रक्षा बंधन - आध्यात्मिक बंधन

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रक्षा बंधन प्यार का अटूट बंधन है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है। और अपने भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती है। और भाई अपनी बहन को वचन देता है। कि वह अपनी बहन की हर पल रक्षा करेगा। रक्षा बंधन भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक त्योहार भी है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को और भक्त अपने भगवान को राखी बांधता है। और बदले में भगवान अपने भक्त की रक्षा करते है। रक्षा बंधन का त्यौहार कई युगो से मनाया जा रहा है।

आत्मा और परमात्मा का बंधन :- रक्षा बंधन

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भारत जन्म भूमि है यहां संस्कृ ति, संस्कारों, रीति-रिवाजों से रक्षा बंधन का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।राखी को यदि धर्म से जोड़ कर देखा जाए। तो यह हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। राखी का अर्थ है। रक्षा करना। सतयुग में अयोध्या पति राजा श्री राम जी की सबसे बड़ी बहन शांता थी। जो श्रृंगी ऋषि के साथ विवाह करके चली गई थी। शांता ने राजा श्री राम की हथेली पर कभी रक्षासूत्र नहीं बांधा था। लेकिन उनका श्री राम के साथ आध्यात्मिक बंधन था। ऐसे ही रावण की बहन श्रुपनखा ने रावण को कभी राखी नहीं बांधी थी। रावण ने तो अपनी बहन की कटी नाक देखकर राम और लक्ष्मण से बदला लेना चाहा था। द्वापर युग में भगवान श्री कृ ष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन माना था। द्रौपदी को जुए में हारने के बाद पांडव असहाय थे। तब द्रौपदी की करूण पुकार पर स्वयं पूर्ण

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ब्रह्म परमात्मा श्रीकृ ष्ण रूप में आकर द्रौपदी की रक्षा की और रक्षा बंधन का सही मतलब सिखाया। जब बहन किसी भी मुसीबत में हो तो भाई को उसकी रक्षा करनी चाहिए।

रक्षा की प्रार्थना :-

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रक्षा की प्रार्थना तो के वल परमात्मा से करनी चाहिए। आज के समय में भाई - बहन सालों साल एक दूसरे से मिलना तो दूर रक्षा बंधन के दिन भी आपस में मिल नहीं पाते हैं। हमारे जवान भाई देश की सेवा की खातिर बार्डर पर तैनात हमारी रक्षा करते है। रक्षाबंधन के दिन बहन और परिवार के पास छुट्टी न मिलने के कारण पहुंच नहीं पाते। और बहन की भेजी राखी को अपनी कलाई पर बंधवा कर रक्षा बंधन का त्यौहार मनाते है। कभी - कभी समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों के माध्यम से पढ़ने सुनने को मिलता है कि रक्षाबंधन से पहले देश सेवा के दौरान फौजी भाई की शहादत के चलते उसका पार्थिव शरीर उसके घर पहुंचता है। हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते उस बहन के उपर क्या बीतती है। जो अपने भाई की लंबी उम्र प्रार्थना करती है। और रक्षा बंधन के दिन इंतजार करती है। उसका भाई घर कब आएगा। हमारे फौजी भाई देश की रक्षा के लिए न्यौछावर हो जाते है। इसके आगे मुझसे लिखा नहीं जायेगा। हम ईश्वर से प्रार्थना करते है। भाई बहन के इस अनमोल रिश्ते को कभी किसी की नज़र न लगे।

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