लव-िजहाद जैसा कुछ नह ं
अनवर सह ु ैल
कहानी : अनवर सह ु ैल
अनवर सह ु ैल
लव-िजहाद जैसा कुछ नह ं... खसाना से इस तरह मल ु ाकात होगी, मझ ु े मालम ू न था। चाय लेकर जो यव ु ती आई वह खसाना थी। जैसे ह हमार नज़र( )मल ं...हम बत ु से बन गए। ,बलकुल अवाक् सा म. उसे दे खता रहा। एकबारगी लगा 0क खाला 1या सोच( गी 0क उनके घर क3 45ी को म. इस तरह 6च5)ल7खत सा 1य8 दे ख रहा हूँ? खाला सामने बैठ< हुई थीं। खाला ने मझ ु े इस तरह दे खा तो बताने लगीं--‘अ=छा तो तम ु इसे जानते हो...ये >खसाना है, गल ु जार क3 बीवी. अ?लाह का फ़ज़ल है 0क बड़ी 7खदमतगार है । Bदन-रात सभी क3 7खदमत करती है । तD ु हारे गाँव क3 तो है ये। अपने इनायत मा4साब क3 लड़क3।’’ म.ने उGह( बताया—“इनके अJबू ने हम( पढ़ाया है खाला...म. तो इनक3 घर Lयश ू न पढने जाया करता था..!” और इनायत मा4साब का वजद ू मेरे ज़ेहन म( हािज़र हो गया. हमारे Rायमर 4कूल के )शSक इनायत मा4साब। नाम से बड़ा रवायती तसTवरु उभरता है, ले0कन इनायत मा4साब बड़े माडनV द खते थे. 1ल न-शेTड रहते और अमम ू न Wे प( ट और
सफ़ेद शटV पहना करते. ठYड के Bदन8 म( वे इस Zेस पर एक Wे कोट डाल )लया करते. बड़े 4माटV -ल0ू कंग थे मा4साब. उनक3 तीन लड़0कयां थीं। बड़ी का नाम उसे याद नह 1य80क वो ससरु ाल जा चक ु 3 थी, दस ू र का नाम शबाना था और सबसे छोट >खसाना... शबाना 4थानीय ग?सV कालेज म( पढ़ती थी. >खसाना और म. एक ह कSा के [व\याथ] थे ले0कन 4कूल अलग-अलग था हमारा. म. ग7णत म( काफ3 कमज़ोर था, सो अJबा मझ ु े ग7णत पढ़ने के )लए इनायत मा4साब के घर भेजा करते थे। मझ ु े ग7णत [वषय अ=छा नह लगता था ले0कन मेर 6च ग7णत के बहाने >खसाना म( aयादा थी. जब म. उनके घर पहुंचता तब दरवाज़ा खसाना ह खोलती और फुरV से अंदर भाग जाती इस आवाज़ के साथ--‘अJब,ू पढने वाले आ गए!’ उसने कभी ये नह ं कहा 0क शर फ आया है...Lयश ू न पढ़ने। पता नह 1य8 वो मेरा नाम न लेती थी... बहुत खतरनाक ट चर थे इनायत मा4साब, जो भी चेbटर समझाते इस ताईद के साथ 0क न समझ आया हो तो पढाते समय पछ ू लो. एक बार नह ं दस बार पछ ू ो...हर बार समझाय(गे वे..ले0कन इसके बाद यBद सवाल नह ं बना तो 0फर ब(त क3 मार खानी होगी. वे ब(त इस तरह चलाते क3 हथेल लाल हो जाती और चेहरा >आंसा. एक और खा)सयत थी उनक3। सवाल का जवाब नह ं )लखाते थे। ब=च8 को जवाब )लखने को Rेcरत करते। वे कहते 0क Bदखाओ कैसे को)शश क3 सवाल का जवाब पाने क3.
बड़े eयान से ब=च8 के जवाब दे खते और बताते 0क सवाल हल करने का तर का 0कतनी दरू तक ठ<क था और कहां से रा4ता भटक गया है । यह भी कहा करते 0क ग7णत म( सबसे महfवपण ू V बात होती है सवाल को समझना। यBद सवाल सह न समझा गया तो 0कतना बड़ा फGनेखां हो सवाल हल नह ं कर पाएगा। इस)लए अTवल बात ये 0क सवाल भले से याद हो 0फर भी जवाब )लखने से पव ू V सवाल को अ=छ< तरह पढ़ा और समझा जाए। हम ब=चे उनक3 इस )शSा को जीवन के हर 4तर पर खरा उतरता पाते। मेरे Bहसाब से ब=चे उस )शSक क3 aयादा कg करते ह. और उससे डरते भी ह. िजसके बारे म( उनके बाल-मन म( यक3न हो जाए 0क ये )शSक [वलSण hानी है। कह ं से भी पछ ू ो और 0कतना कBठन Riन पछ ू ो चट ु क3 बजाते हल कर Bदया करते थे. मझ ु े उनमे एक रोल-मॉडल द खता...म. भी बड़ा होकर उGह क3 तरह का hानी)शSक बनने के kवाब दे खने लगा था. ठ<क इसके उलट ब=चे उन )शSक8 का मज़ाक उड़ाते, िजनके बारे म( जान जाते 0क इस ढोल म( बड़ी पोल है । उनमे Bहंद के अeयापक का नाम सबसे ऊपर था. वैसे भी [वhान के ब=चे Bहंद के )शSक8 का मज़ाक उड़ाया करते ह.. Bहंद के अeयापक उफ़V जेपी सरन उफ़V उजड़े-चमन…. मझ ु े नह मालम ू ले0कन ये बात 0कतनी सह है 0क Bहंद का अeयापक क [व ज़ र होता है . क[व भी ऐरा-गैरा नह . तल ु सीदास से कुछ कम और nनराला से कुछ aयादा. उनक3 बात माने तो क[वता वह है जैसी जेपी सरन उफ़V उजड़ेचमन )लखते ह..
ब=चे उनक3 इतनी हूBटंग करते ले0कन वाह रे सर क3 मास)ू मयत, वे समझते क3 उGह( दाद )मल रह है . इनायत मा4साब को हम सर भी कह सकते थे, ले0कन नगर के उoदराज़ )शSक थे इनायत मा4साब. जब )शSक8 को ग ु जी कहा जाता था उस व1त भी उGह( मा4साब का ल कब )मला हुआ था. जाने 0कतने लेखको क3 ग7णत क3 0कताब8 का अeययन उGह8ने 0कया हु आ था. हम तो सोचा करते 0क इनायत मा4साब खद ु ह सवाल बना )लया करते ह.. काहे 0क अपनी दे खीभाल 0कसी 0कताब म( वैसे सवाल नह )मलते थे. इनायत मा4साब मझ ु े पसंद करते थे 1य80क म. सवाल हल करने का वा4तव म( Rयास करता था। मेर कापी के पGने इस बात के गवाह हुआ करते। इनायत मा4साब के Lयश ू न ने ग7णत को मेरे )लए खेल बना Bदया था... वे कहा करते...मैथेमेBट1स एक Bpक होती है . िजसे महारत )मल जाए उसक3 बाधाएं दरू ... जब मा4साब Lयश ू न पढ़ाते उस दर)मयान एक बार खसाना पानी का 6गलास लेकर आती थी। वैसे भी 0कशोराव4था म( 0कसी को कोई भी लड़क3 अ=छ< लग सकती थी। ले0कन खसाना इस)लए भी अ=छ< लगती थी 0क उसे म. काफ3 कर ब से दे ख सकता था। वह दरवाज़ा खोलती थी। अपने [पता के )लए पानी का 6गलास लाती थी। ईद के मौके पर मझ ु े भी सेवईयां )मल जातीं. उनके घर क3 शबे-बरात के समय सज ू ी और चने क3 कत)लयां तो बाकमाल हुआ करतीं थीं, 1यं0ू क उन कत)लय8 म( खसाना का 4पशV भी छुपा होता था।
वह ज़माना ऐसे ह इकतरफा इiक या इiक क3 को)शश8 का हुआ करता था। तब मोबाईल, फेसबक ु या Tहाटसएप नह ं था। )मस-काल या साइल(स मोड क3 सवार कर bयार परवान नह ं चढ़ा करता था. 6चBsयां )लखी जाएं तो पकड़े जाने का डर था। और यBद लड़क3 6चsी अपने [पता या भाई को Bदखला दे या 0क 6चBsयां ओपन हो जाएं तो 0फर शायद कयामत हो जाए...ऐसे दःु 4वbन क3 क?पना से रोम-रोम )सहर उठे । कुछ ब\तमीज़ लड़के थे जो जाने कैसे [पटने क3 हद तक जल ल होकर इiक करते थे और राज़ खल ु ने पर खब ू ठुंकते भी थे। इस तरह म. यह फ़u से कह सकता हूं 0क खसाना मेरा पहला इकतरफा bयार थी। बड़ा अजीब जमाना था. बात न चीत, )सफV दे खादाखी से ह सपन8 म( दखल )मल जाता. इस >खसाना ने मेरे kवाब8 म( बरस8 डेरा डाला था. कभी दे खता 0क पानी बरस रहा है , म. छतर लेकर घर लौट रहा हूँ. >खसाना 0कसी मकान के शेड पर बाcरश >कने का इंतज़ार कर रह है औ र 0फर मझ ु े दे ख मेर ओर बढती है . म. उसे इस तरह छतर ओढाता हूँ 0क वह न भीगे...भले से म. भीग जाऊं. कभी kवाब म( वह मेरे घर आकर मेर बहन8 के साथ लक ु ाnछपी खेलती होती और मझ ु े घर म( दे ख अचानक अviय हो जाती. आह, वो wवाब8 के Bदन...0कताब8 के Bदन...सवाल8 क3 रात( ...जवाब8 के Bदन… वह मेरे सपनो वाल >खसाना इस प म( मेरे सामने थी और म. 6च5)ल7खत…
कुछ साल बाद म. बाहर पढ़ने चला गया। अपने क4बे म( अब कम ह आ पाता था। मेरे wयाल से जब मेरा तीसरा सेमे4टर चल रहा था तभी दो4त8 से पता चला था 0क इनायत मा4साब क3 बेट खसाना क3 कह ं शाद हो गई है। शाद हो गई तो हो गई। मझ ु े 1या फकV पड़ सकता था। मझ ु े तो )शSा पण ू V कर अ=छे bलेसम( ट का Rयास करना था। उसके बाद ह शाद के बारे म( सोचता। घर से कोई दबाव नह ं था। अJबू चाहते ह. 0क म. अभी bलेसम( ट के बारे म( न सोचंू और पीजी क ं। पीएचडी क ं। 0फर 0कसी [वiव[व\यालय म( Rोफेसर लग जाऊं। अJबू का मानना है 0क दnु नया म( Rोफेसर या )शSक से बढ़कर कोई नौकर या काम नह ं है। 0कतनी इxज़त )मलती है Rोफेसर8 को। िजन ब=च8 को पढ़ाओ, एक तर के से वे मरु द बन जाते ह.....पीर8-फक3र8 वाला पेशा है Rोफेसर । मझ ु े भी यह लगता 0क मेहनत इस तरह क3 जाए 0क मां-बाप के kवाब भी परू े ह8 और भ[वyय भी सnु निiचत रहे । )शSक, वक3ल या डॉ1टर कभी cरटायर नह होता...ताउo उनक3 सेवाय( ल जा सकती ह.. बज ु ग ु z क3 दआ ु ओं से वह हुआ और म.ने पीएचडी क3, अGय अहVताएं Rाbत क3ं और एक मानद [वiव[व\यालय म( सहायक Rाeयापक बन गया। बालब=चेदार हो गया...दnु नयादार हो गया...समझदार हो गया...ले0कन Bदल
के कोने म( एक ब=चा, एक 0कशोर, एक यव ु क हमेशा उfसक ु ता से nछपा बैठा रहा. यह मेर Rेरणा है और यह मेर ताकत.
म. अपनी खाला से )मलने काफ3 अरसे बाद आया था। अनप े ाल ू परु म( बस-4ट( ड से लगा है खाला का घर। अDमी के इंतक के व1त खाला )मलने आई थीं। लगभग दस साल बाद उGह( दे खा था। आसमानी रं ग का सलवार-सट ू पहने थीं वो िजस पर सफेद चादर से बदन ढांप रखा था उGह8ने। हमारे खानदान म( बरु के का चलन नह ं है । मेर अDमी भी बरु का नह ं पहनती थीं। िजसे बरु ा लगे या भला, मझ ु े बक ु { का काला रं ग एकदम पसंद नह . जाने कब और कहाँ बक ु { के इस Rा प का चलन श ु हुआ...आजकल शह र8 म( लड0कयां 0कतनी खब ू सरू ती से चेहरा ढाँपती ह.. एक से बढ़कर एक सG ु दर से 4काफV )मलते ह.. |डज़ाइनर-4काफV. िजनसे चेहरा छुपता तो बखब ू ी छुपता है ले0कन लड0कयाँ बक ु { वा)लय8 क3 तरह अजब ू ा नह द खतीं… मेरा उ}ेiय बक ु { क3 बरु ाई करना नह है , ले0कन खाला के घर म( >खसाना को दे ख [वचार यँू ह भटकने लगे थे. मझ ु े अ=छ< तरह मालम ु था 0क खाला के बेटे गल ु ज़ार भाई क3 शाद तो ब हुत पहले खाला क3 cरiतेदार म( ह कह ं हुई थी. 0फर गल ु ज़ार भाई के पहले ब=चे को जGम दे ने क3 बाद लDबी बीमार के बाद वह चल बसी थी. गल ु ज़ार भाई उसके बाद दक ु ानदार और तबल ग जमात के काम 0कया करते थे. एक बार हमारे शहर म( गल ु ज़ार भाई आये थे
एक तबल गी जमात के साथ. शायद 6च?ला (चाल स Bदन) का इबादती सफ़र था. म. जम ु ा क3 नमाज़ के )लए व1त nनकाल ह लेता हूँ. जम ु ा के जम ु ा मस ु लमानी का नवीनीकरण करता रहता हूँ. मोह?ले क3 मि4जद म( मा)सक चGदा भी दे ता हूँ. मि4जद के इमाम, सदरसे ेटर और अGय नमाज़ी मझ ु े काफ3 अदब से दे खते ह.. मेरा आदर करते ह.. [वiव[व\यालय म( Rोफेसर होने के अलग फायदे ह.. समाज के हर तबके से आदर )मलता है . तो गल ु ज़ार भाई ने फोन 0कया था 0क तD ु हारे शहर म( तबल ग के )सल)स ले म( आ रहा हूँ. इसम( जमात छोड़ कह ं घम ू ने0फरने क3 आज़ाद नह होती. इस)लए संभव हो तो मि4जद म( आकर )मलो. जम ु ा क3 नमाज़ से फाcरग होकर हम )मले. अजीबो-गर ब द ख रहे थे गल ु ज़ार भाई. पहले 0कतने ह.डसम हुआ करते थे वो...जींस और ट -शटV के शौक़3न...ले0कन उस Bदन म. उGह( पहचान नह पाया...मेहँद रची दाढ़ , माथे पर काला nनशान, गोल टोपी, लDबा सा कुरता और उठं गा पैजामा…. म. हतRभ रह गया. वैसे मस ु लमान8 क3 ये परDपरागत पोशाक है . ले0कन अपने गल ु ज़ार भाई इस मg ु ा म( )मल(गे ऎसी उDमीद नह थी. मझ ु े हं सी आई. गल ु ज़ार भाई गंभीर Bदखे और मझ ु से हालचाल पछ ू ने क3 जगह दnु नयादार fयाग कर समय रहते द न के राह म( चलने क3 दावत दे ने लगे. तबल ग जमात म( लोग8 को या5ा म( nनकलने क3 गज ु ाcरश करने को ’दा
वत दे ना' कहते ह.. ये Rfयेक तबल गी का काम है 0क वो मस ु लमान8 को द न और धमV का पालन करने क3 दावत द( . उनसे घर छोड़ कर द न क3 राह म( nनकल पड़ने का आWह कर( और गम ु राह म( भटकने से बचा ल( . तबल गी जमात का काम सार दnु नया म( ज़ार है . गल ु ज़ार भाई जैसे धमVRेमी लोग अपने जीवन म( रसल ू क3 सG ु नत( लाने के )लए...अपना आ7खरत (परलोक) संवारने के )लए तबल ग म( दस या चाल स Bदन के )लए घर छोड़ कर [व)भGन क4ब8शहर8 क3 मि4जद8 म( कयाम करते ह.. सादा जीवन, सादा भोजन और इबादत( करते रहते ह.. एक 6च?ला काटने के बाद उनक3 दnु नयावी आदत8 म( द न ऐसा पेव4त हो जाता है 0क एक तरह से उनका कायाक?प हो जाता है . न जाने मझ ु े 1य8 इन तबल गी लोग8 से 6चढ होती है . घरबार छोड़ कर इ4लामी जीवन-प nत सीखना मझ ु े पसंद नह . दnु नया क3 रोज़मराV क3 उलझन8 के बीच रहकर द न पर कायम रहना aयादा कBठन है . खैर...पfनी के nनधन के बाद इंसान म( ऐसी तJद ल आती होगी ऐसा म.ने सोचा था. म.ने गल ु ज़ार भाई क3 बात( eयान से सन ु ी थीं और ह4बे-मामल ू उGह( यह जवाब Bदया--’इंशा-अ?लाह, पहल फुसVत म( एक 6च?ला म. भी काटूँगा...अभी नौकर नई है भाई साहे ब…थोड़ी मह ु लत द( !’ बात आई-गई हुई. गल ु ज़ार भाई से 0फर मेर मल ु ाकात नह हुई.
आज जब खाला के घर म( हूँ. >खसाना मेरे सामने है तो जाने 0कतने खयाल आ-जा रहे ह..
खाला ने मझ ु े उस Bदन जाने न Bदया. म. >क गया. शाम क3 चाय खाला के साथ पी. 0फर खाला पड़ोस म( एक जनाना मीलाद म( चल ग . >खसाना और म. अकेले रह गये. इधर-उधर क3 बात( हु 0फर मेर िजhासा ने जोर मारा और हम म} ु े पर आ गए. >खसाना ने 7झझकते हुए जो 0क4सा बताया उसे सन ु मेरे होश उड़ गए. ये >खसाना क3 दस ू र शाद है. >खसाना क3 पहल शाद िजस यव ु क से हुई, वो अपने पडोस क3 एक BहGद ू लडक3 से bयार करता था. यव ु क ने घर वाल8 के दबाव म( आकर >खसाना से nनकाह तो पढवा )लया था, ले0कन उस BहGद ू लडक3 से अपना संपकV नह तोड़ा था. और एक Bदन नगर म( खबर फ़ैल गई क3 >खसाना का शौहर उस BहGद ू ल डक3 को लेकर कह ं भाग गया है . नगर म( BहGद-ू मिु 4लम फसाद के आसार हो गए. लडक3 का पcरवार नगर के संपGन लोग8 का था. बड़े रसख ू वाले लोग थे वे लोग. >खसाना के शौहर के 7खलाफ लड़क3 भगा ले जाने का अपराध पंजीब हु आ. नगर के कई संगठन इस घटना से nतल)मलाए हुए थे. श ु है तब ’लव-िजहाद' शJद उस क4बे म( नह पहुंचा था. हाँ, कुछ
)सर0फरे ज़ र इस केस को हवा दे ना चाह रहे थे. उनका मानना था 0क मस ु लमान लडक8 म( गम] aयादा होती है , तभी तो वे उं चनीच नह ं दे खते और ऐसी हरकत( कर बैठते ह. 0क उन लोग8 क3 ठुकाई का मन करता है . >खसाना ने बताया 0क ऐसे हालात बन गये थे 0क यBद कोई भी पS थोडा सा भी तनता तो 0फर उस आग म( सब कुछ जल कर भ4म हो जाता. खद ु ा का श ु था 0क दोन8 तरफ समझदार लोग8 क3 संwया अ6धक थी. 0फर भी कई Bदन8 तक दोन8 पS8 म( तनातनी बनी रह . दोन8 समद ु ाय के रसख ू दार लोग8 के बीच नगर म( पंचायत हुई. अब सन ु ते ह. क3 वे लोग घर से भागकर सरू त चले गये थे. यव ु क वहां 0कसी फैकp म( काम करने लगा और दोन8 सक ु ू न से दाDपfय जीवन गज़ ु ार रहे ह.. और जो भी हुआ हो उसके आगे...ले0कन >खसाना अपने मायके वापस आ गई. इनायत मा4साब ने >खसाना के )लए आनन ्-फानन cरiते खोजने लगे. उसी समय गल ु ज़ार भाई क3 बीवी का इGतेकाल हुआ था. गल ु ज़ार भाई क3 पहल बीवी से पैदा संतान अब 4कूल जाने लगी है . ले0कन उस समय तो खाला को काफ3 Bद1कत8 का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे म( मेर अDमी ने खाला से >खसाना Rसंग पर बात क3. >खसाना को दे खने खाला आई थीं और उGह8ने >खसाना को गल ु ज़ार भा ई के बारे म( , अपनी मत ु ज़ार भाई ृ क बहु के बारे म( और गल क3 नGह सी औलाद के बारे म( साफ़-साफ़ बता Bदया था.
>खसाना शाद -Jयाह के मसले से उकता चक ु 3 थी. इस नए cरiते के )लए मान)सक प से वह तैयार नह हो पा रह थी. वह घबरा रह थी, ले0कन 0फर इनायत मा4साब क3 बज ु 6ु गVयत, मोह?ले क3 बतकBहयाँ आBद ने उसे एक नया फैसला लेने Bदया. और घम ु ा-0फरा कर >खसाना का nनकाह एक सादे समारोह म( गल ु ज़ार भाई से हो गया. हम बहुत दे र तक खामोश बैठे रहे और बेददV समय क3 हक3कत को महसस ू करते रहे ......
कहानी : अनवर सह ु ैल
गौ-हfया यह उस Bदन जो हुआ और उसके बाद जो हुआ उसक3 पyृ ठभ)ू म है ...उस Bदन जो हुआ और उसके बाद जो हुआ उसे समझने म( 1या इस पyृ ठभ)ू म से कुछ मदद )मलेगी? वैसे तो कई कारण हुए जब 0कसी मसले पर पS-RnतपS म( म} ु े भटक जाते ह. ले0कन BहGद-ू मस ु लमान वाले मसले पर कोई RnतपS नह ं होता...धरु -[वरोधी [वचारधारा वाले भी एक म} ु े पर एकमत हो जाते ह. और गज़ब का वातावरण तैयार होता है 0क Rशासन के होश उड़ जाते ह.. ऐसे नाज़क ु समय म( समाज के ब[ु जीवी और सयाने हा)शये पर धकेल Bदए जाते ह.. इस मामले म( भी कुछ ऐसा ह हुआ था....और जब इतना तनातनी बनी हुई है तो इस 0क4से को श ु से सन ु ाना ह पड़ेगा. ऐसी साDRदाnयक तनातनी क3 घटना को भी कDयnु न4ट साथी जाने 1य8 बाजारवाद से जोड़ कर दे खते ह.. द Sणपंथी ताकत8 के बढ़ते वचV4व, आ6थVक गैर-बराबर और उदारवाद के [व> ,बगल ु फंू कने का Rयास करते लाल-सलाम साथी कैसे नह ं भांप पाते 0क हमेशा क3 तरह अभी भी समाज वणz म( बंटा हुआ है. जब कार6गल
य ु हो, संसद पर हमला हो या मD ु बई का सीcरयल Jला4ट...ऐसे समय ये सारे तfव एकजट ु होकर दो खेम8 म( बंट जाते ह.....एक खल ु ेआम उ\घोष करने लगता है और दस ू रा )सफV भfसVना के ज़cरये अपनी नाखश ु ी दजV कराता है . इधर-उधर के हं गाम8 से परे शान होकर ये भी दे खा गया है 0क खद ु मिु 4लम वगV भी अपने को अलग-थलग होने से बचाने के )लए मw ु यधारा म( आने वाले बयान ज़ार करता है . जब0क उसक3 मज़Dमत को, उसक3 शहादत8 को उस समय कोई याद नह ं करता और एक ह बात जन-सामाGय म( आम रहती है---“दे खो लोग8 घ|डयाल आंस,ू ,,!” बेनी रपटा वाल घटना का जब परू े तौर पर खल ु ासा हुआ और )सफV मस ु लमान ह nनशाने पर नह ं रहे तब इस बात पर सभी एकमत हुए थे 0क हाँ, बाज़ार का लालच इंसान को अपराध के )लए Rेcरत करता है . तो 1या बाज़ार का बहाना लेकर हम अमानवीयता, ूरता, अनैnतकता जैसी बरु ाइय8 का मBहमामंडन कर( ? जो गलत है सो गलत होगा ह , 0कसी भी तकV से उसे सह नह ं कहा जा सकता....ले0कन Tयि1त गलत या सह इसी समाज से ह सीखता है . समाज ह उसक3 Rयोगशाला है. ऐसे म( अपराधी बनने क3 R0 या म( सं)लbत लोग इस )स ांत को सव पcर मानने लगते ह. 0क जो पकड़ा जाए वह चोर और जो पकड़े जाने से हमेशा बचता रहे या जो पकड़ने वाल8 को लहापBु टया कर रखे वह साहूकार...
तो पकड़े जाने से बचने के तमाम जग ु ाड़ जानने वाल8 को समाज म( मान-आदर भी )मलता है... ऐसा उन तीन8 ने दे खा...समझा..सीखा...और एक चौथे को भी अपने साथ शा)मल 0कया 0क काम इस तरह हो 0क सांप भी मरे और लाठ< भी न टूटे ... ले0कन हर गन ु ाह ऐसे गन ु ाह8 पर भार पड़ता है जो उनने 0कया था.. आतंकवाद और गौहfया ऐसे दो अपराध ह. जो अSDय ह. और सा,बत होने पर मfृ यदं ड से कम पर बात नह ं बननी चाBहए.... इस बात पर सभी एकमत ह....1य0ंू क )सफV बहुसंwयक8 ने ह नह ं बि?क अ?पसंwयक8 ने भी उस माचV, धरना RदशVन म( Bह4सा )लया, hापन स पे थे 0क अपरा6धय8 को पकड़ा जाए और अमनचैन के हfयार8 को सल ू पर लटकाया जाए. अमम ू न आदतन अपरा6धय8 से साठ-गाँठ करके अपराध nनयं5ण करने वाल चौक3 अचानक हरकत म( आई... एसडीएम, कले1टर, एसपी ने मोचाV संभाला. 4थानीय और Rादे )शक अखबार8 के Jयरू ो-चीफ, ट वी Gयज़ के ू संवाददाता हरकत म( आये. मामला
संगीन
है ...मw ु यमं5ी
जानकार चाह रहे ह..
तक
इस
मामले
क3
अ\यतन
अ?पसंwयक घबराए ह. 0क इस बार तो ज़ र बवाल होके रहे गा....ये काम ज़ र टु=चे कुरै )शय8-6चकव8 का है जो धंध-े पानी के )लए कुछ भी कर सकते ह.. अरे , बादशाह8 ने भी अपने जमाने म( गौकशी को माGयता नह ं द थी...0फर थोड़े से धन के लालच म( ये टु=चे 6चकवे-कसाई काहे अमन-चैन म( खलल डालने क3 को)शश करते ह.. हाजी अशरफ साहब ने गांधी चौक पर भार भीड़ को संबो6धत करते हुए कहा---“अब घटना क3 हक3कत चाहे जो हो ले0कन 0कतनी शमVनाक बात है 0क एक मछल सारे तालाब को अगर गंदा करना चाहे गी तो हम उस मछल को ह मार दे ने के पS म( ह....हम( साफ़ सथ ु रा तालाब चाBहए...हमार नगर क3 अंजम ु न कमेट क3 तरफ से Rशासन से अपील है 0क इस गौकशी क3 तfपरता से जांच कर( और दो[षय8 को तीन Bदन के अGदर पकड़(..वनाV हम अnनिiचत काल तक के )लए नगर बंद रख(गे...!” अब चलते ह. उन तीन8 या कह( चार यार8 के बारे म( जान ल( िजनके एडव( चर ने नगर क3 तथाक6थत शािGत को भंग कर Bदया था. तीन लंगोBटया यार.. गाहे -बगाहे एक चौथा भी उनसे आ )मलता... वे अ1सर बेनी नाले के रपटे पर आ )मलते.
नगर जहां खfम होता वहां पहाड़ी के दामन पर एक छोट सी बरसाती नाला है , बेनी नाला…. बाcरश के समय नाला खब ू जोर मारता है , िजससे वन-[वभाग के लोग8 को जंगल क3 तरफ जाने म( परे शानी होती है सो जाने 0कतने प च-वष]य योजनाओं को ठ( गा Bदखाकर बाcरश म( नाला पार करने के )लए एक रपटा बन ह गया. इतनी मान-मनौTवल के बाद बना रपटा साल भर ह म( जजVर हो चक ु ा है . वैसे भी [वकास क3 0कसी भी बयार से अछूता रहता है ये नगर. कोई सध ु लेने वाला नह और कोई सख ु दे ने वाला नह . जब सब जगह ,बजल आ चक ु 3 तो इस नगर म( भी आ गई. जब सब जगह सड़क( बनीं तो इस नगर म( भी बन गई. टे ल फोन, रे लवे जैसी ज रत( भी आगे-पीछे यहाँ तक आ ह ग . आसपास कोयला खदाने खल ु ं तो झक मार के रे लवे लाइन ,बछानी पड़ी..और कोयला ढोने से बचे समय म( उस लाइन पर एक या5ी रे ल भी चल जो पचास 0कलोमीटर दरू एक जं1शन 4टे शन तक अप-डाउन करती है . जहां या5ी आगे क3 या5ा के )लए )लंक पाते और 0फर वह रे ल दरू -दराज से लौटने वाल8 को लेकर वापस आ जाती. यह इस pे न का टाइम-टे ,बल है ...ये जब आती है तभी कह ं जाती है ...नह ं आती तो 0फर कह ं जा भी नह ं पाती. पहा|ड़य8 के दग V रा4त8 म( बाcरश ु म के मौके पर लोग pे न क3 अnनय)मतता से परे शां रहते ह. और 4टे शन के 0कसी कमVचार से पछ ू ो 0क भैया pे न कब आयेगे...तो वे
यह जवाब दे ते ह.—“जब आह तब जाBह..” याने pे न जब आ जाए तो मान लो आ गई और जब चल जाए तो समझो चल गई... इसी नगर म( [वकास क3 स4 ु त र तार अचानक तेज़ गnत म( आ गई...हुआ ये 0क अचानक नगर के कई कोन8 म( बड़े-बड़े टावर उग आये. एक साथ कई मोबाइल नेटवकV कंपnनय8 ने अपना जाल सा ,बछा Bदया. मह न8 पो4टकाडV या अंतद{ शीय प58 के माeयम से सGदे श पाने और भेजने के आद नगरवासी जैसे पगला से गए...एक दम गंवार टाइप के लोग भी कान म( यं5 लगाये ये बोलते पाए गये—“तोर नDबर ला सेव कर लेहे ह8 गा...त. 6चंता मत कर, तोर चाचा ला कBहह8 और तोसे बात करवैबे कcरह8...” 0फर कुछ Bदन8 बाद 1या ब=चे 1या बड़े सभी ऐसे मोबाइल सेट खर द कर उपयोग करने लगे िजसमे तमाम स[ु वधाएँ होती ह.. हर उo के लोग और कोई hान बढाय( या न बढाय(, दे श-दnु नया म( उपलJध यौन-hान ज़ र Rाbत करने लगे. और वे तीन8 दो4त भी मोबाइल के इस जाद ू के 6गर त म( आ गये. एक के पास एक ऐसा मोबाइल सेट था िजससे )सफV बात होती थी, एसएमएस आ-जा सकता था. 0कतना अनाकषVक और घBटया द खता था वो सेट...ले0कन उसमे गाने सन ु ने क3 स[ु वधा भी थी. शाम को जब तीन8 रपटा पर )मलते तो मोबाइल से गाना सन ु ते... “हमका पीनी है पीनी है हमका पीनी है...”
इसका एक अथV ये भी लगाया जा सकता है 0क यदा-कदा ख़श ु ी Rकट करने के )लए या गम गलत करने के )लए वे तीनो पीते भी थे. गोया 0क मौजद ू ा दौर म( पीना कोई बरु बात नह ं है बि?क न पीने वाल8 क3 संwया लगातार घटती जा रह है . जब से |ड4पोजेबल 6गलास बाज़ार म( ,बकने लगे ह. तो उससे अnनयोिजत पीने वाल8 को बड़ी सहूलत )मल है . बस एक छोट सी बोटल जेब म( ठूंसी, दो-चार |ड4पोजेबल 6गलास दस ू र जेब म( डाले, एक पोल 6थन म( पानी क3 बोतल और चखना के प म( नमक3न, चना आBद रखकर कह ं भी बैठकर या चलते-0फरते दा पी जा सकती है. बेनी नाले के रपटे पर बैठ कर बीडी-)सगरे ट पी लेते और कभीकभार गांजे के कश भी मार )लया करते थे. इस तरह से दे खा जाए तो नशा के 0कसी भी साधन को वे ठुकराते नह ं थे. दो4ती इतनी गहर ले0कन वे समल.6गक नह ं थे और अ1सर माल लड0कय8 और चालू औरत8 के बारे म( बात( भी 0कया करते. तीन8 म( से एक शाद -शद ु ा था ले0कन आवारागद के कारण िजसक3 बीवी उसे छोड़कर दस ु रे यव ु क के साथ भाग गई थी. बाक3 के दो कंु वारे थे और ये भी दावा करते 0क शाद नह ं हुई तो 1या हुआ बारात( बहुत दे खी ह. उनने....अथाVत वे जीवन के गोपन रह4य8 से अनजान न थे. सच ू ना ािGत के महा-[व4फोट के बाद अब कुछ भी nछपा नह ं है ...और जो Bदखता है सो ,बकता है .
बेच रह ह. दnु नया भर क3 ताकत( अiल लता, असामािजकता और अपसं4कार.. और इस अपसं4कार को सहज-4वीकायV बना Bदया गया है. पहले जो चीज़( ‘समरथ को नह ं दोष गस ु ा ’ तक सी)मत थीं, अब हर Tयि1त समथV है और 0कतने कम पैसे म( आठ जीबी, सोलह जीबी क3 6चbस उपलJध हो जाती ह. िजनम( अपसं4कार से सं4काcरत करने के असी)मत डाटा घस ु ाए जाते ह. और एक ि1लक पर या 4 3न पर ह?के से 4पशV पर उनका आ4वाद )लया जाता है.
उन तीन8 म( जो शाद -शद ु ा था उसका नाम था स?लू यानी सलमान कुरै शी...यानी बड़े 6चकवा का पांचव( नDबर का बेटा...नगर म( तीन कसाई ह....बड़े 6चकवा, मंझले 6चकवा और छोटे 6चकवा. इन तीन8 का नगर के मांस Tयापार म( नJबे Rnतशत Bह4सा है ...इनके कDपट शन म( रह स भाई आये ले0कन पनप न सके, गल ु ज़ार कसाई का धंधा ज़ र कुछ जमने लगा है . वो भी इस)लए 0क वो उधार का Tयापार करता है . जब0क खाने-पीने वाले कहाँ याद रखते ह. उधार -वध ु ार ...खाए [पए 7खसके, पठान भाई 0कसके... स?लू बचपन से ह सब ु ह-सवेरे अपने अJबू बड़े 6चकवा क3 गा)लयाँ सन ु कर उठता और आँख मलते हुए रे लवे लाइन 0कनारे मटन क3 दक ू ान पर आ जाता. उसक3 यट ू थी दक ु ान क3 सफाई करना और 0फर सरकार नल से बाि?टयाँ भर-भरके पानी लाना और दक ु ान के
बाजू म( रखे आधे Zम को पानी से फुल कर दे ना. इसी बीच रे ल लाईन 0कनारे वह मैदान आBद से भी nनपट लेता है. 0फर जब उसका छटे नDबर का भाई दक ु ान आने लगा तब उसक3 िज़Dमेदार बदल गई. अब वह दक ू ान क3 साफ-सफाई होने के बाद घर से माल लाकर दक ू ान म( बांधता और 0फर जब बड़े 6चकवा माल िजबह करते तो माल क3 खालपोशी करता. खालपोशी के बाद अंत|ड़य8 क3 सफाई करके नाले म( बहाना और अंत|ड़य8 को सहे ज कर दक ू ान म( ,ब 3 के )लए रखना. कोई गाहक सर या पैर खर दने आये तो उसे टे कल करना. खालपोशी करना कोई अ=छा काम नह ं है..साधारण शJद8 म( कहा जाए तो खालपोशी करना माने बकरे क3 चमड़ी ,बना कट -फटे उतारना...मवेशी का चमड़ा ,बकता है ...इसी)लए उसमे खर8च नह ं लगनी चाBहए. खर8च लगी खाल के दाम नह ं )मल पाते. धीरे -धीरे स?लू इस हुनर म( भी उ4ताद हो गया. उसके बाद उसने बाकायदा दक ु ान म( बैठ कर चापड़ से बोBटयाँ काटकर गोiत बेचने क3 कला भी सीख ल . बड़ा ह चतरु सयाना था स?लू जो पलक झपकते ह गाहक क3 नजर के सामने ह इधर का माल उधर कर दे ता और अ=छा-बरु ा )मलाकर गोiत बेचना भी एक कला है ...इस हुनर के कारण उसके अJबू बड़े 6चकवा उसे अब दक ू ान म( बैठाने लगे थे. अपनी 0कशोरवय के कारण वह एक कुशल से?समैन बन गया था और यदा-कदा अपनी सझ से ू -बझ ू सौ-पचास क3 हे राफेर भी कर लेता था. आ7खर रोज़-रोज़ के nनत
नए खच{ के )लए दक ू ान म( nनyठा Bदखाने का ईनाम भी तो चाBहए ह था, वनाV अJबू के हाथ से फूट कौड़ी भी न )मले...आठ-दस जन8 का संय1 ु त पcरवार इसी गोiत क3 दक ू ान से ह तो आजी[वका पाता था.
स?लू इस nतकड़ी का म7ु खया है . स?लू के दोन8 दो4त अ1सर स?लू के कहे अनस ु ार काम करते. स?लू उनका बॉस है. bयार से उसे वे बॉस और कभी भाईजान कहते. उनमे से एक [वiवकमाV था...अशोक [वiवकमाV उफ़V पbप.ू ..पbपू के [पता पहले [RंBटंग Rेस म( कDपोजीटर का काम करते थे. बड़ा ह आँख फोडू काम था वो. बीडी पीते और पेज कDपोज़ करते. 6चमट के सहायता से एक-एक शJद चन ु कर ेम म( 0फर करना. काम अ6धक होता तो रात घर लौटने से पहले ठे के पर जाकर दे सी मार )लया करते. पै,5क संपिfत के बंटवारे से कुछ रा)श )मल तो उGह8ने जोड़-तोड़ कर एक सेकYड है Yड pे |डल मशीन लगा ल . श ु म( अ=छा काम )मलता था ले0कन जब से 4 3न और 0फर आफसेट [RंBटंग Rेस नगर म(
खल ु ,े तब pे |डल के )लए काम )मलना कम हो गया.
उनके पास इतने पैसे तो थे नह ं 0क अपना ऑफसेट Rेस डाल ल( सो पbपू के [पता ने pे |डल मशीन औने-पौने बेचकर साइ0कल
cरपेयर क3 दक ू ान लगा ल . साइ0कल 0कराए पर भी लगाते और मह ने म( चार-पांच नई साई0कल बेच भी लेत.े बगल के कसबे के )सGधी सेठ से वे नई साइ0कल( ले आते और कमीशन पर उGह( बेचते. ये अलग बात है 0क उनका हाथ हमेशा तंग रहता है . पढने-)लखने म( 0फस डी रहने वाला उनका खरु ाफाती पत ू पbपू साइ0कल क3 दक ु ान म( बैठने लगा तो उGह( दप ु हर म( आराम )मलने लगा. पbपू शाम होते ह [पता को दक ू ान और ग?ला स प सीधे बेनी नाले क3 रपटे क3 तरफ इस तरह भागता जैसे कोई नमाज़ी अज़ान क3 आवाज़ सन ु मि4जद क3 तरफ भागता है.....इस रपटे म( ह उसे दnु नया-जहान का hान क3 Rाbत होता है . उनका तीसरा साथी है अंसार जो जग ु नू टे लर मा4टर का बेटा है ..एक जमाने म( जग ु नू टे लर मा4टर बड़े फेमस थे...0फर जब से 4टाइल टे लर क3 शॉप खल ु और ल डे-लफाड़ी 4टाइल म( कपड़े )सलवाने लगे तब जग ु नू टे लर मा4टर को मंद छाई...अंसार के अJबू अपने जमाने के बे4ट टे लर थे...कोट-प( ट [वशेषh ले0कन अब कोट-प( ट भी रे डीमेड )मलने लगे ह...बस 6गने-चन ु े परु ाने गाहक ह. िजनके आडVर )मलते रहने से जग ु नू टे लर क3 दक ू ान म( धल ू नह ं जमने पाती है. शाम के व1त उस रपटे पर इ1का-द1 ु का लोग ह आते... एकदम एकांत वासा..झगडा न झांसा..यह तो नारा था उनका.
Bदन भर इधर-उधर और शाम बेनी नाले पर बने रपटे पर बीतती उनक3. उनका सबसे बड़ा दःु ख ये था 0क उन 0क4मत के मार8 के पास मोबाइल सेट के नाम पर फ़ोन करने, एसएमएस भेजने और गाना सन ु ने क3 स[ु वधा वाला छोटा सा मोबाइल सेट हुआ करता. तीन8 के पास ऐसे ह मोबाइल थे. दे खने म( अनाकषVक और पथर ले से. स?लू कहता—“साला इस मोबाइल को 0कसी के सामने nनकालने पर बेइaजती खराब हो जाती है..” पbपू कभी ,बगड़ता तो बोलता मोबाइल फ(क के मा ंगा...मोबाइल न हुआ जैसे कोई पfथर... अंसार भी अपने बेढंगे मोबाइल से दख ु ी रहता. जब0क नगर म( चार इंच से लेकर साढ़े पांच इंच 4 3न वाले इतने सG ु दर मोबाइल सेट आ गए थे 0क बस एक बार हाथ लगे तो छोड़ने का मन न करे . चाहे तो गान8 क3 [व|डयो दे ख लो, फेसबक ु , TहाLसअप चला लो, यL ू यब ू म( गाने सन ु ो या 0फर उन विजVत वेबसाइट म( घम ू ो-भटको जहां से लौटने को मन न करे . पbपू बोला—“िजसे दे खो मोबाइल क3 4 3न पर ऊँगल से 6च|ड़या उड़ाता रहता है फुरV ..फुरV ...” अंसार कहाँ चप ु रहता---“अबे वे गेम खेलते ह....जानता है म.ने भी अपने एक क4टमर का मोबाइल चलाया है उसमे ऐसा गेम था 0क उसे खेलते हुए सांस रोकनी पडती है ....चक ु े नह ं 0क धडाम से ग ढे म( 6गरे और गेम-ओवर...”
स?लू अपने ल=छे बाल8 को संवारते हुए नाक सड़ ु कते हुए बोला— “अबे, जानते हो मेरे ,बलासपरु वाले जीजा के पास 1या म4त टे ब है ...जानता है जैसे )सनेमा हाल म( [प1चर दे ख रहे ह8...म.ने उनका टे ब झटक )लया और दो घंटे कैसे बीते पता भी नह ं चला...उसमे नेट-पेक भी था...खब ू मजा आया...म.ने उसमे जानते हो दो [व|डयो दे खे...वोई वाले...1या [प1चर 1वा)लट है उसक3...दे ख तो रहा था और मेर “----“ भी फट जा रह थी 0क कह ं कोई आ न जाए...0फर जब उनक3 एक काल आई तो म.ने Bह4p |डल ट करके उनका सेट उGह( वापस कर Bदया...प=चीस हजार का टे ब है उनका...!” स?लू के अनभ ु व सन ु के पbपू और अंसार अवाक रह गये... अब उनके पास एक ह kवाब था...कैसे एक मोबाइल सेट या टे ब उनके हाथ लगे... कम से कम आठ-दस हज़ार >पये तो लग( गे ह कायदे का मोबाइल लेने म( . ले0कन इतना पैसा कहाँ से आयेगा? और पैसे का जग ु ाड़ उGह( अपराध के रा4ते ले गया. बBु ढ़या बकर का माँस ‘अ?ला-कसम एकदम ख4सी का गोiत है ...सॉ)लड..!’ कहके नए लजीले गाहक8 को लपेट Bदया करता. लजीले गाहक माने ऐसे Wाहक जो डरते-सहमते गोiत खर दने पहुँचते ह. 0क aयादा समय न लगे िजससे लोग न जान जाएँ 0क वे भी मांसाहार ह.. ऐसे भी Wाहक होते ह. िजGह( गोiत से मतलब
होता है...जो एकदम नह ं जानते 0क अगले पैर8 को द4त और [पछल टांग8 को रान कहा जाता है. 0क मोटा सीना 1या होता या चांप का गोiत 0कसे कहते ह.. स?लू ऐसे गाहक8 को बखब ू ी पहचानता है और उGह( nछछड़ा वगैरा भी तौल कर दे दे ता है . इस मए ु मोबाइल ने उनके रात क3 नींद और Bदन का चैन छ<न )लया था. एक अदद 4माटV फोन उनके हाथ आ जाता तो कान के साथ उनक3 चSुओं के )लए भी मनोरं जन का साधन )मल जाता. वे और8 क3 तरह अपने 4माटV फोन के सपने दे खा करते. एक शाम जब सरू ज डूब चक ू ा था और धंध ु लका फ़ैल रहा था...अचानक स?लू को एक बकरा चरता Bदखा. शायद झY ु ड से ,बछुड़ा बकरा था. स?लू के Bदमाग म( एक [वचार आया. उसने पbपू और अंसार क3 तरफ दे खा. स?लू भाईजान ग> ु ठहरे ....यिु 1त उसे सझ ू चक ु 3 थी.... स?लू का यिु 1त सन ु कर पbपू और अंसार के होश उड़ गये. ---“अगर भेद खल ु ा या पकडे गये तो...?” ---“कुछ नह ं होगा बे...कालरू ाम है न उसको भी साथ रख ल(गे...उनके ,बरादर म( मरे जानवर का मांस खाया जाता है ...वो एकदम ए1सपटV है इस काम म( ...!” तो ये था उनके ग.ग का चौथा सद4य कालरू ाम.
कालरू ाम, िजसके बारे म( )सफV स?लू ह जानता था 0क वो वा4तव म( करता 1या है ? चँ 0ू क नगर के आ7खर )सरे म( उन लोग8 क3 ब4ती है जहां कई घर8 म( सअ ू र के बाड़े ह.. गGदगी, गर बी, उपेSा क3 )शकार ब4ती. उस ब4ती म( सं ांत Bदन म( जाने से कतराते ह.. जब0क रात म( सड़क के आस-पास क3 वे झोप|ड़यां रगड़े-झगड़े, दे सी दा>, िजGदा और मद ु ाV मांस के )लए मशहूर ह.. कहते ह. 0क ब4ती क3 औरत( रात म( खल ु े आम िज4मफरोशी करती ह.. ब4ती क3 बदबू से परे शान लोग8 को रात-,बरात उस ब4ती क3 औरत8 म( जाने कहाँ से सौदयV और मादकता नज़र आ जाती है .
अमम ू न
प)ु लस वाल8 क3 रे ड वहां पड़ती ह रहती है . कह ं चोर nछनैती हो तो प)ु लस का पहला छापा इनक3 बि4तय8 म( पड़ता है . जाने 0कतने Bह4p -शीटर इस ब4ती के प)ु लस के खाते म( दजV ह.. इस ब4ती के लोग8 से चार पैसे छ<ंट कर कोई भी काम करवाया जा सकता है . इसी)लए 4थानीय दा> के ठे के वाले ह8 या 0फर )सनेमा हाल वाले...इस ब4ती के ल ड8 को भरती करके रखती ह....ता0क उनके Rnतyठान8 म( शांnत-Tयव4था कायम रह सके. नगर म( कह ं भी कोई जानवर मरा हो और बदबू फ़ैल रह हो तो इस ब4ती म( भागे-भागे आओ और सम4या का समाधान पाओ. अरे , अब न इतने न)स ग होम बन गये ह. वरना एक जमाने म( तो यहाँ क3 चमाईन-दाईयाँ सेठ-महाजन8 तक के घर Rसव कराती और नेग पाती थीं.
कालरू ाम का नाम सन ु कर पbपू और अंसार आiव4त हुए 0क उसके रहने से काम आसान हो जाएगा. स?लू के आfम[वiवास भरे चेहरे को 0कसी )स -प> ु ष क3 तरह दोन8 ताक रहे थे. इस)लए उGह( स?लू भाईजान पर भरोसा है ... स?लू ने आँख मार कर कहा--“मोबाइल चाBहए 0क नह ं बेटा...कुछ पाने के )लए कुछ खोना भी पड़ सकता है जानेमन...ऐसे आँख फाड़-फाड़ कर मझ ु े न दे खो, और मौके क3 तलाश म( रहो...लोहा गरम हो तभी हथोड़ा मारना चाBहए...!”
वे चार8 आ7खर पकड़े गये. जनता के जोरदार संघषV और धरना-RदशVन का पcरणाम था 0क साल8 से ठं डाई प)ु लस-Rशासन ने ज़बरद4त गमVजोशी Bदखलाई और हfयार8 को 6गर तार कर ह )लया. और इस 6गर तार ने जैसे तमाम जझ ु ा RदशVनकाcरय8 को ठं डा कर Bदया. एक अजीब सGनाटा सा छा गया नगर म( . गन ु ाहगार8 के पकडे जाने के बाद अचानक बहुसंwयक शांत हो गये और नगर म( फैला तनाव समाbत हो गया. कहाँ तो अ?पसंwयक8 को टाग{ट बनाकर ज़बरद4त भड़काऊ नारे लगाये जा रहे थे और प)ु लस ने िजन लोग8 को पकड़ कर जनता के समS R4तत ु 0कया उससे तो जैसे उन लोग8 को सांप संघ ू गया.
स?लू उफ़V सलमान, अशोक [वiवकमाV उफ़V पbप,ू अंसार और कालरू ाम. इन चार8 ने जो बयान प)ु लस को Bदया वह बयान प5कार8 को भी Bदया. प5कार-वाताV म( प5कार8 के अलावा नगर के ऐसे यव ु ा भी शा)मल थे िजGहोन( 4व4थ और 4व=छ समाज nनमाVण का संक?प )लया था. इससे पहले ये यव ु ा नगर क3 धा)मVक, सां4कृnतक गnत[व6धय8 म( बढ़-चढ़ के Bह4सा लेते थे. इधर उनके मन ये [वiवास गहराता जा रहा है 0क दे श के )लए इससे सG ु दर अवसर 0फर आये न आये इस)लए बरस8 से मन म( दबी इ=छाओं को, अधरू े 4वbन8 को परू ा 0कया जाए. गवV से जाने कब से कहते तो आ रहे थे 0क वे इस दे श क3 बहुसंwयक आबाद को अपने गौरवशाल अतीत क3 अनभ ु nू त करा द( गे. तब उनके नारे म( बहुसंwयक-वाद क3 बू थी. इस)लए जब उGह( yटाचार-म1 ु त भारत और सवा गीण [वकास का नारा )मला तो जैसे उनके Bदन 0फर गए... अपरा6धय8 के पकड़े जाने से अ?पसंwयक समाज ने भी चैन क3 सांस ल . ऐसी ह चैन क3 सांस ल थी मिु 4लम समाज ने इंBदरा गांधी क3 हfया के बाद...बड़े दहशत म( थे लोग 0क कह ं हfयारा कोई )मयां न हो... जब ि1लयर हुआ 0क इंBदरा गांधी के से1यcु रट )सपाBहय8 ने ह उनक3 हfया क3 है जो 0क )सख ह. और आपरे शन Jलू 4टार का बदला ले रहे ह..
वैसे भी दnु नया भर म( ये बात कायम हो चक ु 3 है 0क मिु 4लम समाज एक बंद समाज है , द0कयानस है , Rगnत और [वकास ू [वरोधी है, अतीत-जीवी, Rnत0 यावाद और मढ़ ू समाज है . इसके पास सार दnु नया म( कोई माकूल ल डर)शप नह ं है. ये आम तौर पर अस य, लडाकू, बेवफा, बद)मजाज होते ह.. 0फर इस म? ु क म( एक कबीर आये और उGह8ने कहा—“Bदन म( रोज़ा रखत ह., रात हनत ह. गाय...” तो ये बात जगजाBहर हो गई 0क मस ु लमान गौमांस का सेवन करते ह. और गौ-हfया करने वाल8 के साथ कैसा भाईचारा, इन लोग8 पर कैसा [वiवास. अरे ऎसी कौम है ये िजसम( सfता पाने के )लए भाई क3 fया कर द जाती है, बादशाह बाप को कैद म( डाल Bदया जाता है . जब0क सामािजक अeययन बताता है 0क बीफ से )सफV दे श का मिु 4लम वगV ह नह ं जड़ ु ा है . ईसाई, द)लत भी इससे जड़ ु े हुए ह.. Rोट न का सबसे ोत है म? ु क म( बीफ ले0कन राजnनnतक व ु ीकरण ने इस बीफ क3 आड़ म( मिु 4लम समाज को nनशाना बनाने का काम सोची-समझी 4क3म के साथ 0कया. वैसे भी ये सवV-[वBदत है 0क दnु नया म( पहले-पहल मस ु लमान कह ं भी नह ं थे... यहूद थे, सनातनी BहGद ू थे, ईसाई थे, आBदवासी थे ले0कन मस ु लमान एक भी नह ं थे दnु नया म(. ये मस ु लमान चौदह सौ साल पव ू V अरब क3 ज़मीन से सार दnु नया म( एकेiवर-वाद का नया नारा लेकर फैलते चले गये. ईसाई और
मस ु लामान8 के बीच धमVय ु लड़े गये. ईसाई इलाक8 म( तेजी से धमाVGतरण हुआ. इ)स)लये इ4लाम के इस बढ़ते Rभाव को य ु और तलवार से जोड़ा गया. ुसेड का [वलोम शJद
िजहाद दnु नया
म( आया और अब तक इसक3 Tयाwयाएं होती रहती ह.. इ4लाम के इस बढ़ते Rभाव ने इस समाज के Rnत कई पव ू ाVWह भी फैलाए. अ1सर उ ृत 0कया जाता है 0क लव-िजहाद, बलात धमV-पcरवतVन, चार शाBदयाँ और बेशम ु ार ब=च8 के कारण ये मस ु मान पहले तो 0कसी म? ु क म( अ?पसंwयक के तौर पर रहते ह. 0फर आबाद [व4फोट करके वहां के बहुसंwयक8 का जीना मह ु ाल कर दे ते ह.. इसी)लए हमेशा शक क3 nनगाह से दे खे जाते ह..
उन चार8 के पकड़े जाने से पहले तक जो [व4फोटक माहौल बना हुआ था अचानक शांत हो गया 1य80क इस Rकरण म( दो )मयाँ और दो BहGद ू यव ु क पकड़े गये थे और उन लोग8 ने इकबाले-जम ु V भी कर )लया था. जो शक 0कया जा रहा था 0क गौ-हfया के इस जघGय अपराध को मस ु लामान8 ने 0कया उस धारणा को [वराम )मला. अब आGदोलनकार लोग ये कहते पाए गए के भईया, घोर कलजग ु है ...घोर कलजग ु ... स?लू ने मी|डया को जो बताया उसका लJबो-लआ ु ब ये था 0क 4माटV फोन के )लए उGह( पैसे चाBहए थे. एक बड़ी रकम.
,बना
गलत काम 0कये एक साथ इतनी बड़ी रकम कैसे आये सो बेनी
नाला पर बने रपटा म( जो योजना बनी 0क मौके क3 ताक म( रहा जाए और तमाम पcरि4थnतयाँ अनक ु ू ल ह8 िजस दम ये काम अंजाम Bदया जाए. स?लू ने कई Bदन8 एक बात गौर से दे खी थी 0क आ7खर पेpोल पDप के बगल म( बसे पं|डत जी क3 गैया अ1सर दे र तक चरती रहती है. उसने कालरू ाम को तैयार रहने को कहा था 0क िजस Bदन मौका लगा वह फोन करके उसे बल ु ाएगा. कालरू ाम औजार लेकर पंgह )मनट के अGदर आ जायेगा. हुआ वह ...एक शाम जब सब तरफ सGनाटा पसर चक ु ा था. 6च|ड़या अपने बसेर8 म( आ )समट ं और सवV5 शािGत छा गई थी तब स?लू ने पbपू और अंसार को कहा 0क तम ु दोन8 गैया को वापस लौटने न दो. उसे 0कसी न 0कसी बहाने नाले के उ?ट तरफ हं कालते रहो. 0फर उसने कालरू ाम को फोन 0कया. पंgह )मनट म( कालरू ाम अपनी साइ0कल पर औज़ार )लए हािज़र हो गया. 0फर उन लोग8 ने वो घ7ृ णत काम अंजाम Bदया िजसके कारण नगर अशांत हुआ और दो समद ु ाय8 के बीच खाई और गहरा गई. बड़े शाnतर थे वे ले0कन प)ु लस क3 तfपरता से वे धरा गये. पांच हज़ार >पये और पांच 0कलो गौ-मांस भी उनके पास से बरामद हुआ था, िजसे वे Bठकाने नह ं लगा पाए थे...
अनवर सह ु ैल (०९ अ1टूबर १९६४ छfतीसगढ़) दो उपGयास दो कथा संWह दो क[वता संWह Rका)शत
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