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आर्ष विद्या गुरुकुऱम की ह द िं ी मासिक पत्रिका अिंक - प्रथम
िर्ष - 2013
िम्पादक - स्िामी अभयानिंद िरस्िती
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• आशीष ऩुञ्ज
१.
२ .
•
वेदांत बोध
: ऩरम ऩूज्य गुरुदे व स्वामी अभयानंद सरस्वती जी से ...
: प्रकरण ग्रंथ
• श्रीमद् भगवद गीता
: अध्याय ४ (ज्ञान कमम सन्यास योग)
• शांडिल्य भक्तत सूत्र
: प्रथम अध्याय (प्रथम
आह्रिक)
• श्रीराम चररत मानस : उत्तर काण्ि (रुद्राष्टकं)
३.
• संत वाणी
: साधक कल्याण
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हमारे ऋषषयों ने तत्व को सरऱ ढं ग से समझाने के लऱए आषष ग्रंथों का प्रणयन ककया। साधक आत्म कल्याण के सूत्र ऩाकर चरम सत्य को समझ सकें, यही ऋषषयों की दृष्टि है । इसके लऱए मनीषषयों ने अनेक भाटय लऱखे। वेदान्त ज्ञान के लऱए दो चीजों की आवश्यकता होती है - प्रथम भाषा की उचचत जानकारी द्षवतीय अनन्य गुरुचरणाश्रय। संस्कृत का सम्यक ज्ञान न होने के कारण साधकों को कभी-कभी वेदान्त की ऩाररभाषषक शब्दावऱी ष्लऱटि ऱगती है । इसी समस्या के समाधान के लऱए एक प्रयास ककया गया है । "शौनक मञ्जूषा" के माध्यम से वेदान्त के कुछ गूढ़ बिन्दओ ु ं को प्रकालशत ककया
जा रहा है । साधकों की ष्जज्ञासा का समाधान हो सके, यही इस प्रयास का अभीटि है । "तत्व ष्जज्ञासा" रखने वाऱे साधकों के लऱए यह ऩबत्रका पथप्रदशषक लसद्ध होगी ऐसा
मेरा षवश्वास है । इस कृतत को स्ऩह ृ णीय िनाने में अऩना योगदान दे ने वाऱे सभी ऱोगों को मेरा आशीवाषद ! ----- स्वामी अभयानंद सरस्वती
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१. उपनिषद् २. श्रीमद्
गीता
३. ब्रह्मसूत्र औ ,
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श्रीमद् भगवद गीता : अध्याय ४ (ज्ञान कमम सन्यास योग) भगवद ग भगव
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