Russia&India Business Report

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WEDNESDAY DECEMBER 30, 2015

Business Report RUSSIA&INDIA NAVBHARAT TIMES IN ASSOCIATION WITH ROSSIYSKAYA GAZETA, RUSSIA

भारत-ूस िशखरवाता् : पुितन और मोदी ने आपसी सहयोग के 16 बड़े पार पिरक समझौतों पर द तखत िकए

घूमता आईना

आपसी आिथ्क सहयोग पर िवशेष जोर

ूस-भारतीय संयक्त ु सैन्यअभ्यास ’इ -नेवी-2015’ संप्

नरें मोदी और लदीिमर पुितन ने लीक से हटकर पार पिरक आिथ्क, यापािरक और िनवेश संबध ं ों को आपसी रणनीितक सहयोग का कें िबंदु बनाने का अहम िनण्य िलया है। ददन उपाध्याय आरआईबीआर

िपछले हफ्ते मा को में संप्‍ भारतूस 16-वीं वािष्क िशखरवाता् अपने नतीजों की ृि‍ से इस अथ् में अिद्वतीय रही िक अब दोनों देशों ने िद्वप्ीय आिथ्क, यापािरक और ऊजा् सहयोग को अपने रणनीितक सहयोग का कें िबंदु बना िलया है। पहले र्ा, अंतिर्, परमाणिवक ऊजा् और तेल व गैस ऊजा् संसाधन ही भारत-ूस रणनीितक सहयोग के चार तंभ माने जाते थे। परतु ूस के रा£पित लदीिमर पुितन और भारतीय धानमं ी नर मोदी की िशखरवाता् के अंत में िजन 16 समझौतों पर ह ता्र ुए, उनसे जािहर है िक दोनों नेता ने लीक से हटकर पार पिरक आिथ्क, यापािरक और िनवेश संबधं ों को आपसी सहयोग का कें िबंदु बनाने का अहम िनण्य िलया है। उ‍ेखनीय है िक दोनों देश अपने यापार को 2025 तक 30 अरब डालर तक बढ़ाने का ल य पहले ही तय कर चुके ह और जब तक िद्वप्ीय आिथ्क, यापािरक सहयोग को हकीकत में एक मुख्य थान नहीं िदया जाता, तब तक इस ल य को हािसल करना संभव न हो सकेगा। आज दोनों देशों के बीच यापार महज 10 अरब डालर तक सीिमत है। वाता् के दौरान पुितन और मोदी ने यह भी तय िकया िक िद्वप्ीय यापार को तेजी से बढ़ाने के िलए वे भारत और ूस के िनजी यावसाियक ्े ों को आपस में जुड़ने के िलए ोत्सािहत करगे। पुितन और मोदी की बातचीत के बाद िजन 16 समझौतों पर द तखत ुए, उनमें कामोव हेलीकॉप्टरों और परमाणु िबजलीघरों के िनमा्ण से लेकर, पे ोल और ाकृितक गैस की िनकासी में सहयोग, दोनों देशों के बीच यापार

को बढ़ावा देने के िलए वीजा यव था को आसान बनाने, भारत में सौर ऊजा् संयं थािपत करने व रेलवे में तकनीकी सहयोग संबधं ी समझौते शािमल ह। क्रेमिलन में 24 िदसंबर को वाता् संप्‍ होने के बाद मोदी ने पुितन के साथ एक संय‍ ु प कार सम्मेलन को संबोिधत करते ुए कहा िक रा£पित पुितन और हम अपने आिथ्क संबधं ों का िव तार करने के िलए रचनात्मक ढग से काम कर रहे ह। अपने व‍ य में उन्होंने परमाणु ऊजा् के ्े में भारत और ूस के बीच सहयोग के िव तार का िवशेष ूप

से िजक्र िकया। दोनों प्ों ने वाता् के बाद ‘मेक इन इिडया’ काय्क्रम के तहत भारतीय कंपिनयों के सहयोग से ूसी परमाणु िरएक्टरों का भारत में ही िनमा्ण करने के बारे में एक अहम समझौता िकया। पुितन ने कहा िक ूस भारत में दो जगहों पर 12 परमाणु िरएक्टर लगाएगा। उसका ल य अगले 20 साल में भारत में कम-से-कम छह परमाणु िरएक्टर लगाने का है। उन्होंने कहा िक तिमलनाडु में कुडनकुलम परमाणु िबजलीघर की दूसरी इकाई अगले कुछ हफ्तों में शुू हो जाएगी और तीसरी तथा चौथी इकाइयों

के िनमा्ण के िलए बातचीत चल रही है। मोदी ने संय‍ ु संवाददाता सम्मेलन में कहा िक दुिनया के सबसे बड़े तेल व गैस भंडार में ूस के साथ भारत की रणनीितक भागीदारी उसकी ऊजा् सुर्ा का महत्वपूण् ोत हो सकती है। रा£पित पुितन की मदद से हम ूस के तेल व गैस ्े में भारतीय िनवेश बढ़ा रहे ह। मोदी की मा को या ा के दौरान तेल और ाकृितक गैस के ्े में भी दोनों देशों के बीच चार बड़े समझौतों पर ह ता्र ुए। इनमें ूस के दूसरे सबसे बड़े तेल भंडार वानकोरनेफ्त में

रा£पित पुितन और हम अपने आिथ्क संबध ं ों का िव तार करने के िलए रचनात्मक ढग से काम कर रहे हैं। - मोदी

ओएनजीसी िवदेश िलिमटेड की 15 ितशत िह सेदारी का समझौता भी शािमल है। िवशेष्ों का मानना है िक इन समझौतों के फल वूप िद्वप्ीय यापार में काफी वृिद्ध होगी। मोदी ने भारत-यूरिे शयाई आिथ्क संघ के साथ मु‍ यापार समझौता करने के िसलिसले में िदखाई दे रही गित की ओर भी संकते िकया। वह ूस के रा£ीय आपदा बंधन कें में भी गए और उसकी काय् णाली की जानकारी ली। दोनों देश बड़ी आपदा की रोकथाम और उनके कुपिरणामों के िनवारण के िसलिसले में पार पिरक

सहयोग करने की योजना भी बना रहे ह। संय‍ ु संवाददाता सम्मेलन को संबोिधत करते ुए मोदी ने पुितन को भारत-ूस रणनीितक सहयोग का िश पकार बताया। उन्होंने कहा - मैंने हमेशा दोनों देशों के बीच सामिरक सहयोग का सम्मान और शंसा की है और यही भारत के र्ा, िवकास और कूटनीितक संबधं ों की सुृढ़ता और सफलता का मुख्य ोत है। मुझे िव‍ास है िक दोनों देशों के बीच यापार और िनवेश में वृिद्ध होगी। भिव य में भी ूस भारत का एक महत्वपूण् साझीदार बना रहेगा। पुितन ने संय‍ ु रा£ सुर्ा पिरषद में भारत की थाई सद यता के िलए ूस की ओर से िफर एक बार सश‍ समथ्न य‍ िकया। उन्होंने अहम अंतररा£ीय मु‍ों पर ूस और भारत द्वारा एक-जैसा ुख अपनाने के महत्व पर भी जोर िदया। मोदी ने कहा - हम संय‍ ु रा£ में भी मजबूत सहयोग कर रहे ह। ि क्स, पूवी् एिशयाई िशखर सम्मेलन, जी-20 और अब शंघाई सहयोग संगठन में भारत की सद यता ने हमारे सहयोग को वैि‍क तर दान िकया है। हमारा सहयोग न केवल मध्य एिशया और अफगािन तान सिहत यूरिे शया में बि क सम त एिशयाई शांत ्े में महत्वपूण् है। पुितन ने कहा िक दोनों ही देश सीिरयाई संकट का राजनीितक समाधान करना चाहते ह और अफगािन तान में रा£ीय सुलह-सहमित को आगे बढ़ाना चाहते ह। दोनों प्ों ने आतंकवाद पर िचंता कट करते ुए इसके िवुद्ध िबना िकसी भेद-भाव के एकजुट होकर लड़ने पर जोर िदया और साथ ही इस संबधं में दोहरा मापदंड अपनाने से परहेज करने की बात भी कही। भारत के िवदेश सिचव एस. जयशंकर ने भारतीय प कारों से बात करते ुए कहा िक कुल िमलाकर मोदी-पुितन िशखरवाता् पूण् ूप से संतोषजनक और फल द रही। अब पुितन अगले साल होने वाले ि क्स िशखर सम्मेलन और दोनों देशों की वािष्क िशखरवाता् में भाग लेने के िलए भारत जाएंग।े

िग्रगोरी उवारफ़ आरआईबीआर

ूस-भारत िशखर भेंट के बाद ूस ने के ए -226 टी है िलकॉप्टरों का भारत में िनमा्ण करने से जुड़े समझौते की पुि‍ कर दी है। ूस के रा£पित लदीिमर पुितन ने कहा िक ूस और भारत िमलकर बुिक्रयात्मक लड़ाकू िवमान और बुउ‍ेशीय पिरवहन िवमान का िवकास कर रहे ह और यह आपसी सहयोग की बड़ी संभावनाशील िदशा है। उन्होंने आपसी सहयोग को पारपिरक ूप से िकया जा रहा ’सघन’ सहयोग बताया। संय‍ ु प कार सम्मेलन में बोलते

ुए लदीिमर पुितन ने कहा - हम िसफ् तैयार उत्पादों की ही भारत को सप्लाई नहीं करगे, बि क आपस में गहरा तकनीकी सहयोग भी करगे। हमारे इस तरह के सहयोग का एक उदाहरण ’ ‍ोस’ िमसाइलों का उत्पादन है। भारतीय नौसेना के िलए बड़े पैमाने पर पोतनाशक िमसाइलों का उत्पादन भी शुू कर िदया गया है। मा को िशखर-सम्मेलन की पूवव् ल े ा में बताया गया था िक इस मुलाकात के दौरान 7 अरब डॉलर से ज्यादा मू य की सैन्य-तकनीकी सहयोग से जुड़ी पिरयोजना पर िवचार िकया जाएगा, िजनमें भारत द्वारा नवीनतम ूसी वायु र्ा णाली एस-400 ’ ीऊम्फ’, पिरयोजना 636 की दो डीजल-इलैिक् क पनडुिब्बयों, पिरयोजना 11356 के तीन युद्धपोतों, 48 सैन्य पिरवहन हैिलकॉप्टरों एमआई-17 बी-5 तथा बीएमपी-2 के नामक 149 लड़ाकू बख्तरबंद गािड़यों

का भारत में उत्पादन करने के िलए लायसेंस की खरीद से जुड़ी योजनाएं शािमल ह। इसके अलावा भारत चाहता है िक ूस उसके आइएल-76 सैन्य-पिरवहन िवमानों और हवा में ही लड़ाकू िवमानों को ईंधन की सप्लाई करने वाले आईएल-78 िवमानों का आधुिनकीकरण करे। यह भी बताया गया था िक भारत ूस से पिरयोजना 971 की दूसरी एटमी पनडुब्बी भी िकराए पर लेना चाहता है। इसके अलावा दो देश भारत में बुिक्रयात्मक केए-226 टी नामक 200 हलके ूसी हैिलकॉप्टरों का िमलकर उत्पादन करने के बारे में एक समझौते पर भी िवचार करना चाहते थे। िवगत फरवरी माह में ’इकूत् ’ िनगम ने यह घोषणा की थी िक भारत में बुिक्रयात्मक लड़ाकू िवमानों एसयू30 एमकेआई की एसेंबिलंग के िलए बस छह िवमानों की िकट और भारत

भेजनी है। ’इकूत् ’ िनगम का कहना था िक इस साल यह अनुबधं पूरा हो जाएगा। भारत ने ूस से इस तरह के कुल 222 िवमान खरीदे थे। िवगत अग त में ’िवत्या् योती र सी’ नामक कंपनी ने बताया था िक 151 बुिक्रयात्मक सैन्य-पिरवहन हैिलकॉप्टर एमआई-178-5 की सप्लाई के बारे में ुए अनुबधं में से 148 हैिलकॉप्टरों की सप्लाई हो चुकी है। इसके अलावा, संय‍ ु िवमान िनमा्ण िनगम के मुख यूरी यूसर ने बताया िक इस साल के अंत तक भारत और ूस पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू िवमान और बुउ‍ेशीय पिरवहन िवमान के िमलकर िकए जा रहे िडजाइन-िनमा्ण के अंितम दौर में पुच जाएंग।े सैन्य-तकनीकी सहयोग के ्े में आज ूस और भारत िमलकर जो काम कर रहे ह, वह उस काम से पूरी तरह अलग है, जो काम वे िपछली सदी के

ूसी िफ मों ने जीते िदल्ली िफ म महोत्सव के मुख्य पुर कार िद‍ी अंतररा£ीय िफ म महोत्सव में सव् ‍ े िफ म और सव् ‍ े िनदे्शन के पुर कार ूसी िफ मों को िमले ह। सव् ‍ े िफ म पुर कार ूसी िफ म-िनदे्शक िदिम ी कुिज़िमन की िफ म ’मैं तुझे कभी नहीं छोूँगा’ को तथा सव् ‍ े िफ म-िनदे्शन का पुर कार ’आिखरी रात’ िफ म के िलए ूसी िफ म-िनदे्शक अरसेनी गनचूकफ़ को िदया गया है। अिलक्सेय बुरीिकन के वृ्िच ’राजकपूर-कामरेड आवारा’ को िवशेष पुर कार देकर सम्मािनत िकया गया है। ’मैं तुझे कभी नहीं छोूंगा’ िफ म की अिभने ी दाना मक्सीमवा को भी िफ म में मुख्य भूिमका िनभाने के िलए िवशेष पुर कार िदया गया है।

ूस और भारत के बीच वीजा यव था अब पहले से आसान

ूस और भारत के बीच लगातार बढ़ता सैन्य-तकनीकी सहयोग ूस-भारत वािष्क िशखर भेंट के बाद कहा गया िक ूस और भारत के बीच सामिरक साझेदारी मुख्य ूप से उनके सैन्य-तकनीकी सहयोग में ही यक्त हो रही है।

संय‍ ु सैन्य-अभ्यास ’इ -नेवी-2015’ का ूस और भारत में ऊंचा मू यांकन िकया जा रहा है। वाइस-एडिमरल अन् ये िरयाबूिख़न ने कहा िक अभ्यासों के दौरान जिटल और बड़ा काम पूरा करना था, लेिकन काम मुि कल होने के बावजूद पार पिरक समझ और दो देशों की नौसेना के बीच तुरत िकए गए तालमेल की बदौलत बड़ी सफलता से सारी िजम्मेदािरयों को पूरा कर िलया गया। भारतीय नौसेना के वाइस-एडिमरल सुनील भोकरे ने कहा िक सैन्य-अभ्यास ूस और भारत के बीच बन रहे रणनीितक िर तों में आगे की ओर बढ़ाया गया एक और सकारात्मक कदम िसद्ध ुए ह। उन्होंने कहा िक अभ्यासों के दौरान कोई भी जिटलता पैदा नहीं ुई और सभी सवाल बड़े पेशवे र ढग से हल कर िलए गए। सैन्याभ्यास के दौरान तैरते ुए समु ी ल यों पर िमलकर गोलाबारी की गई और उसके बाद चलतेचलते एक-दूसरे को मालों का ह तांतरण िकया गया।

आठवें और नौवें दशक में िकया करते थे। बात अब िसफ् िवक्रेता और क्रेता के ूप में तकनीक की खरीद की ही नहीं की जाती, बि क भारत की राजकीय और िनजी कंपिनयों की सहभािगता से उन जिटल पिरयोजना की भी होती है, िजनका भारत लायसेंस के आधार पर खुद भारत में उत्पादन करना चाहता है या िजनका िवकास भारत और ूस दोनों िमलकर कर रहे ह। मा को में ुई िशखर मुलाकात के

बाद संय‍ ु ूप से जारी की गई िव्ाि‍ में कहा गया है - दोनों प्ों ने िफर से आपसी सहयोग का िवकास करने तथा ’मेक इन इिडया’ काय्क्रम पर अमल करते ुए इस काय्क्रम की बदौलत सामने आई संभावना का र्ा उद्योग के ्े में इ तेमाल करते ुए िविभ्‍ िवभागों और मं ालयों को यह िजम्मेदारी सौंपी है िक वे ज दी से ज दी ऐसी पिरयोजनाएं तैयार कर िजनपर दो देश िमलकर अमल कर सकते ह।

’मेक इन इिडया’ काय्क्रम के तहत केए-226 टी हैिलकॉप्टरों के संयक्त ु उत्पादन पर भी बनी सहमित

ूस और भारत यापार और पय्टन के िलए वीजा िक्रया को सरल बनाने को तैयार ह। िनकट भिव य में ूस और भारत के यावसाियकों को यापार वीजा लेने के िलए केवल मेजबान कंपनी से एक िनमं ण प की जूरत होगी। इस कदम का दोनों देशों के उद्यिमयों को इतजार है। इसके अलावा भारत ऐसा पहला देश बन जाएगा िजसके साथ ूस छह महीने के िलए पय्टन वीजा देने का समझौता करेगा। अभी तक ूस अिधकतम िसफ् 30 िदन का पय्टन वीजा देता है। भारत पहले ही ूसी नागिरकों को छह महीने का पय्टन वीजा दे रहा है।

िवचार

दुिनया को िफर से संतिु लत बनाने का िवफल यास फ्योदर लुक्यानफ़

आरआईबीआर

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2015 इितहास का ऐसा पहला साल बन गया है, जब कोई भी प‍ ूप से इस स ाई का सामना करने को तैयार नहीं है िक वैि‍क यव था में एक गंभीर असंतल ु न पैदा हो गया है, िजसके वजह से ही नए-नए संकट पैदा हो रहे ह। उदाहरण के िलए ूस द्वारा क्रीिमया को वािपस ूस में शािमल करने और पूवी् यूक्रने द्वारा यूक्रने में ुए स्ा पलट के िवुद्ध चलाए जा रहे आंदोलन को समथ्न देने की कार्वाई को ऐसे ही एक संकट के ूप में देखा गया। पि‍मी देशों ने क्रेमिलन पर दबाव डालने की कोिशश की िक वह अपना काम करने का तरीका बदले। लेिकन उनके इस दबाव के वे पिरणाम

नहीं िनकले, जो पि‍मी देश चाहते थे। सीिरया के मामले में अब तक िकसी को यह नहीं पता है िक “इस सम या का वा तिवक समाधान” कैसे होगा। जैस-े जैसे इस सम या का समाधान करने के यास िकया जा रहा है, वैसे वैसे यह बात साफ होती जा रही है िक इन यासों का कोई असर नहीं हो रहा है और सीिरया में अनेक तरों पर हो रही लड़ाई में शािमल सभी प्ों को िकसी एक ही ल य के ित एकजुट करना सैद्धांितक ूप से असंभव है। पि‍मी एिशया की तकलीफदेह हालत पर इन िदनों सारी दुिनया का ध्यान केंि त है। पि‍मी एिशया में संकट पैदा करने वाली इस सम या को आजकल लोग आम तौर पर आतंकवादी िगरोह ‘इ लामी राज्य’ कहकर पुकारते ह। ’इ लामी राज्य’ नामक यह आतंकवादी िगरोह सीधे-सीधे यह चाहता है िक

िखलाफत नामक वह यव था िफर से वािपस आ जाए, जब सब-कुछ िब कुल सही और न्यायोिचत था; और उस तथाकिथत ’सभ्यता’ की उपलिब्धयों को पूरी तरह से िमटा िदया जाए, िजसे औपिनवेिशक ताकतों ने स े मुसलमानों पर जबरद ती लाद िदया है। 20वीं सदी के आिखर तक वैि‍क यव था करीब-करीब संतिु लत थी। उस दौर में संतल ु न का अथ् था - अनेकानेक ताकतों के बीच एक जिटल संतल ु न। 19वीं सदी में भी ऐसी ही ि थित थी। िद्वतीय िव‍ युद्ध के बाद दुिनया में जब दो महाशि‍यों – अमरीका और सोिवयत संघ के समान भुत्व की यव था उभर कर सामने आई, तो संतल ु न की एक सरल पिरभाषा भी बन गई। तब संतल ु न के िलए यह जूरी था िक दोनों महाशि‍यां िकसी न िकसी

ूप में एक-दूसरे के भाव ्े ों मान्यता दें। आज भी ूस के िलए आदश् ि थित यही होगी िक सभी प्ों के बीच एकदूसरे के भाव ्े ों को लेकर कोई न कोई सहमित बन जाए। पि‍म िन संदहे बीसवीं सदी के अंितम दशक की उन ि थितयों को वापस लाना चाहता है, जब ूस का भाव ्े खत्म हो गया था और पूरी दुिनया में एकमा पि‍मी देशों का डका बजने लगा था। बीसवीं सदी के अंितम दशक में ऐसा लग रहा था िक इस िपरािमडजैसी दुिनया की यव था लंबे समय तक चलेगी। लेिकन इस साल यह बात िसद्ध हो गई िक ऐसा नहीं होने जा रहा है। ूसी व दाई क्लब की इस वष् की वािष्क िरपोट् को ’21वीं सदी में युद्ध व शांित’ का नाम िदया गया है। व दाई क्लब के िवशेष्ों को िव‍ास

है िक ’अंतररा£ीय संबधं ों में बढ़ती अराजकता और वैि‍क मामलों की िनयं ण से बाहर जाती ि थित सदा इसी तरह नहीं बनी रह सकती है … सबसे अिधक संभावना इस बात की है िक इससे दुिनया का एक नई तरह का ढांचा सामने आएगा, िजसमें िविभ्‍ देशों के दो िवशाल समूहों के बीच वा तिवक संतल ु न िदखाई देगा, हालांिक अभी ऐसी ि थित नहीं बन पाई है’। आज ’ताकत के दो महासागर’ िदखाई दे रहे ह। इनमें एक महासागर के कें में अमरीका िदखाई पड़ रहा है, जबिक दूसरा महासागर यूरिे शया का वह महाद्वीपीय भूभाग है, िजसमें चीन, ूस तथा भारत के बीच घिन‍ सहयोग हो रहा है। पहली नजर में इन दोनों महासागरों के बीच एक लचीले संतल ु न की कोई बुत अिधक संतोषजनक संभावना नहीं िदखती।


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