अध्याय 1 के बा याकूबआपरिवािके बच्चािाहेलके बािहवााँबेटा बेंजामिनदार्शमनकआपिोपकािीबनजाला।
1 मबन्यािीनके वचनके प्रमिमलमपजवनउअपनाबेटा
लोग के एक सौपच्चीस सालके उमििके बादपालन
किे के आज्ञादेले िहले।
2 ऊ ओह लोग के चुम्मा लेहले आ कहले, “जइसे इसहाक के जनि अब्राहि से बुढापा िें भइल िहे, ओइसहीींहियाकूबसेभइलिहनी।
3 जबसे हिाि िाई िाहेल हििा के बच्चा पैदा किि ििगईली
दूधनािहे।एहीसेहििा के उनकिदासीमबल्हादूधमपयावििहली।
4 िाहेलयूसुफके
16 काहेमकजेपििेश्विसेडेिालाआअपनापडोसीसे
17 नाहीओकिापिआदिीभाजानविके षड्यींत्रसे िाजहोसकेला,काहेमकओकिापडोसीके प्रमिजवन प्रेिबाओकिासेप्रभु
18 यूसुफहिनीके मपिासेभीमनहोिाकिििहलेमक उअपनाभाईलोगखामििप्रार्शनाकिसिामकप्रभु उ लोगके जवनभीबुिाईकईलेबाडे, ओकिाके पापना िानस।
19 आ एही ििे याकूब मचल्ला के कहलस मक
,
िबसेहििालगे
जनिके बादबािहसालिकबींजि िहली। बािह मदन उपवास किके प्रभु से प्रार्शना कइलीआगभशविीहोके हििाके जनिमदहली।
िहले आ प्रार्शना किि िहले मक उनुका से दू गो बेटा पैदाहोखस। 6 एही से हििा के मबन्यािीन कहल गइल, िाने मक मदनभिके लइका। 7 जब हिमिस्र िें यूसुफके लगे गईनी िहिाि भाई हििा के पहचान लेले िउहििा से कहलस मक जब उ लोग हििा के बेचले ि उ लोग हििा मपिा से का कहले िहले? 8 हिओकिासे कहनी, “उलोगिोहािकोटके खून सेडबकके भेजके कहलसमक, जानलीींमकइिोहाि बेटाके कोटहमकना। 9 उहििासे कहले, भाई, जब उलोगहििाके कोट उिाि मलहले ि हििा के इश्माएल के दे देले अवुिी हििा के किि के कपडा देले अवुिी कोडा िाि के भागे के कहले। 10 हििा के लाठी से पीटि एगो र्ेि ओकिा से मिल के ओकिाके िािमदहलस। 11 आएहीसेउनकिसार्ीलोगडेिागइल। 12 एह से हे हिाि लइका लोग, िू लोग भी स्वगश आ धििीके प्रभुपििेश्विसेप्रेिकिीींआअच्छाआपमवत्र आदिी यूसुफ के उदाहिण के पालन किि उनकि आज्ञाके पालनकिीीं। 13 जइसे िू हििा के जानि होखब, िोहनी के िन भलाई किे के चाहीीं। काहेमक जे आपन िन के सही ििीका से नहावेला, उ सब बाि के सही ििीका से देखेला। 14 प्रभु से डिाई आ अपना पडोसी से प्रेि किीीं। आ भले ही बेमलयाि के आत्मा िोहिा के हि बुिाई से पीमडि किे के दावा किेला, लेमकन िबहाँ उ लोग के िोहिा पि िाज ना होई, जइसे मक हिाि भाई यूसुफ पिनािहे।, 15 केिना आदिी ओकिा के िािे के चाहि िहे आ भगवानओकिाके ढालबनवले!
5 काहेमक हिाि बाबूजी िाहेल से बहुि प्याि किि
प्रेिकिेला, उपििेश्विके
भयसेबचावलजासकेला।
ओकििददकिेला।
, हिाि अच्छा बच्चा, िू अपना मपिा याकूब के आींि पि हावी होगईलबाड। 20 ऊ ओकिा के गले लगा के दू घींटा ले चुम्मालेहले आकहले। 21 िोहिे िें पििेश्वि के िेिना आ दुमनया के उद्धािकिाश के बािे िें स्वगश के भमवष्यवाणी पूिा होई मकमनदोषके अधिशके खामििसौींपलजाई, आमनदोष के वाचाके खूनिेंअभक्तलोगखामििििजाई , गैियहदी आइस्राएल के उद्धािखामिि, आबेमलयािआ ओकिसेवकनके नष्टकिदी।
हिािलइकालोग, अच्छाआदिीके अींि देखिबाडऽ?
23 एह से अच्छा िन से उनकि करुणा के अनुयायी बनीींिामकिउवाीं भीिमहिाके िुकुटपमहनसकीले।
24 काहे मक भला आदिी के आाँख करिया ना होला।
उ सब आदिी पि दया किेला, भले
आधनके। लेमकनएकिसबआदिीके बािे िेंएके गोस्वभावबा, जवनमकअमवनार्ीअवुिीर्ुद्धबा।
38 एकिा िें ना ि दुगुना नजि बा, ना दुगुना सुनवाई बा। काहे मक ऊ जवन कुछ किेला, भा बोलेला
22
एहसेहे
काहेमक
उ सब पापीहोखे। 25 आ भले ऊ लोग बुिा नीयि से योजना बनावेला। ओकिा बािे िें भलाई कइला से ऊ बुिाई पि मवजय पावेला आ भगवान के ढाल बन जाला। आ ऊ धिी लोगसे अपनाआत्माजइसनप्रेिकिेला। 26 अगि केह के िमहिा होला ि ऊ ओकिा से ईष्याश नाकिेला।अगिकेहसिृद्धहोखे िओकिा ईष्याश ना होखे। अगि केह वीि होखे ि ओकि िािीफ किेला। सद्गुणी आदिी के ऊ िािीफ किेला; गिीब आदिी पि ऊ दया किेला। किजोि लोग पि ओकिा दया आवेला।भगवानके स्तुमिगावेला।
, ओकिाके
एहसे अगििोहनीके भीअच्छामवचािबािदुनो दुष्ट आदिी िोहनी के सार्े र्ाींमि से िमहहें आ उडावे वाला लोग िोहनी के आदि किी आ भलाई के ओि िुड जाई। आ लोभी लोग ना खाली आपन अत्यमधक इच्छा से रुक जाई, बलुक अपनालोभी के सािानभी पीमडिलोगके दे मदही। 29 अगि िू लोग भलाई किब ि अर्ुद्ध आत्मा भी िोहनीसेभागजाई।आजानवििोहिासेडेिाजइहें। 30 काहेमक जहााँ अच्छा कािके प्रमि आदिहोखे आ िन िें िोर्नी होखे, उहााँ अन्हाि भी ओकिा से भाग जाला। 31 अगिकेहपमवत्रआदिीके सार्महींसाकिेलािउ पश्चािाप किेला। काहेमक पमवत्र आदिी अपना मनींदा किे वालापिदयाकिेलाआचुपिहजाला। 32 अगि केह कवनो धिी आदिी के धोखा देला ि धिीआदिीप्रार्शनाकिेला, भलेहीउकुछदेिखामिि नम्र हो जाला, लेमकन कुछ देि बाद उ बहुि जादा िमहिािींमडि लउकेला, जईसे मक हिाि भाई यूसुफ िहले। 33 भलाआदिीके झकावबेमलयािके आत्माके धोखा िें ना होला, काहे मक र्ाींमि के दूि ओकिा आत्मा के िागशदर्शनकिेला। 34 ऊनार्होखेवालाचीजनके उत्सुकिासेनादेखि िहेलाआनाहीभोगके चाहिसेधनजुटावेला। 35 ऊभोगिेंनाखुर्होला, ऊअपनापडोसीके दुख ना देला, ऊ मवलामसिा से ना िृप्त होला, ऊ आाँख के उत्थान िें ना भटकेला, काहे मक प्रभु ओकि महस्सा हवे। 36 अच्छा झकाव के आदिी से कवनो िमहिा ना मिलेला नाबेइज्जिी, आऊ कवनो धोखाभाझूठ, भा लडाई भा गािी ना जानेला। काहे मक प्रभु ओकिा िें िहि बाडन आ ओकिा आत्मा के िोर्नी देि बाडन आऊहिआदिीकासार्ेहिेर्ाखुर्िहेलें. 37 नीिन िन के दू गो भाषा ना होला, आर्ीवाशद आ गािी, अपिानआआदिके ,दुखआखुर्ीके ,चुपचाप आभ्रिके , पाखींड आसच्चाई के , गिीबी
27 जेकिापिअच्छाआत्माके कृपाहोखे
उअपनाप्राणमनहनप्यािकिेला। 28
भा देखि बा, ओकिा िें ऊ जानि बा मक प्रभु ओकिा आत्माके देखिबाडन 39 ऊ अपना िन के साफ किेला मक ऊ आदिी के दोषीनाहोखे आभगवानके भी। 40 ओइसहीीं बेमलयाि के काि दू ििह के होला आ ओहिें कवनोएकिानइखे. 41 एह से हे हिाि लइका, हि िोहनी से कहि बानी मकबेमलयािके दुभाशवनासेभागजा।काहेमकउआपन बाििाने वालाके िलवािदे देला। 42 आ िलवाि साि गो बुिाई के िहिािी ह। पमहले िनबेमलयािके िाध्यिसेगभशधािणकिेला, आपमहले खून-खिाबा होला। दूसिा बाि मक बबाशद हो जाला;
िीसिा, सींकट के सिय; चउर्ा, मनवाशसन के बाि बा; पाींचवा, किी के बाि बा; छठवााँ, घबिाहट के भाव; सािवााँ, मवनार्के बािबा।
44 जब ऊ दू सौ साल के भइले ि ऊ कष्ट उठावे लगलनआनौसौसालिें
ऊनार्होगइलन.
45 काहेमकउनकिभाईहामबलके कािण -सबबुिाई के सार् उनकि न्याय भइल, लेमकन लािेक के सत्ति गुनासाि।
46 काहे मक जे लोग भाई लोग
1 हे हिाि लइका लोग, का िू लोग बुिाई, ईष्याश आ भाई लोग से नफिि से भाग के
के प्रार्शना के िाध्यिसे हिउनका के मदन िें जागल देखनी, इहााँ िक मक उनकि पूिा आकृमिभीठीकओइसने
12 जब उइसबकहलनिउलोगसे कहलन मक, हे
*
से ईष्याश आ नफिििें कैन जइसन बा, ओकिा के हिेर्ा खामिि उहे न्याय के सजामदहलजाई। अध्याय 2 के बा पद3 िेंघिकेपनके एगोहडिालीउदाहिणबा मफिभीएहप्राचीनकुलपमिलोगके आलींकािके जीवींििा।
भलाई आ प्रेि से मचपकलिहऽ।
जे प्रेि िें र्ुद्ध मदिाग िखेला, उ व्यमभचाि के िकसद से कवनो औिि के देखभाल ना किेला। काहेमक ओकिा मदल िें कवनो अर्ुद्धद्ध नइखे, काहे मकपििेश्विके आत्माओकिापिमटकलबा। 3 जइसे सूिजगोबिआदलदल पिचिक के अर्ुद्ध नाहोला, बलुकदुनुके सुखादेलाआबुिागींधके भगा देला। ओइसहीींर्ुद्ध िन भले धििी के अर्ुद्धिा से घेिलहोखे, बद्धिओकिाके साफकिेलाअवुिीखुद अर्ुद्धनाहोखेला। 4 हि िानि बानी मक धिी हनोक के बाि से िोहनी के बीचबुिाईभीहोई, मकिूलोगसदोिके व्यमभचाि के सार्ेव्यमभचािकिबआकुछलोगके छोडके सब लोग नार् हो जाईब आ िेहिारू लोग के सार्े बेहदा काि किब ; प्रभु के िाज्य िोहनी के बीच ना होई, काहेमकउिुििे ओकिाके छीनलीहे। 5 मफि भी पििेश्वि के िींमदि िोहनी के महस्सा िें होई आ अींमिि िींमदि पमहला िींमदि से भी जादा िमहिािींमडिहोई। 6 बािहगोगोत्रआसबगैि-यहदीलोगके उहााँएकट्ठा कइल जाई जब िक मक पििात्मा एगो एकलौिा भमवष्यवक्ता के िुलाकाि िें आपन उद्धाि ना भेज दीहें। 7 ऊ पमहला िींमदि िें प्रवेर् किीहें आ उहााँ प्रभु के आक्रोर् से पेर् आवल जाई आ ओकिा के एगो पेड पिउठावलजाई। 8 िींमदिके पदाश फाट जाई आपििेर्् विके आि् िा गैि-यहदी लोग िें ओइसहीीं चल जाई जइसे आग बहावलजाला। 9 ऊपािालसेचढके धििीसे स्वगश िेंचलजइहें। 10 हि जानि बानी मक ऊ धििी पि केिना नीच होखीहें आस्वगश िेंकेिनािमहिािींमडिहोखीहें. 11 जबयूसुफमिस्रिेंिहलेिहिउनकिआकृमिआ चेहिा के रूप देखे खामिि ििसि िहनी। आ हििा बाबूजी याकूब
देखनीजइसे उिहे।
2
हिािलइकालोग, िउआलोग जानलीींमकहिििि बानी। 13 एह से िू लोग हि केह अपना पडोसी के सािने सच्चा िहऽ आ प्रभु के व्यवस्र्ा आ उनकि आज्ञा के पालनकिीीं। 14 काहे मकहििोहनीके मविासि के जगह इहे सब छोडदेले बानी। 15 एह से िूहाँ ओह लोग के अपना लइकन के अनन्त काल खामिि दे दीीं। काहे मक अब्राहि, इसहाक आ याकूबदुनु जने अइसने कइले िहले 16 इ सब बाि उ लोग हिनी के मविासि के रूप िें देले िहले मक, जब िक प्रभु सब गैि-यहदी के सािने
आपनउद्धािनाप्रगटनाकिीहे, िबिकपििेश्विके आज्ञाके पालनकिीीं।
17 िबिूलोगहनोक, नूह, र्ेि, अब्राहि,इसहाकआ याकूबके
दामहनाओिखुर्ीसे उठिदेखब।
18 िबहिनीके भीअपनागोत्रके ऊपिउठके स्वगश
के िाजा के पूजा किब जा, जे धििी पि एगो आदिी के रूपिेंमवनम्रिासे प्रकटभइले।
19 जे भी धििी पि उनकिा पि मवश्वास किेलन उ उनकिासार्े
20 िबसबलोगउमठहें
21
29 आओह लोग के िाध्यिसे ऊ हिािमपिायाकूब
के रूप िें इधि-उधि जाके कहि होई मक ऊ िोहिा गोत्रिेंजवनकिीबाओकिाके भिमदही।
30 ईबािकहके ऊआपनगोडबढामदहलन।
31 आसुििआबमढयानीींदिेंििगइलन।
आनद्धििहोजइहें।
, कुछलोगिमहिािेंआकुछ
खामिि।
र्िशके
इस्राएलके
किीहे।काहे मक जब उलोग के बचावे खामिि र्िीि िें पििेश्वि के रूप िें प्रकट भईले िउलोगउनुकापमवश्वासनाकईले। 22 िब उ सब गैि-यहदी लोग के न्याय किीहे, जेिना लोग जब उ धििी पि प्रकट भईले ि उनकि मवश्वास नाकईले िहले। 23 ऊ गैि-यहदी लोग के चुनल लोग के िाध्यि से इस्राएल के दोषी ठहिाई, ठीक ओसही जइसे उ मिद्यानी लोग के िाध्यि से एसाव के डाींटले िहले, जे अपनाभाईलोगके धोखादेले िहले, जवनासेउलोग व्यमभचाि अवुिी िूमिशपूजा िें पड गईले। उ लोग भगवान से दूि हो गईले, एहसे उ लोग प्रभु से डेिाए वालाके महस्सािेंसींिानबनगईले। 24 एह से अगि िू लोग, हिाि लइका लोग, प्रभु के आज्ञा के अनुसाि पमवत्रिा िें चलब ि फेि से हििा सार्ेसुिमिििहबआपूिाइस्राएलप्रभुके लगेएकट्ठा होजाई। 25 अब िोहिा िबाही के चलिे हििा के खिखि भेमडया नाकहल जाई, बलुक प्रभु के काि किे वाला जेभलाईकिे वालालोगके खानाबाींटलजाई। 26 आउि बाद के मदन िें यहदा आ लेवी के गोत्र से प्रभु के एगोमप्रयजनपैदाहोई, जेअपनािुींहिेंआपन प्रसन्निाके पालनकिी, आगैि-यहदीलोगके ज्ञानदेवे वालानयाज्ञानके सार्। 27 युग के सिापन िक ऊ गैि-यहदी लोग के आिाधनालय आ ओह लोग के र्ासकन के बीच िें सबके िुाँहिेंसींगीिके िनावमनयििहीहें। 28 ऊपमवत्रमकिाबनिेंआपनकािआवचनदुनोींिें अींमकिहोजाईआऊहिेर्ाखामििपििेश्विके चुनल आदिीबनलिही।
आउि पििेस् वि इस्राएल के अधिश के चलिे पमहले
न्याय
32 उनकिबेटालोगउनकिआज्ञाके अनुसािकइल आ उनकि लार् उठा के उनकि बाप-दादा के सार्े हेब्रोनिें दफनामदहल। 33 उनकि जीवन के मदन के सींख्या एक सौ पच्चीस सालिहे।