Huzoor ka saya na tha

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लेखक : शान रज़ा अल-हनफ़ी अनुवादक : आले रसू ल अहमद


‫میحرلا نمحرلا ہللا مسب‬ ‫صلیعلی نبینا صلیعلیمحمد‬

‫صلیعلی شفیعناصلیعلیمحمد‬

‫منعلینا ربنا ‌إذ بعث محمدا‬

‫ایدہ‬

‫بأحمدا‬

‫ارسلہ مبشرا ارسلہ ممجدا‬

‫صلواعلیہدآئما صلواعلیہسرمدا‬

‫بأیدہ‬

‫ایدنا‬

‫صلیعلی نبیناصلیعلیمحمدا‬ ‫صلیعلی نبیناصلیعلیمحمدا‬

‫نذرانہءعقیدت‬

‫ی‬ ‫وضحر رپونروغ ث االمظع وبحمب احبسین اخیشل یحم ادلنی اوب دمحم دبعااقلدر انسحل اینیسحل‬ ‫االیجلیندقساہللرسہارلباینونرروہح‪،‬اولصاانیلبراکہتووتفہحریضاہللہنعواراضہانع‬ ‫ی‬ ‫بارک اتنطلسل وغث ااعلمل وبحمب برداین دیس اطلسن اودحادلنی دقوۃ اربکلی ٰ دخموم‬ ‫ارشفاہجاینںاہجریگنانمسینریضاہللاعتیلٰہنع‬ ‫اور درگی امتم اوایلےئ اکنیلم اعرنیف رح امۃ اہلل مہیلع انیعمج ےک دقمس و رکمم و زعمز‬ ‫باراگوہں ںیم اینپ اس اکوش وک شیپ رکےن یک اعسدت احلص رکراہ وہں۔اہلل احبسہن‬ ‫ی‬ ‫ل‬ ‫واعتیلٰ اےنپ وبحمب ﷺےک دصےق اور وےلیسےسوبقل فرامرکامتم ؤمنینم وا مؤانمت‬ ‫ی‬ ‫یکرفغمتفرامدےآنیم۔‬ ‫ریقفاقدؔریدگاےئارشؔفانمسں‬ ‫ِ‬ ‫آلروسلادمحاالرشؔیفااقلدؔریاہیٹکری‬ ‫ل‬ ‫ا مملکۃاارعلۃیبالسعؤدۃی‬ ‫‪Email:aalerasoolahmad@gmail.com‬‬ ‫‪Page 1‬‬

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शैखल ु इस्लाम वल मस ु ललमीन आला हज़रत इमामे अहले सन् ु नत मज ु द्दि​िे िीन व लमल्लत अल- हाफिज़ अल-कारी मौलाना अश-शाह इमाम अहमि रज़ा खान अलैदहर रहमा बरे ली शरीि

सब ु ह तैबा में हुवी बट ता है बाड़ा नरू का सदका लेने नरू का, आया है तारा नरू का मैं गदा तू बादशाह भर दे प्याला नरू का नरू ददन दन ू ा तेरा दे डाल सदका नरू का तेरी ही जाननब है पा​ांचों

वक़्त सजदा नरू का

रुख है ककबला नरू का अबरू है काबा नार का तू है साया नरू का हर अज्व टुकड़ा नरू का साया का साया ना होता है ना साया नरू का तेरी नस्ल पाक में है बच्चा बच्चा नरू का तू है ऐने नरू , तेरा

सब घराना नरू का

का फ़ गेसू हा दहन या अबरू ऑ ांखें ऐन साद काफ हा या ऐ न साद उनका है चेहरा नरू का ऐ रज़ा यह अह्मद नरू ी का फैज़

नरू है

होगई मेरी ग़ज़ल बढ़ कर कसीदा नरू का (दहिा इक़े बख्शशश भाग २ पष्ृ ट २४२)

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राईसुल मुहक्क़कीन शैखुल इस्लाम वल मुसललमीन हज़रत अल्लामा सय्यि मह ु म्मि मिनी अशरि अशरिी अल-ख्जलानी सज्जािा नशीन हुजुर मुहद्दिसे आज़म दहन्ि फकछौछा शरीि

बड़े लतीफ़ हैं नाज़क ु से घर में रहते हैं मेरे हुजूर मेरी चशमे

तर में रहते

हैं

हमारे ददल में हमारे

जजगर में

रहते है

उनहीां के घर हैं वह अपने घर में रहते हैं मक़ाम उनका ना फशे जमीां ना अशे बरीां वह अपने चाहने वालों के घर में रहते हैं यकीन वाले कहा​ाँ से चले कहा​ाँ

पहुांचे

जो अहले शक हैं अगर में मगर में रहते हैं खुदा के नरू को अपनी

तरह समझते हैं

यह कौन लोग हैं ककस के असर में रहते हैं जो अशतर उनके तसव्वरु में सब ु ह व शाम करें कहीां भी रहते हूाँ तैबा(शरीफ़) नगर

में

रहते

हैं

(तजख्ल्लयाते सख ु न पष्ृ ट २८)

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क्या हुज़ूर सय्यिे आलम सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का पववत्र शरीर भी नूरी था ? हज़रत

अल्लामा

सय्यद

अहमद

शाह

काज़मी

अललदहरर ह्मा

"ररसाला

मीलादनु नबी" के पष्ृ ठ नम्बर १५ पर फरमाते हैं कक हुजरु सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम का शरीर भी नरू था | इस ववषय पर आज कल के नये नये लोंडे, दे वबांददया वहाबी सांगठन से सांबांध रखने वाले, बात बात पर लशकर एवां कुफ्र का फ़तवा दागने वाले, ववरोध करते हैं और अहले सन ु नत व जमात को अभद्र शब्द का ननशाना बनाते हैं इस ललए इस मद् ु दे का सब ु त ू ववद्वान अहले सन ु नत के पस् ु तक से और खद ु दे वबांदीयाँू की पस् ु तक से प्रस्तुत ककया जा रहा है | इस लेख में कुछ जुमले

मज ु ादहदे अहले सन ु नत

अबू कलीम मह ु म्मद साददक फ़ानी अलैदहरर हमा की पस् ु तक "आईना अहले सन ु नत" से ललया गया है | अल्लाह तआला लेखक को करवट करवट जननत पदारन करे और ववरोधीयाँू को अल्लाह तआला सत्य कुबल ू करने की तौफीक़ दे आमीन | अबू कलीम मह ु म्मद लसद्दीक़ फ़ानी साहब मरहूम, अल्लामा अहमद सईद शाह काज़मी अलैदहरर हमा की उपर वाली लेख नक़ल करने के बाद फरमाते हैं कक... "अगर इस अक़ीदा की बबना पर कक "हुजरु सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम का शरीर भी नरू था" आप (ववरोधीयाँ)ू ने अल्लामा काज़मी अलैदहरर हमा की व्यजततत्व को अभद्र शब्द का ननशाना बनाया है तो उन Huzoor Ka Saya Na Tha

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ववद्वान अहले सन ु नत और दे वबांदी ववचार धारा के गरु ु औां के सांबांधधत भी आदे श जारी करें जजन के भाषण अल्लामा अहमद सईद शाह काज़मी अलैदहरर हमा की समथरन एवां पजु ष्ट करते हैं ताकक आप की सत्यता एवां वीरता का अनम ु ान हो सके की आप सत्य बात कहने में ककस क़दर बे बाक हैं |

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बिनाम वह क़त्ल

भी करते

हैं तो चचा​ा

नही​ीं होता

१. इमामल हदीस हज़रत हकीम नतमरज़ी रहमतल् ु ु ला दह अलैह अपनी पश्ु तक "नवाददरुल उसल ू " में हज़रत ज़तवान रददअल्लाहु अनह से यह हदीस रवायत करते हैं: ٰ ‫عنذکوانانرسولہللاﷺلم‬ ‫یریلہظلفیشمسوالقمر‬ )03‫(المواھباللدنیۃعلیالشمائلالمحمدیۃمطبوعہمصر‬ अनव ु ाि: सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का छाया ना सरू ज की

धप ू में नज़र आता था ना

चा​ाँद की चा​ाँदनी में | (हवाला :अल मवादहबल ु लदनु या अलश शमाइललल मह ु म्मददया प्रकालशत लमस्र पष्ृ ट ३०) २. हजरत अब्दल् ु लाह बबन मब ु ारक और हाकफज़ इब्ने जौज़ी रहमतल् ु ला दह अलैह हज़रत इब्ने अब्बास रददअल्लाहु अनहुमा से ररवायत करते हैं : ‫لمیکنلرسولہللاﷺظلولملقممعشمساالغلبضوءہضوءھا‬ ‫والمعالسراجاالغلبضوءہضوءہ‬ )174‫ص‬1‫ج‬،‫جمعالوسائلللقاری‬-883‫ص‬4‫ج‬،‫زرقانیعلیالمواھب‬-82‫ص‬1‫ج‬،‫(الخصائصالکبری‬

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अनव ु ाि: सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम के जजस्म मब ु ारक का छाया नहीां था ना सरू ज की धप ु में ना धचराग की रौशनी में, सरकार का नरू सरू ज और धचराग के नरू पर ग़ाललब रहता था|

)खसा ऐ से कुबरा भाग १ पष्ृ ठ २८)

३. इमाम राधगब अस्फहानी (मत्ृ यु ४५० दहज्री) रहमतल् ु ला दह अलैह फरमाते हैं| )‫رویانالنبیصلیہللاعلیہوسلمکاناذامشیلمیکنلہظل (المعروفالراعد‬ अनव ु ाि: ररवायत की गयी कक जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम चलते तो आप का छाया ना होता था | (अल मारूफुल राअद) ४. इमाम नस्फी (मत्ृ यु ७१० दहज्री) तफसीरे "मदाररक शरीफ" में हज़रत उस्मान रददअल्लाहु अनह से यह हदीस नक़ल फ़रमाते हैं : ‫قالعثمانرضیہللاتعالیعنہانہللامااوضعضلکعلیاالرض‬ ‫لئالیضعانسانقدمہعلیذلکالظل‬ )161‫ص‬8‫مدارجالنبوۃج‬-130‫ص‬8‫(المدارکشریفج‬ अनव ु ाि: हज़रत उस्मान गनी रददअल्लाहु अनह ने बारगाहे ररसालत में अज़र ककया कक खुदा जल जलालहु ने आप का छाया जमीन पर पड़ने नहीां ददया ताकक इस पर ककसी इांसान का कदम ना पड़ जाये | (मदाररक शरीफ भाग २ पष्ृ ठ २८ मत्बआ क़दीम ू एवां मदारीजुन नबव ु ा भाग २ पष्ृ ट १६१) Huzoor Ka Saya Na Tha

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५. इमाम जलाल उद्दीन लसयत ू ी अश शाफ़ई (मत्ृ यु ९११दहज्री) फरमाते हैं: ‫لمیقعظلہعلیاالرضوالیریلہضلفیشمسوالقمر‬ ‫قالابنسبعالنہکاننوراقالرزینفعلبہانوارہ‬ )‫(انموزجاللبیب‬ अनव ु ाि: हुजूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम जाने नरू का साया ज़मीन पर नहीां पड़ता था और ना सरू ज चा​ाँद के रौशनी में छाया आता था | इब्ने सब ु अ इसकी वजह बयान करते हैं कक हुज़रू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम नरू थे | रजीन ने कहा कक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का नरू सब पर ग़ाललब था | (अनमज़ ू जुल लबीब ) ६. इमामल ु ज़मान क़ाज़ी एयाज़ रहमतल् ु ला दह अलैह (मत्ृ यु ८४४ दहज्री) फरमाते हैं : ‫وماذکرمنانہالظللشخصہفیشمسوالفیقمر‬ ‫النہکاننوراوانالذبابکانالیقععلیجسدہوالثیابہ‬ )040‫ق‬048‫ص‬1‫(شفاءقاضیعیاضج‬ अनव ु ाि: यह जो बता या गया है कक सरू ज और चा​ाँद की रौशनी में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम पववत्र शरीर का छाया नहीां पड़ता था और आप

सल्लल्लाहु अलैदह व

आललही व अस हाबबही व सल्लम के शरीर और ललबास (वस्त्र) पर

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मख्खी नहीां बैठती थी तो इसकी वजह यह कक हुज़रू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम नरू थे | (लशफ़ा क़ाज़ी एयाज़ भाग १ पष्ृ ट ३४२-३४३) ७. अल्लामा इब्ने हजर मतकी रहमतुल्ला दहअलैह (मत्ृ यु ९७३ दहज्री) फरमाते हैं : ‫وممایویدانہﷺصارنوراانہاذامشیفیالشمساوالقمرالیظہرلہظل‬ ‫النہالیظہرااللکثیفوھوصلیہللاعلیہوسلمقدخلصہہللاتعالیمنسائرالکثافاتالجسمانیۃ‬ ٰ )76‫القریص‬ ‫وصیرہنوراصرفاالیظھرلہظلاصال(افضل‬

अनव ु ाि: हुजरु सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम पाबनदी के साथ यह दआ ु फरमाते थे कक ईलाही मेरे तमाम इजनद्रयों एवां अांगें सारे शरीर को नरू कर दे और इस दआ से लक्ष्य यह नहीां कक नरू होना ु अभी हालसल ना था कक इसका अधधग्रहण मा​ाँगते थे बजल्क यह दआ ु इस बात के प्रकट करने के ललए थे कक हकीक़त में हुजरु सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम का तमाम का शरीर नरू था और यह कृपा अल्लाह तआला ने हुजुर सल्लल्लाहु अलैदह सल्लम पर कर ददया जैसा कक हमें हुतम हुवा कक सरु ह बकरा शरीफ के अांत की प्राथरना करें वोह भी इस गुणवत्ता के प्रकट अल्लाह त आला के कृपा के है और हुजुर अलैदहस्सलातु व सलाम के मात्र नरू हो जाने की पजु ष्ट इससे होती है कक धप ू या चा​ाँदनी में हुजुर का छाया पैदा न होता | इसललए कक छाया तो तसीफ (गढ़ा) होता है और हुजरु सल्लल्लाहु अलैदह व Huzoor Ka Saya Na Tha

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आललदह व सल्लम को अल्लाह त आला ने तमाम शारीररक कसाफ़तों से शद् ु ध करके सरापा नरू कर ददया ललहाज़ा हुजुर सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम के ललए छाया असलन न था | (अफ्ज़लल ु क़ र उल कुरार उम्मल ु कुरार शरह उम्मल ु कुरार शरह नम्बर २ पष्ृ ठ १२८,१२९, भाग प्रथम प्रकालशत अबू ज़हबी)

८. अल्लामा शहाब उद्दीन खुफ्फाजी रहमतुल्ला दह अलैह कववता में फरमाते हैं : ‫ماجربظلاحمد اخریال فیاالرضکرامۃ کماقد قالوا‬ ‫ھذاعجبولمبہمنعجب والناس بظلۃ جمعیا قالوا‬ ‫وقدنطقالقرانبانہالنور المبینوکونہ بشراال ینافیہ‬ )‫مصری‬013‫ص‬0‫(نسمالریاضج‬ अनव ु ाि: सम्मान एवां श्रद्धेय के कारण हुज़रू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम के छाया (साया) जजस्म के दामन जमीन पर रगड़ता हुवा नहीां चलता था हाला​ाँकक हुज़रू ही का साया ए करम में सरे इनसान चैन की नीांद सोते हैं इस से है रत अांगेज़ बात और तया हो सकती है | इस बात की गवाही के ललए कुरान करीम की यह गवाही काफी है कक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम मब ु ीन हैं और हुज़रू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का छाया ना होना बशर होने के मनाफ़ी नहीां है | Huzoor Ka Saya Na Tha

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(नसीमरु ररयाज़ भाग ३ पष्ृ ट ३१९ लमस्री) ९. इमाम अहमद कुस्तुलानी फरमाते हैं :

‫صلیہللاعلیہوسلم‬

‫قاللمیکنلہﷺظلفیشمسوالقمررواہالترمذیعنابنذکوانوقالابنسبعکان‬

)883‫ص‬4‫رزقانیج‬-123‫ص‬1‫نورافکاناذامشیفیشمساوالقمرالیظھرلہضل(مواھباللدنیۃج‬ अनव ु ाि: हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम के जजस्मे अतहर का साया ना सरू ज की रौशनी में पड़ता था ना चा​ाँद की चा​ाँदनी में

|

(मवादहबल ु लदनु या भाग १ पष्ृ ट १८० – ज़क ु ारनी भाग ४ पष्ृ ट २२०) १०.

अल्लामा हुसन ै इब्ने मह ु म्मद ददयार फरमाते हैं : )‫النوعالرابع‬،‫لمیقعظلہعلیاالرضوالیریضلفیشمسوالقمر(کتابالخمیس‬

अनव ु ाि: हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम के पववत्र शारीर का छाया ना सरू ज की रौशनी में की रौशनी में पड़ता था ना चा​ाँद की चा​ाँदनी में | (ककताबल ु खमीस) ११.

अल्लामा सल ु ेमान जम ु ल रहमतुल्ला दह अलैह फरमाते हैं : )5‫لمیکنلہصلیہللاعلیہوسلمضلیظھرفیالشمسوالقمر(ازحیاتاحمدیہشرحھمزیہص‬

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अनव ु ाि: हुज़रू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का पववत्र शारीर का छाया ना सरू ज की रौशनी में पड़ता था ना चा​ाँद की चा​ाँदनी में | (हयाते अहमददया शरह हजम्ज़या पष्ृ ट ५) १२.

इमामे रब्बानी मज ु द्ददद अल्फ ए सानी रहमतल् ु ला दह अलैह

फरमाते हैं: ‫اوصلیہللاعلیہوسلمسایہنبوددرعالمشہادتسایہہرشخصازشخصلطیفتراستچوںلطیفترازدے‬ )‫مطبوعہنولکشورلکھنو‬147‫ص‬0‫صلیہللاعلیہوسلمدرعالمنباشداورسایہچہصورتدارد(مکتوباتج‬ अनव ु ाि: हुज़रू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का छाया ना था और इसकी वजह यह है कक आलमे शहादत में हर चीज़ से उसका साया लतीफ़ होता है और सरकार सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम

की शान यह है कक कायनात

(ब्रह्मा​ांड) में उन से ज्यादह कोई लतीफ़ चीज़ है ही नहीां कफर हुज़रू का साया तयों कर पड़ता | (मकतूबात भाग ३ पष्ृ ट १४७ पकारलशत नवल ककशोर लखनऊ) १३.

सादहबे "मजम अल बहार " अल्लामा शैख़ मह ु म्मद तादहर

रहमतल् ु ला दह अलैह फरमाते हैं: ‫مناسماءبہﷺالنورقیلمنخصاصہﷺاذامشیفیالشمسوالقمرالیظھرلہظل‬ )‫(زبدہشرحشفاءمجمعبحاراالنوار‬

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अनव ु ाि: हुज़रू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम नामो में से नरू भी एक नाम है और उसकी खुसलू सयत है कक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का साया ना धप ु में और ना चा​ाँदनी में | (मजमअ बहारुल अनवार) १४.

सादहबे लसरतुल ह ल बबया (मारूफबबह सीरत शामी) फरमाते हैं: )‫اذامشیفیالشمساوالقمرالیکوںلہظلالنہکاننورا(المعروفالراعد‬

अनव ु ाि: हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम जब सरू ज या चा​ाँद की रौशनी में चलते तो आप का छाया ना होता इसललए कक आप नरू थे | (अल मारूफुल राअद)

१५.

इमाम तकीउद्दीन सब ु की रहमतुल्ला दह अलैह फरमाते हैं: ٰ ‫لقدنزہالرحمنظلکانیریعلیاالرض‬ ‫ملقیفانطویلمزیۃ‬

अनव ु ाि: खद ु ा ए रहमान ने आप के छाया को ज़मीन पर जस्थत होने से पाक फरमाया और पाए-माली से बचने के ललए आप की अज़मत (सम्मान) के कारण इसको लपेट ददया कक ददखाई न दे | इमाम शैख़ अहमद मनावी भी यही फरमाते हैं | Huzoor Ka Saya Na Tha

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१६.

इमामल ु आररफीन मौलाना जलाल उद्दीन रूमी रहमतल् ु ला दह

अलैह फरमाते हैं: ‫چوںفناسازفقرپیرایہشود‬ ‫او محمددارےبتسایہ شود‬ )‫(مثنویمعنویودفترپنجم‬

अनव ु ाि: जब फ़क्र की मांजजल में दव ु ेश फ़ना का ललबास पहन लेता है तो मह ु म्मद सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम की तरह उसका भी साया ज़ा इल (ख़त्म) हो जाता है | (मसनवी व मानवी बाब पांजुम) १७.

हज़रत अल्लामा बहरुल उलम ू लख नवी रहमतुल्ला दह अलैह

इस पांककत की

वजाहत फरमाते हैं:

‫درمصرعہثانیاشارہبہمعجزہآںسرورﷺاستکہآںسرورنہمیافتاد‬

अनव ु ाि: दस ु रे पांककत में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम

के इस मअ ु जज़ा (चमत्कार) की तरफ इशारा है

कक हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का छाया नही था |

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१८.

इमामल ु मह ु द्दीसीन हज़रत शाह अब्दल ु अज़ीज़ (मत्ृ यु १२३९

दहज्री) बबन शाह वाली यल् ु लाह मह ु द्ददस दे हलवी रहमतुल्ला दह अलैह फरमाते हैं: ‫ازخصوصیاتکہآںحضرتﷺکےبدنمبارکشدادہبودندکہسایہایشاںبرزمیںنہمیافتاد‬ )10‫(تذکرہالموتیوالقبورص‬ अनवाि: जो ख़ुसलू सयात नबी अतदास सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम के शारीर मब ु ारक में अता की गयी उन में से एक यह थी कक आपका छाया ज़मीन पर नहीां पड़ता था| (ताजज्करतुल मौता वल क़ुबरू पष्ृ ट १३) १९.

काज़ी सना उल्लाह पानी पती ((मत्ृ यु ११२५ दहज्री) लेख़क माला

बद् ु दा लमनह व तफसीरे मज़हरी ने फ़रमाया है : ‫میگویندکہرسولخداراسایہنہبود‬ )10‫)تذکرۃالموتیوالقبورص‬

अनव ु ाि: उलमा ए कराम फरमाते हैं कक रसल ू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का साया नहीां था | २०.

मफ़् ु ती इनायत अहमद काकोरवी रहमतुल्ला दह अलैह (मत्ृ यु

१२७९ दहज्री) फ़रमाते हैं : अनव ु ाि: आप का शरीर नरू - इस वजह से आपका छाया ना था | Huzoor Ka Saya Na Tha

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(तारीखे हबीबे इलाह पष्ृ ठ १६१ प्रकालशत भारत, द्वारा मफ़् ु ती इनायत अहमद रहमतुल्ला दह अलैह) २१.

हज़रत शाह अहमद सईद मह ु द्ददस दे हलवी सम् ु म अल मदनी

रहमतुल्ला दह अलैह (मत्ृ यु १२७७ दहज्री) फरमाते हैं : अनव ु ाि: "छाया आपका का ना था, शरीर आपका नरू ी था" (सईदल ु बयान फ़ी मौललद सय्येदल ु इनस व जान पष्ृ ठ ११३ प्रकालशत गोजर नव ु ाला १९८२ द्वारा : शाह अहमद सईद रहमतल् ु ला दह अलैह)

२२.

हज़रत शैख़ अब्दल ु हक़ मह ु द्ददस दे हलवी रहमतुल्ला दह अलैह

(मत्ृ यु १०५२ दहज्री) फरमाते हैं : अनव ु ाि: "आाँ हजरत सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम लसर अक़दस से पैर मब ु ारक तक सरासर नरू थे" (मदररजुन नब ु व्ु वा फारसी पष्ृ ठ १३७ भाग प्रथम) २३.

अल्लामा जलाल उद्दीन लसयत ू ी अश-शाफ़ई (मत्ृ यु ९११ दहज्री)

फरमाते हैं : ‫قالابنسبعمنخصائصہصلیہللاعلیہوسلمانظلہکانالیفععلیاالرض‬ ‫النہکاننورااذامشیفیالشمساوالقمرالینظرلہضلقالبعضھمویشھدلہ‬ ‫حدیثقولہصلیہللاعلیہوسلمودعائہفاجعلنینورا‬ ٰ )62‫ص‬1‫کبریج‬ ‫(خصائص‬ Huzoor Ka Saya Na Tha

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अनव ु ाि: इब्न सबअ ने हुजरु सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम की व्यजततत्व के सांबांध में कहा कक आपका छाया धप ु एवां चा​ांदनी दोनों में इस वजह से ना था कक आप सर ता पा (लसर अक़दस से पैर मब ु ारक तक) नरू थे | (खसा ऐ से कुबरा पष्ृ ठ १६९ प्रकालशत कराची पाककस्तान १९७६ द्वारा :इमाम जलाल उद्दीन लसयत ू ी रहमतल् ु ला दह अलैह) २४.

मल् ु ला अली क़ारी रहमतुल्ला दह अलैह (मत्ृ यु १०१४ दहज्री)

फरमाते हैं : अनव ु ाि: हुजरु सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम का हृदय मब ु ारक और शरीर नरू था और सभी नरू इसी नरू से प्रकालशत एवां लाभ आभारी हैं | (शरह लशफ़ा बर हालशया नसीमरु रर याज़ पष्ृ ठ २१५ भाग प्रथम प्रकालशत मल् ु तान द्वारा : मल् ु ला अली क़ारी रहमतल् ु ला दह अलैह) २५.

काज़ी अयाज़ मालकी उनदलु लसी अलैदहर रहमा​ाँ (मत्ृ यु ५४४

दहज्री) फरमाते हैं: अनव ु ाि: आप सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम के पववत्र शरीर का छाया ना धप ू में होता और ना चा​ाँदनी में तयांकू क आप नरू थे | (अजश्शफा अनव ु ाददत पष्ृ ठ ५५२ भाग प्रथम प्रकालशत लाहौर) २६.

मौलाना अब्दल ु हई लखनवी रहमतुल्ला दह अलैह फरमाते हैं :

अनव ु ाि: बेशक नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम जब धप ू और चा​ाँदनी में चलते थे तो आपका छाया

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जमीन पर नहीां पड़ता था तयांकू क छाया कसीफ (गढ़ा) होता है और आप की व्यजततत्व सर से क़दम तक नरू है | (अत्तालीक अल अल अजीब पष्ृ ठ १३, ब हवाला अल अल अनवा रुल मह ु म्मददया पष्ृ ठ १६३) २७.

मफ़् ु ती शफ़ी दे वबांदी का फ़तवा :

प्रशन : वह हदीस कौन सी है जजस में कक रसल ू े मकबल ू सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का छाया जमीन पर जस्थत नहीां होता था ? उत्तर : इमाम लसयत ू ी ने खसा ए से कुबरा में आाँ हज़रत सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का छाया ज़मीन पर जस्थत ना होने के बारे में यह हदीस नक़ल फरमाई है : "‫"اخرجالحکیمالترمذیعنذکوانانرسولﷺلمیکنیریلہظلفیالشمسوالقمرالخ‬ और “तावाररखे हबीबे इलाह” में इनायत अहमद काकोरवी रहमतुल्ला दह अलैह ललखते हैं कक आप का शरीर नरू इसी वजह से आपका छाया ना था | मौलाना जामी रहमतुल्ला दह अलैह ने आप के छाया ना होने का खूब नत ु ता ललखा है इस कत-आ में :

ٰ )838‫(عزیزالفتاویجلدھستمص‬

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(अजीजल ु फतवा भाग ६ पष्ृ ट २०२, फ़तवा दारुल उलम ू दे वबांद पष्ृ ठ १६३ भाग प्रथम प्रकालशत दारुल अशा अत कराची,) जजन उलामे उम्मत और मस ु ांननफीन (लेखक) के अक़वाल व ररवायत पेश ककये हैं उनके नाम ननम्मेललखखत हैं : हकीम नतरलमज़ी रहमतल् ु ला दह अलैह हजरत अब्दल् ु लाह बबन मब ु ारक रहमतुल्ला दह अलैह अल्लामा हाकफज़ र ज़ी न रहमतुल्ला दह अलैह हाकफज़ इब्ने जौज़ी रहमतुल्ला दह अलैह इमाम नस्फी रहमतल् ु ला दह अलैह इब्न सु बअ रहमतल् ु ला दह अलैह इमाम राधगब अस्फहानी रहमतुल्ला दह अलैह इमाम जलाल उद्दीन लसयत ू ी रहमतुल्ला दह अलैह इमामल ु ज़मान क़ाज़ी अल एयाज़ रहमतुल्ला दह अलैह अल्लामा इब्ने हजर मतकी रहमतल् ु ला दहअलैह अल्लामा शहाब उद्दीन खुफ्फाजी रहमतुल्ला दह अलैह इमाम अहमद कुस्तुलानी रहमतुल्ला दह अलैह काज़ी अयाज़ मालकी उनदलु लसी रहमतुल्ला दह अलैह सादहबे सीरते शामी रहमतल् ु ला दह अलैह सादहबे सीरते ह ल बबया रहमतुल्ला दह अलैह इमाम ज़ुकारनी मालकी रहमतुल्ला दह अलैह अल्लामा हुसन ै इब्ने मह ु म्मद ददयार रहमतल् ु ला दह अलैह अल्लामा सल ु ेमान जम ु ल रहमतल् ु ला दह अलैह अल्लामा शैख़ मह ु म्मद तादहर रहमतुल्ला दह अलैह इमाम तकीउद्दीन सब ु की रहमतुल्ला दह अलैह Huzoor Ka Saya Na Tha

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इमामल ु आररफीन मौलाना जलाल उद्दीन रूमी रहमतल् ु ला दह अलैह मल् ु ला अली क़ारी रहमतुल्ला दह अलैह हज़रत अल्लामा बहरुल उलम ू लख नवी रहमतुल्ला दह अलैह इमामल ु मह ु द्दीसीन हज़रत शाह अब्दल ु अज़ीज़ मफ़् ु ती इनायत अहमद काकोरवी रहमतल् ु ला दह अलैह हज़रत शाह अहमद सईद मह ु द्ददस दे हलवी रहमतुल्ला दह अलैह हज़रत शैख़ अब्दल ु हक़ मह ु द्ददस दे हलवी रहमतुल्ला दह अलैह अल्लामा जलाल उद्दीन लसयत ू ी अश-शाफ़ई रहमतुल्ला दह अलैह इमामे रब्बानी मज ु द्ददद अल्फ ए सानी रहमतल् ु ला दह अलैह मौलाना अब्दल ु हई लखनवी रहमतल् ु ला दह अलैह इनके इलावा मख ु ाललफीन

(ववरोधीयां)ू के कुछ मौलवी हैं जजनके नाम

और कौल हवाले के साथ बताया जा रहा है आप ददल और ददमाग को हाजज़र करके पढ़े और खुद फैसला करें | तम को अपने हुस्न का इहसास नहीां ु आइना सामने रख दां ू तो पसीना आ जाये २८.

मौलवी अशरफ़अली दे वबांदी ललखता है :

हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम) सर ता पा नरू थे हुजरु (सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम) मैं जल् ु मत (अांधेर) नाम को भी ना थी इसललए आप का छाया ना था | (शक्र ु ू न नन अ म त बब जज़क्रे रह्मतुररह्मा पष्ृ ठ ३१ प्रकालशत कराची)

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२९.

कारी मह ु म्मद तय्येब दे वबांदी ललखता है :

कक आप (नबी पाक सल्लल्लाहु अलैदह व आललदह व सल्लम) के पववत्र शरीर जमाल मब ु ारक और हकीक़त पाक सब ही में नरू ाननयत और आकवषरत नज़र आती है | (आफ़ताबे नब ु व ू त पष्ृ ठ ४९ प्रकालशत लाहौर १९८० ई.) ३०.

मौलवी आबबद लमया​ां दे वबांदी :

अपनी लेखन रहमतुल ललल आ ल मीन (डाभेल) में ललखता है : आाँ हज़रत सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व अस हाबबही व सल्लम का पववत्र शरीर नरू ानी था जजस समय आप धप ू और चा​ाँदनी रात मैं आमद व रफत (चलते-कफरते) फरमाते थे तो बबलकुल छाया प्रकट न होता | (रहमतुल ललल आ ल मीन पष्ृ ठ ५३ प्रकालशत कराची) इस पस् ु तक पर ननम्नललखखत दे वबांदी ववचार धारा के ववद्वान की प्रस्तावना एवां समथरन दजर हैं | १. मफ़् ु ती ककफायतुल्ला दे हलवी २. मौलवी अनवर शाह कश्मीरी ३. मौलवी असगर हुसन ै ४. मौलवी शब्बीर अहमद उस्मानी ५. मौलवी हबीबरु र हमान ६. मौलवी एअ ज़ाज़ अली ७. मौलवी अब्दश्ु शाकूर लखनवी ८. मौलवी अहमद सईद (दे वबांदी) तया इसके बाद भी इस इलज़ाम की गांज ु ाईश रह जाती है कक पववत्र शरीर का छाया ना होने के तसव्वरु आवामी सोच का Huzoor Ka Saya Na Tha

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अलभनव (नवाववचार) है | जजस्म मब ु ारक के छाया ना होने के सम्बनध आम मस ु लमानों का यह अक़ीदा (ववश्वास) बे बनु नयाद नहीां है | इस अकीदा के सही होने के ललए मात्र दलाइल ही नहीां है मजीद काबबले इतेमाद हजस्तयांु के कौल व दलाइल भी हैं | ननम्म ललखखत उलमा हमारे मक़ ु तदा हैं जजनकी चमकती हुवी इबारत मोतबर (ववश्वसनीय) पश्ु तकों से हम नक़ल कर चक ु े हैं | खुदा ए कदीर दौरे जदीद के कफ़तनों से सदा लोह मस ु लमानों को महफूज़ रखे और इमान पे मौत नसीब करे | आमीन

लेखक मह ु म्मद शान रज़ा अल- हनफ़ी दहांदी अनव ु ादक व जदीद इज़ाफ़ा आले रसल ू रसल ू अहमद अल- अशरफी अल- क़ादरी Email: aalerasoolahmad@gmail.com

पैगामे आला हज़रत अलैदहराहमा अल्लाह व रसल ू के सच्ची मह ु ब्बत उनकी ताजीम और उनके दोस्तों की खखदमत और उनकी तकरीम और उनके दश्ु मनों से सच्ची अदावत जजस से खुदा और रसल ू की शान में अदना तौहीन पाओ कफर वह तम् ु हारा कैसा ही प्यारा तयाँू न हो फ़ौरन उस से जद ु ा हो जाओ जजस को बारगाहे ररसालत में जरा भी गुस्ताख दे खो कफर वह तम् ु हारा कैसा ही मुअज्जम तयूाँ न हो, अपने अनदर से उसे दध ू से मतखी की तरह ननकाल कर फ़ेंक दो |

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(वसाया शरीफ़ पष्ृ ट ३ द्वारा मौलाना हसनैन रज़ा बरे ली शरीफ़)

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Introduction to AIUMB All India Ulama & Mashaikh Board (AIUMB) has been established with the basic purpose of popularizing the message of peace of Islam and ensuring peace for the country and community and the humanity. AIUMB is striving to propagate Sunni Sufi culture globally .Mosques, Dargahs, Aastanas, and Khanqwahs are such fountain heads of spirituality where worship of God is supplemented with worldly duties of propagating peace, amity, brotherhood and tolerance. AIUMB is a product of a necessity felt in the spiritual, ethical and social thought process of Khaqwahs.Khanqwahs also have made up their mind to update the process and change with the changing times. As it is a fact that Khanqwahs cannot ignore some of the pressing problems of the community so the necessity to change the work culture of these centers of preaching and learning and healing was felt strongly. AIUMB condemns all those deeds and words that destabilize the country as it is well known that this religion of peace never preaches hatred .Islam is for peace. Security for all is the real call. AIUMB condemns violence in all its form and manifestation and always ready to heal the wounds of all the mauled and oppressed human beings. The integral part of the manifesto of AIUMB is peace and development. And that is why Board gives first priority to establish centers of quality modern education in Sunni Sufi dominated ares of the country. The other significant objectives of the Board are protection of waqf properties, development of Mosques, Aastanas, Dargahs and Khanqwahs. This Board is also active in securing workable reservation for Muslims in education and employment in proportion to their population. For this we have been organizing meetings in U.P, Rajasthan, Gujrat, Delhi, Bihar, West Bengal, Jharkhand, Chattisgadh, Jammu& Kashmir, and other states besides huge Sunni Sufi conferences and Muslim Maha Panchayets . Sunni conference (Muradabad 3rd Jan 2011)Bhagalpur(10th May 2010 ) and Muslim Maha Panchayet at Pakbara Muradabad ( 16th October 2011) and also Mashaikh e tareeqat conference of Bareilly (26th November 2011 ) are some of the examples.

HISTORICAL FACT AND THE NEED OF THE HOUR The history of India bears witness to that fact that when Alama Fazle Haq Khairabadi gave the clarion call to fight for the freedom of our country all the Khanqahs and almost all the Ulama and Mashaikh of Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat rose in unison and gave proof of their national unity and fought for Independence which resulted in liberation of our country from British rule. But after gaining freedom, our Khanqahs and The Ulama of Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat went back to the work of dawa and spreading Islam, thinking that the efforts that were undertaken to gain freedom are distant from religion and leaving it to others to do the job. Thus the Independence for which our Ulama and Mashaikh paid supreme sacrifice and laid down their lives resulted in us being enslaved and thereby depriving us legimative right to participate in the governance of our country.

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After the Independence hundreds of issues were faced by the Umma, whether religious or economic were not dealt with in a proper way and we kept lagging behind. During the lat 50 years or so a handful of people of Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat could become MLA’s, MP’s and minister due to their individual efforts lacking all along solid organized community backing as a result of which Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat remained disassociated with the Government machinery and we find that we have not been able to found foothold in the Waqf Board, Central Waqf Board, Hajj Committee, Board for Development of Arbi, Persian & Urdu or Minorities Commission. Similarly when we look towards political parties big or small we see a specific nonSunni lobby having strong presence. In all the Institution mentioned above and in all political parties Sunni presence is conspicuous by its absence. Time and again Ulama and Mashaikh have declared that the Sunni’s constitutes a total of approximately 75% of all Muslim population. This assertion have lived with us as a mere slogan and we have not been able to assert ourselves nor have we made any concerted efforts to do so. It is the need of the hour that The Ulama and Mashaikh should unite and come on single platform under the banner of Ahl-E- Sunnah Wal-Jamaat to put forward their message to the Sunni Qaum. To propagate our message Sunni conferences should be held in the District Head Quarters and State Capitals at least once a year to show our strength and numbers this is an uphill task and would require huge efforts but rest assured that once we do that we shall be able to demonstrate our number leaving the non-Sunni way behind thereby changing the perception of political parties towards us and ensuring proper representation in every field.

AIMS AND OBJECTIVES OF AIUMB To safeguard the right of Muslim in general and Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat in particular. To fight for proper representation of responsible person of Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat in national and regional politics by creating a peaceful mass movement. To ensure representation of Sunni Muslim in Government Organization specially in Central Sunni Waqf Boards and Minorities Commission. To fight against the stranglehold and authoritarianism of non-Sunni’s in State Waqf Board. To ensure representation of Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat in the running of the state waqf board. To end the unauthorized occupation of the Waqf properties belonging to Dargahs, Masajids, Khanqahs and Madarasas, by ending the hold of non-Sunni’s and to safeguard Waqf properties and to manage them according to the spirit of Waqf. To create an envoirment of trust and understanding among Sunni Mashaikh, Khanqahs and Sunni Educational institution by realizing the grave danger being paced by Ahl-E-Sunnah Wal-Jamaat.

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To rise above pettiness, narrow mindedness and short sightedness to support common Sunni mission. To work towards helping financially weak educational institutions. To provide help to people suffering from natural calamities and to work for providing help from Government and other welfare institutions. To help orphans, widows, disabled and uncared patients. To help victims of communalism and violence by providing them medical, financial and judicial help. To organize processions on the occasion of Eid-Miladun-Nabi (SAW) in every city under the leadership of Sunni Mashaikh. To restore the leadership of Sunni Mashaikh in Juloos-EMohammadi (SAW) wherever they were organized by Wahabi and Deobandis. To serve Ilm-O-Fiqah and to solve the problem in matters relating to Shariah by forming Mufti Board to create awareness among the Muslims to understand Shariah To establish Interaction with electronic and print media at district and state level to express our viewpoint on sensitive issues.

Ashrafe–Millat Hazrat Allama Maulana Syed Mohammad Ashraf Kichhowchhwi President & Founder All India Ulama & Mashaikh Board Email : ashrafemillat@yahoo.com Twitter : www.twitter.com/ashrafemillat Facebook : www.facebook.com/AIUMBofficialpage

Website: www.aiumb.com

Head Office : 20, Johri Farm, 2nd Floor, Lane No. 1 Jamia Nagar, Okhla New Delhi -25 Cell : 092123-57769 Fax : 011-26928700 Zonal Office 106/73-C, Nazar Bagh, Cantt. Road, Lucknow. Email :aiumbdel@gmail.com

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