Gurutva jyotish apr 2015

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गुरुत्ल कामा​ा रम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका

NON PROFIT PUBLICATION

अप्रैर-2015

.


FREE E CIRCULAR

गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका वॊ ऩादक

अप्रैर-2015

सचॊतन जोळी वॊ ऩका

गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग

गुरुत्ल कामा​ारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA

पोन

91+9338213418, 91+9238328785,

ईभे र gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, लेफ www.gurutvakaryalay.com http://gk.yolasite.com/ www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

ऩत्रिका प्रस्तुसत

सचॊ तन जोळी, स्लत्स्तक.ऎन.जोळी पोटो ग्राफपक्व

सचॊ तन जोळी, स्लत्स्तक आटा शभाये भु ख्म वशमोगी

स्लत्स्तक.ऎन.जोळी (स्लत्स्तक वोफ्टे क इत्न्डमा सर)

गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका भं रेखन शे तु फ्रीराॊव (स्लतॊि) रेखकं का स्लागत शं ...

गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका भं आऩके द्राया सरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, पंगळुई,

टै यं,

ये की

एलॊ

अन्म

आध्मात्त्भक सान लधाक रेख को प्रकासळत कयने शे तु बेज वकते शं । असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।

GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com


अनु क्र भ शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण का चभत्काय

7

राङ्गूरास्त्र ळिुज्जम शनुभत ् स्तोि

42

वयर उऩामं वे काभना ऩूसता

8

॥ श्री आज्ज्ने म अद्शोत्तयळत नाभालसर् ॥

44

वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजा

9

भन्दात्भकॊ भारुसतस्तोिभ ्

45

ऩॊचभुखी शनुभान का ऩूजन उत्तभ परदामी शं

11

|| श्री शनुभत ् स्तलन ||

45

शनुभान जी को सवॊदयू क्मं अत्मासधक त्रप्रम शं ?

12

|| वॊकट भोचन शनुभानाद्शक ||

46

शनुभानजी के ऩूजन वे कामासवत्रि

13

शनुभत्ऩञ्रत्न स्तोिभ ्

46

शनुभान फाशुक क ऩाठ योग ल कद्श दयू कयता शं

15

॥ भारुसतस्तोिभ ् ॥

47

जफ शनुभानजी ने वूमा को पर वभझा!

20

॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥

47

नटखट फारशनुभान

21

श्री शनुभान वशस्त्रनभालसर्

48

भॊिजाऩ वे ळास्त्रसान

22

॥ रान्गूरोऩसनऴत ्॥

57

भॊि सवि लाशन दघ ु ाटना नाळक भारुसत मॊि

23

॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ् ॥

59

शनुभान भॊि वे बम सनलायण

24

॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ ् ॥

60

|| शनुभान आयती ||

24

॥ श्री शनुभान वशस्त्रनाभस्तोिभ ् ॥

61

जफ शनुभान जी ने तोडा़ ळसनदे ल का घभॊड!

25

॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ ् ॥

65

वला सवत्रिदामक शनुभान भन्ि

26

॥आऩदि ु ायक श्रीशनूभत्स्तोिभ ् ॥

65

शनुभान आयाधना के प्रभुख सनमभ

28

॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ ् ॥

66

स्लमॊप्रबा ने की याभदत ू शनुभान की वशामता?

30

॥श्रीशनुभद्धध्मानभ ् भाकाण्डे मऩुय ाणत्॥

70

|| श्री शनुभान चारीवा ||

31

॥श्रीशनुभत्स्तोिभ ् व्मावतीथात्रलयसचतभ ् ॥70

70

॥ फजयॊ ग फाण ॥

32

॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृतभ ् ॥

71

श्री एक भुखी शनुभत ् कलच

33

अषम तृसतमा (अखातीज 21-अप्रैर-2015)

72

श्री ऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ ्

37

अप्रैर-2015 के प्रभुख व्रत-ऩला

74

श्री वद्ऱभुखी शनुभत ् कलचभ ्

39

लरुसथनी एकादळी 15 अप्रैर 2015

76

एकादळभुखी शनुभान कलच

41

भोफशनी एकादळी 29 अप्रैर 2015

77

स्थामी औय अन्म रे ख वॊऩादकीम

4

दैसनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका

101

अप्रैर 2015 भासवक ऩॊचाॊग

86

फदन के चौघफडमे

102

अप्रैर 2015 भासवक व्रत-ऩला- त्मौशाय

88

फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमा​ास्त तक

103

ग्रश चरन अप्रैर-2015

104

अप्रैर 2015-त्रलळे ऴ मोग

101


त्रप्रम आत्त्भम फॊधु/ फफशन जम गुरुदे ल आज शय व्मत्रि अऩने जीलन भे वबी बौसतक वुख वाधनो की प्रासद्ऱ के सरमे बौसतकता की दौड भे बागते शुए फकवी न फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शै। एलॊ व्मत्रि उव वभस्मा वे ग्रस्त शोकय जीलन भं शताळा औय सनयाळा भं फॊध जाता शै।

व्मत्रि उव वभस्मा वे असत वयरता एलॊ वशजता वे भुत्रि तो चाशता शै ऩय मश वफ के वे शोगा? उव की उसचत जानकायी के अबाल भं भुि शो नशीॊ ऩाते। औय उवे अऩने जीलन भं आगे गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शोता। एवे भे वबी प्रकाय के दख ु एलॊ कद्शं को दयू कयने के सरमे अचुक औय उत्तभ उऩाम शै शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण का ऩाठ…

क्मोफक लताभान मुग भं श्री शनुभानजी सळलजी के एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो अऩने बिो के वभस्त दख ु ो को शयने भे वभथा शै। श्री शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बिो के वाये वॊकट दयू शो जाते शं। क्मोफक इनकी ऩूजा-अचाना असत वयर शै, इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे अत्मॊत रोकत्रप्रम शै। इनके भॊफदय दे ळ-त्रलदे ळ वलि त्स्थत शं। अत् बिं को ऩशुॊचने भं अत्मासधक कफठनाई बी नशीॊ आती शै। शनुभानजी को प्रवन्न कयना असत वयर शै शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रि बी त्रफना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा अचाना वे अऩनी दै सनक फदनचमा​ा वे थोडा वा वभम सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩये ळानी वे भुत्रि सभर जाती शै। इव लऴा 2015 भं शनु भ ान जमॊ त ी 4 अप्रैर , ळसनलाय को शं ।

लैव े तो शनुभानजी की ऩूजा शेत ु अनेको त्रलसध-त्रलधान प्रचरन भं शं ऩय मशा वाधायण व्मत्रि जो वॊऩण ू ा

त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन नशीॊ कय वकते लश व्मत्रि वयर त्रलसध-त्रलधान वे कय वके इव उदे श्म वे इव अॊक भं शभने वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजन त्रलसध दळा​ाने का प्रमाव फकमा शं।

धभा ळास्त्रो त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन औय वाधना त्रलसबन्न रुऩ वे फकमे जा वकते शं। शनुभानजी का

एकभुखी, ऩॊचभुखीऔय एकादळ भुखीस्लरूऩ के वाथ शनुभानजी का फार शनुभान, बि शनुभान, लीय शनुभान, दाव शनुभान, मोगी शनुभान आफद प्रसवि शै। फकॊ तु ळास्त्रं भं श्री शनुभान के ऐवे चभत्कारयक स्लरूऩ औय चरयि की बत्रि का भशत्ल फतामा गमा शै,

भान्मता के अनुळाय ऩॊचभुखीशनुभान का अलताय बिं का कल्माण कयने के सरए शुला शं। शनुभान के ऩाॊच

भुख क्रभळ:ऩूल,ा ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत शं।

ऩॊचभुखीशनुभानजी का अलताय भागाळीऴा कृ ष्णाद्शभी को भाना जाता शं। रुद्र के अलताय शनुभान ऊजा​ा के

प्रतीक भाने जाते शं। इवकी आयाधना वे फर, कीसता, आयोग्म औय सनबॉकता फढती शै।

याभामण के अनुवाय श्री शनुभान का त्रलयाट स्लरूऩ ऩाॊच भुख ऩाॊच फदळाओॊ भं शं। शय रूऩ एक भुख लारा,

त्रिनेिधायी मासन तीन आॊखं औय दो बुजाओॊ लारा शै। मश ऩाॊच भुख नयसवॊश, गरुड, अद्व, लानय औय लयाश रूऩ शै।


शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूल,ा ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत भाने गएॊ शं।

ऩॊचभुख शनुभान के ऩूल ा की ओय का भुख लानय का शं। त्जवकी प्रबा कयोडं वूमो के तेज वभान शं। ऩूल ा

भुख लारे शनुभान का ऩूजन कयने वे वभस्त ळिुओॊ का नाळ शो जाता शै।

ऩत्द्ळभ फदळा लारा भुख गरुड का शं। जो बत्रिप्रद, वॊकट, त्रलघ्न-फाधा सनलायक भाने जाते शं। गरुड की तयश

शनुभानजी बी अजय-अभय भाने जाते शं।

शनुभानजी का उत्तय की ओय भुख ळूकय का शै। इनकी आयाधना कयने वे अऩाय धन-वम्ऩत्रत्त,ऐद्वमा, मळ,

फदधा​ामु प्रदान कयने लार ल उत्तभ स्लास्​्म दे ने भं वभथा शं। शनुभानजी का दत्षणभुखी स्लरूऩ बगलान नृसवॊश का शै। जो बिं के बम, सचॊता, ऩये ळानी को दयू कयता शं।

श्री शनुभान का ऊधध्लभुख घोडे के वभान शं। शनुभानजी का मश स्लरुऩ मा जी ा जी की प्राथाना ऩय प्रकट शुआ

था। भान्मता शै फक शमग्रीलदै त्म का वॊशाय कयने के सरए ले अलतरयत शुए। कद्श भं ऩडे बिं को ले ळयण दे त े शं । ऐवे ऩाॊच भुशॊ लारे रुद्र कशराने लारे शनुभान फडे कृ ऩारु औय दमारु शं।

शनुभानजी के अनेको फदव्म चरयि फर, फुत्रि कभा, वभऩाण, बत्रि, सनद्षा, कताव्म ळीर जैव े आदळा गुणो वे मुि

शं। अत् श्री शनुभानजी के ऩूजन वे व्मत्रि भं बत्रि, धभा, गुण, ळुि त्रलचाय, भमा​ादा, फर , फुत्रि , वाशव इत्मादी गुणो का बी त्रलकाव शो जाता शं।

त्रलद्रानो के भतानुळाय शनुभानजी के प्रसत दढ आस्था औय अटू ट त्रलद्वाव के वाथ ऩूणा बत्रि एलॊ वभऩाण की

बालना वे शनुभानजी के त्रलसबन्न स्लरूऩका अऩनी आलश्मकता के अनुळाय ऩूजन-अचान कय व्मत्रि अऩनी वभस्माओॊ वे भुि शोकय जीलन भं वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शं।

भनोकाभना की ऩूसता शेत ु कौन वी शनुभान प्रसतभा का ऩूजर कयना राबप्रद यशेगा। इव जानकायी वे

आऩको अलगत कयाने का प्रमाव फकमा जायशा शं।

इव अॊक भं प्रकासळत कलच वे वॊफॊसधत जानकायीमं के त्रलऴम भं वाधक एलॊ त्रलद्रान ऩाठको वे

अनुयोध शं , मफद दळा​ामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामं के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भं, फडजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाळन भं कोई िुफट यश गई शो, तो उवे स्लमॊ वुधाय रं मा फकवी मोग्म ज्मोसतऴी, गुरु मा त्रलद्रान वे वराश त्रलभळा कय रे । क्मोफक

त्रलद्रान ज्मोसतऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के सनजी अनुबल त्रलसबन्न भॊि , द्ऴोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालं का लणान कयने भं बेद शोने ऩय उवके प्रबालं भं सबन्नता वॊबल शं ।

काभना सवत्रि शे तु फक जाने लारी लारी ऩूजन त्रलसध एलॊ

आऩका जीलन वु खभम, भॊ गरभम शो शनु भान जी की कृ ऩा आऩके ऩरयलाय ऩय फनी यशे । शनु भान जी वे मशी प्राथना शं …

सचॊतन जोळी


6

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अप्रैर-2015

शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत वूचना *****

 ऩत्रिका भं प्रकासळत शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक भं दे ली उऩावना वे वॊफसॊ धत रेख गुरुत्ल कामा​ारम के असधकायं के वाथ शी आयत्षत शं।  शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक भं लत्णात रेखं को नात्स्तक/अत्रलद्वावु व्मत्रि भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शं।  दे ली उऩावना का त्रलऴम आध्मात्भ वे वॊफसॊ धत शोने के कायण बायसतम धभा ळास्त्रं वे प्रेरयत शोकय प्रस्तुत फकमा शं।

 शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभात्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामा​ारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं।  शनुभान जमॊसत वे वॊफसॊ धत वबी जानकायीकी प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी कामा​ारम मा वॊऩादक की नशीॊ शं औय ना शीॊ प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी के फाये भं जानकायी दे ने शेत ु कामा​ारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शं।  शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं। फकवी बी व्मत्रि त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।  शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत फकवी बी प्रकाय की आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।  शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळध ॊ ान के आधाय ऩय फदए गमे शं। शभ फकवी बी व्मत्रि त्रलळेऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे शनुभान जमॊसत, भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नफशॊ रेत े शं। मश त्जन्भेदायी शनुभान जमॊसत, भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्रि फक स्लमॊ फक शोगी।  क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक भानदॊ डं, वाभात्जक, कानूनी सनमभं के त्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्लाथा ऩूसता शेत ु प्रमोग कता​ा शं अथला प्रमोग के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकू र ऩरयणाभ वॊबल शं।  शनुभान जमॊसत त्रलळेऴाॊक वे वॊफसॊ धत जानकायी को भाननने वे प्राद्ऱ शोने लारे राब, राब की शानी मा शानी की त्जन्भेदायी कामा​ारम मा वॊऩादक की नशीॊ शं।  शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी दे ली उऩावना की जानकायी एलॊ भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे शं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा कलच, भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शं। असधक जानकायी शेत ु आऩ कामा​ारम भं वॊऩका कय वकते शं। (वबी त्रललादो के सरमे के लर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)


अप्रैर-2015

7

शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण का चभत्काय

 सचॊतन जोळी आज शय व्मत्रि अऩने जीलन भे वबी बौसतक

“मश नातो वुसन वुनाइ फात शै ना फकवी फकताफ

वुख वाधनो की प्रासद्ऱ के सरमे बौसतकता की दौड भे

भे सरखी फात शै , मश स्लमॊ शभाया सनजी एलॊ शभाये वाथ

बागते शुए फकवी न फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शै । एलॊ

जुडे रोगो के अनुबत शै । ”

सनयाळा भं फॊध जाता शै ।

उऩमोगी जानकायी

व्मत्रि उव वभस्मा वे ग्रस्त शोकय जीलन भं शताळा औय

व्मत्रि उव वभस्मा वे असत वयरता एलॊ वशजता वे भुत्रि तो चाशता शै ऩय मश वफ केवे शोगा? उव की उसचत जानकायी के अबाल भं भुि शो नशीॊ ऩाते । औय उवे अऩने जीलन भं आगे गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शोता। एवे भे वबी प्रकाय के दख ु एलॊ कद्शं को दयू कयने के सरमे अचुक औय उत्तभ उऩाम शै शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण का ऩाठ…

शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण शी क्मु ? क्मोफक लताभान मुग भं श्री शनुभानजी सळलजी के एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो अऩने बिो के वभस्त दख ु ो को शयने भे वभथा शै । श्री शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बिो के वाये वॊक ट दयू शो जाते शं । क्मोफक इनकी ऩूज ा-अचाना असत वयर शै , इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे अत्मॊत रोकत्रप्रम शै । इनके भॊफदय दे ळ -त्रलदे ळ वलि त्स्थत शं । अत् बिं को ऩशुॊचने भं अत्मासधक कफठनाई बी नशीॊ आती शै । शनुभानजी को प्रवन्न कयना असत वयर शै शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रि बी त्रफना फकवी त्रलळे ऴ ऩूजा अचाना वे अऩनी दैसनक फदनचमा​ा वे थोडा वा वभम सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩये ळानी वे भुत्रि सभर जाती शै ।

शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के सनमसभत ऩाठ वे शनुभान जी की कृऩा प्राद्ऱ कयना चाशते शं उनके सरए प्रस्तुत शं कुछ उऩमोगी जानकायी ..  सनमसभत योज वुबश स्नान आफदवे सनलृत शोकय स्लच्छ कऩडे ऩशन कय शी ऩाठ का प्रायम्ब कये ।  सनमसभत ऩाठ भं ळुिता एलॊ ऩत्रलिता असनलामा शै ।  शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ कयते वभम धूऩ-दीऩ अलश्म रगामे इस्वे चभत्कायी एलॊ ळीघ्र प्रबाल प्राद्ऱ शोता शै ।  दीऩ वॊबल न शोतो के लर ३ अगयफत्ती जराकय शी ऩाठ कये ।  कुछ त्रलद्रानो के भत वे त्रफना धूऩ वे शनुभान चारीवा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ प्रबाल फशन शोता शै ।  मफद वॊबल शो तो प्रवाद केलर ळुि घी का चढाए अन्म था न चढाए  जशा तक वॊबल शो शनुभान जी का सवर्ा सचि (पोटो) यखे।  मफद घय भे अरग वे ऩूजा घय की व्मलस्था शो तो लास्तुळास्त्र के फशवाफ वे भूसता यखना ळुब शोगा। नशी तो शनुभान जी का सवर्ा सचि (पोटो) यखे।  मफद भूसता शो तो ज्मद फडी न शो एलॊ सभट्टी फक फनी नशी यखे।  भूसता यखना चाशे तो फे शतय शै सवर्ा फकवी धातु मा ऩत्थय की फनी भूसता यखे।


अप्रैर-2015

8

शनुभान जी का पोटो/ भूसता ऩय वुखा सवॊदयू रगाना

कामा उदे श्म की ऩूसता के सरमे मा जन कल्माण शे तु कये ।

चाफशए। 

सनमसभत ऩाठ ऩूणा आस्था, श्रिा औय वे ला बाल वे की

रोग गरत उच्चायण कयते शै । जो अन उसचत शै ।

यखे। सवर्ा दे ल ळत्रि की आजभाइव के सरमे मश ऩाठ न कये ।

मा फकवी को शासन, नुक्वान मा कद्श दे ने के उदे श् म वे कोइ

वभम के अबाल शो तो ज्मादा ऩाठ कयने फक अऩे षा एक शी ऩठ कये ऩय ऩूणा सनद्षा औय श्रिा वे कये ।

ऩूजा ऩाठ नकये ।

ऩाठ वे ग्रशं का अळुबत्ल ऩूणा रूऩ वे ळाॊत शो जाता शै ।

एवा कयने ऩय दे ल ळत्रि मा इद्वयीम ळत्रि फुय ा प्रबाल

मफद जीलन भे ऩये ळानीमाॊ औय ळिु घे ये शुए शै एलॊ आगे कोइ यास्ता मा उऩाम नशीॊ वुझ यशा तो डये नशी सनमसभत

डारती शै मा अऩना कोइ प्रबाग नफश फदखाती! एवा शभने

ऩाठ कये आऩके वाये दख ु -ऩये ळानीमाॊ दयू शोजामे गी अऩनी

प्रत्मष दे खा शै । 

ज्मादातय दे खा गमा शै की १ वे असधक फाय ऩाठ कयने के उदे श्म वे वभम के अबाल भे जल्द वे जल्द ऩाठ कने भे

जानी चाफशए। उवभे फकवी बी तयश की वॊका मा वॊदेश न 

वभस्त दे ल ळत्रि मा इद्वयीम ळत्रि का प्रमोग के लर ळुब

आस्था एलॊ त्रलद्वाव फनामे यखे।

एवा प्रमोग कयने लारो वे शभाय त्रलनम्र अनुय ोध शै कृप्मा मश ऩाठ नकये ।

वयर उऩामं वे काभना ऩूसता  भनोकाभना ऩूसता के फकवी बी भॊगरलाय मा ळुबफदन का चमन कय शनुभानजी को प्रसतफदन ऩाॉ च

रार पूर अत्रऩात कय भनोकाभना की प्राथाना कयं । मफद प्रसतफदन वॊबल न शो तो प्रत्मेक भॊगरलाय को मश प्रमोग कयं ।

 कोटा कचशयी अथा​ात भुकदभं भं त्रलजम प्रासद्ऱ के सरए भॊगर लाय के फदन शनुभानजी सचि मा प्रसतभा के वभीऩ श्री शनुभा मॊि को स्थात्रऩत कय उवके वाभने

फजयॊ ग फाण के 51 ऩाठ कयं ।

 मफद धन त्स्थय नशीॊ यशता शो, तो शनुभानजी के भॊफदय भं तीन भॊगरलाय तक 7 फताळे, 1 जनेऊ, 1 ऩान अत्रऩात कयं फयकत फढने रगेगी।

 मफद दला आफद वे योग ळाॊत न शो यशा शो तफ ळसनलाय को वूमा​ास्त के वभम शनुभानजी के भॊफदय जाकय शनुभान जी को वाद्शाॊग दण्डलत ् प्रणाभ कयं उनके चयणं का सवॊदयू घय रे आमं। घय राकय इव भॊि वे उव सवन्दयू को असबभॊत्रित कयं -

“भनोजलॊ भारुततुल्मलेगॊ, त्जतेत्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षॊ।

लातात्भजॊ लानयमूथभुख्मॊ श्रीयाभदत ू ॊ ळयणॊ प्रऩद्ये।।”

असबभॊत्रित सवन्दयू का योगी के भस्तक सतरक रगा दं , योगी की शारतभ ळीघ्र वुधाय शोने

रगेगा।

 ळसन-वाढ़े वाती के ळाॊसत के सरए श्री शनुभान की ऩूजा-अचाना तथा तेर मुि सवॊदयू अऩाण कय बत्रिऩूलाक ळसनलाय का व्रत कयना चाफशए।


अप्रैर-2015

9

वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजा

 सचॊतन जोळी इव करमुग भं वला​ासधक दे लता के रुऩ भं श्री याभबि शनुभानजी की शी ऩूजा की जाती शं क्मंफक शनुभानजी को करमुग का जीलॊत अथा​ात वाषात दे लता भाना गमा शं । धभा ळास्त्रं के अनुवाय शनुभानजी का जन्भ चैि भाव

की ऩूत्णाभा के फदन शुआ था। इव सरमे प्रसतलऴा चैि भाव

की ऩूत्णाभा का ऩला शनुभान जमॊती के रूऩ भं भनामा जाता शै । लऴा 2015 भं शनु भान जमॊ त ी 4 अप्रै र , ळसनलाय को शं । लैवे तो शनुभानजी की ऩूजा शे तु अने को त्रलसध-त्रलधान प्रचरन भं शं ऩय मशा वाधायण व्मत्रि जो वॊऩूणा त्रलसधत्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन नशीॊ कय वकते लश व्मत्रि मफद इव त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कये तो उन्शं बी ऩूणा पर प्राद्ऱ शो वकता शं ।

श्रीशनु भ ान ऩू ज न त्रलसध शनुभानजी का ऩूजन कयते वभम वफवे ऩशरे ऊन के आवन ऩय ऩूला फदळा की ओय भुख कयके फैठ जाएॊ।

इवके ऩद्ळमात चालर औय पूर शनुभानजी को अत्रऩात कय दं । आलाह्न: शाथ भं पू र रे क य इव भॊि का उच्चायण कयते शुए श्री शनुभानजी का आलाह्न कयं ।

उद्यत्कोट्मका वॊकाळभ ् जगत्प्रषोबकायकभ ्। श्रीयाभत्रघ्रध्मानसनद्षभ ् वुग्रीलप्रभुखासचातभ ्॥ त्रलन्नावमन्तभ ् नादे न याषवान ् भारुसतभ ् बजे त ्॥ ॐ शनुभते नभ: आलाशनाथे ऩुष्ऩात्ण वभऩामासभ॥ इवके ऩद्ळमात पूरं को शनुभानजी को अत्रऩात कय दं । आवन:

इव भॊि वे शनुभानजी का आवन अत्रऩा त कयं । आवन शे तु कभर अथला गुराफ का पूर अत्रऩात कयं । तद्ऱकाॊचनलणा​ाबभ ् भुिाभत्णत्रलयात्जतभ ्।

शनुभानजी की छोटी प्रसतभा अथला सचि स्थात्रऩत कयं ।

अभरभ ् कभरभ ् फदव्मभावनभ ् प्रसतगृह्यताभ ्॥

इवके ऩद्ळात शाथ भं अषत (अथा​ात त्रफना टू टे चालर)

आचभनी:

एलॊ पूर रे कय इव भॊि वे शनुभानजी का

इवके

ध्मान:

तीन फाय जर छोड़ें।

अतुसरतफरधाभभ ् शे भळैराबदे शभ ् दनुजलनकृळानुभ ् सासननाभग्रगण्मभ ्। वकरगुणसनधानभ ् लानयाणाभधीळभ ् यघुऩसतत्रप्रमबिभ ् लातजातभ ् नभासभ॥ ॐ शनुभते नभ: ध्मानाथे ऩुष्ऩात्ण वभाऩमासभ॥

ऩद्ळमात

इन

भॊिं

का

उच्चायण

कयते

शुए

शनुभानजी के वम्भुख बूसभ ऩय अथला फकवी फतान भं

ॐ शनुभते नभ:, ऩाद्यभ ् वभऩामासभ॥ अध्र्मभ ् वभऩामासभ। आचभनीमभ ् वभऩामासभ॥ स्नान: इवके ऩद्ळमात शनुभानजी की भूसता को गॊगाजर अथला ळुि जर वे स्नान कयलाएॊ तत्ऩद्ळात ऩॊचाभृत (घी, ळशद,


अप्रैर-2015

10

ळक्कय, दध ू ल दशी ) वे स्नान कयलाएॊ। ऩुन: एक फाय

नै ले द्य (प्रवाद):

ळुि जर वे स्नान कयलाएॊ।

इवके ऩद्ळमात केरे के ऩत्ते ऩय मा फकवी कटोयी भं ऩान

लस्त्र:

तत्ऩद्ळात ऋतुपर इत्माफद अत्रऩात कयं । (प्रवाद भं चूय भा,

के ऩत्ते ऩय प्रवाद यखं औय शनुभानजी को अत्रऩात कय दं

इवके ऩद्ळमात अफ इव भॊि वे शनुभानजी को लस्त्र अत्रऩात कयं ल लस्त्र के सनसभत्त भौरी बी चढ़ाएॊ -

फुॊदी अथला फे वन के रडडू मा गुड़े चढ़ाना उत्तभ यशता शै ।) इवके

ऩद्ळमात

भुखळुत्रि

शे तु

रंग-इराइचीमुि

ऩान

चढ़ाएॊ।

ळीतलातोष्णवॊिाणॊ रज्जामा यषणभ ् ऩयभ ्। दे शारकयणभ ् लस्त्रभत: ळाॊसत प्रमच्छ भे ॥

दत्षणा: ऩूजा का ऩूणा पर प्राद्ऱ कयने के सरए इव भॊि को फोरते

ॐ शनुभते नभ:, लस्त्रोऩलस्त्रॊ वभऩामासभ॥

शुए शनुभानजी को दत्षणा अत्रऩात कयं -

ऩु ष् ऩ:

ॐ फशयण्मगबागबास्थभ ् दे लफीजभ ् त्रलबालवं:।

इवके ऩद्ळमात शनुभानजी को अद्श गॊध, सवॊदयू , कुॊकुभ,

अनन्तऩुण्मपरदभत: ळाॊसत प्रमच्छ भे ॥

चालर, पूर ल शाय अत्रऩात कयं ।

शनुभते

नभ:,

ऩूजा

वापल्माथं

द्रव्म

दत्षणाॊ

वभऩामासभ॥

धुऩ -फदऩ: इवके ऩद्ळमात इव भॊि के वाथ शनुभानजी को धूऩ -दीऩ

आयसत:

इवके फाद एक थारी भं कऩूाय एलॊ घी का दीऩक जराकय

फदखाएॊवाज्मभ ् च लसतावॊमुिभ ् लफह्नना मोत्जतभ ् भमा।

शनुभानजी की आयती कयं ।

दीऩभ ् गृशाण दे लेळ िैरोक्मसतसभयाऩशभ ्॥

इव प्रकाय के ऩूजन कयने वे बी शनुभानजी असत प्रवन्न शोते शं । इव त्रलसध-त्रलधान वे फकमे गमे ऩूजन वे बी

बक्त्मा दीऩभ ् प्रमच्छासभ दे लाम ऩयभात्भने । िाफश भाभ ् सनयमाद् घोयाद् दीऩज्मोसतनाभोस्तु ते ॥ ॐ शनुभते नभ:, दीऩॊ दळामासभ॥

बिगण

शनुभाजी

की

ऩूणा

कृऩा

प्रद्ऱ

कय

अऩनी

भनोकाभना ऩूय ी कय वकते शं । इव भं रे व भाि बी वॊवम नशीॊ शं । वाधक की शय भनोकाभना ऩूय ी कयते शं ।

ग्रश ळाॊसत शे तु त्रलळेऴ भॊि सवि कलच कारवऩा ळाॊसत कलच

2800

भाॊगसरक मोग सनलायण कलच

1250

सवि गुरु कलच

550

ळसन वाड़े​ेव ाती औय ढ़ैमा कद्श सनलायण कलच

1900

नलग्रश ळाॊसत

910

सवि ळुक्र कलच

550

श्रात्रऩत मोग सनलायण कलच

1900

सवि वू मा कलच

550

सवि ळसन कलच

550

चॊडार मोग सनलायण कलच

1450

सवि भॊ गर कलच

550

550

ग्रशण मोग सनलायण कलच

1450

सवि फुध कलच

सवि याशु कलच

550

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अप्रैर-2015

11

ऩॊचभुखी शनुभान का ऩूजन उत्तभ परदामी शं

 सचॊतन जोळी ळास्त्रो त्रलधान

वे

शनुभानजी का ऩूजन औय

वाधना त्रलसबन्न रुऩ वे फकमे जा वकते शं । शनुभानजी

का

एकभुखी, ऩॊचभुखीऔय

शनुभानजी का उत्तय की ओय भुख ळूकय का शै । इनकी आयाधना कयने वे अऩाय धन-वम्ऩत्रत्त,ऐद्वमा, मळ,

एकादळ

फदधा​ामु प्रदान कयने लार ल उत्तभ स्लास्​्म दे ने भं वभथा

भुखीस्लरूऩ के वाथ शनुभानजी का फार शनुभान, बि

शं । शनुभानजी का दत्षणभुखी स्लरूऩ बगलान नृसवॊश का

शनुभान, लीय शनुभान, दाव शनुभान, मोगी शनुभान आफद

शै । जो बिं के बम, सचॊता, ऩये ळानी को दयू कयता शं ।

प्रसवि शै । फकॊतु ळास्त्रं भं श्री शनुभान के ऐवे चभत्कारयक

श्री शनुभान का ऊधध्लभुख घोडे के वभान शं ।

स्लरूऩ औय चरयि की बत्रि का भशत्ल फतामा गमा शै ,

शनुभानजी का मश स्लरुऩ मा जी ा जी की प्राथाना ऩय प्रकट

त्जववे बि को फे जोड़े ळत्रिमाॊ प्राद्ऱ शोती शै । श्री शनुभान

शुआ था। भान्मता शै फक शमग्रीलदैत्म का वॊशाय कयने के

का मश रूऩ शै - ऩॊचभुखी शनुभान। भान्मता के अनुळाय ऩॊचभुखीशनुभान का अलताय

सरए ले अलतरयत शुए। कद्श भं ऩडे बिं को ले ळयण दे ते शं । ऐवे ऩाॊच भुॊश लारे रुद्र कशराने लारे शनुभान फडे

बिं का कल्माण कयने के सरए शुला शं । शनुभान के ऩाॊच

कृऩारु औय दमारु शं ।

भुख क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भं

शनु भतभशाकाव्म भं ऩॊचभुख ीशनुभान के फाये भं एक कथा शं ।

प्रसतत्रद्षत शं ।

एक फाय ऩाॊच भुॊश लारा एक बमानक याषव प्रकट शुआ।

ऩॊचभुखीशनुभानजी का अलताय भागाळीऴा कृष्णाद्शभी

को भाना जाता शं । रुद्र के अलताय शनुभान ऊजा​ा के

उवने तऩस्मा कयके मा जी ाजीवे लयदान ऩामा फक भे ये रूऩ

जैवा शी कोई व्मत्रि भुझे भाय वके। ऐवा लयदान प्राद्ऱ

प्रतीक भाने जाते शं । इवकी आयाधना वे फर, कीसता,

कयके लश वभग्र रोक भं बमॊकय उत्ऩात भचाने रगा।

आयोग्म औय सनबॉकता फढती शै ।

वबी दे लताओॊ ने बगलान वे इव कद्श वे छुटकाया सभरने

याभामण के अनुवाय श्री शनुभान का त्रलयाट स्लरूऩ

की प्राथाना की। तफ प्रबु की आसा ऩाकय शनुभानजी ने

ऩाॊच भुख ऩाॊच फदळाओॊ भं शं । शय रूऩ एक भुख लारा,

लानय, नयसवॊश, गरुड, अद्व औय ळूकय का ऩॊचभुख स्लरूऩ

त्रिने िधायी मासन तीन आॊखं औय दो बुजाओॊ लारा शै ।

धायण

मश ऩाॊच भुख नयसवॊश , गरुड, अद्व, लानय औय लयाश रूऩ

ऩॊचभुखीशनुभान की ऩूजा-अचाना वे वबी दे लताओॊ की

शै । शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण

उऩावना के वभान पर सभरता शै । शनुभान के ऩाॊचं

ऩॊचभुख शनुभान के ऩूला की ओय का भुख लानय

आसधबौसतक तीनं ताऩं को छुडाने लारी शं । मे भनुष्म के

का शं । त्जवकी प्रबा कयोडं वूमो के ते ज वभान शं । ऩूला

वबी त्रलकायं को दयू कयने लारे भाने जाते शं । बि को

औय ऊधध्ल फदळा भं प्रसतत्रद्षत भाने गएॊ शं ।

भुख लारे शनुभान का ऩूजन कयने वे वभस्त ळिुओॊ का नाळ शो जाता शै ।

फकमा।

इव

सरमे

एवी

भान्मता

शै

फक

भुखं भं तीन-तीन वुॊदय आॊखं आध्मात्त्भक, आसधदैत्रलक तथा

ळिुओॊ का नाळ कयने लारे शनुभानजी का शभे ळा स्भयण

कयना चाफशए। त्रलद्रानो के भत वे ऩॊचभुखी शनुभानजी की

ऩत्द्ळभ फदळा लारा भुख गरुड का शं । जो बत्रिप्रद,

उऩावना वे जाने -अनजाने फकए गए वबी फुये कभा एलॊ

वॊकट, त्रलघ्न-फाधा सनलायक भाने जाते शं । गरुड की तयश

सचॊतन के दोऴं वे भुत्रि प्रदान कयने लारा शं । ऩाॊच भुख

शनुभानजी बी अजय-अभय भाने जाते शं ।

लारे शनुभानजी की प्रसतभा धासभाक औय तॊि ळास्त्रं भं बी फशुत शी चभत्कारयक परदामी भानी गई शै ।


अप्रैर-2015

12

शनुभान जी को सवॊदयू क्मं अत्मासधक त्रप्रम शं ?

 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी शनुभान जी को सवॊदयू अत्मासधक त्रप्रम शै । जो

वीता जी की फाय वुनकय शनुभानजी वोचने रगे

बि शनुभान जी को सवॊदयू बं ट कयता शै उव ऩय शनुभान

फक, भाता वीता के जया वा सवॊदयू रगाने वे याभजी को

जी अलश्म प्रवन्न शोते शं ।

दीधा​ामु प्राद्ऱ शोगी तो, भं बी अऩने स्लाभी की फदधा​ामु की

कसरमुग भं शनुभान वाषात दे ल शं , जो थोडी वी

काभना वे अऩनी ऩूये ळयीय ऩय सवॊदयू रगाऊ तो भे ये

बत्रि एलॊ आयाधना वे असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शं । ळास्त्रंि

स्लाभी की आमु औय असधक शो जाएगी, याभजी अजय

भत के अनुवाय शनुभान जी बगलान श्री याभ की आसा

अभय शो जामे गे औय उनकी कृऩा वदैल भुझ ऩय फनी

वे करमुग भं धभा की यषा के सरए ऩृ्ली ऩय सनलाव

यशे गी। मश वंच कय श्रीयाभ का ध्मान कयते शुए शनुभान

कयते शं । शनुभान जी को श्रीयाभ जी वे लयदान प्राद्ऱ शै

जी ने अऩने ऩूये ळयीय ऩय सवॊदयू रगाना प्रायॊ ब कय

फक करमुग भं अन्म दे लताओॊ की अऩे षा लश असधक

फदमा। इवी घटना के कायण बगलान शनुभानजी को सवॊदयू

प्रबालळारी शंगे। मफश कायण शं की बायत दे ळ के प्राम्

चढ़ाने की प्रथा प्रायॊ ब शुई।

शय छोटे -फडे ळशय मा गाॊल भं शनुभान जी के भॊफदय

वयवं के ते र भं सवॊदयू सभराकय शनुभान जी को

अलश्म ऩामे जाते शं । ज्मोसतऴ के जानकायो की भाने तो

रे ऩ कयने वे ळसन औय भॊगर की ऩीड़ेा वे भुत्रि सभरती

शनुभान जी के ऩूजन वे बिं को ळसन औय भॊगर ग्रश

शं । ते र ळसन औय सवॊदयू भॊगर की लस्तु शं । भॊगर औय

के कद्शो वे भुत्रि सभरती शं ।

ळसन दोनं शी ग्रश शनुभान जी की कृऩा के ऩाि शं इव

जो बि शनुभानजी को सवॊदयू अत्रऩात कयता शै

सरए इन दोनो ग्रशो की ऩीडा़ वे ळाॊसत सभरती शं । (कुछ

उववे शनुभान जी प्रवन्न शोते शं औय वबी इच्छाएॊ ऩूणा

त्रलद्रानो का भत शं की ते र ळसन की लस्तु शं अत्

कयते शं ।

चभे री, सतर का ते र मा अन्म ते र बी प्रमोग भं सरमा

शनुभानजी को सवॊदयू क्मं अत्रऩात फकमा जाता शै

जा वकता शं ।)

इव वॊफॊध भं कथाएॊ प्रचसरत शं , रे फकन प्रभुख कथा भाता

ज्मोसतऴ के अनुवाय ळसन की वाढ़े वाती औय

वीता वे जुडी शं , जो इव प्रकाय शं ..

ढैय्मा भं अळुब प्रबाल वे यषा के सरए शनुभानजी को

यालण लध के ऩद्ळात जफ श्रीयाभ, रक्ष्भण, वीता, शनुभान

सवॊदयू का चोरा अलश्म चढाना चाफशए शं ।

एलॊ वे ना अन्म वफशत वबी अमोध्मा लाऩव रौटे । श्रीयाभ

कुछ त्रलद्रानो का भत शं की मफद कोई बि वद्ऱाश

जी के याज्मासबऴे क के ऩद्ळात एक फदन शनुभानजी ने

भं

के लर

दो फदन भॊगरलाय औय ळसनलाय को शी

दे खा फक भाता वीता अऩनी भाॊग भं सवॊदयू रगा यशी शं ।

शनुभानजी का त्रलसधलत ऩूजन कय रे ता शं , तो उवके

उन्शं दे ख कय उत्वुकता वे फजयॊ गफरी ने भाता वीता वे

जीलन की त्रलसबन्न वभस्माएॊ स्लत: शी वभाद्ऱ शोने रग

सवॊदयू रगाने का कायण ऩूछ ा। तफ भाता वीता ने फतामा

जाएॊगी। फजयॊ गफरी को प्रवन्न कयने के वयर उऩाम भं

फक इव प्रकाय सवॊदयू रगाने वे भे ये स्लाभी दीधा​ामु शंगे

श्रीयाभ भॊि का जऩ, वुॊदयकाॊड मा शनुभान चासरवाभ

औय उन्शं स्लस्थ जीलन की प्रासद्ऱ शोगी।

फजयॊ गफाण का ऩाठ इत्माफद कयना श्रेद्ष शै ।


अप्रैर-2015

13

शनुभानजी के ऩूजन वे कामासवत्रि

 सचॊतन जोळी, स्लत्स्तक.ऎन.जोळी फशन्द ू धभा भं श्री शनुभानजी प्रभुख दे ली-दे लताओ भं वे एक प्रभुख दे ल शं । ळास्त्रोि भत के अनुळाय शनुभानजी को रूद्र (सळल) अलताय शं । शनुभानजी का ऩूजन मुगो-मुगो वे अनॊत कार वे शोता आमा शं । शनुभानजी को कसरमुग भं

याभ बि शनुभान स्लरुऩ: याभ बत्रि भं भग्न शनुभानजी की उऩावना कयने वे जीलन के भशत्ल ऩूणा कामो भं आ यशे वॊकटो एलॊ फाधाओॊ को दयू कयती शं एलॊ अऩने रक्ष्म को प्राद्ऱ कयने शे तु आलश्मक एकाग्रता ल अटू ट रगन प्रदान कयने

प्रत्मष दे ल भानागमा शं । जो थोडे वे ऩूजन-अचान वे अऩने

लारी शोती शै ।

बि ऩय प्रवन्न शो जाते शं औय अऩने बि की वबी प्रकाय के

वॊ ज ीलनी ऩशाड़े सरमे शनु भ ान स्लरुऩ: वॊजीलनी ऩशाड़े

द्ु ख, कद्श, वॊकटो इत्मादी का नाळ शो कय उवकी यषा कयते शं ।

शनुभानजी का फदव्म चरयि फर,

फुत्रि कभा, वभऩाण, बत्रि, सनद्षा, कताव्म

उठामे शुए शनुभानजी की उऩावना कयने वे व्मत्रि को प्राणबम, वॊकट, योग इत्मादी शे तु राबप्रद भानी गई शं । त्रलद्रानो के भत वे त्जव प्रकाय शनुभानजी ने रषभणजी के प्राण फचामे

ळीर जैवे आदळा गुणो वे मुि शं । अत्

थे उवी प्रकाय शनुभानजी अऩने बिो के

श्री शनुभानजी के ऩूजन वे व्मत्रि भं बत्रि,

धभा,

गुण,

ळुि

प्राण की यषा कयते शं एलॊ अऩने बि

त्रलचाय,

के फडे वे फडे वॊकटो को वॊत्जलनी

भमा​ादा, फर , फुत्रि, वाशव इत्मादी

ऩशाड़े की तयश उठाने भं वभथा शं ।

गुणो का बी त्रलकाव शो जाता शं । त्रलद्रानो

के

ध्मान भग्न शनु भ ान स्लरुऩ:

भतानुळाय

शनुभानजी का ध्मान भग्न स्लरुऩ

शनुभानजी के प्रसत दढ आस्था औय

व्मत्रि को वाधना भं वपरता प्रदान

अटू ट त्रलद्वाव के वाथ ऩूणा बत्रि एलॊ

कयने लारा, मोग सवत्रि मा प्रदान कयने

वभऩाण की बालना वे शनुभानजी के

लारा भानागमा शं ।

त्रलसबन्न स्लरूऩका अऩनी आलश्मकता के अनुळाय ऩूजन-अचान कय व्मत्रि अऩनी वभस्माओॊ वे भुि शोकय जीलन भं वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शं । भनोकाभना की ऩूसता शे तु कौन वी शनुभान प्रसतभा का ऩूजर कयना राबप्रद यशे गा। इव जानकायी वे आऩको अलगत कयाने का प्रमाव फकमा जायशा शं । शनुभानजी के प्रभुख स्लरुऩ इव प्रकाय शं ।

याभामणी शनु भ ान स्लरुऩ: याभामणी शनुभानजी का स्लरुऩ त्रलद्याथॉमो के सरमे त्रलळे ऴ राब प्रद शोता शं । त्जव प्रकाय याभामण एक आदळा ग्रॊथ शं उवी प्रकाय शनुभानजी के याभामणी स्लरुऩ का ऩूजन त्रलद्या अध्मन वे जुडे रोगो के सरमे राबप्रद शोता शं ।

शनु भानजी का ऩलन ऩु ि स्लरुऩ: शनुभानजी का ऩलन ऩुि स्लरुऩ के ऩूजन वे आकत्स्भक दघ ु ाटना, लाशन इत्माफद की वुय षा शे तु उत्तभ भाना गमा शं । शनुभानजी के उव स्लरुऩ का ऩूजन कयने वे


14

लीयशनु भ ान स्लरुऩ: लीयशनुभान स्लरुऩ भं शनुभानजी

मोिा भुद्राभं शोते शं । उनकी ऩूॊछ उत्त्थत (उऩय उफठउई) यशती शै ल दाफशना शाथ भस्तककी ओय भुडा यशता शै । कबीकबी उनके ऩैयं के नीचे याषवकी भूसता बी शोती शै ।

अप्रैर-2015

उत्तय फदळा भं दे ली दे लताओॊ का लाव शोता शं , अत् उत्तयभुखी दे ल प्रसतभा ळुब परदामक ल भॊगरभम, वकर वम्ऩत्रत्त प्राद्ऱ शोती शं । वकर वम्ऩत्रत्त की प्रासद्ऱ शोती शै ।

शनु भ ानजी का दत्षणभु ख ी स्लरुऩ: दत्षणभुखी

लीयशनुभान का ऩूजन बूता-प्रे त, जाद-ू टोना इत्माफद आवुय ी

शनुभानजी की उऩावना कयने वे व्मत्रि को बम, वॊकट,

याभ वे लक शनुभान स्लरुऩ: शनुभानजी की श्री याभजी की

अनुळाय दत्षण फदळा भं कार का सनलाव शोता शं । सळलजी

ळत्रिमो वे प्राद्ऱ शोने लारे कद्शो को दयू कयने लारा शं ।

वे लाभं रीन शनुभानजी की उऩावना कयने वे व्मत्रि के सबतय वे ला औय वभऩाण के बाल की लृत्रि शोती शं । व्मत्रि के सबतय

धभा, कभा इत्माफद के प्रसत वभऩाण औय वे ला की बालना सनभा​ाण कयने शे तु ल व्मत्रि के सबतय वे क्रोघ, इऴा​ा अशॊ काय इत्माफद बाल के नाळ शे तु याभ वे लक शनुभान स्लरुऩ उत्तभ भाना गमा शं ।

शनु भानजी का उत्तयाभुखी स्लरुऩ: उत्तयाभुखी शनुभानजी की उऩावना कयने वे वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ शोकय जीलन धन, वॊऩत्रत्त वे मुि शो जाता शं । क्मोफक ळास्त्रो के अनुळाय

भानसवक सचॊता इत्मादी का नाळ शोता शं । क्मोफक ळास्त्रो के कार को सनमॊिण कयने लारे दे ल शं शनुभानजी बगलान सळल के अलताय शं अत् शनुभानजी की ऩूजा-अचाना कयने वे राब प्राद्ऱ शोता शं । जाद-ू टोना, भॊि-तॊि इत्माफद प्रमोग दत्षणभुखी शनुभान की प्रसतभा के वभुख कयना त्रलळे ऴ राबप्रद शोता शं ।

दत्षणभुखी शनुभान का सचि दत्षण भुखी बलन के भुख्म द्राय ऩय रगाने वे लास्तु दोऴ दयु शोते दे खे गमे शं । जाद-ू टोना, भॊि-तॊि इत्माफद प्रमोग प्रभुखत: ऐवी भूसताके

शनु भानजी का ऩू लाभुखी स्लरुऩ: ऩूलाभुखी शनुभानजी का ऩूजन कयने वे व्मत्रि के वभस्त बम, ळोक, ळिुओॊ का नाळ शो जाता शै ।

द्रादळ भशा मॊि

मॊि को असत प्रासचन एलॊ दर ु ाब मॊिो के वॊकरन वे शभाये लऴो के अनुवॊधान द्राया फनामा गमा शं ।

 ऩयभ दर ु ाब लळीकयण मॊि,

 वशस्त्राषी रक्ष्भी आफि मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि

 भनोलाॊसछत कामा सवत्रि मॊि

 ऩूणा ऩौरुऴ प्रासद्ऱ काभदे ल मॊि

 याज्म फाधा सनलृत्रत्त मॊि

 योग सनलृत्रत्त मॊि

 गृशस्थ वुख मॊि

 वाधना सवत्रि मॊि

 ळीघ्र त्रललाश वॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 ळिु दभन मॊि

उऩयोि वबी मॊिो को द्रादळ भशा मॊि के रुऩ भं ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ चैतन्म मुि फकमे जाते शं । त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩूजा अचाना-त्रलसध त्रलधान त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं ।

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अप्रैर-2015

शनुभान फाशुक क ऩाठ योग ल कद्श दयू कयता शं

 सचॊतन जोळी, शनुभान फाशुक की यचना वॊत गोस्लाभी तुरवीदावजी ने

यवना दवनानन । कत्रऩव केव कयकव रॊगयू , खर-दर-

सरए

भूय सत त्रलकट । वॊताऩ ऩाऩ ते फश ऩुरुऴ ऩफश वऩने शॉ ु नफशॊ

अऩीन दाफशनी फाशु भं शुई अवह्य ऩीड़ेा के सनलायण के की

थी।

शनुभान

फाशुक

भं

तुरवीदावजी ने

शनुभानजी की भफशभा का सचॊतन ल तुरवीदावजी के

फर-बानन ॥ कश तुरसवदाव फव जावु उय भारुतवुत आलत सनकट ॥२॥

वलाअॊगो भं शो यशी ऩीड़ेा की सनलृसत की प्राथाना शै ।

झूर ना

शनुभान फाशुक सवि वॊत गोस्लाभी तुरवीदावजी के द्राया

ऩञ्चभुख-छ्भुख बृग ु भुख्म बट अवुय वुय , वला वरय

त्रलयसचत सवि स्तोि शै ।

वभय वभयत्थ वूय ो । फाॊकुयो फीय त्रफरुदैत त्रफरुदालरी, फे द

शनुभान फाशुक का ऩाठ फकवी बी प्रकाय की आसध–व्मासध

फॊदी फदत ऩैजऩूय ो ॥ जावु गुनगाथ यघुनाथ कश जावुफर,

प्रकाय के ळिु द्राया फकमे शुए दद्श ु सबचाय कभा की सनलृसत

दल ु न दर दभन को कौन तुरवीव शै , ऩलन को ऩूत

जे वी ऩीड़ेा, बूत, ऩे त, त्रऩळाच, जे वी उऩासध तथा फकवी बी

त्रफऩुर जर बरयत जग जरसध झूय ो ।

के सरए शनुभान फाशुक का सनमसभत ऩाठ तथा अनुद्षान

यजऩूत रुयो ॥३॥

श्रेद्ष उऩाम शं । अनुद्षान के वभम एकाशाय अथला पराशाय कये । ऩूणा मा जी चमा आफद का ऩारन औय बूसभ ळमन कयं ।

शनुभानजी का ऩूज न औय शनुभान फाशुक के ऩाठ

का अनुद्षान 40 फदन तक कयने वे अबीद्श पर की सवत्रि अथला योग, कद्श इत्माफद का सनलायण शो जाता शै । नोट: जो व्मत्रि अनुद्षान कयने

भं

अवभथा शो लश

प्रसतफदन शनुभान फाशुक का श्रिा अनुळाय ऩाठ कयके बी राब प्राद्ऱ कय वकते शं ।

छप्ऩम

शनुभान फाशुक

सवॊध ु तयन, सवम-वोच शयन, यत्रफ फार फयन तनु । बुज त्रफवार, भूय सत कयार कारशु को कार जनु ॥ गशन-दशनसनयदशन रॊक सन्वॊक , फॊक -बुल । जातुधान-फरलान भानभद-दलन ऩलनवुल ॥ कश तुरसवदाव वे लत वुरब वे लक फशत वन्तत सनकट । गुन गनत, नभत, वुसभयत जऩत वभन वकर-वॊकट-त्रलकट ॥१॥ स्लना-वैर-वॊकाव कोफट-यत्रल तरुन ते ज घन । उय त्रलवार बुज दण्ड चण्ड नख-लज्रतन ॥ त्रऩॊग नमन, बृकुटी कयार

घनाषयी

बानुवं ऩढ़न शनुभान गए बानुभन, अनुभासन सववु के सर फकमो पेय पायवो । ऩासछरे ऩगसन गभ गगन भगन भन, क्रभ को न भ्रभ कत्रऩ फारक त्रफशाय वो ॥ कौतुक त्रफरोफक रोकऩार शरयशय त्रलसध, रोचनसन चकाचंधी सचत्तसन खफाय वो। फर कंधो फीय यव धीयज कै , वाशव कै , तुरवी वयीय धये वफसन वाय वो ॥४॥ बायत भं ऩायथ के यथ केथू कत्रऩयाज, गाज्मो वुसन कुरुयाज दर शर फर बो । कह्यो द्रोन बीऴभ वभीय वुत भशाफीय, फीय-यव-फारय-सनसध जाको फर जर बो ॥ फानय वुबाम फार के सर बूसभ बानु रासग, परॉ ग पराॉग शूतं

घाफट नब तर बो । नाई-नाई-भाथ जोरय-जोरय शाथ जोधा जो शं , शनुभान दे खे जगजीलन को पर बो ॥५॥

गो-ऩद ऩमोसध करय, शोसरका ज्मं राई रॊक , सनऩट सन्वॊक ऩय ऩुय गर फर बो । द्रोन वो ऩशाय सरमो ख्मार

शी उखारय कय, कॊ दक ु ज्मं कत्रऩ खेर फे र कै वो पर बो ॥ वॊकट वभाज अवभॊजव बो याभ याज, काज जुग ऩूगसन


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को कयतर ऩर बो । वाशवी वभत्थ तुरवी को नाई जा की फाॉश, रोक ऩार ऩारन को फपय सथय थर बो ॥६॥

भोदक दद ु ान बो । आयत की आयसत सनलारयफे को सतशॉ ु ऩुय , तुरवी को वाशे फ शठीरो शनुभान बो ॥११॥

कभठ की ऩीफठ जाके गोडसन की गाड़ें भानो, नाऩ के

वे लक स्मोकाई जासन जानकीव भानै कासन, वानुकूर

बाजन बरय जर सनसध जर बो । जातुधान दालन ऩयालन

वूरऩासन नलै नाथ नाॉक को । दे ली दे ल दानल दमालने ह्वै

को दग ु ा बमो, भशा भीन फाव सतसभ तोभसन को थर बो ॥

जोयं शाथ, फाऩुये फयाक कशा औय याजा याॉक को ॥ जागत

जाको प्रफर अनर बो । बीऴभ कशत भे ये अनुभान

एक आॉ क को । वफ फदन रुयो ऩयै ऩूय ो जशाॉ तशाॉ ताफश,

कुम्बकयन यालन ऩमोद नाद ईधन को, तुरवी प्रताऩ

वोलत फैठे फागत त्रफनोद भोद, ताके जो अनथा वो वभथा

शनुभान, वारयखो त्रिकार न त्रिरोक भशाफर बो ॥७॥

जाके शै बयोवो फशमे शनुभान शाॉक को ॥१२॥

दत ू याभ याम को वऩूत ऩूत ऩौनको तू, अॊजनी को नन्दन

वानुग वगौरय वानुकूर वूरऩासन ताफश, रोकऩार वकर

वयन आमे अलन रखन त्रप्रम प्राण वो ॥ दवभुख दव ु श

सतरोक ताफश, तुरवी तभाइ कशा काशू फीय आनकी ॥

वो । सान गुनलान फरलान वे ला वालधान, वाशे फ वुजान

कत्रऩ करुनासनधान की । फारक ज्मं ऩासर शं कृऩारु भुसन

उय आनु शनुभान वो ॥८॥

सविता को, जाके फशमे शुरवसत शाॉक शनुभान की ॥१३॥

दलन दल ु न दर बुलन त्रफफदत फर, फे द जव गालत त्रफफुध

करुनासनधान

फॊदी छोय को । ऩाऩ ताऩ सतसभय तुफशन सनघटन ऩटु , वे लक

गुनसान के सनधान शौ । फाभ दे ल रुऩ बूऩ याभ के वने शी,

वयोरुश वुखद बानु बोय को ॥ रोक ऩयरोक तं त्रफवोक

नाभ, रे त दे त अथा धभा काभ सनयफान शौ ॥ आऩने प्रबाल

वऩने न वोक, तुरवी के फशमे शै बयोवो एक ओय को ।

वीतायाभ के वुबाल वीर, रोक फे द त्रफसध के त्रफदऴ ू

प्रताऩ बूरय बानु वो । वीम-वोच-वभन, दरु यत दोऴ दभन, दरयद्र दरयफे को बमो, प्रकट सतरोक ओक तुरवी सनधान

याभ को दर ु ायो दाव फाभदे ल को सनलाव। नाभ कसर काभतरु केवयी फकवोय को ॥९॥

रखन याभ जानकी । रोक ऩयरोक को त्रफवोक वो के वयी फकवोय फन्दीछोय के ने लाजे वफ, कीयसत त्रफभर

फरफुत्रि के सनधान शौ, भफशभा सनधान

शनुभान शौ । भन की फचन की कयभ की सतशॉ ू प्रकाय, तुरवी सतशायो तुभ वाशे फ वुजान शौ ॥१४॥

भशाफर वीभ भशा बीभ भशाफान इत, भशाफीय त्रफफदत

भन को अगभ तन वुगभ फकमे कऩीव, काज भशायाज के

फयामो यघुफीय को । कुसरव कठोय तनु जोय ऩयै योय यन,

वभाज वाज वाजे शं । दे लफॊदी छोय यनयोय के वयी फकवोय,

करुना कसरत भन धायसभक धीय को ॥ दज ु ान को कारवो

जुग जुग जग ते ये त्रफयद त्रफयाजे शं । फीय फयजोय घफट

को । वीम-वुख-दामक दर ु ायो यघुनामक को, वे लक वशामक

शं । त्रफगयी वॉ लाय अॊजनी कुभाय कीजे भोफशॊ , जैवे शोत

कयार ऩार वज्जन को, वुसभये शयन शाय तुरवी की ऩीय

जोय तुरवी की ओय, वुसन वकुचाने वाधु खर गन गाजे

शै वाशवी वभीय को ॥१०॥

आमे शनुभान के सनलाजे शं ॥१५॥

यसचफे को त्रफसध जैवे , ऩासरफे को शरय शय, भीच भारयफे को,

वलै मा

दसरफे को, वोत्खफे कृवानु ऩोत्रऴफे को फशभ बानु बो ॥ खर

। ढ़ायो त्रफगायो भं काको कशा केफश कायन खीझत शं तो

द्ु ख दोत्रऴफे को, जन ऩरयतोत्रऴफे को, भाॉसगफो भरीनता को

सतशायो ॥

ज्माईफे को वुधाऩान बो । धरयफे को धयसन, तयसन तभ

जान सवयोभसन शो शनुभान वदा जन के भन फाव सतशायो वाशे फ वे लक नाते तो शातो फकमो वो तशाॊ


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तुरवी को न चायो । दोऴ वुनामे तं आगेशॉ ु को शोसळमाय ह्वं शं भन तो फशम शायो ॥१६॥

ते ये थऩै उथऩै न भशे व, थऩै सथय को कत्रऩ जे उय घारे । ते ये सनफाजे गयीफ सनफाज त्रफयाजत फैरयन के उय वारे ॥ वॊकट वोच वफै तुरवी सरमे नाभ पटै भकयी के वे जारे । फूढ बमे फसर भे रयफशॊ फाय, फक शारय ऩये फशुतै नत ऩारे ॥१७॥ सवॊध ु तये फड़े​े फीय दरे खर, जाये शं रॊक वे फॊक भलावे । तं यसन केशरय केशरय के त्रफदरे अरय कुॊजय छै र छलावे ॥

तोवो वभत्थ वुवाशे फ वे ई वशै तुरवी दख ु दोऴ दला वे । फानयफाज ! फढ़े खर खेचय, रीजत क्मं न रऩे फट रलावे ॥१८॥ अच्छ त्रलभदान कानन बासन दवानन आनन बा न सनशायो । फारयदनाद अकॊऩन कुॊबकयन वे कुञ्जय केशरय लायो ॥ याभ प्रताऩ शुतावन, कच्छ, त्रलऩच्छ, वभीय वभीय दर ु ायो ।

ऩाऩ ते वाऩ ते ताऩ सतशॉ ू तं वदा तुरवी कश वो यखलायो ॥१९॥

घनाषयी जानत जशान शनुभान को सनलाज्मो जन, भन अनुभासन फसर फोर न त्रफवारयमे । वे ला जोग तुरवी कफशॉ ु कशा

चूक ऩयी, वाशे फ वुबाल कत्रऩ वाफशफी वॊबारयमे ॥ अऩयाधी जासन कीजै वावसत वशव बात्न्त, भोदक भयै जो ताफश भाशुय न भारयमे । वाशवी वभीय के दर ु ाये यघुफीय जू के , फाॉश ऩीय भशाफीय फे सग शी सनलारयमे ॥२०॥

फारक त्रफरोफक, फसर फायं तं आऩनो फकमो, दीनफन्धु दमा कीन्शीॊ सनरुऩासध न्मारयमे । यालयो बयोवो तुरवी के , यालयोई फर, आव यालयीमै दाव यालयो त्रलचारयमे ॥ फड़ेो त्रफकयार कसर काको न त्रफशार फकमो, भाथे ऩगु फसर को

सनशारय वो सनफारयमे । केवयी फकवोय यनयोय फयजोय फीय, फाॉश ऩीय याशु भातु ज्मं ऩछारय भारयमे ॥२१॥

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उथऩे थऩनसथय थऩे उथऩनशाय, केवयी कुभाय फर आऩनो वॊफारयमे । याभ के गुराभसन को काभ तरु याभदत ू , भोवे दीन दफ ू ये

को तफकमा सतशारयमे ॥ वाशे फ वभथा तो वं तुरवी के भाथे ऩय, वोऊ अऩयाध त्रफनु फीय, फाॉसध भारयमे । ऩोखयी त्रफवार फाॉशु, फसर, फारयचय ऩीय, भकयी ज्मं ऩकरय के फदन त्रफदारयमे ॥२२॥

याभ को वने श, याभ वाशव रखन सवम, याभ की बगसत, वोच वॊकट सनलारयमे । भुद भयकट योग फारयसनसध शे रय शाये , जील जाभलॊत को बयोवो ते य ो बारयमे ॥ कूफदमे कृऩार तुरवी वुप्रेभ ऩब्फमतं , वुथर वुफेर बारू फैफठ कै त्रलचारयमे । भशाफीय फाॉकुये फयाकी फाॉश ऩीय क्मं न, रॊफकनी ज्मं रात घात शी भयोरय भारयमे ॥२३॥ रोक ऩयरोकशॉ ु सतरोक न त्रलरोफकमत, तोवे वभयथ चऴ

चारयशॉ ू सनशारयमे । कभा, कार, रोकऩार, अग जग जीलजार, नाथ शाथ वफ सनज भफशभा त्रफचारयमे ॥ खाव दाव यालयो, सनलाव ते य ो तावु उय, तुरवी वो, दे ल दख ु ी दे त्खअत बारयमे

। फात तरुभूर फाॉशूवूर कत्रऩकच्छु फे सर, उऩजी वके सर कत्रऩ केसर शी उखारयमे ॥२४॥

कयभ कयार कॊव बूसभऩार के बयोवे , फकी फक बसगनी काशू तं कशा डयै गी । फड़ेी त्रफकयार फार घासतनी न जात

कफश, फाॉशू फर फारक छफीरे छोटे छयै गी ॥ आई शै फनाई फे ऴ आऩ शी त्रफचारय दे ख, ऩाऩ जाम वफ को गुनी के ऩारे

ऩयै गी । ऩूतना त्रऩवासचनी ज्मं कत्रऩ कान्श तुरवी की, फाॉश ऩीय भशाफीय ते ये भाये भयै गी ॥२५॥ बार की फक कार की फक योऴ की त्रिदोऴ की शै , फे दन त्रफऴभ ऩाऩ ताऩ छर छाॉश की । कयभन कूट की फक जन्ि भन्ि फूट की, ऩयाफश जाफश ऩात्रऩनी भरीन भन भाॉश की ॥ ऩैशफश वजाम, नत कशत फजाम तोफश, फाफयी न शोफश फासन जासन कत्रऩ नाॉश की । आन शनुभान की दशु ाई फरलान की, वऩथ भशाफीय की जो यशै ऩीय फाॉश की ॥२६॥


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सवॊफशका वॉ शारय फर वुय वा वुधारय छर, रॊफकनी ऩछारय

दे ली दे ल दनुज भनुज भुसन सवि नाग, छोटे फड़े​े जील जे ते

भारय फाफटका उजायी शै । रॊक ऩयजारय भकयी त्रफदारय फाय

चेतन अचेत शं । ऩूतना त्रऩवाची जातुधानी जातुधान फाग,

फाय, जातुधान धारय धूरय धानी करय डायी शै ॥ तोरय

याभ दत ू की यजाई भाथे भासन रे त शं ॥ घोय जन्ि भन्ि

भशतायी शै । बीय फाॉश ऩीय की सनऩट याखी भशाफीय, कौन

शं । क्रोध कीजे कभा को प्रफोध कीजे तुरवी को, वोध

के वकोच तुरवी के वोच बायी शै ॥२७॥

कीजे सतनको जो दोऴ दख ु दे त शं ॥३२॥

ते यो फासर केसर फीय वुसन वशभत धीय, बूरत वयीय वुसध

ते ये फर फानय त्जतामे यन यालन वं, ते ये घारे जातुधान

वक्र यत्रल याशु की । ते य ी फाॉश फवत त्रफवोक रोक ऩार

बमे घय घय के । ते ये फर याभ याज फकमे वफ वुय काज,

बे द त्रलसध फे दशू रफे द सवसध, शाथ कत्रऩनाथ शी के चोटी

गीयफान ऩुरकत, वजर त्रफरोचन त्रफयॊ सच शरयशय के ।

जभकातरय भॊदोदयी कठोरय आनी, यालन की यानी भे घनाद

कूट कऩट कुयोग जोग, शनुभान आन वुसन छाड़ेत सनके त

वफ, ते य ो नाभ रे त यशं आयसत न काशु की ॥ वाभ दाभ

वकर वभाज वाज वाजे यघुफय के ॥ ते य ो गुनगान वुसन

चोय वाशु की । आरव अनख ऩरयशाव कै सवखालन शै , एते

तुरवी के भाथे ऩय शाथ पेयो कीव नाथ, दे त्खमे न दाव

फदन यशी ऩीय तुरवी के फाशु की ॥२८॥

दख ु ी तोवो कसनगय के ॥३३॥

टू कसन को घय घय डोरत कॉगार फोसर, फार ज्मं कृऩार

ऩारो ते ये टू क को ऩये शू चूक भूफकमे न, कू य कौड़ेी दक ू ो शं

नत ऩार ऩासर ऩोवो शै । कीन्शी शै वॉ बाय वाय अॉ जनी

आऩनी ओय शे रयमे । बोयानाथ बोये शी वयोऴ शोत थोये

कुभाय फीय, आऩनो त्रफवारय शं न भे ये शू बयोवो शै ॥ इतनो

दोऴ, ऩोत्रऴ तोत्रऴ थात्रऩ आऩनो न अल डे रयमे ॥ अॉ फु तू शं

ऩये खो वफ बात्न्त वभयथ आजु, कत्रऩयाज वाॊची कशं को

अॉ फु चूय , अॉ फु तू शं फडॊ ब वो न, फूत्झमे त्रफरॊफ अलरॊफ भे ये

सतरोक तोवो शै । वावसत वशत दाव कीजे ऩे त्ख ऩरयशाव,

ते रयमे । फारक त्रफकर जासन ऩाफश प्रे भ ऩफशचासन, तुरवी की

आऩने शी ऩाऩ तं त्रिऩात तं फक वाऩ तं , फढ़ी शै फाॉश फे दन

घे रय सरमो योगसन, कुजोगसन, कुरोगसन ज्मं, फावय जरद

कशी न वफश जासत शै । औऴध अने क जन्ि भन्ि

घन घटा धुफक धाई शै । फयवत फारय ऩीय जारयमे जलावे

कयताय, बयताय, शयताय, कभा कार, को शै जगजार जो न

शनुभान भशा फरलान, शे रय शॉ सव शाॉफक पूॊ फक पंजै ते उड़ेाई

भानत इतासत शै । चेय ो ते य ो तुरवी तू भे य ो कह्यो याभ दत ू ,

शै । खामे शुतो तुरवी कु योग याढ़ याकवसन, के वयी फकवोय

दत ू याभ याम को, वऩूत ऩूत लाम को, वभत्ल शाथ ऩाम

वलै मा

को वशाम अवशाम को । फाॉकी त्रफयदालरी त्रफफदत फे द

याभ गुराभ तु शी शनुभान गोवाॉई वुवाॉई वदा अनुकूरो ।

गाइमत, यालन वो बट बमो भुफठका के धाम को ॥ एते

ऩाल्मो शं फार ज्मं आखय द ू त्रऩतु भातु वं भॊगर भोद

चीयी को भयन खेर फारकसन कोवो शै ॥२९॥

टोटकाफद फकमे , फाफद बमे दे लता भनामे अधीकासत शै ॥

ढीर ते यी फीय भोफश ऩीय तं त्रऩयासत शै ॥३०॥

फडे वाशे फ वभथा को सनलाजो आज, वीदत वुवेलक फचन

फाॉश ऩय राभी रूभ पेरयमे ॥३४॥

जव, योऴ त्रफनु दोऴ धूभ भूर भसरनाई शै ॥ करुनासनधान

याखे फीय फरयआई शै ॥३५॥

वभूरो ॥ फाॉश की फे दन फाॉश ऩगाय ऩुकायत आयत आनॉ द

भन काम को । थोयी फाॉश ऩीय की फड़ेी गरासन तुरवी को,

बूरो । श्री यघुफीय सनलारयमे ऩीय यशं दयफाय ऩयो रफट

कौन ऩाऩ कोऩ, रोऩ प्रकट प्रबाम को ॥३१॥

रूरो ॥३६॥


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घनाषयी कार की कयारता कयभ कफठनाई कीधौ, ऩाऩ के प्रबाल

अवन फवन शीन त्रफऴभ त्रफऴाद रीन, दे त्ख दीन दफ ू यो कयै

न शाम शाम को । तुरवी अनाथ वो वनाथ यघुनाथ

की वुबाम फाम फालये । फे दन कुबाॉसत वो वशी न जासत

फकमो, फदमो पर वीर सवॊध ु आऩने वुबाम को ॥ नीच

तरु तुरवी सतशायो वो सनशारय फारय, वीॊसचमे भरीन बो

भन काम को । ता तं तनु ऩे त्रऴमत घोय फयतोय सभव, पूफट

तमो शै सतशॉ ु तालये । बूतसन की आऩनी ऩयामे की कृऩा

पूफट सनकवत रोन याभ याम को ॥४१॥

सनधान, जासनमत वफशी की यीसत याभ यालये ॥३७॥

जीओ जग जानकी जीलन को कशाइ जन, भरयफे को

ऩाॉम ऩीय ऩे ट ऩीय फाॉश ऩीय भुॊश ऩीय, जय जय वकर ऩीय

फायानवी फारय वुय वरय को । तुरवी के दोशॉ ू शाथ भोदक

यासत फदन, वोई फाॉश गशी जो गशी वभीय डाफये ॥ रामो

भई शै । दे ल बूत त्रऩतय कयभ खर कार ग्रश, भोफश ऩय

मफश फीच ऩसत ऩाइ बरु शाईगो, त्रफशाइ प्रबु बजन फचन

शं ऐवे ठाॉऊ, जाके त्जमे भुमे वोच करयशं न ररय को ॥ भो

दलरय दभानक वी दई शै ॥ शं तो त्रफनु भोर के त्रफकानो

को झूॉटो वाॉचो रोग याभ कौ कशत वफ, भे ये भन भान शै

फसर फाये शीतं , ओट याभ नाभ की रराट सरत्ख रई शै ।

न शय को न शरय को । बायी ऩीय दव ु श वयीय तं त्रफशार

शार कशॉ ू बई शै ॥३८॥

वीताऩसत वाशे फ वशाम शनुभान सनत, फशत उऩदे ळ को

कॉ ु बज के फकॊकय त्रफकर फूढ़े गोखुय सन, शाम याभ याम ऐवी

शोत, वोऊ यघुफीय त्रफनु वकै दयू करय को ॥४२॥

फाशुक वुफाशु नीच रीचय भयीच सभसर, भुॉश ऩीय के तुजा

भशे व भानो गुरु कै । भानव फचन काम वयन सतशाये

कुयोग जातुधान शै । याभ नाभ जऩ जाग फकमो चशं

ऩाॉम, तुम्शये बयोवे वुय भं न जाने वुय कै ॥ ब्मासध बूत

वानुयाग, कार कै वे दत ू बूत कशा भे ये भान शै ॥ वुसभये

जसनत उऩासध काशु खर की, वभासध की जै तुरवी को

जशान शै । तुरवी वॉ बारय ताडका वॉ शारय बारय बट, फे धे

योग सवॊध ु क्मं न डारयमत गाम खुय कै ॥४३॥

फयगद वे फनाई फानलान शै ॥३९॥

कशं शनुभान वं वुजान याभ याम वं, कृऩासनधान वॊकय

खात टू क टाक शं । ऩयमो रोक यीसत भं ऩुनीत प्रीसत याभ

त्रफयची त्रफयञ्ची वफ दे त्खमत दसु नमे ॥ भामा जील कार के

वशाम याभ रखन आखय दौऊ, त्जनके वभूश वाके जागत

फारऩने वूधे भन याभ वनभुख बमो, याभ नाभ रे त भाॉसग याम, भोश फव फैठो तोरय तयफक तयाक शं ॥ खोटे खोटे आचयन आचयत अऩनामो, अॊजनी कुभाय वोध्मो याभऩासन ऩाक शं । तुरवी गुवाॉई बमो बंडे फदन बूर गमो, ताको

जासन जन पुय कै । कत्रऩनाथ यघुनाथ बोरानाथ बूतनाथ,

वं वालधान वुसनमे । शयऴ त्रलऴाद याग योऴ गुन दोऴ भई, कयभ के वुबाम के , कयै मा याभ फे द कशं वाॉची भन गुसनमे

। तुम्श तं कशा न शोम शा शा वो फुझम ै े भोफशॊ , शं शॉ ू यशं भौनशी लमो वो जासन रुसनमे ॥४४॥

पर ऩालत सनदान ऩरयऩाक शं ॥४०॥

भॊि सवि त्रलळेऴ दै ली मॊि वूसच आद्य ळत्रि दुगा​ा फीवा मॊि (अॊ फाजी फीवा मॊि)

वयस्लती मॊि

खोफडमाय मॊि

वद्ऱवती भशामॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत)

नल दुगा​ा मॊि

खोफडमाय फीवा मॊि

भशान ळत्रि दुगा​ा मॊि (अॊ फाजी मॊि)

कारी मॊि

अन्नऩूणा​ा ऩूजा मॊि

वॊ क ट भोसचनी कासरका सवत्रि मॊ ि

श्भळान कारी ऩूजन मॊि

एकाॊ षी श्रीपर मॊि

चाभुॊडा फीवा मॊि ( नलग्रश मुि)

दत्षण कारी ऩूजन मॊि

त्रिळूर फीवा मॊि

नलाणा फीवा मॊि

फगरा भुख ी मॊि

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20

अप्रैर-2015

जफ शनुभानजी ने वूमा को पर वभझा!

 श्रेमा.ऐव.जोळी ऩौयात्णक ग्रॊथो भं उल्रे ख कथा के अनुळाय शनुभान जी अऩनी फाल्मालस्था भं एक फदन इनकी भाता अॊजसन

को छोड़े याशु ऩय झऩटे । याशु ने इन्द्र को यषा के सरमे

ऩुकाया तो उन्शंने शनुभानजी ऩय लज्रामुध वे प्रशाय फकमा

पर-पूर राने के सरमे इन्शं आश्रभ भं छोड़ेकय चरी

त्जववे ले एक ऩलात ऩय सगये औय उनकी फामीॊ ठु रडी टू ट

गईं। जफ फार शनुभान को बूख रगी तो, उनशं ने उगते

गई। शनुभान की मश दळा दे खकय लामुदेल को क्रोध

रगे। उनकी वशामता के सरमे ऩलन बी फशुत ते जी वे

कायण वॊवाय का कोई बी प्राणी वाॉव नशीॊ रे ऩामा औय

शुमे वूमा को पर वभझकय उवे ऩकड़ेने आकाळ भं उड़ेने

आमा। उन्शंने उवी षण अऩनी गसत योक दी। त्जव

चरने रगे। दव ू यी औय बगलान वूमा ने बी शनुभान जी

वफ ऩीड़ेा वे तड़ेऩने रगे। तफ वाये वुय , अवुय , मष,

को अफोध सळळु वभझकय अऩने ते ज औय तऩन वे जरने

फकन्नय आफद मा जी ा जी की ळयण भं गमे । मा जी ा उन

नशीॊ फदमा।

वफको रे कय लामुदेल के ऩाव गमे । ले भूसछा त शनुभान को

ळास्त्रकाय ने सरखा शं की, त्जव वभम शनुभान जी वूमा

गोद भं सरमे उदाव फैठे थे। जफ मा जी ाजी ने उन्शं जीत्रलत

को ऩकड़ेने के सरमे रऩके , उव वभम याशु वूमा ऩय ग्रशण

फकमा तो लामुदेल ने अऩनी गसत का वॊचाय कयके वबी

जफ याशु का स्ऩळा फकमा तो लश बमबीत शोकय लशाॉ वे

लयदान दे ते शुए कशाॉ फक कोई बी ळस्त्र इवके अॊग को

रगाना चाशता था। शनुभानजी ने वूमा के ऊऩयी बाग भं

प्रात्णमं की ऩीड़ेा दयू की। फपय मा जी ाजी ने शनुभान को

बाग गमा। याशु ने इन्द्र के ऩाव जाकय सळकामत की

शानी नशीॊ कय वकता। इन्द्र ने कशा फक इवका ळयीय लज्र

दे लयाज! आऩने भुझे अऩनी षुधा ळान्त कयने के वाधन

वे बी कठोय शोगा। वूमादेल ने कशा फक ले उवे अऩने ते ज

के रूऩ भं वूमा औय चन्द्र फदमे थे। आज अभालस्मा के

का ळताॊळ (वौला बाग) प्रदान कयं गे तथा ळास्त्र भभास

फदन जफ भं वूमा को ग्रस्त कयने गमा तफ दे खा फक

शोने का बी आळीला​ाद फदमा। लरुण ने कशा भे ये ऩाळ औय

दव ू या याशु वूमा को ऩकड़ेने जा यशा शै ।

जर वे मश फारक वदा वुय त्षत यशे गा। मभदे ल ने

वूमा की ओय चर ऩड़े​े। याशु को दे खकय शनुभानजी वूमा

कुफे य , त्रलद्वकभा​ा आफद दे लं ने बी अभोघ लयदान फदमे ।

याशु की फात वुनकय इन्द्र घफया गमे औय उवे वाथ रे कय

अलध्म औय नीयोग यशने का आळीला​ाद फदमा। मषयाज

बाग्म रक्ष्भी फदब्फी वुख-ळात्न्त-वभृत्रि की प्रासद्ऱ के सरमे बाग्म रक्ष्भी फदब्फी :- त्जस्वे धन प्रसद्ऱ, त्रललाश मोग, व्माऩाय लृत्रि, लळीकयण, कोटा कचेयी के कामा, बूतप्रे त फाधा, भायण, वम्भोशन, तात्न्िक फाधा, ळिु बम, चोय बम जे वी अने क ऩये ळासनमो वे यषा शोसत शै औय घय भे वुख वभृत्रि

फक प्रासद्ऱ शोसत शै , बाग्म रक्ष्भी फदब्फी भे रघु श्री र्र, शस्तजोडी (शाथा जोडी), सवमाय

सवन्गी, त्रफत्ल्र नार, ळॊख, कारी-वर्े द-रार गुज ॊ ा, इन्द्र जार, भाम जार, ऩातार तुभडी जे वी अने क दर ु ाब वाभग्री शोती शै ।

भू ल् म:- Rs. 1450, 1900, 2800, 5500, 7300, 10900 भं उप्रब्ि >> Order Now .

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अप्रैर-2015

21

नटखट फारशनुभान

 याकेळ ऩॊडा शनुभान जी अऩनी फाल्मालस्था भं चॊचर औय नटखट

एवी कृऩा कयो की त्जववे उवकी नटखटता भं ऩरयलतान

स्लबाल के थे। ले अऩनी ळत्रि प्रभाण कयने के सरए शाथी

शो जामे ।

को उठाकय अऩनी ळत्रि का प्रदळा न कयते । खेर -खेर भं

के वयी जी की फात

फड़े​े-फड़े​े लृषं को बी जडभूर वे उखाडकय पंक दे ते अतूट

शनुभानजी अऩनी ळत्रिमं को बूर जाएॊ तो एवी शयकतं

ळत्रि उनभं त्रलद्यभानथी औय खेर -खेर भं एक ऩलात वे

फॊद शो जामे गी औय उनका फशत बी उवी भं वभामा शुआ

दव ू ये ऩलात ऩय छराॊग रगा दे ते थे एवा कोई ऩलातीम

वुनकय

ऋत्रऴमं ने

वोचा फक

शै । ऋत्रऴ जानते थे के मश फारक का श्री याभ के कामा के

सळखय नशीॊ था त्जव ऩय वे शनुभानजी ने छराॊग न

वॊऩादन शे तु जन्भ शुआ शै । इव सरए भशत्रऴा बृग ु औय

के आश्रभ भं ऩशॊु च कय नादान शयकतं कयते , त्जववे

शनुभानजी को ळाऩ फदमा की लानयलीय आऩको अऩने फर

रगाई शो। इव तयश शनुभान जी कई फाय ऋत्रऴ-भुसनमं

भशत्रऴा अॊसगया के लॊळ भं उत्ऩन्न शुए ऋत्रऴ भुनीमं ने श्री

ऋत्रऴभुनीओॊ की तऩस्मा एलॊ व्रत बॊग शो जाते । लशॉ ऋत्रऴ-

औय ते ज का ध्मान नशीॊ यशे गा। जफ कोई आऩकी कीसता

भुसनमं के कभडॊ र , आवन इत्मादी लस्तुओॊ को लृष ऩय

औय फर का स्भयण कयामे गा तबी आऩ का फर फढ़े गा।

टाॉग दे ते इव प्रकाय त्रलसबन्न शयकतो वे उन्शं ऩये ळान

एवे ळाऩ के कायण श्री शनुभानजी का फर एलॊ ते ज कभ

कयते

शो गमा औय लश वौम्म स्लबाल के शो गमे । इव तयश

थे।

धीये -धीये

आमु

फढ़ने

के

वाथ-वाथ

श्री

शनुभानजी की ळयायते औय बी फढ़ती चरी गई इव लजश वे उनके भाता-त्रऩता असधक सचॊसतत शोगए औय ऋत्रऴ के

ऩाव ऩशॊु चे औय ऋत्रऴमं को शनुभानजी की नटखत

अन्म ऋत्रऴबी प्रवन्न शुए।

उवके फाद श्री शनुभानजी के उऩनमन वॊस्काय शुए। श्री शनुभानजी ने वभम के वाथ बगलान श्री वूमानायामण को

ळैतासनमा कशॉ वुनाई। शनुभानजी के त्रऩता केवयीने ऋत्रऴ-

गुरु फनामा। इव तयश श्री शनुभानजी की फाल्मालस्था

भुसनमं वे कशा की शभं मश फारक कठोय तऩ के प्रबाल

फशुत शी त्रलसळद्श एलॊ अदबूत यशी ।

वे प्राद्ऱ शुआ शं । आऩ उव ऩय अनुग्रश कयो औय उव ऩय

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22

अप्रैर-2015

भॊिजाऩ वे ळास्त्रसान

 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी याभलल्रबळयणजी फकवी वॊत के दळानगमे ।वॊत ने ऩूछा् तूम्शं "क्मा चाफशए?" याभलल्रबळयण् "भशायाज ! बगलान इद्वय की बत्रि औय ळास्त्रं का सान चाफशए।" याभलल्रबळयणजी ने ईभानदायी वे भाॉगा था।

याभलल्रबळयजी का वच्चाई का जीलन था। कभ फोरते थे। उनके सबतय बगलान के सरए तड़ेऩ थी। वॊत ने ऩूछा् "ठीक शै । फव न?"

याभलल्रबळयण् "जी, भशायाज।" वॊत ने शनुभानजी का भॊि फदमा।

याभलल्रबळयजी एकाग्रसचत्त शोकय ऩूणा सनद्षा ल तत्ऩयता वे भॊि जऩ कय यशे थे। भॊि जऩ कयते वभम शनुभानजी प्रकट शो गमे । शनुभान जी ने ऩूछा: "क्मा चाफशए?" "आऩके दळान तो शो गमे । ळास्त्रं का सान चाफशए।"

शनुभानजी् "फव, इतनी वी फात? जाओ, तीन फदन के अॊदय तूभ त्जतने बी ग्रन्थ दे खोगे उन वफका अथावफशत असबप्राम तुम्शाये रृदम भं प्रकट शो जामे गा।"

याभलल्रबळयजी काळी चरे गमे औय काळी के त्रलद्वत्रलद्यारम आफद के ग्रॊथ दे खे। ले फड़े​े बायी त्रलद्रान शो गमे । त्जन्शंने याभलल्रबळयजी के वाथ लाता​ाराऩ फकमा औय ळास्त्र-त्रलऴमक प्रद्लोत्तय फकमे शं ले शी रोग उन्शं बरीप्रकाय वे जानते शं । दसु नमा के अच्छे -अच्छे त्रलद्रान उनका रोशा भानते शं ।

याभलल्रबळयजी केलर भॊिजाऩ कयते - कयते अनुद्षान भं वपर शुए। शनुभानजी के वाषात दळान

शो गमे औय तीन फदन के अॊदय त्जतने ळास्त्र दे खे उन ळास्त्रं का असबप्राम उनके रृदम भं प्रकट शो गमा।

धन लृत्रि फडब्फी

धन लृत्रि फडब्फी को अऩनी अरभायी, कैळ फोक्व, ऩूजा स्थान भं यखने वे धन लृत्रि शोती शं त्जवभं कारी शल्दी, रार- ऩीरा-वपेद रक्ष्भी कायक शकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पफटक यत्न, 3 ऩीरी कौडी, 3 वपेद कौडी, गोभती चक्र, वपेद गुॊजा, यि गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊ द्र जार, भामा जार, इत्मादी दर ु ाब लस्तुओॊ को ळुब भशुता भं तेजस्ली भॊि द्राया असबभॊत्रित फकम जाता शं ।

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23

अप्रैर-2015

भॊि सवि लाशन दघ ु ाटना नाळक भारुसत मॊि

ऩौयात्णक ग्रॊथो भं उल्रे ख शं की भशाबायत के मुि के वभम अजुान के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्लज एलॊ भारुसत मन्ि रगा शुआ था। इवी मॊि के प्रबाल के कायण वॊऩूणा मुि के दौयान शज़ायं-राखं प्रकाय के आग्ने म अस्त्र-

ळस्त्रं का प्रशाय शोने के फाद बी अजुान का यथ जया बी षसतग्रस्त नशीॊ शुआ। बगलान श्री कृष्ण भारुसत मॊि के इव

अद्भत ु यशस्म को जानते थे फक त्जव यथ मा लाशन की यषा स्लमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते शं, लश दघ ु ाटनाग्रस्त कैवे शो वकता शं । लश यथ मा लाशन तो लामुलेग वे , सनफा​ासधत रुऩ वे अऩने रक्ष्म ऩय त्रलजम ऩतका रशयाता शुआ ऩशॊु चेगा। इवी सरमे श्री कृष्ण नं अजुान के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयलामा था।

त्जन रोगं के स्कूटय, काय, फव, ट्रक इत्माफद लाशन फाय-फाय दघ ु ाटना ग्रस्त शो यशे शो!, अनालश्मक लाशन को

नुषान शो यशा शं! उन्शं शानी एलॊ दघ ु ाटना वे यषा के उदे श्म वे अऩने लाशन ऩय भॊि सवि श्री भारुसत मॊि अलश्म रगाना चाफशए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटंग (ऩरयलशन) के व्मलवाम वे जुडे शं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने लाशन भं अलश्म स्थात्रऩत कयना चाफशए, क्मोफक, इवी व्मलवाम वे जुडे वैकडं रोगं का अनुबल यशा शं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत कयने वे उनके लाशन असधक फदन तक अनालश्मक खचो वे एलॊ दघ ु ाटनाओॊ वे वुय त्षत यशे शं । शभाया स्लमॊका एलॊ अन्म

त्रलद्रानो का अनुबल यशा शं , की त्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने लाशन ऩय रगामा शं , उन रोगं के लाशन फडी वे फडी दघ ु ाटनाओॊ वे वुयत्षत यशते शं । उनके लाशनो को कोई त्रलळे ऴ नुक्ळान इत्माफद नशीॊ शोता शं औय नाशीॊ अनालश्मक रुऩ वे उवभं खयाफी आसत शं ।

लास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊ ि : मश भारुसत नॊदन श्री शनुभान जी का मॊि शै । मफद कोई जभीन त्रफक नशीॊ यशी शो, मा उव ऩय कोई लाद-त्रललाद शो, तो इच्छा के अनुरूऩ लशॉ जभीन उसचत भूल्म ऩय त्रफक जामे इव सरमे इव भारुसत मॊि का प्रमोग फकमा जा वकता शं । इव भारुसत मॊि के प्रमोग वे जभीन ळीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रललादभुि शो जाएगी। इव सरमे मश मॊि दोशयी ळत्रि वे मुि शै । भारुसत मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामा​ारम भं वॊऩका कयं ।

भू ल् म Rs- 255 वे 10900 तक >> Shop Online | Order Now

भॊि सवि मॊि

गुरुत्ल कामा​ारम द्राया त्रलसबन्न प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, सवरलय (चाॊदी) ओय गोल्ड (वोने ) भे त्रलसबन्न प्रकाय की वभस्मा के अनुवाय फनला के भॊि सवि ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ चैतन्म मुि फकमे जाते शै . त्जवे वाधायण (जो ऩूजा-ऩाठ नशी जानते मा नशी कवकते ) व्मत्रि त्रफना फकवी ऩूजा अचाना-त्रलसध त्रलधान त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शै . त्जव भे प्रसचन मॊिो वफशत शभाये लऴो के अनुवॊधान द्राया फनाए गमे मॊि बी वभाफशत शै . इवके अरला आऩकी आलश्मकता अनुळाय मॊि फनलाए जाते शै . गुरुत्ल कामा​ारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे वबी मॊि अखॊफडत एलॊ २२ गेज ळुि कोऩय (ताम्र ऩि)- 99.99 टच ळुि सवरलय (चाॊदी) एलॊ 22 के ये ट गोल्ड (वोने ) भे फनलाए जाते शै . मॊि के त्रलऴम भे असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कये

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अप्रैर-2015

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शनुभान भॊि वे बम सनलायण

 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी जो रोगो को फकवी असात बम वे ऩये ळान यशते शो। शय वभम फकवी ना फकवी तयश के डय के कायण भानसवक यशता शो, तो बम के सनलायण के सरमे वॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत शनुभान मॊि के वम्भुख शनुभान भॊि का त्रलसध-त्रलधान वे जऩ कयना राबप्रद शोता शं । अनजाने बम के सनलायण शे तु इव भॊि का 7 फदनो तक प्रसतफदन सनत्द्ळत वभम ऩय रुद्राष की भारा वे एक भार जऩ कयना राबप्रद शोता शं ।

भॊ ि :

अॊजनीगा वॊबूत कऩीन्द्रवसचलोत्तभ।

याभ त्रप्रम नभस्तुभ्मॊ शनुभते यष वलादा॥ वभस्मा के वभाधान के ऩद्ळात शनुभान मॊि को फशते जर भं त्रलवत्जात कय दे मा फकवी शनुभान भॊफदय भं अत्रऩात कय दं ।

|| शनुभान आयती ||

आयती कीजै शनुभान ररा की। दद्श ु दरन यघुनाथ करा की॥१॥

जाके फर वे सगरयलय काॉऩै। योग-दोऴ जाके सनकट न झाॉऩै॥ २॥ अॊजसन ऩुि भशा फरदाई। वॊतन के प्रबु वदा वशाई॥३॥

दे फीया यघुनाथ ऩठामे। रॊका जारय वीम वुसध रामे॥ ४॥ रॊका वो कोट वभुद्र वी खाई। जात ऩलनवुत फाय न राई॥५॥ रॊका जारय अवुय वॉशाये । सवमायाभजी के काज वॉलाये ॥६॥

रक्ष्भण भूसछा त ऩड़े​े वकाये । आसन वजीलन प्रान उफाये ॥ ७॥

ऩैफठ ऩतार तोरय जभ-काये । अफशयालन की बुजा उखाये ॥ ८॥ फामं बुजा अवुय दर भाये । दफशने बुजा वॊतजन ताये ॥ ९॥

वुय नय भुसन आयती उताये । जै जै जै शनुभान उचाये ॥ १०॥

कॊचन थाय कऩूय रौ छाई। आयसत कयत अॊजना भाई॥११॥

जो शनुभान जी की आयती गालै। फसव फैकुण्ठ ऩयभऩद ऩालै॥ १२॥ || इसत श्री शनुभान चारीवा वम्ऩूणा ||


अप्रैर-2015

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जफ शनुभान जी ने तोडा़ ळसनदे ल का घभॊड!

 सचॊतन जोळी, स्लत्स्तक.ऎन.जोळी ळसन दे ल ऩय ते र चढामा जाता शं , इव वॊफॊध भं आनॊद याभामण भं एक कथा का उल्रे ख सभरता शं । जफ श्री याभ की वे ना ने वागय वे तु फाॊध सरमा, तफ याषव इवे शासन न ऩशुॊचा वकं , उवके सरए ऩलन वुत शनुभान को उवकी

दे खबार की त्जम्भे दायी वौऩी गई। जफ शनुभान जी ळाभ के वभम अऩने इद्शदे ल याभ के ध्मान भं भग्न थे , तबी वूमा ऩुि ळसन ने अऩना कारा कुरूऩ चेशया फनाकय क्रोधऩूणा कशा- शे लानय भं दे लताओ भं ळत्रिळारी ळसन शॉ ू । वुना शं , तुभ फशुत फरळारी शो। आॉ खं खोरो औय भे ये वाथ मुि कयो, भं तुभवे मुि कयना चाशता शॉ ू । इव ऩय शनुभान ने

त्रलनम्रताऩूलाक कशा- इव वभम भं अऩने प्रबु को माद कय यशा शॊू । आऩ भे य ी ऩूजा भं त्रलध्न भत डासरए। आऩ भे ये आदयणीम शै । कृऩा कयके आऩ मशा वे चरे जाइए।

जफ ळसन दे ल रड़ेने ऩय उतय आए, तो शनुभान जी ने अऩनी ऩूॊछ भं रऩे टना ळुरू कय फदमा। फपय उन्शे कवना प्रायॊ ब कय फदमा जोय रगाने ऩय बी ळसन उव फॊधन वे भुि न शोकय ऩीड़ेा वे व्माकुर शोने रगे। शनुभान ने फपय वे तु की ऩरयक्रभा कय ळसन के घभॊड को तोड़ेने के सरए ऩत्थयो ऩय ऩूॊछ को झटका दे -दे कय ऩटकना ळुरू कय फदमा। इववे ळसन का ळयीय रशुरुशान शो गमा, त्जववे उनकी ऩीड़ेा फढ़ती गई। तफ ळसन दे ल ने शनुभान जी वे प्राथाना की फक भुझे फधॊन भुि कय दीत्जए। भं अऩने अऩयाध की वजा ऩा चुक ा शॉ ू , फपय भुझवे ऐवी गरती नशी शोगी।

इव ऩय शनुभान जी फोरे -भं तुम्शे तबी छोडू ॊ गा, जफ तुभ भुझे लचन दोगे फक श्री याभ के बि को कबी ऩये ळान नशी कयोगे। मफद तुभने ऐवा फकमा, तो भं तुम्शं कठोय दॊड दॊग ू ा। ळसन ने सगड़ेसगड़ेाकय कशा -भं लचन दे ता शॊू फक कबी

बूरकय बी आऩके औय श्री याभ के बि की यासळ ऩय नशी आऊॉगा। आऩ भुझे छोड़े दं । तबी शनुभान जी ने ळसनदे ल को छोड़े फदमा। फपय शनुभान जी वे ळसनदे ल ने अऩने घालो की ऩीड़ेा सभटाने के सरए ते र भाॊगा। शनुभान जी ने जो ते र

फदमा, उवे घाल ऩय रगाते शी ळसन दे ल की ऩीड़ेा सभट गई। उवी फदन वे ळसनदे ल को ते र चढ़ामा जाता शं , त्जववे उनकी ऩीडा ळाॊत शो जाती शं औय ले प्रवन्न शो जाते शं ।

श्री शनुभान मॊि ळास्त्रं भं उल्रे ख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमादेल ने मा जी ा जी के आदे ळ ऩय शनुभान जी को अऩने ते ज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीला​ाद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा सान दॉ ग ू ा। त्जववे मश तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लिा शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके वभन फरळारी औय कोई

नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुळाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं दयू शोती शं , इव मॊि भं

अद्भत ु ळत्रि वभाफशत शोने के कायण व्मत्रि की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यि दोऴ, लीमा दोऴ, भूछा​ा, नऩुॊवकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं । अथा​ात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता शं । श्री शनुभान मॊि व्मत्रि

को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रे त, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम, चोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे यषा कयता शं औय सवत्रि प्रदान कयने भं वषभ शं । श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामा​ारम भं वॊऩका कयं ।

भू ल् म Rs- 730 वे 10900 तक >> Shop Online | Order Now

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अप्रैर-2015

26

वला सवत्रिदामक शनुभान भन्ि

 त्रलजम ठाकुय श्री याभ बि शनुभान जी के इव भॊि के प्रमोग वे वाधक को वबी प्रकाय के ळुब कामं को सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शोती शं ।

त्रलद्रलानो के भतानुळाय भॊि को सवि कयने के सरए फकवी शनुभान जी के भत्न्दय भं मा फकवी एकाॊत स्थान का चमन कयके , शनुभान जी के त्रलग्रश का ऩॊचोऩचाय ऩूजन कयं औय ळुि घी का दीऩ जरा कय फे वन के ररडू का बोग रगा कय इव भॊि का जऩ कयं ।

फुिानुच्चाट्मोच्चाट्म

ऩयफरान ्

षोबम

षोबम

भभ

वलाकामा​ात्ण वाधम वाधम । ॐ नभो शनुभते ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ पट्। दे फश ॐ सळल सवत्रि ॐ । ह्राॊ ॐ ह्रीॊ ॐ ह्रूॊ ॐ ह्र् स्लाशा। नोट: कामा सवि रे उि भॊि का ग्मायश फदन तक प्रसतफदन एक

भारा जऩ कयं जऩ ऩूणा शोने ऩय इवी भॊि वे त्रलसधलत दळभाॊळ शलन कयं । त्रलद्रानो का कथन शं की उि प्रमोग वे वाधक के वबी असबद्श कामं की सवत्रि शोती शं । उवके कामं भं आने लारी त्रलसबन्न ऩये ळानीमा स्लत् दयू शोने रगती शं ।

शनु भ ान भॊ ि :

ॐ नभो शनुभते वलाग्रशान बूत बत्रलष्मद्-लताभानान दयू स्थ वभीऩस्मान सछॊ सध सछॊ सध सबॊसध सबॊसध वलाकार दद्श ु

श्री भशालीय भॊ ि : शनुभान जी के ध्मान भॊि का उऩ कयके भशालीय भॊि का 22 शजाय जऩ कयने का त्रलधान शं । जऩ ऩूणा शोने ऩय के रे औय

भॊि सवि स्पफटक श्री मॊि "श्री मॊि" वफवे भशत्लऩूणा एलॊ ळत्रिळारी मॊि शै । "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै क्मोफक मश अत्मन्त ळुब र्रदमी मॊि शै । जो न केलर दव ू ये मन्िो वे असधक वे असधक राब दे ने भे वभथा शै एलॊ वॊवाय के शय व्मत्रि के सरए पामदे भॊद वात्रफत शोता शै । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि "श्री मॊि" त्जव व्मत्रि के घय भे शोता शै उवके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त र्रदामी सवि शोता शै

उवके दळान भाि वे अन-सगनत राब एलॊ वुख की प्रासद्ऱ शोसत शै । "श्री मॊि" भे वभाई अफद्रसतम एलॊ अद्रश्म ळत्रि भनुष्म की वभस्त ळुब इच्छाओॊ को ऩूय ा कयने भे वभथा शोसत शै । त्जस्वे उवका जीलन वे शताळा औय सनयाळा दयू शोकय लश भनुष्म

अवर्रता वे वर्रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता शै एलॊ उवे जीलन भे वभस्त बौसतक वुखो फक प्रासद्ऱ शोसत शै । "श्री मॊि" भनुष्म जीलन भं उत्ऩन्न शोने लारी वभस्मा-फाधा एलॊ नकायात्भक उजा​ा को दयू कय वकायत्भक उजा​ा का सनभा​ाण कयने भे वभथा

शै । "श्री मॊि" की स्थाऩन वे घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने वे लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फत्न्धत ऩये ळासन भे न्मुनता आसत शै ल वुख-वभृत्रि, ळाॊसत एलॊ ऐद्वमा फक प्रसद्ऱ शोती शै ।

गु रुत्ल कामा​ा र म भे "श्री मॊ ि" 12 ग्राभ वे 2250 Gram (2.25Kg) तक फक वाइज भे उप्रब्ध शै .

भूल्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 10.50 वे Rs.28.00 >>Shop Online |Order Now

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अप्रैर-2015

27

आभ के परं वे त्रलसधलत शलन कयं । शलन ऩूणा शोने ऩय 22 मा जी चारयमं को बोजन कयाना चाफशए । इव वाधना वे

भारा भॊि:

बगलान भशालीय प्रवन्न शोते शं औय आधक को सवत्रि प्रदान

ॐ लज्र-काम लज्र तुण्ड कत्रऩर त्रऩॊगर ऊध्ला-केळ भशालीय

ध्मान भॊि:

भशा दृढ़ प्रशारयन रन्केद्वय लधाम भशा वे तु फॊध भशा ळैर

कयते शं ।

याभे द्शसभिभ ् जगदे कलीयभ ् प्रलॊगयाजे न्द्रकृत प्रणाभभ ् । वुभेरु ळटन्गागभसचन्तमाभाद्यभ ् रृफद स्भे यशभ ् शनुभन्तभीरमभ ् ।।

भशालीय भॊ ि :

ॐ ह्रं शस्फ्रं ख्फ्रं शस्त्रं शस्ख्पं शवं शनुभते नभ्। वला काभना ऩूयक शनुभान भारा भन्ि:

वला काभना ऩूयक शनुभान भारा भन्ि को ळुब भुशूता भं

कुभकुभ अथला गोयोचन वे बोजऩि ऩय सरख कय त्रलधान के वाथ ऩूजन कयके मन्ि अथा​ात तात्रलज भं यख कय धायण कयने वे नज़य टोना-टोटका बूत-प्रे त आफद फाधाएॊ ळाॊत शो

जाती शं । इव भॊि का जऩ तथा शलन कयने वे बी ळाॊसत प्राद्ऱ शोती शं । शनुभान जी की भूसता मा सचि के वम्भुख इव भॊि के 51 ऩाठ कयं , इव भॊि को बोजऩि ऩय सरखकय ऩाव भं यखने वे वाधक को वबी ळुब कामं भं वपरता सभरती शं ।

वुयि भुख तफडत्ज्जह्व भशा-यौद्र दॊद्सोत्कट कश कश कयासरने

प्रलाश गगने चय एह्ये फशॊ बगलन्भशा फर ऩयाक्रभ बैयलासाऩम

एह्ये फश भशायौद्र दीघा ऩुच्छे न ले द्शम लैरयणभ ् बन्जम बन्जम शॉु पट् ।।

उदय व्मासधनाळक शनु भ न भॊ ि : भॊि:

ॐ मो मो शनुभन्त परपसरत धग्धसगत आमुयाऴ् ऩरुडाश ।

उि भन्ि के प्रसतफदन 11 फाय ऩाठ कयने वे , जफटर ऩे ट के योग बी ळाॊत शो जाते शं । श्री शनुभद् भॊि इव भॊि का प्रसतफदन एक भार (108 फाय) जऩ कयने वे सवत्रि प्राद्ऱ शोती शै -

श्री शनुभद् भॊि:

ॐ एॊ ह्रीॊ शनुभते याभदत ू ाम रॊका त्रलध्लॊवनऩामाॊनीगबावॊबूताम

ळाफकनी डाफकनी त्रलध्लॊवनाम फकसर फकसर फुलुकये ण त्रलबीऴणाम शनुभद्दे लाम ॐ ह्रीॊ श्रीॊ ह्रं ह्राॊ पट् स्लाशा।

नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि ळास्त्र लचन के अनुवाय ळुि वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नलयत्न जड़ेला ने ऩय मश नलयत्न

जफड़ेत श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनत्द्ळत स्थान ऩय जड़े कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने वे व्मत्रि को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रि को एवा आबाव शोता शं जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं ।

नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायण कयने लारे व्मत्रि ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं । गरे भं शोने के कायण मॊि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊद ु ळयीय को

रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे ते जस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जैवे

अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोि लचन शं । इव प्रकाय के नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि गुरूत्ल कामा​ारम द्राया ळुब भुशूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते शं । Rs: 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 वे असधक

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अप्रैर-2015

28

शनुभान आयाधना के प्रभुख सनमभ

 ऩॊ. श्री बगलानदाव त्रिले दी जी, वॊफदऩ ळभा​ा शनुभान जी ळीघ्र प्रवन्न शोने लारे दे लता शं , जो असत

की त्रलदे ळं भं बी कोई कभी नशीॊ शं । शनुभान जी के

वयरता वे अल्ऩ ऩूजन वे शी प्रवन्न शो जाते शं । मािा

भॊफदय सनकटतभ वबी जगम त्स्थत शोने के कायाण

के दौयान शनुभान जी के नाभ भाि वे वभस्त वॊकटो का

शनुभान जी तक ऩशॉ ू च ने भं उनके बिं को असधक

सनलायण शो जाता शं ।

कफठनाई बी नशीॊ आती शै ।

 इव सरमे तो शनुभान चारीवा भं आता शं की "वॊ क ट

 भनुष्म का वफवे फड़ेा ळिु उवका बम शोता शं ,

तं शनु भान छु ड़ेालै। भन क्रभ फचन ध्मान जो रालै ॥ "

शनुभान जी की आयाधना कयने लारे बिो को वॊवाय

शनुभान जी के ध्मान भनन भाि वे वॊकटो का सनलायण शो जाता शं ।  फजयॊ ग फाण भं बी आता शं , की "उय प्रतीसत दृढ़, वयन ह्वै , ऩाठ कयै धरय ध्मान। फाधा वफ शय, कयं व फ काभ वपर शनु भ ान॥" शनुभान जी के स्भयण भाि वे शी वाधक की अने क ऩये ळानीमाॊ एलॊ वॊकटो का सनलायण शो जाता शं , इव भं जया बी वॊळम नशीॊ शं ।  जो वाधक

ऩूणा

त्रलसध-त्रलधान

वे

शनुभान जी की आयाधना कय कृऩा प्राद्ऱ कयना चाशते शं उनके सरए प्रस्तुत शं कुछ उऩमोगी वुझाल..

“ऩयस्त्री-ऩयऩुरुऴ

भं

आवि, लावना मा स्लाथा ऩूसता कयने लारे ऩय कबी

इद्श कृऩा नशीॊ शोती। लयन उव व्मत्रि के ऩूला कार के अत्जात ऩूण्म का बी नाळ

शो जाता शं । इव फात का

प्रत्मष उदाशयण यालण शं ,

त्जवे वबी सवत्रिमा प्राद्ऱ शोते शुले बी ऩयस्त्री की

के वकर बमो वे भुत्रि सभरती शं । 

शनुभान जी की आयाधना ळुिता

एलॊ ऩत्रलिता वे कयना असनलामा शं । 

शनुभान जी को प्रवाद भं ळुि घी

की फनी सभठाई चढानी चाफशए। 

मफद

घय

भं

शनुभान

प्रसतभा

स्थात्रऩत की शं तो उवे सतर के ते र भं सभर शुए सवॊदयू का रे ऩन कयना चाफशए औय मफद घय भं भूसता नशीॊ शं तो फकवी भॊफदय भं ते र औय सवॊदयू को शनुभाजी ऩय चढाने के सरए बे ट कय वकते शं । ऩयस्त्री-ऩयऩुरुऴ भं आवि, लावना

काभना के कायण उवकी

गई।”

कृऩा नशीॊ शोती। लयन उव व्मत्रि के ऩूला

वभस्त सवत्रिमाॊ नद्श शो

 लताभान मुग भं शनुभान जी की आयाधना तत्कार पर दे ने लारी शं ।  इवी सरमे शनुभान जी जन-जन के दे ल भाने जाते शं । इव फात का मशीॊ प्रभाण शं की बायत के शय छोटे फडे ळशय-गाॉल भं शनुभान जी का भॊफदय अलश्म दे खने को सभर जाता शं । बायत भं शी क्मं त्रलदे ळं भं बी शनुभान जी के भॊफदय ऩामे जाते शं , औय उनके बिो

मा स्लाथा ऩूसता कयने लारे ऩय कबी इद्श कार के अत्जात ऩूण्म का बी नाळ शो

जाता शं । इव सरए शनुभान जी की कृऩा प्रासद्ऱ की इच्छा यखने लारे को ऩयस्त्री- ऩय ऩुरुऴ की काभना मा वॊगसत का त्माग कय के अऩनी ऩत्नी मा ऩसत के प्रसत लपादाय यशना चाफशए। इव फात का प्रत्मष उदाशयण यालण शं , त्जवे वबी सवत्रिमा प्राद्ऱ शोते शुले बी ऩयस्त्री की काभना के कायण उवकी वभस्त सवत्रिमाॊ नद्श शो गई।


अप्रैर-2015

29

 शनुभान जी को रार, ऩीरे फड़े​े पूर अत्रऩात कयने

 जानकायो के भत वे शनुभाजी के भन्ि जऩ के सरए

चाफशए जैवे कभर, गंदे, वूमाभुखी के पूर अत्रऩात

वात्त्लक कामा के सरए रुद्राष का प्रमोग उत्तभ शोता शं

कयने ऩय शनुभान जी ळीघ्र प्रवन्न शोते शं । शनुभान

औय ऩयाक्रभी कामं मा ताभवी कामं के सरए भूॊगे की

कई जगश शनुभानजी को आॊकड़े​े (आॊक ) के पूर

 शनुभान जी की आयाधना ऩूणा आस्था, श्रिा औय वे ला

जी को आॊकड़े​े (आॊक ) के पूर बी त्रप्रम शं , इव सरए अत्रऩात फकमे जाते शं ।

भारा उत्तभ परदामक शोती शं । बाल वे कयनी चाफशए।

 ऩूजन भं नैलेद्य के रुऩ भं शनुभानजी को प्रात् भं गुड़े ,

 शनुभान जी का फदन भॊगरलाय शै । इव फदन की जाने

नारयमर का गोरा औय रडू का प्रवाद अऩाण कयना

लारी त्रलळे ऴ ऩूजा-अचाना, व्रत-उऩलाव मा वाधना बी

चाफशए, दोऩशय के वभम भं गुड़े , घी औय गेशूॊ की

त्रलळे ऴ परप्रद शोती शं ।

योटी का चूयभा का प्रवाद अत्रऩात कयना चाफशए। यात्रि भं आभ, अभरूद, केरा आफद परं का प्रवाद अत्रऩात कयने चाफशए।

 शनुभान जी की फकवी वाधना त्रलळे ऴ मा व्रत-उऩलाव के दौयान मा जी चमा का अलश्म ऩारन कयना चाफशए।  शनुभान जी को नैलेद्य भै अत्रऩात फकमा गमा प्रवाद बि को ग्रशण कयना चाफशए।

 भॊगरलाय के अराला ळसनलाय को बी शनुभान ऩूजा का त्रलधान ळास्त्रं भं सभरता शं ।

 शनुभान जी के ऩूजन वे ग्रशं का अळुब प्रबाल कभ शो जाता शं ।  इवसरए शनुभान वाधना कयने लारे वाधकं भं वूमा तत्ल अथा​ात आत्भत्रलद्वाव, ओज, ते जत्स्लता आफद त्रलळे ऴ रूऩ वे आ जाते शं । मश ते ज शी वाधकं को

 भॊि जऩ कयते वभम शनुभान जी की प्रसतभा मा सचि के वभष उनके ने िं की ओय दे खते शुए भॊिं के जऩ कयना अत्मॊत राबदामक शोता शं ।

वाभान्म व्मत्रिमं वे अरग कयता शै ।  शनुभान आयाधना के कुछ त्रलळे ऴ सनमभं का ऩारन कय के त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ शो वकते शं ।

दत्षणालसता ळॊ ख आकाय रॊ फ ाई भं

पाईन

वु ऩ य पाईन स्ऩे ळर

0.5" ईंच

180

230

1" to 1.5" ईंच

280

2" to 2.5" ईंच 3" to 3.5" ईंच

आकाय रॊ फ ाई भं

पाईन

वु ऩ य पाईन

स्ऩे ळर

730

910

1050

370

280 4" to 4.5" ईंच 460 5" to 5.5" ईंच

1050

1250

1450

370

460

640 6" to 6.5" ईंच

1250

1450

1900

460

550

820 7" to 7.5" ईंच

1550

1850

2100

शभाये मशाॊ फड़े​े आकाय के फकभती ल भशॊगे ळॊख जो आधा रीटय ऩानी औय 1 रीटय ऩानी वभाने की षभता लारे शोते शं। आऩके अनुरुध ऩय उऩरब्ध कयाएॊ जा वकते शं।

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 स्ऩेळर गुणलत्ता लारा दत्षणालसता ळॊख ऩूयी तयश वे वपे द यॊ ग का शोता शं।  वुऩय पाईन गुणलत्ता लारा दत्षणालसता ळॊख पीके वपे द यॊ ग का शोता शं।  पाईन गुणलत्ता लारा दत्षणालसता ळॊख दं यॊ ग का शोता शं।

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अप्रैर-2015

30

स्लमॊप्रबा ने की याभदत ू शनुभान की वशामता?

 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी भाॉ वीता की खोज कयते -कयते शनुभान, जाम्फॊत, अॊगद आफद स्लमॊप्रबा के आश्रभ भं ऩशॉ ु चे। उन्शं जोयं की बूख

औय प्माव रगी थी। उन्शं दे खकय स्लमॊप्रबा ने ऩूछा फक् क्मा तुभ शनुभान शो? श्रीयाभजी के दत ू शो? वीता जी की खोज भं सनकरे शो?"

शनुभानजी ने कशा् "शाॉ, भाॉ! शभ वीता भाता की खोज भं इधय तक आमे शं ।" फपय स्लमॊप्रबा ने अॊगद की ओय दे खकय कशा् तुभ वीता जी को खोज तो यशे शो, फकन्तु आॉ खं फॊद कयके खोज यशे शो मा आॉ खं खोरकय?" अॊगद फोरा् शभ क्मा आॉ खं फन्द कयके खोजते शंगे? शभ तो आॉ खं खोरकय शी भाता वीता की खोज कय यशे शं । स्लमॊप्रबा फोरी् वीताजी को खोजना शै तो आॉ खं खोरकय नशीॊ फॊद कयके खोजना शोगा। वीता जी अथा​ात ्

बगलान की अधांसगनी, वीताजी मानी मा जी त्रलद्या, आत्भत्रलद्या। मा जी त्रलद्या को खोजना शै तो आॉ खं खोरकय नशीॊ आॉ खं फॊद कयके शी खोजना ऩड़े​ेगा। आॉ खं खोरकय खोजोगे तो वीताजी नशीॊ सभरं गीॊ। तुभ आॉ खं फन्द कयके शी वीताजी ( मा जी त्रलद्या) को ऩा वकते शो। ठशयो भं तुम्शे फताती शॉ ू फक वीता जी अबी कशाॉ शं ।

ध्मान कयके स्लमॊप्रबा ने फतामा् वीताजी मशाॉ कशीॊ बी नशीॊ, लयन ् वागय ऩाय रॊका भं शं । अळोकलाफटका भं फैठी

शं औय याषसवमं वे सघयी शं । उनभं त्रिजटा नाभक याषवी शं तो यालण की वे त्रलका, फकन्तु वीताजी की बि फन गमी शै । वीताजी लशीॊ यशती शं ।" याभदत ू लानय वोचने रगे फक बगलान याभ ने तो एक भशीने के अॊदय वीता भाता का ऩता रगाने के सरए कशा

था। अबी तीन वद्ऱाश वे ज़्मादा वभम तो मशीॊ शो गमा शं । लाऩव क्मा भुॉश रे कय जाएॉ ? वागय तट तक ऩशॉ ु चते -ऩशॉ ु चते कई फदन रग जाएॉ गे। अफ क्मा कयं ?

उनके भन की फात जानकय स्लमॊप्रबा ने कशा् सचन्ता भत कयो। अऩनी आॉ खं फॊद कयो। भं मोगफर वे एक षण भं तुम्शं लशाॉ ऩशॉ ु चा दे ती शॉ ू ।

शनुभान, अॊगद औय अन्म लानय अऩनी आॉ खं फन्द कयते शं औय स्लमॊप्रबा अऩनी मोगळत्रि वे उन्शं वागय -तट

ऩय कु छ शी ऩर भं ऩशॉ ु चा दे ती शं ।

इव सरमे श्रीयाभचरयतभानव भं उल्रे ख शं । “ठाड़े​े वकर सवॊ ध ु के तीया। ”

क्मा आऩ फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शं ? आऩके ऩाव अऩनी वभस्माओॊ वे छु टकाया ऩाने शे तु ऩूजा-अचाना, वाधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का वभम नशीॊ शं ?

अफ आऩ अऩनी वभस्माओॊ वे फीना फकवी त्रलळे ऴ ऩूजा-अचाना, त्रलसध-त्रलधान के आऩको अऩने कामा भं वपरता प्राद्ऱ कय वके एलॊ आऩको अऩने जीलन के वभस्त वुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ शो वके इव सरमे गुरुत्ल कामा​ारत द्राया शभाया उदे श् म ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श ते जस्ली भॊिो द्राया सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि त्रलसबन्न प्रकाय के मन्ि- कलच एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशोचाने का शै । Call Us : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785, E-mail Us:- gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in


अप्रैर-2015

31

|| श्री शनुभान चारीवा || || दोशा || श्री गुरु चयन वयोज यज,

यघुऩसत कीन्शी फशुत फड़ेाई।

औय भनोयथ जो कोई रालै।

वशव फदन तुम्शयो जव गालं।

चायं जुग ऩयताऩ तुम्शाया।

तुभ भभ त्रप्रम बयतफश वभ बाई॥ ॥१२॥

वोइ असभत जीलन पर ऩालै॥ ॥२८॥

फयनऊॉ यघुफय त्रफभर जवु,

अव कफश श्रीऩसत कॊठ रगालं॥ ॥१३॥

शै ऩयसवि जगत उत्जमाया॥ ॥२९॥

जो दामकु पर चारय॥

वनकाफदक मा जी ाफद भुनीवा।

वाधु वॊत के तुभ यखलाये ।

फुत्रिशीन तनु जासनके ,

नायद वायद वफशत अशीवा॥ ॥१४॥

वुसभयं ऩलन-कुभाय।

जभ कुफे य फदगऩार जशाॉ ते ।

अवुय सनकॊ दन याभ दर ु ाये ॥ ॥३०॥

फर फुत्रि त्रफद्या दे शु भोफशॊ ,

कत्रफ कोत्रफद कफश वके कशाॉ ते ॥ ॥१५॥

अव फय दीन जानकी भाता॥ ॥३१॥

शयशु करे व त्रफकाय॥

तुभ उऩकाय वुग्रीलफशॊ कीन्शा।

याभ यवामन तुम्शये ऩावा।

|| चौऩाई ||

जम शनुभान सान गुन वागय।

याभ सभराम याज ऩद दीन्शा॥ ॥१६॥ तुम्शयो भॊि त्रफबीऴन भाना।

वदा यशो यघुऩसत के दावा॥ ॥३२॥

जम कऩीव सतशॉ ु रोक उजागय॥ ॥१॥

रॊकेस्लय बए वफ जग जाना॥ ॥१७॥

जनभ-जनभ के दख ु त्रफवयालै॥ ॥३३॥

सनज भनु भुकुरु वुधारय।

अद्श सवत्रि नौ सनसध के दाता।

तुम्शये बजन याभ को ऩालै।

याभदत ू अतुसरत फर धाभा।

जुग वशस्र जोजन ऩय बानू।

अॊजसन-ऩुि ऩलनवुत नाभा॥ ॥२॥

रील्मो ताफश भधुय पर जानू॥ ॥१८॥

जशाॉ जन्भ शरय-बि कशाई॥ ॥३४॥

भशाफीय त्रफक्रभ फजयॊ गी।

प्रबु भुफद्रका भे सर भुख भाशीॊ।

औय दे लता सचत्त न धयई।

कुभसत सनलाय वुभसत के वॊगी॥ ॥३॥

जरसध राॉसघ गमे अचयज नाशीॊ॥ ॥१९॥

शनुभत वे इ वफा वुख कयई॥ ॥३५॥

कॊचन फयन त्रफयाज वुफेवा।

दग ा काज जगत के जे ते। ु भ

वॊकट कटै सभटै वफ ऩीया।

याभ दआ ु ये तुभ यखलाये ।

जम जम जम शनुभान गोवाईं।

कानन कुॊडर कुॊसचत के वा॥ ॥४॥ शाथ फज्र औ ध्लजा त्रफयाजै।

काॉधे भूॉज जने ऊ वाजै।। ॥५॥

अन्तकार यघुफय ऩुय जाई।

वुगभ अनुग्रश तुम्शये ते ते॥ ॥२०॥

जो वुसभयै शनुभत फरफीया॥ ॥३६॥

शोत न आसा त्रफनु ऩैवाये ॥ ॥२१॥

कृ ऩा कयशु गुरुदे ल की नाईं॥ ॥३७॥

वॊकय वुलन केवयीनॊदन।

वफ वुख रशै तुम्शायी वयना।

ते ज प्रताऩ भशा जग फन्दन॥ ॥६॥

तुभ यषक काशू को डय ना॥ ॥२२॥

छूटफश फॊफद भशा वुख शोई॥ ॥३८॥

आऩन ते ज वम्शायो आऩै।

जो मश ऩढ़ै शनुभान चारीवा।

याभ काज करयफे को आतुय ॥ ॥७॥

तीनं रोक शाॉक तं काॉऩै॥ ॥२३॥

शोम सवत्रि वाखी गौयीवा॥ ॥३९॥

प्रबु चरयि वुसनफे को यसवमा।

बूत त्रऩवाच सनकट नफशॊ आलै।

तुरवीदाव वदा शरय चेय ा।

याभ रखन वीता भन फसवमा॥ ॥८॥

भशाफीय जफ नाभ वुनालै॥ ॥२४॥

कीजै नाथ रृदम भॉ श डे या॥ ॥४०॥

त्रफकट रूऩ धरय रॊक जयाला॥ ॥९॥

जऩत सनयॊ तय शनुभत फीया॥ ॥२५॥

ऩलनतनम वॊकट शयन,

बीभ रूऩ धरय अवुय वॉ शाये ।

वॊकट तं शनुभान छुड़ेालै।

भॊगर भूय सतरूऩ।

याभचॊद्र के काज वॉ लाये ॥ ॥१०॥

भन क्रभ फचन ध्मान जो रालै॥ ॥२६॥

याभ रखन वीता वफशत,

राम वजीलन रखन त्जमामे ।

वफ ऩय याभ तऩस्ली याजा।

श्रीयघुफीय शयत्रऴ उय रामे ॥ ॥११॥

सतन के काज वकर तुभ वाजा॥ ॥२७॥

रृदम फवशु वुय बूऩ॥

त्रलद्यालान गुनी असत चातुय ।

वूक्ष्भ रूऩ धरय सवमफशॊ फदखाला।

नावै योग शयै वफ ऩीया।

जो वत फाय ऩाठ कय कोई।

|| दोशा ||

|| इसत श्री शनुभान चारीवा वम्ऩूणा ||


अप्रैर-2015

32

॥ फजयॊ ग फाण ॥ ॥ दोशा ॥

ॐ शनु शनु शनु शनुभॊत शठीरे ।

ऩामॉ ऩयं, कय जोरय भनाई॥

सनद्ळम प्रे भ प्रतीसत ते ,

फैरयफश भारु फज्र की कीरे ॥

ॐ चॊ चॊ चॊ चॊ चऩर चरॊता।

ते फश के कायज वकर ळुब ,

ॐ ह्नीॊ ह्नीॊ ह्नीॊ शनुभॊत कऩीवा।

त्रफनम कयं वनभान। सवि कयं शनुभान॥ ॥ चौऩाई ॥

जम शनुभॊत वॊत फशतकायी । वुन रीजै प्रबु अयज शभायी॥ जन के काज त्रफरॊफ न कीजै। आतुय दौरय भशा वुख दीजै॥ जैवे कूफद सवॊध ु भफशऩाया । वुयवा फदन ऩैफठ त्रफस्ताया॥ आगे जाम रॊफकनी योका । भाये शु रात गई वुय रोका॥ जाम त्रफबीऴन को वुख दीन्शा। वीता सनयत्ख ऩयभऩद रीन्शा॥ फाग उजारय सवॊध ु भशॉ फोया ।

असत आतुय जभकातय तोया॥ अषम कुभाय भारय वॊशाया । रूभ रऩे फट रॊक को जाया॥

राश वभान रॊक जरय गई । जम जम धुसन वुयऩुय नब बई॥ अफ त्रफरॊफ केफश कायन स्लाभी। कृ ऩा कयशु उय अॊतयमाभी॥

जम जम रखन प्रान के दाता। आतुय ह्वै दख ु कयशु सनऩाता॥ जै शनुभान जमसत फर-वागय। वुय -वभूश-वभयथ बट-नागय॥

ॐ शनु शनु शनु शनु शनुभॊता॥

ॐ शुॊ शुॊ शुॊ शनु अरय उय वीवा॥

ॐ शॊ शॊ शाॉक दे त कत्रऩ चॊचर।

जम अॊजसन कुभाय फरलॊता ।

ॐ वॊ वॊ वशसभ ऩयाने खर-दर॥

ळॊकयवुलन फीय शनुभॊता॥

अऩने जन को तुय त उफायौ।

फदन कयार कार-कुर-घारक।

वुसभयत शोम आनॊद शभायौ॥

याभ वशाम वदा प्रसतऩारक॥

मश फजयॊ ग-फाण जे फश भायै ।

बूत, प्रे त, त्रऩवाच सनवाचय ।

ताफश कशौ फपरय कलन उफायै ॥

असगन फे तार कार भायी भय॥ इन्शं भारु, तोफश वऩथ याभ की।

ऩाठ कयै फजयॊ ग-फाण की।

शनुभत यषा कयै प्रान की॥

याखु नाथ भयजाद नाभ की॥

मश फजयॊ ग फाण जो जाऩं।

याभ दत ू धरु भारु धाइ कै ॥

धूऩ दे म जो जऩै शभे वा।

वत्म शोशु शरय वऩथ ऩाइ कै ।

जम जम जम शनुभॊत अगाधा।

तावं बूत -प्रे त वफ काऩं॥

ताके तन नफशॊ यशै करे वा॥

दख ु ऩालत जन के फश अऩयाधा॥

॥ दोशा ॥

ऩूजा जऩ तऩ ने भ अचाया।

उय प्रतीसत दृढ़, वयन ह्वै ,

नफशॊ जानत कछु दाव तुम्शाया॥

ऩाठ कयै धरय ध्मान।

फन उऩफन भग सगरय गृश भाशीॊ। तुम्शये फर शं डयऩत नाशीॊ॥

फाधा वफ शय, कयं वफ काभ वपर शनुभान॥

जनकवुता शरय दाव कशालौ।

कुछ वॊस्कयणं भं उऩयोि दोशा "उय

ताकी वऩथ त्रफरॊफ न रालौ॥

प्रतीसत दृढ़, वयन ह्वै " के स्थान ऩय

जै जै जै धुसन शोत अकावा। वुसभयत शोम दव ु श दख ु नावा॥

सनम्न

प्रकाय

वे

उल्रे त्खत फकमा

गमा शै ।

चयन ऩकरय, कय जोरय भनालं।

“प्रे भ प्रतीसतफशॊ कत्रऩ बजै ।

मफश औवय अफ के फश गोशयालं॥

वदा धयं उय ध्मान।

उठु , उठु , चरु, तोफश याभ दशु ाई।

ते फश के कायज तु य त शी, सवि कयं शनु भान॥


अप्रैर-2015

33

॥अथ एकभुखी शनुभान ् कलचभ ् ॥

श्री एक भुखी शनुभत ् कलच

ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ पट् । घे घे घे ॐ सळलसवत्रिॊ ॐ ह्राॊ ॐ ह्रीॊ

॥श्रीयाभदाव उलाच ॥

ॐ ह्रूॊ ॐ ह्रं ॐ ह्रं ॐ ह्र: स्लाशा । ऩय कृत मन्ि भन्ि

एकदा वुखभावीनॊ ळॊकयॊ रोकळॊकयभ ् ।

ऩयाशॊ काय बूत प्रे त त्रऩळाच दृत्रद्श वला त्रलघ्न दज ु ान चेद्शा

प्रऩच्छ सगरयजाकाॊतॊ कऩूाय धलरॊ सळलभ ् ॥

कुत्रलद्या वलोग्रबमासन सनलायम सनलायम फन्ध फन्ध रुण्ठ

॥ऩालात्मुलाच ॥

रुण्ठ त्रलरुञ्च त्रलरुञ्च फकसर फकसर वलाकुमन्िात्ण दद्श ु लाचॊ

बगलन ् दे लदे लेळ रोकनाथ जगत्प्रबो ।

ॐ शुॊ पट् स्लाशा ।

ळोकाकुरानाॊ रोकानाॊ केन यषा बले द् ध्रुलभ ् ॥

श्रिाऩूलाक प्राथाना कयने के उऩयाॊत शाथ की अॊजरी भं

वॊग्राभे वॊकटे घोये बूत प्रे ताफदके बमे ।

जर रे कय त्रलसनमोग कयते शुए जर को ऩृ्ली ऩय छोड़े

द:ु ख दालात्ग्न वॊतद्ऱ चेतवाॊ द:ु खबासगनाभ ् ॥

दं । तत्ऩद्ळात ् लामुऩुि का ध्मान कयते शुए वम्ऩूणा अॊगं

॥श्रीभशादे ल उलाच ॥

का न्माव कयं । प्रत्मे क अॊग को ध्मान कयते शुए स्ऩळा

श्रृणु दे त्रल प्रलक्ष्मासभ रोकानाॊ फशतकाम्ममा ।

कयं ।

त्रलबीऴणाम याभे ण प्रे म्णा दत्तॊ च मत्ऩुय ा ॥

त्रलसनमोग् ॐ अस्म श्रीशनुभत ् कलच स्तोि भन्िस्म

कलचॊ कत्रऩ नाथस्म लामु ऩुिस्म धीभत: ।

श्रीयाभचन्द्र ऋत्रऴ:, श्रीशनुभान ् ऩयभात्भा दे लता, अनुद्शुऩ ्

गुह्यॊ तत्ते प्रलक्ष्मासभ त्रलळे ऴाच्रणु वुॊदरय ॥

छॊ द:, भारुतात्भज इसत फीजभ ्, ॐ अॊजनीवूनुरयसत ळत्रि:,

उद्यदाफदत्म वॊकाळभुदाय बुज त्रलक्रभभ ् ।

रक्ष्भण

श्रीयाभ रृदमानन्दॊ बि कल्ऩभशीरुशभ ् ।

भन्ि:,

अबमॊ लयदॊ दोभ्मां करमे भारुतात्भजभ ् ॥

वकरकाभनासविमे जऩे त्रलसनमोग:।

शनुभानञ्जनीवूनुला​ामुऩुिो भशाफर: ।

कयन्माव् ॐ ह्राॊ अञ्जनी वुताम अॊगद्ष ु ाभ्माॊ नभ:। ॐ ह्रीॊ

याभे द्श: पाल्गुनवख: त्रऩङ्गाषोऽसभतत्रलक्रभ: ॥

रुद्र भूत्तम ा े तजानीभ्माॊ नभ:। ॐ ह्रॊू याभ दत ू ाम भध्मभाभ्माॊ

कॊदऩा कोफट रालण्मॊ वला त्रलद्या त्रलळायदभ ् ॥

प्राण

दाते सत

कीरकभ ् याभदत ू ामे ती अस्त्रभ ्,

शनुभानदे लता इसत कलचभ ्, त्रऩङ्गाषोऽसभतत्रलक्रभ इसत

उदसधक्रभणद्ळैल वीताळोकत्रलनाळन: ।

श्रीयाभचन्द्रप्रे य णमा

याभचन्द्रप्रीत्मथं

भभ

नभ:। ॐ ह्रं लामु ऩुिाम अनासभकाभ्माॊ नभ:। ॐ अत्ग्न

रक्ष्भणप्राणदाता च दळग्रीलस्म दऩाशा ॥

गबा​ाम कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ:। ॐ ह्र: मा जी ास्त्र सनलायणाम

एलॊ द्रादळ नाभासन कऩीन्द्रस्म भशात्भन: ।

कयतर कय ऩृद्षाभ्माॊ नभ:।

तस्म वलाबमॊ नात्स्त यणे च त्रलजमी बले त ् ।

रुद्रभूतामे सळयवे स्लाशा। ॐ ह्रूॊ याभदत ू ाम सळखामै लऴट्।

स्लल्ऩकारे प्रफोधे च मािाकारे च म: ऩठे त ् ॥

रृदमाफदन्माव् ॐ ह्राॊ अञ्जनीवुताम रृदमाम नभ:। ॐ ह्रीॊ

याजद्राये गह्वये च बमॊ नात्स्त कदाचन ॥ उल्रङ्घ्म

सवन्धो:

वसररॊ

वरीरॊ

ॐ ह्रं म:

ळोकलफह्नॊ

लामुऩुिाम कलचाम शुभ ्। ॐ ह्रं अत्ग्नगबा​ाम

ने ि​िमाम लौऴट्। ॐ ह्र: मा जी ास्त्रसनलायणाम अस्त्राम पट्।

जनकात्भजामा: ।

॥ध्मानभ ् ॥

आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ्

ध्मामे द् फार फदलाकय द्युसत सनबॊ दे लारय दऩा​ाऩशॊ दे लेन्द्र

प्रभुख ॊ प्रळस्त मळवॊ दे दीप्मभानॊ रुचा ।

भॊि ॐ नभो शनुभते वला ग्रशान ् बूत बत्रलष्म द्रताभानान ्

वुग्रीलाफद वभस्त लानय मुतॊ वुव्मि तत्त्ल त्रप्रमॊ वॊय िारुण

वभीऩ

स्थान ्

वला

कार

दद्श ु

फुिीनुच्चाटमोच्चाटम

ऩयफरान ् षोबम षोबम भभ वला कामा​ात्ण वाधम वाधम

रोचनॊ ऩलनजॊ ऩीताम्फयारॊकृतभ ् ॥


34

अप्रैर-2015

उद्यन्भाताण्ड कोफट प्रकटरुसचमुतॊ चारुलीयावनस्थॊ

शनुभान ् ऩूलात: ऩातु दत्षणे ऩलनात्भज: ।

भौञ्जीमसोऩलीताबयणरुसचसळखॊ ळोसबतॊ कुॊडराङ्कभ ् ।

ऩातु प्रतीच्माॊ यषोघ्न् ऩातु वागयऩायग् ॥१॥

बिानासभद्शदॊ तॊ प्रणतभुसनजनॊ ले दनादप्रभोदॊ ध्मामे द् दे लॊ

उदीच्माभूध्लात् ऩातु के वयीत्रप्रमनन्दन् ।

लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गकेळाढ्मॊ स्लणाकुण्डर भत्ण्डतभ ् ।

अलान्तयफदळ् ऩातु वीताळोकत्रलनाळक् ।

सनगूढभुऩवङ्गम्म ऩायालायऩयाक्रभभ ् ॥

रङ्कात्रलदाशक: ऩातु वला​ाऩद्धभ्मो सनयन्तयभ ् ॥३॥

स्पफटकाबॊ स्लणाकात्न्तॊ फद्रबुजॊ च कृ ताञ्जसरभ ् ।

वुग्रीलवसचल् ऩातु भस्तकॊ लामुनन्दन् ।

कुण्डरद्रमवॊळोसबभुखाम्बोजॊ शरयॊ बजे ॥

बारॊ ऩातु भशालीयो भ्रुलोभाध्मे सनयन्तयभ ् ॥४॥

वव्मशस्ते गदामुिॊ लाभशस्ते कभण्डरुभ ् ।

ने िेच्छामाऩशायी च ऩातु न् प्रलगेद्वय् ।

उद्यदत्षणदोदाण्डॊ शनुभन्तॊ त्रलसचन्तमे त ् ॥

कऩोरौ कणाभूरे तु ऩातु श्रीयाभफकङ्कय् ॥५॥

ध्मान के उऩयाॊत श्रिाऩूलाक 11 फाय कलच भॊि का जाऩ कयं ।

नावाग्रभञ्जनीवूनु् ऩातु लक्िॊ शयीद्वय् ।

स्तम्बनॊ कुरु कुरु ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ ठॊ ठॊ ठॊ पट् स्लाशा ।

ऩातु दन्तानु पारगुनेद्शत्द्ळफुकॊ दैत्मऩादरृत ् ।

अञ्जनीगबावम्बूताम

बुजौ ऩातु भशाते जा् कयौ च चयणामुध् ।

त्रलधेमॊ प्रलगकुरऩसतॊ गोष्ऩदी बूतलासधाभ ् ॥

अधस्ताद् त्रलष्णुबिस्तु ऩातु भध्मॊ च ऩालसन् ॥२॥

कलच भन्ि् ॐ नभो शनुभदाख्मरुद्राम वला दद्श ु जन भुख ॐ

नभो

शनुभते

मळोऽरॊकृताम

याभरक्ष्भणानन्दकाम

कत्रऩवैन्मप्राकायाम ऩयोच्चाटनाम

ळोसबताननाम

ऩलातोत्ऩाटनाम

कुभाय

वुग्रीलवाह्यकयणाम

मा जी चमागम्बीयळब्दोदम

ह्रीॊ

लाचॊ रुद्रत्रप्रम् ऩातु त्जह्वाॊ त्रऩङ्गररोचन् ॥६॥ ऩातु कण्ठॊ च दैत्मारय् स्कन्धौ ऩातु वुय ासचात् ॥७॥ नखान्नखामुध् ऩातु कुषौ ऩातु कऩीद्वय् ॥८॥ लषो भुद्राऩशायी च ऩातु ऩाद्वे बुजामुध् ।

वलादद्श ु ग्रश सनलायणाम स्लाशा।

रङ्कासनबञ्जन् ऩातु ऩृद्षदे ळे सनयन्तयभ ् ॥९॥

ळाफकनी डाफकनीनाॊ त्रलऴभदद्श ु ानाॊ वलेऴाभाकऴामाकऴाम भदा म

गुह्यॊ ऩातु भशाप्रासो सरङ्गॊ ऩातु सळलत्रप्रम् ॥९॥

ॐ नभो शनुभते ऩाफश ऩाफश एफश एफश वलाग्रशबूतानाॊ

नासबॊ च याभदत ू स्तु कफटॊ ऩात्लसनरात्भज् ।

भदाम छे दम छे दम भृत्मून ् भायम भायम ळोऴम ळोऴम

ऊरू च जानुनी ऩातु रङ्काप्रावादबञ्जन् ।

प्रज्लर प्रज्लर बूत भण्डर त्रऩळाच भण्डर सनयवनाम बूत

जङ्घे ऩातु कत्रऩश्रेद्षो गुल्पौ ऩातु भशाफर् ॥१०॥

ज्लय प्रे त ज्लय चातुसथाक ज्लय त्रलष्णु ज्लय भशे ळ ज्लयॊ

अचरोिायक् ऩातु ऩादौ बास्कयवत्न्नब् ।

सछत्न्ध

अङ्गान्मसभतवत्त्लाढम् ऩातु ऩादाङ्गुरीस्तथा ॥११॥

सछत्न्ध

सबत्न्ध

सबत्न्ध

अत्षळूर

ऩषळूर

सळयोऽभ्मन्तये ळूर गुल्भळूर त्रऩत्तळूर मा जी याषवकुरच्छे दनॊ

वला​ाङ्गासन भशाळूय ् ऩातु योभात्ण चात्भत्रलत ् ।

कुरु प्रफरनागकुरत्रलऴॊ सनत्रलाऴॊ कुरु कुरु झफटसत झफटसत ।

कुभाय् कन्मकाॊ ऩातु त्रऩङ्गाष् ऩातु लै ऩळून ् ॥१२॥

ॐ ह्राॊ ह्रीॊ पट् वला ग्रशसनलायणाम स्लाशा।

लामुवूनु् वुतान्ऩातु भागं ऩातु भशाफरी ।

नभो

शनुभते

ऩलनऩुिाम

लैद्वानयभुखाम

ऩाऩदृत्रद्श

द्रोणाचरवुय स्थामी याजद्राये ऽत्रऩ यष भाभ ् ॥१३॥

चोयदृत्रद्श शनुभदासास्पुय ॐ स्लाशा।

जानकीळोकबमरृत्कुटु म्फॊ कत्रऩलल्रब् ।

स्लगृशे द्राये ऩट्टके सतद्ष सतद्षे सत ति योगबमॊ याजकुरबमॊ

यषाशीनॊ तु मत्स्थानॊ यषताॊ मभफकङ्कय् ॥१४॥

नात्स्त तस्मोच्चायणभािेण वले ज्लया नश्मत्न्त। ॐ ह्राॊ ह्रीॊ

शनुभत्कलचॊ मस्तु ऩठे द् त्रलद्रान ् त्रलचषण् ।

ह्रूॊ पट् घे घे स्लाशा।

व एल ऩुरुऴश्रेद्षो बुत्रिॊ भुत्रिॊ च त्रलन्दसत ॥१५॥

॥कलच ॥

त्रिकारभे ककारॊ ला ऩठे न्भाविमॊ नय् ।

॥श्रीयाभचन्द्र उलाच ॥

वला​ानृरयऩून ् षणात्ज्जत्ला व ऩुभान ् सश्रमभाप्नुमात ् ॥१६॥


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अप्रैर-2015

भध्मयािे जरे त्स्थत्ला वद्ऱलायॊ ऩठे द्यफद ।

ऩद्मयागभत्णकुण्डरत्त्लऴा ऩाटरीकृतकऩोरभण्डरभ ् ।

षमाऽऩस्भाय कुद्षाफदताऩिम सनलायणभ ् ॥१७॥

फदव्मदे शकदरीलनान्तये बालमासभ ऩलभानन्दनभ ् ॥

अद्वत्थभूरेऽकालाये त्स्थत्ला ऩठसत म् ऩुभान ् ।

मि मि यघुनाथकीतानभ ् ति ति कृतभस्तकाञ्जसरभ ् ।

याभाग्रे शनुभदग्रे म् ऩठे च्च नय् वदा ।

भनोजलॊ भारुततुल्मले ग ॊ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् ।

सरत्खत्ला ऩूजमे द्यस्तु वलाि त्रलजमी बले त ् ॥१९॥

लातात्भजॊ लानयमूथभुख्मॊ श्रीयाभदत ू ॊ सळयवा नभासभ ॥

अचराॊ सश्रमभाप्नोसत वॊग्राभे त्रलजमॊ तथा ॥१८॥

म् कये धायमे त्न्नत्मॊ वला​ान्काभानलाप्नुमात ् ॥२०॥

लाष्ऩलारयऩरयऩूणारोलनॊ भारुसतॊ नभत याषवान्तकभ ् ॥

त्रललादे मुिकारे च द्युते याजकुरे यणे ।

फुत्रिफारॊ मळोलीमं सनबामत्लभयोगता ।

दळलायॊ ऩठे द्रािौ सभताशायो त्जते त्न्द्रम् ॥

वुदाढमं लाक्स्पुयत्लॊ च शनुभत्स्भयणाद्भले त ् ॥२१॥

त्रलजमॊ रबते रोके भानले ऴु नये ऴु च ।

भायणॊ लैरयणाॊ वद्य् ळयणॊ वलावम्ऩदाभ ् ।

बुते प्रे ते भशादग ु ऽे यण्मे वागयवम्प्रले ॥

ळोकस्म शयणे दषॊ लन्दे तॊ यणदारुणभ ् ॥२२॥ सरत्खत्ला ऩूजमे द्यस्तु वलाि त्रलजमी बले त ् ।

सवॊशव्माघ्रबमे चोग्रे ळयळस्त्रास्त्रऩातने ।

श्रृङ्खराफन्धने चैल कायागृशाफदमॊिणे ॥

म् कये धायमे त्न्नत्मॊ व ऩुभान ् सश्रमभाप्नुमात ् ॥२३॥

कोऩस्तम्बे लफह्न चक्रे षे िे घोये वुदारुणे ।

त्स्थत्ला तु फन्धने मस्तु जऩॊ कायमसत फद्रजै् ।

ळोके भशायणे चैल मा जी ग्रश सनलायणे ॥

तत्षणान्भुत्रिभाप्नोसत सनगडात्तु तथैल च ॥२४॥

वलादा तु ऩठे त्न्नत्मॊ जमभाप्नोसत सनत्द्ळतभ ् ।

॥ईद्वय उलाच ॥

बूजे ला लवने यिे षौभे ला तारऩिके ॥

बात्रलन्द ू चयणायत्रलन्दमुगरॊ कौऩीनभौञ्जीधयॊ , काञ्ची

त्रिगॊसधना ला भष्मा ला त्रलसरख्म धायमे न्नय् ।

शस्ताभ्माॊ धृतऩुस्तकॊ च त्रलरविायालसरॊ कुण्डरॊ

कये कट्माॊ फाशुभूरे कण्ठे सळयसव धारयतभ ् ।

मो लायाॊसनसधभल्ऩऩल्लरसभलोल्रॊघ्म प्रताऩात्न्लतो

अऩयात्जत नभस्ते ऽस्तु नभस्ते याभऩूत्जत ।

लैदेशीघनळोकताऩशयणो लैकुण्ठबत्रि त्रप्रम् ।

प्रस्थानञ्च करयष्मासभ सवत्रिबालतु भे वदा ॥

अषाद्यूत्जातयाषवे द्वयभशादऩा​ाऩशायी यणे वोऽमॊ

इत्मुक्त्ला मो व्रजे द् ग्राभ दे ळॊ तीथा​ान्तयॊ यणभ ् ।

लानयऩुॊगलोऽलतु वदा मोऽस्भान ् वभीयात्भज् ॥

आगसभष्मसत ळीघ्रॊ व क्ज़े भरुऩो गृशॊ ऩुन् ॥

लज्राॊग ॊ त्रऩङ्गने ि ॊ कनकभमरस्कुण्डराक्रान्तगण्डॊ

इसत लदसत त्रलळे ऴाद्राघले याषवे न्द्र् प्रभुफदतलयसचत्तो

दॊबोसरस्तॊबवायप्रशयणवुलळीबूतयषोधीनाथभ ् ।

यालणस्मानुजो फश ।

उद्यल्राङ्गूरवद्ऱप्रचराचरधयॊ बीभभूसतं कऩीन्द्रॊ ध्मामन्तॊ

यघुलयऩदऩद्मॊ लॊदमाभाव बूम् कुरवफशतकृताथा् ळभादॊ

लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गने ि ॊ कनकभमरवत्कुण्डरै् ळोबनीमॊ

तॊ ले दळास्त्रऩरयसनत्रद्षतळुिफुत्रिॊ ळभा​ाम्फयॊ वुय भुनीन्द्रनुतॊ

वला​ाऩीठ्माफदनाथॊ कयतरत्रलधृतॊ ऩूणाकुम्बॊ दृढाङ्म ् ।

कऩीन्द्रभ ् ।

बिानासभद्शकायॊ त्रलदधसतच वदा वुप्रवन्नभ ् शयीळॊ िैरोक्मॊ

कृष्णत्लचॊ क नकत्रऩङ्गजटाकराऩॊ व्मावॊ नभासभ सळयवा

िातुकाभॊ वकरबुत्रलगतॊ याभदत ू ॊ नभासभ ॥

सतरकॊ भुनीनाभ ् ॥

लाभे कये लैयसबदॊ लशन्तॊ ळैरॊ ऩयॊ श्रृङ्खरशायकण्ठभ ् ।

म इदॊ प्रातरुत्थाम ऩठते कलचॊ वदा ।

दधानभाच्छाद्य वुलणालणं बजे ज्ज्लरकुण्डरभाञ्जने मभ ् ॥

आमुय ायोग्मवॊतानैस्ते भ्मस्तस्म स्तलो बले त ् ॥

श्रेत्णधयॊ दक ु ू रलवनॊ मसोऩलीतात्जनभ ् ।

ऩॊचवद्ऱत्रिरोशै ला​ा गोत्रऩत् वलात् ळुबभ ् ॥

मद्ळारॊत्रफसळखॊ प्रवन्नलदनॊ श्री लामुऩुि ॊ बजे त ् ॥

वला​ान्काभान्लाप्नोसत वत्मॊ श्रीयाभबात्रऴतभ ् ॥

याभचन्द्रॊ भ्रभयदृढकयॊ वत्त्लवायॊ प्रवन्नभ ् ॥

भन्मभानॊ ॥


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एलॊ सगयीन्द्रजे श्रीभिनुभत्कलचॊ ळुबभ ् ।

प्रकाय के गॊध के सभश्रण वे फनी स्माशी वे

त्लमाऩृद्शॊ भमा प्रीत्मा त्रलस्तयाफद्रसनले फदतभ ् ॥

सरखकय

॥याभदाव उलाच ॥

ऩॊचोऩचाय ऩूजा कयने ऩय ळिुओॊ नाळ शोता शं ।

एलॊ सळलभुखाच्ुत्ला ऩालाती कलचॊ ळुबभ ् ।

ऩूजन

स्थर

ऩय

यख

कय

इवकी

 यत्रललाय के फदन ऩीऩर के लृष के नीचे फैठकय

शनुभत् वदा बिमा ऩऩाठॊ तन्भना् वदा ॥

एक भुखी शनुभत ् कलच का ऩाठ कयने वे धन

एलॊ सळष्म त्लमाप्मि मथा ऩृद्शॊ तथा भमा ।

लृत्रि ल ळिुओॊ का नाळ शोता शं ।

शनुभत्कलचॊ चेदॊ तलाग्रे त्रलसनले फदतभ ् ॥

 एक भुखी शनुभत ् कलच के ऩाठ वे वाधक के

इदॊ ऩूलं ऩफठत्ला तु याभस्म कलचॊ तत् ।

भनोफर भं लृत्रि शोती शं ।

ऩठनीमॊ नयै बािमा नैकभे ल ऩठे त्कदा ॥

 एक भुखी शनुभत ् कलच के ऩाठ वे बुत-प्रे ताफद

शनुभत्कलचॊ चाि श्रीयाभकलचॊ त्रलना ।

फाधाओॊ का ळभन शोता शं ।

मे ऩठत्न्त नयाद्ळाि ऩठनॊ तद्रथ ृ ा बले त ॥

 यात्रि के वभम एक भुखी शनुभत ् कलच का दव

तस्भात्वलै् ऩठनीमॊ वलादा कलचद्रमभ ् ।

फाय ऩाठ कयने वे वाधक के भान-वम्भान एलॊ

याभस्म लामुऩुिस्म वद्भिेद्ळ त्रलळे ऴत् ॥

प्रसतद्षा भं लृत्रि शोती शं अथा​ात वाधक का वबी

उल्रॊघ्म सवन्धो् वसररॊ वरीरॊ म् ळोकलफह्नॊ

प्रकाय वे भॊगर शोता शं ।

जनकात्भजामा् ।

 त्रलद्रानो के भत वे अिा यात्रि के वभम जर भं

आदाम ते नैल ददाश रॊकाॊ नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ्॥

खड़े​े शोकय एक भुखी शनुभत ् कलच का वात फाय

॥इसत श्री मा जी ाण्ड ऩुयाणे श्री नायद एलॊ श्री अगस्त्म भुसन

ऩाठ कयने वे षम, अऩस्भाय इत्मादी योगं का

वॊलादे श्रीयाभ प्रोिॊ एकभुखी शनुभत्कलचॊ ॥

नाळ शोता शं ।

नोट:

 एक भुखी शनुभत ् कलच को बोजऩि के ऊऩय, ताड़ेऩि ऩय मा रार यॊ ग के ये ळभी लस्त्र ऩय तीन

 एक

भुखी

शनुभत ् कलच

का

ऩाठ

प्रसतफदन

त्रिवॊध्मा कयने वे सनयॊ तय रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं ।

ळसन ऩीड़ेा सनलायक वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज ळुि स्टीर भं सनसभात अखॊफडत ऩौरुऴाकाय ळसन मॊि

ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि (स्टीर भं ) को तीव्र प्रबालळारी फनाने शे तु ळसन की कायक धातु ळुि स्टीर(रोशे ) भं फनामा गमा शं । त्जव के प्रबाल वे वाधक को तत्कार राब प्राद्ऱ शोता शं । मफद जन्भ कुॊडरी भं ळसन प्रसतकूर शोने ऩय व्मत्रि को

अने क कामं भं अवपरता प्राद्ऱ शोती शै , कबी व्मलवाम भं घटा, नौकयी भं ऩये ळानी, लाशन दघ ु ाटना, गृश क्रे ळ आफद ऩये ळानीमाॊ फढ़ती जाती शै ऐवी त्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रश ऩीड़ेा सनलायक ळसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने वे अने क राब सभरते शं । मफद ळसन की ढै़मा मा वाढ़े वाती का वभम शो तो इवे अलश्म ऩूजना चाफशए। ळसनमॊि के ऩूजन भाि वे व्मत्रि को भृत्मु, कजा, कोटाके ळ, जोडो का ददा, फात योग तथा रम्फे वभम के वबी प्रकाय के योग वे ऩये ळान व्मत्रि के सरमे ळसन मॊि असधक राबकायी शोगा। नौकयी ऩे ळा आफद के रोगं को ऩदौन्नसत बी ळसन द्राया शी सभरती शै अत् मश मॊि असत उऩमोगी मॊि शै त्जवके द्राया ळीघ्र शी राब ऩामा जा वकता शै ।

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37

अप्रैर-2015

श्री ऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ ् ॥अथ श्रीऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ ्॥

ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम उत्तयभुखे आफद-लयाशाम

श्री गणे ळाम नभ्।

वकरवम्ऩतकयाम स्लाशा ।

ईद्वय उलाच:

ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम ऊध्लाभुखे शमग्रीलाम

अथ ध्मानॊ प्रलक्ष्मासभ श्रृणु वला​ाङ्ग-वुन्दयी । मत्कृतॊ

वकरजनलळीकयणाम स्लाशा ।

दे लदे लेसळ ध्मानॊ शनुभत् ऩयभ ् ॥१॥ ऩच्चलक्ि भशाबीभॊ

॥ अथ न्मावध्मानाफदकभ ् । दळाॊळ तऩाणॊ कुमा​ात ् ॥

॥२॥ ऩूलं तु लानयॊ लक्ि कोफटवूमावभप्रणभ ् । दॊद्साकयार

भॊिस्म याभचन्द्र ऋत्रऴ्, अनुद्शुऩ छॊ द्, भभ वकर

लदनॊ भ्रकुटी कुफटरे षणभ ् ॥३॥ अस्मैल दत्षणॊ लक्िॊ

बमत्रलनाळाथे जऩे त्रलसनमोग् ।

नायसवॊशॊ भशाद्भत ु भ ् । अत्मुग्र ते जलऩुऴॊ बीऴणॊ बमनाळनभ ्

ॐ शॊ शनुभासनसत फीजभ ्, ॐ लामुदेलता इसत ळत्रि्, ॐ

वलानागप्रळभनॊ त्रलऴबुताफदकृतन्तनभ ् ॥५॥

शनुभत्कलच भन्ि जऩे त्रलसनमोग् ।

त्रिऩच्चनमनैमुातभ ् । फाशुसबदाळसबमुािॊ वलाकाभाथा सवत्रिदभ ्

॥४॥ उत्तयॊ

ऩत्द्ळभॊ

वौकय

गारुडॊ

लक्िॊ

लक्िॊ

लज्रतुण्डॊ

कृष्णॊ

भशाफरभ ्

दीद्ऱॊ

नबोऩभभ ्

त्रलसनमोग्- ॐ अस्म श्रीऩच्चभुखी-शनुभत ्-कलच-स्तोि-

अञ्जनीवूनुरयसत कीरकभ ्, श्रीयाभचन्द्रप्रवादसविमथं कय-न्माव्- ॐ शॊ शनुभान ् अङ्गुद्षाभ्माॊ नभ्, ॐ

ऩातारसवत्रिले तारज्लययोगाफद कृन्तनभ ् ॥६॥ ऊध्लं शमाननॊ

लामुदेलता तजानीभ्माॊ नभ्, ॐ अञ्जनी-वुताम

ऩाळभॊकुळऩलातभ ् ॥७॥ भुत्रद्शद्रभ ु गदासबत्न्दऩारसाने नवॊमुत भ ्

श्री शनुभते कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ्, ॐ रुद्र-भूतामे कयतर-कय-

घोयॊ ।

दानलान्तकयॊ

ऩयभ ्

एतान्मामुधजारासन

खङ्ग

त्रिळूर

धायमन्तॊ

मजाभशे

खट्लाङ्गॊ ॥८॥

भध्मभाभ्माॊ नभ्, ॐ याभदत ू ाम अनासभकाभ्माॊ नभ्, ॐ ऩृद्षाभ्माॊ नभ् ।

प्रे तावनोऩत्रलद्शॊ त वला​ाबयणबूत्रऴतभ ् । फदव्मभाराम्फयधयॊ

रृदमाफद-न्माव्- ॐ शॊ शनुभान ् रृदमाम नभ्, ॐ

फदव्मगन्धानुरेऩनभ ् ॥९॥

लामुदेलता सळयवे स्लाशा, ॐ अञ्जनी-वुताम सळखामै लऴट्,

वला​ाद्ळमाभमॊ

दे लॊ

शनुभफद्रद्वतोभुखभ ्

ऩञ्चास्मभच्मुतभने क कत्रऩयाजलमाभ ्

त्रऩङ्गाषभाद्यभसनळॊ

त्रलसचिलणं

चक्रॊ

॥१०॥

वुळङ्खत्रलधृतॊ

ऩीताम्फयाफदभुकुटैरुऩळोसबताङ्गॊ

भनवा

स्भयासभ

॥११॥

भकाटे ळॊ

भशोत्वाशॊ वलाळोक-त्रलनाळनभ ् । ळिुॊ वॊशय भाॊ यष सश्रमॊ दाऩमभे शरयभ ् ॥१२॥ शरयभकाटभकाटभन्िसभभॊ ऩरयसरख्मसत

ॐ याभदत ू ाम कलचाम शुभ ्, ॐ श्री शनुभते ने ि-िमाम त्रलऴट्, ॐ रुद्र-भूतामे अस्त्राम पट् । ध्मानभ ्:

श्रीयाभचन्द्र-दत ू ाम आञ्जने माम लामु-वुताम भशा-फराम

वीता-द्ु ख-सनलायणाम रङ्कोऩदशनाम भशाफर-प्रचण्डाम पाल्गुन-वखाम कोराशर-वकर-मा जी ाण्ड-त्रलद्वरुऩाम

बूसभतरे । मफद नश्मसत ळिु-कुरॊ मफद भुञ्चसत भुञ्चसत

वद्ऱवभुद्रनीयारत्ङ्घताम त्रऩङ्रनमनासभत-त्रलक्रभाम वूमा-

लाभकय् ॥१३॥

त्रफम्फ-पर-वे लनाम दृत्रद्शसनयारङ्कृताम वञ्जीलनीनाॊ

ॐ शरयभकाटभकाटाम स्लाशा । नभो बगलते ऩच्चलदनाम

सनयारङ्कृताम अङ्गद-रक्ष्भण-भशाकत्रऩ-वैन्म-प्राण-

ऩूलाकत्रऩभुखे वकरळिुवॊशायणाम स्लाशा ।

सनला​ाशकाम दळकण्ठत्रलध्लॊवनाम याभे द्शाम भशापाल्गुन -

ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम दत्षणभुखे कयारलदनाम नय-

वखाम वीता-वभे त-श्रीयाभचन्द्र-लय-प्रवादकाम ऴट्

ॐ नभो बगलते ऩॊचलदनाम ऩत्द्ळभभुखे गरुडाम

ॐ ह्रीॊ शरयभकाटाम लॊ लॊ लॊ लॊ लॊ लऴट् स्लाशा ।

वकरत्रलऴशयाम स्लाशा ।

ॐ ह्रीॊ शरयभकाटभकाटाम पॊ पॊ पॊ पॊ पॊ पट् स्लाशा ।

सवॊशाम वकर बूत प्रे त प्रभथनाम स्लाशा ।

प्रमोगागभ ऩच्चभुखी शनुभन ् भन्ि जऩे त्रलसनमोग् ।


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ॐ ह्रीॊ शरयभका टभका टाम शुॊ शुॊ शुॊ शुॊ शुॊ लऴट् स्लाशा ।

ऩच्चलायॊ ऩठे त्न्नत्मॊ ऩञ्चाननलळीकयभ ् ॥१७॥

ॐ ह्रीॊ शरयभकाटभकाटाम खं खं खं खं खं भायणाम स्लाशा ।

ऴरलायॊ च ऩठे त्न्नत्मॊ वलावौबाग्मदामकभ ् ।

ॐ ह्रीॊ शरयभकाटभकाटाम ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ स्तम्बनाम स्लाशा ।

वद्ऱलायॊ ऩठे त्न्नत्मसभद्शकाभाथासवत्रिदभ ् ॥१८॥

आकत्रऴातवकरवम्ऩत्कयाम स्लाशा ।

नललायॊ ऩठे त्न्नत्मॊ याजबोगभलाप्नुमात ् ॥१९॥

ॐ ह्रीॊ ऊध्लाभुखाम शमग्रीलाम रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुद्र-भूतामे

दळलायॊ च प्रजऩे िर ै ोक्मसानदळानभ ् ।

ऩच्चभुखी शनुभन्ताम वकरजन-सनयारङ्कयणाम उच्चाटनॊ

त्रिवद्ऱनललायॊ च याजबोगॊ च वॊफले त ् ॥२०॥

कुरु कुरु स्लाशा ।

फद्रवद्ऱदळलायॊ तु िैरोक्मसानदळानभ ् ।

ॐ ह्रीॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ कूभाभूतामे ऩच्चभुखीशनुभते ऩयमॊि -

एकादळॊ जत्रऩत्ला तु वलासवत्रिकयॊ नृणाभ ् ॥२१॥

ऩयतॊि-ऩयभॊि-उच्चाटनाम स्लाशा ।

॥ इसत वुदळानवॊफशतामाॊ श्रीयाभचन्द्रवीताप्रोिॊ

ॐ ह्रीॊ कॊ खॊ गॊ घॊ ङॊ चॊ छॊ जॊ झॊ ञॊ टॊ ठॊ डॊ ढॊ णॊ तॊ थॊ दॊ

श्रीऩच्चभुखीशनुभत्कत्लचॊ वम्ऩूणाभ ् ॥

इसत फदग्फॊध: ॥

 एक फाय ऩाठ कयने वे वला ळिु का त्रललायण शोता शं ।

ॐ ह्रीॊ शरयभकाटभकाटाम रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ

धॊ नॊ ऩॊ पॊ फॊ बॊ भॊ मॊ यॊ रॊ लॊ ळॊ ऴॊ वॊ शॊ ऱॊ षॊ स्लाशा । ॐ ह्रीॊ ऩूला-कत्रऩभुखाम ऩॊच-भुखी-शनुभते टॊ टॊ टॊ टॊ टॊ वकर-ळिु-वॊशायणाम स्लाशा ॥ ॐ ह्रीॊ दत्षण-भुखे ऩॊच-भुखी-शनुभते कयारलदनाम नयसवॊशाम ॐ शाॊ शाॊ शाॊ शाॊ शाॊ वकर बूत-प्रे त दभनाम स्लाशा॥ ॐ ह्रीॊ ऩत्श्चभभुखे लीय-गरुडाम ऩॊचभुखीशनुभते भॊ भॊ भॊ भॊ भॊ वकरत्रलऴशयणाम स्लाशा ॥

ॐ ह्रीॊ उत्तयभुखे आफद-लयाशाम रॊ रॊ रॊ रॊ रॊ सवॊश-नीरकॊठ-भूतामे ऩॊचभुखी-शनुभते अञ्जनीवुताम लामुऩुिाम भशाफराम याभे द्शाम पाल्गुन -वखाम वीताळोकद्ु खसनलायणाम रक्ष्भणप्राणयषकाम

दळग्रीलशयणाम याभचॊद्रऩादक ु ाम ऩच्चभुखीलीयशनुभते नभ् ॥

बूत-प्रे त त्रऩळाच मा जी याषव ळाफकनी डाफकनी अन्तरयष ग्रश ऩयमॊि ऩयतॊि ऩयभॊि वलाग्रशोच्चाटनाम वकरळिुवॊशायणाम ऩच्चभुखीशनुभन ् वकरलळीकयणाम वकररोकोऩकायणाम

ऩच्चभुखीशनुभान ् लयप्रवादकाम भशावलाय षाम जॊ जॊ जॊ जॊ जॊ स्लाशा॥ एलॊ ऩफठत्ला म इदॊ कलचॊ सनत्मॊ प्रऩठे त्प्रमतो नय् । एकलायॊ ऩठे त्स्त्रोतॊ वलाळिुसनलायणभ ् ॥१५॥ फद्रलायॊ च ऩठे त्न्नत्मॊ ऩुिऩौिप्रलिानभ ् । त्रिलायॊ तु ऩठे त्न्नत्मॊ वलावम्ऩत्कयॊ प्रबुभ ् ॥१६॥ चतुला​ायॊ ऩठे त्न्नत्मॊ वलाय ोगसनलायणभ ् ॥

अद्शलायॊ ऩठे त्न्नत्मॊ वलावौबाग्मदामकभ ् ।

कलच के राब

 दो फाय फाय ऩाठ कयने वे ऩुत-ऩौि के वुख भं लृत्रि शोती शं ।

 तीन फाय ऩाठ कयने वे वला प्रकाय वे वऩत्रत्त की प्रासद्ऱ शोती शं ।  चाय फाय ऩाठ कयने वे वला रोगो का लळीकयण शोता शं ।  ऩाॊच फाय ऩाठ कयने वे वला योगं का सनलायण शोता शं ।  छश फाय ऩाठ कयने वे वलादेलताओॊ का लळीकयण शोता शं ।

 वात फाय ऩाठ कयने वे वला काभाथा सवि शोते शं ।  आठ फाय ऩाठ कयने वे वला वौबागम की प्रासद्ऱ शोती शं ।  नौ फाय ऩाठ कयने वे वला प्रकाय के ऐळलमा की प्रासद्ऱ शोती शं ।  दव फाय ऩाठ कयने वे िैरोक्म सान की प्रासद्ऱ शोती शं ।  ग्मायश फाय ऩाठ कयने वे वलाप्रकाय की सवत्रिमा प्राद्ऱ शोती शं ।

 इव कलच को वुनने वे दे ली रक्ष्भी प्रवन्न शोती शं ।


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अप्रैर-2015

श्री वद्ऱभुखी शनुभत ् कलचभ ् ॥ अथ श्री वद्ऱभुखी शनुभत ् कलचभ ् ॥ (अथणाल यशस्मोि) त्रलसनमोग्

ॐ अस्म श्रीवद्ऱभुत्खलीयशनुभत्कलच स्तोि भन्िस्म नायद ऋत्रऴ्, अनुद्शुऩ छन्द्, श्रीवद्ऱभुत्खकत्रऩ् ऩयभात्भा

दे लता, ह्राॊ फीजभ ्, ह्रीॊ ळत्रि्, शॊू कीरकभ ्, भभ वला​ाबीद्शसविमथे जऩे त्रलसनमोग् ।

कयन्माव् ॐ ह्राॊ अॊगद्ष ु ाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रीॊ तजानीभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रॊू भध्मभाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रं अनासभकाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्रं कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ्, ॐ ह्र् कयतरकयऩृद्षाभ्माॊ नभ्। रृदमाफदन्माव्

ॐ ह्राॊ रृदमाम नभ्, ॐ ह्रीॊ सळयवे स्लाशा, ॐ ह्रॊू सळखामै लऴट्, ॐ ह्रै कलचाम शुभ ्, ॐ ह्रं ने ि िमाम

लोऴट्, ॐ ह्र् अस्त्राम पट् ।

ध्मान् लॊदे लानयसवॊश वऩारयऩुलायाशद्वगोभानुऴैमुािॊ वद्ऱभुख्ै कयै द्राभ ु सगरयॊ चक्रॊ गदाॊ खेटकभ ् । खट्लाङ्गॊ शरभॊकुळॊ पत्णवुधाकुम्बौ ळयाब्जाबमाञ्छूरॊ वद्ऱसळखॊ दधानभभयै ् वे व्मॊ कत्रऩॊ काभदभ ् ॥ ॥ मा जी ोलाच ॥ वद्ऱळीष्णा् प्रलक्ष्मासभ कलचॊ वलासवत्रिदभ ् । जप्त्ला शनुभतो सनत्मॊ वलाऩाऩै् प्रभुच्मते ॥१॥ वद्ऱस्लगाऩसत् ऩामात्च्छखाॊ भे भारुतात्भज् । वद्ऱभूधा​ा सळयोऽव्मान्भे वद्ऱासचाबा​ारदे ळकभ ् ॥२॥ त्रि्वद्ऱने िो ने िेऽव्मात्वद्ऱस्लयगसत् श्रुती । नावाॊ वद्ऱऩदाथोव्मान्भुख ॊ वद्ऱभुखोऽलतु ॥३॥ वद्ऱत्जह्वस्तु यवनाॊ यदान्वद्ऱशमोऽलतु । वद्ऱच्छॊ दो शरय् ऩातु कण्ठॊ फाशूसगरयत्स्थत् ॥४॥ कयौ चतुदाळकयो बूधयोऽव्मान्भभाङ्गुरी् । वद्ऱत्रऴाध्मातो रृदमभुदयॊ कुत्षवागय् ॥५॥

वद्ऱद्रीऩऩसतत्द्ळतॊ वद्ऱव्मारृसतरुऩलान ् । कफटॊ भे वद्ऱवॊस्थाथादामक् वत्क्थनी भभ ॥६॥ वद्ऱग्रशस्लरुऩी भे जानुनी जॊघमोस्तथा । वद्ऱधान्मत्रप्रम् ऩादौ वद्ऱऩातारधायक् ॥७॥

ऩळून्धनॊ च धान्मॊ च रक्ष्भी रक्ष्भीप्रदोऽलतु । दायान ् ऩुिाॊद्ळ कन्माद्ळ कुटु म्फॊ त्रलद्वऩारक् ॥८॥ अनुयिस्थानभत्रऩ भे ऩामाद्रामुवुत् वदा । चौये भ्मो व्मारदॊत्रद्सभ्म् श्रृत्ङ्गभ्मो बूतया्षवात ् ॥९॥ दैत्मे भ्मोऽप्मथ मषे भ्मो मा जी याषवजाद्भमात ् । दॊद्साकयारलदनो शनुभान्भाॊ वदाऽलतु ॥१०॥ ऩयळस्त्रभॊितॊिमॊिात्ग्नजरत्रलद्युत् । रुद्राॊळ् ळिुवॊग्राभात्वला​ालस्थावु वलाबृत ् ॥११॥ ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम आद्यकत्रऩभुखाम लीयशनुभते वलाळिुवॊशायणाम ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ठॊ ॐ नभ् स्लाशा ॥१२॥ ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम फद्रतीमनायसवॊशास्माम अत्मुग्रते जोलऩुऴे बीऴणाम बमनाळनाम शॊ शॊ शॊ शॊ शॊ शॊ शॊ ॐ नभ् स्लाशा ॥१३॥

ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम तृतीमत्रलनाळनामलक्िाम लज्रदॊद्साम भशाफराम वलाय ोगत्रलनाळनाम भॊ भॊ भॊ भॊ भॊ भॊ भॊ ॐ नभ् स्लाशा ॥१४॥ ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम चतुथक्र ा ोडतुण्डाम वौसभत्रियषकामऩुिाद्यसबलृत्रिकयाम रॊ रॊ रॊ रॊ रॊ रॊ रॊ ॐ नभ् स्लाशा ॥१५॥ ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम ऩञ्चभाद्वलदनाम रुद्रभूत्तम ा े वलालळीकयणाम वलासनगभस्लरुऩाम रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ रुॊ ॐ नभ् स्लाशा ॥१६॥ ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम ऴद्षगोभुखाम वूमास्लरुऩाम वलाय ोगशयाम भुत्रिदािे ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ नभ् स्लाशा ॥१७॥


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ॐ नभो बगलते वद्ऱलदनाम वद्ऱभभानुऴभुखाम रुद्रालतायाम अञ्जनीवुताम वकरफदग्मळोत्रलस्तायकामालज्रदे शाम वुग्रीलवाह्यकयाम उदसधरङ्घनाम वीताळुत्रिकयाम रङ्कादशनाम अने कयाषवाॊतकाम याभानॊददामकाम अने कऩलातोत्ऩाटकाम वे तुफॊधकाम कत्रऩवैन्मनामकाम यालणातकाम मा जी चमा​ाश्रसभणे कौऩीनमा जी वूिधायकाम याभरृदमाम वला दद्श ु ग्रश सनलायणाम ळाफकनी डाफकनी ले तार मा जी याषव बैय लग्रश मषग्रश त्रऩळाचग्रश मा जी ग्रश षत्रिमग्रश लैश्मग्रश ळुद्रग्रशाॊत्मजग्रश म्रे च्छग्रश

वऩाग्रशोच्चाटकाम भभ वलाक ामावाधकाम वलाळिुवॊशायकाम सवॊशव्माघ्राफददद्श ु वत्त्लाकऴाकामै काफशकाफदत्रलत्रलधज्लयच्छे दकाम ऩयमॊिभॊितॊिनाळकाम वलाव्मासधसनकृॊतकाम वऩा​ाफदवलास्थालय जङ्गभ त्रलऴ स्तम्बनकयाम वलायाजबमचोयबमात्ग्नबमप्रळभनामा ध्मात्त्भकासधदैत्रलकासधबौसतकताऩिमसनलायणाम वलात्रलद्यावलावम्ऩत्वलाऩरु ु ऴाथादामकामावाध्मकामावाधकाम वला लयप्रदाम वला​ाबीद्शकयाम ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ ह्रं ह्रं ह्र् ॐ नभ् स्लाशा ॥१८॥

म इदॊ कलचॊ सनत्मॊ वद्ऱास्मस्म शनुभत् त्रिवॊध्मॊ जऩते सनत्मॊ वलाळिुत्रलनाळनभ ् ॥१९॥ ऩुिऩौिप्रदॊ वलं वम्ऩद्राज्मप्रदॊ ऩयभ ् । वलाय ोगशयॊ चामु् फकत्रत्तादॊ ऩुण्मलधानभ ् ॥२०॥

याजानॊव लॊळ नीत्ला िैरोक्म त्रलजमी बले त ् । इदॊ फश ऩयभॊ गोप्मॊ दे मॊ बत्रिमुताम च ॥२१॥ न दे मॊ बत्रिशीनाम दत्त्ला व सनयमॊ व्रजे त ् ॥२२॥ नाभासनवला​ाण्मऩलगादासन रुऩात्ण त्रलद्वासन च मस्म वत्न्त । कभा​ात्ण दे लैय त्रऩ दघ ु ाटासन त भारुसतॊ वद्ऱभुख ॊ प्रऩद्ये ॥२३॥ ॥ इसत अथलाणयशस्मोिॊ वद्ऱभुखी शनुभत्कलच ॥

अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलच अभोद्य् भशाभृत्मुॊ जम कलच ल

उल्रे त्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे

त्रलद्रान मा ाजी णो द्राया वला राख भशाभृ त् मुॊ ज म भॊ ि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभा त कलच अत्मॊ त प्रबालळारी शोता शं ।

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच कलच फनलाने शे तु: अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

अभोद्य् भशाभृत्मुज ॊ म कलच

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एकादळभुखी शनुभान कलच ॥ अथ श्री एकादळभुखी शनुभान कलचभ ् ॥ ॥ श्रीगणे ळाम नभ: ॥

ॐ याॊ फीजलाच्मो रृदमॊ ऩातु भे कत्रऩनामक: । इसत

कुम्बोद्भलदमा सवन्धो श्रुतॊ शनुभॊत: ऩयभ ् । मॊिभॊिाफदकॊ

ॐ लॊ फीजकीसतात: ऩातु फाशु भे चाञ्जनीवुत: ।

॥ रोऩाभुद्रोलाच ॥

वलं त्लन्भुखोदीरयतॊ भमा ॥१॥

कयतरकयऩृद्षाभ्माॊ नभ् ॥११॥

ॐ ह्राॊ फीजॊ याषवे न्द्रस्म दऩाशा ऩातु चोदयभ ् ॥१२॥

दमाॊ कुरु भसम प्राणनाथ ले फदतुभुत्वशे । कलचॊ लामुऩुिस्म

वं फीजभमो भध्मॊ भे ऩातु रॊकात्रलदाशाक: ।

एकादळखात्भन: ॥२॥

ह्रीॊ फीजधयो गुह्यॊ भे ऩातु दे लेन्द्रलत्न्दत: ॥१३॥

इत्मे लॊ लचनॊ श्रुत्ला त्रप्रमामा: प्रश्रमात्न्लतभ ् । लिुॊ प्रचक्रभे

यॊ फीजात्भा वदा ऩातु चोरू लासधारङ्घन: ।

ति रोऩाभुद्राॊ प्रसत प्रबु: ॥३॥

वुग्रील वसचल: ऩातु जानुनी भे भनोजल: ॥१४॥

॥ अगस्त उलाच ॥

आऩादभस्तकॊ ऩातु याभदत ु ो भशाफर: ।

कलचॊ श्रृणु वुन्दरय वादयात ् ॥४॥

दत्षणे नायसवॊशस्तु नैऋत्माॊ गणनामक: ।

वनन्दनाम वुभशच्चतुयाननबात्रऴतभ ् । कलचॊ काभदॊ फदव्मॊ

लारुण्माॊ फदसळ भाभव्मात्खलक्िो शरयश्लय: ॥१६॥

यष्कुरसनफशा णभ ् ॥५॥

लामव्माॊ बैय लभुख: कौफमां ऩातु भाॊ वदा ।

वलावॊऩत्प्रदॊ ऩुण्मॊ भत्मा​ानाॊ भधुय स्लये । ॐ अस्म

क्रोडास्म: ऩातु भाॊ सनत्मभीळान्माॊ रुद्ररूऩधृक् ॥१७॥

श्रीकलचस्मैकादळलक्िस्म धीभत: ॥६॥

याभस्तु ऩातु भाॊ सनत्मॊ वौम्मरुऩी भशाबुज : ।

शनुभत्कलचभॊिस्म वनन्दन ऋत्रऴ: स्भृत: । प्रवन्नात्भा

एकादळभुखस्मैतफदव्मॊ लै कीसतातॊ भमा ॥१८॥

शनुभाॊश्च दे लाताऽि प्रकीसतात् ॥७॥

यषोघ्नॊ काभदॊ वौम्मॊ वलावम्ऩफद्रधामकभ ् ।

प्राण: ळत्रिद्ळ त्रलसनमोग: प्रकसतात: ॥८॥

स्लगा​ाऩलगादॊ फदव्मॊ सचत्न्तताथाप्रदॊ ळुबभ ् ।

वलाकाभाथासविमथा जऩ एलभुदीयमे त ् ।

एतत्कलचभसात्ला भॊिसवत्रिना जामते ॥२०॥

स्फ्रं फीजॊ ळत्रिधृक् ऩातु सळयो भे ऩलनात्भज: ।

चत्लारयॊ ळत्वशस्त्रात्ण ऩठे च्छुद्रात्भना नय: ।

इसत अङ्गुद्षाभ्माॊ नभ् ।

एकलायॊ ऩठे त्न्नत्मॊ कलचॊ सवत्रिदॊ भशत ् ॥२१॥

क्रं फीजात्भा नमनमो् ऩातु भाॊ लानये श् लय: ॥९॥ इसत

फद्रलायॊ ला त्रिलायॊ ला ऩठन्नामुष्मभाप्नुमात ् ।

तजानीभ्माॊ नभ् ।

क्रभादे कादळादे लभालतानकृतात्वुधी: ॥२२॥

ॐ षॊ फीजरुऩी कणं भे वीताळोकत्रलनाळन: । इसत

लऴा​ान्ते दळानॊ वाषाल्रबते नाि वॊळम: ।

ॐ ग्रं फीजलाच्मो नावाॊ भे रक्ष्भणप्राणदामक: । इसत

मा जी ोदीरयतभे तत्रि तलाग्रे कसथतॊ भशत ् ।

अनासभकाभ्माॊ नभ् ॥१०॥

इत्मे लभुक्त्ला कलचॊ भशत्रऴास्तूष्णीॊ फबूलेन्दभ ु ुखीॊ सनयीक्ष्म ।

नभस्कृ त्ला याभदत ू ॊ शनुभन्तॊ भशाभसतभ ् । मा जी प्रोिॊ तु

छन्दोऽनुद्शुऩ ् वभाख्मातॊ फीजॊ लामुवुतस्तथा । भुख्माि

भध्मभाभ्माॊ नभ् ।

ॐ लॊ फीजाथाश्च कण्ठॊ भे अषमषमकायक: । इसत कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ् ।

ऩुले लानयलक्िो भाॊ चाग्ने य्माॊ षत्रिमान्तकृत ् ॥१५॥

ऩुिदॊ धनदॊ चोग्रॊ ळिुवम्ऩत्रत्तभदानभ ् ॥१९॥

मॊ मॊ सचन्तमते काभॊ तॊ तॊ प्राप्नोसत ऩुरुऴ: ॥२३॥

वॊरृद्शसचत्ताऽत्रऩ तदा तदीमऩादौ ननाभासतभुदा स्लबतुा: ॥२४॥

॥ इत्मगस्त्मवॊफशतामाभे कादळभुखशनुभत्कलचॊ वॊऩूणाभ ् ॥


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राङ्गूरास्त्र ळिुज्जम शनुभत ् स्तोि

ॐ शनुभन्तभशालीय लामुतुल्मऩयाक्रभभ ् ।

भभ कामा​ाथभ ा ागच्छ प्रणभात्ण भुशुभुाशु् ॥ त्रलसनमोग्

ॐ अस्म श्रीशनुभच्छिुञ्जमस्तोिभाराभन्िस्म

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं रङ्काप्रावादबञ्जनाम अस्त्राम पट् । ध्मान्

श्रीयाभचन्द्र ऋत्रऴ्, नानाच्छन्दाॊसव श्री भशालीयो शनुभान ्

ध्मामे दच ् फारफदलाकय द्युतसनबॊ दे लारया दऩा​ाऩशॊ दे लेन्द्रप्रभुख

दे लता भारुतात्भज इसत ह्सवं फीजभ ,् अञ्जनीवूनुरयसत ह्सफ्रं

प्रळस्तमळवॊ दे दीप्मभानॊ रुचा ।

ळत्रि्, ॐ शा शा शा इसत कीरकभ ् श्री याभ बत्रि इसत ह्वाॊ

वुग्रीलाफदवभस्तलानयमुतॊ वुव्मि तत्त्ल त्रप्रमॊ वॊय िारुण

प्राण्, श्रीयाभ रक्ष्भणानन्दकय इसत ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ जील,

रोचनॊ ऩलनजॊ ऩीताम्फयारॊकृतभ ् ॥

त्रलसनमोग्।

भौञ्जीमसोऩलीताबयणरुसचसळखॊ ळोसबतॊ कुॊडराङ्कभ ् ।

कयन्माव्

बिानासभद्शदॊ तॊ प्रणतभुसनजनॊ ले दनादप्रभोदॊ ध्मामे द् दे लॊ

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं शनुभते

त्रलधेमॊ प्रलगकुरऩसतॊ गोष्ऩदी बूतलासधाभ ् ॥

अॊगद्ष ु ाभ्माॊ नभ् ।

लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गकेळाढ्मॊ स्लणाकुण्डर भत्ण्डतभ ् ।

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं याभदत ू ाम

सनगूढभुऩवङ्गम्म ऩायालायऩयाक्रभभ ् ॥

तजानीभ्माॊ नभ् ।

स्पफटकाबॊ स्लणाकात्न्तॊ फद्रबुजॊ च कृताञ्जसरभ ् ।

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं रक्ष्भण

कुण्डरद्रमवॊळोसबभुखाम्बोजॊ शरयॊ बजे ॥

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं

उद्यदत्षणदोदाण्डॊ शनुभन्तॊ त्रलसचन्तमे त ् ॥

अञ्जनीवूनले अनासभकाभ्माॊ नभ् ।

इव तयश वे श्रीशनुभानजी का ध्मान कयके “अये भल्र

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वॊू स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं वीताळोक

चटख” तथा “टोडय भल्र चटख” का उच्चायण कयके

त्रलनाळाम कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ् ।

शनुभानजी को „कत्रऩभुद्रा‟ प्रदसळात कयं ।

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं

॥ भारा भन्ि ॥

रृदमाफद न्माव्

िैरोक्माक्रभण ऩयाक्रभण श्रीयाभबि भभ ऩयस्म च

भभाऽयासतऩयाजम सनसभत्त ळिुञ्जम स्तोि भन्ि जऩे

प्राणदािे भध्मभाभ्माॊ नभ् ।

रङ्काप्रावादबञ्जनाम कयतरकयऩृद्षाभ्माॊ नभ् । ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं शनुभते रृदमाम नभ् ।

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं याभदत ू ाम

उद्यन्भाताण्ड कोफट प्रकटरुसचमुतॊ चारुलीयावनस्थॊ

वव्मशस्ते गदामुिॊ लाभशस्ते कभण्डरुभ ् ।

“ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं शस्ख्फ्रं ह्सवं नभो शनुभते वलाळिून ् चतुलाणावम्बलान ् ऩुॊ स्त्री नऩुॊवकान ् बूत बत्रलष्मद् लताभानान ् दयू स्थ वभीऩस्थान ् नाना नाभघे मान ् नाना वॊकय जासतमान ् करि ऩुि सभि बृत्म फन्धु वुरृत ्

सळयवे स्लाशा ।

वभे तान ् प्रबु ळत्रि वभे तान ् धन धान्माफद वम्ऩत्रत्त मुतान ्

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं रक्ष्भण

यासो याजऩुि वयलकान ् भॊिी वसचल वखीन ् आत्मत्न्त

प्राणदािे सळखामै लऴट् ।

कान्षणे न त्लयमा एतफदनालसध नानोऩामैभा​ाय म भायम

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं

ळस्त्रे ण छे दम छे दम अत्ग्नना ज्लारम ज्लारम दाशम

ॐ ऐॊ श्रीॊ ह्वाॊ ह्वीॊ ह्वूॊ स्फ्रं ख्फ्रं ह्सस्त्रं ह्सस्ख्फ्रं ह्सवं वीताळोक

घातम घातम फॊधम फॊधम भ्राभम भ्राभम

अञ्जनीवूनले कलचाम शुभ ् ।

दाशम अषमकुभायलत ् ऩादताक्रभणे सळरातरे िोटम िोटम

त्रलनाळाम ने ि िमाम लोऴट् ।

बमातुय ात्न्लवॊसान्वद्य् कु रु कु रु बस्भीबूतानुिर ू म


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बस्भीबूतानुिर ू म बिजनलत्वर वीताळोकाऩशायक वलाि

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥८॥

वश बषम बषम क्रुि चेतवा नखैत्रलादायम नखैत्रलादायम

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥९॥

स्लाशा ॥१॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१०॥

ॐ नभो बगलते शनुभते भशाफरऩयाक्रभाम भशात्रलऩत्रत्त

जगन्भनो दरु ु ल्रॊघ्म ऩायालाय त्रलरॊघन ! ।

भाभे नॊ च यष यष भशारुद्रालताय शाॊ शाॊ शुॊ शुॊ बूत वॊघै्

ग्रस्ताऽळैजगत ् स्लास्​्म याषवाम्बोसधभन्दय ।

दे ळादस्भादच्ु चाटम त्रऩळाचलद् भ्रॊळम भ्रॊळम घे घे शूॊ पट्

ऩुच्छ गुच्छ स्पुयद्रीय जगद् दग्धारयऩत्तन ।

सनलायकाम बिजन भन्कल्ऩना कल्ऩद्रभ ु ाम दद्श ु जन

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥११॥

भनोयथ स्तम्बकाम प्रबञ्जन प्राणत्रप्रमाम स्लाशा ॥२॥

स्भृतभाि वभस्ते द्श ऩूय क ! प्रणत त्रप्रम ! ।

ध्मान्

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१२॥

श्रीभन्तॊ शनुभन्तभात्तरयऩुसबद्भब ू ृत्तरुभ्रात्जतॊ

यात्रिञ्चय चभूय ासळकत्तानैकत्रलकत्तान ! ।

योऴाद्रित्रऩळङ्ग ने ि नसरनॊ भ्रूभबङ्मङ्गस्पुयत ् प्रोद्यच्चण्ड

जानकी जानकीजासन प्रे भ ऩाि ! ऩयॊ तऩ ! ।

लल्गद्रारसधफिलैरयसनचमॊ चाभीकयाफद्रप्रबभ ् ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१३॥

भमूख भण्डर भुख ॊ द्ु खाऩशॊ द्ु त्खनाभ ् ॥१॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१४॥

कौऩीनॊ कफटवूिभंज्मत्जनमुग् दे शॊ त्रलदे शात्भजाप्राणाधीळ

बीभाफदक भशालीय लीयले ळालतायक ! ।

ऩदायत्रलन्द सनयतॊ स्लान्तॊ कृतान्तॊ फद्रऴाभ ् ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१५॥

ध्मात्लैल वभयाङ्गणत्स्थतभथानीम स्लरृत्ऩङ्कजे

लैदेशी त्रलयश क्रान्त याभयोऴैक त्रलग्रश ! ।

वॊऩूजनोित्रलसधना वॊप्राथामेत्प्रासथातभ ् ॥२॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१६॥

॥भूर ऩाठ॥

लज्राङ्नखदॊद्सेळ ! लत्ज्रलज्रालगुण्ठन ! ।

शनुभन्नञ्जनीवूनो ! भशाफरऩयाक्रभ ! ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१७॥

भकाटासधऩ ! भाताण्ड भण्डर ग्राव कायक ! ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१८॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२॥

रक्ष्भण प्राण वॊिाण िात तीक्ष्ण कयान्लम ! ।

अषषऩणत्रऩङ्गाषत्षसतजाळुग्षमर ! ! ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१९॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥३॥

याभाफदत्रलप्रमोगात्ता ! बयताद्यात्रत्तानाळन ! ।

रुद्रालताय ! वॊवाय द्ु ख बायाऩशायक ! ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२०॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥४॥

द्रोणाचर वभुत्षे ऩ वभुत्त्षद्ऱारय लैबल ! ।

श्रीयाभ चयणाम्बोज भधुऩासमतभानव ! ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२१॥

फासरप्रथभक्रान्त वुग्रीलोन्भोचनप्रबो ! ।

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥२२॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥६॥

इत्मे लभद्वत्थतरोऩत्रलद्श् ळिुज ॊ मॊ नाभ ऩठे त्स्लमॊ म् ।

वीता त्रलयश लायीळ भग्न वीते ळ तायक ! ।

व ळीघ्रभे लास्त वभस्तळिु् प्रभोदते भारुतज प्रवादात ्

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥७॥

॥२३॥

यषोयाज ताऩात्ग्न दह्यभान जगद्रन ! ।

॥ इसत ळिुञ्जम शनुभत्स्त्रोतॊ ॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥१॥

रोरल्राॊगर ू ऩाते न भभाऽतयीन ् सनऩातम ॥५॥

अखला गला गॊधला ऩलातोद् बे दन स्लय् ! ।

वीताळीला​ाद वम्ऩन्न ! वभस्तालमलाषत ! ।


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॥ श्री आज्ज्ने म अद्शोत्तयळत नाभालसर् ॥ ॐ भनोजलॊ भारुततुल्म लेगॊ,त्जतेत्न्द्रमॊ

ॐ गन्धला त्रलद्याम नभ् ।

ॐ त्रऩन्गाऱाषाम नभ् ।

फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् । लातात्भजॊ लानयमूध

ॐ तत्लञाम नभ् ।

ॐ लासधा भै नाक ऩूत्जताम नभ् ।

भु ख्मॊ,श्री याभदूतॊ सळयवा नभासभ ॥

ॐ भशाफर ऩयाक्रभाम नभ् ।

ॐ कफऱीकृ त भाता​ान्ड भन्डराम नभ् ।

ॐ आञ्जनेमाम नभ् ।

ॐ कायाग्रश त्रलभोक्िे नभ् ।

ॐ त्रलत्जतेत्न्द्रमाम नभ् ।

ॐ भशालीयाम नभ् ।

ॐ ळृन्खरा फन्धभोचकाम नभ् ।

ॐ याभवु ग्रील वन्धािे नभ् ।

ॐ शनूभ ते नभ् ।

ॐ वागयोत्तायकाम नभ् ।

ॐ भफशयालण भधानाम नभ् ।

ॐ भारुतात्भजाम नभ् ।

ॐ प्रासाम नभ् ।

ॐ स्पफटकाबाम नभ् ।

ॐ तत्लसानप्रदाम नभ् ।

ॐ याभदूताम नभ् ।

ॐ लागधीळाम नभ् ।

ॐ वीतादेत्रलभु द्राप्रदामकाम नभ् ।

ॐ प्रताऩलते नभ् ।

ॐ नलव्माकृ तऩत्ण्डताम नभ् ।

ॐ अळोकलनकाच्छे िे नभ् ।

ॐ लानयाम नभ् ।

ॐ चतुफा​ाशले नभ् ।

ॐ वलाभ ामात्रलबॊ जनाम नभ् ।

ॐ केवयीवु ताम नभ् ।

ॐ दीनफन्धुयाम नभ् ।

ॐ वलाफन्धत्रलभोक्िे नभ् ।

ॐ वीताळोक सनलायकाम नभ् ।

ॐ भामात्भने नभ् ।

ॐ यषोत्रलध्लॊव कायकाम नभ् ।

ॐ अन्जनागबा वॊ बू ताम नभ् ।

ॐ बिलत्वराम नभ् ।

ॐ ऩयत्रलद्या ऩरयशायाम नभ् ।

ॐ फाराकावद्रळाननाम नभ् ।

ॐ वॊ जीलननगामाथा​ा नभ् ।

ॐ ऩय ळौमा त्रलनाळकाम नभ् ।

ॐ त्रलबीऴण त्रप्रमकयाम नभ् ।

ॐ वु चमे नभ् ।

ॐ ऩयभन्ि सनयाकिे नभ् ।

ॐ दळग्रील कुरान्तकाम नभ् ।

ॐ लात्ग्भने नभ् ।

ॐ ऩयमन्ि प्रबे दकाम नभ् ।

ॐ रक्ष्भणप्राणदािे नभ् ।

ॐ दृढव्रताम नभ् ।

ॐ वलाग्रश त्रलनासळने नभ् ।

ॐ लज्र कामाम नभ् ।

ॐ कारनेसभ प्रभथनाम नभ् ।

ॐ बीभवे न वशामकृ थे नभ् ।

ॐ भशाद्युथमे नभ् ।

ॐ शरयभकाट भकाटाम नभ् ।

ॐ वलादख ु ् शयाम नभ् ।

ॐ सचयॊ जीत्रलने नभ् ।

ॐ दान्ताम नभ् ।

ॐ वलार ोकचारयणे नभ् ।

ॐ याभ बिाम नभ् ।

ॐ ळान्ताम नभ् ।

ॐ भनोजलाम नभ् ।

ॐ दैत्म कामा त्रलघातकाम नभ् ।

ॐ प्रवन्नात्भने नभ् ।

ॐ ऩारयजात द्रुभू र स्थाम नभ् ।

ॐ अषशन्िे नभ् ।

ॐ ळतकन्टभु दाऩशिे नभ् ।

ॐ वला भन्ि स्लरूऩाम नभ् ।

ॐ काञ्चनाबाम नभ् ।

ॐ मोसगने नभ् ।

ॐ वला तन्ि स्लरूत्रऩणे नभ् ।

ॐ ऩञ्चलक्िाम नभ् ।

ॐ याभकथा रोराम नभ् ।

ॐ वलामन्िात्भकाम नभ् ।

ॐ भशा तऩवे नभ् ।

ॐ वीतान्लेळण ऩफठताम नभ् ।

ॐ कऩीद्वयाम नभ् ।

ॐ रत्न्कनी बञ्जनाम नभ् ।

ॐ लज्रद्रनुद्शाम नभ् ।

ॐ भशाकामाम नभ् ।

ॐ श्रीभते नभ् ।

ॐ लज्रनखाम नभ् ।

ॐ वलायोगशयाम नभ् ।

ॐ सवॊ फशका प्राण बन्जनाम नभ् ।

ॐ रुद्र लीमा वभु द्भलाम नभ् ।

ॐ प्रबले नभ् ।

ॐ गन्धभादन ळैर स्थाम नभ् ।

ॐ इन्द्रत्जत्प्रफशताभोघमा जी ास्त्र त्रलसनलायकाम

ॐ फर सवत्रिकयाम नभ् ।

ॐ रॊ काऩुय त्रलदामकाम नभ् ।

नभ् ।

ॐ वलात्रलद्या वम्ऩत्रत्तप्रदामकाम नभ् ।

ॐ वु ग्रील वसचलाम नभ् ।

ॐ ऩाथा ध्लजाग्रवॊ लासवने नभ् ।

ॐ कत्रऩवे नानामकाम नभ् ।

ॐ धीयाम नभ् ।

ॐ ळयऩॊजयबे धकाम नभ् ।

ॐ बत्रलष्म्चतुयाननाम नभ् ।

ॐ ळूयाम नभ् ।

ॐ दळफाशले नभ् ।

ॐ कुभाय मा जी चारयणे नभ् ।

ॐ दैत्मकुरान्तकाम नभ् ।

ॐ रोकऩूज्माम नभ् ।

ॐ यत्नकुन्डराम नभ् ।

ॐ वु लाचार ासचाताम नभ् ।

ॐ जाम्फलत्प्रीसतलधानाम नभ् ।

ॐ दीसद्ऱभते नभ् ।

ॐ तेजवे नभ् ।

ॐ वीतावभे त श्रीयाभऩाद वे लदुयन्धयाम नभ् ।

ॐ चन्चरद्रारवन्निाम नभ् ।

ॐ याभचूडाभत्णप्रदामकाम नभ् ।

॥ इसत श्री आ ञ्जनेम अद्शोत्तयळत नाभालसर

ॐ रम्फभानसळखोज्लराम नभ् ।

ॐ काभरूत्रऩणे नभ् ।

वॊ ऩू णा भ ् ॥


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भन्दात्भकॊ भारुसतस्तोिभ ् नभो लामुऩुिाम बीभरूऩाम धीभते । नभस्ते याभदत ू ाम काभरूऩाम श्रीभते ॥ भोश ळोकत्रलनाळाम वीताळोकत्रलनासळने ।

|| श्री शनुभत ् स्तलन ||

प्रनलउॉ ऩलनकुभाय खर फन ऩालक ग्मानघन। जावु ह्रदम आगाय फवफशॊ याभ वय चाऩ धय॥१॥ अतुसरतफरधाभॊ शे भळैराबदे शॊ।

बगनळोकलनामास्तु दग्धरङ्काम लात्ग्भने ॥

दनुजलनकृळानुॊ सासननाभग्रगण्मभ ्॥२॥

गसतसनत्जातलाताम रक्ष्भणप्राणदाम च।

वकरगुणसनधानॊ लानयाणाभधीळॊ।

लनौकवाॊ लरयद्षाम लसळने लनलासवने ॥ तत्त्लसानवुधासवन्धुसनभगनम भशीमते । आञ्जने माम ळूय ाम वुग्रीलवसचलाम ते ॥ जन्भभृत्मुबमघनम वलाकद्शशयाम च। ने फदद्षाम प्रे तबूतत्रऩळाचबमशारयणे ॥ मातनानाळनामास्तु नभो भकाटरूत्रऩणे ।

यघुऩसतत्रप्रमबिॊ लातजातॊ नभासभ॥३॥ गोष्ऩदीकृतलायीळॊ भळकीकृतयाषवभ ्। याभामणभशाभारायत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ्॥४॥ अञ्जनानन्दनॊ लीयॊ जानकीळोकनाळनभ ्। कऩीळभषशन्तायॊ लन्दे रङ्काबमङ्कयभ ्॥५॥

मषयाषवळादार ू वऩालृत्द्ळकबीरृते ॥

भशाव्माकयणाम्बोसधभन्थभानवभन्दयभ ्।

भशाफराम लीयाम सचयॊ जीत्रलन उिते ।

कलमन्तॊ याभकीत्मा​ा शनुभन्तभुऩास्भशे ॥६॥

शारयणे लज्रदे शाम चोल्रत्ङ्घतभशाब्धमे ॥ फसरनाभग्रगण्माम नभो न: ऩाफश भारुते । राबदोऽसव त्लभे लाळु शनुभन ् याषवान्तक॥ मळो जमॊ च भे दे फश ळिून ् नाळम नाळम। स्लासश्रतानाभबमदॊ म एलॊ स्तौसत भारुसतभ ्। शासन: कुतो बले त्तस्म वलाि त्रलजमी बले त ्॥

इव स्तोिका प्रसतफदन ऩाठ कयने वे भृत्मु , मष,

याषव, सवॊश, वऩा, त्रफच्छू बूत, प्रेत औय त्रऩळाच इत्माफद बमका नाळ शोकय उवकी वभस्त ऩीड़ेा

का सनयाकयण शोता शं । उवे वभस्त कामो भे त्रलजम प्राद्ऱ शोती शं

उल्रङ्घ्म सवन्धो् वसररॊ वरीरॊ म् ळोकलफह्नॊ जनकात्भजामा्। आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ्॥७॥ भनोजलॊ भारुततुल्मले ग ॊ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ्। लातात्भजॊ लानयमूथभुख्मॊ श्रीयाभदत ू ॊ ळयणॊ प्रऩद्ये ॥ ८॥ आञ्जने मभसतऩाटराननॊ काञ्चनाफद्रकभनीमत्रलग्रशभ ्। ऩारयजाततरुभूरलासवनॊ बालमासभ ऩलभाननन्दनभ ्॥९॥ मि-मि यघुनाथकीतानॊ ति-ति कृतभस्तकाञ्जसरभ ्। फाष्ऩलारयऩरयऩूणारोचनॊ भारुसतॊ नभत याषवान्तकभ ्॥१०॥


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|| वॊकट भोचन शनुभानाद्शक ||

फार वभम यत्रफ बत्ष सरमो तफ तीनशॉु रोक बमो अॉ सधमायो।

आसन वजीलन शाथ दई तफ रसछभन के तुभ प्रान उफायो।

दे लन आसन कयी त्रफनती तफ छाॉ फड़े फदमो यत्रफ कद्श सनलायो।

यालन जु ि अजान फकमो तफ नाग फक पाॉ व वफै सवय डायो।

फासर की िाव कऩीव फवै सगरय जात भशाप्रबु ऩॊथ सनशायो।

आसन खगेव तफै शनुभान जु फॊधन काफट वुिाव सनलायो।

ताफश वं िाव बमो जग को मश वॊकट काशु वं जात न टायो। को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥५॥ को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥१॥ चंफक भशा भुसन वाऩ फदमो तफ चाफशम कौन त्रफचाय त्रफचायो। कै फद्रज रूऩ सरलाम भशाप्रबु वो तुभ दाव के वोक सनलायो।

को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥२॥ अॊ गद के वॉग रेन गमे सवम खोज कऩीव मश फैन उचायो।

जीलत ना फसचशौ शभ वो जु त्रफना वुसध राए इशाॉ ऩगु धायो। शे रय थके तट सवॊधु वफै तफ राम सवमा-वुसध प्रान उफायो।

को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥३॥ यालन िाव दई सवम को वफ याषसव वं कफश वोक सनलायो। ताफश वभम शनुभान भशाप्रबु जाम भशा यजनीचय भायो।

चाशत वीम अवोक वं आसग वु दै प्रबु भुफद्रका वोक सनलायो। को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥४॥ फान रग्मो उय रसछभन के तफ प्रान तजे वुत यालन भायो। रै गृश फैद्य वुऴेन वभेत तफै सगरय द्रोन वु फीय उऩायो।

श्रीयघुनाथ वभेत वफै दर भोश बमो मश वॊकट बायो।

को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥६॥ फॊधु वभेत जफै अफशयालन रै यघुनाथ ऩतार सवधायो।

दे त्रफफशॊ ऩूत्ज बरी त्रफसध वं फसर दे उ वफै सभसर भॊि त्रफचायो। जाम वशाम बमो तफ शी अफशयालन वैन्म वभेत वॉशायो।

को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥७॥ काज फकमो फड़े दे लन के तुभ फीय भशाप्रबु दे त्ख त्रफचायो।

कौन वो वॊकट भोय गयीफ को जो तुभवं नफशॊ जात शै टायो। फेसग शयो शनुभान भशाप्रबु जो कुछ वॊकट शोम शभायो।

को नफशॊ जानत शै जग भं कत्रऩ वॊकटभोचन नाभ सतशायो॥८॥ || दोशा ||

रार दे श रारी रवे अरू धरय रार रॉगूय। फज्र दे श दानल दरन जम जम जम कत्रऩ वूय॥

|| इसत वॊकटभोचन शनुभानाद्शक वम्ऩूण ा ||

शनुभत्ऩञ्रत्न स्तोिभ ् लीतात्खरत्रलऴमे च्छॊ जातानन्दाश्रुऩुरकभत्मच्छभ ्। वीताऩसतदत ू ाद्यॊ लातात्भजभद्य बालमे रृद्यभ ्॥ तरुणारुणभुखकभरॊ करुणायवऩूय ऩूरयताऩाङ्गभ ्। वॊजीलनभाळावे भञ्जुरभफशभानभञ्जनाबाग्मभ ्॥ ळम्फयलैरयळयासतगभम्फुजदरत्रलऩुररोचनोदायभ ्। कम्फुगरभसनरफदद्शॊ त्रलम्फज्लसरतोद्षभे कभलरम्फे ॥ दयू ीकृ तवीतासता: प्रकटीकृ तयाभलैबलस्पू सता:।

दारयतदळभुखकीसता: ऩुय तो भभ बातु शनुभतो भूसता:॥

लानयसनकयाध्मषॊ दानलकुरकुभुदयत्रलकयवदृषभ ्। दीनजनालनदीषॊ ऩालनतऩ:ऩाकऩुञ्जभद्राषभ ्॥

एतत ् ऩलनवुतस्म स्तोिॊ म: ऩठसत ऩञ्चयत् नाख्मभ ्। सचयसभश सनत्खरान ् बोगान ् बुक्त्ला श्रीयाभबत्रिबाग ् बलसत॥

॥श्रीभद् आफद ळॊ क याचामा श्रीशनु भ त्ऩञ्चय स्तोिभ ् वम्ऩू णा भ ॥ ् शनुभानजी के इव ऩञ्चयत्न स्तोि का जो सनमसभत ऩाठ कयता शं , लश इव रोक भं सचय-कार तक वभस्त बोगं को बोगकय श्रीयाभ-बत्रि का बागी फनता शं ।

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॥ भारुसतस्तोिभ ् ॥

बीभरूऩी भशारुद्रा लज्र शनुभान भारुती ।

आत्णरा भागुतीॊ ने रा आरा गेरा भनोगती ।

लनायी अन्जनीवूता याभदत ू ा प्रबॊज ना ॥१॥

भनावी टाफकरं भागं गतीवी तूऱणा नवे ॥१०॥

भशाफऱी प्राणदाता वकऱाॊ उठली फऱं ।

अणूऩावोसन मा जी ाॊडाएलढा शोत जातवे ।

वौख्मकायी द्ु खशायी (ळोकशता​ा)(धूता)दत ू लैष्णल गामका ॥२॥ तमावी तुऱणा कोठं भे रु- भाॊदाय धाकुटे ॥११॥ दीननाथा शयीरूऩा वुॊदया जगदॊतया ।

मा जी ाॊडाबंलते ले ढे लज्रऩुच्छं करूॊ ळके ।

ऩातारदे लताशॊ ता बव्मसवॊदयू रे ऩना ॥३॥

तमावी तुऱणा कंची मा जी ाॊडीॊ ऩाशताॊ नवे ॥१२॥

ऩुण्मलॊता ऩुण्मळीरा ऩालना ऩरयतोऴका ॥४॥

लाढताॊ लाढताॊ लाढे बे फदरं ळून्मभॊडऱा ॥१३॥

रोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथा ऩुय ातना ।

आयि दे त्खरे डोऱाॊ ग्रासवरं वूमाभॊडऱा ।

ध्लजाॊगं उचरी फाशो आले ळं रोटरा ऩुढं ।

धनधान्म ऩळुलृत्रि ऩुिऩौि वभग्रशी (वभस्तशी)।

काऱात्ग्न काऱरुद्रात्ग्न दे खताॊ काॊऩती बमं ॥५॥

ऩालती रूऩत्रलद्याफद स्तोिऩाठं करूसनमाॊ ॥१४॥

मा जी ाॊडं भाइरीॊ ने णं आॊलाऱे दॊतऩॊगती ।

बूतप्रे तवभॊधाफद योगव्मासध वभस्तशी ।

ने िाग्नी चासरल्मा ज्लाऱा भ्रुकुटी ताफठल्मा फऱं ॥६॥

नावती तुटती सचॊता आनॊदे बीभदळानं ॥१५॥

ऩुच्छ तं भुयफडरं भाथाॊ फकयीटी कुॊडरं फयीॊ ।

शे धया ऩॊधयाद्ऴोकी राबरी ळोबरी बरी (फयी)

वुलणा कफट काॊवोटी घॊटा फकॊफकत्ण नागया ॥७॥

दृढदे शो सन्वॊदेशो वॊख्मा चॊद्रकरा गुणं ॥१६॥

ठकाये ऩलाता ऐवा ने टका वडऩातऱू ।

याभदावीॊ अग्रगण्मू कत्रऩकुऱासव भॊडणू ।

कोफटच्मा कोफट उरडाणं झंऩाले उत्तये कडे ।

॥इसत श्री याभदावकृतॊ वॊकटसनयवनॊ नाभ श्री भारुसतस्तोिभ ्

भॊदाद्रीवायखा द्रोणू क्रोधं उत्ऩाफटरा फऱं ॥९॥

वॊऩूणाभ ् ॥

चऩऱाॊग ऩाशताॊ भोठं भशात्रलद्युल्रते ऩयी ॥८॥

याभरूऩी अन्तयात्भा दळाने दोऴ नावती ॥१७॥

॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥ गोष्ऩदी- कृत- लायीळॊ भळकी- कृत- याषवभ ् ।

भनोजलॊ भारुत- तुल्म- ले ग ॊ

याभामण- भशाभारा- यत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ् ॥१॥

त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् ।

अञ्जना- नन्दनॊ- लीयॊ जानकी- ळोक- नाळनभ ् । कऩीळभष- शन्तायॊ लन्दे रङ्का- बमङ्कयभ ् ॥२॥ भशा- व्माकयणाम्बोसध- भन्थ- भानव- भन्दयभ ् । कलमन्तॊ याभ- कीत्मा​ा शनुभन्तभुऩास्भशे ॥३॥ उल्रङ्घ्म सवन्धो् वसररॊ वरीरॊ म् ळोक- लफह्नॊ जनकात्भजामा् । आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ् ॥४॥

लातात्भजॊ लानय- मूथ- भुख्मॊ

श्रीयाभ- दत ू ॊ सळयवा नभासभ ॥५॥ आञ्जने मभसतऩाटराननॊ

काञ्चनाफद्र- कभनीम- त्रलग्रशभ ् । ऩारयजात- तरु- भृर- लासवनॊ बालमासभ ऩलभान- नन्दनभ ् ॥६॥ मि मि यघुनाथ- कीतानॊ ति ति कृत- भस्तकाञ्जसरभ ् । फाष्ऩ- लारय- ऩरयऩूणा- रोचनॊ

भारुसतनाभत याषवान्तकभ ् ॥७॥


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श्री शनु भान वशस्त्रनभालसर् १ ॐ शनुभते नभ्।

३८ ॐ त्रलद्वनाथाम नभ्।

७५ ॐ बुलरोकाम नभ्।

२ ॐ श्रीप्रदाम नभ्।

३९ ॐ शयीद्वयाम नभ्।

७६ ॐ स्लरोकाम नभ्।

४ ॐ रुद्राम नभ्।

४१ ॐ याभाम नभ्।

७८ ॐ जनरोकाम नभ्।

६ ॐ अजयाम नभ्।

४३ ॐ कल्माणप्रकृतमे नभ्।

८० ॐ अव्ममाम नभ्।

८ ॐ लीयलीयाम नभ्।

४५ ॐ त्रलद्वम्बयाम नभ्।

८२ ॐ ओङ्कायगम्माम नभ्।

१० ॐ जनाश्रमाम नभ्।

४७ ॐ त्रलद्वाकायाम नभ्।

८४ ॐ व्माऩकाम नभ्।

११ ॐ धनदाम नभ्।

४८ ॐ त्रलद्वऩाम नभ्।

८५ ॐ अभराम नभ्।

१३ ॐ अकामाम नभ्।

५० ॐ त्रलद्ववेव्माम नभ्।

८७ ॐ याभेद्शाम नभ्।

१५ ॐ सनसधऩतमे नभ्।

५२ ॐ त्रलद्वशयाम नभ्।

८९ ॐ गोष्ऩदीकृतलायीळाम नभ्।

१७ ॐ त्रऩङ्गषाम नभ्।

५४ ॐ त्रलद्वचेद्शाम नभ्।

९१ ॐ धयाऩतमे नभ्।

१९ ॐ लात्ग्भने नभ्।

५६ ॐ त्रलद्वध्मेमाम नभ्।

९३ ॐ ऩुण्डयीकाषाम नभ्।

२१ ॐ सळलाम नभ्।

५८ ॐ प्रलङ्गभाम नभ्।

९५ ॐ जानकीप्राणदािे नभ्।

२३ ॐ ऩयस्भै नभ्।

६० ॐ ज्मेद्षाम नभ्।

९७ ॐ ऩूणा​ा म नभ्।

२५ ॐ व्मिाव्मिाम नभ्।

६२ ॐ लनेचयाम नभ्।

९९ ॐ ऩीतलाववे नभ्।

२७ ॐ त्रऩङ्गकेळाम नभ्।

६४ ॐ लृिाम नभ्।

१०१ ॐ दे लोद्यानत्रलशारयणे नभ्।

२९ ॐ श्रुसतगम्माम नभ्।

६६ ॐ तत्त्लाम नभ्।

१०३ ॐ बिोदमाम नभ्।

३१ ॐ अनादमे नभ्।

६८ ॐ वख्मे नभ्।

१०५ ॐ बिऩारनतत्ऩयाम नभ्।

३३ ॐ दे लाम नभ्।

७० ॐ अञ्जनावूनले नभ्।

१०७ ॐ ळत्रिनेिे नभ्।

३५ ॐ सनयाभमाम नभ्।

७२ ॐ ग्राभख्माताम नभ्।

१०९ ॐ अषघ्नाम नभ्।

३७ ॐ त्रलद्वेळाम नभ्।

७४ ॐ बूरोकाम नभ्।

१११ ॐ ळाफकनीजीलशायकाम नभ्।

३ ॐ लामुऩुिाम नभ्। ५ ॐ अनघाम नभ्। ७ ॐ अभृत्मले नभ्। ९ ॐ ग्राभलावाम नभ्।

१२ ॐ सनगुाणाम नभ्। १४ ॐ लीयाम नभ्। १६ ॐ भुनमे नभ्।

१८ ॐ लयदाम नभ्।

२० ॐ वीताळोकत्रलनाळनाम नभ्। २२ ॐ वलास्भै नभ्। २४ ॐ अव्मिाम नभ्। २६ ॐ यवाधयाम नभ्।

२८ ॐ त्रऩङ्गयोम्णे नभ्। ३० ॐ वनातनाम नभ्। ३२ ॐ बगलते नभ्।

३४ ॐ त्रलद्वशे तले नभ्। ३६ ॐ आयोग्मकिे नभ्।

४० ॐ बगा​ा म नभ्।

४२ ॐ याभबिाम नभ्। ४४ ॐ त्स्थयाम नभ्।

४६ ॐ त्रलद्वभूतामे नभ्।

४९ ॐ त्रलद्वात्भने नभ्। ५१ ॐ त्रलद्वस्भै नभ्। ५३ ॐ यलमे नभ्।

५५ ॐ त्रलद्वगम्माम नभ्। ५७ ॐ कराधयाम नभ्। ५९ ॐ कत्रऩश्रेद्षाम नभ्। ६१ ॐ लैद्याम नभ्।

६३ ॐ फाराम नभ्। ६५ ॐ मूने नभ्।

६७ ॐ तत्त्लगम्माम नभ्। ६९ ॐ अजाम नभ्। ७१ ॐ अव्मग्राम नभ्।

७३ ॐ धयाधयाम नभ्।

७७ ॐ भशरोकाम नभ्। ७९ ॐ तऩोरोकाम नभ्। ८१ ॐ वत्माम नभ्।

८३ ॐ प्रणलाम नभ्।

८६ ॐ सळलधभाप्रसतद्षािे नभ्। ८८ ॐ पाल्गुनत्रप्रमाम नभ्। ९० ॐ ऩूणाकाभाम नभ्। ९२ ॐ यषोघ्नाम नभ्। ९४ ॐ ळयणागतलत्वराम नभ्। ९६ ॐ यष्प्राणाऩशायकाम नभ्। ९८ ॐ वत्माम् नभ्। १०० ॐ फदलाकयवभप्रबाम नभ्। १०२ ॐ दे लताबमबञ्जनाम नभ्। १०४ ॐ बिरब्धाम नभ्। १०६ ॐ द्रोणशिे नभ्।

१०८ ॐ ळत्रियाषवभायकाम नभ्। ११० ॐ याभदूताम नभ्।


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११२ ॐ फुफुकायशतायातमे नभ्।

१५१ ॐ बिोदमाम नभ्।

१९० ॐ ऩुण्मकीतामे नभ्।

११४ ॐ शे तले नभ्।

१५३ ॐ बिबाग्मप्रदामकाम नभ्।

१९२ ॐ जगत्ऩालनऩालनाम नभ्।

११६ ॐ प्राॊ ळले नभ्।

१५५ ॐ दे लाम नभ्।

१९४ ॐ त्जतभायाम नभ्।

११८ ॐ जगद्धगुयले नभ्।

१५७ ॐ लासधाफन्धनकृते नभ्।

१९६ ॐ ध्मािे नभ्।

१२० ॐ जगन्नाथाम नभ्।

१५९ ॐ त्रलद्वप्रसतत्रद्षताम नभ्।

१९८ ॐ रमाम नभ्।

१२२ ॐ जनेद्वयाम नभ्।

१६१ ॐ कारऩुरुऴाम नभ्।

२०० ॐ चेतवे नभ्।

१२४ ॐ शयमे नभ्।

१६३ ॐ बूतालावाम नभ्।

२०२ ॐ सानदाम नभ्।

१२५ ॐ श्रीळाम नभ्।

१६४ ॐ लावुदेलाम नभ्।

२०३ ॐ प्राणदाम नभ्।

१२७ ॐ ऩाथाध्लजाम नभ्।

१६६ ॐ त्रिबुलनेद्वयाम नभ्।

२०५ ॐ जगत्प्राणाम नभ्।

१२९ ॐ असभतऩुच्छाम नभ्।

१६८ ॐ कृष्णाम नभ्।

२०७ ॐ त्रलबीऴणत्रप्रमाम नभ्।

१३१ ॐ मा जी ऩुच्छाम नभ्।

१७० ॐ कृष्णाम नभ्।

२०९ ॐ त्रऩप्ऩराश्रमसवत्रिदाम नभ्।

१३३ ॐ याभेद्शकायकाम नभ्।

१७२ ॐ ळान्ताम नभ्।

२११ ॐ सविाश्रमाम नभ्।

१३५ ॐ सासनने नभ्।

१७४ ॐ त्रलद्वऩालनाम नभ्।

२१३ ॐ भशोषाम नभ्।

१३७ ॐ लानये द्वयाम नभ्।

१७६ ॐ भायघ्नाम नभ्।

२१५ ॐ रङ्केळसनधनाम नभ्।

१३९ ॐ सचयञ्जीत्रलने नभ्।

१७८ ॐ त्जतेत्न्द्रमाम नभ्।

२१७ ॐ रङ्कादाशकाम नभ्।

१४१ ॐ वदासळलाम नभ्।

१८० ॐ राङ्गुसरने नभ्।

२१९ ॐ चन्द्रवूमा​ा त्ग्ननेिाम नभ्।

१४३ ॐ वद्नतमे नभ्।

१८२ ॐ राङ्गूराशतयाषवाम नभ्।

२२१ ॐ प्ररमान्तकाम नभ्।

१४५ ॐ कीसतादामकाम नभ्।

१८४ ॐ लीयाम नभ्।

२२३ ॐ कत्रऩळाम नभ्।

१४७ ॐ कीसताप्रदाम नभ्।

१८६ ॐ जमप्रदाम नभ्।

२२५ ॐ द्रादळयासळगाम नभ्।

१४९ ॐ श्रीप्रदाम नभ्।

१८८ ॐ ऩुण्माम नभ्।

२२७ ॐ अप्रभेमात्भने नभ्।

११३ ॐ गलाऩलातभदा नाम नभ्। ११५ ॐ अशे तले नभ्। ११७ ॐ त्रलद्वबिे नभ्। ११९ ॐ जगन्नेिे नभ्।

१२१ ॐ जगदीळाम नभ्।

१२३ ॐ जगत्रिताम नभ्।

१२६ ॐ गुरुडस्भमबञ्जनाम नभ्। १२८ ॐ लामुऩुिाम नभ्।

१३० ॐ असभतत्रलक्रभाम नभ्। १३२ ॐ ऩयमा जी ऩुच्छाम नभ्। १३४ ॐ वुग्रीलाफदमुताम नभ्। १३६ ॐ लानयाम नभ्। १३८ ॐ कल्ऩस्थासमने नभ्। १४० ॐ तऩनाम नभ्।

१४२ ॐ वन्नतमे नभ्।

१४४ ॐ बुत्रिभुत्रिदाम नभ्। १४६ ॐ कीतामे नभ्।

१४८ ॐ वभुद्राम नभ्। १५० ॐ सळलाम नभ्।

१५२ ॐ बिगम्माम नभ्। १५४ ॐ उदसधक्रभणामनभ्।

१५६ ॐ वॊवायबमनाळनाम नभ्। १५८ ॐ त्रलद्वजेिे नभ्।

१६० ॐ रङ्कायमे नभ्।

१६२ ॐ रङ्केळगृशबञ्जनाम नभ्।

१६५ ॐ लवले नभ्।

१६७ ॐ श्रीयाभरूऩाम नभ्।

१६९ ॐ रङ्काप्रावादबञ्जकाम नभ्। १७१ ॐ कृष्णस्तुताम नभ्। १७३ ॐ ळात्न्तदाम नभ्। १७५ ॐ त्रलद्वबोक्िे नभ्। १७७ ॐ मा जी चारयणे नभ्। १७९ ॐ ऊध्लागाम नभ्। १८१ ॐ भासरने नभ्।

१८३ ॐ वभीयतनुजाम नभ्। १८५ ॐ लीयतायाम नभ्।

१८७ ॐ जगन्भङ्गरदाम नभ्। १८९ ॐ ऩुण्मश्रलणकीतानाम नभ्।

१९१ ॐ ऩुण्मगतमे नभ्। १९३ ॐ दे लेळाम नभ्।

१९५ ॐ याभबत्रित्रलधामकाम नभ्। १९७ ॐ ध्मेमाम नभ्। १९९ ॐ वात्षणे नभ्। २०१ ॐ चैतन्मत्रलग्रशाम नभ्।

२०४ ॐ प्राणाम नभ्।

२०६ ॐ वभीयणाम नभ्। २०८ ॐ ळूयाम नभ्।

२१० ॐ सविाम नभ्।

२१२ ॐ काराम नभ्।

२१४ ॐ कारजान्तकाम नभ्। २१६ ॐ स्थासमने नभ्। २१८ ॐ ईद्वयाम नभ्।

२२० ॐ काराग्नमे नभ्। २२२ ॐ कत्रऩराम नभ्।

२२४ ॐ ऩुण्मयाळमे नभ्। २२६ ॐ वला​ा श्रमाम नभ्

२२८ ॐ ये लत्माफदसनलायकाम नभ्।


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२२९ ॐ रक्ष्भणप्राणदािे नभ्।

२६७ ॐ रोकेळाम नभ्।

३०६ ॐ वभीयजाम नभ्।

२३१ ॐ याभध्मेमाम नभ्।

२६९ ॐ प्रलङ्गभेद्वयाम नभ्।

३०८ ॐ दै त्मायमे नभ्।

२३३ ॐ त्रलष्णुबिाम नभ्।

२७१ ॐ क्रोधवॊयिरोचनाम नभ्।

३१० ॐ काभाम नभ्।

२३५ ॐ फसरने नभ्।

२७३ ॐ गुयले नभ्।

३१२ ॐ काभऩाराम नभ्।

२३७ ॐ शोिे नभ्।

२७५ ॐ बिानाॊ लयप्रदाम नभ्।

३१४ ॐ त्रलद्वजीलनाम नभ्।

२३९ ॐ किे नभ्।

२७७ ॐ त्रलद्वेळाम नभ्।

३१६ ॐ वेतुफन्धत्रलळायदाम नभ्।

२४१ ॐ नगयग्राभऩाराम नभ्।

२७९ ॐ ऩुयॊदयाम नभ्।

३१८ ॐ स्लधामै नभ्।

२४२ ॐ ळुिाम नभ्।

२८० ॐ क्रोधशते नभ्।

३१९ ॐ शत्रलऴे नभ्।

२४४ ॐ सनयिऩाम नभ्।

२८२ ॐ बिबमलयप्रदाम नभ्।

३२१ ॐ शव्मलाशप्रकाळकाम नभ्।

२४६ ॐ सनत्रलाकल्ऩाम नभ्।

२८४ ॐ त्रलबालवले नभ्।

३२३ ॐ भशालीयाम नभ्।

२४८ ॐ बमॊकयाम नभ्।

२८६ ॐ मभाम नभ्।

३२५ ॐ ऊत्जातत्रलक्रभाम नभ्।

२५० ॐ दुय ायाध्माम नभ्।

२८८ ॐ लरुणाम नभ्।

३२७ ॐ वद्नतमे नभ्।

२५२ ॐ भशे द्वयाम नभ्।

२९० ॐ लामले नभ्।

३२९ ॐ जगदात्भने नभ्।

नभ्।

२९२ ॐ ईद्वयाम नभ्।

३३१ ॐ जगदन्ताम नभ्।

२५५ ॐ लाङ्भमाम नभ्।

२९४ ॐ चन्द्राम नभ्।

३३३ ॐ त्रलऩाप्भने नभ्।

२५७ ॐ कायणाम नभ्।

२९६ ॐ वौम्माम नभ्।

३३५ ॐ भशते नभ्।

२५९ ॐ बाग्मदाम नभ्।

२९८ ॐ काव्माम नभ्।

३३७ ॐ खाम नभ्।

२६१ ॐ नेिे नभ्।

३०० ॐ याशले नभ्।

३३९ ॐ ऩृसथव्मै नभ्।

२६३ ॐ ऩुच्छफिमातुधानाम नभ्।

३०२ ॐ भरुते नभ्।

३४१ ॐ लह्नमे नभ्।

२६५ ॐ छामाऩशारयणे नभ्।

३०४ ॐ दािे नभ्।

३४३ ॐ षेिसाम नभ्।

२३० ॐ वीताजीलनशे तुकाम नभ्। २३२ ॐ रृऴीकेळाम नभ्। २३४ ॐ जफटने नभ्।

२३६ ॐ दे लारयदऩाघ्ने नभ्। २३८ ॐ धािे नभ्। २४० ॐ जगत्प्रबले नभ्।

२४३ ॐ फुिाम नभ्।

२४५ ॐ सनयञ्जनाम नभ्। २४७ ॐ गुणातीताम नभ्। २४९ ॐ शनुभते नभ्।

२५१ ॐ तऩ्वाध्माम नभ्। २५३

जानकीधनळोकोत्थताऩशिं

२५४ ॐ ऩयात्ऩयस्भै नभ्। २५६ ॐ वदवद्रूऩाम नभ्। २५८ ॐ प्रकृते् ऩयस्भै नभ्। २६० ॐ सनभाराम नभ्।

२६२ ॐ ऩुच्छङ्कात्रलदाशकाम नभ्। २६४ ॐ मातुधानरयऩुत्रप्रमाम नभ्। २६६ ॐ बूतेळाम नभ्।

२६८ ॐ वद्नसतप्रदाम नभ्। २७० ॐ क्रोधाम नभ्।

२७२ ॐ वौम्माम नभ्।

२७४ ॐ काव्मकिे नभ्। २७६ ॐ बिानुकत्म्ऩने नभ्। २७८ ॐ ऩुरुशूताम नभ्।

२८१ ॐ तभोशते नभ्। २८३ ॐ अग्नमे नभ्।

२८५ ॐ बास्लते नभ्।

२८७ ॐ सनऋतमे नभ्। २८९ ॐ लामुगसतभते नभ्। २९१ ॐ कौफेयाम नभ्। २९३ ॐ यलमे नभ्।

२९५ ॐ कुजाम नभ्। २९७ ॐ गुयले नभ्।

२९९ ॐ ळनैद्ळ याम नभ्। ३०१ ॐ केतले नभ्। ३०३ ॐ शोिे नभ्। ३०५ ॐ शिे नभ्।

३०७ ॐ भळकीकृतदे लायमे नभ्। ३०९ ॐ भधुवूदनाम नभ्। ३११ ॐ कऩमे नभ्।

३१३ ॐ कत्रऩराम नभ्।

३१५ ॐ बागीयथीऩदाम्बोजाम नभ्। ३१७ ॐ स्लाशामै नभ्।

३२० ॐ कव्माम नभ्। ३२२ ॐ स्लप्रकाळाम नभ्। ३२४ ॐ रघले नभ्।

३२६ ॐ उरडीनोरडीनगसतभते नभ्। ३२८ ॐ ऩुरुऴोत्तभाम नभ्। ३३० ॐ जगद्योनमे नभ्।

३३२ ॐ अनन्तकाम नभ्। ३३४ ॐ सनष्करङ्काम नभ्। ३३६ ॐ भशदशॊ कृतमे नभ्। ३३८ ॐ लामले नभ्। ३४० ॐ अद्धभ्मो नभ्। ३४२ ॐ फदक्ऩाराम नभ्। ३४४ ॐ षेिशिे नभ्।


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३४५ ॐ ऩल्लरीकृतवागयाम नभ्।

३८३ ॐ स्भृतमे नभ्।

४२२ ॐ फृशत्ऩुच्छाम नभ्।

३४७ ॐ ऩुयाणाम नभ्।

३८५ ॐ स्लगाद्रायाम नभ्।

४२४ ॐ फृशद्गतमे नभ्।

३४९ ॐ बूचयाम नभ्।

३८७ ॐ भोषद्रायाम नभ्।

४२६ ॐ फृशल्रोकपरप्रदाम नभ्।

३५१ ॐ फशयण्मगबा​ा म नभ्।

३८९ ॐ नादरूऩाम नभ्।

४२८ ॐ फृशद्राञ्छापरदाम नभ्।

३५३ ॐ याजयाजाम नभ्।

३९१ ॐ मा जी णे नभ्।

४३० ॐ फृशल्रोकनुताम नभ्।

३५५ ॐ लेदान्तलेद्याम नभ्।

३९३ ॐ एकस्भै नभ्।

४३२ ॐ त्रलद्यादािे नभ्।

३५७ ॐ लेदलेदाङ्गऩायगाम नभ्।

३९५ ॐ जनाम नभ्।

४३४ ॐ दे लाचामा​ा म नभ्।

३५८ ॐ प्रसतग्राभत्स्थतमे नभ्।

३९६ ॐ ळुक्राम नभ्।

४३५ ॐ वत्मलाफदने नभ्।

३६० ॐ गुणाकयाम नभ्।

३९८ ॐ अनाकुराम नभ्।

४३७ ॐ कराधयाम नभ्।

३६२ ॐ बूतात्भने नभ्।

४०० ॐ अनादमे नभ्।

४३९ ॐ भरमाचरवॊश्रमाम नभ्।

३६४ ॐ कल्ऩऩादऩाम नभ्।

४०२ ॐ याजवाम नभ्।

४४१ ॐ श्रीदाम नभ्।

३६६ ॐ गुणसनधमे नभ्।

४०४ ॐ तभोशिे नभ्।

४४३ ॐ खगाम नभ्।

३६८ ॐ अनुत्तभाम नभ्।

४०६ ॐ सनयाकायाम नभ्।

४४५ ॐ कऩीन्द्राम नभ्।

३७० ॐ ऩुयायातमे नभ्।

४०८ ॐ गुणाश्रमाम नभ्।

४४७ ॐ चतुयमा ाजी णाम नभ्।

३७२ ॐ ळलायीऩतमे नभ्।

४१० ॐ फृशत्कभाणे नभ्।

४४९ ॐ मोगगम्माम नभ्।

त्रऩळाचकाम नभ्।

४१२ ॐ फृशिनले नभ्।

४५१ ॐ अलयस्भै नभ्।

३७५ ॐ वूक्ष्भाम नभ्।

४१४ ॐ फृशन्भूध्ने नभ्।

४५३ ॐ व्मावाम नभ्।

३७७ ॐ वलागतमे नभ्।

४१६ ॐ फृशत्कणा​ा म नभ्।

४५५ ॐ ऩृसथलीऩतमे नभ्।

३७९ ॐ अऩस्भायशयाम नभ्।

४१८ ॐ फृशद्बाशले नभ्।

४५७ ॐ त्जतायातमे नभ्।

३८१ ॐ श्रुतमे नभ्।

४२० ॐ फृशज्जानले नभ्।

४५९ ॐ दमामुताम नभ्।

३४६ ॐ फशयण्मभमाम नभ्। ३४८ ॐ खे चयाम नभ्। ३५० ॐ अभयाम नभ्। ३५२ ॐ वूिात्भने नभ्।

३५४ ॐ त्रलळाॊ ऩतमे नभ्। ३५६ ॐ उद्नीथाम नभ्।

३५९ ॐ वद्य् स्पूसतादािे नभ्। ३६१ ॐ नषिभासरने नभ्। ३६३ ॐ वुयबमे नभ्।

३६५ ॐ सचन्ताभणमे नभ्। ३६७ ॐ प्रजाधायाम नभ्।

३६९ ॐ ऩुण्मश्रोकाम नभ्। ३७१ ॐ ज्मोसतष्भते नभ्। ३७३

फकरफकरायालवॊिस्तबूतप्रेत-

३७४ ॐ ऋणिमशयाम नभ्। ३७६ ॐ स्थूराम नभ्। ३७८ ॐ ऩुॊवे नभ्।

३८० ॐ स्भिे नभ्।

३८२ ॐ गाथामै नभ्।

३८४ ॐ भनले नभ्।

३८६ ॐ प्रजाद्रायाम नभ्। ३८८ ॐ मतीद्वयाम नभ्।

३९० ॐ ऩयस्भै मा जी णे नभ्। ३९२ ॐ मा जी ऩुयातनाम नभ्। ३९४ ॐ अनेकस्भै नभ्।

३९७ ॐ स्लमॊज्मोसतऴे नभ्। ३९९ ॐ ज्मोसतज्मोसतऴे नभ्। ४०१ ॐ वात्त्त्लकाम नभ्। ४०३ ॐ तभाम नभ्।

४०५ ॐ सनयारम्फाम नभ्। ४०७ ॐ गुणाकयाम नभ्। ४०९ ॐ गुणभमाम नभ्। ४११ ॐ फृशद्यळवे नभ्।

४१३ ॐ फृशत्ऩादाम नभ्। ४१५ ॐ फृशत्स्लनाम नभ्। ४१७ ॐ फृशन्नावाम नभ्। ४१९ ॐ फृशत्तनले नभ्।

४२१ ॐ फृशत्कामा​ा म नभ्।

४२३ ॐ फृशत्कयाम नभ्।

४२५ ॐ फृशत्वेव्माम नभ्। ४२७ ॐ फृशच्छिमे नभ्।

४२९ ॐ फृशदीद्वयाम नभ्। ४३१ ॐ द्रद्से नभ्।

४३३ ॐ जगद्धगुयले नभ्।

४३६ ॐ मा जी लाफदने नभ्।

४३८ ॐ वद्ऱऩातारगासभने नभ्। ४४० ॐ उत्तयाळात्स्थताम नभ्।

४४२ ॐ फदव्मौऴसधलळाम नभ्। ४४४ ॐ ळाखाभृगाम नभ्। ४४६ ॐ ऩुयाणश्रुसतचञ्चुय ाम नभ्। ४४८ ॐ मोसगने नभ्। ४५० ॐ ऩयस्भै नभ्।

४५२ ॐ अनाफदसनधनाम नभ्। ४५४ ॐ लैकुण्ठाम नभ्। ४५६ ॐ अऩयात्जताम नभ्। ४५८ ॐ वदानन्दाम नभ्। ४६० ॐ गोऩाराम नभ्।


52

अप्रैर-2015

४६१ ॐ गोऩतमे नभ्।

४९९ ॐ अभयाम नभ्।

५३८ ॐ चषुऴे नभ्।

४६३ ॐ कसरकारऩयाळयाम नभ्।

५०१ ॐ दळबुजाम नभ्।

५४० ॐ लचवे नभ्।

४६५ ॐ वदामोसगने नभ्।

५०३ ॐ खगाननाम नभ्।

५४२ ॐ गन्धाम नभ्।

४६७ ॐ तत्त्लदािे नभ्।

५०५ ॐ कत्रऩऩतमे नभ्।

५४४ ॐ स्ऩळा​ा म नभ्।

४६९ ॐ तत्त्लाम नभ्।

५०७ ॐ भशाद्युतमे नभ्।

५४६ ॐ नेसतनेतीसतगम्माम नभ्।

४७१ ॐ ळुिाम नभ्।

५०९ ॐ बालगाम नभ्।

५४८ ॐ सगयीळाम नभ्।

४७३ ॐ सनत्मभुिाम नभ्।

५११ ॐ लयाशाम नभ्।

४७४ ॐ बियाजाम नभ्।

५१२ ॐ लामुरूऩधृऴे नभ्।

५५० ॐ दुला​ा ववे नभ्।

४७६ ॐ प्ररमाम नभ्।

५१४ ॐ ऩयात्जतदळाननाम नभ्।

५५३ ॐ बृगले नभ्।

४७८ ॐ भामातीताम नभ्।

५१६ ॐ लटले नभ्।

५५५ ॐ च्मलनाम नभ्।

४८० ॐ भामाबत्जातयषभे नभ्।

५१८ ॐ वुयवास्मत्रलसनभुािाम नभ्।

५५७ ॐ तुम्फयाम नभ्।

४८२ ॐ भामाश्रमाम नभ्।

५२० ॐ रङ्कारङ्कायत्रलध्लॊसवने नभ्।

५५९ ॐ त्रलद्वषेिाम नभ्।

४८४ ॐ भामासनलाताकाम नभ्।

५२२ ॐ यात्रिवॊचायकुळराम नभ्।

५६१ ॐ त्रलद्वनेिाम नभ्।

४८६ ॐ वुत्खगे नभ्।

५२४ ॐ फकङ्कयान्तकयाम नभ्।

५६३ ॐ माजकाम नभ्।

४८८ ॐ नागाम नभ्।

५२६ ॐ उग्ररूऩधृऴे नभ्।

५६५ ॐ ऩालकाम नभ्।

४९० ॐ भशे द्वयाम नभ्।

५२८ ॐ शरयगाम नभ्।

५६७ ॐ श्रिामै नभ्।

४९२ ॐ ळयबाम नभ्।

५३० ॐ भेघगम्बीयसननदाम नभ्।

५६९ ॐ षभामै नभ्।

४९४ ॐ वशस्त्रकन्धय फरत्रलध्लॊवन-

५३२ ॐ कारनेसभप्राणशारयणे नभ्।

५७१ ॐ भन्िाम नभ्।

ॐ वशस्त्रफाशले नभ्।

५३४ ॐ यवाम नभ्।

५७३ ॐ स्लयाम नभ्।

४९७ ॐ फद्रफाशले नभ्।

५३६ ॐ वम्भानाम नभ्।

५७५ ॐ बूऩतमे नभ्।

४६२ ॐ गोप्िे नभ्।

४६४ ॐ भनोलेसगने नभ्।

४६६ ॐ वॊवायबमनाळनाम नभ्। ४६८ ॐ तत्त्लसाम नभ्। ४७० ॐ तत्त्लप्रकाळकाम नभ्। ४७२ ॐ फुिाम नभ्।

४७५ ॐ जमद्रथाम नभ्।

४७७ ॐ असभतभामाम नभ्। ४७९ ॐ त्रलभत्वयाम नभ्।

४८१ ॐ भामासनसभातत्रलद्शऩाम नभ्। ४८३ ॐ सनरेऩाम नभ्। ४८५ ॐ वुखाम नभ्।

४८७ ॐ वुखप्रदाम नभ्। ४८९ ॐ भशे ळकृतवॊस्तलाम नभ्। ४९१ ॐ वत्मवॊधाम नभ्। ४९३ ॐ कसरऩालनाम नभ्। त्रलचषणाम नभ्।

४९६ ॐ वशजाम नभ्। ४९८ ॐ फद्रबुजाम नभ्।

५०० ॐ चतुबुाजाम नभ्। ५०२ ॐ शमग्रीलाम नभ्। ५०४ ॐ कत्रऩलक्िाम नभ्। ५०६ ॐ नयसवॊशाम नभ्। ५०८ ॐ बीऴणाम नभ्। ५१० ॐ लन्द्याम नभ्।

५१३ ॐ रक्ष्भणप्राणदािे नभ्। ५१५ ॐ ऩारयजातसनलासवने नभ्। ५१७ ॐ लचनकोत्रलदाम नभ्। ५१९ ॐ सवॊफशकायप्राणशायकाम नभ्। ५२१ ॐ लृऴदॊ ळकरूऩधृऴे नभ्।

५२३ ॐ यात्रिॊचयगृशत्ग्नदाम नभ्। ५२५ ॐ जम्फुभासरशन्िे नभ्। ५२७ ॐ आकाळचारयणे नभ्। ५२९ ॐ भेघनादयणोत्वुकाम नभ्। ५३१ ॐ भशायालणकुरान्तकाम नभ्। ५३३ ॐ भकयीळाऩभोषदाम नभ्। ५३५ ॐ यवसाम नभ्। ५३७ ॐ रूऩाम नभ्।

५३९ ॐ श्रुतमे नभ्।

५४१ ॐ घ्राणाम नभ्। ५४३ ॐ स्ऩळानाम नभ्। ५४५ ॐ अशॊ कायभानगाम नभ्। ५४७ ॐ लैकुण्ठबजनत्रप्रमाम नभ्। ५४९ ॐ सगरयजाकान्ताम नभ्। ५५१ ॐ कलमे नभ्।

५५२ ॐ अत्ङ्गयवे नभ्। ५५४ ॐ लसवद्षाम नभ्। ५५६ ॐ नायदाम नभ्।

५५८ ॐ अभराम नभ्।

५६० ॐ त्रलद्वफीजाम नभ्। ५६२ ॐ त्रलद्वऩाम नभ्।

५६४ ॐ मजभानाम नभ्। ५६६ ॐ त्रऩतृभ्मो नभ्। ५६८ ॐ फुिमै नभ्।

५७० ॐ तन्द्रामै नभ्। ५७२ ॐ भन्िसमिे नभ्। ५७४ ॐ याजेन्द्राम नभ्। ५७६ ॐ रुण्डभासरने नभ्।


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अप्रैर-2015

५७७ ॐ वॊवायवायथमे नभ्।

६१६ ॐ भशाभन्िाम नभ्।

६५५ ॐ वद्ऱवाभोऩगीताम नभ्।

५७९ ॐ बिकाभदुशे नभ्।

६१८ ॐ भशागभाम नभ्।

६५७ ॐ भेधादाम नभ्।

५८१ ॐ गणऩाम नभ्।

६२० ॐ भशादे लात्भकाम नभ्।

६५९ ॐ ळोकशारयणे नभ्।

५८३ ॐ भ्रािे नभ्।

६२२ ॐ यौद्रकभाणे नभ्।

६६१ ॐ वलायषाकयाम नभ्।

५८५ ॐ भािे नभ्।

६२४ ॐ यत्ननाबाम नभ्।

६६३ ॐ ऩुिऩौिदाम नभ्।

५८७ ॐ वशस्त्रभूध्ने नभ्।

६२६ ॐ अम्बोसधरङ्घनाम नभ्।

६६५ ॐ रुद्शसचत्तप्रवादनाम नभ्।

५८९ ॐ वशस्त्राषाम नभ्।

६२८ ॐ वत्मधभाप्रभोदनाम नभ्।

५९० ॐ वशस्त्रऩादे नभ्।

६२९ ॐ त्जतासभिाम नभ्।

६६७ ॐ दु्खघ्ने नभ्।

५९२ ॐ काभदशनाम नभ्।

६३१ ॐ वोभाम नभ्।

६७० ॐ नलद्रायसनकेतनाम नभ्।

५९४ ॐ काभपरप्रदाम नभ्।

६३३ ॐ लामुन्दनाम नभ्।

६७२ ॐ नलनाथभशे द्वयाम नभ्।

५९६ ॐ यषोघ्नाम नभ्।

६३५ ॐ वशस्त्राॊ ळले नभ्।

६७४ ॐ कलसचने नभ्।

५९८ ॐ फराम नभ्।

६३७ ॐ बूरयदत्षणाम नभ्।

६७६ ॐ भ्रात्जष्णले नभ्।

६०० ॐ त्रलष्णले नभ्।

६३९ ॐ सवत्रिदाम नभ्।

६४० ॐ सविवङ्कल्ऩाम नभ्।

६७८ ॐ फशुमोजनत्रलस्तीणाऩुच्छाम नभ्। ६७९ ॐ ऩुच्छशतावुयाम नभ्।

६०२ ॐ दऩाघ्ने नभ्।

६४१ ॐ सवत्रिशे तुकाम नभ्।

६८० ॐ दुद्शग्रशसनशन्िे नभ्।

६०४ ॐ दॊ द्साळतभूतामे नभ्।

६४३ ॐ वद्ऱत्रऴागणलत्न्दताम नभ्।

६८२ ॐ फारग्रशत्रलनासळने नभ्।

६०६ ॐ भशासनधमे नभ्।

६४५ ॐ लीयाम नभ्।

६८४ ॐ कृऩाकयाम नभ्।

६०८ ॐ भशाबगा​ा म नभ्।

६४७ ॐ वद्ऱाङ्गयाज्मवुखदाम नभ्।

६८६ ॐ उग्रलेगाम नभ्।

६१० ॐ भशाकायाम नभ्।

६४९ ॐ वद्ऱस्लरोकभुकुटाम नभ्।

६८८ ॐ ळतक्रतले नभ्।

६१२ ॐ भशातेजवे नभ्।

६५१ ॐ स्लयाश्रमाम नभ्।

६९० ॐ स्तुत्माम नभ्।

६१४ ॐ भशावनाम नभ्।

६५३ ॐ वद्ऱच्छन्दवे नभ्।

६९२ ॐ स्तोिे नभ्।

५७८ ॐ सनत्मवम्ऩूणाकाभाम नभ्। ५८० ॐ उत्तभाम नभ्।

५८२ ॐ केळलाम नभ्। ५८४ ॐ त्रऩिे नभ्।

५८६ ॐ भारुतमे नभ्। ५८८ ॐ अनेकास्माम नभ्।

५९१ ॐ काभत्जते नभ्। ५९३ ॐ काभाम नभ्।

५९५ ॐ भुद्राऩशरयणे नभ्।

५९७ ॐ त्षसतबायशयाम नभ्। ५९९ ॐ नखदॊ द्सामुधाम नभ्। ६०१ ॐ बिाबमलयप्रदाम नभ्। ६०३ ॐ दऩादाम नभ्। ६०५ ॐ अभूसताभते नभ्।

६०७ ॐ भशाबागाम नभ्। ६०९ ॐ भशत्रिादाम नभ्।

६११ ॐ भशामोसगने नभ्। ६१३ ॐ भशाद्युतमे नभ्।

६१५ ॐ भशानादाम नभ्।

६१७ ॐ भशाभतमे नभ्।

६१९ ॐ भशोदायाम नभ्। ६२१ ॐ त्रलबले नभ्।

६२३ ॐ क्रूयकभाणे नभ्।

६२५ ॐ कृतागभाम नभ्। ६२७ ॐ सवॊशाम नभ्।

६३० ॐ जमाम नभ्।

६३२ ॐ त्रलजमाम नभ्। ६३४ ॐ जीलदािे नभ्।

६३६ ॐ भुकुन्दाम नभ्।

६३८ ॐ सविाथा​ा म नभ्।

६४२ ॐ वद्ऱऩातारचयणाम नभ्। ६४४ ॐ वद्ऱात्ब्धरङ्घनाम नभ्।

६४६ ॐ वद्ऱद्रीऩोरुभण्डराम नभ्। ६४८ ॐ वद्ऱभातृसनऴेत्रलताम नभ्। ६५० ॐ वद्ऱशोिे नभ्।

६५२ ॐ वद्ऱच्छन्दोसनधमे नभ्। ६५४ ॐ वद्ऱजनाश्रमाम नभ्।

६५६ ॐ वद्ऱऩातारवॊश्रमाम नभ्। ६५८ ॐ कीसतादाम नभ्। ६६० ॐ दौबा​ा ग् मनाळनाम नभ्। ६६२ ॐ गबादोऴघ्ने नभ्।

६६४ ॐ प्रसतलाफदभुखस्तम्बाम नभ्। ६६६ ॐ ऩयासबचायळभनाम नभ्। ६६८ ॐ फन्धभोषदाम नभ्।

६६९ ॐ नलद्रायऩुयाधायाम नभ्। ६७१ ॐ नयनायामणस्तुत्माम नभ्। ६७३ ॐ भेखसरने नभ्। ६७५ ॐ खडसगने नभ्। ६७७ ॐ त्जष्णुवायथमे नभ्।

६८१ ॐ त्रऩळाचग्रशघातकाम नभ्। ६८३ ॐ धभानेिे नभ्।

६८५ ॐ उग्रकृत्माम नभ्। ६८७ ॐ उग्रनेिाम नभ्। ६८९ ॐ ळतभन्मुनुताम नभ्। ६९१ ॐ स्तुतमे नभ्।

६९३ ॐ भशाफराम नभ्।


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६९४ ॐ वभग्रगुणाळासरने नभ्।

७३३ ॐ कूभा​ा म नभ्।

७७२ ॐ ऩुरुजेिे नभ्।

६९६ ॐ यषोत्रलनाळकाम नभ्।

७३५ ॐ लायाशाम नभ्।

७७४ ॐ कैलल्मरूऩाम नभ्।

६९८ ॐ मा जी ेळाम नभ्।

७३७ ॐ लाभनाम नभ्।

७७६ ॐ गरुडाम नभ्।

७०० ॐ बिलत्वराम नभ्।

७३९ ॐ याभाम नभ्।

७७८ ॐ फकरफकर ् यालशतायातमे ् नभ्।

७०२ ॐ भेघरूऩाम नभ्।

७४१ ॐ सळलाम नभ्।

७८० ॐ लज्राङ्गाम नभ्।

७०४ ॐ भेघजीलनशे तले नभ्।

७४३ ॐ कत्ल्कने नभ्।

७८२ ॐ बिलज्रसनलायकाम नभ्।

७०६ ॐ ऩयात्भकाम नभ्।

७४५ ॐ शयमे नभ्।

७८४ ॐ भत्णग्रीलाम नभ्।

७०७ ॐ वभीयतनमाम नभ्।

७४६ ॐ नत्न्दने नभ्।

७८५ ॐ ज्लाराभासरने नभ्।

७०९ ॐ नृत्मत्रलद्यात्रलळायदाम नभ्।

७४८ ॐ चत्ण्डने नभ्।

७८७ ॐ प्रौढप्रताऩाम नभ्।

७११ ॐ अभोघदृद्शमे नभ्।

७५० ॐ गणवेत्रलताम नभ्।

७८९ ॐ बिताऩसनलायकाम नभ्।

७१३ ॐ अरयद्शनाळनाम नभ्।

७५२ ॐ वुयाध्मषाम नभ्।

७९१ ॐ जीलनाम नभ्।

७१५ ॐ अनथा​ा ऩशारयणे नभ्।

७५४ ॐ जगतीऩतमे नभ्।

७९३ ॐ नानाचेद्शाम नभ्।

७१७ ॐ याभवेलकाम नभ्।

७५६ ॐ कऩीळाम नभ्।

७९५ ॐ स्लत्स्तभते नभ्।

७१९ ॐ अवुयायातमे नभ्।

७५८ ॐ वदाश्रमाम नभ्।

७९७ ॐ दु्खळातनाम नभ्।

७२१ ॐ आत्भबुले नभ्।

७६० ॐ दान्ताम नभ्।

७९९ ॐ ऩालनाम नभ्।

७२३ ॐ त्रलळुिात्भने नभ्।

७६२ ॐ प्रलङ्गभाम नभ्।

८०१ ॐ कान्ताम नभ्।

७२५ ॐ वुयेद्वयाम नभ्।

७६४ ॐ नखमुित्रलळायदाम नभ्।

८०३ ॐ फसरने नभ्।

७२७ ॐ सनत्माम नभ्।

७६६ ॐ वुधनाम नभ्।

८०५ ॐ भेघनादवॊशतयाषवाम नभ्।

७२९ ॐ याभवायथमे नभ्।

७६८ ॐ लावुकमे नभ्।

८०७ ॐ अषयाम नभ्।

७३१ ॐ ऩयभानन्दाम नभ्।

७७० ॐ स्लणालणा​ा म नभ्।

८०९ ॐ लानये ळाम नभ्।

६९५ ॐ व्मग्राम नभ्।

६९७ ॐ यषोऽत्ग्नदाशाम नभ्। ६९९ ॐ श्रीधयाम नभ्। ७०१ ॐ भेघनादाम नभ्।

७०३ ॐ भेघलृत्रद्शसनलायकाम नभ्। ७०५ ॐ भेघश्माभाम नभ्।

७०८ ॐ मोद्धध्रे नभ्।

७१० ॐ अभोघाम नभ्। ७१२ ॐ इद्शदाम नभ्। ७१४ ॐ अथा​ा म नभ्।

७१६ ॐ वभथा​ा म नभ्।

७१८ ॐ असथालन्द्याम नभ्।

७२० ॐ ऩुण्डयीकाषाम नभ्। ७२२ ॐ वॊकऴाणाम नभ्। ७२४ ॐ त्रलद्यायाळमे नभ्।

७२६ ॐ अचरोिायकाम नभ्। ७२८ ॐ वेतुकृते नभ्।

७३० ॐ आनन्दाम नभ्। ७३२ ॐ भत्स्माम नभ्।

७३४ ॐ सनयाश्रमाम नभ्। ७३६ ॐ नायसवॊशाम नभ्। ७३८ ॐ जभदत्ग्नजाम नभ्। ७४० ॐ कृष्णाम नभ्। ७४२ ॐ फुिाम नभ्।

७४४ ॐ याभाश्रमाम नभ्।

७४७ ॐ बृत्ङ्गणे नभ्। ७४९ ॐ गणेळाम नभ्। ७५१ ॐ कभा​ा ध्मषाम नभ्। ७५३ ॐ त्रलश्राभाम नभ्।

७५५ ॐ जगन्नाथाम नभ्। ७५७ ॐ वला​ा लावाम नभ्। ७५९ ॐ वुग्रीलाफदस्तुताम नभ्। ७६१ ॐ वलाकभाणे नभ्। ७६३ ॐ नखदारयतयषवे नभ्। ७६५ ॐ कुळराम नभ्। ७६७ ॐ ळेऴाम नभ्।

७६९ ॐ तषकाम नभ्। ७७१ ॐ फराढ्माम नभ्।

७७३ ॐ अघनाळनाम नभ्। ७७५ ॐ कैलल्माम नभ्।

७७७ ॐ ऩन्नगोयगाम नभ्। ७७९ ॐ गलाऩलातबेदनाम नभ्। ७८१ ॐ लज्रदॊ द्साम नभ्।

७८३ ॐ नखामुधाम नभ्।

७८६ ॐ बास्कयाम नभ्। ७८८ ॐ तऩनाम नभ्। ७९० ॐ ळयणाम नभ्। ७९२ ॐ बोक्िे नभ्।

७९४ ॐ अचञ्चराम नभ्। ४९६ ॐ स्लत्स्तदाम नभ्।

७९८ ॐ ऩलनात्भजाम नभ्। ८०० ॐ ऩलनाम नभ्।

८०२ ॐ बिाग्वशनाम नभ्। ८०४ ॐ भेघनादरयऩले नभ्। ८०६ ॐ षयाम नभ्।

८०८ ॐ त्रलनीतात्भने नभ्। ८१० ॐ वताॊ गतमे नभ्।


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८११ ॐ श्रीकण्ठाम नभ्।

८५० ॐ कुण्डसरने नभ्।

८८८ ॐ रुक्भलणा​ा म नभ्।

८१३ ॐ वशामाम नभ्।

८५२ ॐ मोगत्रलदाॊ लयाम नभ्।

८९० ॐ अनाकुराम नभ्।

८१५ ॐ अस्थूराम नभ्।

८५४ ॐ कलमे नभ्।

८९२ ॐ अनऩामाम नभ्।

८१७ ॐ बगा​ा म नभ्।

८५६ ॐ अनल्ऩळावनाम नभ्।

८९४ ॐ अषयाम नभ्।

८१९ ॐ वॊवसृ तनाळनाम नभ्।

८५८ ॐ अव्मग्राम नभ्।

८९६ ॐ रोकनाथाम नभ्।

८२१ ॐ अध्मात्भकुळराम नभ्।

८६० ॐ मोगतत्ऩयाम नभ्।

८९८ ॐ दृढाम नभ्।

८२३ ॐ अकल्भऴाम नभ्।

८६२ ॐ मोगकिे नभ्।

९०० ॐ वत्मवॊधाम नभ्।

८२४ ॐ वत्मशे तले नभ्।

८६३ ॐ मोगमोनमे नभ्।

९०१ ॐ ऩुरुद्शुताम नभ्।

८२६ ॐ वत्मगोचयाम नभ्।

८६५

९०३ ॐ प्रेतत्रलद्रालणषभाम नभ्।

८२८ ॐ वत्मरूऩाम नभ्।

८६६ ॐ उरूखरभुखाम नभ्।

९०५ ॐ ऩञ्चभातृकाम नभ्।

८३० ॐ वत्मऩयाक्रभाम नभ्।

८६८ ॐ प्रभथेद्वयाम नभ्।

९०७ ॐ मोसगनीलृन्दलन्द्यसश्रमै नभ्।

८३२ ॐ लामुलॊळोद्भलाम नभ्।

८७० ॐ त्श् रद्शजानले नभ्।

९०९ ॐ अनन्तत्रलक्रभाम नभ्।

८३४ ॐ बद्ररूऩाम नभ्।

८७२ ॐ सळखाधयाम नभ्।

९११ ॐ इत्न्द्रमरयऩले नभ्।

८३६ ॐ वुरूऩाम नभ्।

८७४ ॐ असभतळभाणे नभ्।

९१३ ॐ दळात्भकाम नभ्।

८३८ ॐ भैनाकलत्न्दताम नभ्।

८७६ ॐ त्जष्णले नभ्।

९१५ ॐ वदाचायाम नभ्।

८४० ॐ त्रलजमाम नभ्।

८७८ ॐ योसचष्णले नभ्।

९१७ ॐ लृिाम नभ्।

८४२ ॐ क्रान्तफदङ्भण्डराम नभ्।

८८० ॐ स्थाणले नभ्।

९१९ ॐ आनन्दाम नभ्।

८४४ ॐ प्रकटीकृतत्रलक्रभाम नभ्।

८८२ ॐ कम्ऩनाम नभ्।

९२१ ॐ नलद्रायऩुयाधायाम नभ्।

८४६ ॐ प्रवन्नात्भने नभ्।

८८४ ॐ गुणप्रलाशाम नभ्।

९२३ ॐ वाभगामकाम नभ्।

८४८ ॐ लृकोदयाम नभ्।

८८६ ॐ लीतयागस्तुसतत्रप्रमाम नभ्।

९२५ ॐ स्लरोकाबमकृते नभ्।

८१२ ॐ सळसतकण्ठाम नभ्। ८१४ ॐ वशनामकाम नभ्। ८१६ ॐ अनणले नभ्।

८१८ ॐ फदव्माम नभ्। ८२० ॐ अध्मात्भत्रलद्यावायाम नभ्। ८२२ ॐ वुसधमे नभ्।

८२५ ॐ वत्मदाम नभ्।

८२७ ॐ वत्मगबा​ा म नभ्। ८२९ ॐ वत्माम नभ्।

८३१ ॐ अञ्जनाप्राणसरङ्गाम नभ्। ८३३ ॐ ळुबाम नभ्।

८३५ ॐ रुद्ररूऩाम नभ्।

८३७ ॐ सचिरूऩधृऴे नभ्। ८३९ ॐ वूक्ष्भदळानाम नभ्। ८४१ ॐ जमाम नभ्। ८४३ ॐ रुद्राम नभ्।

८४५ ॐ कम्फुकण्ठाम नभ्। ८४७ ॐ ह्रस्लनावाम नभ्। ८४९ ॐ रम्फौद्षाम नभ्।

८५१ ॐ सचिभासरने नभ्। ८५३ ॐ त्रलऩत्द्ळते नभ्।

८५५ ॐ आनन्दत्रलग्रशाम नभ्। ८५७ ॐ पाल्गुनीवूनले नभ्। ८५९ ॐ मोगात्भने नभ्। ८६१ ॐ मोगत्रलदे नभ्।

८६४ ॐ फदगम्फयाम नभ्। ॐ

अकयाफदशकायान्तलणासनसभात-

त्रलग्रशाम नभ्।

८६७ ॐ सविवॊस्तुताम नभ्। ८६९ ॐ त्श् रद्शजङ्घाम नभ्। ८७१ ॐ त्श् रद्शऩाणमे नभ्। ८७३ ॐ वुळभाणे नभ्।

८७५ ॐ नायामणऩयामणाम नभ्। ८७७ ॐ बत्रलष्णले नभ्। ८७९ ॐ ग्रसवष्णले नभ्।

८८१ ॐ शरयरुद्रानुवेकाम नभ्। ८८३ ॐ बूसभकम्ऩनाम नभ्। ८८५ ॐ वूिात्भने नभ्।

८८७ ॐ नागकन्माबमध्लॊसवने नभ्।

८८९ ॐ कऩारबृते नभ्।

८९१ ॐ बलोऩामाम नभ्।

८९३ ॐ लेदऩायगाम नभ्। ८९५ ॐ ऩुरुऴाम नभ्।

८९७ ॐ ऋषप्रबले नभ्।

८९९ ॐ अद्शाङ्गमोगपरबुजे नभ्।

९०२ ॐ श्भळानस्थानसनरमाम नभ्। ९०४ ॐ ऩञ्चाषयऩयाम नभ्। ९०६ ॐ यञ्चनध्लजाम नभ्। ९०८ ॐ ळिुघ्नाम नभ्।

९१० ॐ मा जी चारयणे नभ्।

९१२ ॐ धृतदण्डाम नभ्।

९१४ ॐ अप्रऩञ्चाम नभ्।

९१६ ॐ ळूयवेनात्रलदायकाम नभ्। ९१८ ॐ प्रभोदाम नभ्। ९२० ॐ वद्ऱद्रीऩऩसतन्धयाम नभ्। ९२२ ॐ प्रत्मग्राम नभ्।

९२४ ॐ ऴट्चक्रधाम्ने नभ्। ९२६ ॐ भानदाम नभ्।


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९२७ ॐ भदाम नभ्।

९५४ ॐ धभाऩाराम नभ्।

९८१ ॐ कऩमे नभ्।

९२९ ॐ ळिमे नभ्।

९५६ ॐ धभाप्रदाम नभ्।

प्रबञ्जकाम नभ्।

९३१ ॐ अनन्तङ्गराम नभ्।

९५८ ॐ ऩञ्चत्रलॊळसततत्त्लसाम नभ्।

९८४ ॐ काभगतमे नभ्।

९३३ ॐ नमोऩेताम नभ्।

९६० ॐ मा जी तत्ऩयाम नभ्।

९८६ ॐ मळस्कयाम नभ्।

९३५ ॐ वुयवुन्दायाम नभ्।

९६२ ॐ बीभाम नभ्।

९८८ ॐ वालाबौभाम नभ्।

९३७ ॐ भशाकेतले नभ्।

९६४ ॐ ऊजास्लते नभ्।

९९० ॐ प्रलङ्गभाम नभ्।

९३९ ॐ भशायथाम नभ्।

९६६ ॐ ळूसरने नभ्।

९९२ ॐ ऩौरस्त्मफरदऩाघ्ने नभ्।

९४० ॐ नत्न्दत्रप्रमाम नभ्।

९६७ ॐ भौसरने नभ्।

९९३ ॐ वलारक्ष्भीप्रदाम नभ्।

९४२ ॐ भेखसरने नभ्।

९६९ ॐ यिाम्फयधयाम नभ्।

९९५ ॐ अङ्गदत्रप्रमाम नभ्।

९४४ ॐ रौशाङ्गाम नभ्।

९७१ ॐ यिभाल्माम नभ्।

९९७ ॐ स्भृसतफीजाम नभ्।

९४६ ॐ धत्न्लने नभ्।

९७३ ॐ लनभासरने नभ्।

९९९ ॐ वॊवायबमनाळनाम नभ्।

९४८ ॐ ळला​ा म नभ्।

९७५ ॐ द्वेताम नभ्।

१००१ ॐ श्रीऩयीलायाम नभ्।

९५० ॐ परबुजे नभ्।

९७७ ॐ मूने नभ्।

१००३ ॐ रुद्राम नभ्।

९५२ ॐ वलाकभापरप्रदाम नभ्।

९७९ ॐ अजमऩयीलायाम नभ्।

९२८ ॐ वलालश्मकयाम नभ्। ९३० ॐ अनन्ताम नभ्। ९३२ ॐ अद्शभूतामे नभ्। ९३४ ॐ त्रलरूऩाम नभ्।

९३६ ॐ धूभकेतले नभ्।

९३८ ॐ वत्मकेतले नभ्।

९४१ ॐ स्लतन्िाम नभ्।

९४३ ॐ डभरुत्रप्रमाम नभ्। ९४५ ॐ वलात्रलदे नभ्।

९४७ ॐ खण्डराम नभ्। ९४९ ॐ ईद्वयाम नभ्। ९५१ ॐ परशस्ताम नभ्। ९५३ ॐ धभा​ा ध्मषाम नभ्।

९५५ ॐ धभा​ा म नभ्।

९५७ ॐ अथादाम नभ्। ९५९ ॐ तायकाम नभ्।

९६१ ॐ त्रिभागालवतमे नभ्। ९६३ ॐ वलादु्खसनफशा णाम नभ्। ९६५ ॐ सनष्कराम नभ्।

९६८ ॐ गजात्न्नळाचयाम नभ्। ९७० ॐ यिाम नभ्।

९७२ ॐ त्रलबूऴणाम नभ्। ९७४ ॐ ळुबाङ्गाम नभ्।

९७६ ॐ द्वेताम्फयाम नभ्। ९७८ ॐ जमाम नभ्। ९८० ॐ वशस्त्रलदनाम नभ्।

९८२

ळाफकनीडाफकनीमषयषोबूत-

९८३ ॐ वद्योजाताम नभ्। ९८५ ॐ सानभूतामे नभ्। ९८७ ॐ ळम्बुतेजवे नभ्। ९८९ ॐ त्रलष्णुबिाम नभ्। ९९१ ॐ चतुनालसतभन्िसाम नभ्।

९९४ ॐ श्रीभते नभ्।

९९६ ॐ ईफडताम नभ्।

९९८ ॐ वुयेळानाम नभ्। १००० ॐ उत्तभाम नभ्। १००२ ॐ सश्रताम नभ्।

१००४ ॐ काभदुशे नभ्।

***

दग ु ा​ा फीवा मॊि

ळास्त्रोि भत के अनुळाय दग ु ा​ा फीवा मॊि दब ु ा​ाग्म को दयू कय व्मत्रि के वोमे शुल े बाग्म को जगाने लारा भाना गमा शं। दग ु ा​ा फीवा मॊि द्राया व्मत्रि को जीलन भं धन वे वॊफसॊ धत वॊस्माओॊ भं राब प्राद्ऱ शोता शं। जो व्मत्रि आसथाक

वभस्मावे ऩये ळान शं, लश व्मत्रि मफद नलयािं भं प्राण प्रसतत्रद्षत फकमा गमा दग ु ा​ा फीवा मॊि को स्थासद्ऱ कय रेता

शं, तो उवकी धन, योजगाय एलॊ व्मलवाम वे वॊफध ॊ ी वबी वभस्मं का ळीघ्र शी अॊत शोने रगता शं। नलयाि के फदनो भं प्राण प्रसतत्रद्षत दग ु ा​ा फीवा मॊि को अऩने घय-दक ु ान-ओफपव-पै क्टयी भं स्थात्रऩत कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं,

व्मत्रि ळीघ्र शी अऩने व्माऩाय भं लृत्रि एलॊ अऩनी आसथाक त्स्थती भं वुधाय शोता दे खंगे। वॊऩण ू ा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म दग ु ा​ा फीवा मॊि को ळुब भुशूत ा भं अऩने घय-दक ु ान-ओफपव भं स्थात्रऩत कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं।

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॥ रान्गूरोऩसनऴत ्॥ श्रीगणे ळाम नभ्। ॐ अस्म श्री अनन्तघोयप्ररमज्लारात्ग्न-

सनलायण

यौद्रस्म लीयशनुभत्वाध्मवाधनाघोयभूरभन्िस्म ईद्वय ऋत्रऴ्।

सवित्स्थयकारात्ग्नसनयाशायक लामुलेग भनोले ग श्रीयाभताय-

अनुद्शुऩ ्

कऩयमा जी त्रलद्वरूऩदळान

छन्द्।

अञ्जनावूनुरयसत

श्रीयाभरक्ष्भणौ

रक्ष्भणप्राणप्रसतद्षानन्दकय

स्थर-

श्रीशनुभत्प्रवादसवद्धध्मथं बूबुालस्स्लरोकवभावीन- तत्लम्ऩद-

खादम खादम भभ वञ्जीलनऩलातोत्ऩाटन डाफकनीत्रलध्लॊवन

दालानरकारात्ग्नशनुभते अङ्गुद्षाभ्माॊ नभ्। ॐ बुल् नभो

वलाऩाऩ वलाग्रश कुभायग्रश वलं छे दम छे दम बे दम बे दम सबत्न्ध

बगलते चण्डप्रताऩशनुभते तजानीभ्माॊ नभ्। ॐ स्ल् नभो

सबत्न्ध खादम खादम टङ्क टङ्क ताडम ताडम भायम भायम

बगलते सचन्ताभत्णशनुभते भध्मभाभ्माॊ नभ्। ॐ भश् नभो

ळोऴम ळोऴम ज्लारम ज्लारम शायम शायम नाळम नाळम

बगलते ऩातारगरुडशनुभते अनासभकाभ्माॊ नभ्। ॐ जन् नभो

असतळोऴम असतळोऴम भभ वलं च शनुभन ् यष यष ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ

त्रलसनमोग्।

इसत

फीजभ ्।

अथलाणले द-

जरात्ग्नभभाबेफदन ् वलाळिून ् सछत्न्ध सछत्न्ध भभ लैरयण्

जऩे

लामुऩुि

वं

अत्ग्नदीद्ऱ

कीरकभ ्।

ळोधनाथं

ळत्रि्।

दे लता।

आत्भत्रलद्यावॊय षक

बू्

नभो

बगलते

बगलते कारात्ग्नरुद्रशनुभते कसनत्रद्षकाभ्माॊ नभ्। ॐ तऩ् वत्मॊ नभो बगलते बद्रजासतत्रलकटरुद्रलीयशनुभते कयतरकय-

वुग्रीलवख्मकयण सनष्करङ्क कुभायमा जी चारयन ् फदगम्फय

शुॊ पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ नभो बगलते चण्डप्रताऩशनुभते भशालीयाम

वलाद्ु खत्रलनाळनाम

ग्रशभण्डरबूतभण्डर-

ऩृद्षाभ्माॊ नभ्। ॐ बू् नभो बगलते दालानरकारात्ग्नशनुभते

प्रे तत्रऩळाचभण्डर

स्लाशा। ॐ स्ल् नभो बगलते सचन्ताभत्णशनुभते सळखामै

त्रऩत्तज्लय-द्ऴेष्भवात्न्नऩासतकज्लय-त्रलऴभज्लय-

लऴट्। ॐ भश् नभो बगलते ऩातारगरुडशनुभते कलचाम शुभ ्।

एकाफशकज्लय-द्व्माफशकज्लय-िैफशकज्लय-चातुसथाकज्लय-

ॐ जन् नभो बगलते कारात्ग्नरुद्रशनुभते ने ि​िमाम लौऴट्। ॐ

अधाभासवकज्लय-भासवकज्लय-ऴाण्भासवकज्लय

तऩ् वत्मॊ नभो बगलते बद्रजासतत्रलकटरुद्रलीयशनुभते अस्त्राम

कज्लय-

पट्।

बे दम बे दम खादम खादम ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रॊू शॊु पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ

रृदमाम नभ्। ॐ बुल् नभो बगलते चण्डप्रताऩशनुभते सळयवे

अथ

ध्मानभ ्।

लज्राङ्गॊ

त्रऩङ्गने ि ॊ

कनकभमरवत्कुण्डराक्रान्तगण्डॊ दम्बोसरस्तम्बवायप्रशयणत्रललळीबूतयषोऽसधनाथभ ्।

उद्यल्राङ्गूरघऴाप्रचरजरसनसधॊ

बीभरूऩॊ कऩीन्द्रॊ ध्मामन्तॊ याभचन्द्रॊ प्रलगऩरयलृढॊ वत्लवायॊ

वलोच्चाटनाम

भाशे द्वयज्लय-त्रलष्णुज्लय-मा जी ज्लय-

नभो

असतबमङ्कयज्लय-

ले ताऱ

मा जी याषवज्लयळीतज्लय वाॊलत्वरय-

अस्​्मन्तगातज्लय-भशाऩस्भाय-श्रसभकाऩस्भायाॊद्ळ बगलते

सळयश्ळूर-

सचन्ताभत्णशनुभते

अङ्गळूर-अत्षळूर-

गुल्भळूर-उदयळूर-कणाळूर-ने िळूर-गुदळूर-

कफटळूर- जानुळूर-जङ्घाळूर-शस्तळूर-ऩादळूर-गुल्पळूर-

प्रवन्नभ ्॥ इसत भानवोऩचायै ् वम्ऩूज्म। ॐ नभो बगलते

लातळूर-

दालानरकारात्ग्नशनुभते

ऩरयधाभळूर-

ऩरयफाणळूर -दन्तळूर-कुत्षळूर-वुभनश्ळूर -

धलरीकृतजगत्िम लज्रदे श लज्रऩुच्छ लज्रकाम लज्रतुण्ड

वलाळूरासन

सनभूारम

लज्रभुख लज्रनख लज्रफाशो लज्रयोभ लज्रने ि लज्रदन्त लज्रळयीय

ले तारमा जी याषवकोराशर-

वकरात्भकाम

बीभकय

ककाकोटकसरङ्गऩद्मककुभुदज्लरयोगऩाळ-

लीयबद्रालताय

ळयबवारुलबैय लदोदाण्ड

जमसश्रमो

त्रऩङ्गराष

जमजीत्रलताम

उग्र प्ररमकारयौद्र रङ्काऩुय ीदाशन

उदसधरङ्घन दळग्रीलकृ तान्त वीतात्रलद्वाव ईद्वयऩुि अञ्जनागबावम्बूत उदमबास्कयत्रफम्फानरग्रावक दे लदानलऋत्रऴभु-

त्रऩत्तळूर-ऩामुळूर-स्तनळूर-ऩरयणाभळूर सनभूारम

दैत्मदानलकासभनी-

नागऩाळानन्तलावुफकतषभशाभायीन ्

कारऩाळत्रलऴॊ सनत्रलाऴॊ कुरु कुरु ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ शुॊ पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ

ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ ग्राॊ ग्रीॊ ग्रूॊ

नभो बगलते

ऩातारगरुडशनुभते बैय ललनगतगजसवॊशे न्द्राषीऩाळफन्धॊ छे दम

सनलन्द्य ऩाळुऩतास्त्रमा जी ास्त्रफैरला स्त्रनायामणास्त्रकार ळत्रि-

छे दम प्ररमभारुत कारात्ग्नशनुभन ् श्रृङ्खराफन्धॊ त्रलभोषम

कास्त्रदण्डकास्त्रऩाळाघोयास्त्रसनलायण ऩाळुऩतास्त्रमा जी ास्त्रफैरला-

त्रलभोषम वलाग्रशॊ छे दम छे दम भभ वलाकामा​ात्ण वाधम वाधम

स्त्रनायामणास्त्रभृड वलाळत्रिग्रवन भभात्भयषाकय ऩयत्रलद्या-

भभ प्रवादॊ कुरु कुरु भभ प्रवन्न श्रीयाभवे लकसवॊश बैय लस्लरूऩ


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58

भाॊ यष यष ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ ह्राॊ ह्रीॊ क्ष्भं भ्रं श्राॊ श्रीॊ क्राॊ क्रीॊ क्राॊ क्रीॊ ह्राॊ

श्रं श्रं श्र् ॐ नभो बगलते बद्रजासतत्रलकटरुद्रलीयशनुभते टॊ टॊ टॊ

दभ दभ भायम भायम लायम लायम खे खे ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ शुॊ पट् घे घे

अद्शभशाबैय लनल- मा जी स्लरूऩ दळत्रलष्णुरूऩ एकादळरुद्रालताय

रल रल कुरु कुरु जम जम शव शव भादम भादम प्रज्लरम

भोफशनीलळीकरयणीतन्िैकवालमल

प्रज्लरम भृडम भृडम िावम िावम वाशम वाशम लळम लळम

फरभुखभकयभुखसवॊशभुखत्जह्वाभुखासन

ळाभम ळाभम अस्त्रत्रिळूरडभरुखरगकारभृत्मुकऩारखट्ला-

स्तम्बम

ङ्गधय अबमळाद्वत शुॊ शुॊ अलतायम अलतायम शुॊ शुॊ अनन्तबूऴण

सनगाभम सनगाभम वलाजनलैरयभुख ॊ फन्धम फन्धम ऩाऩशय लीय

ऩयभन्ि-ऩयमन्ि-ऩयतन्ि-ळतवशस्र-कोफटते ज्ऩुञ्जॊ

बे दम

शनुभन ् ईद्वयालताय लामुनन्दन अञ्जनावुत फन्धम फन्धम

बे दम अत्ग्नॊ फन्धम फन्धम लामुॊ फन्धम फन्धम

वलाग्रशॊ

श्रीयाभचन्द्रवे लक ॐ ह्राॊ ह्राॊ ह्राॊ आवम आवम ह्लीॊ ह्लाॊ घ्रीॊ क्रीॊ मॊ बं

द्रादळकुर-

म्रॊ म्र् शट् शट् खट् खट् वलाजन-त्रलद्वजन-ळिुजन- लश्मजन-

लज्रतुण्ड उच्चाटम उच्चाटम भायणभोशनलळीकयणस्तम्बन-

बञ्जम बञ्जम अफद्र ह्रीॊ ल शीॊ शीॊ भे वला शीॊ शीॊ वागयशीॊ शीॊ लॊ लॊ

जृम्बणाकऴाणोच्चाटनसभरनत्रलद्रे ऴणमुितकाभभा​ात्ण

वलाभन्िाथा​ाथलाणले दसवत्रिॊ कुरु कुरु स्लाशा। श्रीयाभचन्द्र उलाच।

ह्रीॊ ह्रूॊ ह्रं ह्रं ह्र् ह्राॊ ह्रीॊ शुॊ ख ख जम जम भायण भोशन घूणा घूणा

रॊ

स्लाशा॥ ॐ नभो बगलते कारात्ग्नयौद्रशनुभते भ्राभम भ्राभम

द्रादळाकाते ज्

फन्धम

फन्धम

अनन्ताफददद्श ु नागानाॊ

लृत्द्ळकानाभे कादळरूतानाॊ त्रलऴॊ शन शन वलात्रलऴॊ फन्धम फन्धम

फन्धम

कुभायीऩदत्रिशायफाणोग्रभूतामे

फन्धम

ग्राभलासवने

असतऩूलाळिाम वला​ामुधधयाम स्लाशा अषमाम घे घे घे घे ॐ रॊ

रॊ

रॊ

रॊ

दे लदत्तफदगम्फयाद्शभशाळक्त्मद्शाङ्गधय

िमोदळवोभभुख

लीयशनुभन ्

स्तत्म्बनी-

नगययाजभुखफन्धन फन्धम

फन्धम

स्तम्बम व्माघ्रभुखवलालृत्द्ळकात्ग्न- ज्लारात्रलऴॊ

वलाजनस्म दृळॊ रॊ राॊ श्रीॊ ह्राॊ ह्रीॊ भन् स्तम्बम स्तम्बम

श्रीभशादे ल

उलाच।

श्रीलीयबद्रस्तौ उलाच। त्रिवन्ध्मॊ म्

ऩठे न्नय॥ ॥ इत्माथलाणयशस्मे राङ्गूरोऩसनऴत ् वम्ऩूणाभ ्॥

रॊ रॊ घ्राॊ घ्रं स्लाशा ॐ ह्लाॊ ह्लीॊ ह्लॊू शॊु पट् घे घे स्लाशा॥ ॐ श्राॊ श्रीॊ श्रूॊ

श्री शनुभान मॊि ळास्त्रं भं उल्रेख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमादेल ने मा जी ा जी के आदे ळ ऩय शनुभान जी को अऩने तेज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीला​ाद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा सान दॉ गा। त्जववे मश तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लिा शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके ू

वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं दयू शोती शं, इव मॊि भं अद्भुत ळत्रि वभाफशत शोने के कायण व्मत्रि की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यि

दोऴ, लीमा दोऴ, भूछा​ा, नऩुव ॊ कता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं। अथा​ात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता शं। श्री शनुभान मॊि व्मत्रि को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम,

चोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे यषा कयता शं औय सवत्रि प्रदान कयने भं वषभ शं। श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामा​ारम भं वॊऩका कयं ।

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अप्रैर-2015

59

॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ् ॥ भुत्रिप्रदानात ् प्रसतकतृाता भे वलास्म फोधो बलताॊ बले त ।

भशाफरोऽशॊ कत्रऩराख्मरूऩत्स्त्रकूटरूऩ् ऩलनद्ळ भे वुत् ॥६॥

शनूभतो न प्रसतकतृाता स्मात ् स्लबालबिस्म सनयौऴधॊ भे ॥१॥

आलाॊ स्लळक्त्मा जसमनात्रलसत स्भ सळलो लयान्ते ऽजमदे नभे लभ ्। सात्ला वुय ाजे मसभभॊ फश लव्रे शयो जमे माशभभुॊ दळाननभ ् ॥७॥

भद्भिौ सानऩूता​ालनुऩसधकफरप्रोन्नसतस्थैमाधम ै ास्लाबाव्मासधक्मते ज्वुभसतदभळभे ष्लस्म तुल्मो न कत्द्ळत ् ।

अत् स्लबालाज्जसमनालशॊ च लामुद्ळ लामुशानुभान ् वएऴ् ।

ळे ऴो रुद्र् वुऩणोऽप्मुरुगुणवसभतौ नो वशस्राॊळुतुल्मा

अभुष्म शे तोस्तु ऩुय ा फश लामुना -

अस्मे त्मस्भान्भदैळॊ ऩदभशभभुना वाधाभेलोऩबोक्ष्मे ॥२॥

सळले न्द्रऩूला​ा अत्रऩ काद्षलत्कृता् ॥८॥

ऩूलं त्जगाम बुलनॊ दळकन्धयोऽवा-

अतो शनूभान ् ऩदभे तु धातुभादासमा वृष्ट्मलनाफदकभा ।

लब्जोद्भलस्म लयतो न तु तॊ कदासचत ् ।

भोषॊ च रोकस्म वदैल कुलान ्

कत्द्ळत्ज्जगाम ऩुरुशूतवुत् कत्रऩत्लाद्-

-भुिद्ळ भुिान ् वुखमन ् प्रलताताभ ् ॥९॥

त्रलष्णोलायादजमदजुान एल चैनभ ् ॥३॥

बोगाद्ळ मे मासन च कभाजातान्मनाद्यनन्तासन भभे श वत्न्त । दत्तो लयो न भनुजान ् प्रसत लानयाॊद्ळ

भदासमा तान्मत्खरासन वत्न्त

धािास्म ते न त्रलत्जतो मुसध लासरनैऴ्।

-धातु् ऩदे तत ् वशबोगनाभ ॥१०॥

अब्जोद्भलस्म लयभाद्वसबबूम यषो त्जग्मे त्लशॊ यणभुखे फसरभाह्वमन्तभ ् ॥४॥

एतादृळॊ भे वशबोजनॊ ते भमा प्रदत्तॊ शनुभन ् वदैल । इतीरयतस्तॊ शनूभान ् प्रणम्म -

फरे द्रा​ास्थोऽशॊ लयभस्भै वम्प्रदाम ऩूलं तु ।

जगाद लाक्मॊ त्स्थयबत्रिनम्र् ॥११॥

ते न भमा यषोऽस्तॊ मोजनभमुतॊ ऩदाङ्गुल्मा ॥५॥ ऩुनद्ळ मुिाम वभाह्वमन्तॊ न्मऩातमॊ यालणभे कभुत्रद्शना ।

॥ इसत श्रीभदानन्दतीथॉमभशाबायततात्ऩमासनणामत् श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ ्॥

अवरी 1 भु ख ी वे 14 भु ख ी रुद्राष गुरु त्ल कामा​ारम भं वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ अवरी 1 भुखी वे 14 भुखी तक के रुद्राष उऩरब्ध शं । ज्मोसतऴ कामा वे जुडे़ फॊध/ ु फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे त्रलळे ऴ भूल्म ऩय यत्न, उऩयत्न मॊि, रुद्राष ल अन्म दर ु ाब वाभग्रीमाॊ एलॊ अन्म वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं । रुद्राष के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरए कामा​ारम भं वॊऩका कयं ।

त्रलळे ऴ मॊ ि :

शभायं मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि वोने -चाॊफद-ताम्फे भं आऩकी आलश्मिा के अनुळाय फकवी बी बाऴा/धभा

के मॊिो को आऩकी आलश्मक फडजाईन के अनुळाय २२ गेज ळुि ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रलळे ऴ वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं । असधक जानकायी के सरए कामा​ारम भं वॊऩका कयं ।

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॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ ् ॥ श्रीगणे ळाम ॐ

नभ् अस्म

श्रीयाभचन्द्र भभ

श्रीशनुभद्राडलानरस्तोिभन्िस्म

ऋत्रऴ्।,

श्रीलडलानरशनुभान ्

दे लता।,

वभस्तयोगप्रळभनाथं। , आमुय ायोग्मैद्वमा​ासबलृद्धध्मथं। ,

वभस्तऩाऩषमाथं। ,

वीतायाभचन्द्रप्रीत्मथं

शनुभद्राडलानरस्तोिजऩभशॊ

षवबूतप्रे तत्रऩळाचान ् ॐ

ह्राॊ

ह्रीॊ

उच्चाटम

नभो

उच्चाटम

बगलते

श्रीभशाशनुभते

ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ ह्रं ह्रं ह्र् आॊ शाॊ शाॊ शाॊ औ ॊ वं एफश एफश एफश ॐशॊ

ॐशॊ

ॐशॊ

ॐशॊ

श्रलणचषुबूातानाॊ

ॐनभो बगलते

श्रीभशाशनुभते

ळाफकनीडाफकनीनाॊ

त्रलऴभदद्श ु ानाॊ

करयष्मे ॥

वलात्रलऴॊ शय शय आकाळबुलनॊ बे दम बे दम छे दम छे दम

ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते श्री भशाशनुभते प्रकटऩयाक्रभ

भायम भायम ळोऴम ळोऴम भोशम भोशम ज्लारम ज्लारम

रुद्रालताय

ॐ ह्राॊ ह्रीॊ ॐ नभो बगलते भशाशनुभते वला ग्रशोच्चाटन

वकरफदङ्मण्डरमळोत्रलतानधलरीकृतजगत्त्ितम रङ्काऩुयीदशन

उभाअभरभन्ि

लज्रदे श

उदसधफन्धन

प्रशायम

प्रशायम

दळसळय्कृतान्तक वीताद्ववन लामुऩुि अञ्जनीगबावम्बूत

ऩयफरॊ

श्रीयाभरक्ष्भणानन्दकय

सळय्ळूरगुल्भळूरवलाळूरात्न्नभूारम

यणऩलातोत्ऩाटन वलाऩाऩग्रशलायण ॐ

ह्राॊ

ह्रीॊ

कत्रऩवैन्मप्राकाय

वुग्रीलवाह्य

कुभायमा जी चारयन ् वलाज्लयोच्चाटन ॐ

नभो

गबीयनाद

मषकुरजर

भशालीयलीयाम

वला​ात्न्नत्रलाऴॊ

बगलते

त्र्माफशकज्लयचातुसथाकज्लय

वन्ताऩज्लय

बे दम

वकरफन्धनभोषणॊ

बे दम

कुरु

कुरु

सनभूारम

षकककोटक

कासरमान ्

गतत्रफरगतयात्रिञ्चय

फदलाचय

कुरु

कुरु

स्लाशा॥

याजबम चोयबम ऩयभन्िऩयमन्िऩयतन्िऩयत्रलद्याच्छे दम छे दम

ग्रशभण्डरवलाबूतभण्डरवलात्रऩळाचभण्डरोच्चाटन एकाफशकज्लय

षोबम

नागऩाळानन्तलावुफकत

डाफकनीत्रलध्लॊवन

वलाद्ु खसनलायणाम बूतज्लय

षोबम

वकरभामाॊ

स्लभन्िस्लमन्िस्लतन्िस्लत्रलद्या् प्रकटम प्रकटम वला​ारयद्शा-

द्धव्माफशकज्लय

न्नाळम

त्रलऴभज्लय

अवाध्मॊ

ताऩज्लयभाशे द्वयलैष्णलज्लयान ् सछत्न्ध सछत्न्ध मषमा जी या

नाळम वाधम

वलाळिून्नाळम वाधम

शुॊ

पट्

नाळम स्लाशा॥

॥ इसत श्रीत्रलबीऴणकृतॊ शनुभद्राडलानरस्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥

नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि ळास्त्र लचन के अनुवाय ळुि वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नलयत्न जड़ेला ने ऩय मश नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनत्द्ळत स्थान ऩय जड़े कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने वे व्मत्रि को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रि को एवा आबाव शोता शं

जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं । नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायण कयने लारे व्मत्रि ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं । गरे भं शोने के कायण मॊि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते

वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊद ु ळयीय को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं ।

इव सरमे इवे वफवे तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जैवे अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोि लचन शं । इव प्रकाय के नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि गुरूत्ल कामा​ारम द्राया ळुब भुशूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते शं । Rs: 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 वे असधक

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अप्रैर-2015

61

॥ श्री शनुभान वशस्त्रनाभस्तोिभ ् ॥ श्री शनुभॊत वशस्त्रनाभस्तोिभ ् ध्मानभ ् अतुसरतफरधाभॊ शे भ-

जगत्रितो

ळैराबदे शॊ दनुजलनकृळानुॊ सासननाभग्रगण्मभ ् । वकरगुण-

ऩाथाध्लजो

सनधानॊ लानयाणाभधीळॊ यघुऩसतत्रप्रमबिॊ लातजातॊ नभासभ ॥

मा जी ऩुच्छ्

श्रीयाभचन्द्र उलाच शनुभाञ्श्रीप्रदो लामुऩुिो रुद्रोऽनघोऽजय् ।

कल्ऩस्थामी

सचयञ्जीली

अभृत्मुलॉयलीयद्ळ

॥१॥

वन्नासत्

वद्गसतबुात्रिभुत्रिद्

॥२॥

बिोदमो

स्तोिभ ्

धनदो

ग्राभलावो

सनगुण ा ोऽकामो

त्रऩङ्गषो सळल्

लयदो वला्

लाग्भी

याभबि्

त्रलद्वशे तुसनाय ाभम्

रङ्कारय्

शयीद्वय्

॥४॥

बूतालावो

त्रलद्वऩ्

॥५॥

कृष्ण्

त्रलद्ववे व्मोऽथ

त्रल ्द्वचेद्शो

त्रलद्वगम्मो

॥६॥

ऊध्लागो

त्रलद्वो

त्रलद्वशयो

त्रलद्वध्मे म्

कत्रऩश्रेद्षो

ज्मे द्षो

त्स्थय्

यत्रल्

कराधय् लैद्यो

लने चय्

। ।

वभीयतनुजो

अञ्जनावूनुयव्मग्रो

ग्राभख्मातो

बूबुाल्स्लभाशरोको

जनरोकस्तऩोऽव्मम्

वत्मभोङ्कायगम्मद्ळ

प्रललो

सळलधभाप्रसतद्षाता यषोघ्नो्

ऩुण्डयीकाष्

वत्म्

दे लोद्यानत्रलशायी

यष्प्राणाऩशायक्

ऩीतलावा

फदलाकयवभप्रब्

बिरब्धो

द्रोणशता​ा

ळत्रिने ता

याभदत ू द्ळ

धयाऩसत्

ळयणागतलत्वर्

बिोदमो अषघ्नो

पाल्गुनत्रप्रम्

ऩूणाकाभो

जानकीप्राणदाता ऩूणा्

व्माऩकोऽभर्

याभे द्श्

गोष्ऩदीकृतलायीळ्

धयाधय्

ऩुण्मकीसता्

दे लताबमबञ्जन् बिऩारनतत्ऩय् ळत्रियाषवभायक्

ळाफकनीजीलशायक्

फुफुकायशतायासतगालाऩलातभदान् शे तुस्त्लशे तु् जगन्ने ता

प्राॊळुद्ळ

जगन्नाथो

त्रलद्वबता​ा

जगदीळो

जगद्गुरु्

जने द्वय्

जगन्भङ्गरद्

॥८॥

दे लेळो

॥९॥

सानद्

प्राणद्

भारी

॥२१॥ ।

॥२२॥

राङ्गूराशतयाषव् जमप्रद्

ऩुण्मश्रलणकीतान्

॥२३॥ ।

॥२४॥

याभबत्रित्रलधामक्

सवि्

सविश्रम्

ळूय ्

॥११॥

चन्द्रवूमात्ग्नने िद्ळ

॥१२॥

वला​ाश्रमोऽप्रभे मात्भा

कत्रऩर्

कारो

कत्रऩळ्

ईश्र्लय्

॥२७॥

प्ररमान्तक्

। ।

वीताजीलनशे तुक्

॥२९॥

दे लारयदऩाशा

धाता ळुिो

सनत्रलाकल्ऩो

कारजान्तक्

ये लत्माफदसनलायक्

सनयञ्जनो

॥२६॥

॥२८॥

रृऴीकेळी

नगयग्राभऩारद्ळ

भशोष्

ऩुण्मयासळद्रा​ादळयासळग्

शोता

वभीयण्

त्रऩप्ऩराश्रमसवत्रिद्

कारात्ग्न्

रक्ष्भणप्राणदाता याभध्मे मो

जगत्प्राण

ररकादाशक

त्रलद्वऩालन्

त्जते त्न्द्रम्

लीयतायी

प्राणो

रङ्के ळसनधनस्थामी

॥१४॥

ळात्न्तदो

ध्माता ध्मे मो रम् वाषी चेता चैतन्मत्रलग्रश् ॥२५॥

॥१३॥

॥२०॥

ऩुण्मगसतजागत्ऩालनऩालन्

त्रलबीऴणत्रप्रम्

रङ्केळगृशबञ्जक् रङ्काप्रावादबञ्जक्

त्जतभायोऽथ

त्रलद्वप्रसतत्रद्षत्

ऩुण्म्

॥१०॥

॥१८॥ ॥१९॥

मा जी चायी

लीयो

सळल्

वॊवायबमनाळन्

ळान्त्

राङ्गुरी

॥१७॥

लवुत्स्त्रबुलने द्वय्

कृष्णस्तु भायघ्नो

॥१६॥

बिबाग्मप्रदामक्

लावुदेलो

त्रलद्वबोिाथ

श्रीऩद्

त्रलद्वजे ता

कृष्णस्तुत्

वदासळल् कीसतादामक्

वभुद्र्

कारऩुरुऴो

श्रीयाभरूऩ्

लानये द्वय्

तऩनद्ळ

दे ल्

लासधाफन्धनकृद

फारो लृिो मुला तत्त्लॊ तत्त्लगम्म् वखा ह्राज् ॥७॥

लानयो

बिगम्मो

॥३॥

कल्माणप्रकृसत्

॥१५॥

याभे द्शकायक्

सानी

कीसताप्रदद्ळैल

वनातन्

त्रलद्वभूसतात्रलाद्वाकायोऽथ

प्रलङ्गभ्

यवाधन्

कीसता्

गरुडस्भमबञ्जन्

ऩयमा जी ऩुच्छो

वुग्रीलाफदमुतो

उदसधक्रभणो

त्रलद्वनाथो

त्रलद्वात्भा

श्रोळो

लामुऩुिोऽसभतऩुच्छोऽसभतत्रलक्रभ्

श्रुसतगम्म

त्रलद्वे ळो

याभो

त्रलद्वम्बयो

व्मिाव्मिो

दे लो

आयोग्मकता​ा

सनसधऩसतभुासन्

वीताळोकत्रलनाळन्

त्रऩङ्गयोभा

अनाफदबालान बगो

लीयो

ऩयोऽव्मिो

त्रऩङ्गकेळ्

जनाश्रम्

शरय्

त्रलष्णुबि कता​ा

फुिो

गुणातीतो

जटी

फरी

जगत्प्रबु् सनयिऩ्

बमॊकय्

॥३०॥ ।

॥३१॥


अप्रैर-2015

62

शनुभाॊद्ळ

दयु ायाध्मस्तऩ्वाध्मो

जानकीधनळोकोत्थताऩशता​ा लारभम्

वदवद्रऩ ू ्

बाग्मदो

सनभारो

छामाऩशायी वौम्मो

कायणॊ

बूतेळो

प्रलङ्गभे द्वय्

रोकेळ्

मभो

लामुगसतभान ्

सनऋसतये ल

लामु्

वौम्मो

याशु्

केतुभारुिोता

काभ्

कत्रऩ्

काभऩार्

स्लाशा

स्लधा

शत्रल्

कौफे य

गुरु्

दाता

शता​ा

काव्म्

बागीयथीऩदाम्बोज् स्लप्रकाळो

भशालीयो

उरडीनोरडीनगसतभान ् जगदात्भा त्रलऩाप्भा खॊ

षे िस्

फशयण्भम्

ऩृसथली षे िशता​ा

ऩुयाणद्ळ

फशयण्भमगबा्

वूिात्भा

ले दान्तले द्य

उद्गीथो

नषिभारी

बूतात्भा

प्रसतग्राभत्स्थसत्

तभोशता​ा

सनयरम्फो

॥३४॥

गुणाश्रमो

गुणभमो

ऩुण्मळरोक् ्

फृशल्रोकपरप्रद्

॥५३॥

॥३७॥

फृशल्रोकनुतो

त्रलद्यादाता

॥५४॥

अऩस्भायशय्

स्भता​ा

दे लाचामा्

उत्तयाळात्स्थत्

॥३८॥

द्रद्शा वत्मलादी

वद्ऱऩातारगाभी

श्रीदो

भनोले गी

ळुिो

॥४१॥

ह्यनन्तक्

॥४२॥

एल

गोऩारो

लैकुण्ठ्

ऩृसथलीऩसत्

कसरकारऩयाळन्

तत्त्लसस्तत्त्लॊ

सनत्मभुिो

त्रलळाॊऩसत्

॥४४॥

भामाश्रमद्ळ

ले दले दाङ्गऩायग्

वुखी

वशस्त्रकन्धयफरत्रलध्लॊवनत्रलचषण्।

श्रुसतगा​ाथा

॥४५॥

कल्ऩऩादऩ्

वलागसत्

॥४६॥

वशस्त्रफाशु्

॥४७॥

कत्रऩलक्ि्

ऩुभान ्

स्भृसतभानु्

भशे द्वय्

॥४८॥

सनरेऩो

बीऴणो

रक्ष्भणप्राणदाता

वुखभ ्

कसरऩालन्

शमग्रील्

कत्रऩऩसतनाय सवॊशो लन्घो

॥६०॥ ॥६१॥

॥६२॥

फद्रफाशुफद्राबुज ोऽभय्॥६३॥

दळबुजो बालगो

जमद्रथ्।

भशे ळकृतवॊस्तल्।

ळयब्

वशजो

चतुबुाजो

॥५९॥

भामासनसभातत्रलद्शऩ्।

नागो

वत्मवॊध्

॥५८॥

त्रलभत्वय्

भामासनलाताक्

वुखप्रदो

॥५६॥

दमामुत्।

बियाजो

भामातीतो

भामाबत्जातयषद्ळ

॥५७॥

तत्त्लप्रकाळक्

प्ररमोऽसभतभामद्ळ

॥५५॥

वॊवायबमनाळन्।

॥४३॥

बूचयोऽभय्

ऩयालय्

वदानन्दो

वदामोगी

खग्

मोगगम्म्

गोऩसतगोद्ऱा

फुिो

कराधय्

ऩुय ाणश्रुसतचञ्चुय ्

मोगी

तत्त्लदाताथ

जगद्गुरु्

फदव्मौऴसधलळ्

। ।

भरमाचरवॊश्रम्

त्जतायासत्

ऩुरुऴोत्तभ्

॥५२॥

फृशत्कय्

मा जी लादी

कऩीन्द्रोऽथ

चतुय मा ाजी णो

फृशदीद्वय्

अऩयात्जतो

ऩल्लरीकृतवागय्

स्थूर्

फृशच्छत्रिफृाशद्राञ्छापरदो

ऩुयायासतज्मोसतष्भाञ्ळलाय ीऩसत्

वूक्ष्भ्

फृशत्स्लन्

फृशद्बाशुफृाशत्तनु्

रघुरूत्जातत्रलक्रभ्

ह्यनुत्तभ्

॥५१॥

फृशद्रसतफृाशत्वे व्मो

फृशन्नावो

व्मावो

प्रजाधायो

॥३६॥

फृशत्कणो

अनाफदसनधनो

वुय सब्

॥५०॥

फृशद्यळा्

फृशन्भूधा​ा

फृशत्ऩुच्छो

ळनैद्ळय्

गुणाकय्

गुणाकय्

फृशत्कभा​ा

॥४०॥

याजयाजो

॥४९॥

फृशज्जानुफृाशत्कामो

फकरफकरायालवॊिस्तबूतप्रे तत्रऩळाचक् ऋणिमशय्

याजवस्तभ्

सनयाकायी

शव्मलाशप्रकाळक्

खेचयो

मा जी ऩुय ातन्

वभीयज्

लफह्नफदाक्ऩार

स्लमॊज्मोसतयनाकुर्

वात्त्त्लको

ळाखाभृग्

वद्य्स्पूसतादाता

सचन्ताभत्णगुण ा सनसध्

ळुक्र्

मतीद्वय्

फृशिनुफृाशत्ऩादो

भशान ् भशादशॊ कृसत्

चाऩो

जन्

मा जी

॥३९॥

जगद्योसनजागदन्तो

लामु्

मा जी

त्रलद्वजीलन

वद्गसत्

सनष्करङ्कोऽथ

ऩयॊ

भोषद्रायॊ

वे तुफन्धत्रलळायद्

कव्मॊ

एकोऽने को

नादरूऩ्

ज्मोसतज्मोसतयनाफदद्ळ

भळकीकृतदे लारयदैत्मारयभाधव ु ूदन् कत्रऩरो

॥३५॥

ईद्वय्

प्रजाद्रायॊ

॥३३॥

ऩुयॊ दय्

बिाबमलयप्रद्

अत्ग्नत्रलाबालवुबा​ास्लान ् कुज्

च लयप्रद्

ऩुरुशूत्

तभोशता​ा

यत्रलद्ळन्द्र्

वद्गसतप्रद्

बिानाॊ

स्लगाद्रायॊ

क्रोधवॊय िरोचन्

त्रलद्वे ळ्

क्रोधशता​ा

ऩय्

मातुधानरयऩुत्रप्रम्

काव्मकता​ा

बिानुकम्ऩी

प्रकृते ्

॥३२॥

ऩुच्छरङ्कात्रलदाशक्

क्रोध्

गुरु्

लरुणो

ऩयात्ऩय्

ने ता

ऩुच्छफिमातुधानो

भशे द्वय्

खगानन्।

भशाद्युसत् लयाशो

॥६४॥

लामुरूऩधृक्

ऩयात्जतदळानन्

॥६५॥


अप्रैर-2015

63

ऩारयजातसनलावी

वुयवास्मत्रलसनभुाि्

लटलाचनकोत्रलद्

सवॊफशकाप्राणशायक्

रङ्कारङ्कायत्रलध्लॊवी

यात्रिॊचयगृशत्ग्नद्

फकङ्कयान्तकयो आकाळचायी

यवो

यवस्

भे घनादयणोत्वुक्

॥६८॥

भे धाद्

भशायालनकुरात नक् ्

वलाय षाकायो

ऩयासबचायळभनो

रूऩॊ

चषु्

॥६९॥

श्रुसतलाच्

स्ऩळानॊ च स्ऩळोऽशङ्कायभानग् ॥७०॥

ने सतने तीसतगम्मद्ळ सगयीळो

भकयीळाऩभोषद् वम्भानो

घ्राणो गन्ध्

वद्ऱस्लरोकभुकुट् वद्ऱच्छन्दोसनसध्

शरयगो

कारने सभप्रानशायी

लैकुण्ठबजनत्रप्रम्

सगरयजाकान्तो

दल ु ा​ावा्

बृगल ु ासवद्षळ च्मलनो ्

कत्रलयत्ङ्गया्

॥७१॥

नायदस्तुम्फयोऽभर्

त्रलद्वषे िो

त्रलद्वफीजो

त्रलद्वने िद्ळ

माजको

मजभानद्ळ

ऩालक्

त्रलद्वऩ्

वद्ऱवाभोऩगीतद्ळ

दौबा​ाग्मनाळन्

॥८५॥

गबादोऴशा

ऩुिऩौिद्

प्रसतलाफदभुखस्तम्बो

द्ु खशा

नलद्रायऩुय ाधायो

नयनायामणस्तुत्मो

फारग्रशत्रलनाळी

दद्श ु ग्रशसनशन्ता

त्रऩळाचग्रशघातक्

धभानेता

यषोऽत्ग्नदाशो

मा जी े ळ्

भे घजीलनशे तुद्ळ ु

अभोघोऽभोघदृद्शीद्ळ

केळलो

वशस्त्रभूिा​ानेकास्म् काभत्जत ्

भ्राता

वशस्त्राष्

काभदशन्

भुद्राऩशायी

दऩादो

वशस्त्रऩात ्

त्षसतबायशयो

भशाबगो

भशामोगी

भशावनो

भशानादो

भशोदायो

॥७५॥

काभपरप्रद् फर्

॥७६॥

यत्ननाब्

कृतागभ्

सवॊश्

जम्

जीलदाता

वशस्त्राॊळुभुाकुन्दो

वद्ऱऩातारचयण्

वॊकऴाणो

भशाभसत्

वोभो

त्रलबु्

वभीयतनमो

॥७८॥

स्तुत्म्

लायाशो

आनन्द्

स्तोता

व्मग्रो

श्रीधयो

। ॥९०॥

भशाफर्

बिलत्वर्

॥९२॥ ।

नृत्मत्रलद्यात्रलळायद्

॥९३॥

इद्शदोऽरयद्शनाळन्

ऩुण्डयीकाष

याभवे लक्

॥९४॥

वुये द्वय्

॥९५॥

आत्भबू्

त्रलद्यायासळ् वे तुकृद्

भत्स्म्

नायसवॊशद्ळ

॥९१॥

ऩयात्भक्

वभथो

सनत्म्

ऩयभानन्दो

॥८९॥

भे घलृत्रद्शसनलायक्

मोिा च

यषोत्रलनाळक्

भे घश्माभ्

त्रलळुिात्भा

अचरोिायको

॥८८॥

कृऩाकय् ळतक्रतु्

स्तुसत्

असथालन्द्योऽवुय ायासत्

॥७९॥

उग्रने ि्

भे घरूऩो

अथोऽनथा​ाऩशायी

भशाद्युसत्

भशादे लात्भको

भे घनादो

॥७७॥

भशाभन्िो

त्जतासभिो

सवत्रिद्

भशत्रिाद्

भशाते जा

क्रूयकभा​ा

अम्बोसधरङ्घन्

सविाथा्

भारुसत्

दॊद्साळतभूसताय भूसताभान ्

भशाकायो

यौद्रकभा​ा

त्रलष्णुबािाबमलयप्रद्

भशासनसधभाशाबागो

भशागभो

भाता

काभ्

यषाघ्न्

नखदॊद्सामुधो दऩाशा

त्रऩता

भ्रात्जष्णुत्जाष्णुवायसथ्

गणऩ्

॥७४॥

ऩुच्छशतावुय ्

बिकाभधुगत्त ु भ्

ळतभन्मुनुत्

। ॥८७॥

नलनाथभशे द्वय्

खडगी

॥८६॥

फन्धभोषद्

नलद्रायसनकेतन्

फशुमोजनत्रलस्तीणाऩुच्छ्

रुद्शसचत्तप्रवादन्

वभग्रगुणळारी

वॊवायवायसथ्

ळोकशायी

सनत्मवम्ऩूणाकाभद्ळ

रुण्डभारी

स्लयाश्रम्

॥८४॥

उग्रकृत्मद्ळोग्रले ग

बूऩती

॥८३॥

वद्ऱजनाश्रम्

श्रिा फुत्रि् षभा तन्द्रा भन्िो भन्िसमता स्लय् ॥७३॥ याजे न्द्रो

वद्ऱभातृसनऴे त्रलत्

वद्ऱऩातारवॊश्रम्

कलची

वद्ऱच्छन्द्

कीसताद्

भे खरी

वद्ऱद्रीऩोरुभण्डर्

वद्ऱशोता

॥७२॥

त्रऩतयस्तथा

लीय्

वद्ऱाङ्गयाज्मवुखद्

॥६७॥

जम्फुभासरशन्तोगुरूऩधृक्

भे घगम्बीयसननदो

वद्ऱात्ब्धरङ्घनो

॥६६॥

लृऴदॊळकरूऩधृक्

यात्रिवॊचायकुळरो

याभवायसथ्

कूभो

लाभनो

सनयाश्रम्

॥९६॥

जभदत्ग्नज्

वत्मधभाप्रभोदन्

॥८०॥

याभ् कृष्ण् सळलो फुि् कल्की याभाश्रमो शरय् ॥९७॥

बूरयदत्षण्

॥८१॥

कभा​ाध्मष्

वुय ाध्मषो

जगन्नाथ्

कऩीळद्ळ

त्रलजमो

सविवङ्कल्ऩ्

लामुनन्दन्

सवत्रिशे तुक्

वद्ऱत्रऴागणालत्न्दत्

। ।

॥८२॥

नन्दी

बृङ्गी

वुग्रीलाफदस्तुतो

चण्डी

दान्त्

गणे ळो

त्रलश्राभो

जगतीऩसत्

वला​ालाव्

वलाकाभा​ा

गणवे त्रलत् वदाश्रम्

प्रलङ्गभ्

॥९८॥ ।

॥९९॥


अप्रैर-2015

64

नखदारयतयषाद्ळ कुळर्

वुधन्

स्लणालणो

नखमुित्रलळायद्

ळे ऴो

लावुफकस्तषकस्तथा

फराढ्मद्ळ

कैलल्मरूऩ्

कैलल्मो

ऩन्नगोयग्

फकरफकरयालशतायासतगालाऩलातबे दन् लज्राङ्गो

लज्रदॊद्सद्ळ

नखामुधो

ज्लाराभारी

प्रौढप्रताऩस्तऩनो ळयणॊ

जीलनॊ

बोिा

नानाचेद्शो

अषय्

रोकनाथ

ऋषप्रबुदृाढ्

वत्मवॊध्

ऩुरुद्शु त्

॥११८॥

यञ्जनध्लज्

॥११९॥

अनाकुरो

ऩुरुऴो

अद्शाङ्गमोगपरबुक्

॥१०२॥

ऩञ्चाषयऩय्

ह्यचञ्चर्

श्भळानस्थानसनरम् मोसगनीलृन्दलन्द्यश्री्

अप्रऩञ्च्

स्लत्स्तभान ् स्लत्स्तदो द्ु खळातन् ऩलनात्भज् ॥१०४॥

लृि्

भे घनादरयऩुभेघनादवॊशतयाषव्

ऴट्चक्रधाभ

ऩालन्

ऩलन्

षयोऽषयी श्रीकण्ठ्

कान्तो

त्रलनीतात्भा

अकल्भऴ्

वशाम् फदव्म्

अध्मात्भात्रलद्यावायद्ळ वत्मगबा्

वत्मरूऩ्

वत्म्

कान्तफदङभण्डरो कम्फुकण्ठ् रम्फौद्ष्

कुण्डरी

मोगत्रलद्

॥१०८॥

परबुक्

परशस्तद्ळ

ह्रस्लनावो मोगत्रलॊदा

सविवॊस्तुत्

स्लतन्िद्ळ

धभा​ाध्मषो

जम्

त्रिभागालवसतबॉभ्

लृकोदय्

यिाम्फयधयो

लय्

मोगतत्ऩय्

॥१०९॥ ॥११०॥

प्रभथेद्वय्

शरयरुद्रानुवेकोऽथ गुणप्रलाश्

वूिात्भा

कम्ऩनो

स्थाणुये ल

बूसभकम्ऩन्

जमोऽजमऩयीलाय् वद्योजात्

चतुनालसतभन्िस्

लीतयागस्तुसतत्रप्रम्

॥११६॥

डभरुत्रप्रम् ळला

॥१२४॥

ईद्वय्

धभो

॥१२५॥

धभाप्रदोऽथाद्

मा जी तत्ऩय्

॥१२६॥

वलाद्ु खसनफशा ण्

ळुबाङ्गद्ळ

॥११५॥

॥१२२॥

वलाकभापरप्रद्

यिो

ळम्बुतेजा्

यिभाल्मो

स्भृसतफीजॊ ॥

द्वे ताम्फयो

वशस्त्रलदन्

मुला

कत्रऩ्

त्रलष्णुबि्

श्रीभानङ्गदत्रप्रम

वुये ळान्

सश्रतो

प्रलङ्गभ्

भन्िभशाणाले

॥१२८॥ । ।

॥१३०॥ ।

ईफडत्

॥१३१॥

काभधुक्

॥१३२॥

वॊवायबमनाळन्

रुद्रद्ळ

॥१२९॥

ऩौरस्त्मफरदऩाशा

श्रीऩयीलाय् इसत

द्वे त्

त्रलबूऴण्

काभगसतसा​ानभूसतामाळस्कय्

वालाबौभो

उत्तभ्

योसचष्णुग्रसा वष्णु्

खण्डर्

ळाफकनीडाफकनीमषयषोबूतप्रबञ्जक्

ऊजास्लान ् सनष्कर् ळूरी भौसरगाजात्न्नळाचाय् ॥१२७॥

त्जष्णुबात्रलष्णू

नायामणऩयामण्

भे खरी

ऩञ्चत्रलॊळसततत्त्लसस्तायको

वलारक्ष्भीप्रद्

॥१२१॥

धभाऩारो

ळसरद्शजङ्घ् ् ळसरद्शजानु ् ् ळसरद्शऩात्ण् ् सळखाधय् ॥११४॥ वुळभा​ासभतळभा​ा

भद्

वत्मके तुभाशायथ्

॥११२॥ ॥११३॥

॥१२०॥

॥१२३॥

लनभारी

वुय वुन्दय्

॥१११॥

मोगमोसनफदागम्फय्

अकायाफदशकायान्तलणासनसभातत्रलग्रश् उरूखरभुख्

धूभके तुभाशाके तु्

त्रलरूऩ्

वत्मऩयाक्रभ्

प्रकटीकृतत्रलक्रभ्

अद्शभूसतानामोऩे तो

वलात्रलिन्ली

ळुब्

वाभगामक्

ळत्रियनन्तोऽनन्तभङ्गर्

रौशाङ्ग्

मोगात्भा

मोगकता​ा

वलालळमकय् ्

वद्ऱद्रीऩऩसतन्धय्

स्लरोकाबमकृन्भानदो

॥१०६॥

वत्मगोचय्

त्रलऩत्द्ळत्कत्रलयानन्दत्रलग्रशोऽनल्ऩळावन् पाल्गुनीवूनुयव्मग्रो

प्रत्मग्र्

नत्न्दत्रप्रम्

त्रलजमो

सचिभारी

नलद्रायऩुय ाधाय्

ळूय वे नात्रलदायक्

आनन्द्

॥१०७॥

वूक्ष्भदळानो

प्रवन्नात्भा

प्रभोद

वुधी्

वुरूऩत्द्ळिरूऩधृक्

रुद्र्

गसत्

वॊवृसतनाळन्

लामुलॊळोद्भल्

रुद्ररूऩ्

भैनाकलत्न्दत्

वशनामक्

वत्मद्

अञ्जनाप्राणसरङ्गद्ळ बद्ररूऩो

वताॊ

ह्याध्मात्भदळ ु र्

वत्मशे तु्

फरी

॥१०५॥

लानये ळ्

सळसतकण्ठद्ळ

अस्थूरस्त्लनणुबागो

बिाग्वशनो

दळात्भक्

वदाचाय्

॥११७॥

ळिुघ्नोऽनन्तत्रलक्रभ्

मा जी चायीत्न्द्रमरयऩुधत ृा दण्डो

ले दऩायग्

प्रे तत्रलद्रालनषभ्

ऩञ्चभातृको

॥१०३॥

कऩारबृत ्

बलोऩामोऽनऩामो

॥१०१॥

बास्कय्

बिताऩसनलायक्

रुक्भलणा्

बिलज्रसनलायक्

भत्णग्रीलो

नागकन्माबध्लॊवी

॥१००॥

ऩुरुजे ताघनाळन् गरुड्

ऩूलाखण्डे

श्रीयाभकृतॊ श्रीशनुभत्वशस्त्रनाभस्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥

नलभतयङ्गे


अप्रैर-2015

65

॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ ् ॥ प्रात् स्भयासभ शनुभन्तभनन्तलीमं

वीताऽऽसधसवन्धुऩरयळोऴणकभादषॊ

श्रीयाभचन्द्रचयणाम्फुजचञ्चयीकभ ् ।

रङ्काऩुयीदशननत्न्दतदे ललृन्दॊ

वला​ाथसा वत्रिवदनॊ प्रसथतप्रबालभ ् ॥१॥ भाध्मॊ नभासभ लृत्जनाणालतायणैक -

लन्दारुकल्ऩतरुभव्ममभाञ्जने मभ ् ॥२॥ वामॊ बजासभ ळयणोऩवृतात्खरासताऩुञ्जप्रणाळनत्रलधौ प्रसथतप्रताऩभ ् । अषान्तकॊ वकरयाषवलॊळधूभ -

धीयॊ ळयण्मभुफदतानुऩभप्रबालभ ् ।

के तुॊ प्रभोफदतत्रलदे शवुतॊ दमारुभ ् ॥३॥

॥आऩदि ु ायक श्रीशनूभत्स्तोिभ ् ॥ त्रलबीऴणकृतभ ्

वॊवायवागयालता​ागतवम्भ्रान्तचेतवाभ ् ।

श्रीशनुभते नभ् । अस्म श्रीशनुभत्स्तोिभशाभन्िस्म, त्रलबीऴण

ळयणागतभत्मा​ानाॊ ळयण्माम नभोऽस्तु ते ॥४॥

ऋत्रऴ्, अनुद्शुऩ ् छन्द्, शनुभान ् दे लता । भभ ळिुभुखस्तम्बनाथे वलाकामासवद्धध्मथे च जऩे त्रलसनमोग् । ध्मानभ ्

चन्द्राबॊ चयणायत्रलन्दमुगरॊ कौऩीनभौञ्जीधयॊ नाभ्माॊ लै कफटवूिमुिलवनॊ मसोऩलीतालृतभ ् । शस्ताभ्माभलरम्ब्म चाञ्जसरभथो शायालरीकुण्डरॊ त्रफभ्रदीघासळखॊ प्रवन्नलदनॊ फदव्माञ्जने मॊ बजे ॥ भन्ि्-ॐ नभो शनुभते रुद्राम । भभ वलादद्श ु जनभुखस्तम्बनॊ कुरु कुरु ॥ भभ वलाकामासवत्रिॊ कुरु कुरु । ऐॊ ह्राॊ ह्रीॊ ह्रूॊ पट् स्लाशा । note अद्शलायॊ जऩे त ् ।

आऩन्नात्खररोकासताशारयणे श्रीशनूभते । अकस्भादागतोत्ऩातनाळनाम नभोऽस्तु ते ॥१॥ वीतात्रलमुिश्रीयाभळोकद्ु खबमाऩश ।

ताऩिमस्म वॊशारयन्नाञ्जने म नभोऽस्तु ते ॥२॥

याजद्राये त्रफरद्राये प्रले ळे बूतवङ्कुरे । गजसवॊशभशाव्माघ्रचोयबीऴणकानने ॥५॥ भशाबमे ऽत्ग्नवॊस्थाने ळिुवङ्गवभासश्रते । ळयणागतभत्मा​ानाॊ ळयण्माम नभो नभ् ॥६॥ प्रदोऴे ला प्रबाते ला मे स्भयन्त्मञ्जनावुतभ ् । अथासवत्रिमळ्काभान ् प्राप्नुलत्न्त न वॊळम् ॥७॥ कायागृशे प्रमाणे च वङ्ग्राभे दे ळत्रलप्रले ।

मे स्भयत्न्त शनूभन्तॊ ते ऴाॊ नात्स्त त्रलऩत्तम् ॥८॥ लज्रदे शाम कारात्ग्नरुद्रामासभतते जवे । नभ् प्रलगवैन्मानाॊ प्राणबूतात्भने नभ् ॥९॥ दद्श ु दैत्मभशादऩादरनाम भशात्भने ।

मा जी ास्त्रस्तम्बनामास्भै नभ् श्रीरुद्रभूतामे ॥१०॥ जप्त्ला स्तोिसभदॊ ऩुण्मॊ लवुलायॊ ऩठे न्नय् ।

आसधव्मासधभशाभारयग्रशऩीडाऩशारयणे ।

याजस्थाने वबास्थाने लादे प्राद्ऱे जऩे द्धध्रुलभ ् ॥११॥

प्राणाऩशन्िे दैत्मानाॊ याभप्राणात्भने नभ् ॥३॥

त्रलबीऴणकृतॊ स्तोिॊ म् ऩठे त ् प्रमतो नय् । वला​ाऩद्धभ्मो त्रलभुच्मे त नाि कामा​ा त्रलचायणा ॥१२॥


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॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ ् ॥ अञ्जनानन्दनॊ लीयॊ जानकीळोकनाळनभ ् । कऩीळभषशन्तायॊ लन्दे रङ्काबमङ्कयभ ् ॥१॥ अञ्जनीगबावम्बूत कऩीन्द्रवसचलोत्तभ । याभत्रप्रम नभस्तुभ्मॊ शनूभन ् यष वलादा ॥२॥

श्रीयाभरृदमानन्दॊ बिकल्ऩभशीरुशभ ् । अबमॊ लयदॊ दोभ्मां करमे भारुतात्भजभ ् ॥१२॥ उद्यन्भाताण्डकोफटप्रकटरुसचमुतॊ चारुलीयावनस्थॊ भौञ्जीमसोऩलीतारुणरुसचयसळखाळोबनॊ कुण्डराङ्कभ ् ।

अतुसरतफरधाभॊ स्लणाळैराबदे शॊ

बिानासभद्शदॊ तॊ प्रणतभुसनजनॊ भे घनादप्रभोदॊ

दनुजलनकृळानुॊ सासननाभग्रगण्मभ ् ।

लन्दे दे लॊ त्रलधेमॊ प्रलगकुरऩसतॊ गोष्ऩदीबूतलासधाभ ् ॥१३॥

वकरगुणसनधानॊ लानयाणाभधीळॊ यघुऩसतत्रप्रमबिॊ लातजातॊ नभासभ ॥३॥

उल्रङ्घ्म

सवन्धो्

वसररॊ

वरीरॊ

म्

ळोकलफह्नॊ

जनकात्भजामा् ।

अऩयात्जत त्रऩङ्गाष नभस्ते याजऩूत्जत ।

आदाम ते नैल ददाश रङ्काॊ नभासभ तॊ प्राञ्जसरयाञ्जने मभ ्

दीने भसम दमाॊ कृत्ला भभ द्ु खॊ त्रलनाळम ॥४॥

॥१४॥

अळे ऴरङ्काऩसतवैन्मशन्ता श्रीयाभवे लाचयणैककता​ा ।

कदात्रऩ ळुभ्रैलाय चाभयै ् प्रबुॊ गामन ्गुणान ् लीजमसत त्स्थतोऽग्रत्।

अने क द्ु खाशतरोकगोद्ऱा त्लवौ शनूभान्भभ वौख्मकता​ा ॥५॥

कदाप्मुऩद्ऴोकमसत

आञ्जने मॊ ऩाटरास्मॊ स्लणा​ाफद्रवभत्रलग्रशभ ् । ऩारयजातद्रभ ु ूरस्थॊ लन्दे वाधकनन्दनभ ् ॥६॥ आञ्जने मभसतऩाटराननॊ काञ्चनाफद्रकभनीमत्रलग्रशभ ् । ऩारयजाततरुभूरलासवनॊ बालमासभ ऩलभाननन्दनभ ् ॥७॥ आसधव्मासधभशाभारयग्रशऩीडाऩशारयणे ।

प्राणाऩशिे दैत्मानाॊ याभप्राणात्भने नभ् ॥८॥ आऩन्नात्खररोकासताशारयणे श्रीशनूभते । अकस्भादागतोत्ऩातनाळनाम नभोऽस्तु ते ॥९॥ उद्यत्कोट्मकावङ्काळॊ जगत्प्रषोबशायकभ ् । श्रीयाभात्ङ्घ्रध्मानसनद्षॊ वुग्रीलप्रभुखासचातभ ् । त्रलिावमन्तॊ नादे न याषवान ् भारुसतॊ बजे ॥१०॥ उद्यदाफदत्मवङ्काळभुदायबुजत्रलक्रभभ ् । कन्दऩाकोफटरालण्मॊ वलात्रलद्यात्रलळायदभ ् ॥११॥

स्लसनसभातै्

स्तलै्

ळुबै्

कृताञ्जसर्॥१५॥ कयात्तळैरळस्त्राम द्रभ ु ळस्त्राम ते नभ् ।

फारैकमा जी चमा​ाम रुद्रभूसताधयाम च ॥१६॥ कायागृशे प्रमाणे च वङ्ग्राभे दे ळत्रलप्रले । स्भयत्न्त त्लाॊ शनूभन्तॊ ते ऴाॊ नात्स्त त्रलऩत्तदा ॥१७॥ कृतक्रोधे मत्स्भन्नभयनगयी भङ्गरयला नलातङ्का रङ्का वभजसन लनॊ लृद्ळसत वसत । वदा वीताकान्तप्रणसतभसतत्रलख्मातभफशभा शनूभानव्मान्न् कत्रऩकुरसळयोभण्डनभत्ण् ॥१८॥ गोष्ऩदीकृतलायासळॊ भळकीकृतयाषवभ ् । याभामणभशाभारायत्नॊ लन्दे ऽसनरात्भजभ ् । १९ जानुस्थलाभफाशुॊ च सानभुद्राऩयॊ शरयभ ् ।

अध्मात्भसचत्तभावीनॊ कदरीलनभध्मगभ ् । फाराकाकोफटप्रसतभॊ लन्दे सानप्रदॊ शरयभ ् ॥२०॥

श्रीशनुभान ्


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ज्लरत्काञ्चनलणा​ाम दीघाराङ्गूरधारयणे ।

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खेचारॊ त्रलसळखॊ प्रवन्नलदनॊ श्रीलामुऩुि ॊ बजे ॥३१॥

वौसभत्रिजमदािे च याभदत ू ाम ते नभ् ॥२१॥

भनोजलॊ भारुततुल्मले ग ॊ त्जते त्न्द्रमॊ फुत्रिभताॊ लरयद्षभ ् ।

तद्ऱचाभीकयसनबॊ बीघ्नॊ वॊत्रलफशताञ्जसरभ ् ।

लातात्भजॊ लानयमूथभुख्मॊ श्रीयाभदत ू ॊ सळयवा नभासभ ॥३२॥

चरत्कुण्डरदीद्ऱास्मॊ ऩद्माषॊ भारुसतॊ बजे ॥२२॥

भरुत्वुतॊ याभऩदायत्रलन्दलन्दारुफृन्दायकभाळु लन्दे ।

फद्रबुजॊ स्लणालणा​ाबॊ याभवे लाऩयामणभ ् ।

धीळत्रिबत्रिद्युसतसविमो मॊ कान्तॊ स्लकान्ता इल काभमन्ते

भौञ्जीकौऩीनवफशतॊ तॊ लन्दे याभवे लकभ ् ॥२३॥

॥३३॥

दशनतद्ऱवुलणावभप्रबॊ बमशयॊ रृदमे त्रलफशताञ्जसरभ ् ।

भकाटे ळ भशोत्वाश वलाळिुशयोत्तभ ।

श्रलणकुण्डरळोसबभुखाम्फुजॊ नभत लानययाजसभशाद्भत ु भ ् ॥२४॥

ळिुॊ वम्शय भाॊ यष श्रीभन्नाऩद उिय ॥३४॥

नखामुधाम बीभाम दन्तामुधधयाम च ।

भकाटे ळ भशोत्वाश वला​ातङ्कसनलायक ।

त्रलशङ्गाम च ळला​ाम लज्रदे शाम ते नभ् ॥२५॥

अयीन्वम्शय भाॊ यष वुख ॊ दाऩम भे प्रबो ॥३५॥

नादत्रफन्दक ु रातीतॊ उत्ऩत्रत्तत्स्थसतलत्जातभ ् ।

भशाळैरॊ वभुत्ऩाट्म धालन्तॊ यालणॊ प्रसत ।

वाषादीद्वयवद्रऩ ू ॊ शनूभन्तॊ बजाम्मशभ ् ॥२६॥ ऩञ्चास्मभच्मुतभने कत्रलसचिलणालक्िॊ

सतद्ष सतद्ष यणे दद्श ु घोययालॊ वभुच्चयन ् ॥३६॥ ळळाङ्कळे खयॊ

कत्रऩयाजलमाभ ् ।

ऩीताम्फयाफदभुकुटैरुऩळोसबताङ्गॊ त्रऩङ्गाषभाद्यभसनळॊ भनवा स्भयासभ ॥२७॥ ऩद्मयागभत्णकुण्डरत्त्लऴा ऩाटरीकृतकऩोरभण्डरभ ् ।

फदव्मशे भकदरीलनान्तये बालमासभ ऩलभाननन्दनभ ् ॥२८॥ प्रतद्ऱस्लणालणा​ाबॊ वॊयिारुणरोचनभ ् । वुग्रीलाफदमुतॊ लन्दे ऩीताम्फयवभालृतभ ् ।

गोष्ऩदीकृतलायीळॊ (यासळॊ) ऩुच्छभस्तकभीद्वयभ ्

राषायवारुणॊ लन्दे कारान्तकमभोऩभभ ् । ज्लरदत्ग्नरवन्ने ि ॊ वूमाकोफटवभप्रबभ ् ।

अङ्गदाद्यैभाशालीयै लेत्रद्शतॊ रुद्ररूत्रऩणभ ् ॥३७॥ भारुसतॊ लीयलज्राङ्गॊ बियषणदीत्षतभ ् । शनूभन्तॊ वदा लन्दे याभभन्िप्रचायकभ ् ॥३८॥ मि मि यघुनाथकीतानॊ ति ति कृतभस्तकाञ्जसरभ ् । फाष्ऩलारयऩरयऩूणारोचनॊ भारुसतॊ नभत याषवान्तकभ ् ॥३९॥ मो लायाॊसनसधभल्ऩऩल्लरसभलोल्रङ्घ्म प्रताऩात्न्लतो

सानभुद्राॊ च त्रफभ्राणॊ वला​ारङ्कायबूत्रऴतभ ् ॥२९॥

लैदेशीघनळोकलफह्नशयणो लैकुण्ठबित्रप्रम् ।

फुत्रिफारॊ मळो धैमं सनबामत्लभयोगता ।

वोऽमॊ लानयऩुङ्गलोऽलतु वदा चास्भान ् वभीयात्भज् ॥४०॥

अजारमॊ लाक्ऩटु त्लॊ च शनूभत्स्भयणाद्भले त ् ॥३०॥

अषाद्यत्जातयाषवे द्वयभशादऩा​ाऩशायी यणे

याजद्रारय त्रफरद्रारय प्रले ळे बूतवङ्कुरे ।

बात्न्लन्दच ू यणायत्रलन्दमुगरॊ कौऩीनभौञ्जीधयॊ

गजसवम्शभशाव्माघ्रचौयबीऴणकानने । ४१

शस्ताभ्माॊ धृतऩुस्तकॊ च त्रलरविायालसरॊ कुण्डरॊ

नभ् प्रलगवैन्मानाॊ प्राणबूतात्भने नभ् ॥४२॥

कात्ञ्चश्रेत्णधयॊ दक ु ू रलवनॊ मसोऩलीतात्जनभ ् ।

ळयणाम ळयण्माम लातात्भज नभोस्तु ते ।


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याभे द्शॊ करुणाऩूणं शनूभन्तॊ बमाऩशभ ् ।

लन्दे लानयसवम्शखगयाट् क्रोडाद्वलक्िात्न्लतॊ

ळिुनाळकयॊ बीभॊ वला​ाबीद्शपरप्रदभ ् ॥४३॥

फदव्मारङ्कयणॊ त्रिऩञ्चनमनॊ दे दीप्मभानॊ रुचा ।

प्रदोऴे त्लाॊ प्रबाते ला मे स्भयन्त्मञ्जनावुतभ ् । अथासवत्रिॊ मळ्ऩूसतं प्राप्नुलत्न्त न वॊळम् ॥४४॥ राषायवारुणॊ लन्दे कारान्तकमभोऩभभ ् । ज्लरदत्ग्नरवन्ने ि ॊ वूमाकोफटवभप्रबभ ् । अङ्गदाद्यैभाशालीयै लेत्रद्शतॊ रुद्ररूत्रऩणभ ् ॥४५॥ लज्रदे शाम कारात्ग्नरुद्रामासभतते जवे । मा जी ास्त्रस्तम्बनामास्भै नभ् श्रीरुद्रभूतामे ॥४६॥ लज्राङ्गॊ त्रऩङ्गकेळाढ्मॊ स्लणाकुण्डरभत्ण्डतभ ् । सनमुिभुऩवङ्क्रम्म ऩायालायऩयाक्रभभ ् ॥४७॥ लाभशस्तगदामुिॊ ऩाळशस्तकभण्डरुभ ् । उद्यदत्षणदोदाण्डॊ शनूभन्तॊ त्रलसचन्तमे ॥४८॥ लज्राङ्गॊ ऩद्मने ि ॊ कनकभमरवत्कुण्डराक्रान्तगण्डॊ

दम्बोसरस्तम्बवायप्रशयणवुलळीबूतयषोऽसधनाथभ ् । उद्यल्राङ्गूरवद्ऱाचरत्रलचरकयॊ बीभभूसतं कऩीन्द्रॊ लन्दे तॊ याभचन्द्रप्रभुखदृढतयॊ वत्प्रवायॊ प्रवन्नभ ् ॥४९॥ लन्दे फारफदलाकयद्युसतसनबॊ दे लारयदऩा​ाऩशॊ दे लेन्द्रप्रभुख्ै प्रळस्तमळवॊ दे दीप्मभानॊ रुचा । वुग्रीलाफदवभस्तलानयमुतॊ वुव्मितत्त्लत्रप्रमॊ वॊयिारुणरोचनॊ ऩलनजॊ ऩीताम्फयारङ्कृतभ ् ॥५०॥ लन्दे यणे शनुभन्तॊ कत्रऩकोफटवभत्न्लतभ ् । धालन्तॊ यालणॊ जे तुॊ दृष्ट्ला वत्लयभुत्त्थतभ ् ॥५१॥ रक्ष्भणॊ च भशालीयॊ ऩसततॊ यणबूतरे ।

गुरुॊ च क्रोधभुत्ऩाद्य गृशीत्ला गुरुऩलातभ ् ॥५२॥ शाशाकायै ् वदऩैद्ळ कम्ऩमन्तॊ जगत्िमभ ् । मा जी ाण्डॊ व वभालाप्म कृत्ला बीभकरे लयभ ् ॥५३॥

शस्ताब्जैय सवखेटऩुस्तकवुधाकुम्बाङ्कुळाद्रीन ् शरॊ

खट्लाङ्गॊ पत्णबूरुशॊ दळबुजॊ वला​ारयलीयाऩशभ ् ॥५४॥ लाभशस्ते भशालृषॊ दळास्मकयखण्डनभ ् । उद्यदत्षणदोदाण्डॊ शनूभन्तॊ त्रलसचन्तमे ॥५५॥ लाभे कये लैरयसबदॊ लशन्तॊ ळैरॊ ऩये ळृङ्खरशायटङ्कभ ् । दधानभच्छच्छत्रलमसवूि ॊ

बजे

ज्लरत्कुण्डरभाञ्जने मभ ्

॥५६॥ लाभे जानुसन लाभफाशुभऩयॊ तॊ सानभुद्रामुतॊ

रृदे ळे करमन ् लृतो भुसनगणैय ध्मात्भदत्तेषण् । आवीन् कदरीलने भत्णभमे फाराकाकोफटप्रबो

ध्मामन ् मा जी ऩयॊ कयोतु भनव् सवत्रिॊ शनूभान्भभ ॥५७॥ लाभे ळैरॊ लैरयसबदॊ त्रलळुिॊ टङ्कभन्मत् । दधानॊ स्लणालणं च लन्दे कुण्डसरनॊ शरयभ ् ॥५८॥ वदा याभ याभे सत नाभाभृतॊ तॊ वदा याभभानन्दसनष्मन्दकन्दभ ्। त्रऩफन्तॊ नभन्तॊ वुदन्तॊ शवन्तॊ शनूभन्तभन्तबाजे तॊ सनतान्तभ ् ॥५९॥ वऩीतकौऩीनभुदत्ञ्चताङ्गुसरभ ् वभुज्ज्लरन्भौञ्ज्मत्जनोऩलीसतनभ ् । वकुण्डरॊ रम्फसळखावभालृतॊ तभाञ्जने मॊ ळयणॊ प्रऩद्ये ॥६०॥ वला​ारयद्शसनलायकॊ ळुबकयॊ त्रऩङ्गाषभषाऩशॊ वीतान्ले ऴणतत्ऩयॊ कत्रऩलयॊ कोटीन्दव ु ूमाप्रबभ ् । रङ्काद्रीऩबमङ्कयॊ वकरदॊ वुग्रीलवम्भासनतॊ

दे लेन्द्राफदवभस्तदे लत्रलनुतॊ काकु त्स्थदत ू ॊ बजे ॥६१॥ वॊवायवागयालताकताव्मभ्रान्तचेतवाभ ् । ळयणागतभत्मा​ानाॊ ळयण्माम नभोऽस्तु ते ॥६२॥ वीतायाभऩदाम्फुजे भधुऩलद्यन्भानवॊ रीमते

वीतायाभगुणालरी सनसळ फदला मत्ज्जह्वमा ऩीमते ।


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वीतायाभत्रलसचिरूऩभसनळॊ मच्चषुऴोबूाऴणॊ

स्लानन्दशे तोबाजताॊ जनानाॊ भग्न् वदा याभकथावुधामाभ ् ।

वीतायाभवुनाभधाभसनयतॊ तॊ वद्गरु ु ॊ तॊ बजे ॥६३॥

अवात्रलदानीॊ च सनऴे लभाणो याभॊ ऩसतॊ फकम्ऩुरुऴे फकरास्ते

वीतात्रलमुिश्रीयाभळोकद्ु खबमाऩश ।

ताऩत्रितमवम्शारयन्नाञ्जने म नभोऽस्तु ते ॥६४॥

॥६७॥ शनुभन्तॊ भशालीयॊ लामुतुल्मऩयाक्रभभ ् ।

वीताळीला​ादवम्ऩन्न वभस्तालमलाषत ।

भभाबीद्शाथासविमथं प्रणभासभ भुशुभुाशु् ॥६८॥

रोरराङ्गूरऩाते न भभायातीत्न्नलायम ॥६५॥

शनूभान ् याभऩादाब्जवङ्गी लत्णालय् ळुसच् ।

स्पफटकाबॊ स्लणाकात्न्तॊ फद्रबुजॊ च कृताञ्जसरभ ् ।

वञ्जीलनोऩशता​ा भे दीघाभामुदादात्त्लश ॥६९॥

***

कुण्डरद्रमवॊळोसबभुखाम्फुजभशॊ बजे ॥६६॥

भॊि सवि दर ु ाब वाभग्री

भॊि सवि भारा

शत्था जोडी- Rs- 730, 1450, 2800, 3700, 7300, 8200

स्पफटक भारा- Rs- 190, 280, 460, 730, DC 1050, 1250

सवमाय सवॊगी- Rs- 1050, 1900, 5500

वपेद चॊ दन भारा - Rs- 280, 460, 640

त्रफल्री नार- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450

यि (रार) चॊ दन - Rs- 100, 190, 280

कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

भोती भारा- Rs- 280, 460, 730, 1250, 1450 & Above

दत्षणालतॉ ळॊख - Rs- 550, 750, 1250, 1900

त्रलधु त भारा - Rs- 100, 190

भोसत ळॊख - Rs- 550, 750, 1250, 1900

ऩुि जीला भारा - Rs- 280, 460

भामा जार- Rs- 251, 551, 751

कभर गट्टे की भारा - Rs- 210, 280

इन्द्र जार- Rs- 251, 551, 751

शल्दी भारा - Rs- 150, 280

धन लृत्रि शकीक वेट Rs-251(कारी शल्दी के वाथ Rs-550)

तुरवी भारा - Rs- 100, 190, 280, 370

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above

ऩीरी कौफड़ेमाॊ : 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 190 280, 460, 730

शकीक: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 190 280, 460, 730

रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-111, 11 नॊग-Rs-1111

भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above

नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-111

ऩायद भारा Rs- 730, 1050, 1900, 2800 & Above

कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

लैजमॊती भारा Rs- 100,190

गोभती चक्र Small & Medium 11 नॊग-75, 101, 151, 201,

रुद्राष भारा: 100, 190, 280, 460, 730, 1050, 1450

गोभती चक्र Very Rare Big Size : 1 नॊग- 51 वे 550

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अप्रैर-2015

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॥श्रीशनुभद्धध्मानभ ् भाकाण्डे मऩुयाणत् ॥

॥श्रीशनुभत्स्तोिभ ् व्मावतीथात्रलयसचतभ ् ॥

भयकतभत्णलणं फदव्मवौन्दमादेशॊ नखयदळनळस्त्रैलाज्रतुल्मै् वभे तभ ् ।

नभासभ दत ू ॊ याभस्म वुखदॊ च वुय द्रभ ु भ्।

तफडदभरफकयीटॊ भूत्ध्ना योभात्ङ्कतॊ च

नानायत्नवभामुिकुण्डराफदत्रलबूत्रऴतभ ् ।

ऩीनलृत्तभशाफाशुॊ वलाळिुसनफशा णभ ् ॥१॥

शरयतकुवुभबावॊ ने िमुग् भॊ वुपुल्रभ ् ॥१॥ असनळभतुरबक्त्मा याभदे लस्म मोग्मात्न्नत्खरगुरुचरयिाण्मास्मऩद्माद्रदन्तभ ् ।

वलादाबीद्शदातायॊ वताॊ लै दृढभाशले ॥२॥

लासवनॊ चक्रतीथास्म दत्षणस्थसगयौ वदा । तुङ्गाम्बोसधतयङ्गस्म लाते न ऩरयळोसबते ॥३॥ नानादे ळागतै् वत्रद्भ् वे व्मभानॊ नृऩोत्तभै् । धूऩदीऩाफदनैलेद्यै् ऩञ्चखाद्यैद्ळ ळत्रित् ॥४॥

स्पफटकभत्णसनकाळे कुण्डरे धायमन्तॊ

बजासभ श्रीशनूभन्तॊ शे भकात्न्तवभप्रबभ ् ।

गजकय इल फाशॊु याभवे लाथाजातभ ् ॥२॥ अळसनवभद्रफढम्नॊ दीघालष्स्थरॊ च

व्मावतीथामतीन्द्रे ण ऩूत्जतॊ प्रत्णधानत् ॥५॥ त्रिलायॊ म् ऩठे त्न्नत्मॊ स्तोिॊ बक्त्मा फद्रजोत्तभ् ।

नलकभरवुऩादॊ भदामन्तॊ रयऩूॊद्ळ ।

लात्ञ्छतॊ रबते ऽबीद्शॊ ऴण्भावाभ्मन्तये खरु ॥६॥

शरयदसमतलरयद्षॊ प्राणवूनुॊ फराढ्मॊ

त्रलद्याथॉ रबते त्रलद्याॊ धनाथॉ रबते धनभ ् ॥७॥

सनत्खरगुणवभे तॊ सचन्तमे लानये ळभ ् ॥३॥ इसत भाकाण्डे मऩुय ाणत् श्रीशनुभद्धध्मानभ ् ।

ऩुिाथॉ रबते ऩुि ॊ मळोऽथॉ रबते मळ् । वलाथा भास्तु वन्दे शो शरय् वाषी जगत्ऩसत् । म् कयोत्मि वन्दे शॊ व मासत सनयमॊ ध्रुलभ ् ॥८॥ इसत श्रीव्मावतीथात्रलयसचतभ ् शनुभत्स्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ।

 क्मा आऩके फच्चे कुवॊगती के सळकाय शं ?  क्मा आऩके फच्चे आऩका कशना नशीॊ भान यशे शं ?  क्मा आऩके फच्चे घय भं अळाॊसत ऩैदा कय यशे शं ? घय ऩरयलाय भं ळाॊसत एलॊ फच्चे को कुवॊगती वे छुडाने शे तु फच्चे के नाभ वे गुरुत्ल कामा​ारत द्राया ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि लळीकयण कलच एलॊ एव.एन.फडब्फी

फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रलसध-त्रलधान वे आऩ त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ तो आऩ भॊि सवि लळीकयण कलच एलॊ एव.एन.फडब्फी फनलाना चाशते शं , तो वॊऩका इव कय वकते शं ।

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71

अप्रैर-2015

॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृ तभ ् ॥ श्रीगणे ळाम नभ् ।

प्रसतग्राभत्स्थतामाथ यषोबूतलधासथाने ।

नभो शनुभते तुभ्मॊ नभो भारुतवूनले ।

कयारळैरळस्त्राम द्रभ ु ळस्त्राम ते नभ् ॥१३॥

नभ् श्रीयाभबिाम श्माभास्माम च ते नभ् ॥१॥ नभो लानयलीयाम वुग्रीलवख्मकारयणे । रङ्कात्रलदाशनाथा​ाम शे रावागयतारयणे ॥२॥ वीताळोकत्रलनाळाम याभभुद्राधयाम च ।

यालणान्तकुरच्छे दकारयणे ते नभो नभ् ॥३॥ भे घनादभखध्लॊवकारयणे ते नभो नभ् । अळोकलनत्रलध्लॊवकारयणे बमशारयणे ॥४॥ लामुऩुिाम लीयाम आकाळोदयगासभने । लनऩारसळयश्छे दरङ्काप्रावादबत्ञ्जने ॥५॥ ज्लरत्कनकलणा​ाम दीघाराङ्गूरधारयणे । वौसभत्रिजमदािे च याभदत ू ाम ते नभ् ॥६॥ अषस्म लधकिे च मा जी ऩाळसनलारयणे । रक्ष्भणाङ्गभशाळत्रिघातषतत्रलनासळने ॥७॥ यषोघ्नाम रयऩुघ्नाम बूतघ्नाम च ते नभ् । ऋषलानयलीयौघप्राणदाम नभो नभ् ॥८॥ ऩयवैन्मफरघ्नाम ळस्त्रास्त्रघ्नाम ते नभ् । त्रलऴघ्नाम फद्रऴघ्नाम ज्लयघ्नाम च ते नभ् ॥९॥ भशाबमरयऩुघ्नाम बि​िाणैककारयणे । ऩयप्रे रयतभन्िाणाॊ मन्िाणाॊ स्तम्बकारयणे ॥१०॥ ऩम्ऩाऴाणतयणकायणाम नभो नभ् ।

फाराकाभण्डरग्रावकारयणे बलतारयणे ॥११॥ नखामुधाम बीभाम दन्तामुधधयाम च ।

रयऩुभामात्रलनाळाम याभासारोकयत्षणे ॥१२॥

फारैकमा जी चमा​ाम रुद्रभूसताधयाम च ।

त्रलशङ्गभाम वला​ाम लज्रदे शाम ते नभ् ॥१४॥ कौऩीनलाववे तुभ्मॊ याभबत्रियताम च । दत्षणाळाबास्कयाम ळतचन्द्रोदमात्भने ॥१५॥ कृत्माषतव्मथाघ्नाम वलाक्रे ळशयाम च । स्लाम्मासाऩाथावङ्ग्राभवङ्ख्मे वञ्जमधारयणे ॥१६॥ बिान्तफदव्मलादे ऴु वङ्ग्राभे जमदासमने । फकत्ल्कराफुफुकोच्चायघोयळब्दकयाम च ॥१७॥ वऩा​ात्ग्नव्मासधवॊस्तम्बकारयणे लनचारयणे । वदा लनपराशायवन्तृद्ऱाम त्रलळे ऴत् ॥१८॥ भशाणालसळराफिवे तुफन्धाम ते नभ् । लादे त्रललादे वङ्ग्राभे बमे घोये भशालने ॥१९॥ सवॊशव्माघ्राफदचौये भ्म् स्तोिऩाठाद् बमॊ न फश । फदव्मे बूतबमे व्माधौ त्रलऴे स्थालयजङ्गभे ॥२०॥ याजळस्त्रबमे चोग्रे तथा ग्रशबमे ऴु च ।

जरे वले भशालृद्शौ दसु बाषे प्राणवम्प्रले ॥२१॥ ऩठे त ् स्तोिॊ प्रभुच्मे त बमे भ्म् वलातो नय् ।

तस्म क्लात्रऩ बमॊ नात्स्त शनुभत्स्तलऩाठत् ॥२२॥ वलादा लै त्रिकारॊ च ऩठनीमसभदॊ स्तलभ ् ।

वला​ान ् काभानलाप्नोसत नाि कामा​ा त्रलचायणा ॥२३॥ त्रलबीऴणकृतॊ स्तोिॊ ताक्ष्मेण वभुदीरयतभ ् । मे ऩफठष्मत्न्त बक्त्मा लै सवद्धध्मस्तत्कये त्स्थता् ॥२४॥ इसत श्रीवुदळानवॊफशतामाॊ त्रलबीऴणगरुडवॊलादे त्रलबीऴणकृतॊ शनुभत्स्तोिॊ वम्ऩूणाभ ् ॥


अप्रैर-2015

72

अषम तृसतमा (अखातीज 21-अप्रैर-2015)

 सचॊतन जोळी अषम तृसतमा को ऩूये बायत लऴा भं कई नाभं वे

फने शुए ऩदाथा, वोना, कऩडे , जर का घडा आफद

तीज तथा लैळाख तीज प्रभुख शं । इव लऴा 2015 भं

 अषम तृसतमा के फदन फकए गए वबी धभा कामा

जाना औय भनामा जाता शं , त्जवभं अषम तृतीमा, आखा अषम तृतीमा 21 अप्रैर को शं । बायतीम ऩयॊ ऩयाके अॊतगात अषम तृसतमा का ऩला प्रभुख त्मौशायं भं वे एक शं । अषम तृसतमा को अफूझ

दान कयना बी राबदामक भाना जाता शं । असत उत्तभ यशते शं ।

 अषम तृसतमा के फदन व्रत-उऩलाव के सरमे बी उत्तभ भाना जाता शं ।

भशूता बी कशा जाता शं ।

 अषम तृसतमा के फदन दे ळ के कई फशस्वो भं

तृसतमा सतसथ के फदन भनामा जाता शं । त्रलद्रानो के

 अषम तृसतमा के फदन गॊगा स्नान का फडा भशत्ल

अषम तृसतमा ऩला लैळाख भाव के ळुक्र ऩष की

अनुळाय अषम तृसतमा के फदन स्नान, जऩ, शोभ, दान

चालर, भूॊग की फनी त्खचडी खाने का रयलाज शं । भाना जाता शं ।

आफद ऩूण्म कामा कयना त्रलळे ऴ राबदामक शोता शं । क्मोफक भान्मता शं , फक इव फदन फकमे गम ऩुण्म कामा का पर व्मत्रि को अषम रुऩ भं प्राद्ऱ शोता शं । अषम तृसतमा के फदन कोई बी ळुब कामो का प्रायम्ब कयना त्रलळे ऴ ळुब भाना जाता शं । ळास्त्रोि भतानुळाय इव फदन कोई बी ळुब कामा ळुरु कयने वे उव

लैळाख ळुक्र ऩष की तृसतमा को स्लगॉम आत्भाओॊ की प्रवन्नाता के सरए करळ, ऩॊखा, खडाऊॉ, छाता, वत्तू, ककडी, खयफूजा आफद भौवभी पर, ळक्कय इत्माफद ऩदाथा मा ाजी ाण को दान कयने का त्रलधान शं । अषम तृसतमा के फदन चायं धाभं भं वे एक श्री

कामा का पर सनत्द्ळत त्स्थय रुऩ भं प्राद्ऱ शोते शं ।

फद्रीनाथ नायामण धाभ के ऩाट खुरते शं ।

ऩष की तृसतमा अथा​ात अषम तृसतमा के फदन बगलान के

अषम तृ स तमा (ऩयळु य ाभ तीज)

नय-नायामण, ऩयळुयाभ, शमग्रील रुऩ भं अलतरयत शुए थे।

लैळाख ळुक्र ऩष की तृसतमा को अषम तृसतमा के नाभ

ळास्त्रो भं उल्रे ख शं फक लैळाख भाव के ळुक्र

इव सरमे अषम तृसतमा को ऩयळुय ाभ ल अन्म जमत्न्तमाॊ भानकय उवे उत्वल रुऩ भं भनामा जाता शं । एक ऩौयात्णक भान्मता के अनुवाय िेता मुग की ळुरुआत बी इवी फदन वे शुई थी. इवी कायण वे इवे िेतामुगाफद सतसथ बी कशा जाता शं ।

त्रलद्रानो के अनुळाय अषम तृसतमा के फदन गभॉ के

भौवभ भं खाने -ऩीने -ऩशनने आफद काभ आने लारी औय गभॉ को ळाॊत कयने लारी वबी लस्तुओॊ का दान कयना ळुब भाना जाता शं ।  अषम तृसतमा के फदन जौ, गेशूॊ, चने , दशी, चालर, त्खचडी, ईळ (गन्ना) का यव, ठण्डाई ल दध ू वे

वे जानाजाता शं । इव फदन श्री ऩयळुय ाभजी का जन्भ फदन शोने के कायण इवे ऩयळुय ाभ तीज मा ऩयळुय ाभ जमॊती बी कशा जाता शं । अषम तृ त ीमा ळु ब भु शू ता

बायत भं ऩौयात्णक कार वे वबी ळुब कामा ळुब भुशुता एलॊ ळुब वभम ऩय प्रायॊ ब कयने का प्रचरन शं ।

व्मत्रि द्राया फकए जाने लारे कामा भं वपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे ळुब भुशुता औय वभम का चुनाल फकमा जाता शं ।


अप्रैर-2015

73

त्रलद्रानो के अनुळाय जफ बी कोई व्मत्रि फकवी ळुब कामा की ळुरुलात ळुब भुशुता वभम ऩय कयता शं , तो उव ळुब भुशूता वभम भं फकए ळुरु फकए गमे कामा के वपर शोने

की उव कामा भं असधक राबप्रासद्ऱ की

वॊबालनाएॊ फढ जाती शं ।

कामा प्रायम्ब कयने के सरमे भुशूता के अन्म फकवी सनमभ

को दे खना आलश्मक नशीॊ शं । अफूझ भशुता भं फकवी बी वभम भं कामा प्रायम्ब फकमा जा वकता शं । अषम

तृसतमा

के

फदन

नई

बूसभ-बल-लाशन

खयीदना, वोना-चाॊफद खयीदना जैवे त्स्थय रक्ष्भी वे

बायत भं लवॊत ऩॊचभी, याभनलभी, अषम तृसतमा, जन्भाद्शभी, गणे ळ चतुथॉ, दळशया, धनते य व, दीऩालरीभ कासताक ऩूत्णाभा आफद को अफूझ भशुता भाना जाता शं ।

वॊफॊसधत लस्तुएॊ खयीदना वलोतभ भाना गमा शं । नमे व्मलवामीक कामा का ळुबायम्ब कयने के सरमे

इव फदन को प्रमोग फकमा जा वकता शं ।

इव सरए अफूझ भशुता भं कोई बी ळुब कामा

***

प्रायम्ब फकमा जा वकता शं । ळास्त्रोि त्रलधान के अनुळाय

भॊि सवि दर ा वाभग्री ु ब

भॊि सवि भारा

शत्था जोडी- Rs- 730, 1450, 2800, 3700, 7300, 8200

स्पफटक भारा- Rs- 190, 280, 460, 730, DC 1050, 1250

सवमाय सवॊगी- Rs- 1050, 1900, 5500

वपेद चॊ दन भारा - Rs- 280, 460, 640

त्रफल्री नार- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450

यि (रार) चॊ दन - Rs- 100, 190, 280

कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

भोती भारा- Rs- 280, 460, 730, 1250, 1450 & Above

दत्षणालतॉ ळॊख - Rs- 550, 750, 1250, 1900

त्रलधु त भारा - Rs- 100, 190

भोसत ळॊख - Rs- 550, 750, 1250, 1900

ऩुि जीला भारा - Rs- 280, 460

भामा जार- Rs- 251, 551, 751

कभर गट्टे की भारा - Rs- 210, 280

इन्द्र जार- Rs- 251, 551, 751

शल्दी भारा - Rs- 150, 280

धन लृत्रि शकीक वेट Rs-251(कारी शल्दी के वाथ Rs-550)

तुरवी भारा - Rs- 100, 190, 280, 370

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above

ऩीरी कौफड़ेमाॊ : 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 190 280, 460, 730

शकीक: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 190 280, 460, 730

रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-111, 11 नॊग-Rs-1111

भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above

नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-111

ऩायद भारा Rs- 730, 1050, 1900, 2800 & Above

कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

लैजमॊती भारा Rs- 100,190

गोभती चक्र Small & Medium 11 नॊग-75, 101, 151, 201,

रुद्राष भारा: 100, 190, 280, 460, 730, 1050, 1450

गोभती चक्र Very Rare Big Size : 1 नॊग- 51 वे 550

भूल्म भं अॊ तय छोटे वे फड़े​े आकाय के कायण शं ।

(असत दुरब ा फड़े​े आकाय भं 5 ग्राभ वे 11 ग्राभ भं उऩरब्ध)

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अप्रैर-2015

74

अप्रैर-2015 के प्रभुख व्रत-ऩला

 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी प्रदोऴ व्रत (1 अप्रै र , 16 अप्रै र एलॊ 30 अप्रै र ) प्रदोऴ व्रत का भशत्ल

त्रलद्रानं ने प्रदोऴ व्रत के भशत्ल को असत व्माऩक,

वलोच्च एलॊ वला श्रेद्ष फतामा शं , प्रदोऴ व्रत शय भशीने भं दो फाय ळुक्र ऩष औय कृष्ण ऩष की िमोदळी को प्रदोऴ व्रत कशते शं । मफद इन सतसथमं को वोभलाय शोतो उवे वोभ प्रदोऴ व्रत कशते शं , मफद भॊगर लाय शोतो उवे बौभ प्रदोऴ व्रत कशते शं औय ळसनलाय शोतो उवे ळसन प्रदोऴ व्रत व्रत कशते शं । त्रलळे ऴ कय वोभलाय, भॊगरलाय एलॊ ळसनलाय के प्रदोऴ व्रत अत्मासधक प्रबालकायी भाने गमे शं । इव फदन व्रत यखने का त्रलधान शं ।

प्रदोऴ व्रत का भशत्ल कुछ इव प्रकाय का फतामा गमा शं

फक मफद कोई व्मत्रि त्जवको वबी तयश के जऩ, तऩ औय सनमभ वॊमभ के फाद बी मफद उवके गृशस्थ जीलन भं द्ु ख, वॊकट,

क्रे ळ आसथाक ऩये ळासन, ऩारयलारयक करश, वॊतानशीनता मा वॊतान के जन्भ के फाद बी मफद नाना प्रकाय के कद्श त्रलघ्नफाधाएॊ, योजगाय के वाथ वाॊवारयक जीलन वे ऩये ळासनमा खत्भ नशीॊ शो यशी शं , तो उव व्मत्रि के सरए प्रसत भाश भं ऩड़ेने लारे दोनो प्रदोऴ व्रत ऩय जऩ, दान, व्रत इत्माफद ऩूण्म कामा कयना ळुब परप्रद शोता शं ।

ज्मोसतऴ फक द्रत्रद्श वे जो व्मत्रि चॊद्रभा के कायण ऩीफडत शो उवे लऴा बय प्रदोऴ व्रतं ऩय चाशे लश फकवी बी लायको ऩडता शो उवे प्रदोऴ व्रत अलश्म कयना चाफशमे । फु ध लाय का प्रदोऴ व्रत अथा​ात फुध प्रदोऴ व्रत कयने वे व्मत्रि फक काभना सवि शोती शै । गुरु लाय के फदन ऩडने लारा प्रदोऴ व्रत त्रलळे ऴ कय वॊतान काभना शे तु मा वॊतान की भॊगर काभना शे तु यखना उत्तभ शोता

शं । वॊतानशीन दॊऩत्रत्तमं के सरए इव व्रत ऩय घयभं सभद्षान मा पर इत्माफद गाम को त्खराने वे ळीघ्र ळुब परकी प्रासद्ऱ शोसत शं । वॊतान फक काभना शे तु 16 प्रदोऴ व्रत कयने का त्रलधान शं , एलॊ वॊतान फाधा भं ळसन प्रदोऴ व्रत वफवे उत्तभ भनागमा शं । (1

अप्रै र ) फुधलाय का प्रदोऴ व्रत अथा​ात फुध प्रदोऴ व्रत कयने वे व्मत्रि फक काभना सवि शोती शै । (16 अप्रै र एलॊ 30 अप्रै र ) वॊतान फक काभना शे तु प्रदोऴ व्रत के फदन ऩसत-ऩत्नी दोनो प्रात् स्नान इत्माफद सनत्म कभा वे सनलृत शोकय सळल, ऩालाती औय गणे ळजी फक एक वाथभं आयाधना कय फकवी बी सळल भॊफदय भं जाकय सळलसरॊग ऩय जर सबऴे क , ऩीऩर के भूर भं जर चढ़ाकय वाये फदन सनजार यशने का त्रलधान शं । वूमा​ास्त के ऩद्ळात 2 घण्टे एलॊ 24 सभनट यात्रि के आने वे ऩूला का वभम प्रदोऴ कार कशराता शं । इव व्रत भं बगलान ळॊकय की ऩूजा की जाती शै । इव व्रत भं व्रती को सनजार यशकय

व्रत यखना शोता शै । प्रात: कार स्नान कयके बगलान सळल की फे र ऩि, गॊगाजर, अषत, धूऩ, दीऩ वफशत ऩूजा कयं । वॊध्मा कार भं ऩुन: स्नान कयके इवी प्रकाय वे सळल जी की ऩूजा कयना चाफशए। इव प्रकाय प्रदोऴ व्रत कयने वे व्रती को ऩुण्म सभरता शै ।

भदनद्रादळी (1 अप्रै र ) भदनद्रादळी

भदनद्रादळी व्रत चैि ळुक्र द्रादळी को फकमा जाता शै ।

उव फदन स्त्रान के जर भं गुड़े डार कय स्त्रान कयके । एक ले दीऩय चालरंवे बया शुआ करळ स्थात्रऩत कय औय करळ ऩय ताॉफेके

ऩािभं गुड़े औय वुलणाकी प्रसतभा यखकय उवका गन्ध, ऩुष्ऩ आफदवे त्रलसधलत ऩूजन कये । वाथ शी अने क प्रकायके पर, पु र औय नैलेद्य अऩाण कये तथा उनभं वे एक पर रे कय उवको प्रवाद स्लरुऩ ग्रशण कये । इव प्रकाय १३ भशीने कये तो उवको ऩुि वे वॊफॊसधत ळोक-वॊताऩ नशीॊ शोता ।

चैिी ऩूत्णाभा (4 अप्रैर) चै ि ी ऩू त् णा भ ा

चैि भावकी ऩूत्णाभाको त्रलष्णुरुऩ वत्मनायामाणका व्रत फकमा

जाता शं । ऩूत्णाभा व्रत शे तु चद्रोदमव्मात्रऩनी ऩूत्णाभा सतसथ री जाती शै । इवभे दे लऩूजन दान - ऩुण्म, तीथा- स्त्रान, दान-ऩुण्म, ऩुय ाण आफद का श्रलणाफद कयने वे ऩूणा पर सभरता शै ।


अप्रैर-2015

75

लैळाखस्नान (4 अप्रैर वे)

वॊ क द्शचतु थ ॉ (22 अप्रै र )

लै ळ ाखस्नान

लै ळ ाख ळु क् र चतु थ ॉ

वूमोदमवे ऩूला फकवी तीथास्थान नदी मा कुआॉ , फालरी, वयोलय

गणऩसत का ऩूजन फकमा जाता शं ।

चैि ळुक्र ऩूत्णाभावे प्रायॊ ब कय इक्कीव फदनं तक प्रात्कार मा अऩने घय ऩय शी ळुि जरवे स्त्रान कये औय सनत्म कभा वे सनलृत्त शोकय अऩने इद्श भन्ि का मथाळत्रि जऩ कयके एक फाय बोजन कयने का त्रलधान शं । इव प्रकाय वे मश व्रत इक्कीव फदनंतक सनत्म कयने वे अने क प्रकायके योग-ळोक-दोऴ इत्माफद दयू शोते शं । भनुष्म के ऩुण्म कभा भं लृत्रि शोती शै ।

शनु भ द्व्रत (4 अप्रै र ) शनु भ द्व्रत

लैळाख भाव की कृष्ण चतुथॉ को श्रीकृष्णत्रऩॊगाष

चत्ण्डका नलभी व्रत (13 अप्रै र एलॊ 27 अप्रै र) चत्ण्डका नलभी व्रत

मश व्रत लैळाख भाव की दोनं ऩषंभे नलभी सतसथ को

फकमा जाता शै । व्रती को प्रात्स्त्रान इत्माफद वे सनलृत्त शोकय रार लस्र धायण कय वुगत्न्धत ऩुष्ऩाफदवे चत्ण्डका दे लीका त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयके उऩलाव यखने वे वुख की प्रासद्ऱ शोती शं

मश शनुभद्व्रत शनुभानजी की जन्भसतसथ ऩय फकमा

जाता शै । फशन्द ू वॊस्कृ सत भं ऩॊचाॊग के आधाय वे व्रत-ऩला-

त्मौशायं का सनणाम फकमा जाता शै , इव आधाय ऩय श्री

शॊ वकु न्दे न्दव ु न्काळस्ते ज वा ध्रुलवॊसनब:। त्रलभानलयभारुढो दे लरोके भशीमते ॥

(सनणामाभृते बत्रलष्मोत्तये )

शनुभानजीकी जन्भसतसथ फकवी धभा ग्रॊथ भं चैि ळुक्र ऩूत्णाभा

अथा​ात : भनुष्म शॊ व, कुन्द औय चन्द्रभाके वभान गौयलणा एलॊ

औय फकवी भं कासताक कृष्ण चतुदाळी का लणान सभरता शै ।

ध्रुलके वभान ते जस्ली औय फदव्म स्लरुऩ धायणकय उत्तभ

प्राम् वबी दे ली-दे लता की जन्भसतसथ एक शी भानामा जाता शं , रे फकन श्री शनुभानजीकी जन्भ दो सतसथमं को भानामा जाता शं । त्रलसबन्न धासभाक ग्रॊथो भं शनुभानजी की दोनो जन्भ सतसथमं का लणान फकमा गमा शं , रे फकन उवके अथं भं सबन्नता शं । सतसथ की सबन्न ता कल्ऩबे द के कायण दो भानी जाती शं ।

फकवी धभा ग्रॊथ भं लत्णात शं की शनुभानजी

का जन्भ कासताक कृष्ण चतुदाळी, भॊगरलाय को स्लाती नषि एलॊ भे ऴ रग्न भं शुला था । अन्म धभा ग्रॊथ भं लत्णात शं की शनुभानजी का जन्भ चैि ळुक्र ऩूत्णाभा, भॊगरलाय को शुला था । मफश कायण शं की शनुभानजी के बिं द्राया इन दोनं सतसथमं को व्रत-उऩलाव इत्माफद फकमा जाता शं ।

वॊ क द्शचतु थ ॉ (8 अप्रै र ) वॊ क द्शचतु थ ॉ

लैळाख भाव की चतुथॉ को वॊकद्शी गणे ळ का ऩूजा कय

मा ाजी णं को ळॊख का दान कयना चाफशए। इवके प्रबाल वे भनुष्म वभस्त रोक भं कल्ऩं तक वुख प्राद्ऱ कयता शै ।

त्रलभानऩय त्रलयात्जत शो कय दे लरोकभं आदय ऩाता शै ।

ऩयळु य ाभ जमन्ती (20 अप्रै र ) ऩयळु य ाभ जमन्ती

धभा ग्रॊथं भं लत्णात शं की ऩयळुय ाभजीका जन्भ लैळाख ळुक्र तृतीमा सतसथ को यात्रिके प्रथभ प्रशयभं शुआ था, इव असरए प्रदोऴव्मात्रऩनी सतसथ ग्राह्य शोती शै । जानकाय त्रलद्रानं के

भतानुवाय मफद दो फदन प्रदोऴव्मात्रऩनी सतसथ शो तो दव ू या व्रत कयना चाफशमे ।

श्रीजानकी नलभी (27 अप्रै र ) श्रीजानकी नलभी

त्रलद्रानं के भतानुवाय लैळाख ळुक्र नलभीको दे ली बगलती जानकीका प्रादब ु ा​ाल शुआ था । इव सरए इव फदन व्रत यशकय उनका जन्भोत्वल तथा ऩूजन फकमा जता शं ।

***


अप्रैर-2015

76

लरुसथनी एकादळी 15 अप्रैर 2015

 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी कृ ष्णऩष की एकादळी 15 अप्रै र 2015

लरुसथनी एकादळी के व्रत वे भनुष्म को अन्न तथा कन्मादान

लैवाख : कृष्ण ऩष एकादळी व्रत

दानो प्रकाय के उत्तभ पर सभरता शै ।

अजुान फोरे - "शे बगलन ् ! लैळाख भाव के कृष्ण ऩष

मफद कोई भनुष्म रोब लळ शोकय कन्मा का धन रे रे ते

की एकादळी का क्मा नाभ शै ! तथा उवकी त्रलसध क्मा शै ! औय

शं मा आरस्म औय चोयी वे फकवी कन्मा के धन का शयण कयते

उवने कौन वे पर की प्राऩ ्सत शोती शै !, मश वफ कृऩा ऩूलाक

शं , ले जीलन के अन्त तक नयक बोगते यशते शं मा उनको अगरे

वत्रलस्ताय वे कफशए ।

जन्भ भं जानलय मोसन भं कद्श बोगना ऩड़ेता शै ।

बगलान श्रीकृष्ण फोरे - "शे अजुान ! लैळाख भाव के

जो भनुष्म वप्रे भ वे एलॊ मस वफशत कन्मादान कयते शं

कृष्ण ऩष की एकादळी का नाभ "लरुसथनी" शै । मश वौबाग्म

उनके ऩुण्म को सचिगुऩ ्त बी सरखने भं अवभथा शो जाते शं ।

नऴ ्ट शोते शं । मफद इव व्रत को द्ु खी वुशागीन स्त्री कयती शै तो

कन्मादान के वभान पर सभरता शै ।

उवे वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शै । लरुसथनी के प्रबाल वे शी याजा

त्रलद्रानं के भतानुवाय लरुसथनी एकादळी का व्रत कयने

भाॊधाता को स्लगा प्राऩ ्त शुआ था । इवी प्रकाय धुध ॊ भ ु ाय आफद

लारे को दळभी के फदन वे सनम्नसरत्खत लस्तुओॊ का त्माग कय

प्रदान कयने लारी शै । इवका व्रत कयने वे भनुष्म के वबी ऩाऩ

को बी स्लगा की प्रासद्ऱ शुआ था।

“ लरुसथनी एकादळी के

व्रत का पर दव वशस्त्र लऴा

जो भनुष्म इव लरुसथनी एकादळी का व्रत कयते शं , उनको

दे ना चाफशए – 1. काॊवे के फतान भं बोजन कयना,

तऩस्मा कयने के पर के फयाफय शै ।”

2. भाॊव,

दान कयने वे प्राद्ऱ शोता शै , लशी पर फरुसथनी एकादळी का व्रत

4. ळाक,

कुरुषे ि भं वूमा ग्रशण के वभम जो पर एक फाय स्लणा

कयने वे प्राद्ऱ शोता शै । इव व्रत वे भनुष्म इव रोक औय ऩयरोक दोनं भं वुख को प्राद्ऱ कयता शं ल अन्त भं स्लगा को प्राऩ ्त कयते शं ।" "शे याजन ् ! इव एकादळी का व्रत कयने वे भनुष्म को

इव रोक भं वुख औय ऩयरोक भं भुक् सत की प्रासद्ऱ शोती शै ।

ळास्त्रं भं लत्णात शं फक घोड़े​े के दान वे शाथी का दान उत्तभ शै औय शाथी के दान वे बूसभ का दान उत्तभ शै , उववे उत्तभ सतर का दान शै । सतर वे उत्तभ शै वोने का दान औय वोने के दान वे अन्नदान उत्तभ शै । वॊवाय भं अन्नदान के फयाफय औय कोई दान नशीॊ शै । अन्नदान दान वे त्रऩतृ, दे लता, भनुष्म आफद वफ तृऩ ्त शोते शं । ळास्त्रं भं कन्मादान को अन्नदान के फयाफय भाना गमा शै ।

3. चना ल भवूय की दार, 5. भधु (ळशद), 6. दव ू यी फाय का बोजन का त्माग कयं ।

7. ते र तथा अन्न बषण बी लत्जात भाना गमा शै । एकादळी व्रत शे तु ऩूणा मा जी चमा का ऩारन कयना चाफशए । यात्रिळमन न कयके वाया वभम ळास्त्र सचॊतन औय बजनकीतान आफद भं रगाना चाफशए । दव ू यं की सनॊदा तथा दऴ ु ्ट औय

ऩाऩी रोगं की वॊगत बी नशीॊ कयनी चाफशए । क्रोध कयना मा अवत्म फोरना बी लत्जात शै । शे याजन ् ! जो भनुष्म एकादळी का त्रलसधऩूलाक व्रत कयते शं , उनको स्लगा रोक की प्राऩ ्सत शोती शै । इव व्रत के

भाशात्म्म को श्रलण कयने मा ऩढ़ने वे एक वशस्त्र गौदान का पर प्राऩ ्त शोता शै । इवका पर गॊगा स्नान कयने के पर वे बी असधक भाना गमा शै ।


अप्रैर-2015

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भोफशनी एकादळी 29 अप्रैर 2015

 स्लत्स्तक.ऎन.जोळी भोफशनी एकादळी 29 अप्रै र 2015

भनुष्म के वभस्त ऩाऩ नऴ ्ट शो जाते शं । अफ आऩ इवकी कथा

लैळाख ळुक्र एकादळी व्रत

को ध्मानऩूलाक वुसनए –

लैळाख ळुक्र एकादळीको भोफशनी एकादळी कशा जाता

वयस्लती नदी के फकनाये बद्रालती नाभ की एक नगयी

शं । त्रलद्रानं के भतानुळाय भोफशनी एकादळी के व्रत वे भनुष्म के

शै । उव नगयी भं द्युसतभान नाभ याजा याज्म कयता था । उवी

भोश-भामा एलॊ ऩाऩ कभा दयू शोते शं । धभा ळास्त्रं भं लत्णात शं की

नगयी भं एक लैश्म यशता था, जो धन-धान्म वे ऩूणा था । उवका

श्री याभजी ने वीताजीकी खोज कयते वभम इव व्रतको फकमा

नाभ धनऩार था । लश अत्मन्त धभा​ात्भा तथा त्रलष्णुबक् त था

था एलॊ श्रीकृष्णके कशने वे मुसधत्रद्षय ने बी फकमा था। इव

। उवने नगय भं अने क कुआॊ, ताराफ, बोजनळारा, धभाळारा

करमुग भं इव व्रतका फड़ेा भशत्ल भाना जाता शं । इव व्रत के

आफद फनलामे , वड़ेकं फकनाये ऩसथकं को वुख के सरए अने क

भृत्मु उऩयाॊत स्लगा रोक की प्रासद्ऱ शोती शं ।

ऩुि थे त्जनभं वे वफवे फड़ेा ऩुि अत्मन्त ऩाऩी ल दऴ ु ्ट था । लश

प्रबाल वे भनुष्म के खोमे शुले वुख-ळाधनं की ऩुन् प्रासद्ऱ शो कय

अजुान फोरे - "शे बगलन ् ! लैळाख भाव की ळुक्रऩष की एकादळी का क्मा नाभ शै ! तथा उवकी त्रलसध क्मा शै ! औय

आभ, जाभुन, नीभ आफद के लृष रगलामे । उव लैश् म के ऩाॊच ले श्माओॊ औय दऴ ु ्टं की वॊगसत कयता था औय मफद वभम

फचता था, उवे लश जुआ खेरने भं व्मतीत कयता था । लश फड़ेा

उवने कौन वे पर की प्राऩ ्सत शोती शै ! मश वफ कृऩा ऩूलाक

शी नीच था औय दे लता, त्रऩतृ आफद फकवी को बी नशीॊ भानता था

वत्रलस्ताय वे कफशए ।

। अऩने त्रऩता का असधकाॊळ धन लश फुये व्मवनं भं शी व्मम

बगलान ् श्री कृष्ण फोरे - "शे अजुान ! भं एक तुम्शं

फकमा कयता था । भद्यऩान तथा भाॊव का बषण कयना उवका

ऩुयातन कथा कशता शूॊ, त्जवको भशत्रऴा लसळऴ ्ठजी ने

सनत्म का कभा था । जफ कापी वभझाने - फुझाने ऩय बी लश

वभम की फात शै , श्रीयाभचन्द्रजी भशत्रऴा लसळऴ ्ठ वे फोरे - शे

तथा कुटु त्म्फमं ने उवे घय वे सनकार फदमा औय उवकी सनन्दा

श्रीयाभचन्द्रजी वे कशीॊ थी । तुभ इवे ध्मानऩूलाक वुनो, एक

वीधे यास्ते ऩय नशीॊ आमा तो द्ु खी शोकय उवके त्रऩता, बाइमं

गुरुदे ल! भंने वीताजी के त्रलमोग भं फशुत द्ु ख बोगे शं । अत्

कयने रगे ।

फताएॊ, त्जववे भे ये वभस्त ऩाऩ औय द्ु ख का नाव शो जामं ।

लस्त्रं को फे च-फे चकय अऩना गुजाया फकमा। धन नऴ ्ट शो जाने

फकमा शै । आऩके नाभ के स्भयण भाि वे शी भनुष्म ऩत्रलि शो

फदमा । जफ लश बूख-प्माव वे द्ु खी शो गमा तो उवने चोयी

भे ये द्ु खं का नाळ फकव प्रकाय शोगा ? आऩ भुझे कोई ऐवा व्रत

घय वे सनकरने के फाद उवने अऩने आबूऴणं तथा

भशत्रऴा लसळऴ ्ठजी फोरे - ’शे याभ ! आऩने फशुत उत्तभ प्रळ ्न

ऩय ले श्माओॊ तथा उवके दऴ ु ्ट वासथमं ने बी उवका वाथ छोड़े

जाता शै । आऩने रोकफशत भं मश फड़ेा शी उत्तभ प्रळ ्न फकमा शै ।

कयने का त्रलचाय फकमा औय यातं भं चोयी कय-कयके अऩना ऩे ट

भं आऩको भोफशनी एकादळी व्रत का भशत्त्ल वुनाता शूॊ - लैळाख भाव के ळुक्र ऩष की एकादळी का नाभ भोफशनी शै । इव एकादळी का व्रत कयने वे भनुष्म के वभस्त ऩाऩ तथा द्ु ख-

ऩारने रगा । एक फदन लश ऩकड़ेा गमा, ऩयन्तु सवऩाफशमं ने

लैश्म का ऩुि जानकय छोड़े फदमा । लश दव ू यी फाय फपय ऩकड़ेा गमा, तफ सवऩाफशमं ने बी उवका कोई सरशाज नशीॊ फकमा औय

वॊताऩ नऴ ्ट शो जाते शं । इव व्रत के प्रबाल वे भनुष्म भोश के

याजा के वाभने प्रस्तुत कयके उवे वायी फात फताई । तफ याजा

जार वे छूट जाता शै ।

ने उवे कायागाय भं डरला फदमा । कायागाय भं याजा के आदे ळ वे

अत् शे याभ ! द्ु ख-वॊताऩ वे ऩीफड़ेत भनुष्म को इव

एकादळी का व्रत अलश्म शी कयना चाफशए । इव व्रत के कयने वे

उवे फशुत द्ु ख फदमे गमे औय अन्त भं उवे नगय छोड़ेने को कशा गमा ।


अप्रैर-2015

78

लश द्ु खी शोकय नगयी को छोड़े गमा औय जॊगर भं

तफ ऋत्रऴ फोरे - "तू ध्नान दे कय वुन - लैळाख भाव के

ऩळु- ऩत्षमं को भाय कय ऩे ट बयने रगा । फपय फशे सरमा फन

ळुक्र ऩष की एकादळी का व्रत कय । इव एकादळी का नाभ

गमा औय धनुऴ-फाण वे ऩळुओॊ- ऩत्षमं को भाय-भाय कय खाने

भोफशनी शै । इवके कयने वे ते ये वभस्त ऩाऩ नऴ ्ट शो जामं गे ।"

एक फदन लश बूख औय प्माव वे व्माकुर शोकय बोजन

फतराई शुई त्रलसध के अनुवाय उवने भोफशनी एकादळी का व्रत

औय फे चने रगा ।

की खोज भं सनकर ऩड़ेा औय कोफटन्म ऋत्रऴ के आश्रभ ऩय जा ऩशुॊचा । इव वभम लैवाख का भशीना था । कौफटन्म ऋत्रऴ गॊगा

भुसन के लचनं को वुनकय लश फशुत प्रवन्न शुआ औय भुसन की फकमा ।

"शे याभजी ! उव व्रत के प्रबाल वे उवके वभस्त ऩाऩ

स्नान कयके आमे थे । उनके बीगे लस्त्रं के छीॊटे भाि वे इव

नऴ ्ट शो गमे औय अन्त भं लश गरुड़े ऩय त्रलयात्जत शोकय त्रलष्णु

ऩाऩी को कुछ वुफुत्रि की प्राऩ ्सत शुई ।

रोक को गमा । इव व्रत वे भोश आफद बी नऴ ्ट शो जाते शं ।

लश ऩाऩी, भुसन के ऩाव जाकय शाथ जोड़ेकय कशने रगा

वॊवाय भं इव व्रत वे अन्म श्रेऴ ्ठ कोई व्रत नशीॊ शै । इवके

- "शे भुसन ! भंने अऩने जीलन भं फशुत ऩाऩ फकमे शं , आऩ उन

भाशात्म्म के श्रलण ल ऩठन वे जो ऩुण्म शोता शै , लश ऩुण्म एक

ऩाऩं वे छूटने का कोई वाधायण औय त्रफना धन का उऩाम

वशस्त्र गौदान के ऩुण्म के फयाफय शै ।

फतराइमे ।"

*** अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलच

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच ल उल्रेत्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोि त्रलसधत्रलधान वे त्रलद्रान मा ाजी णो द्राया वला राख भशाभृत् मुॊ ज म भॊ ि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभात कलच अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं ।

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच कलच फनलाने शे तु: अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच

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अप्रैर-2015

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अप्रैर-2015

80

वला कामा सवत्रि कलच त्जव व्मत्रि को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उवे भनोलाॊसछत वपरतामे एलॊ

फकमे गमे कामा भं सवत्रि (राब) धायण कयना चाफशमे।

प्राद्ऱ नशीॊ शोती, उव व्मत्रि को वला कामा सवत्रि कलच अलश्म

कलच के प्रभु ख राब: वला कामा सवत्रि कलच के द्राया वुख वभृत्रि औय नल ग्रशं के

नकायात्भक प्रबाल को ळाॊत कय धायण कयता व्मत्रि के जीलन वे वला प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र का

नाळ शो कय वुख-वौबाग्म एलॊ उन्नसत प्रासद्ऱ शोकय जीलन भे वसब प्रकाय के ळुब कामा सवि शोते शं । त्जवे धायण कयने वे व्मत्रि मफद व्मलवाम कयता शोतो कायोफाय भे लृत्रि शोसत शं औय मफद नौकयी कयता शोतो उवभे उन्नसत शोती शं ।

 वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं वला ज न लळीकयण कलच के सभरे शोने की लजश वे धायण कता​ा की फात का दव ू ये व्मत्रिओ ऩय प्रबाल फना यशता शं ।

 वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं अद्श रक्ष्भी कलच के सभरे शोने की लजश वे व्मत्रि ऩय वदा भाॊ भशा रक्ष्भी की कृऩा एलॊ आळीला​ाद फना यशता शं । त्जस्वे भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-वॊतान रक्ष्भी, (६)त्रलजम रक्ष्भी, (७)-त्रलद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का अळीला​ाद प्राद्ऱ शोता शं ।  वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं तॊ ि यषा कलच के सभरे शोने की लजश वे ताॊत्रिक फाधाए दयू शोती शं , वाथ शी नकायात्भक ळत्रिमो का कोइ कुप्रबाल धायण कता​ा व्मत्रि ऩय नशीॊ शोता। इव कलच के प्रबाल वे इऴा​ा-द्रे ऴ यखने लारे व्मत्रिओ द्राया शोने लारे दद्श ु प्रबालो वे यषा शोती शं ।

 वला कामा सवत्रि कलच के वाथ भं ळिु त्रलजम कलच के सभरे शोने की लजश वे ळिु वे वॊफॊसधत वभस्त ऩये ळासनओ वे स्लत् शी छुटकाया सभर जाता शं । कलच के प्रबाल वे ळिु धायण कता​ा व्मत्रि का चाशकय कुछ नशी त्रफगाड़े वकते।

अन्म कलच के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामा​ारम भं वॊऩका कये : फकवी व्मत्रि त्रलळे ऴ को वला कामा सवत्रि कलच दे ने नशी दे ना का अॊसतभ सनणाम शभाये ऩाव वुय त्षत शं ।

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81

अप्रैर-2015

भॊि सवि ऩायद प्रसतभा ऩायद श्री मॊि

21 Gram वे 5.250 Kg तक

ऩायद रक्ष्भी गणे ळ

100 Gram

ऩायद रक्ष्भी नायामण

ऩायद रक्ष्भी नायामण

121 Gram

100 Gram

उऩरब्ध ऩायद सळलसरॊग

ऩायद सळलसरॊग+नॊफद

21 Gram वे 5.250 Kg तक

101 Gram वे 5.250 Kg

उऩरब्ध

तक उऩरब्ध

ऩायद दग ु ा​ा

82 Gram ऩायद शनुभान 2

100 Gram

ऩायद सळलजी

ऩायद कारी

75 Gram

37 Gram

ऩायद दग ु ा​ा

ऩायद वयस्लती

ऩायद वयस्लती

100 Gram ऩायद शनुभान 3

50 Gram ऩायद शनुभान 1

225 Gram ऩायद कुफे य

125 Gram

100 Gram

100 Gram

शभायं मशाॊ वबी प्रकाय की भॊि सवि ऩायद प्रसतभाएॊ, सळलसरॊग, त्रऩयासभड, भारा एलॊ गुफटका ळुि ऩायद भं उऩरब्ध शं । त्रफना भॊि सवि की शुई ऩायद प्रसतभाएॊ थोक व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध शं ।

ज्मोसतऴ, यत्न व्मलवाम, ऩूजा-ऩाठ इत्माफद षे ि वे जुडे़ फॊध/ु फशन के सरमे शभायं त्रलळे ऴ मॊि, कलच, यत्न, रुद्राष ल अन्म दर ु ब वाभग्रीमं ऩय त्रलळे ऴ वुत्रफधाएॊ उऩरब्ध शं । असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।


अप्रैर-2015

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अप्रैर-2015

83

शभाये त्रलळेऴ मॊि

व्माऩाय लृत्र ि मॊ ि : शभाये अनुबलं के अनुवाय मश मॊि व्माऩाय लृत्रि एलॊ ऩरयलाय भं वुख वभृत्रि शे तु त्रलळे ऴ प्रबालळारी शं । बू स भराब मॊ ि : बूसभ, बलन, खेती वे वॊफॊसधत व्मलवाम वे जुड़े​े रोगं के सरए बूसभराब मॊि त्रलळे ऴ राबकायी सवि शुला शं ।

तॊ ि यषा मॊ ि : फकवी ळिु द्राया फकमे गमे भॊि-तॊि आफद के प्रबाल को दयू कयने एलॊ बूत , प्रे त नज़य आफद फुयी ळत्रिमं वे यषा शे तु त्रलळे ऴ प्रबालळारी शं ।

आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊ ि : अऩने नाभ के अनुवाय शी भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ शे तु परप्रद शं इव मॊि के

ऩूजन वे वाधक को अप्रत्मासळत धन राब प्राद्ऱ शोता शं । चाशे लश धन राब व्मलवाम वे शो, नौकयी वे शो, धन-वॊऩत्रत्त इत्माफद फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्राद्ऱ शो वकता शं । शभाये लऴं के अनुवॊधान एलॊ अनुबलं वे शभने आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि वे ळे मय ट्रे फडॊ ग, वोने -चाॊदी के व्माऩाय इत्माफद वॊफॊसधत षे ि वे जुडे रोगो को त्रलळे ऴ रुऩ वे आकत्स्भक धन राब प्राद्ऱ शोते दे खा शं । आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि वे त्रलसबन्न स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शं ।

ऩदौन्नसत मॊ ि : ऩदौन्नसत मॊि नौकयी ऩैवा रोगो के सरए राबप्रद शं । त्जन रोगं को अत्मासधक ऩरयश्रभ एलॊ श्रेद्ष कामा कयने ऩय बी नौकयी भं उन्नसत अथा​ात प्रभोळन नशीॊ सभर यशा शो उनके सरए मश त्रलळे ऴ राबप्रद शो वकता शं ।

यत्ने द्वयी मॊ ि : यत्ने द्वयी मॊि शीये -जलाशयात, यत्न ऩत्थय, वोना-चाॊदी, ज्लैरयी वे वॊफॊसधत व्मलवाम वे जुडे रोगं के सरए

असधक प्रबाली शं । ळे य फाजाय भं वोने -चाॊदी जैवी फशुभूल्म धातुओॊ भं सनले ळ कयने लारे रोगं के सरए बी त्रलळे ऴ राबदाम शं ।

बू स भ प्रासद्ऱ मॊ ि : जो रोग खेती, व्मलवाम मा सनलाव स्थान शे तु उत्तभ बूसभ आफद प्राद्ऱ कयना चाशते शं , रे फकन उव

कामा भं कोई ना कोई अड़ेचन मा फाधा-त्रलघ्न आते यशते शो त्जव कायण कामा ऩूणा नशीॊ शो यशा शो, तो उनके सरए बूसभ प्रासद्ऱ मॊि उत्तभ परप्रद शो वकता शं ।

गृश प्रासद्ऱ मॊ ि : जो रोग स्लमॊ का घय, दक ु ान, ओफपव, पैक्टयी आफद के सरए बलन प्राद्ऱ कयना चाशते शं । मथाथा प्रमावो के उऩयाॊत बी उनकी असबराऴा ऩूणा नशीॊ शो ऩायशी शो उनके सरए गृश प्रासद्ऱ मॊि त्रलळे ऴ उऩमोगी सवि शो वकता शं ।

कै राव धन यषा मॊ ि : कैराव धन यषा मॊि धन लृत्रि एलॊ वुख वभृत्रि शे तु त्रलळे ऴ परदाम शं । आसथाक राब एलॊ वुख वभृत्रि शे तु 19 दर ु ाब रक्ष्भी मॊि

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त्रलसबन्न रक्ष्भी मॊि श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भशारक्ष्भमै फीज मॊि

कनक धाया मॊि

श्री मॊि (भॊि यफशत)

भशारक्ष्भी फीवा मॊि

लैबल रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वफशत)

रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि

श्री श्री मॊि

श्री मॊि (फीवा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीवा मॊि

अॊकात्भक फीवा मॊि

श्री मॊि श्री वूि मॊि

रक्ष्भी फीवा मॊि

ज्मे द्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम)

रक्ष्भी गणे ळ मॊि

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(भशान सवत्रि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि)

(रसरता भशात्रिऩुय वु न्दमै श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि)

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अप्रैर-2015

वलासवत्रिदामक भुफद्रका इव भुफद्रका भं भूॊगे को ळुब भुशूता भं त्रिधातु (वुलणा+यजत+ताॊफं) भं जड़ेला कय उवे ळास्त्रोि त्रलसधत्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया वलासवत्रिदामक फनाने शे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि फकमा जाता शं । इव भुफद्रका को फकवी बी लगा के व्मत्रि शाथ की फकवी बी उॊ गरी भं धायण कय वकते शं । मशॊ भुफद्रका कबी फकवी बी त्स्थती भं अऩत्रलि नशीॊ शोती। इव सरए कबी भुफद्रका को उतायने की

आलश्मिा नशीॊ शं । इवे धायण कयने वे व्मत्रि की वभस्माओॊ का वभाधान शोने रगता शं । धायणकता​ा

को जीलन भं वपरता प्रासद्ऱ एलॊ उन्नसत के नमे भागा प्रवस्त शोते यशते शं औय जीलन भं वबी प्रकाय की सवत्रिमाॊ बी ळीध्र प्राद्ऱ शोती शं ।

भू ल् म भाि- 6400/- >> Shop Online | Order Now

(नोट: इव भुफद्रका को धायण कयने वे भॊगर ग्रश का कोई फुय ा प्रबाल वाधक ऩय नशीॊ शोता शं ।)

वला सवत्रिदामक भु फ द्रका के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयं ।

ऩसत-ऩत्नी भं करश सनलायण शे तु मफद ऩरयलायं भं वुख-वुत्रलधा के वभस्त वाधान शोते शुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी के त्रफच भे करश शोता यशता शं , तो घय के त्जतने वदस्म शो उन वफके नाभ वे गुरुत्ल कामा​ारत द्राया ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत

ऩूणा चैतन्म मुि लळीकयण कलच एलॊ गृश करश नाळक फडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं त्रफना फकवी ऩूजा, त्रलसध-

त्रलधान वे आऩ त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ भॊि सवि ऩसत लळीकयण मा ऩत्नी लळीकयण एलॊ गृश करश नाळक फडब्फी फनलाना चाशते शं , तो वॊऩका आऩ कय वकते शं ।

100 वे असधक जैन मॊि शभाये मशाॊ जैन धभा के वबी प्रभुख, दर ा एलॊ ळीघ्र प्रबालळारी मॊि ताम्र ऩि, ु ब सवरलय (चाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे उऩरब्ध शं ।

शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, सवरलय (चाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै । इवके

अराला आऩकी आलश्मकता अनुवाय आऩके द्राया प्राद्ऱ (सचि, मॊि, फड़ेज़ाईन) के अनुरुऩ मॊि बी फनलाए जाते शै . गुरुत्ल कामा​ारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे वबी मॊि अखॊफडत एलॊ 22 गेज ळुि कोऩय(ताम्र

ऩि)- 99.99 टच ळुि सवरलय (चाॊदी) एलॊ 22 केये ट गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै । मॊि के त्रलऴम भे असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयं ।

GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com


अप्रैर-2015

85

द्रादळ भशा मॊि मॊि को असत प्रासचन एलॊ दर ु ाब मॊिो के वॊकरन वे शभाये लऴो के अनुवॊधान द्राया फनामा गमा शं ।

 ऩयभ दर ु ाब लळीकयण मॊि,

 वशस्त्राषी रक्ष्भी आफि मॊि

 भनोलाॊसछत कामा सवत्रि मॊि

 ऩूणा ऩौरुऴ प्रासद्ऱ काभदे ल मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 याज्म फाधा सनलृत्रत्त मॊि  गृशस्थ वुख मॊि

 ळीघ्र त्रललाश वॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि  योग सनलृत्रत्त मॊि

 वाधना सवत्रि मॊि  ळिु दभन मॊि

उऩयोि वबी मॊिो को द्रादळ भशा मॊि के रुऩ भं ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवि ऩू ण ा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ चै तन्म मुि फकमे जाते शं । त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩू जा अचानात्रलसध त्रलधान त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं ।

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 क्मा आऩके फच्चे कुवॊ गती के सळकाय शं ?  क्मा आऩके फच्चे आऩका कशना नशीॊ भान यशे शं ?  क्मा आऩके फच्चे घय भं अळाॊसत ऩैदा कय यशे शं ? घय ऩरयलाय भं ळाॊसत एलॊ फच्चे को कुवॊ गती वे छुडाने शे तु फच्चे के नाभ वे गुरुत्ल कामा​ारत द्राया ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे भॊ ि सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मु ि लळीकयण कलच एलॊ एव.एन.फडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रलसध-त्रलधान वे आऩ

त्रलळे ऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ तो आऩ भॊ ि सवि लळीकयण कलच एलॊ एव.एन.फडब्फी फनलाना चाशते शं , तो वॊ ऩका इव कय वकते शं ।

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,

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अप्रैर-2015

86

अप्रैर 2015 भासवक ऩॊचाॊ ग फद

लाय

भाश

ऩष

1

फुध

चै ि

ळुक्र

गुरु

चै ि

ळुक्र ळसन

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

14

सतसथ

चॊ द्र

वभासद्ऱ

नषि

वभासद्ऱ

मोग

वभासद्ऱ

कयण

वभासद्ऱ

द्रादळी

10:09:05

भघा

14:46:35

ळूर

13:39:05

फारल

10:09:05

सवॊश

-

ळुक्र

िमोदळी

12:47:18

ऩूला​ापाल्गुनी

17:52:00

गॊड

14:39:48

तैसतर

12:47:18

सवॊश

24:38:00

चै ि

ळुक्र

चतुदाळी

15:18:02

उत्तयापाल्गुनी 20:50:51

लृत्रि

15:35:51

लत्णज

15:18:02

कन्मा

-

चै ि

ळुक्र

ऩूत्णाभा

17:35:39

शस्त

23:35:39

ध्रु ल

16:21:35

फल

17:35:39

कन्मा

-

लैळाख कृ ष्ण

एकभ

19:34:30

सचिा

26:01:42

व्माघात

16:55:08

फारल

06:37:19

कन्मा

12:51:00

वोभ लैळाख कृ ष्ण

फद्रतीमा

21:10:52

स्लाती

28:04:19

शऴाण

17:09:56

तैसतर

08:25:52

तुरा

-

भॊगर लैळाख कृ ष्ण

तृतीमा

22:20:04

त्रलळाखा

29:42:34

लज्र

17:05:04

लत्णज

09:49:07

तुरा

23:21:00

यत्रल

यासळ

वभासद्ऱ

फुध

लैळाख कृ ष्ण

चतुथ ॉ

23:02:04

अनुयाधा

30:51:45

सवत्रि

16:39:34

फल

10:45:11

लृत्द्ळक

-

गुरु

लैळाख कृ ष्ण

ऩॊचभी

23:12:12

अनुयाधा

06:51:35

व्मसतऩात

15:50:38

कौरल

11:11:16

लृत्द्ळक

-

ळुक्र

लैळाख कृ ष्ण

ऴद्षी

22:50:28

जे द्षा

07:29:51

लरयमान

14:35:28

गय

11:05:28

लृत्द्ळक 07:30:00

ळसन लैळाख कृ ष्ण

वद्ऱभी

21:55:00

भूर

07:36:15

ऩरयग्रश

12:55:00

त्रलत्रद्श

10:25:56

धनु

-

यत्रल

लैळाख कृ ष्ण

अद्शभी

20:26:43

ऩूला​ाऴाढ़

07:10:47

सळल

10:49:13

फारल

09:14:32

धनु

12:59:00

वोभ लैळाख कृ ष्ण

नलभी

18:28:27

उत्तयाऴाढ़

06:12:31

सवि

08:17:12

तैसतर

07:32:12

भकय

-

भॊगर लैळाख कृ ष्ण

दळभी

16:03:00

धसनद्षा

26:54:34

ळुब

26:05:49

त्रलत्रद्श

16:03:00

भकय

15:54:00


अप्रैर-2015

87

15

16

17

18

19

20

21

22

23

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25

26

27

28

29

30

फुध

लैळाख कृ ष्ण

गुरु

लैळाख कृ ष्ण

ळुक्र

लैळाख कृ ष्ण

एकादळी द्रादळी-

िमोदळी िमोदळी चतुदाळी

13:15:04

ळतसबऴा

24:44:07

ळुक्र

22:32:52

फारल

13:15:04

कुॊब

-

10:08:23

ऩूला​ाबाद्रऩद

22:18:42

मा जी

18:48:42

तैसतर

10:08:23

कुॊब

16:56:00

06:53:16

उत्तयाबाद्रऩद

19:48:35

इन्द्र

14:59:50

लत्णज

06:53:16

भीन

-

ये लसत

17:22:14

लैधृसत

11:11:56

चतुष्ऩाद 14:00:41

भीन

17:23:00

त्रलऴकुॊब

07:32:28

फकस्तुघ्न 10:57:47

भेऴ

-

ळसन लैळाख कृ ष्ण अभालस्मा 24:27:52 यत्रल

लैळाख ळुक्र

एकभ

21:32:28

अत्द्वनी

15:09:58

वोभ लैळाख ळुक्र

फद्रतीमा

19:02:24

बयणी

13:17:24

भॊगर लैळाख ळुक्र

तृतीमा

17:07:01

कृ सतका

आमुष्भान 25:06:09

फारल

08:14:35

भेऴ

18:54:00

11:56:42

वौबाग्म

22:34:12

तैसतर

05:59:31

लृऴ

-

फुध

लैळाख ळुक्र

चतुथ ॉ

15:49:09

योफशत्ण

11:14:28

ळोबन

20:36:02

त्रलत्रद्श

15:49:09

लृऴ

23:10:00

गुरु

लैळाख ळुक्र

ऩॊचभी

15:18:11

भृगसळया

11:16:18

असतगॊड

19:13:30

फारल

15:18:11

सभथु न

-

ळुक्र

लैळाख ळुक्र

ऴद्षी

15:35:58

आद्रा

12:05:58

वुकभा​ा

18:28:28

तैसतर

15:35:58

सभथु न

-

ळसन लैळाख ळुक्र

वद्ऱभी

16:38:46

ऩुनलावु

13:39:42

धृसत

18:20:01

लत्णज

16:38:46

सभथु न 07:12:00

यत्रल

लैळाख ळुक्र

अद्शभी

18:21:54

ऩुष्म

15:53:46

ळूर

18:41:35

फल

18:21:54

कका

-

वोभ लैळाख ळुक्र

नलभी

20:35:58

आद्ऴे ऴा

18:37:51

गॊड

19:26:36

फारल

07:25:39

कका

18:38:00

भॊगर लैळाख ळुक्र

दळभी

23:06:56

भघा

21:39:45

लृत्रि

20:25:41

तैसतर

09:50:04

सवॊश

-

24:47:18

ध्रु ल

21:30:25

लत्णज

12:24:48

सवॊश

-

व्माघात

22:28:36

फल

14:58:36

सवॊश

-

फुध

लैळाख ळुक्र

एकादळी

25:41:40

ऩूला​ापाल्गुनी

गुरु

लैळाख ळुक्र

द्रादळी

28:08:55

उत्तयापाल्गुनी 27:46:25


अप्रैर-2015

88

अप्रैर 2015 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय फद

लाय

भाश

ऩष

सतसथ

वभासद्ऱ

1

फुध

चै ि

ळुक्र

द्रादळी

10:09:05

भदन द्रादळी, प्रदोऴ व्रत, शरय दभनोत्वल, लाभन द्रादळी

2

गुरु

चै ि

ळुक्र

िमोदळी

12:47:18

श्री भशालीय जमन्ती (जै न), अनॊग िमोदळी व्रत, दभनक चतुदाळी

3

ळुक्र

चै ि

ळुक्र

चतुदाळी

15:18:02

-

प्रभु ख व्रत-त्मोशाय

स्नान-दान-व्रत इत्माफद शे तु उत्तभ चै िी ऩूत्णाभा, चाॊ डक ऩूजा (ऩ.फॊ), 4

ळसन

चै ि

ळुक्र

ऩूत्णाभा

17:35:39

अन्लाधान, भन्लाफद, वलादेल दभनकोत्वल, श्री शनुभान जमॊती इत्रद्श, ग्रस्तोदम खग्राव

चन्द्रग्रशण, लैळाख

भावीम व्रत-मभ-सनमभाफद

प्रायम्ब, 5

यत्रल

लैळाख

कृ ष्ण

एकभ

19:34:30

लैळाख कृ ष्ण ऩषायम्ब,

6

वोभ

लैळाख

कृ ष्ण

फद्रतीमा

21:10:52

आळा फद्रतीमा

7

भॊगर

लैळाख

कृ ष्ण

तृतीमा

22:20:04

-

8

फुध

लैळाख

कृ ष्ण

चतुथ ॉ

23:02:04

9

गुरु

लैळाख

कृ ष्ण

ऩॊचभी

23:12:12

-

10

ळुक्र

लैळाख

कृ ष्ण

ऴद्षी

22:50:28

-

11

ळसन

लैळाख

कृ ष्ण

वद्ऱभी

21:55:00

श्री ळीतरावद्ऱभी व्रत,, काराद्शभी, बानु वद्ऱभी

12

यत्रल

लैळाख

कृ ष्ण

अद्शभी

20:26:43

श्री ळीतराद्शभी व्रत, अद्शका, काराद्शभी

13

वोभ

लैळाख

कृ ष्ण

नलभी

18:28:27

चत्ण्डका नलभी व्रत

वॊकद्शी श्री गणेळ चतुथॉ व्रत, (चन्द्रोदम.या.9.44), वती अनवुइमा जमन्ती, सविमोग वॊकद्श चतुथॉ

वूम ा अत्द्वनी नषि भं एलॊ वूम ा की भेऴ वॊक्रात्न्त दोऩशय 01:01 फजे , 14

भॊगर

लैळाख

कृ ष्ण

दळभी

वॊक्रात्न्त का वाभान्म ऩुण्मकार प्रात् 06.37 फजे वे वूमा​ास्त तक , 16:03:00

त्रलळेऴ ऩुण्मकार वुफश 09.01 फजे वे वाॊ म 05.01 फजे तक, भीन भाव (खयभाव) वभाद्ऱ, डॉ.बीभयाल अम्फेडकय जमन्ती,


अप्रैर-2015

89

15

फुध

लैळाख

कृ ष्ण

16

गुरु

लैळाख

कृ ष्ण

ळुक्र

लैळाख

कृ ष्ण

ळसन

लैळाख

कृ ष्ण

अभालस्मा

24:27:52

19

यत्रल

लैळाख

ळुक्र

एकभ

21:32:28

20

वोभ

लैळाख

ळुक्र

फद्रतीमा

19:02:24

भॊगर

लैळाख

ळुक्र

तृतीमा

17:07:01

22

फुध

लैळाख

ळुक्र

चतुथ ॉ

15:49:09

23

गुरु

लैळाख

ळुक्र

ऩॊचभी

15:18:11

24

ळुक्र

लैळाख

ळुक्र

ऴद्षी

15:35:58

25

ळसन

लैळाख

ळुक्र

वद्ऱभी

16:38:46

26

यत्रल

लैळाख

ळुक्र

अद्शभी

18:21:54

27

वोभ

लैळाख

ळुक्र

नलभी

20:35:58

28

भॊगर

लैळाख

ळुक्र

दळभी

23:06:56

-

29

फुध

लैळाख

ळुक्र

एकादळी

25:41:40

भोफशनी एकादळी व्रत,

30

गुरु

लैळाख

ळुक्र

द्रादळी

28:08:55

ऩयळुयाभ द्रादळी, रुत्क्भणी द्रादळी, प्रदोऴ

17

18

21

एकादळी द्रादळी-

िमोदळी िमोदळी चतुदाळी

13:15:04

लरुसथनी एकादळी व्रत वफका, वौय (भेऴ) लैळाख भावायम्ब,

10:08:23

प्रदोऴ व्रत,

06:53:16

भाव सळलयात्रि व्रत,

सळल चतुदाळी

स्नान-दान-श्रािाफद शे तु उत्तभ अभालस्मा, ऩुण्म अभालस्मा, दे लत्रऩतृ कामा अभालस्मा बगलान ऩयळुयाभ जमन्ती (प्रदोऴ कार व्मात्रऩनी तृतीमा भं), छिऩसत सळला जी जमन्ती, वूम ा वामन लृऴ यासळ भं 14.54 फजे , अषम तृतीमा (योफशणी नषिमुता), िे तामुगाफद, कल्ऩाफद, याद्सीम लैळाख भावायम्ब, लैनामकी श्री गणेळ चतुथॉ व्रत,

(चन्द्र अस्त यात 10.04 फजे )

श्री आद्य ळॊकयाचामा जमन्ती, श्री वूयदाव जमन्ती, श्री याभानुजाचामा जमन्ती (द.बा), श्री याभानुजाचामा जमन्ती (उ.बा), चन्दन ऴद्षी (ऩ.फॊ) श्री गॊगा वद्ऱभी, गॊगोत्ऩत्रत्त, गॊगालतयण (भध्मान्श भं गॊगा ऩूजन), गॊगा जन्भ रग्न (लृऴ), श्री दुगा​ाद्शभी व्रत, श्री फगराभुख ी जमन्ती, श्री वीता नलभी, लैष्णल भतानुवाय श्री जानकी जमन्ती, चत्ण्डका नलभी व्रत, श्री शरय जमन्ती, त्रिचू य ऩूयभ (केय.),


90

अप्रैर-2015

वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज ळुि स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबालळारी फनाने शे तु ळसन की कायक धातु ळुि स्टीर(रोशे ) भं फनामा गमा शं । त्जव के प्रबाल वे वाधक को तत्कार राब प्राद्ऱ शोता शं । मफद जन्भ कुॊडरी भं

ळसन प्रसतकूर शोने ऩय व्मत्रि को अनेक कामं भं अवपरता प्राद्ऱ शोती शै , कबी व्मलवाम भं घटा, नौकयी भं ऩये ळानी, लाशन दघ ु ाटना, गृश क्रेळ आफद ऩये ळानीमाॊ फढ़ती जाती शै ऐवी त्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रश ऩीड़ेा सनलायक ळसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने वे अनेक राब सभरते शं । मफद ळसन की ढै ़मा मा वाढ़े वाती का वभम शो तो इवे अलश्म ऩूजना चाफशए।

ळसनमॊि के ऩूजन भाि वे व्मत्रि को भृत्मु, कजा, कोटा केळ, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे वभम के वबी प्रकाय के योग वे ऩये ळान व्मत्रि के सरमे ळसन मॊि असधक राबकायी शोगा। नौकयी ऩेळा आफद

के रोगं को ऩदौन्नसत बी ळसन द्राया शी सभरती शै अत् मश मॊि असत उऩमोगी मॊि शै त्जवके द्राया ळीघ्र शी राब ऩामा जा वकता शै ।

भू ल् म: 1050 वे 8200 >> Shop Online | Order Now

वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज ळुि स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

ळसन तैसतवा मॊि

ळसनग्रश वे वॊफॊसधत ऩीडा के सनलायण शे तु त्रलळेऴ राबकायी मॊि।

भू ल्म: 550 वे 12700 >> Shop Online | Order Now

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,

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अप्रैर-2015

91

नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि ळास्त्र लचन के अनुवाय ळुि वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के चायं औय मफद नलयत्न जड़ेला ने ऩय मश नलयत्न जफड़ेत श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनत्द्ळत स्थान ऩय जड़े कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने वे व्मत्रि को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रि को एवा आबाव शोता शं

जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं ।

नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायणकयने लारे व्मत्रि ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं । गरे भं शोने के कायण मॊ ि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊ ि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊदु ळयीय को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे

तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जै वे अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊ ि वे उत्तभ कोई मॊ ि वॊ वाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोि लचन शं । इव प्रकाय के

नलयत्न जफड़ेत श्री मॊ ि गुरूत्ल कामा​ारम द्राया ळु ब भु शूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते शं । Rs: 2350, 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 तक

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असधक जानकायी शे तु वॊ ऩका कयं ।

GURUTVA KARYALAY 92/3BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)

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92

अप्रैर-2015

भॊि सवि लाशन दघ ु ाटना नाळक भारुसत मॊि

ऩौयात्णक ग्रॊथो भं उल्रे ख शं की भशाबायत के मुि के वभम अजुान के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्लज एलॊ भारुसत मन्ि रगा शुआ था। इवी मॊि के प्रबाल के कायण वॊऩूणा मुि के दौयान शज़ायं-राखं प्रकाय के आग्ने म अस्त्र-

ळस्त्रं का प्रशाय शोने के फाद बी अजुान का यथ जया बी षसतग्रस्त नशीॊ शुआ। बगलान श्री कृष्ण भारुसत मॊि के इव

अद्भत ु यशस्म को जानते थे फक त्जव यथ मा लाशन की यषा स्लमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते शं, लश दघ ु ाटनाग्रस्त कैवे शो वकता शं । लश यथ मा लाशन तो लामुलेग वे , सनफा​ासधत रुऩ वे अऩने रक्ष्म ऩय त्रलजम ऩतका रशयाता शुआ ऩशॊु चेगा। इवी सरमे श्री कृष्ण नं अजुान के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयलामा था।

त्जन रोगं के स्कूटय, काय, फव, ट्रक इत्माफद लाशन फाय-फाय दघ ु ाटना ग्रस्त शो यशे शो!, अनालश्मक लाशन को

नुषान शो यशा शं! उन्शं शानी एलॊ दघ ु ाटना वे यषा के उदे श्म वे अऩने लाशन ऩय भॊि सवि श्री भारुसत मॊि अलश्म रगाना चाफशए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटंग (ऩरयलशन) के व्मलवाम वे जुडे शं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने लाशन भं अलश्म स्थात्रऩत कयना चाफशए, क्मोफक, इवी व्मलवाम वे जुडे वैकडं रोगं का अनुबल यशा शं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत कयने वे उनके लाशन असधक फदन तक अनालश्मक खचो वे एलॊ दघ ु ाटनाओॊ वे वुय त्षत यशे शं । शभाया स्लमॊका एलॊ अन्म

त्रलद्रानो का अनुबल यशा शं , की त्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने लाशन ऩय रगामा शं , उन रोगं के लाशन फडी वे फडी दघ ु ाटनाओॊ वे वुयत्षत यशते शं । उनके लाशनो को कोई त्रलळे ऴ नुक्ळान इत्माफद नशीॊ शोता शं औय नाशीॊ अनालश्मक रुऩ वे उवभं खयाफी आसत शं ।

लास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊ ि : मश भारुसत नॊदन श्री शनुभान जी का मॊि शै । मफद कोई जभीन त्रफक नशीॊ यशी शो, मा उव ऩय कोई लाद-त्रललाद शो, तो इच्छा के अनुरूऩ लशॉ जभीन उसचत भूल्म ऩय त्रफक जामे इव सरमे इव भारुसत मॊि का प्रमोग फकमा जा वकता शं । इव भारुसत मॊि के प्रमोग वे जभीन ळीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रललादभुि शो जाएगी। इव सरमे मश मॊि दोशयी ळत्रि वे मुि शै । भारुसत मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामा​ारम भं वॊऩका कयं । भू ल् म Rs- 255 वे 10900 तक

श्री शनुभान मॊि

ळास्त्रं भं उल्रे ख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमादेल ने मा जी ा जी के आदे ळ ऩय शनुभान

जी को अऩने ते ज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीला​ाद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा सान दॉ ग ू ा। त्जववे मश तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लिा शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके

वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं दयू शोती शं , इव मॊि भं अद्भत ु ळत्रि वभाफशत शोने के कायण व्मत्रि की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यि दोऴ, लीमा दोऴ, भूछा​ा, नऩुॊवकता इत्माफद अने क प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं । अथा​ात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता शं । श्री शनुभान मॊि व्मत्रि को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रे त, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम, चोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे यषा कयता शं औय सवत्रि प्रदान कयने भं वषभ शं । श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामा​ारम भं वॊऩका कयं । भू ल् म Rs- 730 वे 10900 तक

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, >> Shop Online | Order Now


अप्रैर-2015

93

त्रलसबन्न दे ल ताओॊ के मॊ ि गणेळ मॊि

भशाभृत्मुॊजम मॊि

याभ यषा मॊि याज

गणेळ सवि मॊि

भशाभृत्मुॊजम ऩूजन मॊि

द्रादळाषय त्रलष्णु भॊि ऩूजन मॊि

गणेळ मॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत) एकाषय गणऩसत मॊि

भशाभृत्मुॊजम कलच मॊि

भशाभृत्मुॊजम मुि सळल खप्ऩय भाशा सळल मॊि

शरयद्रा गणेळ मॊि

सळल ऩॊचाषयी मॊि

श्री द्रादळाषयी रुद्र ऩूजन मॊि

अफद्रतीम वलाकाम्म सवत्रि सळल मॊि

कुफेय मॊि

सळल मॊि

दत्तािम मॊि

नृसवॊश ऩूजन मॊि

दत्त मॊि

ऩॊचदे ल मॊि

आऩदुिायण फटु क बैयल मॊि

वॊतान गोऩार मॊि

फटु क मॊि

श्री कृ ष्ण अद्शाषयी भॊि ऩूजन मॊि

व्मॊकटे ळ मॊि

कातालीमा​ाजुान ऩूजन मॊि

कृ ष्ण फीवा मॊि

वला काभ प्रद बैयल मॊि

याभ मॊि

त्रलष्णु फीवा मॊि गरुड ऩूजन मॊि

सचॊ ताभणी मॊि याज सचॊ ताभणी मॊि

स्लणा​ाकऴाणा बैयल मॊि शनुभान ऩूजन मॊि शनुभान मॊि

वॊकट भोचन मॊि

लीय वाधन ऩूजन मॊि

दत्षणाभूसता ध्मानभ ् मॊि

भनोकाभना ऩू स ता एलॊ कद्श सनलायण शे तु त्रलळे ऴ मॊ ि

व्माऩाय लृत्रि कायक मॊि

अभृत तत्ल वॊजीलनी कामा कल्ऩ मॊि

िम ताऩंवे भुत्रि दाता फीवा मॊि

व्माऩाय लधाक मॊि

त्रलद्यामळ त्रलबू सत याज वम्भान प्रद सवि फीवा मॊि

ज्लय सनलायण मॊि

व्माऩाय लृत्रि मॊि

त्रलजमयाज ऩॊचदळी मॊि

व्माऩायोन्नसत कायी सवि मॊि

वम्भान दामक मॊि

स्लत्स्तक मॊि

फारा मॊि

बाग्म लधाक मॊि

वला कामा फीवा मॊि कामा सवत्रि मॊि

वुख वभृत्रि मॊि

वला रयत्रि सवत्रि प्रद मॊि

वला वुख दामक ऩंवफठमा मॊि ऋत्रि सवत्रि दाता मॊि वला सवत्रि मॊि

वाफय सवत्रि मॊि ळाफयी मॊि

सविाश्रभ मॊि

ज्मोसतऴ तॊि सान त्रलसान प्रद सवि फीवा मॊि मा जी ाण्ड वाफय सवत्रि मॊि कुण्डसरनी सवत्रि मॊि

क्रात्न्त औय श्रीलधाक चंतीवा मॊि श्री षे भ कल्माणी सवत्रि भशा मॊि

वुख ळाॊ सत दामक मॊि फारा यषा मॊि

गबा स्तम्बन मॊि ऩुि प्रासद्ऱ मॊि

प्रवूता बम नाळक मॊि

प्रवल-कद्शनाळक ऩॊचदळी मॊि ळाॊ सत गोऩार मॊि त्रिळूर फीळा मॊि

ऩॊचदळी मॊि (फीवा मॊि मुि चायं प्रकायके) फेकायी सनलायण मॊि ऴोडळी मॊि

अडवफठमा मॊि अस्वीमा मॊि

ऋत्रि कायक मॊि

भन लाॊ सछत कन्मा प्रासद्ऱ मॊि त्रललाशकय मॊि

भधु भेश सनलायक मॊि

योग कद्श दरयद्रता नाळक मॊि योग सनलायक मॊि

तनाल भुि फीवा मॊि त्रलद्युत भानव मॊि

गृश करश नाळक मॊि

करेळ शयण फत्रत्तवा मॊि लळीकयण मॊि

भोफशसन लळीकयण मॊि

कणा त्रऩळाचनी लळीकयण मॊि लाता​ारी स्तम्बन मॊि लास्तु मॊि

श्री भत्स्म मॊि

लाशन दुघट ा ना नाळक मॊि प्रेत-फाधा नाळक मॊि

बूतादी व्मासधशयण मॊि

कद्श सनलायक सवत्रि फीवा मॊि बम नाळक मॊि

स्लप्न बम सनलायक मॊि


अप्रैर-2015

94 सान दाता भशा मॊि

रग्न त्रलघ्न सनलायक मॊि

कुदृत्रद्श नाळक मॊि

दीधा​ामु अभृत तत्ल वॊजीलनी मॊि

दरयद्रता त्रलनाळक मॊि

ळिु दभनाणाल ऩूजन मॊि

कामा कल्ऩ मॊि

रग्न मोग मॊि

श्री ळिु ऩयाबल मॊि

भॊ ि सवि त्रलळे ऴ दै ली मॊ ि वू सच आद्य ळत्रि दुगा​ा फीवा मॊि (अॊ फाजी फीवा मॊि)

वयस्लती मॊि

नल दुगा​ा मॊि

कारी मॊि

भशान ळत्रि दुगा​ा मॊि (अॊ फाजी मॊि)

वद्ऱवती भशामॊि (वॊऩूण ा फीज भॊि वफशत)

नलाणा मॊि (चाभुॊडा मॊि)

श्भळान कारी ऩूजन मॊि

नलाणा फीवा मॊि

दत्षण कारी ऩूजन मॊि

चाभुॊडा फीवा मॊि ( नलग्रश मुि)

वॊकट भोसचनी कासरका सवत्रि मॊि

त्रिळूर फीवा मॊि

खोफडमाय मॊि

फगरा भुख ी मॊि

खोफडमाय फीवा मॊि

फगरा भुख ी ऩूजन मॊि

अन्नऩूणा​ा ऩूजा मॊि

याज याजे द्वयी लाॊ छा कल्ऩरता मॊि

एकाॊ षी श्रीपर मॊि

भॊ ि सवि त्रलळे ऴ रक्ष्भी मॊ ि वू सच श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भशारक्ष्भमै फीज मॊि

श्री मॊि (भॊि यफशत)

भशारक्ष्भी फीवा मॊि

श्री मॊि (वॊऩूण ा भॊि वफशत)

रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि

श्री मॊि (फीवा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीवा मॊि

श्री मॊि श्री वूि मॊि

रक्ष्भी गणेळ मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम)

ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

रक्ष्भी फीवा मॊि

कनक धाया मॊि

श्री श्री मॊि

लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सवत्रि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि )

(श्रीश्री रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि)

अॊ कात्भक फीवा मॊि ताम्र ऩि ऩय वु ल णा ऩोरीव (Gold Plated)

ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीव (Silver Plated)

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भू ल्म 460 820 1650 2350 3700 7300 12700

भू ल्म 370 640 1050 1450 2800 4600 9100

मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।

ताम्र ऩि ऩय (Copper)

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भू ल्म 255 460 730 1050 1900 3250 7300

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अप्रैर-2015

95

यासळ यत्न भेऴ यासळ:

भूॊ गा

लृऴब यासळ:

शीया

Red Coral

Diamond (Special)

(Special) 5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. 1050 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1800 Rs. 2100 Rs. 2800

10 20 30 40 50

cent cent cent cent cent

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

4100 8200 12500 18500 23500

सभथुन यासळ:

कका यासळ:

सवॊश यासळ:

कन्मा यासळ:

Green Emerald

Naturel Pearl (Special)

Ruby (Old Berma) (Special)

Green Emerald

ऩन्ना

(Special) 5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

9100 12500 14500 19000 23000 28000

भोती

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

910 1250 1450 1900 2300 2800

भाणेक

2.25" 3.25" 4.25" 5.25" 6.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

12500 15500 28000 46000 82000

ऩन्ना

(Special) 5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

9100 12500 14500 19000 23000 28000

** All Weight In Rati

All Diamond are Full White Colour.

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

तुरा यासळ:

लृत्द्ळक यासळ:

धनु यासळ:

कुॊब यासळ:

भीन यासळ:

शीया

भूॊ गा

ऩुखयाज

भकय यासळ:

नीरभ

नीरभ

Diamond (Special)

Red Coral

Y.Sapphire

B.Sapphire

B.Sapphire

Y.Sapphire

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

10 20 30 40 50

cent cent cent cent cent

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

4100 8200 12500 18500 23500

All Diamond are Full White Colour.

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. 1050 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1800 Rs. 2100 Rs. 2800

** All Weight In Rati

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. 30000 Rs. 37000 Rs. 55000 Rs. 73000 Rs. 91000 Rs.108000

** All Weight In Rati

ऩुखयाज

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. 30000 Rs. 37000 Rs. 55000 Rs. 73000 Rs. 91000 Rs.108000

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

* उऩमोि लजन औय भूल्म वे असधक औय कभ लजन औय भूल्म के यत्न एलॊ उऩयत्न बी शभाये मशा व्माऩायी भूल्म ऩय उप्रब्ध शं ।

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GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,


अप्रैर-2015

96

भॊि सवि रूद्राष Rudraksh List एकभुखी रूद्राष (नेऩार)

Rate In Indian Rupee

Rudraksh List

730 to 3700 नौ भुखी रूद्राष (नेऩार)

Rate In Indian Rupee 1900 to 4600

दो भुखी रूद्राष (नेऩार)

55 to 280 दव भुखी रूद्राष (नेऩार)

2350 to 5500

तीन भुखी रूद्राष (नेऩार)

55 to 280 ग्मायश भुखी रूद्राष (नेऩार)

2800 to 5500

चाय भुखी रूद्राष (नेऩार)

55 to 190 फायश भुखी रूद्राष (नेऩार)

3700 to 7300

ऩॊच भुखी रूद्राष (नेऩार)

55 to 370 तेयश भुखी रूद्राष (नेऩार)

5500 to 14500

छश भुखी रूद्राष (नेऩार)

55 to 190 चौदश भुखी रूद्राष (नेऩार)

वात भुखी रूद्राष (नेऩार) आठ भुखी रूद्राष (नेऩार)

460 to 730 गौयीळॊकय रूद्राष (नेऩार) 1900 to 460 गणेळ रुद्राष (नेऩार)

21000 to 41500 3700 to 14500 730 to 1450

* भूल्म भं अॊतय रुद्राष के आकाय औय गुणलत्ता के अनुवाय अरग-अरग शोते शं । उऩयोि भूल्म छोटे वे फड़े​े आकाय के अनुरुऩ दळा​ामे गमे शं । कबी-कबी वॊबात्रलत शं की छोटे आकाय के उत्तभ गुणलत्ता लारे रुद्राष असधक भूल्म भं प्राद्ऱ शो वकते शं । त्रलळे ऴ वू च ना: फाजाय की त्स्थसत के अनुवाय, रूद्राष भूल्म, फदन-फ-फदन फदरते यशते शै , त्जव कायण शभायी भूल्म वूची भं बी

फाजाय की त्स्थसत के अनुवाय ऩरयलतान शोते यशते शं , कृप्मा रुद्राष के सरए अऩना बुगतान बे जने वे

ऩशरे रुद्राष के नमी भूल्म वूची शे तु शभ वे वॊऩका कयं ।

रुद्राष के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY ,

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भॊि सवि दर ु ाब वाभग्री शत्था जोडी- Rs- 730

घोडे की नार- Rs.351

सवमाय सवॊगी- Rs- 1050

दत्षणालतॉ ळॊख-Rs-550-2100 इन्द्र जार- Rs- 251

त्रफल्री नार- Rs- 370

भोसत ळॊख-Rs- 550 वे 1450

भामा जार- Rs- 251 धन लृत्रि शकीक वेट Rs-251

GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com >> Shop Online | Order Now


अप्रैर-2015

97

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि फकवी बी व्मत्रि का जीलन तफ आवान फन जाता शं जफ उवके चायं औय का भाशोर उवके अनुरुऩ उवके लळ भं शं। जफ कोई व्मत्रि का आकऴाण दव ु यो के उऩय एक चुम्फकीम प्रबाल डारता शं , तफ

रोग उवकी वशामता एलॊ

वे ला शे तु तत्ऩय शोते शै औय उवके प्राम् वबी कामा त्रफना असधक कद्श ल ऩये ळानी वे वॊऩन्न शो जाते शं । आज के

बौसतकता लाफद मुग भं शय व्मत्रि के सरमे दव ॊ कत्ल को कामभ ू यो को अऩनी औय खीचने शे तु एक प्रबालळासर चुफ

यखना असत आलश्मक शो जाता शं । आऩका आकऴाण औय व्मत्रित्ल आऩके चायो ओय वे रोगं को आकत्रऴात कये इव सरमे वयर उऩाम शं , श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि । क्मोफक बगलान श्री कृष्ण एक अरौफकल एलॊ फदलम चुफ ॊ कीम व्मत्रित्ल के धनी थे। इवी कायण वे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन एलॊ दळान वे आकऴाक व्मत्रित्ल प्राद्ऱ शोता शं । श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के वाथ व्मत्रिको दृढ़ इच्छा ळत्रि एलॊ उजा​ा प्राद्ऱ

श्रीकृ ष्ण फीवा कलच

शोती शं , त्जस्वे व्मत्रि शभे ळा एक बीड भं शभे ळा आकऴाण का कं द्र यशता शं । मफद फकवी व्मत्रि को अऩनी प्रसतबा ल आत्भत्रलद्वाव के स्तय भं लृत्रि, अऩने सभिो ल ऩरयलायजनो के त्रफच भं रयश्तो भं वुधाय कयने की ईच्छा शोती

श्रीकृष्ण

फीवा

कलच को के लर

वात्रफत शो वकता शं ।

जाता शं । कलच को त्रलद्रान कभाकाॊडी

त्रलळे ऴ ळुब भुशुता भं सनभा​ाण फकमा

शं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि का ऩूजन एक वयर ल वुरब भाध्मभ

मा ाशभणं द्राया ळुब भुशुता भं ळास्त्रोि

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि ऩय अॊफकत ळत्रिळारी त्रलळे ऴ ये खाएॊ, फीज भॊि एलॊ अॊको वे व्मत्रि को अद्धद्भत ु आॊतरयक ळत्रिमाॊ प्राद्ऱ शोती शं जो व्मत्रि को

त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श ते जस्ली भॊिो

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन ल सनमसभत दळान के भाध्मभ वे बगलान

मुि कयके सनभा​ाण फकमा जाता शं ।

द्राया सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म

वफवे आगे एलॊ वबी षे िो भं अग्रत्णम फनाने भं वशामक सवि शोती शं ।

त्जव के पर स्लरुऩ धायण कयता

श्रीकृष्ण का आळीला​ाद प्राद्ऱ कय वभाज भं स्लमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं ।

व्मत्रि को ळीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ शोता

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि अरौफकक मा जी ाॊडीम उजा​ा का वॊचाय कयता शं , जो

शं । कलच को गरे भं धायण कयने

एक प्राकृ त्रत्त भाध्मभ वे व्मत्रि के बीतय वदबालना, वभृत्रि, वपरता, उत्तभ

वे लशॊ अत्मॊत प्रबाल ळारी शोता

स्लास्​्म, मोग औय ध्मान के सरमे एक ळत्रिळारी भाध्मभ शं ! 

शं । गरे भं धायण कयने वे कलच

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के ऩूजन वे व्मत्रि के वाभात्जक भान-वम्भान ल

शभे ळा रृदम के ऩाव यशता शं त्जस्वे

ऩद-प्रसतद्षा भं लृत्रि शोती शं । 

व्मत्रि ऩय उवका राब असत तीव्र

त्रलद्रानो के भतानुवाय श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग

एलॊ ळीघ्र सात शोने रगता शं ।

कंफद्रत कयने वे व्मत्रि फक चेतना ळत्रि जाग्रत शोकय ळीघ्र उच्च स्तय

भू र म भाि: 1900 >>Order Now

को प्राद्ऱशोती शं । 

जो ऩुरुऴं औय भफशरा अऩने वाथी ऩय अऩना प्रबाल डारना चाशते शं औय उन्शं अऩनी औय आकत्रऴात कयना चाशते शं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि उत्तभ उऩाम सवि शो वकता शं ।

ऩसत-ऩत्नी भं आऩवी प्रभ की लृत्रि औय वुखी दाम्ऩत्म जीलन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊ ि राबदामी शोता शं ।

भूल्म:- Rs. 730 वे Rs. 10900 तक उप्रब्ि

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अप्रैर-2015

98

जैन धभाके त्रलसळद्श मॊिो की वूची श्री चौफीव तीथंकयका भशान प्रबात्रलत चभत्कायी मॊि

श्री एकाषी नारयमेय मॊि

श्री चोफीव तीथंकय मॊि

वलातो बद्र मॊि

कल्ऩलृष मॊि

वला वॊऩत्रत्तकय मॊि

सचॊ ताभणी ऩाद्वानाथ मॊि

वलाकामा-वला भनोकाभना सवत्रिअ मॊि (१३० वलातोबद्र मॊि)

सचॊ ताभणी मॊि (ऩंवफठमा मॊि)

ऋत्रऴ भॊडर मॊि

सचॊ ताभणी चक्र मॊि

जगदलल्रब कय मॊि

श्री चक्रेद्वयी मॊि

ऋत्रि सवत्रि भनोकाभना भान वम्भान प्रासद्ऱ मॊि

श्री घॊटाकणा भशालीय मॊि

ऋत्रि सवत्रि वभृत्रि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि

श्री घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रि भशामॊि

त्रलऴभ त्रलऴ सनग्रश कय मॊि

श्री ऩद्मालती मॊि

षु द्रो ऩद्रल सनना​ाळन मॊि

श्री ऩद्मालती फीवा मॊि

फृशच्चक्र मॊि

श्री ऩाद्वाऩद्मालती ह्रंकाय मॊि

लॊध्मा ळब्दाऩश मॊि

ऩद्मालती व्माऩाय लृत्रि मॊि

भृतलत्वा दोऴ सनलायण मॊि

श्री धयणेन्द्र ऩद्मालती मॊि

काॊ क लॊध्मादोऴ सनलायण मॊि

श्री ऩाद्वानाथ ध्मान मॊि

फारग्रश ऩीडा सनलायण मॊि

श्री ऩाद्वानाथ प्रबुका मॊि

रधु देल कुर मॊि

बिाभय मॊि (गाथा नॊफय १ वे ४४ तक)

नलगाथात्भक उलवग्गशयॊ स्तोिका त्रलसळद्श मॊि

भत्णबद्र मॊि

उलवग्गशयॊ मॊि

श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय लधाक मॊि

ह्रीॊ काय भम फीज भॊि

श्री रक्ष्भीकय मॊि

लधाभान त्रलद्या ऩट्ट मॊि

रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि

त्रलद्या मॊि

भशात्रलजम मॊि

वौबाग्मकय मॊि

त्रलजमयाज मॊि

डाफकनी, ळाफकनी, बम सनलायक मॊि

त्रलजम ऩतका मॊि

बूताफद सनग्रश कय मॊि

त्रलजम मॊि

ज्लय सनग्रश कय मॊि

सविचक्र भशामॊि

ळाफकनी सनग्रश कय मॊि

दत्षण भुख ाम ळॊख मॊि

आऩत्रत्त सनलायण मॊि

दत्षण भुख ाम मॊि

ळिु भुख स्तॊबन मॊि

(अनुबल सवि वॊऩूण ा श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि)

श्री मॊि

श्री ऩॊच भॊगर भशाश्रृत स्कॊध मॊि

मॊ ि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊ ऩ का कयं ।

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अप्रैर-2015

99

घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रि भशामॊि को स्थाऩीत

कयने वे वाधक की वला भनोकाभनाएॊ ऩूणा शोती शं । वला प्रकाय के योग बूत-प्रेत आफद उऩद्रल वे यषण शोता शं । जशयीरे औय फशॊ वक प्राणीॊ वे वॊफॊसधत बम दयू शोते शं । अत्ग्न बम, चोयबम आफद दयू शोते शं ।

दद्श ु ल अवुयी ळत्रिमं वे उत्ऩन्न शोने लारे बम

वे मॊि के प्रबाल वे दयू शो जाते शं ।

मॊि के ऩूजन वे वाधक को धन, वुख, वभृत्रि,

ऎद्वमा, वॊतत्रत्त-वॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ शोती शं । वाधक की वबी प्रकाय की वात्त्लक इच्छाओॊ की ऩूसता शोती शं ।

मफद फकवी ऩरयलाय मा ऩरयलाय के वदस्मो ऩय

लळीकयण, भायण, उच्चाटन इत्माफद जाद-ू टोने लारे

प्रमोग फकमे गमं शोतो इव मॊि के प्रबाल वे स्लत् नद्श शो जाते शं औय बत्रलष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता शं तो यषण शोता शं ।

कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका

मॊि वे जुडे अद्धद्भत ु अनुबल यशे शं । मफद घय भं श्री

घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत फकमा शं औय मफद कोई इऴा​ा, रोब, भोश मा ळिुतालळ मफद अनुसचत कभा कयके फकवी बी उदे श्म वे वाधक को ऩये ळान कयने का प्रमाव कयता शं तो मॊि के प्रबाल वे वॊऩूणा

ऩरयलाय का यषण तो शोता शी शं , कबी-कबी ळिु के द्राया फकमा गमा अनुसचत कभा ळिु ऩय शी उऩय

उरट लाय शोते दे खा शं । भू ल् म:- Rs. 1650 वे Rs. 10900 तक उप्रब्ि >> Shop Online | Order Now वॊ ऩका कयं ।

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अप्रैर-2015

100

अभोघ भशाभृत्मुॊजम कलच अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच ल उल्रेत्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे त्रलद्रान मा ाजी णो द्राया वला राख भशाभृत् मुॊ ज म भॊ ि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभात फकमा जाता शं इव सरए कलच अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं ।

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच कलच फनलाने शे तु:

अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

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अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलच दत्षणा भाि: 10900

याळी यत्न एलॊ उऩयत्न त्रलळेऴ मॊि शभायं मशाॊ वबी प्रकाय के मॊ ि वोने -चाॊफद-

ताम्फे भं आऩकी आलश्मिा के अनु वाय फकवी बी बाऴा/धभा के मॊ िो को आऩकी आलश्मक फडजाईन के अनु वाय २२ गेज वबी वाईज एलॊ भूल्म ल क्लासरफट के

अवरी नलयत्न एलॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध शं ।

ळु ि ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रलळे ऴ वु त्रलधाएॊ उऩरब्ध शं ।

शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के यत्न एलॊ उऩयत्न व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध शं । ज्मोसतऴ कामा वे जुडे़ फधु/फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे त्रलळेऴ भूल्म ऩय यत्न ल अन्म वाभग्रीमा ल अन्म वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं ।

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अप्रैर-2015

101

अप्रै र 2015-त्रलळेऴ मोग कामा सवत्रि मोग 08

वूमोदम वे फदन यात

21

वूमोदम वे फदन 03.10 तक

09

वूमोदम वे 06.52 तक

22

वूमोदम वे फदन यात

12

वुफश 07.11 वे दे य यात्रि 06.17 तक

24

फदन 12.16 वे दे य यात्रि 05.28 तक

13

वुफश 06.13 वे दे य यात्रि 04.47 तक

26

वूमोदम वे फदन 03.54 तक

17

वामॊ 07.49 वे दे य यात्रि 05.34 तक

त्रिऩु ष् कय मोग (तीनगुन ा पर दामक ) 25

प्रात: 05.28 वे फदन 01.40 तक

फद्रऩु ष् कय मोग (दौ गुन ा पर दामक ) 05

वामॊ 07:36 वे दे य यात्रि 02:02 तक

त्रलघ्नकायक बद्रा 03

फदन 03.19 वे दे य यात्रि 04.28 तक

17

प्रात: 06.55 वे वामॊ 05.17 तक

04

प्रात: 09.50 वे यात्रि 10.22 तक

21

यात्रि 04.29 वे 22 अप्रैर को फदन 03.51 तक

10

यात्रि 10.51 वे 11 अप्रैर को प्रात: 10.27 तक

25

फदन 04.39 वे 26 अप्रैर को प्रात: 05.31 तक

13

यात्रि 05.17 वे 14 अप्रैर को फदन 04.04 तक

29

फदन 12.26 वे दे य यात्रि 01.44 तक

मोग पर :

 कामा सवत्रि मोग भे फकमे गमे ळुब कामा भे सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शोती शं , एवा ळास्त्रोि लचन शं ।  फद्रऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब दोगुना शोता शं । एवा ळास्त्रोि लचन शं ।  त्रिऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब तीन गुना शोता शं । एवा ळास्त्रोि लचन शं ।  ळास्त्रंि भत वे त्रलघ्नकायक बद्रा मोग भं ळुब कामा कयना लत्जात शं ।

दै सनक ळु ब एलॊ अळु ब वभम सान तासरका गुसरक कार (ळुब)

मभ कार (अळुब) वभम अलसध

याशु कार (अळुब) वभम अलसध

यत्रललाय

03:00 वे 04:30

12:00 वे 01:30

04:30 वे 06:00

वोभलाय

01:30 वे 03:00

10:30 वे 12:00

07:30 वे 09:00

भॊगरलाय

12:00 वे 01:30

09:00 वे 10:30

03:00 वे 04:30

फुधलाय

10:30 वे 12:00

07:30 वे 09:00

12:00 वे 01:30

गुरुलाय

09:00 वे 10:30

06:00 वे 07:30

01:30 वे 03:00

ळुक्रलाय

07:30 वे 09:00

03:00 वे 04:30

10:30 वे 12:00

ळसनलाय

06:00 वे 07:30

01:30 वे 03:00

09:00 वे 10:30

लाय

वभम अलसध


अप्रैर-2015

102

फदन के चौघफडमे

वभम

यत्रललाय वोभलाय

भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय

ळुक्रलाय

ळसनलाय

06:00 वे 07:30

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

चर

कार

07:30 वे 09:00

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

09:00 वे 10:30

राब

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

10:30 वे 12:00

अभृत

योग

राब

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

12:00 वे 01:30

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

चर

01:30 वे 03:00

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

03:00 वे 04:30

योग

राब

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

04:30 वे 06:00

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

यात के चौघफडमे

चर

कार

वभम

यत्रललाय

वोभलाय भॊगरलाय

फुधलाय गुरुलाय

ळुक्रलाय

ळसनलाय

06:00 वे 07:30

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

07:30 वे 09:00

अभृत

योग

राब

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

09:00 वे 10:30

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

12:00 वे 01:30

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

चर

01:30 वे 03:00

राब

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

03:00 वे 04:30

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

चर

कार

04:30 वे 06:00

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

10:30 वे 12:00

योग

राब

ळुब

चर

कार

उद्रे ग

अभृत

ळास्त्रोि भत के अनुळाय मफद फकवी बी कामा का प्रायॊ ब ळुब भुशूता मा ळुब वभम ऩय फकमा जामे तो कामा भं वपरता

प्राद्ऱ शोने फक वॊबालना ज्मादा प्रफर शो जाती शं । इव सरमे दैसनक ळुब वभम चौघफड़ेमा दे खकय प्राद्ऱ फकमा जा वकता शं ।

नोट: प्राम् फदन औय यात्रि के चौघफड़ेमे फक सगनती क्रभळ् वूमोदम औय वूमा​ास्त वे फक जाती शं । प्रत्मे क चौघफड़ेमे फक अलसध 1 घॊटा 30 सभसनट अथा​ात डे ढ़ घॊटा शोती शं । वभम के अनुवाय चौघफड़ेमे को ळुबाळुब तीन बागं भं फाॊटा जाता शं , जो क्रभळ् ळुब, भध्मभ औय अळुब शं । ळुब चौघफडमा

* शय कामा के सरमे ळुब/अभृत/राब का

चौघफडमे के स्लाभी ग्रश भध्मभ चौघफडमा

अळुब चौघफड़ेमा

चौघफडमा स्लाभी ग्रश

चौघफडमा स्लाभी ग्रश

चौघफडमा

स्लाभी ग्रश

ळुब

गुरु

चय

उद्बे ग

वूमा

अभृत

चॊद्रभा

कार

ळसन

राब

फुध

योग

भॊगर

ळुक्र

चौघफड़ेमा उत्तभ भाना जाता शं । * शय कामा के सरमे चर/कार/योग/उद्रे ग का चौघफड़ेमा उसचत नशीॊ भाना जाता।


अप्रैर-2015

103

फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमा​ा स्त तक लाय

1.घॊ

2.घॊ

3.घॊ

4.घॊ

5.घॊ

6.घॊ

7.घॊ

8.घॊ

9.घॊ 10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यत्रललाय

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

वोभलाय

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

ळुक्र

फुध

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

भॊगरलाय

चॊद्र

चॊद्र

फुधलाय

फुध

गुरुलाय

गुरु

ळुक्रलाय

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

ळसनलाय

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

भॊगर वूमा

चॊद्र फुध

यात फक शोया – वूमा​ा स्त वे वूमोदम तक यत्रललाय

गुरु

वोभलाय

ळुक्र

फुध

भॊगरलाय

ळसन

फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळसनलाय

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

ळसन

फुध

भॊगर वूमा

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

गुरु भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

गुरु भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

चॊद्र

ळसन

गुरु

भॊगर

चॊद्र

चॊद्र

शोया भुशूता को कामा सवत्रि के सरए ऩूणा परदामक एलॊ अचूक भाना जाता शं , फदन-यात के २४ घॊटं भं ळुब-अळुब वभम को वभम वे ऩूला सात कय अऩने कामा सवत्रि के सरए प्रमोग कयना चाफशमे ।

त्रलद्रानो के भत वे इत्च्छत कामा सवत्रि के सरए ग्रश वे वॊ फॊस धत शोया का चु न ाल कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं ।

 वूमा फक शोया वयकायी कामो के सरमे उत्तभ शोती शं ।  चॊद्रभा फक शोया वबी कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।  भॊगर फक शोया कोटा-कचेय ी के कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।  फुध फक शोया त्रलद्या-फुत्रि अथा​ात ऩढाई के सरमे उत्तभ शोती शं ।  गुरु फक शोया धासभाक कामा एलॊ त्रललाश के सरमे उत्तभ शोती शं ।  ळुक्र फक शोया मािा के सरमे उत्तभ शोती शं ।

 ळसन फक शोया धन-द्रव्म वॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ शोती शं ।


अप्रैर-2015

104

ग्रश चरन अप्रैर-2015 Day 1

Sun

Mon

Ma

11:16:52

04:08:46

00:06:09

2

11:17:51

04:20:34

3

11:18:50

4

Me

Jup

Ven

Sat

Rah

Ket

11:07:40

03:18:36

00:23:23

07:10:36

05:15:55

11:15:55

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05:02:24

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07:10:32

11:19:50

05:14:18

00:08:22

11:13:26

03:18:33

00:26:56

5

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05:26:18

00:09:07

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03:18:32

6

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06:08:26

00:09:51

11:17:24

7

11:22:47

06:20:44

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8

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07:03:13

9

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10

Ua

Nep

Plu

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13

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14

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15

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16

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105

अप्रैर-2015

वला योगनाळक मॊि/कलच भनुष्म अऩने जीलन के त्रलसबन्न वभम ऩय फकवी ना फकवी वाध्म मा अवाध्म योग वे ग्रस्त शोता शं। उसचत उऩचाय वे ज्मादातय वाध्म योगो वे तो भुत्रि सभर जाती शं , रेफकन कबी-कबी वाध्म योग शोकय बी अवाध्म शोजाते शं, मा कोइ अवाध्म योग वे ग्रसवत शोजाते शं। शजायो राखो रुऩमे खचा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नशीॊ शो ऩाता। डॉक्टय द्राया फदजाने लारी दलाईमा अल्ऩ वभम के सरमे कायगय वात्रफत शोती शं , एवी त्स्थती भं राब प्रासद्ऱ के सरमे व्मत्रि एक डॉक्टय वे दव ू ये डॉक्टय के चक्कय रगाने को फाध्म शो जाता शं। बायतीम ऋऴीमोने अऩने मोग वाधना के प्रताऩ वे योग ळाॊसत शेत ु त्रलसबन्न आमुलये औऴधो के असतरयि मॊि, भॊि एलॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानल जीलन को राब प्रदान कयने का वाथाक प्रमाव शजायो लऴा ऩूल ा फकमा था। फुत्रिजीलो के भत वे जो व्मत्रि जीलनबय अऩनी फदनचमा​ा ऩय सनमभ, वॊमभ यख कय आशाय ग्रशण कयता शं, एवे व्मत्रि को त्रलसबन्न योग वे ग्रसवत शोने की वॊबालना कभ शोती शं। रेफकन आज के फदरते मुग भं एवे व्मत्रि बी बमॊकय योग वे ग्रस्त शोते फदख जाते शं। क्मोफक वभग्र वॊवाय कार के अधीन शं। एलॊ भृत्मु सनत्द्ळत शं त्जवे त्रलधाता के अराला औय कोई टार नशीॊ वकता, रेफकन योग शोने फक त्स्थती भं व्मत्रि योग दयू कयने का प्रमाव तो अलश्म कय वकता शं। इव सरमे मॊ ि भॊि एलॊ तॊि के कु ळर जानकाय वे मोग्म भागादळान रेकय व्मत्रि योगो वे भुत्रि ऩाने का मा उवके प्रबालो को कभ कयने का प्रमाव बी अलश्म कय वकता शं। ज्मोसतऴ त्रलद्या के कु ळर जानकय बी कार ऩुरुऴकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यशस्म को उजागय कय वकते शं। ज्मोसतऴ ळास्त्र के भाध्मभ वे योग के भूरको ऩकडने भे वशमोग सभरता शं , जशा आधुसनक सचफकत्वा ळास्त्र अषभ शोजाता शं लशा ज्मोसतऴ ळास्त्र द्राया योग के भूर(जड़े) को ऩकड कय उवका सनदान कयना राबदामक एलॊ उऩामोगी सवि शोता शं। शय व्मत्रि भं रार यॊ गकी कोसळकाए ऩाइ जाती शं , त्जवका सनमभीत त्रलकाव क्रभ फि तयीके वे शोता यशता शं। जफ इन कोसळकाओ के क्रभ भं ऩरयलतान शोता शै मा त्रलखॊफडन शोता शं तफ व्मत्रि के ळयीय भं स्लास्​्म वॊफध ॊ ी त्रलकायो उत्ऩन्न शोते शं। एलॊ इन कोसळकाओ का वॊफध ॊ नल ग्रशो के वाथ शोता शं । त्जस्वे योगो के शोने के कायण व्मत्रि के जन्भाॊग वे दळा-भशादळा एलॊ ग्रशो फक गोचय त्स्थती वे प्राद्ऱ शोता शं। वला योग सनलायण कलच एलॊ भशाभृत्मुॊजम मॊि के भाध्मभ वे व्मत्रि के जन्भाॊग भं त्स्थत कभजोय एलॊ ऩीफडत ग्रशो के अळुब प्रबाल को कभ कयने का कामा वयरता ऩूलक ा फकमा जावकता शं। जेव े शय व्मत्रि को मा जी ाॊड फक उजा​ा एलॊ ऩृ्ली का गुरुत्लाकऴाण फर प्रबालीत कता​ा शं फठक उवी प्रकाय कलच एलॊ मॊि के भाध्मभ वे मा जी ाॊड फक उजा​ा के वकायात्भक प्रबाल वे व्मत्रि को वकायात्भक उजा​ा प्राद्ऱ शोती शं त्जस्वे योग के प्रबाल को कभ कय योग भुि कयने शेत ु वशामता सभरती शं। योग सनलायण शेत ु भशाभृत्मुॊजम भॊि एलॊ मॊि का फडा भशत्ल शं। त्जस्वे फशन्द ू वॊस्कृ सत का प्राम् शय व्मत्रि भशाभृत्मुॊजम भॊि वे ऩरयसचत शं।


106

अप्रैर-2015

कलच के राब :  एवा ळास्त्रोि लचन शं त्जव घय भं भशाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत शोता शं लशा सनलाव कता​ा शो नाना प्रकाय फक आसध-व्मासध-उऩासध वे यषा शोती शं।  ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि वला योग सनलायण कलच फकवी बी उम्र एलॊ जासत धभा के रोग चाशे स्त्री शो मा ऩुरुऴ धायण कय वकते शं।  जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रशो फक प्रसतकू रता वे योग उतऩन्न शोते शं।  कु छ योग वॊक्रभण वे शोते शं एलॊ कु छ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अळुितावे उत्ऩन्न शोते शं । कलच एलॊ मॊि द्राया एवे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नद्श कय, स्लास्​्म राब औय ळायीरयक यषण प्राद्ऱ कयने शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि वला उऩमोगी शोता शं।  आज के बौसतकता लादी आधुसनक मुगभे अनेक एवे योग शोते शं, त्जवका उऩचाय ओऩये ळन औय दलावे बी कफठन शो जाता शं। कु छ योग एवे शोते शं त्जवे फताने भं रोग फशचफकचाते शं ळयभ अनुबल कयते शं एवे योगो को योकने शेत ु एलॊ उवके उऩचाय शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि राबादासम सवि शोता शं।  प्रत्मेक व्मत्रि फक जेव-े जेव े आमु फढती शं लैव-े लवै उवके ळयीय फक ऊजा​ा कभ शोती जाती शं। त्जवके वाथ अनेक प्रकाय के त्रलकाय ऩैदा शोने रगते शं एवी त्स्थती भं उऩचाय शेत ु वलायोगनाळक कलच एलॊ मॊि परप्रद शोता शं।  त्जव घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फश नषिभे जन्भ रेत े शं , तफ उवकी भाता के सरमे असधक कद्शदामक त्स्थती शोती शं। उऩचाय शेत ु भशाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद शोता शं।  त्जव व्मत्रि का जन्भ ऩरयसध मोगभे शोता शं उन्शे शोने लारे भृत्मु तुल्म कद्श एलॊ शोने लारे योग, सचॊता भं उऩचाय शेत ु वला योगनाळक कलच एलॊ मॊि ळुब परप्रद शोता शं। नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा चैतन्म मुि वला योग सनलायण कलच एलॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी शेत ु वॊऩका कयं ।

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Declaration Notice    

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Our Goal  Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door step.


अप्रैर-2015

107

भॊ ि सवि कलच

भॊि सवि कलच को त्रलळे ऴ प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय ळीघ्र प्रबाल ळारी फनाने के सरए ते जस्ली भॊिो द्राया ळुब भशूता भं ळुब फदन को तैमाय फकमे जाते शै । अरग-अरग कलच तैमाय कयने के सरए अरग-अरग तयश के भॊिो का प्रमोग फकमा जाता शै ।

 क्मं चुने भॊि सवि कलच?  उऩमोग भं आवान कोई प्रसतफन्ध नशीॊ  कोई त्रलळे ऴ सनसत-सनमभ नशीॊ  कोई फुय ा प्रबाल नशीॊ

भॊ ि सवि कलच वू स च अभोघ भशाभृत्मुॊजम कलच

10900

श्रात्रऩत मोग सनलायण कलच

1900

तॊि यषा

730

याज याजेद्वयी कलच

11000

* वला जन लळीकयण

1450

ळिु त्रलजम

730

वला कामा सवत्रि कलच

4600

सवत्रि त्रलनामक कलच

1450

त्रललाश फाधा सनलायण

730

श्री घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रिप्रद कलच

6400

वकर वम्भान प्रासद्ऱ कलच

1450

व्माऩय लृत्रि

730

वकर सवत्रि प्रद गामिी कलच

6400

आकऴाण लृत्रि कलच

1450

वला योग सनलायण

730

दव भशा त्रलद्या कलच

6400

लळीकयण नाळक कलच

1450

योजगाय लृत्रि

730

नलदुगा​ा ळत्रि कलच

6400

प्रीसत नाळक कलच

1450

भत्स्तष्क ऩृत्रद्श लधाक

640

यवामन सवत्रि कलच

6400

चॊडार मोग सनलायण कलच

1450

काभना ऩूसता

640

ऩॊचदेल ळत्रि कलच

6400

ग्रशण मोग सनलायण कलच

1450

त्रलयोध नाळक

640

वु लणा रक्ष्भी कलच

4600

अद्श रक्ष्भी

1250

त्रलघ्न फाधा सनलायण

550

स्लणा​ाकऴाण बै यल कलच

4600

भाॊगसरक मोग सनलायण कलच

1250

नज़य यषा

550

3250

वॊ तान प्रासद्ऱ

1250

योजगाय प्रासद्ऱ

550

कारवऩा ळाॊसत कलच

2800

स्ऩे- व्माऩय लृत्रि

1050

दुब ा​ाग्म नाळक

460

इद्श सवत्रि कलच

2800

कामा सवत्रि

1050

* लळीकयण (2-3 व्मत्रि के सरए)

ऩयदेळ गभन औय राब प्रासद्ऱ कलच

2350

आकत्स्भक धन प्रासद्ऱ

1050

* ऩत्नी लळीकयण

640

श्रीदुगा​ा फीवा कलच

1900

स्लत्स्तक फीवा कलच

1050

* ऩसत लळीकयण

640

अद्श त्रलनामक कलच

1900

शॊ व फीवा कलच

1050

वयस्लती (कषा +10 के सरए)

550

त्रलष्णु फीवा कलच

1900

स्लप्न बम सनलायण कलच

1050

वयस्लती (कषा 10 तकके सरए)

460

याभबद्र फीवा कलच

1900

नलग्रश ळाॊसत

910

* लळीकयण ( 1 व्मत्रि के सरए)

640

कुफेय फीवा कलच

1900

बू सभ राब

910

सवि वू मा कलच

550

गरुड फीवा कलच

1900

काभ देल

910

सवि चॊद्र कलच

550

सवॊ श फीवा कलच

1900

ऩदं उन्नसत

910

सवि भॊ गर कलच

550

नला​ाण फीवा कलच

1900

ऋण भु त्रि

910

सवि फुध कलच

550

वॊ कट भोसचनी कासरका सवत्रि कलच

1900

वु दळान फीवा कलच

910

सवि गुरु कलच

550

याभ यषा कलच

1900

भशा वु दळान कलच

910

सवि ळुक्र कलच

550

शनुभ ान कलच

1900

त्रिळूर फीवा कलच

910

सवि ळसन कलच

550

बै यल यषा कलच

1900

धन प्रासद्ऱ

820

सवि याशु कलच

550

*त्रलरषण वकर याज लळीकयण कलच

ळसन वाड़े​ेव ाती औय ढ़ैमा कद्श सनलायण कलच

1900

1050

सवि केतु कलच

550

उऩयोि कलच के अराला अन्म वभस्मा त्रलळेऴ के वभाधान शे तु एलॊ उदे श्म ऩूसता शे तु कलच का सनभा​ाण फकमा जाता शं । कलच के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं । *कलच भाि ळुब कामा मा उदे श्म के सरमे

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अप्रैर-2015

108

GURUTVA KARYALAY YANTRA LIST

EFFECTS

Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

12 – YANTRA SET VYAPAR VRUDDHI YANTRA BHOOMI LABHA YANTRA TANTRA RAKSHA YANTRA AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA PADOUNNATI YANTRA RATNE SHWARI YANTRA BHUMI PRAPTI YANTRA GRUH PRAPTI YANTRA KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA

For For For For For For For For For

all Family Troubles Business Development Farming Benefits Protection Evil Sprite Unexpected Wealth Benefits Getting Promotion Benefits of Gems & Jewellery Land Obtained Ready Made House -

Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42

AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) BHAGYA VARDHAK YANTRA BHAY NASHAK YANTRA CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA DARIDRA VINASHAK YANTRA DHANDA POOJAN YANTRA DHANDA YAKSHANI YANTRA GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) GARBHA STAMBHAN YANTRA GAYATRI BISHA YANTRA HANUMAN YANTRA JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA KALPVRUKSHA YANTRA KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) KANAK DHARA YANTRA KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA KARYA SHIDDHI YANTRA  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA KUBER YANTRA LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA LAKSHAMI GANESH YANTRA MAHA MRUTYUNJAY YANTRA MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA

Blessing of Durga Win over Enemies Blessing of Bagala Mukhi For Good Luck For Fear Ending Blessing of Chamunda & Navgraha Blessing of Chhinnamasta For Poverty Ending For Good Wealth For Good Wealth Blessing of Lord Ganesh For Pregnancy Protection Blessing of Gayatri Blessing of Lord Hanuman For Fewer Ending For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali For Fullfill your all Ambition Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga Blessing of Maha Lakshami For Successes in work For Successes in all work Blessing of Lord Krishna Blessing of Kuber (Good wealth) For Obstaele Of marriage Blessing of Lakshami & Ganesh For Good Health Blessing of Shiva For Fullfill your all Ambition For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga


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109

YANTRA LIST

43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64

EFFECTS

NAVGRAHA SHANTI YANTRA NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA  SURYA YANTRA  CHANDRA YANTRA  MANGAL YANTRA  BUDHA YANTRA  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA)  SUKRA YANTRA  SHANI YANTRA (COPER & STEEL)  RAHU YANTRA  KETU YANTRA PITRU DOSH NIVARAN YANTRA PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA RAM YANTRA RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA SANKAT MOCHAN YANTRA SANTAN GOPAL YANTRA SANTAN PRAPTI YANTRA SARASWATI YANTRA SHIV YANTRA

For good effect of 9 Planets For good effect of 9 Planets Good effect of Sun Good effect of Moon Good effect of Mars Good effect of Mercury Good effect of Jyupiter Good effect of Venus Good effect of Saturn Good effect of Rahu Good effect of Ketu For Ancestor Fault Ending For Pregnancy Pain Ending For Benefits of State & Central Gov Blessing of Ram Blessing of Riddhi-Siddhi For Disease- Pain- Poverty Ending For Trouble Ending Blessing Lorg Krishana For child acquisition For child acquisition Blessing of Sawaswati (For Study & Education) Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & 65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth 66 For Bad Dreams Ending 67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending 68 VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All 69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes For Bulding Defect Ending 70 VASTU YANTRA For Education- Fame- state Award Winning 71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan) 72 Attraction For office Purpose 73 VASI KARAN YANTRA Attraction For Female  MOHINI VASI KARAN YANTRA 74  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband 75 Attraction For Wife 76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose  VIVAH VASHI KARAN YANTRA 77 Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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अप्रैर-2015

110

Gemstone Price List NAME OF GEM STONE

GENERAL

Emerald (ऩन्ना) Yellow Sapphire (ऩुखयाज) Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (वर्ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फं क ोक नीरभ) Ruby (भात्णक) Ruby Berma (फभा​ा भात्णक) Speenal (नयभ भात्णक/रारडी) Pearl (भोसत) Red Coral (4 यसत तक) (रार भूॊ गा) Red Coral (4 यसत वे उऩय)( रार भूॊ गा) White Coral (वर्ेद भूॊ गा) Cat‟s Eye (रशवु सनमा) Cat‟s Eye Orissa (उफडवा रशवु सनमा) Gomed (गोभे द) Gomed CLN (सवरोनी गोभे द) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फर्योजा) Golden Topaz (वु नशरा) Real Topaz (उफडवा ऩुखयाज/टोऩज) Blue Topaz (नीरा टोऩज) White Topaz (वर्ेद टोऩज) Amethyst (कटेर ा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभा र ीन) Star Ruby (वु माकान्त भत्ण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्व) Real Onyx (ओनेक्व) Lapis (राजलात ) Moon Stone (चन्द्रकान्त भत्ण) Rock Crystal (स्र्फटक) Kidney Stone (दाना फर्यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयगच) Sun Stone (वन सवताया) Diamond (.05 to .20 Cent )

(शीया)

MEDIUM FINE

200.00 550.00 550.00 550.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 75.00 120.00 20.00 25.00 460.00 15.00 300.00 350.00 210.00 50.00 15.00 15.00 60.00 60.00 60.00 20.00 30.00 30.00 120.00 45.00 15.00 09.00 60.00 15.00 12.00 09.00 09.00 03.00 12.00 12.00 50.00

500.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 6400.00 600.00 60.00 90.00 150.00 28.00 45.00 640.00 27.00 410.00 450.00 320.00 120.00 30.00 30.00 120.00 90.00 90.00 30.00 45.00 45.00 140.00 75.00 30.00 12.00 90.00 25.00 21.00 12.00 11.00 05.00 19.00 19.00 100.00

(Per Cent )

(Per Cent )

FINE

SUPER FINE

1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 200.00 500.00 370.00 730.00 8200.00 10000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 12.00 180.00 190.00 280.00 42.00 51.00 90.00 120.00 1050.00 2800.00 60.00 90.00 640.00 1800.00 550.00 640.00 410.00 550.00 230.00 390.00 45.00 60.00 45.00 60.00 280.00 460.00 120.00 280.00 120.00 240.00 45.00 60.00 90.00 120.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 15.00 19.00 120.00 190.00 30.00 45.00 30.00 45.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00 200.00 370.00 (PerCent )

(Per Cent)

SPECIAL

2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 21000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 280.00 & above 550.00 & above 90.00 & above 190.00 & above 5500.00 & above 120.00 & above 2800.00 & above 910.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 90.00 & above 90.00 & above 640.00 & above 460.00 & above 410.00& above 120.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 25.00 & above 280.00 & above 55.00 & above 100.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above 460.00 & above (Per Cent )

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Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus


111

अप्रैर-2015

वूचना  ऩत्रिका भं प्रकासळत वबी रे ख ऩत्रिका के असधकायं के वाथ शी आयत्षत शं ।  रे ख प्रकासळत शोना का भतरफ मश कतई नशीॊ फक कामा​ारम मा वॊऩादक बी इन त्रलचायो वे वशभत शं।  नात्स्तक/ अत्रलद्वावु व्मत्रि भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शं ।  ऩत्रिका भं प्रकासळत फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रे ख मशाॊ फकवी बी व्मत्रि त्रलळे ऴ मा फकवी बी स्थान मा घटना वे कोई वॊफॊध नशीॊ शं ।  प्रकासळत रे ख ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत शोने के कायण मफद फकवी के रे ख, फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकवी के लास्तत्रलक जीलन वे भे र शोता शं तो मश भाि एक वॊमोग शं ।  प्रकासळत वबी रे ख बायसतम आध्मात्त्भक ळास्त्रं वे प्रे रयत शोकय सरमे जाते शं । इव कायण इन त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभात्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक त्जन्भे दायी कामा​ारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं ।  अन्म रे खको द्राया प्रदान फकमे गमे रे ख/प्रमोग फक प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल फक त्जन्भे दायी कामा​ारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं । औय नाशीॊ रे खक के ऩते फठकाने के फाये भं जानकायी दे ने शे तु कामा​ारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शं ।  ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत रे खो भं ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं । फकवी बी व्मत्रि त्रलळे ऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।  ऩाठक द्राया फकवी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।  शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी रे ख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय सरखे शोते शं । शभ फकवी बी व्मत्रि त्रलळे ऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भे दायी नफशॊ रे ते शं ।  मश त्जन्भे दायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्रि फक स्लमॊ फक शोगी। क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक भानदॊडं, वाभात्जक, कानूनी सनमभं के त्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्लाथा ऩूसता शे तु प्रमोग कता​ा शं अथला प्रमोग के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ वॊबल शं ।

 शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे शं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शं ।  ऩाठकं फक भाॊग ऩय एक फश रे खका ऩून् प्रकाळन कयने का असधकाय यखता शं । ऩाठकं को एक रे ख के ऩून् प्रकाळन वे राब प्राद्ऱ शो वकता शं ।  असधक जानकायी शे तु आऩ कामा​ारम भं वॊऩका कय वकते शं । (वबी त्रललादो के सरमे के लर बु ल ने द्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)


112

अप्रैर-2015

FREE E CIRCULAR गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका अप्रैर-2015 वॊऩादक

सचॊतन जोळी वॊऩका गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग

गुरुत्ल कामा​ारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA पोन

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113

अप्रैर-2015

शभाया उदे श्म त्रप्रम आत्त्भम फॊध/ु फफशन जम गुरुदे ल जशाॉ आधुसनक त्रलसान वभाद्ऱ शो जाता शं । लशाॊ आध्मात्त्भक सान प्रायॊ ब शो जाता शं , बौसतकता का आलयण ओढे व्मत्रि जीलन भं शताळा औय सनयाळा भं फॊध जाता शं , औय उवे अऩने जीलन भं गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शो ऩाता क्मोफक बालनाए फश बलवागय शं , त्जवभे भनुष्म की वपरता औय अवपरता सनफशत शं । उवे ऩाने औय वभजने का वाथाक प्रमाव शी श्रेद्षकय वपरता शं । वपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म शी नशीॊ असधकाय शं । ईवी सरमे शभायी ळुब काभना वदैल आऩ के वाथ शं । आऩ अऩने कामा- उदे श् म एलॊ अनुकूरता शे तु मॊि, ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न औय दर ु ाब भॊि ळत्रि वे ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत सचज लस्तु का शभं ळा प्रमोग कये जो १००% परदामक शो। ईवी सरमे शभाया उदे श्म मशीॊ शे की ळास्त्रोि त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श ते जस्ली भॊिो द्राया सवि प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा चैतन्म मुि वबी प्रकाय के मन्ि- कलच एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशोचाने का शं ।

वूम ा की फकयणे उव घय भं प्रले ळ कयाऩाती शं । जीव घय के त्खड़ेकी दयलाजे खु रे शं।

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APR 2015

अप्रैर-2015


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