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गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका
NON PROFIT PUBLICATION
पयवयी- 2013
FREE E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका पयवयी 2013 सॊऩादक
सिॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग
गुरुत्व कामाारम
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
ई- जन्भ ऩत्रिका अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया उत्कृ ष्ट बत्रवष्मवाणी के साथ १००+ ऩेज भं प्रस्तुत
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91+9338213418, 91+9238328785, ईभेर
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ऩत्रिका प्रस्तुसत
सिॊतन जोशी,
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स्वस्स्तक.ऎन.जोशी पोटो ग्राफपक्स
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक आटा हभाये भुख्म सहमोगी
स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक सोफ्टे क इस्न्डमा सर)
फहॊ दी/ English भं भूल्म भाि 750/GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
अनुक्रभ त्रवसबन्न कवि से काभना ऩूसता
7
भहा सुदशान कवि
अभोघ भहाभृत्मुॊजम कवि
7
त्रिशूर फीसा कवि
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध प्रद कवि
8
स्वप्न बम सनवायण कवि
24 25
सकर ससत्रद्ध प्रद गामिी कवि
9
सकर सम्भान प्रासद्ऱ कवि
25
दस भहा त्रवद्या कवि
10
आकषाण वृत्रद्ध कवि
25
नवदग ु ाा शत्रि कवि
11
वशीकयण नाशक कवि
26
ऩॊिदे व शत्रि कवि
12
यसामन ससत्रद्ध कवि
26
सुवणा रक्ष्भी कवि
13
काभना ऩूसता हे तु हभाये त्रवशेष कवि
स्वणााकषाण बैयव कवि
13
सवा कामा ससत्रद्ध कवि
27 27
श्रीदग ु ाा फीसा कवि
14
याज याजेश्वयी कवि
27
सवाजन वशीकयण कवि
28
ससत्रद्ध त्रवनामक कवि
15 15
अष्ट रक्ष्भी कवि
28
त्रवष्णु फीसा कवि
16
शिु त्रवजम कवि
29
याभबद्र फीसा कवि
17
ऩयदे श गभन औय राब प्रासद्ऱ कवि
29
स्वस्स्तक फीसा कवि
17
बूसभराब कवि
30
सयस्वती कवि
18
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कवि
30
हॊ स फीसा कवि
18
ऩदौन्नसत कवि
30
कुफेय फीसा कवि
19
तॊि यऺा कवि
30
नवााण फीसा कवि
20
ऋण भुत्रि कवि
31
गरुड फीसा कवि
20
योजगाय प्रासद्ऱ कवि
31
ससॊह फीसा कवि
20
ग्रह शाॊसत हे तु त्रवशेष कवि
32
सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्ध कवि
21
कारसऩा शाॊसत कवि
32
याभ यऺा कवि
22
शसन साड़े साती औय ढ़ै मा कष्ट सनवायण कवि
33
हनुभान कवि
22
श्रात्रऩत मोग सनवायण कवि
33
बैयव यऺा कवि
23
िॊडार मोग सनवायण कवि
34
इष्ट ससत्रद्ध कवि
23
ग्रहण मोग सनवायण कवि
35
त्रवरऺण सकर याज वशीकयण कवि
23
भाॊगसरक मोग सनवायण कवि
36
सुदशान फीसा कवि
24
ससद्ध सूम,ा िॊद्र, भॊगर, फुध, गुरु, शुक्र, शसन, याहु, केतु कवि 36-37
अष्ट त्रवनामक कवि
24
स्थामी औय अन्म रेख सॊऩादकीम
4
दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका
66
पयवयी 2013 भाससक यासश पर
55
फदन-यात के िौघफडमे
67
पयवयी 2013 भाससक ऩॊिाॊग
59
फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक
68
पयवयी 2013 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय
61
ग्रह िरन पयवयी 2013
69
पयवयी 2013-त्रवशेष मोग
66
हभाया उद्दे श्म
79
त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ु फफहन जम गुरुदे व साभान्म बाषा भं कवि शब्द का अथा होता हं यऺा/फिाव कयने वारा होता हं । ऩौयास्णक ग्रॊथं के अध्ममन से
हभं ऻात होता हं की मोद्धा जफ मुद्ध कयने के सरए जाते थे तो अऩने त्रवयोसध मा प्रसतद्रॊ द्री ऩऺ के अस्त्र-शस्त्रं के घातप्रसतघात से शयीय की यऺा के सरए रोहे से फना त्रवशेष रुऩ का कवि धायण कयते थे। स्जससे मुद्ध के दौयान उनका शयीय असधक दे य तक सुयस्ऺत यहता था। त्रवसबन्न दे वी दे वताओॊ के कवि बी इसी प्रकाय से कामा कयते हं , एक कवि वह हं जो भॊि एवॊ स्त्रोत के स्वरुऩ होता हं स्जसके ऩाठ-ऩठन से साधक का यऺण होता हं दस ू या होता हं दे वी-दे वता के भॊि, मॊि आफद द्राया त्रवशेष रुऩ से सनसभात फकमे गमे कवि स्जसको धायण कय धायण कताा की त्रवसबन्न असबराषाऐ
ऩूणा होती हं । त्रवसबन्न दे वी-दे वताओॊ के भॊि, मॊि आफद द्राया सनसभात कवि के प्रबाव से धायण कताा की यऺा होने का उल्रेख हभाये धभाशास्त्रं भं सभरता हं , ब्रह्म वैवता ऩुयाण भं वस्णात प्रसॊग 1: ब्रह्म वैवता ऩुयाण भं गणऩसत खण्ड अध्माम 30 भं उल्रेख हं की ऩयशुयाभ ने कातावीमा को भायने की प्रसतऻा को ऩूया कयने के सरए सशवजी से अऩना असबप्राम प्रकट कयते हं , स्जसे सुनकय दे वी बगवती क्रोसधत हो जाती हं औय सशवजी से अऩनी मािना कयने आमे ऩयशुयाभ की सनॊदा कयते हुवे उनकी बत्साना कयती हं । तफ ऩयशुयाभ दे वी
जगदम्फा के क्रोसधत विनं को सुनकय जोय-जोय से योने रगते हं औय अऩने प्राण-त्मागने के सरए तैमाय हो जाते हं । तफ बोरेनाथ ने ब्राह्मण फारक को योते दे ख, स्नेह औय त्रवनम ऩूवक ा दे वी बगवती के क्रोध को शाॊत फकम औय ऩयशुयाभ से कहाॊ "हे वत्स !
आज से तुभ भेये सरमे ऩुि के सभान हो, भं तुम्हं एसा गूढ़ भॊि प्रदान करुॉ गा जो
त्रिरोकं भं अत्मॊत दर ा हं । इसी प्रकाय एक एसा ऩयभ दर ा एवॊ अद्द्भत ु ब ु ब ु कवि प्रदान करुॉ गा स्जसे धायण कयके तुभ भेयी कृ ऩा से कातावीमा का वध कयंगे। वत्स ! तुभ इक्कीस फाय ऩृथ्वी को ऺत्रिम-त्रवहीन कयने भं सभथा हंगे औय साये जगत भं तुम्हायी कीसता व्माद्ऱ होगी इसभं जयाबी सॊशम नहीॊ हं । फपय सशवजीने ऩयशुयाभ से कहाॉ ! वत्स "िैरोक्मत्रवज" नाभक कवि, जो ऩयभ दर ा औय अनोखा हं ु ब
भैने
तुम्हं फतरा फदमा हं । भैने इसे श्रीकृ ष्ण के भुख से श्रवण फकमा हं , इस सरमे इसे स्जस फकसी को नहीॊ फतराना िाफहए। जो ऩूणा त्रवसध-त्रवधान से गुरु ऩूजन कयके इस कवि को गरे भं मा अऩनी दाफहनी बुजा ऩय धायण कयता हं , वह त्रवष्णु-तुल्म हो जाता हं , इसभं सॊशम नहीॊ हं । वह जहाॉ यहता हं , वहाॉ रक्ष्भी औय सयस्वती सनवास कयती हं । मफद कोई इस कवि को ससत्रद्ध कयरे तो वह प्राणी जीवन भुि हो जाता हं औय कयोड़ं वषं की ऩूजा का पर उसे प्राद्ऱ हो जाता हं । क्मोकी, हजायं याजसूम,ा अश्वभेध आफद सॊऩूणा भहादान इस िैरोक्मत्रवजम कवि की सोरहवीॊ करा की बी सभानता नहीॊ कय सकते। हजायं सैकड़ं व्रत-उऩवास, तऩस्मा, तीथा स्नान आफद सबी ऩूण्म कभा इसकी करा को नहीॊ ऩा सकते। इस सरए वत्स ! इस कवि को धायण कय तुभ आनन्दऩूवक ा सनस्िॊत हो कय इक्कीस फाय ऩृथ्वी को ऺत्रिमत्रवहीन कयने का अऩना प्रण ऩूया कयं! रेफकन ऩुि ! प्राण सॊकट भं हो तो याज्म स्जमा जा सकता हं , ससय कटामा जा सकता हं औय प्राणं को ऩरयत्माग बी फकमा जा सकता हं , रेफकन एसे दर ा कवि का दान नहीॊ कयना िाफहए। ु ब इस प्रकाय सशव कृ ऩा से ऩयशुयाभ ने 21 फाय ऩृथ्वी को ऺत्रिम-त्रवहीन कय फदमा (हय फाय फकसी कायणं से ऺत्रिमं की ऩस्िमाॉ जीत्रवत यहीॊ औय नई ऩीढ़ी को जन्भ फदमा) औय ऩाॉि झीरं को यि से बय फदमा। अॊत भं त्रऩतयं की
आकाशवाणी सुनकय उन्हंने ऺत्रिमं से मुद्ध कयना छोड़कय तऩस्मा भं रग गमे। एसा वणान धभाग्रथ ॊ ं भं सभरता हं । ब्रह्म वैवता ऩुयाण भं वस्णात प्रसॊग 2: ब्रह्म वैवता ऩुयाण भं गणऩसत खण्ड अध्माम 35 भं उल्रेख हं की ऩयशुयाभ ने याजा भत्स्मयाज से उसका सुयऺा कवि भाॊगकय उसका वध फकमा। भत्स्मयाज के गरे भं ऋत्रष दव ु ाासा द्राया फदमा गमा सशवजी का फदव्म कवि फॉधा था
! मुद्ध के दौयान आकाशवाणी हुई, मह कवि याजा को प्राण-प्रदान कयने वारा था इस सरए याजा से प्राण-प्रदान कयने वारे कवि को भाॉग कय उसका वध कयं।
तफ ऩयशुयाभ ने सॊन्मासी का वेष धायण कयके याजा से कवि की मािना की। याजा भत्स्मयाज ने प्राण-प्रदान कयने वारे "ब्राह्मण-त्रवजम" नाभक उत्तभ कवि को उन्हं दे फदमा। उस कवि को रेकय ऩयशुयाभ नं त्रिशूर से प्रहाय से िॊद्रवॊश भं उत्ऩन्न, गुणवान औय भहाफरी, स्जसके भुख की काॊसत सैकड़ं िन्द्रभाओॊ के सभान थी, वह बूतर ऩय सगय गमा। याजा से उसका कवि दान भं भाॉगकय उसका वध फकमा। ब्रह्म वैवता ऩुयाण भं वस्णात प्रसॊग 3: ब्रह्म वैवता ऩुयाण भं गणऩसत खण्ड अध्माम 38 भं उल्रेख हं की ऩयशुयाभ का सुिन्द्र-ऩुि ऩुष्कयाऺ का मुद्ध के दौयान ऩाशुऩत शस्त्र को छोड़ने का उद्यत कयते सभम ऩयशुयाभके ऩास बगवान हरय वृद्ध ब्राह्मण वेश भं आकय, उन्हं सभझामा की वत्स बागाव ! तुभ तो भहाऻासन हो फपय भ्रभव्सह, क्रोधावेश भं आकय तुभ भनुष्म का वध कयने के सरमे
ऩाशुऩत का प्रमोग क्मं कय यहे हो? इस ऩाशुऩत से तत्ऺण साया त्रवश्व बस्भ हो सकता हं , क्मोफक मह शस्त्र बगवान श्रीकृ ष्ण के असतरयि औय सफका त्रवनाशक हं । इस ऩाशुऩत को जीतने की शत्रि तो सुदशान िक्र औय श्रीहरय भं ही हं , मह दोनं तीनं रोकं भं सभस्त अस्त्रं भं प्रधान हं । इससरए हे वत्स! तुभ ऩाशुऩतास्त्र को यख दं औय भेयी फात सुनं। सुिन्द्र-ऩुि ऩुष्कयाऺ के गरे भं भहारक्ष्भी कवि कवि हं जो तीनं रोकं भं दर ा हं , स्जसे ऩुष्कयाऺ नं बत्रिऩूवक ा ु ब त्रवसध-त्रवधान से अऩने गरे भं धायण कय यखा हं औय ऩुष्कयाऺ के ऩुि नं आद्यशत्रि दे वी दग ा एवॊ ु ाा का ऩयभ दर ु ब
उत्तभ कवि अऩने दाफहनी बुजा ऩय फाॉधा हुवा हं ।। स्जसके प्रबाव से वह दोनं ऩयभैश्वमा सम्ऩन्न औय त्रिरोकत्रवजमी हुवे हं । इस कवि को धायण फकमे हुवे को कौन जीत सकता हं । इससरए वत्स ! भं तुम्हायी प्रसतऻा को सपर कयने के सरए उन दोनं के सॊसनकट जाकय उनसे कवि की मािना करुॉ गा।
ब्राह्मण वेशधायी बगवान त्रवष्णु की फात सुनकय ऩयशुयाभ ने बमसबत हो कय वृद्ध ब्राह्मण से ऩूछा "भहाप्रऻ" ब्राह्मणरुऩधायी आऩ कौन हं , भं मह नहीॊ जान ऩा यहा हूॉ, अत् आऩ भुझ अनजान को शीघ्र ही अऩना ऩरयिम दीस्जमे , तफ बगवान त्रवष्णु ने हॉ स कय कहाॉ भं त्रवष्णु हूॉ।
फपय बगवान त्रवष्णु ने त्रवप्र रूऩधायण कय अऩनी भामा से भोफहत कय ऩुष्कयाऺ से भहारक्ष्भी औय उसके ऩुि से दग ु ाा कवि को दान रूऩ भं प्राद्ऱ कयसरमा। फपय ऩयशुयाभ ने याजा का वध कय फदमा। इस प्रकाय कवि के अद्द्भत ु प्रबावं के भफहभा से हभाये धभा ग्रॊथ आफद अनेकं शास्त्र भं बये ऩड़े हं ।
इस अॊक भं प्रकासशत कवि से सॊफॊसधत जानकायीमं के त्रवषम भं साधक एवॊ त्रवद्रान ऩाठको से अनुयोध हं , मफद दशाामे गए कवि के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं, फडजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाशन भं कोई िुफट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म ज्मोसतषी, गुरु मा त्रवद्रान से सराह त्रवभशा कय रे । क्मोफक त्रवद्रान ज्मोसतषी, गुरुजनो एवॊ साधको के सनजी अनुबव त्रवसबन्न कविो की सनभााण ऩद्धसत एवॊ प्रबावं का वणान कयने भं बेद होने ऩय कवि की, ऩूजन त्रवसध एवॊ उसके प्रबावं भं सबन्नता सॊबव हं ।
सिॊतन जोशी
6
पयवयी 2013
***** कवि त्रवशेषाॊक से सॊफॊसधत सूिना ***** ऩत्रिका भं प्रकासशत कवि त्रवशेषाॊक गुरुत्व कामाारम के असधकायं के साथ ही आयस्ऺत हं । कवि त्रवशेषाॊक भं वस्णात रेखं को नास्स्तक/अत्रवश्वासु व्मत्रि भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हं । कवि का त्रवषम आध्मात्भ से सॊफॊसधत होने के कायण बायसतम धभा शास्त्रं से प्रेरयत होकय प्रस्तुत फकमा हं । कवि त्रवशेषाॊक से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय की स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं । कवि से सॊफॊसधत सबी जानकायीकी प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव की स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव की स्जन्भेदायी के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं । कवि त्रवशेषाॊक भं वस्णात कवि त्रवशेषाॊक से सॊफॊसधत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रवश्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवश्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्वमॊ का होगा। कवि त्रवशेषाॊक से सॊफॊसधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी। कवि त्रवशेषाॊक से सॊफॊसधत रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय फदए गमे हं । हभ फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष द्राया प्रमोग फकमे जाने वारे कवि, भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं । मह स्जन्भेदायी कवि, भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्रि फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ डं, साभास्जक, कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्वाथा ऩूसता हे तु प्रमोग कताा हं अथवा प्रमोग के कयने भे िुफट होने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ सॊबव हं । कवि त्रवशेषाॊक से सॊफॊसधत जानकायी को भाननने से प्राद्ऱ होने वारे राब, राब की हानी मा हानी की स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हं । हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी कवि एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हं स्जस्से हभे हय प्रमोग मा कवि, भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनस्ित सपरता प्राद्ऱ हुई हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं । (सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
पयवयी 2013
7
त्रवसबन्न कवि से काभना ऩूसता
सिॊतन जोशी अभोघ भहाभृत्मुॊजम कवि Amogh Mahamrutyunjay Kawach मफद जन्भ कुॊडरी भं भृत्मु का मोग फन यहा हो, भायक ग्रहं की दशा के दौयान प्राणबम, शिुआफद के कायण प्राणबम, आकस्स्भक कुण्डरी भं दघ ा नाओॊ के मोग फन यहे हो, फाय-फाय स्वास्थ्म सॊफॊसधत सभस्माएॊ ु ट कष्ट दे यफह हो, औषसधमं का प्रबाव रेशभाि हो यहा हो आफद सबी कायण स्जससे प्राण सॊकट भं हो तफ शास्त्रोि भतानुशाय अभोघ भहाभृत्मुॊजम कवि सवाश्रष्ठ े उऩाम भाना जाता हं । शास्त्रं भं वस्णात हं की एक फाय दे वी बगवती ने बगवान सशव से ऩूछा फक प्रबू अकार भृत्मु से यऺा कयने औय सबी प्रकाय के अशुबं से यऺा का कोई सयर उऩाम फताइए। तफ बगवान सशव ने भहाभृत्मुॊजम कवि के फाये भं फतामा। भहाभृॊत्मुजम कवि को धायण कयके भनुष्म का सबी प्रकाय के असनष्ट से फि होता हं औय अकार भृत्मु को बी टार सकता हं । अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि व उल्रेस्खत अन्म साभग्रीमं को शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवद्रान ब्राह्मणो द्राया सवा राख भहाभृत्मुॊजम भॊि जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्राया सनसभात फकमा जाता हं इस सरए कवि अत्मॊत प्रबावशारी होता हं । भूल्म भाि: 10900
भॊि ससद्ध दर ा साभग्री ु ब हत्था जोडी- Rs- 370
घोडे की नार- Rs.351
भामा जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370
भोसत शॊख- Rs- 550
धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251
ससमाय ससॊगी- Rs- 370
दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550
इन्द्र जार- Rs- 251
GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
पयवयी 2013
8 श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध प्रद कवि Shri Ghantakarn Mahavir Sarv Siddhi Prad Kawach
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध प्रद कवि को धायण कयने से धायण कताा की सकर भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं । धायण कताा का सबी प्रकाय के बूत-प्रेत आफद उऩद्रव से यऺण होता हं । दष्ट ु व असुयी शत्रिमं से उत्ऩन्न होने वारे सबी प्रकाय के बम श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध प्रद कवि के प्रबाव से दयू हो जाते हं ।
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध प्रद कवि को धायण
कयने से साधक को धन, सुख, सभृत्रद्ध, ऎश्वमा, सॊतत्रत्त-सॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ होती हं । कवि को धायण कयने से शीघ्र ही साधक की सबी प्रकाय की सास्त्वक इच्छाओॊ की ऩूसता होती हं । मफद फकसी व्मत्रि ऩय वशीकयण, भायण, उच्िाटन इत्माफद जाद-ू टोने वारे प्रमोग फकमे गमं होतो इस श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध प्रद कवि के प्रबाव से स्वत् नष्ट हो जाते
हं औय बत्रवष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता हं तो यऺण होता हं । कवि धायण कताा को मफद कोई इषाा, रोब, भोह मा शिुतावश मफद अनुसित कभा कयके फकसी बी उद्दे श्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हं तो कवि के प्रबाव से साधक का यऺण तो होता ही हं , कबी-कबी शिु के द्राया फकमा गमा अनुसित कभा शिु ऩय ही उऩय उरट वाय हो जाते हं । भूल्म भाि: 6400
बाग्म रक्ष्भी फदब्फी सुख-शास्न्त-सभृत्रद्ध की प्रासद्ऱ के सरमे बाग्म रक्ष्भी फदब्फी :- स्जस्से धन प्रसद्ऱ, त्रववाह मोग, व्माऩाय वृत्रद्ध, वशीकयण, कोटा किेयी के कामा, बूतप्रेत फाधा, भायण, सम्भोहन, तास्न्िक फाधा, शिु बम, िोय बम जेसी अनेक ऩये शासनमो से यऺा होसत है औय घय भे सुख सभृत्रद्ध फक प्रासद्ऱ होसत है , बाग्म रक्ष्भी फदब्फी भे रघु श्री फ़र, हस्तजोडी (हाथा जोडी), ससमाय ससन्गी, त्रफस्ल्र नार, शॊख, कारी-सफ़ेद-रार गुॊजा, इन्द्र जार, भाम जार, ऩातार तुभडी जेसी अनेक दर ा साभग्री होती है । ु ब
भूल्म:- Rs. 1250, 1900, 2800, 5500, 7300, 10900 भं उप्रब्द्ध
गुरुत्व कामाारम सॊऩका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785 c
पयवयी 2013
9 सकर ससत्रद्ध प्रद गामिी कवि Sakal Siddhi Prad Gayatri Kawach
वेदं भं उल्रेख हं की दे वी गामिी सबी प्रकाय के ऻान औय त्रवऻान की जननी हं , दे वी गामिी की उऩासना कयने से दे वी गामिी का आसशवााद प्राद्ऱ कय साधक 84 कराओॊ का ऻाता हो जाता हं । भाना जाता हं की ससद्ध की हुई गामिी काभधेनु के सभान हं । स्जस प्रकाय गॊगा शयीय के ऩाऩं को सनभार कयती हं , उसी प्रकाय गामिी रूऩी ब्रह्म गॊगा से आत्भा ऩत्रवि होती हं । स्जस प्रकाय दे वी गामिी ऩाऩं का नाश कयने वारी हं , सभस्त साॊसारयक औय ऩायरौफकक सुखं को प्रदान कयने वारी हं । उसी प्रकाय सकर ससत्रद्ध प्रद गामिी कवि को धायण कयने से साधक के सभस्त योग-शोक-बम, बूत-प्रेत, तॊि फाधा, िोट, भायण, भोहन, उच्िाटन, वशीकयण, स्तॊबन, काभण-टू भण, इत्माफद उऩद्रवं का नाश होता हं । साधक को धभा, अथा, काभ औय भोऺ की प्रासद्ऱ बी सॊबॊव हं ! सकर ससत्रद्ध प्रद गामिी कवि को धायण कयने से भूखा से भूखा औय जड़ से जड़ व्मत्रि बी त्रवद्रान होने भं सभथा हो सकता हं ! धायण कताा को असाध्म योग एवॊ ऩये शानीमं से भुत्रि सभर सकती हं ! सकर ससत्रद्ध प्रद गामिी कवि के प्रबाव से फदन-प्रसतफदन धायण कताा की धन-सॊऩत्रत्त की वृत्रद्ध एवॊ यऺा होती हं । सकर ससत्रद्ध प्रद गामिी कवि के प्रबाव से ग्रह जसनत ऩीड़ाओॊ से बी यऺा होती। धायण कताा को अऩने कामं भं अभूत सपरतामं सभर जाती हं । सकर ससत्रद्ध प्रद गामिी कवि को धायण कयने से धायण कताा का सित्त शुद्ध होता हं औय रृदम भं सनभारता आती हं । शयीय नीयोग यहता हं , स्वबाव भं नम्रता आती हं , फुत्रद्ध सूक्ष्भ होने से साधक की दयू दसशाता फढ़ती हं औय स्भयण शत्रि का त्रवकास होता हं । अनुसित काभ कयने वारं के दा ग ु ुण गामिी के कायण सयरता से छूट सकते हं । भूल्म भाि: 6400
पयवयी 2013
10 दस भहा त्रवद्या कवि Dus Mahavidya Kawach
दस भहा त्रवद्या कवि को दे वी दस भहा त्रवद्या की शत्रिमं से सॊऩन्न अत्मॊत प्रबावशारी औय दर ा कवि ु ब भाना गमा हं ।
इस कवि के भाध्मभ से साधक को दसो भहात्रवद्याओॊ आसशवााद प्राद्ऱ हो सकता हं । दस भहा त्रवद्या कवि को धायण कयने से साधक की सबी भनोकाभनाओॊ की ऩूसता होती हं । दस भहा त्रवद्या कवि साधक की सभस्त इच्छाओॊ की ऩूसता कयने भं सभथा हं । दस भहा त्रवद्या कवि धायण कताा को शत्रिसॊऩन्न एवॊ बूसभवान फनाने भं सभथा हं । दस भहा त्रवद्या कवि को श्रद्धाऩूवक ा धायण कयने से शीघ्र दे वी कृ ऩा प्राद्ऱ होती हं औय धायण कताा को दस भहा त्रवद्या दे वीमं की कृ ऩा से सॊसाय की सभस्त ससत्रद्धमं की प्रासद्ऱ सॊबव हं । दे वी दस भहा त्रवद्या की कृ ऩा से साधक को धभा, अथा, काभ व ् भोऺ ितुत्रवाध ऩुरुषाथं की प्रासद्ऱ हो सकती हं । दस भहा त्रवद्या कवि
भं भाॉ दग ु ाा के दस अवतायं का आशीवााद सभाफहत होता हं , इस सरए दस भहा त्रवद्या कवि को धायण कय के धायण कयके व्मत्रि अऩने जीवन को सनयॊ तय असधक से असधक साथाक एवॊ सपर फना सकता हं । दश भहात्रवद्या को शास्त्रं भं आद्या बगवती के दस बेद कहे गमे हं , जो क्रभश् (1) कारी, (2) ताया, (3) षोडशी, (4) बुवनेश्वयी, (5) बैयवी, (6) सछन्नभस्ता, (7) धूभावती, (8) फगरा, (9) भातॊगी एवॊ (10) कभास्त्भका। इस सबी दे वी स्वरुऩं को, सस्म्भसरत रुऩ भं दशभहात्रवद्या के नाभ से जाना जाता हं । भूल्म भाि: 6400
यि एवॊ उऩयि हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यि एवॊ उऩयि व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हं । ज्मोसतष कामा से जुडे़ फधु/फहन व यि व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यि व अन्म साभग्रीमा व अन्म सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
गुरुत्व कामाारम सॊऩका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785.
पयवयी 2013
11 नवदग ु ाा शत्रि कवि Navdurga Shakti Kawach भाॊ दग ु ाा के नवरुऩ क्रभश् 1. शैरऩुिी
2. ब्रह्मिारयणी 3. िन्द्रघण्टा 4. कूष्भाण्डा 5. स्कन्दभाता 6. कात्मामनी 7. कारयात्रि 8. भहागौयी 9. ससत्रद्धदािी हं । नौदे वीमं के कविं को एक साथ भं सभराकय फनाकय नवदग ु ाा कवि का सनभााण फकमा जाता हं । स्जससे धायण कताा को नौ दे वीमं का आसशवााद एक साथ प्राद्ऱ हो जाता हं । नौ दे वीमं के कवि का भहत्व क्रभश् आऩके भागादशान हे तु महाॉ प्रस्तुत हं । दे वी शैरऩुिी का कवि धायण कयने वारा व्मत्रि सदा धन-धान्म से सॊऩन्न यहता हं । अथाात उसे स्जवन भं धन एवॊ अन्म सुख साधनो की कभी भहसुस नहीॊ होतीॊ। व्मत्रि को अनेक प्रकाय की ससत्रद्धमाॊ एवॊ उऩरस्ब्धमाॊ प्राद्ऱ होती हं । दे वी ब्रह्मिारयणी का कवि धायण कयने वारे व्मत्रि को अनॊत पर की प्रासद्ऱ होती हं । कवि के प्रबाव से व्मत्रि भं तऩ, त्माग, सदािाय, सॊमभ जैसे सद् गुणं फक वृत्रद्ध होती हं । दे वी िन्द्रघण्टा का कवि धायण कयने से व्मत्रि को सबी ऩाऩं से भुत्रि सभरती हं उसे सभस्त साॊसारयक आसध-व्मासध से भुत्रि सभरती हं । इसके उऩयाॊत व्मत्रि को सियामु, आयोग्म, सुखी औय सॊऩन्नता प्राद्ऱ होती हं । कवि के प्रबाव से व्मत्रि के साहस एव त्रवयता भं वृत्रद्ध होती हं । व्मत्रि के स्वय भं सभठास आती हं उसके आकषाण भं बी वृत्रद्ध होती हं । क्मोफक, िन्द्रघण्टा को ऻान की दे वी बी भाना गमा हं ।
दे वी कूष्भाण्डा के कवि को धायण कयने वारे व्मत्रि को सबी प्रकाय के योग, शोक औय क्रेश से भुत्रि सभरती हं , उसे आमुष्म, मश, फर औय फुत्रद्ध प्राद्ऱ होती हं । दे वी स्कॊदभाता के कवि को धायण कयने से व्मत्रि की सभस्त इच्छाओॊ की ऩूसता होती हं एवॊ जीवन भं ऩयभ सुख एवॊ शाॊसत प्राद्ऱ होती हं ।
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पयवयी 2013
दे वी कात्मामनी का कवि धायण कयने से व्मत्रि को सबी प्रकाय के योग, शोक, बम से भुत्रि सभरती हं । कात्मामनी दे वी को वैफदक मुग भं मे ऋत्रष-भुसनमं को कष्ट दे ने वारे यऺ-दानव, ऩाऩी जीव को अऩने तेज से ही नष्ट कय दे ने वारी भाना गमा हं । दे वी कारयात्रि का कवि धायण कयने से अस्ग्न बम, आकाश बम, बूत त्रऩशाि इत्मादी शत्रिमाॊ कारयात्रि दे वी के स्भयण भाि से ही बाग जाते हं , कारयात्रि शिु एवॊ दष्ट ु ं का सॊहाय कयने वारी दे वी हं ।
दे वी भहागौयी के कवि को धायण कयने से व्मत्रि के सभस्त ऩाऩं से छुटकाया सभरता हं । मह भाॊ अन्नऩूणाा के सभान, धन, वैबव औय सुख-शाॊसत प्रदान कयने वारी एवॊ सॊकट से भुत्रि फदराने वारी दे वी भहागौयी का कवि हं । दे वी ससत्रद्धदािी के कवि को धायण कयने से व्मत्रि फक सभस्त काभनाओॊ फक ऩूसता होती हं उसे ऋत्रद्ध-ससत्रद्ध की प्रासद्ऱ होती हं । कवि के प्रबाव से व्मत्रि के मश, फर औय धन की प्रासद्ऱ आफद कामो भं हो यहे फाधा-त्रवध्न सभाद्ऱ हो जाते
हं । व्मत्रि को मश, फर औय धन की प्रासद्ऱ हो कय उसे भाॊ की कृ ऩा से धभा, अथा, काभ औय भोऺ फक बी प्रासद्ऱ स्वत् हो जाती हं । भूल्म भाि: 6400
ऩॊिदे व शत्रि कवि Pancha Dev Shakti Kawach
ऩॊिदे व फहन्द ू धभा के ऩाॉि प्रधान दे वताओॊ को कहाॉ जाता हं , इन ऩॊिदे वताओॊ की ऩूजा-उऩासना आफद फहन्द ू धभा भं
त्रवशेष रुऩ से प्रिसरत हं । फहन्द ू धभा भं फकसी बी शुब औय भाॊगसरक कामा भं ऩॊिदे वताओॊ की ऩूजा को असनवामा भाना गमा हं ।
इन ऩाॉि दे वताओॊ के रुऩ भं बगवान श्रीगणेश, सशव, त्रवष्णु, दग ु ाा औय सूमा की आयाधना फक जाती हं ।
त्रवद्रानं ने अऩने अनुबवं के आधाय से मह ऩामा हं की इन ऩॊिदे व अथाात श्री गणेश, सशव, त्रवष्णु, दग ु ाा औय सूमा की सॊमुि कृ ऩा से जीवन भं बौसतक सुख-साधनं की प्रासद्ऱ व आसशवााद प्राद्ऱ कयने का उत्तभ भाध्मभ ऩॊिदे व शत्रि कवि हं । ऩॊिदे व शत्रि कवि को धायण कयने से व्मत्रि को सुख-सौबाग्म एवॊ ऐश्वमा की प्रासद्ऱ होती हं । ऩॊिदे व शत्रि कवि को धायण कयने से धायण कताा के सकर भनोयथ शीघ्र ससद्ध होने रगते हं औय उसके जीवन से सबी प्रकाय के द्ु ख, योग, शोक एवॊ त्रवघ्न-फाधाओॊ का स्वत् नाश होता हं ।
भूल्म भाि: 6400
शादी सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी फक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनके वैवाफहक
जीवन भं खुसशमाॊ कभ होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी स्स्थती होने ऩय अऩने रडके-रडकी फक कॊु डरी का अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके वैवाफहक सुख को कभ कयने वारे दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।
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पयवयी 2013
सुवणा रक्ष्भी कवि Suvarn Lakshmi Kawach सुवणा रक्ष्भी कवि को धायण कयने से धन-सॊऩत्रत्त, यिआबूषण आफद की वृत्रद्ध होती हं । सुवणा रक्ष्भी कवि को धायण कयने से धायणकताा को सुवणा से सॊफॊसधत कामं भं त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ होती हं । त्रवसबन्न स्त्रोत से आसथाक राब सभरने के मोग फनते हं । सुवणा रक्ष्भी कवि के प्रबाव से धायणकताा की सुवणा से सॊफॊसधत सबी असबराषाएॊ शीघ्र ही ऩूणा होने की प्रफर सॊबावनाएॊ फनती हं । भूल्म भाि: 4600
स्वणााकषाण बैयव कवि Swarnakarshan Bhairav Kawach
फहन्द ू धभा भं बैयव जी को बगवान सशव के द्रादश स्वरूऩ
के रुऩ भं ऩूजा जाता हं । बैयवजी को भुख्म रुऩ से तीन स्वरुऩ फटु क बैयव, भहाकार बैयव औय स्वणााकषाण बैयव के रुऩ भं जाना जाता हं । त्रवद्रानं ने स्वणााकषाण-बैयव को धन-धान्म औय सम्ऩत्रत्त के दे वता भाना हं । धभाग्रॊथं भं उल्रेख सभरता हं की स्जस भनुष्म की आसथाक स्स्थती फदन-प्रसतफदन खयाफ होती जा यही हो, उस ऩय कजा का फोझ फढ़ता जा यहा हो, सभस्मा के सभाधान हे तु व्मत्रि
को कोई यास्ता न फदखाई दे यहा हो, व्मत्रि को सबी प्रकाय के ऩूजा ऩाठ, भॊि, मॊि, तॊि, मऻ, हवन, साधना आफद से कोई त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ न हो यही हो, तफ स्वणााकषाण बैयव जी का भॊि, मॊि, साधना इत्माफद का आश्रम रेना िाफहए। जो व्मत्रि स्वणााकषाण बैयव की साधना, भॊि जऩ आफद को कयने भं असभथा हो वह रोग स्वणााकषाण बैयव कवि को धायण कय त्रवशेषा राब प्राद्ऱ कय सकते हं । स्वणााकषाण बैयव कवि को धन प्रासद्ऱ के सरए अिूक औय अत्मॊत प्रबावशारी भाना जाता हं । स्वणााकषाण बैयव कवि को धायण कयने से मह भनुष्म की सबी प्रकाय की आसथाक सभस्माओॊ को सभाद्ऱ कयने भं सभथा हं । स्जसभं जया बी सॊदेह नहीॊ हं । इस करमुग भं स्जस प्रकाय भृत्मु बम के सनवायण हे तु भहाभृत्मुॊजम कवि अभोघ हं उसी प्रकाय आसथाक सभस्माओॊ के सभाधान हे तु स्वणााकषाण बैयव कवि अभोघ भाना गमा हं । धासभाक भान्मताओॊ के अनुशाय ऐसा भाना जाता हं की बैयवजी की ऩूजा-उऩासना श्रीगणेश, त्रवष्णु, िॊद्रभा, कुफेय आफद दे वताओॊ ने बी फक थी, बैयव उऩासना के प्रबाव से बगवान त्रवष्णु रक्ष्भीऩसत फने थे, त्रवसबन्न अप्सयाओॊ को सौबाग्म सभरने का उल्रेख धभाग्रॊथो भं सभरता हं । मफह कायण हं की स्वणााकषाण बैयव कवि आसथाक सभस्माओॊ के सभाधान हे तु अत्मॊत राबप्रद हं । इस कवि को धायण कयने से सबी प्रकाय से आसथाक राब की प्रासद्ऱ होने रगती हं । भूल्म भाि: 4600
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श्रीदग ु ाा फीसा कवि Durga Visha Kawach श्रीदग ु ाा फीसा कवि साधक को बत्रि के साथ सभस्त साॊसारयक सुखं को प्रदान कयने वारा सवाससत्रद्धप्रद कवि हं । श्रीदग ु ाा फीसा कवि को धायण कयने से साधक को धभा, अथा, काभ औय भोऺ इन िाय की प्रासद्ऱ भं बी सहामता प्राद्ऱ होती हं । शास्त्रोि वणान हं की भाॉ दग ु ाा का श्रीदग ु ाा फीसा कवि को धायण कयने
से दे वी प्रसन्न होकय, शीघ्र ही साधक की असबष्ट इच्छाएॊ ऩूणा कयती हं । भाॉ दग ु ाा अऩने बि की स्वमॊ यऺा कय उन ऩय कृ ऩा दृष्टी कयती हं ।
श्रीदग ु ाा फीसा कवि धायण कयने से भाॉ दग ु ाा की कृ ऩा से नौकयी व्मवसाम भं साधक को उन्नसत के सशखय ऩय जाने का भागा प्रसस्त होता हं । श्रीदग ु ाा फीसा कवि के प्रबाव से धायण कताा को धन-धान्म, सुखसॊऩत्रत्त, सॊतान का सुख प्राद्ऱ होता हं औय शिु ऩय त्रवजम, ऋण-योग आफद ऩीडा़ से भुत्रि प्राद्ऱ होती हं औय साधक को जीवन भं सॊऩूणा सुखं की प्रासद्ऱ होती हं । जीवन भं फकसी बी प्रकाय के सॊकट मा फाधा की आशॊका होने ऩय श्रीदग ा धायण कयने से ु ाा फीसा कवि को श्रद्धाऩूवक
साधक को सबी प्रकाय की फाधा से भुत्रि सभरती हं औय धन-धान्म की प्रासद्ऱ हो सकती हं । भूल्म भाि: 1900
ऩसत-ऩिी भं करह सनवायण हे तु मफद ऩरयवायं भं सुख-सुत्रवधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩिी के त्रफि भे करह
होता यहता हं , तो घय के स्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि वशीकयण कवि एवॊ गृह करह नाशक फडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं त्रफना फकसी ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध ऩसत वशीकयण मा ऩिी वशीकयण एवॊ गृह करह नाशक फडब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका आऩ कय सकते हं ।
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अष्ट त्रवनामक कवि Asht Vinayak Kawach त्रवद्रानं का कथ हं की बगवान श्री गणेश के इन आठ अवतायं भं सृत्रष्ट के सुख की कल्ऩना का आधाय भाना जाता हं । इससरए अष्ट त्रवनामक कवि को श्रीगणेश के आठ प्रभुख रूऩं की कृ ऩा प्रासद्ऱ हे तु धायण फकमा जाता हं । अष्ट त्रवनामक कवि सकर त्रवघ्न-फाधाओॊ का नाश कयने औय इस्च्छत कामं भं सपरता की प्रासद्ऱ हे तु उत्तभ हं । भूल्म भाि: 1900
ससत्रद्ध त्रवनामक कवि Siddhi Vinayak Ganapati Kawach ससत्रद्ध त्रवनामक कवि को बगवान श्री गणेश को प्रसन्न कयने के सरए धायण फकमा जाता हं । ससत्रद्ध त्रवनामक कवि को त्रवशेष शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से तैमाय फकमा जाता हं , स्जससे ससत्रद्ध त्रवनामक कवि के प्रबाव से धायण कताा के सबी प्रकाय के त्रवघ्न-फाधाओॊ का नाश हो जामे। ससत्रद्ध त्रवनामक कवि के प्रबाव से धायण कताा व्मत्रि को इस्च्छत कामं भं शीध्र सपरता की प्रासद्ऱ हो सके। ससत्रद्ध त्रवनामक कवि को धायण कयने से श्री गणेशजी के आसशवााद से धायण कताा को सबी शुब कामं भं सयरता से ससत्रद्ध प्राद्ऱ हो सकती हं औय धायण कताा को सबी प्रकाय से सुख प्राद्ऱ हो जाते हं । गणेशजी की कृ ऩा से धायण कताा को त्रवद्या-फुत्रद्ध की प्रासद्ऱ होती हं । शास्त्रं भं बगवान श्री गणेश को सभस्त ससत्रद्धमं को दे ने वारा भाना गमा हं । इस सरए सबी ससत्रद्धमाॉ बगवान गणेश भं वास कयती हं । बगवान श्री गणेश अऩने बिो के सभस्त त्रवघ्न फाधाओॊ को दयू कयने वारे त्रवनामक हं । ससत्रद्ध त्रवनामक कवि को श्रीगणेशजी की कृ ऩा प्रासद्ऱ हे तु धायण कयना अत्मॊत राबप्रद भाना गमा हं । भूल्म भाि: 1450
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त्रवष्णु फीसा कवि Vishnu Visha Kawach त्रवष्णु फीसा कवि को धन, मश, सपरता औय उन्नसत की प्रासद्ऱ हे तु उत्तभ भाना जाता हं । त्रवष्णु फीसा कवि को बगवान श्री त्रवष्णु को प्रसन्न कयने औय उनका आसशवााद प्राद्ऱ कयने के सरए धायण फकमा जाता हं । फहन्द ू धभाग्रॊथं भं वस्णात हं
की जहाॉ बगवान त्रवष्णु सनवास कयते हं , उस स्थान ऩय भाॉ भहारक्ष्भी का बी सनवास होता हं । स्जस बि ऩय बगवान त्रवष्णु प्रसन्न होते, कृ ऩा कयते हं , उस बि ऩय दे वी भहारक्ष्भी बी स्वत् प्रसन्न होती हं औय अऩनी कृ ऩा व आशीवााद दे ती हं । त्रवष्णु फीसा कवि को धायण कयने से व्मत्रि को कामं भं ससत्रद्ध व सपरता की प्रासद्ऱ, स्वास्थ्म औय साॊसारयक सुखं भं वृत्रद्ध होती हं । त्रवद्रानं का अनुबव यहा हं की श्री त्रवष्णु फीसा कवि को धायण कयने से शीघ्र ही धायणकताा के घय-ऩरयवाय भं सुख-सभृत्रद्ध-ऐश्वमा भं वृत्रद्ध होने रगती हं । त्रवष्णु फीसा कवि को धायण कयने से व्मत्रि भं सकायात्भक ऊजाा का सॊिाय होता हं । त्रवष्णु फीसा कवि के प्रबाव से उसके रुके हुवे कामा सॊऩन्न होने रगते हं । कामाऺेि भं
सुधाय होने रगता हं । शिु, योग आफद नाना प्रकाय के बमं का सनवायण हो जाता हं औय जीवन ऩयभ सुखी हो जाता हं । भूल्म भाि: 1900
भॊि ससद्ध मॊि
गुरुत्व कामाारम द्राया त्रवसबन्न प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे
त्रवसबन्न प्रकाय की सभस्मा के अनुसाय फनवा के भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवॊ िैतन्म मुि फकमे
जाते है . स्जसे साधायण (जो ऩूजा-ऩाठ नही जानते मा नही कसकते) व्मत्रि त्रफना फकसी ऩूजा अिानात्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते है . स्जस भे प्रसिन मॊिो सफहत हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया
फनाए गमे मॊि बी सभाफहत है . इसके अरवा आऩकी आवश्मकता अनुशाय मॊि फनवाए जाते है . गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊफडत एवॊ २२ गेज शुद्ध कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 टि
शुद्ध ससरवय (िाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है . मॊि के त्रवषम भे असधक जानकायी के सरमे हे तु सम्ऩका कये
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याभबद्र फीसा कवि Ramabhadra Visha Kawach याभबद्र फीसा कवि को बगवान श्री याभ को प्रसन्न कयने औय उनका आसशवााद प्राद्ऱ कयने के सरए धायण फकमा जाता हं । याभबद्र फीसा कवि को धायण कयने से भनुष्म के सफ कामा ससद्ध होने रगते हं । कवि को धायण कयने से व्मत्रि के सबी प्रकाय के सॊशम, बम, फॊधनो का नाश होता हं । स्जससे व्मत्रि सनबाम होकय अऩने कामा ऺेि भं आगे फढ़ता हं व सपरता के सशखय ऩहुॊि सकता हं । सनातन धभा भं याभ शब्द को धभा का भूर
भाना गमा हं । इस कसरमुग भं सभम के अबाव भं स्जस व्मत्रि के ऩास जऩ, तऩ, मऻ आफद धासभाक कामा कयने का सभम नहीॊ होता, ऐसे भं याभ का नाभ ही एक भाि सहाया हं , क्मोकी, जो रोग कसरमुग के इस कार भं श्रीयाभ की शयण रेते हं , उन्हं कसरमुग भं कोई फाधा नहीॊ ऩहुॊिाता। याभबद्र फीसा कवि श्री याभजी की कृ ऩा प्राद्ऱ कयने का का सयर भाध्मभ हं ।
स्वस्स्तक फीसा कवि Swastik Visha Kawach
भूल्म भाि: 1900
स्वस्स्तक फीसा कवि को धायण कयने से इष्ट कृ ऩा से व्मत्रि की सभस्त भनिाही इच्छाओॊ की ऩूसता हो सकती हं । त्रवद्रानं का अनुबव यहा हं की इस कवि को त्रवसध-त्रवधान से सनभााण कय धायण कयने से धन-धान्म, उत्तभ सॊतान आफद की प्रासद्ऱ होती हं । स्वस्स्तक फीसा कवि के प्रबाव से फकसी
बी प्रकय से आशाहीन, असहाम, सनयाश व्मत्रि हो उसकी सबी आशा औय आशमऩूणा हो जाते हं । धायण कताा के सबी प्रकाय के भनोयथ ससद्ध होते हं । कवि के प्रबाव से सुख, सौबाग्म भं वृत्रद्ध होती हं , औय धायण कताा का सबी प्रकाय से कल्माण होता हं ।
भूल्म भाि: 1050
क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं ? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩूजा-अिाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हं ? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत द्राया हभाया उद्दे श्म शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि त्रवसबन्न प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यि एवॊ उऩयि आऩके घय तक ऩहोिाने का है ।
गुरुत्व कामाारम: Bhubaneswar- 751 018, (ORISSA) INDIA, Call Us : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785,
पयवयी 2013
18 सयस्वती कवि Sawaswati Kawach
आज के आधुसनक मुग भं सशऺा प्रासद्ऱ जीवन की भहत्वऩूणा आवश्मकताओॊ भं से
एक है । फहन्द ू धभा भं
त्रवद्या की असधष्ठािी दे वी सयस्वती को भाना
जाता हं । इस सरए दे वी सयस्वती की ऩूजा-अिाना से कृ ऩा प्राद्ऱ कयने से फुत्रद्ध कुशाग्र एवॊ तीव्र होती है । आज के सुत्रवकससत सभाज भं िायं ओय फदरते ऩरयवेश एवॊ आधुसनकता की दौड भं नमे-नमे खोज एवॊ सॊशोधन के आधायो ऩय फच्िो के फौसधक स्तय ऩय अच्छे त्रवकास हे तु त्रवसबन्न ऩयीऺा, प्रसतमोसगता एवॊ प्रसतस्ऩधााएॊ होती यहती हं , स्जस भं फच्िे का फुत्रद्धभान होना असत आवश्मक हो जाता हं । अन्मथा फच्िा ऩयीऺा, प्रसतमोसगता एवॊ प्रसतस्ऩधाा भं ऩीछड जाता हं , स्जससे आजके ऩढे सरखे आधुसनक फुत्रद्ध से सुसॊऩन्न रोग फच्िे को भूखा अथवा फुत्रद्धहीन मा अल्ऩफुत्रद्ध सभझते हं । एसे फच्िो को हीन बावना से दे खने रोगो को हभने दे खा हं , आऩने बी कई सैकडो फाय अवश्म दे खा होगा? ऐसे फच्िो की फुत्रद्ध को कुशाग्र एवॊ तीव्र हो, फच्िो की फौत्रद्धक ऺभता औय स्भयण शत्रि का त्रवकास हो इस सरए सयस्वती कवि अत्मॊत राबदामक हो सकता हं । सयस्वती कवि को
दे वी सयस्वती के ऩयॊ भ दर ा तेजस्वी भॊिो द्राया ऩूणा ू ब
भॊिससद्ध औय ऩूणा िैतन्ममुि फकमा जाता हं । स्जस्से जो फच्िे भॊि जऩ
अथवा ऩूजा-अिाना नहीॊ कय सकते वह त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सके औय जो फच्िे ऩूजा-अिाना कयते हं , उन्हं दे वी सयस्वती की कृ ऩा शीघ्र प्राद्ऱ हो इस सरमे सयस्वती कवि अत्मॊत राबदामक होता हं । सयस्वती कवि औय मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
हॊ स फीसा कवि Hans Visha Kawach
भूल्म भाि: 550, 460
हॊ स फीसा कवि को त्रवद्याध्मन भं अत्मासधक राबप्रद भाना जाता हं । हॊ स फीसा कवि को धायण कयने से धायणकताा की फुत्रद्ध व स्भयण शत्रि तीव्र होती हं , स्जससे शीघ्र स्भयण होने वारी शत्रि को फर सभरता हं । फाय-फाय स्भयण फकमा हुवा बूर जाने का बम कभ हो जाता हं । हॊ स फीसा कवि को धायण कयने से धायण कताा का ऻान एवॊ फुत्रद्ध कुशाग्र हो जाती हं । हॊ स फीसा कवि के प्रबाव से धायण कताा का अत्कयण ऩत्रवि औय सनभार हो जाता हं , उसके त्रविायं भं
सकायात्भक उजाा का सॊिाय होने रगता हं । हॊ स फीसा कवि को धायण कयने से भाॉ सयस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हं , इससरए त्रवद्यासथामं के सरए मह अत्मॊत राबप्रस कवि हं । भूल्म भाि: 1050
पयवयी 2013
19 कुफेय फीसा कवि Kuber Visha Kawach
आज हय व्मत्रि की इच्छा होती हं की उसके ऩास अऩाय धन-सॊऩत्रत्त हो। उसके ऩास दसु नमा का हय ऐशो-आयाभ भौजुद हो, उसे कबी फकसी िीज की कभी न हो। आजके इस बौसतक मुग भं दे वताओॊ के कोषाध्मऺ कुफेय जी
का श्री कुफेय फीसा कवि भनुष्म की सभस्त बौसतक काभनाओॊ को ऩूणा कयने भं सभथा हं । कुफेय फीसा कवि के प्रबाव से धायण कताा ऩय मऺयाज कुफेय प्रसन्न हो कय उसे अतुर सम्ऩत्रत्त का वयदान दे ते हं । कुफेय फीसा कवि के प्रबाव से धायण कताा के सरए अऺम धन कोष की प्रासद्ऱ एवॊ आम वृत्रद्ध के नमे-नमे स्त्रोत फनने रगते हं । ऐसा शास्त्रोि विन हं की स्वणा राब, यि राब, ऩैतक ृ सम्ऩत्ती एवॊ गड़े हुए धन से राब प्रासद्ऱ फक काभना
कयने वारे व्मत्रि के सरमे कुफेय फीसा कवि धायण कयना अत्मन्त राब दामक हो सकता हं । कुफेय फीसा कवि को धायण कयने से व्मत्रि को एकासधक स्त्रोि से धन का प्राद्ऱ होकय उसका धन सॊिम होने रगता हं । धनसॊऩत्रत्त एवॊ ऐश्वमा की प्रासद्ऱ हे तु कुफेय फीसा कवि सवाश्रष्ठ े भाध्मभ हं । भूल्म भाि: 1900
भॊि ससद्ध स्पफटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्रिशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से असधक से असधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्रि के सरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि "श्री मॊि" स्जस व्मत्रि के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससद्ध होता है
उसके दशान भाि से अन-सगनत राब एवॊ सुख की प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि" भे सभाई अफद्रतीम एवॊ अद्रश्म शत्रि भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होसत है । स्जस्से उसका जीवन से हताशा औय सनयाशा दयू होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौसतक सुखो फक प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि"
भनुष्म जीवन भं उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का सनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फस्न्धत ऩये शासन भे न्मुनता आसत है व सुख-सभृत्रद्ध, शाॊसत एवॊ ऐश्वमा फक प्रसद्ऱ होती है ।
गुरुत्व कामाारम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है
.
भूल्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 10.50 से Rs.28.00
GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, Visit Us: http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
20
पयवयी 2013
नवााण फीसा कवि Narvan Visha Kawach नवाणा (नवााण) फीसा कवि दे वी दग ु ाा का कवि हं । फहन्द ू धभा भं दे वी दग ु ाा को द्ु खं का नाश कयने वारी कहा गमा हं । दे वी दग ु ाा की शत्रि को जाग्रत कयने हे तु शास्त्रं भं नवाणा भॊि का जाऩ कयने का त्रवधान फतामा गमा हं । त्रवद्रानं का कथन हं की जो भनुष्म सनमसभत भॊि जाऩ कयने भं असभथा हो उनके सरए नवाणा फीसा कवि धायण कयना भॊि जऩ के सभान पर प्रदान कयने वारा हं । नवाणा फीसा कवि को धायण कयने से व्मत्रि को धभा, अथा, काभ औय भोऺ इन िाय की प्रासद्ऱ भं बी सहाता प्राद्ऱ होती हं । भूल्म भाि: 1900
गरुड फीसा कवि Garud Visha Kawach गरुड बगवान श्रीत्रवष्णु का वाहन हं । जानकायो के भतानुशाय गरुड फीसा कवि को धायण कयने से सयरता से बगवान त्रवष्णु की कृ ऩा प्राद्ऱ होती हं । गरुड फीसा कवि को धायण कयने से शिु से सॊफॊसधत बमं का नाश होता हं । गरुड फीसा कवि के प्रबाव से सऩाबम आफद अनेक प्रकायकी व्मासधमाॊ दयू हो जाती हं । ऐसा त्रवद्रानं का अनुबव यहा हं की गरुड फीसा कवि को घय, दक ु ान, ऑफपस आफद के प्रवेश द्राय ऩय रगाने से घय भं सनवास कयने वारे सबी प्रकाय के सऩा घय छोड़कय बाग जाते हं एवॊ फपय घय भं प्रवेश नहीॊ कयते। गरुड फीसा कवि को धायण कयने मा बवन भं रगाने से सवा प्रकाय के सुख-आनॊद भं वृत्रद्ध होने रगती हं । त्रवद्रानं ने इस कवि को अत्मॊत परदामक भाना हं । भूल्म भाि: 1900
ससॊह फीसा कवि Sinha Visha Kawach ससॊह फीसा कवि को धायण कयने से दे वी बगवती की कृ ऩा प्राद्ऱ होती हं । ससॊह फीसा कवि भाॉ बगवती को प्रसन्न कयने औय उनका आसशवााद प्राद्ऱ कयने के सरए त्रवशेष रुऩ से धायण फकमा जाता हं । ससॊह फीसा कवि को धायण कयने से सबी प्रकाय के बम दयू हो जाते हं । ससॊह फीसा कवि के प्रबाव से सबी प्रकाय के शिु एवॊ त्रवयोधी धायणकताा के अनुकूर हो जाते हं । ससॊह फीसा कवि को धायण कयने से व्मत्रि का फडे से फडा व फरशारी शिु बी उससे बमबीत हो जाता हं औय शिुता छोड दे ता हं । ससॊह फीसा कवि आत्भत्रवश्वास की वृत्रद्ध एवॊ शिुओॊ को बमबीत कयने हे तु अत्मॊत उऩमोगी भाना गमा हं । भूल्म भाि: 1900
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पयवयी 2013
सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्ध कवि Sankat Mochinee Kalika Siddhi Kawach त्रवद्रानो ने कारी शब्द का अथा हं सभझाते हुवे वणान फकमा हं की
कारी अथाात "कार की ऩिी" फहन्द ू धभा भं बगवान सशव को कार कहाॊ गमा हं , इससरए सशव की ऩिी को कारी नाभ से सॊफोसधत फकमा गमा हं । बगवती कारी के रुऩ-बेद का वणान त्रवसबन्न शास्त्रं भं असॊख्म रुऩं भं फकमा गमा हं । वास्तव भं सबी दे वीमाॊ, मोसगसनमाॊ आफद भाॉ बगवती की ही प्रसतरुऩा भानी गई हं , स्जनके प्रभुख आठ बेद भाने जाते हं । (1) सिन्ताभस्ण कारी, (2) स्ऩशाभस्ण कारी, (3) सन्तसतप्रदा कारी, (4) ससत्रद्ध कारी, (5) दस्ऺण कारी, (6) काभकरा कारी, (7) हॊ स कारी एवॊ (8) गुह्य कारी। इनके असतरयि मह तीन बेद त्रवशेष प्रससद्ध हं जो क्रभश् (1) बद्रकारी, (2) शभशान कारी तथा (3) भहाकारी, इनकी उऩासना बी त्रवशेष रुऩ से होती हं । कारी कवि के त्रवषम भं त्रवद्रानं का कथन हं की कारी कवि तीनं रोकं का आकषाण कयने वारा हं । ऩूणा श्रद्धा एवॊ त्रवसध-त्रवधान से सनसभात सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्ध कवि को धायण कयने वारा प्राणी िैरोक्म त्रवजमी हो सकता हं । वह िैरोक्म को भोफहत कयने वारा, भहाऻानी तथा सभस्त ससत्रद्धमं का स्वाभी फन सकता हं । कवि को अऩने कॊठ अथवा दामीॊ बुजा ऩय धायण कयने वारा व्मत्रि धनवान, सॊतानवान, श्रीवान तथा अनेक त्रवद्याओॊ, सम्ऩत्रत्तमं का स्वाभी फनता हं । कुछ त्रवद्रानं ने अऩने अनुबवं भं ऩामा हं की त्रवसध-त्रवधान से सनसभात सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्ध कवि के प्रबाव से भृतवत्सा, वन्ध्मा अथवा सॊतान हीन स्त्री मफद कवि को अऩने कॊठ अथवा बुजा ऩय धायण कयती हं तो उसे सॊतान सुख प्राद्ऱ हो सकता हं । त्रवद्रानं का कथन हं की इस कवि को फकसी ऩयामे सशष्म, बत्रिफहन मा अऩरयसित को नहीॊ दे ना िाफहए। इस सरए कवि केवर उसी को प्राद्ऱ होना िाफहए जो इसके सरए मोग्म हो। भूल्म भाि: 1900
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पयवयी 2013
याभ यऺा कवि Ram Raksha Kawach याभ यऺा कवि बगवान श्री याभ को प्रसन्न कयने औय उनका आसशवााद प्राद्ऱ कयने के सरए धायण फकमा जाता हं । याभ यऺा कवि को धायण कयने से धायण कताा को सबी प्रकाय के बम औय फाधाओॊ से भुत्रि सभरती हं । कामो भं सपरता प्रासद्ऱ हे तु याभ यऺा कवि उत्तभ भाना गमा हं । याभ यऺा कवि के प्रबाव से से धायणकताा को धन राब होता हं व उसका का सवांगी त्रवकास होकय उसे सुखसभृत्रद्ध, भान-सम्भान की प्रासद्ऱ होती हं । याभ यऺा कवि सबी प्रकाय के अशुब प्रबाव को दयू कय व्मत्रि को जीवन भं सबी प्रकाय की कफठनाइमं भं यऺा कयता हं । त्रवद्रानो के भत से जो व्मत्रि बगवान याभ के बि हं मा श्री हनुभानजी के बि हं उन्हं अऩने कामा उद्दे श्म भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरए एवॊ उनका आसशवााद प्राद्ऱ कयने के सरए याभ यऺा कवि को अवश्म धायण कयना िाफहमे स्जससे आने वारे सॊकटो से यऺा हो कय धायण कताा का जीवन सुखभम व्मतीत हो सके एवॊ उनकी सभस्त बौसतक व आध्मास्त्भक भनोकाभनाएॊ ऩूणा हो सके। भूल्म भाि: 1900
हनुभान कवि Hanuman Raksha Kawach हनुभान कवि बगवान श्री हनुभान को प्रसन्न कयने औय उनका आसशवााद प्राद्ऱ कयने के सरए धायण फकमा जाता हं । शास्त्रं भं उल्रेख हं की बगवान सूमद ा े व ने ब्रह्मा जी के आदे श ऩय हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भं हनुभान को सबी शास्त्र का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। स्जससे मह तीनोरोक भं सवा श्रेष्ठ विा हंगे तथा शास्त्र त्रवद्या भं इन्हं भहायत हाससर होगी औय इनके सभान फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान कवि धायण कयने से ऩुरुषं की त्रवसबन्न फीभारयमं दयू होती हं , हनुभान कवि भं अभत ु शत्रि सभाफहत होने के कायण मह व्मत्रि की स्वप्न दोष, धातु योग, यि दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी हं । अथाात मह कवि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हं । श्री हनुभान कवि व्मत्रि को सॊकट, वाद-त्रववाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रवषबम, िोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माफद से सॊकटो से यऺा कयता हं औय ससत्रद्ध प्रदान कयने भं सऺभ हं । भूल्म भाि: 1900
पयवयी 2013
23 बैयव यऺा कवि Bhairav Raksha Kawach बैयव यऺा कवि बैयव जी को शीघ्र प्रसन्न कयने औय उनका आसशवााद प्राद्ऱ कयने के सरए धायण फकमा जाता हं । बैयव यऺा कवि धायण कयने से तॊि-भॊि, बूत-प्रेत आफद नकायात्भक प्रबावं से यऺा होती हं । बैयव यऺा कवि को धायण कयने से स्वास्थ्म सुख भं वृत्रद्ध होकय सकायात्भक उजाा भं वृत्रद्ध होती हं । कवि के प्रबाव से धायण कताा को ऋण, योग औय शिुओॊ ऩय त्रवजम प्राद्ऱ कयने भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं । सबी प्रकाय से व्मवसाम औय नौकयी से सॊफॊसधत सभस्माओॊ का सनवायण कयने भं बी बैयव यऺा कवि राबकायी ससद्ध होता हं ।
इष्ट ससत्रद्ध कवि Isht Siddhi Kawach
भूल्म भाि: 1900
बगवान श्री गणेश फुत्रद्ध औय सशऺा के
कायक ग्रह फुध के असधऩसत दे वता
बि औय बगवान के फीि का रयश्ता भुख्म रुऩ से प्रेभ, त्रवश्वास औय सभऩाण ऩय फटका हं । मह तीन फातं से बि को अध्मास्त्भक औय आस्त्भक फर की प्रासद्ऱ होती हं । धभाग्रॊथो भं इष्ट ससत्रद्ध के सरए त्रवसबन्न प्रकाय के धासभाक त्रवसधत्रवधान, साधना औय कभाकाण्ड का वणान सभरता हं । रेफकन आज के आधुसनक दौय भं अऩनी आवश्मिाओॊ को ऩूया कयने के सरए फदन-यात ऩरयश्रभ कयने वारे व्मत्रि को सभम ऩय इष्ट आयाधना के सरए ऩमााद्ऱ सभम नहीॊ सभरता, मफद सभर बी जामे तो आयाधना भं भन नहीॊ रग ऩाता, भन बटकता यहता हं । ऐसी स्स्थती भं इष्ट ससत्रद्ध कवि अत्मॊत राबप्रद भाना गमा हं । इस कवि के प्रबाव से धायण कताा की एकाग्रता भं वृत्रद्ध होती हं , ऩूजा-उऩासना के दौयान भानससक
शाॊसत का अनुबव होता हं स्जससे इष्ट ससत्रद्ध शीघ्र प्राद्ऱ होने भं राब सभर सकता हं । इष्ट ससत्रद्ध कवि का सनभााण इस्से उद्दे श्म से फकमा जाता हं की धायण कताा को शीघ्र अऩने कामा उद्दे श्म भं इस्च्छत सपरता प्राद्ऱ हो।
त्रवरऺण सकर याज वशीकयण कवि Vilakshan Sakal Raj Vasikaran Kawach
भॊि ससद्ध ऩन्ना गणेश
भूल्म भाि: 2800
त्रवरऺण सकर याज वशीकयण कवि को धायण कयने से याज असधकायी अथाात सयकायी त्रवबाग भं कामा कयने वारे असधकारयमं को अऩने अनुकूर फकमा जाता
हं । ऩन्ना गणेश फुध के सकायात्भक
प्रबाव को फठाता हं एवॊ नकायात्भक प्रबाव को कभ कयता हं ।. ऩन्न गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन भं वृत्रद्ध भं वृत्रद्ध होती हं । फच्िो फक
ऩढाई हे तु बी त्रवशेष पर प्रद हं
ऩन्ना गणेश इस के प्रबाव से फच्िे फक
फुत्रद्ध
कूशाग्र
होकय
उसके
आत्भत्रवश्वास भं बी त्रवशेष वृत्रद्ध होती हं । भानससक अशाॊसत को कभ कयने भं
भदद कयता हं , व्मत्रि द्राया अवशोत्रषत हयी त्रवफकयण शाॊती प्रदान कयती हं ,
व्मत्रि के शायीय के तॊि को सनमॊत्रित कयती
हं ।
स्जगय,
पेपड़े , जीब,
भस्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्माफद योग
भं सहामक होते हं । कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हं ।
Rs.550 से Rs.8200 तक
सकता हं । मफद कोई असधकायी मा अफ़सय आऩको अनावश्मक ऩये शान कय यहा हो, आऩके कामा को त्रफना फकसी वज़ह से योक यहे हो, कामा से सॊफॊसधत कोई ना कोई गरती सनकार यहे हो, कामा के सरए फाय-फाय दौड़ा यहे हो, इस प्रकाय की सबी स्स्थतीमं भं त्रवरऺण सकर याज वशीकयण कवि असधकायीमं को अऩने अनुकूर फनाने के सरए सवोत्तभ भाध्म हं । सयकायी त्रवबाग एवॊ साभास्जक कामा कयने वारं रोगं के सरए बी त्रवरऺण सकर याज वशीकयण कवि धायण कयना त्रवशेष राबदामक होता हं ।
भूल्म भाि: 3250
24
पयवयी 2013
सुदशान फीसा कवि Sudarshan Visha Kawach सुदशान फीसा कवि को धायण कयने से मह धायणकताा को सुयऺा प्रदान कयने वारा हं । सुदशान फीसा कवि को बगवान त्रवष्णु के सुदशान िक्र के साभना सवा प्रकाय से यऺाकायी भाना जाता हं । सुदशान फीसा कवि शत्रिशारी कवि हं , स्जसे धायण कयने से शिुओॊ का दभन होता हं । जानकायं का अनुबव हं की सुदशान फीसा कवि भं सुयऺा प्रदान कयने वारी त्रवरऺण शत्रिमाॊ सनफहत होती हं । सुदशान फीसा कवि के प्रबाव से बगवान श्री त्रवष्णु का आशीवााद सयरता से प्राद्ऱ होता हं । सुदशान फीसा कवि को धायण कयने से धायणकताा के सबी प्रकाय के कष्ट एवॊ असनष्ट दयू होने रगते हं । सुदशान फीसा कवि को धायण कयने से व्मत्रि की फुत्रद्ध औय फर भं वृत्रद्ध होती हं ।
भूल्म भाि: 910
भहा सुदशान कवि Mahasudarshan Kawach भहा सुदशान कवि सुदशान फीसा कवि के सभान परप्रदान कयने वारा भाना गमा हं ।
भूल्म भाि: 910
त्रिशूर फीसा कवि Trishool Visha Kawach
त्रिशूर फीसा कवि भुख्म रुऩ से शिु ऩय त्रवजम प्राप्र कयने एवॊ वाॊसछत कामं भं सपरता प्राद्ऱ कयने हे तु धायण कयने से त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ होती हं । त्रिशूर फीसा कवि के प्रबाव से शिु धायणकताा के अनुकूर हो सकता हं । त्रिशूर फीसा कवि के प्रबाव से से व्मत्रि का घोय शिु बी उससे डयते हं औय शिुता छोड दे ता हं । त्रिशूर फीसा कवि कोटा कियी के कामं भं सपरता प्राद्ऱ कयने एवॊ शिुओॊ ऩय त्रवजम प्राद्ऱ कयने त्रवशेष प्रबावी भाना गमा हं । भूल्म भाि: 910
क्मा आऩके फच्िे कुसॊगती के सशकाय हं ? क्मा आऩके फच्िे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं ? क्मा आऩके फच्िे घय भं अशाॊसत ऩैदा कय यहे हं ? घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्िे को कुसॊगती से छुडाने हे तु फच्िे के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फडब्फी
फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ तो आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फडब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका इस कय सकते हं ।
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स्वप्न बम सनवायण कवि Swapn Bhay Nivaran Kawach स्जस व्मत्रि को फाय-फाय अशुब स्वप्न के कायण असधक बम मा उसकी अशुबता की सिॊता सता यही हो उनके सरए स्वप्न बम सनवायण कवि धायण कयना अत्मॊत राबदामक होता हं । मफद फकसी को डयावने, अत्रप्रम, अशुबता सूिक स्वप्न आते हो स्जससे व्मत्रि सनद्रा से उठ जाता हं , एसे द्ु स्वप्न को योकने के सरए स्वप्न बम सनवायण कवि धायण कयना राबप्रद होता हं । स्वप्न बम सनवायण कवि के प्रबाव से द्ु स्वप्न आने का बम दयू होता हं ।
सकर सम्भान प्रासद्ऱ कवि Sakal Samman Praapti Kawach
भूल्म भाि: 1050
सकर सम्भान प्रासद्ऱ कवि को धायण कयने से धायणकताा द्राया फकमे गमे कामा भं साभास्जक भान-सम्भान औय ऩदप्रसतष्ठा भं वृत्रद्ध होती हं । कुछ रोगो को एसा रगता हं की उसके ऩरयजन मा त्रप्रमजन उसका सम्भान नहीॊ कयते, फकतना बी अच्छा कामा कयने ऩय बी उनका भान-सम्भान नहीॊ कयते मा फाय-फाय उनका भजाक उडाते हो, उनके कामा भं गरतीमाॊ सनकारते है उनका अऩभान कयते हो, एसी स्स्थती भं सकर सम्भान प्रासद्ऱ कवि अत्मॊत राबदामक ससद्ध होता हं । सकर सम्भान प्रासद्ऱ कवि को धायण कयने से धायण कताा के सभास्जक भान-प्रसतष्ठा भं वृत्रद्ध होती हं , स्जससे धायणकताा का साभास्जक जीवन उच्ि स्तय का हो सकता हं । इष्टसभि व त्रप्रमजनं से बी भान-सभान की प्रासद्ऱ होती हं ।
आकषाण वृत्रद्ध कवि Aakarshan Vruddhi Kawach
भूल्म भाि: 1450
आजके आधुसनक मुग भं हय भनुष्म िाहे वह स्त्री हो मा ऩुरुष प्राम् सबी के सबतय एक ही सोि यहती हं , की उनकी सुॊदयता, मौवन औय व्मत्रित्व का आकाषण सदै व फना यहे । रेफकन आजके बाग-दौड बये मुग भं कामा की व्मस्तता, सिॊता, तनाव आफद त्रवसबन्न कायणं से औय उम्र के साथ-साथ व्मत्रि की सुॊदयता, मौवन औय आकषाण कभ होने रगता हं । एसी स्स्थती भं आकषाण वृत्रद्ध कवि अत्मॊत राबदामक ससद्ध हो सकता हं । आकषाण वृत्रद्ध कवि को धायण कयने से व्मत्रि की आकषाण शत्रि भं वृत्रद्ध होती हं । आकषाण वृत्रद्ध कवि को धायण कय स्जस व्मत्रि को आकत्रषात कयना हो, वह व्मत्रि आकषाण वृत्रद्ध कवि के प्रबाव से धायण कताा की आकत्रषात हो सकता हं । आकषाण वृत्रद्ध कवि द्राया शुक्र ग्रह को अनुकूर फकमा जाता हं । क्मोफक, ज्मोसतषी ग्रॊथं भं शुक्र को त्रवऩयीत सरॊग का कायक ग्रह भाना गमा हं । त्रवऩयीत सरॊग त्रवषमं की शुबता हे तु आकषाण वृत्रद्ध कवि भहत्वऩूणा बूसभका सनबा सकता हं । आकषाण कवि के प्रबाव से धायण कताा के व्मत्रित्व भं त्रवरक्ष्ण सनखाय आता हं । त्रवद्रानो ने आकषाण वृत्रद्ध कवि को दाॊऩत्म सुख भं वृत्रद्ध के सरए बी त्रवशेष भहत्वऩूणा भाना हं । मफद गृहस्थ सुख भं फदन-प्रसतफदन न्मूनता आयही हो, ऩसत-ऩिी का एक दस ू ये के प्रसत आकषाण कभ हो यहा हो, ऐसी स्स्थसत भं आकषाण वृत्रद्ध कवि को त्रवसध-त्रवधान से ऩूणा श्रद्धाऩूवक ा धायण कयने से शीघ्र राब होता हं ।
आकषाण वृत्रद्ध कवि को धायण कयने से व्मत्रि को व्मवसाम, नौकयी आफद कामाऺेिं भं कामा ऩूसता भं इस्च्छत सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं । आकषाण वृत्रद्ध कवि के प्रबाव से व्मत्रि के साभास्जक भान-सभान भं वृत्रद्ध होती हं । आकषाण वृत्रद्ध कवि को धायण कयने से धायण कताा की शायीरयक ही नहीॊ अत्रऩतु आस्त्भक सुॊदयता का बी त्रवकास होता हं । भूल्म भाि: 1450
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वशीकयण नाशक कवि Vasikaran Nashak Kawach कबी-कबी ऐसा होता हं भनुष्म अऩनी आवश्मिाओॊ की ऩूसता हे तु दस ू यं को अऩने अनुकूर फनाकय मा उसके उऩय ताॊत्रिक प्रमोग आफद कयके वशीकयण के दयू उऩमोग द्राया फकसी व्मत्रि की धन-सम्ऩत्रत्त, हीये -जवाहयात आफद हड़ऩ यहे हो मा उसे हड़ऩने का प्रमास कय यहे हो, मा व्मत्रि को फकसी कामा त्रवशेष हे तु गरत तयीके से इस्तेभार कय यहे हो, उसके प्रबावं भं पसा व्मत्रि सही-गरत का अॊतय बूर कय उसके कहे अनुशाय कामा फकमे जायहा हो, अऩनी फफाादी की औय अग्रस्त हो यहा हो, उसे इस फात का अनुबव हो यहा हो की उसके साथ गरत हो यहा हं , फपय बी वह कामा को कयते जा यहा हो ऐसी स्स्थती भं सॊबवत मह उसके उऩय फकमे गमे वशीकयण का प्रबाव हो सकता हं । स्जसके प्रबाव से व्मत्रि राख िाहते हुवे बी उससे दयू नहीॊ यह सकता उसके कहे अनुशाय ही कामा कताा यहता हो, ऐसी स्स्थती भं
वशीकयण नाशक कवि को धायण कयने मा कयवाने से दस ू यं द्राया फकमा गमा वशीकयण आफद का प्रबाव दयू होने रगता हं । धायणकताा व्मत्रि वशीकयणकताा के फॊधन से छूट जाता हं । इस सरए वशीकयण काटने के सरए मह अत्मॊत प्रबावी कवि भाना जाता हं । भूल्म भाि: 1450
प्रीसत नाशक कवि Preepi Nashak Kawach
जीवन भं कबी-कबी ऐसा होता हं की व्मत्रि का फकसी से आवश्मिा से असधक रगाव हो जाता हं । िाहे वह स्त्री हो मा ऩुरुष फदन-यात फदभाग भं उसकी ही सोि यहती हो, उसकी सुॊदयता, मौवन व उसका व्मत्रित्व दे खकय उसके प्रसत सदै व आकाषण फना यहता हो, स्जस के कायण असधक सिॊता, तनाव आफद त्रवसबन्न सभस्माएॊ हो यही हो, ऐसी स्स्थती भं प्रीसत नाशक कवि अत्मॊत राबदामक ससद्ध हो सकता हं । जो व्मत्रि ऩयाई स्त्री-ऩुरुष इत्माफद के िक्कयं भं ऩड़ कय मा उसके प्रसत असधक आकत्रषात होकय
अऩना जीवन नका फना यहे हो, उनके सरए प्रीसत नाशक कवि को त्रवसध-त्रवधान से ऩूणा
श्रद्धाऩूवक ा धायण कयने से शीघ्र राब होता हं ।
यसामन ससत्रद्ध कवि Rasayan Siddhi Kawach
भूल्म भाि: 1450
यसामन ससत्रद्ध कवि त्रवशेष रुऩ से उन रोगं के सरए उऩमोगी हं जो रोग सिफकत्सा ऺेि से जुड़े हं , जैसे, सिफकत्सक, वैद्य, डॉक्टय, औषसध, यसामनशास्त्र, दवाई आफद। उनके सरए यसामन ससत्रद्ध कवि अत्मॊत राबप्रद ससद्ध भाना गमा हं । कुछ जानकायं का कथन हं की सिफकत्सा के कामा कयने वारे व्मत्रि मफद अऩने अभ्मास व अध्ममन के दौयान इस कवि का प्रमोग कयते हं तो यसामन ससत्रद्ध कवि के प्रबाव से सिफकत्सा से जुडे सबी कामं भं शीघ्र सपरता प्राद्ऱ हो जाती हं । यसामन ससत्रद्ध कवि के प्रबाव से व्मत्रि को औषध, सिफकत्सा से सॊफॊसधत सकर त्रवद्याओॊ की शीघ्र प्रासद्ऱ हो जाती हं । यसामन ससत्रद्ध कवि को धायण कयने वारा व्मत्रि इन त्रवद्याओॊ को प्राद्ऱ कय उस त्रवद्या भं त्रवशेषऻ फन सकते हं । यसामन ससत्रद्ध कवि के प्राबाव से सिफकत्सक मा डॉक्टय द्राया सिफकत्सा प्राद्ऱ योगी बी शीघ्र स्वस्थ्म राब प्राद्ऱ कयने भं सऺभ होते हं । भूल्म भाि: 6400
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काभना ऩूसता हे तु हभाये त्रवशेष कवि
सिॊतन जोशी
सवा कामा ससत्रद्ध कवि Sarv Karya Siddhi Kawach स्जस व्मत्रि को राख प्रमि औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊसछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भं ससत्रद्ध (राब)
प्राद्ऱ नहीॊ होती, उस व्मत्रि को सवा कामा ससत्रद्ध कवि अवश्म धायण कयना िाफहमे।
कवि के प्रभुख राब: सवा कामा ससत्रद्ध कवि के द्राया सुख सभृत्रद्ध औय नव ग्रहं के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्रि के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ उन्नसत प्रासद्ऱ होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शुब कामा ससद्ध होते हं । स्जसे धायण कयने से व्मत्रि मफद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वृत्रद्ध होसत हं औय मफद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नसत होती हं ।
सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं सवाजन वशीकयण कवि के सभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्रिओ ऩय प्रबाव फना यहता हं ।
सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं अष्ट रक्ष्भी कवि के सभरे होने की वजह से व्मत्रि ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं । स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।
सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं तॊि यऺा कवि के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हं , साथ ही नकायात्भक शत्रिमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्रि ऩय नहीॊ होता। इस कवि के प्रबाव से इषाा-द्रे ष यखने वारे व्मत्रिओ द्राया होने वारे दष्ट ु प्रबावो से यऺा होती हं ।
सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं शिु त्रवजम कवि के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊसधत सभस्त ऩये शासनओ से स्वत् ही छुटकाया सभर जाता हं । कवि के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्रि का िाहकय कुछ नही त्रफगाड़ सकते।
उऩय वस्णात कविं के अरावा अन्म 10 से असधक कविं एक साथ सभराकय सवाकामा ससत्रद्ध कवि को तैमाय फकमा जाता हं , स्जससे धायण कताा को असधक से असधक राब की प्रासद्ऱ हो। अन्म कवि के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं सॊऩका कये : फकसी व्मत्रि त्रवशेष को सवा कामा ससत्रद्ध कवि दे ने नही दे ना का अॊसतभ सनणाम हभाये ऩास सुयस्ऺत हं ।
याज याजेश्वयी कवि Raj Rajeshwari Kawach
भूल्म भाि: 4600
श्री याज याजेश्वयी कवि को धायण कयने से व्मत्रि की सुख सभृत्रद्ध, धन, ऐश्वमा, भान-सम्भान, सौबाग्म आफद को प्राद्ऱ कयने की काभनाएॊ शीघ्र ऩूणा होने रगती हं । याज याजेश्वयी कवि याजकामा अथाात सयकाय से जुड़े कामं भं त्रवशेष सपरता प्रदान कयने वार हं । याज याजेश्वयी कवि के प्रबाव से धायण कताा के सकर प्रकाय के याज कामा सयरता से
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ऩूणा हो सकते हं । सयकायी त्रवबाग एवॊ साभास्जक कामा कयने वारं को याज याजेश्वयी कवि के प्रबाव से त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ होती हं ।
सवाजन वशीकयण कवि Sarvjan Vashikaran Kawach
भूल्म भाि: 11000
आज के आधुसनक मुग भं अऩने कामा उद्दे श्म की ऩूसता हे तु हभं योजभया के जीफन भं जाने-अन्जाने कई रोगं से सभरना ऩडता हं । स्जसभं सभाजके छोटे -फड़े सबी वगा के स्त्री-ऩुरूष, ग्राहक, असधकायी, सहकभॉ, नौकय-िाकय आफद सबी तयह के रोग होते हं । उन सफ ऩय अऩना सकायात्भक प्रबाव फनाना हभाये सरए अत्मॊत आवश्मक हं , कोमोकी मफद हभाये व्मत्रित्व भं कोई त्रवशेष प्रबाव हो अथवा हभायी फातं भं मा िेहये ऩय िुम्फकीम आकाषण हो स्जसे सुनते मा दे खते ही साभने वारा प्रबात्रवत हो जाए औय हभायी फातं का उस ऩय ऩूणा रुऩ से सकायात्भक प्रबाव हो जामे तो हभाये फकतने ही कामा सयरता से ऩूणा हो सकते हं ! मफद आऩकी कोइ फात जो ऩूणरु ा ऩ से उसित हं औय आऩके इष्ट सभि, ऩरयजन मा त्रप्रमजन कोइ उसे भानता नहीॊ हं ऐसी स्स्थती भं सवाजन वशीकयण कवि अत्मॊत राबप्रद होता हं । मफद आऩ फकसी व्माऩाय, फीभा मा फकसी भाकेफटग इत्माफद से सॊफॊसधत कामं से जुड़े हं , औय ग्राहक मा उऩबोिा आऩके उत्ऩाद िाहे वह फकतने बी अच्छी गुणवत्ता वारे, अच्छी सेवा सेवा प्रदान कयने वारे मा राबप्रदान कयने वारे हो, फपय बी ग्राहक मा उऩबोिा आऩके उत्ऩाद, सेवा मा राबप्रद सौदे को नहीॊ िुनकय फकसी कभ गुणवत्ता वारे, कभ सेवा, कभ राब वारे सौदे को िुनरेता हं मा आऩके प्रसतस्ऩसधा से वह उत्ऩाद, सेवा प्राद्ऱ कय रेते हो तो ऐसी स्स्थती भं सवाजन वशीकयण कवि अत्मॊत राबप्रद होता हं । क्मोफक, सवाजन वशीकयण कवि के प्रबाव से साभने वारे ऩय आऩकी फातं का सकायात्भक प्रबाव ऩड़ता हं , स्जसभं आऩकी फातं का ऩूणा प्रबाव साभने वारे ऩय होता हं । स्जस कायण आऩको अऩने कामा भं शीघ्र सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं , इसभं जया बी सॊदेह नहीॊ। सवाजन वशीकयण कवि अत्मॊत अनुबूत एवॊ शीघ्र प्रबावी कवि भाना जाता हं । सवाजन वशीकयण कवि धायण कयने से धायण कताा के व्मत्रित्व भं त्रवशेष आकाषण उत्ऩान होता हं मा उसभं सनखाय आता हं । त्रवशेष नोट: सवाजन वशीकयण कवि का प्रमोग केवर शुबकामं हे तु कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । गरत कामा उद्दे श्म के दौयान सवाजन वशीकयण कवि का प्रबाव दस ू यो ऩय नहीॊ होता हं । सबी कवि केवर सही फात औय उद्दे श्म हे तु कवि कामा कयते हं , गरत कामा मा उद्दे श्म हे तु नहीॊ।
अष्ट रक्ष्भी कवि Asht Lakshmi Kawach
भूल्म भाि: 1450
अष्ट रक्ष्भी कवि को धायण कयने से व्मत्रि ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं । स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का स्वत् अशीवााद प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि: 1250
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पयवयी 2013
शिु त्रवजम कवि Shatru Vijay Kawach शिुत्रवजम कवि को धायण कयने से शिुता का नाश होता हं । ऻात-अऻात शिु बम दयू होते हं । कोटा -किहयी आफद के भुकदभं भं त्रवजमश्री की होती हं । कवि के प्रबाव से घोय शिुता यखने वारे शिु बी ऩयास्जत हो जाते हं । शिु त्रवजम कवि कवि को धायण कयने से शिु से सॊफॊसधत सभस्त ऩये शासनओ से स्वत् ही छुटकाया सभर जाता हं । कवि के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्रि का िाहकय कुछ नही त्रफगाड़ सकते।
ऩयदे श गभन औय राब प्रासद्ऱ कवि Pardesh Gaman Aur Labh Prapti Kawach
भूल्म भाि: 730
ऩयदे श गभन औय राब प्रासद्ऱ कवि उस व्मत्रि के सरए त्रवशेष राबप्रद होता हं स्जस व्मत्रि की त्रवदे श भं व्मवसाम मा नौकयी कयने की त्रवशेष इच्छा होती हं , जो व्मत्रि त्रवदे श भं व्माऩाय कयने की िाहत यखते हं , अथवा स्जस व्मत्रि की इच्छा त्रवदे श मािा कयने की होती हं । एसी स्स्थती भं व्मत्रि की प्रफर इच्छा होने ऩय बी उसे त्रवदे श से सॊफॊसधत कामा उसित प्रमि कयने के उऩयाॊत बी फनते-फनते यह जाते हं मा उस कामा भं रुकावटं के कायण त्रवरॊफ होता यहता हं , एसी स्स्थती भं ऩयदे श गभन औय राब प्रासद्ऱ कवि को धायण कयने से धायण कताा की भनोकाभनाएॊ शीघ्र ऩूणा होने के मोग फनने रगते हं । भूल्म भाि: 2350
व्माऩाय वृत्रद्ध कवि Vyapar Vruddhi Kawach
व्माऩाय वृत्रद्ध कवि व्माऩाय भं शीघ्र उन्नसत के सरए उत्तभ हं । िाहं कोई बी व्माऩाय हो अगय उसभं राब के स्थान ऩय फाय-फाय हासन हो यही हं ।
फकसी
प्रकाय से व्माऩाय भं फाय-फाय फाधाएॊ उत्ऩन्न हो यही हो! तो सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत
भॊि ससद्ध ऩूणा िैतन्म मुि व्माऩाय वृत्रद्ध कवि को धायण कयने से शीघ्र ही व्माऩाय भं वृत्रद्ध एवॊ सनतन्तय राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि: 730, स्ऩे. 1050
सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्न मा रुकावटे हो यही हं ? फच्िो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत का उसित पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रडके-रडकी की कॊु डरी का
त्रवस्तृत अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके त्रवद्या अध्ममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।
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पयवयी 2013
बूसभराब कवि Bhumilabh Kawach बूसभ, बवन, खेती से सॊफॊसधत व्मवसाम से जुड़े रोगं के सरए बूसभराब कवि त्रवशेष राबकायी ससद्ध हुता हं । बूसभराब कवि को धायण कयने से धायण कताा को बूसभ, बवन, खेती से सॊफॊसधत कामं भं असधक राब होने के मोग फनते हं
अथवा जो रोग खेती, व्मवसाम मा सनवास स्थान हे तु उत्तभ बूसभ आफद प्राद्ऱ कयना िाहते हं , रेफकन उस कामा भं कोई ना कोई अड़िन मा फाधा-त्रवघ्न आते यहते हो स्जस कायण कामा ऩूणा नहीॊ हो यहा हो, तो उनके सरए बी बूसभ कवि उत्तभ परप्रद हो सकता हं ।
भूल्म भाि: 910
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कवि Akashmik Dhan Prapti Kawach आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कवि अऩने नाभ के अनुशाय ही भनुष्म को आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ हे तु परप्रद हं इस कवि को धायण कयने से साधक को अप्रत्मासशत धन राब प्राद्ऱ होता हं । िाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो, धनसॊऩत्रत्त इत्माफद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राद्ऱ हो सकता हं । हभाये वषं के अनुसॊधान एवॊ अनुबवं से हभने आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कवि को धायण कयने से शेमय ट्रे फडॊ ग, सोने-िाॊदी के व्माऩाय इत्माफद सॊफॊसधत ऺेि से जुडे रोगो को त्रवशेष रुऩ से आकस्स्भक धन राब प्राद्ऱ होते दे खा हं । आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कवि से त्रवसबन्न स्रोत से धनराब बी सभर सकता हं ।
भूल्म भाि: 1050
ऩदौन्नसत कवि Padounnati Kawach ऩदौन्नसत कवि नौकयी ऩैसा रोगो के सरए त्रवशेष राबप्रद हं । स्जन रोगं को अत्मासधक ऩरयश्रभ एवॊ श्रेष्ठ कामा कयने ऩय बी नौकयी भं उन्नसत अथाात प्रभोशन नहीॊ सभर यहा हो उनके सरए मह त्रवशेष राबप्रद हो सकता हं । भूल्म भाि: 910
तॊि यऺा कवि Tantra Raksha Kawach
आजका आधुसनक सभम कदभ-कदभ ऩय प्रसतस्ऩधाा औय िुनौसतमो से बया हं । एसे भं व्मत्रि स्वमॊ के दख ु ं से ज्मादा
दस ू यं क उन्नसत धन-सॊऩत्रत्त, ऐश्वमा औय सुख-साधनो को दे खकय द:ु खी होता हं । ऐसे भं भनुष्म के जाने अन्जाने कई
शिु उत्ऩन्न हो जाते हं , जो उस्से इषाा औय द्रे श यखते हो। क्मोफक आजके इस मुग भं दस ू यं से आगे सनकरने की
अॊसध दौड भं व्मत्रि एक-दस ू ये का दश्ु भन फन जाता हं । काई फाय व्मत्रि दश्ु भनी औय वैय बाव भं इतना अॊधा हो जाता
हं उसे सही गर का ऻान नहीॊ होता मा होते हुवे उसे अन्दे खा कय, मेन-केन प्रकायं से दस ू ये का अफहत कयने को तत्ऩय होता हं । व्मत्रि शिुता के सरए सॊफॊसधत व्मत्रि के साथ-साथ उसके ऩरयजनो को कष्ट दे ना, उस ऩय झुठे आयोऩ रगाना,
उसकी धन सम्ऩत्रत्त का नुक्शान कयना, उस ऩय मा उसके ऩरयजनो ऩय ताॊत्रिक फक्रमा जैसे घृस्णत मा सनॊदनीम कामा कयके उन्हं कष्ट दे ना आफद सबी सीभाओॊ को ऩाय कय जाते हं । ऐसे शिुओॊ को शाॊत कयने एवॊ उसके द्राया फकमे मा कयवामे ताॊत्रिक प्रमोग आफद के प्रबावं को नष्ट कयने हे तु
तॊि यऺा कवि धायण कयना सवाश्रष्ठ े साधन हो सकता हं ।
तॊि यऺा कवि धायण कयने से व्मत्रि ऩय शिु द्राया फकमा गए सबी ताॊत्रिक प्रमोग का प्रबाव सभाद्ऱ होने रगता हं । तॊि यऺा कवि को धायण कयने से सबी प्रकाय की तॊि फाधाओॊ का शभन होता हं ।
भूल्म भाि: 730
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31 ऋण भुत्रि कवि Rinmukti Kawach
ऋण भुत्रि कवि कजा से सॊफॊसधत सभस्माओॊ को हर कयने भं त्रवशेष राब दे ता हं , ऋण भुत्रि कवि को धायण कयने से व्मत्रि कजा भुत्रि से सॊफॊसधत कामं असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । स्जस व्मत्रि के राख प्रमि कयने ऩय बी उसका कजा खत्भ नहीॊ हो यहा हो, कजा फढ़ता ही जा यहा हो उनके सरए मह त्रवशेष रुऩ से राबप्रद हं । भूल्म भाि: 910
योजगाय प्रासद्ऱ कवि Rojagar Prapti Kawach
जो व्मत्रि फेयोजगाय हं , व्मवसाम औय नौकयी प्रासद्ऱ के सरए उसके द्राया फकमे गमे सबी प्रमास त्रवपर हो यहे हो, वह जहाॉ जाता हं वहाॉ से उसे असपरता एवॊ सनयाशा ही प्राद्ऱ हो यही हो तो उसके सरए योजगाय प्रासद्ऱ कवि त्रवशेष रुऩ से राबप्रद हो सकता हं । योजगाय प्रासद्ऱ को धायण कयने से व्मत्रि को अऩने प्रमासं के आधाय ऩय कहीॊ नाहीॊ फकसी ना फकसी रुऩ से योजगाय की प्रासद्ऱ के अवसय प्राद्ऱ होने की प्रफर सॊबावनाएॊ फनने रगती हं । भूल्म भाि: 550
भॊि ससद्ध स्पफटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्रिशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त
शुब फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से असधक से असधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय
व्मत्रि के सरए पामदे भद ॊ सात्रफत होता है । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि "श्री मॊि" स्जस व्मत्रि के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससद्ध होता है उसके दशान भाि से अन-सगनत राब
एवॊ सुख की प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि" भे सभाई अफद्रतीम एवॊ अद्रश्म शत्रि भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होसत है । स्जस्से उसका जीवन से हताशा औय सनयाशा दयू होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौसतक सुखो फक
प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भं उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का सनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय
स्थात्रऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फस्न्धत ऩये शासन भे न्मुनता आसत है व सुख-सभृत्रद्ध, शाॊसत एवॊ ऐश्वमा फक प्रसद्ऱ होती है । गुरुत्व कामाारम भे "श्रीमॊि" 12 ग्राभ से 75 ग्राभ तक फक साइज भे उप्रब्ध है
भूल्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 10.50 से Rs.28.00
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ग्रह शाॊसत हे तु त्रवशेष कवि
सिॊतन जोशी कारसऩा शाॊसत कवि Kaalsarp Shanti Kawach कारसऩा मोग क्मा हं ? कार का भतरफ हं भृत्मु, जानकायो के भतानुशाय स्जस व्मत्रि का जन्भ कारसऩा मोग भे हुवा हो वह व्मत्रि जीवन बय भृत्मु के सभान कष्ट बोगने वारा होता हं
व्मत्रि जीवन बय कोइ ना कोइ सभस्मा से ग्रस्त होकय अशाॊत सित्त होता हं । कारसऩा मोग भतरफ क्मा? जफ जन्भ कुॊडरी भं साये ग्रह याहु औय केतु के फीि स्स्थत यहते हं तो उसे ज्मोसतष त्रवद्या के जानकाय कारसऩा मोग कहते हं । मफद याहु औय केतु के फीि से एक ग्रह फाहय सनकर जामे तो उसे आॊसशक कारसऩा मोग कहते हं औय सबी ग्रह केतु औय याहु के फीि भं स्स्थत हो तो उसे आॊसशक कारसऩा मोग कहते हं । कारसऩा मोग फकस प्रकाय फनता हं औय क्मं फनता हं ?
जफ 7 ग्रह याहु औय केतु के भध्म भे स्स्थत हो मह अस्च्छ स्स्थसत नफह भानी जाती हं ।
जानकायं की भाने तो याहु औय केतु के भध्म भे फाकी सफ ग्रह आजाने से याहु केतु उनके प्रबावो को कभ कय दे ते हं
मा ऩकडके यखते हं , तफ कारसऩा मोग फनता हं , क्मोफक ज्मोसतष भे याहु को सऩा(साऩ) का भुह(भुख) एवॊ केतु को ऩूॊछ कहा जाता हं ।
कारसऩा मोग का प्रबाव क्मा होता हं ? जैसे फकसी व्मत्रि को साऩ काट रे तो वह व्मत्रि शाॊसत से फेठ नहीॊ सकता उसी प्रकय से कारसऩा मोग से ऩीफड़त व्मत्रि को जीवन ऩमान्त शायीरयक, भानससक, आसथाक ऩये शानी का साभना कयना ऩडता हं । ऩीफड़त व्मत्रि का त्रववाह त्रवरम्फ से होता हं एवॊ त्रववाह के ऩश्च्मात सॊतान से सॊफॊधी कष्ट जेसे उसे सॊतान होती ही नहीॊ मा होती हं तो योग ग्रस्त होती हं । उसकी योजीयोटी का जुगाड़ बी फड़ी भुस्श्कर से हो ऩाता हं । अगय जुगाड़ होजामे तो रम्फे सभम तक फटकती नही हं । फाय-फाय व्मवसाम मा नौकयी भे फदराव आते ये हते हं । धनाढम घय भं जन्भ होने के फावजूद फकसी न फकसी वजह से उसे अप्रत्मासशत रूऩ से
आसथाक ऺसत होती यहती हं । व्मत्रि तयह तयह की ऩये शानी से सघये यहते हं । एक सभस्मा खतभ होते ही दस ू यी ऩाव ऩसाये खड़ी हो जाती हं । कारसऩा मोग से व्मत्रि को िैन
नही सभरता उसके कामा फनते ही नही औय मफद फन बी
भॊि ससद्ध दर ा साभग्री ु ब हत्था जोडी- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450 ससमाय ससॊगी- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450 त्रफल्री नार- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450 कारी हल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450, दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900 भोसत शॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900 भामा जार- Rs- 251, 551, 751 इन्द्र जार- Rs- 251, 551, 751 धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251(कारी
हल्दी के साथ Rs-550)
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751
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जामे तो आधे भे रुक जाते हं । व्मत्रि के 99% हो िुका कमा बी आखयी ऩरो भे अकस्भात ही रुक जात हं । स्जन रोगं को उि मोग के कायण ऩये शानी हो यही हो, त्रवसबन्न ऩूजा-ऩाठ इत्माफद कयवाने के उऩयाॊत बी त्रवशेष राबे की प्रासद्ऱ नहीॊ हो यही हो, ऐसी उनके सरए स्स्थती भं कारसऩा शाॊसत कवि अत्मॊत राबप्रद ससद्ध होता हं । कारसऩा शाॊसत कवि को धायण कय के कारसऩा मोग के कुप्रबावो को कभ फकमा जा सकता हं । स्जन रोगो को रगता हो की उनके कामा त्रवशेष भं कारसऩा मोग के कायण त्रवघ्न फाधामे एवॊ त्रवरॊफ हो यहा हं तो वह कारसऩा मोग शाॊसत कवि को धायण कय सकते हं । कारसऩा शाॊसत कवि का सनभााण त्रवशेष रुऩ से त्रवसध-त्रवधान से ग्रहं के कुप्रबावं को शाॊत कयने के सरए फकमा जाता हं , स्जससे ग्रहं द्राया प्राद्ऱ होने वारे अशुब प्रबाव कभ हो सके औय धायण कताा के जीवन से त्रवसबन्न द्ु ख, सॊकट, एवॊ ऩये शासनमाॊ कभ हो कय उसे जीवन भं सुख-सभृत्रद्ध की प्रासद्ऱ हो, उसका जीवन सुखभम व्मतीत हो सकता हं । कारसऩा मोग सॊफॊसधत त्रवशेष भत आधुसनक ज्मोसतषीम सॊशोधन के आधाय ऩय कुछ ज्मोसतष के जानकायं ने कारसऩा मोग के प्रबाव को स्वीकाय फकमा हं । स्जसभं कुछ ज्मोसतषी ऩूणा कारसऩा को ही भानते हं वह रोग अधा कारसऩा मोग को नहीॊ भानते। रेफकन कुछ ज्मोसतषीमं ने अऩने अनुबव एवॊ अनुशॊधान से अधा कारसऩा मोग के प्रबावं को भाना हं । रेफकन कुछ ज्मोसतषी आजतक कारसऩा मोग के प्रबावं को ही नहीॊ भानते हं । कुछ अऻासन रोग कारसऩा मोग को कारसऩा दोष कहते हं , रेफकन मह कोइ दोष नहीॊ एक ज्मोसतषी मोग हं । इस सरए मफद कारसऩा मोग कुॊडरी भं हो तो इससे घफयामे मा ड़ये फीना उसका उऩाम कयना फुत्रद्ध भता हं ।
शसन साड़े साती औय ढ़ै मा कष्ट सनवायण कवि Shani Sadesatee aur Dhaiya Kasht Nivaran Kawach
भूल्म भाि: 2800
शसन साड़े साती औय ढ़ै मा कष्ट सनवायण कवि को शीघ्र प्रबावशारी फनाने हे तु शसनदे व के त्रवसशष्ट भॊिं द्राया भॊि ससद्ध फकमा जाता हं । स्जससे प्रबाव से धायण कताा को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं । ज्मोसतषीम गणनाओॊ के अनुशाय शसन की ढै ़मा मा साढ़े साती का िर यही हो ऐसी स्स्थती भं व्मत्रि को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती हं , कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गृह क्रेश आफद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती हं ऐसी अवस्था भं शसन को शाॊत ु ट
कयने औय उसकी कृ ऩा प्राद्ऱ कयने के सरए शसन साड़े साती औय ढ़ै मा कष्ट सनवायण कवि अत्मॊत राबप्रद होता हं । शसन साड़े साती औय ढ़ै मा कष्ट सनवायण कवि को धायण कयने से साड़े साती औय ढ़ै मा के दौयान व्मत्रि को प्राद्ऱ होने वारा भृत्मु बम, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्रि के सरमे शसन साड़े साती औय ढ़ै मा कष्ट सनवायण कवि असधक राबकायी हो सकता हं ।
श्रात्रऩत मोग सनवायण कवि Sharapit Yog Nivaran Kawach
भूल्म भाि: 1900
बायतीम ज्मोसतष शास्त्र भं शुब औय अशुब दोनं प्रकाय के मोगं का वणान सभरता हं । इन मोगं भं एक मोग "श्रात्रऩत मोग" हं इसे कुछ रोग "शात्रऩत दोष" बी कहा जाता हं । इस मोग के सॊफॊध भं कहाॊ जाता हं की स्जस व्मत्रि की कुण्डरी भं श्रात्रऩत मोग होता हं , उनकी कुण्डरी भं भौजूद अन्म शुब मोगं का प्रबाव कभ हो जाता हं स्जससे व्मत्रि को जीवन भं त्रवसबन्न कफठनाईमं एवॊ िुनौसतमं का साभना कयना ऩड़ता हं ।
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कुछ जानकाय कुण्डरी भं भौजूद श्रात्रऩत मोग का कायण बी ऩूवा जन्भ के कभं का पर भानते हं । कुछ ज्मोसतषी का भानना हं की श्रात्रऩत मोग अत्मॊत अशुब परदामी हं । श्रात्रऩत मोग का पर व्मत्रि को अऩने कभं के अनुसाय बोगना ऩड़ता हं । कैसे जाने जन्भ कुॊडरी भं श्रात्रऩत मोग हं मा नहीॊ ? बायतीम ज्मोसतषशास्त्र भं सूम,ा भॊगर, शसन, याहु औय केतु को अशुब ग्रहं भाना गमा हं । इन अशुब ग्रहं भं जफ शासन औय याहु एक यासश भं स्स्थत हो तो श्रात्रऩत मोग का सनभााण होता हं । शसन औय याहु दोनं ही ग्रह अशुब पर दे ते हं
इससरए इन दोनं ग्रहं के सॊमोग से फनने वारे मोग को शात्रऩत मोग मा श्रात्रऩत मोग कहा जाता हं । कुछ ज्मोसतष के जानकाय मह भानते हं फक शसन की याहु ऩय दृत्रष्ट होने से बी इस मोग का सनभााण होता हं ।
साधायण बाषा भं सभझे तो शाऩ का अथा शुब परं नाश होना भाना जाता हं । उसी प्रकाय शात्रऩत मोग का अथा हं , शुब मोगं को नाश कयने वारा मोग। स्जस फकसी बी व्मत्रि की कुण्डरी भं मह मोग का सनभााण होता हं उसे इसी प्रकाय का पर सभरता हं अथाात उनकी कुण्डरी भं स्जतने बी शुब मोग होते हं वे इस मोग के कायण प्रबावहीन हो जाते हं ! आभतौय ऩय ऐसा भाना जाता हं की शात्रऩत मोग से ऩीफड़त व्मत्रि को अऩने कामं भं त्रवसबन्न प्रकाय की कफठन िुनौसतमं एवॊ भुस्श्करं का साभना कयना होता हं । रेफकन कुछ ज्मोसतषी इससे सहभत नहीॊ हं , उनका भानना हं की शात्रऩत मोग से सॊफॊसधत मह धायणा ऩूयी तयह गरत हं , स्जस व्मत्रि की कुण्डरी भं शात्रऩत मोग फनता हं , उस व्मत्रि की कुण्डरी भं अन्म मोगं की अऩेऺा शात्रऩत मोग असधक प्रबावशारी होकय व्मत्रि को शुब पर दे ता हं ! स्जस प्रकाय ज्मोसतषशास्त्र के अनुशाय जफ दो सभि ग्रहं की मुसत फकसी यासश भं फनती हं तो उनका अशुब प्रबाव सभाद्ऱ हो जाता हं औय दोनं सभिग्रह सभरकय व्मत्रि को शुब पर दे ते हं । उसी प्रकाय से वह शसन एवॊ याहु के मोग से सनसभात होने वारे शात्रऩत मोग को अशुब नहीॊ भानते हं । रेफकन मह एक वैिारयक भतबेद का भुद्दा हं , मफद आऩकी जन्भ कुॊडरी भं श्रात्रऩत मोग का सनभााण हो यहा हो, औय आऩको इससे सॊफॊसधत कष्ट प्राद्ऱ हो यहे हो तो आऩ श्रात्रऩत मोग सनवायण कवि को धायण कयके त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय अऩनी ऩये शासनमं को दयू कय सकते हं । इस कवि के प्रबाव से श्रात्रऩत मोग के प्रबावं भं न्मूनता आती हं ।
िॊडार मोग सनवायण कवि Chandal Yog Kawach िॊडार मोग (िाॊडार) अथाात िाण्डार का सनभााण गुरु औय याहु की मुसत से फनता हं । ज्मोसतषी ग्रॊथो भं िाॊडार मोग को अशुब ग्रह मोग के रूऩ भं जाना जाता हं । ज्मोसतषी
ग्रॊथो भं एवॊ त्रवद्रानं ने अऩने अनुबवं से िॊडार मोग के पर इस प्रकाय फताएॊ हं । िॊडार मोग भं उत्ऩन्न जातक बाग्महीनता, भॊद्बत्रु द्धता, असॊतोष एवॊ उसके कष्टं भं वृत्रद्ध होती हं । िॊडार मोग के
कायण जातक जफ बी फकसी भहत्वऩूणा कामा को सॊऩन्न कयने की कोसशश कयता हं तो अिानक उसके कामो भं त्रवघ्न आने रगते हं स्जस कायण व्मत्रि उस कामा को सही
भूल्म भाि: 1900
भॊि ससद्ध दर ा साभग्री ु ब यि गुॊजा : 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 गोभसत िक्र: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 ऩीरी कौफड़माॊ: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 हकीक: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-111, 11 नॊग-Rs-1111 नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-111 कारी हल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,
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तयीके से सॊऩन्न कय नहीॊ ऩाता हं । फकसी त्रवशेष ऩरयस्स्थसतमं भं मह मोग व्मत्रि की फुत्रद्ध को फुये कभा एवॊ अऩयाध की औय रे जाता हं । स्जस कायण व्मत्रि की सभाज भं फदनाभी होती हं औय उसे अऩभान से सम्भुस्खन होना ऩड़ता हं । इस मोग भं उत्ऩन्न जातक को कई फाय एसे कामा कयने ऩड़ते हं जो वह कयना नहीॊ िाहता हं , इस कायण उसकी स्जॊदगी भं बी कई फाय वह गरत पैसरे रेता हं , स्जसका उसे नुकसान बी झेरना ऩड़ सकता हं । िॊडार मोग के प्रबाव से व्मत्रि को जीवन भं प्राद्ऱ होने वारे प्रगसत के त्रवसबन्न अवसय नष्ट हो जाते हं औय व्मत्रि का बाग्म असधक उज्जवर नहीॊ हो ऩाता हं । व्मत्रि की सॊगती अच्छी नहीॊ होती वह मफद फुये रोगो की सॊगत भं असधक सभम तक यहता हं तो उसे त्रवसबन्न प्रकाय की फुयी आदते मा रते रग सकती हं । इस सरए मफद कुॊडरी भं िॊडार मोग फन यहा हं तो व्मत्रि को फुये रोगं की सॊगत से दयू यहना िाफहए मफद फुयी सॊगत हं तो उसे अऩनी सॊगत सुधाय रेनी िाफहए।
कुछ त्रवद्रानो ने िॊडार मोग का प्रबाव कारसऩा मोग की तुरना भं ज्मादा असधक हासनकायक फतामा हं । िण्डारमोग के कायण व्मत्रि के जीवन भं उताय-िढ़ाव का फुया दौय आता-जाता यहता हं । व्मत्रि को फकसी कायण से जेर की मािा बी फाय-फाय कयनी ऩड़ सकती हं । इस मोग से व्मत्रि का दाम्ऩत्म जीवन बी अत्मासधक प्रबात्रवत होता हं , व्मत्रि के एकासधक प्रेभ प्रसॊग मा तराक के मोग बी िण्डार मोग के कायण फनते हं । मफद आऩ इस मोग से ग्रससत हो औय उससे सॊफॊसधत सभस्माएॊ आऩको असधक ऩये शान कय यही हो, िॊडार मोग सनवायण के उऩामं को कयने भे आऩ असभथा हो मा आऩके ऩास त्रवसध-त्रवधान से ऩूजा-ऩाठ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हो तो आऩके सरऐ िॊडार मोग सनवायण कवि राबकायी हो सकता हं । इस कवि को धायण कयने से ग्रहं का कुप्रबाव शाॊत होने रगता हं औय आऩकी िॊडार मोग से सॊफॊसधत सभस्माओॊ का सनवायण हो जाता हं । क्मोफक इस कवि का सनभााण भुख्म रुऩ से ग्रहं के अशुब प्रबावं को कभ कयने औय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध के उद्दे श्म से फकमा जाता हं , इससरए आऩ इससे त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ कय सकते हं ।
ग्रहण मोग सनवायण कवि Grahan Yog Nivaran Kawach
भूल्म भाि: 1900
ज्मोसतषी ग्रॊथो के अनुशाय ग्रहण मोग को अशुब मोग की श्रेणी भं सगना जाता हं । ग्रहण मोग को अशुब मोगं भं अत्मासधक कष्टदामक औय हासनकायक भाना गमा हं । कुछ ज्मोसतष त्रवद्रानो के भतानुशाय ग्रहण मोग कारसऩा मोग से बी असधक कष्टप्रद औय अशुब परदामी हं । क्मोफक, कारसऩा मोग से व्मत्रि के जीवन भं उताय-िढ़ाव दोनं आते हं ऩयॊ तु ग्रहण मोग एक ऐसा मोग हं स्जसभं सफ कुछ फुया ही होता हं । इस मोग से प्रबात्रवत व्मत्रि जीवन भं हभेशा सनयाश औय हताश यहता हं । ग्रहण मोग का प्रबाव स्जस प्रकाय सूमा को ग्रहण रगने ऩय अॊधकाय पैर जाता हं औय िन्द्रभा को ग्रहण रगने ऩय उसकी िाॊदनी खो जाती हं ठीक उसी प्रकाय व्मत्रि के जीवन भं फनते हुए कामा अिानक रूक जाता हो तो आऩ इसे ग्रहण मोग का प्रबाव सभझ सकते हं । ग्रहण मोग से ऩीफड़त व्मत्रि ने अऩनी जीवन भं अनेकं फाय अनुबव फकमा होगा फक उनका कोई
भहत्वऩूणा कामा जो सबी द्रत्रष्ट से ऩूणा हो िुका हं मा सॊऩन्न होने ही वारा हं , रेफकन वह कामा के ऩूणा होने से ऩहरे फीि भं कोई ना कोई त्रवघ्न-फाधा मा अड़िने आती यहती हं । स्जस कायण उस व्मत्रि का फनने वारा कामा फनते -फनते आधे भं ही रुक जाते हं । इससरए इस मोग को ज्मोसतष शास्त्र भं एक अशुब मोग भाना जाता हं ।
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ग्रहण मोग का सनभााण ग्रहण मोग तफ फनता हं जफफक कुण्डरी के फायह यासशमं भं से फकसी बी यासश भं सूमा अथवा िन्द्रभा के साथ याहु मा केतु की मुसत हो तो ग्रहण मोग फनता हं अथवा मा फपय सूमा मा िन्द्रभा के घय भं याहु-केतु भं से कोई एक ग्रह स्स्थत हो तो बी ग्रहण मोग का सनभााण होता हं । ज्मोसतष के जानकायं का कथन हं की ग्रहण मोग स्जस बाव भं रगता हं उस बाव से सम्फस्न्धत त्रवषम भं मह अशुब प्रबाव डारता हं । मफद आऩ इस मोग से ग्रससत हो औय ग्रहणमोग से सॊफॊसधत सभस्माएॊ आऩको ऩये शान कय यही हो, ग्रहण मोग सनवायण हे तु अन्म उऩामं को कयने भे आऩ असभथा हो मा आऩके ऩास त्रवसध-त्रवधान से ऩूजा-ऩाठ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हो तो आऩके सरऐ ग्रहण मोग सनवायण कवि राबकायी हो सकता हं । इस कवि को धायण कयने से ग्रहं का कुप्रबाव
शाॊत होने रगता हं औय आऩकी ग्रहण मोग से सॊफॊसधत सभस्माओॊ का सनवायण हो जाता हं । क्मोफक इस कवि का सनभााण भुख्म रुऩ से ग्रहं के अशुब प्रबावं को कभ कयने औय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध के उद्दे श्म से फकमा जाता हं , इससरए आऩ इससे त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ कय सकते हं ।
भाॊगसरक मोग सनवायण कवि Magalik Yog Nivaran Kawach
भूल्म भाि: 1450
जन्भ रग्न से प्रथभ, फद्रतीम, ितुथ,ा सद्ऱभ, अष्टभ मा द्रादश स्थान भे भॊगर स्स्थत होने ऩय भॊगर दोष मा कुज दोष अथाात भाॊगसरक मोग का सनभााण होता हं । कुछ आिामं के अनुसाय रग्न के असतरयि भॊगरी दोष िन्द्र रग्न, शुक्र मा सद्ऱभेश से इन्हीॊ स्थानो भं भॊगर स्स्थत होने ऩय बी होता हं । शास्त्रोि भान्मता के अनुशाय भॊगरी मोग वैवाफहक जीवन को त्रवसबन्न प्रकाय से प्रबात्रवत कयता हं , त्रववाह भे त्रवघ्न, त्रवरम्फ, व्मवधान मा धोखा, त्रववाहोऩयान्त दम्ऩसत भे से फकसी एक अथवा दोनाको शायीरयक, भानससक अथवा आसथाक कष्ट, ऩायस्ऩरयक भन-भुटाव, वाद-त्रववाद तथा त्रववाहत्रवच्छे द। अगय दोष अत्मसधक प्रफर हुआ तो दोना अथवा फकसी एक की भृत्मु का बम यहता हं । कुॊडरी भं मफद भॊगरी
मोग हो तो उस्से बमबीत मा आतॊफकत नहीॊ होना िाफहमे। प्रमास मह कयना िाफहमे फक भॊगरी जातक का त्रववाह भॊगरी जातक से ही हो। मफद भाॊगसरक मोग के कायण त्रववाह भं त्रवरॊफ हो, मा त्रववाह के ऩिमात ऻात हो की दोनो भं से एक भाॊगसरक हं तो भाॊगसरक मोग सनवायण कवि को धायण कयने से त्रववाह सॊफॊसधत सभस्माओॊ का सनवायण होता हं ।
ससद्ध सूमा कवि Siddha Surya Kawach
भूल्म भाि: 1450
ससद्ध सूमा कवि को धायण कयने से सूमा ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । सूमा के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
ससद्ध िॊद्र कवि Siddha Chandra Kawach
भूल्म भाि: 550
ससद्ध िॊद्र कवि को धायण कयने से िॊद्र ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । िॊद्र के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
भूल्म भाि: 550
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पयवयी 2013
ससद्ध भॊगर कवि Siddha Mangal Kawach
ससद्ध भॊगर कवि को धायण कयने से भॊगर ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । भॊगर के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं । (ससद्ध भॊगर कवि औय भाॊगसरक मोग सनवायण कवि दोनं के कामा अरग-अरग हं ।)
ससद्ध फुध कवि Siddha Bhudha Kawach
भूल्म भाि: 550
ससद्ध फुध कवि को धायण कयने से फुध ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । फुध के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
ससद्ध गुरु कवि (फृहस्ऩसत) Siddha Guru (Bruhaspati) Kawach
भूल्म भाि: 550
ससद्ध गुरु कवि को धायण कयने से गुरु ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । गुरु के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
ससद्ध शुक्र कवि Siddha Shukra Kawach
भूल्म भाि: 550
ससद्ध शुक्र कवि को धायण कयने से शुक्र ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । शुक्र के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
ससद्ध शसन कवि Siddha Shani Kawach
भूल्म भाि: 550
ससद्ध शसन कवि को धायण कयने से शसन ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । शसन के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
ससद्ध याहु कवि Siddha Rashu Kawach
भूल्म भाि: 550
ससद्ध याहु कवि को धायण कयने से याहु ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । याहु के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
ससद्ध केतु कवि Siddha Ketu Kawach
भूल्म भाि: 550
ससद्ध केतु कवि को धायण कयने से केतु ग्रह से सॊफॊसधत ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हं । केतु के अशुब प्रबाव दयू हो कय शुब प्रबावं भं वृत्रद्ध होती हं ।
भूल्म भाि: 550
पयवयी 2013
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हभाये त्रवशेष मॊि व्माऩाय वृत्रद्ध मॊि: हभाये अनुबवं के अनुशाय मह मॊि व्माऩाय वृत्रद्ध एवॊ ऩरयवाय भं सुख सभृत्रद्ध हे तु त्रवशेष प्रबावशारी हं । बूसभराब मॊि: बूसभ, बवन, खेती से सॊफॊसधत व्मवसाम से जुड़े रोगं के सरए बूसभराब मॊि त्रवशेष राबकायी ससद्ध हुवा हं ।
तॊि यऺा मॊि: फकसी शिु द्राया फकमे गमे भॊि-तॊि आफद के प्रबाव को दयू कयने एवॊ बूत, प्रेत नज़य आफद फुयी शत्रिमं से यऺा हे तु त्रवशेष प्रबावशारी हं ।
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि: अऩने नाभ के अनुशाय ही भनुष्म को आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ हे तु परप्रद हं इस मॊि के ऩूजन से साधक को अप्रत्मासशत धन राब प्राद्ऱ होता हं । िाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो, धन-सॊऩत्रत्त इत्माफद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राद्ऱ हो सकता हं । हभाये वषं के अनुसॊधान एवॊ अनुबवं से हभने आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि से शेमय ट्रे फडॊ ग, सोने-िाॊदी के व्माऩाय इत्माफद सॊफॊसधत ऺेि से जुडे रोगो को त्रवशेष रुऩ से आकस्स्भक धन राब प्राद्ऱ होते दे खा हं । आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि से त्रवसबन्न स्रोत से धनराब बी सभर सकता हं ।
ऩदौन्नसत मॊि: ऩदौन्नसत मॊि नौकयी ऩैसा रोगो के सरए राबप्रद हं । स्जन रोगं को अत्मासधक ऩरयश्रभ एवॊ श्रेष्ठ कामा कयने ऩय बी नौकयी भं उन्नसत अथाात प्रभोशन नहीॊ सभर यहा हो उनके सरए मह त्रवशेष राबप्रद हो सकता हं ।
यिेश्वयी मॊि: यिेश्वयी मॊि हीये -जवाहयात, यि ऩत्थय, सोना-िाॊदी, ज्वैरयी से सॊफॊसधत व्मवसाम से जुडे रोगं के सरए असधक प्रबावी हं । शेय फाजाय भं सोने-िाॊदी जैसी फहुभूल्म धातुओॊ भं सनवेश कयने वारे रोगं के सरए बी त्रवशेष राबदाम हं ।
बूसभ प्रासद्ऱ मॊि: जो रोग खेती, व्मवसाम मा सनवास स्थान हे तु उत्तभ बूसभ आफद प्राद्ऱ कयना िाहते हं , रेफकन उस कामा भं कोई ना कोई अड़िन मा फाधा-त्रवघ्न आते यहते हो स्जस कायण कामा ऩूणा नहीॊ हो यहा हो, तो उनके सरए बूसभ प्रासद्ऱ मॊि उत्तभ परप्रद हो सकता हं ।
गृह प्रासद्ऱ मॊि: जो रोग स्वमॊ का घय, दक ु ान, ओफपस, पैक्टयी आफद के सरए बवन प्राद्ऱ कयना िाहते हं । मथाथा प्रमासो के उऩयाॊत बी उनकी असबराषा ऩूणा नहीॊ हो ऩायही हो उनके सरए गृह प्रासद्ऱ मॊि त्रवशेष उऩमोगी ससद्ध हो सकता हं ।
कैरास धन यऺा मॊि: कैरास धन यऺा मॊि धन वृत्रद्ध एवॊ सुख सभृत्रद्ध हे तु त्रवशेष परदाम हं । आसथाक राब एवॊ सुख सभृत्रद्ध हे तु 19 दर ा रक्ष्भी मॊि ु ब
त्रवसबन्न रक्ष्भी मॊि
श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)
भहारक्ष्भमै फीज मॊि
कनक धाया मॊि
श्री मॊि (भॊि यफहत)
भहारक्ष्भी फीसा मॊि
वैबव रक्ष्भी मॊि
श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सफहत)
रक्ष्भी दामक ससद्ध फीसा मॊि
श्री श्री मॊि
श्री मॊि (फीसा मॊि)
रक्ष्भी दाता फीसा मॊि
अॊकात्भक फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूि मॊि
रक्ष्भी फीसा मॊि
ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩृष्ठीम)
रक्ष्भी गणेश मॊि
धनदा मॊि
(भहान ससत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)
(रसरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमं श्री भहामॊि )
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सवाससत्रद्धदामक भुफद्रका इस भुफद्रका भं भूॊगे को शुब भुहूता भं त्रिधातु (सुवणा+यजत+ताॊफ)ं भं जड़वा कय उसे शास्त्रोि त्रवसधत्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्राया सवाससत्रद्धदामक फनाने हे तु प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि फकमा जाता हं । इस भुफद्रका को फकसी बी वगा के व्मत्रि हाथ की फकसी बी उॊ गरी भं धायण कय सकते हं ।
महॊ भुफद्रका कबी फकसी बी स्स्थती भं अऩत्रवि नहीॊ होती। इस सरए कबी भुफद्रका को उतायने की आवश्मिा नहीॊ हं । इसे धायण कयने से व्मत्रि की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता हं । धायणकताा को जीवन भं सपरता प्रासद्ऱ एवॊ उन्नसत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हं औय जीवन भं सबी प्रकाय की ससत्रद्धमाॊ बी शीध्र प्राद्ऱ होती हं ।
भूल्म भाि- 6400/-
(नोट: इस भुफद्रका को धायण कयने से भॊगर ग्रह का कोई फुया प्रबाव साधक ऩय नहीॊ होता हं ।)
सवाससत्रद्धदामक भुफद्रका के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे हे तु सम्ऩका कयं ।
ऩसत-ऩिी भं करह सनवायण हे तु मफद ऩरयवायं भं सुख-सुत्रवधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩिी के त्रफि भे करह होता यहता हं ,
तो घय के स्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि वशीकयण कवि एवॊ गृह करह नाशक फडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं त्रफना फकसी ऩूजा, त्रवसधत्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध ऩसत वशीकयण मा ऩिी वशीकयण एवॊ गृह करह नाशक फडब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका आऩ कय सकते हं ।
100 से असधक जैन मॊि हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख, दर ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि, ु ब ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे उऩरब्ध हं ।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है । इसके
अरावा आऩकी आवश्मकता अनुशाय आऩके द्राया प्राद्ऱ (सिि, मॊि, फड़ज़ाईन) के अनुरुऩ मॊि बी फनवाए
जाते है . गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊफडत एवॊ 22 गेज शुद्ध कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 टि शुद्ध ससरवय (िाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है । मॊि के त्रवषम भे असधक जानकायी के सरमे हे तु सम्ऩका कयं ।
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पयवयी 2013
द्रादश भहा मॊि मॊि को असत प्रासिन एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान ु ब द्राया फनामा गमा हं ।
ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब
सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि
भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि
ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदे व मॊि
बाग्मोदम मॊि
याज्म फाधा सनवृत्रत्त मॊि गृहस्थ सुख मॊि
शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि योग सनवृत्रत्त मॊि
साधना ससत्रद्ध मॊि शिु दभन मॊि
उऩयोि सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवॊ िैतन्म मुि फकमे जाते हं । स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अिानात्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । क्मा आऩके फच्िे कुसॊगती के सशकाय हं ? क्मा आऩके फच्िे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं ? क्मा आऩके फच्िे घय भं अशाॊसत ऩैदा कय यहे हं ? घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्िे को कुसॊगती से छुडाने हे तु फच्िे के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ तो आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फडब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका इस कय सकते हं ।
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सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत
ऩुरुषाकाय शसन मॊि
ऩुरुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शसन की कायक धातु शुद्ध स्टीर(रोहे ) भं फनामा गमा हं । स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं । मफद जन्भ कॊु डरी भं
शसन प्रसतकूर होने ऩय व्मत्रि को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है , कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गृह क्रेश आफद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं ु ट
प्राणप्रसतत्रष्ठत ग्रह ऩीड़ा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने से अनेक राब सभरते हं । मफद शसन की ढै ़मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना िाफहए। शसनमॊि के ऩूजन भाि से व्मत्रि को भृत्मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम
के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्रि के सरमे शसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद
के रोगं को ऩदौन्नसत बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है ।
भूल्म: 1050 से 8200
सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत
शसन तैसतसा मॊि
शसनग्रह से सॊफॊसधत ऩीडा के सनवायण हे तु त्रवशेष राबकायी मॊि। भूल्म: 550 से 8200
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नवयि जफड़त श्री मॊि
शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयि जड़वा ने ऩय मह नवयि जफड़त श्री मॊि कहराता हं । सबी यिो को उसके सनस्ित स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रि को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रि को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं । नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायणकयने वारे व्मत्रि ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं ।
गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे
तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोि विन हं । इस प्रकाय के नवयि जफड़त श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रष्ठत कयके फनावाए जाते हं । Rs: 2350, 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 से 10,900 तक असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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भॊि ससद्ध वाहन दघ ा ना नाशक भारुसत मॊि ु ट
ऩौयास्णक ग्रॊथो भं उल्रेख हं की भहाबायत के मुद्ध के सभम अजुन ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्वज एवॊ भारुसत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुद्ध के दौयान हज़ायं-राखं प्रकाय के आग्नेम अस्त्र-
शस्त्रं का प्रहाय होने के फाद बी अजुन ा का यथ जया बी ऺसतग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृ ष्ण भारुसत मॊि के इस अभत ा नाग्रस्त कैसे हो ु यहस्म को जानते थे फक स्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते हं, वह दघ ु ट सकता हं । वह यथ मा वाहन तो वामुवेग से, सनफाासधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय त्रवजम ऩतका रहयाता हुआ ऩहुॊिेगा। इसी सरमे श्री कृ ष्ण नं अजुन ा के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयवामा था।
स्जन रोगं के स्कूटय, काय, फस, ट्रक इत्माफद वाहन फाय-फाय दघ ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन को ु ट
नुऺान हो यहा हं! उन्हं हानी एवॊ दघ ा ना से यऺा के उद्दे श्म से अऩने वाहन ऩय भॊि ससद्ध श्री भारुसत मॊि अवश्म ु ट
रगाना िाफहए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जुडे हं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने वाहन भं अवश्म स्थात्रऩत कयना िाफहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जुडे सैकडं रोगं का अनुबव यहा हं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत कयने से उनके वाहन असधक फदन तक अनावश्मक खिो से एवॊ दघ ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहे हं । हभाया स्वमॊका एवॊ अन्म ु ट त्रवद्रानो का अनुबव यहा हं , की स्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हं , उन रोगं के वाहन फडी से
फडी दघ ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहते हं । उनके वाहनो को कोई त्रवशेष नुक्शान इत्माफद नहीॊ होता हं औय नाहीॊ अनावश्मक ु ट रुऩ से उसभं खयाफी आसत हं ।
वास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊि: मह भारुसत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । मफद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस ऩय कोई वाद-त्रववाद हो, तो इच्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उसित भूल्म ऩय त्रफक जामे इस सरमे इस भारुसत मॊि का प्रमोग फकमा जा सकता हं । इस भारुसत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रववादभुि हो जाएगी। इस सरमे मह मॊि दोहयी शत्रि से मुि है ।
भारुसत मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं । भूल्म Rs- 255 से 10900 तक
श्री हनुभान मॊि
शास्त्रं भं उल्रेख हं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद ा े व ने ब्रह्मा जी के आदे श ऩय हनुभान
जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भं हनुभान को सबी शास्त्र का ऩूणा
ऻान दॉ ग ू ा। स्जससे मह तीनोरोक भं सवा श्रेष्ठ विा हंगे तथा शास्त्र त्रवद्या भं इन्हं भहायत हाससर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषं की त्रवसबन्न फीभारयमं
दयू होती हं , इस मॊि भं अभत ु शत्रि सभाफहत होने के कायण व्मत्रि की स्वप्न दोष, धातु योग, यि दोष, वीमा दोष, भूछाा,
नऩुॊसकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी हं । अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हं । श्री हनुभान मॊि व्मत्रि को सॊकट, वाद-त्रववाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रवषबम, िोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माफद से सॊकटो से यऺा कयता हं औय ससत्रद्ध प्रदान कयने भं सऺभ हं । श्री हनुभान मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं । भूल्म Rs- 730 से 10900 तक
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त्रवसबन्न दे वताओॊ के मॊि गणेश मॊि
भहाभृत्मुज ॊ म मॊि
याभ यऺा मॊि याज
गणेश मॊि (सॊऩण ू ा फीज भॊि सफहत)
भहाभृत्मुज ॊ म कवि मॊि
याभ मॊि
गणेश ससद्ध मॊि
भहाभृत्मुज ॊ म ऩूजन मॊि
द्रादशाऺय त्रवष्णु भॊि ऩूजन मॊि
एकाऺय गणऩसत मॊि
भहाभृत्मुॊजम मुि सशव खप्ऩय भाहा सशव मॊि
त्रवष्णु फीसा मॊि
हरयद्रा गणेश मॊि
सशव ऩॊिाऺयी मॊि
गरुड ऩूजन मॊि
कुफेय मॊि
सशव मॊि
सिॊताभणी मॊि याज
श्री द्रादशाऺयी रुद्र ऩूजन मॊि
अफद्रतीम सवाकाम्म ससत्रद्ध सशव मॊि
सिॊताभणी मॊि
दत्तािम मॊि
नृससॊह ऩूजन मॊि
स्वणााकषाणा बैयव मॊि
दत्त मॊि
ऩॊिदे व मॊि
हनुभान ऩूजन मॊि
आऩदद्ध ु ायण फटु क बैयव मॊि
सॊतान गोऩार मॊि
हनुभान मॊि
फटु क मॊि
श्री कृ ष्ण अष्टाऺयी भॊि ऩूजन मॊि
सॊकट भोिन मॊि
व्मॊकटे श मॊि
कृ ष्ण फीसा मॊि
वीय साधन ऩूजन मॊि
कातावीमााजन ुा ऩूजन मॊि
सवा काभ प्रद बैयव मॊि
दस्ऺणाभूसता ध्मानभ ् मॊि
भनोकाभना ऩूसता एवॊ कष्ट सनवायण हे तु त्रवशेष मॊि व्माऩाय वृत्रद्ध कायक मॊि
अभृत तत्व सॊजीवनी कामा कल्ऩ मॊि
िम ताऩंसे भुत्रि दाता फीसा मॊि
व्माऩाय वृत्रद्ध मॊि
त्रवजमयाज ऩॊिदशी मॊि
भधुभेह सनवायक मॊि
व्माऩाय वधाक मॊि
त्रवद्यामश त्रवबूसत याज सम्भान प्रद ससद्ध फीसा मॊि
ज्वय सनवायण मॊि
व्माऩायोन्नसत कायी ससद्ध मॊि
सम्भान दामक मॊि
योग कष्ट दरयद्रता नाशक मॊि
बाग्म वधाक मॊि
सुख शाॊसत दामक मॊि
योग सनवायक मॊि
स्वस्स्तक मॊि
फारा मॊि
तनाव भुि फीसा मॊि
सवा कामा फीसा मॊि
फारा यऺा मॊि
त्रवद्युत भानस मॊि
कामा ससत्रद्ध मॊि
गबा स्तम्बन मॊि
गृह करह नाशक मॊि
सुख सभृत्रद्ध मॊि
ऩुि प्रासद्ऱ मॊि
करेश हयण फत्रत्तसा मॊि
सवा रयत्रद्ध ससत्रद्ध प्रद मॊि
प्रसूता बम नाशक मॊि
वशीकयण मॊि
सवा सुख दामक ऩंसफठमा मॊि
प्रसव-कष्टनाशक ऩॊिदशी मॊि
भोफहसन वशीकयण मॊि
ऋत्रद्ध ससत्रद्ध दाता मॊि
शाॊसत गोऩार मॊि
कणा त्रऩशािनी वशीकयण मॊि
सवा ससत्रद्ध मॊि
त्रिशूर फीशा मॊि
वाताारी स्तम्बन मॊि
साफय ससत्रद्ध मॊि
ऩॊिदशी मॊि (फीसा मॊि मुि िायं प्रकायके)
वास्तु मॊि
शाफयी मॊि
फेकायी सनवायण मॊि
श्री भत्स्म मॊि
ससद्धाश्रभ मॊि
षोडशी मॊि
ज्मोसतष तॊि ऻान त्रवऻान प्रद ससद्ध फीसा मॊि
अडसफठमा मॊि
वाहन दघ ा ना नाशक मॊि ु ट
ब्रह्माण्ड साफय ससत्रद्ध मॊि
अस्सीमा मॊि
बूतादी व्मासधहयण मॊि
कुण्डसरनी ससत्रद्ध मॊि
ऋत्रद्ध कायक मॊि
कष्ट सनवायक ससत्रद्ध फीसा मॊि
क्रास्न्त औय श्रीवधाक िंतीसा मॊि
भन वाॊसछत कन्मा प्रासद्ऱ मॊि
बम नाशक मॊि
श्री ऺेभ कल्माणी ससत्रद्ध भहा मॊि
त्रववाहकय मॊि
स्वप्न बम सनवायक मॊि
प्रेत-फाधा नाशक मॊि
पयवयी 2013
47
ऻान दाता भहा मॊि
रग्न त्रवघ्न सनवायक मॊि
कुदृत्रष्ट नाशक मॊि
कामा कल्ऩ मॊि
रग्न मोग मॊि
श्री शिु ऩयाबव मॊि
दीधाामु अभृत तत्व सॊजीवनी मॊि
दरयद्रता त्रवनाशक मॊि
शिु दभनाणाव ऩूजन मॊि
भॊि ससद्ध त्रवशेष दै वी मॊि सूसि आद्य शत्रि दग ु ाा फीसा मॊि (अॊफाजी फीसा मॊि)
सयस्वती मॊि
भहान शत्रि दग ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि)
सद्ऱसती भहामॊि(सॊऩण ू ा फीज भॊि सफहत)
नव दग ु ाा मॊि
कारी मॊि
नवाणा मॊि (िाभुड ॊ ा मॊि)
श्भशान कारी ऩूजन मॊि
नवाणा फीसा मॊि
दस्ऺण कारी ऩूजन मॊि
िाभुड ॊ ा फीसा मॊि ( नवग्रह मुि)
सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्ध मॊि
त्रिशूर फीसा मॊि
खोफडमाय मॊि
फगरा भुखी मॊि
खोफडमाय फीसा मॊि
फगरा भुखी ऩूजन मॊि
अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि
याज याजेश्वयी वाॊछा कल्ऩरता मॊि
एकाॊऺी श्रीपर मॊि
भॊि ससद्ध त्रवशेष रक्ष्भी मॊि सूसि श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)
भहारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यफहत)
भहारक्ष्भी फीसा मॊि
श्री मॊि (सॊऩण ू ा भॊि सफहत)
रक्ष्भी दामक ससद्ध फीसा मॊि
श्री मॊि (फीसा मॊि)
रक्ष्भी दाता फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूि मॊि
रक्ष्भी गणेश मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩृष्ठीम)
ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
रक्ष्भी फीसा मॊि
कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्रीश्री रसरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमं श्री भहामॊि)
वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान ससत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)
अॊकात्भक फीसा मॊि ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस (Gold Plated) साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated)
भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800
साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
भूल्म 370 640 1090 1650 2800 5100 8200
ताम्र ऩि ऩय (Copper)
साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
भूल्म 255 460 730 1090 1900 3250 6400
पयवयी 2013
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यासश यि भेष यासश:
भूग ॊ ा
Red Coral (Special) 5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800
वृषब यासश:
हीया
Diamond (Special) 10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent
Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500
सभथुन यासश:
कका यासश:
ससॊह यासश:
कन्मा यासश:
Green Emerald
Naturel Pearl (Special)
Ruby (Old Berma) (Special)
Green Emerald
ऩन्ना
(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000
भोती
5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"
Rs. 910 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1900 Rs. 2300 Rs. 2800
भाणेक
2.25" 3.25" 4.25" 5.25" 6.25"
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
12500 15500 28000 46000 82000
ऩन्ना
(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000
** All Weight In Rati
All Diamond are Full White Colour.
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
तुरा यासश:
वृस्िक यासश:
धनु यासश:
कॊु ब यासश:
भीन यासश:
हीया
भूग ॊ ा
ऩुखयाज
भकय यासश:
नीरभ
नीरभ
Diamond (Special)
Red Coral
Y.Sapphire
B.Sapphire
B.Sapphire
Y.Sapphire
(Special)
(Special)
(Special)
(Special)
(Special)
10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent
Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500
All Diamond are Full White Colour.
5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800 ** All Weight In Rati
ऩुखयाज
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
* उऩमोि वजन औय भूल्म से असधक औय कभ वजन औय भूल्म के यि एवॊ उऩयि बी हभाये महा व्माऩायी भूल्म ऩय उप्रब्ध हं ।
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
पयवयी 2013
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भॊि ससद्ध रूद्राऺ Rate In Indian Rupee
Rudraksh List एकभुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
Rate In Indian Rupee
Rudraksh List आठ भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
1250, 1450
आठ भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
नौ भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
1250, 1450
दो भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय)
2800, 5500 1050, 1250, 1450 30,50,75
दो भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
50,100,
नौ भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
दो भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
450,1250
दस भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
1450, 1900
तीन भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय)
30,50,75,
दस भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
तीन भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
50,100,
ग्मायह भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
1900,
तीन भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
450,1250,
ग्मायह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
िाय भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय)
25,55,75,
फायह भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
2350, 2800
िाय भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
50,100,
फायह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
ऩॊि भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
25,55,
तेयह भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
5500, 6400
ऩॊि भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
225, 550,
तेयह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
छह भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय)
25,55,75,
िौदह भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
12500, 14500
छह भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
50,100,
िौदह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
सात भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय)
125, 190, 280
गौयीशॊकय रूद्राऺ
2350, 2800
सात भुखी रूद्राऺ (नेऩार)
225, 450,
गणेश रुद्राऺ (नेऩार)
730
सात भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
गणेश रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा)
-
एकभुखी रूद्राऺ (नेऩार)
रुद्राऺ के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY, 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
भॊि ससद्ध दर ा साभग्री ु ब हत्था जोडी- Rs- 370
घोडे की नार- Rs.351
भामा जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370
भोसत शॊख- Rs- 550
धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251
ससमाय ससॊगी- Rs- 370
दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550
इन्द्र जार- Rs- 251
GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
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श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि फकसी बी व्मत्रि का जीवन तफ आसान फन जाता हं जफ उसके िायं औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके वश भं हं। जफ कोई व्मत्रि का आकषाण दस ु यो के उऩय एक िुम्फकीम प्रबाव डारता हं , तफ
रोग उसकी सहामता एवॊ
सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना असधक कष्ट व ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हं । आज के बौसतकता वाफद मुग भं हय व्मत्रि के सरमे दस ॊ कत्व को कामभ ू यो को अऩनी औय खीिने हे तु एक प्रबावशासर िुफ
यखना असत आवश्मक हो जाता हं । आऩका आकषाण औय व्मत्रित्व आऩके िायो ओय से रोगं को आकत्रषात कये इस सरमे सयर उऩाम हं , श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि। क्मोफक बगवान श्री कृ ष्ण एक अरौफकव एवॊ फदवम िुॊफकीम व्मत्रित्व के धनी थे। इसी कायण से श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मत्रित्व प्राद्ऱ होता हं । श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के साथ व्मत्रिको दृढ़ इच्छा शत्रि एवॊ उजाा प्राद्ऱ होती हं , स्जस्से व्मत्रि हभेशा एक बीड भं हभेशा आकषाण का कंद्र यहता हं । मफद फकसी व्मत्रि को अऩनी प्रसतबा व आत्भत्रवश्वास के स्तय भं वृत्रद्ध, अऩने सभिो व ऩरयवायजनो के त्रफि भं रयश्तो भं सुधाय कयने की ईच्छा होती हं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ सात्रफत हो सकता हं । श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि ऩय अॊफकत शत्रिशारी त्रवशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ
श्रीकृ ष्ण फीसा कवि श्रीकृ ष्ण
फीसा
कवि
को
केवर
त्रवशेष शुब भुहुता भं सनभााण फकमा जाता हं । कवि को त्रवद्रान कभाकाॊडी
ब्राहभणं द्राया शुब भुहुता भं शास्त्रोि
अॊको से व्मत्रि को अद्द्भत ु आॊतरयक शत्रिमाॊ प्राद्ऱ होती हं जो व्मत्रि को
त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन व सनमसभत दशान के भाध्मभ से बगवान
मुि कयके सनभााण फकमा जाता हं ।
सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भं अग्रस्णम फनाने भं सहामक ससद्ध होती हं ।
श्रीकृ ष्ण का आशीवााद प्राद्ऱ कय सभाज भं स्वमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं । श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि अरौफकक ब्रह्माॊडीम उजाा का सॊिाय कयता हं , जो एक प्राकृ त्रत्त भाध्मभ से व्मत्रि के बीतय सद्दबावना, सभृत्रद्ध, सपरता, उत्तभ स्वास्थ्म, मोग औय ध्मान के सरमे एक शत्रिशारी भाध्मभ हं !
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन से व्मत्रि के साभास्जक भान-सम्भान व
द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म स्जस के पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्रि को शीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ होता हं । कवि को गरे भं धायण कयने से वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हं । गरे भं धायण कयने से कवि
ऩद-प्रसतष्ठा भं वृत्रद्ध होती हं ।
हभेशा रृदम के ऩास यहता हं स्जस्से
कंफद्रत कयने से व्मत्रि फक िेतना शत्रि जाग्रत होकय शीघ्र उच्ि स्तय
एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हं ।
त्रवद्रानो के भतानुशाय श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग
व्मत्रि ऩय उसका राब असत तीव्र
को प्राद्ऱहोती हं ।
भूरम भाि: 1900
जो ऩुरुषं औय भफहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना िाहते हं औय उन्हं अऩनी औय आकत्रषात कयना िाहते हं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि उत्तभ उऩाम ससद्ध हो सकता हं ।
ऩसत-ऩिी भं आऩसी प्रभ की वृत्रद्ध औय सुखी दाम्ऩत्म जीवन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि राबदामी होता हं ।
भूल्म:- Rs. 730 से Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध
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पयवयी 2013
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याभ यऺा मॊि याभ यऺा मॊि सबी बम, फाधाओॊ से भुत्रि व कामो भं सपरता प्रासद्ऱ हे तु उत्तभ मॊि हं । स्जसके प्रमोग से धन राब होता हं व व्मत्रि का सवांगी त्रवकाय होकय उसे सुख-सभृत्रद्ध, भानसम्भान की प्रासद्ऱ होती हं । याभ यऺा मॊि सबी प्रकाय के अशुब प्रबाव को दयू कय व्मत्रि को जीवन की सबी प्रकाय की कफठनाइमं से यऺा कयता हं । त्रवद्रानो के भत से जो व्मत्रि बगवान याभ के बि हं मा श्री हनुभानजी के बि हं उन्हं अऩने सनवास स्थान, व्मवसामीक स्थान ऩय याभ यऺा मॊि को अवश्म स्थाऩीत कयना िाफहमे स्जससे आने वारे सॊकटो से यऺा हो उनका जीवन सुखभम व्मतीत हो सके एवॊ उनकी सभस्त आफद बौसतक व आध्मास्त्भक भनोकाभनाएॊ ऩूणा हो सके।
ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस
ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस
ताम्र ऩि ऩय
(Gold Plated)
(Silver Plated)
(Copper)
साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800
साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
भूल्म 370 640 1090 1650 2800 5100 8200
साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
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भूल्म 255 460 730 1090 1900 3250 6400
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पयवयी 2013
जैन धभाके त्रवसशष्ट मॊिो की सूिी श्री िौफीस तीथंकयका भहान प्रबात्रवत िभत्कायी मॊि
श्री एकाऺी नारयमेय मॊि
श्री िोफीस तीथंकय मॊि
सवातो बद्र मॊि
कल्ऩवृऺ मॊि
सवा सॊऩत्रत्तकय मॊि
सिॊताभणी ऩाश्वानाथ मॊि
सवाकामा-सवा भनोकाभना ससत्रद्धअ मॊि (१३० सवातोबद्र मॊि)
सिॊताभणी मॊि (ऩंसफठमा मॊि)
ऋत्रष भॊडर मॊि
सिॊताभणी िक्र मॊि
जगदवल्रब कय मॊि
श्री िक्रेश्वयी मॊि
ऋत्रद्ध ससत्रद्ध भनोकाभना भान सम्भान प्रासद्ऱ मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि
ऋत्रद्ध ससत्रद्ध सभृत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि
त्रवषभ त्रवष सनग्रह कय मॊि
श्री ऩद्मावती मॊि
ऺुद्रो ऩद्रव सननााशन मॊि
श्री ऩद्मावती फीसा मॊि
फृहच्िक्र मॊि
श्री ऩाश्वाऩद्मावती र्ह्रींकाय मॊि
वॊध्मा शब्दाऩह मॊि
ऩद्मावती व्माऩाय वृत्रद्ध मॊि
भृतवत्सा दोष सनवायण मॊि
श्री धयणेन्द्र ऩद्मावती मॊि
काॊक वॊध्मादोष सनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ ध्मान मॊि
फारग्रह ऩीडा सनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ प्रबुका मॊि
रधुदेव कुर मॊि
बिाभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक)
नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका त्रवसशष्ट मॊि
भस्णबद्र मॊि
उवसग्गहयॊ मॊि
श्री मॊि
श्री ऩॊि भॊगर भहाश्रृत स्कॊध मॊि
श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय वधाक मॊि
र्ह्रीीॊकाय भम फीज भॊि
श्री रक्ष्भीकय मॊि
वधाभान त्रवद्या ऩट्ट मॊि
रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि
त्रवद्या मॊि
भहात्रवजम मॊि
सौबाग्मकय मॊि
त्रवजमयाज मॊि
डाफकनी, शाफकनी, बम सनवायक मॊि
त्रवजम ऩतका मॊि
बूताफद सनग्रह कय मॊि
त्रवजम मॊि
ज्वय सनग्रह कय मॊि
ससद्धिक्र भहामॊि
शाफकनी सनग्रह कय मॊि
दस्ऺण भुखाम शॊख मॊि
आऩत्रत्त सनवायण मॊि
दस्ऺण भुखाम मॊि
शिुभख ु स्तॊबन मॊि
(अनुबव ससद्ध सॊऩण ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)
मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
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घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि को स्थाऩीत
कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं । सवा प्रकाय के योग बूत-प्रेत आफद उऩद्रव से यऺण होता हं । जहयीरे औय फहॊ सक प्राणीॊ से सॊफसॊ धत बम दयू होते हं । अस्ग्न बम, िोयबम आफद दयू होते हं ।
दष्ट ु व असुयी शत्रिमं से उत्ऩन्न होने वारे बम
से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हं ।
मॊि के ऩूजन से साधक को धन, सुख, सभृत्रद्ध,
ऎश्वमा, सॊतत्रत्त-सॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ होती हं । साधक की सबी प्रकाय की सास्त्वक इच्छाओॊ की ऩूसता होती हं ।
मफद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय
वशीकयण, भायण,
उच्िाटन इत्माफद जाद-ू टोने वारे
प्रमोग फकमे गमं होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नष्ट हो जाते हं औय बत्रवष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता हं तो यऺण होता हं ।
कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका
मॊि से जुडे अद्द्भत ु अनुबव यहे हं । मफद घय भं श्री
घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत फकमा हं औय मफद
कोई इषाा, रोब, भोह मा शिुतावश मफद अनुसित कभा
कयके फकसी बी उद्दे श्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हं तो मॊि के प्रबाव से सॊऩण ू ा ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हं , कबी-कबी शिु के द्राया फकमा गमा अनुसित कभा शिु ऩय ही उऩय उरट वाय होते दे खा हं ।
भूल्म:- Rs. 1650 से Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध
सॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
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अभोघ भहाभृत्मुॊजम कवि अभोद्य् भहाभृत्मुज ॊ म कवि व उल्रेस्खत अन्म साभग्रीमं को शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवद्रान ब्राह्मणो द्राया सवा राख भहाभृत्मुॊजम भॊि जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्राया सनसभात फकमा जाता हं इस सरए कवि अत्मॊत प्रबावशारी होता हं ।
अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि कवि फनवाने हे तु: अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे
अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि दस्ऺणा भाि: 10900
याशी यि एवॊ उऩयि त्रवशेष मॊि हभायं महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने-िाॊफदताम्फे भं आऩकी आवश्मिा के अनुशाय
फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी आवश्मक फडजाईन के अनुशाय २२ गेज सबी साईज एवॊ भूल्म व क्वासरफट के
असरी नवयि एवॊ उऩयि बी उऩरब्ध हं ।
शुद्ध ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रवशेष सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यि एवॊ उऩयि व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हं । ज्मोसतष कामा से जुडे़ फधु/फहन व यि व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यि व अन्म साभग्रीमा व अन्म सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
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भाससक यासश पर
सिॊतन जोशी भेष: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : इस दौयान मथा सॊबव ऋण रेने से फिे औय ऩुयाने ऋणं का बुगतान कयने का प्रमास कये । उच्िासधकायी से अनावश्मक ऩये शानी हो सकती हं । कामा भं अत्मसधक सतका यहे गरत सनणामो के कायण फड़ा नुक्शान हो सकता हं । बूसभ-बवन के क्रम त्रवक्रम से आसथाक हानी सॊबव हं । थोडे सभम के सरमे ऩरयवाय भं अशास्न्त आऩकी ऩये शानी का कायण फन सकती हं 15 से 28 फ़यवयी 2013 : छोटी-छोटी सभस्माए आने के उऩयाॊत ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ कड़ी भेहनत से फकमे गमे कामो से सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । उच्ि असधकायी एवॊ सहकभॉ के कामा ऩये शासनमं सॊबव हं । सावधान यहं । आऩकी भहत्व ऩूणा व्मवसासमक मािा स्थसगत हो सकती। बूसभ-बवन से सॊफॊसधत भाभरो भं सिॊता यह सकती हं । इस सरए अनावश्मक सिन्ता से भुि होकय अऩने कामा ऩय ध्मान रगाना उसित होगा।
वृषब: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : छोटी-छोटी सभस्माए आने के उऩयाॊत बी काभमाफी प्राद्ऱ होगी। आऩके यिनात्भक एवॊ फौत्रद्धक कामं से आऩकी ख्मासत औय प्रससत्रद्ध का तेजी से त्रवस्ताय होगा, आऩके भान-सम्भान औय प्रसतष्ठा भं वृत्रद्ध होगी। कुछ रुकावटो के फाद भं रुके हुवे मा फकसी को उधाय फदमा धन प्राद्ऱ होगा। ऩरयवाय औय सभिं का सहमोग प्राद्ऱ होगा। 15 से 28 फ़यवयी 2013 : नौकयी व्मवसाम भं कामा की व्मस्तता, अत्मसधक बाग-दौ हो सकती हं इस दौयान उच्ि असधकायी एवॊ सहकभॉ के कामा ऩये शासनमं सॊबव हं इस सरए उनसे वाद-त्रववाद कयने से फिे। आऩको भानससक अस्स्थयता का अनुबव हो सकता हं इस सरए भन को सनमॊिण भं यखने का प्रमास कयं । ऩरयवाय भं खुसशमो का भाहोर यहे गा। आऩको शुब सभािाय प्राद्ऱ हो सकमे हं ।
सभथुन: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : आऩके भहत्व ऩूणा कामो भं असतरयि सावधानी यखनी िाफहमे अन्मथा कुछ कामो भं नुक्शान हो सकता हं । व्मवसासमक सभस्माओॊ के कायण कुछ रुकावटो के फाद भं व्मवसाम भं धन राब प्राद्ऱ होगा। त्रवयोधी एवॊ शिु ऩऺ से ऩये शानी हो सकती हं । आऩको भानससक अस्स्थयता का अनुबव हो सकता हं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : नौकयी-व्मवसाम भं उस्म्भद से कभ धन राब की प्रासद्ऱ हो सकती हं । कामाऺेि भं आवश्मकता से असधक सॊघषा कयना ऩड सकता हं । आऩकी भहत्व ऩूणा व्मवसासमक मािा स्थसगत हो सकती। सभि एवॊ ऩरयवाय के सहमोग से धन राब होगा। त्रवऩरयत ऩरयस्स्थसत भं अऩने क्रोध एवॊ गुस्से ऩय सनमॊिण यखने का प्रमास कयं ।
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कका: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : उच्ि असधकायी एवॊ सहकभॉ का सहमोग सभरेगा, स्जससे दयू स्थ स्थानं की मािा बी सॊबव हं । आसथाक भाभरं भं सभम उताय-िढ़ाव वारा हो सकता हं । सयकायी कामा मा कोटा -किहयी के कामं के सरए सभम अनुकूर हं । थोडे सभम के सरमे ऩरयवाय भं अशास्न्त हो सकती हं । अऩने खाने- ऩीने का ध्मान यखे। अऩनी असधक खिा कयने की प्रवृत्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : कामाऺेि का रॊफे सभम से रुका हुवा बुगतान प्राद्ऱ हो सकता हं । भहत्व के कामो के सरमे अत्मसधक खिा के मोग फन यहे हं । आऩको कजा रेना ऩड सकता हं । ऩरयवाय भं फकसी सदस्म का स्वास्थ्म सिॊसतत कय सकता हं । फडे ़-फुजुगो से उसित व्मवहाय फनाए यखं अन्मथा रयश्ते त्रफगड़ सकते हं । मफद कोई ऩारयवारयक भतबेद हो तो उसको दयू कयने हे तु असधक से असधक सभम अऩने ऩरयवाय के साथ त्रफतामे।
ससॊह: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : अऩको नौकयी-व्मवसाम से जुडे कामो भं कड़ी भेहनत से भहत्वऩूणा उऩरस्ब्धमाॊ प्राद्ऱ हो सकती हं । आसथाक स्स्थसत भं उताय-िाढाव यहं गे। आऩके असधनस्थ कभािायी व सहकसभा आऩके भनोनुकूर कामा नहीॊ कयने से आऩकी सिॊताएॊ फढ सकती हं । अऩने कामोऺेि भं त्रवशेष सावधानी यखं फकसी से सॊफॊध खयाफ होने के मोग फन यहे हं । ऩरयवाय भं आऩसी तारभेर फनाए यखने का प्रमास कयं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : आऩको व्मवसामीक कामो से आसथाक राब प्राद्ऱ हो सकते हं । कामाऺेि भं अऩने प्रमासो के फर रुके हुवे कामो को अवश्म ऩूणा कय सकते हं । फकसी ऩय अॊधात्रवश्वास यखने के कायण आऩको फकसी प्रकाय की सभस्माओॊ का साभना कयना ऩड़ सकता हं । ऩारयवारयक रयश्तं को फनाए यखने का त्रवशेष प्रमास कयना ऩड़ सकता हं । त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत आऩका असधक आकषाण आऩकी भानससक शाॊसत छीन सकता हं ।
कन्मा: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : आऩके कामाऺेि भं भहत्वऩूणा फदराव हंगे। आसथाक ऩऺ थोडा कभजोय हो सकता हं । ऩूॊस्ज सनवेश इत्माफद के सरए सभम प्रसतकूर हं इस सरए सनवेश कयने से ऩयहे ज कयं । आऩकी कामा कयने की शैरी सुधये गी। आऩकी आसथाक स्स्थसत भं सुधाय होगा। सॊतान सॊफॊसधत सिॊताओॊ का सनवायण होगा। ऩरयवाय के फकसी सदस्म का स्वास्थ्म सिॊताकायक हो सकता हं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : गरत सनणामो के कायण आसथाक ऩऺ कभजोय हो सकता हं । धासभाक कामो भं त्रवशेष रुसि यखने का प्रमास कय सकते हं । दयू स्थ स्थानो की मािाएॊ सॊबव हं । ऩायीवारयक सदस्मं के फीि भं वाद-त्रववाद के कायण तनाव हो सकता हं । स्वास्थ्म सॊफॊसधत ऩये शासनमाॊ दयू होगी। जीवनसाथी के साथ सॊफॊधं भं भधुयता आएगी। प्रेभ सॊफॊधो भं सपरता प्राद्ऱ होगी।
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तुरा: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : कामाऺेि की छोटी-भोटी सभस्माकं दयू कयने भं आऩ ऩूणा रुऩ से सभथा हंगे हं । नौकयी- व्मवसाम भं धन प्रासद्ऱ होने के मोग हं । आऩको भहत्वऩूणा कामा एवॊ मोजनाओॊ को ऩूणा कयने हे तु ऋण रेना ऩड सकता हं जो आऩके सरए राबदाम ससद्ध हो सकता हं । वाणी ऩय सनमॊिण यखं अन्मथा ऩारयवारयक रयश्तं भं खट्टास आसकती हं । अत्रववाफहत हं तो त्रववाह के मोग फन सकते हं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : फकमे गमे ऩूॊस्ज सनवेश द्राया आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फन यहे हं । आऩके साभजीक भान-सम्भान एवॊ ऩद-प्रसतष्ठा भं वृत्रद्ध होगी। व्मवसामीक ऩये शानीमं से छुटकाया सभरेगा। भहत्वऩूणा कामो के सरए आऩको कजा रेना ऩड़ सकता हं । व्मवहाय कूशर यहं अन्मथा ऩरयवाय भं करह का वातावयण हो सकता हं । स्वास्थ्म के प्रसत सिेतनता फयते।
वृस्िक: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : छोटी-छोटी सभस्माए आने के उऩयाॊत बी काभमाफी प्राद्ऱ होगी। धन सॊफॊधी ऩूयानी सभस्माओॊ का सभाधान सॊबव हं । आऩकी भानससक प्रन्नता फढे गी। अत्मसधक व्मम के कायण भानससक सिन्तामे फढ सकती हं । ऩरयवाय औय रयश्तेदायं से आस्त्भमता के अनुबव भं कभी यह सकती हं । प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं सपरता प्राद्ऱ होने के अच्छे मोग हं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : व्मवसासमक मािा भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं । मफद आऩ नौकयी भं हं तो अऩने कामा के अनुरुऩ त्रवशेष राब सॊबव हं । रेफकन धन सॊफॊधी भाभरं भं अनजान सभस्माओॊ का साभना कयना ऩड सकता हं । स्वास्थ्म सुख भं वृत्रद्ध होगी फपय बी खाने- ऩीने का त्रवशेष ध्मान यखना फहतकायी यहे गा। जीवन साथी के ऩूणा सहमोग से दाॊऩत्म जीवन भं भधुयता आएगी।
धनु: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : व्मवासाम से जुडे हं औय साझेदायी की मोजना फना यहे हं तो सभम प्रसतकूर सात्रफत हो सकता हं । ऋण के रेन-दे ने से फिने का प्रमास कयं अन्मथा धन की ऩुन् प्रासद्ऱ-बुगतान भं त्रवरॊफ हो सकता हं । शिु ऩऺ से सावधान यहं आऩ ऩय झूठे आयोऩ रग सकते हं । अऩने उच्िासधकायी एवॊ सहकभािायी से छोटी-छोटी फातं भं त्रववाद हो सकते हं । धासभाक कामो भं रुसि फढे गी। 15 से 28 फ़यवयी 2013 : व्मवसाम से सॊफॊसधत का कामं से जुडे रोगो की प्रससत्रद्ध का तेजी से त्रवस्ताय होगा। अत्मसधक बागदौड़ के कायण आऩको उजाा व उसाह की कभी भहसूस हो सकती हं । नमे रोगो से सभिता होगी। भहत्वऩूणा एवॊ घये रू भाभरो भं िुनौतीओॊ का साभना कयना ऩड सकता हं । भौसभ के ऩरयवतान के साथ-साथ अऩने खाने- ऩीने का त्रवशेष ध्मान यखना फहतकायी यहे गा।
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पयवयी 2013
भकय: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : व्माऩाय उद्योग से जुडे़ रोगो को नमे अवसय प्राद्ऱ हंगे। बूसभ-बवन-वाहन से सॊफॊसधत कामो भं राब प्राद्ऱ होगा। कोटा -किहयी के कामो भं त्रवरॊफ हो सकता हं । अनािश्मक खिा कयने से फिे। इष्ट सभिं के सहमोग से नमे सभि फन सकते हं । इस सरए धैमा औय सॊमभ से काभ रे जल्दफाजी ऩये शानी का कायण फन सकती हं । प्रेभ सॊफॊधं भं भतबेद होने के मोग फन यहे हं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : आऩकी भहत्वऩूणा मोजनाए ऩूणा हो सकती हं । कामाऺेि भं आऩके जोश एवॊ उत्साह भं वृत्रद्ध होने से आऩको भनोनुकूर राब प्राद्ऱ होगा। अऩनी असधक खिा कयने की प्रवृत्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं । आऩके त्रवयोधी एवॊ शिु ऩऺ ऩयास्त हंगे। अऩने खानेऩीने का ध्मान यखे। ऩरयवाय के फकसी सदस्म का स्वास्थ्म कभजोय हो सकता हं ।
कॊु ब: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : नौकयी-व्मवसाम भं फकमे गमे प्रमासो से ऩूणा सपरता प्राद्ऱ होगी। इस अवसध भं िर-अिर सॊऩत्रत्त भं जोस्खभ बये ऩूॊस्ज सनवेश कयना आऩके सरए त्रवशेष रुऩ से नुकशान दे ने वारा हो सकता हं । जीवन साथी के साथ व्मवहाय अच्छा यखे अन्मथा सभस्माओॊ का साभना कय सकते हं । हं । ऩरयवाय भं फकसी सदस्म का स्वास्थ्म सिॊसतत कय सकता हं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : कुछ रुकावटो के फाद भं व्मवसाम भं धन राब प्राद्ऱ होगा। बायी भािा भं ऩूॊस्ज सनवेश मा बूसभ-बवन से सॊफॊसधत भाभरो भं सतका यहे अन्मथा बायी नुक्शान हो सकता हं । सभाज भं आऩके नाभ-प्रसतष्ठा फनाए यखने के सरमे त्रवशेष ध्मान यखना िाफहमे। अऩने खाने- ऩीने का ध्मान यखे अन्मथा आऩका का स्वास्थ्म नयभ हो सकता हं ।
भीन: 1 से 14 फ़यवयी 2013 : नौकयी-व्मवसाम भं उन्नसत व आमके नए स्त्रोत सभरने के मोग हं । आऩकी आसथाक भं सुधाय होगा। बूसभ-बवन-वाहन से सॊफॊसधत कामो से राब प्रासद्ऱ सॊबव हं । शिुओॊ ऩय आऩका प्रबाव यहे गा। आऩके त्रवयोधी एवॊ शिु ऩऺ ऩयास्त हंगे। आऩका साभास्जक जीवन उच्ि स्तय का हो सकता हं । ऩरयवाय के फकसी सदस्म का स्वस्थ्म कभजोय हो सकता हं । 15 से 28 फ़यवयी 2013 : नौकयी से सॊफॊसधत कामा भं नमे फदराव हो सकते हं , व्मवसाम भं हं तो उन्नती के नए भागा प्राद्ऱ हंगे। व्मवसामीक मािाएॊ सपर होगी।बूसभ-बवन से सॊफॊसधत भाभरं भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं । आऩके बौसतक सुख साधनो भं वृत्रद्ध होगी। ऩरयवाय के रोग एवॊ सभि वगा का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा। जीवन साथी के साथ सॊफॊधं भं भधुयता आएगी।
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पयवयी 2013 भाससक ऩॊिाॊग फद
वाय
भाह
ऩऺ
सतसथ
सभासद्ऱ
नऺि
सभासद्ऱ
मोग
सभासद्ऱ
कयण
सभासद्ऱ
िॊद्र
यासश
सभासद्ऱ
1
शुक्र
भाघ
कृ ष्ण ऩॊिभी
10:33:42
हस्त
19:15:54
धृसत
26:42:09
तैसतर
10:33:42
कन्मा
31:03:00
2
शसन
भाघ
कृ ष्ण षष्ठी
09:34:05
सििा
18:46:16
शूर
24:30:20
वस्णज
09:34:05
तुरा
-
3
यत्रव
भाघ
कृ ष्ण सद्ऱभी
08:14:45
स्वाती
17:57:53
गॊड
22:02:34
फव
08:14:45
तुरा
-
4
सोभ
भाघ
कृ ष्ण नवभी
28:31:58
त्रवशाखा
16:47:54
वृत्रद्ध
19:17:54
तैसतर
17:35:43
तुरा
11:08:00
5
भॊगर भाघ
कृ ष्ण दशभी
26:12:35
अनुयाधा
15:19:09
ध्रुव
16:17:16
वस्णज
15:24:46
वृस्िक
-
6
फुध
भाघ
कृ ष्ण एकादशी
23:38:11
जेष्ठा
13:33:30
व्माघात
13:03:30
फव
12:56:56
वृस्िक
13:34:00
7
गुरु
भाघ
कृ ष्ण द्रादशी
20:52:31
भूर
11:34:42
हषाण
09:40:20
कौरव
10:15:01
धनु
-
8
शुक्र
भाघ
कृ ष्ण िमोदशी
18:03:05
ऩूवााषाढ़
09:30:16
ससत्रद्ध
26:40:35
गय
07:27:27
धनु
14:59:00
9
शसन
भाघ
कृ ष्ण ितुदाशी
15:19:14
उत्तयाषाढ़
07:26:44
व्मसतऩात
23:17:22
शकुसन
15:19:14
भकय
-
10 यत्रव
भाघ
कृ ष्ण अभावस्मा
12:51:19
धसनष्ठा
28:02:34
वरयमान
20:10:04
नाग
12:51:19
भकय
16:45:00
11 सोभ
भाघ
शुक्र प्रसतऩदा
10:44:57
शतसबषा
27:00:53
ऩरयग्रह
17:23:23
फव
10:44:57
कुॊब
-
12 भॊगर भाघ
शुक्र फद्रतीमा
09:13:14
ऩूवााबाद्रऩद
26:37:37
सशव
15:06:41
कौरव
09:13:14
कुॊब
20:39:00
13 फुध
भाघ
शुक्र तृतीमा
08:22:46
उत्तयाबाद्रऩद
26:59:19
ससद्ध
13:22:46
गय
08:22:46
भीन
-
14 गुरु
भाघ
शुक्र ितुथॉ
08:20:05
ये वसत
28:08:50
साध्म
12:17:16
त्रवत्रष्ट
08:20:05
भीन
28:09:00
15 शुक्र
भाघ
शुक्र ऩॊिभी
09:06:08
अस्श्वनी
30:03:19
शुब
11:49:15
फारव
09:06:08
भेष
-
16 शसन
भाघ
शुक्र षष्ठी
10:37:10
बयणी
32:35:17
शुक्र
11:54:58
तैसतर
10:37:10
भेष
-
17 यत्रव
भाघ
शुक्र सद्ऱभी
12:46:37
बयणी
08:35:22
ब्रह्म
12:27:52
वस्णज
12:46:37
भेष
15:18:00
18 सोभ
भाघ
शुक्र अष्टभी
15:19:29
कृ सतका
11:32:36
इन्द्र
13:20:25
फव
15:19:29
वृष
-
19 भॊगर भाघ
शुक्र नवभी
18:01:43
योफहस्ण
14:39:13
वैधसृ त
14:19:32
कौरव
18:01:43
वृष
28:12:00
20 फुध
भाघ
शुक्र दशभी
20:34:33
भृगसशया
17:42:03
त्रवषकुॊब
15:14:52
तैसतर
07:19:33
सभथुन
-
21 गुरु
भाघ
शुक्र एकादशी
22:46:45
आद्रा
20:23:19
प्रीसत
15:56:08
वस्णज
09:43:56
सभथुन
-
पयवयी 2013
60
22 शुक्र
भाघ
शुक्र द्रादशी
24:27:04
ऩुनवासु
22:36:26
आमुष्भान
16:14:52
फव
11:41:07
सभथुन
16:07:00
23 शसन
भाघ
शुक्र िमोदशी
25:31:44
ऩुष्म
24:16:44
सौबाग्म
16:07:21
कौरव
13:03:36
कका
-
24 यत्रव
भाघ
शुक्र ितुदाशी
26:00:46
आश्लेषा
25:20:27
शोबन
15:32:38
गय
13:50:27
कका
25:21:00
25 सोभ
भाघ
शुक्र ऩूस्णाभा
25:56:58
भघा
25:54:09
असतगॊड
14:31:39
त्रवत्रष्ट
14:02:36
ससॊह
-
26 भॊगर पाल्गुन कृ ष्ण प्रसतऩदा
25:24:06
ऩूवाापाल्गुनी
25:58:47
सुकभाा
13:07:13
फारव
13:42:51
ससॊह
-
27 फुध
पाल्गुन कृ ष्ण फद्रतीमा
24:27:47
उत्तयापाल्गुनी
25:41:50
धृसत
11:21:13
तैसतर
12:57:47
ससॊह
07:57:00
28 गुरु
पाल्गुन कृ ष्ण तृतीमा
23:12:42
हस्त
25:07:04
शूर
09:19:15
वस्णज
11:52:04
कन्मा
-
शसन ऩीड़ा सनवायक सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत ऩौरुषाकाय शसन मॊि ऩुरुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शसन की कायक धातु शुद्ध स्टीर(रोहे ) भं फनामा गमा हं । स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं । मफद जन्भ कुॊडरी भं शसन प्रसतकूर होने ऩय व्मत्रि को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है , कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गृह क्रेश आफद ऩये शानीमाॊ फढ़ती ु ट जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रष्ठत ग्रह ऩीड़ा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय
स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने से अनेक राब सभरते हं । मफद शसन की ढै ़मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना िाफहए। शसनमॊि के ऩूजन भाि से व्मत्रि को भृत्मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्रि के सरमे शसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद के रोगं को ऩदौन्नसत बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है । भूल्म: 1050 से 8200
GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Our Website : www.gurutvakaryalay.com Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
पयवयी 2013
61
पयवयी-2013 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय फद
वाय
भाह
ऩऺ
सतसथ
सभासद्ऱ
प्रभुख व्रत-त्मोहाय
1
शुक्र
भाघ
कृ ष्ण
ऩॊिभी
10:33:42
2
शसन
भाघ
कृ ष्ण
षष्ठी
09:34:05
सवाासद्ऱ सद्ऱभी, ऩुि सद्ऱभी व्रत,
यत्रव
भाघ
कृ ष्ण
08:14:45
बानु-सद्ऱभी
3
सद्ऱभी
-
ऩवा
प्रात:
8.13
फजे
तक
(सूमग्र ा हणतुल्म
परप्रद),
श्रीयाभानन्द सद्ऱभी, काराष्टभी व्रत, अष्टका श्राद्ध,
4
सोभ
भाघ
कृ ष्ण
नवभी
28:31:58
5
भॊगर
भाघ
कृ ष्ण
दशभी
26:12:35
6
फुध
भाघ
कृ ष्ण
एकादशी
23:38:11
षस्ट्तरा एकादशी व्रत, प्रमाग भहाकुम्ब का ऩवा-स्नान
7
गुरु
भाघ
कृ ष्ण
द्रादशी
20:52:31
एकादशी व्रत, सतर द्रादशी,
8
शुक्र
भाघ
कृ ष्ण
िमोदशी
18:03:05
प्रदोष व्रत, भाससक सशवयात्रि व्रत, सशव ितुदाशी,
9
शसन
भाघ
कृ ष्ण
15:19:14
भहोदम मोग फदन 3.19 फजे से सूमाास्त तक-त्रिवेणी मा गॊगा भं स्नान
यत्रव
भाघ
कृ ष्ण
ितुदाशी
अन्वष्टका श्राद्ध, बीष्भ त्रऩताभह जमन्ती
ऩुण्मदामक
अभावस्मा 12:51:19
10
दे व त्रऩतृकामा हे तु भाघी अभावस्मा, भौनी अभावस का स्नान, तीथायाज
प्रमाग भं भहाकुम्ब भहाऩवा का फद्रतीम (भुख्म) शाही स्नान, प्रमागयाज भं ऩूणक ा ु म्ब मोग फदन 12.49 फजे तक, ब्रह्मसात्रविी व्रत, द्राऩयमुगाफद सतसथ, त्रिवेणी अभावस्मा (ओड़ीसा),
11
सोभ
भाघ
शुक्र
भॊगर
भाघ
शुक्र
12
प्रसतऩदा
10:44:57
गुद्ऱ
सशसशय
नवयाि
प्रायॊ ब,
दीनदमार उऩाध्माम स्भृसतफदवस 09:13:14
नवीन
िन्द्र-दशान,
फारेन्द-ु ऩूजन,
ऩॊ.
फाफा याभदे व ऩीय दज ू (भायवाड़), सूमा की कुम्ब सॊक्रास्न्त यात्रि 8.01 फजे, सॊक्रास्न्त भं स्नान-दान हे तु साभान्म ऩुण्मकार सूमोदम से फदन
फद्रतीमा
1.37 फजे तक तदोऩयान्त त्रवशेष ऩुण्मकार, गोदावयी भं स्नान अत्मन्त ऩुण्मप्रद,
13
फुध
भाघ
शुक्र
14
गुरु
भाघ
शुक्र
तृतीमा ितुथॉ
08:22:46
गौयी तृतीमा, गौयी तीज व्रत, वयदत्रवनामक ितुथॉ व्रत, सतर ितुथॉ, कुन्द ितुथॉ, सयोजनी नामडू जमन्ती,
08:20:05
उभा ितुथॉ, त्रिऩुया ितुथॉ, ढु स्ण्ढत्रवनामक ितुथॉ, (िॊ.अस्त या.9:11)
पयवयी 2013
62
15
16
17
18
शुक्र
भाघ
शुक्र
शसन
भाघ
शुक्र
यत्रव
भाघ
शुक्र
सोभ
भाघ
शुक्र
09:06:08
ऩॊिभी
षष्ठी
वसन्त ऩॊिभी, श्री ऩॊिभी, सयस्वती-रेस्खनी ऩूजा, वागीश्वयी जमन्ती,
तऺक ऩूजा, स्कन्दषष्ठी व्रत, वैधसृ त भहाऩात प्रात: 8.45 से फदन 3.14 फजे तक, प्रमागयाज भहाकुम्ब भं तृतीम शाही स्नान, 10:37:10
शीतराषष्ठी, दरयद्रताहयण षष्ठी, भन्दाय षष्ठी व्रत
12:46:37
अिरा सद्ऱभी व्रत, सूमया थ सद्ऱभी, आयोग्म सद्ऱभी व्रत, सन्तान सद्ऱभी
सद्ऱभी
व्रत, अद्रै त सद्ऱभी व्रत, िन्द्रबागा सद्ऱभी (ओड़ीसा), नभादा जमन्ती, कुम्ब-स्नान, 15:19:29
अष्टभी
श्रीदग ु ााष्टभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााष्टभी व्रत, बीष्भाष्टभी-बीष्भ त्रऩताभह का
तऩाण एवॊ श्राद्ध, सूमा सामन भीन भं सामॊ 5.33 फजे, सौय वसन्त ऋतु प्रायॊ ब
श्रीभहानन्दा नवभी व्रत, द्रोण नवभी, गुद्ऱ सशसशय नवयाि ऩूण,ा सशवाजी
19
भॊगर
भाघ
शुक्र
20
फुध
भाघ
शुक्र
दशभी
20:34:33
भाघी त्रवजमादशभी, शल्मदशभी, बि ऩुड ॊ सरक उत्सव (ऩॊढयऩुय)
21
गुरु
भाघ
शुक्र
एकादशी
22:46:45
जमा एकादशी व्रत, बैभी एकादशी (ऩ.फॊगार), कुम्ब-स्नान (प्रमाग)
शुक्र
भाघ
शुक्र
24:27:04
बीष्भ द्रादशी, जमन्ती भहाद्रादशी व्रत, श्माभफाफा द्रादशी, सतर द्रादशी,
22
नवभी
18:01:43
जमन्ती(नत्रवनभतानुशाय)
द्रादशी
वायाह द्रादशी, सॊतान द्रादशी व्रत, शासरग्राभ द्रादशी, सोऩऩदा द्रादशी, कस्तूयफा गाॉधी एवॊ भौराना आजाद स्भृसतफदवस शसन-प्रदोष
व्रत,
श्रीसनत्मानन्द
िमोदशी
व्रत,
गुरु
गोयखनाथ
एवॊ
23
शसन
भाघ
शुक्र
24
यत्रव
भाघ
शुक्र
ितुदाशी
26:00:46
मस्ऺणी ितुदाशी
सोभ
भाघ
शुक्र
ऩूस्णाभा
25:56:58
स्नान-दान-व्रत हे तु उत्तभ भाघी ऩूस्णाभा, रसरता भहात्रवद्या जमन्ती, सॊत
िमोदशी
25:31:44
त्रवश्वकभाा जमन्ती, भरुस्थर भं 3 फदन का भेरा (जैसरभेय, याज.),
यत्रवदास
25
ऩूस्णाभा,
जमन्ती,
भाघ-स्नान
दाण्डायोत्रऩणी
भहाकुम्ब का ऩवा-स्नान
ऩूस्णाभा,
ऩूण,ा
अस्ग्न-उत्सव
श्रीसत्मनायामण
(ओड़ीसा),
ऩूजा-कथा,
काव
प्रमाग
26
भॊगर
पाल्गुन कृ ष्ण
प्रसतऩदा
25:24:06
पाल्गुन भं वाग्भती-स्नान भहाऩुण्मप्रद, वीय सावयकय स्भृसतफदवस
27
फुध
पाल्गुन कृ ष्ण
फद्रतीमा
24:27:47
िन्द्रशेखय आजाद फसरदान फदवस
28
गुरु
पाल्गुन कृ ष्ण
23:12:42
याष्डीम त्रवऻान फदवस, डा. याजेन्द्र प्रसाद एवॊ कभरा नेहरू स्भृसतफदवस,
तृतीमा
व्मसतऩात भहाऩात फदन 2.24 से सामॊ 7.41 फजे तक
पयवयी 2013
63
गणेश रक्ष्भी मॊि प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दक ु ान-ओफपस-पैक्टयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । मॊि के प्रबाव से बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतष्ठा एवॊ
व्माऩाय भं वृत्रद्ध होती
हं एवॊ आसथाक स्स्थभं सुधाय होता हं । गणेश रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने से बगवान गणेश औय दे वी रक्ष्भी का
Rs.730 से Rs.10900 तक
सॊमुि आशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।
भॊगर मॊि से ऋण भुत्रि भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयि व्मत्रि को ऋण भुत्रि हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं ।
त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर
मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । प्राण प्रसतत्रष्ठत भॊगर मॊि के ऩूजन से बाग्मोदम, शयीय भं खून की कभी, गबाऩात से फिाव, फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, सूजन औय घाव, मौन शत्रि भं वृत्रद्ध, शिु त्रवजम, तॊि भॊि के दष्ट ु प्रबा,
भूल्म भाि Rs- 730
बूत-प्रेत बम, वाहन दघ ा नाओॊ, हभरा, िोयी इत्मादी से फिाव होता हं । ु ट
कुफेय मॊि कुफेय मॊि के ऩूजन से स्वणा राब, यि राब, ऩैतक ृ सम्ऩत्ती एवॊ गड़े हुए धन से राब प्रासद्ऱ फक काभना कयने वारे
व्मत्रि के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त सपरता दामक होता हं । एसा शास्त्रोि विन हं । कुफेय मॊि के ऩूजन से एकासधक स्त्रोि से धन का प्राद्ऱ होकय धन सॊिम होता हं ।
ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस
ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस
ताम्र ऩि ऩय
(Gold Plated)
(Silver Plated)
(Copper)
साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800
साईज
भूल्म
साईज
भूल्म
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
370 640 1090 1650 2800 5100 8200
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”
255 460 730 1090 1900 3250 6400
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64
पयवयी 2013
नवयि जफड़त श्री मॊि शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयि जड़वा ने ऩय मह नवयि जफड़त श्री मॊि कहराता हं । सबी यिो को उसके सनस्ित स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रि को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रि को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं । नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रि ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं । गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उत्तभ कोई
औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोि विन हं । इस प्रकाय के नवयि जफड़त श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रष्ठत कयके फनावाए जाते हं ।
अष्ट रक्ष्भी कवि अष्ट रक्ष्भी कवि को धायण कयने से व्मत्रि ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना
यहता हं । स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का स्वत् अशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।
भूल्म भाि: Rs-1250
भॊि ससद्ध व्माऩाय वृत्रद्ध कवि व्माऩाय वृत्रद्ध कवि व्माऩाय भं शीघ्र उन्नसत के सरए उत्तभ हं । िाहं कोई बी व्माऩाय हो अगय उसभं राब के स्थान ऩय फाय-फाय हासन हो यही हं । फकसी प्रकाय से व्माऩाय भं फाय-फाय फाधाएॊ उत्ऩन्न हो यही हो! तो सॊऩण ू ा प्राण प्रसतत्रष्ठत भॊि ससद्ध ऩूणा िैतन्म मुि व्माऩाय वृत्रद्ध मॊि को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थात्रऩत कयने से शीघ्र ही व्माऩाय भं वृत्रद्ध
भूल्म भाि: Rs.730 & 1050
एवॊ सनतन्तय राब प्राद्ऱ होता हं ।
भॊगर मॊि (त्रिकोण) भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयि व्मत्रि को ऋण भुत्रि हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं ।
भूल्म भाि Rs- 730
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
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पयवयी 2013
त्रववाह सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी फक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनके वैवाफहक जीवन भं खुसशमाॊ कभ होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी स्स्थती होने ऩय अऩने रडके-रडकी फक कुॊडरी का अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके वैवाफहक सुख को कभ कयने वारे दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।
सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्न मा रुकावटे हो यही हं ? फच्िो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत का उसित पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रडके-रडकी की कुॊडरी का त्रवस्तृत अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके त्रवद्या अध्ममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।
क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं ? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩूजा-अिाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हं ? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत द्राया हभाया उद्दे श्म शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि त्रवसबन्न प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यि एवॊ उऩयि आऩके घय तक ऩहोिाने का हं ।
ज्मोसतष सॊफॊसधत त्रवशेष ऩयाभशा ज्मोसत त्रवऻान, अॊक ज्मोसतष, वास्तु एवॊ आध्मास्त्भक ऻान सं सॊफॊसधत त्रवषमं भं हभाये 30 वषो से असधक वषा के अनुबवं के साथ ज्मोसतस से जुडे नमे-नमे सॊशोधन के आधाय ऩय आऩ अऩनी हय सभस्मा के सयर सभाधान प्राद्ऱ कय सकते हं ।
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
ओनेक्स जो व्मत्रि ऩन्ना धायण कयने भे असभथा हो उन्हं फुध ग्रह के उऩयि ओनेक्स को धायण कयना िाफहए। उच्ि सशऺा प्रासद्ऱ हे तु औय स्भयण शत्रि के त्रवकास हे तु ओनेक्स यि की अॊगूठी को दामं हाथ की सफसे छोटी
उॊ गरी मा रॉकेट फनवा कय गरे भं धायण कयं । ओनेक्स यि धायण कयने से त्रवद्या-फुत्रद्ध की प्रासद्ऱ हो होकय स्भयण
शत्रि का त्रवकास होता हं ।
पयवयी 2013
66
पयवयी 2013 -त्रवशेष मोग कामा ससत्रद्ध मोग 2
सामॊ 6:45 से यातबय
15
सूमोदम से सम्ऩूणा फदन-यात
4
सामॊ 4:47 से यातबय
18
फदन 11:32 से यातबय
9
प्रात:7:26 से 10 पयवयी को प्रात:5:33 तक
20
सूमोदम से सामॊ 5:40 तक
12/13
यात्रि 2:38 से सूमोदम तक
21
यात्रि 8:22 से 22 पयवयी को यात्रि 10:36 तक
14
सूमोदम से सम्ऩूणा फदन-यात
27/28
1:40 से सूमोदम तक
फद्रऩुष्कय (दोगुना पर) मोग 2
प्रात: 9:33 से सामॊ 6:45 तक
त्रिऩुष्कय (तीन गुना पर) मोग 12
सूमोदम से प्रात: 9:12 तक
17
प्रात: 8:34 से फदन 12:45 तक
26/27
यात्रि 1:58 से यातबय
त्रवघ्नकायक बद्रा 2
प्रात: 9:33 से यात्रि 8:53 तक
17
फदन 12:45 से दे य यात 2:02 तक
5
फदन 3:21 से दे य यात 2:11 तक
21
प्रात: 9:39 से यात्रि 10:45 तक
8
सामॊ 6:02 से 9 पयवयी को प्रात: 4:41 तक
24
दे य यात 1:59 से 25 पयवयी को फदन 1:56 तक
13
यात्रि 8:21 से 14 पयवयी को प्रात: 8:19 तक
28
फदन 11:49 से यात्रि 11:12 तक
मोग पर :
कामा ससत्रद्ध मोग भे फकमे गमे शुब कामा भे सनस्ित सपरता प्राद्ऱ होती हं , एसा शास्त्रोि विन हं ।
फद्रऩुष्कय मोग भं फकमे गमे शुब कामो का राब दोगुना होता हं । एसा शास्त्रोि विन हं ।
त्रिऩुष्कय मोग भं फकमे गमे शुब कामो का राब तीन गुना होता हं । एसा शास्त्रोि विन हं ।
शास्त्रोि भत से त्रवघ्नकायक बद्रा मा बद्रा मोग भं शुब कामा कयना वस्जात हं ।
दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका वाय
गुसरक कार (शुब)
मभ कार (अशुब)
सभम अवसध
सभम अवसध
याहु कार (अशुब) सभम अवसध
यत्रववाय
03:00 से 04:30
12:00 से 01:30
04:30 से 06:00
भॊगरवाय
12:00 से 01:30
09:00 से 10:30
03:00 से 04:30
06:00 से 07:30
01:30 से 03:00
01:30 से 03:00
09:00 से 10:30
सोभवाय फुधवाय गुरुवाय
शुक्रवाय
शसनवाय
01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 09:00 से 10:30 07:30 से 09:00
06:00 से 07:30
10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30
07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
10:30 से 12:00
पयवयी 2013
67
फदन के िौघफडमे सभम
यत्रववाय
सोभवाय
भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय
शुक्रवाय
शसनवाय
06:00 से 07:30
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
शुब
िर
कार
07:30 से 09:00
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
शुब
09:00 से 10:30
राब
शुब
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
10:30 से 12:00
अभृत
योग
राब
शुब
िर
कार
उद्रे ग
12:00 से 01:30
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
शुब
िर
01:30 से 03:00
शुब
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
03:00 से 04:30
योग
राब
शुब
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
04:30 से 06:00
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
शुब
िर
कार
यात के िौघफडमे सभम
यत्रववाय
सोभवाय
भॊगरवाय
फुधवाय गुरुवाय
शुक्रवाय
शसनवाय
06:00 से 07:30
शुब
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
09:00 से 10:30
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
शुब
10:30 से 12:00
योग
राब
शुब
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
12:00 से 01:30
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
शुब
िर
01:30 से 03:00
राब
शुब
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
03:00 से 04:30
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
शुब
िर
कार
04:30 से 06:00
शुब
िर
कार
उद्रे ग
अभृत
योग
राब
07:30 से 09:00
अभृत
योग
राब
शुब
िर
कार
उद्रे ग
शास्त्रोि भत के अनुशाय मफद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शुब भुहूता मा शुब सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भं सपरता
प्राद्ऱ होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हं । इस सरमे दै सनक शुब सभम िौघफड़मा दे खकय प्राद्ऱ फकमा जा सकता हं ।
नोट: प्राम् फदन औय यात्रि के िौघफड़मे फक सगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हं । प्रत्मेक िौघफड़मे फक अवसध 1
घॊटा 30 सभसनट अथाात डे ढ़ घॊटा होती हं । सभम के अनुसाय िौघफड़मे को शुबाशुब तीन बागं भं फाॊटा जाता हं , जो क्रभश् शुब, भध्मभ औय अशुब हं ।
* हय कामा के सरमे शुब/अभृत/राब का
िौघफडमे के स्वाभी ग्रह
शुब िौघफडमा
भध्मभ िौघफडमा
अशुब िौघफड़मा
िौघफडमा स्वाभी ग्रह
िौघफडमा स्वाभी ग्रह
िौघफडमा
स्वाभी ग्रह
शुब
गुरु
िय
उद्बे ग
सूमा
अभृत
िॊद्रभा
कार
शसन
राब
फुध
योग
भॊगर
शुक्र
िौघफड़मा उत्तभ भाना जाता हं ।
* हय कामा के सरमे िर/कार/योग/उद्रे ग का िौघफड़मा उसित नहीॊ भाना जाता।
पयवयी 2013
68
फदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक वाय
1.घॊ
2.घॊ
3.घॊ
4.घॊ
5.घॊ
6.घॊ
7.घॊ
8.घॊ
9.घॊ
यत्रववाय
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
सोभवाय
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
भॊगरवाय
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
फुधवाय
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु भॊगर सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
गुरुवाय
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
शुक्रवाय
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
शसनवाय
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
िॊद्र
िॊद्र फुध
10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ
यात फक होया – सूमाास्त से सूमोदम तक यत्रववाय
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
सोभवाय
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
भॊगरवाय
शसन
गुरु
भॊगर
फुधवाय
सूमा
शुक्र
फुध
गुरुवाय
िॊद्र
शसन
गुरु
शुक्रवाय
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
गुरु भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
भॊगर सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शसन
गुरु
भॊगर
सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसनवाय
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु भॊगर सूमा
शुक्र
फुध
िॊद्र
शसन
गुरु
भॊगर
िॊद्र
िॊद्र
होया भुहूता को कामा ससत्रद्ध के सरए ऩूणा परदामक एवॊ अिूक भाना जाता हं , फदन-यात के २४ घॊटं भं शुब-अशुब सभम को सभम से ऩूवा ऻात कय अऩने कामा ससत्रद्ध के सरए प्रमोग कयना िाफहमे।
त्रवद्रानो के भत से इस्च्छत कामा ससत्रद्ध के सरए ग्रह से सॊफॊसधत होया का िुनाव कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं ।
सूमा फक होया सयकायी कामो के सरमे उत्तभ होती हं । िॊद्रभा फक होया सबी कामं के सरमे उत्तभ होती हं । भॊगर फक होया कोटा -किेयी के कामं के सरमे उत्तभ होती हं । फुध फक होया त्रवद्या-फुत्रद्ध अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ होती हं । गुरु फक होया धासभाक कामा एवॊ त्रववाह के सरमे उत्तभ होती हं । शुक्र फक होया मािा के सरमे उत्तभ होती हं । शसन फक होया धन-द्रव्म सॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ होती हं ।
पयवयी 2013
69
ग्रह िरन पयवयी -2013 Day 1
Sun
Mon
Ma
09:18:14
05:15:37
10:05:06
2
09:19:15
05:29:07
3
09:20:16
4
Me
Jup
Ven
Sat
Rah
Ket
Ua
Nep
Plu
09:27:52
01:12:17
09:04:33
06:17:12
06:28:06
00:28:06
11:11:35
10:08:01
08:16:19
10:05:53
09:29:38
01:12:17
09:05:48
06:17:14
06:28:02
00:28:02
11:11:37
10:08:03
08:16:21
06:12:48
10:06:41
10:01:23
01:12:18
09:07:03
06:17:16
06:28:01
00:28:01
11:11:39
10:08:05
08:16:23
09:21:17
06:26:42
10:07:28
10:03:08
01:12:19
09:08:18
06:17:17
06:28:01
00:28:01
11:11:42
10:08:07
08:16:25
5
09:22:17
07:10:49
10:08:15
10:04:52
01:12:20
09:09:34
06:17:19
06:28:01
00:28:01
11:11:44
10:08:10
08:16:27
6
09:23:18
07:25:09
10:09:03
10:06:36
01:12:21
09:10:49
06:17:20
06:27:59
00:27:59
11:11:47
10:08:12
08:16:28
7
09:24:19
08:09:38
10:09:50
10:08:18
01:12:22
09:12:04
06:17:21
06:27:54
00:27:54
11:11:49
10:08:14
08:16:30
8
09:25:20
08:24:14
10:10:38
10:09:59
01:12:24
09:13:19
06:17:22
06:27:47
00:27:47
11:11:52
10:08:16
08:16:32
9
09:26:21
09:08:49
10:11:25
10:11:38
01:12:26
09:14:34
06:17:23
06:27:37
00:27:37
11:11:54
10:08:18
08:16:34
10
09:27:21
09:23:17
10:12:12
10:13:14
01:12:28
09:15:49
06:17:24
06:27:25
00:27:25
11:11:57
10:08:21
08:16:35
11
09:28:22
10:07:31
10:13:00
10:14:47
01:12:30
09:17:05
06:17:25
06:27:12
00:27:12
11:12:00
10:08:23
08:16:37
12
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10:13:47
10:16:17
01:12:32
09:18:20
06:17:26
06:27:00
00:27:00
11:12:02
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08:16:39
13
10:00:23
11:04:55
10:14:34
10:17:43
01:12:35
09:19:35
06:17:27
06:26:50
00:26:50
11:12:05
10:08:27
08:16:40
14
10:01:24
11:18:01
10:15:22
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09:20:50
06:17:27
06:26:42
00:26:42
11:12:08
10:08:30
08:16:42
15
10:02:25
00:00:42
10:16:09
10:20:20
01:12:41
09:22:05
06:17:28
06:26:38
00:26:38
11:12:11
10:08:32
08:16:44
16
10:03:25
00:13:03
10:16:56
10:21:29
01:12:44
09:23:20
06:17:28
06:26:35
00:26:35
11:12:14
10:08:34
08:16:45
17
10:04:26
00:25:07
10:17:43
10:22:32
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09:24:35
06:17:28
06:26:35
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18
10:05:26
01:07:01
10:18:31
10:23:27
01:12:51
09:25:50
06:17:28
06:26:35
00:26:35
11:12:19
10:08:39
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19
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08:16:50
20
10:07:27
02:00:38
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10:25:20
01:13:03
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06:17:28
06:26:27
00:26:27
11:12:28
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08:16:53
22
10:09:28
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10:21:40
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01:13:07
10:00:50
06:17:28
06:26:20
00:26:20
11:12:31
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23
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10:02:05
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पयवयी 2013
सवा योगनाशक मॊि/कवि भनुष्म अऩने जीवन के त्रवसबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हं । उसित उऩिाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्रि सभर जाती हं , रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हं , मा कोइ असाध्म योग से ग्रससत होजाते हं । हजायो राखो रुऩमे खिा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता। डॉक्टय द्राया फदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के सरमे कायगय सात्रफत होती हं , एसी स्स्थती भं राब प्रासद्ऱ के सरमे व्मत्रि एक डॉक्टय से दस ू ये डॉक्टय के िक्कय रगाने को फाध्म हो जाता हं । बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊसत हे तु त्रवसबन्न आमुवये औषधो के असतरयि मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा था। फुत्रद्धजीवो के भत से जो व्मत्रि जीवनबय अऩनी फदनिमाा ऩय सनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हं , एसे व्मत्रि को त्रवसबन्न योग से ग्रससत होने की सॊबावना कभ होती हं । रेफकन आज के फदरते मुग भं एसे व्मत्रि बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते फदख जाते हं । क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हं । एवॊ भृत्मु सनस्ित हं स्जसे त्रवधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता, रेफकन योग होने फक स्स्थती भं व्मत्रि योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हं । इस सरमे मॊि भॊि एवॊ तॊि के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्रि योगो से भुत्रि ऩाने का मा उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हं । ज्मोसतष त्रवद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को उजागय कय सकते हं । ज्मोसतष शास्त्र के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग सभरता हं , जहा आधुसनक सिफकत्सा शास्त्र अऺभ होजाता हं वहा ज्मोसतष शास्त्र द्राया योग के भूर(जड़) को ऩकड कय उसका सनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी ससद्ध होता हं । हय व्मत्रि भं रार यॊ गकी कोसशकाए ऩाइ जाती हं , स्जसका सनमभीत त्रवकास क्रभ फद्ध तयीके से होता यहता हं । जफ इन कोसशकाओ के क्रभ भं ऩरयवतान होता है मा त्रवखॊफडन होता हं तफ व्मत्रि के शयीय भं स्वास्थ्म सॊफॊधी त्रवकायो उत्ऩन्न होते हं । एवॊ इन कोसशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हं । स्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्रि के जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गोिय स्स्थती से प्राद्ऱ होता हं । सवा योग सनवायण कवि एवॊ भहाभृत्मुॊजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्रि के जन्भाॊग भं स्स्थत कभजोय एवॊ ऩीफडत ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक ा फकमा जासकता हं । जेसे हय व्मत्रि को ब्रह्माॊड फक उजाा एवॊ ऩृथ्वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हं फठक उसी प्रकाय कवि एवॊ मॊि के भाध्मभ से ब्रह्माॊड फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मत्रि को सकायात्भक उजाा प्राद्ऱ होती हं स्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भुि कयने हे तु सहामता सभरती हं । योग सनवायण हे तु भहाभृत्मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हं । स्जस्से फहन्द ू सॊस्कृ सत का प्राम् हय व्मत्रि भहाभृत्मुॊजम भॊि से ऩरयसित हं ।
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पयवयी 2013
कवि के राब : एसा शास्त्रोि विन हं स्जस घय भं भहाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत होता हं वहा सनवास कताा हो नाना प्रकाय फक आसध-व्मासध-उऩासध से यऺा होती हं । ऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवि फकसी बी उम्र एवॊ जासत धभा के रोग िाहे स्त्री हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हं । जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रसतकूरता से योग उतऩन्न होते हं । कुछ योग सॊक्रभण से होते हं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अशुद्धतासे उत्ऩन्न होते हं । कवि एवॊ मॊि द्राया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास्थ्म राब औय शायीरयक यऺण प्राद्ऱ कयने हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हं ।
आज के बौसतकता वादी आधुसनक मुगभे अनेक एसे योग होते हं , स्जसका उऩिाय ओऩये शन औय दवासे बी कफठन हो जाता हं । कुछ योग एसे होते हं स्जसे फताने भं रोग फहिफकिाते हं शयभ अनुबव कयते हं एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩिाय हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि राबादासम ससद्ध होता हं । प्रत्मेक व्मत्रि फक जेसे-जेसे आमु फढती हं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हं । स्जसके साथ अनेक प्रकाय के त्रवकाय ऩैदा होने रगते हं एसी स्स्थती भं उऩिाय हे तु सवायोगनाशक कवि एवॊ मॊि परप्रद होता हं । स्जस घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फह नऺिभे जन्भ रेते हं , तफ उसकी भाता के सरमे असधक कष्टदामक स्स्थती होती हं । उऩिाय हे तु भहाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद होता हं । स्जस व्मत्रि का जन्भ ऩरयसध मोगभे होता हं उन्हे होने वारे भृत्मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग, सिॊता भं उऩिाय हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हं । नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवि एवॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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Our Goal Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door step.
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भॊि ससद्ध कवि
भॊि ससद्ध कवि को त्रवशेष प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय शीघ्र प्रबाव शारी फनाने के सरए तेजस्वी भॊिो द्राया
शुब भहूता भं शुब फदन को तैमाय फकमे जाते हं . अरग-अरग कवि तैमाय कयने केसरए अरग-अरग तयह के भॊिो का प्रमोग फकमा जाता हं .
क्मं िुने भॊि ससद्ध कवि?
उऩमोग भं आसान कोई प्रसतफन्ध नहीॊ कोई त्रवशेष सनसत-सनमभ नहीॊ कोई फुया प्रबाव नहीॊ
कवि के फाये भं असधक जानकायी हे तु
भॊि ससद्ध कवि सूसि सवा कामा ससत्रद्ध
4600/-
ऋण भुत्रि
910/-
त्रवघ्न फाधा सनवायण
550/-
सवा जन वशीकयण
1450/-
धन प्रासद्ऱ
820/-
नज़य यऺा
550/-
अष्ट रक्ष्भी
1250/-
तॊि यऺा
730/-
460/-
सॊतान प्रासद्ऱ
1250/-
शिु त्रवजम
दब ु ााग्म नाशक
730/-
* वशीकयण (२-३ व्मत्रिके सरए)
1050/-
स्ऩे- व्माऩाय वृत्रद्ध
1050/-
त्रववाह फाधा सनवायण
730/-
* ऩिी वशीकयण
640/-
कामा ससत्रद्ध
1050/-
व्माऩाय वृत्रद्ध
730/--
* ऩसत वशीकयण
640/-
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ
1050/-
सवा योग सनवायण
730/-
सयस्वती (कऺा +10 के सरए)
550/-
नवग्रह शाॊसत
910/-
भस्स्तष्क ऩृत्रष्ट वधाक
640/-
सयस्वती (कऺा 10 तकके सरए)
460/-
बूसभ राब
910/-
काभना ऩूसता
640/-
* वशीकयण ( 1 व्मत्रि के सरए)
640/-
काभ दे व
910/-
त्रवयोध नाशक
640/-
योजगाय प्रासद्ऱ
550/-
ऩदं उन्नसत
910/-
योजगाय वृत्रद्ध
730/-
*कवि भाि शुब कामा मा उद्दे श्म के सरमे
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION) (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
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GURUTVA KARYALAY YANTRA LIST
EFFECTS
Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
12 – YANTRA SET VYAPAR VRUDDHI YANTRA BHOOMI LABHA YANTRA TANTRA RAKSHA YANTRA AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA PADOUNNATI YANTRA RATNE SHWARI YANTRA BHUMI PRAPTI YANTRA GRUH PRAPTI YANTRA KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA
For all Family Troubles For Business Development For Farming Benefits For Protection Evil Sprite For Unexpected Wealth Benefits For Getting Promotion For Benefits of Gems & Jewellery For Land Obtained For Ready Made House -
Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42
AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) BHAGYA VARDHAK YANTRA BHAY NASHAK YANTRA CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA DARIDRA VINASHAK YANTRA DHANDA POOJAN YANTRA DHANDA YAKSHANI YANTRA GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) GARBHA STAMBHAN YANTRA GAYATRI BISHA YANTRA HANUMAN YANTRA JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA KALPVRUKSHA YANTRA KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) KANAK DHARA YANTRA KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA KARYA SHIDDHI YANTRA SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA KUBER YANTRA LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA LAKSHAMI GANESH YANTRA MAHA MRUTYUNJAY YANTRA MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA
Blessing of Durga Win over Enemies Blessing of Bagala Mukhi For Good Luck For Fear Ending Blessing of Chamunda & Navgraha Blessing of Chhinnamasta For Poverty Ending For Good Wealth For Good Wealth Blessing of Lord Ganesh For Pregnancy Protection Blessing of Gayatri Blessing of Lord Hanuman For Fewer Ending For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali For Fullfill your all Ambition Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga Blessing of Maha Lakshami For Successes in work For Successes in all work Blessing of Lord Krishna Blessing of Kuber (Good wealth) For Obstaele Of marriage Blessing of Lakshami & Ganesh For Good Health Blessing of Shiva For Fullfill your all Ambition For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga
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YANTRA LIST
43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64
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EFFECTS
NAVGRAHA SHANTI YANTRA NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA SURYA YANTRA CHANDRA YANTRA MANGAL YANTRA BUDHA YANTRA GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) SUKRA YANTRA SHANI YANTRA (COPER & STEEL) RAHU YANTRA KETU YANTRA PITRU DOSH NIVARAN YANTRA PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA RAM YANTRA RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA SANKAT MOCHAN YANTRA SANTAN GOPAL YANTRA SANTAN PRAPTI YANTRA SARASWATI YANTRA SHIV YANTRA
For good effect of 9 Planets For good effect of 9 Planets Good effect of Sun Good effect of Moon Good effect of Mars Good effect of Mercury Good effect of Jyupiter Good effect of Venus Good effect of Saturn Good effect of Rahu Good effect of Ketu For Ancestor Fault Ending For Pregnancy Pain Ending For Benefits of State & Central Gov Blessing of Ram Blessing of Riddhi-Siddhi For Disease- Pain- Poverty Ending For Trouble Ending Blessing Lorg Krishana For child acquisition For child acquisition Blessing of Sawaswati (For Study & Education) Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & 65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth 66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA For Bad Dreams Ending 67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Vehicle Accident Ending 68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All 69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending 70 For Education- Fame- state Award Winning 71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan) 72 VISHNU BISHA YANTRA Attraction For office Purpose 73 VASI KARAN YANTRA Attraction For Female MOHINI VASI KARAN YANTRA 74 Attraction For Husband PATI VASI KARAN YANTRA 75 Attraction For Wife PATNI VASI KARAN YANTRA 76 Attraction For Marriage Purpose VIVAH VASHI KARAN YANTRA 77 Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..
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GURUTVA KARYALAY NAME OF GEM STONE
GENERAL
Emerald (ऩन्ना) Yellow Sapphire (ऩुखयाज) Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फंकोक नीरभ) Ruby (भास्णक) Ruby Berma (फभाा भास्णक) Speenal (नयभ भास्णक/रारडी) Pearl (भोसत) Red Coral (4 यसत तक) (रार भूॊगा) Red Coral (4 यसत से उऩय)( रार भूॊगा) White Coral (सफ़ेद भूॊगा) Cat’s Eye (रहसुसनमा) Cat’s Eye Orissa (उफडसा रहसुसनमा) Gomed (गोभेद) Gomed CLN (ससरोनी गोभेद) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फफ़योजा) Golden Topaz (सुनहरा) Real Topaz (उफडसा ऩुखयाज/टोऩज) Blue Topaz (नीरा टोऩज) White Topaz (सफ़ेद टोऩज) Amethyst (कटे रा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभर ा ीन) Star Ruby (सुमक ा ान्त भस्ण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्स) Real Onyx (ओनेक्स) Lapis (राजवात) Moon Stone (िन्द्रकान्त भस्ण) Rock Crystal (स्फ़फटक) Kidney Stone (दाना फफ़यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयगि) Sun Stone (सन ससताया) Diamond (.05 to .20 Cent )
(हीया)
MEDIUM FINE
200.00 550.00 550.00 550.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 75.00 120.00 20.00 25.00 460.00 15.00 300.00 350.00 210.00 50.00 15.00 15.00 60.00 60.00 60.00 20.00 30.00 30.00 120.00 45.00 15.00 09.00 60.00 15.00 12.00 09.00 09.00 03.00 12.00 12.00 50.00
500.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 6400.00 600.00 60.00 90.00 150.00 28.00 45.00 640.00 27.00 410.00 450.00 320.00 120.00 30.00 30.00 120.00 90.00 90.00 30.00 45.00 45.00 140.00 75.00 30.00 12.00 90.00 25.00 21.00 12.00 11.00 05.00 19.00 19.00 100.00
(Per Cent )
(Per Cent )
FINE
SUPER FINE
1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 200.00 500.00 370.00 730.00 8200.00 10000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 12.00 180.00 190.00 280.00 42.00 51.00 90.00 120.00 1050.00 2800.00 60.00 90.00 640.00 1800.00 550.00 640.00 410.00 550.00 230.00 390.00 45.00 60.00 45.00 60.00 280.00 460.00 120.00 280.00 120.00 240.00 45.00 60.00 90.00 120.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 15.00 19.00 120.00 190.00 30.00 45.00 30.00 45.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00 200.00 370.00 (PerCent )
(Per Cent)
SPECIAL
2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 21000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 280.00 & above 550.00 & above 90.00 & above 190.00 & above 5500.00 & above 120.00 & above 2800.00 & above 910.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 90.00 & above 90.00 & above 640.00 & above 460.00 & above 410.00& above 120.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 25.00 & above 280.00 & above 55.00 & above 100.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above 460.00 & above (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
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BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual Science in the modern context, across the world. Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man. exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts
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PHONE/ CHAT CONSULTATION Consultation 30 Min.: Consultation 45 Min.: Consultation 60 Min.:
RS. 1250/-* RS. 1900/-* RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance
How Does it work Phone/Chat Consultation This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of consideration. Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a confirmation whether the time is available for consultation or not. We send you a Phone Number at the designated time of the appointment We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment You would need to refer your Booking number before the chat is initiated Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated. Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put. For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat is recommended Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate. All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T. Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be answered right away. BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT
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पयवयी 2013
सूिना ऩत्रिका भं प्रकासशत सबी रेख ऩत्रिका के असधकायं के साथ ही आयस्ऺत हं । रेख प्रकासशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन त्रविायो से सहभत हं। नास्स्तक/ अत्रवश्वासु व्मत्रि भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हं । ऩत्रिका भं प्रकासशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष मा फकसी बी स्थान मा घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हं । प्रकासशत रेख ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण मफद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तत्रवक जीवन से भेर होता हं तो मह भाि एक सॊमोग हं । प्रकासशत सबी रेख बायसतम आध्मास्त्भक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरमे जाते हं । इस कायण इन त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं । अन्म रेखको द्राया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं । औय नाहीॊ रेखक के ऩते फठकाने के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं । ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रवश्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवश्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्वमॊ का होगा। ऩाठक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी। हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय सरखे होते हं । हभ फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष द्राया प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं । मह स्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्रि फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ डं, साभास्जक, कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्वाथा ऩूसता हे तु प्रमोग कताा हं अथवा प्रमोग के कयने भे िुफट होने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ सॊबव हं । हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हं स्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनस्ित सपरता प्राद्ऱ हुई हं । ऩाठकं फक भाॊग ऩय एक फह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का असधकाय यखता हं । ऩाठकं को एक रेख के ऩून् प्रकाशन से राब प्राद्ऱ हो सकता हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं । (सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
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पयवयी 2013
FREE E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका पयवयी -2013 सॊऩादक
सिॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग
गुरुत्व कामाारम
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हभाया उद्दे श्म त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ु फफहन जम गुरुदे व जहाॉ आधुसनक त्रवऻान सभाद्ऱ हो जाता हं । वहाॊ आध्मास्त्भक ऻान प्रायॊ ब हो जाता हं , बौसतकता का आवयण ओढे व्मत्रि जीवन भं हताशा औय सनयाशा भं फॊध जाता हं , औय उसे अऩने जीवन भं गसतशीर होने के सरए भागा प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता क्मोफक बावनाए फह बवसागय हं , स्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता सनफहत हं । उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय सपरता हं । सपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ असधकाय हं । ईसी सरमे हभायी शुब काभना सदै व आऩ के साथ हं । आऩ अऩने कामा-उद्दे श्म एवॊ अनुकूरता हे तु मॊि, ग्रह यि एवॊ उऩयि औय दर ा भॊि शत्रि से ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत सिज वस्तु का हभंशा ु ब प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी सरमे हभाया उद्दे श्म महीॊ हे की शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि सबी प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यि एवॊ उऩयि आऩके घय तक ऩहोिाने का हं ।
सूमा की फकयणे उस घय भं प्रवेश कयाऩाती हं । जीस घय के स्खड़की दयवाजे खुरे हं।
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पयवयी 2013