Maithili - Susanna

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अध्याय 1 1 बाबुल मे योआसीम नामक एक आदमी रहै त छल। 2 ओ एकटा स् त्री के​ेँ वि​िाह कयलवन, विनकर नाम सुसाना छलवन, िे चेल्कियाक बेटी छलीह, िे बहुत सुन्दर स् त्री छलीह आ प्रभु सेँ भयभीत छलीह। 3 ओकर माता-विता सेहो धमी छलाह आ अिन बेटी के​ेँ मूसाक वनयमक अनुसार वसखबैत छलाह। 4 योआसीम एकटा िैघ धनी लोक छलाह, हुनकर घर सेँ िुड़ल एकटा सुन्दर बगीचा छलवन। वकएक तेँ ओ आन सभसेँ बेसी इज्जतदार छलाह। 5 ओही िर्ष प्रिा मे सेँ दू गोट प्राचीन लोक के​ेँ न्यायाधीश बनयबाक लेल वनयुक्त कयल गेलवन, िेना िरमेश् िर कहलवन िे, बाबुल सेँ दु ष्टता प्राचीन न्यायाधीश सभक वदस सेँ आयल छल, िे लोक सभ के​ेँ शासन करै त बुझाइत छल। 6 ई सभ योआसीमक घर मे बहुत वकछु राल्कख रहल छल, आ िे वकयो कोनो तरहक मुकदमाक संग छल, से सभ हुनका सभक लग आवब िाइत छल। 7 दु िहर मे िखन लोक सभ विदा भेल तेँ सुसाना अिन िवतक गाछी मे घुमबाक लेल गेलीह। 8 दु नू बुिुगष हुनका सभ वदन भीतर िाइत आ चलैत दे खैत छलाह। िावह सेँ हुनका लोकवनक िासना हुनका प्रवत प्रज्ववलत भ' गेलवन। 9 ओ सभ अिन विचार के​ेँ विकृत कऽ कऽ निरर घुमा लेलक, िावह सेँ ओ सभ स् िगष वदस नवह दे खवि आ ने धावमषक न्याय के​ेँ मोन िाड़वि। 10 ओ दु नू गोटे हुनकर प्रेम सेँ घायल भऽ गेल छलाह, मुदा एक दोसरा के​ेँ अिन दु ुः ख दे खाबय के वहम्मत नवह भेलवन। 11 वकएक तेँ ओ सभ अिन काम-िासनाक बात कहबा मे लाि करै त छलाह िे हुनका सेँ संबंध रखबाक इच्छा छलवन। 12 तैयो ओ सभ वदन-प्रवतवदन ओकरा दे खबाक लेल लगन सेँ दे खैत रहलाह। 13 एक गोटे दोसर के​ेँ कहलविन, “आब घर चवल िाउ, वकएक तेँ भोिनक समय भऽ गेल अवछ।” 14 ओ सभ िखन बाहर वनकललाह तेँ एक दोसरा सेँ अलग भऽ गेलाह आ फेर घुवम कऽ ओतवह आवब गेलाह। एक-दोसर सेँ कारण िूछलाक बाद ओ सभ अिन िासना के​ेँ स्वीकार कयलवन, तखन दु नू गोटे एक संग एकटा समय वनधाषररत कयलवन, िखन ओ सभ ओकरा असगरे िावब सकवि। 15 िखन ओ सभ ठीक-ठाक समय दे खैत छलाह तखन ओ िवहने िकाेँ दू टा दासीक संग भीतर गेलीह आ गाछी मे धोबय चाहैत छलीह, कारण गमी छल। 16 ओतऽ दु नू बुिुगषक अवतररक्त कोनो लाश नवह छल िे नुका कऽ ओकरा िर निरर राल्कख रहल छल।

17 तखन ओ अिन दासी सभ के​ेँ कहलविन, “हमरा लेल तेल आ धोबय बला गोला आवन वदयौक आ गाछीक दरबज्जा सभ बन्न करू िावह सेँ हम हमरा धो सकब।” 18 ओ सभ हुनकर आज्ञानुसार कयलवन आ गाछीक दरबज्जा सभ बन्न कऽ कऽ हुनका सभ के​ेँ िे वकछु आज्ञा दे ने छलवन से आनबाक लेल स्वयं घरक दरबज्जा िर वनकवल गेलाह। 19 िखन दासी सभ बाहर गेलीह तेँ दु नू बुिुगष उवठ कऽ हुनका लग दौवड़ कऽ कहलविन। 20 दे खू, गाछीक दरबज्जा सभ बंद अवछ, िावह सेँ वकयो हमरा सभ के​ेँ नवह दे ल्कख सकैत अवछ, आ हम सभ अहाेँ सेँ प्रेम मे छी। ते ेँ हमरा सभक संग सहमवत वदअ आ हमरा सभक संग सुवत िाउ।” 21 िेँ अहाेँ नवह चाहब तेँ हम सभ अहाेँक विरुद्ध गिाही दे ब िे अहाेँक संग एकटा युिक छल। 22 तखन सुसाना आह भरलवन आ कहलविन, “हम चारू कात संकुवचत छी, कारण िेँ हम ई काि करब तेँ ई हमरा लेल मृत्यु अवछ। 23 प्रभुक समक्ष िाि करबा सेँ नीक िे हम अहाेँ सभक हाि मे िवड़ कऽ ई काि नवह करब। 24 ई कहैत सुसाना िोर-िोर सेँ वचवचया उठलीह आ दु नू बुिुगष हुनका िर वचवचया उठलवन। 25 तखन एक गोटे दौड़ल आ गाछीक दरबज्जा खोललक। 26 घरक नोकर सभ गाछी मे चीत्कार सुवन कऽ घरक दरबज्जा िर दौवड़ कऽ भीतर आवब गेलाह िे हुनका संग की भेलवन। 27 मुदा िखन बुिुगष सभ अिन बात सुनौलवन तेँ नोकर सभ के​ेँ बहुत लाि भेलवन। 28 दोसर वदन िखन लोक सभ हुनकर िवत योआसीम लग िमा भ’ गेल तऽ दु नू बुिुगष सेहो सुसाना के​ेँ मारर दे बाक लेल दु ष्ट कल्पना सेँ भरल आवब गेलाह। 29 ओ लोक सभक सोझाेँ कहलविन, “योआसीमक ित्नी केल्कियाक बेटी सुसाना के​ेँ बिाउ।” आ ते ेँ ओ सभ िठौलवन। 30 ओ अिन बाि-माए, अिन बच्चा सभ आ अिन समस्त िररिन सभक संग आवब गेलीह। 31 सुसाना बहुत सुकुमार मवहला छलीह आ दे खबा मे सुन्दर छलीह। 32 ई दु ष्ट लोकवन आज्ञा दे लविन िे हुनकर चेहरा उघार करवि, (वकएक तऽ ओ झाेँिने छलीह) िावह सेँ ओ सभ हुनकर सौन्दयष सेँ भरल रहवि। 33 ते ेँ ओकर संगी सभ आ ओकरा दे खवनहार सभ कानय लागल। 34 तखन दु नू बुिुगष लोकक बीच ठाढ़ भ’ क’ हुनकर माि िर हाि राल्कख दे लवन। 35 ओ कानैत स् िगष वदस तकलीह, वकएक तेँ ओकर मोन प्रभु िर भरोसा करै त छल।


36 बुिुगष सभ कहलविन, “िखन हम सभ असगरे गाछी मे घुमैत रही तखन ई स् त्री दू टा दासी ल’ कऽ भीतर आवब गाछीक दरबज्जा बन्न कऽ कऽ दासी सभ के​ेँ विदा कऽ दे लक।” 37 तखन एकटा युिक िे ओतवह नुकायल छल, ओकरा लग आवब कऽ ओकरा संग सुवत गेल। 38 हम सभ बगीचाक एक कोन मे ठाढ़ भऽ कऽ ई दु र्​् टता दे ल्कख हुनका सभक लग दौड़लहुेँ। 39 िखन हम सभ हुनका सभ के​ेँ एक संग दे खलहुेँ तेँ ओवह आदमी के​ेँ िकवड़ नवह सकलहुेँ , वकएक तेँ ओ हमरा सभ सेँ बेसी बलशाली छल आ दरबज्जा खोवल कऽ कूवद कऽ बाहर वनकवल गेल। 40 मुदा एवह स् त्री के​ेँ लऽ कऽ हम सभ िुछवलयवन िे युिक के अवछ, मुदा ओ हमरा सभ के​ेँ ई नवह कहय चाहैत छल िे हम सभ एवह बात सभक गिाही दै त छी। 41 तखन ओ सभ ओकरा सभ के​ेँ ओवह लोक सभ िर विश् िास कयलक िेना लोकक बूढ़-िुरान आ न्यायाधीश सभ छल। 42 तखन सुसाना िोर-िोर सेँ वचवचया उठलीह, “हे अनन्त िरमेश् िर, िे गुप्त बात के​ेँ िनैत छी आ सभ वकछु के​ेँ िवहने सेँ िनैत छी। 43 अहाेँ िनैत छी िे ओ सभ हमरा विरुद्ध झूठ गिाही दे लक आ दे खू, हमरा मरय िड़त। िखन वक हम कवहयो एहन काि नवह केलहुं िे ई लोकवन दु भाषिनािूिषक हमरा विरुद्ध आविष्कार केने छवि। 44 प्रभु हुनकर आिाि सुनलवन। 45 एवह लेल िखन हुनका मारल गेलवन तखन प्रभु एकटा युिकक िवित्र आत् मा उठौलवन, िकर नाम दावनयल छल। 46 ओ िोर-िोर सेँ वचवचया उठल, “हम एवह स् त्रीक खून सेँ साफ भऽ गेल छी।” 47 तखन सभ लोक हुनका वदस घुवम कऽ कहलविन, “अहाेँ िे कहलहुेँ से की अिष अवछ?” 48 तखन यीशु हुनका सभक बीच ठाढ़ भऽ कऽ कहलविन, “हे इस्राएलक सन्तान सभ, की अहाेँ सभ एहन मूखष छी िे वबना िरखने िा सत् यक ज्ञान नवह कएने इस्राएलक बेटी के​ेँ दोर्ी ठहरा दे लहुेँ ?” 49 फेर सेँ न् यायक स् िान िर घुरर िाउ, वकएक तेँ ओ सभ ओकरा विरुद्ध झूठ गिाही दे लक। 50 एवह लेल सभ लोक िल्दी-िल्दी घुवम गेल आ बूढ़िुरान सभ हुनका कहलविन, “आउ, हमरा सभक बीच बैवस िाउ आ हमरा सभ के​ेँ ई दे खाउ, वकएक तेँ िरमेश् िर अहाेँ के​ेँ बूढ़-िुरानक आदर दे ने छवि।” 51 तखन दावनयल हुनका सभ के​ेँ कहलविन, “ई दु नू गोटे के​ेँ एक-दोसर सेँ दू र राल्कख वदयौक आ हम हुनका सभक िाेँच करब।” 52 िखन ओ सभ एक दोसरा सेँ अलग भऽ गेलाह तेँ ओ हुनका सभ मे सेँ एक गोटे के​ेँ बिा कऽ कहलविन, “हे

अहाेँ िे दु र्​् टता मे बूढ़ भऽ गेल छी, आब तोहर िे िाि िवहने केने छलहुेँ से सोझाेँ आवब गेल अवछ।” 53 अहाेँ झूठ न् याय केलहुेँ आ वनदोर् के​ेँ दोर्ी ठहरौलहुेँ आ दोर्ी के​ेँ मुक्त कऽ दे लहुेँ। यद्यवि प्रभु कहैत छवि िे वनदोर् आ धमी के​ेँ अहाेँ नवह मारब।” 54 आब िेँ अहाेँ ओकरा दे खलहुेँ तेँ हमरा कहू िे अहाेँ ओकरा सभ के​ेँ कोन गाछक नीचाेँ एक संग बैसल दे खलहुेँ ?” िे उत्तर दे लक, एकटा मस्तकक गाछक नीचाेँ। 55 दावनयल कहलविन, “बहुत नीक। अहाेँ अिन माि िर झूठ बािल छी। वकएक तेँ एखनहु िरमेश् िरक स् िगषदूत के​ेँ िरमेश् िरक सिा भेवट गेलवन िे अहाेँ के​ेँ दू भाग मे कावट दे विन। 56 ओ ओकरा एक कात राल्कख दोसर के​ेँ अनबाक आज्ञा दे लविन आ कहलविन, “हे यहूदाक नवह, कनानक िंशि, सौन्दयष अहाेँ के​ेँ धोखा दे लक आ कामना अहाेँक मोन के​ेँ विकृत क’ दे लक।” 57 अहाेँ सभ इस्राएलक बेटी सभक संग एवह तरहे ेँ व्यिहार केलहुेँ आ ओ सभ भय सेँ अहाेँ सभक संगवत कयलवन। 58 आब हमरा कहू, “अहाेँ ओकरा सभ के​ेँ कोन गाछक नीचाेँ राल्कख लेलहुेँ ?” िे उत्तर दे लक, एकटा होल्म गाछक नीचा। 59 तखन दावनयल हुनका कहलविन, “अच्छा। अहाेँ अिन माि िर सेहो झूठ बावि रहल छी, वकएक तेँ िरमेश् िरक स् िगषदूत तलिार सेँ अहाेँ के​ेँ दू भाग मे कावट कऽ अहाेँ सभ के​ेँ नष्ट करबाक प्रतीक्षा मे अवछ।” 60 एवह तरहे ेँ सभ लोक िोर-िोर सेँ वचवचया उठल आ िरमेश् िरक स्तुवत कयलक, िे हुनका िर भरोसा करवनहार सभ के​ेँ उद्धार करै त छवि। 61 ओ सभ दु नू बुिुगषक विरुद्ध उठल, वकएक तेँ दावनयल हुनका सभ के​ेँ अिन मुेँह सेँ झूठ गिाही दे बाक दोर्ी ठहरौने छलाह। 62 मूसाक धमष-वनयमक अनुसार ओ सभ हुनका सभक संग ओवह तरहक काि कयलवन िेना ओ सभ अिन िड़ोसीक संग करय चाहैत छलाह। एवह तरहे ेँ ओही वदन वनदोर् खून बवच गेल। 63 एवह लेल चेिी आ हुनकर ित्नी अिन बेटी सुसाना, हुनकर िवत योआसीम आ समस्त ररश्तेदारक लेल िरमेश् िरक स्तुवत कयलवन, वकएक तेँ हुनका मे कोनो बेईमानी नवह भेटलवन। 64 ओवह वदन सेँ दावनयल लोकक निरर मे बहुत प्रवतवित छलाह।


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