वषः 15, अंकः 154, अ टबर-2023
िफल तीन-इजराइल : िमथक और यथाथ
वषः 15, अंकः 154, अ टबर-2023 फल ीन-इजराइल : मथक और यथाथ.. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 04 जला शासन क तुगलक फसले को ले लोग म भारी आ ोश. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .06 द लत को स मान नह , अ धकार चा हए ! . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 07 वतमान पूंजीवादी शोषणकारी यव था लोग क सम या का समाधान नह कर सकती . . .09 फली ीन-इसरायल संघस . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .11 खोजी प का रता: सड़क नमाण प रयोजना म ाचार को उजागर करना . . . . . . . . . . . . . . . .13 ह -मु लम सौहाद क वल ण पैरोकार काजी नज़ ल इ लाम . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 15 कदारनाथ अ वाल बनाम क वताई : न मने पाई न चुराई . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 17 म-तुम-हम, जग-जल-थल क रंग का अनूठा कोलाज . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .22 र ते का पंचनामा . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .25 चंपासरी पंचायत धान जनक साहा क अवैध क य का एक ांत। अ टोबर-2023
युग आते ह और युग जाएं . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 27 स य क योग अथवा आ मकथा : पहला भागः ज म . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 29 कोनीबायो एफ आई आरः वा य ान . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .30
शेख मोह मद ब नहाली, डोडा, ज मू क मीर डा. स यभामा आ डल, शंकर नगर, छाि सगढ़, रायपुर डा. मूलचंद गौतम, श नगर, चंदौसी, मुरादाबार-202412, उ. . ो. मोहन सपरा, इजी, गो ब दगढ़, एस डी कॉलेज रोड, जालंधर सुरश सेन नशांत, गांव सलाह, डॉ सु दर नगर, जला म डी, हमाचल देश-174401 डॉ. स य काश तवारी, 83-को शपुर रोड, ओम र सड स, बी एल-3, लाट-3ए, कोलाकाता-02 व म सह, उ राखंड व जीत दास, सलीगुड़ी अजुन पीयूष - े ीय मुख, स कम बंधनः बा लका छ ी
संपादक य
िफल तीन-इजराइल : िमथक और यथाथ
इजराइली नाग रक क ह या
क िलए इजराइल और उसक समथक देश िज मेदार
यह सही ह क गाजा प ी म पछले करीब दो स ाह से जारी इजराइल ारा कए जा रह फली ी नय क नरसंहार क लए हमास ज मेदार ह। 1987 म अि व म आया हमास फली ी नय क मौजूदा नरसंहार क लए तो ज मेदार ह, ले कन उसक 7 अ टबर क हमले म इजराइली नाग रक क ह या क लए हमास से पहले इजराइल और उसक समथक देश ज मेदार ह। यह त य कई ोत से सामने आ चुका ह क अरब/ फली ीनी अ मता पर आधा रत नाग रक तरोध ( स वल र ससटस) क ताकत को ख म करने क लए इजराइल ने इ लामी अ मता पर आधा रत हमास क आतंक (टर र ट) ताकत को खड़ा कया था। इजराइल ने हमास क सं थापक शेख अहमद यासीन क साथ सहयोग कया था, ता क फली ीनी मु संगठन (पीएलओ) और फतह को कमजोर कया जा सक। शेख यासीन, जो ील चेयर पर चलते थे, क इजराइल ने 2004 म ल य-ह या (टारगेटड क लग) क थी। ऐसा नह ह क 1964 म था पत पीएलओ अथवा अ य फली ीनी गौण (ि ज) गुट इजराइल म या अ य देश म इजराइ लय पर घात लगा कर हमले नह करते थे। खुद यासर अराफ़ात ने 1993 क ओ लो समझौते क तहत हसक संघष का रा ा छोड़ने का ऐलान कया था। तभी पीएलओ ने इजराइल को न करने क त ा छोड़ कर, उसक अि व क अ धकार को भी वीक त दी थी। तब तक फली ीनइजराइल संघष (का ल ट) क कभी न सूखने वाली नदी म दोन प का काफ ल बह चुका था। अलब ा ओ लो समझौते से एक उ मीद बंधी थी क कम से कम आगे दोन तरफ से होने वाले खूनखराबे पर कछ लगाम लगेगी। ले कन हमास ने आगे बढ़ कर खूनखराबे क बागडोर स हाल ली। नया क सवा धक ताकतवर सेना म एक इजराइली सेना तो थी ही। इजराइल अपना 'धम-यु ' अपनी धा मक य दी अ मता, और ताकतवर देश - अमे रका एवं यूरोपीय देश – क सहायता क बल पर लड़ रहा था। उसक पास संयु रा (यूएन) और बड़ी ताकत क तरफ से मा यता- ा एक रा य था, और बलशाली सेना थी। फली ीनी अपनी बलात छीन ली गई अरब/रा ीय अ मता क बहाली और देश क लए लड़ रह थे। वे जोडन, लेबनन, म , सी रया, ूनी शया आ द देश से अपना संघष चलाते थे। उनक पास सेना नह थी, ता क वे अपनी मातृभू म क र ा क ाक तक अ धकार क लए इजराइल क तरह “ म लटरी ए शन” कर सक। बड़ी ताकत ारा उ ह जस तरह से अचानक धावा बोल कर खदेड़ा गया अथवा अ धकत कया गया, उसक खलाफ स या ह/ सवल नाफरमानी क काय- णाली (मोड ऑफ ए शन) क गुंजाइश शायद नह थी। वे नाग रक तरोध क साथ फटकर “टरर ए शन” क रा े पर चल नकले। फली ीन पर महा मा गांधी क वचार गांधी ने 1938 म ही कहा था: “ फली ीन उसी तरह अरब का ह जस तरह इ लड अं ेज का और ांस ां स सय का ह।” ईसाई नया म य दय क साथ “अछत ” जैसे यवहार और नाजी जमनी ारा उनक नरसंहार क चलते गांधी क य दय क त गहरी सहानुभू त थी। हालां क वे धम क नाम पर ह थयार क ताकत से फली ी नय को देश-बदर करक य दय का रा य कायम करने क कारवाई क पूरी तरह खलाफ थे। गांधी का मानना था क य दी फली ीन म अरब क 04 फल ीन-इजराइल : मथक और यथाथ
स द छा (गु वल) से रह सकते ह। फली ीन-इजराइल क मामले म वतं भारत क वदेश नी त पर गांधी क वचार का भाव लंबे समय तक बना रहा। भारत से या सर अराफ़ात क ब त अ छ संबंध थे। इसक बावजूद या सर अराफ़ात से लेकर महमूद अ बास तक कसी नेता या संगठन ने अपने ल य क ा क लए स या ह का साधन नह अपनाया। इजराइल क तरफ से म लटरी ए शन और फली ी नय क तरफ से टरर ए शन का सल सला सम समझौत और शां त वाता क बावजूद इस ण तक जारी ह। इजराइल ने हमास को बढ़ाया 1987 म हमास क थापना तक फली ीनी अपनी धा मक इ लामी पहचान क नाम पर संघष नह करते थे। इजराइल ने पीएलओ/ फली ीनी रा ीय ा धकरण क मुकाबले हमास को आगे बढ़ाया, ता क गाजा और वे ट बक समेत इजराइल क कसी भी कोने म फली ीनी रा य बनने क संभावना को हमेशा क लए नर कया जा सक। यह तभी संभव था जब फली ीनी संघष धा मक जहाद क प म आतंक रा े पर चले। हमास ने लेबनन थत हजबु ाह और क रपंथी इ लामी देश /ताकत क साथ मल कर इजराइली मंशा को बखूबी पूरा करना शु कर दया। जब ओ लो समझौते क तहत पीएलओ ने इजराइल क अि व का समथन कर दया तो हमास ने इजराइल क अि व क अ धकार को मानने से प इनकार कर दया। हमास ने 2006 म फली ीनी वधान प रषद चुनाव म 44 तशत मत और कल 132 म से 74 सीट लेकर जीत हा सल क । स ा ढ़ फतह पाट को 41 तशत वोट और 45 सीट मल । इजराइल से सीधे भड़ने क साथ 2007 म उसने फतह क साथ संघष छड़ दया, और फली ीनी रा ीय ा धकरण को दो-फाड़ कर दया। उसने न कवल फतह नेता को म और वे ट बक भागने को मजबूर कर दया, कई क ह या कर दी। उसने गाजा पर अपना एक क जा कर पछले सभी समझौत और शां त- ि या क तहत ए फसल को मानने से इनकार कर दया। उसने 1994 से इजरा लय पर जो आतंक हमले करना शु कए, उनक सबसे ताज़ा कड़ी 7 अ ूबर का हमला ह। फलहाल यही लगता ह क हमास ने वे ट बक तक सी मत रह गए फली ीनी रा प त महमूद अ बास को अ ासं गक बना दया ह। 2 हमास अगर हमला न करता तो भी कोई बड़ी घटना होती हमास अगर उसक प म नह फसता तो फली ी नय क अपनी मातृभू म क लए कए जाने वाले संघष को इ ला मक जहाद बनाने क लए इजराइल-अमे रका कछ और उपाय करते। हमास 7 अ ूबर का आतंक हमला नह करता तो फली ी नय क गाजा प ी अथवा वे ट बक क 'ओपन एयर जेल' से कोई और बड़ी वारदात होती। य क इजराइल क थापना क मूल म बैठी जओनवादी मान सकता फली ी नय से सतत हसक संघष और उस रा े पर उनक सफाए क हमायती ह। उसका समझौत और शां त वाता म स ा व ास नह ह। जब ओ लो समझौते क तहत गाजा और वे ट बक का शासन फली ीनी रा ीय ा धकरण को दया गया; और हमास ने आतंक हमले करना शु कए तो एक र डकल य दी ने धानमं ी रा बन क ह या कर दी थी। 2003 म जब धानमं ी शेरोन ने गाजा प ी से एकतरफा वापसी का नणय अ टबर-2023
संपादक य
कया तो लकड पाट क अंदर और बाहर दि णपंथी त व ने उनका वरोध कया। इजराइल ने फली ीनी रा ीय ा धकरण क 2011 क फली ीनी रा य, पूव ये शलम जसक राजधानी हो, क ाव को एकतरफा कह कर खा रज कर दया था। संयु रा म गैर-सद य रा य क प म यूएन जनरल असे बली क मा यता क बावजूद कोई फली ीनी रा य अभी तक अि व म नह ह। एक भू-भाग पर साथसाथ दो रा य बनाने क जतनी भी चचा होती हो, लगता नह क ऐसा कभी होगा। कछ समय क लए ऐसा आ भी तो यह मानना क ठन ह क फली ीनी रा य का अि व यादा दन तक टकगा। 19व सदी म ही जओनवा दय ने ऑटोमान सा ा य क अधीन फली ीन म होम लड कायम करने क घोषणा कर दी थी। 1917 म बा फोर घोषणा क तहत ि टन ने इस वचार को वीक त दे दी थी। 1947 म यूएन ने फली ीन क धरती पर इजराइल क थापना का ाव पा रत कर दया था। 1948 म य दय को वहां भेजा गया, यु आ, साढ़ सात लाख फली ी नय को बाहर खदेड़ दया गया। तब से लेकर आज तक कतने ही उतार-चढ़ाव क साथ नया का यह अभी तक का सबसे लंबा संघष चलता जा रहा ह। अगर 1947-48 को संघष का शु आत- ब मान तो जो थ त उस समय थी, लगभग वैसी थ त आज भी ह। भड़त इजराइली स ा- त ान और हमास क बीच ह। पीएलओ, फतह, फली ीनी रा ीय ा धकरण या न शासन क त न ध सं थाएं और उनक त न ध ाय: अ ासं गक हो गए ह। दोन प म 50 से 60 तशत लोग फली ीनइजराइल संघष क समाधान क लए हसा को एकमा उपाय मानते ह। जसका अथ ह दो नह , एक ही रा का अि व रहगा। हसक संघष म जीत हमेशा इजराइल क ही होगी; और नरसंहार फली ी नय का। फली ीन-इजराइल संघष क कारण या ह? फली ीन-इजराइल संघष क मूल म लड़ाई गहरी ह। य दय का धा मक मथक ह क जहां यथाथ म हजार साल से अरब फली ीनी रहते आ रह थे, या न जो फली ी नय क मातृ-भू म ह, वह य दय क धम-भू म ह। उनक धा मक आ द-पु ष को वहां से हटाया गया और सताया गया। करीब एक शता दी से जऑनवा दय क तरफ से मथक को यथाथ और यथाथ को मथक बनाने क मु हम चलाई जा रही ह। कछ शता दय क कालावधी म हो सकता ह यथाथ मथक और मथक यथाथ बन जाएगा। या न एक देश क प म फली ीन मथक बन जाएगा और इजराइल यथाथ। बाक नया क बात छोिड़ए, प म ए शया क युवा आबादी म ही फली ीन क तुलना म इजराइल का होना यादा यथाथ ह। फली ीन क यथाथ को मथक म और इजराइली मथक को यथाथ म बदलना ह तो फली ी नय को भू-भाग से खदेड़ना और अंतत: फली ीनी अ मता को वन कर देना होगा। इसम चाह कतना भी समय लगे। एक समय आएगा जब लोग भूल जाएंगे क अरब े म फली ीन नाम क कोई जगह थी, जस पर फली ीनी बसते थे। इजराइल क संत त अपने ब को बताएंगी/पढ़ाएंगी कसे “मानवपी पशु ” को उनक पुरख ने अपनी सुंदर धरती से हमेशा क लए मटा दया था। फली ीन-इजराइल संघष से जुड़ी घटना क घटाटोप का मथक करण होता चला जाएगा। 7 अ ूबर क हमास क आतंक हमले और उसक तशोध म इजराइल ारा नरसंहार को लेकर मु यधारा और सोशल मी डया म जो 'सही' और 'झूठी' खबर का अंबार परोसा जा रहा ह, वे मथक- नमाण म तरह-तरह क उपकथा का काम करगी। यह सल सला सकड़ साल तक चलता रहगा। फली ीन-इजराइल संघष क इ तहास को इस नज रए से पढ़ा अ टबर-2023
जा सकता ह। इज़राइल क पहले धानमं ी ड वड बेन-गु रयन ने 1948 म ही कहा था: “हम ांसजॉडन को तोड़ दगे, अ मान पर बमबारी करगे और उसक सेना को न कर दगे; और फर सी रया का पतन होगा; और य द म अभी भी लड़ना जारी रखेगा, तो हम पोट सईद, अले जि या और का हरा पर बमबारी करगे, ... यह उस चीज़ का तशोध होगा जो उ ह ने ... बाइ बल-काल ( बब लकल टाइम) म हमार पूवज क साथ कया था।” जहां पूर अरब े क देश क तबाही क मंसूबे बांधे गए ह , वहां फली ी नय क या ह ी ह, जनका अपना कोई देश ही नह ह! धा मक उ माद से भर बेन-गु रयन अपने व य म फली ी नय क सफाए क त पूरी तरह से आ ह। यही भाषा 75 साल बाद इजराइली नेता, सेना क अ धकारी और नाग रक बोल रह ह। यह सही ह क फली ीनी अमे रका, आ लया, यूजीलड आ द भूभाग क मूल नवा सय क तरह आधु नक स यता क चौखट क बाहर नह ह; और वे अकले नह ह। यह स यता क टकराहट का दौर बताया गया ह। हर दौर क स यता क रचना मक क तय म 'नेक ' (गुड) और 'बदी' (ई वल) का ब मूल रहता ह। ा स स म अ सर बदी क ऊपर नेक क जीत दखाई जाती ह। आधु नक स यता म नेक क दावेदार ने 7 अ ूबर क हमलावर क शना त “ नरी बदी” ( शयर ई वल) क प म क ह। रा य- ायो जत नरसंहार नेक क खाते म डाला गया ह। (देख, हमास हमले पर अमे रक रा प त क पहली ति या) यहां इस ज टल वषय क गहराई म जाने का अवसर नह ह। कवल यह देखा जा सकता ह क य दी जऑनवाद और ईसाई स यतावाद एक साथ मल गए ह। नेक और बदी क स े माणप बांटने वाली इस मान सकता क चता य दय और ईसाइय दोन को होनी चा हए। या सचमुच प ह?
म ए शया समेत फली ी नय क साथ कोई खड़ा
म उन नेता / देश क बात नह कर रहा जो ाथ मक तौर पर अंतररा ीय राजनी तक, आ थक, साम रक समीकरण को यान म रख कर कभी-कभी “ फली ीनी कॉज़” क वकालत कर देते ह। यूएन क पदा धका रय और सं था क तो बात ही या क जाए! महास चव एंटोनीओ गुटरस क दयनीय थ त कसी से छपी नह ह। म उनक बात भी नह कर रहा जो हमास क माफत मुसलमान क नाते फली ीनी मुसलमान क लए जोश दखाते ह। जो थ त ह उसे देख कर यही लगता ह क स ा- त ान म फली ी नय का कोई स ा साथी नह बचा ह। ऐसे म नया का नाग रक समाज, जो काफ बड़ी सं या म हो सकता ह, अंतररा ीय नयम-कायद और नै तकता क आधार पर फली ीनइजराइल संघष क या यक (ज ट) समाधान म सहायक हो सकता ह। यह एक सतत और लंबी ि या होगी। हालां क, यह तभी संभव ह जब फली ीनी नेतृ व और नाग रक समाज हसा क जगह अ हसा और स या ह का आधार अपनाए। नया क नाग रक समाज और फली ी नय क तरफ से शु आत होगी तो इजराइली नेतृ व और नाग रक समाज क ख म भी प रवतन आने क संभावना बनेगी। ह थयार और बाजार क श को ही एकमा शा मानने वाले देश क नेतृ व पर भी उसका असर पड़गा। इसक साथ पुराने और नए समझौत और शां त वाता का सल सला तो चलते रहना ही चा हए।
फल ीन-इजराइल : मथक और यथाथ 05
टवशे ोपरष षरपोट े व श
नेशनल ीन ि यूनल क िदशा िनदश क खुलेआम अवहलना
िजला शासन क तुगलक फसले को ले लोग म भारी आ ोश वशेष संवाददाता, आपका त ा- हमालयः मलन मोड़ क मौजा जा भ ा छांट, मोहर गांव व गुलमा टी इ टट क पास थत एक छोट से जमीन क टकड़ PLOT NO. 9 पर सलीगुड़ी महकमा प रषद, चंपासारी ाम पंचायत तथा जला शासन क 'सो लड वे ट मैनेजमट ोजे ट ' अथात ड पग ाउड व कचरा उपचार क तुगलक फसले से थानीय लोग म भारी नाराज़गी तथा आ ोश ह।
हमालय अपने अगले अंक म जन सम का शत करगा। आरोप ह क जस जगह पर ड पग ाउड व कचरा उपचार बनाने का काम शु कया गया ह, उसक आसपास कई कल और मकान ह। घनी आवासीय े म ड पग ाउड बनाने का कोई औ च य नह ह, ब क चंपासारी पंचायत
घनी आबादी वाले इस े म जहां अस से कई अं ेजी, ह दी, नेपाली तथा सं कत मा यम क कल ह, सा ह यक-सां क तक सं थान ह, मं दर, चच व ब ह तथा व भ धमसं दाय व मजहब क शांत- श नाग रक अस से ेम पूवक रहते आ रह ह, ले कन थानीय पंचायत व जला शासन क एक गलत फसले क कारण यहां भारी तनाव का माहौल बनता जा रहा ह। जा हर ह, यहां जमीन क दलाल व लड मा फया क साथ चंद थानीय नेता ,पंचायत धान तथा जला शासन क चंद अ धका रय क मलीभगत व अ त सि यता अकारण नह ह। वतमान पंचायत धान जनक साहा जो पहले माकपा म था और अपनी अवैध ग त व धयो क कारण जाना जाता था, रा य म स ा प रवतन क साथ ही पु लस- शासन क गर त म आने क पूव अपना रंग बदल कर तृणमूल कां ेस म शा मल हो गया और पुराने ढर पर चलने लगा ह। यही कारण ह क क तपय गैर ज मेवार अ धका रय व लडमा फय का एक संग ठत गरोह इस े म अशां त का मु य कारण बना आ ह। इनक अपने न हताथ ह, वाथ ह। आम जनता क सुख- ख अथवा जीने-मरने से इ ह कछ भी वा ा नह ह, ब क अवैध वसूली व कमाई पर इनक नजर हर व टक रहती ह। चंपासरी पंचायत धान जनक साहा जो अपने राजनै तक रंग बदलने को ले जाना जाता ह, उस पर थानीय लोग ने कई गंभीर आरोप लगाये ह। बेशक उस पर लगाये गये आरोप का फह र त काफ लंबा ह, ज ह त ा06
बेशक जो जन त न ध और अ धकारी कत यपरायण और ईमानदार होते ह, वे जनता क सु वधा क म ेनजर तुगलक फसले लेने से बचते ह ले कन जन पर कस का भूत सवार होता ह वे जनता क कतई परवह नह करते ह और अपनी कस का ध स दखा कर लोग को परशान करते रहते ह। ात य ह क जनक साहा क खलाफ इस संबंध म एक शकायत जला शासन और अ य संबं धत अ धका रय से भी से भी क गयी ह। ले कन इसपर जला शासन क चु पी कई गंभीर सवाल खड़ करते ह। नेता, जन त न ध व अ धकारी सरकारी योजना क काया वयन म भी अपनी कमाई का रा ा ठीक नकाल लेते ह ले कन इनक क य का खा मयाज़ा सरकार को भुगतने पड़ते ह। जमीन क दलाल , मा फया तथा ठकदार क अवैध कमाई का एक ह सा रात क अंधेर म ठीक इनक पास प च जाता ह।
जनक साहा धान जनक साहा ने अपने न हत वाथ क चलते संबं धत अ धका रय को गलत सूचनाएं देकर थानीय लोग को परशान करने और अपने अवैध कमाई व वसूली को ले ड पग ाउड बनाने क एक नायाब तरक ब नकाली। जनक साहा पर यह भी आरोप ह क उसने अपने न हत वाथ को ले ठकदार से अवैध नमाण करा रहा ह और साथ ही उसने थानीय जमीन मा लक क पुराने यव त रा े को बा धत करने क ष ं म शा मल ह। दरअसल उसका मकसद थनीय लोग क वष से यव त रा े को बंद कर उन पर अनाव यक दबाव बनाना और उनसे अवैध वसूली करना ह।
जला शासन क तुगलक फसले को ले लोग म भारी आ ोश
महकमा प रषद, थानीय पंचायत व जला शासन क इस फसले को ले कोई साल डढ़ साल पहले भी मलन मोड़ थत यह े काफ अशांत हो गया था। कई दन तक थानीय लोग ने जोरदार आंदोलन कया तब जाकर शासन- शासन क कभकण न द टटी और चंपासरी ामपंचायत पीछ हटी थी। आज जस जगह पर नजी जमीन मा लक क ारा दीघ दन से यव त रा े बंद कर सो लड वे ट मैनेजमट ोजे ट नेशनल ीन ि यूनल क एनओसी लए बगैर लगाने को ले चंपासरी ामपंचायत धान अ त उ सा हत ह, बेशक यह वही जगह ह जहां पहले भी क तपय गैर ज मेदार अ धका रय क मलीभगत से आवासीय े म ड पग ाउड बनाकर साधारण लोग क वा य तथा सुख-शां त से खलवाड़ करने क शरारत क गई थी। अस बाद आज फर उसी वाकये को दोहराया जा रहा ह ले कन इस बार भी मलनमोड़ संल न े क सभी तबक क चेतनशील नाग रक क जबद सं ामी एकता दखाई पड़ रही ह। अ टबर-2023
वशेष रपोट
दिलत को स मान नह , अिधकार चािहए ! 2024 क लोकसभा म द लत को अपने प म करने लए देश क राजनी त का दशा तय करने वाले उ र देश म बसपासपा, कां ेस-भाजपा क◌े तरफ से यास शु हो चुका ह। इसक लए उनक ओर से रणनी तय क घोषणा होने लगी ह। इस म म देश क स ा पर का बज योगी आ द यनाथ म हला क साथ द लत से जुड़ने क लए 17 अ ूबर से 3 नव बर क म य 12 र लयां करने क घोषणा ई ह, जसक शु आत प मी उ र देश से हो चुक ह। उ ह ने प मी यूपी क 18 जल से आए द लत को संबो धत करते ए हापुड़ म कहा क देश म एससी/ एसटी का आवास छीनने का काम कोई नह कर सकता। उ ह ने एलान कया क ऐसे प रवार जस जमीन पर रह रह ह, उसी जमीन का उ ह प ा दया जायेगा। अगर उनका आवास आरि त जमीन पर ह तो उ ह सरी जगह प ा दलाया जायेगा। इससे पहले बुलंद शहर म नारी श वंदन म हला स मेलन म सीएम योगी ने कहा क
अ टबर-2023
देश म नारी सुर ा से रामराज क शु आत हो गयी ह। सुर ा म सधमारी करने वाले अपरा धय को पाताल से ढढ लायगे। सरकार क ाथ मकता म कसान, गरीब, नौजवान बताते ए कहा क म हलाएं भी अब उसी एजड का ह सा बन चुक ह। पहले दंगे होते थे. अराजकता क चरम पर थी। बे टयां कल नह जा पाती थ । उसी उ र देश म अब दंगे नह होते। अराजकता क लए कोई जगह नह ! अनुसू चत वग स मेलन म उ ह ने पूववत सरकार पर नशाना साधते ए कहा, '2017 क पहले जो सरकार थी, उसक कारनामे छपे नह ह। वह द लत महापु ष क मू तय को तोड़ने का काम करते थे। हमने हर सरकारी कायालय म बाबा साहब क तमा क थापना करायी। डॉ. भीमराव आंबेडकर का पछली सरकार ने वोट बक क लए इ ेमाल कया। डबल इजन क सरकार हर हाल म स मान और सुर ा का काम कर रही ह। आज धानम ी मोदी ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को स मान देते ए उनक सपन को जमीन पर उतारा ह।
धानम ी ने बाबा साहब से जुड़ थल को तीथ क प म वक सत करने का काय भी कया ह। अलीगढ क नुमाइश मैदान म ज े क अनुसू चत जा त स मेलन म कहा क कई जा तय क लए तो पहले कोई सरकारी योजना ही नह थी। जस एससी वग क पूवज ने रामायण लखी, ीम भागवत गीता लखी, संत र वदास ने श क नई धारा दान क , बाबा साहब ने सं वधान देकर भारत क एकता म जोड़ने का काय कया, उस वग क लए सरकार काम कर रही ह। वा मी क जयंती पर हर मं दर म अखंड रामायण का पाठ कराया गया। बहरहाल 2024 को यान म रखकर योगी सरकार द लत को लुभाने का जो नए सर से यास कर रही ह, उसम कोई नई बात नह ह। योगी 2017 से ही द लत को लुभाने क लए समरसता भोज आयो जत करने, रदास वा मी क को ह धम ग थ क रच यता चा रत करने, बाबा साहब क नाम पर मारक और तीथ थल बनाने, सं वधान को स मान देने इ या द जैसे भावना मक बात करते रह ह
द लत को स मान नह , अ धकार चा हए ! 07
और 2023 म भी घुमा- फराकर वही बात दोहरा रह ह। उ ह शायद नह क द लत समाज अब ऐसी घसी- पटी भावना मक बात से बोर होने लगा ह। वह जान गया ह क भाजपा सरकार 2014 से सवण क हाथ म श का सारा ोत सौपने तथा शु ा तशु को गुलाम क थ त म प चाने क लए ही सं वधान क उपे ा कर तरह–तरह क ब जन वरोधी नी तयाँ बनाती रही ह। इसी मकसद से उन लाभजनक सरकारी उप म को औने-पौने दाम म बेच रही ह, जहां शु ा तशु को आर ण मलता ह। उसने अयो य सवण को आईएएस जैसे उ पद पर बठाने क लए लैटरल इ ी क शु आत क ह। सवण हत म ही उसने ईड यूएस आर ण क ज रये हर े म 8085% क ज़ा रखने वाले क थत गरीब सवण को 10% आर ण दे दया ह। ऐसे म द लत समुदाय उसको वोट देगा जो श क सम ोत -आ थक, राजनी तक, शैि क, धा मक – म सं यानुपात म ह सेदारी देने क वादा कर। वह चाहता ह क जैसे झारख ड म 25 करोड़ तक ठक म एसटी, एससी, ओबीसी क लए आर ण लागू आ ह, जस तरह त मलनाड क 36 हजार मं दर क पुजा रय क नयु म एससी, एसटी, ओबीसी और म हला क लए आर ण लागू आ ह, वैसे ही पा टयाँ ा तकारी बदलाव वाले आ थक मु पर वोट द लत का वोट मांगे। बहरहाल अब द लत को स मान नह , अ धकार चा हए, यह बात जानते ए भी योगी श क ोत म द लत को वा जब अ धकार दलाने क बजाय भावना मक बात म ही बहाकर द लत का वोट ले लेना चाहते तो ह तो उसक पीछ ठोस कारण ह। दरअसल योगी चाहकर भी द लत को श क ोत म अ धकार दलाने का वादा कर नह सकते. य क ह धमशा म गहरी आ था क कारण वे द लत को अ धकार संप करने का वादा कर ही नह सकते। ऐसा इस लए क ह धम शा क मुता बक ह क भगवा ने श क ोत (आ थक, राजनी तक, शैि क, धा मक) क भोग का अ धकार सफ ा ण, ि य और वै य से यु सवण का ह, इनक अ त र बाक जा तय ारा श का भोग पूरी तरह अधम ह। इसी सोच क कारण मोदी-योगी राजस ा का सपूण इ ेमाल द लत, आ दवासी, पछड़ और इनसे धमा त रत तबक को श क ोत से र धकलने कर रह ह। बहरहाल ह ववादी सोच क कारण योगी शु ा तशु 08 द लत को स मान नह , अ धकार चा हए !
को अ धकार देने म राजस ा का इ ेमाल कर ही नह सकते, इसका एक बड़ा ा त उस गोरखपुर म था पत आ ह, जहां से चलकर वह यूपी क स ा पर का बज ए ह। गोरखपुर म आंबेडकर जनमोचा क नेतृ व म द लत ने भू म क अ धकार क एक ऐसी शां तपूण लड़ाई म वजय ा क ह, जो और को े रत करते रहगा! 11 अ ूबर को यूज क पोटल पर का शत खबर क मुता बक द लत, पछड़ा, मु लम, गरीब मज़ र भू महीन प रवार को एक-एक एकड़ ज़मीन देने क मांग को लेकर गोरखपुर क क म नर कायालय म दस अ टबर को पूर दन चले 'डरा डालो, घेरा डालो आंदोलन' क बाद रात को पु लस ने अंबेडकर जनमोचा क मु य संयोजक वण कमार नराला स हत कई नेता को हरासत म ले लया। आंदोलन म व ा क बतौर प चे लेखक-प कार डॉ. स ाथ और पूव डीआईजी व द लत चतक एसआर दारापुरी को भी गर तार कर लया गया। आंबेडकर जन मोचा पछले तीन वष से द लत, पछड़ा, मु लम गरीब मज र भू महीन प रवार को एक-एक एकड़ जमीन दलाने क मांग को लेकर आंदोलन कर रहा था। इसी क तहत 10 अ टबर को क म नर कायालय पर 'डरा डालो, घेरा डालो' आंदोलन का ऐलान कया गया था। आंदोलन म हजार लोग आए और क म नर कायालय म जमे रह। म हला क सं या सवा धक थी। पूरा क म नर कायालय प रसर लोग से भर गया था। पूर दन व ा इस मु े पर बोलते रह। शाम को ापन देने क बाद आंदोलन समा होना था ले कन देर शाम तक कोई अ धकारी ापन लेने नह आया तो सभी लोग क म नर कायालय म जमे रह। देर रात अ धकारी क म नर कायालय प चे और ापन लेकर कायवाही का आ ासन दए। ापन दए जाने क बाद आंदोलन म शा मल होने आए लोग जब जाने लगे तभी क म नर कायालय से ही पु लस डॉ. स ाथ और आंबेडकर जनमोचा क मु य संयोजक वण कमार नराला क घर प च गई और घर म घुसकर तलाशी ली। इसक बाद जगह-जगह से आ दोलन म शरकत करने आए लोग को गर तारी का म शु आ। गर तार लोग क खलाफ सरकारी काम-काज म बाधा डालने, तोड़-फोड़ करने, नषेधा ा का
टवशे ोपरष षरपोट े व श
उ ंघन करने, सावज नक संपि को नुकसान प चाने क आरोप म आईपीसी क धारा 147, 188, 342, 332, 353, 504, 506, दंड व ध संशोधन अ ध नयम 1932 क धारा 7, सावज नक संपि नुकसान नवारण अ ध नयम 1984 क धारा 3 ओर व ुत अ ध नयम 2033 क धारा 138 क तहत कस दज कया गया ह। यह F.I.R. क म नर गोरखपुर क ना जर राजेश कमार शमा ारा दज कराई गई ह। तहरीर म कहा गया ह:- '10 अ टबर क सुबह 10 बजे क म नर कायालय प रसर म वण कमार नराला, ऋ ष कपूर आनंद, सीमा गौतम, राजे साद, डॉ. रामू स ाथ, नीलम बौ , स वता बौध, नदश सह, अयूब अंसारी, दारापुरी, जयभीम काश, देवी राम, सुधीर कमार झा अपने सैकड़ समथक क साथ जबरन कायालय प रसर म घुस गए और कायालय से बजली का तार जोड़कर बजली चोरी करते ए माईक लगाकर जनसभा करने लगे। मना करने पर इन लोग ने मेर साथ ध का-मु क क जससे म गर गया। ये लोग कायालय म घुस गए और हम लोग को गा लयां देते ए सरकारी द ावेज फाड़ दए सरकारी फल क गमल को तोड़ दए।' जब क आंदोलन क व ा क मुता बक सारा ो ाम शासन क अनुम त लेकर कया गया था और शाम को शासन को ापन भी दया गया। कोई हगामा भी नह आ इसक बाव द इस तरह क गर ता रयां यह बताती ह क अब सरकार और उसक एज सयां कस तरह सं वधान क िख़लाफ़ काम कर रही ह। आज देश भर म जन आंदोलन को कचला जा रहा ह। लेखक , प कार और सामा जक कायकता का दमन और गर ता रयां हो रही ह। यह घटना भी उसी क एक कड़ी ह।' बहरहाल 11 अ ूबर क यूज क क उपरो खबर पर गौर कया जाए तो साफ़ दखेगा क योगी सरकार द लत को अ धकार देने क मान सकता से पु नह ह. अगर होती तो भू महीन द लत क जायज मांग पर इतना कठोर कदम नह उठाती. सू क मुता बक डरा डालो-घेरा डालो आ दोलन म गर तार लोग अभी तक रहा नह ए ह। ऐसा लगता ह ह ववादी योगी इसक ज रये ऐसा स देश देना चाहते ह क ह धमशा ारा अ धकारशू य च हत कये वग लोग अपने अ धकार क लड़ाई लड़ने क हमाकत न कर! सौः ह ेप अ टबर-2023
आलेख
वतमान पूंजीवादी शोषणकारी यव था लोग क सम या का समाधान नह कर सकती -मुनेश यागी
ांसीसी ां त ने सबसे पहले ांस म सामंतवादी और जम दारी यव था का खा मा करक पूंजीवादी यव था का आगाज कया था। तीन सौ साल पहले जम दारी था और सामंतवादी यव था का खा मा करक जब पूंजीवादी यव था का आगमन आ तो लोग ने सोचा था क यह यव था मनु य क सार जु म सतम, अ याय, शोषण, भेदभाव और गैर बराबरी का खा मा कर देगी और इसी आशा और व ास क साथ नया क मज र कारखान म काम करने लगे थे, उ ोग म काम करने लगे थे। मगर सौ वष क बाद मज र क नारक य थ त देखकर लगा क पूंजीवादी यव था मज र क हजार साल पुराने शोषण जु म अ याय का खा मा नह कर सकती, ब क इसने तो मज र पर होने वाले शोषण जु म अ याय को बेतहाशा बढ़ा दया ह। काम क घंट को 18 (अ ारह घंट) कर दया ह, उनको यूनतम वेतन नह मलता, उनको कोई भी म कानून उपल ध नह कराये, उनको कोई सुख सु वधा नह उपल ध कराई। इस कार हम देखते ह क पूंजीवादी यव था का मु य मकसद मज र का शोषण करक अकत मुनाफा कमाना, शोषण अ याय अ याचार करक हक और अ धकार को न देना और मानवता को र दना ह। कसान मज र को गुलाम बनाकर 12-12, 18-18 घंट काम करा कर उनका शोषण करना ह, जनता को उसक बु नयादी अ धकार से वं चत करना ह और व भ तरह क मानवा धकार , रोटी, कपड़ा, मकान, श ा, वा य, रोजगार, अपनी मज क शादी, कानून क सम सब क समानता, समाज म समता और समानता, भाईचारा, याय, समय से वेतन, यूनतम वेतन, थाई नौकरी, बुढ़ापे क पशन, बेरोजगार को काम, अपा हज लोग को सरकारी सु वधा आ द को, समा करना ह। मा स क वचार ने पूंजीवादी और जम दारी यव था क गठजोड़ क जु म सतम, लूट खसोट, अ धकार वहीनता, शोषण, अ याय और भेदभाव क पोल खोल दी। पूरी क पूरी अ टबर-2023
पूंजीवादी लूट और मुनाफाखोरी क, नया क सामने भेद खोल दए और पूर पूंजीवाद को नंगा कर दया। मा स और एंगे स ने अब से लगभग पौने दो सौ साल पहले अपने लेख म नया क सामने जगजा हर कया क पूंजीवादी यव था म मज र का कोई कानूनी अ धकार नह ह, वे बस पूंजीप तय का मुनाफा कमाने क मा यम ह, औजार ह। मा स ने यह भी अवधा रत कया क मज र को अपनी एकता कायम करक अपना संगठन बनाकर पूंजीप त वग और यव था का खा मा करक समाज म समाजवादी यव था कायम करनी होगी जससे पूर मज र को पूर मेहनतकश को, पूरी जनता को, उसक रोटी कपड़ा मकान श ा वा य और सर सम मानव अ धकार ा हो जाएंगे और इस तरह पूंजीवादी लूट शोषण और अ याय का खा मा हो जाएगा और पूंजीप त वग और यव था का वनाश कर दया जाएगा। मा स क वचार क बाद नया भर म मज र अ धकार क आंदोलन क आंधी चल पड़ी। मज र ने अपने अ धकार क लए अपने संगठन बनाकर, आंदोलन करने और अपनी यू नयन बनानी शु कर द । अब लड़ाई ने वग य व प धारण कर लया। पूंजीप त वग बनाम मज र वग, जमीदार वग बनाम कसान वग। इसका नतीजा 1917 स म महान ले नन और क यु न ट पाट क नेतृ व म पूंजीप त जमीदार वग बनाम मज र कसान वग म भीषण संघष आ और 1917 म सवहारा ां त ई और कसान और मज र, मानव इ तहास म सबसे पहले अपने भाग वधाता बन गए, उनक स ा और सरकार कायम हो गई। सार कसान मज र मेहनतकश छा नौजवान म हला को रोजी रोटी कपड़ा श ा वा य पानी बजली और मनोरंजन क मूलभूत अ धकार मुहया करा दए गए। इसक बाद भी नया का लुटरा पूंजीप त वग चुपचाप नह बैठा। उसने अपनी लूट और
मुनाफा को बढ़ाने और बनाए रखने क बदले मज र कसान क वग य शोषण और अ याय का खा मा नह कया गया। उसने अपनी लूट शोषण अ याय और मुनाफाखोरी को कायम रखने क अपनी मु हम जारी रखी। अपनी लूट और शोषण को बरकरार रखने क लए लुटर पूंजीप त वग ने दो-दो व यु कए। लाख करोड़ आद मय को मार डाला, करोड़ लोग को अपंग कर दया। करोड़ अरब पए क संपि न कर दी। ि तीय व यु क बाद नया क कई देश म जनता ने राहत क सांस ली और अपनी आजादी हा सल क । उ ह हजार साल क शोषण अ याय और जु म सतम से कछ राहत मली। इस सबसे नया म कछ वकास हो पाया। नया अभी राहत क सांस ले ही रही थी क नया क सार पूंजीवादी लुटर ने अपने लूट को और अपने मुनाफ को जारी रखने क लए और बढ़ाने क लए, 1991 म नया क तमाम मेहनतकश पर फर हमला कया और समाजवादी मु क को छोड़कर पूंजीवादी और सामंती देश क नया क मज र और कसान और अ धकांश जनता से लगभग सब कछ छीन लया और वतमान समय म अ धकांश देश म, नया 80 साल पुरानी सा ा यवादी यव था म प च गई। नया क मेहनतकश ने अपनी रोजी-रोटी श ा वा य क े म जो आधार और बढ़त हा सल क थी जो वकास और मानवा धकार हा सल कए थे, आज उन सब को एक-एक करक छीन लया गया ह। 1991 म नया क तमाम पूंजीवादी लुटर ने, जसम अमे रका, इ लड, ांस, जमनी, कनाडा, प मी यूरोप क देश, जापान, आ लया आ द ने उदारीकरण, नजीकरण और वै ीकरण क मु हम शु करक मज र कसान और तमाम मेहनतकश क लगभग तमाम हक और अ धकार और मानवा धकार छीन लए ह। यह बात सही ह क नया पहले से आगे बढ़ी ह, उसने वकास कया ह, वै ा नक वकास कया ह, सर े म वकास कया ह, मगर इस वकास का लाभ नया क पूर लोग को
वतमान पूंजीवादी शोषणकारी यव था लोग क सम या का समाधान नह कर सकती 09
टोपरआले षश े ख व नह मल पाया और इस वकास का लाभ चंद लोग को ही मला ह और जनता का 85 परसट ह सा आज भी बु नयादी ज रत से मह म ह और पूंजीवाद क 300 साल क इ तहास (300 YEARS OF CAPITALISM) को देखकर हम पूर इ मीनान से कह सकते ह क पूंजीवादी नया, जनता क बु नयादी सम याएं हल नह कर सकती, य क जनता क बु नयादी सम याएं हल करना उसक एजड म नह ह। उसका एजडा कवल और कवल अपना सा ा य कायम करना, पूरी नया म अपना वच व कायम करना, अपने लूट क सा ा य को बढ़ाना, जनता का शोषण करना, उसक अ धकार म कटौती करना, अपने मुनाफ को बढ़ाना और पूरी नया म यु ो मादी मु हम को बढाना ह। इसक अलावा उसका कोई मकसद नह ह। जनता क मूलभूत सम या का समाधान और पूरी जनता का वकास करना उसक एजड म नह ह। पछले 30 साल म पूंजीप तय क लूटपाट म गजब क बढ़ोतरी ई ह। 30 वष म नया क लुटर पूंजीप तय क संपि य म जमीन आसमान का फक आ गया ह। कसान मज र मेहनतकश क गरीबी शोषण अ याय बेरोजगारी और अ धकारहीनता बढ़ी ह। सरी ओर पूंजीप त सरकार क मदद से, चंद पूंजीप तय क आय, पैसे और संपि य क पहाड़ क पहाड़ खड़ हो गए ह। आज क हालात म भारत म 85 परसट मज र को यूनतम वेतन नह मलता। 85 परसट प रवार क आय
घट गई ह और असंग ठत े क 95 परसट मज र क आय घट गई ह, उनको यूनतम वेतन नह मलता ह, उनको सभी म कानून से वं चत कर दया गया ह और यह सरकार नक मी और न ुर बनी ई ह, कछ करने को तैयार नह ह। वतमान समय क अ धकांश सरकार पूंजीप त वग क दलाल, प और जेबी सरकार बन गई ह। पूंजीवादी यव था एक बीमार यव था ह। मनु य का शोषण और उसक साथ अ याय करने वाली यव था ह। पूंजीवादी यव था मज र क मेहनत को हडपती ह, उसका पूरा भुगतान नह करती, उसे यूनतम वेतन नह देती, म कानून को लागू नह करती, मज र को बोनस नह देती, ो वडट फड और े युटी नह देती, मज र को यू नयन नह बनाने देती, सार म कानून का उ ंघन करती ह। पूंजीवादी यव था ब त सारी सनातन बीमा रय से सत ह जैसे यह यव था यु ो मादी ह, एकदम मुनाफाखोर ह, हसा करती ह, शोषण करती ह, अ याय करती ह, महगाई को बढ़ाती ह, ाचारी ह, लगातार यु करती रहती ह और रह-रहकर लगातार मंदी क मार का शकार होती रहती ह। यह एक बीमार यव था ह जो मानवता का क याण नह कर सकती। इस यव था का वनाश करक और इसक थान पर वै ा नक समाजवादी यव था काम करक ही मनु य जा त, मानवता और पूरी नया का क याण कया जा सकता ह
10 वतमान पूंजीवादी शोषणकारी यव था लोग क सम या का समाधान नह कर सकती
नया भर क पूंजीप तय ने अपने बड़-बड़ लुटर सा ा य, कसान मज र को लूट कर, उनका खून पीकर, उनक हक अ धकार को मारकर और छीनकर कायम कए ह, उ ह आधु नक गुलाम बनाकर हा सल कया गया ह। इस कार उपरो क आलोक म हम कह सकते ह क नया क लुटरी पूंजीवादी यव था, नया क तमाम ख, परशा नय , गरीबी, शोषण, अ याय, जु म सतम और अ धकारहीनता को ख म नह कर सकती। अगर समाजवादी यव था न होती तो मानव जा त को कछ भी हा सल होने वाला नह था, कछ भी मलने वाला नह था। पूंजीवादी नया म जनता का क याण होने वाला नह ह। पूरी नया भर म लुटर पूंजीप तय क जन वरोधी, कसान वरोधी और मज र वरोधी हरकत , नी तय , शोषण, जु मो सतम, हसा, ह या, अपराध, और नया क देश को गुलाम बनाने क हरकत और नया क ाक तक संसाधन को लूटने क जाने और मुनाफाखोरी क नी तय और हरकत को देखकर यह न त ह क पूंजीवादी यव था एक जन वरोधी, यु ो मादी और बीमार यव था ह। यह सारी नया और मानवा धकार क लए एक अ भशाप बन गई ह। यह जन वरोधी यव था मानवता का क याण नह कर सकती ह। (लेखक वतं ट पणीकार और स अ धव ा ह।)
अ टबर-2023
आलेख
फली तीन-इसरायल संघस 7 अ टबर को हमास ने इजरायल क खलाफ “ऑपरशन अल-अ सा टॉम" शु कया। हमास ने गाजा प से इजरायल क ऊपर 5000 रॉक स दागने का दावा कया ह। इतना ही नह , हमास से जुड़ दजन लड़ाक दि ण क तरफ से इजरायल क सीमा क अंदर घुस गए। वह इजरायल क धानमं ी बजा मन नेत या ने हमास क खलाफ यु का ऐलान कर दया ह। आ खर इजरायल- फ ल ीन क बीच संघष क असल वजह या ह? दोन देश क बीच तनाव का कारण या ह? गाजा प या ह? हमास या ह? य शलम दोन देश क लए य अहम? इजरायल- फ ल ीन ववाद कहां और नया क कस ह से म चल रहा ह। इसक लए इजरायल और फ ल ीन क भूगोल को समझना बेहद ज री ह। इजरायल म डल ई ट म मौजूद एक य दी देश ह। इसक पूव ह से म वे ट बक और दि ण-प मी ह से म गाजा प यानी गाजा प ी ह। वे ट बक और गाजा प को आमतौर पर फ ल ीन क तौर पर जाना जाता ह। वे ट बक म ' फ ल ीन नेशनल अथॉ रटी' सरकार चलाती ह। इसे संयु रा से मा यता मली ई ह। वे ट बक म ही इ लाम, य दी और ईसाई धम का प व शहर य शलम भी मौजूद ह। वह इजरायल क दि ण-प मी ह से म थत गाजा प- दो तरफ से इजरायल से घरा ह। इसक एक तरफ भूम यसागर ह और एक तरफ से इसका बॉडर म से लगता ह। इजरायल पर ताजा हमला इसी गाजा प से कया गया ह। जसपर साल 2007 से हमास का क जा ह। इजरायल क अपनी सरकार ह। बजा मन नेत या यहां क वतमान धानमं ी ह। वह वे ट बक म ' फ ल ीन नेशनल अथॉ रटी' क तहत फतह पाट क सरकार ह। महमूद अ बास अ बास यहां क वतमान रा प त ह। फ ल ीन और इजरायल क बीच ववाद क न व थम व यु (1914–1918) म ओटोमन अ टबर-2023
सा ा य क हार क साथ ही पड़ गई थी। दरअसल, फ ल ीन पर पहले ओटोमन सा ा य का शासन था। ले कन थम व यु म ओटोमन सा ा य क हार क बाद ि टन ने फ ल ीन पर पूरा क जा कर लया। उस व इजरायल नाम से कोई देश नह था। इजरायल से लेकर वे ट बक तक क इलाक को फल ीनी े क तौर पर जाना जाता था। तब फ ल ीन म य दी अ पसं यक और अरब ब सं यक थे। 1 9 1 7 म ि टन ने सावज नक प से फ ल ीन म "य दी लोग क लए एक रा ीय घर" था पत करने क अपने उ े य क घोषणा क थी। जसे बा फोर घोषणा (अरबी म "बालफोर का वादा") कहा जाता ह। यह बयान त कालीन ि टश वदेश स चव आथर जे स बा फोर ारा लयोनेल वा टर रो सचाइ ड (ि टश-य दी समुदाय क मुख नेता) को लखे गए प क प म सामने आया था। यु क बाद क बाक शासनादेश क वपरीत, यहां ि टश शासनादेश का मु य ल य एक य दी "रा ीय घर" क थापना क लए थ तयां बनाना था- जहां उस समय य दय क आबादी 10 तशत से भी कम थी। जनादेश क शु होने पर, अं ेज ने फ ल ीन म यूरोपीय य दय क आ वासन को सु वधाजनक बनाना शु कर दया। 1922 और 1935 क बीच, य दी आबादी नौ तशत से बढ़कर कल आबादी का लगभग 27 तशत हो गई। उस दौर म फ ल ीन म य दी आ वा सय क सं या म बढ़ोतरी का बड़ा कारण यूरोपीय देश म य दय का उ पीड़न भी था. ि तीय व यु और खासकर जमनी म हटलर क नाजी शासन म य दय क यापक जनसंहार क बाद य दय क लए अलग देश क मांग तेज होने लगी थी। एक तरफ जहां य दय का मानना था क ये उनक पूवज का घर ह। वह सरी ओर फल ीनी अरब भी इस े पर अपना दावा करते थे. इस तरह से फ ल ीन-इजरायल ववाद क शु आत ई।
29 नवंबर, 1947 को संयु रा ने ाव 181 ( जसे वभाजन ाव क प म भी जाना जाता ह) को अपनाया। जसक तहत ि टश शासन क अधीन फ ल ीन को य दी और अरब रा य म वभा जत करने का फसला कया गया। ाव क तहत, य शलेम को संयु रा क अंतररा ीय नयं ण क अधीन रखने का फसला कया गया। अगले ही साल इजरायल ने अपनी आजादी का ऐलान कर दया। 14 मई, 1948 को य दी एजसी क मुख ड वड बेन- गु रयन ने इजरायल रा य क थापना क घोषणा क । अमे रक रा प त हरी एस. मैन ने उसी दन इस नए रा को मा यता दे दी। इजरायल ने जैसे ही अपनी आजादी का ऐलान कया, इसक महज 24 घंट क अंदर ही अरब देश क संयु सेना ने उस पर हमला कर दया। करीब एक साल तक चली इस लड़ाई म अरब देश क सेना क हार ई। अंत म ि टश राज वाला ये पूरा ह सा तीन भाग म बंट गया। जसे इजरायल, वे ट बक और गाजा प ी का नाम दया गया। कसे 1917 से 2020 तक फ ल ीन पर इजरायल का क जा बढ़ता गया। अल जजीरा क रपोट क मुता बक, फ ल ीन पर ि टश शासन से पहले, य दी कल जनसं या का लगभग 6 तशत थे। 1947 से 1950 तक, नकबा या "कटा ोफ" क दौरान, य दी सै य बल ने कम से कम 750,000 फ ल ी नय को न का सत कर दया और ऐ तहा सक फ ल ीन क 78 तशत ह से पर क जा कर लया। शेष 22 तशत को वे ट बक और गाजा प ी म वभा जत कया गया था। 1967 क यु क दौरान, इजरायली सेना ने पूर ऐ तहा सक फ ल ीन पर क जा कर लया और 300,000 से अ धक फ ल ी नय को उनक घर से नकाल दया। 2008 और 2021 क बीच, कम से कम 5,739 फ ल ीनी और 251 इजरायली मार गए। संयु रा क आंकड़ क मुता बक, इजरायल म एक मौत क मुकाबले फ ल ीन म 23 लोग क मौत ई ह। इस दौरान कम से फली ीन-इसरायल संघस
11
कम 1,21,438 फ ल ीनी और 5,682 इजरायली घायल ए ह। संयु रा क आंकड़ क मुता बक, फ ल ीनी गुट से मार गए लोग म से कम से कम 1,255 (22 तशत) ब े थे और 565 (10 तशत) म हलाएं थ । इजरायल क ओर से मार गए लोग म से 121 (48 तशत) सुर ा बल थे। इजरायल- फ ल ीन ववाद क बीच य शलम क इ तहास को भी समझना ज री ह। च लए आपको बतात ह क ये शहर दोन देश क लए य अहम ह। दरअसल, य शलम मुसलमान , ईसाइय और य दय का एक प व ाचीन शहर ह।
य दय क लए 'टपल माउट' और मुसलमान क लए 'अल-हरम अल शरीफ' क नाम से मश र प व थल म 'अल-अ सा म जद' और 'डोम ऑफ द रॉक' शा मल ह। 'डोम ऑफ द रॉक' को य दी धम म सबसे प व थल का दजा दया गया ह। पैगंबर मोह मद से जुड़ होने क कारण 'डोम ऑफ द रॉक' को मुसलमान भी पावन थल मानते ह। 1980 म इजरायल ने य शलम कानून पा रत कया था, जसम दावा कया गया था क "य शलम, पूण और एकजुट, इजरायल क राजधानी ह"। फ ल ीन इसका वरोध करता आया ह। बता द क संयु रा क ाव क मुता बक इसे अंतररा ीय नयं ण क अधीन
प मी य शलम पर 1948 से इजरायल का क जा ह, यहां य दी ब सं यक ह। वह पूव य शलम म फ ल ीनी ब सं यक ह। इस ह से म अल-अ सा म जद प रसर स हत य शलेम का पुराना शहर ह। 1967 म इजरायल ने इस इलाक पर क जा कर लया था। अल-अ सा म जद दोन क लए इतना अहम य ह? दरअसल, अल-अ सा म जद इ लाम का तीसरा सबसे प व थल ह। इसक अलावा य दी भी इसे अपना सबसे प व थल मानते ह। दोन इसपर अपना-अपना दावा करते ह, जो ववाद क एक और वजह ह।
रखने का फसला कया गया था। गाजा प ी एक फ ल ीनी े ह। यह म और इजरायल क म य भूम यसागरीय तट पर थत ह। इस पर हमास का शासन ह। हमास सबसे बड़ा फ ल ीनी सै य समूह ह और े क दो मुख राजनी तक दल म से एक ह. हालां क, यह संगठन इजरायल क खलाफ सश तरोध क लए भी जाना जाता ह। दरअसल, 1948 क अरब-इजरायल यु क बाद नवग ठत गाजा प ी पर म का शासन था। ले कन 1967 म ए छह दवसीय यु म इजरायल ने इस पर फर से क जा कर लया। इजरायल ने करीब 25 साल तक इस पर क जा जमाए रखा। इसक बाद 1 9 9 3 - 1 4 म इजरायल ने
12 फली ीन-इसरायल संघस
टोपर आले षश े ख व
फ ल ीन लबरशन ऑगनाइजेशन (PLO) ारा ह ा रत ओ लो समझौते क शत क तहत फ ल ीनी अथॉ रटी (PA) को गाजा प ी म सरकारी ा धकरण का चरणब थानांतरण शु कया। 2005 म इजरायल ने गाजा प ी से अपने सभी सै नक और नवा सय हटा लया। इसक बाद साल 2006 म हमास ने गाजा म चुनाव जीता. एक साल बाद हमास ने फ ल ीनी ा धकरण (PA) क सुर ा बल को हटाकर गाजा पर पूण नयं ण कर लया। हमास क थापना 1980 क दशक क अंत म, वे ट बक और गाजा प ी पर इजरायल क क जे क खलाफ पहले फ ल ीनी इ तफादा ( व ोह) क शु आत क बाद ई थी। गाजा प ी पर डढ़ दशक से यादा क शासन काल म हमास और इजरायल क बीच संघष जारी रहा ह। दोन ओर से लगातार हमले होते रह जसम हजार लोग क मौत ई ह। फ ल ीनी ा धकरण (PA) ने 2011 म संयु रा म " फ ल ीन रा य" क प म मा यता क लए एक सांक तक तौर पर बोली लगाई। ये मु य प से इजरायल क साथ संबंध म ग तशीलता क कमी को उजागर करने का एक यास था। हालां क, इसे ज री समथन नह मला, ले कन UNESCO ने " फ ल ीन रा य" को एक सद य क प म वीकार कया। नवंबर 2012 म संयु रा महासभा ने फ ल ीन को " गैर- सद य पयवे क रा य" का दजा दया था। जसक बाद फ ल ीन को महासभा क बहस म भाग लेने क अनुम त मली थी और संयु रा एज सय म शा मल होने क उनक संभावना को बल मला था। इसक बाद 2017 म हमास और फतह क बीच एक समझौते पर ह ा र आ। जसक तहत गाजा का शास नक नयं ण फतह भु व वाले फ ल ीनी ा धकरण को स पना था, ले कन नःश ीकरण पर ववाद क वजह से बात आगे नह बढ़ सक । 2022 म फतह और हमास स हत 14 अलगअलग फ ल ीनी गुट क त न धय ने अ जीयस म एक नए सुलह समझौते पर ह ा र करने क लए मुलाकात क , जसम 2023 क अंत तक रा प त और संसदीय चुनाव कराने क ावधान शा मल थे। अ टबर-2023
आलेख
खोजी प का रता:
सड़क िनमाण प रयोजना भारत म े क वकास और कने ट वटी क लए सड़क नमाण प रयोजनाएं मह वपूण ह। हालाँ क, शास नक अ धका रय क भीतर ाचार और मलीभगत क घटना ने इन प रयोजना क ग त म बाधा उ प क ह और उनक गुणव ा से समझौता कया ह। खोजी प का रता ऐसे ाचार को उजागर करने और ज मेदार प को जवाबदेह ठहराने म मह वपूण भू मका नभाती ह। इस लेख म, हम सड़क नमाण प रयोजना से संबं धत खोजी प का रता क मुख पहलु का पता लगाएंगे, जसम न वदा ि याएं, काय आदेश, गुणव ा नयं ण और ाचार को उजागर करने क रणनी तयां शा मल ह। न वदा जारी करना और मू यांकन: न वदा ि या सड़क नमाण प रयोजना का ारं भक चरण ह। खोजी प कार न न ल खत े पर यान कि त कर सकते ह: · प पात क यापकता: ऐसे उदाहरण क जांच कर जहां उ चत त पधा क बना कछ चु नदा ठकदार या कप नय को न वदाएं दान क जाती ह, जससे प पात या मलीभगत का पता चलता ह। · बोली-धांधली: बोली-धांधली क सबूत देख, जहां ठकदार न वदा ि या म हरफर करने और बढ़ी ई क मत पर अनुबंध हा सल करने क लए मलीभगत करते ह। · पारद शता का अभाव: उन मामल क जांच कर जहां न वदा ि या म पारद शता का अभाव ह, जैसे गुम द ावेज़, छपे ए मानदंड, या अ धका रय का अनु चत भाव। काय आदेश और अनुबंध न पादन: एक बार टडर आवं टत होने क बाद, ठकदार को काय आदेश जारी कए जाते ह। प कार न न ल खत पहलु पर गौर कर सकते ह: · अनुबंध उ ंघन: ऐसे उदाहरण क जांच कर जहां ठकदार सहमत व श ता से वच लत होते ह, जसक कारण घ टया अ टबर-2023
म
ाचार को उजागर करना
नमाण, घ टया साम ी का उपयोग, या प रयोजना क दायर म अन धकत प रवतन होते ह। · भूत प रयोजनाएँ: ऐसे मामल को उजागर कर जहां ठकदार गैर-मौजूद या अधूर काम क लए झूठी रपोट और चालान जमा करते ह, जससे सावज नक धन क हराफरी होती ह। · समय सीमा का अनुपालन न करना: प रयोजना क पूरा होने म देरी को उजागर करना और लंबी नमाण अव ध क पीछ क कारण क पहचान करना, जैसे क व ीय लाभ क लए जानबूझकर रोकना। गुणव ा नयं ण और नरी ण: प कार सड़क नमाण प रयोजना म गुणव ा मानक को बनाए रखने से संबं धत न न ल खत पहलु क जांच कर सकते ह: · घ टया साम ी: घ टया गुणव ा वाली नमाण साम ी क उपयोग को उजागर कर, जो सड़क क था य व और सुर ा से समझौता करती ह। · नरी ण का अभाव: ऐसे उदाहरण को उजागर कर जहां आव यक नरी ण और गुणव ा जांच नह क जाती ह या ाचार या लापरवाही क कारण समझौता कया जाता ह। · माणन और परी ण: माणन ि या म संभा वत अ नय मतता क जांच कर, जसम धोखाधड़ी वाली गुणव ा आ ासन रपोट या हरफर क गई परी ण ि याएं शा मल ह। 4. ाचार और मलीभगत को उजागर करना: ाचार और शास नक अ धका रय क मलीभगत को भावी ढग से उजागर करने क लए प कार न न ल खत रणनी तयाँ अपना सकते ह: · हसल लोअर क गवाही: हसल लोअर को ो सा हत कर और उनक र ा कर जो शास नक नकाय क भीतर आचरण और मलीभगत क बार म अंद नी जानकारी दान कर सकते ह। · जांच तकनीक: ाचार और मलीभगत क
सबूत इक ा करने क लए गु रपो टग, छपे ए कमर और गोपनीय ोत का उपयोग कर। · डटा व ेषण: ाचार क पैटन, असामा य लेनदेन, या व ीय ववरण म वसंग तय क पहचान करने क लए व ीय रकॉड, प रयोजना रपोट और आ धका रक द ावेज क जांच कर। · नेटवक बनाना: अपनी जांच को मजबूत करने और पूरी ि या क दौरान कानूनी सहायता सु न त करने क लए गैर सरकारी संगठन , कानूनी वशेष और ाचार वरोधी संगठन क साथ सहयोग कर। सड़क नमाण प रयोजना म ाचार क जांच क दौरान, कई द ावेज़ मू यवान अंत और सबूत दान कर सकते ह। इन द ावेज़ का नरी ण करने से अ नय मतता का पता लगाने और आचरण को उजागर करने म मदद मल सकती ह। वचार करने क लए यहां कछ मुख द ावेज़ दए गए ह: न वदा द ावेज: · न वदा सूचनाएं: न वदा सूचना क काशन म वसंग तय को देख, जैसे क सी मत सार या वलं बत काशन, जो पारद शता क कमी या प पात का संकत दे सकता ह। · बोली मू यांकन रपोट: चयन ि या म संभा वत अ नय मतता , जैसे प पातपूण को रग या मानदंड म हरफर, क पहचान करने क लए मू यांकन रपोट क जांच कर। काय आदेश और अनुबंध: · काय आदेश: ठकदार को जारी कए गए काय आदेश क जांच कर और दायर, व श ता और समयसीमा क संदभ म थरता सु न त करने क लए उ ह न वदा द ावेज क साथ ॉस-रफरस कर। · अनुबंध: कसी भी वचलन, अन धकत प रवतन, या अ प खंड क पहचान करने क लए सरकारी एजसी और ठकदार क बीच अनुबंध समझौत क सावधानीपूवक समी ा
खोजी प का रता: सड़क नमाण प रयोजना
म
ाचार को उजागर करना 13
कर। प रयोजना ग त रपोट: · ग त अपडट: ठकदार ारा ुत क गई आव धक ग त रपोट का व ेषण कर, जसम ा मील क प थर, पूण कए गए काय और कए गए खच का ववरण शा मल ह। वसंग तय या बढ़ा-चढ़ाकर कए गए दाव को देख। · नरी ण रपोट: यह नधा रत करने क लए गुणव ा नयं ण या तीसर प क नरी क क रपोट का अ ययन कर क या उ चत नरी ण कए गए थे, और या कोई लाल झंड या गैर-अनुपालन मु क पहचान क गई थी। व ीय द ावेज़: · चालान और बल: साम ी, म और दान क गई सेवा क लए ठकदार ारा ुत चालान और बल क समी ा कर। बढ़ी ई क मत, ड लकट चालान, या पूर न कए गए काम क भुगतान क जाँच कर। · भुगतान रकॉड: अ नय मतता क पैटन क पहचान करने क लए भुगतान रकॉड क जांच कर, जैसे उ चत स यापन क बना कए गए भुगतान, फज सं था को भुगतान, या
भुगतान क गई रा श म वसंग तयां। 5. प ाचार और संचार: · ईमेल और मेमो: मलीभगत, तरजीही यवहार या अवैध था क संकत क सबूत क लए आ धका रक ईमेल, मेमो और अ य संचार रकॉड क जांच कर। · आपू तकता क साथ प ाचार: संभा वत र त, अ धक मू य नधारण, या गुणव ा से समझौता करने क मलीभगत का पता लगाने क लए ठकदार और आपू तकता क बीच संचार का व ेषण कर। रपोट और ऑ डट: · ऑ डट रपोट: ाचार, व ीय क बंधन, या गैर-अनुपालन से संबं धत कसी भी न कष क पहचान करने क लए आंत रक या बाहरी एज सय ारा आयो जत ऑ डट रपोट क समी ा कर। · प रयोजना पूणता रपोट: यह आकलन करने क लए अं तम प रयोजना पूणता रपोट का मू यांकन कर क या वत रत काय अनुमो दत व नदश से मेल खाता ह और या कोई सम या या वसंग तयां रपोट क गई ह। याद रख, इन द ावेज़ को ा करने क लए भारत म सूचना का अ धकार
14 खोजी प का रता: सड़क नमाण प रयोजना
म
ाचार को उजागर करना
टोपर आले षश े ख व
(आरटीआई) अ ध नयम जैसे कानूनी चैनल का उपयोग करने या हसल लोअर, कानूनी वशेष या गैर सरकारी संगठन क साथ सहयोग करने क आव यकता हो सकती ह। इन द ावेज़ का प र मपूवक व ेषण करना और उ ह ज़मीन पर वा वक काय क साथ ॉस-रफ़र करना सड़क नमाण प रयोजना म ाचार और मलीभगत को उजागर करने क लए मू यवान सबूत दान कर सकता ह। कल मलाकर खोजी प का रता सड़क नमाण प रयोजना म ाचार और मलीभगत को उजागर करने म एक श शाली उपकरण क प म काय करती ह। न वदा ि या, काय न पादन और गुणव ा नयं ण म अ नय मतता पर काश डालकर प कार पारद शता और जवाबदेही को बढ़ावा देने म मह वपूण भू मका नभाते ह। प र मी जांच और रपो टग क मा यम से, प कार जाग कता पैदा कर सकते ह, जनता क राय जुटा सकते ह और अ धका रय को आचरण म शा मल लोग क खलाफ कारवाई करने क लए े रत कर सकते ह। द हर ं
अ टबर-2023
आलेख
िहदू-मु लम सौहाद क िवल ण पैरोकार काजी नज़ ल इ लाम -शैले
वशेष त न ध, आपका त ा- हमालय ह -मु लम सौहाद क वल ण पैरोकार और महत आकां ी बां ला क व- लेखक काजी नज़ ल इ लाम आधु नक बां ला का य एवं संगीत क इ तहास म न संदेह एक युग वतक थे। थम महायु क उपरांत आधु नक बां ला का य म रवी का य को एकमा प र कत व व और चेतना क देन माना जाता ह। रव का य मानवीयता, व बंधु व का णेता और सामा जक वसंग तय से उबरने क सं ांत चेतना का संवाहक ह। गु देव रवी नाथ क बाद 20व शता दी क तीसर दशक म कवल काजी नज़ ल इ लाम ही एक नभ क और सश रचनाकार रह ह। यात य ह क गु देव क प ात सा ह य और संगीत क युगलबंदी म जन यात क वय और सा ह यकार ने अपना ब मू य योगदान दया ह, उनम काज़ी नज़ ल का नाम सव प र ह। नज ल ने लगभग 4,000 गीत क रचना क तथा कई गान को आवाज दी। ज ह 'नज ल संगीत' या 'नज ल गी त' नाम से जाना जाता ह। उ ेखनीय ह क य प काजी नज़ ल इ लाम को अं ेजी सा ह य का उतना गाढ़ ान नह था, तथा प उनक अंत ेतना इतनी वल ण थी क अं ेजी का अ पबोध होते ए भी अं ेजी क कई पुराने क वय क रचना क बर स उनक रचनाएं रखी जा सकती ह। उनम का य का एक नूतन सौ व एवं व प झांकता ह। व वध भाषा क इ धनुषी आकाश म बां ला सा ह य का अवदान संभवत: सवा धक वै श पूण और सुप ठत ह। यहां यह कहना उ चत होगा क भारतीय वा मय उस महासागर क तरह व ीण और अथाह ह जसम अनेक नाले-न दयां अपने अि व को भुलाकर एक साथ वलीन हो जाते ह और एक नवीन प सृ जत हो जाता ह। कहा जा सकता ह क नज़ ल क जीवनदशन और तभा से, 20व शता दी क थमा म सा ह य और संगीत क मेलजोल से एक नए इ तहास क रचना का माग श आ। प म बंगाल और बां लादेश दोन ही जगह उनक क वता और गीत क बृहत या ह। नज ल का ज म 24 मई, 1899 को प म बंगाल क वधमान जले म आसनसोल क नकट चु लया गांव म एक गरीब मु लम प रवार म आ था। उनक ाथ मक श ा धा मक (मजहबी) श ा क प म ई। इनक पता काजी फक र अहमद म जद म इमाम थे और मां जा हदा खातून एक घरलू म हला। दस वष क अ पवय म ही पता का साया सर से उठ गया। तब नज़ ल ने उसी म जद म युिज़न (अज़ान देने अ टबर-2023
वाला) का काय संभाला। उ ह ने ामीण ना समूह 'लेटो' दल क साथ काम करते ए क वता, नाटक और सा ह य क बार म सीखा। 'लेटो' प म बंगाल का लोक गीत शैली ह, जो आमतौर पर उस े क मु लम समुदाय क लोग ारा कया जाता ह (उस े का लोक उ सव ह)। तदनंतर कशोराव था म व भ थएटर समूह क साथ काम करते-करते उ ह ने क वता, नाटक एवं सा ह य का अ ययन कया। उनक चाचा फजले करीम एक संगीत मंडली (नाटक कपनी) क साथ थे। वह मंडली पूर बंगाल म घूमती और शो करती थी। नज़ ल ने मंडली क लए गाने लखे। इस दौरान नज़ ल ने बां ला भाषा को लखना सीखा। 1910 म उ ह ने नाटक कपनी छोड़ दी और सअरसोल राज हाई कल, रानीगंज, आसनसोल म वेश ले लया। वहां जुगांतर से संब श क नबारनचं घटक क भाव म आए। इसक बाद वह माथ न हाई इग लश कल म व ए। यहां व ान क व कमुदरंजन म लक क संपक म आए। यहाां उनक सा ह यक च वक सत ई। ले कन पा रवा रक कारण से वह आगे पढ़ाई जारी नह रख पाए। और वह लोक कलाकार क एक समूह 'का वया स' से जुड़ गए। इसक बाद उ ह ने 1914 म द रयापुर कल म वेश ले लया। जहां सं कत, बां ला, फारसी और अरबी भाषा सीखी। जसक बाद कभी बां ला, तो कभी सं कत म पुराण पढ़ने लगे। आगे इसका असर उनक लेखन म भी नजर आने लगा। उ ह ने पौरा णक कथा पर आधा रत 'शकनी का वध', 'यु ध र का गीत', 'दाता कण' जैसी नाटक लखे। काली, शव और क ण पर भजन भी लखे। मुझे लगता ह कबीर क अलावा नज़ीर अकबराबादी क बाद ह मथक और तीक पर सा ह य रचना करने वाले वह संभवतः अकले आधु नक और बड़ क व ह। सूफ परंपरा का भाव भी उनपर अव य था। खुसरो, मी, फरदौसी को भी उ ह ने पढ़ा था। नज़ ल 1917 म ि टश-इ डयन आम म भत हो गए। उनक तैनाती कराची छावनी म ई। यहां वह कराची क थानीय क वय क संपक म आए और पठन-पाठन पर अ धक समय दे सक। इसी समय बो शे वक ां त से भा वत ए और सा यवादी वचार त आक षत ए। 1919 म उनक एक क वता पु क 'मु ' और एक ग क पु क 'ब लेर आ मक हनी' का शत ई। सेना म रहकर अं ेज क औप नवे शकसा ा यवादी च र को उ ह ने समझा और 1920 म सेना से यागप दे दया। बंगाल वापस लौटकर वह बंगाली मु लम लटररी सोसाइटी से जुड़ गए। इसी वष उनका उप यास 'बंधनहारा' (बंधन-मु ) आया। 12 अग 1922 को उ ह ने
चौहान
अपनी पि का 'धूमकतु' का शत क जसम वतं ता क प म ां तकारी सा ह य छपता था। तभी उनक सवा धक च चत और मह वपूण क वता ' ब ोही' बजली नामक पि का म का शत ई। तभी आनंद का आगमन क वता क काशन क बाद ि टश शासन ने उनपर देश ोह का मुकदमा दज कर दया। व ोही क वता क कछ पं यां देख म महा व ोही अ ांत उस दन होऊगा शांत जब उ पीिड़त का दन शोक आकाश वायु म नह गूंजेगा जब अ याचारी का ख ग नरीह क र से नह रंजेगा म व ोही रण ांत म उस दन होऊगा शांत पर तब तक म व ोही ढ बन भगवान क व को भी लात से देता र गा द क तब तक म व ोही वीर पी कर जगत का वष बन कर वजय वजा व रणभू म क बीच -बीच खड़ा र गा अकला चर उ त शीश म व ोही वीर.. इसक प ात नज़ ल ' ब ोही कोबी' क नाम से पहचाने जाने लगे। क वता ' व ोही' काफ लोकि य ई, जसने उ ह पया त ा और सि दी। क वता म अं ेजी सरकार क खलाफ बागी तेवर थे। इस क वता का कई भाषा म अनुवाद आ। अतः ि टश कमत क आंख म वह हमेशा ही गड़ते रह। 20व शता दी क तीसर दशक म बंगाल म कवल वही एक सश एवं नभ क क व थे। अतः 23 जनवरी 1923 को उ ह गर तार करक जेल भेज दया गया। इसी वष अ ैल म जेल सुप रटडट क अभ यवहार और अशालीन भाषा क तरोध म उ ह ने 40 दन का उपवास कया। गांधी का भाव रहा होगा। उसी वष दसंबर म वे जेल से बाहर आ गए। 1924 म उनक एक और पु क ' बषेर वंशी' का शत ह -मु लम सौहाद क वल ण पैरोकार काजी नज़ ल इ लाम 15
आलेख ई। यह पु क भी अं ेजी सरकार ने तबं धत कर दी। इसक बाद उ ह ने ' मक जा वराज दल' नाम से एक समाजवादी राजनी तक पाट बनाई और सा ा यवादी- दमनकारी अं ेजी स ा क वरोध म वे चेतना फलाने का काम सि य प से करने लगे। 25 अ ैल 1925 को काजी नज़ ल इ लाम ने एक ह लड़क मला देवी से शादी कर ली, जसका काफ वरोध आ था। मला समाज से आती थ । मु लम मजहब क ठकदार ने नज़ ल से कहा क मला को धमप रवतन करना होगा ले कन नज़ ल ने एकदम मना कर दया। इसी समय उ ह ने लांगल नाम से एक सा ा हक प भी का शत कया। 1926 म वे प रवार स हत क णानगर म रहने लगे। 1927 म उनका बां ला गजल का थम सं ह आया। वह ब मुखी तभा क धनी थे। उ ह ने अनेक मौ लक एवं अनू दत सा ह यक रचना जैसे-उप यास, लघुकथा, नाटक, नबंध, अनुवाद और प का रता आ द का सृजन कया। उ ह ने बाल सा ह य भी लखा। वे कशल गायक व अ भनेता भी रह। बां ला फ म ' ुव भ क डायर टर और रवी नाथ टगोर क उप यास 'गोरा' पर आधा रत फ म क संगीत नदशक भी बने। 1928 म वे संगीत क सु स कपनी एचएमवी क साथ जुड़ गए। उसक बाद उनक गीत रा ीय र डयो पर सा रत होने लगे। 1930 म उनक पु क ' लय श ा' आई। पुनः उनपर देश ोह का मामला दज आ और कताब तबं धत कर दी गई। गांधी-इ वन समझौते क बाद रहा ए। तीन वष बाद 1933 म उनका एक नबंध सं ह 'मॉडन व ड लटरचर' भी आया। 1939 म वह कलक ा र डयो म आ गए। तभी उनक प नी मला देवी गंभीर प से बीमार पड़ । पैरा ल सस का अटक पड़ा। उन उनक इलाज क लए नज़ ल ने अपनी कताब क कॉपीराइट तक बेच दए। उधारी बढ़ गई। वे गंभीर आ थक संकट म आ गए जससे वह कभी उबर नह सक। गरीबी पर लखी उनक एक क वता म उनक यह बेबसी प प से देखी जा सकती ह। उसक कछ पं यां ह गरीबी सवा धक अस व ु ह जो घर म मुझसे, मेरी प नी और ब से रोज मलती ह। इन प र थ तय क चलते 1940 म वे गहन अवसाद से हो गए। दो वष बाद उनक थत और गंभीर हो गई। य ग से 1942 म 43 वष क आयु म वह अपनी आवाज़ और याददा त खोते ए एक अ ात बीमारी से पीिड़त होने लगे। यह देखकर 1950 म उनक शंसक और समथक क एक समूह ने उ ह योरोप भजवाने क यव था क । वह प नी स हत लंदन और फर आ या गए। वहां वयना म डॉ हस हॉफ क साथ एक मे डकल टीम ने उनम ' प स डसीज नामक' बीमारी का पता लगाया। यह एक लभ और लाइलाज यूरोडीजेनेर टव बीमारी थी। जसम
याददा त खोने क साथ-साथ बोलने पर भी भाव पड़ता ह और बोलने क श चली जाती ह। 15 अग 1953 को वह वापस कलक ा लौट आए। नज़ ल क वा य म लगातार गरावट आती जा रही थी। बीमारी क कारण वे अलग-थलग पड़ गए और अलगाव म रहने क लए ववश हो गए। उनक ऐसी मान सक हालत क कारण उ ह रांची (झारखंड) मनोरोग अ पताल म भी भत कराया गया। कई वष तक वहां रह ले कन उनक हालत म सुधार नह आ। इसक बाद उनका जीवन ब त क द रहा। उनक प नी उनक देखभाल करती रह । 1962 म मला देवी क मृ यु हो गई। यह ब त पीड़ादायक था। अगले दस वष इसी ख और पीड़ा म बीते। ले कन इन सब परशा नय बावजूद यह तो प ह क उनका इ तहास गौरवशाली था। समाज म चेतना सार और वतं ता ा क लए उनका अवदान चर मरणीय रहगा। सा ह य म तो वह अ णी पं म थे ही। भारतीय वतं ता आंदोलन म नज़ ल क रा वादी सि यता और ां तकारी सा ह य सृजन ही औप नवे शक ि टश अ धका रय ारा उनक लगातार कारावास का कारण बने। जेल म रहते ए ही नज़ ल ने "राजब दीर जबनब दी" ("राधारमण", 'एक राजनी तक कदी का बयान') लखा था। य ह, उनक लेखन ने बां लादेश मु यु क दौरान वहां क मु संघष को े रत कया। नज़ ल ने अपने लेखन म वतं ता, मानवता, ेम, और ां त जैसे वषय को मु य आधार बनाया। उ ह ने क रता और िढ़य का वरोध कया। नज़ ल जीवनपय त रा ीय एकता और सां दा यक स ाव क मजबूत आधारंभ बने रह। सा यवाद म उनक अटट आ था थी ले कन उ ह अहसास था क धमभी जन इस रोग से मु होने म असमथ ह। इस लए धा मक क रता क व और सौहाद एवं स ाव क प म वह सृजनशील भी रह और सि य भी रह। उनक क वता 'सा यवादी' क पं यां ह गाता सा यता का गान जहां आकर एक हो गए सब बाधा यवधान जहां मल रह ह ह -बौ -मु लम-ईसाई गाता सा यता का गान... ि तीय महायु क उपरांत नज़ ल क सा ह य का बृह पठन-पाठन आरंभ आ। तब तक वह बीमारी क गर त म आ चुक थे। नज़ ल क सा ह य को पढ़ने क बाद यह अंदाजा लगाना मु कल नह ह क का य म मु , व ोह, ल गक समानता, सां दा यक सौहाद और ेम आपस म पूरी तरह गुंथे ए ह। इसक लए वे धा मक तीक , मथक और मा यता को अपने ढग से अपनाते ह। ी समानता पर वह न कवल वैचा रक तब ता और यवहारगत उदाहरण ुत करते ह अ पतु क वता इस तरह
16 ह -मु लम सौहाद क वल ण पैरोकार काजी नज़ ल इ लाम
लखते ह, क क ण को चुनौती देते ए कहते ह क 'अगर तुम राधा होते' तो वह महसूस करते जो एक ी राधा क प म महसूस करती ह। उनक एक क वता से अगर तुम राधा होते याम मेरी तरह बस आठ पहर तुम, रटते याम का नाम वन-फल क माला नराली वन जा त नागन काली क ण, ेम क भीख मांगने आते लाख जनम तुम, आते इस बृजधाम उ ह ने बंगाली भाषा म ग़ज़ल को भी समृ कया। एक पु क भी आई। उ ह अपने काय म अरबी और फारसी श द क यापक उपयोग क लए भी जाना जाता ह। इसपर गु देव को भारी आपि भी रही। 'र ो' क जगह खून' का योग उ ह ब त नागवार गुजरा। यह वडबना रही क नज़ ल इ लाम क सा ह य और संगीत क संदभ म त वमूलक और त यपूण व ृत मू यांकन नह हो सका इस े म ब त थोड़-से आलोचक ने यान दया। यह खेद का वषय ह क उनक सम आलोचनाएं ाय: एकांगी रह । वे यु संगत नह थ । उनक अ यंत नकट थ म ने उनक बार म कछ समी ाएं अव य छपवाई। बीच-बीच म ऐसे कछ मोड़ आए जहां उनका का य और संगीत अपने कत व प को खो बैठा। लयह उ ह ने जानबूझकर भी कया। दरअसल कटट उनक लए मह वपूण था फॉम गौण। इस सबक बावजूद नज़ ल बां ला भाषा क अ यतम े सामा जक चेतना क क व रह। नज़ ल क संपूण रचना का कह भी कोई योरा त थवार नह मलता। ले कन य द कसी को नज़ ल क संपूण रचना का व धवत अ ययन करना हो तो उसे प मी बंगाल म थत बालीगंज क पु कालय को अव य देखना चा हए। इसी पु कालय म उनक संपूण रचनाएं संभालकर रखी ई ह। हदी म उनपर ब त कम लखा गया। उनक मृ यु क उपरांत 1976 म क व व णुचं शमा क उनक जीवन पर एक कताब 'अ नसेत'ु नाम से आई। एक जन गीतकार एवं सुर-साधक क प म भी नज़ ल सव थान क अ धकारी ह। 1972 म बां लादेश सरकार क नमं ण पर नज़ ल का प रवार उ ह ढाका, बां लादेश ले गया। वहां सस मान उ ह पीपु स रप लक ऑफ बां लादेश क नाग रकता दान क गई। उ ह बां लादेश ने 'रा क व' घो षत कया। चार साल बाद 29 अग 1976 को बां लादेश म उनक मृ यु हो गई। वहां उनक इ छानुसार उ ह ढाका व व ालय क सामने दफनाया गया।
अ टबर-2023
सृवशे जनष िरपोट तज
कदारनाथ अ वाल बनाम किवताई न मने पाई न चुराई जस समय क व प त और नराला छायावादी का यधारा का प र याग कर ग तवादी का यधारा क े म वेश कया था, उसी समय ह दी का यधारा क तृतीय क व ी कदारनाथ अ वालजी का क वजीवन भी एक छायावादी क व क प म आर भ आ था। क तु बदलते युग ने उ ह ग तवादी बना दया और अ त तक वे ग तवादी ही रह। इस लए इनक क वता म छायावादी और ग तवाद का सम वत भाव व मान ह। 'न द क बादली', 'युग क गंगा' और 'फल नह रंग बोलते ह' इनक स का यक तयां ह। 'न द क बादल' इनक थम का यक त ह जो ग तवाद और छायावाद क सम वय क प म हमार सम आती ह। इस क त क नमाण काल तक कदारजी छायावाद क भाव से मु नह हो पाए थे, जसक स ब ध म उ ह ने वयं कहा ह- ''न द क बादल' क क वताएं वैय क ह, फर भी मेर क व वकास क पहली मं जल क प च ह, जो अभी तक य क य कागज क कलेजे पर जमे ए ह, हीर क ऊपर न श हो गए ह।'' इस कथन से क व क इन क वता क त जो आस ह, जो रागा मक स ब ध ह, वह प हो जाता ह। इस क वता-सं ह म क व क जैसे— ेमस ब धी, क त-स ब धी और कछ छायावाद और यथाथवादी स ब धी क वताएं ह। जस ेम क या या कदारजी करते ह वह उनका गाह थक ेम ह''मने ेम अचानक पाया, गया याह म युवती लाने, ेम याह कर संग म लाया।'' इनक ेम स ब धी क वताएं सहज और नमल भावभू म पर आधा रत ह। जैसे''हम दोन का यार रह, जस वा पर हम तुम लेट। कोमल ह रत उदार रह, रजनी क आंख से जागृत ई र सा ीकार रह।'' ेम स ब धी रचना क प ा क त क च ण का ढग भी क व का वै व यपूण ह। कह क त पर वयं क मनः थ त का आरोप ह, तो कह यथाथवादी ढग का च ण ह। 'अवसान' शीषक क वता क व क यथाथवादी अ टबर-2023
मनोवृि क ओर संकत करती ह, जसम यथाथ को छायावादी शैली म यं जत करने का य न कया गया ह'' दन का को फर चला खूब। मलकर मानव जला खूब।'' इस सं ह क तीन रचना - 'नभ क ओर नहार रहा था', 'अ य प स अनजान' तथा 'वह कौन कहां रहता ह' म रह यवाद का लड़खड़ाता वर ह। प स ेय स क प सु ध ग ध म डबा क व मा नयत क तीक 'न द क बादल ' को जब वदा देकर'ले कन यार न द क बादल, लाल सवेरा होते-होते, चुपक-चुपक चल देते ह, जैसे कभी नह आए थे।'१ युग क गंगा म नभ क वेश करता ह, तब उनक वकास चेतना को एक न त ब मह वपूण दशा को संक तत कर उ ह ग तवादी क यथाथवादी जगत का उ ोषकता घो षत करता ह। 'न द क बादल' रात क जा क बाद दन क लाल सवेर क साथ ओझल हो जाते ह, इस कार मेर उस नये सवेर क साथ ेम क इस सं ह क क वता क इ त ी हो जाती ह। युग क गंगा का य-सं ह म क व नवीन भावना , शैली एवं वषय दोन ही से ग तवादी ह। इसम क व का ग त वर और कठोर प म उभरकर सामने आया ह। १५ अग , १९४७ से पहले और सर महायु क बाद भारतीय जनता ने जो जबरद ा तकारी आ दोलन चलाया, उसी का यथाथ च णइस क वता-सं ह म ह। चाह वे च ा य जीवन म बखर ह , अथवा शहरी ज दगी क अंग ह , दोन क प रवेशगत सं ज दगी का जीवन ब ब जहां क व ने साकार कया ह वह सरी ओर क त 'गे ' का च ण करते ए उसम जीवन क शौय, श और ब लदान क यंजना क ह जैसे''आर-पार चौड़ खेत म चार ओर दशाएं घेर लाख क अग णत सं या म ऊचा गे इटा खड़ा ह।''२ 'बसंती हवा' कदार जी क सव े रचना म से एक ह। ा य जीवन क सरलता, वाथता और उ मु ता क साथ ही साथ जीवन क त
ो चंपा िसंह
एक व थ और आशावादी क छाप 'बसंती हवा' क हसी क वता म प दखाई पड़ती ह''हसी जोर से म हसी सब दशाएं हसे लहलहाते हर खेत सार, हसी चमचमाती भरी धूप यारी, बसंती हवा म हसी सृ सारी''३ क व जीवन-स य का ा तथा उसका कशल अ भ य ा ह। क व क आज देश क आशाएं, देव मू त, सोने क देवता, च कट क या ी, शहर क छोकर, मूलगंज, बु देलख ड क आदमी आ द, सं ह क अ धकांश क वताएं यथाथवादी ह। कह -कह इसी यथाथ को क व ने यं य क मा यम से जनता क चेतना पर हावी साम ती सं कार का उपहास कया ह''छोटी सी देवमू त आले म रखी थी बेचारी औचक ही चूह क ध क से दांसा क प थर पर नीचे गर टट गयी।''४ इसी कार क व ने यं य क मा यम से ई र को क णा सागर समझने क सं कार पर हार कया ह'' च कट क बौड़म या ी सतुआ गुड़ गठरी म बांधे गठरी को लाठी पर साधे लाठी को कांधे पर टांगे, जैसे गुड़ क लोभी च ट ल बी एक कतार बना क अपने-अपने बल से नकले बंडी काली तेलही प हने, छोती ओछी ग दी प हने, ग दे जीवन क अ धकारी।''५ बु देलख ड क जीवन तथा जनता क चेतना क र को क व ने बड़ी ही पारद शता से देखा और कशलता से ऐसे च अं कत कए ह, जससे जनता क जीवन को समझना सरल हो गया ह''ह क हाड़ वाले चौड़ी चकली काठी वाले थोड़ी खेती-बाड़ी र खे
कदारनाथ अ वाल बनाम क वताई : न मने पाई न चुराई 17
सृजन ि तज कवल खाते-पीते जाते।'' यथाथ क और ले जाने वाली कड़ी क प म यह का य-सं ह क व का सव े सं ह ह। यथाथ ही का य-सृजन क मूल ेरणा ह, इस से 'फल नह रंग बोलते ह' क वता अनुभू त स प का य ह। क व ने वयं इसक भू मका म इस क य को य कया ह-''मेरी क वता म मेरा अनुभूत य व तो ह ही, साथ ही साथ उसम युगबोध और यथाथबोध भी ह। येक क वता आ मा वे षणी होते ए भी यथाथ वे षणी ह इनका यह आ म वे षणी य वा दय को आ म वेषण नह ह।'' वयं क व ने इसी सं ह क एक क वता 'मोच' पर म य वादी स यता क वंस क घोषणा क ह— ''म अचेतन और उपचेतन सभी पर, वार करता जा रहा य वादी स यता को वंस बलकल कर रहा ।''६ इस सं ह म वशेष प से क त- च ण हकन नदइी क कनार का एक य- जसम राही जा रहा ह उसक एक सांप पर पड़ती ह, जो धूप से तपते प थर पर बैठा जीभ लपलपा रहा ह, इस य को क व ने कतनी सहजता और सरलता से इस क वता म उकरा ह— ''कन कनार प थी मार प थर बैठा, गुमसुम सूरज प थर सक हरा ह, गुमसुम सांप हवा म झूम रहा ह, गुमसुम पानी प थर चाट रहा ह, गुमसुम सहसा राही ताक रहा ह, गुमसुम''७ क त को क व ने हर रंग म देखा ह, यार कया ह। रात का य दशनीय ह— '' दन हरन-सा चौकड़ी भरता चला, धूप क चादर समट कर खो गई। खेत, घर, वन गांव का दपण कसने तोड़ डाला, शाम क सोना- चरया। नीड़ म जा सो गई, पेड़-पौधे बुझ गए जैसे दए कन ने भी जांघ अपनी ढांक ली। रात ह, यह रात अ धी रात और कोई कछ नह ह बात।''८ इस नदी को क व ने कसी अछती से देखा ह— ''आजह नदी बलकल उदास थी सोयी थी अपने पानी म उसक दपण पर, बादल का व पड़ा था मने उसको नह जगाया, दबे पांव वापस घर आया।''९
नारी और क त क सौ दय को क व ने एक प म देखा ह और उसका इतना उ क च ण कया ह क नारी सौ दय और क त सौ दय घुल- मलकर एक हो गया ह जैसे— “चोली फटी सरस सरस क लहगा गरा फागुनी नीचे। चूनर उड़ी आकाशी नीली नंगी ई पहाड़ी देखो।”१० जहां एक ओर क व ने क त का उ माद च ण कया ह, वह सरी ओर यथाथ से स ब धत क वता को भी अपने का य म मह व दया ह। भूखे कसान क बेट क 'पैतृक स पि ' क प म गांव क यथाथ जीवन का च दखाई देता ह— ''मने उसको, जब-जब देखा लोहा देखा, लोहा जैसा तपते देखा गलते देखा, ढलते देखा मने उसको गोली जैसा चलते देखा।''११ जैसी क वता म लोहा पौ ष का तीक ह। बु देलख ड क आदमी म भी इसी पौ ष का च ह, ले कन यथाथ क आ ह ने उसक एक नया आयाम जोड़ दया ह— ''दीपक क छोटी बाती क मंदी उ जयारी क नीचे घंट आ हा सुनते-सुनते सो जाते ह मुदा जैसे।'' इसम क व का पौ ष नवीन आ था और अ डग व ास लए त व नत आ ह। सामा जक यथाथ क व ुवादी च तो चि त ए ही ह, इसम वह यं य भी ह जो दय पर मा मक भाव डालकर उसे नवीन चेतना से भर देता ह। 'आग का आईना' तो जैसे ज दगी का आईना, जसम जीवन को दशा देने वाली, उसे प रभा षत करने वाली क वता ह— ''लंगड़ क नया भी लंगड़ी ह, ज दगी एक कड़वी ककड़ी ह सबक पास ह अपनी-अपनी कताब दल क ब द वाथ क खुली कोई नह रखता ह सच का हसाब।'' कदारजी क क वताएं स पूण चेतना से उ त होती ह, वे अपनी जगह जमीन और परवेश से जुड़ी होती ह। कोरी क पना क , आसमान म उड़ने वाली रचनाएं वे नह लखते, न ऐसी क वताएं उ ह पस द ह—
18 कदारनाथ अ वाल बनाम क वताई : न मने पाई न चुराई
''वतमान म द ी से र ब त र पीिड़त परा जत अपमा नत और भय और भूख और बीमा रय से जी रहा ह मेरा गांव कम सन टम टमाती ई लालटन क तरह।''१२ एक ओर जहां क व ने मु बोध क मृ यु पर क वता लखी— ''ऐसे मर गया वह न मरने क उ म जैसे कोई नह मरा।''१३ वह सी ओर उनक मृ यु से लाभ उठाने वाल पर यं य भी लखा ह— ''पि का ने उसे स पर टांग दया बड़ा नाम कया अपना ओर उसका वाह र हम और हमारा गांव फरब पर फदा ह मातम।''१४ ा त का वर क व क लगभग सभी क वता म देखने को मलता ह। यहां पर वे तीक का सहारा लेते ए पह लय क लहजे म अपनी बात ब त साफ-साफ समझाते ए कहते ह— '' सपाही का ड डा तोड़ता ह अ डा शा त का दया आ अ डक से नकल आया अस तोष भभक उठा रोष, लहर उठा झ डा ा नत का।''१५ खुदगज आदमी पर लखी कदारजी क एक क वता मानव य व का वघटन ह— ''हम खो गये ह अपने पेट म पैर क सड़क पेट क सड़क हो गयी ह न दल न दमाग न काम न जबान।''१६ ' पंख और पतवार' का य- सं ह क व य तव का सम प म पहचान करा सकने म सफल ह। कदार जी यथाथवादी ह। वे समझते ह क जीवन क यथाथ म क पना क अ टबर-2023
सृजन ि तज पंख भी होते ह और कमठता क पतवार भी। इनक क वता म जीवन सम प म, हर रंग- प म चि त हआ ह, उसम क त और य व क अनतरंग मोरपंखी छ व च ह, तो जीवन क धारा म तलवार क तरह पानी को काटती पतवार क कमठता और कठोरता भी। इस सं ह म क व ने ायः सभी वषय पर क वताएं लखी ह। कह वे देश क राजनी त क त च तत होते नजर आते ह, तो कह क त क प रवेश म समा जाते ह, तो कह यं य का योग कया ह— ''जलती राजनी त अब सहज नह चलती घर क आग म अब दाल नह गलती।''१७ क व का मानता ह क राजनी त क इस जीवन यापी युग म क वता अ भा वत नह रह सकती, पर राजनी त क वता नह हो सकती और न क वता राजनी त। का य वकास पर पात करने से प हो जाता ह क जैसेजैसे इनक राजनी त समझ ौढ़ होती गयी, क वता से समाज व जीवन का रा ा भी जुड़ता गया अेर इनक क वता क धार तेज होती गयी— ''मुंहब द आदमी आंख खोले खुला अखबार पढ़ता ह पं ब श द क शासन से नाक और न शा अनुशासन का गढ़ता ह।''१८ इस कार क व न कई बार अपनी लेखनी ारा शासन क त अस तोष य कया ह। क त क उ छल, फ तभर च ण क लए व यात क व कदारजी ने पहली बार अवसादपूण मनोभाव म क त को अं कत कया ह— ''सूया म समा गयी, सूय दय क सड़क, आकाश क उदास पूणमासी ब ल पंखी चुप-चुप मौसम।''१९ 'न द क बादल' से 'पंख और पतवार' तक क या ा म क व ने नर तर अपने भाव तथा वचार को मांजकर नखार लाया ह। अपनी प नी ि यतमा से े रत होकर क व ने 'ह मेरी तुम' रचनाएं रची ह। जैसे क क व ने वयं कहा ह- ''ह मेरी तुम', इसे मैने स र साल क उ म अपनी प नी को इस कार स बो धत कया ह, और अपने सुख- ख का भागीदार उसे बना लया ह, खुद पढ़ता , उसे सुनाता , उसको पढ़ने देता , वह भी इस नया से चलने से पहले इसे कछ मेरी तरह समझ ल, तो शायद अ टबर-2023
उसको भी स तोष हो। मेरी यही धारणा ह।'' प नी, े मका, सहचर क साथ-साथ मन क सरी ऊजा और क शश क साथ जीने सुलगने क इ छा, उ क चढ़ते दौर म भी मला। वयोग का वह हष, अवसाद इन क वता म ह। शरीर का अ त मण कर ेम जब मन क सात परत क भीतर जमकर थायी हो जाता ह, जब पछली मृ तयां नर तर मू यवान होते ए भी ेममय जीवन का पाथेय बन जाती ह, तो वतमान साहचय उनसे गुं जत, अनुगुं जत होता रहता ह। इसम क व ने ऐसी क वताएं लखी ह जो उनक मनोदशा क उतार-चढ़ाव को ब त अ छी तरह कट करती ह— ''ह मेरी तुम चड़ीमार ने चिड़या मारी न ह मु ी तड़प गयी यारी बेचारी ह मेरी तुम, सहम गयी पौध क सेना पाहन प थर ए उदास हवा हाय कर ठठक ठहरी पीली पड़ी धूप क देही।''२० क व क इन क वता म कह -कह मृ यु का भय ह। वे काल को र बताते ए कहते ह क हम कसी भी कार क प र थ त म एकसर का साथ नह छोड़गे— ''ले कन अपना ेम बल ह सुख- ख दोन साथ पएंगे काल र से नह डरगे नह डरगे नह डरगे।''२१ ेम क स दभ म क व का उ ास इस तरह कट होता ह— ''ह मेरी तुम गठरी चोर क नया म मने गठरी नह चुरायी इस लए कगाल भु खड़ शहशाह और तु हारा यार तुमसे पाता यार ।''२२ यह यार कभी बूढ़ा नह होता। यह भीतर क 'सधी लो वाला यार' ह और नौजवान क उमंग को मात करने वाला ह। क व ने अनेक वषय पर भी क वताएं 'मार, यार क थापे' सं ह म लखी ह, ले कन उन सभी का स ब ध मानव से जुड़ा ह। मानव समाज से जुड़ा ह। क व हमेशा से अपने देश क त च तत रहा ह। पहले जब देश गुलाम था,
तब वह अपनी क वता म अं ेजी शासन क व क वता लखते थे, ले कन जब देश आजाद हो गया और अपने देश क शासक अपने ही देश क जनता को पीिड़त करने लगे, तो इ ह ने देश क भ व य को यान म रखकर अपनी आगे आने वाली पीढ़ी से आशाएं बांधी क वह अब ऐसे जंगल राज का अ त करगी— ''तब वह तु ह समझेगी शेर क तरह तुम पर झपटगी न बच पाओगे तुम न बच पाएगा तु हारा जंगली जनत आि य क मारने का तु हारा चौमुखी ष ं ।''२३ क व ने ऐसे य क आलोचना भी क ह जो न घर क ह न घाट क, न देश क ह, न वदेश क— ''अह क अ धे बस खाल क अंधेर म, खगोल और भूगोल खोजते ह।''२४ वैसे तो क व ने इस सं ह क रचना अपनी प नी से े रत होकर क ह, पर तु उ ह ने अ य वषय को भी अपनी रचना से र नह कया ह। 'गुल मेहदी' का य-सं ह म क व ने 'युग क गंगा' क बयालीस क वताएं स म लत क ह, जसक कारण १९४७ का ा तकारी भाव इस सं ह म चुर मा ा म दखाई पड़ता ह— ''आज मंडलाकार मेघ सा उमड़घुमड़कर शासन को थराने वाला को ट-को ट क ठ का जनमत भारत क आजादी क हत ओजपूण गजन करता ह।''२५ जहां क व ने अपनी क वता म एक ओर भारत क आजादी क हत क बात क ह, वह पूंजीप त जब नद ष जनता का शोषण करते ह तो वह कहते ह— ''काश इ ह आजादी क भी ऐसी उ कट भूख सताती पूर शा सत होकर जससे ये जी-जान लगाकर जुटते ाला एक जलाकर ण म आदमखोर गुलामी भखते।''२६ क व ने हमेशा से नबल का प लया ह,
कदारनाथ अ वाल बनाम क वताई : न मने पाई न चुराई 19
सृजन ि तज हमेशा उसे धैय बंधाने का काय कया ह, तभी तो वह इस कार क क वता लखते ह— ''हार न मानो और न हारो, जीना जानो यह जीवन क आन हमारी शान ह, और हमार भुजवीर क ान ह।''२७ ा तकारी जन उभार अभाव का दद भी क व क ब त सी क वता म देखा जा सकता ह। जैसे— ''ऐसा लगता ह जैसे ब द पड़ा इस समाज म क ल जड़ा ।''२८ इस सं ह क ब त बड़ी वशेषता यह ह क इनम जनता क पछड़पन को, उसक अ ध व ास को नजरअ दाज ही नह कया ह, ब क कानपुर क मज र से बांदा जले क कसान तक से प र चत क व कदारजी जनजीवन को मा नयत क चादर से ढक नह देते। 'जनता का जीवन' क वता इसका य माण ह— ''अ धकांश जनता का र ी क टोकरी का जीवन ह, सं ाहीन, अथहीन बेकार चर-फट टकड़ सा पड़ा ह देरी ह- एक दन, एक बार, आग क छने क राख हो जाना ह।'' कानपुर क मज र क जीवन को आधार बनाकर भी क व ने क वताएं लखी ह— ''कांखते हांफते रोज क बदबू म सड़ते ह नया क सूरज डबे छ ी पा क ज दा रहने से उकता क ठरा पीता ह, और सो जाता ह भोर होने पर होश म आता ह और फर कमाने चल देता ह, कह एक कोने म बैठा, हाथ चरस क चलम दबाएं, गुपचुप-गुपचुप फक लगाता। शेष आयु का धुआं उड़ाता।''२९ वतमान समाज यव था म जनश कसे बबाद होती ह, इसक ओर कदारजी ने बारबार यान दया ह। क व का म और कसान क म का उ े य क व ने एक ही माना ह— ''छोट हाथ गुनी यानी ह, मौ लक थ को रचते ह मानव क सु दरतम क तयां मानव को अ पत करते ह।''३० कदारजी समाज चेता क व ह, गहरी जीवनआ था क क व ह और जन-जन क संघष म अपनी लेखनी से सदैव सोग देते रह हइनक क वता म कसान का म भी ह,
अपनी ि य कन नदी भी स म लत ह, ा तकारी भाव भी मलते ह जो जनता को जागृत करता ह। 'क वताई न मने पाई न चुरायी' इसे मने जीवन जोतक कसान क तरह बोया और काटा ह। यह मेरी अपनी ह और मुझे ाण से भी यारा ह। पेशे से एडबोकट होते ए और आढ़ तय तथा सूदखोर क नता त संवेदनशू य ब ी बांदा म एक नीरस-बेजान ज दगी तथा उससे जुड़ वैसे ही पेश क नय त को भोगते ए भी कदारजी अपने समय और अपनी पीढ़ी क मह वपूण क व क प म पहचान बना सक ह तो इसका कारण और कछ नह , उनक इस क वताई क रंग-रशे म य वह कसानसंवेदना ह। जसका ज उ ह ने अपनी क वता म कया ह। कसान, मज र और क त पर लगातार क वता लखने वाला यह क व एकरस, ऊसर या बंजर नह दखाई देता, क क एक वषय पर लखी उसक दजन क वताएं पछली भू म को छोड़कर नयी भू म का उ खनन करने लगती ह, इस से कदार जी वरले क व ह, ज ह ने कसान , मज र , गरीब पर यादा क वताएं लखी ह। यह आक मक नह ह क उनक क वता म लोहा श द क बार-बार आवृि होती ह- ''मने उसका जब-जब देखा, लोहा देखा।'' यह लोहा तीक ह- इस देश क मजीवी समाज का , जसको संघष क राह से मोड़ना आसान नह ह, जब क सरी जगह यह लोहा पूंजीवाद का लौह कारागार बन जाता ह, जहां ट कर मक क हि य से होती ह— ''कसे जए क ठन ह ट , नबल हम बलहीन ह भ कर तलझन ताबड़तोड़ कराकर ह ीक लोह से ट कर।'' क व ने अपनी क वता म जन दीनहीन, द लत उपेि त वं चत क सजना क ह, वे जीवन से खी तो ह पर नराश नह ह, य क उनक पास उ मीद क एक करण हमेशा उनक आंख म शेष ह। उनक जीवन का कल जमा पूंजी ह संघष। इस संघष क बना वे जो नह सकते, य क संघष ही जीवन ह, और जीवन म संघष व न पैदा करता ह— ' ' आंख खुली कर उठा कलेजा कड़का धूल झाड़कर सोता मानव फड़का रात ढली दन आ उजैला दौड़ा ताबड़तोड़ चला बज उठा हथौड़ा।'' क व क म सौ दय क शंसा व नाथ ि पाठीजी ने करते ए कहा ह-- '' ग तशील
20 कदारनाथ अ वाल बनाम क वताई : न मने पाई न चुराई
क वय म कदारनाथ अ वाल ने हथोउ़े और ह सया को क व-कम म जतना सौ दय वधायक बनाया ह उतना और कसी ने नह । हथौड़ा तो कदारजी का ि य वषय ह, वे हथौड़ से उसी तरह क वता बनाते ह जैसे लोहर हल का फाल, हथौड़ा खुद लोह से बनाता ह और लोह से नमाण भी करता ह। जैसे क व मनु य ह और क वता से मनु य गढ़ता ह। यह क व और मक क यानी कलाकार और श पी क एका मकता ह, जो समाजवादी सौ दय क वशेषता ह, यह म, संक प चेतना ही समाजवादी सौ दय बोधा मक सजन ह।'' कदारजी 'धरती और धूप' क क व ह यह बात शमशेरजी ने उक स का य 'फल नह रंग बोलते ह' क समी ा करते ए कह थी। क व क यथाथवादी क वता लखने म जतनी मदद मा सवादी दशन से मली, उससे कह यादा बु देलख ड क जनता क लगाव से। उनक क व-मन क भीतर एक औसत, खे तहर, मज र और कसान का लगाव इस तरह काम करते ह जैसे उनका क व पैदा ही आ ह— ''इन सबक मु क लए। इ ह वशेषता को देखकर ग तवादी समी क राम वलास शमा ने कदारजी को ' म का सूरज' क व कहा ह। म का यह सूरज क व भारतीय कसान और मजूदर क नय त को उससे कह अ धक जानता ह, इसका कारण इनक क वता म भारतीय क ष जीवन और मजूदर जीवन का यथाथ सबसे यादा यथाथपरक और सहज ह।'' य द यानपूवक देखा जाए तो क व क संवेदना मक बुनावट बु नयादी तौर पर ि कोणा मक ब ब ध - नारी, क त और मजूदर कसान क का या मक गाथा ह। क वता का थायी भाव क त ह। प रणाम व प कभी नारी और क त का जोर चेतन को फ रत करता ह, तो कभी मज र, कसान का संघष और क त का ताना-बाना क व क संवेदन को का य सं कार देता चलता ह। क व क त का ंगार नह करता, ब क क त क गोद म पलने-पुसने वाले जीवन ज तु क कशल ेम से लेकर उनक रंगराग, ज मो सव तक का भी याल रखता ह। गलहरी का ज म दन क व कतने त मय भा से मना रहा ह— ''नीम क पेड़ पर चढ़ी बैठी आज अपना ज म दन मनाती ह सखी-सह लय क साथ अ हउ़ गलहरी जैसे कोई राजकमारी अ टबर-2023
सृजन ि तज राजमहल क अ तरंग म बनाए अपना ज म दन राजप रवार क साथ।'' ऐसे च ण इस लए स भव ह क क व बु देलख ड क धरती और क त से उसी तरह जुड़ थे जैसे एक वशाल वृ पृ वी म शायद अपनी वशाल जड़ से बंधा होता ह— ''पेड़ नह पृ वी क वंशज ह फल लए फल लए मानव क अ ज ह।'' कदार ह दी क स दय और भावुक क व ह। इ ह ने अपने का य जीवन का आर भ ेम और ंगार क रोमानी क व क प म कया। उनक ेम स ब धी क वताएं एक सीमा तक छायावाद क भाव तथा यंजना त व से भा वत थी। युग प रव तत आ, कदारजी क पना से यथाथ क भू म पर उतर, जसका प रणाम उनक का य क त 'युग क गंगा' ह जसम क व ने एक ओर यथाथ को अपनी क वता
अ टबर-2023
का वषय बनाया, तो सरी ओर अपने का य म क त को अ धक मह व दया ह। इसी कारण इनक क वता म 'फल नह रंग बोलते ह'। 'आग का आईना' नामक का य-सं ह म क व ने पूर समाज को एक आईना दखाने का यास कया ह। 'पंख और पतवार' म जीवन क सम प को हर रंग- प क साथ चि त कया ह। 'ह मेरी तुम', 'मार यार क थाप' क वता-सं ह क व ने अपनी प नी से े रत होकर रची ह। 'गुल मेहदी' हर वषय से स ब धत का यसं ह ह। वा व म कदारजी का का य-सं ह ही मनु य क संवेग क मा यम से भावा मक जगत का नमाण करता ह, जो क नः वाथ भाव से उ को ट क नै तकता को जगाता ह और साम ती संक त क त अ च उ प करता ह। कदारजी आ था क साथ कहते ह- ''नवीन काश ाचीन जजर ंखला म नह बंधेगा।'' क व ने जीवन क वकट थ तय म लोकजीवन एवं आ थक वैषमय क मा यम से
जीवन क उस सू म त य क ओर संकत कया ह जो क कारा तर से जीवन का अतुलनीय सौ दय ह और भ व य क त एक अपार आ था को जगाता ह। स दभ १ न द क बादल, पृ ३१ / २ युग क गंगा, पृ १६ / ३ वही, पृ १४ / ४ वही, पृ २४ / ५ वही, पृ २५ / ६ फल नह रंग बोलते ह, पृ ७७ / ७ वही, पृ २३ / ८ वही, पृ ५८ / ९ वही, पृ ४७ / १० वही, पृ १७८ / ११ वही, पृ ९८ / १२ आग का आईना, पृ ६४ / १३ वही, पृ २९ / १४ वही, पृ ३० / १५ वही, पृ ६७ / १६ वही, पृ ८४ / १७ पंख और पतवार, पृ ४१ / १८ वही, पृ ४० / १९ वही, पृ ३४ / २० ह मेरी तुम, पृ १३७ / २१ वही, पृ १४ / २२ वही, पृ ७३ /२३ मार यार क थाप, पृ ७९ / २४ वही, पृ ७५ / २५ गुलमेहदी, पृ ३० / २६ वही, पृ ६२ / २७ वही, पृ १५८ / २८ वही, पृ १२९ / २९ वही, पृ ४७ / ३० वही, पृ १३५
कदारनाथ अ वाल बनाम क वताई : न मने पाई न चुराई 21
सृजन ि तज
म-तुम-हम, जग-जल-थल क रग का अनूठा कोलाज -अ नता पाटील
कदार क क वता को कई तरह से आंका जाता ह। उनको ग तवादी आंदोलन से जुड़ा देख, शो षत -मज र क जीवनांकन को देख उ ह हम ायः ग तशील धारा का क व कहते ह। म क त ा वाली क वता से हम उनक मा सवादी वचारधारा से -बहोते ह ले कन नह भूलना चा हए क उनक का य म जीवन का सबसे अहम त व ' ेम' कई रंग म, कई र पर मौजूद ह। वे मकशो षत-मज र क प र थ तय का वणन करते ए भी उनक ेम क कोमल भावना को अ यंत संवेदनशीलता क साथ ुत करते ह। वैसे स र साल क ल बी अव ध म उ ह ने जो का य-सृजन कया, उसक परख करने पर उजागर हो जाता ह क उनका का य-संसार अ यंत यापक ह, जसम सृ क अनंत रंग समा हत ह और क वता क अंतव ु पर य द गौर कर तो प होता ह क ेम और क त स दय क क वता से आरंभ करक उ ह ने जनवादी चेतना को अपना कर शो षत-पीिड़त मानव समुदाय क उ ार क लए अपनी क वता क दायर को समाज क उपेि त कई वग तक फलाने का यास कया ह। उनक का य म अ भ य ेम-भावना प नीेम से शु होकर क त क त अनुराग म व ार पा गई ह और मक वग क साथ उनक दली लगाव से म-स दय क त अ मट ा उ प ई ह। इसी व ार क कारण उनक का य म जीवन क अन गनत रंग इ धनुषीय आभा क साथ मौजूद ह। उनक क वता म मौजूद अनंत रंग से मेरा सीधा प रचय एम ए क श ा क दौरान आ। हालां क, तब तक म उ ह कवल ' ेम का क व' ही मानती थी और 'ह मेरी तुम' १९८१, 'मार यार क थाप' १९८१ क कछ क वता से ब त भा वत भी थी। मानना होगा क ेम एक ऐसा रंग ह, जो सबको अपने रंग म रंगता ह और फर य लहर -सा नाचने-झुमने लगता ह। खास तौर पर कदान क न न क वताएं सुनासुनी मुंह जुबानी याद हो गई थ'ह मेरी तुम सोई स रता! उठो, और लहर –सी नाचो तब तक, जब तक
आ लगन म नह बांध लूं और चूम लूं तुमको! म मलने आया बादल !' -ह मेरी तुम सोई स रता, फल नह , रंग बोलते ह, १९८१- और 'आज नदी बलकल उदास थी सोई थी अपने पानी म, उसक दपण परबादल क व पड़ा था। मने उसको नह जगाया, दबे पांव घर वापस आया।' -आज नदी बलकल उदास थी, फल नह रंग बोलते ह, १९८१और म इ ह, एक सांस, एक लय म गाया करती थी और इन गीत क गाने का सल सला आज तक बरकरार ह। जब वे ेम क बात कर रह होते ह, तो क त क हर अंगरंग का मानवीकरण करते ह। यह मानवीकरण जीवन से र नह ह और उनका ेम ट रयोटाइप, सनातन, द कयानूस नह ब क प रवतन म अटट व ास रखने वाला ह। यही वजह ह क उनक क वता म ेम क अनेक रंग व मान ह। उनक क वता से गुजरते ए यह सहज ही समझा जा सकता ह क ेम एक ऐसा त व ह, जो सावका लक ह और काल भी उसे नह जीत सकता। गौरतलब ह क ७० साल क उ म भी कदार अपनी प नी, को 'तुम' ही संबो धत करते थे। वृ ाव था क बावजूद काल उनक ेम म झु रया पैदा नह कर सका। उ ह ने 'ह मेरी तुम' का य संकलन म लखा भी ह- 'इस सं ह का नाम मने 'ह मेरी तुम' रखा ह। म अपनी प नी को 'तुम' कह कर ही यार से स बो धत करता । इसी लए मेरी प नी यानी 'तुम' इन क वता म स बो धत होकर 'ह मेरी तुम' हो गई ह। भले ही कछ लोग को यह नाम व च लगे, मुझे तो ब त ही सहज और सरल लगता ह। मुझे तो ऐसा लगता ह क जैसे म अन त काल तक अपनी प नी को पुकारता, जीता र गा और अपना मन स ेह खोलता र गा। हम दोन क न रहने पर ी हम दोन एक सर से जीते-जैसे बाते करते रहगे और हमार घर क ये कट बी पौधे फल लाते रहगे और हमारी, आज जैसी याद, सब को दलाते रहगे।' –ह मेरी तुम, पृ ७, सा ह य भंडार,
22 म-तुम-हम, जग-जल-थल क रंग का अनूठा कोलाज
इलाहाबाद, २००९कदार क ेम का यह ैका लक या शा त प ह। वा व म हम जससे ेम करते ह, वह सदा-सवदा अपनी मृ तय म मरणातीत बना रहता ह। सच तो यह ह क ेम का रंग छोड़ नह छटता। ले कन भारतीय समाज यव था म ेम करना ओर ेम पर लखना अ यंत जो खम भरा काम रहा ह और कदान ने यह जो खम उठायी। दो राय नह क जीवन क येक मोड़ पर हम ेम और मृ तय क रंग म बारंबार रंगते रहते ह। इसी लए कदार कहते ह'ह मेरी तुम! जी रहा ज दगी अपनी और तु हारी, एक साथ, हाथ म लये हाथ।' -वा य पूरा कर रहा , ह मेरी तुम, पृ ६७, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९- एक- सर से अलहदा रहकर दोन क जदगी एकसाथ जीने का ज बा सा ह य म नए अथ क अपार संभावनाएं लए कदार क क वता म उप थत आ था। यान देना होगा क ' ेम' से ता पय कवल 'मांसलता' ही नह ह, ले कन बना मांसलता क ेम पूण हो ऐसा भी संभव नह । य द आकषण ेम का अवल ब ह तो न य ही कोई-नकोई प भी अ नवाय ह। बना प क आकषण नह और बना आकषण क ेम नह । जब प-आकषण- ेम क सीढ़ी चढ़ जाएं तो मांसलता से कसे बचा जा सकता ह। अशोक ि पाठी ने 'जमुन जल तुम' क भू मका 'क फयत क बाद' म प कया ह- '' ेम मानवीय जीवन क एक अ नवाय मूल वृि ह। अगर ेम का स ब ध हम मासलता से जोड़ने का साहस कर और जो न य ही मांसलता से उपजता ह, तो ेम रोटी क भूख क तरह एक भूख भी ह, जसक तृ अ नवाय ह अ यथा जीवन म असंतुलन अप रहाय ह। ेम को कवल दय से जोड़कर देखना उसे शु भावना का यापार बताना, हल करना ह। ले कन इसका ता पय यह कदा प नह ह क ेम का स ब ध कवल मांसलता से ही ह। पर तु, ेम का स ब ध मांसलता से भी ह, इसम भी शंका क गुंजाइश अ टबर-2023
सृजन ि तज नह ह।'' –जमुन जल तुम, पृ ६, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९- दे खए कदार का वणन''उसक अंग क छने क अब व ुत दौड़गी इनम उसक ओठ क चु बन क अब म दरा उतरगी इनम उसने मेरी सेज सजायी सेज सजाकर संग सुलाया संग सुलाकर अंग मलाया ओठ को रस पान कराया।'' -उसक अंग को छने क , जमुन जल तुम, पृ ४७, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९ जीवन क यही स ाई क ेमपाश म बंध कर ही सुकन मलता ह। आ खर यह मान लेने म या हज ह क ेम क बु नयाद आकषण ह और यह आकषण ही हम बांधे रखता ह। ''आ द क व वा मी क से लेकर क वता म घोर ृंगा रक अ भ य क बावजूद वासना से र हत मानी जाने वाली सूर क क वता तथा मया दत ेम क तीक तुलसी क क वता तक म, ेम का उ म ोत पाकषण ही रहा ह।'' –जमुन जल तुम, पृ ६, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९- वरना तुलसी अपनी प नी से मलने क लए अं धयारी-बरसाती रात म बाढ़ आई नदी पार कर य जाते? ले कन यात य ह क कदार का ेम कवल ेमी- मलन तक सी मत नह ब क इस ेमच ांकन म सृ क येक अंग का अंतसंवाद और च र ांकन होता ह। इसी लए व नाथ ि पाठी ने लखा ह- ''कदार क त क वशेषतः बादल, प थर, पानी, हवा, म ी, वृ क और फसल-क ष, फल क स दय का च ण मन लगा कर करते ह, क ष फल क त का म क मा यम से सं क त का पांतरण ह। फसल ह तो मनु य क म सं क त कतु वह क त का ही प लगती ह- उपयो गता एवं स दय क अ यो या यता का सव म प।'' – व नाथ ि पाठी, पेड़ का हाथ, पृ १६, वाणी काशन, २००२- यह भी क जहां उपयो गता ह, वहां सुंदरता भी ह। और जहां सुंदरता ह, वहां न य ही ेम ह। ' ेम' एक प रमंडल म सं ल होकर अनेक रंग म अं कत होता ह। दो राय नह क ेम और स दय जीवन क दो ऐसे अ नवाय त व ह, इनक बना कोई रचना संभव नह हो सकती। इससे पर रहकर कोई रचना जीवन क मम को ा पत भी नह कर सकती। सव- वीकाय होगा क जीवन का मूल आधार ' ेम' और 'स दय' ही तो ह। इस लए हम मा सवादी वचारधारा क बात करते ए भी ' ेम' क ही बात कर रह होते ह। कसी क त अपन व का भाव ही तो ेम ह। मा स को शो षत से अपन व था और उ ह अपनी प नी अ टबर-2023
जेनी से ेम तो था ही और इस ेम ने ही अंततः नया को एक नवीन वचारधारा दी, जो हमेशा बलवती रहगी। ेम क लए फसत क पल क ज रत नह होती। बाग-बगीचे और होटल म सजावट भर कमर कवल ज मानी और इ कया मजाज वाल क लए हो सकते ह। ेम बे फ क लए नह और उसका कोई पयाय भी नह । ह तो बस एक- सर क लए फ यानी चता। यही चता ेमी क च को एक- सर क साथ बनाए रखती ह। मज र भी अपनी प नी- े मका से ेम करता ह और वह सदा क लए करता रहता ह। ''शो षत और मज र भी ेम करता ह, उसक ज दगी म भी गाह-बगाह कोमल भावना क संवेदनशील ण आते ह, जब वह अपनी प नी-ि या क त अ त र स दय- स हो उठता ह।'' –जमुन जल तुम, पृ ७, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९कदार का ेम परक या- ेम नह ब क वक या- ेम ह, जो च म 'अपन व क चता' लए ए चरकालीन ह और 'तुम बन मेरा या होगा' क तुलना म म तु ह अकला नह होने ंगा और अकले ही ःख झेलने न ंगा क भावना से ओत ोत ह। वह साथ और हाथ छोड़ना नह चाहते, इस लए कहते ह''ह मेरी तुम! जी रहा ज दगी अपनी और तु हारी, एक साथ, हाथ म लए हाथ।'' -वा य पूरा कर रहा , ह मेरी तुम, पृ ६७, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९कहा जा सकता ह क कदार क क वता म जीवन क हर रंग मौजूद ह। इ ह रंग ने पाठक को आक षत कया ह। इसी लए राम वलास शमा ने 'मेर सा ा कार' म कहा ह- '' हदी आलोचना म कदार क चचा कम ही ई ह, यह सही ह, क तु उनक क वता का एक बु पाठक वग हमेशा रहा ह और वह बराबर बढ़ता गया ह। कदार क रचना म राजनी त क नणायक भू मका ह, क तु राजनी त से हटकर उ ह ने जो क वताएं लखी ह, वे कम मह व क नह ह। ऊपर से ब त सरल दखने वाली क वता म कला मक स दय क बारी कयां छपी ई ह।'' –मेर सा ा कार, राम वलास शमा, पृ १२४, कताबघर काशन, २००७- मुलाहजा ह यह क वता''ह मेरी तुम! घटते – घटते अब ब कल घट गई मेरी औकात,
ग दश-गुबार म आ थक अंधकार म।'' -न चलता घर, ह मेरी तुम, पृ ३३, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९- क वता म य 'आ थक अंधकार' कई अथ को समा हत कए ए ह। यह अंधकार वृ होने क बाद भी तो उपजता ह। पेशे से वक ल ठहर कदार जी क आ थक थ त ब त अ छी नह थी। कमा सन गांव से उ ह कोई आमदनी न थी। दय से क व ठहर कदार का मन वकालत म नह लगता था। ले कन आ थक साधन क अभाव म वकालत करनी पड़ती थी। जब तक वे सरकारी वक ल रह, तब आ थक थ त ठीक रही होगी। ६४ साल क उ म १० अ ैल १९७५ को डा शमा को एक प म वे लखते ह- ''वकालत बगड़ रही ह। पेशे से बेपेशा हो रहा । देखो ये खच कब तक चलते रहगे। इधर खच ही खच ह। नाती क शादी म ब त कछ लगेगा।'' –पेड़ का हाथ म उ ृत, पृ ६, वाणी काशन, २००२- जो क''घटत-ेघटत,े अब ब कल घट गई मेरी औकात, ग दश-गुबार म आ थक अंधकार म।'' -न चलता घर, ह मेरी तुम, पृ ३३, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९- क भाव का सटीक बोध कराता ह और 'आ थक अंधकार' अ य प र थ तज य भी हो सकता ह। दे खए – ''ह मेरी तुम! वृ ए हम ए हम, डकमार संसार न बदला, ाणहीन पतझार न बदला, बदला शासन, देश न बदला, राजतं का भेष न बदला, भाव-बोध-उ मेष न बदला, हाड़-तोड़ भी-भार न बदला ह मेरी तुम! कसे जय? यही ह मसला।'' वृ ए हम, ह मेरी तुम, पृ १७, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९क वता का न कोई े ही नधा रत कया जा सकता और न सीमा ही। वह हर दायर से मु होकर ही उसक अ तवत नया क यथाथ को उागर कर सकती ह। ऐसा करते ए वह अपने हर श द म अनेक अथ-रंग- संग समा हत कए होती ह। कहा जा सकता ह क क व मु भाव से सबको मु करने क सतत को शश करता ह और उ मीद करता ह क''जीवन क धारा, धारा काट नठुर कगारा, मानव को मानव हो यारा,
म-तुम-हम, जग-जल-थल क रंग का अनूठा कोलाज 23
जग हो फल गुलाब हमारा।'' -फल तु हार लए खला ह, ह मेरी तुम, पृ १८, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९'ह मेरी तुम' को लेकर हम ायः यह सुनते आए ह क यह क वताएं कवल प नी को स बो धत कर लखी गई ह। कमला साद ने 'क तवा तीर' म सही लखा ह- ''ये क वताएं प नी को स बो धत होकर ी उतनी ही सर क लए ह। यहां पतनी का र ता दो शरीर का नह , चीज , फल- पि य , पेड़- पौध , पालतू जानवर , अनुभव , सपन , सामा जक हरकत , जमाने क त शकायत , जीवन क व भ रागा मक आदान- दान से बने आ वाकय से भरपूर ह। इन सभी र त को क व ऐंि य सु दर नया से पाता ह। देखने म यहां दो ाणी ह, पर जाने-अनजाने इ तहास और सं क त तथा देश-काल से ढले दोन जन नमूने क तौर पर पूरी नया भी होते ह। प नी ोता होकर अनुभव क अजन म भागीदार ह। संकलन म क व सामा जकता को पा रवा रकता बना लेता ह- ''त य, श प, प और रचना वधान क साथ दरअसल इसी पा रवा रकता क लए यव था क जाल म फसा, कमजगत क सजना मकता से उ छ म यवग ललक रहा ह। कदार जी कहते ह- अ छा आ, हम आधु नक बोि क न ये और टटते-टटते भी पेड़-पौध और फल को यार करते रह।'' –कमला साद, क वता तीर, पृ १२८, वाणी काशन, २००९कदार क क वता क क म यार ह और जीवन का क और मूलाधार भी यार ही तो ह। यह यार हर र पर मौजूद ह। जब वे कहते ह- '' चड़ीमार ने च डया मारी, न ह -मु ी तड़प गई यारी बेचारी। ह मेरी तुम! सहम गई पौध क सेना, पाहन-पाथर ए उदास, हवा हायकर ठठक ठहरी पीली पड़ी धूप क देही।'' - चड़ीमार ने चिड़या मारी, ह मेरी तुम, पृ १३, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९- तो चिड़या क मौत क साथ-साथ वे क त क येक अंग क उदासी- ःख को अ भ यं जत करते ह। इसी तरह क संवेदनशीलता 'आज नदी बलकल उदास थी' मे दखाई देती ह। कदार ने अपनी क वता से प कया ह क ेम ही सबको जीत सकता ह। उसक आगे काल क भी कछ नह चलती। कदार ने लखा ह''काल कलूटा बड़ा र ह। उसका चाक और र ह
उससे यादा। ले कन अपना ेम बल ह। हम जीतगे काल र को, उसका चाक हम तोड़गे, और जयगे, सुख- ख दोन साथ पयगे, काल र से नह डरगेनह डरगेनह डरगे।'' -काल कलूटा बड़ा र ह, ह मेरी तुम, पृ १४, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९- इसी लए ' ेम' क ताकत को क व ने अजेय, र, काल को तोड़ने वाली कहा ह। यही जजी वषा ह। इसी क बल-बूत आम आदमी अपनी अं तम व वजय क लए आ ह। क व इसी क ओर इशारा करता ह, यह कहते क, ''ह मेरी तुम, यही खुशी ह, यार न बदला।'' कमला साद, क वता तीर, पृ १२८, वाणी काशन, २००९कदार क वता म कवल अपनी ही अपनी बात नह करते। उनक का य-संकलन 'ह मेरी तुम' और 'मार यार क थाप' म अ भ य 'म' व व क ववेचना से व ार पाकर 'हम' म त दील हो गया ह ओर जग-जल,थल, य त -सव को समेट ए ह। कदार ने 'मार यार क थाप' क भू मका म लखा भी ह- ''म मा नजी य व का रच यता कभी नह रहा और न मने आज तक अपने-ही-अपने को क वता म रचा ह। म समाज और देश से ऊपर उठकर कोई ऊचा या गैर आदमी नह बना और न मने ऐसा कछ बनने का यास ही कया। हां, यह अव य ह क एक दाश नक से, म, जग और जीवन क घटना म को देखता-समझता और परखता रहा और उनका मानवीय मू यांकन उसी क बल पर करता रहा । ऐसी रही मेरी ग तशीलताइसी से बनी ह मेरी मान सका- यही मान सकता क वता म य ई ह। इस लए यह क वताएं न णक अनुभू त क ामा णकता क पुि यां ह, न अकलेपन क नजता क राजकमा रयां।'' –भू मका, मार यार क थाप, पृ ५, सा ह य भंडार, इलाहाबाद, २००९कमला साद ने इस बात को रखां कत करते ए लखा ह- 'मार यार क थाप' एवं 'ह मेरी तुम' क ''क वता म अ धकांशतः एक ऐसा ध , और 'म' क आमने-सामने का संसार ह, जसम 'हम' का पांतरण संजीदगी क साथ हो गया ह। कछ ओर क वता म रोजमरा क घटनाएं अपने पूर आकार म रच ली गई ह। उनम घटना का राजनी तक च र और
24 म-तुम-हम, जग-जल-थल क रंग का अनूठा कोलाज
सृजन ि तज
न हत मानवीय मू य का व प घुला- मला तो ह ही, अ ततः वे क व क रचना- ि या म ढल-ढल कर क वताएं बन गई ह- उनका घटनापन छट गया ह। क वता से बाहर जैसा क उ ह ने कहा भी ह क ग तशीलता का कतई यह ल य नह होता क क वता क वता न रह, नंगी-बूची हो जाए और य अथवा राजनी त का बचन मा क वता को संि इकाई होला ही चा हए। ले कन ऐसा होने म उसे का यशा ीय जामा नह पहनाना चा हए। ऐसी क वता क ग तशीलता नई मान सकता क ग तशीलता होती ह जो दाश नक से बनती ह और न पत होकर स य का समथन और अस य का उ मूलन करती ह।'' –कमला साद, क वता तीर, पृ १२६-१२७, वाणी काशन, २००९अपने ेम से, दल से बाव ा होते ए, अपने इद- गद क चीज को समेटते ए कदार ने जो वणन कया ह, वह जतना सरल ह, उतना ही संि भी। वह जीवन और ेम म आ गु थय को बड़ ही आसानी से सुलझाने वाला ह। आज क समय म कदार क वशेषतः दो का य-संकलन- 'ह मेरी तुम' और 'मार यार क थाप' का बारंबार अ ययन होना चा हए। न य ही ऐसा करने से बखर ए र त और समट ए ज बात को सही दशा मल सकती ह। वा व म जीवन क पूंजी 'एक- सर का साथ' ह, ' यार' ह ओर सव प र ह 'मानवीयता क भावना'। य द एक- सर का साथ ही छट जाए और इ सान असंवेदनशील-अमानवीय बन जाए, तब क त का मानवीकरण कसे संभव होगा! 'कोयल क कक' और ' चिड़या क चहचहाट' से मन म उपजने वाली ेम-स दय भावना को परखने- जीने- जलाने और रखां कत करने क लए संवेदनशील दय क ज रत होती ह और य द संवेदनाएं ही धीर-धीर संकट हो जाएं तो कसी भी भावना से मानवीय मू य को कसे आ मसात कया जा सकता ह! 'म' का 'तुम', 'हम' और 'सब' म अंतरण से ही जीवन को बेहतर दशा मल सकती ह और और क ःख-दद से बाव ा आ जा सकता ह। कसी भी भावना से मू रत होने क लए ' व' का 'स व' जानना और अ य त व का अंगीकार करना आव यक ह, जसे कदार क क वता से गुजरते ए महसूस कया जा सकता ह। -सहायक ेफसर ाटस, ता मलनाड क ीय व व ालय, आवासीय प रसर, नाग कड़ी प रसर, कगला ेरी पो ट, त वा र-610101 मो : 8508303014
अ टबर-2023
सृवशे जषन िरपोट तज
र ते का पंचनामा - यामल बहारी महतो
"म तु ह बेटा क या साढ ...?" बाप रामदीन भरी पंचायत म इकलौते बेट राधे याम सेबार बारपूछता रहा। और बेटा राधे याम बार बार यही कहता रहा“आप मेर बाप हो और बाप ही रहोगे….! राधे याम राधा क ओर देख रहा था। और राधा-राधे याम क ओर । इ तहास क प म लखा जाने वाला यह एक अनोखा और ऐ तहा सक पंचायत फसला होने जा रहा था। ऐसा मामला न कभी कसी ने देखा था न सुना था। पंच हरान और असमंजस म डबे नजर आ रह थे। पर पंचायत म औरत क भागीदारी चूतड म ताल देने जैसा ही लग रहा था। उधर युवा क बीच हवाबाजी जैसा माहौल था। इन सबसे बेखबर रामदीनकपार पर हाथ धर एक कोने म बैठा आ था या यूं क हए क बेट राधे याम ने उसे कोना पकड़ा दया था। जहां रह रह कर उसक कान म उसक बचपन क दो महश बाबू क कही बात आ आ कर टकरा रही थी जैसे कभी कभी पानी क लहर प थर से टकराती ह "रामदीन, तुम दोन हर वष क ण ज मा मी क दन राधा और राधे याम को राधा-क ण बना देतो हो, अगर बड़ होकर ये दोन सचमुच क राधा क ण बन घूमने लगे तब या करोगे-कभी कभी बचपन क आदत छटने क बजाय और गहरी होती जाती ह, ऐसा कई बार देखा सुना गया ह...!" "अर नह महश बाबू!" रामदीन हसा था-" ऐसा थोड़ न होता ह, बचपन खेलने कदने का दन होता ह, बड़ा होने पर सब र त म बंध जाते ह। तु हारी सोच फजूल ह।" "देखते ह आगे आगे होता ह या!" घटना डोमनीडीह क ह। इस गांव म हमेशा कछ न कछ नया योग होता रहा ह। साल पहले इसी तरह क एक पंचायत बैठी थी तब कसुमहतो क जमीन हड़पने क लए उसक इकलौती पु ी को उसी गांव क घन याम ने अपहरण कर लया और एक स ाह अपने साथ रखा। पंचायत बैठी। पंच ने लड़क से इजहार लया। लड़क बोली- "घन याम ने मेरी इ त क साथ खेल लया ह अब सर को खेलने कसे द। यही मेरा मरद होगा।" अंधे को अ टबर-2023
या चा हए दो आंख। घन याम और उसका बाप यही तो चाहता था। उसक बाद कईय ने। इस तरह का योग कया और सफल रहा था पर राधा और राधे याम वाला योग इस पंचायत क लए ब कल नया था -नथ उतारने जैसा ही...! दो दन पहले रामदीन थाने म जाकर बेट राधे याम पर कल खानदान को धोखा देने क मामले को लेकर कस कर दया था।बयान पर लखवाया- "मेर बेट राधे याम ने, हमार कल खानदान क नाक कटवा दी ह। इ ह ने वो नीच काम कया ह जो पीिढ़य से हमार खानदान म कसी ने आज तक नह कया ह। मेरी चल अचल संपि म अगर इसको ह सा चा हए तो राधा को उसे छोड़ना होगा-उसे भूलना होगा....!" बेट ने बाप को इट का जवाब प थर से दया। बयान म लखवाया- "राधा मेरा बचपन का पहला और इकलौता यार ह। राधा को म भूल जाऊ ये हो नह सकता और राधा मुझे यभूल जाए-छोड दे यह म होने नह ंगा। राधा ह तो राधे याम ह। राधा नह तो राधे याम भी नह । म बाप क संपि को छोड़ सकता , राधा को नह ....!" थाने क बड़ा बाबू का सर चकराने लगा। जीवन म इस तरह का पहला कस था। जवाब म लखा "रामदीन, मामला बड़ा पे चदा ह, दोन बा लग ह और दोन ने सांइस सीटी म शादी कर ली ह। आज सांइस क आगे भूत- ेत क कोई अह मयत नह रह गई ह। कानून आपक कोई मदद नह कर सकती ह। आप पंचायत बुला लो। पंचायत ही इसका सही फसला दे सकता ह..!" दौड़ा दौड़ारामदीन प चा था अपनी ससुराल।बुढ ससुर से कहने लगा- "अब आप ही कछ कर सकते ह, राधा को समझा बुझाकर अपने घर ले आइए, वरना हम नया म अपना मुंह दखाने लायक नह रहगे..!" "दामाद बाबू, पानी सर से ऊपर बहने लगा ह,मेड बांधना संभव नह ह, अ छा होगा खेत का कनारा ही खोल दो।गलत लाड़ यार का नतीजा कभी अ छा नह आ ह..!" "बुढा स ठया गया ह ....!" रामदीन कढ़ते ए ससुराल से नकल गया था।
रामदीन रात भर करवट बदलता रहा। सुबह ई पर वह कसी नतीजे पर नह प च सका था..! बेट ने या खूब सबक दया था। उस लाड़ यार का जो उसे बचपन म मला करता था। राधा जब पांच साल क थी तो मां मर गई थी। भोज काज क बाद जब रामदीन प नी बेट क साथ घर लौटने लगा था तो दरवाजे क सामने राधा टअर जैसी खड़ी हो गई थी। च पा देवी बड़ी बहन थी और राधा सबसे छोटी। उसक सीने म मां जैसी फ ल स जाग उठी।लपक कर उसने राधा को गोद म उठा लयाऔर साथ ले आई। राधे याम राधा से एक वष बड़ा था। इस तरह दोन साथ साथबढ़ और पढ़। क ण ज मा मी क दन च पा देवी राधा को राधा रानी बना देती और रामदीनराधे याम को क ण क तरह सजा देता! और दोन प त-प नी खूब आनं दत होते। राधे याम कोबांसुरी बजाना नह आता पर तु राधा से चुहल करना उसे खूब आता था। यही चुहलबाज़ी और क ण सा सरारत समय क साथ जाने दोन को कब कतना करीब ले आया दोन म कसी को पता नह ! पहले म डल कल फर हाई कल और कॉलेज। एक ही मकसद एक ही ल य! -"दोन जयेग भी अब साथ साथ-" जब ये कसम दोन खा रह थे तब दोन कॉलेज क बाहर क एक होटल म समोसे खा रह थे और ये गीत गुनगुना रह थे- "छोड़गे न हम तेरा साथ वो साथी मरते दम तक .."यह देख होटल वाला भी मु करा रहा था ।यह अनोखा लगाव कब दोन क लए ज रत बन गई, इसका एहसास तब आ जब एम सी ए करने क बाद राधे याम को हदराबाद क एक म टीनेशनलसॉ टवेयर कपनी से बुलावा आ गया। जाने लगा तो राधा रा ा रोक खड़ी हो गई" मेरा या होगा! तु हार बगैर म यहां पानी बन मछली क तरह तड़प तड़प कर मर जाऊगी...!" " चतामत करो राधा रानी, ाइ नग और रहने क यव था होते ही म तु ह हदराबाद घूमाने क बहाने बुला लूंगा। फर सोचेग आगे हम या करना ह.." और राधे याम चला गया था। राधा को वृ दावन सुना सुना लगने लगा । दन भर कमर म पड़ी रहती। च पा देवी क ब त कहने पर कभी थोड़ा ब त कछ खा लेती। पर खाने क र ते का पंचनामा 25
सृजन ि तज व भी उसका सारा यान राधे याम पर लगा रहता था। प ह दन बीत चुका था पर राधे याम का न फोन नंमैसेज। राधा पागल ई जा रही थी। शाम को फोन करने का उसने तय कर लया था तभी दोपहर को उसक फोन पर मैसेज घूसा- "अपने सार समान क पै कग कर लो, सीट क फम हो चुका ह, कल शाम हदराबाद ए स ेस म बैठ जाना। म समय पर टशन प च जाऊगा...!" राधे याम ने मां को अलग से मैसेज कया"मां, राधा हदराबाद क चार मीनार देखनाघूमना चाहती ह, उसका रलवे टकट क फम ह। कल शाम उसे हदराबाद ए स ेस म बठा देगी- लीज मां....!" बेट क आ ह ने च पा देवी को आगर का ताजमहल देखने क याद ताजा कर दया था। तभी च पा देवी को दोन क यार को समझ लेनी चा हए थी पर वो तो राधा को गाड़ी म बठाने ऐसे चली आई जैसे कोई मां बेटी को ससुराल वदा करने आती ह-अब भूगतो लो। अपना नाक अपने हाथ काटने चली। राधा का राधे याम क पास प चने क दो दन बाद घर म रामदीन क हाथ राधा और राधे याम क लखे कई प हाथ लगे तो रामदीन न द से जागा। प से ही उसने जाना क राधा और राधे याम जीवन क रा े म दोन कतने आगे नकल चुक ह। कदम दोन का कतना आगे बढ़ चुका ह। इतना तो ापर म क ण राधा क कदम भी नह बढ़ थे। रामदीन ने घर म कसी से कछ नह कहा। मन म तय कर लया। लौटने दो दोन को लौटा से पटगा। उधर राधा और राधे याम ने हदराबाद सांइस सीटी म र त क टटटी करवा दी और एक मं दर म जाकर दोन ने शादी कर ली। इसक सूचना राधे याम ने फोन पर अपने बचपन क
26
र ते का पंचनामा
म सुदामा को दया। जवाब म सुदामा ने कहा- "तुम दोन गांव लौटना नह । तु हार यार का भ डाफोड हो चुका ह, तु हारा बाप सांप क तरह फफकार रहा ह- "आने तो दो..!" और तु हारी मां अपने ममता क गला घ टने क बात कहती फर रही ह- " यार करने क लए राधा ही मली थी उसे ..!" आगे या करोगे तुम जानो ...! और फोन कट गया था। राधे याम राधा को लेकर नवरा म घर लौटाप त प नी क प म! घर क दरवाजे उन दोन क लए बंद मला। "इस घर म इन दोन क लए कोई जगह नह ह ..!" बाप दरवाजे पर खड़ा हो गया था। सुदामा का घर ही उन दोन क लए ठकाना बना था । पर अब तक ..? सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया था। "रामदीन...वोरामदीन .. अर भाई कहां खो गया ह...?' मु खया जी ने आवाज लगाई तो रामदीन सहसा उठ खड़ा हो गया" जी मु खया जी ..!" "रामदीन आप एक बार फर सोच ली जए, दोन जवान ह और दोन ने शादी कर ली ह, आपको रखना ह या नह ...?" "हमने कह दया मु खया जी, इन दोन ने जो अपराध कया ह उसे म या कोई शहर भी इ ह रहने क जगह न दे।" "ठीक ह, आप बैठ जाइए..." मु खया जी ने पूरी पंचायत पर एक नजर डाली फर बोला -" राधे याम तुम दोन ने जो अपराध और पाप कया ह, एक प व र ते को कलं कत कया ह, उससे पूर समाज का सर नीचा आ ह । न छटने वाला दाग़ लगाया ह तुम दोन ने उसक सफ एक सजा हो सकती ह ...!" मु खया जी ण भर क लए क थे। सामने राधे याम क मां एक औरत से उलझ गयी थी । रामदीन ने जाकर उसे शांत कया ।
मु खया जी कह रह थे -"इस अपराध क एक ही सजा हो सकती ह क तुम दोन को ध क मार कर गांव से बाहर कर दया जाए। ले कन म इसक प म नह । अपराध तो तुम दोन ने कया ह पर ऐसा भी नह क उसे माफ नह कया जा सकता हमेरा फसला ह क धंसा आ मंडपथान को तुम दोन एक महीने क अंदर फर से खड़ा कर दो- नया बना दो, इससे तुम दोन का अपराध क सजा भी माफ हो जाएगी और पाप भी कट जाएगा..! य भाई लोग आप सब क या राय ह...?" "आपने ठीक कहा मु खया जी..!" "हां हां मु खया जी हम सब भी आपसे सहमत ह..।" इससे पहले क राधे याम कछ कहता उसका बाप बोल उठा" यह भी कोई सजा ई, म सहमत नह ..!" "यह पंचायत का फसला ह रामदीन कवल मेरा नह ...!" "हम तैयार ह मु खया जी...!" राधे याम ने कहा और राधा को लेकर सुदामा क घर क ओर बढ़ गया। रात को रामदीन प नी च पा से कह रहा था"हमारा लान कामयाब रहा । तुम जो चाह रही थी ब क प म तु ह राधा मल गई. और मेर इ तहान म मेरा बेटा पास हो गया...!" "बड़ा कडा इ तहान लया तूने मेर बेट का...!" "सोने क तरह नखर भी तो गया...!" "मां ! राधा मौसी को अपने घर क ब बनाने क लए आप दोन ने इतना बड़ा खेल रचा..!" देखा बेटी संगीता दरवाजे क सामने खड़ी कब से उन दोन क सारी बात सुन रही ह....! पो ट-तुरीयो, जला बोकारो, झारखंड-829132 फोन नं : 6204131994
अ टबर-2023
सृजन ि तज
युग आते ह और युग जाएं वशेष त न ध, आपका त ा- हमालयः म य देश ांत म थत एक ाचीन शहर ह व दशा। यह मालवा क उपजाऊ पठारी े क उ र-पूव ह से म अव थत ह तथा प म म मु य पठार से जुड़ा आ ह। ऐ तहा सक व पुराता वक कोण से यह े म यभारत का सबसे मह वपूण े माना जा सकता ह। नगर से दो मील उ र म जहाँ इस समय वैसनगर नामक एक छोटा-सा गाँव ह, ाचीन व दशा बसा आ ह। यह नगर पहले दो न दय क संगम पर बसा आ था, जो कालांतर म दि ण क ओर बढ़ता गया ह। यह वे वती नदी क तट पर बसा ह, जसक पहचान आधु नक बेतवा नदी क साथ क जाती ह। बेतवा क सहायक नदी धसान नदी क नाम म अव श ह। कछ व ान इसका नामकरण दशाण नदी (धसान) क कारण मानते ह, जो दस छोटी- बड़ी न दय क समवाय प म बहती थी। अनेक संदभ क अनुसार यह दशाण देश क राजधानी थी। इन ाचीन न दय म वे वती उफ वेतवा क साथ एक छोटी-सी नदी मलती ह जसका नाम वैस ह, उसका संगम ह। इसे व दशा नदी क प म भी जाना जाता ह। इस नगर क भौगो लक थ त अ त मह वपूण थी। पाट लपु से कौशा बी होते ये जो यापा रक माग उ यनी (आधु नक उ ैन) क ओर जाता था वह व दशा से होकर ही गुजरता था। महाभारत, रामायण एवं ाचीन सा ह य म व दशा नगर का सबसे पहला उ ेख महाभारत म आता ह। इस नगर क वषय म रामायण म एक परंपरा का वणन मलता ह जसक अनुसार रामच ने इसे श ु न को स प दया था। श ु न क दो पु उ प ये जनम छोटा सुबा नामक था। उ ह ने इसे व दशा का शासक नयु कया था। थोड़ ही समय म यह नगर अपनी अनुकल प र थ तय क कारण पनप गया। भारतीय आ यान, कथा एवं इ तहास म इसका थान नराले तरह का ह। इस नगर क नैस गक छटा ने क वय और लेखक को ेरणा दान क । वहाँ पर कछ वदेशी भी आये और इसक वशेषता से भा वत ये। अ टबर-2023
क तपय बौ थ क वणन से लगता ह क इस नगर का स ब ध संभवत: कसी समय अशोक क जीवन क साथ भी रह चुका था। इनक अनुसार इस नगर म देव नामक एक धनीमानी सेठ रहता था जसक देवा नामक सु दर पु ी थी। अपने पता क जीवनकाल म अशोक, उ यनी का रा यपाल नयु कया गया था। पाट लपु से इस नगर को जाते समय वह व दशा म क गया थां देवा क प एवं गुण से वह भा वत हो उठा और उससे उसने ववाह कर लया। इस रानी से मह नामक आ ाकारी पु और संघ म ा नामक आ ाका रणी पु ी उ प ई। दोन ही उसक परम भ थे और उसे अपने जीवन म बड़ ही सहायक स ये थे। संघ म ा को बौ थ म व दशा क महादेवी कहा गया ह। इस नगर का वणन का लदास ने अपने सु स थ मेघ त म कया ह। वासी य अपने संदेशवाहक मेघ से कहता ह- अर म ! सुन। जब तू दशाण देश प चेगा, तो तुझे ऐसी फलवा रयाँ मलगी, जो फले ये कवड़ क कारण उजली दखायी दगी। गाँव क म दर कौ आ द पि य क घ सल से भर मलगे। वहाँ क जंगल पक ई काली जामुन से लदे मलगे और हस भी वहाँ कछ दन क लये आ बसे होग। ह म ! जब तू इस दशाण देश क राजधानी व दशा म प चेगा, तो तुझे वहाँ वलास क सब साम ी मल जायेगी। जब तू वहाँ सुहावनी और मनभावनी नाचती ई लहर वाली वे वती (बेतवा) क तट पर गजन करक उसका मीठा जल पीयेगा, तब तुझे ऐसा लगेगा क मानो तू कसी कटीली भौह वाली का मनी क ओठ का रस पी रहा ह। वहाँ तू प च कर थकावट मटाने क लये 'नीच' नाम क पहाड़ी पर उतर जाना। वहाँ पर फले ए कद ब क वृ को देखकर ऐसा जान पड़गा क मान तुझसे भट करने क कारण उसक रोम-रोम फरफरा उठ ह । उस पहाड़ी क गुफ़ा से उन सुग धत पदाथ क ग ध नकल रही होगी, ज ह वहाँ क र सक वे या क साथ र त करते समय काम म लाते ह। इससे तुझे यह भी पता चल जायेगा क वहाँ क नाग रक कतनी वतं ता से जवानी का आन द लेते ह। का लदास क इस
वणन से लगता ह क वे इस नगर म रह चुक थे और इस कारण वहाँ क धान थान तथा पुरवा सय क सामा जक जीवन से प र चत थे। शुंग क समय म इस नगर का राजनी तक मह व बढ़ गया। सा ा य क प मी ह स क देख-रख क लये वहाँ एक सरी राजधानी भी था पत क गई। वहाँ शुंग-राजकमार अ न म स ाट क त न ध (वाइसराय) क प म रहने लगा। यह वही अ न म ह, जो का लदास क 'माल वका न म ' नामक नाटक का नायक ह। इस थ म उसे वै दश अथा व दशा का नवासी कहा गया ह। उसका पु वसु म यवन से लड़ने क लये स धु नदी क तट पर भेजा गया था। देवी धा रणी, जो अ न म क धान म हषी थ उस समय व दशा म ही थ । 'माल वका न म ' म अपने पु क सुर ा क लये उ ह अ य त याकल दखाया गया ह। शुंग क बाद व दशा म नाग राजा रा य करने लगे। इस नाग-शाखा का उ ेख पुराण म आ ह। इसी वंश म गणप तनाग आ था, जसक नाम का उ ेख समु गु क यागशि म आ ह। वह बड़ा परा मी लगता ह। उसक रा य म मथुरा का भी नगर स म लत था। वहाँ से उसक स क मले ह। कछ लोग का अनुमान ह क जब समु गु उ री भारत म द वजय कर रहा था उस समय वहाँ क नव राजा ने उसक व एक गुटब दी क , जसका नायक गणप तनाग था। ऐसा गुट सचमुच बना या नह , इस वषय म हम ब त न त तो नह हो सकते। पर इतना प ह क उस समय क राजमंडल म गणप तनाग का नाम बड़ ही आदर क साथ लया जाता था। भर त क लेख से लगता ह क व दशा क नवासी बड़ ही दानी थे। वहाँ क एक अ भलेख क अनुसार वहाँ का रव त म नामक एक नाग रक भर त आया आ था। उसक भाया चंदा देवी ने वहाँ पर एक भ का नमाण कया था। भर त क अ य लेख म व दशा क क तपय उन नाग रक क नाम मलते ह, ज ह ने या तो कसी मारक का नमाण कया था या वहाँ क मठ क भ ुसंघ को कसी तरह का दान दया था। इनम भूतरि त, आयमा नामक म हला तथा वे ण म क युग आते ह और युग जाएं 27
सृजन ि तज भाया वा शक आ द मुख थे। कला क े म इस नगर का मह व कछ कम नह थां पे र लस नामक वदेशी महाना वक क अनुसार वहाँ हाथी-दाँत क व ुएँ उ र को ट क बनती थ । बौ थ क अनुसार वहाँ क बनी ई तेज़ धार क तलवार क बड़ी माँग थी। इस थान स शुंग-काल का बना आ एक ग ड़- भ मला ह, जससे ात होता ह क वहाँ पर वै णव धम का वशेष चार था। इस भ पर एक लेख मलता ह जसक अनुसार त शला से ह लओडोरस नामक यूनानी व दशा आया था। वह वै णव मतावल बी था और इस भ का नमाण उसी ने कराया था। सां क तक से यह लेख बड़ा ही मह वपूण ह। यह इस बात का प रचायक ह क वदे शय ने भी भारतीय धम और सं क त को अपना लया था। व दशा म इसी तरह और भी भाग से लोग आये ह गे। इस धमक म अपने आ या मक लाभ क लये लोग ने मारक का नमाण कया होगा। व दशा को क द पुराण म तीथ थान कहा गया ह। व दशा- गंज बासौदा सड़क माग पर ह लओडोरस ारा न मत व दशा का ग ड़भ कला का एक अ छा नमूना ह। वह मूलत: अशोक क ही भ क आधार पर बना था पर साथ ही उसम कछ मौ लक वशेषताय भी ह। इसका सबसे नचला भाग आठ कोन का ह। इसी तरह म य भाग सोलह कोने का और ऊपरी भाग ब ीस कोने का ह। यह वशेषता हम अशोक क भ म नह दखाई देती। इससे लगता ह क व दशा क कलाकार नपुण थे और उनक तभा मौ लक को ट क थी ह लओडोरस भ पूव मालवा क बेसनगर (वतमान व दशा) म थत ह। इसे लोक भाषा म "खाम बाबा" क प म जाना जाता ह। एक ही प थर को काटकर बनाया गया यह भ ऐ तहा सक से ब त ही मह वपूण ह। भ पर पाली भाषा म ा ी ल प का योग करते ए एक अ भलेख मलता ह। यह अ भलेख भ इ तहास क बार म मह वपूण जानकारी देता ह। इसे 'ग ड़ वज' या 'ग ड़ भ' भी कहा जाता ह। नौव शुंग शासक महाराज भागभ क दरबार म त शला क यवन राजा अंत ल खत क ओर से सरी सदी ई. पू. म ह लओडोरस नाम का एक राज त नयु आ। इस राज त ने वै दक धम क यापकता से भा वत होकर 'भागवत धम' 28 युग आते ह और युग जाएं
वीकार कर लया था। उसी ने भ भाव से भगवान व णु क एक मं दर का नमाण करवाया तथा उसक सामने 'ग ड़ वज' नामक भ बनवाया। इस भ से ा अ भलेख इस कार ह देव देवस वासुदेवस ग ड़ वजे अयं का रते इ य ह लयो दरण भाग वतन दयस पु ेण नख सला कन योन तेन आगतेन महाराज स अंत ल कतस उपता सका रजो कासी पु ( ) (भा) ग (भ) स ातारस वसेन (चतु) दसेन राजेन वधमानस। "देवा धदेव वासुदेव का यह ग ड़ वज ( भ) त शला नवासी दय क पु भागवत ह लओवर ने बनवाया, जो महाराज अं त ल कत क यवन राज त होकर व दशा म काशी (माता) पु ( जा) पालक भागभ क समीप उनक रा यकाल क चौदहव वष म आये थे।" मं दर क माण: वतमान म इस भ क पास न मत मं दर अब न हो चुका ह, ले कन पुराता वक माण इस बात क पु करते ह क ाचीन काल म यहाँ एक वृ ायत मं दर था, जसक न व 22 सटीमीटर चौड़ी तथा 15 से 20 सटीमीटर गहरी मली ह। गभगृह का े फल 8.13 मीटर ह। दि णापथ क चौड़ाई 2.5 मीटर ह। इसक बाहरी दीवार भी वृ ायत ह। पूव क ओर थत सभामंडप आयताकार ह। यह से मं दर का ार था। न व म लकड़ी क ख भे होने का माण भी मला ह। पुराता वक माण यह भी बताते ह क यहाँ पहले कल 8 भ थे, जसम पहले ग ड़, ताड़प और मकर आ द क च बने ए थे। इन भ म सात भ एक ही कतार म मं दर क पूव भाग म, उ र-दि ण क तरफ़ लगे ए थे, जो अब न हो चुक ह। आठवाँ भ ही "ह लओडोरस भ" क प म जाना जाता ह। यहाँ पहले क मं दर क भ नावशेष पर ही सरी सदी ई. पू. म नया मं दर बनाया गया था। यह मं दर लगभग पहली शता दी ईसा पूव म बाढ़ म बह गया। इस थान पर बना वासुदेव का मं दर संसार का ाचीनतम मं दर माना जाता ह। बेसनगर क पूव म ईसा पूव तीसरी शता दी क ूप भी मले ह। व ान इन बचे ए ूप को साँची क भी पूव का मानते ह◌ं। वैसनगर क नकट उदय ग र व दशा नगरी ही का उपनगर था। उदय ग र व दशा से वैसनगर
होते ए प चा जा सकता ह। पहाड़ी क पूरब क तरफ प थर को काटकर गुफाएँ बनाई गई ह। इन गुफा म र- मू तय क माण मलते ह, जो भारतीय मू तकला क इ तहास म मील का प थर माना जाता ह। उ खनन से ा वंसावशेष अपनी अलग कहानी कहते ह। उदय ग र को पहले नीचै ग र क नाम से जाना जाता था। का लदास ने भी इसे इसी नाम से संबो धत कया ह। 10व शता दी म जब व दशा धार क परमार क हाथ म आ गया, तो राजा भोज क पौ उदया द य ने अपने नाम से इस थान का नाम उदय ग र रख दया। उदय ग र म कल 20 गुफाएँ ह। इनम से कछ गुफाएँ 4व -5व सदी से संब ह। गुफा सं या 1 तथा 20 को जैन गुफा माना जाता ह। गुफा क र क कटाई कर छोट- छोट कमर क प म बनाया गया ह। साथ-ही-साथ मू तयाँ भी उ क ण कर दी गई ह। उदय ग र क गुफा म बेहद ज टल न काशी क गई ह और 5व शता दी म गु सा ा य क दौरान चं गु ि तीय क शासन काल म इन गुफा पर फर से काम कया गया। ये गुफाएं व दशा से 6 कमी र बेतवा और वैस नदी क बीच म थत ह। एकांत थान पर पहाड़ी पर थत इन गुफा म कई बौ अवशेष भी पाए जाते ह। वतमान म इन गुफा म से अ धकांश मू तवहीन गुफाएँ रह गई ह। ऐसा यहाँ पाये जाने वाले थानीय प थर क कारण आ ह। प थर क नरम होने क कारण खुदाई का काम आसान था, ले कन साथ- ही- साथ यह मौसमी भाव को झेलने क लए उपयु नह ह। एक अ य गुफा म गु संव 425426 ई. म उ क ण कमार गु थम क शासन काल का एक अ भलेख ह। इसम शंकर नामक कसी य ारा गुफा क वेश- ार पर जैन तीथ कर पा नाथ क मू त क त ा पत कए जाने का उ ेख ह। पहािड़य से अ दर बीस गुफाएँ ह जो ह और जैन-मू तकारी क लए यात ह। मू तयाँ व भ पौरा णक कथा से स ब ह और अ धकांश गु कालीन ह। यहाँ पाये जाने वाले थानीय प थर क कारण इन गुफा म से अ धकांश गुफाएँ मू त- वहीन गुफाएँ रह गई ह। खुदाई का काम आसान था य क यह प थर नरम थे, ले कन साथ-ही-साथ यह मौसमी भाव को झेलने क लए उपयु नह ह।
अ टबर-2023
अतीत क वातायन से स य क योग अथवा आ मकथा पहला भागः
जान पड़ता ह क गांधी-कट ब पहले तो पंसारी का धंधा करनेवाला था। ले कन मेर दादा से लेकर पछली तीन पीिढ़य से वह दीवानगीरी करता रहा ह। ऐसा मालूम होता ह क उ मचंद गांधी अथवा ओता गांधी टकवाले थे। राजनी तक खटपट क कारण उ ह पोरब दर छोड़ना पड़ा था, और उ ह ने जूनागढ़ रा य म आ य लया था। उ ह ने नवाब साहब को बाय हाथ से सलाम कया। कसीने इस कट अ वनय का कारण पूछा, तो जवाब मलाः ''दा हना हाथ तो पोरब दर को अ पत हो चुका ह।'' ओता गांधी क एक क बाद सरा य दो ववाह ए थे। पहले ववाह से उनक चार लड़क थे और सर से दो। अपने बचपन को याद करता , तो मुझे खयाल नह आता क ये भाई सौतेले थे। इनम पांचवे करमच द अथवा कबा गांधी और आ खरी तुलसीदास गांधी थे। दोन भाइय ने बारी-बारी से पोरब दर छोड़ने क बाद वे राज था नक कोट क सद य थे। बाद म राजकोट म और कछ समय क लए वांकानेर म दीवान थे। मृ यु क समय वे राजकोट दरबार क पशनर थे। कबा गांधी क भी एक क बाद एक य चार ववाह ए थे। पहले दो से दो क याएं थ , अ तम प नी पुतलीबाई से एक क या और तीन पु थे। उनम अ तम म । पता कट ब- ेमी, स य-ि य, शूर, उदार क तु ोधी थे। थोड़ वषयास भी रह ह गे। उनका आ खरी याह चालीसव साल क बाद आ था। हमार प रवार म और बाहर भी उनक वषय म यह धारणा थी क वे र तखोरी से र भागते ह और इस लए शु याय करते ह। रा य क त वे वफादार थे। एक बार ानत क कसी साहब ने राजकोट क ठाकरसाहब का अपमान कया था। पताजी ने उसका वरोध कया। साहब नाराज ए, कबा गांधी से माफ मांगने क लए कहा। उ ह ने माफ मांगने से इनकार कया। फल व प कछ घंट क लए उ ह हवालात म भी रहना पड़ा। इस पर भी जब वे डगे नह तो अंत म साहब ने उ ह छोड़ देने का म दया। पताजी ने धन बटोरने का लोभ नह कया। इस कारण हम भाइय क लए ब त थोड़ी स पि छोड़ गये थे। अ टबर-2023
जम
-मोहनदास करमचंद गांधी
पताजी का श ा कवल अनुभव क थी। आजकल जसे हम गुजराती क पांचव कताब का ान कहते ह, उतनी श ा उ ह मली होगी। इ तहास-भूगोल का ान तो बलकल ही न था। फर भी उनका यावहा रक ान इतने ऊचे दज का था क बारीक से बारीक सवाल को सुलझाने म अथवा हजार आद मय से काम लेने म भी उ ह कोई क ठनाई नह होती थी। धा मक श ा नह क बराबर थी, पर म दर म जाने से और कथा वगैरा सुनने से जो धम ान असं या ह को सहज भाव से मलता रहता ह वह उनम था। आ खर क साल म एक व ान ा ण क सलाह से, जो प रवार क म थे, उ ह ने गीता-पाठ शु कया था और रोज पूजा क समय वे थोड़-ब त ोक ऊचे वर से पाठ कया करते थे। मेर मन पर छह छाप रही ह क माता सा वी ी थी। वे ब त ालु थ । बना पूजापाठ क कभी भोजन न करत । हमशा हवेली (वै णव-मं दर) जात । जब से मने होश संभाला तब से मुझे याद नह पड़ता क उ ह ने कभी चातुमास का त तोड़ा हो। वे क ठन-से-क ठन त शु करत और उ ह न व न पूरा करत । लए ए त को बीमार होने पर भी कभी न छोड़त । ऐसे एक समय क मुझे याद ह क जब उ ह ने चा ायाण का त लया था। त क दन म वे बीमार पड़ी, पर त नह छोड़ा। चातुमास म एक बार खाना तो उनक लए सामा य बात थी। इतने से संतोष न करक एक चौमासे म उ ह ने तीसर दन भोजन करने का त लया था। लगातार दो-तीन उपवास तो उनक लए मामूली बात थी। एक चातुमास म उ ह ने यह त लया था क सूयनारायण क दशन करक ही भोजन करगी। उस चौमासे म हम बालक बादल क सामने देखा करते क कब सूरज क दशन ह और कब मां भोजन कर। यह तो सब जानते ह क चौमासे म अकसर सूय क दशन लभ हो जाते ह। मुझे ऐसे दन याद ह क जब हम सूरज को देखते और कहते, ''मांमां, सूरज दीखा'', और मां उतावली होकर आत इतने म सूरज छप जाता और मां यह कहती ई लौट जात क ''कोई बात नह , आज भा य म भोजन नह ह'' और अपने काम म डब जात ।
अ छी कदर होती थी। म बालक था। कभीकभी माताजी मुझे भी अपने साथ दरबार गढ़ ले जाती थ । 'बा-मांसाहब' क साथ होनेवाली बात म से कछ मुझे अभी तक याद ह। इन माता- पता क घर म संव १९२५ क भाद वदी बारस क दन, अथा २ अ ूबर, १८६९ को बोरब दर अथवा सुदामापुरी म मेरा ज म आ। बचपन म पोरब दर म ही बीता। याद पड़ता ह क मुझे कसी पाठशाला म भरती कया गया था। मु कल से थोड़ पहाड़ म सीखा था। मुझे सफ इतना याद ह क म उस समय सर लड़क क साथ अपने श क को गाली देना सखा था। और कछ याद नह पड़ता। इस पर से म अंदाज लगाता क मेरी बु ी मंद रही होगी, और मरण-श उन पं य क क े पापड़- जैसी होगी, ज ह हम बालक गाया करते थे। वे पं यां मुझे यहां देनी ही चा हए''एकड एक, पापड शेक, पापड क ो, -मारो-'' पहली खाली जगह म मा टरका नाम होता था। उसे म अमर करना नह चाहता। सरी खाली जगह म छोड़ी ई गाली रहती थी, जसे भरने क आव यकता नह ।
माता यवहार-कशल थ । राज-दरबार क सब बात वे जानती थ । र नवास म उरक बुि क
मशः
स य क योग अथवा आ मकथा : पहला भागः ज म अ टबर-2023
29
व ान
कोनीबायो एफ आई आरः वा य ान अ याय-१
हम अपने जीवन म अनेक प र थ तय का सामना करते ह। जीवन क अ धक ज ासा आयु, बीमारी और मृ यु से तक- बतक ह। ये जीवन क नयम क ाक तक भाग ह और यह अ नवायय ह क हम इनका उ चत ढग से सामना कर। कोई वयं ही रोग अथवा बीमारी नह चाहता। वे क और बेचैनी देती ह। चीन क कहावत ह –तुम वा य क सवाय हर व ु ा कर सकते हो।– सभी मानव ाणी या चाहते ह? बेशक, वह ह – वा य-। अ छा वा य तो खजाना ह। क तु वह वा य नह जो सं द ध टॉ नको और दबा से ा हो। य द हम स ा वा य चाहते ह तो, हम अपने शरीर पर रोग और बीमा रय क आ मण को रोकना चा हए। तब हम कम बीमार ह गे और हमारा जीवन ाक तक प से ल बा होगा। ऐसे अनेक तरीक ह जनसे हम बीमा रय क रोकथाम कर सकते ह। हम चेचक आ द क टीक लगवाने व अपने दै नक जीवन म व छता का वशेष यान रखने से। हम व छ वातावरण, ताजा जल और शु भोजन का यान रखना चा हए। बेशक हम अ व थ आदत क त भी सतक रहना चा हए। हमार लए यह आव यक ह क हम व यवधक भोजन खाएं जो हमार शरीर को श दे, बीमा रय को रोकने क शररीर म मता पैदा कर और हमार शरीर तथा येक अंग क वृि कर। इस तरह हम अ धक श ा करगे और बीमा रय से बचे रहगे। इससे भी बढ़कर हम अपने दै नक वातावरण और ाक तक सा य पयावरण क र ा करने क आव यकता ह। मानव क ार भक इ तहास से ही हम ात ह क हमार ाक तक वातावरण म ग त और वकास क साधन ह। य प व ान और तकनी क अ य धक उ त हो गए ह तथा प मानव को षत वातावरण और अ व थ अव था म रहना पड़ रहा ह। हम ह जो वयं अपने रहने क वातावरण को लगातार न कर रह ह। हम जीवन क अ नवाय त व -वायु, मृदा, जल और सूय काश म से कसी एक क बना जी वत नह रह सकते। हम महसूस करना चा हए क हम जी वत रहने क लए वयं को ाक तक वातावरण क अनुसार डालने क आव यकता ह। भा यवश हमारा वातावरण दन त दन इतना बगड़ता जा रहा ह क यह 30 कोनीबायो एफ आई आरः वा य ान
एक दन मानव अि व क खतरा पैदा हो जाएगा। ४० वष पहले अ धक मृ यु दर का कारण लैग, हजा और चेचक था। आज मानव ने चेचक क उ मूलन म सफलता ा कर ली ह और आधु नक व ान एवं तकनी क ारा सरी भयंकर बीमा रय जैसे पो लयो आ द पर लगातार काबू पा रहा ह। आज मनु य क मृ यु क मु य कारण कसर और दय तथा मि क क बीमा रयां ह। सव ण से पता लगता ह क ७५ तशक कसर त वातावरण और मानव शरीर भयंकर रसायन क वेश से होता ह। कवल सूय ही जीवन का एक त व ह जो षत नह ह। पृ वी क सभी ा णयां जी वत रहने क लए सूय क गम और काश क आव यकता ह। हमारी सूय पर नभरता सूय काश क फॉर इ ॉरड रज पर आधा रत ह। भा यवश मनु य क कायकलाप ओजोन र ा परत को न कर रह ह। इसक प रणाम व प भू म तक प चने वाली सूय करण चम कसर पैदा करती ह। आज अ धकांश लोग सूयधूप से बचने का भरसक यास करते ह। हम मकान भीतर काय करते और बाहन क अ दर या ा करते ह। हम ब त थोड़ी देर ही मकान क बाहर रहना बदा त कर पाते ह। हमारा रहन-सहन हमार पूवज से ब त भ ह। वे उन दन धूप म काम करते थे और धूप म ही रहते थे। इस तरह हमारी अपे ा उनक सहनश अ धक थी। वे पीने का पानी सीधे झील , न दय , तालाब और क से ा करते थे, जो हमार लए आज क ठन ह। आज मानव सूय कास से यथास भव फासला बना लया ह। आज हम उनक मुकाबले मृदा, वायु, जल और काश से छपकर आधु नक हर-भर घर म रहने लगे ह। हम हर-भर घर क पौध क तरह बन गए ह और हमार आस-पास का वातावरण अ वक सत रह गया ह। मानव सूय क चंड करण क हा न से बचने क लए मकान क अ दर ही रहने क अपनी पूरी को शश करते ह। संयु रा -००- रपो क संदभ से –सेफ फड, ीन फड- वकास आ ह य क आज जो भोजन –अनाज- पैदा कया जाता ह वह रासाय नक पदाथ व रासाय नक खाद रा षत होता ह। ाक तक जल उ ोग क कचर से षत हो जाता ह, इस लए पानी को शुि करण कया जाता ह। इस अव था म हम ाक तक प से व थ जीवन कसे बता सकते ह? हम बीमा रय क
- ो झंग जऑन ड ग
रोकथाम कसे कर सकते ह? हम चरायु कसे ा कर सकते ह? इसका एक तरीका ह, वा य- द उ पाद का। वा य उ पाद हमार शरीर को श शाली रख सकते ह, बीमा रय क रोकथाम कर सकते ह और हम व थ जीवन दे सकते ह। उ चत यायाम, संतु लत आहार और व थ रहन-सहन हम स और ल बी आयु ा कर सकता ह। आज बाजार म वा य दान करनेवाली आव यकतानुसार एवं उपयोगी अनेक कार क उ पाद ह। ले कन उनम सबसे अ धक भावशाली वह उ पाद ह जो कम महगा और भरोसेमंद हो। इसका उ र ह फॉर इ ारड रज -००- -सूय करण क व े षत पहीवै ा नक स ा त और योगशाला म घंट तक जांच व अनुभव क आधार क प रणाम व प इस ि या को वक सत कया ह ज सक मानव शरीर पर न तो कोई क भाव ह और न ही वषा । च क सा अ वेषक सदा ही बीमा रय को कम करने और उनक रोकथाम क उपाय क खोज म लगा रहता ह। मेर च क स अ वेषण क अनुभव क वष म –मने अपने ाक तक वातावरण क कई पहलु को मानव-शरीर क त प चाते देखा ह, जो हमार नयं ण क पर ह। वा व म म इसक त बड़ा च तत । भा यवश कई ऐसे पहलू ह जो मानव वा य क लए लाभकारी ह। यह श का एक वशाल साधन ह जो मानव जीवन क लए लाभकारी ह। यह सूय से ा होता ह- फार इ ारड रज –सूय करण क व े षत पहीकोनीबायो क कायबाहक अ य , दात रचड क लॉ उन य य म से ह ज ह ने फॉर इ ारड वा य क उ पाद क लाभ क चीन, को रया, जापान और मले शया म जानकारी दी। मानव शरीर क लाभ हतु फार इ ारड उ पाद क मले शया को नमंि त करने का गौरव ह। मुझे सार देश भाग लेने वाल क ढर न ा ए ह जनसे पता लगता ह क लोग अपने वा य-सुधार क लए इन उ पाद को जानने क लए अ त उ सुक ह। अतः मने फार इ ारड रज पर इस पु क क रचना क ह जो नो र क प म ुत ह। य द यह आपक न क उ र देने म स म रही तो मुझ अ य त हष होगा। मशः अ टोवर-2023
OCTOBER-2023