Veez Konkani Global Illustrated Konkani Weekly e-Magazine in 4 Scripts - Devnagari Script.

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सणित्र् हफ्त्याळें

अक :ों 3

सोंख : 36

आग सत 20, 2020

कक ों िी मान्यताि वावराडी पावल म रास, मोंगळू र 1 वीज क क ों णि


कक ों िी मान्यताि वावराडी पावल म रास, मोंगळू र

कक ों णी मान्यताच वावराडी पावल म रास, मोंगळू र

ववळास: “प्रदीप”, क ट्टार क्रास जोंक्षन, विजै, कावपकाड, मोंगळू र ५७५००४ म िैल: ९८८०७४९७९० विकाप: िी.ए., क क ों णी अध्ययनाों त पदववका, कक ों णी अध्ययनाोंत पद् युतर पदववका

हाची व्यक्ती पररचय

(२) प्रमूख हुद्द्ाों नी सेवा: समाज सेवक जावन:

I (१) पररचय: नाों व: पावलू म रास जनन/प्राय: १९५२ एपरील २८ वेर /६८ वसा​ां

१९७८ थावन आज पर्याों त ४२वसा​ां कक ों णी भािेची सेवा: १९८६ थावन आज परय ् ाों त ३२वसा​ां क क ों णी चळवळकार जावन: १९८९ थावन आज पर्याों त ३१ वसा​ां 2 वीज क क ों णि


कक ों णी भाषेच सोंि धकजावन; १९९५ थावन आज पर्याों त २५वसा​ां

स्थापकाध्यक्ष: केथ लीक सभा, दे रेिैल घटक, मोंगळू र १९९६-२००२ – गौरवाध्यक्ष: वमत्र वोंद कावपकाड, मोंगळू र १९८७-१९९० - अध्यक्ष: िाों वतकलि प्रेमनगर, िज्ज डी, मोंगळू र II. क क ों णी सावहत्य आनी सोंि धन :

३) सोंघ सोंस्थानी अध्यक्ष जावन अवपिल्ली सेवा:

सोंि धीत ग्रोंथाों :

१९८९-१९९३ - अध्यक्ष: कक ों णी भाषा मोंडळ कनाि टक (री.) २००६-२००८ - अध्यक्ष: अखील भारतीय कक ों णी पररषद २०१०-२०१२ - अध्यक्ष: क क ों णी लेखकाों च एकवट कनाि टक(री.) १९९४-१९९५ - अध्यक्ष: लयन्स क्लि, कुलिेखर, मोंगळू र २०००-२००१ - स्थापकाध्यक्ष: पदु वा कालेज एलुम्नी एस वसयेिन, २०००-२००१ -

“क क ों णी चळवळ” ववषय: क क ों णी-मराठी वाद–वववाद पानाों २०+३२० प्रकटण: कन्नड वलवपोंत – २०.०६.२००२ प्रकािक: क क ों णी सोंस्थ , साों लुवीस कालेज, मोंगळू र “क क ों णी चळवळ”

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प्रकािक :क क ों णी सोंस्थ , साों लुवीस कालेज, मोंगळू र कक ों णी-मराठी वाद-वववाद ह्या ववषयाचेर ग वा, महाराषटर , केरळ राज्ाों नी आनी कनाि टकाचा इतर प्रदे िाों नी भेट दीवन वनरों तर पररश्रमान १९९५ इस्वे थावन २००२ पऱयाों त क क ों णी भाषेचा चळु ववळचें सोंि धन कनि िरवयल्ल ग्रोंथ.

दे वनागरी वलवपोंत १०-०५-२००३ – ग वा

ह्या ग्रोंथाक डा| टी.एम.ए.पै फौोंडेिन मवणपाल हाों च २००३ वसाि च ‘अत्युत्तम क क ों णी पुसतक पुरसकार” लािला ह्या पुरसकारा सवें रू.२५,०००/- नगदे न आनी प्रिोंसा पत्र आस न २००४ इसवी अकट िर १७ वेर मवणपालाों त प्रवतषटानाच अध्यक्ष श्री के.के. पै हाों चे थावन स्वीकार. 4 वीज क क ों णि


आसच्या क क ों णी पवत्रक द्यम ववश्ाों त पयल्या हों ताचा समग्र वववर.

“जागरण” ववषय: क क ों णी पवत्रक द्यम - पानाों : २५+४१६ प्रकटण: कन्नड वलवपोंत – १४-०८-२००५ मोंगळू र प्रकािक :कक ों णी सोंस्थ , साों लुवीस कालेज, मोंगळू र

“म ग्रें-कारण” ववषय: क क ों णी ल कवेद ल कनाच आनी ल क सोंगीतपानाों : ६८+४५५ प्रकटण: कन्नड वलवपोंत – १६-११-२००८ मोंगळू र प्रकािक: पडवळ प्रकािन, मोंगळू र

“जागरण” दे वनागरी वलवपोंत १२-०३-२००७ – ग वा प्रकािक : क क ों वणसोंस्थ , साों लुवीस कालेज, मोंगळू र ह्या ग्रोंथाों क क क ों णी पवत्रक द्यम ववश्ाों त कनाि टक ग वा, महाराषटर आनी केरळ ह्या च्यार राज्नी कन्नड, र मी, दे वनागरी आनी मलेयाळी वलवपोंत

ह्या ग्रोंथाक कनाि टक क क ों णी सावहत्य आकाडे मी थावन २००८ व्या वसाि च अत्युत्तम पुसतक पुरसकार लािला. “खेळ – राजाों व” ववषय: क क ों णी ल कवेद (क क ों णी ल क- नाटक)

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“िेन िेणय”

पानाों : ४+२८+२४२ प्रकटण: कन्नड वलवपोंत – ०४-०८-२०१३ मोंगळू र प्रकािक: पडवळ प्रकािन, मोंगळू र

ववषय: क क ों णी आनी वहिरू चळवळी च्या सोंगमोंत िरे वयल्ली कादों िरी पानाों : २९+२९० प्रकटण: कन्नड वलवपोंत – २०१८- मोंगळू र प्रकािक: पडवळ प्रकािन, मोंगळू र

“खेळ – राजाों व” ववषय: दे वनागरी वलवपोंत ०४-०८-२०१३ – मोंगळू र प्रकािक: पडवळ प्रकािन, मोंगळू र ह्या ग्रोंथाों त क क ों णी ल क-नाट्य ववषयाोंत ववमिाि त्मक वविलेषण केलाों , ह एक ऐवतहासीक व्याक्यान ग्रोंथ. (A critical analysis on Konkani Folk – Drama in Folklore Category – A research and study on Konkani movement Vol. – IV)

“िेन िेणय” ववषय: क क ों णी आनी वहिरू चळवळी च्या सोंगमोंत िरे वयल्ली कादों िरी पानाों : ४-३१-३५५ प्रकटण : दे वनागरी वलवपोंत – २०१८ मोंगळू र प्रकािक: पडवळ प्रकािन, मोंगळू र २. सोंि धनात्मक लेखन आनी उपन्यास:

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२०१०, सपटों िर- ‘वदवें’ क क ों णी हप्त्याों त ‘क क ों णी चळवळे गार रवीोंद्र केळे कार’ ज्ञानपीठ प्रिसती मेळल्ल्या क क ों णी सावहवतच्या श्रद्ाों जवलचें लेखन.

‘पयणारी’ क क ों णी हप्त्याळ्ाों त २००० इस्वेंत सराग क क ों णी चळु ववळचीों लेखनाों . ‘वदव ’ पत्राच्या ‘१०० वसा​ां च क क ों णी रों गमोंच’ – २००२ इस्वेच्या वविेस अोंक्याों त ‘नाटकाों चा तळवेर कक ों णी चळवळे ची झर’ लेखनाक दु स्रेंिहुमान. ‘िेणय ग य ों िाि एक वनयाळ’ - लेखन –‘राकण ’ –जनेर २००२ कक ों णी वलवपयाoच्या वादाों त दे वनगररची झर – ‘राकण ’ – मे २००५ इत्यादी सोंि दीत लेखनाों . ‘वमत्र -५०’ भाों गार त्सव अोंक्याों त ‘वमत्र पत्राच उदे व’ -लेखन.

ववश्व क क ों णी सदाि र श्री िसती वामन िेणै अमत मह त्सव अवभनोंधना ग्रोंथाों त ‘क क ों णी पवत्रक द्यम’ ववश्ाों त सवववर समेत सोंि दीत लेखन. साों लुवीस कालेवजच्या क क ों णी सोंस्था थावन प्रकट जाों वच्या ‘अमर क क ों णी’ भाषेच्या आनी सोंसकताच्या षणमिीक अोंक्याों त ‘क क ों णीमराठी वाद –वववाद’ लेखन. ‘प र्चुगीस अवदें त क क ों णी’ –‘अमर क क ों णी’ षणमिीक पत्राों त लेखन. कक ों णी लेखकाों च एकव ट (री). कनाि टक हाणीों २८-०६-२००९ इस्वेंत सोंय जीत केल्ल्या काऱयक्रमाों त ‘भाषाों वार प्राों त्य ग य ों ाों त ल कमत

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‘आटवे व ळे ररों त क क ों णी’- चाररत्रीक लेखन – ‘राकण ’ पत्र – ०८.०८.२०११ ‘ग य ों चे सुटकेक पन्नास वर्साों ’- ग वा राज्ाचा स्वातोंत्राक ५० वसा​ां भरल्ल्या सोंदभाि र लेखन ‘राकण ’ क क ों णी हप्त्याळें , ०८.०२.२०११ ‘नाटक आनी वतयात्र मदल वेगळाचार ‘– आधुनीक नाटकाच्या ितमान दत्सवाच्या सोंदभािर – ‘राकण ’ क क ों णी हप्त्याळें मोंगळू र, फेिरवरी ०६, २०१२

आनी ‘ क क ों णी नाटकाच उगम’ ह्या ववश्ाों त उपन्यास वदला. २०११, माचि २६ – ‘रचना’ कथ लीक वक्रसताों वाों च्या उद्यवमोंच्या सोंस्थ्यान माों डून हाडल्ल्या सन्मान काऱयावेळीों ‘क क ों णी सोंसकती’ ववश्ाों त वदल्लें उल वप. ‘वदव ’ क क ों णी हप्त्याळें मुोंिै – मे १५, २००९ – करावळी प्रदे िाोंत ल कवेद ह्या ववश्ाों त सोंि दीत लेखन.

‘समाचे थोंय लेखकाों ची जवाब्दारी’ - लेखन – दसेंिर २०११/ अोंक ५६ - क क ों णी सोंस्थ साों लुवीस कालेवजचें ‘अमर क क ों णी’ पत्र. ‘आट्ट्या व ळे ररों त क क ों णी – आयल्या उपराों त कक ों णी भाषेची वाडावळ’

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२४-०८-२०११ – मोंगळू र आकािवावणोंत वाचेल्लें भाषण कन्नड वलवपयेंतल्या क क ों णी पवत्रक द्यमाक िुन्याद घाल्लें, ‘ क क ों णी वदवें’ क क ों णी पवत्रक ध्यमाच्या ितमान त्स वच्या सोंदभाि र िरवयल्लें लेखन ‘राकण्याच कूर्वार’ –राकण हप्त्याळ्ाच्या प्रारों भाच्या ववश्ाों त िरवयल्लें लेखन – ‘राकण ’ अमत त्सवाच अोंक –राकण जनेर, २०१३.

२०१६- उडु पी वदयेसेवजचें पाक्षीक पत्र ‘उज्वाड’ पत्राचेर ‘न टाों चा दावडचेर ध लाप’ - लेखनाक दु स्रें इनाम.

‘माल्गड्य नागररकाों चें कल्याण’- लेखन –जून १५ –‘जागतीक माल्गड्या नागररकाों च्या ि षण ववर ध जागत’ -वदसाच्या सोंदभाि र लेखन. ‘सोंसकतेची कलोंि’ - सोंि दीत लेखन -२०१३ दसेंिर १९ वेर राकण पत्रार प्रगट जाल्लें, स्पर्द्याों त पयलें इनाम.

सोंि धीत लेखन -२०१४ दसेंिर १८, ह्या लेखनाक राकण साहीत स्पर्द -२०१४ पयलें इनाम. २०१५ – ‘राकण ’ क क ों णी पत्राच्या वसाि वार जाों वच्या क क ों णी सावहत्य स्पध्याि चा लेखन ववभागोंत ‘पथवेची राकण’ लेखनाक वतस्रें इनाम. ‘ग य ों साों डून आयली माोंय’ – राकण सावहत्य स्पधो -२०१६- पयलें िहुमान.

२०१७- मोंगळू रच्या ववश्वववद्यावनलय कालेज आनी कक ों णी अध्ययन पीठ हाणीों आचरण केल्ल्या ’क क ों णी मान्यता वदनाचरण – २०१७’ सोंदभाि र कक ों णी चळु वळी ववश्ाों त भाषण. २०१७- ‘अडकुल ग िुडकुल तेला तुपाच ’ राकण साहीत स्पद्या​ां त दु स्रें इनाम

‘व्ह ववय आनी द वतय ’ – 9 वीज क क ों णि


२०१७ - पयणारी. क म सावहत्य स्पधा​ां त ‘सगळें पररसर मनळ्ा कुळार एक स िीत व डत – एक वविेष लेखन म्हण मान्यताय

(४) २००८ - कनाि टक क क ों णी सावहत्य आकाडे मी थावन ‘म ग्रें-कारण’ ग्रोंथाक अत्युतम पुसतक पुरसकार.

२०१८ – माचि ११ ताररकेर क क ों णी अध्ययन पीठ मोंगळू र ववश्वववद्यालय आनी सुकुतीोंद्र ओररयोंजल ररसचि सोंस्थ , क च्ची, केरळ हाणी व्यवस्था केल्या राषटर ीय कार्यगाराों त ‘Cultural Identity of Konkani People’ म्हळ्ा ववियाचेर प्रिोंद मोंडन.

(५) २०११ - सोंदेि सोंसकती आनी विक्षण प्रवतषठान क क ों णी सावहत्य आनी सोंि धनाक ‘सोंदेि राज् प्रिसती’

III प्रमूख प्रिसती, विरूद, गौरव आनी लेखन पुरसकार:

(७) २०१४ माधव मोंजुनाथ श्ानुभ ग कक ों णी भाषा सेवा प्रिसती- ग वा क क ों णी अकाडे मी थावन राषटर ीय प्रिसती

१. ) प्रिसती (१) १९९५ - अोंतराषटर ीय लयन्स सोंस्थ्या थावन “क्लि प्रेवसडें ट एक्सलेन्स एवाडि (२) २००२ - दक्षीण कन्नड वजल्ला राज् त्सव प्रिसती. (३) २०४ - डा| टी. एम.ए.पै प्रवतषटानाची ‘क क ों णी चळवळ’ ग्रोंथाक २००३ वसाि च ‘अत्युत्तम पुसतक पुरसकार’

(६) २०१३ - कनाि टक क क ों णी सावहत्य आकाडे मी थावन गौरव प्रिसती

(८) २०१७ - ज्ञान मोंदार अकाडे मी िेंगळु रू हाों चे थावन, ‘समाज रत्न’ राज् प्रिसती आनी सन्मान. (९) २०१८ - िेंगळू र एफकेसीए (फेडरे िन आफ कक ों णी क्याथ लीक अस वसयेिन) हाों चे थावन २०१८ वसाि ची ‘जीवमान सादक प्रिसती’ (४.०२.२०१८) २.) विरूद (१) १९९३ - क क ों णी भाषा मोंडळ कनाि टक (री) सोंस्था थावन विरूद10 वीज क क ों णि


‘महान क क ों णी कारिारी’ आनी भाों गाराची सपिळी दीवन सन्मान (२) १९९४ - अरण्य इलाखा थावन ‘अरण्य वक्ष रक्षकरू’ म्हळ्ळें ववरुदू दीवन सन्मान. (३) २०१४ - “क क ों णी इवतहासाच उज्वाडू’ क वडयाल खिर’ पाक्षीक पत्राच ७ व वारवषक त्सवाच्या सोंदभाि र वदल्लें विरूद आनी सन्मान. (४) २०१७ - ज्ञान मोंदार अकाडे मी थावन ‘समाज रत्न’ विरुदू आनी सन्मान मोंगळू रचा टौन हालाोंत. ३.) गौरव

(२) २०१३ - ‘राकण ’ क क ों णी पत्राच्या वसाि वर जाों वच्या क क ों णी सावहत्य स्पर्द्याच्या लेखन ववभागोंत ‘सोंसकतेची कलोंि’ सोंि धीत लेखनाक ‘पयलें इनाम. (३) २०१४ - ‘राकण ’ क क ों णी पत्राच्या वसाि वर जाों वच्या क क ों णी सावहत्य स्पर्द्याच्या लेखन ववभागोंत ‘व ववय आनी द वतय ’ - ‘पयलें इनाम. (४) २०१५ - ‘राकण ’ क क ों णी पत्राच्या वसाि वर जाों वच्या क क ों णी सावहत्य स्वर्द्याच्या लेखन ववभागाों त ‘पथवेची राकण’ लेखनाक वतस्रें इनाम.

(१) २००१ - क क ों णी लेखकाों च एकवट (री) कनाि टक ह्या सोंस्थ्यान – राज् मट्टाच सम्मेळनाध्यक्ष जावन ववोंच न वदल्ल गौरव. (२) २००६ - अखील भारतीय क क ों णी पररषदे च्या २५व्या अवधवेिनाोंत अखील भारतीय अध्यक्ष जावन वदल्ल गौरव. ४.) लेखन पुरसकार:

(१) २००२ - ‘वदव ’ त्राचा १०० वसा​ां च ‘क क ों णी रों गमोंच’ वविेस अोंक्याोंत ‘नाटकाों चा तळवेर कक ों णी चळवळे ची झर’ - सोंि धीत लेखनाक दु स्रें िहुमान.

(५) २०१६ - ‘राकण ’ क क ों णी पत्राच्या वसाि वर जाों वच्या क क ों णी सावहत्य स्पर्द्याच्या लेखन ववभागाों त ‘ग य ों साोंडून आयली माों य’- ‘पयलें इनाम. (६) २०१६ - उडु पी वदयेसेवजच्या ‘उज्वाड’ पाक्षीक पत्राचेर ’न टाों च्ये धावडचेर द लाप’ लेखनाक दु स्रें इनाम.

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२००१ - ‘काणीक’ पत्रा थावन राज् मट्टच सम्मेळन अध्यक्ष जाल्ल्याक सन्मान. २००१ - मोंगळू र वदयेसेवजच्या अधीक मानाधीक विस्पा थावन सन्मान. २००२ - काणीक पत्रा थावन क क ों णी सावहवतोंक सन्मान

(७) २०१७ - उडु पी वजल्लेच्या ‘उज्वाड’ पाक्षीक पत्राों त ‘िुडतुग ल जाग्वण’ लेखनाक वतस्रें इनाम. (८) २०१७ - ‘अडकुल ग िुडकुल तेला तुपाच ’ राकण पत्राच्या सावहत्य स्पधा​ां त दु स्रे इनाम.

२००२ - साों लुवीस कालेवजचा प्राों िुपाला थावन सन्मान. २००४ – क क ों णी भाषा मोंडळ कनाि टक (री) मोंगळू र – थावन सन्मान. २००४ – क क ों णी लेखकाों च एकवट - हाों चे थावन सन्मान

५) सन्मान १९९९ – मोंगळू र िासक श्री य गीि भट हाों चे थावन सन्मान. २००० - ग वाचा माजी मुखेलमोंत्री थावन सन्मान २००० – मोंगळू र महानगरपावलकेचा मेयर हाों चे थावन सन्मान.

२००५ - कनाि टक राज् क क ों णी भािीक अ.सों. चलोंवच्या विकपा सोंस्थ्याचा २०व्या उत्सव वदसा िासक श्रीमान य गीि भट थावन सन्मान. २००५ - जागरण ग्रोंथ उग्तावणा वदसा दे रेिैल ववगार मा|िा|ग डफ्री एल.ए. सलडान हाों चे थावन सन्मान. २००६ – द.क. वजल्लावधकारी थावन सन्मान.

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२००६ – ग य ों च्या मुखेलमोंत्री थावन सन्मान. २००६ – मोंगळू र वदयेसेवजच्या अधीक मानाधीक विस्पा थावन सन्मान २००७ – क क ों णी भाषा मोंडळ, कनाि टक (री.) हाों चे थावन सन्मान.

२०११ - साों लुवीस कालेज एलुम्नी एस येिन थावन सन्मान २०११ - ‘तुळुनाडू प्रवतषटान हागू रक्षणा चावडी पवत्रके कानाि ड मुल्की द.क.’ ह्या सोंस्थ्या थावन मोंगळू रच्या टौन ह लाों त ताों चा साों सकतीक सोंभ्रमा वेळार सन्मान.

२००७ – “अखील भारत क क ों णी पररषद “ - हाों चे थावन सन्मान.

२०१४ - साों लुवीस कालेवजच्या एलुम्नी एस वसयेिन हाों चे थावन फेिरे र २१वेर क क ों णी सावहत्याचा साधकाों क सन्मान.

२००७ – ‘रचना’ सोंस्थ्या थावन सन्मान – क क ों णी सेवे खातीर

२०१५ - ‘वपोंगार’ पत्रा थावन क क ों णी मान्यताय वदसा सन्मान.

२००८ – केरळाचा क च्च्चोंत अखील भारतीय कक ों णी पररषद ह्या सोंस्थ्या थावन सन्मान.

२०१६ - क क ों णी मान्यता दीस -२०१६’ – कनाि टक क क ों णी सावहत्य अकाडे मी थावन सन्मान.

२००८ – ‘म ग्रें कारण’ िूक उग्तावणा वदसा सन्मान. २०११ - सोंदेि प्रिसती स्वीकर्वसल्ल्याक ‘रचना’ थावन सन्मान.

२०१७ - आगसट २० वेर ‘क क ों णी मान्यता दीस’ दे रेिैल इगजेच्या साों सकतीक सवमती थावन सन्मान.

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अध्यक्ष जावन म्हजा मुखेल्पणार माों डल्ल ठराव सम्मेळनाों त स्वीकार. २०१७ - आगसट २२ वेर वमलाग्रीस कालेवजोंत ‘क क ों णी मान्यता दीस’ आचरण केल्ल्या सोंदभािर सन्मान. २०१७ - कनाि टक क क ों णी सावहत्य अकाडे मी हाों चे थावन कनाि टक क क ों णी अकाडे मी स्थापनेक वदल्ल्या वविेष सेवे खातीर ‘िा Oगारचें पदक’ मान पत्र आनी उगडासाची काणीक दीवन सन्मान. IV. क क ों णी भाषेच चळववळकार जावन सेवा: कक ों णी भाषा मोंडळ कनाि टक (री) – अध्यक्ष – (१९८९-१९९३) प्रमूख चळवळ: भारताचा सोंववधानाच्या आट्ट्या व ळे ररों त कक ों ण्णेक स्थान आनी कनाि टकाों त क क ों णी अकादमी स्थापन – ताचा पाटल वनरों तर वावर १९९० इस्वी १७-१८ फेिरवररों त पेडणे- ग वाों त जाल्ल्या अखील भारतीय क क ों णी िरवप्ाों चा धाव्या सम्मेळनाों त कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी स्थापन जाोंवच्याक क क ों णी भाषा मोंडळे च

१९९० इस्वी एपरील २७, २८ आनी २९ ताररकेर, केंद्र सावहत्य अकाडे वमच सावहत्य पुरसकार लाभल्ल्या श्री चा. फ्रा. दे .क सताक ‘चा.फ्रा सन्मान सवमती’च काऱयाध्यक्ष जावन क क ों णी समाजे तपेन मोंगळू रचा टौन ह लाों त’ ‘क क ों णी सावहत्य कुलरत्न’ म्हळ्ळें विरूद दीवन चा.फ्रा.क सन्मान आनी चा.फ्रा.च्या सावहत्य वयर ववचार सातें. १९९० इस्वी अग सत १८ तार्केर, सन्वारा ड न ि सक सालाों त ‘कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी वकत्याक जाय’ म्हळ्ळ्ा ववषयाचेर अखील भारत क क ों णी लेखक सम्मेळनाच अध्यक्ष श्री गुरुनाथ केळे करा थावन उल वप माों डून हाडून ह्या ववषयाचेर उज्वाड फाों क वोंक प्रयत्न आनी क क ों णी अकाडे वमचा रचणुकेच वावर सूर्वात. १९९० इस्वी दसेंिर १४, १५, १६ ग य ों च्या प ड ों ा रामनावथोंत जाल्ल्या अखील भारतीय क क ों णी सावहत्य पररषदे च्या १८व्या अवधवेिनाों त क ड्याळ थावन िेंि र प्रवतवनवधोंक आपवन वेल्लें – चाररत्रीक घटन. १९९१ इस्वी जनेर २७- “अखील कनाि टक कक ों णी सम्मेळ कुमटा’ ह्या सम्मेळनाचें

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मुखेल्पण – ‘कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी वकत्याक जाय’ - ह्या ववषयाचेर प्रिोंध माों डून कक ों णी अकाडे वमच्या वावराक कराववळचा कक ों णी ल काों क हुमेद आनी प्र त्साह. १९९१ इस्वी माचि २ ताकेर क क ों णी अकाडे वमच्या रचणुकेची उपसवमती रचन – क क ों णी भाषेचा ववकासा खातीर सावहत्याचें महत्व उकलन धर्ची एक दसतावेज मनवी तयार करून सकाि राक वदों वचें अती गजेचें म्हण न ०२.०३.१९९१ ताकेर सन्वारा वदसा साों जेर ९.०० व रार कथ लीक क्लब्बाच्या ह लाों त क क ों णी समथिकाों ची एक जमात, ह्या जमातीक म्हज्ा अध्यक्षपणार कक ों णी अकाडे मी रचणुकेच्या उपसवमती रचन. दसतावेज मनवी तयार कर्चें एक चाररत्रीक दाखल जाल्ले ववीं तें सवववर जावन जवाब्दारे न रुपीत करुोंक क क ों णी अकाडे मी रचणुकेच्या उपसवमवतच सिार जमात्य सैंट एल वियस कालेवजच्या सभाों गणाोंत, - अिें कनाि टकाों त अकाडे मी रचणुकेक वनरों तर वावर. १९९१ इस्वी अग सत ११ ताररकेर जेप्पू फावतमा रे तीर मोंवदराों त कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी घडु ों क ववचार वववनमय कर्चे खातीर अखील कनाि टक क क ों ण्याों ची जात मत रहीत ‘सहवमलन’ हें चाररत्रीक सहवमलन यिस्वी कर्चे खातीर कक ों णी भाषा मोंडळे चा म्हजा अध्यक्षपणार मुकेल्पण.

कक ों णी अकाडे मी घडून हाडु ों क सुवविली तयाराय जावन ववववोंगड क्षेत्राोंत ‘क क ों णी भावषकालीों दे वणगा’ ह्या ववषयाचेर दसतावेज तयारायेक ववववोंगड हों तार वावर कर्च्याक अख्ख्या कनाि टकाच्या क क ों णी वठाराों नी म्हणजे कार्वार, कुमटा, वससी, िेळगाों व, िेंगळू र आनी वववीध कक ों णी सोंस्थ्याचा मुकेल्याों क भेट आनी दसतावेज तयार करुोंक वनरों तर वावर. १९९१ इस्वेंत ऊ. क. च्या कुमटाों त क क ों णी सोंस्थ्याों च एकत्र वावर – कनाि टकाों त क क ों णी सोंस्थ्याक साों गाता हाडच्या वावराक मुखेल्पण. १९९२ इस्वी जनेर ४ - साों लुमीस कालेवजोंत कक ों णी ववभाग उग्रें करुोंक क क ों णी भाषा मोंडळे चा म्हज्ा अध्यक्षपणार प्रेरणात्मक वावर. १९९२ इस्वे फेिरे र ८ आनी ९, कारवाराों त जाल्ल्या अखील भारतीय क क ों णी सावहत्य सम्मेळनाक क क ों णी भाषा मोंडळे चा म्हज्ा अध्यक्षपणार मुखेल्पण आनी ‘ कनाि टकाों त कक ों णी अकाडे मी’ वकत्याक जाय म्हळ्ळ्ा ववषयाचेर प्रिोंध मोंडन कर्च्याक वेदीर थावन हाों वें मुखेल भाषण करून “दे िचा हर्येका क्षेत्राों त आनी वावराों त क क ों णी ल क मुखार आसताना ताों चे भाषेक आपल्या हक्काचें स्थानमान आनी अकाडे मी लाभाजाय’ म्हण साों ग न सकाि राचेर ओत्तड घाल्ल आनी त्या खातीर तयार केल्ली

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दसतावेज मनवी सकाि राच कानून मोंत्री श्री ब्लेवसयस एों . डी’स जाक क क ों णी ल काों चा तफेन सम्मेळनाचा म्हा सभेर अवपिल्ली – चाररत्रीक घटन. १९९२ – क क ों णी जाथा: अख्ख्या कनाि टकाच्या सवि क क ों णी ल काक आनी फुडार्याों क सवि सोंघ सोंस्थ्याों चा पदावधकाररों क साों गाता एकव टावन ‘कनाि टक क क ों णी अकाडे मी स्थापन “ हें ध्येय दवरून वावर. अखील कनाि टक ‘क क ों णी जाथा जाल्ली चाररत्रीक घवडताों -ह्या परीों. चाररत्रीक क क ों णी जाथा: १)१९९१ ‘क क ों णी भावषकाों ली दे वणगा’ म्हण न १५ प्रयात क क ों णी समथिकाों नी १५ वववीध क्षेत्राों नी तयार केल्ली. १९९१ इस्वेंत जेप्पू फावतमा रे तीर मोंवदराों त जाल्ल्या चाररत्रीक सहवमलना वेळार हसताों तर केल्ली दसतावेज रुपार आसल्ली मनवी, सकाि राक पावीत कर्च्या उद्दे श्ान साक्याि माों डावळीन माोंडून हाडु ों क अकाडे मी रचणुकेच्या उपसवमवतच्या अधीन एका सोंपादकीय मोंडळी रचून, ही दसतावेज मनवी, िहत जाथा मुखाों त्र सकाि राक पावीत कर्ची म्हळ्ळ्ा आल चनेर प्रारों भ जाल क क ों णी जाथाच चाररत्रीक वावर.

२) क क ों णी जाथाची ‘आट्ट्या’ सवमती आनी ‘रट्ट्या ‘सवमती अखील कनाि टक मट्टार, िहत जाथा सोंघटन करुोंक एक सवमती, आनी जाथा वनयोंत्रण करुोंक एक प्रधान दफ्तर आसा केलें. आनी जाथाच्या सवमवतच्या वनयोंत्रण सवमतीक ‘अट्ट्या सवमती’ (Steering committee) म्हण नाों व दवर्लें. आनी अखील कनाि टक मट्टार हऱयेकल्याों क मेतेर करच ् ी एक प्रधान सवमती असा केली. ह्या सवमतीक रट्ट्या सवमती म्हण नाों व वदलें. १९९२ क क ों णी जाथाच्या अट्ट्या सवमवतची पयली जमात १९९२ इस्वी एपररलाचे २९ ताररकेर िुद्वारा साों जेर ५ व राों चेर मोंगळू रच्या कथ लीक क्लब्बाोंत सेवाि ली. ह्या पयल्या जमातेच्या काऱयव वळों त अमी द न उद्दे ि दवरल्ले. पयलें - भारताच्या सोंववधानाच्या अट्ट्या व ळे ररों त क क ों ण्णेक स्थान आनी दु स्रें कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे वमचें स्थापन. हे द नी ध्येय साों िाळू न दसतावेज रचून िेंगळू र वच न कनाि टक राज्पालाक मनवी दीवोंक अखील कनाि टक मट्टार रट्ट्या सवमती घडून हाडच्याक पत्याि न क क ों णी भाषा मोंडळाच्या म्हज्ा अध्यक्षपणार, १९९२ जून मवहन्याचा एका ताररके थावन जाथाची सोंचालकी श्रीमती यूनीस विट्ट आनी थ ड्या समथिकाों क

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घेवन उडु पी, कुोंदापूर, भटकळ, ह न्नावर, कुमटा, कारवार, वससी, िेळगाों व, हुिळी- धारवाड, सागर, मैसूर, िेंगळू र इत्यादी वठाराों क ि व ों डी मार्ली क क ों णी ल काों क जागयलें. जाथाच स्थळीय सवमती घडल्य आनी स्थळीय सवमवतच्या सोंचालकाक तवळच कानून मोंत्री श्री ब्लेवसयस एों .डी’स जा आनी काऱयाच अध्यक्ष जावन श्री ओसकर फेना​ां डीस एों .पी. (कनाि टक प्रदे ि काों गै अध्यक्ष) हाजर आसल्ल . अखील कनाि टक मट्टार सिार वठाराों च्य स्थळीय जाथा सवमत्य रचल्या उपराों त १९९२ इस्वी जूनाच्या २८ ताररकेर मोंगळू रच्या ताजमहल सभाों गणाों त रट्ट्या सवमती (वक्रया सवमती) उदघाटन केली. ३) िेंगळू राों त जाथाचें घटक १९९२- ‘भारताचा सोंववधानाच्या अट्ट्या व ळे ररों त कक ों णीक स्थान आनी कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी स्थापन’ ह्या द न हक्काों चा मागण्या खातीर, म्हज्ा अध्यक्ष पणार क क ों णी भाषा मोंडळ कनाि टक (री) ह्या सोंस्थ्यान अखील कनाि टक मट्टार असा केल्ल्या क क ों णी जाथाच्या वेवेगळ्ा वठाराों च स्थळीय सवमत्य रचल्या उपराों त, कनाि टकाच्या राज श्हे र िेंगळु राों त १९९२

इस्वी जुलाय २६ ताररकेर िेंगळू र जाथा सवमवतचें घटक उदघाटन केलें . ह्या जमातेंत कनाि टक राज्ाचा राज्पालाक आनी मुखेल मोंत्रीक १९९२ इस्वी सपटें िराचा १२ ताररकेर क क ों णी जाथाच्या उद्दे िा ववश्ाों त मनवी वदों वची म्हण आनी अमची मागणी सुफळ जाों वच्या पऱयाों त सकाि राचेर ओत्तड घाल्च अस वनणिय जाल . ४) क क ों णेक सोंववधानाच्या आटव्या व ळे ररों त स्थान १९९२ ह्या आमच्या क क ों णी जाथाच वावर भरान चलात असताना, भारताचा सोंववधानाचा अट्ट्या व ळे ररों त, क क ों णी साों गाता नेपाली आनी मणीपुरी भासाों कयी स्थान मेळ क ों ‘वसक्कीों’ आनी ‘मवणपुरी’ गाों वावनोंय ताों ची चळवळ चल्ताली. अिें एकाच वेळार कनाि टकाोंत क क ों णीक, वसक्कीों गाों वाों त नेपालीक आनी मवणपुराों त मवणपुरी भासाों खातीर चळवळ चल्ताली जाल्ल्यान, ह्या तीनयी भासाों क सोंववधानाच्या अट्ट्या व ळे ररों त अवधकत स्थान वदों वच्याक सोंववधानाों त गजेची वतद्द णी कर्च्याक १९९२ इस्वी अग सत २० वेर ल कसभेंत ववधेयक सवाि नुमतेन मानून घेतलें. अिें म्हज्ा क क ों णी भाषा मोंडळाचा अध्यक्षपणाचा आवदें त आनी क क ों णी जाथाचा

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म्हज्ा मुखेल्पणाचा मदगात क क ों णी अट्ट्या व ळे ररों त आयली जाल्ल्यान, हें घडीत म्हज्ा जीववताव्हेंत चाररत्रीक जावन अमर ऊरल ् ाों . ५) उडु वपोंत, िोंटवाळाों त, मोंगळु राों त िहत जाथा कक ों णी अट्ट्या व ळे ररों त येंवच्या पयलें गाों वाों गाों वाों नी वच न ल काों क जाग वोंक कषट असल्ले. साों गच्या वततल्या सुलभायेर ल क जमानातल्ल . त्या दे कून एकेका गाों वाोंत जाथाचा मुखेल्पणा खातीर एकेकल्याक ववोंचून काडल्लें. ववोंचून काडल्ल्या पुडार्याों नी ताों च्या गाों वची जाथाची जवाब्दारी आनी मुखेल्पण वहवसल्लें. गाों वाों गाों वाों नी वच न मुखेलीOक स धून काडचें काम भारी कषटाों चें जावनासल्लें. १९९२ इस्वेचा अग सत २० ताररकेर क क ों णी भारताचा सोंववधानाचा अट्ट्या व ळे ररों त आवयल्ली म्हण न पत्राों नी प्रचार जाल्लेंच, गाों वान गाों व हुमेदवोंत कक ों णी ल काों चा काळजाों - मनाों नी वीज सकत चर्ल ि र्याकच पडली कारण आमच्या जाथाच्या द न ध्येयाों पयकी पयल ध्येय लाि क ों केल्लें प्रयत्न सुपळ जालें जाल्यारी, आमच दु स्र ध्येय म्हणजे कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी स्थापनेचें काम िाकी आसल्लें तिें १९९२ अग सत मवहन्याचा २५ ताररकेर कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी स्थापन करच्य ् ाक उडु पी सकाि री जूवनयर कालेवजच्या वठारों त क क ों णी जाथाचे सवि साों गाता मेळ न मेरवणकेर डयाना वतुिळा थावन

उडु पी तालूकाक वच न तवळच्या तहिील्दार श्री वचक्कवतम्मयाक जाथाच्या उद्दे िाची मनवी सकाि राक पावीत करुोंक दीवन जाथाच्या िेव टाच हुद्द प्रारों भ केल . तिेंच १९९२ इस्वी अग सत २९ ताररकेर मोंगळु राोंत िहत मट्टार क क ों णी जाथाची मेरवणीक, मोंगळू रच्या िावट्या गुड्या थावन वजल्लावधकारी कचेरी पऱयाों त चाररत्रीक मेरवणीक चलवन वजल्लावधकारीक अकाडे मी स्थापन करुोंक सकाि राचेर ओत्तड घाल्च्याक मनवी समवपिली. त्याच परीों १९९२ सपटें िर १६ ताररकेर िोंटवाळ पेंटेक वेचा सोंदी स्थानार िहत मेरवणकेर िी.सी. र डार आसच्या िोंटवाळ तालूकाच्या तवळच्या तहिील्दार श्री िी.ए रामू हाों काों सकाि राक वदों वची मनवी हाों वें हताों तर केली. ह्याच ररतीन इतर तालूकाों नी त्या स्थळीय जाथाच्या सवमतीन मेरववणक्य काडून मनवी सोंिोंधीत अवधकाररों क पावीत केल्यात. ६) िेंगळू र चल्याों – क क ों णी जाथा कनाि टकाों तल्या सगळ्ा स्थळीय क क ों णी जाथा सवमवतोंनी ताों चा ताों चा गाों वाों नी, जाथाची मनवी, सोंिोंधीत अवधकाररों क पावीत केल्ल्या

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उपराों त िेव टाचा वनमाण्या हों तार, कनाि टकाचा राजधानी िेंगळू र श्हे राोंत सकडाों नी साों गाता मेळचें. मुखेल मोंत्रीक आनी राज्ापालाक मनवी वदों वची म्हण ठरायलें. अिें वनणियवसल्ल्या प्रकार क क ों णी जाथाची रट्ट्या सवमवतची जमात १९९२ इस्वेचा सपटें िर १९ ताररकेर िेंगळू रच्या कब्बन पाका​ां त सोंघटन केल्ल्या क क ों णी ल काोंचा जम्या वेळार कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी स्थापन कर्च्याक कनाि टक राज्ाचा राज्पालाक आनी मुखेलमोंत्रीक मनवी अपुांक तयाराय कर्च्या ववश्ाों त, ह्या जमातेच उद्दे ि जावनसल कनाि टक कक ों णी भािे मोंडवळचा म्हज्ा अध्यक्षपणाचा मुखेल्पणार क क ों णी जाथाच्या रट्ट्या सवमतीन वदल्ल्या उल्याक पाळ दीवन १९९२ इस्वेचा सपटें िर २८ ताररकेर िेंगळू रच्या कब्बन पाका​ां त िहत मट्टार कनाि टकाच्या वववीध वठरा थावन कक ों णी उत्साही ल क जमल्ल . कनाि टक राज्ाचा गौरवान्वीत राज्पाल खुरषीद आलों खान हाकाों मनवी दीोंवन एक दसतावभेज तयार केली िेंगळू रच्या कब्बन पाकाि थावन क क ों णी भाषा मोंडळे च अध्यक्ष पावलुम रास (हाों व) कक ों णी जाथाची सोंचालकी श्रीमती यूनीस विट्ट .माल्गड सावहती वी.जे.पी. सलडान, पोंचकादायी सोंपादक िी.वी. िावळगा, जाथच खजानदार श्री एों . रघनाथ िेट आनी कुमटा क क ों णी जाथाच सोंचालक अरूण उभयकर ह्या प्रमूख फुडार्याोंनी

कक ों णी ल काों चा तफेन कनाि टक राज्ाों त कक ों णी अकाडे मी स्थापन कर्च्याक दसतावेज मनव्येक दसकत घालन कनाि टक राज्ाचा गौरवान्वीत राज्पाल खुरषीद आलों खान हाों काों समवपिली. अिें अखील कनाि टक मट्टार क क ों णी जाथा यिस्वी जाली. पूण जाथा जावन पाटीों आवयल्लेंच, जाथा ववीं तवळतवळ कामाक रजा घाल्ल्याक, जाग्वण पत्राों वदल्ल्यान कामा थावन स्वयों वनवत्ती घेवोंक ओत्तड असल्ल . अिें कक ों णेचें िरें पण जालें, प्मण उपराों त कामा थावन स्वयों वनवत्ती घेतल्ल्यान, म्हज्ा खासगी वजवणयेंत एक काळ क पडल्ल . हें हाों वें क क ों णी मज्ा माों य भािे खातीर केल्ल त्याग जावनासल्ल . त्या उपराों त क क ों णी भाषा मोंडळे चें अध्यक्षपण स डून वदताना नव्या हुद्द्ादाराों चा पदग्रहण वदसा व्म्म्हणदे १९९३ इसचेचा जनेर १ ताररकेर क क ों णी भाषा मोंडळे न म्हाका एक भाों गाराची सपोळी आनी ‘महान क क ों णी कारिारी’ म्हळ्ळें विरूद दीवन साविजवनकाों मुकार सन्मान केल . त्याच वसाि चा माचि मवहन्याों त प्रकटवसल्ल्ये मुोंगड पत्राों त (१९९४-९५ िजेट) मुखेलमोंत्री वीरप्प म यलीन क क ों णी, तुळू आनी क डव भाषेंक अकाडे मी स्थापन करुोंक अनुदानाक दु डू ववोंगडवसल्ल . अिें तवळच्या पत्राों नी म्हणजे १९९३ इस्वी माचि २१ ताररकेर क क ों णी अकाडे वमच्या स्थापनेचें

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प्रकटण जाल्लें. ह्या ववीं म्हज्ा वनरों तर वावराच प्रवतफळ जावन म्हळ्ळे िरी, क क ों णी भाषा मोंडळे चे द नी ध्येय सकार जाल्ले, म्हणजे १९९२ इस्वेंत म्हज्ा अध्यक्ष आवदें त क क ों णी भास सोंववधानाों त आवयल्ली आनी मजें अकाडे वमचें स्वपाण ज्ारी जालें म्हणजे कनाि टकाों त क क ों णी अकाडे मी स्थापन जाली. हीों द नी चाररत्रीक घवडताों म्हज्ा वजवणयेंत अमर उरल्याों त. २. अखील भारतीय क क ों णी पररषद अध्यक्ष– (२००६-२००८) २००६ फेिरे र १० थावन १२ पऱयाों त ग वा पणवजचा कला अकाडे वमच्या सोंकुलाों त चलल्ल्या अखील भारतीय क क ों णी पररषदे च्या २५ व्या रुप्ाळ्ा अवधवेिनाक मोंगळू र आनी कनाि टकाच्या इतर गाों वाों थावन वतनश्ाों वयर प्रवतवनवधोंक अपवन व्हरच ् ें सोंघटीत काम. २००६ जुलै ८ वेर कारवाराों त अखील भारतीय कक ों णी पररषदे च ६७व स्थापना वदवस स्थळीय सोंघटना साों गाता सोंभ्रमीकथरान आचरण. २००६ आगसट २०वेर अखील भारतीय क क ों णी पररषद क क ों णी भाषा मोंडळ कनाि टक आनी डा| टी.एों .ए. पै प्रवतषटान मवणपाल हाों च्या सोंयुक्त असऱयाखाल क क ों णी मान्यता वदवस – ववश्व कक ों णी वदवस’ आचरण. ह्या काऱयक्रमाों त है सकूल आनी कालेज ववद्यावथांक क क ों णी क्वीज आनी उपराों त प्रैमरी आनी है यर प्रैमरी स्कूल ववद्यावथांक क क ों णी ल क -नाच स्पधो सोंघटन करुोंक मुखेल्पण. २००७ जनेर २७वेर अखील भारतीय क क ों णी पररषद आनी उत्तर कन्नड क क ों णी पररषद कुमटा हाों चा सोंयुक्त असऱयाखाल कनाटकाों त कक ों णी भास - पाठ पुसतकाों त द न वलवपोंची गजि

म्हळ्ळ्ा ववषयाचेर कुमटाों त एका वदसाचें ववचार – वववनमय सोंकीणि सोंघटन. २००७ इस्वी मे ४, ५ आनी ६ वेर अखील भारतीय कक ों णी पररषद आनी क क ों णी कला केंद्र कुडचडें ग वा हाों चा सहभावगत्वाों त १८ वें अखील भारतीय क क ों णी सम्मेळन सोंघटन. २००७ जुलाय ८वेर अखील भारतीय क क ों णी पररषद आनी मवणपालच्या डा| टी.एों .ए. पै प्रवतषठानाचा आसऱयाखाल पररषदाच ६८ व स्थापना वदवस सोंभ्रमीक थरान सोंघटन करून ह्या कार्यक्रमाों त अववभजीत द.क. वजल्लेचा क क ों णी पवत्रकेच्या सोंपादकाों क, पररषदे च्या आदल्या अध्यक्षाों क. केंद्र सावहत्य अकाडे मी, आनी इतर सोंस्थ्याों चा प्रिसती ववजेताों क गौरव आनी मान्यता वदों वचें काऱयक्रम सोंघटन. २००७ अग सत १९वेर कुोंदापुराों त जाल्ल्या राज् मट्टाचा क क ों णी सम्मेळनाचे अध्यक्षपण आनी कक ों णी भाषेच्या वावराक प्रेरण. २००७ आगसत २० वेर कनाि टक क क ों णी भाषा मोंडळ ह्या सोंस्थ्या मुकाोंत्र ‘ववश्व क क ों णी वदवस’ आचरण आनी ह्या सोंदभीं है सकूल आनी कालेज ववद्यावथांक ‘क क ों णी क्वीज’ सोंघटीत वावर. ३. क क ों णी लेखकाों च एकव ट कनाि टक (री.) ह्या सोंस्थ्याच अध्यक्ष जावन २०११ इस्वी जनेर २२ आनी २३ ताररकेर क क ों णी मट्ट्या कावणयाों चें कामासाळ प्रेरण -२०११ िाों ती वकरण िज्ज डी, मोंगळू र, हाों गा माों डून हाडल्लें. ह्या विविराक सिार चले आनी चवलय हाजर आसल्ल्य .

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४. प्रमूख सोंघ-सोंस्थ्यानी वावर

V समाज सेवेंत साधन:

(१) क क ों णी भाषा मोंडळ कनाि टक (री)-मोंगळू र (२) अखील भारतीय क क ों णी पररषद

१. १९७८ – १९८२ – इच्स्वोंत िोंटवाळ म डों कापहाों गा युवजणाोंचे सोंघटन आनी ताच जेराल काऱयदिी - पयलें िहत साों सकतीक काऱयक्रम म डों काप वफगिजेंत सोंघटन.

(३) कनाि टक क क ों णी सावहत्य अकाडे मी, मोंगळू र (४) क क ों णी सावहत्य अकाडे मी, ग वा

२. १९८०-१९८३ – इस्वी िोंटवाळ जेसीस अोंतर राषटर ीय सोंसाों त वावर उपाध्यक्ष आनी वववीध हुद्द्ाों नी समाज सेवा.

(५) अोंतराषटर ीय जेसीस सोंस्थ , िोंटवाळ (६) अोंतराषटर ीय लयन्स सोंस्थ , कुलिेकर, मोंगळू र (७) पदु वा कालेज, एलुम्नी एस वसयेिन, मोंगळू र (८) साों लुवीस कालेज एलुम्नी एस वसयेिन, मोंगळू र

३. १९८७ –इस्वी अध्यक्ष िाों ती क्लि प्रेमनगर िज्ज डी, मोंगळू र. भुर्ग्ा​ां क क्रीसमस आचरणा वेळार क क ों णी सोंसकती वजवाळ दवरुोंक वववीध स्पधे आनी प्र त्साह. १९८८ इस्वेंत फेिरे र ७ ताररकेर ‘हे नरी नैट’ मोंगळू र टौन ह लाों त असा करून ि ि ों ैचा कलाकार श्री हे नरी डी’स जाक क क ों णी ल काोंचा तपेन ‘सोंगीत साम्राट’ म्हळ्ळें विरूद दीवन सन्मान.

(९) ‘सोंदेि’ प्रवतषठान- कला आनी िैक्षणीक सोंस्थ , मोंगळू र (१०) ‘रचना’ क क ों णी केथ लीक उद्यवमोंच सोंस्थ , मोंगळू र (११) क क ों णी लेखकाों च एकव ट कनाि टक (री), मोंगळू र (१२) साों वविेंत दे पावल सभा, दे रेिैल मोंगळू र, कथ लीक सभा, दे रेिैल. (१३) ववश्व क क ों णी केंद्र, मोंगळू रू सोंघटन सवमती (१४) युवजण आनी साोंसकतीक सवमती, दे रेिैल

१९८८-१९९१ प्रेम नगर िज्ज वडों त लूदि सायविणीक ग्र ट्ट िाों धून प्रेमनगर थावन िेंदूर इगजीक चार वसा​ां सपटें िर ८ ताररकेर सोंभ्रमीक ररतीन मऱयाळ पुिा​ां व आनी सायविवणचें भच्क्तपण असा करून भच्क्तवोंताों क मागणीों न वेनाों करुोंक अवकास. १९८९ – एपरील ४ थावन १५ ताररके पऱयाों त १५० (दे डकें) विविराथी सवें श्री वी. एल.रे ग चें य ग तरिेती वि​िीर फावतमा रे तीर मोंवदराों त असा करून ‘य गाचाऱय’ म्हळ्ळें विरूद दीवन सन्मान.

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४. १९९४-९५ इस्वी, अध्यक्ष लयन्स क्लि कुलिेकर, मोंगळू र १) अरण्य इलाखेचा सोंय गान मोंगळू रचा कद्री उद्यावनाों त ‘वन्य जीवी सप्ताह’ आचरण करून भुर्ग्ा​ां क आनी अपाों ग भुर्ग्ा​ां क वववीध स्पधे आनी प्र त्साव. २) ‘ववश्व पररसर वदनाचरणे’ वदसा पदु वा इसक लाचा सोंय गान भारताचा स्वतोंत्र त्सवाचा स्वणि मह त्सवा वेळार धा लाक झडाों लाों वचें िहत काऱयक्रम. ५. सोंदेि प्रवतषठान – कला सोंस्थ्याों त सवमती साों द जावन वावर १९९१ ‘सोंदेि’ सोंस्थ्याोंत सवमती साों द जावन १९९१ इस्वी नवेंिर ३ ताररकेर ‘ववलफी -हे नरी नैट’ ह्या चाररत्रीक काऱयक्रमाच प्रधान काऱयदिी जावन आनी दू सऱया वसाि त्याच सोंदेिा’ सोंस्थ्या खातीर ‘रे म -लैव’ म्हळ्ळें िहत सोंगीत काऱयक्रम सोंघटन. ६. १९९६-२००२ – वमत्र वोंद कावपकाड -सोंस्थ्याच गौरव अध्यक्ष. हरै का वसाि विजै कावपकाड वठाराचा दु िळ्ा आनी साविजनीक ल काों क उग्त्या मैदानार धमािथि नाटक, भुर्ग्ा​ां क वववीध स्पधे आनी अपाों ग भुर्ग्ा​ां क स्व-उद्य ग कच्याि दु िळ्ाों क सहाय. ७. १९९३-२००८ –साों लुवीस कालेवजच्या एलुम्नी सोंस्थ्याच उपाध्यक्ष आनी सवमती साों द जावन सिार काऱयक्रमाों त सोंघटनात्मक वावर. ८. २००१ इस्वी केथ लीक सभेच स्थापक अध्यक्ष दे रेिैल घटक ह्या सभेंत वववीध काऱयक्रमा सोंघटन आनी मुखेल्पण

९. २०००-२००१ स्थापक अध्यक्ष पदु वा कालेज एलुम्नी एस वसयेिन. ह्या सोंघाच स्थापक अध्यक्ष जावन मोंगळरच्या टौन ह लाों त साों सक्रतीक काऱयक्रम माों डून हाडून इसक लाचा भुर्ग्ा​ां त अथीक सहाय वदों वचें िाश्वत िैक्षणीक वनवधचें स्थापन. ******************** पावलू म रास जीवान मटव तरी मवतोंत आनी काभाि राों नी अती ऊोंच. हाणें क क ों णे खातीर थ ड्याच आवदे न केल्लीों काभाि राों , िरवयल्लीों पुसतकाों , ज डल्ली जीक, मान, सन्मान, प्रिसत्य खोंडीत जाों वन अपार म्हण्येत. जर असलेच्च झुजा काभाि री आमच्या क क ों णी समाजेंतले कानडी कक ों णी िरवपाकी मान्यता मेळ न वतकाय केंद्र सावहत्य अकाडे मी थाों वन पुसतकाों प्रिसत्य मेळच्याक वावरल्ले तर वकतलें िरें आसलें? पूण आमचें दु रादृषट! आज कनाि टक करावळीर क क ों णेची कषी कानडी वलवपोंत अधीक जाता जाल्यारी त्या लेखकाों -सावहवतोंक मात्र फाव त मान मेळाना ती सोंगत क क ों णी मायेक भारीच दु खाची जाों वनासा! पाों च वलवपोंच्या क क ों वणों त फकत एका वलपीक मात्र थ ड्याों च्या जिरदसतेन सवि प्रिसत्य प्रदान जातात! हाों वें म्हणचें तर हें फकत एका थराचें च पाि ण. हाका आमकाों जाय आताों एक चुरूक माजार, वाग व वसोंह. मारुोंक झगड्या झूज आनी वजक क ों सामथेचें जयत. पावल म रासाक वीज सवि यि आिेता आनी ताच्या वलखणे थाों वन आवनकी ऊोंच चळवळे

22 वीज क क ों णि


पुसतकाों उदें व आनी ताका लाों ि आवक िळ भलायकी सवेश्वर फाव करू ों !

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अधुरें सुटके सोपाण

वसाि आधीों, नाजूकायेन क वळन, िीऱयाों त दवरलल दे िाच िावट , परत आपल्या आों गाची धूळ फापुडन, मयदानाों, सोंस्थ्याों च्या िावट्या खाों ब्याक चड न रावला, सुटके सोंदेि पाचारुोंक. भारत दे िाचें म्हान स पाण अग सत १५ वेर हर वसाि परत परत यावदों नी वजरयताना, ह्या पाटल्यान जीव वदल्ल्या वकतलेश्ा वजवाों च आों दाज पऱयाों त आमकाों आसच ना. काराण अमकाों कळीत आसचे खाली व्हड आनी म्हान मनीस मात्र. आस ,ों ताों च्या िवलदानाच फळ आमी भग्ताों व खरें , पूण वकतल्या मापान?. यिस्वी फुडारी आज मायकाों मुखार राव न वदी वाचतेले, वावराची पट्टी साों ग्तेले. पूण दु रिळ्ा नागररकाों क वकतें गजेचें, समस्या वकतें, लागीों एवन पळे वोंक नगाि तेले. आयची पररच्स्थती ही. मत गजि पडताना, कापडाों , दु डू, कावणकाों च पुिा​ां व काडलेल्याों क खऱयान पजेक आकाों त एताना, धयर वदों वचे फुडारी भ व उणे.

सुटका नीज अथाि न भगून आसा क ण?. दु डवाधीक, अवधकारी, सकाि री नवकर, फुडारी मात्र. वावराडी, रयत, साध ल क आजून म्हज्ा गावाों त िोंधडें त च आसा. साध नागरीक वेळार ट्याक्स भताि , हे र दे वें फारीक कताि , आपलीों कतिव्याों पाळन आसा. वगरे सत दे वें भरुोंक चुकारी माताि , हाच मार साद्याों क पडता. स्त्री वगि आन्येकाच ररतीन परीक्षेक वळग जाता. अिल पट्टें त वतचें नाों व प्रमूख. वतच्याच मनिाों थावन वतका वतरसकार. वतका मेळचे आवकास फारुोंक एकल्या प्रास एकल फुडें . वतच्या हक्काों पासत झुज क ों क ण ना लागीों. िुर्ग्ा​ां सोंभोंदी कानून कायदे जायते म्हज्ा दे िाों त. ते सगळे भद्र सोंववधानाच्ये व ळे ररों त. ल्हान व्हड ह टलाों नी, आों गडी, काखाि न्याों नी अजून िाळ वावराडी आसात च. घराों नी, विकपा थळार, उग्त्या राज रसत्याों नी पऱयाों त, िाळाों चेर जाों वचे हल्ले अमानवीय. पूण आमी मात्र व्यस्थ सुटके वदसा सोंभ्रमाों त. गाों धी आपल्या ववचाराों नी रै ताचे उदगितेक प्रमूख जाग वदल्ल व्यक्ती. आज जर रै ताची च्स्थती जाणा जायत, वकतें करीत?. पररसराचे ववनािेन िदलाल्ल्या हाव्यान वेळा वेळार पावस नासताों , भुोंय मोंडळाों त लेखावती धाव चड न फाव तें िेळें जायनासताों , कोंगाल रै ताक भुजयतल ना.

23 वीज क क ों णि


िेळ्ाक ज क्तें म ल मेळनासताों , सलव णी आपणायताना, जीवघाताच्या भ गणाों क ताच्या आडायतल क णी ना.

दु भावे नदर भायर वभतर. धमाि भेद, जावतवाद उण जाल्ल च ना. उों चल कीळ मन भाव मनजातीों प्रास मनश्ाों मधें चड वाडला. ग्रेसत दु िळ्ा मधल फरक , एकतेच्या, समानतेच्या तत्वाों क वगळुों क जायनासची उों डी जाल्या. स्वाथाि चीों पाळाों र ि ों न, सेजारा पऱयाों त, कुविच्या घराों त सयत क ण मरण पडल्यारी िगले घच्या​ांक कळानासलेपरीों म डाों दाटाल्याों त. म्हजें, म्हाका मात्र पुर , पेल्याचें म्हाका वकत्याक ह्या भगणाों नी ल्हानाों , व्हडाों व्यसत उरल्याों त. समाजीक जवाब्दारी वकत्याक, क णाची समज क ों जायत्याों नी आसक्त ह गडावयल्ली आसा. दे ि भक्त, दे ि म ग सोंकुचीत जावन वेताना, थ ड्या वगा​ां क मात्र सीमीत असलें वचोंताप उसक न आसा. स्वतोंत्राचे चळवळे सोंदभीं, असल सोंकुचीत मन भाव नासताों , ल्हान व्हड, दु िळ ग्रेसत, विकपी अविकपी हऱयेकल्यान आपापली दे णगी दीवन फुडाऱयाों क तेंक जाल्ल मन भाव आताों ना. सुटके आचरण, वयक्तीक प्रचाराक, राजकीय उद्दे ि ज्ारी कपाि क कचें गजि ना. आत्म्यान दे िा खातीर िवलदान वदल्ल्याों च्य यादी, प्रसतूत वपळगेक समजायनातर, आचरण

अथाि वीण खोंडीत. आपापल्या स्वाथाि क आचरणाों च य वापार जाता. एकामेका भसाि पाों त एकता ना. पाटल्या वदसाों नी क वीड सोंत्रसताों क खाणा व वी वाों टच्या ल्हान वावराों त य मनाभेद मत भेद उटलातर आमच्या काळजाों नी वकतें विज न आसा तें उग्त्यान गमता. वनमणें िली जाों वच मात्र सामान्य वगाि च वनदोिी ल क. त , िळाक, प्रभावाक, िीदा आहार जाता. प्रसतूत, म्हज्ा दे िाची अस्थीर च्स्थती मजेतसल्या सामान्य मनश्ाों क, जायत्या सवालाों नी उिच्या िावट्या मुखार उभें कताि . िावट सुटकेच सोंकेत तरी खाों ब्याक िोंधी जाला. हीच च्स्थती आमची. त ड ों ा उत्रार सवि स्वतोंत्र, पूण नीज अथाि न नय. आमच्या सुटके

आचरणाची गत यी हीच. िावट्याची, घडी उसवन, खाों ब्याक चडों वच्या हाताों चें, त उसोंवच्या द ररयेक स्पि​ि कचे हात वकतले पववत्र हें जाणा जाल्यार पुर . सामान्य ल का मेरेन चमक न, ताों च्या सेवेंत काऱय न्मूक जाल्ले, नीज अथाि न वकतले जण? व प्रचारा खातीर मात्र हाों च वावर?. प्रचारा खातीर मात्र आमचीों आचरणाों ?. एकव टाचें नीि घेवन धमि जावतभेदाचीों कुसाों

24 वीज क क ों णि


तन्याि मनाों नी ररगवन प्रसतूत अवधकारी वगा​ां नी भ व व्हड चूक केल्ली आसा. हाच पररणाम एद ळ च्च भगुोंक मेळ्ळा आनी फुडें य त वाड न्ोंच वेतल . दे िाचे प्रगतेक पेंकाड िाों धून, वावर वदल्ल्याों नी, दे ि वासीों मधें वचल्लर काराणाों दीवन वाों टे फाोंटे केल्यार, कषटाों क वळग जाों वचें पजेन च्च. दे ि सेवेंत वकतेंचलाभ आिेनासताों , आपली सेवा सवा​ां खातीर म्हण, वावुरलेले, म्हान जाल्ली गजाल आमी जाणाों व. पूण ताोंकाय आताताों आर प लागवन, ताों च्या पववत्र व्यच्क्तत्वाचेर च्च घस पुसताना, आमचें वकतें महान?. तरी भविस साों वडनासताों , मनश्ाम लाों चीों तत्वाों आमी उकलन धरुोंक वाट उग्ती आसा. आमकाों दाों िून धच्याि आस्थीर सोंग्ती वयर आठ व कनि वेळ ववभाडचे प्राच, जाता वततलें िरें च आधानि, पेल्याकी आधारुोंक प्रेरण जाल्ल्याों त दे िाच्या वहताक मार पडच आडाव्येत.

घवडिर, महान भारताचें स पाण काळजाों त वाववन, आपणाक च समपीत केल्ल्या अमर दे ि फुडाऱयाों क, ताों च्या कुटमाक वनयाळन, ह्या सुटके सोंभ्रमा वेळीों तरी, ताों चे थावन काों य थ डें विक्याों . ताों काों य सवि सोंग्ती, करुोंक साध्य च्च आस ल्ल्य म्हण नय. जायत्याों नी ताों काय, ववर ध, अपहास्य, ठीका, आपाय हाडलल आस ल्ल च. तरी ताों च्या िऱया उद्दे िाोंत ते अचल ऊर ल्ले. सवि ववर धपण दे िा खातीर भेटवन, वयक्तीक िरे पणाची आिाच्च ताणीों खोंडलेली. आयच्या सोंसाराों त य तसले नाों त म्हण नय. ताणीों मुखडीों घाल्याों त गी म्हण पयलें पाकूिन, खरे दे ि सेवक ते वय न ना तें समज न, आमच्या राकणेक वावुतेल्याों क आमी तेंक जाल्यार, सुटके सोंभ्रमाक एक ज क्त आथि एत. ---- फेल्सी ल ि , दे रेियल.

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" तुम्मी येना म्होणू लेक्कून रूम दू िऱया​ां क भाडे लदल्ा​ां . आनी रूम ना " होटे ला मालक म्हळालो. शीां खात्तल्ा​ांल बोडारी थांड उदाक लकैयल्ावरी जाल्लें. तररयी... लवनोद भट्टान ताक्का , " आम्मी हा​ां गा मेट्टारी लनद्दताती ; िक्काणी तीन घांटेरी उट्टानू जा​ां बावली वत्ताती. " म्होणू कन्नडा​ां तू िा​ां गलें.

12 माशें गा​ां वतूल उडु पी होटे ला पावतना ११:४५ p.m जाललले. होटे ल बांदकोनू​ू थांचे नौकर भायले मेट्टां धुत्तलिले.

आमगेली दै न्यावस्था पोळोन मालकाक पाप लदिलें. " अलिल्ला " म्हळालो. मेगेल्ागी हा​ां तूळच्याक पा​ां गुचाू क कस्सने ना. आस्सस्सलें पूरा अनावश्यक ओज्जें म्होणू

25 वीज क क ों णि


भटकळा धाणलदस्सल्लले. एक मेट्टारी पुस्सूच टु वालो हा​ां तुळो. नेस्सील मुांड पा​ां गूनू घेतलें. िेक बेग मात्ते मूळा​ां तू दवोनू​ू भोकडी घेतली. लनदतना तारीख चेंज जाललली. भाऱयी लशांया कोट. तोांडा​ां तूल दा​ांतािेट कट...कट अवाज कतूलिले. तररयी....इतल फट्ट्ने नीद मेगेल आयुश्या​ां तू माक्का केन्ना पलडलना. ते दीि पळ्ळी.

आजी आमगेली खरी ित्व परीक्षा आस्सस्सली. " करमल घाट " चोणू बाळ्ळी गा​ां वा पावकालिलें. थांचान रात्री जा​ां बावली पावकालिलें. ६ a.m काणकोण आयलें. चौपदरी नवीन राषटर ीय राजमागाू वैयल्ा​ां न वचत आस्सस्सले. आजू बाजू एक होटे ल ना. बोश्याक जागो ना. लकरणान आस्सस्सल्ा​ांतू एक बरो जागो िोद् दू न काळ्ळो. बेलिकली तो फोटोग्राफर. िौांदऱयाच आराधक. िौांदऱयाची आराधना आमगेली भारतीय िांिकृती जावनास्सा. कण्व ऋषील आश्रम काणकोणा​ांतू आस्सील खयीां ! पूवेक घनदाट जांगलान भरील िह्याद्री पवूत , पवूता मागशी लदकाच्यान िावकाश वैऱयी येवचो बालरवी , त्या रलवलकरणानी आमगेल लकरण श्यानभागाल फुलील प्रिन्न चे हरो हावें केमरा​ां तू धोनू​ू दवरलो. " Faith is the bird that sings when the dawn is still dark. " कोणेकी एकळ्ा​ां न म्हळ्ा​ां . कोणे म्होणू उगडािा येना. पण हें ित्य म्हलळलें आज प्रत्यक्ष अनुभवा​ां तू आयले.

िक्काणी ३:३० a.m क जाग आयली. िगळ्ा​ां क जागैलें. तोांड धुवच्याक, िांडािा वोच्याक कस्सली व्यवस्था ना. होटे लाक बीग घालललें. आम्मी भाऱयी लभकाऱया​ां वरी मेट्टारी लनदललले. आमगेल्ागी आस्सील बाटललांतूल उदकान कुचू कुचू घोटभोनू​ू पुचुक्कने उडै लें. दोन घोट पीवनू मुक्कावैली वाट धरली.

िक्कालणचें िूऱयोदया वेळारी तस्सल जागेरी बिल्ारी उत्साहाक ऊजाू मेळता. काली प्रेमानांद भटमामान लदलील बन्सां लवनोद भट्टाल बेगा​ां तू आस्सस्सली. रघुरामाले बेगा​ांतू एप्पल , िांत्र आस्सस्सली. मेगेल बेगा​ां तू लबिलकटा पुडी आस्सस्सली. तेंची खावनू उदाक पीवनू , ते लदिाच ब्रेक फािट लततल्ारी भागैलो.

26 वीज क क ों णि


ह्या वरषाचे " काललनणूय " केलेंडरा​ां तू भलवषय बरै तल्ान , लमथून रालशच्या​ां क हें वरष शक्ती , िाहिाचे म्होणू बरै लें. Especially जनवररां तू गुरू बल उत्तम , शलनलो फूल िपोटू म्होणू बरै लें. तें वाच्चूनू अती उत्साहान पदयात्रेक हा​ां वू भाऱयी िररलोां. एकूण २५० k.m यात्रेंतू फक्त ८० k.m बाकी आस्सस्सलें. अथाूत , " गायी गाब आस्सा , आजी फाल्ले वािरू ां घाल्ता " म्हणता न्हयीां तस्सीां हा​ां वू लदवि मोजतलिलोां. आजी जा​ां बावली पावचें , फाल्ले रात्री रामनाथी , परा​ां लवजयादु गे भेटून रात्री भटकळ. जाल्ली आमगेली पदयात्रा. तें येवजूनू परमानांद जाल्लो. खरें िा​ां ग्ता तुमका​ां , " कल्पनेंतूल िूख प्रत्यक्षा​ां तू ना. "

- पद्मनाभ नायक ---------------------------------------------

ह ली र जरी इों गलीष शालाक एस्सेस्सेल्सोंत ९७.३७ फणलताोंश कुांदापुरा​ां तल्ा होली रोजरी है िकूलाक एस्सेस्सेल्सी परीक्षेंत ९७.३७ फललता​ां श मेळ्ळा​ां . ओट् टूक ३८ लवद्याथी परीक्षेक हाजर जाल्लीां ता​ां च्ये पयकी ३७ लवद्याथी उत्तीणू जाल्ा​ांत.

ग्ल्ाडीि आन थोमिाक ६२५ अांका​ांत ६०९ अांक मेळोन प्रथम स्थान जोडला​ां . भूलमका ५६७, ररया रोश्नी ५६७, िमृद्धी एि. शेट्टी ५६५, श्रेया ५५१, लदस्सिश्री ५३८ अिें ओट् टू ८ लवद्यालथिंक लवलशषट श्रे णीर उत्तीणू जाल्ा​ां त. - बनाू डू जे. कोिता ---------------------------------------------

नव प्ाोंयाणिकारी फा| णपयूस जेम्स डी’स जाक बज्ज णडों त सन्मान कामेल िभेचो प्रा​ां त्यालधकारी जा​ां वन चुनायीत जाल्ल्या फा| लपयूि जेम्स डी’िोजा हाका मांगळू र बज्जोलडां तल्ा ईनफेंट मेरी इगजेंत आयतारा

27 वीज क क ों णि


िकाळी आगोित ९ वेर िन्मान करून अलभनांदन लदलें. प्रथमत फा| लपयुिान प्रधान याजक जा​ां वन पलवत्र बललदान भेटयलें. प्रा​ां त्यालधकारी िलहादार 28 वीज क क ों णि


जा​ां वनािचे फा| मेलवीन लडकुन्हा, फा| दीप फेनािं डीि, कामेल हील िा​ां त जोिेफाच्या पुण्य

क्षेत्राचे मुख्यस्थ फा| चारल्स िेरावो तिें ईनफेंट मेरी इगजेचो लवगार फा| ऐवन लडिोजा, फा|

29 वीज क क ों णि


पलवत्र बललदाना उपरा​ां त प्रा​ां त्यालधकाररां क, िलहादारा​ां क, कामेल हील िा​ां त जोिेफ पुण्य क्षेत्राचे याजक फा| चारल्स िेरावो हा​ां का​ां फा| ऐवन लडिोजा, फा| प्याटर ीक लोबो, पालन िलमती उपाध्यक्ष प्रकाश िलडान्हा, काऱयदशीण ऐरीन लपांटो लहणे िन्मान कनू अलभनांदन लदलें. इगजेंत िेवा दीांवन नवोच आलयल्ल्या फा| रायन लपांटोक स्वागत केलो. जोिेफ मिकरे न्हिान िन्मान काऱयक्रम चलवन व्हेलें.

प्याटर ीक लोबो, फा| जोिेफ लडिोजा आनी फा| रायन लपांटो हे पलवत्र बललदाना​ां त िहभागी -र न्स बोंटवाळ, मोंबय जा​ां वनािले. -----------------------------------------------------------------------------------------------

कों दापूर कथ लीक सभा वनमह त्सव आिररता

कुांदापूर घटकान आगोित ९ वेर आयतारा कुांदापूर लवगार, कथोलीक िभेचो आध्यात्मीक लनदे शक फा| स्यानी तावरो हाच्या अध्यक्षतेखाल इगजे वाटारा​ां त कथोलीक िभा कुांदापूर अध्यक्ष बनाू डू लडकोिता आनी काऱयदशीण प्रेमा लडकुन्हा हाणीां माडा झडा​ां ला​ां वच्या मुखा​ां त्र वनमहोत्सव आचररलो. कथोलीक िांघटनाच्या पदालधकाररां क आनी लफगूज पालन मांडलळच्या िदस्ा​ां क ता​ां च्या घरा वाटारा​ां त लावांक उत्तीम जालतचीां ४५ पोपळा​ां चीां झडा​ां ता​ां च्या घर वाटारा​ां त लावन वनमहोत्सव स्पांदन केलें. ह्या िांदभाू र, िहायक लवगार फा| 30 वीज क क ों णि


लवजय लडिोजा, िा​ां त मेरी लपयू कालेलजचो शैला लडअल्मेडा, लवनोद क्रािटो, लवनया प्रा​ां शुपाल फा|प्रवीण अमृत माटीि, पालन लडकोिता, जान्सन लडअल्मेडा, डा| िोनी मांडलळचो उपाध्यक्ष लुवीि जे. फेनािं डीि, लडकोिता, मैकल गोन्सालवीि, उल्लाि क्रािता, काऱयदशीण आशा कावाू लो, कथोलीक माकू लडिोजा इत्यादी हाजर आिलीां. पदालधकारी जूललयेट पायि, वाल्टर लडिोजा, ------------------------------------------------------------------------------------------------

-------------------------------------एक णवशेष आपरबाय: िवेक बापायिे जल्मा दीसािे सोंदेश

*भागी जल्मा दीस सल मी* किो वेळ धा​ां वलो म्हण कळना. एदे शें लपांपरें आिुल्लें बाळ आज आटर ा विािं ची युवती. चेडवा​ां भुगीं तलशांच म्हण्या​ां वेगीां वाडतात, पळे ता​ां पळे ता​ां व्हड जातात

आयलेवार वीज क क ों िी मूख पानार स भया फेणलक्स फऱयाोंकाक साणहती जेम्मा पडील ताच्या कवरािी याणदसणतका णदता. -------------------------------------बापायक मायपिान ज्योर कचीं, भलायकेची काळजी घेंवचे लततलीां व्हड जातात. चडावत बापाय बायलेक न्हय तरी धुवेक आयकतात. आमगेरयी काल पोर म्हणािर रडून, तोांड पुगोवन आिुल्लें आज "डाडा लिग्रेट इल्ली उणी कर" म्हण बूधबाळ िा​ां गचे लततलें व्हड जाला​ां . िलोमी १८ विािं चें जाला​ां .

31 वीज क क ों णि


तीिऱया लमलेलनयमाच्या पयल्ा विािं त म्हणजे २००० इस्वेंत म्हजें आनी िीमाचें पयलें बाळ जावन आयच्ये लदिा तें जल्मल्लें. ताका िलोमी म्हण वोलालयल्लें. शालोम म्हळ्ळ्ा हीबरू िब्दा थावन उबजल्ल्या िलोमी िब्दाचो अथू शा​ां ती. तें म्हज्या मट्टाक तरी जायते पावटीां शा​ां ती कुांवनूच. चेडवा​ां भुर्ग्ािं क बापय म्हळ्ार लागीां खांय. एक पावटीां ल्हान आिताना िलोमीक कठीण ताप. भुर्ग्ािं च्या ऐलियुांत दवररजे पडल्लें. लकतें लकतें केल्ारी भुर्ग्ाू चो ताप दें वाना, िळ था​ां बाना. दाक्तेर म्हणालो "ताका बैकार एक रा​ां वड भोांवडावन हाड". ताका मुकल्ान बिवन फळनीर थावन स्टे ट ब्ा​ां क वचून पाटीां येताना, ताज महला​ां त चा आनी खावांक घेवन लदलें. आस्पत्रेक येताना चेडवाचो ताप मायाक.

चेडवा​ां भुगीं लशकच्या​ां त हुशार आितात. आपलें इिकोलाचें काम खुशेन आनी वेळार कताू त. िलोमीय तशेंच. लशकपालवशीां ताचे किलेय रगळे नातुल्ले. म्हाका ताणें युलपएि​िी पररक्षा बरयजे, िकाू री शेताक वचाजे म्हण आशा आिुल्ली. पूण आपूण िैकोलोजी लशक्ता​ां म्हणालें जायत म्हळें . आपलो शेवोट लथरा​ां वची पररलपकाय ताका आिा. गजेचें मागूदशून लदल्ार पुरो. आमका​ां िुमार तेरा विािं उपरा​ां त स्नेडन जल्मालो. िलोमी स्नेडनाक ल्हान माम्मी आिल्लेपरीां. ताका िा​ां बाळचें , लशकपा​ां त ताची पाट धची आनी ताच्या पोलक्रपणा​ां क लनयांत्रणार दवचें ताचें काम. बापायच्या धेंकण्या​ां थावन राक्ता म्हण ताकाय िलोमी म्हळ्ार भारी.

32 वीज क क ों णि


चेडवा​ां भुर्ग्ािं क घर िा​ां बाळची कालेत िांयभा​ां त आिता कोण्णा! िीमाची भलायकी लभगडल्ल्या वेळार ताणें घर िा​ां बाळची रीत अपुरबायेची. िलोमी इल्लें स्टर े यट फावूडू म्हणतात त्या ररलतचें चेडूां. लकतेंय िा​ां गुांक, लवचारांक आिल्ार शीदा लवचाताू . िलोलमचें तालेंता शेत नाटक. इिकोला​ां त आिताना िबार नाटका​ां नी ल्हाल्हान पात्र घेतल्ात. कला​ां गणा​ां त भुर्ग्ािं च्या लशलबरा​ां नी पाटापाट तीन विािं श्रेषट लशलबराथी पुरिकार जोडन ह्याटर ीक मारल्लें. नाटका​ां त ताची हुमेद पळे वन जोन पेमून्नूराच्या लनदे शनाखाल, दे ड वराचो एकपात्री नाटक `मुन्नी खेळयलो. पूण उपरा​ां त ताणें लशकपालवशीां चड गुमान लदल्ल्यान नाटकाभ्याि उणे जाले. आयलेवार रजेर, ररलीि जावांक आिच्या पम्मण्णे दी ग्रेट तुळू लफल्मा​ां ल्हानिो पात्र ताणे केला.

भागी जल्मा दीि िलोमी.

तज डाडा (स्ट्यानी आलवारीस) ---------------------------------------

मोगाळ िलोमीआयच्यान तुका आटर ा भताू त. तुका जायतीां हक्का​ां मेळतात. जशें वोट घाल्चें हक्क, डरैलवांग लैिेन्स करां वचें हक्क, काजार जा​ां वचें हक्क इत्यादी. आनी तुजें लजवीत तुवेंच मा​ां डून हाडचें, तुवेंच िोभांवचें, तुवेंच जोक्ते लनधाू र घेंवचीां हक्का​ां य तुका लाबतात. आटर ा विािं उपरा​ां त भुर्ग्ािं क इश्टाबरीां पळे जे म्हणतात. दे कून आज थावन तूां आमचें नवें इश्टीण. हो बा​ां द आमी बळवांत करया​ां . 33 वीज क क ों णि


सूर्यािी सावळी णशोंवती ों फलाों सूर्यािी सावळी णशोंवती ों फलाों किशेिी णशोंवडी आयती जाल्या गमटाच्या नादार भ व ों ती सर्याों पशा​ांव सरू जाला ह्या मोंगळराोंत णजड्डे ग ड्य ों ािे न वेन स प ों लेरे काल आयती जायाों सोंगी प डकळ्या फूल बाळ मररयेक खेळयलाों पाकळ्या णमशी फलान सूर्य आयती जाला बेंडा वािपान क वडी मार्ल्या तपें भेतलाों मड बाोंदों क कळे आब ली आयती जाल्याोंत मड स भवोंक वाशे णिरून त डपे नेसला शेि हाोंतळ न आळदें ट आों बाड स भतेले व्हडा मजेन फूलरे तूों बाोंवड्या हळदव्या रों गार फूलल्लें

मािीक तूों बाळ काच्या कर वार स भतेलें म ड आयले बडगा तेिकाक भेत वोंक बाळाक आमच्या णशराोंिाररच्या पावसाक खेळ वोंक -प्ेम म रास, मोंगळू र

34 वीज क क ों णि


णमगेल गाोंवू

णमगेल णकतले िोंदू , स्वर्घ क स ळन अणयल िोंदू पिवी णिगरू सस्य श्यामल , शेतभात उग्राि कलश आनोंद ररों गि णतोंगि णनय सस्य , हल्लत ज ल्लत नमन श्याम जळू जळू नाद नेत्रा सत्तू , उक्कून उड् डून िाोंवली सत्तू

गडगू णमोंिा कैलास िारा , ताोंबडी मणत्तये प्ासाद आकार णबय्याळ भेत्तून सस्य वृक्ष , स्वागत करता कों भ द्र ि जेषठ आशाड श्रावि पूजा , हरूष मना सखार णवोंद णनय सोंदर णमगेले गाोंवू , लवी लवी िैतन्य आनों द िामू 35 वीज क क ों णि


िक्कू पक्का रै ला गाडी , िाोंवन गे ल्ली गाोंवा गाडी स्वप्पन णमगेले एक णदवसू , गाों वू स डता रै ल ि िू क गाडी िाोंवन गेल्ली , सरणलर्र गाोंवू माक्षी माक्षी कोंणडये भाणयरी प ळै ले णदगोंत , णदसली आयी बायल िेडघ ०व

आशा मक्का णजगटा मत्ती , ताोंबडी मणत्तये सगोंि अम्मा िाोंवन येत्ता गाोंवाक अम्मा , क स ळन मत्ती उगळता अम्मा खशाली शाोंती हाडता र्रा , समृद्धी िैतन्य हृदय मना कक ों िी नाड क क ों िी समाज , उत्कृषट जनाोंग णवश्व रों ग

-उमापती 36 वीज क क ों णि


स्वातोंतऱया णदसा........ - माच्चा, लमलार दे श प्ेणमि दे श ह जाला आताों लटकाराोंि म्हि एक दीस णवसर याों ...

दे शा खातीर जीव णदल्ल्ल्या दे श प्ेणमोंि आज उडास आमी काड्याों...... स्वातोंतऱया णदसा, आमी स्वतोंत्र म्हण्ाों! आणिकार उरों वच्या खातीर राज कारणि​िें भ्रषट राजकीय एका दीसा पिी णवसर याों.... स्वातोंतऱय ज डों क झज ू या झजार याोंि आज उडास आमी काड्याों...... स्वातोंतऱया णदसा, आमी स्वतोंत्र म्हण्ाों! सत, न्याय, नीत कसणलच्च नासताों सदाों णहोंसा, अन्याय जाोंवि एका दीसा पिी णवसर याों...... महान सयाग्रही, णनषटावोंत अणहोंसावाणदों ि आज उडास आमी काड्याों...... स्वातोंतऱया णदसा, आमी स्वतोंत्र म्हण्ाों! आज एका णदसा, आमी स्वतोंत्र जाव्याों स्वातोंतऱया णदसा, आमी स्वतोंत्र म्हण्ाों!

37 वीज क क ों णि


गुलाम‌पण‌आनी‌‌सुटका मनश्याचें ‌गुलाम‌पण:

मनश्याची‌सुटका:

सोर‌्याचें‌अमाल

मुदटभभतर‌सोरो

मोस्राचें ‌वीक

होगभळकेचो‌तरु ो

रागाची​ीं‌केंडाीं

िऱ्यापर ‌ीं सोसणणकाय

द्वेषचो‌मुमरु ो

सागोरा‌तेिो‌मोग

फाररकपणाची‌तान

उिार‌मनाचें ‌भोगसाणे

आबलेसी‌भख ू

उपवास‌भोग‌ल्ल ‌भख ू

खाणाचो‌होरबोस

हळत‌आसलें‌खाण‌िेवण

आसततखातीर‌लडाय

सोड‌िोड‌केल्ल ‌आसत

तोंडाची‌बडाय

सािे पणाचें ‌उलोणे

जिबेची‌सदिळाय

लगाम‌आसल ‌िीब

िोळयाींची‌आतुराय

उग्ते‌धाींप्ते‌िोळे

कानाींची‌चडपडणी

चडपडनातले‌कान

काततची‌खोरोि

थींडाय‌आसल ‌कात

मततचें ‌गवु

गवु‌नातल ‌मोत

काळिाची‌धारुणाय

मोवाळ‌काळीि

पयश्याींचो‌हींकार

उलयनातले‌पयर्े

मीत‌मीर‌्वल्लो‌आडींबर

सािे पणाचें ‌आचरण

िड ु वाचो‌ववभाड

ियामयेचो‌िड ुू

मानाची‌लालेवणी

मान‌आर्ेनातलें‌िान

साींततपणाचें‌प्रिर्ुन

बावटे ‌उभानाुतलें‌साींततपण

मागण्याचो‌लेप

गाियनातलें‌मागणे

र्ेळयेचो‌वेस

वेस‌पाींगनाुतलें‌व्यजततत्व -भसवी, लोरे ट्टो 38 वीज क क ों णि


म्हज्या‌चेडवा... काळीि‌म्हाका‌ि गो‌चेडवा‌ मनाींत‌एक‌िावय ु ाीं‌

िात‌कात‌नाका‌आमकाीं‌मोगाींत‌ आमी‌एकवट्याीं‌काळिाक‌ ककत्याक‌धाींप्ताय‌िार‌ व्हाळोंक‌सोड‌मोगा‌ल्हार‌ भभयेनाका‌धैरान‌मक ु ार‌सर‌ वेंगेंत‌म्हाका‌घेताय‌तर‌ केदिींच‌हात‌सोडचो‌ना‌ िीव‌आसा‌म्हणासर‌ वाटे र‌तक ु ा‌घाल्चो‌ना‌

जिणणभर‌िक ु ाीं‌गळवन‌

हासताय‌ककत्याक‌तोंड‌भर‌ हाताक‌हात‌मेळय‌चेडवा‌ सुखान‌पळे तलों‌म्हज्या‌भोडव्या

39 वीज क क ों णि

-असींत ु ा‌डी’सोिा, बिाल


ति ु ी​ीं‌मेटाीं भमज्मींच्या‌ताराींक‌खेळींक अींत्रळान‌केलो‌काळक तुज्या‌त्याु‌दिसाींक‌सारुीं क

आयलेंय‌म्हज्या‌गपाींत‌वें गुींक भरल्ल्या‌तळयाींत‌तूीं‌फूळ'लें‌साळक िाखवन‌सभायेची‌तनतळ‌झळक कुर्डुया‌मगाची​ीं‌लाींवन‌वळक

चल्लेंय‌व्हळू‌व्हळू‌पेल्याक‌भुलवींको केदिींच‌मग‌कतुलो सिाींच‌भगभसतलो घात‌मात्र‌केल्लो‌उतुलो पण ू ‌‌तक ु ा‌तो‌ववस्रातलो

आि‌सभचें ‌अींत्रळ‌लासता आबळे ‌सिाींच‌पेटन‌बावता उिकाींत‌तेंकलेल ीं‌मेटाीं‌माज्वानासताीं तुींवें‌सानर्डलेल्या‌मगाक‌राततात!‌

40 वीज क क ों णि


हिेबराप वसा​ां जाली ों रे पाशार णशकापी जालें काबार साोंगिें णकतें कारबार उब क ों आशा म ळबार वेणगोंि लागािे म्हि कामाक पावल ों हाोंव गलफाक तकली र्ोंवली हाोंगाच्या व ताक वेळार ना काोंय प टाक जाल ों हाोंव काजार बायल कताघ सदाों रजार राग आसा ताका नाकार माोंड्ड म्हज जाता वीर्यार दीस गेले रे उब न केसी गेले झड न र्र कसेंय जालें बाों दून तरी आसाों सदाोंि रड न दीस रात म्हाका एकच्च ज प णिोंतून णिोंतून िडता तकलेक ताप क िी तरी णदया म्हाका जाप णकतें म्हि म्हजें हिेबराप! -स णसया णपोंट , सरत्कल

41 वीज क क ों णि


गभा​ांतल ‌खन ू क र ड क र ड वसा​ांि सोंसार मनश्या कताघय णकयाक णपड्ड्यार? दे वाि णशरप व्हावयताय मायार तेल व तया जळच्या उज्यार! प्ाय वाड न तनाघटपि िडटाना कूणडों त तज्या खराय िडली दीषट वाोंकडी-णतोंकडी र्ोंवताना िेडवाोंच्या नाजूक कूडीर खेळ्ळी िेडूों बाळािें क डू जनन

सायबा म्हज्या हें व्हडलें लक्साि उसक्या-वेंगेंतलें सखाळ उडकाि िेडूों बाळ आमकाों णकतें लक्षि स्वागत दी ोंवन माोंय गभाघ प येंत िाोंपलेंय बागील गभाघ दाराोंत णकमिून उडवन तन्याघ णकटाळाक

िारूि काळजान खन्ये र् टाळ्याक मनजात-सकण्ाोंक ना भेद िली-िल तोंवें िली भ्रूिाकि मारल य भाल माोंय म्हजी िूक णकतें म्हाका साोंगशी? हाय, परात्ताों दे वा, ह्या पात्क्ाोंक भ गसी!

42 वीज क क ों णि

-टोनी‌में डो्सा, तनर्डडोडी‌(िब ु ाय)


रग्ता ख मीस रग्तािें खतान बू डल्लें ख मीस पळे वन प लीस सायब

कालबल जाल अपिैरान लागी ों वि न या व्यल्िलागी ों णविार कररलागल

"तूों खोंय थाोंवन आयल य?!" पाप बावड हास न्ोंि प याोंतलें रग्ती दक्रा मास

भायर हाडन म्हिाल "दक र मारोंक गे ल्ल ों सायबा पाटी ों येंविें मात्र!" -जान आड्यार 43 वीज क क ों णि


भारत माता....... णतद ळ्या रों गार

मान तज र्ाल्तात पाविेर .....

कीतघ तजी उब न आसाय अोंत्राळार.....

भारत माता

बोंदी जाया तका

केदनाों केदनाों म्हाका

सटका लाबली

सवाल एक ि सता.....

आयच्या णदसा सों सारार

सोंत सान बडलेल्या तज्या त ड ों ार...

माता तूों दे शािी

णमररयाोंिी साय कशी ती णदसता ...?

रािी तूों राज्याोंिी आवय तूों पृथवेिी

भारत माता भ ग्ता म्हाका

माोंय तूों सवा​ांिी

आसाय म्हि तूों दखाोंत ह्या म्हनशाोंच्या अबलेणशपिाोंत

दऱयाक व य ों करून

सदाोंि आसताय तूों अोंकाोंताों त ....

दस्मानाोंक गड र्ालून

सकिी ों मनजायाोंक आस्र णदवून सदाोंि कताघय आमिी ों राक ि थ डे मानाय बस न पद्वे र जात काणतिें बी ों तें व प ों ून

तड ों ार तज्या णतब लावून

:- सरे श सलडान्हा, सकलेश्पूर 44 वीज क क ों णि


पावस णबरी णबरी पावस फलाों परी ों पावस

पाकळ्य पाकळ्य पावस थेंबे थेंबे पावस णफळी णफळी पावस णवरार किो पावस पावळे ए पावळे पावस णशराोंिाररों ि पावस र्डर्ड पावस झगळाण्ाि पावस आवर हाडि पावस तूफान हाडि पावस दे स्वाट किो पावस दीस-रात पावस व त्ता पळे पावस दीवाळा णभतरी पावस. -हेर ल्ियूस 45 वीज क क ों णि


जागविी... आमासे रातीक काळ काि सोंत स _नेकेत्राोंि म स र...

पन्वे िोंद्राक णतब सोंगाघर... _म डाोंिें उपाद्र.. स्वपिेली स्वपिाोंत उभेवन रावतल ... _भेषट थिल .... पेटच्या केंडाकी ग ब र माोंडतल .. _ सत कळतेलें...

बडि मनीस यी पाळ ितघल ... _ णजवा म ल कळतेलें...

रूक यी णनदतेले... _पाळाों नातलेलें. म डाोंिें लडायेक र्डर्ड झगलािें... _ अवाज उटयतेले... स मघिाों उज्याक िोंव रािे दे िें... _ित्राय साोंग्तेंलें... बऱया मनाच्या म गा मयपासाक ... _ णजवाक जीव पल्तेलें... णकतेंय जाोंव... कशेंय जाोंव... जाग्विी मेळतली.... जाोंविें पूरा जाता.. म ग म राना... सोंसार सराना...

वाऱया वादाळाक

_ पोंिू बोंटवाळ 46 वीज क क ों णि


पावस -आ् यन्सी पालडका मािक्यान केलें डाराोंव सकण्ान म्हळें िी ोंव ट् ी ों ... गावून णकडीन म्हळें साोंगात णदताों हाोंव काजल्याि प्जळ झगलाण्ाि उजळ

णनळ्या म ळबार म डान व डलें काळें काळें काजाळ रूक हालयत बावळे रयत राक न रावले पाक्या थावून गळ न पडले पावसा उदका पावळे

47 वीज क क ों णि


*हाोंव आनी ों म्हजी कािी* क ि जािा म्हजी णजिी कषटाों दुःखाोंनी ों भ रलेली ती कािी खावोंक जेवोंक ना र्राोंत मणतोंत भ रली णभराोंत पयशे नाोंत ब साोंत कटाम प डलाों खोंणतोंत अशी तशी गिािी वाट णवोंिली वसा​ां थावन वसा​ां िाोंवली ों नाों फेसत नाों लागी ों कटाम ि वीस व राों कर काम कटमाों थावन पयस उरली ों दुःखाों म्हजी द ळ्याोंत सकली ों मणतोंत आसलेली ों हजार स पिाों आदे वस माग न गेली ों सवघ भ गिाों एक आशा कटाम शाभीत जाय दस्रें नाका म्हका काोंय दुःख म्हजें साोंग क ों जायना मकार णकतें दे व एकल ि जािाों क ि जािा म्हजी णजिी कषटाों दुःखाोंनी ों भ रलेली ती कािी -ज्यानेट णडस जा, मडों यार 48 वीज क क ों णि


म्हजी माम्मा डाडा डाडा आसा पगाघवोंत माम्मा आसा गाोंवाोंत णदतात म ग सदाोंि णजयेवन आसा ताोंच्या ग पाोंत िोंद्रेम दाक वन माम्मा क क म्हाका खावयता खायना तर ग ग ों

येता म्हि भेषटयता पाटीर ब स न डाडा म्हाका ब व ों डायता हाोंव रडताना उसक्यार ताोंिा खेळयता णजणवतािी पाठ म्हाका णशकयतात िकी कर्तना ज र कर्न णतणद्वतात णपडा येताना जतन म्हजी र्ेतात बर फडार म्हज ती ों आशेतात.

-लवीटा णडस जा, नक्रे 49 वीज क क ों णि


नमसकार ि

फायद

दोनी हाता जोडून पा​ां य पडचें , नमिकार कचे हो भारताचे मूळ िांिकृती आनी पद्धती आिा. दोनी हाता जोडून पूरा मनाना पा​ां य पडचे पद्धताक पूणू नमिकर मणतात. दे वाक, होड वडील लोकाक, आमगेले िमान आलशल्ल्याक आमी नमिकार 50 वीज क क ों णि


करतात. अशे नमिकार केल्ार आमका लकते फायदो जाता.....? कोणाक भी आमी दोनी हात जोडून नमिकार केल्ाएअ आमेगेले नकारात्मक भावना दू र जाता, भरपूर आनांद भी मेळता मणून हे का ’आनांद मुद्रा’ मणतात. आनांद मुद्रान नमिकार केल्ले आिल्ार आमगेले शरीरातले वायीट लकटाणू नाश जाता, दोनी हाता मद्दे शक्ती तरां ग तयार जाता. हे शक्ती तरां गान आमगेले हामोन िमा रावता, आनी मन उल्लािात मजेत रावेता. अिले नमिकार आमी लविरून शेक हेंड करचे िवय करून गेतले. ’करोना’न आमका आनी परत नमिकार कराचे लशकैले. करोना आमका लुक्षाण केल्ार भी फायदो भी भरपूर केला.

-प्म द डी. नायक, दाोंडेली (थ रलेभाग)

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आशावादी प्काशनाि पाोंिव णडणजटल आणडय बकािें म कळीक काऱयें ’यदाहां जीवमी, अहमाशांिे (जीव आितािर भर्विता​ां )’ ध्येयाखाल २०००-२००१ इस्वेंत कुवेयटा​ां त िुवाू तून, येदोळ पािून कोांकणी िालहत्याचे वेवेगळे ४७ बूक प्रकाशीत केल्ल्या आशावादी प्रकाशनाचो पा​ां चवो लडलजटल आलडयो बूक ’कथामृत (क्लेरेन्स कैकांबच्यो लडलजटल कालणयो)’ मोकळीक कार्यें, अगोित १५ ताररकेर िा​ां जेर ७ वोरा​ांचेर ’पयलें अांतरराश्टर ीय लडलजटल कोांकणी माध्यमाचेर चल्लें. कार्याचे िूर्वातेर जेराल येवकार मागून वल्ली क्वाडर िान अगोित १० ताररकेर अछानक ररतीन अांतरल्ल्या

कोांकणी बरवपी, आमचो युवक पत्राचो आधलो िांपादक रोबर्ट फूर्टाडो िाितानाच्या अत्म्याक शा​ां ती लाभुांक एका लमनुटाचें मवन प्रार्थन केलें. कोांकणी िर्दार मानेित बिती वामन शेणय हाणीां उग्तावण उलवपा​ां त ’लडलजटल आमचो फुडार दे कून बदलून वेच्या काळाक िरी जावन आमी ियत बदलून, आता​ां च्या युवजणा​ां लागीां कोांकणी िालहत्याक वची एक वाट आमी तयार करांक जाय’ म्हण उलो लदलो. म्ा​ां चेिटर (यू.के.) थावन लारे न्स वी. बारबोजान लडलजटल बुका​ां ची मटवी वळोक करून २००५

51 वीज क क ों णि


52 वीज क क ों णि


इस्वेंत आशावादी प्रकाशनान लडलजटल रपार पर्गट केल्ल्या ’िागोराच्या वाटे च्यो झरी; पयल्ा ’ई-बुकाची’, तशेंच हे र च्यार लडलजटल बुका​ां ची माहे त लदली. २०१८ इस्वेच्या नवेंबर १६ ताररकेर ’कथादायज’ ना​ांवाच्या पयल्ा लडलजटल आलडयो बुका​ां त वल्ली क्वाडर िाच्यो २३ मटव्यो कालणयो, ’िूर्यो उदे ता’ ना​ां वाच्या दू िऱया लडलजटल आलडयो बुका​ां त राश्टर ीय मट्टाच्या २७ कालणयेगारा​ां च्यो मटव्यो कालणयो, ’मायानगरी’ ना​ां वाच्या तीिऱया

लडलजटल आलडयो बुका​ांत वल्ली क्वाडर िाच्यो मुांबयच्यो कालणयो, ’िूरय ् ो उदे ला’ ना​ां वाच्या चोवत्या लडलजटल आलडयो बुका​ां त राश्टर ीय मट्टाच्या २५ कालणयेगारा​ां च्यो मटव्यो कालणयो आनी ’कथामृत’ ना​ां वाच्या पा​ां चव्या लडलजटल आलडयो बुका​ां त क्लेरेन्स कैकांबच्यो २० मटव्यो कालणयो आिात. ’कथाझर’ ना​ां वाच्या िव्या लडलजटल आलडयो बुकाक वेलगांच प्रिारीत कची तयाराय चलून आिा म्हणालो. प्रेम मोरािान प्रमूक उलवप्या​ां ची; केरळ थावन गोकूलदाि प्रभू, मांगळू र थावन दो|एडवडू एल. नज्रेत, उडपी थावन मा|चेतन कापुचीन, तशेंच

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गोांय थावन दो|प्रकाश पेर्यांकर (गोांय युलनवलिूलटच्या कोांकणी लवभागाचो मुखेित) वळोक करून लदली. गोकूलदाि प्रभून ’ई-बुका​ां नी ियत आिली वाचपाची बांदड लडलजटल आलडयो बुका​ां नी ना, लडलजटल आलडयो बूक आयकुांची एक िलीि कला आयकुवप्या​ां क काणी बरी करून िमजुांक कुमोक कताू दे कून काणी िादरकर्लपांनी िब्ा​ां चो जोक्तो उच्छार कची गर्ज आिा जाल्ल्यान त्या त्या प्रा​ां त्याच्या कालणया​ां क िादर करांक त्या त्या बोललांच्या िादर कर्लपां नी केल्ार बरें . कोांकणीक आता​ां च्या युवजणा​ां लागीां वरांक लडलजटल आलडयो एक उत्तीम माध्यम’ म्हणालो. दो|एडवर्ड नज्रेतान कशें आयच्या काळार िरव ्

भािेंनी वाचप्या​ां चो िांको उणो जावन आयला, आनी लप्रांट माध्यम अिकत जावन वेच्या काळार लडलजटल माध्यम एक प्रमूक लवकल्प जावन उभें जावन आिा. आनी लडलजटल माध्यमा​ां नी आज कोांकणीक ’गलफाच्या लजलवताच्यो कालणयो’, ’मुांबय लजलवताच्यो कालणयो’ आयकुांक मेळतात जाल्ल्यान आमका​ां आमची िमजुणी लवितार करांक एक वाट उभी जाता’ म्हणालो. मा|चेतन लोबोन जेदना​ां लडलजटल माध्यमाचेर कोांकणी कालणयो प्रिारीत जावांक लागल्ो तवळ थावन चडताव हरय ् ेक काणी आयकून ताचें अस्वादन केल्ा. आयच्या काळार दृश्य माध्यमाक चडीत खायि आिा, पूण काणी एक वेगळो प्रकार जाल्ल्यान लडलजटल आलडयो बुकारपार कोांकणी

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कालणयो चडीत लोका​ांक कोांकलणलागीां हाडच्या​ां त मजतगार जातलो’ म्हणालो. दो|प्रकाश पेर्यांकरान ’कोांकणी वेवेगळ्ा लललपांनी वा​ां टून गेला​ां जाल्ल्यान लललपच्या बांदडे क लागून कोांकलणच्या िवू लललपांनी आिचें कोांकणी िालहत्य आमका​ां वाचुांक तशेंच ता​ां चेर अध्ययन करांक आिच्यो वाटो उण्यो. पू ण लडलजटल आलडयो बूक ह्या लदशेन भोव महत्वाचें. लडलजटल आलडयो बुका​ां त लललपचो िमस्सो ना दे कून हे र लललपांनी बरलयल्ल्यो उत्तीम कालणयो आमका​ां आयकुांक, िमजुांक िलीि जाल्ल्यान िालहत्य लशकप्या​ां क राश्टर ीय स्थराच्या कोांकणी िालहत्याचो अभ्याि करांक एक अपुभाू येची िांधी.’ म्हणालो प्रेम मोरािान क्लेरेन्स कैकांबाची मटवी वळोक करून लदतच, वल्ली क्वाडर िान वीि कालणया​ां क िादर केल्ल्या वीि िादरकर्लपांची वळोक करून लदतच, मानेितीण जेन ऐडा लपांटोन ’कथामृत’ लडलजटल आलडयो बुकाक लडलजटल मोकळीक कतूच, क्लेरेन्स कैकांबान अपलीां भगणा​ां उचानू , चाळीि विािं थावन कालणयो बरवन आयल्ारी

जावांक नातलो अनभोग आता​ां डीलजटल आलडयो बुका​ां त प्रिारीत जाल्ल्या एका कालणयेंत जाल्लो िांतोि उचारून, ह्या लडलजटल बुकाक तयार करांक लमनत केल्ल्या िर्वा​ां चो उपकार बावुडलो. अमेररकाथावन दो|आिटीन डी’िोज प्रभून अपल्ा उलवपा​ां क ’पयलें अांतरराश्टर ीय कोांकणी कार्यें चलांवची िूर्वात करून दे शाच्या वेवेगळ्ा दे शा​ां तल्ा कोांकणी लोका​ां क िा​ां गाता मेळुांक आवकाि करून लदल्ल्या आशावादी प्रकाशनाचो उपकार बावुडलो’. कोन्सेपटा फेर्ना​ां डीि आळवन ’लडलजटल बुका​ां क लशक्षण (Academic) िांस्थ्ा​ां नी गळिून हाचो बरो फायदो जोडचे गर्जेलवशीां उलयली. केनडा थावन जेरी डी’मेल्लो बेंदूर हाणें ’लडलजटल माध्यमा​ां त कोांकणी कालणया​ां मुखा​ां त्र आमी चडीत कोांकणी

लोका​ां लागीां वचुांक एक बरी िूर्वात करून लदता’ म्हणालो. हें कार्यें मा​ां डून हाडल्ल्या वल्ली क्वाडर िान उपकार आटवणी केली.

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डा| फ्लाणवया क्यासतेणलन णहिें

कणवताोंिें पसतक उदर्ाटन केलें.

’अपररमीत म ग’ कन्नड आनी क क ों िी

(िडीत णववर मेळ क ों ना)

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“Outstanding Community Leader” Award being conferred on Dr Vishala B.K. by IIPP

Dr Vishala B.K. Selection Grade Librarian, St Agnes College (Autonomous) is the proud recipient of the award “Outstanding Community Leader” for the year 2020, instituted by the "The International Institute for Public Policy”, popularly known as IIPP Mangalore, a wholly owned family Organization designed to promote the societal and entrepreneurial spirit in Mangaluru, India with a sole purpose of encouraging the local talents and enthusiasts with a view to create added enthusiasm in the local community. 58 वीज क क ों णि


IIPP is indeed proud to select Dr. B. K. Vishala as our "Outstanding Community Leader" of Mangalore for the year 20192020 because she has given her exceptional knowledge on all affairs pertaining to the Library especially over the past 12 months when the Library has been expanded to a tenfold fashion to meet the student demand. In a fact changing society where the student education is considered very essential, the existence of a full-fledged Library is considered to be very valuable. St Agnes College strives to provide a wide variety of Educational benefit to the Community of Mangalore. Dr. B. K. Vishala with her extensive knowledge in the Library affairs and the St Agnes College want to provide the very best of knowledge to their students with the help of a fully established Library. If, as someone very memorably said, the library is the intellectual nerve-centre of an institution of learning, than the library of St Agnes College must surely be defined as such and its Chief Librarian termed the pulse of the institution’s acquisition of knowledge. Indeed, through her forethought, planning and ceaseless execution of projects for the library, Dr Vishala has influenced both the manner and the rate at which knowledge is accumulated and disseminated on the institutional campus.

If there’s one thing that Dr Vishala could never do, it was to rest on the laurels of her past or sit down and wait for favourable circumstances to come her way. Instead, she got up and made the opportunities for herself, for St Agnes College which she has served with dedication and purpose for 34 years and, above all for the staff and students, through her library ‘reformations’. Dr Vishala B.K. augmented her own educational qualifications with an MPhil and a PhD in Library and Information Science. This serves as proof of her commitment to ongoing personal and professional development. In keeping with the digital age in which she works and functions, she claims Webdesigning, developing blogs, e-journal management and library automation as her specific areas of expertise. She was quick to see that the future lay with the computerization of the library in St Agnes College and worked with singular energy and devotion to achieve precisely that. On the purely academic side, Dr Vishala has kept abreast of the latest developments in her field and has enabled others to do so by organizing several seminars and workshops at the national and regional level. She has, besides, served as Resource Person at conferences and seminars held at the regional, state and national

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level. Fifteen research papers written by her have been featured in distinguished national journals. She has put her proficiency and editorial skills to good use by editing books in library science, and national and international conference volumes. At a recently-held International Conference organized by NITK, Surathkal, her paper titled “Library Analytics and Metrics According to NAAC Guidelines: Critical Analysis and Observations” as selected for the Best Paper Award. Dr Vishala also has the distinction of having completed a UGCsponsored Minor Research Project. Among the other offices she has held is that of the Secretary of the IQAC of St Agnes College, for the period 20122017. Besides serving as Secretary of the Dakshina Kannada and Kodagu Library Association in Mangalore, she is enthusiastically involved in the activities of the State Library Association and other professional bodies. She is the current General Secretary of the Association of Mangalore University College Teachers (AMUCT) and Joint Secretary of the Federation of University

and College Teachers Associations (FUCTAK), Bangalore. Awards have come her way completely unbidden. She was the recipient of the the prestigious ‘Kala National Award’ conferred by the Karnataka State Library Association, Bangalore in 2013 and the ‘State-Level Best Librarian Award’ accorded to her by the Karnataka State SC/ST Library Professionals Association, Bangalore in 2014. Hers has been the power of passion for and perseverance in the field of her specialization. She has set impressive targets for herself and the St Agnes College Library and worked to ensure that both grew to meet those goals. While it is true that Google can give you a hundred thousand answers or more, Dr Vishala B.K. is that librarian who can guide you to the right one! "We sincerely hope that Dr. Vishala will continue to be an added inspiration to all the students of St Agnes, and we wish her continued success in all her future endeavors towards St Agnes College

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Bharat FM® invited Harold D’Souza to address on Independence Day One individual may die for an ideas, but that idea will, after his death, incarnate itself in a thousand lives – Netaji Subhash Chandra Bose.

Bharat FM Founder Manan Raval spoke; “We are proud to invite Honorable Harold D’Souza on August 15, 2020 which is the Independence Day of India. D’Souza is amongst the most reputed and respected Indian American in the United States of America. D’Souza’s presence on the show will remind us freedom for all in modern days”.

India will celebrate its 74th Independence Day this 15th August with great enthusiasm and patriotism. It was

this day in 1947 when India attained its long sought-after freedom from the British rule. “It is an honor to address our community members globally thru Bharat FM on fear, freedom, failures, and faith. Freedom, family, food, first and fear should be last for all human beings” said Harold D’Souza former Member U.S. Advisory Council on Human Trafficking appointed by President Barack Obama and President Trump. 2015 till 2020.

Aashish Jha of Bharat FM will be hosting “Rubaru – Harold D’Souza” on August 15th at 12:00 noon to 1:00 pm USA EST and India 9:30 pm. Delegates from India, USA, Canada and worldwide can join on: https://us02web.zoom.us/j/8653699256

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6 on the day of the event. It will also be LIVE on Facebook of Eyes Open International and Bharat FM. “Bharat FM vision is to offer credible news and inspiring interviews like Harold D’Souza and rollicking good music and entertainment from India and South Asia” spoke Hriday Raval Co-Founder of Bharat FM.

“Failure is the path to success. Stigma, When you cultivate passion as your purpose in life, every powerful perpetrator gets prosecuted” spoke Harold D’Souza President, Eyes Open International.

This lion-hearted man from India has proved to the world if you are honest no one in the world can put you behind bars. Today Harold is empowering shame, and struggles are temporarily. victims globally to live a happy life. ------------------------------------------------------------------------------------------------

कों दापूर इगजे मैदानार ७४ व स्वातोंतऱय त्सव आिरि आमीां मार्ग्ा​ां . आमचे म्हालघडे मुखेललांनी त्याग कनू कषटा​ां नी स्वातांतऱय मेळािें केल्लें स्मरण करून गौरवान लजयेव्या​ां.’ म्हळ्ळो िांदेश लदलो. िह लवगार फा| लवजय लडिोजा, िा​ां त मेरीि लपयू कालेलजचो प्रा​ां शुपाल फा| प्रवीण ए. माटीि, पालन मांडळी अध्यक्ष लुवीि जे. फेनािंडीि, कथोलीक िभेचे पदालधकारी वाल्टर लडिोजा,

कथोलीक िभा कुांदापूर इगजे घटकाच्या

शैला लडअल्मेडा, जान्सन लडअल्मेडा, लवनया

कुमकेन कुांदापूर होली रोजरी मा​ां य इगजे

लडकोिता, लवनोद क्रािटो, डा| िोनी लडकोिता,

मैदानार, ७४ वो स्वातांतऱयोत्सव कोवीड १९ कारणाक लागोन िाध्या रीतीर िमाजीक अांतर पाळन आचरण केलो.

काऱयक्रमाचो िांचालक लवल्सन लडअल्मेडा, इतर हाजर आिले.

इगजे लवगार फा| स्यानी तावरोन गौरव स्वीकार करून बावटो उभयलो. ’आज आमीां कोवीड िांकषटार आिा​ां व, दे वान अिल्ा िभार िमस्ा​ां था​ां वन आमका​ां राकोन हाडला​ां , ह्या वख्ता आमीां

दे वान आमका​ां लदल्लो वेळ हिुिंया​ां , ह्या खातीर

मैकल गोन्सालवीि, जान मािटर आनी

घटकाचो अध्यक्ष बनाू डू लडकोितान स्वागत केलो आनी काऱयदशीण प्रेमा लडकुन्हान वांदन लदलें. -बनाघडघ णडक सता ---------------------------------------------

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ता​ां गेल उत्रा​ां नी लभक्षाटनेची लवक्रती मेगेल

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कलळकेक आयली.

णभक्षाटना.

भटकळचे नवायीत मुिल्मान दु बै , कुवैत, िौदी अरे लबया वोचूनू कामकोनू​ू पैिे कमोनू श्रीमांत म्होणोिून घेत्ताती. रमजान म्है न्या​ांतू िडल

*******

हात्तान गरीबा​ां क दान कताू ती म्होणू , प्लेटफोमाूरी बलिले ते दोन लभकारी भीक मागच्याक भटकळ

लभक्षाटना अनादी कालधोनू​ू चलत आयल्ा. ब्रह्मचऱय पालन कोनू​ू िात्वीक व्रत्तीन िन्यािी

आलयले. त्या पैकी एकळो मडगा​ां वच्यान आलयलो. आन्नेकळो िदालशवगडच्यान आलयलो.

जाललले , िांिारा​ां तू वैरार्ग्येवनू घरदार त्यागकोनू​ू दे शाटन कतूले भूक लनवारणेक लभक्षाटन कतूलिले. जाल्ारी आजकाली लभक्षाटनेच अनेक रूप लदिून येत्ताती. भीक माग्तल्ा​ां तू खरे गरीब कोण म्हलळलें कळना जाल्ा​ां .

मडगा​ां वच्यान आलयलो म्हणता, " लदवि भर िुल्तान पळ्ळी , लचन्नद पळ्ळी भाऱयी बिून भीक मागले. फक्त िाठ रू. मेळ्ळी. तेंची पणजी लमरामार लकांवा थांचान धा की.मी कलांगूट बीचारी भीक मागच्याक बस्सील आिल्ारी पा​ां यशी ,

हा​ां वू मुांबयी वोच्याक " मत्स्यगांधा " टर े नाची

िांयशी रू. कमायी जात्तलिली. जाल्ारी एक

वाट पळै त भटकळ रे लवे स्टे षनाच एक नांबर

अडचणी रालत्रचें थयीां पोलीि फूट पातारी ,

प्लेटफोमाू री बलिलोां. हा​ां वे बिील बा​ां कडे लागून ,

बीचारी , गाडू ना​ां तू , बस्स स्टें डारी लनद्दोच्याक

चार पा​ां च फूट अांतरारी , दोन लभकारी नेलारी

दीना​ां ती. एकदम स्टर ीकट आस्साती. हिो

बिून आप्ा​ां तू ता​ां गेल िूख, दू :खा खबर

लदस्सल्ललतकी घेना​ां ती. धरल्ारी तीन दीि

उलैतलिले. ता​ां गेल उत्रां माक्का आयकू

लोकप्पा​ां तू दवताूती.

पडतलिललांती. तें आयकूनू हा​ां व अवाक जालोां.

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िदाशीव गडच्यान आयील लभकारी लवचाताू

हें आयकूनू िदाशीव गडच्यान आलयलो

," लोकप्पा​ांतू दवरील तेन्ना खावच्याक , लपवच्याक

म्हणता, " हा​ां वू पूरा नवायीत कोलोनी लफरलोां ,

लदत्ता की ना ? "

मुगदू म कोलोनी लपरलोां. प्रत्येकळ्ाल घराचे , बांगल्ाचे गेट खटखटायलें. कायीां प्रयोजन

" लदत्ताती. जाल्ारी आमगेली तीन लदिाची

जालललना. गा​ां व पोळोच्याक आलयलवरी जाल्लें.

कमायी गेलना ? " ते लदकून रालत्रचे लनदोच्याक

कडे री वैतागून टर े न चुकत म्होणू चाळीि रू.

हा​ां वू मडगा​ां व वत्ता​ां . थयीां एक पोने लोज आस्सा.

दीवनू ररक्षारी स्टे षना आयलोां. "

फक्त एक रात्री लनदोच्याक (dormitory) पन्नाि रू. चाजू कताू ती. हा​ां वू रालत्रचें थयीां लनदोनू ,

िदाशीव गडच्यान आयील लभकारीक

िक्काणी थयीां न्हावनू , पाव भाजी खावनू, चा

तागेल बायलेन जबरदितीन धाडील खयीां!

पीवनू बस्सारी पणजी वत्ता​ां . डै ली अप डौन केल्लेलतकी , पूरा खचू​ू वोचूनू म्है न्या​ां क धा , बारा

तो म्हणता ," यहा​ां के लोग है ना , िब कांजूश

हजार रू. माक्का उताू ." मडगा​ां वच्यान आयील

रे बाबा ! इि​िे हमारा कारवार है ना , बहूत

लभकारी िा​ां ग्ता.

अच्छाजी !! "

" हाय अल्ला... िच्ची बोल्तारे ?" आश्चऱय

ता​ां गेल िांभाषणा चालू आस्सस्सली. लततल

चकीत जावनू तोांडारी हात दवोनू​ू िदाशीव

लभत्तरी टर े न येत्ता म्होणू एनौन्समेंट जाल्लें. ते

गडच्यान आयील लभकारी लवचाताू .

जनरल कांपाटू मेंटा लदकान गेल्ले. हा​ां वू ररझवेशन बोलगांतू चळ्ळोां. टर े न स्टाटू जाली . मुकारी

" हो...रे बाबा ! मै झूट कायको बोलूां ? "

धा​ां वच्याक लागली.

म्हणत दोग्गां तोांडा​ां तू बीडी धोनू​ू कािी लकवू​ूनू जळै ताती.

" उदर लनलमत्तां बहू क्रत वेषां " म्हणताती. फाल्स न्हयीां ते.

एक दोन दम्म ता​ांडून , ना​ां का​ां तुल्ान धोरू िोडत मडगा​ां वच्यान आलयलो म्हणता, " आजी

हा​ां वू तेची लवचारान गुांग जावनू बलिलोां. पण

हा​ां ग येवनू लुक्सान जाल्ली . हात्ता​ां तूल पैिे गेल्ले.

ता​ां तूल ता​ांतू एक आनांदाचो लवषय कस्सने

काली रात्री दोन घांटेरी हीची मत्स्यगांधा टर े न धोनू​ू

की...म्हळ्ारी , ते दोग्ग लभकारी लतकीट काणू

मडगा​ां वच्यान भटकळ आलयलोां. लगेच आजी

प्रवाि कतूलिले.

परत वत्ता​ां . आनी केन्ना ह्या वाट्टे न येना." हात्ता​ां तूल बीडी चुट्ट नेलाक घास्सून वाडवैता. टर े कारी

- पद्मनाभ नायक

उडै ता.

(ड णों बवली)

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एरल्याोंिी कडी

फ ण्ण दीवोंक वसतू: १ व्हड लपयाव १ टीस्पू मेथी ३-४ धाडालयल्ल्यो लोिूण बोयो २-४ फोण्णा पाना​ां च्यो तालळयो ४ टे बल स्पून तेल किी रीत:

वायलेट मसकरे न्हस, दबाय हुनोनी लशता िा​ां गाता एरल्ा​ां ची कडी जेवांक बरीच रचीक. जाय पडच्य वसतू: आळे न वाटों क: १ टीस्पून लजरें २ टीस्पून कणपीर १ टीस्पून हळद ६ लोिुणेच्यो बोयो ८-१० लमररया​ां ल्हान ललांब्ा आकारा लततली आम्साण ६ काश्मीरी लमिािं गो १ हळताचो लपयाव १/२ का​ांतल्लो नारल

१. मािळी बरी धू, आनी ताचें उदाक गळय गाळणी वापनू २. िवू वितू घालन आळे न वाट (पयल्ा पट्टें तल्ो) एक अधें कप उदाक घालन पेिट कर. ३. तेल हून कर मोडकेंत, ताका मेथी घाल, मेथी ब्रौन जा​ां वन येता पऱया​ां त, ताका धाडालयल्ली लोिूण घाल, फोण्णा पालो आनी थोडो वेळ भाज, उपरा​ां त लपयाव घाल. लपयाव भा​ां ग्रा कालोराक येता पऱया​ां त, उपरा​ां त वाटल्लें आळे न भशी आनी तें भाज तेल भायर िताू पऱया​ां त. ४. तेल लवांगड जातच १ कप उदाक घाल आनी कडी दाटयी नांय पातळयी नांय तिी कर. रूची तेकीद मीट घाल, कडी आां बोट आिागी पळे ना​ां 65 वीज क क ों णि


तर १ टे बल स्पून लशको घाल (हा​ां वे एप्पल िायडर

लचमलटभर लमररया लपटो

लशको वापरलो) अनी कडी उकडु ां क िोड उण्यार

२ टे बल स्पून लचल्ली िाि

५-८ लमनुटा​ां . मीटाची रूच पळे .

२ टे बल स्पून िोया िाि

५. कड्येक बरो खतखतो येतच मािळी घाल आनी २ लमनुटा​ां भर उकड मािळी कड्येचो

डी. १-२ स्पररां ग लपयाव

पमूळ वोडटा पऱया​ां त.

२ तन्यो लमिािं गो

६. एरल्ा​ां ची कडी तयार! िुशेगात जेव! ---------------------------------------------

भाजून काडु ां क चडतीक लवांगड तेल किी रीत: माि आ च्या वितुांनी भिू​ून १० लमनुटा​ां भर दवनू िळिळ्ा तेला​ांत िोडन लवांगड दवचें.

लचल्ली लचकन

१ टे बल स्पून तेल घेंवन भ ंां तल्ो वितू घालन १५ िेकुांदा​ां भाज, उपरा​ांत छ ंां तल्ो एएकच वित घालन भाजल्लें माि घालन ३ लमनुटा​ां भर दवर. उपरा​ां त १ टे बल स्पून जांदळ्ा लपटो

८०० ग्राम्स हाडा​ां नािचें कोांलबये माि

इल्लेश्या उदका​ां त स्सखरवन हाका घाल. तवळ तें लमश्रण दाट जाता. वयल्ान तनी लमिािं ग आनी

जाय पडच्यो वितू:

स्पररां ग लपयाव घालन चाळन भुांय दवर.

आ. २ टे बल स्पून िोया िाि १ ता​ां तीां रूची तेकीद मीट १ टे बल स्पून जांदळ्ा लपटो भी. ८ लोिुणे बोयो ८ तन्यो लमिािं गो १ स्पररां ग लपयाव छी. २ कप लचकन स्टाक लचमटी भर अस्सज्जनमोटो (हें वापनाू िल्ार भारी बरें )

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