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वषः 12, अंकः 122/123, फरवरी-2021

वतं प का रता पर तेज़ होते हमले



वषः 12, अंकः 122, जनवरी/फरवरी-2021

संपादक यः वतं प का रता पर तेज़ होते हमले ............................... 04 प म बंगाल म चुनाव क तारीख क घोषणा ............................... 06 आ ो गक घरान क चार त

.................................................................08

बजट 2021: मौत और अकाल क आहट पर चु पी ................................11 कसान क दशा का ज मेदार कौन? ......................................................14 क ष उ पादन क यापार और वा ण य ......................................................15 भारत म कसान आंदोलन का इ तहास ...................................................17 क वता और समय ..................................................................................................19 अ छ दन क आस म नया भारत ................................................................21 न यानवे दशमलव नौ नौ का च कर .....................................................22 क वताः नशा त क क वताएं .........................................................................23 कहानीः वापसी ........................................................................................................24 धारावा हक उप यासः जीवन-या ा ...............................................................27 धरती पर जीवन ......................................................................................................28

जनवरी/फरवरी-2021 मा सक मू यः 25/- प ीस पये

पवन ऊजा क उ पादन को ो साहन आव यक ...................................29

वामी काशक एवं मु क रंजू सह ारा मु धारा ेस ए ड प लकश क लए मु धारा ेस, अपर रोड, गु गनगर, पो धान नगर, सलीगुड़ी-3, जला दा ज लग (प.बं.) से मुि त एवं ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर, पो धान नगर, सलीगुड़ी-3, जला दा ज लग (प.बं.) से का शत संपादकः डॉ राजे साद सह मोः 94340-48163 / 79087-02720 व ापन वभागः ओझा मशन, थम तल, हलकाट रोड, सलीगुड़ी-1, जला दा ज लग (प.बं.) कानूनी सलाहकारः ओम काश शमा, सलीगुड़ी / सुदीप कमार, कोलकाता राज राजे र स हा, 57- कल रोड, पूव पुटीआरी, ाउ ड लोर, कोलकाता-700093 लेखा नरी कः राज कमार बहानी संपादक य भारीः शैले े ीय त न धः

चौहान, 34/242, से टर-3, तापनगर, जयपुर-302033, राज थान

शेख मोह मद ब नहाली, डोडा, ज मू क मीर डॉ स यभामा आिड़ल, शंकर नगर, छि सगढ़, रयपुर डॉ मूलचंद गौतम, श

नगर, चंदौसी, मुरादाबाद202412, उ

ो मोहन सपरा, इजी, गो ब दगढ़, एस डी कॉलेज रोड, जालंधर सुरश सेन नशांत, गांव सलाह, डॉ सु दर नगर, जला म डी, हमाचल देश-174401 ओलोक शमा वीण, सलीगुड़ी डॉ देवे

साद सह, ससाराम-821115, बहार

डॉ चेतना राजपूत, डी-44/3, अनामट कॉलोनी, गणेश खड, पुणे-411007 डॉ स य काश तवारी,83- को शपुर रोड, ओम र सड स, बी एल-3, लाट 3ए, कोलकाता-02 व म सह, उ राखंड

डजाईनः कमल साद दाहाल पि का से संबं धत सभी तरह क ववाद सलीगुड़ी यायालय ारा ही नपटाए जायगे। रचना म य कये गये वचार से संपदक क सहम त अ नवाय नह ह।


संपादक य

वतं प का रता पर तेज़ होते हमले ेस यानी प का रता क अह मयत का अंदाज़ा इसी से लग जाता ह क ांस क स ाट नेपो लयन तृतीय ने उसे रा य का चौथा भ तक क सं ा दे दी थी। उ ह ने कवल इस सं ा से प का रता को वभू षत ही नह कया था ब क उसे अपने नयं ण म लाने क जी तोड़ को शश भी क थी। यूरोप म सबसे पहले ेस ससर शप यानी ेस को क़ानून क ज़ रये नयंि त करने का यास कया गया था। नेपो लयन तृतीय क शासन को गुज़र दो स दयां गुज़र गय , इस बीच शासक वग ने भी सै ां तक प से मान लया क शासन- यव था को सुचा रखने क लए ेस क 'मया दत' वतं ता ज़ री ह। मया दत का अथ प ह। जब तक ेस या मी डया शासन क वग य च र पर चोट नह करता तब तक वह मया दत माना जायेगा। उससे डरने क ब कल आव यकता नह ह। ले कन जैसे ही ेस शासक वग क वा वक च र को उ ा टत करने लगता ह, वैसे ही शासक वग अथात स ाप उसे ग़ैरिज़ मेदार करार देता ह। यहां यान देने क बात ह क जैसे-जैसे लोकतांि क यव थाएं और उसक जड़ मज़बूत होती जाती ह वैसे-वैसे स ा- सयासत ेसमी डया को नयंि त करने क लए य -अ य प से उस पर अपना दबाव बढ़ाना शु कर देती ह। सरकार प -पि का क अलावा टीवी चैनल एवं अ य चार मा यम को भारी भरकम व ापन एवं अ य स लयत देकर उ ह मया दत प का रता क लए एक तरह से मज़बूर करती ह। दरअसल स ा- सयासत यह कभी नह चाहती ह क उसक जन वरोधी-दमनकारी च र को चार मा यम आम-अवाम क सम उभार। जन वरोधी सरकार यह कभी नह चाहती ह क मी डया उसक गलत नी तय का चार कर। इस लए शासक वग क लए यह अ यंत ज़ री हो जाता ह क वह मी डया को अपने तरीक़ से चलाये। उसे वह उतनी ही वाधीनता व स लयत दान करता ह जससे उसक सम कोई बड़ी सम या न उ प हो। ज़ हर ह नया क सभी सरकार कमोबेश यही काम करती ह। बेशक स ा क अपनी एक अलग ही सं क त होती ह। अभी तक ऐसी कोई यव था ईजाद नह क जा सक ह जससे मी डया वतं तरीक़ से अपने काम क बार म नणय ले सक। हालां क कहने को तो ेस काउ सल ह ले कन उसक भी अपनी एक सीमा ह। हम यह समझना होगा क मी डया चुनाव आयोग या मानवा धकार आयोग क तरह वतं नकाय क प म वह अपना काम नह कर सकता। आज पहले से कह अ धक मी डया को शासक वग ारा व भ तरीक़ से भा वत कया जा रहा ह। यह त य तभी प हो जाता ह जब हम अ धकतर इले ॉ नक चैनल व समाचार प को स ासीन दल क क़रीब पाते ह या कसी खास राजनै तक दल और उसक जन वरोधी नी तय या वचार को चा रत करते ए देखते ह। आजकल कई चैनल तथा अख़बार अपने यावसा यक हत साधन को ले अपनी अ त र जनवरी, फरवरी-2021

रा भ व वामीभ का दशन करते नज़र आ रह ह। अपने पड़ोसी मु क़ क त जस तरह अपनी आ मकता दखाते ह उसे देखते ए उनक मंसूबे को हम सहज ही समझ सकते ह। बेशक जो खबर मी डया लोग को परोस रह ह वह शासक वग क मंशा और उसक नी तय को ही त ब बत करते ह, न क जमीनी हक़ कत। आज हमार देश म या गरीबी, बेरोजगारी, अ श ा, वा य प रसेवा जैसे मसल को लेकर जहां ज़मीनी वा वकता को दखाया जाना चा हए वहां, मी डया दशक को उ रा वाद क घु ी पला रहा। ज़ा हर ह मी डया अपने वग य वाथ म सं थागत ाचार क ख़बर को बड़ी चालाक से नजरअंदाज कर जाता ह। हमार पड़ोसी मु क़ नेपाल, बांगलादेश, पा क ान, ीलंका और चीन समेत ए शया क तमाम देश कमोबेश एक जैसी सामा जक-आ थक थ तय से गुज़र रह ह। ले कन हम अपने पड़ो सय क साथ र त क बेहतरी क लए आवेग तथा ईमानदारी से य नह यास कर सकते? दरअसल स ा- सयासत का आलम यह ह क वह उ रा वाद क लहर पैदा कर वा वक जन-सम या से आमजन का यान ग़ैरज़ री मसल क ओर मोड़ना चाहती ह। और हम ेस या मी डया कम अपनी ज मदा रय से पूरी तरह मुंह नह मोड़ सकते। हालां क यह बात सही ह क मी डया या अख़बार देश क वतं ता सं ाम क दौरान जस भू मका म थे, आज वे उस भू मका म नज़र नह आ रह ह। इसका एक बड़ा कारण यह ह क नेशनल व म टनेशनल पूंजी का मी डया पर जबरद दबाव ह। ख़ासकर बड़ उ ोगप त कसी रा सेवा क त समपणभाव से अख़बार अथवा टीवी चैनल का संचालन नह करते ह। दरअसल उनक उ े य स ा- सयासत क ग लयार म अवसर क तलाश करने और सरकार पर दबाव बनाकर अपने यावसा यक हत को सु न त करना होता ह। मी डया- बंधन वयं ही अपनी नी तय को नधा रत करता ह, जसम साधारण मी डयाकम अथवा ेस-कमचारी क जरा भी भू मका नह होती। यह भी एक अहम कारण ह क कई बार चाहकर भी एक प कार सरकार क सं थागत ाचार अथवा उसक जन वरोधी नी तय क मुख़ालफ़त करने का साहस नह जुटा पाता। चूं क उसे पता होता ह क स ाप क साथ सम वय था पत करक उसे चलना ह और इसी म उसक भलाई भी ह, इस लए सरकार क जन वरोधी नी तय अथवा उसक गलत क य क िख़लाफ़ क़लम चलाने क उसक ह मत नह होती ह। इस वजह से हमारी प का रता पर भी य द वग य रंग चढ़ने लगे तो कोई आ य क बात नह ह। हालां क इसक लए प कार कम और प पि का क मा लक या बंधन से जुड़ ए लोग ही काफ़ हद तक उ रदायी ह। मी डया क च र क इस पतनशीलता क कछ अ य कारण भी ह। मी डया-सं था को देश म बढ़ती बेरोजगार क भीड़ क चलते कम वेतन पर रपोटर सहज ही मल जाते ह। यह भी एक कारण ह जो संपादक य 04


संपादक य ऐसे लोग जनका प का रता से कोई लेना-देना नह होता वे भी इस पेशे से जुड़ जाते ह और सामा य स लयत क अपे ा रखते ए बंधन क इशार पर अपनी कलम चलाते ह। प का रता को महज समाज म एक शास नक हनक बनाने क लए इस पेशे का इ ेमाल करते ह। आज प -पि काएं प का रता का नह ब क यापार का एक ज रया बन गये ह। यह अलग बात ह क कई प -पि का ने अपने वा ण यक हत क साथ साम जक सरोकार का यवहा रक सम वय कर लया ह। ले कन सतरीय प का रता क साथ ये प -पि काएं या वा व म जन-सरोकार को अ भ य पूरी ईमानदारी क साथ करते ह? हर हाउस कसी बड़ औ ो गक घराने व कसी न कसी राजनै तक लॉबी से संब ह और उसने ही उसक कलम को बांध रखा ह। जा हर ह वह चाह कर भी कछ लख नह सकता जो उसक मुफ सल प कार लखना चाहता ह। दरअसल प कार क भी अपनी एक यह मजबूरी ह जो वह अपने मा लक क पसंद म शा मल स ाप अथवा कसी ख़ास वचारधारा क त अपना भ भाव का माण ुत करता रह। यह भी एक अहम वजह ह जो जन सरोकार से जुड़ी ख़बर मी डया म मह व नह पात । हमार रा जीवन म जन ख़बर क कोई वशेष उपयो गता नह होत , उ ह आकषक तरीक से पेश कया जाना आज क मी डया का च र बनता जा रहा ह। हालां क वैचा रक प का रता अभी पूरी तरह ख़ म नह ई ह। छोट अख़बार व लघु प -पि काएं अपने सी मत संसाधन क बावजूद आज भी अपने र से इस दशा म यासरत ह। चूं क इनक प च आम आदमी तक होती ह, इस लए उनक तकलीफ म सहज ही भागीदार बनते ह। उनक आवाज़ को शासन तक प चाते ह। कई मामल म आम अवाम क आवाज शासन क ईमानदार व क य न अ धका रय तक प चती ह जससे आम लोग को ता का लक ही राहत मलती ह। यही प कार का तबका कई बार शासक वग क दमनच का शकार होता ह तो कई बार मा फया त व क गो लयां भी अपने सीने पर खाता ह। आ थक तंगी से जूझते ए और रोग से लड़ते ए वह अपनी

05 संपादक य

जनप धरता का नवाह भी करता ह। ले कन यह भी एक कड़वी स ाई ह क प कार क एक जमात शासक वग और पूंजीप तवग का पैरोकार बनकर खुद को संप ता म ढालीता चला जा रहा ह। यह एक ऐसा परजीवी वग ह जो जुझा व ईमानदार प कार क खून क क़तर पर अपनी ऊची इमारत खड़ी कर रहा ह। स य क राह उ ह रास नह आती और ज ह रास आती ह उ ह मुफ़ लसी म जीने को अ भश होना पड़ता ह। इन तमाम वसंग तय क बावजूद यह तो मानना ही पड़गा क आज लोकतं का यह चौथा ंभ पहले से अ धक आधु नक संचार सु वधा से लैस अपनी कारगर भू मका नभा रहा ह। आज हमार देश म य द लोकतं पहले से अ धक प रप आ ह तो इसम मी डया क मय और प कार क अह भू मका ह७ आज यह वतं (सी मत दायर म ही सही) प का रता और यायपा लका ही ह जो नरंकश ताक़त को समय-समय पर उनक औकात दखाते रहती ह। आज देश क तीन-तीन पूव मु यमं ी य द सलाख क पीछ ह तो इसम ेस-मी डया और यायपा लका क अपनी अह भू मका रही ह। कहना न होगा क आज प कार क एक जमात जन संघष और प रवतनकामी श य क साथ पूरी वैचा रक व नै तक ईमानदारी क साथ खड़ा ह। इसी से भ व य क त भारत क जनता को थोड़ा भरोसा ह। इस भरोसे को क़ायम रखना ही आज क प का रता का आपाद धम ह।

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आवरण कथा

म बंगाल म चुनाव क तारीख क घोषणा 27 माच को पहले चरण क वोट, 2 मई को होगी वोट क िगनती

प म बंगाल म चुनाव तारीख का ऐलान हो गया ह। रा य म इस बार वधानसभा चुनाव 8 चरण म ह गे। पहले चरण क अ धसूचना 2 माच को जारी होगी, पहले चरण म 30 सीट पर 27 माच को मतदान होगा। रा य म वोट क गनती 2 मई को होगी। प म बंगाल म चुनाव क तारीख का ऐलान हो गया ह। चुनाव आयोग ने शु वार को एक ेस कॉ स कर आगामी वधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैया रय क बार म जानकारी दी। रा य म इस बार वधानसभा चुनाव 8 चरण म ह गे। पहले चरण क अ धसूचना 2 माच को जारी होगी, पहले चरण म 30 सीट पर 27 माच को मतदान होगा। रा य म आठ चरण म इस तरह ह गे चुनाव पहले चरण म 30 सीट, अ धसूचना 2 माच को, 27 माच को वो टग सर चरण म 30 सीट, अ धसूचना 5 माच को, 1 अ ैल को वो टग तीसर चरण म 31 सीट, अ धसूचना 12 माच को, 6 अ ैल को वो टग चौथे चरण म 44 सीट, अ धसूचना 16 माच को, 10 अ ैल को वो टग पांचव चरण म 45 सीट, अ धसूचना 23 माच को, 17 अ ैल को वो टग छठ चरण म 43 सीट, अ धसूचना 26 माच को, 22 अ ैल को वो टग सातव चरण म 36 सीट, अ धसूचना 31 माच को, 26 अ ैल को वो टग आठव चरण म 35 सीट, अ धसूचना 31 माच को, 29 अ ैल को वो टग

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रा य म वोट क गनती 2 मई को होगी। जा नए कस चरण म कहां पड़गे वोट पहले चरण म 5 जल क 30 सीट पर चुनाव होने ह। पु लया क सभी 9 सीट पर, बांकरा क 4 सीट पर, झार ाम क सभी 4 सीट पर, प म मे दनीपुर 6 सीट पर, पूव मे दनीपुर क 7 सीट पर मतदान होगा। सर चरण म 4 जल क 30 सीट पर मतदान होगा। बांकरा क 8 सीट पर, प मी मे दनीपुर 9 सीट पर, पूव मे दनीपुर क 9 सीट पर और साउथ 24 परगना क 4 सीट पर चुनाव ह गे। तीसर चरण म तीन जल क 31 सीट पर चुनाव होना ह। इस फज म हावड़ा क 7 सीट, गली क 8 सीट, साउथ 24 परगना क 16 सीट पर मतदान होगा। चौथे फज म 5 जल क 44 सीट पर वोट पड़गे। हावड़ा क 9 सीट , साउथ 24 परगना क 11 सीट , गली क 10 सीट , अलीपुर ार क सभी 5 सीट और कच बहार क सभी 9 सीट पर वोट डाले जाएंगे। पांचव चरण म 6 जल क 45 सीट पर वोट पड़ने ह। उ री 24 परगना क 16 सीट पर, दा ज लग क सभी 5 सीट पर, न दया क 8 सीट पर, पूव बधमान क 8 सीट पर, जलपाईगुड़ी क सभी 7 सीट पर और

म बंगाल म चुनाव क तारीख क घोषणा 06


आवरण कथा क लमप ग क 1 सीट पर वोट डाले जाएंगे। छठ चरण म 4 जल क 43 वधानसभा सीट

पर वो टग होगी। इसम नॉथ 24 परगना क 17 सीट , पूव बधमान क 8 सीट पर, न दया क 9 सीट और उ र दनाजपुर क सभी 9 सीट पर वोट डाले जाएंगे। सातव चरण म 5 जल क 36 वधानसभा सीट पर वोट पड़ने ह। इसम मालदा क 6 सीट पर, मु शदाबाद क 11 सीट पर, प म बधमान क सभी 9 सीट पर, दि ण दनाजपुर क सभी 6 सीट पर और कोलकाता साउथ क सभी 4 सीट पर वोट पड़गे। आठव चरण म 4 जल क 35 सीट पर मतदान होना ह। इसम मालदा क 6 सीट पर, बीरभूम क सभी 11 सीट पर, मु शदाबाद क 11 सीट पर और कोलकाता नॉथ क सभी 7 सीट पर वोट पड़गे।

2016 म रा य म 77,414 पो लग बूथ थे। इस साल पो लग बूथ म 31.65% क बढ़ोतरी ई ह

और इस बार 1,01,916 पो लग बूथ पर वोट पड़गे। रा य क 6,400 पो लग बूथ को संवेदनशील माना गया ह। चुनाव आयोग ने साफ कया क नॉ मनेशन क व कसी क डडट क साथ सफ दो लोग ही जा सकगे। नवाचन अ धकारी क कायालय तक सफ दो गािड़य को जाने क अनुम त होगी। बंगाल म बीजेपी लगा रही पूरा जोर प म बंगाल वधानसभा क 294 सीट क लए इस बार कांट क ट कर देखी जा सकती

ह। यहां मु य ट कर बीजेपी और ममता बनज क नेतृ व वाली तृणमूल कां ेस क बीच ह। 2014 म सफ दो लोकसभा सीट जीतने वाली बीजेपी ने 2019 क लोकसभा चुनाव म शानदार दशन कया और 42 लोकसभा सीट म से 18 सीट जीत । 2014 म 42 म से 34 सीट जीतने वाली टीएमसी को 2019 म सफ 22 सीट मली थ । 2016 म प म बंगाल म 4 अ ैल से 5 मई क बीच छह चरण म चुनाव कराए गए थे। लोकसभा चुनाव म BJP-TMC क वोट म बड़ा अंतर नह प म बंगाल म कल 294 वधानसभा सीट ह। साल 2016 म ए वधानसभा चुनाव म टीएमसी को 211, ले ट को 33, कां ेस को 44 और बीजेपी को मा 3 सीट मली थ । हालां क 2019 म ए लोकसभा चुनाव म बीजेपी ने शानदार दशन कया। टीएमसी ने जहां 43.3 तशत वोट शेयर हा सल कया वह बीजेपी को 40.3 तशत वोट मले। बीजेपी को कल 2 करोड़ 30 लाख 28 हजार 343 वोट मले जब क टीएमसी को 2 करोड़ 47 लाख 56 हजार 985 मत मले।

चार और चुनावी रा य क चुनाव काय म क घोषणा इसक अलावा चुनाव आयोग ने असम, करल, त मलनाड और पुडचेरी म भी वधानसभा चुनाव क काय म क घोषणा क । बुधवार को ही चुनाव आयोग क अ धका रय क अहम बैठक ई थी जसक अ य ता मु य नवाचन आयु सुनील अरोड़ा ने क थी। कोरोना वायरस महामारी क म ेनजर कई चरण म चुनाव कराया जा रहा ह। पो लग बूथ म 31.65 फ सदी का इजाफा 07 प

म बंगाल म चुनाव क तारीख क घोषणा

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वशेष रपोट

आ ो गक घरान क चार त कवल कसान वरोधी कानून को जायज ठहराने म लगे ह - कसान क तकलीफ़ का मुक मल इलाजपहला भाग अँ ेज़ी क एक कहावत ह क 'राजा कभी कोई ग़लती नह करता।' हमार धानमं ी नर मोदी भी व भ अवसर पर बड़ फ़ क साथ कहते ह क मने जो भी नणय लया ह वह सही ह, अब उसको बदला नह जा सकता। क ष पर बनाए गये तीन कानून पर वे बारबार दोहरा रह ह क इनको बदला नह जाएगा। इन कानून क वरोध म भारत क हजार कसान पाले क इन रात म ठठुरन क साथ, खुले आसमान क नीचे अ ु गैस, पानी क बौछार तथा पु लस क ध का-मु क सहते ए बैठ ए ह, लगभग 60 कसान अपनी ब ल भी दे चुक ह। तीन कसान वरोधी कानून पर खेतीबाड़ी करने वाले कसान , उनक संघ , क ष वै ा नक , क ष अथशा क व ा इन काले कानून पर लख-बोल कर आगाह कर रह ह परंतु सरकारी मशीनरी, बड़ औ ो गक घरान क चार तं , टली वजन चैनल क मा यम से, न कवेल कानून को जायज ठहराने का चार कया जा रहा ह। वर वरोधी पा टय ारा गुमराह करने क आरोप क साथ साथ यह चार भी अ य प से कया जा रहा ह क यह कवल पंजाब क बड़ स ख का तकार ारा कया जा रहा ह और जब यह बात सावज नक प से पंजाब क स ख कसान क सामने आ गई तो हमार धानमं ी, स ख हतैषी दखाने क लए गु ारा रकाब गंज म माथा टकने क लए प च गए। मोदी क राज म एक नयी बात देखने को मल रही ह क का बना म उनक कछ मं ी हर वषय पर यौ रया चढ़ाकर आ मक मु ा म वप पर हमला करने क लए मौक क तलाश म लगे रहते ह। आज देश क धानमं ी और उनक सरकार क कछ बड़बोले मं ी लगातार द ी म चल रह कसान क आंदोलन को तरह-तरह से बदनाम करक यह म फलाने का यास कर रह ह क दशनकारी तो वप ी दल क बहकावे म जनवरी, फरवरी-2021

आकर आंदोलन (स या ह) कर रह ह, इनका असली उ े य कसान क खुशहाली क लए नह ब क स ा हड़पने का कच ह। भाजपा का कहना ह क ब मत से चुनी गयी सरकार क व यह आंदोलन नह ष ं ह। भारत म लोकतं ह, चुनाव म जनता मोदी जी को वोट देती ह अगर मोदी जी क नी तयाँ ग़लत हो तो उ ह चुनाव म जनता हरा देगी। मोदी सरकार क मं ी बार-बार इस बात को दोहराते ह क हम चुनाव जीतकर आए ह। हम ही जनता क असली व ा ह। हमारी पाट व क सबसे बड़ी पाट ह। देश क गृहमं ी अ मत शाह कहते ह क, आगामी पचास साल तक भाजपा ही इस देश म राज करगी। समाजवादी चतक डॉ॰ राममनोहर लो हया ने गाँव, कसान, खेतीबाड़ी खेत क उपज तथा कारखान क उ पादन क तुलना मक समी ा करते ए इस वषय क हरप पर व ार से आज से 70 वष पूव 26 फरवरी 1950 म रीवा म ' हद कसान पंचायत' जो क सोश ल ट का कसान संगठन होता था उसम जो काश डाला था। आज क हालात म वह एकदम सटीक ह। कसान क वभाव क बार म उ ह ने कहा : ''इसम संदेह नह क कसान ने ाय: अनेक बार व ोह कया और अपने व ोह क ारा वतं ता क सीमा का व ार भी कया ह। परंतु यह ालामुखी क व फोट क भां त

- राजकमार जैन

लंबी अव ध तक शांत रहने क बाद अचानक और अ पकालीन रहा ह। कसान आए दन क राजनी त म भाग नह लेता। नगर क अशां त से र क त, म ी और चौपाय क नकट संपक म रहने वाला गाँव का कसान शायद सबसे अ धक अप रवतनशील वग ह जसक ारा स यता अपने को बनाए रखती ह।'' कसान और खेती का काय गांव म होता ह और गांव क थ त कसी ह इसका च ख चते ए लो हया ने कहा : ''भारत क पुनरचना साधारण तरीक से नह हो सकती। जस कसी गाँव को दे खए खंडहर मालूम होता ह। सड़क खराब ह मकान और उनक दीवार मुंह बाए ए ह। पानी क कमी ह और इसी तरह से हर एक दशा म कमी ही कमी दखाई पड़ती ह। सारा देश, कम से कम इसक गाँव और क बे का 9-10 ह सा खंडहर ह।'' कसान क या प रभाषा ह? इस सवाल का जवाब लो हया ने इस कार दया क : '' या खेती क ज़मीन का मा लक बन जाने से कोई कसान हो जाता ह? जयपुर महाराजा या प टयाला क महाराजा क पास हजार एकड़ क फाम ह। तो या वे कसान हो गए? य तो बड़ला साहब क पास भी बड़-बड़ फाम ह। तो या बड़ला साहब क गनती कसान म होगी! कसान क सरकार होने का दावा वही

आ ो गक घरान क चार त

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सरकार कर सकती ह, जो सभी कसान क हत म काम कर और कसान का मतलब ह ज़मीन का मा लक नह , ज़मीन को जोतने वाला।'' जब कभी भी सरकार क नी तय क व ता का लक प से कोई आंदोलन जनता ारा और वशेषकर जसम वरोधी दल का भी समथन होता ह तो सरकार ारा एक ही हाई दी जाती ह क हम तो जनता ने चुनकर भेजा ह, हम जो कहते ह वही जनता क राय ह। इस तरह क आ ेप का उ र देते ए डॉ॰ लो हया ने कहा था : ''लोग कहते ह क राज-काज अपना ह तब स या ह (आंदोलन) क या जगह। राज-काज अपना ज़ र ह ले कन राज-काज को चलाने क हमेशा ही ज़ रत पड़ती ह। साधारण तौर पर सरकार से भूले होती ह। अ याय क वरोध और भूल क सुधार क लए अपने राज म भी स या ह उ चत ह। वरना मौजूदा अ याय और झूठ को चलने देने से न जाने या हो जाए? यही सही क अपने रा े म हसक वरोध को कोई जगह नह और स या ह भी सरकार को बदलने क लए नह ब क सरकार क रा े को बदलने और वनाशकारी गरीबी को मटाने क लए ठीकठीक रा े पर ले जाने क लए ही हो सकता ह।'' ''चुनाव न जाने कब तक हो। हो सकता ह क तब तक गरीबी और रोग असा य हो जाएँ। या तो तमस इतना यादा घर कर ले क जनता को पूरी तरह से व ास ही न रह और फर उठने का काम वष क लए टल जाए। नह तो संग ठत उपाय क अभाव म जहाँ-तहाँ करवट लेना शु कर और देश टटने लगे। अमन और चैन दोन साथ-साथ चलते रह ह। जहाँ चैन नह ह वहाँ अमन तभी कायम हो सकता ह जब जनता ाय: मुदा हो जाए और कसी बात का वरोध न कर। अगर वरोध छटपुट और संग ठत होता ह तो लाठी-गोली चलती ह और अमन टट जाता ह। मुझे यह दोन ख़तर दखाई पड़ते ह या तो घना तमस आए या अमन टट। इस लए चुनाव क होने तक इतज़ार करना और कसी सर रा े का अपनाना जनता क लए घातक हो सकता ह। चुनाव न जाने कब तक आए और तब तक गरीबी, मन क हीनता असा य प म बढ़ जाए।'' ''आँख क सामने जब मु क टट रहा ह तो उसे 09 आ ो गक घरान क चार त

चुपचाप देख लेना अपराध ह। ऐसे समय म तो मनु य को घोषणा करनी ही पड़ती ह क वह अ याय सहने को तैयार नह । वरना तमस और बदअमनी क श य क जीत न त ह। अगर जनता का अ धकांश ह सा शां त क ओर हो तो सरकार को अपने रा े को बदलना ही पड़गा अ यथा जनता क उपयु सरी सरकार बनेगी। कतु सरकार को बदलना इस स या ह का उ े य नह हो सकता। भले मौजूदा सरकार ही बनी रह परंतु उसका रा ा बदले। इसक लए ज़ रत पड़ने पर लोग को तब होने क लए तैयार रहना चा हए।'' एक ओर अवसर पर लो हया ने कहा था क '' जदा कौम पाँच साल का इतज़ार नह करती।'' मोदी सरकार कसान क इस आंदोलन पर शु से हमला करते ए, इसे राजनी त से े रत स करने का यास कर रही ह। इस तरह क आरोप पर डॉ॰ लो हया ने कड़ श द म तवाद करते ए लोकसभा म अ सम या' पर ाव करते ए कहा था क ''सरकार का यह कहना क अनाज, भोजन, राजनी त का वषय नह ह, ऐसी बात सरकारी पाट तो कहती ह, और उसक देखा देखी ह ान क ओर ब त सी वरोधी पा टय ने भी कहना शु कया ह। ये नाम क वरोधी पा टयाँ ह। जो कहती ह क अ और राजनी त को अलग रखो, यह ब त ही गंदा और धोखेबाजी का वचार ह, य क राजनी त का सबसे बड़ा उ े य तो अ ह वशेषकर गरीब और भूखे मु क म, अगर अ नह ह तो फर राजनी त का या मतलब ह, यह मेरी समझ म नह आता। एक गरीब देश म राजनी त का पहला और सबसे बड़ा उ े य ह लोग का पेट भरना और अगर लोग का पेट नह भरता तो फर उस देश क राजनी त नक मी और असफल राजनी त ह। राजनी त को भोजन से अलग रखो, ऐसा जो लोग कहते ह या तो वो अ ानी ह, या बेइमान। राजनी त का मतलब और पहला काम लोग का पेट भरना ह। जस राजनी त म लोग का पेट नह भरता, वह राजनी त पापी और नीच ह। खेती- कसानी क संदभ को डॉ॰ लो हया क म जानने क लए एक वशेष बात को समझना ज़ री ह। उ ह ने जो भी कहा था या लखा था वह आज से लगभग 55 से लेकर 70 वष पूव बताया था। उनक मौ लक इतने

वशेष रपोट

अंतराल क बावजूद आज भी ासं गक ह। एक सरी बात यान म रखना ज़ री ह क उ ह ने जो आंकड़ अपने तक क साथ दये थे, उसको आज क पये क क मत से तुलना मक ढग से करना अ यंत आव यक ह। मसलन, जब वो एक आना अथवा एक पये क बात करते ह तो आज क संदभ म एक आने का अथ लगभग वतमान म सवा छह पैसे ह, उस समय एक पये म सौलह आने होते थे। उनक ारा दये गये पय (मु ा) आँकड़ पर आज का पाठक आ यच कत और हस भी सकता ह, परंतु 70 वष पहले दये गये पय क आँकड़ को पये क अवमू यन क नज़र से तुलना करने पर ही इसका सही मू यांकन कया जा सकता ह। धानमं ी मोदी ने वप पर आरोप लगाते ए कसान और सरकार क बीच जारी ग तरोध क आड़ म वप पर राजनी त चमकाने और आंदोलन को मु े से भटकाने का आरोप लगाते बड़ गव क साथ घोषणा क क मेरी सरकार ने कसान स मान न ध योजना क तहत नौ करोड़ से यादा कसान क खाते म 18000 करोड़ पये ांसफर कए। परंतु डॉ॰ लो हया इस तरह क कसान को दी जा रही व ी आ थक मदद को सम या का समाधान न मानकर, इसक थायी इलाज क लए सुझाव देते ह क कसान अ धकतर बेकारी का शकार होता ह : ''य ह ान म बेकारी ब त काफ रहती ह। बेकारी दो तरह क होती ह – पहली संपूण बेकारी और सरी जसम आदमी अपना पूरा म नह करता ह। देश क आबादी का अ धकांश ह सा इसी तरह बेकार रहता ह। ब त कम ऐसे लोग ह जो दन म आठ घंट काम करते ह और सारा वष और इसक उपरांत आमदनी करते ह । धंधे कम ह, काम कम ह। आज़ादी का ब त सारा समय बेकार रहता ह। इस समय को काम म लाना राज-कशलता का शायद सबसे बड़ा येय होगा पये क आधार पर मजूरी देकर यह संभव नह ।'' उ ह ने खेती कसानी कारखान क संबंध पर एक ठोस नी त ुत क जो इस कार ह :1 कसी भी अनाज का दाम दो फसल क बीच एक आना सेर से अ धक न बढ़। जनवरी, फरवरी-2021


वशेष रपोट

2 कारखाने म बनी कसी भी जीवनोपयोगी व ु का ब दाम लागत खच क ोढ से यादा कसी भी हालत म न हो। 3 कसान को उसक अनाज और क े माल का ऐसा दाम मले जो लागत खच और जीवननवाह को पुसाए ता क खे तहर और औ ो गक चीज क दाम म संतुलन और समता कायम हो। 4 काम दो या भ ा दो क माँग करते समय लो हया ने कतने तरह क काम दए जा सकते ह, इसका ववरण दया। दस लाख लोग क अ सेना भरती क जा सकती ह। अ सेना ारा पहले साल म सरकार को दो अरब, सर साल म डढ़ अरब, तीसर साल म कोई खचा नह , और इससे आगे नफा मलना शु होगा। देश क पं ह करोड़ परती (बंजर) ज़मीन से कम से कम चार-पाँच करोड़ एकड़ ज़मीन कम खच म खेती लायक बनाई जा सकती ह। सरा काम सा रता सेना बनाने का होगा। तीसरा काम मज़ र क काम क घंट आठ क बजाय छह करक चार पा लय ारा करीब सात-आठ लाख लोग को इ ह कारखान म काम मल सकगा। इस नी त से पैदावर कम नह होगी, बढ़गी य क काम क घंट बढ़ने से बुि , श और पैदावार तीन म कमी होती ह। चौथा रा ा यह होगा क छोटी मशीन क ज़ रए उ ोग-धंधे बढ़ाए जाएँ, ये चार काम आसान नह ह। इनम खच तो होगा ही पर उससे ह ान का दमाग इस कार बदलेगा क ये सब काम कए जा सक। लो हया ने 'भारत का कसान' वषय पर बोलते ए कहा था : '' कसान नए समाज का नमाता ह, यह स ांत वा वकता पर आधा रत ह। जहाँ तक खेती क उपज क मू य का न ह, औ ो गक उ पादन क साथ उसक समानता लाने पर कसान तथा शेष समाज क बीच का शोषण समा हो जाएगा।'' लो हया ने 18 जून 1957 को लखनऊ म अपने भाषण म चीज़ क दाम क मह ा पर बोलते ए कहा क : '' कसी भी आज़ाद देश म सबसे बड़ा सवाल होता ह। जीवन क लए ज़ री चीज क क मत या हो और कसे तय क जाए – इस सवाल पर ही राजनी त का बड़ा ह सा बीतता ह। ह ान म गुलामी क वजह से इस सवाल क अह मयत नह समझी गई। जनवरी, फरवरी-2021

अब हमार सामने भी यह सवाल ब त बड़ प म आ गया ह। दाम क बड़ी ही ज़बरद लूट चल रही ह खाली अनाज म ही यह लूट अरब पए तक चली जाती ह। साल म एक या दो महीने चना, गे और ऐसी सरी चीज क दाम कम रहते ह बाक समय वह ऊचे दाम। जस महीने कसान को अपनी फसल बेचनी रहती ह, दाम कम रहते ह। बाक समय जब खरीदार को अनाज लेना रहता ह तो दाम ऊचे रहते ह। कसान को अनाज का दाम बढ़ने से कोई फायदा नह होता य क जस समय उसे अनाज बेचना रहता ह, दाम कम रहते ह। छोट कानदार या फटकर बेचने वाले को भी इससे फायदा नह होता य क उसक पास इतनी पूंजी नह होती क दाम कम होने पर सामान ख़रीद कर इक ा कर ल और महगा होने पर बेचे। वह लूट इतनी बड़ी ह क कसान या छोटा कानदार इसे नह चला सकता। मसाल क लए फसल क समय कसान तीन आना सेर क भाव से चना बेचता ह और साल म यारह महीने खरीदार उसे पाँच आना सेर क भाव से खरीदता ह। चावल गे का दाम फदकता ह। चावल काटते समय 6 आना सेर, पर साल भर म फदक कर 12 आना सेर तक प च जाता ह। गोदाम म कछ अनाज सूखता ह। कछ चूह खाते ह। इस तरह मन क पीछ तीन सेर का नुकसान होता ह। 16 आना त मन या दो पैसा फ सेर नुकसान होता ह। ढलाई का खच और बीच का कछ फायदा जोड़कर एक आना फ सेर आ। इस तरह कल लगभग 7 आना होगा। साल भर म 6 आना से 7 आना सेर तक दाम आ जाना चा हए। पर यह 6 आना से 12 आना तक जाता ह। अनाज क कल पैदावर म से करीब 12 सेर बाज़ार म बकने क लए आता ह और दो आना सेर हसाब से दाम क लूट करीब डढ़ अरब पये क होती ह। सात करोड़ घर म एक साथ सध लगाना मामूली चोर का काम नह । यह काम करोड़प त आड तय और सरकार क मली-जुली सा जश से ही हो सकता ह। सरी मसाल चीनी क दाम क ले सकते ह। 30 पए मन चीनी क दाम म ट स क रकम आगे लखी होती ह ' 1-6-0 पेर ए ग े पर ट स, 1-0-0 ब ट स, 5-6-0 आबकारी और 0-8-0 सरकारी पाट को चंदा। इसम

मल-मा लक का औसत मुनाफा 3 पए मन भी जोड़ ली जए। इस कार चीनी क मौजूदा दाम, 13 आना सेर म तीन पैसा ग ा-ट स होता ह, दो पैसा ब -टकस, ढाई आबकारी, दो पैसा आमदनी-ट स, एक पैसा सरकारी पाट का जबरद ी चंदा और करीब ढाई आना मल-मा लक का मुनाफा होता ह। ट स और मुनाफ को छोड़कर चीनी का दाम 6 और 7 आना सेर क बीच होना चा हए। अगर इसम दो या तीन पैसा सेर उ चत मुनाफा और छह या आठ पैसा सेर मुना सब ट स भी ल तो चीनी का दाम कभी नौ आने सेर से यादा नह होना चा हए। सचमुच कह भी कसी अ छी सरकार क होने पर चीनी नौ आना सेर बकनी चा हए। इसी कार भोजन क सरी चीज और कपड़ क दाम भी घट जाएँगे। कसान क ग े क दाम पर लो हया का कहना था। ग े का दाम एक पया पाँच आना मन करो और चीनी का दाम चालीस पये मन से 27-28 पये मन करो। आज चीनी जब 40 पये मन बकती ह तो ग े क क मत घट कर 1 पये सात आने मन हो गयी। करोड़प तय और मल क मा लक क साथ यह दो ी और सही बोली बोलने वाल पर पु लस क यह बबता। दाम क लूट म तीन डाक ह। पहला सरकारी सेठ, सरा करोड़प त सेठ, जसका सरदार बड़ला सेठ ह। (उनक जगह मोदी जी क अ बानी और अडानी सेठ आ गए ह) और तीसरा गांव म रहने वाले बड़-बड़ कसान ''अखबार क ताकत भी उनक पास ह। चीनी-कपड़ क मले जन करोड़प तय क पास ह, उ ह क पास अखबार भी ह। नफा कमाते ह, चीनी-कपड़ क मल म और नाम कमाते ह अखबार से।(अब टली वजन भी इसक साथ और जुड़ गया ह) सरकार भी अपनी तारीफ क लए उन पर नभर ह। अखबार से व पड़ने पर सरकार को खुश भी कर लेते ह। कसान क पास ऐसी कोई ताकत नह । वह या ह ा मचाएंगे य द कसी कार कछ कर भी पाए तो सवाय बदनामी क कछ हाथ नह लगता।''

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आलेख

बजट 2021: मौत और अकाल क आहट पर चु पी भारत सरकार का बजट 2021 को वड महामारी क साये म आया ह। पछले एक साल से नया क अ य देश क तरह ही भारत का जन-जीवन लगभग थमा आ ह। ग़रीब और म यम आयवग क लोग म हाहाकार मचा आ ह। करोड़ लोग पूरी तरह बेरोज़गार हो गये ह तथा लाख लाख लोग को आय म भारी कमी का सामना करना पड़ा ह। लॉकडाउन क दौरान संयु रा संघ ारा जारी भूख से संबं धत आँकड़ क आधार पर ऑ सफम ने अनुमान लगाया था क लॉकडाउन क कारण 2020 का अंत आतेआते नया म हर दन 6 से 12 हजार अ त र लोग क मौत होने लगेगी। मौत का यह तांडव शु हो चुका ह और दन - दनो चुपचाप यह अपना दायरा बढ़ाता जा रहा ह। ये लोग पछले एक साल म बढ़ी ग़रीबी क कारण मर रह ह। जो को वड से होने वाली मौत क 1 आ धका रक आँकड़ से भी ब त यादा ह। नया पर भयावह अकाल का काला साया मँडरा रहा ह। संयु रा संघ क खा राहत एजसी (WEP) इस बार म लगातार चेतावनी जारी कर रही ह। कहा जा रहा ह क यह पछली एक सदी क सबसे भयावह अकाल म से एक होगा, जो नया क ग़रीब और वकासशील देश तथा यु इलाक़ पर क़हर क तरह बरपेगा। इस अकाल म भूख क एक नये एपी सटर क प म भारत क उभरने क आशंका ह। भारत म या हालत हो चुक ह, इसका अनुमान दसंबर, 2020 म ए एक सव ण से लगता ह। इस सव ण क अनुसार भारत क आधी से अ धक आबादी को कोरोना-काल म पहले क तुलना म कम भोजन मल रहा ह। इनम यादातर द लत और आ दवासी ह।2 ले कन इन सूचना से भी अ धक भयावह यह ह क भारत का बौि क वग, ग़रीब क सर पर मँडराते मौत क इस साये से ाय: नरपे ह। भारतीय मी डया, सोशल मी डया व शहरी प लक फ यस म ग़रीब क सड़ती ई लाश क बदबू नह प च रही ह। संभवत: स दय से 11 बजट 2021: मौत और अकाल क आहट पर चु पी

मौजूद सामा जक असमानता क हमारी वरासत ने भूमंडलीकरण क दौर म आ थक असमानता और सामा जक- अलगाव क खाइय को इतना चौड़ा कर दया ह क हम एक- सर से पूरी तरह अलग-थलग व बेज़ार बने रह सकते ह। इस अलगाव क मौजूदगी भारत सरकार क इस साल क बजट और उस पर मी डया म होने वाली चचा म भी दख रही ह। एक फरवरी को पेश कए गये बजट म भारत सरकार का ज़ोर इस पर ह क कस कार देश क अथ यव था को को वड से ए नुक़सान से उबारा जाए। इसक लए देश क अनेक प रसंपि य और सं था को नजी पूँजीप तय क पास बेचने क ावधान कए गये ह। सरकार क इन ावधान पर ही मी डया क चचाएँ क त ह। कछ लोग इसे उ चत, आव यक और पहले से चल रह 'आ थक सुधार ' क अगली कड़ी मान रह ह, जब क कछ लोग इस सरकार को 'देश बेच देने वाली सरकार' कह रह ह।

व मं ी ने अपने बजट-भाषण म को वडटीका क उपल धता तथा इसक लए बजट म कए गये ावधान का व ार से िज़ कया और देश को डिज़टल बनाने पर ख़ास बल दया। चचा इसक भी प - वप म हो रही ह। ले कन इस बीच यह सवाल पूरी तरह ग़ायब ह क बजट म लॉकडाउन से उपजी भुखमरी और आस अकाल का कोई िज़ तक य नह ह? इस बजट क आने से कछ ही दन पहले ऑ सफम ने 'असमानता का वायरस' (The Inequality Virus) नाम से एक रपोट जारी क ह। रपोट म बताया गया ह क को वड-19 ने नया क सभी देश म असमानता को ब त तेज़ी से बढ़ाया ह। नया क 1,000 महा धनकबेर (सुपर- रच) क संपि म इस दौरान बेहतहाशा वृि ई। नया म जब लॉकडाउन क शु आत ई तो उन दन शेयर बाज़ार तेज़ी से लुढ़का, जससे इन धनकबेर को थोड़ समय क लए कछ आभासी नुक़सान होता दखा, ले कन नया म लॉकडाउन क

जनवरी, फरवरी-2021


आलेख समा से पहले ही इनक संपि न सफ़ लॉकडाउन से पूव क थ त म प च गयी3 ब क उ ह ने उस दौरान इतना धन बनाया, जतना पछले कई साल म नह कमा सक थे। धन का यह क ीकरण मु य प से नया को डिज़टल बनाने क क़वायद क कारण संभव हो सका। वा य और वै सीन व कछ अ य े म यापार करने वाले लोग ने भी उस बीच ब पैसा बनाया। ऑ सफम क रपोट बताती ह क इस दौरान वै क धनकबेर क संपि 19 तशत बढ़ी। इस अव ध म नया क सबसे अमीर आदमी जेफ बेजोस क संपि म 185.5 ब लयन यूएस डॉलर क वृि ई। 18 जनवरी, 2021 तक एलोन म क क संपि बढ़कर 179.2 ब लयन अमरीक डॉलर हो गयी थी। गूगल क सं थापक सगई ि न और लैरी पेज और माइ ोसॉ ट क पूव सीईओ टीव बा मर जैसे अ य टक द गज क संपि म माच 2020 क बाद से 15 ब लयन डॉलर क बढ़ो री ई। म क सं थापक और मु य कायकारी अ धकारी ए रक युआन क संपि इस दौरान बढ़कर 2.58 ब लयन अमरीक डॉलर हो गयी। भारत म भी इस दौरान आ थक- े म कछ ऐसा घ टत हो रहा था, जसका अनुमान कसी को नह था। लॉकडाउन क दौरान भारत क धनकबेर अरबप तय अपनी कमाई म अकत वृि कर रह थे। को वड राहत क नाम पर जहाँ सरकारी पैसा उनक जेब म प च रहा था, वह घर म बंद आम जनता क जेब म बची-खुची रक़म भी नकलकर उ ह धनकबेर क पास प च रही थी। भारत म इस समय 119 अरबप त ह, जनम मुकश अ बानी, गौतम अडानी, शव नादर, साइरस पूनावाला, उदय कोटक, अज़ीम ेमजी, सुनील म ल, राधाक ण दामनी, कमार मंगलम बरला और ल मी म ल शा मल ह। मुकश अंबानी इस दौरान भारत और ए शया म सबसे अमीर य क प म उभर। उ ह ने महामारी क दौरान 90 करोड़ त घंट कमाए जब क देश म लगभग 24 तशत लोग लॉकडाउन क दौरान महज़ 3,000 त माह कमा रह थे। इन 1 1 9 लोग क समे कत संपि म लॉकडाउन क दौरान 35 फ़ सदी का इज़ाफ़ा आ। कल मलाकर इन लोग ने इस दौरान लगभग 13 लाख करोड़ कमाये। यह रक़म जनवरी, फरवरी-2021

कतनी ह, इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता ह क इतने पैसे को अगर ग़रीब म बाँटा जाए तो भारत क नधनतम लगभग 14 करोड़ लोग म से हर एक को 94 हज़ार पये का चेक दया जा सकता ह। सफ मुकश अंबानी ने लॉकडाउन क दौरान जतना धन कमाया ह, उससे अनौपचा रक े म कायरत उन 40 करोड़ लोग को कम से कम पांच महीने क लए गरीबी रखा क उपर रखा जा सकता ह, ज ह ने लॉकडाउन क दौरान 4 अपनी नौक रयाँ गंवा द । सरी ओर, इस अव ध म भारत म 12 करोड़ से अ धक लोग भुखमरी क कगार पर प च गये। म यवग क लए बक से लया गया लोन चुकाना मु कल हो गया और लाख प रवार क़ज़दाता क धम कय से तंग आकर सामू हक आ मह या करने तक का वचार कर रह ह। सरकार ने म य वग ारा क़ज़ पर कछ और समय क लए मॉनेट रयम दए जाने क माँग को भी अनसुना कर दया ह। बजट से पूव इस वषय पर सु ीम कोट म चल रह मामले म सरकार ने अपनी तब ता क़ज़दाता क त दखायी। सरकार ने कोट म यह कहते ए हाथ खड़ कर दये क अगर वह मॉनेटो रयम का फ़सला करती ह तो इससे बक म पैसा लगाने वाले पूँजीप तय का व ास सरकार म कमज़ोर होगा। प रणाम व प दजन प रवार क सामू हक आ मह या क ख़बर इस बीच आय और लाख प रवार बक व अ य क़ज़दाता सं था क एजट क गा लयाँ सुनने, मार खाने और सर-बाज़ार अपमा नत होने क लए मजबूर ह। भारत सरकार का यह बजट इन सम या क बार म भी पूरी तरह मौन ह। सब चुप सफ़ सरकार ही नह , अख़बार भी चुप ह। यह चु पी लगभग तीन दशक पुरानी ह। 1990 म बाज़ार क त उदार अथ- यव था क आगमन क बाद से ही धीर-धीर आ थक असमानता संबंधी सवाल को दर कनार कया जाने लगा था। वष 2000 तक भारत म सफ़ 9 अरबप त थे, 2017 म इनक सं या बढ़कर 101 हो गयी थी और जैसा क पहले िज़ आ, आज इनक सं या 119 ह। एक अ ययन क अनुसार, वष 2017 म देश ारा उ पा दत कल धन का 73 फ़ सदी देश क सबसे अमीर एक तशत लोग

क जेब म प च रहा था। 2018-19 क व ीय वष म देश क संपूण वा षक बजट म नधा रत रा श से अ धक धन इन धनकबेर क पास था। को वड नामक वै क आपदा क दौरान ये धनकबेर पूरी नल ता से न सफ़ अपना ख़ज़ाना भरते रह ब क इनक सं था ने पद क पीछ से को वड क नाम पर भयादोहन का यापार चलाया। इन अरबप तय क अ त र , आ थक और सामा जक शीष पर मौजूद भारत क 10 फ़ सदी लोग का क़ ज़ा देश क कल संपदा का 77 फ़ सदी ह से पर ह। शेष 90 फ़ सदी आबादी क पास महज़ 2 3 फ़ सदी संपदा ह। इस असमानता को कम करने का एक कारगर तरीक़ा वे थ ट स लगाया जाना और इसका कड़ाई से पालन कया जाना ह। यह लॉकडाउन से ए नुकसान क भरपाई क लए भी आव यक ह। यानी, ब त अमीर लोग पर सफ उनक वा षक कमाई क आधार पर नह , ब क उनक कल संपि क आधार पर भी अ त र कर लगाया जाए। लॉकडाउन क मार से अथ यव था को उबारने क लए यूयॉक, क लफो नया, मैसाचुसे स, मैरीलड, वा शगटन समेत अमे रका क कई रा य म अमीर पर अ त र कर लगाने क योजना 5 बनाई जा रही ह। वा शटगन क रा य वधान मंडल म हाल ही म एक बल लाया गया ह, जसका मकसद अमीर पर वे थ ट स लगाकर लॉकडाउन से टट 6 चुक अथ यव था को पटरी पर लाना ह ह। अगर यह बल पास हो जाता ह तो जनक पास एक अरब डॉलर से अ धक क वै क-संपि ह, उ ह एक तशत वे थ ट स देना होगा, जससे वा शगटन को 2.5 अरब डालर क वा षक आय होगी। इसका रा श का उपयोग कम आय और म यम आय वाले प रवार को मदद प चाने तथा छोटी कप नय और कम मुनाफा वाले यवसाय को डट क पेशकश करने क लए कया जाएगा। साथ ही इस रा श से श ा, ब क देखभाल, सावज नक वा य, सावज नक आवास और सावज नक सुर ा सेवा को मदद क जाएगी। भारत क ही तरह वा शगटन म भी अरबप तय क सं या लगभग 100 ह, जनम से 13 सुपर रच ह। इनम जेफ बेजोस, बल गे स, टीव बजट 2021: मौत और अकाल क आहट पर चु पी 12


आलेख बा मर और मैकज़ी कॉट शा मल ह। वा शगटन वधान मंडल म यह बल मु य प से इ ह 13 महा-कबेर को यान म रखकर लाया गया ह। इस नए ट स से जो राज व हा सल होगा, उसका 97 फ सदी इ ह लोग से आएगा। दरअसल, इन 13 महा-कबेर ने लॉकडाउन क दौरान (माच, 2020 से जनवरी 2021 क बीच) लगभग 151 अरब डॉलर क कमाई क ह। इस अव ध म इनक संपि म लगभग 41 तशत क बढ़ो री ई ह। वा शगटन क लोग इन पर वे थ ट स लगाने का समथन करते ए कह रह ह क इन महा-कबेर ने इस बीच जतना धन कमाया ह, उससे न सफ हमार रा य क बजट म कम पड़ रह 3 अरब डालर क शाट फाल को 50 बार पूरा कया जा सकता ह, ब क इसक बाद भी ये महा-कबेर उतने ही अमीर बने रहगे, जतने वे महामारी क 7 पहले थे। इस मांग ने वहां एक आंदोलन का प ले लया ह और इस बल क शी ही पास हो जाने क उ मीद ह। आपको याद होगा क महामारी क शु म ही भारतीय राज व सेवा क कछ तेज़-तरार, संवेदनशील अ धका रय ने इस कार का ाव भी ुत कया था। उस समय द ी, मुंबई, सूरत जैसे औ ो गक नगर से वासी मज़ र गाँव क ओर पैदल जाने क लए मजबूर ए थे और चलते-चलते थकान क कारण उनम से सैकड़ लोग क मौत क ख़बर आ रही थ । इस बीच ताज़ा हवा क झ क क तरह एक ख़बर यह भी आयी क भारतीय राज व सेवा क 50 अ धका रय ने 'आईआरएस एसो सएशन' क ि टर एकाउट पर एक रपोट तैयार करने क सूचना दी ह। उन अ धका रय ने उसे ' फ़ोस' ( राजकोषीय वक प और को वड-19 महामारी क लए ति या) शीषक नाम दया था। यह एक कार से उन अ धका रय क ओर से य गत तौर पर सरकार को दए जाने वाले सुझाव का एक ख़ाका था, जसम कहा गया था क “ऐसे समय म तथाक थत अ य धक अमीर लोग पर बड़ र पर सावज नक भलाई म योगदान करने का सबसे अ धक दा य व ह”। उन अ धका रय ने अमीर लोग क लए आयकर क दर को बढ़ाने और एक न त रा श से अ धक क कमाई करने वाले लोग पर चार फ़ सद का को वड राहत सेस ( 13 बजट 2021: मौत और अकाल क आहट पर चु पी

Covid-Relief Cess) लगाने क सफ़ा रश क थी। रपोट म कहा गया था क रटन दािख़ल नह करने, ोत पर ट स (TDS) कटौती नह करने या उसे रोक कर रखने, फ़ज़ नुक़सान क ेम क ज़ रये ट स देनदारी कम करक दखाने क कई मामले सामने आते रहते ह। ऐसे म एक करोड़ पये से अ धक क वा षक आय वाले लोग पर 30 से बढ़ाकर 40 तशत ट स लगाया जाए। इसक अलावा पाँच करोड़ से अ धक क सालाना आय वाले लोग पर ॉपट ट स या वे थ ट स लगाया जाए। वे अ धकारी न क यु न ट थे, न ही यव था म आमूलचूल बदलाव चाहने वाले सामा जक ां तकारी। उ ह ने अपनी रपोट म सफ़ इतना कहा था क इस कार का ट स थोड़ समय क लए लगाया जा सकता ह, जससे देश क अथ यव था पटरी पर आ जाएगी। ग़रीब और म यम वग क हाथ म थोड़ा पैसा आ सकगा और वा ण य- यापार क गाड़ी फर से पहले क तरह दौड़ सकगी। इस तरह क बात क शु आत करना भी कस कार एक नये सल सले को ज म दे सकता ह, इसे महा-धनकबेर से बेहतर कोई नह समझ सकता। 'फ़ोस' क जानकारी सामने आते ही इन धनपशु ने हडकप मचा दया। मी डया म इन ाव को अ धका रय क अनुशासनहीनता कहा गया। अख़बार म लेख लखे गये, जसम बताया गया क कस कार इससे अमीर लोग भारत से नाराज़ हो जाएँगे और कस कार इस कार क ावधान से ट स क चोरी को बढ़ावा मलेगा। सरकार भी तुरंत ही हरकत म आयी और इन अ धका रय क िख़लाफ़ जाँच बठाई गयी। आनन-फानन म भारतीय राज व सेवा क तीन व र अ धका रय को इसक लए दं डत करते ए उनक पद से हटा दया गया। सरकार ने कहा क इस कार क बात उठाने वाले युवा अ धका रय क दोष से यादा दोष उन व र अ धका रय का ह, ज ह ने उ ह इस कार क रपोट तैयार करने 8 क लए उकसाया। वे अ धकारी थे- आयकर वभाग, द ी क मु य आयु शांत भूषण, का मक और श ण वभाग क नदेशक काश बे और क ीय य कर बोड क उ र पूव े क नदेशक संजय बहा र।

उन अ धका रय क संवेदनशीलता, अपने कत य क त ईमानदारी को कसी ने नह सराहा। न उनक प म कोई संपादक य लखा गया, न ही टीवी चैनल पर कोई बहस चली जसम यह सवाल उठाया जाता क उ ह ने न तो सरकार क आलोचना क थी, न ही कोई ट स अपनी मज़ से लगा दया था तो या सरकार को सुझाव देना भी अनुशासनहीनता मानी जानी चा हए? या अगर कोई अ धकारी ग़रीब या म यम वग पर कसी कार क ट स का सुझाव देता, तब भी उसे अनुशासनहीनता मानी जाती? अख़बार ही नह , इन अ धका रय क प म न तो स वल सोसाइटी संगठन आया, न ही कोई जातीय-धा मक संगठन। न तो क यु न ट पा टयाँ उनक प म बोल , न समाजवादी, और न ही आ बेकरवादी- सामा जक यायवादी। कसी ने आज तक उनक तारीफ़ म यह तक नह कहा क उन कमठ अ धका रय ने हमार व नदश क यु न ट सा थय और आँकड़ क भ व यवा णयाँ करने वाले अथशा य से पहले समझ लया था क आने वाले महीन म कस कार धन का क ीकरण और तेज़ होगा। बहरहाल, जस कार क नयी नया का सपना ये धनकबेर देखते ह, उसम जो एक चीज़ वे नह रखना चाहते ह, वह ह- सवाल। वे सवाल- वहीन नया चाहते ह। वे एक ऐसी नया चाहते ह जसम सबक पास खाना, कपड़ा और छत हो। ले कन यह सवाल न हो क इतनी असमानता य ह, य नया क अ धकांश लोग को जीवन भर ज़ रत से यादा तनाव रहना पड़ता ह, अथवा यह क य कसी क चेहर पर शी नह दखती? य कछ लोग रोज थोड़ा-थोड़ा मर रह ह? य कछ मानव समुदाय चुपचाप ख म होते जा रह ह? अगर उनक सपन से नयी नया को बचाना ह तो हम हर क़ मत पर ऐसे सवाल का वजूद बचाए रखना होगा, उनक िख़लाफ़ जाने वाले हर ववेकस मत सवाल का वागत करना होगा, चाह वे सवाल कसी भी ख़ेमे से उठ रह ह । - मोद रंजन

जनवरी, फरवरी-2021


आलेख

कसान क दशा का ज मेदार कौन? आज जब कसान क बार म तरह-तरह क म फलाए जा लह ह तब हम यह समझना होगा क भारत म एक औसत कसान कस तरह क परशा नय से गुजर रहा ह यह देखना आव यक ह। देश क अलग ह स म कसान क सम याएं अलग हो सकती ह, ले कन कछ सम याएं ह जो सब कसान पर लागू होती ह कछ मु य सम या पर नजर डालते ह। पहला मु ा जसपर अ सर बात घुमा दी जाती ह वह ह फसल क तेजी से बढ़ती लागत: डीजल, पे ोल, उवरक, बीज, सचाई, बजली, पे टसाईड, क ष संयं और मज री म लगातार बढो री। ऊपर से कानून मार। ाइवेट कप नय क च यूह म फसा कसान:गांव या जला र पर बीज, पे टसाइड आ द क सरकारी यव था समु चत न होने क चलते कसान इन सबक लए यादातर ाइवेट कप नय क उ पाद पर ही नभर रहता ह। उ गुणव ायु बीज सही दाम म कसान को उपल ध हो पाना एक बड़ी चुनौती रहती ह। महगे बकने वाले पे टसाइड से क ट पर नयं ण होता ह, फसल क उ पादकता बढ़ जाती ह। पर जै वक या ाक तक खेती क अपे ा ये रासाय नक खेती कसान का खचा बढ़ाने क साथ म ी क उवरक मता, पयावरण, वलु होती जा त , कसान व उपभो ा क वा थय क से ब त घातक स होते ह। एक बार इनका योग करने पर, जमीन इनक आदी बन जाती ह, फर इनको बार-बार इ ेमाल करना पड़ता ह। इनक क मत पर सरकार का नयं ण न होने क चलते, कसान इनको ब त महगे दाम पर खरीदने को मजबूर रहता ह। इन सब क लए कसान क बाजार पर नभरता खेती क लागत को ब त यादा बढ़ा रही ह। 51 से यादा ऐसे पे टसाइड ह जो नया क बाक देश म तबं धत ह पर भारत सरकार ने उनको हमार देश म अब भी योग करने क इजाजत दी ई ह। कसानो म भी दल, कसर व अ य बीमा रया अब आम हो गई ह। मज री क लागत का बढ़ना: खेत म काम क लए मज र का मलना एक बड़ी सम या बन गई ह। एकल प रवार होने क चलते अब छोट कसान को भी मज र क आव यकता पड़ती ह। मनरगा क चलते मज री क दर भी बढ़ गई ह। इस कारण खेती म आने वाली लागत काफ बढ़ गई ह। खेत क जोत का छोटा होते जाना: कई अ य कारण क अलावा, प रवार म बंटवार क चलते भी पीढ़ी दर पीढ़ी खेती क जोत का आकार घटता जा रहा ह। देश क लगभग 85% कसान प रवार क पास 2 ह टयर से कम जमीन ह। जनवरी, फरवरी-2021

इससे भी त एकड़ खेती क लागत बढ़ जाती ह। कभी ना ख़ म होने वाला कज का जाल: एक बार कसान कज क चंगुल म फसता ह तो फर बाहर नकलना ब त मु कल हो जाता ह। वशेषकर वे कसान जो सा कार से ब त ही ऊची याज दर (36%-120% त वष) पर याज लेते ह। कसान क आ मह या म ना चुकाया जाने वाला बक व सा कार का कज एक ब त मह वपूण कारण बनता ह। मौसम क मार से बचाने म न भावी राहत व फसल बीमा- बेमौसम बा रश, ओलावृ , बाढ़, सूखा, च वात आ द से फसल क नुकसान क थ त म कसान को त काल व समु चत राहत प चाने म हमार देश का तं व यव था भावी सा बत नह हो पाई ह। ऐसा सीएसई क एक अ ययन म भी सामने आया ह। धानमं ी फसल बीमा योजना जैसी मह वाकां ी योजना भी अपने मौजूदा व प म कसान का भरोसा नह जीत सकती। कई सुधार क साथ इसम य गत र पर फसल बीमा लाभ देना पड़गा। फसल क दाम म भारी अ न तता : पछले कई साल से खेती करने क लागत जस तेजी से बढ़ती जा रही ह। उस अनुपात म कसान को मलने वाले फसल क दाम ब त ही कम बढ़ ह। सरकार क हरसंभव को शश रहती ह क फसल क दाम कम से कम रह, जससे मंहगाई काबू म रह। ले कन सरकार उसी अनुपात म फसल को उपजाने म आने वाली लागत को कम नह कर पाती। इससे कसान बीच म पस जाता ह और देश क जनता को स े म खाना उपल ध कराने क सारी ज मेदारी एक कसान क कध पर डाल दी जाती ह। इसका प रणाम हम सब कसान पर कभी ना ख़ म होने वाले बढ़ते कज क प म देखते ह। अनेक उदाहरण ऐसे ह जसम कसान को फसल मू य क प म अपनी वा वक लागत का आधा या चौथाई भी वसूल नह हो पाता या कसान को कौड़ी क भाव अपने फसल उ पाद फकने पड़ जाते ह। ले कन इसका ये मतलब कतई नह क उपभो ा को फसल उ पाद स े म मल जाते ह। असल म कसान क खेत से लेकर आपक लेट म आने तक क ि या म फसल उ पाद कई बचौ लय और यापा रय क हाथो म से होकर आती ह। बचौ लए का काम ही होता ह कसान से स े से स े दाम म खरीद कर महगे से महगे दाम म आगे बेचना। इस पूरी ि या म यादातर असली मुनाफा बचौ लए खा जाते ह और कसान व उपभो ा दोन ठगे से रह जाते ह। कसी फसल उ पाद क लए

शैले चौहान उपभो ा जो मू य देता ह, उसका ब त ही कम ह सा कसान को मल पाता ह। बाजार मू य का कभी कभी तो 20 से 30% तक का ह सा ही कसान तक प चता ह। जब क को-ऑपर टव मॉडल से कसान को बाजार मू य का औसतन 70% तक आराम से मल जाता ह। हालां क अलग-अलग फसल, फल क लए अलग अलग रा य म ये अलग हो सकते ह। वा मनाथन आयोग ने सफ़ा रश क थी क कसान को उनक फ़सल क दाम उसक लागत म कम से कम 50 तशत जोड़ क दया जाना चा हए। पूर देशभर का कसान इसी सफ़ा रश को लागू करने क माँग को लेकर सड़क पर ह। ले कन तमाम वादे करने क बाद भी इस सफ़ा रश को न ही कां ेस क सरकार ने लागू कया गया और न ही वतमान क भाजपा सरकार ने। भाजपा ने 2014 क आम चुनाव क समय अपने घोषणा प म वादा कया था क वे फ़सल का दाम लागत म 50 तशत जोड़ कर क दगे। ले कन जब ह रयाणा क समलखा से आरटीआई ए ट व ट पीपी कपूर क एक आरटीआई पर सरकार ने जवाब दया क वे इसे लागू नह कर सकते ह। फसल क मू य नधारण क लए यूनतम समथन मू य का ावधान ह पर कई बार खुद सरकार ारा नधा रत यूनतम समथन मू य ही कसान क लागत से भी कम घो षत कया जाता ह। इसको कनाटक क एक उदाहरण से समझा जा सकता ह। जहां कनाटक ए ीक चर ाइस कमीशन ारा 2014-15 क मु य फसल म अ ययन म ये सामने आया क लगभग हर फसल का घो षत यूनतम समथन मू य फसल क लागत से भी कम था, और कसान को लगभग हर फसल म नुकसान आ। तब से अब तक यह नुकसान लगातार बढ़ रहा ह। इसक चता न सरकार को ह न समाज को। ाक तक आपदा यथा- अ तवृ , अ पवृ , सूखा, पाला, टि य का आतंक आ द क चलते भी भारी आ थक हा न उठानी पड़ती ह। ऊपर से सरकारी तं का असहयोगा मक रवैया इस त य पर भी यान दया जाना चा हए क सामा य उपभो ा, फ ी म उ पा दत व ु क तो मनमाने दाम देता ह ले कन क ष उ पाद स े म चाहता ह। हर े म लोग क आय बढ़ रही ह पर कसान क आय आनुपा तक प से थर ह। या यह अ याय नह ह? संपक: 34/242, से टर-3, तापनगर, जयपुर-302033 मो. 7838897877

कसान क दशा का ज मेदार कौन? 14


आलेख

किष उ पादन क यापार और वािण य वशेष त न ध, आपका त ा- हमालयः सरल श द म सम झए उन 3 क ष वधेयक म या ह, ज ह मोदी सरकार क ष सुधार का बड़ा कदम बता रही और कसान वरोध कर रह क ष कानून का वरोध करने क लए कसान द ी प चने लगे ह। आंसू गैस क गोले, पानी क बौछार भी कसान को रोक नह सक । गांव कने शन ने ये खबर तब क थी जब क ष वधेयक को लोकसभा और रा यसभा म पेश कया जा रहा था। इस खबर से आप यह समझ सकते ह क आ खर तीन क ष कानून का कसान वरोध य कर रह ह। आजादी क बाद भारत क खेती म बड़ा बदलाव हो गया ह, सरकार तीन क ष वधेयक को क ष सुधार म अहम कदम बता रही ह तो कसान संगठन और वप इसक खलाफ ह। सड़क और सोशल मी डया म कसान संगठन आवाज़ बुलंद कए ह तो लोकसभा म तीन बल पास हो गए ह। बल पास होने क वरोध म एनडीए सरकार क सहयोगी पाट अकाली दल क नेता और क ीय खा सं करण मं ी हर समरत कौर बादल ने अपने पद से इ ीफा दे दया, ले कन अपने ज म दन पर पीएम नर मोदी ने कहा क यूनतम समथन मू य और सरकारी खरीद जारी रहगी, कछ श यां कसान को मत करने म लगी ह ले कन इसे कसान का मुनाफा बढ़गा। साल 2022 तक कसान क आमदनी बढ़ाने का वादा करने वाली क सरकार क इन वधेयक का वरोध य हो रहा ह। य कसान को लग रहा ह सरकार उनक मं डय को छीनकर कॉरपोरट कप नय को देना चाहती ह? य कसान को लगता ह सरकार का ये कदम कसान वरोधी ह। गांव कने शन क पास लोकसभा म पास वो क ष अ यादेश का राजप ह, उसम या लखा ह आपको सरल श द म बताते ह, ता क आप समझ सक क 15 क ष उ पादन क यापार और वा ण य

तीन क ष अ यादेश म ह या.. पहले जानते ह क ये तीन बल ह या। गु वार 17 सतंबर को लोकसभा म दो बल कषक उपज यापार और वा ण य (संवधन और सरलीकरण) वधेयक, 2020 और कषक (सश करण व संर ण) क मत आ ासन और क ष सेवा पर करार वधेयक 2020 लोक सभा से पा रत आ, जब क एक आव यक व ु ( संशोधन) वधेयक पहले ही लोकसभा म पा रत हो चुका ह। क ष से जुड़ इन तीन वधेयक को जा नये क ष उ पादन यापार और वा ण य (संवधन और सु वधा) अ यादेश (Farmers' Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020) क ष उ पादन यापार और वा ण य (संवधन और सु वधा) अ यादेश, 2020, रा य सरकार को मं डय क बाहर क गई क ष उपज क ब और खरीद पर ट स लगाने से रोकता ह और कसान को लाभकारी मू य पर अपनी उपज बेचने क वतं ता देता ह। सरकार का कहना ह क इस बदलाव क ज रए कसान और यापा रय को कसान क उपज क ब और खरीद से संबं धत आजादी मलेगी, जससे अ छ माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मलगे। सरकार का कहना ह क इस अ यादेश से कसान अपनी उपज देश म कह भी, कसी भी य या सं था को बेच सकते ह। इस अ यादेश म क ष उपज वपणन स म तय (एपीएमसी मं डय ) क बाहर भी क ष उ पाद बेचने और खरीदने क यव था तैयार करना ह। इसक ज रये सरकार एक देश, एक बाजार क बात कर रही ह। यह भी पढ़- कसान क वरोध क बीच लोकसभा म पास ए क ष से जुड़ बल, धानमं ी ने दया भरोसा- MSP और सरकारी खरीद क यव था बनी रहगी कसान अपना उ पाद खेत म या यापा रक लेटफॉम पर देश

म कह भी बेच सकगे। इस बार म क ीय कषमं ी नर सह तोमर ने लोकसभा म बताया क इससे कसान अपनी उपज क क मत तय कर सकगे। वह जहां चाहगे अपनी उपज को बेच सकगे जसक मदद से कसान क अ धकार म इजाफा होगा और बाजार म तयो गता बढ़गी। कसान को उसक फसल क गुणव ा क अनुसार मू य नधारण क वतं ता मलेगी। लोकसभा म बल पास करते ए सरकार ने कहा क इस बदलाव क ज रए कसान और यापा रय को कसान क उपज क ब और खरीद से संबं धत आजादी मलेगी। जससे अ छ माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मलगे। आव यक व ु अ ध नयम 1955 म संशोधन (The Essential Commodities (Amendment) Bill) पहले यापारी फसल को कसान क औने-पौने दाम म खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने क लए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जसक तहत यापा रय ारा क ष उ पाद क एक ल मट से अ धक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी। अब नये वधेयक आव यक व ु (संशोधन) वधेयक, 2020 आव यक व ु क सूची से अनाज, दाल, तलहन, खा तेल, याज और आलू जैसी व ु को हटाने क लए लाया गया ह। इन व ु पर रा ीय आपदा या अकाल जैसी वशेष प र थ तय क अलावा टॉक क सीमा नह लगेगी। इस पर सरकार का मानना ह क अब देश म क ष उ पाद को ल य से कह यादा उ पा दत कया जा रहा ह। कसान को को ड टोरज, गोदाम , खा सं करण और नवेश क कमी क कारण बेहतर मू य नह मल पाता ह। मू य आ ासन पर कसान (संर ण एवं सश करण) समझौता और क ष सेवा अ यादेश ( T h e F a r m e r s जनवरी, फरवरी-2021


आलेख (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill) यह कदम फसल क बुवाई से पहले कसान को अपनी फसल को तय मानक और तय क मत क अनुसार बेचने का अनुबंध करने क सु वधा दान करता ह। इस अ यादेश म कॉ ट फा मग क बात ह। सरकार क मान तो इससे कसान का जो खम कम होगा। सर, खरीदार ढढने क लए कह जाना नह पड़गा। सरकार का तक ह क यह अ यादेश कसान को शोषण क भय क बना समानता क आधार पर बड़ खुदरा कारोबा रय , नयातक आ द क साथ जुड़ने म स म बनाएगा। क ीय क ष मं ी नर सह तोमर कहते ह क इससे बाजार क अ न तता का जो खम कसान पर नह रहगा और कसान क आय म सुधार होगा। सरकार का यह भी कहना ह क इस अ यादेश से कसान क उपज नयाभर क बाजार तक प चेगी। क ष े म नजी नवेश बढ़गी। वधेयक का वरोध य हो रहा? या क ष उ पादन यापार और वा ण य (संवधन और सु वधा) अ यादेश से कसान को फायदा होगा? लंबे समय से कसान हत क बात कर रह वराज इ डया क अ य योग यादव इस पर कहते ह, "ये बात ब कल सही ह क एपीएमसी मं डय क साथ कई द कते ह, कसान इससे खुश भी नह ह ले कन सरकार क नई यव था भी ठीक नह ह।" "यह अ यादेश कहता ह क बड़ कारोबारी सीधे कसान से उपज खरीद कर सकगे, ले कन ये यह नह बताता क जन कसान क पास मोल-भाव करने क मता नह ह, वे इसका लाभ कसे उठाऐंगे?" वे आगे कहते ह। अ खल भारतीय कसान संघष सम वय स म त क संयोजक वीएम सह भी वधेयक क नी तय को लेकर सवाल करते ह। वे कहते ह, "सरकार एक रा , एक माकट बनाने क बात कर रही ह, ले कन उसे ये नह पता क जो कसान अपने जले म अपनी फसल नह बेच पाता ह, वह रा य या सर जले म कसे बेच पायेगा। या कसान क पास इतने साधन ह और र जनवरी, फरवरी-2021

मं डय म ले जाने म खच भी तो आयेगा।" यह भी पढ़- ह रयाणा म क ष अ यादेश क वरोध म रली नकाल रह थे कसान, पु लस ने लाठीचाज कया, कई कसान घायल उ ह ने आगे कहा, "इस अ यादेश क धारा 4 म कहा गया ह क कसान को पैसा तीन काय दवस म दया जाएगा। कसान का पैसा फसने पर उसे सर मंडल या ांत म बार-बार च कर काटने ह गे। न तो दो-तीन एकड़ जमीन वाले कसान क पास लड़ने क ताकत ह और न ही वह इटरनेट पर अपना सौदा कर सकता ह। यही कारण ह कसान इसक वरोध म ह।" देश क स नयात नी त वशेष और क ष मामल क जानकार दे वदर शमा कहते ह, " जसे सरकार सुधार कह रही ह वह अमे रका, यूरोप जैसे कई देश म पहले से ही लागू बावजूद इसक वहां क कसान क आय म कमी आई ह। अमे रका क ष वभाग क मु य अथशा ी का कहना ह क 1960 क दशक से कसान क आय म गरावट आई ह। इन वष म यहां पर अगर खेती बची ह तो उसक वजह बड़ पैमाने पर स सडी क मा यम से दी गई आ थक सहायता ह।" वे आगे कहते ह क बहार म 2006 से एपीएमसी नह ह और इसक कारण होता ये ह क यापारी बहार से स े दाम पर खा ा खरीदते ह और उसी चीज को पंजाब और ह रयाणा म एमएसपी पर बेच देते ह य क यहां पर एपीएमसी मं डय का जाल बछा आ ह। य द सरकार इतना ही कसान क हत को सोचती ह तो उसे एक और अ यादेश लाना चा हए जो कसान को एमएसपी का कानूनी अ धकार दे दे, जो ये सु न त करगा क एमएसपी क नीचे कसी से खरीद नह होगी। इससे कसान का हौसला बुलंद होगा। म य देश क युवा कसान नेता और रा ीय कसान मज र संगठन म य देश क देश अ य रा ल राज कहते ह क इससे मंडी क यव था ही ख म हो जायेगी। वे कहते ह "सरकार क इस फसले से मंडी यव था ही ख म हो जायेगी। इससे कसान को नुकसान होगा और कॉरपोरट और बचौ लय को फायदा होगा।" वे आगे कहते ह, "फॉमस

ो ूस ड एंड कॉमस ( मोशन एंड फ स लटशन) ऑ डनस म वन नेशन, वन माकट क बात कही जा रही ह ले कन सरकार इसक ज रये क ष उपज वपणन स म तय (APMC) क एका धकार को ख म करना चाहती ह। अबर इसे ख म कया जाता ह तो यापा रय क मनमानी बढ़गी, कसान को उपज क सही क मत नह मलेगी।" मू य आ ासन पर कसान ( संर ण एवं सश करण) समझौता और क ष सेवा अ यादेश से कॉरपोरट खेती को बढ़ावा मलेगा? सरकार का तक ह क यह अ यादेश कसान को शोषण क भय क बना समानता क आधार पर बड़ खुदरा कारोबा रय , नयातक आ द क साथ जुड़ने म स म बनाएगा। क ीय क ष मं ी नर सह तोमर कहते ह क इससे बाजार क अ न तता का जो खम कसान पर नह रहगा और कसान क आय म सुधार होगा, ले कन क ष वशेष तो कछ और ही कह रह ह। यह भी पढ़- क ष अ यादेश क खलाफ बढ़ रहा वरोध, क ीय मं ी हर समरत कौर बादल ने दया इ ीफा सरदार वीएम सह कहते ह, "30 साल पहले पंजाब क कसान ने पे सको क साथ आलू और टमाटर उगाने क लए समझौता कया था। इस अ यादेश क धारा 2(एफ) से पता चलता ह क ये कसक लए बना ह। एफपीओ को कसान भी माना गया ह और कसान तथा यापारी क बीच ववाद क थ त म बचौ लया भी बना दया गया ह। इसम अगर ववाद आ तो नुकसान कसान का ह।" " ववाद सुलझाने क लए 30 दन क अंदर समझौता मंडल म जाना होगा। वहां न सुलझा तो धारा 13 क अनुसार एसडीएम क यहां मुकदमा करना होगा। एसडीएम क आदेश क अपील जला अ धकारी क यहां होगी और जीतने पर कसान को भुगतान करने का आदेश दया जाएगा। देश क 85 फ सदी कसान क पास दो-तीन एकड़ जोत ह। ववाद होने पर उनक पूरी पूंजी वक ल करने और ऑ फस क च कर काटने म ही खच क ष उ पादन क यापार और वा ण य 16


आलेख

भारत म िकसान आंदोलन का इितहास संपादक य भारी, त ा- हमालयः आमतौर पर यह माना जाता ह क भारतीय समाज म समय-समय पर होने वाली उथलपुथल म कसान क कोई साथक भू मका नह रही ह, ले कन ऐसा नह ह, य क भारत क वाधीनता आंदोलन म जन लोग ने शीष र पर अपनी उप थ त दज कराई उनम आ दवा सय , जनजा तय और कसान का अहम योगदान रहा ह। कषक आंदोलन का इ तहास ब त पुराना ह और व क सभी भाग म अलग-अलग समय पर कसान ने क ष नी त म प रवतन करने क लये आंदोलन कये ह ता क उनक दशा सुधर सक। मौजूदा दौर म भारत म कषक आंदोलन तेज ग त से बढ़ रह ह। इसका मु य कारण ह क कसान क आ थक हालत दन त दन कमजोर हो रही ह और वो कज क मकड़ जाल म फस रहा ह। मौजूदा दौर म क ष क लागत बढ़ रही ह और आमदनी घट रही ह इस कारण से कसान म आ मह या क घटनाएं बढ़ रही ह सरी तरफ लोग क ष नी त बदलवाने क लए संघष कर रह ह। वष 2017 म देश म छोट बड़ सैकड़ आंदोलन देश म ए ह। सरकार को क ष क स ब ध म बोलने पर मजबूर कया ह। जसम महारा का जून 17 म गाँव-बंद हो, चाह ना सक से मु बई तक का माच हो। राज थान म पानी व बजली क सवाल पर आंदोलन हो, ह रयाणा म 2015 म नरमे क फसल क खराब होने पर मुआवजे क मांग हो, त मलनाड क कसान का महीन तक संसद माग पर धरना हो आ द का ज करना ासं गक ह । 202021 म क ारा लाए गए तीन क ष कानून क िख़लाफ़ द ी क सीमा पर एक अभूतपूव आंदोलन ढाई माह से चल रहा ह। द ी क सभी सीमा पर जहां कसान अपनी मांग क साथ डट ए ह तो वह सीमा क सरी ओर सीमट क बै रकड, नुक ले क ल और तार बछाए गए ह। भारी सं या पु लस क मय क भी तैनाती क गई ह। वतं ता से पहले कसान ने अपनी मांग क समथन म जो आंदोलन कए वे गांधीजी क भाव क कारण ब त भावी रह| भारत म कसान आंदोलन का लंबा इ तहास रहा ह। 17 भारत म कसान आंदोलन का इ तहास

देश म सहजानंद सर वती जैसे कसान नेता ए ह, ज ह ने ि टश राज म यू नयन का गठन कया था। देश म नील पैदा करने वाले कसान का आंदोलन, पाबना व ोह, तेभागा आंदोलन, च पारण का स या ह और बारदोली म जो आंदोलन ए थे, इन आंदोलन का नेतृ व महा मा गांधी, व भभाई पटल जैसे नेता ने कया। आमतौर पर कसान क आंदोलन या उनक व ोह क शु आत स 1859 से ई थी, ले कन चूं क अं ेज क नी तय पर सबसे यादा कसान भा वत ए, इस लए आजादी क पहले भी इन नी तय ने कसान आंदोलन क न व डाली। स 1857 क असफल व ोह क बाद वरोध का मोचा कसान ने ही संभाला, य क अं ेज और देशी रयासत क सबसे बड़ आंदोलन उनक शोषण से उपजे थे। वा व म जतने भी ' कसान आंदोलन' ए, उनम अ धकांश आंदोलन अं ेज क खलाफ थे। उस समय क समाचार प ने भी कसान क शोषण, उनक साथ होने वाले सरकारी अ धका रय क याद तय का सबसे बड़ा संघष, प पातपूण यवहार और कसान क संघष को मुखता से का शत कया। आंदोलनकारी कसान चाह तेलंगाना क ह या न सलवाड़ी क हसक लड़ाक, सभी ने छापामार आंदोलन को आगे बढ़ाने म अहम योगदान दया। स 1857 क थम वतं ता सं ाम को अं ेज ने देशी रयासत क मदद से दबा तो दया, ले कन देश म कई थान पर सं ाम क ाला लोग क दल म धधकती रही। इसी बीच अनेक थान पर एक क बाद एक कई कसान आंदोलन ए। नील पैदा करने वाले कसान का व ोह, पाबना व ोह, तेभागा आंदोलन, च पारण स या ह, बारदोली स या ह और मोपला व ोह मुख कसान आंदोलन क प म जाने जाते ह। स 1918 म खेड़ा स या ह गांधीजी ारा शु कया गया, वह बाद म ' मेड़ता बंधु ' (क याणजी तथा कवरजी) ने भी स 1922 म बारदोली स या ह को ारंभ कया था। बाद म इस स या ह का नेतृ व सरदार व भभाई

पटल क हाथ म रहा। हालां क कसान का सबसे भावी और यापक आंदोलन नील पैदा करने वाले कसान का था। यह आंदोलन भारतीय कसान ारा ि टश नील उ पादक क खलाफ बंगाल म स 1859-1860 म कया गया। अपनी आ थक मांग क संदभ म कसान ारा कया जाने वाला यह आंदोलन उस समय का एक वशाल आंदोलन था। अं ेज अ धकारी बंगाल तथा बहार क जम दार से भू म लेकर बना पैसा दए ही कसान को नील क खेती म काम करने क लए ववश करते थे तथा नील उ पादक कसान को एक मामूली-सी रकम अि म देकर उनसे करारनामा लखा लेते थे, जो बाजार भाव से ब त कम दाम पर आ करता था। इस था को 'ददनी था' कहा जाता था।इसी तरह का पहला व ोह ( पाबना आंदोलन) जले क कसान से शु आ था। बंगाल क पाबना जले क का तकार को स 1859 म एक ए ट ारा बेदखली एवं लगान म वृि क व एक सीमा तक संर ण ा आ था, ले कन इसक बावजूद जम दार ने उनसे सीमा से अ धक लगान वसूला एवं उनको उनक जमीन क अ धकार से वं चत कया। जम दार क यादती का मुकाबला करने क लए स 1873 म पाबना क यूसुफ सराय क कसान ने मलकर एक 'कषक संघ' का गठन कया। इस संगठन का मु य काय पैसे एक करना एवं सभाएं आयो जत करना होता था, ता क कसान आ धका धक प से अपने अ धकार क लए सजग हो सक। द कन का व ोह : गौरतलब बात यह ह क यह एक-दो थान तक सी मत नह रहा वरन देश क व भ भाग म फलाफला। यह आग दि ण म भी लगी, य क महारा क पूना एवं अहमदनगर जल म गुजराती एवं मारवाड़ी सा कार सार हथकड अपनाकर कसान का शोषण कर रह थे। दसंबर स 1874 म एक सूदखोर कालूराम ने कसान (बाबा सा हब देशमुख) क खलाफ अदालत से घर क नीलामी क ड ा कर ली। इस पर कसान ने सा कार क व आंदोलन शु कर दया। इन सा कार क व जनवरी, फरवरी-2021


आलेख आंदोलन क शु आत स 1874 म श र तालुका क करडाह गांव से ई। उ र देश म कसान आंदोलन: होम ल लीग क कायकता क यास तथा मदन मोहन मालवीय क दशा नदशन क प रणाम व प फरवरी, स 1918 म उ र देश म ' कसान सभा' का गठन कया गया। स 1919 क अं तम दन म कसान का संग ठत व ोह खुलकर सामने आया। इस संगठन को जवाहरलाल नेह ने अपने सहयोग से श दान क । उ र देश क हरदोई, बहराइच एवं सीतापुर जल म लगान म वृि एवं उपज क प म लगान वसूली को लेकर अवध क कसान ने 'एका आंदोलन' नामक आंदोलन चलाया। मोपला व ोह: करल क मालाबार े म मोपला कसान ारा स 1920 म व ोह कया गया। ार भ म यह व ोह अं ेज़ कमत क िख़लाफ था। महा मा गांधी, शौकत अली, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे नेता का सहयोग इस आंदोलन को ा था। इस आ दोलन क मु य नेता क प म 'अली मुस लयार' च चत थे। स 1920 म इस आ दोलन ने ह - मु लम क म य सा दा यक आ दोलन का प ले लया और शी ही इस आ दोलन को कचल दया गया। कका व ोह: क ष संबंधी सम या क खलाफ अं ेज़ सरकार से लड़ने क लए बनाए गए इस संगठन क सं थापक भगत जवाहरमल थे। स 1872 म इनक श य बाबा राम सह ने अं ेज का कड़ाई से सामना कया। काला तर म उ ह कद कर रंगून (अब यांगून) भेज दया गया, जहां पर स 1885 म उनक मृ यु हो गई। रामोसी कसान का व ोह: महारा म वासुदेव बलवंत फड़क क नेतृ व म रामोसी कसान ने जम दार क अ याचार क व व ोह कया। इसी तरह आं देश म सीताराम राजू क नेतृ व म औप नवे शक शासन क व यह व ोह आ, जो स 1879 से लेकर स 1920-22 तक छटपुट ढग से चलता रहा। ताना भगत आंदोलन: इस आ दोलन क शु आत स 1914 म बहार म ई। यह आ दोलन लगान क ऊची दर तथा चौक दारी कर क व कया गया था। इस आ दोलन क वतक 'जतरा भगत' थे, जो क इस जनवरी, फरवरी-2021

आ दोलन से स ब थे। मु डा आ दोलन क समा क करीब 13 वष बाद 'ताना भगत आ दोलन' शु आ। यह ऐसा धा मक आ दोलन था, जसक राजनी तक ल य थे। यह आ दवासी जनता को संग ठत करने क लए नए 'पंथ' क नमाण का आ दोलन था। इस मायने म यह बरसा मु डा आ दोलन का ही व ार था। मु -संघष क म म बरसा मु डा ने जनजातीय पंथ क थापना क लए सामुदा यकता क आदश और मानदंड नधा रत कए थे। तेभागा आ दोलन : कसान आ दोलन म स 1946 का बंगाल का तेभागा आ दोलन सवा धक सश आ दोलन था, जसम कसान ने ' लाइड कमीशन' क सफा रश क अनु प लगान क दर घटाकर एक तहाई करने क लए संघष शु कया था। बंगाल का 'तेभागा आंदोलन' फसल का दो- तहाई ह सा उ पीिड़त बटाईदार कसान को दलाने क लए कया गया था। यह बंगाल क 28 म से 15 जल म फला, वशेषकर उ री और तटवत सु दरबन े म। ' कसान सभा' क आ ान पर लड़ गए इस आंदोलन म लगभग 50 लाख कसान ने भाग लया और इसे खे तहर मज र का भी यापक समथन ा आ। तेलंगाना आंदोलन : आं देश म यह आ दोलन जम दार एवं सा कार क शोषण क नी त क खलाफ स 1946 म शु कया गया था। स 1858 क बाद ए कसान आ दोलन का च र पूव क आ दोलन से अलग था। अब कसान बगैर कसी म य थ क वयं ही अपनी लड़ाई लड़ने लगे। इनक अ धकांश मांग आ थक होती थ । कसान आ दोलन ने राजनी तक श क अभाव म ि टश उप नवेश का वरोध नह कया। कसान क लड़ाई क पीछ उ े य यव थाप रवतन नह था, ले कन इन आ दोलन क असफलता क पीछ कसी ठोस वचारधारा, सामा जक, आ थक एवं राजनी तक काय म का अभाव था। बजो लया कसान आंदोलन : यह ' कसान आ दोलन' भारत भर म स रहा जो मश र ां तकारी वजय सह प थक क नेतृ व म चला था। बजो लया कसान आ दोलन स 1847 से ारंभ होकर करीब अ शता दी तक चलता रहा। कसान ने जस कार नरंकश नौकरशाही एवं वे छाचारी सामंत का

संग ठत होकर मुकाबला कया, वह इ तहास बन गया।अ खल भारतीय कसान सभा : स 1923 म वामी सहजानंद सर वती ने ' बहार कसान सभा' का गठन कया। स 1928 म 'आंध ा तीय र यत सभा' क थापना एनजी रंगा ने क । उड़ीसा म मालती चैधरी ने 'उ कल ा तीय कसान सभा' क थापना क । बंगाल म 'टनसी ए ट' को लेकर स 1929 म 'कषक जा पाट ' क थापना ई। अ ैल, 1935 म संयु ांत म कसान संघ क थापना ई। इसी वष एनजी रंगा एवं अ य कसान नेता ने सभी ा तीय कसान सभा को मलाकर एक 'अ खल भारतीय कसान संगठन' बनाने क योजना बनाई। च पारण स या ह : च पारण का मामला ब त पुराना था। च पारण क कसान से अं ेज बागान मा लक ने एक अनुबंध करा लया था, जसक अंतगत कसान को जमीन क 3/20व ह से पर नील क खेती करना अ नवाय था। इसे ' तनक ठया प त' कहते थे। 19व शता दी क अंत म रासाय नक रंग क खोज और उनक चलन से नील क बाजार समा हो गए। नील बागान क मा लक ने अपने कारखाने बंद कर दए और कसान क नील क खेती से छटकारा पाने क इ छा भी पूरी हो गई। खेड़ा स या ह: च पारण क बाद गांधीजी ने स 1918 म खेड़ा कसान क सम या को लेकर आ दोलन शु कया। खेड़ा गुजरात म थत ह। खेड़ा म गांधीजी ने अपने थम वा वक ' कसान स या ह' क शु आत क । खेड़ा क कनबी-पाटीदार कसान ने सरकार से लगान म राहत क मांग क , ले कन उ ह कोई रयायत नह मली। गांधीजी ने 22 माच, 1918 को खेड़ा आ दोलन क बागडोर संभाली। अ य सहयो गय म सरदार व भभाई पटल और इ लाल या नक थे। बारदोली स या ह : सूरत ( गुजरात) क बारदोली तालुका म स 1928 म कसान ारा 'लगान' न अदायगी का आ दोलन चलाया गया। इस आ दोलन म कवल ' कनबीपाटीदार' जा तय क भू- वामी कसान ने ही नह , ब क सभी जनजा त क लोग ने ह सा लया| संपक: 34/242, से टर-3, तापनगर, जयपुर-302033 मो.7838897877

भारत म कसान आंदोलन का इ तहास 18


आलेख

किवता और समय - चं मौ ल चं कांत

समकालीन समाज जन संकट से जूझ रहा ह वे सार संकट कसी- न- कसी प म समकालीन हदी क वता क वृि य को भी नधा रत कर रह ह। ऐसे म वाभा वक ह क समकालीन हदी क वता क वृि य क तलाश करने का येक उ म, समाज क संदभ क बीच से ही अपना रा ा बनाता ह या आकार पाता ह। भारतीय समाज का भूगोल भी ब त बड़ा ह और इ तहास भी। हदी समाज और भाषा म इसक अनुभव युग से सं चत होते रह ह। हदी समाज और भाषा एक अथ म भारतीय मृ त और सं क त का क ीय कोष ह। इस लए सम या से जूझते ए भी इस समाज म सफ हताशा या पराजयबोध ही नह ह ब क सहज उ ास भी ह और धैय भी ह और ह एक अ त तथा पृहणीय जीवनशैली। एक भ कार का जीवन-बोध। समकालीन हदी क वता म सम या से जूझते ए इस व ृत भैगो लक-ऐ तहा सक समाज क पीड़ा क का या मक अ भ य क चुरता ह। इसे कसी वैचा रक दशन से जोड़कर भी देखा जा सकता ह या सीधे सामा जक प र े य क हवाले से भी समझा जा सकता ह। ले कन यह ब कल प ह क इस च म फसे समाज क साथ हदी क समकालीन क वता खड़ी ह और पूरी ताकत, वह जतनी भी हो, क साथ खड़ी ह। शैले चौहान क क वता समाज क अंत वरोध, वग वैष य, दैनं दन संघष और काय यापार का सजीव रखांकन ह। नगर देहात, क त- व ान, अभाव-वैभव, ख और सुख सभी उनक क वता म सहज वाभा वक प म व मान ह। कछ ऋ षनुमा लोग और भी ह जो हदी क वता क पथ क दावेदार ह और जो कालजयी क वता लखने क यापक कारोबार म योम- य ह। उनक क वताएँ कालजयी चाह जतनी हो 19 क वता और समय

काल- स और काल- ब तो ब कल ही नह ह। इस लए ये चाह तूमार जतना बांध समकालीन हदी क वता क सामा य वृि य को समझने म सहायक तो ब कल ही नह ह। य द आचाय रामचं शु को माण मान (न मानने क कोई आव यकता नह दीखती ह) तो कसी भी समय क सा ह य क सामा य वृि य को पहचानने का सबसे ामा णक ढग होता ह जनता क च वृि य म आ रह बदलाव को वर देनेवाले सा ह य- प का संग ठत अ ययन कया जाये। समकालीन हदी क वता क सामा य वृि य को समझने क लए भी इससे बड़ा, ामा णक और मह वपूण कोई सरा सू नह हो सकता ह। हां, व भ समकालीन हदी क वय क क वता म इसक का या मक नभाव का व प अपना और अनोखा ह। आधु नक हदी सा ह य क शु आत से लेकर आज तक क समय म ब त बदलाव घ टत हो चुका ह। यह बदलाव सामा जक संरचना क ऊपरी र से लेकर उ पादन क शैली और लोग क ह सयत म भी आया ह। ान- व ान क सभी े म बदलाव आया ह राजनी तक संरचना म आया बदलाव तो भयंकर ह। अथसंबंध का व प भी ब त तेजी से बदला ह। इस प रवतन का थोड़ा-सा भाव थोड़-से लोग क लए सकारा मक रहा ह तो ब त सार लोग क लए नकारा मक ही रहा ह। सा ह य ने इस थोड़ और ब त क ऊपर पड़ने वाले भाव को कसे अ भ य कया ह और इस अ भ य क म म खुद कतना प रव तत आ ह इसका आकलन करना न य ही दलच प होगा। वा व म कसी भी समय म समकालीनता क पहचान न ववाद नह आ करती ह। फर आज न तो कोई कट का यांदोलन ही ह और न कसी मतवाद का कोई गहरा सामू हक या

सामा जक असर ही। कछ आलोचक क नजी आ ह भले ही कभी-कभी सि य तीत होते ह पर वह कोई मा य का यसू क रचना करने म सफल हो रह ह ऐसा नह ह। इसे क वता क लए अ छा माना भी जा सकता ह और नह भी। य द क वता म खुद कसी कार क सामा जक उपादेयता नह बचने क कारण या क वता से कसी कार का आ ासन न पाने क कारण क वता कसी वैचा रक उदासीनता क ता का लक भंवर म फसी ह तो यह चता का कारण ह। थोड़ी-थोड़ी स ाई दोन कार क सोच म ह। क वता अपनी इस थ त से बेखबर नह ह। आज हर समाज-सचेत हदी क व इस इस बात को श त से महसूस कर ऱहा ह। न सफ महसूस कर ऱहा ह ब क उसक का या भ य य म भी इसका माण दे रहा ह। सा ह य का अपनी भाषा से गहरा सामा जक और सां क तक संबंध होता ह। अथात सा ह य का अपना सु न द भा षक-समाज भी आ करता ह। इस भा षक-समाज को एक बनाए रखनेवाले सू का एक सरा उस समाज क सबसे नचले र तक जाता ह तो सरा सरा सबसे ऊपर क र तक भी जाता ह। वृह र मानव आबादी क चता करते ए भी उसे उसक भी उतनी ही चता करनी पड़ती ह जसक ता का लक हत क खलाफ सा ह य अपना संवेदना मक व ार सरजता ह। यानी एक बेहतर साथी क प म सा ह य क ज रत बनी ई ह। इस भू मका क संदभ म ही उन सार सवाल क उ र तलाशे जाने चा हए जनका संबंध सा ह य से ह। वग हत साधने क लए भी सा ह य को वगातीत होना पड़ता ह। एक अ धक संवेदनशील और अ धक मानवीय समाज क प रगठन क लए इस रणनी त क मम को जनवरी, फरवरी-2021


आलेख समझा जाना चा हए। ता पय यह क सा ह य को अपना बाहरी वतान सबक लए खुला रखना चा हए। अ यथा का लदास से लेकर जयदेव, व ाप त, कबीर, सूर, तुलसी, मीरा, जायसी, ेमचंद, रव नाथ ठाकर, नराला, साद आ द क सा ह य का पाठ कस कार तैयार कया जा सकगा? ेमचंद जैसे महान सा ह यकार जस भाषा म हो गये उस भाषा क सा ह य म इस वपाक का घ टत होना व मयकारी भी ह और खद भी। ेमचंद क सहानुभू त एक य और वचारक क प म चाह होरी क त ही य न रही हो ले कन एक उप यासकार क प म रायसाहब स हत सभी पा क त उनक सचे ता का संतुलन गजब ह। आज क भाषा-समाज पर यान देने से जो बात सबसे पहले समझ म आती ह वह यह क आज भा षक -समाज का व प काफ बदल चुका ह। इस बात पर वचार करना ासं गक होगा क भाषा और सा ह य का आपसी संबंध या होता ह। या अं ेजी म हदी सा ह य का लेखन संभव नह ह, यह भी क या हदी म अं ेजी का सा ह य लखना संभव ह क नह ? यह सही ह क सा ह य का संबंध भाषा से ब त गहरा ह तथा प सा ह य को सा ह य बनानेवाले त व का नाम भावना, संवेदना, वचार, क णा, आनंद, व न आ द से जुड़ता ह। तो या आ? समाज ि भाषी हो या ब भाषी ले कन उसक सद य क मूलभाषा ( ज री नह क मातृभाषा ही हो) अथात वह भाषा, जस भाषा म उसक सामा जक-जीवन का अ धकांश

अिभ य संपादकः मह नेह 80- ताप नगर, दादाबाड़ी, ककोटा-9, राज मोः 93144-16444 मू य- 20 पये जनवरी, फरवरी-2021

कारोबार संप करता ह, वह एक ही हो सकती ह। भारतीय भाषा नाम क कोई एक भाषा तो ह नह इस लए कसी एक भाषासमाज क संदभ से सा ह य को जोड़कर देखने का यास बेमानी हो जाता ह। येक भाषा का अपना भाषा-समाज होता ही ह चाह वह जैसा भी होता हो। जस भाषा का कोई समाज नह होता ह उस भाषा क अि व का आधार सं था नक होता ह। भारत म अं ेजी सं था नक भाषा ह सामा जक भाषा नह । यह याद रखना चा हए। ऐसा इस लए ह क भारत क सं थान का आ थक- बौि क भु व जनक हाथ म ह उनका अपना आ थकबौि क वाथ अं ेजी क मा यम से संतु होता ह भाषा से व छ ता अंतत: समाज से व छ ता का ही आधार ुत करती ह। व -भाषा का मुहावरा सुनने म बेहतर ह ले कन उसम अंत न हत चालाक को समझना ही चा हए। सामा जक भौ तक और संसाध नक वकास का म जस तेजी से आगे बढ़ा ह वह चम कत कर देने वाला ह। आज का मनु य भौ तक प से जतना संप और समृ ह उतना पहले कभी नह था। ान और मनोरंजन क अ त वक सत साधनवाले इस उ र-आधु नक समय म अब सा ह य क या और कसे ज रत ह? एक तरफ यह सचाई ह तो सरी तरफ इस सचाई का एक और चेहरा ह, जो अ त भयानक ह। इसका कारण यह ह क ानव ान-संसाधन जतनी ती ता से वक सत ए ह उतनी त परता से वत रत नह हो पाये ह।

समाचार सफर पाि क

संपादकः जीनगर ्गा ंकर गहलोत

सती चबुतर क गली, मकबरा बाजार, कोटा-6 मोः 0744-2382384 वा षक मू य- 150, आजीवन-2100 पये

वकास का चेहरा वषमता क आँच से झुलसा आ ह। वकास क बड़-बड़ आंकड़ पढनेवाले लोग भी वकास क इस झुलसे ए चेहर को देखकर डर जाते ह। यह डर उ ह वषमता बढ़ानेवाली वृि को रोकने क लए ब त उ ोगी या त पर नह बनाता ह तो इसका कारण यह नह क उनका डर नकली या नाटक ह ब क इसका कारण उनका अपना वग-च र ह। वक सत होने क बावजूद वषम समाज म जीने क लए बा य ह आज का मनु य। इस लए आज का मनु य पहले क मनु य से अ धक संप होने क बावजूद पहले क मनु य से कह अ धक खी और वप ह। संप ता उसक ख को कम करने म कसी भी कार से मददगार नह हो पा रही ह। वप ता उसक जीवन का थाई भाव ह। सुतव - नारी/ नर- भवन- प रवार, सब बेकार। कोई उसक अकलेपन को तोड़ पाने म उसका सहायक नह हो पाता ह। इस अकले पड़ते मनु य क संदभ म आज सा ह य क भू मका परी णीय ह। उसे इस नरंतर अकले पड़ते जा रह मनु य से संवाद करना, उसका साथी बनना, उसक आहत भावना का आदर करना और अंतत: उसे अकलेपन क अंधगुहा से बाहर नकालने क यु करना ह। संपक : मान वक वभाग, रा ीय ौ ो गक सं थान वारंगल - 506004

अलाव

ेरणा संपादकः अ

तवारी संपादकः रामकमार कषक

ए-74, पैलेश् अआरचड, फज-3 सव धम क पीछ, कोलार रोड, भोपाल-42 मोः 98262-82750 मू य- 50, सं थागत-200, आजीवन-1000 पये

सी-3-59, नागाजुन नगर, सादतपुर व ार, द ी-94 मोः 98689-35366 मू य- 100, आजीवन-2500 पये

क वता और समय 20


आलेख

अ छ िदन क आस म नया भारत आज से सात साल पहले आम चुनाव 2014 (General election 2014) म देश म एक नया लोगन लोग क जुबान पर था जसक बोल थे ''अ छ दन आने वाले ह इस लोगन ने आम चुनाव 2014 क प रणाम को बदलने म महती भू मका का नवहन कया। भारतीय जनमानस इसी लोगन क का प नक वाद म अपने को रंग लया और उसक मन म एक व णम दन क क पना ने घर कर लया। आम जनमानस क लए अ छ दन का मतलब आम जनमानस क लए अ छ दन का पयाय यह था क बेरोजगारी र होगी, आ थक थ त म सुधार होगा, महगाई नयंि त होगी, गरीबी नयंि त होगी, देश क अथ यव था खुशहाल होगी, येक युवा को रोजगार क अवसर ह गे आ द ऐसे वकास क मु े थे जसको ा करने क लालसा म आम जनमानस जुट गया। यह लोगन शहर से होता आ गाँव और ग लय तक अपनी पकड़ बनाने म सफल रहा। सरकार बनने क तीन-चार साल क बाद भी अ छ दन क शु आत नह ई तो सरकार ारा अ छ दन क आस म बैठ आम जनमानस को 'नया भारत' श द से जोड़ने का यास कया गया और आम जनमानस क ज म पर नया भारत क म हमा मंडन से मरहम लगाने का यास कया गया। आज क प र य म अ छ दन, नया भारत, सबका साथ-सबका वकास, एक भारत े भारत जैसे श द का इ ेमाल कवल एक चुनावी रणनी त का ह सा मा ह। जस नया भारत श द क म हमा का मंडन करने म सरकार और चल च मी डया कभी नही थकती ह उस नये भारत म या बदलाव ए ह ? यह आज क बदलते दौर म वषय को मह वपूण बना देता ह। या लोग क मानवीय मू यपरक वचार क अनदेखी करना ही नया भारत ह ? या आम जनमानस, कसान , सवसहारा वग क सम या से अपने और अपने लोग क हत क लए मुख मोड़ना ही नया भारत ह ? या अपने को सव म सा बत करने क लए सर नये एवं ेरक वचार को हा यपद एवं श द क जाल म उलझना ही नया भारत ह ? आज अनेक ऐसे स दभ ह जो देश म नया भारत श द क मायने को प करने क लए पया ह। नये भारत क नमाण क लए क सरकार बड़ पैमाने पर सावज नक े क उप म 21 अ छ दन क आस म नया भारत

क ब

का बजट

ुत कर चुक ह।

इस बार क बजट म सरकारी कप नय क ब का जो खाका पेश कया गया ह उसक उपरा त 348 सरकारी उप म वाले देश म सावज नक उप म क सं या समट कर महज दो दजन क करीब आ जाएगी। सरकार ारा नये भारत म देश म ब -आयामी तर क क बात क जा रही ह ले कन वा वक त वीर इसक ब कल इतर ह। भारतीय अथ यव था पर वतमान समय म एक ब त बड़ी धनरा श कज क प म व मान ह। व मं ालय क मुता बक वा ण यक ऋण बढ़ने से देश पर कल कज बढ़ा ह। माच 2019 तक कल बाहरी कज 543 अरब डॉलर था जो वदेशी मु ा भंडार क अनुपात का 76 तशत था और यह कज माच 2020 तक 2.8 तशत और बढ़कर कर 558.5 अरब डालर हो गया जो वदेशी मु ा भंडार क अनुपात का 85.5 तशत हो गया। जनवरी 2020 म त भारतीय य पर 27200 पये कज क बढ़ो री ई। वष 2014 म त य कज 41200 पये था जो क साढ़ पाँच साल म बढ़कर 68400 पये हो गया। इसी कार नये भारत को मूत प देने जुटी सरकार ने भारत म गरीबी म रह रह भारतीय जनमानस को नजरअंदाज कर दया ह। वै क गरीबी को लेकर व बक क ि वा षक रपोट ' रवसल ऑफ फॉ यून' जो 7 अ टबर, 2020 को जारी क गई थी जसक न कष च काने वाले रह, वष 2017 क आंकड़ क मुता बक कल 68.9 करोड़ वै क गरीबी क आबादी म से भारत म 13.9 करोड़ लोग गरीब थे। वतमान म भारत क पास गरीबी क नवीनतम आंकड़ नह ह। सरल श द म कह तो भारत ने अपने यहाँ गरीबी क आबादी क गनती करनी बंद कर दी ह। रा ीय सां यक कायालय (एनएसओ, 75 व दौर) को भारत का साल 2017-18 का घरलू उपभोग- यय सव ण डाटा जारी करना था। उपभोग- यय आंकड़ से ही पता चलता ह क भारत म आय का र कतना बढ़ा ह ले कन क सरकार ने 'गुणव ा' का हवाला देते ए यह डाटा जारी नह कया। इसी कार नये भारत क संक पना को लेकर चल रही सरकार क योजना क फल व प बेरोजगारी क दर म वृि एवं त य आय म

-डॉ. रामे र म

कमी आयी ह। इकोनॉ मक टाइ स क एक रपोट क अनुसार व वष 2021 म भारत क त य आय 5.4 तशत घट सकती ह। इसी कार बेरोजगारी क दर क बात कर तो सटर फॉर मॉ नट रग इ डयन इकोनॉ मक (Center for Monitoring Indian Economic) क एक रपोट क मुता बक अग 2020 म बेरोजगारी क दर बढ़ी ह, अग 2020 म बेरोजगारी क दर 8.35 तशत दज क गयी जब क जुलाई 2020 इससे कम 7.43 तशत थी। नया भारत म अ छ दन क आस लगाये भारतीय जनमानस को भुखमरी क े म भी नकारा मक प रणाम देखने को मले। वै क भुखमरी सूचकांक 2020 म भारत 107 देश क सूची म 94 व थान पर ह। भारत भुखमरी सूचकांक म 27.2 कोर क साथ गंभीर ेणी म ह। नये भारत क संक पना म रह रह भारतीय को महगाई से भी कोई राहत नह मली। य द हम कछ अलग-अलग दै नक उपभोग क व ु क बात कर तो पता चलता ह क वष 2014 से पहले खा तेल 65-70 पये त लीटर था जो आज 115-150 पये पर ह, श कर 22-25 पये से बढ़कर 35-38 पये त कलो ाम, सीमट 195210 से बढ़कर 320-350 पये त बोरी, लोह का स रया 3200-3600 से बढ़कर 5300-5500 पये त व टल, बालू 1400-1600 से बढ़कर 35004000 त ाली, पे ोल 65-68 से बढ़कर 86-95 पये त लीटर, डीजल 55-58 से बढ़कर 83-85 पये त लीटर हो गया ह। इसी कार दो प हया वाहन क क मत म तेजी से इजाफा आ ह, ए टवा 58-62 हजार से बढ़कर 85-90 हजार, मोटर साई कल 50-65 हजार से बढ़कर 80-90 हजार तक प च गयी ह। इस कार आज क प र य म अ छ दन, नया भारत, सबका साथ-सबका वकास, एक भारत े भारत जैसे श द का इ ेमाल कवल एक चुनावी रणनी त का ह सा मा ह वा वकता म नये भारत म शोषक एवं शो षत वग का उदय आ ह, अमीर एवं गरीब क बीच क अ तर बढ़ा ह, संवेदनशील भावना एवं नै तक उ रदा य व क पतन क साथ-साथ नये-नये श द क इ ेमाल से आम जनमानस को छलने का चलन बढ़ा ह, ऐसे समय म अ छ दन क कवल क पना ही क जा सकती ह। सौज यः ह

जनवरी, फरवरी-2021

ेप


सृजन ि तज

िन यानवे दशमलव नौ नौ का च कर -मूलचंद गौतम

बाटा क पनी क जूत क दाम बड़ ऊटपटांग होते थे। न यानवे पये पचानवे पैसे। अब कहाँ से लाय पचानवे पैसे खु े। पता नह कौन मूख उनक इस तरह क ऊलजलूल क मत तय करता था। इस लए यादातर देहाती आदमी उनक शो म म घुसने क ह मत नह कर पाता था। क पनी घाट म चली गयी। अब नये मैनेजर ने पुरानी नी त बदली ह तो मामला कछ संभला ह । ले कन कोरोना ने उस नी त को शीषासन करा दया ह। हर साबुन, सेनेटाइजर न यानवे दशमलव नौ नौ तशत वायरस को जड़मूल से उखाड़ने का दावा करक गामा पहलवान क तरह लंगोट घुमाकर बीच बाजार म उतर आया ह। उ ह मालूम ह क उनक प च से बचे दशमलव शू य एक तशत म व क आधी आबादी को उड़ा देने क क बत ह। लाइफबॉय और डटॉल तो पुराने प र चत नाम थे ले कन तमाम नयी नयी क प नयां मैदान म उतर आय जनक नाम भी बड़ अजीबोगरीब थे। कई का नाम तो आजतक जुबान पर नह चढ़ पाया माल भले उनका स ा था। चीन का ऐसा खौफ था क उनका हर माल स देह क घेर म आ गया। रा वादी सरकार क एक मामूली से इशार पर उसक सैकड़ ऐप ऐब क तरह देश से नकाल फक गये। पर अनपढ़ क कछ प े

जनवरी, फरवरी-2021

नह पड़ा। वे धड़ े से स े चाइनीज मोबाइल पर मजे से गान और नीले फ ते का मजा ले रह ह। कछ मनचले तो अ कोहल क जगह सेनेटाइजर ही गटक गये। शु आत म बड़ी लूट मची ।लोग ने डर क मार महगे से महगे मा क और पर यूम क तरह सेनेटाइजर खरीदे। या पता स ा चीनी माल कब बीच म दम तोड़ जाये। अब टीक का यापारीकरण जोर पकड़ रहा ह।कोरोना क तरह टीका सबको मु त नह मलेगा? ग णत म पुराने याज, मूलधन और म धन क जानकार हरान परशान ह क नये ग णत म मुनाफ क लाख तशत कच वृि परसटज का हसाब कसे लगाय? ब रा ीय क प नय का मुनाफ का ग णत उनक प े नह पड़ता य क वे आज भी शत तशत उफ सट परसट से आगे नह बढ़ पाये। उनका न यानबे का फर फल हो गया। आईआईएम क मैनेजर का परसटाइल उनक यथा थ तवादी कदबुि म नह घुसता। इसी तरह व बक और रजव बक क कच बुि क कमाल से उ प तकनीक श दावली का रपो रट ह जसक र प पर व क अथ यव था नाचती ह। इसी लए एक और एक यारह क दौड़ म अम यसेन जैसे ति यावादी दो नी चार को व था पत होना पड़ता ह। तेज धार म नौ स खए वैसे भी

उखड़ जाते ह। ेमचंद क दौर क सा कार से यादा र बक क ऋण का कच ह। सा कार तो गरीब क जर, जो , जमीन छीनकर उसक जान ब श देता था ले कन बक का कजा तो आ मह या कये बना पीछा नह छोड़ता । तथाक थत आ थक सुधार ने पूरी नया को अपनी जद म ख च लया ह। इनका एकमा स ांत ह चत भी मेरी, पट भी मेरी, अंटा मेर बाप का। नया का धान मा लक तमाम देश क धानसेवक पी हा थय पर अंकश डालकर पूरी आबादी को चंगुल म फांस लेता ह ।फांसने क यह व ध छ लोकतं म रा वाद और धम क जुगलबंदी म र तार पकड़ती ह। कोरोना वच व का यही व यापी मकड़जाल ह जससे बचना नामुम कन ह। भले ही चौक दारी मुम कन हो। इसी व ध से हर मामले म व म, महा ीप म, देश म और मोह े म ऊपर से न बर वन पोजीशन हा सल होती ह। आप चाह तो नीचे से न बर वन होने क लये वतं ह। श

नगर, चंदौसी, संभल-244412 मोः 8218636741

न यानवे दशमलव नौ नौ का च कर 22


सृजन ि तज

िनशा त क किवताएं जयकार का सच सभा म जब व ा क पास बोलने क लए कछ खास नह होता तब वह जयकार लगाने पर जोर देता ह आजकल एक दल वशषे क लोग का यही हाल हो रहा ह पोल क पोल पछले वष रल लाईन पर लगाए गए थे जो बजली क तार उनस अभी तक एक बार भी नह दौड़ाई गई रल यही हाल रहा तो शायद चलाई नह जा सकगी कई साल उसक आवाज सुनाई देते ही उसक बोल कई लोग बंद कर देते ह टी . वी . या र डयो जब क वह चाहता ह उसे सुना जाए घ ट - महीन और युग - युग 23

नशा त क क वताएं

हा या प दकाएं एक : हजार सं मत हो रह रोज सकड़ मर रह रोज फर भी वे कह रह धानमं ी क सूझ - बूझ से कोरोना नह आ इतना घातक दो : वै सीन बनने क कारखाने का दौरा या कर आए मान हनुमान जी वाला संजीवनी बूटी पहाड़ उठा लाए तीन : अमरीका जस बता रहा सवा धक लोकि य नेता उसी को उसने कर रखा था कभी तब धत चार : बजट से पहले पीएम अथशा य से चचा य कर रह ह अंबानी - अडानी को ही बुला लेते कसान आ दोलन - 1 घोड़ा कहता ह पानी नह पीना और वे कहते ह पला कर रहगे कसान आ दोलन - 2 थक - हार कर े कसान एक दन लौट जाएंगे ले कन बीजेपी क ताबूत म एक क ल अव य

- नशा त

ठोक जाएंगे द कत टीवी म बंगाल क एक नदी क लकड़ी क पुल पर खड़ी एक म हला कहती ह मोदी जी आएंगे तो यहां पुल बनेगा तो ब हन ! वे तो आजकल नया संसद न बनाने म य ह या मु कल ह जाकर तो नह देखा टीवी म देखा ह आ दोलन कर रह सरदार कसान म कतना जोष ह सफद दाढè◌ी वाले डट ह लाठी - डड क आगे पड़ ह सड़क पर षायद सरकार सोच रही ह शग जाएंगे एक दन थक - हार कर कतने दन रहगे सड़क पर पर तु खेत म पड़ रहने वाल क लए सड़क पर पड़ रहना या मु कल ह और ह तो ह आन - बान और षान का सवाल ह स पक : वाड-1०, नकट वन वभाग, पीलीबंगा-3358०3, जला-हनुमानगढ (राज.) मो. ०81०4473197

जनवरी, फरवरी-2021


सृजन ि तज

वापसी ब त परशान थी अजंली। उसे समझ नह आ रहा था या कर? घर म प त को खुश रखे या आ फस म बास को? या अपने लाडले बेट मो टी क यार म खो जाये ? एसे दोराह पर खडी थी जहां से कोई भी एक रा ा पकड़ना और सरा छोडना उसे अपनी हार जान पड़ता था। दन भर आ फस का काम करक कतना थक जाती ह और घर जाते ही घर का बखराव प त का खा यवहार और मो टी क तमाम शकायते। बड़ असमंजस म थी अंजली या वजय क कह अनुसार छोड़ दे नौकरी? और कद हो जाये घर क चार दवारी म? फर या मतलब इतनी एजुकशन का? इतने टलट का? और फर उसक सखी सह लयां या कहगी? उसक पीहर वाले या कहगे? उसक तीन बहने नौकरी करती ह दोन भाभीयां नौकरी करती ह। उनक नजर म या उसक पोजीशन एक म डल ास हाउसवाइफ क नह रह जायेगी? ८८८८८८८ और फर उसक तन वा से जो घर का टटस मे टन होने म ह प मलती ह? दो दो ब क मे बरशीप ह फोर हीलर घर क सामने खड़ी ह घर कछ अ छा बड़ा -सा ले रखा ह भले ही कराया यादा ह ये सब भी तो वो सुख ह जो उसक नोकरी क कारण संभव ह वरना कवल वजय क नोकरी म ये सब पा सबल कहां? फर भी वजय सहयोग करने को तैयार नह । कस क पीठ से सर टकाये छत पर घुमते पंखे को देखकर अंजली भी वतमान से पीछ पांच साल पहले चली गइ। नइ-नइ याह कर आइ अंजली एम. ए. पास संप एवं सु शि त घर क लाडली लड़क थी। वजय भी पढ़ा लखा सु शि त नोकरीपेशा प त पाया। हालां क वजय का घर गांव म था जहां उसक बुढ़ी मां व छोटा भाइ रहता था। एक साल वहां जस ै े-तैसे बता कर अंजली प त क साथ शहर आ गइ। दोनो का जीवन बड़ा ही खुशहाल बीत रहा था तभी आया उनक वैवा हक जीवन का सुमधुर साद 'मो टी। जब ड लवरी क लये अंजली पीहर आइ थी तभी उसक बहन और भाभीय ने उसक दमाग म नोकरी का भुत भर दया था। इतना पढ़ी लखी हो जमाना कहां से कहां जा रहा ह और तुम एम .ए. पास घर बेठ चु हा फक रही जनवरी, फरवरी-2021

हो। बड़ी दीदी ने उसको उसक पोजीशन बताइ। ले कन दीदी वजय कहते ह क प त प नी दोनो क नोकरी करने क कारण लाइफ का चाम खतम हो जाता ह घर क ज मेदा रयां पुरी नह हो पाती पुरा जीवन अ य हो जाता ह। अर वाह घर क ज मेदा रया उठाने क लये बीबी ही ह और प त बाहर क नया म म रह? सरी बहन ने ताना मारा या हम अपनी ज मेदा रयां पुरी नह कर रही ह? और तभी मंजु भाभी ने सोदाहरण बताया अपने पास क बंगले म देखो मसेज गु ा को, धीर धीर आफ सर रक म प च गइ ह चमचमाती कार म आफ स जाती ह ब े का वट कल म पढ़ते ह वेल सेट ड फमेली ह या वो बेवकफ ह? ठीक ह मो टी एक साल का हो जायेगा तब म भी वजय क पीछ पड़ जाउगी। आ खर अंजली कछ मन से कछ बेमन से तैयार हो गइ थी। और मो टी क दो साल का होते ना होते अंजली ने शव अंकल से कह कर एक क पनी क थानीय आफ स म नोकरी क बात प क कर ली। वजय ने समझाया देखो अंजली हम थोड़ यव थत खच म घर चला कर भी मजे से रह सकते ह। तु हार नोकरी करने से घर क हर काम म बखराव आ जायेगा। और फर मो टी का या होगा ये तो स चो हम उस पर पुरा यान नह दे पायगे। लीज वजय हम घर क काम क लये एक नोकरानी रखगे और मो टी को एक आया स हालेगी मेने बात कर ली ह। ले कन एसा भी या ज री ह तु हारा नोकरी करना? वजय ने फर वरोध जताया। आ खर मेरी एजुकशन का कछ तो उपयोग होना चा हये और जमाने को देखते ए कछ अपना टटस भी तो सुधारना होगा वजय। और मेरी नोकरी से हम इस बात क लये कछ ह प मलेगी। अंजली क तक अका थे। ले कन अंजली या एजुकटड होने का उपयोग सफ नोकरी करक आ फस क फाइल को नपटाने म ही हो सकता ह? कछ सर सोशल वक और फ मली वक म एजुकशन का कोइ फायदा नही लीया जा सकता? और रहा टटस, तो इसक कोइ सीमा नह ह अंजली हर लेवल

-महश शमा

का एक टटस होता ह और हम अपना टटस अ छी तरह से मे टन कर रह ह। ठीक ह वजय, तुम चाहते ही नह क तु हारी प न भी जीवन म कछ मह वपुण रोल नभाये एक रीय जीवन जीये । तुम मुझे घर क चार दवारी म ही ब द रखना चाहते हो। म अब इस बार म कभी कछ नह क गी। अंजली ने अं तम ा चलाया। आंख म बहते आंसु भराती आवाज और अंजली का ये ीबाण नशाने पर लगा। वजय च हो गया। ठीक ह तु ह नोकरी करक परशान होने म ही सुख मल रहा ह तो मुझे कोइ एतराज नह तुम कल से ही शु कर सकती हो। वजय ने ह थयार डाल दये। अंजली खुश हो गइ। त काल एक नोकरानी क यव था क गइ और पास क मोह े म चल रह झुलाघर म मो टी का नाम लखवा दया। बड़ सवेर उठ कर घर का सारा काम नपटा कर प त को ेम से खाना खला कर अंजली समय पर आ फस प च जाती। कछ दन तक कइ तरह क नइ नइ असु वधाएं आती रही जसका नदान अंजली खोजती, कछ परशान भी होती ले कन अ ततः काम चल जाता। जस दन पहली तन वा लेकर घर प ची अंजली दोनो बड खुश ए। दोनो ने एक दन क छ ी ली, मो टी को घर पर ही छोडा बाहर जाकर खाना खाया मोज म ी क । उसी रात अंजली ने घर क बजट को फर से बनाया। उसक आ फस क दो तीन सह लयां यु रा धका ब क मबर थी जसक मा सक फस कछ यादा थी फर भी उसक मबरशीप क लये अ लाय कर डाला। आइ सी आइ सी आइ बक से फोर हीलर क लये लोन का फाम भर दया। और ताबडतोड नया बड़ा मकान कराये से लेने क तलाश भी शु कर दी। वजय इन सब घटना से खुश तो था ले कन डर भी रहा था कह ये प रवतन उसक खुशहाल जीवन को तकलीफ म ना बदल दे। और धीर धीर आ भी यही लगभग एक साल तक तो सब कछ ठीक चला। फर धीर धीर अंजली क आ फस क य ता और काम क थकान ने उसे एकांक , चड़ चड़ा और उदास बना दया। मो टी को नसरी म डाल दया था दोनो क वापसी 24


आ फस से आने क दो घंट पहले ही मो टी घर आ जाता था तब नोकरानी उसको स हालती थी। ब त ज ी होता जा रहा था मो टी। वजय क घर आ जाने क एक घंट बाद ही अंजली घर आ पाती थी वह भी थक हारी। वह बडा सा घर जसक सुख क लये अंजली अपना दन भर का समय आ फस म बताती थी, दोनो प त प न अपनी य ता क कारण उस घर का पुरा मजा भी नह ले पाते थे। और मा ती कार तो कभी-कभी शाम को या स ाहांत ही नकल पाती थी। हां वेतन वाला दन अभी भी उजावान होता था ले कन इसी समय अंजली को वजय का कहा वा य याद आता, इस एक दन क अ थाइ खुशी क लये महीने क 29 दन हम अ त य ता और अ यव था म बताते ह। अंजली या तु ह नह लगता क ये वेतन तु ह काम क लये नह ब क तु ह अपने बेट से र रहने अपने प त क सा न य से वं चत रहने और घर को अ यव थत बनाने क बदले म मल रहा ह? थक -थक ले कन नोकरी क आकषण एवं आधु नकता क मोह म बंधी अंजली धीमाधीमा वरोध कर कहती एसा नह ह वजय, इस वेतन क कारण हम ब त कछ सुख सु वधा भी तो उठा रह ह एक ल जरी जीवन भी तो जी रह ह। हां सु वधा ये ह क हम एक बड़ घर म रह रह ह धर क पोच म गाड़ी खड़ी ह। दो दो ब क मबर ह हम बस अंजली ले कन हम इनक बना भी रह सकते ह अंजली। तु हारा नोकरी करना बलकल जायज होता अगर हमारी माली हालत कमजोर होती। मेर वेतन से धर खच ना चल पाता। जो कमजोर आ थक थ त वाले लोग ह अंजली उनक बीबीय का नोकरी करना जायज ह या जनक कोइ घरलू जवाबदारी नह हो और वे टोटली हो। अंजली कछ ना बोली वह महसुस करने लगी थी क कह कछ ब त सारा छटता सा जा रहा ह उसक एक नोकरी क पीछ कई समझोते करना पड़ रह ह ले कन अब पीछ हटा भी तो नह जा सकता। उसक एक इमेज ह नोकरीपेशा टडड लेडी क । उसे छोड़ कर वापस एक घरलु औरत का व प? ना ना नह होगा बलकल नह होगा वो सब मे टन कर लेगी। वचार क सर प ने फर हमला बोला। उसे याद आये पुराने दन जब शाम क चाय वो दोनो एक साथ छत पर बैठ कर पीते थे। सुबह नौ बजे तक ब र म पड़ वजय से वो मटरग ती करती रहती थी बड़ी बेस ी से शाम को वजय क घर आने का इ तजार करती थी 25 वापसी

और वजय भी आफ स से घर आने को बेचैन हो जाता था। घर आते ही उसे बांहो मे भर लेता था। या वो पुराना यार खतम हो गया? ऐसा लगता था मानो इतने बड़ घर म पैसा कमाने क मशीन हो वो दोनो। य द थोड़ा सा पंदन शेष था तो वो मो टी क कारण और यदा कदा रात को ब र म टी वी क कसी भावुक स रयल क कारण उ े लत भावना का ार कछ उफान भर लेता अ यथा दन भर क य ता शाम क थकान और सुबह ज दी उठने क लये ज दी सोने क मजबुरी। यही सब दै नक जीवन क आव यक अंग हो गये थे। और यही सब सोच सोच कर परशान अंजली अचानक अपनी वचार तं ा भंग होने से च क कर आसपास देखने लगी बीजली चली जाने से छत का पंखा ब द हो गया था और पछले दो साल क वचार या ा म घुमती अंजली वापस वतमान क कठोर धरातल पर खड़ी थी। या कर या ना कर क उहापोह म अभी भी डबी अंजली बास क बुलावे पर अपने सोच का टपारा ब द कर बास क कबीन क ओर चल दी। एक घंटा पहले दी गइ एक ोजे ट रपोट को आज ही फायनल करना था बास ने उसी क ो ेस जाननी चाही थी। अंजली उसी ोजे ट रपोट को अपनी टबल पर रख कर अपने फमेली ोजे ट म डब गइ थी। बास को आ ासन देकर अंजली फ र फाइल खोल कर बैठी। मन कछ वच लत था चार बज रह थे सोचा घर फोन लगा कर मो टी क बार म पुछ ले। धंटी बजती रही ले कन कसी ने फोन नह उठाया शायद अभी तक नह आया होगा ले कन नोकरानी तो होगी घर पर? या पता ये भी टाइम से आती ह या नह ? अंजली ने ोजे ट पर यान लगाया। आधा घंटा बता होगा क फर घर फोन लगाया ले कन उधर से अभी भी कोइ जवाब नह था। या परशानी ह अंजली कछ बेचैन इ ज दी ज दी ोजे ट रपोट पुरा करने लगी। उसे लगा क ये ोजे ट दो घंट बना पुरा होने वाला नह ह पांच बज रह थे उसने बास से नवेदन कया क वो सुबह ज दी आफ स आकर ोजे ट रपोट पुरा कर देगी। मसेज अंजली ोजे ट रपोट आज ही ज री ह इसी लये मेने तु ह दोपहर म ही फाइल प चा दी थी। लीज गो एंड क लीट द ोजे ट। बास क दो टक श द को सुनकर अंजली वापस अपनी टबल पर भागी। फर ोजे ट पर यान लगाया ले कन दमाग बलकल नह काम कर रहा था। आंखे आंसु से भर आइ थी दमाग म बड़ी उथल पुथल मची थी घड़ी म साढ़ पांच बज रह थे फर एक बार घर फोन लगाया ले कन

सृजन ि तज

फोन उठाने वाला कोइ नह था शायद। ज र कछ गड़बड़ ह अब तक तो वजय भी घर आ चुक ह गे। या क ? ोजे ट रपोट अभी भी अधुरी ही थी। बास क पास जाने क अब ह मत नह थी अंजली म। अचानक जोर से रो पड़ी। पास क टबल पर काम कर रही मेडम जान ने माजरा पुछा सब जान कर ोजे ट क फाइल खुद लेते ए अंजली को घर क लये रवाना कया। तुम जाओ बास को म स हाल लुंगी। आंसु प छती अंजली ने टबल समेटी, पस उठाया और घर क ओर भागी। घर प चते प चते साढ़ छः बज चुक थे। आ य, घर क बाहर ताला लगा था। गहरी च ता म डबी खड़ी थी क पास वाली मीतु ने पुछा, आंटी आप यहां? ये सब लोग कहां गये मीतु? घर पर लाक य लगा ह? ओ आंटी मो टी क त बयत खराब हो गइ ह ना आपको नह मालुम? कब? आज दोपहर म अंकल और काम वाली बाइ अ पताल ले गये ह। अंजली क हालत खराब होने लगी त काल आटो से अ पताल चल पडी एक-एक पल ब त भारी लग रहा था भगवान से ाथना कर रही थी, मेर मो टी क र ा करना भगवान। कहां ह म टी? या आ मेर मो टी को? वजय ने अंजली को थाम लया रले स अंजली मो टी अब ठीक ह वो रहा बेड पर। अंजली ने लपक कर उठाना चाहा मो टी को ले कन उसे लाइन चढ़ रही थी। मो टी भी अंजली को देख कर रोने लगा। या आ मेर लाल को? कछ खास बात नह ले कन फड पाइज नग लगता ह, उ टी द लगने लग गये थे तो त काल यहां ले आये। ले कन मुझे खबर य नह क ? अंजली ने नोकरानी को फटकारा। मेडम आपको दो तीन बार फोन लगाया था फोन बजी था फर साहब को फोन लगाया और साहब क आते ही अ पताल क लये दौड़ पड़। अंजली मो टी क पास बेड पर बैठी लगातार आंसु बहा रही थी। लीज अंजली रले स अब पोजीशन क ोल म ह शायद कल हम अ पताल से छ ी मल जायेगी। ले कन च तातुर मां सारी नया भुल चुक थी। सर दन तक मो टी को एक पल क लये भी अपने से अलग नह कया। डा टर क जनवरी, फरवरी-2021


सृजन ि तज

नदशानुसार सर दन मो टी को घर ले आये ले कन अगले एक स ाह तक अंजली ुटी पर नह गइ और मो टी क खानपान का पुरा यान रखा गया। इस बच मो टी लगभग ठीक हो गया था। अंजली तुम चाहो तो कल से आफ स जा सकती हो। एक दो दन म देख लुंगा। वजय ने कहा। हां ठीक ह म देख लेती कल या करना ह कहा अंजली ने। और उस रात मो टी को अपने से चपटाये अंजली जरा भी सो नह पाइ। या कल नोकरी पर जाना ठीक होगा? पछले पांच सात दन कतने जीव त कतने खुशहाल बते थे। वजय और वो दोनो मलजुल कर लगातार साथ समय बता रह थे देर रात तक ब तया रह थे। अंजली को घर क सार काम करने म ब त आजादी महसूस हो रही थी लग रहा जेसे पुराना टाइम वापस आ गया हो। वजय भी आफ स से ज दी आ जाता था बाजार से लोटते म कछ मठाइयां नमक न ना ता आ द क साथ एक बार फल का गुलद ा भी ले आया। अंजली गदगद हो गइ। या बात ह खुब यार आ रहा ह अंजली ने मजाक मे कहा। ले कन वजय गंभीर था। हां अंजली इस लये यादा यार जता रहा क एक दो दन बाद तुम फर पहले जेसी य हो जाओगी फर हम समय नह मलेगा एक सर क लये। जाने कसा मन हो गया था अंजली का। सर दन ज दी उठ कर घर का सारा काम फटाफट नपटा रही थी अंजली। तरछी नजर से वजय उसक हरकतो को देख रहा था। एक नैरा य भाव उसक मन पर छा रहा था आ खर अंजली से नोकरी का मोह नही छटा। मो टी को ठीक समय पर कल रवाना कर अंजली आफ स क लये चल दी। थक चाल से वजय भी आफ स प चा। उसक मन म यही अफसोस हो रहा था क नये दौर क म हला को नोकरी का और पैस का इतना मोह य ह तथा आधु नक बनने का या यही एक तरीका बचा ह? खैर या हो सकता ह। आज मो टी सात आठ दन बाद कल गया ह चार बजे घर आ जायेगा। वो भी चार बजे तक घर प चना चाहता था। काम शी नपटाते ए साढ़ तीन बजे ही घर क लये चल दया। शायद अभी तक मो टी घर नह आया होगा। बो झल कदम से घर क ओर बढते वजय को च कना पड़ा जब उसने घर क आंगन म मो टी को खेलते देखा। या बात ह आज मो टी ज दी घर आ गया ? जनवरी, फरवरी-2021

हाय पापा मो टी वजय को देख कर च ाया। हाय बेटा आज ज दी आ गये? पापा आज म मी कल से ज दी लेकर आ गइ। म मी? ले कन म मी तो आफ स गइ थी ना? नो पापा मेर कल प चने क एक घंट क बाद ही म मी कल आगइ और मुझे घर ले आइ वजय को कछ समझ नह आया। अर वाह बेटा कहां ह म मी? कचन म ह पापा, और आपको बताउ, म मी अब कभी भी आफ स नह जायेगी वो मेर लये घर पर ही रहगी और आपक लये भी। या? सच कह रहा ह मो टी? वजय च का। हां सच कह रहा ह मो टी वजय को आवाज आइ। पानी का लास लये अंजली बाहर आ रही थी। म आज नोकरी से इ ीफा दे आइ । अब म नोकरी पर नह जाउगी। सच अंजली? वजय क आंख म खुशी क चमक आ गइ। ले कन अंजली क आंखो म आंसु थे। मेने ब त समय खोया वजय इस

आधु नकता क चकाच ध म। अपने सुखी जीवन को नरक बनाकर तक लफ उठाइ ले कन अब मेने जान लया क असली सुख कहां ह। वजय ने अंजली को बांहो मे भरते ए गले लगा लया। म हला का नोकरी करना बुरा नह ह अंजली अगर अपनी आ थक सम या ह तो। और कोइ बड़ी ज मेदारी ना हो तो। कवल फशन क लये या आधु नकता क अंधी दौड़ म शामील होने क लये और पैस क भुख क लये सकन भरी ज दगी को यथ क भागमभाग म बदलना अ मंदी नह । इसी लये म उस भागमभाग क नया से अपनी पुरानी सुख भरी नया म वापस आ गइ वजय। और भावावेश म वजय से लपटी अंजली ने पास खड़ मो टी को भी अपने से चपका लया। समा 224 स वर हल कालोनी, धार जला, धार, म. .

वापसी 26


सृजन ि तज

जीवन-या ा गतांक से आगे

दयाशंकर क अस दयनीय थ त को देख रहीम अ य त च तत हो उठा था। उसे रात भर न द न आयी। उसक आ थक परशा नय को कसे र कया जाये ? यह न बार बार उसक मन-मि क म क धने लगा। उसक एक-एक बात उसक अ तःकरण को उ े लत कर रही थी। कतनी ममातक अस पीड़ा क वशीभूत होकर ही तो उसने कहा था'म धैय धर क बैठूं और जब मेरी मां चता पर चढ़गी तब टॉ नक से मां का तपण क गा'। फर उसने कहा था- 'तुम समझ नह सकते रहीम। यह सं कार क बात नह ह, दय क बात ह। मेरी मां और बहन कल से बना कछ खाये पड़ी ह और म बैठकर खाऊ'- यह मुझसे नह होगा। एकाएक रहीम बोल उठा, आह, मां और बहन क त कतनी अगाध, कतनी पावन ेह व ा क भावना ह ? दयाशंकर क बात रहीम क मृ त पटल पर अपनी अ मट छाप छोड़ गयी थ । उसक तुलना म वह अपने आपको तु छ समझने लगा। य क उसे इसक कोई च ता न रहती थी क घर म कसने खाया, कसने नह खाया ? उसे सफ च ता थी तो बस अपनी। उसने अनेका बार खाने-पीने क मामले म घर म लड़ाई-झगड़ा कर लया था। अपने अतीत क करतूत से आज वह उि न था। उसका मन ोभ और ला न से भर गया। रहीम अपने माता- पता का इकलौता पु था। र जया उसक छोटी बहन थी। रहीम से र जया सफ एक वष छोटी थी। र जया क ि य सहली नूरी थी। दोन म खूब पटती थी। दोन एक साथ ही व ालय पढ़ने जाया करती थ । इकलौता पु होने क कारण रहीम को मां-बाप का यार खूब मल रहा था। र जया का अ धक समय नूरी क घर पर ही 27 धारावा हक उप यासः जीवन-या ा

भाग 11

यतीत होता था। रहीम क पता मु खया साहब क यहां खाता-बही का काम करते थे। उनक ठहरने एवं खाने का ब दोब मु खया साहब क घर पर ही था। घर-गृह थी का स पूण दा य व मु खया साहब ने रहीम क पता, अनवर सैन पर ही छोड़ दया था। एक तरह से मु खया साहब क घर क कता-धता अनवर सैन ही थे। मु खया साहब मन ही मन रहीम पर मु ध थे। उ ह ने नूरी का जीवन-साथी रहीम को ही बनाने क बात सोच रखी थी। सफ समय क ती ा म दन कट रह थे। पवयोहार क अलावा भी मु खया साहब क घर से हमेशा रहीम क नाम आम ण आते रहते थे। 'रहीम और नूरी क जोड़ी कतनी बिढ़या ह' यह सोचकर मु खया साहब फले नह समाते थे। भावी मंगल क कामनाएं ही उनक जीवन क ेरणा थ । इतनी ेम भावना रहने क बावजूद भी रहीम मु खया साहब क घर जाने से कतराता था। उसक नजर म मु खया साहब अ य त लोभी और नीच वाभाव क थे। मु खया साहब क अ याचार से सारी जनता थी। इ ह सब कारण से उसक मन म मु खया साहब क त घृणा क भावना थी। न जाने उ ह ने कतने घर को लड़ा- भड़ाकर बबाद कर दया था। उनक म-जाल म फसने वाल का पतन न त था। सरल, सीधे, गरीब कसान को धोखा देकर ठगना, मुकदम म फसाकर उनक स प त को हड़प लेना, उनक लए साधारण सी बात थी। ये सब मु खया साहब क धान चा रि क गुण थे। थाने से लेकर कोट-कचहरी तक मु खया सहब क तूती बोलती थ । अमल का ायः उनक घर आना-जाना, खाना-पीना चलता था। उ ह लोग क दया से वे खूब फल-फल भी रह थे। मु खया साहब क कज क सूद क दर भी

डॉ राजे

साद सह

व च थी। महीना बीतते ही दस क बीस तथा बीस क चालीस हो जाते थे। फर भी बेचार कसान तकदीर क मार कज क तलाश म मु खया साहब क शरण लेते थे और अपने जीवन क अमू य ण को कज क जाल म फसा देते थे। मु खया साहब अपनी कटनी त और गुण क बल पर ही समाज क सव शखर पर प च गए थे। समाज म चाह मु खया साहब क खूब इ त थी ले कन रहीम क मन म उनक त घृणा क सवाय और कछ नह था। वह कभी भी मु खया साहब क यहां से कसी क कज लेने का परामश नह दे सकता था। वह उनको नया का सबसे बड़ा नीच और वाथ य समझता था। कछ ही दन पहले मु खया साहब ने एक वधवा का घर- ार कज म लखा लया था। वह बेचारी आ यहीन होकर दर-दर क खाक छानती रही और अ त म हताश होकर उसने नदी म डबकर आ मह या कर ली। न जाने कतने लोग को इसी कार मु खया साहब ने घर से नकाल कर, पथ का भखारी बना दया था। रहीम आज इ ह सब बात को सोच-सोचकर खी हो रहा था। उसे ख इस बात का था क उसने दयाशंकर को कज क लए मु खया साहब क पास य भेजा? उसक मन म स देह था क मु खया साहब ने दयाशंकर को कज दे दया होगा। नह तो वह लौटकर अव य आया होता। वह ब र पर लेट-लेट यही सब सोच रहा था। वचार क कड़ी टटती नह थी। इसी बीच उसे गफर क आवाज सुनाई पड़ी, 'रहीम बाबू! सवेरा हो गया ह। उ ठए! कल आपने सुबह जगाने को कहा था न? आज या बात ह? इतनी देर तक तो आप कभी नह सोते ह!' मशः

जनवरी, फरवरी-2021


अतीत क वातायण से

धरती पर जीवन

गतांक से आगे

रोमन सा ा य का पतन और वनाश

सरी शता दी क अंत और तीसरी शता दी म दास था मक अथ यव था क पतन का आरंभः १ दास काम कसे करते थेः दास वा मय को दास रचना स ा पड़ता था। पर दास ठीक से काम नह करते थे। खेती क काम करनेवाले दास को इससे कोई मतलब न था क फसल अ छी होगी या खराब। दास कसा भी होता, उसे खाने को प नयल शोरबा और पहनने को चीथड़ा ही मलता था। दास कम से कम और खराब से खराब ढग से काम करते थे। उ ह अपने मा लक से घोर नफरत थी और इस लए वे औजार तोड़ डालते थे, पवे शय को अपंग बना देते थे। एक रोमन दास वामी दास क काम का वणन य करता ह- दास खेत को सबसे अ धक नुकसान प चाते ह। वे बैल और सर मवे शय को ठीक से नह चराते। वे जुताई खराब करते ह और इसक कोई परवाह नह करते क खेत म बोया आ बीज ठीक से उगता ह क नह । वे अनाज को खुद भी चुराते ह और सर चोर से भी उसक रखवाली नह करते। २ दास था अथ यव था क वकास म बाधक थीः दास था तकनीक क वकास को रोक नह थी। खे तहर कसान ने जुताई क साथ-साथ म ी पलटते जानेवाले ज टल हल और बैल ारा ख चे जानेवाले कटाई-यं का आ व कार कया था। कतु ये औजार मु यतया उन ात म ही इ े माल होते थे, जहां वतं कसान थे, दास को काम करने क लए नये, महगे औजार नह , ब क पुराने हल और ह सये दये जाते थे। हालां क रोम म पनच क बनाना शु हो गया था, फर भी, अ धकांश जागीर म अनाज पहले क तरह दास ारा हथच कय से ही पीसा जाता था। श पशाला , खान और सर उ म म भी दास से सबसे मामूली और भ ड औजार ारा ही काम करवाया जाता था। जुताई और देखभाल ठीक से न कये जाने क कारण भू म अनुपजाऊ होती गयी। श प-शाला म भी दास ारा न मत माल घ टया क म क होते थे। दास वा मय क अथ यव था का ास होने लगा। यापार भी घटने लग गया। सबसे अ धक दास इटली म थे। अथ यव था क हालत सबसे अ धक शोचनीय यह थी। दास से काम करवाना दास वा मय क लए अलाभकर बनता गया७ इसक अलावा ब त यादा दास रखना खतरनाक था। रोमन दास वामी कहते थे- जतने दास, उतने मन। ३ कोलोनसः सरी शता दी म ब त से भू मप तय ने अपनी जागीर को छोट-छोट भूखंड म बांटकर उसे वतं गरीब को बटाई या लगान पर देना शु कर दया। इस कार क दोट असा मय को रोम म जनवरी, फरवरी-2021

योदोर कोरो कन

कोलनक कहते थे। वे अपनी फसल का एक ह सा भू म क मा लक को देते थे और शेष अपने पास रखते थे। इस लए उनक दलच पी यादा से यादा पैदावार पाने म होती थी। वे मवे शय या औजार को भी कोई नुकसान नह प चने देते थे। गरीब कोलोनस भू मप तय से औजार, मवेशी और बीज उधार लेते थे। कजदास कोलोनस जागीर छोड़कर अ य नह जा सकता थ। इससे लाभ उठाकर भू मप त जब-तब लगान बढ़ाते रहते थे। ४ झ पिड़य वाले दासः कछ दास वमी दास को भी छोट भूखंड और औजार देकर अपना अलग कारोबार चलाने, प रवार बसोने क इजाजत दे देते थे। वे सोचते थे क इस तरह दास बेहतर काम करगा, मा लक को नुकसान नह प चायेगा और नह भागेगा। ऐसे दास को झ पिड़यो वाले दास कहते थे। नगर म दास वामी अपने दास को छोटीछोटी श प-शालाएं या काने भी खोलने देते थे। कतु अपनी कमाई का काफ बड़ा ह सा दास को अपने मा लक को दे देना पड़ता था। हालां क इससे कछ दास क हालत थोड़ा ब त सुधर गयी थी, पर सर दास क हालत पहले क तरह ही खराब बनी रही। पहले क तरह अब भी वे अपने मा लक क पूण नयं ण म थे। ५ सा ा य म व ोहः दास वा मय क व दास का संघष जारी था। अब कोलोनस भी उसम भाग लेने लगे थे। सा ा य क व भ ह स म व ोह होते रहते थे। सबसे बड़ और जबद व ोह तीसरी शता दी क म य म ए। गाल देश म ए व ोह ने सार ही इलाक को अपनी चपेट म ले लया था। व ोही अपने को बगौद, यानी यो ा कहते थे। वे दास वा मय क अवे लय को आग लगाकर लूटा आ मालमता आपस म बांट लेते थे। उ री अ का म एक ब त बड़ा व ोह आ। यहां व ो हय ने कई नगर पर क जा कर लया। वयं रोम म भी श पय और दास ने व ोह का झंडा बुलंद कर दया। उ ह ने रोम क एक पहाड़ी पर मोचाबंदी कर ली। नगर क सड़क पर मासान लड़ाइय होने लग । हालां क अंततः सेना ने धावा बोलकर पहाड़ी पर क जा कर लया, ले कन उसे नुकसान भी ब त उठाना पड़ा। दास , कसान और श पय क व ोह क साथ सा ा य क सीमा पर भी घमासान लड़ाइयां चल रही थ । फर भी सरी शता दी म रोमन सा ा य काफ श शाली था। कतु दास था क फलाव क कारण उसक अथ यव था और श का ास शु हो गया था। मशः धरती पर जीवन 28


व ान

पवन ऊजा क उ पादन को ो साहन आव यक ऊजा क बढ़ती मांग को देखते ए पवन ऊजा क उ पादन को ो सा हत करने क आव यकता ह वशेष त न ध, त ा- हमालयः ौ ो गक क े म उ त क साथ ही हमारी ऊजा क माँग भी दन त दन बढ़ रही ह। आज हम अपने यादातर काय को करने क लए अ धका धक व ुत उपकरण और मशीन का उपयोग करते ह। हमारी ऊजा क माँग और खपत म वृि होती जा रही ह जसक कारण हम और नए ऊजा ोत क उपयोग क आव यकता होती ह। अतः ऊजा क बढ़ती माँग को पूरा करने क लए वैक पक ौ ो गक वक सत कर अनेक नए ऊजा क ोत खोजे गए ह ज ह गैरपारंप रक ऊजा ोत कहा जाता ह। हम अपनी उजा क आव यकता को पूरा करने क लए उन नवीनतम ोत का उपयोग कर रह ह जनका पहले उपयोग नह आ ह। ऐसा ही एक ाक तक और अ य ऊजा ोत ह पवन - या न हवा अथवा वायु जससे पवन च क चलती ह। पवन ऊजा क उपयोग क अवधारणा का वकास ई. पू. 4000 वष पुराना ह, जब ाचीन म नवासी नील नदी म अपनी नाव को चलाने क लए पाल का योग करते थे। पवनच कय तथा पन-च कय ने सबसे पहले श क ोत क प म पशु श का थान लया। 7 व शता दी क अरब लेखक ने ई. 644 म फारस म मल का स दभ दया ह। ये मल साइ ा म थत थ , जो फारस (ईरान) व अफगा न ान क सीमा पर ह। पवन ऊजा व छ ऊजा का ोत ह। अब पवन ऊजा का उपयोग बढ़ रहा ह। इसका बड़ पैमाने पर उ पादन, चालन क लागत कम कर देता ह, और अ य जनरटर (पारंप रक) क तुलना म पवन ऊजा क लागत कम होती ह। पवन ऊजा सु वधाएं यादातर ि -आयामी सु वधाएं ह जो भू म और पा र थ तक क र ा करती ह। पवन-च क क संरचना कसी ऐसे वशाल व ुत पंखे क समान होती ह जसे कसी ढ़ आधार पर कछ ऊचाई पर खड़ा कर दया जाता ह। पवन-च क क घूण ग त का 29 पवन ऊजा क उ पादन को ो साहन आव यक

उपयोग व ुत ज न क टरबाइन को घुमाने क लए कया जाता ह जससे जेनरटर ारा व ुत उ प क जा सक। कसी एक पवन च क का नगत (अथात उ प व ुत) ब त कम होता ह जसका यापा रक उपयोग संभव नह होता। अतः कसी वशाल े म ब त-सी पवन-च कयाँ लगाई जाती ह। इस े को पवन ऊजा फाम कहते ह। यापा रक र पर व ुत को ा करने क लए कसी ऊजा फाम क सभी पवन-च कय को पर पर जोड़ लया जाता ह जसक फल व प ा कल ऊजा सभी पवन-च कय ारा उ प व ुत ऊजा क योग क बराबर होती ह। जैसा क हम जानते ह क ऊजा फाम था पत करने क लए एक वशाल भू म क आव यकता होती ह। 1 मेगा वाट क ज न क लए पवन फाम को लगभग 2 ह टयर भू म चा हए। पवन ऊजा क फाम को था पत करने क आरं भक लागत अ धक होती ह। इसक अ त र पवनच कय क टॉवर तथा पंखुि़डयाँ वायुमंडल म खुले होने क कारण च वात, धूप, वषा आ द ाक तक आपदा को सहना पड़ता ह अतः उनक लए उ र क रखरखाव क आव यकता होती ह। डनमाक को पवन ऊजा का देश कहते ह। जमनी भी इस े म हम से आगे ह। भारत का पवन ऊजा ारा व ुत उ पादन करने वाले देश म पाँचवाँ थान ह। य द हम पवन चा लत जेनरटर ारा व ुत उ पादन क अपनी मता का पूरा उपयोग कर तो लगभग 45,000 मेगा वाट व ुत श का उ पादन कर सकते ह। पवन ऊजा नवीकरणीय ऊजा का एक पयावरण- हतैषी ोत ह। इसक ारा व ुत उ पादन क लए बार-बार धन खच करने क आव यकता नह होती। अत: यह ऊजा का ोत काफ स ा होता ह। पवन ऊजा क उपयोग क कछ सीमाएँ ह पवन ऊजा फाम कवल उ ह े म था पत कए जा सकते ह जहाँ वष क

अ धकांश दन म ती पवन चलती हो। टरबाइन क आव यक ग त को बनाए रखने क लए पवन का वेग भी 15 क मी त घंटा से अ धक होना चा हए। पवन क नह चलने क समय ऊजा क आव यकता क पू त क लए संचायक सेल जैसी पू तकर सु वधा का उपयोग कया जाता ह। पवनश क ऊजा ग तज ऊजा होती ह। वायु क वेग म ब त प रवतन होता रहता ह। कभी तो वायु क ग त अ यंत मंद होती ह और कभी वायु क वेग म ती ता आ जाती ह। अत: जस पवन च क को वायु क अपे ाकत कम वेग क श से काय क लए बनाया जाता ह वह अ धक वायु वेग क थ त म ठीक ढग से काय नह करता ह। इसी कार ती वेग क वायु को काय म प रणत करनेवाली पवन च क को वायु क मंद वेग से काम म नह लया जा सकता ह। नवीन एवं नवीकरणीय ऊजा मं ालय (एमएनआरई) ने बड़ अ य ऊजा संयं था पत करने व नवेश आसान करने क लए योजनाएं बनानी शु कर दी ह, जससे 2030 तक 450 गीगावॉट अ य ऊजा उ पादन का नया ल य हा सल कया जा सक। इसम घरलू व पोषण आसान कया जाना शा मल ह, जससे मता व ार को ो साहन दया जा सक। धानमं ी नर मोदी ने गत वष भारत का अ य ऊजा उ पादन ल य दोगुना करने क घोषणा क थी। जब प रयोजनाएं शु होने म देरी हो रही ह और रा य इसे लाल झंडी दखा रह ह। चालू व वष म 3 गीगावॉट ल य क तुलना म 1.1 गीगावॉट क पवन ऊजा प रयोजनाएं शु हो पाई ह। वह 7.5 गीगावॉट सौर ऊजा क ल य क जगह 2.1 गीगावॉट मता क संयं चालू हो सक ह। अब प रयोजनाएं शु होने म देरी हो रही ह ले कन ऊजा क बढ़ती मांग को देखते ए पवन ऊजा क उ पादन को ो सा हत करने क महती आव यकता ह। संपक : 34/242, से टर-3, तापनगर, जयपुर-302033

जनवरी, फरवरी-2021





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संपादकः डॉ राजे

साद सह, ‘अमरावती’, अपर रोड, गु ग नगर, पो. धान नगर, सलीगुड़ी-03, जला दा ज लग (प.बं.) मो : 94340-48163


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