है जो सार मुिCकल; का कारण रहा है ।िजसने आदम को अछूत बना Bदया है । एक आदमी माथे पर रं ग लगाकर उं चे चबूतरे पर बैठा रहता है , लोग पांव छूते है ,अंधQवCवास का अं3धयारा फैलाकर गाढ◌़◌ी कमाई ठगने का अ3धकार उ5ह- ाfत है ।ये आर@ण कब ख,म होगा।वतFमान दौर म- तो जातीय Yयव%था सािजश है । द नानाथ-लाजव5ती क1 वाताF बहस का Nप ले चुक1 थी,इसी बीच सूयम F Zण आ धमके।तनावपूएार् ि%थ#त दे खकर बोले कुछ गOभीर 3च5तन चल रहा था म_ गलत समय पर आ धमका। द नानाथ-आर@ण के उपर चचाF चल रह थी। सूयम F Zण-घर,सड़क संसद तक यह बात चल रह है ।आर@ण Dय; ख,म होना चाBहये। ख,म ह करना है तो शोQषत वगF को सामािजक आ3थFक Nप से सबल बनाओ,उनक1 समु3चत एवं #नः शु क उ?च श@ा का ब5ध करो िजससे वे Qवक सत समाज के साथ चल सके। द नानाथ-आप भी ऐसा सोच रहे है । सय F Zण-Dय; म_ नह ं सोच सकता Dयो'क म_ उ?च वणF का हूं। 5याय-अ5याय म- अ5तर तो हम भी ू म समझते है ।शोQषत वगF के साथ सदा अ5याय ह तो हुआ है ।रQवदास क1 समानता क1 जलायी ^यो#त अOबेडकर लेकर चले िजनक1 बदौलत आर@ण के Nप म- तरDक1 क1 उOमीद जागी थी अब उस पर भी `हण लग रहा है ।अ?छ\ बात है पर पुराना सामािजक आर@ण ख,म हो इसके बाद राजनै#तक आर@ण ख,म होना चाBहये।जा#तवाद ख,म हो,समािजक समानता और आ3थFक समानता मले,%वधम& नातेदार पर सामािजक एवं धा मFक %वीकृ#त मले।शुNआती दौर म- भले ह जातीय Yयव%था वरदान रह हो पर अब अ भशाप हो गयी है । जातीय%था का #नमाFण करने वाले भारत के असाBदवासी मल ू के नह ं थे जो भारत के मूल#नवा सय; के उपर दमन का अपनी स,ता कायम 'कये हुए थे आज भी कायम है ।


लाजव5ती-ये बाहर दमनकार कौन थे। सय F Zण-बाहर दमनकाSरय; का साyय जवाहर लाल नेहN क1 पु%तक ]ड%कवर आफ इिKडया और राहुल ू म सां%कृतायन क1 पु%तक वो गा से गंगा है ।इन पु%तको म- स,य Nप से पSरभाQषत 'कया गया है भारतीय परOपरा 'कतनी सOवo ृ ,समरस और रमZणक थी,सOhवतः इसी लये भारत को सोने क1 3च]ड◌़या कहा जाता था पर5तु दमनकाSरय; ने आXमाण पर आXमण कर सब लूट लया। दे श म- घण ृ ा,कटुता,लोभ अंधQवCवास,पाषाण पूजा के चXयूह म- उलझाकर समाज को ऐसे खिKडत कर Bदया 'क आज %वधम& जातीय अ भमान म- एक दस ू रे का जान ले रहे है ।बला,कार कर रहे है ,ह,या कर रहे ह_, शोषण,उ,पीड़न,अ,याचार कर रहे है ,जहां िजसको मौका मल रहे शोQषत वगF के आदमी का खन ू पीने को दौड़ पड़ता है । द नानाथ-शोQषत वगF को स,ता व सOमान मल जाये तो आर@ण क1 जNरत ह Dया ? सूयम F Zण-यह इतना आसान नह ं जब तक पुराना जातीय आर@ण नह ं ख,म होगा। कमजोर वगF को स,ता व सOमान नह ं मल सकता ।पुराना आर@ण ख,म करने के लये जा#त था को आEय दे ने वाल; को ह जा#तवाद के Zखलाफ खड़ा होना होगा,तभी %वधम& समानता का Qवकास हो सकता है । ाकृ#तक संसधन; को उपयोग हो सकता है ।नDसलवाद,आतंकवाद,aUbाचार का उ5मल ू न हो सकता है Dयो'क सार बीमाSरय; क1 जड़ तो जा#तवाद है ।संQवधान के अनN ु प ह स,ता का संचालन सु#निCचत होगा।जा#तQवह न समाज और अ5तरजातीय Qववाह को ो,साहन वतFमान जातीयiवेष वाले भारतीय समाज म- तो सOभव नह ं हो सकता।वतFमान म- सOप#त व भू म कुछ लोग; के पास कैद सी हो गयी है ।आ3थFक समानता क1 भी दे श को दरकार है । सामािजक एंव आ3थFक समानता के बना शोQषत वगF क1 तरDक1 मुंगेर लाल के हसीन सपने क1 भां#त होगी। लाजव5ती- सामािजक एंव आ3थFक समानता तो बहुत दरू क1 बात लगती है ।दे श म- तो मूल जNरत- पूर नह ं हो पा रह है ।Cसा◌ोQषत वगF के ब?च- %कूल नह ं जा पा रहे है ।मां बा पके सामने रोजी रोट का सवाल है । वे ब?च; का पेट पाले या %कूल भेजे।अब तो श@ा का Yयावसा#यककरण हो गया है ।शोQषत वगF क1 पहुंच से श@ा दरू होती जा रह है ।मामल ू सा आर@ण है िजसका फायदा अभी कुछ ह लोग; का मला है । उसको ख,म करने के लये उपsव,नरसंहार तक हो रहा है ।आर@ण तो राUb य Qवकास क1 एक 'Xया है । सय F Zण-शोQषत वगF के Qपछड़ेपन को दे खते हुए आर@ण तो जार रखा जाना चाBहये। पदो5न#त म- भी ू म आर@ण जNर है ।इसके साथ ह सरकार और समाज के ठे केदार; को चाBहये 'क दबे-कुचले वगF के Qवकास के लये आगे आये उ5ह- रोजगार मुहैया कराने,Yयवसाय खड़ा करने म- मदद करे ।पा्रइवेट सं%थान; म- भी कमजोर वगF को ाथ मकता के आधार पर रोजगार दान कर इनक1 गर बी दरू कर Qवकास के रा%ते पर ला सकती है पर दभ ु ाF:यवश Qवरोध हो रहा है ,जो अ5याय से कम नह ं। अनोखी-अतीत काल से मल ू #नवा सय; जो अब शोQषत है के साथ अतीत काल से अ5याय हो रहा वामन ने बल के साथ जो छल 'कया उसके पCचात सावFज#नक कुएं,तालाब से पानी लेना और पीना अछूत; के लये ब#तबि5धत था। उसी तालाब; म- जानवर लोटपोट करते थे,पानी पीते थे,3गo,कु,ते मरे जानवर; का


भ@ण कर इ5ह तालाव; का पानी पीते थे,इसी पानी को शोQषत वगF अथाFत अनायz से दरू था,इस पानी पर पहरा था ।सवणाF◌े के घर के अ5दर वेश विजFत था,जब'क उनक1 कमाई का अनाज उ?चवणF के गोदाम; म- भरा होता था आज भी भरा है पर5तु गोदाम म- कैद हो जाने पर छूने पर #तब5ध था।कुछ इलाक; म- तो आज आज भी शोQषत वगF के आदमी को जूता-चfपल पहनकर चलने पर #तब5ध है ।द ू हे के घोड़ी पी बैठने बलवा तक हो जाता है ।हजार; वषt के अपामान के बाद अंगेजी सरकार ने श@ा का दरवाजा खोलकर सOमान का रा%ता Bदखाया।आजाद के बाद भारतीय संQवधान ने हजार; वष; से शोषण अ,याचार का जहर पीकर गुजर कर रहे मूल#नवा सय; अथाFत अनुसू3चत जा#त,जनजा#त को सOमान से जीने और तरDक1 का हक और BहOमत Bदया।आज उसी हक अथाFत आर@ण का Qवरोध हो रहा है । अरे Qवरोध ह करना है तो पहले समािजक आर@ण का Qवरोध करना चाBहये,मंBदर; पर कAजे का Qवरोध होना चाBहये,Yयापार पर कAजे का Qवरोध होना चाBहये,जमीन पर कAजे का Qवरोध होना चाBहये, बना कमF 'कसी Eम क1 कमाई का Qवरोध होना चाBहये पर नह ं संवैधा#नक आर@ण का Qवरोध हो रहा है जो राUb य Qवकास क1 'Xया है । कतर साद-अनोखी ने बल और वामन क1 जो बात कहा है । वह सह है ,वामन के छल के बाद आज तक मल ू #नवा सय; को लगातार अभाव,दख ु ,भय-भख ू ,छुआछूत, अपमान का जीवन जीना पड़ा है आज भी बदसूरत जार है ।शोQषत वगF के जीवन म- कुछ भी नह ं है ,िजसके पास कुछ नह ं है यक1नन वह अपने इ#तहास,भूगोल सBहत सब कुछ पाने क1 इ?छा रखेगा। यह शोQषतवगF के जीवन संघषF क1 स?ची दा%तान है ।शोQषत वगF को आज भी ना जाने Dय; शcु माना जा रहा है ।वतFमान आजाद भारत म- भी #त प5sह मनट म- चार अनुसू3चत जा#त के YयिDत पर अ,याचार हो रहा है । #त Bदन तीन अनुसू3चत जा#त क1 मBहलाओं के साथ बला,कार हो रहा है ,दो क1 ह,या और :यारह YयिDतय; को मारा पीटा जाता है । #त सfताह तेरह क1 ह,या कर द जाती है । पांच के घर जला Bदये जाते है और आठ का अपहरण 'कया जाता है । 'कतने होनहार शोQषत वगF के छाc; को भQवUय नUट कर Bदया जाता है ।ना जाने 'कतने इस वगF के छाc आ,म ह,या कर ले रहे है ,पढ़ाई छोड़ दे रहे है ,अनेको अनुसू3चत जा#त जनजा#त के कमFचार के हक #छने जा रहे है । अनेको के तरDक1 के अवसर; पर डकैती हो रह है ,कुल मलाकर अनुसू3चत जा#त जनजा#त और Qपछड़ा वगF 'कसी ना 'कसी Nप म- शोषण अ,याचार का शकार है िजसक1 वजह से वह तरDक1 से वं3चत है ,इसके बाद भी आर@ण का Qवरोध, मानवता पर अ,याचार ह कहा जाना चाBहये। सूयम F Zण-द नानाथ भी तो ददF का जहर पीकर नौकर कर रहे है । इनके साथ 5याय हुआ होता तो बड़े मैनेजर होते पर शोQषतवगF क1 यो:यता के दCु मन आज भी इनक1 यो:यता को भी चौथे दजl का ह आंक रहे है ।इनके साथ यo ु म- हारे हुए शतु ्र जैसा Yयवाहार हो रहा है इसके बाद भी अपने लट ू े हुए हक को पाने के लये संघषFरत ् है । कतर साद-कहने को तो हम आजाद दे श म- रहते है पर कैसी आजाद ,वह शोषण,उ,पीड़न, अ,याचार,कैद नसीब त#नक आर@ण के सहारे कुछ लोग आगे #नकल रहे थे उस पर भी 3गo नजर। अरे आर@ण क1 नह ं सOमान,सामािजक समानता,आ3थFक समानता और श@ा गारKट का आवCयकता है । सूयम F Zण-शोQषत; को पूणF साम{यF पाने के लये दे श म- डायव सFट के सoा5त को लागू करवाने का संक प लेना चाBहये Dय;'क इसके बना शोQषत वगF क1 आ3थFक,सां%कृ#तक,सामािजक और शै@Zणक


जागत ृ सOभव नह ं है ।सामािजक आर@ण के रहते संवैधान'कन आर@ण का Qवरोध तो मानवता पर अ,याचार है । लाजव5ती-काला5तर म- श@ा का अ3धकार #छन लया गया,धमF को आदमी को अछूत बनाये रखने का कारण बना Bदया गया,अनेको अमानवीय र #तSरवाज; के कारण आदमी को अछूत बना Bदया गया िजसके कारण आजाद दे श म- भी गुलाम बनाये रखने वाले अमानवीय #नयम कायदे चलन म- है ।यह कारण है 'क %वधम& मानवीय समानता,एकता और ब5धु,वभाव का अभाव है । %वधम& मानवीय समानता %थाQपत होने तक आर@ण सरकार ह नह ं अधFशासक1य,सहकार और पा्रइवेट सं%थाओं लागू होना चाBहये।यBद संवैधा#नक आर@ण ख,म ह करना है तो उसके पहले सामािजक आर@ण अथाFत जा#तवाद ख,म होना चाBहये। द नानाथ-भारतीय संQवधान म- समाBहत समता,एकता,अखKडता और ब5धुता 'कसी उ?च वZणFक बरादर क1 Qवचारधारा का पSरणाम नह ं है बि क महा,माबo ु के सामािजक,राजनै#तक, धा मFक Qवचार; और अfपो द पो भवः का समावेश है िजसम- बहुजन Bहताय-बहुजन सुखाय और मानवीय समानता #नBहत है । सय F Zण-दख ू म ु द बात तो ये है 'क NBढ़वाद Yयव%था इस सब को मानती नह ं है ,और कमजोर के Bहतो पर कुठराघात को उकसाती रहती है ।यह कारण है 'क आर@ण का Qवरोध बना सोचे समझे हो रहा है । कतर साद-आर@ण धोखा तो है पर5तु इसके ख,म 'कये जाने पहले पुराना जा#त आधाSरत आर@ण समाfत हो जाये। संवैधा#नक आर@ण से शोQषत वगF को सर उठाकर जीना का भरपूर म|का नह ं दे पायेगा। द नानाथ-सच शोQषत वगF को संवैधा#नक आर@ण क1 आवCयकता नह ं है । उसे आवCयकता है तो सामािजक समानता,आ3थFक समानता और #नःश ु क ाइमर से उ?च तकनीक1 श@ा गारKट क1। सूयम F Zण-दे खना है बदलते युग म- सामािजक/धा मFक और राजनै#तक स,ताधीश ईमानदार से शोQषतवगF को Qवकास से जोड़ने क1 शपथ ले पाते है । लाजव5ती-bे रखते हुए बोल ल िजये चाय बहुत हो गयी बतकुचन । द नानाथ-सBदय; से शोQषतवगF का भQवUय /धा मFक और राजनै#तक स,ताधीश के पाले म- है पर उoार नह ं हुआ है ,आर@ण राUb Qवकास क1 'Xया मानकर लागू 'कया गया था पर अब राजनै#तक पSरवेष म- धोखा लगने लगा है शोQषत वगF का क याण समानता,आ3थFक समानता और श@ा गारKट के बना सOभव नह ं। सूयम F Zण-उ?च वZणFक आदमी सामािजक/धा मFक और राजनै#तक स,ताधीश; का दा#य,व बनता है 'क शोQषत वगF के उ,थान के लये वे स?चे मन से शपथ ले तभी समानता,आ3थFक समानता और श@ा गारKट मल सकेगी और सBदय; से दबा कुचला समाज तरDक1 कर पायेगा। वतFमान दौर म- आर@ण का Qवरोध और समथFन दोनो शोQषत वगF को तरDक1 गारKट नह ं दे पायेगा। आओ शा◌ेQषत वगF के उoार क1 ललकार करे ।


नौकर% नौकर कमFपूजा का वह %थान जहां परो@ Nप से YयिDत पSरवार पालन के लये धनाजFन तो करता ह है अपरो@ Nप से मानव समाज राUb और QवCव क1 सेवा करता है । YयिDत जब मानवीय कारण; से #न मFत द वार; क1 वजह से ददF क1 दSरया म- डूब और आंख; म- आंसू लेकर नौकर करता है तब यह कमF तप%या बन जाता है । दफ् तर से काफ1 दे र से लौटकर अचेत सा टूट कुस& म- समाया लोकर,न जैसे %वयं से बाते कर रहा था। गीतांज ल पानी का 3गलास थमाते हुए बोल अरे ज द सुबह घार से जाते हो आधी रात मलौटते हो इसके बाद भी दफ् तर के काम का 3च5ता घर लेकर आते हो। त#नक घर के काम; क1 भी 3च5ता 'कया करो वह ददF म- कराहते हुए बोल । लोकर,न-भागवान,म_ भी सोचता हूं पर कNं तो Dया कNं नौकर नौकर जैसी नह ं रह है । गीतांज ल-Dया हो गया।कोई अशुभ खबर तो नह । लोकर,न-शभ ु कब थी भेदभाव और नफरत दोयम दजl का बना Bदय है ,नौकर अब तप%या जैसी हो गयी है । गीतांज ल-मेर बीमार तO ु हारे पांव क1 जंजीर बन गयी। जहां पल-पल दहकते ददF से जझ ू ना पड़ रहा हो वहां नौकर कौन करता है । सच तप%या कर रहे हो । उठो मंह ु हाथ धो लो,तO ु हारे मc आकर चले गये 'फर आने का कहकर गये है । लोकर,न-कौन․․․? गीतांज ल-मनेSरया भैया। इतने म- बाहर से आवाज आयी अरे आ गये Dया र,नबाबू ? गीतांज ल-हां भैया आ गये है । मनेSरया-कहां दई ु ज के चाँद हुए हो यार,कुछ पता ह नह ं तुOहारा चलता Sरटायर तो नौकर से हुआ हुई सामािजक ब5धन; से नह ं मc; से भी नह ं। गीतांज ल-हाथ पांव धो रहे है ,आप बैठो। Bदन तो बइठउक1 म- कट रहा है बोले, इतने म- लोकर,न बोले भइया पांव लाग।ू मनेSरया-खूब पदो5न#त करो। लोकर,न-यह तो नह ं हो सकता। मनेSरया-नौकर म- पदो5न#त न होने का मतलब काले पानी क1 सजा ।


लोकर,न-वह भोग रहा हूं। अपनी नौकर तो सरकार नह ं है ना। मनेSरया तो Dया हुआ अधFसरकार तो है । लोकर,न-हमारे जैसे का मोशन नह ं हो सकता ना इस Qवभाग म- । मेर नौकर को कुछ लोग %वयं का उपकार मानते है । कहते ह_ तु अपने वाल; को दे खो Bदन भर हाड फोड़ते है । बदले म- भर पेट रोट भी नसीब नह ं होती है । तम ु तो नसीब वाले हो द#ु नया क1 सबसे बड़ी साझेदार कOपनी मे काम कर रहे हो। अ?छ\ तनRवाह मल रह है ,ब?चे अं`ेजी %कूल म- पढ़ रहे है Dया तुOहारे लये तरDक1 नह ं है ।तुमको तो ब5धन का एहसानम5द होना चाBहये 'क तुOहारे जैसे आदमी को सं%थान म- नौकर मल गयी। अ?छे पSरवार और पढ़े लखे लोग; को नौकर नह ं मल रह है । मनेSरया-ये तो Eम और सेवा के दCु मन; क1 कुभाषा है । लोकर,न-हम- तो रोज ऐसी कुभाषाओं का सामना करना पड़ता है । अगर जबाब दे Bदये तो नीचे से उपर तक हलच लमच जाती है । मनेSरया-NBढ़वाद Yयव%था ने आदमी को बखिKडत कर Bदया है ,तथाक3थत छोट जा#त क1 #तभाओं को गल ु ामी के चXYयह ू म- फंसाने के %थायी फरे ब रच Bदये है ।छोट जा#त का YयिDत यो:यता का शखर हा सल कर ले पर ये NBढ़वाद लोग उसक1 राह म- अड◌़◌ंगे डालते रहते ह_।कभी जातीय गट ु बनाकर,कभी @ेcीय गुट बनाकर,कभी उ?च वZणFक गुट बनाकर या#न NBढ़वाद भारतीय Yयव%था म- चौथे दजl के लोग; को चैन से जीने तक नह ं Bदया जा रहा है । लोकर,न-मेरे मां-बाप बड़ी उOमीद से पेट म- भख ू और आंख- म- सपने लेकर मझ ु े बी․ए․तक पढ़ाये जब'क उनक1 माल हालत बiतर थी,जमींदार था ने ऐसे मोढ़ पर ला कर खड़ाकर Bदया था 'क बंधुवा मजदरू बने रहे या भीख मांगे।ऐसी ि%थ#त म- मेरे मां बाप ने मुझे ता लम द । पहल बार जब म_ गांव से Bद ल नौकर क1 तलाश म- #नकला था तो मां बाप का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था पर उनको एक खुशी भी थी 'क म_ गांव के नारक1य जीवन म- तो नह ं फंसा रहूंगा ।नौकर क1 तलाश म- कई साल बेरोजगार म बत गये पर BहOमत नह ं हारा,पढाई जार रखा,जो भी काम मला 'कया। सरकार नौकर तो नह ं मल सक1 Dय;'क न तो मेरे पास कोई पहुंच थी और नह ं घस ु दे ने को रकम।अखबार क1 खबर- पढ़कर पर @ा दे ता,इKटरYयू के लये जहां जाता वहां जातीय अयो:यता आड़े आ जाती और नौकर दरू हो जाती। शहर क1 मKडी म- झ ल ढोने तक का काम 'कया।मेहनत मजदरू क1 कमाई से अपनी खुराक1 चलाता जो कुछ बच जाता था मां बाप को म#नआडFर करता था ।आZखरकार सात आठ साल क1 बेरोजगार के बाद सरकार नौकर तो नह ं #नगम म- नौकर मल तो गयी पर यहां भी जातीय #नOनता से कई बार नौकर पर खतरा भी आ गया। एक बार तो बाहर का दरवाजा भी Bदखा Bदया गया।रईस चपरासी मझ ु े अपने से वSरUठ समझता,चाय पानी दे ने म- उसे एतराज होता था। दफतर के कुछ लोग उसे चढ़ाते रहते थे ता'क वह मेरे साथ खुलेआम भेदभाव करता रहे खैर जब तक था तब तक 'कया भी। आठवीं फेस चपरासी पी․जी․कमFचार को छोट जाती का कहता था।लोग; को Zखलाफत के लये उसकाता भी रहता था। कOपनी म- उसके गाड फादर वी․पी․जलौका थे,चपरासी क1 नौकर करने म- उसे शमF आती थी इस लये


वी․पी․जलौका ने कOपनी के सूरत दफतर म- चौक1दार बनवा Bदया। वी․पी․जलौका ने कई अयो:य पर उनका जूता सर पर लेकर चलने वाले लोग; को मनचाह तरDक1 Bदलवा Bदये। मनेSरया-यह है जा#तवाद,एक उ?च शT@त क1 तरDक1 नह ं हुई,%वजातीय अपने लोग; को उ?च पद; क1 ब5दरबांट क1 गयी।नौकर तो सेवा का पQवc %थान और जीवन के मधुमास को और अ3धक दरू तक फलाने का जSरया भी है । नौकर ं से आदमी राUb और जन सेवा करते हुए तरDक1 पाता है पर तुOहार नौकर का जीवन तो जा#तवाद और छूआछूत के पोषक; ने नारक1य बना Bदया। लोकर,न-नौकर के सा5qयकाल म- बड़ी मुिCकल से अफसर बनने का मौका भी आया तो Qवभाग के सारे NBढ़वाद इDWठा हो गये और मेरे जीवन क1 आस लूट लये।सब एक %वर म- बोले चौथे वणF के आदमी को अफसर नह ं बनने द- गे। मेरे अफसर बनने का ऐसे Qवरोध होने लगा था जैसे %वामी Qववेकान5द का स5यास `हण करने का Qवरोध प;गापं3थय; ने 'कया था।वह %वामीजी द#ु नया को Bदखा Bदये अपनी Qवiवता। आज द#ु नया उनके एक-एक वाDय का अनस ु रण कर रह है ।रQवदास का भी Qवरोध प;गापं3थय; ने 'कया था आZखरकार प;गापं3थय; को स5त शरोमZण रQवदास जी को कंधे पर बठाकर बनारस क1 पSरXमा करवाय- थे।सBदय; बाद भी मनुवाद के समथFक; ने वा%तQवकता से ना जाने Dय; दरू बनाये हुए है । सब नर एक समान है ,समान सBहत सबको जीने और तरDक1 का म|का मलना चाBहये पर नह ं यहां तो लूट मची हुई है वणFYयव%था के नाम पर। मनेSरया-वणFYयव%था तो धोखा है इंसा#नयत के साथ अ5याय का Qवरोध QवCव %तर पर होना चाBहये। लोकर,न-कैसे Qवरोध हो,गला ह दबा Bदया जाता है ।म_ने भी अपने भQवUय के क,ल के Qवरोध म- ब5ध #नदे शक और #नदे शक तक अपनी बात पहुंचाया पर Dया हुआ, दमन पर मुहर के अलावा कुछ नह ं। लyमी-Dया लेकर बैठ गये । मनेSरया-भाभी लोकर,न बाबू सह कह रहे है ।जा#तवाद का जहर अपने दे श म- ना होता तो सचमच ु हमारा दे श महान होता पर5तु जा#तवाद ने दे श को बदनाम कर Bदया है ।कैसे दे श को महान कह- -आदमी अछूत है ।शोQषत के कुएं का पानी अपQवc है ।आदमी क1 परछाई से आदमी अपQवcहो जाता है ।जा#त के नाम पर शोषण बला,कार,हक क1 लट ू ,भQवUय का क,ल हो रहा है ,कैसा धमF कैसी जा#त ये तो पापकमF है ।ऐसे पापकमाF◌े◌ं के रहते दे श को महान कहना 'कसी गाल से कम नह ं। लyमी-भाई साहब जलपान क1िजये। ये पापकमF तो सBदय; से चला आ रहा है ।कमर म- झाड◌़◌ू बांधकर चलने और कान म- Qपझाला शीशा डालने तक क1 Eु#त NBढ़वाद Yयव%था म- दबी जुबान आज भी सुनी जाती है ।धमF`5थ तक म- लखा है शूs गंवार ढोल पशु नार ये ताड़न के अ3धकार ,NBढ़वाद Yयव%था ने शोQषत; को ददF के दSरया म- ऐसे ढ़केल Bदया है 'क #नकलने के सारे उiयम फेल हो जा रहे है ।नौकर मभी तो इसी NBढ़वाद Yयव%था का दबदबा है । कहने को आजाद है अपना संQवधान है पर पालन कहा हो रहा है ।इनको ह दे Zखये तीस साल से मोशन नह ं हो पाया। इनक1 गलती Dया है बस यह ना 'क उ?च शT@त है और शोQषत वगF के है ।इनके साथ के िजन लोग; का कैडर चे5ज कर अफसर बना Bदया


गया है ।वे शै@Zणक यो:यता,अनुभव,कतFYयपरायणता,समपFण के तुला पर कह ं नह ं Bटकते। उनके पास एक उ?चवZणFक यो:यता और पहुंच है आज वे उ?च पद; पर ह_ ये जनबा खाक छान रहे है यो:य होकर भी। मनेSरया-भाभी ये इिKडया है यहां बहुत सी बात; का फकF पड़ता है । लyमी-जी․․․․․․पड़ा है ना। इनका ह दे Zखय- नौकर का जीवन पतझड़ बना Bदया गया है ,जब'क नौकर का जीवन तो जीवन का बस5त होता है और यह पतझड़ बना Bदया गया। लोकर,न-भागवान संघषF ह जीवन है । दे खना इसी संघषF से चमक उठे गी। लyमी-नौकर से तो नह ं उठ सक1। मनेSरया-भाभी जNर उठती पर गला घ;ट Bदया गया ना पर लोकर,न भईया कमF को धमF से EेUठ मानकर डटे हुए है ।दे खना इस सदकमF को बड़ी उj मलेगी।कहते है ना मुदई लाख बुरा चाहे तो Dया होता है ,वह होता है जो मंजूरे खुदा होता है । लyमी-म_ इससे सहमत नह ं हूं Dय;'क खद ु ा चौथे वणF के Bह%से सारा दख ु नह ं झ;क सकता,आदमी को अछूत नह ं बना सकता। ये सारे दख ु तो %वाथ& आदमी का Bदया हुआ है सफF छाती पर नाग क1 तरह बैठकर फुफकारने के लये। इसी फुफकार ने दे श के अ3धकतर लोग; को भू मह न,गर ब,अछूत बना रखा है । इसका भाव नौकर म- भी दे खा जा रहा है ।नौकर म- भी दबे कुचले वगF के लोग आज भी नफरत क1 rिUट से दे खे जा रहे है ।उनक1 हक #छने जा रहे है ,तरDक1 से वं3चत रखने के चXYयूह रचे जा रहे है । इसका उदाहरण आपके सामने ये जनाब है । लोकर,न-भागवान,चुप भी करो।नौकर क1 जNरत है कर रहे है ,ब?च; को पालना है , शT@त करना है ,उ5ह ं के लये तो सारे ददF सह रहे है वरना कब का Sरजाइन कर Bदया होता। मनेSरया-नह यार नौकर से Sरजाइन नह ं करना।दे श को जा#तवाद ने बबाFद कर Bदया,नDसवाद और आतंकवाद क1 भेट चढ़ा Bदया है ।मन को ि%थर कर नौकर करो,कोई Qवरोध म- बोलता है तो सुन कर भी अनसुना कर दो। यार हाथी चलती है तो Cवान भूंकते है 'क नह ◌े◌ं। यह मानकर िजस वफादार से नौकर कर रहे हो करते रहो।मान लया तO ु ह- नौकर म- तरDक1 नह ं मल ,तO ु हारे साथ अ5याय हुआ सफF जातीय भेद के कारण। ब?च; को शT@त करो उ5ह- मंिजल मल गयी तो तO ु हारा सबसे बड़ा मोशन होगा। जा#तवाद तो दे श को सBदय; से खा रहा है पर जा#तवाद के समथFक; पर कोई असर नह ं पड़ा है Dया ? लyमी-अगर पड़ा होता तो अपने ह लोग अपने को अछूत बनाते,हक लट ू ते।दे खो न इनके साथ आज के जमाने म- Dया हो रहा है । बेचारे ब?छुओं के झुKड म- रहकर नौकर कर रहे ह_।नौकर का समय तो %वयं क1 उ5न#त के साथ जन और राUb क1 सेवा का सु5हरा अवसर होता है । इनक1 उ5न#त तो नौकर म- नह ं हुई पर हां खुशी इस बात क1 है पूर ईमानदार और वफा के साथ नौकर कर रहे है मुिCकल; का सामना करते हुए भी।


मनेSरया-स5तोष के साथ 'कये जा रहे पSरEम का #तफल लोकर,न को जNर मलेगा चाहे िजतना भी इंसा#नयत के दCु मन जाल बछा ले। लyमी-इसी उOमीद पर तो Bटके हुए है ,अपना फजF पूरा कर रहे है ,भले ह कOपनी के ब5धन ने मधुमास को पतझड़ बना Bदया है । लोकर,न-प?चास के उपर का हो गया हूं,नौकर भी ^यादा बरस; क1 नह ं बची है ।अभी तक तो बचता चला आया हूं पर अब गुजाइश कम लगती है । कभी भी आरोप लगाकर बदनाम 'कया जा सकता है । जातीय वाह म- बह रहा ब5धन कुछ भी कर सकता है । हारकर Sरजाइन तो करना पड़ेगा वरना नौकर के आZखर समय म- चSरc पर का लख पुत सकती है । मनेSरया-Dया सोच रहे हो ? लोकर,न- ब5ध #नदे शक,#नदे शक तक को अपने साथ हो रहे अ5याय के Zखलाफ अज& दे चुका हूं पर कोई सकारा,मक कारF वाई नह ं हो सक1 ।उ टे कई उ?च अ3धकाSरय; अपने जातीय भाव क1 वजह से मेरा मोशन तक Nकवा Bदया। मेर चSरcावल तक खराब कर द गयी है । मेरा मोशन नह ं हो सकता ऐसा सुनने म- आया है । मेर चSरcावल कभी अ?छ\ लखी ह नह ं गयी। शायद इसी लये क1 म_ छोट का कमFचार हूं । मनेSरया-3च5ता वाल बात तो है ,जब ब5ध #नदे शक,#नदे शक तक के कान पर जू नह ं र- गा तो दस ू रो को तो और सह मल गयी,शोषण,उ,पीड़न,अ,याचार,हक लूटने◌े के लये उ5मुDत हो गये। लोकर,न-हमारे आफ1स म- कOपनी के चार के लये हजार; घ]ड◌़यां आयी है ।साल भर कोई ना कोई आइटम गा्रहक; को बांटने के लये आता रहता है पर वहां तक कहां पहुंच पाता है । मह न; बाद मुझे एक घड़ी मल ,घर लेकर आया तो छोटा बेटा रख लया।बीBटया बोल पापा एक मेरे लये भी ले आना। म_ कहां से लाता,मैने बीBटया से बोला बेट एक घड़ा खर द लेना। अब मुझे नह ं मल सकेगी जब'क दस ू रे लोग पेट भर-भर ले गये।ये घ]ड◌़या `ाहको तक तो पहुंचने से रह लोग अपने नात Bहत; को दे ग-,मुझे एक घड़ी मल Dयो'क म_ छोटे लोग; क1 Eेणी का हो गया हूं। हर कOपल मे5टर पर तो उ?च लोग; का ह कAजा है ,हमसे तो ऐसे #छपाया जाता है जैसे म_ दफतर का कमFचार नह ं अनजान शक करने लायक चोर 'क%म का आदमी मान लया गया हूं Dय;'क म_ छोट जा#त को कमFचार हूं। यहां छोट जा#त का होना अपराधी से कम नह ं है ।यह कारण है 'क मेरा कैSरअर जा#तवाद के समथFक ब5धन ने चौपट कर Bदया है । मनेSरया-ऐसे तो aUbाचार पनपता है ,ऐसे ह लोग; क1 तो दे न है aUटा्रचार आज जो दे श और जनता के लये नासूर बन चूका है ।जा#त के नाम पर हक से वं3चत करना तो खुल लूट है । दभ ु ाFगयवश दे श इसी क1 ब ल चढ़ रहा है ।कमा E मक वगF के लोग रहे है चेहरा बदलने वाले द मक क1 तरह चट कर रहे है ।इसके बाद भी उ5ह ं के उपर इ जाम मढ़ रहे है । भारतीय समाज म- जब तक जा#तवाद का खेल चलता रहे गा तब तक ना तो आम आदमी और नह ं दे श क1 तरDक1 हो पायेगी। बेचारे शोQषत वगF के लोग; का हक Bदलाने के लये कोई आगे नह ं आयेगा ।राजनै#तक पाBटF यां तो वोट का खेल खेलती है ,धा मFक पाBटF यां भी


अपनी स,ता गंवाना नह ं चाहती है ।इसी लये जा#तवाद ख,म नह ं हो पा रहा है ,जब'क जा#तवाद समाज और राUb के लये नासूर जैसा ह है । लोकर,न-मेरा तो कैSरअर ख,म हो गया। सोचा था ब?च; का कैSरअर बन जायेगा पर जा#तवाद क1 आंच उन तक भी पहुंचने लगी है ।शै@Zणक सं%थान; म- जा#तवाद फलफूल रहा है , 'कतने होनहार शोQषत वगF के ब?च; ने परे शान होकर सस ु ाइड तक कर लया है ।एड मशन के लये बीस लाख घूस मांगा जा रहा है ,शोQषत वगF का आदमी इतना Nपया कहां से लायेगा। 'कतना भी हाथ -पांव पटक ले जो Yयव%था चालू है ,वह वह ले जाकर पटकने क1 सािजश है जहां शोQषत वगF के लोग सौ साल पहले थे। यह 3च5ता खाये जा रह है ।नौकर म- रहकर भी म_ अपने बाप जैसा ह महसस ू कर रहा हूं। कुछ ^यादा फकF नह ं लग रहा है । बाप क1 दCु मन जा#तवाद था मेरा भी। बाप का छुआ पानी अपQवc हो जाता था आज भी बहुत बड़ा अ5तर तो नह ं आया है ।सामने कुछ और होता है पीछे वह षणय5c नतीजा कह क1 लूट। नौकर को जीवन का मधुमास समझा था पर पतझड़ बना Bदया जातीय भेदभाव ने यह मलाल अि5तम Bदन तक खलता रहे गा। मनेSरया-नौकर हो या य; कहे Eम क1 मKडी हो या NBढ़वाद समाज के लोग रह- गे वहां शोQषत वगF के लोग; का दमन हो ह रहा है ना जाने कब तक संQवधान को साम5तवाद कुचलता रहे गा। शोQषत समाज जा#तवाद,उ,पीड़न,शोषण का जहर पीता रहे गा।Dया आजाद है ,शोQषत समाज के Dया शT@त Dया अ शT@,Dया मजदरू Dया सरकार या अधF सरकार मल ु ािजम हर YयिDत 'कसी ना 'कसी Nप म- जा#तवाद का शकार है । लोकर,न-ठ\क कह रहे है ,म_ने 'कतनी गर बी म- पढ़ाई 'कया है ।सोचा था नौकर मल जायेगी तो मां क1 आंख; के सपने पूरे हो जायेगे,पSरवार तरDक1 क1 राह पर चलने लगेगा पर Dया मां बाप क1 आंखे पथरा गयी। पथरायी आंखे लये मां सदा के लये बछुड़ गयी। भरपूर C◌ै◌ा@Zणक एवं Yयावसा#यक यो:यता होने के बाद भी नौकर िजसे जीवन का मधुमास माना था संQवधान को कुचलने वाले साम5तावाद और जा#तवाद ने पतझर बना Bदया। मनेSरया-◌़ मc तO ु हारे साथ ज ु म,अ5याय,अपमान,मान सक,शार Sरक,आ3थFक हा#न हुई है । तम ु कई जानलेवा बीमाSरय; क1 3गरफत म- आ गये।शोQषत समाज का होने के नाते तO ु हारे साथ भरपूर चSरcहनन,शोषण,उ,पीड़न अ5याय 'कया गया पर तम ु ने हार नह ं माना। इस अमानवीय अ,याचार को लोकत5c के पुजाSरय; के समझ तुOने अ@र माला के Nप म- %तुत 'कया है । इससे सhय समाज पढ़े लखे लोग समझ जायेगे 'क क याणकार लोकत5c को 'कस कार Sरयासतकाल न,साम5तशाह आज भी अपनी जागीर समझ रहे है ।तO ु हारा लेखन शोQषत समाज के ह नह ं उ?च एवं सhय समाज के यव ु क; को अ5याय के पहाड◌़◌ो◌ं से जूझने क1 शिDत दे कर उनका मागF श%त करे गा। मc तुOहारे नौकर के जीवन को संQवधान के कुचलने वाल;,जा#तवाद के समथFक; ने भले ह पतझर बना Bदया हो पर तुमने एक मशाल कायम 'कया है ददF म- सकून ढूढने क1 BहOमत और पSरि%थ#तय; का मुकाबला करने का साम{यF युवक; को Bदया है । कई शोQषत समाज के यव ु क जा#तवाद के समथFक; के बुने जाल म- इस तरह फंस जाते है 'क उनको आ,मह,या के सवाय दस ू रा रा%ता ह नह ं Bदखता। तुमने यव ु को राह सझ ु ायी है ।


लोकर,न-नौकर के बदले पतझर बना मेरा जीवन शोQषत समाज ह नह ं उ?च एवं सhय समाज के युवक; को संQवधान को कुचलने वाल;,जा#तवाद के समथFक;,जु म करने वाल; के Zखलाफ ललकार करने क1 शिDत दान कर उ5ह- आगे बढ़ने का मागF Bदखा सके,यह मेर नौकर का मकसद हो गया है । मनेSरया-◌़ मc तुOहारा नेक मकसद अवCय पूरा होगा, तुOहार पतझर बनी नौकर तुOह- मब ु ारक। एक और च()यह ू गांव के पुराने लोग बहुत कम बचे है । एकाध ह ऐसे लोग है जो गुलाम दे श म- पूरे होशो-हवास म- थे और आजाद दे श म- जीQवत है , उनके बताये अनस ु ार आजाद के प5sह साल पहले सामीराम का ज5म हुआ था। दे श गल ु ाम तो था ह शोQषत वगF नरक का जीवन जीते हुए कई तरह क1 गल ु ा मय; से जझ ू रहा था। ऐसे बुरे दौर म- सामी का ज5म हुआ था।सामीराम के बाप खोलूराम क1 खेतीबार क1 जमीन बंच गयी थी Dय;'क खोलूराम त#नक हो शयार था,कई गोर; से उसक1 जान पहचान हो गयी थी।पखKडी लाल खोलूराम के कान म- कह Bदये थे दे ख खोलुआ ^यादा चOमचागीर 'कया तो हाथ धो जायेगा,तू ये मत सोचना 'क गोरे बाबूओं से तुOहार छनने लगी है ।अरे गोरे बाबू तो तुOहारा Dया ब%ती के कुएं तक का पानी नह ं पीते है । तO ु हार Dया सन ु ेगे ? मझ ु से हो शयार नह ं करना । खोलू बोला था लाला-पूर ब%ती के अछूत; क1 जमीन उनके कAजे से हटती जा रह है । लाला-खोलुआ तुम अपनी 3च5ता करो। दस ू र; क1 3च5ता करोगे तो हाथ मलते रह जाओ। ब%ती के शोQषत; क1 नसीब तो गांव के जमींदार; क1 चौखट पर लखी हुई है । गल ु ा◌ाम; को जमीन क1 Dया जNरत है । तम ु और तO मजदरू बने रहो। िज5दगी बतती रहे गी। ु हारे लोग बाबू लोग; क1 हलवाई करो,उनके बंधआ ु खोलूराम-लालाजी हम शोQषत; को कब तक आतंक के साये म- बसर करना पड़ेगा। दे श क1 आजाद के लये जंग #छड़ी हुई है । ब%ती के 'कतने लोग मारे गये,उनका कह िजX भी नह ं है ।बाबू लोग घर मआवाज लगा दे ते है तो उनक1 जयजयकार होने लगती है ।अरे मरते है तो हमारे लोग। लाल Dय; रोज एक और चXYयूह रचे जा रहे है शोQषत; के दCु मन; से मलकर।लाला/पटवार तुम भी शूs ह हो पर त#नक तुमको दजाF उपर का मल गया है । इस लये अपने Nतबे खा#तर हक से वं3चत करने पर जुटे हुए हो। पखKडी लाल-कैसी बात कर रहा है खोल।ू मझ ु से बराबर कर रहे हो।मझ ु म- और तम ु म- बड़ा अ5तर है । खोलूराम-लाला म_ तो अनपढ़ हूं पर इतना जानता हूं 'क ये जो जातीय भेद के आधार पर बंटवारा हुआ है ,वह तो हम शोQषत; के लये बहुत बुरा है ।जा#त Yयव%था ने तो हम- आदमी होने के सख ु से वं3चत कर Bदया है ।इसके बाद भी दो बीसा माट का सहारा था वह भी जमींदार था लूट रह है ।हम लोग कैसे जीये◌ेगे लालाजी। पखKडी-तम ु ल;ग; के लये उं ची जा#तय; के लो◌ाग; के चौखट है । खोलू-वाह रे बाबू कैसाई के खूट- क1 गाय बना कर रहोगे। पखKडी-तुमगंवार; से Dया माथा खपाय- कहते हुए साइ'कल आगे बढ़ा Bदये।


धीरे -धीरे लाला पूर ब%ती के शोQषत; क1 जमींन गांव के जमींदार; के नाम टांक Bदये कुछ ले दे कर। ब%ती के सारे शोQषत जमीन से हाथ धाते जा रहे थे। खोलरू ाम पखKडी के साइ'कल बढ़ाते ह गाँव के धान राम बहार जमीदार क1 शरण म- भा◌ागा-भागा गया।राम बहार ,हवेल से दरू खेत के 'कनारे ऐशगाह बने रखे थे,गांजा,शराब-कबाब और शबाब का जमींदार खब ू आन5द लेते थे।खोलूराम जमींदार के ऐशगाह के सामने खड़ा होकर बोला बाबू दया करो। खोलूराम का कु्र5दन सुनकर जमींदार धोती समेटते हुए दरवाजे पर खड़ा होते हुए बोले Dया खोलआ कौन ु सी Qवपि,त आ पड़ी।खोलू क1 #नगाह बरबस कमरे म- चल गयी। वह दे खकर है रान हो गया। वहां तो गांव के छोटे जमीदर मरु ार क1 अं`ेजी मेमसाहब जैसी बहू साड़ी ठ\क कर रह थी। खोलू को समझने म- दे र ना लगी। गांव का Nतबेदार राम बहार जमींदार 'कसी क1 बहू बेट को अपनी हवश का शकार बनाना,अपनी शान समझता था । वह हवश से #नवत ृ ह हुआ था 'क इतने म- खोलु आ गया, जमींदार डांटते हुए बोले अरे कहां दे ख रहा है खोलू तू तो अपनी Qवपि,त लेकर आया था कुछ बोलेगा 'क तुमको लगवा मार गया। खोलू क1 जैसे जबान लग गयी,वह बड़ी BहOमत करके बोला माईबाप लाला धरती #छन रहे है । जमींदार-जा तेर जमीन जो चल गयी वह तो भल ू जा पर जो बची है ,वह बची रहे गी पर तू यहां कुछ नह ं दे खा है ।याद रखना अगर दे ख लया तो तेरे वंश मट जायेगा,जमीन क1 बात Dया ? खोलू ब%ती लौटकर आया। घर से बा ट लेकर कुएं क1 ओर भागा,कुएं से दनादन पानी #नकालकर नहाने लगा। कम से कम दस बा ट पानी अपने सर पर डाला। खोलरू ाम को इस तरह नहाते हुये दे खकर रमरिजया बोल खोलू इतना Dयो नहा रहे हो। खोल-ू काक1 गरमी लग रह है । रमरिजया-जाड़े क1 रात है ,और तुम को गरमी लग रह है ।Dया बात है खोलू बचवा। खोलू-कुछ नह ं काक1। रमरिजया-कहां से भागते हुए आये हो। खोलू- धान के पाह से। रमरिजया काक1 माथा ठ;कने लगी ,इतने खोलू बा ट लेकर अपने घर क1 ओर चल पड़ा। कुछ Bदन बाद पखKडी 'फर आया,ब%ती के हर घर से कKडा,भस ू ा,अरहर के डKडल एक जगह इDWठा करने को कहां।ढ़े र सारा कKडा भस ू ा इDWठा हो गया।ब%ती के पांच हWटे -कWटे E मक; को पहुंचाने को बोला 'कसी को मना करने क1 BहOमत तो थी नह ।खोलूराम को एक तरफ ले जाकर बोला Dय; खोलुआ धान से शकायत कर आया। अब तो तू ब%ती के मजदरू ; का नेता हो गया है । दे खा धान कौन क1 घरवाल के साथ सोये थे।


खोलू-Dया कह रहे हो लालाजी। पखKडी-अब तू अं`ेजो जैसे पैतरे बाजी कर रहा है । दस बीस गांव म- तेरा बेटा सामी पहला %कूल जाने वाला है ।जानते हो %कूल के बाहर बैठता है , जहां से उसके कान म- मा%टर जी क1 आवाज भर पहुंचती है । सोच ले अं`ेज कचहर म- कैसे जज बनेगा।पता है न पांच कोस जाता है ,पांच कोस आता है । मुझे से पैतरे बाजी नह ं करना।जा अपने घर जा अराम कर,तुमसे भूसा ढोआ दं ग ू ा तो मेर शकायत लेकर जमींदार क1 हवचेल पहुंच जायेगा। खोलू-लालाजी एक और चXYयूह। लालाजी का Nतबा गरज उठा।यह गरज कई जमींदार; के कान म- पड़ी,अब Dया एक और चXYयह ू सामी के %कूल से दरू करने का सफल हो गया। हां सुन-सुन कर सामी कुछ लखना पढ़ना सीख गया था ।उसमपढ़ने क1 इतनी ललक जो थी पर ताल म नह ं ले पाया। लाख यास के बाद भी। हां वह शOभुख ऋQष बनने लगा ब%ती के ब?च; को अ@र vान कराने लगा पर5तु सामी के इस यास को Qवsोह मान लया गया। अं`ेज हवलदार; ने दस डKडे मारकर छोड़ Bदया था।इसके बाद राम बहार जमींदार ने खोलुराम और सामी को एक नौकर से अपनी हवेल बुलवाये। खोलुराम और सामी राम बाहर क1 कचहर म- हािजर हुए । राम बहार भड़क उठे सामी क1 ओर इशारा कर बोले Dय; कल का लवKडा दो अ@र पढ़ Dया लया, चला ब%ती के मजदरू के लवKडो को बगाड़ने। साले ब%ती के Qप ले तुOमहार राह पर चल पड़े तो गांव छावनी बन जायेगा। खोलुराम-बाबू मेरे सामी ने इतना कौन सा अपराध कर Bदया। राम बहार -जानते नह ं हो तO ु हार बरादर के लोग; के लये पढ़ाई नह ं बनी है ,बस हम जमीदार; और बड़ी जा#त के लोग; के खेत; म- घर; म- काम करो और दो रोट खाकर चैन से सोओ। सामी-बाबू हम भी इंसान है । राम बहार -जबान लड़ाता है । जानते नह ं हो रामायण काल म- शOभुख को जान गंवाना पडा था ऐसी ह गलती के लये। सामी-ये गलती तो नह ं। राम बहार -दे श को आजाद होने म- अभी सौ साल लगेगे स मयां तू है 'क अभी से फड़फड़ा रहा है ।तू जगजीवन भीमराव बनना भल ले जा इसको समझा दे ना। ू जा।खोलआ ू जैसे सामी के पांव म- जंजीर और जबान पर ताले जड़ Bदये गये।सचमच ु सामी म- समाज के लये कुछ करने का ज^बा था पर उसक1 ज^बे को राम बहार और दस ू रे जमींदार; क1 सािजश; ने दफन कर Bदया।सोलू के बार-बार समझाने के बाद भी सामी अपने रा%ते पर चल पड़ता था जो उसक1 जान के लये


भी खतरा बनता जा रहा था,आZखरकार खोलू ने सामा का गौना करवा लाया। थकहारकर सामी बाप के बताये रा%ते पर चलने लगा।सामी क1 #तUठा ब%ती के लोग; म- बढ़ती चल गयी थी। दे श क1 आजाद के लये भी कई बार ब%ती के ला◌ोग; के साथ अं`ेजो से लोहा भी लया था पर5तु आजाद क1 दा%तान मन उसका और नह ं ब%ती के 'कसी छोट जा#त वाले आजाद के लड़ाकुओं का नाम शा मल हुआ।हाँ गांव और के आसपास के कई लोग %वत5cता सेनानी घोQषत हो गये थे Dय;'क ये उ?च वZणFक थे जब'क ये लोग गोर; के बूट क1 आवाज सुनकर घर म- घुस जाते थे। खोलु ह Dया ब%ती के कई मजदरू जो अं`ेजो से लोहा लये थे एक-एक कर अनाम मरे गये। खोलु को भले ह आजाद के द वान; म- शा मल नह ं 'कया गया पर खोलु मरते वDत सामी से कहा था बेटा तुमको ना पढ़ा पाने का गम तो मुझे है पर खश ु ी इस बात क1 है 'क म_ आजाद दे श से Qवदा हो रहा हूं अपने सपूत बेटे के कंधे पर िजOमेदार डालकर। रामQवहार आजाद के पहले भी गांव के मZु खया धान थे आजाद के बाद भी,जब उनको लकवा मार गया तब उसके बेटे कामQवहार ने गांव क1 धानी पर कAजा कर लया। आजाद के बाद त#नक पSरवतFन आया।ब%ती के मजदरू ; के जीवन म- तो कोई खास तरDक1 नह ं हुई पर शोQषत; क1 3गनती होने लगी। %कूल; म- भी शोQषत; के ब?च; क1 पूढ परख होने लगी,िजस %कूल म- शोQषत वगF के ब?चे होते थे उस %कूल को सरकार मा5यता ज द मलने लगी थी। ये सब %वाथFवश था उ?चवZणFक लोग; के लये शोQषत वगF के ब?चे Qप ल; से भी गये गज ु रे थे। कुछ उ?चवZणFक तो परछाई तक से परहे ज करते थे। खैर आजाद के पैसठ साल बाद भी कम नह ं है । उधर धानी क1 अपनी दावेदार को मजबूत करने के लये कामQवहार जमींदार को शोQषत वगF के कम से कम आदमी के अंगठ ू ा #नशानी क1 सझ ू ी। सामी से ^यादा उपयD ु त उसे कोई नह ं Bदखा Dय;'क सामी को तो थोड़ा बहुत लखने और समझने भी आता था।कामQवहार अपने मरे बाप का वा%ता◌ा और सामी के बाप क1 उसक1 हवेल से नजद क1 क1 भयावह याद Bदलाकर सामी को अपने प@ म- कर लया।अब Dया सामी एक और चXYयह ू का शकार हो गया। सामी काम बहार के चXYयहू म- फंस गया,`ाम पंचायत का सद%य बना Bदया।काम बहार ने छल करना शुN कर Bदया। पूर गा्रम पंचायत म- सामी ह एक शोQषत वगF का अछूत सद%य था। `ाम पंचायत; क1 बैठक; म- तो उसे बुलाया नह ं जाता था । बुलाया भी लया गया था उसे दरू बैठाया जाता था।काम बहार के खून म- शोQषत; के हक लूटने क1 बमी◌ार पुरानी थी उसे भनक लग गयी थी।गांव समाज क1 जमीनब%ती के भू मह न; म- बंट जायेगी। काम बहार ने गांव समाज क1 अ3धकतर जमीन धीरे -धीरे अपने पSरवार के सद%य; के नाम करवाना शN ु कर Bदया। थोड़ी जमीन गांव के दस ू रे जमींदार; के नाम कर Bदया जो उनके कAजे म- थी या उनक1 जमीन; के आसपास थी। काम बहार धान ने पोखर तालाब तक का ब5दरबांट कर लया।ब%ती के मजदरू ; को सदा के लये भू मह न बनाने क1 सािजश म- सफल हो गया। सामी के कान तब खड़े हुए जब ब%ती के मजदरू ; को ब%ती के सामने क1 पोखर म- जाने पर #तब5ध लग गया। गांव के बड़े जमीदार कुNपच5द ने वनसंर@ण के नाम पर पोखर पर कAजा कर मछल पालन शुN कर Bदया।ब%ती के पास क1◌़ जमीन पर दस ू रे गांव के कई लोग; को लाकर पाह बनवा Bदया। गांव के पूरब कई एकड़ जमीन जमीदांर; के ब?च; के लये खेल का मैदान बन गयी। बची कुछ जमीन का भी वह


हाल हुआ दस ू रे गांव से उ?चवZणFक; का कAजा कर Bदया गया। या#न ब%ती के मजदरू ; को सदा के लये गुलामी के चXYयह ू म- फंसा Bदया गया। सामी था तो पंचायत सद%य पर गांम पंचायत के सद%य; को उसक1 सहम#त-असहम#त क1 कोई 'फX नह ं होती, उससे 'कसी ना 'कसी तरह दसRत करवा ह ल जाती थी दसRत ना करना उसके लये फांसी का फंदा भी बन सकती थी। असापास के गांव; म- आवKटन क1 शुNआत हो गयी तब ब%ती के मजदरू ; ने अपने सरगना सामी से आवKटन करवाने क1 सफाSरश करने लगे।सामी आवKटन का आCवासन दे तो Bदया पर काम बहार से इस Qवषयम म- बात 'कया तो वह बोला अरे -स मया अपना गांव छोटा सा है 'कतना रकबा है ,गांव समाज क1 जमीन कहा है 'क तू चमार; को जमींदार बाने पर तुला है । सामी-बाबू मेरा गांव छोटा कैसे हो गया प?चास एकड़ जमीन पर ब%ती के मजूदर; को आवKटन Bदया जा सकता है । काम बहार धान- जमीन कहां है । सामी-है बाबू पखKडी लाला को बुलवाकर पड़ताल करवा ल िजये। काम बहार -ठ\क है ।पखKडी को बुलवा लेग-। पखKडी आया भी और पाखKड कर गया। ब%ती के मजदरू ; म- त#नक समझ आ गयी थी।कुछ लोग तहसीलदार से मले भी। तहसीलदार बोले जब धान चाहे गे तभी आवKटन हो पायेगा। धान ने गांव के सार जमीन अपास म- बांट लये है ,जब तक पWटा #नर%त नह ं होगा आवKटन कैसे हो सकता है ।सामी पर ब%ती के मजदरू ; का दबाव बढ़ने लगा। `ाम पंचायत के सद%य; के सामने सामी आवKटन क1 मांग पुरजोर से करने लगा। 'फर Dया एक और चXYयह ू । एक Bदन Bदन रात म- पु लस आयी आयी और सामी को चोर के इ जाम म- उठा ले गयी।गांव के ह नह ं आसपास के कई जमींदार इसके गवाह बने। सामी को पु लस ने इतना मारा क1 उसके अंग-अंग टूट गये। एक कहावत है -जबरा मारै रोवै ना दे । वह 'कया गांव के जमींदार; और पु लस ने। सामी पुरजा पुरजा बखर गया पर चोर नह ं कबूल। चोर तो उसने 'कया ह नह ं था यह तो एक चXYयह ू था ब%ती के शोQषत; क1 जबान ब5द करने के लये। `ाम पंचायत के सद%य पु लस के डKडे के भरोसे सामी से चोर नह ं कबूलवा पाये तो एक नई चाल चल Bदये गां◌्रम पंचायत म- aUbाचार के आरोप म- एक और चXYयूह रचकर जेल भेजवा Bदये। आZखरकार सामी जेल से बाइ^जत तो छूटा पर QवT@fत हो गया था। उसके जबान पर एक ह बात रहती जमींदार बबूल क1 छांव है रे बाबा। जमींदार; के चXYयूह से बचना रे बाबा।अपनी तरDक1 के लये लड़ना रे बाबा। ब%ती के मजदरू ; पर सामी के इस ददF भरे गीत का इतना असर हुआ 'क शोQषतो ने ब%ती के सामने से गुजर रहे हाईवे को एक Bदन जाम कर Bदया। ब%ती के अपनी गह ृ %ती और जानवर सब लेकर सड़क पर डंट गये। कई Bदन; के सघषF के बाद िजले के कलेDटर क मCनर आये। ब%ती के मजदरू ; क1


सम%य; सुने। जमीदार; के सारे अवैध पWटे #नर%त हो गये। ब%ती के भू मह न मजदरू जमीन मा लक बन गये। जमीन मलते ह ब%ती म- भी तरDक1 Bदखने लगी। QवT@fत सामी कहता जमींदार; के चXYयह ू क1 वजह से अब तक ब%ती क1 तरDक1 कैद थी,फूंक-फूंक कर पांव रखना रे बाबा।संभाल कर रखना रे बाबा। हक के लये लड़ना रे बाबा। चXYयह ू म- ना फंसना रे बाबा । कहते कहते पगला सामी द#ु नया ये बछुड़ तो गया पर ब%ती के शोQषत; के चXY◌ूयह से उबरने का म5c दे गया।ब%ती वाल; ने उसे अमर बना Bदया । पंचायत भवन हे भगवान ये कैसी आजाद है । नेता लोग मलाई छान रहे है ।म5cी बन गये तो कई पीBढ़या आबाद हो गयी। बेचारे भू मह न,मजदरू गर ब हा शये के लोग जीवन भर तंगी म- बता दे ते है । मरने के बाद वाSरस; पर कजF का भार छोड़ जाते है । दे खो बेचार भुिजया मर गयी । अफसर; के सामने 3गड़3गडाती रह 'क साहब पंचायत भवन बनाने से पहले आंवKटन करवा दो। गांव के जमीदार लोग प?चास; एकड़ गांव समाज क1 जमीन ह3थयाय- बैठे है ,मजदरू ब%ती के सामने दो बीसा भर खाल उं ची-नीची जमीन थी। जहां ब%ती क1 बहू बेBटयां सब ु ह शाम 'Xया-कमF से #नवत ृ हो लेती थी। उसी जमीन पर पंचायत भवन बनने जा रहा है । जब'क पोखर के उस पार एकड◌़◌ो म- जमीन है ,दबंग जमीदार का कAजा है । उसी पर बनवा दे ते पंचायत भवन पर धान क1 िजद ब%ती क1 बहू-बेBटय; के 'XयाकमF से #नवत ृ होने क1 जगह #छन ल ।दे खो आज बेचार भिु जया दवादाN के अभाव म- मर गयी। मेहनत मजदरू कर ब?चे पालने के अलावा कुछ सझ ू ा ह नह ।दस पांच बीसा जमीन होती तो इतनी बुर मौत तो ना मरती कहते हुए दख ु रन भुिजयादे वी क1 लाश से कुछ दरू पर बेहोशी क1 हालत म- पसर गये। कुछ बड़बड़ाते हुए बोले अरे लाश धूप म- Dय; सूखवा रहे हो महतारा ले जाकर कफन दफन कर दे ते। 'फर कुछ सोच कर वह खुद ह बोले कफन भी तो महं गा है गर ब; के लये। गर ब; क1 नसीब म- कफन भी कहां। सब तो चट कर रहे द मक जैसे चेहरा बदल-बदल कर डंसने वाले लोग। दम भरते हुए बोले अरे सूरज डूबने वाले ह_ भुिजयादे वी को सड़ा Dय; रहे हो।Cमशान ले जाकर फंू क-ताप दे ना चाBहये था। गरजू बोला काका फूकहरन क1 इंतजार है । दख ु हरन- कहां गया है । गरज-ू Bद ल fलाि%टक क1 कोई मोि डंग मशीन होती है ।सन ु ा है वह चलता है ।Dया करता गांव म- बंधुवा मजदरू से छुटकारा पाना था।दो अ@र पढ़ Dया गया सोचा शहर म- कोई अ?छ\ नौकर मल जायेगी पर दे खो चाल स साल से मोि डंग मशीन चला रहा है मड़ई से आगे नह ं बढ पाया। बेचारे क1 मां दवाई के लये SरSरक-SरSरक कर मर गयी।घरवाल मर गयी। सुना है वह भी ट बी का िCकार हो गया है । Bद ल से चल Bदया है रात दो बजे तक आयेगा।इसके बाद कफन-दफन होगा। दख ु हर दे वी-बेचार भुिजयादे वी धान के सामने Sररकती रह गयी 'क धानजी आवंKटन करवा दो दस बीसा मल जायेगा तो अपना भी जीवन ठ\क से बीतने लगेगा। धान बोले आवंKटन के लये गांव समाज क1 जमीन कहा है ।


भूखहर दे वी-आंसू पर काबू करते हुए बोल सब बेईमान है । अपने गांव म- इतनी जमीन है 'क सभी ब%ती के प?चीस पSरवार को एक-एक बीघा जमीन भी मल जाती इसके बाद भी जमीन बच जाती पर। बाबू लोग; के सामने साहब सुबा धान और #नअमर सब भींगी ब ल हो जाते है । गांव का कोई ऐसा जमींदार नह ं है जो पांच से दस बीघा गांव समाज क1 जमीन दबा कर नह ं बैठा है ।इसके बाद घुर और खSरहान के लये भी जमीन पर अवैध कAजा है । मजदरू ब%ती के लोग; के पास मड़ई बनाने का कोई इ5तजाम नह ं जब'क सBदय; से इसी गांव के #नवासी है । वाह रे अमानुष लोग। दध ू ई-ब%ती के सभी लोग; ने पंचायत नह ं बनने दे ना चाहते थे।अरे यह तो त#नक भींटा था जहां ब?चे औरते 'Xया-कमF से फाSरक होते थे उस पर ये पंचायत भवन खड़ा हो गया। बताओ पंचायत भवन से मजदरू ; का Dया भला होने वाला है । भुिजयादे वी ठ\क कह रह थी पंचायत भवन बनाने से पहले आवKटन करा दो धानजी पर गर ब; क1 कब सुनी गयी है 'क अब सुनी जाती।िज5दगी भर क1 आस भुिजयादे वी क1 नह ं पूर हुई आZखरकार आवKटन नह ं हुआ तो नह ं हुआ। आजाद के दसक; बत गये 'कतनी सरकारे आयी गयी पर गांव के बाबू लोग आवKटन नह ं होने Bदये। मजदरू ; क1 ब%ती के मह ु ाने पर पंचायत भवन बनवा Bदये लाख; डकार गये। पंचायत भवन तो भू मह न मजदरू ; के मुंह पर तमाचा है । मैययत ् म- आये लोग रायशुमार म- लग गये। दसई भी Bटकठ\ बनाकर एक तरफ रखा और वह भी पंचायत भवन और आवKटन म- से ब%ती के मजदरू ; के लया पहले Dया जNर था दध ू ई से पूछा । दध ू ई बोला-दे खो सबसे पहले पेट क1 आग मटाने का इ5तजाम होना था। यक1नन ब%ती के मजदरू ; के लये आवKटन बहुत पहले हो जाना था । गरजू गरजते हुए बोला अब आवKटन का Rयाल अपने मन से #नकाल दो । लछई-Dय; दादा । गरजु-तुम नह ं जानते Dया․․․․․․? लछई-म_ Dया नह ं जानता दादा बता दे ते तो जान जाता । गरज-ु बेटा आवKटन न हो इसके लये गांव के बाबू लोग; ने 'कतनी बड़ी राजनी#त खेल है । दसई-कैसी राजनी#त भईया । गरजु-ऐसे पूछ रहे हो जैसे जानते नह ।अरे घड़ई गांव के पास से लगी एकड◌़◌ो जमीन पर बाबू लोग; ने क?चे-पDके घर बनवा कर ताले जड़ Bदये है । एक दो घर दस ू रे गांव के लोगो को बनवा Bदये है ।अब बताओ जब जमीन खाल थी तो बदमाश बाबूलोगो ने आवKटन होने नह ं Bदया । बाक1 जमीन पर खुद बड़े-बड़े भू म मा लक कAजा जमाये हुए है । उनसे जमीन खाल करवाना समझो ब%ती म- आग लगवाना होगा ।


दसई-भईया एक बार आवKटन हो जाने दो,सब खाल कर दे गे। सम%या तो ये है 'क आवKटन नह ं हो पा रहा है आजाद का स,तरवां दशक समािfत क1 ओर है । इस Qपछले गांव के दबे-कुचले भू मह न; का लट ू ा भा:य गांव के जमींदार; ने आबाद नह ं होने Bदया। अपने गांव तक पहुंचते-पहुंचते सारे सरकार #नयम कायदे बौने हो जाते है । लछई-हां काका ठ\क कह रहे हो आजाद के बाद पहल बार ब%ती से कहNलाल धान बना था। उस धानी के चुनाव के लये ब%ती वाल; ने 'कतनी cासद झेल था बाबू लोग; का अ,याचार सहा था। वोट न दे ने जाने क1 खुलेआम धमक1 आती थी। जान-माल पर खतरा ह खतरा था । ब%ती के कई मजदरू ; को सर फूटा,हdडी टूट थी। ब%ती छावनी बन गयी थी । अपना उOमीदवार जीता भी पर हुआ Dया ․․․? गरजु-Dया कर सकता है । अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है Dया ? उप धान,सद%य सब तो उं ची जा#त वाले थे अगर उनसे मलकर नह ं रहता तो जान से हाथ धो जाता। न5हे न5हे उसके ब?चे अनाथ हो जाते। लछई- कैसी बात कर रहे हो। कहNलाल करने चाहता तो कोई कुछ नह ं बगाड़ पाता पर उसको लालच आ गया। योजनाओं का फायदा गांव के जमींदार; को दे ने लगा,ब%ती क1 तरफ उसका qया नह ं नह गया । गरजु-ब%ती के उ,थान का काम करता तो धानी जाने का डर था। उपर से का#तल लोग aUbाचार के मामले म- जेल पहुंचा दे ते। लछई-कुछ भी कहो कहNलाल के बचाव म- म_ तो यह कहूंगा 'क आर@ण ाfत एम․एल․ए․,एम․पी जैसे अपनी राजनै#तक पाBटF य; के होकर रह जाते है ,अपना मकसद भल ू जाते है । कभी सुना है कोई एम․एल․ए․,एम․पी शोQषत; के उपर हुए ज ु म के Zखलाफ कभी धरना दशFन 'कया है । वैसे ह अपना कहNलाल धान 'कया गांव के दबंगो को दाN पाट~ दे ता रहा अपनी धानी के र@ा म- । कौन जाये Sर%क लेने आवKटन करवाने। चाहता तो सब करवा लेता पर कुछ 'कया नह । वह भी जानता था पांच साल के बाद वह ह नह ं कोई ब%ती का धान नह ं बन पायेगा। कुछ करता या न करता पर आवKटन तो करवा दे ता पर नह ं हां ब%ती के मुहाने पर पंचायत भवन बन गया। ब%ती वाल; को 3चढ़ाने के लये। खाने का इ5तजाम नह ं पेशाब तक करने को अपनी जगह नह ,पंचायत भवन का Dया होगा ।शाद Aयाह के मौके पर भी तो नह ं मलेगा। दसई-तुम भी लछई कैसी बात कर रहे हो। िजस ब%ती के कुय- का पानी अपQवc हो,उा ब%ती के लोग पंचायत भवन म- जCन कैसे मना सकते है । जCन तो बाबू लोग; का मनेगा,ना जाने कहां कहां से लोग आये ब%ती के सामने नंगा नांच करे गे। ब%ती वाल; का #नकलना भार पड़ जायेगा। गरजु-यह तो हो रहा है । धान रोपाई के लये Qपछल साल जो बहार मजदरू आये थे पंचायत भवन मह तो Bटके थे मह ने भर।रात भर सोना मुिCकल हो जाता था। गांव के मजदरू ; क1 मजदरू भी ये परदे सी मजदरू मार रहे है उपर से चैन भी #छन रहे है । अब तो हर साल दोन; सीजन म- यह होने वाला है । परदे सी मजदरू ससुरे गले म- धागे पहने हुए थे कहते थे वे उं ची जा#त वाले है । ससुरे हमार है Kडपाइप के


पानी से परहे ज करते थे। उधर बाबू लोग अपना बतFन तक छूने नह ं दे ते थे।रात भर यह ब%ती के मह ु ाने पर बनाते खाते थे नाच गाना करते थे। बहन बेBटय; का बाहर #नकला मुिCकल हो जाता था। लछई-बाबू लोगो क1 चाल थी पंचायत भवन ब%ती के मुहाने पर बनवाने म- । कहने को तो हो जायेगा 'क ब%ती के मजदरू ; का बहुत Qवकास हो गया है । दध ू ई-दरू से दे खने पर तो यह लगता है । दे खने वाले कहते है 'क ब%ती के मजदरू बहुत सOप5न हो गये है ।यहर हाल ये है 'क सुबह खाओ तो रात क1 3च5ता रात म- खा लो तो सुबह क1 3च5ता इसी 3च5ता मपूर ब%ती सBदय; से जीम र रह है । बाबू लोग इसका भरपूर फायदा उठा रहे है ।मजदरू ; के ब?चे है 'क पढ़ लख नह ं पा रहे है । खैर बेचारे पढ़े गे लR◌े◌ागे कैसे खाने पहनने को तो पहले चाBहये। होश संभालते ह मां -बाप क1 मदद के लये पुCतैनी पेशा बाबू लोग; के खेत म- पसीना अपना लेते है । अब तो परदे सी मजदरू ो ने वह भी रोट -रोजगार #छन लया है ।मनरे गा से भी तो कुछ भला नह ं हो रहा है ।दस Bदन काम मलता है वह भी धान िजसको चाहे । मजदरू म- से कमीशन भी धान को चाBहये तो कैसे ब%ती के मजदरू ो का भला होगा। नथई-इससे भला तो नह ं हुआ है , बुरा होने लगा है । सधई-वो कैसे ․․․․․? नथई-मनरे गा से त#नक कमाई Dया होने लगी । ब%ती के सामने दे शी मBदरा क1 दक ु ान खुल गयी। पांच Nपया दस Nपया म- एक प5नी मलती है लवKडे नशेड़ी होते जा रहे है । Dया उयह तरDक1 है । दध ू ई-सरकार नी#त है मजदरू ; के पास पैसा रहने मत दो। यBद पैसे Bटक गये तो उनके ब?चे पढने लखने लगेगे,मजदरू कौन रहे गा। इसी लये तो हर एक कोस पर मBदरा क1 दक ु ान खुल गयी है ।घर मखाने का इ5तजाम नह ं मेहनत मजदरू करने वाले शाम को पीना अपनी शान समझने लगे है । सोचा जरा जहां इलाज उपलAध नह ं है । ^वर बुखार म- लोग मर जाते है । डाDटर है नह ं ऐसे गांव म- दाN क1 दक ु ान का Dया औ3च,य? सधई-है ना गर ब को गर ब बनाये रखने क1 सािजश।दे खो ना ब%ती के मजदरू ो को दस बीसा जमीन का टुकड़ मल गया होता तो कमाते खाते। गांव समाज क1 जमीन रहते हुए भी आवKटन नह ं हो सका आजाद के बाद भी ऐसी आजाद 'कस काम क1 बस आजाद दे श क1 हवा पीते-पीते जीवन गज ु ार दो। नथई-दस बीसी जमीन होती तो भुिजयादे वी क1 हालत तो ऐसी न होती। फूकहरन Bद ल म- कोई अफसर तो है नह । fलाि%टक मशीन गदहे जैसे खींचता है । उससे जो बच जाता है बाल ब?च; को भेजा रहा है । अगर दस बीसा जामीन होती तो कम से कम रोट का इ5तजाम तो हो जाता। सधई-यह हाल तो 25 घर क1 ब%ती म- बीस घर का है । सुखई-आजाद दे श के गुलाम हम तो है । तभी तो हमार दे श जानवर; जैसी है । गर बी क1 वजह से ब?चे पढ़ नह ं पा रहे है । ब%ती के लोग जवानी म- बूढे होकर बेमौत मर जा रहे है ।भुिजयादे वी का गौना तो


हमारे सामने ह आया था। प?चास साल क1 उj पूर नह ं कर पाई। दे खने म- लग रह थी भुिजयादे वी क1 काया सौ साल पुरानी हो।जीQवका का पुRता साधन होता तो असमय नह ं मरती।आज भी ब%ती के मजदरू ; क1 उOमीदे आवKटन पर Bटक1 हुई है पर गांव के धान और दबंग बाबूलोग न तो आवKटन होने Bदये और न होने दगे◌े। अरे दबंगो ब%ती वाल; क1 गर बी तO ु हारे मुंह पर तमाचा है । भईया पंचायत भवन ब%ती के मह ु ाने पर तो ऐसा लग रहा है जैसे कोढ◌़◌ी काया को सट ू -बूट पहना कर खड़ा कर Bदया हो। सचमुच ब%ती के मजदरू ो को आवKटन चाBहये तो Xाि5त लानी होगी। नथई- ये Dया होती है । सधई-सड़क जाम करो । अब तो हाईवे अपनी ब%ती के सामने ह है दरू तो जाना नह ं है । एक बार मन से सभी ब%ती के मजदरू इकWठा होकर हाईवे ब5द कर दे दे खो सरकार तक आवाज पहुंचती है 'क नह ।आवKटन भी होगा कैद नसीब आजाद भी होगी पर इसके लसे करो या मरो का नारा बुल5द करना होगा। सुखई-बात तो ठ\क है और 'कतने युग हमारे लोग बेसहारा लावाSरस,अछूत,मजबूर बने रहे गे Xाि5त तो लाना ह होगा। Xाि5त के बना अपने गांव म- न तो आवKटन हो सकता है और न हमार ब%ती मतरDक1 आ सकता है । गरजु- 'फर गरजा अरे तू Xाि5त क1 बात कर रहा है । घरवाल और ब?च; को 'कतना दख ु दे रहा है कभी सोच है । तO ु हार लत न पSरवार को और दSरs बना Bदया है । ब?च; को न खाने का इ5तजाम न पहनने का इ5तजाम कर पा रहा है । जो कुछ तO ु हार घरवाल मेहनत मजदरू कर लाती है ठ\हे पर बबाFद कर आता है । खुद क1 कमाई म- तो आग लगा ह रहा है । पहले अपने घर को दे ख पर ब%ती सुधारने #नकलना । सख ु ई-दौड़ते हुए गया,भिु जयादे वी क1 लाश पकड़कर बोला गरजु दादा मर भौजाई 'क कसम अब अपने घर क1 हालत सुधार कर रहूंगा। आज से मेरे लये दाN मानव मल के समान होगा। गरज-ु यह तो म_ चाहता हूं ब%ती के सारे नवजवान तौबा कर ले हर तरह क1 नशा से। आ मेरे शेर गला लग जा। मझ ु े यक1न हो गया मेर ब%ती म- भी तरDक1 आयेगी। भले ह बाबू लोग सािजश रचते रह- । आज से सब दाN गांजा पीने वाले कसम खा ले सुखई क1 तरह। इतने म- मBहलाओं का Nदन तेज हो गया। गरजु बोला अरे दे खो फूकहरन आ गया। नथई-अरे बाप रे फूकहरन क1 हाल तो भुिजयादे वी जैसी हो गयी है ।ये भी अब ^यादा Bदन का मेहमान नह । fलाBटक क1 मशीन इसक1 जीवन #छन चुक1 है । गरजु-गरजते हुए बोला Dया उगल रहा अपनी काल जबान से। उसक1 बेट का Aयाह सर पर है ,घरवाल बछुड़ चुक1 है सदा के लये। बेटवा क1 गह ृ %ती अभी बस नह ं पायी है । तुOहार जबान पर ना जाने Dया यमराज बैठे है ।


नथई- फूकहरन क1 हाल तो दे खो। गरज-ु अब अपनी जबान पर ताला लगा वरना तेर जबान मेरे हाथ म- आ जायेगी। सधई-Dया कानीफूसी कर रहे हो,कफन-दफन क1 तैयार करो। गरजु-तैयार Dया करना है । सब तो हो चुका है । लाश Bटकठ\ पर बांधनी है फूकहरन को आZखर बार भुिजयादे वी का चेहरा तो दे ख लेने दो। फूकहरन ने कफन हटा कर भुिजयादे वी का चेहरा दे खने लगा पर वह खड़ा नह ं हो पाया मुछाF खाकर धड़ाम से 3गर पड़ा। गरजु दौड़कर है Kड पाइप से लौटा भरकर पानी लाया फूकहरन के मुंह पर छ\ंटा मारा। कुछ दे र बाद फूकहरन उठ बैठा। भुिजयादे वी का जनाजा Cमशान क1 ओर चल पड़ा। ब%ती क1 छाती पर खड़ा पंचायत भवन जैसे Sरसते घाव को #छल-#छल Qवनोद कर रहा था । थाती शोQषत लौटन त#नक कुदरती तौर पर हो शयार था।उसक1 हो शयार गोर; के सामने तो चल जाती थी पर काल; के साथ त#नक भी नह । यह समझदार उसके गले का फंदा बन गयी । ख|ची गांव के दबंग जमींदार; को त#नक रास ना आयी।गोर सरकार थी काल; का आतंक इससे पूर ब%ती के दबे-कुचले लोग भयभीत रहते थे।गांव के दबंग; ने सािजश के तहत ् लौटन को उसक1 पैतक ृ जमीन से बेदखल उसका गांव #नकाला कर Bदया।गांव म- उसक1 धमFप,नी चारो बेटे-द पच5द, धूपच5द, सुखच5द, डूबच5द और बेट दल ु ार बेसहारा हो गये थे,दर-दर भटकने को बेबस थे। कहते है ना डूबते को #तनके का सहारा द पच5द को भजन गाने और ढोल बजाने का शौक थी यह शौक उसक1 कमाई क1 जSरया बन गयी। वह गांव क1 नाटक मKडल म- शा मल हो गया। गांव के जमींदार चारो भाईय; को बंधुवा मजदरू बनाने क1 'फराक मथे पर द पच5द भी अपने बाप पर गया था उसक1 अDल काम क1 त#नक होश संभालते ह अपने से छोटे भाई धूपच5द को दरू के पSर3चत के साथ रात के अंधेरे म- कलकता रवाना कर Bदया।सुखच5द गांव के बड़े जमींदार के चंगुल म- फंस गया पर द पच5द और सख ु च5द ने रायमशQवरा कर छोटे डूबच5द को Bद ल भेज Bदये। समय करवट बदला चारो भाईय; का शाद Aयाह हुआ। दल ु ार के भी हाथ पीले हो गये। धूपच5द क1 पहल प,नी का अचानक दे हावसान हो गया। दो साल बाद द पच5द और सख ु च5द ने भाग दौड़कर दस ू र शाद करवा Bदया। लूटव5ती के पूवF मत ृ क प#त क1 #नशानी मनव5ती भी साथ आ गयी। नये पSरवार म- मां के साथ बेट का भी पुरजोर से %वागत हुआ। लूटव5ती के मायके म- उसक1 मुसामात मां काल दे वी अलावा और कोई था नह ं हां धूपच5द के साथ पुनAF याह होने के दस साल बाद 'करन का ज5म हुआ था । त#नक खेती बार क1 जमीन भी थी। चारो भाई Uट-पुUट थे,मेहनत मजदरू कर कुछ बचत करने म- जट ु े हुए थे ।सबसे कम कमाई सख ु च5द क1 थी Dयो'क सेर भर मजदरू म- Dया बचत होती पर उसक1 घरवाल लाजव5ती बड़ी उiयमी थी,अ3धया क1 भ_स,बकर ,मग ु & पालकर सख ु च5द के साथ कंधा मलाकर गह ृ %ती क1 गाड़ी खींच रह थी। डूबच5द अपनी घरवाल को लेकर Bद ल Dया चला गया सब नाते-SरCते का मBटयामेट कर Bदया। द पच5द, धूपच5द और सुखच5द भययपन पर मर- मटने को ् तैयार रहते थे। दभ ु ाF:यवश द पच5द, धूपच5द क1 घरवा लय; को यह पस5द नह ं आ रहा था।द पच5द क1 प,नी झुलसीदे वी भी अपने मां-बाप क1 अकेल थी,अपनी मां क1 मौत के बाद वह अपने छः ब?च; के साथ


मायके बस गयी। द पच5द का ससुराल आना जाना बना रहता पर उसे ससुराल म- बसना ठ\क नह ं लगा। वह अपनी ज5मभू म से दरू नह ं जाना चाहता था पर5तु ज5मभू म क1 Qवरासत तो दबंगो ने पहले ह हड़प लये थे कुछ बचा था नह । द पच5द को सुखच5द के ब?च; से बेहद लगाव था । सुखच5द क1 कमाई भी बहुत कम थी खाने वाले प#त-प,नी सBहत छः ब?च; का पSरवार उपर से नातेदार -SरCतेदार सब उसके उपर थी।उधर द पच5द क1 प,नी ब?च; के साथ बाप क1 Qवरासत संभालकर खश ु था। उसे अब द पच5द बेकार लगने लगे थे पर औलाद का मोह कहा छोड़ने वाला था । द पच5द का आना जाना बराबर बना हुआ था। झुलसीदे वी बाप क1 खेती अ3धया पर करवाने लगी थी। िजसक1 वजह से लyमी का आना जाना सुखदायी बन गया था। उधर धूपच5द क1 सस ु राल का भी यह हाल था पर द पच5द अपनी और धूपच5द क1 सुसराल का केयरटे कर बना हुआ था । डूबच5द Bद ल म- अ%थायी Nप से बस गया था । उसक1 ससरु ाल म- भी उसके साले के पास लड़का नह ं था। साले क1 जायदाद क1 लालच म- डूबच5द भाईयो से एकदम से नाता तोड़ Bदया था हा बाद म- #नराशा हाथ लगी थी। द पच5द का मान सOमान वैसे अ3धक था। मलनसार YयिDत जो था साथ ह सबके दख ु सुख म- 3गरा रहता था। द पच5द द ू हापरु धूपच5द क1 सस ु राल गया था। पास के गांव का घरु हूदेव द पच5द से मलने आया िजसका पांच बीघा खेत धूपच5द के ससरु ाल म- मले खेत से लगा हुआ था। नवजवान घरु हूदेव द पच5द से बोला बहनोई मेरा खेत खर द लो। द पच5द- खेत तम ु ने खर दा है Dया । घुरहूदेव-नह बहनोई खानदानी है । द पच5द-खानदानी जमीन है ,तुOहारे पुरख; से तुOहे Qवरासत म- मल है । तुम बेच रहे हो। अरे तुमने सोचा है तुम अपने ब?च; को Dया दोगे। घरु हूदेव-अ?छा भQवUय । द पच5द-वो कैसे iय घुरहूदेव-शहर म- शफ् ट हो रहा हूं। मां-बाप %वगF सधार गये। बार-बार गांव आना होता नह ं है ।खेती मुझसे हो नह ं सकती । नौकर कNं या खेती।ब?चे शहर म- पढ़ लख रहे है । वे गांव तो आने से रहे । द पच5द-पुरख; क1 #नशानी बेचना अ?छ\ बात तो नह ं है । घरु हूदेव-अ?छाई-बुराई म_ समझता हूं बस मझ ु े पांच बीघा जमीन बेचना है । द पच5द-म_ कैसे खर द सकता हूं।मेरे पास इतने पैसे कहां से आयेगे। घुरहूदेव-बहनोई सौदा पDका का लो।रकम बाद म- दे दे ना। तब तक के लये खेत अ3धया पर ले लो।


इसी बीच लूटव5ती आ गयी।जेठजी हामी Dय; नह ं भर लेते।अरे बना कामधाम के इधर उधर भटकते रहते हो।घरु हूदेव खेत अ3धया पर दे रहे है तो लेलो । यह रहकर खेती करो। दौर गांव म- तो मड़ई रखने क1 जगह नह ं है । कम से कम द ू हापूर म- तो है । द पच5द-झुलसीदे वी के मायके म- भी तो बहुत जमीन है । घरु हूदेव-स%ते म- दे दं ग ू ा। शहर म- मेरा मकान बन रहा है । पैसे क1 जNरत है । लूटव5ती-कैसे बीसा दे रहे हो भईया । घुरहूदेव-डेढ़ सौ बीसा। लट ू व5ती-उसर है ,रे ह म- चलना भार है अनाज Dया होगा उसम- । सौ Nपया बीसा लगाओ। घुरहूदेव-तुOहार बात मान लेता हूं। लूटव5ती-जेठजी 'करन के बाबू को 3चटठ\ लखा दो कुछ पैसे का इ5तजाम वो कर दे गे।सुखच5द भैस बकर और लाजव5ती के गहना बेचकर वो भी कुछ इ5तजाम कर दे । Bह%सा लेने के तो मुंह उठाये रहते है दोनो ाणी।आधा दजFन ब?चे पैदा कर लये खाने का Bठकाना नह । द पच5द-लूटव5ती Dय; जल कट सुनाती है । अरे उसके Bदन भी 'फरे गे। दे खना अगर हम लोग धरती पर रहे तो सुखव5त के ब?च; से अपनी खानदान क1 पहचान होगी। तुम भी इतराओगी। आज जल कट सन ु ा रह हो।Dया तुम नह ं जानती हो कुलनयन को ,'कतना हो शयार है पढ़ने म- । हर लाल मुंशीजी एक Bदन मले थे बह रहे थे पूत के पांव पलने म- Bदख जाते है ,वैसे ह कुलनयन है । लूटव5ती-जुOमा-जुOमा आठ Bदन %कूल जाते नह ं हुए उOमीद बना लये 'क कलेDटर बन जायेगा कुलनयन। द पच5द-काश तुOहार जबान पर सर%वती बैठ जाती कुलनयन कलेDटर बन जाता। कुलनयन तो अपने बाप से ^याद धूपच5द और मुझको मानता है ,खैर तुOहार भी बहुत इ^जत करता है ।सुखच5द के सभी ब?चे गुणी है । जैसे बाप गर ब है वैसे ह ब?चे बुQoमान । लूटव5ती-रहने दो बहुत हो गयी तार फ। कैसे सुखच5द गर ब है ,'कलो भर क1 चांद क1 हं सुल ,हुमेल,बाजूब5द कुल मलाकर 'कलो भर चांद के गहने लाजव5ती के पास है ।सासुजी Dया गहना लेकर %वगF जायेगी । उनका गहना 'कस काम आयेगा। लाजव5ती के पास भैस,बकर ,मुग& का Yयापार कम कैसे है ।दे वरजी को जमीदार; जैसे शौक-दाN गांजा मग F %सलम कोई गर बी क1 #नशानी है । ु म द पच5द-खेत खर दने के लये सुखच5द के ब?च; के मुंह का #नवाला मत #छनने क1 बात करो। हां जो उससे हो सकेगा करे गा।


लूटव5ती-उस गांव म- Dया रखा है , जहां पेशाब करने भर को खुद क1 जमीन नह ं है । कह दो घरोह ब-चकर यह द ू हापुर म- बस जाये। द पच5द-ऐसा तो सुखच5द कभी नह ं करे गा।हां भययपन खा#तर अपनी आढत दाव पर जNर लगा दे गा। ् लूटव5ती-'कस बहस म- पड़ गये 'करन के बापू को बैरन 3चटठ\ लखवा दो।डूबच5द को भी एक 3चWठ\ डलवा दो मह ने भर म- कुछ इ5तजाम हो जाये तो घरु हूदेव भईया को भेजवा दे ता'क खेत पर कAजा तो हो जाये। द पच5द आह भरते हुए बोला काम तो कBठन है पर मां और सुखच5द और लाजव5ती से बात कNंगा।यक1न है वे लोग मान जायेगे। द पच5द द ू हापुर से अपने पCु तैनी गांव आया। पूरा माजरा अपनी मां भूखवती,भाई सुखच5द,भयहूं लाजव5ती को समझाया। खैर औरत गहना अपने तन से उतारना कभी नह ं चाहती पर लाजव5ती द पच5द को इंकार ना कर पाई। सुखच5द और उसके पSरवार के लये द पच5द और धूपच5द EेUठ तो थे ह 'कसी दे वता से कम भी नह ं थे। लOबी जदोजहद के बाद खेत क1 रिज%ट ्र चार; भाईय; द पच5द, धूपच5द, सुखच5द, डूबच5द के नाम हो गयी पर गहने पशु और जो कुछ क1मती सामान था सब कुछ बक गया सख ु च5द का बक गया।धूपच5द क1 तो कलकते म- सरकार नौकर थी। सब कुछ बक जाने के बाद भी सख ु च5छ खश ु था 'क कम से कम उसके नाम भी तो जमीन का टुकड़ा हो गया। जमीन द ू हापुर म- लखा ल गयी। धूपच5द और सख ु च5द ने राय मशQवरा कर तय 'कया 'क बड़े भईया खेती करवाये। द पच5द भाईय; क1 बात टाल नह ं सकते थे। द पच5द धूपच5द के ससरु ाल और पांच बीघा रिज%ट ्र वाल जमीन पर खेती करवाने लगे। लूटव5ती का एक पैर कलकता तो एक पैर द ू हापुर रहने लगा। द पच5द क1 िजOमेदार ^यादा बढ़गयी । धूपच5द क1 सौतेल बेट मनव5ती,सगी बेट 'करन और मुसामात सासु काल दे वी क1 िजOमेदार इतनी 3च5ता तो उसे अपने ब?च; क1 कभी नह ं हुई थी। द पच5द क1 सेवा से खुश होकर मस ु ामात काल दे वी अपनी जमीन द पच5द के नाम लखने क1 िजद पर अड़ गयी थी पर द पच5द नह ं माना था। आZखरकार काल दे वी ने अपनी जमीन चारो भाईय; के नाम रिज%ट ्र कर द थी।लट ू व5ती इतनी डायन #नकल 'क सात बीघा जीमन से द पच5द क1 मेहनत से उपजे अपरOपार अ5न म- से एक दाना सुखच5द को नह ं दे ने द । बेचारा द पच5द आंसू बहाता रह जाता था। सुखच5द के ब?च; कुलनयन,कुशानयन,बेBटयाद पा,सीखा,द @ा,तीखा को भख के लये। ् ू ा दे खकर पर सच ु 5द कभी अपने मन म- कोई मलाल नह ं रखा सफF भययपन धूपच5द क1 सौतेल बेट का Aयाह तो उसक1 आंख नह ं खुल थी तभी हो गयी। गौना बाक1 था। गौना का Bदन पड़ गया द पच5द और धूपच5द ने भी मनव5ती के गौने म- सगी बेट जैसे ह दान दहे ज Bदया था। 'करन भी धीरे धीरे सयान हो रह थी उसक1 भी Aयाह द पच5द ने बड़े घर के लड़के से करवाया था। धूपच5द क1 सौतेल बेट मनव5ती का गौना जाने के दो साल बाद 'करन का भी Aयाह हो गया था। गौना और Aयाह हो जाने के बाद लट ू व5ती का डायनपना और #नखर गया था। द पच5द उसे दCु मन लगने लगा था Dय;'क धूपच5द का सौतेला दमाद भुलूटेरा तहसील नौकर करता था। धूपच5द क1 सगी बेट का


ससुर दध ू नाथ जो धूपच5द क1 कमाई के जूते कपड़े पहनता था और नगद उसक1 कमाई का खचF करता था । यह सब लूटव5ती क1 सांठगांठ से शुN हो गया था। लूटव5ती के Bदमाग म- ये बात घर कर गयी थी उसका तो कोई बेटा है ह नह ं पूर जमीन का दो Bह%सा कर दोनो बेBटय; के नाम कर दे । दमाद भु लूटेरा और समशी दध ू नाथ ताना बाना बुनने लगे और जीमन क1 फज& रिज%ट ्र सौतेले दमाद भुलूटेरा और दध ू नाथ समधी ने दोनो बेBटय; के नाम करवा लया। इस बात क1 भनक द पच5द को लग गयी।द पच5द दौड़भाग करने लगा। अब द पच5द को रा%ते से हटाना सौतेले दमाद भुलूटेरा और समधी दध ू नाथ के लये जNर हो गया। इन दोन; ने लूटव5ती डायन को मलाकर योजनाबo तर के से ढाठ\ दे कर मार कर लाश पेड़ पर टांग Bदये। रात म- दोनो भल ु ूटेरा और दध ू नाथ गायब हो गये।लूटव5ती ने बेचारे द पच5द के माथे आ,मह,या का दोष मढ़वा द । गOभीरपुर का पु लस थाना आया पर खानापू#तF कर चले गये। बहती गंगा म- हाथ जो धोना था। पो%टपाटF म के बाद द पच5द क1 लाश सुखच5द को सुपुदF कर द गयी। द पच5द भाई क1 'XयाकमF कर खेत पर कAजा लेने के लये कोटF म- मुकदमा तो लगा Bदया पर लूटव5ती डायन, भुलूटेरा और दध ू नाथ से जीत पाना बहुत मिु Cकल था। पैसा तो पानी क1 तरह बह रहा था वह भी धूपच5द क1 कमाई का। लट ू े रो के हाथ तो जैसे कुबेर का खजाना लग गया था।सख ु च5द बंधुवा मजदरू था कामई का कोई पुRता इंतजाम था नह ं मुकदमा लड़े तो कैसे पर उसने र न कजF कर मुकदमा इंजाम तक पहुंचाने के लये कसम खा लया था ।जब उसे जमींदार के काम से छुWट नह ं मलती तो कुलनयन साइ'कल से द वानी कचहर आजमगढ़केस क1 सुनवाई पर जाता। तार ख भी मह न; बाद क1 पड़ती थी उसके पहुंचने के पहले तार ख पड़ जाती थी। सौतेला दमाद ज लाद भूलूटेरा कचहर म- पद%थ जो था। एक बार तार ख सुखच5द तार ख पर गया हुआ था तार ख तो सौतेला दमाद ज लाद भूलूटेरा ने पहले ह ले लया था पर भुलूटेरा और दध ू नाथ कचहर के बाहर इ5तजार कर रहे थे। सुखच5द कचहर म- गया तो पता चला 'क तार ख पड◌़◌ं गयी है । वह मुहSरF र से बोला साहब कम तक तार ख पर तार ख पड़ती रहे गी चार साल हो गये है मक ु दाम दायर हुए। मह ु SरF र ग ु सयाते हुए बोला कोटF का काम है ,कोट जाने म_ने तार ख दे Bदया अगल बार जज साहब से पूछ लेना। सख ु च5द सर धुनते हुए नीचे उतारा। सीढ के नीचे ह दध ू नाथ खड़ा था वह सुखच5द क1 बाह पकड़कर बोला आओ समधीजी चाय पी लो वह बांह छुड़ाते हुए बोला एक भाई क1 जान तो ले लये कम से कम उसक1 #नशानी तो मत ह3थयाओं भगवान दे ख रहा है । दध ू नाथ-समधीजी मामला कोअर् म- ह_। फैसला कोटे से होगा Dय; मन खराब कर रहे हो।वह हाथ पकड़े हुए वह चाय क1 दक ु ान के पीछे साइड ले गया । वहां का नजारा दे खकर उसके होश उड़ गये। वहां उसे अपनी मौत का ताKडव Bदखने लगा था । सात-सात फ1ट के शैतान सर खे कई लोग बैठे हुए थे उसी मजैसे वे पेशव े र क,ल लग रहे थे। सब मलकर सुखच5द पर दबाव बनाने लगे 'क वह सादे कागज पर अंगूठा लगा दे । इसी बीच सुखच5द के गांव का एक दब ु ला पतला रQव5दतेग ना जाने कैसे पहुंच गया पर वह भी गK ु डा ह था।सख ु च5द को दे खकर वह बोला Dय; सख ु च5द इस मKडल म- कब से आ गये। सुखच5द-बाबू पकड़ कर लाया गया हूं। रQव5sतेग-Dय;․․․․․․․․․․․? बेBहचक बताओ ये लोग अपने ह है ।


सुखच5द-एक सांस म- सब कह सुनाया। रQव5sतेग-धूपच5द क1 अंगल ु उठाते हुए बोला ये तो तO ु हारे बड़े भईयाF है ना। सुखच5द-हां पर अब तो दCु मन हो गये है ।द पच5द भईया क1 ह,या करवाकर । रQव5sतेग-धूपच5द तू इतना नीच कैसे हो गया रे । धूपच5द चुपचाप सुनता रहा। रQव5sतेग सुखच5द से पूछा- तुOहारे पास 'कराया भाड़ा है । सुखच5द-हां। रQव5sतेग-तुम यहां से तुर5त #नकल जाओ। इनको म_ दे ख लूंगा । सुखच5द जान बची लाखो पाये। सीधे बस अdडे क1 ओर भागा।घर आकर आप बीती लाजव5ती को सुनाया लाजव5ती बोल अब मत जाना कोटF और ना कुलनयन को भेजना। जेठजी खून के fयास हो गये है सौतेले दमाद भल ु ट ू े रा और समधी दध ू नाथ के बस म- आकर। आज तो रQव5sतेग पहुंच गये जान बच गयी कल Dया होगा। जमीन का मोह छोड◌़◌ो 'क%मत म- होगा तो कुलनयन क1 कमाई से धन दौलत जमीन जादाद से कुछ बन जायेगा। जान जोZखम म- मत डालो। लाजव5ती क1 बात सुखच5द मान गया। पूर जमीन के मा लक अब धूपच5द का सौतेले दमाद भुलूटेरा और समधी दध ू नाथ हो गये। धूपच5द नौकर से Sरटायर हो गया। पूर रकम भी सौतेले दमाद भुलूटेरा और समधी दध ू नाथ के हाथ लग गयी। दवा दाN के लये एक लाख Nपया धूपच5द के नाम से ब_क म- जमा करवा Bदया गया था। धूपच5द के Sरटायर होने के कुछ माह बाद लट ू व5ती को लकवा मार गया। वह तड़प-तड़प कर मर गयी। ना सौतेले दमाद भल ु ट ू े रा और समधी दध ू नाथ कोई काम ना आया जो हो सका 'करन और धप ू च5द 'कये। लट ू व5ती के 'Xया कमF म- भी BदDकते आयी तब जाकर धूपच5द क1 आंख खुल ।अब उसे सुखच5द अपना सगा Bदखने लगा था पर दध ू का जला छाछ भी फूंक कर पीता है । धूपच5द क1 सख ु च5द से नजद क1 क1 खबर लगते ह भुलूटेरा सुखच5द के घर म- भी Bह%सा लेने के लये कोटF कचहर कर Bदया पर गांव वाल; क1 मदद से उसक1 दाल ना गल ।धूपच5द को सौतेले दमाद क1 करतूत- अब दख ु दायी लगने लगी थी। धूपच5द भी बीमार रहने लगा। वह भी लकवा का शकार हो गया। एक Bदन भल ु ट ू े रा इलाज करवाने के बहाने महमदपुर ले गया। मे]डकल %टोर से Xो सन क1 पता खर दकर धूपच5द को थमाते हुए बोला बाबू ब_क का काम करवा दे । धूपच5द-कौन सा काम ․․․․․? भुलूटेरा-ब_क चलोगे तो मालूम चल जायेगा। वह पैसा #नकलवाने वाले फामF पर जबFद%ती अगूठा लगवा लया ब_क म- जमा Nपया #नकाल कर वह सदर चला गया। धूपच5द को महमदपुर बाजार म- छोड़ Bदया। बड़ी मिु Cकल से लकवा`%त धूपच5द शाम तक अपने घर पहुंचा। 'करण आने प#त और ब?च; के साथ द ू हापुर रहने लगी थी । वह बाप क1 हालत दे खकर Qवलख पड़ी थी। वह तो बची थी जो बाप क1 सेवा करने के लये ब_क म- जमा धन क1 आस म- पर वह भी भुलूटेरा लूट ले गया। धपूच5द बीBटया को गले लगाकर रोते हुए बोला बीBटया अंधे क1 लाठ\ टूट गयी।


'करन बोल बापू तुOहार लाठ\ तो प?चीस बरस पहले टूट गयी थी बड़े बापू क1 ह,या क1 गयी थी। धूपच5द %वयं क1 बीBटया के मंह ु से ऐसी वाणी सन ु कर जीते जी मर गया था। वैसे वह तो अब रोज-रोज मर रहा था। 'करन से बोला बेट कुलनयन से मलवा दे ती। बाप क1 अि5तम इ?छा मानकर दरू के SरCतेदार से बा पके पैतक ृ गांव खौची संदेश भेजवा द ।सुखच5द भाई क1 लालसा जानकर बहुत खुश हुआ ।वह खुद भाई धूपच5द जो सांप से भी जहर ला था उससे मलने गया था और वादा करके आया 'क कुलयन के शहर से आने पर वह जNर मुलाकात के लये भेजेगा। कुलनयन,धूपच5द का बड़ा बेटा था जो पेट म- भूख आंख; म- सपना लेकर पढ़ाई कर शहर म- नौकर कर रहा था। दाN,गांजा भांग के शकार सख ु च5द क1 त बयत एक Bदन अचानक बगड़ गयी।छोटे भाईर् कुशनयन ने बाप क1 बीमार का तार मार Bदया। तार पाकर कुलनयन सपSरवा गांव पहुंच गया। बाप क1 इलाज करवाया। सुखच5द सfताह भर क1 इलाज के बाद चलने 'फरने लायक हो गये।कुलनयन शहर वापस जाने क1 तैयार करने लगा। उसके बाप सुखच5द बोले बेटा एक वचन मांगू दे सकोगे Dया․․․․․․․․․․․․? कुलनयन बोला-Qपताजी मांग कर तो दे Zखये। सख ु च5द-मझ ु े मालम ू है तू मेरा राम है ,लाख मस ु ीबत उठा लेगा पर दख तझ ु से बदाFCत नह ं होगा।बेटा शहर जाने से धूपच5द को दे ख आता बहुत बीमार है ।कौन जाने कब धरती से Qवदा ले ल- ।खन ू का SरCता है ।ठ\क बेईमान 'कये है ,उसका फल तो भगवान दे रहा है । दे खकर शाम तक वापस आ जाना। कुलनयन बाप क1 इ?छा को पूरा करने के लये द ू हापुर गया।वह कुलनयन को दे खकर 3च लाकर रो पड़ा।कुलनयन बड़े बापू धप ू च5द का हौशला बढाते हुए बोला बापू 3च5ता ना करो हम लोग तो है ना भले ह तुOहार थाती तुOहारे अपनो ने लूट लया। धूपच5द बोल -बेटा बहुत बड़ा अपराध मझ ु से हो गया। म_ बहकावे म- आ गया खन ू के SरCते के बीच दरार बन गयी ।बेटा तम ु लोग Bदन दन ु ी रात चौगन ु ी तरDक1 करो ,हमारे पास अब तो कुछ दे ने के लये बचा नह ं है ,बस दआ ु ये है । कुलनयन-बापूजी हम- धन दौलत क1 दरकार नह ं है ।दख ु इस बात का है 'क आपक1 थाती आपके वफादार दमाद भल ु ेटेरा ने लट ू लया। धूचप5द-कुलनयन का हाथ पकड़ते हुए बोला बेटा अब तुम लोग ह हमार थाती हो।धूपच5द क1 लाचार दे खकर कुलनयन बोला हां बापू अब यह मान लो।तम ु हमारे बा पके बड़े भाई हमारे बाप ह हो और अब हम तुOहार थाती। दो पये का चोर आजाद के बाद दबा-कुचला वगF पढ़ाई भी पढ़ाई को मह,व दे ने लगा तो था पर5तु NBढ़वाद Yयव%था इनके राह म- कांटे बो रह थी।काफ1 बरस के लOब- के संघषF के बाद #नOन वगF के ब?चे #नःसंकोच %कूल जाने लगे थे पर5तु सम%या ख,म नह ं हुई थी।इस वगF के ब?च; को %कूल का बा ट लोटा छूने क1 इजाजत नह ं थी। #नOन वगF के ब?चे fयासे ह रह जाते थे घर से पानी पीकर जाते थे और घर ह


आकर पानी पीते थे।इस cासद से अDसर ब?चे %कूल छोड़ दे ते थे पर5तु दख ु ीराम का बेटा नरे श मां बाप क1 िज लत भर िज5दगी को दे खकर उसने कसम खा लया था 'क वह %कूल क1 पढ़ाई पूर कर शहर जायेगा। कहते है ना BहOमते मरदा मरदे खुदा।उसके सामने कई मुिCकल आयी पर हार नह ं माना। उसके सामने कापी-'कताब क1 सम%या मुंह बाये खड़ी रहती थी। कहने को तो #नOन वगF के ब?च; को पढ़ाई के लये ो,साBहत करने के लये सरकार वजीफा क1 Yयव%था थी पर नरे श को नसीब नह ं हुई। गर बी के बोझ तले दबा वह दस ू र ◌ी जमात तो पास कर लया।तीसर जमात क1 पढ़ाई शुN हो गयी थी। कुछ पुरानी 'कताब %वजातीय छाc ने दयावश दे Bदया था िजससे उसके पास 'कताब का आं शक इ5तजाम हो गया था पर5तु कापी का इ5तजाम नह ं हो पा रहा था॥ उसके बाप को बेटे◌े क1 पढ़ाई पर नाज तो बहुत था पर उसक1 जNरत; को वह त#नक नह ं समझता था। नरे श के सु◌ुZखया मां और दख ु ीराम बाप दोन; जमींदार; के खेत म- मेहनत मजदरू करते थे कुछ उपाजFन होता गह ु ीराम ृ %थी क1 गाड़ी र- ग रह थी।दख जमीदार; क1 सोहAबत म- बचपन से था,Dय;'क आंख खल ु ते ह वह गांव के बड़े जमींदार का बंधुवा मजदरू बन गया था उसके बाप को गांव के कुछ जमींदार; ने मार-पीट कर उसक1 जमीन हड़प कर गांव से भगा Bदया Dय;'क दख ु ीराम का बाप सुखई त#नक अं`ेज अफसर; के साथ रहकर समझदार हो गया था। यह समझदार उसक1 दCु मन बन गयी थी। वह गांव से ऐसा भागा 'क कभी लौटकर नह ं आया।कहने को कुछ लोग तो कहते थे 'क वह दे श क1 आजाद के लये कुबाFन हो गया पर इसका कोई माण न था । बेबस और लाचार दख ु ीराम को जमीदार क1 हरवाह के अलावा और कोई चारा न था त#नक सरु @ा भी थी Dयो'क गांव के बड़े जमीदार का नौकर जो था। जमीदार के ब?च; को%कूल जाता दे खकर सु◌ुZखया और दख ु ीराम ने तय कर लया था 'क वे अपने ब?च; को %कूल भेज-गे ।हवेल म- कभी कभी जमींदार साहब क1 पढ◌़◌़◌ाई को लेकर ब?च; को द जा रह समझाईस दख ु ीराम के #तvा को और मजबूत कर दे ती थी। एक Bदन दख ु ीराम के कान म- वो बात पड़ गयी जो नह ं पड़नी थी। बात ये थी 'क गांव के कथावाचक नीम क1 छांव म- बछे तRत पर बैठे हुए थे। इतने म- दख ु ीराम कंधे पर हल और बैल; क1 जोड़ी खेत से लेकर आया। बैल; को खूंटे पर बांध कर हौद साफ करने म- जुट गया जो नीम से त#नक दरू थी। कथावाचक बोले बाबूसाहब तुOहारा मजदरू बहुत मेहनती है । दे खो कंधे पर से हल रखते ह हौद साफ करने म- जुट गया। जमींदार या#न बाबू साहब बोले बाबा हवेल के काम को अपना काम समझता है ,आंख भी तो सह मायने म- इसक1 हवेल म- खुल है । कथावाचक-फजF भी तो पूरा #नभा रहा है । बाबूसाहब-मेहनती है पर बेवकूफ है । कथावाचक-जातीय दोष है तभी तो बंधुवा मजदरू है पर सानी है । अपनी बात पर जान गंवा दे ते है ऐसे लोग।मा लक इनके लये भगवान होते ह_। बाबूसाहब-जमाना बदल रहा है ।मजदरू ; के लड़के %कूल जाने लगे है ,जब पढ़ लख जायेगे तो मजदरू ; के टोटे पड़ने लगेगे।


कथावाचक-बाबू दख ु ीराम जैसे अनपढ़ मजदरू ह मा लक; को सुख बदते है ।अनपढ़ और बेवकूफ मजदरू होने के बहुत फायदे है चाहे िजस काम म- लगा दो को हू बैल क1 तरह ।दख ु ीराम त#नक %कूल गया होता और समझदार होता तो इतनी वफादार करता। नह ं ना तब तो वह अपनेा लाभ हा#न के बारे म- सोचता। दे खना दख ु ीराम का लड़का हाथ से ना #नकल जाये।पढ़ने लखने लगेगा तो बाबूसाहब तुOहार हलवाह नह ं करे गा। ये बात खामोश ह दख ु ीराम के कान म- पड़ गयी। वह गु%से म- लाल तो हो गया। उसके मन म- तो आया इस कथावाचक को पटककर उसक1 छाती क1 हdडी तोड़ दे पर बाबू साहे ब क1 हवेल क1 शान जो थी वह कुछ नह ं बोला । Bदन भर खामोश रहा। कुछ नह ं बोला।हवेल से रात को जब घर से चला तो उसका मन बहुत बोZझल था। वह हवेल से कुछ दरू खड़े Qवशाल पेड़ को पकड़कर खूब रोया।अपनी #तvा को आंसू क1 घूंट Qपलाकर और मजबूत कर लया था ।दख ु ीराम मेहनती तो था पर मन का #नCचल और सीधा साधा भी था। उसे पढ़ाई के लये Dया लगता है पता तक ना था । उसक1 सोच थी 'क बस %कूल जाना से ह पढ़ाई हो जाती है ।उसने इतनी िजद जNर कर लया था 'क वह अपने बेटे को जमींदार के बेटे से अ3धक पढ़ा लखा बनाया। पढाई का खचF कैसे और कहां से आयेगा इसके बारे म- वह कभी ना सोचा । नरे श तीसर जमात म- पढ़ रहा था उसके पास कापी 'कताब न था । %याह -दवात दो चार आने क1 आ जाती थी तो मह ने चल जाती थी,इसक1 पू#तF मां सुZखया अनाज दे दे ती थी नरे श गु5नूसाहु क1 दक ु ान से खर द लेता था । खैर ग5 ु नू साहू बड़े सेठ थे। उनक1 दक ु ान म- 'कराना,कपड़ा %टे शनर का सामान भी मल जाता था बस पैसे होने चाBहये या ढे र सा अनाज। सZु खय के बार-बार कहने पर दख ु ीराम आठ आना या एक Nपया कापी 'कताब के लये दे दे ता था। इतने म- नरे श का काम चल जाता था।नरे श मां का प लू पकड़कर ह अपनी जNर बताता था । बाप से उसे डर लगता था। ले'कन दख ु ीराम नरे श मन लगाकर पढाई कर रहा है ,यह तो समझता था ले'कन 'कताब कापी के खचF के बारे म- कभी नह ं पूछा होगा। खैर बंधुवा मजदरू तो था ह जमींदार साहब ने उसे गांजा क1 लत लगा Bदये थे। चार आना दे दे ते कभी-कभी या एक 3चलम गांजा। दख ु ीराम गांजा क1 कश लगा लेता तो जमींदार साहब कहते दZु खया गांजा भगवान बोले का परसाद है ,इसको पीने से मन म- अचछे Qवचार आते है ।दख ु ीराम तो था ह मेहनतकश मन का स?चा जमींदार क1 बात; से इतना भाQवत हुआ 'क गांजा का द वाना हो गया। घर म- ब?चे भूखे सो जाये इसक1 परवाह उसे नह ं होती थी अगर उसे गांजा नह ं मला तो पूरा घर सर पर ले लेता था।हां उसे एक बाद नह ं भूलती थी क1 नरे श को जमींदार के बेटवा से अ3धक पढ़ाना है पर कापी 'कताब क1 'फX ना था। एक Bदन कापी न होने क1 वजह से नरे श को %कूल म- मुंशीजी क1 खूब डांट खानी पड़ी वह %कूल से रोनी सूरत बनाये घर आया,ब%ता रखा। मां ने रोट चटनी Bदया खाया पानी पीकर उठा। उसक1 खामोशी सुZखया ताड़कर बोल बेटा %कूल म- 'कसी लड़के से झगडा तो नह ं हो गयी। वह कुछ नह ं बोला। चुपचाप बकर चराने चला गया। अंधेरा होने के बाद वह वापस लौटा ।वह बकर बांध कर भ_स को चारा डाला और सलटू के साइ'कल SरDशा पर बैठ गया । सलटू लालगंज क%बा म- SरDशा चलाकर पSरवार का भरण पोषण करता था। क%बा से वापस लौटकर उसके घर पर खड़ा कर कोस भर दरू अपने घर पैदल ह जाता था। SरDशा पर वह बैठे बैठे कापी खर दने के उपाय सोचने लगा।कभी वह सोचता 'क उसके घर के सामने बन रह सड़क पर मजदरू कर कुछ पैसा कमा ले। 'फर उसके मन म- Qवचार आया Dय; न वह ट भटठे


पर काम कर कुछ पैसे जोड़,उसके हम उj ब%ती के कई लड़के तो काम करते है पढाई छोड़कर। उसे अपने बाप क1 #तvा याद आ गयी। उसे लगा 'क उसके बाप उसक1 टांग पकड़ कर नीम के चबूतरे पर पटक Bदये हो %कूल ना जाने क1 गु%ताखी म- ।वह बाप जो उसे %कूल भेजकर बे'फX हो गांजा के धुंआ मिज5दगी उड़ाये चले जा रहे थे। कई बार नरे श ने मना करने का यास भी 'कया था पर वे नह ं माने थे। कई बार तो गांजा दाN से तौबा करने क1 सीख पर उसक1 मां सZु खया को मारने को भी दौड़ाया था उसके बाप ने। कल क1 तो बात उसे याद आ गयी उसके बाप शाम को जब उसक1 नानी के घर से वापस आये थे तो कुताF #नकाल कर नरे श को घर म- खूंट पर टांगने को Bदया था कुताF के नीचे वाले पाकेट म- कुछ Nपया तो था पर उसने जांच पड़ताल नह ं 'कयश था । यह इकलौता कुताF दख ु ीराम जब कभी SरCतेदार जाता तो पहनता था बाक1 समय खूंट पर टं गा रहता। ब%ती से हवेल तक के काम म- तो लूंगी और ब#नयाइन काम आता थी इससे ^यादा क1 औकात भी ना थी।नरे श आने मां बाप क1 मजबूर समझता।जल ु ाई म- नरे श अपने बाप से कापी 'कताब खर दने के लये कहा था पर दख ु ीराम ने कहा था बकर बक जाने दो सब खर द लेना। 3चक बकर खर दने आया तो पता लगा 'क बकर गभFवती है , नह ं लया। बा पके पाकेट के पैसे जैसे उसे उकसा रहे हो 'क वह उनम- से कुछ पैसे लेकर प हना जाकर कम से कम कापी तो खर द ह सकता है । वह गदF न झटकते हुए उठा खूंट पर टं गे कुतl क1 ओर लपका 'फर Bठठक गया। सोचा घर म- चोर वह भी अपने बाप के पाकेट से।चोर करना तो अपराध है ,लत लग जाने पर बुरे रा%ते पर आदमी चल पड़ता है । 'फर उसके मन म- Qवचार आया Qपताजी तो हमार जNरत को समझते नह ।चलो हवेल से आये तो 'फर एक बार कापी के लये पैसा मांग लूंगा। वह अंगुल पर Bहसाब लगाने लगा,बारह आने का एक िज%ता कागज, चार आने क1 %याह ,%केल एक लाइन वाल कापी कुल डेढ Nपये क1 जNरत है इतने म- काम तो चल जायेगा। बाबू को समझा दं ग ू ा,कुताF क1 ओर बढ़ता हाथ पीछे खींच लया। भ_स और बकर को बरदौल म- बांधकर पढ़ने बैठ गया। दे र रात तक वह बाप क1 इंतजार म- बैठा रहा 'क वह BहOमत करके पैसे मांग लेगा। उनके पाकेट म- तो कल पैसा था पर दख ु ीराम नह ं नह ं आया। सुZखया रोट बनाकर रोज इंतजार करती थी। दे र रोत को उसे हवेल से छुWट मलती थीं। घर आते ह गांजा का धुआ गाल भर-भर उड़ाता इसके बाद खाना खाता कुछ बच जाता तो बेचार सZु खया खा लेती नह ं बचता तो पानी पीकर डंकार लेता और उसके बगल म- लेट जाती।आज भी ऐसे ह हुआ नेरश बैठा-बैठा सोने लगा,सZु खया अपने हाथो से नरे श को बड़ी मुिCकल से रोट Zखलाई थी।इसके बाद वह सो गया था। सब ु ह तो बाप से मुलाकात होना मुिCकल था Dय;'क सूरज उगने से पहले दख ु ीराम को हवेल पहुंचना ह होता था। दस ू रे Bदन नरे श %कूल आया और ब%ता रखा । उसके बाप का कुताF वह ं खंट ू पड़ा वह BहOमत करके बाप का थैला टटोलने लगा। उसे अपने बा पके थैले से दो-पांच के नोट,एक चव5नी दो पांच और बीस पैसे के कुछ सDके मले पर इन सDक; से उसका काम होने वाला नह ं था। वह ज द से दो Nपये का नोट नेकर के नाड़े म- डाल लया । दो Nपया का नोट बाप के थैले से #नकालने म- उसे दो Bदन लग गये थे। दो Nपया का चोरकर अपनी छोट बहन से बस5ती तू बकर संभाल लेना म_ प हना जा रहा हूं । बस5ती-प हना Dय; ? नरे श-कापी बनाने के लये कागज लाना है ।


बस5ती-पैसा कहां से मला । नरे श-%कूल से आ रहा था,खेत म- दो Nपये का नोट पड़ा था। इतने म- कापी का काम तो हो जायेगा। बस5ती-जा भईया ज द आना। नरे श गड़ार - सकंजा उठाया और प हना क1 ओर दौड़ पड़ा।प हना बाजार पहुंचने से पहले ह पकौड़ी क1 खूशबू उसके नथूने को भाने लगी था। भगवती माई के धाम के पहले गल म- तो कुछ ^यादा ह खूशबू आ रह था शायद आलू क1 Bट'कया छन रह था। गiद पर पालथी मारे बैठ\ कु5टल भर वजनी मोटू हलुवाई क1 औरत बोल अरे बाबू कहां जा रहे हो आओ ना Bट'कया खा लो । वह बोला नह ं काक1 पैसा नह ं है । सेठानी बोल थी बना पैसे के बाजार आये हो।नरे श उसक1 बात; को अनसन ु ा कर आगे भागा और पा हमेCवर पु%तक भKडार पर ह Nका। कागज,%याह ,प- सल एक Nपया बारह आने म- सब खर दा और वहां से सीधे घर क1 ओर गड़ार लेकर दौड़ पड़ा।बची चव5नी मां के हाथ पर रखते हुए बोला मां दो Nपया रा%ते म- 'कसी का 3गरा पड़ा मला था उससे कागज,%याह ,प- सल प हना से खर द लाया। सुZखय मां बोल -बेटा प हना गया था चार आने का खा लया होता। नरे श- मां तेरे हाथ का बना खाना खाने के बाद कुछ खाने का मन कर सकता है Dया ? सुZखया-बेटवा क1 बला उतारते हुए बोल बेटा म_ तेर मां हूं सब समझती ह ।हम गर ब है ,तर जNरत- नह ं पूर कर पा रहे है । तेरे बाप को हवेल से फुसFत नह ं दो सेर Bदन भर क1 मजदरू मलती है । सूरज उगने से पहले जाते है आधी रात को वापस आते है ।गम को हवा म- उड़ाने के लये गांजा का दामन थाम लये है । मना करने पर नह ं मानते। म_ समझती हूं ये जमींदार क1 सािजश है ,ता'क हम उनके बंधुआ मजदरू बने रहे । बेटा तू ह इस खानदान का 3चाराग है ,इस खानदान को तुOहे ह रोशन करना है ।मुसीबत; म- तू पल रहा है पर हार नह ं मनना,पढ़ाई से मुंह ना मोड़ना मुिCकल- और भी आयेगी। नरे श-हां मां जानता हूं तO ु हारा हाथ मेरे सर पर है मिु Cकल- हार जायेगी। मां का आश&वाद पाकर वह सफेद कागज से काQपयां बनाने बैठ गया। इसके बाद वह पढ़ाई करने म- जुट गया। काफ1 रात बत जाने के बाद दख ु ीराम हवेल से लौटा,नरे श को पढ़ता हुआ दे खकर बोला बेटवा आज सोया नह ं। सZु खया-बेटा को दो Nपया पNवा मला था उसी का कागज कलम खर द कर लाया है ,Qपछल पढ़ाई का काम पूरा कर रहा है ।खैर पढ़ाई का काम तुम Dया समझो। दख ु ीराम-ठ\क कह रह हो,%कूल का मंह ु दे खने का मौका ह नह ं मला तो Dया जानंग ू ा। चलो बेटवा क1 वजह से तम ु पढ़ाई Dया होती है जानने लगी। मझ ु ो QवCवास हो गया 'क अब बेटवा जमींदार के बेटा से आगे #नकल जायेगा। सZु खया-जमीदार के पास प?चीस एकड़ जमीन है ,करोड◌़◌ो◌ं Nपया ब_क म- जमा है ।सोना,चांद ,अपरOपार 3गि5नयां से #तजोर भर है एउनका मुकाबला कैसे कर सकते है ।


दZु खराम-भागवना हौशला तो बेटवा के पास है ।दे खना अपनी वचन जNर सह सा बत होगी। सZु खया-लगता है तO ु हारे सर भोलेबाबा चढ़ चुके है ।अब तम ु खाना खा लो सो जाओ सब ु ह काम पर जाना है ,^यादा मत बोलो। दख ु ीराम-तुमको ऐसा Dय; लगता है म- गांजे के नशे म- डूबा रहता हूं। सुZखया-Dय;'क घर आते समय तुमको एक 3चलम गांजा दे ते है बड़े जमीदार तुम और दस ू रे मजदरू ब#तया -ब#तया का गाल भर-भर धुआं उड़ाने के बाद घर आते हो।ये जमीदार क1 चाल है तुम लोग नह ं समझते हो। 3चलम भर गांजे के लये जमींदार के आगे पीछे दम ु Bहलाते रहते हो । अरे जमीदार इतने मददगार है तो गांज क1 क1मत शाम को आते तO ु हारे हाथ पर रख दे ते तम ु उसका नन ू -तेल लेकर आते तो समझती 'क जमीदार साहब बड़े हमददF है । दख ु ीराम-दो रोट दोगी या ताने से पेट भरोगी। सुZखया-Qपछले ज5म के 'कये पाप का दख ु अब भोग रह हूं अब और पाप ना बाबा ना तुम तो खा लो।जा बेटवा तू भी अब सो जा। नरे श-हां मां। दख ु ीराम खाना खाने के बाद खराFटे मारने लगा।सZु खया चू ह चौका का काम #नपटाकर दख ु ीराम के बगल म- लेट गयी। दख ु ीराम का पSरवार दख ु के दलदल म- फंसा रहा,दख ु ख,म होने का नाम नह ं ले रहा था पर हौशला क1 कमी नह ं थी। नरे श पांचवी क@ा अYवल दजl से पास कर गया। यह खबर हवेल के लये मातम से कम न था 'फर Dया पर @ा पास करने का सल सला जार हो गया। श@ा के इस महायv मसरकार छाcव#ृ त क1 बड़ी भू मका रह ।अ5ततःनरे श बी․ए․ और एम․ए․क1 पर @ा भी पास कर गया। जीमदार साहब ने अपने बेटे को बी․ए․क1 ]ड`ी खर द लाये थे इसी ]ड`ी के भरोसे उं च सरकार ओहदा भी लट ू लये था पर नरे श को सरकार नौकर नह ं मल सक1 Dय;'क नौकर खर दने के लये उसके पास दौलत और ना पहुंच थी। वह शहर म- बाप के मान-सOमान और उसके वचन को पूरा करने के लये शहर म- छोट मोट नौकर करते हुए भी पी․एच․डी․क1 ]ड`ी तक हा शल कर लया था।दख ु ीराम बड़े गवF से कहता बेटवा मेर कसम पूर कर Bदया। लोग कहते जमींदार के बेटे जैसी नौकर तो नह ं मल ।वह कहता यह जातीय अ भशाप और सरकार खा मय; का #तफल है पर मेरे बेटवा ने मुझे वह खुशी द है िजसे द#ु नया क1 कोई दौलत नह ं दे सकती।बाप क1 खश ु ी को दे खकर नरे श दख ु ीराम का पांव पकड़कर बोला Qपताजी माफ करना। दख ु ीराम-'कस लये। बेटा तुमने तो मेरा जीवन ध5य बना Bदया माफ1 कैसी। माफ1 तो मुझे मांगनी चाBहये म_ तम ु को कोई सख ु -सQु वधा नह ं दे पाया तू जा#तवाद और गर बी का जहर पीते हुए भी वह कर Bदखाया जो गांव के बड़े-बड़े जमीदार के बेट न कर पाये। नरे श- Qपताजी गलती का बोझ मेर छाती पर भार पड़ने गला है ।


दख ु ीराम-कैसी गलती बेटवा। नरे श-Qपताजी दो Nपय का चोर आपके सामने खड़ा है । सुZखया बोल -चव5नी मेरे हाथ पर रखा था एक Nपया बारह आने म- कागज,पे संल।बेटवा वा चेार नह ।दख ु ीराम बेटवा म_ भी जानता हूं तेरा बाप जो हूं कहते दख ु ीराम ने नरे श को गले लगा लया। मां सZु खया और बाप दख ु ीराम के ह नह ं वहां उपि%थत लोग; के आंख; से भी गंगा जमन ु ा #नकल पड़ी थी। जो,खम खेत क1 फसले ख लहान आकर 'कसान; का वैभव बढ़ा रह थी,मड़ाई का काम भी तेजी से चल रहा था,ख लहाल कारखाने का Nf घारण कर चुके थे। खाल खेत पीताOबर %वZणFम काया धारण 'कये सूरज दे वता को जैसे उकसा रहे थे। सूरज दे वता भी भरपूर तपन का ताKडव ,यारोQपत करने म- त#नक Bहच'कचा नह ं रहे थे।खेत क1 छाती से सूरज क1 तपन का घषFण होने पर खेत से जैसे अि:न ^व लत हो जा रहा थी पर5तु E मक वगF हौशले के अCc-श%c तपन को नजरअ5दाज कर कमFपूजा म- लगा हुआ था। इसी बीच अचानक पिCचम क1 ओर से अंवारा बादल उठने लगे थे। कुछ ह दे र म- ये अंवारा बादल तपते हुए सूरज को जैसे ढ़क लये और ओले-तूफान के साथ कहर बनकर बरस पड़े थे। भुदेव अंवारा बादल; के कहर को जैसे अपनी छाती पर हुआ हार महसूस कर रहे थे।इसी बीच धनादे व भुदेव के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला 'कस आ,म सव से गुजर रहे हो मcवर। भुदेव-अंवारा बादल; के कहर ने 'कसान; के धन-मन और तन क1 हाड़फोड मेहनत से उपजी फसल को ले डूबा Dया यह आ,म सव से कम है ? धनादे व-वह तो है । इसी लये तो कहते है 'कसान सबसे बड़ा जुआड़ी होता है ।यह जुआड़ीपना 'कसान को भगवान समतु य खड़ा कर दे ता है । मcवर तुम जैसे आ,म सव म- जीने वाल; को समय के पुc के Nप म- काल के गाल पर जड़ दे ता है । भुदेव- मcवर कह तो ठ\क रहे हो पर5तु काशक आ,म सव से उपजी कृ#त के लये वैसे ह कहर सा बत हो रहे है जैसे खेत म- खड़ी फसल या ख लहान म- रखी फसल के लये असमय तूफान के साथ ओलाविृ Uट। धनादे व- मcवर म_ने तो सन ु ा है 'क कालजयी लेखक को काशक; ने नह ं बRशा उ5ह- कजाF लेकर पु%तक छापना पड़ा था। सच पु%तक का काशन जोZखम भरा काम है । बेचारा लेखक िजसे पागल क1 संvा द जाती है ।साल दर साल आ,म सव म- जीता है तब जाकर कृ#त आकार पाती है । इसके बाद उसे काशक नह ं मलता है । सर%वती और लyमी क1 बैर जग जाBहर है ,बेचारे लेखक के Zख%से म- तो छे द ह छे द होते है ।%वयं के बलबत ू े पु%तक छापने का जोZखम कैसे उठाये ? BहOमत कर उठा भी लया तो पु%तक; का Dया कर- ,उसे Qवतरक मलने से रहे । पहले काशक नह ं मले पु%तक छपने के बाद QवXेता नह ं मलते। उपहार म- अथवा #नःशु क पु%तक- दे ने पर कोई पढ़ता है या नह ं यह भी सु#निCचत नह ं Dय;'क पु%तक


को लेकर लेखक के कान दो मीठे बोल सुनने को तरस जाते है । नतीजा ये होता है 'क आ,म सव पीड़ा से उपजी कृ#तयां आलमार म- ब5द हो जाती है । भुदेव-सच पु%तक लखना आसान काम है पर पु%तक छपवाना बहुत मुिCकल काम है । धनादे व- मc तुOहार दो पु%तके तो छप चुक1 है । भुदेव-समाजेसवी सं%थाओं के सहयोग से। धनादे व-तुOहार पु%तक; को छापने के लये समाजेसवी सं%थाओं ने सहयोग Bदया पर काशक नह ं मले। सं%थाओं को तुOहार पु%तक- साBह,य एंव समाज के उपयोगी लगी होगी तभी तो सहयोग 'कया होगा । भद ु े व-यक1नन। सं%थाओं के #त#न3ध मKडल; ने जांचा,परखा तौला तब जाकर कर सहयोग Bदया,इसके बाद काशक छापने को तैयार तो हो रहे थे पर मोलभाव ऐसे कर रहे थे जैसे बकरकसाई। समाजेसवी सं%था से मल आ3थFक सहयोग रा श से तीन गुना और अ3धक रा श मांग रहे थे। धनादे व-Dय;․․․․․․․․․․․․․․․․? भुदेव-पु%तक छापने के लये और बेचकर अपनी #तजोर भरने के लये। धनादे व-राय ट नह ं दे रहे थे Dया ? भद ु े व-उ टे मझ ु से ह मांग रहे थे राय ट तो बहुत दरू क1 बात थी। धनादे व-पु%तक काशन के @ेc म- भी aUbाचार जड़ जमा चुका है । भुदेव-Dया कहोगे ? एक लेखक पु%तक लखने म- अपने जीवन का बस5त गंवा दे ता है ।आंख पर भार भरकम ऐनक लग जाता है ,कई सार बीमाSरय; का शकार हो जाता है । काशक ऐसा सलूक करते है । लेखक को राय ट दे ने क1 बजाय छापने के पैसे लेखक से मांग रहे है । लेखक पु%तक लख रहा है और उसी क1 छाती पर छपाई के खचl का भार डालकर काशक मौज कर रहा है । पु%तक QवXय से हुई आमदनी काशक क1 #तजोर म- चला जाता है ,लेखक क1 जेब म- तो वैसे ह कई छे द थे अब और अ3धक हो जाते है । धनादे व- मc मेर समझ से काश ह ऐसा ाणी है जो पाठक; से पु%तक; से दरू कर रहा है । तम ु पूछोगे कैसे,उससे पहले म- बता दे ता हूं। दे खो काशक लेखक; से कागज सहयोग के नाम पर दस से बीस हजार क1 मांग करता है । बात दस से प5sह हजार सहयोग रा श कुछ लेखक1य #तयां और दस #तशत राय ट म- पट जाता है ।राय ट तो सफF aम म- रखने का तर का है । लेखक1य #तयां जNर मल जाता है । इतनी रा श म- काशक महोदय 'कताब छाप लेते है । कुछ 'कताब; सरकार सं%थान; को बेच दे ते है । इस धंधे म- काशक को ह मुनाफा होना है । 'कताब- इतनी महं गी होती है 'क आम पाठक खर द भी नह ं पाता है । ये 'कताबे दस #तशत क1 छूट पर सरकार सं%थान; म- चल जाती है । इससे न तो पाठक को फायदा होता है ना साBह,य और ना साBह,यकार को, बस काशक अपने फायदे के लये ये सब करता है ।


यBद 'कताब; क1 क1मते कम होती और इन पु%तक; का चार सार होता तो पाठक; का Nझान पु%तक; से कम नह ं होता। बताओं सौ पेज क1 'कताब तीने सौ Nपये म- पाठक खर द सकेगा। मानता हूं महं गाई का जमाना ह_,aUbाचार भी है पर5तु इतनी क1मत बढ़ाना तो सीधे सीधे आम पाठक; को पु%तक; से दरू करना है । यह 'कताब- जोड़तोड कर सरकार सं%थान; तक पहुंच कर कैद हो जाती है । भुदेव- मc तुOहार बात म- स?चाई है ।हमार सरकार- भी साBह,य और साBह,यकार को कोई तव^ज; नह ं दे रह है । धनादे व-सरकार को चाBहये था 'क साBह,य और साBह,यकार; के उ,थान के लये क याणकार योजनायलाये।दे श के मुZखया राUb य पवF पर अपने उदबोधन; म- सiसाBह,य को भी शा मल कर- Dय; साBह,या समाज का दपFण है ।यह दपFण समाज क1 जड◌़◌ो◌ं का पोQषत करता है भुदेव-सच साBह,य ह तो ऐसा माqयम ह_ ज; र #त-Sरवाज,सं%कार,नै#तक दा#य,व,मान-सOमान पSरवार और दे श के मह,व,सामिजक सरोकार,भाषा vान-Qवvान ये सब vान तो पु%तक; से ह होता है पर इस ओर से सरकार और आधु#नक समाज का रवैया उदासीन हो गया है । धनादे व-सच कहा गया है जीवन म- बेहतर न जो कुछ होता है उसका रा%ता पु%तक; से होकर ह जाता है । दभ ु ाF:यवश आधु#नक युग म- साBह,य और साBह,यकार सािजश के शकार है । Dया जमाना है जीवन के मधुमास का सुख लूटा कर कायनात के लये सपने दे खने वाले साBह,यकार को सवपीड़ी से उपजी रचनाओं को पु%तक के Nप म- लाने के लये जोZखम उठाना पड़ता है ।बुरे Bदन; के लये सं3चत त#नक पूजीं अथाFत बुढ◌़◌ौती क1 लाठ\ काशक; क1 भ- ट चढ़ जाती है । भुदेव-दे खो धनादे व पु%तक काशन क1 जोZखम; को दे खकर म_न तौबा कर लया था ऐसा नह ं 'क सज ृ न से नाता तोड़ लया। सज ृ न कायF जार रहा और रचनाय- अ5तFजाल पर Aलाग पर का शत करता रहा। हाँ दो 'कताबे जNर दो सं%थाओं के आ3थFक सहयोग से छपी पर इन दोन; 'कताब; म- मझ ु े बीस हजार से उपर लगाना पड़ा था पर5तु आवक कुछ नह ं हुई । खुशी इस बात क1 रह 'क कुछ साBह,य े मय; को #नःशु क पु%तक- उपलAध कराता रहा । धनादे व-पु%तक अ?छे हाथ म- पहुंचाना भी बड़ी बात है । भुदेव-पु%तक तो इसी उOमीद के साथ दे ता रहा हूं 'क पुLतक लेने वाला पढ़े गा और #त'X् रया दे गा।कुछ लोग दे ते भी है ।इससे हौशला बढ़ता है Zखने क1 उजाF मलती है और जोZखम उठाने क1 BहOमत भी होती है । धनादे व-दे खो मc पु%तक पढ़ने और अ5तFजाल पर पढ़ने म- अ5तर है ।अ5तFजाल पर पढ़ना कोई स%ता काम तो है नह ं।एक बार पु%तक खर द लये पढ◌़◌ो◌ं और दस ू रे को पढ़ने के लये दे दो।इ5टरनेट का भी बल आता है । भुदेव-इ5टरनेट पर पढ़ने वाल; क1 संRया अ3धक है ।नवोBदत रचनाकारो को तथाकथ#त बड़े और बुजुगF ठ\हे दार साBह,यकार जगह तो दे ते नह ं।मेरे साथ भी ऐसा ह हुआ।चाटुकाSरता करने क1 बजाय इ5टरनेट से


जुड़ गया,दे खो दे श-द#ु नया तक रचनाय- पहुंच रह है ।यहां कोई जाZखम भी नह ं है ।मुझे तो पाठक चाBहये वो मल रहे है । पैसा कामना अपना उदे Cय था नह ,लेखन कमF के माqयम से साBह,य और समाज सेवा करना का उदे Cय पूरा हो रहा है । धनादे व- मc जोZखम उठाओ। भद ु े व-दे खो मc मामल ू सा मल ु ािजम हूं,बड़ी र%साक%सी के साथ घर चल पा रहा है ।जोZखम उठाने मखतरा है । काशक ऐसा ाणी है उससे बच पाना कBठन है । धनादे व-अनुब5ध करवा लो,लेखक1य #त और कुछ राय ट तो मल ह जायेगी। भुदेव-को शश कर चुका हूं। धनादे व-Dया हुआ ? भद ु े व-िजसका डर था वह । धनादे वा-लेखक1य #त के साथ राय ट कम मल Dया ? भुदेव-राय ट क1 बात कर रहे हो,उ टे काशक कागज के पैसे के नाम पर प5sह हजार मांग रहा है । धनादे वा-मतलब द#ु नया को आंख दे ने वाला ठगी का शकार। भुदेव-स?चाई तो यह है । धनादे वा-यार शहर म- रोज तो नई 'कताब; के Qवमोचन हो रहे ◌े है उन लेखक; क1 'कताबे कैसे छप रह होगी। भद ु े व-दो तर के है । धनादे वा-कौन-कौन ? भुदेव-कुछ लेखक आ3थFक Nप से खब ू सOप5न होते है ,िज5हे पैसे क1 परवाह नह ं होती। राय ट मल गयी तो ठ\क नह ं मल तो भी ठ\क। वे 'कताब- सZु खयां पाने के लये लखते है और पैसा दे कर 'कताब छपवाते रहते है ।बढ़-चढ़कर Qवमोचन करवाते है और खचF भी करते है ।बस उनको नाम से मतलब होता है । दस ू रे वे लेखक जो सoी पा चुके होते है येनकेन कारे ण। ऐसे लेखक; 'क प% ु तक- काशक छापने म%वयं का गौरव समझते है Dयो'क सरकार खैरात Bदलान- म- पहुंच वाले लोग मददगार सा बत होते है । रह बात आम लेखक क1 जो पेट म- भूख Bदल पर 3च5ता का बोझ लेकर समाज और दे श के Bहत म- जीता और कलम #घसता है ,ऐसे फटे हाल लेखक को कौन पूछेगा। बेचारे 'क पाKड लQपयां रखी-रखी चूंहे कुतर जाते है ।ऐसे लेखक क1 'कताब छप नह ं पाती है अगर छप गयी तो झKडा गाड़ दे ती है । मc पैसा का


काम तो पैसा से ह होता है ,पैसे क1 कमी क1 वजह से उ,तम लेखक क1 उ,तम कृ#त समाज के सामने नह ं आ पाती। धनादे व-खैर धांधलेबाजी तो नीचे से उपर तक है ।रं ग बदलते युग म- कई और साधन आ गये है िजससे पु%तक; का काशन आसान हो गया है । भद ु े व-ई बुक क1 बात कर रहे हो।यहां भी खचाF है ,नवोBदत लेखक तो इसका फायदा उठा सकते है पर पुरानी पीढ◌़◌ी के लेखक Dया कर- गे।छपी पु%तक का जो मह,व है । ई बुक का नह ं हो सकता।रचना साम`ी टाइप करवाना कम खच&ला तो है नह ं प5sह से बीस Nपया पेज लग रहा है । सौ पेज क1 पु%तक पर टाइप का खचF ह दो हजार आ गया।बेचारा आम लेखक पSरवार पाले या 'कताब छपवाये इसी कCमकश म- चfपले #घस जा रह है । धनादे व- मc ई बुक रचना को कालजयी बना दे ती है । भद ु े व-मानता हूं पर पैसा भी तो चाBहये।दे श और समाज के लये लखने वाले आम लेखक के पास इताना Nपया कहा ? धनादे व- काशक; के भी Bदन लदे गे । सन ु ा है कुछ ई काशक आम लेखक; क1 पहचान सr ु ढ़ करने के उदे Cय से सामने आ रहे है ।वे पु%तके #नः श ु क छापेगे।ई पु%तक; के लेखको रायलट भी दे गे। भुदेव-यहां भी वह वाले लोग लाभ उठा पायेगे जो सOप5न होगे या तकनीक1 जानकार। धनादे व-तुOहार 'कताब क1 बात आगे बढ◌़◌ी क1 नह ं । भद ु े व-ई बुक क1 तरफ मेरा भी झक ु ाव तो हो गया है । छपी पु%तक का कोई मक ु ाबला तो नह ं पर काशक लूटने पर लग जाये तो 'कताब- कैसे छपेगी। हारकर ई पु%तक; क1 ओर जाना होगा। धनादे व-'कताब; क1 क1मते दे खकर BहOमत छूट जाती है । 'कताब- तो काशक; के लये पैसा बनाने क1 मयशीन हो गयी है ।खासकर Bह5द पाठक; 'कताबे खर दने म- N3च नह ं रहती है ,इसके बाद भी 'कताब; क1 क1मत- आकाश छूयेगी तो ये पाठक कैसे 'कताब- खर दे गे जो खर दना भी चाह- गे वे मु◌ु◌ंह मोड़ लेगे। सच 'कताब; को पाठक; से दरू करने के िजOमेदार काशक है ◌ै। अ%सी पेज क1 'कताबे दो सौ बीस Nपये क1मत। कैसे पाठक BहOमत करे गा। काशक1 भी सOभवतः यह चाहते है Dय;'क वे सरकार पु%तकालय; के सुपुदF कुछ 'कताबे कर दे ते है ,लेखक से कागज के खचF के नाम पर पहले ह मोट राकम ऐंठ लये होते है । काशक का तो फायदा ह है । मारा तो लेखक गया, छः मह ना 'कताब लखने म- लगाया,उपर से छपाई म- सहयोग के नाम पर काश चमड़ी उधेड़ लया और 'कताब पाठक तक भी नह ं पहुंची । बेचारे लेखक का धन और Eम सब YयथF गया। खजाना भरा तो काशक का। भद ु े व-यह हो रहा है मेरे साथ भी। धनादे व-Dया․․․․․․․․․․․․․?


भुदेव--हां मc।अपजश काशक को मेरे पु%तक क1 पाKडु लQप बहुत पस5द आई। म_ पc लख- लखकर अनुब5ध क1 बात करता रहा वह टालता रहा। उसने पु%तक का ुफ भेज Bदया, बना 'कसी अनब ु ंध 'कये। इसके बाद उसके फोन आने लगे साहब बहुत महं गई है । कागज के खचF म- आपको मदद करना होगा।मै ना․․․․․․․․․ना․․․․करता रहा। धनादे व-राय ट क1 बात भी तुमने नह ं 'कया। भुदेव-वह तो बस फोन 'कये जा रहा था वह भी पैसा के लये। धनादे व-अपजश काशक ठग है Dया ․․․․? भुदेव-मुझे भी ऐसा ह लग रहा है । उसने बोला दस #तशत राल ट और 35 'कताब- दं ग ू ा पर आपको◌े प5sह हजार पु%तक छपाई म- लगने वाले कागज का खचF वहन करना होगा। मेर मती मार गयी थी घरवाल क1 इलाज के लये पैसे रखे थे 'कताब छपवाने क1 खुशी म- बावला हो गया था दे Bदया इसके बाद तो वह 3गर3गट क1 तरह रं ग बदल रहा है । धनादे व-Dय;․․? भुदेव-राय ट से मुकर रहा है । धनादे व-पैसे और पाKडु लQप वापस मांग लो । भुदेव-नह दे रहा है । कह रहा राय ट क1 कोई बात नह ं हुई थी।राय ट दं ग ू ा। मेर 'कताब और पैसे दोन; ठग अपजश काशक के पास फंस गये है ।कह रहा है पीडीएफ के पांच हजार काटकर वापस कNंगा।बताओं ऐसे काशक स%ती पु%तक- कैसे छापेगे जो साBह,य के दCु मन बन बैठे है और साBह,यकार का गला काटने पर जुटे हुए है । धनादे व-सच साBह,यकार के लये पु%तक छपवाना जोZखम भरा काम हो गया है । तO ु हारे Eम को दे खकर म_ नतम%तक तो था पर तO ु हारा ददF जानकार पलक- गील हो आयी।सBदय; से साBह,यकार समाज के #त दा#य,व #नभा रहा था अब वDत आ गया है समाज साBह,यकार के #त दा#य,व #नभाय- तभी साBह,य और साBह,यकार जीQवत रह सकते है । भद ु े व-काश समाज अपना दा#य,व #नभाता तो साBह,यकार को ददF भरे जीवन के साथ जोZखम म- नह ं जीना पड़ता। धनादे व-सच कुछ %वाथ& काशको ने साBह,यकार; के लये पु%तक काशन जोZखम भरा बना Bदया है । समाज के सजग हSरय; को साBह,य को समाज का दपFण बनाये रखने के लये अपने दा#य,व पर खरा उतरना होगा तभी सhयता,सं%कृ#त और परOपराय- एक पीढ से दस ू र पीढ सुरT@त ह%ता5तSरत होती रहे गी। साBह,य दपFण बना रहे गा। समाज को चाBहये वह अपने दा#य,व को पहचान ले वरना भारतीय सhय समाज सhयता और सं%कृ#त से दरू चला जायेगा जहां साBह,य को समाज का दपFण कहा जाता है ।


-ब/टया बड़ी हो गयी स◌ ू ूरज पूरब क1 ओर से मनमोहक ला लमा लये गांव क1 चौखट पर द%तक दे कर,शहर अपने अhयद ु य का अiभुद सुख दे ने को लाला#यत थे।इसी बीच पूरबी हवा ने मौसम शहद क1 मठास घोल द थी।इसी बीच नागेCवर के दरवाजे पर 'कसी के आने क1 आहट हुई। आहट सच म- तब बदल गयी जब कालबेल बज उठ\।दरवाजा खोलते ह पुNषो,तम गट हो गये और जोर से 3च लाया अरे यार कहां #छपा बैठा है ।अरे बाहर #नकल कर दे खता सूरज पूरब क1 ओर से Dया अiभुद सौ5दयF लेकर तुOहारे चौखट क1 ओर बढ़ रहे है । बढ़ नह ं रहे है आ गये है । गले लगाते हुए नरो,तम बोला। घर म- सब कुशल तो है ना। बBटयारानी,चमन और गगन कहां है । भाभी बेचार को तो क1चन से फुसFत नह ं Dय; भाभी साBहबा ? कामना-गह ृ %त नार के लये तो घर मंBदर है ।प#त परमेCवर पSरवार के सद%यगण दे वी दे वता। इनक1 तीमारदार हमारे लये पूजाकमF है । नरो,तम-घर क1 दग ु ाF,सर%वती और लyमी यह है इनके हवाले ये घर है साथी। खैर बताओ इतनी सब ु ह कैसे आना हुआ। पुNषो,तम-दे र से आता तो तू मलता Dया ? तू ह तो इकलौता नौकर करता है ।घड़ी क1 सुई दस पर खड़ी नी हुई तू दफतर के अ5दर बाक1 लोग बारह बजे आये एक बजे आये कोई पूछने वाला नह ं ।मेरा दो%त पांच मनट दे र से पहुंचा तो पहाड़ टूट पड़ा। नरो,तम-कहां था था जैसे साल; बाद मला हो। छोड़ यार Dया खास है कोई खुशखबर लेकर आया है । बBटया क1 शाद पDक1 हो गयी Dया ? हाँ तो बोल न ज द । पुNषो,तम-जबFद%ती हां बोलूं ।ऐसी कोई बात नह ं है । बBटया के Aयाह क1 3च5ता अभी से Dय; कNं। बBटया पढ़- लखकर अपने पांव पर खड़ी हो जायेगी तो Aयाह दे गे। अभी तो `ेजुएट भी नह ं हुई।बेट जज बनना चाहती है और हम भी उसके साथ है ।कुछ मह ने पहले तो घKट; ब#तयाये थे औत तम ु कह रहे हो साल; हो गये। खैर ये सब छोड़ कलावती बBटया कहां है ? साल; बाद घKटे भर के लये मला था 'फर ऐसे गायब हो गया जैसे गदहे के सरे सींग। बBटया Bद ल रहती है । Aयाह कर Bदया मझ ु े बुलाया भी नह ं । कैसी बात करता है यार नरो,तम बोला। Bद ल म- पढ़ाई कर रह है । यो:य वर मलते ह Aयाह भी कर दं ग ू ा और तुझे 5यौता भी दं ग ू ा।


म_ बBटया को बधाई दे ने आया था। कल उसक1 त%वीर अखबार म- छपी थी बेट इतनी बड़ी हो गयी म_ तो कल जान पाया । नरो,तम- बBटया 20 साल पहले इतनी बड़ी हो गया थी। इतना कहते ह नरो,तम क1 आंखे छलछला उठ\। पुNषो,तम-बीते को भूल Dयो नह ं जाता। भूलता नह ं कुछ । बीते हुए दख ु द पल समय-बेसमय मानस पटल पर छा जाते है । दहकते ददF पर सा5तवना क1 रे त जमाने के यास Qवफल हो जाते है । बताओं कैसे भूल सकता हूं उन न5ह- हाथ; क1 चांद जैसी रोट ।कलावती उj म- उतनी बड़ी तो नह ं थी पर मुसीबत सब कुछ सीखा दे ती है । डांDटर क1 लापरवाह से कामना का गलत आपरे शन हो जाने से जीवन नरक बन गया था।वह कई मह न; तक अ%पताल म- म,ृ यु से संघषF करती रह । बBटया को दे खकर हौशला बढ़ गया था। मुसीबत के समय बBटया इतनी बड़ी हो गयी 'क घर क1 िजOमेदार न5ह ं सी उj म- उठा ल थी। पुNषो,तम-यार ये सब तो कभी बताया नह ं। नरो,तम-हमार जान-पहचान को अभी साल भर नह ं हुए ह;गे। पुNषो,तम-बात तो सह ह_। नरो,तम-कामना अ%पताल म- थी म_ घर से ज द #नकलता था अ%पताल जाता था।अ%पताल से दफतर,दफतर से अ%पताल 'फर घर आता था। खाना बनाता, ब?च; Zखलाता न5ह- -55ह- ब?च; को घर मछोड़कर अ%पताल जाता।ब?चे सोये ह रहते तब तक अ%पताल से आ जाता। पुNषो,तम-इतनी मस ु ीबत तम ु ने उठाया अकेले । नरो,तम-मुसीबत का ददF तो अकेले झेलना पड़ता है ।गगन दो साल का रहा होगा,मेरे गदF न म- हाथ डालकर सोता था। पुNषो,तम-Dय; ․․․․․․․? नरो,तम-रात म- म_ अ%पताल चला जाता था,कामना क1 दे खरे ख के लये। जब चमन क1 नींद खुलती थी तो रोने लगता था। बेचार चOमच से दध ू पीलाती जब-जब चमन रोता। कलावती,चमन म- ^यादा से ^यादा आठ साल का और कलावती :यारह के आसपास क1 थी। सबसे छोटा गगन था। कभी कभी तो गगन को अ%पताल लेकर जाना पड़ता था। पुNषो,तम-बाप रे इतनी मस ु ीबत। तुOहार दा%तान सुनकर मुझे चDकर आने लगा। नरो,तम-मुसीबत का तफ ू ान था #नकल गया। पुNषो,तम-दो%त तुम संभल गये बड़ी बात है ।


नरो,तम-ठ\क कह रहे हो। मुझे सOभालने म- मेर बेट कलावती, चमन और गगन का बड़ा योगदान है । चमन तो सबसे छोटा था पर सब समझता था।जब अ%पताल जाता तो मां का सर खुजलाता जैसे कहता हो हौशला रखो मOमी ठ\क हो जाओगी।एक Bदन मुझे आने म- दे र हो गयी। अ%पताल म- कामना क1 त बयत बहुत बगड़ गयी थी। डाDटर; ने इतना कह Bदया था 'क आज क1 रात पार कर गयी तो बच जायेगी। ऐसी ि%थ#त थी म_एक नेपाल नसF के उपर छोडकर घर आया तो दे खा 'क․․․․․․ पुNषो,तम-Dया दे खा ? नरारे ,तम-बात पूर नह ं हुई दो%त। कलावती पीढ़ा पर खड़ी होकर रोट बेल रह थी गगन लोई बना रहा था,अबोध चमन गैस पाइप पकड़ कर हं स रहा था।संयोग से म_ आ गया था।rCय दे खकर आंस #नकल पड़े चमन को गोद उठाया तो गैस क1 बदबू नाक को छू गयी थी। सोच कर मेरे र;गटे खड़े हो गये थे। कलावती और गगन रोट बनाने म- इतने मशगूल थे 'क चमन गैस का पाइप Bहला रहा,इससे गैसे भी ल केज होने लगी थी। ब?च; को दरू हटाया गैसे ब5द 'कया 'फर कसकर लगाकर रोट बनाने के लये बेलन थामा तो बेट कलावती ने हाथ पकड़कर बोल पापा पानी।मेर न5ह ं सी बBटया मुसीबत म- तपकर 'कतनी बड़ी होगी थी ।म_ आCचयF से कलावती को #नहारे जा रहा था। इतने म- गगन बोला पापा बैठ जाओ ना। चमन गोद से उतरकर पैKट पकड़ जैसे वह भी द द -भईया क1 बात; पर अपनी भी मह ु र लगा रहा हो।इतने म- पड◌़◌ोस वाल 3चतौले भाभी आ गयी थी। वे आते ह बोल Dय; बाप-बेट मौन खड़े हो। मै बोला था दे खो ना भाभी न5हक1 'कतनी बडी हो गयी। पुNषो,तम-मुसीबत के वDत म- न5हक1 बड़ी हो गयी थी। नरो,तम-खैर मुसीबत तो अपना पता नह ं भूल । पुNषो,तम-मतलब । नरो,तम-कामना साल; तक ब%तर से नह ं उठ पायी थी।'कलो दो 'कलो का सामान उठाना कामना के लये कUटकर था। यह ब?चे कामना क1 दे खभाल करते,%कूल जाते,होमवकF करते मलजुलकर चू ह-चौका भी सOभालते। बBटया मOमी जैसे Bट'फन दे ती थी उसी तरह उसी %वाद का लंच बBटया दे ने लगी थी। सच पN ु षो,तम मेर बBटया बचपन म- बड़ी हो गयी। अब तो सचमच ु बड़ी हो गयी है । मेरा नाम द#ु नया के कैनवास पर लख रह है । पुNषो,तम-काश कलावती ने तO ु हारे कुल का जहां रोशन कर द है । नरो,तम- ब कुल सह । बBटया हमारे %वा भमान क1 अ भवQृ o है । खैर ब?चो ने तकल फ भी बहुत उठाये है । पुNषो,तम-जब मां-बाप मस ु ीबत के सम5दर म- फंसे होगे तो औलाद; को तो तकल फ होगी है ।ऐसे मुसीबत क1 काल परछाई तुमने ब?च; पर पड़ने नह ं Bदया बहतु बड़ी उपलिAध है ।


नरो,तम-मुसीबत के माहौल म- पले-बढ़े । मेर भी नौकर का कोई भरोसा नह ं था,म_ जातीय अयो:यता क1 वजह से उ,पीड़न का शकार हो चुका था । अपने तो खैर कोई शहर म- थे नह ं । ये काम साद दरू गांव के सजातीय मल गये थे।उ5ह- और उनके पSरवार को अपना मानने लगा था पर वे भी दगा दे गये। ऐसी कुअनी#त चलने लगे थे 'क 'कराये का मकान मलना मुिCकल हो गया था । ये काम साद %वजातीय वह दस ू र ओर थे कफननाथ उ?चवZणFक तो थे पर मेरे चू हे क1 रसोई उ5हे बहुत भाती थी। उनके ब?चे मेरे ब?च; के साथ ऐसे रहते थे जैसे कोई सगे हो। पSरि%थ#तयां बदलते ह कफननाथ गोहुवन सांप हो गये। म_ और मेरा पSरवार उ5ह- अछूत लगने लगे। वो कहावत सह लगने लगी िजसम- कहा जाता है 'क उ?चवZणFक लोग #नOनवZणFक; का खून चूसते ह है ,दख ु म- हो तो 3गड़3गड़ाकर और सुख म- हो तो दबंगता Bदखाकर। वह हाल कफननाथ ने भी 'कया था । जब bा%फर होकर आये थे तो दफतर के लोग यू#नयन बना लये थे और उ5ह- अपने आसपास 'कराये का मकान न Bदलाने क1 कसम खा लये थे Dय;'क कफननाथ त,काल न बा्रंचहे ड के `प ु के न होकर Qवरोधी `प ु के थे।मह न; बाद मैने कफननाथ को मकान Bदलाया था। पSरि%थ#तयां बदलते ह ं उसी कफननाथ के लये म_ और मेरा पSरवार छोटे लोग हो गये। दो%त दै वीय पीड़ा के साथ मानवज#नत पीड़ा का जहर पीना पड़ा खैर आज भी बiसूरत जार है । पुNषो,तम-कफननाथ दो%त नह ं शकार था । नरो,तम-Qवभाग के लोग; को म_ फूट आंख नह ं भाता था,नतीजन 'कसी से कोई उOमीद करना खुद को धोखा दे ना था। Qवभाग के लोग; ने वह 'कया जैसे #तiव5द करता है । म_ #नरापद दै वीय दख ु के साथ दफतर के लोग; का उ,पीड़न झेलने को बेवस था Dयो'क उ5ह- लगता था 'क छोट जा#त के लोग तड़ना के अ3धकार होते है ।कामना क1 दयनीय दशा दफतर के लो◌ाग- के मुंहतोड़ जबाब दे ने क1 इजाजत नह ं दे ती थी Dयो'क नौकर जाने का खतरा था। इसी ददF क1 दSरया म- डूबता उ#तSरयाता दे खकर बेट समय के बहुत पहले बड़ी हो गयी। पुNषो,तम-वाकई बBटया बड़ी हो गयी। नरो,तम-बेट क1 पढ़ाई को लेकर आंधी-तफ ू ान चलते रहे ।दसवी पास करने के बाद मेरे Qपताजी को पोती का Aयाह दे खकर %वगF जाने क1 इ?छा तीg हो गयी थी। मेरे उपर से चारो तरफ से दबाव था। आ3थFक ि%थ#त दयनीय थी धमFप,नी खBटया पर थी।त#नक सयानी कलावती थी चमन त#नक समझदार हो गया था पर गगन ठ\क से चलना भी नह ं सीखा था।गांव म#नआडFर भेजना जNर था। पैसा नह भेज पाने क1 ि%थ#त म- QपताEी कुQपत हो जाते और दरवाजे के सामने नीम के चबूतरे पर बैठकर गाल दे ते।हर आने जाने वाले को बुलाकर मेर नालायक1 क1 दा%तान का जैसे स%वर पाठ करते थे। दख ु क1 दSरया म- गले भर डूबे होने के बावजद ू भी कोई हौशला अफजाई करने वाला नह ं था। खBटया पर पड़ी धमFप,नी,बेट कलावती, चमन और गगन यह मेरे दख ु के साथी और सहारे भी। मुसीबत के मारे ब?चे पेट म- भूख लये कालोनी के आसपास के मंBदरो क1 चौखट; पर कामना के ज द ठ\क होने के लये म5नते मांगते 'फरा करते थे। न5ह ं कलावती एक हाथ म- पूजा क1 थाल ,एक हाथ से गोद म- गगन को थामती और गगन द द के पीछे 3गरते संभलते तीन; भाई-बहन मंBदर जाते।इ5ह ब?च; क1 आराधना ने कामना को मौत के मुंह से खींचकर लायी। जब म_ ^यादा उदास होता तो कलावती पूछती पापा सर दख ु रहा है । सर पर तेल रखने के लये हाथ पकड़कर खBटया पर बैठा दे ती थी।वह दस ू र ओर कामना खBटया पर लेटे-लेटे पीठ पर


हाथ फेरने लगती थी। चमन था तो न5हा सा पर उसे भी भी मेर तकल फ; को एहसास था।ब?च; से Dया दख ु ब#तयाता बेचारे समझ जाते थे चमन पांव पकड़ दबाने लगता था। गगन और चमन सामने खड़े हो जाते थे इनको दे खकर 'फर नये जोश से घरमंBदर को संभालने म- जुट जाता था आज भी वह कर रहा है । मुसीबत के समय म- न5ह ं कलावती अ3धक समझदार हो गयी थी। बBटया कलावती मेरा सहारा भी बनी रह । पुNषो,,म-दो%त दख ु के Bदन बीत गये। कलावती सचमुच बड़ी हो गयी है । कामना भाभी जमीन पर लात मार चुक1 है । पSरि%थ#तयां बदल चुक1 है । नरो,तम-ठ\क कह रह हो पर Qवभाग म- आज भी दोयम दजl का आदमी हूं।मेर तरDक1 के सारे रा%ते ब5द हो चुके है सफF जातीय अयो:यता के कारण। मc जो है उसी म- स5तोष है 'कसी ने कहा है धमFप,नी,भोजन और सOप#त जो हो उसी म- स5तोष करना चाBहये वह कर रहा है । स5तोष का ह तो #तफल है बेट बड़ी हो गयी है ।द#ु नया के कैनवास को अपने मनो3चcो से अलंकृत कर ह है । पुNषो,,म-दो%त सोना तपकर ह यौवन पाता है । नरो,तम-ठ\क कह रहे हो पर दै Qवक तापा के समय इंसान कांटे बोने लगे तो संघषFरत ् कमजोर आदमी आदमी जीते जी मर जाता है । धमFप,नी मौत के मह ुं से बाहर आयी तो ब?च; क1 तप%या क1 वजह से। कोई आदमी साथ नह ं खड़ा हुआ। Qवभाग के एस․एस․शेखववाल,मैनेजर शासन ने तो हमारे Zखलाफ जांच बठा Bदये थे । पुNषो,,म-Dय;․․․․․․․․? नरो,तम-3च'क,सा सहायता के नाम से मलने वाल सरकार मदद वे ब5द करवाना चाहते थे ता'क मेर प,नी मर जाये म_ पागल होकर नौकर छोडं द।ू मेरे ब?चे बेसहारा हो जाये शयद इसी लये मेर प,नी क1 बीमार झूठ\ लगती थी।उसक1 बीमार पर हो रहा खचाF फज&। पुNषो,,म-एस․एस․शेखववाल आदमी था 'क रा@स ? नरो,तम-मेरा दभ ु ाF:य ह रहा 'क ऐसे रा@स; के बीच मेरे जीवन का मधुमास तबाह हो गया-चाहे डां․वी․पी․शेर रहे ,चाहे डां․ए․पी․शेर,डी․पी․शेर चाहे दस ू रे शोषक समाज के खन ू पीकर शासन करने वाले अ3धकार । दो%त फकF ह_ मेर न5ह इतनी बड़ा हो गयी थी 'क म_ संभलता चला गया। पुNषो,,म-सच यार तO ु ह- तो दै Qवक तापा से पीड़ा तो इंसान के Nप रा@स; ने Bदया है । रह मदास ने लखा है -रBहमन Qवपदा हूं भल जो थोडे◌़ Bदन होय․․․․․․․․․․․․․․तO ु हार Qवपदा तो आदमी ने ख,म नह ं होने Bदया। मc ईCवर ने तुOह- वो ईनाम बRशा है जो बड़े-बडे◌़ धनासेठो, बड़े-बडे शोषक समाज के ओहदे दार; को कभी नसीब नह ं हो सकता।


नरो,तम-इसी भरोसे िज5दा हूं दो%त वरना ये शोषक समाज के लोग जीने कहा दे ते । खैर अपनी ओर से यास भी बहुत 'कये। कहते है ना खुदा मेहरबान तो गदहा पहलवान। खुदा क1 मेहरबानी है वरना हम तो राख हो गये होते। पुNषो,,म-एक पुरानी कहावत याद आ रह है । कामना-भाई साहब कहानी कहते सन ु ते रहोगे 'क जलपान भी करोगे ? पुNषो,,म-जलपान भी कNंगा पर पहले कहावत सुनाकर । गगन-चलो सुना दो अंकल । पुNषो,,म-कहावत ह नह ं हक1कत भी है हाथी चलती है तो कु,ते भ|कते है । मc तम ु अपने पथ से Qवच लत नह ं हुए आज लोग तुOहार बBटया क1 नजीर दे ते नह ं थक रहे है चाहे तुOहारे Qवरोधी ह Dय; न हो। कामना-नाCता के fलेट क1 ओर इशारा करते हुए बोल भाई साहब ठKडा हो गया। पुNषो,तम-इस घर-मंBदर का ठKडा Dया बासी भी उ,तम रहे गा िजस घर म- कलावती जैसी बBटया हो चमन,गगन जैसे पुc और जैसे मां-बाप। कामना-हाँ भाई साहब ब?च; के पढ़ाने के लये और मेरे जीवन के लये कलावती के पापा ने सवF%व %वाहा कर Bदया।इनके तप%या का ह तो #तफल है 'क आज बBटया द#ु नयो के कैनवास पर अपनी 3च5तन क1 कंू ची चला रह है और चमन इंजी#नयSरंग क1 पढ़ाई पूर कर द#ु नया क1 दरू कम करने म- जट ु गया है ।भगवान ने चाहा तो गगन पढ़ाई पूर कर मानवसेवा म- लग जायेगा। यह कलावती के पापा क1 आस रह गयी है । पुNषो,तम-आस भगवान जी जNर पपूर करे ग-। भाभी नरो,तम ने %वाहा नह ं गह ृ %ती के यv को सफल बनाने के लये ,याग जNर होता है , वह नरो,तम ने 'कया। ऐसा ,याग हर इंसान के बूते क1 बात नह । इसी ,याग का #तफल है 'क मुिCकल- खड़ी करने वाले लोग धूल चाटते रह गये। बBटया इतनी बड़ी हो गयी 'क हमारा सीना गवF से चौड़ा हो जाता है । नरो,तम- बBटया को बचपन म- मस ु ीबत; का सामना करना,दख ु ी क1 पीड़ा म- तपकर बBटया बड़ी हुई इस दख ु से म_ नह ं उबर सकंू गा पर बBटया बड़ा होकर इतनी बड़ी हो गयी 'क मेरे सारे दख ु बोने हो चुके है । पुNषो,तम-सचमच ु बेBटयां बहुत बड़ी होती है बस उ5ह- उनके Bह%से का आसमान मल जाये तो वे आसामन से उपर जा सकती है जैसे कलावती बBटया बड़ी हो गयी। छोटे लोग


नयनलाल के बी․ए․पास करते ह उसके मांता-Qपता क1 आंख; म- चमक आ गयी। उ5ह- लगने लगा था 'क जीवन का मधुमास जो पतझड़ म- बदल गया था,नयनलाल को सरकार नौकर मलते ह घर-मंBदर ममधुमास लौट आयेगा। खैर हर माँ-बाप को अपनी औलाद से ऐसी ह उOमीद होती है । मां-बाप को अपनी औलाद को लेकर सपने बुनना भी चाBहये पर5तु उनके सपन; का आकस मक मानवीय सोच क1 दघ F ना के ु ट शकार न हो। भारतीय Yयव%था म- ऐसी आकस मक दघ F नाय- आम है जो अDसर हा शये के लोग; के ु ट साथ अDसर हो ह जाती है । कभी छोटे लोग के नाम पर,कभीं छोट जा#त के नाम पर कभी @ेc के नाम पर कभी ा5त के नाम पर 'कसी और नाम से। ऐसी ह दघ F ना नयनलाल के साथ हुई नतीजन उसके ु ट मां-बाप गण ु व5ती और हर लाल के सपन; का चकनाचूर होना था। नयनलाल को अभी नौकर ^वाइन 'कये च5द मह ने हुए ह थे। अधFशासक1य म ट नेशनल खेती Qवकास कOपनी म- आर@ण क1 Yयव%था लागू होने क1 सग ु बग ु ाहट शN ु हो गयी। ब5धन ने जा#त माण %तत ु करने क1 सच ू ना जार कर द थी। जा#त माण के सामने आते ह नयनलाल के कैSरअर क1 तबाह के षणय5c शN ु हो गये। खैर साम5तवाद सोच के ध#नखाओं ने आर@ण तो लागू नह ं होने Bदया। सरकार कानून ना जाने कहां खो गये पर छोटे लोग के नाम पर तथाक3थत उ?च वZणFक gांचहे ड आर․के․डंकना ने नयनलाल के उपर मुसीबत; के ओले अंवारा बादल; क1 बरसात के साथ 3गराने शुN कर Bदये थे जा#त माण पc दे खने के बाद। आर․के․डंकना बात-बात पर नयनलाल को दSु रयाना भी शुN कर Bदये थे। आर․के․डंकना Qवजय दध ु रF जो %टे टहे ड थे से कहते हुए सुने गये साहब कOपनी म- छोटे लोग आने लगे है ,कOपनी सरकार रवैये पर ना चलने लगे। Qवजय दध ु रF -अरे Dय; 3च5ता करते हो डंकन 'कसको छोटा बनाये रखना है 'कसको बड़ा बनाये रखना है ,ये हम- तय करना है और रच गये नयनलाल को छोटे बनाये रखने का षणय5c । उसक1 सी․आर․मqयम ग#त से खराब क1 जाने लगी थी जो उसे पदो5न#त से दरू रखने के लये काफ1 थी छोटा बनाये रखने के लये छोटे लोग के Zखलाफ।नयनलाल का सच भी डंकन साहब को झूठ लगता था,उसक1 तकल फ- उ5हबहाना लगती थी।नयनलाल को मलने वाल तनRवाह डंकना साहब को ^यादा लगती थी।नयनलाल के लये नौकर 'कसी सजा से कम नह ं लग रह थी। वह दस ू र ओर डंकन साहब के खास धनप#त जो नौकर के शुNआती दौर म- QवT@fत हो गया था। धनप#त भले ह पागल सर खे हो गया था अ#तसु5दर जीवनसं3गनी का साथ भी था।डंकन साहब क1 जी हजूर म- त#नक भी कोतहाई नह ं बरतता था। मदद के लये डंकन साहब भी रात-Qवरात उसके घर पहुंच जाते थे।डंकन साहब धनप#त क1 हर तरह से मदद करते थे आ3थFक लाभ भी खब ू पहुंचाते थे। दफतर के दस ू रे लोग डंकन साहब को नालायक लगते थे। डंकन साहब क1 कृपा धनप#त पर खब ू बरसती थी।दफतर के बड़े-बडे◌़ बुQoमान धनप#त के सामने बौने से हो गये थे। धनप#त का मोशन भी धड़ले से हो रहा था ।धनप#त के साथ के लोग प5sह साल Qपछड़ गये पर QवT@fत धनप#त सब का कान काट रहा था। ना जाने डंकना साहब को धनप#त से कौन लाभ मल रहा था िजसक1 वजह से डंकना साहब दस ू रे कमFचाSरय; क1 शकायत भी करने म- त#नक नह ं Bहचकते थे।जब-जब डंकना साहब का %थाना5तरण हुआ डंकना साहब ने धनप#तकुबेर का भी %थाना5तरण वह करवाया जहां वे %थाना5तSरत हुए। %टे टहे ड,Qवजय दध ु रF साहब के तो आर․के․डंकना साहब इतने खास थे 'क उनक1 इ?छा पू#तF के लये चांद भी धरती पर उतार लाये।इसके अलावा डंकना साहब म- कोई यो:यता नह ं थी।मामूल से `जुयेट थे अं`ेजी तो दरू Bह5द भी लखने म- इतने हाथ तंग थे 'क बड़े अफसर क1 तरह द%तRत कर लेते। Qवभाग म- दनादन तरDक1 क1 चोट पर चढ़ते जा रहे थे,उनसे वSरUठ #नOनवZणFक


ए․ए․qयान का तो कैSरअर ख,म हो गया था।वह हाल नयनलाल के साथ शN ु हो गया खैर नयनलाल तो मामूल से DलकF क1 नौकर पर लगा था पर वह जानता था 'क मामूल DलकF पर लगे यो:य लोग उ?च पद; पर जा सकते थे।कईय; को तो जनरल मैनेजर के पद से Sरटायर होते भी दे खा था। इसी उOमीद मनयनलाल आंसू से अपने कैSरअर का कैनवास रं गने का भरसक यास कर रहा था। अपने साथ हो रहे अ5याय के Zखलाफ अगर मंह ु खल ु ा तो नौकर जाने का खतरा भी था। %टे टहे ड,Qवजय दध ु रF साहब नयनलाल के गांव के पास के ह थे इसके बाद भी वे नयनलाल क1 परछा से भी नफरत करते थे। सुनने म- आता है 'क @ेcवाद भी aUbाचार का कारण बनता है पर5तु %टे टहे ड,Qवजय दध ु रF लक1र से हटकर फायदा पहुंचाने क1 बात तो दरू उसको हक; पर तलवार लटकाये रखते थे। %टे टहे ड,Qवजय दध ु रF के मातहत काम करने वाले अफसर ह नह ं चपरासी भी नयनलाल को दोयम दजl का आदमी ह समझते थे Dय;'क नयनलाल #नOनवZणFक जो था। %टे टहे ड,Qवजय दध ु रF के हाथ के नीचे शासन म- काम कर रहे एस․एस․चोरावत ने तो हद क1 कर Bदया था।नयनलाल क1 एल․ट ․सी का भग ु तान नह ं होने Bदया था। पुराना %कूटर खर दने के लये नयनलाल ने आवेदन लगाया था पर दो साल तक लोन पास नह ं होने Bदया था। %टे टहे ड,Qवजय दध ु रF और आर․के․डंकना साहब क1 सह पर एस․एस․चोरावत ने तो नयनलाल क1 प,नी के म]डकल; बल; क1 जांच करवाने के लये कमेट तक बैठवा Bदया था ।सांच को आंच कहां नयनलाल ने एक-एक खुराक दवाई का Bहसाब Bदया था । मुंह क1 खानी तो पड़ी थी पर जल हुई र%सी क1 तरह इनक1 ऐंठने नह ं गयी थी।म|के-बेम|के नयनलाल का अBहत म- तथाक3थत उ?च मान सकता वा%तव म- दोगल मान सकता के लोग जट ु े रहते थे। आर․के डंकना साहब ह;ठो पर म% ु कान लये हर साल मौ◌ैन क_ ची चलाये जा रहे थे और उपर बैठे %टे टहे ड,Qवजय दध ु रF अपनी मुहर लगाये जा रहे थे। नयनलाल को दफतर क1 सरकार सुQवधा भी उनक1 आंख; म- धंसने लगी थी।कहते छोटे लो◌ाग; क1 सरकार सुQवधाओं क1 लत लग रह है । चOबल संभाग क1 गम& आग म- आलू भुनने जैसा होती है ,ऐसी गम& म- सरकार दफतर का रो-रोकर चलने वाला पंखा भी नयनलाल क1 सीट से आर․के डंकना ने अपने तथाक3थत SरCतेदार के घर शफट करवा Bदये थे। नयनलाल क1 नाक से टपकता से उठा पसीना नख तक बहता रहता था ऐसी पSरि%थ#त म- काम थोपने का सल सला भी । एक कहावत है अगर बांस कमFचार को सुनते है तो कमFचार भी पूर ईमानदार बरतते है । यहां तो नयनलाल काम के #त समQपFत था पर दख ु म- था।बांस ह नह ं दफतर के दस ू रे लोग भी छोटे लोग कहकर उपहास करते,ईमानदार के साथ 'कये गये काम के बदले दKड मलता बेचारे #नरापद नयनलाल को।एक कहावत दबी जबान सुनने को और आती है बांस आ'फस का तनाव दरू कर सकते है ।सच भी है काम क1 अ3धकता से कमFचाSरय;म- होने वाले तनाव को बांस अपने सौOय और भावना,मक Yयवहार से काफ1 हद तक कम कर सकते है । इससे काम भी समय पर पूरा होजाता है । बांस भी पSरवार के मुZखया क1 तरह अपन,व क1 सौOयता भी Bदखा सकते है ।कमFचाSरय; के लये काम बोझ नह ं लगता।काम के #नपटान के लये कमFचाSरय; को अलग से समय क1 जNरत भी नह ं पड़ती।समय लेने का ता,पयF यह होता है 'क कमFचार बीमार होने क1 लOबी छुWट लेकर घर बैठ जाते ह_ िजससे कOपनी के काम म- बाधाय- आती है । काम समय से पूरा नह ं होता है ।यBद कमFचार %व%थ होता है और बांस पSरवार के मZु खया क1 तरह सौOयता के साथ काम लेता है तो कमFचार काम सह ढं ग से करता है और काम समय से पूF अथवा समय पर पूरा हो जाता है ।बांस बना 'कसी भेदभाव के कमFचवार के साथ पेश आता है तो कमFचार मे कम से कम छुBWटय; पर जाते है । ले'कन यह तभी सOभव है जब बांस कमFचार


क1 मनोदश समझे उसके Bहतो का qयान रखे और मानवता के #त ईमानदार बरतते हुए बना 'कसी जातीय भेदभाव के हर कमFचार से fयार से काम ले।नयनलाल पूर ईमानदार ,कतFYय#नUठा के साथ काम करता था पर5तु उसके साथ सभी अ3धकाSरय;-वी․पी․दध ु रF ,दे वे5s दध ु रF ,अवध दध ु रF ,आर․पी․दध ु रF ,कनक नाथ दध ु रF ,जगजीत दध ु रF ,दे वक1 और डंकना ने दोयम दजl का आदमी मानकर अ5याय ह 'कया। नयनलाल काम के बोझ से हमेश दबा रहता था,उसके जीवन का मधुमास इन अफसर; ने पतझड़ बना Bदया,उसके खल ु आंख; के सपने मारते रहे छोटे लोग कहकर।नयनलाल,उ?च शT@त और कतFYय#नUठ होने के बाद भी दिKडत 'कया जा रहा था। उसे अपरो@ Nप आ,मह,या करने तक को ह,तो,साBहत 'कया जाने लगा था। उसके आगे बढ़ने के रा%ते ब5द 'कये जाने का षणय5c जार था सफF जातीय अयो:यता क1 आड़ म- ।नयनलाल को हमेश तनाव म- रखा जाता था ता'क वह ह,तो,साBहत होकर नौर छोड़ दे या द#ु नया ।ढे र सार ख ू बय; के बाद भी नयनलाल को दKड मल रहा था।नयनलाल सं%थाBहत म- बड़ी ईमानदार से काम तो कर रहा था पर उसे दफतर म- घट ु न महसस ू हो रह थी। घट ु न म- काम करते हुए उसे कई बीमाSरय; ने घेर लया था। Qवभाग म- 'कसी का कभी नयनलाल को सहयोग नह ं मला पर5तु छोटे लोग के नाम पर उसक1 यो:यता का बला,कार कमFपूजा का चीरहरण जNर 'कया गया।नयनलाल क1 भावनाओं को समझना तो दरू उसक1 मेहनत क1 कमाई पर 3गo नजरे Bटक1 रहती थी।काम नयनलाल करता था,अ#तSरDत #तपू#तF ओवर टाइम धनप#तकुबेर और ऐसे दस ू रे लोग; के Bह%से चला जाता था। धनप#तकुबेर को तो तनRवाह से अ3धक दस ू र कमाई का लाभ मल जाता था।यह सब डंकना साहब क1 कृपाrिUट का #तफल था। हाँ नयनलाल पर तो हमेशा कोपrिUट बनी रहती थी बस छोटे लोग के नाम पर। डंकना साहब ने नयनलाल के साथ पशत ु ा तक का Yयवहार कर डाला,पहले उसक1 सीट पर चल रहे मSरयल पंखे को उठवा लये,'फर उसे खल ु े न5ह- से बरामदे म- टाइपराइटर दे कर बहSरया Bदया जहां झज ु सा दे ने वाल लू म- वह झुलसने को Qववश था। गम& क1 चKडता को दे खकर दफतर के लये सरकार खचl पर कुलर लगाने का बजट %वीकृत हुआ पर नयनलाल के लये आया कुलर आर․के․डंकना साहब अपने◌े घर उठवा ले गये ।धनप#तकुबेर के मुंह से जNर सन ु ने को मला था 'क छोटे लोग; को सरकार सुQवधा क1 लत लग जायेगी तो काम कौन करे गा। कहावत सुनने म- आती है कOपनी के नुकसान को कम करने और लाभ को बढाने म- बांस अहम ् भ ू मका #नभाता है वी․पी․दध ु रF ,दे वे5s दध ु रF ,अवध दध ु रF ,आर․पी․दध ु रF ,कनक नाथ दध ु रF ,जगजीत दध ु रF ,दे वक1 और आर․के डंकना जैसे अफसर सं%था,मानवसमाज,दे श और नवयुवक; के लये खतरा सा बत होते है । aUbाचार के जनक सा बत होते है । ऐसे लोग; को Dया कहा जा सकता है जातीयता को यो:यता मानकर शै@Zणक का बला,कार करते है सफF छोटे लोग के नाम पर। इस तरह के लोग ठ\क वैसे ह लगते है जैसे वामन जो चXवत& सjाट ब ल से छलकर उनका सवF%व ठग लया था। जातीय भेदभाव के नाम पर चेहरा बदलकर हा शये के आदमी अथवा छोटे लोग; क1 नसीब कैद करने वाले लोग आदमी के वेष म- नरQपशाच लगते है आज के Qवvान के यग ु म- भी।नयनलाल का भQवUय भेद के भंवर म- फंसा Bहचकोले खा रहा था इसी बीच उसे महा,मा ^यो#तराव फुले iवारा लZखत 'कताब गुलामी, मराठ\ का Bह5द भाषा5तर पढ़ने को मल गयी।यह पु%तक पढ़ ह रहा था 'क डाँ․रमा पांचाल iवारा सOपाBदत पु%तक स5धु सं%कृ#त के #नमFताओं के वंशज महाराजा बल हाथ लग गयी।इन पु%तक; का पढ़कर नयनलाल को वैBदककाल से वतFमान के षणय5तकाSरय; और उनके पाc; के Qवषय म- जानने और समझने का अवसर मला। इन पु%तक; से उसे vात हुआ 'क वह स5धु सhयता


के वंशावल से ह_,सच भी यह ह_। दे श क1 आाबाद के अ%सी #तशत लोग िज5ह- शोQषत वं3चत आBदवासी के नाम से जाना जाता है जो लोग Qवकास क1 लय आजाद दे श म- नह ं पकड़ पाये है ,षणय5c के शकार ह_, असल म- वे लोग छोटे लोग नह ं है । छोटे लोग तो वे है जो लोग खुद का बड़ा घोQषत कर,शोQषत-वं3चत समुदाय का हक हड़प रहे है । ऐसा ह तो आधु#नक वैvा#नक युग म- जहां दSू रय; क1 सीमाय- टूट चुक1 है पर5तु जातीय भेद क1 दSू रय; पर आंच तक नह ं आयी है िजसक1 वजह से नयनलाल और उस जैसे अन3गनत लोग; को आंसू से रोट गीला करना पड़ रहा था।नयनलाल उकदम आCव%त हो चुका था 'क वह और उसके लोग छोटे लोग नह ं हो सकते। नयनलाल के Yयवहार म- आयी पSरवतFन से Qवभाग म- जैसे खलबल मच गयी।उसको रोकेने के अपरो@ Nप से खब ू यास होने लगे थे। सी․आर․ तो पहले से शनै-शनै खराब क1 जा रह थी,उसके भQवUय पर का लख तो पोत द गयी थी।इसके बाद भी कई बार पदो5न#त के मौके भी आये वह कई अि:न पर @ायभी पास कर लया ले'कन पSरणाम उसके प@ म- कभी नह ं आया।वह ह,तो,साBहत होने क1 वजाय और उ,साBहत होता चला गया िजसका पSरणाम यह हुआ 'क सhय समाज के बीच उसक1 पहचान उभर कर आ गयी। सेवा म- उसके जीवन के प?चीस मधुमास पतझड़ म- बदल चुके थे पर उसके मन म- कल से आस थी जो कुस ु मत रहती थी। अरसे बाद उसे डी․पी․सी म- बुलाया गया पर इस बार भी पSरणाम मकोई बदलाव नह ं हुआ होता भी कैसे ययह तो महज खानापू#तF थी,उसक1 यो:यता पर एकबार 'फर अयो:यता क1 मुहर लग गयी।नयनलाल ने कमरकस लया और बोडF आफ डायरे Dटर को लZखत मअ5याय के Zखलाफ अज& लगा Bदया। खैर इस अज& से भी नयनलाल को कोई तरDक1 नह ं मल मलती भी कैसे सी․आर․जो खराब कर द गयी थी तरDक1 से दरू रखने के लये। अचनाक आर․के डंकना साहब के Qवदे श अqययन क1 मंजूर Qवभाग से मल गयी। उस डंकना साहब को जो लखने-पढ़ने से काफ1 दरू थे पर `ेजुयेट थे।Qवदे श म- जाकर Dया समझेगे,Dया बोलेगे।इस सम%या का समाधान डंकना साहब के एक भDत उदय के मि%तUक म- उपज गयी। खैर उस वDत गजनी QपDचर बनी तो नह ं थी शायद ऐसा कुछ उ5ह;ने 'कसी Qवदे शी QपDचर म- दे खा हो। गजनी के तजF पर जैसे नायक फोटो खींचकर को]डंग कर लेता है ।ठ\क वैसे ह आर․के․डंकना साहब के #तBदन के उपयोग हे तु डायलाग और लेDचर क1 मैनिु %Xपट तैयार क1 गयी थी।इस मैनुि%Xपट रचना म- नयनलाल भी सहभागी था।मैनुि%X् रपट तैयार करने म- सfताह भर लगे थे पर यह आय]डया कामयाब भी रह । डंकना साहब Bद ल %थान करने से नयनलाल से बोले-तुOहारा कोई काम तो नह ं है मुRयालय म- कोई काम हो तो बताओ दो Bदन Bद ल म- Nकना है ,तुOहारा काम करवा दं ग ू ा। नयनलाल-नह ं। डंकना साहब-माथा ठ;कते हुए बोले तुOहार पदो5न#त का मामला तो है Dय; नह ं कोई काम। नयनलाल-मेरा काम नह ं हो सकता। डंकना-म_ जा रहा हूं, शासन हे ड से बात कNंगा।


नयनलाल-म नह ं मन बोला अभी तक तो कg खोदते रहे एकदम से मेरे कैSरअर क1 3च5ता कैसे होने लगी। डंकना साहब-कुछ बोले । नयनलाल-नह ं साहब । धनप#तकुबेर-साहब आबे बढ़कर तुOहारा काम करवाने को कह रहे है ।तुम कह रहे हो नह ं होगा। डंकना साहब-तुमने अपनी पदो5न#त के Qवषय म- िजतने पता्रचार 'कयो हो सब पc; क1 एक-एक #त दे दो। तुOहार पदो5न#त जNर होगा।तुOहारे इतना यो:य दे श म- तो कोई नह ं है । नयनलाल को ना जाने Dय; दाल म- काला Dया पूर दाल काल लगने लगी थी।वह बोला हड़ताल आज है सभी दक ु ान- ब5द है । फोटोकापी नह ं हो पायेगी। बाद म- जब जायेगे तो दे दं ग ू ा। डंकना साहब-अभी दे दो। म_ वह करवाकर दे दं ग ू ा,तO ु हारे नाम से कोSरअर करवा दं ग ू ा। आZखरकार नयनलाल को सारा SरकाडF दे ना पड़ गया । दो मह ने क1 Qवदे श याcा के बाद डंकना साहब %वदे श लौटे थे और उनके दफतर आते ह नयनलाल द%तावेज के बारे म- जानकार चाहा तो फटे मुंह डंकना साहब का जबाब था यार तO ु हारे द%तावेज तो हे डआ'फस म- दे Bदया था जब'क सारे SरकाडF डंकना साहब नUट कर Bदये। मोशन तो दरू SरकाडF भी ख,म हो गये एक सािजश के तहत ् छोटे लो जानकर। नयनलाल बुदबुदाया छोटे लोग का भला कौन चाहे गे? नयनलाल को पदद लत बनाये रखने म- तथाक3थत उं चे दोगल मान सकता के लोग कामयाब रहे । नयनलाल ऐसी राह पर चल चुका था जहां से उसे न पीछे दे खना सOभव था और ना लौटना मुम'कन था। वह मानता था 'क वह संघषFरत ् जीवन Yयतीत कर रहा है ले'कन वह अपनी िजद पर अ]डग था। वह कहता जब तक मेरा अि%त,व है यास जार रखग ंू ा। एक उसका अथक यास कामयाब हुआ उसके 'कये गये परBहत के काम; क1 सवFc सराहना हुई। कलम के सपाह को पी․एच․डी․क1 उपा3ध दान कर QवCवQवiयालय ने सOमा#नत 'कया पर Qवभाग म- तरDक1 नह ं हुई । नयनलाल के कद क1 उं चाई दे खकर वी․पी․दध ु रF ,दे वे5s दध ु रF ,अवध दध ु रF ,आर․पी․दध ु रF ,कनक नाथ दध ु रF ,रणवीर दध ु रF ,दे वक1 और डंकना इतने बौने हो गये थे 'क नयनलाल से आंख मलाने म- नीचे◌े◌ं गड़ जाते थे। कमेर द#ु नया का आदमी छोटा नह ं हो सकता Dय;'क सज ृ न और Qवकास का आधार तो वह होता है ऐसे फSरCते छोटे लोग कैसे हो सकते है । नरQपशाच छोटे लोग तो वे होते है जो शोQषत-वं3चत,कमेर द#ु नया के लोग; खन ू पीते ह_। ॥ 2मवीर॥ खेवसीपुर वाल मह5थ नानी कहने को तो अनपढ़ थी। पराधीन भारत म- वे भारतीय समाज म- Yयाfत कुर #तय; के Zखलाफ मुBहम चला रखी थी। नाना कालूराम शवनरायनी परOपरा के बड़े मह5थ थे उ5हे लोग आदर के साथ नानाजी कहने लगे थे। शोQषत समाज के उ,थान के लये वे आजीवन संघषFरत रहे ।


उनके शUय; क1 संRया हजार; म- थी। उनके संदेशो पर अमल करने वाले कई लोग शैT@क और आ3थFक Qवकास क1 धारा से भी जुड़ रहे थे◌े। अचानक बड़े मह5थजी का दे वलोक गमन हो गया। मह5थजी के दे वलोक गमन के बाद उनक1 धमFप,नी मह5थदे वी ने उनक1 गiद संभाल ल जो बाद म- चलकर खेवसीपुर वाल मह5थ नानी के नाम से मशहूर हुई। मह5थ नानी नाना कालूराम के मशन को आगे बढ़ाने म- जुट गयी। वे अपने शUय; के साथ पुcवत ् Yयवहार करती वे अपने संदेश म- कहती ब?च; मन से ह न भावना को कोसो दरू रखो जा#तवाद एक aम है । कमजोर वगF का आदमी सािजश का शकार है ।हर आदमी मशूs वैCय,@cीय और gाहमण के गुण Qवiयमान होते है । एक वगF को अछूत मानकर उसका शोषण करना दै वीय स,ता के Zखलाफ है । ब?च; सदकमF क1 राह चलो जमाना तुमको एक Bदन सर पर बठायेगा। नानी का आqयाि,मक संदेश कई लोग; के जीवन बदल Bदये थे। भले ह नानी को अछूत वगF का होने के कारण चार- सार जो साधन उपलAध थे उनसे कोसो दरू थे पर पर उनके शUय; क1 संRया #नर5तर बढ़ती जा रह थी।खेवसीपुर वाल नानी क1 सoी #नOन वZणFक समाज म- खब ू थी पर कुछ उ?च वZणFक लोग भी नानी के मह5थई पर यक1न करने लगे थे। नानी के संदेश उनके घर-मंBदर से सैकड◌़◌ो◌ं कोस दरू से Eमवीर को खींच लाया। Eमवीर अंगे ्रज; के जमाने म- दस ू र जमात तक पढ़ लख गया। लखना पढ़ना उसे अ?छ\ तरह से आता था।अं`ेजो क1 गोदाम म- कामगार हो गया था। वह नानी क1 शरण म- पहुंचा। नानी ने उसे अ#त3थ दे वो भवः का सOमान करते हुए उ?च आसन पर बठाया। Eमवीर के माथे पर उदासी के मड़राते बादल दे खकर नानी बोल बेटा तO ु हार Dया परे शानी है । Eमवीर-म_ आपका शUय बनने क1 तम5ना लेकर कोस; दरू से आया हूं। नानी-बेटा मेरा शUय बनने के लये घर छोड़ने क1 जNरत नह ं है । घर-पSरवार के अपने दा#य,व; को #नभाते हुए भिDत परOपरा पर खरे उतर सकते हो। नानी ने उसके घर-पSरवार Bहत- मत के बारे मकुशलन @ेम पूछ\। प,नी, ब?च;-बुoायन,शरणायन,गीतायन,सं5qयान क1 जानकार ल । Eमवीर-मह5थ नानी को घर पSरवार के बारे म- Qव%तार से बताते हुए बोला मांता म_ आपक1 हर आvा का पालन कNंगा बस मुझे शUय बना ल िजये। नानी ने Eमवीर के कान म- बना 'कसी औपचाSरकता के गN ु -म5c फंू क Bदया था। Eमवीर द @ा लेकर अपने गांव लौट आया। नानी के संदेशो को दरू -दरू फैलाने म- जुट गया। बेटा बुoायन,शरणायन,बेट गीतायन और सं5qयान %कूल जाने लगे थे। Eमवीर भ_स को ह|द पर लगाकर नीम क1 छांव के नीचे खBटया पर बैठा ह था 'क गांव के जमींदार जो धान भी थे आ धमके। डनहे दे खकर Eमवीर खBटया से उठ खड़ा हो गया। धानजी बोले-अरे Eमवीर तुम लोग; को आर@ण Dया सरकार ने दे द तुम लोग हम जमीदार; के मुकाबले म- उतर आये।तुOहारे ब?चे तो %कूल जाने लगे है ,तुम तो अ`ेजी सरकार के दमाद थे तुOहार औलादे %वत5c दे श क1 दमाद हो जायेगी। तुम लोग; के लये जब से %कूल के दरवाजे खुले है तब से तो तम ु लोग सरकार बा्रहमण हो गये हो।


Eमवीर-माथे ठ;कते हुए बोला धानजी हमसे Dया ग% ु ताखी हो गयी 'क इतना तानामहना मार रहे है । धानजी-तम F ो से हो गयी कहते हो साइ'कल आगे बढ़ा Bदये। ु से Dया होगी ? हमसे हो गयी हमारे पूवज धानजी के जाने के बाद घKट; वह धान क1 बात पर Qवचार मंथन करता रहा पर मरम नह ं समझ पाया।घKट; बाद बात भेजे म- उतर तो वह जोर से 3च ला उठा अरे संqयायन क1 मां आज तो गजब हो गया धान जी अपनी ह नह ं पुरख; क1 गलती पर अफसोस जता गया। वह बोल हम लोग तो ठहरे सीधे-साध ये बाबू लोग ऐसे ह मीठ\ बोल-बोल कर हमार जड़ उखाड़ते रहे है । अब तो बाबू लोग; क1 बात पर QवCवास नह ं होता। Eमवीर-दे खो भागवान जमाना बदल गया है ,बाबूलोग भी बदल रहे ह_,सरे -राह ऐसी बात एक दबंग जमींदार के मुंह से #नकलना बदलाव क1 बयार है । संqयायन क1 मां बुQoमती बोल -यह लोग तो तुमको सरकार gाहमण,सरकार दमाद और बहुत कुछ कहकर अपमान करते है । Eमवीर-तुम Dया चाहती हो ब?च; को इंजी#नयर बनाकर म लb और दस ू र सरकार नौकर म- ना भेजूं। बुQoमती-म_ने तो मना नह ं 'कया पर मरे ब?चे सरकार दमाद नह ं बन-गे। Eमवीर-मतलब․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․? बुQoमती-मेरे बेट -बेटे बना-Sरजवlशन वाल नौकर म- जायेगे या तो․․․․․․․․․․․․ Eमवीर-या तो का मतलब ? बुQoमती-दे खो हमारे पुरख; क1 समझदार क1 वजह से अपनी जमीन बची है । तुम खेतीबार के काम के साथ राशन क1 दक ु ान भी चला रहे हो। तुOहारे Eम क1 बरDत क1 वजह से कोई कमी नह ं है ।Dय; न तम ु ब?च; के Yयापार के vान दे ते । अरे अपने समाज के लोग िजनके पास कोई आसरा नह ं ह_,उ5ह- सरकार नौकर करने दो। Eमवीर-बात तो Bदमाग झकझोरने वाल कर रह हो । मांता मह5थदे वी का आगमन होने वाला है ब?च; के सामने उनसे रायशम ु ार कर- गे। काश तO ु हारे जैसे सभी अपने वाले स@म लोग सोच लेते तो कम से कम हमारे शोQषत समाज के बहुत लोग; का उoार हो जाता। बुQoमती-बुo 'कसी वDत राजा थे,द#ु नया के Bहत के लये राजपाट और अपना पSरवार छोड़कर जंगल चले गये थे आज उ5ह- भगवान कहा जाता है ,उनक1 पूजा आराधना हो रह है ।अपने ब?चे भी तो बुoम ् शरणम ् ग?छा म का म5c बोलने लगे है । Eमवीर-ब?च; का भQवUय उ5ह- #निCचत करने दो।हम तो उनके पालक है । लालन-पालन,उनको उ3चत श@ा-द @ा दे ना अपना दा#य,व है ।


बुQoमती-अरे खेवसीपुर वाल मांताजी के शUय वह तो बड़ी ईमानदार से कर रहे हो। Eमवीर-ठ\क है मांताजी पर छोड़ दो। बुQoमती-चलो ब?च; को भख ू लग रह है खाना खा लो। Eमवीर-Dया ब?च; को भख ू लग रहे है हम है 'क गfपे लड़ा रहे है । रात म- ह तो पूरे पSरवार को एक साथ बैठकर खाने का म|का मलता है ।सब ु ह तो चारो ब?च; का %कूल कालेज जाने का अलग-अलग टाइम होता है ,वह हाल आने का भी। चलो खाना खा लेते है । गीतायन रोट तोड़ते हुए बोल मां बापू कौन सी गfप; क1 बात कर रहे थे। Eमवीर-लो मेर बात इनके कान तक पहुंच गयी। संqयायन-बापू कैसी बात करते हो आपक1 बात हमारे कोन; को नह ं छुयेगी ? बुQoमती-बेटा खाते समय बाते नह ं करते तुOहारे बापू कहते है ना । गीतायन-मां टाल रह हो। Eमवीर-टालने जैसी कोई बात नह ं है बेटा,मेर गुN मां का आगमन होने वाला है । बुoायन-कब खेवसीपुर वाल नानी मां के चरण; से हमारा घर ध5य होने वाला है । शरणायन-Dया․․․․․․․? हमारे घर नानी मां आ रह है । बुQoमती- हां बेटा। खाना खाओ।मांता अपने घर QवEाम करे गी। शरणायन-भईया ठ\क कह रहा है हमारा घर ध5य हो जायेगा,मह5थ नानी मां के पांव पड़ते ह । मह न; बाद नानी मां का आगमन Eमवीर के गांव म- हुआ सभी लोग नानीमां क1 आगवानी 'कये। नानीमां सfताह भर गांव म- Nक1 हर शाम उनका उपदे श होता नानीमां अ3धकतर श@ा,सामािजक समानता और दे श ेम के मुiदे पर Bदल को छू लेने वाल अमत ृ वचन सुनाती थी। नानीमां कहती थी सभी तरिDकय; क1 चाभी श@ा है । तरDक1 से दरू फ-क- गये लोग; को श@ा को ह3थयार बनाना चाBहये। बना श@ा के आदमी अपाBहज समान है ।सेठ-साहूकार; ने कमजोर तबके लोग; के अनपढ़ होने का भरपूर फासदा उठाया है । सौ Nपये के कजF दे कर हजार; पर अंगठ ू ा लगवा लेते थे । आज जब'क दे श को आजाद हुए प?चास साल हो गये इसके बाद भी अनपढ◌़◌ो◌ं के साथ हादशे हो रहे है । शT@त आदमी को हर जगह मानसOमान मलता है । लड़क; के साथस लड़'कय; को भी पढ़ाना जNर हो गया है । जब घर म- पढ◌़◌ी लखी बहू आयेगी तो ऐसी बहू आने से तरDक1 %वयं चलकर आयेगी।नानीमां श@ा पर बहुत जोर दे ती थी।बीचबीच म- Eमवीर के ब?च; का िजX भी कर दे ती थी Dय;'क Eमवीर का मानना था 'क ब?च; को Qवरासत म- धन नह ं श@ा,वह भी ऐसी श@ा दे नी चाBहये िजससे ब?चा अपने पांव पर खड़ा हो सके। नानीमां


अपने संदेश म- शUय Eमवीर का उदाहरण पेश करती थी।रQवदास और कबीर के दोह; से नानीमां अपना शUय; को संदेश दे ना ारOभ करती थी और अ5त भी। आZखर संदेश के बाद नानीमां क1 आंखे भर आयी थी।Eमवीर का गांव छोड़ते हुए अ5हे तकल फ तो हुई,गांव वाले भी उ5ह- नह ं दे ना जाना चाहते थे। नानीमां बोल शUय; जैसे पानी एक जगह Nक सड़ने लगता है वैसे ह साधु का जीवन होता है , भले ह म_ गह ृ %त हूं पर गहृ %ती का भार मेरे उपर नह ं है ,सब कुछ तीन; बेट; को स|प कर मह5थ का जीवन जी रह हूं। अब म_ संदेश दे कर चलते रहना म_ अपना कमF समझती हूं। नानीमां के QवEाम का इ5तजाम Eमवीर के आवास पर था।रात म- पSरवार के साथ Eमवीर घKट; ब#तयाता रहता था।अलसुबह नानीमां को %थान करना था । Eमवीर नानीमां से बोला नानीमां एक Cन मेरे Bदल म- मेरे ब?च; के भQवUय को लेकर है ,आvा दे तो पूछूं। नानीमां-Eमवीर के उपर मात,ृ व भरा हाथ फेरते हुए बोल पूछो बेटवा। Eमवीर गदगद होकर बोला नानी मां ब?च; के भQवUय म- असमंजस क1 ि%थ#त बनी हुई है । नानीमां-ब?च; को खद ु अपनी राह चुनने दो। Eमवीर-दोन; बेटे बोलते है नौकर नह ं करना है सरकार दमाद नह ं कहलाना है ।नानीमां ब?च; को इंजी#नयर बनाने का Dया फायदा। नानीमां-ब?चे Dया करना चाहते है । Eमवीर-दोन; नौकर करने क1 नह ं नौकर दे ने क1 बात करते है ।बेBटयां श@ा क1 मशाल जलाना चाहती है । नानीमां-ब?च; क1 तो बहुत उं ची सोच है Eमवीर बेटा। Eमवीर-नानीमां इतनी उं ची-उं ची श@ा लेकर ब?चे नौकर नह ं करने को कह रहे है ,आप कह रह है उं ची सोच है । ये कैसी सोच मां । नानीमां-ब?च; का सपना उiयोग लगाना है । Eमवीर-नानीमां उiया◌ोग खड़ा करने के लये तो बहुत रकम क1 जNरत होगी। म_ कोई उiयोगप#त खानदान का नह ,ठहरा #नOन वZणFक ब?च; का सपना कैसे पूरा कर सकंू गा। नानीमां-ब?च; क1 मंशा अ?छ\ है ,vान क1 पंूजी उनके पास है । जNर सफल होगे। तम ु उनका साथ दो। श@ा क1 पूंजी तुOहारे खानदान म- आ चुक1 है । मझ ु े QवCवास है दोन; बेटे बुoायन और शरणायन उ?च उiयोगप#त बनकर तुOहारा ह नह ं तुOहारे गांव का नाम रोशन कर- गे। बेBटयां गीतायन और सं5qयायन ने श@ा क1 मशाल जलाने का ण कर चुक1 है । अपने लये रा%ता भी बनाने लगी है । उनके पांव जमने के


बाद सुयोग वर तलाश क1 उनका Aयाह गौना कर दो। डां अOबेडकर बाबा ने कहा ह है शT@त बनो संघषF कर; अब वDत आ गया है शT@त होकर सOप5न बनने का Qवकास करने का।Eमवीर बेटा ब?च; को अपने भQवUय का फैसला लेने दो । बैसाखी मत बनो ब?चे उ?च शT@त है जो कर- गे अ?छा कर- गे, QवCवास रख; इससे तुOहारे कुनबे का मान-सOमान बढ़े गा । बुoायन बोला-नानीमां यह तो हम भी कह रहे ह_ पर बापूजी है 'क मानते नह ं। रोज-रोज अखबार म- छपे नौकर का इCतहार लेकर आ जाते है कहते है यह नौकर अ?छ\ रहे गी।नानीमां हम दोनो भाईय; ने नौकर नह ं करने का मन बना लया है ।बहन- भी अपनी राह चुन चुक1 है । Eमवीर-तुम दोन; नौकर नह ं करोगे तो Dया करोगे । बुoायन और शरणायन-उiयोग %थाQपत कर- गे। Eमवीर-करोड◌़◌ो◌ं क1 पूंजी कहां से आयेगी 'फर Dया भरोसा उiयोग चलेगा। बुoायन-QवCवास करो बापूजी आपका मान जNर बढे गा।रह बात पूंजी क1 तो सरकार कजF दे ती है उiयोग लगाने के लये। Eमवीर-मुझे तो डर लग रहा है ,हम तो उiया◌ोगप#त घराने से नह ं रहे । बुoायन-बापूजी जोZखम तो उठाना पड़ेगा कुछ बनने के लये।नौकर म- भी तो खतरे है ।जातीय भेद के कारण अपरो@ Nप उ?च शT@त; को दिKडत 'कया जाता है । #नOन वZणFकF अफसर; कमFचाSरय; क1 चSरcावल खराब कर द जाती है ।उनका Qवकास Nक जाता है ,कई उ?च शT@त #नOन वZणFक कमFचाSरय; ने आ,मह,या तक कर लये है । कालेज के छाc; का भQवUय सुरT@त नह ं है । जातीयता को आधार बनाकर उनका मू याकंन होता है ,कई होनहारो ने आ,मह,या कर लये है । बापूजी दोन; तरफ खतरे है । िजस राह पर हम दोन; भाई जाने क1 सोच रहे है उसके लये हम खद ु िजOमेदार होगे। नानीमां-Eमवीर तुमको तो और खुश होना चाBहये 'क तुOहारे औलादे फैसला लेने क1 कुबत रखती है ।मेरा आश&वाद है बुoायन,शरणायन,गीतायन और सं5qयायन जो भी फैसले लेगे तुOहारे लये ह नह ं दस ू रे और नवजवान; के लये ेरणादायी होगा। Eमवीर-मुझे अब कुछ नह ं कहना ह_ नानीमां आपका आशीश ब?च; के साथ ह_ तो मुझे डर कैसा ? दस ू रे Bदन अलसुबह नानीमां %थान कर गयी। बुoायन और शरणायन उiया◌ोग %थाQपत करने से पहले कुछ मह न; क1 टे र् #नंग के लये शहर चले गये।bे #नंग के बाद दोन; भाईयो ने मलकर Eमवीर इंिज#नयSरंग कOपनी क1 %थापना कर Bदये।धीरे -धीरे कOपनी क1 साख म- वQृ o होने लगी। कOपनी का कारोबार चल #नकला। Dपनी का टनओवर करोड◌़◌ो◌ं का हो गया। बुoायन और शरणायन क1 िजद रं ग लायी। बुoायन और शरणायन क1 खल ु आंखे का सपना सच हुआ। दोन; भाई बना 'कसी धा मFक एवं जातीय भेदभाव के नवजवान; को नौकर दे ने लगे। Eमवीर इंिज#नयSरंग कOपनी मानवीय समानता क1 मशाल सा बत होने लगे। बुoायन और शरणायन कOपनी के आम कमFचाSरय; के साथ काम करते,इससे


कमFचाSरय; का मनोबल बढ़ गया था।कमFचार खुद क1 कOपनी समझकर बड़े ईमानदार से काम करते थे। बुoायन और शरणायन कOपनी के #नदे शक होकर भी आम कमFचाSरय; के साथ काम करते और उनक1 तरह कOपनी से तनRवाह लेते थे। कOपनी को जो मुनाफा होता उसका आधा Bह%सा कमFचाSरय; म- बांट जाता था,25 #तशत कOपनी के Qवकास पर बाक1 कमFचाSरय; के वेलफेयर,3च'क,सा, श@ा और समािजक कायt पर खचF होने लगा था।कOपनी के अqय@ Eमवीर ने एक योजना चालू कर द थी,कOपनी का जो भी कमFचार अपने ब?चे को उं च श@ा Bदलाने म- असमथFता होगे उनके ब?चे क1 श@ा का भार कOपनी बना 'कसी Aयाज के ऋण के कजF दे कर श@ा पूर करवाने भार वहन करे गी। यBद कमFचाFर के पुc-पुcी के श@ा पूर करने के बाद कOपनी म- नौकर करना चाहे गे तो उ5ह- यो:यतानस ु ार नौकर भी दे गीं। Eमवीर के इस योजना का कOपनी को बड़ा लाभ हुआ। कOपनी Bदन दन ू ी रात चौगुनी तरDक1 करने लगी। Eमवीर अब सेठ Eमवीर मह5थायन हो गये थे। बुoायन और शरणायन ने मानवीय समानता के तीक के Nप म- कOपनी के मR ु य कायाFलय पSरसर म- भगवान बुo क1 Qवशालकाय #तमा का #नमाFण करवा Bदया था। सेठ Eमवीर मह5थायन से कुछ Qवदे शी पcकार; ने उनक1 तरDक1 का कारण जानना चा◌ाहा तो तो उ5ह;ने बेBहचक बुoायन और शरणायन क1 उ?च श@ा के साथ कुछ नया करने क1 िजद बताया। सच भी है श@ा ह तो है जो सवF-उ5न#त क1 जननी है । ऐसे ह श@ा क1 जNरत; आज दे श के शोQषत-पी]ड◌़त समाज के नवयुवक; के लये। दे खना है भारतीय समाज और सरकार कब अपने फजF पर खर उतरती थी। ․ । अि5तम ल6य। कमFन5द और सख ु व5ती का Aयाह न5ह सी उj म- गल ु ाम दे श म- हुआ था पर गौना आजाद दे श म- आया था। कमFन5द काफ1 खुश था 'क भले ह वह गर ब और भू मह न है पर उसक1 औलाद- आजाद दे श क1 आजाद हवा पीकर अपने कल को उसके Eम से तैयार T@#तज पर तरDक1 क1 चमचमाती सोने क1 ट; क1 ईमारते जोड़ सकेगी। डांDटर अOबेडकर का Bदया नारा शT@त बनो संघषF करो का नारा उसके Bदल को बहुत सकून दे ने लगा था। दारे को वा%तQवकता म- बदलने के लये गांव म- खल ु े वह ौढ़ श@ा के5s म- भी काम से फुसFत पाकर भी कभी कभार जाने लगा था पर5तु उसे ौढ़ श@ा के5s पर उसे #नराशा हाथ लगी था। मा%टरजी उ?च वZणFक थे सfताह म- एक Bदन आते थे वह चार आने क1 सत ु & और चूना लेकर।ब%ती के E मक सत ु & मलते और मा%टरजी खBटया तोड़ते। कुछ ह Bदन; म- यह भी ब5द हो गया मसटरजी कागजी कारF वाई पूर कर सरकार से मेहनताना क1 रा श वसूलते रहे । इस ौढ श@ा से तो ब%ती के मजदरू ; का कोई फायदा तो नह ं हुआ मा%टरजी को जNर लाभ हुआ। कमFन5द अपने माथे से अनपढ़ होने का दाग छुड़ाने क1 कसम खा लया था खैर पूर तरह सफल तो नह ं हूं पाया पर5तु दसRत करना सीख गया था। कमFन5द अनपढ़ होकर श@ा के मह,व को समझ गया था। वह अपने जीवन का अि5तम लyय अपने ब?च; को पढ़ाने का बना लया था। सख ु व5ती ने कमFन5द क1 खल ु आंख; के सपन; को अपने Bदल म- बसा ल थी।गह ृ %ती के महायv म- वह भी अपने Eम और अDल म- आहु#त डालने लगी। आ3थFक सम%याओं से #नपटने के लये वह अ3धया क1 भ_स पाल ल थी िजसक1 कमाई से वह एक Bदन खुद क1 भ_स खर द लायी थी। इसके साथ बकर और मु3गFयां भी पालने लगी थी िजससे मदद मलने लगी थी। समय करवटे बदलता रहा है । जीवन म- कई उतरा चढ़ाव आये। कमFन5द और सुखव5ती दो


बेBटय; अ5तरा,स5तरा और एक बेटा हं सदे व के माँ-बाप हो गये।इन ब?च; म- मुिCकल से साल भर का अ5तर रहा होगा। तीसर बेट दो साल क1 हुई नह ं थी 'क सुखव5ती का पांव 'फर भार हो गया।खैर उस समय ब?चे भगवान क1 दे न माने जाते थे इस लये ब?च; को लेकर घबराने क1 बात नह ं थी। लोग; के तो आधा दजFन के उपर ब?चे हुआ करते थे। उनके पास तो भगवान के Bदये तीन ब?चे थे और चौथे के आने क1 खश ु ी बाक1 थी। समय पर लगाकर उड़ रहा था,चौथे स5तान के अवतरण क1 घड़ी नजद क आने लगी थी। इसी बीच सुखव5ती को जान लेवा ददF C◌ु◌ाN हो गया। गांव के बताये बड़े बूढ◌़◌ो◌ं के नु%खे अपनाये पर कोई फायदा नह ं हुआ। आZखरकार थक-हारकर नीम हक1म; क1 शरण म- जाना पड़ा। नीम हक1म; के अलावा कोई चारा भी न था।छोटा सा सरकार अ%पताल दस कोस दरू था जहां जाने पर डाDटर साहब मलेगे या नह ं इसक1 कोई गारKट भी नह ं थी।अ%पताल तक पहुंचना भी एवरे %ट क1 चढ़ाई के बराबर था Dय;'क पगडKडी के अलावा रा%ता भी तो न था। टांगा बड़ी मुिCकल से मल पाता था। साइ'कल होना भी बड़ी बात था। दस कोस दरू तहसील %तर पर छोटा सा सामुदा#यक %वा%{य के5s तो था। सुखव5ती क1 त बयत बहुत बगड़ चुक1 थी।सरकार अ%पताल के अलावा अब और कोई चारा न था। कमFन5द ब%ती वाल; के सहयोग से सुखव5ती को खBटया पर लेकर अ%पताल पहुंचा। डांDटर साहब तो नह ं मले कOपाउKडर मले जो डाDटर से कम भी न थे। कOपाउKडर दे खते ह बोला मर ज क1 जान पर बन आयी है । जान बचाना है तो तरु 5त सदर अ%पताल जाओ। खैर यहां से सदर अ%पताल के लये बसमीनी बस मलती थी घKटा दो घKटा बाद वह भी ठसाठस भर होती थी। सुखव5ती थी तो बहुत साहसी पर ददF ने उसके पुज-l पुजl Bहला Bदये थे। धीरे -धीरे वह बेहोशी के आगोश मसमाये जा रह थी पर वह कमFन5द के आसंू अपने आंचल से पोछते हुए बोल अ5तरा के बाबू आंसू Dय; बहा रहे हो म_ अभी मNंगी नह ं अि5तम लyय पूरा करना है । इतना सन ु ते ह कमFन5द 3चघर कर रो पड़ा। इतने म- धामी उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले बेटवा रोने से Qवपि,त कट जाती तो हम सब इकWठा बैठकर रो लेते पर रोने से कुछ नह ं होने वाला है । पतोहू को ज द से अ%पताल पहुंचना है । कमFन5द वक1लदादा,धामी दादा और Zझंगरु काक1 सख ु व5ती को बड़ी मिु Cकल से जीप म- लेकर सदर अ%पताल चल पड़े,घुरहू कतवाN,लखप#त,रमप#त साइ'कल से अ%पताल क1 और दौड़ पड़े स5तू और ब5तू खBटया लेकर गांव क1 ओर चल पड़े। भागीरथी यास के बाद कमFन5द घरवाल सुखव5ती को लेकर सदर अ%पताल पहुंचा।सख ु व5ती बेसुध हो चुक1 थी। Dया भसुर Dया ससुर कोई सुखव5ती का हथेल रगड़ने लगा कोई पांव का तलवा।कमFन5द सरहाने बैठा आंसू बहा रहा था ।कुछ दे र के बाद डाDटर साहब आये तुर5त इमरजे5सी वाडF म- ले जाने को कहां। %bे चर पर वक1लदादा और धामी वाडF म- ले गये। Zझंगरु काक1 तो खुद नह ं संभल पर रह थी सुखव5ती को Dया संभालती पर बेचार सहारा तो थी।डाDटर मआ ु यना 'कये ,कुछ दे र Qवचार म:न रहे । इसके बाद दो तीन 3गलास पानी घटाघट पेट म- उतार कर बोले मर ज का आदमी कौन है ? कमFन5द हाथ जोड़कर बोला जी साहब।


डाDटर-दे खो तुमने अ%पताल ले आने म- बहुत दे र कर द है । ब?चा कई Bदन पहले से उ टा हो गया है । दोनो क1 जान को खतरा है । मामला बहुत Sर%क1 है पर भगवान पर भरोसा रखो । वक1लदादा-साहब भगवान तो आप है बस बहू को बचा ल िजये। धामी ने तो पांव पकड़ लया। कमFन5द को तो डाDटर साहब क1 बात सुनकर जैसे ठकमुर मार गयी।गला Nंध गया सांस टं ग गयी।डाDटर साहब पानी का जग बढ़ाते हुए बोले लो पानी पीओ। सब लोग बैठकर बुiवम ् शरणम ् ग?छा म का जाप करो। ज?चा-ब?चा को बचाना म- रा अि5तम लyय होगा आपरे शन करना होगा।कहते हुए नसFर; को Bहदायत Bदये और आनन-फानन म- आपरे शन शN ु हो गया। धर गांव म- कमFन5द क1 दो बेBटय; अ5तरा,स5तरा और बेटा हं सदे व का रो रोकर बुरा हाल था। भूख से हाल बेहाल थी।कमFन5द क1 बूढ◌़◌ी मां क1 एक आंख चल गयी थी दस ू र म- त#नक रोशनी थी पर सूरज डूबते ह वह भी काम करना ब5द कर दे ती थी। अ5तरा थोड़ी सयानी थी पर इतनी भी नह ं 'क गहृ %ती का बोझ उठा सके पर उसे ह सब करना था अंधी दाद छोटे -भाई-बहन को भी संभालना था। भैस को चारा पानी, बकर ,मुगl-मु3गFय; क1 दे ख रे ख सब उसके माथे।कमFन5द को छोटा भाई शरमन5द Bद ल रहता था। सख ु व5ती के अ%पताल जाते है शरमन5द क1 घरवाल फूट दे वी ब?च; और अंधी सांस को मरने के लये छोड़कर उसी Bदन िजस Bदन सुखव5ती को मरणास5न अव%था म- अ%पताल भत& करवाया गया उसी Bदन अपने भाई के साथ Bद ल %थान कर गयी। कहते है ना खद ु ा मेहरबान तो गदहा पहलवान,भगवान क1 कृपा ब?चो पर हुई बेट अ5तरा,स5तरा और बेटा हं सदे व मां -बाप पर Qवपि,त आते ह एकदम से सयाने हो गये। अ5तरा उj म- हं सदे व और स5तरा से बड़ी थी।उसे भाई हं सदे व के पेट क1 भूख चैन नह ं लेने द । उसने पहल बार अकेले चू हा जलाया खैर पहले भी कभी-कभी जला लेती थी पर मां क1 #नगरानी म- । स5तरा ने भी बहन का हाथ बटाया ।हं सदे व अ5तरा से छोटा था पर उसे भ_स बैल Zखलाने और चरनी से हटाने का इ म नह ं था पर बाप को करते हुए दे खता वह भ_स बैल क1 िजOमदार उठा लया। स5तरा ने म3ु गFय; क1। सZु खया दाद नाम तो था सZु खया पर दZु खया थी बेचार करती Dया उससे तो सझ ू ता ह नह ं था।आंख क1 रोशनी जा चुक1 थी। घुटने हमेश सवाल करते रहते थे। वह एक जगह बैठे बैठे ब?च; का हौशलाअफजाई करती रहती।इधर पहले Bदन से ह ब?चे घर क1 िजOमेदार उठाने लगे। उधर अ%पताल म- सुखव5तीदे वी को आपरे शन से बेटा पैदा हुआ। उपर वाले क1 असमी कृपा से ज?चा-ब?चा सकुशल थे पर बड़ा आपरे शन हुआ था। डेढ़ मह ने बाद अ%पताल से छुWट हुई । कमFन5द के उपर चार ब?च; के पालन पोषण के साथ बूढ◌़◌ी अंधी क1 3च5ता थी। शरमच5द ने फूट दे वी के Bद ल पहुंचते ह SरCते क1 डोर एकदम से तोड़ फ-का। सुखव5ती दे वी कई मह ने ब%तर पर बड़ी रह । इधर कमFन5द का लyय डगमगाने लगा था,हं सदे व घर के काम; म- उलझ गया था,जब तक मां अ%पताल म- थी तब तक तो %कूल ह नह ं जा पाया । मां के अ%पताल से आने के सfताह भर बाद जान शN ु 'कया।कमFन5द सुबह मजद ू र पर #नकल जाता तो दे र रात म- लौटता ।हं सदे व का मन अब पढ़ाई म- नह ं लग रहा था,उसे घर के काम क1 3च5ता सताने लगी थी। मां का दख ु बाप का ददF सताने लगा था। इसके


पहले कमFन5द मजदरू करके दे र रात म- भी आता तो हं सदे व उसे डेबर क1 रोशनी म- पढ़ता हुआ मलता था पर अब उसे हं सदे व पशुओं क1 दे खरे ख और घर के काम म- लगा हुआ पाता था। एक Bदन कमFन5द त#नक ज द आ गया,हं सदे व भ_स बैल का चारा-पानी कर दाद के पास बैठा हुआ था। दाद बते जमाने क1 कहानी सुना रह थी। अ5तरा स5तरा चू ह चौका म- लगी हुई थी। दरवाजे पर आते ह आवाज लगाया बेटा अ5तरा,स5तरा। धीरे से लगायी गयी Qपता क1 आवाज बेBटय; के कान तक पहुंच जाती थी। अ5तरा आयी और बोल अरे भईया बापू आ गये। स5तरा आज बापू ज द आ गये।सख ु व5ती बोल बेट गड़ ु पानी दे दो।हं सदे व खBटया खींच लाया।कमFन5द खBटया पर बैठा,इतने म- सुखव5ती भी धीरे धीरे आ गयी।सZु खया कमFन5द क1 मां बोल अरे स5तरा आपे बापू के लये 3चलम चढ़ा लाती। कमFन5द बोला-मां आज से 3चलम छोड़ Bदया हूं। सुZखया-ब?च; से कोई गलती हो गयी। ब?चे अपनी औकात से अ3धक काम कर रहे है ,तू गु%सा Bदखा रहा है ।न5हे -न5हे ब?चे 'कतनी तकल फ उठाये है तू नह ं जानता Dया। कमFन5द-मां जानता हूं ब?चे के उपर मुसीबत का पहाड़ था,भ_स बैल क1 दे खरे ख आये-गये का दाना-पानी सब इ5ह न5ह; हाथ; से तो हुआ है पर अब नह ं। सZु खया-Dय; बेटवा। कमFन5द-मां मेरा अि5तम लyय नह ं पूरा होगा इस तरह । सुZखया-कौन से तुमने #तvा कर लया। कमFन5द-ब?च; को पढ़ाने क1। सुZखया-दस बजे %कूल खल ु ता है चार बजे ब5द हो जाता है । ब?चे %कूल तो जा रहे थे ना सुखव5ती क1 त बयत खराब होने के बाद से सल सला थमा है । कमFन5द-हाँ इसी लये तो डर लगने लगा है अपने अि5तम लyय को लेकर। सुZखया-हौशला रख तुOहारा लyय जNर पूरा होगा। सख ु व5ती-3च5ता ना करो अ5तरा के बापू ब?चो को कल म_ %कूल लेकर जाउं गीं।ब?चे जNर पढ़े गे अब म_ भी ठ\क हो गयी हूं। सुZखया-बहू इतनी उतावल ना हो अभी घाव पूर तरह पूजी नह ं है ,भर बा ट तक नह ं उठाना।चू ह चौका काम हो सके तो करना नह ं तो जैसे चल रहा कुछ Bदन और चलने दो।भगवान ने मस ु ीबत Bदया है तो वह उबारे गा। कमFन5द #तvा 'कया है तो भगवान ह पूरा उसक1 #तvा पूरा करे गा।ब?चे पढ़ लख जाते तो आने वाल पीढ◌़◌ी का कायाक प हो जाता। हं सदे व दाद तुOहारा सपना पूरा कNंगा।


अ5तरा- बना नागा 'कये कल से %कूल जायेगा बापू क1 #तvा पूरा करना है । हं सदे व-हम तीन; भाई बहन चलेगे घर का काम #नपटा कर। तीन; भाई बहन %कूल जाने लगे । गर बी जा#तवाद के भेद का जहर पीते हुये कमFन5द और सुखव5ती अपने लyय के #त सजग थे।सुखव5ती के आपरे शन का घाव अभी तक पूर तरह सूखा भी नह ं था क1 आपरे शन से पैदा ब?चा जौहरदे व इतना बीमार हुआ क1 भी कभी न ठ\क हुआ और खद ु ा को fयारा हो गया। कुछ माह बाद सुZखया भी काल के गाल म- समा गयी। कहते है ना धूप के बाद छांव हं सदे व पढ़ाई म- ऐसे आगे #नकला क1 ब%ती के सारे ब?चे पीछे छूट गये। कमFन5द भले गर ब था पर हं सदे व के पास होने का जCन जNर मनाता।अ5तरा स5तरा का Aयाह पढ लखे सुयो:य लड़क; से हो गया।हं सदे व पढ़ाई म- अYवल था दसवीं क1 पर @ा पास करने के बाद तो कमFन5द को लगने लगा 'क हं सदे व उसके अि5तम लyय को पूरा कर दे गा।हं सदे व ने Qपता का सपना पूरा करने के लये भी #तvा कर चुका था। वह अपनी भीUम #तvा पूर करने के लये घर के काम के साथ बारहवीं क1 पर @ा भी अ?छे अंको से पास कर लया अ5तोग,वा भू मह न खे#तहर मजदरू का बेटा हं सदे व बी․ए․क1 पर @ा पास कर गया। कमFन5द बेटा के बी․ए․पास करने क1 खुशी का जCन उसने सगे-सOब5धी,नात-Bहत और ब%ती वाल; को भोज दे कर मनाया।भोज के बाद कमFन5द हं सदे व से बोला बेटा तुमने बी․ए․पास कर खानदान का नाम रोशन कर Bदया है । आज तक अपनी ब%ती म- कोई लड़का बी․ए․पास नह ं है । मेरे खानदान म- तो कोई ाइमर तक नह ं पढ़ पाया था । बेटा तम ु बी․ए․पास कर लये मेरा जीवन सफल हो गया। हं सदे व-Qपताजी आप और मां ने मुझे पढ़ाने के लये 'कतने दख ु उठाये है म_ कैसे भूल सकता हूं। म_ अब शहर जाना चाहता हूं Qपताजी ता'क मेरे पSरवार क1 सामािजक और आ3थFक तरDक1 हो सके। सुखव5ती-आगे और पढ़ाई कर लेता। हं सदे व-मां पढ़ाई तो म_ नौकर के साथ भी कर सकता हूं। अब पढ़ाई जNर नह ं है । नौकर क1 जNरत है । आप मां-बाप का अि5तम लyय पूरा हो गया है । मझ ु े भी तो अपना लyय याद है । कमFन5द-हां बेटा भले ह म_ मरू ख अनपढ़ हूं पर इतना तो समझता हूं 'क तम ु नौकर कर हम- ख ु शय; क1 सौगात दे ना चाहता है ।बेटा तू सह है ,इस गांव म- रखा भी Dया है ।पग-पग पर तो ददF है ,भूख है ,भय है ,गर बी है भेदभाव है । शहर म- नौकर के साथ मान-सOमान मलेगा बेटा तुमको खुश दे खकर मेरा मन Qवहसता रहे गा।बेटवा वो पुरानी कहावत तुमने चSरताथF कर Bदया। सुखव5ती- अब तुमको कहानी 'क%से याद आने लगे। वक1लदादा,धामी दादा Zझंगरु काक1,घरु हू कतवाN,लखप#त और रमप#त एक %वर म- बोले अरे कहावत तो सुननी थी तुमने बीच म- अड़गे Dय; लगा Bदये।


सुखव5ती लो जी सुनाओ कहानी 'क%से मुंह म- दांत नह ं पेट म- आंत नह ं चले है 'क%से हजम करने। वक1लदादा-Dया सख ु व5ती तम ु ने तो अरमान; पर कटार चला Bदये। इतनी बड़ी बात कह द । गर ब है तो Dया हमारे भी सपने है । हं सदे व जैसे ब%ती के बेटे जब ब%ती से दरू शहर जाकर तरDक1 के झKडे गाड़ेगे तो अपने गां क1 स;धी मांट द#ु नया क1 नाक; को भाने लगेगी। लखप#त-बात को बतंगड़ मत बनाओ,कमFन5द भईया का कहावत सन ु लो। Zझंगंर काक1-हां बेटवा क1 बात गले म- अटक1 रह गयी कह दे बेटवा। सुखव5तीदे वी-अब 'क%सा सुना भी दो जी। गलती हो गयी कान पकड़ते हुए बोल । कमFन5द-कहते है , कोई आदमी इतना धनी नह ं होता 'क बता हुआ कल खर द ले और कोई आदमी इतना गर ब भी नह ं होता 'क अपना कल सुधार न सके। यह बात मन म- उपज रह थी। वक1लदादा-बात तो करोड़ टके क1 है जो हं सदे व पर एकदम 'फट बैठ रह है । यह कहावत तभी सह सा बत हो सकती है जब कमFन5द जैसे बाप श@ा के मह,व को समझने वाले हो और हं सदे व जैसे बेटवा बाप के अि5तम लyय; पर खरे उतरने वाले। हं सी-ठहाके के बाद सब अपने-अपने घर; को चले गये। इधर हं सदे व शहर जाने क1 तैयार म- जट ु गया।वह मां बाप से Qवदा लेकर शहर को %थान कर गया।हं सदे व जब शहर जाने के लये घर से #नकला था तब पूरे गांव के लोग उसे गांव क1 सड़क तक छोड़ने आये थे जैसे लग रहा था कोई लड़के गौना जा रह हो।गांव वाले तब तक हं सदे व को दखते रहे जब तक ईDका आंख; क1 पहुंच से बाहर नह ं गया था। साल; तक शहर म- नौकर के लये भटकता रहा पर वह कभी भी काम को छोटा नह ं समझा जो काम मला वह कर लेता। अपना खान-खचF चलाता जो बच जाता Qपताजी के नाम म#नआडFर कर दे ता। कई साल; क1 लOबी बेरोजगार के बाद हं सदे व को नौकर गयी। नौकर पाने क1 खश ु ी म- कमFन5द,सख ु व5ती ह नह ं पूर ब%ती के लोग झम ू उठे थे।गांव वाले कहते कमFन5द तो बड़े बड़े ध#नखाओं के कान काट लये,बेटवा के %कूल भेजने के पीछे का अि5तम लyय उसका बेटवा को अफसर बनाना था।कमFन5द के अि5तम लyय के असल रह%य को जानकर Dया छोटा Dया बड़ा गांव वाले कमFन5द को बधाई दे ने उमड़ पड़े थे। हं सदे व ब%ती वाल; से बोला द#ु नया क1 सार तरDक1 क1 चाभी श@ा है ,आज म_ ध5य हुआ कल सभी ब%ती वाले ध5य हो जाये यह मेरा सपना है । कम खाओ पर ब?च; को %कूल भेजने का लyय बना लो। इसी बीच सख ु व5ती कटोरा म- दह और गड़ ु लेकर आयी और कमFन5द के मंह ु म- डालते हुए बोल तO ु हारे जीवन के अि5तम लyय को सलाम हं सदे व के बापू। लोटा भर पानी न5द ू वैसे तो %कूल गया तो था पर दस ू र जमात पास नह ं कर पाया था। उसके गांव के जमीदार; के खेतो म- पसीना बहाया पर कभी पेट भर खाने का मजा नह ं ले पाया। अ?छे कपड़े-लते तो सपने क1 बाप थे। एक बार उनसे दरू के सवFसOप5न SरCतेदार दे व संगार से मुलाकात हो गयी दे व संगार आये वे अपनी आप बीती बताये। दे व संगार क1 आप बीती से न5द ू के बाप Zखरजू बहुत भाQवत हुए और उनक1 राह पर


चलने क1 कसम खा लये। एक Bदन रात म- वे चुपचाप बOबई के लये #नकल पड़े। नसीब ने साथ Bदया वे बOबई क1 'कसी कपड़ा मल म- बतौर मजदरू काम करने लगे थे। दो मह ने बाद म#नआडFर के साथ न5द ू के बाप का पc उसक1 मां सुरजीदे वी को मला था। बOबई के चले जाने के बाद िजस जमींदार भैरव भाल क1 हलवाह Zखरजू कर रहे थे उसका आतंक बढ़ गया था। दभ ु ाF:यबस Zखरजू ^यादा Bदन नौकर नह ं कर पाये उपर वाले को fयारे हो गये। जमींदार भैरवभाल क1 आंख म- न5द ू का गठ\ला बदन खटकने लगा था।बदनसीबी ने न5द ू को जमींदार भैरवभाल का बधुवा मजूदर बनने पर मजबूर कर Bदया था,जमीदार ने चXYयह ू जो ऐसा रचा भी तो था। न5द ू अपने घर से सब ु ह #नकलता और दे र रात तक वापस लौटता,उसके छोटे भाई बहन सो चुके होते थे त बवह घर पहुंचता था वे सोये ह रहते थे तब भैरवभाल क1 हवेल को #नकल चुका होता था।इतनी Yय%तता के बाद भी न5द ू को बरहा गाने क1 शौक था उसने एक Rया#तनाम %वाजा#त बरहा गायक को अपना गुN बना लया था एकलYय क1 तरह। खैर न5द ू भी #नOनवZणFक था और उसके गुN भी इस rिUट से बरहा गायक को न5द ू को शUय बनाने म- कोई आपि,त तो नह ं रह होगी पर बंधुवा मजदरू ऐसा शौक कैसे पाल सकता है ,यह दै ,याकार Cन उसके सामने था। सfताह म- एक Bदन तो वह ब%ती के ब?च; और कुछ बरहा म- N3च लेने वालो को इDटठा कर न5द ू मKडल सजा ह लेता था। सब ु ह हवेल पहुंचते ह जमींदार साहब भैरवभाल क1 फटकार भी सुननी पड़ती थी। न5द ू जमींदार साहब से कहता Dया कNं बाबू यह तो एक शौक है बाक1 सब कुछ तो हवेल क1 चौखट पर कैद है । जमींदार साहब डांटते हुए बोलते न5दव ु ा तेर जबान रोज-रोज बढ़ती जा रह है । वह कहता बाबूजी को मेर गायक1 पस5द आयी। जमींदार बोलते अरे चूहा कभी शेर बना है Dया․․․․․․․? कौआ कभी कोयल बन सकता है Dया․․․․․? जा दस ू रे जमीदार; के मजदरू घKटा भर पहले से हल जोत रहे है ,तू जबान लड़ा रहा है । न5द ू सर लटकाये हल बैल लये खेत जोतने को #नकल पड़ता या दस ू रे काम म- लग जाता। उसके घर से खाना पानी आता वह वह अपने पेट म- उतारता। हवेल से उसे पीने तक को पानी नह ं मलता था। कभी -कभी कOहाSरन काक1 होती तो वे उपर से पानी 3गराती वह अंजु ल से पानी पी लेता। जमींदार काम तो पशुओं जैसे लेते पर पानी तक पीने को नह ं दे ते। सुबह लोटा भर रस और चबैना तो मलता पर उसके घर से कोई आता तो उसके बतFन म- जमींदार के घर का कोई सद%य ऐसे डाल दे ते थे जैसे कु,ते को दरू से रोट फ-क कर द जाती है । लोटा भर रस,चबैना हवेल से खेत तक जाना भी इतना आसान नह ं होता था। रस चबैना दे ने से पहले घKट; क1 बेगार भी करवाई जाती थी। खेत तक पहुंचते-पहुंचते सूरज लटकने को हो जाता था। यBद उसके घर से कोई नह ं आ पाता था तो वह भी नसीब नह ं होता था 'फर रात मघर वापसी पर ह रोट नसीब हो पाती थी। एक Bदन उसक1 मां क1 त बयत खराब हो गयी न5द ू क1 घरवाल अपने बाप के मत ृ शैया पर चड़े रहने क1 खबर सुनकर नैहर चल गयी थी ।मां बेचार हवेल से रस चबैना लेकर जमीदार के खेत म- हल जोत रहे न5द ू को नह ं पहुंचा पायी। भख ू े fयासे बेचारा हल जोतता रहा।मई का मह ना लू ऐसी चल रह थी जैसे आग क1 लपटे हो।


आZखरकार वह Bदन लटकते-लटकते न5द ू हल बैल लेकर आया ।उस इतनी भयंकर fयास लग हुई थी उसक1 गल ब कुल सूख चुका था वह खुद लू से त5दरू 3चकन ।हवेल के सामने एकदम स5नाटा था इस स5नाटे को लू तोड़ रह थी वह कुएं क1 जगत पर पशुओं क1 ह|द म- पानी डालने वाल बा ट भर हुई दे खा और तुर5त कंध पर से हल नीचे रखकर कुए क1 तरफ दौड़ा पर बा ट से पानी कैसे पीता उसे कुछ दरू पर लोटा Bदखाई पड़ा िजसे कु,ते चाट रहे थे । हांफते हुए कु,तो से लोटा #छना और दौड़कर बा ट से लोटा भर कर पानी पीया,पानी पीने के बाद उसे जीवनदान मल गया हो। पानी पीकर बैल; को हौद पर लगाया,हल जुआठ रखा। इसके बाद 'फर एक लोटा भर पानी पीकर लोटा मांजने लगा। इसी बीच रती5s जो जमींदार भैरवभाल के कुल का छं टा हुआ बदमाश लड़का था । रती5s भाल बोला Dय; बे लोटे म- पानी पीया है Dया इसम- तो बड़े मा लक चाय पीते है । न5द ू कोई गुनाह हो गया Dया कु,तो से #छनकर लाया हूं। रती5s-तू कु,ते से अपनी तुलना Dय; कर रहा है ? कु,ते अछूत तो होते नह ं । न5द-ू छोटे जमींदार क%बे के बड़े कालेज म- पढ़ते है ,इंसान और जानवर म- अ5तर करना ता आता होगा। रती5s-जNर पर तO ु हार बरादर को शBदय; से इंसान कहां माना गया ? तम ु और तO ु हारे लोग; को बस उ?चे लोग; क1 सेवा बना 'कसी ना-नक ु ु र 'कये करना है । दे श को आजाद Dया मल गयी 'क क1ड़ेमकोड◌़◌ो◌ं को भी पंख #नकल गये कहते हुए लोटा उसी बा ट से भरकर न5द ू के सर पर दे मारा। न5द ू 3गर पड़ा। कुछ दे र बाद संभलते हुए उठा और रती5s का गदF न पकड़कर उपर उठाया और धड़ाम से जमीन पर पटक Bदया।रती5s 3च ला-3च लाकर न5द ू को जा#तसूचक गा लयां दे ने लगा।रती5s के 3च लाने क1ह आवाज सुनकर बड़ी माल'कन बोल अरे बहू दे खो तो रती5s 'कसको गाल दे रहा है । जमींदारन-'कवाड़ का प ला खोलते हुए वे बोल 'कसी मजदरू पर रौब छांट रहे होगे। इनक1 वजह से एक -एक कर सारे मजदरू भाग जावेगे।मां साहब रती5sबाबू को समझाओं। वे मंह ु पर हाथ रखते हुए बोल अरे बाप रे ․․․․․․․․․․․․․․․? बड़ी माल'कन- Dया हुआ बहू․․․․․? जमींदारन-न5द ू के सर से खन ू बह रहा है । इतनी तेज लू चल रह है सब ु ह से मजदरू भख ू ा fयासा है ,शाम होने को आ गयी है ,मजदरू के हवेल आते उसे रती5sबाबू ने मार Bदया लगता है । इतना सन ु ते ह बड़ा माल'कल,छोट माल'कन,और हवेल से औरते और ब?चे दालान म- आ गये,भैरवभाल जमींदार कचहर गये थे,बूढ़े जमीदार सब ु ह लोटा भर चाय पीकर दे वदशFन को चले गये थे,िजनके सfताह भर लौटने क1 उOमीद थी। हवेल के बाक1 लोग लू के आतंक से तंग आकर शहर के महल म- रहने चले गये थे। न5द ू आव ना दे खा ना ताव रती5s के मह ुं पर थूक Bदया और हवेल क1 लyमण रे खा पर कर गया।न5द ू घर पहुंचा बीमार मां न5द ू के सर से बह रहे खून को दे खकर रोने लगी। वह मां को चुप करवाते हुए


बोला मां तू 'फX ना कर अब मां जमींदार; क1 है वा#नयत को नजद क से जान गया हूं। मैने एक फैसला कर लया है । बूढ◌़◌ी मां-Dया․․․․․․? न5द-ू मां 3च5ता ना कर मां खून का बदला खून से नह ं ले सकंू गा जानता हूं पर अपने मत ृ क बाप क1 राह पर तो चल सकता हूं। बूढ◌़◌ी मां बेटे के सर को नीम क1 प,ती उबाल कर साफ क1 इसके बाद घाव को 'फटकर से भरकर पुराने कपड़े से पWट बांध कर उसे खBटया पपर लेटा। बेचार कांपते हाथ; से दो रोट बनायी और fयाज पर नमक #छड़कर दे ते हुए बोल बेटा तम ु को भख ू लगी है ,रोट fयाज खाकर आराम कर लो,कल म_ जमींदार से गुहार लगाउं गी। न5द-ू मां गुहार लगाने का कोई फायदा नह ं है ,ये जमींदार लोग हम गर बो का खून पीते आये है ,पीते रह- गे। इनसे #नजात पाने के लये दादा क1 राह पर चलना होगा। बूढ मां-Dया परदे स जायेगा। बेटा तू परदे स चला गया तो हम लोग; का Dया होगा।जमींदार तो हम सबको जीते जी मौत के मंह ु म- ढ़केल दे गे। न5द-ू ऐसा हो गया तो हवेल को Cमशान बन जावेगी। बूढ◌़◌ी मां-उसके सर पर हाथ सहलाते हुए बोल बेटा सg कर। न5द-ू सg का ह तो नतीजा है हमार गर बी और आदमी होकर आदमी होने के सख ु से वं3चत रहना। बूढ◌़◌ी मां-बेटा तेर बात मेरे प ले नह ं पड़ रह है ।तू सो जा। न5द ू को रती5s छोटे जमींदार ने मारा है 'क खबर पूर मजदरू ब%ती म- फैल गयी। उसक1 हालचाल जानने के लये ब%ती के लोग आते रहे । दे र रात तक यह सल सला चलता रहा। बूढ◌़◌ी मां बोलती बेटा सो जा। बह बोलता मां सो रहा हूं तुम तो सोओ। न5द ू को लखना पढ़ना तो अ3धक नह ं आता था पर टूट -फूट म- लख पढ़ लेता । बेचारे को पढ़ने लखने का म|का ह कहां मला बेचारा दस ू र जमात पास भी तो नह ं कर पाया था तभी से जमींदार का कैद बन गया गया था। मां तOबाकू हुDक1 पर गड़ ु ाती रहती थी । सफेद कागज के टुकड़े म- तOबाकू क1 पु]ड◌़या दे खकर वह उठा उसी कागज पर उसने सई ु अंगल म- घुसाकर %वयूं के खून से बड़ी मिु Cकल से लखा परदे स जा रहा हूं लखकर सर के नीचे रख लया।रात भर करवटे बदलता रहा नींद तो उससे कोसो दरू थी।बूढ◌़◌ी मां क1 आंख लग गयी और वह घर से भाग चला। शायद न5द ू भागता नह ं तो उसक1 लाश 'कसी नद या कुये म- मलती काफ1 सोच Qवचार कर उसने बूढ◌़◌ी मां धमFप,नी और छः मह ने के बेटे का मुंह दे खे बना रात के अंधेरे म- घर से #नकल पड़ा।


बचते-बचाते उसका उiयम साqय हुआ। न5द ू मुसीबत; के सम5दर को पार करता हुआ Bद ल शहर पहुंच गया। वह था तो मजदरू का बेटा उसे काम करने म- शरम कैसा ? वह Bद ल पहुंचते ह रे लवे %टे शन के पास ढाबे के मा लक से अपनी Yयथा कथा एक सांस म- कह सुनाया। ढ़ाबे के मा लक Bदलेर को उस पर तरस आ गया बोले बेटा मेरे पास तो तेरे लायक कोई काम नह ं है बतFन धोने का और नल से पानी भरकर लाने का काम कर सकता है तो कर ले।समझ ले बतFन धोना कोई खराब काम नह ं है । बेटा कोई काम खरबा नह ं होता आदमी क1 #नय#त खराब होती है । कमF तो भगवान क1 पूजा है ,तुOहार पूजा भगवान को भा गयी तो वारे -5यारे । Bदलेर क1 बात न5द ू क1 समझ म- आ गयी।पहल बार शहर आया था दरू -दरू तक कोई जान-पहचान नह ं थी। तनRवाह के साथ खाना-रहना मुफ्त था। भगवान का नाम लेकर वह काम पर लग गया । न5द ू बड़ी ईमानदार से काम करने गला ,ढाबे के मा लक को उसका काम खूब पस5द आने लगा। सfताह भर के बाद न5द ू एडवास रकम क1 मांग Bदलेर के सामने रख Bदया। Bदलेर बोले तुम लोग; का यह रोना है सfताह भर काम नह ं 'कये तगादा शN ु कर दे ते हो चल बता 'कतना एडवांस लेगा। न5द-ू दो सौ․․․․․․․․․। Bदलेर-पूरे मह ने क1 तनRवाह एडवांस,अभी तुOहे काम करते-करते जुम-े जुमे आठ Bदन भी नह ं हुए। चल तू भी Dया याद रखेगा 'क 'कसी घट ु ने म- अDल रखने वाले के ढाबे म- काम करता है एक सौ Nपया और म#नआडFर का खचाF कुल मलाकर एक सौ एक Nपया Bदया।न5द ू ढाबे मा लक से Nपया लेकर मां के नाम म#नआडFर 'कया। बेटा क1 खबर और म#नआडFर पाकर उसके घर जैसी द वाल छा गयी। न5द ू ईमानदार से काम कर ह रहा था,दो मह ने म- वह वेटर का काम भी सीख गया था । एक Bदन Bदलेर के एक मc आये न5द ू को अपने कारखाने म- काम करने का 5यौता दे Bदये। न5द ू यह %ताव Bदलेर को बताया। Bदलेर ने %वीकृ#त दे द । न5द ू हं सी खश ु ी fलाि%टक क1 मोि डंग के काम म- लग गया । छः मह ना काम करने के बाद उसको मन म- Qवचार उपजा क1 वह Dय; ने एक मोि डंग मशीन लगा ले। यह बात उसने कOपनी के मा लक दस ू रे घुठने म- अDल रखने वाले मरजीत से कह सुनाया। मरजीत ने भी उसको बढ़ावा Bदया। न5द ू एक मोि डंग मशीन लगाकर खद ु मरजीत के आडFर के अनस ु ार उ,पादन करने लगा। कहते है न मन स?चे मन से 'कये काम का #तफल सुखकार और लाभकार भी होता है । न5द ू के पSरEम से बोया बीज खब ू फलने फूलने लगा। उसका धंधा चल पड़ा अब वह न5दराज सेठ के नाम से जाना जाने लगा। एक बेटा और दो बेट का वह बाप भी बन चुका था। ब?चे शहर के %कूल-कालेज म- पढ रहे ।शहर से गांव उसका सब आबाद हो रहा था। उधर भैरवभाल क1 हवेल म- रती5s कंस सा बत हो चुका था। हवेल म- कलह के #नत नया Qव%फोट हो रहा था। धीरे धीरे -पूर हवेल Qवरान


हो गयी। जमींदार के खेत धड़ले से बक रहे थे। हवेल के Bह%सेदार शहर म- जा बसे। भैरवभाल जमींदार क1 हवेल जहां उं चे-ओहदे दार,नेता लोग; का आना जाना लगा रहता था,वह हवेल अंवारा कु,त; क1 ऐशगाह बन गयी थी। गांव के सबसे बड़े जमींदार हवेल भूतह हवेल के नाम से पहचानी जानी लगी थी।न5द ू क1 झोपड़ी क1 जगह पDक1 कोठ\ तन गयी थी,वह जब शहर से आता तो मजदरू ब%ती ह नह ं जमींदार लोग भी अब न5दराज सेठ से मलने आते थे।न5द ू कहता वाह रे लोटा भर पानी क1 मार मझ ु े न5दराज सेठ बना Bदया। उj क1 बीमार न5दराज सेठ को भी जकडने लगी थी।बाप तो पहले %वगFवासी हो चुके थे मां ने भी साथ छोड़ Bदया वे भी बैकुKठवासी हो चुक1 थी। न5दराज सेठ का बेटा चमनराज एम․बी․ए․क1 पढ़ाई पूर कर चुका था। दोन; बेBटयां भी शहर म- पढ़ाई कर रह थी। न5दराज सेठ एम․बी․ए․बेटे चमनराज को कारोबार स|प कर गांव म- रहकर गर ब मजदरू ; क1 सेवा म- लगने के इ?छुक थे। बेटा चमनराज बाप को अपनी आंख; से दरू नह ं होने दे ना चाहता था। बाप क1 िजद पूरा करने के लये चमनराज गांव म- गर ब मजदरू ; के ब?च; को Qवकास क1 मुRयधारा से जोड़ने के qयेय से %कूल खोलने का Qवचार बना लया।दो साल म%कूल तन गया◌ा। कुछ ह साल; म- सo हो गया। %कूल के वाQषFक कायFXम म- न5दराज सेठ सपSरवार उपि%थ#त रहते। मेधावी ब?च; को पुर%कार दे ते और गर ब ब?च; क1 आगे क1 पढ़ाई का िजOमा भी। इसी सल सले म- न5दराज सेठ सपSरवार गांव आये थे।पहले क1 तरह इस बार भी आसपास के जNरतमंद और मा#न5द लोग मलने आये पर इस बार एक नया चेहरा िजसे दे खकर कु,त; भ|कने लगे थे। ब%ती के ब?चे पगला कहकर ढे ला मार रहे थे। शोरगुल सुनकर न5दराज सेठ Zखड़क1 से बाहर दे खने लगे। वे दे खते पहचान गये इतने म- वह फटे हाल आदमी कोठ\ के दरवाजे पर आ धमका।वहां उपि%थत लोग भ|चके रह गये।न5दराज बोले घबराने क1 कोई बात नह ं है ।सबको बैठने का अनरु ोध करते हुए बोले अछूत के दरवाजे पर कैसे आना हुआ ? कुछ बाहर के लोग पहल बार आये थे जो नह ं पहचान रहे थे बोले सेठजी पागल का इतना स,कार? न5दराज सेठ-कोई मामूल आदमी नह ं ह_ ये जनाब ? कौन है ․․․․․․․․․․․․․․? न5दराज-गांव के बड़ी हवेल के वाSरस जमींदार रती5s भाल। कैसी जमींदार बचा Dया है ? भूतह हवेल गरबी क1 आह ले डूबती है । रती5s-म_ भी डूब चुका हूं बस एक आस बची है । कामनाथ बोले-हवेल बेचना है । अरे भूतह हवेल 'कसी मजदरू के खर दने क1 बस क1 बात तो नह ।दो चार बीसा बचा हो तो अ3धया Bटकुर पर कोई जोत बो सकता है । रती5s-हवेल के Bह%सेदार है ,अकेले ब-च नह ं सकता।जमींदार पहले बक चुक1 है । कामनाथ-'फर कैसी उOमीद और 'कससे ?


रती5sभाल-न5दराज सेठ से। न5दराजसेठ-बाबूजी पानी दाना कुछ तो अछूत के घर को लेगे नह ं। जमींदार रती5sभाल-अछूत तो म_। तुमसे भीख मांगने आया हूं कहते हुए हाथ जोड़ लये। न5दराज सेठ-बाबूजी म_ अछूत 'कस काम आ सकता हूं,बेBहचक बोलो। रती5sभाल-एक और RवाBहश पूर कर दे ते तो हमार पीBढ़यां तO ु हार कजFदार रहती। वैसे भी कजFदार है जो कभी हवेल म- मजदरू थे कामनाथ जो अब न5दराज सेठ का QवCवासपाc था बड़े आ,मQवCवास के साथ बोला। न5दराजसेठ- Dया। रती5sभाल-बेटवा को नौकर ता'क चैन से मर सकंू और मरने के बाद एक गज कफन तो मल जाये। अपने 'कये पर श मF5दा हूं न5दराजसेठ कहते हुए रोने लगे। रती5sजीमंदार क1 आंसूओं क1 बाढ़ को दे खकर कामनाथ बोला Dय; लोटा भर आंसू गार रहे हो। रती5sभाल-आंसू नह ं ायिCचत कर रहा हूं कामनाथ। कामनाथ-पानी पीओगे। Dय; नह ं बहुत जोर क1 fयास लगी है । कामनाथ-अछूत के घर का पानी पीकर नरक चले गये तो। रती5sभाल-आ,म:ला#न से छुटकारा और %वगF का सख ु मलेगा । अपने हाथ से पानी लेकर आउं कामनाथ बोला। जNर-जमींदार के अ भमान से दSरs बन चुके रती5s बोले। कामनाथ उसी लोटा म- पानी लाया िजसे लोटा म- पानी भरकर जमीदार रती5द भाल ने न5द ू के माथे पर मारा था साथ म- चांद का 3गलास भी जो न5द ू सेठ ने अपने पSरEम से बनवाया था। कामनाथ के हाथ से लोटा लेकर,लोटा भर पानी पेट म- उतारते पूवF जमींदार अब कंगाल और #तUठा खो चुके रती5sभाल बोले न5दराज सेठ ने आंखे खोल द है ।मेरा ायिCचत तभी पूरा होगा जब न5दराज सेठ के fयाउं पर लोटा भर-भर पानी पीलाते शेष जीवन गज ु ार दं ।ू जा#त से नह ं आदमी कमF से महान बनता है समझ म- अब आ गया है ।


कामनाथ-करते रहो यिCचत जमींदारबाबू लोटा भर पानी पीलाते पीलाते । काश समझने म- लोग दे र ना 'कये होते तो दे श आदमी बहुखिKडत और दे श खिKडत ना हुआ होता। मौत क7 ता8मल सौOया और %वत5c मां बेटे घर के मेन गेट के ब कुल सामने खड़े आपसम- ब#तया रहे थे। इसी बीच सरदार स5यासी ना जाने कहां से आ टपके। स5यासी एक पल सौOया तो दस ू रे पल %वत5c और तीसरे पल घर को टुकुर-टुकुर #नहारे जा रहे थे। सौOया-%वत5c से बोल बेटा ' ज पर पैसा है ला सरदारजी को दे दो। लंगर का च5दा लेने के◌े लये खड़े होगे। %वत5c-मOमी पहले भी तो आये थे। सौOया-बेटा ये सरदारजी नये लगते है जो पहले आये थे वे तो कई साल; से आ रहे है । तुमको िजतना कह रह हूं उतना करो। fयाज का #छलका मत #नकालो। सरदार स5यासी-बाद म- दे दे ना। सौOया-बाबा बैठोगे कुस& ला दं ।ू स5यासी-बेट बैठूंगा नह । सौOया-चाय पानी․․․․․․․․․․․․․․․․․․ स5यासी-चाय पानी क1 त#नक इ?छा नह ं।खड़े-खड़े दो बात- करने का मन हो रहा है । %वत5c-बैठ कर बाते करो ना। स5यासी-बैठा तुम लोग बड़े सं%कार लगते हो। आज के दौर म- कौन इतनी आ,मीयता Bदखाता है ।लोग भीखार समझते है । खैर आम आदमी क1 भी Dया गलती गलती तो ढ◌़◌ो3गय; क1 है तो %वाथFवश स?चे साधुओं को भी शंका के घेरे म- खड़ा कर Bदये है । सौOया-बाबा बैठ कर समझाईश दे ते तो बBढ़या होता। स5यासी-वDत नह ं है । दो तीन Cन पूछना है बोलो उ,तर दोगी ना। सौOया-कैसे Cन बाबा। स5यासी-बेट तुमने Cन करना C◌ु◌ाN कर Bदया।तम ु तो मुझे ये बताओ तुOहारे जेठ जेठानी है Dया ?


सौOया-नह ं बाबा,म_ ह बड़ी हूं।दे वर डां․हरे 5s और दे वरानी सुभौती,जो ब?चा बरामद- म- बैठा पढ़ रहा है दे वर का बेटा है । स5यासी-बेट झूठ Dयो बोल रह हो ? सौOया-कैसा झूठ बाबा ? स5यासी-तुOहारे बड़े ससुर के बेटा-बहू तुOहारे जेठ-जेठानी नह ं है । वह तो तुOहारे सास-ससुर क1 मेहनत मजदरू क1 कमाई पर कुKडल मारे है । अभी भी उसक1 भूख शा5त नह ं हुई है । सौOया-अब Dया करने वाले है । स5यासी-कर चुके है । सौOया-Dया․․․․․․․․․․․․․․․․․․? स5यासी-मौत क1 ता मल। सौOया-Dया कह रहे हो बाबा। स5यासी-सच कर रहा हूं। तुमने एक और घर बनवाया है । सौOया-नह ं बाबा छोट सी तनRवाह म- और घर कैसये बनवा सकती हूं। ब?च; क1 पढ़ाई का खचF,सासससुर,दे वर-दे वरानी और उसके ब?च; का खचF। स5यासी-बेट गांव म- घर बनवायी है ना। सौOया-उसी को बनवाने म- तो जेठ-जेठानी ने कोटF कचहर तक कर Bदये थे। उनके भाड़े के गK ु डे हरे 5s को मारने के लये आया करते थे पर भगवान बचाते रहे । खन ू के SरCते खा#तर हम लोग; ने सब कुछ भुला Bदये। स5यासी-उसी मकान के दिDखन वाले घर के मqय म- तO ु हार सात पीBढ़य; तक के मौत क1 ता मल हो चुक1 है । सौOया-बाबा ये Dया कह रहे हो । स5यासी-सच कह रहा हूं,तOहार सास क1 मौत के लये भी यह िजOमदे ार है ।सोचो तुOहार सास को Dया हुआ था। कुछ नह ं ठ\क-ठाक थी। एकदम से बेहोश हुई और 'फर चल बसी।ज द करो मौत क1 ता मल क1 सबूत उखाड़ फेको। सौOया-हमार तो 'कसी से कोई दCु मनी नह ं है कौन ऐसा करे गा।


स5यासी-जमीन का मोह,कुछ भी करवा सकता है । सन ु ो दिDखन वाले घर म- एक मटके म- गण5त 'कया गया है ,िजसम- सात सुई,नाव क1 क1ल-,Cमशान क1 राख,आदमी क1 हdडी,साह के कांटे, स5धूर,ल|ग और भी ढे र सारा ताि5cक पूजन साम`ी जो तुOहार सात पीBढ़य; तक बेमौत-मौत दे ने क1 सािजश है । बेटा कोई और अनहोनी हो ज द करना कहते हुए स5यासी कुछ कदम जाने के बाद अrCय हो गये। दे र रात लालबाबू दफतर से आये,सौOया ने स5यासी क1 कह एक एक बात को बतायी।लालबाबू को यक1न होने म- दे र ना लगी Dय;'क उनक1 दाद 'क%सा सुनाती थी 'क उसके मायके म- 'कसी से उसक1 दCु मनी थी। उसने ताि5cक से बाण मरवाया था िजसम- वह सामान थे जो स5यासी ने बताये थे और वह आदमी मर गया था।यह बाण जाद ू Qवiया से संचा लत होता था िजसका #नशाना सट क होता था,िजसके नाम से जाद ू का बाण मारा जाता था उसक1 जान जNर जाती थी। द द कहती थी 'क सुई और नाव क1 क1ल YयिDत के कलेजे को छलनी कर दे ती थी कुछ ह दे र म- YयिDत मर जाता था।जाद ू Qवiया ख,म नह ं हुई है ,जाद ू के साधक आज भी है ,जो च5द Nपय; के लये 'कसी बेकसूर क1 िज5दगी लेने म- कसर नह ं छोड़ते।सोच-सोच कर लालबाबू करवट- बदलते रहे । सब ु ह उठते ह भाई हरे 5s को फोन लगाया और सार दा%तान कह सन ु ाया । हरे 5s मानने को तैयार ना था वह बोला भईया ये कैसे हो सकता है िजस Bदन नींव खद ु थी उस रात मांता-Qपता और म_ पूर रात वह बैठे रहे सब ु ह चार बजे सोने गये थे। लालबाबू-िजसको जान लेवा जाद-ू टोना करना था हो सकता है ,वह भी तुOहार तरहे बैठे रहे हो और तुOहारे जाते है गण5त कर Bदया हो।शंका क1 बात तो है ,मां क1 मौत इस मौत क1 ता मल को और भय पैदा करती है ।तम ु मौलवी बाबा के पास जाओ और उनको सार दा%तान बताओ। कोई मस ु ीबत आये उसके पहले #नराकरण हो जाये। हरे 5s डर के मारे कांपने लगा ।वह बोला ठ\क है भईया म- अभी मौलवी बाबा के पास जा रहा हूं। वह मौलवी बाबा के पास गया। मौलवी बाबा तो वैसे थे तो मस ु लमान पर ताि5cक Qवiया क1 उ5ह- अ?छ\ समझ थी।सुबह 'करन फूटते ह हरे 5s मौलवी बाबा के घर पहुंच गया। बाबा बोले डां․बाबू सुबह-सुबह कैसे आना हुआ। हमारे यहा तो सब ठ\क है । हरे 5s-बाबा एक जानलेवा शंका के घेरे म- हमारा पSरवार है ।भईया ने आपके पास भेजा है । मौलवी-भईया इंदौर से आये है Dया ? हरे 5s-नह ं, उनका फोन भोर म- आया था।बाबा तीसरा नेc खोलो और मेरे नये वाले मकान के दिDखन वाले घर को दे खो। मौलवी बाबा-कुछ दे र मौन रहे 'फर एक सुई पाकेट म- से #नकाले %वयं क1 जांघ म- धंसाये खून जमीन पर टपकाये।पल भर म- वे अरे बाप रे कहते हुए कूद पड़े। हे खुदा ऐसी कैसी दCु मनी। कुछ दे र बाद सामा5य हुए हरे 5s से बोले बेटा लालबाबू ने जो कुछ बताया है । वह सह है ले'कन उ5ह- इतनी दरू बैठकर कैसे आभास हुआ। हरे 5s-बाबा कोई स5यासी आये थे भौजी को बताकर कुछ कदम जाने के बाद अrCय हो गये थे।


मौलवीबाबा-स5यासी के Nप म- हरे 5s बाबू वे भगवान थे। दिDखन वाले घर म- इतनी जबFद%ती रा@सी शिDतय; को बठाया गया है 'क जमीन से खून का उबाल फूट रहा है । ये रा@सी शिDतयां एक-एक कर पूरा खानदान ख,म करने क1 सािजश है ।इनको ज द से ज द #नकालना फ-कना होगा। हरे 5s ने बाबा क1 बात सौOयाऔर लालबाबू से मोबाइल पर करवा। बाबा ने सा5तवना द बेटा मेरे रहते अब कोई बाल बांका नह ं कर सकता तम ु ज द आ जाओ। लालबाबू-अगले सfताह आता हूं श#नवार को चलकर रQववार को गांव पहुंच आउं गा। मौलवी बाबा- ठ\क है ,पूजा साम`ी क1 सूची डांDटर बाबू को दे दे ता हूं,गण5त #नकालने क1 #त3थ काल गणना के अनुसार मौलवीबाबा मंगलवार क1 दे Bदये ।मौलवी बाबा हरे 5s से बोले बेटा पांच दस मा#न5द गांव वाल; को भी बुला लेना। गांव वाल; क1 उपि%थ#त भी जNर है । #नधाFSरत #त3थ को मौलवी बाबा पहुंच गये। हरे 5s ने पूजा साम`ी पहले ह ला चुका था। मौलवी बाबा एक-एक चीज क1 सुyमता से पड़ताल 'कये।सुखव5त हरे 5s के बाप से बोले पहलवान तम ु नहा धोकर तैयार हो जाओ। सुखव5त बोले Dय; मौलवीबाबा ब ल का बकरा बन रहे हो Dया ? खैर कोई 3च5ता नह ं ब?च; के भQवUय के लये यह भी करने को तैयार हूं। मौलवीबाबा-पहलवानजी Dय; डर रहे हो वे रखे सात छउवा कोहड◌़◌ो क1 ओर इशारा करते हुए बोले। वे आगे बोले पहलवान जी छउवा कोहड़ा बहुत उपयोगी होता है । इससे िजससे बड़ी और पेठा बनाया जाता है पूजा म- ब ल के %थान पर इसक1 ब ल द जाती है ।इसी क1 ब ल तुOहारे हाथ; से द जावेगी। शुभ मह ु ु तF बस आधा घKटे बाद शN ु होगा,इसी बीच तुम नहा धोकर नया व%c धारण कर लो। हरे 5s बाबू धानजी को बुलाये हो ना । इतने म- धान आ गये और बोले बाबा आ गया त#नक बलOब हो गया माफ करना। मौलवी बाबा- ब कुल सह समय पर पधारे है धान जी।मुहुतF शN ु होने वाला है । सार पूजा साम`ी गण5त के पास रखने का आदे श बाबा Bदये बाक1 लोग; को ब कुल च|कना रहने का आदे श दे कर मौलवी बाबा ताि5cक कमF म- लग गये।आधा घKटे क1 पूजा अचFना के बाद मौलवीबाबा गांव के एक घल ु म% ु टKड क1 ओर इशारा करते हुए बोले उठा लो फावड़ा और गण5त के %थान पर इशारा करते हुए बोले शN ु हो जाओ। घल ु घट ु ने के बराबर खोदकर हांफने लगा। बाबा बोले कोई और भी है जो फावड़ा थाम सके तब Dया लाइन लग गयी। कमर तक गdढा खुद गया। इतने म- गdढे म- ताि5cक मौलवी बाबा को कुछ Bदखा वे खोदने वाले से बोले ज द दरू हट जाओ।वह थरF-थरF कांपता हुआ कमरे बाह #नकल गया। इतने म- गडढे म- से कुछ लाल रं ग का Bदखाई पड़ गया आसपास खड़े लोग दरू भागने लगे।मौलवी बाबा लुंगी खुBटयाने लगे इतने म- गडढे से खून के छ\ंटे फूट पड़े और मौलवी बाबा एकदम से कूद पड़े पर Dया भीभ,स अटहास के साथ कमरा धुय- से भर गया। लोग कुछ दे र के लये जैसे अंधे हो गये पर मौलवी बाबा को घनघोर धुय- म- भी साफ साफ Bदखाई पड़ रहा था। वे नाम ले-लेकर सभी को #नदl शत 'कये जा रहे थे। वे बोले पहलवानजी तलवार उठा लो और एक कोहड़ा के दो फांक कर दो। सुखव5त पहलवान ने ऐसा ह


'कया। इसके बाद बाबा बोले दोन; फांक पर स5धूर लगाओ और दोन; फांको के बीच दाN डालो◌े। इसी तरह सभी कोहड◌़◌ो◌ं क1 ब ल द गयी या#न सात जान द गयी और दाN चढ़ाया गया। इसके बाद धुआं तो कुछ कम हुआ पर धुआं के कम होते ह जो नजारा Bदखा उससे तो कईय; के होश उड़ गये।मौलवी बाबा खुद धुय- म- उभर दै ,य क1 आकृ#त दे खकर पसीने-पसीने हो गये। एक बार 'फर अफरा-तफर मच गयी।दै ,य आकृ#त लालबाबू या हरे 5s को #नशाना बनाये इसके पहले मौलवी बाबा सख ु व5त के हाथ से तलवर खींच धुय- म- उभर आकृ#त पर दनादन हार करने लगे। इसके बाद वह आकृ#त कई खKड; म- बंट गयी और धीरे -धीरे धुंआ कम हुआ।धुआं कम होते ह मौलवी बाबा ने गढड- को लाल कपड़े से ढं क Bदये। म5c पढ़-पढ़कर पानी के छ\ंटे मारने लगे। काफ1 दे र बाद कमरे म- कुछ सामा5य ि%थ#त बनी पर दै ,य आ,माय- 'फर उ` हो गयी ग डे से लहू छ\ंटे रह-रहकर उठने लगे।मौलवी बाबा 3च लाकर बोले तुमको Dया चाBहये․․? वहां उपि%थत लोग; को लगा 'क गढडे से आवाज आयी खून । मौलवीबाबा बोले खून। 'फर ऐसे लगा जैसे गढडे से आवाजा आयी खन ू रे खन ू । मौलवी बाबा बोले सात खन ू तो दे Bदये और 'कतने खून पीओगे कहते हुए चाकू क1 न;क खुद क1 जांघ मघुसेड़ Bदये और बोले लो पीओ खून और यहां से सदा के लये चले जाओ। जैसे कमरे से आवाज गूंजी कहां जाये। हम- तो सात पीBढ़य; के खून पीने के लये यहां बैठाया गया था। मौलवी बाबा-तम ु जहां से आये हो वहा जाओ या कह ं और पर मेरे बNवा का घर छोड़ दो। आज के Bदन से तुम लोग; क1 वजह से मेरे बNवा का सर तक नह ं दख ु ना चाBहये। 'फर हवा म- आकृ#त उभर और मौलवी बाबा दनादन ल|ग और नीबू काटने लगे। इसके बाद कमरे मबवKडर उठा रोशनदान से होते हुए बाहर #नकल गया। मौलवीबाबा गढडे म- से गगर #नकाले और एक-एक सामान #नकाल कर लाल कपड़े पर रखने लगे िजसमसात छः-छः इंच क1 क1ले,सात नौ से दस इंच क1 स ु या,नाव क1 क1ल-,साह के कांटे,प?चास `ाम के आसपास Cमशान क1 राख,छः इंच के आस पास इंसान क1 हdडी,दै ,य क1 फोटो और ढे र सारे जाद ू टोना का सामान िजसको दे खकर गांव वालो को होश उड़गये। मौलवी बाबा बोले इतना बड़ा गण5त या#न पूरे पSरवार के मौत क1 ता मल का जाद ू टोना सुखव5त पहलवान क1 जमीन के सात पीढ◌़◌ी के वाSरस; को ख,म करने के लये 'कया गया था।खैर बला ख,म हो गयी पहलवानजी अब तुOहारे पSरवार का सुख चैन रा@सी व#ृ त के लोग छ\न तो नह ं सकते हां परे शान कर सकते है ।मौलवी बाबा बोले पहलवानजी एक सलाह दं ।ू सुखव5त-बाबा एक नह ं िजतनी चाहे सलाह द- म_ और मेरा पSरवार पालन करे गा,काश बुBढ़या आज होती।


मौलवीबाबा-उसके लये तो म_ कुछ नह ं कर सकता जो है उनक1 खैर मनाओ। हो सके तो पांच पंच का हाथ धुला दे ना। लालबाबू-बाबा आपके सलाह सरोधायF है । तभी सेवकदास- आगे बढ़कर आये और बोले बाबा नाम मालूम हो सकता है । बाबा-Dया करोगे नाम जानकर। सेवकदास-बाबा इस जघ5य जानलेवा सािजश क1 सजा तो भगवान जNर दे गा पर हम तो जा#त-समाज से ब5द तो करवा ह सकते है । बाबा-छोड◌़◌ो सेवक दास मरो को Dया मारोगे छोड़ भगवान के उपर। इतने म- जोर -जोर से रोने क1 आवाज सुखव5त के भतीजे धूतरF ाज के घर से आने लगी। गांव वाले धूतरF ाज के घर क1 और दौड़ वहां का नजारा दे खकर लोग; के होश उड़ गये धत ू रF ाज और उसक1 घरवाल जीSरया अचेत पड़े हुये थी। जमीन पर नाक रं गडने से खन ू #नकल चुका था। बहुय- रो-रोकर कह रह ं थी अOमाजी मान जाती तो द#ु नया तो ना थूकती ना। गांव वाल; क1 जबान पर बस एकह शAद गूज रहा था वाह रे शैतान जमीन के लये अपने पSरवार क1 सात पीBढ़य; क1 मौत क1 ता मल कर Bदया था।सुखव5त धूतरF ाज और उसक1 घरवाल जीSरया क1 हाल जानकर बैचेन हो गये और बोले मौलवी बाबा बचा लो। सेवकदास बोले 'कसको बचा रहे हो,जो तुOहार सात पीBढ़य; के नाश पर तूले हुए थे। सख ु व5त-गलती इंसान से होती है ,लालच म- आकर ये सब 'कया पर द#ु नया तो जान गया। बाबा बचा लो। मौलवी बाबा-एक 3गलास म- पानी फूंक कर दे ते हुए बोले ले जाओ दोनो के मुंह पर छ\ंटे मार दो उठ खड़े होगे पर जमाने के सामने हमेशा मरे हुए रहे गे।वह हुआ पानी के छ\ंटे पड़ते ह दोनो उठ बैठे और सख ु व5त के पैर पकड़ कर बोले मौत क1 ता मल उलट पड़ गयी।सेवक दास बोले ये तो सख ु व5त है 'क बचा लये मेरे जैसे आदमी होता तो तO ु हारे मौत क1 ता मल तO ु हार छाती म- वह तलवार घस ु ाकर कर दे ता िजस तलवार से सुखव5त ने सात कोहड◌़◌ो◌ं के मौत क1 ता मल क1 है ब%ती वाल; के सामने। वाह रे नरQपशाच ता मल तो तेर मौत क1 होनी थी पर Dया बचाने वाला सुखव5त और उसके बेटे लालबाबू और हरे 5s तुOहारे लये आज भगवान साQवत हुआ है ।कभी फन ना उठाना वरना तेरे मौत क1 ता मल ब%ती वाले करा दे गे। । दो बीसा जमीन । राजमZण बस दो बीसा भर जमीन का मा लक बचा था। ऐसा नह ं 'क उसके पुरख- भ ू मह न या दस ू रे मु क के Sरफ् यूजी थे ऐसा कतई नह ं था। उसके पुरख; ने आBदम युग म- अपी खुल आंख; से सूरज को पूरब म- उगते हुए इसी दे श म- था। सोते-जागते Eम से धरा को सींचते उसके पुरख; क1 ह]dडयां इसी दे श क1 उवFर बढ◌़◌ीयी और वह %वयं भी पुरख; के नDशे कदम चल रहा था पर5तु वह गल ु ाम दे श म-


अवतSरत हुआ था। उसे Qवरासत म- गर बी,छुआछूत क1 बीमार और भ ू मह नता मल थी। कहने को तो राजमZण उसका नाम था पर राज के नाम पर हाड़पेरना ,मZण Dया मZण तो उसने सपनो म- भी नह ं दे खा था। मानने को तो माना जाता है 'क उसके पुरखे के हाथ म- 'कसी युग म- दे श क1 स,ता थी Dय;'क वह मूल#नवासी था पर5तु वह सफF दो बीसा भर जमीन का मा लक भर बचा था। जतन और पतन झेलकर उसके पुरखे जमीन का मा लकाना हक बचाते आ रहे थे पर5तु जमींदार था के आगे उनक1 एक ना चल । जमीदार था ने उस और उस जैसे लोग; का जल जमीन पर से हक #छनकर उसे अछूत बना Bदया। जमीदार था के आतंक,अ,याचार,शोषण और खौफ म- जीना इनक1 मजबूर बन चुक1 थी। जमींदार था और वZणFक Yयव%था का दं श आज के इस युग म- भी #नOन वZणFक कहे जाने वाले भोग रहे है । जमींदार; के जमीन क1 सरहद- इतनी बढ़ गयी थी राजमZण का घर से बाहर पांव रखते ह पहला कदम जमींदार; क1 जमीन पर पड़ता था,जब'क जमींदार था के पोषको ने यह धरती सािजश रखकर उसके पुरख; को जमीन के अ3धकार से बेदखल 'कया था। इस अपराध के लये उसे कई बार दKड भी मल चुका था। राजमZण के घर क1 चौखट और जमीदार के खेत क1 मेड़ जो उसके ठ\क दरवाजे के समाने से गुजरती थी 'कसी दCु मन दे श क1 सीमा रे खा से कम ना थी।राजमZण के ददF का #नवारण कह ं से होने क1 उOमीद ना थी। दे श गुलामी आतंक से कराह रहा था #नOन वZणFक लोग दे शवा सय; के आतंक के साये म- गर ब,बेबस और अछूत होकर जीने को मजबूर थे आदमी तो थे पर आदमी का सुख इनक1 नसीब; से कोसो दरू था।इनक1 नसीबे जमींदार; और दबंगो क1 चौखट पर कैद थी। राजमZण के पास कोई म ू यवान सOप#त शेष थी,यह दो बीसा जमीन उसके पुरख; क1 इकलौती Qवरासत और जीQवत ददF भर दा%तान भी। राजमZण का ज5म गल ु ाम दे श म- हुआ था पर उसक1 औलाद- भीमचरण,शंभख ु चरण और बीBटया ग#त आजाद दे श म- अवतSरत हुई थी। इ5ह संतान; को दे खकर प#त-प,नी या#न राजमZण और दे वक1 के सपने बस5त क1 तरह सजे रहते थे। राजमZण के पास कमाई का कोई पुRता इ5तजाम तो ना था,वह भू मह न मजदरू था,जो कमाई होती उससे रोट का इनतजाम भी ना होता पाता था। जमींदार; के आतंक से दै Bहक और भौ#तक ददF #नर5तर बढ़ता जा रहा था। दे वक1 का चातुयF ददF पर मरहम का काम जNर कर रहा था। राजमZण जब 3च5ता क1 3चता 3चकोले खाता तो वह उसके कंधे पर हाथ रखकर कहती ग#त के पापा Dय; 3च5ता करते हो। Dया कNं सामािजक कुYयव%था क1 दे नह ं तो आ3थFक अवदशा है ,काश सामािजक दद ु F शा से छुटकारा मल जाता और हमारा भू मह नता का अ भशाप कट जाता राजमZण कहता। दे खो ग#त के पापा सामािजक कुYयव%था और भू मह नता आदमी का Bदया हुआ ददF है । भगवान ने तो हम- दस ू रे मनुUय; के समान बनाया है । दबंग आतात#याय; न हमारा सब कुछ #छन कर हम- दSरs बना Bदया है ,हमार भी दSरsता जNर ख,म होगी। जब एक और रहठा एक रहठा या#न अरहर के डKठस से पSरवार क1 काया पलट सकती है तो म_ Dय; नह ं दे वक1 मीठ\ बात; से राजमZण के ददF को कम करने का य,न करती। राजमZण-रहठा से कैसे पSरवार सOप5न हो सकता है ।


दे वक1-रहठा से Dय; नह ं कमाई हो सकती है । रहठा जलाने से खाद बनेगी,खाद खेत म- डलेगी अनाज ^यादा पैदा होगा। म_ भी तुOहारा सहारा बनूंगी। राजमZण-तुम तो वैसे ह मेरा सहारा बनी हो। घर का काम करती हो,मेहनत मजदरू भी करती हो। दे वक1-मेर दाद कहती थी उसके दादा के जमाने म- एक औरत एक रहठा ब-चकर दो खर द ऐसे ह धीरे धीरे उसके कारोबार म- बरDत हुई । उसी एक रहठा से शN ु कारोबार इतना बढ़स 'क वह बैलगाड़ी भर-भर रहठा बेचने खर दने लगी इतना ह नह ं अपने प#त को छुड़ाकर बOबई शहर से लायी भी थी । एक रहठा से उसक1 'क%मत जाग सकती है तो हमार Dय; नह ं हमारे पास तुम हो भीमचरण,शंभुखचरण और बीBटया ग#त है और दो बीसा जमीन भी। अब तो मैने एक मुग& भी अ3धया पर ले आयी हूं,धीरे -धीरे बर और भ_स भी अ3धया पर पालूंगी। मतलब एक मुग& से इतने बड़े सपने राजमZण बोला। दे खना इसी मग ु & क1 कमाई से म_ एक बकर खर दं ग ू ी। इसी मग ु & और बकर से मेर गर बी मटे गी,ब?च; को पढ़ाय-गे लखाय-गे दे वक1 बोल । ठ\क कह रह हो पर ब?चे पढ़ लख जाये तब ना राजमZण बोला । दे वक1-%कूल के दरवाजे तो सबके लये खुल गये है Dया छोटा Dया बड़ा ? सािजश; के शकार ना हो हमार तरह राजमZण बोला। नह ं होने द- गे । हमारे पास दो बीसा जमीन क1 ताकत तो है ,िजसके पीछे हमारे पुरख; क1 ललकार है ।हमारे पास तो कुछ तो है बाक1 लोग; के पास Dया है ? उनके दख ु से हमारा दख ु कुछ तो कम है । तम ु Dया भूल गये भीमचरण के %कूल म- वेश का लेकर। 'कतनी मुिCकल- आयी थी पर तुमने बेटवा को दाZखला Bदलवाने क1 िजद कर लया था और बेटवा पढ़ने क1 अज दस ू र जमात म- पहुंच गया है । शंभुखचरण और बीBटया ग#त के लये भी तो %कूल का रा%ता साफ हो गया है ग#त के बाबू दे वक1 बोल । संघषFरत ् रहकर भी हम ब?च; क1 पढ़ाई से पीछे नह ं हटूगा। द#ु नया क1 सार तरDक1 पढ़ाई से होकर गुजरती है । भले ह म_ #नर@र हूं पर जमींदार; क1 खेत म- मेहनत मजदरू करते-करते जान गया हूं राजमZण बोला। अब अपने पास भी खेत होगा दे वक1 बोल । ब?च; के कमाने लायक होने तक इंतजार करना होगा,तभी दो बीसा जमीन का फैलाव एकड◌़◌ो◌ं म- होगा राजमZण बोला। नह ,ज द भ ू मह नता का अ भशाप कटने वाला है ।


कैसे कोई जाद ू क1 झड़ी तO ु हारे हाथ लग गयी। नह ․․․․․․कल ब%ती म- लाला आये थे। भ ू मह न; का नाम लखकर ले गये । कह रहे थे जो भ ू मह न है उनको आवKटन मलेगा दे वक1 बतायी। पगल ये जमीदार लोग आवKटन होने दे गे Dया ? दे ख नह ं रह है पोखर तक पWटा करवा लये है । गांव समाज क1 जमीन अपने खेत; म- मला लये है ।त#नक जो जमीन खाल थी िजस पर हमारे पशु कभी कभार चर लया करते थे वह भी हSरयाल के नाम पर हड़प लये। हम लोग; के लये तो मैदान तक जाने के जमीन कह ं Bदखाई नह ं पड़ रह है । िजतनी गांव समाज क1 जमीन म- जमीदार; का गोबर पाथा जा रहा है और ख लहान के नाम कAजे म- है उतनी जमीन म- आधी ब%ती के लोग; का भू मह न होने का अ भशाप कट सकता है । पहले भी आवKटन के लये कानूनगो,तहसीलदार आ चुके है पर धान ने अपनी हवेल से वापस लौटा Bदया है ,यह कर 'क हमारे गांव का रकबा इतना छोटा है 'क आवKटन क1 गुजाइ श नह । कागज म- ल पापोती धान लोग तो आजाद के बाद से करते आ रहे है । इन जमींदार;,दबंगो का Bदया घाव तो अं`ेजो के घाव से अ3धक गहरा होता है ।खैर आशावाद बने रहना चाBहये Dय;'क उOमीद पर द#ु नया Bटक1 है । दे वक1-आवKटन तो होगा भले ह दे र से हो। िजतनी गांव समाज क1 जमीन अपने गांव म- है ,उसक1 आंधी बंट गयी तो ब%ती के हर भू मह न के पास बीघा-बीघा जमीन हो सकती है । राजमZण-हो सकता है हो पर हक1कत म- नह । दो चार को उतनी जमीन आंKवटन म- मल जायेगी पर हल-बैल घम ु ने भर को भी नह ं होगा। हां कागज का पेट भर जायेगा और आवKटन जमीदार नह ं होने Bदये का दोष उनके सर से उतर जायेगा।साम5तवाद सोच ह हम हम- दोयम दजl का आदमी बना द है ।साम5तवाद सोच वाले जमींदार; क1 दे न है 'क शोQषत,गर ब और भू मह न है और यह इनक1 सािजश है । राजमZण क1 शंका दो साल के अ5दर सच म- बदल गयी। सरकार #नयम कानून जमीदार धान और जमीदार; क1 एकता के आगे मत ृ ाय हो गये। राजमZण दो बीसा जमीन के मा लक से उपर नह ं उठ पाया पर उसक1 rढ़ िजद से मजदरू ब%ती म- श@ा का सूरज उग गया। ब%ती के ब?चे जमीदार; के खेत ममजदरू करने क1 बजाय %कूल जाने लगे थे। दे वक1 क1 योजना से भरपूर लाभ होने लगा,उसक1 एक मग ु & से कई म3ु गFयां हो गयी,कभी अंडे बेचकर तो कभी मग ु ी-मग ु l कभी बकर -बकरा बेचकर रोट और ब?च; क1 पढ़ाई का खचF पूरा होने लगा। कई बार तो राजमZण ने पांच Nपया सैकड़े के सद ू पर साहूकार से Nपया कजF भी लया ब?च; क1 पढ़ाई के लये। हां इस कजF क1 भरपाई करने के लये उसे भार क1मत भी चुकानी पड़ी थी,गा भन भ_स बेचनी पड़ी थी। खैर भीमचरण ने दे वक1 और राजमZण क1 उOमीद; को जीQवत रखा उनके सपन; म- पर @ा पास कर-कर एक मोती जोड़ता जा रहा था। शंभुखचरण और बीBटया ग#त भी भीमचरण के नDशे कदम चले पड़े थे।दो बीसा जमीन से उपजी उOमीद क1 उवFरा से भीमचरण दसवीं क1 पर @ा पास कर गया। यह खबर पूर ब%ती के मजदरू ; के लये उ,सव बन गयी थी। राजमZण ने◌े भीमचरण के पर @ा पास होने क1 खुशी म- ब%ती के लोग; को दावत भी Bदया, जब'क भीमचरण मना करता रह गया। राजमZण बोला बेटा अभी


तुOहार मंिजल दरू है ,हम- ह नह ं ब%ती वाल; को भी तुमसे उOमीद है । तुम बड़ा अफसर बन जाओगे तो ब%ती वाल; को नाज होगा। ब%ती वाले कहे गे दे खो हमारे मजदरू भाई का बेटा ब%ती से #नकल कर महल म- पहुंच गया। बेटा दआ लेते जा, मुिCकल के वDत आदमी दआ ु बहुत काम क1 हो◌ेती है । दआ ु ु के भरोसो सम5दर पार कर लेता है । तुम खोद सोचो म_ तुमको %कूल भेज सकता था नह ं Dयो'क पढ़ाई का खचF सन ु कर मेरे होश उड़ जाते थे । बेटा तम ु दसवीं पास कर गये इसम- ब%ती वाल; क1 दआ ु ओं का भी हाथ है ।तुम खचF क1 3च5ता मत करो, बस पढ़ता जा इOतहान पास करता जा, बाक1 सब दआ ु ओं और भगवान पर छोड़ दो।बेटा मेरे पास कोई धन दौलत नह ं है नह ं कमाई का कोई पुRता इंतजाम पर तुम अपनी मेहनत से यहां तक पहुंचे हो ले'कन यह Nकना नह ं है और-और आगे जाना है । हमार ह नह ं ब%ती वाल; क1 तम5ना है 'क तम ु तरDक1 करो ब%ती का नाम हो। बेटा हमारे पास कुछ नह ं है पास पुरख; क1 दो बीसा जमीन तो है ना सोचो 'कतनी ज5नत से ये जमीन बची होगी। वैसे ह तO ु ह- मिु Cकल; का दSरया पारकर तरDक1 के शखर पहुंचना है ।यह काम सफF दौलत से ह नह ं होने वाला इसके लये BहOमत के साथ लोग; क1 दआ ु आये भी जNर है ।राजमZण के आगे भीमचरण #नN,तर हो गया था । भीमचरण पढ़ने म- हो शयार तो था पर उसे कमजोर वगF का होने के नाते नक ु शान भी उठाने पड़े थे। कई बार उसक1 मा'क ग कम,तर आंक1 गयी पर उसका हौशला टूटा नह । पर @ा पास करता गया पर ]डवीजन जNर खराब कर Bदया गया पर5तु वह गर बी क1 कमजोर कCती म- Bहचकोले खाता हुआ बी․ए․क1 पर @ा पास कर गया जो उसके खानदान म- ह नह ं पूर प?चीस घर क1 ब%ती म- पहला बी․ए․पास YयिDत था। राजमZण और दे वक1 भीमचरण को आगे पढाई जार रखने क1 िजद पर अड़े थे पर घर क1 दयनीय ि%थ#त उससे #छपी भी ना थी। आZखरकार मां-बाप से %वयं क1 पढ़ाई जार रखन शंभख ु चरण और बहना ग#त को पढ़ाने का वादा कर मां बाप और प,नी रे खा से Qवदा लेकर शहर को कंू च कर गया। शहर म- उसे बहुत मुिCकले आई अनजान शहर अनजान लोग न रहने का Bठकाना ना खाने का। कहते है ना शहर म- अपने भी पराये हो जाते है ,इसक1 भी तफद श उसे हो गयी। बड़ी मुिCकल से कई लोग; के साथ एक झ:ु गी म- रहने का इंतजाम तो हो गया पर काम न मलने के कारण दो Bदन म- ह पाटF नर; के लये बोझ बन गया। नौकर क1 तलाश म- उसे रात Bदन का पता नह ं चल पाता था। दे र रात वह झ:ु गी आता कभी कुछ खाने को मल जाता कभी पेट पर पWट बांधकर सो जाता।सfताह भर शहर म- भटकने के बाद वह मKडी क1 ओर Nख 'कया कई Bदन; तक मKडी म- बोझा ढ◌़◌ोने के बाद कुछ पैसे मले। इन पैसो से झु:गी का 'कराया और खुराक1 का Bहसाब चुकाया। मKडी के काम के साथ ह वह दस ू र नौकर भी तलाशता रहा।कुछ मह न; के बाद उसे 'कताब क1 दक ु ान म- नौकर मल गयी। उसक1 मंिजल तो यह नह ं थी पर स5तोषी सदा सख ु ी के सार को अमत ृ समझ रसपान करता जो कुछ उसक1 कमाई से बचता Qपता के नाम म#नआडFर कर दे ता। मां बाप भाई बहन के साथ रे खा और तनु क1 3च5ता उसे चैन नह ं लेने दे ती थी। आZखरकार उसक1 पढ़ाईर्,मेहनत,मां बाप और ब%ती वाल; क1 दआ ु य- रं ग लाई और भीमचरण को सरकार सं%थान म- नौकर मल गयी। इस सं%थान म- उसे मुिCकल- तो बहुत आयी। कई साम5तवाद Qवचारधारा के अफसर; को उसक1 उपि%थ#त त#नक नह ं भाती थी। Qवजय भीमक,दे वे5s भीमक,अवध भीमक, वेश भीमक, कुसी भीमक,खिKडत भीमक, दआ ु Sरका याबू,रिज5दर लँ गरै या जैसे कई अफसर; ने उसक1 कैSरअर ख,म करने क1 बार-बार को शश करते रहे कामयाब भी हुए । आZखकार राजमZण क1 दआ ु ओं और दो


बीसा जमीन क1 ताकत के आगे दै ,य 'क%म के लोग Bटक ना सके भीमचरण को मंिजल मल ह गयी पर इस मंिजल तक पहुंचने म- उसक1 नौकर के प?चीस से अ3धक बस5त पतझड बन चुके थे। दे र से ह सह पर कमजोर वगF का मानकर तरDक1 से बार-बार वं3चत करने वाले शरKड; को खुद के गाल पर खुद जूते मारने को Qववश होना पड़ता था। भीमचरण का सामना जब इन शरKड; का होता तो ये शरण लजा पड़ते थे । भीमचरण था 'क इन शरKडो◌े◌ं को यथाउ3चत सOमान दे ने से बाज ना आ आता। भीमचरण को नौकर के बाद जो वDत बचता वह वDत कमजोर वगF के लोग; पर 5यौछावर करने क1 #तvा कर बैठा। उधर शOभख ु चरण बीए पास कर बOबई चला गया। क5%bDशन कOपनी म- काम करने लगा। कुछ साल के अनुभव के बाद वह सफल ब डर बनकर शोQषत; लोग; को संवo ृ बनाने के अ भयान म- जुट गया। ग#त पढ़ाई पूर कर ट चर बन कर ब%ती के ब?च; क1 नसीब संवारने म- लग गयी। राजमZण और दे वक1 क1 तप%या सफल हो गयी उसके पुc और पुcी तरDक1 के कैनवास पर अपने मांबाप का नाम लखने लगे। राजमZण और दे वक1 का एक पांव गांव म- तो एक पांव शहर म- रहने लगा। बढ़ती उj म- इस कार क1 भागदौड़ क1 सम%या से #नजात पाने के लये भीमचरण बोला मांताजी-Qपताजी गांव का मोह अब Dयो ना छोड़ दे ते शहर म- ह रहो बार बार आने जाने से परे शानी होती है । अब आप दोन; का शर र बुढ़ा हो चला है । राजमZण और दे वक1 दोन; #तउ,तर म- बोले बेटा फैसला तो कBठन है पर तुम भाई-बहन और परQवार के सामने उ,तर द- गे। उ,तर क1 #त@ा म- कई साल बत गये। इसी बीच दे वक1 क1 त बयत बहुत खराब हो गयी। भीमचरण,शंभुखचरण और ग#त एक साथ सपSरवार आ धमके। दे वक1 ने सभी को एक साथ बैठने का हुDम द । बरस; पहले भीमचारण के कहे वाDय को दह ु राते हुए बोल भीमचरण,शंभुखचरण, ग#त बहुओ,ं दमादजी नाती-पोत;,ना#तन और पो#तय; मेर एक बात खूंटे से गBठया लो तम ु लोग 'कतनी भी तरDक1 करना पर गांव से मोह ना तोड़ना। शंभुखचरण बोला ऐसा Dय; मां․․․․․․․․․․? बेटा दो बीसा जमीन म- हमार पीBढ़य; के पुरख; क1 आ,मा बसी है उ5ह के पुKय- ताप से तुम लोग तरDक1 क1 ओर #नर5तर बढ़ रहे हो। बेटवा भीमचरण पी․एच․डी․क1 उपा3ध पा लया ।जब कोई डाDटर भीमचरण का बाप कहता है तो मेर छाती दोगुनी हो जाता है ।जो लोग अछूत कहते नह ं थकते थे वह मेरे साथ बैठ-उठ रहे । तुम लोगो को दआ ु ये दे रहा है राजमZण बोले जा रहा था। बीच म- दे वक1 बोल भीमचरण के बाबू रात बहुत हो चुक1 है खाना तो खा लेत ब?चे भी खा लेते। राजमZण बोला-बीच म- ट;का टांक1 ना करो िजस बात को कहने के लये सबको बैठाया हूं वह तो अभी शुN ह नह ं हुई । शंभुखचरण-मां खा लेगे। बाबू क1 बात तो पूर हो जाने दो। राजमZण-मेर बात लOह; क1 है पर म5तYय पीBढ़य; तक साथ चलने का है । ग#त क1 मां दे खो अपनी आंख; के सामने 'कतना लोग बदल गये है ।एक घर म- कई पीBढ़य; के लोग साथ रहते थे। एक दस ू रे का दख ु -सुख बांटते थे। आज ब%ती म- आये बदलाव को दे खकर आंखे नम हो जाती है । यव ु ाओं म- एकल पSरवार का चलन शN ु होने लगा है । आ3थFक और सामािज Qवकास तो अ?छ\ बात पाSरवाSरक सOब5ध; म बखराव और दरू अ?छ\ बात नह ं हो सकती।


दे वक1-ये सब 'क%से Dयो सुना रहे हो िजसके लये सबको बैठा रखे हो बताओ ना। राजमZण-म_ ह नह ं अब पूर ब%ती के लोग अपने ब?च; पर नाज करने लगे है । म_ चाहता हूं मेरे ब?च; के मान-सOमान और तरDक1 म- सदै व अ भवQृ o होती रहे पर․․․․․․․․․․․․․ दे वक1-पर कहां से आ धमका ․․․․․․․․․․․? राजमZण- ग#त क1 मां दो बीसा जमीन से ब?च; का जुड़ाव हमेशा बना रहे । भीमचरण-बाबू दो बीसा जमीन नह ं ये पुरख; क1 जीQवत दा%तान है ,कैसे छूट सकती है । शंभुखचरण-मातभ ृ ू म से अलग होना या#न अपने पर काटना है । मांता-Qपता और ज5मभू म %वयं से fयार होता है ,इनका #तर%कार भला हम कैसे कर सकता है । दो बीसा जमीन पुरख; क1 Qवरासत है और इसी दो बीसा जमीन और आप मां-बा पके संघषF का नतीजा है 'क आज हमारे पास कोई कमी नह ं है । बाबूजी #निCच5त रहो आपक1 तप%या के #तफल को हम संभालकर रख- गे। भीमचरण- हां बाबू हम दो बीसा जमीन और अपनी जड◌़◌ो◌ं से जड़ ु े रहे ने का वादा करते है । राजमZण-बेटा मेरे जीवन क1 साध पूर कर Bदया बेटवा तुम सब खूब फलो-फूलो। दो बीसा जमीन का स;धापन यग ु -यग ु ा5तर बना रहे । राजमZण और दे वक1 पुर तरह आCव%त थे 'क उनक1 औलाद- दो बीसा जमीन और ज5मभू म से कभी नाता नह ं तोड़ेगे। इसी यक1न के साथ राजमZण और दे वक1 समय के चXYयह ू म- ◌ं समा गये पर भीमचरण और शंभख ु का नाता दो बीसा जमीन और ज5मभ ू म से नह ं टूटा। चव5नी का दद मोहन,सोहन और सुग5धा तीन; ब?चे न5दन को घेर कर बैठ गये। सुग5धा बोला पापा अपने ब?◌ापन क1 कोई कहानी सुनाओ ना । वह बBटया रानी का आ`ह टाल न सका । वह बोला बेट चव5नी सुना है । सुग5धा बोल हां पापा सन ु ी तो हूं। चव5नी क1 कहानी सुनाता हूं । मोहन,साहे न एक %वर म- बोले तब तो बड़ा मजा आयेगा । न5दन हं सते हुए बोला लो सुनो कहानी । बेटा चव5नी का भी अपना अि%त,व था,चव5नी और छोटे सDके माc Yयापार Qव#नमय क1 व%तु नह ं होते राUb क1 पहचान होते है ।हमारे बचपन म- एक पैसा दो पैसा पांच पैसा और बीस पैसे के सDके चलन म- थे पर5तु सरकार ने राUb य अि%मता को Yयापर क1 तराजू पर तौल कर छोटे सDको को ब5द कर Bदया है ।सुना है इन सDक; क1 बनवाई पर लागत ^यादा आती है । हम जब ब?चे थे तो हमारे लये बड़ी रकम के समान हुआ करती थी। चव5नी पाकर ब?च; को जैसे खजाना मल जाता था।सच भी तो है चव5नी नह ं तो एक Nपया नह ं सौ Nपया नह ं हजार करोड़ तक 'क क पना कैसी․․․? एक चव5नी म- इतना खाने का सामान आ जाता था 'क ब?चे को डंकार आ जाती थी। आज Yयापार करण के दौर म- चव5नी क1 कोई औकात नह ं बची है ,चव5नी बाजार से बाहर हो गयी है और एट एम सौ पांच सौर और हजार-हजार के नोट उगल रहे है । चव5नी को लेकर बुने मह ु ावरे आज भी चलन म- है ,कहते है ना चव5नी छाप,चव5नी होगा तेरा बाप और


भी बहुत कुछ। अपन,व को पSरचायक भी थी चव5नी नाना-नानी,दादा-दाद कहते थे जा बेटा या बेट ये काम कर दे तो चव5नी दं ग ू ा । ब?चे हं सी-खुशी नाना-नानी,दादा-दाद या 'कसी अ5य बड़े बूढे◌़ का कहा काम कर लौटते थे तो नाना-नानी,दादा-दाद ब?चे का माथा चूमते ,ढ़े र सारा आश&वाद दे ते चव5नी तो मलती ह थी।इसचमुच चव5नी सामािजक परOपरा क1 अंग थी आज भी है । चव5नी के उपहार के साथ ब?च; को नाना-नानी,दादा-दाद के बीच रहने और उनसे सं%कार,र #त-Sरवाज,नै#तक िजOमेदार का एहसास नजद क से समझने का सौभा:य मलता था। चव5नी संयुDत पSरवार के लये सोधापन रह है पर5तु आज दद ु F शा क1 शकार है ,जैसे बुजुग।F ब?चे नाना-नानी,दादा-दाद या 'कसी अ5य बड़े बूढे◌़ के साथ पलते-बढ़ते थे। मुझे दादाजी और नानाजी के सा#नqय का सुअवसर तो नह ं मला Dयो'क दोन; कम उj म- ह %वगF सधार गये थे। दाद और नानी का आशीश भरपN मला था। हमारे बचपन के समय गांव का हर-लड़का लड़क1 भाई-बहन क1 तरह होता था। वतFमान दौर म- तो हर SरCते म- दरार पड़ रह है ,बुजग ु F अनाथ आEम क1 राह पूछ रहे है । संयD ु त पSरवार टूट रहा है एकल पSरवार चलन म- है ,ब?चे Bहंसक हो रहे है । सोहन पापा कहानी सुनाओ ना․․․․․․․․․․․ न5दन-बेटा कहानी ह सुना रहा हूं। सग ु 5धा-सोहन तू बुoू है पापा कहानी क1 भ ू मका बना रहे है । मोहन-समझा उ लू․․․․․․दे ख द द 'कतनी हो शयार है । कुछ द द से सीख। न5दन-मेरे गांव म- मंसा और हं सा दो%त थे। दोनो अDसर एक साथ रहते थे। कभी-कभी हं सा मंसा के घर खाकर सो जाया भी करता था,उसके मां बाप भी बे'फX रहा करते थे। आज यहां दे खो ब?च; के तो घर के सामने से खो जाने का खतरा बना रहता है । सावन का मह ना था,कोयल- कंू -कंू कर रह थी,'फजां सुहानी थी मंसा अमNद के पेड़ झूला डालकर झूल रहा था 'क थोड़ी ह दे र म- हं सा आकर झूला झूलाने लगा। मंसा और हं सा क1 दो%ती का िजX ब%ती के हर आदमी क1 जब ु ान पर हुआ करती थी । मंसा झल ू ा झूलने म- खोया हुआ था और हं सा झूलाने म- इसी बीच उपवास रखी लड़'कय; का #तत लय; जैसा झK ु ड कजर गाते हुए नहाने के लये तालाब क1 ओर बढ़ने लगा था। सुग5धा-Dया पापा लड़'कया तालाब म- नहाने जाती थी। न5दन-हां,तालाब से नहाकर घर आती थी पूजा पाठ करती थी बड़े-बुजुगt से आश&वाद लेती थी इसके बाद उपवास खोलती। मोहन-पापा आगे Dया #तत लय; के झुKड आने के बाद। न5दन- हं सा कजर सन ु े म- खो गया और म_ झल ू े म- । मंसा कजर सन ु ते-सन ु ते झल ू ने म- । दोन; के लये समय थम गया हो। इसी बीच मंसा का मां आ गयी और बोल बेटवा परस; नानी के घर जायेगा Dया ․․?


हं सा बोला मंसा परसो तो प हना का मेला है । मसा क1 सोमवती बोल -प हना का मेला तो हर साल दे खते हो इस साल नानी के गांव का मेला दे ख आओा। हं सा बोला-बहुत अ?छा रहे गा । सोमवती- मंसा तुम Dया कह रहे हो । अ?छा तो रहे गा मां पर हं सा साथ जाये तब ना । हं सा भी जायेगा मे◌ै उसक1 मां से बोल दं ग ू ी। वे कभी मना तो क1 नह ं है ,आज कहां करे गी। नानी के घर तो बार-बार जाने का मन करता है पर नानी के गांव के उसर से डर लगता है मंसा बोला । सोमवती-घबरा कर बोल थी Dय; बेटवा․․․․․․․․? जाड़े म- पूरा उसर साबुन का झाग बन जाता है । कुछ दे र उसर म- चल दो तो एड़ी फटने लगती है । Qपछल बार जब जाड़े म- गया था दे खा नह ं मां पैर से खन ू #नकलने लगा था ।आजकल रा%ता दो Bदखाई नह ं पड़ रहा होगा। एक पग-पग दे ख-दे ख कर राना पड़ेगा । अभी तो चारो ओर पानी भरा होगा रा%ता खोज-खोज कर चलना होगा । सोमवतीं बोल -उसी उसर म- तो पल बढ◌़◌ी हूं। म_ अपनी मां और ज5मभ ू म को कैसे Qवसार सकती हूं। बेटवा मांता और मातभ ृ ू म %वगF से fयार होती है । मां म_ने मना तो नह ं 'कया ना मंसा बोला। मां सोमवती बोल -म_ हं सा क1 मां को बोलकर आती हूं। तुम %कूल जाने क1 तैयार करो। ठ\क है मां %कूल जाकर मुंशीजी से दो Bदन क1 छुWट के लये भी तो बोलना पड़ेगा। आज तो बस %कूल जाना है परस; से दो Bदन क1 छुWट है । नानी के घर जाने के लये तो ढं ग का रा%ता भी नह ं है । खेत क1 मेड़ और पगडKडी से जाना है । ना जाने नानी के गांव आने-जाने के लये सड़क कब बनेगी। बेटवा सड़क तो सरकार बनवाती है । सरकार को हम गर ब; और गांव क1 'फX बस चुनाव के समय सताती है ,इसके बाद पांच साल के लये कान म- तेल डाल लेते है ,आंख कान ब5द कर अपनी आने वाल पीBढय; के लये धन जुटाने म- जुट जाते है ,इस धन के लये उ5हे कुछ भी करना पड़े कर लेते है सोमवती बोल । मंसा-ठ\क है मां म_ और हं सा परसो कल ज द नानी के घर को #नकल पडं◌़◌ग े े।प हना के मेला के एक Bदन बाद नानी के गांव के पास खजुर का मेला लगेगा ना मां। सामब ल मामा आये थे तो बता रहे थे मेला दे खने के लये एक चव5नी भी तो Bदये थे।


सोमवती-जा नानी मेला दे खने के लये चार चव5नी दे गी। सब ु ह मंसा और हं सा खेवसीपुर के लये #नकल पड़े। सड़क का रा%ता तो था नह ,गाड़ी मोटर चलने का सवाल नह ं था। चार कोस क1 दरू थी,रा%ता का कोई नामो#नशान न था ।बीच म- बेसो नद पड़ती थी बस वह ं डर था। आसपास के गांव वाले नद तैर कर पार करते थे। मंसा और हं सा अपने गांव क1 सीमा पार 'कये ह थे 'क भोजापुरा के कोढ◌़◌ी बाबा मंसा को Bदखाई पड़ गये। मंसा बोला-दे खो कोढ◌़◌ी बाबा आ रहे है । इतने म- हवा के वेग जैसे वे दोनो के सामने हािजर हो गये। कोढ◌़◌ीबाबा बोले मंसा बेटा कहा जा रहे हो। तुOहार मां क1 त बयत अब ठ\क है ,तुOहारे बाबू दख ु ीराम कहां है ,कई Bदन हो गया खेत क1 ओर आये नह । मंसा-बाबा मां ठ\क है ,Qपताजी धान क1 #नराई गुड़ाई कर रहे है ,म_ नानी के से मलने जा रहा हूं । नानी क1 त बयत खराब है । कोढ◌़◌ीबाबा-कोई ेत बाधा है । अपनी नानी से कह दे ना घर म- लोहबान जलाया करे गी। आराम मल जायेगा। मंसा-नह ठ\क होगा तो मग ु ाF चढ़ाना पड़ेगा Dया ? कोढ -बाबा वो तो ओझा बतायेगा,झाड़फूंक करने के बाद।नानी से बोल दे ना सर के नीचे हं सुआ रखकर सोयेगी और घर म- लोहबान जलायेगी। हं सा-बाबा हम जाये। कोढ◌़◌ी बाबा-अरे अकेले कैसे जाओगे नद म- पानी बढ़ गया है । चलो नद पार करवा दे ता है । कोढ◌़◌ी बाबा हं सा मंसा को नद पार करवाकर अपनी कुBटया क1 ओर लौट पड़े। तब हं सा बोला यार तO ु ह- मग ु l क1 बात कहां से याद आ गयी। मंसा-मेर मां को मोलह पोखर का भूत पकड़ लया था तो उसके उतारने के लये कोढ◌़◌ीबाबा एक मुगाF ,पूजता का सामान दो Nपया आ चार आना या#न चव5नी या#न सवा दो Nपया लये थे। बाते करते करते दोन; िजगनी कुOहार; क1 ब%ती पहुंच गये। चलता हुआ चाक दे खकर मंसा के पैर Nक गये,हं सा बोला यार दोपहर होने वाल है ,तम ु मWट से बतFन बनाना सीखोगे तो अधीरात हो जावेगी। अरे यार Dय; ज द मचा रहे हो․․․․․․․․․․․․․․ हं सा-सूरज भगवान ढल चुके है अभी आधे रा%ते भी नह ं पहुंचे। पहुंच जायेगे कहते हुए मंसा उठा और दौड़ लगा Bदया हं सा भी उसके पीछे दौड़ पड़ा,कुछ दे र दोनो दौड़ लगाते रहे ।हं सा बोला यार म_ थक गया।धीरे -धीरे चलो दौड़ना ब5द करो।


थोड़ी दे र सु%तायेगे आगे चलकर मंसा बोला। कहां और 'कतना दौड़ाओगे खाना चप गया हं सा बोला । मंसा-नानी के घर चल रहे हो,पेट म- भूख जNर है ।नानी का fयार नह ं दे खा है Dया ? जीत गया मेरे बाप अभी 'कतनी दे र और दौड़ना पड़ेगा हं सा बोला । सामने %कूल तक․․․․․․․․ रा%ता बदल कर चलोगे Dया․․․․․․? मंसा बार-बार नद पार कर Dय; भींगे । थोड़ा ^यादा समय लगेगा पर भीगेगे तो नह ं कहते कहते मंसा दौडे जा रहा था। कुछ दे र म- वह िजगनी %कूल के सामने पहुंच गया और मोची बाबा क1 दक ु ान के सामने पड़े साफ प,थर पर बैठ गया। कभी मटट~ के बतFन बनाना सीखते हो कभी जत ू ा बनाना,Dया-Dया सीखोगे हं सा बोला । ये `ामीण कलाये- मWट के बतFन,काUठकला,चमFकलाय- जीवनयापन के सदाबहार तर के है ,सीखने म- Dया बुराई है मंसा बोला । बेटा चमFकला को जीवन यापन का जSरया नह ं बनाना मोची बाबा बोले। मंसा-Dयो बाबा। चमFकलाकार होने के कारण तो हम अछूत है ,कु,ते का जूठन लोग खा लेगे मेरा छुआ पानी नह ं पीते है ।बेटा मेर ब%ती के कुय- का पानी भी अपQवc माना ^यादा है मोची बाबा बोले। मंसा आंख मलते हुए उठा और चल पड़ा। हं सा उसके पीछे -पीछे । सरू ज डूबने के पहले दोन; नानी के घर खेवसीपुर पहुंचने म- कामयाब हो गये। सरु े 5द बड़े मामा का लड़का ब%ती से दत ू दT@ण Bदशा म- कुय- के पास मंसा हं सा को स% ु तता दे खकर दाद को आवाज दे ते हुए दौड़ पड़ा-दाद मंसा और हं सा भइया आ रहे ह_।सरु े 5s क1 आवाज सन ु कर मंसा क1 मामी,मामा,नानी और आस पड◌़◌ोस के लोग एकटक मंसा क1 राह ताकने लगे।सुरे5s मंसा और हं सा को दे खकर बहुत खुश हुआ। सुरे5s बोला भइया परस; मेला है ।साथ मेला दे खने चल- गे। वह मंसा का हाथ पकड़कर ब#तयाते हुए घर आ गया।मंसा और हं सा नानी मामी,मामा और उपि%थत बड़े बजुगt का पांव छूये।मंसा क1 कटघर वाल मामी मंसा को चूमते हुए बोल अब बबुआ बड़े हो गये।नानी,मामा-मामी क1 खबर लेने आ गये। सामब ल मामा बोले-भांजा अभी इतना बड़ा नह ं हुआ है , तुम बुजु◌ुगF बना रह हो। इस साल तीसर जमात म- तो गया है ।


मामी मंसा-और हं सा को अंगना मे ले गयी। मामा ने खBटया डाल Bदया।मंसा,हं सा,सुरे5s,मामा खBटया पर बैठ गये नाना मं3चया पर बैठ कर मंसा से हालचाल पूछने लगी।इतने म- मामी थSरया म- पानी भर लायी और मंसा का पैर जबFद%ती थSरया म- रखकर धोने लगी।इसके बाद हं सा का पांव भी धोकर बोल बबुआ कुछ आराम मला।वह खुद बोल न5ह- -न5ह- ब?चे चार कोस पैदल चलकर थक गये है । सामब ल माम बोले भांजो को कुछ Zखलाओ भख ू े भी होगे। नानी उठ\ कुNई म- गुड़ दाना लेकर आयी और बोल लो बेटवा खाकर पानी पी लो। मामी बोल रस बना दं ू बबुआ । नह ं मामी रस नह -मंसा बोला । मामी बोल Dय; पेट खराब हो जायेगा बबुआ उसर का गुड़ पानी दोन; ठKडा होता है इस लये। सामब ल मामा-मछल भात भांजा खायेगा 'क तुOहारा रस शाम को पीयेगा। नानी मंसा,हं सा से ब#तयाने म- जुट गयी। कुछ दे र बाद मामी हुDक1 गड़ ु गड़ ु ाते हुये आयी हुDक1 थमाते हुए बोल अOमा आज तो तOबाकू क1 याद नह ं रह मंसा,हं सा से ब#तयाने म- । नानी-'कतने मह न; के बाद नाती दे खने को मला है , हुDक1 कैसे याद रहे गी। ला चढ़ा लायी है तो पी लेती हूं। नानी हुDक1 पीते-पीते ब#तयाती रह । मामी खाना बनाने म- जुट गयी। मंसा,हं सा मामी के हाथ क1 बनी मछल खाये,सबसे बाद म- मामी ने खाना खाकर काम #नपटाना कर मंसा से बोल चलो बबुआ हमारे पास सो जाओ। मंसा बोला नह ं मामी हम,सुरे5s और हं सा सब नानी के पास सोयेगा,नाना कहानी सुनायेगी।Dय; नानी। नानी बोल तुOहार मतार जैसी तो मुझे कहानी कहने नह ं आता 'फर भी सुना दं ग ू ी।नानी दे र रात तक गा-गाकर कहानी सा◌ुनती रह ।कभी मंसा हुंकार भरता तो कभी हं सा,कभी मारते हुए सुरे5s भी हुंकार भर लेता।सुबह मामी रोट चोखा बनायी खरमेटाव या#न नाCता करवाई। दोपहर के खाने के बाद मामी बोल अOमा दाना भूंजा लाती।मंसा और हं सा गरम गरम खाते शाम को। कुछ दे र म- मामी लाई या#न परमल का चावल,चना,चो5हर या#न मDका क1 पोटल बनाकर द । नानी भरसांय/भड़भज ू ा के यहां दाना भज ू ाने जाने लगी तो सरु े 5s बोला आजी/दाद हम और भईया भी चले। दोन; भईया घम ू आयेगे कल तो मेला दे खने जाना है । नानी तीन; को लेकर दाना भूजाने चल गयी। नानी कहाइन/दाना भूजने वाल से बोल न5हुआ क1 मां दे खे मेरे नाती आये है मेरा दाना पहले भूज दे । कहाइन बोल तुOहारे नाती हमारे नाती है पर जो नOबर लगाकर बैठ\ है ,वे नाराज होगी,मेर `ाहक1 टूट जायेगी। नानी बोल उनक1 3च5ता ना इन सब के तो मेरे नाती मेहमान है ,मेहमान भगवान होते है ।मेरे नOबर पर है मेरा दाना भूजना पर जो5हर । मDका भूज दे मेरे नाती गरम-गरम खाते रहे गे,बाक1 बाद म- भूंज दे ना।नानी क1 बात कोहाइन ने मान लया।नानी को दाना भूजाकर आने म- दे र हो गयी। नानी के आते ह मामी बोल अOमा जहां जाती हो वह ं क1 होकररह जाती हो,भांजे बेचारे भूखे होगे।


नानी बोल भरसांय गयी थी मंसा हं सा और सुरे5s भी साथ गये थे,गरमागरम दाना खाये है । खानी भी बन गया है हाथ पांव धोलो खाना खाकर ज द सो जाते है । कल मेला दे खने जाना है मामी बोल । मेला क1 तैयार तो मह ने से कर रह है आज भांजो को तुम कहानी सुना दे ना।मामी बोल भांजो के लये तो एक रात Dया कई रात कहानी सन मझ ु ा सकती हूं। दो कहानी सन ु ाकर मामी बोल मंसा बबआ ु ु े नींद आ रह है । मंसा बोला मामी सो जाओ नानी तो है ना। मामी उठते है घर के काम म- जुट गयी। सामब ल मामा गाय-बैल का चारा काटने म- जुट गये। सब काम #नपटाकर दोपहर म- मेला दे खने जाने क1 तैयार म- जुट गये। सुरे5s, मंसा और हं सा के साथ म%त था। दोपहर के बाद सामब ल मामा-मामी, सुरे5s,मंसा और हं सा मेला दे खने घर से #नकलने के पहले सब नानी के पांव छुये,नानी ने आध&वाद क1 गठर खोल द थी। मामी को सुदासुहागन और दध ू ो नहाओ पूतो फलो का आश&वाद द थी और मेले दे खने के लये पैसे भी।मंसा और हं सा को एक-एक Nपया का कागज का नोट और एक-एक चव5नी । सब नानी से आश&वाद औमेला दे खने के लये पैसा लेकर हं सी-खश ु ी मेला दे खने चल पड़े। पूर ब%ती के ब?चे बड़े-बुजग ु F झK ु ड बनाकर जा रहे थे औरतो का झK ु ड मेलह गीत,लचार ,ठुमर गीत गाते हुए मेले क1 ओर बढ़ रहा था।मेले म- पहुंचकर मामा ने जुआठ खर दा,मामी चौका बेलना खर दने के बाद चू]ड◌़या पहनी,सुरे5s,मंसा और हं सा चरखी िजसम- लकड़ी के घोडे बने हुए थे उस पर बैठकर झूले।खूब मजे से मेला दे खे खूब जूसBहया पकौड़ी,जलेबी और दस ू र दे शी मठाईयां खाये। ये तीन; मेले मे मजे कर रहे थे मामा बेचारे दौड़-दौड कर खोज रहे थे। मामी चौकाबेलना,पौनी और नदवा या#न माट का बतFन िजसम- दध ू गरम 'कया जाता है , जआ ु ठ और दस ू र सामान लेकर इन सब का इ5तजार कर ह थी।इनको खोजने मे मामा का काफ1 मशDत करनी पड़ी थी।खैर मल गये,मामा मंसा का हाथ पकड़ मामी के पास ले गये और तीन; वे मठाई Zखलाये। इसके पूरा गांव एक साथ मेला दे खकर घर क1 ओर #नकल पड़े। मामी नानी को एक सामान बतायी,इसके बाद मंसा 3चलम रख Bदया । मामी 3चलम दे खकर भौचDक1 रह गयी। वह बोल मुझे तो याद ह नह ं रहा क1 अOमा क1 3चलम फूट गयी है । चार Bदन से अOमा फूट 3चलम म- तOबाकू पी रह है । सामब ल मामा बोले-मंसा से सीखो। मामी-मंसा को गले लगा ल । नानी-बोल बेटा 3चलम तो बाद म- तेरा मामा ला दे ता। तुमको मेला दे खने के लये पैसा द थी 3चलम खर दने के लये नह ।


मंसा-नाना अभी पैसा बचा है । एक चव5नी म- तो चार 3चलम- आ गयी है । एक चव5नी अभी भी मेरे पास है ।मंसा क1 बात- सुनकर नानी क1 आंख- भर आयी।मामी बोल खुशी के मौके पर आंसू Dय;। नानी-बोल पगल ये खुशी के आसू है नाती 3चलम खर दकर जो लाया है । सब दे खे मांदे थे जो जहां 3गरा वह सो गया नाना और मामी जगा◌ा-जगाकर खाना Zखलायी। सुबह मंसा और हं सा नानी के घर से Qवदा लेकर शाम ढलते अपने गांव आ गये।मंसा पवनी गांव क1 दक ु ान से चव5नी का गWटा अपने भाई बहन; के लये लया ।घर पहुंचते ह मां सोमवती को गWटे क1 पु]डया Bदया,मां ने सभी छहो भाई-बहन; बराबर बांट द । इसके बाद मंसा मां के हाथ पर एक चव5नी रख Bदया। मां बोल ये कैसी चव5नी बेटा। सगुन समझो मां। मोहन,सोहन और सुग5धा तीन; ब?चे एक साथ बोले चार आने म- इतनी मठाई क1 छः लोग; म- बंट गयी।चार 3चलम आ जाती थी। न5दन-हां बेटा चव5नी का मू य हुआ करता था। हम दस 'कमी क1 बस क1 याcा चार म- कर लेते थे।चव5नी महज प?चीस पैसे का सDका नह ं हुआ करती थी,सगन ु थी सं%कार थी आ%था थी। हर लेनदे न शुभ कमF म- चव5नी का Qवशेष मह,व हुआ करता था।तब के सवा Nपया का सुख आज सवा सौ नह ं दे सकता। चव5नी के बना पूजाकमF पूरा नह ं होता था। चव5नी सामािजक सरोकार का अ भ5न अंग थी पर सरकार ने चव5नी को Yयापार के तराजू पर तौलकर घाटे का सौदा मान लया और चव5नी बाजार से बाहर हो गयी। सुग5धा-एक पैसा दो पैसा पांच पैसा दस पैसा बीस पैसा और चव5नी बाजार म- होती तो इतनी महं गाई ना होती। मोहन-aUbाचार भी नह ं इताना होता। सोहन-वो कैसा भईया मोहन-सोचो पांच सौ का एक नोट एक-एक के सौ नोटो से मलकर बना है ना। सोहन-रहने दो समझ गया। मोहन-Dया․․․․․․․? सोहन-बडे नोट aUbाचार को बढ़ावा दे रहे है । बड़ी बBटया सुग5धा बोल ठ\क समझा मेरे भाई। काश छोटे नोट और चव5नी चलन म- आ जाती। सरकार 'फर से चव5नी के सामािजक,धा मFक और सगुन के पहलओ ू ं पर Qवचार कर लेती।


न5दन- हां बेटा तब सामािजक,धा मFक,पारOपSरक और सगुन के मौक; पर चवनी के न होने का ददF ना सालता। घनQ या बहुत थके लग रहे हो।माथे पर लक1रे तनी है ,भाषण कैसा रहा । घनQ या का झटका लग गया । Dया,कैसे ? थोड़ा पानी मलेगा Dया ? Dय; नह ं पानी के साथ चाय भी मलेगी । हर राम और #तभा क1 बाते चल रह थी 'क इसी बीच कालबेल घनघना उठ\। कालबेल क1 आवाज सुनकर हर राम बोला दे खो सोनू क1 मOमी कोई आया । जी दे खती हूं। कहते हुए #तभा ने दरवाजा खोल Bदया । अरे दरबार भईया आप । हां #तभा भाभी म_,आपके पड◌़◌ोस म- आया था तो सोचा हर भईया से भी मलता चलूं।हर भईया दफतर से आ गये क1 नह ं । #तभा- हां आ गये है ।हाथ पांव धोने बाथNम म- गये है । आप बैBठये। इतने म- हर राम भ आ गये,दरवबार क1 ओर हाथ बढाते हुए बोले Dया दरबार ईद के चांद हो गये । दरबार-हां हम- तो मलने आना पड़ता है आप तो अखबार; के माqयम से भी मल जाते है ।कल तो बड़ी खबर छपी थी । हर राम-कैसी खबर थी । दरबार-सतकFता सfताह क1 5यूज । हर राम-दफतर के कायFXम क1 5यज ू क1 बात कर रहे हो । दरबार-आज तो Dलोिजंग सेरेमनी थी । भाषण तो Bदया ह होगा ।आजकल तो जCन म- चल रहे है हर भईया। हर राम-कहां जीवन म- जCन है वह भी अपने जैसे उपेT@त; के । दरबार-कैसी बात कर रहे ह_ हर भईया ।


हर राम-गलत तो नह ं कह रहा हूं ।सोनू क1 मOमी थोड़ी चाय नाCते का इंतजाम करो । #तभा-जNर․․․․․․․ हर राम-सोनू क1 मOमी चाय म- सुगर 1 क1 जगह चीनी डाल दे ना ।आज सर म- बहुत ददF है । #तभा-Dय; 'कसी ने बदतमीजी कर द Dया ? हर राम-नह ं ऐसी कोई बात नह ं है । दरबार-हर भइया भाभी क1 शंका जायज लगती है । 3च5ता के बादल आपके माथे पर गरज रहे है ,बरस रहे है ।यार मोशन नह ं हुआ तो Dया तुOहार ताल म YयथF चल गयी। मc तुOहारे पास vान है तो जनक याण म- लगाओ,मानव क याण म- लगाओं। नौका मोशन बस SरटायरमेKट तक होता है , जनक याण का मोशन तो हजारो बरस तक रहता है ,आदमी धरती पर रहे या न रहे । हर राम-दरबारजी अपनी औकात भर कर लेता हूं। रह मोशन न होने क1 बात तो सच ये है 'क मेरा मोशन रोकवाया गया है ,वह भी उ5ह Yयव%थापक; iवारा जो `ेजय ु ेट %तर तक शT@त औैर साम5तवाद Qवचारधारा के◌े है । ऐसे लोग हायDवा लफाइड कमFचार को आगे कैसे बढने दे सकते है । ऐसे वातावरण महमारे जैसे YयिDत क1दनौकर का चलते रहना 'कसी चम,कार से कम नह ं है । दरबार-ये तो अ5याय है ,दख ु ी ना हो यार कहते है िजसका कोई नह ं उसका भगवान होता है ।आज बहुत दख ु लग रहे हो Dया बात हो गयी। #तभा भाभी ने ब ◌ुल सह पहचाना है । हर राम-बस वह सहारा है ,उसक1 द हुई शिDत से चल रहा हूं वरना ये साम5तवाद NBढवाद कब का खा गये हो◌ेते।रह दख ु ी होने क1 बात तो ऐसा तो रोज होता है पर आज क1 घटना 'कसी भयंकर एDसीडेKट से कम ना थी। दरबार-Dया हो गया दो%त,बताने से दख ु कम होता है । जानता हूं ऐसी बात- आ'फस म- शेयर नह ं कर सकते पर दो%त यार और अपनी अध 3गनी के साथ तो कर सकते हो ।बताओ Dया ऐसी दघ F ना घट गयी। ु ट हर राम-सतकFता सfताह का अZखर Bदन था।कल शाम को रणछोड,िजला Yयव%थापक है ,मायूसी से आये और बोले हर राम चीफगे%ट नह ं मल रहे ह_। म_ आव ना दे खा ताव मर साद बेधमाF को फोन लगा Bदया। दरबार-ये मर साद बेधमाF कौन है ? हर राम-धन सेवा कमीशन के Sरटायर उ?च अ3धकार है ।aUbाचार के बड़े-बड़े केस है िKडल 'कये ह_। एक झटके म- कायFXम का चीफगे%ट बनना %वीकार कर लया ।रात म- बात 'कया,सुबह उनक1 धमFप,नी का समाचार अखबार म- छपा था,बधाई Bदया,प#त-प,नी दोन; से बात हुई और बारह बजे कायFXम म- पहुंचना है 'क याद भी Bदलाया ।उ5हे ये भी बताया 'क आप को पौने बारह बजे लेने आ जाउं गा कOपनी का कार से।


दरबार-मुRयअ#त3थ को लाना और छोड़ना तो होना भी चाBहये शUटाचार तो यह कहता है । हर राम-ठ\क कह रहे हो दरबारजी․․․․․․․․․․․․․․․․․ दरबार-Dया बात हो गयी कायFXम म- दे र से पहुंचे ? हर राम- नह ं․․․․․․․․․․․․ दरबार-'फर Dय; अब तक होश उड़े हुए है । हर राम-एच․ओ․डी․ने एसी कार क1 Yयव%था क1 ।म_ लेने पहुंचा पर वे आने से माना कर Bदये। बोले म_ नह ं जा सकता। म_ तो कह ं चीफगे%ट नह ं बनता। म_ बोला अरे बेधमाF साहब ऐसा Dय; बोल रहे है ,कल से अब तक दस बार कम से कम आप से बात हो चुक1 ह_ और आप ऐनवDत पर ऐसी बात कर रहे है जो आपक1 #तUठा के Zखलाफ है । बेधमाF-साँर नह ं जा सकता । हर राम-ऐसा नह ं करो साहब,मेरे कैSरयर पर आंच आ सकती है । दस साल पुरानी आपसे जान पहचान है । आप ऐसा कह रहे ह_।जब 'क आपसे इस सOब5ध 'कतनी बार बात हो चुक1 है । सभागार म- सभी लोग आपक1 इंजार कर रहे है । बेधमाF-मेर कोई बात आपसे हुई नह । हर राम-झूठ तो मत बो लये पद #तUठा और उj का लहाज कSरये जनाब । बेधमाF-कब हुई बताओ । हर राम-आज साहब सब ु ह बजे भी तो हुई है । दे खो मेरे मोबाईल म- है ना,आपक1 मोबाईल म- भी होगा । बेधमाF-Bदखाइये मेर मोबाईल मेमार म- आपक1 कोई काल नह ं है । हर राम-दे खो साहब कहते हुए मोबाईल आगे बढा Bदया पर Dया मेमर काडF से◌े◌ं मर राम बेधमाF का नOबर नदारत। तकनीक1 cBु ट मानते हुए बोला साहब सब ु ह आपसे और आपक1 मैडम से भी तो बात हुई है । बेधमाF-पैतरा बदलते हुए बोले मेर बात तो नेcसरु @ा सOमान समारोह म- जाने क1 बात हुई थी। हर राम-इतना झूठ Dय; बेधमाFजी।साहब आप पांच मनट के लये च लये दरू -दरू से दस ू रे Qवभाग; से आये अ#त3थ आपका इंतजार कर रहे है । बेधमाF-कैसे आदमी हो म_ने कोई हामी नह ं भर है ,म_ नह ं जा सकता।


दरबार-नह गये । हर राम-नह ं। म_ है रान-परे शान कायFXम म- पहुंचा तो दफतर के लोग क1 #नगाह- मेर तरफ घरू रह थी। जैसा म_ कोई अपराधी हो गया हूं। सच म_ नफरत का पाc बन गया । %पीकर क1 सूची से मरा नाम भी कट गया। दरबार-बेधमाF के झठ ू का नतीजा बुरा सलक ू ।मझ ु े तो लगता है बेधमाF aUट है तभी तो ऐसे जलसे म- नह ं गया जहां मान-सOमान Bदया जा रहा था। उसका जमींर जाग गया होगा,सोचा होगा वह तो खु aUbाचार कर चुका है लोक सेवक; को Dया शपथ Bदलायेगा। हर राम-हां कुछ ऐसा ह मझ ु े भी लग रहा है पर मोबाईल से नOबर गायब कैसे हुआ । दरबार-aUट लोग तर के जानते है । हर राम-कौन सा तर का हो सकता है । दरबार-मोबाईल कOपनी ऐसी सेवा दे ती है ,इसके बदले 'कराया लेती है ,आपको पता नह ं था Dया ? हर राम-नह ं․․․․․․․․ दरबार-आपका काम एक नOबर है । ऐसी सेवा का उपयोग तो बेधमाF कर सकता है । हर राम-तो इसी सQु वधा क1 आड़ म- बेधमाF कब बात हुई है मोबाईल म- Bदखाने क1 बात कर रहा था।म_ नह ं Bदखा पाया। घनQ या क1 गाज 3गर गयी । दरबार-aUट दस ू र; के दख ु म- ह सकून दे खते ह_। हर राम-दरबार भईया अमानुष; iवारा Bदये गम मे जीने क1 आदत हो गयी है पर दख ु तो दख ु ह होता है । दरबार-भाभीजी बोल रह थी अभी आये हो․․․․․․․․․․․․․․․․․․साढे आठ बज गये।नवOबर के पहले सfताह म- इतना अंधेरा जैसे आधी रात हो गयी हो । हर राम-नेcसरु @ा सOमान समारोह म- उपि%थत होना था । वह से आया राUb य %तर का कायFXम था रा^यपाल मुRय अ#त3थ थे। शहर और दे श के नामी लोग हािजर थे तो मेर Dया औकात के ऐसे आम5cण को ठुकरा दं ।ू एक बात है वो aUट बेधमाF नेc सुर@ा सOमान समारोह म- नह ं Bदखा। बेधमाF मीठा तो बहुत बोलता है पर आज समझा◌ा उसक1 मीठ\ बोल जहर ल है ,काट ले तो लहर ना आये। दरबार-हां आप जैसे नेक इंसान को घनQ या का कड़कता घाव जो दे गया । हर राम-सच घनQ या क1 लय से कम नह ं ।


दरबार-लूट नसीब वाल; को हर ओर घनQ या का घाव मलता है ,Qवभाग म- अनवाKटे ड घोQषत हो चुके ह_ लाख यो:य होकर भी,आज झूठ भी सा बत हो गये। दख ु पर दख ु पर बेधमाF ने घनQ या का व पात कर इंसा#नयत को घायल कर Bदया । कैसे लोग QवCवास कर- गे लोग; क1 बात; का । #तभा-अरे ये घनQ या कहां से आ गयी। दरबार-हर भईया के जीवन म- जबFद%ती घस ु आयी है । #तभा-'कस शैतान ने घुसा Bदया । दरबार-साम5ती Qवभाग ने तो ताल म क1 ससकती आस दे ह रखी है पर aUट बेधमाF ने घनQ या का घाव दे Bदया वह भी जागNकता सतकF के खास Bदवस पर। #तभा-म_ तो पहले ह समझ गयी थी 'क सोनू के पापा के साथ कुछ अनहोनी हुई है ,तभी इतने उदास और परे शान है । सोनू के पापा है 'क #छपा रहे थे। इनको पता होना चाBहये 'क हमारा तीस साल का पुराना साथ है और हमने सात ज5म तक साथ जीने मरने क1 कसम भी खाये है । Qवभाग ने तो दमन क1 कसम खा ह रखी है ।बेधमाF जैसे मc घनQ या का चोट करने लगे। दरबार-भाभी aUट लोग चोट ह दे ते ह_ चाहे आम आदमी हो या हर भईया या दे श। #तभा-चाय पीिजये।सतकFता आयोग नेक काम कर रहा है । जागNकता सfताह से आम और खास लोग सतकF होगे,aUटाचार से बचेगे। आयोग के यास से aUbाचार Nकेगा और aUbाचाSरय; पर घनQ या भी 3गरे गी और 3गर भी रह है ,चाय पीिजये । दरबार-जागNकता सfताह के आZखर Bदन लोकBहत म- काम करने क1 कसम के साथ। #तभा-कसम नह ं चाय Qपला रह हूं। दरबार-ठहाका लगाते हुए कसम ह तो aUटाचार पर घनQ या का व पात करे गी। अब Dया हर राम, #तभा और दरबार क1 आवाज aUटाचार के Zखलाफ शंखनाद बन गयी । ऐसा aUटाचार लखनदादा अOबेडकर चबत ू रे से उठकर कुछ कदम चले ह थे 'क गश खाकर 3गर पड़े।कुछ ह दे र पहले उ5हे लडखड़ाते हुए चलता दे खकर ब?चे ह नह ं बूढे भी हं स रहे थे पर5तु लखनदादा को 3गरते ह पूर ब%ती दौड़ पडी।सोखाराम उनके मुंह पर नाक रखते हुए बोला भइया पीये तो है नह ं 'फर लड़ाखड़ाकर 3गरे Dय; ? चल तो रहे थे ब कुल शरा बय; जैस,े भईया पीते है सबको मालूम है इसी लये सबके सब हं स रहे थे ।इतने म- हं सव5ती बोल अरे तुम सब दरू हटो,हवा आने दो। जेठजी पीये नह ं है । कोई तकल फ है कल बहुत 3चि5तत थे बेटवा के नौकर को लेकर। सोखाराम कSरया से बोले बाबू ज द से हं सव5ती क1 खBटया उठा ला । लखनदादा को लेटाकर खBटया टांग कर हं सव5ती के घर के सामने नीम के पेड़ के नीचे खBटया रखे Bदये ।लाल बेना से दनादन हवा करने लगी ।सोखाराम त#नक भर म- है Kडपाइप से लोटा भर पानी


लाकर गमछा भीग; कर लखनदादा का मुंह धोकर शर र प;छने लगे । कुछ दे र के बाद लखनदादा बोले म_ कहां हूं ।लखनदादा क1 छोट बहू,बेटा हरे 5s नाती सब घेर लये थे । पोती पुUपा तो पांव पकड़कर रोये जा रह थी । हं सव5ती-जेठजी हमार नीम क1 छांव म- हो जंगल म- नह ं हो।जंगल जानवर नह ं ब%ती के लोग घेरे हुए है । सोखाराम-Dया हं सव5ती तझ ू े मजाक सूझ रहा है ।दे ख रह है भईया के गले से आवाज #नकल नह ं रह है ,तू मजाक कर रह है । इतने म- कSरया बोला-कDका गांजा है बना लूं Dया ? सोखाराम चुप तेर मां को भौजाई कहूं। दे ख रहा है जान क1 पड़ी ह_ तूझे गांजा क1 पड़ी है । हं सव5ती-कSरया ठ\क कह रहे है हो सकता है खाल पेट गांजा का धुआं मन भर-भर कर उड़ाये हो। गांजा लग गया है । कSरया-मेरे सामने तो कDका गांजा पीये नह ं है । मेरे साथ तो कDका गांजा पीये नह ं बाक1 और 'कसी के साथ पीये हो तो म_ नह ं जानता। सोखाराम-दे खो भईया ना गांजा पीये है ना दाN यह तो कनफरम है ।होश म- आने दो दध ू का दध ू पानी का पानी हो जायेगा । इतने म- लखनदादा कराहते हुए उठने लगे।सोखाराम हाथ पकड़कर बोले भईया लेटे रहो जीव ठौर क हो जाने दो 'फर हम घर छोड़ दे गे ।लखनदादा पानी का इशारा 'कये ।हं सव5ती दौड़कर है Kडपाइप से लोटे म- पानी भर लायी और उनके मह ुं म- लोटा लगा द ।लखनदादा आंख ब5द 'कये ह पानी डकार खBटया पर लेट गये । कSरया-काका तूने कDका को छू द । कDका तो तेरे भसूर है और तेरे खानदान के है ,पाप लगेगा । हं सव5ती-कSरयाबाबू ढकोसला म- अब मेरा QवCवास नह ं रहा । 'कसी के जान क1 पड़ी तम ु ना छूने क1 बात कर रहे हो ।पानी पी लाना जNर था वह हमने 'कया, NBढवाद जहर है ,ढकोसलाबाजी आज के जमाने म- उ3चत नह ं है । सोखाराम-तम ु लोग त#नक चुप रहो। कSरया भईया को सहारा दे कर बैठाओ,बैठने का इशारा कर रहे है । म_ डां․नरे 5s को आवाज दे ता हूं । कSरयाराम- ठ\क है कौन सा बड़ा डाDटर है नीमहक1म खतरे ह जान। हं सव5ती-भले ह डांDटर नह ं है मुसीबत के समय म- तो डां․नरे 5s ह काम आते है ।राहत तो उनक1 दवा से मल जाती है ,बुखार आ जाये तो पांच कोस पैदल चलकर कोई दवाई लेने जायेगा । पता चले 'क रा%ते म- दम तोड़ Bदया ।म|के पर तो नरे 5s बाबू काम आते है , 'कतने बरस; से डाDटर कर रहे है ,अ?छ\ जानकार हो गया है ।इतने म- डांDटर नरे 5s भी आ गये ।डाDटर के आते ह लखनदादा तनकर बैठ गये।लखनदादा को तनकर बैठते हुए दे खकर कSरया बोला Dया नरे 5s थोड़ी दे र पहले आ जाते तो काका 3गरते भी नह ं ।


डां․नरे 5s लखन दादा का हाथ पकड़कर कुछ दे र मआ ु यना करने के बाद बोले दादा कैसा लग रहा है ।धड़कन तो ठ\क चल रह है ।कुछ याद है कैसे 3गरे थे । लखनदादा-कुछ भी नह ं। चबूतरे से उठा हूं घर जाने के लये चला था बस इतना याद है । डां-कोई बात सोच रहे थे Dया ? लखनदादा-शोQषत आदमी क1 दौलत Dया है सपना कह; या सोच ।सपने म- जीने वाले को सपने दे खने लायक ना छोड़ा जाये तो दख ु तो होगा ।कह कर लOबी-लOबी सांसे भरने लगे। डां-Bदल को ठे स लगी है 'कसी बात से ।बहू ना कुछ अनु3चत कह Bदया हो तो म_ उसक1 तरफ से @मा मांग लेता हूं। हं सव5ती-जेठ जी क1 बहूये जैसे पूरे गांव म- कोई बहू नह ं होगी । 'कतनी सेवा करती है । वे तो गाय है ,मुंह नह ं खोल सकती 'कतन; भी तकल फ उठा ल- । कSरया-नरे 5s तू डाDटर है या नेता । अरे भाई दवाई दे ना । डां․नरे 5s कSरया भईया ना जर है ना बुखार मेर जानकार के अनुसार कोई Bदल क1 बीमार भी नह ं है । कभी -कभी ऐसा होता है सोचते-सोचते चDकर आ जाता है आदमी 3गर पड़ता है घबराने क1 कोई बात नह ं हो सके तो कांफ1 पा ला दो। घबराने क1 कोई बात नह ं है ,काका घबराहट हो तो एक गोल खा लेना बस ।3च5ता नह ं करना सब ठ\क हो जायेगा । लखननदादा-कलयग ु ी आदमी क1 दोगल मान सकता कुछ नह ं ठ\क होने दे गी डाDटर बाबू । डांDटर-चDकर आने का कारण कुछ और है । लखनदादा-दो मह ने से भरपूर नींद नह ं आ रह है । सोखाराम-ऐसा Dया हुआ भईया रोज साथ बैठते ह_ कभी िजX भी नह ं 'कये । अरे बात कहने से Bदल ह का हो जाता तम ु खद ु दस ू र; को उपदे श दे ते रहते हो । लखनदादा-समाधान अपने हाथ म- नह ं है ना । कह कर भी Dया करता नमूसी होती लोग हं सते भी । कSरयाबाबू-कौन ऐसी गु%ताखी कर सकता है इस ब%ती म- जो 'कसी के दख ु पर हं से ।मजदरू ; क1 ब%ती म- तो ऐसी हं सी नह ं होती । हां मा लक; के बारे म- पDका कहा नह ं जा सकता Dय;'क उनके मन म- राम तो बगल धारदार खंजर होती है । लखनादादा-कुछ ऐसा ह हुआ मेरे साथ । सोखाराम-तO ु हारे साथ भईया 'कसने 'कया बताओ उसक1 जीभ हलक से खींच लेते ह_।


डांDटर-काका मन पर बोझ ना रखा करो। 3च5ता 3चता होता है । लखनदादा-जानता हूं डांDटर बेटवा पर िजस आसरे म- जी रहा था उसक1 उOमीद ह ख,म हो गयी । हं सव5ती-'कस आसरे क1 उOमीद टूट गयी जेठ जी। लड़के दोन; कमा रहे है ,खाने पीने पहनने क1 कोई कमी नह ं है 'फर कौन उOमीद टूट गयी। लखनदादा-हं सव5ती तुमको पता है हम 'कतनी तक ◌ीफ उठाकर बेटवा को पढाये है । बेटवा भी BहOमत वाला है कभी-कभी तो खाल पेट भी %कूल गया है ।खाने पहनने क1 बहुत तंगी थी । सेर भर कमाई मपSरवार पालना बहुत कBठन काम था इसके बाद भी हमने पाला-पोसा खैर सरकार वजीफे क1 सहायता को भी भल ू ा नह ं सकता । बड़ी मदद मल वजीफे से बेटवा शहर म- बहतु तकल फ उठाया भख ू े राते काट ,सगे SरCतेदार; ने क5नी काट ल । मेरा बेटा भी अपना %वा भमान नह ं मरने Bदया,मेहनत मजदरू करके खाया और हम- भी दे ता रहा । हं सव5ती-तO ु हारे लायक बेटे का 'क%सा तो ब%ती वाले अपने ब?च; को सन ु ाते है । इसम- कोई नयी बात तो नह ं है । लखनदादा-है । कSरया बताओ तब तो कु◌ुछ सझ ू े ।इतने म- रQव5s 3गलासय थमाते हुए बोला लो बड़े पापा काफ1 पी लो ।डाDटर भईया बोले थे ना । म_ उनक1 बात सन ु कर भागकर बाजार गया वह ं से लाया । हं सव5ती-चार कोस से काफ1 लाया । रQव5s-काफ1 क1 पु]ड◌़या दक ु ान से खर दा 'फर चायवाले के पास गया उसको बनाने नह ं आ रहा था ।वह से दध ू लया घर म- खुद बनाकर लाया हूं । लखनदादा-युग-युग जी मेरे लाल इतनी मेहनत 'कया है तो पीना ह पड़ेगा वैसे कुछ खाने पीने क1 इ?छा नह ं है ।सब इ?छा जैसे मर गयी है । रQव5s-दादा ये बतौर दवाई पीना है । लखनदादा-हां बेटा पी रहा हूं ।लखनदादा फंू क-फंू क कर कांफ1 पीये। कुछ दे र बाद उनका मनठौSरक हुआ।वे घर जाने के लये उठने लगे ।इतने म- सोखाराम कंधे पर हाथ रखते हुए बोला भईया और आराम हो जाने दो 'फर घर जाना कौन सा दरू घर है ।हरे 5s थोड़ी दे र और Nक जाओ बाबूजी 'फर ले चलता हूं । लखनदादा-म_ आ जाउं गा तम ु लोग घर चलो । गाय 3च ला रहा है । हं सव5ती-हरे 5sबाबू दे खो बछ◌़डा छुडा तो नह ं लया है ।हरे 5s घर क1 ओर दे खकर बोला हां कतवाN के खेत म- बछडा◌़ चला गया ।जा बेटा पुUपा पकड़कर बांध दे ।वैसे अभी तो घास भी नह ं खाने लायक है पर कतवाN क1 गाल हम- खानी पड़ेगी ।


सोखाराम-भईया आपको 'कस बात क1 3च5ता है वो तो बता ह नह ं रहे हो । लखनदादा-सोखा बात मेरे जीवन स जड़ ु ी है तू Dया पूरा गांव जानता है ,मेर आख भी नह ं खल ु थी 'क बाबूसाहब क1 चाकर म- लगना पड़ा था Dय;'क मेरे Qपताजी आजाद से पहले कलक,ता म- नौकर करते थे।घर अ?छे से चल रहा था साल; बाद ना जाने कहां गायब हो गये ।मजबूर म- मुझे हलवाई करनी पड़ी थी ।उस समय सेर भर मजदरू दोपहर तक क1 मलती थी चार बजे जाना पड़ता काम पर जब बाबू साहब क1 नींद खुद गयी हांक लगवा दे ते थे उस समय जाना ह पड़ता था ।छोटा भाई और बहन के पालन का बोझ सर पर आ गया था । मां भी कुछ मह न; बाद अंधी हो गयी थी वह अलग मुसीबत थी छुआछूत का जहर आदमी होकर भी जानवर; से बद,तर बना रखा था। अब तो हालात म- काफ1 सध ु ार है खैर लाख मुसीबत; को झेलकर बड़ा बेटा लख पढ गया ।सोचा 'क अपने भी Bदन आयेगे बड़ी उOमीद थी 'क बेटा बड़ा साहब बन जायेगा पर सपने मार Bदये गये । कSरयाबाब-ू कDका 'कसने मारा तO ु हारे सपने,'कसने कमले5s क1 यो:यता का चीरहरण 'कया है ,चल; हम पूर ब%ती के लोग उसक1 आंखे खोल दे ते है । लखनदादा-'कस-'कस क1 आंख; खोलोगे,दय ु tधन तो हर Qवभाग म- पालथी मारे बैठे है ,जा#तवाद का जहर छोड़कर राज कर रहे है । सोखाराम-भईया तुOहारा सपना कैसे मरा समझ म- नह ं आ रहा है । लखनदादा- कमले5s अब बड़ा साहब नह ं बन पायेगा । कSरयाबाब-ू Dय; नह ं काका वह तो बहुत पढा लखा है ।वह तो कOपनी का gाKडअOबेसडर बन सकता है । लखनदादा-जो बनने का हक था वह तो मल ह नह ं रहा है ,बा्रKडअमबेसडर क1 बात कर रहे हो । हे र5s-अ3धक यो:यता और अ3धक वफादार उपर से नीचले तबके का,कहावत है ना एक तो करै ला दस ू रे नीम के पेड़ पर चढ जाये ।खू बय; क1 वजह से भईया क1 तरDक1 के रा%ते ब5द कर Bदये भईया सेमीगवFमेKट कOपनी म- काम करते है । सरकार #नयम शायद लागू नह ं होते है इसी लये मनमज& चल रह है ,कOपनी क1 चाभी वZणFकEेUठ और समानता Qवरोधी हाथ; म- है इसी लये भईया के साथ अ,याचार हो रहा है ^वाइन करने के कुछ मह ने बाद से ह जब लोग; को पता चला 'क भईया नीचले तबके के है ।सुनने म- आ रहा है 'क भईया क1 सी․आर․खराब कर द गयी है । सोखाराम-ये Dया होता है । कSरयाबाबू-दफतर; म- कOप#नय; गोपनीय Sरपtट बनता है ।इसी के आधार पर मोशन होता है ।अगर कमले5s क1 सी․आर खराब क1 गयी है तो ये तो aUटाचार अ,याचार और नीचले तबके के यो:य वफादार कमFचार के भQवUय का ह नह ं उसके पSरवार,पूरे गांव क1 उOमीद; का बला,कार कर Bदया गया है घBटया मान सकता के अफसरो ने,सरकार आर@ण के बाद भी ऐसा #घनौना कृ,य है जा#तवाद से उ, ेSरत।


#छन लया खुशी का इक कतरा तूने Dया कहूं तO ु हे तो हमने खुदा समझा था पर ये मेर भूल थी ?छे दन कर Bदया तुमने रोम-रोम रो उठे है पलक; के बांध मजबूत हो गये है इतने अब तो टूटते ह नह ं हम- तो उOमीद म- जीना है िज5दगी जहर है तो पीना है #नक नह ं 'कया तम ु ने उOमीद का कतरा था इक वो भी लूट लया तुमने․․․․․․․․ हं सव5ती-ये तो सरासर अ5याय है ,बताओ बड़े-बड़े पढे - लखे अफसर; क1 इतनी 3गर हुई सोच है तो गांव के NBढवाद गंवार; के बारे मे दे खो। हरे 5s-बाबूजी अब घर चलो। खाना खाकर आराम करो ।भईया क1 नसीब म- होगा बड़ा अफसर बनना तो कोई रोक नह ं पायेगा। भईया के पास vान का भKडार है द#ु नया उनको मानती है ,मत दे कOपनी वालो मोशन। मोशन दे ने से तो कOपनी का मान बढता लोग कहते दे खो फला कOपनी म- कमले5s बड़ा साहब है पर कOपनी ब5धन ने तो अपनी साख 3गरा ल है ,जब'क भईया से बहुत कम पढे लखे बड़े-बड़े पदो पर है ,दभ ु ाF:यवश वह नसीब लख रहे है ।दे खना भईया के सामने यह नसीब लखने वाले एक Bदल सर झुकायेगे। लखनदादा-बाद क1 बात है बेटा अरे मोशन दो साल के बाद होता या ना होता,बेटवा क1 नौकर चलती या ना चलती पर एक कमFशील,वफादार,ईमानदार YयिDत के चSरc पर लांछन आरोप ये कैसे aUट लोग है । हं सव5ती-ये तो सीता का ,याग या शंबुक ऋQष का वध हो गया ।बुo,महा,मा गांधी और अOबेडकर बाबा के दे श म- ऐसा aUटाचार।


लखनदादा-हां हं सव5ती कमF को पूजा,उ?च शT@त, #तिUठत #नरापद बेटवा को चSरcह नता का आरोप तो चैन #छन लया है । ना जाने कब भेदभाव जैसे अमानीय ददF से छुटकारा मलेगा ? प9 ऐसा भी मगनलाल मठाई मंगाओ,तुOहारा मोशन आडFर रहा है । Qवभागाqय@ क1 खुशी को दे खकर मगनलाल क1 खश ु ी का Bठकाना न रहा ।वह पSरचर को पांच सौ का नोट दे ते हुए पSरचर सोहन से बोला साहब क1 पस5द क1 मठाई ला दो भाई।सोहन आडFर तो आ जाने दो। अरे सोहन Dय; डरता है ,साहब क1 बात का मान रखना है ,साहब कभी YयिDतगत ् तौर पर मठाई खाने का िजX नह ं 'कये।मेरे मोशन से साहब क1 खुशी का Bठकाना नह ं है । लो दो भाई डर Dय; रहे हो साहब कह रहे है तो आ जायेगा। इतने म- काल-बेल बजी सोहन बोला ठ\क है मगन साहब साहब क1 सन ु लेता हूं तो मठाई नाशता सब लेकर आता हूं ।मगनलाल जो तुOहार मज& कर- लाना भाई पैसे क1 3च5ता ना करना । जाओ साहब क1 पहले सुन लो ।सोहन साहब के सामने हािजर हुआ ।साहब बोले कहां जा रहे हो। सोहन बोला-मगन साहब मठाई नाCता बुलवा रहे है ।साहब मगन बाबू को बुलाओ । मगनलाल-जी सर । सहब बोले-मगनजी म_ मह ने भर ऐसी चीजे नह ं खा सकता मेरा परहे ज चल रहा है । कल ह तो योगा शQवर से आया हूं । बाद म- खाय-गे । आपक1 खश ु ी म- हमार खश ु ी है ।आपका मोशन तो प5sह साल पहले होना था । खैर,दे र आये दN ु %त आये अब से भी आपक1 नसीब बदल जाये हम- तो बहुत खश ु ी होगी ।हां सर Qवभाग के सौतेले Yयवहार से मेरे कैSरयर का जनाजा #नकल गया है । उOमीद पर िज5दा हूं, आपक1 दआ ु ओं से मेर नसीब जNर बदलेगी । बाइस साल क1 नौकर आप जैसा कोई बांस नह ं मला। अ3धकतर अफसर; ने Sरसते जRम पर खार डालकर अपना काम करवाया 'फर क1क मार Bदया । साहब-मगनजी बते को भल ू ा दो । िजतना या◌ाद करो उससे अ3धक दःु ख होगा। आप जैसे सo आदमी के साथ मुझे काम करना का म|का मला,अ?छा लगा। मगनलाल-सर जो आपको मेर अ?छाई लग रह है वह लोगो के लये बुराई है ।इसी वजह से हारता रहा हूं दे श क1 इतनी बड़ी सं%था म- । साहब-हार नह ं जीत कहो मगनलाल । मगनलाल-बार-बार क1 हार के बाद भी जीत क1 उOमीद पर तो िज5दा हूं। आपने मेर उOमीद; को उj दे Bदया थ_क यू सर। साहब-3च5ता ना करो मगनजी आप आसमान जNर छुओगे। आपक1 दआ ु य- जNर काम आयेगी कहते हुए घनघना रहे फोन को उठाने के लये मगनलाल दस ू रे क@ क1 ओर दौड़पड़ा। Bदन बत गया,कुछ अ3धकाSरय; के मोशन आडFर आ गया।दफतर ब5द होते -होते पता चला क1 %टे ट आ'फस क1 फैDस मशीन खराब हो गयी । कल मगनलाल का मोशन आडFर आ जायेगा।साहब और अ5य कमFचSरय; के साथ हं सी-खुशी मगनलाल भी दफतर से खर क1 ओर %थान 'कया। दस ू रा Bदन बत गया ममगनलाल साहब के सामने हािजर हुआ । साहब दे खते ह समझ गये ।मगनलाल से मख ु ा#तब होते हुए


बोले मगनजी आपका आडFर अभी तक नह ं आया। कल हे डआ'फस आपके सामने बात हुई मोशन हो गया है । मोशन क1 सूची म- आपका नाम है ।बैBठये %टे टआ'फस से पूछता हूं फैDस ठ\क हुआ क1 नह ं ।कहते हुए साहब ने फोन लगा Bदया ।%टे ट आ'फस से पता चला 'क मगनलाल 'फर मोशन से वं3चत कर Bदया गया है । यह सुनकर साहब को 440 बो ट का झटका लग गया। वे बोले सांर मगनजी आपका मोशन Nक गया। मगनलाल-सर प5sह साल से Nक रहा है । साहब-Dया कह रहे हो ?आप इतना पढा- लखा दो दजFन से अ3धक सOमान ाfत YयिDत का मामूल सा Qवभाग म- मोशन Dया नह ं हो रहा है ।मझ ु े तो आये साल भर भी नह ं हुए ह_ इस बीच म_ने तो सं%थाBहत म- आपक1 सेवाओं का एDसलेKट पाया है । आपक1 सी․आर भी बहुत अ?छ\ म_ने लखी है ,पहले क1 आपक1 सी․आर․कैसी थी। मगनलाल-सर बाइस साल से अपने कतFYय#नUठा और समय क1 पाब5द पर अ]डग हूं ।काम क1 अ3धकता तो आप दे ख ह रहे है । काम के बारे म- म_ Dया कहूं आपसे । साहब-मगनलाल सब कुछ आपका एDसलेKट है 'फर आपके साथ अ,याचार Dय;․․․․․․․․․․․․․․․․․? मगनलाल-सच कहूं․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․․ साहब-वह पूछ रहा हूं । मगनलाल-सर अदरवाइज ना ल िजयेगा । साहब -कैसी बात कर रहे हो मगनजी․․․․․․․․․․․․․․? मगन-म_ अनुसू3चत जा#त का अ3धक पढा लखा YयिDत हूं। इस %वायतशासी Qवभाग म- ।कई बड़े अ3धकार तो यहां तक बोल चक ु े है 'क तम ु जो कर रहे हो उससे आगे का सपना मत दे खो अपनी जा#त वाल; को दे खो भर पेट खाने को भी नह ं मल रहा है । तम ु तो कई गन ु ा बेहतर हो पंखे के नीचे बैठे हो तO ु हारे ब?चे अ?छे %कूल; म- पढ रहे है ।इतनी ह बड़े पद क1 भूख है तो गले म- पWट पहन लो बड़े पद क1।एक साहब ने तो नौकर से #नकलवाने तक का यास 'कया।एक साहब जो Qवभाग के बड़े पद से पैसठ साल के बाद Sरटायर हुए है उ5होने तो मोशन न होने दे ने क1 कसम तक खा लया था।एल․एल․बी․कर लया है तो वकालत कर रहा है ,मुझसे दे ख लूंगा तेर वकालत। एक बड़े अ3धकार ने Yयंगबाण छोड़ते हुए बोले 'क तम ु तो नेता हो गये,नेताओं क1 तरह कपड़ा पहनने लगे हो। उ5ह सब का नतीजा मेरा मोशन न होने दे ना कैडर न बदलने दे ना मेर अिजFय; को कूड़ेदान म- डालना इसके अ#तSरDत कई दस ू रे अ,याचार। साहब-मगनजी आपके साथ अ5याय संQवधान के Zखलाफ है । मगनलाल-सर आपसे एक राय लेना चाहता हूं । साहब-पू#छये ।


मगनलाल-कमीशन म- अज& लगा दं ू Dया ? साहब- ब5धन अ3धक Zखलाफ हो जायेगा। आप एम․डी․और डायरे Dटर साहब को एक औत पc ्र लखो। मगनलाल-पहले भी लख चुका हूं पर वहां तक पहुंच ह नह ं पाया बाइस साल म- । साहब-पहुंचेगा ।म_ पहुंचाता हूं।पc लखो उ3चत माqयम से म_ फारवडF कNंगा ।ये अ,याचार है ,यो:य YयिDत के साथ अ5याय है । मगनलाल-ठ\क है सर लखदे ता हूं ।हो सकता है आपका यास से मत ् पर पड़े मेरे कैSरयर को ृ शैयया जीवन मल जाये । साहब-मगनजी आशावाद बने रBहये। आप कतFYय#नUठ,धैयव F ान है । जानते है िजसका कोई नह ं उसका भगवान है । #नराश मत होइये। एम․डी․और डायरे Dटर साहब के नाम पc लख लाइये। मगनलाल-कायाFलय के काम; को ाथ मकता दे ते हुए लंच के समय म- पc लखने म- जट ु गया। सबसे पहले 1- Eीमान ् ब5ध #नदे शक महोदय, 2- Qवपणन #नदे शक महोदय को संबो3धत करते हुए उ3चत माqयम से पदो5नत के सOब5ध म- -अनुरोध पc का इस कार लखा । महोदय णाम,सवF थम @मा का अनुरोध %वीकार- । महोदय ् Qवगत ् 21 वषt से सं%था क1 सेवा,ईमानदार ,कतFYय#नUठा एवं सOपूणF समपFण भाव के साथ कर रहा हूँ। सं%था क1 सेवा करते हुए उ?च शै@Zणक एवं Yयावसा#यक श@ा ािfत के साथ कई क1#तFमान भी %थाQपत 'कया हूँ िजसके लये म_ सं%था का ऋणी हूं । महोदय, Qवगत ् कई वषt से उ लेZखत शै@Zणक एवं Yयावसा#यक श@ा के आधार पर कैडर म- बदलाव के लए अनरु ोध कर रहा हूँ। एम․ए․एल․एल․बी․,पो%ट `ेजए ु ट ]डfलोमा इन यम ू न Sरसtस डेवलपमेKट , इन शै@Zणक एवं Yयावसा#यक यो:यताओं के◌े अ#तSरDत मेरे शै@Zणक एवं साBह,य योगदान के लये #नOनानुसार 25 से अ3धक पुर%कार एवं सOमान भी ाfत हो चुका है । महोदय, उपरोDत शै@Zणक,Yयावसा#यक यो:यताओं एवं अ5य यो:यताओं के अ#तSरDत दस ू र बार आहूत डी․पी․सी․ के बाद भी मेर पदो5न#त नह ं हुई है । महोदय, qयानाकषFण का Qवषय है 'क Qवगत ् कई वषt के अनुरोध के बाद भी मेरे कैडर म- बदलाव नह ं हु आ है और अब तो पदो5नत से भी वं3चत 'कया जा रहा हूँ। महोदय, Qवनjता एवं अदब के साथ अनरु ोध करना चाहूंगा 'क मेरे कैडर म- बदलाव का न होना और अब तो पदो5नत से वं3चत 'कया जाना मेरे भQवUय क1 मौत है । महोदय पुनः @मा चाहूंगा,कृपया अ5यथा न ल- । महोदय, म_ द लत पSरवार से हूं। %कालर शप के सहारे बी․ए․तक क1 श@ा ाfत कर रोजगार क1 तलाश म- पहल बार शहर आया था । पांच वषF क1 लOबी बेरोजगार के बाद सं%था म- टाइQप%ट के पद पर सेवा का सौभा:य ाfत हुआ । सं%था क1 सेवा म- रहकर म_ने उ^जवल भQवUय क1 उOमीद म- कई BदDकत; का मुकाबला करते हुए एम․ए․ । समाजशा%c । एल․एल․बी․ । आनसF । पो%ट `ेजुएट ]डfलोमा इन यूमन Sरसtस डेवलपमेKट तक क1 उ?च श@ा ािfत के साथ दजFन से अ3धक 'कताब; का सज ृ न कर चुका हूं। आकाशवाणी से रचनाओं के सारण;,दे शद#ु नया क1 पc-प cकाओं,ई -पc-प cकाओं म- %थान मलने के साथ, उप5यास के काशनाथF अनद ु ान ाfत हुआ। यह उप5यास Qवगत ् वषt से धारावाBहक के Nप म- का शत हो रहा है ,िजसके एवज ् म- एक पैसा


नह ं ले रहा हूं। मेरे साBह,य पर शै@Zणक एवं भाषा क1 rिUट से शोध 'कया जा रहा है । महोदय,मेर उपरोDत यो:यताओं एवं उपलिAधय; से यक1नन सं%था के %वा भमान म- अ भवQृ o हुई है । महोदय,दभ ु ाF:य का Qवषय है 'क उ?च यो:यताओं एवं उपलिAधय; के बाद भी सं%था म- पदो5नत नह ं हो रह है । अ5तोग,वा करबo #नवेदन है 'क मेर यो:यताओं को दे खते हुए मेरे अनुरोध पर सहानुभू#तपूवक F Qवचार कर मेरे कैडर म- यो:यतानस ु ार बदलाव के साथ पदो5नत दान कर मेर शै@Zणक, Yयावसा#यक यो:यताओं को जीवनदान दान करने का कUट कर- । महोदय आपEी से #नवेदन है 'क अपने सOमुख उपि%थत होकर मुझे अपनी ि%थ#त को %पUट करने का अमू य समय दान कर हम- अनु`ह त कर- , म_ आपiवय का सदा आभार रहूंगा । मगन लाल अपने लखे पc को कई बार-पढा। खुद स5तुUट होकर साहब के पास पहुंचा साहब पc के एकएक शAद को तौले 'फर बोले मगनजी आप तो बहुत अ?छा लखते है । लो म_ स:नेचर कर Bदया। अब %कैन कर पहले %टे ट आ'फस,डायरे Dटर इसके एम․डी․साहब को मेल करो । मगनलाल वैसा ह 'कया । कुछ ह दे र म- साहब का फोन घनघनाने लगा ।%टे ट आ'फस के सी#नयर अफसर; सBहत दस ू रे अफसर भी नेक और सं%थाBहत म- कायF करने वाले साहब को आड़े हाथ; लेने लगे यह कहकर 'क आपने मगनलाल क1 अज& आगे Dय; बढाये । साहब ने फोन पर जबाब Bदया-मगनलाल एक #तिUठत YयिDत है ,इस YयिDत ने सं%था का चार सार कर सOमान Bदया है । वह भी Qवभाग के बना 'कसी खचF 'कये। ऐसे YयिDत को तो उ?च पद पर सश ु ो भत होना चाBहये । Qवभाग के अहं कार अ3धकाSरय; ने सवFEेUठ यो:य कमFचार के आगे बढने के रा%ते रोक Bदये। Qवभाग म- माc %नातक बड़े से बड़े पद; पर Qवराजमान है । कुछ Bदन; म- साहब का bा5%फर हो गया। मगनलाल का न तो मोशन हुआ न कैडर बदला उपर से उसे काले पानी के सजा क1 धम'कयां मलने लगी।उपर से◌े अनश ु ासनह नता के अपराध का जम ु F कायम होने लगा। मगनलाल घबराया नह ं कतFYय#नUठा के साथ मौन जंग जार रखा। मगनलाल के कतFYय#नUठा और सiभावना के भाव ने दे श-द#ु नया के लाख; YयिDत; के साथ Qवभाग YयिDतय; के Bदल; पर द%तRत दे Bदया पर5तु साम5तवाद शासक; के कान पर जू नह ं र- गा और पDक1 हो गयी मगनलाल के कैSरयर मौत क1 सजा। इसके बाद भी मगनलाल क1 कलम थमीं नह ं। एक Bदन मगनलाल क1 EेUठता सवFमा5य तो हुई पर Eम क1 मKडी म- उसके लOबे अनभ ु व; बड़ी-बड़ी ]ड3`य; को खामोश कर Bदया गया सफF जातीय आयो:यत के नाम पर। इसके बाद मोशन और कैडर म- बदलाव के लये मगनलाल एक और अनरु ोध पc कभी नह ं लखा और नह ं सं%थाBहत म- अपने कतFYय#नUठा से Qवमुख हुआ सेवाकाल के अि5तम Bदन तक भी। इसी rढ #तv भाव ने मगनलाल को मशाल बना Bदया। वह इतना EेUठ बन गया 'क उसके लये साम5तवाद Eम क1 मKडी का बड़ा पद भी बौना था दे श-द#ु नया के मानवतावाद लोग; क1 नजर; म- । ॥ सामूBहक गौ ह,या ॥ ़ रामखेलावन पेट म- भख ू आंखो म- सपने लये तार-तार धोती-कमीज और 3चथडे गमछे से सर ढं के ना जाने कब बचपन से बुढौती क1 कैद म- आ गये पता ह नह ं चला ।बूढे समाज के शोQषत भू मह न खे#तहर मजदरू ; क1 यह दा%तान है खैर रामखेलावन के सपने बूढे नह ं हुए थे। वह दै Bहक, दै Qवक और भौ#तक तापा म- सुलगते हुए भी सपना दे खना ब5द नह ं 'कया Dय;'क सपने ह तो उसके जीवन आधार


थे। इन सपन; क1 ताकत थी रामकल ,रामखेलावन क1 अधा 3गनी। स?चे मन से दे खे पSरEम से सींचे सपन; के साकार होने का म|का भी रामखेलावन का दरवाजा जैस अब खटखटाने लगा था Dय;'क रामखेलावन का बेटा मगनलाल बी․ए․क1 पर @ा पास जो कर गया था । यहां तक पढाने म- रामखेलावन को रातBदन एक करना पड़ा । रामखेलावन और रामक ल के इस महायv म- सरकार वजीफा क1 आहु#त ने बड़ी भम ू का अदा क1 ।लाख ददF और तकल फे सहकर रामखेलावन और रामक ल ने बेटे का बी․ए․तक पढा लया ।मजदरू ; क1 ब%ती म- रामखेलावन का ओहदा बढ़ गया था । बेटा बी․ए․पास जो हो गया था । रामखेलावन को तकल फ; का सामना तो बहुत करना पड़ा था पर वह मगनलाल को खेतमा लक; के खेत म- खून पसीना करने को नह ं भेजा। कड़ी पर @ा के बाद रामखेलावन क1 तप%या पूर हुई बेटा बी․ए․पास हो गया । बी․ए․पास मगनलाल बड़े अरमान; के साथ नौकर क1 तलाश म- मां बाप के आशीष के गठर क1 छांव म- Bद ल शहर पहुंच गया जहां शहर म- उसने अपन; को पराया बनते नजद क से दे खा । कई मा लक; क1 द,ु कार जा#तवंश के नाम पर पाया तथा छोट जा#त का होने के ददF का उसे सल ु गता एहसास हुआ । कई बरस; क1 बेरोजगार का दं श भी झेला खैर स?चे,इरादे और नेककमF के #त अटल QवCवास ने पतझड़ हो रह िज5दगी म- खु शय; क1 क लयां फूटने लगी थी । मगनलाल को एक बड़ी कOपनी मटाइQप%ट के पद पर नौकर मल गयी। नौकर के बाद आय म- इजाफा हुआ बाप को म#नआडFर बराबर मलने लगा । मगनलाल के सपन; को Qव%तार क1 'करण Bदखाई पड़ने लगी । ईमानदार के साथ कOपनी क1 सेवा के साथ वह मां-बाप को Bदये वचन को भी पूरा करने मे जट ु गया अथाFत आगे क1 पढाई जार कर Bदया । मगनलाल को मां बाप पSरवार और घर-मंBदर क1 3च5ता हमेशा घेरे रहती थी । मगनलाल क1 कमाई से रामखेलावन क1 छाती चौड़ी होने लगी थी । समाज म- ओहदा भी बढ गया । बढता भी Dय; ना ब%ती का पहला उसी का बेटा तो बी․ए․पास था और %वशासी अधFशासक1य बड़ी कOपनी म- नौकर कर रहा था । उसका यक1न था 'क बेटा मगनलाल गांव के जमींदार जो 'कसी कOपनी म- जनरल मैनेजर थे पूरा गांव उ5ह- जी․एम․साहब कहता था। उसी जी․एम․साहब क1 #तकृ#त उसे अपने बेटे म- Bदखाई दे ने लगी थी Dय;'क वह सन ु रखा था 'क बी․ए․पास लड़के कलेDटर बनते है कOपनी का मैनेजर तो मामल ू बात है । उसके बचपन के Bदन; म- तो @ेc के Qवधायक अं:◌ू◌ाठा छाप थे पर दबंग थे। एकाध तो चपरासी क1 नौकर से जीवन क1 शN ु आत कर के5s य म5cी तक बने थे । ये सब 'क%से मगनलाल के सपन; को और ताकत दे रहे थे ।मगनलाल भी इ5ह 'क%स; को अपने जीवन म- उतारने का अथक यास करने म- जुट चुका था । मां-बाप के सपन- उसक1 अपनी आंख; के दे खे सपने लगने लगे थे पर वह बड़ी कOपनी के दबंग ब5धन क1 #छपी सािजश; से एकदम अन भv वह पढाई म- कदम दर कदम आगे बढता जा रहा था । धीरे -धीरे %तानतको,तर,Qव3ध %नातक सBहत ब5धन म- उ?च ]ड`ी रात Bदन क1 मेहनत और लगन से तक पढाई कर ाfत कर लया। मगनलाल के हौशले को दे खकर उसके मां बाप सBहत शुभ3च5तक; को लगने लगा था 'क मगनलाल बड़ी कOपनी म- जी․एम․साहब बनकर गांव का नाम रोशन कर दे गा । मगनलाल को कOपनी क1 ईमानदार से सेवा करते हुए प?चीस साल बत गये। इस बीच मगनलाल भी चुपचाप बैठा नह ं रहा अज& लगाता रहा एकाध बार पर @ा भी Bदया लZखत पर @ा म- पास हुआ पर सा@ा,कार म- फेल कर Bदया गया । कैडर म- बदलाव के लये भी अनुरोध 'कया पर अनुरोध पc ड%ट बन के हवाले हो गया । उसक1 अिजFयां ड%ट बन के हवाले तो जाती पर वह BहOमत नह ं हारा अज& लगाता रहा 'क कभी तो सुनवाई होगी । हां कभी-कभी आCवासन का आDसीजन मल जाता जो उसक1 BहOमत


बढाने मे मील का प,थर सा बत होता। नौकर क1 स वर जुबल पार कर चुके मगनलाल को मोशन से दरू फ-क Bदया गया था। 25 साल क1 सेवा के दौरान मोशन के मौके जो मले वे तो महज खानापू#तF भर थे । कOपनी के मोशन का #छपा एजेKडा वZणFक EेUठता थी । मगनलाल इस EेUठता के आधार पर अयो:य था,शै@Zणक और Yयावसा#यक यो:यता के आधार पर भले ह EेUठ था पर मा5य नह ं था । उसके लये मोशन चांद को धरती पर उतारने जैसा हो गया था । मगनलाल के अरमान; से दबंग ब5धन के लोग ऐसे खेल रहे थे जैसे हdडी से Cवान। मगनलाल अ,याचार के Zखलाफ कOपनी के आला अफसर; के सामने गुहार लगाया पर Sरज ट वह ढाक के तीन पात। कमजोर क1 कौन सन ु ता है सभी र|दने क1 काि◌◌ेशश करते है तभी तो गर ब गर बी के दलदल म- गले तक धंसता जा रहा है ,अमीर-दबंग Bदन दन ू ी रात चौगुनी तरDक1 करता जा रहा है । भू मह न खे#तहर मजदरू मां बाप के सपन; के साथ उ?च शT@त मगनलाल के कैSरयर को ढाठ\ दे द गयी खराब सी․आर․ लखकर दे द गयी । खराब सी․आर․क1 वजह से मगनलाल के साथ घर,गांव और बूढे मां बाप क1 आंख; के सपन; को भी ढाठ\ दे द गयी Eम के का#तल; के हाथ;। मगनलाल मरे सपनां◌ं◌े◌ं क1 अथ& कंध; पर लये आलाअफसर; के दरवाजे खटखटाये पर कान पर जंू तक नह ं र- गे◌े। कुय- म- भांग जा घल ु थी । पद-दौलत दबंगता क1 EेUठता के दं गल म- मगनलाल क1 चSरcावल खराब कर द गयी जी․एम․बनने के पूरे गांव के सपने ल#तया Bदये गये। दबी जब ु ान कOपनी के ह कुछ मानवतावाद लोग कहने लगा भला मगनलाल जैसे आदमी क1 सी․आर․ खराब कैसे हो सकती है । इस आदमी ने तो ईमानदार से काम 'कया है ,कतFYय#नUठा क1 मयाFदा का पSरपालन पूर Eoा और अदब के साथ 'कया है । SरCवत नह ं खाया । बेईमानी नह ं 'कया कOपनी के काम; को ाथ मकता के आधार पर 'कया है , जब'क इसके Qवपर त काम करने वाल; को Bदन दन ू ी रात चौगुना मोशन मल रहा है । अयो:य लोग बड़े-बड़े मैनेजर है हां वे वZणFक EेUठ जNर है । मगनलाल क1 सी․आर․खराब होना तो शोध का Qवषय हो गया है । मगनलाल जैसे कमजोर तबके के उ?च शT@त #तUठत कमFचार क1 सी․आर․बBढया लखना अफसर; का नै#तक दा#य,व था पर अपने दा#य,व के साथ अ5याय 'कया है सी․आर․ लखने वाले Eम के का#तल; ने । दबंग अफसर; ने अपनी दोगल मान सकता से चुपचाप मगनलाल के कैSरयर को ढाठ\ दे Bदया जो कOपनी क1 नी#तय; और सQवंधान क1 Zखलाफत है दफतर के ग लयारे म- भी यह बात दबी जब ु ान होने लगी थी पर दं बग ब5धन गूंगा,बहरा और अंधा बन चुका था मगनलाल क1 अव5न#त को लेकर । रामकल बेटे मगनलाल को बड़ा अफसर दे खने क1 तम5ना लये पंचत,व म- खो गयी। रामखेलावन क1 आंख भी बाट जोहते-जोहते पथरा गयीं थी । दबंगता के षण5c के शकार मगनलाल के सामने धधकता हुआ Qवरान था और पीछे लहूंलुहान परछायीं पर वह हार मानने को तैयार न था । वह अपनी का ब लयत जमाने के सामने सा बत करने क1 कसम खा लया था। कहते है ना छोटे लोग अ?छे काम करे तो भी बुरे बने रहते है Dय;'क उनक1 अ?छाई दबंग; क1 #नगाह; म- अ?छ\ नह ं होती दस ू रे शAद; म- कहे तो उ5हे कमजोर क1 यो:यता,अ?छाई और Rया#त फूट आंख नह ं भा#त है । ऐसा ह हुआ मगनलाल के साथ दबंगता के योoा सा बत हो गये Eम के का#तल ।


मगनलाल च5दन के पेड़ क1 तरह तट%थ रहा,दबंग लोग जहर उगलते रहे ,उसके हक #छनते रहे पर मगनलाल के आंसू के गंगाजल कागज पर 3गरते इ#तहास रचते रहे । लाख मुिCकल; के बाद भी मगनलाल अपने फ^र्◌ा से मुंह नह ं मोड़ा Dयां'क वह समझ गया था 'क उसके कैSरयर को ढाठ\ दबंग ब5धन क1 दे न है कOपनी के कायदे कानून क1 नह ं । मगनलाल यह कहते नह ं डरता था 'क मेर यो:यता का बला,कार हुआ है दबंग ब5धन के हाथो। बार-बार क1 हार के बाद भी मगनलाल म- जीतने का हौशला जीQवत था। वह दहकते Sरसते घाव के बाद भी सस'कयां नह ं भरा बार-बार के वार से बेखर सदकमF क1 राह पर आगे बढता रहा । वह इतना आगे #नकल गया 'क उसे मान-सOमान पुर%कार मलने लगे कOपनी म- मोशन के दरवाज; पर और मजबूत ताले जड़ Bदये गये। मगनलाल से नौकर और पद के बारे म- कोई पूछता तो जहर के आंसू पीते हुए ईमानदार से कहता दभ ु ाF:यवश मेरे कैSरयर का बला,कार कर Bदया गया ठ\क एक क5या के साथ हुए #घनौने अपराध क1 तरह। कOपनी म- टाइQप%ट के पद पर ^वाइन 'कया था इसी पद से Sरटायर कर Bदया गया पर ईमानदार से समझौता नह ं 'कया। पछ ू ने वाले कहते यो:यता के साथ बला,कार,अ,याचार हुआ है पर कOपनी का बड़े से बड़ा पद अब बौना लगता है और दबंग लोग कंस के वंशज । दस ू र ओर कुछ लोग कहते Eम के का#तल Dया Bदये है और Dया द- गे․․․․․․․․․․․․․․․मगनलाल कहता Eम के का#तल Dया मारे गे, जाको राखो साईयां मार सके ना कोय। Eम के का#तल; आसमान और भी ह_। इंसा#नयत के पुजार कहते Eम के का#तल; शरम करो,यो:यता को ढाठ\ मत दो। शोQषत; वं3चत; के सपने और उनके हक मत #छनो,Eम के का#तल; दे खो सक ु रात को मौत दे ने वाले को Dया सजा मल ,तO ु हे भी सजा मलेगी। यो:य शोQषत,वं3चत, गर ब हा शये के आदमी के सपने ढाठ\ दे कर ना मारो । ऐसा #घनौना अ,याचार सामूBहक गौ ह,या है कुछ तो भगवान से डरो Eम के का#तल; । पSरचय

․न दलाल भारती


рдХQрд╡,рд▓рдШреБрдХрдерд╛рдХрд╛рд░,рдХрд╣рд╛рдиреАрдХрд╛рд░,рдЙрдк5рдпрд╛рд╕рдХрд╛рд░ рд╢ рд╛

- рдПрдотАдрдПтАд ред рд╕рдорд╛рдЬрд╢рд╛%c ред рдПрд▓тАдрдПрд▓тАдрдмреАтАд ред рдЖрдирд╕F ред

рдкреЛ%рдЯ `реЗрдЬреБрдПрдЯ ]рдбfрд▓реЛрдорд╛ рдЗрди ┬ЗрдпреВрдорди Sрд░рд╕tрд╕ рдбреЗрд╡рд▓рдкрдореЗKрдЯ (PGDHRD) рдЬ5рдо %рдерд╛рди-

рд┐рдЬрд▓рд╛-рдЖрдЬрдордЧрдв редрдЙтАд тАд=ред

рдХрд╛ рд╢рдд рдкреБ рддрдХ

рдЙрдк рдпрд╛рд╕-рдЕрдорд╛рдирдд, рдЪрд╛рдВрдж рдХ рд╣рдВ рд╕реБрд▓

рдЕ рдХрд╛ рд╢рдд

рдЙрдк рдпрд╛рд╕-рджрдорди,рд╡рд░рджрд╛рди, рдЕ рднрд╢рд╛рдк рдПрд╡рдВ рдбрдВрд╡ рдЖ

рдк

реБ рддрдХ тАдтАдтАдтАдтАдтАдтАдтАдтАд

рдХрд╣рд╛рдиреА рд╕рдВ рд╣ -рдореБ"рда$ рднрд░ рдЖрдЧ,рд╣рдВ рд╕рддреЗ рдЬ)рдо, рд╕рдкрдиреЛ рдХ рдмрд╛рд░рд╛рдд рд▓рдШреБрдХрдерд╛ рд╕рдВ рд╣-рдЙрдЦреЬреЗ рдкрд╛рдВрд╡ / рдХрддрд░рд╛-рдХрддрд░рд╛ рдЖрдВрд╕реВ рдХрд╛.рдпрд╕рдВ рд╣ -рдХ/рд╡рддрд╛рд╡ рд▓ / рдХрд╛.рдпрдмреЛрдз, рдореАрдирд╛1реА, рдЙ2рдЧрд╛рд░,рднреЛрд░ рдХ рджрдЖ реБ ,рдЪреЗрд╣рд░рд╛ рджрд░ рдЪреЗрд╣рд░рд╛ рдЖрд▓реЗрдЦ рд╕рдВ рд╣- /рд╡рдорд╢3 рдПрд╡рдВ рдЕ рдп 4рдирдорд╛рдб рдХ рдорд╛рдЯ рдорд╛рд▓рд╡рд╛ рдХ рдЫрд╛рд╡ред 4рдд4рди8рдз рдХрд╛.рдп рд╕рдВ рд╣ред 4рдд4рди8рдз рд▓рдШрдХ реБ рдерд╛ рд╕рдВ рд╣-рдЕрдВрдзрд╛рдореЛрдв рдХрд╣рд╛рдиреА рд╕рдВ рд╣-рдпреЗ рдЖрдЧ рдХрдм рдмрдЭ реБ реЗрдЧреА рдХрд╛рд▓ рдорд╛рдВрдЯ рдПрд╡рдВ рдХ/рд╡рддрд╛ рдХрд╣рд╛рдиреА рд▓рдШреБрдХрдерд╛ рд╕рдВ рд╣ рдЖ<рджред

рд╕=рдорд╛рди/рдкреБрд░ рдХрд╛рд░

рд╣ рдж рднрд╛рд╖рд╛ рднреВрд╖рдг,рд╕рд╛ рд╣ рдп рдо рдбрд▓, реАрдирд╛рде рд╡рд╛рд░рд╛,рд┐тЧМ рд╡ рдпрд╛рд╡рд╛рдЪ рдк рдд, рд╡ рдо рд╢рд▓рд╛ рд╣ рдж рд╡ рдпрд╛рдкреАрда, рд╡ рд░тАд тАдрд▓рдШреБрдХрдерд╛рдХрд╛рд░ рд╕$рдорд╛рдитАд тАд2010, рдж%рд▓ рд╡рдЧ' рд╡рднрд╛ рддрд╛рд░рд╛ рд░рд╛)* рдп рд╕$рдорд╛рди-2009,рдореБ$рдмрдИ, рд╕рд╛ рд╣ рдп рд╕,рд╛рдЯ,рдордереБрд░рд╛редрдЙтАд тАд.тАд тАдред/рд╡>рд╡ рднрд╛рд░рддреА ?рд╛ рд╕=рдорд╛рди,рднреЛрдкрд▓,рдотАд тАд, /рд╡>рд╡ <рд╣ рдж рд╕рд╛<рд╣@рдп рдЕрд▓рдВрдХрд░рдг,рдЗрд▓рд╛рд╣рд╛рдмрд╛рджредрдЙтАд тАдред рд▓реЗрдЦрдХ рдоB редрдорд╛рдирдж рдЙрдкрд╛8рдзредрджреЗ рд╣рд░рд╛рджрди реВ редрдЙ@рддрд░рд╛рдЦDрдбред рднрд╛рд░рддреА рдкреБEрдкред рдорд╛рдирдж рдЙрдкрд╛8рдзредрдЗрд▓рд╛рд╣рд╛рдмрд╛рдж, рдбрд╛рдВтАдрдЕ=рдмреЗрдбрдХрд░ рдлреЗрд▓реЛ рд╢рдк рд╕=рдорд╛рди,<рджIрд▓ ,

рднрд╛рд╖рд╛ рд░@рди, рдкрд╛рдиреАрдкрдд ред рдХрд╛.рдп рд╕рд╛рдзрдирд╛,рднреБрд╕рд╛рд╡рд▓, рдорд╣рд╛рд░рд╛EJ,

KрдпреЛ4рддрдмрд╛ рдлреБрд▓реЗ рд╢1рд╛/рд╡2,рдЗрдВрджреМрд░ редрдотАд тАдред рдбрд╛рдВтАдрдмрд╛рдмрд╛ рд╕рд╛рд╣реЗ рдм рдЕ=рдмреЗрдбрдХрд░ /рд╡рд╢реЗрд╖ рд╕рдорд╛рдЬ рд╕реЗрд╡рд╛,рдЗрдВрджреМрд░ , /рд╡2рдпрд╛рд╡рд╛рдЪ рдк4рдд,рдкLрд░рдпрд╛рд╡рд╛рдВредрдЙтАд тАдред рдХрд▓рдо рдХрд▓рд╛рдзрд░ рдорд╛рдирдж рдЙрдкрд╛8рдз ,рдЙрджрдпрдкреБрд░ редрд░рд╛рдЬтАдред рд╕рд╛<рд╣@рдпрдХрд▓рд╛ рд░@рди редрдорд╛рдирдж рдЙрдкрд╛8рдзред рдХреБрд╢реАрдирдЧрд░ редрдЙтАд тАдред


рд╕рд╛<рд╣@рдп 4рддрднрд╛,рдЗрдВрджреМрд░редрдотАд тАдред рд╕реВрдл рд╕ рдд рдорд╣рд╛рдХ/рд╡ рдЬрд╛рдпрд╕реА,рд░рд╛рдпрдмрд░реЗ рд▓ редрдЙтАд тАдредрдПрд╡рдВ рдЕ рдп рдЖрдХрд╛рд╢рд╡рд╛рдгреА рд╕реЗ рдХрд╛.рдпрдкрд╛рда рдХрд╛ рд╕рд╛рд░рдг ред рд░рдЪрдирд╛рдУрдВ рдХрд╛ рджреИ 4рдирдХ рдЬрд╛рдЧрд░рдг,рджреИ 4рдирдХ рднрд╛ рдХрд░,рдкPBрдХрд╛,рдкрдВрдЬрд╛рдм рдХреЗрд╕рд░ рдПрд╡рдВ рджреЗ рд╢ рдХреЗ рдЕ рдп рд╕рдорд╛рдЪрд╛рд░ рдкB-рдкPBрдХрд╛рдУ рдХрд╛рд╢рди , рдЕ рдп рдИ-рдкB рдкPBрдХрд╛рдУрдВ рдо рд░рдЪрдирд╛рдУрдВ рдХрд╛ рдХрд╛рд╢рдиред рд╕рдж рдп

рдЗрд┐Dрдбрдпрди рд╕реЛрд╕рд╛рдпрдЯ рдЖрдл рдЖрдерд╕3 редрдЗрдВрд╕рд╛ред рдирдИ <рджIрд▓ рд╕рд╛<рд╣рд┐@рдпрдХ рд╕рд╛рдВ рдХреГ4рддрдХ рдХрд▓рд╛ рд╕рдВрдЧрдо рдЕрдХрд╛рджрдореА,рдкLрд░рдпрд╛рдВрд╡рд╛ред рддрд╛рдкрдЧрдвредрдЙтАд тАдред <рд╣ рдж рдкLрд░рд╡рд╛рд░,рдЗрдВрджреМрд░ редрдоUрдп рджреЗ рд╢ред рдЕVрдЦрд▓ рднрд╛рд░рддреАрдп рд╕рд╛<рд╣@рдп рдкLрд░рд╖рдж рдпрд╛рд╕,Wрд╡рд╛ рд▓рдпрд░,рдоUрдп рджреЗ рд╢ ред рдЖрд╢рд╛ рдореЗрдореЛLрд░рдпрд▓ рдоBрд▓реЛрдХ рдкрд┐Xрд▓рдХ рдк

реБ рддрдХрд╛рд▓рдп,рджреЗ рд╣рд░рд╛рджрди реВ редрдЙ@рддрд░рд╛рдЦDрдбред рд╕рд╛<рд╣@рдп рдЬрдирдордВрдЪ,рдЧрд╛рд┐рдЬрдпрд╛рдмрд╛рджредрдЙтАд тАдред рдотАд тАдтАдрд▓реЗрдЦрдХ рд╕рдВрдШ,рдотАдтЧМреНрд░ тАдрднреЛрдкрд╛рд▓,

Visit us: http://wwwтЧМрд╝nandlalbharatiтЧМрд╝mywebduniaтЧМрд╝comhttp;//wwwтЧМрд╝nandlalbharatiтЧМрд╝blogтЧМрд╝coтЧМрд╝in/ http://wwwтЧМрд╝ nandlalbharatiтЧМрд╝blogspotтЧМрд╝com http:// wwwтЧМрд╝hindisahityasarovarтЧМрд╝blogspotтЧМрд╝com/ httpp://wwwwтЧМрд╝nlbharatilaghukathaтЧМрд╝blogspotтЧМрд╝com/ httpp://wwwwтЧМрд╝betiyaanvardanтЧМрд╝blogspotтЧМрд╝com httpp://wwwтЧМрд╝facebookтЧМрд╝com/drdrnandlalтЧМрд╝bharati


Turn static files into dynamic content formats.

Create a flipbook
Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.