Role of Education in Career_PUKAR Study 2016-17

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qwertyuiopasdfghjklzxcvbnmqwerty uiopasdfghjklzxcvbnmqwertyuiopasd fghjklzxcvbnmqwertyuiopasdfghjklzx cvbnmqwertyuiopasdfghjklzxcvbnmq wertyuiopasdfghjklzxcvbnmqwertyui opasdfghjklzxcvbnmqwertyuiopasdfg hjklzxcvbnmqwertyuiopasdfghjklzxc vbnmqwertyuiopasdfghjklzxcvbnmq wertyuiopasdfghjklzxcvbnmqwertyui opasdfghjklzxcvbnmqwertyuiopasdfg hjklzxcvbnmqwertyuiopasdfghjklzxc vbnmqwertyuiopasdfghjklzxcvbnmq wertyuiopasdfghjklzxcvbnmqwertyui opasdfghjklzxcvbnmqwertyuiopasdfg hjklzxcvbnmrtyuiopasdfghjklzxcvbn mqwertyuiopasdfghjklzxcvbnmqwert yuiopasdfghjklzxcvbnmqwertyuiopas करिअि में शिक्षा का योगदान 2016-2017

Name of

the Barefoot Researchers Neha Gupta

Neha Mahadik

Swapnali Lalge

Ashwini Kharade Sakshi Takke

Adarsh Shukla

Baamshankar Vishwakarma Sandesh Lalge Manali Preet

Rohan

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Table of Contents आभाि ....................................................................................................................................................... 3 प्रस्तावना ................................................................................................................................................... 5 ग्रुप का सफ़ि ............................................................................................................................................. 6 ग्रुप की पहचान .......................................................................................................................................... 8 साहहत्य की समीक्षा .................................................................................................................................. 10 संिोधन पद्धतत ....................................................................................................................................... 14 संिोधन का ववषय ................................................................................................................................ 14 संिोधन के उद्दे श्य .............................................................................................................................. 14 संिोधन के साहहत्य .............................................................................................................................. 14 प्रततभागी की संख्या .............................................................................................................................. 14 प्रततभागी की प्रोफाइल ........................................................................................................................... 15 रिसचच एथिक्स ...................................................................................................................................... 15 डाटा कलेक्िन ...................................................................................................................................... 15 ववश्लेषण .................................................................................................................................................. 16 शिक्षा का अिच ...................................................................................................................................... 16 करिअि का अिच ................................................................................................................................... 18 शिक्षा औि करिअि का आपसी संबंध ..................................................................................................... 19 शिक्षा की भशू मका ................................................................................................................................. 21 शिक्षा में क्या होने की जरुित है ............................................................................................................ 23 शिक्षा में त्रहु टया​ाँ .................................................................................................................................... 25 करियि बनाने में मदत किनेवाले साधन ................................................................................................ 28 शिक्षा औि करियि में आनेवाली बाधाए .................................................................................................. 29 क्षेत्र औि करिअि .................................................................................................................................. 31 तनष्कषच .................................................................................................................................................... 32 सुझाव ...................................................................................................................................................... 34 मयाचदा ..................................................................................................................................................... 36

Bibliography .......................................................................................................................................... 36


आभार धन्यवाद दे ना तो हमािा फजच बनता है l हमें शमली मदत को appreciate किना हमािा फजच बनता है l ककसीको उनकी मदत को सेहेिानेका इससे बहिया मौका कौनसा हो सकता है l अनभ ु व मुंब ु ई - एक सामाजजक संस्िा है जजसके वजह से हमें पक ु ाि के रिसचच के बािे में पता चलाl ग्रुप मीहटंग के शलए उन्होंने हमेिा जगह दी इसशलए हम सबसे पाहहले अनुभव मुंबई को धन्यवाद दे ना चाहते है l पुकार - ववद्यािींओं को खद ु की पेहेचान हो, उनकी अंदरूनी ताकद का उनको एहसास हो, उसके साि समाज में चल िही थचंजो का हमें नॉलेज शमले औि समाजजक काम में अपना सहह तिीकेसे हात बटे इसशलए ‘बेयिफुट रिसचचसच फॉि बेटि कम्युतनटीज फ़ेलोशिप प्रोग्राम िुरू किने के शलए औि हमें मौंका दे ने केशलए हम पुकाि को तहे हदलसे धन्यवाद दे ना चाहते है l पक ु ार टीम – ककसी भी काम में सफलता पाने के शलए उसमे एक अच्छी टीम होना औि उस टीम में टीम वकच होना बोहोत जरुिी है l उसी तिह पुकाि टीम में सबसे पहे ले जो हमािी आदिणीय व्यजक्त है अनीताजी, जजन्होंने हमें ही नहीं तो अन्य सािे ग्रप्ु स को मागचदिचन हदया है जजसका हमें हमािे रिसचच प्रकिया में बोहोत उपयोग हुआ है इसशलए हम उनको धन्यवाद किते है l हमें अच्छी लतनिंग दे ने केशलए औि हमािा यह रिसचच पूिा किने के शलए हदनिात तत्पि औि जागत ृ िे हेनेवाले हमािे फैशसशलटे टि िोहन को तिा हमािे अन्य मागचदिचक सुनील भाई औि िेहेजादे भाई, औि हमािे इस रिसचच में हमािा ववषय औि अच्छी तिह से हमें समझाने के शलए तिा मजु श्कलों के वक्त अपना मागचदिचन दे ने वाले प्रीत औि मनाली, इस तिह हमें मदत किनेवाली होनहाि पुकाि टीम को हम प्यािभिा धन्यवाद दे ते है l ररसोसस पससन – हमें रिसचच के अलग अलग महत्वपूणच पैलूओं को अच्छीतिह से समझाने वाले हमािे रिसोसच पसचन को हम धन्यवाद दे ते है l


प्रतिभागी – हमािे साि जजन्होंने अपतन बातें िेयि की, खल ु े हदल से हमािे सवालोंका जवाब दीया, जजनके बबना हमािा रिसचच आगे नहीं बि पता ऐसे हमािे सािे प्रततभागीओं को हम आदिणीय धन्यवाद दे ते है l अन्य Participants – कहा कहा से नजाने हम एक साि आए, हि एक ने अपना अपना तजब ु ाच सबके सामने िखा, एक साि खेले-कूदे , एक साि काम ककया, अच्छी या​ाँदे बनायीं, ना ककसीका ककसीने मजाक उड़ाया ना ककसीका मन दख ु ाया बस खशु िया​ाँ ही खशु िया​ाँ बा​ाँटी ऐसे हमािे सािे अन्य fellows को भी हम बहियांसा प्यािभिा धन्यवाद दे ते है l फॅममली – हम हमािे फॅशमली को भी प्यािासा धन्यवाद दे ना चाहते है क्योंकक अगि वो ना हमें भेजते, वो ना हमािा साि दे ते तो हम ये रिसचच कभी नहीं पिू ा कि पातें l अन्य मददगार – हम अन्य सािे मददगािों को जजन्होंने जाने अनजाने में हमें इस रिसचच में मदत की उनको तहे हदलसे धन्यवाद दे ते है l ग्रुप – Last but not the least हम एक दस ु िे कों बहियांसा, प्यािासा बडासा धन्यवाद दे ते है l क्योंकक एक दस ु िे के साि के बबना ये बबलकुल ही मुमककन नहीं िाl


प्रस्िावना शिक्षा एक ऐसी प्रकिया है जजसमें हम खद ु सीखते हैं औि उससे शमले ज्ञान का उपयोग हम अपने जीवन में अपना करिअि बनाने केशलए किते है l शिक्षा को करिअि का एक महत्वपण ू च हहस्सा बोला जाता है l जजसके सहािे कई लोंग आज अच्छी नौकिी कि िहे है , पैसा कमा िहे है औि एक जस्ि​ि जीवन जीने में मदत शमल िही है l लेककन वही दस ू िी ओि कुछ यव ु क पिाई पि सवाल उठाते नजि आ िहे है l उनके हहसाब से बबना पिे शलखे ही पैसा, मान सम्मान शमल जाता है औि पिे शलखे दिदि की ठोकिे खा िहे है l औि सच में आज ऐसा नजरिया सामने आ िहा है की हि वषच लाखों की तादाद में तनकलने वाले ग्रेजुएट्स में से 80 प्रततित कैंडडडेट्स को कोइ न कोई कािण की वजह से नौकिी नहीं शमल पाती। समाज में चल िही ये दवु वधा मनजस्ितत जब हमािे सामने आयी तो हम ववचशलत हो गए क्योंकक हमने जाना की हमािा ग्रप ु इस ववषय से काफी जड ु ा हुआ है l हमािे ग्रप ु के बोहोत सािे लोग ऐसे दौि में िे जहा कुछ लोग पिाई कि िहे िे लेककन उन्हें आगे क्या किना है कुछ समझ में नहीं आ िहा िा, औि कुछ लोग जॉब कि िहे िे लेककन उसमे वो संतष्ृ ट नहीं िेl शिक्षा औि करिअि को लेकि हमािे ग्रुप में भी बोहोत सािा सोच ववचाि हुआl तब बोहोत सािे सवाल हमािे सामने आये जैसे कक, क्या सचमें करिअि केशलए शिक्षा इतनी जरुिी है ? अगि जरुिी है तो ऐसा क्योँ हो िहा है की डडग्री शमलने की बाद कुछ लोगोंको अच्छे जॉब शमल िहे औि कुछ लोग बेिोजगाि घूम िहे है l कुछ लोगोकों तो आगे क्या किना है यही समझमें नहीं आ िहा है l दस ू िी ओि कुछ लोग बबना पिे शलखे भी अच्छा खासा कमा िहे है औि अपने जीवन में संतष्ृ ट है l इन सािे सवालों का जवाब िूंडना हमें बोहोत ही जरुिी औि किीबी लग िहा िाl इसशलए हमािे ग्रुप को “शिक्षा का करिअि में योगदान” इस ववषय पि संिोधन किनेका तय ककयाl


ग्रुप का सफ़र हम भले ही अभी आठ लोग है लेककन िुरुवात में हम १० लोग िेl

हम सब ग्रुप में बसच

अनभ ु व मंब ु ई नामक सामाजजक संस्िा में शमले औि वहासे हमें पक ु ाि के इस फ़ेलोशिप के बािे में पता चलाl उसके बाद हमने इस फ़ेलोशिप के शलए हमािा फॉमच भिके हदया औि कफि हमािा इंटिव्यू होने के बाद हमें हमािे चन ु े जाने की ख़ि ु खबि शमलीl इस तिह हम इस अनोखे प्रोग्राम मैं आयेl िुरू में ही खािघि मैं ततन हदन का जो ओरिएंटेिन वकचिॉप हुआ, उसमें ना शसफच हमें नए दोस्त शमले पि सािाहह मे हमें अपने आप को जानानौि समझाने के मौका शमलाl इस वकचिॉप में हमें ख़द ु पे ववश्वास िखना शसखाया, दिू दृजष्टकोन िखना शसखाया याने “think out of the box”, ग्रुप वकच ककतना जरुिी है , ग्रुप मैं काम कैसे ककया जाता है ये सब अलग अलग मजेदाि एजक्टववटीज के साि शसखायाl उसीके साि हम सालभि साि मैं कैसे काम किने वाले है उसमें भी िोिनी डालीl ये एजक्टववटीज के साि शसखाने का जो तिीका है वो हमें बोहोत ही अच्छा लगा

औि यहा​ाँ से हमािे ग्रप ु का इंटिे स्ट औि बि गयाl

कफि एक सन्डे के वकचिॉप के बाद हमें हमािा रिसचच का ववषय तय किने के शलए बताया गयाl ववषय हमािे जीवन से जुडा होना चाहहए औि वह ववषय ककसी एक ने नहीं तो ग्रुप ने साि शमलकि अपनी अनुभवों पि आधारित चन ु ना चाहहए, इतनी ही ि​िच िखी गयीl लगाताि ततन से चाि बाि ितनचाि के मीहटंग मैं आपस मैं औि हमािे फैशसशलटे टि के साि चचाच, मिोहिा किने के बाद हमािा ववषय तय हुआl बोहोत सािे ववषय सामने आये, आपस मैं बेहेस भी हुई लेककन आखखि मैं ग्रुप के सबके जीवन से जुड़ा हुआ ववषय याने “Barriers in Career” ये ववषय तय हुआl अब इसपि बोहोत पिने औि चचाच किने के बाद पता चला की ये ववषय तो बोहोत बड़ा है l जजसको पूिा किने के शलए हमें ततन साल भी कम पड़ जाएंगे औि हमें तो एक साल मैं ही


अपना बाकक का काम, अपनी पिाई संभालकि यह रिसचच पूिा किना है l हमें हमािे रिसचच मैं एक नयी चींज भी धड ंू तन िीl क्योंकक खब ु सािा साहहत्य पिने के बाद हमें पता चला की इस ववषय पि पहे ले ही बोहोत लोगों ने रिसचच ककया है l तो हमें हमािे उनमे से ऐसी चीज िूंडनी ती जो हमें सबसे ज्यादा महत्वपण ू च लगती है | इस बातपि बहुत दे ि सोचने के बाद औि वकचिॉप मैं शमली मागचदिचन के बाद हम एक ठोस ववषय पि पोहोंचे जो िा, “किीअि में शिक्षा का योगदान”l ववषय तय हुआ लेककन अब आगे कैसे बिना है उसके बािे में हमें हि िवववाि के वकचिॉप मैं जानकािी शमलती गयीl उसी के साि हम हि ितनचाि को अनुभव मुंबई के ऑकफस मैं शमलते िेl हमािे ग्रुप के साि िोहन, प्रीत औि मनाली भी हमें मदत किने के शलए शमलते िेl हदन बबतते गए हम नई नई चींजे सीखते गए, जैसे की सवाल कैसे बनाना है , सवाल कैसे पछ ू ना है , समाज मैं होने वाली थचंजोको ककस तिीकेसे दे खना है , ककस तिीकेसे सोचना है , सबसे महत्वपूणच बात हमें यह पता चली को हमािे रिसचच के दौिान ककसी को तकलीफ नहीं पोहचना है , एथिक्स का पूिा खयाल िखना है , जी तोड़ मेहनत किनी है l जैसे जैसे हदन आगे बिते गए हमािी सोच बदलती गयी, रिसचच आगे बिता गया उसके साि हमािे टीम के एक एक किके दो सदस्य उनके पसचनल कािणों के वजह से ग्रुप से बाहि हो गए औि हम १० में बसच से ८ पि आ पोहोंचेl हमने उन लोगों को जोड़े िखने की औि नए सदस्य को ग्रप ु में िाशमल किने की बहुत कोशि​ि की पि नहीं जोड़ पाएl अब हमें ग्रप ु का नाम औि लोगो तय किना िाl सािे ग्रप ु में बसच ने अलग अलग नाम सोंचे लेककन आसानी से बातचीत मैं “On the way” ये नाम सामने आया औि ग्रुप के सािे सदस्योंनें उसपे मोहोि लगादीl अब बािी आयी लोगो की हमािे ग्रप ु के सदस्य बमिंकि को डडजाइतनंग आती है इसशलए हमने उसपे ये जजम्मेदािी सोप दी औि उसे कुछ लोगो बनाने


केशलए कहाl उसने बोहोत सािे logo’s बनाये लेककन बोहोत सोंच ववचाि औि बदलाव किने के बाद हमािा लोगो भी तय हुआl उसके बाद जानकािी इकठ्ठा किने केशलए हमने दो माध्यम चन ु े, इंटिव्यू औि FGD| इंटिव्यू को हमने दो ग्रुप मैं बाटा वककिंग प्रोफेिनल्स औि एक्सपट्चस| FGD हमने कॉलेज के ववद्याथिचयों का लेने का तय ककयाl उस प्रकाि कफि हमने हमािे सवाल बनाये औि कफि दो-दो के ग्रुप मैं बटकि हमने हमािा इंटिव्यू औि FGD का काम पूिा ककयाl काम हदए गए वक्त पे पूिा नहीं हुआ लेककन पूिा किने मैं कामयाब हुए उसका आनंद शमलाl कफि उसके बाद इंटिव्यू औि FGD शलखने के शलए सही मायने मैं हमािी मिक्कत हुईl यहा​ाँ हमें सबसे ज्यादा हमें वक्त लगा औि इस दौिान ग्रुप के सदस्यों की पिीक्षा भी आयी, ककसीको गा​ाँव जाना पड़ा, ककसी के काम की वजह से वो समय नहीं दे पािहे िे| इस वजह से ग्रप ु मैं िोड़ी अनबन हुई शलकेन हम काम पूिा किने मैं कामयाब िहे l इसका कुछ हदतक श्रेय िोहन को भी जाता है l क्योंकक बािबाि डेड लाइन की याद हदलाने की वजह से हम काम पिू ा कि पाएl उसके बाद कोडडंग औि एनाशलशसस की प्रकिया िरू ु हुई हमने दे खा की हमािा ही ग्रप ु सबसे लास्ट मैं है l कम समय मैं बोहोत काम किना िाl सबको टें िन िा की कैसे होगा लेककन िोहन, मनाली औि प्रीत के मागचदिचन की बदौलत हम एनाशलशसस पूिा कि पायेl उसके बाद मनाली की बदौलत हम हमािे ग्रुप का प्रेजेंटेिन अच्छी तिह से कि पाएl अंत मैं िोहन औि मनाली की मागचदिचन से हम अपना रिपोटच पूिा कि पायेl सच मैं ग्रुप के हि एक सदस्य ने बोहोत मेहनत कीl ऐसी िही हमािी इस अनोखे प्रोग्राम की अनोखी यात्राl

ग्रुप की पहचान स्वप्नाली : इन कुछ महहनोमें मैं जबसे पुकाि फ़ेलोशिप में आयी हु तबसे बोहोत कुछ सीखी हुl खासकि “ना बोलना” अगि मैं ककसी बात से सेहेमत नहीं हूाँ तो ना शसंखी हुl में खद ु को


बोहोत अच्छा मेहेसुस कि िही हूाँ औि अपनी बात ककसी के सामने िखने केशलए confident मेहेसस ु कि िही हूाँl मेिी Listening skill भी बि गयी है l में लोगो को अब अच्छी तिह से समझ सकती हूाँl बबना रुकावट उनकी पूिी बात सुन सकती हूाँl अलग अलग Background के लोगोंके साि जड़ ु ने का मल् ू य मझ ु े इस फ़ेलोशिप से शमलाl अश्ववनी : पक ु ाि की बदौलत मेिे अन्दि का दस ू िोंके साि बात किने का जो दि िा वो तनकल गयाl अब मेिा आत्मववश्वास बि गया है l औि दस ू िा एक महत्वपूणच फायदा हुआ “जि हे असे असेल ति”l सुंदेश : मुझमें किहटकल थिकं कंग किने की क्षमता बिीl खद ु को समझने मैं मदत शमलीl औि एजक्टव लतनिंग क्या होता है ये पता चलाl हमािे रिसचच की टॉवपक की वजह से एजक ु े िन को दे खने का एक अगल नजरिया बनाl जो मेिे आगे के जीवन मैं जरुि काम आएगाl नेहा महाडिक : अबतक पुकाि के साि सफि बड़ा ही मजेदाि िहाl मुझे नए दोस्त शमले ये सफि हमािे आत्मचरित्र लेखन से िरु ु हुआ तबतक मद् ु दा पताही नहीं िा कोई अपना आत्मचरित्र शलख सकता है मुझे लगता िा कक बड़े नेता, अभी काम किनेवाले लोग ही अपना आत्मचरित्र शलख सकते हैंl मैंने अपना एकसाल यहां हदया है इस एक साल में मैंने नएलोगोंसे दोस्ती किना दस ू िों की बातें सुनना औि समझना औि उसपि अपनी िाय दे ना यह बात सीखी है औि एकबात की कोई सवाल गलत नहीं होता जवाब गलत हो सकते हैं इस एकबात से मझ च टना ओं ु े भूतपूवघ में सही साबबत ककया है l बमशुंकर ववववकमास:- पुकाि में आने के बाद मेिे अंदि बहोत अच्छे बदलाव आये

जैसे की

मैंने मेिे गस् ु से पे काबू पाना शसखा ,ग्रप ु में कैसे काम किना है वो पता चला, गड ु listener बना मै औि कुछ नयी चीजे मैंने सीखी जो लाइफ जीने के तिीको को आसान किती है जैसे की assumption किना औि ऑब्जिवेिन किने में फकच, सवाल पूछने का तिीका|


सबसे अहम ् चीज जजसकी जानकािी मुझे पुकाि में आकि शमली RTI क्या है वो पता चला| नेहा गप्ु िा : पक ु ाि की वजह से मेिे में सबसे बड़ा change यह आया की मैं सबके साि घुलने शमलने लगी दस ु िो के सामने अपनी बात कैसे िखना इसका confidence आया group में कैसे काम किना है यह शसखा| Research Process की वजह से मैंने बहुत कुछ शसखा जैसे की education की तिफ दे खने का मेिा नजरिया बदला, RTI क्या होता है वह शसखा, equity औि Equality दोनों का Difference शसखा Caste System के

बािे में detail में जानने का मौका शमला| Self

Cofidence आया, अनजाने लोगो से बात किने का डि तनकला| Pukar के साि इस एक साल का सफ़ि मेिे शलए बहुत ही Learning वाला िा जजसमे मझ ु े बहुत मज़ा आया|

साहहत्य की समीक्षा अपने रिसचच के ववषय को औि अच्छी तिह से जानने के शलए हमने पुिाने रिसचच औि आहटच कल पिे | जजससे हमें हमािे ववषय को अच्छी तिह से समझने के शलए औि उसे छोटा किने के शलए सहायता शमली| तिा शिक्षा औि करियि इन मुद्दों पि पहले क्या क्या संिोधन हुआ है यह समझाने का मौक़ा शमला| शिक्षा औि करिअि के बबचमें आपसी संबंध क्या है यह धड ुं ने के शलए जब हमने अलग अलग चींजे पिने की िुिवात की तब हमें एक रिसचच रिपोटच शमला जजसमे रिसचचि श्री.रुशिकेि आि. कीततचकिने एजुकेिन का अिच याने “बंद हदमाग को खोलना” ऐसा बताया है | वह आगे यह भी कहते है की ‘व्यजक्त को नॉलेज दे ना औि उसमें नई चीजे शसखने का उत्साह बिाना यही एजुकेिन है ’| उन्होंने अपने रिसचच में यह भी बताया है की ‘एजुकेिन एक ऐसी प्रकिया है जजसमे यजक्त को नॉलेज औि इनफामेिन हद जाती है जजससे वो व्यजक्त समाजिील बन सके’| आगे शिक्षा का लक्ष्य बताते हुए यह बताया गया है की ‘एजुकेिन याने इन्सान के अंदि का Growth and Development लाना औि उसकी योग्यता बिाना औि


साि ही उसके अंदि की Capacity औि Opportunity बिाना जजससे वो Experience के through शसख सके’| इस प्रकाि ‘Factors Influencing Interest in Education among the School

Children’ (टाटा इंजस्टट्यूट ऑफ़ सोिल science ववद्यािी श्री.रुशिकेि आि. कीततचकि सन २०११) इस रिसचच में ‘शिक्षा का अिच’, पे िोिनी डाली औि ककस प्रकाि एजक ु े िन एक व्यजक्त का सामर्थयच ववकसीत किता है l जो की उसे अपनी करिअि में सफलता प्राप्त किने के शलए मदत किता है यह बताया है l कही न कही शिक्षा हाशसल किने का एक मुख्य स्त्रोत स्कूल या कॉलेज बन गए है | पि इन जगहों पि आनेवाले छात्रों की जरूिते यह स्त्रोत पिू ी नहीं कि पा िहे है | जैसे की एक आहटच कल (“बोअि होतं, मन उडत ते किानं? ....लोकमत Article Dated 1st February

2017”) में स्टूडेंट्स का मन शिक्षा में न लगने के अलग अलग कािण बताए है | जजसमें से टीचि के शसखाने का तनछ्ला दजाच, सब्जेक्ट की तयािी किके न आना, पाठ पिके बताना औि कोई भी जतु नअि पास को प्राध्यापक बनाके भेजना इन जैसे प्रकाि शिक्षामें छात्र का िस कम होने के कािन बताये जा िहे है | इन सािी बाधाओं को पाि कि अगि कोई अपनी पिाई पूिी कि भी ले तोह भी बाहि तनकालने के बाद उनको अपने करियि में ज्यादा सफलता नहीं शमलती| जैसे इसी आहटच कल में बताया गया है की ‘एजुकेिन के प्रैजक्टकल बेस्ड न होने के कािन एक लड्ककने MA+MSW+B.P.Ed इतना सािा पिने के बावजूद वो अंगनवाड़ी टीचि बनके काम कि िही िीl पेिेंट्स को दुःु ख है के इतना पिने के बावजद ू बेटी को अच्छा काम नहीं शमला’l याने शिक्षा लेने के बाद भी लोग उनकी काबबशलयत के हहसाब से काम पाने में असफल िह िहे है | शिक्षा का स्त्रोत औि उसके मतलब के बाद जजस चीज़ को पाने के शलए शिक्षा ली जाती है उस करियि की बािी अतत है | ‘Bandura, Barbaranelli, Caprara, & Pastorelli, 2001’


इनके आहटच कल से हमें करिअि का मतलब पता चला| उनके हहसाब से ‘करिअि एक जीवनभि चलनेवाली प्रकिया है , जजसमें हमें हमािे शिक्षा के अनुसाि, अपनी एबबशलटी के अनस ु ाि अलग अलग जॉब opportunities शमलती है ’l मतलब करियि यह एक ऐसी चीज़ है जो हमािे शिक्षा औि काबबशलयत के दमपि हमें शमलती है | पि क्या शिक्षा औि करिअि में बस यही संबंध है ? औि क्या शिक्षा हाशसल किने से अच्छा काम शमल ही जाता है ? इन सवालों के जवाब िूंडते हुए जब हमने औि बाते पिी तब हमािे सामने ‘केपटाऊन प्रोजेक्ट सेंटि’ का एक आहटच कल आया जजसमें उन्होंने शिक्षा औि करिअि का आपसी संबंध बताते हुए कहा है की, ‘अच्छी शिक्षा व्यजक्त को जॉब opportunities हदलाती है , उसकी इनकम बिाती ती है जजससे उस व्यजक्त की आथिचक जस्ततत सुधािने के शलए मदत किती है ’l वही दस ू िी तिफ “Rutger Bregman, Journalist and Author,

World Economic Forum” के आहटच कल में शिक्षा औि करिअि का संबंध अपने काम के साि compare किते हुए बताया की ‘आगे जाकि शिक्षा व्यजक्त को शसफच कोई भी जॉब किने के शलये तयाि नहीं किे गा, तो अच्छी तिह से जीवन कैसे जीना है याने खि ु हाल जीवन का अिच शसखाएगी’l ऊपि के आहटच कल में शिक्षा औि करिअि में घना संबंध बताया गया है औि एजुकेिन को जीवन

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Mallapurkar, Program Head, TISS School of Vocational Education’ इनका आहटच कल यह बताता है की, लगभग ८०% ववद्यािीयोंको उनकी पिाई के हहसाब से काम नहीं शमलता क्योंकक लगभग ९०% काम में ‘वोकेिनल जस्कल्स’ होना जरुिी है जजसकी इन ८०% ववद्याथिचयों में कमी होती है ’l जजससे यह पता चलता है की ककताबी शिक्षा लोगों को उनकी काबबशलयत के हहसाब से काम हदलाने में असफल भी होता है औि ऐसे समय पि उनको अलग से वोकेिनल जस्कल्स की भी जरुित है | हमेिा औि सबके शलए अपनी पिाई के


साि वोकेिनल जस्कल्स के शलए अलग से ट्यूिन या कोसच किना मुमककन नहीं होता| इसशलए ‘Dr.Lakshmi Mohan, Campus Head, ITM Business School’ इनका आहटच कल कहे ता है की अगि ककसी व्यजक्त की जस्कल्स को बिावा दे ना है तो शिक्षा के साि साि उनको जस्कल डेवलपमें ट पि भी ज्ञान दे ना जरुिी है l अगि जस्कल डेवलपमें ट को एजुकेिन के साि नहीं िखा गया तो जस्कल डेवलपमें ट एक ड्रीम ही िे ह जाएगाl जस्कल डेवलपमें ट को academics के साि जोड़ना ही पड़ेगा’l ऊपि हदए सािे आहटच कल्स से हमािे सामने अलग अलग पैलू आये| इससे हमें एजुकेिन का मतलब पता चला, करिअि का मतबल पता चलाl इसके अलावा एजुकेिन औि करिअि का आपसी संबंध भी पता चलाl

एजुकेिन हमािे भववष्य के शलए महत्वपूणच है ये भी पता चला,

लेककन कफिभी हमािे एजक ु े िन शसस्टम में करिअि के प्रतत बोहोत सािी खाशमयां भी पता चलीl यह खाशमया क्यों है औि इसमें औि क्या ककया जा सकता है यह िूंडना हमें बोहोत जरुिी लगा क्योंकक यह हमािे जीवन का एक महत्वपण ू च हहस्सा है इसशलए हमने करिअि में शिक्षा का योगदान यह ववषय चन ु ाl


सुंशोधन पद्धति सुंशोधन का ववषय

“करियि मे शिक्षा का योगदान” सुंशोधन के उद्दे वय

करियि औि शिक्षा का अिच क्या है यह जानना

करियि औि शिक्षा के बबच क्या संबंध है यह जानना

करियि का चन ु ाव किने की शलय कौनसी चीजे मदत किती है औि कौनसी चीज़े बाधा बनती है यह समझना

सुंशोधन के साहहत्य

हमािे संिोधन का ववषय “करियि मे शिक्षा का योगदान” यह है | जब हमने ये ववषय चन ु ा तो हमािी यह िाय िी की हम अलग अलग स्ि​ि के लोगो से उनका अनुभव लें गे| जजससे हमें ज्यादा मात्रा मे हमािे ववषय से संबंथधत जवाब शमल जायेंगे| इसशलए हमने 3 तिह के लोगो का इंटिव्यू औि समूह चचाच लेने का तनणचय शलया| जजसमे Expert औि Professional का इंटिव्यू िा औि छात्रों का समूह चचाच लेने का तय हुआ| जजसमे Professional मतलब वो लोग जजन्होंने अपना शिक्षण पूिा कि शलया है औि अपने इच्छा अनुसाि क्षेत्र में काम किा िहे है | Expert मतलब ऐसे लोग जजन्होंने अपना शिक्षण पिू ा ककया है औि शिक्षा संबंथधत क्षेत्र में काम कि िहे है | Student मतलब ऐसे लोग जो ककसी भी क्षेत्र में पि िहे है | प्रतिभागी की सुंख्या

हमने कुल शमलाके ३० इंटिव्यू औि ३ समह ू चचाच शलया है | 

Professionals के २५ इंटिव्यू शलए है

Experts के ५ इंटिव्यू शलए है

Students (कम से कम ८ संख्या) के ३ समूह चचाच शलए है


प्रतिभागी की प्रोफाइल

समह ू चचाच हमने students का शलया जजनकी उम्र को ध्यान में न िखकि हमने उनकी पिाई को ध्यान में िखा है | जो students ११वी से १५वी कक्षा में पि िहे है उनसे हमने बात की है |

Working Professional: 21 to 30 age limit िखा

Expertise: 35 औि 35 से अथधक िखा

ररसचस एथिक्स

संिोधन यह ववश्वसनीय ज्ञान माध्यम है इसकी ववश्वसनीयता बनाये िखने के शलए संिोधन तत्वों का पालन ककया जाता है | हमािे संिोधन मे हमने भी इन तत्वों का पालन ककया है लोगो को संिोधन मे सहभागी किने के शलए हम कौन है ? उन्ही से बात क्यों किना चाहते है ? हम क्या किना चाहते है ? उनकी जानकािी औि पहचान गुप्त िखी जाएगी वो जब चाहे तब मल ु ाखत आधे मे छोड़ सकते है आप जजस सवाल का जवाब नहीं दे ना चाहते तो उनपि कोई जबिदस्ती नहीं की जाएगी इन सािी बातो की जानकािी हमने उन्हें दी जब वे मुलाखत के शलए तैयाि हो गए तब उनसे शमली जानकािी मूल रूप मे ही संिोधन रिपोटच मे आने तिा शमली हुई जानकिी के साि ककसी प्रकाि का बदलाव ना हो इसके शलए हमने प्रततभाथगयों से रिकॉडडिंग के शलए सहमती मांगी | सािी बातों की वादों की पुजष्ट किने के शलए हमने एक सहमती पत्र बनाया िा उसपि हमने प्रततभाथगयों की औि अपनी हस्ताक्षि किके संिोधन प्रकिया तत्वों के अनुसाि पूिी की| िाटा कलेक्शन

इंटिव्यू लेने के शलए हमने जोडीया बनाई l हमािे ग्रप ु मे 8 सदस्य है हमने दो दो की जोड़ी बनाई| हमने इन सािे इंटिव्यू औि समूह चचाच को रिकॉडच ककया| इस तिह हमािा डाटा कलेक्िन 3 महीने में पिू ा हुआ| इकट्ठा हुए डाटा को हमने पिके उनको केटे गिी बनया औि


उस केटे गिी के हहसाब से हमने डाटा को छाटा ताकक डाटा के बबच का संबंध हम समझ पाए औि लोगो द्वाि दी गयी जानकािी को औि अच्छे से समझ पाए|

वववलेषण जानकािी इकठ्ठा किने के बाद अब उस जानकािी को हमें अलग भागो में ववभागीत किना िा| यह जानकािी कई सवालो को पाि कि हमािे सामने आई िी इसशलए इस जानकािी को सवाल के हहसाब से अलग किना जरुिी िा| यह काम आसान तिीके से किने के शलए हमने सवाल को सामने िखकि दस िीम बनाये औि िीम के अनुसाि ही कोडडंग कक| कफि कोडडंग के हहसाब से काडचपेपि पि जानकािी उतािी कफि इस जानकािी को हमने एक मुद्दे में िालने की कोशि​ि की इस कोशि​ि में हमने काफी सािी गलततया की कफि एक एक कि गलती को सध ु ािकि हमने शमली हुई सािी जानकािी अछे से कागज पि उतािी| मशक्षा का अिस

शिक्षा का अिच हम सब के शलए अलग अलग हो सकता है | हमािे ग्रुप के अनुसाि शिक्षा एक ऐसी प्रकिया है जजसे हम खद ु सीखते हैं औि उससे शमले ज्ञान का उपयोग हम अपने जीवन में किते हैं औि यह प्रकिया जीवनभि चलती िहती है | पि आज के समय में शिक्षा प्राप्त किने का एक सबसे मिहूि ज़रिया है – ‘स्कूल औि कॉलेज’| कहते है कक शिक्षा धािामें सही गलत का ज्ञान होता है | जैसे शिक्षा प्राप्त किने के ज़रिये अलग अलग है उसी तिह शिक्षा के मायने भी अलग अलग है | इस शलए शिक्षा के ये अलग अलग मायने क्या है यह समझ ने के शलए हमने लोगों से बात की| यह लोग ऐसे लोग िे जजन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी स्कूल औि कॉलेज से शिक्षा लेने की कोशि​ि की है | इस ववषय पि हमने लोगोंसे बात की तब लोगोंने अपनी बात औि जानकािी हमािे सामने िखीl जजससे हमें शिक्षा का अिच जानने में सहायता शमली| एक व्यजक्तके अनुसाि “स्कूल में जाना औि चाि ककताबें पिना इसे शिक्षा नहीं कह सकते| एजक ु े िन या शिक्षा का मतलब सब ु ह उठनेसे िाम तक जो जो सीखने


शमलता है उसे शिक्षा ऐसा कहते हैं ”l उनका यह कहना िा की उनके शलए सुबह से िाम तक हम जो भी चीजें किते है औि उनसे हम जो भी शसखते है वह सब शिक्षा ही है l एक फीमेल महहला एक्सपटच का ये कहना है की “एजक ु े िन शसफच स्कूल औि कॉलेज पिने से नही शमलता एजुकेिन हम कही से भी ले सकते है | एजुकेिन वो ज्ञान होता है जो हमें जीने का तिीका शसखाता है ”| उसी बात पि एक प्रोफेिनल का ये कहना है की “एजुकेिन कुछ भी हो सकता है जैसे की डांस, क्योंकक चोइस हमािी है जो हमें पसंद है हम वो शसख सकते है औि डांस सीखना भी एजुकेिन है ”| एक एक्सपीरियंस प्रोफेिनल का यह मानना है कक “शिक्षा का असली मतलब होता है ‘सेल्फ इंप्रव ू में ट’, हमािे शलए कुछ नया अनभ ु व लेकि आता है ”| जजससे हमें यह सोचने पि मजबिू कि हदया की शिक्षाका अिच सबके शलए अलग-अलग है l कुछ प्रोफेिनल का यह मानना है कक शिक्षा का अिच केवल सहटच कफकेट पाना नहीं बजल्क कुछ सीखना यह एजक ु े िन का सही अिच है ’l अिाचत शसफच कुछ सहटच कफकेट के शलए पिना यह सही मायने में शिक्षा नहीं हो सकता| इन सािे लोगों की िाय सुनने के बाद हमको यह ध्यान में आया की सािे लोग जो अपनी स्कूल या कॉलेज की पिाई ख़तम कि के काम कि िहे है औि अपने क्षेत्र में कुछ हद तक जस्ि​िता हाशसल कि चक ु े है | उन सब के शलए शिक्षा का मतलब शसफच डडग्री हाशसल किना या स्कूल-कॉलेज में पिना नहीं है | बजल्क उनके हहसाब से शिक्षा लेना यह एक न ख़तम होने वाली प्रकिया है | हम जीवन में जो भी चीज़े किते है औि उनसे जो अनभ ु व आते है उस सबको वे शिक्षा मानते है |


कररअर का अिस

हमािा संिोधन ववषय ही शिक्षा औि करियि पि आधरित हैं इसीशलए अब शिक्षा के अिच के बाद करियि के अिच पि िोिनी डालना जरुिी िा| इसशलए हमने हमािे सभी इंटिव्यू में प्रततभाथगयो के अनस ु ाि ‘करियि’ का क्या अिच है ये जानने की कोशि​ि की सबसे पहले हमने प्रोफेशनल के अनस ु ाि करिअि का मतलब क्या है यह समझाने की कोशि​ि की| उनके हहसाब से ‘सुबह उठकि जॉब किना, बबज़नेस किना करियि नहीं होता है बल्की करिअि का मतलब लाइफ मैं ओविऑल डेवलपमें ट होना चाहहए’l उन्ही में से कुछ का यह मानना है की “करिअि मतलब जीवन जीने का साधन औि साध्य होना चाहहए”l कुछ का कहना है की “जॉब हमािा करिअि है | जजसमें हम संतष्ृ ट हो औि उस क्षेत्र में उन्हें खद ु के एफट्चस दे ने चाहहएl जजससे अच्छा इनकम हो औि वो उससे खि ु हो”l मशक्षा क्षेत्र में काम करने वाले एक्सपर्टसस का मानना है की ‘जजस क्षेत्र को हम अपना किीअि मानते है , उसको ध्यानमें िखकि हमें काम किना चाहहएl उसके नतीजे के बािे में नहीं सोचना चाहहएl शसफच पैसा कमाना ही करिअि नहीं होता है , करिअि वो होता है जजसमें हम ज्यादा कौिल्य से मन लगाकि काम किे ”l पि दस ू िी तिफ उन्ही में से कुछ का यह भी मानना है की “जॉब हमािा मनपसंद होना चाहहए औि उसके इनकम से हमें इकोनोशमकल सपोटच होना चाहहए”l इस तिह के अनभ ु व सन ु ाने के बाद यह ध्यान में आया है की करिअि का मतलब अलग अलग लोगों के शलए अलग अलग है | कुछ के शलए अच्छी नौकिी ही अच्छा करिअि है तो कुछ के शलय काम में समाधान शमले तोह वही अच्छा करिअि है | पि करिअि मतलब काम या जॉब है यह काफी अच्छी तिह से सामने आ िहा है |


मशक्षा और कररअर का आपसी सुंबुंध

करिअि औि एजक ं है ? इन दोनो मे ु े िन के मायने समझने के बाद इन दोनों में क्या संबध आपसी महत्त्व क्या है ? उनका हमािे जीवन पि क्या असि होता है ? यह जानना हमे जरुिी लगा| इसशलए हमािे प्रततभागी इस संबंध को कैसे दे खते है यह हमने उनसे समझनेकी कोशि​ि की| हमािे सामने आया की सािे प्रततभाथगयों ने स्कूल औि कॉलेज में शमलने वाली डडग्री को ध्यान में िखते हुए करियि के बािे मे अपनी िाय बताई| एक प्रततभागी ने बताया की “Education is Primary & Career is Secondary”, “No Education, No Career Set-up” - क्योंकक एजुकेिन हमें िास्ता हदखता है औि उसी िस्तेका इस्तेमाल किके हमें हमािा करिअि खद ु बनाना है l अपने अन्दि के जस्कल्स, गण हमें एजक ु ु े िन द्वािा ही पता चलते है l जैसे की एक प्रततभाथगने कहा की “एजुकेिन की वजह से मुझे मेिे जस्कल्स पता चले औि उसी वजहसे मैं अपना करिअि तय कि पाया”l जजस तिह एक प्रततभागी ने बताया की उनके पास टै लेंट िा लेककन एजुकेिन कम होने के कािण संस्िाका डायिे क्टि होने की है सीयत होते हुए भी वो बन नहीं पायाl इस से यह समझ आया के िालेय शिक्षण के अलावा मेनस्रीम मे करिअि बनाना मुजश्कल है | बोह्त सािे प्रोफेिन एजुकेिन पेही तनभचि होते है l उदाहिण के तौिपि डॉक्टि, टीचि, इंजजतनयि, वकील आहदl एक प्रततभागी ने कहा की मेिे सोिल वकच के करिअि में मझ ु े Economics ववषय का बोहोत फायदा हुआl क्योंकक यह ववषय लोगोंसे औि उनके कामसे भी सम्बंथधत है | ऐसी भी बात सामने आयी की, कुछ कोसेस, ऐसे है जजसमें एजक ु े िन को प्राधान्य नहीं हदया जाता औि वो करियि ओरिएंटेड भी है l


कुछ लोग अपना करिअि ध्यान में िखकि ही उस प्रकाि एजुकेिन लेते है l उदा. प्रोफेसि बनाना है तो आट्चस से ग्रेजए ु िन किना, उसके बाद B.Ed, D.Ed, P.hd किनाl कुछ लोगों का मानना है की “शसफच एजक ु े िन से ही अच्छा करिअि नहीं बनता तो उस व्यजक्त के पास कला, गण ु औि कौिल्य भी होना चाहहएl दोनों में से एक भी चीज कम हो तो उन्नतत िम सी जाती है ”l रिसचच में ये भी हदखाई हदया की एजुकेिन औि करिअि में जैसे सकािात्मक पैलू है वैसे ही कुछ नकािात्मक पैलू भी है l हमािे एक प्रततभागी ने कहा की “आपने जो शसखा औि असशलयत में जो आप काम किते हो वो बोहोत ही अलग होता है l काम किने के शलये एक्सपीरियंस बोहत जरुिी है ”l इससे ये पता चलता है की डडग्री की शिक्षा प्रैजक्टकल नॉलेज दे नहीं पातीं| दस ु िे प्रततभागी ने कहा की “मैंने डडग्री कोई औि क्षेत्र में ली औि अब काम कोई औि क्षेत्र में कि िहा हूाँl मेिे काम का एजुकेिन से कोई संबध ं नहीं है l ऐसा होता है तो एजक ु े िन कुछ काम में नहीं आता”l इससे यह सामने आता है की कभी कभी शिक्षा का करियि के साि ककसी भी तिह का संबंध नहीं होता| “कोई भी क्षेत्र में अगि हमें अच्छा नाम, दजाच, िोहित कमाना है तो एजुकेिन बोहोत जरुिी है l वह हमािे अन्दि की खबू बया​ाँ जागत ृ किता है औि उसी तिह हमें िास्ता हदखता है औि उस िास्ते का इस्तेमाल किके अच्छा करियि बनाने का काम हमें ही किना पड़ता है ”l ये भी बात सामने आयी की एजुकेिन लेकि भी अच्छा करिअि नहीं बन पाता क्योंकक, कोई लोग मजबिू न िमता के कम दिजे का काम कि िहे है l कोई लोग जो क्षेत्र में पिे है , उसके अलग क्षेत्र में काम कि िहे है , तो उनका एजुकेिन कोई काम में नहीं आ िहा है l


कुछ हद तक ये भी पता चला की, फॉमचल एजुकेिन के बबना भी हम अपना करियि अच्छा बना सकते है l इस चचाच से एक महत्वपण ू च बात सामने आई जजसने हमें एक अलग से मोड पे लाके खड़ा कि हदया| जब हमने लोगो को एजुकेिन का मतलब पूछा, तब वो एजक ु े िन को

लाइफ

लतनिंग के हहसाब से दे ख िहे िे| पि जैसे ही एजक ु े िन औि करियि के बबच के संबंध के बािे में बात हुई, तो प्रततभाथगयो ने एजुकेिन मतलब स्कूल औि कॉलेज में पिाया जानेवाले एजुकेिन इसी तिह से बात किना िुरू ककया| मशक्षा की भूममका

एजुकेिन औि करियि के बबच के आपसी संबंध को दे खने के बाद शिक्षा की औि क्या भूशमकाये है यह समझने के शलए जब हमने हमािे प्रततभाथगयों से बात की तब एजुकेिन की दो मख् ु य भशू मकाये सामने आयी| पहली भशू मका जो इंसान को जीवन कौिल्य दे ती है औि दस ू िी जो इंसान को काम से संबंथधत ज्ञान दे ती है | जीवन कौशल्य हामसल करने में मशक्षा की भूममका - इस रिसचच से हमें पता चला की एजुकेिन याने खाली डडग्री हाशसल किना नहीं, तो वो हमािी बेशसक कंसेप्ट जक्लयि किता है l एजुकेिन हमें खद ु को समझने का माध्यम है , जैसे की एक प्रततभाथगने कहा की “एजुकेिन की वजह से मुझे मेिे अन्दि के सॉफ्ट जस्कल्स पता चले, डडशसजन लेने की कला हाशसल हुई, मझ ु मे एक अलग सा कॉजन्फडेंस आया जजससे मेिी पसचनाशलटी पिू ी तिह से बदल गयी”l इसीके साि यह बात भी नजि आती है की एजुकेिन से हम खद ु को समझते तो है उसीके साि लोगोको समझना भी आता है l लोगोके सामने अपनी िाय िखने की औि उनकी िाय समझने की कला प्राप्त होती है, जजससे हमािे बबच एक लीडिशिप क्वाशलटी तनमाचण होने मे मदत होती है l


काम सुंबुंथधि ज्ञान (यहा​ाँ पे एजुकेशन का मिलब डिग्री से है ):- एजुकेिन से हमािे अन्दि की खबु बया तो पता चलती है , लेककन उसके साि हमािा करिअि बनानेमे एक अलग तिीकेसे मदत होती है l जैसे की हमािी एक प्रततभागी ने कहा की “एजुकेिन से हमें जो डडग्री शमलती है वो हमािे सववचस की करिअि मै बोहोत जरुिी है l क्योंकक उसपे ही हमें नौकिी शमलती है , हमािी तनख्वा, दजाच तय होता है l औि तो औि हमािे आगे की तनख्वा की बिौती भी एजुकेिन के ऊपि तनभचि होती है l औि अगि एजुकेिन ना हो तो हमािी उन्नतत जजतनी िफ़्ताि से होनी चाहहए वो हो नहीं पाती, बहुत हदतक िम ही जाती है ”l उन्होंने ये सब कहा क्योंकक उनके पास टै लेंट होते हुये भी एजुकेिन कम होने के कािण उनको अच्छा दजाच नहीं शमल पायाl औि जो दजाच उनको दस साल पाहहले शमल सकता िा उनको वो दस साल बाद हाशसल हुआl Appraisal के वक्त भी पिफॉिमें स के साि एजुकेिन दे खा जाता है औि उसपे ही हमािी उन्नतत तय होती है l एक महत्वपण ू च चीज सामने आयी की हमािे २७ प्रततभाथगयों में से केवल कुछ Expert प्रततभथगयोने कहा की एजुकेिन की वजहसे जो जस्कल / टै लेंट हमािे अन्दि तनमाचण हुआ वो हमें हमािे काम मैं उपयोगी आयाl एक औि प्रततभाथगने कहा की “मेिे पास टै लेंट होते हुए भी एजुकेिन कम होने के कािण मुझे बहुत सािी opportunities छोडनी पड़ी, in fact नहीं शमली, दभ ु ाचग्यवि मेिी उन्नतत िम गयी”l इससे हमें ये पता चलता है की हमािे करिअि में एजुकेिन का बोहोत बड़ा िोल है l उसके बबना हम बोहोत सािी चीजों सें वंथचत िह सकते है l उदा. खद ु को जानना, लोगोंको समझना, लोगोंके सामने बोलना, कांकफडेंस तनमाचण होनाl शिक्षा हमें आथिचकरित्या सबल बनाने में औि समाजमे एक अजस्तत्व तनमाचण किने में भी मदत किती है | इस मद ु दे से हमें ये पता चला की अच्छा काम (करियि) पाने के शलए एजक ु े िन होना बोहोत जरुिी है चाहे वो स्कूल के बाहि का एजुकेिन हो या स्कूल औि कॉलेज के अंदि वाला| दोनों


प्रकाि के एजुकेिन ने लोगो के लाइफ में प्रभाव डाला| पि काम पाने औि अपने काम के क्षेत्र में सफलता पाने के शलए डडग्री वाला एजक ु े िन ज्यादा जरुिी है ऐसा सामने आया| मशक्षा में क्या होने की जरुरि है

एजुकेिन की भूशमकाओं के बािे में बात किते समय यह भी ध्यान में आ िहा िा की भले ही एजक ु े िन लोगों को काम हदलाने में या अपना करियि बनाने में काफी हद तक मदत किता है | पि कफि भी एजुकेिन सभी को उनके मनपसंद करियि चन ु ने में या बनाने में सहय्यता नहीं कि पाता| इसशलए मौजूदा शिक्षण प्रणाली में कौनसी चीजे होने की जरुित है यह हमने हमािे प्रततभाथगयों से जानने की कोशि​ि की| जब Primary या बेशसक लेवल की बात िी, तब एक सामजजक संस्िा में काम किने वाले प्रततभाथग न बताया की, “Private औि सिकािी स्कूलों में जो दिी है उसे शमटाना चाहहएl सिकािी स्कूलों में अभी भी पाठ्यपस् ु तक से ही theoratically पिाया जाता है l दस ू िी एजक्टववटीज नहीं ली जाती”l एक तनवत्त ृ प्राध्यावपका का कहे ना है , “बच्चों का सवािंगीण ववकास कैसे हो उसपि ध्यान दे ना चाहहएl उनके जस्कल्स के आधािपि अगि पाठ्यिम बनाये गए तो बच्चों को अच्छा एजुकेिन शमल सकता है ”l औि एक Working Professionals ने बताया की, “अकेडशमक के साि साि प्रैजक्टकल भी होना चाहहए”l इन तीनों अलग अलग क्षेत्रों से आए लोगों के िाय दे खते हुए यह पता चलता है की वे सब स्कूलों में शमलने वाली शिक्षा में अलग अलग तिीके के बदलाव चाहते है | जहा पे ककसीको सवािंगीण ववकास जरुिी लगता है वही पे ककशसको प्रैजक्टकल प्रशिक्षण जरुिी लगता है तो ककसीको तनजी औि सिकािी स्कूलों के बबच शिक्षाके गण ु वत्ता को लेकि जो अंति है उसको कम किना जरुिी लगता है | जब बात सेकेंडिी औि डडग्री की हुई तब यह बताया गया की एजुकेिन शसस्टम को ज्यादा से ज्यादा प्रजक्टकल होना जरुिी है l एक शिक्षक ने कहा “जस्कल बेस औि प्रैजक्टकल होना


चाहहए”l डोनेिन भी एक मुद्दा िहा जजसके बािे में प्रततभाथगयों ने बात कीl एक बैंक कमचचािी ने बताया की “डोनेिन बंद किना चाहहएl डोनेिन मख् ु य भशू मका तनभाता है , जजसके पास पैसा है वह डोनेिन भिकि आगे तनकल जाता है कफि भलेही माक्सच कम होl औि जजसके पास पैसा नहीं है लेककन पिाई में हदलचस्पी होनेपि भी एडशमिन नहीं हो पततl औि आप ६०% - ८०% बचोंको पास तो कि िहे हो, लेककन उस हहसाब से महाववद्यालये भी तो अवेलेबल किोl ४०% - ५०% वालो को भी आप एडशमिन दोl डोनेिन बंद किो औि upper, middle औि lower तीनों क्लासेस को इक्वल oppurtunity दो”l एक एक्सपटच ने कहा की, “एजुकेिन को जस्कल बेस्ड, प्रैजक्टकल होना चाहहएl स्टडीज को current need के आधाि पि होना चाहहए”l एक NGO के अथधकािी ने कहा, “एक्सपोज़ि ववजजट्स, प्रोग्राम मैनेजमें ट ऐसी थचजोपि भी फोकस दे ना चाहहएl एक experties का यह भी कहे ना है की, “आधी हाताला चटके ति शमळते भाकि”, ऐसी हमािी शिक्षण प्रणाली होनी चाहहएl जजससे कोई एक गोल सामने आये औि उसी धेय से हम आगे बि सके”l स्टूडेंट्स के ग्रुप ने बताया, एजुकेिन एजक्टववटी बेस होना चाहहए, फ्री चॉइस होना चाहहए, पसंदीदा क्षेत्र के अनुसाि चॉइस होना चाहहए| एक फैिन डडज़ाइनि का कहे ना है , “जो एविे ज स्टूडेंट्स है उन्हें सिकाि की तिफ से मदत होनी चाहहएl हि एक स्टूडेंट को सामान संथध का अवसि शमलना चाहहए”l एजक ु े िन में बदलाव के बािे में बातचीत किके यह पता चला की, प्रािशमक एजुकेिन के गुणवत्ता में बदलाव की जरुित है | उसी वक्त प्रायवेट औि सकािी स्कूलों की गुणवत्ता में जो अंति है उसको भी कम किने की जरुित है | िायद इसी अंति की वजह से आगे जाकि यह बच्चे अपने करियि के चन ु ाव में कम पड़ जाते है | पूिी शिक्षण प्रणाली में सवािंगीण ववकास


को ज्यादा महत्त्व दे ना चाहहए जजससे बच्चे आगे जाकि अपने आप से अपने काम का चन ु ाव किे | सेकेंडिी औि हायि एजक ु े िन केशलए डोनेिन का मद् ु दा है l जजसका असि ज्यादाति तनछले – मध्यम दजाच के ववद्याथिचयोंपि होता है l इन जैसी चीजों के वजह से बच्चे अच्छे एजुकेिन से दिू िहते है औि कफि जो शमले वो काम चन ु ते है | जजसकी वजह से उनके गण ु ों का सही से इस्तमाल भी नहीं होता न वो ककसी क्षेत्र में सफल हो पाते है | एजुकेिन को प्रैजक्टकल, एजक्टववटी बेस, औि जस्कल बेस होना जरुिी है l क्योंकक पाठ्यिम मैं पिाई जानेवाली चींजे असल में काफी कम इस्तमाल होती है l बाकी काम के अनुभव पि तनभचि किता है l इसशलए बचोंके जस्कल को ध्यान में िखकि एजक ु े िन में बदलाव लाने चाहहएl एक्सपोज़ि ववजजट्स, वकच ओरिएंटेड रे तनंग्स इन सािी थचंजोका भी समावेि होना चाहहएl मशक्षा में त्रहु टया​ाँ

एजुकेिन को करियि में मदतगाि बनाने के शलए कौनसी चीज़े शिक्षण प्रणाली में होने चाहहए यह पता किते वक़्त कौनसी त्रहु टया शिक्षण प्रणाली में है यह भी समझना हमें महत्त्वपूणच लगा|

शिक्षण प्रणाली औि पद्धतत के बािे में हमने जब पुछा, तब काफी प्रततभाथगयोंने, बड़े

ही अछे मुदो पि चचाच की, सबसे ज्यादा चचाच हुई ८वी तक हि बच्चा पास इस मुदे पि| सभी प्रततभाथगयों ने इस मद ु े पि जोि हदया औि बताया की ८वीं पास तनयम ककस हदिा में जा िहा है हमािे प्रततभागी मास्ति ने बताया “पास किते है ना, ८वीं तक कफि बच्चों कों आगे समझता ही नहीं की पेपसच कैसे शलखने चाहहए पिने की आदत भी तनकल जाती है | उन्हें शसफच पास होने की आदत हो जाती है , औि माता-वपता को भी”| एक वकील ने यह भी कहा है “८वीं तक पास होने की प्रणाली बंद होनी चाहहए क्योंकक जजस उम्र में बच्चो को पिाई के शलए प्रवत ृ किना चाहहए, उसी उम्र में उन्हें पिाई नहीं की तो भी चलेगा यह मेसेज हदया जा


िहा है ”| एक रिटायडच वप्रंशसपल का कहना है की “८वीं तक पास होने की जो प्रणाली है उसके वजह से बच्चे औि कमजोि होते जा िहे है गलत गलत कदम उठाते है l ८वीं तक पास होने की आदत के वजह से पिाई न किने से वो ९वीं में फ़ैल हो जाते है ”l इस तिह ८ वी तक बच्चों को पास किने की जो चीज चल िही है यह काफी लोगों को मौजद ू ा शिक्षण प्राणाली की सबसे बड़ी त्रट ु ी लगती है | इस वजह से आगे जाकि यह बच्चे पिाई में कमजोि हो जाते है औि ककशसस भी क्षेत्र में अच्छे गुण न आने की वजह से उन्हें आगे की पिाई औि काम दोनों चीजे चन ु ने में बाधाये आती है | दस ू िा महत्त्वपूणच मुद्दा िहा शिक्षा का बाजािीकिण, जजसमे प्रततभाथगयों ने कुछ इस तिह से खल ु ासा ककया हमािे एक प्रततभाथगने कहा, “शिक्षण प्रणाली का बाजािीकिण हुआ है जजतने भी शिक्षण सम्राट है उनका उदे ि अच्छी शिक्षा दे ना नहीं है , उनका पैसा बिाना है ”, इससे सािे मौके उनको शमलते है जजनके पास पैसा है | एक छात्र का कहना है “पाठ को शसफच पिकि सन ु ाया जाता है समझाकि नहीं बताया जाताl औि टूिन का नया व्यापाि तनमाचण हो जाता है जो उन्ही शिक्षक का होता है जजसके वजह से जजनके पास इन ट्यूिन में जाने के पैसे नहीं है वह अच्छी शिक्षा से वंथचत िह जाते है ”| इसके अलावा कुछ अलग िाय भी सामने आयी| ककसीने कहा की ‘हमािी शिक्षण प्रणाली अभी तक सेंरलाइज्ड नहीं है जजसकी वजह से भाषा का मुदा हमेिा बना िहता है ’| तो एक छात्र की िाय में , ‘प्रजक्टकल नॉलेज बहुत कम शमलता है , जो बदल होने चाहहए वो नहीं होते है ’| एक कॉलेज के प्रोफ़ेसि ने बताया, “टीचि के भाषा पि कमांड होनी चाहहए जो ववषय शसखा िहे है उसमे कमांड होनी चाहहए|” कुछ प्रततभाथगयों ने मौजूदा शिक्षण प्रणाली में जो कशमया है उन्हें करियि के साि जोड़ा जैसे की एक प्रततभागी ने बताया, “पाठ्यिम में शसखाया जा िहा केवल २०% ही काम में आता है , बाकी ८०% करियि से कही भीं मैच नहीं होता है |” इससे यहा​ाँ पता चलता है की स्कूल


औि कॉलेज में शसखाई जानेवाली अथधकति चीज़े नौकिी लगने पि काम में नहीं आती| कभी कभी हम बस पिते जाते है पि उसका हमािी आगे की जजंदगी, या काम से क्या संबंध है यह भी हमें पता नहीं चलता| जैसे की एक प्रततभागी टीचि ने बताया “शिक्षण को प्रैजक्टकल, एजक्स्प्रएंस, ओरिएंटेड, जस्कल डेवलपमें ट किनेवाला

होना चाहहए| बच्चे शसखना है इसशलए

सीखते जाते है उन्हें यह पता ही नहीं होता के हम अगि यह सीखते है तो हमे आगे जाकि क्या उपयोग है |” औि इतनी पिाई कि के डडग्री हाशसल किने के बाद जब हम काम पे जाते है तब उस डडग्री का असली मतलब समझ में आता है | जैसे एक एनजीओ में कायचित ऑकफसि ने बताया, “प्रैजक्टकल नॉलेज बहुत कम शमलता है इसशलए डडग्री होने के बावजूद उनको जजन्होंने डडग्री नही ली है उनके हािो के तनचे काम किना पड़ता है . क्योंकक उनसे कम नॉलेज होता है ”| इन सािी बातों से यह पता चलता है की शिक्षा की साधािण गुणवत्ता औि शिक्षा दे नेवाली संस्िाओं में चलनेवाले व्यापाि औि भेदभाव यह मौजद ू ा शिक्षण प्रणाली में सबसे बड़ी कमी है | उसकी के साि प्रैजक्टकल नॉलेज औि जस्कल बेस शिक्षा की अनुपजस्ितत यह भी ध्यान दे नेलायक कमी है | इन सबके साि पिाने की तिीके औि मागचदिचन की कमी इन सािी बातों पि भी गौि किने की जरुित है | इसके आलावा एक F.G.D के दिम्यान ववद्याथिचओं का कहना है की जेंडि से, मतलब स्त्री या पुरुष होने का भी महत्वपूणच भाग होता है आपके चन ु ाव में अगि आप स्त्री है तो आप मैकेतनकल, टे जक्नकल कफल्ड नहीं ले सकते, लड़का है तो आट्चस में जाकि क्या किे गाl टीचि को फीमेल ही होना चाहहए, पुरुष नहीं कि पायेगा, एसी सोच भी सामने आयीl पि आज के बदलते सोच की वजह से ये बहुत कम प्रततभागी का कहना िाl एक प्रततभागी का कहना है , “लड़की हो या लड़का, कोई भी आगे बि सकता है l जो अच्छा पिफॉमच किे गा वह उस हहसाब से आगे बिे गाl लडककया अपने पिफॉिमें स से आगे बि िही है औि लड़के अपनेl हम ककसी को अपने हहसाब से आगे या वपच्छे नहीं िख सकते”l पि इस चचाच से यह पता चलता है की


व्यजक्त के जेंडि को लेकि भी उसकी पिाई औि करियि तय होता है | मौजूदा शिक्षण प्रणाली में इस तिह की कल्पनाओं को िोक पाने की कमतिता अभी भी हदखाई दे िही है | हमािी शिक्षण प्रणाली का एक पािं पारिक पैटनच भी है l वह Centralised न होने के कािण अलग-अलग िाज्य से आनेवाली किीअि की अवथधया​ाँ भाषा की वजह से हदक्कते लाती है l बड़ते एजक ु े िन लेवल के साि शिक्षको का पिाने का बदलता अंदाज, औि केवल र्थयोिी बेस एजुकेिन इस वजह से स्पष्टता नहीं आती औि उलझन बिती जाती है l जो

पिाया जाता है

उसमें से बहुत कम प्रत्यक्ष काम में इस्तेमाल होता है l ज्यादाति पिी हुयी चीजे काम से संबंथधत नहीं होती है | पूिा एजुकेिन केवल ककताबों में शलखी चीजों पि आधारित है , जस्कल या एक्सपीरियंस बेस नहीं होने के कािण बच्चे अपने जस्कल्स औि खाशमयों के बािे में सोच ही नहीं पाते औि अपने करियि तय किने की प्रकिया में हदिाहीन हो जाता है l कररयर बनाने में मदि करनेवाले साधन

शिक्षा में क्या खाशमयां है यह जानने के बाद यह समज में आया की करियि तय किने में शिक्षा ज्यादा मदत नहीं कि पाती है | ऐसे समय में ऐसी कौनसी चीज़े है जो मदत किती है यह समझने के शलए हमने अपने प्रततभाथगयों से सवाल ककये| तब प्रततभाथगयों ने ऐसे संसाधनों के बािे में बताया की जजनकी मदद से उन्हें सफलता प्राप्त हुई या अपने किीअि के आगे के पड़ाव पि उन्हें अच्छे मौके हाशसल हुएl एक प्रततभागी जो वकील है , जजन्हें अपने करियि के चन ु ाव में दोस्तों ने मदत की उनका यह कहना है की “मुझे ग्रुप सकचल अच्छा शमलाl दोस्तों के साि कौनसी अच्छी चींजे है , मेिे प्रोफेिन के चन ु ाव में कौनसी अच्छी चींजे है , उसका analysis किके प्रोफेिन चन ु ने में आसानी हुईl औि मेिे सोिल कॉन्टे क्ट्स, सोिल संस्िाओंकी भी मदत िहीl” वही एक कॉलेज की अध्यावपका ने िेयि ककया, “िादी के बाद रिसचच वगैिे किने की आझादी शमली, िहि


साइड आने के बादl” इन सािी बातों से समझ आया के परिवाि, दोस्त, िादी केवल बाधाए नहीं तो ककसी ककसी के शलए शिक्षा औि किीअि में मददगाि भी िहे है l वकच एक्सपीरियंस भी किीअि में महत्वपण ू च िहा है l प्रततभाथगयों ने बताया है के केवल डडग्री होना जरुिी नहीं होता, तो उसके साि काम का अनुभव भी होना जरुिी होता है l एक ७० वषच की रिटायडच प्राध्यावपका का कहना है , “शसफच ग्रेजए ु िन है तो सब मझ ु े आएगा, ऐसा नहीं है l इसशलए तनरिक्षण महत्वपूणच होता है l तिा कोई भी काम किने की तैयािी भी होनी चाहहए सब नसीब-नसीब की बात है l” वही हमािे संस्िा के कायचित एक ऑकफसि ने बताया, “अलगअलग संस्िाओ से अनुभव लेता गया, उससे मुझे अच्छा स्कोप शमला, शिक्षा के अलावा बाहि की अलग-अलग opportunities जो शमली, मतलब अलग-अलग टै तनंग में जाना, एक्सपोज़ि visits में जाना, जो प्रजक्टकली बहुत हे ल्पफुल िहा मेिे शलए”l इसके साि ककसी–ककसी को शसनेमा ने प्रेरित ककया, दोस्तों से प्रभाववत हुए, टे जक्नकल नॉलेज का फायदा, वकच एक्सपीरियंस औि खद ु की चॉइस भी फायदे मंद िही है l इन सािे मुद्दों को दे ख कि यह ध्यान में आता है की जेंडि, परिवाि, दोस्त यह सािे घटक महत्वपूणच घटक है जजनके मतों के आधािपि या उनके साि सलाह मिवहिा किके हम अपना किीअि का चन ु ाव किते है l अपने औि लोगों के साि संबंध, अलग अलग तिीके की कायचिालाए या प्रशिक्षण हमें पिाई से ज्यादा मदत किते है अपना करियि चन ु ने में | शसफच डडग्री लेने से हम तय नहीं कि पाते की हमको क्या किना है पि कुछ काम कि के उसको किते किते हमें पता चलता है की हमें कौनसे क्षेत्र में जाना है | मशक्षा और कररयर में आनेवाली बाधाए

करियि के चन ु ाव में शिक्षा के अलावा औि कौन-कौनसे घटक मदत किते है यह समझने के बाद शिक्षा या करियि का चन ु ाव किते समय ककस तिह की बाधाये आती है उनको समझना भी बहुत जरुिी लगता है | जब हमने एजुकेिन औि करिअि में आतनवाली बाधाओंपि बातचीत


की औि सवाल ककये तब ‘पैसा’ यह एक मुद्दा सभी प्रततभागीओं ने जोि दे कि सामने लायाl जैसे की एक प्रततभागी जो बैंक में काम किते है उनहोंने कहा, “Finance न होने के कािण एजुकेिन रुकता है औि एजुकेिन रुकने से किीअि अटकता है l” करियि के चन ु ाव में आनेवाली बाधाओं के बािे में बात किते हुए एक प्रततभागी ने कहा “बेशसकली एजक ु े िन पिसेंटेज एक्सेस टाइप हो गया है l इतना पिसेंटेज है तो सायन्स में , िोडा कम है तो कॉमसच में औि एकदम कम पिसेंटेज है तो आट्चस में l कैशलबि है पि पिसेंटेज नहीं तो पसंदीदा कफल्ड नहींl” वही अन्य प्रततभाथगयों ने खासकि हमािे काफी ववद्याथिचयों ने कहा फॅशमली प्रेि​ि, Peer प्रेि​ि, घि की अन्य समस्याये, इन सािी थचंजो का भी अपने एजुकेिन औि किीअि के चन ु ाव पि असि होता है l इस से यह पता चलता है की गण ु वता का मल् ू यमापन माक्सच या पिसेंट से ककया जा िहा है | ककसी के घि पे अगि पिाई के शलए अच्छा माहोल नहीं है औि वो अच्छे माक्सच नहीं ला सकता तोह उसको अपने करियि के चन ु ाव में समझौता किना पड़ता है औि अपने माक्सच पि आधारित ववभाग को चन ु े के मजबूिन उसी हदिा में अपना करियि बनाना पड़ता है | पि दस ू िी जगह ज्यादा माक्सच लाने पि भी पसंहदता ववभाग में नहीं जा पाते क्यों की घिवालों से आता दबाव या कफि चन ु े गए ववभाग में कोई भववष्य नहीं ऐसी सोच| इन सािी बाधाओं पि मात कि के कोई डडग्री हाशसल भी कि ले तोह भी आगे जाकि अनुभव की कमी के वजह से करियि में आगे बिाने में तकलीफ़े आती है | जैसे की एक प्रततभागी रे नी टीचि ने कहा, “एक्सपीरियंस असल्याशिवाय माणस ू त्या लेवल ला जाऊच िकणाि नाही.” स्टूडेंट प्रततभागीओं ने एक औि घटक नमूद ककया के की सही समय िहते ही उन्हें मागचदिचन नहीं शमल पाया औि कफि करिअि के चन ु ाव को लेकि confusion बि जाता है l उससे संबंथधत हमािे प्रततभागी कोथचंग क्लासेस के एक्सपटच ने कहा, “मुझे doctor बनाना िा, पि


मैं बन गया टीचि क्योंकी एजुकेिन किते समय पता नहीं िा किीअि क्या होना चाहहएl मागचदिचन का प्रॉब्लम आयाl कफि वपताजी का सपना भी िा की मैं टीचि बनू तो मैं टीचि हो गयाl” एक प्रततभागी टीचि जो गांव से िहि में आयी है उन्होंने ने संसाधनों की कमी को वजह बताते हुए कहा है की “गा​ाँव साइड गए तो वहापि शिक्षा का स्ति कम है , Library सवु वधा नहीं िी, एजुकेिन उपलब्ध नहीं िाl जजससे मझ ु े M.SC के बाद तकलीफे झेलनी पड़ीl पि िहि साइड आनेपि सब कुछ आसान हो गयाl” एजुकेिन या किीअि में आनेवाली एक महत्त्वपूणच बाधा पैसा िही है | पैसा न होने के कािन पसंदीदा क्षेत्र में एजक ु े िन ले पाना औि कफि उस क्षेत्र में किीअि बना पाना मजु श्कल बन जाता है | दस ू िी तिफ पैसो की समस्या पे मात कि कोई पिाई कि भी पाता है तो आगे जाकि उसके कम माक्सच पसंदीदा क्षेत्र में एडशमिन लेने से वंथचत िखते है | जजसका सीधा परिणाम किीअि पि होता है l कही पि िहि के मुकाबले शिक्षा के साधन बहुत कम उपलब्ध होते है l कही पि सािे संसाधन है पि मागचदिचन की कमी के वजह से बाधाए आती है | क्षेत्र और कररअर

िालेय शिक्षा पूिी होने के बाद अपनी आगे की शिक्षा पूिी किने के शलये हमें कई क्षेत्रोमें से एक क्षेत्र चन ु ना पड़ता है जो हमािे करिअि की हदिा तय किता है l बाद में उसपे ही हमािे करिअि की सफतला तनभचि होती है l इसशलए हम अपने क्षेत्र का चन ु ाव कैसे किते है यह समझने के शलए जब हमने हमािे प्रततभाथगयों से बात की तब हमें लोगोंसे इस मुद्दे पि बोहोत सािी जानकािी शमली| Expert के हहसाब से कॉलेज के वक्त ही उन्होंने अपना करियि तय कि शलया िा की, उनके शलए उनका करियि(फील्ड) क्या है | एक महहला expert का ये कहना है की उनके परिवाि की


मदत से औि िादी के बाद पतत तिा पतत के परिवाि के मदत से अपना करियि(फ़ील्ड) तय कि पायी| जब हमने प्रोफेिनल प्रततभाथगयोंसे से उनके क्षेत्र औि करियि के चन ु ने की प्रकिया के बािे में पूछा तो हमें पता चला की उनको नही पता िा की उन्हें कौनसे क्षेत्र में जाना है | दोस्तों की मदत से, कम पिसेंटेज की वजह से जो क्षेत्र शमला उसमे उन्होंने पिाई की| उस क्षेत्र के हहसाब से उनका काम तय हो गया| दस ू िी तिफ कुछ expert का ये ही कहना है की उनके परिवाि में सब पड़े-शलखे िे इसशलए उनको पता िा की उनके शलए उनका करियि क्या है औि अपने परिवाि के मागचदिचन पि उन्होंने अपना करियि चन ु ा| दस ू िी तिफ यह जानकािी शमली की अपने करियि को ध्यान में िखते हुए ककसी ने अपने पिाई का क्षेत्र नहीं चन ु ा पि पिाई िुरू होने के बाद उनको जजस ववषय में interest आया उन्होंने उसी में अपना करियि बनाया|

तनष्कषस एजुकेिन एक लाइफ लॉन्ग प्रोसेस जैसे चलती ही िहनेवाली है l ककसी भी क्षेत्र में आगे बिने के शलए या किीअि बनाने के शलए उस क्षेत्र का नॉलेज औि कम से कम बेशसक एजुकेिन का होना जरुिी है l शिक्षा औि किीअि का ज्यादाकि आपसी संबंध पाया गया है | जब भी एजुकेिन औि करियि की बात साि में होती है तब एजुकेिन के मायने बदल जाते है औि लतनिंग बाजु में िख के डडग्री के कागज़ को महत्व हदया जाता है l भले ही कुछ खाशमंया​ाँ एजक ु े िन में है , पि बबना एजक ु े िन आज के यव ु ा अपने किीअि के बािे में नहीं सोच सकतेl ज्यादाकि अपने आगे के क्षेत्र को ध्यान में िखकि ही अपने स्रीम का चन ु ाव किते है l पि हि बाि ये मम ु ककन नहीं होता है क्योंकक, घिवालों औए दोस्तों के दबाव, अपनी आथिचक परिजस्िती औि सही मागचदिचन के कमी के कािण कई बाि हम मन पसंद स्रीम का चन ु ाव नहीं कि पातेl


किीअि याने जीवन में ओविऑल डेवलपमें ट किना, अच्छी नौकिी, िोहित पाना औि ये सब हमािे अच्छे एजक ु े िन से आसानी से पाने में मदत हो सकती है l बस हमें एजक ु े िन को अच्छी तिीके से जीवन के साि जोड़कि–समझकि पूिा किना जरुिी है l एजुकेिन के बबना सक्सेसफुल हुए लोग भी है लेककन दे खा जाये तो उनकी संख्या इनकी तल ु ना में बोहोत ही कम है l करिअि का काम के साि घना संबंध है क्योंकक कुछ लोग अपने काम को ही अपना करिअि मानते है औि अपना पूिा जीवन वही काम में बबताते है , औि कुछ लोग बस पैसे कमाने के शलए ही काम किते है लेककन उनका करिअि का इंटिे स्ट कोई औि क्षेत्र में होता है | एजुकेिन याने खाली डडग्री कमाना नहीं तो, एजुकेिन से हमािे स्कील्स, खाशमंया​ाँ, खबू बया​ाँ पता चलती है l तनणचय लेने की, सबके सामने अपनी िाय िखने की, सोचने की क्षमता बिती है l समाज को दे खने का नजरिया बदल जाता है l इससे उलटा अगि एजक ु े िन ना होतो, जीतनी अंदरूनी उन्नतत हमािी होनी चाहहए उतनी नहीं हो पातीl किीअि में आनेवाले मौके से हाि धोना पड़ता है l इसशलए एजक ु े िन अच्छे किीअि के शलए बोहोत जरुिी है l एजक ु े िन औि किीअि का संबंध दे खा जाये तो “Education is Primary & Career is Secondary”, ”No Education, No Career Set-up” क्योंकक किीअि का िास्ता एजुकेिन ही हदखाता है l कभी कभी एजुकेिन के हहसाब से हमें काम नहीं शमलता तो हम डडप्रेस हो जाते है l पि कई बाि एजुकेिन तय किता है के हम क्या काम किें गे औि एक तिह की शिक्षा होने की वजह् से हम बाहि नहीं तनकल पाते है l अपना किीअि एजुकेिन के साि साि हमािे फ्रेंड्स, फॅशमली, लोकेिन औि समाज के ऊपि भी तनभचि होता है l क्योंकक हमािे किीअि के सफ़ि में इन सब के सहािे हम अपने फैसले लेते है l


हमािे एजुकेिन औि किीअि के ऊपि ‘पैसा’ एक ऐसा फैक्टि है जो महत्वपूणच िोल तनभाता है l क्योंकक अगि पैसा अच्छा हो तो हम ज्यादाकि मस ु ीबतों के ऊपि तिकीब तनकालनेमें कामयाब हो जाते है l बहुतसी हदक्कते बोहोत की कम हो जाती है l एक औि बड़ा मुद्दा सामने आता है वो याने डोनेिन–किप्िन, ये एक मुद्दा ऐसा है जजसने पिू ी शसस्टम को ख़िाब किके िखा है l जो भी आज हमें खाशमंया​ाँ एजक ु े िन में हदखिही है उसका मख् ु य जड़ यही है l ये एक चीज अगि सुधि जाए तो अपने आप यव ु ाओं की एजुकेिन औि किीअि के बबच की ये तकलीफे लगभग ७०-८० प्रतीित कम हो जायेगीl औि हमािा युवक, समाज औि दे ि सही मायने में प्रगत हो जायेगाl

सुझाव

िोनेशन एक समस्या

डोनेिन यह शिक्षा के िास्तेकी सबसे बड़ी समस्या है सिकािी स्कूल कॉलेज में डोनेिन नहीं शलया जाता पि जब शिक्षक की क्वाशलटी की बात आती है तो प्राइवेट स्कूल कॉलेज को बिावा हदया जाता है | सभी को अगि अच्छी क्वाशलटी की शिक्षा दे नी है तो सिकाि को डोनेिन हटा दे ना चाहहए या तो सिकािी स्कूल-कॉलेज की शिक्षा की क्वाशलटी बिानी चाहहएl

जेंिर एक समस्या

हमािे संिोधन में यह सामने आया कक, व्यजक्त का लड़का हो औि लड़की होना स्रीम चन ु ने में परिणाम किता है| जैसे अगि लड़की है तो mechanical नहीं कि सकती औि लड़का है तो आट्चस में क्या किे गाl वह व्यजक्त की छमता औि पसंद ना दे खते हुए केवल उनके शलंग के आधाि पि शिक्षा क्षेत्र चन ु ने तिीका है l आज भी समाज तिा परिवाि की मानशसकता एक बॉक्स में

बंद है | इसे बदलने के शलए िासन को बड़े पैमाने पि जागतृ त किना आवश्यक है |

पैसा एक समस्या


संिोधन में यह बात सामने आई कक शिक्षा लेते समय पैसा महत्वपूणच भूशमका तनभाता है | जो परिवाि आथिचक रूप से गिीब है उन परिवाि के बच्चों को महांगी शिक्षा ग्रहण किना कहठन हो जाता है | जजस पि सिकािने सामान्य लोगो को भी ऊंची शिक्षा शमले इसके शलए आिक्षण औि स्कॉलिशिप नामक पल ु बनाए हैं पि उसकी जानकािी लोगों तक नहीं पहुंच पाती| यह सािी सुववधाए लोगों तक पहुंचे इसपि सिकािने ध्यान दे ना चाहहए| TV, पेपि, िे डडयो इन माध्यम का इस्तेमालकि जागरुकता होनी चाहहएl

मशक्षा का क्षेत्र बदलने की सुंथध १०वी के बाद छात्रों के पास अपना क्षेत्र तय किने की संथध नहीं होती| क्योंकक वहा पे सब उनके माक्सच दे खकि रे होता है | औि उनके इच्छा औि चाह हो महत्व नहीं हदया जाता| वहा पि उनको अपने पसंदीदा क्षेत्र चन ु ने की आज़ादी शमलनी चाहहए| औि वे खुद से अपना क्षेत्र चन ु पाए इसशलए उनको स्कूल में मागचदिचन भी शमलना चाहहए|

मशक्षको के पढ़ाने का िरीका पिना औि पिना यह दोनों शिक्षा में महत्वपण ू च होता है | उसीसे शिक्षा का दजाच तनहहत होता है | छात्र मन लगाकि पिने के शलए शिक्षकों को अपने पिने के तिीके को बदलना चाहहए| इम्तेहान बच्चो को मुजश्कलों का पहाड़ न लगते हुए खद ु को पिखने का आसन सा माध्यम लगना चाहहए| मेिा पिाया हुआ सािे छात्रो को समझ में आ िहा है या नही यह भी तो दे खना चाहहए| बोरिंग तिीका छोड़कि बच्चे पिने के शलए बैठे इसशलए उन्हें प्रोत्साहहत किना चाहहए|

काम का अनभ ु व हमािी शिक्षण प्रणाली छात्रो को काम का अनुभव प्रदान नही किती| छात्र केवल डडग्री प्राप्त किते है | पि डडग्री से वे काम किने लायक नही बनते, उनमे अनुभव की कमी होती है औि इसी कािण वे अपने पैिो पि जल्दी खड़े नही हो पाते| शिक्षण प्रणाली में बदलाव होना चाहहए| पाठ्यिम इसी तिीके का होना चाहहये जजससे बच्चे उनके फील्ड का काम भी शिक्षा के साि साि शसखने चाहहए| ज्यादा पिाई र्थयोिी बेस न होकि प्रैजक्टकल भी होना चाहहए| शिक्षण प्रणाली छात्रो के शलए है नाकक छात्र शिक्षण प्रणाली के शलए यह बात समझनी होगी|


Internship छात्रो को जॉब माककचट में उतिने से पहले Internship से गुजिना आवश्यक लगता है औि यही कमी हमािी शिक्षण प्रणाली में नज़ि आती है | intership से गुजिकि छात्र प्रत्यक्ष रूप से काम किने लायक बनते है | छात्र अपनी शिक्षा पूिी किते वक्त उनके शलए internship programme िखना अतनवायच किना चाहहए| ऐसे छात्रो को कंपनी में Internship किने के शलए प्रेरित किना चाहहए|

मयासदा 1.

इस संिोधन में बेिोजगाि व्यजक्तयों की िाय तिा अनुभव नहीं शलए गए है | इस वजह से वो करियि को क्या समझते है औि एजुकेिन का उनके शलए क्या मतलब है यह जानकािी इस संिोधन में नहीं है |

2.

अपने कॉलेज के आखिी साल में पिने वाले यव ु कों के अनभ ु व इस में नहीं है | जब की वही लोग अभी कॉलेज से बाहि तनकल कि काम िूंडने वाले है |

3.

स्कूल या कॉलेज आधे में छोड़े हुए या बबना पड़े शलखे लोगों के अनुभव इस संिोधन में नहीं है |


बबब्लोग्राफी

Factors Influencing Interest in Education among the School Children, इंजस्टट्यूट ऑफ़ सोिल science के ववद्यािी श्री.रुशिकेि आि. कीततचकि, सन २०११

बोअि होतं, मन उडत ते किानं? ....लोकमत Article Dated 1st February 2017 http://m.lokmat.com/storypage.php?catid=31&newsid=4652

https://www.google.co.in/amp/m.indiatoday.in/lite/story/skill-development-inschools-from-young-age/1/747800.html

https://www.weforum.org/agenda/2017/04/why-its-time-to-rethink-themeaning-of-work/

http://www.jagran.com/josh/shiksha-world-class-education-dream-will-cometrue-12221701.html

http://www.jagran.com/josh/shiksha-when-will-come-good-days-in-education11458673.html?src=RN_detail-page


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