JANUARY_2023

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वषः 15, अंकः 145, जनवरी-2023 PEER
JOURNAL िसकम क सांकितक िवरासत
REVIEWED

शेख मोहमद बनहाली, डोडा, जमू कमीर डा. सयभामा आडल, शंकर नगर, छािसगढ़, रायपुर डा. मूलचंद गौतम, शनगर, चंदौसी, मुरादाबार-202412, उ. . ो. मोहन सपरा, इजी, गोबदगढ़, एस डी कॉलेज रोड, जालंधर सुरश सेन नशांत, गांव सलाह, डॉ सुदर नगर, जला मडी, हमाचल देश-174401 डॉ. देवे साद सह, ससाराम-821115, बहार डॉ. चेतना राजपूत, डी-44/3, अनामट कॉलोनी, गणेशखड, पुणे-411007 डॉ. सय काश तवारी, 83-कोशपुर रोड, ओम रसडस, बी एल-3, लाट-3ए, कोलाकाता-02 वम सह, उराखंड वजीत, सलीगुड़ी

वषः 15, अंकः 145, जनवरी-2023

संपादकयः सकम क सांकतक वरासत ........................04

शा क ांगण : का से कटीन कचर तक .........................05

सनातन

जनवरी-2023
ह रावाद का गांधी दशन ..........................................07 गाँधी जी क राभाषा 'हानी' क कहानी ....................13 मीलॉड! नोटबंदी कानूनी हो सकती ह, पर सही नह! ...........16 दलत वमश .................................................................................................18 संमरणः भटकनः ......................................................................................21 कवताः िलोक सह ठकरला क कडलयां ............................23 कहानीः वदेशी ...........................................................................................24 संयु परवार - बरगद क छांव .....................................................26 जोशीमठ ासदी क लए कौन ह जमेदार? .............................27 जनमानस क लए वान ..................................................................30

सकम क संकत तबती बौ

औरनेपालीसंकतसेअंतरंगपसेभावत

ह। यहां क जीवन शैली नृय-गीत, उसव

और योहार क जरए य होती ह। इस देश

म भूटया, लेचा, नेपाली क अलावा बहार,

यूपी और राजथान से आए यापारी वग क

लोग भी नवास करते ह। इससे यह राय मनी

भारत क प म तदील हो गया ह। अनेकता म

एकता का इससे अछा उदाहरण भला और

याहोसकताह।भारतमइसरायकावलय

१९७५ म ही हो गया लेकन सकम क मूल

नवासी अपनी सकमी पहचान (Identity)

कोलेकरयादाहीसंजीदाह।

सकम क सांकतक धरोहर म तीरंदाजी

का मुख थान ह जो यहां का एक पारंपरक

खेल ह। इस खेल का आयोजन फसल क

कटाई क दौरान कया जाता ह। यह सामाजक

मलन का भी योहार ह जब थानीय लोग

अपने फसत क पल गुजारते ह। देश क

सरकार संकत क संरण क मकसद से इस

खेल को ोसाहन दे रही ह। भूटया और लेचा

समुदाय क लोग अपनी पारंपरक पोशाक म

इस खेल म भाग लेते ह। इस तयोगता क

लए एक छोटा सा- काठ का लय (Target)

१३० मीटर क री पर रखा जाता ह। टागट ३-१

फट साइज का होता ह जसम कवल १०

फसदी नशाने ही सही लगते ह। तयोगता

म भूटया महलाएं भी शरीक होती ह, हालांक

यह मुय प से पुष का खेल ह। तीरंदाजी

का खेल बेहद अनोखे ढग से खेला जाता ह।

टागट यानी क लय पर नशाना साधने वाले

तभागी क यान को भटकाने को ल अय

तभागी हर तरह का सास करते ह। इसक

लए अील गालयां देकर चढ़ाने का यास

कया जाता ह। लेकन इसे लोग दल से नह

लगाते ह। कई बार तो महला तभागी टागट

क सामने सो भी जाती ह। उसम साहसकता

का पूट भी होता ह। कई तभागी सफल होने लए मंदर म जाकर देवी-देवता से ाथना

तक करते ह। शु-शु म तीरंदाजी सकम

म समय काटने का जरया था। लेकन अब इसका आयोजन बड़ पैमाने पर कया जाता ह। यह खेल एक तरह से सकम का ादेशक खेल बन गया ह जसक साथ यहां क सामाजकपरंपराजुड़ीईह। सकम क संकत वहां क वभ तरह क नृय व संगीत क बना अधूरी ह। देश क तीन मुख समुदाय भूटया, लेचा और नेपाली क अलग-अलग भाषा, संकत व नृय संगीत ह जो इस देश को ववधतापूण श देते ह। देशकमुखनृय–छ फाट नृयः इस नृय क जरए लेचा लोग जीवनी श क तीक खांगचेनजंगा –कचनजंघा- को समान देत ह। कचनजंघा क अलावा इससे संलन पवत शखर पांडम, काब,सुम और नरशग को भी समानत कया जाता ह। ऐसी मायता ह क कचनजंघा

व संलन शखर म नमक, औषध, खनज, खाा और धामक पुक तक का ोत ह। नृय करने वाले कलाकार मखन क दीये और बांस क हरी पिय को लेकर यह नृय करते ह। यह एक धामक नृय ह जो उरी बौ पंचांग क अनुसार सातव माह क १५ व तारीखकोुतकयाजाताह। सकमारी नृय- यह भी लेचा समुदाय का ही एक नृय ह जसे युवा वग ाकतक परवेश क छटा और ेम क नैसगक भावना को कटकरनेकलएुतकरतेह। भूटयासमुदायकननलखतनृयहसही छामः इस नृय को ो लायन डास भी कहते ह। इस नृय का आयोजन कचनजंघा और उसक चार संलन शखर क समान म ुत कए जाते ह। ये पांच पवत शखर सह का आकार बनाते ह जससे इसका एक नाम(Snow Line Dance) भी पड़ा ह। यह ो लायन डांस सकम का सांकतक

लोग क

सहजजीवनशैलीकावणनकयाजाताह।

डनजग गनहाः इस नृय क जरए भूटया

लोग परमामा और अपने गु क त पूण

वास व आथा कट करते ह। यह समुदाय क शांत व आनंदमय कत को भी य

करताह।

टाशी यांग कः इस नृय क जरए भूटया लोग

न सफ़ अपने लए बक अपनी भूम क लए सौभायवसंपताककामनाकरतेह।

नेपालीसमुदायकनमांकतनृयह-

खुकरी नृयः खुकरी या खुखरी नेपाली

समुदाय क वीरता का तीक ह। सैनक को

यु क मोच पर भेजने क दौरान इस नृय का पुराने जमाने म आयोजन कया जाता था। खुखरी नामक धारदार हथयार क साथ यह नृयकयाजाताह।

मानी नृयः यह नेपालय का सबसे ाचीन

और लोकिया नृय ह। मूल प से इसका

आयोजन दशहरा क समय कया जाता था।

लेकन अब यह ववाह जैसे शुभ काय म भी

ुत कया जाता ह। यह नृय बुराई पर अछाई क जीत का तीक ह। यह नृय नौ वायं ‘नौमती बाजा’ और एक जोकर क साथघर-घरजाकरकयाजाताह।

चुड़क नृयः यह युवा लड़क-लड़कय का

लोकिय नृय ह जसक ुत खुले आकाश क नीचे फसल कटाई, मेला और योहार क समय क जाती ह। चुड़क का नेपाली भाषा म अथ ह हका-फका व रोमानी। यह मौजमी का गाना व नाचना ह। कल मलाकर कह तो नेपाली समुदाय नृय व संगीत म डबने वाला समुदाय ह जसक जीवंतता ही इसक सबसेबड़ीपहचानह।

04 जनवरी-2023
तीक भीह। याक छामः भूटया लोग यह नृय अपन उपयोगीपालतूपशुयाक–पहाड़कऊचाईय म पाए जाने वाली भस- क समान म आयोजत करते ह। इस नृय क जरए पहाड़ पर याक चराने वाले भूटया-लेचा
िसकम
क सांकितक िवरासत

नवउदारवादी नीतय (नयोलबरल पॉलसीज) ने शा क चर और उेय को बदलते ए शा का यावसायीकरण (कॉमसयलाईजेशन) ही नह कया ह, शा संथान–कल-कालेजववालय–क वातावरण को भी उस दशा म तेजी से बदला ह। इसक एक बानगी

कल- कालेज- ववालय म कटीन

कचर क फलाव म देखी जा सकती ह। इस

संदभमपछलेसौसालसेदेशक।

राजधानी म थत दी ववालय का

उदहारणल।

शा जगत म नवउदारवाद क पैर पसारने से पहले कटीन यहां क कालेज और ववालय का एक बत छोटा हसा होती थ।उनमखाने-पीनेकचीजबतकम–चाय, ेड पकोड़ा, ऑमलेट, समोसा, सडवच आद–मलती थ। वाथय क लए, अगर वे कॉलेज परसर म ह, सबसे पहले का और उसक बाद पुकालय, कॉमन म, पोस म, एनसीसी म, एनएसएस म, यूनयन म, अगर कसी कॉलेज म सुवधा ह तो थएटर म और खेल क मैदान म जाना महवपूण होता था। कॉलेज म बने दो क साथ कॉलेज लॉन से लेकर सीिढ़य तक पर

बैठनेकरवायतथी,कटीनमनह। वाथ जस जगह बैठते, उसी तरह क आपस म चचा होती थी। एक-सर क वषय, अनुभव, चय आद को जानने म उनका समय बीतता था। इस तरह देश क अलगअलग हस और दी शहर एवं देहात से आने वाले वाथय क बीच आपस म अलगाव नह, साझापन बढ़ता था। कटीन क तरफ बत कम वाथ जाते थे, वह भी कसी ख़ास अवसर पर। बात-बात पर पाट लेने-देने

का रवाज़ तब नह था। सर क दशक क मुझे

याद ह। तब वाथय पर बथड मनाने का भूत

सवारनहआथा।

छा क एक-सर क करीब आने का साधन

थयू-पेशलबस

उन दन यू-पेशल बस चलती थ। काएं

ख़म होने क बाद वाथय को यू-पेशल

पकड़ कर घर जाने क जदी रहती थी। यूपेशल बस वाथय क एक-सर क करीब आने का एक बड़ा जरया आ करता था। इन बस म ेम-संग भी चलते थे, झगड़ और मार-पीट भी. इन बस क जरये कॉलेजववालय क नया पूर शहर और देहात तकसारतहोजातीथी।

सांयकालीन कालेज क यू-पेशल बस भी चलती थ। ाय: सभी यू-पेशल बस म कोई न कोई शक भी अपने गंतय तक याा करते थे। नवउदारवाद क अगवानी म यूपेशल बस बंद होती चली ग। एनसीसी / एनएसएस आद नय या ख़म होते चले गए।वाथयकबीच

जनवरी-2023

सामूहकता

कभावना पैदा करने वाला वह वातावरण भी समा होता चला गया। बढ़ती चली ग कटीन और उनक मैयु!

कल-कालेज-ववालय

म पछले 2025 साल म एक नए वातावरण का नमाण

आ ह। अब कालेज म जाइए तो पायगे क कटीन का क बाद या का क साथ वाथय क खाने-पीने और जमावड़ का सबसे अहम जगह बन गई ह। पहले पीरयड से ही यह सलसला शु हो जाता ह। बाज़ार क बड़ ईटग पॉइस क तरह कटीन का लबाचौड़ा मैयु होता ह। दी ववालय म थानीय क अलावा पूर देश से वाथ पढ़ने आते ह. उनक संया क हसाब से हॉटल क सुवधा न क बराबर ह। यादातर वाथ अपनाइतजामकरकरहतेह,जोकाफमहगा पड़ता ह। लेकन उसक बावजूद कॉलेज कटीन थानीय और बाहर से आए वाथय से भरी

05 आलेख
-ेम सह िशा क ांगण : का से कटीन कचर तक
िशा क ांगण : का से कटीन कचर तक

आलेख

रहतीह।

कटीन कचर का यह फलाव बताता ह क

पछले दो-तीन दशक म मयवग, जसम

सवसासभीशामलह,कपासकाफधन

आया ह। अगर वाथय क खरीद-श

नह होती, तो दी ववालय म कटीन-

यापार इस तरह नह जम सकता था। कटीन

का ठका लेने वाले ठकदार को काफ मुनाफा

होता ह। इसीलए कटीन का टडर लेने क लए

काफतपधाऔरसफारशचलतीह।

गौर कर क कटीन कचर क समानांतर हर

कॉलेज म फोटो-कॉपी कचर भी वकसत

आ ह। अययन सामी फोटो-कॉपी कराने

क कॉलेज एवं ववालय क अंदर और

बाहर अनेक फोटो-कॉपी पॉइस खुले ए ह। उनक भी अछी-खासी कमाई होती ह। पहले

सभी वाथ पुकालय या घर पर बैठ कर परीा क नोस तैयार करते थे। अब वैसा नह ह। सब कछ फोटो-कॉपी कराया जाता ह। फोटो-कॉपी कचर क चलते कॉलेज म का

क अलावा जो समय बचता ह, वाथ उसम से

यादा समय कटीन म बताते ह। इस तरह

फोटो-कॉपी कचर कटीन कचर का वार

ह। नवउदारवाद क साथ शु ई यह वृि भी

कटीन कचर का ही वार ह क हर साल

बड़ छा संगठन कालेज क वाथय को

शहर और उसक बाहर थत रसॉस म पाट

कराने क लए गािड़य म बैठा कर लेकर जाते

ह।

दीववालयमकटीनकचर

दी ववालय क दो कपस ह। वहां भी

कटीन कचर का असर बखूबी देखा जा

सकता ह। एक समय नाथ कपस म तीन-चार

कॉफ़ हाउस होते थे, जनम लॉ फकटी का

कॉफ़ हाउस बैठने क ख़ास जगह था। वहां कॉफ़-चाय क साथ सडवच और डोसा-बड़ा मलते थे। छा-शक राजनीत से लेकर साहयक-सांकतक-बौिक गतवधय म हसा लेने वाले ातकोर र क वाथ,शोधाथऔरशकवहांजमाहोतेथे.

काएं समा होने बाद लोग देर तक तसी

से बैठते थे। शाम क व कॉफ़ हाउस म होटल म रहने वाले

थे।

नाथ कपस म करीब 20 साल पहले ही कॉफ़ हाउस ख़म कर दए गए थे। उन दन 'नला' का बत जोर था। अभी जहां दी ववालय कमचारी संघ क को-ऑपरटव

कटीन ह, वहां कॉफ़ हाउस आ करता था. वह जगह नला रटोरट को दे दी गई थी। ववालय समुदाय क तरफ से वरोध भी

आ था। लेकन नला रटोरट को हटाया नह गया। मोटा मुनाफा नह कमा पाने क चलते कछ वष बाद वह खुद ही जगह खाली करकचलागया।

कीय पुकालय क साथ एक नई इमारत दी ववालय सांकतक परसर क नाम से बनाई गई थी। उस परसर म एक बड़ी कटीन भी खोली गई। कई ठकदार/संथाएं

अब तक यह कटीन चलाते रह ह। इसी इमारत म पुक/पिका क ब का एक क खोला गया था। वाथ और शक वहां से अपनी पसंद क पुक-पिकाएं लेते थे। पुक क चलाने वाले य को बताने पर वह जरी पुक/पिका मंगवा देता था। उसी इमारत म एक छोटा सेमनार म भी बनाया गया था, जसे वाथ और शक कायम

क लए मुत बुक करा सकते थे। उस इमारत म पुक क और सेमीनार म क सुवधाएं

काफ पहले बंद कर दी ग थ। फलहाल कटीनभीबंदरहतीह।शायदअगलेठकदारक इतजारम!

साउथ कपस क नई इमारत बनी

कछ

दबंग को भी नाराज या नराश नह करता था।

वह सबको साथ लेकर चलता था, और सबको

से म चाय, कॉफ़, नाता और लंच उपलध

था। जैसे-जैसे देश म नवउदारवाद का

तेज होने लगा, खाने क गुणवा और

कफायती दाम क लहाज से बेजोड़ वह कटीन

ख़म कर दी गई। करीब एक करोड़ पया खच करक कटीन क लए बांस क एक

डजाइनर इमारत का नमाण कराया गया। उससे भी तसी नह ई तो कई करोड़ पया खच करक वतमान वातानुकलत

कफटरया बनवाया गया। ज़ाहर ह, इस कटीनमखाने-पीनेकचीजकगुणवाघट गई, और दाम बढ़ गए ह। फर भी कटीन काफचलतीह।

दी ववालय क कालेज और दोन

कपस क कटीन कचर का एक महवपूण

पहलू यह भी ह क आथक प से कमजोर वाथ कटीन म संप वाथय क तरह

नहजापातेह।जबकाकबादयाकाछोड़

करक समूह म वाथ कटीन क तरफ जाते ह, तो ऐसे वाथय को छटकना पड़ता ह. नाथ कपस फला आ ह। वहां यह वभाजन

साफ़ नह दखाई देता ह। लेकन ववालय क कॉलेज और साउथ कपस बंधे ए ह। वहां आथक प से मजबूत और कमजोर वाथय क बीच क फांक साफ़ दखाई देती ह। कटीन कचर म अलगाव वाथ कसा अनुभव करते ह, और अपने अलगावकोभरनेकलएयाउपायकरतेह। शण संथान म फला कटीन कचर यापक बाज़ारवाद का ऐसा कॉरडोर ह, जहां से गुजर कर वह (बाजारवाद) अपनी नवन याातयकरताह।

06
होता
बलकल
और सा
और चचा करने का जीवंत क था। दी शहर क कॉफ़ हाउस भी इसी खासयतकलएजानेजाते
वाथय का जमावड़ा
था। इस तरह
साधारण
लॉ फकटी का कॉफ़ हाउस आपस म मलने-जुलने
तो वहां क कटीन मशर हो गयी। वह कटीन एक छोटीसी साधारण इमारत म चलती थी। कटीन मूत नाम क दिण भारतीय य चलाते थे। वह कटीन मूत क कटीन क नाम से ही जानी जाने लगी थी। मूत क खासयत यह थी क वह मुतखोरी करने वाले वाथय या दी देहात से आकर वहां अा ज़माने वाले
कराता
नशा
िशा क ांगण : का से कटीन कचर तक जनवरी-2023

गांधीकवतंभारतराक'राम

राय' क संपपना का सबसे महवपूण प

'ाम वराय' क अवधारणा थी। इसक

कीय तव राय नीत समाजवाद अथवा

लबरलजनतंकोख़ारजकरनाऔरताक़त

वसाधनवहीन'अंतमआदमी'काउथानथे।

गांधी हसा को राय का अंतनहत चर

मानते थे जसका मूल कारण राय क आम

जनसमुदाय से री थी। यह री आधुनक कानून और शासनक तं ारा पूरी तरह अवैयक-नपे प से क़ानून बनाने-

लागूकरनेऔररायकोनैतक-आयामक

मूय क थान पर वैानक तरीक़ से संगठत-संचालत करने क चलते थी। ऐसी कसी भी शासन यवथा म, जो आम जन समुदाय से री रखती हो, दमन और नयंण वभावतः अंतनहत रहगे। ऐसा राय मनुय

ारा मनुय पर शासन क चरम अभय

ह। शासन बंधन का सवे प जमीनी

र GRASSROOTS पर यय ारा अपनी

जरत और अय सारी बात का वैछक

वबंधनऔरवशासनह।

गांधी 'हद वराज' म अपने 'ाम' क

संकपना ुत करते ह। यह वह ाम ह जहां

लोग वतं प से रहते ए अपनी खेती-बारी

करते ह और असली 'होम ल' का आनंद लेते

ह। इस गांव म शापत आधुनक सयता का वेशर नह आ ह। ऐसे ाम वराज ओर होम

ल से ही भारत अपने आदश वप को

बनाए रख सकता ह जैसा वह अमेशा से था। गांधीउनसबको,जोमातृभूमसेेमकरतेह, देश क उन रथ ामीण अंचल म जाने और

कम से कम छः महीने वहां रहने क सलाह देते ह, जो अभी तक रल क पच से षत नह एह।गांधीइसेहीवावकसयताबतातेह ओर उनको, जो उनक बताई ाम दशायवथा को बदलना चाहते ह, देश क मन

जनवरी-2023

औरपापीमानतेह। गांधी अपने ाम वराय क राजनीतक वप को प करते ए कहते ह क वतंता सबसे नचले र से शु होती ह। इसवतंतासेयेकगांवअपनेआपमएक गणराय अथवा पंचायत होगा जसक पास

गांव को पूरी तरह से आमनभर और अपने सार मामले नपटाने, यहा तक क खुद क पूरी नया से रा करने तक म सम होना पड़गा। असंय ामाक से नमत होने वाली इस संरचना म नरंतर वारत होते वलय हगे लेकन उनम कोई ऊवसंचारी संरणनहहोगा।ामजीवनकोईपरामड नह होगा जसम आधार ारा पोषत-धारत

शीष हो। यह एक महासागरीय वलय होगा जसका क ाम क लए अपना बलदान देने कोतपरयहोगा।इसकसबसेबाहरीघेर क पास अंदर क घेर को दमत कर पाने क कोई ताक़त नह होगी। बाहरी घेरा अपने अंदर कसारघेरकोताक़तदेगाओरअपनीताक़त भीउहसेहासलकरगा। गांधी आधुनक शहर को ऐसा परनाला मानते ह जो वतमान म गांव से अपनी और जीवन य (LIFE BLOOD) खचने क नक उेय क सेवा कर रहा ह (यंग इडयाः १७ माच१९२७)।गांधीकहतेहकभगवाननकर भारत को कभी पम क तज पर औोगकरण करना पड़। एक अकले नह से ीपीय राय का आथक साायवाद आज पूरी नया को अपनी बेिड़य म जकड़ ए ह। अगर तीस करोड़ लोग का समूचा देश (भारत) आथक

NCE), मानसक संकणता और सांदायकता का अा था (कॉटूट असली क चेयरमैन क प म ४-११-१९२७ का वय)। अंबेडकर क सामाजक-आथक याय क तबता ने उनक कष का राीयकरण करक उसे आधुनकतकनीकऔरतौर-तरीक़सेसंप उोग का दजा दए जाने क साथ भारत क शहरीकरणवऔोगकरणकदी।गांधी क व था जसक तकार म उहने अपने मथकय गांव को याय क लए संघष क कजीकपमसतुतकया। टीशप- गांधी ने कभी भी भारतीय पूंजीपतय अथवा भूवामय क पास धन, संपदा, अधकार ओर संसाधन क संकण का गंभीर वरोध-आलोचना नह क। गांधी ने अपने आलेख 'समान वतरण' (EQUAL DISTRIBUTION) म लखा क धनी आदमी क पास उसक धन-संपदा बनी रहनी चाहए जसम से अपनी यायसंगत जरत को पूरा करने क बाद वह शेष बची धन-संपदा का एक टी क प म समाज क लए योग कर सक। गांधी अपनी इस टीशप क अवधारणा म टी क ओर से पूरी ईमानदारी बरतना वतः स मानते ह। टीशप क यह अवधारणागांधीक'रामराय'कसंगतमह, जसम शेर ओर बकरी एक ही घाट पर पानी पीते ह। यह अवधारणा पूंजी ओर म दोन को एक ही तराजू पर तौलती हः यहां कोई शोषक या

07 आलेख
येक
सारी शंयां हगी। इसका आशय यह ह क
शोषण क इसी रा पर चल पड़,यहसारीनयाकोटियकतरहचाट जायेगा। आधुनक सयता और औगीकरण कतइसहकारतनेगांधीकोभारतकएक ऐसे मथकय अतीत (जो कभी था ही नह) क अवधारणा ुत करने को ेरत कया जो उनक अनुसार सव संपूण आदश, सुंदर और यायपूण था। इसी परेय म अंबेडकर कहते ह क गांधी का आदश गांव वतुतः थानीयता LOCALISM क संकण कप क प म अानता
शोषत नह, इसलए वाभावक प से यहावगअंतवरोधओरसंघषकलएभीकोई जगह नह ह। दिण अका म धनी भारतीय सनातन िहदू रावाद का गांधी दशन गांधी का 'ाम वराय' -वी क सह सनातन िहदू रावाद का गांधी दशन : गांधी का 'ाम वराय'
(IGNORA

बनय-यापारय क हत क खर-सिय

तनध क भूमका नभाने, मजर वग ओर

दमत मूल नवासय क शोषण-दमन क

सवाल से आम तोर पर खुद को र रखने, भारत म राीय वाधीनता आंदोलन ओर

सय,अहसा,अपरहकयोगकलएबड़

का आतय और व बंधन

वीकार करने क चलते 'महामा' क

क सहयोग-समथन-ईमानदारी और

सदाशयता क टीशप अवधारणा से ऊवगमत हो भी नह करती थी। इस

अवधारणा म गांधी ारा पूंजीपतय क

और नीयत को वतः स मान

लेनेकबादवाभावकपसेअराजकताओर बेइमानीकाकलंकमक-मशीलजनक हसेआताह।

यह संयोग से अधक वैचारक मूय बोध का साय ह क गांध क टीशप क अवधारणा १८८९ म अमेरका क शीषथ उोगपतय

डवड रॉकफलर और ऐं कारनेगी क

धनक क कतय क अवधारणा क पूरी

संगत म ह। कारनेगी क अनुसार धनसंपदाशाली यय क कतय ह –मतययी,सादगीभर,तड़क-भड़कदशनसे

र जीवन का आदश ुत करनाः अपने ऊपरनभरलोगकयायसंगतजरतका मतययता पूवक बंध करनाः और ऐसा करनेकबादबचीअतरकआयका,जोउनक पास महज ट फड क प म ह, बंधन (ADMINISTER) करना। धनक इस राश क, जैसा 'उसक अनुसार' समाज-समुदाय क सवम हत म हो, बंधन क लए कतयब ह। धन- संपदाशाली आदमी अपने गरीब भाइय क हत क लए तनध (एजट) और टी भर ह जो अपनी उतम तभा, अनुभवऔरयोयताकोउनकसेवामुत

करता ह और इस तरह उनक कह बेहतर भले क लए काम करता ह जैसा वह अपने से कर सकतेहयाकरगे।

इस तरह गांधी और अमेरक लुटर पूंजीपत दोन ही पूंजीपतय पर कसी तरह क सामाजक-वैधानक नयंण-नयमन क

जरतनहसमझते।उहउहउनकतभा, सदाशयता और ईमानदारी पर भरपूर भरोसा ह। दोन क ही पूंजीपतय क त इस अगाध वास का आधार उनका दय परवतन ह जसक जरए वे म क शोषण-वदोहन का राा वेछा से याग कर म और समाज क हत क संरक- संवधक बन जाएंगे। वाभावक प से यह समूची अवधारणा पूंजी ारा मक और आम मशील समुदाय क शोषण क यथाथत बनाए रखने क राजनीतक परयोजना को आयामकनैतकमाहायसेवभूषतकरतीह। अहसाः- गांधी क लए अहसा कवल हसा से वरत रहने का नाम नह ह। यह तपी क अंतनहत मनुयता क वास रखते ए यार क ताक़त से उसका दल जीतने और उसक हसक ताक़त-इछाश को नर कर देने का नाम ह। यार क ताक़त क बना अहसा न कवल नभावी ह, बक शांत क मुखौट वाली हताशा म बदल जाती ह। अहसा सयाह क ताक़त ह और सयाह यार अथवा आमा क ताक़त ह। यह तपी को क पचाने क बजाय खुद को क दे कर उसकादलजीतलेनेकरणनीतह।अहसक सयाह का लय थाई शांत ह। शांत नत प से सव आदश ह, मगर इसका आधार अनवाय प से आयामक होना चाहए। मनुय क वभाव अथवा वृत म बदलाव क बना कभी अंतम और थाई प सेशांतथापतनहहोसकती। गांधी अहसा क अपनी इस रणनीत को न कवल राीय वाधीनता आंदोलन क शत बनाते ह, बक िटश साायवाद को भी वयु क परेय म हटलर औरन

मुसोलनी क सामने समपण करने क सलाह देते ह। गांधी कहते ह क अंेज को नाजीवाद क व बना हथयार या फर अहसा क हथयार

ह, जतना साय। साय क सफलता 'कसी भी' साधन क उपयोग को यायसंगत नह ठहरा सकती। इसलए “ ांत” का कभी भी –जनतांिक- संरचना क साथ समायोजन नह हो सकता- जनतांिक समाज म कवल

य क भौतक आवयकता क ही पूत

नह होती, बक ऐसा समाज अपने येक

सदय को सुसंकत, संकारत और सय

मनुय बनाता ह जो साहसी होने क साथ

दयालु और उदार भी हो। बबर ारा क गई ांत कवल हसक समाज को ही जम दे

सकतीहजोकभीभीसयऔरआदशनहहो

सकता।

गांधी मानते ह क राय (STATE) अपने आप म हसा क संघनत-संगठत अभय ह। यय क हसा को अहसा म बदला जा सकता ह यक यय क पास आमा होती ह मगर आमावहीन राय का अंतनहत हसक वभाव बदला नह जा सकता। इसक तकार म गांधी 'ाम वराय' क अवधारणा ुत करते ह जो

अपने आप म पूरी तरह आमनभर हो और अपने सार मामले परपर सहमत से नपटाने म सम हो। इस परेय म 'वराज' कवल साायवाद से मु क परयोजना नह ह।

इससे भी कह अधक यह 'वयं को शासत

करने' येक य को 'सवाधकार सप सम' बनाने का आदश ह। राय क साथ समय यह ह क वह कवल आदेश (शासन), क़ानून या फर पैसे क बल पर 'परवतन'

करना चाहता ह जो संभव नह ह। परवतन

लोग क वृत (ATTITUDE) म बदलाव और आह (PERSUASION) से ही संभव ह और

युक आमूल-चूल परवतनकामी –रडकल-

जनतंकामुखदायवह।

गांधीवादी अहसा क उपरो अवधारणा

08 आलेख जनवरी-2023
पूंजीपतय
पूंजी
ईमानदारी
से लड़ना चाहए। हथयार डाल देने कसलाहदेतेएगांधीकहतेहकहथयारन तोिटनकोबचासकतेहऔरनहीमनुयता को। इसलए अंेज को हटलर और मुसोलनी (HERR HITLER AND SIGNORE MUSSOLINI) को आमंित करक व सारन देश उह दे देने चाहए जो वे चाहते ह और जन पर अंेजअपनाक़जाबतारहह। गांधीवादी अहसा क परेय म एक महवपूण प साधन और साय का ह। गांधी क अनुसार साधन भी उतना ही महवपूण
सनातन िहदू रावाद का गांधी दशन : गांधी का 'ाम वराय'

समया ह। हसा कवल भौतक-शारीरक

त पचाना ही नह होती – दमन, दबाव, शोषण का कोई भी प, जो तपी क

इछा क व उस पर थोपा गया हो, वुतः

हसा क ही अभय ह। य, समुदाय

अथवा समाज ारा तवादी तिया

आांता- आतताई ारा क गई हसा (भौतक, मनोवैानक अथवा आथक) क

तवाद म अपने देश-काल क वुगत

परथतय, तवादी शय –य, समुदाय अथवा समाज- क अपनी खुद क

चेतना और उसक अपने देश- काल क वुगत परथतय, तवादी शय (य, समुदाय अथवा समाज) क अपनी

खुद क चेतना और उसक अनुप वुगत तैयारी क थत पर नभर करती ह। हसक

िया और तिया क यह संपूण िया

मूलतः श और ाधकार क राजनीतक

न से जुड़ी ह। अपनी अंतवु म यह श

और ाधकार क यथाथत क समीकरण

को बनाए रखने और उसे बदलने का संघष ह।

ऐसे म संघष का कोई भी सवाल हसा-अहसा

क नरपे (ABSOLUTE) वैचारक अथवा

एकतरफा नैतकता क आधार पर हल नह कया जा सकता वह भी तब, जब पहले प (आांता) ारा हसा क शुआत करक नैतकताकोपहलेहीतलांजलदेदीगईहो।

मानव सयता क समूचे इतहास म ऐसा कोई

उदाहरण नह मलता, जसम श और ाधकार क आमूल- चूल बदलाव क राजनीतक न नरपे प से कवल हसा

अथवा अहसा ारा हल कए गए ह। बीसव

सदी गांधी, माटन लूथर कग और नेसन मंडला क अहसा क सदी थी। इसी सदी ने मानवसयताकोवतंता,समानता,बंधुव, मानवाधकार, वैयक वतंता और जनतं जैसे शांत और समृि क वैचारक और यवहार क अनमोल सू दए। सरी ओर यहीसदीहटलरऔरमुसोलनीजैसेमानवता क जाद तानाशाह ओर फासीवादनाजीवाद क भी सदी थी। इसी सदी ने नाभकय- रासायनक- जैवक हथयार

जनवरी-2023

समेत मानवता क महावनाश क हथयार भी

बनाए जो संपूण मनुय जात समेत पृवी ह

को सैकड़ बार समूल न करने म सम ह।

इसी सदी म

सााय क पराभव-वखंडन क िया म असहनीय हसकासदीसेगुजरतेएपचासनएराराय ने जम लया। कौन इतहासकार या सांयकवद हसाब लगा सकता ह क इस पूरी सदी म घटत श और ाधकार क संघष म हसा ओर अहसा अथवा दय परवतन का कस अनुपात म योगदान था?

मगर इतना तो नत ह अब तक क इतहास म हसा, अहसा पर बत-बत भारी पड़ी ह और इतहास का कोई भी सवाल अब तक हसा अथवा अहसा ने अकले नह हल कयाह। यापक राीय र क जनांदोलन-संघष म नेतृव क हसा अथवा अहसा क वैचारक और रणनीत जब संघष क ठोस रणभूम म पचती ह, इसका यवहार कवल नेतृव क नदश तक सीमत नह रह जाता। थानीय परथतय और संघष क ार क आवेग क अनुसारअसरजनसमुदायवतःफतढगसे अपनी खुद क पहलक़दमयां लेने लगते ह। गांधी ारा राीय वाधीनता आंदोलन क लए कया गया अहसक सयाह का लगभग हर आानः सवनय अवा, धरना, वदेशी व क होली, भारत छोड़ो… आम जनसमुदाय क र तक पचते-पचते चौरी

चौरा जैसी थानीय हसक पहलकदमय का प लेने लगता था और गांधी उस आान को वापस लेकर शुि क लए अनशन पर बैठ जातेथे।

धारावाहकता

यूनतम १८४७ तक क नबे वष क अवध म अनगनत कसानआदवासी वोह-ल-उलगुलान, चटगांव वोह समेत न जाने कतनी ांतकारी शहादत, भगत सह, अफाक उा, चंशेखर जैसे ांतकारय क नेतृव म वचारधारा आधारत संगठत ांतकारी गतवधय, नेता जी सुभाष क नेतृव म आजाद हद फौज क िटश साायवाद को चुनौती, नेवी बगावत… तक जाती ह। यह मान लेना आमयामोही संकणता होगी क इनक अभाव म कवल गांधी क नेतृव म कांेस क अहसक सयाह आंदोलन ने िटशगुलामीसेदेशकोआजादीदलादी। नःसंदेह गांधी क माहाय से वभूषत अहसक सयाह क रणनीत ने न कवल

पहली बार समूचे रा को कांेस क नेतृव म आंदोलन क लए गोलबंद कया, बक िटश साायवाद को सा-हांतरण क मोल-तोल म कांेस को राीय तनध क प म वीकार करने क लए भी मजबूर कया। गांधी क अहसक सयाह ने वाधीनता संघष क अय सार प को परामत करते ए भारत म ांत क राह कोभावीपसेबंदकरकशासकमनको –भारत छोड़न- क लए मजबूर करन क बजायदेशकोखूनऔरबबादीकअमटरखा खच कर दो टकड़ करने और एक मऋ क तरहहाथमलाकरमुकरातेएवदालेनेका अवसर दया। वाभावक प से इस रणनीत ने ऐसी आजादी को जम दया जो शासकशासत क परंपरागत दमनकारी शासन यावथा क यथाथत बनाए रखते ए भारतीय समाज क सामाजक-सांदायकआथक वषमता-वैमनय क खाइय को गहरा और चौड़ा करते रहने क राजनीत पर टक थी। इस आजादी म 'आमूल चूल परवतन' अंबेडकर क 'सामाजक जनतं' शासक और शासत क अवथतय म परवतन - परंपरागत शासक वग क शासत वग और परंपरागत शासत वग क शासक वग म बदल सकने क गुंजाइश नह थी। जात,

09 आलेख
श और
मनुय ारा मनुय क हया
पूववत
सदय म ई
से कह यादा थी। यही सदी सा ओर ाधकार क सााय क चरम उकष और उनक पराभव-बखंडन क भी सदी थी।
ाधकार क लए
क गनती
पचीस
कल हया
इसकअतरभारतकवाधीनता को कसी एकल नेतृव अथवा आंदोलन क प म देखना साायवादी शोषण-दमन
इतहास को नकारना होगा।
क िख़लाफ दमत-मशीलजन क समूचे संघष क
इस संघष क
सनातन िहदू रावाद का गांधी दशन : गांधी का 'ाम वराय'

ामीण सामंती अवशेष और नवोदत होती

पूंजी क नहत राजनीतक-आथक हतवशेषाधकार क गठजोड़ क इस 'राजनीतक

जनतं' म जात यवथा क उमूलन क लए

जगहहोनेकानहीनहथा।

यद मान भी ल क १९४७ क आजादी गांधी

क अहसा का करमा था तो इस आजादी से

जुड़ सवाल क जमेदारी भी वाभावक प

से इसी करमे क होनी चाहए। वैछक

दय परवतन क अयाम पर टक अहसा

क राजनीत न तो साायवादय का दय

परवतन कर सक, न भावी शासक का और

न ही भारत क जनता का। िटश शासक

और भावी वदेशी शासक ने मलकर गांधी

क जीते जी देश क दो टकड़ कर दए और वदेशी राजनीत क उकसावे म देश क

जनता ने अपने ही खून और बबादी क वह अकपनीय पैशाचक होली खेली जसक सरी मसाल इतहास म शायद ही मले।

शांत, सय और अहसाप क पुजारी गांधी ने

अपने ही जीते जी अपने आंदोलन को उस पैशाचक नरसंहार म बदल जाते देखा जसम

समेत दस लाख से यादा

मु रखने क लए (AFSPA, NSA, UAPA)

जैसे

असंवैधानक कानून देश क जनतांिक

शासन का एकमा ोत बने ए ह। कमीर और उर-पूव सीमांत राजय दशक से अपने

ही देश क सेना ारा अपनी ही जनता क िख़लाफ हया- बलाकार- आगजनी समेत

आतंकवाद का चरम यह था क बर क आदवासी मानवाधकार कायकता सोनी सोरी को 'माओवादी करयर' घोषत कर क पुलस ताड़ना क यौनक पाशवकता

क लए गणतं दवस पर 'रापत पुलस मेडल' से समानतकयागया।

गरीब मशील जनता ओर उसक पधर जनमत क दमन-उपीड़न क लए सरकारी तंपोषत-संरितपैरामलशया/गुंडा-लंपट

वाहनय का चरम वतमान अंधह रावादी शासकयपाटभजपा,उसकमूलनंतृवकारी

लोग जदा जलाए-काट डाले गए, लाख औरत-बिय का बलाकार-अगवा आ, एक करोड़ लोग अपनी पुतैनी

जड़-घर-बार

ऐ उजाड़ दए गए, और दोन ही देश म सांदायक नफरत क ऐसी वषमेल क बीज

पड़जनकफसलआजतकलहलहारहीह।

यह भी एक वडबना ह क शांत और अहसा

क कोख़ ने एक ऐसे रा-राय को जम

दया जसका 'जनतं' न कवल हसा और

दमन क शासन पर टका था बक इसक

अंदर जातीय- धामक- सांदायक नफ़रत

औरहसकहरावादकराजनीतकसा

तक पचने क सारी संभावनाएं मौजूद थ।

इस शासन ने अपनी जनतांिक याा क शुआत आजाद हो रह देश म तेलंगाना वोह

क बबरतम दमन क लए सेना लगा कर क। तब से आज तक अपनी ही मशील जनता पर नृशंस राजकय हसा और इस हसा को संवधान-यायपालका-समाजकनयंणसे

ासदी झेल रह ह। यह थत सीमांत रायतकहीसीमतनहह-देशकोकोईभी कोना राजकय बबर हसक आामकता से अछतानहह।नकवलआधकारकराजकय हसा तं, बक इस जनतं क सरकार (कांेस स भाजपा तक) संघषशील जनता और उसक प म उठने वाली हर सी जनतांिक आवाज क दमन क लए दिण अमेरक ग मािफ़या क तज पर अपने छ मलशया संगठन बनाकर गरीब मशील कसान- आदवासय को माओवादी और उनक पधर बुिजीवय पर 'अबन नसल' का ठपा लगा कर दमनआतंककाराजचलातीरहीह। छीसगढ़ सरकार ने २००५ से आदवासय पर आदवासय क ही मायम से जुम ढाने का अभनव योग कया। पेशल पुलस ऑफसर क प म आदवासय को सरकार खननमाफयागठजोड़नेहथयारऔरपैसेसे लैस लंपट गुंडा वाहनय म गोलबंद कया। सलवाजुडम ने घने जंगल म सैकड़ गांवो म लूट-हया-बलाकार-आगजनी का तांडव बचाते ए ६०० से यादा गांवो को वीरान बना दया, पचास हजार आदवासय को पुलस कप म खदेड़ा और तीन लाख पचास हजार से यादा आदवासय को पलायन क लए मजबूर कया। इसक तुरंत बाद राय ने आपरशन ीन हट शु करते ए छीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड और पम बंगाल क आदवासी इलाक म दो लाख से यादा सैय बल क तैनाती क। िगेड मुयालय और एयर बेस

'बेहतर नवेश वातावरण' तैयार करना था। सरकारी

संगठन आर एस एस और इनक तमाम मुख नेता ारा वभ नाम से 'वाहनयां' और 'सेनाए' बनाकर खुलेआम गौ रा, लव जहाद आदकसीभीनामसेपुलसऔरशासनक संरण म कए जा रह मॉब लचग से लेकर दंग तक म दखता ह। संघ मुख भागवत खुलेआम तीन दन क अंदर देश क सड़क पर 'समानांतर सेना' उतार देन का दावा करत ह। अहसक सयाह क कोख़ से जम भारतीय रा- राय ारा पोषत- संरित ये पैरा मलशया गुंडा- लंपट वाहनयां/ सेनाएं कसी बाहरी मन या ख़तर का सामना करने क लए नह, बक नरपवाद प से राीय-अंतरराीय कॉरपोरट तं ारा जलजंगल-जमीन और अय सावजनक संपदासंसाधन क लूट क लए अपने ही देश क नागरक क उपीड़न और जनतं क पधर आवाज का गला घटने क एकमा उेय से गठतऔरपोषतहोरहीह। आजजबइकसवसदीकाभारतीयजनतं

नरंकश हसक फासीवादी तानाशाही म पत

हो जाने क ओर असर ह, गांधी क संदभ से

इन सार सवाल पर गंभीरता से

10 आलेख जनवरी-2023
औरत-ब-बूढ़
से लैस इस सैय कायवाही का मक़सद इन इलाक़ म राीय-अंतरराय खनन माफया कॉरपोरट क लए
नकतक आामक अभयान और घेराबंदी
म उसक गुांग म पथर घुसेड़ दए गए। इसक बावजूद जहां एक ओर सुीमकोट ने सोरी क जमानत से इकार कर दया, वह सरी ओर इस पाशवक 'पुछ-ताछ' क भारी पुलस अधीक अंकत गग को इस 'शौय'
वचार करना जरी ह। गांधी क सपन का अहसा, सय और ेम क आधारशला पर टका 'ाम वराय' एक ऐसा समाज बनाना चाहता था सनातन िहदू रावाद का गांधी दशन : गांधी का 'ाम वराय'

जो अपने येक सदय को सय, सुसंकत

और सुसंकारत मनुय बनाता हो जो साहसी

होने क साथ दयालु और उदार भी हो। आिख़र

य और कसे इस सपने क कोख़ से जमा

जनतं खाए-अघाए हसक-असहणु बबर

ारा चलाए जाने वाले समाज क दशा लेने

लगा -आिख़र य गांधी क 'महाय' का

करमा अपने सपन क वणम जतीत क

वग को भारत भूम पर नह उतार सका? ये

सवाल महामा क करम से हासल आजादी-

क बुनयादी अंतर को रखांकत करते ह जो गांधी और मास क और वैयकसामाजकजीवनकमूयबोधकाभीअंतरह।

अंबेडकर ने संवधान सभा क समापन

संबोधन म आगाह कया था क धम म भ

भले ही मु का माग हो, मगर राजनीत म

भ अनवाय प से तानाशाही का माग

बनती ह। यह ासद सय भारत क राजनीत

म महामा क तानाशाही से लेकर इतरा

और आज मोदी क फासीवादी

तानाशाहीमबार-बारउजागरआह।

महामा क त भभाव ने नववाद प से

रा को िटश औपनवेशक शासन क

व एकल संघष क लए भावी प से

गोलबंद कया। मगर इसी क साथ इस

भभाव ने वैकपक संघष क राह को भी

भावी प से अव करने का काम कया।

इस भभाव ने गांधी को १९३१ क सर

गोलमेज समेलन म अय सार दाव को

ख़ारज करते ए समूचे रा क एकमा तनधव क दावेदारी का आधार दया।

अंबेडकर ारा अछत क लए पृथक

मंडल का ाव अंेज से सफलतापूवक मानवा लेने क तिया म

गांधी का खुद को संपूण अछत समुदाय का

एकमा तनध घोषत करते ए आमरण

अनशन पर बैठकर अंततः अंबेडकर को महामा क जीवन क लए (हांलाक अंबेडकर ने गांधी को कभी भी माहामा नह माना) पूना पैट सहमत क लए ववश कर देना 'महामा क तानाशाही' का ही करमा था।

राजनीत म भभाव से उपजी 'महामा' क

जनवरी-2023

तानाशाही ने गांधी को उस आयामकपराभौतक आभा और श से वभूत कया जो अय कसी 'मय' राजनीतक नेतृव को उपलध नह थी। अपनी इस श को अनशन और अय आमयाग-तप अनुान

से िगुणत करते ए वह जब चाह 'अपनी अंतरामा क आवाज' का अनुसरण करने क लएपूरराकोववशकरसकतेथे। जन समुदाय क ा को बंधक बनाकर वणम-सनातन ामवराय क मनोगत संकपना को 'शात सय' क प म तत करक सयाह से वपी क दय परवतन क याशा क साथ समझौते से हासल राजनीतक आजादी ने वाभावक प से आजाद भारत म भी नेतृव क करमे क त अंध भभाव और समपण क अंधी गली का राा लया। इसने १९७१ म इदरा गांधी को गा का अवतार बनाते ए 'इदरा इजन इडया एंड इडया इज इदरा' तक वारत होकर देश को आपातकाल क अंधेर म धकल दया। सकारामक परंतु मनोगत (साथहीसनकभरी)सोचकसथआजादीक पव उेय क लए गांधी ारा राजनीत म सचे प से वकसत कया गया 'मामा का भ माग' गरीबी मटाने क लए इदरा नरंकशता क आपातकाल से गुजरता आ अंततः ह रा परयोजना म मोदी भ क अंधरावादीफासीवादमपततहोचुकाह। देश क आजादी का सरा वैकपक माग मास और लेनन क वैचारक से ेरत भगत सह क ांतकारी आंदोलन और अंबेडकर क 'सामाजक जनतं' क संय का हो सकता था। भगत सह का राा जनश और जन संघष क अगली कतार म रहकर ांतकारी नेतृव देते ए िटश सााय क िख़लाफ समझौतावहीन संघष चलाते ए देश को औपनवेशक गुलामी से बना शत मु कराने का था। िटश गुलामी से राजनीतक

मु क बाद यह राा भारत म ऐसे शोषण वहीन समाज क नमाण क लए जनश आधारत- संचालत- नयंित नई राजनीतक- आथक- सामाजक संथा-

संरचना क नमाण क दशा लेता, जो अंततः मनुय ारा मनुय क दमन-शेषण को

असंभव बना दे। अंबेडकर क 'राजनीतक

जनतं को सामाजक जनतं' म वकसत

करने क कष क राीयकरण और औोगीकरण क साथ सम मुख आधारभूत उोग का राीयकरण करते ए

भारत को कष धान रा से एक वकसत

औोगक रा म वकसत करने और 'जात यवथा और ाणवाद क समूल उछद' क आमूल-चूलसामाजकपरवतनकमायमसे परंपरागत शासक वग को शासत और परंपरागत शासत वग को शासत और परंपरागतशासतवगकोशासकवगमबदल

देने क जरए 'एक य-एक वोट-एक मूय' क राजनीतक जनतं को 'एक य-एक

मूय' क सामाजक जनतं म वकसत करने

क थी। अंबेडकर क एक य-एक मूय

वाले जात वहीन भारत क परयोजना भगत

सह क मनुय ारा मनुय क दमन-शोषण से

मु भारत क सपने को ठोस यावहारक

जमीन देती थी। भगत सह और अंबेडकर क वैचारक और यवहार का यह सृजनामक

संय भारत म एक नए मनुय और नए समाज क रा नमाण का आदश राा बन सकताथा।

इसक उलट गांधी क 'महामा माग' म जनश ओर जन संघष को नेतृव देने का उेय इस जनश ओर जन संघष को िटशराजकसाथकांेसकमोल-तोलक ताक़त क प म इेमाल करना था। वाभावक प से यह राा साायवाद क िख़लाफ समझौता वहीन संघष चलाकर उसे बना शत देश छोड़ने पर मजबूर करने क बजाय उसक साथ अपने वश वगय हत क प म सा हांतरण क समझौते क मोल-तोल क ओर गया। यह राा देश को साायवाद से मु कराने क बजाय भगत सह क शद म सा का गोर अंेज से भूर

11 आलेख
नरंकशता
नवा्रचक
अंेज को हांतरण था। भारत क हर वगधम-समुदाय क पाट होने क तमाम दाव क बावजूदगांधीकवैचारक-आयामकनेतृव सनातन िहदू रावाद का गांधी दशन : गांधी का 'ाम वराय'

वालीकांेसकावगयहतनववादपसेपरंपरागतउजातीयह

सामंती तबक ओर उभरती ई राीय पूंजी क साथ जुड़ा आ था। कोई भी राजनीतक पाट वुतः कसी एक वश वग का ही तनधव

करती ह जसक प म वह अय वग-तबक-समुदाय को गोलबंद करने क रणनीत म सभी वग क तनधतव का दावा करती ह। बवगय पाट होने या बनाने का पाखंड सा क यथाथत क पहरदारी क अतर कछ नह ह। महामा का चमकार भले ही शेर और बकरी को एक ही घाट पर पानी पलाने का दावा कर मगर यथाथ क ठोस धरातल पर भूवामी और खेतहर मजर ओर पूंजीपत और मक क वगय हत म कभी भी संगत-सामंजय-सहयोग नह बन सकता। गुलामी से समझौता वहीन आजादी क थान पर तथाकथत शांत और मैीपूणअहसकसाहांतरणनेआजादभारतमएकऐसेसातं क सारी राजनीतक- शासकय संरचना- उपकरण- संथा क राजनीतक और वग-धम-जातय-संदाय-राीयता म बंट ए

जड़ समाज क वरासत मली। ऐसी राजनीतक आजादी ओरउसकातनधवकरनेवालीपाटकसीभीथतमभगतसह और अंबेडकर का नया मनुय ओर नया समाज रचने क दशा नह ले सकती थी जो ठीक उह वगय हत क अंत क ओर जाती थी जनका तनधव-संरण-संवधन मुयधारा राजनीत ओर उसक पाट कर रही थी। वाभावक प से आजादी क इस समझौता वादी लबरल राजनीतक धारा ने पूंजी क सेवा क वही राह पकड़ी जो अंततः आज नव उदारीवीय साायवाद क सेवा म मनुय ारा मनुय क दमनशोषण क चरम प अंध ह रावादी नलीय फासीवाद क दहलीज पर पचकर रा, संवधान और जनतं क अिव पर न च बनकरखड़ीहोगईह। ये वे परथतयां ह जो आज समुचे देश को अिव क संकट क रणभूम म खच ला ह : एक ओर मोदी क नेतृव

अंधभ ह। सरी ओर मशील आम जनसमुदाय और उनक पधर जनतांिक आवाज क सामाजक ताक़त ह जो

1. ANTHONY PAREL : 'HIND SWARAJ ANDOTHERWRITINGS',PP-69/70

2. IBID-PP.188/189

3. CWMG, VOL. 43, P 412, PUBLISHED IN 'YOUNG INDIA', ON 20 DECEMBER,1928.

4. CWMG, VOL. 79, PP. 133/134, PUBLISHED IN 'HARIJAN', ON 25 AUG.,1940.

5. ANDREW CARNEGIE, 1889, 'GOSPEL OF WEALTH AND TIMELY ESSAYS'

6. CWMG, VOL. 19 (FOOTNOTE ON PAGE 229), STATEMENT OF MAHATMA GANDHI BEFORE 'DISORDER INQUIRY COMMITTEE', ON5THJANUARY,1920.

12 आलेख जनवरी-2023
पतृसामक
म चरम तियावादी-अंध ह रावादी ताक़त ह जनक गोलबंदी का एकमा आधार अपने नेता क त
इस फासीवादी तानाशही को नगरकता क़ानून क िख़लाफ मजर आंदोलन म संगठत होकर, और कष क़ानूनकिख़लाफअभूतपूवकसानआंदोलनबनकरचुनौतीदेरहीह। ये परथतयां अब कसी को भी बीच का राा चुनने क धूतता करने क इजाजत नह देत। ऐसे म जरत ऐसे परप-साहसी राजनीतक नेतृवऔरसंगठनकहजोअवचलतरहकरभगतसहऔरअंबेडकर क नए मनुय ओर नए समाज क नव-नमाण क दशा म देश क तमाम संघषरत सामाजक शय को गोलबंद कर क अंधह रावादीफासीवादकोपराकरतेएआगेबढ़सक। संदभ-
सौः
सनातन िहदू रावाद का गांधी दशन : गांधी का 'ाम वराय'
जनमत210`

आजादीकाअमृतमहोसवबीतरहा

ह कतु आज भी हमार देश क पास न तो कोई

राभाषा ह और न कोई भाषा नीत। दजन

समृ भाषा वाले इस देश म ाथमक से

लेकर उ शा तक और याय यवथा से

लेकर शासनक यवथा तक सबकछ पराई

भाषा म होता ह फर भी उमीद क जाती ह क

वहव-गुबनजाएगा।

भाषा समया का समाधान य नह आ?

या यह आज भी वचारणीय मुा नह ह?

सरकार क ओर से तो कसी तरह क कोई

पहल नह हो रही ह। या इसक पीछ कोई ऐतहासक कारण भी ह? इस मुे पर गाँधी जी

का या कोण था और संवधान सभा म

उसपर कतना अमल आ ? इन सवाल पर पुनवचार करना आज समय क माँग ह। 12 से

14 सतंबर 1949 तक लगातार चलन वाली संवधान सभा क बहस क परणाम वप

धारा 343 वजूद म आया और भारत संघ क

राजभाषा'देवनागरीलप'मलखीजानेवाली

'हदी' तय क गई। यह बहस इस स भी

अभूतपूव थी क सदय क इतनी बड़ी

उपथत अय कसी मुे पर होने वाली बहस

म पहले कभी नह ई थी और इस बहस म

सबसे अहम मुा था हानी और हदी म

से कसी एक को राजभाषा बनाने का मुा।

हम सभी जानते ह क गाँधी जी हानी क

समथक थे। हदी क हत म लगातार काम

करते ए गाँधी जी ने अपनी अवधारणा को

अपने अनुभवो से और अधक पु कया और

नणय लया क देश क राभाषा हानी

होनी चाहए जसे हदी और उ (फारसी)

दोनो लपय म लखा जा सकता ह। गाँधी जी

को इस तय क भली भाँत पहचान हो गई थी

क जस भाषा को उरी भारत म आम लोग

बोलते ह, उसे चाह उ कह चाह हदी, दोनो

एक ही भाषा ह। यद उसे फारसी लप म लख तो वह उ भाषा क नाम से पहचानी जाएगी और नागरी म लख तो वह हदी कहलाएगी। इसीलए

हानी क इतहास को भी थोड़ा देख. हदी का पहला याकरण हालड नवासी जॉन जोशुआ कटलर (JOHN JOSHUA KETLER) ने औरंगजेबकशासनकालमअथात1698ई.म डच भाषा म लखा था। इस याकरण ंथ का नाम ह, हानी ामर। यह पुक फलहाल उपलध नह ह कतु डवड मल ारा लैटन म अनूदत इसक अनुवाद का वृत वेषण डॉ. सुनीत कमार चाटया ने अपने एक लेख म कया ह। यह पुक उह लंदन म मली थी. (य, िवेदी अभनंदन ंथ, नागरी चारणी सभा, काशी, 1928 ई, 'हानी का सबस ाचीन याकरण' शीषक लेख, पृ-197)। 'राजा शवसाद सतारहद का हदी याकरण' शीषक पुक का संपादन करते ए उसक ावना म डॉ. रामनरंजन परमले ने लखा ह, “ कटलर क कालखड ( 1698 ई. क पूव) म हदी भाषा क लए 'हानी' शद का ही यवहार कया जाता था।” (ावना, पृ-4, काशक नागरी चारणी सभा, वाराणसी)। कतु सच यह ह क उसक बाद भी लगभग डढ़ सौ वष तक हदी- याकरण क नाम पर जो याकरण-ंथ उपलध ह वे सब क सब हानी क ही ह। बजामन शुजे (BENJAMIN SCHULZ) ारा लैटन भाषा म लखत और 1745 ई. मे काशत याकरण ंथ का नाम ह, 'ामेटका हदोानका' (GRAMMATICA HINDOSTANICA)। जॉन फागुसन (JOHN FERGUSAN) ने 'ए डशनरी आफ द हानी लवेज' क नाम से हानी भाषा का शदकोश बनाया जो 1773ई.मलंदनसकाशतआ।इसीपुक म हानी भाषा का याकरण भी समाव ह। शदकोश क भूमका म फागुसन ने कहा था क हानी ही देश अथात भारत

ह- मुसलमान समान प से समझते ह। ( य, राजा शवसाद

सतारहद का हदी याकरण, संपादक. रामनरंजन परमले, ावना, पृ- 6) और जसे हम हदी साहय का पहला इतहास कहते ह वह च इतहासकार गासा द तासी (GARSAN DE TASSY) का 'इ्वार द ला लतरयुर ऐंई ऐंानी' नाम से दो खड म काशत

म हई और हानी साहय का इतहास। इसम हदी और उ (आज क अथ म) का अलग-अलग भाषा क अथ म भेद नह कयागयाह। इससे भी पहले स 1800 म ईट इडया कपनी क शासनकाल म कलका म फोट वलयम कॉलेज बना। हमार देश म वाव म आधुनक काल म खुलने वाला यह पहला शण संथान था। इसक पहले कोई ववालय हमार देश मे नह खुला था। कलका ववालय इस देश का पहला आधुनक ववालय ह जसक नव 1857 म पड़ी थी। फोट वलयम कॉलेज म जस हदी वभाग क खुलने क चचा क जाती ह, वह वाव म हानी वभाग था। जॉन गलिट ( J O H N W O R T H W I C K GILCHRIST) क नयु 1801 ई. म वाव म वहाँ हानी क ोफसर क प म ई थी। उनक याकरण क पुक का नाम ह, 'ए ामर आप द हानी लवेज', जो 1790 ई. म काशत ई थी। उनक एक और पुक का नाम ह, 'द जस ईट इडया गाईड ट हानी', जो 1802 म काशत ई थी। रोएबक (ROABUCK) ारा लखत 'एन इलशऐडहानीडशनरीटिचइज िफड ए शाट ामर आफ हानी लवेज' का काशन भी कलका से ही 1801 ई. म आ था। इतना ही नह, जॉन शेसपयर (JOAN SHAKESPEAR) का 'ए ामर आफ द हानी लवेज' का थम संकरण भी 1813 ई. म लंदन स काशत आ था। उनक एक और पुक 'एन इोडशन

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13 आलेख
उहने 'हानी' कहकर इन दोनो क समवय का उपयु माग ढढ लया था।
क सवमाय भाषा ह जसे देश क सभी ेणय और पेशे क लोग, शित-अशित, दरबारी और कसान,
इस
आ था। एक खड 1839 म और सरा खड 1846 म। इसे हदी साहय का पहला इतहास कहा जाता ह कतु ह यह वाव
ट द बापू क
गाँधी जी क राभाषा 'िहदुतानी' क कहानी
पुयितिथ पर उह नमन करते ए गाँधी जी क राभाषा 'िहदुतानी' क कहानी

नोटबंदी परसव यायालय का आदेश मोदी

सरकारकलएउपहार?

मोदी सरकार चाह तो इसे अपने लए सव यायालय का नव-वष का उपहार मान सकती

ह। 2016 क 8 नवंबर को नर मोदी ने, रात 8

बजे रा को संबोधत करते ए, चार घंट बाद

ही, मय राि से पांच सौ पए तथा हजार पए क नोट का चलन बंद हो जाने का जो एलान कया था, उसक कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचका को, सव यायालयनेआखरकारखारजकरदयाह।

पूर छ: साल क बाद, 2023 क सर ही दन

सुनाए गए फसले म, पांच सदयीय संवधान

पीठ ने, एक असहमत क खलाफ चार यायाधीश क बमत से, नोटबंदी क मोदी

सरकार क फसले को ''वैध'' माना ह, जबक

नागरना ने इस फसले से अहमत

दज कराते ए, इसे एक ''अवैध'' नणय बताया ह।

या नोटबंदी को सव यायालय ने सही

ठहरायाह?

मोदी सरकार और उसक समथक क सव

यायालय ारा नोटबंदी को सही ठहराए जाने

कदावकवपरीत,सवयायालयनेबत

ही सचेत तरीक से और प प से, नोटबंदी क कदम क सही या गलत होने क सवाल से, खुदकोपूरीतरहसेरहीरखाह। वुतः, संवधान पीठ ने साफ तौर पर कहा ह क अनेक याचकाकता क दलील क वपरीत, उसक लए तो यह सवाल ही अासांगकथाक,नोटबंदीकरतेएसरकार क ओर से इसक जो भी लय घोषत कए गए थे,उनमसेकोईलयहासलभीएयानह?

सार-प म सव यायालय ने इस नणय

क कानूनी ियागत वैधता पर ही वचार ही कया था–या इस मामले म जो िया अपनायी गयी, वह संबंधत नणय को अवैध बनातीहयानह?बमतकानणयह–नह।

वाव म इस कानूनी ियागत नणय का नुा तो इससे भी सीमत ह। उसका न तो

रजव बक ऑफ इडया कानून क धारा-26 (2) क अंतगत, नोटबंदी क नणय वैधता तक सीमतह।

याद रह क यायमूत नागरना क असहमत

क फसले से यह पूरी तरह से प ह क अदालतकवचारकावषययहभीनहथाक नवाचत सरकार को, नोटबंदी करने यानी खास ेणी क नोट का चलन रोकने का, अधकार ह या नह ह। उट असहमत क अपने नणय म उहने भी नवाचत सरकार क ऐसे नणय क अधकार को वीकार करते ए, प शद म सुझाया ह क अगर सरकार ने नोटबंदी करने का मन बना ही लया था, तो उसे यह काम संसद से कानून बनवाने क जरएकरनाचाहएथा,जोकइससेपहलेए नोटबंदी क दो करण म कया भी गया था। यहां तक क उहने यह भी सुझाया ह क अगर संबंधत नणय क लए गोपनीयता अपरहाय थी और संसद क कानून बनवाने क िया का सहारा लेने क सूरत म गोपनीयता

क रा नह क जा सकती थी, तो सरकार इसक लए अयादेश का भी सहारा ले सकती थी!

असहमत क फसले म नोटबंदी क नणय को ''अवैध''करारदया?

असहमत क फसले म, बमत क फसले क वपरीत, नोटबंदी क नणय को ठीक इसीलए

''अवैध'' करार दया गया ह क कायपालका ने

उ फसले क जरए, संसद को धता बताकर, अपनी मनमज को सीधे देश पर थोप दया था! सरी ओर, आरबीआइ कानून क धारा-26

(2) क अंतगत, जो सरकार को रजव बक (बोड)कपरामशसेऐसाकोईनणयलेनेका अधकार देती ह, मोदी सरकार क इस नणय को इसलए वैध नह माना जा सकता ह क वाव म नोटबंदी क नणय क मामले म जो आ था, उसे 'रजव बक क परामश से नणय' नहमानाजासकताह। असहमत क नणय म इस सलसले म तीन नववाद तय को रखांकत कया गया ह। पहला, नोटबंदी, रजव बक क सुझाव पर नह,

मोदी सरकार क फसले से क गयी थी। सर, सरकार क मांग पर, 24 घंट क अंदर-अंदर रजव बक ने नोटबंदी क नणय पर, अपने

अनुमोदन क मोहर लगा दी थी। तीसर, रजव बक ने वतं प से इस मामले म अपने ववेककायवहारहीनहकयाथा!

नोटबंदी का फसला सरकार का फसला था या रजवबकका?

संेप म यह क नोटबंदी का फसला चूंक

सरकार का ही फसला था, न क रजव बक

का अपना फसला, इसलए उसक वैधता क लए संसदीय अनुमोदन का राा अपनाया

जाना जरी था। इससे बचने क लए, सरकार ने रजव बक कानून क धारा 26 (2) क आड़

लेने क कोशश क थी, जो नोटबंदी क फसले को अवैध बना देता ह। अपमत का नणय, याचकाकता क इस अपील से सहमत जताता ह क रजव बक क परामश से नणय क उ यवथा का सहारा वैध प से तभी लया जा सकता था, जब रजव बक क कीय बोड ने वतं प से अपने ववेक से नोटबंदी क सफारश क होती, न क सरकार क मांग या सलाह पर उससे ताबड़तोड़, अपने ववेक का उपयोग कए बना ही, हामी भरवा ली गयी होती, जैसाक क साफ तौर पर इस मामलेमआथा।

बहरहाल, संबंधत संवैधानक बच क बमत

क राय म सरकार क नणय क लए, रजव बक कानून क उ धारा का बचाव हासल होने क लए, इतना ही काफ था क सरकार नेरजवबकसेरायलीथी!

बमत क तक क अनुसार, रजव बक कानून क उ धारा क शत पूरी करने क लए यह जरी नह ह क नणय उसक ओर से ही आए बक नणय सरकार क ओर से भी आ सकता

ह। इसक अलावा, बमत क फसले म इसका भी उेख कया गया ह क इस न पर रजव बक और सरकार क बीच, छ: महीने से

चचाचलरहीथी!

बेशक,

जनवरी-2023

16 आलेख
यायमूत
इस पर तो बहस हो सकती ह क इस तरहकनणयकलएहमारदेशककानूनम, मीलॉड!
मीलॉड! नोटबंदी कानूनी हो सकती ह, पर सही नह! -राज शमा
नोटबंदी कानूनी हो सकती ह, पर सही नह!

अपने कल क दन म इतहास म

हम पढ़ाया जाता था क अंेज ने भारत म

अपना राय थापत करने क लए 'बाटो और

राज करो' क नीत अपनाई थी जससे ऐसा

तीत होता था क यह एक दम नई तकनीक

ह।लेकनसचइससेकहइतरह।हमभारतीय

तो इस तकनीक का योग वैदक काल से

करते आ रह ह। ऋवेद क दसव मंडल म

समाज क वभाजन क बार म कहा गया ह क

ाण ा क सर से पैदा ए, िय बाजु

से वैय उदर से और शू पैर से। कछ लोग इस सू को ि मानते ह। बात यहाँ पर आकर ही समा नह होती। हमने इन चार वण को जातय, उप-जातय और उप-उप-जातय

इतना वभाजत कया क इनक संया

लगभग तीन हजार क आस पास हो गई। हम ऊची और नीची जातय म वभाजत ह। इस वभाजनकसबसेअतबातयहकहरजात

को इस बात का अभमान ह क वह कसी और

जात से ऊची ह। इस वण/जात यवथा म

ाण शीष पर ह, िय सर थान पर वैय

तीसर पर और जो शेष बसंयक समाज

बचता ह, शू ह जो अंतम पायदान पर ह। ऐसे

वभाजत समाज को कोई आकर और या वभाजत कर सकगा? हमार इस समाज म

आदमी का सब कछ जा सकता परतु उसक माथे पर लखी जात नह जाती। यह वैदक

कालसेआजतकलगभगवैसाहीह।शूऔर

उनम आई जातय उप-जातय को समाज म

कछ इस तरह रखा गया ह क उनक पास कछ

कमर घंटी और झा बाँध कर चलना होता था ताक उ वण क लोग सावधान हो जाएं और इनकछायाभीउनपरनपड़जाए। संभवतः लोकायत सदाय या चावाक मत ने

पहले मनुय क बीच भेद करने वाली वैदक

साजशकापरणामथाजसक

/

बनाए रखा गया । हमार आष ंथ

इसमएकमहतभूमकारहीह।

बौ क बयान शाखा से स नकले थे।

को

क जरये म घेर म लाने क कोशश क। यह दीगर बात ह क लोकायत सदाय बत यापक और दीघ जीवी नह हो पाया लेकन इसक बाद सर मत का उदय आ जहने तरोध क इस परंपरा को बनाए रखा इन मत म बौ मत सवाधक महवपूण ह। गौतम बु िय वंश म पैदा ए थे। उनका दशनकणा और समता पर आधारत था। उहने जम आधारत वणवाद का खंडन कया और संघ म अवण को भी थान दया। यह थान उह बु क दशन क कारण मला था उनक अपने संघष क कारण नह । और उह को मला जो बौ हो गए थे। इतहास गवाह ह क ाण और बौ क बीच चले एक लबे संघष क बाद बौ

मत भारतमलगभगसमाहोगया। मन म यह एक वाभावक न उठता ह मनुय का यह वराट समूह अपने शोषण को, अपने ऊपर हो रह अयाचार को हजार साल

स / नाथ म सव धम, वण, जात क लए

सम भाव था। इसक बाद भ आदोलन म

शू/ अवण / अंयज को कछ मानवीय गरमा मली। यह आंदोलन भारत क तरोधी परंपरा का ऐतहासक दौर ह भ आंदोलन अपने ारंभक प भ को लेकर नह सामाजक आलोचना को लेकर चला था। जसे हम आज नगुण परंपरा कहते ह उसक अधकांश रचनाकार अवण तबक से आये थे। इसम कबीर जुलाहा, रदास या रवदास चमकार सेन नाई सदना

आद थे। आज क दलत कवता का पूववत प इन कवय क यहाँ देखा जा सकता ह। डॉ. अंबेडकर तो कबीर क गनती अपने गु म करते थे। समकालीन दलत वमश म कबीर औररदासकोकीयतामलनेकसबसेबड़ी वजह उनका वाभमानी यव ह। भ आंदोलन ने जन सवाल को उठाया वे जात वचवक समा क लय से उपजे थे। इस युग म ायः सभी कव धम क जकड़बंदी का वरोधकरतेएदखाईपड़तेह।

आज जसे हम दलत वमश क नाम से जानते

भी

अपना नह ह। कोई अधकार नह ह। वे शा, राय और धन- संपि (चल-अचल) क अधकार से वंचत रखे गए ह। उनक पास कवल कतय ह अपने ऊचे वण जातय क सेवा करने का। बात शू पर आकर ही नह कती। इन से नीचे पंच वण, अंयज भी शामल कर लए गए ह। अधकार वहीन इन लोग का पश वजत ह। इह भयानक तरकार, शोषण, उपीड़न झेलना पड़ ह। ऐसे लोग को रा पर चलते समय अपनी

तक य झेलता रहा। उसने वोह य नह कया? यह शायद समाज म शीष पर जड़ जमाए बैठ ाण ारा रचे आमा-परमामा, वग-नरक, पुनजम तथा अपने पछले जम क अछ-बुर कम का फल अगले जम (जम) भोगने का दशन, जो क एक म जाल क अतर कछ भी नह ह, को मन बैठाए रखने कारण आ होगा। उह समझाया गया था क यह तुहार पूव जम कए बुर कम का फल/दड ह जो तुहारा जम इस नन वण/ जात म आ ह। इस जम जो सेवा करते ए दड सहते ए अपने कम को सुधार लो ताक अगले जम उ वण / जात म जम मले।

ह वह उस समाज यवथा क देन ह जसम जात और वण क आधार पर मनुय मनुय म अंतर कया जाता ह और समाज क एक बड़ तबककोअछतमानलयाजाताहइससमाज यवथा ने उ वण को सभी संभव सुवधाएं व अधकार दान कए तथा नन वण व वणतेर समुदाय को अधकारहीन रखकर सेवा तक सीमत कर दया। यह तरोध का आदोलन ह जसने अपने लए यु होने वाले सभी संबोधन-शू, अयज, अछत, पंचम वण,हरजन आद को नकार कर दलत शद अपनाया और तथाकथत उ जात क लोग से रयायत मांगने क थान पर समाज म

18 आलेख जनवरी-2023 रामकशोर मेहता
सबसे
यवथा
अान वश जम-जमातर म बल वास करते ए; गले जम म अछ फल क आस म सब कछ झेलते रह।
यह उस
अंतगत–शू
अनपढ़
अवण / अंयज को पीढी दर पीढ़ी हजार साल
कसाईदाधुनया
दिलत िवमश
दिलत िवमश

आमूल परवतन क मांग उठाई। यह मांग

राजनीत म भी उठी और साहय म भी दलत

साहयकार ने वोह और आोश भरी

रचनाएँ क जनक जरये वतंता समानता

और याय का वर बुलंद कया तथा दलत

समुदाय क आमगौरव का भाव भरने का

अभयान चलाया। हदी भाषी े म आने से

पहले यह आदोलन मराठी भाषा म जड़ जमा

चुका था। इसक वतक म योतबा फले (1827-1890), -लेखक, समाज कम व

शक–होने क साथ साथ डॉ. भीमराव

अबेडकर क ेरणा ोत भी ह। उनक रचना म शोषक खलाफ ती आोश था। मुख रचनाएं म 'ाण क चालाक' (1869) 'गुलाम गरी' (1873)' कसान का कौड़ा' (1884) उेखनीय ह। उहने सय शोधक

समाज क थापना क। सावी बाई फले योतबा फले क पनी एवं वयं म सामाजक

कायकता थ और और दलत य शा क

लए कल चलाए। उहने अनेक हमले झेले

परतुशासंचालनकाकामजारीरखा।

भारत रन बाबा साहब डॉ. भीमरावअबेडकर (1891-1956), भारतीय दलत समाज क लए

जो कछ कया उससे हम सभी लोग परचत ह।

अपनी वकास याा म वे गौतम बु और बौ

धम क दाशनक यथा धमकत, नागाजुन

दङनाग आद, से भावत ह। भ कव

कबीर को अपना गु मानते ह। उनक कछ

मुख पुक ह 'भारत म ांत और ताँत'

'ह

धम क पहलयाँ' 'शू कौन थे' 'बु और

उनका धम' 'जाती था का उमूलन' आद।

उनक ारा चलाए गए मुख आदोलन ह

महाड़ सयाह (1927) नासक कालााम

मंदर वेश (1930)। भारत म दलत उथान

क लए कए गए डॉटर भीमराव अंबेडकर क

काय क बार म सुशीला टाकभौर अपनी इन

पंय म लखती ह 'दलत ढढ रह थे / पीड़ा से मु का माग / अंधेर म आशा का काश / जससे वास कर सक / नया

उनक भी ह / उह भी जीने का हक ह / दलत क मसीहा बाबा साहब ने / राह दखाई ह / वोह आंदोलन और ांत से / पा सक ह वे अपने अधकार / मु का माग- (हमार हसे कासूरज,नागपुर,2004) दलत आदोलन और वमश हदी भाषी े म मराठी भाषा क भाव से आया। बीसव सदी

जनवरी-2023

क सर तीसर दशक म सिय दलत रचनाकार म हीराडोम, अछतानद हरहर कवलानंद आद ने काम कया ह। हीराडोम क एक कवता आज ा ह 'अछत क शकायत' कवता सरवती पिका क वष 1914 म ।छपी

तो दलत वमश क चचा परश क तौर पर एक मामूली वृि क प म क जाती थी लेकन दलत लेखक क बढ़ती संया सजनामकता म गुणामक सुधार और यापक

क चलते यह मुय वमश बन गया। आज दलत वमश क बना कोई भी साहयक सांकतक कायम अधूरा माना जाता ह और अब ये कवल हदी भाषा तक सीमत नह ह अय भारतीय भाषा म भी इसकयाहहसमाजकअतरअय समाजमभीइसकाचलनदेखाजारहाह। दलतलेखनकवृियाँअसल म दलत वमश का संबंध वण जात यवथा क अवीकार से ह। यह अवीकार बत पहले से चला आ रहा ह शायद तब से जब सेयहसमाजयवथाअिवमआईह। बौ मत म दाशनक क एक मजबूत परंपरा ह जसम ाण मत का जोरदार खंडन कया ह। इसी दाशनक परंपरा क ह और इसी से भावत होकर डॉ. बाबा साहब अंबेडकर ने 1956 म इस धम क दीा ले दलत साहय म बु क कणा और मानव मा क समानता म उनक ढ़ वास का ज बार बार आता ह। दलत साहयकार ने कला क वशेष परवाह नह क। साहय उनक लए उपीड़न क अनवरत सलसले को जानने और रोकने का मायम बना। उनक भाषा बत बार अपरमाजत, ऊबड़-खाबड़ और गालय से यु होती ह। दलत रचनाकार साहय क उस सदयशा क बलकल परवाह नह करता जो सामाजक असमानता और अपमान पर चुपी साध लेता ह। कोई सयन साहसी दलत रचनाकार ही महाकव वामीक से यह न कर सकता ह “महाकव च पी क बध''

ढ़ता थी।

उहने सवण संकत क पड़ताल क। उसक राभसंधयकोपहचाना।पौराणक,धामक, मथक पर हार कया दलत समुदाय म आमवास भरने क कोशश क। तमाम

सीमा क बावजूद उनक कोशश का गहरा

असरदखाईपड़ा।

साहय क नायक अवतार, महामानव

आमजन से होता आ दलत साहय म दमत

मानव प म पचा ह। दलत साहय लेखन

धामक मुहावर क योग से बचता ह बचना

चाहते ह। वे ईर से याचना नह करते। दलत लेखन पाप पुय जैसी पारंपरक वषय म अवास करता ह। दलत रचनाकार भूख व दरता को अपनी रचना का वषय बनाते ह। वे आपबीतयकोअपनीरचनाकावषयबनाता ह। दलत रचनाकार हदी साहय म कवता, उपयास–मूल प म आमकथा या आमवृ, कहानी, दलत साहय का सौदय़शा और दलत क सामाजक थतय पर लखने का काम कया। उनक कवताएं बत मारक ह।

हदी कवता म साठोरी काल को वोही पीढ़ी, भूखी पीढ़ी आद नाम दए गए ह। इस दौर क दलत साहय म कछ इसी तरह क पीढ़ी आई थी। आजादी क खोखलेपन को उाटत करत ाण शाही क आतंक का बयान करती इस पीढ़ी का तनध वर

मराठी दलत कव नामदेव ढसाल क यहाँ सुना जा सकता ह।ढसाल क कवता पुक गोलपीठाककछपंयाँह-

मृयुतकबनेरहगेऐसेहीयुबंदी

वहदेखोर,वहदेखो

मीकअमताभीआसमानमफलचुकह मेराणनेभीजदाबादकगजनाकह

लसेजलउठहअनगनतसूय

अबइनशहरकोआगलगातेचलो।

दलत कवय क कछ और कवताएं य

ह-

दिलत िवमश

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थी।
पहले
पर आपक कणा पघल उठी थी परतु शबूक बध पर आपक कण वाणी को या आथा? अमता ायः दलत लेखन का मुय आधार होतीह। दलत रचनाकार क एक पीढ़ी आजादी क अधूरपन को, खंडत वास को, ाण शाही, सामंतशाही पूंजीपतय क गठजोड़ को अनावरत करते ए उभरी थी। इस पीढ़ी म जबरद जबा था। समाज यवथा को रात रात बदल देने क बेकली थी। अपने भाई बंधु को अयाचार से बचाने क
अछतानंद हरहर ने दलत क लए आद
आंदोलनचलायाथा।
वीकत

कव ओमकाश वामीक क दो कवताएं

यहांयह-

मेरपुरखे

तुमनेकहा

ाकपांवसेजमेशू

औरसरसेाण

उहनेपलटकरनहपूछा

ाकहाँसेजमा?

ठाकरकाकआँ

चूहामीका

मीतालाबक

तालाबठाकरका

भूखरोटीक

रोटीबाजरक

बाजराखेतका

खेतठाकरका

बैलठाकरका

हलठाकरका

हलकमूंठपररखीहथेलीअपनी

फसलठाकरक

कआंठाकरका

पानीठाकरका

खेतखलहानठाकरक

गलीमोहेठाकरक

फरअपनाया?गांव?शहर?देश?

मेरजमकमानचपर

उभररहहबनकरफफोले कहबेलछी

तोकहशेरपुर

कह पारसवघा

तोकहनारायणपुर

इनफफोलकोसहलानेकलए

मेरहाथमेरपासनहह

वहतोबतपहले

मेरबापदादने

रखदएथेगरवी

कसीसेठसाकारकतजोरीम

दोमुीचावलकबदले।

ारा- बी-11, शवालय बंलाज, सरकारी ूबवेल क पास, बोपल, अहमदाबाद 380058 मो. 9408230881

दिलत िवमश

20 आलेख
जनवरी-2023

चला गया। होली, बाहर बत धूमधाम से मन रही थी। छत से हमलोग

रह थे। सामने चाहचंद म ही भाई दीप सौरभ रहते थे। उनक यहां

लाल जी क नाम रही। उनक घर म उनक पनी और दो

थे। होली क मठाइयां और अय यंजन खाकर घर जैसा ही लग रहा था। उनक पास कताब पया थ। बैठकर मलयज क डायरी पढ़ डाली। िलोचन क धरती, गुलाब और बुलबुल और दगंत देखकर म स आ। उह पढ़ा। शैल क चुनी ई कवताएं तथा एक-दो और कताब तथा पिकाएं देख। उनसे लंबी साहय चचा ई। वे वामपंथी नह थे इसलए चचा म गरमाहट

क योजना बनाई। शील जी से सलाह मशवरा कया क कस कससे लखवाया जाए। उनक सूची बनाई और

थे।मजेदारछटाकशीकरतेरहतेथे,बतजदादलयथे। इसक बाद उहने नणय सुना दया कल से यह रहोगे। चरकटी लाल (मा याचना सहत) क यहा रहकर या करोग, सड़ जाओगे। सर दन वे आए और बैग लेकर रशे पर बैठ गए और हम उनक घर 72, पी बी कटगंज पच गए। बत यन क बाद भी मकान नह मल पा रहा था सोकरीबएकमाहमउनकआतयमरहा।

अकार-59, शील जी क कछ प ानरंजन क नाम 1983 म 'धरती' का िलोचन अंक काशत आ था उसम शील जी क एक कवता 'उह आवाजदो'काशतईथी।कवताकछयूंथी--

मुियांबांधकरउहआवाजदो

उनककानतकआंखह

औरहतुहारीआवाजमउनकधड़कन

जहवेभोगरहह

मुियांबांधकरउहआवाजदो

वेसबलोगजहनेकलशांत-कपोतउड़ायेथे

अबअरितमकसुराकलए

वांतकआहटलेरहह......

सन 1984 म म इलाहबाद से कानपुर आ गया। मेरी पोटग कानपुर हो

गई थी। 1989 तक वहां रहा। इस बीच पुषोम वाजपेयी जी क माफत शील जी से भट ई। वे कदवई नगर म 'क' लॉक म रहते थे और म 'एच' लॉक म। बत यादा री नह थी। यही कोई दो-ढाई क.मी. रही होगी। ायः रववार को म उनक घर जाता। वे करोसीन वाले टोव पर चाय बनाकर पलाते। साथ म नमकन भी होता। उनक कमजोर थी लेकन वे खाना बना लेते थे और अय काम भी कर लेते थे। चाय पीतेपीते वे सगरट भी सुलगा लेते और बीते दन क राजनीतक-साहयक

संमरण तमयता से सुनाते। अछा लगता। यगत जीवन क घटनाएं भी उनम शामल होत। जस रववार म न जा पाता उस दन सायकल पर पैडल मारते ए मेर घर आ जाते। उहने जीवन म जतना संघषकयाथाऔरजतनासाहयरचाथाउसकतुलनामउनपरबात कम ई थी। इसका उह मलाल था। उनक माफत मैने उनका अधकांश साहय पढ़ लया था। मुझे

यान नह दे पाए।पिकाछपगई।यादाअछीनहछपी।कछूफकगलतयांभी छटग।यहअखरालेकनएकजरीकामहोगया।

10 जून 1990 को कोटा क भारते भवन म इसका भय लोकापण संप आ। इसम वयं शील जी, वर कथाकार हतु भाराज, वर कव ऋतुराज, आलोचक डॉ जीवन सह, नाकम शवराम, कव महनेह,आलोचकशंभुगुकववनोदपदरज,ेममाऔरकोटा क अनेक साहयकार उपथत रह। यह एक छोटी, साधारण पर एक आवयक पहल थी जससे जड़ता टटी, यथाथत खम ई और बाद म शील जी पर कछ महवपूण काम सामने आया। मेरा उेय पूरा आ और उमसाथक।शीलजीकासाहयसुधीपाठकतकपचगया। संपक : 34/242, सेटर-3, तापनगर, जयपुर-302033

मो. 772793622 संमरणः भटकन

22 जनवरी-2023 घर
देख
धूम
होली शवकटी
बेट
बनी रहती थी। लेकन
और सन य थे इसम कोई संदेह नह था।
जी भी एक बार होटल म मलकर गए थे। चारक दन बाद वे वहां फर मलने आए और खाने पर अपने घर ले गए। खूब
बातकरते
थानांतण
सृजन-ितज
थी। वे नाच गा रह थे। रंभा हो रंभा गाना तेज तेज बज रहा था। यह
वह एक सहज
वाधर
बात ई। वे असर यंजनामक शैली म
लगने लगा था क उनक अवदान पर काम होना चाहए। 1988 म मैने 'धरती' क एक अंक को उनपर कित करने
सभी को प लखे। कई बार प लखे पर कोई रपांस नह मला। एक वष बीत गया। सबका यही कहना था क शील जी क कताब उनक पास नह ह और उहने शील जी को पढ़ा नह ह। कताब न मेर पास थ, न शील जी क पास ही अतर तयां शेष थ क उह भेजी जा सक। इस बीच मेरा थानांतर राजथान म कोटा हो गया। तब मैने यह सोचा क जब लोग ने शील जी को पढ़ा नह ह तो य न उनक साहय को ही इस अंक म दे दया जाए। मैने उनसे पचास कवताएं, तीन लेख और तीन कहानयां ले ल और जयपुर आ गया। वहां से कोटा पचा। कछ महीन बाद एक ेस ढढा और सामी मुक को सप दी। अधकांश सामी हाथ से लखी ई थी और कछफोटोकॉपीकई।तबछपाईकाकामहाथकमशीनसेहोताथा। इसी बीच मेरा थानांतर
भरोसे
सपी
जयपुर हो गया। पिका ेस क मालक क
छोड़ दी। दो म को भी जमेदारी
लेकन वे

अपनीअपनीअहमयत,सूईयातलवार।

उपयोगीहभूखम,कवलरोटीचार।।

कवलरोटीचार,नहखासकतेसोना।

सूईकाकछकाम,नतलवारसेहोना।

'ठकरला'कवराय,सभीकमालाजपनी।

बड़ाहोकलघुप,अहमयतसबकअपनी।।

सोनातपताआगम,औरनखरताप।

कभीनकतेसाहसी,छायाहोयाधूप।।

छायाहोयाधूप,बतसीबाधाआय।

कभीनबनअधीर,नहमनघबराय।

'ठकरला'कवराय,खसेकसारोना।

नखरसहकरक,आदमीहोयासोना।।

नारीकासौदयह,उसकासबलचर।

आभूषणकाअथया,अथहीनहइ।।

अथहीनहइ,चमाभीशरमाता।

मुखमडलपरतेज,सूयसाशोभापाता।

'ठकरला'कवराय,पूछतीनयासारी।

पातीमानसदैव,गुणसेपूरतनारी।।

रनाकरसबकलए,होताएकसमान।

बुिमानमोतीचुने,सीपचुनेनादान।।

सीपचुनेनादान,अमूंगेपरमरता। जसकजैसीचाह,इकावैसाकरता। 'ठकरला'कवराय,सभीखुशइछतपाकर।

हमनुयकभेद,एकसाहरनाकर।।

होताहमुकलवही,जसेकठनलमान।

करअगरअयासतो,सबकछहआसान।।

सबकछहआसान,बहपथरसेपानी।

यदखुदकरयास,मूखबनजाताानी। 'ठकरला'कवराय,सहजपढ़जातातोता।

कछभीनहअगय,पचमसबकछहोता।।

थोथीबातसेकभी,जीतेगयेनयु।

कथनीपरकमयानदे,करनीकरतेबु।।

करनीकरतेबु,नयाइतहासरचाते।

करतेनतनवखोज,अमरजगमहोजाते।

'ठकरला'कवराय,सखातसारीपोथी।

यऊसरमबीज,वृथाहबातथोथी।।

जनवरी-2023

भातसबबाततभी,जबहोवथशरीर।

लगेबसंतसुहावना,सुखसेभरसमीर।।

सुखसेभरसमीर,मेघमनकोहरलेते।

कोयल,चातकमोर,सभीअगणतसुखदेते। 'ठकरला'कवराय,बहारदौड़ीआत। तन,मनरहअवथ,कौनसीबातभात।।

हसनासेहतकलए,अतहतकारीमीत। कभीनकरमुकाबला,मधु,मेवा,नवनीत।। मधु,मेवा,नवनीत,ध,दध,कछभीखायेँ। अवसरहोउपयु,साथयोहसे-हसाय। 'ठकरला'कवराय,पासहसमुखकबसना।

रखो समय का यान, कभी असमय मतहसना।।

धीरधीरसमयही,भरदेताहघाव।

मंजलपरजापंचती,डगमगहोतीनाव।।

डगमगहोतीनाव,अंततःमलेकनारा।

मनकमटतीपीर,टटतीतमककारा। 'ठकरला'कवराय,खुशीकबजमजीर।

धीरजरखयेमीत,मलेसबधीरधीर।।

तनकातनकाजोड़कर,बनजाताहनीड़। अगरमलेनेृवतो,ताकतबनतीभीड़।।

ताकतबनतीभीड़,नयेइतहासरचाती।

जगकोदयाकाश,मलेजबदीपक,बाती।। 'ठकरला'कवराय,येयसुदरहोजनका।

रचतेेवधान,मलेसोनायातनका।।

'ठकरला'कवराय,कत-करणपरचढ़ता।

बनकरजोनम,परायेहतमबढ़ता।।

यहजीवनहबाँसुरी,खालीखालीमीत।

मसेइसेसंवारये,बजेमधुरसंगीत।।

बजेमधुरसंगीत,शीसेसबकोभरदे।

थरकसबकपाँव,दयकोझंकतकरदे।

'ठकरला'कवराय,महकनेलगतातनमन।

मकखलसून,मुकरातायहजीवन।।

छायाकतनीकमती,बसउसकोहीान।

जसनेदेखहकभी,धूपभरदनमान।।

धूपभरदनमान,फराहोधूलछानता।

खसहकरहीय,सुखकामूयजानता।

'ठकरला'कवराय,बटोहीनेसमझाया।

देतीबड़ासुकन,थकहारकोछाया।।

जीवनकभवतयको,कौनसकाहटाल।

कतुबुनेसदा,कछहललयेनकाल।।

कछ हल लये नकाल, असर कछ काम हो

जाता।

नहसतातीधूप,अगरसरपरहोछाता।

'ठकरला'कवराय,तापकामहोतेमनक।

खुलजातेहार,जगतमनवजीवनक।।

जीवनजीनाहकला,जोजातापहचान। वकटपरथतभीउसे,लगतीहआसान।। लगतीहआसान,नहःखसेघबराता। ढढ़मागअनेक,औरबढ़ताहीजाता। 'ठकरला'कवराय,नहहोतावचलतमन। सुख-ख,छाया-धूप,सहजबनजाताजीवन।।

रहताजोइसान,मोदसबकमनभरता।

रखेनमनमलोभ,नअनुचतबातकरता।

23 सृजन ितज
बढ़ता
सदा
जाताजगतम,हरदनउसकामान।
कसौटीपरखरा,रहताजोइसान।।
बंगला संया-99, रलवे चकसालय क सामने, आबू रोड-307026, राज. मोबाइल-09460714267
-िलोक
िलोक िसंह ठकरला क कडिलयां
िलोक िसंह ठकरला क कडिलयां
सह ठकरला

उड़ती ई गध ने, जब लोग का

जीना भर, कर दया तब, उस डटबन म

कछ आगे बढकर बंशी ने झांका। बोर क ऊपर

रसी बंधी ई थी। और बोर पर खून क कछ

धबे भी दखाई दे रह थ। लोग कयास भर लगा

पा रह थ, क डटबन मे, आखर कसक लाश फक ह। कौतूहल से ताकते लोग म से हरगोबद आगे बढ़कर बोला- "नकाल बोरा देखइसमयाह..?"

हमत करक बँशी डटबन म से दो लोग क

मदद से उस बोर को डटबन म से बाहर नकाललाया।

जमीन पर लाकर जब बोरा खोला गया तो, हरगोबद और बँशी क चीख नकल गई-

"अरईतोअपनवदेशीभाईह।"

बँशी भी अवाक लाश को ताकता रह गया। उसे, भी वास नह हो रहा था क ये लाश वदेशी

चचाकह।

लेकन,कसनेकयाहोगायेकाम..?

सुनंदा और और बनवारी वदेशी क बेट और ब

को भी ये बात पता चल गई थी। वे दौड़ ए

आये तो देखा क वदेशी क लाश जमीन पर

पडी़ ई ह। और, उनक सर क परखे उड़

गये ह। बाल, और, नाक पर रसता आ ल

गाढाहोकरजमगयाथा।

"आखर, कसन कया होगा य काम... ?

हरगोबद जैसे अपने आप से बोले। ऐसे सीधे-

साधे, साधु आदमी को मारकर भला कसी को

यामलाहोगा..?"

बनवारी बोला- "चचा कल रात से जुगला घर

नहआयाह।"

जुगल बनवारी का छोटा भाई और वदेशी का

सबसेछोटालड़काथा।

बँशी ने पु क- "हां हरगोबद चचा, जुगला

कल मेर साथ माघ मेले म भी गया था। वहां से

उसनेएकलाठीखरीदीथी।"

तो या उसी लाठी से उसने, वदेशी भाई का

कामतमामकरदया..!

बंशी फर बोला- "हां चचा, वो कानदार से पूछ भी रहा था, क कसी को मारने से टटगा तो नहना...?"

हरगोबदकमुंहसेनकला-"ह,भगवान...!"

और, हरगोबद को साह भर पहले का वो वाकयायादहोगया।

"अर.. माद चोSS त हमरा दा पीये खातर

पइसा काह नह देहन ..र। ...भसSS क पैदा करक शौक रहन, लेकन, बाल- बन क शौक-मौज खातर तोरा पास पैसा नाह रहन।

उ रंडी छनाल पवा क ऊपर उड़ान खातर तोरा पास पइसा रहन। ...और हमरा लए पैसा नह रहन ह। "जुगल अपने बाप, वदेशया पर गुसा और गाली देता आ पल पड़ा। वदेशया को उनका बेटा जुगल गरया रहा था। और, वे सुन रह थ। सुनते-सुनते जब उनसे नह रहा गया तो उनका भी दमाग सनक गया। और उनक खून म भी उबाल आ गया। वे पानी क बाटी साइड म रखकर जुगल से बोले- "अर, सार कौन न म तुम ससुर पैदा होएन रहन थ। हमको समझ म नह आवत ह। मर-मर क सार हम साठ साल डयूटी कयेन। तब जाकर ई घर खडा़ होइन। तोर माई जब जदा थी तो उसने देखस रहन। डफर का टयरग पकड़ साह-साह दन तक हमेन गाडी़ चलावत रहन। आंख नद से झपने लागत रहन तभन भी हमेन टयरग पकड़ ही रहन।

करत टाइम हमेन एको-दन नागा नह करत रहन। तब, जाकर घर म नून- रोटी जुगाड़ हो पावत रहन। साला- हम रात को रात और दन को दन नह समझत रहन। तब जाकर ई घर को हमेन चालीस साल चला पायेन। सरा कोई मनई होत त कबक छोड़ करक भाग गये रहन। लेकन, हम ह क नभायेजातरहन। "सुन हमन तोर ई रामायण- सुन म कोई इटरट ना रहन। जदी से हमरा पचास ठो पया दे हमेन जा रहन। रधवा क कान पर दापये।" जुगलनेएकबारपुनःवदेशयाकोधमकाया। वदेशया ढ़ रहा- "हमेन तोरा एक नांया पैसा

वो अभी खाना खाकर लेट ही थ क हरगोवद उनकमड़यामदाखलहोगया।

"का हो वदेशी भाई खाना -पीना हो गयेन

का..??"

"हा- भईया अभी-अभी अभी खायेन ह..." वदेशया ने बैठने का इशारा कया हरगोवद वहखटयाकपासबैठगये।

"का.. का खायेन भईया.. "हरगोवद खाट पर बैठतेएबोला..।

"अर, अभी तालाब स झगी मछली मारन हा, और, थोड़ा सा भात बनाइन रहन... ससुर दन म बार मछर मारन.. तुं खइअब का भईया थोडा़ सा बचल बा... मछर और भात हो...।"

"वो खटया पर स उतरकर, चूह क पास गय.

अंगीठी क पास रखे तसले से दो पीस मछली औरएककटोराभातनकालकरहरगोवदक सामनेपरोसदया..।

हरगोवद भात और मछली सानकर खाने लगा...।

हरगोवद, मुहे का रडयो ह, सबको यहांवहांकखबरदेआताह..।

"तोर, मोहा म का-का हो रहा ह तोरा मालूम हकछोवदेशीभाई"वोमछलीकोमुंहमरखते एबोला...।

"ना हो का आ.. "वदेशी खटया पर लेट-लेट बोले..।

"अर ऊ ससुर, गणेशया, अर वही इमवा वाला बोरवा वाली क पतोआ क कमर म दन-पहरया घुसल रहता ह... तोर मोहे वाला तो कहन रहन क ऊ गणेशया ओकरा रखलेलोहन..।"

"अर,गणेशया,ससुरतोबूढ़ाहनर. ओकरास क होत. ओकर घर वाली कछो नांय बोलेन...??

"वदेशीबोले।

"घरवाली क दमभर देवेन हो त.. घर वाली क बोलेन....। "और, वदेशया और हरगोवद, दोन ठहाक मारकर हस पड़ सुनंदा, चाय क याली म चाय को छानते ए बोली- "दामाद जी फोन कर रहन, कहन क बाबूजी से बोल देवेला

-महश कमार कशरी िवदेशी

जनवरी-2023

24 सृजन ितज
डयूटी
ना देम जो-उखाड़ ला हो उखाड़ ले।" जब जुगल को अपनी दाल गलती नह दखी तो, वो पैर पटकतेएघरसेबाहरनकलगया।
िवदेशी

कहये क जब पचपन साल क वदेशी रह होग तो, उनक जो, चल बस, एक घटना म।

जससे वदेशी क बाबूजी, डरकर भागे थ। वही

खान फकन क ब सुभागी को नगल गया..।

यान, फकन का लया गया फसला बकल

सही था। वही छीसगढ़ जाकर नह लौटने

क लए

तो, राे म मोड़ पर एक बरगद

का पेड़ पड़ता ह, लगता ह बरगद का पेड़

कहता ह मुझसे कछ, बरगद क पेड़ जैसे-जैसे

पुराना होता ह, ठीक वैसे-वैसे उसक जड़

काफ मजबूत और छाँव क सीमा फलती

जातीह।येबरगदकापेड़देखनेपरमुझेअतीत

का संयु परवार याद दलाता ह, वही संयु

परवार जसमे परवार का सबसे बड़ा सदय

एक बरगद क पेड़ क तरह होता ह, जैसे-जैसे

परवारबढ़ता जाता ह, उसबरगदपीपरवार

क मुखया क छाया भी परजन पर बढती

जाती थी और अनुभव पी जड़ परवार क

आधारमज़बूतीसेबांधेरहताथा।

सच क तो आज क दौर म कई एकल परवार

को देखता तो मन यथत हो उठता ह क ना

इस परवार को अनुभव से परपूण बड़ का

छाँव मल पता ह ना ही समाज क कटने क

कारण इह कणा जैसा कोई दो, जो सारथ

बन पथ क हर पग पर उचत कम का बोध

कराये। माना आज क अथवादी युग म परवार

क सभी सदय का व-आित होना बत

जरी ह (मेरा खुद का मानना ह होना भी चाहए, यक थत और हालत कब और कसे हो जाए कछ कहा नह जा सकता)

लेकन या गाड़ी (परवार पी गाड़ी) क दोन पहय (पत-पनी) इस अथपी नया म दौड़ने क लए गाड़ी क टरग (परवार क मुखया) क जरत नह पड़गी ? पड़गी , ज़र पड़गी म अपने कई दो देखता क पत-पनी दोन सुबह सुबह रोज़ी-रोटी क

जुगाड़ म घर से नकल लेते ह और उनका नहासाबालककोएकअनजानआया(काम वाली बाई) क पास रखता ह, या वह आया (कछ को छोड़ कर) वो संकार द पायेगी जो दादा-दादी और नाना-नानी से मलता था। मेर अनुभवकआधारपरबकलनही। माना आज क मूल जरते और ब क महगे होते उ शा को पूरा करने क लए पतपनी दोन का रोज़गार परक होना बत जरी ह लेकन इस भाग-दौड़ भर जदगी म उस नह बालक को दादा-दादी और नानानानी क यार से वंचत करना या उचत ह ?, हम अपने साथ कभी ससुराल प तो, कभी मायका प क वरजनो को अपने पास रख सकते ह, जससे वो हमार संतान को उचत परवेश और संकार दे सक, और उनका वृा अवथा भी उनक नाती - पोते क साथ आनंदमय तरीक से बीत सक और परवार क वरजन को क चहर पर मधुर मुकान भी बनीरह।

मेरा मानना ह जैसे बरगद क जड़ ज़मीन क

तरफ ही जाती ह वैसे इसान को भी अपने आने वाली पीिढ़य को अपने पैतृक थान से जोड़

कर रखना चाहए और उनका परचय और मलापवहांकलोगोसेकरातेरहनाचाहए।

खुद क अनुभव से कह सकता क इस अथ पी युग म जतना हो सक अपने सारथी पी म कण और सगे-संबंधय

म रामभरत एक उ शा क बाद एक मटीनेशनल कपनी म कायरत ह। और एक दन रामभरत क तबयत अचानक ख़राब हो जाती ह और डॉटर उह इलाज क लए बड़ महानगर म जाने क लए सलाह देते ह। रामभरत क पास पैसे क कोई कमी नह ह, कमी ह तो बस अपन क रामभरत ने अपनी जदगी बस पैसे कमाने म बीता दया ना कभी अपने म, रतेदार से मलना उचत

समझा ना ही कभी फ़ोन कर क हाल चाल लेनाज़रीसमझा।

इसलए बरगद पी पेड़ क तरह अपने अभभावक क अनुभव का खुद फायदा उठाये उनक अनुभव का संचार अपने बाय मभी संचारत होने दीजए और कसी बहाने, चाह कोई कायम चाह कोई यौहार हो अपने सगे-संबंधी को अपने होने का भी अहसास कराते रहय। अपने आपको रामभरत मत बनने दीजए, याद रखये साल 2011 क एक रपोट क अनुसार देश म हर 4 मनट म कोई एक नागरक दकशी कर लेता ह और ऐसा करने वाले तीन लोग म से एक युवा होता ह यानी देश म हर 12 मनट म 30 वष से कम आयु का एक युवा अपनी जान ले लेता ह। ऐसा कहनाहराीयअपराधरकाडयूरोका। परवारऔर नाते-रत का महव समझए,ये मत भूलए क कोरोना जैसे महामारी म बड़बड़

नाम) को देख रहा ,

26 जनवरी-2023
वाला...। "तड़ाक-तड़ाक लगा कसी न, वदेशी क ऊपर लाठीसेहमलाकरदयाह"। कौन-कौनह...र ?? बसइतनाहीभरपूछसकवदेशी...!! C/O- मेघत माकट फसरो बोकारो झारखंड-829144 मो-9031991875 जब म घर से ऑिफ़स
नकलता
क लए भी समय नकलना चाहए, यक जरत और समय पर यही काम आते ह। म अपने म रामभरत (कापनक
महानगर बड़-बड़ साहब को भी उनक छोटकगाँवनेहीपनाहदया। हरदासीपुर, चंदवक, जौनपुर, उ. . -222129. मोबाइल - 8367782654. संयु
बरगद क छांव - अंकर सह संयु परवार - बरगद क छांव
परवार -

उराखंड:रनीकबादजोशीमठासदी

नई दी 11 जनवरी 2023। उराखंड का रनी

गाँव अभी कछ समय पहले तक सुखय म था।

और अब, पास का ही जोशीमठ खबर म ह और

दोन क सुखय म रहने क वजह एक ही ह-

भूधसांव। फलहाल शासन वहाँ से लोग को

सुरित थान पर पुनथापत करने क

कवायद म ह और वशेष अपनी-अपनी

समझ से समया क कारण पर गौर कर रह ह।

अधकांश वशेष का मत ह अनयोजत

शहरीकरण और ाकतक संसाधन का अंधाधुंध दोहन ही इस घटनाम का मुख कारकह।

जोशीमठासदीपरोफसरअंजलकाशक तिया

मौजूदा संकट पर अपनी तिया देते ए आपीसीसी रपोट क मुख लेखक अंजल काश, भारती इटीूट ऑफ पलक पॉलसी, इडयन कल ऑफ बज़नेस क जो अनुसंधान नदेशक और सहायक एसोसएट

ोफसर ह, कहते ह, “जोशीमठ एक बत ही गंभीर अनुमारक ह क हम अपने पयावरण

क साथ इस हद तक खलवाड़ कर रह ह जो अपरवतनीय ह। जलवायु परवतन एक वावकता बन रहा ह। जोशीमठ समया क दो पहलू ह, पहला ह बड़ पैमाने पर बुनयादी

ढांचे का वकास जो हमालय जैसे बत ही नाक पारथतक तं म हो रहा ह और यह पयावरण क रा करने म और साथ ही उन े म रहने वाले लाख लोग क लए बुनयादी ढांचे लाने म हम सम करने क यादा योजना िया क बना हो रहा ह। और सरा, जलवायु परवतन एक बल गुणक ह। भारत क कछ पहाड़ी राय म जलवायु परवतन जस तरह से कट हो रहा ह वह

अभूतपूव ह। मसलन, 2021 और 2022

उराखंड क लए आपदा क साल रह ह।

भूखलन को िगर करने वाली उ वषा क घटना जैसी कई जलवायु जोखम घटनाएं दजकगईह।”

डॉ काश कहते ह, “हम सबसे पहले यह

समझना होगा क ये े बत नाक ह और पारथतक तं म छोट बदलाव या गड़बड़ी

से गंभीर आपदाएं आएंगी, यही हम जोशीमठ

म देख रह ह। वाव म, यह इतहास का एक वशेष ब ह जसे याद कया जाना चाहए क

या कया जाना चाहए और हमालय े म याकयाजानाचाहए।”

या जल वुत परयोजना क कारण हआ ह जोशीमठमभूधसान?

ोफसर अंजल काश कहते ह क उह पूरा वास ह क जोशीमठ क धंसने क घटना जल वुत परयोजना क कारण ई ह जो सुरंग क नमाण म चालू थी और नवासय क लए चता का मुख कारण थी। वह कहते ह क इसने दखाया ह क जो पानी बह नकला ह वह एक खंडत े से ह जो सुरंग ारा छित कया गया ह और जो उस वनाशकारी थत क ओर ले जाता रहा ह जसम आज हम ह।यहअतीतमकईरपोटकबहानेमभीह। उहने 2019 और 2022 म काशत आईपीसीसी क दो रपोट का हवाला दया, जनम समालोचनामक प से अवलोकन कया गया ह क यह े आपदा क त बत संवेदनशील ह। उहने कहा क इसका मतलब ह क एक बत मज़बूत योजना ियाकापालनहोनाचाहए।वावम,पूरी योजना जैव-ेीय पैमाने पर क जानी चाहए जसम यह शामल होना चाहए क या अनुमत ह और या नह ह और यह बत सतीसेलागू होनाचाहए।

वह कहते ह क, “म लोग क लए ढांचागत वकास लाने क िख़लाफ़ नह यक ये पयटन क च क थान ह। म इस तय को समझता क यहाँ इन थान क लोग क पासउनकधामकथानकोदेखतेएजीवत रहने का कोई अय साधन नह ह। लेकन यह योजनाब तरीक़ से कया जाना ह। हम कछ चीज़ को छोड़ देना चाहए और ऊजा उपादन क अय तरीक़ क तलाश करनी चाहए। पयावरणीय

म वापसी नवेश लागत बत कम ह। जोशीमठ इस बात का प उदाहरण ह क हमालय म यानहकरनाचाहए।”

या हमालय को देवभूम से

बनानेकापरणामहजोशीमठासदी?

इसी तज़ पर थानीय पयावरण कायकता

अतुल सी कहते ह, “पछले कछ वष म

पयटक क आमद म कई गुना वृि ई ह। मोट तौर पर गनती करते ए, राय त वष लगभग 6 लाख पयटक क मेजबानी करता थाजोअबबढ़कर15लाखसेअधकहोगएह। इसक साथ, वाहन षण, नदी षण, नमाण गतवधय और यावसायीकरण म वृि ई ह। जलवुत परयोजना क नमाण और सड़क चौड़ीकरण गतवधय का इस े पर बड़ा भाव पड़ा ह। इन सभी कारक ने वषा क पैटन म बदलाव क साथसाथ तापमान वृि म योगदान दया ह। अब हम लगातार 2-3 दन तक नरंतर बारश देखते ह, जबक कई और दन शुक रहते ह। इसक अलावा, 1980 और 90 क दशक क दौरान जोशीमठ े म 20-25 दसंबर क बीच बफबारी एक मुख वशेषता थी। लेकन पछले वष म यह बदल गया, और कभी-कभी तोइसेमबफबारीहोतीहीनह।”

आईपीसीसी क पाँचव मूयांकन रपोट च म नकष नकला क जलवायु णाली पर मानव भाव “प” ह। तब से, एियूशन पर साहय–जलवायुवानकाउप-ेजोयह देखता ह क कसे (और कस हद तक) मानवीय गतवधयाँ जलवायु परवतन क वजह ह – का काफ वार आ ह। आज, वैानक पहले से कह अधक नत ह क जलवायुपरवतनहमारकारणहोताह।

हाल ही क एक अययन म पाया गया ह क पूव-औोगक काल से देखी गई सभी वामग काकारणमनुयह,जससेबहसकलएकोई गुंजाइश नह बची ह क जलवायु य बदल रहाह।

सृजन िितज 27
जनवरी-2023
और पारथतक त
जुड़ी लागत क तुलना म जलवुत
से
परयोजना
पयटनभूम
एआर5 (AR5) क बाद से, ेीय भाव पर भी यान कित कया गया ह, वैानक ने अपने
अमले उपायाय जोशीमठ ासदी क िलए कौन ह िजमेदार?
जोशीमठ ासदी क िलए कौन ह िजमेदार?

कण क गठन क बीच एक संबंध पाया गया, एक बादल क बूंद क आकार भर का जस पर

जल वाप संघनत होता ह जससे बादल और

जंगल क आग का नमाण होता ह। सीसीएन

कह जाने वाले ऐसे कण क माा म जंगल

क आग क घटना से जुड़ी चोटयाँ पाई

ग। पूर अवलोकन अवध क उतम

सीसीएन एकाता (3842.9 - 2513 सेमी 3)

मान मई 2019 म देखे गए थे। यह उराखंड

और आसपास क भारत-गंगा क मैदानी े

म भारी आग क गतवधय से काफ़

भावतआथा।

कम काबन फटिंट वाले लोग सबसे अधक भावत

इन ाकतक आपदा म वृि ने रणी गांव क

थानीय लोग म भय पैदा कर दया ह। फरवरी

म अचानक आई बाढ़ ने न कवल मानव और

संपि क नुकसान क मामले म कहर बरपाया

था बक अंतरराीय सीमा क ओर जाने

वाले हवाई राजमाग को भी बाधत कर दया

था। इसक बाद, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने गांव क ठीक ऊपर एक सड़क

का नमाण कया ह जसे वे आगे एक राीय

राजमाग बनाने क योजना बना रह ह। बताया

जा रहा ह क रणी गांव क कष भूम पर यह

40 मीटर लंबाई और 10 मीटर चौड़ाई वाली

सड़कबनीह।

ने इस े को मानव बी क

लए अनुपयु घोषत कया ह। इन सभी वकास क कारण, ामीण कसी अय थान पर थायी पुनवास क मांग कर रह ह जहां वे सुरित महसूस कर सक। कथत तौर पर, राय क अधकारय ने सुभाई गांव को उनक पुनवास क लए चित कया ह, जो रणी से

दिण क ओर लगभग 5 कमी नीचे ह।

हालांक,यहकोईआसानकामनहहोगा।

जला अधकारय क अनुसार, भूम एक सीमत चीज़ ह और इस वजह से गांव का थानांतरण आसान काम नह ह। “लोग क एक समूह को सरी जगह थानांतरत करने

का सचाई क साधन, चराई और खेती क भूम, जो तब बड़ी संया म लोग क बीच वभाजत हो जाती थी, पर भी भाव पड़ता ह। इसलए, हम भावत परवार को 300-500 मीटर क दायर म थानांतरत करने का यास करगे, ताक उह कठनाइय का सामना न करना पड़,” रनी गांव क आपदा बंधन

जनवरी-2023

अधकारीनंदकशोरजोशीनेकहा।

उराखंड राय क पुनवास नीत क अनुसार, ामीण को 360,000 पये का मुआवज़ा और 100 वग फट भूम का आवंटन मलने क संभावना ह। हालांक, थानीय लोग का दावा ह क शासन लोग क लए पया काम नह कर रहा ह। कई थानीय लोग समय पर शासनक कारवाई क कमी क बार म शकायत करते ह और यह शकायत करते ह क दान क गई भूम और मौिक मुआवज़ा एक नए थान पर नए सर से शु करने क लएपयानहह।

“ामीण को पुनवास क लए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती ह। शु म, थानीय शासन चाहता था क हम एक ाथमक वालय म एक अथायी जगह पर शट हो जाएँ, लेकन वह हमार मवेशय क बना था। अगर हमार मवेशय को कछ हो गया तो नुकसान कौन उठाएगा। अब, उहने हम सुभाई गांव क पास एक जगह पर थानांतरत करने का फसला कया ह, लेकन जैसा क हमने अय मामल म देखा ह, हम आवंटत जगह काफ कम ह। इसक साथ ही हम डर ह क कह यह फसला सफ कागज पर ही न रह जाए। मानसून आ गया ह और हम हर रात इस डर म बता रह ह क या हम कल तक जीवत रहगे,” रणी गांव कएकथानीयसंजूकपरवाननेकहा। राय भर म सैकड़ लोग अभी भी भूम क लए संघष कर रह ह, जसे वे खो चुक ह या जो बाढ़ म नदी म, लगातार भूखलन और लगातार बारश म बह गई। वाव म, सामाजक कायकता का मानना ह क रणी भायशाली ह क उह अधकारय ारा वरततियादेखनेकामौकामला। उराखंड राय क हजार ामीण पुनवास क लए अपनी बारी का इतजार कर रह ह। कथत तौर पर, उराखंड क 12 जल क आपदावणेम395गांवकपहचानकगईह, जो सुरित े म थानांतरत होने क तीा कर रह ह। पूरी िया म 10,000 करोड़ पये खच होने क संभावना ह। पथौरागढ़ जले म सबसे अधक 129 गांव ह, उसक बाद उरकाशी म 62, चमोली म 61, बागेर म 42, टहरी म 33, पौड़ी म 26, याग म 14, चंपावत म 10, अमोड़ा म 9, नैनीताल म 6, देहरान म 2 गांव ह और उधमसहनगरम1ह।

सुरामुेबनामआपदासेबचना उराखंड चीन और नेपाल क पड़ोसी देश

दोन क साथ सीमा साझा करता ह। पड़ोसी देश क साथ चल रह तनाव और ेीय ववाद कवल

राय क भेता और इसक गांव को थानांतरत करने क जटलता को बढ़ाते ह, जससे राय क बुनयादी ढांचे और रहने क मता को मज़बूत करना और भी ज़री हो जाताह।

रणीकामहवयह?

रणी क चीन क साथ सीमा से नकटता ने इसका महव बढ़ा दया ह और इसक भेता भी। गाँव क पास या भीतर सड़क क चौड़ीकरण और नयमत मरमत या नमाण

कोकसीभीक़मतपररोकानहजासकता।

अधकारय क अनुसार, रणी गांव क सड़क चमोली जले क एक दजन सीमावत गांव को

जोड़ती ह। हाल ही म, 14 जून को मूसलाधार बारश ने सड़क क एक बड़ हसे को न कर दया था, जससे सीमा पर सैनक क साथ संपकबाधतहोगयाथा। ो. सुंियाल ने कहा, “यह मामला मुख चता का वषय ह और इस पर हमेशा तुरंत यान देने क आवयकता ह। इस बात से इनकार नह कया जा सकता क हम राीय सुरा को यान म रखते ए अपने इार को मज़बूत करने क ज़रत ह। लेकन हम यह सुनत करने क आवयकता ह क इतनी ऊचाई पर सड़क को चौड़ा करते समय ढलान क थरता और अछी गुणवा वाली रटनग

दीवार का यान रखा गया हो ताक भूखलन सेबचाजासक।”

जोशीमठ ासदी क िलए कौन ह िजमेदार?

िवान 29
भू-वैानक
जो इसे भू-राजनीतक प से संवेदनशील जगह
चीन क उराखंड क साथ 350 कलोमीटर क सीमा ह, नेपाल राय क साथ 275 कलोमीटर लंबी सीमा साझा करता ह। राय क 13 जल म से पांच सीमावत जले ह। चीन चमोली और उरकाशी क साथ सीमा साझा करता ह,
और
ह।इस बीच पथौरागढ़ चीन
साथ एक लंबी सीमा साझा करता ह,
बनाता ह। जबक
जबक नेपाल उधम सह नगर
चंपावतकसाथसीमासाझाकरता
और नेपाल
हमालयी
JANUARY-2023

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