Russia and India Business Report

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WEDNESDAY AUGUST 26, 2015

Business Report RUSSIA&INDIA NAVBHARAT TIMES IN ASSOCIATION WITH ROSSIYSKAYA GAZETA, RUSSIA

कूटनीित : एनडीबी के ्ेपण के साथ ही, ि क्स अपने वयं की भुगतान यव था की रचना कर नए मोचे् की ओर देख रहा है

घूमता आईना

ि क्स सम्मेलन: उ्‍ित की अपार संभावनाएं

भारत और ूस अंतिर् उद्योग का संयक्त ु ूप से िवकास करगे

ि क्स देशों ने उफा सम्मेलन के दौरान उनके िविवध आिथ्क तर एवं ल्​्यों के बावजूद वैिश्वक मुद्दों पर एक िवपरीत बयान तुत कर एक बु वु ीय िवश्व की रचना को नया बल िदया है। जोजी् बो ट

आरआईबीआर के िलए िवशेष

EPA

ूसी शहर उफा में जुलाई में (जहां यह शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के साथ िमि त हो गया) आयोिजत ि क्स सम्मेलन इस बात का एक सांकिे तक माण बन गया िक पि‍म ितबंध लगा कर ूस को अलग थलग करना पूरी तरह से िवफल हो चुका है। ि क्स में ूस के अध्य्ीय काय्काल का समापन करते ुए िव‍ के नए बु वु ीय नक्शे के महत्वपूण् एककों को पदािप्त भी िकया गया और कई यवहािरक समाधानों को ऊंचाईयां भी दी गईं। उफा में ितिनिधत्व कर रहे रा£ िव‍ की 40 ितशत जनसंख्या के घर और वैि‍क जीडीपी का एक ितहाई िह सा थे। ि क्स के रा£ उनके भूराजनीितक ल यों और मू यों के चलते िविवधता िलए ह। इनमें से त्येक की अपनी िविश‍ आिथ्क पिरि थित है। यूरिे शयन इकोनॉिमक यूिनयन और चीन द्वारा रेशम माग् ्े (िस क रोड बे ट) की रचना आशाजनक है जो िक दि्ण एवं मध्य एिशया से ईयू हो कर गुजरेगी, इस संदभ् में मई में ूसी रा£पित लािदमीर पुितन और उनके चीनी समक् शी िजंनिपंग ईएईसी और िस क रोड के बीच अत्यिधक ितयोिगतात्मकता को सहज करने पर सहमत ुए थे। एससीओ, िजसमें दोनों पिरयोजना में सहभागी देश शािमल ह, इस ल य को पाने के िलए एक सुिवधाजनक मंच है, खासकर भारत और पािक तान के समावेश के बाद। ि क्स का नया िडवेलपमेंटल बैंक उफा सम्मेलन के बाद पहले से ही अपना काम ारम्भ कर चुका है। इसकी पूज ं ी संभवत 100 िबिलयन डॉलर हो सकती है।

यह वह िव् पोषण संरचना होगी जो अन्य अन्तररा£ीय िव्ीय संगठनों से वतं होगी, जो कई ूसी कंपिनयों के िलए महत्वपूण् है जो िक पि‍मी ितबंधों की जद में आ रही ह। इस बैंक की काय् णाली यूरोिपयन िडवेलपमेंटल बैंक के अनुूप ही होगी, यह लघु और मध्यम यवसायों को सहारा देगा, यवसाियक बैंको को कज् उपलब्ध करवाएगा और ि क्स देशों की एकल पिरयोजना को सहारा देगा। यह बैंक आईएमएफ और िव‍ बैंक के संर्ण में चल रहे मौजूदा नेटवक् िजसे पि‍म यूएस के भुत्व में संचािलत करता

है के समानान्तर बन रहे नए अन्तररा£ीय िव्ीय नेटवक् का िह सा होगा। इसीिलए एिशयन इन् ा ‍र इन्वे टमेंट बैंक की थापना चीन की पहल पर की गई थी। इसकी पूज ं ी 100 िबिलयन डॉलर तक है जहां चीन की िह सेदारी 16 ितशत है और ूस की करीब 6 ितशत है। 40 से अिधक देश इससे पहले ही जुड़ चुके ह जो िक खास तौर पर चीन और ूस के िबना एिशया शान्त ्े में ांस पेिसिफक साझेदारी संरचना के तहत यूएस की अंदर ही अंदर खुद को मजबूत करने की योजना से खुश नहीं है। एआईआईबी

ज द ही िव‍ बैंक और एिशयन िवकास बैंक का ितयोगी बन जाएगा जहां यूएस और जापान का भुत्व है। वे नए बैंक में शािमल नहीं ुए ह। यह प‍ संकते है िक चीन जो िक िव‍ की दूसरी सबसे बड़ी अथ् यव था है, िव‍ बैंक में तथा किथत “दूसरी ण े ी” के मतदाता में शािमल है और इसकी एिशयन िवकास बैंक में केवल 5 ितशत िह सेदारी है जबिक यूएस और जापान की 15 ितशत िह सेदारी है। ि क्स के तहत एक आरि्त मु ा भंडार (करसी िरजव् पूल) भी थािपत िकया जा रहा है। यह रा£ीय पूज ं ी बाजारों

ि क्स के तहत एक आरि्त मु ा भंडार भी थािपत िकया जा रहा है। यह रा£ीय पूज ं ी बाजारों के िलए संकट की पिरि थितयों में ि थरीकरण का उपकरण बन सकेगा।

के िलए संकट की पिरि थितयों में एक ि थरीकरण का उपकरण बन सकेगा। और यह िव‍ बैंक और आईएमएफ से वतं होगा, जो कई बार सहायता देने के एवज में समग्रता में पि‍म के िहतों में राजनीितक ूप से िे रत शते्ं लगा देते ह। यिद आव यकता ुई तो, हम आज पैसा आवंटन करने के बारे में बात नहीं कर रहे ह, चीन पूल में 41 िबिलयन डॉलर देगा, ूस, भारत एवं ाजील इसमें 18 िबिलयन डॉलर देंगे और दि्ण अ ीका इसमें 5िबिलयन डॉलर देगा। ि क्स अपनी वयं की भुगतान यव था बनाने की योजना बना

रहा है तािक इन अथ् यव था को इन ्े ों में भी पि‍मी संरचनाओँ से मु‍ िकया जा सके। ूस पहले ही यह अनुभव ले चुका है जब वीजा और मा टर काड् ने उसके बैंकों पर ितबंध लगा िदए थे और चीन ने पहले जब मूलतया अपनी वयं की भुगतान यव था रच ली तब ही उसने इन पि‍मी यव था को उसके बाजार में आने िदया था। ाजील में िपछले ि क्स सम्मेलन के दौरान एक एकीकृत मु ा की रचना करने की संभावना के बारे में बुत कुछ कहा गया था, जो िक डॉलर व यूरो को भी पीछे छोड़ देती। िपछली बार का सपना उनके समय से थोड़ा जरा आगे का सपना था। बहरहाल यूरो और डॉलर की दीघ्कािलक सम याएं कहीं गई नहीं ह, और जो रा£ पि‍मी भाव के दब्बू मोहरे नहीं बनना चाहते वे इन सम या से खुद को अलग करने को इस या उस तरीके से अपने एजेंडे पर रखेंग।े इस मामले में, इसका अथ् न केवल चीन से है बि क अन्य ि क्स देशों से है। अपनी वयं की पर पर इलेक् ॉिनक सेटलमेंट यव था की ओर बढ़ कर ि क्स देश देर सवेर एक एकीकृत मु ा की रचना कर ही लेंग।े हकीकत में, यह पहले से ही पूणत् या नई पिरि थितयों में पहले भी हो सकता है जहां केवल डॉलर और यूरो ही िव‍ पर राज नहीं कर रहे ह बि क एक पिरवत्नीय युआन और साथ ही साथ िक्रप्टोकरसी जैसे िबटकॉइन भी ह। ि क्स अपनी वयं की भुगतान णाली बनाने की योजना बना रहा है तािक इन अथ् यव था को पि‍मी संरचना से मु‍ िकया जा सके ि क्स अपनी वयं की पर पर इलेक् ॉिनक सेटल े मेंट यव था पर काय् कर रहा है, ि क्स देश एक एकीकृत मु ा की देर सवेर थापना कर ही लेंग।े हकीकत में, यह पहले से ही पूणत् या नई पिरि थितयों में पहले भी हो सकता है जहां केवल डॉलर और यूरो ही िव‍ पर राज नहीं कर रहे ह बि क एक पिरवत्नीय युआन और साथ ही साथ िक्रप्टोकरसी जैसे िबटकॉइन भी ह।

नए समीकरणएससीओ देश के ितिनिधयों के बीच कई मायनों में महत्वपूण् यह संमल े न 10 जुलाई को ूस के उफा शहर में आयोिजत ुआ।

‘कागजी शेर’ ? एससीओ में भारत और पािक तान का समावेश ुख पलटने वाला एससीओ का िव तारः ूस को इसकी पुच न केवल मध्य एिशया, उ्र पूव् एिशया बि क दि्ण एिशया यहां तक की मध्य पूव् तक सुिनिश्चत करना है। सेगईे् ोकान, लादीमीर िमखीव आरआईबीआर

जो िक अभी इसका सश‍ िबन्दु नहीं है। भारत एक सश‍ आिथ्क ताकत है िजसकी मध्य एिशया में ुिच है और चीन के साथ उसका यापार बढ़ रहा है।’ िवशेष् आगे कहते ह, ‘यह एससीओ की राजनीितक कृती को भी बदल देगा, िजसे अब तक सही या गलत ूप में मध्य एिशया से यवहार करने वाले चीनी ूसी संगठन के ूप में देखा जाता था। भारत और पािक तान एससीओ को कई मायनों में पिरवित्त करगे। अब सभी द तावेज अंग्रज े ी में भी अनुवािदत िकए जाएंग,े जो अब चाइनीज और ूसी के बाद तीसरी आिधकािरक भाषा बनेगी। यह एजेंडा बदल देगा, खास तौर पर आतंकवाद से मुकाबले के संदभ् में, चूिं क दोनों नव आंगतुक इस सम या का सामना कर रहे ह।’ हालांिक, मा को ि थत हायर कूल ऑफ इकोनॉिमक्स के यूरोिपयन और अन्तररा£ीय अध्ययन केन् के िनदेशक ितमोफेई बोडो्शवे आशंका य‍ करते ह िक आने वाले िदनों में यह सहजता से आगे बढ़ पाएगा। वे कहते ह,”भारत और पािक तान का समावेशन एससीओ

भारत के धान मं ी की ूस या ा साल के अंत में होगी

© PAVEL LISITSYN / RIA NOVOSTI

भारत के र्ा और िवदेश मं ी अक्टबर में मा को का दौरा करगे िजसके दौरान वे नवंबर के अंत और िदसंबर की शु​ुआत के िलए िनधा्िरत भारत-ूस िशखर वाता् और धानमं ी नरेन् मोदी की ूस या ा के िलए तैयारी करगे। राजनियक सू ने बताया- “भारत के िवदेश मं ी और र्ा मं ी की ूस या ा अक्टबर माह के िलए िनधा्िरत की गई है। वे ूसी-भारतीय िशखर सम्मेलन के िलए तैयारी के उ‍े य से अंतर-सरकारी आयोग के काम में भाग लेंग।े ” उन्होंने यह भी बताया िक भारत के धानमं ी मोदी की ूस या ा “िफ़लहाल नवंबर के अंत-िदसंबर की शु​ुआत के िलए िनधा्िरत की गई है।”

यु‍पोत की मरम्मत :भारतीय और ूसी इजीिनयरों के हवाले

AFP/EASTNEWS

EPA

थापना के चौदह साल बाद, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का ूसी शहर उफा में मानक सािबत होने वाले सम्मेलन का आयोजन ुआ िजसमें िव तार का रा ता खुला जो न केवल गुणव्ापूण् था बि क संख्यात्मक भी था। एससीओ दो महत्वपूण् ्े ीय शि‍यों भारत और पािक तान को शािमल करने पर सहमत ुआ जो ूस को एिशया में अपनी पुच को बढ़ाने में अितिर‍ अवसर दान करता है। मूलतया, एससीओ का एजेंडा सीिमत था। इसे मोटे तौर पर मध्य एिशया की ि थरता एवं सुर्ा के ृि‍कोण से गिठत िकया गया था और इसका उ‍े य अितवादी इ लाम और पड़ोसी अफगािन तान से नशीली दवा की

त करी की चुनौितयों का मुकाबला था। अब यह धीरे धीरे िव तार ले रहा है और एक अलग व नए तर की ओर बढ़ रहा है। अब,इसकी जनसंख्यात्मक, भौगोिलक और आिथ्क तथा राजनीितक ताकत का यह वजन एससीओ को ऊंचाई देगा। भारत और पािक तान के अब इसमें जुड़ने के साथ यह कहना अब अिधक समीचीन होगा िक एससीओ अब एक वैि‍क ताकत के ूप में उभर रहा है? मा को टेट इ टीट्यूट ऑफ इटरनेशनल िरलेशन्स में,एिशया एंव शंघाई सहयोग संगठन अध्ययन केन् के िनदेशक अलेक्जेंडर युिकन दोनों ्े ीय शि‍यों के आगमन को एससीओ के िलए खेल पलट देने वाले कदम के ूप में देख रहे ह,वे कहते ह िक ‘मैं सोचता ू िक यह एक सकारात्मक संकते है और यह एक कदम आगे बढ़ने जैसा है क्योंिक,जब तक िक आप एक बंद रा ते के िसरे पर नहीं पुच जाते, यह अिनि‍त होता है िक अब आगे िकधर जाना है। भारत और पािक तान का वेश, खास तौर पर भारत का आना, एससीओ के अन्दर आिथ्क सहयोग को बढ़ाएगा,

ूस के साथ सहयोग को गहराने से भारत के अंतिर् काय्क्रम का िव तार होगा। भारत के पूवो्​्र ्े िवकास, धानमं ी काया्लय, कािम्क, लोक िशकायत व पेंशन, परमाणु ऊजा् िवभाग और अंतिर् िवभाग में राज्य मं ी िजतेन् िसंह ने यह राय य‍ की है। संसद में बोलते ुए उन्होंने कहा- “अंतिर् अनुसधं ान के ्े में भारत और ूस के बीच सहयोग से भारतीय अंतिर् अनुसधं ान संगठन (इसरो) के अंतिर् अन्वेषण काय्क्रम का िव तार करने में सहायता िमलेगी। इस सहयोग का संबधं िनम्निलिखत संय‍ ु पिरयोजना से हो सकता है: अनुभव और िवशेष्ों का आदान- दान, अंतिर् णािलयों का िवकास, इस ्े में अंतिर् याि यों और वै्ािनकों को िश्ण।”

के िवकास में एक महत्वपूण् कदम है। इसके साथ ही यह न केवल एक अवसर है, बि क चुनौती भी है। ये दोनों देश बमुि कल ही “दो त” कहे जा सकते ह और वो उनके बीच कई सारे अनसुलझे मु‍ों का सामना कर रहे ह। हम पूरी तरह से िनि‍त नहीं कह सकते िक यह हमें िकस िदशा में ले कर जाएगा- और अिधक सहयोग की ओर या और अिधक असहमितयों की ओर। वहीं दूसरी ओर एससीओ वयं को एक ्े ीय, यूरिे शयाई राजनीितक मंच के ूप में थािपत कर

सकता है जहां पािक तान और भारत के बीच के िववादों को सुलझाया जा सके।” अभी पय्व् े क का तर रख रहे ईरान को क्लब में पूण् सद य के ूप में शािमल करने में और देरी ने एससीओ के महत्वपूण् होने में ह की छाया भले ही डाली हो पर अन्य अिभलाषी नवांगतुकों को रोक नहीं पा रही है। इिज‍, अन्य में से एक, ने वाता् साझेदार (डायलॉग पाट्नर) के तर के िलए आवेदन िकया है, अभी यह तर बेलाूस, तुकी् और ीलंका को हािसल है।

ूस के िलए, इच्छुकों के गठबंधन का फलना एिशया के ित केन् ण की ाियकता को बढ़ाता है, चूिं क यह अपना िव तार और पुच न केवल मध्य एिशया और उ्र पूवी् एिशया बि क दि्ण एिशया और यहां तक िक मध्य एिशया तक बढ़ा रहा है। जो यास पांच देशों ( द शंघाई फाइव)के एक थानीय समूह के ूप में शुू ुआ था वो अब एक िवकट गठबंधन के ूप में आगे बढ़ रहा है। आज, एससीओ को एक ‘कागजी शेर’ के ूप में खािरज नहीं िकया जा सकता।

तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर और 1600 लोगों को एक साथ ले जाने की ्मता वाला युद्धपोत आईएनएस िवक्रमािदत्य की पहली मरम्मत फरवरी 2016 में होगी। 44,500 टन के युद्धपोत की मरम्मत का िजम्मा भारतीय और ूसी इजीिनयरों के हवाले होगा। र्ा मं ालय के सु ों के मुतािबक आईएनएस िवक्रमािदत्य की मरम्मत गुजरात में ि थत पीपावाव िशपयाड् पर िकए जाने की संभावना है जो अिनल अंबानी की कंपनी िरलांयस इ ा का िह सा है। र्ा मं ालय का अनुमान है िक ब्यौरे को देखते ुए मरम्मत में चार महीने का व‍ लग सकता है। िवक्रमािदत्य को भारत ने ूस से खरीदा है िजसे 16 नवंबर 2013 में भारतीय नौसेना के हवाले िकया गया था।

3 से 6 िसतम्बर तक, ूस की राजधानी मा को में होगा भारतीय िफ म समारोह

ूसी मातृयो का : सु िसद्ध लकड़ी की गुिड़या में िछपे कई राज ूस से कोई मृितिचन्ह ले जाने की बात आती है तो तत्काल जो छिव िदमाग में उभरती है वह होती है एक परतदार संरचना के साथ मातृयो का गुिड़या। एलेनाको टोमारोवा आरआईबीआर

हकीकत में, यह सु िसद्ध लकड़ी की गुिड़या महज 19वीं सदी से ता‍ुक रखती है। तो इस िसद्ध गुिड़या का मूल क्या है? “मातृयो का” शब्द “मातृयोना” शब्द से आया है, जो उस दौर में बुत ज्यादा लोकि य था। इस नाम का अथ् है “आदरणीय मिहला”, “पिरवार की मां” या “मम्मी” इन सबका सौम्य तीक है “मातृयो का”। मा को ि थत ऑल रिशयन म्यूिजयम ऑफ डेकोरेिटव, एप्लाइड और फॉक आट् की िनदेशक येलने ा िटटोवा समझाती ह, “सभी ूसीयों के िलए मातृयो का सीधे से मातृयोना है, मिहलाओँ के वा थ्य, उव्रता का तीक, एक बुत सुन्दर

DPA/VOSTOCK-PHOTO

आप िकसी भी ूसी मृित िचन्ह की दुकान में कदम रिखए और आप वहां इन्ह ही पाएंग।े कतार दर कतार चमकीली, फूली ुई, सजी संवरी मिहलाएं, गुलाबी गाल वाली, चमकीली आंखों वाली, लकड़ी के चेहरों वाली, चटख रगों की पोशाक और परम्परागत गहने पहने ये आलमारी में सजी होंगी। इन लकड़ी की आकृितयों

में से िकसी एक के ऊपरी आधे िह से को जरा घुमाइये और एक ूबू लेिकन थोड़ी छोटी ितकृित अन्दर से कट होगी। उस ितकृित के ऊपरी आधे िह से को घुमाइए और एक और ितकृित अन्दर से िनकलेगी। एक के बाद एक, एक के बाद एक घुमाते जाइए और हर बार आप को एक और छोटी ितकृित िमलती जाएगी। ूसी गुिड़या मातृयो का, जैसा की ूसी उन्ह पुकारते ह, ूस के सबसे ज्यादा जाने पहचाने िचन्हों में से एक है। जहां इसे हर तरफ रा£ की ाचीन का‍कला एवं सजावटी ह तकला का एक उदाहरण माना जाता है, वहीं वा तव में मातृयो का, उससे कहीं जवान है िजतना उसकी िसद्धी उसे बताती है।

ूसी गुिड़या मातृयो का ।

मिहला िवन्यास और पिरवार का तीक।” एक धारणा के अनुसार, ूसी मातृयो का की एक संबधं ी गोलू मोलू गुिड़या बौद्ध संत बोधीधमा् का मूती् ूप है, जो िक इस ाचीन धम् के मुख धम्गु​ु में से एक ह और शाओिलन मठ के सं थापक थे। उनका जापानी में नाम दाूमा है। कोकेशी गुिड़या, िजसे ब ों को जन्तर के तौर पर िदया जाता है, भी मातृयो का के साथ िमलती जुलती होने के िलए जानी जाती है। हालांिक यह जापानी गुिड़या एक अन्य ूसी गुिड़या, ितनकों की गुिड़या ( ॉ डॉल) के साथ ज्यादा नजदीकी समानता रखती है, जो िक सभी पुराने िकसान घरों में पाई जाती है।

मातृयो का के बड़े भाई की पदवी के िलए सबसे समुिचत त्याशी है जापानी बुजगु ् फुकू ु मु। बुिद्ध के देवता की इस लकड़ी की संरचना के अन्दर छह और आकृितयां होती ह िजन्ह उनके िर तेदार या अन्य छोटे जापानी देवताओँ के ूप में िचि त िकया होता है। कुछ का मानना है िक मातृयो का का मूलूप 1800 में िसद्ध कला संर्क स वा ममोन्तोव की पत्नी के द्वारा जापान से ूस लाया गया था। 19 वीं सदी के दूसरे उ्राद्ध् में पूव् का सब कुछ फैशन में आ कर पूरे ूस पर छा गयाः कपड़े, छपाई, मूित्यां। यहां तक िक स ाट िनकोलस िद्वतीय एक जन्तर के ूप में नेटसुक अपनी जेब में रखते थे।

ALAMY/LEGION MEDIA

ूस में होने वाले भारतीय िफ म समारोह में “पीकू” “हैदर” और “िदल धड़कने दो” जैसी बुचिच्त िफ़ में िदखाई जाएंगी। ये जानकारी “इिडयन िफ म फेि टवल व ड्वाइड” के रचनात्मक िनदेशक आर सी दलाल ने एक स े िव्ि‍ के जिरए दी। इस िफ म फेि टवल का आयोजन ूस की राजधानी मा को में 3 से 6 िसतम्बर तक िकया जायेगा, िजसका उ‍े य भारत और ूस के मनोरजन उद्योग को करीब लाना है। इसके साथ ही यह समारोह ूसी दश्कों के सम् भारतीय िसनेमा उद्योग से जुड़े अनेक सां कृितक और रचनात्मक पहलु को उजागर करेगा। आर. दलाल ने कहा- “राज कपूर की िफ मों के बाद ूस में यह िफ म-महोत्सव भारत के साथ जुड़ा सबसे बड़े पैमाने का समारोह होगा।”


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यापार िवचार

ूसी जहाज िनमा्ण उद्योग ‘मेक इन इिडया’ में सहयोग के िलए तैयार िवनय शुक्ला

PRESS PHOTO

आरआईबीआर

भारत और ूस दोनों जगह मीिडया िरपोटो्ं में इस बात को काफी कवरेज िमली िक भारत के िलए हिथयारों के सबसे बड़े सप्लायर के ूप में अमेिरका ने ूस को पछाड़ िदया है। िरपोट् से लगता है िक िद्वप्ीय भारतीय-ूसी सैन्य-तकनीकी सहयोग के िदन खत्म होने वाले ह। इस नकारात्मक माहौल में, भारतीय राजदूत पी.एस. राघवन द्वारा से ट ऑफ इिडया को िदया गया सा्ात्कार एक नए धमाके की तरह आया है। राजदूत ने बताया िक भारत में 200 कमोव हेलीकॉप्टर िनमा्ण का अनुबधं िकया गया है। ूस के साथ भारत के ितर्ा सहयोग में सवाल का जवाब देते ुए उन्होंने कहा, ‘यह (भारत-ूस गठबंधन) एक बड़ी, यापक आधार वाली साझेदारी है जो िदनोंिदन और अिधक यापक हो रही है, यिद दोनों देश भारत में तकनीक ह तांतरण और लाइसेंस आधािरत उत्पादन द्वारा 200 हेलीकॉप्टर बनाने के िलए सहमत ुए ह तो यह एक बड़ा कदम है। ‘ िदसम्बर 2014 में दौरे पर ूसी रा£पित लािदमीर पुितन के साथ संय‍ ु से सम्मेलन में धानमं ी नरेन् मोदी के व‍ य की याद िदलाते ुए, िक ूस भारत का मुख ितर्ा साझेदार रहा है और आगे भी रहेगा, राजदूत राघवन ने यह भी उ‍ेख िकया िक अन्य कई संय‍ ु पिरयोजनाएं तािवत ह और उनको ठोस आकार िदए जाने पर उनकी घोषणा की जाएगी। नवीनतम मीिडया िरपोटो्ं के अनुसार ूस ने दोनों सरकारों के बीच $3 िबिलयन

से अिधक की एक डील के तहत उ्‍त ोजेक्ट 11356 के 3-4 तलवार क्लास टे थ ि गेट्स बनाने के िलए अिनल अम्बानी के पीपावाव िडफेंस िशपयाड् को चुना है। जुलाई की शुूआत में िद्वप्ीय अंतररा£ीय सामुि क ितर्ा शो (आईएमडीएस-2015) में भाग ले ने के िलए सेंट पीटस्बग् की मेरी हाल की या ा, और ूसी सैन्य औद्योिगक पिरसर के अिधकािरयों से मेरी बातचीत से यह िव‍ास मजबूत ुआ िक उनके नौसैिनक जहाज िनमा्ता ने मोदी सरकार की ‘मेक इन इिडया की चुनौती को न

भारत-ूस नौसैिनक इितहास 1960 के दशक में शुू ुआ भारतीय िशपयाड को आव यक मशीनरी से लैस िकया जाएगा

केवल गंभीरता से िलया है, बि क वे उत्सािहत भी ह। आईएमडीएस-2015 के मौके पर राजकीय हिथयार िनया्त िनगम रोसोबोरोनएक्सपोट् (आरओई) के उप महािनदेशक इगोर सेवो त्यानोव ने घोषणा की िक, ‘ मुख ितर्ा ्े ों में भारत सरकार की ‘मेक इन इिडया नीित के तहत ूसी जहाज िनमा्ण उद्योग भारत को ‘महत्वपूण् और संवदे नशील तकनीक देने के िलए तैयार है।’ भारत-ूस नौसैिनक सहयोग का इितहास 1960 के दशक से शुू ुआ, जब ूस के सबसे पुराने पनडुब्बी िडजाइन ब्यूरो ूिबन और सबसे पुराने

िशपयाड् एडिमरा टी (दोनों सेंट पीटस्बग् में) ने भारतीय नौसेना के िलए थम चार फॉक्स ॉट क्लास (कलवारी क्लास) डीजल-इलेिक् क पनडुिब्बयों का िनमा्ण िकया। अब ूिबन 6 नई पीढ़ी की डीजलइलेिक् क पनडुिब्बयों के वदेशी िनमा्ण हेतु पी75-। पिरयोजना के िलए भारत के टडर का इतजार कर रहा है। ूिबन के मुख्य काय्कारी अिधकारी इगोर िवलिनट के अनुसार, इस पनडुब्बी को भारत द्वारा िवकिसत एआईपी से भी लैस िकया जा सकता है। ‘यिद भारत चाहे तो हम इस पनडुब्बी पर म्होस क्रूज िमसाइल भी थािपत करने की यव था कर सकते ह। ‘

ूस की सहायता से आं देश में एक नए परमाणु संयं िनमा्ण के िलए दोनों देशों के बीच बातचीत शुू

अलेसान् ोबेल्ली आरआईबीआर

भारत से एक नई लोकेशन के बारे में बातचीत चल रही है, जो संभवत: आं देश में होगी, जहां ूस की सहायता से एक नया नािभकीय संयं बन सके, यह जानकारी आरआईबीआर को देश के परमाणु ऊजा् िवभाग से ा‍ ुई। िवभाग में एक ोत ने बताया िक, ‘ूसी तकनीक वाले दूसरे लाइट वाटर िरएक्टर (एलडब् यूआर) नािभकीय िवद्युत संयं की लोकेशन तय करने के िलए परमाणु ऊजा् िवभाग (डीएई) और आं देश सरकार के बीच बातचीत उ्‍त चरण में

है।’ भारत सरकार ने आं देश में कोवडा ( ीकाकु ल म िजला) में अमे िरका के साथ अंतररा£ीय तकनीकी सहयोग से नािभकीय शि‍ संयं थािपत करने को सैद्धांितक मंजरू ी दे दी है। अिधकारी ने बताया िक, ‘इस समय साइट पर पिरयोजना-पूव् गितिविधयां जैसे िक भूिम अज्न, पया्वरण एवं वन मं ालय (एमओईएफ) से पया्वरणीय मंजूरी, िनयमों के तहत मंजिू रयों के िलए भूतकनीकी तथा अन्य वै्ािनक अध्ययन आिद काम चल रहे ह।’ इस समय ूस एकमा ऐसा देश है जो नािभकीय ऊजा् के ्े में भारत से वा तिवक सहयोग कर रहा है। तिमलनाडु में ूसी सहायता से िनिम्त कुडानकुलम एनपीपी की थम इकाई का वािणिज्यक चालन शुू हो गया है, जबिक दूसरी इकाई तैयार है और अब हॉट रिनंग टेज

पर है और ज दी ही काम करना शुू कर देगी। कुडानकुलम एनपीपी की तीसरी और चौथी इकाईयों का िनमा्ण काय् 2016 में शुू होना संभािवत है। ये 20202021 तक चालू करने की योजना है। 11 िदसम्बर, 2014 को भारत दौरे के समय रा£पित लािदमीर पुितन ने एक द तावेज पर ह ता्र िकए िजसमें ूस द्वारा भारत में कम से कम 12 नािभकीय शि‍ संयं ों (एनपीपी) की थापना में सहायता देने की योजना की ूपरेखा अंिकत थी। हाल ही में इिडयन एक्स स े अखबार ने िरपोट् दी िक ूस ने अन्य देशों में ूस के िडजाइन िकए नािभकीय शि‍ संयं थािपत करने में भारत को भी शािमल करने की एक योजना तािवत की है। अखबार के मुतािबक, इस सहयोग में ाकृितक यूरिे नयम के संय‍ ु िन कष्ण तथा नािभकीय ईंधन के उत्पादन और

EPA

एक नया लाइट वाटर िरएक्टर थािपत करने के बारे में भारत की ूस से आरिभक वाता्एं शुू ुईं, परमाणु ऊजा् िवभाग और आं देश सरकार के बीच बातचीत।

उनका िव‍ास है िक कम से कम एक पनडुब्बी ूस के एडिमरा टी िशपयाड् में बनानी होगी तािक भारतीय इजीिनयर और वक्र उ तकनीक वाली पनडुिब्बयां बनाने की कला सीख सकें। इस दौरान, भारतीय िशपयाड् को आव यक मशीनरी से लैस िकया जाएगा। एडिमरा टी वाफ् चीफ एक्जीक्यूिटव अलेक्जेंडर बुजाकोव ने उ‍ेख िकया िक वे एक साल में चार पनडुिब्बयां बनाते ह, जबिक शुूआत में भारत में एक पनडुब्बी बनाने में चार साल तक का समय लग सकता है। िवलिनट ने बताया िक, ‘हमारा सहयोग भिव य िे रत है। िहद महासागर में बड़ी शि‍ बनने के िलए भारत को समु के अंदर अपनी नािभकीय पनडुिब्बयों की संख्या बढ़ानी होगी। यिद हमारी सरकार राजनैितक िनण्य लेती है तो हम इसमें भी मदद करने के िलए तैयार ह।’ साथ ही ूिबन की सहायता से ज्योज्डोचका पनडुब्बी और जहाज मरम्मत कारखाना सेवरे ोदिवं क में भारतीय नौसेना की िसंधघु ोष िकलो क्लास टाइप पनडुब्बी को आधुिनकीकृत कर रहा है। अभी तक चार पनडुिब्बयों को आधुिनक बनाया गया है िजससे अब वे न केवल तारपीडो से हमले कर सकती ह बि क क्लब क्रूज िमसाइलों से दु मन जहाजों और तटवती् सं थापनों को भी न‍ कर सकती ह। ज्योज्डोचका के महािनदेशक िनकोलाई कािल ाटोव भारत में एक पनडुब्बी मरम्मत कें बनाना चाहते ह, जहां न केवल भारतीय नौसेना की पनडुिब्बयों, बि क ूस िनिम्त पनडुिब्बयों तथा अन्य देशों की नौसेना की पनडुिब्बयों की भी मरम्मत की जा सके।’ यह िनि‍त है िक िहद- शांत ्े में भारत की समु ी सुर्ा के िलए खतरों और चुनौितयों के बारे में बढ़ती जागूकता के साथ, भारतीय नौसेना की रणनीितक ्मताएं िवकिसत करने के िलए ूस नयी िद‍ी का मुख साझेदार बना रहेगा।’

ूसी कपड़ा बाजार में भारत की िह सेदारी

परमाणु कचरे को िन तािरत िकए जाने को भी शािमल िकया जाएगा। ‘ूस ने पूव् में तािवत 12 के बाद भारत में 20 से अिधक नािभकीय शि‍ संयं बनाने की भी पेशकश की है।’ इसने आगे बताया। इसने एक उ तरीय ोत का भी हवाला देते ुए कहा िक मॉ को इसे नािभकीय ्े में ‘दीघ्कालीन, पार पिरक लाभ द सहयोग’ के ूप में देखता है। आरआईबीआर के एक सरकारी ोत ने पुि‍ की िक ऐसी वाता्एं ुई ह, और यह भी कहा िक इससे बांग्लादेश, िवयतनाम और ीलंका आिद अन्य एिशयाई देशों में पॉवर टेशनों का संय‍ ु ूप से िनमा्ण िकया जाना, तथा कम्चािरयों के िश्ण सिहत अन्य कार से सहयोग िकया जाना संभव हो सकेगा। उन्होंने बताया िक, ‘इसकी बड़ी वजह यह है िक पिरवहन की ृि‍ से मॉ को के बजाय नयी िद‍ी, इन देशों के अिधक िनकट है। इसके अलावा, हमारे भारतीय साझेदार इन एिशयाई सािथयों को िशि्त करने के िलए तैयार ह।’ िपछले साल िदसंबर में नयी िद‍ी में भारत के धानमं ी नरेन् मोदी और रा£पित पुितन के बीच वाता् और ूस के उफा में जुलाई में दौरे के समय वाता् में नािभकीय ऊजा् ्े में सहयोग का मु‍ा मुखता से छाया रहा।

ूसी एलीट पैरा पस् ने 85वीं वष्गांठ मनाई

एक वृि‍मान अिनिश्चतता भरी दुिनया में ग्रीस, ईरान और यूक्रन े सम याऐं, ्े ीय सम या के हल के िलए मान्य तरीकों की भावशीलता को चुनौती देते हैं। फ्योदोर लुिकयानोव, आरआईबीआर

अग त की शुूआत के साथ संगिठत राजनैितक जीवन शांत हो जाता है। िकस राज्य में अंतरा्£ीय राजनीित शरद ऋतु तक के िलए मामूली अवकाश पर चली जाती है? हाल के अतीत की मुख्य घटना में िमं क िक्रया, इ लािमक टेट का उभार, यूनानी कज् संकट का गंभीर हो जाना, और ईरानी नािभकीय काय्क्रम पर वाता् का सफल समापन आिद शािमल ह। इनमें से हर घटना की अपनी पृ‍भूिम और औिचत्य है, लेिकन ये एक साथ िमलकर वैि‍क राजनीित का एक सम्पूण् िच तुत करती ह। यूक्रने , ग्रीस (यूनान) और ईरान, ये आधुिनक कूटनीित के तीन चेहरे ह। िमं क िक्रया, संघष् में शािमल प्ों

और उनके अंितम ल यों में कोई प‍ता न होने की ि थित में भयंकर नरसंहार रोकने के एक िनराशाजनक यास का उदाहरण है। बातचीत करने वालों की कोिशशें न्यूनतम िविश‍ फामूल ् े तैयार करने पर केंि त थीं, क्योंिक कोई भी साफ-साफ और पूरी तरह िनिद्‍ िजम्मेदािरयां नहीं लेना चाहता था। िववाद केवल इसे लेकर ही नहीं िक समझौते का कौन पालन करेगा, बि क इस बारे में भी है िक वा तव में पालन करने का अथ् क्या है। साथ ही, हर कोई एक मं की तरह दोहराता है िक िमं क समझौते का कोई िवक प नहीं है, और यह सच है। बड़े युद्ध को रोकना एक उपलिब्ध है और थायी ूप से शांित बनाए रखना असंभव है। यह प‍ है िक पिरि थित नाजुक और खतरनाक है, लेिकन यह आज की एक स ाई भी उजागर करती है-अलगअलग तरह से ूपांतिरत होती िदखती दुिनया में कुछ सम याएं ऐसी ह िजन्ह सुलझाया नहीं जा सकता। ज्यादा से ज्यादा बस यह िकया जा सकता है िक उनका असर कम कर िदया जाए।

यूक्रने में बने हालात की तुलना में ईरान की वाता्एं िवपरीत वु दशा्ती ह। अभी तक इनके कशमकश में बने रहने की वजह यह थी िक मुख्य भागीदार-तेहरान और वािशंगटन-हर चरण को पूरी तरह सत्यािपत करना चाहते थे, तािक िकन्हीं दोहरी याख्या से बचा जा सके। इसका कारण सरल हैः एक-दूसरे पर पूरी तरह अिव‍ास। सद्भावपूण् समझौतों की कोई गुज ं ाइश

यह प है िक पिरि थित नाजुक और खतरनाक है नहीं, एक-एक चीज़ िरकाड् होनी चािहए, िनयं ण के बारे में पहले से सोचे जाने के साथ। केवल इसी तरह से संप्‍ करने का अवसर था, और वत्मान डील एक उम्मीद जगाती है। जेनवे ा-िवयना िक्रया (िमं क के िवपरीत) यह दशा्ती है िक यिद प्ों को यह पता हो िक वा तव में वे क्या चाहते ह और वा तव में वे िकसी

समझौते पर पुचना चाहते हों, तो बुत कुछ हािसल िकया जा सकता है। यूनान एक अन्य िवक प दशा्ता है। इसमें जो ‘समझौता’ िकया गया है उसने हर िकसी को काफी असंत‍ ु िकया है और ऐसा लगता है िक कुछ भी सुलझाया नहीं गया है। एक ओर, यह लम्बे समय के िलए प‍ हो गया है िक यूरोजोन में चीज़ें मजबूत करनी होंगी, और क्योंिक सहमित अपने-आप नहीं बन सकती, इसिलए िकसी के नेतत्ृ व की ज़ूरत होगी। यह कोई प‍ ूप से जम्नी होगा, जो िक यूरोपीय संघ में सबसे शि‍शाली देश है। दूसरी ओर, इस नेतत्ृ व की घोषणा ने हर िकसी को भयभीत िकया ुआ है, और अिधक मह वपूण् ूप में इस न को जन्म िदया हैः क्या लीडरों को पता है िक उनको क्या करना है? तथािप यूरोजोन के संकट ने बातचीत का तीसरा तरीका दिश्त िकया हैः सबसे मजबूत दावेदार का भुत्व, वह चीज़ िजसे कोई वेच्छा से व जानबूझकर वीकार करे और कोई भय और संदहे में िघरा रहे। इस सीजन की चौथी मह वपूण् घटना-इ लािमक टेट की सफलता-एक

IORSH

ग्रीस, ईरान और यूक्रने : कूटनीित के तीन चेहरे अिनि‍त दुिनया में

ऐसी पिरि थित दशा्ती है जहां कूटनीित और राजनीित असहाय ह। इ लािमक टेट एक मॉडल की असफलता है, जो मध्य पूव् की 20वीं सदी की यव था का नतीजा है। िव‍ में लम्बे समय से पीड़ादायक पिरवत्न होते रहे ह। लेिकन अब फैलती अिनि‍तता न केवल भिव य पर निचन्ह लगाती है बि क सामािजक सम याएं हल करने की ्ात िविधयों के कारगर होने को भी कठघरे में खड़ा करती है।

आगामी संभािवत बड़े युद्ध की बातें तेजी से उठना, िवगत अविध का सबसे िचंताजनक ल्ण है। यह भय, जो िक 1990 के दशक के मोड़ पर हमेशा के िलए समा‍ होता िदख रहा था, अब िफर से िसर उठा रहा है। साथ ही, जैसा िक अनेक िवशेष्ों द्वारा उ‍ेख िकया गया है, सश पधा् या िहतों के गंभीर टकरावों के कोई वा तिवक आधार नहीं ह। लेिकन आज की दुिनया में वा तिवकता और म के बीच की सीमा लगभग धुधं ली पड़ चुकी है।

आरआईबीआर के साथ सा्ात्कार में आकाशदीप िसंह, जनरल डॉयरेक्टर, वु कान-ए ने ूसी कपड़ा उद्योग में ूझानों के दुभा्ग्य से ुई घटना पर चचा् की।

में यापक ूप से नहीं िबक रहे ह? भारत ने अभी तक ूस में खुद को कपड़े के ांड के तौर पर थािपत नहीं िकया है। इस िदशा में ोफेशनल तरीके से काम नहीं िकया गया है, और इसकी िजम्मेदारी दोनों प्ों की है। ूस के िलए इस मामले में तुकी् और चीन से सहयोग लेना आसान है क्योंिक उनके िस टम, बुिनयादी ढांचे और तरीके, ूस पर केंि त ह, जबिक भारत में हम यूरोप और अमेिरका पर फोकस करते ह। एक समय में ूसी कपड़ा बाजार में भारत की बड़ी िह सेदारी थी, जो दुभा्ग्य से घट गई है। हमें यापक अथ् में ांड इिडया को ूस में बढ़ावा देने पर काम करना होगा और यह दोनों प्ों की ओर से सरकारी तर पर िकया जाना चािहए। भारत और ूस के पास एक-दूसरे को देने के िलए बुत कुछ है, और यह सहयोग दोनों प्ों के िलए एक सवा्िधक आिथ्क लाभ द सहयोग बन सकता है। भारत और ूस, पारपिरक ूप से साझेदार और िम रहे ह, और यह शम् की बात है िक यापािरक संबधं िवकिसत नहीं हो रहे और दोनों देशों की एक-दूसरे के यहां बाजार िह सेदारी घट रही है। मेरे ख्याल से अब दोनों देशों के िलए इस िदशा में गंभीर यास करने का समय आ गया है। वा तव में यह बुत खुशी की बात होगी िक यिद दोनों देश एक-दूसरे के तीन मुख यापािरक साझेदारों में शािमल हो सकें।

आप आज की तारीख में ूस के कपड़ा बाजार पर क्या कहना चाहगे? सभी अन्य उद्योगों की तरह ूसी कपड़ा बाजार भी बदल रहा है। ये बदलाव इसमें खरीद संरचना तथा िवतरण माध्यमों दोनों में हो रहे ह। बेशक, ूस में क्रय शि‍ में काफी िगरावट आई है। अनेक कंपिनयां संचालन में अ्म हो गई ह। लेिकन इसके साथ ही नए अवसर भी पैदा ुए ह और यह िनयम सत्य सािबत हो रहा है िक सबसे अिधक शि‍शाली ही जीिवत रह पाएगा। ूस में सभी सेक्टरों में ई-कॉमस् तेजी से बढ़ रहा है, खासतौर से कपड़ा यापार में। समय किठन है और हमने खरीदारी के आवेग में िगरावट महसूस की है। अक्टबर -फरवरी में हमारी कंपनी किठनाईयों के दौर से गुजर रही थी। लेिकन इसे दुिनया में अिधक -वृिद्ध वाले बाजारों में जोिखम और ितफल की रणनीित की तरह ही देखा जाना चािहए। हम ूसी बाजार के िलए ितबद्ध ह, और हम िनि‍त ूप से ूस में अपना कारोबार बनाए रखेंगे और िवकिसत करगे। चीनी, कोिरयाई और तुकी् के कपड़े ूसी बाज़ार पर क्यों छाए ुए ह? गुणव्ा और ित पधी् कीमतों के बावजूद भी भारतीय कपड़े क्यों ूस

एलेना क्रोिवडी आरआईबीआर

इस वष् अग त के आरभ में ूस परम्परागत ूप से एलीट एयरबोन् इन्फैन् ी िडवीजन या वीडीवी (वोज्दुशनो-डेसांटन्ये वोय का) का उदय िदवस मनाता है। अलेक्जेंडरकोरो कोव आरआईबीआर के िलए िवशेष

ूस में वीडीवी को िमिल ी एलीट माना जाता है, जो सश बलों में सव् ‍ े िशि्त तथा युद्ध के िलए तैयार यूिनट और संगठन ह। ूस के सु ीम कमांडर के अधीन इनका दजा् मोबाइल िरजव् कॉप्स् का है। िमिल ी कमांड हमेशा लैंिडग प्स पर िवशेष ध्यान देती है, उनको हमेशा सबसे उ्‍त हिथयारों और उपकरणों से लैस िकया जाता है, इनके अिधकािरयों को बड़े भ्े िमलते ह और सवो्​्म रगूटों को एयरबोन् कॉप्स् में कमीशन िकया जाता है। वीडीवी का मोटो ‘हमारे िसवाय कोई नहीं’ इस एकदम एलीट दजे् की झलक देता है। अब वीडीवी, नई गिठत रैिपड िरएक्शन फोस् की कोर है। ूस की जमीन के भौगोिलक िव तार के अनुसार वीडीवी, संकटग्र त इलाकों में तेजी से (एक िदन के अंदर) मोबाइल ग्रुप बना और जमा सकते ह। ूसी एयरबोन् प्स में 10 से अिधक एयरबोन् और एयर असा ट बटािलयनें शािमल ह। अब ूसी लैंिडग फोसे्ज को आक्िटक में युद्ध- िश्ण काय्क्रमों का गहन अनुभव हािसल है। टइस कॉप्स् के इितहास में इस साल पहली बार पैरा परों का एक दल एक उतराते िहम खंड पर उतरा, जो उ्र की िवषम दशा में काय् करने की अपनी तत्परता िदखा रहा था। युद्ध िश्ण को िनरतर उ्‍त िकए जाने के यासों के अनुूप, ‘फ्लाइग इन्फैन् ी’ को नए िसरे से हिथयारों से लैस करने का काम पूरे जोर पर है। नवीनतम उपकरण को अंदर क्रू की मौजूदगी के साथ िवमान से सीधे श ु की पोजीशनों के ठीक पीछे उतारा जा सकता है, सफ् जोन में लैंिडग िशप्स से उतरकर तुरत युद्ध में श ु के िखलाफ मोचा् खोल सकता है। सेना में उपकरण का परी्ण िकए जाने के बेहतर नतीजे आए ह और क्रिमक उत्पादन की तैयारी की जा रही है। 09 मई को ‘िवजय िदवस’ की परेड में पैरा पस् की नई िवशेषता का दश्न िकया गया। सभी वीडीवी यूिनट असा ट ोन्स से लैस ह जो लैंिडग फोसे्ज के िलए आंख और कान की तरह ह और टोह, ग त और ल य बनाने के काम करते ह।

VLADIMIR SMIRNOV / TASS

भारत-ूस ितर्ा साझेदारी हिथयारों तक ही सीिमत नहीं, बि क सं थागत िस टम बनाने पर जोर िदया गया है, िजससे भारत अपने रा£ीय िहतों की र्ा करने में और भी समथ् देश बन जाएगा।

ALAMY/LEGION MEDIA

ितर्ा: भारत-ूस ितर्ा साझेदारी, भारत को इस ्े में महाशिक्त बनाने का ल्​्य

अब वीडीवी, नई गिठत रैिपड िरएक्शन फोस् की कोर है। रैिपड एक्शन फोस् के ूप में वीडीवी की गितशीलता और युद्धक ्मता, सैन्य पिरवहन िवमान की दशा पर सीधे िनभ्र होती है, इसिलए 2018 से 2020 के बीच इनकी ्मता में काफी सुधार िकए जाने ह। ितर्ा मं ालय नए भारी पिरवहन िवमान आईएल-476 खरीदेगा, जो सैिनकों और उपकरणों को सीधे युद्ध के मैदानों में उतार सकते ह। कमांड की नई योजना के तहत, केवल रेिजमेंट को ही नहीं बि क इस िवमान में एक पूरी िडवीजन को पुचाना संभव हो जाएगा। वीडीवीकेकमांडर लािदमीरशामानोव ने बताया, ‘हमने हमारे प्स की युद्धक ्मताएं बढ़ाने, तथा हमारे राज्य के बाहर भी उनकी मौजूदगी वाले जोन बड़े करने की योजनाएं बनाई ह।’ यूक्रने में हाल की घटना को देखते ुए, वीडीवी कमांड द्वारा अत्याधुिनक उपकरणों के साथ िनरतर पैरा पस् उपलब्ध कराने की चुनौती अिधक गंभीर हो गई है। नाटो ने यूरोप में रैिपड िरएक्शन फोस् को ूसी सीमा के यथासंभव िनकट थािपत करने का फैसला िकया है। इन दशा में, ूसी िमिल ी कमांड द्वारा युद्ध हेतु तैयार ‘मोबाइल कम्पोनेन्ट’ की ्मता बढ़ाने की िदशा में उठाए गए कदम, तक्सगं त और अिनवाय् भी तीत होते ह। ूस में सोिवयत प्स के वे टन् ग्रुप जैसा कुछ अब नहीं रहा है और िनकट भिव य में उन्ह हािसल करने की संभावना भी नहीं है। इसिलए, आतंकवाद से िनबटने तथा नाटो के बढ़ते कदमों को रोकने के िलए, िवशेष तौर पर िशि्त पैरा पर यूिनटों का िह सा बढ़ाया जाएगा जो िनरतर तत्पर रहने में स्म ह और ूस की रा£ीय सुर्ा के िलए बढ़ते खतरों का मुहं तोड़ जवाब देने की शि‍ रखते ह।


WEDNESDAY AUGUST 26, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia

समाज और भारतीय धानमं ी का खुली िलमोजीन में मौज-म ती भरा सफर

TASS

1955 में भारतीय धानमं ी जवाहरलाल नेहू सोिवयत नेता िनकीता ख्रुशोव के साथ

संबध ं ों में बदलाव : नेहू की सफल सोिवयत या ा की थी। सोिवयत संघ की नेहू की पहली आिधकािरक या ा कई कारणों से टलती रही थी। भारत में इसे लेकर तीखी बहस जारी थी िक भारतीय धानमं ी के िवदेशी दौरों के काय्क्रम में पहले देश के ूप में िकसे शािमल िकया जाना चािहएअमेिरका या सोिवयत संघ। समय आने अूण मोहन्ती पर नेहू ने 1949 में तय िकया िक वे पहले आरआईबीआर के िलए िवशेष 60 साल पहले 1955 में भारत के थम अमेिरका का आिधकािरक दौरा करगे। यह धानमं ी जवाहरलाल नेहू ने सोिवयत दौरा िनराशाजनक रहा था और भारत के संघ की अपनी पहली आिधकािरक या ा आिथ्क िवकास के िलए भरपूर अमेिरकी

सहायता पाने की नेहू की आशाएं और आकां्ाएं झूठी सािबत ुईं। कोिरयाई युद्ध के समय भारत के रवैये ने नेहू के बारे में टािलन और भारत के बारे में सोिवयत नजिरए में बड़ा बदलाव ला िदया, िजसके फल वूप मॉ को ने धीरेधीरे क मीर मसले पर भारत के अनुकल ू ूख अपनाया और दोनों प्ों की ओर से उत्साहजनक ताव िकए गए। नेहू की सफल सोिवयत या ा के िलए तैयािरयों के दौरान कई सारे

60 साल पहले 1955 में भारत के थम धानमं ी की सोिवयत संघ की ऐितहािसक या ा ने ि‍प्ीय िर ते को हमेशा के िलए मजबूत बना िदया था।

सां कृितक काय्क्रम िकए गए थे िजनमें टॉव में अग्रणी िफ मी िसतारों के साथ सबसे पहला भारतीय िफ म फेि टवल, सोिवयत राजधानी में भारतीय कला दश्नी, ूसी में नेहू की िड कवरी ऑफ इिडया को लांच िकया गया। नेहू ने तत्कालीन सोिवयत राजदूत िमखाइल मेंिशकोव को बुला कर उन्ह कहा था िक वे सोिवयत संघ का दौरा करने के िलए तैयार ह। यह दौरा 7 जून को शुू ुआ था।

पहली बार सोिवयत ीिमयर माश्ल बु गािनन और सम त सीपीएसयू पोिलतब्यूरो, भारतीय ितिनिधमंडल से िमलने के िलए हवाई अड्डे पर मौजूद था। सोिवयत इितहास में पहली बार सोिवयत नेता और आगंतक ु ितिनिधयों ने क्रेमिलन की ओर जाती सड़क पर खुली िलमोजीन में सफर िकया और भारतीय नेता का वागत करने के िलए जमा हजारों लोगों की ओर हाथ िहलाए। तीसरे िदन भारतीय राजदूत ने एक भोज का आयोजन िकया िजसमें नेहू ने सोिवयत नेता िनिकता ख्रु‍वे से मुलाकात की। नेहू के सम्मान में क्रेमिलन में आयोिजत भ य सोिवयत समारोह ने भारतीय-सोिवयत संबधं ों को अटट मजबूती दान की। लगभग तीन स‍ाह के वास के दौरान नेहू ने पूरे सोिवयत संघ में कूलों, िव‍िवद्यालयों, सामूिहक खेतों और फैक्टिरयों का मण िकया। यह दौरान बेहद साथ्क िसद्ध ुआ, सोिवयत संघ ने भारत के ती औद्योगीकरण के िलए िबना शत् सहायता दी और भारत को आत्मिनभ्र अथ् यव था वाला देश बनने में मदद की। वे सां कृितक काय्क्रमों के गवाह भी रहे िजनमें बा शोई िथएटर भी था, जहां उन्होंने प्यो त्छाईकोव की का वान लेक देखा। नेहू और उनकी पु ी इिदरा (गांधी) ने अिभनय से अिभभूत हो कर िसद्ध बैले नृत्यांगना माया िप्लसेत् काया को गुलद ता भी भेंट िकया। िभलाई इ पात संयं , सोिवयत सहायता से तैयार होने वाली पहली फैक्टरी बना जो िक भारतीय धातुकम् का मुख तीक बन गया और इसके बाद धातुकम्, ऊजा्, अंतिर् और मशीन िनमा्ण के ्े ों में एक दज्न औद्योिगक उपक्रम थािपत ुए, िजन्होंने भारत के ती औद्योगीकरण का ठोस आधार बनाया। काला सागर पर आटे्क पायिनयर कैम्प के अपने दौरे के समय नेहू ने घोषणा की िक रिव और शिश नाम के दो हाथी सोिवयत ब ों को उपहार में िदए जाएंग।े सोिवयत नेता को उनके द्वारा आमों का उपहार िदए जाने के बाद, पहली बार क्रेमिलन में आिधकािरक िडनर के समय आमों को परोसा गया। पि‍मी देशों ने इस दौरे को उपहास की भावना से देखा, लेिकन ‘आम कूटनीित’ और ‘हाथी कूटनीित’ का असर छह दशक बाद िदखा, और नेहू के दौरे को इस ‘समय की कसौटी पर खरी’ दो ती के इितहास में एक मुख कीित्मान के ूप में याद िकया जाता है।

REUTERS

सोिवयत नेता

कलामः भारत-ूस की दो ती का चमकता तीक और रे क शि‍ डॉ. कलाम ने अपने पुराने िम ए ीमोव से 1993 में संपक् िकया और एनपीओ मािशनो ोयेिनया के साथ साझेदारी में, गाइडेड एंटी-िशप िमसाइलों के िवकास हेतु एक संय‍ ु उपक्रम थािपत करने के ताव के साथ ितर्ा उद्योग हेतु ूसी टेट कमेटी के हेड से बात की। पिरयोजना आगे बढ़ाने के िलए कलाम और ए ीमोव ने 1994 में अिभूिच ्ापन पर ह ता्र िकए। एंटी-िशप िमसाइलें िवकिसत करने, िनिम्त करने और बेचने के िलए समझौते पर 1998 में ह ता्र िकए गए। इस संय‍ ु उपक्रम के साथ

भारत के िमसाइल गुू और देश के नािभकीय काय्क्रम की रे क शिक्त डॉ. कलाम, िजनको पूरे ूस ने सदैव हािद्क म े और सम्मान की भावना से देखा। अूण मोहन्ती आरआईबीआर के िलए िवशेष

भारत के िमसाइल गुू, एक असाधारण वै्ािनक और देश के नािभकीय काय्क्रम की रे क शि‍. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को द्धांजली के जारी िसलिसले के साथ यह कहा जा सकता है िक ूस में उनका सदैव एक गौरवमयी थान रहा। मुख्य ूप से कलाम का योगदान मानी जाने वाली म्होस, भारत और ूस के बीच खास ाथिमकता ा‍ रणनीितक साझेदारी के तंभ के ूप में िनरतर चमकती रहेगी। ूस से अपने संबधं ों की शुूआत को याद करते ुए डॉ. कलाम ने लेखकों को बताया था िक ूस में िमसाइल तकनीक के अग्रणी वै्ािनक तथा एनपीओ मािशनो ोयेिनया के हेड गेरबट् ए ीमोव से िकस तरह से 1981 में मॉ को में उनकी मुलाकात ुई थी। पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच अच्छी घिन‍ता कायम हो गई और उन्होंने एक-दूसरे के िलए अपनी योगशालाएं खोलने का फैसला कर िलया। इस तरह िमसाइल तकनीक में यह संवदे नशील सहयोग शुू ुआ, ऐसा कलाम ने कहा था, इस बात पर जोर देते ुए िक भारत के िमसाइल काय्क्रम को समथ्न देने वाला ूस एकमा देश था जबिक बाकी दुिनया भारत का जोरदार िवरोध कर रही थी। इसके एक दशक से अिधक समय बाद ितर्ा अनुसधं ान एवं िवकास ूसी जवाब ायः छोटा, सरल और संगठन (डीआरडीओ) के हेड के ूप में पुराना होता है िवन ता और उदारता, ूसी यवहार की सं कृित के गुण ह; ूिसयों की रोजाना की िजंदगी की एकता और सामूिहकता, हर िकसी को हर िकसी के बारे में सब कुछ जानने के िलए िे रत करती है, और दूसरों से िछपाने लायक कोई खास रह य नहीं होते। इसिलए लोग अपनी भावनाएं और मनोदशा न िछपाने की रे णा और आदत िवकिसत कर लेते ह। कई सिदयों से ूिसयों के िलए रोजमरा् की िजंदगी, अि तत्व की किठन लड़ाई की तरह रही है। आम ूिसयों का जीवन दु कर था, और िचंता की रेखाएं उनके चेहरों पर थायी ूप से अंिकत हो गई न केवल योग, बि क ‘तंदू ु त जीवन’ थीं। ऐसी ि थितयों में मु कान, िनयम के के िलए अन्य िवशेष भारतीय िविधयां ूस अपवाद की झलक देती है-तंदू ु ती, में तेजी से लोकि य होती जा रही ह। आरआईबीआर को िदए अपने समृद्धता, अच्छी मनोदशा- और जहां यह सब कुछ केवल िगने-चुने लोगों को ही सा्ात्कार में डॉ. मोहम्मद अली, जो िक िमल सकता हो, वहां िकसी को मु कराते मॉ को में आयुविे् दक ‘केरल’ क्लीिनक के देखना दूसरे लोगों को चौंकाता है, मन हेड ह, ूस में 15 वषो्ं से भी अिधक समय में सवाल खड़े करता है, और ई या् के से काम कर रहे है। ूस में आयुवदे् की वत्मान ि थित पर साथ द्वेष की भी भावना भरता है, िक ‘इस अपने िवचार य‍ िकए और देश में अपने मु कराहट की वजह क्या है?’ लेखक, जनरल िलंगइु ि टक्स एंड िचिकत्सकीय अनुभवों के बारे में बात की। टाइिलिटक्स, वोरोनेझ टेट यूिनविस्टी में िवभागाध्य् ह। लोगों द्वारा आयुवदे् का उपयोग करने के तरीकों में क्या आपको िपछले कुछ वषो्ं के दौरान कोई बदलाव िदखे ह? आयुवदे् िदनोंिदन ज्यादा लोकि य हो रहा है; अब ज्यादा लोग ‘आयुवदे् ’ का अथ् समझने लगे ह। मैं 18 साल पहले मॉ को आया था, जहां लोग शायद ही इस बारे में जानते थे, और मुझे उनको समझाना पड़ता था िक यह िकन भारतीय जड़ी-बूिटयों वाले उपचारों पर आधािरत है िजनमें कोई 2012 में क्रीिमया के बेलोगोर की हािनकारक केिमकल नहीं होते। अब लोगों ान्त में थािपत िकया गया टेगन, यूरोप को यह समझाने की ज़ूरत नहीं रह गई, में शेरों व दूसरी जाितयों की िविवध क्योंिक अब लोग इसे भलीभांित समझने न लों के िलए यूरोप की सबसे बड़ी लगे ह। आयुवदे् में अब ज्यादा भरोसा बन नस्री बन गया है। या टा में 1995 में गया है। थािपत काज्का िचिड़याघर में 100 से अिधक जाितयों के जानवर और प्ी ह। क्या िव्ीय संकट ने आपके िबजनेस टेगन में हर साल लगभग 350,000 लोग पर असर डाला? घूमने आते ह। वहीं काज्का में 250,000 दो वजहों से हम पर संकट का कोई खास असर नहीं ुआः पहली तो यह िक पय्टक आते ह। “हमें उम्मीद है िक जब एक बार हमारी तुलना में अपे्ाकृत महगे, लग्जरी िक्रिमया को शेष ूस से जोड़ने वाला पुल क्लीिनकों पर इसका ज्यादा असर रहा, पूण् हो जाएगा, तो त्येक जू में वािष्क हमने कीमतें कम रखी ुई ह, इसिलए उपि थित 500,000 लोग हो जाएगी।” वे हमने आिथ्क किठनाईयों वाले दौर के कहते ह। असर को कुछ खास महसूस नहीं िकया। द संसाराफन कंपनी, भारत के भीतर टर इसके अलावा, अपनी सेहत की कीमत पर संचािलत करने वाली एक कंपनी, पशु पैसे बचाना लोगों के िलए अंितम िवक प के पिरवहन को सुचाू ूप से संप्‍ होता है। दूसरी बात, वत्मान ि थित के करने में सहायता मुहयै ा करवाएगी। कुछ फायदे भी रहे ह: लोगों ने देश से

सोिवयत सैिनकों की याद में एक किवता िलखी थी रेड क्वॉयर मारक को देखकर कलाम भावुक हो उठे थे िद्वप्ीय रणनीितक सहयोग का एक नया दौर शुू ुआ। कलाम और ए ीमोव के बीच िनजी दो ती परवान चढ़ती ुई एक लाभ द पेशवे र सहयोग में तब्दील हो गई, ऐसा ए ीमोव ने लेखकों को मॉ को में एक बैठक में गव्पवू क ् बताया था। 2001 में म्होस की पहली बार लांच, भारत-ूस रणनीितक सहयोग में मील का पत्थर बन गई, और दोनों देशों की थलसेना, नौसेना, िवमानवाहक पोतों और पनडुिब्बयों के िलए इस सुपरसोिनक िमसाइल का वृहद उत्पादन का माग् श त हो गया। व. रा£पित न केवल भारत के

ूिसयों के ज्यादा न मु कराने के खास दस कारण: रा£ीय िवशेषताएं , िवन ता व यावहािरक िश‍ाचार

ूसी मु कान की एक मुख रा£ीय पहचान है- यावहािरक ूप में, यह अन्य देशों में मु कान से एक दम िभ्‍, यहां तक िक िवपरीत अथ् वाली होती है। हालांिक नाराजगी, और मु कान न होने के बीच कोई सह-संबधं नहीं है। ूस में ‘रोजमरा् की मु कानरिहत ि थित’ पाई जाती है, जो ूसी अमौिखक यवहार तथा बड़े ूप में ूसी बातचीत के अंदाज की सबसे भावशाली और रा£ीय िवशेषता है। ूसी मु कान की खास रा£ीय िवशेषताएं पहचानना संभव है। 1. ायः ूसी केवल अपने होंठों से मु कराते ह, बस कभी-कभी उनके ऊपरी दांतों की कतार ह की सी िदख जाती है। 2. ूसी यवहार में, मु कान कोई िवन ता का संकते नहीं है। ूसी लोग िकसी िनरतर, िश‍ मु कान को ‘अटडट की मु कान’ कहते ह, और इसे यि‍ की

सा्ात्कार डॉ. मोहम्मद अली

आयुवदे् ने ूस में िवशेष लोकि यता हािसल की

ूस में अपिरिचतों की ओर मु कुराना वीकाय् नहीं है। अच्छे मूड और सामने वाले से अच्छे संबधं को दशा्ने वाली ही होनी चािहए। मु कराने का अिधकार तभी है जब आप वत्मान साथी के ित सचमुच अच्छा महसूस कर रहे हों या उस ्ण असाधारण मूड में हों। 8. िकसी ूसी यि‍ की मु कान की मान्य वजह होनी चािहए जो उसके आसपास के लोगों को ्ात हो, केवल तभी दूसरों के नजिरए से उस यि‍ को ऐसा करने का ‘अिधकार’ है। 9. सामने वाले यि‍ को मु कान को संदभ् में उिचत अव य मानना चािहए।

कोई किठन ि थित होने के दौरान या आस-पास ्ात गंभीर किठनाईयों वाले लोग होने के समय, या िकसी के बीमार होने या िनजी सम या या दूसरे मसलों से िघरे होने के समय मु कराना उिचत नहीं माना जाता। 10. ूिसयों में मु कान और हसी के बीच बारीक सीमारेखा होती है; यवहार में, ये दोनों िक्रयाएं ायः एक साथ होती ह और एक-दूसरे से जुड़ी ह। मु कराने वाले लोगों को देखकर ूसी अक्सर यही कहते ह, ‘क्या मजेदार बात है?’

ितूअनंतपुरम् िचिड़याघर और टेगन लायन्स पाक् तथा या टा में काज्का िचिड़याघर के बीच जानवरों के आदान- दान में नौकरशाही बनी ूकावट। अलेसान् ोंबेल्ली आरआईबीआर के िलए िवशेष

टेगन लायन्स पाक् तथा या टा क्रीिमया में काज्का (फेयरी टेल) िचिड़याघर और ितूअनंतपुरम् िचिड़याघर के बीच जानवरों के आदान- दान का अनुबधं लालफीताशाही की ूकावटों का िशकार हो गया है। केरल के अिधकािरयों ने क्रीिमयाई िचिड़याघर के अिधकािरयों से कहा है िक वे सीधे भारतीय धानमं ी से संपक् करके अनुमित ा‍ कर। ोत ने बताया िक, ‘इस साल फरवरी तक हमने सारी अनुमितयां ा‍ कर ली

थीं, केवल केरल राज्य शासन की ओर से अंितम ूप से हरी झंडी िदखाई जानी बाकी थी, और इसिलए हमने भारत के पया्वरण, वन और जलवायु मं ालय को एक अनुरोध भेजा। छह महीने इतजार कराने के बाद हमें बताया गया िक वे अनुमित नहीं जारी कर सकते।’ आरआईबीआर को वह प िदखाया गया, िजसमें केरल के अिधकािरयों ने कहा था िक वे कें ीय ािधकािरयों से पहले अनुमोदन ा‍ िकए िबना आदान- दान की अनुमित नहीं दे सकते, और टेगन लायन्स पाक् तथा काज्का िचिड़याघर के शासकों से ‘आदान- दान के संबधं में धानमं ी नरेन् मोदी से मुलाकात करने के िलए कहा।’ केरल के अिधकारी ने अपने प में िलखा िक, ‘हमें पहले कें सरकार से अनुमित ा‍ करनी चािहए। यिद जानवरों को िदए जाने के िलए नरेन्

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क्रीिमया-केरल िचिड़याघर को मोदी की मंजरू ी का इतजार

क्रीिमया िचिड़याघर को भारत से तीन हाथी िमलेंगे । मोदी की ओर से राज्य को िनदे्श िमल जाता है तो यह आसान होगा।’ केरल के संग्रहालय तथा िचिड़याघर िनदेशालय के िनदेशक बी. जोसेफ ने आरआईबीआर के सम् पुि‍ की िक,

‘यह आदान- दान केवल कें सरकार की अनुमित से ही िकया जा सकता है।’ उन्होंने आगे कहा िक यह िनयम भारत में सभी िचिड़याघरों से सम त जानवरों के आदान- दान पर लागू होता है। हाल ही में आरआईबीआर को काज्का और टेगन के िनदेशक ओलेग जुब्कोव से मालूम ुआ था िक िचिड़याघरों ने ितूअनंतपुरम् िचिड़याघर से जानवरों का आदान- दान करने के िलए एक समझौता िकया है, िजसके तहत भारत से तीन हािथयों के बदले में ितूअनंतपुरम् िचिड़याघर को दो सफेद शेर, 15 को आटी, दो साइबेिरयाई बाघ, दो लामा, और पांच साजमीर (िगलहरी बंदर) िमलने थे। बातचीत में शािमल एक ोत ने बताया िक जे ा के बदले भारत से सात हािथयों को लाने की योजना है। हािथयों के साथ महावत ( िश्क) भी आने ह।

FROM PERSONAL ARCHIVES

इओिसफ टेिन्न आरआईबीआर के िलए िवशेष

कमी माना जाता है, जो उसकी असभ्यता, रह यात्मकता, और वा तिवक भावनाएं दशा्ने की अिनच्छा दशा्ती है। 3. ूसी यवहार में, अजनिबयों की ओर मु कराना वीकाय् नहीं है। ूसी लोग आमतौर से उन्हीं की ओर मु कराते ह िजनको वे जानते ह। 4. ूिसयों में, मु कान के जवाब में अपने-आप मु करा देना वीकाय् नहीं माना जाता। 5. ूिसयों के िलए, मु कराहट िनजी लगाव का संकते है। ूसी मु कान दशा्ती है िक मु करा रहे यि‍ का सामने वाले से िनजी लगाव है। मु कान, िनजी पसंद दशा्ती है। 6. ूिसयों में अपना जॉब या कोई अन्य मह वपूण् काम करते समय मु कराना उिचत नहीं माना जाता। क टम एजेंट मु कराते नहीं ह क्योंिक वे गंभीरता से काम करते ह। ूसी अध्यापकों की एक सबसे सामान्य िटप्पणी यह है, ‘तुम िकस पर मु करा रहे हो? िलखो।’ 7. ूसी मु कान, अच्छे मूड की या अपने वत्मान साथी के ित पसंद को िवन तापूवक ् दशा्ती है, और यह कतई बनावटी नहीं होनी चािहए। ूसी यावहािरक िश‍ाचार का एक िनयम हैः आपकी मु कराहट, आपके

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ूसी यावहािरक िश ाचार का एक िनयम हैः आपकी मु कराहट, आपके अच्छे मूड और सामने वाले से अच्छे संबध ं को दशा्ने वाली ही होनी चािहए।

िमसाइल मैन थे, बि क वे भारत-ूस नागिरक नािभकीय सहयोग के बल प्धर भी थे। जब कलाम के गृह राज्य तिमलनाडु में ूस द्वारा िनमा्णाधीन कुडानकुलम एनपीपी के िखलाफ िवदेशी देशों द्वारा सोची-समझी सािजश के तहत द्वेषपूण् अिभयान चलाया गया, तो उन्होंने संयं के प् में सरकार के सम् एक भावशाली िरपोट् पेश की और संयं पर मंडराते खतरों को उजागर िकया। डॉ. कलाम के इस बल समथ्न ने ही िवरोिधयों को प त करने में बड़ी भूिमका िनभाई। सोिवयत संघ के िवभाजन के प‍ात कलाम, ूस का राजकीय दौरा करने वाले पहले भारतीय रा£पित बने। उन्होंने रिशयन एकैडमे ी ऑफ साइसेज का दौरा िकया, जहां उनको ऑनरेरी ोफेसरिशप दी गई, इसके अलावा उन्होंने मॉ को टेट यूिनविस्टी, सुखोई िडजाइन ब्यूरो, तथा एनपीओ मािशनो ोयेिनया का भी दौरा िकया। इस िविजट के दौरान िविभ्‍ पिरयोजना जैसे िक पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू िवमानों तथा िसिविलयन जेट के संय‍ ु िवकास पर भी पहली बार दोनों देशों के बीच चचा् की गई। आज, एफजीएफए पिरयोजना सफलतापूवक ् लागू की जा रही है। इस मण के दौरान मॉ को में रेड ‍ॉयर पर गुमनाम िसपािहयों की याद में बने मारक को देखकर कलाम भावुक हो उठे थे और िद्वतीय िव‍युद्ध में अपनी जान की बाजी लगाने वाले सोिवयत सैिनकों की याद में एक किवता िलखी थी। भारतीय मेहमानों के वागत में क्रेमिलन में आयोिजत भोज के दौरान रा£पित कलाम ने रा£पित पुितन को यह किवता सौंपी थी। ऐसे थे डॉ. कलाम, िजनको पूरे ूस ने सदैव मे और सम्मान की भावना से देखा।

केरल से मॉ को डॉ. मोहम्मद अली, मॉ को में आयुविे् दक ‘केरल’ क्लीिनक के हेड हैं। उन्होंने 1988 में चेरनोिबल नािभकीय दुघट् ना के िविकरण पीिड़तों का इलाज िकया। डॉ. अली ने रिशयन पीपु स डें िशप यूिनविस्टी से डॉक्टर की िडग्री हािसल की है।

बाहर जाना कम कर िदया; वे मॉ को में रहने के बावजूद घर पर नहीं रहना चाहते, इसिलए वे यहां मसाज कराने आते थे। हमारे क्लाइट्स की तादाद में हमने कोई िगरावट नहीं देखी। दर बदलने पर हमने कीमतें बढ़ाने की कोिशशें नहीं कीं, हमने ि थरता बनाए रखी। डॉलर या यूरो में बचत करने वालों को अब कम भुगतान करना पड़ता है। इस तरह हम पर िवपरीत असर नहीं ुए। आपके यहां हर महीने िकतने क्लाइट आते ह? मैं कह सकता ू िक हमारे 20,000

क्लाइट ह। हमने सात साल पहले शुूआत की थी। दूसरे बाज़ारों की तुलना में आप ूस के बाज़ार को िकस तरह देखते ह? औसतन, अगर आप यूरोप से तुलना कर तो पाएंगे िक यहां लोग आयुवदे् के बारे में ज्यादा जानते ह। यूरोप में लोग अिधक सतक् ह। यहां के लोग हम पर ज्यादा भरोसा करते ह, 100%। हमारे जैसा क्लीिनक, जहां इतने कम्चारी, ऐसी दशाएं, ऐसा लेवल है जो सवो्​्म भारतीय क्लीिनकों में पाया जा सकता है । ूस में लोग आयुवदे् को जानते ह और इसका सम्मान करते ह। वे इसे कोई रह यमयी चीज़ नहीं, बि क सिदयों पुरानी भारतीय िचिकत्सा णाली मानते ह। और मेरे ख्याल से यहां ूस में इस माहौल में िबजनेस करना ज्यादा आसान है। ूस में, पीएफयूआर में आयुवदे् का अध्ययन करना संभव है। ूस में आयुवदे् की िश्ा के तर का आप िकस तरह मू यांकन करते ह? यह बुत अच्छी बात है िक ूस में आयुवदे् पढ़ाया जाता है। लेिकन ‍ॉिलफाइड डॉक्टर बनने के िलए यह काफी नहीं है। भारत में आयुविे् दक औषिध एक सम्पूण् समानांतर िचिकत्सा णाली है, शुू से लेकर अंत तक, और छह साल के अरसे में आपको आयुवदे् के साथ आधुिनक औषिध िव्ान का भी अध्ययन करना होता है और आयुविे् दक शरीर िव्ान, मनोिव्ान और औषिधिव्ान का अध्ययन करना होता है। केवल आयुविे् दक दवा और िक्रया का इ तेमाल करने वाले िकसी अ पताल में यावहािरक िश्ण हािसल करना भी ज़ूरी होता है। यह यहां किठन है। अगर कभी ूस में पांच या छह साल की सम्पूण् आयुविे् दक िश्ा शुू की जा सके, तो आयुवदे् के ्े में काफी बेहतर िवकास होगा, लेिकन इस िदशा में अभी बुत कुछ िकया जाना बाकी है। एलेना क्रोिवडी आरआईबीआर


WEDNESDAY AUGUST 26, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia

पय्टन

पय्टन: तुवा में धुड़सवारी, साइबेिरया में िफिशंग, कूबा डाइिवंग, कीइग, ूस में पय्टन की बहार

शौकीन पय्टकों के िलए ूस में आउटडोर वै ल े हालांिक क्रासनाया पोिलयाना अब सवा्िधक िसद्ध ूसी की िरसॉट् है, लेिकन आप िकसी बजट या अनुभव के तर के अनुसार ज्यादा दूर ि थत और ‘कुदरती’ लोकेशन चुन सकते हिवशालकाय पव्तों की ख ं ला आपके इतजार में है-जो कॉकेशस से लेकर मरमां क ्े तक और यूराल से लेकर सुदरू पूव् तक फैली ुई है।

© DMITRY ASTAKHOV / RIA NOVOSTI

पीआर टट में पुितन ने साइबेिरया में सुदरू तुवा िरपिब्लक में काइिजल क बे के िनकट जंगली ्े में घुड़सवारी करते ुए िबना शट् के फोटो िखंचाए, लेिकन आपको टॉपलेस होने की जूरत नहीं, साइबेिरया में घुड़सवारी वाले टर आपको ूस के इस आकष्क िह से में पूरी तरह रमा देते ह। बैकाल झील के पि‍मी तट वाला िकनारा, थलीय भाग की तरह िविवधता तुवा में घुड़सवारी और तैराकी अपने संभवत: सबसे चिच्त जोशीले से भरा है। आप बीच पर चहलकदमी कर

सकते ह,घास के मैदान में टहल सकते ह, घास की कालीनों से सजी जमीनों पर तेज सवारी कर सकते ह या झील के बीच वाले भाग की भ य पव्तीय ृ यावली को िनहार सकते ह। घुड़सवारी से पहले और शायद बाद में भी, िकसी िह से में झील में एक ताजगी भरी डुबकी लेना आपको कृित का पश् कराता है। वा तव में, यह ्े अपनी झीलों और ‘अरजान्स’ के िलए िसद्ध है, पुराने समय में, अरजान ाय: लोगों को शमन द्वारा िदए

REUTERS

लेिकन अनेक ूसी ऐसे ह जो इस तरह की जबरद त आउटडोर गितिविधयों वाली छुि‍यां िबताना पसंद कर रहे ह। कृित की गोद में बसे ूस में मनोरजन की अपार संभावनाएं ह- यहां के पव्त, झीलें, घने वन और निदयां ऐसे थान ह जो वाइ ड कैिम्पंग, कीइग, िफिशंग, घुड़सवारी और बाघों को देखने के िलहाज से भी बेहतरीन ह।

मुलाकात बटािलयन िफ म के िनमा्ता इगोर उगोलिनकोव

माइ िमटुिरचः एिशयाई परी कथा को जीवंत करते ुए

लेिनन होगा। क्या आपको लगता है िक इसे भी िवदेशों, िवशेषकर भारतीय जनता के बीच इसी तरह भरपूर पसंद िकया जाएगा? या यह िफ म केवल ूसी दश्कों को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी? हम अभी केवल क्रीनप्ले पर काम कर रहे ह, और अभी लािदमीर िलच लेिनन का चिर पूरा िवकिसत नहीं िकया गया है। लेिकन िनि‍त ूप से, िफ म में उसकी मुख्य भूिमका होगी। 1917 की घटना में मेरी गहरी ूिच है। आपने कहा था िक आप लोकि य भारतीय अिभने ी ऐ‍या् राय के साथ एक िफ म बनाना चाहते ह। जहां तक हमारी जानकारी है, आपको रोएिरच के बारे में एक अग्रणी भूिमका में ऐ‍या् राय के साथ एक िफ म की शूिटग में भागीदारी का ऑफर िमला था। क्या आप इस बारे में िव तार से बताएंग?े यह ताव, मुबं ई इटरनेशनल िफ म फेि टवल के िलए पुर कार समारोह में भारतीय दूतावास द्वारा िकया गया था। भारतीय प् की ओर से एक िनमा्ता ने हमसे संपक् िकया। वह यह ोजेक्ट तैयार कर रहा है। इसिलए मैंने कहा िक मुझे यह अिभने ी पसंद है और उसके साथ िफ म शूट करने का मौका िमलना हमारे िलए खुशी की बात होगी। अभी यह केवल एक आइिडया है। ऐ‍या् रोएिरच की पत्नी की भूिमका िनभा सकती है। यह जबरद त रहेगा।

दूर बसी दुिनया है जहां के अपने िनयम ह। लेिकन यिद अमेिरकी अंतिर्यान प्लूटो तक जा सकता है तो हम बॉलीवुड तक तो जा ही सकते ह। आपसी संबधं कायम करने के िलए हमें पहल दोनों तरफ से करनी होगी। भारतीय और ूसी िफ मों को एकदूसरे के देश में लोकि य बनाने के िलए क्या िकया जा सकता है? हमें कदम उठाने होंग।े यिद हमारी िफ में भारतीय बॉक्स ऑिफस पर और भारतीय िफ में हमारे यहां दिश्त होती ह, तो हम नई ूिचयां उत्प्‍ होने की उम्मीद कर सकते ह। हालांिक यह सब कुछ अभी एकदम शुूआती दौर में है। हमें कोिशश करके अच्छी से अच्छी िफ में बनानी होंगी, तािक लोग इन्ह देखने का फैसला कर। लेिकन िनि‍त ूप से उनको हमारी िफ में देखने के मौके िदए जाने चािहए। यह मं ालयों, और केंि त मास मीिडया के तर पर, तथा उन िनमा्ता के तर पर िकया जा सकता है जो िफ में तािवत कर रहे ह। और, िन संदहे , िफ म माके्िटग के तर पर भी। वत्मान में, अनेक भारतीय तथा ूसी िफ म कंपिनयां अंतरा्£ीय बाजारों में मौजूद ह। मेरे ख्याल से ऐसे बजार, हमारे िसनेमा को पर पर िनकट लाने में मददगार हो सकते ह।

‘बटािलयन’ को भारत में िमली शंसा सीमा और सं कितयों के परे पहली ूसी मिहला बटािलयन के शोषण के बारे में बनी िफ म ने भारत में एक बहस छेड़ दी है। जब थम िवश्व यु‍ के तीसरे वष् के दौरान ूस में क्रािन्त हो रही थी, तब देश एक राजनीितक संकट से गुजर रहा जो ूसी सेना को पराभव की ओर ढ़केल रहा था। अ थायी सरकार ने मई 1917 में मािरया बचकिरओवा की कमांड में मातृभिू म की र्ा के िलए पु​ुषों को चुनौती देने के िलए मिहलाओँ की एक नई बटािलयन बनाने का एक गैरपरम्परागत

िनण्य िलया। मिहला ने सभी धारणा को िवफल करते ुए उम्मीदों से कहीं ज्यादा सेवा की और साहस और वबिलदान का एक उदाहरण पेश िकया। इस िफ म ने इस साल मुब ं ई इन्टरनेशनल िफ म फेि टवल में े िफ म, े अिभने ी (मािरया अरोनोवा), पटकथा एवं संपादन के चार पुर कार जीते हैं। िनमा्ता इगोर यूगोलिनकोव फेि टवल के बारे में बताते ुए कहते हैं िक ‘एक बार िफर दुिनया ने ूस की अिभनय परम्परा की महानता को मान्यता दी है।’

आपने कहा िक जब आप छोटे ब े थे तब आप मूवी िथएटरों में बॉलीवुड की िफ में देखने के िलए भाग जाया करते थे। आपकी पसंदीदा भारतीय िफ म कौन सी है? हां, राज कपूर की िफ में। राजकपूर की सभी िफ में मुझे पसंद ह! ओ गाबोग्डानोवा आरआईबीआर के िलए िवशेष

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आपके िवचार में मुब ं ई इटरनेशनल िफ म फेि टवल में आपकी िफ म की सफलता, और भारतीय दश्कों के बीच इसे िमली लोकि यता का मुख्य कारण कौन सा है? भारतीय बुत संवदे नशील और भावनात्मक लोग ह। वे िफ म देखते समय अपने िदल से हसते रोते और सहानुभिू त दशा्ते ह। यह भारतीय िसनेमा में खूब पाया जाता है। मेरे ख्याल से इसीिलए बटािलयन को भी लोगों ने खूब पसंद िकया है। मैं यह कहना चाूगा िक हमने भारतीय दश्कों को ध्यान में रखकर यह िफ म नहीं बनाई थी। मेरे िवचार में हमारी िफ म को हर दश्क द्वारा समझा जाना चािहए क्योंिक यह देशभि‍ के बारे में है। हमारी िफ म की थीम आत्म-त्याग की नािरयों की तत्परता पर आधािरत है। मेरी राय में भारतीय दश्कों द्वारा इसका यही पहलू बॉलीवुड के बारे में आप क्या सोचते समझा और सराहा गया है। ह? मेरे िवचार में बॉलीवुड खुद में बुत ही अब आप एक िफ म पर काम कर रहे समृद्ध है, िजसकी ओर हर कोई आकिष्त ह िजसमें मुख्य नायक लािदमीर िलच होता है। हमारे िलहाज से यह एक अलग,

© EKATERIN CHESNOKOVA / RIA NOVOSTI

बटािलयन: ूस और बॉलीवुड दश्कों को जोड़ती हईु मुबं ई इटरनेशनल िफ म फेि टवल में िदखाई गई बटािलयन िफ म की सफलता, ूसी और भारतीय दश्कों के बीच बढ़ती िनकटता दशा्ती है। इस िफ म ने मुख्य िे णयों में चार पुर कार जीते, िजनमें बे ट िफ म, बे ट एक् स े , बे ट क्रीनप्ले और बे ट एिडिटग के पुर कार शािमल ह। भारत में इस िफ म की सफलता को देखते ुए, आरआईआर ने बटािलयन के मुख िनमा्ता और राजकपूर के शंसक इगोर उगोलिनकोव के साथ एक सा्ात्कार में िसनेमा के ्े में ूस और भारत के संभािवत सहयोग की योजना और संभावना पर चचा् की।

“बटािलयन” िफ म का क्रीन शॉट।

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मॉ को में टेट म्यूिजयम ऑफ ओिरएंटल आट् ने एक दश्नी तुत की, जो एक ूसी िच कार माइ िमटुिरच को समिप्त थी। दािरया ल ै ािवना आरआईबीआर

माइ िमटुिरच के नाम से िसद्ध माइ िमटुिरच-ख्लेबिनकोव का जन्म 29 मई, 1925 को अित िति‍त पीटर िमटुिरच और वेरा ख्लेबिनकोव के यहां ुआ था, जो जाने-माने ूसी किव वेिलमीर ख्लेबिनकोव की बहन थीं। ‘ऐसे पिरवार में जन्म लेने के कारण िच कार बनना मेरे भाग्य में ही िलखा था।’ यह माइ िमटुिरच ने 2004 में िदए एक सा्ात्कार में कहा था। दूसरे िव‍युद्ध के समय 17 वष् के माइ ने वेच्छा से रेड आमी् ‍ॉइन कर ली, जहां उन्होंने सेना के अन्य िच कारों के साथ िमलकर रे क पो टर बनाए। युद्ध समा‍ होने पर वे बिल्न चले गए और उन्ह आड्र ऑफ िद पैि यािटक वार-सेकडें क्लास (सोिवयत दौर का एक सबसे िति‍त सम्मान) का पुर कार िमला। युद्ध के प‍ात उन्होंने अध्ययन जारी रखा और िकताबों के िच कार बन गए। उनकी कलाकृितयों की पहली सीरीज 1957 में िद गो डन लैंटन् नामक एक चीनी परीकथा की पु तक में कािशत ुई। िवशेष ूप से ूडयाड् िकपिलंग की िद जंगल बुक के िलए िच बनाने हेतु उन्होंने भारत की या ा की। ‘मैंने मोगली को दो बार बनाया।’ यह उन्होंने 2002 में एक सा्ात्कार में बताया था। भारत से िमटुिरच के काय् को देखने के बाद एक सोिवयत पिब्लिशंग हाउस के संपादकों ने एक अन्य िच कार को पहले िदया गया आड्र िनर त कर िदया और िमटुिरच के िच ों को इ तेमाल करने का फैसला िकया। 1976 में, मोगली के िच ों वाली पु तक कािशत ुई। काशकों ने पहले सं करण की 150,000 ितयां छापने का िन‍य िकया। बीते 40 वषो्ं में, यह पु तक आठ बार पुन क ् ािशत की जा चुकी है।

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जुलाई संि्प्त नवीन ूस डायरेक्टर ीफ “बी.आर.आई.सी.एस 2.0 और मेटामॉरफोिसस ऑफ़ ग्लोबलाइजेशन” यु.एफ.ए, ूस में बी.आर. आई.सी.एसिशखर सम्मेलन के बाद आगे का िव ष े ण करती है। कोलंिबया िवश्विवद्यालय के माको्स ॉयजो ‍ारा िलिखत, पुनरवैश्वीकरण के यापक संदभ् के तहत ूस और अन्य ि क्स देशों ‍ारा झेले गये ारिभक िवक पों का संि्प्त अवलोकन करता िदखता है। आज ही पंजीकृत कर :www.russia-direct.org/subscribe पर 30% िड काउट पाएं

रगिबरगी अनोखी मछिलयों को देखने के िलए मालदीव में 2009 में कूबा डाइिवंग के बाद, पुितन ने वाभािवक ूप से 2013 में ‘सी एक्सप्लोरर 5 (एक छोटी सबमिस्बल क्राफ्ट)’ के जिरए समु में 200 फीट नीचे जाकर नौसेना के लड़ाकू जहाज ओलेग के अवशेष देख,े जो िफनलैंड की खाड़ी में 1869 में डब गया था। हालांिक यह सोच कर ही बुत से लोगों को कंपकंपी छट सकती है, लेिकन जांबाज बहादुर पय्टकों के िलए िफनलैंड की खाड़ी के जमा देने वाले पानी के अलावा लडोगा झील, बैकाल झील, बैरट्स सागर और सुदरू ि थत जापान सागर तक में कई कूबा डाइिवंग क्लब अपनी सेवाएं देते ह-बेशक उनकी सेवा में थम्ल सूट भी शािमल रहते ह और यिद यह आपके िलए जोशखरोश से भरा और रोमांिचत कर देने वाला एडवेंचर नहीं है, तो अंडरवाटर हिटग कराने वाले टर ऑपरेटर का िवक प चुन सकते ह।

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FROM PERSONAL ARCHIVES

आउटडोर गितिविधयों के िलए िवख्यात ह, शट् पहनकर या इसके िबना। बीते कुछ वषो्ं में, ूस के रा£पित लािदमीर पुितन ने दुिनया भर में चचा्एं बटोरीं, जब आिधकािरक ड्यूटी से छुि‍यों के दौरान कीइग, बाघों की शूिटग, िफिशंग मािरया टेम्बलर या ूसी जंगलों में घुड़सवारी करते समय आरआईबीआर की उनकी जोशीली त वीर देखी गईं। रोमांच की खोज करने वालों के िलए खासतौर से टॉपलेस त वीरों की वजह से ूस में भरपूर िवक प मौजूद ह, और पुितन को ूस के बाहर कुछ अजीब तरीके यहां के रा£पित अपनी जोश-खरोश भरी से भी देखा गया, जो बुत ही चिच्त रहा

कृित की गोद में बसे ूस में मनोरजन की अपार संभावनाएंरा£पित पुितन के नक्शेकदम पर पय्टक छुिट्टयों के आकष्क िवक प खोज रहे हैं।

जमा देने वाले पानी में कूबा डाइिवंग

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जाते थे। जो िक मंगोिलया की सीमा के पास बुत समय पहले पृथ्वी की पपड़ी चटकने की वजह से बने गम् फ वारे ह। इन फ वारों में पाए जाने वाले पोषक तत्व और खिनज, िचिकत्सा उपचार का िह सा माने गए ह। उश-बे दीर एक हे थ िरसॉट् इन्हीं फ वारों से सजा है। तुवा के पि‍मी भाग में बुत सारे रेडॉन फ वारे ह। शेविे लग, दो तग-हेम, दोरगन और उलाटाई सबसे अिधक लोकि य अमूर टाइगर की िनगरानी की चुनौती का अरजान ह। सामना करते ह- और आिखरकार उन्होंने एक क्लाइजर गन से एक को शूट कर ही िलया....फोटो लेना का अच्छा मौका साइबेिरया में िफिशंग था यह। ूस के सुदरू पूव् में ाइमोर की टैरटे री के नाम से भी जाना जाने वाला ाइमोराए इस धरती पर ऐसी चुिनंदा जगहों में से है जहां आप टाइगर से उसके कुदरती घर में िमल सकते ह। लाडीवो टक से लगभग 40 मील दूर ाइमोर की सफारी पाक् में तीन पूण् युवा साइबेिरयाई बाघ रहते ह। उनका आकार, पैने पंजे और फुती् कािबल-ए-तारीफ है। इस तरह से इनसे ूस में िफिशंग को ‘असली मदो्ं का खेल‘ िमलने से आप जान जाएंगे िक इन बाघों से माना जाता है, इसिलए यह कोई आ‍य् यूं असुरि्त ूप में िमलना कोई अच्छी की बात नहीं िक पुितन ने भी अपनी बंद बात नहीं है। वैगन से िनकलकर इसमें हाथ आजमाने की कोिशश की थी। यिद हम िच ों का क्रासनाया पोिलयाना में कीइग यकीन कर तो देखगें े िक वे जुलाई 2013 में तुवा िरपिब्लक में नंगे बदन एक भारीभरकम 21 िकग्रा. के िशकार को पानी से खींच रहे ह। यह गितिविध केवल तुवा तक या केवल गिम्यों के महीनों तक ही सीिमत नहीं है। इस िवशाल देश में हर मौसम में, चाहे बरसात हो रही हो या धूप हो या जाड़ा और िहमपात हो रहा हो, ूसी और िवदेशी लोग एक साथ िफिशंग का आनंद लेते ह (वोडका और अचार पसंद पर िनभ्र ह)। यिद आप जाड़ों में ूस जाएं, तो िनराश होने वाली कोई बात नहीं: िवंटर पो स सुदरू पूव् में बाघों से दो ती उत्सुक पशु - मे ी होने के नाते अपने अगले के दीवानों के िलए इस देश में बुत कुछ पीआर टट के िलए पुितन ने यह देखने के है। 2014 िवंटर ओलिम्पक का थान रहा िलए सुदरू पूव् में उसूरी िरजव् जाने का क्रासनाया पोिलयाना, जो िक पुितन को िन‍य िकया िक िकस तरह से वै्ािनक भी खूब भाता है, में बफी्ले ढाल आपको लोग जंगलों में अत्यिधक संकटग्र त रोमांिचत कर देंग।े

माई िमतुिरच ‍ारा िकपिलंग की मोगली से शेरखान की एक त वीर

जापान के िलए रे णा उन्होंने एिशया की खूब या ाएं कीं,और जापान को सवा्िधक पसंद िकया। उनकी पु ी वेरा िमटुिरच ने आरबीटीएच को बताया।1966 में वे सोिवयत िच कारों के ितिनिधमंडल में शािमल होकर पहली

ऐसे पिरवार में जन्म लेने के कारण िच कार बना बार जापान गए। कुछ वष् बाद एक जापानी िबजनेसमैन और आट् कलेक्टर ने िमटुिरच को होक्काइदो में अपने यहां आमंि त िकया। वेरा िमटुिरच ने बताया िक वहां उनके िपता ने अपने काम पर गहराई से फोकस िकया, और होक्काइदो में उनका समय, उनके जीवन के सबसे रचनात्मक वषो्ं में था। सोिवयत ूस लौटने से पहले उन्होंने अपनी ज्यादातर कृितयां उपहार वूप जापान में ही छोड़ दीं। उनकी अिधकांश कलाकृितयां जापान में िनजी आट् गैलिरयों में रखी ह। िमटुिरच चार बार जापान गए और अनेक जापानी काशकों और िच कारों

से पिरिचत ुए। 1983 में, िद फोक टे स ऑफ जापान शीष्क से जापानी परीकथा का उनके िच ों वाला संकलन कािशत ुआ।

ूस में बाद का समय 2000 के दशक की शुूआत में, िमटुिरच की मॉ को में जापानी सुलख े क ूसेकी मोिरमोटो से मुलाकात ुई। हालांिक वह जापानी नहीं बोल पाते थे और जापानी कला का बुिनयादी ्ान कभी हािसल नहीं िकया था, लेिकन 2002 में इस ूसीजापानी जोड़ी ने टच प्वाइट्स नामक एक पिरयोजना शुू की। मोिरमोटो ने मात्सुओ बाशो और मसाओका िशकी की किवता का सुलख े न िकया और िमटुिरच ने िच बनाए। मॉ को में टेट म्यूिजयम ऑफ ओिरएंटल आट् की क्यूरटे र वेतलाना क्रोमचेंको ने आरबीटीएच को बताया िक, ‘ऐसा लगता है िक किवताएं और िच एक ही यि‍ द्वारा तैयार िकए गए ह।’ 2005 में, िमटुिरच को दोनों सं कृितयों के बीच सेतु िनमा्ण के िलए जापान के स ाट द्वारा आड्र ऑफ िद राइिजंग सन का सम्मान िदया गया। एिशया में अपना काफी समय िबताने वाले िमटुिरच का 2008 में िनधन हो गया।

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