Jun_Jul-2020

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वषः 11, अंकः 115-116 , जून/जुलाई-2020

मानव स यता क वकास म ग णत क भू मका



वषः 11, अंकः 115-116, जून/जुलाई-2020 संपादक यः मानव स यता क वकाश म ग णत क भू मका..........................................05 प का रता क गरती साख........................................................................................................06 कसान को राजनी त करनी चा हए......................................................................................07 म थलीकरण का बढ़ता खतरा................................................................................................08 लॉकडाउन, अन-लॉकडाउन, महामारी-आपदा क म य मक का हाहाकार.09 कमल शु ा मामले म पोख रयाल ने गृहमं ालय से कारवाई करने कहा.........11 को वड 19 क नाम पर कपड़ा यू नयन को बंद कया गया...........................................12 क लकाल म रामरा य और राममं दर क मन..................................................................13 बंद आंख भी बुरी नजर डाल सकती ह......................................................................................14 नवगीत क नयी व ु और नये प ने गीतका य को वैचा रक ऊजा दी ह.........17 अनुसंधानपरक आलोचना क आचाय: पं. परशुराम चतुवदी...........................................20 जून/जुलाई-2020 मा सक मू यः 25/- प ीस पये

क वताः मन का भरो उड़ान ऐसा क / कोरोना पाट ......................................................22 कहानीः नीड़ से बछड़.......................................................................................................................23

वामी काशक एवं मु क रंजू सह ारा मु धारा ेस ए ड प लकश क लए मु धारा ेस, अपर रोड, गु गनगर, पो धान नगर, सलीगुड़ी-3, जला दा ज लग (प.बं.) से मुि त एवं ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर, पो धान नगर, सलीगुड़ी-3, जला दा ज लग (प.बं.) से का शत संपादकः डॉ राजे साद सह मोः 94340-48163 / 79087-02720

धरती पर जीवन......................................................................................................................................26

व ापन वभागः ओझा मशन, थम तल, हलकाट रोड, सलीगुड़ी-1, जला दा ज लग (प.बं.)

ऐ तहा सक नगर व दशा....................................................................................................................27

कानूनी सलाहकारः ओम काश शमा, सलीगुड़ी / सुदीप कमार, कोलकाता राज राजे र स हा, 57- कल रोड, पूव पुटीआरी, ाउ ड लोर, कोलकाता-700093 लेखा नरी कः राज कमार बहानी संपादक य भारीः शैले े ीय त न धः

चौहान, 34/242, से टर-3, तापनगर, जयपुर-302033, राज थान

शेख मोह मद ब नहाली, डोडा, ज मू क मीर डॉ स यभामा आिड़ल, शंकर नगर, छि सगढ़, रयपुर डॉ मूलचंद गौतम, श

नगर, चंदौसी, मुरादाबाद202412, उ

ो मोहन सपरा, इजी, गो ब दगढ़, एस डी कॉलेज रोड, जालंधर सुरश सेन नशांत, गांव सलाह, डॉ सु दर नगर, जला म डी, हमाचल देश-174401 ओलोक शमा वीण, सलीगुड़ी डॉ देवे

साद सह, ससाराम-821115, बहार

डॉ चेतना राजपूत, डी-44/3, अनामट कॉलोनी, गणेश खड, पुणे-411007 डॉ स य काश तवारी,83- को शपुर रोड, ओम र सड स, बी एल-3, लाट 3ए, कोलकाता-02 व म सह, उ राखंड

डजाईनः कमल साद दाहाल पि का से संबं धत सभी तरह क ववाद सलीगुड़ी यायालय ारा ही नपटाए जायगे। रचना म य कये गये वचार से संपदक क सहम त अ नवाय नह ह।

धारावा हक उप यासः जीवन-या ा.............................................................................................25



संपादक य

मानव स यता क िवकास म गिणत क भूिमका मानव स यता क तरह ग णत क शु आत भी अ यंत ाचीन ह।

मनु य ने अपने लंबे अनुभव क ज रये ग णत को एक कारगर व ा क बतौर वक सत कया। आज हम देखते ह क गनती व पहाड़ा से शु आ ग णत एक ऐसे वषय क प म वक सत आ जसक दायर म अ धकांश वषय वतः आ जाते ह। अं ेजी का श द ए रथमे टक ीक (यूनानी) श द ए रथमोस से आया ह। जसका अथ सं या होता ह। साधारण गनती से शु होकर ग णत क प त ज टलतर होती गयी ह। वह सामा य सं या और उनक बीच क अंतसबंध क साथ योग व वयोग क व धय का शा ीय न पण बन गया। शु म यह अंकग णत क नाम से च लत था, जो बाद म बीजग णत, या म त और ि कोण म त जैसी शाखा म वभ हो गया। इन सभी वषय को मलाकर ग णत या मैथेम ट स का सम वत प सामने आया। मैथेमे ट स को यूनानी भाषा म श ा देना कहते ह, अथात जो वषय सबसे ज री ह वही ग णत ह। आज हम यवहा रक प से देखते ह क व क तमाम व ान एवं शा ग णत क मदद लेते ह। ाचीनकाल म अंक णाली भारत समेत म व यूनान देश म वक सत ई जहां से इसका अ य देश म व ार आ। अंकग णत ान क उस शाखा का नाम दया गया जसम व ु क प रणाम, उनक नाप- जोख, आपसी संबंध क या या क जाती ह। यही व ान धीर धीर ज टल से ज टलतर सम या क हल का मा यम बनने लगा। ग णत एक ऐसा वषय ह जसम तीक क ज रये सम या का हल नकाला जाता ह। चतन धारण और ता कक प तय क ज रये वा वक, वशु व संि प से इस तरह क हल नकाले जाते ह। ग णत को भाषा का शाट हड कहा जा सकता ह। मोट तौर पर य द कह तो ग णत अ य सभी व ान वषय का वेश ार ह। जसक ग णत क बना हम क पना नह कर सकते। वा व म यह संपूण व ही वशु ग णतीय प रक पना ह, जसे ग णत क बना समझना नामुम कन ह। व क त म जो कछ भी यथाथ व स य ह उसे ग णतीय समीकरण क ज रये समझा जा सकता ह। इसम कसी अ ात तक क कोई गुंजाइश नह ह। चरम नद षता ही इसक वशेषता ह। आ द काल से ही प रमाणगत त य एवं व ु क व नमय था का हसाब कताब रखने क लए ग णत म सं या का वकास होता ह। चूं क सामा य सं या ज टल ग णतीय सम या का हल करने म अपया लगे, जससे सु म सं या , धारणा व संक पना का वकास होने लगा। बाद म का प नक सं या ने भी ग णतीय सू का प लया। इस तरह से व ान क एक मह वपूण शाखा क प म ग णत का उ रो र वकास होता गया। स ग णत ड काटस ने या म त क साथ बीजग णत एलजे ा का सम वय कर थानांक या म त का प दया। ि भुज व उसक व भ कोण को आधार बना कर ि कोण म त टकोनमे ी का वकास आ। घन व ि माि क या म त मसुरशन म अंक ग णत, बीज ग णत और या म त तीन का ही सम वय ह। महान वै ा नक यूटन और लब नज ने अपने अपने तरीक से देश व काल का सु म व ेषण करते ए व ेषणा मक ग णत क स ांत या कलकलस का जून/जुलाई-2020

आ व कार कया। वह ए बट आइ टीन ने अपने सापे ता क स ांत योरी ऑफ रले ट वटी क मदद से ग णत को वृह म देश काल क गणना का मा यम बनाया। ग णत भौ तक , रसायन शा और जीव व ान क अलावा दशन शा , तक शा , मनो व ान, क यूटर, अथशा और यहां तक क संगीत, भुगोल, इ तहास, सं कत जैसे वषय क गहन अ ययन म आज सहायक ह। इनम से दशन शा , क यूटर, अथशा , भूगोल, पुरात व आ द वषय क लए ग णत का उपयोग पहले से ही हो रहा ह। जीव व ान क शरीर, अनुवं शक सू और मक वकास को समझने म ग णत सहायक रहा ह। स अथशा ी मा थस, मडल, मानवीय म वकास स ांत क तपादक डार वन ने ग णतीय सू क मदद ली ह। भूगोल व ग णत का संबंध गहरा ह। यूनानी व ान इरटो थै नज ने भूगोल का नामकरण जयो ाफ कया। सृ क ारंभ से पृ वी क जाग तक त व एक नधा रत ि या और नयम क तहत वक सत ए ह। उन नयम क नधारण म ग णत ने मदद क ह। उसी तरह ग णत ने सुनामी जैसी ाक तक वपि क ग त व वंस मता का नधारण ग णतीय सू क ज रये ही संभव होता ह। पुराता वक अवशेष क काल नधारण म काबन ड टग और डन ो ोनोलॉजी व धय का उपयोग ग णतीय प त से ही कया जाता ह। मनो व ान क ज टल मान सक सम या क हल म भी ग णत का सहारा लया जाता ह। इसी तरह अथशा क एक शाखा सां यक ट ट टी स पूरी तरह ग णत पर आधा रत ह। अथशा सव ण से ा आंकड़ क व ेषण म ग णत एक ज री साधान ह। इस तरह से हम देखते ह क ग णत न सफ हमार दैनं दन हसाब कताब म हमारा मददगार ह ब क वह जीवन क व भ आयाम , वषय एवं सम या क हल म मह वपूण और कह कह नणायक भू मका नभाता ह।

“अमरावती सृजन पुर कार-2020" ‘सामा जक, सां क तक व सा ह यक े म मह वपूण योगदान करने वाले य य को तवष अगले साल क फरवरी महीने म देय’ स ब य य से अनुरोध ह क वे अपने व श काय / क तय को न न ल खत सं था क पास 30 नव बर-2020 तक भेज। मु धारा ेस ए ड प लकश ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर, पो धान नगर, सलीगुड़ी-03, जला दा ज लग, प. बं. मोः 94340-48163

स चवः व त मंडली ‘आपका त ा हमालय’

संपादक य 05


आवरण कथा

प का रता क गरती साख और ग रमा को अगर कोई बचा सकता ह तो वे ह आंच लक प कार आंच लक प कार और प का रता क गरती साख आंच लक प कार क बना आप समाचार प एवं यूज़ चैनल क क पना नह कर सकते। अखबार एवं चैनल म 70 तशत आंच लक प कार क बदौलत ही सु खयां बनती ह। आंच लक प कार प का रता क रीढ़ होते ह जसक बना कोई भी समाचार प एवं यूज़ चैनल दो कदम चल नह सकता ह। आप 12 पेज का अखबार का शत कर या 24 घंट का यूज चैनल चलाएं, बना आंच लक प कार क आप इसक क पना भी नह कर सकते ह। समाचार संकलन से लेकर सार तक म आंच लक प का रता क भू मका (Role of regional Journalism) अहम होती ह। वह सरी तरफ जो कड़वी स ाई ह उन अखबार और चैनल क कमाई का 5 तशत भी आंच लक प कार क झोली म नह जाती। आंच लक प कार जब कभी समाचार संकलन को लेकर मुसीबत म होते ह तो उ ह उनका बंधन प कार तक मानने से इकार कर देता ह। पछले कछ वष म समाचार संकलन को लेकर झारख ड म आंच लक प कार क व लगभग 38 मामले दज ये और पांच प कार क ह याएं य । उन सभी मामल म उनक बंधन ने उ ह अपना प कार मानने तक से इकार कर दया। अ धकांश आंच लक प कार अखबार एवं चैनल म नशु क सेवा देते ह। कॉरपोरट घरान क कछ अखबार उ ह वेतन क नाम पर 100₹ से लेकर 250₹ तक मानदेय देते ह जो एक दहाड़ी मज र क मज री से भी कम होता ह। आंच लक प कार म मानदेय पाने वाले भी मा 2 से 5 तशत ही होते ह। आंच लक प कार क ऊपर सं थान का दोहरा दबाव रहता ह उ ह अपने सं थान क लये वा षक 2 से 5 लाख पये का व ापन देना अ नवाय होता ह। अगर यह कहा जाये क समाचार क साथ-साथ आंच लक प कार अखबार एवं चैनल का 50 तशत आ थक बोझ भी उठाते ह तो यह कहना गलत नह होगा। आंच लक प कार को अपने जीवनयापन क लये प का रता क साथ-साथ कोई न कोई काय करना ही पड़ता ह। उ र देश, बहार, झारख ड एवं बंगाल जैसे रा य म बड़ी सं या

म आंच लक प कार कसान ह, तो कई नजी बीमा कपनी क एजट क प म भी काय कर रह होते ह। अपनी प का रता क साथ वे कभी समझौता नह करते, समाज और देश क त वे पूरी ईमानदारी से काय करते ह उन सफदपोश प कार से कह बेहतर जो उन आंच लक प कार क कधे पर सवार होकर लोकसभा एवं रा यसभा तक प चने का ल य बनाकर प का रता को सीढ़ी क तरह इ ेमाल करते ह। आंच लक प कार क लये अब प का रता क साख बचाये रखने का भी दबाव अ धक बढ़ता जा रहा ह। अंचल र पर अब प कार क भीड़ म धंधेबाज क एं ी ने उनक चता बढ़ा दी ह। अ धव ा, सरकारी कमचारी एवं सरकारी श क भी अब प का रता करने लगे ह। आंच लक प कार क लये यह सबसे बड़ी चुनौती बनते जा रह ह और आये दन इनक ि याकलाप क कारण उ ह शमसार होना पड़ता ह। अखबार एवं चैनल क बंधन को उस बात से कोई सरोकार नह होता क वे प कार क प म जसे अपना माइक आईडी और माण दे रह ह उसक श ा या ह, वे कह कसी अ य पेशे से तो नह जुड़ ह। मी डया हाउस का बंधन कवल यह देखता ह क उ ह वा षक व ापन क प म उ ह मोटी रक़म कहाँ से मल पायेगी। एक तरह से उ ह एक मज़बूत वसूली करने वाला य चा हये होता ह जो दोहन कर उ ह अ धक से अ धक आ थक प से वसूली कर पैसे दे सक। पछले दन झारख ड म टरर फ डग, कोयला खनन एवं अवैध खनन करने वाल से वसूली क खाते म प कार का नाम मलना यह दशाता ह क प का रता क आड़ म उन धंधेबाज का उ े य एवं ल य या रहा ह। भारतीय मी डया का यह सबसे ासद समय ह | This is the most tragic time of Indian media. छीजते भरोसे क बीच उ मीद क लौ फर भी टम टमा रही ह, और यह उ मीद हम आंच लक प कार से ही मलती ह। आज भी झारख ड क पछड़ जल म से एक सरायकला म हम साइ कल से प का रता करते प कार मल जायगे, वे आंच लक प कार एवं प का रता क लये उ मीद क करण ह।

06 प का रता क गरती साख और ग रमा को अगर कोई बचा सकता ह तो वे ह आंच लक प कार

जब कभी लातेहार क ख ड क कई आंच लक प कार सा थय को आज भी खेत म धान बोते देखता तब यह उ मीद और बल हो जाती ह। प का रता कहने क लए बड़ा ही नोबल ोफशन ह, और कछ हद तक यह सच भी ह। यह एक ऐसा मंच ह जहाँ से आप न सफ अपनी बात बड़ पैमाने पर कह सकते हो, साथ ही साथ अपनी नज़र से लोग को नया क अलगअलग रंग- प भी दखा सकते हो। एक स े और अ छ प कार क जीवन को जब आप करीब से देखगे तब आप को इस कड़वे सच का पता चल पायेगा उसका अपना जीवन ठीक उस दये जैसा दखेगा, जसक कारण रौशनी तो होती ह ले कन उसक अपने चार तरफ अँधेरा होता ह। इस लए ऐसे साथी जनक पास प का रता को लेकर एक प र नह हो वो इस नोबल पेशे म न ही आय तो बेहतर होगा। प का रता का व प बदलते बदलते इतना बदल गया ह क कभी-कभी प कार को एहसास होता ह वो प का रता नह पीआर कर रह ह। कोई भी सं थान कसी को प कार नह बना सकता ह, प कार आप वयं ही बन सकते ह, सं थान आपको तराश कर ती ण और ती ज र बना देगी। गु ोण मले तो एक आध अजुन भी ज र बनगे। आंच लक प कार क ऊपर अब सबसे बड़ी चुनौती प का रता क साख बचाये रखना ह और इसक लये उ ह एक लक र ख चनी होगी, आंच लक प कार क भेस म आप क बीच रंगे सयार क प म शा मल प लकार को अलगथलग करना होगा, ता क लोग क बीच यह प संदेश दे सक क प कार और प लकार म या अंतर ह। बंधन क बेजा दबाव को मानने से आप खुलकर इकार करना सीख, य क कोई भी अखबार एवं चैनल आप क समाचार एवं आप क दये व ापन क बदौलत ही चल रहा होता ह य क आप अगर प कार ह तो बंधन को आप क ज़ रत ह और अगर आप प लकार ह तो फर आप को बंधन क ज़ रत ह। सौज यः ह

जून/जुलाई-2020

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आवरण कथा

कसान को राजनी त करनी चा हए राम कशोर मेहता

हम उन राजनेता क नाम याद कर लेने चा हए जो अपने चुनावी वायद को जुमला कह कर बच नकलते ह और हम ठगे से देखते रह जाते ह। वे और उनक पाट क लोग जब वोट माँगने आएं तब हम उनसे पूछना चा हए क हम उनक चुनावी वायद पर य व ास कर। अब जो वायदे वे कर रह ह उनम से कतने जुमले ह ? पाँच साल शायद एक ब त बड़ी अव ध होती ह। चार साल तक तो नेता को याद ही नह आता क उनका कोई चुनाव े भी ह। चार साल तक वे क भकरण क तरह शीत न ा म रहते ह। जागते ह तो कवल खाने लए। मेर वचार म उनका कायकाल तीन साल से अ धक का नह होना चा हए। चुने ए त न ध क वापसी का अ धकार जनता क पास होना चा हए ता क चुने ए लोग यह जान ल क उनका चुनाव संसद म सोने क लए, या फर हाजरी लगा कर गैरहा जर रहने और वेतन भ े लेने क लए नह आ ह। कसान को अब समझ लेना चा हए क और यह तय भी कर लेना चा हए क लोकतं म वे ब सं यक ह। उ ह कसान का हत च तन करने क लए कसान क ही राजनी तक पाट बनानी चा हए। एक बड़ा न यह ह क राजनी तक पाट बनाने और चलाने क लए धन क आव यकता होती ह। आज क राजनी तक पा टय क पास यह धन पूँजीप तय क पास से आता ह और जब तक यह धन उनक पास से आता रहगा तब तक कोई भी पाट उन शायलॉक से मु नह हो सकती; वे अपने ह से का मांस वसूलगे ही। अतः कसान क हत म यही ह क चुनाव सुधार होना ही चा हए। कसी राजनी तक पाट को चुनाव लड़ने क लए एक भी पया खच करने क आव यकता नह होनी चा हए। जब इले ो नक मी डया (र डयो जस पर हमार धानमं ी जी अपने मन क बात जनता तक प चाते ह और टी. वी जो घर घर तक प च चुका ह, क अ त र इटरनेट और सोशल मी डया भी ह) क घर घर तक जून/जुलाई-2020

प च हो चुक ह तो सारा का सारा चार और सार उसी पर हो जैसा आजकल ब त सार देश म हो रहा ह। जसका सारा यय सरकार वहन कर। हर याशी को अपनी बात कहने का नयत समय दया जाए। याशी वह पर बहस कर। उनक घोषणा प इटरनेट पर का शत और उपल ध ह । वही याशी चुना माना जाए जसे 50 तशत से अ धक मत ा ए ह । य द आव यक हो तो चुनाव दो चरण म कराए जाएं। सरा चरण दो शीष थ या शय क बीच हो। ता क वोट कटवा का कोई भाव रह ही नह जाए। और जो चुना जाए वह ब मत का त न ध व करता हो। चुने ए याशी को यह म नह हो जाने द क वह पाँच साल क लए राजा चुन लया गया ह। इस कार चुने ए त न ध वा व म जनता का त न ध व करते ह । स ाधीश न बन जाएं। राजनी तक पा टयाँ चुनाव क लए याशी अपनी पाट क र ज टड मतदाता क ाइमरी मतदान क आधार पर कर न क य वशेष क पसंदगी नापसंदगी क आधार पर। इस तरह वे य ही चुनाव लड़ जनका कोई जनाधार हो। जो व छ छ व क ह । जन पर आपरा धक मुकदम चल रह ह उ ह चुनाव लड़ने क अयो य माना जाए। आज जब जेल म रह रहा य वोट नह डाल सकता तो वह चुनाव कसे लड़ सकता ह? इस कार जब चुनाव लड़ने क लए धन क आव यकता ही नह रह जायेगी तब पूँजीप तय का स ा पर भाव ही नह रह जायेगा। राजनी तक पा टय को अपनी आय छपाने क कोई आव यकता नह रह जायेगी और वे जन हत बना कसी क दबाव क काम कर सकगे। ऐसी थ तय म पूँजीप त ाचा रय , बा ब लय क थान पर वचारवान य चुनाव लड़ कर वजयी हो सकते ह। आज चुनाव जन हत क मु पर नह धनबल और बा बल पर लड़ जाते ह और पैसा पानी क तरह बहाया जाता ह। दंगे कराए जाते ह। जा त और धम क नाम लड़ जाते ह। मं दर म जद पर, कि ान- मशान क नाम पर लड़ जाते ह। घर वापसी और लव- जहाद जैसे मु े खड़

कए जाते ह.; जो चुनाव समा होते ही समा हो जाते ह। आव यकता पु लस यव था म सुधार क भी ह। पु लस कायपा लका क लए नह वधा यका क ज मेदार होनी चा हए। यायपा लका म भी सुधार क आव यकता ह। याय न कवल समय पर होना चा हए साथ ही होते ए दखना भी चा हए। आज यायपा लका कायपा लका क और झपक ई दखाई दे रही ह। कसान को अपने राजनी तक मु े क प म प कहना चा हए क मं दर, म जद, गु ार, चच ब त ह इस देश म। आव यकता ग , चावल, म का, ार, बाजर, अरहर मूंग, उड़द, सोयबीन, मूंगफली, कपास क लए गोदाम क ह। आलू याज और स जय फल आ द क को ड टोरज क ह। ऐसी सं थाएं जनका उ पाद घृणा ह नह चा हए। कसान जा त-पां त, धम, सं दाय से ऊपर उठ कर एक वग होना चा हए। राजनी तक पा टयाँ चुनाव क लए याशी अपनी पाट कर ज टड मतदाता क ाइमरी मतदान क आधार पर कर न क य वशेष क पसंदगी नापसंदगी क आधार पर। इस तरह वे य ही चुनाव लड़ जनका कोई जनाधार हो। जो व छ छ व क ह । जन पर आपरा धक मुकदम चल रह ह उ ह चुनाव लड़ने क अयो य माना जाए। आज जब जेल म रह रहा य वोट नह डाल सकता तो वह चुनाव कसे लड़ सकता ह? इस कार जब चुनाव लड़ने क लए धन क आव यकता ही नह रह जायेगी तब पूँजीप तय का स ा पर भाव ही नह रह जायेगा। राजनी तक पा टय को अपनी आयछपाने क कोई आव यकता नह रह जायेगी और वे जन हत बना कसी क दबाव क काम कर सकगे। ऐसी थ तय म पूँजीप त ाचा रय , बा ब लय क थान पर वचारवान य चुनाव लड़ कर वजयी हो सकते ह।

कसान को राजनी त करनी चा हए 07


आवरण कथा

म थलीकरण का बढ़ता खतरा वशेष त न ध, आपका त ा- हमालय:

म थलीकरण क ि या कई कारक ारा े रत होती ह, बढ़ती जनसं या, अ नयतंि त नमाण, पानी का अ ववेकपूण पयोग, वृ वन प तय का वनाश और चरागाह का अ त मण इसक मूल कारण ह। गत शती म मु य प से मानव ारा क जाने वाली वन क कटाई क कारण, जसक शु आत होलो सन (तकरीबन 10,000 साल पहले) युग म ई थी और जो आज भी तेज र तार से जारी ह, ब त बड़ा कारण ह। म थलीकरण क ाथ मक कारण म अ धक चराई, अ धक खेती, आग म वृि , पानी को घेर म ब द करना, वन क कटाई, भूजल का अ य धक इ ेमाल, म ी म अ धक लवणता का बढ़ जाना और वै क जलवायु प रवतन शा मल ह। र ग ान को आसपास क इलाक क पहाड़ से घर कम शु क े एवं अ य वषम भू- व प , जो शैल देश जो मौ लक संरचना मक भ ता को त ब बत करते ह, से अलग कया जा सकता ह। अ य े म र ग ान सूखे से अ धक आ वातावरण क एक मक सं मण ारा र ग ान क कनार का नमाण कर र ग ान क सीमा को नधा रत करना अ धक क ठन बना देते ह। इन सं मण े म नाजुक, संवदेनशील संतु लत पा र थ तक तं हो सकता ह र ग ान क कनार अ सर सू म जलवायु क प ीकारी होते ह। लकड़ी क छोट टकड़ वन प त को सहारा देते ह जो गम हवा से गम ले लेते ह और बल हवा से जमीन क सुर ा करते ह। वषा क बाद वन प त यु े आस-पास क वातावरण क तुलना म अ धक ठड होते ह। इन सीमांत े म ग त व ध क पा र थ तक तं पर सहनशीलता क सीमा से पर तनाव उ प कर सकते ह जसक प रणाम व प भू म का य होने लगता ह। अपने खुर क हार से पशु म ी क नचले र को ठोस बनाकर अ छी साम ी क अनुपात म वृि करते ह और म ी क अंतः वण क दर को कम कर पानी और हवा ारा रण को ो सा हत करते ह। चराई और लकिड़य का सं ह पौध को कम या समा कर देता ह, जो म ी को बांधकर रण को रोकने क लए आव यक ह। यह सब कछ एक खानाबदोश सं क त क बजाय एक े म बसने क वृि क कारण होता ह। रत क टीले मानव बि य पर अ त मण कर सकते ह। रत क टीले कई अलग-अलग कारण क मा यम से आगे बढ़ते ह, इन सभी हवा ारा सहायता मलती ह। रत क टीले क पूरी तरह खसकने का एक तरीका यह हो सकता ह क रत क कण जमीन पर इस तरह से उछल-कद कर सकते ह जैसे कसी तालाब क सतह पर फका गया प थर पानी पूरी क सतह पर उछलता ह। जब ये उछलते ए कण नीचे आते ह तो वे अ य कण से 08 म थलीकरण का बढ़ता खतरा

टकराकर उनक अपने साथ उछलने का कारण बन सकते ह। कछ मजबूत हवा क साथ ये कण बीच हवा म टकरा कर चादर वाह (शीट लो) का कारण बनते ह। एक बड़ धूल क तूफान म टीले इस तरह चादर वाह क मा यम से द सय मीटर बढ़ सकते ह। बफ क तरह, रत खलन, टील क खड़ी ढलान से हवा क वपरीत नीचे गरती रत भी टील को आगे बढ़ाता ह। अ सर यह माना जाता ह क सूखा भी म थलीकरण का कारण बनता ह, हालां क ई.ओ व सन ने अपनी पु क जीवन का भ व य, म कहा ह क सूखा क योगदान कारक होने पर भी मूल कारण मानव ारा पयावरण क अ य धक दोहन से जुड़ा ह। शु क और अ शु क भू म म सूखा आम ह और बा रश क वापस आने पर अ छी तरह से बं धत भू म का सूखे से पुन ार हो सकता ह। तथा प, सूखे क दौरान भू म का लगातार पयोग भू म रण को बढाता ह। सीमा त भू म पर वि त जनसं या और पशु क दबाव ने म थलीकरण को व रत कया ह। कछ े म, बंजार क कम शु क े म चले जाने ने भी थानीय पा र थ तक तं को बा धत कया ह और भू म क रण क दर म वृि क ह। बंजार पारंप रक प से र ग ान से भागने क को शश करते ह ले कन उनक भू म क उपयोग क तरीक क वजह से वे र ग ान को अपने साथ ला रह ह। अपे ाकत छोट जलवायु प रवतन क प रणाम से वन प त क फलाव म आक मक प रवतन हो सकता ह। 2006 म, वु स होल अनुसंधान क ने अमेज़न घाटी म लगातार सर वष सूखे क सूचना देते ए और 2002 से चल रह एक योग का हवाला देते ए कहा ह क अपने मौजूदा व प म अमेज़न जंगल संभा वत प से र ग ान म बदलने क पहले कवल तीन साल तक ही लगातार सूखे का सामना कर सकता ह। ाजी लयन नैशनल इ ट ूट ऑफ अमज़ो नयन रसच क वै ा नक म तक दया ह क इस सूखे क यह ति या वषावन (रनफार ट) को "मह वपूण ब " क दशा म धकल रही ह। यह न कष नकाला गया ह क पयावरण म काबन डाई आ साइड (CO2) होने क वनाशकारी प रणाम क साथ जंगल वृ र हत बड़ मैदान (सवाना) या र ग ान प रव तत होने म क कगार पर जा रहा ह, व ड वाइड फड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature) क अनुसार, जलवायु प रवतन और वन क कटाई दोन क संयोजन से मृत पेड़ सूखने लगते ह और जंगल क आग म धन का काम करते ह। कछ शु क और अ -शु क भू म फसल क अनुकल होती ह ले कन अ य धक आबादी क बढ़ते दबाव से या वषा म कमी होने से जो पौधे होते ह, वे भी गायब हो सकते ह। म ी हवा क संपक म आती ह और म ी क कण उड़कर कह और ए क त होते ह। ऊपरी परत का

रण हो जाता ह। छाया हटने क बाद वा पीकरण क दर बढ़ने से नमक सतह पर आ जाता ह। इससे म ी क लवणता बढ़ती ह जो पौधे क वकास को रोकती ह। पौध म कमी आने से े म नमी कम हो जाती ह जो मौसम क व प को बदलती ह जससे वषा कम हो सकती ह। पहले क उ पादक जमीन म अपकष आना एक ज टल ि या ह। इसम कई कारण शा मल ह और यह व भ मौसम म अलग-अलग दर म होती ह। म थलीकरण सामा य जलवायु वृि को सुखा क और बढ़ा सकता ह या थानीय जलवायु म प रवतन आरंभ कर सकता ह। म थलीकरण र खक या आसानी से बदले जाने वाली वृि म घ टत नह होता ह। र ग ान अपनी सीमा पर अ नय मत ढग से ध बे बनाकर बढ़ सकता ह। ाक तक र ग ान से र क े खराब भू म बंधन क कारण ज द ही बंजर भू म, प थर या रत म बदल सकते ह। म थलीकरण का आस-पास उप थत र ग ान से कोई सीधा संबंध नह ह। भा य से, म थलीकरण से गुजर रहा कोई े जनता क यान म तभी आता ह जब वह उस ि या से काफ हद तक गुजर चुका होता ह। अ सर पा र थ तक तं क पूव अव था या उसक अपकष क दर क ओर संकत करने क ब त कम डाटा उपल ध होते ह। म थलीकरण पयावरण और वकास दोन क सम या ह। यह थानीय वातावरण और लोग क जीने क तरीक को भी भा वत करता ह। यह वै क र पर जैव व वधता और मौसमी प रवतन पर भाव डालता ह और जल संसाधन पर भी. इलाक का अपकष सीधे मानवीय ग त व धय से जुड़ी ह और शु क े क सतत वकास म ब त बड़ी बाधा और बुर वकास क लए एक ब त बड़ा कारण ह। म थलीकरण क रोकथाम ज टल और मु कल ह और तब तक असंभव ह जब तक भू म बंधन क उन था को नह बदला जाता जो बंजर होने का कारण बनती ह। भू म का अ य धक इ ेमाल और जलवायु म व भ ता समान प से ज मेवार हो सकती ह और इनका ज फ डबैक म कया जा सकता ह, जो सही शमन रणनी त चुनने म मु कल पैदा करते ह। ऐ तहा सक म थलीकरण क जांच वशेष भू मका नभाती ह जो ाक तक और मानवीय कारक म अंतर करना आसान कर देता ह। इस संदभ म, जॉडन म म थलीकरण क बार म हाल क अनुसंधान मनु य क मुख भू मका पर सवाल उठती ह। अगर लोबल वा मग जारी रहा तो यह संभव ह क पुनवनरोपण प रयोजना जैसे मौजूदा उपाय अपने ल य को हा सल नह कर पाय। जून/जुलाई-2020


आवरण कथा

लॉकडाउन, अन-लॉकडाउन, महामारी-आपदा क म य मक का हाहाकार कोरोनो क महामारी से भारतवा सय क ाणर ा क लए 22 माच को 14 घंट का 'जनता क यू' क उपरांत भारत सरकार ने 25 माच 2020 से देश म लॉकडाउन लागू कया। भारत क इ तहास म ऐसा पहली बार आ क संपूण रा को एक साथ ठप कर दया गया हो। गुलाम भारत म भी 1857 क ग़दर से लेकर वतं ता सं ाम क बड़–बड़ संघष क जन–सहभा गता पर अंकश लगाने क लए संपूण रा म कभी इस तरह का लॉकडाउन नह लादा गया था। कसी थल वशेष पर यु काल म देश क सीमावत े , कसी दंगे व जनसंहार को रोकने क लए सरकार ने क यू लागू कए थे। 1919 म ज लयांवाला बाग़ जनसंहार क बाद उभर जना ोश को जबरन रोकने क लए ि टश कमत ने 'माशल लॉ' लागू कया था पर यह माशल लॉ पंजाब से लाहौर तक ही सी मत रहा था। कोरोना क वै क आपदा से भारतवा सय क जान बचाने क नाम पर घो षत लॉकडाउन भारत क मेहनतकश मक, बेरोजगार , छा , कसान क लए डजा टर सा बत आ पर वैधा नक सम या यह ह क कोरोना से र ाथ महामारी को आपदा घो षत करने वाली भारतीय कमत ने लॉकडाउन, अनलॉकडाउन क वजह से न मत आपदा को आपदा मानकर तपू त क ज मेवारी वीकार नह क ह। लो जुबान का जुमला ह – 'सर मुड़ाते ही ओले पड़ ह'। 24 माच को धानमं ी क मुख से घो षत लॉकडाउन क बाद भारत क 70 फ सदी आबादी का जीवन रा य ह ेप क वजह से जस तरह से गुजर रहा ह। लोगबाग मानते ह क अब क बना सर मुड़ाए ही सर पर ओले गर ह। फक यह ह क ये ओले बफ ले होने क बजाय अ नपुंज क तरह लनशील ह। जससे कमजोर, मेहनतकश और आमलोग क ज दगी लगभग बबाद हो चुक ह। मने भारत क अलग–अलग ह स म आ दवा सय , द लत , कसान क जनांदोलन व जनांदोलन पर दमन को लखते ए कभी ऐसा य नह देखा था क द ी, मु बई, वजयवाडा, सूरत से लेकर देश क अलग–अलग ह स म लोग भूख से छटपटाते जून/जुलाई-2020

रह। वे भूख से तड़पते ए धानमं ी, मु यमं ी, जला धकारी क पास फोन करते रह। नराशा-हताशा क थ त म हजार असहाय क सहायता क लए सैकड़ मज र ने मेर पास भी फोन कए और उस सामू हक भूख क आग म हम लगातार सुलगते रह। मैने 2007 म बहार क भयानक बाढ़ और 2008 म कोसी बाढ़ क रा ीय आपदा को अपनी आँख से देखते ए कलमब कया था। मने कोसी आपदा म सरकारी भू मका क लगातार आलोचना क थी पर आज कोरोना क महामारी और लॉकडाउन आपदा क भू मका देखते ए म कह सकता क कोसी म समाज और रा यादा जी वत दखा था.2020 क रा ीय आपदा क सम भारतीय समाज, सरकारव रा को करोड़ मक , असहाय , बेवस–लाचार क सम बार–बार अ म सा बत होते ए देखा। भारत क धानमं ी ने लॉकडाउन घो षत करने से पूव देश क अथशा य , समाजशा य क बैठक ज री नह समझी थी। हाँ, उ ह ने देश क शीष पूँजीप तय से गु राय ज र ली थी। व मण क लए व यात भारतीय धानमं ी ने वै क महामारी कोरोना से भारत को बचाने क लए कोरोना क भारत म महामारी सा बत होने से पूव जस तरह से लॉकडाउन क घोषणा क , जा हर ह क धानमं ी ने लॉकडाउन वाले रा क लंबी सूची म भारत का नाम दज कराने क लए 'एक और मन क बात' क तरह ज दबाजी म ऐसा कदम उठाया। जैसे क व क 100 लॉकडाउन वाले रा क कतार म शा मल होना भारत क उपल ध हो। जैसे क भारत क कमत क लए लॉकडाउन ही सबसे बड़ा क तमान हो। व वा य संगठन क जस गाईडलाईन को लॉक डाउन क वजह बताया गया, यह पूरी तरह से स य नह ह इस लए क व वा य संगठन एक ए भायजरी बॉडी ह न क लग बॉडी। व वा य संगठन क हर सलाह का यथावत अनुसरण करना कसी देश क बा यता नह हो सकती ह। व वा य संगठन क दशा- नदश क आधार पर भारत म वा य सेवा को इतना मजबूत करना था क करल क तरह कोरोना नयं ण का संपूण भारत म एक रकाड कायम होता। जब भारत म थम चरण क लॉकडाउन क

–पु पराज

घोषणा ई थी, तब भारत म कोरोना क मरीज 500 मा थे। चार चरण म लॉकडाउन क 68 दन बीतने क बाद अनलॉक-4 का 97 दन पूरा हो चुका ह। भारत म अब तक कोरोना मरीज क सं या 40 लाख से ऊपर प च चुक ह। मृतक क गनती 70 हजार से यादा हो चुक ह। त दन कोरोना से बीमार होने वाले मरीज क गनती म भारत व म सबसे आगे चल रहा ह। भारत म लॉकडाउन और अन–लॉकडाउन म ब त यादा फक नह ह। यादातर द तर म ऑनलाईन काय होने, 80 फ सदी रल बंद होने व मे ो बंद होने क वजह से राजधानी द ी, मु बई व अ य महानगर म लाख ऑटो चालक क सम भुखमरी क हालात पैदा हो गए ह। आजादी क बाद 73 वष क अ जत उपल ध इस लॉकडाउन, अन–लॉकडाउन क हर एक–एक दन भारत क ह से से छनती जा रही ह। भारत का जीडीपी 23.9 फ सदी गरने क बाद लगातार अवन त क तरफ अ सर ह। लॉकडाउन का मतलब तालाबंदी होता ह। भारत क वाचालधानमं ी अपनी अ रद शता और लॉकडाउन क रता क लए नयां म हटलर क तरह सदा याद रखे जायगे। 68 दन क लॉकडाउन म भारत वा सय ने लॉकडाउन म मरते ए जीने का नया अथ जाना ह। क यू म जीने क लए अ य क मी रय ने क यू से यादा भयावह क यू को लॉकडाउन क तरह जाना। बहार, उ र देश, द ी जैसे रा य क नाग रक ने बं क वाले पु लसक मय को वा यकम क भू मका म वीकार कया ह। जा मया और जेएनयू म द ी पु लस ने गृह मं ालय क नदश से कछ माह पूव छा पर दमन का जो इ तहास रचा था। उस इ तहास को इस लॉकडाउन डजा टर क दौरान उ र भारत क पु लस ने व ार दया। द ी, सूरत, मु बई जैसे 11 बड़ महानगर म लॉकडाउन क बाद करोड़ मक क सामने भोजन व आवास क सम या उ प ई। बहार क मक क सहायता से द ी म स ा हा सल करने वाले द ी क मु यमं ी ने द ी क म यम वग व रहायशी मनु य क हफाजत क लए मेहनतकश मज र को द ी से भागने क लए मजबूर कया। भारत का पढ़ा– लखा शि त वग लॉकडाउन को क़ानूनी हदायत व

लॉकडाउन, अन-लॉकडाउन, महामारी-आपदा क म य मक का हाहाकार 09


आवरण कथा ाणर ा क ज री शत मानकर सहष घर म बंद होने लए क लए सहमत आ पर मेहनतकश मक वग क अंदर भूख और रोटी क तड़प से जो भयावह हालात उ प ए मक ने हजार कलोमीटर क पदया ा शु कर दी। सैकड़ –हजार मज र का का फला महानगर से गाँव क तरफ नकलना शु आ तो यह पदया ा मई माह क सर स ाह तक जारी रही। पु लस क डड, पु लस क यातना को सहते ए, कोलतार क त सड़क पर हजार , लाख , करोड़ लोग पसीने से तर आँसू बहाते ए आगे बढ़ते रह। रल बंद थी तो जन पट रय पर रल दौड़ती थी, उन पट रय पर मनु य क पाँव दौड़ने लगे। धानमं ी जी क सोशल डी ट सग योरी का पालन करने क वजह से इन पदा तक मक को राह म ना ही सरकार ने रोटी–पानी उपल ध कराया, ना ही अ त थ-देवो-भवो वाले रा म आम लोग ने ारंभ क पूर एक माह रोटी–पानी देने क ह मत जुटाई। धानमं ी जी क नदश से जब लोग घर म बंद ह तो वे सडक से गुजरते भूखे– यास क भीड़ को भोजन-पानी देकर कानून पसंद नाग रक कोरोना सं मण क शकार नह होना चाहते थे। मी डया का बड़ा समूह शु म घर म बंद होकर अपने ट डयो से सोशल मी डया से ा वी डयो को दखाकर मज र- ासदी क चचा करता रहा। टली ाफ क प कार ने सडक पर भूख से तड़प कर मरते मज र क मौत को लावा रश होने से बचाने क भरपूर को शश क । बरखा द , सलमान र व जैसे प कार ने सड़क पर दौड़ते मक क पीठ पर चलना शु कया। एनडीटीवी क मु बई व लखनऊ क प कार ने भी राह चलते मक , छा क दद सावज नक कए। लॉकडाउन क तबाही से देश हल गया। करोड़ो मक हजार कलोमीटर क या ा करते ए परदेश से देस प चे। परदेश और देस क इस प रक पना क सामने भारत बार–बार दो ह स म वभा जत होता दखा। महारा क औरंगाबाद म 8 मई को रल क पटरी पर चलते ए 16 मक मालगाड़ी क चपेट म मार गए। 14 मई को पंजाब से पैदल बहार क गोपालगंज जा रह 6 मक को उ र– देश रोडवेज क बस ने मुज फरनगर म कचल दया। 16 मई को उ र देश क औराई म क पर सवार 28 मक सडक घटना म मार गए। देश क अलग–अलग ह स क थानीय सं करण क अखबार क खबर क अनुसार कल 667 मक महानगर से अपने ाम लौटने क राह म मार गए। मक क बड़ी तादात म ई मौत

को देखते ए स समाजशा ी व जवाहर लाल नेह व व ालय क अवकाश ा ोफ़सर डॉ इ तयाज अहमद ने इसे मक का रा यपो षत जनसंहार कहा ह। मक का यह पलायन वभाजन क बाद का सबसे बड़ा पलायन सा बत आ। भारत सरकार ने असंग ठत े क मक क तादातमा 12 करोड़ बताई पर भारत सरकार क नेशनल सपल सव ऑर नाईजेसन [NSSO] 2009-10 क अनुसार भारत म 43.7 करोड़ असंग ठत े क कामगार कायरत ह। से टर फॉर मौ नट रग इ डयन इकॉनोमी [सीएमआईइ] क रपोट क अनुसार लॉकडाउन क वजह से भारत म 12.20 करोड़ लोग को नौकरी से हाथ धोना पड़ा ह। क व रा य सरकार क मक , छा , बेरोजगार , कसान क त संवेदनशील ना होने क वजह से भोजन क अभाव और कराए क घर का कराया चुकता करने क सम या ने इस वग क ऊपर जैसे कहर ढा दया। ह रयाणा व पंजाब क कसान क खेत से सही समय पर गे खरीद ना होने क वजह से हजार हजार टन गे क खेत म सड़ने क खबर मली ह। द ी से लेकर अ य महानगर , नगर म सु र रा य से तयोगी परी ा क तैयारी म छा क सम भी भुखमरी क हालात उप ए . द ी म को चग सं थान और सामा जक सहयोग से छा को भोजन उपल ध कराए गए। कोटा म बहार और यूपी क छा –छा ा ने घर वापसी क लए आ दोलन कए। बहार क मक को बहार वेश ना करने देने क चेतावनी देने वाले बहार क मु यमं ी ने कोटा से छा को बहार ना आने देने क धमक दी। बहार क बुि जी वय का एक बड़ा समूह छा को कोटा से बहार ना आने देने क प म नीतीश कमार क समथन म खड़ा हो गया। जब भारतीय रल ने मक क घर वापसी क लए वशेष रल चलाने का फसला लया तो शु क एक स ाह तक क सरकार और बहार सरकार इस बात पर अड़ी रही क मक को अपनी या ा क कराए खुद वहन करने ह गे। मी डया से ख़बर आई क जेब म पैसे ना हो पाने क वजह से हजार मक टकट नह ले पाने क वजह से रल क अंदर वेश नह कर पाए और रल म सीट खाली रह गई। लॉक डाउन क वजह से महीने से यादा समय से भुखमरी क शकार मज र क मु त रल या ा क लए क व रा य सरकार ने जब पैस का अभाव बताया तो कां ेस ने देश भर क मक क घर वापसी क लए रल खच वहन करने क घोषणा क । मक क घर वापसी का ेय

10 लॉकडाउन, अन-लॉकडाउन, महामारी-आपदा क म य मक का हाहाकार

कां ेस क ह से से छीनने क लए भारत सरकार ने रा य सरकार से अपने–अपने देश क मक का खच वहन करने का नदश दया। 16 मई को सूरत से सीवान क लए खुली न राउरकला से बंगलु होते ए 9 दन बाद सीवान प ची। 71 मक न अपने रा े भटक गई। रल बोड ने रल भटकने क खबर को फक यूज कहा ले कन वीकार कया क ट खाली ना होने क वजह से 71 रल का ट डाईवट करना पड़ा। 2 दन का सफ़र 5 दन, 7 दन, 9 दन म पूरा करने क वजह से रल क भीतर पहली बार एक दन म 7 मक भूख– यास से तड़प कर मर। अब तक मक ए स ेस म सफ़र करते ए 80 मक क अकाल मौत ई ह। भारतीय रा यस ा ने भारतीय रल म सफ़र करते ए मृत इन 80 मक क मौत को शहादत का दजा देना उ चत नह समझा ह। कसी मानवतावादी संगठन ने यह सवाल नह उठाया क एक गरीब रा म एक मक और एक सै नक क मौत म फक य । रंगक मय , कलाकार , च कार क सम मज र क तरह ही भुखमरी क थ त उ प हो गई ह। पटना क रंगक मय ने ेमचंद रंगशाला म लॉकडाउन क वजह से उ प कलाकार क तंगहाली क खलाफ दशन कया। द ी क कलाकार को मता थएटर क यास से राहत का इतजाम कया जा रहा ह। रल मं ालय ने ेस व य म बताया ह क मई माह म देश क 11 महानगर से कल 52 लाख मक को अपने घर प चाया गया ह। इनम 80 फ सदी मक बहार और उ र देश क ह। भारतीय रल क इ तहास म यह पहली घटना ह, जब रल पटरी पर दौड़ते ए भटकती रही। सवाल यह ह क सफदपोश क न राजधानी ए स ेस योँ नह भटक गई। या मक उपेि त, या य व न पृह ह इस लए मक ए स ेस का भटक जाना और भटकती ई न म मक का संहार भारतीय कमत को शमसार नह करता ह। 22 जून को स समाजसे वका मेधा पाटकर ने फशबुक लाईव से रोते ए अपील जारी क क रल मं ालय ने अचानक मक ए स ेस बंद कर अलग–अलग महानगर से घर वापसी क याशा म खड़ मज र क या ा रोक दी ह। सव यायालय ने रल मं ालय को नदश दया था क जब तक मक अपने घर वापस ना लौट जाएँ, मक ए स ेस चलाई जायगी। मेधा पाटकर ने मक ए स ेस का प रचालन र करने क बार म जब रल मं ालय क शीष अ धका रय को फोन कया तो उ ह बताया गया क पंजीकत मक याि य क स यापन क लए जून/जुलाई-2020


आवरण कथा मक ए स ेस र कए गए ह। मेधा पाटकर ने इस तरह अचानक मक ए स ेस को बंद करने क घटना को सव यायालय क नदश का अपमान बताया ह। धानम ी ने 20 जून 2020 को भारत क मक क क याणाथ 'गरीब क याण रोजगार अ भयान' क तहत 50 हजार करोड़ पए खच करने क घोषणा क । जब हमने इस योजना क जमीनी काया वयन क जानकारी ली तो नराशाजनक प रणाम सामने आए। इस योजना क तहत बहार, उ र देश, उड़ीसा, झारखंड, राज थान व म य देश क खास जल को चय नत कया गया। गरीब क याण रोजगार योजना क पहली शत वासी मज र को रोजगार गारंटी क तहत 100 दन क बजाय 125 दन क काय दवस का रोजगार उपल ध कराना ह। इस योजना क तहत दै नक मज री को 182 से बढाकर 202 कर दया गया। यह योजना वासी मज र क सबसे सघन े बहार और उ र– देश म 90 फ सदी नरथक सा बत ई .मज र ने इस योजना को भी धानमं ी जी क ारा जनधन खाता म आनेवाले 15 लाख का हा य– वनोद मान लया। धानमं ी जी को यह जानकारी लेनी चा हए क 'गरीब क याण रोजगार

अ भयान' कारगर ही होता तो महानगर से काम छीनने क बाद जान जो खम म देकर घर आए वासी मक फर काम क तलाश म महानगर क तरफ य भागते। या माहामारी क साथ जुड़ा 2020 का यह यह लॉकडाउन, अन-लॉकडाउन भारत क मेहनतकश वग क लए हटलर का गैस चै बर सा बत होगा। करोड़ मक ने लॉक डाउन का उलंघन कर जस तरह हजार कलोमीटर क पदया ा क । नयां म मक क सबसे बड़ी पदया ा से न मत भारत क 'द र भारत छ व' से भारतीय कमत और सचेतन भारतवासी या गौरवा वत ह गे। जा हर ह क इस य ने भारत म अमीर और गरीब क म य क वभाजन रखा को यादा पारदश कर दया ह। भारतीय रा यस ा क खलाफ उभर करोड़ मज र का असंतोष व ोह म प रणत हो सकता था पर भारतीय बुि जी वय ने से टी व व बनकर रा यस ा क हफाजत क ह। भारतीय रा यस ा ने लाश क ढर पर चुनाव क गीत-गाने शु कर दए ह। बहार म वामदल ने चुनाव आयोग से माहामारी–आपदा क दौरान इलाज और राहत को थम ाथ मकता देते ए त काल चुनावी तैयारी रोकने क अपील क थी। चुनाव आयोग

ने चुनाव क तैयारी रोकने से इकार कया। बहार सरकार ने कोरोना से हो रही मौत क आंकड़ को छपाने क रणनी त अ तयार क ह ता क लोगबाग दहशत मु होकर वोट कर। जब बहार म कोरोना मरीज क कल सं या 1,45,861 हो तो मृतक क सं या 750 मा ह। हम-सब क इद गद बीमार और मृतक क गनती लगातार बढ़ती जा रही ह। भारतीय क यु न ट पाट क बहार देश रा य स चव स यनारायण सह और उनक छोट भाई क कोरोना से मौत हो चुक ह। बहार आईएमए ने कोरोना से मृत 23 च क सक को सामू हक ांज ल घो षत क ह। जस रा य म 23 च क सक क कोरोना से मौत हो चुक हो, उस रा य म अ य वग क लोग क मौत अक पनीय ह। इसा नयत खो चुक भारतीय कमत असं य भारतवा सय क भूख-तड़प व असं य मौत को र दते एछल-बल, धन-बल क ताकत से बहार म चुनाव लड़ने-जीतने का बेशम साहस करगी। नयां म मक क सबसे बड़ी पदया ा क दा नक स य को ल पब करने क लए 'कलम क सपा हय ' को इक होना होगा। अन गन मेहनतकश क मौत को लावा रश होने से बचाने क लए मुझे आपका समथन चा हए।

कमल शु ा मामले म पोख रयाल ने गृहमं ालय से कारवाई करने कहा नई द ी: क ीय श ा मं ी रमेश पोख रयाल नशंक ने मंगलवार को गृहमं ालय को ईमेल कर छ ीसगढ़ क व र प कार कमल शु ा और और सतीश यादव पर हमला करने वाल पर व रत कारवाई करने को कहा ह। गृह स चव अजय कमार भ ा को संबो धत ईमेल म ी पोख रयाल ने कहा ह क इस संबंध म ई कारवाई से उ ह भी यथाशी अवगत कराया जाए। श ा मं ी ने गृह स चव को यह ईमेल 'जन वक प' नामक गूगल ुप म बुि जी वय व प कार ारा इस मामले पर कारवाई क मांग का सं ान लेते ए कया ह। ग़ौरतलब ह क छ ीसगढ़ म गत 27 सतंबर को प कार कमल शु ा और सतीश यादव को नशाना बनाया गया और उनक साथ जून/जुलाई-2020

मारपीट क गई। पु लस थाने क बाहर जब उनक पटाई क जा रही थी उस व थानीय पु लस भी वहां मौजूद थी. ये घटना कांकर म उस व क ह जब कमल शु ा पहले से ही कां ेस पाट क पाषद और दबंग ारा पीट गए एक अ य प कार से मलने कोतवाली थाना प चे थे। आरोप ह क ये हमला कां ेस से जुड़ नेता ने कया था। कमल शु ा क नेतृ व म ही छ ीसगढ़ क पछली सरकार क कायकाल म प कार सुर ा क़ानून को लेकर कई आंदोलन ये थे। दसंबर 2018 म स ा म आने क बाद रा य क मु यमं ी भूपेश बघेल ने प कार सुर ा क़ानून लागू करने का वादा कया था। रा य म प कार सुर ा क़ानून तो लागू नह आ, उ टा सुर ा क़ानून क आंदोलन का

नेतृ व करने वाले प कार पर ही श नवार को थाने क ठीक सामने हमला आ। घटना क बाद घायल कमल शु ा ने बताया था क उनक उपर हमला छ ीसगढ़ क मु यमं ी भूपेश बघेल क जानकारी म आ ह, य क उनक राजनी तक सलाहकार व मं ी का दजा ा कां ेस नेता राजेश तवारी का एक ऑ डयो उनक पास आया ह, जसम वे कांकर कले टर व एसपी को बोल रह ह क दो घंटा तक कसी का फोन नह उठाना ह। इसी लए थाना म भी मा 10 पु लस को ही रखा गया था, ता क उनक ह या हो जाए। इस संबध म क ीय श ा मं ी ारा गृहमं ालय को लखे गए ईमेल म यह राजनी तक कोण भी शा मल ह। चूं क मार पीट क इस मामले म कां ेस नेता का नाम आ रहा ह इस लए भाजपा कोई ढलाई बरतने क मूड म नह ह।

कमल शु ा मामले म पोख रयाल ने गृहमं ालय से कारवाई करने कहा

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आलेख

को वड 19 क नाम पर कपड़ा यू नयन को बंद कया गया महामारी क असर क वजह से चीन, बां लादेश, भारत, कबो डया और यांमार जैसे उ पादन क क म अरब डॉलर क मू य क ऑडर र कर दए गये ह। इसक वजह से ए शया क गरीब देश म लाख लोग बेरोजगार हो गये ह। ले कन कपड़ा मज र का आरोप ह क इस व ीय उथल- पुथल ने फ टरी मा लक को उन फ ट रय को नशाना बनाने का मौका दे दया ह जहां मज र संघ ने बेहतर वेतन और काम करने क बेहतर हालात क मांग उठाई ह। दि ण भारत क कनाटक रा य म फला कपड़ा उ ोग भारत क वशाल कपड़ा उ पादन े का लगभग 2० तशत ह। रा य म जून क शु आत म जब यूरो ो दग कपनी क फ टरी बंद ई तब से मज र नेता प ा रोज फ टरी क बाहर बैठ कर उसक बंद कए जाने का वरोध कर रही ह। 49 वष या प ा उन 12०० मज र म एक ह, ज ह झटक म नकाल दया गया। इनम से 9०० मज र एक संघ क साथ जुड़ ए थे। प ा वीडन क मश र कपनी एचएंडएम क लए यहां बनने वाले पट, जैकट और टी-शट का नरी ण करती थ । वे कहती ह, ''म पछले 1० साल से यहां रोज क 348 पय क लए पसीना बहा रही ।'' फ टरी क मूल कपनी का नाम ह गोकलदास, जो क कनाटक क सबसे पुरानी उ पादन कपनी ह और 2० से भी यादा फ ट रयां चलाती ह। ले कन प ा बताती ह क यह गोकलदास समूह क एकमा फ टरी ह जसम मज र का एक संघ सि य ह। प ा ने एएफपी को बताया, ''वे लंबे समय से मज र यू नयन से छटकारा पाना चाहते थे और अब को वड-19 का एक बहाने क तरह इ ेमाल कर रह ह।'' प ा का आरोप ह क मज र को बना कसी नो टस क ''गैर-कानूनी प से नौकरी से नकाला गया।'' यू ड यू नयन इ न शए टव क महास चव गौतम मोदी का कहना ह क कपनी ''को वड क आड़ म यू नयन को तोड़ रही ह।'' मोदी का संगठन पूर भारत म सैकड़ मज र समूह का त न ध व करता ह। मोदी ने एएफपी को

बताया क जस फ टरी को बंद कया गया ह वह ''एकलौती ऐसी फ टरी थी जहां अ धकतर मज र यू नयन क सद य थे।'' गोकलदास ने ट पणी क अनुरोध का कोई जवाब नह दया ले कन एचएंडएम ने फ टरी क बंद होने क पु क । एचएंडएम ने एएफपी को बताया, ''हम थानीय और वै क ड यू नयन और उनक साथ साथ स लायर कपनी क साथ बातचीत कर रह ह ता क थ त का शां तपूण ढग से समाधान नकाला जा सक।'' यू ड यू नयन इ न शए टव क अनुसार एचएंडएम गोकलदास क चार और फ ट रय से कपड़ खरीदती ह। ए शया क ट सटाइल फ ट रय ने करोड़ लोग को रोजगार दया ह और कई गरीब देश क लए बेहद ज री वदेशी मु ा भी लाती रही ह, ले कन महामारी ने इस े को तबाह कर दया ह। अकले बां लादेश म, 1०,००० से भी यादा मज र बेरोजगार हो गए ह। अ धकार समूह बां लादेश गारम स एंड श पो मक फ़डरशन क अ य रफ कल इ लाम सुजोन कहते ह क इनम से लगभग आधे मज र यू नयन क साथ जुड़ ए ह। मज र क अ धकार क लए अ भयान चलाने वाल का कहना ह क कई फ ट रयां लंबे समय से यू नयन क काम को नापसंद करती आई ह और मज र को एकि त होने से रोकती आई ह। सबसे यादा आवाज उठाने वाले मज र नेता को या तो सताया जाता ह या नौकरी से नकाल दया जाता ह। सॉ लड रटी सटर क जेमी ड वस कहते ह क आ थक तंगी ने ''इस रणनी त को बड़ पैमाने पर लागू करने का एक रा ा'' खोल दया ह। सॉ लड रटी सटर मज र क अ धकार क लए काम करने वाला संगठन ह जो अमे रका क संघ क फ़डरशन एफ़लसीआईओ से जुड़ा आ ह। बड़ी कप नय से अब अपील क जा रही ह क वे अपनी व ीय ताकत का इ ेमाल उनक आपू त ृंखला क सबसे कमजोर किड़य को बचाने क लए कर। म वॉचडॉग वकर राइ स कसो टयम क कॉट नोवा ने कहा, ''इन बड़ नाम को यह

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शैले चौहान

प कर देना चा हए क वे उ ंघन जारी रखने वाली फ ट रय से अपने यापा रक र ते तोड़ दगे।'' उ ह ने कहा, '' मक को कसी यू नयन क साथ जुड़ होने क वजह से नकालना या यू नयन क मौजूदगी क वजह से कसी फ टरी को बंद करना गैर-कानूनी ह। इस तरह क उ ंघन को रोकने क लए कबो डया, यांमार और भारत जैसे अ धकतर देश म कानून ह, ले कन भा यवश इनका कड़ाई से पालन नह कराया जाता।'' यांमार म कपड़ा उ ोग अभी नया े ह। महामारी से पहले इसे समृि का आकाश-दीप माना जाता था, ले कन मई म पे नश फशन ांड जारा जैसी कप नय क लए कपड़ बनाने वाली ई नग फ टरी से 298 मक को नकाल दया गया। नौकरी वापस पाने को बेचैन संघ ठत मक ने जारा क मूल कपनी इडीट स फशन समूह क सं थापक अमा तओ ओतगा को एक भावुक च ी लखी। च ी म लखा था, ''हम व ास ह क आपक जैसे धनी य को हमारी यू नयन को तोड़ कर इस वै क महामारी से लाभ उठाने क कोई भी ज रत नह होगी। फो स क अनुसार ओतगा 62.8 अरब डॉलर क संपि क मा लक ह और नया क छठ सबसे अमीर य ह। इडीट स ने कहा क उसे इन म ववाद क जानकारी ह और बताया क समूह क आचरण-सं हता म '' मक क त न धय क खलाफ भेदभाव पर प प से रोक ह।'' अरब डॉलर क कमाई वाली इस तरह क सरी कप नयां भी सावज नक तौर पर यही कहती ह, य क मक क शोषण क आरोप से उनक छ व को चोट लगती ह। जमन सरकार अग तक एक ऐसा कानून बनाना चाहती ह जो बड़ी कप नय को इसक लए जवाबदेह बनायेगा क स लायर कप नय म सामा जक और पयावरण क मानक का पालन हो। संपक : 34/242, से टर-3, तापनगर, जयपुर-3०2०33 मो. 7727936225

जून/जुलाई-2020


सृजन ि तज

क लकाल म रामरा य और राममं दर क चौदह वष का ल बा संघष पूण वनवास भोगने क बाद राम ने ेतायुग म अयो या म जस रामरा य क थापना क थी वह क लकाल म भी आज तक जनमानस म आदश बनी ई ह। जब क ेपक कछ और ही कहानी कहते ह। पता नह य तुलसीदासकत रामच रतमानस क तमाम कथावाचक ाय: इन ेपक क कोई चचा नह करते और आज जग ु रामभ ाचाय जी क अलावा वा मी क रामायण का कोई अ धकारी व ा नह ह। यह व च वड बना ह क वा मी क रामायण से क लकाल गायब ह और रामच रतमानस से सीता वनवास जब क दोन क बना रामकथा अधूरी ह। राम वनवास और गभवती सीता का न कासन व क राजतं क अ नवाय नय त ह। इसक बना भावी शासक क नग पूरी नह होती। रोमन सा ा य म भी यही थती ह, जससे गुज़रने क बाद ही कोई शासक तमाम तरह क बाधा पर वजय ा कर सकता ह। हमार आदश राम, क ण, बु और ईसा भी इसक अपवाद नह । मजे क बात यह ह क रामरा य क क र हमायती महा मा गांधी और लो हया तक राम कथा क इस मुख अंतर वरोध पर मौन ह। अलब ा ह व क रह यमयी पह लय को सुलझाते ए डॉ. अंबेडकर ज र इन बीहड़ न से टकराते ह। 6 दसंबर, 1992 क बाबरी म जद क व वंस क बाद भारतीय समाज म चले झंझावात से उबरकर कानूनी तरीक से जब राम मं दर नमाण का रा ा साफ आ ह, तो पूर व को कोरोना क जहरीले वायरस ने जकड़ लया ह। लगता ह क इस बहाने वह कवल भारत म राम मं दर क नमाण क बजाय स पूण लोबल वलेज म सम आसुरी श य को परा कर राम रा य क थापना करना चाहता ह। तभी स पूण व से दै वक, दै हक और भौ तक ताप समा ह गे। यह राम रा य वप से र हत राजतं , नरंकश वामपंथी यव था और हटलर क तरह तानाशाही का मॉडल नह होगा। तब या इस राम रा य म एक मामूली आदमी क असहम त और त य तथा तक र हत आलोचना को इतना अ धक मह व दया जाएगा क उसे बना कसी जांच क सीता क तरह न कासन क कठोरतम सजा सुना दी जून/जुलाई-2020

जाएगी। या वग वहीन समाज क प रक पना भी यही थी? इसी सम वय क तहत मा सवादी यव था क पैरोकार ने अब धम को अफ म न मानकर उससे सहयोग का रवैया अपना लया ह। काश इसी तरह एक दन दलाई लामा को चीन वीकार कर लेगा? जैसे स ने चच क अंध वरोध को छोड़ दया ह या गांधी जी क वरो धय ने उनका राजनी तक इ ेमाल करना शु कर दया ह। शायद रा ल सांक यायन क बाईसव सदी ऐसी ही होगी। ले कन यह टढ़ा न हमार सामने मुँह बाये खड़ा ह क या राम मं दर राम रा य क गारंटी ह? कोरोना पी दशानन और बेकारी और भुखमरी क का लया नाग क दमन क बना इस गारंटी को पूरा नह कया जा सकता। अब राम और क ण का यह देश या व नेतृ व क ओर बढ़ रहा ह? शायद भावी व सरकार अगर कभी बनी तो वह व गु भारत क नेतृ व म ही बनेगी और उसका मॉडल राम रा य होगा, जसम गांधी जी क ह द वराज क अनुसार न डॉ टर ह गे और न वक ल। कोरोना क आड़ म व वच व क रणनी त और त पधा का व ेषण करने वाले वचारक एकदम गलत नह ह। इस वायरस ने व क तमाम महाश य को घुटन पर ला दया ह और उनक हाथ पैर फला दए ह। कोरोना ने ऊचे और नकली वकास क पोल खोलकर रख दी ह जब क तथाक थत वकासशील, पछड़ और गरीब देश म व थ और आ म नभर ा य जीवन क गौरव क पुन थापना ई ह, भले उनक जीवन का मू य क ड़ मकोड़ क बराबर भी न हो। संकट क इस थ त म एकमा उ मीद गांधी क भारत से ह, जहां क महानगर से गरीब कामगार क झुंड क झु ड ज़बरद लॉक डाउन और क यू को धता बताते ए जान हथेली पर रखकर कोरोना से भड़ने और जूझने को सड़क पर पैदल ही नकल पड़ ह। इस कोरोना ने और कछ कया हो या न कया हो, व म मानवता ोह और दाता और पाता क खाई को यादा चौड़ा कर दया ह। आज कबीर क माया महाठ गनी उफ आवारा पूंजी अपने ही जाल म बुरी तरह उलझ चुक ह।राम क बार म कबीर ने कहा था -दशरथ सुत त लोक बखाना,

मन

-मूलच गौतम

राम नाम का मरम ह आना। राम रा य क योजनाकार बाबा तुलसी दास को ह व क त कालीन ठकदार ने कम परशान नह कया था। तभी उ ह ने धूत कहो अवधूत कहो....क उ ोषणा करते ए मांग कर खाने और मसीत म सोने क चुनौती औऱ चेतावनी उन नक ठकदार को दी थी, ज ह ने आज भी मं दर ट क फज खाते बना लए ह। राम रा य इन वक तय से नह था। क लकाल म तो राम नाम क लूट मची ह। मुंह म राम बगल म छरी ह। रामनामी प और चादर क नीचे बड़ बड़ संत जेल म गोते लगा रह ह, ले कन भोला भारतीय जनमानस राम क नाम पर बड़ बड़ पा पय को पार लगाने को तैयार ह य क कलयुग कवल नाम अधारा। उ ह संसद म माननीय बनाकर प चाने को सहष राज़ी ह। य क जनता का ढ़ व ास आज भी राम रा य म ह क ेता क तरह क लकाल म भी एक दन वह आएगा मं दर स हत, भले उसक ताकतवर मन क जमात ब त बड़ी य न हो? उसक ा अभी अवतार से हटी नह ह।उसने तो क क अवतार से पहले ही हाड़ मांस क गांधी बाबा को भी अवतार मान लया था। आज भी कतने ही लोग गांधी को गोली मार ले कन जनता क नज़र म गांधी अभी मर नह चार तरफ पूरी नया म। कछ लोग क लए मजबूरी का नाम महा मा गांधी और राम रा य का पयाय अराजकता हो गया हो ले कन उनक ज़ रत अभी देश को बनी ई ह।देश क नेता ने गांधी को भले ठगा हो, उनका पयोग कया हो, ले कन गांधी ने कसी को नह ठगा। द र नारायण म भगवान को सा ात देखने वाले गांधी ने इसी लए सूट बूट छोड़कर लंगोटी और लाठी से आ खरी आदमी का व ास जीता था,जो आज तक कायम ह। लेग से लेकर सुनामी और कोरोना तक हर महामारी, भयंकर वनाश, भय और आपदा क साथ श दावली क सेना भी अपने साथ लाती ह। आज हर आदमी एक सर से भयभीत और अकला ह। सचमुच या कोरोना क बाद नया बदल नह जाएगी? श

नगर, च दौसी, संभल-244412 मो: 8218636741

क लकाल म रामरा य और राममं दर क

मन 13


सृजन ि तज

'कोई बात नह (सूयनाथ सह) कहानी सं ह का मू यांकन

बंद आंख भी बुरी नजर डाल सकती ह

-रमेश चंद मीणा

'कोई बात नह ' सं ह म यारह कहा नयां अलग-अलग मूड व अलग-अलग टकोण से लखी गई ह। कहा नय क व वध वषय ह फर भी चीज को देखने, महसूस करने और भ वय म आने वाले संकट क तरफ भरपूर इशारा ह। एक रचनाकार बेशक सम या का समाधान नह कर सकता, वह उस जगह पर उगली रख दया करता हजहां असहनीय दद होता ह। यह दद समाज व य गत जीवन से ओत ोत च र गत रचना म बखूबी देखा जा सकता ह। हमार आस पास कछ घटनाएं व पा ऐसे होते ह, ज ह अ सर नजरअंदाज कया जाता रहा ह, ऐसे ही गांव- कसान पा व घटनाएं रचनाकार को संवे दत करती ह। सं ह म प रवार, समाज से लेकर राजनी त तक को नां कत करने का यास आ ह ले कन भरपूर रचना मकता क साथ। कहा नय क वषयव ु म समसाम यकता क साथ समय को साधने का सजग यास आ ह। जब नमम राजनी तक वचारधारा से समाज क दशा और दशा तय करने लगे तब रचनाकार समाज क धड़कन क आसपास होता ह। कथाकार सूयनाथ सह हर दन राजनी त को नजदीक से देखकर प पर उतारते ह। छा जीवन से ही राजधानी म रहने क साथ सजग प का रता करते ए सा ह यकता म जीते ह। वे प कार पहले ह या सा ह यकार? यह दावे से कह पाना मु कल हो जाता ह जब आपक रचना म समाज क गहरी समझ क साथ राजनी त और राजनेता क न ज पर हाथ रखते ए देखते ह। एक सजग प कार का कत य हर हाल म चौथे खंबे क भू मका नभाना होता ह और ये भू मका आप बखूबी नभाते ह। आप म सजग प कार क साथ एक बेहद संवेदनशील सा ह यकार भी ह य क आपक रचना म सीधे-सीधे राजनी त नह आती, वह सफ झांकती ह। हां वह इतनी कम होती ह- उतनी ही जतनी स जी म छ क। वचारधारा क बावजूद पाठक का सा ह यक जायका बरकरार रहता ह। लेखक क वचारधारा रचना म आ सकती ह ले कन 14 बंद आंख भी बुरी नजर डाल सकती ह

वह प ता व तीखेपन क साथ नह आनी चा हए। पाठक को आहत करने व आंख को चुभने वाली वचारधारा रचनाकार को कसी खेमे म रखकर नजरअंदाज कर सकती ह। कहानी सं ह-'कोई बात नह ह से गुजरने क बाद आम पाठक को सहज ही अहसास होता ह क वचारधारा को यूंही थोपने का सतही यास कह भी नह आ ह। वह अगर आयी भी ह तो सहज ही ब क दशा देती ई लगती ह। मसलन देश म या सा दा यकता वषय पर तीन कहा नयां इस संदभ म बरबस यान ख चती ह'पटा ेप', 'रजामंदी' और 'थूनी थामो'। इन कहा नय म मु लम पा को चलाकर लाना लग सकता ह जब पाठक 'रजामंदी कहानी पढ़ता ह। ले कन 'पटा ेप' और 'थूनी थामो' पढ़ने क बाद यह आरोप वत: ही ख म हो जाता ह य क 'पटा ेप' और 'थूनी थामो' म मु लम पा दखावे क लए नह आते ह अ पतु जीवंत बन पड़ ह। हां 'रजामंदी' से पाठक को ऐसा लग सकता ह जब मु न मयां अंजनी कमार क घर म नौकर क प म काम करता आ दखाई देता ह। जैसे वतमान म देश क हालात बना दये गए ह, ऐसे म घरलू नौकर मु लम रखना! लगता ह रचनाकार चलाकर ऐसा कर रहा ह। जब क देश दो खेम म बंट चला ह। ऐसे म पाठक को दोष देना मुना सब नह ह। 'पटा ेप' और 'थूनी थामो' कहा नयां महज सा दा यक स ाव क से लखी गई कहा नयां नह ह। इस पर थोड़ी देर बाद आते ह। सं ह क पहली कहानी 'कोई बात नह ' से अलका सरावगी का वशेष ब े पर लखे उप यास क याद हो आती ह। दोन म नाम क ही समानता ह। यहां कहानी नौकरी क लए सा ा कार देते व लेते ए बयां होती ह। कहानीकार कछ संदेश देने म सफल आ ह- सफा रश और सोटकट ोफशन क लए ठीक नह हालां क ऐसी ईमानदारी अब लभ हो चली ह। रचनाकार ारा ऐसे पा क रचना कर लेना और वो भी अपनेपन क साथ क बड़ हो रह बेट से जोड़कर देखना वाभा वक लगता ह। पा क

थ त को गहराई से दखाने क लए फटसी का सहारा लया ह-पा गािड़य से बात करता ह। यह फटसी मनु य म बढ़ती आपाधापी क ओर इशारा ह। घ घा-कहानी म कई बात ह-नयी पीढ़ी बनाम पुरानी पीढ़ी, लगातार अकला होता मु खया, टटते र ते, बाप-बेट म बढ़ती री। पा रवा रक उठापटक म एक दन आदमी घ घा बन जाता ह। आदमी मसीन म बदलता आ अपने आपसे ही बात करने लगता ह, कसी से मन क बात नह करता और एक दन जब बेटा र चला जाता ह, प नी पहले से ही र ह और एक दन जीवन से ही चली जाती ह। उसक घ घा बनने क पूरी ि या ह। उसक खाली हो चुक जदगी को भरने वाली को अपनाने क बजाए असमंजस म रहता ह। वह अपने तई नणय नह ले पाता ह। भौ तक य दौर म अ त मह वाकां ा घर को तेजी से तोड़ रही ह तो आदमी बखरने व टटने लगे ह। पीढ़ीगत अंतराल आम और भयावह हो चला ह। कथानायक म बढ़ता एकाक पन, पागलपन ान चतुवदी क उप यास 'पागलखाना' क बूढ़ नायक क याद दला देता ह। अपने आप से बात करना या मशीन से, तब पागलपन हावी होने लगता ह। 'सड़क सरगम आलाप', फसबुक पर जो कछ चल रहा ह क झलक देती ह। एफबी पर क जाने वाली ट प णयां कस तरह धमाल मचाती ह? यह कहानी संगीत ेम और सड़क पर भी ह। वैसे पूरी कहानी एफबी पर ही हो सकती थी। सड़क पर कहानी काफ लंबी चलती ह। सफर म सुने जाने वाले गान और चतन म तारत य बन पड़ा ह। सड़क पर बढ़ती भीड़ आने वाले दौर क ब त बड़ी सम या ह। जनसं या व फोट को सड़क से गुजरते ए महसूस कया जा सका ह। बढ़ती जनसं या, घटते संसाधन नेता क लए कोई चता का वषय नह रह ह। म अपने तई इसे मूल और मुख सम या मानता । देश क भ व य क साथ सरासर खलवाड़ ह बढती जनसं या....। कहानी म यह सम या भी चि ्त हो सक ह हालां क सड़क से कार सफर म नुसरत क जून/जुलाई-2020


सृजन ि तज गीत काफ जगह घेरते ह। कहानी म एक से अ धक वषय को साधने का यास आ ह। 'रा े का टटा आ मोड़', गांव जवार म चौपाल पर राजनी त और सामा जक चचाएं ा य व बोध क साथ सामने आती ह। पूव फौजी ारा दा प य जीवन को मृ त क मा यम से दखाया ह। फौजी और गांव क बात संवेदनशीलता क साथ उजागर हो सक ह। गांव या ह? इसे पा ो क ारा प रभा षत कया जा सका ह। आपक 'जो ह सो कहानी क गांव को सम ता से देखते ए दनेश कमार इस कहानी क ा य वबोध क साथ पड़ताल करते ह। इस अथ म हदी सा ह य पर गंभीरता से शोध क बल संभावना ह। आज गांव और कसान दोन ही हा शये पर चले जा रह ह। 'रा े का टटा आ मोड़' कहानी म राज फौजी होने क बावजूद ामीण कथानायक ह। कहानी म सै नक और ामीण सामा जक व जीवन मू य क दशन होते ह। गांव को समझना और बयां करना गांव वाल क लए भी सहज नह ह। राज क बतौर पाठक गांव को जानने लगते ह। शहर से गांव म जो अंतर ह सहज ही बयां हो सका ह। जन बात को शहर वाले नजरअंदाज कर दया करते ह, ामीण ारा यान से सुनी गुणी जाती ह, ामवासी कतनी ही बात क तह तक सहज ही प च जाते ह। शहर से गांव कस अथ म भ ह पाठक को सहज ही अहसास हो जाता ह। 'पटा ेप', 'रा े का टटा आ मोड़', 'रजामंदी' और 'बड़ साहब क उदासी' चार कहा नयां चार तरह क ह। पहली थयेटर क कलाकार से जुड़ी ह। सरी और तीसरी दा प य जीवन म आते उतार चढ़ाव को बयां करती ह। चौथी म स ांतवादी, आदश और मत ययीता से जीवन गुजारने वाला ा त न धक नायक क कहानी ह। 'रा े का टटा आ मोड़' और 'रजामंदी' म भ तरह से दा प य जीवन चि त आ ह। दोन म हला पा अ त मह वाकां ी ह। फर भी दोन क प रणाम अलग-अलग आते ह। फौजी जीवन जैसे आम जीवन से अलग ह वैसे ही उनका दा प य जीवन ह। फौजी का लगातार र रहना, अलगाव का मु य कारण रहा ह। फौजी अंतत: बं क उठा ही लेता ह पर करण सरा होता ह। प नी पीिड़त फौजी अपना शन गांव क राजनी त और समाज म जी वत सांमतीपन को उजागर करता ह। 'रजामंदी' म प नी अंतत: प त क पास लौट आती ह। वैसे प त-प नी संबंध 'थूनी जून/जुलाई-2020

थामो' म भी दखाई देते ह पर दा प य जीवन का सा दा यक प उजागर होता ह। 'थूनी थामो' 'तारीखी तालाब' और 'बड़ साहब क उदासी' तीन कहा नयां गंभीर वषय पर ह। इन पर चलते ए ट पणी करना इनक साथ याय नह कया जा सकता ह। वैसे ये कहा नयां बड़ फलक क ह। व ार क अपे ा करती ह। पाठक उ मीद कर सकता ह क आगे चलकर रचनाकार इन वाय पर व ार से लख सकगा। तीन कहा नय क वषय अलग ह फर भी एक र पर सा यता ह वह हऔप या सकता। ब त कछ कहने क गुंजाइस बची रह जाती ह। पाठक जैसे यासा ही रह जाता ह। पाठक को लगता ह रचनाकार जैसे कम से कम म अपनी बात पूरी कये दे रहा ह। बेशक 'बड़ साहब क उदासी' को लेकर असहम त हो सकती ह य क इस पा क असाधरणता असामा यता तक जाती ह। इस कहानी क कथानायक का अ सी फ सद च र को म अपने साथ पछले एक साल से -ब- देख रहा । 'बड़ साहब क उदासी' क नायक म असाधरणता व असामा यता एक साथ दखाई पड़ती ह। सेवा नवृ त क नजदीक आने पर नौकरी पेशा कसे बदलता ह? समझा जा सकता ह। 'थूनी थामो' कहानी का पाठ करते ए कथा नायक क प म 'बशारत को पाकर मेर दमाग क ब ी यकायक जल उठती ह। म कहा नय पर उप यास क बरअ स लखने से बचता । ले कन पा जब यह बोलता ह-'बंद आंख से भी बुरी नजर डाली जा सकती ह'। यह वा य गहर म उतर जाता ह और म अपने आपको लखने से रोक नह सका। एक सोची समझी सा जश य होती ह। एक क थत वचारधारा जो ऊपर से चलकर नीचे समाज क जड़ तक प च रही ह, जससे अब बच पाना मु कल आ जा रहा ह। हर बु जीवी आहत और परशान ह। एक तरह क चु पी, डर ह क पैर पसार जा रहा ह। यह ल ण न समाज और न ही देष हत म ह फर भी रा ीय नार क साथ चा रत व सा रत कया जा रहा ह। 'थूनी थामो' कहानी पाठक को सा दा यकता से दो-चार करवाती ह। जब नायक एक सेमीनार म मु लम क नाम पर चि ्त कर लेने क बाद चु पी साध लेता ह। उसक चु पी से घर, मुह े और गांव वाले सब च तत हो उठते ह। वे उसक सम या क जड़ म जाने का यास करते क इससे पहले वह घटना घट जाती ह जो इन दन लफगे व उ क,

सं क त और धम क र ा क नाम पर आये सम या उ प कर रह ह। एक मामूली -सी बात पर हमेशा क लए उन आंख को बंद करने का :साहस करते ह, जन आंख ने मंजर देखा ही नह । कहानी सा दा यक सम या को अलग ही कोण से उठाती ह। नायक अपने समाज क युवा म उबाल मारते खून को ठडा करता ह-'यह व थूनी थामे रहने का ह'। मौलवी भी यही कहते ह-'जमाना खराब चल रहा ह'। कहानी का अंत जहां और जस मोड़ पर होता ह वह सम या घटने का नह बढ़ने का संकत देती ह'मुह े क बुजुग डर सहमे ह, ...इधर गली द जयान क लड़क योजनाएं बना रह ह। ि या क ति या होती ह। ह ान यही नह चाहता ह पर ज ह राजनी तक रो टयां सकनी ह उनका या? सं ह क राजनी तक लंबी कहानी ह-'तारीखी तालाब'। कहानी हलवाई क कान से गांव-जवाहर व देश- देश क राजनी त तक समेट लेती ह। कहानी क खा सयत ह समकालीन राजनी त पर मारक यं य का होना। इन दन राजनी त कस तरह से क जा रही ह? कस तरह नेता बन रह ह और कस तरह से एक झूठ का मुल मा चढ़ाया जाता ह? इस कहानी से बखूबी समझा व पहचाना जा सकता ह। रोचकता, पठनीयता और भाषायी यं य रचनाकार क लंबे अनुभव का नचोड़ ह। कहानी का क बदलता ह। पहले जयनाथ फर नेता शो भत ठाकर। शु म पाठक को लगता ह क जयनाथ क कहानी ह। हलवाई क कान का पूरा इ तहास दखाया ह- पताजी कस तरह से कान लगाते ह और जयनाथ योग ारा उसका कायाक प कर डालता ह। वह आठव तक पढè कर भी बे झझक टटी-फटी अं ेजी बोल लेता ह। फरस तये लोग का जमघट लगा रहता ह, दनभर हसी ठटोली चलती रहती ह। संयोग से फरंगी दंप त का कान पर आना और तब जयनाथ क जलवे पूरा गांव देखता ह तभी कहानी म मोड़ आता ह जब शो भत ठाकर वहां अपने नवग क साथ आता ह। फरंगी ारा पूछा जाना-'यहां देखने का या ह?' गांव वाल क लए यह बड़ा मौजू सवाल ह। अ धकांश गांवां◌े म पयटक क लए कछ भी नह ह फर भी गांव म मौयकालीन तालाब का उ व वतमान राजनी त पर गहरा यं य ह। वह तालाब जो कड़ ककट से अटा पड़ा ह। उसे ऐ तहा सक दजा दे दया जाता ह। मं दर को तालाब से भी पुराना होना बतला दया जाता ह। ज दी ही खबर बनती हबंद आंख भी बुरी नजर डाल सकती ह 15


सृजन ि तज मौयकालीन तालाब का ज◌ीण धार होगा। युवा रोजगार का सपना देखने लगते ह सरी तरफ तालाब क आसपास क सारी जमीन क थत नेता को लीज पर दे दी जाती ह। गांव राजनी त का मोहरा कसे बनता ह? जहां नेता का और पाट का भला ही संभव होता ह। गांव क सारी चहल पहल जयनाथ क कान ऐ तहा सक वकास क भट चढ़ना राजनी तक स ाई ह। 'बड़ साहब क उदासी' नौकरीपेशा य क बदलते च र को उजागर करती ह। सेवा नवृ त से पूव कस तरह उदासी ओढè लेता ह। नायक हर तरह क दखावे व तड़क-भड़क से र रहता ह। सामा य पहनावा, सामा य खान पान ह। नयम कायदे से सहक मय से जमकर काम लेते ए वन ता बनाय रखता ह इस लए कहने वाले उसे मीठी छरी कहते ह। यह पा बदलते च र क बानगी ह। साहबी च र को कस तरह बदलती ह? और सेवा नवृ त क नजदीक आने पर उदासी छाने लगती ह। यह च र पाठक को च काता व हरान करता ह। वे कभी गंभीर

16 बंद आंख भी बुरी नजर डाल सकती ह

तो कभी खूब बोलते ह। सामा यत: री बनाकर रहने से उनक वभाव म चु पी आ जाती ह। वह गंभीरता व चु पी को क ठन साधना ारा साध लेता ह। सं ह क कहा नयां मानवीय संबंध क गहराई से पड़ताल करती ह। वशेषकर गांव-जवाहर क ामवा सय पर गजब क पकड़ ह। 'तारीखी तालाब' क अलावा 'वह चला गया' और ' यो तमय भइया' क आसमानी कान कहा नय म भी गांव से आने वाले पा कस तरह शहर म अटकते-भटकते व ठगाए जाते ह, गहरी संवेदनशीलता से देखा जा सका ह। ' यो तमय भइया क आसमानी कान ारा पं डताई का आनलाइन होना भागती दौड़ती नया पर मारक व करारा यं य ह। कहानीकार क भाषा और शैली म समसाम यकता व थानीयता ह जो बरबस पाठक को रचना से सहज ही बांधे रखती ह। सं ह म आये कछ वा य और श द चतन क तो कछ श दकोष क मांग करते ह' रपेटा' , ' सरपोट' , ' नवग'े , ' खश'े , 'गदहप ीसी'। ामीण भाषा को कसे बदलते ह?

राज ठाकर, बमबाज ठाकर हो जाते ह। 'मोजे बना धोये पूरी सद डांट रहते ह'। यहां 'डांट श द का योग' म थानीयता बोध क दान होते ह। पा क च र च ण क भाषा ह-'जब वे बोलते ह तो सफ वह बोलते ह, सामने वाले क नह सुनते'। वे जानते ह क सामने वाले क सुनगे तो वह उनक बात नह सुनेगा। सो चु पी उनका अमोघ अ ह। न कषत: रचनाकार गांव व कसान जीवन को नजदीक से देखने व भोगे ए यथाथ का चतेरा ह। दनेश कमार क श द म कह सकते ह-'सूयनाथ म ान बघारने क वृ त नह ह'। उनका जोर गांव-जवाहर को क म लाना रहा ह जो सराहनीय यास ह। ामीण चेतना क रचनाकार सूयनाथ सह से उ मीद क जा सकती ह क वे आगामी रचना म गांव- कसान क आवाज को स त से चि त करगे। 2-ए-16, जवाहर नगर, बूंदी, राज. 323००1

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सृजन ि तज

नवगीत क नयी व ु और नये प ने गीतका य को वैचा रक ऊजा दी ह आज जब नवगीत समकालीन हदी क वता का सजग, सि य सहया ी बन गया ह, और हदी सा ह य क वराट फलक पर वक सत होने वाली अनेक वृि य को आ मसात करते ए उसने अपना सतत वकास भी कया ह और एक मुख थान बना लया ह। फर भी कछ क व अपनी यथा थ तवादी सोच क कारण नवगीत से तालमेल नह बैठा पा रह ह। नवगीत कोई आ दोलन नह ह, ब क यह एक सा ह यक गीत- वृ त ह जसम आज का यथाथबोध अ धक यंजना क साथ अ भ य पाता ह। नवगीत ने नराला क साठो री गीतका य क जस यथाथवादी सामा जक चेतना क अवधारणा को आ मसात करक अपनी अ तव ु को वक सत कया ह और पार प रक गीत क रोमा नयत को बदलकर मानवीय सरोकार क युगीन संदभ से जोड़कर गीत को संर ण दान कया ह, आज उसी क कारण नवगीत ने समकालीन क वता म एक मुख थान बना लया ह और अपनी नई गीत अ भ य य म मानवीय अनुभू तय को श दाकार भी दान करने म सफल आ ह। आज लोकसंवेदना और जनचेतना वाले ब त साथक नवगीत नरंतर लखे जा रह ह तथा नवगीत सं ह भी का शत हो रह ह। फर भी कछ लोग इरादतन उसक उपल धय को नकारने क सा जश कर रह ह। साथ ही वे इस तरह क चचाय भी चला रह ह क अब नवगीत क 'नव उपसग क कोई आव यकता नह ह य क नवगीत भी गीत ही ह। यह सच ह क नवगीत भी गीत ही ह क तु वह यह भी सच ह क हर गीत नवगीत नह होता। य द नवगीत ने अपनी कछ शै पक, भा षक और नवीन अ तव ु क वशेषता क कारण अपनी एक व श पहचान बना ली ह, तो कछ तथाक थत गीतकार नवगीत क उस पहचान और उसक जून/जुलाई-2020

अ मता को नकारने का यास कर रह ह। यह एक वचारणीय न ह क गीतकार ही नवगीत क रा े म रोड़ य पैदा कर रह ह ? म इस ल त न क ओर इस आलेख क मा यम से ह दी क वता क व ान और पाठक का यान भी आक करना ज री समझता । हम ग भीरता से इस न पर वचार करने क ज रत ह क आ खर गीतकार ारा ही चलाये जा रह इस तरह क अ ासं गक, अवै ा नक कतक का औ च य या ह? 1. गीत बनाम नवगीत -इससे तो यह प ह क नवगीत क बढ़ते ए वच व और भाव से कछ लोग इतने आतं कत हो उठ ह क उ ह अपनी सजना मक अ मता ही खतर म नजर आने लगी ह। इस लए अपनी अ मता और हीनता को छपाने क लए वे अ वाभा वक दलील और तक का सहारा लेने लगे ह। यह कतने आ य क बात ह क कछ गीतकार को नवगीत क उ रो र वकास और लोकि यता क कारण गीतका य क लए खतरा महसूस होने लगा ह और इस लए वे नवगीत क वरोध क सा जश करने लगे ह? क तु सच तो यह ह क नवगीत ने गीत को संर ण दान कया ह। जस पार प रक गीतका य को उसक रोमा नयत और लज लजी भावुकता क कारण कछ आधु नकतावादी ग क वता क क वय और समी क ने 'गीत को मृत ाय: घो षत कर दया था और हा शये पर डाल दया था। आज उसी गीत अथा नवगीत क यथाथवादी रचनाशीलता क कारण गीतका य क ओर समी क और पाठक का यान फर आक होने लगा ह और मा यता भी मलने लगी ह। ऐसे प रवेश म गीतका य को खतरा कससे ह? यहां हम यह समझना ब त ज री ह क जो रचना या रचनाकार ासं गक नह होता, वह इ तहास क टोकरी म डाल दया जाता ह। इस लए गीतकार को आ ममु धता क खोल

-डा. राधे याम ब धु

से अपने को बाहर लाने का और अपनी रचनाध मता को आ मसमी ा क मायम से समसाम यक तथा ासं गक बनाने का यास करना चा हए। यहाँ म उन व र और क न गीतकार क नाम का उ ेख करना ज री नह समझता, जो नवगीत का आंचल तो थामकर सीमा पर खड़ ह क तु अपनी भाषा, श प और कहन भं गमा को छायावादकालीन भाव से मु नह कर पा रह ह। छायावाद क अव श म उलझे गीतकार को डॉ. वनोद गोदर का आलेख 'अंधेरपन से जूझता गीत को भी अव य पढ़ना चा हए। इसम उ ह ने लखा ह ''खेद ह क जस गीत-चेतना से नई क सृजन को रखां कत कया जाना चा हए था, जसे समाज क नवीन संरचना क लए तब ् होना चा हए था, य क सुख- ख का सा य होना चा हए था, वह ण फलसफा, 'मह फले - यारां बन गया ह। गीत क बासे संवेदन- श प ने गीत को एक ओर ट कया, ब दया, पायल, घायल जैसी तुक क नवाह, और सरी ओर शमा, परवाना, गोरी, आंचल, संझा, भनसार तथा तीसरी ओर हल, कसान, मज र क मानवतावादी ग तवादी खोखले नार , तान , उलाहन तक ख चा ह। ऐसे म आद मयत क लड़ाई का यह तीखा, पैना ह थयार अगर भ थरा हो जाये और गीत को कोई 'नान सी रयस वरोधी कह दे तो उसे कठघर म खड़ा करने क या आव यकता ह? (नवगीत और उसका युगबोध, पृ. 72)

इससे यह नह मान लेना चा हए क डॉ. वनोद गोदर गीत क वरोधी ह क तु नवगीत क नई रचनाशीलता का वरोध करने वाले और नवगीत क 'नव को अनाव यक बताने वाले क लए आ म नरी ण का एक ज री सुझाव क ओर उनका संकत अव य ह। गीतकार को अपने आ मघाती रवैये पर पुन: वचार करना चा हए । नवगीत क 'नव हटाने से नह , ब क गीतकार को उनक मन म पल रह बासे पार प रक सेाच और मोह को हटाने क ज रत ह। इसी से गीतका य का भी वकास

नवगीत क नयी व ु और नये प ने गीतका य को वैचा रक ऊजा दी ह

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होगा और गीतकार का भी गौरव बढ़गा। सफ 'नव हटाने क बात करना नवीनता तथा चुनौ तय से भागना ह और अपनी अ मता का प रचय देना ह। जब म 2012 म 'नवगीत क नये तमान क योजना पर काम कर रहा था तो मुझे यह नर तर आभास हो रहा था क नवगीत क सीमा पर जो 70 तशत गीतकार खड़ ह उनको कछ प र कार और आ मसमी ा क मा यम से नवगीत क रचनाध मता म शा मल कया जा सकता ह, ता क वे नवगीत क रचनाशीलता क नवीनता से अपनी रचना को जोड़कर समृ और ासं गक बना सक। मुझे यहां यह कहने म कोई संकोच नह ह क मने सीमा पर खड़ उन गीतकार को भी 'नवगीत क नये तमान क या ा म कछ प र कार क बाद शा मल कया। नवगीत क वकास क लए 'सम चेतना पि का क मायम से इस तरह का सौहाद का बातावरण बनाने का मने सदैव यास कया ह और करता र गा। यह नवगीत का गीत क त नकार का नह ब क स दयता और वीकार का माण ह। 2. लोक श प क पहचान यहां यह भी बताना ज री ह क नवगीत क लोकधम ऊजावान रचना म ही वह मता ह क वह जन-जन का संवेदन बन सक और वह संवेदन जो बोध क सही समझदारी से लैस हो। साथ ही यह भी ज री ह क गीत लोक श प को वहन करने क मता रखता हो। लोक श प से आशय ह लोकभाषा क तेवर क पहचान, मुहावर, लोको य से अंतरंग प रचय। जनता क एकांत और सावज नक बोली क पहचान, ख-तकलीफ को य करने वाली भाषा, संकत, च , तीक, आ था क तीक, पौरा णक बब क आंच लक या याय तथा लोकजीवन क संदभ का गीतकार को बोध होना ब त आव यक ह। इस ासं गक सौ दयबोध क बना लोकरंजन वाले गीत क रचना नह हो सकती। अ धकांश नवगीत सं ह म यु संकत, तीक पौरा णक मथक क मायम से लोक श प क उसी पहचान को अ ु ण बनाये रखने का यास कया गया ह जससे क य क यंजना और भी धारदार तथा स े य हो सक।

श पगत कोई भी योग या बब तभी सफल या साथक हो सकता ह जो गीत को का या मक सौ दय दान करने क साथ उसक अथग रमा भी बढ़ाये और उसको बोधग य भी बनाये। शीले सह चौहान ने अपने एक गीत 'सोने क पजड़ म ' शव मथक क मायम से स ा क नममता पर न न पं य म बड़ा सटीक यं य कया ह- सच को सच कहना भी मु कल, वाह जमाने ब ल-ब ल जाऊ, शीशेघर म ब द मछ लयां, पंछी सोने क पजड़ म, दीमक चाट रही दरवाजे, देहरी - आंगन क झगड़ म/ हर प थर खुद को शव बोले, कसको - कसको अ य चढ़ाऊ ? ('नवगीत क नये तमान', प.ृ 370)

कभी-कभी मथक गीत क यंजना को धारदार और बोधग य बनाने म ब त सहायक होते ह। इस तरह क योग नवगीत म ाय: देखने को मल जाते ह। जो गीत क लोकचेतना को भी य करते ह और पाठक क मन म का या मक कौतूहल भी पैदा करते ह। साथ ही ये योग गीत को अथव ा और जीव तता भी दान करते ह। कभी-कभी गांवगंवई क सीधे सहज श द भी ामीण क संघषशीलता को अ भ य देने म कतने धारदार हो उठते ह। इसक माण म डॉ. ेमशंकर क गीत 'बेगार क ह सया ए ह हम क ये पं याँ यह'झोपड़ी म जो नह सोया कभी हसकर/ पीिढ़य का दद वह कसे कह खुलकर? एक ह सये सी घसटती ज दगी जसक / कल सरक ड थे, आज तो ट टया ए ह हम। ('सम चेतना' का नवगीत वशेषांक-1980)

जस तरह गीत क श प और छ द म समयसमय पर प रवतन ए ह उसी तरह नवगीत क क य म भी प रवतन ए ह। इस बात पर वशेष यान देने क ज रत ह क स 60 क बाद क साठो री गीतका य म अमूत ब ब का योग मुखता से हो रहा था। कला क से उनका वशेष मह व था और डॉ. श भूनाथ सह ने अपने नवगीत दशक 1, 2, 3 म ऐसे ही नवगीतकार को रखा था जो उनक कला मक तमान क वशेष प से पोषक थे। क तु 'नवगीत अ शती' म उ ह ने अपनी शत को उदार बना दया था। इस लए इसका दायरा

18 नवगीत क नयी व ु और नये प ने गीतका य को वैचा रक ऊजा दी ह

सृजन ि तज

काफ व ृत हो गया था। क तु इसक पहले भी 'सम चेतना'का 'नवगीत वशेषांक (सं. राधे याम बंधु) 1980 म ही का शत हो चुका था जसम यथाथवादी नवगीत क रचनाशीलता को ही रखां कत करने का यास कया गया ह। और कछ मह वपूण नवगीतकार जैसे रमेश रंजक, रवी मर, माह र तवारी, शा तसुमन, ेमशंकर, उमाका त मालवीय आ द क नवगीत दये गये ह। रमेश रंजक क यथाथवादी नवगीत ने नवगीत क नई भाषा और श प, क य क जमीन को पो ता करने म ब त मदद दी ह । रमेश रंजक क यथाथवादी नवगीत 'कचुली उतारो क कछ पं यां यहाँ य ह'धरती का गीत ह पसीने म, मु ी भर धूल ह नगीने म, भू म क सतारो र, कचुली उतारो । (इ तहास बारा लखो) नवगीत क रचनाशीलता म यथाथवादी अ तव ु का दौर जो 1980 से ार भ आ वह आज 2013 म भी जारी ह और युगबोध क नये तेवर और मु कामी चेतना क साथ आगे बढ़ रहा ह । इसका माण ह 2004 म 'सम चेतना का सरा का शत नवगीत वशेषांक 'नवगीत और उसका युगबो , जसका पूर भारत म का य े मय और व ान ने वागत कया। इसम पूर भारत से चुने ए अ सी नवगीतकार क रचना का सं ह भी दया गया ह। इसम डॉ. नामवर सह, डॉ. व नाथ ि पाठी, डॉ. मैनेजर पा डय, डॉ. कदारनाथ सह, डॉ. गंगा साद वमल, डॉ. ीराम प रहार आ द क लेख ने नवगीत आ दोलन को वैचा रक ऊजा दान क ह और उसक अ मता को ामा णक भी बनाया ह। इसक समथन म अपने एक आलेख म समकालीन क वता क महान समी क डॉ. शवकमार म ने लखा ह क ''अब नवगीत कवल भावुक मन क मययुगीन बोध क चीज नह ह, ब क वह समय क सारी आ ामकता तथा समय क सारी वसंग तयां, व ूपता से उसी तरह मुठभेड़ कर रहा ह जस तरह आधु नक कही और मानी जाने वाली ग क वता कर रही ह। नवगीत क रचना श प म आज भाषा, अलंकार, छ द आ द समूचे जून/जुलाई-2020


सृजन ि तज रचना वधान म बदलाव आया ह। आज यह ज री था क नवगीत और उसक पर परा अपनी पूरी व ु न ता और ामा णकता क साथ सामने आती। यह काम डा. राधे याम बनु ने 'नवगीत और उसका युगबोध क प म पूरी न ा से करने का यास कया ह। ('स यक 2००9 क

'नवगीत वशेषांक से )

डॉ. शवकमार म क इस कथन से यह स होता ह क वे वामपंथी वचारधारा क समथक होते ए भी नवगीत क लोकचेतना क भी बल हमायती ह। य क वे जानते ह क भारत क जनमानस तक प चने और अपनी जना दोलनकारी वचार को जनता तक सं े षत करने क लए लया मक छांदस क वता जतनी भावी हो सकती, ग क वता नह हो सकती। इस लए हम चाह जतने आधु नक हो जायं, जनता तक अपनी बात प चाने क लए हम उ ह क तरह नई भाषा, मुहावरा और छद का सहारा लेना पड़गा। इसी लए नागाजुन, ि लोचन और कदारनाथ अ वाल जनचेतना वाली छांदस क वता क अ त तक समथक बने रह और वे जनक व क प म आज भी याद कये जात ह । इसी लए कछ लोकसंवेदी क वय ने क वता म नवगीत क मायम से लोकत व को त त करने का यास कया । आज वही नवगीत अपनी नयी भाषा, छद, लोकाम श प, और यथाथवादी अ तव ु क मायम से क वता क वै क न शे पर अपनी उप थ त दज कराने म सफल हो रहा ह। नवगीत को समृ ् करने म कछ एकल नवगीत सं ह का भी बड़ा योगदान ह जैसे 'गीत वहग उतरा, 'इ तहास बारा लखो (रमेश रंजक), मेह दी और महावर (उमाका त मालवीय), ' लख सक तो (नईम) 'श द क पीड़ा (डॉ. मधुसूदन साहा), 'पहनी ह चूिड़याँ नदी ने (देवे शमा 'इ ), 'मौसम आ कबीर (शा त सुमन), 'एक गुमसुम धूप ( राधे याम बंधु ), 'सुलगती पीर क पवत (डॉ. इसाक अ क), ' हरन सुगन क (आचाय भगव ब)े आ द इस तरह क सैकड़ नवगीत सं ह ह ज ह ने अपनी नयी भाषा, मुहावर, श प और अ तव ु क नवीनता और समसाम यक भाव भं गमा से पाठक का यान आक करने म सफल ए ह । जून/जुलाई-2020

इसी तरह क गीत स कतर क वय जैसे रांगेय राघव, कदारनाथ अ वाल, नागाजुन, ि लोचन ने भी लखे थे। इस कालावा दय म हदी क वता म योगवाद और ग तवाद का वच व था, जसका भाव नवगीत पर भी देखने को मलता ह। क वता क इ तहास म एक समय ऐसा भी आया था, जब ग क वय क तमाम भा षक बाजीगरी और कलावादी त ल म क बावजूद उपभो ावादी मान सकता वाल ने 'क वता को मृत ाय: घो षत कर दया था और जनता ारा भी ग क वता को अ वीकत कर दया गया था। सच तो यह ह क ग क वता को सफ ग क व ही पढ़ते ह और वे ही उसक सराहना करते ह। इस लए आम पाठक क च क वता से र होती चली गयी। गीतका य ने अपनी लया मक अ भ य क कारण मनु य क आ दम वृ तय को सदैव आ दो लत कया ह। इस लए गीत क अनुगूंज जीवन क हर ि या कलाप म सदैव से महसूस क जाती रही ह। तीज योहार, मेले-ठल म गाया जाने वाला गीत य द उ सत दय क अभय था तो कठोर प र म क समय मक ारा और पसीना प छते ए कसान ारा गाया जाने वाला गीत, उ साह तथा उनक संघष का तीक था और उनको सि य रखने क लए ऊजा दान करने वाला भी था। गरीब क ज टलताय कभी- कभी इतनी भयावह हो उठती ह◌ै◌ं क ज ी भी उसका साथ छोड़ने लगती ह, फर भी जीना पड़ता ह। आजादी क बाद भारत क गरीब , कसान और मज र ने सोचा था क अब अपनी सरकार ह, अपने शासक ह, अपने नेता ह । इस लए अब उनका शोषण, उ पीड़न नह होगा, और उनक सार ख-दद र हो जायगे ले कन ऐसा कछ नह आ। हम अपने ही घर म अजनबी हो गये । मंहगाई आसमान चूमने लगी । ऐसे म आदमी कसे जये? नवगीत ने इ ह न को अपनी अ तव ु म आ मसात कया ह। फर भी वतमान समय म उसक मु कल और चुनौ तयां अभी समा नह ई ह। कछ गीतकार आज भी रोमानी गीत को ही नवांतर का नाम देकर पुरानी शराब को नई बोतल म परोसने का यास कर रह ह। क तु

ासं गकता क कसौटी पर गीत, गीत ही रहगा, नवगीत नह हो सकता। अपने एक आलेख म कमार पारसनाथ सह ने भी लखा ह ''आ दम युग से लेकर आज तक गीतरचना क प म लय, और ताल क वजन पर कई-कई प रवतन ए ह, मगर साथ ही वघटनकारी स यता क दबाव म एक ब त बड़ी त भी ई ह। गीत क आ मा लोको मुखी न होकर अ धका धक प से आ म न होती गई ह, जससे जनसाधरण को बांध पाने क उसक मता का ास आ ह। यह एक ब त नराशाजनक थ त ह और इससे उबरने क लए आज क गीतकार को अपनी व ा और उसक श म पूण व ास रखते ए गीत को गीत क र पर ही जनजीवन म घट रही त दीली म ही अपनी अपेि त भू मका नभानी चा हए।

( अलाव-2०1० )

इससे यह बात प हो जाती ह क हर रचनाकार को वतमान समय क चुनौ तय क अनु प अपनी रचना ि या क अ तव ु, भाषा, छ द और श प क प रवतन को वीकार करक अपने को ासं गक बनाने का यास करना चा हए। नवगीत ही या, क वता क कोई व ा 'लोक से और जनसंवादा मता से कटकर ासं गक नह हो सकती। यह भी सच ह क तगामी यथा थ तवादी वृ तय को इ तहास कभी माफ नह करता। आज सभी गीतकार को अपनी रचनाध मता और छांदस क वता क अ मता क र ा क लए नवगीत क ावा​ान और उसक उपल बय क स बन म पुन: वचार करना चा हए। य द हम सा ह य म ासं गक बने रहना ह तो हम नये जीवन मू य और क वता क सकारा मक बदलाव को भी आ मसात कर लेना चा हए। इसी उ े य से 'नवगीत क नये तमान म नवगीत क बारह मानक का तपादन कया गया ह। गीतका य से ेम करने वाले क वय और पाठक को इन मानक को भी एक बार अव य पढ़ना चा हए। पता-स पादक 'सम चेतना बी-3/163, यमुना वहार, द ी-110053 म . 9868444666

नवगीत क नयी व ु और नये प ने गीतका य को वैचा रक ऊजा दी ह 19


सृजन ि तज

अनुसंधानपरक आलोचना क आचाय: पं. परशुराम चतुवदी उ री भारत क संत-परंपरा' जैसी अभूतपूव शोधक त क णेता पं. परशुराम चतुवदी (25.7.1894-3.1.1979) का ज म जला ब लया, उ र देश क गंगा क कनार थत 'जवह ' नामक गांव म आ था। परशुराम चतुवदी क ारं भक श ा उस दौर म च लत महाजनी प त से ई। पा रवा रक पृ भू म क अनुसार उ ह ारंभ म ही सं कत क भी श ा दी गई। चतुवदी जी क ांर भक श ा उनक जला मु यालय ब लया म तथा आगे क श ा याग म ई। याग म इनक सहपा ठय और म ो म आचाय नर देव, डॉ. धीर वमा, डॉ. बाबूराम स सेना, सु म ानंदन पंत जैसे मनीषी थे। याग से एल.एल.बी. करने क बाद 1925 म चतुवदी ने अपने गृह जनपद ब लया म वकालत शु क । रोजी रोटी क लए वकालत करने वाले चतुवदी जी का मन वकालत म कम और सा ह य क अ ययन और अनुसंधान म अ धक लगता था। य प आरंभ म वे क वताएं लखते थे। गणेश शंकर व ाथ अपने ' ताप' म उनक क वताएं आमतौर पर का शत करते थे। धीर- धीर सा ह य क अ ययन म वे इतने रम गए क क वता पीछ छट गई। इनक अ ययन का मु य े म यकालीन सा ह य था और उसम भी खासतौर पर भ कालीन सा ह य। सबसे पहले 1934 म उ ह ने 'संि रामच रतमानस' का संपादन कया जो ह ानी ेस बाँक पुर से का शत आ। बाद म 'मानस क रामकथा' नाम से यह लंबी भू मका क साथ का शत आ। यह ंथ 'रामच रतमानस' का उसक कथा क आधार पर कया गया आलोचना मक अ ययन ह। इसम व भ देश और भाषा म उपल ध रामकथा का व ृत प रचय और व ेषण ह। यह पु क दो खंड मे ह। एक खंड म भू मका ह और सर म मानस का मूल पाठ दया गया ह। रामकथा पर क त चतुवदी जी क आलोचना कम को देखकर ही कछ व ान ने उ ह ऐ तहा सक- सां क तक धारा का आलोचक माना ह। उ री भारत क संत परंपरा', 'भारतीय ेमा यान क परंपरा', 'संत सा ह य क भू मका', 'कबीर सा ह य

क परख', 'वै णव धम', 'म यकालीन ृंगा रक वृि याँ' , ' म यकालीन ेम साधना' ' ह दी का यधारा म ेम वाह', 'मीराबाई क पदावली', 'सूफ का य सं ह', 'संत का य', 'नव नबंध' आ द उनक मुख आलोचना मक क तयां ह। इस तरह उनका मु य े म यकालीन इ तहास और सा ह य ह। परशुराम चतुवदी क मु य वृि अनुसंधान क ह। सा ह य और इ तहास पर अपना कोण य करते ए वे लखते ह, 'आज हम अपने रा क जीवन या ा क पथ पर एक मह वपूण थल तक आ प चे ह। हमार सामने कछ नवीन सम याएं उप थत ह। आज हम ऐसा लग रहा ह क हमारा भ व य जो प हण करने जा रहा ह वह हमार पूव प र चत आदश से कछ वल ण भी हो सकता ह। ... ऐसा तीत होता ह क हम अपनी न ध क अमू य र नो को भी एक बार फर से परखना होगा। हम अपने चर प र म ारा अ जत उपयोगी संबल को भी कम कर देना पड़गा और आगे क लए कवल उसी को अपनाना होगा जो उसक अनुकल हो।' (भारतीय सा ह य क सां क तक रखाएं, कोण, पृ -4) परशुराम चतुवदी क सवा धक मह वपूण समी ाक त ह 'उ री भारत क संत परंपरा'। इस पु क को हरदेव बाहरी ने उ री भारत क संत और उनक सं दाय का व कोश' कहा ह। संत क परंपरा और उनक ल ण का व ेषण करते ए परशुराम चतुवदी अपनी उ पु क क भू मका म लखते ह, 'कबीर साहब क क तपय पूववत य य म भी संत क अनेक ल ण पाए जाते ह, क तु वे सभी बात उनम पूणत: वक सत ई नह दीख पड़त । कबीर साहब क समय से ऐसे लोग का एक तांता सा लग जाता ह, जो उनसे य प म भा वत न रहते ए भी, लगभग उसी कार का जीवन यतीत करते ह। ये लोग भी पहले वतं साधक ही रहा करते ह, क तु आगे चलकर इनक पंथ वा सं दाय भी बनने लग जाते ह। तब से उनका यान अपनी य गत साधना क ओर से अ धक सामू हक संगठन एवं चार क ओर भी बंटने लग जाता ह और उनका धान ल य मश: छटता चला जाता ह। क तु जस प र थ त ने इस परंपरा को सव थम ज म दया था, उसक

20 अनुसंधानपरक आलोचना क आचाय: पं. परशुराम चतुवदी

ाय: उसी प म वतमान रहने क कारण अंत म महा मा गांधी क नेतृ व म एक नयी लहर एक बार फर जागृत हो उठती ह।' (उ री भारत क संत परंपरा, व य, पृ -1) अपनी इस पु क म चतुवदी जी ने गाँधी जी को भी एक संत माना ह और कबीर साहब से लेकर महा मा गांधी तक क सं दाय का व ृत अ ययन कया ह। अ ययन क लए संत क चयन क आधार का ववेचन करते ए वे लखते ह, 'संत परंपरा क अंतगत स म लत कए जाने वाले संत का चुनाव करते समय सबसे अ धक यान वभावत: उन लोग क ओर ही दया गया ह ज ह ने य या अ य ढग से कबीर साहब अथवा उनक कसी अनुयायी को अपना पथ दशक माना था अथवा ज ह ने उनक ारा वीकत स ांत और साधना को कसी न कसी कार अपनाया था। फर भी यहां कछ ऐसे लोग को भी थान देना पड़ गया ह जो सू फय , सगुणोपासक , नाथपं थय वा अ य ऐसे सं दाय क साथ संब रहते ए भी संत परंपरा म गने जाते आए ह और जो अपने संतमतानुकल स ांत वाली रचना क आधार पर भी उ संत क अ यंत नकटवत समझे जा सकते ह। संत क 'रहनी' म लि त होने वाला 'सहजभाव' एक ऐसी वशेषता ह जो कसी भी असाधारण य क जीवन र को ब त ऊचा कर देती ह। महा मा गाँधी ने कबीर साहब आ द संत क भाँ त पद वा सा खय क रचना नह क और न उनक भाँ त उपदेश देते फरने का कोई काय म रखा। परंतु जस कार उ ह ने अपने नजी अनुभव क आधार पर अपने स ांत थर कए और उ ह अपने जीवन क येक पल म यव त कर दखलाया, वह ठीक उन संत क ही अनुसार था।' ( उपयु , पृ -2) अपनी इस पु क म चतुवदी जी ने कबीरपंथ, नानकपंथ, दा पंथ, बावरी पंथ, मलूक पंथ, बालाजी सं दाय, धामी सं दाय, स नामी सं दाय, धरणी री सं दाय, द रयादासी सं दाय, द रयापंथ, शवनारायणी सं दाय, चरमदासी सं दाय, गरीब पंथ, पानप पंथ, रामसनेही सं दाय, सा हब पंथ, नांगी सं दाय, राधा वामी स संग से लेकर महा मा गांधी जून/जुलाई-2020


सृजन ि तज तक क सैकड़ सं दाय और उनसे जुड़ संत का ववेचन कया ह। नानकदेव, अंगद गु , गु रामदास, गु अजुनदेव, गु हरगो व द, गु तेगबहा र, गु गो व द सह, वीर बंदा बहा र, शेख फरीद, जंभनाथ, सगाजी, भीषनजी, दा दयाल, सुंदरदास, राघोदास, खहरन, धरनीदास, भीखराम, क नाराम, पलट, वामी रामतीथ जैसे कई दजन संत का व ृत प रचय दया ह। इस महान काय क लए उ ह न त प से गांव- गांव, मं दर- मं दर दौड़ना पड़ा होगा। कहा जाता ह क मीरा पर काम करते ए वे मीरा क प रवार क महाराजा अनूप सह से भी मले थे जो आसान नह था। कछ लोग उ ह गड़ मुद उखाड़ने वाला बताकर उनका उपहास उड़ाते थे और न दा करते थे। क तु चतुवदी जी पर इन अपवाद का कोई असर नह आ। पं. परशुराम चतुवदी क एक पु क 'संत का यधारा' नाम से ह जो 1952 म का शत ई। इसम संत-क व जयदेव से लेकर वामी रामतीथ जैसे अनेक संत-क वय क रचनाएं संक लत ह। सं ह क शु आत म चतुवदी जी ने लखा ह क ये संत क व आ म चतन एवं वानुभू त क आधार पर अपनी रचनाएं न मत करते गए। चतुवदी क लेख क एक सं ह का शीषक ह 'नव- नबंध' यानी नई खोज से लखे गए नबंध। व भ प - पि का म समयसमय पर छपे लेख इसम संक लत ह. इन लेख म व वधता ह। शोध-आधा रत ये लेख व ाप त, शेख, आलम, बहारी, देव, घनानंद, बोधा, ठाकर आ द पर क त तो ह ही, भारत काल क हदी क वता म जातीयता जैसे वषय पर भी ह। इसी तरह

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बौ मत क स ारा लखी गई रचना पर भी उनक एक पु क का शत ह जसका शीषक ह। 'बौ स क चयापद'। इस पु क म चयापद क रचनाकार , उनक दाश नक चतन और इन रचना पर समाज-सं क त क भाव पर गहरा शोध कया गया ह। पेशे से वक ल होते ए और ब लया जैसे छोट से शहर म रहने क बावजूद म यकालीन सा ह य और सं क त पर कया गया उनका काय ब त मह वपूण ह। 'उड़ीसा म अव श बौ धम', 'दि ण और उ र भारत का सां क तक आदान- दान', ' सख धम का सां क तक वकास' आ द उनक नबंध जो 'भारतीय सा ह य क सां क तक रखाए'ं मे संक लत ह, उनक आलोचना क त न ध उदाहरण माने जा सकते ह। मीराबाई क मह व को था पत करने वाले वे आरं भक आलोचक म ह। ' मीराबाई क पदावली' शीषक अपनी पु क म उ ह ने मीरा क का य और भ क उपल ध दो सौ पद का पाठा तर और अपे झत ट प णय क साथ व ृत व ेषण कया ह। इसी तरह 'सूफ का य सं ह' म उ ह ने उस समय तक उपल ध मुख सूफ क वय क रचना को पहली बार संक लत ही नह कया अ पतु उसपर व ृत आलोचना मक ट प णयां भी लख । पाठालोचन क े म भी चतुवदी जी ने मह वपूण काय कया ह. उ ह ने 'दा दयाल ंथावली' का पाठ संपादन कया जसे नागरी चा रणी सभा वाराणसी ने स 1966 म का शत कया। य प इसक पूव दा क रचना क कम से कम छ: सं करण काश

म आ चुक थे क तु कबीर क तरह दा क बा नयां भी मौ खक और ल खत दोनो प म उपल ध थी। कबीर क तरह दा भी पढ- लखे नह थे। जा हर ह उनक बा नयाँ भी उनक श य ने ही लखी ह गी। छद और याकरण क ु टयां भी कम नह रही ह गी। इस सम साम ी का बड़ी गंभीरता और पाठालोचन क अ तन णाली का व नयोग करते ए चतुवदी जी ने दा क पाठ को संपा दत करने का ु य यास कया ह। संत का य क संपादन क दौरान चतुवदी जी ने राज थान क पु कालय म उपल ध पा ड ल पय का भी गंभीर अनुशीलन कया ह और ब त सी मौ लक साम ी को ढढ नकाला ह। उनक मू यांकन म क य और श प, दोनो क संतुलन का याल रखा गया ह। इसी तरह ' ह दी का यधारा म ेम- वाह' शीषक अपनी पु क म उ ह ने ह दी सा ह य क आ दकाल से लेकर अपने समय तक क च लत ेम-प तय का वै ा नक ढग से ववेचन कया ह। अ ययन और अनुसंधान म नरंतर लगे रहने वाले चतुवदी जी कभी कसी सं दाय से नह बंधे। अनुसंधान उनका वभाव था। उनका जीवन भी मानवता क क याण क लए सम पत था। 3 जनवरी 1979 को इस अ तम मनीषी का नधन हो गया। हम पं. परशुराम चतुवदी को उनक ज म दन क अवसर पर ह दी सा ह य और समाज क त उनक योगदान का मरण करते ह और उ ह ासुमन अ पत करते ह।

अनुसंधानपरक आलोचना क आचाय: पं. परशुराम चतुवदी

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सृजन ि तज

मन का भरो उड़ान ऐसा क मन का भरो उड़ान ऐसा क गगन समटता जाये अंत - व ार करो इतना क धरती भी छोटी पड़ जाये सबल बनो इतना क अपने कध पर पूरी नया का भार उठा सको जीवन का ऐसा जयगान करो क स दय क सं चत शोक-संताप मृ यु-भय क चत भी न कर पश कार भरो ऐसा क बबर-स ा से भया ांत थमी ई सांस भी अपने हक़ को ले ह पं दत धरती से लेकर अंत र तक कदरत क अ भनव य- च ह आड़ी- तरछी रखाय

नदी-पहाड़ और झरने वन- ांतर नभ म असं य तार ह न ल- ेष से इतर सबक नज- नज ग त- म ह जब क हम ेष-भाव से भर ए अह नश कटते-मरते रहते ह क सत-क टल बबर स ा- सयासत ने कतने वीभ स य खड़ कये ह आज़ धरा पर चलो,उस काल-खंड म जब धरती पर जीवना-प ध उगे थे वह कदरत ही ह जसने मानव को श द- य दये अथ दये भाव और चतन दोन ही साथ-साथ अंतस म उ दत ए

कोरोना पाट बनाम कोरोना क गव ले एक तरफ ;कोरोना पाट क लोग ह खाए, पये और अघाए वे ब त फ त ह और ए टव कोरोना-पव पर सबसे अ धक उ ह ने ही दया ह दान ! आने वाले गणतं - दवस पर उ ह ही मलगे प ी ,प भूषण और भारत र न क वैभवमय पुर कार कोरोना पाट क लोग घर म पक नक मना रह ह न य नई डश और न य नए फशन वे देश क सेलेि टी ह उनक एक ही से फ से कताथ हो जाते ह कोरोना पाट क कायकता वे उनक एक-एक दलकश अदा का घंट तक करते ह बखान कसे बजाई उ ह ने घंटी, कसे जलाई टॉच दीपक क थाली कसी सजाई गईऔर कसे नभाई गई सामा जक री ! कोरोना पाट क लोग घर बैठ कर रह ह करोड़ क बजनेस वे इस बात पर कर रह ह वमश क 22

इस कोरोना -पव को घाट क यापार से कसे बदला जाये नए मुनाफ म इस समय सोना अ धक खरीदा जाये या शेयर यू युअल -फड , जस का भंडारण या फर आगामी दौर म उछाल मारनेवाला ह ठ प पड़ा ॉपट -बाज़ार ? सरी ओर कोरोना- वरोधी पाट क लोग ह न जनक नौकरी बची न टापरी जो नकल पड़ नंगे पाँव महानगर क बीहड़ जंगल से अपने गाँव तक क सु र या ा पर क शायद बचा ले उ ह गाँव क तु बीच रा े म आगई पु लस आगये हा कम- काम बीच रा े म आगई बा रश ,आगये बै रकट भूख आगई रा े म और आगई मौत कोरोना - वरोधी पाट क लोग जानते ह क उनक नाम पर जारी हो रह ह करोड़ -अरब क बजट उ ह यह भी मालूम ह क उनक ह से भी आयगे गे -चावल-आट क कछ क

मन का भरो उड़ान ऐसा क / कोरोना पाट

-राज

साद सह

सचमुच यह कतना व मयकारी ह कदरत ह तो जीवन ह धरती पर जीवन क खा तर कदरत से इतर मानव- न मत सीमा से ऊपर उठकर चलो, हम आज़ भर उड़ान सफ़ इतना क धरती-अंबर और अंत र हम सबक भीतर आकर बस जांय और जब काल कर पश तब शबनम बनकर हम बरस धरती पर ऐसा भरो उड़ान क मानव- न मत सीमाएं खुद मट जांय ऐसा भरो उड़ान।

संपादकः आपका त ा- हमालय सलीगुड़ी। मोः 9434048163

मन

मह नेह

उ ह यह भी अहसास ह क वे सब रात रात बना दए गए ह मज र से भखारी बड़ -बड़ भामाशाह सुशो भत हो रह ह हाथ म लए अ छय-पा सामने हाथ म थाली -कटोरा लए कतार म लगे ह कोरोना क गर त म छटपटाते असं य लोग ज ह अ छी तरह पहचानता ह अ य कोरोना वायरस यही ह वे लोग जो जूझ रह ह ग लय -मोह -अ पताल और सडक पर मु ैद पछड़ी -गरीब बि य म अपना -अपना मोचा जमाये यही ह ,हाँ यही ह कोरोना क शकार कोरोना क संहारक कोरोना क व यु रत कोरोना क गव ले मन ! जून/जुलाई-2020


सृजन ि तज

नीड़ से बछड़ -महश शमा

भुवान क न द लगी ही थी क गाय क रंभाने क आवाज से वापस खुल गई। उसने अंदाजा लगाया रात क बारह बज रही होगी शायद। आसपास देखा एक खाट पर घरवाली पली और उसका 12 साल का लड़का ध नया सोये ए थे। कोने म दो बक रयां बंधी थी। कदील लेक बाहर नकला बाड़ म बंधी गाय र भा रही ह। बाड़ म प चा तो बड़ी आस भरी नगाह से गाय ने भुवान क और देखा। पहले तो कछ समझ नह आया भुवान को, तभी उसे गाय क पांव म पानी लहराता दखा, वो च का! तो या बांध का पानी यहां तक आ पं चा ह? शाम तक तो उसे एसा कोई डर नह था। पानी उसक झोपड़ से 4-5 फट र था और एसी कोई संभावना भी नह थी क पानी आगे बढगा। उसका झोपड़ा काफ उचाई पर था। शायद ऊपर कह पानी गरा हो उसने सोचा, पहले तो त काल गाय को ऊपर क तरफ बांधना पड़गा। उसने गाय को खोला और अपने झोपड़ क परली तरफ ऊपर क ओर बाँध दया। फर कछ चारा डाला। गाय भी अब आ होक आराम से बेठ गई थी। भुवान वापस अपनी खाटली पे आकर लेट गया सोने क को शश क ले कन न द उससे कोसो र थी। उसे लगा शायद परलय इसी को कहते ह। धम शा म जो लखा ह, चारो ओर पानी ही पानी ले कन ये परलय भगवान ने तो नह भेजा ये तो जले क बड़ अफसर ने भेजा ह। एक नह ब त से अफसर कोई जमीन नापने वाला, कोई बाँध बनाने वाला, कोई चेक दे क जमीन से बेदखल करने वाला। या ये सब भगवान क त ह जनको भगवान ने परलय लाने का ठका दया ह? भुवान क मोटी बुि म कछ नह आया। सोचते सोचते उसक आँख म बड़ बड़ आंसू ज र आ गये, और याद आ गया पुर गाँव का न शा, कहाँ या था? सफ एक बरस पहले क ही तो बात ह, उसका गाँव इलाक का एक अ छा संप गाँव था छोट बड़ 5०-6० टापर थे सभी उसक जाती बंधू थे। उसका गाँव वरग जैसा भले ना हो पर नया म उसे सबसे अ छा लगता था। जून/जुलाई-2020

बीच गाँव म माता माँ का ओटला जसक आसपास रोज सुबह गाँव भर क ढोर इक हो कर गुवाल क साथ चरने जाते थे जहां वो अपनी गाय और बेल छोड़ने जाता था और दो घंट सुबह क धूप म बैठ कर सा थय से ग पे हांक कर वापस आता था। ओटले क पास मैदान म दन भर और शाम को भी गाँव क छोट बड़ ब े धुल म दोड़ने, छपाछोई, गु डडा और सर खेल खेलने म अपना मनोरंजन करते थे समय बताते थे। उसने झोपड़ क बाहर आकर चारो तरफ नजर डाली, कह पता नह था उस माता माँ क ओटले का ढर पानी म डब गया था वो। उसे आ य आ माता माँ भी इन कलयुग क परलय लाने वालो से हार गई कछ ना कर सक ? और चौधरी का वो आम का बगीचा जसक आम हर साल गाँव क या छोट या बड़ दन भर कभी चोरी से कभी चोधरी से पूछ कर, कभी खरीद कर चूसा करते थे वो सब भी इस जल परलय म समा गया। भुवान को पछली तीन पीढी क याद ह, उसक बाप दादा, परदादा इसी गाँव म रह उसी 4 बीघा जमीन क टकड़ म अपना भरन पोषण करते ए ज दगी पूरी कर दी ना जाने उसने या पाप कया था जो उससे उसका गाँव छट रहा ह उसक जमीन छट रही ह और अब ये झोपड़ा भी छोड़ना पडगा। उसे जमीन का मुआवजा मला ह और वो अभी भी बक म जमा ह। सरकार ने कहा था क तु ह खूब पैसा दे रह ह नई जगह जमीन खरीदो नई जगह मकान बनाओ और मजे म रहो, पर मजे म कसे रहो? हमारा वो भे बापजी का मं दर, माता माँ का ओटला, वो गाय ढोर क पीने क पानी का तालाब, हरी काका का लंबा चोडा मकान, वो अमराई, पीपल क पेड़ क नीचे क चोपाल जंहा गाँव क लोग ताश खेलते थे और रात म ग पे हांकते थे। वो सब कहाँ गए? उनका या होगा? या एसे ही चलते फरते कसी को कह से भी उठा दो और कह भी बसने का कह दो? या ये इतना सरल ह? या द ी क सरकार चलते फरते द ी से उठकर कह भी बस जाएगी? भुवान का मन बड़ा कसेला और व ोही हो उठा, पर

वो जानता था क इन जा लमो क आगे उसक नह चलेगी आठ दन पहले नीचे वाले फ लए क सभी लोगो को पु लस जबरन पकड़ क ले गई थी और उनका सामान टर म डाल क 15-2० कलोमीटर र छोड़ आई थी कह रह थे वहां मकान बनाने क जमीन सरकार मु त म दे रही ह। वो तो उसका झोपड़ा टकरी पर ह और उसक अज दे देने से उसको 8-1० दन क छट मली ह नह तो उसको भी जबरद ी यहां से उठाक कह भी पटक दगे, कहगे यही तु हारा गाँव ह अब यहां रहो। और जमीन? वो कहां खरीदगे? सरकार बोली जहाँ मले वहां खरीदो हमको कोई मतलब नह । अचानक उसक नजर ध नया पर पड़ी आज दनभर वो रोता रहा उसका कल डब गया। कल क और गाँव क चार पांच संगी सा थयो क झोपड़ भी डब गए और वो जाने कहां चले गए। अब उनका कोई दो भी नह बचा। वो कसक साथ खेले? कहां पड़ने जाए? भुवान ने उसे बड़ी मु कल से चुप कया। समझाया क तेर संगी साथी वापस मल जायग। ले कन कसे मलगे वो नह जानता। झोपड़ से लगी उसक चार बीघा जमीन जो सोना तो नह उगलती थी पर पुर प रवार का पालन करती थी। घर से लगी ई धरती माता, वो भी उससे र हो गइ। जमीन क सोचते ही उसक भराई सांसो ने हचक का प ले लया। और तभी चला खांसी का दौर। पास म सोई पली उठ बेठी देखा भुवान ब े जेसा हच कया भर रहा था। पली ने भुवान क नजदीक आकर समझाया य रोज रोज रोते हो, मन छोटा करते हो मरद हो ज़रा धीरज रखो, भगवान जहां भेजेगा वह रहगे जेसा रखेगा वेसे रहगे, इनका नाश होगा जो हमार घर जमीन छडा रह ह। नाश श द से भुवान को याद आया कोई मं ी गाँव म आया था एक बरस पहले वो भाषण दे रहा था तो कह रहा था क ये बाँध तु हार वकास क लए बना रह ह इससे चारो तरफ खुशाली होगी, तु हारा जीवन सुखी होगा वरग जैसा। पर उसक सब बात उलटी नकली। हांला क चोधरी क बेट दनेश ने जो शहर म पड़ता ह उसने ज र समझाया था क भुवान काका नीड़ से बछड़

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सृजन ि तज सरकार सही कर रही ह। इस बांध से हमार आसपास क ब त सार गाँव स चत हो जायगे फसल अ छी होगी, खुशहाली बढ़गी। पर हमारा या होगा? जब भुवान ने पूछा तो वो नई उ का छोरा बड़ी बे फ से बोला हां तु हारा ज र गाँव छटगा, घर छटगा और तुमको सरी जगह जाना पड़गा। तभी भुवान गु सा खा गया, इसको वकास कहते ह? हमारी ब ल लेक सरो का वकास? तो हमारा या दोष? हमारी या गलती ह? ये तो अ याय ह इनको या हक़ ह कसी को बबाद करक सरो को आबाद करने का? अर भुवान काका, दनेश ने फर समझाया, तुमको खूब पैसा मलेगा शहर जाक रहना नई जमीन खरीदना नया घर बनाना। ले कन भुवान को ये गोरख धंदा सही नह लगा क कसी को भी बना उसक मज क बबाद कर दो सरो क फायदे क लए उसक वकास क क मत पे हम अपना घर य छोड़? दनेश चड़कर बोला, तुम लोग तो अनपढè देहाती हो जरा सी जमीन का टकड़ा छट रहा ह तो पैसा भी मल रहा ह फर भी रो रह हो। इतने पे म तो इससे अ छी जमीन मल जाएगी। भुवान ने फर अडगा लगाया, ठीक ह म अनपढè देहाती ज़रा सी जमीन क टकड़ वाला बेवकफ जो रो रहा पर तेर बापू! चोधरी काका तो पढ़ लखे ह यादा जमीन क मा लक ह उनको तो पैसा भी खूब मल रहा ह फर? मेर को मालूम ह आठ दन हो गए ह ढग से रोटी खाए, और रात को मुंह छपा क बसूरते रहते ह, या वो भी पागल ह? अब दनेश भी चुप था इसका कोई जवाब उसक पास नह था। भुवान क वचारधारा भंग ई। पली पीठ पे हाथ धर समझा रही थी भुवान कछ शांत आ इतना कछ सोचते सोचते कब न द लग गई उसे पता नह चला। सुबह सुबह न द खुली पुर झोपड़ म सूरज का उजाला फल गया था बाहर नकल कर उसने अपने सरगलोक को देखा जो धीर-धीर जल परलय म डबता जा रहा था चारो तरफ सुबह का उजाला फला था मंद मंद बयार चल रही थी पर कोई संगी साथी आसपास नजर नह आ रह थे, नीड से बछड़ कोई ढोर ढकर नह । कवल उसका और दो तीन सर झोपड़ बचे थे और 8-1० ाणी बचे थे ज ह 2- 4 दन म ये सब खाली करना था। उसी दन उसक साथी दीपला का लड़का बनवारी आया था वो बता रहा था , भुवान काका तुम भी वहाँ आ जाओ जहां हमने नया झोपड़ा बनाया ह। 24

नीड़ से बछड़

अ छा कसा ह र वहां? भुवान बड़ी दलच पी से पूछने लगा। अर काका वहां तो सरकार ने नया हडपंप भी खुदवा दया ह नई सड़क बनाने को गS◌ीप थर भी डलवा दए ह माता माँ का नया ओटला भी बनवा रह ह। शाम को अ छी ब ी हो जाती ह वहां। और कोई बता रहा था क वहां सब सु वधा मलेगी। पर... काका एक बात तो ह। भुवान ने बनवारी का चेहरा गोर से देखा जो उदास लगने लगा था या बात ह र बनवा? कछ भराए गले से बनवारी बोला काका वहां ज़रा भी अ छा नह लगता, मेर को 1०-12 दन हो गए वहां रहते ए पर यहां क ब त याद आती ह। वहां सड़क कनार सु वधा म रहते ए भी इस गाँव क मेर डबे ए झोपड़ क ब त याद आती ह। अगर सरकार सार पेसे वापस ले ले और यहां बसने दे तो हम दोड़ते ए आ जाये। बस यही तो धरती माता का पु य परताप ह भुवान बोला ये हमारी माँ ह और माँ को हम कसे भूल जाए यह बात पूरी करते करते भुवान का वर धीमा हो गया था आ खर उसे भी दो तीन दन म यहां से जाना ही ह। ध नया भी बनवारी से मलकर ब त खुश आ उसने बनवा को वह एक दन क लए रोक लया। रात को अचानक बड़ जल र ने जले क अ धका रय को चता म डाल दया था, और प रणाम वही आ जसका भुवान को डर था। दोपहर होते-होते जला अ धकारी क एक जीप सर अफसर क एक और जीप और एक खाली टर ाली साथ म कछ पु लस वाले भी गाँव म आ धमक, गाँव या उस समु कनार झोपड़ क पास। तीनो झोपड़ वालो को अ टीमेटम दया एक घंट म सामान समेटो नह तो हम टर ाली म भर कर सब सामान ले जायगे। मजबूरी थी। भुवान पली और ध नया ने सामान बाँधना शु कया। आँख से गरते आंसू और भराये गले से भुवान, पली और ध नया को सामान बाँधने का बोलता जा रहा था वेसे गरीब का सामान या सामान? फर भी कछ अनाज कछ कपड कछ बतन, पुराने ब र दो खटली आ द। जब ये सामान टर म रखा जा रहा था तब अफसर लोग सामने फ़ले पानी क व ार का वहगम य देख रह थे उ ह सारा यू ब त सु दर और रोमांचकारी लग रहा था वे इस पुर लय क ोजे ट को सफलता क नजदीक प चते देख स हो रह थे। सर अगली बार पक नक क लए ये लेस ब त अ छी रहगी। हां गु ा हम तो बड़ साब को एक शानदार पाट यह दगे, वो भी म हो

जायगे यहां क नज़ार देख-देख क। अफसर लोग पक नक का लान कर रह थे ले कन उनक इस चचा म इन सार नीड से बछड़ कतने गरीब लोगो क जीवन म आये तूफान का कोई ज नह था। सारा सामान, पली और ध नया तथा बनवारी को टर पर चढा कर भुवान ने दोन बकरी भी टर म चढा दी और गाय को खुद लेकर चलने क सोची। अ धकारी ने आदेश दया, तुम गाय को लेकर आगे चलो हम लोग आ रह ह। भुवान गाय क र सी पकड़ कर चला। चलने से पहले पलट कर अपने झोपड़ क और देखा जो सामान से तो खाली हो चूका था ले कन जहां भुवान क तीन पी ढय ने अपना जीवन बताया था। जहां भुवान क कतने ही सुख :ख भर दन गुजर थे। और आज भी जहां क लए भुवान का दल धड़क रहा था। जाते ए टर से पली और ध नया भी अपने से र जाते अपने राजमहल को देख रह थे। तभी एक अ धकारी बोला, सर इस पीड से वाटर लेवल बड़ा तो कल तक ये झोपड़ा भी पूरा डब जायेगा। इन श द से भुवान का दल सहर गया। ले कन मजबूर गाय को लेकर चला, गाँव क इस छोर तक तो गाय बड़ आराम से चली पर सड़क आते ही वो अड़ गई। भुवान खूब ट च रहा था पर गाय वापस झोपड़ क ओर जाने क को शश कर रही थी बड़ा जोर लगाना पड़ा भुवान को गाय को आगे धकाने क लए। तभी पीछ आती जीप म बेठा अफसर बोला, ए भुवान चलो ज दी चलो, अब उस झोपड़ का मोह छोड़ो नई जगह क सोचो। भुवान ने गाय को खच कर आगे बढाया। अब वो उस अ धकारी को कसे बताये क जब एक चार पाँव का मूक जानवर भी अपने नीड को इतना पहचानता ह यार करता ह, और उसे छोड़ने म इतना दद महसूस करता ह तो फर वो तो आदमी ह, कसे उस जगह को भूल जाये? जहां उसक सुख :ख, उसक दन रात, उसक संगी साथी सब थे जहां उसक तीन-तीन पीिढ़या। भुवान ने सोचना बंद कया यो क सोचते सोचते वो चल नह पा रहा था उसक आँखे आंसुओ से भीगने लगी। उसने जी कडा कर गाय क र सी खची और सड़क क तरफ बदने लगा। धार, जला धार म. . मो: 934०1-98976

जून/जुलाई-2020


सृजन ि तज

जीवन-या ा गतांक से आगे

‘'आप बड़ ानी जान पड़ते ह। आपक हर एक बात यक़ नन सोचने व समझने लायक लगती ह। अ छा, आज से म भी आपको तुम ही कहकर स बो धत कया क गी, य क म आपसे कसी कार का र व नह रखना चाहती ।'' ''इससे मुझे कोई ऐतराज नह ह।'' नूरी ने उ सुकतापूवक दयाशंकर क चेहर पर अपनी नज़र डाली और खूब गौर से उसे देखने लगी...। दयाशंकर का मन ब कल साफ़ था, पारदश व प व । नूरी क लए उसक चतवन को पढ़ना ज़रा भी क ठन नह रहा। अभी वह कछ कहना चाह रही थी क दयाशंकर ने बीच म पूछ लया, ''अभी तक तु हार अ बाजान नह आये?'' नूरी मौन रही। दयाशंकर ने दीवाल घड़ी क ओर देखा, उसम नौ बज रह थे। वह नराश होकर बोला, ''देर हो रही ह,अब म चलूं?'' '' या अ बाजान से पये लेने का इरादा नह ह?'' ''वैसे तु हार अ बाजान से तो मेरा कोई प रचय भी तो नह ह। मेर पास सफ़ रहीम का एक खè त था, उसे भी तुमने फाड़कर फक दया। या बना जानपहचान क वे मुझे पये दगे!'' ''आपका मुझसे तो प रचय ह न, य द म कज दे ं तो कोई हज ह?'' ''तुम मुझे कज दोगी?'' ''आप चाहते या ह, पये खैरात म ं?'' ''मेर कहने का मकसद यह नह ह। खैरात कौन कसको देता ह? नया कसी को तीन देती ह तो तेरह वसूल लेती ह। अ छा,तो तुम भी कज देती हो? समझा।'' '' या कज देना कोई गुनाह ह?'' दयाशंकर ोध से झ ाकर उठ खड़ा आ और बोला''बस करो, अब। ब त हो गया। कह रहा कछ और तु हार समझ म कछ और ही आ रहा ह।'' '' आप उठ य गय?े यह मेरा घर ह और आप इसका याल रख क मेरी अनुम त क बना एक कदम भी आगे नह बढ़ा सकते।'' वह ह क झझक क साथ पुन: कस पर बैठ गया। उसने कभी व न म भी यह नह सोचा था क नूरी अ दर से इतना शा तर दमाग़ क लड़क होगी। ''सादा कागज आपक सामने पड़ा आ ह, उस पर आप अपना ह ा र क जए और झट-पट बताइए जून/जुलाई-2020

भाग दस

क आपको कतने पये चा हए?'' नूरी ने पूछा। '' या पये क लेन-देन का काय मु खया साहब ने तु ह ही सुपुद कर दया ह?'' '' या आपने सोच रखा था क मु खया साहब यह काम आपको सुपुद कर दगे?'' नूरी हा जर जवाब थी। दयाशकर को नूरी पर गु सा आ रहा था। वह अपने ोध को न रोक सका। ''तुम या समझती हो, म भीख मांगने आया ? म कज लेने आया । और यह भी मुझे मालूम ह क मुझे प ह क तीस देने पड़ सकते ह। अभ हो तुम, इस लए मुझे जलील कर रही हो। अगर मुझे यह सब पता होता तो,म यहां कभी नह आता।'' हालां क व ु- थ त का ान होते ही उसने तुरंत अपना सर नीचे झुका लया। यह सोचकर वह भीतर ही भीतर थोड़ा डरा भी क कह इस बात क जानकारी मु खया साहब को न हो जाय। उसे मु खया साहब क ोध का पता पहले से ही था। उसका सारा शरीर भय से थर-थर कांपने लगा। चेहर पर पसीने क बूंद झलकने लग । ''आप चुप य हो गय?े और आगे कछ क हए। 'अभ ' तक तो प च गय,े और कोई नया श द...?'' दयाशंकर का पूरा शरीर पसीने से तर ब तर हो गया। वह य पये मांगने यहां आया। रहीम भी कसा आदमी ह, जो बना सोचे समझे यहां भेज दया। ओह! ...मुझे भी या पड़ी थी इतनी बहस करने क । जब काम नह आ तो चुपचाप घर चले जाना चा हए था। फजूल क बात म पड़कर काम खराब कर दया। इ ह वचार म वह उलझ गया। इतने म नूरी ने फर उसे टोका। ''आप चुप य हो गय?े कछ और खरी-खोटी सुनाइए। आप हमार पू य अ त थ देव जो ठहर।'' ''मुझसे बड़ी गलती हो गयी ह नूरी। मुझे मा कर दो। मेरी मान सक थ त इस समय एकदम बगड़ गयी ह। मने कसे तु ह 'अभ ' कह दया, इसे म भी खुद सोच नह पा रहा । प र थ तय क भीषण दबाव क कारण मेरी बुि हो गयी ह।'' यह कहते-कहते दयाशंकर उदास होकर और रो पड़ा। कमल क स श मुलायम हाथ क पश ने दयाशंकर को च का दया। नूरी अपने माल से उसक अ ु प छने लगी। ''आप तो मुझे नादान कह रह थे ले कन मुझे ऐसा एहसास हो रहा ह क नादान आप भी ह। बात-बात

डॉ राजे

साद सह

म औरत क समान रोने क आदत आपको कसे पड़ गयी ह? अ छा, अब मुझे माफ क जए। म ब त देर से आपको परशान कर रही । या आप बता सकगे क आपको कतने पय क ज रत ह? प ह पये से काम चल जायेगा या यादा दे ं?'' दयाशंकर न र बैठा रहा। ''अ छा,आपको प ीस पये दये देती ।'' यह कहते ए नूरी ने उसक हाथ म प ीस पये थमा दये और बोली इ ह लौटाने क ज़ रत नह आपको। ये पये मेर अपने ह। दयाशंकर ने आ ह े से यथा भर श द म कहा, ''यह कागज लाइए, म अपने ह ा र कर ं। एक महीने बाद आपक पये सूद क साथ लौटा ंगा।'' नूरी ने िफ़र अपनी बात दोहरायी, ''आपको लौटाने क ज रत नह ह, न ही कसी पेपर पर ह ा र करने क । '' ''अब आप जा सकते ह। म आपको पहचानती । हां, सफ एक बात याद रह क मने जो पये दये ह, यह बात कसी को पता नह चलनी चा हए। मुझे आप पर व ास ह।'' ''तो म जाऊ?'' ''मेर लायक कोई और सेवा?'' ''इससे बढ़कर कोई सरी सेवा या हो सकती ह। तुमने मेरा ब त बड़ा उपकार कया ह।'' दयाशंकर ने कहा। ''अ छा अब आप जा सकते ह। हां एक बात का याल अव य रह क आते-जाते र हयेगा।'' ''अव य, अव य...।'' यह कहते ए दयाशंकर झट कमर से नकलकर सामने रा े क ओर बढ़ गया। नूरी भाव व ल होकर खड़क से दयाशंकर को जाते देखती रही। 'मां क त कतनी ममता ह! ध य ह वह मां, जसने ऐसा सुपु पाया ह! मां क ज दगी क वा े कज! मुझे अफसोस ह क मने उसक दय को चोट प चायी। लगता ह क वह वप ाव था म ह! उसक मदद अव य करनी चा हए। ऐसे स दयी को तो मने कभी देखा ही नह । इ ह सब वचार म नूरी ब त देर तक उलझती रही। राि क भोजन का समय बीत चुका था, इसे वह भूल गई थी। तभी नौकर क आवाज ने उसक दमाग को झटका दया। वह झटपट पु क को दराज म रखकर चल दी। मशः

धारावा हक उप यासः जीवन-या ा 25


अतीत क वातायन से

धरती पर जीवन

गतांक से आगे

रोमन गणतं का पतन और रोमन सा ा य का उ कष

रोम म सीजर ारा स ा पर अ धकार 1.रोम म सेनानायक क भाव म वृि : रोम ारा पराये देश जीतने क यु और रोमन सेना क भाड़ क सेना बन जाने क कारण सेनानायक क श और भाव क वृि ई। यु चलाने क लए सेनेट को आदेश मलने पर सेनानायक अपने लए सेना खुद ही जुटाते ◌ो। सै नक को उनसे वेतन और लूट क माल म ह सा मलता था। सै नक कवल अपने सेनानायक क मातहत होते ◌ो और वह जससे लड़ने को कहता, उससे लड़ने को तैयार रहते ◌ो। ब त से दास वामी सोचते ◌ो क कोई वीर सेनानायक ही, जसक पास श शाली सेना हो, दास और गरीब क असंतोष और वरोध को कचलने म क सुल और सेनेट से अ धक सफल हो सकता ह। इसक लए उपयु य उ ह पांपी लगा, जो अपने वजय से और 71 ईशापूवã म दास का नमम दमन करने क कारण काफ़ या त अ जत कर चुका था। रोम म स ा पर अ धकार क लए जू लयस सीजर भी को शश कर रहा था। उसका ज म एक सं ांत पे ी शयन प रवार म आ था। युवाव था म ही वह स ा और क त क वपY देखने लग गया था। उसे रोम क द र वग से नफ़रत थी, कतु अपने वाथ सि क लए वह उसे इ ेमाल भी करना चाहता था। इस लए वह गरीब को मु त अनाज बांटने क मांग करता था और उनक मनो वनोद क लए ले डयेटर क दंगल आयो जत करवाता था। वह क सुल चुना गया और 58 ईसापूवã म गाल देश का गवनर नयु अ। 2.गाल देश क वजय: गाल लोग पो नदी क घाटी और आधु नक ांस क ्◌ो म रहते ◌ो। वे अनेक क़बील म बंट ए ◌ो और आपस म लड़ते रहते ◌ो। सीजर क गाल का गवनर नयु होने तक कवल पो नदी क घाटी और भूम यसागर का तटवत भाग ही रोम क अ धकार म ◌ो। सीजर ने सार ही गाल देश पर क़ ज़ा करने क लए यु छड़ दया। यु आठ वष तक चलता रहा। सीजर ने अपने को एक अथक यो ा और तभाशाली सेनानायक स 26

धरती पर जीवन

कया। उसने कछ सं ांत गाल को अपने साथ मला लया। वे उसक लए खुिफ़या गरी और अपने वना छा दत व दलदली देश म मागदशक का काम करते ◌ो। गाल अपने वतं ता बनाये रखने क लए बड़ी वीरता से लड़, मगर अपनी भारी सं या क बावजूद सै य-संगठन से अप र चत होने क कारण रोम यु म तपी ई लीजन क सामने न टक पाये। रोमन ने सार गाल देश पर अ धकार कर लया, लाख गाल को दास बनाया और उनक प व थल को लूटा, जहां देवता को चढ़ाया आ ब त सा सोना रखा था। इस लूट से सीज़र अब अपने सै नक को अ धक वेतन दे सकता था। उसने उ ह ज़मीन भी देने का वायदा कया। रोम म उसक ओर से तरहतरह क तमाश का आयोजन कया गया और ग़रीब को अनाज बांटा गया। 3.रोम म स ा पर आ धकार क लए यु : गाल देश क वजय क बाद सीजर क पास श शाली और वफ़ादार सेना, महान सेनानायक क त ा और अपार संपदा, सब कछ हो गया था। 49 ईशापूवã म सीजर ने अपने सेना क साथ रोम क ओर कच कर दया। सेनेट क पास उससे कह बड़ी सेना थी, मगर वह ांत म बखरी पड़ी थी। सेनेट ने सेना का संचालन पांपी को स पा। कतु सीजर ने सब कछ इतनी ज दी कया क पांपी को रोम क र ा का बंदोब करने का समय भी न मल पाया और उसे रोम छोड़कर बा कन चले जाना पड़ा। दास वा मय और गरीब का एक भाग सीजर का समथक बन गया। रोम क गरीब वग को आशा थी क सीजर उनक हालत म सुधार करगा। सीजर क सेना का मुकाबला करनेवाला चूं क लगभग कोई न था, इस लए उसने शी ही रोम और सार इटली पर अ धकार जमा लया। बा कन ाय ीप पर पांपी ने जैसे-तैसे एक बड़ी सेना जुटायी, कतु उसका पीछा करती ई सीजर क लीजन ने इस सेना को परा जत करक ह थयार डालने पर मजबूर कर दया। पांपी ने भागकर म म शरण ली, कतु शी ही वहां उसक ह या कर दी गयी। सीजर को और तीन वष ए शया, अ का और पेन म अपने त ंि य से लड़ना पड़ा।

योदोर कोरो कन

सीजर क समथक और पांपी क समथक क लड़ाई रोम क नाग रक क बीच लड़ाई थी। रोम क इ तहास म यह लड़ाई गृहयु क नाम से जानी जाती ह। 4. सीजर का रोम का महा धप त बनना: गृहयु म वजय पाने क बाद सीजर रोम लौट आया। उसे अब असी मत स ा ा हो गयी। सेनेट और क सुल चुपचाप उसका आदेशपालन करने लगे। उसने अपने को इपेरटर, यानी आदेशदाता घो षत कया। रोम म इस नाम से यु काल म सेनानायक को संबो धत कया जाता था। सीजर ने उसे अ थायी तौर पर नह , थायी तौर पर धारण कर लया। सवश मान अ धनायक को स ाट जैसा स मान दया गया। स क पर उसका च बनाया जाने लगा, उसक मू त देवी-देवताओ क मू तय क साथ रखी जाने लगी। वह सेनेट म हाथीदांत और सोने क कस पर बैठता था। सीजर ने अपने सै नक को तो मु ह से पुर कत कया, मगर गरीब क आशा पर पानी फर डाला। उ ह पहले जतना अनाज मलता था, उसक मा ा भी घटाकर आधी कर दी गयी। 5.सीजर क मृ य:ु सेनेटर म से कई सीजर क एकतं ीय शासन, यानी एक य क शासन से असंतु ◌ो। वे रोम म अ भजाततं ीय गणतं सुरि त रखना और स ा अपने हाथ म बनाये रखना चाहते ◌ो। इन सेनेटर ने एक ष ं रचा। उसका नेता बू्रटस नाम का एक धनी और सं ांत दास वामी था, जो सीजर का म माना जाता था। 44 ईशापूवã म सेनेट क अ धवेशन क दौरान षडñ ◌ं का रय ने सीजर को ◌ोर लया और अपने व क नीचे छपाये ए छर नकालकर सीजर पर 23 वार कये, जनक घाव से उसक वह मृ यु हो गयी। रोम म एकतं ीय शासन कायम करने का सीजर का यास असफल रहा, कतु उसने यह दखा दया क रोम क गणतं ीय यव था कतनी कमजोर थी। मश:

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पयटन

ऐ तहा सक नगर व दशा वशेष त न ध,आपका त ा- हमालय : भारत क म य देश ा त म थत एक मुख शहर ह। यह मालवा क उपजाऊ पठारी े क उ र-पूव ह से म अव थत ह तथा प म म मु य पठार से जुड़ा आ ह। ऐ तहा सक व पुराता वक कोण से यह े म यभारत का सबसे मह वपूण े माना जा सकता ह। नगर से दो मील उ र म जहाँ इस समय बेसनगर नामक एक छोटा -सा गाँव ह, ाचीन व दशा बसी ई ह। यह नगर पहले दो न दय क संगम पर बसा आ था, जो कालांतर म दि ण क ओर बढ़ता जा रहा ह। इन ाचीन न दय म एक छोटी-सी नदी का नाम वैस ह। इसे व दशा नदी क प म भी जाना जाता ह। भौगो लक थ त: इसक भौगो लक थ त बड़ी ही मह वपूण थी। पाट लपु से कौशा बी होते ए जो यापा रक माग उ यनी (आधु नक उ ैन) क ओर जाता था वह व दशा से होकर गुजरता था। यह वे वती नदी क तट पर बसा था, जसक पहचान आधु नक बेतवा नदी क साथ क जाती ह। बेतवा क सहायक नदी धसान नदी क नाम म अव श ह। कछ व ान इसका नामाकरण दशाण नदी (धसान) क कारण मानते ह, जो दस छोटी-बड़ी न दय क समवाय- प म बहती थी।

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महाभारत, रामायण एवं ाचीन सा ह य म व दशा: इस नगर का सबसे पहला उ ेख महाभारत म आता ह। इस पुर क वषय म रामायण म एक परंपरा का वणन मलता ह जसक अनुसार रामच ने इसे श ु न को स प दया था। श ु न क दो पु उ प ये जनम छोटा सुबा नामक था। उ ह ने इसे व दशा का शासक नयु कया था। थोड़ ही समय म यह नगर अपनी अनुकल प र थ तय क कारण पनप उठा। भारतीय आ यान, कथा एवं इ तहास म इसका थान नराले तरह का ह। इस नगर क नैस गक छटा ने क वय और लेखक को ेरणा दान क । वहाँ पर कछ वदेशी भी आये और इसक वशेषता से भा वत ए। क तपय बौ थ क वणन से लगता ह क इस नगर का स ब ध संभवत: कसी समय अशोक क जीवन क साथ भी रह चुका था। इनक अनुसार इस नगर म देव नामक एक धनीमानी सेठ रहता था जसक देवा नामक सु दर पु ी थी। अपने पता क जीवनकाल म अशोक उ यनी का रा यपाल नयु कया गया था। पाट लपु से इस नगर को जाते समय वह व दशा म क गया थां देवा क प एवं गुण से वह भा वत हो उठा और उससे उसने ववाह कर लया।

इस रानी से मह नामक आ ाकारी पु और संघ म ा नामक आ ाका रणी पु ी उ प ई। दोन ही उसक परम भ थे और उसे अपने जीवन म बड़ ही सहायक स ये थे। संघ म ा को बौ थ म व दशा क महादेवी कहा गया ह। का लदास क मेघ त म: इस नगर का वणन का लदास ने अपने सु स थ मेघ त म कया ह। अनेक अनुसार यहाँ पर दशाण देश क राजधानी थी। वासी य अपने संदेशवाहक मेघ से कहता ह- अर म ! सुन। जब तू दशाण देश प चेगा, तो तुझे ऐसी फलवा रयाँ मलगी, जो फले ए कवड़ क कारण उजली दखायी दगी। गाँव क म दर कौ आ द पि य क घ सल से भर मलगे। वहाँ क जंगल पक ई काली जामुन से लदे मलगे और हस भी वहाँ कछ दन क लये आ बसे होग। ह म ! जब तू इस दशाण देश क राजधानी व दशा म प चेगा, तो तुझे वहाँ वलास क सब साम ी मल जायेगी। जब तू वहाँ सुहावनी और मनभावनी नाचती ई लहर वाली वे वती (बेतवा) क तट पर गजन करक उसका मीठा जल पीयेगा, तब तुझे ऐसा लगेगा क मानो तू कसी कटीली भौह वाली का मनी क ओठ का रस पी रहा ह। वहाँ तू प च कर थकावट मटाने क लये 'नीच' नाम

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क पहाड़ी पर उतर जाना। वहाँ पर फले ए कद ब क वृ को देखकर ऐसा जान पड़गा क मान तुझसे भट करने क कारण उसक रोम-रोम फरफरा उठ ह । उस पहाड़ी क गुफ़ा से उन सुग धत पदाथ क ग ध नकल रही होगी, ज ह वहाँ क र सक वे या क साथ र त करते समय काम म लाते ह। इससे तुझे यह भी पता चल जायेगा क वहाँ क नाग रक कतनी वतं ता से जवानी का आन द लेते ह। का लदास क इस वणन से लगता ह क वे इस नगर म रह चुक थे और इस कारण वहाँ क धान थान तथा पुरवा सय क सामा जक जीवन से प र चत थे। माल वका न म म: शुंग क समय म इस नगर का राजनी तक मह व बढ़ गया। सा ा य क प मी ह स क देख-रख क लए वहाँ एक सरी राजधानी भी था पत क गई। वहाँ शुंग-राजकमार अ न म स ाट क त न ध (वाइसराय) क प म रहने लगा। यह वही अ न म ह, जो का लदास क 'माल वका न म ' नामक नाटक का नायक ह। इस थ म उसे वै दश अथा व दशा का नवासी कहा गया ह। उसका पु वसु म यवन से लड़ने क लये स धु नदी क तट पर भेजा गया था। देवी धा रणी, जो अ न म क धान म हषी थ उस समय व दशा म ही थ । 'माल वका न म ' म अपने पु' क सुर ा क लए उ ह अ य त याकल दखाया गया ह। शुंग क बाद व दशा म नाग राजा रा य करने लगे। इस नाग-शाखा का उ ेख पुराण म आ ह। इसी वंश म गणप तनाग आ था, जसक नाम का उ ेख समु गु क याग- शि म आ ह। वह बड़ा परा मी लगता ह। उसक रा य म मथुरा का भी नगर स म लत था। वहाँ से उसक स क मले ह। कछ लोग का अनुमान ह क जब समु गु उ री भारत म द वजय कर रहा था उस समय वहाँ क नव राजा ने उसक व एक गुटब दी क , जसका नायक गणप तनाग था। ऐसा गुट सचमुच बना या नह , इस वषय म हम ब त न त तो नह हो सकते। पर इतना प ह क उस समय क राजमंडल म गणप तनाग का नाम बड़ ही आदर क साथ लया जाता था। भर त क लेख से लगता ह क व दशा क नवासी बड़ ही दानी थे। वहाँ क एक अ भलेख क अनुसार वहाँ का रव त म नामक एक नाग रक भर त आया आ था। उसक भाया चंदा देवी ने वहाँ पर एक भ का नमाण कया था। भर त क अ य लेख म व दशा क क तपय उन नाग रक क नाम मलते ह, ज ह ने या तो कसी मारक का नमाण कया था या 28

ऐ तहा सक नगर व दशा

वहाँ क मठ क भ ुसंघ को कसी तरह का दान दया था। इनम भूतरि त, आयमा नामक म हला तथा वे ण म क भाया वा शक आ द मुख थे। कला क े म इस नगर का मह व कछ कम नह था। पे र लस नामक वदेशी महाना वक क अनुसार वहाँ हाथी-दाँत क व ुएँ उ र को ट क बनती थ । बौ थ क अनुसार वहाँ क बनी ई तेज़ धार क तलवार क बड़ी माँग थी। इस थान स शुंग-काल का बना आ एक ग ड़- भ मला ह, जससे ात होता ह क वहाँ पर वै णव धम का वशेष चार था। इस भ पर एक लेख मलता ह जसक अनुसार त शला से ह लओडोरस नामक यूनानी व दशा आया था। वह वै णव मतावल बी था और इस भ का नमाण उसी ने कराया था। सां क तक से यह लेख बड़ा ही मह वपूण ह। यह इस बात का प रचायक ह क वदे शय ने भी भारतीय धम और सं क त को अपना लया था। व दशा म इसी तरह और भी भाग से लोग आये ह गे। इस धमक म अपने आ या मक लाभ क लए लोग ने मारक का नमाण कया होगा। व दशा को क द पुराण म तीथ थान कहा गया ह। ह लओडोरस ारा न मत व दशा का ग ड़- भ कला का एक अ छा नमूना ह। वह मूलत: अशोक क ही भ क आदश पर बना था। पर साथ ही उसम कछ मौ लक वशेषताय भी ह। इसका सबसे नचला भाग आठ कोन का ह। इसी तरह म य भाग सोलह कोने का और ऊपरी भाग ब ीस कोने का ह। यह वशेषता हम अशोक क भ म नह दखाई देती। इससे लगता ह क व दशा क कलाकार नपुण थे और उनक तभा मौ लक को ट क थी। ह लओडोरस भ पूव मालवा क बेसनगर (वतमान व दशा) म थत ह। इसे लोक भाषा म ''खाम बाबा'' क प म जाना जाता ह। एक ही प थर को काटकर बनाया गया यह भ ऐ तहा सक से ब त ही मह वपूण ह। भ पर पाली भाषा म ा ी ल प का योग करते ए एक अ भलेख मलता ह। यह अ भलेख भ इ तहास क बार म मह वपूण जानकारी देता ह। इसे 'ग ड़ वज' या 'ग ड़ भ' भी कहा जाता ह। अ भलेख: नौव शुंग शासक महाराज भागभ क दरबार म त शला क यवन राजा अंत ल खत क ओर से सरी सदी ई. पू. म ह लओडोरस नाम का एक राज त नयु आ। इस राज त ने वै दक धम क यापकता से भा वत होकर 'भागवत धम' वीकार कर लया था। उसी ने भ भाव से भगवान

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व णु क एक मं दर का नमाण करवाया तथा उसक सामने 'ग ड़ वज' नामक भ बनवाया। इस भ से ा अ भलेख इस कार ह देव देवस वासुदेवस ग ड़ वजे अयं का रते इ य ह लयो दरण भाग वतन दयस पु ेण नख सला कन योन तेन आगतेन महाराज स अंत ल कतस उपता सका रजो कासी पु ( ) (भा) ग (भ) स ातारस वसेन (चतु) दसेन राजेन वधमानस। ''देवा धदेव वासुदेव का यह ग ड़ वज ( भ) त शला नवासी दय क पु भागवत ह लओवर ने बनवाया, जो महाराज अं त ल कत क यवन राज त होकर व दशा म काशी (माता) पु ( जा) पालक भागभ क समीप उनक रा यकाल क चौदहव वष म आये थे।'' मं दर क माण: वतमान म इस भ क पास न मत मं दर अब न हो चुका ह, ले कन पुराता वक माण इस बात क पु करते ह क ाचीन काल म यहाँ एक वृ ायत मं दर था, जसक न व 22 सटीमीटर चौड़ी तथा 15 से 2० सटीमीटर गहरी मली ह। गभगृह का े फल 8.13 मीटर ह। दि णापथ क चौड़ाई 2.5 मीटर ह। इसक बाहरी दीवार भी वृ ायत ह। पूव क ओर थत सभामंडप आयताकार ह। यह से मं दर का ार था। न व म लकड़ी क ख भे होने का माण भी मला ह। पुराता वक माण यह भी बताते ह क यहाँ पहले कल 8 भ थे, जसम पहले ग ड़, ताड़प और मकर आ द क च ् बने ए थे। इन भ म सात भ एक ही कतार म मं दर क पूव भाग म उ र-दि ण क तरफ़ लगे ए थे, जो अब न हो चुक ह। आठवाँ भ ही ''ह लओडोरस भ'' क प म जाना जाता ह। यहाँ पहले क मं दर क भ नावशेष पर ही सरी सदी ई. पू. म नया मं दर बनाया गया था। यह मं दर लगभग पहली शता दी ईसा पूव म बाढ़ म बह गया। इस थान पर बना वासुदेव का मं दर संसार का ाचीनतम मं दर माना जाता ह। बेसनगर क पूव म ईसा पूव तीसरी शता दी क ूप भी मले ह। व ान इन बचे ए ूप को साँची क भी पूव का मानते ह।

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Memo No-12-2 ADVT-SDI&CO-SLG- Date- 29-06-2020.


RNI No. WBHIN/2010/34186 POSTAL REG. No. WB/DE/016/2019-2021 AAPAKA TEESTA-HIMALAYA JUNE/JULY-2020

संपादकः डॉ राजे

साद सह, ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर, पो. धान नगर, सलीगुड़ी-03, जला दा ज लग (प.बं.) मो : 94340-48163


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