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WEDNESDAY DECEMBER 30, 2015
Business Report RUSSIA&INDIA NAVBHARAT TIMES IN ASSOCIATION WITH ROSSIYSKAYA GAZETA, RUSSIA
भारत-ूस िशखरवाता् : पुितन और मोदी ने आपसी सहयोग के 16 बड़े पार पिरक समझौतों पर द तखत िकए
घूमता आईना
आपसी आिथ्क सहयोग पर िवशेष जोर
ूस-भारतीय संयक्त ु सैन्यअभ्यास ’इ -नेवी-2015’ संप्
नरें मोदी और लदीिमर पुितन ने लीक से हटकर पार पिरक आिथ्क, यापािरक और िनवेश संबध ं ों को आपसी रणनीितक सहयोग का कें िबंदु बनाने का अहम िनण्य िलया है। ददन उपाध्याय आरआईबीआर
िपछले हफ्ते मा को में संप् भारतूस 16-वीं वािष्क िशखरवाता् अपने नतीजों की ृि से इस अथ् में अिद्वतीय रही िक अब दोनों देशों ने िद्वप्ीय आिथ्क, यापािरक और ऊजा् सहयोग को अपने रणनीितक सहयोग का कें िबंदु बना िलया है। पहले र्ा, अंतिर्, परमाणिवक ऊजा् और तेल व गैस ऊजा् संसाधन ही भारत-ूस रणनीितक सहयोग के चार तंभ माने जाते थे। परतु ूस के रा£पित लदीिमर पुितन और भारतीय धानमं ी नर मोदी की िशखरवाता् के अंत में िजन 16 समझौतों पर ह ता्र ुए, उनसे जािहर है िक दोनों नेता ने लीक से हटकर पार पिरक आिथ्क, यापािरक और िनवेश संबधं ों को आपसी सहयोग का कें िबंदु बनाने का अहम िनण्य िलया है। उेखनीय है िक दोनों देश अपने यापार को 2025 तक 30 अरब डालर तक बढ़ाने का ल य पहले ही तय कर चुके ह और जब तक िद्वप्ीय आिथ्क, यापािरक सहयोग को हकीकत में एक मुख्य थान नहीं िदया जाता, तब तक इस ल य को हािसल करना संभव न हो सकेगा। आज दोनों देशों के बीच यापार महज 10 अरब डालर तक सीिमत है। वाता् के दौरान पुितन और मोदी ने यह भी तय िकया िक िद्वप्ीय यापार को तेजी से बढ़ाने के िलए वे भारत और ूस के िनजी यावसाियक ्े ों को आपस में जुड़ने के िलए ोत्सािहत करगे। पुितन और मोदी की बातचीत के बाद िजन 16 समझौतों पर द तखत ुए, उनमें कामोव हेलीकॉप्टरों और परमाणु िबजलीघरों के िनमा्ण से लेकर, पे ोल और ाकृितक गैस की िनकासी में सहयोग, दोनों देशों के बीच यापार
को बढ़ावा देने के िलए वीजा यव था को आसान बनाने, भारत में सौर ऊजा् संयं थािपत करने व रेलवे में तकनीकी सहयोग संबधं ी समझौते शािमल ह। क्रेमिलन में 24 िदसंबर को वाता् संप् होने के बाद मोदी ने पुितन के साथ एक संय ु प कार सम्मेलन को संबोिधत करते ुए कहा िक रा£पित पुितन और हम अपने आिथ्क संबधं ों का िव तार करने के िलए रचनात्मक ढग से काम कर रहे ह। अपने व य में उन्होंने परमाणु ऊजा् के ्े में भारत और ूस के बीच सहयोग के िव तार का िवशेष ूप
से िजक्र िकया। दोनों प्ों ने वाता् के बाद ‘मेक इन इिडया’ काय्क्रम के तहत भारतीय कंपिनयों के सहयोग से ूसी परमाणु िरएक्टरों का भारत में ही िनमा्ण करने के बारे में एक अहम समझौता िकया। पुितन ने कहा िक ूस भारत में दो जगहों पर 12 परमाणु िरएक्टर लगाएगा। उसका ल य अगले 20 साल में भारत में कम-से-कम छह परमाणु िरएक्टर लगाने का है। उन्होंने कहा िक तिमलनाडु में कुडनकुलम परमाणु िबजलीघर की दूसरी इकाई अगले कुछ हफ्तों में शुू हो जाएगी और तीसरी तथा चौथी इकाइयों
के िनमा्ण के िलए बातचीत चल रही है। मोदी ने संय ु संवाददाता सम्मेलन में कहा िक दुिनया के सबसे बड़े तेल व गैस भंडार में ूस के साथ भारत की रणनीितक भागीदारी उसकी ऊजा् सुर्ा का महत्वपूण् ोत हो सकती है। रा£पित पुितन की मदद से हम ूस के तेल व गैस ्े में भारतीय िनवेश बढ़ा रहे ह। मोदी की मा को या ा के दौरान तेल और ाकृितक गैस के ्े में भी दोनों देशों के बीच चार बड़े समझौतों पर ह ता्र ुए। इनमें ूस के दूसरे सबसे बड़े तेल भंडार वानकोरनेफ्त में
रा£पित पुितन और हम अपने आिथ्क संबध ं ों का िव तार करने के िलए रचनात्मक ढग से काम कर रहे हैं। - मोदी
ओएनजीसी िवदेश िलिमटेड की 15 ितशत िह सेदारी का समझौता भी शािमल है। िवशेष्ों का मानना है िक इन समझौतों के फल वूप िद्वप्ीय यापार में काफी वृिद्ध होगी। मोदी ने भारत-यूरिे शयाई आिथ्क संघ के साथ मु यापार समझौता करने के िसलिसले में िदखाई दे रही गित की ओर भी संकते िकया। वह ूस के रा£ीय आपदा बंधन कें में भी गए और उसकी काय् णाली की जानकारी ली। दोनों देश बड़ी आपदा की रोकथाम और उनके कुपिरणामों के िनवारण के िसलिसले में पार पिरक
सहयोग करने की योजना भी बना रहे ह। संय ु संवाददाता सम्मेलन को संबोिधत करते ुए मोदी ने पुितन को भारत-ूस रणनीितक सहयोग का िश पकार बताया। उन्होंने कहा - मैंने हमेशा दोनों देशों के बीच सामिरक सहयोग का सम्मान और शंसा की है और यही भारत के र्ा, िवकास और कूटनीितक संबधं ों की सुृढ़ता और सफलता का मुख्य ोत है। मुझे िवास है िक दोनों देशों के बीच यापार और िनवेश में वृिद्ध होगी। भिव य में भी ूस भारत का एक महत्वपूण् साझीदार बना रहेगा। पुितन ने संय ु रा£ सुर्ा पिरषद में भारत की थाई सद यता के िलए ूस की ओर से िफर एक बार सश समथ्न य िकया। उन्होंने अहम अंतररा£ीय मुों पर ूस और भारत द्वारा एक-जैसा ुख अपनाने के महत्व पर भी जोर िदया। मोदी ने कहा - हम संय ु रा£ में भी मजबूत सहयोग कर रहे ह। ि क्स, पूवी् एिशयाई िशखर सम्मेलन, जी-20 और अब शंघाई सहयोग संगठन में भारत की सद यता ने हमारे सहयोग को वैिक तर दान िकया है। हमारा सहयोग न केवल मध्य एिशया और अफगािन तान सिहत यूरिे शया में बि क सम त एिशयाई शांत ्े में महत्वपूण् है। पुितन ने कहा िक दोनों ही देश सीिरयाई संकट का राजनीितक समाधान करना चाहते ह और अफगािन तान में रा£ीय सुलह-सहमित को आगे बढ़ाना चाहते ह। दोनों प्ों ने आतंकवाद पर िचंता कट करते ुए इसके िवुद्ध िबना िकसी भेद-भाव के एकजुट होकर लड़ने पर जोर िदया और साथ ही इस संबधं में दोहरा मापदंड अपनाने से परहेज करने की बात भी कही। भारत के िवदेश सिचव एस. जयशंकर ने भारतीय प कारों से बात करते ुए कहा िक कुल िमलाकर मोदी-पुितन िशखरवाता् पूण् ूप से संतोषजनक और फल द रही। अब पुितन अगले साल होने वाले ि क्स िशखर सम्मेलन और दोनों देशों की वािष्क िशखरवाता् में भाग लेने के िलए भारत जाएंग।े
िग्रगोरी उवारफ़ आरआईबीआर
ूस-भारत िशखर भेंट के बाद ूस ने के ए -226 टी है िलकॉप्टरों का भारत में िनमा्ण करने से जुड़े समझौते की पुि कर दी है। ूस के रा£पित लदीिमर पुितन ने कहा िक ूस और भारत िमलकर बुिक्रयात्मक लड़ाकू िवमान और बुउेशीय पिरवहन िवमान का िवकास कर रहे ह और यह आपसी सहयोग की बड़ी संभावनाशील िदशा है। उन्होंने आपसी सहयोग को पारपिरक ूप से िकया जा रहा ’सघन’ सहयोग बताया। संय ु प कार सम्मेलन में बोलते
ुए लदीिमर पुितन ने कहा - हम िसफ् तैयार उत्पादों की ही भारत को सप्लाई नहीं करगे, बि क आपस में गहरा तकनीकी सहयोग भी करगे। हमारे इस तरह के सहयोग का एक उदाहरण ’ ोस’ िमसाइलों का उत्पादन है। भारतीय नौसेना के िलए बड़े पैमाने पर पोतनाशक िमसाइलों का उत्पादन भी शुू कर िदया गया है। मा को िशखर-सम्मेलन की पूवव् ल े ा में बताया गया था िक इस मुलाकात के दौरान 7 अरब डॉलर से ज्यादा मू य की सैन्य-तकनीकी सहयोग से जुड़ी पिरयोजना पर िवचार िकया जाएगा, िजनमें भारत द्वारा नवीनतम ूसी वायु र्ा णाली एस-400 ’ ीऊम्फ’, पिरयोजना 636 की दो डीजल-इलैिक् क पनडुिब्बयों, पिरयोजना 11356 के तीन युद्धपोतों, 48 सैन्य पिरवहन हैिलकॉप्टरों एमआई-17 बी-5 तथा बीएमपी-2 के नामक 149 लड़ाकू बख्तरबंद गािड़यों
का भारत में उत्पादन करने के िलए लायसेंस की खरीद से जुड़ी योजनाएं शािमल ह। इसके अलावा भारत चाहता है िक ूस उसके आइएल-76 सैन्य-पिरवहन िवमानों और हवा में ही लड़ाकू िवमानों को ईंधन की सप्लाई करने वाले आईएल-78 िवमानों का आधुिनकीकरण करे। यह भी बताया गया था िक भारत ूस से पिरयोजना 971 की दूसरी एटमी पनडुब्बी भी िकराए पर लेना चाहता है। इसके अलावा दो देश भारत में बुिक्रयात्मक केए-226 टी नामक 200 हलके ूसी हैिलकॉप्टरों का िमलकर उत्पादन करने के बारे में एक समझौते पर भी िवचार करना चाहते थे। िवगत फरवरी माह में ’इकूत् ’ िनगम ने यह घोषणा की थी िक भारत में बुिक्रयात्मक लड़ाकू िवमानों एसयू30 एमकेआई की एसेंबिलंग के िलए बस छह िवमानों की िकट और भारत
भेजनी है। ’इकूत् ’ िनगम का कहना था िक इस साल यह अनुबधं पूरा हो जाएगा। भारत ने ूस से इस तरह के कुल 222 िवमान खरीदे थे। िवगत अग त में ’िवत्या् योती र सी’ नामक कंपनी ने बताया था िक 151 बुिक्रयात्मक सैन्य-पिरवहन हैिलकॉप्टर एमआई-178-5 की सप्लाई के बारे में ुए अनुबधं में से 148 हैिलकॉप्टरों की सप्लाई हो चुकी है। इसके अलावा, संय ु िवमान िनमा्ण िनगम के मुख यूरी यूसर ने बताया िक इस साल के अंत तक भारत और ूस पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू िवमान और बुउेशीय पिरवहन िवमान के िमलकर िकए जा रहे िडजाइन-िनमा्ण के अंितम दौर में पुच जाएंग।े सैन्य-तकनीकी सहयोग के ्े में आज ूस और भारत िमलकर जो काम कर रहे ह, वह उस काम से पूरी तरह अलग है, जो काम वे िपछली सदी के
ूसी िफ मों ने जीते िदल्ली िफ म महोत्सव के मुख्य पुर कार िदी अंतररा£ीय िफ म महोत्सव में सव् े िफ म और सव् े िनदे्शन के पुर कार ूसी िफ मों को िमले ह। सव् े िफ म पुर कार ूसी िफ म-िनदे्शक िदिम ी कुिज़िमन की िफ म ’मैं तुझे कभी नहीं छोूँगा’ को तथा सव् े िफ म-िनदे्शन का पुर कार ’आिखरी रात’ िफ म के िलए ूसी िफ म-िनदे्शक अरसेनी गनचूकफ़ को िदया गया है। अिलक्सेय बुरीिकन के वृ्िच ’राजकपूर-कामरेड आवारा’ को िवशेष पुर कार देकर सम्मािनत िकया गया है। ’मैं तुझे कभी नहीं छोूंगा’ िफ म की अिभने ी दाना मक्सीमवा को भी िफ म में मुख्य भूिमका िनभाने के िलए िवशेष पुर कार िदया गया है।
ूस और भारत के बीच वीजा यव था अब पहले से आसान
ूस और भारत के बीच लगातार बढ़ता सैन्य-तकनीकी सहयोग ूस-भारत वािष्क िशखर भेंट के बाद कहा गया िक ूस और भारत के बीच सामिरक साझेदारी मुख्य ूप से उनके सैन्य-तकनीकी सहयोग में ही यक्त हो रही है।
संय ु सैन्य-अभ्यास ’इ -नेवी-2015’ का ूस और भारत में ऊंचा मू यांकन िकया जा रहा है। वाइस-एडिमरल अन् ये िरयाबूिख़न ने कहा िक अभ्यासों के दौरान जिटल और बड़ा काम पूरा करना था, लेिकन काम मुि कल होने के बावजूद पार पिरक समझ और दो देशों की नौसेना के बीच तुरत िकए गए तालमेल की बदौलत बड़ी सफलता से सारी िजम्मेदािरयों को पूरा कर िलया गया। भारतीय नौसेना के वाइस-एडिमरल सुनील भोकरे ने कहा िक सैन्य-अभ्यास ूस और भारत के बीच बन रहे रणनीितक िर तों में आगे की ओर बढ़ाया गया एक और सकारात्मक कदम िसद्ध ुए ह। उन्होंने कहा िक अभ्यासों के दौरान कोई भी जिटलता पैदा नहीं ुई और सभी सवाल बड़े पेशवे र ढग से हल कर िलए गए। सैन्याभ्यास के दौरान तैरते ुए समु ी ल यों पर िमलकर गोलाबारी की गई और उसके बाद चलतेचलते एक-दूसरे को मालों का ह तांतरण िकया गया।
आठवें और नौवें दशक में िकया करते थे। बात अब िसफ् िवक्रेता और क्रेता के ूप में तकनीक की खरीद की ही नहीं की जाती, बि क भारत की राजकीय और िनजी कंपिनयों की सहभािगता से उन जिटल पिरयोजना की भी होती है, िजनका भारत लायसेंस के आधार पर खुद भारत में उत्पादन करना चाहता है या िजनका िवकास भारत और ूस दोनों िमलकर कर रहे ह। मा को में ुई िशखर मुलाकात के
बाद संय ु ूप से जारी की गई िव्ाि में कहा गया है - दोनों प्ों ने िफर से आपसी सहयोग का िवकास करने तथा ’मेक इन इिडया’ काय्क्रम पर अमल करते ुए इस काय्क्रम की बदौलत सामने आई संभावना का र्ा उद्योग के ्े में इ तेमाल करते ुए िविभ् िवभागों और मं ालयों को यह िजम्मेदारी सौंपी है िक वे ज दी से ज दी ऐसी पिरयोजनाएं तैयार कर िजनपर दो देश िमलकर अमल कर सकते ह।
’मेक इन इिडया’ काय्क्रम के तहत केए-226 टी हैिलकॉप्टरों के संयक्त ु उत्पादन पर भी बनी सहमित
ूस और भारत यापार और पय्टन के िलए वीजा िक्रया को सरल बनाने को तैयार ह। िनकट भिव य में ूस और भारत के यावसाियकों को यापार वीजा लेने के िलए केवल मेजबान कंपनी से एक िनमं ण प की जूरत होगी। इस कदम का दोनों देशों के उद्यिमयों को इतजार है। इसके अलावा भारत ऐसा पहला देश बन जाएगा िजसके साथ ूस छह महीने के िलए पय्टन वीजा देने का समझौता करेगा। अभी तक ूस अिधकतम िसफ् 30 िदन का पय्टन वीजा देता है। भारत पहले ही ूसी नागिरकों को छह महीने का पय्टन वीजा दे रहा है।
िवचार
दुिनया को िफर से संतिु लत बनाने का िवफल यास फ्योदर लुक्यानफ़
आरआईबीआर
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2015 इितहास का ऐसा पहला साल बन गया है, जब कोई भी प ूप से इस स ाई का सामना करने को तैयार नहीं है िक वैिक यव था में एक गंभीर असंतल ु न पैदा हो गया है, िजसके वजह से ही नए-नए संकट पैदा हो रहे ह। उदाहरण के िलए ूस द्वारा क्रीिमया को वािपस ूस में शािमल करने और पूवी् यूक्रने द्वारा यूक्रने में ुए स्ा पलट के िवुद्ध चलाए जा रहे आंदोलन को समथ्न देने की कार्वाई को ऐसे ही एक संकट के ूप में देखा गया। पिमी देशों ने क्रेमिलन पर दबाव डालने की कोिशश की िक वह अपना काम करने का तरीका बदले। लेिकन उनके इस दबाव के वे पिरणाम
नहीं िनकले, जो पिमी देश चाहते थे। सीिरया के मामले में अब तक िकसी को यह नहीं पता है िक “इस सम या का वा तिवक समाधान” कैसे होगा। जैस-े जैसे इस सम या का समाधान करने के यास िकया जा रहा है, वैसे वैसे यह बात साफ होती जा रही है िक इन यासों का कोई असर नहीं हो रहा है और सीिरया में अनेक तरों पर हो रही लड़ाई में शािमल सभी प्ों को िकसी एक ही ल य के ित एकजुट करना सैद्धांितक ूप से असंभव है। पिमी एिशया की तकलीफदेह हालत पर इन िदनों सारी दुिनया का ध्यान केंि त है। पिमी एिशया में संकट पैदा करने वाली इस सम या को आजकल लोग आम तौर पर आतंकवादी िगरोह ‘इ लामी राज्य’ कहकर पुकारते ह। ’इ लामी राज्य’ नामक यह आतंकवादी िगरोह सीधे-सीधे यह चाहता है िक
िखलाफत नामक वह यव था िफर से वािपस आ जाए, जब सब-कुछ िब कुल सही और न्यायोिचत था; और उस तथाकिथत ’सभ्यता’ की उपलिब्धयों को पूरी तरह से िमटा िदया जाए, िजसे औपिनवेिशक ताकतों ने स े मुसलमानों पर जबरद ती लाद िदया है। 20वीं सदी के आिखर तक वैिक यव था करीब-करीब संतिु लत थी। उस दौर में संतल ु न का अथ् था - अनेकानेक ताकतों के बीच एक जिटल संतल ु न। 19वीं सदी में भी ऐसी ही ि थित थी। िद्वतीय िव युद्ध के बाद दुिनया में जब दो महाशियों – अमरीका और सोिवयत संघ के समान भुत्व की यव था उभर कर सामने आई, तो संतल ु न की एक सरल पिरभाषा भी बन गई। तब संतल ु न के िलए यह जूरी था िक दोनों महाशियां िकसी न िकसी
ूप में एक-दूसरे के भाव ्े ों मान्यता दें। आज भी ूस के िलए आदश् ि थित यही होगी िक सभी प्ों के बीच एकदूसरे के भाव ्े ों को लेकर कोई न कोई सहमित बन जाए। पिम िन संदहे बीसवीं सदी के अंितम दशक की उन ि थितयों को वापस लाना चाहता है, जब ूस का भाव ्े खत्म हो गया था और पूरी दुिनया में एकमा पिमी देशों का डका बजने लगा था। बीसवीं सदी के अंितम दशक में ऐसा लग रहा था िक इस िपरािमडजैसी दुिनया की यव था लंबे समय तक चलेगी। लेिकन इस साल यह बात िसद्ध हो गई िक ऐसा नहीं होने जा रहा है। ूसी व दाई क्लब की इस वष् की वािष्क िरपोट् को ’21वीं सदी में युद्ध व शांित’ का नाम िदया गया है। व दाई क्लब के िवशेष्ों को िवास
है िक ’अंतररा£ीय संबधं ों में बढ़ती अराजकता और वैिक मामलों की िनयं ण से बाहर जाती ि थित सदा इसी तरह नहीं बनी रह सकती है … सबसे अिधक संभावना इस बात की है िक इससे दुिनया का एक नई तरह का ढांचा सामने आएगा, िजसमें िविभ् देशों के दो िवशाल समूहों के बीच वा तिवक संतल ु न िदखाई देगा, हालांिक अभी ऐसी ि थित नहीं बन पाई है’। आज ’ताकत के दो महासागर’ िदखाई दे रहे ह। इनमें एक महासागर के कें में अमरीका िदखाई पड़ रहा है, जबिक दूसरा महासागर यूरिे शया का वह महाद्वीपीय भूभाग है, िजसमें चीन, ूस तथा भारत के बीच घिन सहयोग हो रहा है। पहली नजर में इन दोनों महासागरों के बीच एक लचीले संतल ु न की कोई बुत अिधक संतोषजनक संभावना नहीं िदखती।
WEDNESDAY DECEMBER 30, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia
यापार
यापार : 2025 तक भारत व ूस के बीच िप्ीय िनवेश 15 अरब डॉलर होगा
आपसी िनवेश बढ़ाने के िलए ितबद्ध ूस और भारत 16 वां ूसी-भारतीय िशखरसम्मेलन यवसािययों के िलए लाभ द। ूस और भारत की कई बड़ी कंपिनयों ने एक-दूसरे के साथ अनेक नए सौदे और समझौते िकए। अलेक्सां ा कात्स आरआईबीआर
दो देशों की बड़ी सरकारी और िनजी कंपिनयों के मुखों और बंध िनदेशकों से मुलाकात करते ुए ूस के रा£पित लदीिमर पुितन ने यह वीकार िकया िक इस बीत रहे साल के जनवरी से अूबर माह के मध्य दो देशों के बीच यापार में 14.4 ितशत की कमी ुई है। िपछले अनेक वषो्ं से दोनों देशों के बीच आपसी यापार का तर एकदम िनचले तर पर बना ुआ है। लदीिमर पुितन ने कहा - इसका कारण यह है िक ऊजा् संसाधनों की कीमतें काफी कम हो गई ह तथा िवदेशी कारणों से और मु ा की कीमत में अंतर आने की वजह से ूस के इजीिनयिरग मालों की मांग भी बुत कम हो गई है। उन्होंने बताया िक दोनों देशों ने यह तय िकया है िक दुप्ीय यापार का िवकास करने के िलए दोनों देश अपने यास बढ़ाएंग।े इससे पहले ूस के नेता ने यह घोषणा की थी िक सन् 2025 तक भारत के साथ िद्वप्ीय यापार को बढ़ाकर 30 अरब डॉलर कर ूसी त्य् िनवेश कोष के महािनदेशक िकरील िदिम ीएफ और सन ग्रुप के बंध िनदेशक िशव खेमका िदया जाएगा तथा पार पिरक िनवेशों को भी पं ह अरब डॉलर के तर पर ले की िदशाएं बदलकर पार पिरक यापार पिरयोजना और ऊजा् पिरयोजना आया जाएगा। में वृिद्ध करना चाहते ह। उन्होंने कहा में तथा पया्वरण की ृि से वच्छ दोनों देश िमलकर ूस के रा£पित लदीिमर पुितन ने ु ूप से िक रोसएटम, गाज़ ोम, ूसी रेलवे, ऊजा् पिरयोजना में संय कहा - ूस और भारत के बीच यह 2 अरब डॉलर रािश ’िसलावीए मशीनी’, लू क ऑयल, िनवेश करने की बात तय ुई थी। तय ुआ है िक औद्योिगक सहयोग तथा लदीिमर पुितन ने कहा - हम चाहते ह िस तेमा, रोसनेफ्त और रेनोवा जैसी वाले नए ूसीबुिनयादी ढांचे और ऊजा् पिरयोजना ् ूसी कंपिनयां पहले ही भारत में िक भारतीय कंपिनयां भी सिक्रयतापूवक ूस में अपने कारखाने लगाएं। हम लंबे सफलतापूवक ् यवसाय कर रही ह। के माध्यम से पार पिरक िनवेश सहयोग भारतीय िनवेश कोष िदसंबर-2014 में िदी में िपछली समय तक ूस में अपने सहयोिगयों में वृिद्ध की जाएगी। पुितन ने बताया दुप्ीय िशखर मुलाकात के समय को बनाए रखना चाहते ह। हम इसके िक दोनों देश यापार के ्े में सामने में बराबर-बराबर के ूसी त्य् िनवेश कोष और भारतीय िलए हर कार का सहयोग करगे िक आने वाली शासिनक और अन्य कार िह सेदार होंगे। कंपिनयों के बीच बुिनयादी ढांचागत वे ूस में अपने यवसाय का िवकास की बाधा को घटाकर तथा यवसाय
करते ुए सहज और वाभािवक महसूस कर। इसके िलए हम उन्ह हर तरह की सुिवधाएं देंग।े ूस में भारतीय िनवेश का उदाहरण देते ुए ूस के रा£पित ने कदीमा कंपनी द्वारा ूस के यरा ला ल देश में बनाए जा रहे औषिध कारखाने का िजक्र िकया। ऐसा लगता है िक रा£पित ने कैिडला फामा् यूिटक स िलिमटेड की चचा् की थी, िजसने वा तव में ूस में दवा कारखाना लगाने की घोषणा की है।
दो देशों के बीच जारी उ तरीय बातचीत के दौरान ही कई बड़ी कंपिनयों ने कुछ समझौतों पर भी ह ता्र िकए, जैसे ’मेक इन इिडया’ काय्क्रम के तहत हैिलकॉप्टर, पनडुब्बी और युद्धपोत िनमा्ण संबधं ी अनेक ूसी-भारतीय र्ा उद्योग पिरयोजना से जुड़ी ुई ’िरलायन्स िडफेन्स’ नामक कंपनी ने ूसी कंपनी ’अ माज अन्तेय’ के साथ एक समझौते पर ह ता्र िकए। भारतीय कंपनी द्वारा स े के िलए जारी िव्ि में बताया गया है को दोनों कंपिनयों ने िमलकर िमसाइल िनमा्ण और िमसाइलरोधी ितर्ा णाली का िनमा्ण करना सुिनित िकया है। यह सहयोग ’अ माज अन्तेय’ कंपनी की भारत में उपि थत उत्पादन यव था के साथसाथ नए र्ा उत्पादों के िनमा्ण के ्े में भी िकया जाएगा। ’िरलायन्स िडफ़ेन्स’ कंपनी के मुख, अरबपित अिनल अम्बानी ने कहा - यह सहयोग दो देशों के आपसी संबधं ों में मील का पत्थर बन जाएगा। इस िद्वप्ीय िशखर-सम्मेलन के दौरान ही ूसी कंपनी ’रोसनानो’ और ’भारतीय रा£ीय ढांचागत िनवेश कोष’ के बीच हाई टैोलौजी से जुड़ी संय ु पिरयोजना पर अमल करने के िलए ूसी-भारतीय िनवेश कोष का िनमा्ण करने पर भी सहमित ुई है। जैसािक ’रोसनानो’ कंपनी द्वारा जारी िव्ि में बताया गया है - दोनों प् िमलकर 2 अरब डॉलर रािश वाले इस नए ूसी-भारतीय िनवेश कोष में बराबर-बराबर के िह सेदार होंगे और र्ा उद्योग के उत्पादों सिहत हाइटैक पिरयोजना पर अमल करने के िलए एक नई संचालन कंपनी बनाएंग।े रोसनानो कंपनी के बंध िनदेशक अनतोली चुबाइस ने बताया - संय ु त्य् िनवेश कोष का िनमा्ण िव बाजार में कड़ी ितयोिगता के इस दौर में दुप्ीय संबधं ों के िवकास का नया तर होगा। यह कोष ूसी कंपिनयों की ित पधा्-्मता को मजबूत बनाएगा तथा भारतीय बाजार में ूसी उ तकनीक के िनया्त में सहयोग करेगा। ूस के थम आिथ्क िवकास उपमं ी अिलक्सेय िलखाच्योफ़ और भारत के िव् सिचव शिकांत दास के बीच ुई बातचीत के दौरान ूसी राजकीय कारपोरेशन ’रोसतेख़’ की ’रा£ीय जै व ितर्ा कं प नी’ और भारत के ’भारतीय सीरम सं थान के बीच ’रा£ीय जैव ितर्ा कंपनी’ के कारखानों में दवा का उत्पादन करने के बारे में सहमित हो गई है।
कैसी होगी 2016 की ूसी अथ् यव था िदसंबर में क े तेल की कीमतों में ुई भारी िगरावट के बाद कुछ िवशेष् आशावादी नजिरया रखते हैं तो कुछ ि थित को देखकर िनराश हो गए। आ्ा कूच्मा आरआईबीआर
िदसंबर माह में अंतररा£ीय बाजारों में तेल की कीमत इस तरह से मुहं के बल िगरी िक िपछले सात सालों में सबसे कम रह गई है। क े तेल की कीमत अब तक 37 डॉलर ित बैरल तक नीचे आ चुकी है। िनराशावादी लोगों का कहना है िक क े तेल की कीमत 40 डॉलर ित बैरल से नीचे बनी रहगी और मंदी का यह दौर जारी रहेगा। ूस के िव्मं ी अन्तोन िसलुआनफ़ का भी यही कहना है। ऐसा भी हो सकता है िक तेल की कीमत 30 डॉलर ित बैरल से भी नीचे चली जाए। िव्मं ी ने याद िदलाया िक अगले साल ूस के बजट में तेल की कीमत 50 डॉलर ित बैरल तय की गई है। िसलुआनफ़ ने जोर िदया - हमें अब वैकि पक योजना पर काम करने के िलए कमर कस लेनी चािहए क्योंिक यिद तेल की कीमत आगे भी िगरती रही तो क्या होगा। ूस के कें ीय बैंक ने जो जोिखम पिरयोजना बना रखी है, उसमें तेल की कीमत 40 डॉलर से कम रखी गई है। अथ् यव था का िवकास और 2-3 ितशत कम हो जाएगा और िनवेश में भी िगरावट होगी। उेखनीय है िक ूसी बजट में आधी से ज्यादा आय तेल और गैस की िबक्री से ही आती है। ूस के रा£पित ने िनदे्श िदया है िक अगले साल ूस के बजट में घाटा 3 ितशत से ज्यादा नहीं होना चािहए। अगर तेल की कीमत 35 डॉलर ित बैरल तक िगर जाएगी और यिद 2016 के िलए ूस के बजट में अिधकतम घाटा 3 ितशत का रखा जाएगा तो डॉलर की कीमत बढ़कर 94 ूबल के करीब हो जाएगी (इसका मतलब यह है िक ूबल की कीमत 34 ितशत िगर जाएगी)। ूस के कें ीय बैंक के अनुसार, यिद सन् 2016 में एक बैरल की कीमत 50 डॉलर भी होगी तो भी अथ् यव था में आधे से एक ितशत की िगरावट होगी।
भारत में नवीनतम ूसी सौर पैनलों का उत्पादन और जनता को स ती िबजली िदिम ी लपाितन के नए सौर पैनल में मुख कंपिनयां िदलच पी िदखा रही हैं और उनकी नई पूज ं ीहीन कंपनी िनवेश की तलाश में अंतररा£ीय बाजार में उतरी है। िदनारा ममेदवा आरआईबीआर
ूसी यवसायी और वै्ािनक िदिम ी लपाितन नए िक म के सौर पैनल लेकर बाजार में उपि थत ुए ह। पारपिरक तौर पर सौर पैनलों में इ तेमाल िकए जाने वाले िसिलकॉन की जगह वे अपने पैनलों में काब्धातुक यौिगक (आग्नोमैटािलक) सामग्री पेरोव काइट खिनज का इ तेमाल कर रहे ह। िदिम ी लपाितन ने बताया िक नए पैनल पुराने िक म के पैनलों के मुकाबले ज्यादा देर तक काम करगे और उनसे स ते भी होंग।े भारत इन सौर पैनलों का
उत्पादन करने वाला दुिनया का पहला देश बन जाएगा। भारत में जनता को स ती िबजली उपलब्ध कराने के रा£ीय काय्क्रम पर अमल िकया जा रहा है। इसके बाद िदिम ी लपाितन की कंपनी अमरीका और यूरोप के बाजार में उतरना चाहती है। लपाितन एक ऐसा औद्योिगक ि आयामी ि टं र बना रहे ह, िजसकी सहायता से नए िक म के इन सौर पैनलों का उत्पादन करना बेहद आसान हो जाएगा। ूसी वै्ािनक िदिम ी लपाितन िपछली गिम्यों में तब अचानक मशूर हो गए थे, जब उन्ह लेकर ूस में हगामा उठ खड़ा ुआ था। उन्होंने चीन से एक लीटर बुितरोलोन गामा नामक एक अम्ल मंगाया था, िजसकी वजह से वे जेल जाते-जाते बचे। उन्ह यह नहीं पता था िक इस रसायन का इ तेमाल मादकपदाथो्ं के उत्पादन के िलए िकया जाता
है और ूस में इस पर ितबंध लगा ुआ है। िदिम ी ने बताया - अब वह मुकदमा बंद कर िदया गया है क्योंिक मैंने यह िसद्ध कर िदया िक मैंने बुितरोलोनगामा नामक वह रसायन कोई गलत काम करने के िलए नहीं, बि क अपने
नए सौर पैनलों का उत्पादन पहली बार भारत में होगा। वै्ािनक योग करने के िलए मंगाया था। िदिम ी लपाितन िसफ् ूस में ही मशूर नहीं ह। सौर पैनल बनाने की उनकी पिरयोजना को ूस की तरफ से अंतररा£ीय ौद्योिगकी यवसाय और वै्ािनक सम्मेलन ’हैलो टुमारो’ में
भी तुत िकया गया था, जहां रायल डच शैल नामक एक बड़ी तेल कंपनी ने उनके इस आिव कार में गहरी ुिच िदखाई। िदिम ी ने बताया िक उनकी यह पिरयोजना अब पूरी होने जा रही है और वे औद्योिगक तर का एक ि आयामी ि टं र बना रहे ह, जो एक िदन में 20 वग् मीटर सौर पैनलों का उत्पादन करेगा। िदिम ी लपाितन के इस नए सौर पैनल और पुराने सौर पैनलों में फक् यह है िक नए पैनल का आलेपन (कोिटग) दूसरे तरीके से िकया गया है। लपाितन ने कहा - दुिनया के वै्ािनकों ने िसिलकॉन से सौर पैनल बनाने की कोिशश की है, लेिकन उन पैनलों में कुछ किमयां िदखाई देती ह। िसिलकॉन में अगर 0.001 ितशत की भी िमलावट हो जाती है, तो वे पैनल ज दी खराब होने लगते ह और शुद्ध
ूसी वै्ािनक िदिम ी लपाितन ने नई िक म के सौर पैनलों का आिव कार िकया िक्र टल का िवकास करने में वै्ािनकों को बुत ज्यादा समय लगता है। इसीिलए िसिलकॉन पैनल मेरे द्वारा बनाए जाने वाले पैनलों से दो-तीन गुना ज्यादा महगे पड़ते ह। िफर उनमें एक और कमी यह है िक वे लंबे समय तक काम नहीं
कर पाते और कुछ महीने काम करके ही खराब हो जाते ह। जबिक हमारे पैनलों में काब्धातुक यौिगक (आग्नोमैटािलक) सामग्री पेरोव काइट का इ तेमाल िकया गया है। इस संलपे का लेप िकसी भी तरह की सतह पर िकया जा सकता है
और इस लेप से आलेिपत पैनलों का उत्पादन औद्योिगक तर पर बनाए गए ि टं र से करना भी संभव है। इस पिरयोजना में िदिम ी लपाितन और उनके िम अलेग बरानफ़ अभी तक 20 हजार डॉलर का िनवेश कर
अंतररा£ीय मु ा कोष और िव बैंक का भी यही कहना है िक 50 से 53 डॉलर ित बैरल क े तेल की कीमत होने पर भी ूसी अथ् यव था में िगरावट आगे जारी रहेगी। भारी मु ा फीित और जनता की वा तिवक आय में लगातार होने वाली कमी को अथ्शा ी िसगे्य अिलकसािशन्का अगले साल की एक बड़ी सम या मान रहे ह। उन्होंने कहा खेद की बात है िक 2016 में ि थित कोई खास बेहतर नहीं होगी। ूस की कें ीय सरकार के बजट में सरकारी कम्चािरयों के वेतन बढ़ाने के िलए पैसा नहीं है। ऐसी ि थित में जनता अपने खचे् कम कर रही है और दीघ्कालीन इ तेमाल की चीजें, जैसे कार, फ्लैट आिद नहीं खरीद रही है, इस कारण से आिथ्क िवकास की गित और धीमी होती जा रही है। ूस के कें ीय बैंक को आशा है िक सन् 2018 तक वा तिवक आय और मांग िफर से अपने पुराने तर पर लौट आएंगी। आशावादी लोगों को िवास है िक िवकास िफर से शुू हो जाएगा। ूस के आिथ्क िवकास मं ालय का मू यांकन बुत ज्यादा आशावादी है। ूस के आिथ्क िवकास मं ी अिलक्सेय उ युकाएफ़ के अनुसार, अब बस दो-तीन ितमाही तक ही तेल की क़ीमतों में उतार-चढ़ाव िदखाई देगा। उन्होंने कहा - सन् 2016 के मध्य से क े तेल के बाजार में मांग और पूित् के बीच संतल ु न थािपत हो जाएगा। ूस के आिथ्क िवकास मं ालय का मानना है िक औसतन सन् 2016 में तेल की कीमत 50 डॉलर ित बैरल के आसपास रहेगी। इसके आधार पर मं ालय का कहना है िक इस साल के आिखर में ूस का आिथ्क िवकास +0.7 ितशत तक हो सकता है। वष् 2015 की अंितम ितमाही के पिरणाम ऐसी आशा जगाते ह। िसतंबर से नवंबर के मध्य 2015 में ूस की अथ् यव था में 0.1 ितशत से 0.2 ितशत का िवकास ुआ है। अंतररा£ीय रेिटग एजेन्सी िफच और एस एंड पी भी ूसी अथ् यव था में िगरावट का कोई जोिखम नहीं देख रही ह। उनके अनुसार ूस की अथ् यव था 0.5 ितशत से 0.3 ितशत तक िवकास करेगी।
चुके ह। कुछ दूसरे छोटे िनवेशक भी 30 हजार डॉलर लगा चुके ह। अब पैनलों का उत्पादन शुू करने के िलए बस, 3-4 लाख डॉलर की और जूरत है। िदिम ी लपाितन ने बताया िक वष् 2016 के शुू में वे सौर पैनलों का उत्पादन करने वाली मशीनों और ौद्योिगकी की िबक्री करना शुू कर देंग।े भारत में वे टाटा कंपनी के एक कारखाने में अपने सौर पैनलों के उत्पादन की फैक्टरी शुू करने जा रहे ह। इन सौर पैनलों का उत्पादन भारत में करने का यह काम कोई अचानक ही शुू नहीं ुआ। भारत में जनता को स ती िबजली उपलब्ध कराने का सरकारी काय्क्रम चल रहा है और लपाितन सरकारी सहायता से अपने इस आिव कार को और ज्यादा पिर कृत करना चाहते ह। भिव य में वे अमरीका और यूरोप के थानीय उद्योगपितयों और यावसाियकों के साथ िमलकर वहां भी सौर पैनलों का संय ु उत्पादन शुू करना चाहते ह। िदिम ी लपाितन का कहना है िक 30-40 वग् मीटर के सौर पैनलों की कीमत 2-3 हजार यूरो के आसपास होगी और कोई भी यूरोपीय पिरवार 1-2 साल में इन पैनलों की पूरी कीमत वािपस पा लेगा।
ूसी तेल भंडारों में भारतीय कंपिनयों की िदलच पी साइबेिरयाई तेल-भंडारों में भारतीय कंपिनयां भारी िदलच पी िदखा रही हैं। ओएनजीसी, आईओसी और बीपी भी वनकोर तेल भंडार में िह सेदारी करने को तैयार। आ्ा यूिरयवा आरआईबीआर
ओएनजीसी ने जब वनकोरनेफ्त के 15 ितशत शेयर खरीदने का िनण्य िकया तो वनकोर तेल भंडार के िवकास में िह सेदारी करने की होड़ लग गई। उम्मीद है िक वनकोर तेल भंडार के संचालन का काम करने के िलए एक ऑपरेटर कंपनी बनाई जाएगी, जो इस इलाके के अन्य तेल भंडारों का लायसेंस लेकर उनका भी कामकाज देखगे ी। रोसनेफ्त के मुख ईगर सेिचन ने समझौते पर ह ता्र िकए जाने की चचा् करते ुए कहा - इस यापक पिरयोजना में सहयोग की बदौलत रोसनेफ्त और ओएनजीसी के बीच पार पिरक रणनीितक सहयोग के सैद्धांितक ूप से नए दौर में पुचने की सम्भावना िमलेगी।
इससे हमारे सहयोग के िवकास को नया ोत्साहन िमलेगा तथा इस इलाके में दूसरी यापक तेल और गैस की खोज और िनकासी से जुड़ी पिरयोजना में सहयोग की संभावना बढ़ेगी। इतने कम समय में सहयोग संबधं ी सहमित पर पुचने और सहयोग समझौते पर ह ता्र करना इस बात का सबूत है िक भारतीय सहयोिगयों और हमारे बीच यापक पार पिरक िवास पैदा हो गया है। यह िवास ही इस बात की गारण्टी देता है िक हम भावशाली ढग से िमलकर काम कर सकेंग।े िव्ेषक एजेंसी ’इन्वे तकाफे के िवशेष् िग्रगोरी िबग् ने कहा - िकसी भी िवदेशी िनवेशक के िलए यह एक सफल पिरयोजना िसद्ध हो सकती है क्योंिक बड़े तर पर िनकासी की जा सकती है। यही नहीं, उस तेल को बेचना भी बेहद आसान होगा क्योंिक यहां पूवी् साइबेिरया से शांत महासागर तक जाने वाली तेल पाईपलाईन पहले से ही बनी ुई है, िजसके सहारे तेल किजिमनो बंदरगाह पर बने टिम्नल तक भेजा जा सकता है और िफर वहां से उसे भारत या एिशयाई
शांत महासागरीय इलाके के िकसी भी देश को सप्लाई िकया जा सकता है। ूस के रा£पित लदीिमर पुितन और भारत के धानमं ी नर मोदी की लगातार होने वाली मुलाकातों के कारण मा को के साथ आिथ्क सहयोग को यापक बनाने में नई िदी की
िकसी भी िवदेशी िनवेशक के िलए सफल पिरयोजना। िदलच पी बढ़ती जा रही है। दोनों नेता ने िपछले साल कई मुलाकातें की थीं। इस साल भी उफ़ा में ुई मुलाकात में दोनों नेता ने दो देशों के बीच तेल व गैस की िनकासी सिहत सभी ्े ों में आिथ्क और यापािरक सहयोग बढ़ाने की चचा् की।
धुर उ्र में सबसे बड़े तेल भंडार वनकोर तेल भंडार िपछले 25 साल में ूस में खोजा गया सबसे बड़ा ऐसा तेल
भंडार है, जो तेल की िनकासी करने के िलए तैयार है। यह भंडार 1988 में ढढ़ा गया था, लेिकन इसके िसफ् 21 साल बाद ही उसे तेल िनकासी के िलए तैयार िकया जा सका। ूस का यह तेल भंडार एकदम धुर उ्र में ि थत है। इसके एकदम पास जो शहर ि थत है, वह भी 142 िकलोमीटर दूर है। यह तेल भंडार उस जमीन में ि थत है, जो भारी ठड पड़ने के कारण हमेशा जमी रहती है। जाड़े में शीतमान यहां शून्य से भी 60 िडग्री नीचे तक चला जाता है । इन मुि कल हालातों में भी वनकोर में यापक बुिनयादी ढांचा बना िलया गया। इस ढांचे में 400 िकलोमीटर लंबी तेल पाईपलाईन और 120 िकलोमीटर लंबी सड़क का िनमा्ण भी शािमल है। 2015 के शुू में वनकोर तेल भंडार से 47 करोड़ 60 लाख टन तेल और 175 अरब घनमीटर गैस की िनकासी करने की संभावना य की गई थी। आधुिनकतम तकनीकी का इ तेमाल करके वनकोर तेल भंडार से तेल िनकासी का अनुपात ूस में सबसे ज्यादा रहेगा।
पूरे देश में औसतन यह अनुपात 0.350 है, जबिक वनकोर में अभी से यह तेल िनकासी अनुपात 0.340 है। 24 घंटे में यहां 60 हजार टन तेल की िनकासी की जा रही है। भिव य में यह तेल िनकासी अनुपात बढ़कर 0.434 हो जाएगा। परामश् कंपनी ’ूसएनजी्’ के एक साझेदार िमख़ाइल क्रुतीिख़न ने कहा इस तेल भंडार में तेल िनकासी का खच् सबसे कम आ रहा है। एक बैरल तेल की िनकासी करने के िलए िसफ् 2.7 डॉलर खच् करने पड़ रहे ह। इसका कारण यह है िक तेल िनकासी के िलए आधुिनकतम ौद्योिगकी का इ तेमाल िकया जा रहा है, तेल के कुएं झुकाव िलए ुए ह और तेल इतना हलका है िक थोड़े से दबाव में ही बाहर आने लगता है।
वनकोर समूह वनकोर तेल भंडार के साथ ही तेल और गैस की खुदाई करने के िलए एक साथ कई कुएं बनाने का िनण्य िलया गया है। ये कुएं लोदचनए, सुून कए और
वनकोर में तेल और गैस की खुदाई करने के िलए एक साथ कई कुएं बनाने का िनण्य िलया गया है तगूल कए तेल भंडारों के ्े में बनाए जाएंग।े इन कु के संचालन और देखभाल का काम रोसनेफ्त की सहयोगी कंपनी वनकोरनेफ्त को सौंपा गया है। िवदेशी िनवेशकों को यह बात भी बेहद पसंद आ रही है िक रोसनेफ्त कंपनी वनकोर के इलाके में ही कुछ और तेल व गैस िनकासी कुएं बनाने जा रही है। इन कु के बन जाने से इस इलाके में 40 करोड़ टन से ज्यादा तेल और संघिनत तेल (कंडन्े ड) का उत्पादन होगा।
रोसनेफ्त िवश्व की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्त - दुिनया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी है, जो ूस ारा उत्पािदत 40 ितशत से ज्यादा तेल का उत्पादन करती है। िपछले पांच साल में रोसनेफ्त ने बुत-सी िवदेशी कंपिनयों और कारखानों में पूज ं ी-िनवेश िकया है, िजनमें जम्नी और इटली के
तेलशोधन कारखाने भी शािमल हैं। 2014 के अंत में रोसनेफ्त के पास 583 करोड़ 60 लाख टन तेल के सुिनिश्चत भंडार थे यानी यह तय है िक रोसनेफ्त कंपनी आने वाले 24 साल तक तेल की िनिश्चत तौर पर िनकासी करती रहेगी।
WEDNESDAY DECEMBER 30, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia
पय्टन पय्टन : मा को की िरमिझम बािरश में सबसे स ते और िदलच प संग्रहालय को देखने का मजा लूटें
मा को का सबसे अनूठा व स ता संग्रहालय - मे ो 4.नवा लाबोद् क्या (नई ब ती टेशन)
संगमरमर और ग्रेनाइट जड़ी मा को मे ो यानी िवशाल तहखाना िसफ् सुगम साव्जिनक पिरवहन का एक साधन ही नहीं है, बि क समाजवादी यथाथ् कला का एक बड़ा संग्रहालय भी है।
काँच के रगीन शीशों से बने 32 अिभरिजत कांच-िच ों से सजे ुए इस टेशन पर छह िच ों में बौिद्धक पेशों से जुड़े लोग यानी वा तुकार, भूगोलवे्ा, कलाकार, ऊजा् इजीिनयर, संगीतकार और एक कृिष वै्ािनक िचि त ह। शेष सभी कांच-िच ों में ज्यािमतीय िडजाइन और पंचकोणी िसतारे बने ुए ह। नवा लाबोद् क्या (नई ब ती) मै ो टेशन अु् वा तुकार अिलक्सेय दूशिकन की अिन्तम पिरयोजना थी। मै ो के कें ीय हॉल के अंत में दीवार पर प ीकारी करके िसद्ध ूसी िच कार पावेल कोिरन का िच ’िव शांित’ को उकेरा गया है, िजसमें गोद में ब ा िलए एक ी िदखाई दे रही है।
ओ गा िचिरदिनचेन्का आरआईबीआर
मा को मे ो में आजकल कुल 12 मै ोमाग् ह, िजनपर कुल 196 टेशन बने ुए ह। इनमें से 44 मै ो टेशनों को ूस की सां कृितक धरोहर माना जाता चीि तए दू ी ( वच्छ तालाब) है। दुिनया की यह सबसे खूबसूरत मे ो हर रोज 70 लाख से ज्यादा याि यों को उनकी मंिजल तक पुचाती है। मा को में मे ो 1935 में शुू ुई थी और आज दुिनया-भर की तमाम मै ो सुिवधा के बीच वह पेइिचंग, तोक्यो, िसओल और शंघाई के बाद पांचवे नंबर की सबसे बड़ी मै ो मानी जाती है। हाल ही में मा को मै ो के िवकास की जो पिरयोजना सामने आई है, उसके अनुसार सन् 2020 तक मा को में 160 िकलोमीटर मै ो मागो्ं का िव तार िकया जाएगा और उसमें 78 नए टेशन और कमसामो कया जुड़ जाएंग।े मा को मै ो का हर दूसरा टेशन जैसे जमीन के भीतर बना एक महल ही होता है या हम उसे मूित्यों और मोजाइक आट् से सजा वा तुकला का एक दुलभ् संग्रहालय कह सकते ह। मा को मै ो की गोल लाईन या सक्ल लाईन मै ो के िवकास से जुड़ी एक अनूठी योजना है। यह कैसे सामने आई, इसके बारे में अनेक दंतकथाएं िसद्ध ह। एक कथा के अनुसार, मा को मै ो के िनमा्ण के बारे में अिधकािरयों की बैठक में उनकी बातें सुनते-सुनते तत्कालीन सोिवयत नेता िकयेव कया (िकयेव टेशन) इओिसफ़ तािलन ने अपना काफी का कप भावी मै ो के नक्शे पर रख िदया। िफर कप की तली का गोल िनशान नक्शे पर ही रह गया और इस तरह मै ो अिधकािरयों के मन में मै ो की सक्ल लाईन बनाने का िवचार सामने आया। इसी सक्ल लाईन पर मा को मै ो के सबसे खूबसूरत टेशन बने ुए ह।
5. कमसामो कया
1.इिलक ाज़ावोद कया(िबजलीकारखाना) आइए, हम सबसे पहले मै ो- टेशन ’इिलक ाज़ावोद कया’ की बात कर। इिलक ाज़ावोद कया (िबजली-कारखाना)
कमसामो कया मै ो टेशन को ’मा को गेट’ या मा को का वेश-द्वार कहा जाता है और यह मा को मै ो का सबसे य ततम टेशन भी है क्योंिक यह मै ो टेशन िजस कमसामो कया चौक पर बना ुआ है, वहां पर मा को के 9 रेलवे टेशनों में से तीन रेलवे- टेशन ि थत ह। तािलन के स्ाकाल में िनिम्त कमसामो कया 29 नवंबर की रात को मा को के ’नवा लाबोद कया’ मै ो टेशन पर ूसी-भारतीय संबध ं ों की सुृढ़ता को समिप्त योगाभ्यास क्ा का मै ो टेशन को मा को मै ो का आयोजन िकया गया। मै ो हॉल के बीचोबीच 100 से अिधक लोगों ने योगाभ्यास िकया। भारतीय दूतावास ने यह आयोजन िकया था। सव् े टेशन माना गया था। 1958 ु े स की अंतररा£ीय दश्नी में यह टेशन पूवी् मा को में अरबात् का- िरवा यूत्सी यानी क्रांित-चौक टेशन टेशन है। मा को आने वाले 90 में स प्लोशद िरवा यूत्सी (क्रांित-चौक) टेशन पर पक्रोव कया मै ो-लाईन पर बना ुआ बना ुआ है। िसद्ध ूसी वा तुकार ितशत िवदेशी लोग और अन्य शहरों कमसामो कया मै ो टेशन को ग्रांहै। यह टेशन मा को के िबजली अिलक्सेय दूशिकन ने इसकी ूपरेखा से मा को आने वाले ूसी लोग इस ी देकर सम्मािनत िकया गया था। ि थत िस मूित् कारखाने से जुड़ा ुआ था और बनाई थी। आज इस टेशन पर पीतल टेशन को जानते ह। सक्ल लाईन का िबजली के िसलिसले में िकए जा रहे की 76 बड़ी-बड़ी मूित्यां लगी ुई ह। यह अिन्तम टेशन था और तािलन 6. चीि तए ूदी ( वच्छ तालाब) अनुसंधानों और उसके औद्योिगक तर उनमें से एक मूित् में सीमा सुर्ा बल के बाद स्ा में आने वाले सोिवयत मा को आने वाले हर पय्टक को पर िकए जा रहे उत्पादन से संबंध का एक जवान अपने सहयोगी कु्े नेता िनिकता ख्रुषोफ़ (िहन्दी में लोग चीि तए दू ी यानी वच्छ तालाब रखता था। टेशन की छत की तरफ के साथ बैठा ुआ है। छा ों के बीच उन्ह ख्रुोव िलखते ह) का ि य मै ो टेशन भी जूर देखना चािहए। नजर डालने पर छत पर लगे 318 परी्ा से पहले इस कु्े की नाक टेशन था। यह टेशन चूना पत्थर और जुरािसक अनूठे फानूस नजर आते ह। टेशन को छना अच्छा शकुन माना जाता है। तािलन की मृत्यु के बाद 1953 में िमी यानी िचकनी िमी की परतों के हॉल के बीचोंबीच बने संगमरमर इसिलए इस टेशन पर कु्ों की चारों ख्रुषोफ़ सोिवयत कम्युिन ट पाटी् के से बना ुआ है। इसका िनमा्ण सचमुच के ृ य-िच ’ म की मह्ा’ को मूित्यों में उनकी नाक हमेशा चमकती नेता चुने गए थे। वे उक्राइनी (यूक्रैनी) में एक वा तिवक उपलिब्ध माना जाता समिप्त ह। इन ृ य-िच ों में िबजली रहती है क्योंिक छा और दूसरे लोग थे और यूक्रैन की राजधानी िकयेव के है। िद्वतीय िव-युद्ध के समय यहां पर कारखाने के िमक, भवन-िनमा्ता, भी टेशन से गुजरते ुए इन कु्ों की नाम से जुड़े इस टेशन का िनमा्ण वायु-सुर्ा मुख्यालय और सोिवयत लोहार तथा िकसान आिद अपने-अपने नाक जूर छते ह। उन्होंने पूरे मन से कराया। रग-िबरगे सैन्य मुख्यालय बना ुआ था। उन िदनों फूलों और लता की प ीकारी से मै ो की गािड़यां इस टेशन पर िबना काम में य त नजर आ रहे ह। 3. िकयेव कया (िकयेव टेशन) सुसित 18 मोजाइक ृ यों और ुके ुए अगले टेशन तक चली जाती 2. प्लोशद िरवा यूत्सी (क्रांित- इसी लाईन पर आगे जाकर एक टेशन संगमरमर के अनेक ृ य-िच ों से थीं। मै ो लाईनों को प्लाईवुड के तख्ते चौक) है - िकयेव कया। यहां पुचकर यह मै ो- टेशन खूब सजा-धजा है। हर लगाकर टेशन से अलग कर िदया गया ’इिलक ाज़ावोद कया ’यानी िबजली- आपको मै ो लाईन बदलनी होगी िच और हर ृ य यूक्रैनी अलंकारों से था। िद्वतीय िव युद्ध के उन िदनों में यही पर इओिसफ़ तािलन का दफ्तर कारखाना टेशन के बाद दो टेशन और सक्ल लाईन पर पुचना होगा। सजे ेम में जड़ा ुआ है। और संचार कें भी बने ुए थे। छोड़कर इसी लाइन पर प्लोशद िकयेव कया मा को का बड़ा िसद्ध
मा को में हर साल िहदी िफ म महोत्सव मा को में अगले साल होने वाले भारतीय िफ म महोत्सव की तारीखें अभी से तय कर ली गई हैं। महोत्सव अग त 2016 के मध्य में आयोिजत होगा। अलेक्सां अन्तीिपन तास समाचार सिमित
मा को में भारतीय िफ म महोत्सव अब हर साल आयोिजत िकया जाएगा। यह जानकारी िफ म कंपनी ’अलकेमी ओवरसीज’ के बंध िनदेशक और भारतीय िफ म महोत्सव के आयोजक ोड्यूसर सरफराज आलम ने दी। उन्होंने बताया िक अगले भारतीय िफ म महोत्सव की ितिथयां भी तय कर ली गई ह। वह अग त 2016 के मध्य में होगा। सरफराज आलम ने बताया िक अगले साल िफ म महोत्सव में जॉन अ ाहम और मनोज बाजपेयी जैसे अिभनेता और इिम्तयाज अली जैसे िफ म िनदे्शक भाग लेंग।े आने वाली गिम्यों तक जॉन अ ाहम की दो िफ में िरलीज हो जाएंगी और यह उनके िलए मा को आने का अच्छा मौका होगा। इिम्तयाज अली ने भी मा को आने का वायदा िकया है। वे पहले भी कई बार
ूस आ चुके ह और ूस को बेहद पसंद करते ह। इसके अलावा सरफराज आलम ने बताया िक कजान और उफा में भी इसी तरह के भारतीय िफ म महोत्सव आयोिजत करने या भारतीय िफ मों के समारोह आयोिजत करने के बारे में बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा - आय् की बात तो यह है िक िजन भारतीय िफ मकारों से भी मैंने बात की है, वे सभी ूस आना चाहते ह। वे ूस में गहरी िदलच पी रखते ह और तुरत ही ूस आने के िलए तैयार हो जाते ह। सरफराज आलम ने बताया िक गरिमयां आने से पहले-पहले ूस में बॉलीवुड की तीन िफ मों के समारोह होंग,े िजनमें भारत के िसद्ध िफ म अिभनेता और िफ म िनदे्शक भाग लेंग।े उन्होंने कहा - आजकल हम इिम्तयाज अली की िफ म तमाशा, रोिहत शेी की िफ म िदलवाले और संजय लीला भंसाली की िफ म बाजीराव म तानी के ीिमयर शो मा को में आयोिजत करने की तारीखें तय कर रहे ह। ये सभी िफ में भारत में या तो िरलीज हो चुकी ह और शायद इस साल की सबसे बेहतरीन िफ में होंगी। सरफराज आलम
ने बताया िक मा को और ूस के दूसरे देशों के 100 से ज्यादा िसनेमाघरों में भी ये िफ में िरलीज की जाएंगी। उ्री कोहकाफ का इलाका इस ृि से एकदम नया इलाका होगा, जहां भारतीय िफ में िदखाई जाएंगी। मा को में तीस िसनेमाघरों में फरवरी 2016 से 15 से 30 िदन के भीतर एक-एक करके भारतीय िफ में िरलीज होनी शुू हो जाएंगी। इससे पहले आिखरी बार सन् 2010 में
उ्री कोहकाफ में भी भारतीय िफ में िदखाई जाएंगी। ूस में भारतीय िफ म िरलीज ुई थी। करण जौहर की उस िफ म का नाम था - ’माई नेम इज खान’, िजसमें शाहुख खान और काजोल ने मुख भूिमकाएं िनभाई थीं। ’िदलवाले’ िफ म में ये दोनों एक बार िफर साथ-साथ काम कर रहे ह। इसके अलावा ’तमाशा’ िफ म भी ूस में िदखाई जाएगी, िजसमें मुख अिभनेता ह सोिवयत संघ में बेहद लोकि य भारतीय अिभनेता राजकपूर के
पौ रणबीर कपूर। रणबीर कपूर भी अभी तक मा को नहीं आए ह। मा को में भारतीय िफ म महोत्सव के ोड्यूसर सरफराज आलम ने बताया िक भारतीय िफ में सोिवयत संघ के पतन के बाद सामने आए 11 अन्य देशों और िलथुआिनया, लातिवया तथा ए तोिनया जैसे बाि टक देशों में भी िदखाई जाएंगी। आजकल इस िसलिसले में इन देशों के साथ बातचीत चल रही है। इसके बाद ही इन देशों में भारतीय िफ मों के दश्न की ितिथयां तय की जाएंगी। सरफराज आलम ने िवास य िकया िक ूस में भारतीय िफ मों के दश्क बढ़ते चले जाएंग।े उन्होंने बताया िक ूस और अन्य देशों के िफ म-िवतरक ’तमाशा’ िफ म देख चुके ह और सभी ने उसमें अपनी िदलच पी िदखाई है। मा को में भारतीय िफ मों का पहला महोत्सव सन् 2014 में ुआ था। िफर इस साल 3 से 6 िसतंबर तक दूसरा भारतीय िफ म महोत्सव आयोिजत िकया गया। दश्कों ने इस महोत्सव में छह भारतीय िफ में देखीं, िजनमें ’हैदर’ िफ म के अलावा अिमताभ ब न, दीिपका पादुकोने और इरफ़ान खां की िफ म ’पीकू’ भी शािमल थी।
शाहुख खान और उनका ूस से जुड़ाव िफ़ म िसतारा बनने से पहले शाहुख खान योदर द तायेव की के उपन्यास ’बौड़म’ (इिडयट) में मिण कौल की एक टेलीिवजन िफ़ म में अिभनय कर चुके थे। अजय कमलाकरन आरआईबीआर
भारतीय अिभनेता शाहुख खान के शंसकों की ूस में भरमार है। ूस की सोशल वेबसाइट कोन्ताे डॉट ू पर शाहुख खान को समिप्त कई प्े इसके गवाह ह। उनके युवा शंसक िदलवाले दु हिनया ले जाएंग,े कुछ कुछ होता है और देवदास जैसी उनकी िफ मों के ूसी भाषा में अनूिदत संवादों को दोहरा सकते ह। मुबं ई आने के बाद उन्होंने टेलीिफ मों और टेलीिवजन काय्क्रमों में काम करना शुू िकया था, िजसमें सबसे उेखनीय काय्क्रम रहा ’सक्स’। शाहुख की भावपूण् संवाद अदायगी और िदलेरता ने उनके शंसकों को आकिष्त िकया। इन शंसको में से एक थे भारतीय कला
िफ मों के िनदे्शक मिण कौल, जो ूस– मे ी भी थे। मिण कौल का कहना था िक शाहुख की ’सोज भरी गमगीन’ सी आवाज ने उन्ह आकिष्त िकया और इसीिलए उन्होंने तब के टीवी टार शाहुख खान के सामने योदर द तायेव की के उपन्यास ’बौड़म’ यानी इिडयट पर आधािरत टेलीिवजन सीिरयल में काम करने का ताव रखा। ’बौड़म’ के मिण कौल द्वारा िकए गए इस ूपांतरण में 19 वीं सदी के सां िपतेरबुग् (सेंट पीटस्बग्) नगर के बजाय 1990 के दशक के मुबं ई नगर को िदखाया गया है। शाहुख खान के सामने पवन रघुराजन का िकरदार िनभाने की पेशकश की गई थी। पवन रघुराजन द तायेव की के उपन्यास इिडयट के एक पा पर योन रगोिझन का ही भारतीय ूप है, जो उपन्यास में अन तसीया िफ़लीप ना के स े प्यार के वशीभूत होकर राजकुमार मीशिकन की हत्या करता है। टेिलिवजन सीिरयल का द तायेव की के उपन्यास पर आधािरत होना शाहुख खान के
मिण कौल ने शाहुख खान में यिक्तगत तौर पर िदलच पी ली िलए खास मायने रखता था। उपन्यास बौड़म (इिडयट) शाहुख को अपने िपता से भेंट में िमली पहली िकताबों में से एक था । मिण कौल ने शाहुख खान में यिगत तौर पर िदलच पी ली और एक अिभनेता के ूप में उन्ह बेहतर तरीके से उभरने में मदद करने के िलए उन्ह अिभनय से जुड़ीं कुछ बातें भी िसखाईं। यह सीिरयल 1991 में दूरदश्न पर सािरत िकया गया था। 1992 के न्यूयॉक् िफ म महोत्सव के िलए मिण कौल इस सीिरयल को एक िफ म में बदलने में कामयाब रहे। न्यूयॉक् टाइम्स के टीफन हो डन ने अपनी एक समी्ा में इस िफ म की आलोचना की िक इस िफ म में घट रही घटनाएं उ्ीसवीं
शताब्दी के सां िपतेरबुग् की बजाय आज के मुबं ई नगर में घट रही ह, लेिकन िफर भी पटकथा लेखक अनूप िसंह, कहानी को एक आधुिनक भारतीय सां कृितक या राजनीितक संदभ् देने में नाकामयाब रहे ह। इसके पिरणाम वूप उपन्यास में एक ऐसे आन्दोलन का उेख जो देश को तबाह कर सकता है, िमत करता है और असंदिभ्त तीत होता है। लेिकन हो डन नहीं जानते थे िक मिण कौल वा तव में दूरदशी् थे और इस िफ म-महोत्सव के कुछ ही सालों के अन्दर आिथ्क उदारीकरण के पिरणाम वूप तेजी से होता ुआ भारत के पाात्यकरण का भय भारतीय परपरावािदयों के बीच असुर्ा की भावना पैदा करेगा।
भी िववाह सं था तथा पारपिरक पािरवािरक मू यों को बड़ा महत्व देते ह। पािरवािरक संबंधों के टटने को भारत या ूस में कभी सामान्य नहीं माना जाता। जी हां, इस बात को भलीभांित जानने के बावजूद िक मा को और मुंबई जैसे नगरों में तलाक की दर 30 वष् पहले की तुलना में आज काफी ज्यादा है, मैं यह राय य कर रहा ू।
भी महोत्सव के दौरान या िपकिनक जैसे अिधकांश अवसरों का संगीत अव य उपि थत रहता है। ूस में िजन राि कालीन िशिवरों में मैंने भाग िलया, मैंने ऐसा कभी नहीं देखा िक कैंम्पफायर के दौरान संगीत न गायाबजाया जा रहा हो। भारत में भी ज्यादातर पािरवािरक आयोजनों में िकसी न िकसी ूप में संगीत हमेशा होता है, िजसका एक लोकि य उदाहरण अंता्री है। दोनों ही देशों में लोग जब संगीत समारोहों में जाते ह, तो सवो््म पिरधान धारण करते ह। ूस या भारत में वा तव में केवल शािदयों के अवसर पर ही लोग संगीत समारोहों की तुलना में बेहतर पिरधानों में सजे ुए िदखते ह।
िवचार
वे पांच चीजें, िजनके िलए ूस और भारतीयों में एक-सी दीवानगी अजय कमलाकरन् आरआईबीआर
ूस और भारत की अनूठी सं कृितयों हालांिक एक दूसरे से बुत िभ् ह, लेिकन िफर भी उनमें ऐसी बुत सी समानताएं ह, जो हमें मोिहत करती ह। दोनों देशों के बीच बड़ी भौगोिलक दूरी, दो देशों के मौसम में फक् और अलग भोजन-पद्धितयों व िभ् इितहास के चलते दोनों देशों के रोजमरा् के जीवन में बुतसी िभ्ताएं िदखाई देती ह, परतु गहराई से देखने पर ूसी लोगों और भारतीयों के जीवन में काफी कुछ समानताएं भी िदखाई देती ह। आज हम पांच ऐसी चीजों के बारे
में आपको बताएंगे, िजनको लेकर यावसाियक व वैयिक, दोनों ही िनवासी िसनेमा देखने जाते ह। िसनेमा दोनों देशों के अिधकांश िनवािसयों में तर पर मेहमानों को एक प्याली देखकर आप अ थाई तौर पर अपने दीवानगी देखने को िमलती है। बिढ़या चाय िपलाने का िरवाज है। वत्मान को भूलकर एक दूसरे ही समय में, एक दूसरी ही जगह पर, एक दूसरी ही मनःि थित में चले जाते ह। चाय िसनेमा ूस और भारत दोनों देशों के ूसी भाषा में भी चाय को ‘चाय’ ही वे िदन बीत गए, जब ूस और कहते ह। यह पेय दोनों देशों में बेहद सोिवयत संघ के दूसरे गणराज्यों में लोग दश्कों में तथाकिथत कला िफ मों और लोकि य है। दोनों देशों में लोग एक ूस में बेहद लोकि य िहदी की िफ में वृ्िच ों के ित जोश िदन पर िदन जैसे चाव से चाय पीते ह। ूसी लोग देखने के िलए लंबी-लंबी लाइनें लगाया बढ़ता ही जा रहा है। यह भी एक स ाई भोजन करने के बाद िमठाइयों और करते थे। हालांिक पुरानी पीढ़ी के ूसी है िक ूस में नई पीढ़ी पर हॉलीवुड का टािफयों के साथ चाय पीना पसंद करते लोगों के पास पुरानी भारतीय िफ मों जादुई भाव बुत ज्यादा पड़ चुका है। ह, जबिक भारत में कभी भी चाय पी के वीिडयो टेप आज भी िमल जाते ह। जाती है। भारतीयों के िवपरीत ूसी िसनेमा जाने के खयाल ही ूसी इितहास लोग आम तौर पर िबना दूध की चाय और भारतीय दश्कों को िसनेमाहाल दोनों देशों में ब ों को बचपन से ही पीना पसंद करते ह, हालांिक ‘मसाला की तरफ खींचता है। शायद जीवन उनके विण्म व गौरवशाली अतीत चाय’ भी यहां िदन-ब-िदन लोकि य की कड़वी स ाइयों की तरफ से मन के बारे में बताया जाता है। बड़े-बूढ़े होती जा रही है। दोनों ही देशों में हटाने के िलए ही भारत और ूस के अपने-अपने देशों की सभ्यता के
गौरवपूण् अतीत का इस हद तक बढ़ाचढ़ाकर वण्न करते ह िक कभीकभी यह हा या पद लगने लगता है। हालांिक ूस और भारत, दोनों में ऐसे वा तुकला मारक तथा ाचीन मारक मौजूद ह, जो इन देशों के इितहास की महान उपलिब्धयों के बारे में बताते ह। दोनों देशों में जहां कभी बेहतर िदन रहे थे, यदा-कदा पुराने इितहास के गौरव की अनुभिू त होती है। िकतनी खराब बात है िक आज जब हम 2015 के साल में रह रहे ह, कुछ अध्-ग्रामीण ूसी ्े ों में तथा गंगा के मैदान में ि थत भारतीय राज्यों में हम सीधे उस युग में नहीं लौट सकते, जब वे इलाके महान िवचारों और िवकास के अग्रदूत थे।
पारपिरक पािरवािरक मू य पिरवार नामक सं था को हमारे दोनों ही देशों में बेहद पिव माना जाता है। ूस में और भारत में तीस वष् से अिधक उ के लोग भी अपने माता-िपता के साथ रहते ह और यह एक सामान्य बात है। जब भारतीय और ूसी लोग वय क होने के बाद अपने माता-िपता से दूर रहते ह, तो भी वे छुियों में केवल परपरा िनभाने के िलए ही अपने माता-िपता के पास नहीं जाते, बि क माता-िपता के साथ अपने गहरे ेम और लगाव की वजह से ऐसा करते ह। इसका वा तिवक कारण यह है िक ूसी और भारतीय समाज यिवादी समाज नहीं ह। भारतीय और ूसी लोग आज
संगीत ूसी सं कृित और भारतीय सं कृित, दोनों ही संगीतमय सं कृितयां ह। हमारी संगीत परपराएं सैकड़ों वष् पुरानी ह और अपनी-अपनी शा ीय परपरा में हमारा मुख योगदान रहा है। ूस में राि भोज के दौरान, िकसी
WEDNESDAY DECEMBER 30, 2015
पव्-त्योहार
In association with Rossiyskaya gazeta, Russia
पव्-त्योहार : 31 िदसंबर से 7 जनवरी तक ूस में रहेगी त्योहारों की धूम
नया साल - मुख ूसी त्योहार
मा को के लाल चौक पर नववष् धूमधाम से मनाया जा रहा है। आितशबाजी हो रही है। ूसी देद मारोज़ (तुषार दादा) यानी सांता क्लॉस ब ों को बेहद प्यार करता है। सुनहरे झागों वाला यह पेय और तेज आवाज करते ुए खुलने वाली शैम्पेन की बोतल की डाट नववष् के त्यौहार की एक अिनवाय् िवशेषता बन गई है। रात के ठीक बारह बजे जब बारह के घंटे बजने शुू होते ह तो सुनहरी शैम्पेन िसगे्य िफ़दोतफ़ जामों में ढल चुकी होती है और लोग आरआईबीआर अपने-अपने जाम उठाकर नए साल के हालांिक सारी दुिनया में नववष् भी बड़ी िलए अपनी-अपनी शुभाकां्ा य धूमधाम से मनाया जाता है, लेिकन करने लगते ह। िफर भी सबसे बड़ा ज न िक्र मस के अवसर पर ही िकया जाता है। लेिकन ूस में ि थित इसके एकदम िवपरीत नए साल की नई है। ूस के ज्यादातर िनवासी बड़ी खुशी सुबह में अपने उपहार से िक्र मस मनाते ुए भी नववष् को ही अपना मुख त्यौहार मानते ह। सन् ढढ़ते ब ।े 1700 में ूस के जार प्योतर थम ने ूस में नववष् का त्यौहार मनाने की परपरा शुू की थी। तब तक ूस में नया साल पहली िसतंबर से शुू आितशबाजी से होता था। लेिकन जार प्योतर थम ने रोशन हो उठेगी नए यूरोप के साथ जुड़ने की इच्छा रखते ुए एक िवशेष आदेश जारी करके नया साल की रात। वष् पहली जनवरी से लागू करने का आदेश दे िदया और इस तरह पहली नववष् का फरवृ् जनवरी को नए साल का त्यौहार मनाया इस िवशेष त्यौहार के अवसर पर जाने लगा। िकसी एक वृ् को सजाने की यह परपरा ूस में सिदयों से चली आई है। लेिकन नववष् या िक्र मस के अवसर पकवानों से सजी मेज ूस में 31 िदसंबर से 1 जनवरी की रात पर फरवृ् सजाने की परपरा एक ईसाई को सारा पिरवार एक जगह इका हो परपरा है। ूस ने कैथोिलक ईसाई धम् जाता है और पिरवार के सभी सद य से यह परपरा ली है और आज ि थित पहले बीत गए साल को िवदा देते ह यह है िक फरवृ् के िबना तो नववष् और िफर नए साल का वागत करते ह। के त्यौहार की क पना तक नहीं की जा इस अवसर पर ढेरों पकवान बनाए जाते सकती है। फरवृ् के नीचे ही ब ों के ह। खाने की मेज तरह-तरह के वािद िलए उपहार रखे जाते ह और ब े नए यंजनों और पकवानों से भरी होती है। साल की सुबह उठकर सबसे पहले नववष् पर हर घर में त्यौहार की मेज पर अपना उपहार ढढ़ने के िलए फरवृ् संतरा भी जूर िदखाई देता है। हर ूसी के पास जाते ह। एक-दूसरे को उपहार आदमी जब भी नए साल के त्यौहार को देना भी ूस में नववष् के त्यौहार की याद करता है, उसे नारगी और संतरे की एक मुख परपरा है। खुशबू जूर याद आती है।
सारी दुिनया में नए साल का त्योहार लोग धूमधाम से मनाते हैं, लेिकन ूस का यह मुख त्योहार कम से कम आठ िदन तक तो मनाया ही जाता है।
देद मारोज़ और ेगूरच्का शैम्पेन – एक जाम नव वष् के देद मारोज़ यानी तुषार दादा यानी सांता नाम क्लॉस को ूस में नववष् का मुख िपछली सदी के सातवें दशक में ूस में ितिनिध माना जाता है। अपने लाल शैम्पेन नववष् का मुख पेय बन गया। ओवरकोट में लंबी, सफेद दाढ़ी वाला
यह जादूगर बूढ़ा ब ों को बेहद प्यार करता है और तीन घोड़ों वाली लेज पर सवार होकर अपनी पोती िहमबाला (ेगरू च्का) के साथ नववष् पर ब ों से िमलने आता है और उनके िलए तरह-तरह के उपहार लाता है।
रा£पित का संबोधन ूस में 31 िदसंबर की रात को 11 बजकर 55 िमनट पर सभी मुख टेलीिवजन चैनलों पर सािरत होने वाला रा£पित का संबोधन देश के सभी नागिरक बड़े ध्यान से सुनते ह। आम तौर पर इस संबोधन में रा£पित बीते साल में घटी मुख घटना का िजक्र करते ह। इसके बाद टेलीिवजन पर क्रेमिलन के घंटाघर के बारह घंटों की आवाज सुनाई देती है और सारा देश नववष् का त्यौहार मनाने लगता है। इसके बाद रा£गान बजाया जाता है और ूस के सभी घरों में शैम्पेन के जाम उठाकर टकराए जाते ह और लोग एक-दूसरे को नववष् की शुभकामनाएं देना शुू कर देते ह। ूस में नया वष् शुू हो जाता है।
आितशबाजी रात के बारह बजने के बाद और एक दूसरे को शुभकामनाएं देने के बाद लोग अपने-अपने घरों से िनकलकर पटाखे और आितशबाजी छुड़ाने के िलए सड़कों पर आ जाते ह। भारत में दीवाली की रात जैसे चारों तरफ पटाखों की आवाज सुनाई देती है, वैसी ही आितशबाजी ूस में नववष् की रात छोड़ी जाती है। चारों तरफ पटाखों की आवाजें गूज ं ती रहती ह।
पुराना नया वष् पुराने कलैंडर के अनुसार ’पुराना नया वष्’ मनाने की परपरा िसफ् ूस में ही है। जूिलयन कलैंडर और िग्रगोिरयन कलैंडर में 13 िदन का फक् होने की वजह से ूस में यह मजेदार और अनूठी परपरा शुू ुई। ’पुराना नया वष्’ यानी पुराने जूिलयन कलैंडर के अनुसार, 13 िदन देर से आने वाला नया
वष् भी ूसी लोग धूमधाम से मनाते ह। यूरोप में 16 वीं शताब्दी के अंत तक जूिलयन कलैंडर का ही इ तेमाल िकया जाता था। सन् 1582 में रोम के पोप िग्रगोरी तेरहवें ने वष् के िदन िगनने का नया तरीका शुू िकया। इस परपरा को िग्रगोिरयन परपरा कहा गया और स हवीं सदी के अन्त तक यूरोप के सभी देशों ने िग्रगोिरयन कलैंडर को अपना िलया, लेिकन ूस में पुराने जूिलयन कलैंडर का ही इ तेमाल िकया जाता रहा। 1918 में ूस ने भी
िग्रगोिरयन कलैंडर को अपना िलया। दोनों कलैंडरों के बीच 13 िदन का फक् सामने आया। जूिलयन कलैंडर का 1 जनवरी का िदन िग्रगोिरयन कलैंडर के अनुसार 14 जनवरी को पड़ने लगा। ूसी लोग हसी - खुशी का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते, इसिलए सोिवयत संघ में और बाद में ूस में भी दो बार नया साल मनाया जाने लगा। पुराने जूिलयन कलैंडर के अनुसार, ूसी जनता 13 से 14 जनवरी की रात को भी ’पुराना नया साल’ मनाती है।
ूस में नए साल के बाद िक्र मस का त्यौहार मनाया जाता है ूस में िक्र मस ूस के मुख त्यौहार नववष् के बाद 7 जनवरी को मनाया जाता है। आज हम आपको बताएंग,े ूसी िक्र मस त्यौहार की खािसयतें। िसगे्य िफ़दोतफ़ आरआईबीआर
सारी दुिनया के लोग यह बात जानते ह िक ूस में िक्र मस उस तरह से नहीं मनाते, िजस तरह से दुिनया के दूसरे ईसाई देशों में िक्र मस का त्यौहार मनाया जाता है। कैथोिलक मत को मानने वाले ईसाई धमा्वलंबी 25 िदसंबर को िक्र मस का त्यौहार मनाते ह, जबिक ूस में सनातन ईसाई धम् (आथो्डॉक्स ईसाई) के अनु यायी 7 जनवरी को िक्र मस मनाते ह। दसवीं शताब्दी के अंत में ूस ने भी जब ईसाई धम् की दी्ा ले ली तो ूस में िक्र मस आिधकािरक तौर पर मनाया जाने लगा। िफर बीसवीं सदी के शुू में 1920 में ूस में स्ा में आई नाि तक सरकार ने इस धािम्क त्यौहार को औपचािरक
तौर पर मनाने से इन्कार कर िदया। िक्र मस का फरवृ् और िक्र मस त्यौहार से जुड़े सभी रीित-िरवाज धीरेधीरे खत्म हो गए। लेिकन 1935 में िक्र मस के कुछ रीित-िरवाजों को नए वष् यानी पहली जनवरी की र मों के तौर पर वीकार कर िलया गया। बस, तभी से िक्र मस के फरवृ् को ूस में नववष् से जोड़ा जाने लगा। सांता क्लॉस की तरह ही ूस में देद मारोज़ (तुषार दादा या जाड़ा दादा) ब ों से िमलने घर आने लगे और िक्र मस की कुछ परपरा को ूस में नववष् की परपरा से जोड़ िलया गया। कैथोिलक ईसाई और ोटे टट ईसाई आधुिनक िग्रगोिरयन कलैंडर के अनुसार 25 िदसंबर को िक्र मस का त्यौहार मनाते ह। लेिकन ूसी सनातन ईसाई धम् को मानने वाले लोग पुराने जूिलयन कलैंडर के िहसाब से 25 िदसंबर को ही यानी नए िग्रगोिरयन कलैंडर के िहसाब से 7 जनवरी को ईसा मसीह का जन्मिदन यानी िक्र मस मनाते ह। सनातनी (ऑथो्डॉक्स) ईसाई 7
जनवरी को िक्र मस मनाते ह और 6 जनवरी िक्र मस पर रखे जाने वाले त-उपवासों का अंितम िदन होता है। ूस में आम तौर पर लोग त्यौहार से पहले लंबे उपवास नहीं रखते ह क्योंिक इन उपवासों के बीच में ही नववष् का त्यौहार भी पड़ता है। 6 से 7 जनवरी की रात जागरण की रात होती है। ूस के सभी मंिदरों में (सनातन ईसाई अपने िगरजाघरों को मंिदर कहते ह) उस रात िवशेष िक्र मस पूजा का आयोजन िकया जाता है। इसके बाद ईसामसीह का जन्म होता है। ईसामसीह के जन्म की घोषणा होने के बाद िक्र मस का त्यौहार शुू हो जाता है। अगले िदन यानी 7 जनवरी की सुबह िफर िगरजे में एक और मुख्य पूजा की जाती है। िक्र मस की रात लोग तरह-तरह के भेष बनाकर िक्र मस-टोिलयों में भजन गाते ुए घर-घर जाते ह और हर गृह थ को कुतया (संपण ू ् अ् से बनी िखचड़ी) भेंट करते ह। इसके बदल में गृह थ इन अितिथयों का वागत करते ह और उन्ह
ूस के सनातन ईसाई मंिदर में िक्र मस की पूजा खूब पकवान आिद िखलाते-िपलाते ह। हर घर में िक्र मस पर कुछ िवशेष पकवान जूर बनाए जाते ह, जो नववष् के अवसर पर बनाए जाने वाले पकवानों से अलग होते ह। िक्र मस की पूव् संध्या को ूस में ’सचेलिनक’ कहा जाता है और इस िदन भोजन बनाने के िलए िवशेष ूप से पो ते या खसखस का तेल िनकाला जाता है, िजसे ’सचीवा’ कहा जाता है। िक्र मस की पूव् संध्या को तब तक कुछ भी नहीं खाया जाता, जब तक आकाश में पहला तारा नहीं िझलिमलाने लगता। िक्र मस के अवसर पर हर घर में आटे के मीठे िब कुट ’अब्लात्का’ जूर बनाए जाते ह, िजन्ह खाने की मेज पर बीचोंबीच रखे फूस पर रखकर सबको परोसा जाता है। िफर
सामूिहक भोज के दौरान लोग बीच-बीच में इन मीठे िब कुटों को कुतरकर सभी लोगों के सुखी होने की कामना करते रहते ह। इस भोज के दौरान मेज पर रखे सभी पकवानों को चखना भी अिनवाय् होता है। पिमी यूरोप के देशों और अमरीका से अलग ूस में िक्र मस को एक धािम्क त्यौहार अिधक माना जाता है। इस िदन साव्जिनक छुी होती है। ूस में िक्र मस की जगह ई टर को ज्यादा महत्वपूण् त्यौहार माना जाता है यानी कैथोिलक ईसाई यिद ईसा मसीह के जन्म को ज्यादा महत्व देते ह तो सनातन (ऑथो्डॉक्स) ईसाइयों के िलए उनका पुनुीवन, उनका पुनुत्थान ज्यादा महत्वपूण् है।
ूस के पांच सबसे ठडे शहर, जहां तापमान माइनस 30 िडग्री से भी कम होता है
अनंत ठड से िसकुड़ा-िसमटा जीवन ही ूस के उ्री साइबेिरयाई इलाके की पहचान है। घर से बाहर िनकलते ही पैरों के नीचे से बफ् के कुचलने की आवाज सुनाई देने लगती है। चारों तरफ उ्र वु ीय काली रात का अंधरे ा फैला रहता है और समु का पानी भी भयानक ठड की वजह से जमकर ठोस बफ् में बदल जाता है।
सेि सयस तक नीचे चला जाता है। इस भयंकर ठड के बावजूद इस नगर में, जहां 99 ितशत ूसी हीरों की खुदाई की जाती है, करीब 3 लाख लोग रहते ह। सिद्यों मे यकूत् क को देखने का एक अच्छा तरीका यह है िक आप यकूत् क के संग्रहालयों को देखने लगें। मैमथ संग्रहालय में रखे मैमथों के िवशाल कंकाल देखने के बाद आप ’हमेशा ठड से जमी रहने वाली जमीन’ का संग्रहालय देखने चले जाएं, जहां आपको बफ् की सैकड़ों िक मों के बारे में बताया जाएगा। इसके बाद आप आभूषण संग्रहालय देखने जाएं या िफर हीरा संग्रहालय देखने चले जाएं, जहां एक से एक अु् और दुलभ् हीरों का संग्रह देखा जा सकता है।
यकूत् क
नरील क
ूस के इस सबसे ठडे शहर में सिद्यों की भयानक ठड से बचने के िलए अगर आपके पास सचमुच में बुत गम् कपड़े नहीं ह तो आप अपनी जान जोिखम में डाल रहे ह। यकूितया देश की राजधानी सहा में तापमान (या शीतमान) आम तौर पर शून्य से 40-50 िडग्री सेि सयस नीचे रहता है, जबिक सबसे कम तापमान शून्य से 64 िडग्री
नरील क मा को से 2878 िकलोमीटर दूर क्राया क् देश के उ्र में बसा एक ऐसा शहर है, िजसे साइबेिरया का एक सबसे ठडा और पया्वरण की ृि से ितकूल शहर माना जाता है। यहां पैलिे डयम, प्लेिटनम, सोना, चांदी, िनकल, कोबा ट, तांबे आिद धातु की खदानें बनी ुई ह। लेिकन इसके बावजूद नरील क एक
आइए जानें, ूस के उन पांच साइबेिरयाई शहरों के बारे में, जहां हिड्डयां गला देने वाली ठड पड़ती है और यही इन शहरों की खािसयत भी है। आ्ा ग्रूज़िदवा आरआईबीआर
ूस के नक्शे में वे पांच शहर जहां खून जमा देने वाली ठड पड़ती है, समु का पानी तक जमकर ठोस बफ् बन जाता है।
दीकसन दीकसन दूिदन्का
नरील क
िवख़ा्यान् क
मा को
कलाशिनकफ़ राइफ़ल कारख़ाने की स ी कहानी HINDI.RBTH.COM/DEFENSE
यकूत् क
दीकसन — ूस की सबसे उ्री ब ती है। इस ब ती को ’उ्री वु ीय ्े की िहमानी राजधानी’ कहा जाता है। यहां का मौसम नरील क के मौसम से कहीं ज्यादा कठोर है। उ्र वु ीय अंधरे ी काली रातों में िसतंबर में ही तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। उसके बाद जून में ही िहमपात बंद होता है। कभी-कभी तो जुलाई में भी िहमपात हो जाता है। अक्सर ’चोरनया पूगा्’ यानी काले बफा्नी तूफान आते रहते ह, जब हवा की गित 40 मीटर ित सैकडं से
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काशन के िलए अंक 29 िदसंबर 2015 को भारतीय समय के अनुसार 18:00 बजे तैयार।
सुदं र और िदलच प शहर है। सिद्यों में यहां का शीतमान जहां माइनस 30 िडग्री सेि सयस तक होता है, वहीं गिम्यों में यहां का तापमान प्लस 30 िडग्री तक पुच जाता है। नरील क में भी कई संग्रहालय ह, जैसे ्े ीय इितहास संग्रहालय, जहां पय्टक इस इलाके में रहने वाली एवेन्की, न्गनसान आिद िविभ् जनजाितयों की ाचीन दुलभ् पोशाकें देख सकते है तथा इन जनजाितयों के ओझा , सयानों और गुिनयों के बारे में िव तार से जानकारी पा सकते ह और उनकी पोशाकें देख सकते ह।
भी ज्यादा होती है। अक्सर चलने वाली बफा्नी आंधी कभी भी बफा्नी तूफान में बदल सकती है। लेिकन दीक्सन में पुचकर आप उ्री वु के िकनारे पुच जाते ह। वहां आप कारा सागर की भयानक ताकत को महसूस कर सकते ह और बेलगु ा हेल, वालरस जैसी मछिलयों और आकाश में उ्री वु ीय चमक को देख सकते ह।
अनंत ठड ही ूस के साइबेिरयाई इलाके की पहचान है। िवख़ा्यान् क िवखा्यान् क ब ती में एक हजार से ज्यादा लोग रहते ह। िदलच प बात यह है िक वै्ािनकों में इस बात पर मतभेद है िक ूस की सबसे ठण्डी जगह कौन सी है — िवख़ा्यान् क या ओयिमकोन। दोनों जगहों के शीतमान में 2-3 िडग्री सेि सयस का फक् होता रहता है। इन 2-3 िडग्री सेि सयस से शीतमान में कोई ज्यादा बड़ा फक् महसूस नहीं होता। िवख़ा्यान् क का
सबसे कम तापमान शून्य से 69.8 िडग्री तक िरकाड् िकया जा चुका है। शायद इस कड़ी ठड की वजह से ही 19 वीं शताब्दी में क्रांितकािरयों, िव ोिहयों और िदसंबरवािदयों को िवख़ा्यान् क में िनवा्िसत कर िदया जाता था।
दूिदन्का दूिदन्का नगर की या ा ’बारहिसंघापालक िदवस’ देखने के िलए भी की जा सकती है, िजसका आयोजन आम तौर पर दूिदन्का नगर और आसपास के गांवों में माच् के महीने में िकया जाता है। कड़ाके की ठड पड़ रही होती है, लेिकन िननेत्स, वेन्की, द नागी, न्गनसान और एिनत्स जनजाितयों के थानीय िनवासी अपनी जातीय पोशाकों में बारहिसंघों की दौड़ आयोिजत करते ह। यह दौड़ बेहद दुलभ् दौड़ मानी जाती है क्योंिक आम तौर पर आिदवासी जनजाितयों के ये सभी लोग तून् ा के इलाके में खानाबदोशी करते रहते ह। इसके अलावा दूिदन्का में खूबसूरत कशीदाकारी िकए ुए और बारहिसंघे की खाल से बने आिदवासी जूते ’उन्ती’ भी खरीदे जा सकते ह, जो िकतनी भी भयानक ठड हो, आपके पैरों को ठड से बचाकर रखते ह।
नए वष् की हािद्क शुभकामनाएँ!
2016