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INNOVATION तीन तलाक और उसपर मुस्ललम समाज का नजररया ग्रुप के सदलय सबा शेख हुमा फारुकी गज़ाला अफरीन अलफरनास सोलकर नगमा शाह ममस्बाह खान पारस नाईक एहतेशाम पीरजादे
ग्रुप फैसससलटे टर अरविन्द सकत
ग्रुप में टर
हहना इस्माईल
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ता मल का
नंबर
विषय
पेज नंबर
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आभार
4
2
प्रस्तािना
6
3
ग्रप ु प्रोसेस
8
4
मलटरे चर ररव्यु
14
5
ररसचच मेथोड़ोलॉजी
25
6
विशलेषण
27
7
एक्सपर्टचस से बातचीत
67
8
तलाक़शुदा औरतों से बातचीत
87
9
ननष्कषच
94
10
सुझाि
97
11
ग्रप ु में बसच के दो शब्द
99
12
संदभच
109
13
पररमशष्ट
113
3
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आभार धन्यिाद कहने के मलए तो बहुत छोटा शब्द है पर इसका मल् ू य बहुत है । इससे हम आप सभी के मलए अपना प्यार और आदर व्यक्त करना चाहते हैं। आप सभी के बबना यह ररसचच परू ा नहीं हो पाता, ररसचच में मदद के मलए आप सभी का धन्यिाद!! यह ररसचच हमने ककया है पर इस को पूरा करने में हमें कहीं अलग-अलग लोगों ने सहायता की
है । हम सभी सबसे पहले अपने समाज के लोगों का धन्यिाद करना चाहते हैं, आप ही की िजह से हमें अपने ररसचच के मलए सहभागी ममले। हम अपने एक्सपर्टचस का भी धन्यिाद करना चाहते हैं| उनके कारण हमें अपने ररसचच के विषय का इनतहास और हमारे विषय के बारे में पता चला। हम गुणिंती जे कपूर मेडिकल ररलीफ चैररटे बल फाउं िेशन और उनकी टीम के भी आभारी हैं
जजन्होंने हमारी कॉलेज में इस तरह की फेलोमशप चलाकर हम जैसे छात्रों को सामाजजक विषय पर संशोधन करने का मौका हदया। हम हमारे कॉलेज(गुरु नानक खालसा कॉलेज) के प्राध्यापक िॉ. मसबी तथा उनके सहकारी अध्यापकों का हदल से शुकिया अदा करना चाहते हैं जजन्होंने हमें समय-समय पर सहयोग ककया और हमारे इस सीखने के सफर को आसान ककया।
हम पुकार संस्था और उनकी टीम को भी शुकिया कहना चाहते हैं जजन्होंने साल भर अलगअलग िकचशॉप लेकर हमें संशोधन क्यों और कैसे करते हैं इसके बारे में जानकारी दी। साल भर
के इस संशोधन में हमने Gender, Methodology, Sexual Harassment, RTI जैसे कई महत्िपूणच मुद्दों पर चचाच की, अपनी खद ु की राय बनाई और अपनी सोच बदलना शुरू ककया। हम Youth Leaders As Change Makers टीम को भी धन्यिाद करना चाहते हैं , जजन्होंने हमें मागचदशचन ककया। सबसे पहले हम यथ ू फेलोमशप प्रोग्राम के हमारे फैमसमलटे टर अरविंद और सनु नल को धन्यिाद कहना चाहते हैं। इस संशोधन में हमें हर कदम पर सलाह और मागचदशचन करने िाली हमारे में टर हहना को भी शकु िया कहना चाहते हैं जजन्होंने हमें हमारे कहिन समय
पर मदद की। ररसोसच पसचन का भी शकु िया अदा करना चाहते हैं जजन्होंने िकचशॉप के जररए ररसचच के अलग अलग पहलू को बताया।
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बांद्रा में काम करने के मलए हमें जगह उपलब्ध करने के मलए हम स्त्री बाल शजक्त संस्था के भी आभारी हैं। हम अपने दस ू रे फैमसमलटे टर को भी धन्यिाद कहते हे जजन्होंने कदम कदम पर हमे इस ररसचच पर मदत के मलए हाथ बटाया।
परू े साल भर में हमें अलग-अलग प्रकार से मदद करने िाले फेलोमशप के बाकी ग्रप ु , हमारे
ररसचच के सहभागी छात्र और अध्यापक जजनके बबना यह लंबा सफर कभी परू ा नहीं हो पाता, उन सब को हम तहे हदल से शकु िया कहना चाहते हैं।
और सबसे महत्िपूणच हमारे पररिार का हम धन्यिाद कहना चाहते हैं जजन्होंने हमें हर तरह से मदद की हम उनके भी बहुत आभारी हैं। हमें फेलोमशप काम के मलए अपनी छुर्टहटयों के हदन भी बाहर ननकलना पड़ता है रवििार के हदन भी अपने पररिार के साथ िक्त नहीं बबताने ममलता। इसमलए हम हमारे पररिार को तहे हदल से शुकिया करना चाहते हैं क्योंकक उन्होंने इस पूरे समय में
समझ कर मलया और मदद की।
हमें हर तरह से सहायता करने के मलए सभी को धन्यिाद!!
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प्रलतािना इंसान को जज़ंदा रहने के मलए खाने की ज़रूरत होती है दिा की नहीं अगर खाना छोड़कर दिा को खाना पीना बना मलया जाए तो अच्छा जजस्म बीमार हो जाता है और जान पर बन आती है ।लेककन अगर िही इंसान बीमार हो जाए तो सेहत को लौटाने के मलये दिा ज़रूरी है । शादीशुदा जजंदगी में शौहर और बीिी की जज़ंदगी मे तलाक़ की है मसयत उसी दिा से है ।
ननचे हद हुई कविता तीन तलाक़(तलाक़ ए बबद्दत) इस तलाक़ प्रकार का असमथचन करती है | तलाक सही नही, तलाक सही नही।। अल्लाह कक नापसंद चीजो को दोहराना, सही नही। उनका बनाया ररश्ता, तम ु पर मेहरबानी नही। तलाक सही नही, तलाक सही नही।। समजोता हो जजसमे, ररश्ता है िही। जो औरत को सम्मान दे , मदच है िही। तलाक सही नही, तलाक सही नही।। ननकाह के बाद औरत, तम् ु हारी जजम्मेदारी है नई। सफर जजंदगी का, ना कटे गा सही।
अगर तम् ु हारी जीिनसाथी पत्नी साथ नही, तम् ु हारी पत्नी साथ नही। तलाक सही नही, तलाल सही नही।।
- पारस नाईक। तलाक़ अगर बे समझे बझ ू े और बे ज़रूरत दी जाए तो ये जज़न्दगी को बबाचद कर दे ती है
और खमु शयों की जगह कई तरह की मस ु ीबतें घेर लेती हैं। लेककन जब शौहर ि बीिी के दरममयान ररश्ता इतनी दरू हो जाए जैसे समंदर के दो ककनारे जो कभी आपस मे नहीं ममलते तो उस
िक़्त
तलाक़
दोनो
की
ज़रूरत
और
हर
एक
के
मलए
राहत
हो
जाती
22 अगस्त 2017 में सुप्रीम कोटच ने एक िक़्त में दी जाने िाली तीन तलाक
है ।
को
गैरकानूनी करार हदया और सरकार पर तीन तलाक़ को रोकने के मलए कोई कानून लाने की जज़म्मेदारी सौंप दी गई। इस फैसले के बाद समाजजक और राजनीनतक स्तरों से अनेक 6
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प्रनतकियाएँ नज़र आईं। तीन तलाक़ दे ने िाले के ऊपर सरकार ने तीन साल की सजा दे ने का बबल बनाया इस बबल को लोकसभा में एक ही हदन में मंजूरी ममल गई िहीीँ राज्यसभा ने इस बबल को मंजूरी नहीं दी और यह बबल खाररज कर हदया गया।आज हमारे समाज में तलाक एक
अहम मसला बनता जा रहा है उसके पीछे कम मालूमात एक बड़ी िजह है । तलाक़ से पैदा हो
रहे मसले से घबरा कर कोई तलाक़ पर बंहदश की बात करता है तो कोई उसको पाबंद शरीयत बनाने की िकालत करता है । तो यहां जजस तरह अलग अलग गुफ्तगू हो रही थी जजस समाज पर इतनी बाते हो रही थी उस समाज के लोगो की राय जानना बेहद ज़रूरी था। इसमलए हमने मुजस्लम
समाज
के
लोगो
की
तलाक़
पर
क्या
राय
है
यह
जानना
चाहा।
अब हमने इन मुजस्लम समाज में केिल आम लोगों को ही इसमलए चन ु ा क्योंकक मौलाना
और विद्िानों की सोच और उनकी राय हमे आमतौर पर मीडिया के ज़ररये सुनने में आ जाती है लेककन आम जनता की आिाज, उनकी राय सामने नहीं आती। यह सिेक्षण हमने मुंबई
के
उन इलाको में ककया है जहां पर मजु स्लम आबादी ज़्यादा थी।तो ये इलाके कुछ इस तरह हैं
गोिंिी, ििाला, धारािी, मलाि, जोगेश्िरी। इसी तरह हमारे ररस्पोंिेंर्टस सैंड्हस्टच रोि, अंधेरी ,दादर ,िरली इन जगहों से भी हैं। इन जगहों में हमने कुल 413 सिचक्षण ककये जजनमे महहलाएं और परु ु ष
दोनों
शाममल हैं।
हमने हमारे प्रश्नािली मे तलाक से जि ु े मसले, उनमे औरतो के हक, शरीयत में तलाक का जज़ि, सप्र ु ीम कोटच का फैसला, सरकार के द्िारा बन रहे कानन ू को लेकर उनकी क्या राय है इस तरह के अलग अलग सिालों पर प्रश्न
पछ ू े।
लोगो की राय में तीन तलाक़ दे ने िालों के ऊपर ककस तरह का कानून बनना चाहहए इस पर भी बात
की।
इस
तरह
हमने
लोगो
से
इस
मुद्दे
से
जुड़े
कुल
25 सिाल
इन सिालों के जिाब में मुजस्लम समाज के अलग अलग पहलू हमारे सामने आए।
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पूछे।
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ग्रप ु प्रोसेस
हमारे ग्रुप में 8 सदस्य है जजसमे तीन में बर ििाला से, दो दो में बर माहहम ् और दादर से और
एक में बर चें बूर से था लेककन ग्रुप का हर में बर गुरु नानक खालसा कॉलेज के SYBA की कक्षा से जुड़ा हुआ था. हमे पक ु ार NGO के बारे में सबसे पहले vice principal दे िेंद्र कौर से जानकारी प्राप्त हुई. उन्होंने कहा कक पुकार में ज़रूर हहस्सा लीजजये जजससे आप लोगों को बहोत सारी नई चीज़े सीखने ममलेगी।
हमारे कॉलेज में हर साल पुकार और गुणिंती जे कपूर फाउं िेशन ममलकर कॉलेज के
विद्यार्थचयों के साथ एक युथ फेलोमशप प्रोग्राम कंिक्ट करते
है जो समाज मे चली समस्या पर
ररसचच करते है । खालसा कॉलेज में पुराने फ़ेलोस का orientation प्रोग्राम हुआ जजसमे उन्होंने अपने ररसचच के बारे में बताया और बाद में अननता जी और उनके सहायक ने ममलकर पुकार और युथ फेलोमशप के बारे में जानकारी दी.
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िककशॉप हमरा इंटरव्यू होने के बाद 36 छात्राओ का युथ फेलोमशप में चयन हुआ. हमारे पहले दो कैम्प खारघर में हुए जहां हमे पहले खद ु को जानने में मदद हामसल हुई और दस ू रा कैम्प जो
खारघर में ही हुआ था इसके ज़ररये सोसाइटी को जानने में मदद हामसल हुई । इन दो कैम्प के बाद हमारा एक कम्युननटी विजजट भी हुई. उसके बाद हमारे सेंट पायस स्कूल में िकचशॉप शुरू
हुए। यह िकचशॉप हर रवििार को होते थे यह िकचशॉप CBPAR, RESEARCH ETHICS, RESEARCH METHODOLOGY , LITERATURE REVIEW, INTERVIEW SESSION, िगैरा िकचशॉप हुए।
हमने इन िकचशॉप के ज़ररए सीखा के ग्रुप के साथ जुड़ कर ककस तरह काम ककया जाए, ककस
तरह खद ु के अंदर बदलाि लाया जाए, ककस तरह अपनी बात दस ु रो तक पहुंचाई जाए और ककस तरह दस ु रो के विचारों का मान रखे। हमारे तीसरे िकचशॉप के समय हम सब के ग्रुप बनाए गए जजसमे SYBA के छात्राओं को हमारी सहूलत की बबना पर एक ग्रुप बनाया गया ।जब हमारा ग्रुप बना तो हर एक में बर एक दस ू रे को चेहरे से जानता था मगर नाम से नहीं जनता था. ग्रुप के तीन में बसच को इस ग्रुप में रहना पसंद नही था िह दस ू रे ग्रुप में जाना चाहते थे मगर
ऐसा नही हो पाया। तब हमें अरविंद जी फैमसमलटे टर के तौर पर ममले और हमने अपने ग्रुप का नाम INNOVATION (नई खोज) रखा ।
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ग्रुप मीटटंग हम शुरुिात के हफ़्तों में अपने फैमसमलटे टर अरविंद के साथ हफ्ते में एक बार ममलते थे. अरविंद जी हमे वपछले िकचशॉप में क्या हुआ और अगले िकचशॉप में क्या होगा इसके बारे में जानकारी दे ते थे।
साथ ही साथ हर ग्रुप में बर को अपने विचार ग्रुप में रखने में आसानी होती थी। इसके साथ हम 8 मेम्बर हफ्ते में एक या दो बार ममल ही मलया करते थे और उसमें अपने कहिनाइयो को सल ु झाने की कोमशश करते थे.
ररसर्क विषय र्न ु ना और कटिनाइयां ररसचच विषय चन ु ने के िक़्त हम हफ्ते में तीन से चार मीहटंग करते थे और हम अलग अलग
टॉवपक के बारे में चचाच करते जैसे कक धमच और ध्िनन प्रदष ु ण , BMC और पानी, सड़क पर रहने िाले लोग, बेघर लोग, मुंबई में पब कल्चर, िगैरा िगैरा।
हमारी एक ग्रुप मीहटंग के दौरान हमारे फैमसमलटे टर सुनील और अरविंद ने हमारे ग्रुप के साथ तीन तलाक के विषय पर चचाच की. चचाच के बाद हमने ये सोचा की क्या हम तीन तलाक पर 10
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ररसचच कर सकते है ? ग्रुप के कुछ में बर ने इस टॉवपक पर चचाच करने से मना कर हदया था क्योंकक उन्हें लगता था के हमारे इस्लाम के हहसाब से हम खखलाफ में ना चले जायें मगर आखखर में हमारा ग्रुप तीन तलाक़ पर ररसचच करने के मलए तैयार हो गया। हमारा ररसचच प्रोसेस अच्छे से चल रहा था कक एक ऐसा मोड़ आया जजस ने हमारे ग्रप ु को
हहला कर रख हदया। हमारा ग्रप ु ये सोच में था कक हम आसानी से 15 ऐसी महहलाओं का
इंटरव्यू ले लें गे जजनको एक िक़्त में तीन तलक हदया गया है और आसानी से ररसचच परू ा करें गे तब अननता (EXECUTIVE DIRECTOR OF PUKAR) ने हमे बताया कक तीन तलाक़ महहलाये
हमारे इंटरव्यू का इंतज़ार नही कर रही है , िैसे तीन तलाक़ होते कम है और आप इतने आसानी से बोल रहे हो कक आपका
ग्रुप 15 तीन तलाक़ महहलाओं का इंटरव्यू लेगा ,इस बातर्चत के
दौरान उन्होंने ररसचच में आने िाली मुजश्कलात के बारे में बात की और उन्होंने ररसचच के विषय को कैसे शॉटच और कफल्टर ककया जाय उसके बारे में आगाह ककया।
डेटा कलेक्शन हम िेटा कलेक्शन के मलए तीन मेथड्स का इस्तेमाल कर रहे थे। हमने कुछ मुजस्लम विद्िान
और कुछ सिे और कुछ आम लोगों के इंटरव्यू ले चक ु े थे मगर जब आलोक िाकुर के िकचशॉप
के समय उन्होंने सिे की तादात को बढ़ाने का सुझाि हदया तो हमने सिे को 100 से बढाकर
400 करने का ननश्चय ककया। पर उन्होंने ने यह भी बताया कक मुजस्लम विद्िान के विचार सब को पता है मगर आम जनता के तीन तलाक़ पर क्या विचार है यह लोगों को पता नही है इस मलए आप लोगों पर ज़्यादा तिज्जा(ध्यान) दे ।
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शुरुिात में ग्रुप में बर को सिे लेते िक्त बहोत मजु श्कलात का सामना करना पड़ा।लोग इस विषय पर बात करने से हहचककचाहट ज़ाहहर कर रहे थे. शुरू में हमारी सिे लेने का कायच थोड़ा धीमा था मगर एक समय के बाद हमने भी रफ्तार पकड़ ली। सिे के साथ साथ हमने एक्सपटच के इंटरव्यू भी मलए और तीन तलाक़ शुदा औरत का भी इंटरव्यू मलया।
िेटा कलेक्शन की एक अच्छी बात यह थी कक जब भी पूरा ग्रुप कहीं ररसचच इंटरव्यू करने जाता
था तब िापसी के समय ककसी न ककसी जगह जा कर सैर तफरी भी ककया करते थे। जैसे पुणे गए तो आखखर में शननिारिाड़ा घूमे या राम पुननयानी का इंटरव्यू होने के बाद कफर पिई तलाि को घूमने जाना।
डेटा विश्लेषण िेटा जमा करने के बाद हमे उसे एक्सेल फ़ाइल में टाइप करना था तो हर एक ने अपने ककये हुए सिे को एक्सेल शीट में टाइप ककया, इस प्रोसेस में हर में बर को दश्ु िाररयों का सामना करना पड़ा जैसे गलत जगह पर गलत टाइप करना या ऑिचर चक े सिालो के आये हुए ू ना। ओपन एंिि िेटा के थीम्स और ट्रें ड्स ननकाले।
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कटिनाइयााँ हमारे ररसचच में सब से बड़ी किनाई यह थी कक हमे अपने ररसचच में बहुत बार तब्दीली करनी पड़ी जैसे रे स्पोंिेंट को बदलना या ररसचच मेथोड़ोलोजी को बदलना, सिे को बढ़ाना िगैरा। हमारे मलए यह भी चन ु ौती थी कक ककस तरह इस सेंमसहटि विषय पर लोगों से जानकारी हामसल
करें । हमारे ग्रुप मेम्बरों को थोड़े बहुत ना का भी सामना करना पड़ा था। पर इन्ही किनाइयों के ज़ररए हमे नए नए तरीके से सिे करने की नई सोच भी ममली। इस कक िजह से ही हमारे आत्मविश्िास में बढ़ोतरी हुई है , अपने विचारो को आगे तक पहुंचाने में आसानी हुई है। हर कोई अपने विचारो को सही तरह से स्पष्ट करने में आसानी हुई । लोगों के विचारों का आदर करने की सीख हमे पक ु ार के ज़ररए हामसल हुई है ।
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सलटरे र्र ररव्यु कुरआन शरीफ में तलाक के बारे में बताया है, तजम ुच ा: तलाक़ दो बार है । कफर सामान्य ननयम के अनस ु ार (स्त्री को) रोक मलया जाए या भले
तरीक़े से विदा कर हदया जाए। और तम् ु हारे मलए िैध नहीं है कक जो कुछ तम ु उन्हें दे चक ु े हो, उसमें से कुछ ले लो, मसिाय इस जस्थनत के कक दोनों को िर हो कक अल्लाह की (ननधाचररत) सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यहद तुमको यह िर हो की िे अल्लाह की सीमाओ पर
क़ायम न रहें गे तो स्त्री जो कुछ दे कर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के मलए कोई
गुनाह नहीं। ये अल्लाह की सीमाएँ है । अतः इनका उल्लंघन न करो। और जो कोई अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो ऐसे लोग अत्याचारी है । (2,229)
दस ू री जगह कुरआन शरीफ में बताया गया है, और यहद तम् ु हें पनत-पत्नी के बीच बबगाड़ का भय हो, तो एक फ़ैसला करनेिाला परु ु ष के लोगों में से और एक फ़ैसला करनेिाला स्त्री के लोगों में से ननयुक्त करो, यहद िे दोनों सुधार करना चाहें गे, तो अल्लाह उनके बीच अनुकूलता (ममलाि) पैदा कर दे गा। ननस्संदेह, अल्लाह सब कुछ जाननेिाला, ख़बर रखनेिाला है । (4,35)
ननकाह की तारीफ :मदच को औरत की ख्िाहहश और औरत का मदच की जाननब ममलान (attraction) ये एक कफ़तरी (Naturally) बात है और अल्लाह तआला ने इन ख्िाहहशों और जरूरतों को पूरा करने के मलए
ननकाह को जररया बनाया। ताकक इंसान है िाननयत की तरह इस कफ़तरी (Naturally) ख्िाहहश को आज़ाद पूरा न करे , बजल्क ननकाह के बाद सही तरीक से कफ़तरी ख्िाहहश को पूरा करे । ननकाह एक बहुत ही मज़बूत और शरयी ररश्ता(अहद) है और एक ऐसा अहद जजसको तोड़ना अल्लाह तआला को नाराज़ करना है ।
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तलाक़
इस्लाम की नज़र में तलाक अगरचे नागिार और नापसंदीदा अमल है ;मगर ऐसे हालात में भी अगर तलाक़ की बबल्कुल मुमाननयत (ना मंजूर) कर दी जाए तो यह ननकाह दोनो के मलए सख्त कफतना और परे शानी का सबब बन जायेगा। मलहाज़ा ऐसी मजबूरी में शरीयते इस्लामी ने तलाक की गुंजाइश दी है । क्योंकक ननकाह के बाद पैदा होने िाले मुजश्कलात और सख्त दश्ु िारी ि तंगी की हालत से ननकलने का पुर अमन पुर सुकून रास्ता मसफच तलाक़ है । (2017)
मदक को तलाक दे ने का हक़्क़ है स्जस में तीन तरीके आते है । अहसन:
अहसन तलाक़ का मतलब यह है कक मदच अपनी बीिी को ऐसे तहर(पाकी) यानी है ज़ आने के बाद पाक हालत में , जजस में उसने जमआ ना ककया हो,एक तलाक़ दे दे । कफर इस कक इद्दत गुज़र जाने तक छोड़े रखे। इस तरीके को अहसन बहुत बेहतर क़रार हदया गया है । हसन:
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हसन तलाक़ दे ने का िह तरीका है जजस में खाविंद(शौहर) अपनी बीिी को ऐसे तहर में तलाक़ दे जजस में इस से सुहबत ना कक हो। कफर दस ु रे तहर में दस ू री और तीसरे तहर मे तीसरी तलाक़ दे यानी तीन तहरो में तीन तलाके। बबद्दत: तलाक़ ए बबद्दत िो तरीका है जजस में तलाक अहसन और हसन का तरीका इजख्तयार न ककया गया हो। यानी बबद्दत िो तलाक़ है जजस में एक िक़्त एक से ज्यादा तलाके दे दी जाएं, या औरत को ऐसे तहर में तलाक दे दे ना जजस में औरत से हमबबस्तरी की हो। या है ज़ (माहिारी) की हालत में तलाक दे दे ना। (2013)
तलाक़ दे ने का सही तरीका :1) मसफच एक तलाक़ दी जाए यानी शौहर बीिी से कहे कक मैने तझ ु े तलाक़ दी। 2) तलाक दो गिाहों की मौजूदगी में दी जाए। 3) तलाक़ पाकी की हालत में दी जाए, पाकी का मतलब है ज़ (MENSTRUATION या माहिारी) न रहे । 4) एक तलाक़ दे ने के बाद इद्दत गुज़रने दी जाए, इद्दत का िक़्त (समय) तीन बार है ज़
(MENSTRUATION या माहिारी) है , और अगर माहिारी या MENSTRUATION न आती हो तो तीन महीना मसफच। 5) इद्दत के अंदर रूज़ू (सल ु ह करना) नही ककया तो िक़्त गज़ ु रने के फौरन बाद बीिी शौहर के ननकाह से ननकल जाएगी, अगर उसी बीिी के साथ रहना है तो, कफर से ननकाह करना पड़ेगा। (2017)
तलाक़ के और भी तरीके है स्जन के ज़ररये औरत तलाक ले सकती है जैसे की | खल ु ा
अगर ममया बीिी में ककसी तरह ननबाह (सुलाह) ना हो सके और मदच तलाक़ भी ना दे ता हो तो औरत के मलए जायज़ है कक कुछ माल (पैसा) दे कर या अपना महर दे कर अपने मदच से कहे : "इतना रुपया ले कर मेरी जान छोड़ दो" या यूँ कहे : "जो मेरा महर तेरे जजम्मे है उसके बदले 16
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मेरी जान छोड़ दो"। उसके जिाब में मदच कहे : "मैं ने छोड़ हदया"। तो इससे औरत पर एक तलाक़ बाईंन पड़ गई। मदच को इसमें में रजुअ (reconciliation) का इजख्तयार नही,। इस तरह ननकाह खत्म करके जान छुड़ाने को "खल ु ा" कहते है । (2017) तफिीज़
अलहदगी(अलग होना) का दस ू रा तरीका तफिीज़ ए तलाक़ है । इस तरीके के ज़ररए अलहदगी की सहूलत औरत को दी गयी है । इस मे मदच अपना हक़ ए तलाक़ बीिी को सुपुदच (दे दे ना)कर दे ता है , मलहाज़ा अगर ननकाह के समय या ननकाह बाद भी मदच तलाक़ हक़ बीिी को सुपुदच(दे दे ना)कर दे ता है , तो यह तफिीज़ ए तलाक़ होगी। अगर शौहर ने शतच के साथ हक़ हदया है तो शतच पूरी
होने पर बीिी खद ु से इस का हक़ का इस्तेमाल करते हुए अपने आप को तलाक दे सकती है ,िह तलाक़ हो जाएगी। फलख
अलहदगी का और एक रास्ता मुजस्लम काज़ी और इस्लामी अदालत के ज़ररए है । औरत को मदच के बारे में मशकायत है । मसलन िो नामदच है , या नान ननफ्क़ा नही दे ता, अच्छा सुलूक नही
करता,या शौहर लापता हो गया, या पागल हो गया है , या ककसी जान लेिा मजच में र्गरफ्तार है िगैरा तो िो अपना मुकदमा काज़ी के यहां पेश करे गी। काज़ी मामले की तहक़ीक़ और अदालती करिाई पूरी करे गा, और मुतमईन (मामले की छान बीन करने के बाद) होने के बाद काज़ी खद ु ही औरत का ननकाह फस्ख (ख़त्म) कर दे गा।
तीन तलाक पर सुप्रीम कोटच के ऐनतहामसक फैसले के बाद दे श में एक बार कफर 80 के दशक
में सामने आए शाह बानो केस की याद ताजा हो गई है । तलाक के बाद पनत से गुजारा भत्ता पाने के मलए सुप्रीम कोटच गईं शाह बानो की तुलना आज शायरा बानो से की जा रही है जो
सबसे पहले तीन तलाक के मसले को सुप्रीम कोटच लेकर गई थीं। शाह बानो को ममला इंसाफ तो
तुष्टीकरण(सुलाह) की राजनीनत की भें ट चढ़ गया था, लेककन शायरा बानो को दे श की सबसे बड़ी अदालत ने जो न्याय हदया है , िह हमेशा के मलए बरकरार रहने िाला है । शाह बानो से लेकर शायरा बानो तक।।।लैंर्गक भेदभाि के खखलाफ मुजस्लम महहलाओं ने लंबी लड़ाई लड़ी है । (2017) सुप्रीम कोटच की संविधान पीि ने बहुमत के ननणचय में मुजस्लम समाज में एक बार में तीन बार तलाक दे ने की प्रथा को ननरस्त (खत्म) करते हुए अपनी व्यिस्था में इसे असंिैधाननक, 17
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गैरकानूनी और शून्य करार हदया। कोटच ने कहा कक तीन तलाक की यह प्रथा कुरआन के मूल
मसद्धांत के खखलाफ है । प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता िाली पांच सदस्यीय संविधान पीि ने अपने 365 पेज के फैसले में कहा, ‘3:2 के बहुमत से दजच की गई अलग-अलग राय के मद्दे नजर‘तलाक-ए-बबद्दत’’ तीन तलाक को ननरस्त ककया जाता है । जजस्टस खेहर ने स्ियं और जजस्टस अब्दल ु नजीर की ओर से फैसला मलखते हुए कहा है कक तलाक बबद्दत हनफी पंथ को मानने िाले सुजन्नयों के धमच का अमभन्न हहस्सा है । ये उनकी आस्था का मसला है जजसका िे 1400 िषो से पालन करते आ रहे हैं। ये उनके पसचनल लॉ का अमभन्न हहस्सा बन गया है ।
उन्होंने कहा कक भारत में विमभन्न धमो में प्रचमलत समाज में अस्िीकायच परं पराओं को कानून
के जररये ही खत्म ककया जा सकता है । जबकक न्यायमूनतच कुररयन जोसेफ, न्यायमूनतच आर एफ
नररमन और न्यायमूनतच उदय यू लमलत ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंघन करने िाला करार हदया। बहुमत के फैसले में कहा गया कक तीन तलाक सहहत कोई भी प्रथा जो कुरआन के मसद्धांतों के खखलाफ है , अस्िीकायच है । (2017) सरकार ने लोकसभा में द मुजस्लम िुमेन (प्रोटे क्सन ऑफ राइर्टस ऑन मैरेज) बबल,2017 पेश
ककया. इस बबल में तीन तलाक या तलाक-ए- बबद्दत को अपराध घोवषत करने का प्रािधान है .
क्या कहता है टिपल तलाक बबल?
इस बबल के मुताबबक तीन तलाक या तलाक-ए-बबद्दत गैरकानूनी होगा. बबल के क्लॉज नंबर 3 के मुताबबक अगर कोई शख्स मुंह जुबानी, मलखकर या ककसी इलेक्ट्राननक माध्यम से अपनी पत्नी को तलाक कहता है तो िो गैर कानन ू ी होगा. प्रलतावित दं डात्मक उपाय क्या है ?
अगर ककसी शख्स ने अपनी पत्नी को तीन तलाक हदया तो उसे जेल जाना होगा साथ ही उसपर आर्थचक जुमाचना भी लगेगा. बबल के मुताबबक तलाक-ए-बबद्दत गैर जमानती अपराध होगा. बबल के क्लॉज नंबर चार के मुताबबक ‘जो भी शख्स अपनी पत्नी को तीन तलाक दे ता है उसे जेल
जाना होगा और उसकी सजा तीन साल तक हो सकती है .’ बबल के क्लॉज नंबर 7 के मुताबबक
‘इस एक्ट के अंतगचत तीन तलाक गैरजमानती और कॉगनीजेबल िाइम होगा यानी पुमलस थाने से आरोपी को जमानत नहीं ममल सकेगी.’
ये बबल मुस्ललम मटहलाओं के अधिकारों की कैसे रक्षा करे गा?
जजस महहला को हट्रपल तलाक हदया गया होगा उसे उसके पनत की तरफ से खचाच ममलेगा और बच्चों की कस्टिी उसके पास ही होगी. बबल के क्लॉज नंबर 5 और 6 के मुताबबक ‘जजस मुजस्लम 18
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महहला को तीन तलाक हदया गया है उसका अर्धकार होगा कक िो अपने पनत से अपने और बच्चों के मलए एक ननजश्चत धनरामश की मांग कर सकती है . इसके अलािा तीन तलाक होने के बाद बच्चे की कस्टिी भी मां के पास ही होगी.’ (2017) घरे लू हहंसा अर्धननयम का ननमाचण 2005 में ककया गया और 26 अक्टूबर 2006 से इसे दे श
में लागू ककया गया। इसका मकसद घरे लू ररश्तों में हहंसा झेल रहीं महहलाओं को तत्काल और
आपातकालीन राहत पहुंचाना है । यह कानन ू महहलाओं को घरे लू हहंसा से बचाता है । केिल भारत में ही लगभग 70 प्रनतशत महहलाएं ककसी न ककसी रूप में इसकी मशकार हैं। यह भारत में पहला ऐसा कानन ू है जो महहलाओं को अपने घर में रहने का अर्धकार दे ता है । घरे लू हहंसा विरोधी
कानन ू के तहत पत्नी या कफर बबना वििाह ककसी परु ु ष के साथ रह रही महहला मारपीट, यौन
शोषण(sexual abuse), आर्थचक शोषण या कफर अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की पररजस्थनत में कारच िाई कर सकती है । (2017)
तलाक़ पर सलए गए सिे या ररपोटक Centre for Research and Debates in Development Policy (CRDDP) के द्िारा मलया गया माचच 2017 से मई 2017 तक ऑनलाइन सिे जजस में 20,671 मुजस्लम लोगों ने भाग मलया था जजस में 16860 मुजस्लम मदच 3811 महहलाये थे। इस सिे के मुताबबक 331 तलाक़ के cases ममले जजस में मसफच 1 जुबानी तीन तलाक़ था।
भारतीय मुजस्लम महहला आंदोलन (BMMA) ने मलया गया सिे जजसे उन्होंने ने ‘Seeking Justice Within Family – A National Study on Muslim Women’s Views on Reforms in Muslim Personal Law’ इस नाम से पजब्लश ककया था जजस में उन्होंने 4710 महहलाओं का सिे मलया गया था जजस में उन्हें 525 तलाक शुदा महहलाएं ममली, इन तलाक़ शुदा महहलाओं में 77% महहलाओं को तीन तलाक़ हदया गया था।
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Muslim mahila research kendra और साथ मे shariah committee for women ने मलए गए 8 जजले के फैममली कोटच और दारुल क़ज़ा के िाइिोसच केस के मुताबबक मुजस्लम 1307 केसेस दजच हुए िही हहन्द ू में 16505 केसेस दजच हुए।
भारत में कैसे लागू हुआ मस्ु ललम पसकनल लॉ?
भारत में MUSLIM PERSONAL LAW(APPLICATION) ACT 1937 में पास हुआ था। इसके पीछे मकसद भारतीय मजु स्लमों के मलए एक इस्लाममक कानन ू कोि तैयार करना था। उस िक्त भारत पर शासन कर रहे बिहटशों की कोमशश थी कक िे भारतीयों पर उनके सांस्कृनतक ननयमों के मत ु ाबबक ही शासन करे । तब(1937) से मजु स्लमों के शादी, तलाक, विरासत और पाररिाररक
वििादों के फैसले इस एक्ट के तहत ही होते हैं। एक्ट के मत ु ाबबक व्यजक्तगत वििादों में सरकार दखल नहीं कर सकती। (2017)
क्या भारत में शरीयत एस्ललकेशन एक्ट में बदलाि नहीं हो सकता ? शरीयत एक्ट की प्रासंर्गकता पर पहले भी कई बार बहस हो चक ु ी है । पहले ऐसे कई मामले
आए हैं, जब महहलाओं के सुरक्षा से जुड़े अर्धकारों का धाममचक अर्धकारों से टकराि होता रहा है । इसमें शाह बानो केस प्रमुख है । 1985 में 62 िषीय शाह बानो ने एक यार्चका दाखखल करके
अपने पूिच पनत से गुजारे भत्ते की मांग की थी। सुप्रीम कोटच ने उनकी गुजारे भत्ते की मांग को
सही बताया था, लेककन इस फैसले का इस्लाममक समुदाय ने विरोध ककया था। मुजस्लम समुदाय
ने फैसले को कुरआन के खखलाफ बताया था। इस मामले को लेकर काफी वििाद हुआ था। उस िक्त सत्ता में कांग्रेस सरकार थी। सरकार ने उस िक्त Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act पास ककया था। इस कानन ू के तहत यह जरूरी ककया गया था कक हर एक
पनत अपनी पत्नी को गज ु ारा भत्ता दे गा। लेककन इसमें प्रािधान था कक यह भत्ता केिल इद्दत की अिर्ध के दौरान ही दे ना होगा, इद्दत तलाक के 90 हदनों बाद तक ही होती है । (2017)
Dissolution Of Marriage Act 1939 के तहत बीिी अपने ननकाह को तोड़ सकती हे या अपने शादी से ननकल सकते है मगर इस के मलए नीचे हदए गए हुए शतच होना ज़रूरी है
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1) शौहर की 4 साल तक कोई खबर न हो िो गुमशुदा हो। 2) 2 साल तक का शौहर बीिी का खचाच न संभालता हो। 3) बगैर इजाज़त दस ू री बीिी रखे। 4) अगर शौहर सात साल या उस से ज़्यादा जेल में रहे । 5) अगर शौहर 2 साल तक खतरनाक बीमारी में मुजब्तला हो। िगैरा िगैरा।
तीन तालाक को अमान्य करने िाले तीन ऐनतहाससक फैसलों का एक संक्षक्षलत सारांश।
कोटच ने "शमीम आरा बनाम स्टे ट यप ू ी (2002) के केस में ननणचय दे ते हुए कहा था कक ककसी मजु स्लम व्यजक्त का यह कह दे ना की में अपनी पत्नी को मौखखक तलाक़ दे चक ु ा हुँ।कोटच के
मलए मान्य नही है ,,, कोटच इस आधार पर उनके वििाह को भंग नही मान सकता और पनत को पत्नी के भरण पोषण के कतचव्य से मुक्त नही मान सकता।
सुप्रीम कोटच ने इस ननणचय में इस बात पर जोर हदया था कक मुजस्लम दं पनत के मध्य तलाक़ कुरआन में बताए गए ननयमों का पालन करते हुए ही हदया जाना चाहहए।(2016)
दगड़ू पिान बनाम रहीम बी केस में जजस्टस बी मलाचपल्ले ने बॉम्बे हाइकोटच के औरं गाबाद बेंच में तीन तलाक़ को invalid कहते हुए कहा कक“To divorce the wife without reason, only to harm her or to avenge her for resisting the husband’s unlawful demands and to divorce her in violation of the procedure prescribed by the Shariat is haram (forbidden)।” 2001 का िेननयल लतीफी मामला साल 2001 में सुप्रीम कोटच में िेननयल लतीफी का केस सामने आया। कोटच ने शाह बानो के 16
साल पुराने मामले को आधार मानते हुए तलाकशुदा मुजस्लम महहलाओं के मलए भत्ता सुननजश्चत कर हदया।
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तीन तलाक पर अन्य मस्ु ललम दे शो के कानन ू
सुप्रीम कोटच ने हट्रपल तलाक यानी तीन तलाक पर अपना एनतहामसक फैसला सुना चक ु ा है ।
आपको जानकर है रानी होगी की भारत जो 21िीं सदी का एक आधुननक दे श है और जहां पर
महहलाओं को 33% आरक्षण दे ने की बात होती है , िहां िो तीन तलाक पर पाककस्तान, बांग्लादे श और सीररया जैसे दे शों से भी वपछे रह गया है । दनु नया के 22 मुसलमान दे शों ने अपने दे श में
तीन तलाक को बैन ककया हुआ है । जाननए कुछ खास मुसलमान दे शों के बारे में जहां पर तीन तलाक की मान्यता बबल्कुल भी नहीं है ।
दनु नया का पहला दे श इस्जलट
इजजप्ट दनु नया का पहला ऐसा दे श है जजसने 1929 में कई मस ु लमान जजों के कहने पर तीन
तलाक की प्रथा को खत्म ककया था। इजजप्ट ने एक इस्लाममक विद्िान इब्न ताममयां की 13िीं सदी में कुरआन की वििेचना के आधार पर तीन तलाक को मानने से इनकार कर हदया था।
इसके बाद सन ् 1929 में सूिान ने भी इजजप्ट के रास्ते पर चलते हुए तीन तलाक को बैन कर हदया था। पाककलतान
पाककस्तान ने भारत से अलग होने के नौ साल बाद यानी सन ् 1956 में ही तीन तलाक को
खत्म कर हदया था। यहां पर हट्रपल तलाक के खत्म होने की कहानी भी बड़ी हदलचस्प है । सन ् 1955 में पाककस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने अपनी सेिेटरी से शादी कर ली थी और िह भी अपनी पत्नी को तलाक हदए बबना। इसके बाद पूरे दे श में ऑल पाककस्तान िीमेन
एसोमसएशन की और से विरोध प्रदशचन शुरू हो गए थे। यहां से पाककस्तान में हट्रपल तलाक के खत्म होने पर बहस शुरू हुई। साल 1956 में सात सदस्यों िाले एक कमीशन ने हट्रपल तलाक को खत्म कर हदया। कमीशन की और से फैसला हदया गया कक पत्नी को तलाक कहने से पहले पनत को मैट्रीमोननयल एंि
फैममली कोटच से तलाक का आदे श लेना होगा। साल 1961 में इसमें बदलािा हुआ और कफर यह तय हुआ कक पनत तलाक के मामले पर बनाई गई एक सरकारी संस्था के चेयरमैन को नोहटस
दे गा। इसके 30 हदन बाद एक यूननयन काउं मसल पनत और पत्नी को 90 हदनों का समय दे गी कक दोनों रजामंदी कर लें। अगर ऐसा नहीं होता है तो कफर तलाक िैध माना जाएगा। बांग्लादे श
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साल 1971 में पाककस्तान से अलग होकर बांग्लादे श का जन्म हुआ। इसके बाद यहां पर शादी और तलाक के कानूनों में सुधार हुआ। बांग्लादे श ने हट्रपल तलाक को खत्म कर हदया और यहां पर तलाक के मलए कोटच का फैसला मान्य माना गया। इसके अलािा यहां पर तलाक से पहले यूननयन काउं मसल के चेयरमैन को शादी खत्म करने से जुड़ा एक नोहटस दे ना होता है । इराक
सन ् 1959 में इराक दनु नया का पहला अरब दे श बना था जजसने शररया कोटच के कानन ू ों को
सरकारी कोटच के कानन ू ों के साथ बदल हदया। इसके साथ ही यहां पर हट्रपल तलाक खत्म कर
हदया गया। इराक के पसचनल स्टे टस लॉ के मुताबबक 'तीन बार तलाक बोलने को मसफच एक ही
तलाक माना जाएगा।' 1959 के इराक लॉ ऑफ पसचनल स्टे टस के तहत पनत और पत्नी दोनों को ही अलग-अलग रहने का अर्धकार हदया गया है । श्रीलंका
श्रीलंका में हट्रपल तलाक का जो कानून है उसे कई विद्िानों ने एक आदशच कानून करार हदया
है । यहां पर मैररज एंि डििोसच (मुजस्लम) एक्ट 1951 के तहत पत्नी से तलाक चाहने िाले पनत को एक मुजस्लम जज को नोहटस दे ना होगा जजसमें उसकी पत्नी के ररश्तेदार, उसके घर के बड़े लोग और इलाके के प्रभािशाली मस ु लमान भी शाममल होंगे। ये सभी लोग दोनों के बीच सल ु ह
की कोमशश करें गे। अगर ऐसा नहीं होता है तो कफर 30 हदन बाद तलाक को मान्य करार हदया जाएगा। तलाक एक मस ु लमान जज और दो गिाहों के सामने होता है । सीररया
सीररया में मुसलमान आबादी करीब 74 प्रनतशत है और यहां पर सन ् 1953 में तलाक का कानून बना था। सीररया के पसचनल स्टे टस लॉ के आहटच कल 92 के तहत तलाक को तीन या चाहे
ककतनी भी संख्या में बोला जाए लेककन इसे एक ही तलाक माना जाएगा। यहां पर भी तलाक जज के सामने ही िैध माना जाता है । मलेसशया और इंडोनेसशया
मलेमशया में डििोसच ररफॉमच एक्ट 1969 के तहत कई बदलाि ककए गए। यहां पर अगर ककसी पनत को तलाक लेना है तो कफर उसे अदालत में अपील दायर करनी होगी। इसके बाद अदालत पनत को सलाह दे ती है कक िह तलाक की बजाय संबंध सुधारने की कोमशश करे । अगर मतभेद नहीं सुलझते हैं तो कफर पनत अदालत के सामने तलाक दे सकता है । मलेमशया में अदालत के बाहर हदए गए तलाक की कोई मान्यता नहीं है । इंिोनेमशया में भी तलाक बबना कोटच के िैध
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नहीं है । इंिोनेमशया में तलाक यहां के आहटच कल 19 के तहत कुछ िैध िजहों के आधार पर ममल सकता है ।
और कौन-कौन से दे श
इन दे शों के अलािा साइप्रस, जॉिचन, अल्जीररया, र्टयन ू ेमशया,इरान, िन ु ेई, मोरक्को, कतर और यए ू ई में भी हट्रपल तलाक को बैन ककया गया है ।
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ररसर्क मेथोडोलॉजी तीन तलाक़ और उस पर मजु स्लम समाज का नजररया इस विषय पर हमने कई सिालों को लेकर ररसचच परू ी की है । मजु स्लम समुदाय से जड़ ु ा ये विषय कई महीनों से काफी चचे में है । कुछ
महीनों पहले सप्र ु ीम कोटच के फैसले को लेकर कई सारी जगहों पर खश ु ी की लहर सी दौड़ गई तो
कई सारे लोग इस फैसले का विरोध करते हुए नज़र आये। जब हम अपने विषय का चन ु ाि कर रहे थे तभी ये तीन तलाक़ का मुद्दा काफी चचाच में था और हमारी जज़ंदगी से जड़ ु ा हुआ भी और क्योंकक हमारे ग्रुप में मसफच एक में बर को छोड़ कर बाकी सारे में बसच मुजस्लम समाज से हैं इसमलए इस विषय को लेकर अपनी ररसचच को आगे बढ़ाना हमें उर्चत लगा।
हमने ररसचच में कई सारे तरीकों का इस्तेमाल ककया जैसे सिे , इंटरव्यू , ऑडियो ररकॉडििंग , फ़ोटो ग्राफी , आहद।
सिे : हमने मुंबई के अलग अलग इलाक़ों से 20 से 70 िषच के मुजस्लम महहला और पुरुष का सिे मलया। कुल 413 सिे में हमें अलग अलग लोगों के विचार जानने का मौका ममला। हमारी
प्रश्नािली में हमने कुल 25 सिाल पूछे थे 17 सिालात क्लोज एंिि े थे जबके 8 सिाल ओपन एंिि े थे। एक ही प्रश्नािली में दोनों तरह के सिालात पूछ कर हमें कई सारे लोगों से बात करने का मौका ममला। हमारा सिे लेने का मकसद यह था कक इस विषय को लेकर ज़्यादा तर लोग क्या कह रहे हैं और संख्या जानने के मलए सिे से बेहतर कोई और तरीका नही हो सकता इसमलये हमने इस तरीके का उपयोग ककया। इंटरव्यू : ररसचच में हमने इंटरव्यू के तरीके का भी इस्तेमाल ककया। ताकक हम गुणात्मक
विश्लेषण कर सके और लोगों से बात कर के क्यों जैसे सिालों के जिाब जान सकें ।जजन
औरतों का तीन तलाक़ हुआ है हमने उनसे ममलने की कोमशश की हमें मसफच एक महहला ममली जजनका तीन तलाक़ हुआ है । हमने उनका इंटरव्यू मलया जजससे उनकी जज़ंदगी के अलग अलग
पहलुओं के बारे में हमे जानने का मौका ममला। तीन तलाक़ के विषय को लेकर हमने एक
एक्सपटच (मुफ़्ती) जो नगरसेिक भी हे उनका का इंटरव्यू भी मलया। इस के अलािा हमने आिाजए-ननसिां , दारुल क़ज़ा, BMMA( भारतीय मुजस्लम महहला आन्दोलन), मजमलस, इन सारी जगहों पर विजजट की और उनसे इस विषय को लेकर बात चीत की। रजज़या पटे ल और राम पुननयानी जी इन दोनों से भी हमने मुलाक़ात की।
ऑडडयो ररकॉडडिंग : ऑडियो ररकॉडििंग का तरीका हमें सहूलत फ़राहम करता है के हम िो बातें बार बार सन ु सकें और अच्छे से विश्लेषण कर सकें।यही िजह है कक हमने इस तरीके का
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उपयोग ककया। ओपन एंिि े सिालों के जिाब मलखते समय या इंटरव्यू के दौरान हमसे कोई खास बातें छुट ना जाये इस मलए हमने ऑडियो ररकॉडििंग की अनुमनत ली जजससे हमें गुणात्मक विश्लेषण करने में मदद ममली।
फोटो ग्राफी : हमने फोटोग्राफी का ज्यादा इस्तेमाल नहीं ककया क्योंकक तीन तलाक एक संिेदनशील मद् ु दा है | पहले ही लोग इस पर बात करने से कतरा रहे थे और िे फोटो दे ने से भी घबरा रहे थे लेककन हमने कुछ जगह पर फोटोग्राफी का
इस्तेमाल ककया जहाँ हमने विजजट दी
जैसे BMMA, रजजया पटे ल िगैरा|
इस तरह हमने उन सारे तरीकों का इस्तेमाल ककया जो हमारे मलए और हमारे रे स्पोंिेंस के मलए सुविधा जनक थे।
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विश्लेषण तीन तलाक पर लोगों के क्या विचार है । इस के बारे में हमने 413
मजु स्लम मदच और औरतों
का सिेक्षण ककया है इस मे हमने यह जानने की कोमशश की है की लोगों को तलाक के बारे में जानकारी, सप्र ु ीम कोटच का फैसला, और सरकार द्िारा
बन रहे
तीन तलाक को रोकने के मलए
कानन ू पर लोगों की क्या राय है |
उम्र 20-29
30-39
40-49
50-59
60-69
70-79
0% 9%
4%
43%
18%
26%
हमारे 413 सिे में से तक़रीबन 70% लोग ,20 से 40 के उम्र के है इससे पता चलता है की इस सिेक्षण में काम करने िाले तबके के विचार है । उसी के साथ साथ उनपर घर संभालने की जज़म्मेदारी भी होती है । और इसी उम्र के लोगो का ज़्यादा होने का कारण यह भी है कक उनसे बात करना और उनसे ममलना आसान हुआ है ।
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सिेक्षण में से 85% लोग ििाला, माहहम, सायन, धारािी और गोिंिी से है । यह ऐसे इलाके है जहाँ ज़्यादा तर मध्यम िगच के लोग रहते है । यह लोग छोटे से घर मे भाड़े से रहते थे। इसके साथ ही हमारे ररस्पोंिेंटस जोगेश्िरी, दादर, सैंड्हस्टच रोि, मलाि और चेम्बरू से भी थे।
सशक्षण ग्रेजुएट
प्राइमरी स्कूल
एच .एस . सी
अमशक्षक्षत
प्राइमरी मदरसा
सेकेंिरी स्कूल
पोस्ट ग्रेजुएट
सेकेंिरी मदरसा
1%
14% 26% 12%
5%
14%
26%
2%
हमने अपने सिेक्षण में मशक्षण के बारे में जानकारी हामसल की है जजसमे 50% लोगों ने दसिी के अन्दर तक पढाई की है । उसके साथ साथ 26% लोग ग्रेजुएशन तक पढ़ाई करने िाले भी ममले। लेककन िह ग्रेजुएशन करने के बाद भी अच्छी जॉब नही कर पा रहे थे या उन्हें अच्छी जॉब नही ममल रही थी। उसी के साथ साथ हमे अपने सिेक्षण में 14% अमशक्षक्षत लोग भी ममले
जो ज़्यादातर ििाला, माहहम, सायन, धारािी और गोिंिी से थे। इन अमशक्षक्षत लोगों में भी 90% महहलाएं थी| मतलब महहलाओं में मशक्षा का प्रमाण मदच के मक ु ाबले में बहुत कम है । इसकी िजह िो ऐसे बताते है की उनके माता वपता जो मजदरू ी का काम करते है , उनका रहने का कोई हिकाना नहीं रहता है और उन्हें एक जगह से दस ू री जगह पर घम ू ना पड़ता है |
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जजस इलाके में हमने सिे ककए है उसमे जस्कल बेस्ि िकचर का प्रमाण बहुत ज्यादा है | जजसमें गारमें ट, टे लर, ड्राईिर, िेल्िर, कारपें टर, िगैरा है । हमें सिेक्षण में सरकारी नौकरी या िाइट कालर
जॉब करने िाले बहुत कम ममले है । महहलाए ज़्यादातर अपने घर में रह कर छोटा मोटा काम करती है जैसे जरी मरी का काम करना, सेफ्टी नेट बुनना, मसलाई िगैरा का काम करती है । ज़्यादातर जिान छोटा मोटा कोसच (ITI) करके जॉब करते है । हमारे सिे के ररस्पोंिेंटस ज्यादा तर कम तनख्िा पाने िाले है।
सलंग
महहला परु ु ष 48% 52%
टोटल 413 tररस्पॉन्िन्स
हमने अपने सिे में महहला और पुरुष की तादाद को जान बूझकर बराबर रखने की कोमशश की
है । यह हमने इसीमलए ककया ताकक हम आसानी से महहलाओं और पुरुषों के विचारों की तुलना कर सके|
हमने सिे में 78% वििाहहत लोगो की जानकारी हामसल की है । यह मसला मुजस्लम शादी शुदा
लोगों से जुड़ा हुआ है इसमलए इस मे मुजस्लम वििाहहत लोगों के विचार को जानना बहुत
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महत्िपूणच हो जाता है । सिे लेते समय हमें ऐसी कोई भी महहला नहीं ममली जजन्हें एक िक़्त में तीन तलाक हदया गया हो|
मेररटल लटे टस
1% वििाहहत 22% अवििाहहत तलाक शुदा
77%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
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क्या आप तलाक़ के बारे मे जानते है ?
तलाक के बारे में जानकारी 3%
हाँ नहीं
97%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
इन 413 लोगों मे ज़्यादातर लोग तलाक़ के बारे में जानते थे ।कुछ लोग हमें ऐसे भी ममले
जजन्होंने तलाक़ जैसा शब्द सुना ही नही। अब इसमें यह सिाल आता है कक क्या िे सचमे 'तलाक़' यह शब्द तक नही सुने थे या कफर िे इसे जानते हैं लेककन हाँ कहने से घबरा रहे थे,
कक उन्हें इसके बारे में पता है या यूं की कहीं उनसे कुछ गलत ननकल न जाये। हमारा
सिाल था कक क्या िे तलाक़ के बारे में जानते हैं तो इस के दो मतलब ननकलते हैं,1)-तलाक़ के पूरे प्रोसेस के बारे में , या तलाक़ क्या है 2)-तलाक़ का मतलब क्या होता है तो यहां पर हमने
दोनो लोगों को अपने सिे में शाममल ककया है जजन्हें तलाक़ के बारे में पता है और उन लोगों का भी जजन्हें कम से कम तलाक़ शब्द का मतलब पता था। तो ज़्यादातर लोग 97% तलाक़ के बारे में जानते थे, और 3% लोग तलाक़ के बारे में बबल्कुल भी नही जानते थे। क्या जजन जगहों
में ये सिे हुआ उनका रहन सहन,आसपास के लोगो का माहौल कुछ इस तरह का नही था? या कफर ये लोग ककसी से कोई मतलब नहीं रखते थे उन्हें सोसाइटी से कोई लेना दे ना नही होगा या कफर िे जानते थे लेककन कहने से घबरा रहे थे। इस तरह के मख् ु तमलफ सिाल आते हैं। 31
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ज्यादातर तलाक ककस तरीके से होते हैं
ज्यादातर तलाक ककस तरीके से होते हैं
2%
1%
14%
5%
43%
बबद्दत अहसन हसन
11%
जब्बद्दत (दोनों की सहमती) बबद्दत और अहसन
24%
अहसन हसन और बबद्दत पता नही
अब इन लोगो में कुछ लोगों का कहना था कक तलाक़ के तरीकों में तलाक ए अहसन,
तलाक़ ए हसन, तलाक़ ए बबद्दत ये तीन तरीक़ो से लोग तलाक़ दे ते हैं मतलब अलग अलग लोग जजसे जो तरीक़ा
सही लगता है िे उस तरीके से तलाक दे ते हैं । तलाक ए बबद्दत (एक
िक़्त में तीन बार तलाक़ बोलना), तलाक़ ए अहसन (एक ही बार बोलना इसमे इद्दत का िक़्त होता है ), हसन(हर महीने में एक एक बार दे ना)। यहां पर 43% लोगो का कहना है कक लोग ज़्यादातर तलाक़ ए बबद्दत यह तलाक़ दे ते हैं तो िहीं 24% लोगो का कहना है की तलाक़ ए अहसन इस तरीके से लोग तलाक़ दे ते हैं। 11% लोगो का कहना है की लोग तलाक़ दे ने में हसन इस तरीके को अपनाते हैं। 1% लोगो को इसके बारे में बबल्कुल भी नही पता था या िो कोई
जिाब नहीं दे ना चाहते थे या िो घबरा रहे थे। यहां लोगो को तलाक के तरीकों के बारे में नहीं पता था लेककन उन्हें प्रोसेस मालूम थी। सबसे ज़्यादा जिाब में तलाक ए बबद्दत यह जिाब ममला इसकी दो िजह हो सकती है या तो लोगो को तलाक के दस ु रे तरीक़ों के बारे में नहीं पता 32
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इसमलए लोग इस तरह का तलाक़ दे ते है या कफर तलाक ए बबद्दत यह नाम मीडिया, आसपास के लोगो से बार बार सुनने में आ रहा है इसमलये उन्होंने यह जिाब हदया। अब इसमें यह
सिाल आता हैं की उन्हें इन तरीकों के बारे में क्यों नहीं पता? क्या िे जानना ही नहीं चाहते थे? या कफर उनके आसपास के माहौल ने इसको जानने की उत्सुकता आने ही नहीं दी। बहुत ही कम लोगों को पता था की क़ुरआन शरीफ में तलाक़ दे ने का सही तरीका कोनसा है । इस सिाल में भी कुछ लोगो ने जिाब तो हदया उनके हहसाब से जो लगता था कक शायद ये सही तरीका है लेककन ज़्यादातर लोगों को इसके बारे में नहीं पता था|
कुरआन शरीफ में तलाक दे ने का सही तरीका कोनसा है? हमने जब इन 413 लोगों से सिाल पूछा तो िे काफी िर रहे थे, घबरा रहे थे, िे कुछ खल ु कर
कहने से िर रहे थे। यह िर उनके आसपास के माहौल की िजह था क्योंकक मीडिया में रोजाना
इस मुद्दे पर कोई ना कोई बात हो रही थी लोग इस मुद्दे पर बहुत नाराज थे, लोगों में विरोध हदख रहा था उन्हें लग रहा था कक िे टारगेट ककए जा रहे है । जब हमने लोगों से पछ ू ा कक कुरआन में तलाक दे ने का सबसे सही तरीका कोनसा है ? तो बहुत कम लोगों को इसके बारे में पता था या कफर ज़्यादातर लोग इस सिाल को पूछते ही िर जाते थे कफर थोड़ी दे र कुछ सोचने के बाद कोई जिाब दे ते थे। कभी कभी िे इस सिाल का जिाब दे ने से कतराते हुए नज़र आये। इस सिाल का जिाब दे ने में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों ने नहीं पता कहा है । क्या उन्हें
सचमें इस बारे में नहीं पता था? क्या उन्होंने यह सब जानने की कोमशश ही नहीं की? या कफर िे इसके बारे में जानना चाहते थे लेककन उन्हें जानकारी
हामसल करने के साधन नहीं ममले की
कहाँ पर इन मसले मसाइलों की तफसील में जानकारी ममल सकती है या कफर उनकी 'अमशक्षक्षता' इसमे रुकािट बनी। सिे लेते िक्त बहुत से लोग ऐसे भी थे जो इस मुद्दे पर बात ही नहीं करना चाहते थे यह कह कर टाल दे ते थे कक हमें इन सब चक्करों में नहीं पड़ना है , यह सब इतना ज्यादा होता ही नहीं है तो क्या यह सोच भी जानकारी हामसल करने में रुकािट बनी? कुछ लोग ऐसे थे जजन्हें थोड़ी बहुत जानकारी थी, िे तलाक की प्रकिया जानते थे लेककन उन्हें तलाक के नाम के बारे में पता नहीं था। यह सिाल पूछने पर ज्यादातर लोग प्रोसेस बता रहे थे जैसे"3 महीने के पीररयि से तलाक हदया जाता है ( हसन)”
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"पहले बातचीत करके समझाए, बाद मे अगर ना माने तो बबस्तर अलग करर, कफर भी न माने
तो आखखर लम्हे में तलाक दे (अहसन)”
कुरआन में सब से सही तरीका कोनसा है तलाक ए अहसन
अहसन और हसन अन्य
तलाक ए हसन
नहीं पता
सभी 3 2% 2%
4%
तलाक़ ए बबद्दत
1% 36%
40% 15%
कुछ लोग तीनों तरीकों को कहते थे की तीनो तरीके क़ुरान शरीफ में है और सही है । या उनका ये कहना था की जो बाकी तरीके हैं सब सही हैं जजनकी जब जरूरत पड़े तब िो सही है यानी
हालात के हहसाब से। या इन्हें इतनी जानकारी नही थी इसमलए इन लोगो ने तीनों तरीक़ो को सही कहा क्योंकक बहुत से लोगो ने ऐसा भी कहा है "उलमा ही इस बारे बताएंगे" तो क्या िे खद ु इस बारे में जानना ही नही चाहते थे? तो कुछ लोगो ने कहा इस्लाम मे जो है िही सही है , तो ककसी ने कहा
"हदीस और क़ुरआन के हहसाब से"
यानी उन्हें इस बारे में इतनी जानकारी नहीं थी तो उन्होंने यह कहकर टाल हदया। कुछ लोगो ने तलाक़ ए बबद्दत कहा तो ककसी ने हसन और बबद्दत दोनों को सही
बताया और ककसी ने तीनों तरीक़ो को। कुछ लोगो ने कहा सुधरने का मौका जजसमे ममलता है
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िह सही तरीका है यानी हसन और अहसन
और कुछ लोग कह रहे थे आपसी सहमनत से
तलाक यानी उनका कहना है कक अगर दोनों राज़ी हैं तो तीन तलाक़ दे ना सही है ।
कुछ लोग ऐसे भी कह रहे थे कक जब तलाक़ हदया जाता है तब जैसे ननकाह के िक़्त गिाह होते
है िैसे ही तलाक़ के िक़्त गिाह होने चाहहए। लोगो ने ये तक कहा कक ननकाहनामे की तरह एक सही तरीके का तलाकनामा भी होना चाहहए। लोग कह रहे थे कक तलाक़ के िक़्त तलाक़ गिाहों के सामने हदया जाए और उसकी पूरी जानकारी तलाकनामा में दजच हो ।
एक िक़्त में दी जाने िाली तीन तलाक़ कैसी है? तीन तलाक अपने आप में इस िक़्त बहुत बड़ा मुद्दा बना हदया गया था सरकार ,शरीयत कोटच ऑल इंडिया मुजस्लम पसचनल लॉ बोिच ,बहुत से NGO ,अलग-अलग स्कॉलसच के नज़ररये डिबेट में रोजाना चल रहे थे सब इस मुद्दे पर बात कर रहे थे इस पर आम जनता बीच में फंसी थी । इनके नज़ररये क्या हैं यह जानना बेहद जरूरी था
इसमलए हमने अपने सिे
में यह सिाल शाममल ककया कक तीन तलाक को लेकर उनकी क्या राय है उनके हहसाब से तीन तलाक कैसी है ? इस पर लोगों में उत्सक ु ता हदखाई दे रही थी िह बहुत कुछ बोलना चाह रहे थे उनमें कुछ आशाएं थी इस मद् ु दे को लेकर, जब हमने यह सिाल लोगों से पछ ू ा तो लोग इस पर
बहुत ही उलझे हुए नजर आ रहे थे लोग शररयत को लेकर बहुत ही सतकच नज़र आ रहे थे कक मीडिया में कुछ हदखाया जा रहा है हक हदलाने के मलए और शरीयत में कुछ है िे तो शररयत को ही मानेंगे। एक और िर उनमें हदख रहा था की हक हदलाने के जो दािे ककए जा रहे हैं क्या
िे सच में हक़ हदलाना चाहते हैं ? क्या इन सब से सच में औरतों को उनके हक ममल पाएंगे? ज्यादातर लोगों ने इस तलाक को गलत बताया और अलग-अलग िजह बताई उनका यह कहना है कक शरीयत में जो है िह जस्थनत को ध्यान में रखकर बनाया गया है गलत उन्होंने इस हहसाब से बताया है की-
अगर बेिजह तलाक हदया तो इससे औरत की जजंदगी खराब होती है मदच तो दस ू री शादी भी
कर लेते हैं तलाकशुदा औरतों की दोबारा शादी करने में भी परे शानी होती है
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एक िक़्त में दी जाने िाली तीन तलाक कैसी है 4%
13%
सही
गलत
अन्य
83%
ककसी ने ऐसा बताया कक यह तलाक गलत है और ऐसा होता ही नहीं है | 1% इस तरह की तलाक होती है जाहहल और नासमझ लोग इस तरह के तलाक दे ते हैं पहली बात तलाक ही इतना नहीं होती है और उस पर तीन तलाक के केस बहुत ही कम पाए जाते हैं। कुछ लोगों ने इसे गलत इसमलए भी बताया क्योंकक इससे औरत के साथ नाइंसाफी होती है । कुछ लोगों ने इसे गलत बताया पर Valid भी कहा है
लोगों में इस मस्ले मसाईलों की जानकारी ना होने की िजह से लोग इस तरह का तलाक दे ते
हैं इसमलए उन्हें जागरूक करने की ज़रूरत है ।
इस तरह के सझ ु ाि भी लोगों ने हदए हैं ताकक लोगों को बाद में पछताना ना पड़े और अगर इस तरह की नौबत आए तो िे एक झटके में तलाक ना दे कर एक-एक करके तलाक दें गे ताकक इसे
औरत के साथ नाइंसाफी भी नहीं होगी। कुछ लोगों को ऐसा लगता था कक िे टारगेट ककए जा रहे हैं और िह कह रहे थे कक मीडिया में और सब जगह इस मद् ु दे को बढ़ा चढ़ाकर हदखाया जा
रहा है । कुछ लोगों ने तीन तलाक को यह बताया कक हर एक केस की जस्थनत के ऊपर बताया जा सकता है कक िह सही है या गलत क्योंकक हर एक केस अलग हो सकता है | ककसी केस को
दे खते हुए उसमें तलाक ए बबद्दत यह तरीका सही हो सकता है तो ककसी केस में गलत हो सकता है और उसके िजुहात बताते हुए कहा है कक गिाह होना चाहहए या कफर मलखखत रूप से
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कुछ होना चाहहए जजस तरह से शादी होती है तो उसी तरह तलाक़ में भी गिाह होना चाहहए। कुछ लोगों ने इसे सही भी बताया है जजसकी िजह दे ते हुए लोगों ने बताया कक-
अगर तलाक दे ना ही है तो तीन बार तलाक दे कर हटा दें क्योंकक अगर नहीं रहना है तो ककसी
को फंसा कर क्यों रखना इसमलए एक बार में ही फैसला करना सही है | कुछ लोगों ने कहा-
शरीयत में है तो सही है इसका मतलब यह हो सकता है कक उन्हें तलाक के और तरीकों के बारे में नहीं पता इसमलए उन्होंने इस तरह का जिाब हदया या आधी जानकारी होने की िजह से यह जिाब दे कर टाल हदया ताकक अगर उन्होंने कुछ गलत बोल हदया तो इसका गलत मतलब ननकल सकता है और इस पर भी ना कोई मुद्दा बना हदया जाए ज्यादातर लोगों में यही िर हदखाई दे रहा था।
यहां तक कक जब हमने अहसन और हसन इन तरीकों के बारे में बताया तो उन्हें लग रहा था कक यह भी सरकार ने खद ु से तलाक दे ने का एक नया तरीका बनाया है ।
कुछ लोग यह भी कह रहे थे कक तीन तलाक दे ना सही है लेककन आपसी रज़ामंदी से दोनों तरफ के लोग बैि कर उस पर कोई बातचीत कर के ककसी नतीजे पर आना चाहहए और अगर तलाक
की नौबत आती है तो तीन तलाक दे और कुछ ले दे कर मामला रफा-दफा करें | कुछ लोगों ने इसे जायज तरीका बताया कुछ लोगों ने यह भी कहा है कक अगर शौहर को लगता है कक उस मसचए ु शन के हहसाब से तीन तलाक दे ना सही है तो सही है ।
इललाम मे तलाक़ दे ने का हक़ ककसे है ? हमने 413 लोगो का सिे ककया जजनमे हमे 81% लोग ऐसे ममले जजन्होंने ये कहा कक इस्लाम मे तलाक़ का हक़ शौहर को है । इसका मतलब ज़्यादातर लोगों को मालूम था की इस्लाम में तलाक दे ने का हक ककसको है
लेककन उनमे से हमे 14% लोग ऐसे भी ममले जजन्होंने ये कहा कक
इस्लाम में तलाक़ का हक़ शौहर और बीिी दोनो को है (शौहर को दे ने का, और बीिी को मांगने का),जैसे कक- औरत उस मदच के साथ नही रहना चाहती, उसे कोई परे शानी है और िो मदच उसे खद ु से तलाक़ नही दे रहा तो िो मांग सकती है यानी कक खल ु ा)। और हमे ऐसा बोलने िाले
बहुत ही कम ममले। शायद इस बारे मे लोगों को जानकारी कम है कक इस्लाम ने औरत को भी हुक़ूक हदए है । हमे 4% लोग ऐसे भी ममले जजन्होंने ये कहा कक, इस्लाम मे तलाक़ दे ने का हक़ 37
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शौहर बीिी और क़ाज़ी तीनो को है (अगर मामला शौहर और बीिी दोनो से नही सुलझ रहा तो िो क़ाज़ी के पास जा सकते है )। उनमे से कुछ लोग ऐसे भी ममले जजन्होंने कुछ अलग ही कहा-
एक ने कहा कक इस्लाम मे तलाक़ का हक़ बीिी को है ,उनमे से एक ने कहा कक क़ाज़ी को ।
इललाम में तलाक का हक 1% 0%
0%
4% 14% 0%
शौहर बीिी शौहर और बीिी शौहर , बीिी , और काजी काज़ी ककसी को नही पता नही
81%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
तो ये सिाल आता है कक,उन लोगो ने ऐसा क्यों कहा शायद उन्हें इस्लाम के बारे में जानकारी बहुत ही कम थी।लेककन अगर ऐसा है तो क्या उन्होंने कभी ककसी को तलाक दे ते हुए भी नही दे खा है या कफर उन्होंने ये सिाल िीक से समझा नहीं या इस बारे में कभी सुना भी नही है । उनमे से एक शख्स ऐसे भी ममले जजन्होंने ये कहा कक
ककसी को नही
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उनका कहना ये था कक तलाक़ ही नही होना चाहहए। उनमे से 3 लोग हमें ऐसे भी ममले जजन्होंने ये कहा कक उन्हें नही पता । तो हमें सिाल आता है कक क्या उन्हें सच मे नही पता था कक तलाक़ का हक़ ककसको है या कफर िो हमें कुछ जिाब नही दे ना चाहते थे|
तीन तलाक़ पर सप्र ु ीम कोटक के फैसले की जानकारी। 413 लोगो के सिे में 76% लोग ऐसे ममले जजन्हें तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोटच के फैसले के बारे
में जानकारी थी। उनमे से 24% लोग ऐसे भी ममले जजन्हे तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोटच के फैसले के बारे मे बबल्कुल भी नही पता था।
मतलब की आधे से ज्यादा लोग सुप्रीम कोटच के फैसले के बारे में जानते थे और बहुत कम लोगों को इस बारे में नही पता था।
तीन तलाक़ पर सुवप्रम कोटक के फैसले की जानकारी
हाँ
नहीं 24%
76%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
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तो यहाँ पर ये सिाल आता है कक 24% लोगो को सुप्रीम कोटच के फैसले के बारे में नहीं पता था
तो उन्हें क्यों नही पता था? क्या उन्होंने कभी इस बारे में सुना ही नहीं? क्या िे कभी न्यज़ ू नही दे खते या अखबार नही पढ़ते ? क्या िे social media भी इस्तेमाल नहीं करते? यह सोचना
भी ज़रूरी है की क्या उनके पास इतना िक़्त है की िह न्यूज़ दे खे या सुने क्योंकक उनका काम
सख्त महनत और कम आमदनी िाला है , िह सुबह को काम की तरफ ननकलते है और रात
होते होते घर लौटते है , उनकी आमदनी का कुछ हहस्सा अख़बार में खचच करने से बहतर िही पैसे िे अपनी बुनयादी ज़रूरत पर खचच कर सकते है । जब उनके के पास िक़्त की कमी है तो क्या िे ऐसी जानकारी हामसल करने की कोमशश करें गे?
तीन तलाक़ पर सप्र ु ीम कोटक की जानकारी कहा से समली।
फैसले की जानकारी टे लीविज़न
1% 7%
लोगों से
10%
अखबार
11%
टे लीविज़न , अखबार ,लोगों से
53%
. टे लीविज़न , अखबार ,लोगों से
18%
, अन्य . अन्य
हम यह जानने के मलए उत्सुक थे की तीन तलाक पर सप्र ु ीम कोटच फैसले के बारे में लोगों को जानकारी कहा से ममली|
तो हमें पता चला की ज्यादातर लोग ऐसे थे जजन्हें टीिी से जानकारी ममली|
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यानी कक जजसको जहाँ से पता चल रहा था लोग साधन ढूंढ कर जानकारी ले रहे थे और मामले
की या बात की तह तक जाने की कोमशश कर रहे थे और ऐसा लग रहा थे की मुजस्लम समाज इसके खखलाफ में है ।
सप्र ु ीम कोटक का फैसला आने से पहले तीन तलाक के बारे में लोगों को जानकारी सिे में हमें 84% लोग ऐसे ममले जजन्हें तीन तलाक के बारे में सुप्रीम कोटच का फैसला आने से
पहले िे इस तीन तलाक के बारे में जानते थे| यानी कक आधे से ज्यादा लोगो को तीन तलाक के बारे में पता था। उन्ही 413 लोगों मे से 16% ऐसे भी थे जजन्हें सुप्रीम कोटच का फैसला आने से पहले तीन तलाक़ के बारे में जानकारी बबलकुल भी नही थी।
सप्र ु ीम कोटक के फैसले से पहले तीन तलाक के बारे में जानकारी थी
16%
हाँ नहीं
84%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
इससे पता चलता है की ज़्यादातर लोगों को तीन तलाक के बारे में सुप्रीम कोटच के फैसले से
पहले ही पता था क्योंकक सप्र ु ीम कोटच का फैसला आने से पहले ही यह मद् ु दा मीडिया में बहुत ज्यादा हदखाई दे रहा था।
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सुप्रीम कोटच के फैसले से पहले तीन तलाक को न जानने का कारण यह भी हो सकता है की लोगों को अपने काम से फुरसत नहीं ममलती। ये सिाल आता है कक -
उन्हें क्यों नही पता था, उन्होंने कभी जानने की कोमशश ही नही की, कक उनके शरीयत और इस्लाम में कौनसी चीज़ें ककस तरीके से है । या कफर िे तीन बार तलाक़ बोलने को ही सही तरीका मानते है मतलब की उन्हें नही पता कक इस्लाम मे तलाक दे ने का इसके अलािा और भी कोई तरीका है ।या कफर उन्हें सब पता था िो हमें कोई जिाब नही दे ना चाहते थे। काफी सारे सिाल उभर कर आते है । इस ररसचच के जररए काफी बातें उभर कर सामने आई, जानने को ममली|
क्या सप्र ु ीम कोटक का तीन तलाक पर टदया गया फैसला शररयत में दखलंदाज़ी है कुल ४१३ लोगों के मलए हुए सिेक्षण प्रकिया से कई तरह के जिाब सामने आते है । भारत दे श मे ककसी भी मजहब के बारे होने िाली घटना बहुत संिेदनशील (सेंमसहटि) मानी जाती है । हर
एक व्यक्ती पर धमच का रहने िाला प्रभाि और धमच को लेकर रहने िाली मानमसकता इनका संदभच उपरी सिाल के पुछे हुए जिाबो मे हदखाई दे ता है । मनुष्य के व्यािहाररक और सामाजजक जीिन मे धमच महत्िपूणच कायच ननभाता है । भारत मे धमच और धमचगुरु का स्थान उपरी स्तर पर माना जाता है। इस िजह से मजहब से जुिे हुए ककसी भी फैसले के आने से उसको चचाच का और राजनीनतक फायदे का विषय इस नजररये से दे खा जाता है । धमच पर चलने िाली राजनीती और धमच पे होने िाली राजनीनतक रणनीती के िजह से ननमाचण होने िाला तनाि सदृश्य पररजस्थती इस चीज कक आदत ही हर एक भारतीय को हुई है क्या? यह सोचना गलत नही होगा।
तीन तलाक पर सप्र ु ीम कोटक का फैसला शररयत में दखलंदाज़ी है या नहीं नही 11%
अन्य 5%
हाँ 84%
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तीन तलाक इस मुजस्लम धममचय प्रथा को सुवप्रम कोटच ने हदया हुआ गैरकानुनी करार और इस संबंधी हदया हुआ ऐनतहामसक फैसला इसपर सामाजजक स्तर से और राजनीनतक स्तर से विविध
प्रनतकिया और पहलू सामने आए। अनेक लोगों ने सुवप्रम कोटच के फैसले का ककया हुआ विरोध और बहुत कम लोगों ने ककया हुआ स्िागत इन दोनो चीजों में रहने िाली मुजस्लम समाज के लोगों कक विविध प्रनतकियाओ कक छान बीन उपरी सिाल के द्िारा कक हुई है । हमने ककए हुए सिेक्षण प्रकिया मे आधे से ज्यादा लोगों ने सुवप्रम कोटच के फैसले का विरोध ककया है । मुजस्लम धमच के तीन तलाक मे होने िाली न्यानयक दखलंदाजी से िे सहमत नहीं है | मजहब और न्याय व्यिस्था यह दोनो अलग चीज़ें है इस िजह से न्याय व्यिस्था मजहब से संबंर्धत विषय पर फैसला नही दे सकती ऐसा कुछ लोगों का कहना है ।
मुजस्लम धमच मे तीन बार तलाक बोलने से होने िाला तलाक और सुवप्रम कोटच ने हदया हुआ तीन तलाक बंदी का फैसला इस िजह से तकननकी मसला उभर कर आ रहा है। मजहब के अनस ु ार माना जाए तो तीन तलाक बोलने से टूटने िाला पनत पत्नी का ररश्ता और कानन ू ी व्यिस्था के अनस ु ार तीन तलाक बोलने से न होने िाला तलाक इन पहे मलयो मे होने िाली कहिनाइयां
मजु स्लम धाममचयों को सल ु झानी पिेगी। इस्लाम मे हदया हुआ तीन तलाक का संबंध बहुत महत्िपण ू च है । इस िजह से कुछ लोगों का यह मानना है कक हम मसफच इस्लाम धमच कक प्रथाओ का ही पालन करें गे। तो उसके अनस ु ार तीन तलाक यह मद् ु दा धमच के साथ साथ ककसी एक पररिार का जाती मामला भी है । जमोहररयत(DEMOCRACY) ने भी हदया हुआ खद ु का मजहब मानने कक आझादी इन सब का विचार सुप्रीम कोटच ने नही ककया ऐसा भी कुछ लोगों का मानना है । तीन तलाक के मुद्दे पर फैसला सुना कर इस्लाम धमच को और मुजस्लम धाममचयो को बदनाम ककया जा रहा है । उन्हे , धाममचक तानािपूिक च माहोल ननमाचण करके भिकाया जा रहा है ।
अभी ही इस प्रकार का तीन तलाक संबंर्धत फैसला क्यूँ हदया? इसके पीछे कक पररजस्थती को
कोनसे हालात जजम्मेदार थे? इन जैसे सिालो को भी मुजस्लम धाममचयो के जरीए पुछा गया। तीन तलाक पर फैसला दे कर मुसलमानो को ननशाना बनाया जा रहा है ।
सामाजजक स्तर पर इस्लाम धमच के बारे मे नाराजगी फैलाई जा रही है , और इसके जरीए मजहब के बारे मे गलतफेहमी ननमाचण कक जा रही है । ऐसा भी कुछ लोगों का कहना है ।
सुप्रीम कोटच ने फैसला दे ते िक्त इस्लाम का और इस्लाम धमच कक प्रथाओ का मुतामलया और
विचार नही करते हुए यह फैसला सुनाया, मजहब से जुिी कोनसी भी मालुमात इकर्टटा नही कक।
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मुजस्लम धमीयों के जज़बातो के बारे मे सोचा नही गया। तीन तलाक इस मुद्दे के बारे में
इस्लाम धममचय ककसी भी धमचगुरु के साथ ककसी भी प्रकार कक बातचीत नही हुई। इस चीज कक उदासी मुजस्लम लोग हदखा रहे हैं| िैसे हह कुछ इस्लाम धमीयों का यह मनना है कक सुप्रीम कोटच का यह फैसला इस्लाम मे दखलंदाजी नही कर रहा है ।
“हम जजस दे श मे रहते है उस दे श के सिोच्च न्यायालय के फैसले को मनना हमारा कतचव्य है ।” ऐसा कूछ लोगों का कहना है । अन्य कुछ मुजस्लम दे शों मे भी तीन तलाक इस मुजस्लम प्रथा को
गैरकानन ू ी करार हदया गया है । उन दे शो को सामने रखते हुए हमे भी सुप्रीम कोटच के इस फैसले को सकारात्मक दृजष्टकोन से दे खना जरुरी है । इस प्रकार कक सामंजस्य कक भािना भी कुछ लोगों ने जाहीर कक।
“आपसी सहमती से तीन तलाक न होते हुए अगर पनत के मनमानी से यह फैसला मलया जा रहा
होगा और उसके िजह से अगर ककसी मुजस्लम स्त्री कक जजंदगी बरबाद हो रही होगी तो सुप्रीम कोटच ने कक हुई दखलंदाजी भी हमे मंजूर है और इस फैसले का हम स्िागत हह करते है।’’ इस प्रकार कक स्पष्ट प्रनतकिया भी लोगों ने हद है । उसके आगे जाकर कई लोगों ने यह भी बोला है कक,
तलाक दे ना हह कुरआन मे गलत बताया गया है । इस मलए अगर सुप्रीम कोटच ने मजहब मे दखलंदाजी कक होगी तो गलत चीज पर लायी हुई बंदी ताकननकी रूप से योग्य हह है । मसधे सुप्रीम कोटच ने हदया हुआ तीन तलाक बंदी का फैसला, इस िजह से लोगों मे िर का माहोल बना रह के तलाक- ए- बबद्दत इस तलाक प्रकार का इस्तमाल नही होगा। इस प्रकार कक आशा लोगों ने जाहीर कक। इस सिाल को सोचते िक्त यह ध्यान मे आता है कक, हर एक मुजस्लम धममचय व्यक्ती ने सुप्रीम कोटच के इस फैसले का अलग अलग दृष्टीकोन के साथ विश्लेषण ककया है । यह विश्लेषण धमच
व्यिस्था, समाज व्यिस्था इन्हे सामने रखके और कई लोगों ने इस फैसले के वपछे राजनीनतक भूममका भी हो सकती है यह स्पष्ट ककया।
सुप्रीम कोटच के इस फैसले का बहुत कम लोगों ने स्िागत ककया है । पर कफर भी सुप्रीम कोटच का यह फैसला धमच व्यिस्था मे दखलंदाजी कर के भी मुजस्लम माहहलाओ का मनोबल बढा सकता है ।
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डाटा एनासलससस करते िक़्त
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क्या आप तीन तलाक के फैसले को मानेंगे तीन तलाक इस मुजस्लम धममचय प्रथा को सुवप्रम कोटच ने गैरकानूनी करार हदया। उसके अनुसार हमने मलए हुए सिेक्षण के प्रकिया मे आधे से ज्यादा लोगो को यह फैसला शररयत के खखलाफ है ऐसा लगता है ।
तीन तलाक पर सवु प्रम कोटक के फैसले को मानें गे 21%
हाँ
नहीं
79%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
हमने ककये हुए सिेक्षण के अनुसार कुल 79% मुजस्लम धममचयो को सुवप्रम कोटच का यह फैसला अमान्य है । और 21% लोगो को यह फैसला मान्य है । सुवप्रम कोटच का यह फैसला पूरी तराह से मजहब से जुिा हुआ है। मुजस्लम धममचय लोग धमच से जुिे हुए सभी फैसले पवित्र कुरआन और शररयत को मद्दे नज़र रखते हुए लेते है । इस िजह से मजहब के प्रथा मे कक हुई दखलंदाजी उन्हे मानने लायक नही लगती। दे श के सिोच न्यायालय के फैसले का स्िागत करे या कफर मानते आए हुए मजहब कक प्रथा जारी रखे इस दवु िधा मे कफ़लहाल मुजस्लम धममचय लोग है यह सामने आ रहा है । मजहब से जुिे विषय पर फैसला दे ना ककतना सही है ? और तीन तलाक के िजह से जजंदगी से झगिने िाले औरतों के बारे मे सोचना क्यूँ गलत है ? ये सिाल समझने बहुत महत्िपूणच हैं।
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सिेक्षण के िक़्त
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आप के टहसाब से तलाक दे ने का हक्क ककसे होना र्ाटहए तलाक दे ने का हक ककसे होना चाहहये इस सिाल कक विविध ककस्म के जिाब सिेक्षण के माध्यम से सामने आए। ननकाह यह मुजस्लम धमिं मे होने िाला महत्िपूणच समारोह। इस माध्यम से दो हदलो का और दो पररिरो का होने िाला ममलन। इस चांदरूपी चांदनी को ननगलजाने िाला अंधेरा मतलब तलाक। तलाक दे ने का हक ककसे होना चाहीए इस सिाल को लेकर अनेक मजु स्लम धमीयों का ऐसा मनना था कक मसफच पनत को ही तलाक दे ने का हक होना चाहहए। उनके कहने के अनस ु ार पनत
हालातो के बारे मे विचार करते हुए सही फैसला ले सकता है । परु ु षो मे होने िाली ननणचयक्षमता और धैयच इस िजह से मसफच परु ु ष ही तलाक दे ने के काबील है ऐसा कही लोगों का मनना है । कुछ महहलाए ऐसा बोल रही थी कक
“अगर एक स्त्री को तलाक दे ने का हक दे हदया तो िह स्त्री छोटी छोटी र्चजो पर पनत को
तलाक दे दे गी।”
आप के टहसाब से तलाक दे ने का हक्क ककसे होना र्ाटहए
Series1 241 143
11 शोहर
बीिी
2 शोहर और
शोहर बीिी
बीिी
और काजी
6 अन्य
माहहलाओ कक ही माहहलाओ के बारे मे गलतफहमी पैदा करने िाली सोच अविश्िसनीय थी। तलाक दे ने का हक मसफच पत्नी को होना चाहीए इस ननयत के बहुत कम जिाब दे खने मे आए। स्त्रीयो के प्रनत गलत दृजष्टकोण के िजह से जिाबो की प्रित्त ृ ी बेहद है रान कर दे नी िाली है । घर और पररिार संभालने िाली सक्षम स्त्री को तलाक का हक न दे ने की भािना स्पष्ट की है | हक नही होना यह प्रित्त ृ ी खेदजनक है । 48
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कुछ लोगों ने पनत और पत्नी इन दोनो को तलाक दे ने का अर्धकार होने की भािना स्पष्ट की है
मसफच एक ही व्यक्ती को दोनो के जजंदगी का फैसले लेने का अर्धकार दे ना सही नही, यह
इस जिाब से सामने आ रहा है कक पनत और पत्नी इन दोनो मे होने िाली तलाक के संबंर्धत आपसी सहमती यह भी महत्िपूणच है यह समज में आ रहा है ।
ननकाह के िक्त काज़ी कक अहममयत को मद्दे नजर रखते हुए, तलाक के िक्त रहने िाला काज़ी का ककरदार अहे म कायच ननभा सकता है । इस िजह से पनत पत्नी के साथ हह मजहब के बारे मे जानकारी रखने िाले काज़ी को भी तलाक संबंर्धत अर्धकार होने चाहहए ऐसा कुछ लोगों का मनना है ।
“ना पनत ना पत्नी, ना काज़ी ना कोई धमचगुरु मसफच और मसफच कोटच को ही तलाक दे ने का अर्धकार होना चाहहए”
इस प्रकार की भी कई जिाब सिेक्षण के माध्यम से सामने आए। न्यानयक व्यिस्था को पाररिाररक मस्लो का हल ननकालने का अर्धकार दे ना चाहहए, ऐसा कुछ लोगों का मनना है । इससे मुजस्लम धममचयों का न्याय व्यिस्था के प्रनत भरोसा नजर आता है ।
कुछ लोगों के कहने के अनुसार तलाक दे ने का हक पनत पत्नी के साथ साथ उनके पररिार को
भी दे ना चाहहए| पाररिाररक व्यिस्था मे पररिार के सभी लोगों का रहने िाला महत्िपूणच स्थान
इसे सामने रखते हुए बहुत से लोगो ने पररिार को अर्धकार होने की बात कहीं है | अन्य कुछ लोगों के मुकाबले पररिार के सदस्य िे पनत पत्नी के बीच के ररश्ते और कई बार तनािपि च ु क संबंध के नजदीक से ननरीक्षण कर रहे होते है । इस िजह से तलाक दे ने के प्रकिया मे पररिार का योगदान महत्िपूणच है । कुछ लोगों का यह मनना है कक
“ननकाह के बाद तलाक ही नही होना चाहहए और तलाक दे ने का हक ककसी भी व्यक्ती को ना हो।”
पनत पत्नी मे शादी ननभाने कक क्षमता होनी जरुरी है । ऐसा इन जिाबो से सामने आ रहा है ।
कुछ लोगों ने इस विषय पर बोलने से मना कर हदया। उन लोगों को इस सिाल का जिाब दे ने कक जरुरत नही लगी।
इस सिाल का और सिेक्षण से प्राप्त हुए जिाबो के बारे मे सोचते हुए यह सामने आता है कक तलाक दे ने का हक ककसे होना चाहहए इस पर लोगों कक कई तरह कक प्रनतकिया उभर के आ रही है । 49
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क्या सरकार तीन तलाक में टदलधर्लपी टदखा रही है
सरकार तीन तलाक इस विषय मे ज्यादा हदलचस्पी हदखा रही है इस सिाल के बारे मे जब हमने मुजस्लम लोगो से पुछा तब कुल 93% लोग इस सिाल से सहमत थे। उनका मनना था कक सरकार हदलचस्पी हदखा रही है । 5% लोगो को इस मे सरकार कक कोई भी हदलचस्पी नही लगती है । और 2% लोगो ने इस विषय पर कोई भी बातचीत करने से मना कर हदया।
सरकार तीन तलाक में ज्यादा टदलर्लपी टदखा रही है हाँ
नहीं
नहीं पता
5%
2%
93%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
उपर हदए जिाबो के बारे मे सोचते हुए मुजस्लम धममचयो का सरकार के खखलाफ का गुस्सा और असंतोष हदखायी दे ता है । इतनी बड़ी तादाद मे इस सिाल पर आए हुए लोगो के सकारात्मक जिाब सरकार के भूममका का के ऊपर सिाल खड़े कर रहे है ।
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INNOVATION
सरकार का तीन तलाक के मद् ु दे को उिाने का क्या मकसद हो सकता है
ज्यादातर मुजस्लम लोगों का यह मनना है कक सरकार तीन तलाक इस विषय मे हदलचस्पी
हदखा रही है । 180 160 140
Respondents
120 100 80 60 40 20 0 राजनीनतक
मज़हब में
फायदे
दखलंदाजी
मुजस्लम
महहलाओ को
हक़ हदलाना
मज़हब में
राजनीनतक
दखल ,
फायदे , अन्य
महहलओं को हक हदलाना ,
टोटल
मज़हब में
पता नहीं
अन्य
दखल ,
राजनीनतक फायदे
कुल 38% लोगों का यह कहना है कक सरकार राजनीनतक फायदे के मलए इस मुद्दे को उिा रही
है । और कुल 27% लोगों का यह मनना है कक तीन तलाक का मुद्दा उिा के सरकार मजहब मे दखलंदाजी करना चाहती है । िही 11% लोगों का यह कहना है कक मुजस्लम माहहलाओ को हक
हदलाने के मलए सरकार तीन तलाक में ज्यादा हदलचस्पी हदखा रही है । यह सिाल मद्दे नज़र रखते हुए दे खा जाए तो यह समझ मे आता है कक इस सिाल को लेकर कुछ लोगों के विचार विमभन्न तररके के है । इस सिाल मे लोगों ने एक ही बार मे बहुत चीजों का संदभच जोिा हुआ है । और सरकार को इस एक ही मद् ु दे से तीन विमभन्न र्चजो का फायदा हो सकता है ऐसा 51
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लोगों का मनना है । इस िजह से कुल 17% लोगों को ऐसा लगता है कक सरकार तीन तलाक इस मुद्दे को उिाकर मुजस्लम माहहलाओ को हक हदलाना चाहती है , मजहब मे दखलंदाजी कर
रही है , और राजनीनतक फायदे के मलए भी इस मुद्दे को चचाच विषय बनाया जा रहा है । 1% लोगों को मतलब कुल सात लोगों को पहले तीन विकल्पो(मुजस्लम महहलाओं को हक़ हदलाना,मज़हब में दखलंदाज़ी, राजनीनतक फायदे ) मे से कोई भी विकल्प योग्य नही लगा। लोगों
का ध्यान हटाने के मलए सरकार यह मुद्दा लोगों के सामने ला रहीं है । नोटबंदी का प्रभाि इसपर लोगों का ध्यान ना बना रहे इस िजह से तीन तलाक का मुद्दा लोगों के सामने लाया
जा रहा है । 1% लोगों ने मतलब कुल 8 लोगों ने जानबूजकर इस सिाल पे हटप्पणी करने से मना कर हदया। इससे सिाल मे मौजूद गंभीरता के िजह से लोगों के मानमसक विचारो मे हुए बदलाि नजर आते है ।
तीन तलाक बबल के बारे में जानकारी हाँ
नहीं
34%
66%
टोटल 413
तीन तलाक के बबल के बारे में जानकारी
सुप्रीम कोटच ने जो हाल ही में ननणचय हदया है उसके अनुसार कोई भी शौहर अपने बीिी को तीन
तलाक़ दे ता है तो िह तीन तलाक़ गैरकानूनी होगा और िह तलाक़ मानी नहीं जाएगी। सुप्रीम
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कोटच ने सरकार से कहा की िह 6 महीनो के अंदर तीन तलाक़ को लेकर कोई क़ानून लाए जजसके चलते सरकार ने लोकसभा में तीन तलाक़ को लेकर एक बबल पेश ककया। इसमें यह प्रािधान है की अगर कोई शौहर अपनी बीिी को एक िक्त में तीन तलाक़ दे ता है तो उसे तीन साल तक सजा और जुरमाना हो सकता हे । इसी बबल को लेकर हमने मुजस्लम समाज में यह जानने की कोमशश की के ककतने लोगों को इस बबल के बारे में जानकारी है । लोगों से बातचीत
करते िक़्त हमें यह जानकारी ममली की करीब 66% लोगों को इस बबल के बारे में जानकारी थी। िही 34% लोग ऐसे थे जजन्होंने इस बबल के बारे में सुना ही नहीं था।
हमें जानने की उत्सक ु ता हुई की जजन लोगों को इस बबल के बारे में नहीं पता था उनमे से ककतने मदच और ककतने महहलाऐं थी। तो हमें ये जानकार है रानी नहीं हुई की ज्यादातर महहलाओं को इस बबल के बारे में पता नहीं था।
तीन तलाक़ बबल के बारे में जानकारी
पुरुष
महहलाएं
46% 54%
इसके साथ ही जब हमने लोगों से तीन तलाक़ दे ने पर तीन साल की सजा के बारे में पूछा तो
हमें अलग अलग तरह के जिाब ममले। ज्यादातर लोगों का यह कहना था की तीन तलाक़ दे ना कोई अपराध नहीं और इसपर सजा की कोई ज़रुरत नहीं। िही कुछ लोग हमें ऐसे भी ममले जो
चाहते थे की तीन तलाक़ दे ने पर कड़ी से कड़ी सजा हो। यहाँ तक कुछ लोगों ने फांसी और उम्रकैद की भी बात कही।
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तीन तलाक दे ने िालों को 3 साल की सजा दे ने का कानन ू बन रहा है तो आपकी इसके बारे में क्या राय है
“सरकार मुस्लमानो को ननशाना बना रही है उन का इस्तेमाल कर रही है खुद के फायदे और िोट के मलए”
बहुत लोगों ने मस् ु लमानो से जुड़े मुद्दे उिाऐ जैसे पढ़ाई बेरोजगारी और गरीबी और कुछ लोगों ने गलत कहते हुऐ इस कानून को बेफायदा बताया।उनके हहसाब से यह कानून से तीन तलाक नहीं रोकी जा सकती कोई इसे नहीं मानेगा । कुछ लोगों ने सरकार के इस कानन ू को गलत बताया क्योंकक उनका कहना था कक
“जब सुप्रीम कोटच ने गैरकानूनी बताया और जब तलाक ही नहीं हुई तो सजा ककस बात की दी जा रही है और कौन सा शौहर अपनी बीिी को जेल से आने के बाद अपनाएगा” 3 साल की सजा सुनकर बहुतों ने यह सिाल उिाया कक
“उसके जेल जाने के बाद बीिी बच्चों का खचाच कौन उिाएगा क्या सरकार जजम्मेदारी लेगी?”
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INNOVATION
सरकार के तीन तलाक पर बनाये गए कानन ू पर राय
6% 17%
77%
गलत कनून
सही कानून
अन्य राय
तीन तलाक को कुछ लोगों ने घर का मामला बताया और उसको किममनल लॉ करने की जरूरत
नहीं ऐसा कहाl इस कानून को ना मानते हुए कुछ लोगों ने सुलाह के कुछ अलग तरीकों के बारे में भी कहा कक उनका सुलाह करिाना चाहहए या िे नहीं रहना चाहते तो अलग होने का हक होना चाहहए। कुछ लोग ऐसे भी थे जो अधरू ी जानकारी रखते थे और उसके बबना पर ही िह
राय रख रहे थे इसके अलािा हमें लोगों ने अपनी राय दे ने की बजाय सुझाि हदए। उनके अनुसार ऐसा कानून होना चाहहए कक जो दोनों के मलए सही हो या जजसकी गलती हो उसे सजा
ममले कफर चाहे िह मदच हो या औरत कुछ लोगों ने सलाह दी कक सजा कुछ कम होनी चाहहए तो ज्यादातर लोग
पूरी तरह यह सजा के खखलाफ थे।
बहुत कम तादाद में लेककन हमें ऐसे लोग भी ममले जजनके अनस ु ार यह कानन ू सही है और िह इसका समथचन करते हैं। इस कानून को सही बताने की यह िजह बताई कक लोगों में िर पैदा
होगा अब कोई भी व्यजक्त यूं ही बेिजह तलाक नहीं दे पाएगा। एक व्यजक्त ने सही बताते हुए कहा कक सही है क्योंकक इनके हहसाब से यह तलाक एकतरफा होने की िजह आदममयों की मनमजी को बढ़ाने की िजह है । सिे करते समय यह सिाल हमारे मन में आता था कक लोग इस हद तक सरकार से क्यों भड़की हुई है और इतना कम भरोसा क्यों करते हैं | हम यह भी सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कक अगर शौहर इस कानून के िर से तीन तलाक नहीं दे गा पर
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INNOVATION
िह एक तलाक दे कर भी इस से ररश्ता तोड़ सकता है , और जेल से आने के बाद क्या िह अपनी बीिी को अपनाएगा, ऐसे कहीं प्रश्न हदमाग में आते है |
तीन तलाक़ होने पर औरत को मदद के सलए कहा जाना र्ाटहए हम यह जानना चाहते थे की लोगों के अनस ु ार अगर ककसी मजु स्लम औरत को तीन तलाक़ हदया जाता है तो उसे सब से पहले मदद के मलए कहा जाना चाहहए। 46% लोगों ने शरीअत कोटच में
जाने की सलाह दी। िही 36% लोगों ने कहा की उसे सबसे पहले अपने ररश्तेदारों से मदद लेनी चाहहए। बहुत कम लोग ऐसे थे जजन्होंने पमु लस और कोटच से सहारा लेने की सलाह दी। कुछ लोगों का यह मानना था की औरत सभी से मदद ले सकती है । 1% लोगों का यह कहना था की तीन तलाक़ दे ने पर औरत को कही नहीं जाना चाहहए क्योंकक जब कोई शौहर अपनी बीिी को तीन बार तलाक़ बोलता है तो िह तलाक़ हो जाती है और उसके बाद कोई कुछ नहीं कर सकता इसीमलए कही जाकर कोई फायदा नहीं। िाटा को दे खकर हमारे मन में कई प्रश्न उिे है की आखखर पुमलस और कोटच में जाने की सलाह मसफच 4% लोगों ने ही क्यों दी? और इसके साथ ही
यह भी प्रश्न उिता है की क्या सच में इस कानन ू का कोई फायदा होगा क्योंकक लोग तो पुमलस और कोटच में जाने से इतना कतरा रहे है िही शरीयत कोटच और ररश्तेदारों में ज़्यादा भरोसा
हदखा रहे है । तो इससे यह सामने आता हे की क्या सच मे सजा की ज़रुरत है या सामाजजक सुधारों की?
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INNOVATION
तीन तलाक के बाद औरत को मदद के सलए कहााँ जाना र्ाटहए
189 147
30 14 शररयत कोटच
ररश्तेदार
कोटच
14
6 पुमलस
टोटल 413
शररयत कोटच शररयत कोटच ,पुमलस,
ररश्तेदार .
,पुमलस,
11 अन्य
2 ककसी के पास नहीं
ररश्तेदार , कोटच .
ररस्पॉन्िन्स
तफिीज़
इस्लाम मे तलाक़ दे ने के दस ू रे भी कई तरीके है ,तलाक़-ए-तफिीज़ उनमे से एक तरीका है ।इस तरीके के ज़ररए अलग होने की सहूमलयत औरत को दी गयी है । तफिीज़ के लफ़ज़ी मतलब सप ु द ू च करना है । इस मे शौहर अपना तलाक़ का हक़ बीिी को सप ु द ु च (दे दे ना) कर दे ता है । इसे
ननकाह के िक़्त या ननकाह के बाद तलाक़ का हक़ हदया जाता है ।तो यह तफिीज़ तलाक़ है ।अगर शौहर ने शतच के साथ हक़ हदया है तो शतच पूरी ना होने पर बीिी खद ु से इस हक़्क़ का इस्तेमाल करते हुए अपने आप को तलाक दे सकती है िो तलाक़ हो जाएगी। हमने लोगों से पूछा कक िह तलाक़-ए-तफिीज़ के बारे में क्या जानते है । तो करीब 83% लोगों
को तलाक़-ए-तफिीज़ के बारे में पता नही था। बाकी के 17% लोगों में से कुछ लोगो को तलाक़ए-तफिीज़ नाम नही पता था लेककन तलाक़ तफिीज़ के तरीके के बारे में जानकारी थी।
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INNOVATION
तलाक़-ए-तफिीज़ के बारे में जानकारी है 17%
हाँ
नहीं
83%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
जब हमने यह दे खा कक ककतने महहलाओं को इस तलाक़ के प्रकार के बारे में पता था , तब यह पता चला कक मसफच 36% महहलाओं तलाक़-ए-तफिीज़ के बारे में पता था|। उसका यह भी मतलब होता है कक महहलाओं को अपने हक़ो के बारे में जानकारी ही नही है ।इस कक यह भी िजह हो सकती है कक महहलाओं में मशक्षा का प्रमाण बहुत ही काम है जजससे उन्हें अपने हक़ो के बारे में जानकारी नही ममल पाती है ।
तलाक़ ऐ तफ़िीज़ के बारे में जानकारी नहीं परु ु ष
महहलाएं
45% 55%
58
INNOVATION
खल ु ा
इस्लाम मे तलाक़ मांगने का हक़् बीिी को हदया गया है ।जैसे कक अगर औरत अपने शौहर के साथ नही रहना चाहती है तो िह अपने शौहर से खल ु ा मांग सकती है ,और अलग हो सकती
है ।लेककन औरत के पास खल ु ा मांगने की कुछ िजह होनी चाहहए जैसे कक अगर उसका शौहर
उसे या उसके बच्चो को िीक से दे खभाल नही करता या िो औरत को ककसी भी तरह की तकलीफ पहुंचता है ।हमने मुजस्लम समाज मे लोगो को खुला के बारे में ककतना पता है यह जाना।करीब 60% लोगो को खल ु ा या खल ु ा ककस तरह हदया या मांगा जाता है यह पता था।िही 40% खल ु ा के बारे में अनजान थे।
खुला के बारे में जानकरी है 40%
हाँ 60%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
खुला के बारे में जानकारी परु ु ष
महहलाएं
49% 51%
59
नहीं
INNOVATION
जजन 60% लोगो को खल ु ा के बारे में पता था,उनमे औरत और मदच के बीच फकच बहुत ही कम था।करीब 49% मदो को खल ु ा के बारे में पता था िही 51% महहलाए खल ु ा से िाककफ थी।
फलख-ए-ननकहा
इस्लाम मे अब यह भी प्रािधान है कक अगर शौहर अपनी बीिी को खल ु ा नही दे ता तो बीिी
तलाक़ के मलए दारुल क़ज़ा या शरीयत कोटच जा सकती है । िहाँ काज़ी औरत के पक्ष को सुनता है और उसके शौहर को पहली नोहटस भेजता है ,इसके बाद शौहर को काज़ी के सामने हाजज़र
होना पड़ता है ताकक िो शौहर और बीिी के बीच के फासलों को सल ु झा सके। यहद शौहर पहली नोहटस के बाद हाजज़र नही होता है तो काज़ी दस ू री और तीसरी नोहटस भेजता है ,और कफर शौहर के हाजज़र नही होने पर शादी को तोड़ दे ता है । लेककन इस के मलए कोई िोस िजह होनी ज़रूरी
है ,इस प्रकार के तलाक को फस्ख़-ए-ननकाह कहते है । अगर आसान लफ्जों में कहें तो ननकाह को काज़ी के ज़ररये रद्द करना या तोड़ दे ना फस्ख-ए-ननकाह कहलाता है । हमारे सिेक्षण में बहुत कम लोगो को फस्ख-ए-ननकाह के बारे में पता था।
फलक-ए-ननकाह के बरे में जानकारी है
33%
67%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
60
हाँ
नहीं
INNOVATION
जजन में 33% लोगो को फस्ख-ए-ननकाह के बारे में पता था उनमे करीब 51% महहलाओं को यह तरीका पता था। इस से यह साबबत होता है कक खल ु ा और फस्ख-ए-ननकाह के बारे में औरत और मदच दोनो को करीब करीब समान ज्ञान था।
फ़लख़ ऐ ननकाह के बारे में जानकारी 0%
49%
परु ु ष
महहलाएं
51%
तीन तलाक के बारे में सन ु ा या दे खा है सुप्रीम कोटच ने जब से तीन तलाक़ को गैरकानूनी बताया है तब से मीडिया अखबार और लोगो मे बहुत से चचे सुनने ममल रहे है । इसमलए इस सिाल को लेकर हमने मुजस्लम समाज से पूछा कक ककसी ने कहीं पर भी एक िक्त
में तीन तलाक़ को दे ते सुना या दे खा है ,तो यह मालूम हुआ कक मसफच 26% लोगों ने तीन तलाक़ होते हुए दे खा या सुना है । करीब 70% लोगों ने इस बारे में कहीं नही सुना। 4% लोग हमें ऐसे
ममले जजनका कहना था कक तीन तलाक़ होते हुए दे खा है या सुना है लेककन उसमें शौहर और बीिी दोनो की रजामंदी थी।अब जजन 26% लोगों ने तीन तलाक़ होते हुए सुना है उसमें बहुत से लोगों ने एक ही औरत को दे खा या सुना है या तो िे उसी को बता रहे थे, जैसे कक जजस एररया
में सिेक्षण मलया गया है अगर उस जगह पर ककसी का तीन तलाक़ हुआ है तो लोग उसी केस के बारे में बता रहे थे यानी असल मे िो एक केस था जजस को कई लोगों ने सुना दे खा था और उसी को िे बता रहे थे।
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INNOVATION
तीन तलाक के बारे में सुना है हाँ
नहीं 4%
हाँ आपसी सहमती से 26%
70%
टोटल 413 ररस्पॉन्िन्स
तीन तलाक का क्या करना र्ाटहए सरकार ने तीन तलाक़ को गैरकानूनी बताया िहीीँ सरकार तीन तलाक़ दे ने िाले को लेकर 3 साल की सज़ा का बबल ला रही है । 22 दे शो ने तीन तलाक़ को बंद ककया है या कफर उस मे कुछ तब्दीली लायी है ।तीन तलाक को सप्र ु ीम कोटच ने तो गैरक़ानन ू ी बताया है लेककन हम जानना चाहते है की लोग इस मस्ले पर क्या राय रखते है िह लोग तीन तलाक को ककस तरह हल
करना चाहते है । भारत मे तीन तलाक़ को लेकर मजु स्लम समाज के लोगों की अलग अलग राय है ।तीन तलाक़ का क्या करना चाहहए तो ज़्यादातर लोगों ने इसे िैसे ही रखना चाहहए यह
सझ ु ाि हदया क्योंकक िह शरीयत को ज़्यादा मानते है ,तो िह शरीयत में ककसी भी तरह की
दखलंदाज़ी नही चाहते है करीब 64% लोगों का कहना है कक िैसे ही रखना चाहहए क्योंकक िह कह रहे थे कक इस्लाम मे जो भी है िह सही है , ककसी ना ककसी मसचए ु शन को ध्यान में रख कर यह प्रािधान है इसमलए इस मे कोई बदलाि लाने की ज़रूरत नही है। करीब 18% लोगों ने इस तलाक़ को पूरी तरह से बंद करने का सुझाि हदया क्योंकक उनका कहना था कक ज़्यादातर इस तलाक़ से औरत की जजंदगी बबाचद होती है । 11% लोग इस तलाक़ में तब्दीली चाहते है
लेककन इन मे कुछ लोगों का कहना था कक जो भी तब्दीली लायी जाए िह सरकार और सुप्रीम
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INNOVATION
कोटच के ज़ररए नही बजल्क शरीयत कोटच AIMPLB के ज़ररए कुछ तब्दीली लाई जानी चाहहए। 7% लोगों ने पता नही कहा िह पता नही कह कर इस सिाल के जिाब दे ने से कतरा रहे थे।
तीन तलाक़ को… िैसे ही रख दे ना चाहहए
बंद कर दे ना चाहहए
कुछ तबदीली करनी चाहहए
पता नही
7%
11% 18%
64%
तलाक में औरतों के हक के बारे में
जानकारी
तलाक में औरतों के हको के बारे में जानकारी
नहीं 47%
हाँ 53%
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INNOVATION
तलाक के बाद औरतों का क्या हक होता है उसे क्या ममलना चाहहए और औरतों का जो हक है तलाक लेने का िह कौन-कौन से हैं और क्या इसके बारे में मुजस्लम मदच और औरतों को जानकारी है या नहीं हमने यही बात अपने इस सिाल के जररए जानना चाही| सिे के दौरान हमें
200 से ज़्यादा लोग ऐसे ममले जो तलाक में औरतों के हक़ के बारे में जानते थे िहीं करीब 200 लोग नहीं जानते थे अब जो लोग जानते थे हम उनसे (क्या" )का जिाब चाहते थे के आखखर ककस तरह के हैं तो ज्यादातर लोगों ने खचाच-पानी ममलने की बात की के शौहर को तलाक के बाद खचाच उिाना होता है। बीिी बच्चों का खचों और इद्दत का खचाच और महर ना ममली हो तो िह महर ममले, और कुछ लोगों के अनुसार यह खचाच बीिी की दस ू री शादी तक उिाना चाहहए।
और बच्चों का खचच उिाना होता है जब तक िह बड़े ना हो जाएँ, इस तरह के जिाब हमें ममले । तलाक के हक में बहुत सारे लोगों ने खल ु ा जो की बीिी का हक होता है कक अगर िह ररश्ते में नहीं रहना चाहती तो िह तलाक मांग सकती है इस हक की जानकारी ज्यादातर लोगों के पास थी। लेककन िही मसफच एक या दो लोगों को ननकाह को तोड़ने का हक जो कक फस्क -ए ननकाह कहलाता है उसके बारे में पता था और तलाक-ए-तफिीज़ भी मजु श्कल से मसफच एक को पता था कक इसके जररए भी तलाक का हक औरत खद ु ले सकती है जो कक शौहर के जरीए
सप ु द ु च की जाती है । इतनी कम तादाद में लोगों को "फस्क "और "तफिीज़" की जानकारी थी इस
बात का सबत ू दे ती है कक लोगों में " खल ु ा" जो कक औरत मांग सकती है लेककन "तफिीज़" जो औरत खद ु दे सकती है अगर शौहर ने उसे हक हदया है तो। इसकी जानकारी इतनी कम है इसे
दे खकर यह सिाल उिाना जरूरी है कक क्यों तफिीज़ के बारे में लोगों को नहीं पता, क्यों मसफच कुछ लोगों ने तफिीज़ का नाम सुना है ? इसका जिाब शायद यह हो सकता है कक इसके बारे में कोई बताना जरूरी नहीं समझता या बताना नहीं चाहते |
हमें कई ऐसे लोग भी ममले जजनका कहना था कक शरीयत के हहसाब से ममलना चाहहए और जायदाद में हक होना चाहहए
शौहर की कमाई का 50% बीिी को ममलना चाहहए
इस
तरह के सुझाि भी ममले। कुछ लोग यह भी कह रहे थे कक प्रेगनेंसी में तलाक़ नही होता उसे घर में ही रहने का हक होता है |
इस तरह हमें यह दे खने को ममला कक ज्यादातर लोग खचे से जुिे हक़ के बारे में जानते
थे लेककन बहुत कम तादाद में लोगों को तलाक दे ने के हक के बारे में जानकारी थी।
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आप के टहसाब से तीन तलाक दे ने िाले के ऊपर ककस तरह का कानन ू बनना र्ाटहए
22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोटच ने एक फैसला सुनाया की एक समय की तीन तलाक़ असंिेधाननक है मतलब जो भी एक िक़्त में जो तीन तलाक़ दे गा िह कबूल नही की जाएगी।
उस के साथ साथ उन्होंने ने सरकार को यह भी कहा कक आने िाले 6 महीनों में कोई तीन तलाक़ पर कानून बनाया जाए जजस के कारण तीन तलाक़ रुक जाए। तब केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद और उनके सहायक ने ममल कर तीन तलाक़ पर एक ड्राफ्ट बनाया जजस के
मुताबबक जो व्यजक्त तीन तलाक़ दे गा उसे तीन साल की सज़ा होगी।यह बबल जजस का नाम
Muslim women protection of right on marriage bill से जाना जाता है जो लोकसभा मे तो पास हो गया है पर राज्यसभा मे अटका हुआ है । मजु स्लम समद ु ाय में इस कानन ू को लेकर बहुत ज़्यादा ननषेध हो रहा है ज़्यादातर लोग कहते है कक इस से और ज़्यादा मजु श्कले बढें गी।
इस मलए हमने लोगों से जानने की कोमशश की है कक उनके मत ु ाबबक तीन तलाक़ दे ने िाले
मजु स्लम परू ु ष पर ककस तरह का कानन ू बनाया जाए। हमे इस के जिाब बहुत ही मख् ु तमलफ ममले है । हमारे सिेक्षण में हदखने में आया है कक ज़्यादातर लोग शरीयत और मज़हब को सब से ऊपर मानते है । ज़्यादातर लोग साफ साफ कहते ही कक उन्हें ककसी भी कानून की ज़रूरत नही है ।िह कहते है कक
“ इस्लाम मे तलाक़ पर पहले से कानून बनाया गया है और हम इसी कानून पर चलेगे। ” तो कोई ख़्िाहहश रखता है कक
“ तीन तलाक़ पर कानून तो बनाया जाए मगर िह कानून शरीयत के मुताबबक हो उलमाओं और मुजस्लम समुदाय की राय ले कर कानून बनाया जाए।”
कुछ लोगो का समूह कहता है कक हमें दारुल क़ज़ा(इस्लाममक शरीया कोटच ) जा कर सुलझाना
चाहहए या जो िह सज़ा बताए उस को मानना चाहहए। इस से समझ मे आता है कक ज़्यादातर लोग कानून बनाने के मलए इनकार कर रहे है ।
सिेक्षण में से कुछ समूह में इस तरह का भी कहना है कक जो भी कानून बनाया जाए उस से औरत को फायदा हामसल हो, लोग सज़ा दे ने के बजाए औरत और बच्चो के खचे को ज़्यादा तरजीह दे रहे है । िह चाहते है औरत को तलाक़ के बाद का पूरा खचच िह मदच संभाले तो कोई
कहता है कक इद्दत की मुद्दत तक का खचच मदच औरत को दे दे । कोई सिेक्षण में सुलह और 65
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समझौते की बात करने की बात करता है ,तो कोई बच्चो की परिररश का खचाच उिाये इस के बारे में बताते है । कुछ लोग सज़ा मदच को ममलनी चाहहए उस पर िह राज़ी थे इस मे से कोई तीन तलाक़ पर
सख्त से सख्त सजा दी जाए इस तरह की राय रखते है जैसे उम्र कैद की सज़ा,फाँसी की सज़ा या 10 साल की सज़ा का कानून िगैरा।तो कोई कहते है कक
“सज़ा तो होनी चाहहए मगर तीन साल की सज़ा न हो बजल्क कुछ छोटी सज़ा होनी चाहहए जैसे कक 6 से 12 महीने की सज़ा” तो कोई कहता है की 20000 रुपये का जुमाचने की सज़ा दे नी चाहहए। तो कोई ऐसा भी कहता है कक
“हमेशा मदच की गलती नही होती है तो जजस की गलती हो उसको ही सज़ा दे ना चाहहए अगर
लड़की की गलती हो तो लड़की को सज़ा और अगर लड़के की गलती हो तो लड़के को सज़ा दे नी चाहहए।”
तो कोई कहता है कक शरीयत कोटच या मसविल कोटच के ज़ररए सज़ा दे नी चाहहए। कुछ समूह का कहना है कक तीन तलाक़ का मामला पररिार का मामला है तो इस पर सज़ा दे ने का हक़ भी पररिार को ही है , या तीन तलाक़ पर सज़ा की ज़रूरत नही घर के अंदर ही इसे हल ककया जाए, या कोई पंचायत या घर के बिे बैि कर इस पर सज़ा बताए। तो कोई कहते है तलाक़ के दस ू रे तरीको को कानन ू ी बनाना चाहहए कक जैसे अहसन और हसन इन को सरकार के तरफ से इम्प्लेमेंट कर दे ना चाहहए की हर कोई इसी तरीके से तलाक दे ।
तो कुछ लोगों के जिाब इस तरह से भी ममले कक तीन तलाक़ पर सज़ा दे ने से कोई फायदा नही होगा जो तलाक़ दे ने िाले रहें गे िह एक तलाक़ दे कर भी छुटकारा हामसल कर सकते है ।
तो ककसी को आधी अधरू ी जानकारी थी। या िह सज़ा दे ने के बजाए िह अपने समस्या का समाधान की मांग कर रहे है |
इस सिाल में लोग ज़्यादा तर सज़ा बताने की बजाए सज़ा का साफ इंकार कर रहे है या कफर
िह मज़हब धमच को सब से बढ़ कर मानते है । लोग ज़्यादातर सुझाि दे ने का प्रयास करते नज़र
आए है जब कक हमने ककस तरह की सज़ा दी जाए इस के बारे में पूछा था। इस से पता चलता है लोग ककसी धाममचक मामले में खद ु से सज़ा दे ने या बोलने से इतना िर क्यूँ होता है क्या हम धमिं में चलते हुए बुरे प्रथा को रोकने के मलए कोई कानून नहीं बना सकते? या मसफच जो चलते आ रहा है इसे ही फॉलो करना चाहहए।
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तीन तलाक़ को रोकने के सलए हम लोगों को कैसे जागरूक कर सकते हैं क़ुरान शरीफ में तलाक दे ने का सही तरीका अहसन और हसन है जजसमें सल ु ह की गंज ु ाइश होती
है और सोचने समझने का मौका भी ममलता है यही बात हम ने लोगों से जाननी चाही के लोगो को इसके बारे में ककतना पता है तो 50% लोगों ने अहसन और हसन कहा जबकक नही पता कहने िाले लोगों की तादाद भी कम नही थी तो हो सकता है जो तीन तलाक़ दे ते है उन्हें तलाक़ का सही तरीका पता न हो या िो बबद्दत को ही मसफच तलाक दे ने का एक ही तरीका मानते हो तलाक़ का या उन्हें इस तरीके में आसानी नज़र आती है क्यूंकक कई सारे 3 तलाक़ को सही कहने िालों की राय में 3 तलाक सही था क्यूंकक एक झटके में ही ररश्ता खत्म हो जाता है
। इसमलए हमने लोगों से ही यह पूछा कक इसकी जानकारी लोगों में कैसे सामान्य की जाए कक हर शख्स सही तरीका जाने और जागरूक हो तो लोगों ने इसके अलग अलग जिाब हदए जजसका इस्तेमाल हम सचमुच ् कर सकते हैं। भारी तादाद में लोगों ने इस्लाम के जररये कहा उनका कहना
था
कक
जुमा
की
नमाज़
के
बाद
बयान
, इज्तेमा
,या
ककसी
इस्लामी
इदारे (ORGANISATION) के ज़ररए जागरूकता फैलाई जा सकती है क्यूंकक लोग इस्लाम को ज़्यादा मानते है तो अगर यह बात कोई मौलाना कहे या बयान में कही जाए तो इसपर ज़्यादा
अमल होगा । इसी तरह social media भी एक ज़ररया हो सकता है जैसे कक T.V पर कायेिम (प्रोग्राम) हदखा कर या facebook और whatsapp पर ग्रुप बना कर जागरूकता फैलाई जा सकती है ऐसा कुछ लोगों का कहना था ।
कुछ लोगों के हहसाब से बुननयादी तालीम में ही इसका शुमार होना चाहहए जैसे ककताबों में या मदरसा , स्कूल में पढाना चाहहए ताकक बचपन से ही जानकारी हो इसके अलािा हमे ऐसा कहने िाले लोग भी ममले जजनका कहना था कक जागरूकता की कोई ज़रूरत नही या इसका कोई
फायदा नही । इनके जिाब सन ु कर हमारे मन में सिाल उिता है की आखखर क्यों इन्हें ऐसा
लगता है कक कोई ज़रूरत नही शायद उनके हहसाब से मजु स्लम समाज पहले से जागरूक है या ककसी की दखलंदाज़ी उन्हें पसंद नही जैसा है िैसा ही चाहते हैं ।कोई फायदा नही है कहने िाले
लोग शायद ऐसा समझते थे कक यह बेकार है क्योंकक लोग तो िही करें गे जो उन्हें िीक लगता है । इस प्रकार हमने लोगों में ककस तरह जागरूकता फैलानी चाहहए इसका जिाब लोगों से ही जाना जजसमे उनकी राय और उनका तरीका हमे जानने का मौका ममला।
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विद्द्िानो से र्र्ाक
मुस्ललम विद्िान से र्र्ाक "कानून बनाने से अच्छा है आप इंसान बनाओ, लोगो की सोर् बदले उनका कैरे क्टर
और आमाल बदले रहन सहन बदले"
हमने मुफ़्ती सुकफयान ननयाज़ िनु से बात की है और कुछ सिालात पर चचाच करने की
कोमशश की है । मुफ़्ती एक इस्लाममक विद्िान है जो इस्लामी कानून(शररया और कफ़क़्ह) की
व्याख्या और विस्तार करता है । मुफ़्ती जूररस्ट है जो आर्धकाररक कानूनी राय दे ने के मलए योग्य है जजन्हें फतिा भी कहा जाता है । इसी के साथ साथ िो एंटोप हहल(ANTOPHILL) के नगरसेिक भी है । हमने इनके विचार इस मलए शाममल ककए है कक हमे तीन तलाक़ पर दोनो तरफ के विचारों(धाममचक भी राजनेनतक भी) को जानने का मौका ममलेगा। मफ़् ु ती सकु फयान कहते है कक तीन तलाक़ का मद् ु दा कोई मद् ु दा नही है । खास ज़हन के लोगो ने
इस मद् ु दे को उिाया है । मफ़् ु ती सकु फयान के मत ु ाबबक बहुत सारे राष्ट्रीय समस्या है मगर उन राष्ट्रीय समस्याओं को दबाने के मलए जानतिाद लोगो ने इस मसले को बढ़ा कर बड़ा राजनीनतक मद् ु दा बनाया है । उनके मत ु ाबबक तीन तलाक़ मजु स्लम समुदाय में बहुत ही कम होता है और उसके साथ साथ उन्हों ने बताया कक अगर तीन तलाक़ का मद् ु दा उिाया जा रहा है तो कफर िंद ृ ािन में जो विधिाएं बैिीं है उस पर भी कुछ ककया जाना चाहहए।
िह कहते है कक ननकाह में महर लाजज़म है , दस ू रे तरफ लोग दहे ज़ के नाम पर औरतो
को जलाते है , तकलीफ दे ते है लेककन इस्लाम कहता है कक तुम दहे ज़ मत लो मगर औरत को महर दो। लेककन हमारे यहाँ आज के दौर में एक बुरी प्रथा चल रही है कक लोग शादी में बहुत ज़्यादा खचच करते है मगर महर बहुत ही कम रखते है । इसका उलट होने की ज़रूरत है ।
िह तीन तलाक़ को एक समझना और तीन तलाक़ को तीन समझने के वििाद पर बोलते हुए कहते है कक यह वििाद पवित्र कुरआन और हदीस के हिाले दे ने से होता है । कोई अपनी राय इस
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मे शाममल नही करता है । मगर उनके मुताबबक ज़्यादातर दनु नया के 90 फीसद मुजस्लम विद्िान तीन तलाक़ को तीन ही समझते है ।
िो कहते है तलाक़ रुक रुक कर एक एक स्टे प को अपना कर दे ना चाहहए। अगर कोई इस तरह से नही करता है तो तब शरीयत ज़ामलम नही होती मगर जो आदमी ऐसा करता है िो ज़ामलम होता है । िह कहते है कक इस्लाम ने ही सब से पहले औरतो को बाप के जायदाद में हहस्सा लेने का हक़्क़ हदया है । पहले लोग लड़की को जलाते या जजंदा दफनाते थे मगर पैगम्बर मह ु म्मद ने इस प्रथा को रोका था। िह कहते है कक इस्लाम ने औरतो को बराबरी का दजाच हदया है िह अपने मुकाम पर ककंग है और शौहर अपने मुकाम पर ककंग है ।
सुकफयान िनु कहते है कक तलाक़ दे ने का हक़्क़ औरतो को इसमलए नही है कक उनकी तबबयत
नरम हदल, नरम ममज़ाज, कमज़ोर ममज़ाज और िह बहुत जल्द मुतामसर होती है । इसमलए तलाक़ दे ने का हक़्क़ मदो को हदया है । मगर साथ साथ िह यह भी कहते है कक "इस्लाम मे खुला नाम की र्चडड़या है जो औरतो के मलए है "
मतलब इस्लाम ने औरतो को खाली नही रखा है िो भी खल ु ा के ज़ररए तलाक़ हामसल
कर सकती है । अगर शौहर, बीिी के खल ु ा मागने के बाद भी तलाक़ नही दे रहा है तो तब काज़ी को हक़ है कक िह फस्ख ए ननकाह यानी ननकाह को तोड़ सकता है ।
मफ ु ती सकु फयान िनु के हहसाब से सप्र ु ीम कोटच के तीन तलाक़ के फैसले पर राय थी के सप्र ु ीम
कोटच का फैसला सामाजजक है मसयत को बढ़ाने के बजाए और ज़्यादा नक ु सान पहुंचाएगा। और उसी के साथ िो बताते है कक अगर सप्र ु ीम कोटच ने तीन तलाक़ को असंिैधाननक बताया है तो कफर इस पर सज़ा का कानन ू क्यों बनाया जा रहा है । ज़्यादातर बबल महीने महीने तक संसद में
चलते है मगर यह बबल सब ु ह आया और शाम को लोकसभा में पास हो गया। उसके साथ साथ िह सुप्रीम कोटच के फैसले का आदर भी करते हे |
उन्होंने ऐसा भी बताया कक सरकार यह सब राजनीनतक फायदे के मलए कर रहे है । कुछ जानतिाद लोग इस राष्ट्र को हहन्द ू राष्ट्र बनाने की कोमशश कर रहे है ।
उन्होंने ने पसचनल लॉ के बारे में बताया कक हहंदस् ु तान में हर ककलोमीटर पर ज़बान तहज़ीब बदलती है इस मलए पसचनल लॉ की ज़रूरत है । और उन्हें पसचनल लॉ पर चलने का हक़ संविधान ने दे रखा है । और उन्होंने इस तरह भी कहा कक हम अपने शरीयत से मुतमईन है ना हमे अपने शरीयत में कुछ तब्दीली करना है और न ही हम इस मे कुछ तब्दीली करने दें गे।
उन्होंने DOMESTIC VIOLENCE ACT 2005 और दस ू रे कानून की तारीफ की है ।
और उनके मुताबबक NGO िगैरा भी अच्छे से औरतो के मलए काम कर रहे है मगर कहीं दफा
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NGO अपना मफाद दे खने की कोमशश करते है । उन्होंने यह भी कहा कक जो कानून के बारे में जानकारी रखते है िह बहुत ज़्यादा कानून के साथ खेलते भी है । मुफती सुकफयान कहते है जो टी.व्ही चचाच और डिबेट में उलमा होते है उन्हें इस्लाम के बारे में
ज़्यादा जानकारी नही होती है और िह मसफच मशहूर होना चाहते है । इस के कारण लोगो मे गलत बात पहुंचती है कक इस्लाम सख्त मज़हब है ।
िे यह भी कहते है हलाला शरीयत के नज़दीक सज़ा है । और सज़ा है तो इस मलए िह सख्त है । अगर सज़ा सख्त होगी तो ही जुमच कम होंगे।
िह आखखर में कहते है कक तीन तलाक़ को रोकने के मलए शादी के िक़्त ही ननकाहनामे में ही शतच िगैरा मलखी जाए कक अगर ननबाह न हो पाए तो तीन तलाक़ एक साथ नही दी जाए।
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भारतीय मजु स्लम महहला आन्दोलन(BMMA) तीन तलाक संबंर्धत मुद्दे पर चचाच करने के मलए हम बांद्रा जस्थत भारतीय मुजस्लम
महहला आंदोलन(BMMA) के कायाचलय में खातून शेख इनसे ममलने के मलए गए थे। BMMA कक पाश्िचभूमी बहुत महत्िपूणच है । सहसंस्थापक झाककया सोमन और नूर जहाँ इन्होंने इस संस्था कक स्थापना 2007 मे कक। भारत मे कुल पंधरा राज्यों मे वपछले छह सालो से कुल 30000 सदस्य इस संस्था से जुिे हुए है ।
भारतीय मुजस्लम महहला आंदोलन यह संस्था कुछ सेंटर भी चलाती है । उसमे रोजगार
(Employment), मशक्षण (Education), रोजी रोटी (Livelihood) इस पर चचाच की जाती है । तीन
तलाक और फॅममली लॉ इनके खखलाफ जजती हुई लढाई यह BMMA के मलए बहुत महत्िपूणच चीज है । कोई भी संस्था, जीस स्त्री को तीन तलाक हदया है उस स्त्री तक नही पहुँच सकी , िह BMMA ने करके हदखाया है यह उनका मानना है ।
BMMA को अनेक दस ु री संस्था और उनके विरोधकों के जरीए बहुत बार Uniform Civil Code(UCC) और राजकीय हक इन र्चजो से जोिा गया। कई बार उन्हे िे राजनीनतक पाटी के एजेंट है ऐसा कहा गया। पर उसमे से ही BMMA अपना कायच पुरी लगन और मेहनत के साथ पुरा कर रही है । यही उनके तुफानी सफर का सबूत हो सकता है । BMMA ककसी भी प्रकार से
UCC को समथचन नही करते और इसकी अर्धकृत घोषणा भी उन्होने कक है । BMMA का तीन तलाक बंदी के मलए का कायच बहुत महत्िपूणच है । सुवप्रम कोटच ने हदए हुए तीन तलाक के फैसले के पीछे BMMA का भी योगदान है ।
BMMA के तरफ से माचच 2015 मे मलए गए 4710 महहलाओ के सिेक्षण से बहुत से चीजे समाज के सामने लायी गयी। इस सिेक्षण से उन्होंने पररिार की सालाना आमदनी, बाल वििाह, घरे लू हहंसा, महर इससे संबंर्धत सिालो कक विचारणा की थी।
भारतीय मजु स्लम महहला आंदोलन के खातन ू शेख इनसे की चचाच ननचे हदए हुए मद् ु दे के मत ु ाबबक। तीन तलाक संबंर्धत खातन ू शेख इनका ककताबी ज्ञान और िास्तविकता का अनभ ु ि इसका हमे हमारे संशोधन प्रकिया में बहुत इस्तेमाल हुआ। तीन तलाक संबंर्धत BMMA कक भूममका बहुत हह साफ है । सवु प्रम कोटच के फैसले का उन्होंने स्िागत ककया है । तीन तलाक के खखलाफ लड़ी हुई लड़ाई की यह जीत है ऐसी प्रनतकिया उन्होंने
जाहहर की। तीन तलाक यह मुद्दा मजहब से जुड़ा हुआ होने के िजह से उन्हें बहुत चीजों का सामना करना पड़ा। सामाजजक स्थर से होने िाला विरोध, कुछ मुजस्लम धममचयों से आने िाली नकारात्मक प्रनतकिया, इन प्रनतकियाओ को दे खने का सकारात्मक दृजष्टकोन, घरसे हह होने िाला 71
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विरोध और उसके िजह से र्गरने िाला आत्मविश्िास इससे ननकाला हुआ रास्ता इस सबसे BMMA कक प्रनतभा समझ मे आती है । तीन तलाक बंदी के फैसले के बाद सुप्रीम कोटच ने सरकार को हदया हुआ कानून बनाने का आदे श और सरकार ने बनाए हुए कानून का BMMA समथचन करती है । िे कहती है की इस कानून के जररए मुजस्लम मदच के मन में िर रहे गा और िो तीन
तलाक बोलने से पहले सोचेगा| तीन तलाक दे ने के बाद अगर कानून के अनुसार पनत को जेल में जाना पड़ा तो कफर उसके पत्नी और बच्चों का फैसला कौन उिाएगा? इन जैसे सिाल सामने आते है । अगर एक आदमी अच्छा पनत न हो सका पर िो एक अच्छा वपता जरूर हो सकता है , यह हम नजरअंदाज नही कर सकते। है रान होने िाली बात मतलब सरकार ने बनाए हुए कानून में BMMA को ककसी भी प्रकार के दोष नही हदखाइ हदए। हमने की हुइ चचाच में उन्होंने तीन तलाक और उस संबंर्धत कानून पर ज्यादा बातचीत नही की। खातून शेख इन्होंने महर और मॉिनच ननकाह नामा इस पर ज्यादा भाष्य ककया।
कुल ममला कर BMMA की सवु प्रम कोटच के फैसले के संबंर्धत भमू मका स्िागत करने िाली
है , पर कानन ू संबंर्धत प्रनतकिया उलजन खड़ी करने िाली है ।
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आिाज़-ए-ननसिां हमारे विषय का नाम तीन तलाक़ पर मुजस्लम समाज का नज़ररया(Triple Talaq and Muslim
Society’s Perspective on it)।
इसके मलए हमे काफी कुछ जानने की जरूरत थी जो हमे ज्यादा नही पता था। तो इसके मलए हमे ककसी एक्सपटच या ककसी ऐसी संस्था की जरूरत थी जो हमे पूरी जानकारर दे ता और ये हमे कोई एक्सपटच
या संस्था
ही दे सकता था। हम िहां अपने ग्रुप के साथ गए और िहां हमने
यासमीन शेख जी से बात की, उनके और उनकी संस्था के बारे में और अपने विषय के बारे में चचाच की।
आिाज़-ए-ननलिा का तार्रकफ़(AEN):आिाज़-ए-ननस्िा(AEN) का मतलब औरतो की आिाज़(The voice of women)। आिाज़-ए-ननस्िा (AEN) मंब ु ई शहर में मजु स्लम औरतो के मलए काम करने िाली पहली संस्था या NGO है जो मजु स्लम औरतो के मलए काम करता है और आज मंब ु ई शहर में सभी NGO,s में उपरी स्थर पर माना जाता है ।
आिाज़-ए-ननलिा (AEN) का मक़सद :आिाज़-ए-ननस्िा (AEN) का मक़सद समाज मे मुजस्लम औरतो में महहला संघ (sisterhood) और मदच और औरत में बराबरी(Equality) लाना और साथ ही साथ मजु स्लम औरतो को हहम्मत और बढ़ािा दे कर सामाजजक सध ु ारक(social reformer) बनाकर लड़ककयों और औरतो के मलए एक
सरु क्षक्षत समाज या माहौल बनाना है ताकक िो अपने खद ु के हक़ के मलए लड़ सके और अपने हक़ में बेहतर फैसले ले सके और समाज में आगे बढ़ सके।
1) आिाज़-ए-ननस्िा (AEN) लड़ककयां और औरतें जो पढ़ना चाहती है और पढ़ नही पाती उन्हें प्रोत्साहहत करना है । 2) आिाज़-ए-ननस्िा (AEN) औरतो और लड़ककयों के मलए एक पुस्तकालय खोली है जजसका नाम
Rehnuma Library Center है । जजसमे हर कोई जा सकता है चाहे िो जजस भी उम्र और Background से जुड़ा हो।
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3) आिाज़-ए-ननस्िा (AEN) जजन औरतो का तलाक हो चक ु ा है तो तलाक़ के बाद का उन्हें हक़
हदलाना या जजनका तलाक़ नही हुआ है और िो औरत तलाक लेना चाहती है लेककन उसका शौहर नही दे रहा तो उन्हें समझना और तलाक हदलाना या शौहर और बीिी में ककसी भी बात को लेके झगड़े चल रहे है तो उसे सुलझाना।
आिाज़-ए-ननलिा(AEN) की शर्र ु आत:आिाज़-ए-ननस्िा में यासमीन जी ने हमे बताया कक शहनाज़ शेख ने 1985 में आिाज़-ए-ननस्िा (AEN) की स्थापना की। जजन्होंने 1963 में पहली बार उच्चन्यायालय में तीन तलाक़ के खखलाफ अपील ककया था। शुरआती हदनों में (AEN) की खद ु की ऑकफस नही थी । 1997 में आिाज़-ए-ननस्िा ने सैंड्हस्टच रोि में खद ु की ऑकफस खोली और आज इसके शाखाएं मंब ु ई के बहुत से इलाको में है । आिाज़-ए-ननस्िा को औरतो के मलए काम करते हुए 34 साल हो गए है ।
महर के बारे में जानकारी :- आिाज़-ए-ननस्िा में यासमीन जी ने हमसे पूछा कक महर क्या है और ये शादी में दे ना क्यों जरूरी है ?
तो हमने बताया कक महर शादी के िक़्त शौहर अपनी होने िाली बीिी को दे ता है अपनी है मसयत के हहसाब से, जजसका इस्तेमाल लड़की अपने बुरे हालातो में कर सकती है और ये ककसी भी शक्ल में हो सकती पैसा, सोना या प्रॉपटी।
यासमीन जी ने हमसे पूछा की आप लोगो के हहसाब से महर ककसमे होनी चाहहए ?? लगभग हम सब ने पैसा बोला था हमे लगा था कक पैसे की अहममयत ज्यादा होती है । तो उसपर उन्होंने हमसे एक सिाल और पूछा कक अगर पैसा तो ककतना पैसा क्योंकक पैसे की क़ीमत तो कम होती जाती है ??
हमारे पास इसका जिाब नही था क्योंकक हमारे ग्रप ु में कम लोगो को महर के बारे में परू ी जानकारी थी। और हमे सही से नही पता था कक ककतना होना चाहहए क्योंकक हम अलग अलग
राज्यों से थे तो सब का अलग कल्चर था ककसी के राज्यों में 5000 ककसी के एररया में 10000 या 50000 इससे ज्यादा नही लड़के िालों की है मसयत के हहसाब से। हमारे ग्रप ु के एक मेम्बर ने बताया कक उनके गांि महर में सोना दे ने की परम्परा है जो एक तोला सोना या उससे ज्यादा है । उसकी है मसयत के हहसाब से।
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इसपर यासमीन जी ने बताया कक सोना बंधिाना ज्यादा सही होता है क्योंकक पैसे की कीमत साल या कुछ सालों में कम हो जाती है लेककन सोने की कीमत हर एक साल बढ़ती है कम नही होती है ।
महर के तरीके:- आिाज़-ए-ननस्िा में हमे बताया कक महर तीन तरीके की होती है । 1) फौरन दे दो। 2) उिार रखो। 3) जब औरत मांगे। 1) फौरन दे दो:- इस तरीके में ननकाह के दौरान या ननकाह के तरु ं त बाद महर लड़की को दे दी जाती है उसकी अमानत उसे सौंप दी जाती है ।
2) उिार रखो:- इस तरीके में ननकाह के िक़्त महर उधार रख सकते हो जैसे कक (ननकाह के िक़्त तुम्हारे पास उतने पैसे नही है जजतना महर बांधी गई है ) और बाद में धीरे -धीरे करके अपनी बीिी को परू ी महर दे दो।
3) जब औरत मांगे तब:- इस तरीके में जब लड़की चाहे तब महर ले सकती है जैसे कक ( ननकाह के दौरान उसका महर लेने का इरादा नही है तो िो बाद में भी ले सकती है )।
सशया मसलक में तलाक:- आिाज़-ए-ननस्िा में यासमीन जी ने हमे बताया कक मशया मसलक में तीन तलाक़ हैं ही नहीं यानी कक शौहर अपनी बीिी को सीधा ऐसे नहीं बोल सकता कक िो
अपनी बीिी को तलाक़ दे रहा हैं इसके मलए उनमें अलग तरीका है जैसे ननकाह के िक़्त दोनो तरफ से गिाह और ननकाह नामें में सब मलख कर होता हैं िैसे ही मशया मसलक में तलाक के िक़्त भी सारे तरीके ककये जाते हैं। यानी कक मशया मसलक में बोल कर तलाक़ होता ही नहीं और हमें इस के बारे में नहीं मालूम था।ये सब हमें आिाज़-ए-ननस्िा(AEN) यासमीन जी ने बताया ।
इललाम मे औरतो को तलाक के हक़ :आिाज़-ए- ननस्िा (AEN) यासमीन जी ने बताया कक इस्लाम ने तलाक़ औरतों को क्या क्या हुक़ूक़ हदए हैं। उन्होंने बताया कक खल ु ा के अलािा फसख -ए-ननकाह और तलाक-ए-तफिीज़ इन तारीखों से भी बीिी अपने शौहर ले सकती हैं । फस्ख -ए -ननकाह और तलाक-ए-तफिीज़ इन दोनों तरीके
के बारे में हमारे परू े ग्रप को भी नही मालम ु ू था । और ये हमे यासमीन जी ने बताया और
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हमने उनसे कहा कक इस्लाम में औरतों को ऐसे हक़ भी हदए हैं जो हमें नही पता था। तो कफर उन्होंने कहा कक इन तरीकों के बारे में मुजस्लम समाज में 90 या 95 % लोगों को नहीं मालूम है । इस्लाममक विद्िान ् या मौलाना इसके बारे में बहुत ही कम बताते हैं।
तलाक-ए-तफिीज़ :इस तरीके में ललड़की ननकाह के िक़्त ही शतच रख कर ननकाहनामे पर मलखिा सकती है कक शादी के बाद अगर लड़का उसकी जरूरतों पर पूरा नही उतर या िो उसके काबबल नही है तो िो
लड़की तलाक़ ले सकती है (क्योंकक ऐसा होता है कक लड़के में कमी या गलत होने पर भी िो लोग तलाक़ नही दे ते है ) तो ऐसी हालातो में िो इस तरीके से तलाक़ ले सकती है ।
फसख-ए-ननकाह :फसख-ए-ननक़ाह का मतलब ननकाह को तोड़ना (शरीयत कोटच के क़ाज़ी के जररये ननकाह को तोड़ना)। इस तरीके में लड़की को उसके ससुराल में कुछ हदक्कत है , िो नही रहना चाहती है और उसका शौहर उसे तलाक़ नही दे रहा या उसका शौहर कई सालों से लापता है , उसके बारे में
कुछ भी खबर नही तो इन सूरतो में िो लड़की शररयत कोटच जा सकती है और िह क़ाज़ी से मदद ले सकती है लेककन इन सब के मलए उसके कोई िीक िजह होनी ऐसा लगता हे की औरत अपने ररश्ते
में नहीं रह सकती तब
चाहहए। अगर सचमे
क़ाज़ी दोनो का ननकाह तोड़ दे ता
हे ।
सप्र ु ीम कोटक का तीन तलाक़ पर फैसला :तीन तलाक़ पर सप्र ु ीम कोटच के फैसले से आिाज़-ए-ननस्िा (AEN) खश ु है और उसे मानता भी है
आिाज़-ए-ननस्िा का कहना कक सुप्रीम कोटच ने जो फैसला सुनाया है िो बहुत ही सही फैसला है ये कानून बहुत पहले आना चाहहए था लेककन अब आया है तो भी सही है इससे बहुत सी लड़ककयों की जज़न्दगी बबाचद होने से बच जाएगी। एक झटके में तीन तलाक़ की िजह से लड़ककयों की जज़ंदर्गयां बबाचद हो जाती है । तो सुप्रीम कोटच के फैसले लोग िरें गे और ये तलाक़ नही नही दें गे। ऐसा आिाज़ ए ननस्िा का मानना है । आिाज़-ए-ननस्िा सुप्रीम कोटच के फैसले का स्िागत करता है लेककन बबल (तीन तलाक़ दे ने िालो को तीन साल की सज़ा) के खखलाफ है
उनक कहना है कक सज़ा थोड़ी कम होनी चाहहए तीन साल बहुत ज्यादा है और इसे किममनल लॉ में नही मसविल लॉ के तहत रखना चाहहये।
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#आिाज़ ए ननस्िा से चचाच करके हमारे ग्रुप को बहुत सी जानकारर ममली जो हमे पहले नही मालूम थी और हमे पता चला कक िो औरतो के मलए कैसे काम करता है उन्हें उनका हक हदलाता है ।
उनके पास तीन तलाक़शुदा कुछ औरतो के केसेस थे उसके बारे में भी बताया कक कैसे उनके
मसले को हल ककया।और हमे एक तीन तलाक़शुदा महहला से बात करने का मौका भी हदया जो
हमारे ररसचच के मलए काफी महत्िपूणच रहा। उससे हमे काफी कुछ जानने ममला की एक तलाक़शुदा औरत को काफी कुछ परे शाननयां झेलनी पड़ती है ।
आिाज़-ए-ननस्िा से बात करके हमे हमारे ररसचच में काफी मदद ममली।
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रस्ज़या पटे ल
मुजस्लम समाज के आम लोगो के सिेक्षण द्िारा हमे उनकी राय मालूम हुई। हर समाज और कम्युननटी में लोगो की राय उनके तबके और प्रोफेशन के हहसाब से अलग अलग होती है , उनकी सोच विचार अलग होते है , इसमलए हमने 413 मुजस्लम लोगों का सिे करने के साथ साथ हमने
सोचा कक इस मुद्दे को लेकर एक्सपर्टचस से भी बातचीत करनी चाहहए इसमलए हमने रजज़या पटे ल जी से तीन तलाक़ इस विषय पर बातचीत की ।
रजज़या पटे ल जी मुजस्लम धमीय समाजजक कायचकताच हैं। जो मुजस्लम समाज के मलए मुजस्लम कम्युननटी में मशक्षा, औरतों की परे शानी, गरीबी और उनमे मशक्षा इतनी कम क्यों है इस तरह के सभी मुद्दों पर समग्र रहकर काम करती हैं ।
हमने उनसे तीन तलाक़ के मुद्दे से जुड़ी बात की। बातचीत के दौरान रजज़या पटे ल ने कहा
कक ऑल इंडिया मुजस्लम पसचनल लॉ बोिच(AIMPLB) मुसलमानों को ररप्रेजेंट करने के मलए नहीं
हैं िह भी एक संस्था की तरह ही है । उनका कहना है की ऑल इंडिया मुमलम पसचनल लॉ बोिच ने सुप्रीम कोटच के फैसले का स्िागत ककया है और तीन तलाक़ दे ने के ऊपर तीन साल की सजा इस बबल का विरोध ककया है । लेककन उन्होंने रै ली में बबल की बात ही नही की रै ली में उनका
नारा था " शरीयत बचाओ " इसके बदले िो बबल में सध ु ार लाने की बात कर सकते थे उनकी रै ली में हज़ारों महहलाएँ थी िे बबल में सध ु ार लाने की बात कर सकते थे । 78
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रजज़या पटे ल जी कहती हैं कक अगर सुप्रीम कोटच के फैसले के बाद भी तीन तलाक़ के केस
सामने आ रहे हैं तो इसका मतलब यह है कक इसमे सरकार कक कही न कही खामी नज़र आती है । रजज़या पटे ल जी का कहना है कक इस केस को DOMESTIC VIOLENCE ACT के तहत सुलझाना चहहए। रजज़या पटे ल जी के हहसाब से बबल को किमीनलाइज करने की ज़रूरत नही
थी। नॉन मुजस्लम्स के कानून तो किममनलाइज नही ककए है तो यहाँ पर किमीनलाइज करने की
क्या िजह है । सजा के बदले आपसी समझौता और बातचीत के मलए स्पेस होना चाहहए। िो कहती हैं कक भारतीय समाज में बहुत सी औरतों को उनके पनत ने ऐसे ही छोड़ हदया हैं इसमलए सभी औरतों के मलए कुछ करना चाहहए।
रजज़या पटे ल जी सुप्रीम कोटच के फैसले का स्िागत करती हैं लेककन तीन तलाक़ के बबल
का विरोध करती हैं उनके हहसाब से तीन साल की सजा गलत है इससे औरत का क्या फायदा
होगा, उसका खचच कहा से आएगा। रजज़या पटे ल जी ने बबल का विरोध करते हुए कहा कक इस बबल का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है । हो सकता है कोई बदला लेने के मलए उस इंसान के मोबाइल से उसकी बीिी को तलाक दे । इस तरह में असल मे तो शौहर ने तलाक दी ही नही ककसी और ने उसके फोन से दी। लेककन इस बबल के हहसाब से तो उस बेगन ु ाह को सजा हो जाएगी िो भी Non-Bailable इससे उसका परू ा पररिार परे शानी में आ जाएगा ।
रजज़या पटे ल जी कहती हैं कक तलाक ए बबद्दत का प्रमान बहुत ही कम है लेककन दे श कक ककसी एक औरत के साथ भी ऐसे होता है तो उसे न्याय ममलना चहहये और उसके मलए कानन ू िीक बनाने पड़ेंगे या कफर शरीयत के हहसाब से तलाक़ के और सही तरीकों को लाना चाहहए। िे कहती हैं कक सरकार इस मुद्दे को लेकर कॉउं समलंग सेशंस भी कर सकते थे। रजज़या पटे ल जी कहती हैं कक जजन्हें फैममली या धमच के हहसाब से शादी नही करनी है तो िे
SPECIAL MARRIAGE ACT के तहत शादी कर सकते हैं जजसमे औरतों के सभी हक़ होते हैं। उनका कहना हैं कक मुजस्लम समाज के लोगो में जागरूकता कम है । उनमें जागरूकता तब आएगी जब सरकार उनके बीच जाकर साक्षरता और गरीबी पर काम करे गी। उनके सुख दख ु में
काम आएगी| उनके बच्चों के मलए आज समाज मे दो घंटे दे ने िाला कोई नही है | इन सब लेिल पर काम करना चाहहए तभी िे विश्िास कर पाएंगे। लेककन अगर सरकार ने आजतक उनके मलए
कुछ नही ककया, उनके सुख दख ु में काम नही आइ और अचानक से औरतों को हक़ हदलाने की बात कर रही है , तो इससे उनमे क्या विश्िास होगा? उनमे केिल िर होगा की उन्हें टारगेट तो
नहीं ककया जा रहा है उनके शौहर को ही जेल में िाल दें गे तो उससे उस औरत का क्या फायदा होगा। इसका तो मतलब मसफच यही होता है की शौहर ने तलाक दी तो बदला लेने के मलए उसे सजा होगी क्योंकक इससे औरत को कोई समथचन तो नही ममल रहा है । किुआ केस में AIMPLB ने कुछ नही ककया। अगर ईन सब मुद्दों की आड़ में हहन्द ू मुजस्लम पॉमलहटक्स खेलेंगे तो इसका तो गलत असर होगा कक ये दे श विराधी हैं दे श का कानून नही मानते, इसमलए अगर औरतो के 79
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मलए कुछ ककया जाता है तो उस लेिल पर ही करना चाहहए। िे कहती हैं कक बाकी दे शों में
तलाक ए बबद्दत बैन है लेककन हमारे दे श में अब तक नही क्योंकक यहां पर पूरी राजनीनत हैं। रजजया पटे ल से ममलकर हमने यह जाना की असल में सरकार को मसफच तीन तलाक़ ही नहीं बजल्क और भी दस ू रे मुद्दों पर अपना रुख मोड़ना चाहहए और अगर सरकार सचमें औरतों के हकों के मलए काम करना चाहती हे तो उन्हें सभी धमों के औरतों के बारे में सोचना चाहहए।
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राम पनु नयानी
मुजस्लम समाज के आम लोगो के सिेक्षणे द्िारा हमे उनकी राय मालूम हुई और क्योंकक समाज में लोगो की राय उनके तबके और प्रोफेशन के हहसाब से अलग अलग होती उनकी सोच विचार अलग होते है इसमलए 413 मुजस्लम औरत और मदच का सिे करने के साथ साथ हमने सोचा
कक इस मुद्दे को लेकर एक्सपर्टचस से भी बातचीत करनी चाहहए इसमलए हमने राम पुननयानी जी से बातचीत की।
हम कुछ ऐसे सिालों का जिाब उनसे जानना चाहते थे जो अभी तक हमे नही ममल पाए थे।
राम पनु नयानी इंडियन इंजस्टर्टयूट ऑफ़ टे क्नोलॉजी(IIT) मंब ु ई के साथ संबंर्धत बायोमेडिकल इंजीननयररंग के एक पि ू च प्रोफ़ैसर और पि ू च सीननयर मेडिकल अफ़सर है । उन्होंने 1973 में अपना मेडिकल कररयर शरू ु ककया और 1977 से शरू ु करके 27 साल के मलए विमभन्न सामर्थयच में
आईआईटी की सेिा की। 2004 में उन्होंने भारत में सांप्रदानयक सद्भािना के मलए पण च ामलक ू क
कायच करने की इच्छा के साथ सेिा से मुजक्त ले ली। िह मानिार्धकारों के मलए सरगममचयों, 81
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सांप्रदानयक सद्भािना और भारत में बढ़ रहे कर्टटरिाद का विरोध करने के मलए पहलक़दममयों में जुटे हुए है । राम पनु नयानी जी से जब हमने अपने विषय के बारे में बात चीत की हमें पता चलता है की
िे सप्र ु ीम कोटच के फैसले का स्िागत करते हैं ककंतु उनका यह भी सिाल था कक क्या सचमे
मजु स्लम समाज मे तीन तलाक़ की यह सवु िधा होने के कारण इस क़ौम में तलाक का प्रमाण
ज़्यादा हदखता है इसके मलए उन्होंने कहा कक जबसे ये तलाक़ बन हुआ है तब से अबतक के टाइम गैप में यह दे खना होगा कक इस टाइम पीररयि में बाकी धमो मे ककतने तलाक़ के केस हुए तो इससे हमें पता चलेगा कक क्या हट्रपल तलाक़ की िजह से इस कम्युननटी में तलाक का प्रमाण ज़्यादा है जजस के कारण तलाक ज्याद होता है हम इसकी तुलना कर सकते हैं हहंद ू धमच और दस ू रे धमों से हो रहे तलाक की संख्या और उसी िक्त में मुजस्लम समाज में तलाक से।
इतना ही नहीं तलाक के बाद औरत का क्या होता है उसे भी दस ू रे धमच से तुलना करनी चाहहए
और ककतने लोग मसविल कोटच से तलाक लेते हैं या ऐसे ही छोड़ दे ते हैं उन की संख्या क्या है । अगर यह सब हमें मुजस्लम समाज में ज्यादा हदखाई दे ता है तो हम कह सकते हैं कक लोग तीन
तलाक का फायदा उिा रहे या यह कहा जा सकता है कक मुजस्लम मदच अपनी औरतों पर अत्याचार करते हैं
राम पुननयानी जी से बात करने पर पता चला कक उनके नजदीक तीन
तलाक पर आया सुप्रीम कोटच का फैसला बबल्कुल सही है क्योंकक यह तलाक जो तलाक- ए-
बबद्दत कहलाती है कुरआन शरीफ में भी नहीं है और कई मुजस्लम दे शों में भी बंद है । लेककन साथ ही तीन साल की सजा के बारे में उनका कहना था कक यह बबल्कुल गलत काम इसमें
मुजस्लम महहला की भलाई नहीं राजनीनत नज़र आती है ।। हमारे सिे के दौरान काफी सारे लोग ऐसे ममले जो सुप्रीम कोटच के फैसले से नाखश ु थे या यूं कहें कक उनके मन कोई खझझक या िर था। राम पुननयानी जी ने इस िर का कारण स्िाभाविक बताया उनका कहना था कक हर दे श में
अल्पसंख्या(Minority) के मन में इस तरह का िर होता है िह भी ऐसे माहौल में जब मुजफ्फरनगर और गुजरात जैसे दं गे हुए हो। उनका कहना था कक उन्हें (Minority) को ऐसा महसूस होने लगता है कक उन्हें दबाया जा रहा है और कोई कानून लाया जा रहा है | तो उन पर ननशाना साधा जा रहा है | और यही िर िजह बनती है बंधन की जो औरत मान लेती है |
राम पुननयानी जी का मानना है कक दे श में कई धमच के मानने िाले लोग रहते हैं तो ऐसा
कानन ू जो सब धमो के लोगों पर लागू हो उसकी बजाए एक ऐसे कानन ू की जरूरत है जो लैंर्गक न्याय (Gender justice law) पर आधाररत हो l उन्होंने तीन तलाक को लेकर मजु स्लम
समाज में जागरूकता के विषय में कहा कक कई ऐसे मजु स्लम विद्िान जैसे "जककया सोमन" और "असगर अली इंजीननयर" जो तीन तलाक को नहीं मानते उनके बारे में बताया जा सकता है ।
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इस तरह हमने एक ऐसे विद्िान से बात की जो भले ही मुजस्लम नहीं थे लेककन बरसों से
उनका इस समाज में और संप्रदायक शांनत(Communal Harmony) को लेकर महत्िपूणच योगदान रहा है |
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मजमलस लॉ
हमने अपना काफी िक़्त ये सोचने में बबताया कक ररसचच के मलए कौनसा विषय का चयन करे और
हमारी
काफी
चचाच और
बातचीत के
बाद
आखखर हमने
तीन
तलाक़
यह
विषय ननजश्चत ककया जो उस िक़्त और अभी भी मीडिया , न्यूज़, धाममचक, सामाजजक और राजनीनतक मुद्दों में मुख्य ककरदार ननभा रहा है । हम बेबाक कलेजक्टि की एक मीहटंग में गए
थे । िही पर हमारी मुलाकात मजमलस की एक सदस्य से हुई जजसने हमसे काफी अच्छे से बात की और मजमलस ऑकफस आने के मलए आमंत्रीत ककया। मजमलस संस्था की स्थापना 1991 में एििोकेट (िकील) फ्लेविया एग्नेस ने कक। ये संस्था सभी औरतों के हकों के मलए काम करती है । एििोकेट फ्लेविया एग्नेस ने इस संस्था को स्थावपत ककया ताकी सभी औरतो को कानन ू ी तौर पर मदद और इंसाफ के द्िारा औरतो को सशक्त कर सके। फ्लेविया एग्नेस की बेटी एििोकेट ऑड्रे िी मेल्लो इस संस्था की िायरे क्टर है जो इस
संस्था के मलए काम कर रही है और मजमलस को आगे चला रही है । जब हम एििोकेट ऑड्रे िी मेल्लो से ममले और बातचीत शरू ु की तो सबसे पहले उन्होंने हम सब से एक सिाल पछ ु ा की
हम सब में से ककतनो ने तीन तलाक़ होते हुए दे खा है या हम में से ककतनो के पररिार में तीन 84
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तलाक़ हुआ है । हम सब मे से सभी ने कहा कक नही, हमने ककसी का तीन तलाक़ होते हुए नही दे खा है , ना ही हमारे पररिार में ककसी का तलाक हुआ है । हमारे ग्रुप में बर में से दो के पररिार में हुआ था लेककन कोटच के जररये। तब उन्होंने साफ़ साफ़ हमसे ये कहा कक जब तुम में से ककसी ने तीन तलाक़ कभी होते हुए नही दे खा और ना ही तुम्हारे पररिार में ककसी का हुआ है तो तीन तलाक़ क्या सचमे एक बड़ी तादाद पर होने िाली समस्या है ? यहाँ तक के मजमलस के पास भी आज तक कोई तीन तलाक़ का केस नही आया । तो इससे ये बात तो साफ़ है कक तीन तलाक़ ये एक ऐसा मुद्दा है जजस पर ध्यान दे ना ज़रूरी है लेककन सामाजजक सुधार से ही इसका कुछ हल ननकल सकता है | उन्होंने यह भी बताया की दस ु रे कुछ अहम ् मुद्दे जो मुजस्लम समाज से जुड़े हुए है उनपर न ध्यान दे ते हुए तीन तलाक़ को मुद्दा बनाया जा रहा है । ऑड्रे जी ने हमे तीन तलाक़ का पूरा इनतहास बताया कक इसकी आखखर बुनयादी जड़ क्या है ।
तीन तलाक़ के खखलाफ पहली आिाज़ शाह बानो की सुनी गई जब उनके शौहर ने उन्हें तीन
तलाक़ दी थी| उन्होंने पहली बार सिोच्च न्यायालय का दरिाजा अपने हक़ के मलए खटखटाया। इसके बाद सिोच्च न्यायालय ने ये तय ककया कक तलाक़ के बाद औरत अपने रहन-सहन, खानेपीने इन सब चीज़ो का दािा कर सकती है और 2002 में एक और औरत (शमीम आरा) ने इलाहाबाद उच्चन्यायालय में अपील कक। इलाहाबाद उच्चन्यायालय ने शमीम आरा केस की दलीले सुनी और यह फैसला सुनाया कक तलाक़-ए-बबद्दत गलत है और यह सुझाि हदया की कुरआन में जो सही तरीके हदए गए है उस तरीको से तलाक दी जाए। उसके कई सालों बाद 2016 में
शायरा बानो ने सुप्रीम कोटच में केस दायर की और उसे भी बहुत से संस्था और एजक्टविस्ट के ज़ररये इस प्रथा को बंद करने के मलए मदद ममली। काशीपुर के हे मपुर ननिासी शायरा बानो की शादी 2002 में इलाहाबाद के प्रॉपटी िीलर ररजिान
के साथ हुई थी। शायरा ने बताया कक ससुराल िाले एक कार की मांग करने लगे। िे शायरा के मायके िालों से चार-पांच लाख रुपये कैश की डिमांि करने लगे। शायरा के मायके िालों की आर्थचक हालत ऐसी नहीं थी कक यह मांग पूरी कर सकें। जब शायरा को तलाक हदया गया तब उनको दो छोटे बच्चे थे। 13 साल का बेटा और 11 साल की बेटी।
शायरा का आरोप है कक शादी के बाद उसे हर हदन वपटा जाता था। ररजिान जो उनके शौहर थे हर हदन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता था। अप्रैल 2015 में शायरा को उसके ससरु ाली मरु ादाबाद रे लिे स्टे शन छोड़कर चले गए थे। शायरा के घरिाले उसे मरु ादाबाद रे लिे स्टे शन से काशीपरु ले आए। शायरा ने बताया कक जब िह काशीपरु आ गई, तो मझ ु े लौट आने को कहा जाने लगा। अक्टूबर में ररजिान ने शायरा को
टे लीग्राम के जररए तलाकनामा भेज हदया। शायरा एक मफ् ु ती के पास गई तो उन्होंने कहा कक टे लीग्राम से भेजा गया तलाक जायज है ।
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और उनके दोनो बच्चे भी उनके शौहर के पास थे और इन्ही सब िजहों ने शायरा बानो को अपने
शौहर के
खखलाफ
संस्था जैसे BMMA और राजनीनतक
केस
दजच करने
पाहटच याँ
पर
जैसे BJP ने
मज़बूर
समथचन ककया
ककया। बहुत से इसे और शायरा
बानो केस जीत गई जजसमे सिोच्च न्यायालय ने ये फैसला सुनाया की ये तलाक़ गलत है अगर कोई तीन तलाक़ दे गा उसे माना नही जाएगा.
एििोकेट ऑड्रे िी मेल्लो ने यह भी बताया कक जब शायरा बानु को दहे ज के नाम पर सताया जा रहा था तब िह Domestic violence act 2005 के ज़ररये पुमलस में मशकायत कर सकती थी मगर िह इस हहंसा को सहते रही।
उनके मुताबबक The Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 से महहला पर
होती हहंसा को रोका जा सकता है । िह इस एक्ट की प्रशंसा करती है ,और िह चाहती है कक महहलाएं इस कानून का उपयोग करे और अपने आप को हहंसा से बचाये।
एििोकेट ऑड्रे िी मेल्लो सप्र ु ीम कोटच के फैसले का स्िागत करती है मगर िो सरकार द्िारा लाए
जा रहे तीन तलाक के बबल का विरोध करती है . िह कहती हे की जब सप्र ु ीम कोटच के फैसले के
अनस ु ार तीन तलाक होगा ही नहीं तो सजा ककस बात की दी जाएगी. उन्होंने कहा की सरकार का इस बबल को लेकर कोई साफ़ उद्दे श नहीं हे . िे ये सिाल उिती है की जब शौहर जेल में
चला जायेगा तो औरत और उसके बच्चों का ख़याल कोन रखेगा? बबल में तो यह प्रािधान है की तीन तलाक पीडड़त महहलाओं को मआ ु िजा ममलेगा लेककन क्या सरकार उनको मआ ु िजा
दे गी? या िो शौहर से अपेक्षा करते हे की िो बीिी को पैसे दे ? जब शौहर जेल में होगा तो िो अपने बीिी को मुआिजा कैसे दे गा? जेल से आने के बाद क्या िो अपने बीिी पर अत्याचार
करना बंद करे गा? ऑड्रे मैम ने इस मुद्दे से जुड़े कई सिाल उिाये जो सरकार अनदे खा कर रही
है . िो कहती है की सरकार को मसफच तीन तलाक के मुद्दे के ऊपर कानून न लाते हुए सभी औरतें जजन पर अत्याचार होता है उन सब का विचार करके एक कानून लाना चाहहए. हमसे बात करते िक़्त उन्होंने यूननफामच मसविल कोि(UCC) का भी उल्लेख ककया. िह
बताती है की सरकार का उद्दे श UCC को लागु करना है . तीन तलाक के ऊपर बबल लाकर िो
यही उद्दे श परू ा करना चाहती है . उन्होंने कहा की यह एक ऐसा मद् ु दा है जजसपर सरकार को राजनीती न करके महहलाओं के हकों के मलए कुछ िोस कदम उिाने चाहहए.
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मजमलस लॉ
ने 15 माचच को Women 's Day की रै ली आयोजजत की थी जो WE ACTION
GROUP से संबंर्धत थी। ये रै ली औरतों
को सशक्त करने के मलए थी
ताकक िे समाज में
आगे बढ़ सके और अपने हक़ के मलए खुद लड़ सके। इस रै ली में आने के मलए मजमलस ने हमे
आमंबत्रत ककया क्योंकक हमारा ररसचच औरतों के हकों से जुड़ा हुआ है । हमने अपने पूरे ग्रुप के साथ इस रै ली में हहस्सा मलया। ये रै ली मजमलस लॉ की ऑकफस से लेकर कमलना माककचट तक आयोजजत की गई थी। इस रै ली में ऐसे बहुत से से नारे थे जो एक औरत को समाज में आगे बढ़ने के मलए और अपने हक़ो के बारे में लड़ने के मलए उत्साहहत और सशक्त करने िाले थे। रै ली के ख़त्म होने पर मेलो
ने औरतों
मजमलस लॉ की
फाउं िर फ्लेविया एग्नेस और उनकी बेटी ऑड्रे िी '
के हक और उनके सशजक्तकरण के बारे बात की। आखखर में एड्िोकेट ऑड्रे िी
' मेलो ने हमारे ग्रुप को हमारे ररसचच के मलए शुभकामनाएं दी।
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तलाक़शुदा औरत से बातचीत नाम :- फानतमा शेख (नाम बदल हदया गया है ) मशक्षण :- १२ िी उम्र :- २५
शादी के िक्त उम्र :- १६ क्या आपकी शादी में आपकी रजामंदी ली गयी थी क्या?
--
नहीं।
शादी के बाद और तलाक से पहले की स्ज़ंदगी के बारे में थोड़ा बताये? --
मेरी दो शादी हो गयी है । पहली शादी के िक्त मुझे पूछा नही था। शादी होने के बाद मेरा
पनत बराबर से रहता नही था।
ना मुझे दे खता था ना मेरी बच्ची को दे खता था। कफर िो मुझे छोड़ के भाग गया था। कफर उसने मुझे तलाक दे हदया। फोन पर ही बोला था कक में तुम्हे छोड़ दं ग ू ा। कफर िो आया और
सामने से बोला के में नही संभाल सकता हूँ। में तुमको छोड़ रहा हूँ और कफर िो छोड़ के चला गया। और तबसे में मेरे माँ- बाप के घर पर थी। मेरे माँ- बाप भी मझ ु े नही संभालते थे। क्योंकक मेरी की मेरी एक बच्ची है तो मेरे माँ- बाप से भी नही होता था। क्योंकक मेरी चार बहने है और एक भाई है । मेरी दस ू री शादी हो गयी थी। मेरे माँ- बाप भी रख नही रहे थे। पहली शादी भी ऐसे
ही कराके हदए थे। और दस ू री होने के बाद भी मुझे नही रख रहे थे। मेरी बच्ची को दे खते थे पर मझ ु े नही दे खते थे।
ककतने सालों तक आपकी िो स्ज़ंदगी र्ली?
-- पाँच से छे साल तक चली। उसके बाद मेने दस ू री शादी कक। िो भी मेरे घर िालों ने प्रेशर (Pressure) ककया कक तम ु दस ू री शादी करो और यहा से जाओ। तो मैने दस ू री शादी करी। और
दस ू री शादी कक तो िो अब मुझसे तलाक मांग रहा है । मैने पुमलस स्टे शन में कंप्लेंट
(Complaint) करी। कफर महहला मंिल में कंप्लेंट (Complaint) िाली। में दो महीने तक तो बहुत परे शान थी। मेरा आदमी मेरे साथ नही रहना चाहता था। िो मुझे छोड़ना चाहता था। िो बोलता था तुम खल ु ानामा लो में तलाक नही दं ग ू ा। अब जो कानून बना है इसमलए िो मुझे प्रेशर (Pressure) कर रहा है कक तुम खल ु ा लो। इधर महहला मंिल में आया था और यहाँ उसने बोला
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भी में नही रहना चाहता हूँ। मै रहना ही नही चाहता हूँ। क्योंकक कक िो भी पहले से शादी शुदा है । उसने मुझसे दस ू री शादी कक और उसने मुझसे झूि बोलके शादी कक। मुझे बोला मेरी बीिी चली गयी। मेरी बीिी नही है । तो महहला मंिल के लोगों ने उससे बात कक और बोले कक तुम्हें इसे रखना पड़ेगा।
अभी आप उनके साथ रहते हो?
-- अभी तो यहा केस िाले हुए २०-२५ हदन हुए है । दो महीने के बाद आकर रहने कक बात ककए है । के मेरे साथ रहें गें, नही छोड़ेंगे। मझ ु े यहाँ से सपोटच (Support) बहुत ज़्यादा ममला है (महहला मंिल से)।
तलाक दे ने कक िज़ह क्या थी?
-- िो तो बोलते थे में काम हह नही करता हूँ। मेरे से नही होता। घर का भाड़ा नही भर सकता। काम बहुत करते थे िो लेककन मुझे छोड़ने के मलए बहाने बना रहे थे। तलाक़ होने के बाद मदद के सलए कहा गए?
-- अम्मी के िहा इद्दत का िक्त गुजारा। मदद के मलए भारतीय मुजस्लम महहला आंदोलन(BMMA) में आयी थी (दस ू रे पनत के िक्त)।
तलाक़ के बाद आपको खर्ाक ककतना समला और कबतक समला (कब समला) ?
-- खचाच नही उिाया था। इद्दत का पैसा भी नही हदया। मेहेर कक रकम समली थी क्या?
-- हाँ। िो पहले िाले ने दी थी|
अब आपका और आपके बच्र्ो का खर्ाक कौन उिा रहा है ?
-- में ही काम करती हूँ। मेरे दस ू रे पनत भी मुझे एक पैसा नही दे ते। में काम करती हूँ। १२ िी तक पढ़ी हूँ। में ऑिचर (Order) करती हूँ। अभी भी आगे पढ़ रही हूँ। मेरी बच्ची को अभी खद ु हह संभाल रही हूँ। ना मझ ु े मेरे माँ- बाप एक रुपया दे ते है । ना मेरा पनत एक रुपया दे ता है । में कमाती हूँ। उसमे हम दोनों का (खद ु का और बच्ची का) खचाच हो जाता है ।
सुप्रीम कोटक ने तीन तलाक को गैर कानूनी बताया है तो इसके बारे मैं आपकी क्या राय है ? -- बहुत अच्छा है । उसकी िजह से यह मैं बैिी हूँ। नही तो अब तक मेरा आदमी मुझे छोड़ के चला गया होता।
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सरकार तीन तलाक दे ने िालों को तीन साल कक सजा दे ने के सलए कानून बना रही है । तो
इसके बारे में आपकी क्या राय है ? और यह कानून ककस तरह मदद कर सकता है ?
-- तीन साल कक सजा तो नही। सजा थोड़ी कम होनी चाहहए। अगर पनत तीन साल कक सजा करके िापस आते है तो िो हमारे साथ रहें गे हह नही। िो हमको भी छोड़ दें गे और बच्चो को भी नही दे खेंगे। िो लोग (पनत) तो बताएंगे कक मैं तो अभी दस ू री (शादी) करके बताऊंगा हह तीसरी करके बताऊंगा। क्योंकक तूने मेरे साथ ऐसा करी।
आपके टहसाब से तीन तलाक दे ने िालो के उपर ककस तरह का कानून बनना र्ाटहए?
-- सजा ममले उनको। लेककन ऐसी सजा कक उनको समझ में आए कक बीिी का क्या दजाच है । औरतो को जो चीज़ समझते है िैसा उन्हें उस तरीके बारे में पता चलना चाहहए। ◆ यहाँ पर उन्होंने थोड़ा उनकी दस ू री शादी और पनत के बारे मैं बताया।
-- दस ू री शादी में हम लोंग का लि मॅरेज (Love Marriage) हुआ। मेरे पनत ने मेरे से प्यार करके शादी ककए। छह महीना तक हमारा अफेयर (Affair) था। चार महीना हमारे शादी को हुआ। अब उस इन्सान का हदल भर गया। अब िो इन्सान प्यार भी भूल गया। अब उसको मैं भी नही चाहहए हूँ। अब उसको तीसरी ममली तो तीसरी चौथी ममले तो चौथी। तो उसमें में क्यूँ मेरा बमलदान दँ ।ू
तलाक होने के बाद आपको को दे खने का लोगों का नजररया कैसा था?
-- में अच्छे कपिे नही पहन सकती। में बंगड़ी नही पहन सकती। मैं कुछ नही कर सकती। ( यह कहते कहते िे रोने लगी)। आज भी मैं दस ू री शादी कक हूँ तो सब मझ ु े हह बोलते हैं। कक तेरे में हह खराबी होगी। अगर मेने थोिासा अच्छा कपड़ा पहन ली। तो बोलते है ये लड़की कहा जा रही है । मै काम को जाती हूँ तब बच्ची को लेकर दरू दरू तक जाती हूँ। घर िाले भी बहुत ताने मारते हैं। माँ- बाप भी बोलते हैं तेरे नसीब में हह ऐसा था। तेरे ऊपर खचाच करके भी हमारा कुछ
मतलब नहीं हुआ। मेरी शादी कराएं सोलह साल कक उम्र मैं। मेरे से कुछ पूछे भी नही। मैं तब बहुत रोयी थी। मैं तब पढ़ रही थी। मेरे को पढ़ने भी नहीं हदए थे। अभी मेहंदी का ऑिचर करती हूँ। अभी पढ़ भी रही हूँ। १३ िी में हूँ अभी।
ऐसे बहुत सारे NGO हैं जो मुस्ललम औरतो के सलए काम करते हैं तो उनकी सोर् और काम के बारे मैं आपकी क्या राय हैं?
-- सही हैं। यह लोग जो करते हैं िो अच्छा हह करते हैं। मेने यहाँ पर बहुत से केस (Case) दे खी हूँ। मैं खद ु दो महीने से परे शान थी। पमु लस को मेरे पनत (दस ू रे ) ने इतना पैसा खखलाया
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कक बोले इस लड़की को खड़ा मत करना। मैं और मेरे िैिी रोज पुमलस स्टे शन में खड़े रहते थे। पुमलस िाले भी हमारी कुछ नही सुनते थे। शरीयत कोटक गए थे आप?
-- नहीं यह कोटच पता ही नही है मझ ु ।े
◆ यहाँ पर उन्होंने भारतीय मजु स्लम महहला आंदोलन (BMMA) ने उन्हें ककस तरह से मदद कक उसके बारे में बताया।
-- यहा से (भारतीय मजु स्लम महहला आंदोलन) से उसे एक महीने तक कॉल गए। पहले तो िो बोला में आऊंगा हह नही। जब खातून आंटी िहा पे गए। तो िो पुमलस िाली को बोले मैं
िी.सी.पी (DCP) तक जाऊंगी इस लड़की को लेके। िहा कक लेिीज (Ladies) पुमलस ने मेरे पनत को कॉल ककया। तो िो आके खातून आंटी से ममला। यहा (भारतीय मुजस्लम महहला आंदोलन) पर आया और केस सारा बताया। िो यही बोल रहा था कक पैसा लेके इसको बोलो मुझे छोड़ दे ने के मलए। मैं बोली मुझे पैसा नही चाहहए। मैं पैसा कब तक खाऊँगी। मैंने तो जजन्दगी ननकालने के मलए शादी करी थी दस ू री बार मुझे तो करनी नही थी। तो आपका यहा पे अभी केस (Case) र्ल रहा है ?
-- हाँ मेरा केस चालू है । अभी दो महीने के बाद आने कक मेरे पनत ने बात कक हैं। के मैं दो महीने के बाद आऊंगा।
तो आपका शौहर अभी आपके साथ नही रहता?
-- अभी कफलहाल नही हैं।
आप के टहसाब से तीन तलाक को रोकने के सलए हम लोगों को कैसे जागरूक आगाह कर सकते है ?
-- सबसे पहली बात तो तीन तलाक जब आदमी दे दे ता है उसमें औरत कक हह जजन्दगी खराब हो जाती है । उसको (मदच /पनत) तो दस ू री औरत ममल जाती है । िो तो ककसी से भी शादी कर लेता है । उसके मलए ना कोई इद्दत होती है ना कुछ होता है । िो आज तलाक दे गा कल शादी कर लेगा। लेककन औरत को जो जज़न्दगी भर झेलना पड़ता है िो आदमी को नही है । उसको तो
यह समझना चाहहए कक एक औरत के साथ मे ये क्यूँ कर रहा हूँ। आज मेरे दस ू रे पनत को भी एक और बेटी है ।
उसने मुझे इतना रुलाया है ना तो मैंने उनको एकही बात बोली कक तुम्हारे पास भी बच्ची है । आज तुम ककसी के बेटी के साथ ऐसा करोगे तो िो तुम्हारे बच्ची के सामने भी आएगा। मत करो। तो मै तो बस यहीं चाहती हूँ कक जो तीन तलाक़ का यह मामला है सही है ये। उसपे आप 91
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समझ जाओ आज में टीकी भी हूँ। नही तो अगर पहले जमाने के हहसाब से चला जाता तो मेरा दस ू रा आदमी भी मुझे तलाक़ दे के चला गया होता।
◆ अगर िे खद ु से खुलानामा लेती तो कोनसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता यह उन्होंने बताया है ।
-- अगर में खल ु ा खद ु से लेती हूँ तो िो मुझे पैसे दे ने के मलए भी तैयार है । कक तुम जजतना पैसा मांगोगी मैं दे ने को तैयार हूँ। लेककन मझ ु े पैसा नही चाहहए। अगर में पैसा लेकर हट जाती हूँ तो (लोग) बोलेंगे इसने दस ू री शादी भी कक और इसका पनत इसको छोड़ के चला गया। यही खराब होगी। लड़की हह खराब होगी। हर तरीके से लड़की को ही खराब बोला जाता है । आज मेरी बच्ची भी इतनी छोटी है कल बड़ी होंगी तो कल उसको भी बोलेंगे कक तेरी माँ खराब थी। दस ू रे पनत कक तलाक़ मांगने कक क्या िजह है ?
-- उनकी पहली पत्नी जो है िो कह रही है कक तुम अगर उसको (मुझ)े नही छोड़ोगे तो मैं
बच्ची को लेके चली जाउं गी। उन्होंने मुझे कल एक मॅसेज (Message) करे थे के अगर तू मुझे खद ु से नही छोड़ेगी तो मैं आने के बाद तुम पर ककतना ज़ुल्म ढाउँ गा ना कक तू नहीं सोच सकती। मैं बोली हिक है मंजूर है । आके जो कर सकते हो कर लो। बोले में तेरा काम बंद कर दं ग ू ा। तझ ु े बाहर जाने भी नही दं ग ू ा। मैं बोली हिक है मझ ु े चलेगा। मैं सब करने तैयार हूँ। कहा रहते है िो अभी?
-- गुजरात गए है ।
फैसससलटे टर नोट टे कर
:- शाह नगमा।
:-
पारस नाईक।
तलाक़शद ु ा औरत पर ररसर्करस का नज़ररया हमारा विषय तीन तलाक को लेकर था इसमलए हम ऐसी महहला के भी विचार जानना चाहते थे जजसने खद ु इसका सामना ककया हो जजसे तीन तलाक़ ममली हो। सिे के दौरान तो हमें कोई ऐसी एक
भी महहला नही ममली जजनका तीन
तलाक़ हुआ था। भारतीय मजु स्लम महहला आंदोलन(BMMA) के ज़ररए हमें एक तीन तलाक़ ममले हुए महहला से बात करने का मौका ममला जजन का नाम फानतमा शेख था (नाम बदल हदया गया है )।
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हदखने में बबल्कुल हमारे जैसी आम कम उम्र की लड़की जजसकी इतनी कम उम्र में दो शाहदयां हो चक ु ी थी। पहली शादी महज़ 16 साल की उम्र में बबना इजाज़त के करिा दी गई थी जब िह
पढ़ रही थी लेककन शादी के बंधन में बांध दी गई । शादी के कुछ सालों बाद अब उनका शौहर
नही रखना चाहता था। तरह तरह के बहानों से अपनी बीिी और बच्ची से पीछा छुड़ाना चाहता था। एक
हदन उसने एक ही बार मे तलाक तलाक़ तलाक़ बोलकर ननजात पा ली। जजतनी
आसानी से शौहर ने बोल हदया था उतनी आसानी से उसे क़ुबूल करना बहुत मुजश्कल था िो भी तब जब एक बच्ची भी साथ हो और आमदनी का कोई ज़ररया न हो। समाज का नज़ररया फानतमा के मलए बदल चुका था िो अब कुछ अच्छा पहन ओढ़ नही सकती यह बताते हुए उनका एकाएक रो पड़ना इस बात का सबूत है के ककस तरह तलाक़ के बाद उनकी जज़ंदगी बदल चक ु ी थी । मां बाप भी फानतमा को बोझ समझने लगे थे। उसकी और भी बहने थीं इसमलए माँ-बाप के बार बार कहने पर उसने दस ू री शादी की। इस बार यह उनकी पसंद थी छह महीने एक दस ू रे
को जानने के बाद दोनों ने शादी की थी लेककन कुछ हदनों के बाद शौहर की पहले से हुई एक शादी का राज़ खल ु गया । और पहली बीिी के कहने पर िो फानतमा को छोड़ने की बात करने लगा ।
फानतमा का कहना था कक उनका शौहर तो कब से छोड़ कर चला गया होता लेककन हाल ही में आया तीन तलाक़ के फैसले और सज़ा के कानून को सुन कर उसने अपने कदम पीछे खींच मलए लेककन िही दस ू री तरफ िह फानतमा पर दबाि भी िाल रहा है कक िह खद ु से ही खल ु ा लेले
उसके बदले िह उसे मुह मांगी रकम दे ने को भी तैयार है लेककन फानतमा को पैसे नही उसका साथ चाहहए, इसमलए िह सब कुछ सहने को तैयार है उनके शौहर की धमकी के बाद भी िह
उसी के साथ रहना चाहती है । यहां दो बातें सामने आती है की इस कानून के िर से िह तलाक़ नही दे गा लेककन िहीं दस ू री तरफ बीिी को मजबूर कर सकता है ताकक िह खद ु से तलाक लेले
इससे बीिी पर ज़्यादती हो सकती है जैसे के फानतमा के शौहर ने उसे सताने और उसकी आज़ादी को नछनने की धमकी दी । फानतमा ने यह भी बताया की जब िह अपना मामला लेकर पुमलस के पास जाती तो उसे िहा
खड़ा भी नही होने हदया जाता क्योंकी शौहर ने पमु लस को पैसे खखला रखे थे । तब BMMA की मद्दद से उसने अपने शौहर को बुलाया तब उनके शौहर ने दो महीने बाद आने का िादा ककया
है , अभी भी फानतमा का केस चल रहा है BMMA में । यह सुनकर हम यह सोचने पर मजबूर हो
जाते हैं कक क्या कानन ू का कोई फायदा होगा? इससे बीिी को इंसाफ ममलेगा? क्योंकक एक औरत जो अपने शौहर के खखलाफ कंप्लें ट मलखने जाती और उसे खड़े भी नही होने हदया जाता
उसकी बातें ही नही सुनी जाती क्योंकी ररश्ित ने तो मुह बंद कर रखा है तो उस तीन तलाक़
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शुदा बीिी की कौन सुनेगा और क्या िह सच मे पुमलस के पास जाएगी या नही ये भी एक गंभीर सिाल है जो कक हम सब के मन मे उिना चाहहए।
तीन तलाक़ को गलत बताते हुए शौहर को सज़ा न ममलकर बीिी को उसके साथ रखने का कोई कानन ू होना चाहहए ऐसा फ़नतमा का मानना था, या सज़ा को कम करना चाहहए क्योंकक कोई भी
शौहर जेल से आने के बाद िापस उसके साथ नही रहे गा बजल्क उसपर और भी ज़ल् ु म करे गा ऐसा कहते हुए फ़नतमा ने सज़ा के कानून का विरोध ककया।
फ़नतमा शेख से बात करते हुए हमें ऐसा लगा कक उन्हें इस प्रथा से परे शानी है | जजसे िह गलत बताती है| लेककन साथ ही तीन साल की सज़ा को भी गलत बताती हैं । अपने शौहर के ज़ल् ु म सह कर भी िह उसके साथ रहने को तैयार है तो मसफच यह सोच कर के समाज और कल को
उनकी खद ु की बेटी भी उन्हें ही गलत समझेगी की ज़रूर कोई कमी होगी तभी दोनो शौहर ने छोड़ हदया ।
दनु नया और समाज के िर से कई सारे ऐसे फैसले मलए जाते है जजनमे भले ही खुद की खश ु ी न
हो तो यह सोचना भी होगा की क्या बीिी खद ु अपने ही शौहर के खखलाफ पुमलस में जायगी और िो भी ऐसी लड़की जजसे कभी फैसला लेने ही न हदया हो, जो उस तबके से है जहाँ गरीबी ज़्यादा है और तालीम का फुखदान(कमी) है ।
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ननष्कषक हमने
मंब ु ई
में
मजु स्लम
समाज
में
सिे
मलए
जो
गण ु ात्मक(Qualitative)
और
मात्रात्मक(Quantitative) प्रश्नों पर आधाररत है । ररसचच की शरु ु िात ककसी विषय पर आधाररत
सिाल पछ ू ने से होती है। यह सिाल क्या, क्यों, कैसे, कब, कहाँ इस पर आधाररत होते हे। इन
सिालों का जिाब ढूंढते समय कल्पना ररसचच में एक बहुत ही महत्िपण ू च भमू मका ननभाती हे । गण ु ात्मक िेटा विश्लेषण में , यह मानना व्यािहाररक हो सकता है कक कुछ विषयों में कुछ अथच होता है । बाद में ऐसा हो सकता है कक हमारे शोध का ननष्कषच ननकालने पर कुछ कल्पना जो हम पहले करते हे िो ररसचच से ननकाला जा सकता है ।
हमने अपने शोध में बहुत से नतीजों का अनुमान लगाया, कुछ अजस्तत्ि में थे लेककन कुछ नतीजों ने हमें पूरी तरह से है रान कर ककया हदया। हमारा विषय संिेदनशील(Sensitive) था और
इस तरह के विषय पर बात करने के मलए लोगों को सहमत करना हमारे मलए एक बड़ी चन ु ौती थी। हमारी टीम ने सफलतापूिक च सिेक्षण के सभी अनुमाननत आंकड़ों को पूरा ककया। हमारे
उत्तरदाता मुंबई के अलग अलग इलाकों से थे जैसे ििाला, एंटोप हहल, दादर, सैंिहस्टच रोि, विखरोली, गोिंिी, माहहम, और धारािी| यह दे खना आश्चयचजनक है कक हालांकक हमारे
उत्तरदाताओं में से लगभग 69% यि ु ा हैं और 20 से 40 आयु के है , हमारे उत्तरदाताओं में से 50% लोगों ने प्राथममक और माध्यममक विद्यालय के अन्दर तक ही मशक्षा पूरी की है , इस के साथ
साथ 14% ननरक्षर थे जजनमे में 90% महहलाएं थी। यह स्पष्ट रुप से यह दशाचता है की मजु स्लम समद ु ाय के पास उच्च मशक्षण का प्रमाण कम है । यह मसफच हमारा ररसचच ही नही बताता 2011 की जनगणना के मत ु ाबबक मजु स्लम समुदाय में साक्षरता का प्रमाण 57% जो कक दस ू रे सभी समुदाय
से
वपछड़ा
हुआ है । सच्चर कमीटी के कारको(factors) में दस ू रे समुदायों से वपछड़ा हुआ है ।
मुताबबक
भी
मुजस्लम
समुदाय
सभी
सिे से ऐसा सामने आया कक 81% लोग तीन तलाक़ को गलत मानते है । अब जजसे लोगों ने गलत करार हदया है उसी तीन तलाक की प्रथा पर सुप्रीम कोटच ने फैसला सुनाया और उसे गैरकानूनी बताया। लेककन सुप्रीम कोटच के इस फैसले को भी लोग मानने से इनकार कर रहे है । सिे के मुताबबक 84% लोगों को लगता है कक सुप्रीम कोटच का फैसला शरीयत में दखल दे रहा है । इससे हमारे मन मे सिाल उिता है के जजस चीज को लोग गलत करार दे ते हैं तो उसको
बंद करने के मलए कोई फैसला सुनाया जाए तो इस पर ऐतराज कयूं हदखाया जाता है । लोग
मज़हब के ककसे भी मामले में बात करना या उस पर सिाल उिाने से क्यूँ िरते है ? इस कक िजह सामने आती है की मुजस्लम समाज ये नहीं चाहती की सरकार या सुप्रीम कोटच उनके धमच
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में दखल दे | िह यह भी कहते है की अगर धमच में कोई बदलाि लाना है तो िो मुजस्लम विद्िान ्, मौलाना या उलेमाओं के जररये ही लाया जाए। लोग ऐसा भी बोलते है कक इस्लाम
पहले से चला आ रहा है और इस मे ककसी तरह की तब्दीली नही हो सकती है । इसी तरह कुरआन में सही तरीके के बारे में पूछने पर उनका नही मालूम जिाब दे ना एक तो जानकारी ना
होने का सबूत दे ता है तो दस ू री तरफ उनमे िर भी है कक कही क़ुरआन के बारे में कुछ गलत न कह दे ।
पुमलस और कोटच पर लोगों का कम विश्िास उनके जिाब से ज़ाहहर होता है | जब हमने पूछा तीन तलाक़ दे ने पर औरत को मदद के मलये कहाँ जाना चाहहए तब
तकरीबन 45% शरीअत
कोटच को पहली पसंद बताते हैं। उसके बाद में 35% ररश्तेदार बताते है । क्योंकक पहले मुजस्लम
समाज सब से वपछड़ा हुआ और बाद में मुजस्लम में महहलाएं सब से ज़्यादा वपछड़ी हुई है तो महहलाएं अगर पुमलस के पास जाएगी तो सब से पहले उनकी इज़्ज़त पर सिाल उिाया जाएगा इस मलए मजु स्लम महहलाएं अपने घर के लोग या धाममचक संस्थाओं के पास जाना पसंद करे गी|
इस बबल को राज्यसभा में मंज़रू ी नहीं ममली| सरकार द्िारा बनाये गए तीन तलाक़ बबल को 77% लोगों ने गलत करार हदया है । ये बबल सरकार ने लोकसभा में पेश ककया और लोकसभा ने
इस बबल को पास ककया लेककन इस बबल को राज्यसभा में मंज़रू ी नहीं ममली| तीन तलाक़ बबल को लेकर लोगों के मन में यह िर है कक जब शोहर जेल में जायेगा तो कैसे िह बीिी और
बच्चो का खचाच संभालेगा। इसी तरह कानन ू का Non bailable और cognisable offence होना जजस से शोहर को बगैर warrant के भी जेल में िाला जा सकता है । इस कानन ू से महहला को इंसाफ के बजाए और ज़्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ेगा जैसे पुमलस के चक्कर लगाना, कोटच के चक्कर लगाना िगैरा। रे स्पोंिेंर्टस के मुताबबक अगर कुछ कानून बनाना हो तो उस से महहला को फायदा और इंसाफ ममले। लोग यह भी कह रहे थे कक सरकार मुजस्लम समुदाय को
टारगेट करने के मलए यह सजा िाला कानून बना रही है । िहीं लोग यह भी कह रहे थे कक अगर कानून बनाना हो तो इस्लाम और शरीयत को लेकर साथ ही साथ में मानि अर्धकारों के अभ्यासकों से चचाच करके बनाना चाहहए|
लोगों को तलाक़ के दस ू रे तरीके जजस में तलाक लेने का हक़ औरत को होता है जैसे खल ु ा,
फस्ख ए ननकाह और तलाक ए तफिीज़ कक जानकारी कम होना यह भी बताता है कक उनमे मशक्षा का प्रमाण कम है या कफर िह उनके ज़्यादा समय तक चलने िाले काम की िजह से तलाक़ की सही जानकारी हामसल करने के मलए उनके के पास िक़्त नही है । हमारा सिाल की तलाक़ का हक़ उनके मुताबबक ककसे होना चाहहए तो 58% शोहर का कहना 35% शोहर और बीिी का कहना इस से ज़ाहहर होता कक लोग अब महहला को समान समझने
लगे है पर साथ ही साथ मदों को अभी भी महहलाओं से श्रेष्ि समझा जा रहा है । इस से समझ
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मे आता है वपतस ृ त्ताक सोच मुजस्लम समुदाय में भी है । यह सोच उन्हें उनके धमच से ममली या कफर जजस समाज मे िे रहते है िहाँ उन्हें यह सोच ममली है ?
हम आपके सामने आखखर में यह सिाल रखते है कक अगर धमच के ककसी प्रथा की िजह से ककसी का शोषण हो रहा है तो क्या उस प्रथा को बदलना चाहहए या कफर उसे िैसे ही रख दे ना चाहहए?
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सझ ु ाि 1. लोगों को इस्लाम में शादी और उससे जुड़े मसले मसाइल के बारे मे जानकरी हो। इस मलए शादी से पहले कोई ऐसे सेशन या कोसच हो जजसमें नौजिान लड़कें और लड़ककयों को शादी के बारे में सभी जानकारी दी जाए। लोग तलाक़ इस विषय पर बात करना पसंद नही करते लेककन उन्हें समझाया जाए कक तलाक़ का भी जज़न्दगी से एक अहम तालुक है जजसके बारे में लोगों को
जानकारी होनी चाहहए। इसमें लोगों को तलाक़ दे ने के सही तारीखे, उसमे मदों की जजम्मेदारी, औरतों
के
हक़
और
बाकी
के
मसलों
की
जानकारी
दी
जाए।
2. औरतें अपने शादी के िक़्त ननकाहनामे में अपनी शते रख सकती है । एक ऐसा मॉिल ननकाहनामा बनाया जाए जजसमें औरतें अपनी शतच रख सके। इस ननकाहनामे में एक औरत यह शतच रख सकती है कक शौहर दस ू री शादी नही कर सकता, िो अपने तलाक़ के हक़ मांग सकती
है , अगर शौहर तलाक़ दे ता है तो उसे बीिी को कुछ खचच दे ना होगा, िो बच्चे अपने पास रख सकती है ,
िगैरे।
3. तीन तलाक़ के ऊपर जो कानून लाया जा रहा है उसे किममनलाइज नही करना चाहहए। यह
केस DOMESTIC VIOLENCE ACT, 2005 के तहत सुलझानी चाहहए। तीन तलाक़ के बबल को किममनलाइज करने के बाद इस बबल का गलत फायदा भी उिाया जा सकता है । अगर सरकार
तीन तलाक़ को लेकर कोई कानन ू लाना चाहती है तो िो इस्लाममक विद्िान, महहलाओं के हक के मलए लड़ने िाले लोग एिं संस्थाएं और इन ् मद् ु दों पर सिीय रूप से अभ्यास करने िाले विद्िानों से चचाच करके कोई ऐसा कानन ू ले आये की इसमें औरतों का फायदा
हो।
4. 2002 में इलाहबाद उच्चन्यायालय ने यह सन ु िाई दी थी कक क़ुरआन में जो तलाक़ के तारीखे है उन्हें कानन ू ी मान्यता दी जाए। सरकार तलाक़ ए अहसन, तलाक़ ए हसन और खल ु ा को कानन ू ी मान्यता दे और यह ननदे श दे कक जो भी मजु स्लम इस्लाममक तारीखों से तलाक दे ना चाहता है िो यही तीन तरीखों से तलाक दे गा।
5. यह दे खा गया है की बोहोत कम लोगों को कुरआन में तलाक के सही तरीखों के बारे में पता
है | लोग कुरआन तो पढ़ते है लेककन क्योंकक िो अरबी भाषा में मलखी गयी है तो उसका अथच या 98
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तजुम च ा बोहोत कम लोगों को पता होता है | इसीमलए िो इस्लाममक विद्िान यानन मौलाना, उलेमा यह मुफ़्ती पर ननभचर रहते है | लोगों को यह भी सोचना होगा की जो मौलाना बताते हे क्या िो
शतच प्रनतशत सही है ? तो खद ु से सही जानकारी पाने के मलए मुजस्लम लोगों ने कुरआन को मसफच पढना ही नहीं बजल्क उसे समाज कर पढना चाहहए|
6. आज के यग ु में मीडिया का एक अहम ् स्थान है | लगभग सभ यि ु ाओं के पास मीडिया का साधन है इसीमलए मीडिया का भी यहाँ एक महत्िपूणच योगदान होता है | मीडिया में गलत ख़बरों
या उससे जुड़े ककसी भी धमच को लेकर गलत जानकाररयों पर रोक लगनी चाहहए| क्योंकक धाममचक िषय बहुत संिेदनशील होता है , अखबार और न्यूज चैनल में सभी धमों का सन्मान रखकर सही जानकारी और खबरे प्रकामशत करनी चाहहए|
99
INNOVATION
ग्रप ु में बसच के दो शब्द Alfarnas Solkar मैं
अलफरनास
सलीम
सोलकर, गुरु
नानक
खालसा महाविद्यालय में का छात्र हूँ। मेरा पुकार में जोड़ने का मकसद मसफच 15000 का चेक हामसल करना था और उस के बाद मेरा मकसद कुछ गुणों को सीखना और कुछ गुणों में सुधार लाना था।
पर जब हमारा पहला िकचशॉप खारघर में हुआ जहां हमे अपने आप को जानने ममला तब मेरी सोच थोड़ी बदल गयी तब मैने अपना ज़्यादा से ज़्यादा फोकस पैसो के अलािा नई चीज़े सीखने में लगा दी। जैसे नए लोगों से बात करना उनसे जुड़न, समाज को जानना िगैरा। मुझे सिाल पूछने की पुरानी बुरी आदत थी। मेरे ज़्यादा सिालात पूछने पर लोगों को मशकायत थी मगर
पुकार में जुड़ने के बाद मेरी सिाल पूछने की बुरी
आदत अच्छी आदत में बदल गयी।
मुझे अकेले काम करना अच्छा लगता था मैं दस ु रो से मदद मांगना अपनी कमी समझता था।मगर पक ु ार में जोड़ने के बाद अब अपने सहयोगी की बातो को सुनना उनके विचारों का
आदर करना इनके कामो की प्रशंसा करना दस ु रो से मदद मांगना अपनी कमजोरी नही समझता। मैं इस मे और सध ु ार लाने की कोमशश कर रहा हूँ। पक ु ार में जोड़ने के बाद पक ु ार की सब से अच्छी बात यह थी कक िे हमें ककसी भी विषय पर
सोचने पर मजबरू करते है । मैं हर कोऑडिचनेटर और फैमसमलटे टर का शकु िया अदा करना चाहता
हूँ जजन्होंने हमसे सिालात करके हमे सोचने पर मजबरू करके हमे अपने धमच,समाज, लोगों की सही जानकारी हामसल करिाने मै उनका बहुत बड़ा हाथ था।
100
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Saba Shaikh मेरा नाम सबा बानो मोहम्मद सलीम शेख है
मैं
गुरु
नानक
खालसा
कॉलेज
की
विद्यार्थचनी हूँ| मुझे कुछ ऐसा करना था
जजससे मैं खद ु को साबबत कर पाऊं पर ऐसा कोई प्लेटफॉमच ममल नहीं पा रहा था कफर मेरी
सहे ली
ने
मुझे अपनी
पुकार
युथ
फेलोमशप का सफर मुझे बताया और कहा की इस फेलोमशप में ज़रूर हहस्सा लेना।
तभी से मैं बहुत बेसबरी से इस का इंतज़ार कर रही थी कफर कुछ हदनो बाद हमारी
कॉलेज में पुकार का orientation प्रोग्रम हुआ उसके बाद इंटरवियू हुआ और मैं सेलेक्ट होगई तभी से मेरे पुकार के सफर की शुरुिात हुई । पुकार से जुड़ने के बाद मुझमे बहुत से बदलाि आए जैसे लोगों को दे खने
का नज़ररया ग्रप ु के साथ काम करना, लोगों से
ममलना
सन ु ना
फीर
बातचीत अपनी
करना बात
उनकी
रखना|
बातें
यह
PUKAR का एक साल का सफर मेरे मलए बहुत खश ु हाली के साथ साथ मजु श्कलों भरा भी था| हमारे बहुत से िकचशॉप हुए जजनसे मैं बहुत प्रभावित हुई क्यंकू क इन सब workshops में ऐसे
बहुत सारे घटकों पर बात हुई जो हमारे जीिन से जड़ ु ी हुई हैं| शि ु है कक मझ ु े PUKAR से जड़ ु कर बहुत कुछ सीखने का मौका ममला .मैं अपने मम्मी पापा और पुकार से जुड़े हर सदस्य की शुिगुज़ार हूँ की इन्होने मेरा साथ हदया| मेरे मलए पुकार का सफर एक खब ू सूरत यादो से भरा सफर रहा|
Nagma Shah 101
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मैं
शाह
नानक
नगमा खालसा
मोहम्मद कॉलेज
हनीफ
की
छात्रा
गरु ु
हूँ। syba की छात्रा होने के नाते मझ ु े YLCM fellowship के द्िारा पक ु ार संस्था से जड़ ु ने का मौका ममला। इस फ़ेलोमशप में
जड़ ु ने से पहले ना मझ ु े पक ु ार के बारे में पता
था
और
न
ही
फ़ेलोमशप
की
जानकारी थी मसफच दोस्तों के कहने पर मैंने इस फ़ेलोमशप से जुड़ने का फैसला
ककया। यहाँ आने के बाद पता चला के पुकार एक ऐसा प्लेटफामच और माहोल
दे ता है जहाँ हम खल ु कर अपनी बात रख सकते हैं।
हर िकचशॉप में कुछ नया सीखने का
मौका ममला, कभी खद ु के बारे में गहराई से सोचा तो कभी समाज की समस्याओं गलत माने जाते हैं
से रूबरू हुए । कई सारे विषय समाज मे उनके बारे में बात करना अच्छा नही माना जाता है , जैसे सेक्स का विषय,
लेककन इन बातों पर चचाच करना भी ज़रूरी है इसका अहसास भी मझ ु े पक ु ार के द्िारा हुआ। ररसचच के नए नए तरीकों के बारे में जाना बस इतना ही नही, ककसी भी विषय पर किहटकल र्थकं कंग करना और उससे जुड़े सिाल उिाना ककतना जरूरी होता है यह भी मैंने सीखा । ग्रुप के
साथ ममलकर ककस तरह उनकी बातों को सुन कर और उनके विचारों का सम्मान करते हुए ककस तरह काम ककया जाता है इसका अनुभि मुझे बखब ू ी हुआ । इस फ़ेलोमशप की िजह से कई विद्िानों जैसे रजज़या पटे ल जी और राम पुननयानी जी
से बात
करने का मौका ममला और कई ऐसी संस्थाओं में जाने का अिसर ममला जजन के बारे में शायद
ही हम जानते थे ।हमारी जानकारी को बढ़ाने और सोच को काफी हद तक बदलने और सही हदशा दे ने के मलए पुकार की मैं शुिगुज़ार हु और साथ ही गुनिंती जे कपूर फाउं िेशन , खालसा कॉलेज का भी शुकिया अदा करना चाहती हूँ।
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Misbah Khan
मेरा नाम ममस्बाह खान है , मैं गुरु नानक खालसा कॉलेज की छात्रा हूँ। मैं YLCM इस फेलोमशप के द्िारा पुकार संस्था से जड़ ु ी
यहाँ पर अलग अलग िकचशॉप आयोजजत ककये गए
हर िकचशॉप में कुछ न कुछ
सीखने ममला ।
इस फेलोमशप के
ज़ररये जो समाज मे
अलग अलग मुद्दे हैं उनके बारे में गहराई से सोचने का मौका ममला क्योंकक आज हम
अपने ही जीिन में इतने व्यस्त होते हैं कक हम समाज मे हो रहे अलग अलग मुद्दों के बारे जानना ज़रूरी नही समझते, हमे उन मुद्दों के बारे में पता तो होता है लेककन हम कभी उनपर गहराई से नहीं सोचते इन मुद्दों को गहराई से
सोचने समझने का िह प्लेटफॉमच मुझे इस फेलोमशप के जररए ममला। इस फेलोमशप के ज़ररए
आसपास हो रहे ककसी भी हलचल(समस्या) के साथ सिालात को जोड़ कर सोचने की आदत ममली।इस फेलोमशप से ररसचच करने की व्यिजस्थत प्रकिया के बारे में जानकारी हुई और इसके ररसचच टूल्स के बारे में पता चला जजसका हमने अपने ररसचच में इस्तमाल ककया।
Gazala Afreen
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मेरा
नाम
गज़ाला
आफरीन
अंसारी
हैं
मैं पुकार में अपने िाईस वप्रंमसपल दे िेंदर
मैं
खालसा
कौर के फ़ोसच
कॉलेज
की
छात्रा
हूँ।
करने पर मैं YLCM इस
pukar fellowship से जुड़ी। पुकार
में जुड़ने के बाद मेरे अंदर
बहुत से बदलाि आए। मैं अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाती थी और में अपनी बात
सबके
सामने
रखने
से
बहुत झीझकती थी, पर अब में गुस्से पर काबू
करने की कोमशश कर रही हूं। और अपनी बात सब के सामने रख पाती हूँ| मेरा आत्मविश्िास
PUKAR की िज़ह से
बढ़ा और पुकार में जुड़ने के बाद समझी
के मेरे अंदर ककतनी खाममयां और खबू बयां हैं। यहाँ पर हर रवििार को गोरे गांि में अलग
अलग िकचशॉप
इन िकचशॉप
विषय होते
-
को
लेकर
थे।
के जररए मैंने दे खा और
समझा कक समाज में जो चल रहा है और ककसी बात को जानना हैं तो मसफच मसक्के के एक पहलू को नहीं बजल्क दोनों पहलु को दे खना जरुरी है । यह सारी चीजें मैंने पुकार से मसखी और ररसचच कैसे ककया जाता इसके बारे में जानकारी हामसल हुई| मैं सबसे ज्यादा िाईस वप्रंमसपल दे िेंदर कौर का शुकिया अदा करती हूँ। कक अगर िे मुझे PUKAR में जुड़ने के मलए Force नही करते तो मुझमे इतने सारे बदलाि नहीं आते|
में PUKAR खालसा कॉलेज और Gunvanti j Kapoor foundation का धन्यिाद करती हूँ जजसके जररए मुझे बहुत कुछ मसखने और जानने का मौका ममला|
Huma Farooqui
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मेरा नाम हुमा फ़ारूक़ी है । मैं गरु नानक खालसा कॉलेज में SYBA की छात्रा हूँ। Pukar (YLCM) के
बारे में मुझे मेरे कॉलेज की vice principal के जररए पता चला। और पुकार fellowship का हहस्सा बनने का मौका ममला। मैं बहूत खश ु हूँ कक मै एक साल के मलए पुकार युथ फ़ेलोमशप का हहस्सा हूँ। मुझे
हमेशा से ये ख्िाहुश थी की मैं ककसी NGO के साथ जुड़ कर लोगो की मदद करु। और ये मौका मुझे पुकार के जररये ममला ।
पुकार के साथ जुड़ कर मैंने बहूत कुछ सीखा। इस फ़ेलोमशप के जररए मुझे ये एहसास हुआ की कोई भी इंसान योग्य नही होता। सब में कुछ खबु बया
और कुछ खाममया होती है । बस उन्हें दोनों नज़ररयों से दे खने की जरुरत होती है चाहे िो चीज़ हो या लोग। इस फ़ेलोमशप के जररए मैंने खद ु के बारे
जाना और खद ु की क़ाबमलयत को पहचाना। पहले
मुझे लोगों के सामने कुछ बोलना हो , तो मैं बबलकुल भी नही बोल पाती थी मेरे पाँि कांपते थे लेककन पुकार में आने के बाद मेरे अंदर हहम्मत और हौसला आया लोगो के सामने खल ु के
बोलने, अपनी बात रखने और अपनी सोच रखना मुझमे सबसे बड़ा बदलाि है । क्योंकक पुकार
एक ऐसी जगह है जहाँ पर हर कोई खल ु के बोल सकता है , अपनी सोच और अपनी बात रख सकता है और यहाँ ककसी को judge नही ककया जाता की आप क्या बोल रहे हो या क्या
सोचते हो बजल्क उससे समझने की परू ी कोमशश की जाती है । पक ु ार के जररए मझ ु े समाज को
जाने का और उनसे जड़ ु ी परे शाननयों को जानने का मौका ममला। पक ु ार का सफर मेरे मलए काफी खश ु गिार रहा। मेरा ग्रप ु काफी अच्छा है हमने साथ में बहूत सी मजस्तयाँ की, सीखा भी बहूत कुछ। ररसचच के दौरान हदक्कते भी आई और साथ में आसाननयाँ भी आई। पक ु ार का सफर मेरे मलए हमेशा यादगार रहे गा।
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Ahtesham Peerzade मेरा नाम एहतेशाम हैं, मैं गुरु नानक खालसा कॉलेज का छात्र हूँ।मुझे बहुत पहले से ककसी संस्था में शाममल होने की इच्छा थी जहाँ मझ ु े लोगों के भलाई के मलए काम करने का मौका ममलेगा मझ ु े पक ु ार के बारे में पता चलने
के बाद मैंने इसमें नामांकन करने में कोई समय बबाचद नहीं ककया। मेरा उद्दे श्य नए दोस्त बनाना और खद ु को जानना था मझ ु में क्या कमी है और सबसे अच्छी चीज़
क्या है । जैसे ही मैंने नए लोगों से बात करना शुरू की, मुझे पता चला
कक समस्या केिल मुझे ही नहीं, ऐसे भी कुछ लोग हैं जजन्होंने मुझसे ज्यादा समस्याओं का
सामना ककया है । लोगों से बात करते समय मैं खल ु े तौर पर अपनी बात नहीं रख पता था। मेरे
अंदर िर था कक अगर मैंने बात की तो लोग मेरे विचारों पर मुझे JUDGE करें गे। मुझे पुकार ने अपने िर को दरू करने और अपने विचारों को लोगों के सामने स्पष्ट रूप से रखने में मदद की।
मैं बहुत आभारी हूँ कक मैं पुकार में शाममल हुिा और पुकार का सफ़र मेरे मलए बहुत ही यादगार सफ़र रहा।
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Paras Naik मेरा नाम पारस जगहदश नाईक। प्रथमत: में गुरु नानक खालसा महाविद्यालय और गण ु िंती जे कपरू फाउं िेशन का तहे हदल से
आभारी
हूँ, उन्हे धन्यिाद कहना चाहता हूँ। उन होने हमे यह बिा मौका उपलब्ध ककया। पुरे एक साल में इस फेलोमशप ने मुझे
कई
अनर्गनत
पाि
पढाए
है ।
हमारे
मशक्षण पद्धती से अलग और महत्त्िपूणच र्चज़े यहाँ मसखने ममली। हर मुद्दे के तह तक जाके उसकी सच्चाई ढुंिना उसकी
पाश्िचभूमी समझ के लेना और उसकी तहकककात
करना
उसका
ज्ञान
इस
फेलोमशप के जररए ममला। सामाजजक और राजनीनतक स्थरो पर अलग अलग ढं गो से होने िाले कायच के नतीजे और उनके पररणाम इन र्चजो को जानने, समझने का मौका ममला। बहुत से सामाजजक मसलो को दे खने का ऐनक पक ु ार के इस फेलोमशप ने हदया। िैचाररक अश्ि को मक् ु त पध्दतीसे दौिने का स्िातंत्र आजमाने ममला। इस फेलोमशप में प्रयोगशील पद्धती के ज्यादा इस्तमाल कक िजह से हर एक चीज कक प्रककया और महत्त्ि समझ आया। यह फेलोमशप मेरे मलए जजंदगी का एक अनमोल पाि पढाने िाली और मेरे नजररए को सही हदशा दे ने िाली थी।
Facillitator Arvind Sakat 107
INNOVATION
इंनोिेशन ग्रुप के साथ यूथ फेलोमशप पुकार मे जो काम करने का अिसर ममला िो बहोत ही अच्छा हैं और
यादगार
रहनेिाला
हैं|
मुझे याद हैं अभी भी, की मेरी ग्रुप के साथ
पहली मीहटंग बारीश मे माटुंगा के बिज के नीचे हुई थी| और बारीश होते हुए भी सारे ग्रुप के सदस्य मीहटंग मे हाजीर थे तभी मझ ु े महसुस हुआ की इस ग्रुप मे कूछ तो खास हैं| उसके बाद हम
लोग ग्रुप के research के काम के लीये हमशा कभी कॉलेज मे कभी पुकार ऑकफस मे ममलते रहे |
ग्रुप ने तीन तलाक जैसे धमच संबंर्धत के टॉवपक
पर संशोधन ककया हैं ये विषय को समझने के मलए ग्रप ु के सारे लोगों ने बहुत लगन से और एकसाथ जि ु कर काम ककया जो मेरे मलये हमेशा याद
रहनेिाला हैं खास करके ग्रप ु का एकजट ू रहना, सब
काम समय पर परु ा करना, िकचशॉप मे भाग लेना,
अपना काम खद ु करना, रीस्पेक्ट(आदर) से सभी से बात करना ये सारी र्चझे मझ ु े बहोत प्रभावित
करती
थी|
ग्रुप के साथ साथ तीन तलाक के बारे मे और इस्लाम धमच के बारे मे बहूत कूछ सीखने को ममला| कई सारे एक्सपटच से ग्रुप ने मुलाखत की इसके मलए ग्रुप पन ु े तक जा कर आया जजसका पुरा ननयोजन ग्रुप के लोग करते थे जो बहोत ही खास था| ग्रुप मे लिकीयां भी र्थ लेकींन उनके घर
िालोने
कभी
भी
उनको
ककधर
जाने
के
मलये
मना
ककया
ये
दे खा
नही|
जो मेरे मलए बहूत ही खास था| युथ फेलोमशप के इस पुरे जनी मे मैने ग्रुप मे कई सारे बदलािं आते हुए दे खा हैं जजस्मे कॉजन्फिन्स, बात करने का तारीका, अपनी बात सबके सामने रखना, किहटकल सोचना, मलखना, संशोधन पध्दती,
इत्याहद|
ग्रुप का उत्साह और ताकद से हमेशा मुझे ग्रप ु के साथ काम करने का मनोबल ममलता था|
बहूत कूछ ग्रुप के साथ साथ मुझे भी मसखने को ममला हैं | ग्रप ु ने हमेशा मुझे समज के मलया और परु े काम मे बहूत ही अच्छा साथ हदया ये मैं कभी भी नही भूल पाउं गा|
HEENA ISMAIL 108
INNOVATION
िैसे तो मैंने पुकार में एक साल की
फेलोमशप की थी जहां मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका ममला जैसे जेंिर, सेक्सुअल
हरासमें ट, एििोकेसी
िगैरा.
मुझे पहली बार अपनी लाइफ में अपना
विचार शेयर करने का मौका ममला। मैं पुकार में एलम में टर के रोल के मलए
मसलेक्ट हुई। मुझे इनोिेशन ग्रुप के में टर बनाया गया। इस ग्रप ु के साथ
काम करने में बहुत अच्छा लगता था। इस ग्रुप के में बर हर िक़्त काम करने के मलए तयार होते थे। सब काम टाइम
टू टाइम कर दे ते थे। इसमलए मझ ु े इस ग्रप ु को बार बार कुछ बोलने की जरूरत
ही नहीं पड़ती थी। और ग्रप ु के लोग
एक दस ू रे से बहुत अच्छी तरह से बात करते हैं। सब अपना अपना काम बांट लेते हैं। मझ ु े इस ग्रप ु की बॉजन्िंग बहुत अच्छी लगती है । ग्रुप के साथ काम करने से मुझे भी बहुत सारी बातें मालूम हुई जैसे मैं भी तलाक के तरीकों के बारे में नहीं जानती थी। मुझे शरीयत के कानून के बारे में भी कुछ नहीं पता था। यह सब मुझे मेरे ग्रुप के में बर से सीखने को ममला। यह ग्रुप के साथ रहते हुए मुझे तलाक के बारे में बहुत सी जानकारी ममली। इस ग्रुप के में बर हर िक्त मेरी बात सुनते थे। ग्रुप के में बसच की िजह से मैं मेरे ग्रुप के साथ पुणे तक जाकर आई। मुझे बहुत कुछ सीखने ममला और मैं अपनी नॉलेज सब ग्रुप िालों तक शेयर भी कर पाई। मेरा एलम में टर का एक साल बहुत अच्छे से गुजरा। सबसे आखखर में मैं अपने सारे ग्रुप में बसच को थैंक्स बोलना चाहती हूं। उन्होंने मेरा यह पूरा
साल बहुत यादगार बना हदया। और मेरे ग्रुप में बसच पूरा साल भर मुझे समझे और मेरा साथ हदया इसमलए आपका बहुतबहुत शकु िया। मैं अपने फैमसमलटे टर को भी थैंक्स कहना चाहती हूं।मेरे फैमसमलटे टर अरविंद जी ने भी मुझे बहुत सपोटच ककया। हर बात में मेरी हहम्मत बढ़ाई। Thank you so much all group members, YLCM group, alumentor group, and Anita.
संदभक 109
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1) https://youtu.be/jB9XwKaHlX4 2) https://youtu.be/PYxvu_7RIjM 3) https://youtu.be/gYlu8bCEOuI 4) https://youtu.be/S670G35L2eM 5) https://youtu.be/xxqkJPak5Xk 6) https://youtu.be/itZnjXEtwEM 7) https://youtu.be/5T301uy3A_8 8) http://ahteshamp.blogspot.com/2017/08/triple-talak-decoded.html 9) http://ahteshamp.blogspot.com/2017/09/triple-talak-and-women-right.html 10) http://m.lokmat.com/mumbai/muslim-women-should-apply-family-violence-actcentral-government-bmma/ 11) http://lightofislam.in/triple-talaq/
12) http://indianexpress.com/article/explained/understanding-context-of-sc-ruling-ontriple-talaq-divorce-rate-of-muslim-women-is-thrice-that-of-men-4810719/ 13) https://www.loksatta.com/pune-news/muslim-women-should-come-together-againstexploitation-say-saira-banu-1577876/ 14) https://scroll.in/article/808588/the-debate-on-triple-talaq-and-muslim-womens-rightsis-missing-out-on-some-crucial-facts 15) https://thewire.in/gender/why-criminalising-triple-talaq-is-unnecessary-overkill 16) http://www.thehindu.com/news/national/aimplb-strikes-cautious-note-on-triple-talaqbill/article21714976.ece
110
INNOVATION
17) http://www.thehindu.com/news/national/govt-clears-bill-banning-instant-tripletalaq/article21679481.ece?homepage=true 18) https://www.loksatta.com/desh-videsh-news/triple-talaq-bill-against-women-willdestroy-families-says-aimplb-1605798/ 19) http://indianexpress.com/article/opinion/columns/adding-law-to-injury-triple-talaq4987353/ 20) http://indianexpress.com/article/india/triple-talaq-bill-in-parliament-today-5001967/ 21) http://m.lokmat.com/manthan/woman-unspeakable-male-criminals-governmentinterested-solving-problems-muslim-women-whether-they/ 22) http://indianexpress.com/article/india/triple-talaq-bill-fails-to-move-in-rajya-sabhacongress-wants-scrutiny-by-select-panel-5010193/ 23) http://indianexpress.com/article/india/triple-talaq-bill-parliament-winter-budgetsession-january-29-ordinance-unlikely-5012719/ 24) https://www.loksatta.com/desh-videsh-news/woman-given-triple-talaq-by-husbandon-phone-after-she-asked-for-money-for-the-treatment-of-their-differently-ableddaughter-1612651/ 25) https://www.loksatta.com/mumbai-news/bhiwandi-man-sent-triple-talaq-to-his-wifevia-registered-post-after-dowry-torture-1624079 26) https://m.timesofindia.com/city/mumbai/70000-muslim-women-protest-against-tripletalaq-bill-in-malegaon/articleshow/62950639.cms 27) https://m.livehindustan.com/bihar/story-muslim-women-protests-against-triple-talaqbill-in-khagaria-1807487.html 28) https://www.scribd.com/document/355646109/RTI-reports-on-Triple-Talaq-byAIMPLB 29) https://m.timesofindia.com/city/bhubaneswar/women-march-against-triple-talaqbill/articleshow/63012203.cms
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30) https://www.google.co.in/amp/www.timesnownews.com/amp/india/article/tripletalaq-all-india-muslim-personal-law-board-silent-march-protest-against-bill-antiislamic/203211 31) https://www.aljazeera.com/indepth/features/2017/05/tripple-talaq-triple-divorce170511160557346.html 32) https://www.bbc.com/hindi/india-43552915 33) http://www.aksharnama.com/client/ardh_jag_detail/1852 34) http://www.aksharnama.com/client/ardh_jag_detail/1635
ककताबों के नाम-: 1)मसाईल ननकाह Published by:- All India Muslim personal Law Board / 2007लेखक का नाम मौलाना मोहम्मद मसराजुद्दीन कासमी :
2) ननकाह और तलाक Published by:- All India Muslim personal Law Board लेखक का नाममौलाना स यद शाह : 3) तलाक क्यों और कैसे Published by:- All India Msuslim personal Law Board लेखक का नाम िॉ :,मौलाना मोहम्मद फहीम अख्तर नदिी
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4) तलाक के इस्तेमाल का तरीका Published by:- All India Muslim personal Law Board /2007 लेखक का नाममौलाना समीर अहमद रहमानी :
5) तलाक Published by:- मकतबा दारुल उलूम दे िबंद /2017 लेखक का नामकासमी इलाहाबादी। मुफ़्ती जैनुल इस्लाम साहब : 6) बहार ए शरीयत Published date: 1939 लेखक का नाम.मफ् ु ती अमजद अली आज़मी :
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पररमशष्ट 1. सहमती पत्र 2. सिे फॉमच
3. तलाकशद ु ा औरत इंटरव्यू प्रश्नािली 4. इस्लामी विद्िान ् प्रश्नािली
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िन्यिाद
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