कवित ांजवि
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कवित ओांक सांग्रह डॉक्टरर मिखनप्रस द
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हमने अर्ने सभी िेख के विए अर्ने बुजुर्गो क समरण वकय है और आज भी उन्ीां क इस प्रक शन क समवर्पत करत हूँ क्यांवक उन्ीां की सौजन्य से हमने अर्ने सभी र्गुण क ह वसि वकय है। हमक जब भी थ ड़ी सी कुछ सहवियत वमिती है त मई अर्ने बुजुर्गों क आदर सत्क र करत रहत हूँ। यह सब ज्ञ न, श न और मय पद उन्ीांके द्व र हम क प्र प्त हुि है। मैं उन सब क अर्न ह वदपक धन्यब द देत हूँ। डॉक्टरर मिखनप्रस द।
समर्पण
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इस प्रक शन के भयवमक विखने से र्हिे मैं यह कहन जरुरी समझत हूँ की मेरी सभी रचन एूँ मेरे वदि और वदम र्ग की क़ बवियत है वजनक मैंनेखुदरच हैऔरसज य है। इस प्रक शन में मेरे अर्ने रचे हुए कवित येूँ हैं वजन क मैं ने अर्ने बचर्न से ही अर्ने मष्ततष्क में छुर् ये और सज ये रक्ख थ र्र अब समय आने र्र िे सब उभर ही र्गएूँ हैं। शब् क चुन चुन के हमने इकठ्ठ वकय है वजनक हम रे र् ठक जरूर च हेंर्गे। एक ब त और मैं कह देन च हत हूँ और िह है की यह सब कवित ज्ञ न मुझे हम रे र्गुरुजन और बुजुर्गों की कृर् है। उन सब के चरण में मैं अर्न श ष् ांर्गप्रण मप्रर्गटकरत हूँ।
भयवमक
6 प्र थपन हम रे मेंद षभरे हैंबहुतप्रभुउन सब क वनि रणख जन है मैंहूँतुम्ह रे शरण र्गतप्रभुतुम्हेंही इनक वनि रणख जन है क ईसांश धनवदि द हमेंवजससे मेरे मनक सुखश ांवतवमिे अन्धक रहैर्थभीकवठनऐस कर प्रभुकीमेर जीिनष्खिे भरद वबस्व सवचतक वनमपिकर आि वकककरद र्िमें व्य कुिह्रदयवशवथिहैस हसकैसे ि ियांतन्मयत इसमनमें वकसतरहसेमैंस्वयांक वनयवित करूां क मतुम्ह रे कैसेआियां
7 म हचक्रमेंउिझ हूँमैंवकसतरह इनजांज ि सेमुष्िर् ियां ख िीघटवसवथरह कैसेभष्ि सुध भरद इसमनमेंक्षणमें तुम्ह रे शरण र्गतहूँभर्गिनइस जीिनक सांश धनकर क्षणमें भष्िभ िमेंसद िर्ग रहूँयही िरद नदेतेरह मुझेर्रम्वर्त र्रमेश्वर वजससेयहजीिनसुखीरहेश ांवत सद रहेइसजर्गमेंहेमेरे जर्गदीश्वर|
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यह सांग्रह वजसक मैंने कवित ांजवि क न म वदय है यहहम रे ि रचन हैं वजसक मैं अर्न चहक य किरि भी कहत हूँ त इस क मैंने अर्ने जि नी से सज त चि आय हूँ इस विए इनरचन ओांक मैंअच्छीतरहसेर्हच नत हूँ। अर्ने जीिन के ८० िषों की इस के और मेरी घवनष् वमित रही है। यह सभी रचन एूँ मेरे ह्रदय के इतने वनकट रहें हैं की मैं इनक अर्ने से जुड़ देखहीनहीां सकत हूँ।कभीमैं इनक अर्ने आत्म कीकि कहत हूँ त कभीइनक मैं अर्नेह्रदयकीअनुभयवतभीकहत हूँ। हम रे वकतने वमि ने इनक र्ढ़ने के ब दयहकह है की यह सब कवित येूँ क र्गज र्र वनक ि कर रखदेने ि िे व्यष्िर्गतह्रदयक हीदसर न म कह ज सकत है। हम रे एक वनकट के भष्िम न द स्त ने कह है की ये सब मेरे जीिनबके सत्य न्वेषणमें ज ष्िवत, ज प्रेरण छांद बृद्ध करती है। र्र मैंने इन सब सांग्रह क
कवित ांजवि
9 अर्ने वजर्गर की र्गीत ही समझ है वजनक मैं र्ग त रह और चित रह इस जीिन के सभी सहजऔरकवठनर ह र्र। मैंने अर्ने इस कवित ज्ञ न क श्री र्गणेश अर्ने प्र इमरी स्कयि से ही वकय थ और इस वदिचस्पी क धीरे धीरे बन त चि आय हूँ और आज मैं कई कवित ओांक रचनत्क र बन चयक ह। यह कि हम रे ह्रदय के अांदर चिती ही रहती है तथ र् ठक इस सांग्रह क र्ढ़ कर यह अनुम न त िर्ग ही सकेंर्गे की यह कवित करने की कि कहीांजल्द ज ने ि िी नहीांहै . इस कि क मैं ने बड़े प्रेम से बढ़ ि देत रह और आर्गे भी करत रहूँर्ग जब तक इस शरीर मेंस ांसहैं। मुझेएकब तऔरकहनीहैइससांघ्रहके ब रे में और ि है की हम रे सभी कवित येूँज यह हैं और च हे कहीां भी छ र्ें र्गए ह उन सब क रचन मेरे अर्ने विच र ध र ओां से प्रस्तुत की र्गयीां हैं। यह सब हम रे वनजी अनुभि के प्रक शन हैं वजनक र् ठकर्गण जरूर र्सांद करेंर्गे। यहीहम र ख़य िहै। धन्यब द।
10 हम रीकवित यें हम रीकवित ओांकीकि अबमेरीआदतसीबन र्गईहैऔरवदिवदम र्गमेंसम र्गईहै इसआदतनेमेरीदवनय हीबदिदीहैबससुबह श मवदनर तकीधड़कनबनर्गईहै स त हूँय ज र्गत हूँर्रअर्नेकवित ओांके स थ एकमधुरप्य रक नर्गम बन विय हूँ येक ईर् र्गिर्ननहीांहैऔरवसर्फिर्गनभीनहीांहै र्रयेआदतअबसि पर्ररबनर्गईहै इसक अर्नेमनकीईक्ष कहूँय वफरकहूँइसक अर्नेवदिऔरवदम र्गकीर्यज चि कहहीदेत हूँकीइसकीआदतऔरिर्गनसे अच्छ अबनहीांहैक ईऔरदज हम रीयहआदतऔरिर्गननहीांहैंकेििहम री कवित कीकि य उनकीकह नी इसजवटिआदतऔरिर्गनक अबमैंकहत हूँ हम रीदीि नर्गीज ब नीहैरि नी।
11 हम र मन हम र मनजर स अल्हडहैऔरयह थ ड़ स चांचिभीहै इसीविएमैंइसक अर्नेक बयमें रखत हूँज मांचिभीहै सबभिेबुरे क ध्य नहैइसक आर्गे क् ह र्ग येसबज ने यहीत मेर मनहैज हम रीसभी इक्छ ओक भीज नेम ने भिेयहयह िह दौड़िर्गत हैर्रमैं इसक बसमेंरखत हूँ हम रे विएयेअर्न हैऔरसबआवर्ग क फिदेत भीरहत है अर्नेमनकीमैंसुनत हूँऔरमेर मन हम र भीसुनिेत है
12 हमएकदजके मनके मीतऔरस थी हैिहमेरीसुनिेत हैं इसमनके मौजीहैंहमयहहम र सब कुछज नम नविय है इसकीत मैंम नरखत हूँक्यांवकये हमक बहुतकुछवदय है . वजांदर्गीऔरबांदर्गी हम रीयहवजांदर्गीत हम रीबांदर्गीहैज सद हमक बहि तीरहतीहै जीि ऐसेकीवजांदर्गीक मर्ड़ज एहांस इतन कीवदिखुशीरहतीहै मरन जीन औरदखसुखत िर्ग हैइस वजांदर्गीमेंबांदर्गीकर वजांदर्गी यहीत हैहम रीसहीवजांदर्गीजीि जीभरके ब वकसबहैबांदवजांदर्गी|
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स रे जीिनभरमैंक् ख जत रह इससांस र मेंजबसबकुछमेरे अांदर थ नज नेमैंक् औरक् देखत थ और मेंजब मेर हीमनहम र दर्पणथ येदवनय क ईदौड़नहीांहैतयहीि दौड़नेि ि हैवजसक क ईथ हनहीांहै जर रुककरखुदसेब तेंकरिेक् अांतरमन क श ांतकरनेक च हनहीांहै अर्नेसर्न कीर्गहर इय क समझ अर्ने अांदरकीअच्छ इय क समझ आत्मसम्म नकीआदतड ि जीिनसफिकर के आर्गेबढ़करजीन सीख इसजीिनक र्गरखुिकरजीन हैत अर्ने आर्सेिर्गनिर्ग न सीख आिसीह न स रे म निक शिुहैत र्ुरुष थप क अर्न वमिबन न सीख इसजीिनक रहस्ययहीहैवजनख ज वतन र् य क सहीमतिबक सीख .
जहूँखजिहीर्य
14 क वशशकरतेरहन बबुि बुजुर्गोंनेकह थ क वशशकरतेरहन एकन एकवदनहिवनकिेर्ग बबुि र्गरआजनहीांत कितुझेसफित वमिेर्ग क ईभीविक्रमतकरन बबुि कड़े मेहनतसेमरुस्थिसेभीजिवनक ििेते हैंि र्गइसे य दरखबबुि मेहनतकरजीिनके र्ौध क र् नीदे बांजर जमीनसेफिवनकिेर्ग बबुि बसअर्नेसहीत कतक जुट िेवहम्मतक अर्न धधकत आर्गदे बबुि कड़ सेकड़ फौि दक भीतयअर्नेच हतसे बिवनक िसकत हैबबुि वजन्द रखअर्नेसभीउम्मीद क र्गहरे समुन्दरमेंभीर्गांर्ग जिवमिेर्ग बबुि क वशशज रीरखन सद कुछकरर्गुजरनेकी ज आजथम ि चिेर्ग बबुि .
15 हम रे जीिनके कुछख़ सआध र हमनेअर्नेआनांदके विएसद सांर्गीतसुनन र्सांदवकय है। अच्छे भ जनके ब दख नेके विएहमनेअर्ने र्गमक सुन थ । र्ीनेके विएदधदहीत थेहीघरमेंर्रमैंने अर्नेक्र धक र्ीत रह । वनर्गिनेके विएजह आमइमिीऔरअन्य फिथेिहीहमनेअर्नेअर्म नक वनर्गित रह । व्य ह रत हम र सद सेउत्तमथ र्रनीवत ररि जक व्य ह रहमनेसद रक्ख थ । अर्नेस रे जीिनभरहमनेज्ञ नध्य नके र्गुण क बड़े प्रेमसेिेत रह । देनेके विएहमनेअर्नेअिक तके मुत वबक उर्युिसांस्थ ओांक देत रह । जीतनेके विएत बहुतकुछथ र्रमैंसद प्रेम भ िसेरहनसहनक जीतिेत थ । ध रणकरनेके विएमैंनेसद धैयपक अर्न य थ जैसेअर्नेतृष्प्तके विएसांत षथ ।
16 जह त्य र्गकरनेके विएि िचय ि भथ िही करनेके विएसम जसेि थ । जबप्र प्तहीकुछ करन थ त िहथ हम र यशऔरफेंकन थ हम र इष प। छ ड़नेके विएम हम य थ औररखनेके विए हम र म नमय पद औरइज्जतथ । अांतमेंहमनेबहुतकुछकह सुन र्रहम र नैर थ सत्यमवशिमसुांदरम। जीिनक् है ? हम र जीिनएकब ांसुरीकीतरहहै वजसमेब ध ओांके रूर्सेवकतनेभी छेदक् नह र्रवजनक िहस ज बज न आर्गय उनक सहीरूर्से जीन भीआज एर्ग ।
17 वकसीसेअबकुछ नहीांकहन है स र सांस रदसरमह युद्धकी िड़ ईिड़रह थ ऐसेहीअन्धक रमेंमैंएकउूँज ि िेकरआय थ सत्त ईशवदसांबर१९३९क मेर शुभ जनमहुि थ मैंइसजीिनक र् करबहुतकुछ करनेचि थ सुबहश मतकमेहमतकरके आर्गे बढ़नेिर्ग थ अर्नेतथ और के सबदखसुख क मुझेध्य नथ
18 अर्नेमनकीईक्ष र्यर करके ि र्ग क र्यर करत थ सद धैयपसेसबक मकरके सबक मनबहि त थ प्रेमके स र्गरमेंखुदतैरत थ और क भीतैर त थ बीतर्गय हैिहसबअिसरवजससे मैंखुशरहत थ अबर्छत एह त हैक् िहसमय बड़ अनम िथ ज न त ह र्ग हीमुझक करविय ज भीकरन थ चि अबचितेहैवकसीसेअबकुछ नहीांकहन थ
19 हम रे जीिनके सुखी रहनेके मयिमांि जबमैंर्यज करत हूँत मैंअर्ने भष्िभ िर्रर्यणपरूर्सेवबस्व स रखत हूँ इसजीिनमेंवकतनेब त क ब ित रह र्रउससेर्हिेमैंसुनन सीखत हूँ मैंनेजीिनमेंखयबमज वकय र्रखचप करनेसेर्हिेकम न जरुरीसमझ थ हमनेवकतनेिेख क विखत रह र्र विखनेसेर्हिेहमेसमझन जरुरी थ
20 मैंनेजीत भीऔरह र भीर्रह र म ननेसेर्हिेदब र क वशशकरत रह हमनेजीिनमेंररश्त क क यमरख र्रअर्नेसभीररश्त क वनभ त रह मैंअमरत नहीांहूँर्रमरनेसेर्हिे इसजीिनक हमनेसहीसेजीन सीख इसजीिनमेंमुझेर न भीर्ड़ थ र्र हमनेअर्नेसबि र्ग क हूँस न सीख यहीसबहम रे जीिनके सुखीऔर ख़ुशीरहनेके कुछमयिमांिके सांग्रह रहेहै ज भीम निइनसबमन्त् क र् िन करत हैउनके जीिनख़ुशीसेझम रहेहैं |
21 वजांदर्गी
यहीत यहवजांदर्गीहैज हरर्ि छयटत ज त है ज बीतर्गय स चि र्गय िौटके नहीांआत है आर्गेक देखतेरहन यहसफर सुह न ह त है हरएकनय सबेर हीसद वजांदर्गी कहि त है अतीतकीर्गहर इय मेंजीन हम री मयरखत है वजांदर्गीवजांद वदिीक न महैिेि ज वमित है इसवजांदर्गीक मज त बसआजमें हीवमित है
क तुत्फ
22 हम रीसभ्यत अवधकसेअवधकस्व थीबनतेज रहेंहैंहमत क् यहीहैहम रीसभ्यत ? नज नेक् हमबहुतच र्ियसह तेज रहेंहैकी यहीहैहम रीसभ्यत ? र्ैसेकीभ र्गदौड़औरभिवति क िर्गनक् हमक सभ्यत सेदरकररहीहै ? हमवदनर्रवदनक् इतनेव्य कुिह तेहैंऔर र र्ग सेक् वघरतेज रहेंहै ? यहसबहम रे सभ्यत से मुखम ड़नेक नतीज हैहमक् यहनहीांसमझतेंहैं? हम रीसभ्यत सद सेएकहीहैज हमक आत्मवनभपरत औरश ांवतवसख तीहै सद्भ िन ओांक बढ़ ि देन प्रेमभ िसेरहन औरि र्ग कीसह यत करन है अर्न औरर्नेि र्ग क ज्ञ नबढ़ न , तथ इांस वनयतके र ह र्रचिन है हेइसजीिनके मुस वफरतयअर्नेसहीसभ्यत क बन करचितेवफरतेरह सच्चीसद्भ िन एूँ सफिसम जऔरउत्तम उल्ह सह र्ग औरसभ्यत सुधरेर्गी .
23 वजांदर्गीजीनेक न महै मैंनेअर्नेवजांदर्गीक जीन सीख हैउसक समझनेकीक वशशनहीांवकय है ह इतन जरूरहैकीअर्नेसभीसुन्दरसर्न क ठीकसेबुनन सीख है इसछ टीसीवजांदर्गीके उिझन मेंनहीांउिझ थ र्रसमयके स थचि थ वजांदर्गीसेवसवमटनेकीक वशशनवकय ह ूँथ उठ के खुिके स ांसिेत थ अांदरहीअांदरघुटनेसेदरऔरमनमेंचिरहे युद्धक विर मवदय करत थ ख मख खुदसेिड़नेकीआदतनहीांथीमेरी कईब तेंभर्गि न्र्रछ ड़त थ जीिनके मुसीबत क खुदनहीांसुिझ त थ ज वमि उसीमेंखुशरहत थ ज क ईहम र सुकयनछीनिेत थ उनसेदर रहत थ अर्नेर हर्रचित थ अर्नेमांवजि र्रजल्दीर्हुूँचनेकीच हनहीांथी धीरे धीरे आर्गेहीबढ़त थ
24 मैंतेरी
हूँ र्र्गिे वकतनेवदन सेमैंएकझिक अर्नेवजांदर्गीक देखत रह हूँज र ह मेंमेरे र्गुनर्गुन रहीथी थ ड़ीदेरतकमैंउसक इधर उधरख जत रह औरि मुझसे आूँखवमचौनीकररहीथी कुछवदन ब दमुझेजबसमझमें आय त देख कीि थ र्िीिर्ग के मुझेसुि रहीथी
वजांदर्गी
25 हमद न क् एकदसरसेबेसबब न र जहैंि मुझक बड़े सहवियतसे सेसमझ रहीथी अांतमेंहमनेर्यछहीविय की क् मुझक इतन दखददप देती ह मुझक यहत बत द ि कुछदेरतकचुर्रहीवफर हांसीऔरब िीमैंतेरीवजांदर्गीहूँ र्र्गिेयहसमझबयझि जबतकचिेर्गीयहवजांदर्गीकी स ूँसेंत हमसबक कभीप्य र कभीतकर रवमिेर्ग जबकभीबनेंर्गेहम रे अांदरअच्छे सम्बन्धत कहीआत्मीयत क आभ िभीवमिेर्ग
26 जह कहीांवमिेर्गीख़ुशीऔर प्रन्नत त कहीांकहीांन र जवर्गय क बह िभीवमिेर्ग कभीकभीसच्चेमनसेि र्ग की दआवमिेर्गीत कभीभ िन ओां मेंदभ िवमिेर्ग कभीकभीर्र येररश्तेभीअर्ने बनेंर्गेत कभीकभीअर्न सेही ष्खच िवमिेर्ग जबकभीि र्ग सेखुश मदी वमिेर्गीत कभीर्ीठर्ेबुर इओां क घ िभीवमिेर्ग हमत चिेज रहेहैअर्नेकमपर्थ र्रजैस ,हम र भ िह र्ग िैस प्रभ िवमिेर्ग
27 मैंसद रखत हूँशुद्धत क स्पशप अर्नेस्व भ िमेंवजांदर्गीक अिश्यख़ुशीवमिेर्ग यहीय दहैकीज छयटर्गय उसक क् मि ि करें ज ह वसिहैउसीसेसि िकरें बहुतदरतकज तेंहैंय द की क वफिेवफरक्यूँर्ुर नेय द में अर्न समयबब पदकरें म नत हूँकीवजांदर्गीमेंकुछ कवमय हैंरुक िटहैर्रउनक वदिसेिर्ग के क् करे वमिहीज एर्ग क ईनक ईनय बह न तुम्हेंजर इत्मीन नसे वजांदर्गीक इांतज़ रकरें |
28 मेरे जीिनकीसीख मैंनेअर्नेबचर्नहीमेंसीख थ कीअर्नेिस्तुओांक ख के र् नेक मज हीकुछऔरहै र तेर तेजबमुस्कर हटआज येत उसमुस्कर हटक ह ांठ र्ेि नेक मज हीकुछऔरहै मेरे बुजुर्गोंक कहन थ कीह रत जीिनक वहस्स हैर्रह रके जीनतेक मज कुछऔरहै जीिनमेंख य भीर् य भीर य भी मुस्कुर य भीह र भीऔरजीत भी मेरीच हभीकुछऔरहै
29 क श ! नज नेवकतनेआि जेंमुझक तड़र् ती रहतीहैक शमैंउनक कहर् त क् र् सबुि तीऔरक् करि तीसब आि ज क मैंसमझनहीांर् त दवनय ि िेमेरे र्ीछे क् देतेंहैंआि ज हम रीहीक् करतेहैंि ब तें क् हैंसबि र्गहम रे र्ीछे अबमैंवकस वकससेर्यांछय यहसबछुर्ीब तें िर्गतेंहैंसबअर्नेहीद स्तय ररश्तेद र, र्रमैंयह जीत हूँडरडरकर ि र्गमुझेक् इसतरहसेदेखतेंहैंजैसेिे हमसेदरभ र्गतेहैंडरडरकर इसजीिनमेंकभीख़ुशीरहीकभीर्गमभी क शमैंइनब त क कहर् त कभीकभीमैंइनआि ज सेिड़त भीहूँ त कभीकभीभ्रममेंर्ड़ज त
30 नज नेक् येसबआि जेंमुझेडर तेहैंमैं यहसबब तेंसमझनहीांर् त जबभीमैंइनक समझ नेज त वहम्मत करके कहनेकीक वशशकरत ि र्ग क हम रीयेसबब तेअच्छीनहीां िर्गतीमैंकहतेहीकहतेरहज त मैंभीअजीबहूँकीिड़त रहत हूँखुद अर्नेसेहरर्िनीांदनहीांआतीहै वकसवकससेकहूँमैंसमझनहीांर् त क श ि र्ग के समझमेंयहआतीहै |
31 र्त्थरनहीांमॉमहूँमैं मैंअर्नेि र्ग के आख मेंरह औरउनके वदि मेंभीउतरके देख है अर्नेजीिनभरअर्नेकश्तीक मुस वफररह समुन्दरनहीांदेख है बेिक़्तअर्गरवकसीके र् सज ियांर्ग त िेश यद चौांकर्ड़े मुझेदेखकर स रीउम्रबीतर्गईर्रहमनेअर्नेअांदरक आि जनसुन समयर्र वजसवदनसेचेत हूँइसवजांदर्गीमेंमेरीनजर रहीहैहम रे मांवज़िर्र इनआूँख नेकभीर्थरीिेवदिद र क नहीां देख नबह रनघरर्र इसजीिनमेंकईफयिवमिेथेमुझेउनमेंक ांटें भीथेज हमनेनदेख य र कीम हब्बतयकीनकरविय हमने फयि मेंछुर् खांजरनदेख र्त्थरमुझेकहतेंहैंमेरे च हनेि िेि र्गमॉमहूँ वकसीनेछय के नदेख |
32 सर्न मेंआस्थ मैंनेसद सेअर्नेसर्न मेंएकख स वबश्व सिेकरचित रह जबभीअर्नेअर्न क सज त थ त उनक स क रकरत रह मुझेबत य र्गय थ कीसर्न मेंरख आस्थ अर्न कमपवकयेज इतन सद य दरखन कीत्य र्गसेन डरन आिसीक तजत ज क ईर्गितीह ज येत सुध रन और वर्गरन त वफरखड़ ह ज न सच ई,अच्छ ईऔरसुांदरत सेनडरन म निधमपक म नतेरहन समस्य एां त इसजीिनके स थीहैं क वशशकरके उनक दरकरन जीिनमेंअर्गरचट्ट नभीवमिेंत छि ांर्गम रके उसक र् रकरन
33 जीिनमेंतयि नभीवमिेंर्गेिेवकन उनसेभीटकर नेकीज शरखन यह वहम्मतीव्यष्ििहीहैवजसक मुसीबत मेंआत नहीांहैघबर न ज भीर् न हैयह बसउसक अर्न वदिवदम र्गिर्ग के च हतकर करतेरहन अर्न सभीकमपर्रस थ मेंभष्िभ िऔरधमपभीकर वफरदेखन येवजांदर्गीक् रांर्गवदख ती हैतेरीवकस्मतबदिज येर्गी तुम्ह रे सभीसर्नेर्ुरे ह ज एांर्गेऔर तुमक तुम्ह रीमांवजिभीवमिज येर्गी तयक् अकेिेहीचिरह हैइसजीिन के सफरमेंयेसमझद रर ही इतन य दरखन कीर हमेंि र्गआते रहेंर्गेक रि बनत रहेर्ग र ही
34 बचर्न बच्च के सांघबच्च ह न वकतन अच्छ िर्गत हैक्यांवककभीखेिखेिमें हांसन र्ग न त त थैय न चवदख न कभीन र जसभीसेह ज न त कभी अर्न मुूँहिटक न झठमयठके ियांियां करके र न वकतन अच्छ िर्गत है र्ग िफुि के आूँखेवमचकन बन्दर जैसेहरकतकरके कभीडर न वफर भ र्गज न औरवबचक मुूँहवदख न चुन्नयमुन्नयके सांघह करखेिखेिन हांसन र्ग न ब तेंकरन वफरइांवजनबन के छुकछुककरन अच्छ िर्गत है |
35 सम र्नय सम ष्प्त इसकवित ांजविक हमनेबड़े वदिचस्पीसेसज य हैअर्नेर् ठक के विए इसक जबि र्गर्ढ़ेंर्गेऔरर्गुनेंर्गेत यह बड़ीमेहरब नीह र्गीहमसबके विए यहसभीकवित येूँहम रे हीविच रध र के हैंतथ येसबहम रे हीरचन हैं कहीांहमनेप्र थपन कीहैकहीांअर्ने ि र्ग के ब रे मेंउर्युिरचन कीहै ज भीहैि सबहम रे वदिकीधड़कन हैवजसक हमनेब हरवनक ि है कभीसुबहक त कभीश मक इन कीरचन कीहैअजबऔरवनर ि है इससेर्हिेहमनेकईभ ष ओांमें अर्ांनेरचन ओांक र्गढ़ हैयहसुरीि है
36 चि र् ठक ध्य नधर य र्ढ़ इन कवित ओांक मन रांजनकरनेक मेि है सरिभ ष क प्रक शनहैयहसभीके मनक भ येर्ग यहीहम रीआश है मुझक वनर शनकरन मेरे य र क् कीमैंनेइनसबक बड़े प्य रसेरच है वकसीकीभीवदिदखनकीआदत नहीांरहीइसजीिनमेंहम री हमनेत सद प्य रम हब्बतसेर्ेश आएां हैज अर्नेरहेमुर री अांद जत ि र्ग के हमनेबदितेदेख है यहविच ररहीहैहम री ि र्ग क आतेभीदेख औरज तेभी देख खबरहीनिेतेहम री| @@@@@
बुझर्गईहैंआश एां वछर्र्गएूँ हैंचूँदत रे थरथर रह हैबदनमैंह र्गय हूँतनह