Livelihood of female sex worker after age of 35

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“वैसी थी जवानी, अब ऐसा है बुढ़ापा”... 35+ उम्र होने के बाद फीमेल सेक्स वककरसकर कौन–कौन से काम करते हैं?

ररसर्करसकर के नाम १. स्नेहा सुननल लटके २. मनीषा अशोक मादर ३. मेघना भरमप्पा मेदार ४. राधिका लवकुश गुप्ता ५. शाहबाज़ मश्ु ताक बेग

फेसससलटे टर का नाम: सुनील गंगावने

OUR PARTNERS

२०१५-२०१६


अनुक्रमणिका क्रमा​ांक

विषय

पेज नांबर

आभार

३-४

प्रस्तािना

५-६

ग्रुप प्रोसेस

७-१४

ररव्यु ऑफ़ लिटरे चर

१५-२१

सांशोधन पद्धती

२२-२३

ररसचच डेटा विश्िेषि

२४-४८

सझ ु ाि/ लसफाररश

४९

ननष्कषच

५०-५१

Individual Experience

५२-५५

१०

रे फ़रन्स

५६

११

अपें डडक्स

५७-५९

१२

“सफ़र”- कविता

६०


आभार

मारे ररसचच टॉवपक को पूरा करने में बहुत िोगों की हमे मदद लमिी है | हम उन सब िोगों का ददि से शुक्रक्रया अदा करना चाहते हैं| सबसे पहिे हम शुक्रक्रया अदा करना चाहते हैं, हमारे ररसचच की सबसे महत्िपूिच

साथिदारों का जजनके बबना यह ररसचच कभी भी सांभि नहीां हो सकता िा| उन्होंने हम पर भरोसा रखकर अपनी पूरी कहानी हमारे साि बा​ाँटी, हम पर भरोसा रखकर उनके ननजी जीिन की

सच्चाई बताई| िो हैं हमारी इस ररसचच में शालमि हुई १८ सहभागी औरतें | हम उन सबको पूरे ददि से अपना आभार व्यक्त करते हैं| इस इांटरव्यू के प्रोसेस को पूिच करने में सबसे बड़ा हाि श्रीमती ननमचिा ठाकुर का है

जजनके कारि हम १८ औरतों से इांटरव्यू कर पाए हैं और हर समय इन्होने हमे लसफच मागच ही नहीां ददखाया बजकक हमारा साि भी ददया।

हम अपने गुरु नानक खािसा कॉिेज को भी ददि से शुक्रक्रया अदा करना चाहते हैं क्योंक्रक

उनसे हमे पुकार की जानकारी लमिी, जजसके कारि हम पुकार से जुड़ पाए हैं।

गुि​िांती.जे.कपूर फाउां डेशन भी पुकार का एक दहस्सा है , जो सारे फेिोस को स्कॉिरलशप

दे ता है | गुि​िांती जे कपूर फाउां डेशन ने हमारे साि कुछ सेशन भी लिए है जो बहुत ही मज़ेदार िें| हमें यह स्कॉिरलशप प्रदान करने के लिए हम उन्हें ददि से धन्यिाद कहते हैं| अब हमारी हर एक ज़रुरत के सामान को प्रदान करने के लिए और हमे पि ू च रूप से

सहयोग करने के लिए हम ‘पक ु ार’ को धन्यिाद करते हैं। हम उन िोगों को भी शक्रु क्रया करते हैं जजन्होंने Saint Pius campus में िकचशॉप्स रखने की अनम ु नत दी।

अब हम धन्यिाद दे ते हैं हमारे छोटे से गट को जजन्होंने इस ररसचच को पूरा करने में एक

दस ू रे की काफी मदद की।


अपना सबसे बड़ा शुक्रक्रया उन व्यजक्तयों को दे ते हैं जजनके कारि ये ररसचच पूिच हो

पाया है | सबसे पहिे तो हम मानसी और रोहन को धन्यिाद दे ते हैं जजन्होंने हमारे फैलसलिटे टर

सुनीि के गैर-मौजूदगी में हमारी छोटी-छोटी गिनतयों को परखा और हमे सही मागच ददखाया। हम अपने फैलसलिटे टर सुनीि को धनयिाद दे ना चाहते हैं जजसने हमारी हर उिझन को बड़े ही

सरिता से सुिझाया, हमारे हर अच्छा काम करने पर सुनीि की एक हसी, हमे और अच्छा काम करने का प्रोत्साहन दे जाती िी।

हम सािभर इस ररसचच के काम के लिए हर एक छुट्दटयों के ददन और हर एक रवि​िार

को बाहर रहते िे, घर पर िेट पहुचते िे, िेक्रकन क्रफर भी हमें समझकर िेने के लिए हम अपने पररिार के िोगों को धन्यिाद करते हैं क्योंक्रक इन्होंने हमे इस ररसचच टॉवपक से जड़ ु े रहने ददया, हमे दे र तक घर से बाहर रहने की अनम ु नत दी और हमारे विषय को समझते हुए हमारा साि ददया। हम ऊपर ददए गए सभी िोगों को क्रफर से ददि से शुक्रक्रया करते हैं।

। । िन्यवाद । ।


प्रस्तािना जब हम ‘िैश्या’ नाम सुनते है , तब न जाने क्यों हमारे अांदर कुछ गांदा सा होने िगता है |

कुछ िोग तो ऐसे होते हैं जो ये शब्द सुनना भी पसांद नहीां करते| कुछ बच्चों को तो अपने घर में ये शब्द बोिना भी मना है | ऐसा क्यों?

'सेक्स' का अिच है क्रक दो िोग एकसाि आकर शारीररक सांबांध बनाते हैं; यह तो सब िोग करते है , क्रफर हम िैश्या को इतनी गांदी नजर से क्यों दे खते हैं? िैश्या औरत अपना जजस्म बेच कर पैसा कमाती है , क्या उनका यह करना गित है ? इस दनु नया में सब िोग गित काम करते है , जैसे- करप्शन, कािा पैसा इकठ्ठा करना, आदद | और यह औरते तो ईमानदारी से ये काम

करती है , क्रफर हम उनको गांदा क्यों कहते है ? कुछ औरतें अपनी मजबूरी के कारि, तो कुछ औरतों को फसाकर इस काम में डािा जाता है , कुछ औरतें ऐसी भी है , जो लसफच अपने घरिािों का पेट भरने के लिए आती है ।

हम जब कभी क्रकसी सड़क से गज ु रते है और कभी क्रकसी रे ि​िे स्टे शन पर उन औरतों को

दे खते है तब हम अपना मांह ु बनाते है । उनको गांदी गािी दे ते है । कुछ िोग उन्हें ऐसे दे खते रहते है क्रक इस दनु नया में कोई अिग इांसान आकर हमारे सामने खड़ा है । जजस घर के लिए िे अपना जजस्म बेचती है िे उन्हें सड़क पर िाकर छोड़ दे ते है । क्यों? उन औरतों की जब उम्र हो जाती है

तब उनका शरीर भी साि नहीां दे ता, उन्हें मोटापा आता है । सबसे बड़ी बात तो यह क्रक उनकी सांद ु रता चिी जाती है । उनका शरीर बहुत सारी बीमाररयों से नघरा हुआ होता है । इस हाित में िो अपना जीिन कैसे व्यतीत करती है ? अपना पेट भरने के लिए क्या करती है ? इन सब सिािों को समझने के लिए हमने यह विषय चन ु ा। इस ररसचच में हमने मुांबई यह विभाग चुना, जजसमे हमने कमाठीपुरा और c.s.t में काम

करने िािे १८ औरतों का इांटरव्यू लिया|

जब हमने फीमेि सेक्स िकचर पर ररसचच करने का सोचा िा तब हमारे ग्रुप में से दो-

तीन िोंगो को इस विषय के बारे में कुछ भी पता नहीां िा, जजन िोंगो को िोड़ा बहुत पता िा, उन्हें िगता िा क्रक सेक्स िकचर के पास बहुत पैसे होंगे, इनकी कोई मज़बूरी नहीां होगी| पर जब हमने इांटरव्यू लिया तब सारे इांटरव्यू से हमें समजा क्रक, उनकी मज़बूरी होती है , उन्हें फसाकर

उनका प्रेमभांग करके इस काम में डािा जाता है | उन पर बहुत सारे अत्याचार हुए है , उनकी


हाित इतनी ख़राब है क्रक अभी उनके पास अपनी जजांदगी को जीने के लिए पैसा नहीां है | क्रफर कैसे भी करके अपना गुजारा करने के लिए उन्होंने दस ू रा काम करने का प्रयत्न क्रकया, कुछ औरतों को दस ू रे काम में सफिता लमिी तो क्रकन औरतों को क्रफरसे यही काम चन ु ना पड़ा|

इन औरतों को आगे अपनी जजांदगी जीने के लिए कुछ सहायत्ता की मदद िगती है , उनकी

इच्छा होती है दस ू रा काम करने की, िेक्रकन इस समाज में उनको कोई स्िान नहीां होता है , तो

उनका आगे क्या? हमें उनकी सहायता करके उनको इज्जत दे ना चादहए| हम आशा करते है क्रक ये ररसचच पढ़ने के बाद फीमेि सेक्स िकचर के बारे में आपके विचार में बदिाि होगा|


ग्रुप प्रोसेस गट की पहर्ान  स्नेहा लटके: स्नेहा

यह

गुरु

नानक

खािसा

कॉिेज

की

विद्याथिचनी

है , जो

FY.BSC

में

माइक्रोबायोिॉजी विषय की पढ़ाई कर रही है | जहा तक काम का सिाि है स्नेहा परु े प्रोसेस में बहुत मेहनती िड़की रही है | उसकी धीमी सी और मीठी सी आिाज़ से सबकी थचांता दरू हो जाती| स्नेहा एक बहुत ही साधी और भोिी िड़की िी इसलिए उसे शरू ु शुरू में बहुत परे शानी हुई| िेक्रकन सबका हाि िामें धीरे धीरे उसने दहम्मत ददखाई और जानकारी प्राप्त की|

मनीषा मादर: मनीषा मादर भी स्नेहा के साि माइक्रोबायोिॉजी की पढ़ाई कर रही है | मनीषा के िजह से हमे सेक्सिकच के विषय पर बहुत जानकारी लमिी| उसने हमेशा ग्रप ु के मेम्बेसच की परे शानी को समझा| हर एक के काबबलियत के दहसाब से िो सब में काम बा​ाँट िेती िी| मनीषा के कारि ग्रुप के सारे काम बड़े ही आराम से हो जाते िे|

मेघना मेदार: मेघना, मनीषा और स्नेहा एक ही िगच में साि में पढ़ते है | मेघना ने हमेशा उसको दी हुई जजम्मेदारी पूरी की है | हमारे विषय को उसने गहराई से जानने की परू ी कोलशश की| इसके विचार हमेशा सकारात्मक रहे है , जजसके कारि दस ू रे मेम्बेसच का क्रकसी भी चीज़ को िेकर डर कम हो जाता िा|


राधिका गप्ु ता: राथधका भी गुरु नानक खािसा कॉिेज से BSC कर रही है | राथधका जजतनी बाहर से कठोर है उससे कही ज्यादा अांदर से नरम है | िो हमेशा सबको ज्यादा काम करने का हौसिा दे ती हैं| ग्रा​ांट के पैसों की जजम्मेदारी उसने बखब ू ी से ननभाई|

 शाहबाज़ बैग: शाहबाज़ ‘उगम‘ नाम के सांस्िा से जुड़ा िा जो कैंसर पीडड़त और कैंसर से झूझकर यशस्िी जीिन जी रहे िोगों के साि काम करता है | “गुि​िांती कपूर फाउां डेशन“ उगम से भी जुड़ा है , इस तरह उगम की एक facilitator के द्िारा शाहबाज़ पुकार से जुड़ा|

हमारे गट का नाम “आशाएां” है । यह नाम चन ु ने में भी हम िोगों को काफी समय िग गया िा।

कुछ नाम जैसे रोशनी, स्पांदन और आशाएां सामने आई| अांत में हमने 'आशाएाँ' यह नाम रखा| हमने यह नाम इसलिए चन ु ा क्योंक्रक ‘आशाएाँ’ का अिच होता है - ‘नई उम्मीद’| हमें इस नाम से काफ़ी सकारात्मकता महसूस हुई| हमारे गट में पा​ाँच members हैं जजन्होंने यह विषय को पूिच क्रकया हैं। हमारे गट के पा​ाँच members है : स्नेहा लटके, मेघना मेदार, राधिका गुप्ता, शहबाज़ बैग और मनीषा मादर |


फेलोसशप से जड़ ु ने की प्रक्रिया

एक ददन जब हम अपने microbiology के lecture में बैठे िे, तब 'अांजिी' नामक िड़की

ने हमारे लशक्षक से अनम ु नत िेकर हमे पक ु ार के बारे में जानकारी दी। उसने यह भी कहा िा यदद क्रकसीको

इससे जड़ ु ना है तो िे िोग 'सन ु ीि गांगािने' को सांपकच कर सकते है । हम दस ू रे ही ददन statistics के department में गए और उनसे कहा की हमे पक ु ार से जड़ ु ना है तो उन्होंने एक फॉमच ददया, जजसे भरके हमे जमा करने के लिए कह गया।

हमारे खािसा कॉिेज में पहिा ओररएांटेशन हुआ िा जजसे रोहन ने कांडक्ट क्रकया िा जजसमे हमें इस फेिोशीप के बारे में बड़े ही अच्छे तरीके से बता ददया िा। उसी ददन प्रत्येक जन का इांटरव्यू

लिया गया जो िगभग आधा घांटा चिा। इांटरव्यू िेने के बाद उसके पररिाम आए जजसमे हम चन ु े गए िे| उस समय हम काफी उत्सुक िे, पर साि ही में हम इस बात को िेकर थचांनतत हो गए क्रक क्या हम इस फेिोलशप और कॉिेज की पढाई दोनों साि में ननभा पाएाँगे? िेक्रकन धीर रखते हुए हमने दोनों जजम्मेदाररयों को बखब ू ी से ननभाया|


गट कैसा बना ? हर एक youth fellow को एक दस ू रे से पररथचत कराने के लिए खािसा कॉिेज

में एक छोटा सा मीदटांग आयोजजत क्रकया गया िा, जजसमे ४७ youth fellows आये हुए िे जजनको इस फेिोलशप में चन ु ा गया िा| हमने एक दस ू रे को अपने नाम बताएां, हमें तभी पता

चिा क्रक हमारे ग्रप ु पहिे से बाटे हुए हैं| हमें एक पेपर ददया गया, जजसमे हर एक के गट के लिस्ट िे, अपने अपने कोऑडडचनेटर के नाम के साि। शरु ु िात में जब गट बना, तब कुि ११ में बसच िे, परन्तु कुछ समय बाद ६ में बसच ने अपनी ननजी कारिों क िजह से फेिोलशप छोड़ने का ननिचय लिया। क्रफर ५ में बसच ही रह गए िे जजन्होंने अांत तक यह ररसचच विषय पूिच क्रकया।

१०


ववषय कैसे र्न ु ा गया?

अभी ग्रप ु का एक विषय चन ु ने का समय आ गया िा। हमारे कोऑडडचनेटर सन ु ीि ने

विषय चन ु ने के लिए बा​ांद्रा ऑक्रफस में एक मीदटांग रखा और मीदटांग में सन ु ीि ने कहा क्रक १०

विषय चन ु के लिखो और विषय ऐसा चन ु ो जो ननजी मामिो से या ननजी जज़न्दगी से जड़ ु ा हो। इस बात को ददमाग में रखते हुए हमने १० विषय चन ु े और कोऑडडचनेटर को सन ु ाया, क्रफर उन्होंने कहा क्रक इसमें से ३ विषय को फाइनि कर दो। हमारे ३ विषय कुछ ऐसे िे: कैंसर पेशेंट्स, ओकड ऐज होम और सेक्स िकचसच। हमारा पहिा विषय कैंसर पेशेंट्स िा क्यांक्रू क हमारे

गट का एक सदस्य ‘शाहबाज़’ कैंसर से पीडड़त िा, कैंसर जैसी बबमारी से िढकर िो स्िस्ि हो गया| परां तु कुछ िोग ऐसे होते हैं जो जजांदगी भर इस बबमारी को िेकर चिते हैं| उन िोगों की जजांदगी को, उनके ददच को करीबी से जानने और समझने के लिए हमने यह विषय चन ु ा िा| दस ू रा विषय OLD AGE HOME चन ु ा क्यूांक्रक जब हम OLD AGE HOME का नाम सुनते है

ओर जब उन्हें दे खते है तब मन में सिाि आता है क्रक जजन बच्चों के माता -वपता बड़े होने तक साि दे ते है िही बच्चें जब माता-वपता बूढे होते है तब उन्हें OLD AGE होम भेजते है , ऐसा क्यों? यही जानने के लिए हमने यह विषय चुना| “सेक्स िकचसच” यह विषय भी हमारे गट में

मनीषा और मेघना की ननजी जज़न्दगी से जुड़ा हुआ है इसलिए हमने यह विषय चन ु ा| तीन विषय में से एक विषय पर आना हमारे लिए काफी कदठन िा, इसलिए तभी हमने ग्रप ु मेम्बेसच

का िोट िेने का तैय क्रकया, इसी से ‘सेक्स-िकचसच’ इस विषय का चन ु ाि हुआ| सुनीि ने भी कहा क्रक इस विषय से आपको समाज की छुपी हुई सच्चाई जानने का एक सबसे बड़ा मौका लमि सकता है , इस तरह हमने “फीमेि सेक्स िकचसच” इस विषय पर काम करने का ननश्चय क्रकया|

सबसे पहिे तो हमने सेक्स िकचसच क्या है ? यह समझने की कोलशश की| क्रफर हमने इस बड़े से विषय को और भी छोटा करने के लिए दो अिग मुद्दे सामने िाये, पहला: फीमेि सेक्स िकचसच को कौन कौन सी परे शानी आती है और दस ू रा: फीमेि sex िकचसच अपनी जज़न्दगी कैसे

व्यतीत करती है ? परन्तु सुनीि से पता चिा क्रक इन विषयों पर पहिे से बहुत अच्छी तरीकों से ररसचच हो चक ू ा है । क्रफर हमने इस विषय के बारे में और सोचकर अांत में हमने इस विषय को

अपना ररसचच विषय के रूप में फाइनि कर ददया: “३५ उम्र हो जाने के बाद फीमेि सेक्स िकचसच

कौन कौन से काम करते हैं?” हमने यह विषय इसलिए चन ु ा क्यांक ु ी जब एक सेक्स-िकचर की उम्र बढ़ जाती है उन्हें बहुत सारी मजु श्किों का सामना करना पड़ता है | उनकी उम्र ही मानो उनकी कमाई तय करती है | उम्र का बढ़ना समझो उनकी कमाई का दरिाज़ा बांद होना है |

इसलिए उम्र के इस पड़ाि पे आकर िे दस ु रे कौन-कौन से काम करते है और उन्हें क्या-क्या ददक्कते आती हैं, यह समझने के लिए हमने यह विषय चन ु ा|

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ट्रें ननंग और वककरशॉप्स कैसे हुए? छुट्दटयों के समय हमारे काफी सारे workshops हुए। हमारे िकचशॉप्स कभी बा​ांद्रा तो कभी गोरे गाि के Saint Pius कॉिेज में हुआ करते िे। हर एक workshop के विषय अिग िे, उनके मुद्दे अिग िे और उनकी प्रक्रक्रया भी अिग िी। हमे हर एक workshop से कुछ नया सीखने लमिता िा। इन workshops के द्िारा हमे कुछ ऐसी बातें और कुछ ऐसी सच्चाई पता चिी जजससे हम अांजान िे। Workshops में सीखे हुए प्रक्रक्रया को और भी अच्छे से समझने के लिए गट बनिाकर एजक्टविटी करिाया जाता िा| इन सेशन के द्िारा हमने ऐसी बाते सीखी जो न लसफच हम अपने ररसचच में इस्तमाि कर सकते है बजकक असि जजांदगी में भी उपयोग कर सकते है , यदद हम असि दनु नया से आज भी रूबरू है , तो इन्ही workshops के द्िारा|

हमारे ग्रप ु और फैसससलटे टर के साथ मीटटंग्स:ररसचच के पनू तच के लिए ग्रप ु का मीदटांग करना आिश्यक होता है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने ग्रुप मीदटांग रखना शुरू कर ददया| विषय चन ु ते समय राथधका को विषय नापसांद िा, उसे अपनी विषय की बात घरपर बताने के लिए भी डर िगता िा, परां तु जैस-े जैसे समय बीतता गया, उसी के साि-साि उसने इस विषय को अपना लिया| कोई भी व्यजक्त मीदटांग के समय विषय से जड ु ी हुई जानकारी या अनभ ु ि के बारे में ज्ञात होता तो िे गट में बताया करते िे| शरु ु िात में कोई भी बताये हुए समय पर मीदटांग के लिए नहीां आता िा| तो कभी कोई आ भी जाता िा, तो उसका ध्यान बटा हुआ रहता िा| पहिे ददन से िेके काफी-सारी मतभेद, बहस, िड़ाई-झगड़े हुए करते िे| शायद इसका कारि यह भी हो सकता है की हम एकदस ु रे को जानते नहीां िे| परां तु विषय की पूनतच के लिए हमे एक दस ु रे को समझना आिश्यक हो गया िा इसलिए हम एक दस ु रे के साि एक-दस ु रे के अच्छे दोस्त बन गए हैं जो हमारे गट के लिए अच्छा साबबत रहने िगे, साि ही में घम ु ने िगे िे और जैस-े जैसे िक्त ननकिता गया, हम सब एक होते गए|

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हमारी विषय पर समझ तब तक सीलमत िी जब तक हम लसफच ग्रुप मीदटांग्स करते िे, परां तु जब हमने हमारे फैलसलिटे टर सुनीि के साि भी मीदटांग्स रखना शुरु क्रकया, तब हमें बड़े पैमाने पे जानकारी लमिने िगी| जब-जब हमने फैलसलिटे टर के साि मीदटांग्स क्रकया, तब-तब कुछ नया सीखने और सन ु ने लमिता िा| हर मीदटांग में हमारे फैलसलिटे टर सन ु ीि विषय से जड ु ी हुई जानकारी हमें बताते िे, जैसे उन्होंने विषय पर आधाररत क्रफकमे, क्रकताबें और आदटच ककस हमें ददए| इतना ही नहीां उन्होंने हमें एक्सपटच जैसे ननमचिा, अजम्िता, गिेश, आशीष और अनीता जैसे व्यजक्तयों के साि भेट करा के ददया| एक समय ऐसा आ गया, जब हमारे फैलसलिटे टर सुनीि को काम के लसिलसिे से दो मदहनों के लिए बाहर जाना आिश्यक हो गया िा| उस समय उनके गैर-हाजरी में मानसी और रोहन के साि मीदटांग्स करते िे| मीदटांग्स के समय इन दोनों ने भी हमारे विषय को और हमारे स्टे ज को समझते हुए, हमारी की हुई छोटी-छोटी गिनतयों को परखा और सही रास्ता ददखाया|

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डेटा एनासलससस और ररपोटकर राइटटंग का काम कैसे क्रकए? अब समय आ गया िा हमारे एनालिलसस का, जो की सबसे महत्िपि ू च काम िा| हमने कुछ कोड्स बनाए जो जाके एक िीम को तैयार करता िा और ऐसे कई सारे अिग अिग िीम्स बने| पाश्िभूलम, मुजश्किें , फायदे , उम्र और अपेक्षाएां कुछ ऐसे िीम्स बने जो हमारे एनालिलसस के विभाग में मौजूद हैं| हमने ररपोटच बड़े ही आनांदरूप से लिखा है | ना जाने ररपोटच लिखते समय ् हमने अपने facilitator और एक दस ु रे को क्रकतना परे शान क्रकया होगा|

इस पुरे साि में गट में लमि-जुिकर कैसे काम क्रकया जाता है यह तो समझ आ ही गया परां तु अगर कोई गट का सदस्य क्रकसी कारि ग्रुप में नही है तो भी क्रकस तरह काम सांभािा जा सकता है यह भी अच्छी तरह से समझ आया|

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ररव्यु ऑफ़ लिटरे चर सेक्स िकच का अिच होता है पैसों के लिए दो इांसान का लमिकर शाररररक सांबांध बनाना, क्रफर चाहे िो औरत हो पुरुष हो या​ाँ दहजड़ा| कुछ इसी तरह सेक्स िकच की पररभाषा हमे “UNAIDS INTER AGENCY TASK TEAM [2005]” ने समझाने की कोलशश की हैं| उन्होंने कहा हैं क्रक, ननयलमत रूप से यौन सेिाओां के लिए पैसों का िेन-दे न होता है | इन सेिाओां में औरतें , पुरुष, ट्ा​ांसजेंडर, ियस्कर, यूि, और बच्चों को भी शालमि क्रकया जाता िा| भारत के इनतहास में सेक्स िकच की प्रिा कई सािों से चिी आ रही है | सोशि हाइजीन एसोलसएशन के द्िारा S.N.Sinha ने साि १९९३ में कहा िा क्रक प्राचीन भारत में अमीर, नगरिधू से गाना और नत्ृ य करने की मा​ाँग करते िे| इन नगरिधओ ु ां का “शहर की दक ु हन” के रूप में उकिेख क्रकया गया है | आचायच चतरु सेन ने “िैशािी की नगरिध”ू में एक राज्य िैश्या तिा बौद्ध लशष्य- “आम्रपाली” का ि​िचन करते हुए एक प्रलसद्ध उदाहरि ददया है | दस ू रा उदाहरि “वसंतसेना” है जजसके बारे में सुद्रका ने दस ू री शताब्दी में अपने सांस्कृत कहानी- लम्रच्च्कादटका के द्िारा बताया है | यह तो बात रही पूरे भारत दे श की| यदद मुांबई की बात करे तो यह शहर ‘कामाठीपूरा’ नामक रे ड िाइट एररया के लिए प्रलसद्ध है | कामाठीपुरा का इनतहास कुछ ऐसा है जो हमे पुकार के youth fellows (विशाि, मािती, प्रतीक्षा, शेह्नाज़, अलम्रता) के २०१५ में क्रकए हुए ‘कामाठीपरु ा’ पर ररसचच से पता चिता है | इनके ररपोटच के अनस ु ार िगभग एकसौ पच्चीस साि पहिे आांध्रप्रदे श से तेिग ु ु समाज का मुांबई में स्िाना​ांतर हुआ| िो लमट्टी का काम, मजदरू ी, इमारत बा​ांधने का काम करते िे| मुांबई में होनेिािी महानगरपालिका की इमारत भी कामाठीपुरा में रहने िािी मजदरू ों ने ही बनाई है | इनका आने का कारि आांध्रप्रदे श में भूकांप का आना िा| उस साि, मतिब िगभग १२५ साि पहिे तीन हज़ार तेिुगु िोग मुांबई में आए| उन्होंने खद ु का बसेरा मांब ु ई में बबठाया| ये समाज बीडी बनाने में मादहर िा| िैसे ही िे िोग plumbing जैसा काम भी करते िे| िे इतना मेहनत करते िे की कोई भी काम करते समय आगे पीछे नहीां

१५


दे खते िे| उनकी यह मेहनत दे ख के िहा​ाँ के मराठी िोगों ने ‘कामाठी’ नाम दे ददया| इस तरह उस जगह को कमाठीपुरा यह नाम लमिा| सददयों से यह व्यिसाय अिग-अिग प्रक्रक्रया से चिी आ रही है , इसलिए prostitution को क़ानूनी तौर पर मांजूरी दे ने में सफिता लमिी है | परां तु इससे जुडी हुई दस ु रे कायों को मांज़ूरी दे ने में सरकार असफि रही है | यही बात हमें संतोष कुमार मुखजी (१९८६) के द्िारा समझ आता है | उन्होंने कहा​ाँ है

क्रक, भारत में िैश्यािवृ त्त (पैसे के लिए यौन सेिाओां के आदान-प्रदान) कानूनी है , िेक्रकन एक

सािचजननक स्िान में क्रेब क्रोलिांग, या एक होटि में िैश्यािय का प्रबांध करना और pandering अपराध हैं| सेक्स िकच के कई प्रकार होते हैं जो हमे ‘RONALD WEITZER’ ने NOVEMBER 6, 2013 में समझाया है | 1. STREET WALKER: Street Walker िे होते हैं जो दस ू रों की तुिना से कम पैसें कमाते है जैसे- बार िकचसच, brothel िकचसच और कॉि गकसच| Street Walkers हाननकारक भी साबबत हो सकते हैं| 2. BAR OR CASINO WORKERS: ये िे होते हैं जो बार अि​िा कसीनो में परु ु षों के साि अपना सांपकच बनाती हैं| 3. WINDOW WORKER: जब एक आदमी औरत को णखड़की से दे ख के पसांद करता है उसे Window Worker कहते हैं| इस तरह का काम ज्यादा तर से एम्स्टडचम में पाई जाती है | 4. BROTHEL EMPLOYEE: Brothel एक ऐसी जगह है जहा पे OWNER को जगह का भाड़ा दे कर औरत को चन ु ना पड़ता है | 5. ESCORT AGENCY EMPLOYEE:

इसमें मौजूद

िड़क्रकया​ाँ खाजगी जगह पर जाती हैं और ज्यादा पैसें भरकर जाना

पड़ता है | 6. INDEPENDENT CALL GIRL: इसमें िड़क्रकया​ाँ खद ु के मज़ी से होटि या क्रफर खाजगी घरों में जाकर काम करती है | इस जानकारी से हमे पता चिता हैं क्रक सेक्स िकचर के छह प्रकार होते हैं| फीमेि सेक्स िकचसच इस बात से अांजान नहीां है , क्रक यह काम को मांजूरी दी नहीां है , िेक्रकन क्रफर भी िे इस िाइन में रहकर अपना कायच करती जाती है और साि ही में नई िड़क्रकया​ाँ भी बड़े क्रमा​ांक में आती रहती है जो ज्यादातर से नाबालिक होती है जो हमे ‘JOSEPH ANTHONY GATHIA {१९९९}’ के द्िारा पता चिता हैं| उनके दहसाब से मुांबई में फीमेि sex िकचसच की क्रमा​ांक बा​ांग्िादे श से आई हुई िड़क्रकयों की ति ु ना से कम है और मांब ु ई में उनकी सांख्या बढ़ती जा रही हैं | ‘MUKUL BHATIA {३१ मार्कर, २०१६}’ से पता चिता हैं भारत

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में फीमेि sex िकचसच की सांख्या बड़े पैमाने पे पायी जाती है : “भारत में 868,000 फीमेि sex िकचसच पाई गई है ’’| सािों तक यही काम करके िे अपने लिए और अपने पररिार के लिए बहुत कुछ हालसि कर िेती है | िे अपने पैर पर खड़ी रहना सीख जाती है | हमारे पुकार के youth fellows (साक्षी, गिेश, अजश्िनी, प्रलमिा, रोदहदास, हषचद, अचचना, रे श्मा) ने क्रकए हुए (नतने केिे धाडस) साि (२०१३-२०१४) ररसचच से साफ़ पता चिता है क्रक िे औरतें बहुत कुछ हालसि कर िेते है इस काम के द्िारा| उनकी एक पादटच लसपें ट ने कहा है क्रक उसने अपने लिए सोने के गहने बनिाएाँ| उसके पास पैसे होने क कारि उसके गा​ाँि की कई मदहिाएाँ उसे पुजती हैं| उसकी सारी इच्छाए भी पूरी होती हैं| िो जैसे चाहती है िैसे कपडे का इस्तमाि कर सकती हैं | अपने पररिार को भी हर महीने दस हज़ार रूपए दे ती है | यदद उन्होंने कुछ हालसि क्रकया हो तो, कुछ खोया भी है | िे इस बात को अच्छी तरह से समझती है क्रक - कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है | “नतने केले िाडस’’ ररसर्कर से साफ़ पता चिता है क्रक िे औरतें हालसि करते करते कुछ मजु श्किों का सामना भी करती हैं| उनकी एक पादटच लसपें ट ने कहा क्रक- इस काम में बहुत नक ु सान हैं| इसमें घर का मान सम्मान और इज्ज़त रहता ही नही, समाज में भी इनकी इज्ज़त शून्य के बराबर होती हैं| इनके घर भी नुकसाम हुए| इनके बच्चों को इनसे दरू भेजा जाता है | कभी कभी तो इनके पनत भी छोड़के चिे जाते हैं| हमने सोमाली माम और सेक्स वककर जैसे दो क्रकताबें पढ़ी और कुछ हमारे विषय पर आधाररत क्रफकमें दे खी है जैसे र्ांदनी बार, र्मेली, धगि, बी.ए. पास और लक्ष्मी और साि ही में वपछिे कुछ सािों में इस विषय पर दस ू रों ने की हुई ररसचच िािों से हमने बात भी की|

१७


सोमाली माम इस टॉवपक को और अच्छे से समझने के लिए हमने सोमािी माम यह क्रकताब पढ़ी इस क्रकताब में हमारे विषय के बारे में महत्िपूिच जानकारी लमिी| सोमािी माम कांबोडडया शहर में रहने िािी िड़की िी| बचपन में उसे एक आजोबा की तरह ददखने िािे आदमी के हाि बेच ददया िा| अपनी इस कम उम्र में उसने बहुत कुछ सहा| बाद में उसने खद ु को उस जगह से बचाया और इतना ही नहीां जो नई िड़की आती िी, उनको भी उस डरािनी जगह से बचाया| ‘सोमािी माम’ क्रकताब में इतना साहस करने िािी सोमािी की पूरी कहानी बताई है | उसका इस शेत्र में आना, सब सहना, बाहर ननकिना और दस ु री िड़क्रकयों को भी ननकािना, यह पूरी उनकी साहसी कहानी बताई गई है | INSPIRATION और MOTIVATION की है ये कहानी| सोमािी माम और sex िकच जैसे क्रकताबों में से हमने यह सीखा की कुछ औरतों को फसाकर छोटी उम्र में ही इस काम में डािा जाता है | उस उम्र में उन्हें पता भी नहीां होता की sex क्या होता है | जब हमारे अपने, जैसे माता-वपता नहीां होते तब समाज में रहने िािे िोगों का हमारे साि व्यिहार कैसे होता है जैसे कुछ िोग हमे सहारा दे ते है अच्छे के लिए और कुछ िोग हमे सहारा दे ते है अपने फायदे के लिए| इस काम में आने के बाद सब िोग बोिते है की हमारी जज़न्दगी खराब हो गई, हम कुछ नहीां कर सकते है , इस काम को छोड़कर हम अपनी जज़न्दगी बना सकते है | अपने भत ू काि को पीछे रख कर भविष्य में कुछ कर सकते है , हार ना मान कर जीत की ओर बढ़ सकते है |

१८


र्ांदनी बार इस क्रफकम में हमारे विषय से जुडी कुछ जानकारी लमिी| इस क्रफकम में अलभनेत्री के गाि में आग िगने के कारि उसके मा​ाँ बाप और उसका घर िो खो दे ती है | जजसके कारि िो अपने मामा के साि मुांबई जैसे अांजान शहर में आती है और उसका मामा उसे बार में काम ददि​िाकर उसके पैसें उससे िेकर शराब पीता है | परन्तु अलभनेत्री को यह काम बबिकुि पसांद नहीां िा, िेक्रकन अपने और अपने मामा के पेट भरने के लिए िो यह काम करती गई| इसी दौरान उसे एक ऐसा ग्राहक लमिता है , जजसके साि उसकी शादी होती है जो एक गुांडा होता है | शादी के बाद िह िो काम छोड़ दे ती है | क्रफर कुछ सािों के बाद उसे एक िड़का होता है और एक छोटी िड़की भी होती है | और साि ही में उसके पनत के गेर-कानूनी काम बढ़ते जाते है जजसके कारि पुलिस को उसे एनकाउां टर में मारना पड़ा| पनत के मर जाने के बाद अलभनेत्री और उसके बच्चें अकेिे पड़ जाते है | िेक्रकन क्रफर भी िो जीना ना छोड़कर अपने और अपने बच्चों को अच्छी परिररश दे ते जाती है और सब खश ु िमांगि से चि रहा होता है परां तु एक ददन उसका िड़का एक गित गैंग में बैठा रहता है जजससे िो अांजान रहता है , तभी अचानक से पुलिस की धाड़ पड़ती है जजसमे िो पकड़ा जाता है | उसे छुड़ाने के लिए उसकी मा​ाँ पुलिस से काफी लमन्नतें करती है िेक्रकन िे मानने से रहे | इसलिए पुलिस िड़के को छोड़ने के लिए बहुत सारे पैसों की मा​ांग रखता है | पैसों का बांदोबस्त करने के लिए मा​ाँ ननकि पड़ती है | इसी के दौरान जब िड़का कैद में रहता है तब कुछ िड़के उसका शोषि करते है जजसका उस िड़के पे बरु ा पररिाम पड़ता है | मा​ाँ के सामने कोई भी रास्ता ना ददख के िो फीर से िही काम से जुड़ जाती है और बार में जाने िगती है | िेक्रकन क्रफर भी उसे उतने पैसें नहीां लमिते है जजतना उसको ज़रुरत िा| मा​ाँ के बहुत कोलशश करने के बाद भी उतना पैसा िह जमा नहीां कर पाती है | मा​ाँ की यह परे शानी दे खकर िह भी बबना क्रकसीको बताएां बार में काम करने के लिए जाने िगती है और पैसें कमाकर मा​ाँ को िाकर दे ती है जजससे िो अपने बेटे को छुड़ाकर िाती है | एक ददन ऐसा होता है की जजन िड़कों ने उसका शोषि क्रकया रहता है उनसे बदिा िेने चिा जाता है और अपने बेटे को इतने गुस्से से ननकिते हुए दे खकर मा​ाँ भी उसके पीछे िगती

१९


है | क्रफर िह दरू खड़े दे खती है की क्रकस तरह उसका बेटा बांदक खरीद के उन ् िड़कों को मार ू दे ता है | मा​ाँ के बार बार रोकने पर भी िह नहीां रुकता है और मा​ाँ िही रोते रोते थगर पड़ती है | इन ् क्रफकमों में से हमने सीखा की एक फीमेि sex िकचर की जज़न्दगी आसान नहीां होती| कोई भी औरत इस काम में अपने फायदे के लिए नहीां आते| कोई ना कोई मजबूरी होती है , क्रफर भी उस मजबूरी को िो अपनी जज़न्दगी बनाती है और अिग ढां ग से जीती है | उसके जीिन में बहुत सारे उतार चड़ाि आते है | जजनको सांभाि कर िो अपना रास्ता बनाती है | िो यह कभी नहीां चाहती की उसके बच्चें इस काम में आए| उनको इस काम से दरू रखने के लिए िो जी जान एक कर दे ती है िेक्रकन कुछ पड़ाि ऐसे आ जाते है जजनके िजह से उसे अपने बच्चों को इस काम में जाते हुए दे खना पड़ता है | ऐसी होती है एक फीमेि sex िकचर की कहानी|

एक्सपर्टकरस के साथ मुलाक़ात हमने आम्रपािी के साि चचाच की| आम्रपािी ये निजीिन मदहिा सध ु ार केंद्र इस rehabilitation center में काम करती है | हमारे चचाच में हमने फीमेि sex िकचसच का कानूनी स्िान क्या है , ये दे खा, जो हमे कम्युननटी इिेंट के लिए महत्त्िपूिच िगता है | इस विषय में क़ानून का क्या स्िान है , उसे और गहराई से समजने के लिए हमने आम्रपािी के साि चचाच की| इस चचाच में हमारे सामने दो अिग पहिु आए: एक ऐसा िा जो की कानन ू ी तौर पर मांज़रू ी दे ने का िा और दस ू रा मांज़रू ी ना दे ने का| हमारा गट मांज़ूरी दे ने की बात कर रहा िा, और आम्रपािी मांज़ूरी ना दे ने की बात कर रही िी| हमारे गट ने इसलिए ऐसा कहा क्योंक्रक जो औरते ३५+ उम्र की हो जाती हैं, उन्हें अपने कमाई में बहुत सारी ददक्कते आती हैं और इतना ही नहीां, जो आय ददन पुलिस की धाड़ थगरती है , उसके कारि भी िे सारी औरतें अपना काम अच्छे से नहीां कर पाते हैं | इतना ही नहीां, जो औरतें अपनी मज़ी से इस काम में आती हैं , उनका क्या होगा? िे दस ू रा क्या काम कर सकते हैं? आम्रपािी की कुछ ऐसी राय िी क्रक यदद उसको कानूनी तौर पर मांज़ूरी दी जाय तो िड़क्रकयों का शोषि बड़े क्रमा​ांक में होने िग जाएगा और जो आने िािी पीडी होगी िो भी इस काम में ढकेि दी जाएगी|

२०


इस पूरे चचाच से हम एक नतीजे पे नहीां पहुाँच पाएां| हमे कुछ हद तक उनकी बातें भी सही िगी जो हमे दोनों तरफ दे खने पे मजबूर कर रहे हैं|

२१


सांशोधन पद्धती  हमारे संशोिन का ववषय क्या है ?

"३५ साि से ज़्यादा उम्र हो जाने के बाद फीमेि सेक्स िकचसच कौन-कौन से काम करते हैं और उनको इस उम्र में क्या ददक्कते आती हैं ?" इस विषय पर ररसचच करने के लिए हमने मांब ु ई में रहने िािी १८ औरतों के साि इांटरव्यू क्रकए।

 यह ववषय क्यों र्ुना?

जैस-े जैसे एक फीमेि सेक्स िकचर की उम्र बढ़ जाती है िैसे-िैसे उनमे काफी सारे बदिाि नज़र आते हैं! जैसे उनका िजन बढ़ना, उनका कमज़ोर हो जाना, सेहत का बार बार बबगड़ना, इस कारि उनकी खब ू सूरती कम हो जाना और कस्टमसच भी कम होना, इन

सबका कही ना कही उनके काम पर असर पड़ता है ! इतनी सारी मुजश्किों का सामना

करते हुए िे क्रकस प्रकार से अपने आपको सांभािती हैं? आथिचक परे शाननयों के कारि िे कौनसा दस ू रा काम करती हैं? उनकी कमाई का ज़ररया क्यों और कैसे कम हो जाता है ? यह सब जानने के लिए हमने यह विषय चन ु ा।

 हमने यह ररसर्कर कैसे क्रकया?

विषय चन ु ते समय हमने औरतों की उम्र ४५ चन ु ा िा, परां तु जैसे जैसे हमने field visit क्रकया, इांटरव्यू लिए, हमे पता चिा क्रक कुछ औरते िी जो ३० उम्र से ज्यादा िी जजन्हे

बहुत सारी मुजश्किों का सामना करना पड़ा और यह भी स्पष्ट पता चिा क्रक उन्हें सेहत के कारि िह काम छोड़कर, दस ू रा काम करना पड़ा।

 प्रक्रिया:

हमने कुि १८ इांटरव्यू लिए जजसमे से ६ इांटरव्यू कमाठीपरु ा से लिया, ११ इांटरव्यू

भायकिा से लिया और CST से एक इांटरव्यू लिया। हमने अपने ररसचच में FACE TO FACE इांटरव्यू का तरीका अपनाया हैं, क्यांक्रू क यही प्रक्रक्रया है जो हमे उनसे जड़ ु े रहना का

मौका दे ती हैं । यदद हमने FGD का प्रक्रक्रया इस्तेमाि क्रकया होता तो िे अपनी बात खि ु कर सबके सामने नहीां कह पाती|

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 हमने कौनसे research ethics फॉलो क्रकए?

इांटरव्यू िेने से पहिे हमने सहभाथगयों को हमारे ethics के बारे में समझाया। जैसे: बबना अनुमनत के ररकॉडडिंग चािु न करना, participants का नाम और पता गुप्त रखना, हमारे

क्रकसी भी सिाि का जिाब दे ना यदद उथचत न िगे तो न दे ना, हमारे क्रकसी भी सिाि से उन्हें ठे स न पहुांचाना, और पादटच लसपें ट्स के रूप से उन्हें अपना खद ु का समय िेने दे ना| अगर हम यह एथिक्स फॉिो नहीां करते तो इसका परू ा असर उन ओरतों के जजांदगी पर होगा| इसलिए हमने एथिक्स बहुत ही इमानदारी से ननभाए हैं|

२३


ररसचच डेटा एनालिलसस सहभाधगयों की जानकारी एक सेक्स-िकचर के जजांदगी के बारे में जानना और समझना आसान नहीां होता। भिा ये िोग अांजान िोगों को अपनी नीजी जीिन के बारे में क्यों बताएां? और कोई क्या कर िेगा

उनकी जजांदगी को जानकर? इन औरतों को जब अपने पररिार पर ही भरोसा न रहा, क्रकसी और पर कैसे होगा? क्रफर भी हमारी दीददयों ने बहुत ही दहम्मत जट ु ाकर हमसे बात की। हम जानते िे की ये सब हमारे लिए जजतना मजु श्कि िा, उनके लिए कई गन ु ा ज्यादा मजु श्कि िा। जब एक सेक्स-िकचर की उम्र बढ़ जाती है तब उसका पररिाम सेक्स िकचर के जीिन पर कैसे होता है यह जानना हमारा मकसद िा| उसके लिए हमने मुांबई विभाग के कामाठीपुरा,

दादर, सी.एस.टी. जैसी विभाग में कुि १८ इांटरव्यू लिए हैं| हमें जो भी जानकारी लमिी उसे आसानी से समझने के लिए हमने ये टे बि बनाए हैं|

टे बल ि. १- उम्र उम्र

औरते

३५-४५

१०

४६-५५

०५

उम्र बताइ नहीां

०३

ऊपर ददए गए टे बि से हमें यह जानकारी लमिती है क्रक, १८ औरतों में से १० औरते ऐसी

हैं जो ३५-४५ उम्र के बीच में आती हैं और ५ औरते ऐसी हैं जो ४६-५५ के उम्र के बीच आती हैं और ३

औरते हैं जजनकी उम्र का पता नहीां या उन्होंने हमें बताया नहीां| हमने उनसे उम्र बताने के लिए जबरदस्ती भी नहीां की| उपर ददए गए टे बि से हमें यह पता चिा है क्रक ज्यादा औरतें ३५-४५ उम्र के बबच में पाए गए हैं|

२४


टे बल ि.२ - कहा​ाँ से आएाँ हैं? स्थान

औरते

नेपाि

महाराष्ट्

कनाचटक

पजश्चम बांगाि

तालमिनाडू

उत्तर प्रदे श

टे बि क्र. २ से हमे ये स्पष्ट पता चिा हैं क्रक ज्यादा से ज्यादा औरतें महाराष्ट् और कनाचटक से आइ हुइ हैं। हमें इसके दो मुख्य कारि िगते हैं, ये दो राज्य (महाराष्ट् और कनाचटक) ऐसे हैं जो आज-ू बाजू में जस्ित हैं और कोई भी औरत पैसे कमाने के लिए या क्रफर इस धांधे में आने के लिए अपने

पास के राज्य/शहर में स्ि​िा​ांतर करती हैं, तो शायद यह एक िजह हो सकती है । दस ू रा कारि ये हो सकता है की कनाचटका और महाराष्ट में सददयों से चिी आई सांस्कृनत और परां परा के नाम पर िड़क्रकयों

को भगिान के नाम पर इस काम में झोक ददया जाता है । इस प्रिा को दे िदासी कहते हैं, इसका पररिाम ये होता है क्रक बहुत सी औरतें इस व्यिसाय में प्रिेश करती हैं| इस बात की जानकारी हमारे एक मदहिा ने भी अपने इांटरव्यू में दी| उसने बोिा क्रक, “घरिािों ने मेरे को दे िदासी के लिए छोड़ा, यकिम्मा को छोड़ा"|

ऐसी बहतु सारी गित प्रिाएाँ आज भी समाज में चािू है इस बात का हमें अचरज और दुःु ख दोनों हैं|

टे बल ि.३- कहा​ाँ पर रहते हो? जगह

औरते

कामाठीपुरा

नेरि

शीि-कोिीिाडा

िडािा

ग्रा​ांटरोड

ककयाि

२५


दादर

सी.एस.टी

अन्य

टे बि क्र.३ से हमें यह पता चिा क्रक ज्यादा औरतें (८) कामाठीपुरा में रहती हैं और अन्य औरते

नेरि, शीि कोिीिाड़ा, िडािा, ग्रा​ांटरोड, ककयाि, दादर, सी.एस.टी जैसे जगहों पे रहते हैं| ज्यादा औरतें

कमाठीपुरा में पाइ गइ हैं जजसका मुख्य कारि यह हो सकता है क्रक हमारी बहुत सारी औरते िैश्यािय से काम करती हैं और कामाठीपुरा इस काम के लिए प्रलसद्ध है |

टे बल ि.४- िंिा कहा से शरू ु क्रकया? जगह

पनतकरससपन्र्टस

िोिेकस (कमाठीपरु ा)

िोिेकस (सी.एस.टी)

सी.एस.टी (रोड)

दादर (रोड)

कमाठीपुरा (रोड)

हमें यह पता चिा क्रक ज्यादातर औरतों ने कामाठीपुरा के िॉिकस से धांधा शुरू क्रकया हैं, इसका मुख्य

कारि यह हो सकता है क्रक कमाठीपुरा इस काम के लिए प्रलसद्ध है ; जो दिाि के नीचे काम करते हैं| अन्य जैसे की सी.एस.टी, कमाठीपुरा और दादर के रोड-साइड से धांधा शुरू क्रकया हैं|

टे बल ि.५- िंिा क्रकतने सालों से क्रकया है? साल

औरते

२०-३० साि

४० साि

३३ साि

१४ साि

६ साि

२६


५ साि

जानकारी नहीां लमिी

शादी के बाद से शुरुिात

(काम छोड़ ददया)

की

टे बि क्र. ५ से हमें ये जानकारी लमिती है क्रक ४ औरते हैं जजसने २०-३० साि से ये काम क्रकया हैं और अब तक कर रहे हैं। कुछ ऐसे है जजसने ४० साि, ३३ साि, १४ साि, ६ साि, ५ साि, तक क्रकया हैं परां तु ये िोग आगे नहीां कर रहे हैं। ६ सहभागी ऐसे हैं जजसकी जानकारी हम नहीां ननकाि पाएाँ।

टे बल ि. ६:- क्रकतने सालों से शहर में रह रहे हो? साल

औरते

बचपन से

१६ साि

३० साि

३०-३५ साि

४५ साि

शादी के बाद से

जानकारी नहीां

लमिी

टे बि क्र.६ से हमे ये खबर लमिती है की ३ सहभागी ऐसे हैं जो बचपन से ये शहर में रह रहे हैं और कुछ सहभागी शादी के बाद से, कुछ ३०-३५ सािों से और एक ओरत १६ सािों से शहर में रह रहे हैं। अन्य सहभागी जैसे ९ सहभागी की जानकारी नहीां लमिी।

२७


टे बल ि.७:- फॅसमली के साथ रहते हैं क्या? औरते

हा​ाँ/नहीं

नहीां

१०

हा​ाँ

जानकारी नहीां लमिी

टे बि क्र.७ से हमे ये पता चिा है क्रक १० सहभागी ऐसे है जो अपने फॅलमिी के साि रहते है । ८ सहभागी अपने फॅलमिी के साि नहीां रहते है । अन्य २ औरते ऐसे है जजनकी खबर हमे नहीां लमिी। इसका कारि ये हो सकता है क्रक इन औरतों ने अपने व्यिसाय के बारे में बताया न हो। एक सहभागी ने कहा क्रक, "बच्चों को काम पसांद नहीां। बच्चों को काम के बारे में बताने को डर िगता है। अगर बताया तो

सब खत्म हो जाएगा।"

टे बल ि.८:- पाटकर नर/पनत के साथ रहते हैं क्या? औरते

हा​ाँ/नहीं

१४

नहीां

हा​ाँ

टे बि क्र.८ से हमे ये पता चिता हा क्रक १४ सहभागी ऐसे हैं जो अपने पाटच नर/पनत के साि नहीां रहते हैं| ४ सहभागी ऐसे हैं जो अपने पाटच नर/पनत के साि रहते हैं। सहभागीसे पता चिा क्रक २ पनत छोड़के गए हैं और १२ पनतयों की मत्ृ यु हुई हैं। हमारी एक सहभागी ने कहा है क्रक, "मेरा LOVE MARRIAGE िा। तीन बच्चों के बाद िो मुझे छोड़के गए।" एक सहभागी ने अपने पनत के मौत के बारे में बताते हुए कहा है क्रक, "मेरा पनत ट्े न में ही मर गया| क्रफर उसकी िाश मेर पास आई, क्रफर मैंने ही दफनाया उसको”।

२८


टे बल ि. १०:- क्रकतना साल हुआ िंिा छोड़के? औरते

स्स्थनत

१०-१२ साि

१५ साि

काम कर रहे हैं

काम करना चाहते हैं पर कस्टमसच नहीां लमिते

जानकारी नहीां लमिी

टे बि क्र. १० से हमें ये पता चिा है क्रक १८ सहभागी में से ४ सहभागी को धांधा छोड़के १०-१२ साि हो गए। और १ सहभागी को १५ साि हुए। ८ सहभागी अभी भी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। ५ सहभागी जो काम करना चाहते हैं उनके बढ़ ु ापे को दे खकर कोई कस्टमर उनके पास नहीां जाता और ३ सहभागीयों ने धांधा छोड़ने के बारे में कुछ भी नहीां कहा।

टे बल ि. ११:- दस ू रा काम करते हो क्या? औरते

हा​ाँ/नहीं

१४

हा​ाँ

नहीां

१४ सहभागी ऐसे हैं जो दस ू रा काम करते हैं और ४ ऐसे हैं जो दस ू रा काम नहीां करते हैं। इसका कारि ये हो सकता है क्रक उम्र होने के बाद उनकी आमदनी कम हो जाती है इसलिए िो अपना जीिन व्यतीत करने के लिए दस ू रा काम करती हैं। दस ू रा काम जैसे हाउस-कीवपांग, NGO में सेक्स-एजक ु े शन जैसे काम करते है । दस ू रा काम करने से भी हो सकता है क्रक उनको सेहत से जुडी परे शानी हो। हमारे इांटरव्यू में एक सहभागी ने इसके बारे में कहा है क्रक, "मे HIV +ve हूाँ। मेरे िजह से दस ू रे की जज़न्दगी बरबाद नहीां होनी चादहए इसलिए िो धांधा छोड़ ददया।"

२९


टे बल ि.१२:- क्रकतने बच्र्े है? औरते

बच्र्े

लड़के

लडक्रकया​ाँ

1

(२,१,२,२,१,१)

(२,१,२,१,१)

(९)

(७)

(१,१)

(२,२,३)

(२)

(७)

१ -

३ -

४ -

टे बि क्र.१२ से पता चिता है क्रक ५ सहभागी ऐसे हैं जजनका एक बच्चा है जजसमे से ४ औरतों का िड़का है और १ की िड़की। ७ सहभागी ऐसे हैं जजनके दो बच्चे हैं, ९ िड़के और ५ िड़की। ४ सहभागी ऐसे हैं जजनके तीन बच्चे है, २ िड़के और ७ िड़क्रकया​ाँ। १ सहभागी ऐसी है जजसके अकेिे के ४ बच्चे है, १ िड़का और ३ िड़की।

टे बल ि.१३:- बच्र्े क्या करते हैं? औरते

पढाई

नौकरी

शादी

हा​ाँ

नहीां

नहीां

नहीां

नहीां

हा​ाँ

हा​ाँ

हा​ाँ

नहीां

जानकारी

जानकारी

जानकारी

नहीां लमिी

नहीां लमिी नहीां लमिी

इस टे बि को दे खके हमे यह पता चिता है क्रक ५ सहभागी के बच्चे अभी भी पढ़ रहे हैं। २ सहभागी के बच्चों की शादी हो गइ हैं। और ४ सहभागी के बच्चे पढ़ रहे हैं और साि के नौकरी कर रहे हैं। और ७ सहभागी के बच्चों के बारे में कोई भी जानकारी नहीां लमिी। जो औरतें बच्चों के साि नहीां रहते उनके अिग-अिग कारि हो सकते हैं। हमने लिए हुए इांटरव्यू में एक सहभागी ने कहा है क्रक,

३०


"मैंने नहीां रखा क्योंक्रक बच्चे माहोि में जो िे िो सही नहीां है । रे ड िाइट एररया है । अभी बच्चे

िोग को अच्छी परिररश दें गे तो अच्छे रहें गे। अगर मेरेको दे खेंगे तो मेरी मा​ाँ ऐसे कर रही है, तो मै भी ऐसे करू, तो मै िो नहीां चाहती िी।"

टे बल ि. १४:- आमदनी क्रकतनी है? (टदन की) श्रेणी

पनतकरससपन्र्टस

>/=१००

>/=५००

>/=१०००

</=१०००

बताया नहीां

१०

इस टे बि से ये पता चिा क्रक, २ सहभागी को ददन में १००/- से भी कम लमिता है । १ सहभागी ददन में ५००/- से कम आमदनी कमाती है । ४ सहभागी को ददन में १०००/- से कम लमिता है । १ सहभागी का ददन का १०००/- से भी ज्यादा आमदनी है । १० सहभागी ने अपने आमदनी के बारे में कोई जानकारी नहीां दी। ऊपर ददए गए सहभाथगयों की जानकारी से यह पता चिा है क्रक, कही कुछ औरतों के

काम के िजह से उनके पररिार ने साि छोड़ ददया तो कही कुछ औरतों के बुढ़ापे के िजह से

उनके कस्टमसच ने उनका हाि छोड़ ददया। कुछ औरतों को इस काम में जबरदस्ती धकेिा गया तो कुछ औरतों को अपनी मजबूररयों की िजह से आना पडा। इन सब मुजश्किों के बाद भी ये

औरतें अपना जीिन व्यतीत कर रही हैं। बहुत दहम्मत जुटाकर अपने जीिन में आगे बढ़ रही हैं...

३१


“यह ननशान उन्होंने टदए हुए हैं”... 'क्रफमेि सेक्स िकचर' के जीिन के प्रनत एक अजीब तरह की घि ृ ा या नतरस्कार िोगो के

आांखो मे ददखाई दे ती है । इन औरतों का इस हाित में होना उनका गुनाह माना जाता है , इसलिए शायद उनकी समस्योंओ को समझने की कोलशश नही की जाती| इस विभाग में हमने 'क्रफमेि सेक्स िकचर' के जीिन में आने िािी ददक्कतों के बारे में बताया हैं | कुि लमिाकर १८ औरतों के हमने इांटरव्यू क्रकए, जजस के जररये हमने उनके जीिन का करीबी से अभ्यास क्रकया| इस से यह

साफ़ नजर आता है क्रक इन औरतों को यह काम करते हुए बहुत सारी मजु श्किों का सामना करना पड़ता हैं| जानकारी से यह सामने आया है क्रक उन्हें कस्टमर से, अपने पररिार से, अपने काम से, पलु िस/कोटच से, सेहत और समाज से ददक्कते होती हैं| इन सारे मद् ु दों के बारे में यहा​ाँ हम विस्तार में चचाच करें गे|

कस्टमर से

शारीररक, िैंथगक

आनेिािी

और आथिचक

मुजश्किें

मजु श्किें

पररिार और

मा​ाँ-बाप, भाई-बहन,

ररश्तेदारों से आनेिािी

ससुराि, पती/पाटच नर और बच्चे

मजु श्किें

पुलिस/कोटच

से आनेिािी मुजश्किें

सेहत से जुडी हुयी मुजश्किें

समाज से

घरिािी,

आनेिािी

दोस्त और

मुजश्किें

पडोसी

सेहत

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कस्टमसकर कस्टमसच इस व्यिसाय का सबसे

बड़ा भाग होते हैं, पैसे का चक्र उन्ही से शरू ु होता है |

इसलिए उन्हें ज्यादा महत्ि ददया जाता है और उन्हें खश ु रखना मानो औरतों का मुख्य काम हो जाता हो| इन्ही के पैसों से इन ् औरतों को अपनी रोजी-रोटी लमिती है | हर एक कस्टमर के लमज़ाज कुछ अिग होते हैं, कोई बहुत अच्छे तो कोई बहूत बुरे| इन ् औरतों की मज़बूरी का फायदा उठाना, उनको मारना, पीटना, ये सब करने से न जाने कैसी तसकिी लमिती होगी उनको| हमने जजनके इांटरव्यू लिए उनमे से १७ औरतों ने कस्टमसच से आए हुए बरु े अनभ ु ि के बारे मे बताया हैं| कस्टमसच औरतों को शारीररक, िैंथगक, और आथिचक स्तरपर परे शान करते हैं|

शारीररक: औरतें अपनी आिाज़ तब उठाते हैं जब उन्हें िैंथगक तौर पे परे शानी होती है , परां तु िे ये बात भि ू जाते हैं क्रक शारीररक परे शानी होने पर भी आिाज़ उठाना आिश्यक होता है | िैंथगक के साि-साि हमारे participants को शारीररक परे शानी भी उठानी पड़ी िेक्रकन उनकी मज़बूरी के कारि िे चप ु चाप ये सब अपराध सहते रहे | शारीररक स्तरपर १८ participants में से ९ औरतों को परे शानी हुई। अपनी परे शानी व्यक्त करते समय एक औरत ने कहा क्रक:

“हाि-पैर बा​ाँध के रखा, भूखा रखा, जिाया, चटका ददया| ये सब जो ननशान हैं ना िो िोग ने ही ददया है | बहुत कुछ क्रकया| मैं क्रफर भी नहीां मानी तो बाद में हािपैर बा​ांद के दारु मुाँह में घुसेड के बहुत जुिुम क्रकया।“

लैंधगक: कस्टमसच जो फीमेि सेक्स िकचसच को पैसे दे ते हैं, कभी कभी उनके साि जानिरों की तरह पेश आते हैं। िे इन ् औरतों की मजबूररयों का फायदा उठाकर उन्हें हर तरह से ददच पहुचाते हैं| िैंथगक तौर पर परे शानी लसफच कस्टमसच से ही नहीां िेक्रकन गुांडों से भी होने की सांभािना है ।| ऐसा कह सकते हैं क्रक िो अपने आदमी होने का अहां कार औरतों की कमजोरी पर जता रहे हैं | हमारे १८ participants में से ४ औरतों को िैंथगक परे शानी का लशकार होना पड़ा है | एक औरत ने अपनी परे शानी को दशाचते हुए कहा क्रक:

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"गिी के अांदर िेके गए, िेके जाने के बाद सब आदमी िोग ने मेरेको मारे और मार के िो िोग गकिी के अन्दर अपना काम करे ”

उपर बताया हुआ िक्य यह कहता हैं क्रक कुछ आदलमयों ने उन्हें घेर लिया, जजसके बाद िो उन्हें गिी के अन्दर िेके गए तिा उसके बाद उन आदलमयों ने अपना काम करके ननकि गए|

आधथकरक: आथिचक पररजस्िती खराब होना यानी पैसों को िेकर परे शानी होना। सेक्स िकचसच जजनका पररिार बहुत गरीब होता हैं, िो मज़बरू ी के कारि ही यह सब काम करने के लिए आती हैं और जब उनका कस्टमर ही अगर उसकी आथिचक पररजस्िती को और खराब करे तो िो उस औरत के लिए बहुत मुजश्कि साबबत होता है | हमारे १८ participants में से १३ participant

ने कहा

क्रक उन्हें कस्टमसच के कारि आथिचक परे शानी हुई है । जैसे एक ने ऐसा कहा: “कभी कस्टमसच काम के बाद पैसे नहीां दे ते िे, कभी मारते िे, कभी ये करते

िे, कभी हमारा पसच भी छीन िेते िे|”

पररवार: (i) मा​ाँ-बाप

(ii) पनत

iii) भाई-बहन

iv) ससरु ाल

मा​ाँ-बाप: एक इांसान के लिए कभी उसके मा​ाँ-बाप भी खतरा साबबत हो सकते हैं ये शायद ही कोई यकीन कर पाएगा। िेक्रकन सेक्स िकचसच की जजांदगी में उन्हें जनम ददए हुए माता-वपता ही उनका साि छोड़ दे ते हैं। मा​ाँ-बाप के तरफ से भी कभी क्रकसीको हानन पहुाँचती हो ये क्रकसी के सोच से बाहर है । हमारी १८ औरतों में से ८ औरतों को अपने ही मा​ाँ-बाप से परे शानी हुई। एक औरत ने कहा क्रक,

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"तो मैंने मम्मी को बोिा क्रक मम्मी मैं ऐसा-ऐसा फाँस गई हूाँ, तो मम्मी बोिी क्रक तू मेरे लिए मर गई है । एक ही िड़की िी मेरे मम्मी को, अब िो िाइन में गई तो तू मेरे लिए मर गई।"

पनत:

पनत तो िो होता है , जजसके लिए एक औरत अपना सब कुछ छोड़के, सारी ररश्तों से

समझौता करती है । अपनी पुराने ररश्तों को पीछे छोड़कर, एक औरत शादी करके अपने पनत के घर आती है और िही की हो जाती है । ऐसे में एक पनत का ये फ़ज़च होता है क्रक िो अपनी पत्नी

के त्यागों का मान रखे। उसे हर िो ख़श ु ी दे जो उसका अथधकार है । जजसे िो इतना प्यार करती है , जजसका सम्मान करती है , िो ही अगर औरत के साि जानिर की तरह पेश आएाँ तो जैसे कही भाग जाने का ददि करता है । शायद इतना दरू की कभी कोई ढूांढ ही ना सके।

हमने जब १८ औरतों के इांटरव्यू लिए तो उनमे से ७ औरतों ने कहा क्रक उनको अपनी

पनत के िजह से बहुत मजु श्किें आई। एक ने अपनी बात सामने रखते हुए कहा क्रक,

“मेरा पनत रोज़ दारु पीता है और झगडा करता है | मेरे को बहुत तकिीफ हुई| रोज़ मेरा पनत मेरा पैसा िे िेता िा मुझसे|’’

भाई-बहन: भाई-बहन दुःु ख ददच बा​ाँटने के लिए होते हैं। उनका प्रत्येक की जजांदगी में एक महत्त्िपूिच

स्िान रहता है । परां तु हमारे FSWs की जजांदगी में मा​ाँ-बाप के साि साि भाई-बहन का भी साि

छूट जाता है । जब िे उम्मीद से भाई-बहन के पास आसरा मा​ाँगने जाते है उनसे भी उन्हें लसफच ठोकर लमिती है ।

हमारे १८ participants में से ५ participants हैं| जजन्हें मा​ाँ-बाप के साि साि भाई-बहन के कारि भी कई सारी मजु श्किों का सामना करना पड़ता है । हमारी १ participant है जजन्होंने यह स्पष्ट कहा है ,

"कोई नहीां दे खता है । बोिने के लिए सब है , बहन है , भाई है , ये है, िो है , िेक्रकन कुछ मा​ांगेगा तो ready नहीां होता है । तो मैंने बुरा ददन भी आया िो भी ननकािा।"

ससरु ाल:

एक िड़की अपना मायका पीछे छोड़कर अपने पनत के घर उसके ससुराि आती है , ये

सोचकर क्रक शायद िहा​ाँ भी उसको उतना ही सम्मान और प्यार लमिेगा जजतना उसको अपने

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पररिार ने ददया है । सास और ससुर एक औरत के लिए उसके दस ू रे मा​ाँ-बाप होते हैं। शादी के बाद तो जैसे अपने ससुराि को खश ु रखना औरत का एक मात्र फ़ज़च बन जाता हो। िेक्रकन

ससुराि में कुछ औरतों को बहुत तकिीफ उठानी पड़ती हैं, ये कोई नई बात नहीां। इससे जुड़े कई क्रकस्से सुनने को लमिते हैं| हमारे इांटरव्यू में ९ participants को ससुराि से परे शानी हुई।

पुसलस

पुलिस जजसे हम जनता का रखिािा कहते हैं, उसका काम होता है िोगों की रक्षा करना,

औरतें और बच्चों को सरु क्षक्षत रखना, िेक्रकन

उनसे भी हमारी पादटच लसपें ट

को परे शानी हुई । रे ड िाइट एररया में हर दस ू रे ददन रे ड पड़ जाती है । सेक्स िकचसच को क्रकतने दे र पुलिस िाने में रखा जाता है । पुलिस ने इन औरतों को इतना डरा ददया है क्रक भिे ही उनकी कोई गिती ना हो पुलिस के सामने आते ही ये औरतों को अजीब सी घबराहट होने िगती है । पुलिस का दस ू रा रूप

हमे इन औरतों के द्िारा पता चिता हैं। पुलिस एक FSW के लिए बहुत घातक साबबत होते हैं। हमारे १८ participants में से १० participants हैं जजसने साफ़ कहा हैं क्रक क्रकस तरह से उन्हें पुलिस के कारि तकिीफ हुई हैं। एक ने कुछ ऐसा कहा,

"मैं इन पुलिस िािों को बहुत गािी दे ती हूाँ, औरत िोग का कमाई खाने िािे दस हज़ार भरके चौकी में , पुलिस की नौकरी करते हो, शपत िेते हो, क्रक गरीब को, सबको सांभािेंगे और तुमिोग ही हमारा भाड़ा खाते हो।"

कोटकर कोटच जजसे हम न्याय का दे िािय मानते हैं, असिीयत में िहा​ाँ गरीबों के मजबूररयों का फायदा उठाया जाता है । इस न्यायािय में गरीबों के णखिाफ खेि रचा जाता है । कमजोर िोगोंका नतरस्कार करते हैं।

इन्ही सब बातों के कारि हमारे participants को बहुत कदठनाइयों

का सामना करना पड़ता हैं। हमारे १८ participants में से ४ participants ने यह बात सामने रखते हुए कहा है क्रक

उन्हें कोटच से भी मुजश्किों का सामना करना पड़ा। हमारे एक

participant ने कुछ ऐसा कहा,

"कभी हमे अनारी कोटच िेके जाते हैं, तो हमे िहा​ाँ लसफच हा​ाँ और ना में जिाब दे ना रहता है । हमसे फुकट का हर एक जन से १२०० का फाइन मारते हैं। हम िोग भर भी दे ते हैं और

उसके बादमे receipt भी नहीां दे ते हैं। बस गुनाह कबूि करने पर जज ऐसा सुना दे ता है ।“

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समाज

सददयों से कहा जाता है क्रक समाज एक व्यजक्त के जज़ांदगी में महत्त्िपूिच भूलमका ननभाती

चिा आ रहा है , इसी बात को ददमाग में िेते हुए हम मनुष्य, समाज के बारे में बहुत कुछ सोचने िगते हैं, जैसे क्रक; समाज क्या कहे गा? समाज क्या सोचेगा? िोग क्या कहें गे? इत्यादद। बहुत कम िोग होते हैं जो समाज की परिाह न करते हुए अपना कायच बहादरु ी से ननभाते हैं, जो लसफच अपने काम से मतिब रखते हैं। हमारे कुछ ऐसे participants हैं जजन्होंने समाज से होने िािी परे शानी व्यक्त की हैं। जजन्होंने , यह साफ़ कहा क्रक िोग क्या सोचते हैं, समाज क्या कहता है उन्हें कोई फकच नहीां पड़ता। समाज के स्जन लोगों से परे शानी हुई वो थे दोस्त और पड़ोसी।

दोस्त:

दोस्त िे होते हैं, जजनके साि हम अपने घर के बाहर का समय बबताते हैं। जजन्हें अपनी

जज़ांदगी की िो सारी बाते बताते हैं जो शायद क्रकसीको नहीां बता पाते। हमारे सेक्स िकचसच को उनके हािात में अपने दोस्तों का ही सहारा िा परां तु उन

दोस्तों से भी उन्हें धोखा ही लमिा।

हमारे १८ में से ४ participants को दोस्तों से परे शानी हुई। अपनी परे शानी बताते हुए एक participant ने कहा क्रक,

"जब मैं तभी छोटे उम्र की िी और िो िोग को धांधा नहीां होता िा और मेरेको

होता िा, िो है न मेरे ऊपर एक औरत ने मेरे पेट में कुछ णखिा दी। पता नहीां क्या िाके णखिा दी उसने मेरेको। कुछ णखिाके नहीां बोिेगा तो कािा-कािा िा।“ ऊपर दी हुई िाक्यों का अिच है :-जब िो छोटी उम्र की िी,तो उस समय उन्हें ज्यादा कमाई होता िा,तो ये दे खकर उनकी एक औरत ने कुछ अजीब सा िाकर उन्हें णखिा ददया िा| जो उहे जानिेिा साबबत हुआ |

पड़ोसी:

हमारे घर के आज-ु बाजू में रहने िािों को हम पडोसी कहते हैं। पड़ोलसयों के साि धीरे -धीरे

सांबांध इतना बढ़ जाता है

जैसे िो हमारे पररिार के सदस्य बन जाते हो। िेक्रकन सेक्स िकचसच

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का उनके पड़ोलसयों के साि भी, कुछ बुरा ही ररश्ता िा। हमारे १८ इांटरव्यू औरतों को पड़ोलसयों से परे शानी हुई। एक औरत ने कहा क्रक,

हुए जजनमे से ८

"मेरे साि की जो है , िो छोटे -छोटे कपडे पेहेनके खड़ी रहती तो, उन िोग को, बाहर िािोंको पसांद नहीां िो। कभी गरम पानी फेंकते हैं, ऐसा कुछ न कुछ तो करते हैं।“

सेहत

कुशिमय जज़ांदगी व्यतीत करने के लिए अच्छी सेहत का होना बहुत आिश्यक हो जाता है । परां तु fsws की सेहत का अच्छा रहना इस बात की कोई guarantee नहीां होती। इसका कारि यह हो सकता है क्रक इन औारतों को अच्छी कमाई के लिए ज्यादा से ज्यादा कस्टमसच के साि सांबांध बनाने पड़ते हैं। अपनी जज़ांदगी दाि पे रखके िे औरतें अांजान िोगों के साि सांबांध बना िेती हैं। जजसका नतीजा यह होता है क्रक उन औरतोंको कस्टमर द्िारा कोई बबमारी फ़ैि सकती है या क्रफर

गांदे िातािरि या माहोि के कारि हमेशा कमज़ोर रहती हैं। िोगों का यह मानना

हैं क्रक HIV जैसी बबमारी इन जैसे औरतों में पाई जाती हैं। एक FSW की

सेहत का अच्छा न

होना, उनके काम में बाधाएाँ िा सकती हैं। कस्टमसच का बबन ननरोध के सेक्स करने की मा​ांग करना, ज्यादा से ज्यादा समय की सविचस की मा​ाँग करना, अन्य जैसे चीज़ों के कारि FSW को जज़ांदगी भर तकिीफों के साि चिना पड़ता हैं।

हमारे सारे participants ने सेहत के कारि होने िािी तकिीफों के बारे में बताया। जैसे हमारे एक participant ने ऐसा कहा क्रक,

"सर दख ु ने िगता है , नीांद नहीां आती, खाना नहीां जाता है । अभी क्या हुआ पता

नहीां इधर रात से एकदम जि रहा है । ... सुबह में उिटी भी इतना हुआ की दहसाब नहीां। जॉजन्डस भी बार बार होता है । मैं ठां डा चीज़ खा नहीां सकती। ठां डा खाऊांगी तो भी तकिीफ है ।“

ये रही हमारी एक ग्रहस्ती participant की बातें ,

“मेरेको HIV है । हाि दख ु ता है , पा​ाँि दख ु ता है । ठां डी िग रही है । अभी मैं िोड़ा ज़्यादा ही बीमार हु। मेरेको फोड़ी फुज्जी आ रही है बदन पे।"

३८


घरवाली इस बड़े से चक्रव्यूह में एक फीमेि सेक्स िकचर के जज़न्दगी में घरिािी का हाि सबसे बड़ा माना जाता है जो उन्हें भयानक साबबत होती हैं | िे औरतों को इतनी आसानी से खरीद िेते है जैसे बाज़ार में से कोई णखिौना खरीद रही हो| जब तक औरत घरिािी के कैद में रहती है तब तक िे अपनी इच्छा के अनुसार कुछ नहीां कर पाती मानो जैसे उनकी जज़न्दगी घरिािी के हा​ां और ना पर ननभचर करती हो| हमारे १८ participants में से ४ participants ने यह बात सामने रखते हुए कहा है की क्रकन मुजश्किों का उन्हें सामना करना पड़ा| हमारे एक पादटच लसपें ट ने कुछ ऐसा कहा है की:

“घरिािी ने बहुत हमारे ऊपर जुिुम क्रकआ, खाना नहीां दी, पानी नहीां दी, होटि के कड़क चपाती िाकर दे ती िी, कड़क चपाती खाने से हमको जुिाब होता िा|

हर कदम पे हर मजु श्किों का सामना करते हुए िे बड़े ही साहस के साि आगे बढ़ते जा रही हैं| उन्होंने अपने हर मजु श्किों का अकेिा सामना क्रकया हैं और हर परे शानी को माँह ु तोड़ जिाब ददया हैं| कुछ िोग उनके जज़न्दगी में ऐसे लमि जाते है , जो उन्हें ऐसे ननशान

दे जाते है

जो िे चाहकर भी लमटा नहीां पाते क्यांक ु ी शरीर पे िगे हुए कुछ ननशान लमट भी जाते है िेक्रकन ददि पे िगी हुई चोट नहीां लमट पाते है | िे भिे ही कुछ समय के लिए यह सारी बाते भूि भी जाए िेक्रकन जब यही बाते उनके

सामने आकर खड़ी होती है , तब िे अांदर ही अांदर अकेिापन और कमज़ोर मेह्सूक करने िगती है |

३९


"वे लोग सब समझते हैं..." जैसे वपछिे पाठ में हमने औरतों को होनेिािी मुजश्किों के बारे में चचाच की है , उसी तरह

इस भाग में हमने, उस पाठ के विपरीत औरतों को अिग-अिग िोंगो से और अिग-अिग कामों से होनेिािे िाभ के बारे में ि​िचन क्रकया है | इस पाठ में हमने उनसे िाभ होनेिािे मागच को तीन दहस्सों में अिग कर ददया है | िे औरतें हर एक नए ददन के साि अपनी नई शुरिात करते है | हर मुजश्किों को

भूिकर िे नए लसरे से शुरिात करते है क्यूांक्रक िे औरतें तोड़ने में नहीां बजकक जोड़ने में विश्िास

रखते है | हर एक मागच को अच्छी तरह से परख के हमने उसपर कुछ िाक्य अपने और कुछ बातें उनकी द्िारा समझाने की कोलशश की है |

सपोटच लसस्टम

पररिार

कस्टमर

एन . जी. ओ.

1. पररवार

वपछिे पाठ में हमने औरतों को अपने पररिार द्िारा कई तरह की होनेिािी परे शाननयों

के बारे में जानकारी दी है | परां तु इांटरव्यू िेते समय, कुछ औरतों से बात यह भी पता चिा है की कुछ औरतें ऐसे भी है जजन्हें अपने बच्चों का सहारा लमिता है | उन्होंने यह स्पष्ट बताया है की क्रकस तरह उनके बच्चे उनके बारे में सब जानकर भी उन्हीां के साि रहकर, उनका हौसिा बढ़ाते

है | हमारे १८ औरतों में से ७ औरतें है जजन्होंने अपने पररिार (बच्चे) के द्िारा लमिा हुआ प्यार और सहारे के बारे में बहुत अच्छी बातें कही है | हमारे एक औरत ने ऐसा कहा है :-

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"मेरे बच्चें भी मुझसे शेयर करते है , बहुत अच्छे से रहते है , िो िोग सब समझते है , मेरी

मा​ाँ POSITIVE है , मेरी मा​ाँ का हाित बाप के िजह से हुआ है | नहीां तो मेरी मा​ाँ क्रकतना कमाती और हट जाती िी| "

2. कस्टमर

सबको यह तो पता चि गया की इन औरतों को अपने कस्टमर द्िारा क्रकस प्रकार के

और क्रकतनी सारी परे शाननया​ाँ हुई है| परां तु यह बात भी आपके सामने रखते हुए कहना चाहते है की कुछ फीमेि सेक्स िकचर को लसफच मुजश्किें नही बजकक उन्हें अपने कस्टमर द्िारा कुछ िाभ भी हुए है | इन औरतों ने अपने कस्टमर के दहत में अपनी बात सामने रखी है | हमारे १८ औरतों में से ५ औरते है जजन्होंने अपने कस्टमर के कारि होनेिािी िाभ के बारे में प्रस्तुत क्रकया है | हमारे एक औरत ने अपनी बात रखते हुए कहा है की :"मेरा एक कस्टमर आया, उसने मेरेको पचास हजार ददया, मैं आजाद हुई, दो साि के अांदर,

िो जात का कस्टमर िा| बहुत पैसा दे ता िा िो मेरेको|"

इससे यह साफ समज आता है की कस्टमर लसफच मुजश्किें पैदा करने के लिए नहीां

होते, बजकक कुछ उनका साि दे नेिािे भी होते है |

3. NGO

औरतों ने अपनी बढ़ती उम्र के कारि बहुत सारी तकिीफों के बारे में बताते हुए कहा है की िे क्रकस तरह से इस काम में रहकर झाँ ुजते है और क्रकस प्रकार के परे शाननया​ां उन्हें होती है | परां तु इन औरतों ने यह साफ कहा है की यदद उन्हें इस काम से कमाई भिे ही न हो परां तु उन्हें कुछ NGO से मुनाफा भी होता है | उन्होंने यह भी मौजूद क्रकया है की छोटा-मोटा काम करके िे NGO के द्िारा अपनी जजांदगी को व्यतीत करने में ही समझदारी मानते है |

हमारे १८ औरतों में से ८ औरतें इतने है जजन्होंने अपने-अपने NGO से होनेिािी िाभ के बारे में बताया है | हमारे एक औरत ने कुछ इस प्रकार कहा है की-

"ये अपना byculla का ऑक्रफस बहुत बुिाया, बुिाते है , भाई ने गरीब िोगों को बहुत मदत

करते है| जजतना HIV का बीमारी है , पानी-राशन दे ता है | हप्ता में बुिा-बुिाकर राशन दे ता

है , तेि दे ता है , चाि​ि दे ता है , आटा दे ता है | हप्ते में दो बार गोिी दिाई, ननरोध-बबरोध सब भाई िोग दे ता है |"

कुछ साि पहिे फीमेि सेक्स िकचर को अपने DOCUMENTS प्राप्त करना बहुत कदठन हो जाता िा| DOCUMENTS जैसे आधार काडच हो या राशन काडच इनमे प्रत्येक व्यजक्त के घर का

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पता डािना होता है | जब इन औरतों का खुद का कोई घर नहीां होता, उनके बसेरे का कोई

दठकाना नहीां होता, तो उन्हें क्रकस आधार पर DOCUMENTS की प्राजप्त होती| इस बड़े से समस्या को समाधान करने के लिए कुछ फीमेि सेक्स िकचसच के द्िारा बताए हुए NGO है जजन्होंने इन औरतों को अपने DOCUMENTS प्राप्त करने में काफी मदत की है | सभी १८ औरतों पास अपने खद ु के DOCUMENTS है | इस से पता चिता है की जैसे एक फीमेि सेक्स िकचसच को बहुत सारी मुजश्किें आती हैं, िैसे ही उन्हें कुछ तरह के िाभ भी होते है | इन सारी मुजश्किों से झुांजते-झुांजते िे िक से जाते है , तभी उनको कोई होसिा दे ने िािे िोग भी है | उनके जजांदगी को िोड़ा सा आसान करने ये सारे िोग होते है |

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“कस्टमर की नज़र, बढ़ ू ी पे कम”… समाज ने सुांदर िड़की के लिए एक पररभाषा बना रखी है | िही िडक्रकया जो पतिी हो

गोरी हो िम्बी हो जजसके चाि चिन अच्छे होते है अन्य जैसे चीज़ों का होना मतिब िही

िडक्रकया खब ु सूरत मानी जाती है | जब तक िे िडक्रकया​ां इस पररभाषा को िागू करती हो तब तक िे सुांदर िडक्रकया​ां कही जाती है और जब िे इस परभाषा के बहार ननकिने िगती है तब िे एक िडकी से बूढी औरत कहिाने िगती है | जैसे मानो औरत एक चीज़ होती है जजसे िोग लसफच अपने फायदे के लिए प्रस्तुत करना चाहते हो|

आम तौर पर यह सब जानते है की जैसे-जैसे एक औरत की उम्र बढ़ती जाती है , िैसे-िैसे उसमे कई सारी बदिाि नज़र आते है । हमने कुछ इससे ही लमिती हुई मुद्दों पर काम क्रकया हैं क्रक उम्र बढ़ जाने के बाद फीमेि सेक्स िकचसच कौन-कौन से काम करते हैं? १८ औरतों से बात-चीत करने के बाद यह पता चिा की जैसे ही एक फीमेि सेक्स िकचर की उम्र बढ़ जाती है उनके पास कस्टमसच का नहीां आना, उनके पररिार का साि छूट जाना, दिाई खरीदने के लिए पैसे न होना, और तो और मीडडया को भी उनकी आिाज़ सुनने में पसांद नहीां आता।

ऐसी बहुत सारी िजह हैं जजसके कारि औरतों के पास उनके कस्टमसच की कमती होती हैं। जैसे कस्टमसच का कम उम्र की िड़क्रकयों के पास ज्यादा आकवषचत होना, अच्छे सविचस की मा​ांग करना, सेहत {HIV} का भी दे खभाि करना। और भी अच्छे से जानने और समझने के लिए इस को हमने तीन दहस्सों में बा​ाँटा हैं। जैस-े कमाई, सेहत, कस्टमसकर का बदलता स्वभाव।

1. कमाई

जज़न्दगी भर मजु श्किों से झांझ ु कर हर मजु श्किों का मांह ु तोड़ जिाब दे ते हुए, िे अपने जीिन में आगे

बढ़ते गए हैं। जैसे लसक्के के दो पहिु होते हैं उसी तरह इन ् औरतों की जज़न्दगी के भी दो पहिु नज़र आते हैं। जजसका एक पहिु उनकी कमाई से जड़ ु ा हुआ होता है । औरतों का उम्र बढ़ना मानो उनकी कमाई कम होना।

४३


हमारे १८ पादटच लसपें ट्स में से १० पादटच लसपें ट्स को इस तरह की परे शानी उठानी पड़ी है । हमारे एक पादटच लसपें ट ने कुछ ऐसा है – "अगर आदमी के पास पैसा है , तो बूढी के पास क्यों आएगा, आदमी का ददि भी तो होना चादहए

हमारे पास आने को, उसका पैसा है । बबना पैसे के िोड़ी ना आ रहे है । २०० रुपया खचच करें गे तो सामनेिािे के पास जाएांगे, मेरे पास िोड़ी ना आएांगे"

2. सेहत दस ू रा पहिु औरतों की सेहत होती है । इन ् औरतों को अपने काम के दरलमयान कुछ कस्टमसच ऐसे भी लमि जाते हैं, जो बबना ननरोध के सेक्स करने की मा​ाँग करते हैं| जजसका नतीजा यह होता है की इन ् औरतों को शारीररक स्तर पर बीमाररयों का सामना करना पड़ता है । िोगों की गित फेलमया कुछ ऐसी है की ज्यादातर से HIV की बबमारी इन ् जैसे औरतों में पाई जाती हैं, जजसके िजह से कस्टमसच उनके पास जाना पसांद नहीां करते|

3. कस्टमर का बदलता स्वाभाव जैस-े जैसे िक्त बीतते जाता है , िैस-े िैसे कस्टमसच का औरतों के तरफ स्िाभाि भी बदिता जाता है | जजस तरह नई िडक्रकया​ाँ आती रहती है | कस्टमर का लसफच नई िडक्रकयों की ओर आकवषचत होना, िे लसफच नई िड़की, सुन्दर और जिान िड़क्रकयों को सविचस के लिए मा​ाँग करते हैं, मानो जैसे उम्र िािी औरतों की तो मौजूदगी ही नही है | यदद कस्टमर के सामने एक छोटी िड़की और दस ू री उम्र िािी औरत खड़ी हो, तो िो कस्टमर बेशक उस छोटी उम्र की िड़की को चन ु ेगा| हमारे १८ participants में से सभी participants ने कस्टमसच के कारि होनेिािी परे शानी के बारे में बड़े ही दुःु ख दायक से ि​िचन क्रकया हैं| एक पादटच लसपें ट ने ऐसा कहा है :

“अभी उम्र के दहसाब से कस्टमसच आयेंगे ना, छोटे -छोटे उम्र ददखनेिािी को हायफाय ददखने िािे के पास ही जाएगा ना, हमारी जैसे िािी के पास क्यों आएगा, ४० साि उम्र होने के बाद|”

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हमारे इस विभाग से यह स्पष्ट पता चिता है की एक कस्टमर की औरतों से बहुत सारी अपेक्षाएाँ और साि ही में मा​ाँगे भी होती है | अपेक्षाएाँ कुछ ऐसी की िो स्िास्ि रहे , जिान रहे , सुांदर रहे अन्य और मा​ाँगे कुछ ऐसी की िो कस्टमर को अच्छी सरविस दे | इन्ही चीजो के लिए

जब कस्टमर जाते है तो उनकी नज़र लसफच अपनी पसांदीदा ओरतो को चुनते है और बूढी औरतों को तो दि ु क्षच क्षत कर ददया जाता है |

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“खुद के घर में रहना है ”........ (सरकार से अपेक्षाए) हिाक्रक इन ् ओरतों को पोलिस/कोटच से कई सारी बाधाएाँ आती हैं, क्रफर भी िे ओरते सरकार से अपनी पूित च ा के लिए कुछ मा​ाँगे करती हैं| जैसे उन जैसी औरतों के लिए एक अिग सा घर बनाया जाए जहा िो बबना क्रकसी क दबाि और बबना क्रकसी के आपवत्त से अपना काम कर सके, इतना ही नही िे अपनी सेहत को िेकर बहुत गांभीर हो जाती है और चाहती है की सरकार के द्िारा उन्हें कुछ मुफ्त की उपचार लमिे| सबसे बड़ी अपेक्षा उनकी सरकर से यही होती है की इस काम को िे क़ानूनी तौर पे मांजरू ी दे दे ताक्रक पलु िस के बार बार रे ड थगरने का डर ना हो| सबकी तरह इन ् औरतों को भी सवु िधाए उपिब्ध होनी चादहए तिा इनके बच्चों को भी अच्छी लशक्षा प्राप्त होनी चादहए| सरकार को इनकी ओर नज़रअांदाज़ नहीां करनी चादहए बजकक इनके हक़ और इनकी मा​ांगो को भी महत्त्िपूिच समझ कर इन्हें पूिच करना चादहए| इतना ही नहीां िे अपने NGO से भी अपेक्षक्षत करते हुए बताती है की भिे ही ज्यादा नहीां िेक्रकन महीने में आनेिािी राशन को बढ़ा ददया जाए, महीने के आणखरी तारीख पे उन्हें अपना पगार लमि जाए और कुछ दिाइया​ां भी उनके लिए िाके दी जाए| हमारे सभी १८ participants ने सरकार द्िारा सुविधा न लमिने की अपनी बात व्यक्त की हैं| हमारे एक participant ने सरकार से अपनी मा​ाँग रखते हुए कहा है :

“धांधा करने िािी के लिए सुविधा करो, उम्र हो गई, रोड पर मर रहे हैं, इनके लिए एक ऐसा चाि बनाओ जो उन्ही के नाम पर हो, भिे ही भाड़ा िो, िा​ांदा नहीां, िेक्रकन उनका खुद का घर पर रखने का|”

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र्र्ाकर एनालिलसस के बाद कुछ बाते ऐसी सामने आई हैं जो क्रकसी के सोच के बाहर िी| जब तक

हम क्रकसी बात को या क्रकसी व्यजक्त को गहराई से न परख िे तब तक उनके बारे में कोई भी अिग सोच और राय नहीां बनानी चादहए|

समाज में कुछ ऐसे भी िोग हैं जो इन औरतों के बारे में कई तरह के राय बना

िेते हैं| परां तु िे ये जानना ज़रूरी नहीां समजते हैं क्रक यदद आज औरतें यह काम कर रही हैं तो उनकी कोई अपनी मजबूरी होगी|

हमारे सभी पादटच लसपें ट यदद आज इस काम में हैं तो औरों के कारि| कुछ पादटच लसपें ट

ऐसे हैं जजनके खद ु के माता वपता ने िाके छोड़ा हो, क्रकसी के पनत ने िाके छोड़ा हो, तो कुछ ने धोका दे कर फांसाकर िाया हो|

ऐसे भी पाटीलसचपन्ट्स लमिे जजन्हें बचपन में ही यकिम्मा के नाम पर

दे िदासी छोड़

ददया जाता है | यदद िोगों की यह सोच है क्रक िे औरते खद ु से ज्यादा पैसा कमाने के लिए आती है तो यह बबककुि गित सोच है |

जब िे औरते इस काम में आ जाती है तो िे खुद को बचाने की बहुत कोलशश करती है | परां तु उनके सामने कोई रास्ता न बचता हुआ दे खकर िे अपनी जज़न्दगी इसी में काटती

चिी जाती है |

इस दौरान िे कुछ ऐसे िोगों से लमिती है जो उनके लिए घातक साबबत हो सकते है |

िे औरतों को अपनी जज़न्दगी में पैसा कमाने के लिए अन्य िोगों के साि शाराररक सांबांध बनाना

पड़ता है | जजसका नतीजा यह हो सकता है क्रक िे अन्य तरह के बीमाररयों के लशकार हो जाते है , जजस का असर उनके सेहत पर पढता है | इन औरतों का सेहत का अच्छा रहना आिश्यक हो जाता है | क्योंकी यह भी एक एसी मुख्यपूिच बात बन जाती है जो कस्टमर नज़रअांदाज़ नहीां करते हुए अच्छे सेहत की औरतों का मान करते है | इन औरतों का उम्र और कमाई के बीच बहुत गहरा ररश्ता होता है | औरतों की अच्छी कमाई उनकी एक उम्र तक लसलमत रहती है | औरतों का उम्र बढ़ना मानो उनकी कमाई कम होने जैसा है | यह सोचने की बात है क्रक क्रकस तरह औरत की उम्र उनके काम में भी बाधाएां िा सकती है | जब तक िे औरते सुांदर, जिान, सेहतमांद रहती है , तबतक िे जजतना चाहे उतना

कमा सकती है | लसफच तब तक िे अपनी ज़रूरत मांद चीजों की पूित च ा कर सकती है | परां तु एक समय ऐसा आ जाता है क्रक िो चाह कर भी यह काम नहीां कर सकती है |

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िैसे तो हमारे दे श में इस काम को क़ानूनी तौर पर मांजूरी दी नहीां है , िेक्रकन क्रफर भी

यह व्यिसाय भारत में बड़े पैमाने पर चिता है | हमारे सरकार को इन के मुद्दों पर नज़र रखते

हुए इन औरतों को कुछ सुविधा दे नी चादहए| सरकार की नज़र में इन औरतों का कोई िजूद नहीां रहता है | जजसका नतीजा यह हो सकता है क्रक भारत में सेक्स िकचर की क्रमा​ांक बढ़ते जाते हैं जजसमें बहुत सारे नाबालिक िडक्रकया​ां होती हैं| जो बा​ांग्िादे श या कनाचटक जैसे दे श और गा​ाँि से आई हुई रहती हैं|

इतनी सारी ददक्कते आने के बािजद ू नन:स्िािच भािना से अपने और अपने बच्चो के

भविष्य के लिए िे इस काम से समझौता कर िेती है |

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सुझाि/लसफारररश इस ररसचच को पढ़ने के बाद हम यह सुझाि दे ना चाहते है की िे औरते भी एक मनुष्य है | बहुत िोगो ने बोिा है की “फीमेि सेक्स िकचसच होती है इसलिए हमारी बहु बबदटया सुरक्षक्षत है ”| यह उनकी सोच हमें गित िगती है | क्यों हम उनको खतरे में डाि कर अपनी बहु बेदटयों को सुरक्षक्षत रखते हैं? क्या आज भी सेक्स िकचसच के होने के बािजूद रे प/बिात्कार नहीां हो रहे ? इसलिए हम गुजाररश करते हैं क्रक अपनी बहु-बेदटयों को बचाने के लिए फीमेि सेक्स िकचसच को अपना ढाि न बनाएां, बजकक हमे रे प/बिात्कार करने िािे िोगों की मानलसकता को बदिना चादहए| जब हमने इांटरव्यू लिए तो पता चिा की उनके पास खद ु का घर भी नही होता, िे रस्ते पर रहती है | वपिा house जैसे जगह में रहकर अगर िो काम के लिए बाहर खडी रही तो िोग उनपर गरम पानी डािते है | तो इसलिए हमें िगता है की उनके लिए िद् ृ धाश्रम की तरह एक िैश्यािय होना चादहए जहा​ाँ पर उनके सेहत में होने िािी परे शाननयों को दे खा जा सकता है , और जजसमे िो सुरक्षक्षत रहकर अपना काम कर सकती है |

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ननष्कषच जैसे हमने दे खा की हर एक फीमेि सेक्स िकचर को इस काम मे प्रेमभांग करके या क्रफर फसाकर डािा जाता है | कुछ ओरतों को यकिम्मा, दे िदासी जैसी चिती हुई परां परा के नाम पर इस काम मे डािा जाता है | इस काम मे आने के बाद उनके पररिार िािे उनका साि छोड़ दे ते है , पुलिस भी उनका साि नहीां दे ती| बाद में उन्हें बहुत सारी मुजश्किों का सामना करना पड़ता है , जैसे की- घरिािी, कस्टमर, समाज, आदी| फीमेि सेक्स िकच के इस काम में सब से महत्िपूिच होता है उनका शरीर, सेहत और उम्र| जब िो ३५ उम्र की हो जाती है तो िो खद ु पर बहुत सारी बदिाि दे खती है | जैसे मोटापा आना, चेहरे पर झुररच या​ाँ आना, शरीर जकदी िक जाना, कमज़ोर होना, और तो और उनकी सेहत पर असर होता है , जैसे उनकी सेहत ख़राब होना और बहुत सारी बीमाररया​ाँ एक साि आना| इस ररसचच में हमने दे खा है क्रक उनकी उम्र जब बढ़ जाती है तब उनकी हाित बहुत ख़राब होती है | उनका शरीर साि नहीां दे ता| इसका सबसे बड़ा असर उनके काम पर होता है , कोई भी कस्टमर को एक नई खब ु सूरत और HIV Negative िड़की चादहए होती है और इन औरतों में होने िािे बदिाि की िजह से कस्टमर उनके पास नहीां जाता, कस्टमर कम हो जाते है | जैसे जैसे उम्र बढ़ जाता है , िैसे िैसे कस्टमर कम हो जाते है | इन हािात में इस शहर मे होने िािी महें गाई मे िो अपने घर को चिाने के लिए दस ू रा काम करने की सोचती है | कुछ औरतों को दस ू रा काम लमि जाता है , िेक्रकन अपनी पहचान छुपानी पड़ती है और पगार भी कम लमिता है | तो कुछ औरतें ये काम छोड़कर अगर क्रकसी घर में झाड़ू-पोछा करने जाती है , और उसके मालिक को पता चिा क्रक िो िैश्या है तो िो भी उसके साि िही करता है | इस सबसे तांग आकर िो क्रफरसे इस काम में आती है | हम इन औरतों के लिए गिरमें ट फांड से ओकड ऐज होम्स बना सकते हैं | या क्रफर बहुत सारे फैक्ट्ीज होती हैं जहा कामगारों की ज़रुरत होती हैं , तो ये औरतें भी िहा​ाँ काम कर सकते हैं| उम्र बढ़ जाने के बाद ये औरतें छोटे -मोटे दक ु ान भी रख सकती हैं| अपने घर से ही फरसान, नाश्ता िगैरे बनाकर माकेट में बेच सकती हैं|

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अगर उन औरतों को एक मौका ददया जाएाँ तो िे करने के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं, िेक्रकन उन औरतों को शायद कभी क्रकसीने हौसिा ही ना ददया हो| इनको खद ु पर ननभचर होने के लिए बस िोड़े से प्रोत्साहन की ज़रुरत हैं|

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Individual experience १. मनीषा मादर: मैं FYBsc माइक्रोबायोिॉजी की विद्याथिचनी हूाँ| Youth fellows as changemakers से जुड़ने से पहिे मैं अन्य बातों से तिा अन्य िोगों से अांजान िी, परन्तु इससे जुड़ने के बाद मानो जैसे मेरी दनु नया ही बदि गई| विषय तय करने के बाद ऐसा िगने िगा की में अपने खद ु के समस्याओां का हि करने ननकि पड़ी हूाँ| सबसे पहिे और बड़ी चीज़ कुछ मेरे अन्दर बदिा है तो िो है मेरा travelling confidence. अब मझ ु े यकीन हो गया है की मैं अब परू ी मांब ु ई बबना क्रकसी के सहारे घूम सकती हूाँ| इससे पहिे मैं खद ु अपने हुनर से अांजान िी िेक्रकन जैसे जैसे पुकार में ददन बबताने िगी िैसे िैसे मुझे मेरी अिग अिग किा ददखने िगी| जैसे- writing skills, critical thinking, कम समय में अथधक काम करना| इतना ही नहीां मैंने एक बड़े ग्रुप में अपने मत को क्रकस प्रकार सामने रखते है यह बहुत अच्छी तरह से समझ लिया है |

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२. राधिका गुप्ता : मैं FYBSC की विद्याथिचनी हूाँ| इस फ़ेिोलशप से जुडने से पहिे मैं अपने ननजी जज़न्दगी में व्यस्त िी| जब मैं इस फ़ेिोलशप से जुडी तब मुझे सेक्स िकच के बारे में कुछ नहीां पता िा बजकक ये शब्द तो मैंने अपनी जज़न्दगी में पहिी बार ही सन ु ा िा| जब विषय पर काम करने की बारी आई िी तो तब भी मैं सबसे अिग होकर सोचती िी| Participants के कही हुई कहानी ने मुझे मेरे सोच को बदिने को मजबूर कर ददया| मैंने अांत तक हमारे विषय के बारे में घर पर नहीां बताया क्यांक्रू क डर सा िा की कही घरिािे मुझे यहा​ाँ आने से रोक ना दे | और साि ही में यह लसखा की जब तक हम क्रकसी व्यजक्त से पहचान ना बड़ा िे तब तक उनके बारें में हमे एक अिग सोच नहीां बनानी चादहए| जो भी मैंने पुकार के दरलमयान लसखा है उसे अपने असि जज़न्दगी में उपयोग करना चाहूांगी| यदद मैंने कभी िैश्या औरत को दे खा तो मैं उन्हें एक इज्ज़त के नज़र से दे खग ांू ी| इतना ही नहीां मैंने यह भी सीखा की अपने पैसों की क्रकस तरह से बचत करते है | ३. स्नेहा लटके : मैं FYBsc माइक्रोबायोिॉजी में पढ़ रही हूाँ| Youth fellows as

change-makers से जड़ ु ने

से पहिे समाज में होने िािे तकिीफों को अनसुना करती िी| जब सड़क से गुज़रती िी तब सड़क पर भीक मा​ांगने िािे बच्चें ‘भीक क्यों मा​ांगते है ’, ऐसे सिाि आते िे| िेक्रकन उनके जिाब ढूांढने के लिए कोई platform नहीां लमिता िा| जब इस फ़ेिोलशप से जड ु ी तब ऐसा िगा की अभी कुछ कर सकते है | समाज में अपनी आिाज़ उठा सकते है | जब हमने फीमेि सेक्स िकचसच यह विषय चन ु ा तभी मुझे इसके बारे में कुछ भी पता नहीां िा| बाद में बहुत सारी क्रकताबें और क्रफकम दे खने के बाद उनके बारें में बहुत कुछ समझा की फीमेि sex िकचसच इस काम में अपने मजबरू ी के कारि

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आती है , एक बार आने के बाद अपने जज़न्दगी को बड़े ही साहस से आगे बढ़ाती है , मुजश्किों को अपने साि अपना सहारा बनाके चिती है | इस विषय पर ररसचच करते करते मुझ में बहुत सारे बदिाि आए जैसे मेरा confidence बड़ा जजसके कारि मैं क्रकसी भी तरह के िोगों के सामने अपने विषय के बारे में आसानी से बता सकती हूाँ| सबके सामने मैं अपनी राय रखने िगी, सबको अपने विचार बताने िगी|

4. मेघना मेदार: मै FY BSC में माइक्रोबायोिॉजी इस विषय की पढाई कर रही हूाँ| इस फ़ेिोलशप के दौरान मुझे बहुत सारी बातों को जानने का, सारी मुजश्किों को समझने का बहुत बड़ा मौका लमिा| मझ ु े इस बात का एहसास हुआ की मदत का एक हाि बढाने से क्रकसी की जज़न्दगी में कुछ समय के लिए ही सही, िोड़ी सी खलु शया​ाँ आ सकती है | पुकार के इस फ़ेिोलशप से मैंने मेरी हर एक जजम्मेदारी बखब ू ी से ननभाना लसखा| पहिे मैं सोचती िी क्रक कोई कैसे अपने शरीर को बेचकर पैसे कमा सकते है ? दस ु रे िोगों की तरह मैं भी सेक्स िकच और सेक्स िकचसच को गन्दा ही मानती िी| िेक्रकन मैंने जब हमारे participants की बाते सुनी, उनकी मजबूररयों को समझा तब मुझे उन औरतों की असलियत पता चिी| यह टॉवपक को चन ु ने के बाद धीरे धीरे मेरी सोच बदिी और इसी सोच को साि िेकर अन्दर ही अन्दर मै एक नई इांसान बनते गई| इस इांसान को मै अपने अन्दर से कभी नहीां लमटाना चाहूांगी क्योंक्रक यह मुझे हर रोज़ इस बात का याद ददिाता है क्रक इतनी मुजश्किों के बाद भी िो औरतें दहम्मत से अपनी जजांदगी जी रही हैं| उनकी यही बात मुझे हर पि जीने का हौसिा दे ती रहती है |

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5. शाहबाज़ बैग: इस फ़ेिोलशप से पहिे मेरी िाइफ और मेरी सोच कुछ अिग िी जैसे मैं पहिे सेक्स िकचर के बारे में negative सोचता िा| जैसे िो िोग को यही काम होता होगा क्या, िो िोग दस ू रा काम भीां तो कर सकते है ! िेक्रकन जब मैंने यह फ़ेिोलशप join क्रकया और सेक्स िकच पर ररसचच क्रकया तब पता चिा क्रक उनकी भी कोई अपनी मज़बूरी होती है , िे िोग खद ु से यह काम नहीां करते है | इसके साि-साि मुझे बहुत अच्छी चीज़ें सीखने को लमिी जैसे पहिे मैं क्रकसीको भी बात करते समय सही जिाब नहीां दे ता िा िेक्रकन पुकार से जुड़ने के बाद यह सीखने को लमिा की क्रकसीसे भी बात करते समय सही जिाब दे ना चादहए| इसके साि-साि मेरा confidence िेि​ि भी बड़ा|

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रे फ़रन्स https://booksgoogle.co.in/books?Jsbn=8177647083 Allied Publishers Private Limited  No. of Bangladeshi women in Mumbai 31st March, 2016, Mubul Bhatia, Huffington Post India  No. of FSWs present in India 2007- Ministry of women & child development 3 million FSWs in India, with 35.  Types of sex work (November 6, 2013) Ronald Weitzer. - Street Walker - Bar or Casino Worker - Window Worker - Brothel Employee - Escort Agency Employee - Independent Call Girl/Escort www.businessinsider.com  Political Stand. https://googleweblight.com https://en.m.wibipedia.org>wibi>prostitution - Published by JEYWIN by V.Sithannan

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अपें डडक्स प्रश्नावली १) आपके बारे में बताएाँ| (आप कहा​ाँ से आएां हो? आपका बचपन?) २) अपने पररिार के बारे में बताएाँ| (आपके मा​ाँ-बाप, आपके बच्चे|) ३) इससे पहिे आप क्रकधर रहते िे? ४) क्रकतने साि से आप इधर रह रहे हो? ५) आप यहा​ाँ कैसे पहुाँच? े ६) आपकी उम्र बढ़ जाने के कारि आपने अपने काम में क्या फरक महसूस क्रकया? ७) आपका काम पहिे कैसा िा और अब कैसा है ? ८) उम्र बढ़ जाने के कारि आपको कौन-कौनसी परे शानी हुई? अ) आमदनी ड) खाने-पीने में

ब) सामाजजक

क) पाररिाररक

इ) सेहत

९) आपके क्रफक्स्ड कस्टमसच है ? क्या िो अब भी आते हैं? १०) क्या आपको कभी क्रकसी कस्टमर द्िारा आप्पवत्त हुई है ? ११) आपका अनुभि कैसा रहा? (कुछ उदहारि द्िारा- जैसे अपने दोस्तों के बारे में बताके|)

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१२) क्या आपको क्रकसी दस ु रे काम में रूथच है ? (क्रकस्से सहायता की उम्मीद रखते हो?) १३) अपनी परे शानी कम करने के लिए आपने खद ु से क्या क्रकया? १४) आपके पास कोई documents हैं? (कौन-कौनसे?) १५) क्या आप क्रकसी सांस्िा से जुडी हुई हो? क्रकस तरह की मदत लमिती है ? १६) सरकार ने आपके लिए क्या करना चादहए?

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“सफर” {कुछ ऐसा रहा…}

- मनीषा मादर पहिे िी मेरी पहचान एक िड़की जैसी,

िेक्रकन अब मैं कहिाती हूाँ एक धांधेिािी। इस काम को भी मैंने यु अपनाया,

जैसे िही मेरे नसीब में लिखकर हो आया। िैश्या के रूप को स्िीकारा मैंने, सबसे दुःु ख है झेिा मैंने।

कभी बनी मैं क्रकसीकी रानी,

तो कभी क्रकसीकी करनी पड़ी गुिामी। युही बीतती गई मेरी जिानी, बढ़ती उम्र बन गई परे शानी।

िोगों का यु मुाँह फेरना, रास ना आया मुझ,े

क्रफर उन्ही का अनदे खा करना, पसांद ना आया मुझ।े िोगों क्रक ये बेरुखी दे खके,

सिाि उठते गए मेरे मन में । जिाब तब लमिे,

जब दे खा मैंने अपना ही मुख शीशे में ।

दे खकर हुआ मुझे एहसास कुछ बुरा, जो िाया आाँखों के सामने अाँधरे ा। तब िोगों क्रक बेरुखी समझ आई,

जब मुझे अपने में ही कमी नज़र आई।

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सोचती रही कैसे इन कमी को पूरा करू,

िेक्रकन तब तक कपड़े, गहने और शृांगार भी जाने िगे दरू -दरू । जब छाई मुझपे ऐसी िाचारी,

तब सबने बना िी मुझसे दरू ी।

जब चुनना चाहा मैंने दस ू रा रास्ता, िहा​ाँ से भी लमिा ना कोई आसरा।

ना लमिा कभी पररिार का प्यार, ना लमिा कभी दोस्तों का हाि , युही रह गए बबना क्रकसी के साि। ना जाने कब तक चिेगा ऐसा,

ना जाने रह जायेगी क्रकतनों की अधूरी बात।

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