सिद्धियां प्राप्त कै से करे | meditationwithlife.blogspot.com/2022/08/Howtogetachievements.html
Meditationwithlife.blogspot.com
सिद्धियां प्राप्त कै से करे | हमारे मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है | क्या सच में सिद्धियां होती है | या ये सब सुनी अनसुनी बाते है | अगर सिद्धियां होती है | तो क्या हर व्यक्ति सिद्धियां प्राप्त कर सकता है | यह जानने के लिए हर व्यक्ति बड़ा उत्सुक रहता है | हर व्यक्ति अपनी मन से सिद्धियां प्राप्त करना चाहता है | कु छ लोग सात्विक स्वभाव के होते है | वह लोक कल्याण के लिए सिद्धियां प्राप्त करना चाहते है | जिससे वह लोगो के दुःख दर्द मिटा सके और कु छ राजसी स्वभाव के होते है | वह अपने निजी सुख प्राप्त करने के लिए सिद्धियां पाना चाहते है | जैसे धन दौलत नाम इत्यादि कु छ लोग तामसिक स्वभाव के होते है | वह लोग तांत्रिक क्रिया काला जादू और बहुत प्रेतों को वश में करने के लिए सिद्धियां प्राप्त करना चाहते है | सिद्धियां दो प्रकार की होती है | कु छ सिद्धियां अच्छी होती है | और कु छ सिद्धियां बुरी होती है |
लेकिन भगवान ने हमेशा सिद्धियों पर ध्यान ना देने को क्यों कहा :-
👇
जब भी कोई साधक सिद्धियों को पाने के बारे में अपने मन में सोचता है | तभी उसके अंदर से एक आवाज सुनाई देती है | जैसे कोई उसे कह रहा हो | इस तरफ ध्यान मत दो यह कोई और नहीं हमारी आत्मा होती है | जो हमे समझा रही होती है | सिद्धियां आत्म ज्ञान में रुकावट पैदा करती है | सिद्धियां नहीं चाहेगी आप आत्म ज्ञान की और बढ़े | सिद्धियां प्राप्त करने से मन में अंहकार आने लगता है | वह साधक अपने आप को श्रेष्ठ समझने लगता है | और फिर धीरे धीरे अहंकार से क् रोध बढ़ने लगता है | ज्यादा क् रोध आने से कामवासना पैदा होने लगती है | कामवासना से मोह और मोह से लोभ बढ़ने लगता है | जिससे वह व्यक्ति पांच विकारो में फसकर मोक्ष को प्राप्त नहीं होता | और 84 लाख योनियों में भटकता रहता है | और अपने विनाश का कारण स्वयं बनता है |
यों
यो
👇
1/2
सिद्धियों का उपयोग :-
👇
सिद्धियां बुरी नहीं होती उनका उपयोग बुरा किया जाता है | यदि किसी मनुष्य के पास सिद्धियां है | तो वह किसी के आगे उसका प्रचार न करे और सिद्धियों का उपयोग अपने हित के लिए न करे | जब मनुष्य सिद्धियों का उपयोग अपने हित के लिए करता है | तो वही सिद्धियां उसके विनाश का कारण बनती है | सिद्धियों का उपयोग के वल लोक कल्याण के लिए करना चाहिए | जिसमे ईश्वर की मर्जी हो स्वयं की नहीं और सदैव अपने गुरु चरणों की सेवा करे और गुरु आज्ञा का उलंघन न करे | साधक का प्रयास यह होना चाहिए की वह अपने सतगुरु को प्रसन रखे | जिससे वह आध्यात्मिक मार्ग पर भटके नहीं |
If you want to read this blog in English then please click here
👆
2/2