जहाँ एक तरफ हमारी मौखिक अभिव्यक्ति मुक्त अभिव्यक्ति के
निकट होती है वहीं दूसरी तरफ हमारा लेखन नियंत्रित स्थितियों में
अभिव्यक्त होता है। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि लिखना एक
सावधानीपूर्ण और सुविचारित होता है। मानव ज्ञान लिखित व्यवस्था
के जरिए सूत्रबद्ध होता है। मगर सारा लिखित ज्ञान भी सबसे वंचित
और हाशियाई लोगों तक नहीं पहुँचता, क्योंकि दुनिया के तकरीबन
एक तिहाई लोग अभी भी पढ़ना-लिखना नहीं जानते। भाषा सीखने
के लिए साक्षर और निरक्षर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जो
साक्षर हैं वे पढ़ना और लिखना जानते हैं मगर साक्षरता के लिए
भी बोलने की क्षमता पूर्वशर्त होती है। साक्षरता सभ्यता के लिए एक
चुनौती भी है। जो लोग पहले साक्षर हो जाते हैं वे गैर-साक्षरों पर
अपना प्रभुत्व जमाने लगते हैं।