वषः 14, अंकः 133, िदस बर-2021
वषः 14, अंकः 133, िदस बर-2021 संपादक यः असफल ां त क नायक चा मजुमदार.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .04 अनेक जनांदोलन को जी वत रखने क ऊजा दे गई कसान आंदोलन क जीत.. . . 09 वधानसभा चुनाव 2022 : कसे हो हट पॉ ल ट स क काट !.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .13 टीफन हॉ कग क जीवनी व वचार.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 15 बां लादेश का नमाण य आ.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 18 पुराने आलोक का चला जाना.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 19 वे ब त दो नुमा आदमी ह.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .21 समकालीन हदी क वता क चुनौ तया.ं. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .23 महश कमार कसरी क दो लघुकथाएं. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .25 नीना स हा क दो लघु कथाय . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .26 दस बर-2021
धारावा हक उप यास जीवन या ा.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .27 ल च आ नई पीढ़ी का ट ल कोप जे स वेब ट ल कोप.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .28
असफल ांित क नायक चा मजुमदार
अभी बाक ह न सल आंदोलन क इ तहास का लखा जाना न सल नेता चा मजुमदार समय क रत पर अपना नशान छोड़ गये और इसक साथ ही कई अनसुलझे सवाल भी। न सल आंदोलन क असफलता को लेकर आज अनेक सवाल खड़ कये जा रह ह और फलहाल यह सल सला थमता नज़र नह आ रहा। अतीत म अपने हसक आंदोलन क कारण यह आंदोलन काफ बदनाम भी आ। बुि जी वय क एक बड़ी जमात आंदोलन क प म खड़ी ई। न सल आंदोलन का जैसे-जैसे ताप बढ़ा, सा ह य क च लत धारा ने करवट बदली। नये श प ने अपने तेवर दखाये और जीवन का जय गान ारंभ हो गया। कला सफ कला क लए नह , ब क कला जीवन क लए ह, इस स ांत को बल मला। भारतीय सा ह य क च लत भावधारा को एक बड़ी शक मली। मजीवी समाज को लगा क अब ज द ही सूय दय होने वाला ह। युवक का एक दल यव था-प रवतन को ले आंदोलन म कद पड़ा। शोषण-स ा क खलाफ एक चगारी उठी और देखते-देखते हर ओर फल गयी। वषम प र थ तय म अपने चंद सा थय को लेकर चा मजुमदार ने उ र बंगाल क एक छोटी -सी जगह से आंदोलन का वगुल बजाया और आंदोलन क अतुगूंज प म बंगाल क सीमा को लांघ कर देश क अ य ांत तक प च गयी। ऐसा या था, उस आंदोलन म? यह एक बड़ा सवाल ह। जा हर ह, च लत भावधारा तथा स ा-शेषण क खलाफ उ जन- व ोह अकारण नह था। बेशक जनता प रवतन चाहती थी। यव था को बदलना चाहती थी। एक नये समाज को गढ़ना चाहती थी और इसक लए वह मर- मटने को त पर थी। मगर या प र थ तयां अनुकल थ ? यह एक अहम सवाल ह। कौन थे चा मजुमदार, और या थी उनक श सयत? इतना बड़ा आंदोलन य वपथगामी व असफल आ? या हमने कभी यह पड़ताल करने क को शश क ? असफल ां त क नायक चा मजुमदार आज नया क महानतम ां तका रय क पं म शा मल हो चुक ह जब क स ा-सलतनत व वाम राजनी त क एक तबक ने उ ह पूरी तरह से खा रज करने क अनेक य न कये। यह एक बड़ी बात ह। ६०-७० क दशक क चा मजुमदार जहां देश दस बर-2021
म प रवतन चाहने वाल क आदश बन, वह शोषण-स ा क लए एक बड़ी चुनौती क प म वह सामने आये। सलीगुड़ी शहर क महानंदापाड़ा क डीएल राय सरणी म अव थत उनक पु तैनी लकड़ी क मकान म म अनेक बार जा चुका । ऐ तहा सक न सल आंदोलन क पराजय क कारण क बार म म बराबर सोचता रहा। उनक कई मृ तयां इस मकान क साथ जुड़ी ई ह। यह मकान कई अ व मरणीय घटना का गवाह ह। जा लम सपा हय क बबरता का एक मा जीवंत सा ी यह मकान अब समय क साथ अपनी श पूरी तरह बदल चुका ह। आधु नकता का गहरा रंग अतीत क मृ तय को मानो चुनौती दे रहा हो। आब भी म जब उस रा े से गुजरता तो ७० क दश क न सल आंदोलन क त वीर बरबस मेरी आंख म उभर आती ह। उस इ तहास पु ष क जनि यता का आलम यह ह क चा मजुमदार को नगर का हर कोई जानता ह। ज ह ने उ ह कभी नह देखा, वे भी उनक बार म काफ कछ जानते ह। उनक समथक और वरो धय क फह र काफ लंबी ह। दवंगत कामरड चा अब एक कवदंती बन चुक ह। जा हर ह इ तहास क प से उ ह मटाया नह जा सकता। बड़ी-बड़ी आंख वाले चा मजुमदार शरीर से बले-पतले क तु फौलाद क बने थे। बचपन से ही उनक इरादे मजबूत थे। तूफान से भी जुझने का वह साहस रखते थे। सभी जानते ह, यव था प रवतन क संघष म वह शहीद ए। मगर उ ह ने नरंकश रा स ा क सम कभी घुटने नह टक। वह एक य नह ब क इ तहास पु ष थे। उनक जीवटता तथा आ म व ास क कई हरतअंगेज क से ह। न सल आंदोलन क थम कतार क एक ता वक नेता रह ह कां सौरन बसु। आंदोलन क दौरान वह जब कामरड माओ सेतुंग से मले, तो माओ सेतुंग ने साफतौर पर उनसे कहा था, चीन क चेयरमैन आपक चेयरमैन नह हो सकते। आप हमार आदश को ल। आप अपनी गल तय को सुधार, नह तो इससे आंदोलन को भारी नुकसान होगा। ात य ह क न सल आंदोलन क दौरान कामरड मजुमदार ने एक नारा दया था और वह नारा था, चीनेर चेयरमैन आमादेर चेयरमैन। य गत तैर पर कां बसु मेर काफ करीब रह। हालां क म
उनक राजनी त म कभी शा मल नह रहा। मने काफ करीब से उनक जीवन-संघष को देखा ह। आंदोलन क वफलता क कसक अ सर उनक जुबान पर आ जाती। अपने छोट भाई बरन बोस जो माकपा क कई बार वधायक रह, उ ह वह अ सर धंधाबाज कहा करते थे। अह कहते क बरन क यु न ट क नाम पर एक कलंक ह। कतु अपने सर भाई नृपेन बोस क त स मान रखते। सलीगुड़ी आने पर वह उ ह क यहां ठहरते भी। न सल आंदोलन क वफल होने क बाद उ ह ने कलक ा से एक प का संपादन शु कया और देश क वाम आंदोलन को संग ठत करने का यास भी कया। वह अ सर मुझसे मलते रहते और न सल आंदोलन से लेकर देश क वाम आंदोलन पर चचा करते। अपनी अतीत क गल तय पर कभी भी पदा डालने क उ ह ने को शश नह क । का मजुमदार क त उनक मन म हमेशा स मान बना रहा। वह खुद ग ठया क मरीज थे और मने उनका इलाज कया था। एक बार तो वह मुझे पकड़ कर हाथी घसा क पास जंगल म ले गये और चलफर सकने म असमथ रह जंगल संथाल का इलाज भी करवाया। वह पैर क सं मण से बेहाल थे। आ दवा सय क उस भगवान क जीवटता को मने देखा और म दंग रह गया। काफ दन से उनक घर म ठीक तरह से खाना नह बना था। एक रोज उनक बेटी ने रोते ए कहा, बाबा आज सुअर का मांस ला दो न। उनक पास पैसे नह थे। या करते? संजय च वत ने मुझे बताया क जंगल संथाल ने उनसे पचार पैसे मांगे और उ ह एक पया दया। जंगल बोले, पचास पैसे म एक पाव सुआर का मांस आ जायेगा। आप मुझे सफ पचार पैसे ही द। न सल आंदोलन से देश क वाम आंदोलन को कतना नुकसान आ, न सल आंदोलन क दशा सही थी अथवा गलत, इस पर घंट बहस हो सकती ह। मगर आंदोलन क ऐ तहा सक मह व को नजरअंदाज नह कया जा सकता। अब तक क भारतीय इ तहास को सवा धक भा वत करने वाले वीर-यो ा क फह र से कां मजुमदार को अलग नह कया जा सकता। प र थ तय ने उनका साथ नह दया और अपनी जन गल तय क कारण वह बदनाम ए तथा पराजय क पीड़ा उ ह और उनक सा थय को झेलनी पड़ी, जो क उ ह उठाने
पड़ उसक ऐ तहा सक पृ भू म को समझा जाना चा हए। खासकर समाज व यव था प रवतन क आंदोलन म शा मल मु कामी यो ा क लए यह अ धक ज री ह। यु म हा-जीत होते ह। हार से भी आदमी सबक लेता ह और संभलता ह। फर वह लड़ाई क मैदान म अपना जौहर दखाता ह। संघष कभी थमता नह । समाज म जब तक अ याय-अ वचार चलता रहगा, शोषण-दमन का न ुर च धूमता रहगा, याय- यव था सफ स ाशोषण क हफ़ाजत करती रहगी, म को स मान नह मलेगा, देश और जनता पर बाज़ार का नयं ण रहगा तब तक नया क मज र अपनी मु क लए संघष करते रहगे। उनका संघष चलता रहगा। चा मजुमदार से कहां चूक ई, या देश ां त क लए तैयार था? या ां त क लए प र थ तयां अनुकल थ ? पाट क स ांत व तैयारी म या कोई कमी रह गयी थी? अ य और भी कई सवाल ह जनक तह म जाना ज री ह। अंततः कां मजुमदार को अपनी कछ गल तय का एहसास भी हो चुका था और वह उसे सुधारना भी चाह रह थे। मगर वह सफल नह ए। अपने ष आंदोलन क दीघ अनुभव क आलोक म न सल आंदोलन को पुनः संग ठत करने क बात अभी वह सोच ही रह थे क नरंकश रा स ा क जा लम सपा हय ने उनक जान ले ली जसक कारण वह चूक गये और इ तहास क एक अ यंत मह वूपण अ याय का असमय ही अंत हो गया। फल -सा जीवन जो अभी फ टत ही आ था, चला गया। जनमु का सपना असमय ही दम तोड़ गया। चा मजुमदार क मृ यु क साथ ही न सल आंदोलन वखराव का शकार बना और साथ ही वह कई गुट म बंट गया। यह भी इस बात का संकत ह क संगठन क बु नयाद सही नह थी। ईमानदारी, नयम- न ा व कत यपरायणता काफ मह व रखती ह। समाज व यव था प रवतन क आंदोलन लए यह भी एक ज़ री शत ह। इसका भी अपना मह व ह। ले कन यही सब कछ नह ह। इसक अ त र भी कछ चा हए। इस संबंध म ले नन क हदायत से हमार देश क कसी क यु न ट पाट ने श ा नह ली। भारतीय क यु न पाट अपनी अं तम सांस गन रही ह। माकपा संसदीय गणतं का मकड़ जाल बुन रही ह। वह समझ नह पा रही ह क उसे या करना चा हए। कभी इस दरवाजे तो कभी उस दरवाजे। सभी दल क दरवाजे से होकर वह लौट आयी ह। धोबी का गदहा न घर का न घाट का। अब तो खुद जनता उसे कारने लगी ह। और माओवा दय क बात आप न कर, जनसंहार व
नद ष क ह या उनक राजनी त का अहम ह सा बन चुका ह। इससे स ा-शोषण को कोई फक नह पड़ता। ब क यव था पर आंच नह आती। इससे तो जनआंदोलन को दबाने म उसे और स लयत हा सल हो जाती ह। यही कारण ह क स ा आज बेखोफ होकर जनाकां ा को र द रही ह। आपने देखा कस तरह भारत सरकार २५००० लोग क ह यार यू नयन काबइड क भारतीय चेयरमैन वारन एंडरसन को देश से सुरि त बच नकलने का अवसर दान कया। और हमारी याययव था क नज भू मका को भी सभी ने देखा। जा हर ह वधा यका, यायपा लका और कायपा लका से जनता का मोहभंग हो रहा ह। आज जनता क सम कोई सबल नेतृ व नह ह जो यव था प रवतन का आ ान कर। बंगाल माकपा आज सुबह- शाम इस लए अपने महास चव काश करात को गाली देती ह क परमाणु मु े पर उ ह ने क सरकार से समथन वापस ले लया। बेचारी जनता समझ नह पा रही ह क वह कधर जाये। जा हर ह इसका लाभ ति याशील श य को मल रहा ह और हम इसक लए जनता को दोषी ठहरा रह ह। यह रा स ा क लए संतोष क बात ह। यह इस लए क ऐसे आंदोलन को बलात दबाने म स ा को स लयत होती ह। व छ पम चलने वाले असंग ठत व उ आंदोलन अ सर अपने मकसद म असफल होते ह। बंगाल माकपा नेता क तरह ही चा मजुमदार चाहते तो आराम से अपना जीवन बीता सकते थे। उसी तरह, जस तरह इस नया म हम और आप जी रह ह। लोग मरते ह और त काल भुला दये जाते ह। मगर चा मजुमदार इस नया क होकर भी नायाब थे। सर से अलग। इसी वजह उनक एक अलग पहचान बनी। वह जमीनदार प रवार म पैदा ए और वरासत म उ ह जम दारी मली। वह कलीन कल म पैदा ए मगर अपने महान कम से वह द लत का मसीहा बने। सव संप होते ए भी उ ह सवहारा होने का स मान मला। यह सब कतन को नसीब होता ह। वह पराधीनता क पीड़ा को झेल चुक थे। उ ह ने अपने दौलतमंद नाना को संपि क कारण षड़यं क शकार होते ए देखा था। वह अपने ईमानदार पता क ईमानदारी क कायल थे। अपने पता क झूठ न बोल पाने क कारण उ ह जो क उठाने पड़ थे, उससे वह अवगत थे। वह नया को देख और समझ रह थे। उ ह नई सुबह क लाल सूरज का इतजार था। होत वरवान क होते चकने पात, अपने जीवनकम से इसे च रताथ कया। वरासत म मली जम दारी को उ ह ने लात मारी। बचपन से ही
सामा जक व राजनी तक ग त व धय म वह गहरी च रखने लगे थे ओर अंततः संघषसाधना म तपकर वह कदन बने। ात य ह क यात जम दार चं मोहन राया ने अपनी एक मा व षी क या क शादी बनारस वासी एक सं कत व ान वीर र मजुमदार से कर उ ह अपना घर जमाई बनाया। सुक या को भ व य म कोई क न हो, यह सोचकर उ ह ने अपनी पु ी क नाम अपनी संपि क वसीहत बनाई। सं कतव ान वीर र मजुमदार पेशे से वक ल थे। अपने यवसा यक जीवन म जब उ ह लगा क झूठ-फरब क वगैर मुकदमा जीतना आसान नह तब उ ह ने झूठ बोलने से बचने को ले वकालत ही छोड़ दी। फरंगी कमत क दौरान वक ल बनना एक बड़ी बात होती। जम दार सुर को यह अ छा नह लगा। वह अपने दामाद से नाराज हो गये और बात-बात पर उ ह उलाहना देने लगे। वीर र मजुमदार को यह नागवार गुजरा और वह सुर क मकान को याग कर पुनः बनारस चले गये और वहां उ ह ने श क क साधारण सी नौकरी कर नये सर से अपने जदगी शु क । इधर उनक प नी ज ह पाड़ा तवेशी हा पीसी मा कहकर बुलाते थे, अपने पता क स त वरोध क बावजूद वह सुख-स मान से अपने पता क मकान म रह। हा पीसी मां ने बनारस म रहते ए सात संतान को ज म दया जो एक-एक कर मृ यु क मुख म समा गये। इसक बाद १९१६ ओर १९१७ म उ ह ने दो पु संतान को ज म दया, जनम चा मजुमदार छोटो थे। वीर र मजुमदार गांधीवादी थे। स य-अ हसा मे वह व ास करते। गांधी क रा ीय आंदोलन म वह जेल भी जा चुक थे। बालक चा ने अपने उदारमना पता को वदेशी आंदोलन म भाग लेते तथा जेल जाते ए देखा। उसने फरं गय क अ याचार क शकार लोग को तड़पते मरते ए देखा। इधर सलीगुड़ी म चं मोहन राय क अपने दो साल ने संपि क लोभ म पड़कर उ ह रह यमय तरीक से गायब करक दया और संपि का एक बड़ा ह सा फज कागजात तैयार कर अपने नाम करवा लया। यह खबर पाकर वीर र मजुमदार प नी और ब को लेकर बनारस से सलीगुड़ी चले आये और थाई तौर पर अपने सुर क मकान म ही रहने लगे। यह घटना २० क दशक क ह। बचपन से ही चा खर बुि क थे। हालां क अपनी पढ़ाई- लखाई क त वह शु से ही लापरवाह रह। श क पता उ ह लेकर अ सर पढ़ाने बैठते मगर, पढ़ाई क बात कम और इधर-उधर क बात अ धक होत । देश- नया दस बर-2021
संपादक य
क सम या पर आते-आते उनक पढ़ाई ख म हो जाती। इस बीच प रवार म एक खद घटना घटी। चा क अ ज क नदी म डब जाने से मृ यु हो गयी। प रवार क लए यह एक अक पत आघात था। बड़ी मु कल से मां-बाप इससे उबर पाये। चा को भी भाई क मृ यु का सदमा लगा। चा क ममतामयी मां अपनी बची ई एक मा संतान को सवदा सुखी देखना चाहती थी। प त से उ ह कभी कोई शकायत नह रही। वह याग और तप या क तमू त थ । बालक चा जब भी कोई गलती करता, वह नजरअंदाज कर जात । उ ट हर गलती पर उसे वा द यंजन बनाकर परोसत । अब चा पर कोई बं दश न रहा। मांबाप क अ त र ेह और आदर ने उसे वछद और नीडर बना दया। ठीक ऐसे ही वातावरण म बालक चा बड़ा आ। उनक व ाथ जीवन क एक घटना यहां उ ेखनीय ह। चा ७व क परी ा दे रहा था। एक घंटा क भीतर ही उसने अपना अंकग णत का खाता जमा कर दया। इस पर उसक श क ने उसे टोका, तुमने सभी सवाल का उ र य नही दया? अभी दो घंट बाक ह। तुम जाकर अपने क ा म बैठो और सभी सवाल को हल करो। चा ने बड़ आ म व ास क साथ कहा। सर मने कल चालीस न बर क सवाल हल कर लया ह। मेर सभी सवाल सही ह। जब मुझे चालीस न बर मलेगा ही तो और अ धक सवाल हल करने से या फायदा। बालक चा का यह आ म व स बराबर उसक साथ बना रहा। ब क उ बढ़ने क साथ वह और भी गाढ़ आ। संतान समाज और देश क काम आ सक, मां-बाप क यह महती आकां ा भी एक दन पूरी ई। ात य ह क १९३४ म कसान-मज र क सम या पर बुलाई गयी एक सभा को जलपाईगुड़ी शहर म चा मजुमदार संबो धत कर रह थे तभी फरंगी-पु लस ने उ ह धर दबोचा। उनक हाथ म हथकड़ी तथा कमर म र सी बांधकर उ ह अदालत म हा जर कया गया। वदेशी आंदोलन म शा मल होने क कारण वीर र मजुमदार पहले से क कारागार म बंद थे। जलपाईगुड़ी कारागार म पता और पु क व मयकारी मुलाकात ई पता ने बड़ ख क साथ कहा, चा - तु ह कां ेस क राजनी त करनी चा हए थी। गांधीजी हमार आदश ह। हम उनका स मान करना चा हए। मा सवाद हमारी म ी क अनुकल नह ह। गांधीजी ने देश क ट डशन को समझा ह। मगर तुम लोग यह पर चूक गये। पता क साथ चा मजुमदार क राजनै तक दस बर-2021
मतभेद रह। फर भी उनक र त म कभी फक नह आया। चा कभी कोई गलत काम नह कर सकता, पता का उन पर यह अटट व ास रहा। ४० क दशक म चा मजुमदार अ वभाजीत क यु न ट पाट का सद य बने तब तक एक कसान नेता क प म लोग उ ह पूरी तरह जानने लगे थे। राजवंशी कसान और आ दवासी मज र क बीच उनक लोकि यता तेजी से बढ़ रही थी। वह गु थान पर उनक साथ बैठक करते तथा उ ह लाल फौज क कहानी सुनाते। १९४३ का अनाज संकट भयावह प ले रहा था। बड़ी सं या म लोग भूख से मर रह थे। सरी और कालाबाजा रय का बाजार गरम हो रहा था। लोग कां ेस क समझौतापर नी तय क खलाफ होने लगे थे। जब क पाट नेतृ व क कोई सं ामी भू मका न थी। इससे चा मजूमदार काफ ु ध ए। इस बीच हा पीसी मां एक क या संतान को ज म देकर नया से चल बस । वीर र मजुमदार पर ख का पहाड़ टट पड़ा। वह काफ ममाहत ए। अनाहार कसान क लगातार हो रही मृ यु ने सरकार क क ष नी त क खोखलेपन को साफतौर पर उजागर कर दया था। चा मजुमदार को लगा क जमीनदारी था क उ मूलन और भू महीन कसान को अ त र जमीन उपल ध कराये वगैर इस सम या का समाधान नह हो सकता। भू महीन कसान क मा लकाना क सवाल पर वह कसान को गोलबंद करने लगे ओर उ ह ने अपनी लड़ाई तेज कर दी। अपनी सभा और बैठक म वह खुलकर बोलते। स क समाजवादी ां त से वह पूरी तरह े रत थे। माओ- से-तुंगक क रड बुक को वह सवदा अपने साथ रखते। समाजवादी वचारधारा से े रत म यमवग य प रवार क सा र हो रह युवक-युव तय म सामंतवाद क जकड़न से बाहर आने क आकां ा बालवती होन लगी थी। वे चा मजूमदार क ां तकारी वचार क त अपनी च दखाने लगे। सरी ओर फरंगी कमत और सा ा यवादी अ ासन क खलाफ देश म आंदोलन का ार आ गया था। म यमवग य प रवार क युवक-युव तय क एक सभा बुलाई गयी और उ सभा म कां ेस क समझौतापर नी तय का वरोध करते ए अंडमन म काला पानी क सजा भुगत रह गणेश घोष और अनंत सह क रहाई क मांग क गयी। उनक आवेगपूण जो शले भाषण ने लोग को काफ भा वत कया। लोग ने उ ह जन-नेता होने का स मान दया। इसक बाद उनक
जनि यता और भी बढ़ गयी। १५ अग १९४७ को देश वतं आ। वाधीनता क संपूण ेय कां ेस क झोली म चला गया। कां ेस ओर मु लमलीग क अ रद शता व साम दा यक नी तय क कारण जुलाई १९४७ म ही देश का वभाजन हो गया। ि टश कमत अपने मनसूबे म कामयाब रहा। देश ने खं डत आजादी का ज न मनाया। सरी ओर सा दा यक दंगे, आगजनी, लूटपाट और ह या का वीभ स दौर शु आ। नेह ने अपने संबोधन म देश से कहा, वतं ता हम अभी-अभी मली ह। देश क जनता को अपनी सम या क समाधान क लए और थोड़ा इतजार करना होगा। मेहनतकश लोग क आकां ा को पूरा करने म हम थोड़ा व लगेगा। १९४९ म म हला आ मर ा स म त को गैरकानूनी घो षत क गयी ओर उ स म त क नेता सु ी लीला सेनगु ा क गर तारी ई। सु ी सेनगु ा जलपाईगुड़ी क एक स मा नत च क सक क पु ी थ । पु लसगर तारी से बचने क लए चा मजुमदार अ सर उ ह क मकान म शरण लेते थे। इसी कारण लीलासेन गु ा से उनका पुराना प रचय रहा। १९५२ म चा मजुमदार ने लीला से शादी कर ली। घर-प रवार क सम या क बावजूद वह संगठन म सदैव सि य रह । हालां क लीला सेनगु ा शि का क बतौर नौकरी करते ए प रवार का खच चलात एवं अ य ज मेवा रय का नवाह करत । कां ेस सरकार क गलत नी तय क कारण ६० क दशक म फर खा संकट पैदा हो गया। लाख क सं या म लोग बेमौत मर। हालां क सेठ क गोदाम अनाज से भर रह। वाधीनता क पूव नेह जी अ सर अपने भाषाण म कहा करते थे क स ा ह ांतरण क बाद कालाबाजा रय को लै प पो ट से लटका कर म फांसी दे ंगा। मगर देखा गया क वाधीनता मलने क बाद कालाबाजा रय क चांदी कटने लगी। इतना ही नह , वे देश क रानी त का मागदशन करते दखे। नेह क सार वादे गलत सा बत ए। इस बीच १९६२ म भारत-चीन यु आ। यु म भारत क शमनाक पराजय ई। उस व चा मजुमदार सीपीआई क जला स चव थे। उ ह ने इस यु क लए भारत को ही ज मेदार ठहराया। इसी कारण उ ह गर तार कर जेल भेज दया गया। १९६३ म वीर र मजुमदार क मृ यु हो गयी। उस व वह कां ेस क जला अ य थे। अपने पता क अं ये म भाग लेने वह पैरोल पर घर आये। और इसक थोड़ दन क बाद ही वह जेल
संपादक य से रहा हो गये। भारतीय क यु न ट पाट क कां ेसपर नी तय कारण वह क ीय नेतृ व से खफा थे। कसान-मज र क सम या को लेकर वह नरंतर संघष करते रह। दरअसल वह चाहते थे क जनआंदोलन को इस तरह से संग ठत व संचा लत कया जाये क उसे यव थाप रवतन क संघष म त दल कया जा सक। और इसी उ े य को लेकर पूरी तैयारी क साथ उ ह ने सलीगुड़ी से २५-३० कलोमीटर र अव थत एक छोटी सी जगह न सलबाड़ी से अपना आंदोलन शु कया। इधर सीपीआई से अपने बढ़ते मतभेद क कारण वह पाट से अलग हो गये और ले नन क ज म दन क अवसर पर २२ अ ैल १९६९ म कोलकाता क शहीद मनार से अपने सहयो ा साथी कानू स याल क साथ एक जनसभा क और उसी जनसभा म उ ह ने सावज नक तौर पर अपनी नई पाट सीपीआई-एमएल क नाम क घोषणा क । हालां क अपनी नई पाट क नाम क सावज नक घोषणा करने क पूव ही न सलबाड़ी क माटी पर उ ह ने यव था प रवतन को ले सश सं ाम का वगुल बजा दया था। नया म हो रह प रवतन से चा मजुमदार बेखबर नह थे। र शया व चीनी ां त से वह काफ उ सा हत थे। समाजवादी ां त से नया क बदलते तापमान से उनक सपन क पंख लग गये। समाजवादी नया का लगातार व ार हो रहा था। नया का युवा समाज च लत यव था क खलाफ लगातार संग ठत और मुखर हो रहा था। ांस, कमपु चया, जापान, वयतनाम, भारत आ द देश क युवक का सुर एक होने लगा था। पूरी नया म प रवतन क लहर दखने लगी थी। वयतनाम पर अमे रका क बबर हमले का वरोध खुद अमे रका म ही शु हो गया था। इससे चा मजुमदार भी काफ उ सा हत थे। सलीगुड़ी से कोई २५-३० कलोमीटर री पर प म क ओर अव थत न सलबाड़ी उ र बंगाल का एक साधारण - सा कसबा ह। जा हर ह न सल आंदोलन क कारण ही देशनया म इसका नाम आ। इस गुमनाम कसबे का यह खद सौभा य रहा क आज हर कोई इस कसबे को जानता ह। हालां क इस कसबे क तकदीर अब भी नह बदली। ब क इसक अव था पहले से भी बदतर हो गयी ह। ६०-७० क दशक म अपने जंगी आंदोलन क काण सवदा सु खय म रहने वाला यह कसबा आज मग लग का मु य क बना आ ह। उसका ां तकारी तेवर र- र तक कह नह दखता।
न सलबाड़ी से उठी न सल आंदोलन क आग ने पूर देश को ही उत कया। गरीब, कसान, मक, खे तहर मज र, बुि जीवी और शि त-अ शि त बेरोजगार युवक क बड़ ह सा ने आंदोलन म ह सा लया व समथन म आगे आये। द लत-शो षत जन एवं सवहारा समाज जो स दय से अपनी मु क आश लगाये ए थे, उसे लगा क उसक सपने अब ज द ही साकार ह गे। उनक जीवन क सभी ख दैनय र ह गे। उनका अपना शासन होगा और वह देश पर राज करगे। सेठ-सा कार और जमीदार कल कारखान म काम करगे। सामंत व जोतदार खेत-ख लहान म अपना पसीना बहायगे। सड़क आ द का नमाण करगे। और मज र लाल फौज क सपाही ह गे तथा उनक हाथ म चाबुक होगा। यव था प रवतन का संघष इतना आसान नह होता। अगर ां त सचमुच सहज होती तो नया क तकदीर कबक बदल गयी होती। युग पुरानी जंजीर अब तक टट गयी होती। इसक ◌े लए लंबी व क ठन तैयारी करनी होती ह। मन जो बाहर दखता ह मा मन वही नह होता। सबसे बड़ा मन जो स दय से हमार भीतर बैठा ह उसे अ सर हम नजरंदाज कर जाते ह। और वही हमार पतन व पराजय का कारण बनता ह। बेशक कां मजुमदार ने इ तहास से सबक लेने म एक बड़ी भूल क ओर यह वह चूक गये। साहस, ईमानदारी, नयम- न ा तथा याग ही सब कछ नह होता ह। कया माओवा दय म साहस का अभाव ह? जंगल क खाक छानते ए जानवर , क ड़-मकोड़ क साथ भूखे व अनाहार रह कर अपना ष संघष चला रह ह। अ त उ ता, बेलगाम हसा तथा र पात मा से ां त नह होती। ां तकारी स ांत क आधार पर खड़ी जनता क मजबूत दीवार ही मन को आगे बढ़ने से रोक सकती ह। जनता ही ां तका रय को भोजन-पानी तथा सर छपाने क जगह दे सकती ह। और आज आंदोलन क नाम पर माओवादी उसी जनता को अपना शकार बना रह ह। जा हर ह न सल आंदोलन क वफलता ने माओवाद को ज म दया। जब क माओवाद बोलकर कह कछ नह ह। सीपीआई से माकपा व न सल नकले। चूं क सीपीआई क बु नयाद ही गलत थी, जसे हम व ान क भाषा म जेने टक दोष कहते ह कछ हद तक वे दोन दल ही उ दोष से सत रह ह। ां त क प र थ तयां अनुकल रहने पर भी ां त तब तक सफल नह हो सकती जबतक क उसक जमीन पूरी तरह तैयार न कर ली जाय। और इसी जगह का मजुमदार से एक बउ़ी गलती ई। यही सही समय होता ह जन भावना को सही तरह से समझने व
अपने अनुकल गढ़ने का और इसी क साथ अपने भीतर क श ु से लड़ने का भी। इसी जगह एक चयूक का मजुमदार से भी ई और उ ह ने जब अपनी गलती महसूस क तब तक काफ वलंब हो चुका था। वह मन से पूरी तरह घर चुक थे। तैयारी पूरी कये वगैर यु म उतरने का यही भयावह प रणाम होता ह और इसक कारण जो भारी नुकसान होता ह उसक भरपायी होने म भी काफ व लगता ह। द लत समाज एवं सवहारा ेणी का ां त का सपना पूरा न हो सका। युवक-युव तय क अज कबा नयां बेकार सा बत ई। मां-बहन क आंसू का कोई मोल न रहा। सश ां त ारा स ा पर का बज होने क सपने पूर न हो सक। चा मजुमदार क मृ यु क साथ ही यह आंदोलन पूरी तरह वखर गया। पाट कई गुट म बंट गयी। कानू स याल ने अपनी अलग पाट बना ली। हालां क का सौरन बसु ने वखर ए सभी गुट को एक साथ खड़ा करने का अपने जीवन क अं तम समय तक यास कया। आ खरकार गलती कहां ई? सामा जक संघष म शा मल सपा हय को कम से कम यह बात समझनी होगी। जा हर ह वाम आंदोलन आज भयानक संकट क दौर से गुजर रहा ह। इ तहास य का नमाण करता ह और कई बार खुद य वशेष भी इ तहास को रचता ह। चाार मजुमदार भी एक ऐसे ही य थे, ज ह ने न सल आंदोलन क इ तहास को रचा। वह एक नई यव था क व न ा थे। मा सवादी वचारधारा क वह प धर थे। सांमती समाज एवं पूंजीवादी यव था क वह घोर वरोधी थे। सा ा यवाद क साथउ ह ने नरंतर समझौताहीन संघष कया। वह सभी तरह क शोषण और अ याचार क खलाफ रह७ वह चाहते थे क शोषण पर आधा रत यव था का समूल अंत हो तथा समानता पर आधा रत यव था कायम हो। और इसक लए वह चीन क तज पर सश ां त को ज री मानते थे। वग श ु क खलाफ उनक ारा चलाया गया -खतम अ भयान – उनक उसी नज रये का ोतक रहा। -खतम अ भयान- क तहत बड़ी सं या म लोग क ह याएं क गय । कई जम दार व सूदखोर मार गये। ल पट-लुटर क ह याएं । कई अपराधी एवं जा लम पु लस पदा धकारी ख म कये गये। कई मुख वर को मौत क घाट उतारा गया। इसक कारण पूर े म दहशत का माहौल बन गया जससे लोग म न सल आंदोलन क त रोष पनपने लगा। साधारण लोग भी न स लय से डरने लगे। कई बार तो ऐसा आ क न सली जस घर म छपे होते खुद वह घर मा लक ही पु लस को दस बर-2021
संपादक य इसक सूचना दे आता। जा हर ह चा मजुमदार क खतम अ भयान क शकार कछ ऐसे लोग भी ए जो ब कल नद ष थे। पये आ द वसूलने एवं राजनै तक कारण से भी नद ष लोग क ह याएं । ऐसी ह या को कदा प वग संघष नह कहा जा सकता। आज भी जी वत बचे कई ऐसे लोग ह जो न सल आंदोलन क बबर काले दन को याद कर सहर जाते ह। बुजुआ श ा यव था क खलाफ ज दबाजी म उनक ारा उठाये गये कदम भी अंततः गलत सा बत ए। जनवादी श ा क ढांचागत वक प यव था खड़ा कये वगैर ही कल कालेज क ब ह कार को लोग ने सही तरीक से नह लया। श ण सं थान म तोड़फोड़ एवं आगजनी क घटना को लेकर भी लोग ने अपना रोष एवं आंदोलन क त अपना असहयोग जताया। बुजुआ मानवतावा दय एवं नवजागरण क मनी षय क मू तय को तोड़ जाने को लेकर भी समाज ने एतराज कया। चा मजुमदार क ोगान - चनेर चेयरमैन आमादेर चेयरमैनपर देश ने अपना ती वरोध जताया। इसी तरह क और भी कई गल तयां जसका भारी खा मयाजा चा मजुमदार तथा न सल
आंदोलन को उठाना पड़ा। यह बात सही ह क लोग प रवतन चाहते थे और प रवतन क अनुकल प र थ तयां भी मौजूद थ । मगर पाट गठन ि या क गलती ओर सश आंदोलन क लए ज दबाजी म अपनाये गये कदम आ मघाती सा बत ए। जा हर ह वचारधारा को अमली जामा पहनाने म उनसे कई गल तयां जसक कारण जन समथन म भारी कमी आयी और पु लस- शासन को अपनी बबरता दखाने का अ छा अवसर मला। न सल आंदोलन क दौरान एक ऐसा भी व आया जब पु लस बुलेट क डर से भाग रह न स लय को पनाह देने को कोई तैयार न आ। कई बार तो ऐसा आ क न सली जन घर म छपे होते और जनसे अपनी सुर ा क उ मीद करते वे लोग ही चुपक से पु लस को इसक खबर कर देते और न सली पकड़। रात क अंधेर म पु लस ऐनकाउटर दखाकर उ ह बेरहमी से मार देती। प म बंगाल क त कालीन मु यमं स ाथशंकर राय ने तो इसक लए पु लस को आदेश दे रखा था। सर दन अखबार म न सल-पु लस मुठभेड़ क झूठी खबर छपत । सचाई को समझकर भी लोग चुप लगा जाते। १६ जुलाई १९७२ म चा मजुमदार को अं तम
बार गर तार कया गया। उस समय वह दय रोग से पीिड़त थे। कलक ा क लालबाजार पु लस लकअप म उ ह १२ दन तक रखा गया। इस दौरान वह पु लस बबरता क शकार बने। उस समय प म बंगाल क पु लसमं ी सु त मुखज थे। लाल बाजार पु लस हरासत क ही दौरान सं द ध हालत म २८ जुलाई १९७२ म उनक मृ यु ई। चा मजुमदार क मृ यु को न स लय ने शास नक ह या करा दया और तब से येक २८ जुलाई को न सली उनक पु य त थ मानते ह। न संदेह चा मजुमदार एक महान ां तकारी थे। उ ह ने एक ऐसे आंदोलन को ज म दया जसने भारतीय जनमानस को काफ भा वत कया और उसका असर आज भी अ लान ह। न सल आंदोलन का गहरा भाव भारतीय राजनी त और सा ह य पर भी पड़ा। यह बात दगर ह क चा मजुमदार से कई गल तयां । फर भी भारतीय इ तहास से चा मजुमदार क नाम को मटाया जाना असंभव ह। असफल ां त क महानायक कामरड चा मजुमदार और न सल आंदोलन का इ तहास लखा जाना अभी बाक ह। दस बर-2006
“आपका ित ता-िहमालय" एवं
द सन ए स ेस ारा
“अमरावती-रघुवीर सामािजक-सां कितक उ यन स मान-2021" देय सामा जक-सां क तक काय क लए
च
काश िसं ल
को पूव र क एकमा सलीगुड़ी से नय मत का शत वैचा रक पि का ‘आपका ित ता-िहमालय’ एवं ‘द सन ए स ेस’ क ओर से
“अमरावती-रघुवीर सामािजक-सां कितक उ यन स मान-2021"
आगामी दनांक 10 माच 2022 को एक भ य समारोह क बीच दान कया जायेगा। दस बर-2021
आवरण कथा
अनेक जनांदोलन को जीिवत रखने क ऊजा दे गई िकसान आंदोलन क जीत भारतीय जन ना संघ (इ टा) क रा ीय स म त क दो दवसीय बैठक द. 04-05 दस बर 2021 को देस भगत यादगार हॉल, जालंधर (पंजाब) म स प ई। इस बैठक म मुख प से चार मु पर चचा क गई – आज़ादी क पचह रव वषगाँठ पर व भ इकाइय ारा देश यापी सां क तक या ा, इ टा का सम द ावेज़ीकरण, अगला रा ीय अ धवेशन तथा नए सां क तक नेतृ व को वक सत करने क लए एक क ीय टीम बनाने क लए क ीय कायशाला क योजना बनाना। बैठक क साथ ही स य जत र, सा हर लु धयानवी (SAHIR LUDHIANVI), तेरा सह च , संतोष सह धीर तथा अमृत राय क ज मशता दी क अवसर पर इन मह वपूण सां क तक य व पर चचा भी आयो जत क गई। चार दस बर क शाम स य जत र और सा हर लु धयानवी को सम पत रही तथा 05 दस बर क सुबह का स अमृत राय, तेरा सह च तथा संतोष सह धीर क ज मशता दी (BIRTH CENTENARY OF AMRIT RAI, TERA SINGH CHAN AND SANTOSH SINGH DHIR) को सम पत रहा। इसक अलावा पंजाब इ टा क कलाकार ारा 04 दस बर को सां क तक काय म क ु त क गई। कायसूची क मु पर चचा करने क लए रा ीय स म त क पदा धकारी एवं सद य तथा वशेष आमंि त युवा साथी इक ा ए थे। बैठक क शु आत करते ए रा ीय महास चव राकश ने आए ए सभी त न धय का अ भनंदन करते ए पंजाब इ टा क सभी सा थय , जसम पंजाब इ टा क महास चव इदरजीत सह पोवाली तथा अ य संजीवन का वशेष प से ध यवाद ा पत कया ज ह ने कोरोना महामारी क बाद इ टा क रा ीय स म त क इस वृहद बैठक क आयोजन का ि़ज मा लेकर संगठन म नई ऊजा भरने का काम कया। राकश ने कहा क पंजाब क ि़ज क साथ कसान आंदोलन क चचा अ नवाय ह। इ टा ार भ से ही कसान आंदोलन और उनक मांग क समथन म खड़ी रही और कछ माह पहले इ टा क एक सां क तक ज थे ने द ी क बॉडर पर जाकर उनम जोश जगाने का काम भी कया और उनक संघष म अपनी भी आवाज़ शा मल क । इ टा क मंच से कसान को जनवादी आंदोलन म मली उनक जीत पर बधाई देते ए उ ह ने कहा क यह जीत तमाम मेहनतकश जनता क ऐ तहा सक जीत ह। इसम मु य भागीदारी गरीब-मँझोले कसान
क रही ह। यह जीत उन तमाम शहीद को ांज ल ह, जो इस आंदोलन क दौरान अपनी ि़जंद गयाँ बान कर गए ह। यह जीत जनता क कबा नय , मेहनत, ढ़ता तथा अनुशासन का नतीजा ह। यह हार फासीवादी कमत, देश क बड़ पूंजीप त वग, इस आंदोलन क ि़खलाफ़ कसी-न- कसी प म सि य तमाम ताक़त क हार ह, जो इस जनांदोलन क हार क सपने देखती रही ह। उ ह ने कहा क हमने भारत क आज़ादी क 75 साल पूर होने पर 75 दन क एक सां क तक या ा का ाव रखा ह। इस या ा का नाम 'ढाई आखर ेम का' रखने क योजना ह। यह या ा अलग-अलग रा य-इकाइय और समानधमा सं था , संगठन और य य क सहयोग से चरणब और सु नयो जत तरीक से कया जाना ा वत ह। इसका ार भ छ ीसगढ़ से होकर झारखंड, बहार, उ र देश, म य देश होते ए द ी म समापन करने क योजना ह। इसे अं तम प दया जाना अभी बाक ह। यह ाव मु य प से दो उ े य क तहत रखा जा रहा ह। पहला उ े य यह ह क भारत सरकार ारा आयो जत कये जा रह 'अमृत महो सव' म देश क साँझी सं क त को भूलकर गांधी क बर स गोडसे और सावरकर क वचारधारा को था पत करने क को शश क जा रही ह। वे 1947 म मली आज़ादी को भीख म माँगी ई कहकर वीर शहीद का अपमान कर रह ह। उनक ारा असली आज़ादी 2014 क बाद मलने क बात क जा रही ह। ऐसे म इ टा का यह दा य व ह क वह जनता से संवाद करते ए उनक पोल खोले। सरा उ े य यह ह क इसी म म हम अपनी व भ इकाइय को सि य करक जन-संवाद कर तथा नए थान पर भी इ टा क इकाइयाँ वक सत करने क संभावना तलाश कर। सबसे पहले ाव का समथन करते ए रा ीय स चव मंडल क सद य छ ीसगढ़ क साथी राजेश ीवा व ने बताया क, हमने या ा शु होने क पूव रायपुर म एक स ाह क क ीय कायशाला रखने का नणय लया ह, जसम व भ इकाइय क साथी ह सा लगे। या ा रायपुर, बलासपुर, रायगढ़, अं बकापुर होते ए झारखंड क पलामू तक जाएगी। चचा म ह सा लेते ए आगरा क साथी यो ा रघुवंशी ने कहा क इ टा इस या ा को लीड कर, ले कन समान वचारधारा वाले संगठन जैसे, लेस, जलेस या अ य म हला एवं छा संगठन को भी शा मल कया
अनेक जनांदोलन को जी वत रखने क ऊजा दे गई कसान आंदोलन क जीत
जाए। झारखंड क साथी उपे म ा ने कहा क, छ ीसगढ़ क साथी हमारी इस या ा म कछ और थान तक हमार साथ रह ता क इस आयोजन को संयु काय म क प म एक यापक प दया जा सक। झारखंड म यह या ा पलामू, राँची, चाईबासा, घाट शला, कोडरमा होते ए नवादा म बहार इ टा को स पने का नणय लया गया ह। बहार इ टा क साथी फरोज अशरफ खान ने कहा क, या ा म हम सां क तक व प का वशेष यान रखना चा हए। या ा क व भ पड़ाव म उस थान से जुड़ सां क तक चेहर , ऐ तहा सक वरासत , पहचान अथवा तीक को वशेष प से सामने लाकर हम आयोजन को खास पहचान देनी चा हए। हमने कछ थान , जैसे चंपारण, जो महा मा गांधी क स या ह से जुड़ा ह; सीवान, जो डॉ. राजे साद क ज मभू म ह – जैसे कई थान को च हत कया ह। बहार म यह या ा दस दन तक चलेगी और इन दस दन म हम उन थान पर इ टा क इकाइय को ग ठत करने का यास करगे, जहाँ अभी कोई इकाई कायरत नह ह। बहार इ टा क महास चव तनवीर अ तर ने इसम जोड़ते ए कहा क, हमने अपनी या ा म थानीय लोक-कलाकार को भी जोड़ने का नणय लया ह ता क इसका थानीय मह व भी बना रह। उ र देश इ टा क महास चव तथा रा ीय सहस चव मंडल सद य दलीप रघुवंशी ने कहा क हमने 8 से 10 दन क या ा करने क योजना बनाई ह, जसम 20 से 25 इकाइयाँ शा मल ह गी। यह या ा वाराणसी, आजमगढ़, रायबरली, कानपुर, मथुरा, उरई, झाँसी होते ए छतरपुर म य देश तक कये जाने का नणय लया गया ह। म य देश इ टा क अ य ह रओम राजो रया ने कहा क, म य देश म छतरपुर से यह या ा आर भ होगी। इसम आगे क या ा क परखा तैयार क जा रही ह। या ा म नु कड़ नाटक क साथ पो टस, गीत और व भ पु क को द शत कया जाएगा। म य देश क साथी वनीत तवारी ने कहा क आजादी क 75 वष पूर होने क अवसर पर आजादी क आंदोलन म शा मल थानीय लोग क कहा नय को क म रखते ए उन पर गीत, नाटक, डॉ युम ी, पो टर दशनी आ द दस बर-2021
आवरण कथा भी बनाना चा हए ता क यह सामने लाया जा सक क कस तरह साधारण लोग ने संघष म असाधारण भागीदारी क । उ ह ने यह भी सुझाव दया क या ा क तैयारी क दौरान क ीय नेतृ व से कम से कम एक सद य रा य म सुपर वजन क लए भेजा जाना चा हए जो या ा क उ े य क बार म या ा क दल क सद य को भलीभां त प र चत करवाये ता क या ा म शा मल हर सद य इस अ भयान क व ा क तरह पेश आ सक। स चव मंडल सद य उषा आठले ने कहा क या ा-काय म क आ थक- बंधन पर भी खुलकर बातचीत क जानी चा हए। द ी इ टा क युवा साथी वनोद को ी ने कहा क काय म म इस बात का यान रखना आव यक ह क हमारा यादा समय सफ़र म ही न बीते और ुत कये जाने वाले काय म क अव ध सी मत रह जाए। काय म का आकार और समय यादा रह ता क अ धक से अ धक लोग जुड़ सक। उड़ीसा इ टा क साथी सुशांत दास ने कहा क, हम भी उड़ीसा म कछ करने क को शश करगे। यह योजना ब त मह वपूण ह मगर अभी जसतरह का माहौल ह, उसम तथाक थत रा वा दय क खतर से भी सावधान रहना होगा। रा यसभा सद य और करल क त न ध कॉमरड बनय व वम ने कहा क इस या ा म इ टा क पुराने लोग को भी याद करना चा हए। हम अपनी ताक़त और कमज़ो रय का मू यांकन करते ए इस आंदोलन को रा ीय र पर मजबूत करने पर बल देना होगा। उ ह ने मौजूदा फासीवादी ताक़त क भाव पर चता जा हर करते ए अपनी भू मका तय करने क अपील क । उ राखंड क साथी सतीश ने कहा क हम शहर क अपे ा गाँव पर यान क त करना चा हए। हमने पाँच दन क या ा म 25 से अ धक गाँव को जोड़ने का नणय लया ह। छ ीसगढ़ इ टा क अ य म णमय मुखज ने कहा क हम इस बात पर क त रहना ह क 'अमृत महो सव' का उ े य सा दा यकता को बढ़ावा देना ह जब क हमारा उ े य सा दा यक सौहा था पत करना ह। कनाटक इ टा क त न ध ने कहा क, हमने न क मा यम से या ा आर भ क ह और अलग-अलग जगह पर जाकर अपने नाटक, गीत-संगीत ुत कर रह ह। चंडीगढ़ इ टा क अ य बलकार स ू ने कहा क चूँ क इ टा पैरलल प म यह या ा कर रही ह, इस लए इसक काय म का कटट समसाम यक और ादे शक भाषा म हो। दस बर-2021
पंजाब इ टा क अ य संजीवन सह ने अपील क क इस या ा म गैर हदीभाषी देश को भी शा मल कया जाए। साथ ही इ टा को अ य संगठन को भी साथ लेकर चलना चा हए। चंडीगढ़ क व र साथी क.एन. सह सेख ने कहा क उ सवध मता से बचना होगा। इसम वचार धू मल हो जाते ह। आमंि त युवा सा थय म से बहार से पयूष और नीरज, छ ीसगढ़ से भरत नषाद ने भी अपनी बात कह । अ य ता कर रही स म त क साथी हमांशु राय ने कहा क इस या ा को कई चरण म करते ए अ खल भारतीय र तक ले जाना चा हए। रा ीय उपा य अंजन ीवा व ने कहा क या ा म इ टा क नगाड़ को भी शा मल कया जाए। हरक जगह अलग-अलग नाटक करना उ चत होगा। काय म क शु आत लोकगीत से क जाए। इस यापक वमश क उपरांत रा ीय स म त ारा महास चव क ाव का अनुमोदन करते ए नणय लया गया क सभी तभागी रा य काय म क परखा तैयार कर स म त को अवगत कराएँ। इसक लए जनवरी 2022 म सात दवसीय कायशाला आयो जत क जाए। आव यक तैयारी हतु संक प-प , नाटक, गीत और पो टस तैयार कये जाएँ। 30 जनवरी और 23 माच को थानीय काय म कये जाएँ और या ा का ार भ 9 अ ेल 2022 को रा ल सांक यायन क ज म त थ से कया जाए। आ थक संसाधन क तलाश रा य इकाई अपने र पर कर। महास चव राकश ने इस मु े पर चचा क अंत म यह भी जोड़ा क इस सां क तक या ा का नाम 'ढाई आखर ेम का' रखा गया ह। इसका अनुवाद अ य भाषा म भी कया जा सकता ह। इसक मूल ावना सबको भेजी जा चुक ह। अतः इसक मूल भावना को बरकरार रखते ए रा य इकाइयाँ नाम जोड़ सकती ह। पहले चरण म अ ेल 2022 से हदीभाषी पाँच रा य म इस या ा क परखा तय क गई ह। अ य देश इकाइयाँ अपने-अपने देश म सु वधानुसार या ा क काय म बनाकर क ीय कायालय को सू चत कर। कायसूची क सर मु े पर ाव रखते ए महास चव ने कहा क हमारी को शश ह क क ीय र पर एक सां क तक टीम का गठन कया जाए जसम युवा सा थय क भागीदारी सु न त क जा सक। मेरा य गत अनुभव यह ह क हमने आज तक ब त सार युवा कलाकार क साथ काम कया ह पर आज उनम से यादातर लोग ने फ म और यावसा यक रंगमंच क तरफ अपना ख कर लया। ऐसी वृि इ टा क आंदोलन
को मजबूती दान करने म बाधक सा बत होती ह। इस लए सभी रा य से अपील ह क अपने रा य क युवा सा थय को आगे लाएँ ता क उनम नेतृ व- मता क संभावना क तलाश क जा सक जो क आगे चलकर संगठन को मजबूती दान कर सक। हम पछले कई साल से महसूस करते आ रह ह क हमारी बैठक म वही पुराने चेहर नज़र आते ह जो क संगठन क ग तशीलता क लए सही नह ह। मौजूदा बैठक म हमने कई युवा सा थय को भी आमंि त कया ह ता क वे संगठन क काय- णाली को समझ सक। उनसे अनुरोध ह क वे एक साथ अलग बैठकर आपस म चचा करते ए एक युवा महो सव क परखा तय करक रा ीय स म त क सामने रखे। बहार इ टा क महास चव तनवीर अ तर ने इस ाव पर कहा क हमने युवा सा थय को आगे लाने का काय ब त पहले से ार भ कर दया ह। प रणाम व प हमने कई युवा सा थय म सांगठ नक मता और वैचा रक अ भ य को कट करने का साहस पैदा कया ह। वतमान समय म कला क बारी कय क साथ-साथ वचारधारा का समावेश कया जाना भी अ त आव यक ह। रा ीय स म त ने महास चव क इस ाव को सवस म त से अनुमो दत करते ए आमंि त युवा साथी वनोद, वषा, अनुरन ( द ी), अ पता (झारखंड), भरत, गोक (छ ीसगढ़), दीपक (जालंधर), पीयूष, नीरज ( बहार) को अ धकत कया क वे इस संदभ म आगे क कायवाही करते ए स म त को अवगत कराएं। युवा सा थय ने आयोजन- थल पर लगातार बैठक करते ए काफ वचार- वमश कया, जसक आधार पर झारखंड इ टा क पदा धका रय क सहम त से जून 2022 म झारखंड म युवा पर क त एक कायशाला या इसी तरह का कोई काय म करने का नणय लया गया। कायसूची क तीसर मु े पर बात शु करते ए महास चव राकश ने कहा क, थापना वष 1943 से आज तक हमारा सफर कई मुकाम हा सल कर चुका ह। हमने वह दौर भी देखा ह, जब इ टा क ग त व धयाँ 1960 क बाद क ीय नेतृ व क अभाव क कारण कछ श थल पड़ । 1985 म इ टा का पुनगठन कया गया। तब से लेकर आज तक यह सफर जारी ह। आज हम पीछ मुड़कर अपनी वरासत को स हालने क भी ज़ रत ह। हमारा ाव ह क सभी रा य-इकाइयाँ इ टा का द ावेज़ तैयार कर, जसम वे रा य क व भ इकाइय क ल खत इ तहास क साथ-साथ, य गत अनुभव , उपल धय , सामि य , श सयत और मह वपूण घटना का सं ह
अनेक जनांदोलन को जी वत रखने क ऊजा दे गई कसान आंदोलन क जीत
आवरण कथा तैयार कर। क ीय नेतृ व भी इस दशा म काम करना आर भ कर चुका ह। हम कई र पर काम करने जा रह ह। इसक लए क ीय र पर एक टीम का गठन कया गया ह, उसी तरह रा य इकाइयाँ भी गठन कर ल। तनवीर अ तर ने अपने रा य म इस काम क ग त क बार म बताया क भारत क आज़ादी को 75 साल पूर होने क साथ-साथ बहार इ टा भी अपनी थापना क 75 साल पूर कर रही ह। हमने अपने द ावेज़ीकरण का काय आर भ कर दया ह। हमने सभी इकाइय को नदश दया ह क वे अपनी-अपनी संबं धत इकाई क इ तहास का सं ह कर, जसम मौ लक नाटक, गीत आ द का संकलन भी शा मल हो। साथ ही उ ह ने एक अ य मह वपूण सुझाव दया क सभी इकाइय को अपने रा य और क से ा होने वाले सकलस को हाड कॉपी म संरि त कर लेना चा हए ता क हम तदनु प काय कर सक और इनका भी द ावेज़ीकरण सु न त हो सक। आगरा इ टा क साथी भावना रघुवंशी ने कहा क हमने साथी जते रघुवंशी और राजे रघुवंशी ारा सं हत काफ पुरानी साम ी को एक जगह सहज लया ह। म महास चव से अनुरोध करती क वे कसी दन आकर उन सामि य म से द ावेज़ीकरण क लए आव यक मह वपूण चीज़ का चयन कर उ ह संरि त करने का बंध कर ल, य क कछ द ावेज़ ब त ना क थ त म ह। रा ीय स म त ने द ावेज़ीकरण क ाव को अनुमो दत करते ए कहा क यह एक ज टल परंतु आव यक काय ह। इसम सभी रा य इकाइय क सि य भागीदारी आव यक ह। स म त ने महास चव से अनुरोध कया क वे आगरा जाकर उन संरि त सामि य क पड़ताल कर तथा द ावेज़ीकरण क उपयु यव था कर। बहार इ टा क अनुभव का लाभ उठाते ए रा य इकाइयाँ इस दशा म आगे बढ़ सकती ह। कायसूची क चौथे मु े पर रा ीय स म त ारा सुझाव दया गया क रा ीय स मेलन हम कसी नए थान पर करना चा हए ता क इ टा का व ार हो तथा इ टा क जड़ और गहरी तथा मजबूत हो सक। इस म म अगर पंजाब तैयार हो तो हम कसी नणय क थ त पर वचार कर सकते ह। पंजाब इ टा क सा थय ने आपसी वमश क उपरांत कहा क अभी हम रा ीय स मेलन का सफलतापूवक आयोजन करने क थ त म नह ह। इसक पीछ कई कारण ह, जसम इ टा का रा य- रीय नबंधन नह होना मुख ह। अतः हम इसक लए कछ समय दया जाए, हम इस स मेलन क बाद अगला स मेलन करने क लए तैयारी क समी ा कर लगे। 11
रा ीय स म त ने पंजाब इ टा क ाव को मानते ए रा ीय स मेलन क थान और त थ का नधारण अगली बैठक म करने का नणय लया। बैठक क अं तम दौर म पंजाब क रंगकम रण वजय सह ने अपनी पंजाबी क वता 'आँसू तेर' म कसान आंदोलन क प र े य म मौजूदा शासक वग क ब पी रवैये और फासीवादी क टलता को उजागर कया, जसका उप थत सभी लोग ने ताली बजाकर समथन कया। अंत म रा ीय अ य रणबीर सह ने कहा क हमने एक पचा आप सभी को आर भ म ही वत रत कया ह। इसका मकसद फासीवाद क च र को उजागर करना ह। आज चुनौ तयाँ बड़ी ह पर हमने कभी हार नह मानी ह, अब भी नह मानगे। आज क इस बैठक म लए गए नणय पर हम पूरी श त से काय करना होगा तभी हम मौजूदा चुनौ तय का डटकर मुकाबला कर सकते ह। अ य ारा ध यवाद ापन क साथ थम दन क मी टग क कायवाही समा ई। 04 दस बर क शाम तीसर स म स फ मकार स य जत र क ज मशता दी क अवसर पर उनक ारा नद शत ेमचंद क कहानी पर आधा रत फ म 'स त' का दशन कया गया। ग तशील लेखक संघ क स चव वनीत तवारी ने स य जत र क फ म- नमाण पर सं ेप म काश डालते ए कहा क भले ही र कसी भी तरह से इ टा से जुड़ ए न रह ह ले कन अपनी फ म क लए उ ह ने जन कहा नय का चयन कया उससे उन पर उस व़ त नयाभर म जारी ग तशील आंदोलन का असर साफ़ ज़ा हर होता ह। म सम गोक क नाटक पर चेतन आनंद क बनायी फ म 'नीचा नगर' से वे गहर भा वत थे और स य जत र ने एक काय म क लए उ ह अपने ारा चलाये जाने वाले फ म ब क एक काय म म मु य अ त थ क तौर पर कोलकाता आमंि त करने हतु प भी लखा था। उनक समकालीन ऋ वक घटक और मृणाल सेन भी इसी तरह ग तशील सां क तक आंदोलन क साथ जुड़ थे। वनीत ने फ म 'स त' क कला, फोटो ाफ आ द प का भी सं ेप म ववेचन कया। सा हर लु धयानवी का य
व और क त व
सा हर लु धयानवी क ज मशती पर रा ीय स म त क सहस चव शैले कमार ने उनक य व और क त व पर अपना रोचक व य ुत कया।
अनेक जनांदोलन को जी वत रखने क ऊजा दे गई कसान आंदोलन क जीत
उ ह ने कहा, ''हर कलाकार अपने युग क पैदाइश होता ह। सा हर जस युग म खड़ थे, वे उस युग को एड स करते थे। इस लहाज से देख तो 'परछाइयाँ', 'बंगाल का अकाल' आ द उनक सला हयत का एक नमूना तो ह ही, वचारशीलता का नमूना भी ह। जहाँ तक क य और श प का मामला ह, सा हर इस मामले म ब त शानदार तरीक से सामने आते ह। वे उ ीस साल क उ म 'ताजमहल' जैसी रचना लख देते ह, 23-24 क उ आते-आते 'परछाइया'ँ, 'त खया'ँ जैसी रचनाएँ सामने आने लगती ह। इन रचना क आधार पर जब सा हर का मू यांकन क जएगा, तो उनक समकालीन म फज़, जोश मलीहाबादी; पूवव तय म मजाज़ मौजूद ह, इनक बीच जगह बनाना सा हर क लए आसान नह था; मगर सा हर ने जगह बनाई और अपनी वैचा रक तब ता को कभी नह खोया। फ मी गीत म भी ि़जंदगी क सवाल को उठाया। सा हर जैसे लोग हदी और उ क बीच या ा करते ह। आज हदी और उ को दो भाषा बताकर क युनल क ल ट का ह सा बनाया जा रहा ह, जब क उ भारतीय सं क त क धरोहर ह। तो इस संदभ म सा हर क ब त सारी रचनाएँ देख, जैसे 'बाबुल क ग लयाँ' ह या 'मन दपण कहलाए' जैसी रचनाएँ, जनम उ क श द नह मलगे, इस बात म उनका जो कमाल ह, मा टरी ह, उसे मानना पड़गा। सा हर ने अपनी कला मकता क जोर से भारतीय संगीत को भी एक उचाई देने क को शश क ह। सा हर लखते ह, 'म पल-दो पल का शायर और पल दो पल मेरी ह ी ह' तो सरी ओर ये भी लखते ह 'कल फर आएंगे नगम क खलती क लयाँ चुनने वाले' – वे एक ओर ि़जंदगी क भंगुरता का ि़ज करते ह, तो जीवन क शा तता का बखान भी करते ह। सा हर 'पल दो पल क शायर' नह ह। उ ह ने चकले का ि़ज भी कया ह क जो पूरबप म क बात करते ह, उ ह चकलाघर देख लेना चा हए, उनका दल काँप उठगा। इस सां क तक दंभ क राजनी त म उनक क वता 'चकला' को याद कया जा सकता ह। इस अवसर पर वनीत तवारी ारा संपा दत म य देश ग तशील लेखक संघ क पि का ' ग तशील वसुधा' क 101व अंक का, जानक साद शमा संपा दत 'उ ावना' क सा हर लु धयानवी क त वशेषांक का और लेसइ टा क घाट शला इकाई ारा साथी शेखर म लक क संपादन म सां क तक मह व क तारीख तथा च -सूचना से लैस एक खूबसूरत कले डर का भी वमोचन कया गया। इस मौक पर पि का 'उ ावना' क संपादक अजेय कमार ( द ी) भी वशेष प से मौजूद थे। उ ह ने भी सा हर लु धयानवी क बार म दस बर-2021
आवरण कथा अनेक दलच प बात साझा क । इस स क बाद अनेक सां क तक काय म ुत कये गये। पंजाब इ टा क कलाकार ारा जनगीत, शा ीय नृ य, लोक-गीतगायन, लोकवा -वादन तथा नाटक क ु त क गई। जालंधर इ टा ने नीरज कौ शक क नदशन म नाटक 'शंखनाद' तथा इ टा फगवाड़ा ने गमनू बंसल नद शत तथा द वदर कमार ल खत नाटक 'नृ य से तांडव तक' ुत कये। भावना शमा ने क थक, इ टा गु दासपुर क कमलजीत कौर ने पंजाबी गीत, इ टा मोहाली क अलगोजा-वादक अनुरीत पाल कौर, लोकसाज बुगचू-वादक मनदीप, लोक गायक गगनदीप ग गी, इ टा कपूरथला क गा यका अनमोल पोवाली, जा मन तथा ाम मोगा क गायक ने पंजाब क सां क तक छटा बखेरी। इस स का संचालन इ टा पंजाब क स चव मंडल सद य वक माह री ने कया। 05 दस बर को पहले स म इ टा क रा ीय अ य रणबीर सह, महास चव राकश, देस भगत यादगार हॉल कमेटी क स चव गुर मत सह, इ टा पंजाब क अ य संजीवन सह, इ टा चंडीगढ़ क अ य बलकार स ू क अ य ता म अमृत राय क लेखन पर क त आलेख का पठन इ टा क रा ीय स चव मंडल सद य उषा आठले ने कया। उ ह ने अमृत राय ारा ल खत उप यास, कहानी, नाटक, नबंध, सं मरण, या ा-वृतांत तथा अनुवाद पर चचा करते ए कहा क, अमृत राय त कालीन जन हतैषी सं क त क उथलपुथल क गवाह रह ह और उ ह ने अपने सि य ह ेप क मा यम से अपनी तब ता को प कया था। ख़ासतौर पर उ ह ने सां क तक े म जस साझा मोच क ज़ रत को रखां कत कया था, उस पर आज फर नये सर से गंभीरता से वचार क ज रत ह। इ टा क सं थापक सद य म से एक तेरा सह च क योगदान को रखां कत करते ए नाटककार और आलोचक प टयाला क डॉ. कलदीप सह ने कहा क, जहाँ तेरा सह च ने इ टा क जड़ जमाने म मह वपूण भू मका नभाई, वह उ ह ने च चत नाटक और ऑपेरा भी लखे। संतोष सह धीर क योगदान पर चचा करते ए डॉ. कलदीप ने कहा क धीर अपने समय क एक ब त मह वपूण लेखक थे, जो सारी उ मज़ र और शो षत वग क हक म कलम चलाते रह। दस बर-2021
इस मौक पर ग तशील लेखक संघ क पंजाब इकाई क महास चव शायर सुरजीत जज ने राजनी तक यं य क वताएँ ुत कये। इस स का संचालन इ टा जालंधर क उपा य गुर वदर सह ने कया। पहले दन 04 दस बर को पहले स क अ य ता रा ीय अ य रणबीर सह, उपा य अंजन ीवा व, तनवीर अ तर, हमांशु राय तथा कॉमरड बनय व म क अ य मंडल ने क । स म सबसे पहले रा ीय स चव मंडल क सद य फरोज अशरफ खान ने शोक- ाव रखा जसम इ टा क ओर से सभी मह वपूण य य क नधन पर शोक य कया गया। उनम कछ मह वपूण नाम ह – इ टा छ ीसगढ़ क महास चव, रा ीय स म त क सद य अजय आठले, रा ीय स म त क सद य संगीतकार अ खलेश दीि त, इ टा क रा ीय स म त क पूव सद य सागर सरहदी, पंजाब इ टा क सं थापक म से एक उमा गु ब श सह तथा यात रंगकम गु चरण सह बोपाराई, पूव रा ीय उपा य पे पुड़ा गोपालक णन, रा ीय स म त क सद य जा ना मंडली तेलंगाना क लेखक, क व, संगीतकार एवं सु स गायक नसार, त मलनाड इ टा क अ य यात लोक कलाकार कलाश मू त 'अनाची', सहारनपुर उ र देश इ टा क अ य शायर, रंगकम सरदार अनवर, इ टा क ले टनम जुबली समारोह आयोजन स म त क कायकारी अ य तथा सु स ले खका, सं क तकम , श ा वद डजी नारायण, इ टा पटना क अ य सु स लेखक और सं क तकम फणीश सह, पलामू झारखंड इ टा क सं थापक वतं ता सेनानी भुवने र साद बाजपेयी, असम इ टा क अ य नाटककारफ मकार जीबन बोरा, असम इ टा क उपा य पु प यो त महत, असम इ टा से जुड़ फ म नदशक दारा अहमद, रा ीय स म त क सद य तेलंगाना जा ना मंडली क सु स गायक-अ भनेता साथी जैकब तथा मुख क व, गायक वंगा पांड साद, इ टा एवं लेस इदौर क साथी मक नेता एस. क. बे, सु स मराठी क व, लेखक, गायक, अ भनेता इ टा नागपुर क वीरा साथीदार, इ टा उ र देश क उपा य मेरठ क सु स रंगकम शां त वमा, इ टा मेरठ से जुड़ क व एवं रंगकम धमजीत सरल, पटना इ टा क व र साथी शैले र सती साद, इ टा झारखंड क साथी उमेश नज़ीर, ववेचना जबलपुर क नदशक बसंत काशीकर, अ वभा जत म य देश इ टा क पूव महास चव गायक, रंगकम , प कार आ बद अली, इ टा गुना म य देश क सं थापक व र साथी राम लखन भ , रा ीय स म त क सद य मलयालम ना -
नदशक-अ भनेता टी.एस.संतोष कमार, ग तशील लेखक संघ क कायकारी अ य उ क व-लेखक अली जावेद, स रंगकम उषा गांगुली, बंसी कौल, मराठी लेखकनाटककार र नाकर म करी, यात रंगकम , ना - नदशक व च कार इ ा हम अ काज़ी, नया थयेटर क जाने-माने अ भनेता दीपक तवारी, सु स नाटककारनदशक- फ मकार चं मोहन ब ठयाल, अ भनेता दलीप कमार, सु स बंगला अ भनेता सौ म चटज , अ भनेता ऋ ष कपूर, यात हदी लेखक-क व एवं प कार मंगलेश डबराल, यात नृ यांगना अमला शंकर, ी- वमश एवं जन-आंदोलन से जुड़ी इलीना सेन, यात शायर राहत इदौरी, शा ीय गायक पं डत जसराज, मानवा धकार कायकता वामी अ नवेश, क व-कथाकार शा त रतन, उ लेखक-क व शमीम हनफ़ , उ ले खका आज़रा रज़वी, यात जनइ तहासकार, लेखक, सं क तकम ो. लालबहा र वमा, यात रंगकम गु चरण सह च ी, पयावरण- हरी सुंदरलाल ब गुणा, यात लेखक-सां क तक प कार राजकमार कसवानी, क ड़ क क वनाटककार-द लत लेखक स लगैया, स प कार वनोद आ, बां ला लेखक एवं सं क तकम संख घोष, आलोक रंजन दासगु ा, नवनीता देवसेन, देवेश रॉय, स फ म नदशक बासु चटज , अ ण सेन, सुधीर लाल च वत , च कार व णु दास, स य गुहा, राणा च ोपा याय, लेखक-क व गीतेश शमा, देश क पूव रा प त णब मुखज एवं इस अव ध म दवंगत ए राजनेता, सं क तकम तथा नाग रक। इनक अलावा लखीमपुर खीरी ह याकांड म शहीद कसान और सघू बॉडर पर धा मक उ माद तथा अस ह णुता क कारण भीड़ क हसा और अ य कारण से मार गए 700 कसान क मृ त म इ टा क रा ीय स म त ने एक मनट का मौन रखकर अपनी शोक-संवेदना य क । इस दो दवसीय रा ीय स म त क बैठक क आयोजन को सफल बनाने म पंजाब इ टा क साथी नीरज कौ शक, दीपक नाहर, एडवोकट रा जदर सह मंड, सरबजीत सह पोवाली, डॉ टर भजन सह और क मीर बजरोर ने मह वपूण सहयोग कया। इस बैठक म पंजाब, छ ीसगढ़, बहार, उ र देश, म य देश, राज थान, करल, उ राखंड, कनाटक और ज मू क मीर से त न धय ने शरकत क । सौज यः ह ेप
अनेक जनांदोलन को जी वत रखने क ऊजा दे गई कसान आंदोलन क जीत 12
आवरण कथा
िवधानसभा चुनाव 2022 : कसे हो हट पॉिलिट स क काट !
-एच.एल. साध
2022 क पूवा म चुनाव आयोग क अनुसार न प , लोभनमु व को वड क बचाव क फल ूफ तैया रय क साथ 5 रा य - पंजाब, गोवा, म णपुर, उ राखंड और उ र देश- म चुनाव अनु त होने जा रहा ह। इन चुनाव क त थय क घोषणा होनी बाक ह, क तु भाजपा अभी ही संघ सं थापक डॉ. हडगेवारक ारा इजाद उस 'हट पॉ ल ट स' को लगभग तुंग पर प चा दी ह, जसक सहार ही कभी वह दो सीट पर समटने क बावजूद नयी सदी म अ तरो य बन गयी। अडवाणी-अटल, मोदीशाह क आ ामक राजनी त से अ भभूत ढर लोग को यह पता नह क जस हट पॉ ल ट स क सहार आज भाजपा व क सवा धक श शाली पाट क प म इ तहास कप म नाम दज करा चुक ह, उसक सू कार रह 21 जून, 1940 को इस धरा का याग करने वाले च पावन ाहमण डॉ. हडगेवार, ज ह ने 1925 म उस रा ीय वयंसेवक संघ क थापना क थी, जसका राजनी तक वग आज क भाजपा ह। अपने ल य को साधने क लए उ ह ने एक भ क म क वग-संघष क प रक पना क । वग-संघष क स ा तकर काल मा स ने कहा ह क नया का इ तहास वग संघष का इ तहास ह. एक वग वह ह जसका उ पादन क साधन पर क ज़ा ह और सरा वह ह, जो इससे ब ह कत व वं चत ह। इन उभय वग म कभी समझौता नह हो सकता। इनक म य सतत संघष जारी रहता ह। कोलकाता क अनुशीलन स म त, जसम गैर-सवण का वेश न ष था, क सद य रह डॉ. हडगेवार क समय पूरा भारत अं ेज को वग-श ु मानते ए, उनसे भारत को मु कराने म संघषरत था। क तु डॉ.हडगेवार ने एका धक कारण से मुसलमान क प म एक नया ' वग-श ु' खड़ा करने क प रक पना क । उ ह अपनी प रक पना को प देने का आधार 1923 म का शत वनायक दामोदर सावरकर क पु क ' ह व: ह कौन?' म मला, जसम उ ह ने अपने सपन क भारत नमाण क लए अं ेज क जगह
'मुसलमान को धान श ु' च हत करते ए उनक व जा त-पां त का भेदभाव भुलाकर सवण-अवण सभी ह ओ को ' ह – वग' (सं दाय) म उभारने का ब ल यास कया था। इस रगामी सोच क तहत ही डॉ. हडगेवार ने ' ह धम-सं क त क जयगान और मु यतः मु लम व ेष क सार क हट पॉ ल ट स क आधार पर आरएसएस को खड़ा करने क प रक पना कया. हडगेवार से यह गु मं पाकर संघ ल बे समय से चुपचाप काम करता रहा। क तु मंडल क रपोट का शत होने क बाद जब ब जन क जा त चेतना क चलते स ा क बागडोर द लत – पछड़ क हाथ म जाने का आसार दखा, तब संघ ने राम ज मभू म मु क नाम पर, अटल बहारी वाजपेयी क श द म आजाद भारत का सबसे बड़ा आ दोलन खड़ा कर दए, जसम ह - धम- सं क त क जयगान और खासकर मु लम व ेष क भरपूर त व थे। राम ज म भू म मु आ दोलन क ज रये मु लम व ेष का जो गेम लान कया गया, उसका राजनी तक इ पै ट या आ इसे बताने क ज रत नह ह। एक ब ा भी बता देगा क मु यतः मु लम व ेष क सार क ज रये ही भाजपा क से लेकर रा य तक म अ तरो य बनी ह, जसम संघ क अज आनुषां गक संगठन क अ तर साधु-संत , मी डया और पूंजीप तय क भी जबरद भू मका रही ह। आज वधानसभा चुनाव 2022 को गत रखते ए एक बार फर संघ क आनुषां गक संगठन , मी डया, लेखक-प कार , साधु-संतो क सहयोग से भाजपा क रणनी तकार हट पॉ ल ट स क सहार 5 रा य , खासकर यूपी और उ राखंड राजनी तक सफलता का एक नया अ याय रचने म जुट गए ह। पांच रा य क साथ 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने क रणनी त क तहत भाजपा आज 'नफरत क राजनी त' को तुंग पर प चाने क दशा म आगे बढ़ती दख रही ह, उसक शु आत उसने कछक वष पूव अनु छद 370 क खा मे, सीएए, एनपीआर और एनसीआर क
13 वधानसभा चुनाव 2022 : कसे हो हट पॉ ल ट स क काट !
ज रये कर चुक थी। इसी मकसद से उसने 2020 क अग म कोरोना क जो खम भर दौर म धानम ी नर मोदी से राममं दर नमाण का भू म पूजन कराया था। इसक पीछ मोदी को ह - धम- सं क त क सबसे बड़ उ ारक नेता क छ व दान करना था। इस दशा म 13 दसंबर को धानमं ी ारा काशी व नाथ कॉ रडोर का लोकापण एक ब त ही भावी कदम रहा। इसक ज रये मोदी को मोदी को संभवतः शंकराचाय से बड़ ह धम क उ ारक ही छ व दान करने क साथ हट पॉ ल ट स को एक नयी उचाई देने का यास आ। इस अवसर पर मोदी ने यह कहकर एक बड़ा स देश दे दया क जब-जब औरंगजेब का उभर होता ह, संग-संग शवाजी का भी उदय होता ह। इसक ज रये जहाँ उ ह ने औरंगजेब को ह धम सं क त का वनाशक च हत कया वह , शवाजी क उदय क याद दलाकर खुद को सबसे बड़ा उ ारक होने का संकत दे दया। इसक बाद तो भाजपा नेता म इस दशा म होड़ ही मच गयी। 17 दसंबर अ मत शाह ने कॉपर टव बक क एक प रयोजना का लोकापण करते ए कहा, 'देश म ह धम को मजबूत करने का वचार कवल धान मं ी मोदी म आया. कसी अ य दल ने इस दशा म सोचा ही नह । अ य दल सफ वोट बक क लए राजनी त करते रह'। उसी लखनऊ क रामा बाई आंबेडकर पाक म लाख क भीड़ को संबो धत करते ए शाह ने कहा, 'एक ओर अयो या म भु रामजी का भ य मं दर बनने जा रहा ह तो सरी ओर ी काशी व नाथ क भ यता वापस दलाने का काय भी धानमं ी मोदी कर रह ह. हम सबने वष तक भु ीराम को तरपाल क मं दर म देखा ह। आ खर इतने वष तक मं दर बनाने से कसने रोक रखा था?' काशी कॉ रडोर क लोकापण क पहले उ ह 11 दसंबर को उ मया माता क मं दर का शला यास समारोह म ह धम क उ ारक दस बर-2021
आवरण कथा क प म मोदी क छ व च खार करते ए कहा था, ' ह आ था क क को वष तक अपमा नत कया गया, उनको म हमा और ग रमा दान करने क परवाह नह क गयी। मोदी सरकार स ा म आने क बाद ह आ था क क क ग रमा बहाल कर रही ह।' ले कन सफ मोदी क छ व ह धम क उ ारक क प म था पत करक नफरत क राजनी त को तुंग पर नह प चाया जा सकता। इसक लए ज रत थी वप को मु लमपर बताने तथा मुसलमान एवं मु लम शासक क खलाफ ह जनगण को आ ो शत करने क । 13 दसंबर क बाद हट पॉ ल ट स को शखर पर प चाने क लए यही काम भाजपा स हत क सर संघ क आनुषां गक संगठन क ज रये हो रहा ह। इसक तहत वे यह बात जोर-शोर से कहा जा रहा क अ खलेश म ज ा का साया और ओवैसी क ह बसती ह। हट पॉ ल ट स को तुंग पर प चाने क लए भी धम संसद से 20 करोड़ मुसलमान क क ले आम का आ ान कया जा रहा ह। इस मकसद से ही शायर अकबर इलाहाबादी को यागराजी कया गया ह। यह तो शु आत ह। चुनाव चार क शखर पर प चने साथ साथ मोदी-योगी ारा शु क गयी नफरत क राजनी त कहाँ प चेगी, इसका कयास लगाना खूब क ठन नह ह। बहरहाल अतीत क अनुभव क आधार पर वप को यह मानकर चलना चा हए क संघ प रवार क हट पॉ ल ट स का ह थयार हमेशा कारगर आ ह और वह उसक भावी काट ढढने म अब तक यथ रहा ह। क तु 2022 म अगर 5 रा य , खासकर यूपी-उ राखंड म भाजपा को रोकना ह तो उसे हर हाल म इसक काट ढढनी ही होगी। यह कसे मुम कन होगा इस पर गैर-भाजपाई नेता और बुि जीवी वचार कर। क तु मेरा मानना ह क यह काम धम क जगह आ थक आधार पर वग- संघष को बढ़ावा देकर कया जा सकता ह, ता क वग-श ु क प म मुसलमान क जगह कोई और तबका उभरकर सामने आये। और इस क म क वग-संघष को संग ठत करने लायक वतमान म अभूतपूव थ तयां और पा र थ तयाँ मौजूद ह। मा स ने इ तहास क आ थक या या करते ए, जस वग-संघष क बात कही ह, भारत म दस बर-2021
स दय से वह वग संघष वण- यव था पी आर ण – यव था म ि याशील रहा, जसम 7 अग ,1990 को मंडल क रपट का शत होते ही एक नया मोड़ आ गया। य क इससे स दय से श क ोत पर एका धकार जमाये वशेषा धकारयु तबक का वच व टटने क थ त पैदा हो गयी। मंडल ने जहां सु वधाभोगी सवण को सरकारी नौक रय म 27 तशत अवसर से वं चत कर दया, वहीँ इससे द लत, आ दवासी। पछड़ क जा त चेतना का ऐसा ल बव वकास आ क सवण राजनी तक प से लाचार समूह म त दील हो गए। कल मलकर मंडल से एक ऐसी थ त का उ व आ जससे वं चत वग क थ त अभूतपूव प से बेहतर होने क स भावना उजागर हो गयी और ऐसा होते ही सु वधाभोगी सवण वग क बुि जीवी, मी डया, साधु -संत, छा और उनक अ भभावक तथा राजनी तक दल अपना- अपना कत य थर कर लए. इ ह हालात म अपने असल वग- श ु ब जन का वंस करने क लए संघ-प रवार ने रामज म भू म मु आ दोलन क नाम पर मुसलमान क खलाफ नफरत को तुंग पर प चाने क लए 'हट-पॉ ल ट स' का आगाज कया और इसक सहार ही उसका राजनी तक संगठन भाजपा एका धक बार क क स ा पर क ज़ा जमाते ए अ तरो य बन गयी। अब जहां तक संघ क असल वग–श ु का सवाल ह, वह मुसलमान नह द लत, आ दवासी और पछड़ ह। इनक ही हाथ म स ा क बागडोर जाने से रोकने लए हडगेवार ने ायः 96 वष पूव हट पॉ ल ट स का सू रचा था, जसका मंडल उ र काल म भाजपा ने जमकर सद यवहार कया। चूं क देखने म संघ क सीधे नशाने पर मुसलमान रह, क तु असल श ु ब जन ही ह, इस कारण ही उसक राजनी तक संगठन ने 'हट पॉ ल ट स' से मली स ा का इ ेमाल मु यतः ब जन क खलाफ कया। हट – पॉ ल ट स से हाथ म आई स ा से मुसलमान म असुर ा-बोध ज र बढ़ा, क तु असल नुकसान द लत-आ दवासी और पछड़ का आ ह।
आर ण (वण- यव था) क ज मजात वं चत श क ोत म शेयर पाकर रा क मु यधारा से जुड़ रह थे, उस आर ण क खा मे म ही संघ शि त धानमंि य ने अपनी ऊजा लगाया। इस हतु ही उ ह ने बड़ी-बड़ी सरकारी कप नय को, जनम हजार लोग जॉब पाते थे, औने-पौने दाम म बेचने जैसा देश- वरोधी काम अंजाम दया। इस मामले म मोदी ने वाजपेयी को भी बौना बना दया। वह मोदी पीएम क प म अपने पहले कायकाल म सरकारी अ पताल , हवाई अ , रलवे इ या द को नजी हाथ म देने सवश लगाने क बाद बारा स ा म आकर आज बड़ी-बड़ी कप नय को बेचने म अ धकतम उजा लगा रह ह. यह सब काम वह सफ असल वग-श ु , ब जन को फ नश करने क लए ही कर रह ह। उनक नी तय से पछले साढ़ छः- सात साल म ब जन उन थ तय म प च गए ह, जन थ तय म नया क तमाम वं चत ने वाधीनता सं ाम क लड़ाई छड़ा। मोदी –राज म एक ओर जहाँ द लत-आ दवासी और पछड़ गुलाम बनते जा रह ह, वह ह आर ण क अ पजन सु वधाभोगी वग का श क सम ोत पर औसतम 80-90 तशत क ज़ा हो गया ह। श क ोत पर सु वधाभोगी वग क अभूतपूव क जे से वं चत ब जन जस पैमाने पर सापेि क वंचना ( रले टव ड ाइवेशन) क शकार ए ह, उसका भाजपा- वरोधी य द कायदे से अहसास करा द तो मु लम व ेष क ज रये भाजपा क हट–पॉ ल ट स क सारी चाल बखर कर रह जाएगी। य क तब ब सं य लोग क नफरत अ पजन सु वधाभोगी वग क ओर श ट हो जाएगी। याद रह भाजपा क हट पॉ ल ट स इस लए कामयाब हो जाती ह य क इसक झांसे नरीह द लत, आ दवासी और पछड़ आ जाते ह। अतः हट पॉ ल ट स क पीछ ि याशील अथशा से ब जन को अवगत कराने पर श तया तौर सवणपर भाजपा क मंसूब पर पानी फर जायेगा।
आंबेडकर व तत जस आर ण क सहार ह वधानसभा चुनाव 2022 : कसे हो हट पॉ ल ट स क काट ! 14
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टीफन हॉिकग क जीवनी व िवचार “मै अभी और जीना चाहता ” ये कथन कसी और क नह ब क व क महान वै ा नको म से एक टीफन हॉ कग क ह. जो उ ह ने अपने पछले ज म दन पर कह थे, जसे सुन नया एक पल क लये अचं भत सी रह गयी थी. आज उ ह भौ तक क छोटबड़ कल 12 पुर कार से नवाजा जा चूका ह. ले कन आज भी वो बस अपनी इ छा श क दम पे अपनी जदगी जये जा रह ह और हमारी यही आ ह क वो ऐसे ही जीते रह और हम हमेशा नयी खोजो से अवगत कराते रह. ारं भक जीवन : टीफ़न हॉ कग का ज म ८ जनवरी १९४२ को क और इसाबेल हॉ कग क घर म आ। प रवार व ीय बाधा क बावजूद, माता पता दोन क श ा ऑ सफ़ड व व ालय म ई जहाँ क ने आयु व ान क श ा ा क और इसाबेल ने दशनशा , राजनी त और अथशा का अ ययन कया। वो दोन ि तीय व यु क आर भ होने क तुर त बाद एक च क सा अनुसंधान सं थान म मले जहाँ इसाबेल स चव क प म कायरत थी और क च क सा अनुसंधानकता क प म कायरत थे। उनक प रवार क आ थक अव था ठीक नह थी। ि तीय व यु का समय आजी वका अजन क लए काफ चुनौतीपूण था और एक सुरि त जगह क तलाश म उनका प रवार ऑ सफोड आ गया। STEPHEN HAWKING आज इतने महान ांड व ानी ह, उनका कली जीवन ब त उ क नह था| वे शु म अपनी क ा म औसत से कम अंक पाने वाले छा थे, क तु उ ह बोड गेम खेलना अ छा लगता था| उ ह ग णत म ब त दलच पी थी, यहाँ तक क उ ह ने ग णतीय समीकरण को हल करने क लए कछ लोग क मदद से पुराने इले ॉ नक उपकरण क ह स से क यूटर बना दया था| यारह वष क उ म टीफन, कल गए और उसक बाद यू नव सटी कॉलेज, ऑ सफोड गए| टीफन ग णत का अ ययन करना चाहते थे ले कन यू नव सटी कॉलेज म ग णत उपल ध नह थी, इस लए उ ह ने 15
टीफन हॉ कग क जीवनी व वचार
भौ तक अपनाई। टीफन हॉ कग एक मेधावी छा थे, इस लए कल और कॉलेज म हमेशा अ वल आते रह। तीन साल म ही उ ह क त व ान म थम ेणी क ऑनस क ड ी मली। जो क उनक पता क लए कसी वाब क पूरा होने से कम नह था। ग णत को ि य वषय मानने वाले टीफन हॉ कग म बड़ होकर अंत र - व ान म एक ख़ास च जगी। यही वजह थी क जब वे महज 20 वष क थे, कि ज कॉ मोलॉजी वषय म रसच क लए चुन लए गए। ऑ सफोड म कोई भी ांड व ान म काम नह कर रहा था उ ह ने इसम शोध करने क ठानी और सीधे प च गए क ज। वहां उ ह ने कॉ मोलॉजी यानी ांड व ान म शोध कया।
इसी वषय म उ ह ने पीएच.डी. भी क । अपनी पीएच.डी. करने क बाद जॉन वले और यूस कॉलेज क पहले रचस फलो और फर बाद म ोफशनल फलो बने। यह उनक लए ब त बड़ी उपल ध थी। ले कन हॉ कग ने वही कया जो वे चाहते थे। संयु प रवार म भरोसा रखने वाले हॉ कग आज भी अपने तीन ब और एक पोते क साथ रहते ह। टीफन क अंदर एक ेट साइ ट ट क ा लटी बचपन से ही दखाई देने लगी थी। दरअसल, कसी भी चीज़ क नमाण और उसक काय- णाली को लेकर उनक अंदर ती ज ासा रहती थी। यही वजह थी क जब वे कल म थे, तो उनक सभी
सहपाठी और टीचर उ ह यार से 'आइ टाइन' कहकर बुलाते थे। जब वो 21 साल क थे तो एक बार छि य मानाने क मानाने क लए अपने घर पर आये ए थे , वो सीढ़ी से उतर रह थे क तभी उ ह बेहोशी का एहसास आ और वो तुरंत ही नीचे गर पड़।उ ह डॉ टर क पास ले जायेगा शु म तो सब ने उसे मा एक कमजोरी क कारण ई घटना मानी पर बार-बार ऐसा होने पर उ ह बड़ डो टरो क पास ले जाया गया , जहाँ ये पता लगा क वो एक अनजान और कभी न ठीक होने वाली बीमारी से ह जसका नाम ह यूरॉन मोटार डीसीस । इस बीमारी म शारीर क सार अंग धीर धीर काम करना बंद कर देते ह।और अंत म ास नली भी बंद हो जाने से मरीज घुट घुट क मर
जाता ह। डॉ टर ने कहा हॉ कग बस 2 साल क मेहमान ह। ले कन हॉ कग ने अपनी इ छा श पर पूरी पकड़ बना ली थी और उ ह ने कहा क म 2 नह २० नह पूर ५० सालो तक जयूँगा । उस समय सबने उ ह दलासा देने क लए हाँ म हाँ मला दी थी, पर आज नया जानती ह क हॉ कग ने जो कहा वो कर क दखाया । अपनी इसी बीमारी क बीच म ही उ ह ने अपनी पीएचडीपूरी क और अपनी े मका जेन वाइ ड से ववाह कया तब तक हॉ कग का पूरा दा हना ह सा ख़राब हो चूका था वो दस बर-2021
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STICK क सहार चलते थे । अब हॉ कग ने अपने वै ा नक जीवन का सफ़र शु कया और धीर धीर उनक या त पूरी नया म फलने लगी। जनवरी 1965 म नये साल क ज न म टीफन हा कग क मुलाकात जेन वाइ ड से यी | जेन वाइ ड को टीफन हा कग ब त पसंद आये थे य क जेन को उनका खुश दल वाभाव अ छा लगता था | अ पताल से लौटने पर जब टीफन हा कग क थ थ दयनीय हो गयी थी तब भी जेन का उनका साथ नही छोड़ा | जेन का अब एक ही ल य था क वो टीफन हा कग क देखभाल करने म अपना जीवन यतीत कर दे | धीर धीर दोन म यार हो गया और उनका ववाह हो गया | वैसे 1960 से ही टीफन हा कग क हालत खराब होना शु हो गयी थी और बैसा खय क सहार चलने क नौबत आ गयी थी | कछ महीन म उनका रोग ओर बढ़ा और धीर धीर उनक सार अंग थर होने लगे | रोग से पीिड़त होने क बावजूद भी वो कसी का सहारा नही लेते थे और अपने दै नक कामो को नरंतर रखा | 1974 म उ ह डॉ टरट क उपा ध मलने क बाद आपेि ता का स ांत और पुंज स ांत पर काम करना शु कर दया था | इस तरह इन दोन स ांतो को मलाकर उ ह ने महाएक कत स ांत बनाया था | उनक इस स ांत से नया भर म उनका नाम हो गया और उनको एक यात वै ा नक क प म जाना जाने लगा | टीफन हॉ कग रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आ स क वे स माननीय सभासद ह, एक साथ ही धमा य ीय व ान अकादमी क जीवनपयत सद य ह. इसक साथ ही उ ह रा प त का मैडल ऑफ़ डम भी दया गया था, जो यूनाइटड टट का सव पुर कार ह. 1979 से 2009 तक वे क ज व व ालय म ग णत क ोफसर थे और अपनी योरी क चलते ज द ही उ ह कम शयल सफलता भी मली. उनक ारा ल खत कताब ए ीफ ह ी ऑफ़ टाइम उस समय क सबसे यादा समय तक बकने वाली कताब बनी, उस समय वह कताब लगभग रकॉड 237 ह त तक चली. स ि टश भौ तक व ानी टीफन हॉ कग ने कसी भी ए लयन स यता खासकर वैसी स यता जो तकनीक प से इसान से अ धक उ त हो, वहां हमारी मौजूदगी क दस बर-2021
घोषणा को लेकर आगाह कया ह। हॉ कग ने एक नए ऑनलाइन फ म म कहा क कसी भी अ धक उ त स यता से हमार संपक क थ त म कछ वैसा ही हो सकता ह, जब मूल अमे र कय ने पहली बार ि टोफर कोलंबस को देखा और चीज ब त अ छी नह रही। ' टीफन हॉ क स फव रट लेसेज' म लोग ांड क पांच अहम थान को देख सकते ह। फ म म हॉ कग का प नक तौर पर लज 832सी क पास से गुजरते ह। यह करीब 16 काश वष क री पर थत गैर-सौरीय ह ह, जहां संभा वत तौर पर जीवन हो सकता ह। वचार : वे कहते ह अगर आप वकलांग ह या अपंग हतो इसम आपक कोई गलती नह ह, और साथ ही नया को दोष देने या अपने ऊपर कसी दया क उ मीद करना सही नह ह। बस आपक भीतर सकारा मक वचार होने चा हए और ि थ क अनुसार जतना हो सक अपना अ छा योगदान देना चा हए; अगर एक मनु य अपंग ह तो उसे अपने मन से अपंग या वकलांग नह होना चा हए। मेर याल से, उ ह ऐसी ग त व धयोँ म यान देना चा हए जससे क एक शारी रक वकलांगता वाले य क लए और भी गंभीर बाधा न उप थत हो सक। मुझे डर लगता ह वकलांग क लए खेला जाने वाला ओलो पक मेर से अपील तो नह करगा, पर यह मेर लए कहना आसान होगा य क मुझे एथले ट स पसंद नह ह। सरी ओर देख तो व ान ब त ही अ छा वषय ह य क यह दमाग का खेल ह। बलकल सही ह यह बात य क ब त सार आ व कार से कछ लोग न कमल कर दया ह ले कन सै ां तक काम लगभग आदश ह। मेरी वकलांगता न मेर काय े म कोई बाधा नह दया ह जो क ह सै ां तक भौ तक । ब क इससे मुझे मदद मली ह मेर भाषण और शास नक काय पर प रर ण करने क लए। म यह सब संभाल पाया , मेरी प नी, ब े, सहयोगी और छा से ढर सार मदद क कारण। मने देखा साधारण प से लोग मदद क लए हमेशा तैयार रहते ह, पर आपको उ ह ो साहन देना चा हए क वे महसूस कर क उनक ारा कये गए यास उ चत और उपयु सा बत ह गे।
अ त वचार : ऊपर सतार क तरफ देखो अपने पैर क नीचे नह । जो देखते हो उसका मतलब जानने क को शश करो और आ य करो क या ह जो ा ड का अि व बनाये ए ह। उ सुक रहो। चाह िज़ दगी जतनी भी क ठन लगे, आप हमेशा कछ न कछ कर सकते ह और सफल हो सकते ह। मने देखा ह वो लोग भी जो ये कहते ह क सब कछ पहले से तय ह , और हम उसे बदलने क लए कछ भी नह कर सकते, वे भी सड़क पार करने से पहले देखते ह। बुि म ा बदलाव क अनु प ढलने क ह।
मता
व ान कवल तक का अनुयायी नह ह, ब क रोमांस और जूनून का भी। य द आप हमेशा गु सा या शकायत करते ह तो लोग क पास आपक लए समय नह रहगा। अ य वकलांग लोग क लए मेरी सलाह होगी , उन चीज पर यान द ज ह अ छी तरह से करने से आपक वकलांगता नह रोकती , और उन चीज क लए अफ़सोस नह कर ज ह करने म ये बाधा डालती ह। आ मा और शरीर दोन से वकलांग मत बन। अतीत, भ व य क तरह ही अ न त ह और कवल स भावन क एक पे म क प म मौजूद ह। हम अपने लालच और मूखता क कारण खुद को न करने क खतर म ह। हम इस छोट, तेजी से षत हो रह और भीड़ से भर ह पर अपनी और अंदर क तरफ देखते नह रह सकते. टीफन हॉ कग क ेरणा देने वाले अनमोल वचार – मश र साइ ट ट टीफन हॉ कग व ान े क वो सतार ह जो जब तक चमकता रहगा जब तक पृ वी पर जीवन ह। टीफन हॉ कग का जीवन काफ क ठनाइ भरा आ था। मा ा 21 साल क उ म उ ह AMYOTROPHIC LATERAL SCLEROSIS (ALS) नाम क बीमारी हो गई। इस बीमारी से शरीर क सभी अंग धीर धीर टीफन हॉ कग क जीवनी व वचार 16
य काम करना बंद कर देते ह। इस बीमारी का कोई इलाज नह ह। डॉ टरो ने उनक जीवन जीने क स भावना कवल आने वाले 2 साल तक सी मत कर दी। टीफन हॉ कग अ भुत इ छा श क मा लक थे। वो 76 साल तक जए। हालाँ क अपनी जदगी क 53 उ ह ने हील चेयर पर बताये। ऐसी थ त म जब कोई साधारण य कवल जीने क लए ही संघष करता ह , उस अव था म टीफन हॉ कग जैसे य अपने मज़बूत इरादे और अपनी ण इ छा श क बल पर अपने वै ा नक बनने क सपने को न सफ पूरा कया ब क व ानं क े म अन गनत योगदान दए जो उससे पहले कसी क क पना म भी नह थे। भले ही टीफन हॉ कग 14 माच, 2018 को इस नया को अल वदा कह गये हो , पर आज भी उनक जीवन और उनक ारा कह गये अनमोल वचार से हम ेरणा मलती रहगी। आइये जानते ह इस महान य को 1 – प रवतन क अनुकल होने क
क महान और अनमोल वचार
षत और भीड़भाड़ वाले ह पर खुद को
14 – आप जो भी कर उसे अपना ल य बना ल जैसे समझना ही मने अपना ल य बना लया ह।
ा ड को
15 – मुझे लगता ह मानव जाती को कोई भ व य नह होता य द हम अंत र म नह जाते। 16 – मने उन लोग पर भी यान दया ह जो दावा करते ह क सब कछ पूव नधा रत ह, और इसे बदलने क लए कछ भी नह कया जा सकता। यह मेर लए ऐसा ह जैसे सड़क पार करते ए देखा जाता ह। 17 – भले ही आपका जीवन कतना भी क दायक हो पर हर कसी क पास एक मौका होता ह कछ कर दखाने का। 18 – व ान क मा यम से ही समाज म फ़ली गरीबी और क तय को र कया जा सकता ह। 19 – म एक नाि क ।
मता ही बुि म ा ह।
2 – हालाँ क आपको अपना जीवन मु कल लग सकता ह, पर यहाँ कछ ऐसा होता ह जसे आप कर सकते ह और सफल हो सकते ह। 3 – आ ामकता हर य
हम एक छोट और तेजी से मौजूद नह देख सकगे।
व
क सबसे बड़ी श ु ह।
4 – अगर आपक पास लोगो क त गु सा और शकायत रहगी तो लोग से पास भी आपक लए समय नह होगा। 5 – अगर बदलाव चाहते ह तो बुि को वक सत करना होगा। 6 – अगर जीवन हा या पद नह ह तो यह सुखी भी नह हो सकता। 7 – म कभी भी कल म टॉप नह रहा। शायद मेर सहपा ठय ने मुझम मता देखी होगी, य क मेरा उपनाम 'आइ टीन' रखा गया था। 8 – म कोई भी भौ तक शोध पु कार और शंसा पाने क लए नह करता, ब क ऐसे योग और खोज करना ज ह पहले कोई नह जनता, मुझे आनंद देता ह। 9 – मुझे हमेशा यह गव रहगा क मने ा ड को जानने म एक मह वपूण भू मका नभाई, व ान क े म कई नई खोजे क और लोग मेर इसी योगदान क संशा करते ह। 10 – बना कसी ल य क आपका जीवन खाली ह। यह ल य ही ह जो आपक जीवन को मतलब देता ह।
20 – मेरा ल य सरल ह। यह वैसा य ह और यह य ह।
ा ड क पूरी समझ ह, यह जैसा ह
21 – हो सकता ह ा ड क बार म ान आपको मत करता हो, पर यह मेरा पसंदीदा वषय ह। 22 – यह बात मुझे आ य म डालती ह क म अपने हीलचेयर और वकलांग क लए उतना ही स जतना क म अपनी खोज क लए । 23 – 24 – वा
ांड हमार अि
व क त उदासीन नह ह।
वकता क कोई अनोखी त वीर नह होती ह।
25 – हमे अपने आप को कवल यह देखने क लए देखना होगा क वो चीज़े जो हम अपनी लाइफ म नह चाहते, उसम बुि मान जीवन कसे वक सत हो सकता ह। QUOTE 26 – म आ मकथा नह लखना चाहता य क म बना कसी गोपनीयता क सावज नक संपि बन जाऊगा। QUOTE 27 – म मानता क हमारा दमाग एक क यूटर क तरह ह जो इसक घटक क वफल होने पर काम करना बंद कर देगा। QUOTE 28 – क यूटर हर महीने अपना दशन दोगुना कर देते ह। QUOTE 29 – मेरा मानना ह क ऐसे कोई न नह ह जनका व ान भौ तक ांड क बार म उ र नह दे सकता।
11 – जब कसी क अपे ाएं शू य हो जाती ह, तो वा व म वह हर कसी क सराहना करता ह।
QUOTE 30 – कॉ मोलॉजी एक तेजी से आगे बढ़ने वाला े ह।
12 – मेरा मानना ह क ऐसी कोई चीज़ नह ह तो असंभव हो, यो क चीज़े खुद को असंभव नह बना सकती।
QUOTE 31 – म अपने जीवन से पूण संतु प रवार मेर लए ब त मह वपूण ह।
। मेरा काम और मेरा
13 – हम अपने लालच और मूखता से खुद को न करने का खतरा ह। 17
टीफन हॉ कग क जीवनी व वचार
दस बर-2021
बां लादेश का िनमाण य आ बां लादेश पािक तान से अलग य आ?
पचास साल पहले 16 दस बर 1971 को पा क ान क 93000 सै नक क ह थयार डाल देने क बाद नए रा बां लादेश क नमाण का रा ा साफ़ हो गया। इसक साथ ही मज़हबी नफ़रत और दो क़ौमी नज़ रये क बु नयाद पर बने पा क ान क नमाण का तक (THE LOGIC OF CREATION OF PAKISTAN) भी व हो गया और यह बात भी ग़लत सा बत ई क धम क नाम पर बनाए गए देश एक रह सकते ह। मु लम लीग ारा 23 माच 1940 को अपने स मेलन म लाहौर म रावी क तट पर पा क ान बनाने क लए जो ाव पा रत कया गया था, उसे बतानवी कमत क मदद से वा वकता बनने म साढ़ सात साल से भी कम समय लगा। उस समय मु लम लीग क ओर से नार लगाए जाते थे “पा क ान का मतलब या? ला इलाहा इ ाह” “मुसलमान ह तो मु लम लीग म आ” “जो मुसलमान मु लम लीग म नह वो मुसलमान नह ।” रलवे टशन पर ह पानी-मुसलमान पानी और ह चाय-मुसलमान चाय क आवाज़ सुनाई देती थ । कां ेस पाट क त कालीन अ य मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने उस समय लाहौर क एक मुख पि का 'च ान' क संपादक शो रश क मीरी को एक इटर यू देते ए कहा था क “अगर पा क ान का बनना बर सगीर (भारतीय उपमहा ीप) क मुसलमान क हक़ म होता तो म पहला श स होता जो पा क ान आंदोलन क हमायत करता, ले कन म देख रहा क जो मज़हबी जुनून इस व त पा क ान समथक मुसलमान क सर पर नाच रहा ह जब यह उतरगा तो ये एक सर का गला काटगे और पंजाबी, बंगाली, सधी, बलूची और पठान एक साथ नह रह पाएँगे।” और सच सा बत ई मौलाना आज़ाद क भ व यवाणी मौलाना आज़ाद ने उस समय जो भ व यवाणी क थी वह 1971 म बां लादेश क नमाण से सही सा बत ई। कहा जाता ह क 1947 म ह ान क वभाजन क समय क़रीब 5 से 10 लाख नद ष लोग मार गए थे और करोड़ व था पत और अनाथ ए थे। दस बर-2021
ले कन बां लादेश क मु को लेकर ए गृहयु म तो तीस लाख से अ धक लोग मार गए। मरने वाल म यादातर बंगाली मुसलमान थे और मारने वाले यादातर पंजाबी मुसलमान थे।
बां लादेश क नमाण ने यह भी सा बत कया क धम क मुक़ा बले भाषा, सं क त और स यता क जड़ यादा मज़बूत आ करती ह और जन देश का अपना इ तहास या भूगोल नह आ करता वे कि म प से और मज़हबी नफ़रत क बु नयाद पर एक नह रह सकते। बीसव सदी म मज़हबी नफ़रत क बु नयाद पर राजनी तक कारण से दो ही ऐसे नाजायज़ देश बनाए गए एक इज़रायल और सरा पा क ान। पा क ान क तो अभी और कई टकड़ होने क आशंका ह य क वहाँ जो बलूच, सधी और प तून उपरा वाद ह वह पंजाबी 'हजेमोनी' से ह और उससे मु पाना चाहता ह इस लए पा क ान का स ा त ान और सेना क मीर का राग अलाप कर उसे कसी तरह एक रखे ए। इस लए जस दन क मीर का मसला हल आ पा क ान क कतने टकड़ ह गे नह कहा जा सकता। भारत क लए या चेतावनी ह बां लादेश का नमाण? बां लादेश का नमाण भारत म भी उन लोग क लए एक चेतावनी ह जो इस महान देश को एक धम, एक जा त, एक भाषा, एक सं क त क वच वता से जोड़कर देखना चाहते ह और इस देश को एक ' ह रा ' बनाने का सपना देख रह ह। ह ान यूँ तो पाँच हज़ार साल पुरानी स यता और सं क त का देश ह। ले कन लगभग ढाई हज़ार साल पहले यहाँ बौ और जैन धम पैदा आ। 2021 बरस पहले जब प म ए शया म ईसाई धम और 1442 बरस पहले इ लाम धम पैदा आ तो उसे भी ह ान प चने म यादा समय नह लगा। पारसी तो उसक ब त पहले से यहाँ आने लगे थे और 500 बरस पहले गु नानक ने यहाँ सख मज़हब क थापना कर दी। इस तरह पछले ढाई हज़ार वष म जो ह ान बना वही 'आई डया आफ इ डया' ह और उसी को
- करबान अली
बचाने क अब सबसे बड़ी चुनौती ह।
दरअसल 1857 म देश क आज़ादी क लए जो लड़ाई लड़ी गई जसे सावरकर ने भी भारत का पहला ' वातं य समर' कहा ह और 90 वष क रा ीय आंदोलन क बाद जब देश आज़ाद आ तो उसी समय यह तय हो गया था क यह मु क कस रा े पर चलेगा। पा क ान बन जाने क बावजूद हमार पुरख ने महा मा गांधी क नेतृ व म यह संक प लया था क हम इस देश को एक और 'पा क ान' नह बनने दगे। सं वधान सभा म तीन वष से अ धक समय तक चली बहस क बाद जब 26 जनवरी 1950 को सं वधान लागू आ तो उसम प प से कहा गया क सभी नाग रक क अ धकार बराबर ह गे। कसी से धम, जा त, लग और भाषा क नाम पर भेदभाव नह कया जाएगा। सं वधान क ावना इस बात का सबूत ह। इस लए 1971 म पा क ान का टटना और बां लादेश का बनना ह ान क लए एक चेतावनी भी ह और सबक़ भी क देश क एकता और अखंडता महज़ नार से बनाकर नह रखी जा सकती। 1984 म 'आपरशन लू टार' क समय पूव धानमं ी चं शेखर ने एक ऐ तहा सक जुमला कहा था क “जब लोग क दल टट जाते ह तो मु क टट जाया करते ह।” बां लादेश का नमाण भी वहाँ क लोग क दल टट जाने से आ था य क प मी पा क ान क मरान ने और पंजाबी फ़ौ जय ने बंगाली मुसलमान को आदमी नह समझा। उनका नरसंहार कया गया उनक म हला क साथ बला कार कया गया और उ ह बं क़ उठाने पर मजबूर कया गया। 1971 म या आ था? हमू रहमान आयोग या ह? 1971 क बाद पा क ान क शासक ने यह जानने क लए क बां लादेश क नमाण क या कारण थे एक आयोग का गठन कया जसे हमू रहमान आयोग क नाम से जाना जाता ह। इस आयोग क रपोट र गट खड़ कर देने वाली ह क कस तरह पा क ानी सै नक ने बां लादे शय पर म ढाए। लेखक व र प कार ह।
बां लादेश का नमाण य आ 18
पुराने आलोक का चला जाना रवी नाथ टगोर एक वल ण तभा क य थे। उनका य व ब आयामी था। वे एक ही साथ सा ह यकार, संगीत , समाज सुधारक, अ यापक, कलाकार एवं सं था क नमाता थे। वे एक व न ा थे, ज ह ने अपने सपन को साकार करने क लए अनवर कमयोगी क तरह काम कया। उनका ज म कोलकाता क जोड़ासाँको ठाकरबाड़ी म 7 मई 1861 को एक सा ह यक माहौल वाले कलीन धनी प रवार म आ था। रवी नाथ टगोर क माता का नाम शारदा देवी और पता का नाम देवे नाथ था। इनक पता एक दाश नक, समाजी और धमसुधारक थे तथा बाबा ि ंस ा रकानाथ उस समय क बड़ उ ोगप त और जम दार थे। अपने भाई-ब हन म रवी नाथ सबसे छोट थे, बचपन म यार से उ ह र व कहकर पुकारा जाता था। बचपन से ही रवी नाथ क च गायन, क वता और च कारी म देखी जा सकती थी। महज 8 साल क उ म उ ह ने अपनी पहली क वता लखी और 16 साल क उ से कहा नयां और नाटक लखना ारंभ कर दया था। समृ प रवार म ज म लेने क कारण रवी नाथ का बचपन बड़ आराम से बीता। पर व ालय का उनका अनुभव एक ः व न क समान रहा जसक कारण भ व य म उ ह ने श ा यव था म सुधार लाने क लए अभूतपूव यास कए। कछ माह तक वे कलक ा म ओ रए टल सेमेनरी म पढ़ पर उ ह यहाँ का वातावरण ब कल पसंद नह आया। इसक उपरांत उनका वेश नामन कल म कराया गया। यहाँ का उनका अनुभव और कट रहा। व ालयीन जीवन क इन कट अनुभव को याद करते ए उ ह ने बाद म लखा जब म कल भेजा गया तो, मने महसूस कया क मेरी अपनी नया मेर सामने से हटा दी गई ह। उसक जगह लकड़ी क बच तथा सीधी दीवार मुझे अपनी अंधी आख से घूर रही ह इसी लए जीवन पय त गु देव व ालय को ब क क त, च एवं आव यकता क अनु प बनाने क यास म लगे रह। रवी नाथ टगोर क ारं भक श ा सट जे वयर कल म ई थी जसक बाद 1878 म उ ह बै र टर क पढ़ाई क लए लंदन व व ालय म दा खला दलाया गया ले कन वहां क श ा क तौर तरीक र व नाथ को 19 पुराने आलोक का चला जाना
पसंद न आए और 1880 म बना ड ी लए ही वे भारत लौट आए। गु देव 1 9 0 1 म सयालदह छोड़कर शां त नकतन आ गए। क त क गोद म पेड़ , बगीच और एक लाइ ेरी क साथ टगोर ने शां त नकतन क थापना क । शां त नकतन म एक खुले वातावरण ाक तक जगह म एक लाइ ेरी क साथ 5 व ा थय को लेकर शां त नकतन कल क थापना क थी, जो आगे चलकर 1921 म व भारती नाम से एक समृ व व ालय बना। शां त नकतन म टगोर ने अपनी कई सा ह यक क तयां लख थ और यहां मौजूद उनका घर ऐ तहा सक मह व का ह। रव नाथ टगोर ने करीब 2,230 गीत क रचना क । र व संगीत बां ला सं क त का अ भ ह सा ह। टगोर क संगीत को उनक सा ह य से अलग नह कया जा सकता। उनक यादातर रचनाएं तो अब उनक गीत म शा मल हो चुक ह। ह ानी शा ीय संगीत क ठुमरी शैली से भा वत ये गीत
मानवीय भावना क कई रंग पेश करते ह। अलग-अलग राग म गु देव क गीत यह आभास कराते ह मानो उनक रचना उस राग वशेष क लए ही क गई थी। रव दनाथ टगोर का अ धकतर सा ह य का यमय रहा, उनक ब त सी रचनाएं उनक गीत क प म स ह। उ ह ने तकरीबन ढाई हजार गीत क रचना क । र व नाथ क रचनाएं यह अहसास कराने वाली होती थ जैसे उ ह राग क आधार पर रचा गया हो। टगोर क महान रचना 'गीतांजली' 1910 म का शत ई जो उनक कल 157 क वता का सं ह ह। मूल गीतांज ल व ुतः बा ला भाषा म प ा मक क त थी। इसम कोई ग ा मक रचना नह थी, ब क सभी गीत अथवा गान थे। इसम 125 अ का शत तथा 32 पूव क संकलन म का शत गीत संक लत थे। पूव का शत गीत म नैवे से 15, खेया से 11, शशु से 3 तथा चैताली, क पना और मरण से एक-एक गीत लये गये थे। इस कार कल 157 गीत का यह संकलन गीतांज ल क नाम से सतंबर 1910 ई॰ (1317 बंगा द) म इ डयन दस बर-2021
प लकशन हाउस, कोलकाता ारा का शत आ था। इसक ा कथन म इसम संक लत गीत क संबंध म वयं रवी नाथ ठाकर ने लखा था - "इस ंथ म संक लत आरं भक कछक गीत (गान) दो-एक अ य क तय म का शत हो चुक ह। ले कन थोड़ समय क अंतराल क बाद जो गान र चत ए, उनम पर पर भाव-ऐ य को यान म रखकर, उन सबको इस पु क म एक साथ का शत कया जा रहा ह।" यह बात अ नवाय प से यान रखने यो य ह क रवी नाथ ठाकर को नोबेल पुर कार मूल बा ला गीत क संकलन इस 'गीतांज ल' क लए नह दया गया था ब क इस गीतांज ल क साथ अ य सं ह से भी चय नत गान क एक अ य सं ह क अं ेजी ग ानुवाद क लए दया गया था। यह ग ानुवाद वयं क व ने कया था और इस सं ह का नाम 'गीतांज ल : सॉ ग ऑफ़ र स ' रखा था। 'गीतांज ल : सॉ ग ऑफ़ र स' नाम म 'सॉ ग ऑफ़ र स' का अथ भी वही ह जो मूलतः 'गीतांज ल' का ह अथा 'गीत क उपहार'। व ुतः कसी श द क साथ जब 'अंज ल' श द का योग कया जाता ह तो वहाँ 'अंज ल' का अथ कवल दोन हथेली जोड़कर बनाया गया ग ा नह होता, ब क उसम अ भवादन क संकतपूवक कसी को उपहार देने का भाव स हत होता ह। पा ा य पाठक क लए यही भाव प रखने हतु क व ने अलग से पु क क नाम म 'सॉ ग ऑफ़ र स' श द जोड़ दया। 'गीतांज ल : सॉ ग ऑफ़ र स' म मूल बा ला गीतांज ल से 53 गीत लये गये थे तथा 50 गीत/गान क व ने अपने अ य का य-संकलन से चुनकर इसम संक लत कये थे, जनक भाव-बोध गीतांज ल क गीत से मलते-जुलते थे।[2] अं ेजी अनुवाद म बा ला गीतांज ल क बाद स 1912 म र चत 'गी तमा य' (1914 म का शत) से सवा धक 16 गीत लए गए थे तथा 15 गीत नैवे से संक लत थे। इसक अ त र चैताली, क पना, खेया, शशु, मरण, उ सग, गीत- वतान तथा चय नका से भी कछ क वता को चुनकर अनू दत प म इसम थान दया गया था। अं ेजी ग ानुवाद वाला यह सं करण 1 नवंबर 1912 को इ डयन सोसायटी ऑफ़ लंदन ारा का शत आ था। यह सं करण क व रवी नाथ क पूवप र चत म और सु स च कार व लयम रोथे टाइन क रखा च से सुस त था तथा अं ेजी क व वाई॰वी॰ ये स ने इसक भू मका लखी थी। माच 1913 म मैक मलन प लकशन ने इसका नया सं करण का शत कया। दस बर-2021
रव नाथ टगोर ने करीब 2,230 गीत क रचना क । र व संगीत बां ला सं क त का अ भ ह सा ह। टगोर क संगीत को उनक सा ह य से अलग नह कया जा सकता। उनक यादातर रचनाएं तो अब उनक गीत म शा मल हो चुक ह। ह ानी शा ीय संगीत क ठुमरी शैली से भा वत ये गीत मानवीय भावना क कई रंग पेश करते ह। अलग-अलग राग म गु देव क गीत यह आभास कराते ह मानो उनक रचना उस राग वशेष क लए ही क गई थी। रव दनाथ टगोर का अ धकतर सा ह य का यमय रहा, उनक ब त सी रचनाएं उनक गीत क प म स ह। उ ह ने तकरीबन ढाई हजार गीत क रचना क । र व नाथ क रचनाएं यह अहसास कराने वाली होती थ जैसे उ ह राग क आधार पर रचा गया हो। क वता और गीत क अ त र उ ह ने अन गतन नबंध लखे, जनक मदद से आधु नक बंगाली भाषा अ भ य क एक सश मा यम क प म उभरी। टगोर क वल ण तभा से नाटक और नृ य ना टकाएं भी अछती नह रह । वह बंगला म वा वक लघुकथाएं लखने वाले पहले य थे। अपनी इन लघुकथा म उ ह ने पहली बार रोजमरा क भाषा का इ ेमाल कया और इस तरह सा ह य क इस वधा म औपचा रक साधु भाषा का भाव कम आ। अपने जीवन म रव नाथ ने अमे रका, ि टन, जापान, चीन स हत कई देश क या ाएं क । 51 वष क उ म जब वे अपने बेट क साथ समु ी माग से भारत से इ लड जा रह तब उ ह ने अपने क वता सं ह गीतांज ल का अं ेजी अनुवाद कया। गु देव क सामा जक जीवन क बात कर तो उनका जीवन मानवता से े रत था, मानवता को वे देश और रा वाद से ऊपर देखते थे। रवी नाथ गांधीजी का ब त स मान करते थे। महा मा क उपा ध गांधीजी को रवी नाथ ने ही दी थी, वह रवी नाथ को 'गु देव' क उपा ध महा मा गांधी ने दी। 12 अ ैल 1919 को रवी नाथ टगोर ने गांधी जी को एक प लखा था जसम उ ह ने गांधी जी को 'महा मा' का संबोधन कया था, जसक बाद से ही गांधी जी को महा मा कहा जाने लगा। बे मसाल ब मुखी य व वाले टगोर ने नया को शां त का संदेश दया, ले कन भा य से 1920 क बाद व यु से भा वत यूरोप म शां त और रोमां टक आदशवाद क उनक संदेश एक कार से अपनी आभा खो बैठ। ए शया म प र य एकदम अलग था. 1913 म जब वह नोबेल पुर कार ( स रचना गीतांज ल क
लए) जीतने वाले पहले ए शयाई बने तो यह ए शयाई सं क त क लए गौरव का न भुलाया जा सकने वाला ण था। वह पहले गैर यूरोपीय थे जनको सा ह य का नोबेल पुर कार मला। नोबेल पुर कार गु देव ने सीधे वीकार नह कया। उनक ओर से ि टन क एक राज त ने पुर कार लया था और फर उनको दया था। उनको ि टश सरकार ने 'सर' क उपा ध से भी नवाजा था जसे उ ह ने 1 9 1 9 म ए ज लयांवाला बाग कांड क बाद लौटा दया था। हालां क ि टश सरकार ने उनको 'सर' क उपा ध वापस लेने क लए मनाया था, मगर वह राजी नह ए। वे एकमा क व ह जसक दो रचनाएँ दो देश का रा गान बन - भारत का रा -गान 'जन गण मन' और बाँ लादेश का रा ीय गान 'आमार सोनार बाँ ला' गु देव क ही रचनाएँ ह। वामी ववेकानंद क बाद वह सर य थे ज ह ने व धम संसद को दो बार संबो धत कया। रवी नाथ टगोर क बड़ी भू मका वतं ता पूव आंदोलन म भी रही ह। 16 अ टबर 1905 को बंग-भंग आंदोलन का आरंभ टगोर क नेतृ व म ही आ था। इस आंदोलन क चलते देश म वदेशी आंदोलन को बल मला। ज लयांवाला बाग म सैकड़ नद ष लोग क नरसंहार क घटना से र व नाथ को गहरा आघात प चा था, जससे ु ध होकर उ ह ने अं ेज ारा दी गई 'नाईट ड' क उपा ध को वापस लौटा दया था। गु देव ने जीवन क अं तम दन म च बनाना शु कया। इसम युग का संशय, मोह, ा त और नराशा क वर कट ए ह। मनु य और ई र क बीच जो चर थायी स पक ह, उनक रचना म वह अलग-अलग प म उभरकर सामने आया। जीवन क अ तम समय से कछ पहले इलाज क लए जब उ ह शा त नकतन से कोलकाता ले जाया जा रहा था तो उनक ना तन ने कहा क आपको मालूम ह हमार यहाँ नया पावर हाउस बन रहा ह। इसक जवाब म उ ह ने कहा क हाँ पुराना आलोक चला जाएगा और नए का आगमन होगा। ो टट कसर क कारण 07अग 1941 को गु देव इस नया से सदैव क लए याण कर गए। लोग क बीच उनका इतना यादा स मान था क उनक मृ यु क बार म कोई भी य यक न नह करना चाहता था। संपक: 34/242, से टर-3 तापनगर, जयपुर-302033 मो.7838897877
पुराने आलोक का चला जाना 20
वे ब त दो नुमा आदमी ह मूलचंद गौतम से मेरा प रचय ढाई दशक से अ धक पुराना ह। म तक शहजहांपुर म था। मुझे याद ह क उन दन वे कथाकार दयेश क अ यंत ि य थे। युवा समी क क तौर पर हदी म उनक शना त होने लग गई थी। बाद को मने अपनी पि का 'संदश' क भुवने र पर क त वशेषांक क लए मूलचंद से एक समी ा मक ट पणी लखवाई थी जसे ाय: पसंद कया गया। मेरी पि का क दयेश पर क त वशेष अंक क लए भी उ ह ने एक आलेख लखकर भेजा था पर इसक बाद का वाकया कछ अलग ढग का ह। दयेश का उप यास 'द डनायक' छप कर आया था और मूलचंद ने इसक समी ा 'जनस ा' म क थी। शीषक था 'ऐ तहा सक नराशा का उप यास'। याद ह क दयेश उस उप यास क त मुझे घर पर भट करने आए थे और उ ह ने यह लखकर क 'सुधीर व ाथ को, उप यास का वषय भी जनका अपना वषय ह' मुझसे कहा क हो सक तो इस पर कछ लखना। पर म उप यास को पढ़ नह पाया। दरअसल, उसे पढ़ना मेर लए एक मु कल भरा काम था। शु आती पृ ही उसक अपठनीयता और अनाव यक व ार क चलते मुझसे छट जाते रह। मूलचंद क समी ा से दयेश बेहद असंतु थे। ऐसा पता लगते ही मूलचंद ने मुझसे कहा क मेरी समी ा देखकर बता क वह कसी ह। ऐसे म मुझे 'द डनायक' पढ़ना पड़ा। मने मूलचंद को लखा क समी ा अ यंत संतु लत ह और एक ां तकारी क जीवन पर लखे और उसे वतमान से जोड़ने वाले इस उप यास का अंत अ ां तकारी ह। य प इस क त को लखने क तैयारी क चलते दयेश ब तसा ां तकारी सा ह य मेर नजी पु कालय से ले गए थे, पर वे ां तकारी आंदोलन भी हो, दयेश और मूलचंद क म य री का बस इतना-सा कारण हदी रचनाकार क उस मनोवृि ट प णयां सुनना-देखना पसंद करते ह। आलोचना क द र से द र तम होते चले जाने क पीछ या इन कारण को भी ची हा नह जाना 21 वे ब त दो नुमा आदमी ह
चा हए। 'प रवेश' क संपादक-संचालक क मूलचंद क भू मका से पूरा हदी जगत सुप र चत ह। यह कोई चकनी-चमक ली व ापन से भरी-पूरी पि का कभी नह रही। पर हदी लघु पि का आंदोलन म इसक योगदान को रखां कत कया जाना मुझे हर बार ज री लगता रहा ह। वैचा रक चेतना से स प और जन तब रचना को सामने लाने म मूलचंद ने एक सचेत और स प संपादक क दा य व को बखूबी नभाया ह। देखता क उनक यह सुदीघ या ा कथाकार कमार संभव क साथ रही तो बाद क दन म महश राही भी उनक इस सफरनाम म बराबर से खड़ रह। 'प रवेश' को अपने कई मह वपूण वशेषांक और उसक पुि का क लए सा ह यक प का रता क म य रखां कत कया जाना चा हए।
-सुधीर व ाथ
काशच गु ', कमार संभव और वामपंथ व सा दा यकता पर क त अंक क साथ ही मलखान सह क क वता और राजेश कमार क नाटक पर पुि का को उनक प धरता और चतन क भी बड़ी गवाही क प म देखा जाना चा हए। 'प रवेश स मान' क ज रए वे हर बार उन नए कलमकार क शना त करने म नह चूक जनक भीतर उ ह रचना मक संभावना क अंकर दखाई पड़। कह सकता क ओम काश वा मी क और अ भूजा शु जैसे लेखक -क वय क शु आती क त व का मू यांकन 'प रवेश' क ज रए ही आ। ऐसे लेखक क सृजना मक या ा क लए यह एक ज री उप म था जसे मूलचंद ने पूरी संल नता और जुड़ाव क साथ स प कया। वे एक साहसी संपादक भी ह। हदी क एक रचनाकार क छ को उजागर करता मरा
दस बर-2021
एक 2० पृ ीय लंबा आलेख छपने का उ ह ने 'जो खम' उठाया। इसम वे मेरी थापना से समहत भी रह थे। मेर लेखन क शु आती दौर से ही उ ह ने 'प रवेश' म मुझे नर तर जगह दी और यह बड़ी बात ह क इस तरह से शहीद और ां तका रय क मेर मशन म पया ' मदद करते रह। म ां तकारी सं ाम क उस वचारया ा क फलाव क लए अपनी को शश म कामयाब आ तो उसक पीछ 'प रवेश' जैसी पि का का बड़ा योगदान रहा ह। 1986 क ग तशील लेखक संघ क पचास साला जलसे म लखनऊ क रवी ालय म ई भट क बाद म मूलचंद क नकट आ गया था। बावजूद इसक हमार म य संवाद क थ तयां बनने म थोड़ा वल ब आ। इसक पीछ मेरा संकोची और खामोश वभाव था जब क मूलचंद एक मुखर और खुले य व क मा लक ह। उनक जीवंतता मुझे ब त े रत करती ह पर म को शश करने पर भी उन जैसा नह हो पाता। जन दन म शाहजहांपुर था तब भी वे वहां जब-तब आते-जाते रह और बरली रहने लगने पर तो उनसे मुलाकात का सल सला तेजी से चल पड़ा ह। वे कई बार व व ालय आते ह तो मेर नवास पर आना नह भूलते। इधर उनक संग-साथ या ाएं करने का भी सुयोग बन जाता रहा ह। 'प रवेश' ने नागाजुन पर बनारस म आयोजन रखा जसम म उ ह क साथ गया था। उस दन आ यह क बाबा पर जस काय म का उ ाटन काशीनाथ सह को करना था उसे वे 'काशी का अ सी' पर बन रही अपनी फ म म य ता क चलते नह कर पाए और इस तरह वह दा य व मेर ह से म आ पड़ा। अभी पछले वष 'गण म स मान' लेने क लए बंगाल क या ा मने उ ह क साथ क थी। हम शां त नकतन भी गए और रानीगंज क उस व ालय म भी जहां काजी नज ल इ लाम पढ़ थे। मूलचंद क को शश थी क हम थोड़ा समय नकालकर नज ल क गांव चु लया भी जाएं और कोयला खान क भीतर जाकर उन मज र क जदगी और म को भी खुली आंख से देखो जो अपने ाण को संकट म डालकर जमीन क नीचे क आग म उतरते-तपते ह। पर यह संभव नह हो पाया। मूलचंद क खूबी यह ह क उनक संग-साथ रहते आप कभी नराश और उदास नह होते। वातावरण एक अजीब ताजगी और खनक से भरा रहता ह। हदी जगत दस बर-2021
क हलचल पर उनक चौकस नगाह रहती ह। वे अ यंत सुप ठत ह। सा ह य ही नह राजनी त पर भी सु प सोच और प धरता से स प । सा ह य क नया और उनक लए कभी क रयरवाद नह रही। पछले दन उ ह ने च दौसी म 'राम वलास शमा और 1857' पर एक सु च तत आयोजन रखा जसम दीप स सेना भी आए थे। उसक बाद रानीगंज म राम वलास शमा क राजनी तक चतन पर उ ह बोलते सुना तो उनक व ृ व कला का भी म शंसक हो गया। जानता क मूलचंद ब त प वादी ह। ऐसे करक वे कई बार सामने वाले को उ े जत, न र और कभीकभार भीतर से नाराज भी कर देते ह। पर इस सबक पीछ उनक सु च तत तक होते ह ज ह कई बार काटना संभव नह होता। वे लोग को नह , उन थ तय को ग रयाते ह जो हदी रचनाकम को भीतर से खोखला कर रह ह और जनसे बचना इन दन ब त ज री हो गया लगता ह। इस मामले म मने एक-दो बार उनक नबल करने क को शश क पर म नरा बेचारा सा बत आ। च दौसी क श नगर का वह मकान जसम मूलचंद को कताब , पि का और अखबार से घर बैठ देखकर कसी भी साथी कलमकार को सुख मल सकता ह। वहां प चकर म भी एक अ य ग रमा से सराबोर हो जाता । उनक नकट बैठो तो वे मदन दीि त क रचनाकम और खास तौर पर उनक उप यास 'मोरी क ट' क चचा ज र करगे। फर बात उस तरफ मुड़गी जसम वनोद कमार द ा, रामअवध शा ी, माधुरी सह या यौराज सह बेचैन का भी कोई वा या आकर पसर जाएगा और फर खुलने लगेगी बाबा नागाजुन क जदगी क कछ पत जसम बार-बार यह य होता चलेगा क 'कहां-कहां से गुजर गए बाबा।' जगह को देखना मेरी ख त ह, पर मुझे खेद ह क म उनक इस ऐ तहा सक नगर को जस तरह उनक साथ ठहर-रहकर जाननापहचानना चाहता था, वह अब तक संभव नह हो पाया। एक बार वे मुझे लेकर मदन दीि त क घर भी गए थे। बात -बात म मदन दीि त ने 1857 क ां तकारी ब त खां पर लखा अपना नाटक मुझे 'संदश' म छापने क लए दया था। पर म उसका उपयोग नह कर पाया। अब उनक वह रचना पु काकार छपकर आ गई ह। मेरा मानना ह क स ावानी ां त म
ब त खां क ां तकारी नेतृ व क मू यांकन म इ तहासकार से बड़ी चूक हो जाती रही ह जसक थोड़ी-सी भरपाई ही इस ना रचना से संभव हो पाई। मूलचंद मेर जनपदीय काय क शंसक ह। ऐसा उ ह ने शहजहांपुर पर मेरी पु क 'शहर क भीतर शहर' क वमोचन काय म का संचालन करते ए कहा भी। 'प रवेश' म इस वषय पर मेरी पु क पर लंबी समी ा मक ट प णयां भी लखकर उ ह ने छपवाई। पर मुझे नह पता क वे अपने नगर च दौसी पर वैसी कोई रचना लखने का इरादा कब बनाएंगे। हदी म जगह पर लखने का रवाज वैसे भी कम ह। अपने शहर और नगर को न जानने क म म भाषा , बो लय , थानीय सं क त और हमार लोक व इ तहास का ब त ज री हमसे कछ खो-छट जाता रहा जसक भरपाई संभव नह । अब तो प लखने का चाल-चलन ही समा' हो गया ह। पर जन दन यह था तब भी मूलचंद क च ठयां संि ' इबारत वाली ही आ करती थ । बस, सूचना और संकत देने वाली। खतो कताबत म यु होने वाला ''ि य बंधु' का उनका संबोधन अब फोन पर उनक खनकती आवाज म सुनाई देने लगा ह- 'कहो बंधु, या हाल ह।' पर उनका ऐसा कहना कभी औपचा रकता भर नह होता। आ मीयता से भरपूर उनक वर लहरी आज भी मेर नजी संकट क म य कसी संजीवनी क मा न द ह। म अ सर उसक बाट जोहता । कई बार मन क हारने-थकने पर उनसे बात करना मेर लए उपचार जैसा ह। पट, शट और पैर म साधारण-सी च पल। कधे पर लटकता कामरड टाइप झोला जसका चलन अब कम हो गया ह। पर मूलचंद ह क अपने शु आती दन से उसे ढोते चले आ रह ह। जानता क यह झोला उ ह छोड़ता नह और न ही वे इसे कसी खूंटी पर टांग कर भूल जाने म भरोसा रखते ह। वे ब त दो नुमा आदमी ह। 6, पवन बहार, फज-5, व ार, पो. हलखंड व व ालय, बरली-243006 मो: 84390-77677 / 97608-75491
वे ब त दो नुमा आदमी ह 22
सृजन ि ितज
समकालीन िहदी किवता क चुनौितयां िवशेष ितिनिध, आपका ित ता-िहमालयः समकालीन समाज जन संकट से जूझ रहा ह वे सार संकट कसी- न- कसी प म समकालीन हदी क वता क वृि य को भी नधा रत कर रह ह। ऐसे म वाभा वक ह क समकालीन हदी क वता क वृि य क तलाश करने का येक उ म, समाज क संदभ क बीच से ही अपना रा ा बनाता ह या आकार पाता ह। भारतीय समाज का भूगोल भी ब त बड़ा ह और इ तहास भी। हदी समाज और भाषा म इसक अनुभव युग से सं चत होते रह ह। हदी समाज और भाषा एक अथ म भारतीय मृ त और सं क त का क ीय कोष ह। इस लए सम या से जूझते ए भी इस समाज म सफ हताशा या पराजयबोध ही नह ह ब क सहज उ ास भी ह और धैय भी ह और ह एक अ त तथा पृहणीय जीवनशैली। एक भ कार का जीवन-बोध। समकालीन हदी क वता म सम या से जूझते ए इस व ृत भैगो लक-ऐ तहा सक समाज क पीड़ा क का या मक अ भ य क चुरता ह। इसे कसी वैचा रक दशन से जोड़कर भी देखा जा सकता ह या सीधे सामा जक प र े य क हवाले से भी समझा जा सकता ह। ले कन यह ब कल प ह क इस च म फसे समाज क साथ हदी क समकालीन क वता खड़ी ह और पूरी ताकत, वह जतनी भी हो, क साथ खड़ी ह। शैले चौहान क क वता समाज क अंत वरोध, वग वैष य, दैनं दन संघष और काय यापार का सजीव रखांकन ह। नगर देहात, क त- व ान, अभाव-वैभव, ख और सुख सभी उनक क वता म सहज वाभा वक प म व मान ह। कछ ऋ षनुमा लोग और भी ह जो हदी क वता क पथ क दावेदार ह और जो कालजयी क वता लखने क यापक कारोबार म योम- य ह। उनक क वताएँ कालजयी चाह जतनी हो काल- स और काल- ब तो ब कल ही नह ह। इस लए ये चाह तूमार जतना बांध समकालीन हदी क वता क सामा य वृि य को समझने म सहायक तो ब कल ही नह ह। य द आचाय रामचं शु को माण मान (न मानने क कोई आव यकता नह दीखती ह) तो कसी भी समय क सा ह य क सामा य 23
समकालीन हदी क वता क चुनौ तयां
वृि य को पहचानने का सबसे ामा णक ढग होता ह जनता क च वृि य म आ रह बदलाव को वर देनेवाले सा ह य- प का संग ठत अ ययन कया जाये। समकालीन हदी क वता क सामा य वृि य को समझने क लए भी इससे बड़ा, ामा णक और मह वपूण कोई सरा सू नह हो सकता ह। हां, व भ समकालीन हदी क वय क क वता म इसक का या मक नभाव का व प अपना और अनोखा ह। आधु नक हदी सा ह य क शु आत से लेकर आज तक क समय म ब त बदलाव घ टत हो चुका ह। यह बदलाव सामा जक संरचना क ऊपरी र से लेकर उ पादन क शैली और लोग क ह सयत म भी आया ह। ान- व ान क सभी े म बदलाव आया ह राजनी तक संरचना म आया बदलाव तो भयंकर ह। अथसंबंध का व प भी ब त तेजी से बदला ह। इस प रवतन का थोड़ा-सा भाव थोड़-से लोग क लए सकारा मक रहा ह तो ब त सार लोग क लए नकारा मक ही रहा ह। सा ह य ने इस थोड़ और ब त क ऊपर पड़ने वाले भाव को कसे अ भ य कया ह और इस अ भ य क म म खुद कतना प रव तत आ ह इसका आकलन करना न य ही दलच प होगा। वा व म कसी भी समय म समकालीनता क पहचान न ववाद नह आ करती ह। फर आज न तो कोई कट का यांदोलन ही ह और न कसी मतवाद का कोई गहरा सामू हक या सामा जक असर ही। कछ आलोचक क नजी आ ह भले ही कभी-कभी सि य तीत होते ह पर वह कोई मा य का यसू क रचना करने म सफल हो रह ह ऐसा नह ह। इसे क वता क लए अ छा माना भी जा सकता ह और नह भी। य द क वता म खुद कसी कार क सामा जक उपादेयता नह बचने क कारण या क वता से कसी कार का आ ासन न पाने क कारण क वता कसी वैचा रक उदासीनता क ता का लक भंवर म फसी ह तो यह चता का कारण ह। थोड़ी-थोड़ी स ाई दोन कार क सोच म ह। क वता अपनी इस थ त से बेखबर नह ह। आज हर समाज-सचेत हदी क व इस इस बात को श त से महसूस कर ऱहा ह। न सफ महसूस कर ऱहा ह ब क
उसक का या भ य य म भी इसका माण दे रहा ह। सा ह य का अपनी भाषा से गहरा सामा जक और सां क तक संबंध होता ह। अथात सा ह य का अपना सु न द भा षक-समाज भी आ करता ह। इस भा षक-समाज को एक बनाए रखनेवाले सू का एक सरा उस समाज क सबसे नचले र तक जाता ह तो सरा सरा सबसे ऊपर क र तक भी जाता ह। वृह र मानव आबादी क चता करते ए भी उसे उसक भी उतनी ही चता करनी पड़ती ह जसक ता का लक हत क खलाफ सा ह य अपना संवेदना मक व ार सरजता ह। यानी एक बेहतर साथी क प म सा ह य क ज रत बनी ई ह। इस भू मका क संदभ म ही उन सार सवाल क उ र तलाशे जाने चा हए जनका संबंध सा ह य से ह। वग हत साधने क लए भी सा ह य को वगातीत होना पड़ता ह। एक अ धक संवेदनशील और अ धक मानवीय समाज क प रगठन क लए इस रणनी त क मम को समझा जाना चा हए। ता पय यह क सा ह य को अपना बाहरी वतान सबक लए खुला रखना चा हए। अ यथा का लदास से लेकर जयदेव, व ाप त, कबीर, सूर, तुलसी, मीरा, जायसी, ेमचंद, रव नाथ ठाकर, नराला, साद आ द क सा ह य का पाठ कस कार तैयार कया जा सकगा? ेमचंद जैसे महान सा ह यकार जस भाषा म हो गये उस भाषा क सा ह य म इस वपाक का घ टत होना व मयकारी भी ह और खद भी। ेमचंद क सहानुभू त एक य और वचारक क प म चाह होरी क त ही य न रही हो ले कन एक उप यासकार क प म रायसाहब स हत सभी पा क त उनक सचे ता का संतुलन गजब ह। आज क भाषा-समाज पर यान देने से जो बात सबसे पहले समझ म आती ह वह यह क आज भा षक -समाज का व प काफ बदल चुका ह। इस बात पर वचार करना ासं गक होगा क भाषा और सा ह य का आपसी संबंध या होता ह। या अं ेजी म हदी सा ह य का लेखन संभव नह ह, यह भी क या हदी म अं ेजी का सा ह य लखना संभव ह क नह ? यह सही दस बर-2021
सृजन ि ितज ह क सा ह य का संबंध भाषा से ब त गहरा ह तथा प सा ह य को सा ह य बनानेवाले त व का नाम भावना, संवेदना, वचार, क णा, आनंद, व न आ द से जुड़ता ह। तो या आ? समाज ि भाषी हो या ब भाषी ले कन उसक सद य क मूलभाषा ( ज री नह क मातृभाषा ही हो) अथात वह भाषा, जस भाषा म उसक सामा जक-जीवन का अ धकांश कारोबार संप करता ह, वह एक ही हो सकती ह। भारतीय भाषा नाम क कोई एक भाषा तो ह नह इस लए कसी एक भाषासमाज क संदभ से सा ह य को जोड़कर देखने का यास बेमानी हो जाता ह। येक भाषा का अपना भाषा-समाज होता ही ह चाह वह जैसा भी होता हो। जस भाषा का कोई समाज नह होता ह उस भाषा क अि व का आधार सं था नक होता ह। भारत म अं ेजी सं था नक भाषा ह सामा जक भाषा नह । यह याद रखना चा हए। ऐसा इस लए ह क भारत क सं थान का आ थक- बौि क भु व जनक हाथ म ह उनका अपना आ थकबौि क वाथ अं ेजी क मा यम से संतु
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होता ह भाषा से व छ ता अंतत: समाज से व छ ता का ही आधार ुत करती ह। व -भाषा का मुहावरा सुनने म बेहतर ह ले कन उसम अंत न हत चालाक को समझना ही चा हए। सामा जक भौ तक और संसाध नक वकास का म जस तेजी से आगे बढ़ा ह वह चम कत कर देने वाला ह। आज का मनु य भौ तक प से जतना संप और समृ ह उतना पहले कभी नह था। ान और मनोरंजन क अ त वक सत साधनवाले इस उ र-आधु नक समय म अब सा ह य क या और कसे ज रत ह? एक तरफ यह सचाई ह तो सरी तरफ इस सचाई का एक और चेहरा ह, जो अ त भयानक ह। इसका कारण यह ह क ानव ान-संसाधन जतनी ती ता से वक सत ए ह उतनी त परता से वत रत नह हो पाये ह। वकास का चेहरा वषमता क आँच से झुलसा आ ह। वकास क बड़-बड़ आंकड़ पढनेवाले लोग भी वकास क इस झुलसे ए चेहर को देखकर डर जाते ह। यह डर उ ह वषमता बढ़ानेवाली वृि को रोकने क लए ब त
उ ोगी या त पर नह बनाता ह तो इसका कारण यह नह क उनका डर नकली या नाटक ह ब क इसका कारण उनका अपना वग-च र ह। वक सत होने क बावजूद वषम समाज म जीने क लए बा य ह आज का मनु य। इस लए आज का मनु य पहले क मनु य से अ धक संप होने क बावजूद पहले क मनु य से कह अ धक खी और वप ह। संप ता उसक ख को कम करने म कसी भी कार से मददगार नह हो पा रही ह। वप ता उसक जीवन का थाई भाव ह। सुतव - नारी/ नर- भवन- प रवार, सब बेकार। कोई उसक अकलेपन को तोड़ पाने म उसका सहायक नह हो पाता ह। इस अकले पड़ते मनु य क संदभ म आज सा ह य क भू मका परी णीय ह। उसे इस नरंतर अकले पड़ते जा रह मनु य से संवाद करना, उसका साथी बनना, उसक आहत भावना का आदर करना और अंतत: उसे अकलेपन क अंधगुहा से बाहर नकालने क यु करना ह।
समकालीन हदी क वता क चुनौ तयां 24
महश कमार कसरी क दो लघुकथाएं... एक- आ म व ास रामबलेसर चचा को आज फर अपने ठले पर छोले- कलछ बेचते ए देखा तो अपने आप को रोक नह सका। जाकर उनक सामने म खडा़ हो गया, और तपाक से पूछ भी लया - "और चचा या हाल -चाल ह? ब त दन क बाद आज आपका ठला लगा ह। " चचा सुजाता टाक ज क बगल म पछले पतीस- चालीस साल से ठले पर छोले - कलछ बेचते चले आ रह थ। रोजाना नय मत समय पर आकर ठला लगाते और नय मत समय से चले भी जाते। इधर वा य कछ साल भर से गर गया था L चचा स र साल से कम क ना रह होग। बना नागा कये वो रोज समय से ठला लगाते आ रह थ, ले कन वा य खराब रहने क कारण वो लगभग बीते साल भर से गायब हो गये थे। चचा हसते ए बोले - "अर आज साल भर से बीमार L अभी भी अंदर से ठीक नह लगता ह, ले कन या कया जाये? " फर वो बोले - "तुम इधर?" मने कहा - "हां ऐसे ही, इधर... घूमते ए आपक तरफ नकल आया।" फर, मने पूछा - "अ छा चचा अब आप ये बताईये, इस उ म आपको भला काम करने क या ज रत ह?" वो हसते ए बोले - "पैकट खचवा कहां से आयेगा?" मने फर पूछा - "कछ जमा -वमा नह करक रखा या चचा, बूढ़ापे क लए?" अर नह भाई। बाल-ब को सारी उ पालने-पोषणे म ही सारी कमाई चली गई।
25 महश कमार कसरी क दो लघुकथाएं...
जमा या खाक होता। मान लो लाख-पचास हजार ह भी, तो बैठकर खायगे तो क दन चलेगा?" वे, हसते ए फर बोले - "सच क तो, अब काम करने का मन नह करता। एक लड़का भी रखा आ ह, ठला वही लेकर आता- जाता ह। म कवल कान पर बैठता । ठला ख चने क अब ताकत नह रह गयी ह। इतना बोलने भर से वो थकने लगे थ।" "ब े मदद नह करत?े "मने उनसे ऐसे ही पूछ लया था। उनका चेहरा थका आ लग रहा था। ले कन, वैसे थक ए चेहर क साथ वे कवल मु करा कर रह गये थे। फर वे बोले -"जब आज तक कसी का एहसान नह लया तो, अब इस उ म? बाक क श द वह हवा म तैर कर रह गये थे।" मान वे कह रह ह जब स र साल तक मुझे कसी क मदद क ज रत नह पडी़ तो भला अब या कसी क मदद क ज रत पडने वाली ह? ठला को ले जाने वाला लडका आ गया था। शायद कल क ट फन म उनको जाना था। उनसे पहले भी कल म, म छोले- कलछ खाता था। "अ छा, चलता । " कल म ट फन ई होगी। वहां क ब े भी मेरा इतजार करते ह ग। शाम को कान फर लगाऊगा। धीर-धीर चचा का ठला आंख से ओझल हो गया।
-महश कमार कसरी
दो-मु क
"मां तुम रो य रही हो?" -सा दक ने अमीना बीबी क कधे पर धीर से हाथ रखकर पूछा। "नह , म रो कहाँ रही ?" "नह , तुम रो नह रही हो तो तु हारी आंख से आंसू कसे, नकल रह ह? "सा दक, वैसे ही बोल रहा था। जैसे वो, अमीना बीबी क बात को ताड़ गया हो। "कछ नह होगा... हमलोग.. कह .. नह जा रह ह। सा दक ने अमीना बीबी को जैसे व ास दलाते ए कहा।" ब त मु कल से अमीना बीबी का ज त कया आ बांध जैसे भरभराकर टट गया, और वो आंसे गले से बोली- "इस तरह से जड़... बार-बार नह खोदी जात । ऐसा ही एक गुलमोहर का पड़ हमार यहां भी आ करता था। तु हार अ बा ने उसे लगाया था। इस गुलमोहर क पड़ को देखकर तु हार अ बा क याद आती ह। सोचा, इस गुलमोहर क पड़ को ही देखकर म बाक क बची-खुची जदगी भी जी लूंगी। मने यहां ब त समय नकाल दया। अब, सोचती क बाक का समय भी इसी जमीन पर इसी गुलमोहर क नीचे काट ं। यहां क तरह ही वहां भी धूप क कतर, पानी क यास और आदमी को लगने वाली भूख म मने कोई अंतर नह पाया। बार-बार जड़ नह खोदी जाती ..सा दक मयां .. ऐसे गुलमोहर एक दन म नह बनते। "और अचानक से अमीना बीबी जोर जोर से रोने लग । सा दक ने अमीना बीबी को अपनी बाह म भर लया और चुप कराने क को शश करने लगा। अमीना बीबी को चुप कराते- कराते सा दक भी पता नह कब खुद भी रोने लगा। C/O -मेघ त माकट फसरो बोकारो, झारखंड-829144 मो-9031991875
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नीना िस हा क दो लघु कथाय एकः नदान “ कल-बस पा कग क सीसीटीवी कमर क रकॉ डग म कछ दन से ऐसा या ढढ रहा ह, मनु? तूने इस कड़ाक क ठड म ढग से ऊनी कपड़ भी नह पहने! मने मंक कप से लेकर द ान तक पहना आ ह, फर भी मुई ठड घुस ही जाती ह। हहह!” “जो ढढ़ रहा पापा! मला नह ।” “ प बताएगा, तब तो समझूँगा।” “पापा! नये खलासी शंभू क बड़ी शकायत आ रही ह, जो हमारा र तेदार भी ह। छोटी बि य को बस पर चढ़ाते-उतारते समय कभी गाल पर चको टयाँ काटता ह तो कभी… या क ! म सबूत ढढ़ रहा ता क नौकरी से हटाने से पूव आरोप स कर सक।” “कछ नह मलेगा। सब जानते ह क सीसीटीवी कमर म कहाँ-कहाँ दखता ह। यहाँ ऐसी-वैसी हरकत कोई नह करगा। सबूत इक करने क लए अनेक बार बस क सवारी करनी पड़गी और जनक माता- पता से शकायत आई ह, उन बि य से भली-भाँ त पूछताछ करनी पड़गी। म इस मशन पर लगता ।” “ रटायरमट क बाद अब आराम क जए, पापा! शंभू को नकाल देता । पु लस म शकायत क लए कछ पु ता ढढ रहा था, पर आप यूँ परशान न ह ।” “बेटा! यह कल वष क मेहनत ह। इसका नाम तेरी वगवासी माँ क नाम पर ह। कल क साख बचाने क लए हम कछ भी करगे ।” “ठीक ह, पापा!” “पूर शहर से कल बस से आने-जाने वाली छोटी बि याँ ब तायत म ह। व भ बस से संबं धत े क कछ शि का का आनाजाना जोड़ द तो बि य क सुर ा एवं नगरानी भी हो जाएगी तथा शि का का फायदा भी। तभी थायी नदान संभव ह।” “जी पापा!” दोः समाधान अ य दन म न सही पर नौकरीशुदा भाभी अवं तका से छि य क दन मुलाकात हो जाती थी। पर इन दन छि टय म भी भाभी दखाई नह पड़ । मन म न उठ तो माँ से पूछा, "ब त दन से अवं तका नह दखी!” दस बर-2021
“अवं तका क पता क देहांत क बाद उसक माँ अकली पड़ गई ह, तु ह पता ही ह। इन दन थायराइड और जोड़ का दद काफ तकलीफदेह हो गया ह। समजी क तीन बे टय को ही आपसी समझ और व क हसाब से िज़ मेदारी संभालनी ह। अवं तका, बहन म सबसे छोटी ह, छि य वाले दन मायक चली जाती ह। दोन बड़ी बहन क सास-ससुर यादा वृ ह। उ ह माँ क लए समय कम मलता ह; अवं तका अ धक व दे पाती ह।” माँ ने बताया। “इस रोज-रोज क आवा-जाही से परशान बे टयाँ लगातार समधन जी को मनाने म लगी ह क हमार साथ चल कर रहो। कसी एक जगह मन न लगे तो बारी-बारी तीन क पास रहो। हमार सास-ससुर समझदार ह, प र थ तय क अनुसार वयं को ढाल लगे। थोड़ा तुम भी एडज ट करना, कोई परशानी नह होगी।” पर कसी क नह सुननी ह। रकॉड फसा ह उनका, 'एक बेटा होता तो आज मेरी ऐसी ग त नह हो रही होती।' उसक बाद रोनाधोना ारंभ! बे टयाँ उनक रोने-धोने से परशान चुप लगा जाती ह। दामाद ने भी समझाने क को शश क , 'म मी जी! आपका यूँ अकले रहना ठीक नह ह। रातबरात वा य संबंधी कोई सम या ई तो? हमार माता- पता उ दराज ह, उ ह अकले नह छोड़ सकते। बे टय क ज मेदा रय क लहाज से थोड़ा एडज ट क जए।' पर उनका एक डायलॉग और सब क बोलती बंद, 'बे टय क ससुराल म जाकर र गी तो जमाना मुझपर हसेगा। म कह और जाकर य र , उ ह बारी-बारी मेर साथ रहना चा हए।' सोच कर देखो, दो बे टयाँ नौकरीशुदा ह, या न व क कमी। सबसे बड़ी गृ हणी ह, पर उनक नई नवेली ब ह, सास-ससुर अ यंत वृ ह। कोई भी बेटी उनक साथ रहने क अव था म नह ह। अवं तका का बेटा शशांक तयोगी परी ा क तैयारी म लगा ह। उसे माँ का व कम ही मलता था, अब छि य वाले दन भी अवं तका ग़ायब रहती ह।” माँ क चेहर पर उलझन थी। छि य म अवं तका माँ को घर क काम म मदद कर दया करती थी। अ य दन म, माँ ही मेड क मदद से साथ घर-प रवार क सार काम संभालती थ । बढ़ती उ क असर से वह भी
-नीना स हा
अछती न थ । कतना और कब तक संभालग ? पर सम या का नदान या हो, वह वचार कर रही थी। रात करीब दस बजे अवं तका थक -माँदी मायक से लौटी तो पास आकर बैठ गई। पूछने पर थक श द म बताया, "माँ अपनी जद छोड़ने को तैयार नही ह। माँ क लैट क एक कमर म एक कराएदार ह, कह आई क माँ को कसी तरह क परशानी हो तो तुरंत फोन कर।” “मेर पास एक सुझाव ह, मानना न मानना आपक मज़ । मेरा घर पास म ही ह, पाँच मनट क वॉ कग ड टस पर। नीचे वाला लैट खाली भी ह। अभी आपको मायक जाने क लए 26 कलोमीटर आना-जाना पड़ता ह। कराएदार का कमरा, वॉश म छोड़कर बाक कमर बंद कर दी जए और आंटी जी को आव यक सामान क साथ मेर घर म श ट कर दी जए। इतनी र क आवा-जाही से बच जाएँगी। दल न लगे तो कभी-कभार अपना घर देख आएँगी।” “माँ नह मानगी, दीदी! कहगी - म तु हारी ननद क घर कसे र ?” अवं तका क वर म नराशा थी। “एक रा ा ह। उ ह बताया जाए क आपने मेरा लैट कराए पर लया ह, ता क अपना घर-प रवार तथा आपको साथ-साथ संभाल सक।” “पर म यादा कराया नह दे पाऊगी, दीदी!” अवं तका मु कराई। “ 101 पए दे देना!” वह हस दी। “ या दीदी, आप भी! लैट का कराया सफ 101 पए, कस हसाब से?” “ सफ तु हारी माँ को कहने क लए क आप लैट का कराया दे रही ह, मु त म क ज़ा नह कया।” वह भी मु कराई। इस वमश क बाद अवं तका क चेहर पर चता क रखाएँ कछ कम । अपनी माँ क ज ी वभाव से वह अ छी तरह प र चत थी। पर को शश करने म या हज ह, सने सोचा, “शायद कोई हल नकल ही आए।” ारा- ी अशोक कमार ई-3-101, अ रा वस कोट-105106 नब लया पारा रोड, बा रशा, कोलकाता-08, पबं मोः 6290273367
नीना स हा क दो लघु कथाय 26
चूं क आलम साहब क भीतर का इ सान अभी मरा नह ह, यही वजह ह जो लोग-बाग उनक इ ज़त करते ह। उनसे इजाफ़त महसूस करते ह। आलम साहब जुबान क भी मीठ ह। नरम दल इस इ सान को भला कौन नह जानता। आलम साहब क एक बड़ी खा सयत ह और वह यह क उनक बाहर और भीतर एक समानता ह। उनक आचरण क सहजता हर कसी को अपनी ओर आक करती ह। वह जो कहते ह, उसे पूरा करते भी ह। अ पभाषी आलम साहब इन दन मोह े क लड़क से बोलना-ब तयान कछ यादा ही पसंद करने लगे ह। अ सर शाम होते ही कछ लड़क-लड़ कयां ता लम हा सल करने क ग़रज से आलम साहब क आवास पर चले आते ह। कछ आलम साहब क जवानी क िक़ से सुनना पसंद करते ह। जंगे आजादी क रोमांचक िक़ से0000। आलम साहब भारी मन अपने अतीत क प े पलटते ह। वह कहते ह, हमने जस आजादी का सपना देखा था, मु क़ ने जस आजादी क लए अपना सव व कबान कर दया, दरअसल हम वह आजादी मली ही कहां। आलम साहब जब यह कहते ह तब अनायास ही उनक ने सजल हो आते ह। उनक लए वतमान म कोई आकषण नह रह गया ह। भ व य भी अना था क सागर म गोते लगा रहा ह। वह लड़क से पूछते ह, या तुम लोग मज़हबी जुनून और धा मक उ माद क प रद को नह देख पा रह हो? देखो, उनक भी पर उग आये ह। खुले आकाश म देखो तो मेरी बात समझ म आ जायेगी। अगर चाहो तो प रद क पंख कतर सकते हो। उ ह उड़ने मत दो। लड़क-लड़ कयां अचरज से उ ह देखने लगते ह। पता नह , आलम साहब क कोई बात उ ह समझ म भी य नह आती। आदमी क सबसे बड़ी फतरत ह अतीत क नया म बार-बोर लौटना। कभी-कभार आदमी को अपने कम- ा त जीवन को ग तशील बनाये रखने क लए यह अ य त ज री भी हो जाता ह। इसक सहार भी आदमी अपनी अ तःपीड़ा को थोड़ा वराम दे सकता ह। जीवन को सहज माग पर लाने का यह भी एक तरीका हो सकता ह और संभव ह क आदमी इसक उलट अपने भीतर क कसक को बढ़ा ले। तभी तो आलम साहब बड़ फ़ से यह कहते ए सुने जाते ह क अपनी दोन संतान को गंवाकर उ ह ने सुधा क र ा क थी। अगर बेट जी वत होते तो आज अव य ही जवान हो गये होते और उनक सुधा कई ब क मां बन चुक होती। अपने दोन बेट क खोने का तो 27
उ ह गम ह ले कन अपने म क त उ ह ने जो वफादारी नभायी, उसे लेकर वह पूरी तरह आ ह। इसक बावजूद उनक भीतर एक टीस ह जो उ ह परशान कर रही। सु तान सह क चेहर क चमक और म ता क मठास व उनक बहा री क दलकश क से आज भी आलम साहब क मि क म क धते रहते ह। गुज़र व त क याद उ ह सताती भी ह। कई बार तो ब क समान जोर-जोर से रोते ए भी कइय ने उ ह देखा ह। हरा-भरा प रवार उजड़ा या, सुख का सागर भी सूख गया। अनंत संभावना का खद अंत। उनक नजर क सामने ही सब कछ ख म हो गया। हालां क आलम साहब अपने अतीत से बाहर नकलने का यास तो करते ह ले कन उनका अब तक का यास वफल ही रहा ह। और कम से कम इस ज म म तो वह सफल होने क उ मीद भी नह कर सकते। दरअसल इसे वह भी ब बी समझ रह ह। आलम और सु तान ये दोन क बचपन क म रह। एक साथ खेले-कदे, पढ़- लखे और जवान ए। दो ी का ऐसा अ भनव व द य ांत शायद ही कह खोजने पर मले। सु तान सह ने भी ब नभायी। अपनी म ता क दर यान कसी भी तरह का भेदभाव नह बरता। और आलम साहब ने तो अपने म क लए जो कया, वह एक आईने क तरह ह। अगर आदमी का दल साफ़ हो तो मज़हब क दवार वतः ही ढह जाती ह। सबूत क तौर पर हम आलम साहब को पेश कर सकते ह। आलम साहब क ऊपर सु तान सह का गजब का भरोसा था। ऐसा नह होता तो शायद वह अपनी अबोध क या क र ा का दा य व अपने म को नह स पते। बात यह भी नह थी क सु तान क सगे-स ब धी न ह । अगर वे चाहते तो अपने कसी भी र तेदार क यहां सुधा को छोड़ सकते थे। ले कन उ ह ने ऐसा नह कया। उन दोन क व ास क गाढ़ता क आगे मज़हब क सार अवरोध बेमानी सा बत ए। सु तान सह इस बात को बखूबी समझते थे क मेरी ग़ैरहािज़री म आलम साहब क बना सुधा एक पल भी चैन से नह रह सकती ह। दरअसल सुधा क जीवन म आलम साहब ब कल ही घुल- मल गये थे। उसक हसीखुशी व सुख- ःख म वह इस कदर शा मल हो चुक थे क दोन को एक- सर से अलग नह कया जा सकता था। सुधा क याद क नया ब त छोटी थी और उस नया म आलम साहब क भू मका हर व त एक सपाही क रही।
सुधा उ ह बचपन से ही आलम चाचा कहकर पुकारती थी। ज़ा हर ह वकट प र थ तय क कारण मां क ेह-छाया से बेचारी सुधा वं चत रही। प त क सलामती को ले चता म डबी भावती अपनी थम सं तान को जनने क दौरान ही हमेशा-हमेशा क लए आंख बंद कर ल । अस सव-पीड़ा को बेचारी बदा त न कर सक । हालां क श य च क सक ने उ ह बचाने क हर संभव को शश क थी, फर भी उ ह सफलता हा सल नह ई। फरंगी सरकार क खलाफ बगावत करने, कसी अं ेज मरान को मौत क घाट उतारने तथा बक डकती जैसे क तपय आपरा धक मामल म सु तान सह पहले से ही कारागार म बंद थे। अपनी गभवती प नी क बीमार होने क ख़बर तो सु तान सह को आलम साहब से पहले ही मल चुक थी। आलम साहब ने भाव त देवी क बीमारी का हवाला देकर एक करामाती वक ल क मा यम से हािक़म क आगे सु तान क सशत जमानत को ले गुहार लगायी और अदालत म एक दर वा भी दया था ले कन अदालत ने जमानत क अज ख़ा रज कर दी। प नी क असाम यक मौत क ख़बर और ब ी क सकशल होने क बात जब सु तान सह क सं ान म आयी तो उ ह ने अपनी आह भर और सफ़ इतना ही कहा मेरी भा अब इस नया म नह रही। उसे मेरी थोड़ी और ती ा करनी चा हए थी। अफसोस क म भा क लए कछ भी न कर सका। उसे मने सफ क ही दये। अपने क क बार म उसने कभी कछ कहा नह । और म भी अ धक लापरवाह होते चला गया। भाव त जो मेर मन- ाण क ऊजा थी, अपने मु क को फरंगी शासन से आज़ाद होते देखना चाहती थी, उसका यह सपना भी अधूरा रह गया ओर वह संसार से चली गयी। जब क उसने मुझसे वादा कया था, एक साथ जीने और मरने का। अपनी संतान को इस दयहीन नया को देखने क लए छोड़ गयी। सु तान सह गुनाहगार थे फरंगी कमत का। चाहते थे अपने देश को आजाद कराना। आजादी क बुलंद इरादे अपने दय म लये ए असं य युवक वाधीनता क वेदी पर चढ़ने को ले आतुर थे। मानो युवक म एक- सर को मात देने क होड़ लगी हो। पु लस क लाठी-गोली से रोज ही देश म कह न कह युवक शहीद हो रह थे। यौवन से भरपूर तेज वी छा और नौजवान आंदोलन क अलख जगाये ए थे। बेशक उ ह नौजवान म से सु तान सह भी एक थे। मशः
दस बर-2021
व ान
ल च आ नई पीढ़ी का टिल कोप जे स वेब टिल कोप -संदीपन तालुकदार
जे स वेब ट ल कोप : ांड क ोत का पता लगाने क लए पृ वी से नकला नई पीढ़ी का ट ल कोप नई पीढ़ी का ट ल कोप जे स वेब पेस टली कोप लॉ क तारीख- - ए ो फ ज स क नया (WORLD OF ASTROPHYSICS) म जस पल का लंबे व त से इतज़ार कया जा रहा था, ि समस क दन वह हक क़त बन गया। नई पीढ़ी क ट ल कोप “जे स वेब पेस ट ल कोप” (JAMES WEBB TELESCOPE IN HINDI) को 25 दसंबर को सुबह 7 बजकर 20 मनट पर दि ण अमे रका म च गुयाना थत यूरोप क पेसपोट से लॉ कया गया। नासा ारा जारी व य क मुता बक़, इस ट ल कोपको ए रयान-5 रॉकट से लॉ कया गया था। यह मशन नासा, ईएसए (यूरो पयन पेस एजसी) और कने डयन पेस एजसी का साझा उप म ह। इसम सौर मंडल और सूय क अलावा सर तार क च कर लगाने वाले ह क खोज कर, शु आती ांड क पहली आकाश गंगा से आने वाले काश क खोज करने का ल य ह। काय म पर ट पणी करते ए नासा क शासक बल नेलसन ने कहा, “जे स वेब पेस ट ल कोप नासा और साझेदार क उन मह वकां ा को द शत करता ह, जहां वे हम भ व य म ले जाना चाहते ह। द वेब से अपे ा क जाती ह क यह ांड क बार म अब तक समझ ना आने वाली या अब तक ना पहचानी गई चीज को खोजेगा। यह या खोजेगा, इसे लेकर म ब त उ सुक ।” परी णशाला (ट ल कोप) को 870 मील या 1400 कलोमीटर ऊपर रॉकट से अलग कया गया। लॉ क पांच मनट बाद, ज़मीन पर मौजूद टीम को वेब से डटा मलने लगा। ए रयान रॉकट उड़ान भरने क 27 मनट बाद परी णशाला से अलग आ था। फर लॉ क 30 मनट बाद वेब ने अपना “सोलर एर (सौर संयं )” खोल लया। ज़मीन पर मौजूद टीम ने पु करते ए कहा क सोलर एर, ट ल कोप को बजली उपल ध करवा रहा ह। अपने पथ पर आधे घंट च कर लगाने क बाद क या म मा लदी ाउड टशन म थत परी णशाला म संकत प चने क पु क गई। इस ट ल कोप को पृ वी से 15 लाख कलोमीटर र दस बर-2021
एक ऑ ज वग टशन पर रखा जा रहा ह। अब तक क सबसे ज टल और बड़ी अंत र परी णशाला 6 महीने तक अपना काम करगी। इसक बाद वेब ट ल कोप अपनी पहली त वीर भेजेगा। वेब ट ल कोप म चार उपकरण ह, जो अब तक क सबसे उ त उपकरण म से ह, साथ ही, इ ारड स नल क लए इसम संवेदनशील डट टस भी लगाए गए ह, जनम अभूतपूव र क गुणव ा मल सकगी। ट ल कोप खगोलीय संचरना से आने वाले इ ारड काश का अ ययन करगा। यह अहम वै ा नक मशन नासा क हबल ट ल कोप और पाइ जर पेस ट ल कोप का उ रा धकारी ह। इन मशन म जो खोज हा सल क गई ह, वेब उनक उ त म भी अपना योगदान देने का ल य रखता ह। द वेब अपने पूववत हबल जैसे ट ल कोप से कई मायन म अलग ह। पहला इसम 6.5 मीटर चौड़ा सुनहरा शीशा (परावतक) लगा ह, जससे इसक ऑ ज़वटरी (परी णशाला) क कायकशलता ब त यादा मजबूत हो जाती ह। यह शीशा, हबल म लगे ाथ मक परावतक से तीन गुना यादा चौड़ा ह। द वेब का बड़ा परावतक जब इसक संवेदनशील उपकरण क साथ काम करगा, तो इससे अंत र व ा नय को अंत र म यादा गहराई से देखने का मौका मलेगा। इस बड़ परावतक शीशे म 18 ह से ह, हर कसी म पीछ एक छोटी मोटर लगी ह। इन परावतक को इस तरह से कि त करना होगा, जससे ांड क शु आती तार से आने वाली इ ारड करण को पकड़ा जा सक। जे स वेब पेस टली कोप क लागत इसे बनाने म 10 ब लयन अमे रक डॉलर खच (JAMES WEBB SPACE TELESCOPE COST) कए ह, अनुमा नत तौर पर इसक उ 10 साल होगी। द वेब का वज़न 6200 कलो ाम ह। परी णशाला का एक ाथ मक ल य वह युग (इपोच) ह गे, जब तार का बनना शु ही आ था। इन तार क बार म कहा जाता ह “ बगबग” क बाद ांड म जो अंधेरा छाया था, वह इन तार क काश से ख म आ था। बता द बग-बग क यह घटना 13 अरब साल पहले ई मानी जाती थी। इन खगोलीय व ु म ई परमाणु ि या से काबन, नाइ ोजन,
ऑ सीजन, फॉ फोरस और स फर जैसे भारी अणु का ज म आ, जो जीवन क लए ज री ह। द वेब का एक सरा ल य, सर ह क वातावरण का अ ययन करना ह, जससे शोधा थय को यह जानने म मदद मलेगी क हमार सौर मंडल क बाहर भी कोई रहने लायक ह ह या नह । मशन म वै ा नक हइडी ह मेल ने ट पणी म कहा, “हम ए ो फ ज स क एक नई नया म वेश करने वाले ह, जहां एक नया मोचा होगा; हमम से कई लोग को यही चीज जे स वेब पेस ट ल कोप को लेकर उ सुक बनाती ह।” ब त कम तापमान पर रहगा ट ल कोप नासा क मुता बक, जे स वेब ट ल कोप ब त कम तापमान पर रहगा। इसे ठडा रखने क वजह यह ह क इसे ब त र से आने वाले इ ारड स नल का परी ण करना होगा, इस लए उन कमज़ोर गम करण को खोजने क लए उपकरण को ब त ठडा रहने क ज रत ह। द वेब म कई सार सुर ा तं ह, जो इसे ठडा रखते ह और इसे बाहरी चीज क गम से बचाते ह। एक “सनशी ड” इस ट ल कोप क सूय, चं मा और पृ वी से आने वाली गम से र ा करते ह। यह शी ड ट ल कोप को -223 ड ी से सयस तक ठडा रखेगी। बेव क सर उपकरण म भी ठड करने क उपकरण लगे ह गे। “ नयर-इ ारड” उपकरण -234 ड ी से सयम पर काम करगे, जब मड-इ ारड उपकरण -266 ड ी से सयस पर काम करगे। ईएसए क व र व ान सलाहकरा माक मैककाघरन ने बताया क य इन उपकरण को इतने ठड तापमान पर रखा जा रहा ह। उ ह ने कहा, “अहम चीज यह ह क इस पूर उपकरण को ब त ठडा रहना ह। दरअसल यह ट ल कोप 233 ड ी से सयस पर काम करगा। कवल तभी यह इ ारड वेवलथ (तरंगदै य) पर चमकना बंद करगा। वह हम इससे काम करवाना चाहते ह। कवल तभी यह र क ांड (जहां पहली आकाशगंगा क खोज ई) म थत चीज और सर तार क आसपास च कर लगाने वाले ह क फोटो ले पाएगा। तो अभी ब त काम होना बाक ह।
ल च आ नई पीढ़ी का ट ल कोप जे स वेब ट ल कोप 28
प -4 (दे खए नयम-8) ेस तथा पु क पंजीकरण अ ध नयम समाचार-प का पंजीकरण (क ीय) नयम
‘आपका त ा- हमालय’ क वा म व तथा ववरण क सूचना 1
काशन थान
2 3
काशन अव ध मु क का नाम
4 5
या भारत का नाग रक ह? काशक का नाम व पता
6
संपादक पदेन का नाम व पता
7
उन य य क नाम व पतेजो समाचार प क वामी ह सम पूंजी क एक तशत से अ धक क साझेदार या ह सेदार ह ।
मु धारा ेस ए ड प लकश ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर, पो धान नगर, सलीगुड़ी-3, जला-दा ज लग, प.बं. मा सक मु धारा ेस, ‘अमरावती’ अपर रोड, गु ग नगर, पो धान नगर सलीगुड़ी-3, जला-दा ज लग, प.बं. भारतीय नाग रक रंजू सह मु धारा ेस ए ड प लकश ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर पो धान नगर, सलीगुड़-3, दा ज लग, प.बं. डॉ राजे साद सह ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर, पो धान नगर, सलीगुड़ी-3, दा ज लग, प.बं. लागू नह
म रंजू सह घो षत करती क मेरी अ धकतम जानकारी एवं व ास क अनुसार ऊपर दए गए ववर स य ह।
“आपका ित ता-िहमालय" एवं
द सन ए स ेस ारा
“अमरावती सृजन पुर कार-2021"
देय जनप धर सृजन सा ह य एवं प का रता क नभ क तीक
राम िकशोर मेहता
को पूव र क एकमा सलीगुड़ी से नय मत का शत वैचा रक पि का ‘आपका ित ता-िहमालय’ एवं ‘द सन ए स ेस’ क ओर से
“अमरावती सृजन पुर कार-2021"
आगामी दनांक 10 माच 2022 को एक भ य समारोह क बीच दान कया जायेगा।
DECEMBER-2021