Factors impacting the working condition of contractual safai kaamgaar

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“मुंबई के दलित सफाई काममचारियो की परिस्थिती पि असि किने वािे घटको का अभ्यास” २०१५-२०१६ ग्रप के सदथय: 

अनिमिष अंधेरे

आयेशा जाधव

िनिषा बैरी

िैथिली सावंत

राथि​िी नतवारी

रे शिा

साक्षी मिश्रा

साजजया खाि

चेतिा कोरी

िेहा मसद्दिकी

शेख

 प्रीती लाहोट 

कोिल चोरिले

फैमसमलटे टर: सुिील िंिावणे

सहाय्य:  

GUNWANTI J. KAPOOR MEDICAL RELIEF CHARITABLE FOUNDATION. GURU NANAK KHALSA COLLEGE, MATUNGA.

PARTNERS FOR URBAN KNOWLEDGE, ACTION AND RESEARCH.

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अिुक्रिणणका क्रमाुंक

ववषय

पष्ृ ठ क्रमाुंक

आभार

३-४

प्रस्ताविा

५-८

ग्रप ु प्रोसेस

९-२२

सादहत्य-सिीक्षा

२२-३३

संशोधि पद्धती

३४-३५

जािकारी का ववश्लेषण

३६-६८

निष्कषष

६९-७१

सझ ु ाव

७२-७३

संिभष

७४

१०

हिारी सीख

७५-८५

११.

पररमशष्ट

८६ -८९

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आभार हिारी भाविाओं को व्यक्त करिे के मलए ‘धन्यवाि’ यह बहुत ही छोटासा शब्ि है , लेककि इसिें से आपके प्रनत हिारा आिर और प्यार वक्त होता है | सच िें आप सभी लोिों के बबिा हि यह ररसचष कभी पूरा िहीं कर पाते। इसमलए हि यहा​ाँ पर आप सभी का आभार िािते है | सबसे पहले हि हिारे सहभथियों को धन्यवाि िे िा चाहते है । उन्होंिे अपिे जजंि​िी की कहािी बतािे की वजह से यह प्रोजेक्ट अजस्तत्व िें आया है , हि उिके बहुत आभारी है । हि पक ु ार (Partners for Urban Knowledge, Action and Research) के परु े टीि को धन्यवाि िे िा चाहते है , जजन्होंिे हिें यह ररसचष करिे का िौका दिया। हिारे फैमसमलटे टर सि ु ील, अनिल, रोहि, िािसी और अिीता के हि आभारी है । उसी के साि पक ु ार के सािी राजकुिारी और शह्जािे जी को भी हि धन्यवाि िे ते है | वकषशॉप के जररये हिें ररसचष के अलि-अलि पहलू बतािे वाले ररसोसष पसषि को भी हि धन्यवाि िे ते है । हि िुणवती जे. कपूर फाउं डेशि (Gunvati J. Kapoor Medical Relief Charitable Foundation) के आभारी है । जजन्होंिे मसफष हिें साल भर के ररसचष के मलए िा मसफष फण्ड बजकक साि िें हिें िािषिशषि, सुझाव और प्रोत्साहि भी दिया। हिें यह अिोखा और सुिहरा िौका िे िे के मलए हि हिारे िुरु िािक खालसा कॉलेज के भी आभारी है । क्योंकक अिर यह िौका हिारे साि​िे िहीं आता तो हि यह अद्भत ु अिभ ु व को िहीं ले पाते। हि डॉ. मसब्बी अब्राहि, डॉ ि​िोज मिश्र, डॉ. वव. वव. रािडे और बाकक िें बसष के भी बहुत आभारी है ।

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हि वीडडयो वोलेंदटयसष के भी आभारी है । िाया जी और आिंि जी, जजन्होंिे अपिा िूकयवाि सिय हिें िे कर हिारे टॉवपक को और िहराई से जाि​िे के मलए ि​ि​ि की इस के मलए धन्यवाि! पुरे साल भर िें हिें अलि-अलि प्रकार से ि​ि​ि करिे वाले हिारे फेलोमशप के बाकक के ग्रुप्स और हिारे िस ू रे िोस्तों को भी धन्यवाि! सबसे िहत्वपूणष शुकक्रया हिारे पररवार को फ़ेलोमशप के काि से हिें छुदटयो के दि​ि भी बहार रहिा पड़ता िा। हिें हर तरह का सपोटष करिे के मलए धन्यवाि ! कफर एक बार सबको शकु क्रया।

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प्रस्ताविा “दिसंबर का िहीिा िा, लि-भि रात के ८ बज चुके िे| िैं, अपिे भाई के साि, वडाला के नित्यािंि ि​िर िें , इंटरव्यू लेिे जा रही िी| नित्यािंि ि​िर, िेरे मलए एक बहुत ही िया एररया िा| ऊपर से इंटरव्यू लेिे के मलए िें बेहि िवषस भी िी| जैसे ही िैं उस एररया िें पहुाँची, तब िुझे एक अजीब सी बिबू आयी| उस एररया के बारे िें वणषि करू, तो वहा​ाँ एक कोिे िें शिशाि िा, िस ू री तरफ फ्लैट्स िे, कुछ िक ु ािे भी िी और आखरी कोिे िें लि-भि १५ घरों की एक छोटी सी बस्ती िी| जजसे 'वाकिीकक बस्ती' कहते है | बस्ती के घर एक िस ू रे से थचपके हुए िे| कुछ घरों के िरवाजों के साि​िे िटर भी िे, मसवाय िटर खुले होिे के

कारण

वहा​ाँ कई िच्छर भी िे| जजससे िुझे अंिाजा

आया, की वहा​ाँ लोि ककस हालत िें रह रहे िे| शिशाि के बाजू िें ही एक सावषजनिक शौचालय िा, जजसको थचपककर सफाई किषचारी का वह ऑकफस िा, जजसिें िैं इंटरव्यू लेिे वाली िी| वह ऑकफस इतिा छोटा िा, की िुजश्कल से मसफष २-३ लोि उसिें सिां सके| िैं वहा​ाँ पर अमित जी का इंटरव्यू लेिे वाली िी, वो िस्त िीली रं ि की शटष पहि कर आए| िोड़े से सावलें, ४० की उम्र के िे| वो वाकिीकक सिाज से िे और बचपि से ही नित्यािंि ि​िर िें रहते िे| िुझे लिा िा, की वह बहुत कि बाते करिे वाले रहें िे, पर वह एक िोस्त की तरह िुझसे बात कर रहे िे| उिकी िाताजी जो की ७० साल की है और वपताजी जो की ८० साल के है , वह अभी भी उिके साि साफ़-सफाई का काि करते है| इस बात िे िािो िुझे

चौका दिया, उिके इस अिुभव से िुझे यह पता चला

की, उिका काि एक पीढ़ी-िर-पीढ़ी का व्यवसाय है और आज भी चलता आ रहा है |

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उिके िाता-वपता िा​ाँव िें साफ-सफाई का काि करते िे| िुंबई िें कुछ िया काि मिले इस सोच से वे िोिों, इस शहर िें आए, परं तु यहा​ाँ भी उिका काि

जानत से निधाषररत

ककया िया| आणखर िें , जब िैंिे उिसे यह पूछा की 'क्या आप चाहते है , की आप के बच्चे भी यही काि करे ?' तो वह कुछ िे र शांत हुए, िुस्कुराये और उन्होंिे कहा​ाँ, “कौि चाहता है की, उिके बच्चे ऐसा काि करे ? हि​िे तो उन्हें पढ़िे डाला है , अब बाकक सब उिके हाि िें और बचा-कूचा सब भिवाि के भरोसे से है ”| पर उिकी आाँखों िें सवाल साफ़ दिखाई िे रहा िा, ‘हि वाकिीकक ही यह साफ़-सफाई का काि क्यों करे ?' उसका जवाब िा िेरे पास िा और िा ही उिके पास| कुछ सिय ख़ािोशी िें जािे के बाि, िैं घर वापस आियी लेककि उिका सवाल आज भी िेरे दि​िाि िें ताजा है | यह िा हिारे ग्रुप के एक िेम्बर का अिुभव| ररसचष, हिें सिाज की सच्चाई तो दिखाता है लेककि उस सच्चाई से परे शाि भी कर िे ता है | ऐसे अिेक अिुभव हिें इस एक साल के ररसचष िें आये, जो सारे याि​िार रहें िे| इि सारे अिुभवो से हि​िे बहुत कुछ सीखा है | हिारी इस ववषय और लोिों के बारे िें पहले की सोच और अभी की सोच िें काफी बिलाव आया है | सिाज िें लोि अपिी निजी िनु िया िें व्यस्ि रहते है | उन्हें ज्यािातर अपिे आस-पास की कुछ कफ़क्र िहीं होती और जब िद् ु िा ‘साफ़-सफाई’ का आता है , तब हि मसफष अपिे घर की सफाई के बारे िें सोचते है | जब अपिे आस-पास का इलाका िंि​िी से या कूड़े से भरा पड़ा होता है , तब हि मसफष यह चाहते है की हिारा इलाका साफ़ हो| साफ़-सफाई करिे िें , ‘सफाई किषचारी’ सबसे िहत्वपूणष कड़ी होते है पर उिके बारे िें कोई िहीं सोचता| जब ‘सफाई किषचारी’ की बात आती है तब ऐसा िे खा जाता है , की जो साफ़-सफाई का काि कर रहा/रही है , वह ककसी 6


एक निम्ि जानत से होती/होता है | तिा सिाज िें उिको नतरस्कार के िजर से भी िे खा जाता है | पुरािे जिािे िें जानत के अिुसार काि को बाटा िया िा| हि इस ररसचष पर काि करते वक़्त यह जाि​िा चाहते है , की "क्या आज इतिे आधनु िक युि िें भी इंसाि को उसके जानत के अिुसार िे खा जाता है? क्या जानत से उसका काि निधाषररत ककया जाता है ? और क्या इन्साि की जानत उसकी पहचाि बि जाती है ? – इि सब सवालो का जवाब धड ंु िे का जब हिें िौका मिला तब इस ररसचष िें हि​िे 'िमलत सफाई किषचारी' और 'सिाज' के बारे िें जाि​िे का प्रयत्ि ककया है | इस ररसचष िें , हि​िे िमलत सफाई किषचारीयों की ‘जानत व्यवस्िा और स्िािान्तरण’ के ररश्ते को सिझिे की कोमशश की है | जजसिें से जानत-व्यवस्िा एक बहुत ही, संवेि​िशील और िहरा िुद्िा है जजसका प्रभाव आज भी है| िा​ाँव िें तो अलि-अलि प्रकारों से लोिो को जातीय भेिभाव का साि​िा करिा पड़ता है | वही िुंबई जैसे शहर िें जहा​ाँ लोि सिािता का िावा करते है , वहा​ाँ आज भी लोिों को जातीय भेि-भाव सहि करिा पड़ता है | इसीमलए जो िराठी िें कहावत है , “जात िाही, ती जात!” यह हिें योग्य लिता है क्योंकक इन्साि के खाि-पाि, रहिसहि, पहिावा िें आज भी कही ि कही जानत िौजूि है |

दलित सफाई कममचािी

जातत

जातत

आधारित

सुंथिा

काम की व्यवथिा

मुंबई में

थिानान्तिण

इस चाटष से हि यह बतािा चाहते है की िमलत सिाज अिर जातीय भेिभाव से तंि आकर िंब ंु ल ु ई जैसे शहर िें भी आ जाए कफर भी उिका जानत के चि ु से छुटकारा िहीं होता| ऐसा

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पाया िया है की निम्ि जानत के लोि ही िा​ाँव िें साफ़-सफाई का काि करते है | िा​ाँव से स्िािान्तरण कर के िुम्बई जैसे बड़ो शहरो िें आते है ताकक वे कुछ अलि काि कर सके| परं तु वहा​ाँ जािे के बाि भी उिपर जानत-आधाररत काि की व्यवस्िा हावी हो रही है | इस ववषय पर काि करते सिय, हिारे खि ु के िजरीये िें बिलाव आया है | अब हि सफाई किषचाररयों को सम्िाि से िे खिे लिे है | इंसाि के रोज के जीवि िें सफाई एक िूलभूत आवश्यकता है | इस आवश्यकता को परू ा करिे वाले लोिों के प्रनत हिारे ि​ि िें सम्िाि और उिके काि के प्रनत आिर होिा चादहए| उसी के साि-साि हिें लिता है की काि को जात के अिस ु ार सौपिा िहीं चादहए| हि इस ररसचष प्रोजेक्ट के जररये सिाज का, सफाई किषचाररयों के प्रनत िजररया​ाँ बिलिे की कोमशश करिा चाहते है |

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ग्रुप-प्रोसेस हिारे ग्रुप का िाि है कारवां| कारवां का ितलब होता है - ‘सफर’। कोई भी सफर याि​िार बिता है लोिों से। हिारे इस कारवां िें कुल मिलाकर १२ सािी है और हि सभी िे मिलकर हिारा यह कारवां इस साल के मलए ही िहीं बजकक जजंि​िी के मलए याि​िार बिाया है । इस ववभाि िें हि आपको हिारे सफ़र की कहािी बता रहे है ।

सबसे पहले शरु वात करते है हिारे १२ साथियों के जािकारी के साि| हि सब िाटुंिा के िरु ु िािक खालसा कॉलेज के ववद्यािी है | Physics, Chemistry, Mathematics, Statistics ,Botany, Zoology और Microbiology इस ववषयों िें ग्रेजए ु शि परू ा कर रहे है । जैसे बारा रामशयों को मिलकर एक रामशचक्र बिता है ठीक उसी तरह हिारा ग्रुप बिा है । हर रामश के स्वभाव, िुण और सािर्थयष अलि-अलि होते है , उसी तरह हिारे सारे साथियों के िुणधिष अलिअलि है । कोई पढाई िें आिे तो कोई खेलकूि िें , ककसी की कम्युनिकेशि जस्ककस शापष है , तो ककसी की ि​िी िैिेजिें ट जस्ककस एक्सीलेंट है । हिें लिता है की इन्ही अलि-अलि स्रें ि िे हिें इक्क्ठा बांध रखा है । १. आयेशा: "आयेशा" का ितलब होता है, एक प्यारी सी िुडड़या। ऐसी ही एक प्यारी सी िुडड़या हिारे ग्रप ु की सिस्य यानि आयेशा| वह हिारे ग्रप ु की सरल, सीधे और तेज़ दि​िाि की लड़की है | कभी अपिा िुद्िा निडर हो के सबके साि​िे रखिा, कभी छुट्टी लेिा, तो कभी ग्रुप िें एजक्टवली पादटष मसपेट करिा| वह एक ऐसे व्यजक्तत्व की धारक है , जो की ककपिाशील और स्रे टेजजक ववचारक है |

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२. मैथिलि: "िैथिमल" एक राजकुिारी का िाि है , जो की मिथिला ि​िरी की राजकुिारी िी| ऐसी ही अपिे िाता-वपता की, प्यारी सी शांत स्वाभाव की राजकुिारी, यानि हिारे ग्रुप की अिली सिस्य "िैथिमल"| वह एक इिोवेदटव इन्वेंटर है , जजसे पढ़िे की अतप्ृ त प्यास है | कभी एकि​ि शांत रहिा तो कभी अपिी िास्टर िाइंड थिकं कंि से, सारे न्यूिेररकल डेटा (डेट्स, ककस दि​ि कौिसा काि हुआ है , कौिसा वकषशॉप ककस फैमसमलटे टर िे कंडक्ट ककया) याि रखिा| पढ़िे के साि-साि व्होयमलेि बजािा भी इसे बेहि पसंि है | ३. साक्षी: "साक्षी" का ितलब होता है "िवाह"| ऐसी ही एक अच्छी और पारखी आब्जवषर, जो अपिे ऐडवोकेट िाता-वपता की शाि है , वह है हिारे ग्रप ु की सिस्य यानि साक्षी| वह एक वविम्र और रहस्यिय स्वभाव की लड़की है , जो की अत्यंत िुणी और प्रेणािायक व्यजक्तित्त्व की धारक है | कभी-कभी बात-बात पर रोिा, कभी-कभी फट से िाराज़ होिा, परं तु अत्यंत िेहिती और सकारात्िक ववचारक है हिारी साक्षी| ४. कोमि: "कोिल" यानि िाजुक, िुलायि| ऐसी ही िाजुक और चंचल स्वाभाव की हिारे ग्रुप की सिस्य यानि कोिल| वह एक चतुर, त्वररत ववश्लेषणात्िक ि​ि की लड़की है | वो एक साहसी लड़की है , जो की हिेशा खश ु रहिे वाली और सिै व िस् ु कुरािे वाली व्यक्ती है | बहािे बिािे िें अव्वल, हिेशा अपिी किीटिें ट कम्पलीट करिे का िावा करिे वाली, तिा सुख-िुःु ख के प्रसंिों, िें सिा िस् ु कुरािे वाली, लड़की है कोिल| ५. मतनषा: "िनिषा" का अिष होता है , "इच्छा"| अपिे ि​ि िें ढे र सारे उम्िीि और इच्छा के साि तकलख बुद्थध और अत्यंत शांत स्वाभाव की, हिारी सिस्य यानि िनिषा| वह एक वविम्र और अत्यंत पररपक्व और सिझिार लड़की है | कभी-कभी िुस्सा कर के रूठ जािा, कभी कभी

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एकि​ि शांत बैठिा तो कभी-कभी मसफष हसिा, ऐसी चल ु बुली स्वभाव की हिेशा िस ू रों की ि​ि​ि करिे के मलए उत्सुक रहती है | ६. प्रीती : "प्रीती" यानि सुंिर, प्यारी, आिंदित| ऐसी ही एक सुंिर सी स्वतंबित, ईिाि​िार व्यक्ती जो अपिे घर को संभालिे के मलए िािो एक पररंिे की तरह आसिाि िें निकल पड़ी है | वह एक स्िाटष और जजज्ञासु ववचारक है, जजसे वाि-वववाि करिा बहुत पसंि है | व्यजक्तित कारणों की वजह से ज्यािा छुट्टी लेती है , परं तु अपिी बात सब के साि​िे कॉजन्फडेंस से सबके साि​िे रखती है | ७. िे शमा: "रे शिा"का ितलब िखिली, रे शिी होता है | एक प्यारी सी अपिी छोटी सी िनु िया िें , णखलिे वाली "एक रे शिी कली" यानि रे शिा| वह एक उत्साही, शांत स्वभाव की अत्यंत सरल लड़की है | वह की प्यारी िुस्काि ही उसकी सबसे बड़ी काबबमलयत है | कभी काि के प्रनत आलस करिा, कभी जरा रूठ जािा, तो कभी थचंनतत रहिा, ऐसे जस्िर प्रकृनत की अपिे खि ु के निणषय खि ु लेिा,ऐसे स्वावलंबी स्वभाव की है हिारी रे शिा| ८. नेहा: "िेहा" यानि प्यारी| ऐसी ही एक प्यारी सी और अत्यंत शिीली स्वाभाव की लड़की यानि हिारी िेहा| वह एक आत्िनिभषर व सक्षि प्रकृनत की लड़की है | हिेशा उलझि िें रहिे वाली, बहािे बिािा, और सिय पर अपिा काि ि करिा, पर साि ही साि ईिाि​िार और निष्पक्ष प्रकृनत की लड़की यानि हिारी िेहा| वह एक सुरीली िायक की तरह है , जो सभी को अपिी उिष ू अकफाज़ो से इम्प्रेस करती है | ९.

सास्जया: साजजया का ितलब है, "िोह लेिे वाला"| ऐसी ही एक सबको अपिे ववचार से िोह

लेिे वाली हिारी ग्रुप की अिली सिस्य यानि साजजया| वह एक स्िाटष , ऊजाषवाि और बहुत िरू िशी व्यजक्तत्व की धारक है | हिेशा आलस करिा, कभी शांत रहिा, कभी फट से भावुक 12


होिा, तोह कभी िुस्सा करिा, तो कभी अपिे इिोवेदटव आइडडया से सबको िोह लेिा| िें लीडरमशप क्वामलटीज़ और अच्छे िणणत और स्टे दटजस्टक्स का ज्ञाि रखती है | १०. िाथिनी: "राथि​िी" यानि एक प्यार भरे संिीत का राि| ऐसी ही एक प्यारी सी लड़की, जो सबको अपिी सुरीले राि छे ड़कर िोह लेती है , वह है हिारे ग्रुप की सिस्य यानि राथि​िी| वह एक िेहिती और सक्षि भाविा के साि धैयष और स्वतंिता की एक बहुत ही अच्छी मिसाल है | कभी िस् ु सा होिा, हफ्ते के ६ दि​ि उपवास करिा, तो कभी अपिी ि​ि​िािी करिा, और अपिी बातो से सबको हसािा ऐसी बबली मिज़ाज की है हिारी राथि​िी| ११. चेतना (सीनू): "चेतिा" का ितलब होता है , ि​ि की वह ववृ ि या शजक्त, जजससे जीव को एक शजक्तशाली जजज्ञासा प्राप्त होती है | हिारी ग्रप ु की एक अि​िोल और अिोखी रति, यानि हिारी चेतिा| लड़ककयों के साि फ़्लटष करिा, कभी-कभी कंजूस व्यवहार करिा,िोडी सी कािचोरी पर बेहि ऊजाषवाि और उत्साही और चालाक दि​िाि तिा अच्छी जजम्िेिारी की भाविा की धारक, यानि हिारी अिोखी चेतिा| १२. अतनमीष: "अनि​िीष" यह एक अिोखा शब्ि है , जजसका ितलब होता है असीमित (अिमलमिटे ड)| हिारे ग्रुप िें ग्यारह िोवपयों िें एकलौता कन्है या​ाँ यानि हिारा अनि​िीष| जैसे इंद्रधिष्ु य िें सात रं ि होते है वैसे ही अलि-अलि रं ि जजसिे से उसका प्यार, िस् ु सा, लीडरमशप की काबबमलयत, आत्िववश्वास, निडर स्वाभाव, ववश्वास, िेहिती स्वभाव, ईिाि​िारी जैसी कई िक ू य उभर कर आते है| कभी-कभी अपिे ड्रीि िलष के बारे िें सोचिा, कभी टॉवपक के बाहर जाकर बातें करिा, ऐसा हिारे ग्रुप का चिकता मसतारा यानि अनि​िीष|

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फ़ेिोलशप की पहचान: हि सब अलि अलि डडपाटष िेंट से होिे की वजह से एक िस ू रे को जािते िहीं िे| २०१५-२०१६ से हिारे कॉलेज िे िुणवती जे कपूर फाउं डेशि और पुकार संस्िा के सहभाि से youth leaders as a change makers यह फ़ेलोमशप शरू ु की िी। िण ु वती जे कपरू फाउं डेशि हिारे कॉलेज के पूवष छाि जॉि कपूर सर िे स्िावपत ककया है जो िे श के अलि-अलि जिहों पर िेडडकल फैमसमलटीज िे िे का काि कर रही है । पुकार एक NGO है जो आज के युवाओं के साि ववमभन्ि सािाजजक ववषयों पर ररसचष का काि कर रहा है । वपछ्ले साल हिारे कॉलेज के ववद्याथिषयों िे यह फ़ेलोमशप की िी। उन्होंिे जब अपिा ररपोटष कॉलेज िें प्रेझेंट ककया तब हिें इस फ़ेलोमशप के बारे िें पता चला। हिारे मशक्षकों िे भी हिें इस फेलोमशप िें सह्भाि के मलए प्रोत्सादहत ककया। एप्लीकेशि फॉिष भरते सिय हिें बहुत सोच सिझकर मलखिा पड़ा। िोड़ा टे न्शि, िोड़ी क्यूररओमसटी ऐसा मिश्र भाविाओ के साि हिारा इंटरव्यू हुआ। मसलेक्शि के बाि हि ३ दि​ि और २ रात के ओररएंटेशि के मलए िलाड के जे.जे.िमसिंि होि िें िाणखल हुए।

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ओरिएुंटेशन औि बाकी सािे वकमशॉप्स: जे.जे.िमसिंि होि काफी संि ु र ‘लनि​िंि स्पेस’ है | हर तरफ हररयाली और िोडा आिे बढ़िे पर ि​ि िोहिे वाला िीला-िीला सिन्िर! जे.जे.िमसिंि होि का पररसर िे खते ही हिारा फ़ेलोमशप की बारे िें पॉजजदटव एदटट्यूड बिा। हिारा यह ओररएंटेशि निनति और अवविाश िे कंडक्ट ककया िा| ग्रुप एजक्टववटीज करिा, साि िें खािा बिािा, िजा करिा ऐसे चीजों से भरा हुआ ओररएंटेशि हिें टीि बबजकडंि, को-ऑडडषिेशि, मलसनिंि ऐसे बाते मसखा के िया। ओररएंटेशि के बाि हर संडे को हिारे बांद्रा के पुकार ऑकफस िें या कफर िोरे िाव के सेंट पायस कॉलेज िें अलि-अलि वकषशॉप्स होते िे। सवे, इंटरव्यूज, फोटोग्राफी, िैवपंि, मलटरे चर ररव्यु, धिष-जानतवाि के िुद्िे पर सिझ बिािा, टीि बबजकडंि, एथिक्स ऐसे वकषशॉप्स से हिें अलि-अलि ररसचष िेिड्स के बारे िें पता चला। सारे िेिड्स को वकषशॉप िें प्रैजक्टस करिे के वजह से हिें फीकड पर उसका उपयोि कैसे

करिा है यह सिझ िें जकि आता रहा।

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मीटटुंग्स: फेलोमशप की शरु ु आत होते ही हिें हिारी autobiography मलखिे का काि दिया िया। जजसके जररये हि खि ु के बारे िें सोचिे पर िजबूर हुए और हिें अपिी लाइफ को फ्लैशबैक की तरफ िे खिे का अवसर मिल िया। हिारी पहली िीदटंि हिारे फैमसमलटे टर सि ु ील के साि हिारे कॉलेज िें हुई। हर िहीिे फैमसमलटे टर के साि हिारी िीदटंि होती िी। टॉवपक सोचिा, डडस्कशि, झिड़े, ग्रांट िैिेजिें ट करिा, कक्रएदटववटी दिखािा, अिर कोई वपछली िीदटंि िें िैरहाजजर रहा तो उसे सुिािा, एन्जॉय करिा, सेकफीज निकालिा, टॉवपक से हटकर बाते करिा इि सब थचजों से यह खुबसूरत प्रोसेस आिे बढ़ता रहा।

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टॉवपक लसिेक्शन : अमिता मभड़े जो TISS कॉलेज की अध्यावपका है , उन्होंिे हिारा ‘िविेंस’ इस ववषय पर वकषशॉप मलया, उसके बाि हि​िे इस िीि पर सोचिा शुरू ककया। इंटरिेट की ि​ि​ि लेते हुए हिारी टॉवपक की खोज 'सैनिटे शि' पर आकर रुकी। सैनिटे शि

के आिे बढ़कर साफ-सफाई का

काि करिे वालो पर ररसचष करिा, पक्का करिे िें २ दि​ि लिे। 'सत्यिेव जयते', India untouched, shit! यह documentaries िे खिे के बाि हिें यह सिझ िें आया की आज भी साफ-सफाई का काि ककसी पदटष क्युलर कम्युनिटी से जुड़ा हुआ है । तो हि​िे हिारे टॉवपक 'िमलत सफाई किषचारी ' ऐसा निधाषररत ककया| पक ु ार के सािी अनिल, जो हिारे ग्रप ु को ि​ि​ि करिे के मलया हिेशा तैयार रहते िे| उन्होंिे हिें टॉवपक को अच्छी तरह से सिझिे के मलए अपिे अिुभव बताये। उिके सहयोि से हिें साउि िंब ु ई िें साफ सफाई का काि करिे वालो से बात करिे का अवसर मिला और हिारे साि​िे स्िािान्तरण यह िुद्िा आया, क्योंकक काफी सारे लोि यहा​ाँ पर िस ु रे िा​ाँवों से ‘काि’ की तलाश िें आये िे। इस तरह से टॉवपक कफक्स होिे के बाि सुिील िे हिें अपिे एररया िें साफ-सफाई का काि कौि करता है ? और पूरी मसस्टि कैसे चलती है ? यह ढूंढिे के मलए कहा । इस वजह से टॉवपक का िहत्व काफी स्पष्ट तरीके से साि​िे आया। हि​िे इस ववषय पर अलि िजररया ले कर काि ककया है | वीडडयो वोलेंदटयसष (िामशक) इस आिेिाइजेशि को हि​िे ववजजट ककया। िामशक जािे के मलए हि बहुत एक्ससायटे ड िे। वहां पर ‘िायाताई खोड्वे’ जी से बात करिे पर हिें इस काि िें होिे वाली परे शानियां जैसे जानतवाि, िाइग्रेशि इि फैक्टसष के बारे िें और िहराई िें पता चला। आकार िें छोटा दिखिे

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वाला कैिेरा क्या कर सकता है उसका जाि ू भी सिझ आया| इसी तरह से एक-एक चीज को जाि-पहचाि कर, एक िहीिे बाि हिारे टॉवपक के तीि ऑब्जेजक्टव कफक्स हुए। जात और काि का ररश्ता क्या होता है ? क्या जात पर काि निभषर करता है ? क्या जात से छुटकारा पािे के मलया स्िािान्तरण एक रास्ता है ?

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डेटा किेक्शन: डेटा कलेक्शि यानि कफकड िें जाकर अपिे सहभािीयों से जािकारी इक्कठा करिा, हालाकक, काफी सारी चचाष और कफकड ववजजट हि पहले से ही कर रहे िे लेककि असल डेटा कलेक्शि हि​िे दिसंबर २०१५ की शुरुवात िें फीकड ववजजट करके शुरू ककया। पायलट इंटरव्यू िें हिें बहुत अजच्छ प्रनतकक्रया मिली। लेककि बाि िें काफी दिक्कते भी आयी| जैसे कभी इंटरव्यू लेिे िए तो FGD बि​िा ,इंटरव्यू लेते सिय िो पादटष मसपें ट्स िें झिड़ा होिा, सवाल भूल जािा, ब्लैंक होिा, शरू ु कैसे करे यह सिझ िें िा आिा, भिाया जािा ऐसे खट्टे -मिट्ठे अिभ ु व मिले। काफी सारी चचाष होिे और

िािष ढूंढिे के बाि हि कफर िया िजररया लेके फीकड पर िए।

हि​िे हिारा ररसचष एक ही जिह पर ि करके, ररसचष टीि के हि १२ लोि अलि-अलि जिह पर फ़ैल िए।हिारे इंटरव्यूज वडाला, मशवडी, कांजुरिािष, िाटुंिा, भांडुप, िालासोपारा, ऐसे ववववध जिहों पर ककये जजसकी वजह से हिें िुंबई िें रहिे वाले पादटष मसपें ट्स की अलि-अलि राय जाि​िे को मिली। अपिे िे श िें "जात" बहुत संवेि​िशील ववषय है । ककसी को उिकी जात पछ ू िा हिारे मलए सबसे चैलेंजजंि टास्क िा। इमसमलये उिको िख ु ि पहुंचाते हुए| उिको अपिे अिुभव बतािे के मलए कम्फटे बल करिा जरुरी िा। कभी-कभी पादटष मसपें ट्स बात करते हुए रोिे लिते िे, तब उिको शांत करिा ऐसी पररजस्िनत िे पूरा कम्युनिकेशि जस्कल िाव पे लिता िा। तो कभी-कभी उिकी कहािी सि ु िे के मलए हि तैयार है , यह िे खके सहभािी खश ु होते िे। हिें ि​ि​ि करिे के मलए तैयार होते िे और यह िे खके की अभी भी िुंबई जैसे हर रोज बिलिे वाले शहर िें िािवता है हिारा हौसला और बढाता िा।

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ररकॉडष ककये हुए इंटरव्यूज सुिके मलखिा एक िहत्वपूणष काि िा। बड़े इंटरव्यूज होिे की वजह से सुि कर मलखिे िें भी बहुत सिय जाता िा। हिारे ग्रुप के एक सिस्य के िोबाइल िें ररकॉडडिंि हिेशा पहले से ही शुरू होता िास वजह से उसको हिेशा पूरा सुिके मलखिा पड़ता तो कभी-कभी रात को जाि के इंटरव्यूज मलखिा पड़ता िा। अलिअलि- तरीकों से हिारा डेटा कलेक्शि डेडलाइि के बाि परू ा हो िया।

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डेटा एनालिलसस: ढे र सारा डेटा मिलिे के बाि का काि िा डेटा कि करिा, उसका ितलब बिािा और सच्चाई को साि​िे लािा। हिारे कुछ ग्रुप िें बसष ककसी कारण से िैरहाजजर रहते िे तो उिका डेटा मिलिा िुजश्कल होता िा। बहुत ववमभन्िताएं होिे की वजह से confusion हो जाता िा। ि​ि को शांत रखकर काि करिा िजु श्कल िा। ररपोटष राइदटंि िें दहंिी शब्िों के मलए डडक्शिरी लेके बैठिा पड़ता िा।ऐसे ही ऊपर-निचे लहरों के साि हिारा ररपोटष मलखकर पूरा हुआ।

टीम वकम औि लसख: हि सभी के मलए िीदटंि करिा सबसे बड़ी सिस्या िी क्यंकू क हि सभी का कॉलेज टाइि टे बल अलि अलि िा। बहुत लोि अपिे व्यजक्तित कारण के वजह से िीदटंि के मलए िैरहाजजर रहा करते िे| हिारे ग्रुप िें बर, जो टॉवपक के खोज के सिय िैरहाजजर िे, उि​िे से कुछ लोिों को टॉवपक पर शक िा। कभी-कभी आधा ग्रुप िैरहाजजर रहता िा। तो कभी डेडलाइि के बाि भी काि एक्सटें ड होता िा। कुछ िें बसष िे अपिा ककसी कारण यह फ़ेलोमशप छोड़िे का इरािा बता दिया। कॉलेज फेजस्टवल के टाइि एक दि​ि हि िीदटंि के मलए आये तो काि छोड़ के झिड़िा शुरू ककया। लेककि कफर भी सुिील की िाइडेंस की हि “कुछ अलि कर रहे हैं” ये फीमलंि हिें फ़ेलोमशप परू ा करिे के मलए हिेशा प्रोत्सादहत करती िी। इस प्रोसेस िें हिें हिारे पररवार का बहुत सपोटष मिला, एक िें बर िे अपिे भाई के साि अपिे सारे इंटरव्यूज मलए।हि फीकड ववजजट के िौराि एक िस ु रे के घर भी िए। हिारा पररवार भी इस प्रोसेस से जुडा हुआ िा। िस ू रे ग्रुप के सिस्य और हिारे िस ू रे मि​िों िे भी हिें ि​ि​ि की।

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हि​िे इस फ़ेलोमशप के िौराि बहुत रे वल ककया। कुछ सिस्य िे रे ि से पहली बार रे वल करिा मसखा। ियी जिहों पर जािा, िए लोिो से बाते करिा, टॉवपक ररलेटेड कफकम्स िे खिा, इसकी वजह से हिारा एक साल पहले का सिाज को िे खिे का िजररया और अब के िजररया िें बहुत फकष आ िया। कम्युनिकेशि जस्ककस, लैंग्वेज जस्ककस, टाइि िैिेजिें ट, कक्रदटकल एिामलमसस ये बाते हिें प्रैजक्टकली सीखिे को मिली। यह िा हिारा सफर, तो....... अब हि टॉवपक की तरफ निकलते है ।

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साटहत्य की समीक्षा इन्साि के िूलभूत आवश्यकताओं िे स्वच्छता एक िहत्वपूणष आवश्यक्ता है । कफलहाल भारत िे चल रहे ‘स्वच्छ भारत अमभयाि’ िे जो सफाई हो रही है, उसी पर सभी का ध्याि है । पर जो सफाई कर रहा है ,

उसे बहुत आसािी से अि​िे खा ककया जा रहा है । यह काि करिे

वाले लोिों को ‘कचरे वाला’ शब्ि से या कफर उिके जात के िाि से पहचािा जाता है | इि सारे िािों िें हीि भाविा व्यक्त होती है और सिाज िें उिको नतरस्कार की िजर से भी िे खा जाता है | उन्हें िंिे, अशुद्ध और प्रिवू षत िािा जाता है | लेककि सच तो यह हैं की वे सारे लोि साफ़सफाई करिे वाले होते हैं, लोिों के कूड़े-कचरे और ववष्ठा को वे हािों से उठाकर स्वच्छ करते हैं, इसमलए इिको सरकारी कािज़ों िें ‘सफाई किषचारी’ उकलेख ककया जाता हैं| साफ़-सफाई का काि आज भी ज्यािा तर वपछड़े सिाज के लोि ही करते हैं| यह इिका िािो पूवज ष ो से चलता आया हुआ काि हैं| अिर हि भारतीय सिाज का इनतहास िे खे तो यह सिझ आता है कक ‘जानत और व्यवसाय’ का िहरा ररश्ता है | ‘आरक्षण’ जैसे उपक्रिों से उसिें बिलाव लािे की कोमशश जरुर की ियी है लेककि यह ररश्ता आज भी कायि है | २०११ जि​िणिा के अिस ु ार SC और ST जानत के लोिों िें से मसफष ४% पररवार ही सरकारी किषचारी हैं| हालांकक इि िो जानतयों का पूरे िे श िें १७.९१% और ११% प्रिाण है (मसंघ,२०१५)| इस से यह साफ़ सिझ आता है कक, आरक्षण को ५० साल से ज्यािा होिे के बावजि ू उसका लाभ बहुत कि लोिों तक पहुाँचा है | सोचिे वाली बात यह हैं, जो SC और ST लोि सरकारी काि िे है , वे कौि से औिे पर हैं और क्या काि करते है ?| िोरात और सेिापती (२००७) इन्होिे स्पष्ट रूप से बताया िा कक, एक तरफ श्रेणी ३ और श्रेणी ४ िें काि करिे वाले लोि ९५% से ज्यािा SC और ST है और िस ू री तरफ श्रेणी १ और श्रेणी २ के औिे पर िमलतो और 23


आदिवामसयों के मलए आरक्षक्षत जिह पर लोि भरे िहीं जा रहे हैं | इस डेटा के िो ितलब निकल सकते है , १. िमलत सिाज िें मशक्षा और काि िें आरक्षण होिे के बावजूि उन्हें ऊाँचे पि पर जािे िें िुजश्कलों का साि​िा करिा पड़ रहा है और २. चतुिष श्रेणी के काि जैसे साफ़-सफाई और कूड़े-कचरे से जुड़े होते है उन्हें करिे की जजम्िेिारी आज भी िमलत सिाज पर डाली ियी है | हि यह जािते है की, सफाई किषचाररयों को काि के िौराि अिेक परे शानियों का साि​िा करिा पडता है , कफर भी उिके बारे िे सोचा िही जाता, उिकी िुजश्कलों को िजरअंिाज ककया जाता है । उिके और उिके काि के प्रनत सिाज िे सम्िाि िही होता है । इस ररसचष िें हि​िे िमलत सफाई किषचाररयों के जानत , व्यवसाय और स्िािान्तरणण के ररश्तों को सिझिे की कोमशश की है | हिारा यह ररसचष िुंबई शहर िें रहिेवाले िमलत सफाई-किषचररयों पर आधाररत हैं, यह सारे लोि कॉन्रै क्ट लेबर के तौर पर काि कर रहे हैं | इस ररसचष िें आिे बढ़िे के पहले कुछ िुद्िों को सिझिा जरुरी है , इसमलए हि​िे यहा​ाँ पर उि िुद्िों को आसाि तरीकों से सिझाया है | १. जातत व्यवथिा : हिारा सबसे पहला िद् ु िा ‘जानत’ है । जानत व्यजक्त के सिाज को जजसिें उसका जन्ि हुआ हो, उसको कहते हैं। ब्राह्िण, क्षबिय, वैश्य, लोहार, तेली, कुिी, धोबी आदि कुछ दहंि ू जानतया​ाँ हैं| िम्रता चौहाि जानत को इस तरह से सिझाती है - “Caste is an organized social institution, broadly speaking,

the four fold division of a society has been sanctioned in ancient scriptures and said to structure all social relations”. भारतीय सिाज को श्रि ववभाजि के निमि​ि चार वणों िें ववभक्त ककया िया िा। ये चार वणष हैं :

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ब्राह्िण, क्षबिय, वैश्य एवं शूद्र। इमससे लाखों जानतया​ाँ बि ियीं। भारत िे ३००० जानत और २५००० उपजानत है । जो की ववमशष्ट व्यवसाय से जुडी है । जानत-व्यवस्िा की स्िापिा पर कई तरह के मसद्धांत है । जैसे की धामिषक-रहस्यिय मसद्धांत, जैववक मसद्धांत और सािाजजक-ऐनतहामसक मसद्धांत। धामिषक रहस्यिय मसद्धांत बताता है की, चार वणष कैसे स्िावपत हुए। ऋिवेि के अिस ु ार शरीर के मभन्ि-मभन्ि भािो से अलि-अलि वणष स्िावपत हुए है । िस्तक से ब्राम्हण, हाि से क्षबिय, जाघों से वैश्य, पैर से क्षुद्र आये है । जैववक मसद्धांत के अिस ु ार सारी िौजि ू वस्तु, जजववत, अजजववत, निदहत िुण के तीि प्रभाजि ककये है । ‘सत्व’ िुण िे बुद्थधि​िा, बुद्थध, भलाई, ईिाि​िारी यह िण ु आते है । ‘राजस’ िुण िे जुिूि, िौरव, वीरता यह िुण िािे जाते है । ‘तािस’ िुण िे िंिता, िुखत ष ा, रचिात्िकिा का अभाव और िकारात्िकता यह िुण आते है । मभन्ि प्रकार के लोि मभन्ि प्रकार का व्यवसाय करते है । इस मसद्धांत के अिुसार ब्राम्हण के सत्व िुण, क्षबिय और वैश्य के राजस िुण होते है और क्षुद्र सिाज के तािस िुण के होते है । सािाजजक ऐनतहामसक मसद्धांत वणष, जात, अछूत के रचिात्िकता के बारे िे बताती है । इस मसद्धांत के अिुसार, आयो के भारत िे आिे से जात व्यवस्िा शुरू हुयी है । आयो िे स्िानिक संस्कृती की अवहे लिा की है ।

२. जाततवाद औि जाततभेद: जानत के आधार पर ककसी प्रकार का भेिभाव या पक्षपात करिा जानतवाि कहलाता है | जात िा मसफष व्यवसाय को निजश्चत करती है , पर लोिो का आचार-ववचार, िस ू रे जानत के लोिो के साि व्यवहार, ररश्ता बताती है ।

ऊंची

जानत के लोि ज्यािा सम्पती और सवु वधाओ का लाभ उठाते है । वही िीची जानत के 25


लोि सेवको का काि करते है । जानत

व्यवस्िा के बाहर के लोिो को अछूत िािा

जाता है । िांधीजी िे अछूत लोिो को ‘हरीजि’ िाि दिया है । ज्यािा तर लोि जानत व्यवस्िा से बाहर ि जाकर अपिी जजिं िी बबताते है और अपिी ही जानत िे शािी भी करते है । डॉ. बाबासाहे ब आंबेडकर िे जानत के छह वैमशष्ट्य बताए है जो की िीचे दिए िये है | इि के वजह से जानत आज भी िजबूत बिी हुई है | जात जन्िमसद्ध होती है । व्यवसाय जन्िमसद्ध होता है । रोटी व्यवहार जाती िे ही होता है । बेटी व्यवहार जाती िे ही होता है अछूत सिाज के मलए अलि बजस्तयॉ ं होती है । जानत का नियि​ि जात पंचायत करती है ।

डॉ. बाबासाहे ब आंबेडकर िे जानत व्यवस्िा को बबि सीढी की इिारत कहा है । जजसिे एक िंजजल से िस ू री िंजजल पर िही जा सकते है । उन्होिें कहा है की ऊपरी िंजजल के लोि हिेशा ऊपर और निचली िंजजल के लोि हिेशा िीचे ही रहें िे। ३. जातत-आधरित व्यवसाय: सािान्य रूप से काि का ितलब व्यवसाय, धंधा, पेशा या उपजीववका होता है । ऐसा िे खा जाता है कक काि को जानत अिुसार बा​ाँटा िया है । जानत-व्यवस्िा सदियों से चलती आ रही है , २१ वी सिी िें भी लोिों के काि पर यह व्यवस्िा प्रभाव कर रही है । जजसिें ज्यािातर ऐसा िे खा जाता है कक साफ-सफाई का

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काि अभी भी निधाषररत निम्ि जानत को ही करिा पड़ता है । जानत व्यवस्िा भारत िें बहुत साल पहले स्िावपत हुई है । अरसो पहले से चलिेवाली जानत व्यवस्िा िें यह िे खा िया है , कक जात और काि िें िहरा ररश्ता है | सत्व, राजस और तािस इि तीि िुणो के आधार पर चार वणष निधाषररत ककये िये है । इससे काि और जात का ररश्ता बिा। Amit Rahul (२०१५) एक वररष्ठ संशोधक है , उन्होिे इस बारे िे मलखते हुये कहा​ाँ कक, “A significant connection between the caste status

and job could historically be established, as many castes have traditionally been associated occupations. Thus, the caste seems to determine the type of the occupation a person can pursue. The traditionally village economy revolved around a hereditary caste hierarchy that prescribed individuals occupation. We find that the occupation connected with the Dalits were mainly unclean and degrading ones, with little or no scope of vertical mobility”.

Ogbu

(१९९२) िे कहा िया है कक, “There is a relationship between caste and

job, which resulted in poor schooling in different societies. He compared relationship between caste like or involuntary minority status and education in six different societies. His broad, comparative framework enabled him to uncover similar pattern and cause of low school achievement among involuntary minorities”.

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४. सफाई कममचािी: आजकल की आधनु िक िनु िया िे इंसाि के जीवि िे साफ-सफाई का बहुत िहत्व है । साफ-सफाई से जुड़ा एक िहत्वपुणष भाि है सफाई किषचारी। सरल भाषा िे सफाई किषचारी ितलब साफ-सफाई का काि करिे वाला। सफाई किषचारी की सािान्य रूप से कई पररभाषा है , पर राजष्रय आयोि बबल (१९९३) के अिुसार सफाई किषचारी का ितलब, “Safai karamchari means a person

engaged in on employed for manually carrying human excreta or any sanitation work”. सफाई किषचारी के िो िुख्य प्रकार है । एक सरकारी किषचारी (Government)

जो

इस

शहर

िें

बह ु ई ृ न्िब

िहाि​िरपामलका

(Muncipal

corporation of greater Mumbai) के अंतिषत सफाई किषचाररयों का काि करते है । कचरा प्रबंधि और अपमशष्ट (waste) संग्रदहत करिा, जजसिे बह ु ई ृ न्िब िहाि​िरपामलका की SWM System उच्चिीय है । MCGM १३९६ यािाओ ९८३

ि​िरों से और

के द्वारा

अपिी िीजी वाहिो कक द्वारा प्राप्त कर रही है । जहा​ाँ पर दि​ि

िे ६५०० टि कचरा प्रनत दि​ि जिा होता है । इसी िे सफाई काि​िारो के काि जैसे कुडा उठािा, उसे कुडे िैिाि िे डालिा, यह सरकारी अस्पताल, िफ्तरो िे काि करते है । इि सरकारी संस्िािो िे उिके कई काि होते है , जैसे कक संबथधत क्षेि, कायाषलय साफ-सुिरा रखिा, झाडू िारिा, सफाई करिा, शौचालय की सफाई करिा, िमलयारो की सफाई करिा इत्यािी। िस ू रा प्रकार होता है वो किषचारी जो अिुबंध या कॉन्रै क्ट लेबर (contract basis) के आधार पर सफाई काि करते है । इिकी हालत बहुत खराब होती है । वे सारे लोि िै निक िजिरु ी पर काि करते है । उन्हे काि कक जिह पर सुववधाऍ भी कि होती है । उन्हे िफ्तरों, अस्पतालों, ववद्यालयों इत्यािी िें काि पर रखा जाता है । जजसके मलए उन्हे १५०-१६० पिार दिया जाता है । उन्हे स्िायी

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आधाऱ पर काि पे िहीं रखा जाता है , जजसके कारण उिका रोजिार खतरे िें रहता है । इि िोिों प्रकार के लोिों को चतुिष श्रेणी काि​िार भी कहते है ।

५. थिानान्तिण: हिारा तीसरा िद् ु िा स्िािान्तरण है । स्िािान्तरण ितलब ककसी कारण से एक जिह से िस ू री जिह जा कर बस जािा। स्िािान्तरण ककसी के भी द्वारा ककया जा सकता है । इंसाि िरीबी, काि, शािी, व्यवसाय या कफर प्राकृनतक आपिा इत्यािी कक वजह से स्िािान्तरण करते है । वपछड़े सिुिाय के लोिों के स्िािान्तरण करिे के बहुत सारे कारण होते है - िरीबी से तंि आकर या कफर िये िौकों की तलाश िें स्िािान्तरण ककया जाता है | िा​ाँव िें आिेवाले भयािक अिुभवों से छुटकारा पािे के मलए भी यह एक आसि रास्ता बि जाता है |

६. मुंबई औि थिानान्तिण: िंब ु ई भारत के पजश्चि तट पर घिी आबािी वाला शहर है । जजस का परु ािा िाि बॉम्बे िा। िंब ु ई भारत कक राजसी िहाि​िरीय उपिहाद्वीप का एक दहस्सा है । यह एक आधनु िक शहर है , जहा​ाँ चीजे लिातर चारो और से बिलती रहती है । Thomson (२०१२) िे अपिे ब्लॉि “Mumbai Urban Slum: ground zero for human dignity” िें ररसचष और लेख के द्वारा िुंबई िे होिे वाली असिािता के बारे िे बताया है । ववमभन्ि ररपोटष जैसे की स्वाती िोयल शिाष (२०१५) कक दहन्िस् ु ताि टाईम्स, िें छपी िई ‘Discrimination in housing: In Mumbai city at migrates prejudices begins at home‘ िे लोिो के साि घरिोहकले िे होिेवाले भेिभाव के बारे िे बताया है । वैभव रहाते, मिसबाह कािरी को जानत और धिष के कारण िुंबई जैसे शहर िे भेिभाव सहि करिा पडा। िुंबई िे कई

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ऐसी जिह है जहा पर ककसी निम्ि जानत के लोि एक ववशेष क्षेि िे रहते है । जैसे की वाजकिकी बस्ती, बौद्ध पाडा इत्यादि। तो हि ये कह सकते है कक िुंबई शहर सभी के मलए सिाि िही है । उसी के साि मशक्षा िें भी जानत के वजह से भेिभाव होता दिखायी िे ता है , जैसे कक इस ररपोटष िें - A report on the different treatment of SC/ST students at All India Institute of Medical Science prepared

by

a

committee

chaired

by

former

University

Grants

Commission chairman Sukhadeo thorat showed that 72% of SC/ST student said that they faced discrimination, while 88% reported various forms of social isolation.” साि​िे आया है ।

ज्यािा तर लोि मशक्षा और रोजिार के मलए िस ू री जिह बस जाते है । लोि अपिे छोटे -छोटे िावोँ से निकलकर शहरो िे और शहरो को छोडकर िस ु रे िे श िे जा बसते है । आज भारत िें ज्यािा तर लोि सिाज के बुरे बताषव से स्िािान्तरण करते है । छोटे िा​ाँव िे जात-पात के भेिभाव को लेकर लोिो िे इज्जत ि मिलिे के कारण और पेट ि भरिे के कारण एक जिह से िस ु री जिह स्िािान्तरण करते है । िस ु रा कारण यह भी होता है के उन्हे उस िॉवं या जिह से निकाला जाता है । एक जिह से िस ु री जिह स्िािान्तरण करिे के िो कारण िुख्य िािे जाते हैं- जजन्हें पुश (PUSH) और पुल (PULL) कहा​ाँ जाता है |

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बेरोजिारी

फसल कक

असुरक्षक्षतता

सेवा या

बरबािी

सूखा/बॉढं

उच्च

सवु वधाओं

अपराध िर

कक किी

िररबी

और युद्ध

Figure 1: Push factors of स्िािान्तरण

रोजिार के मलए

सुरक्षक्षत

संभाववत

उपजाऊ

िाहौल

बेहतर

सेवा का पूवज्ञ ष ाि

प्राकृनतक जोणखि का कि खतरा

जमि​ि

कि

अच्छा

अपराध िर

खािा

आपूनतषकताष

अथधक

से अथधक संपिी

Figure 2: Pull factors of स्िािान्तरण

७. मुंबई औि जातत : िंब ु ई का वणषि बहुत सारे लोिों िे ककया है , इस शहर को जाि ू की ि​िरी भी कहा जाता है | कोई इसे िायापूरी भी कहता है | ऐसा भी कहा जाता है कक यह लोिों के सपिे पूरे करिे वाली यह ि​िरी है | लेककि यह सब ककतिा सच है इसको जाि​िा बहुत जरुरी है | क्या यह शहर सबको एक सिाि िौके िे ता है ? यहा पर जो आता है , क्या उसे हिेशा अपिे िण ु विा के आधार पर तोला जाता है ? इस सवाल का जवाब ख़ोज िे के मलए िुलूंड िे रहिेवाली लडकीयों के ग्रुप िे २१ वी सिी

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िे होिेवाले छुआ-छुत इस ववषय पर संशोधि ककया है । उन्होिे कहा की आज भी िुंबई जैसे शहर िे छुआछुत होती है । आरक्षक्षत जानतयों से होिे की वजह से िमलत सिाज के लोिों को ‘सरकारी जिाई’ ऐसे तािे सुि​िे से लेकर त्यौहार, पाटी, पूजा िें शामिल िा करिे यहा​ाँ तक छुआ-छुत होती है |

निचली जानत के साि दटफीि शेअर

िा करिा, प्रिोशि से िरू रखिा यह भी बताया िया| इतिाही िहीं उन्होंिे यह भी बताया कक कपड़ो से भी जात-पात साि​िे आती है , यह उन्होंिे बताया| जैसे िीले रं ि के कपडे खरीि​िे के वक़्त “तू क्या जय भीि वाली है ?” ऐसे वाक्य सि ु ाई िे ते है | इससे यह साफ़ िजर आता है कक, भारतीय सिाज एक जानत-ग्रस्त सिाज है और जानत इन्साि की पहचाि बि चक ु ी है । लोि आज भी जात-पात के वजह से एक-िस ु रे से िलत व्यवहार करते है , संववधाि िें दिए हुये हक्क भी वपछड़े सिुिाय को िही मिलते है | इस के कारण लोकतंि अपिे आप िे एक िजाक बि चुका है । इसीमलए, जानत-व्यवस्िा को खत्ि करिे के मलए हिे सभी को जािरूक होकर हर संभव प्रयास करिा चादहए। यह शुरूवात ववद्यालयो से की जा सकती है । क्षािो को ववद्यालय िें यह पढािा चादहए की जानत- व्यवस्िा िािव निमिषत है । िुल रुप से ककसी भी इंसाि को जानत से पहचािा िही जािा चादहए, उन्हे उिके िुण और स्वभाव से पहचािा जािा चादहए। जि संचार के ववमभन्ि अंि, जैसे रे डडओ, िरू िशषि, मसिेिा और अखबार इस जात संस्िा के णखलाफ ठोस कि​ि उठा सकते है । संक्षेप िे इस सिस्या की कंु जी, इसके णखलाफ एक िजबत ू जिता की राय के नि​िाषण िे निदहत है । इस परु ािी और व्यापक सािाजजक बुराई के णखलाफ मशक्षको, ववद्वािो, लेखको िे एकजुट होिा चादहए| पुजा िोंडल के अिुसार निम्िमलणखत िुद्िे जात व्यवस्िा बिलिे के मलए उिरिायी है |

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धि की वद् ृ थध

सांस्कृनतकरण

संचार के आधनु िक उपयोि

धिषनिरपेक्षता सिाजवािी

शहरीकरण

ववचार

िया सिाज आिो

औद्योथिकरण

आधुनिक मशक्षा

लि

जानतसंस्िा का वविाश के िािष

भारतीय संववधाि का प्रभाव

Eradication of Caste System in India: A perspective of Dr. B.R.Ambedkar Uploaded by P. Nisargand के अिुसार जात संस्िा खत्ि करिे मलए स्िलांतरण एक उपाय है । उसके साि आंतर-जानतय शािी करिा और उसे बढ़ावा िे िा यह भी एक रास्ता है |

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संशोधि पद्धती प्रोजेक्ट का नाम: “िुंबई के िमलत सफाई कािषचाररयो की पररजस्िती पर असर करिे वाले घटको का अभ्यास”| हिारा यह ररसचष सिाज के अि​िे खी हुई सच्चाई को साि​िे लाएिा इसकी हिें उम्िीि है |

ववषय का चनाव : अपिे िे श िें काि जानत के अिुसार बाटा िया है । आज भी यह जानत-व्यवस्िा िा​ाँव-शहर िें िौजूि है । इस ररसचष िें काि और जात के ररश्तों को सिझिा हिारा िकसि िा| क्या आज भी िुंबई जैसे शहर िें जात और काि का ररश्ता िािा जाता है ? क्या स्िािान्तरण करिा जात और काि के ररश्ते से छुटकारा पािे के मलए एक उपाय है ? यह हि​िे इस ररसचष िें जाि​िे की कोमशश की है ।

रिसचम टूि: सेमि स्रक्चडष इंटरव्यू – कुल मिलाकर ३० िमलत सफाई किषचाररयों के हि​िे इंटरव्यूज ककये हैं| अपिे िे श िें जानत यह बहुत संवेि​िशील ववषय है । सहभािीयों की जात पूछिा चैलेंजजंि िा, इसीमलए हि​िे एक छोटा डेिोग्राकफक फॉिष बिाया, जजसके जररये हिें हिारे सहभािी चि ु िे िें ि​ि​ि हुई| सेमि स्रक्चडष इंटरव्यूज से हिें उिके िुणात्िक (Qualitative) अिुभव जाि​िे िें आसािी हुई।

रिसचम के थिान: हि​िे िंब ु ई िें िाटुंिा, मशवडी, वडाला, कांजरु िािष, भांडूप और िाला-सोपारा ऐसे अलि-अलि जिहों पर इंटरव्यूज कंडक्ट ककए। इसकी वजह से हिें िुंबई िें अलि-अलि जिहों पर रहिे वाले हिारे ३० सहभािीयों की अलि-अलि राय मिली।

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डेटा किेक्शन औि एथिक्स : हि​िे सेमि स्रक्चडष इंटरव्यज ू मलए जजस की वजह से हिें बहुत सारे सहभािीयों से उिके अिभ ु व जाि​िे का िौका मिला। हि सबसे पहले सहभािी को टॉवपक सिझाकर उिको ‘informed consent’ प्रकक्रया के बारे िें बताते िे| उन्होंिे िी जािकारी िें उिकी पहचाि िप्ु त रखी जाएिी ऐसा भरोसा दिलाते िे | हि​िे िुंबई िें ३० िमलत सफाई किषचाररयों के इंटरव्यूज मलए जो अभी िुंबई के ववमभन्ि भािों िें साफ़-सफाई काि करते है | यह सारे किषचारी कॉन्रै क्ट लेबरर हैं , यानि इन्हें अपिे काि की कोई िारन्टी िहीं हैं|

रिसचम की मयामदा :  हिें यह ररसचष करिे के मलए मसफष एक साल का सिय िा

.

 हि​िे इंटरव्यू मसफष िुंबई शहर िें ककये  हि​िे इंटरव्यू कांरेक्टर लेबसष के साि ककये  ववषय की जािकारी और हिारा पूवाषिुभव ऊपर दिये सारे िद् ु िे हिारे ररसचष की ियाषिा दिखाते हैं| हि सब सायन्स के स्टूडेंट्स होिे के वजह से जात और बाकी िुद्िों की हिें ज्यािा जािकारी िहीं िी| अिर हि सिाजशास्ि जैसे ववषय के स्टूडेंट्स होते तो शायि यह ववषय सिझिे िें हिें ज्यािा आसािी होती| ग्रप ु के १२ सिस्यों को एक जिह पर इकठ्ठा करिे िें भी काफी सिय निकलता िया, शायि उसे भी हि कि कर पाते|

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जानकािी का ववश्िेषण

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ववश्िेषण की प्रककया: हिारे टॉवपक पर संशोधि करते सिय हि​िे जो इंटरव्यू मलए और जो मलटरे चर पढ़ा , उससे हिें बहुत सारा डेटा मिला| हिारा संशोधि अच्छी तरह से सिझिे के मलए और उसे एक दिशा िे िे के मलए हि​िे हिारे इंटरव्यू को कोड ककया| तब हिें २८ कोड मिले| जो की बहुत ज्यािा िे, तब हि​िे उि कोड्स को इंटरमलंक करके यानि उिका आपस िें संबंध िे ख कर, ५ िुख्य िीम्स और कई सब-िीम्स िें बांटा है | जो की निचे दिए िए है |

सहभािीयों की पाश्वमभूमी: हिारी पहली िीि है सहभािीयों की पाश्वषभूमि उसिे सहभािीयों का िाि, उिकी उम्र, रहिे की जिह, मशक्षा, पररवार, जात और काि यह सब-िीम्स है | जजससे हिें उिकी बेमसक जािकारी मिलेिी| उम्र

थिान

लशक्षा

परिवाि

काम

जात

साफ-सफाई का काम : ‘उिका काि’ यह हिारी िस ू री िीि है | इसिें चार सब िीम्स है काि की रचिा, काि पर प्रभाव करिे वाले घटक, अडचिे और उपाय| काि की रचिा इस सब िीि िें काि का प्रकार, सिय, पररजस्िनत और पिार यह िुद्िे आते है | जजससे हिें उिके काि के बारे िें पता चलेिा| िस ू री सब िीि जो की काि पर प्रभाव करिे वाले घटक है इस सब िीि से उिके और उिके काि के बीच आिे वाले घटकों के बारे िें सिझेंिे| जजि िें उिकी उम्र, उिका और उिके कॉन्रै क्टर के बीच का ररश्ता यह है | तीसरी सब िीि अड़चिे िें हि उिके काि के िौराि आिेवाली अड़चिों के बारे

िें जािेंिे जो की स्वास्र्थय सम्बंथधत सुववधाएं,

परे शानियां, काि के जिह का वातावरण, उिकी वेति के बारे िें जािकारी प्राप्त करें िे| उपाय इस चौिे सब िीि िें यनू ियि, अन्य काि यह है |

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काम की सुंिचना

काम पि प्रभाववत

अड़चने

किनेवािे घटक

काम के प्रकाि

कममचािी की उम्र

काम का समय

कममचािी का काम

उपाय

थवाथि सुंबुंथधत

यूतनयन

सववधाएुं

कॉन्रै क्टि औि

अन्य पिे शातनया​ाँ

का रिश्ता

काम किने के

एक से ज्यादा काम

िोिों का बतामव

कािण

पिाि

जात: जात यह हिारी तीसरी िीि है | जजस के अंिर जानत-व्यवस्िा, जानत आधाररत घटक, यह है, इस िीि िें हि इि ववषयों के बारे िें जािेंिे|

जात सुंथिा

•सहभथियों की अि​ि-अि​ि जातीय श्रेणणया​ाँ

•भेद-भाव

जातत पि आधारित घटक

•काम •छआ-छूत

•पीढ़ी-दि-पीढ़ी का काम •सम्मान

थिानान्तिण: स्िािान्तरण इस चौिे िीि िें हि सहभािीयों के स्िािान्तरण करिे के कारण के बारे िे पता करें िे| जजसिें जात, बेरोजिारी, पररवार/शािी, यािा यह सब िीम्स है | तिा हि यह भी जािेंिे की क्या हिारे सहभािीयों के दहसाब से स्िािान्तरण करिे से निम्ि जानत के लोिों को ववमभन्ि रोजिारों के अवसर मिलते है ?

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थिानान्तिण के कािण

बेिोज़िािी

जात

परिवाि/शादी

यात्रा

ववलभन्न िोजिािों के अवसिों के लिए क्या थिानान्तिण एक समाधान है ?

अपेक्षाएुं: अपेक्षाएं, यह हिारी पांचवी िीि है | इसिें हि सहभािीयों की ववमभन्ि अपेक्षाओं के बारे िें जािेंिे. इि अपेक्षाओं को और ववस्तार से जाि​िे के मलए, हि​िे उन्हें ४ भािों िें बांटा है |

आदि-

सम्मान

सिकाि से न्याय

अपेक्षाएुं

सिक्षा औि सववधा

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अच्छी

नौकिी


सहभाथियों की पाश्वमभम ू ी हिारी पहली िीि िमलत ‘सफाई किषचाररयो’ की पाश्वषभूमि है | यह िीि हि​िे इसमलए बिाई है ताकक ववषय की िहराई िे जािे से पहले हि सहभािीयों की पाश्वषभूमि के बारे िें अच्छी तरह जाि सके| इस िीि को और जाि​िे के मलए इसे हि​िे ५ सब-िीम्स िें बांटा है | जो की हिारे सहभािीयों की उम्र, मलंि, मशक्षा, रहिे का स्िाि, जात और पीढ़ी की जािकारी प्रस्तत ु की है | टे बि नुंबि १: उम्र उम्र

सहभािीयों की सुंख्या

१८ - ३७

१४

३८ – ५७

१०

५८ – ७०

उकलेख िही ककया

4% 15%

१८-३७ 44%

३८-५७ ५८-७०

37%

उकलेख िही ककया

टे बल ि. १ से हिे यह जािकारी मिलती है की ४४% सफाई किषचारी १८-३७ उम्र के श्रेणी िे आते है, ३७% सफाई किषचारी ३९–५७ और १५% सफाई किषचारी ५९–७० उम्र के श्रेणी िे आते है । एक सहभािी की उम्र के बारे िे िहीं पता चला| इंसाि कक जज़न्ि​िी िे तीि पड़ाव होते है (युवा-आयु, िध्य-आयु, वद् ृ धा-आयु )। इस संशोधि के िौराि हिे यह पता चला की ज्यािा तर सफाई किषचारी १८-३७ साल के है जो कक यव ु ा आयु क़ी श्रेणी िें आते है । इससे हिें यह पता चलता है कक युवा आयु िें इंसाि का काि के प्रनत उत्साह और कई िुरािे होती है , परं तु यह किषचारी िमलत जानत से होिे के कारण उन्हें अिेक अवसर

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या सुववधाए मिलिे िें दिक्कते आती हैं| िव यव ु ाओ को अन्य पयाषय िा होिे के कारण और िरीबी पररजस्िती के वजह से वे यही काि करिे लिते है | यह िरीबी इतिी ज्यािा होती हैं शायि इसीमलए निवि ृ ी की आयु िें भी उन्हें काि करिा पड़ता है । टे बि नुंबि २:- लिुंि औि लशक्षा लशक्षा लिुंि

मटहिा

परूष

निरक्षर

१ली -४िी तक

५वी -१०वी तक

११

उकलेख िही ककया

-

परुष

मटहिा निरक्षर

निरक्षर

१ ली- ४ िी

१ ली- ४ िी

५ वी -१० वी

५ वी- १० वी

उकलेख िहीं ककया 6%

29%

12% 13%

50% 21%

69%

ऊपर दिये िये टे बल से हिे यह जािकारी मिलती है , कक हिारे सहभािीयों िें ७ िदहलाए और २ परू ु ष निरक्षर है । ३ िदहलाए और २ परू ु षों कक प्रािमिक मशक्षा हुई है । ४ िदहलाए और ११ 41


पुरूष १० वी तक पढे है और एक सहभािी से हि​िे िहीं पूछा। इससे यह पता चलता है कक उन्हे ररझषवेशि होते हुए भी, वे ज्यािातर द्ववतीय मशक्षा तक ही पढे है । ज्यािातर सहभािीयों िे यह कहा है , कक उिकी पररजस्िती खराब होिे के कारण वे आिे पढ िही सके। एक सहभािी िे यह कहा कक उन्हे मशक्षा के बारे िे पता ही िही। इस से हिे यह पता चलता है , कक ज्यािातर सफाई काि​िार िरीबी, निम्ि जानत के होिे के कारण कि पढे -मलखे है । टे बि नुंबि ३:- िहने का थिान िहने का थिान

सहभािी

वडाला

११

भांडुप

िालासोपारा

धारावी

मशवडी

िाटुंिा

कांजुर िािष

सायि कोलीवाड़ा

टे बल ि.३ िें यह दिखाया िया है कक हि िे सफाई किषचाररयों के इन्टरव्यू अलि-अलि जिहों से मलया है , जैसे वडाला, िाटुंिा, सायि कोलीवाड़ा, कांजरु िािष, मशवडी, िािर, िालासोपारा और धारावी। ज्यािातर इंटरव्यू वडाला से मलए िये है । क्योंकी वडाला पहुाँचिा हिारे मलए आसाि िा और इंटरव्यू के िौराि हिे यह पता चला की िािर, वडाला और िाटुंिा िें सफाई किषचारीयों की

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एक अलि बस्ती है जैसे वाकिीकक बस्ती, बौद्ध वाड़ी इत्यादि। इस से हिें यह पता चलता है कक इतिे आधनु िक युि िें भी जानत-भेिभाव के कारण अलि बस्ती बिा के रहिा पड़ता है I िहने का थिान १२ १० ८ ६ ४ २ ०

वडाला

भांडुप

िालासोपारा

धारावी

मशवडी

िाटुंिा

वाजकिकक

कांजुर िािष

सायि कोलीवाड़ा

बजस्त

टे बि नुंबि ४ :- जातत इंडडयि रे सेवेशि पॉमलसी के अिुसार ववमभन्ि जानतयों को अलि-अलि श्रेणणयों िें बाटा िया है | जैसे की SC, ST, VJ, OBC इत्यादि। हिारे सहभािी अथधकतर SC श्रेणी िें आते है । जजि​िे चिार, ढोर, िातंि है । जजि​िें से एक सहभािी OBC श्रेणी िें भी है , जो की सोिार जानत से है । हिारे सात सहभािी वाकिीकक जानत से है । हिारे कुछ सहभािीयों िे अपिी जात हररजि या कफर बौद्ध ऐसे बताई तो उन्हें अन्य श्रेणी िे डाला है ।

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जातत

सहभािी

रोदहिास

वाकिीकक

िातंि

सोिार

अन्य जानत

१६

7%

उकलेख िही ककया

3%

जातत

3%

रोदहिास

10%

वाकिीकक 23%

िातंि सोिार

54%

अन्य जानत उकलेख िही ककया

ऐसा िािा जाता है , की सोिार जात श्रेणी िे ऊपरी िािी जाती है । जो बहुत बार अच्छे सािाजजक या आथिषक जस्िनत िें रहते है । हिारे सहभथियो िें से एक सहभािी सोिार जानत से है । जो साफ-सफाई का काि करते है । यह बात हिें भी दिलचस्प लिी। टे बि नुंबि ५ :- सहभािीयों की पीढ़ी हिारे संशोधि िे यह साि​िे आया की साफ़-सफाई

का काि करिे वाली ५ सहभािीयों की यह

पहली पीढ़ी है | १४ सहभािीयों की २ पीढ़ी यही काि कर रही है | ७ सहभािीयों की तीि पीढ़ी और ३ सहभािीयों की पीढ़ी िर पीढ़ी साफ़-सफाई का काि करते आ रही है | और एक सहभािी से इस बारे िे िहीं पुछा िया| हिारे ज्यािातर सहभािीयों िे बताया कक उिके साफ़-सफाई का काि चि ु िे का िुख्य कारण निरक्षर होिा, बेरोजिारी, िजबूरी है । लेककि वहीं कुछ सहभािीयों के िा​ाँ-बाप, सास-ससुर, पनतपजत्ि, िािा-िािी यही काि कर रहे िे तो उन्हे भी यही काि करिा पडा।

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पीढ़ी

सहभािी

१ली पीढ़ी

२री पीढ़ी

१४

३री पीढ़ी

पीढ़ी िर पीढ़ी

उकलेख िहीं

पीढ़ी १६ १४ १२

१ पीढ़ी

१०

२ पीढ़ी

३ पीढ़ी

पीढ़ी िर पीढ़ी

उकलेख िदह ककया

२ ०

१ पीढ़ी

२ पीढ़ी

३ पीढ़ी

पीढ़ी िर पीढ़ी

उकलेख िदह ककया

३० सहभािीयों िे से २४ सहभािीयों का साफ़-सफाई का काि पीढ़ी-िर-पीढ़ी का व्यवसाय है । वह जािे-अिजािे इसी काि को अपिी अिली पीढ़ी को सौंपते िए हैं।५ सहभािीयों के साफ़-सफाई का काि पीढ़ी-िर-पीढ़ी तो िही लेककि उिके इस काि िें आिे का िाध्यि उिके ररश्तेिार या आस-पड़ोस के लोि है और ककसी-ि-ककसी कारण उन्हें यह काि करिा पड़ा।

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साफ सफाई का काम : हिारे टॉवपक पर संशोधि करते सिय सफाई किषचारी और उिके काि के बारे िें जाि​िा बहुत दिलचस्प िा| इतिा ही िहीं बजकक उन्होंिे अपिे काि से जुड़े कई अलि-अलि िुद्िों की जािकारी भी हिें दिए| साफ सफाई का काि यह हिारी िस ू री िीि है | इसिें चार सब िीि है १) काि का स्वरुप, २) काि पर प्रभाव करिे वाले घटक, ३) काि िें आिे वाली िुजश्कलें और ४) उपाय, अब हि इि चार सब िीम्स को एक-एक करके अच्छे से जािें िे| १) काम का थवरुप: इस सब-िीि िें हि किषचाररयो के इस काि से जड़ ु िे के कारण, काि के प्रकार, काि का सिय और उिकी पिार इत्यादि| जजसके बारे िें अब हि ववस्तार से जािेंिे| अ) सहभािीयों के काम से जड़ने के कािण: हिारे ३० सहभािीयों से जब हि​िे उिके इस सफाई के काि से जुड़िे के बारे िें पूछा तब उन्होंिे कई कारण बताए, जो की उिके घर की सिस्या और आथिषक पररजस्िनत, कि पढाई या कफर अिपढ़ होिा और कई कारण बताए| पर अथधकतर सहभािी के कोई-ि-कोई ररश्तेिार, या बड़े इस काि िें िे/है | १६ १४ १२ १० ८ ६ ४ २ ०

घर की

कि पढाई

अिपढ़

प्रवास

सिस्या और

िॉव

िें

भेिभाव

आथिषक

इसी काि

वेकेन्सी की वजह से

पररजस्िनत

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की पीढ़ी िर पीढ़ी


पीछे ’ दिए िए ग्राफ से यह पता चलता है की , अथधकतर सहभािी पीढ़ी-िर-पीढ़ी यह काि कर रहे है | ब) काम के प्रकाि: जब हिे सफाई किषचारी के बारे िें पूछा जाता है , तब हिारे दि​िाि िें मसफष साफ-सफाई करिे वाला, झाड़ू िारिे वाला, कचरा उठािे वाला यही ववचार आते हैं| परं तु जब हि​िे सहभािीयों से पूछा तब यह जािा की सफाई किषचाररयों के कई काि होते है | काम के प्रकाि 7 6 6 5 5 4

4

4 3 3 2 2 1 0 हाउस कीवपंि

रोड की साफ़ सफाई

सोसाइटी िें साफ़

शौचालय की साफ़

घर घर से कचरा

सोसाइटीयो से

सफाई

सफाई

उठािा

कचरा इकट्ठा करिा

इससे हिें यह पता चलता है , की अथधकतर सहभािी रोड साफ करिे का काि करते है | और कुछ ही सहभािी िाड़ी से कचरा उठािा, शौचालय साफ़ करिा, ववद्यालय िें साफ-सफाई करिा यह काि करते है और बाकक सहभािी सोसाइटी िें सफाई करिा, हाउसकीवपंि, घर-घर से कचरा लेिा यह काि करते है |

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क) सहभािीयों की पिाि: इस ववषय पर सहभािीयों से पूछिे पर उन्होंिे उिके पिार की कई श्रेणणया​ाँ बताई, हि​िे उसे अलि-अलि भािो िें ववभाजजत ककया है | यहा​ाँ पर निचे दिए िए चाटष िें हि​िे सहभािीयों के िहीिे की पिार को िशाषया है |

महीने का पिाि 12 10 8 6 4 2 0 ०-२०००

२१००-४०००

४१००-६०००

६१००-८०००

८१००-१००००

१०१००-१२०००

इस से हिें यह पता चलता है की, अथधकतर किषचाररयों की पिार ४१००-६००० रूपए के श्रेणी िें आती है | बहुत कि किषचाररयों का पिार १०१००-१२००० श्रेणी िें आता है और बाकक किषचाररयों की पिार ऊपर दिखाए िए श्रेणी िें आती है | हिारे एक सहभािी यह कहते है की, “जब स्वच्छ

भारत अमभयाि के बड़े-बड़े कायषक्रिों िें लाइदटंि और अन्य चिक-धिक िें पैसा खचष करते है , उससे अच्छा हिारा पिार बढाया होता तो,हि और अच्छे से काि करते और हिारा घर खचष भी अच्छे से चलता” | हिारे िस ु रे सहभािी िे यह कहा है की, “एक तो हिारा पािर कि, वो भी हिें सिय पर िहीं

मिलता| हि अिर हिारे कांरेक्टर से बात करिे लिे, तो वो हिें धिकी िे ते है , की काि से निकाल िें िे” |

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हिारे तीसरे सहभािी िे यह कहा है की, “िैं तो यहा​ाँ रूि िें अपिे बीवी बच्चों के साि भाड़े पर

रहता हु, यहा​ाँ का भाड़ा, लाइट बबल, पािी के मलए अलि से पैसा, घर का अन्य खचाष, अपिे को परवडता िहीं है, इतिे कि पिार िें ”| हिारे सारे सहभािीयों का यह िाि​िा है , की उिके वेति िें बढोतरी होिा चादहए| इससे हिें यह पता चलता है , उिके काि का वक़्त १२-१३ घंटो का होता है | जजसिे उन्हें काि करते वक़्त, कई परे शानिया​ाँ सहि करिी पड़ती है | उिके कठोर काि के मलए उन्हें , सही वेति मिलिा चादहए, जजससे उिका घर, पररवार और बच्चे अच्छी जजंि​िी जी सके|

२) काम पि प्रभाव किने वािे घटक: काि पर प्रभाव करिे वाले घटक यह हिारी िस ू री सब-िीि है | जजसिें हिें हिारे सहभािीयों के द्वारा यह पता चला की उिकी बढ़ती उम्र और उिके कॉन्रै क्टर के साि ररश्ता यह उिके काि पर प्रभाव करता है | अ) उम्र: हिारे ३० इंटरव्यू िें से ३ इंटरव्यू के सहभािीयों से यह पता चला की उिकी उम्र उिके काि पर असर करती है | उिकी बढ़ती उम्र के कारण उन्हें काि मिलिे िें परे शािी होती है | उि​िें से एक सहभािी िे कहा की, " हा ि​ि ,सिझा आता ३० च्या अिोिर असेल ककंवा ३० च्या

िांिे असेल ,२५ हाय, ३० हाय ि​ि घेतात, ४० च्या वर झाला िा ि​ि िाय

घेत, जे अिोिर

घेऊि झालेत ते झाले, आता िाय घेत|" ( हा तो , सिझो अब ३० साल के अंिर या कफर ३० साल से छोटे , ३० साल के हो तो काि पर लेते है | ४० साल के ऊपर हो तो िहीं लेते, जो पहले से वो है , अब िहीं लेते|)

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िस ू रे सहभािी िे कहा की "िैं पहला जहां पर काि करती िी ,पंचि​िी िें उधर बूढ़ा- जवाि ऐसा

िहीं बोलते| इधर ऐसा बोलते है की, तुि बूढ़ा हो िया, घर बैठ जाओ|" ब) सहभािी औि उनके कॉन्रै क्टि के बीच का रिश्ता: ककसी भी काि की शुरुआत एक ररश्ते के साि होती है | इसीमलए काि के जिह पर भी लोिों का एक िस ु रे से अच्छा ररश्ता होिा जरुरी है | हिारे ३० सहभािीयों िें से १६ सहभािीयों का उिके कॉन्रै क्टर से अच्छा ररश्ता िहीं है | जजस का असर उिके काि पर पड़ता है जैसे की उन्हें सिय पर वेति उन्हें मिलता, सवु वधा िहीं मिलती और कॉन्रै क्टर के द्वारा बुरा बताषव सहिा पड़ता है | हिारे एक सहभािी िे यह बताया की, "बबजकडंि का जो सेक्रेटरी है वो तो आंि पे काटिे को

आता है , २००-५०० रुपये पिार ऐसे हर घर से मिलता है , वो भी मिलिे िें िे री होती है झाड़ू तो १०० रुपया का आता है | वो भी हिें खुिको पैसे से खरीि​िा पड़ता है |" िस ू रे सहभािी िे बताया की,"िैं स्कूल िें काि करता हूाँ, िैं स्वीपर यानि साफ-सफाई का काि

करता हूाँ, लेककि जो हिारी िैडि है वो हिारे को अिर कास्ट का सिझ कर हिे बहुत टाचषर करती है|" हिारे १२ सह्भाथियों िे बताया की उिका और उिके कॉन्रै क्टर का साि ररश्ता अच्छा है . जजससे उन्हें उिके काि िें ि​ि​ि होती है| अच्छा व्यवहार करते हैं| हिारे एक सहभािी िे यह बताया की,"हिारा सेक्रेटरी बहुत अच्छा है | हि उिके पास २० साल से काि करते आ रहे है |

अिर सोसाइटी िें कुछ कायषक्रि होता है तो अलि से पैसे भी िे ते है और पिार भी सिय पर िे ते है , अच्छा व्यवहार करते है , हि उिके पास २० साल से काि करते आ रहे है |

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हिारे िस ू रे सहभािी िे कहा की, "पहले िला सिझत िव्हते .ि​ि सुपरवाइजर िे कसा

करायच ते िाखवले| ि​ि िला चांिल सिझल|"( पहले िुझे काि करिे िहीं आता िा| तब साहब िे िुझे वो करके दिखाया िा ,तब िुझे अच्छे से सिझा”|) इससे हिें यह पता चलता है की, सफाई किषचाररयों की बढ़ती उम्र और उिके कॉन्रै क्टर से ररश्ता उिके काि पर ककस तरह असर करता है | उिकी बढ़ती उम्र उिके बेरोजिार होिे का कारण बि रही है | कुछ सह्भाथियों का उिके कॉन्रै क्टर से अच्छा ररश्ता है जजसके कारण उन्हें काि िें ि​ि​ि होती है | अथधकतर सहभािीयों का उिके कॉन्रै क्टर से अच्छा ररश्ता िहीं है , जजसके कारण उिको कई िुजश्कलों का साि​िा करिा पड़ता है | इि िजु श्कलों के बारे िें हि अिले िीि िें ववस्तार से जािेंिे|

३) काम में आने वािी मस्श्किें: जैसे की हि​िे वपछले सब-िीि िें िे खा की, सहभािीयों की बढ़ती उम्र और उिके कॉन्रै क्टर से ररश्ता उिके काि पर प्रभाव करता है , जजसके कारण उन्हें कई िजु श्कलों का साि​िा करिा पड़ता है | जजसके बारे िें हि अब जािेंिे| अ) थवाथ्य सम्बुंथधत सववधाओुं का अभाव: इंसाि को कोई भी काि करिे के मलए, स्वस्ि होिा आवश्यक है | काि के बारे िें पूछते वक़्त हि​िे अपिे सहभािीयों से, उिके स्वास्ि के बारे िें भी पूछा और उिके स्वास्ि के बारे िें जाि​िा हिें इसमलए जरूरी लिा क्यूंकक, साफ़-सफाई का काि करते सिय उिका कचरे से संपकष होिे के कारण, उन्हें कई बबिाररया​ाँ हो सकती है | हिारे एक सहभािी िे कहा की, " वो काडष दिया है िेडडकल का, वो १२०० रूपया काटता है पी.एफ का, काि करते वक्त कुछ हो िया तो सब अपिी जवाबिारी है , खि ु के पैसे से इलाज करते है "|

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थवाथि सम्बुंथधत सववधाएाँ

२५ २० १५ १० ५ ०

सुववधाएं उपलब्ध है

सुववधाएं उपलब्ध िहीं है

उकलेख िहीं ककया

िस ू रे सहभािी को जब पछ ू ा की आप जब रोड पर काि करते हो तो एक्सीडेंट हो िया तो? तब उन्होंिे ऐसा कहा की," तो क्या? कॉन्रै क्टर हाि खड़ा कर िे ता है , वो सीधे बोलता है की हिारा आि​िी िहीं है और िा ही कफर हिें जािता है | बोलता है की ति ु सेवक हो|" ब) अन्य कठनाइयाुं: स्वास्र्थय सम्बंथधत सुववधाओं के अभाव के साि-साि सफाई किषचाररयों को कई कठिाइयां भी है जो की निचे बताई ियी है |

बुरे प्रनत के यूनिफािष

काि िें

इस्तेिाल

आिे वाली

सािग्री का अभाव

पिार िे र

से मिलिा

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पीछे दिखाए िए थचि से यह जािकारी मिलती है की, ज्यािातर सहभािीयों को काि िें इस्तेिाल आिे वाली सािग्री एवं उपकरण िहीं दिए जाते| इस ववषय पर एक सहभािी िे कहा की," कचरा उठाते सिय हिारे कपडे िंिे हो जाते हैं, कभी-कभी कुिे का संडास भी डालते है , कांच के टुकड़े भी होते है "| िस ू रे सहभािी िे कहा की, " झाड़ू, डब्बा, िस्तािे कुछ भी िहीं िे ते" तभी और एक सहभािी िे कहा की," सवु वधा कुछ िांिों तो िहीं िे ते है | कभी-कभी तो का िहीिा तो जाि ू िहीं मिलती| बोलेंिे तो सािाि ला के िे ते है वरिा साफ सफाई के मलए सािाि यही लाके िे ते है | िो-िो िहीिा बीत जाता है |" एक िे कहा की, “पातळ असतात ते यूनिफािष आणण हातात घालयच पण (पतले होते है वो

यूनिफािष और हाि िें पहिे का भी|)” काि िें आिे वाली िुजश्कलें इस िीि से हि​िे यह जािा की, हिारे सहभािी सफाई किषचाररयों को कई िुजश्कलों का साि​िा करिा पड़ता है | जैसे की स्वास्र्थय सम्बंथधत सुववधाओं का अभाव, काि िें इस्तेिाल आिे वाली उपकरण एवं सािग्री का अभाव इत्यादि| और अिर कुछ सहभािीयों को सुववधाएं मिलती भी है तो वो अच्छी तरह की िहीं होती| जजिकी वजह से उन्हें कई सारी बीिाररयां होिे का डर बिा रहता है |

४) उपाय: कोई भी अड़चि आती है तो उसके साि उसका उपाय भी होता है | जैसे इसके पहले सब िीि िें हि​िे सहभािीयों के अड़चिों के बारे जािा, तब उन्होंिे हिें उिके उपाय भी बताये जो की यूनियि से जुड़िा अन्य काि करिा है |

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अ) यूतनयन: हिारे ३० सहभािीयों िें से, मसफष ८ ही सहभािी यूनियि से जुड़े है | बाकक अन्य सहभािीयों का ऐसा िाि​िा है , की “हि क्यों इस झिेले िें फसे?” या कुछ सहभािीयों को इसके बारे िें कुछ पता ही िहीं है | •

जो सहभािी यूनियि से जुड़े है , उिके भी यूनियि के प्रनत अच्छे और बुरे ित है | कुछ सहभािी यह कहते है की यूनियि से जुड़िे के कारण उन्हें बहुत फ़ायिा होता है | सफाई किषचारी जो कॉन्रै क्ट बेमसस पर है , उन्हें परिािेंट काि पर रखिे के मलए खि ु ही केस लड़ रही है | पिार तिा अन्य सुववधाओ के सम्बंथधत ि​ि​ि भी यूनियि उन्हें करती है |

कुछ सहभािीयों का ऐसा िाि​िा है , की यनू ियि से उन्हें कुछ भी फ़ायिा िहीं है | यूनियि िें भरती होिे

के मलए, कुछ पैसे भरिे पड़ते है | उिके दहसाब से यूनियि से

जुड़िा ितलब अपिे काि को खतरे िें डालिा| कुछ फ़ायिा िहीं होता है , इस सब का| ब) अन्य काम: हिारे सहभाथियों िे जो उपाय बताये उि िें से एक उपाय अन्य काि करिा भी है | हिारे कुछ सहभािी अपिे काि के बाि जो वक़्त होता उस वक़्त िें अन्य काि भी करते है | हिारी एक सहभािी बतषि धोिा, लािी-पोछा करिा, अपिे पनत को उसके काि िें ि​ि​ि करिा यह काि करती है | हिारे एक सहभािी िे यह बताया की,”६ से २ बजे तक काि करिे के

बाि अिर सिय बचता है तो िैं भंिार चुि​िे को जाती हूाँ| जजसको बेचकर १० या १२ रूपये रोज मिल ही जाते है “| हिारे अन्य सहभािी िे यह कहा की, ”िैं इसके साि –साि अिर चचष िें कोई पें दटंि और लेबर का काि भी करता हूाँ| शाि को चाइिीज भेल का स्टाल लिता हूाँ, अपिा घर खचष पूरा करिे के मलए|”

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हिारे एक सहभािी, ”जो की ६५ साल की है , उन्होंिे यह कहा िोधडी बिाती हूाँ घर िें बैठ

के, एक िोधडी का १०० रुपया| वो भी कभी बबकता है तो कभी िहीं|”

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जानत "जात" यह हिारी तीसरी िीि है | हिारा िे श सारी िनु िया िें अपिी अलि-अलि चीजों से जािा जाता है | उि​िें एक िहत्वपण ू ष ववमशष्ट है "जानत व्यवस्िा"| आज के आधनु िक यि ु िें भी इंसाि की पहचाि उसकी जानत से की जाती है , यह हिें हिारे सहभाथियों से पता चला| हि​िे जब हिारे सहभाथियों से बात की, तब हिें पता चला की उिकी जात कही-ि-कही उिके काि को प्रभाववत करती है | हिारे सहभािी जो िमलत सिुिाय से है , और कुछ अन्य उपजानतयों के अंतिषत है | इंटरव्यू के जररये सहभाथियों िे हिें उिके साि िा​ाँव िें तिा शहरों िें अलिअलि प्रकारों से होिे वाले छुआ-छूत, भेि-भाव के कारण उिका काि निधाषररत होता है, तिा उन्हें सम्िाि िही मिलता है यह बताया| ‘जात’ इस िीि को हि​िे २ अलि-अलि सब-िीि िें बांटा है | क्योंकक जात यह एक बहुत बड़ा और िहत्वपण ू ष ववषय है | जजसे सिझिा हिारे मलए आसाि िही िा| इसमलए हि​िे हिारे सहभाथियों द्वारा मिली जािकाररयों को सिझिे के मलए उन्हें इि सब िीि िें बताया है जैसे की, सहभाथियों की जानत, जानत पर आधाररत घटक इत्यादि| इस सब-िीि िें हि​िे निम्ि जानतयों की ववमभन्िताएं, िमलत सफाई किषचाररयों के साि होिेवाले भेि-भाव, छुआ-छूत, लोिो का उिके प्रनत सम्िाि और क्या हिारे सहभािी इस व्यवसाय िें पीढ़ी िर पीढ़ी से जुड़े हैं की िही यह हि जािेंिे|

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१. जातत व्यवथिा : जातत १२ १० ८ ६ ४ २ ०

बौद्ध

हररजि

िातंि

रोदहिास

सोिार

वाकिीकक

ढोर

चिार

उकलेख िही ककया

ऊपर दिए िए चाटष से यह पता चलता है की, हिारे ३० सहभाथियों िें से अथधकतर सहभािी यानि १० हररजि है | अन्य सहभािी रोदहिास, चिार, ढोर, िातंि, बौद्ध, सोिार जानत से हैं| हिारे ३० सहभाथियों से यह पता चला की साफ़-सफाई का काि करिा, संडास साफ़ करिा इत्यादि काि केवल छोटी जानत के लोिों को ही दिया जाता है | क्योंकक बड़ी जानत के लोि इस काि को घींि िािते हैं इस मलए वे इस काि िें िही आते| श्रेणी 3% 7% SC VJ

24%

OBC

66%

उकलेख िही ककया

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बौद्ध, रोदहिास, हररजि, वाकिीकक, िातंि यह उपजानतयां है | इन्हे अच्छी तरह सिझिे के मलए हि​िे इन्हे अलि-अलि जानत श्रेणणयों िें बांटा है जैसे की SC, VJ, OBC है |

२. जातत पि आधारित घटक: हिारी िस ू री सब-िीि है ," जानत पर आधाररत घटक "| जैसे वपछले सब-िीि िें हि​िे जािा की केवल निचले सि​ि ु ाय के लोिों को ही यह साफ सफाई का काि दिया जाता है | उसी के आधार पर इस सब िीि िें हि यह जािेंिे की उिकी जानत के कारण लोिो का उिके प्रनत व्यवहार, उिसे छुआ-छूत, भेि-भाव ककस प्रकार ककया जाता है | जजस तरह पहले जात के आधार पर लोिो को काि बाटा िया िा, और उिकी पीढ़ी उसी काि को करती िी| यही आज भी

इस आधनु िक युि िें दिखाई िे रहा है | हिारे ३० सहभाथियों िें से

कुछ सहभािीयों का यह कहिा है , की वो अपिा काि पीढ़ी से करते आ रहे है |

अ) भेद-भाव: यह एक तरह का व्यवहार है | ककसी व्यजक्त या चीज के सिुिाय, विष एवं िजे को िे ख कर अपिािे या िकारिे के अंतर को भेिभाव कहा जाता है | सालो पहले निचली जानत के सिुिाय के साि लोि बड़ी हीि प्रकार से भेि-भाव ककया करते िे| सिय के साि चीज़े बिलती िई और साि ही उिके भेि-भाव करिे के तरीकों िें भी बिलाव आ िया है | हिारे सहभाथियों से बात करिे से हिें यह पता चलता है की, पहले लोि सीधे जात के िाि से भेिभाव करते िे| आज उसी भेिभाव को घि ु ा कफरा के िस ू रे िाि जैसे िरीब, काि इत्यादि के िाध्यि से करते है | हिारे एक सहभािी िे िांव िें होिे वाले भेि-भाव के बारे िें अपिी कहािी हिारे साि​िे रखी," अिर बड़े जात वाले के घर िें कोई फंक्शि होता है तो, हिें बुलाएाँिे पर एक कोिे िें

खड़ा रखेिा, वह भी एकि​ि लम्बा बाहर और खािे के सिय लम्बा बबठाएंिे, और उिका होिे के बाि ही हिें बचा खािा िें िे"| 58


वही हिारे िस ू रे सहभािी िे हिें शहर िें होिे वाले भेि-भाव के बारे िें बताया है, " एक

हि लोि है और एक कादठयावाड़ी वाले लोि है , हि िोिों लोिो को ही संडास साफ करिे का काि िे ते है , बाकक सब को रोड का झाड़ू िारिे का काि मिलता है "|

ब) छआ-छूत: छुआ-छूत यह जानत व्यवसाय का पररणाि है | यह मसफष ककसी खास जानत व उपजानत के व्यजक्तयों को छूिे की असिािता िहीं है | बजकक यह पुरे सिुिाय, सिूह के प्रनत हिारा रवैया है | लोि प्रिनत करते करते २१ वे सिी के आधनु िक युि िें पहूाँच िए हैं| पर उिकी सोच िें कोई पररवतषि िहीं आया| आज भी लोि ऊाँची-िीची जानत और िस ु रे कारणों से छुआछूत करते है | हिारे सहभाथियों िे छुआ-छूत के बारे िें हिें बताया, जो इस प्रकार होता है िांव िें छुआ-छूत की कक्रया ककस तरह की जाती है ," िांव िें हि कही िरू जाते रहें िे और प्यास लि ियी और ककसी के घर िें पािी िांि​िे जाते है तो हि को बोलते है की हाि से वपयो या िाररयल के वाटी िे िें िे पािी तो अब जाि बचािे के मलए कोई क्या करे िा, पीिा पड़ता है | अपिी िज़बूरी है , तो ि​ि बड़ा करके पीते है| इसी तरह शहर िें भी छुआ-छूत िे खिे मिलती है जैसे हिारे एक सहभािी िे बताया है ,"िैं एक झाड़ू वाला हूाँ, एक हररजि हूाँ| यह िहीं िे खते की ,िैं वहां ४०-३५ साल से काि कर

रहा हुाँ| िुझे उस स्कूल का सिस्य ि िाि कर मसफष एक िंि​िी और संडास साफ़ करिे वाला िािते है "|

३) सम्मान: सम्िाि एक बहुत ही व्यापक शब्ि है | सम्िाि जीवि का एक बहुत ही िहत्वपण ू ष दहस्सा होता है | ि​िुष्य के जीवि िें सम्िाि पािे के अलि -अलि िािष होते है , जैसे की उिके काि, सिाज इत्यादि| हिारे सहभािी के ित के अिुसार लोिो को उिके काि से सम्िाि की इच्छा होती है और वो पूरी भी होती है | पर इि लोिो को उिके साफ-सफाई के काि के कारण 59


केवल अपिाि ही मिलता है | हिारे एक सहभािी िे कहा की," जब हि पिार की बात करते है

तो भंिी बोलते है और िाली िलोच करते है "| ४) सहभाथियों के काम की पीढ़ी: संशोधि और डाटा कलेक्ट करते वक़्त एक िोड़ िा जब हि लोिों को यह लिा की जात और काि के बीच कुछ संबंध िहीं है , क्योंकी ज्यािातर सहभािी इंटरव्यू के िौराि यह कहते िे, की ‘जात और काि’ का िंब ु ई िें कोई संबंध िहीं है परं त,ु डेटा को िहरायी से िे खिे पर और सोच-ववचार करिे पर हि​िे यह पाया की, ज्यािातर सहभािी साफ़-सफाई का काि पीढ़ी-िर-पीढ़ी से करते आ रहे है | सहभाथियों के काम की पीढ़ी १ ली पीढ़ी

२ री पीढ़ी

३ री पीढ़ी

३ री पीढ़ी

से अथधक

उकलेख िहीं ककया

3% 10%

17%

23% 47%

उपर दिए िए चाटष से हिें यह पता चलता है की, ४७% सहभािी साफ़-सफाई का काि करिे वाली िस ू री पीढ़ी से है और १०% सहभािी ऐसे है , जजिके पररवार िें ३ पीढ़ी से भी ज्यािा लोि इस काि से जुड़े हुए है | इससे हिें यह पता चलता है , की जैसे परु ािे ज़िािे िें मसफष िमलत सि​ि ु ाय को साफ़-सफाई का काि सौपा िा, जजसका अजस्तत्व आज भी िौजि ू है | क्योंकी भले ही लोि कहे की काि और जात का कोई ररश्ता िहीं है , परं तु हिें यह साफ़-साफ़ दिख रहा है की उिका काि पीढ़ी-िर-पीढ़ी से है | जजसका यह अिष है कक, “हा​ाँ, जात और काि का संबंध आज भी है ”|

60


थिानान्तिण स्िािान्तरण से क्या छुटकारा मिलेिा?- िही यह ववभाि हिारे तीसरे िीि पर यानि स्िािान्तरण पर आधाररत है । हिारे िे श िें ववकास के अिेक अवसर और िाध्यि शहरों िें केंदद्रत हो िये है , आजािी के इतिे सालों बाि भी वे अवसर िा​ाँव तक पहुचे िहीं हैं जजसके कारण लोिों को शेहरों की ओर भाि​िा लाज़िी हो िया हैं| पर सवाल यह साि​िे आता है की, क्या शहर इि लोिों को िरीबी और जानतप्रिा की बेडडयों से िक् ु त करिे िें ि​ि​ि करता है ?, अफ़सोस की बात है - िहीं! हिारे इस छोटे संशोधि िें हिें सिाज की सच्चाई दिखाई िे ती है । हि​िे इस ररसचष के िौराि हिारे ३० सहभाथियों से जात और स्िािान्तरण के ररश्ते के बारे िें उिकी राय जाि​िे की कोमशश की, क्या स्िािान्तरण करिा जात से छुटकारा पािे के मलए रास्ता है , इस बारे िे पूछा। हिारे ३० सहभािीयों िें से १२ सहभािी िाइग्रें ट है , १५ सहभाथियों िे स्िािान्तरण ककया िहीं है (वो पहले से िुंबई िें रह रहे हैं) और ३ सहभािी िे इस बारे िें कुछ बताया िहीं| हिें स्िािान्तरण करिे के अलि-अलि कारण बताये, जो की निचे दिए है | िुंबई िें घुि​िे आये (यािा)

शािी / पररवार

17% 33%

50%

61

बेरोज़िारी


ऐसा िे खा जाता है की िुंबई जैसे आधनु िक शहर िें अलि–अलि जानत के लोि कई जिह से प्रवास (िाइग्रेशि) करके आते है | उिके प्रवास करिे के कई कारण होते है , पर क्या िुंबई जैसे आधनु िक शहर िें भी इंसाि को उसकी जानत के अिुसार िे खा जाता है ? अिर कोई व्यजक्त, जो की निम्ि जानत से है और वह िा​ाँव से स्िािान्तरण कर के िुंबई जैसे शहर िें आ रहा है , तो क्या उसे िंब ु ई िें जात के अिस ु ार काि ि िे कर, उसकी काबबमलयत को िे खा जायेिा, हि यह जाि​िे की कोमशश कर रहे िे| जब हि​िे अपिे सहभाथियों को यह सवाल पछ ू ा तब उि​िे से, ३ सहभािी इस ववषय पर सहित िहीं िे और ७ सहभाथियों िे कहा​ाँ

है की,

िुंबई शहर िें स्िािान्तरण करिे से, व्यजक्त को उसके जात के दहसाब से िहीं िे खा जाता है | उन्होंिे यह कहा​ाँ है की, "हा... अिर कोई लोअर कास्ट का है , जो साफ़ सफाई का काि कर रहा

है , और अिर वह िुंबई िें आया, तब उसे अलि अलि जॉब मिल सकते है, उससे उसके जात से िहीं िे खा जाता है | उसे उसके ि​ि के दहसाब से काि मिलता है ”| एक सहभािी िे स्पष्ट रूप से यह कहा​ाँ है की,"िा​ाँव िें छोटी जानत से भेि भाव ककया जाता है ,

की उससे बचिे के मलए लोि िाव से िुंबई,काि के बहािे आते है ”| हिारे िस ू रे सहभािी िे भी इस पर यह कहा​ाँ है की, "हा स्िािान्तरण एक हल हो सकता है ,

िुंबई िें भेि-भाव िहीं है, उतिा, अभी ककसको िालूि िहीं की यह कौि जानत का है ? बबजकडंि िें कौि पंडडत, कौि जय-भीि वाला, कौि िराठा, कौि िुजराती रहता है , यहा​ाँ कोई िहीं जािता, यहा​ाँ सब अलि हो के भी सब एक ही है ”| वही हिारी एक सहभािी िे यह कहा​ाँ है , "वह जब पहले पंचि​िी िें रहती िी, तब वहा​ाँ िें िुझे

कई सुववधाएं मिलती िी, परं तु िुंबई िें लोि इतिा भेि-भाव करते है | पिार िे ते वक़्त, बासी खािा िे िा, बहुत छुआ-छूत है िुंबई िें ”| 62


एक सहभािी िे यह कहा​ाँ है , "जेव्हा िी पुण्याला होते, तेव्हा नतकडे जास्त सोयी -सुववधा होत्या,

इिे िुंबई िधे खुप भेिभाव करतात". (जब िैं पुणे िें रहती िी, तब वहा​ाँ पर ज़्यािा सुववधाएं िी। यहा​ाँ िुंबई िें बहुत भेिभाव करते है )| एक सहभािी िे यह कहा​ाँ है , "की िेरे िम्िी-पप्पा िा​ाँव िें , सफाई का काि करते िे, वहा​ाँ कि

पिार होिे के कारण, वह लोि िुंबई िें आये, ताकक उन्हें कोई और काि मिले, जजसिे ज्यािा पिार हो| क्योकी हि निचले जानत से है , उन्हें िुंबई िें आके भी, वही साफ़ सफाई का काि करिा पड़ा"| हिारे सहभाथियों से बात करिे पर हिारे साि​िे यह बात साि​िे आयी की िुंबई िें अभी भी साि​िे वाले को जानत के चश्िे से िे खा जाता है | स्िािान्तरण करिा जानत से छुटकारा पािे के मलए एक रास्ता िहीं है । िा​ाँव से शहर िस ू रे काि के अपेक्षा से आये हुए को उसकी जानत को िे खकर काि दिया जाता है । जानत के आधार पर भेिभाव के जररये िये ि​िुवाि का उभरिा शुरू हुआ है ।जजस पर स्िािान्तरण करिा उपाय िहीं है ।

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अपेक्षाएाँ अपेक्षाएाँ, आशाएं रखिा हर ककसी का हक़ है | इसी तरह निम्ि जानतयों के लोिों की भी एक सम्िाि भरी आजाि जजंि​िी जीिे की चाह है , ऐसा करिे के मलए उिकी कुछ अपेक्षाएं हैं| अपिी जजन्ि​िी की प्रकक्रयों िें हि यह भूल जाते है की, चतुिष श्रेणी के लोिो को भी सिाज, सरकार से कुछ उम्िीिे होिी| उिको भी ऐसी जजन्ि​िी जीिे का ि​ि होता है , जहा​ाँ लोि उिसे उिकी जानत के कारण भेि-भाव, छुआ-छुत ि करे और उन्हें निचली सिुिाय के लोिो के िजररये से ि िे खकर एक ि​िुष्य की भानत उिके साि व्यवहार करे | जब हि​िे हिारे ३० सहभाथियों की अपेक्षाओं को, एक साि सिझिे की कोमशश की तब हिें उि​िें से कुछ मिलती-जुलती कडड़या​ाँ िजर आयी, जजन्हें हि​िे ४ भािों िें बांटा कर आसािी से सिझिे की कोमशश की है |

आदि औि सम्मान

सिकाि से न्याय

अपेक्षाएाँ

सिक्षा औि सववधा

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अच्छी

नौकिी


आदि-सम्मान: ि​िुष्य के जीवि िें आिर-सम्िाि का बहुत िहत्त्व होता है | ि​िुष्य अपिी पूरी जजन्ि​िी लोिो से आिर-सम्िाि पािे और उसे बिाये रखिे िें बबता िे ता है | हिारे सहभाथियों की अपेक्षा है की उन्हें आिर-भाव मिले, जो की उन्हें िहीं मिलता, जजसके कारण उिके अिस ु ार उिकी निम्ि जानत है | चतुिष श्रेणी से होिे के कारण हिारे सहभाथियों को कई प्रकार की परे शानियों का साि​िा करिा पड़ता है | उिके अिुसार जात का ठप्पा उिके सर पर िार दिया िया है | हिारे ३० सहभाथियों से मिले अलि-अलि जवाबो का सारांश यह मिलता है की, निचले “सिुिाय से होिे के कारण लोि उिकी पहचाि, उिकी जानत से ि करके, उन्हें िािवता के िजररयें से िे खे और उिका भी आिर करे | उन्हें जात-पात, उच-िीच के तराजू िें तोलिे के बजाय उिसे इंसानियत का िाता जोड़े| ताकक वह भी एक सुखी और सम्िािता पूवष जजन्ि​िी जी सके|

अच्छी नौकिी: अच्छी िौकरी मिलिे के आस िें और जात से मिलिे वाले अपिाि और परे शानियों से छुटकारा पािे के मलए लोि स्िािान्तरण को एक िािष सिझते है | हिारे कुछ सहभाथियों िे इि कारणों से स्िािान्तरण ककया है | वह िा​ाँव से िुंबई जैसे बड़े शहरों िें आये| यहा​ाँ वे अपिे िा​ाँव-घर-पररवार को छोड़ कर ि​ि िें कई इच्छाएं और सपिे सजाकर आये िे| उिके अिुसार काि को जानत अिुसार िहीं सौपिा चादहए| हिारे एक सहभािी यह कहते है की,

“हि लोि तो चाहते है की, जो काि हिारे पूवज ष करते आ रहे िे वो काि हिें भी ि करिा पड़े| अभी हि तो कर रहे है , पर हिारे बच्चे और अिली पीदढ़यों को अच्छी िौकरी मिले, उन्हें हिारी तरह काि की परे शानिया​ाँ ि सहि करिा पड़े”| जैसे डॉक्टर के बच्चे डॉक्टर, इंजजनियर के बच्चे इंजजनियर, होते है वैसे ही सफाई किषचाररयों के बच्चे सफाई किषचारी ि हो, उन्हें उिके

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काबबमलयत और ककसी भी अन्य काि के प्रनत रूथच के अिुसार काि मिलिा चादहए, िा की उिकी जानत िे खकर| ऐसा ित हिारे सारे सहभािी रखते है |

सिक्षा औि सववधाएुं: काि यह ि​िष्ु य के जीवि का व्यापि करिे का िल ू भत ू आधार है | जजससे वोह अपिा और अपिे घर-पररवार का पेट भरता है परं त,ु काि से जड ु ी सवु वधाएं पािे का भी उसे हक है | जैसे की, अिर एक मशक्षक है तो उसे पेि, पें मसल, ककताबें और पढाई सम्बंथधत सारी सुववधाएं होिी चादहए अिर कोई डॉक्टर है , तो उसे अपिे िरीज को ठीक करिे के मलए सारे औजार तिा सुववधाएं प्राप्त होिी चादहए| साि-ही-साि सभी को लिता है , की काि करिे के िौराि उसे सुरक्षा िी जाए| उसी तरह हिारे सहभािी जो साफ़-सफाई का काि कर रहे है , उिकी भी सरु क्षा और सवु वधाएं संबंथधत कई अपेक्षाएं है | क्योंकी सफाई किषचारी का काि साफ़ सफाई से संबंथधत है, तो उिका कचरे से सीधा संपकष होता है , जजसके कारण उन्हें कई तरह के त्वचा-रोि, कभी-कभी कचरे िें काच के कारण उन्हें चोट आिा, तिा अन्य शारीररक और िािमसक रोि भी होते है , काि के िौराि कई घटिाएं होती है , जजि​िे उिकी जाि जािे की संभाविाएं भी होतीं है | उिके अिुसार लोिों को केवल साफ़-सफाई से ितलब होता है और जो व्यजक्त उसे करता है , उसका क्या? स्वास्ि, सुरक्षा और पिार के संबंध िें हिारे सहभाथियों िे अपिे अपेक्षाएाँ हिारे साि​िे रखी| हिारे एक सहभािी यह कहते है की, “हिारा काि जो की साफ़-सफाई से जुडा हुआ है , उसे करते वक्त हि सीधे

कचरे के संपकष िें आते है | जजससे हिें कई बीिाररया​ाँ होती है | कचरे के ऊपर िच्छर और कई कीड़े-िकोड़े होते है | तो हिें उससे बचिे के मलए सारी सुववधाएं मिलिी चादहए”|

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इसी पर हिारे िस ु रे सहभािी का यह कहिा है की, “हि ६-७ घंटे िेहित का काि करते है ,

जजसिें हि सारी िंि​िी भरा साफ़-सफाई का काि करते है, तो हिें उसके दहसाब से पिार मिलिी चादहए, जजससे हि हिारा घर-खचष और बच्चो को उच्ची मशक्षा िे िे िें आसािी हो सके”|

सिकाि से न्याय: हिारे िे श को अंग्रेजो से आजाि हो कर ६८ साल हो िए है| कफर भी हिारे िे श के कई सिाज ऐसे है , जो आज भी आथिषक, सािाजजक और राजकीय परे शानियों से पीडड़त है | हिारे सहभािी स्वयि को इि पीडड़त सिाज का एक दहस्सा िािते है और अपिी पीड़ा को िुक्त करािे के मलए सरकार से अपेक्षाएाँ रखते है | कुछ सहभाथियों का यह कहिा है की वे सालों से यहा​ाँ काि करते आ रहे है , तो उन्हें भी permanent करिा चादहए| सरकार की िई पॉमलसी के बारें िें जब हि​िे उिसे पुछा तो उन्होंिे अपिा ित रखा है | उन्होंिे सरकार की लािू की ियी िई िदु हि, “स्वच्छ भारत अमभयाि” जो की २ अक्टूबर २०१४ को िहात्िा िा​ाँधी की १४५ वी जयंती पर, प्रधाि​िंिी द्वारा शुरू ककया िया है , उसके बारे िें अपिा ित जादहर ककया है | हिारे सहभािी िे यह कहा है की, “हिारे सफाई

करिे के बाि, साहब लोि आके मसफष हाि िें झाडू पकड़कर फोटो लेते है | कचरा तो वैसे का वैसे ही, पड़ा रहता है | यह करिे के अलावा अिर वह हि को permanent करे और हिारी पिार बढाएं, तो हि भी अपिा काि अच्छे से और सिय पर करें िे, जजससे हिारे िे श को लोि साफ़सफाई िें पहला िंबर िें िे”| हिारे ३० सहभाथियों िें से ३ सहभािी ऐसे है , जजिकी उम्र ६० साल से अथधक है | जजसके कारण उन्हें काि िहीं मिलता| जजससे हि​िे यह जािा की, साफ़-सफाई के काि िें उम्र भी एक घटक बि जाता है , जो काि को प्रभाववत करता है | इि िो सहभाथियों के आवाज िें िोड़ी िाराजिी िी, िोडा िस् ु सा िा पर आखों िें कफर भी एक उम्िीि की ककरण िी, की शायि 67


सरकार आज िही तो कल उिकी आवाज सुिेिी| उि​िें से एक सहभािी कहती हैं की, “आज-

तक कोई भी खड़ा िहीं हुआ, की ववधवा को पें शि िे | िैंिे िे खा है की, कुछ िराठी लोिों की यूनियि िे उिको पें शि चालू करके दिया, अभी अपिा कौि करे िा? िैं अकेली बुड्ढी कहा-कहा भटकू? सरकार िे सोचिा चादहए िा, हिारे मलए”| कुछ ऐसे ही शब्ि हिारे िस ु रे सहभािी िे कहे है | वह कहते है की, “अक्खी जजंि​िी लिा िी, िैंिे

इस काि िें और जब बुड्ढी हो ियी तो िुझे काि से निकाल दिया| सरकार को पें शि िे िा चादहए िा, हिारे इतिे साल के काि के बिले िें , ताकक हि अपिी बची-कुची जजंि​िी तो आराि से जी सके”| हि​िे जब इि बबखरी हुई कडड़यों को आपस िें जोड़कर िे खा; जैसे की आिर-सम्िाि, अच्छी िौकरी, सुरक्षा औए सुववधाएं, सरकार से न्याय इि िें एक अद्भुत संबंध को पाया| जैसे की, जात के कारण लोि अच्छी िौकरी की तलाश िें स्िािान्तरण करते है | जजसिे सुख-सुववधा ि मिलिे से वे सरकार से न्याय की अपेक्षा रखते है | इस पूरी प्रकक्रया से यह साफ़ िजर आता है , की इतिे सालों की आजािी के बाि, आज भी कई जिहों पे, कई लोि ककसी-ि-ककसी के कारण आजािी से अभी भी वंथचत है | जात िािक कीड़ा आज भी भारत िें िौजि ू है , जो लोिों को धीरे -धीरे खा रहा है , और सब के बीच अंतर नि​िाषण कर रहा है | उस पुरािे ज़िािे िें भी लोिों की आवाज सरकार के पास िहीं पहुाँचती िी िा आज पहुाँचती है | तो कफर क्या हिारा स्वयं को स्वतंि िाि​िा उथचत हैं? हिारे िे श के प्रिनत के मलए उठाये उि अमभयािों का ककस प्रकार उपयोि हो रहा है ? जब आज भी लोिों को अपिे हक़ के मलए इतिा बेबस और लाचार होिा पड़ रहा है |

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तनष्कषम हिारे संशोधि से यह साि​िे आया की, आज के आधनु िकता के िौर िें भी जानत सिाज िें िौजूि है , जजसकी वजह से िमलत सिुिाय के लोिों को जानत-भेि, छुआ-छुत इि सब का साि​िा करिा पड़ रहा है | जानत-ग्रस्त सिाज से छुटकारा पािे के मलए लोि िा​ाँव से शहर की ओर स्िािान्तरण करते है | स्िािान्तरण करिे के बावजूि भी उन्हें जानत-ग्रस्त सिाज से छुटकारा िहीं मिलता है| हिारे संशोधि से ५ ख़ास िद् ु िे साि​िे आये| जों की जानत-व्यवस्िा, जात और काि के बीच का संबंध, स्िािान्तरण, स्वास्र्थय संबंथधत सुववधाएं और जानत-आरक्षण| १. जातत-व्यवथिा: इतिे सालों के आजािी के बाि, जहा​ाँ हि यह कहते है की एक इंसाि की पहचाि उसकी काबबमलयत से होिी चादहए, वही हिारे संशोधि से यह साफ़ िजर आता है की आज भी लोिो को उिकी जानत के आधार पर ही तोला जाता है और उिके साि जानत के िाि पर कई तरह का अत्याचार ककया जाता है | जैसे की छुआ-छुत, भेि-भाव इत्यादि| जजसके कारण उन्हें अपिी जजंि​िी सम्िाि-पव ष जीिे की भी आजािी िही मिलती और वह लोि इस जातू क संस्िा के जाल िें उलझ कर रह जाते है | २. जात औि काम के बीच का रिश्ता: हिारा िस ू रा िुद्िा,यह है की आज भी काि और जात के ररश्ते को लोि िािते है | जजस तरह पहले जात के आधार पर लोिों से काि करवाया जाता िा, जैसी की िमलत सिाज के लोिों से केवल िैला और दहन्ि िाि​िेवाले सारे काि करवाए जाते िे, उसी प्रकार आज की इस िनु िया को, जजसे हि मशक्षक्षत सिाज के रूप िें िे खते है , वह भी सदियों की परम्पराओं को बढ़ावा िे रही है | हिारे संशोधि से यह स्पष्ट रूप से दिखिे िें आ रहा है उची-जानत के लोिों िे निचले सिुिाय के लोिों के मलए एक सीिा-रे खा बिा िी है | 69


जजसके बाहर जािा उिके मलए िािुिककि है और वो चाह के भी उस रे खा के बाहर जा कर कोई और काि िहीं कर सकते िा-ही उन्हें कोई और काि दिए जाते हैं| ३. थिानान्तिण: हिारा तीसरा िुद्िा है स्िािान्तरण| लोि जानत-संस्िा तिा जानत-आधाररत काि के व्यवस्िा से छुटकारा पािे के मलए स्िािान्तरण करते है , पर उससे उिका कोई फायिा िहीं होता है | हिारा संशोधि इसका साक्षी है की लोि अपिे िा​ाँव से िस ु रे शहरो िें तो जाते है , अपिी जानत से आधाररत सिस्याओं का निवारण पािे के मलए; पर इि शहरो िें आकर शहर की चिक-धिक की हकीकत का पता चलता है और यहा​ाँ भी उिकी काबबमलयत को िजर अंिाज कर के उिकी जानत के ित ु ाबबक ही काि मिलता है | जजसे करते सिय उन्हें वही सारी िकारात्िक चीज़ों को साि​िा करिा पड़ता है | ४. थवाथ्य सुंबुंथधत सववधाएुं: इस िुद्िे िें हि​िे यह जािा की हिारे सहभािी, जों की िमलत सफाई किषचारी है , उन्हें काि िें इस्तिाल आिे वाली सािग्री (िस्तािे, ि​िबूट, रे िकोट, िास्क, इत्यादि) िहीं मिलते है | जजसके कारण उन्हें कई बीिाररया​ाँ होिे का खतरा रहता है | हाला की उिके काि के अलावा उिकी जजन्ि​िी का ककसी के िजर िें कोई िहत्व िहीं िािा जाता| हिें इंटरव्यज ष िा ू के जररये यह पता चला की अिर इि किषचाररयों के साि काि करते वक़्त िघ ु ट घटी तो, चाहे वो कांरेक्टर हो या सरकार सब हाि खड़े कर लेते हैं और कोई उिके पक्ष िें सहायता के मलए िहीं आता चाहे वह जजए या िरे ककसी को फकष िहीं पड़ता| ५. जातत आिक्षण: अिला िद् ु िा उिकी जानत आरक्षण से हे | अिर हि लोिों से जानत आरक्षण के बारे िें पूछे तो सब की एक ही राय मिलती हे की छोटी जानत के लोिों को बहुत आराि हैं, क्योंकक जानत आरक्षण के कारण उन्हें सारी सुववधा आसािी से मिलती है , परं तु उिके सिाज का सच यह है की केवल उिकी जानत को आरक्षण का झंडा दिखाया जाता है और मिलता कुछ िहीं

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है | अिर उसे लेिे के चक्कर िें पड़ते हैं तो सिय और पैसों की केवल बबाषिी ही होती है | इतिे सालों से आरक्षण से इस सिाज िें जजतिा फकष पड़िा चादहए िा उतिा फकष िही पड़ा हैं | “ववद्येववना मती िेिी| मतीववना नीतत िेिी| नीततववना िती िेिी| ितीववना ववत्त िेिे| ववत्ताववना शद्र खचिे| इतके अनिम एका अववद्येने केिे”

िहात्िा फुले जी द्वारा १५० साल पव ू ष लीखे इस कववता िें िरीब और निचले सि​ि ु ाय के लोिों के अववकमसत रहिे का कारण अिपढ़ रहिा ऐसा बताया िया है | ज्ञाि एक बहुत ही बड़ी शजक्त है , पाठशाला की पढाई ही िहीं, बजकक सिाज और व्यवहार ज्ञाि के बारे िें भी बताते है | उिका कहिा हैं की, पीडड़त सिाज िे अपिी पढाई, मलखाई कर के खि ु का ववकास करिा चादहए| इससे यह पता चलता है की, इि सिुिाय के लोिों को जीवि िें कई प्रकार की परे शनियों या उच-िीच को सहिा पड़ता है | परं तु ज्ञाि को एक सवषश्रेष्ठ प्रिनत का िाध्यि िािा जाता है और इसे अपिािे से उिकी परे शानियों को सुलझािे िें एक िािष मिल सकता है |

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सझाव कुछ ऐसी बाते है जो हि​िे इस प्रोसेस से सीखी और हि बाकक लोिों से बाटिा चाहें िे, जजससे और कुछ िहीं तो सिाज िें एक पररवतषि की शुरुवात के बारे िें कोई सोचे या अपिे आप से एक छोटी कड़ी के तौर पर शुरू करे | १. सफाई किषचररयों को साफ सफाई करिे के मलए उस से सम्बंथधत सारी सुववधाएाँ जैसे की: हाि के िस्तािे, ि​ि बट् ू स, सफाई करिे के मलए लि​िेवाली सारी वस्तए ु उन्हें िे िी चादहए| साि ही बाररश िें उन्हें रे ि कोट और अच्छे यूनिफािष िे िे चादहए ताकक बाररश के सिय वे स्वास्र्थय सम्बंथधत बबिाररयों से बच सके| २. सफाई किषचाररयों को परिािेंट बेमसस पर काि पर रखिा चादहए| उन्हें उिकी पिार सिय पर तिा उिके काि के अिुसार िे ख कर िे िा चादहए| इस की जज़म्िेिारी कहीि -कही सरकार की और कॉन्रै क्टर की है | कॉन्रै क्टर उन्हें तब पिार िे िा जब सरकार द्वारा उिका बबल पास होिा| कॉन्रै क्टर को भी उन्हें उिके काि के अिुसार पिार िे िा चादहए| ३. इंसाि को उसकी जानत के आधार पर काि िहीं मिलिा चादहए बजकक उसे उसकी काबबमलयत और काि की रूथच के आधार पर मिलिा चादहए| इंसाि के जीवि पर उसके आथिषक पररजस्िनत का बहुत प्रभाव पड़ता है | अिर उसकी काबबमलयत और रूथच अच्छे काि िें है तो भी उसकी आथिषक पररजस्िनत के कारण उसे उसके अवसर िहीं मिल पाते, इसी वजह से वे लोि िरीबी, बेरोजिारी और जानत के दृष्टचक्र से बाहर िहीं निकल पाते| सरकार को इसे तोड़िे िें आवश्यक कि​ि उठािा चादहए|

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४. जानत के कारण लोिों िें भेि-भाव, छुआ-छूत िहीं करिी चादहए| जब हि सिािता की बात करते है, तो उसे स्वयं पर भी लािु करिा चादहए| सरकार िे इि चीज़ो को सिाज से निकालिे के मलए संववधाि िें कई कािूि बिाए है | परन्तु कािूि मसफष ककताबों िें रह िया हैं, उसका सही िायिे िें उपयोि िहीं ककया जा रहा हैं | पररणाितुः यह सिाज आज भी असरु क्षक्षत िहसस ू करता हैं| सरकार को इि थचजों पर अपिा ध्याि केंदद्रत करिे की आवश्यकता है| ५. सफाई किषचारी जो की िमलत सि​ि ु ाय के लोि है | उिकी अलि-अलि योजिाओ और जानत आरक्षण के द्वारा सरकार से ि​ि​ि िे िे की कोमशश होती है | पर केवल िई योजिा लािे से क्या होिा? इस सिुिाय के लोि जजिको मशक्षा मिलिा भी िुजश्कल है और जजन्होंिे शायि स्कूल िें प्रवेश भी िहीं ककया है उन्हें इि िई तकिीक द्वारा बिी योजिायों के बारे िें क्या पता होिा? सरकार को योजिाए बिािे के साि-साि उिकी जािकारी उि लोिो तक पंहुचािी भी चादहए| जािकाररयों को पहुंचािे के मलए सरकार अलि अलि िािष चि ु सकती है , जैसे की: जिह-जिह पर पि-िाट्य, ववद्याथिषयों द्वारा स्वयंसेवी (volunteering) करवा कर, पोस्टसष लिाकर, स्कुल-कॉलेज िें ‘सववधाि साक्षरता’ अमभयाि चलाकर इत्यादि|

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सुंदभम  Amit Rahul (10th April 2015) mentioned about, ‘CASTE VS OCCUPATION’ in the THUMB PRINT MAGAZINE FROM THE EAST viewed at 15th May 2016, available at thumbprintmag.com/?S=caste+system=india  Chauhan. N mentioned about ‘CASTE IS AN ORGANISED SOCIAL INSTUTION’ , viewed at 15th May 2016, available at academiaedu/5745825/whatiscastesysteminIndia

 Lyric Thomson(4th April 2012) mentioned about , ‘MUMBAI URBAN SLUMS ; Ground Zero for Human Dignity’ viewed at 15th May 2016, available at blog.amnestyusaorg/escr/Mumbaiurban-slums-ground-zero-for-human-dignity  Mondal. P mentioned about, ‘13 FACTORS RESPONSIBLE FOR CHANGE IN CASTE SYSTEM IN INDIA’ viewed at 15th May 2016 available at YourArticleLibrary.comcaste/13factorsresponsibleforchangeincastesysteminIndia/4876  ‘7 REASONS WHICH WILL END INDIA’S CASTE SYSTEM’ at Motivate.Me.com, viewed at 15th May 2016 available at youtube.com/watch?VGXSm70FV

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हमािी सीख, हमािा सफ़ि! RESHMA:

िैं

खालसा

िहाववद्यालय

िें

MATHEMATICS/ STATISTICS के द्ववतीय वषष की छािा हुाँ| आज भी कुछ ऐसी बातें है , जो अभी तक िहीं बिली है | हि शायि इसके बारे िें सोचे भी िा ि​िर यह चीज हिारी जज़न्ि​िी/सिाज पर असर कर रही है | ग्यारह िहीिो का ये जो सफर िा, उसिे हिे इसके बारे िे सोचिे पर िज़बूर कर दिया| इसके िौराि इतिे अिुभव मिले हैं जजन्हे शायि शब्िों िें बता िहीं सकती हुाँ| हिारी जज़ंि​िी/सिाज से सब जुड़े होते है , लेककि हि िज़र अंिाज़ कर िे ते है | अपिी जज़न्ि​िी िे इतिे बबज़ी है , की क्या हो रहा है ककसी को कुछ खबर िहीं| लेककि िैं िे इस फ़ेलोमशप से काफी कुछ मसखा है | या यु कह लो भािती जज़न्ि​िी को रुक कर िे खा है, चाहे कफर वो िुझे खि ु को जाि​िा हो या वडाला, िालासोपारा और िाटुंिा लेबर कैंप जैसी जिह पर जािे का अिुभव, वाजकिकी बस्ती से ज़ुडाव बिािा हो| इि सभी के िौराि िस ू रों को सिझिा, हर िद् ु िे का िलत या सही वाला पहलु ही िा खोज कर, उन्हें जाि​िा और इस िौराि िेरे जो ररझरवेशि के बारे िें ित िे, वो पूरी तरह से बिल चक ु े हैं, जैसे की ररझरवेशि जरुरी है | यह सभी अिुभव और बिलाव िेरी जज़न्ि​िी को एक िए िुकाि तक ले िए, जो की उम्र भर िेरे साि रहें िे|

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SAJIYA:

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(mathematics

&

statistics) की छािा हुं। िुझे हिेशा से ही अपिे आसपास के िाहौल और सिाज के बारे िें जाि​िे िें रुथच रही है इसमलये जब िैंिे “यि ु लीडसष एस चें ज िेकसष फ़ैलोमशप” के बारे िें सुिी, तो िैंिे उस से जुड्िे का निणषय मलया। यह एक ग्रुप प्रोसेस है और िेरे मलए यह िुजश्कल िा क्योंकक िैंिे कभी ककसी ग्रुप के साि मिलकर काि िहीं की िी, लेककि इस प्रोसेस से िैंिे िा मसफ़ष अपिे साि काि करिे वाले लोिों के बारे िें जािा बजकक उिकी सोच,उिके अिुभव को भी सिझा। सिाज को िे खिे का िेरा पहले का िजररया, िेरी सोच और िेरे अिुभव िें बिलाव आया। िेरी जजन्ि​िी को एक िया िोड मिला। हिारा ररसचष टॉवपक "िमलत सफाई किषचारी" पर संशोधि करिे के बाि िैंिे

उि िमलत किषचाररयों के सिाज के

बारे िें और करीब से जािी, उिके काि िें आिेवाली कदठिाईयां, उिकी िज़बूरी, काि िा मि लिा ऐसी बहुत सी चीजें िी जो िेरे ि​ि िें सवाल पैिा करती िी, उि सवालों की मलस्ट से और िए सवाल उभर कर साि​िे आते िए और इस संशोधि के जररये उिके जवाब भी मिलते िए| संशोधि करिे के तरीके, लोिों से बात करिा, कोई अिर भावुक हो जाए तो उसे संभालिा, हौसला िे िा यह सब ऐसे अिभ ु व हैं जो िैं कभी भल ू िहीं सकती,और इन्ही सब बातों और अिुभवों को िैं अपिे तक ही मसिीत िा रख कर अपिे पररवार और िोस्तों को भी बताती हूाँ और इस पुरे प्रोसेस से िुझे लोिों के मलए कुछ करिे का हौसला मिला है |

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SAKSHI: िेरा िाि साक्षी मिश्रा है | िैं िुरु िािक खालसा कॉलेज िें S.Y.BSc की स्टूडेंट हूाँ| बचपि से ही िै बहुत चल ु बुली और निडर िी| िसवी तक पढाई, खेलकूि ऐसे ववववध चीजों िें हिेशा आिे रहती िी| बारवी िें कि परसेंटेज आिे की वजह से िेरा डॉक्टर बि​िे का सपिा पूरा िहीं हो सका| जजसकी वजह से िेरा आत्िववश्वास कि हो िया और िैं खि ु को किजोर सिझािे लिी| इसके बावजि ू भी िेरे िम्िी- पापा िे हिेशा िुझे आिे बढ़िे के मलए प्रेररत ककया| अब िैंिे बी. एस सी िें एडमिशि मलया|पढाई के साि-साि िेरा जीवि फेलोमशप िाि के एक और रास्ते से जुड़ िया| जो िेरे मलए बहुत ही दिलचस्प और िया िा| इस रस्ते से जड़ ु िे से िेरे जीवि िें कई उतार-चढ़ाव आये| लेककि िेरी जजन्ि​िी हर एक दि​ि ियी सोच से शुरू होती है | इस फेलोमशप के ११ िदहिे के प्रोसेस िें ग्रुप के साि जुड़कर िैंिे‘ िमलत सफाई किषचारी इस ववषय पर संशोधि ककया| यह ववषय िेरे मलए बहुत अिजािा िा| जात और काि का ररश्ता होता है

इसके बारे ,िे िैिे कभी

सोचा िहीं िा| इस टॉवपक की वजह से िैंिे सिाज की सच्चाई जािी, जजससे िैं अिजाि िी| यह फेलोमशप जॉइि करिे से पहले ररजवेशि िहीं होिा चादहए ऐसा िझ ु े लिता िा| लेककि अब िेरी सोच बिल ियी है | इस प्रोसेस से दि​ि प्रनतदि​ि िुझिे काफी बिलाव आये| िेरा आत्िववश्वास िािो लौट आया हो और िुझ िें आिे कुछ कर िुजरिे की काबबमलयत है | अब िैं पहले जैसी हूाँ, वही ‘साक्षी’ निडर और चल ु बुली और तो और िेरे द्ववतीय वषष िें काफी अच्छे िाक्सष भी आये और अब िैं बहुत खश ु हूाँ| िैंक YOU SO MUCH TO GIVE ME THIS OPPORTUNITY !!!!!!!!

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ANIMISH: I believe that my entire life is a learning journey. In it, this 1 year fellowship program and the members associated with it, created a story of their own where I had brief moments of joy and sorrow. We live in an action packed world where things constantly change all around us. The world has become a global village where technology is advancing with each passing day. In this, devastating world of knowledge and competition our survival has become very difficult. We should be well prepared, before we plunge into the sea of competition. Attending various workshops, understanding various concepts through activities performing skits, doing presentations, made me self confident and gave me a chance to showcase my leadership skills and polish my personality. Similarly, group bonding, handling group issues, maintaining transparency during Grant Management, were things which will be useful for me throughout the life. Also since I am interested in doing research, I got a hands-on training of preparing a report, data collection, data analysis, handling data, research tools, etc at my S.Y.B.Sc level, which usually people get at PhD level. By working on the topic, “DALIT SAFAI KARMACHARI” and doing a research project on it made me undergo through the present truth of Dalit people working as fourth grade labourer’s engaged in the work of cleanliness. I realized how lucky I am to have such a steady life, where my parents are there to support me, whereas during the field work I realized how people struggle for their survival and existence. It was an “OUT OF THE BOX” journey for me. I would like to thank each and every member associated with it especially my parents, my family for supporting me and allowing me to work on it. This journey was of hard work, honesty and sincerity.

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MANISHA: My life’s journey is like the happy days. In it there is some happy moment’s. In this journey, I had undergone through my entire life, by an activity which was described by the river in which sometimes I was happy and sometimes there were hurdles which were the difficulties that I faced. In this journey I learnt that whatever difficulties will come we have to face it at any cost. I used to be silent girl; I was busy in my own world handling my studies and my family. But after joining this youth

fellowship,

I

can

see

a

“different

beautiful ME”, who loves to speak, dance, enjoy. I learnt travelling through this process, I gained

confidence.

It

helped

me

in

my

personality development. I had new experiences, like visiting Valmiki basti, conducting interviews, talking to people and gaining few shocking experiences, for which worlds will be less for describing them. It was a superb experience.

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RAGINI: मेरा नाम रागिनी गिवारी है| मैं िुरु नानक खालसा कॉलेज की SYBSC की स्टूडटें हूँ| इंटरव्यू के बाद मलाड वकक शॉप से मेरा यह सफ़र शुरू हुआ हैं| पहले मेरी एक छोटी सी दुगनया थी जहाूँ गसर्क मैं और मेरे अपनों िक मेरी सोच गसगमि थी| मुझे में हौसला और कागबगलयि कार्ी थी लेककन उसे सामने रखने में एक हीच-गहचाहट सी होिी थी| इस प्रोसेस के दौरान ररसचक करना यह एक सवाल था मेरे गलए| ररसचक की बाि सुनकर जब मैं वकक शॉप में ियी िब मेरे कदमाि में कार्ी उलझन और सवाल थे, मैंने ररसचक करने के िरीकों का थोडा सचक ककया था लेककन मलाड पहुचिे ही यह समझ आया की, यह प्रोसेस अनोखी हैं| यहाूँ पर ककसी के गलखी हुयी ककिाबों का न पढ़कर बगकक एगटटगवटीज के जररये खुद की सोच और अनुभव को अपना नया syllabus बनाकर ररसचक करना था| जब हमे टॉगपक का चुनाव करना था िब जाि का मुद्दा मुझे कार्ी सरल लिा पर उसकी िहरायी जानने पर एक िूर्ान सा मेरे मन में चलने लिा, टया जािी का लोिों के जजदिी पर इिना िहरा असर पढिा है? इस गवषय पर कार्ी लोिों से चचाक करने के बाद मेरी इस गवषय में रूगच और बढ़ ियी| इस पर मेरा यह मि बना की लोिों को जािी वैिैरा जैसी गचजो से नहीं नापना चागहए, सबको एक समान नजररये से देखना चागहए| चाहे वो कोई बड़े दजे का काम करने वाला हो या साफ़ सर्ाई का काम करनेवाला हो! इस प्रोसेस के दरम्यान मुझे खुद को परखने का मौका गमला जहाूँ मैं अपना मि गबना गहचक के लोिों के सामने रख सकिी हूँ| हर चीज़ का अंि के वल उसके सही या िलि पर पहुचना नहीं बगकक उसके अलि-अलि पहलु को जानना और समझना और उसमे से अलि रास्िा चुनना गजसमे शायद एक नयी सोच बन सके | इस दौरान मुझे अलि-अलि लोिों से गमलने का मौका गमला, अलि-अलि जिह पर जाने को भी गमला| हमारे ग्रुप का एंटरटेनमेंट और काम का भी एक अलि अनुभव था| इस सब के दौरान कार्ी परे शागनयों का भी सामना करना पड़ा, जैसे घर, पढाई और ररसचक इन सबको संिगु लि बनाके चलना, अपनी छु रटयों को इस प्रोसेस में डालना| इस स्टेज पर ररसचक यह अनुभव गमलना कार्ी महत्वपूर्क रहा, अिले कु छ सालों में MSC के ररसचक प्रोजेटट में यह सभी हमें कार्ी उपयोिी होिा और मेरे जजदिी में भी, थैंक यु!!

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MAITHILI:

िी

िैथिली

Microbiology/Chemistry

सावंत. मशकत

िी

आहे .

S.Y.Bsc

ही

फेलोमशप

जॉईि करण्याआधी िला त्याबद्िल अिेक शंका होत्या. ११ िदहन्यांची दह फेलोमशप िला बरे च काही मशकवि ू िेली. या आधी िी शांत व सहसा अिोळखी लोकांिध्ये पटकि ि मिसळणारी होते. ही प्रोसेस पूणष झाकयावर िी बोलायला लािले,

एखाद्या

िोष्टीच्या

सिळ्या

बाजू

तपासायला

लािले व प्रश्ि ववचारू लािले .कॉलेज आणण इतर िोष्टी सांभाळतािा

खप ू

तारांबळ

उडायची.

पण

time

management चांिले करता यायला लािले. िुंबईसारख्या शहरात जानतभेि िावाची िोष्ट अजस्तत्वात िाही असे सुरुवातीला िाझे ित होते .या ररसचष िुळे हा भ्रि धरू झाला, स्िलांतरीतांच्या आयुष्याची भीषण ता कळली आणण सफाई किषचायािंबद्िलचा आिर वाढला. या निमि​िािे बऱ्याच दठकाणी जाणे, िवीि लोकांशी बोलणे या िोष्टी िी किाथचत ही फेलोमशपिध्ये िसते तर करायचा ववचारही केला िसता. खप ू प्रवास केकयािुळे िी आता कुठे ही हरवू शकत िाही हा ववश्वास वाटायला लािला .िवीि संधी आली तर त्याचा फायिा घेणे, शांत डोक्यािे काि करणे, एखािी

िोष्ट

परफेक्ट होण्यासाठी प्रयत्ि करणे या िोष्टी िला स्वतुःववषयी ववश्वास वाढवणाऱ्या ठरकया. सिाजाबद्िल एक दृष्टीकोि तयार झाला जो िी इतरांिािे खील बिलायला ि​ित करे ि.

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AAYESHA: Hi! िाझे िाव आयेशा आहे . िी िुरु

िािक

खालसा

MICROBIOLOGY/CHEMISTRY,

कॉलेज, द्ववतीय

विाषत मशकते आहे . िी जेव्हा फेलोमशपसाठी इंटरव्यू दिला, त्यािंतर मलस्ट लािली, त्यात िाझे िावच िव्हते. पण काही दिवसांिी जेव्हा िाझ्या

मि​िािे पुकारचे लेटर दिले, तेव्हा िला

खप ू च आिंि झाला. आम्ही सिळे फेलोस जेव्हा िालाडला िेलो होतो, तेव्हाच खरा प्रवास सुरु झाला. ि​ि आिचे वकषशॉप, टॉवपक डीसायीड करणे, त्यासाठी मलटरे चर ररव्युव्ह शोधणे, ते वाचणे. सिळे िववि तर होतेच पण त्याही सोबत खप ु कही मशकवणारे होते. यानिमि​िािे िी पदहकयांिा सेंरल, वेस्टिष, हाबषर या रूट िे प्रवास केला. िी िव-िववि लोकांिा भेटू लािले, त्यांच्याशी बोलू लािले. खरतर पक ु ार आणण कॉलेज एकसाि करणे िोड अवघड होते. एका वेळेला तर वाटले होते की, पुकार सोडाव का? पण याच प्रसंिातूि िी मशकले की ‘NEVER GIVE UP’. आणण या सिळ्यात एक िज्जा होती, ती म्हणजे आिचा ग्रुप. आम्ही खप ु िस्ती करायचो पण काि ही करायचो. आिच्या टॉवपक बद्िल िला आधी तसे िादहत होते, पण या फेलोमशपिध्ये आकयािंतर वेि-वेिळ्या िजु ष्टकोिातूि त्याकडे पहायला मशकले. पुकारिध्ये सहभाि घेण्याआधी िी ररझरवेशिच्या पण ू ष ववरोधात होते पण जेव्हा िोन्ही बाजि ू े ववचार केला तेव्हा कळले की, ररझरवेशि िरजेचे आहे . आणण एक िहत्वाचे मशकले, ते म्हणजे िी खऱ्या अिाषिे स्वतुःला सिजायला लािले, BE YOURSELF!.

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CHETANA : मेरा नाम चेिना कोरी है | मैं खालसा कॉलेज में फ़े लोगशप

S.Y.Bsc की स्टूडटें हूँ | ११ महीने की प्रोसेस

से जुड़ने

के

बाद "दगलि

सर्ाई

कमकचारी " इस टॉगपक पर संशोधन ककया | इस संशोधन के जररये मैंने दगलि सर्ाई कमकचारी के बारे में बहुि जाना | जागि और आरक्षर् की बाि पर मेरा यह मानना है की जाि के आधार पर या ककसी भी आधार पर आरक्षर् होने के कारर् गजस विक के गलए आरक्षर् है उनको गमलना चागहए | मेरी यह सोच बदली है | दगलि सर्ाई कमकचारी के बारे में पहले मैंने यह सोचा नहीं था की उनकी जजदिी इिनी मुगककलों भरी होिी | जैसे कोई भी कचरा या सार्-सर्ाई का ख्याल नहीं रखिा गजसके

कारर् उनका स्वस्​्य ख़राब होने का

खिरा रहिा है | मैंने इस टॉगपक को समझा और जाना , इन सब के प्रगि मेरी सोच में भी बदलाव आया | जब हमने ग्रुप मेंबसक की

बहुि

इस टॉगपक पर काम ककया िो हमें बहुि सी मुगककलें आई , लेककन हमारे

मदद से हमने रीसचक करके बहुि सी बािें सीखी | अब मैं खुद िन्दिी और कचरा

रोड पर ना र्ें ककर डस्टगबन में डालिी हूँ और लोिो को भी बिािी हूँ

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PREETI: Hello Friends!! िैं प्रीनत हूाँ | िैं हिेशा से ही अपिे सोसाइटी के मलए कुछ करिा चाहती िी |िुझे कभी िौका मिला कभी िहीं मिला | जब इस फ़ेलोमशप और पक ु ार के बारे िें पता चला कॉलेज से तो िैंिे decide ककया की , िझ ु े ऐसा लिा की यह एक way है जजसका इस्तेिाल करके िैं कुछ कर सकती हूाँ | फ़ेलोमशप से जुड़िे के बाि धीरे -धीरे पता लिा की सोसाइटी क्या है | िैं हिेशा चाहती िी की सोसाइटी की सोच बिलिी चादहए की यह कैसे करते हैं ,वो कैसे करते हैं| लेककि िझ ु े सिझ िें आया कक हि ही सोसाइटी हैं |िैं खि ु सोसाइटी का दहस्सा हूाँ |िैं िलत और सही के बीच differentiate कर पाती िी लेककि उसको बोलिा कैसे हैं अपिी बात कैसे रखिी हैं और बोलते सिय डरिा िहीं हैं बस बोल िे िा हैं , िझ ु े इस फेकलोमशप से यही सीख मिली हैं जजसे िैं कभी भूल िहीं सकती यह बाते िुझे जजंि​िीभर याि रहे िी और िैं यह confidence से बोल पा रही हूाँ| हिारे ग्रप ु िेम्बेसष िे जब “िमलत सफाई किषचारी “ टॉवपक चि ु ा, i was not there. िैं इस सब्जेक्ट को लेकर खश ु िहीं िी क्यूंकक िुझे मसंपल लिता िा| उसिे एक सवाल िा कक िीची जानत के लोि ही यह साफ सफाई क्यों कर रहे हैं , तो इसपर िेरा िाि​िा िा की ककसी ि ककसी को करिा ही है ठीक हैं िा वो लोि कर रहे हैं तो | िैं ऐसा सोचती िी की कचरा उठािा, साफ सफाई करिा its not big deal लेककि एक incident िेरे साि हुआ | िेरा ATM काडष फ्लश िें थिर िया िा जजसे निकालिे के मलए िुझे उसिे हाि डालिा पड़ा, उस सिय िुझे एहसास हुआ की ककतिा िन्िा feel होता है | िुझे उि सफाई किषचाररयों का ख्याल आया की उन्हें कैसा लिता होिा कचरा उठािा, लोिो की िन्ि​िी साफ करिा ककतिा िुजश्कल है | िेरे मलए यह एक बहुत बड़ी सीख है |

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KOMAL: मेरा नाम कोमल

है| में खालसा कॉलेज में

बी.एस.सी की छात्रा हु| यह फ़े लोगशप मेरे गलए एक बहुि बड़ी अचीवमेंट है| मैंने जब इस फ़े लोगशप के गलए र्ॉमक भरा, इंटरव्यू कदया, िब मेरे कदमाि में बस इिना ही था की, मुझे अपनी सोसाइटी के गलए कु छ करना है| पर मैंने जब िोरे िाव का पहला वकक शॉप अटेंड ककया, िब मुझे वो गटलयर हुआ| यह भी समझ में आया की हम जो सोचिे है और ररयगलटी, इन दोनों में बहुि र्कक होिा है| हमारे जो साथ कदन के वकक शॉप थे िब मैंने अलि-अलि बािें सीखी| जैसे की टाइम मैनेजमेंट के बारे में सीखा| अिर हम टाइम मैनेजमेंट नहीं कर पािे है, या कर्र हमने जो डीसाइड ककया वो उस वक़्ि में नहीं होिा है, िो कै से प्रॉब्लम का सामना करना पड़िा है? इस से यह सीखा की, टाइम मैनेजमेंट बहुि ज़रूरी है| यह भी सीखा की, जो प्लाजनि कर रहे है वो अिर प्रॉपर हो िो काम अच्छी िरह से पूरा होिा है| मैंने यह एक बाि भी सीखी की, जब दशकक या कर्र भीड़ सामने हो िो ककस िरह से बाि करनी चागहए, हमारा हावभाव, हमारा आत्म-गवश्वास को कै से सुधारना चागहए और नवकसनेस कै से दूर ककया जा सकिा है| यह सब मैंने इस प्रोसेससे सीखा है|

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परिलशष्ठ सहिती पि शीषषक:

िुंबई के िमलत सफाई कािषचाररयो की पररजस्िती पर असर करिे वाले घटको का

अभ्यास ि​िस्कार! िेरा िाि _________________________

है और िेरे सहयोिी का िाि _____________________

है । हि खालसा कॉलेज के ववद्यािी है । पढ़ाई के साि साि हि 'पुकार ' इस संस्िा से जुड़े हुए है । इस संस्िा से जड़ ु कर हि "िमलत सफाई किषचारी " इस ववषय पर संशोधि करिा चाहते है । यह संशोधि हि इसमलए कर रहे है ,क्योंकक सदियों से चलिे वाली जानत व्यवस्िा इक्कीसवी सिी िें भी लोिों पर हावी हो रही है । ककसी एक जानत से होिा ककसी व्यजक्त के काि पर ,उसके सािाजजक स्िाि पर ककतिा असर कर रही है । ऐसे हालातो िें , िमलत सफाई के काि और उिके अिभ ु व के बारे िे हि जाि​िा चाहते है । आपके द्वारा िी ियी जािकारी का उपयोि हिारे संशोभि िें ककया जायेिा। आपकी पहचाि िप्ु त रखी जाएिी। आपकी अि​ि ु नत से ही हि, आपके द्वारा िी जािे वाली जािकारी मलखेंिे और ररकॉडष करें िे। अिर आप ककसी सवाल का जवाब िे िे के मलए इच्छुक िहीं है तो आप उसके मलए ि​िा कर सकते है ,सोचिे के मलए सिय ले सकते है । आप कभी भी यह संशोधि प्रकक्रया छोड़ सकते है । इस प्रकक्रया िें हि आपका सहयोि चाहते है । अिर आपके ि​ि िें कोई शंका या सवाल है तो आप निचे दिए िए िंबर पर संपकष कर सकते है । हिारे संपकष क्रिांक : ऑकफस के िंबर :०२२ २६४७४८७०

वेबसाइट : www .pukar .org .in

हस्ताक्षर :

86


सवेक्षण िाि :

उम्र :

रहिे का स्िाि:

मशक्षण :

धिष :

जात:

काि :

कंिाटी :

शासकीय :

स्िािान्तरणण :

संपकष क्रिांक : हस्ताक्षर :

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इंटरव्यज ू के प्रश्ि / िद् ु िे  पररचय

 काि का पहला अिभ ु व

 स्िािान्तरण के बाि का अिभ ु व

 सपोटष मसस्टि

 काि से जुडा लोिोंका का व्यवहार

 िाव और शहर का अिभ ु व (भेिभाव )

 जानतभेि

 इस काि िें पीढ़ी िर पीढ़ी होिा

 हक्क और जािनृ त (सवु वधाए )

 अपिे बच्चों के भववष्य के बारे िे ववचार

88


 ि​ि​ि के मलए िमलतों से ररलेटेड यनू ियि

 जानतभेि के बारे िें कायिा

 स्वच्छ भारत अमभयाि

 िशापाि

 जात ,काि और स्िािान्तरण के बारे िे उिका िजररया​ाँ

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