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WEDNESDAY SEPTEMBER 30, 2015
Business Report RUSSIA&INDIA NAVBHARAT TIMES IN ASSOCIATION WITH ROSSIYSKAYA GAZETA, RUSSIA
रा£पित पुितन की इ लामी धम्गु ु
से अपील – कहा युवा
को आतंकवाद से दूर रखने में दें सहयोग
घूमता आईना
पुितन: िमलकर करो आतंकवाद का अंत न्यूयाक् में संयक्त ु रा£ संघ के 70वीं जयंती अिधवेशन में बोलते ुए ूसी संघ के रा£पित लािदमीर पुितन ने आगाह िकया िक आतंकवािदयों के साथ चोचले, आग से खेलने के सामान है। िवनय शुक्ला
आरआईबीआर
28 िसतं ब र को न्यू याक् में सं यु रा£ संघ के 70-वीं जयंती अिधवेशन में बोलते ुए ूसी संघ के रा£पित लािदमीर पुितन ने अमरीका का नाम िलए िबना उसकी ‘दबंग और मनमानी’ की नीित को वत्मान काल की आतंकवाद जैसी िवकराल सम या के िलए िजम्मेदार ठहराया तथा िव के सभी रा£ों से साथ िमलकर इ लामी राज्य (इरा) समेत सभी आतंकवादी शियों से संघष् करने का आवाहनन िकया। इस ल य की ाि हेतु उन्होंने यापक मोचे् बनाने की ूस की तत्परता को भी य िकया। अपने लगभग 23 िमनट (22 िमनट 55) के भाषण में रा£पित पुितन ने उ्री अ ीका, सीिरया और संपूण् पिम एिशया की वत्मान ि थित का िव्े ण करते ुए कहा िक , यह ‘उनकी’ नीित का पिरणाम है जो आक्रमण के जिरये नापसंद शासनों का तख्ता पलटने, वहां अराजकता, िहसा, मानव के मूल- जीवन के अिधकार का हनन करते ह, लाखों लोगों को घर-बार छोड़ कर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर करते ह| “आप समझते ह िक आपने क्या कर डाला?” अमरीका की ओर इशारा करते ुए रा£पित पुितन ने पूछा। उन्होंने याद िदलाया िक एक जमाने में ‘क्रांित और िवचारधारा’ के िनया्त के कारण भूतपूव् सोिवयत संघ ने दुिनया के िविभ् भागों में अि थरता और अराजकता फैलाई थी और आज शीत युद्ध के उपरांत उभरे ‘िव के एकमा स्ा कें ’ (अमरीका) द्वारा
यही गलती दोहराई जा रही है जब ‘लोकतं ’ के िनया्त के बहाने इराक, लीिबया में थानीय शासनों को न करके, तबाही फैलाई गयी है। इस िनया्त की पूित् के िलए आतंकवादी पाले गए, शुू में िजनका ल य नापसंद धम्िनरपे् सरकारों का तख्ता पलटना था परतु समय के साथ पैदा ुए इ लामी राज्य में रोज हजारों िजहादी शािमल हो रहे ह। ूसी ने ता ने आगाह िकया िक आतंकवािदयों के साथ चोचले, आग
से खेलने के सामान है। “आदरणीय सनो! आपका पाला, जािलमों से पड़ा है, जो िबलकुल जािहल और कािहल नहीं, आपसे बेवकूफ भी नहीं ह, क्या पता कौन िकस का फायदा उठा रहा है,” रा£पित पुितन ने यापक अंतरा्£ीय आतंकवाद िवरोधी मोचे् की थापना में इ लामी देशों से मुख्य भूिमका िनभाने की अपील की और इ लामी धम्गुु से युवा को आतंकवाद से दूर रखने के िलए सिक्रय चार करने का आवाहन िकया।
आतंकवाद के साथ िमलकर संघष् के साथ-साथ ूसी नेता ने लीिबया और सीिरया में संयु रा£ के िसद्धांतों के अनुूप ि थर शासनों की थापना का सुझाव िदया जो शरणािथ्यों की िवकराल सम या को सुलझाने में भी सहायक होगा। अपने भाषण में रा£पित पुितन ने गत 70 वषो्ं में संयु रा£ संघ के इितहास का िसंहावलोकन िकया और कहा िक हालांिक िव के इस मुख संगठन में सुधार का समय आ गया है,
न्यूयाक् में ूसी संघ के रा£पित लािदमीर पुितन ने अपने भाषण में गत 70 वषो्ं में संयक्त ु रा£ संघ के इितहास का िसंहावलोकन िकया
िफर भी यह काम इसे कमजोर बनाये िबना िकया जाना चािहए। ूस द्वारा सुर्ा पिरषद में अक्सर ‘वीटो’ के अिधकार के योग की अमरीकी आलोचना के जवाब में उन्होंने बल देकर कहा िक संय ु रा£ संघ में कभी भी मतैक्य नहीं रहा, न अब, न शीत युद्ध के काल में। “अतीत में अमरीका, ग्रेट ि टेन, ांस, चीन, सोिवयत संघ और अब ूस, सभी अपने वीटो के अिधकार का योग करते आये ह,” रा£पित पुितन ने
याद िदलाया िक शुू से ही संय ु रा£ संघ की थापना का ल य मतभेदों को दूर करना रहा है। यूक्रने के ‘भू-राजनीितक संकट’ की चचा् करते ुए रा£पित पुितन ने कहा िक यह शीतयुद्ध की समाि के बाद ‘वासा् पैक्ट’ के िवघटन के बावजूद ‘नाटो’ गुट के सार का पिरणाम है जब पूवी् यूरोप के देशों को पिम और पूव् के बीच चुनाव करने को मजबूर िकया गया। उन्होंने कहा िक बाहरी ह त्ेप से इस देश में िहसा की मदद से कानूनी स्ा का तख्ता पलटा गया और वहां गृहयुद्ध िछड़ गया। पूितन के मतानुसार कीयेव द्वारा ‘िमन् क-2’ समझौतों के पालन से ही इस देश की सम या सुलझाई जा सकती है। अपने भाषण में उन्होंने कुछ रा£ों द्वारा िव यापार संघ के िनयमों के िवपरीत वैिक यापार में एकतरफ़ा आिथ्क ितबंधों जैसे ‘ वाथ्गत’ कदम उठाये जाने पर भी िचंता य की। रा£पित पुितन ने ‘आिथ्क वाथ्’ से िे रत कुछ रा£ों के ऐसे कदमों पर िव यापार संगठन, जी-20, संय ु रा£ जैसे संगठनों के अंतग्त िवचार करने का सुझाव िदया। मानवजाित के सम् खड़ी जलवायु पिरवत्न की उग्र सम या के संदभ् में रा£पित पुितन ने कहा िक दूषण के कोटे आिद कदम िसफ् अ थायी राहत दान कर सकते ह। इस सम या के कारगर िनवारण के िलए िबलकुल नई कार की टेोलोजी के उपयोग की आव यकता है जो पया्वरण के िलए सुरि्त हो। उन्होंने िव के उ्त िव्ान वाले देशों से साथ िमलकर इस िदशा में शोध करने का सुझाव िदया। ूसी नेता ने संय ु रा£ संघ के तत्वावधान में जलवायु पिरवत्न और ाकृितक साधनों की समाि से संबिं धत सम या के अध्ययन के िलए एक िवशेष फोरम भी गिठत करने का ताव रखा, ूस िजसका एक आयोजक हो सकता है।
रोसने त ने ओ०एन०जी०सी० को वनकोरने त के शेयर बेचे ूसी कंपनी रोसने त ने भारतीय कंपनी ओ० एन० जी० सी० के साथ 1 अरब साढ़े 27 करोड़ डॉलर में वनकोरने त कंपनी के 15 ितशत शेयर बेचने का करार िकया है। इसके अलावा कंपनी के बंधन के बारे में शेयरधारकों के बीच समझौते पर भी ह ता्र िकए गए ह। वनकोर-पूरपे तेल पाइपलाइन सिहत वनकोर तेल भंडार के सारे संरचनात्मक ढांचे पर रोसने त कंपनी का िनयं ण रहेगा। ओ० एन० जी० सी० को यह सौदा पूरे होने के बाद वनकोरने त कंपनी के िनदेशक-मंडल में दो थान िदए जाएंग।े िनयामकों की अनुमित के बाद यह सौदा पूरा हो जाएगा। ओ० एन० जी० सी० ने वनकोर तेल भंडार पिरयोजना में यह िह सेदारी अपनी सहयोगी कंपनी ’ओ० एन० जी० सी० िवदेश िलिमटेड’ के माध्यम से की है। रोसने त कंपनी ने बताया िक वनकोरने त कंपनी में भारतीय कंपनी की इस अ पमत िह सेदारी के बारे में सहमित जुलाई 2015 में ूस के रा£पित लदीिमर पुितन की भारत या ा के समय ुई थी।
ूसी-भारतीय युाभ्यासों “इन् -2015” के िलए तैयारी शुू
ूसी-भारतीय संय ु युद्धाभ्यासों “इन् -2015” के िलए तैयारी ूस के दि्णी सैन्य िजले में शुू कर दी गई है। दि्णी सैन्य िजले की स े सेवा द्वारा यह जानकारी दी गई है। ूसी-भारतीय युद्धाभ्यास “इन् ” सन् 2003 के बाद ूस और भारत में बारी-बारी से आयोिजत िकए जाते ह। िपछले साल की पतझड़ ऋतु में ूस के दि्णी सैन्य िजले के इलाके में पहली बार ये युद्धाभ्यास आयोिजत िकए गए थे। “इन् -2015” युद्धाभ्यासों के दौरान ूसी और भारतीय सैिनक अपने अनुभवों का आदान- दान करते ह और सश संघष् के दौरान कायो्ं में आपसी तालमेल करने का अभ्यास करते ह।
अब ूस पर भी चढ़ेगा िक्रकेट का खुमार
ूस, भारत को क े तेल की आपूित् करेगा और मुख तेल आपूित्कता् बनेगा ूसी कंपनी रोसनेफ्त आने वाले दस सालों में भारत को दस करोड़ टन क े तेल की आपूित् करेगा तािक बदीनार तेलशोधन कारखाने में उसे शोिधत िकया जा सके। कोन तान्तीन िनकोलाएव कमेरसान्त डॉट ू
िवगत 8 जुलाई को ूस के ऊफ़ा नगर में ’शंघाई सहयोग संगठन’ (एससीओ) के िशखर सम्मे ल न के दौरान ूसी कंपनी रोसनेफ्त ने भारतीय कंपनी ए सार के साथ एक अनुबधं पर ह ता्र िकए, िजसमें यह तय िकया गया िक रोसनेफ्त आने वाले दस सालों में भारत को दस करोड़ टन क े तेल की आपूित् करेगा तािक बदीनार तेलशोधन कारखाने में उसे शोिधत िकया जा सके। इसके अलावा इन दोनों कंपिनयों ने एक सहमित-प पर भी ह ता्र िकए, िजसमें ए सार ऑयल िलिमटेड के तेल शोधन कारखाने की अिधकृत पूज ं ी में रोसनेफ्त के भी शािमल होने की शते्ं तय की गई। आकलनों के अनुसार सन् 2020
तक भारत की िवकास-दर ितवष् 6.7 ितशत से कम नहीं रहेगी। इसिलए भारत में ऊजा्-संसाधनों की मांग भी लगातार बढ़ती रहेगी। सन् 2014 में भारत ने जहां 22 करोड़ 40 लाख टन तेल का इ तेमाल िकया, वहीं सन् 2030 में भारत में क े तेल की मांग बढ़कर 31 करोड़ टन हो जाएगी। भारत के अपने ऊजा् संसाधन भारत के िलए पूरे नहीं पड़ रहे ह। आने वाले सालों में भारत में िसफ् 4 करोड़ टन तेल की खुदाई होगी, जो सन् 2030 में भारत की कुल जूरत का िसफ् 13 ितशत है। गैस की खुदाई भी 50 अरब घनमीटर के लगभग ही होगी, जो सन् 2030 में भारत की कुल जूरत का िसफ् 43 ितशत बनती है। िपछले तीन सालों में भारत में गैस का उत्पादन लगातार िगर रहा है और कुल िमलाकर अभी तक गैस का उत्पादन करीब 30 ितशत कम रहा है। अभी हाल तक, ि क्स और एससीओ में दो देशों के बीच गहन राजनीितक संपको्ं के बावजूद, भारत का तेल बाजार ूसी तेल और गैस कंपिनयों की पुच के बाहर था। भारत ूस से
िसफ् 1 ितशत तेल का आयात करता था। अब िजस अनुबधं पर ह ता्र िकए गए ह, उससे ूस द्वारा भारत को तेल की आपूित् एकदम पांच गुना बढ़ जाएगी। लेिकन यह केवल शुूआत है। ूसी कंपनी रोसनेफ्त भारत में अपनी उपि थित बढ़ाना चाहती है और भारत भी ऊजा् संसाधनों के नए आपूित्कता् को ढढ़ रहा है।
भारत में ऊजा्संसाधनों की मांग लगातार बढ़ती रहेगी रोसनेफ्त ने भारत के साथ जो अनुबधं िकए ह, उनसे उसे अपने उत्पाद की िबक्री बढ़ाने की गारटी िमली है तथा भारत में माके्िटग शुू करने और भारत में अपने उत्पादों की आपूित् बढ़ाने की संभावना भी िमली है। ए सार ऑयल िलिमटेड के अभी भारत में 1600 पै ोल पंप काम कर रहे ह। ए सार ऑयल और रोसनेफ्त िमलकर आने वाले दो
वषो्ं में इन पै ोल पम्पों की संख्या बढ़ाकर 5000 तक करना चाहती ह। इसके अलावा दोनों कंपिनयां वदीनार तेलशोधन कारखाने की उत्पादन-्मता बढ़ाकर सन् 2020 तक उसे भी साढ़े चार करोड़ टन ितवष् तक पुचाना चाहती ह, जबिक अभी यह तेलशोधन कारखाना िसफ् दो करोड़ टन तेल का ही शोधन करता है। यही नहीं ौद्योिगकी की ृि से यह तेल शोधन कारखाना दुिनया के दस सव् े कारखानों में से एक माना जाता है, इस तरह रोसनेफ्त ने एक अच्छे कारखाने में साझेदारी की है। यह बात भी मह वपूण् है िक रोसनेफ्त और ए सार ने जो अनुबधं िकया है, वह एिशया की िदशा में ूस का एक और रणनीितक मोड़ बन गया है। आजकल ूसी कंपनी रोसनेफ्त ए सार के साथ-साथ सखािलन-1 तेलपिरयोजना में अपनी सहयोगी भारतीय कंपनी ओ०एन०जी०सी० के साथ भी सिक्रय ूप से बातचीत कर रही है। रोसनेफ्त चाहती है िक ओ० एन० जी० सी० उ्री वु ीय ्े और पूवी् साइबेिरया की पिरयोजना में शािमल
रोसनेफ्त आने वाले दस सालों में भारत को दस करोड़ टन क े तेल की आपूित् करेगा। हो जाए तथा ूस के सुदरू -पूव् के इलाके में बनाए जा रहे सीएनजी गैस कारखाने में िनवेश करे। ए सार के साथ ुए अनुबधं को देखकर हो सकता है िक ओ०एन०जी०सी० भी इस ित पधा् में शािमल हो जाए और सिक्रय ूप से बातचीत शुू कर दे। सन् 2014 में ूस और भारत के बीच कुल साढ़े 9 अरब डॉलर का
यापार ुआ, जो 2013 के मुकाबले िसफ् 94.4 ितशत रहा। आयात के मुकाबले िनया्त कम ुआ और उसमें 2013 के मुकाबले 9.2 ितशत की कमी आई। ए सार और रोसनेफ्त के बीच ुए अनुबधं से दो देशों के बीच यापार में कम से कम 50 ितशत की वृिद्ध होगी। इससे सीमाकर व अन्य करों के ूप में ूस के राज व में भी वृिद्ध होगी।
भारत का पोट् मैनज े मेंट ग्रुप ’इिडयन टाइगस्’ ूस में िक्रकेट के िवकास के िलए रिशयन िक्रकेट फेडरेशन के साथ रणनीितक सहयोग करेगा। इस सहयोग के अंतग्त इिडयन टाइगस् और रिशयन िक्रकेट फेडरेशन िमलकर ूस में पेशवे र तर पर िक्रकेट को आगे बढ़ाने का काय्क्रम बनाएंग।े इिडयन टाइगस् ग्रुप रिशयन िक्रकेट फेडरेशन के िलए कोचों और िवदेशी िक्रकेट िश्कों का बंध करेगा और अंतररा£ीय मैचों में ूसी िक्रकेट टीम के िलए िवशेष काय्क्रम बनाएगा। वष् 2016 के सीजन में यानी एक साल बाद, इिडयन टाइगस् ग्रुप सारे ूस में िक्रकेट का िश्ण देने के िलए िवशेष िक्रकेट- कूल शुू करेगा।
ूस और भारत के बीच आतंकवाद व साइबर अपराधों से िमलकर लड़ने पर सहमित
इितहास में पहली बार ूसी टेलीिवजन काय्क्रमों का िहदी में सारण होगा ूस के ’िडिजटल टेलीिवजन’ ने ’ सार भारती’ के साथ भारतीय दश्कों के बीच ूसी टेलीिवजन काय्क्रमों के सारण के बारे में एक ्ापन पर ह ता्र िकए। ओ गा सेिनना आरआईबीआर
भारतीय साव्जिनक सारण सेवा ’ सार भारती’ और ूस के ’िडिजटल टेलीिवजन’ के बीच यह सहमित हो गई है िक वे िमलकर पेड-चैनल चलाएंगे और उसके िलए साझा तौर पर टेलीिवजन-काय्क्रमों का िनमा्ण करगे। सन् 2016 से ही भारतीय दश्क ूसी िफ में, काट्न-िफ में, वृ् िच और ्ानवध्क व शैि्क काय्क्रम देख सकेंग।े अिखल ूसी राजकीय टेलीिवजन
और रेिडयो सारण कंपनी के उपमहािनदेशक और िडिजटल टेलीिवजन के िनदेशक मंडल के अध्य् िदिम ी मेदिनकफ़ ने बताया िक वष् 2016 में भारतीय दश्क अिखल ूसी राजकीय टेलीिवजन और रेिडयो सारण कंपनी और आपरेटर ’रोसतेलक े ोम’ के सहयोग से ूसी ’िडिजटल टेलीिवजन’ द्वारा शुू िकए जाने वाले दो चैनल देख सकेंग।े बाल-दश्कों के िलए ’काट्न’ नामक एक चैनल शुू िकया जाएगा, िजस पर ूसी काट्न-िफ में सािरत की जाएंगी और आई० क्यू० एच० डी० नामक वै्ािनक ्ानवध्क चैनल पर वृ् िच ों का दश्न िकया जाएगा, िजन्ह सारा पिरवार देख सकेगा। िवगत 20 अग त को ूस के ’िडिजटल टेलीिवजन’ ने ’ सार भारती’ सन् 2016 से ही भारतीय दश्क ूसी िफ में व टेलीिवजन काय्क्रम देख सकेंग।े
के साथ भारतीय दश्कों के बीच ूसी टेलीिवजन काय्क्रमों के सारण के बारे में एक ्ापन पर ह ता्र िकए। अब अिखल ूसी राजकीय टेलीिवजन और रेिडयो सारण कंपनी के इितहास में पहली बार ऐसा होगा जब उसके चैनलों का िकसी िवदेशी भाषा में अनुवाद िकया जाएगा। िडिजटल टेलीिवजन को कई हजार घंटों के अपने काय्क्रमों का अनुवाद कराना होगा। पहला ूसी वृ्िच अंग्रज े ी और िहदी में अनुवाद िकया जा रहा है, उसका नाम है - सुदरू पूव् के तेंदएु । िडिजटल टेलीिवजन अपने ’बे टसेलर’ सीिरयलों का भी िहदी में अनुवाद करवा रहा है। अिखल ूसी राजकीय टेलीिवजन और रेिडयो सारण कंपनी के इन ूसी टेलीिवजन सीिरयलों का सारण पेड-चैनलों के साथ-साथ
’ सार भारती’ के चैनलों पर भी िकया जाएगा। वहीं दू स री तरफ अिखल ूसी राजकीय टेलीिवजन और रेिडयो सारण कंपनी ूसी दश्कों के बीच बािलवुड की िफ मों का सारण करेगी। िदिम ी मेदिनकफ़ का कहना है िक अभी तक भारतीय िफ मों का ूसी दश्कों ने पूरा मू यांकन नहीं िकया है। ूसी दश्कों को न िसफ् भारतीय ’धारावािहक’ िदलच प लगेंग,े बि क ’ताजमहल का इितहास’ जैसे वृ्िच भी उन्ह पसंद आएंग।े िदिम ी मेदिनकफ़ के अनुसार भारत के साथ िमलकर बनाई गई इस पिरयोजना में शुू में दिसयों लाख डॉलर का िनवेश करना होगा। टेलीिवजन के ्े में ूस-भारत योजना के बारे में िव तार से अंितम पृ पर पढ़।
ूस के गृहमं ी कन्ल-जनरल ऑफ पुिलस लदीिमर कलाको त्सेफ़ ने िवगत 7 िसतंबर को नई िदी में भारत के गृहमं ी राजनाथ िसंह से बातचीत की। इस वाता् में आतंकवाद और साइबर अपराधों के िवुद्ध िमलकर संघष् करने की संभावना पर िवचार िकया गया। दोनों मंि यों का मानना था िक िव समुदाय के िलए आतंकवाद एक गंभीर चुनौती बना ुआ है। खासकर आतंकवादी िगरोह ’इ लामी राज्य’ (आई०एस०) की तरफ से खतरा बढ़ता जा रहा है।आतंकवाद के िवुद्ध सिक्रय ूप से संघष् करने के िलए ूस और भारत के गृहमंि यों ने एक िवशेष्-दल का िनमा्ण करने का िनण्य िलया है, जो सैिनकों के िवशेष िश्ण के ्े में अनुभवों और िवशेष्ों का आदान- दान करेगा। दो देशों के गृहमंि यों ने आतंकवाद के अलावा, उग्रवाद का सामना करने, हाई तोलौजी, सूचना तकनीक, साइबर सुर्ा और मादक-पदाथो्ं से जुड़े अपराधों आिद से संबिं धत यापक मुों पर भी िवचार िवमश् िकया।
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यापार
भारत ने क्रीिमया के साथ औषध-उत्पादन सिहत िविभ् ्े ों में सहयोग कायम करने में कई महत्वपूण् कदम उठाये हैं
क्रीिमया ने खोले भारत-ूस सहयोग के नए रा ते िपछले डेढ़ साल में अमरीका के नेतत्ृ व में यूरोपीय संघ और अन्य देशों ने एक बदले की कार्वाई के तौर पर िजतने भी आिथ्क और यापािरक ितबंध मा को पर थोपे हैं, वे बेअसर िस ुए हैं। ददन उपाध्याय आरआईबीआर
ितबंधों के जिरये आिथ्क और राजनियक ूप से घुटने िटकवाने और क्रीिमया ायद्वीप को भूतपूव् सोिवयत जनतं यूक्रने को वापस लौटाने के िलए ूस को िववश करने की उनकी कोिशशें िजतनी ही नाकाम होती जा रही ह, उतना ही अिधक वे हताश-िनराश होते जा रहे ह और वे अपने ही देशों के िकसानों और उत्पादकों को नुकसान पुचा रहे ह, िजसकी भरपाई शायद ही हो पाए। पिरणाम वूप, इन देशों में ूस पर अंतहीन ितबंधों की ख ृं ला के िखलाफ िकसानों और उत्पादकों के आंदोलन चल रहे ह। िसतंबर के शुू में यूरोपीय संघ के कई देशों के 5,000 िकसानों ने से स (बेि जयम) में अपने 1,000 क्ै टरों के साथ िवशाल िवरोध- दश्न िकया। िकसानों और दुग्ध तथा मांस पदाथो्ं के उत्पादकों का यह िवरोध- दश्न से स में यूरोपीय संघ की कृिष पिरषद की एक फौरी बैठक के िदन ही आयोिजत िकया गया था। वे यूरोपीय संघ सं था और सरकारों से फलों, सिब्जयों, दूध और दुग्ध-पदाथो्ं तथा अंडे और मांस उत्पादों की कीमतें बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जो ूस के िनया्तों पर ितबंधों की वजह से बुत नीचे िगर गयी ह। ूस के शीष् थ नेता ने अपने हाल के बयानों से यह बात दो-टक प कर दी है िक क्रीिमया अब पुनः लौटकर यूक्रने में नहीं िमलेगा, चाहे पिमी देश मा को पर अपने ितबंधों के िकतने ही
क्रीिमया अपने कृिष उत्पादन, खास तौर पर वाइन उत्पादन के िलए िस है। दौर क्यों न थोपें। ूस के िवदेशमं ी ी सेगईे् लावरोव ने हाल ही में कहा िक ऐितहािसक ूप से यह “अध्याय हमेशा-हमेशा के िलए बंद हो गया है”। ूसी आिथ्क िवकास मं ी ी अलेक्सी उ युकायेव ने तो पिमी देशों को चेतावनी भी दे दी िक अगर अमरीका और यूरोपीय संघ के देशों द्वारा ितबंधों के ये दौर चलते रहे तो मा को भी अपनी ओर से जवाबी कार्वाई करने से कभी नहीं िहचिकचायेगा और उन्ह भारी आिथ्क नुक्सान उठाने पड़ सकते ह। ूस की संसद के उ सदन की अध्य् वलेंितना माित्वयेंका ने इसी
क्रीिमया की यूक्रन े में वापसी अब नामुमिकन ूसी िकसान एकएक भूखडं पर खेती कर रहे ह
महीने अपने एक व य में कहा िक क्रीिमया के मसले पर ूस पर लगाये गये पिमी ितबंध “ठडे जल से ान जैसा वा थ्य द” िसद्ध ुए ह। माित्वयेंका की यह बात ूसी अथ् यव था के कई ्े ों में सकारात्मक नतीजों से सही िसद्ध होती है। उदाहरण वूप, कृिष ्े िजसका पिमी ितबंधों के बाद तेजी से िवकास ुआ है। ूस के िकसान, उद्यमी और कारोबारी कंपिनयां कमर कसकर मैदान में उतर गये ह और देश के आिथ्क िहतों की र्ा करने हेतु िदनरात काम कर रहे ह। क्रीिमया के मुे पर पिमी ितबंधों और कूटनीितक
चालों को नाकाम करते ुए उसे नये-नये िवदेशी भागीदारों के साथ अपने आिथ्क और यापािरक िवकास सहयोग को बड़े ही कारगर ढग से आगे बढ़ाने में सतत सफलताएं िमल रही ह। अभी हाल ही में इस लेखक ने मा को के बाहर अपनी या ा के दौरान अपनी आंखों से देखा िक कैसे ूसी िकसान एक-एक भूखडं पर खेती कर रहे ह, तरह-तरह की फसलें, सिब्जयां, फल उगा रहे ह और पशु-पालन पर बेहद ध्यान दे रहे ह। िजस उत्साह से वे खेतों और अपने गृहों (दाचों) से लगे िनजी भूखडं ों पर काम करने में जुटे थे वैसा
भारत-ूसी चीज़ बंधन: यूरोिपयन गुणव्ा वाली चीज़ भारतीय रे ां और होट स में शािमल भारतीय-ूसी दंपि् ारा महारा£ में थािपत एक फैक् ी पाश्चात्य शैली का चीज़ बनाती है और े होटल व रे टोरेंट इसकी ग्राहक सूची में शािमल हैं। अलेक्सां ा कात्स आरआईबीआर
अहा चीज़ कह! और चाूद्ा बाबर व उनकी पत्नी ओ गा की कहानी आपको बैठने और ध्यान लगाने पर मजबूर कर देगी। जहां ूसी और भारतीय अिधकारी भारतीय दुग्ध उत्पादों, िजनमें चीज़ भी शािमल है, को ूस में उपभोा तक पुचाने के िलए कड़ी मेहनत कर रहे ह, वहीं यह दंपि् जो मूलतया ड्ने ोपे ोव क से है, मुबं ई से 250 िकलोमीटर दूर सतारा में अपनी फैक् ी में कोरोना डेयरी ांड के तहत यूरोिपयन गुणव्ा वाला चीज़ बना रहा है। चीज़ के ित बाबर की दीवानगी गुजरात में बीते उनके बचपन से जुड़ी है, जहां उनके िपता गुजरात सहकारी दुग्ध िवपणन संघ (गुजरात कॉपरेिटव िम क माके्िटग फेडरे श े न, जीसीएमएमएफ) िजसे हर कोई अमूल, भारत में सबसे बड़ा डेयरी उत्पाद िनमा्ता, के ूप में जानता है। बाबर कहते ह “मेरा चीज़ से सबसे पहला पिरचय डॉ. ए.के. चौधरी ने करवाया था, वो भारत में चीज़ के
अग्रणी थे। उन्होंने अमूल के िलए भी काम िकया था। उन्होंने मेरे िदमाग में उस समय वह िवचार रख िदया और इसी वजह से आज मैंने यह शुू िकया।” आज वे चौधरी चीज़ बाजार से ितयोिगता कर रहे ह, नोएडा ि थत कंपनी वह कंपनी िजसकी थापना डॉ. ए.के. चौधरी ने की थी। बाबर ने चीज़ फैक् ी की थापना 2006 में की थी और उसके तुरत बाद उन्होंने ऑ िे लया की या ा की जहां उन्होंने चीज़ िनमा्ण में एक त्विरत
बड़ी फैक् ी है जहां त्येक िक्रया के अलग ्े है।” ओ गा ने इस यवसाय में अपने पित के साथ करीब तीन साल पहले जुड़ीं जब उन्ह यह महसूस ुआ िक एक गृिहणी का जीवन उनकी महत्वकां्ा को संत ु नहीं कर पाएगा। भारत आने से पहले ओ गा ड्ने ोपे ोव क में एक बड़े पाइप संयं में गुणव्ा िनयं ण िवभाग में काम कर चुकी थीं। पाइप से चीज़ तक की या ा ओ गा के िलए उतनी मुि कल नहीं रही क्योंिक
पाश्चात्य शैली के चीज़ की िह सेदारी भारत में कम है
भारत में अनुमािनत 237 िमिलयन डॉलर का चीज़ माकट है
िश्ण ा िकया िजसने उनकी फैक् ी में िनिम्त चीज़ की गुणव्ा उ्त करने में उनकी मदद की। तीन साल बाद कोरोना डेयरी फैक् ी का िव तार करने में स्म थी और उन्होंने उ गुणव्ा वाले िनयं क थािपत िकए।
नई चीजों को सीखना उनका शौक है। ओ गा कहती ह “ त्येक कार चीज़ पिरप होने के िलए अलग समय की मांग करता है। कुछ चीज़ महीने या तीन महीने में पिरप होते ह तो कुछ कई साल भी लेते ह।” फैक् ी में कम्चािरयों और िक्रया को िनयंि त करने के अलावा वे कोरोना चीज़ मिहला “जब मैं पहली बार यहां आई तो फैक् ी डेयरी द्वारा बनाए जाने वाले 20 से ज्यादा महज दो छोटे कमरों में ही ि थत थी” तरह के चीज़ में त्येक के िलए समुिचत ओ ग कहती ह, “आज हमारे पास एक समय लगने के िलए िजम्मेदार होती ह।
आरआईबीआर
िपछले कुछ समय से भारत के िव्ेषकों को ूस और पिक तान के बीच संबधं ों के िवकास, और खास कर इ लामाबाद को ूसी अ ों की िबक्री को लेकर ूस-चीन-पािक तान की भारत िवरोधी ‘धुरी’ की संभावना का भूत सता रहा है। सुिविदत है िक चीन और पािक तान के बीच गहरे ‘सदाबहार’ सं बं ध है और उधर
दे, इसी ल य से रोज समाचार माध्यमों में ‘कंगाल ूस’ द्वारा पािक तान को तरहतरह के घातक अ बेचने की खबर देखी जा सकती ह। सच कह तो अभी तक सरकारी तर पर ूस द्वारा 4-5 एम आई-35 हमलावर हेलीकाप्टर बेचने की पुि की गयी, िजनका इ लामाबाद अफगािन तान की सीमा से लगे ्े में आतंकवािदयों के िखलाफ उपयोग करने का वायदा करता है। इस वष् की अपनी ूस या ा के दौरान पािक तानी र्ा मं ी ख्वाजा आिसफ और सेनाध्य् जनरल रहील
अलेक्सेई ल सान आरआईबीआर
अग त के शुुआत में, ूस ने संय ु रा£ में 1.2 िमिलयन वग् मीटर पानी में डबे ्े , जो तट से 350 समु ी मील से अिधक तक िव तृत है, पर दावा करने के िलए एक पुनरीि्त आवेदन दािखल िकया है। िवदेश मं ालय की साइट पर पो ट की गई एक घोषणा के अनुसार, “इस ्े पर अपने दावे को न्यायोिचत करार देने के िलए ूस ने वै्ािनक डाटा का एक बड़े संग्रह का उपयोग िकया है, िजसे आक्िटक शोध के कई सालों के दौरान एकि त िकया गया है।“ इस पानी में डबे ्े पर दावे के संभािवत आिथ्क लाभ अगणनीय ह। रिशयन िे सडिशयल एकेडमी ऑफ नेशनल इकॉनोमी एंड पिब्लक एडिमिन श े न (आरएएनईपीए) में म व सामािजक नीित के ोफेसर वेरा मो को्वा कहते ह, “लाप्टेव समु , जहां पहले ही यह सािबत हो चुका है िक इसकी सतही चानों पर एक हीरों नहर है, जो ूस को हीरे के उत्पादन में अन्य देशों के साथ और अिधक ितयोगी बनाएगा।” मो को्वा, जो िक उ्री एवं मूलिनवासी मामलों पर सीनेट सिमित के अध्य् के सहायक भी ह, कहते ह िक ूस ने 2001 में इस ्े के एक छोटे िह से लोमोनोसोव िरज का कब्जा हािसल करने के िलए आवेदन िकया था। उ्री समु पर यह सामूिहक दावा भूगभ्िव्ािनयों की इस सामूिहक राय पर आधािरत है िक यह समु तल लगभग 30 ितशत िबना खोजे ाकृितक गैस भंडार और 15 ितशत तेल भंडार को समािहत िकए ुए है।आवेदन प में ूस का दावा लोमोनोसोव िरज, अ फा िरज एवं छुकछी कैप, तथा पोद्वोदिनक और छुकछी समु ी बेिसन को अलग करने वाले इलाकों पर है। संय ु रा£ के उप वा फरहान हक के अनुसार ूस के
आवेदन की िनकट भिव य में िक्रयागत कारणों से समी्ा नहीं की जाएगी, परतु फरवरी-माच् 2016 में कमीशन के 40वें सेशन के अ थायी एजेंडे में इसे शािमल िकया जाएगा। यूएफएस इवे टमेंट कंपनी के मुख्य िव्ेषक एलेक्सेई कोजलोव कहते ह “तट की सीमा को बढ़ाने का िनण्य केवल भौगोिलक और आिथ्क कृित का ही नहीं है, बि क इसके राजनीितक मुा बनने का जोिखम भी है।” कोजलाव कहते ह िक ूस और पिम के बीच बढ़ते तनाव के मेनजर तट की सीमा के बढ़ाने का अंितम िनण्य कई अन्य दूसरी बातों की आड़ में टाला जा सकता है।” आक्िटक ्े की कीमती जमा के कारण ूस के दावे का कनाडा और अमरीका जैसे देशों द्वारा िवरोध करने की आशंका है। िवदेश मामलों की यूएस हाउस कमेटी के अध्य् एड रोयसी का कहना है िक अमरीका को इस मामले में ूस के िखलाफ खड़े होने के िलए तैयार होना चािहए। रोयसी कहते ह “अमरीका और अन्य आक्िटक सीमान्त देशों को इस महत्वपूण् ्े में मा को की आक्रामक महत्वाकां्ा के िवुद्ध एक संय ु मोचा् अव य ही तैयार करना होगा।” पया्वरणिवदों का मानना है िक िविभ् देशों की महत्वकां्ाएं आक्िटक के िलए खतरा बन रही ह। ग्रीनपीस रिशया एनजी् ोग्राम के िनदेशक लािदमीर चुपरोव कहते ह, आक्िटक की बफ् का िपघलना उ्री समु में बड़े मुहानों को खोल रहा है और उसे भेद्य बना रहा है। िवदेश मं ी सेगईे् लावरोव ने कई बार इस बात पर जोर िदया है िक आक्िटक को सैन्य आडबर से बाहर रखना आव यक है। वे कहते ह “हमें यह वीकारना होगा िक इस ्े में हमारे सारे कृत्य अंतररा£ीय कानून की संरचना के तहत िनयंि त होने चािहए।” वे आगे कहते ह, “ज द या देर से, हालांिक मुा अिधकांशतया सकारात्मक तरीके से सुलझने की उम्मीद है। ूस लगातार आक्िटक को सैन्य आडबर और खेलों से बाहर रखने पर जोर देता रहा है।
उत्पादन भी भारत में ही िकया जाएगा। यह ूसी-भारतीय संय ु कंपनी नागपुर के िनकट महारा£ में अपना हैिलकॉप्टर-कारखाना लगाएगी। महारा£ की सरकार ने इस कारखाने की थापना करने के िलए 117 हैक्टेयर से ज्यादा भूिम अलॉट कर दी है। यह भारत का सबसे बड़ा वायु-अंतिर् पिरसर होगा। ’इकनॉिमक टाइम्स’ के अनु सार ’िरलायंस िडफेन्स’ के ितिनिध ने बताया - यह भारत की पहली ऐसी पिरयोजना है, िजसमें एक ही जगह पर हैिलकॉप्टर के िनमा्ण से संबिं धत सभी चरणों को पूरा िकया जाएगा यानी हैिलकॉप्टरों का िडजाइन बनाने से लेकर उनकी जुड़ाई (एसेम्बिलंग) और परी्ण तक का सारा
काम इसी पिरसर में पूरा िकया जाएगा। इसके अलावा यह बात भी उेखनीय है िक भारत में पहली बार कोई िनजी कंपनी सैन्य-हैिलकॉप्टरों का उत्पादन करेगी।भारत का र्ा मं ालय इन हैिलकॉप्टरों का इ तेमाल िसयािचन िहमनद पर सेना को उतारने और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में कार्वाइयां करने के िलए करना चाहता है। इसी साल फरवरी में र्ा मं ी मनोहर परी्कर ने कहा था िक सरकार ने िवदेशी हैिलकॉप्टर उत्पादकों के सामने यह ताव रखा है िक वे भारत में संय ु ूप से 338 बुउेशीय हैिलकॉप्टरों का उत्पादन कर, िजनका उपयोग नागिरक और सैन्य उे यों से करना संभव हो। सन् 2014 के अंत में ूस के आयुध उद्योग के िलए उ्रदायी ूस के उप धानमं ी िदिम ी रगोिज़न ने इस संभावना की घोषणा की थी िक ूस और भारत िमलकर के० ए० - 226 टी० हैिलकॉप्टरों का संय ु ूप से उत्पादन कर सकते ह। इस िक म के हैिलकॉप्टरों का उत्पादन ूस में सन् 2016 के िलए तय िकया गया है। के० ए० - 226 टी० - बुउेशीय हैिलकॉप्टर के० ए० - 226 का ही नया ूप है। 3.6 टन वजनी यह हैिलकॉप्टर 250 िकलोमीटर ित घंटे की रफ्तार से 1050 से 1100 िकलोग्राम तक वजन अपने केिबन में रखकर या लटका कर कहीं भी पुचा सकता है।
ृि से) और ऐसा जोड़ीदार बताया जो न केवल र्ा के ्े में बि क ऊजा् समेत अनेक ्े ों में सहयोग का इच्छुक है। परतु इस बयान के अंग्रज े ी अनुवाद में उसे ूस का दि्ण एिशया में ‘घिनतम जोड़ीदार’ बताया गया है। मतलब भारत सामिरक जोड़ीदार न रहा? इसीिलए तो ूसी दूतावास को पीकरण करना पड़ा। आजकल भारत और पािक तान दोनों ही ूस और चीन की अगुआई वाले शंघाई सहयोग संगठन की पूण् सद यता ग्रहण करने की िक्रया से गुजर रहे ह। उेखनीय है िक इस ्े ीय संगठन का मुख ल य आतंकवाद, अितवाद और पृथकतावाद से संघष् है, जो खुद भारत के िलए िसरदद् बने ह। परतु अब पािक तान को भी इस आम ल य के
ित अपनी वफादारी को िसद्ध करना होगा। जहां तक ूस और चीन की बढ़ती यारी का सवाल है तो उसमें कोई नयी चीज अभी तक नजर नहीं आयी, जो ऊजा् पाइप लाइनों के समझौते संप् िकये गए ह वे दशकों से तैयार िकये जा रहे थे। यूक्रने के संबधं में लगे अमेिरकी ितबंधों के बावजूद चीन के साथ संबधं ों में ूस ने कुछ भी ऐसा नहीं िकया जो उसके अपने िहतों के िखलाफ हो। उदाहरण के िलए यूरिे शया में ‘एक सड़क-एक पी’ की चीनी पिरयोजना के मुकाबले में ूस सभी िदशा को जाते एक नहीं, अनेक मागो्ं की वकालत करता है। यह भारत और ूस के सहयोग की संभावना को और बढ़ाते ह।
नई ूसी-भारतीय संयक्त ु कंपनी 200 की संख्या में के० ए० - 226 टी० सैन्य-हैिलकॉप्टरों का उत्पादन करेगी। इस कंपनी में िरलायंस ग्रुप की िह सेदारी 51 ितशत होगी। ये गेिनया करमािलतो तास समाचार सिमित
कोरोना डेयरी ांड के सं थापक चाूद्ा बाबर व उनकी पत्नी ओ गा फैक् ी का वत्मान उत्पादन करीब 9 से 10 टन है, जबिक सिद्यों में, िजसे की े सीजन माना जाता है, यह बढ़ कर 16 टन तक पुच जाता है। कोरोना डेयरी की उत्पाद ंखला में अन्य के साथ ही मोजोरेला, छेडर, पामे्सन, गौडा, इम्मेंटल, इडम, िरकोा और मा करपोन चीज़ शािमल ह। चीज़ को िवतरकों के माध्यम से अहमदाबाद, सूरत, मुम्बई, पुणे और को हापुर में रे ां और होट स में बेचा जाता है। कोराना ने फॉच्यू्न ग्रुप ऑफ होट स के साथ गठबंधन िकया है और ीिमयम चीज़ को मुम्बई के मुख होटल िजनमें द ताज, द ाइडट, हयात और जे डब् यू मैिरअट शािमल ह, को आपूित् करता है। बाबर बताते ह िक कुछ समय पहले तक गोवा, जहां कोराना डेयरी का अपना िवपणन तं है, कंपनी के िलए सबसे बड़ा बाजार था। हालांिक, िपछले सीजन में ूसी पय्टकों के आगमन में बड़ी िगरावट ने वहां चीज़ की िबक्री को भािवत
िकया है। सं कृित चीज़ लाइसेज के भारतीय सुपरमाके्ट में उतरने से पहले तक भारत में पनीर को ही चीज़ के ूप में जाना पहचाना जाता था। ्ान िरसच् एवं एनािलिटक्स की 2014 की एक िरपोट् के मु तािबक भारत में अनुमािनत 237 िमिलयन डॉलर का चीज़ माके्ट है और इसमें 20 ितशत वािष्क बढ़त के अनुमान के साथ इसके 2018 में 590 िमिलयन डॉलर तक पुचने की उम्मीद है। हालांिक पाात्य शैली के चीज़ सेग्मेंट की िह सेदारी भारत में अभी भी बुत कम है क्योंिक बड़ी िह सेदारी सं कृत चीज़ िनमा्ता जैसे अमूल, पराग िम क फूड्स (“गो” ां ड ), ि टे िनया इड ीज और मदर डेयरी द्वारा ले जाती है। कोरोना डेयरी पाात्य शैली के चीज़ िगने चुने िनमा्ता में शािमल ह जो आला ग्राहक, पांच िसतारा होट स, कॉिन्टनेंटल रे टोरट्स एवं िव तारकों को सेवाएं दे रहा है।
ूस-चीन-पािक तान का संबध ं : िकतना सच और िकतना झूठ अमेिरकी ितबंधों की पृभूिम में चीन के साथ गहराती ूस की दो ती के साथसाथ इ लामाबाद के साथ मा को के संबधं ों के िव तार के कारण ऐसी िचंता जायज लग सकती है। ूस ने अब तक हर मुसीबत में भारत का साथ िदया और हमारी सुर्ा को मजबूत बनाने में उसका योगदान अतुलनीय है। असिलयत यह है िक भारत में एक शिशाली अमेिरका समथ्क लॉबी है जो चाहती है िक मोदी-सरकार चीन को घेरने के िलए अमेिरकी िशिवर में जाकर ूस से हिथयार खरीदना बंद कर
14 साल बाद, ूस आक्िटक की महाीपीय चट्टानों के बाहरी ्े की अपने देश भूिम से लगे इलाके पर अपने दावे को पुनजी्िवत करने के यास कर रहा है।
भारत में पहली बार बनेगा ूसभारत का संय ु सैन्य-हैिलकॉप्टर
िवचार
िवनय शुक्ला
उत्साह सोिवयत संघ के िवघटन के बाद मैंने पहली बार देखा। आय् नहीं िक यूरोपीय संघ देशों द्वारा ूस के कृिष उत्पादों और दुग्ध-पदाथो्ं पर ितबंध के बावजूद मा को में सुपरबाजार, माल तथा छोटी-बड़ी आम दुकानें सिब्जयों, फलों, दुग्ध-पदाथो्ं, अंडों, मांस-उत्पादों से अटे पड़े ह और उपभोा को पहले से स ते दामों में उपलब्ध ह। एक सरकारी आकलन के अनुसार, देश में िजस तेजी से इनका उत्पादन बढ़ा है, उससे उनका इस वष् आयात 45 अरब डालर से घटकर 25 अरब डालर रह जायेगा। इस संबधं में, सवो्पिर ध्यान देने योग्य बात यह है िक पिमी देशों ने जो आिथ्क ितबंध ूस पर लगाये ह, वे एक कार से क्रीिमया के िलए “वरदान” िसद्ध हो रहे ह और उसके चुमुखी आिथ्क िवकास को ही ोत्सािहत कर रहे ह। न केवल ूस बि क क्रीिमया भी उनके इन ितबंधों को एक सुनहरे मौके के ूप में ले रहे ह और ायद्वीप में कृिष, उद्योग, यापार, पय्टन, और औषध-उत्पादन को अिधकािधक िवकिसत करने में जुट गये ह, तािक थानीय अथ् यव था को तेजी से आत्मिनभ्र बनाया जा सके। वाभािवक ूप से उनके इन सकारात्मक यासों के फल वूप कई देश नये यापािरक भागीदारों के ूप में सहयोग करने के िलए आगे आये ह। िन संदहे , इन देशों में भारत पहले थान पर है। िपछले महीनों के दौरान भारत ने क्रीिमया के साथ औषधउत्पादन सिहत िविभ् ्े ों में आिथ्क और यापािरक सहयोग कायम करने और उसे बढ़ाने की िदशा में कई महत्वपूण् कदम उठाये ह। भारत और क्रीिमया के बीच यह सहयोग गत िदसंबर में ुए एक समझौते के अंतग्त काया्िन्वत हो रहा है, िजसे क्रीिमया के गवन्र सेगईे् आक् योनोव और नवगिठत संय ु “भारत-क्रीिमया भागीदारी” के ितिनिध गुल कृपालानी ने ह ता्िरत िकये थे। क्रीिमया ायद्वीप के ूस में पुनरेकीकरण से भारत और ूस के बीच बुआयामी आिथ्क- यापािरक सहयोग में नये दरवाजे खुले ह। इनमें मुख्यतः भारत से ूस को दुग्ध और दुग्ध–पदाथो्ं का तािवत िनया्त सवो्पिर है। इसी महीने एक उ ूसी ितिनिधमंडल इसपर समझौते को अंितम ूप देने के िलए वािणज्य मं ी िनम्ला सीतारमन से िमलने भारत जायेगा।
ूस का आक्िटक पर आिथ्क मोचे् पर िव तार का यास
शरीफ ने ूस से सुखोई एस०यू०-35 लड़ाकू िवमानों सिहत तरह-तरह के अत्याधुिनक अ खरीदने में ूिच दशा्यी, भारत में इससे िचंता होना वाभािवक ही है। परतु इस संदभ् में मुझे ूस के भूतपूव् धानमं ी व० येवगेनी ि माकोव की 1999 में कािशत पु तक की याद आ गयी। ‘उ राजनीित में बीते वष्’ नाम की इस पु तक में उन्होंने िलखा िक 1990 के दशक में पािक तान ने ूस से उस जमाने के सबसे आधुिनक सुखोई एस०यू०-27 लड़ाकू िवमान खरीदने की पेशकश की।
तत्कालीन िवदेशमं ी अं ईे कोिज़रेव ने पािक तान के साथ इस सौदे की अनुमित दे दी, परतु क्रेमिलन ने एस०वी०आर० की राय मांगी। “हमने पािक तानी प् से पूछा, क्या उनके पास इन िवमानों को खरीदने के िलए पैसे ह? उनका जवाब था िक इसके िलए पैसे उन्ह सऊदी अरब देगा। अपने सू ों से जांच के बाद हमें पता चला िक यह सच नहीं था। इस कार, तब हमारी गुचर सेवा ने भारत के साथ ूस के सैिनक-तकनीकी सहयोग को न करने की यापक अंतरा्£ीय सािजश का
भारत और ूस के बीच यह तय ुआ है िक दोनों देश िमलकर इन 200 ह के हैिलकॉप्टरों का उत्पादन करगे। एक उ तरीय सैन्य अिधकारी ने बताया हमें ूस की तरफ से यह औपचािरक जानकारी िमली है िक इस संय ु कंपनी में भारतीय साझेदार के ूप में ाइवेट कंपनी ’िरलायंस िडफेंस’ को चुना गया है। इस कंपनी ने ूसी कंपिनयों िवता् योती र सी’ (ूस के हैिलकॉप्टर) और ’रोस-अबारोन-एक्सपोत्’ (ूसी आयुध िनया्त) के साथ एक ि प्ीय अनुबधं करके ’िरलायंस हैिलकॉप्टस्’ के नाम से एक संय ु कंपनी बनाई है, जो ूसी तोलौजी ा करके ूस से िमले लाइसेंस के आधार पर हैिलकॉप्टरों का उत्पादन करेगी। उन्होंने बताया िक इस संय ु उपक्रम में िरलायंस ग्रुप के 51 ितशत शेयर होंगे और 49 ितशत शेयर ूसी प् के पास होंग।े इसके साथ-साथ ूस के० ए० - 226 टी० हैिलकॉप्टरों के िनमा्ण से संबिं धत सारी टेोलॉजी भी भारत को देगा और कम से कम इस हैिलकॉप्टर के आधे कल-पुजो्ं का
पदा्फाश िकया था,” व० ि माकोव ने िलखा था। क्या इस बार भी यही िक सा तो नहीं है? अब िफर से अफवाहों का बाजार गम् हो रहा है। िसतंबर के पहले पखवाड़े में ूस के नीझनी तागील शहर में अ दश्नी के दौरान िदए गए ूसी उपिवदेशमं ी सेगईे् िरयाब्कोव के बयान पर भारत में इतनी जबरद त ितिक्रया ुई िक नयी िदी में ूस के दूतावास को िवशेष व य जारी करना पड़ा, िजसमें उसने बल देकर कहा िक मा को अपने िविश सामिरक जोड़ीदार भारत की सुर्ा को नुकसान पुचाने वाला कोई कदम नहीं उठाएगा। ी िरयाब्कोव ने पािक तान को ूस का ‘िनकटतम पड़ोसी’ (भौगोिलक
भारत में उत्पादन :के० ए० 226 टी० सैन्य-हैिलकॉप्टर
WEDNESDAY SEPTEMBER 30, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia
समाज वै्ािनक शोधों का दावा – दुिनयाभर में भारत है गित के पथ पर अग्रसर
िव्ान में ूस और भारत साथ यह सहमित हो गई िक िव्ान के ्े में दुप्ीय सहयोग करते ुए यह जूरी है िक न िसफ् उसमें िदलच पी रखने वाली िविभ् सरकारी एजेिन्सयों के ितिनिधयों को आकिष्त िकया जाए, बि क िव्ान में िव्ीय िनवेश करने वाली सं था को भी उसमें शािमल िकया जाए। दोनों प्ों ने अलग से इस बात की भी चचा् की िक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शािमल होने का भारत का िनण्य वै्ािनक-तकनीकी सहयोग के िवकास की नई संभावनाएं खोलता है। एससीओ में भारत को शािमल करने का िनण्य जुलाई 2015 में उफ़ा में ुए एससीओ के सद य देशों के िशखरसम्मेलन में िकया गया।
आपसी संपक् जूरी
ूसी ितिनिधमंडल के नेता िनकलाय तोयवािनन भारतीय ितिनिधमंडल के नेता अरिबन्दो िम ा के साथ। मा को में िसतंबर को िव्ान और ौद्योिगकी के ्े में ूसी भारतीय सहयोग संबध ं ी बैठक ुई, ूसी ितिनिधमंडल के नेता ने सहयोग पर जोर िदया। सेगय े् फ़ेदोतोव
सािबत ुआ है। िवगत 3 िसतंबर को मा को में िव्ान और ौद्योिगकी के ्े में ूसी भारतीय सहयोग संबधं ी कामकाजी-दल की आठवीं बैठक ुई, िजसमें दोनों देशों ने सहयोग के आगे िवकास से जुड़े रा तों और कुछ लंत सवालों पर चचा् की।
आरआईबीआर
वै्ािनक ्े में ूस और भारत को आपस में सहयोग करते ुए करीब दस साल हो चुके ह, लेिकन िपछले कुछ वषो्ं में दो देशों के बीच यह सहयोग काफी सघन ुआ है। ूसी-भारतीय िविवद्यालय एसोिसएशन का िनमा्ण के बारे में िकया गया समझौता और ूसी िव्ान कोष तथा भारत के िव्ान व ौद्योिगकी मं ालय द्वारा अंतररा£ीय वै्ािनक शोध-दलों के िलए संय ु ूप से घोिषत ितयोिगता इस सहयोग का एक मह वपूण् दौर
ारिभक सफलताएं ूसी ितिनिधमंडल के नेता और ूस के िव्ान और िश्ा मं ालय के अंतररा£ीय िवभाग के िनदेशक िनकलाय तोयवािनन ने अंतरसरकारी सहयोग के िवकास पर िवशेष जोर िदया। खास तौर पर ूस के िव्ान और िश्ा मं ालय द्वारा भारत सरकार के िव्ान और ौद्योिगकी िवभाग के साथ िमलकर छह पिरयोजना पर काम िकया जा रहा है और जैव ौद्योिगकी िवभाग के साथ पांच
अन्य पिरयोजना पर काम चल रहा है। इसके अलावा ूसी आधारभूत अनुसधं ान कोष और भारत सरकार के िव्ान और ौद्योिगकी िवभाग के बीच भी सहयोग िकया जा रहा है। इस सहयोग के अंतग्त आधारभूत अनुसधं ान पिरयोजना को समथ्न िदया जा रहा है। इस संय ु िव्ीय योजना के अनुसार ूसी िव्ान कोष 40 से 60 लाख ुबल की ग्रांट देगा और भारत का िव्ान व ौद्योिगकी िवभाग हर वष् 60 लाख ुपए तक की सहायता करेगा। िनकलाय तोयवािनन ने कहा - मैं यह भी बताना चाहता ू िक अगले साल हम अपने आपसी सहयोग की दसवीं जयंती मनाएंग।े और इस साल हमने यह तय िकया है िक हम अपना यह सहयोग और आगे बढ़ाएंग।े इसिलए हमने 25
की जगह 50 पिरयोजना को सहायता देने और उनका समथ्न करने का िनण्य िलया है।
अनुसंधान काय्क्रमों के बीच समन्वय िनकलाय तोयवािनन ने बताया िक िव्ान के िवकास में धन का िनवेश करने वाली िविभ् सं था का भी बड़ी तेजी से िवकास ुआ। अब ूस में इस णाली को आगे जारी रखने की िक्रया चल रही है। भारत सरकार के िव्ान और ौद्योिगकी िवभाग के अंतररा£ीय महकमे के मुख और भारतीय ितिनिधमंडल के नेता अरिबन्दो िम ा ने कहा िक भारत में भी हम आिथ्क िक्रया और वै्ािनक अनुसधं ानों के एकीकरण पर काम कर रहे ह। इस िसलिसले में दोनों प्ों के बीच
बैठक में िव्ीय िनवेश से जुड़े सवालों के अलावा ाथिमक िदशाएं तय करने जैसी वै्ािनक गितिविधयों के समन्वयन पर भी िवचार-िवमश् िकया गया। बैठक के सहभािगयों का कहना था िक अिधक बेहतर पिरणाम ा करने के िलए कामकाजी दलों के सद यों के बीच तथा शोध टीमों के बीच आपसी संपको्ं की संख्या बढ़ाना जूरी है। सब इस बात पर सहमत थे िक इसके िलए िकन्हीं िनित िवषयों पर संगोियों के आयोजन से लेकर वै्ािनकों व छा ों की शैि्क व कामकाजी या ा का आयोजन करने के िविभ् तरीके अपनाए जाने चािहए। बैठक के सहभागी इस बात पर भी सहमत थे िक ये संय ु वै्ािनक पिरयोजनाएं अनुसधं ान के तर को ऊंचा उठाएंगी और काशन की गुणव्ा को बढ़ाएंगी। जैसािक अरिबन्दो िम ा ने जोर िदया - वै्ािनक शोधों के काशन की ृि से भारत इन िदनों दुिनया में बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय शोधों के काशन की संख्या 14 ितशत बढ़ गई है, जबिक िव में कुल शोधों के काशनों में भारत का िह सा 3.8 ितशत है। इनमें सवा्िधक सफल शोध लेख वे ह, जो भारतीय वै्ािनकों ने ूस सिहत अन्य देशों के वै्ािनकों के साथ िमलकर िलखे ह।
अन तसीया मा त्सेवा आरआईबीआर के िलए िवशेष
मा को में साइिकल इ तेमाल करने वालों की संख्या सन् 2014 में जहां िसफ् डेढ़ हजार थी, वहां 2015 में वह बढ़कर दो हजार तक पुच गई है। मा को के मेयर-काया्लय ने यह जानकारी दी। ूस के दूसरे बड़े नगरों में भी लोग वैकि पक पिरवहन के साधन के ूप में साइिकलों का इ तेमाल करने लगे ह। िवशेष्ों का कहना है िक यूरोपीय जीवन-शैली को अपनाते ुए अब ूस में भी साइिकलों का चलन बढ़ रहा है। इजीिनयर आ्ा कं ताितनवा ने बताया िक वे न िसफ् अपने दफ्तर साइिकल से आती-जाती ह, बि क मा को में दूसरे काम भी साइिकल से ही पूरा करती ह। पहले मेरा दफ्तर मेरे घर से साढ़े पांच िकलोमीटर दूर था। मुझे दफ्तर पुचने में 25 िमनट लगते थे। जबिक बस से या मै ो से दफ्तर पुचने में 40
िमनट लग जाते थे। इसिलए मैं साइिकल से ही आती-जाती थी। आ्ा ने बताया िक शहरों में कारों की वजह से साइिकल चलाना मुि कल हो जाता है। लोग कहीं भी अपनी कार खड़ी कर देते है, इस वजह से साइिकल भी नहीं िनकल पाती है। इसके अलावा हमारे यहां साइिकल टड बुत कम ह, जहां हम सुरि्त अपनी साइिकल को खड़ा करके अपना काम करने के िलए जा सकें। िपछले पांच सालों में मा को में साइिकलों की मांग बुत बढ़ गई है। थानीय शासन ने मा को में ऐसे डेढ़ सौ कें बना िदए ह, जहां से साइिकल िकराए पर ली जा सकती है। इस साल के अंत तक साइिकल िकराए पर देने वाले इन कें ों की संख्या बढ़कर 300 तक पुच जाएगी। ूस के हायर कूल ऑफ़ इकोनािमक्स के पिरवहन नीित सम्बन्धी िवभाग के मुख िवशेष् कंसतािन्तन ािफ़मेंका ने कहा - िपछले कुछ वषो्ं से ूस में मोटररिहत पिरवहन के वैकि पक साधन बुत लोकि य होते जा रहे ह। आम तौर पर लोग साइिकलों और पुश-साइिकलों का ही इ तेमाल कर रहे ह। मा को में यह चलन बढ़ रहा है। आम तौर पर युवा वग् ही इनका इ तेमाल
िसगे्य फ़ेदोतोव आरआईबीआर
ूस के रा£पित लदीिमर पुितन ने ि क्स-दल में शािमल सभी देशों के पय्टक-दलों के िलए वीजा णाली को आसान बनाने का ताव रखा है। ूस की राजकीय पिरषद के अध्य्मंडल की पय्टन को समिप्त बैठक में भाग लेते ुए उन्होंने यह ताव पेश िकया। लदीिमर पुितन ने यह याद िदलाते ुए िक चीन के पय्टक-दलों को ूस आसानी से वीजा देता है, कहा - िवदेशी
पय्टकों को ूस की तरफ आकिष्त करने के िलए आगे वीजा- णाली को आसान बनाया जा सकता है। जैसे पय्टक-समूहों को वीजा लेने की जूरत ही न पड़े। यह तरीका उन देशों के सभी पय्टक-दलों पर लागू िकया जा सकता है, िजन्ह हम ि क्स के देश कहते ह। ूस के रा£पित ने बताया िक िफलहाल यह णाली िसफ् चीनी पय्टकों के िलए ही अपनाई जा रही है। लदीिमर पुितन ने कहा - कुल िमलाकर, ूस और दुिनया का अनुभव यह िदखाता है िक वीजा णाली के उदार होने से पय्टकों की संख्या बुत ज्यादा बढ़ जाती है। उदाहरण के िलए उन्होंने इजरायल का नाम िलया, िजसके साथ वीजा णाली के खत्म होते ही ूस आने वाले इजरायली पय्टकों की
िवनय शुक्ला आरआईबीआर के िलए िवशेष
थी, मुझे बाद में पता चला िक वह िसद्ध गीत “हाऊ िबग एंड वाइड इज माई नेिटव लैंड” की धुन थी। जािहर है, रेिडयो मॉ को शीत युद्ध के दौरान पूव-् पिम चार जंग का बड़ा िखलाड़ी था, लेिकन न यह भारत-िवरोधी था और न ही यह भारतीय वा तिवकता पर िटप्पणी करते समय कटु था। यह कहना ज्यादा उपयु होगा िक रेिडयो मॉ को, जो लाखों भारतीयों तक उनकी अपनी भाषा में उन तक पुच रहा था, भारत के ित अपनी िटप्पिणयों में “सहानुभिू त” रख रहा था और इस िवशाल देश की सं कृित, इितहास और सािहत्य के बारे में बताने पर केंि त था।
रेिडयो मॉ को की आवाज हमेशा कानों में गूज ं ती रहेगी रेिडयो मॉ को से मेरा पहला यिगत संबधं 1972 में पड़ा, जब उन्होंने मुझ,े मा को िविवद्यालय के एक छा को, अंशकािलक उोषक सह अनुवादक के तौर काम करने के िलए आमंि त िकया। “इनोवेशािनए” (िवदेश सारण सेवा) के टिडयो “गो टेलरे ािदयो एसएसएसएर” - यूएसएसआर की टेिलिवजन और रेिडयो सारण के िलए राज्य सिमित के 25, प्याित्नत् काया ीट पर लाल चौक और क्रेमिलन से पैदल दूरी पर ि थत शानदार भवन में थे। अपने वैभव के िदनों में यह देश के सभी कोनों पर ि थत शिशाली ांसमीटरों की मदद से िव की 84 भाषा में काय्क्रम सािरत करता था। सोिवयत संघ के िवघटन के बाद राज्य चार के िवशाल तं को नकदी के
अभाव में तोड़ िदया गया; कई भाषा में सारण, िजसमें ्े ीय भारतीय भाषाएं भी शािमल थीं, को बंद कर िदया गया। हांलािक पुनग्िठत, ”वॉयस ऑफ रिशया” या “रेिडयो ूस” अपना सारण िहदी, उदू् और बंगाली में जारी रखे था तािक वह तीन बड़े दि्ण भारतीय देशों भारत, पािक तान और बांग्लादेश तक पुच सके। “रेिडयो ूस” के ूप में नए नाम के साथ मॉ को रेिडयो ने “वॉयस ऑफ रिशया” के मीिडया वृहदगुच्छ ”रोि सया सेगोद्न्या” में िवलय से पहले तक िहदी और उदू् में सारण जारी रखा था, िजसने 10 नवंबर 2014 में रेिडयो पूतिनक के साथ अपना म टीमीिडया मंच पूतिनक न्यूज शुू िकया। यह रेिडयो एफएम, िडिजटल रेिडयो सारण डीएबी/ डीएबी+ के साथ ही मोबाइल फोंस और इटरनेट पर उपलब्ध था। हालांिक, 4 फरवरी 2015 को रेिडयो पूतिनक द्वारा िहदी सारण बंद करते ुए एक युग पर िवराम लगा िदया गया जो िद्वतीय िव युद्ध के चरम पर तब शुू ुआ था जब जम्न सेनाएं टािलनग्रेड पर कब्जे के िलए आगे बढ़ रही थीं। जो भारत के सामान्य लोगों की सोिवयत यूिनयन, ूस के साथ एक लंबे िर ते की शुुआत थी। सैकड़ों भारतीय शहरों, क बों और गावों रेिडयो मा को के ोता के क्लब थे जो िपछले वष् तक िदी में सालाना अपने पसंदीदा रेिडयो के संपादकों से िमलते थे। पर अब यह िर ता खत्म हो चुका है। 2009 में ूस की िवदेश सारण की 80 वीं वष्गांठ के मौके पर “आवाज, जो दुिनयाभर की जानी पहचानी है” िकताब जारी की गई थी। अब जबिक, रेिडयो मॉ को नहीं बचा है; आकाश में इसकी आवाज की कमी खलेगी।
ूसी समाज क्या चाहता है? इटरनेट सेंसरिशप या इटरनेट का िवकास
िपछले पांच सालों में मा को में साइिकलों की मांग बुत बढ़ गई है। करता है, जो व थ जीवन-शैली और पया्वरण पर जोर देता है। ािफ़मेंका ने बताया - ूस में यह चलन यूरोप से आया है। एिशया में तो लोग इसिलए साइिकलों का इ तेमाल करते ह क्योंिक वे महगी कारे नहीं खरीद सकते ह। यूरोप के शहिरयों के िलए कार खरीदना कोई सम या नहीं है। लेिकन यूरोप के शहरी यि को जो कुछ भी चािहए होता है, वह उसके आसपास ही होता है, बस 3 से 5 िकलोमीटर की दूरी पर। और यह दूरी आराम से साइिकल से पार की जा सकती है। पैदल जाना पड़े तो ये जगह दूर पड़गी और अगर कार से जाना हो तो
महगी पड़गी। पै ोल के अलावा पािक्ंग का भुगतान भी करना होगा। िसटी बस से जाने के िलए उसका इतजार करना पड़ेगा। ािफ़मेंका ने कहा - ूस के नगर तथाकिथत ’सोिवयत ढग’ से बसे ुए ह। शहर के कें में ही दफ्तर और काया्लय बने ुए ह। वहीं मनोरजन कें भी ि थत ह और उनसे दूर शहर में चारों ओर आवासीय मौहे बसे ुए ह। आवासीय मोहे से शहर के कें की दूरी 10 से 20 िकलोमीटर होती है। इसिलए शहरी लोग पिरवहन के मुख्य साधन के ूप में कहीं आने-जाने के िलए साइिकल का इ तेमाल नहीं करते।
ि क्स पय्टकों को आकिष्त करने के िलए वीजा आसान िवदेशी पय्टकों को ूस की तरफ आकिष्त करने के िलए रा£पित लदीिमर पुितन ने ि क्स देशों के पय्टक के िलए वीजा णाली को आसान बनाने का ताव रखा है
1965 यु के दौरान अपनी िन प्ता बरकरार रखते ुए गलत खबरों का सारण रोकने वाले मा को रिडयो ने भारतीय ोता का िवश्वास जीत िलया
यह 50 साल पहले िसतंबर का व था, जब इ लामाबाद ने भारत से जम्मू एवं क मीर को हड़पने के िलए असफल ऑपरेशन िज ा टर छेड़ िदया था और कई भारतीय हवाई िठकाने पािक तानी हवाई सेना द्वारा िनशाना बनाए गए। ऑल इिडया रेिडयो के िदी ए और बी टेशन के मीिडयम वेव ॉडका ट को शाम से सुबह तक बंद करने के आदेश िदए गए तािक वे हमलावर पािक तानी हवाईजहाजों के िलए माग्दश्क काशदीप नहीं बन सकें। लगातार िदन-रात भयावह युद्ध के दौरान समाचारों का एकमा ोत शॉट्ववे सारण था । शॉट्ववे पर एक भी दो ताना टेशन को पकड़ पाने में नाकाम और हताश होने पर मैंने दोबारा मीिडयम वेव की राह पकड़ी और एक साफ और फुती्ली आवाज सुनीः यह रेिडयो मॉ को है! तब से ही पािक तानी, चीनी रेिडयो टेशन्स के चार और दु चार के बीच एक तरफ बीबीसी व ड् सिव्स और दूसरी तरफ ऑल इिडया रेिडयो के बीच रेिडयो मॉ को िन प् ूप में उभरा और गलत खबरों को सािरत करने से बचते ुए इसने भारतीय ोता का िवास जीत िलया। मुझे अच्छी तरह से याद है िक युद्ध के दौरान हमारे पड़ोिसयों के साथ हम रेिडयो मॉ को ट्यून इन करते थे िजस ूस के रणनीितक समाज िवकास में सबसे पहले इसकी शीष्क धुन आती कें की नगर-िवशेष् रादा कं तांितनवा ने कहा - ूस में इन िदनों साइिकल इ तेमाल करने के बढ़ते चलन को िवशेष् इसीिलए यूरोपीय जीवन-शैली से आया एक फैशन मानते ह। यह फैशन और यह जीवन-शैली वे लोग अपना रहे ह जो हफ्ते - दो हफ्ते के िलए अम्सटड्म या िवयेना जैसे शहरों में रह आए ह। मनु य के िलए बनाए हए आरामदायक शहरों में रहने के बाद वे लोग वही जीवन-शैली मा को में भी अपनाना चाहते ह, जो वहां देखकर आए ह। नगर-िवशेष् रादा कं तािन्तनवा को अमरीकी और ूसी िवशेष्ों ारा इस बात पर जरा भी िवास नहीं है संयक्त ु ूप से तुत एक िरपोट् में िक साइिकल मोटर-कार की जगह ले बताया गया है िक 49 ितशत ूसी सकती है। िफलहाल ज्यादातर लोग जनता इटरनेट में सेंसरिशप की मोटर-गािड़यों के बीच साइिकल चलाना िवरोधी नहीं है। खतरनाक समझते ह क्योंिक कारों की पीड बुत ज्यादा होती है और कोई येकतेिरना िसनेलिशकोवा दुघट् ना हो सकती है। इसके अलावा ूस आरआईबीआर के िलए िवशेष में जाड़ा बुत ठडा और बफी्ला होता करीब 49 ितशत ूसी जनता का है। इस तरह पिरवहन के इस वैकि पक मानना है िक इटरनेट में सािरत साधन साइिकल का इ तेमाल िसफ् सूचना को सेंसर िकया जाना चािहए गिम्यों में ही िकया जा सकता है। इसके और ूस के 58 ितशत नागिरक िकसी अलावा मा को में कार का होना आज रा£ीय तर का खतरा पैदा हो जाने पर भी सफलता और सम्मान का सूचक इटरनेट के ूसी िह से को पूरी तरह समझा जाता है। से बंद कर देने के िवरोधी नहीं ह। यह जानकारी ूसी सामािजक जनमत अध्ययन कें की सहायता से अमरीका की पेनसालवेिनया यूिनविस्टी के वैिक संचार इटरनेट नीित वेधशाला िवभाग द्वारा तुत - ’समाज क्या चाहता है - इटरनेट को िनयंि त करने का ूसी जनता का यास’ नामक िरपोट् में दी गई है। ूसी जनता में इटरनेट में सािरत िजस सामग्री को जा सकता है। भारत में करीब 30 करोड़ खतरनाक बताया है, उसमें पोनो्ग्राफी िनवासी मध्यवग् के ह। हम सचमुच (59 ितशत), सरकार िवरोधी दश्न के बेहद खुश होंगे यिद भारतीय पय्टक आयोजनों से जुड़े सोशल वेबसाइटों में भी ूस की या ा कर। ूस की कें ीय सिक्रय गुट (46 ितशत) और िविडयोपय्टन एजेंसी के संचालक ने कहा-अगर ग्रुप ’पूसी राइट’ (46 ितशत) आिद का कुछ औपचािरकता को आसान बना नाम शािमल है। वैिक संचार अध्ययन िदया जाए और ि क्स देशों के साथ वीजा कें के िनदेशक मोनरो ाइस ने इस णाली को खत्म कर िदया जाए तो इससे िरपोट् में कहा है िक इटरनेट की वतं ता हमें अपनी पूरी ्मता से काम करने की के िलए की जा रही कोिशशों की ृि संभावना िमलेगी। से यह पिरणाम काफी िनराशाजनक है। ि क्स दल में ूस के अलावा चीन, यह िरपोट् िवगत फरवरी में कािशत भारत, ाजील और दि्णी अ ीका ुई थी, लेिकन ूसी मीिडया में इसके शािमल ह। इनमें से कुछ देशों के िलए बारे में चचा् िसफ् अग त के शुू में ही ूस में पहले ही वीजारिहत णाली सामने आई। लेिकन िफर भी जैसािक लागू है। ाजील और चीन के नागिरक ’आरआईबीआर’ के सम् एक अन्य पय्टक-दलों के ूप में सन 2000 से ूसी जनमत शोध सेवा ’लेवादा कें ’ िबना वीजा िलए आजादी के साथ ूस ने पुि की - इटरनेट में सेंसर के बारे आ सकते ह। में आज भी ूसी जनता का यही मानना
ूस का अनूठा साइिकल मे - साइिकल अब पिरवहन का साधन और जीवनशैली का िह सा भी ूस में मोटररिहत पिरवहन के वैकि पक साधन बुत लोकि य होते जा रहे हैं। यूरोपीय जीवन-शैली को अपनाते ुए अब ूस में भी साइिकलों का चलन बढ़ रहा है।
वॉइस ऑफ रिशया: आकाश में िवलीन, द वॉइस, नोन टु द व ड्
संख्या बढ़कर दोगुनी से भी ज्यादा हो गई। तुकी् और दि्णी कोिरया के साथ भी यही ि थित है। ूस के रा£पित ने कहा - इसके साथ-साथ यह भी जूरी है िक ूस में आराम करने की संभावना का जमकर
उदार वीजा णाली से बढ़ेगी पय्टकों की संख्या चार िकया जाए। देश के भीतर भी और देश के बाहर भी इस बारे में खूब चार होना चािहए। इसके िलए मीिडया के साथ-साथ नई सूचना तोलौिजयों का भी इ तेमाल िकया जाना चािहए और
ूसी पय्टन- थलों व पय्टन सेवा के बारे में िव तार से जानकारी दी जानी चािहए। लोगों को, चाहे वे ूसवासी हों या िवदेशी यह संभावना िमलनी चािहए िक वे हमारे देश की पय्टन-्मता से जब भी वे चाह, तुरत पिरिचत हो जाएं। इससे पहले ूस की कें ीय पय्टन एजेंसी के संचालक अलेग सफ़ोनफ़ ने टेलीचैनल ’रि सया-24’ को इटरर यू देते ुए बताया िक चीनी पय्टकों ने िपछले साल ूस की या ा करने के सभी िरकाड् तोड़ िदए ह। िपछले साल चीन के दस लाख से ज्यादा पय्टकों ने ूस की या ा की और भारत से भी ऐसे ही बड़ी संख्या में पय्टकों के ूस आने की आशा की जा सकती है। उन्होंने कहा िक भारतीय पय्टकों को भी ऐसे ही बड़ी संख्या में ूस की ओर आकिष्त िकया
ूस इटरनेट को सीिमत करने का प्धर नहीं है। है। इसमें एक आध ितशत लोगों का मत ऊपर-नीचे हो सकता है। ’लेवादा कें ’ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अूबर, 2014 में 54 ितशत ूसी जनता इटरनेट में सािरत सामग्री को सेंसर करने के प् में थी। ’ले वादा कें ’ के िव्े ष क िदनीस वो कफ़ ने बताया - लेिकन ये लोग बाल-पोनो्ग्राफ़ी जैसी सामग्री पर ही रोक लगाना चाहते ह। जो लोग इटरनेट का इ तेमाल करते ह, उनके िवचार उन लोगों से बुत अलग ह, जो इटरनेट का इ तेमाल नहीं करते। इटरनेट का इ तेमाल न करने वालों के िलए इटरनेट एक अनजाने खतरे का ोत है। उन्ह यह नहीं मालूम िक इस खतरे का सामना कैसे िकया जाए, इसिलए इन लोगों को लगता है िक इटरनेट पर रोक लगाना ही सबसे बेहतर तरीका है। हालांिक पूण् ितबंध की बात करना का पिनक मुा लगता है क्योंिक ूस में संवधै ािनक ूप से सेंसर पर ितबंध लगा ुआ है। इसके अलावा ूस के रा£पित लदीिमर पुितन न जाने िकतनी बार यह बात दोहरा चुके ह िक ूस इटरनेट संजाल को सीिमत
करने का प्धर नहीं है और न ही इटरनेट को पूरी तरह से िनयंि त करने का प्धर है। लेिकन िफर भी, जैसािक ’आरआईबीआर’ को ूसी इलैक् ोिनक संचार एसोिसएशन के मुख िव्ेषक करेन कज़रयान ने बताया - सन् 2012 से इटरनेट सामग्री पर ितबंध लगाने से जुड़ी पहलों में लगातार वृिद्ध हो रही है। सभी पहलें तो कानून का ूप नहीं ले सकती ह, लेिकन इन पहलों का एक बड़ा िह सा, हमारे िवशेष्ों के अनुसार, सुर्ा करने और ितबंध लगाने से ही जुड़ा ुआ था यानी उनमें इटरनेट के िवकास का नहीं, बि क उस पर िनयं ण करने का सवाल ही उठाया गया था। जैसे वष् 2012 में देश में एक ऐसी णाली सामने आई जो िबना िकसी अदालती िनण्य के वेबसाइटों को बंद कर सकती है और इटरनेट संसाधनों के रिज टर पर रोक लगा सकती है। इसके अलावा सन् 2014 से िबना िकसी अदालती िनण्य के ही उन वेबसाइटों को हमेशा के िलए बंद िकया जा सकता है जो उग्रवादी भावनाएं भड़काती ह और दंगे करने की अपील करती ह। लेिकन इसके बावजूद इटरनेट शोध सं थान की रणनीितक पिरयोजना िवभाग की िनदेशक इरीना लेववा का कहना है - उन पिरि थितयों में जब सरकार इटरनेट का िवकास करने की कोिशश कर रही है, इस तरह की िनयं ण की कोिशशें वाभािवक ह क्योंिक साइबर खतरे भी बढ़ते जा रहे ह। उन्होंने कहा - यह िकसी भी देश की सरकार की सीधी िजम्मेदारी है िक वह आधारभूत संरचना और नागिरकों की सुर्ा को सुिनित करे। अमरीका में भी सेंसर पर रोक लगाने वाले संिवधान में पहला संशोधन िकया गया है। वहां सन् 2011 में ’पैि यट अिधिनयम’ वीकार िकया गया, िजसके आधार पर रा£ीय सुर्ा के नाम पर कुछ भी िकया जा सकता है।
WEDNESDAY SEPTEMBER 30, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia
सं कृित
ूसी माता-िपता को पसंद आता है अपने ब ों का साथ, मध्यम वग् और उ मध्यम वग् ब ों की परविरश पर देते हैं िवशेष ध्यान
बेिटयों की परविरश में िपता की अहम भूिमका िपता ही वहन करता है। इन िनयमों के आधार पर देखा जाए तो ूस में यूरोपीय और पूवी् नजिरयों के बीच की ि थित है। ूस में िपता अपनी बेिटयों के साथ एक तरफ तो कड़ाई से पेश आता है, वहीं एक दौर ऐसा भी आता है, जब ूस में बेिटयों को उस समय पूरी आजादी दे दी जाती है, जब लड़िकयां उस आजादी का उपयोग करना नहीं जानती ह। इस का पिरणाम यह होता है िक ूसी लड़िकयों के िलए अपना पिरवार बना पाना किठन हो जाता है।
यूरोपीय नजिरये से देखा जाए तो वहां लड़िकयों की परविरश का तरीका िब कुल ही अलग है, क्योंिक वहां लड़िकयां अपनी आजादी और समाज में अपने समान अिधकार को ज्यादा महत्व देती हैं। मरीना अबरज़कोवा आरआईबीआर
ूस में लड़िकयों से तीन बातों की अपे्ा की जाती है िक उनमें तमीज हो अथा्त वे सभ्य और िश हों, गंभीर हों और िफक्रमंद हों । अगर कोई लड़की इन तीनों बातों पर खरी उतरती है तो उस लड़की को सभ्य माना जाता है। आरआईबीआर ने यह जानने की कोिशश की है िक सोिवयत समय में लड़िकयों की परविरश कैसे की जाती थी और आज के वत्मान ूस में उनका लालन-पालन कैसे िकया जाता है। धीरे-धीरे ूसी लोग ब ों के पालनपोषण और खासकर लड़िकयों की परविरश में वै्ािनक नजिरया अपनाने लगे ह। यिद पहले सोिवयत स्ाकाल में वीकृत िनयमों के आधार पर माता-िपता की भूिमका ब ों के अध्यापक और िश्क िनभाते थे तो आज ूसी लोग खुद अपने ब ों के साथ समय िबताने की कोिशश करते ह। ि थित यह हो गई है िक वे ब ों के साथ संवाद साधने की कला सीखने के िलए मनोवै्ािनक िकताबें पढ़ते ह और िश्ण पाठ्यक्रमों में भी भाग लेते ह। मह वपूण् बात यह भी है िक पुुषों को इस बात का अहसास हो रहा है िक ब ों के लालन-पालन में उनकी भी भूिमका होनी चािहए, जबिक पहले बुत से ूसी पिरवारों में िपता िसफ्
सख्ती और उदासीनता
पुुषों को इस बात का अहसास हो रहा है िक ब ों के लालन-पालन में उनकी भी भूिमका होनी चािहए। नाम के िलए िपता होता था और ब ों के पालन-पोषण में कोई भूिमका नहीं िनभाता था। लेिकन अब मिहला की कई ऐसी पीिढ़यां सामने आई ह, जो उस पारपिरक पिरवार का समथ्न नहीं करतीं, िजसमें पुुष की कोई भूिमका ही नहीं हो।
पूवी् िपता और यूरोपीय िपता जैसा िक मनोवै्ािनक अलीना क योसवा ने समाचारप ’म कोव की कमसामोिलत्स’ की संवाददाता को बताया - लड़िकयों के िवकास में िपता की भूिमका बुत मह वपूण् होती है और यह भूिमका उस समाज की
संरचना पर िनभ्र करती है, िजसमें लड़की की परविरश की जा रही है। यूरोपीय नजिरया यह है िक वहां बेिटयों की परविरश का तरीका िब कुल ही अलग है, क्योंिक वहां लड़िकयां अपनी आजादी और समाज में अपने समान अिधकार को ज्यादा महत्व देती ह। उन्ह
भारतीय िफ म महोत्सव: ूस में एक बुत अच्छा और अनूठा शुूआती मंच 3 से 6 िसतंबर तक मा को में दूसरा भारतीय िफ म महोत्सव संप् ुआ। चार िदवसीय इस महोत्सव के दौरान ूसी दश्कों को भारत की छह नई िफ में िदखाई गईं। ओ गा ममाएवा आरआईबीआर
मा को के भारतीय िफ म महोत्सव के उाटन समारोह में भाग लेने के िलए मुबं ई की मायानगरी से अिभनेता , िफ म-िनदे्शकों और िफ म- ोड्यूसरों का जो ितिनिधमण्डल आया था, उसमें मधुर भण्डारकर, रायमा सेन, रािधका आप्टे, शील कुमार, आयु मान खुराना, तब्बू आिद लोग शािमल थे। भारत में दुिनया का दूसरा बड़ा िफ म उद्योग है, लेिकन इसके बावजूद ूस में भारतीय िफ मों की उपि थित लगभग न के बराबर है। इस महोत्सव के आयोजन का मुख्य उे य ूस में भारतीय िफ़ मों को उतना ही लोकि य बनाना है, िजतनी वे सोिवयत संघ में लोकि य ुआ करती थीं। ूस में भारतीय िफ म महोत्सव के आयोजक सरफराज आलम ने कहा -
तब सोिवयत दश्क चमक-धमक से भरी भारतीय िफ मों को इसिलए पसंद करते थे क्योंिक उनका कथानक हलकाफु का होता था और उनमें हमेशा बुराई पर भलाई की जीत और झूठ पर स ाई की जीत िदखाई जाती थी। िव तर पर भारतीय िफ मों को तुत करने के िलए ूस एक बुत अच्छा और अनूठा शुूआती मंच है। आज की युवा पीढ़ी को हम आज का बालीवुड िदखाना चाहते ह। ूसी दश्कों को हम अपने देश के िफ म-उद्योग के नए चेहरों से पिरिचत कराना चाहते ह। हालांिक भारतीय िफ म महोत्सव के उाटन समारोह की शुूआत में करीब एक घंटे की देर हो चुकी थी, लेिकन िफर भी हॉल ठसाठस भरा ुआ था। एक भी जगह खाली नहीं थी। महोत्सव की महािनदेशक आ्ा गुतकोवा ने कहा मुख्य बात यह है िक आज भी दशकों पहले की तरह ूसी दश्क भारतीय िफ मों को इसिलए पसंद करता है क्योंिक उनमें आम मानवीय मू यों को िदखाया जाता है। वैीकरण और भारी तकनीकी गित के कारण आज जीवन बुत बदल गया है, लेिकन भारतीय िफ मों में आज भी बड़ों के ित सम्मान,
मा को में भारतीय िफ़ म महोत्सव का उद्घाटन समारोह। ब ों के िलए प्यार और पािरवािरक एकजुटता जैसे मू य सुरि्त ह। इन सभी बातों को मािणत करने के िलए ही जैसे िफ म महोत्सव की शुूआत िफ म िनदे्शक शुिजत सरकार की िफ म ’पीकू’ (2015) से की गई। यह िफ म एक िपता और बेटी के िर ते की कहानी है, जो इशारों-इशारों में अपने िर ते के अलावा और बुत कुछ कह
जाती है। िपता और ब ों के बीच होने वाले संघष् से सारी दुिनया पिरिचत है। यहां आज के भारत में यही संघष् िदखाया गया है, िजसे ूसी दश्क बुत कम जानते ह। ूस में यह ’पीकू’ का ीिमयर-शो था। इससे पहले यह िफ म िसफ् भारत में ही िरलीज ुई है। यूरोपीय देशों में िसफ् आयरलैंड में ही यह िफ म िदखाई गई है। शुिजत सरकार ने मा को
बचपन से ही अपने कामों की िजम्मेदारी खुद लेना िसखाया जाता है। जबिक पूरब में िपता पिरवार में मुख थान रखता है। वही लड़की के भाग्य का िनण्य करता है िक उसे क्या करना है, कब और िकससे िववाह करना है। यही नहीं, इन सब िनण्यों के िलए सारी िजम्मेदारी भी
के इस भारतीय िफ म महोत्सव में अपनी दो और िफ में भी तुत कीं, िजनमें से एक का नाम है - ’म ास कैफ’े (2013) और दूसरी िफ म थी - ’िवकी डोनर’ (2012)। शेक्सिपयर की ासद-नािटका ’हेमलेट’ को समकालीन ढग से तुत करने वाले िफ म-िनदे्शक िवशाल भारद्वाज की िफ म ’हैदर’ (2014) के दश्न के साथ ही मा को में इस दूसरे भारतीय िफ म महोत्सव का समापन हो गया। एिशयाई िफ म अकादेमी ने इस साल ’हैदर िफ म को वष् की सव् े िफ म घोिषत िकया है तथा िवशाल भारद्वाज को वष् के सव् े िफ़ मिनदे्शक के तौर पर पुर कृत िकया है। इसके अलावा इस महोत्सव में ज़ोया अ तर की ’िदल धड़कने दो’ (2015) तथा िफ म-िनदे्शक आनंद एल० राय की ’तनु वेड्स मनु िरटन्स्’ (2015) नामक िफ में भी दिश्त की गईं। मा को में ुए इस दूसरे भारतीय िफ म महोत्सव के दौरान ही मुख भारतीय फैशन सं थान ’जे० डी० इ टीट्यूट ऑफ़ फ़ैशन टैोलाजी’ के ाध्यापकों और ातकों ने िमलकर आधुिनक भारतीय िफ म-फैशन शो का भी आयोजन िकया। दश्कों को ऐसी तीस से अिधक मिहला-पोशाकें िदखाई गईं, जो िवशेष ूप से बालीवुड के िलए बनाई गई थीं। इस अवसर पर भारतीय सां कृितक केन् के हॉल में भारत को समिप्त एक फ़ोटो- दश्नी भी आयोिजत की गई थी।
ब न: ूस और भारत को िमलकर िफ में बनानी चािहए अिमताभ ब न ने कहा िक वे ूस से और उसकी जनता से गहरा जुड़ाव महसूस करतें हैं और बुतकुछ ऐसा है जो उनके पिरवार को ूस से जोड़ता है। तास समाचार सिमित
3 से 6 िसतंबर तक मा को में संप् भारतीय िफ म महोत्सव की पूवव् ल े ा में तास समाचार सिमित से बात करते ुए िफ म अिभनेता अिमताभ ब न ने कहा - ूस और भारत को िमलकर िफर से िफ में बनाना शुू कर देना चािहए, जैसा पहले भारतीय और सोिवयत िफ मकार िकया करते थे। बालीवुड की िफ में िफर से ूस में िदखाई जानी चािहए और ूसी िफ में
भारत में। उन्होंने बताया - मैं ूस और भारत द्वारा िमलकर बनाई गई एक िफ म (अजूबा, 1990) में काम कर चुका ू और मुझे बुत मजा आया था। मुझे आशा है िक ऐसी और भी कई िफ में बनाई जाएंगी। जब हमने उनसे पूछा िक ऐसी िकसी िमलकर बनाई जाने वाली िफ म में वे कौन सा रोल करना चाहगे तो उन्होंने कहा िक उन्ह सामान्य भूिमकाएं पसंद ह। उन्होंने कहा - मसलन मैं िकसी ऐसे आम ूसी आदमी का रोल कर सकता ू जो एक तरफ तो सहज और सामान्य आदमी है, लेिकन उसी समय वह अपनी मनमजी् का मािलक है और जो चाहे वह कर सकता है, जो चाहे वह पा सकता है। अिमताभ ब न ने कहा िक वे ूस अिमताभ ब न
से और उसकी जनता से गहरा जुड़ाव महसूस करतें ह और बुत-कुछ ऐसा है जो उनके पिरवार को ूस से जोड़ता है। ूस की यादें हमेशा ही मेरी िजंदगी का एक अहम िह सा रही ह। उन्होंने याद िकया िक कैसे उनके िपता िसद्ध किव हिरवंशराय ब न को लोग ूसी सािहत्य के अनुवादक के ूप में जानते ह। इसके अलावा उनका यह भी मानना है िक ूसी सािहत्य ने भारतीय िफ मकला को बेहद भािवत िकया है। बुत-सी भारतीय िफ में ूसी लेखकों और िवचारकों की रचना से िे रत रही है। ब न कई बार पहले भी यह वीकार कर चुके ह िक उन्ह ूस की या ाएं करना पसन्द है। सन् 2014 में जब सोची में शीत ओलिम्पक खेलों का उाटन
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ुआ था तो वे अपने शंसकों से उस पोट्-सूट में िमले थे, िजसपर रिशया िलखा ुआ था। अिमताभ ने कहा - मैं हमेशा ूस जाने का कोई न कोई यह मौका ढढ़ता रहता ू। सोशल वेबसाइटों पर मैं अपने बुत से ूसी शंसकों के सम्पक् में ू और उनसे बात करके मुझे हमेशा बेहद खुशी होती है। मैं हमेशा यह कोिशश करता ू िक उनकी बातों का जवाब तुरत दे दू।ं 3 िसतम्बर को मा को में भारतीय िफ म महोत्सव उनकी हाल ही में िरलीज ुई िफ म ’पीकू’ से शुू ुआ। अिमताभ ब न का मानना है िक ’पीकू’ को ूसी लोग आराम से समझ सकते ह और यह िफ म ूस में अन्य भारतीय िफ मों के िलए भी रा ता बनाएगी।
मरीया की उ 33 साल है। उसका िववाह नहीं हो पाया क्योंिक उसका मानना है िक िजस तरह के पिरवार में खुद उसका लालन-पालन ुआ है, वैसा ही पिरवार बनाना िफजूल की बात होगी। आरआईबीआर से बात करते ुए मरीया ने कहा - वैसे तो हमारा पिरवार एक आम ूसी पिरवार की तरह ही था। मेरे माता-िपता के बीच तलाक नहीं ुआ। मैं और मेरा भाई िसफ् दो ही ब े थे। पहले मुझे लगता था िक मुझे भी शादी कर लेनी चािहए, लेिकन बाद में मैं समझ गई िक मैं पिरवार नहीं बना सकती क्योंिक मेरे सामने यह साफ नहीं है िक मेरा पिरवार कैसा हो तािक मैं खुश रह सकू।ं मेरी परविरश में और मेरे भाई की परविरश में मेरे िपता ने लगभग कोई भूिमका नहीं िनभाई। हमारा लालनपालन तो हमारी मां ने ही िकया। लेिकन उनके पास भी हमारी देखभाल करने के िलए समय बुत कम होता था क्योंिक मेरे माता-िपता दोनों ही काम करते थे। मुझे याद है िक मुझे हमेशा खुद ही सारे
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लड़िकयों को तमीज़ और िफक्रमंदी िसखाई जाती है मुझसे बातचीत की होती, मेरा ध्यान रखा होता तो मैं भी खुद को पिरवार का एक िह सा ही समझती और बड़े होने के बाद अपना पिरवार बनाने की कोिशश करती। लेिकन आज मुझे अकेले रहना ही ज्यादा पसंद है।
िशता,गंभीरता और िफक्रमंदी ’पिरवार और बचपन’ नामक परोपकारी कोष की संचालक ि वतलाना ूदिनवा ने आरआईबीआर को बताया िक जब ूस में लड़िकयों की परविरश की जाती है तो उन्ह सबसे पहले तमीज, गंभीरता और िफक्रमंदी िसखाई जाती है। अगर लड़की िश है और िफक्रमंद भी है तो पिरवार में और सगे-संबिं धयों में उसकी पूछ होती है। यिद िपता अपनी बेटी
के पहनने-ओढ़ने के ढग से संत ु है तो भिव य में भी उसे कोई तकलीफ नहीं होगी। ि वतलाना ूदिनवा ने बताया पारपिरक ूसी पिरवार में िपता हमेशा ब ों के पालन-पोषण की तरफ पूरा-पूरा ध्यान देता था। वह ब ों को तरह तरह के काम और द तकािरयां िसखाता था, उन्ह खेत में काम करना िसखाता था। लेिकन बाद में सोिवयत स्ा काल में पािरवािरक परपराएं बदलने लगीं क्योंिक माता-िपता दोनों ही काम करने लगे। सोिवयत स्ा काल में सरकार का यह मानना था िक ब े के िश्क ही ब े का पालन-पोषण भी करगे। आज भी ूस में ऐसे पिरवार ह, लेिकन वे ूसी समाज के िनचले वग् से संबधं रखते ह, जहां माता-िपता को ब ों की देखभाल करने की जगह िदन-रात काम में जुटे रहना पड़ता है। लेिकन ूसी मध्यम वग् और ूसी उ मध्यम वग् में ब ों की परविरश की ओर बड़ा ध्यान िदया जाता है। ि वतलाना ूदिनवा का मानना है िक ब ों की घरेलू परविरश न होने की वजह से ही ूस में मनोवै्ािनक सं कृित और िशता का िवकास नहीं हो पाया। ूदिनवा ने बताया िक आजकल ूसी लोग अपने ब ों के मनोवै्ािनक लालन-पालन की ओर ध्यान देने लगे ह और इसके िलए िवशेष िश्ण पाठ्यक्रमों में भी भाग लेते ह। उन्होंने कहा - मैंने यह नोट िकया है िक मां और बाप दोनों अब मनोवै्ािनक िकताबें पढ़ने लगे ह और उन िश्ण पाठ्यक्रमों में गहरी ुिच िदखाने लगे ह, जहां उन्ह यह िसखाया जाता है िक यौन संबधं ों के बारे में अपने ब ों के साथ बातचीत कैसे की जाए।
सा्ात्कार िडिजटल टेलीिवजन के मुख िदिम ी मेदिनकफ़
ूस और भारत िमलकर ्ानवध्क काट्न िफ में बनाएंगे हाल ही में ूसी कंपनी ’िडिजटल टेलीिवजन’ ने भारतीय राजकीय सारण िनगम ’ सार भारती’ के साथ सारण के ्े में आपसी सहयोग के एक ्ापन पर ह ता्र िकए। ूसी कंपनी की क्या योजनाएं ह और भारत के साथ संय ु ूप से िकन पिरयोजना पर काम िकया जाएगा, इस बारे में हमें अिखल ूसी राजकीय टेलीिवजन और रेिडयो सारण कंपनी के उपमहािनदेशक और िडिजटल टेलीिवजन के िनदेशक मंडल के अध्य् िदिम ी मेदिनकफ़ ने िव तार से बताया। कृपया बताइए िक भारत में वेश करते ुए आपने क्या-क्या योजनाएं बनाई ह? भारतीय बाजार में सफलतापूवक ् वेश करने के िलए हमने पहले भारतीय बाजार का भली-भांित अध्ययन िकया, अच्छी तरह से माके्िटग की और िफर तकनीकी ृि से पूरी योजना बनाई। हम चाहते ह िक िविभ् देशों में उनकी रा£ीय सारण कंपिनयों के साथ सहयोग कर। इस ृि से हम सबसे पहले भारत, ाज़ील तथा अ ीका और लाितन अमरीका के देशों की कंपिनयों के साथ ऐसे िडिजटल टेलीिवजन काय्क्रमों का िनमा्ण करना चाहते ह, जो िफ में भारत में आजकल बनाई जाती ह,जो इन दशों के थानीय दश्कों की ुिच के अनुकल ू हों और उन्ह पसंद आएं। हमारा मानना है िक िफलहाल ूसी दश्क इन देशों के िडिजटल काय्क्रमों से अच्छी तरह पिरिचत नहीं है। िजन भारतीय िफ मों और काट्न िफ मों से ूसी दश्क पिरिचत ह और िजन्ह वे बार-बार याद करते ह, वे उन िफ मों से पूरी तरह अलग ह, इन िदनों भारत में बनाई जाने वाली िफ में िव तरीय िफ में होती ह, जो तकनीक, कथा और भाव के तर पर भी अनूठी और अु् होती ह। लगभग यही ि थित िव के बाजारों में ूसी िफ मों और िडिजटल काय्क्रमों की है। ूस
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Russia Direct Report: ‘Decoding Social Transformations in Russia’ This report analyzes the reasons behind the political, social and cultural transformation that is taking place in Russian society and examines what it might mean for the future of Russian foreign policy.
िनण्य लेने होते थे और मैं िकसी की भी सलाह नहीं लेना चाहती थी। हां, यह भी सच है िक िकशोराव था में मेरे िपता हमेशा यह चाहते थे िक मैं एक तयशुदा समय तक शाम को घर वािपस लौट आऊं। लेिकन जैसे ही मैं कुछ और बड़ी ुई, मेरे िपता ने मेरे जीवन में ुिच लेना िब कुल बंद कर िदया। मरीया ने बताया िक आज उसके अपने माता-िपता से बुत अच्छे िर ते ह, लेिकन अपने बचपन की आत्मीय यादें उनके मन में नहीं ह। मरीया ने कहा – काश बचपन में मेरे मातािपता ने मेरा ज्यादा खयाल रखा होता,
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का नाम दुिनया के उन कुछ ही देशों में शािमल है, िजसका एक समृद्ध इितहास है, जो िव्ान, कृित िव्ान और जीव िव्ान के अध्ययन की ृि से बुत आगे है और जहां टेलीिवजन ने भी बुत ूसी और भारतीय दश्कों के िलए ज्यादा िवकास िकया है। संय ु ूप से िकया जाए। काट्न िफ मों के िनमा्ण के बारे में भी हमारा क्या आपने भारतीय बाजार का यही नजिरया है। हम चाहते ह िक कुछ अध्ययन िकया है तािक यह मालूम समय बाद भारत में हमारे अनुरोध पर हो सके िक भारतीय दश्कों को भारतीय काट्न िफ मों का एक बड़ा क्या पसंद आएगा और वे िकन ूसी और मजबूत ांड बनाकर तैयार िकया सारणों में िदलच पी लेंग?े जाए। इस काम को करने के िलए हम भारतीय दश्कों को ूसी काट्न मुख ूसी टिडयोज की सेवा भी िफ में और हमारी ्ानवध्क शैि्क लेंग।े भारत में भी एिनमेशन इड ी िफ में बुत अच्छी लगती ह। हमने काफी िवकिसत है, लेिकन यह काट्न यह योग भी करके देखा है िक उद्योग भारतीय दश्कों के िलए नहीं, कौन-कौन से ूसी धारावािहक और बि क आऊटसोिस्ंग पर काम करता टेलीिफ में भारतीय दश्कों को पसंद है यानी िवदेशी कंपिनयों के िलए काट्न आएंगी। िनय ही भारतीय दश्क िफ में बनाता है। हमें आशा है िक सन् ूसी टेलीिवजन काय्क्रमों को उतना 2017 के शरदकाल में हम भारतीय ही महत्व देना शुू नहीं कर देंग,े और ूसी दश्कों को संय ु ूप से िजतना मह व वे िहन्दी िफ मों को देते बनाई गई पहली काट्न िफ म िदखा ह। लेिकन वे अपने ि्ितज का, अपने सकेंग।े ्ान का िव तार करने के िलए तैयार ह और यह जानना चाहते ह िक ूस भारतीय दश्कों के बीच, भारतीय में लोग कैसे रहते ह, ूसी लोग क्या बाजार में ूसी िफ मों के पुचने से महसूस करते ह कैसे प्यार करते है तथा भारत में ूसी भाषा की लोकि यता िवदेशी लोगों और िवदेशी जीवन के ित भी बढ़ेगी? ूसी लोगों की क्या भावनाएं ह। यह सवाल काफी यापक है। मान लीिजए, भारत में कोई ब ा बचपन में आपने अभी कहा था िक हम भारत के ूसी काट्न िफ में देखता है, तो क्या बाजार में जो कमाएंग,े उसका िनवेश वह ब ा वह ूसी भाषा भी सीखना भारत में ही संय ु पिरयोजना में चाहेगा जो उन काट्न िफ मों के पा ों की मूल भाषा है? मुझे लगता है िक हां, कर देंग।े क्या आप अपनी योजना के बारे में िव तार से जानकारी दे ऐसा होगा। अगर इस ब े के मातासकते ह? िपता अपनी भाषा में उस देश के बारे में भारत में संय ु ूप से सीिरयल बनाने ्ानवध्क िफ में देखते ह और उस देश या फीचर िफ मों के िनमा्ण में िनवेश की उन कुछ चीजों के बारे में उनकी करने की कोई जूरत नहीं है। इस िदलच पी बनी रहती है, िजनके बारे में काम में भारतीय िफ मकार पहले ही उन्होंने यह िफ में देखी थीं, तो िनय बुत आगे ह। हां, वृ्िच ों का िनमा्ण ही उन्ह भी इस बात की खुशी होगी करना और बात है। हम इसी ्े में िक उनके ब े ने उस देश की भाषा िनवेश करना चाहते ह। हम चाहते ह सीख ली है। िक वृ्िच ों की मूल ि क्रप्ट, उनका अत्य म सिन्झएफ़ मूल कथानक िलखने से लेकर उसके आधार पर िफ में बनाने का सारा काम आरआईबीआर के िलए िवशेष
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