मेरी कहानी - गुरमेल सिंह भमरा - भाग 7

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मेरी कहानी - 7

गरु मेल स हिं भमरा की आत्मकथा का

ातवा​ाँ भाग (एपि ोड 127 – 147)

िंग्रहकर्त्ा​ा एविं प्रस्तत ु कर्त्ा​ा लीला ततवानी


मेरी कहानी - 127 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 05, 2016 प क िं ी की शादी हो गई थी और द ु रे ददन

म्धिओिं की ओर

े उन के घर के

भी

और करीबी ररश्तेदारों ने औरतों की समलनी के सलए आना था, म्िन में प क िं ी की समलनी ज़्यादा महत्व रखती थी। इ

ददन भी

दस्यों ा

की

बाररश हो रही थी लेककन अब हमें कोई

ज़्यादा च त िं ा नहीिं थी क्योंकक एक तो ज़्यादा मैधबर नहीिं थे, द ू रे बड़ा काम तो हो गया था। खाना बनाने के सलए मेरी बहन लेककन कुछ और औरतें भी

ुरिीत कौर, कमल, अमरिीत, और ि वीर ही बहुत थीिं

ाथ हो गई थीिं। महमानों के आने

गई थी। महमान तकरीबन एक बिे आये और मदद लोग िल्दी

हले ही

े टैंट के नी े आ कर बैठ

गए ककओिंकी कुछ कुछ बाररश हो रही थी, औरतें और बच् े घर के भीतर औरतें काम कर रही थीिं उन्होंने अब घर के भीतर की औरतों को सलया था और बाहर टैंट में बैठे महमानों को िंदी

ने अ ना काम

और

भी एक द ू रे

ाथ बैठ गए। टे बलों

रर य नहीिं हो

अच्छा अव र होता है । अब हम

ाय समठाई और अन्य

मचिओिं की ओर

ब्ब था और गोरे

ता होता है कक

े आया था तो मेरे मन में शराबी की एक

ी कर गसलओिं में चगरते कफरते हैं उन के क िे की ड़

यहािं आ कर तो मैं है रान हो गया था कक हर स्रीट के कॉनदर लोग अ नी बीपवओिं और बच् ों के

िाटद या स्नूकर खेलते रहते और मािं बा आि तो भारत में भी यही

ेवन नहीिं

में इिंड्िया और इिंग्लैण्ि में एक फरक है कक

मय िब मैं भारत

तस्वीर होती थी कक लोग शाराब

मय ही यह

थे िो बबयर शराब या मीट का

इिंग्लैण्ि में लोग ड्रिंक को एन्िॉय करते हैं और बातें करते हैं। हर एक को की क्या सलसमट है । उ

े आये नज़दीकी

भी एक द ू रे के करीब हो गए थे और खब ू हिं ी मज़ाक

ब ड्रिंक लेते थे लेककन इ

भीगे हुए हैं लेककन

दारथ आ गए

ाता और अब औरतों की समलनी के

ल रहा था। भा िी अिदन स हिं ही अकेले शख्

धभाल

े बातें करने लगे।

े कोई ख़ा

करते थे, अन्य

वद करने का काम

ा ा मघर स हिं और मेरे बहनोई

शादी के वक्त तो बरात में बहुत लोग होते हैं लेककन ररश्तेदारों

ले गए। िो

वद करने के सलए बलविंत ि विंत ननिंदी और

धभाल सलया। मैं, बहादर,

ेवा स हिं महमानों के

ूरी तयारी हो

र एक

ाथ िाते थे, बच् े च ल्रन रूम में

बार में बैठे बीयर

ीते और गप् ें हािंकते रहते।

लन शुरू हो गया है । बीयर शराब या अिंिा मीट खाना अच्छा है

या बुरा, यह मेरे सलखने का पवशा नहीिं है , मैं तो वह सलख रहा हू​ूँ िो यहािं है और इन बातों


दाद िाल कर छु ा दे ना मेरी कफतरत में नहीिं है । यह बातें मैं इ

कक अक् र बहुत लोग सलख दे ता हू​ूँ तो इ

ो ते होंगे कक बार बार अ नी कहानी में मैं मीट शराब की बातें क्यों

में मेरा कहना यही है कक यह बातें यहािं की म्ज़िंदगी का एक दहस् ा ही

है । िब रोमन लोगों ने इिंग्लैण्ि

र कब्ज़ा ककया था तो उ

र लत थी। बबयर को लोग खाने के

ाथ

वक्त भी इिंग्लैण्ि में बीयर

ीते थे िै े हम भारत में खाने के

ीते हैं। अब तो मुझे भारत के गावों का ज़्यादा तो

सलए भी सलख रहा हू​ूँ

ीने के सलए लस् ी ही होती थी िो प आ

ाथ

ानी

ता नहीिं है लेककन िब मैंने भारत छोड़ा था बुझाने के

ाथ

ाथ शरीर को ताकत भी

दे ती थी, इ ी तरह बीयर में भी ऐ े तत्व हैं िो स हत के सलए अच्छे होते हैं लेककन थोड़ी समक़दार में प एिं तो। गसमदओिं के ददनों में तो होते हैं, लोग बीअर गमद कोयलों लेते हैं।

ी रहे होते हैं और

ब्बों के गािदनों में टे बल

ाथ ही बारबरककउ हो रहा होता है , बहुत

ड़क

लते

लते कक ी को प या

लगती है तो कहते हैं,

को फमेंट करने के सलए यानन इ

िाती है । इ

यीस्ट की गोसलआिं म्ि

को बीयर बनाने के सलए इ

मय तो लोग घरों में बीयर बनाते थे और

ीते

े वज़न बढ़ता है में यीस्ट िाली

में बी पवटमॅन होते हैं, कैसमस्ट शॉ

े ही यीस्ट की गोळयािं बनती हैं म्िन को हम पवटमॅन

लेककन उ

लो यार ग्ला

ीने

और मज़े की बात यह है कक िब फैक्री में बीयर बनती है तो बीयर

ही

े गमद

(एक तरह के फूल ) होते हैं और काफी

मात्रा में शग ु र िाली िाती है , इ ी सलए कहते हैं कक ज़्यादा बीयर

हुई मट्टी

े भरे

र मच्छी और मीट भून रहा होता है और लोग खाते हैं और बीअर का मज़ा

हैं। बीयर में बारले यानन िौ माल्ट और हॉप् और इ

अ े रि लोगों

े भी समलते हैं

ाफ़ हो कर नी े बैठी

मझ कर लेते हैं। उ

ीते थे और घर आये महमान को प लाते थे

मय बीयर ज़्यादा स्रॉन्ग नहीिं होती थी। स्रॉन्ग बीयर ज़्यादा शूगर िालने

होती है ।

मय अिंगूरों

े वाइन बनाना अभी ज़्यादा

र लत नहीिं था और बीयर ही

होती थी। हम भारत का िो उ

ुराना इतहा

मय लोग

ीते थे।

ड़ते हैं तो अक् र बात

ोम र

ोम र

े ननकलता है िो मैंने एक िकुमेन्री

एक िड़ी बूटी

और

ुरा शराब की होती है

में भी दे खा था। यह िड़ी बूटी अफगाननस्तान की दक ु ानों में अभी भी समलती है म्ि लोग गमद

ानी में िाल

का टे स्ट कुछ किवा कर उ

कर ा है । हो

ाय की तरह कता है , इ

को

ीते हैं। िकुमेन्री में बताया गया था कक इ ि​िी बट ू ी में कुछ

ीज़ें िै े गड़ ु बगैरा िाल

मय के लोग शराब बनाते होंगे। मैं बात कर रहा था बीअर की तो बहुत

ाल हुए

िब मैं फैक्री में काम ककया करता था तो वहािं एक अूँगरे ज़ ने मुझे बताया था कक यूिं तो


इिंग्लैण्ि में लोग बीअर रै वोलुशन के आने

ददओिं

े बड़ा है । इ

आम शहर फैम्क्रयों

ीते आ रहे हैं लेककन इ

का

ेवन म्ज़आदा तो इिंिस्रीयल

मय नई नई मशीनें इज़ाद हुई थी म्िन की विह

े भर गए थे, काम बहुत था, इिंग्लैण्ि ने बहुत दे शों

सलया था और इन दे शों में इिंग्लैण्ि का बना

छोटे छोटे बच् े भी

र कब्ज़ा कर

ामान ही िाता था, इिंग्लैंण्ि में कोई यनू नयन

नहीिं होती थी और लोगों को बहुत बहुत घिंटे काम करना के सलए कोयले की िरुरत

ड़ता था, इन कारखानों को

लाने

ड़ती थी तो लोग इन कोएले की कानों में काम करते थे और

ाथ िा कर काम करते थे। अब इतने घिंटे काम करने के सलए बीयर ही

लोगों की थकावट दरू करने का िररया था। बीयर बहुत

स्ती समलती थी और कई

कारखानों के मालक तो बीयर फ्री ही प लाते थे ताकक मज़दरू खश ु हो कर ज़्यादा काम करें । इ

बीयर का एक फायदा यह भी था कक उ

बीयर

ीने

मय काम बहुत गिंदे होते थे और क्योंकक

े प छाब ज़्यादा आता है , इ ी सलए इ

म्ितनी कक म की बीयर इिंग्लैण्ि में है उतनी दन्ु याूँ हुई चगनीज़ तो

और बीयर है म्ि

े अच्छी बीयर है और इ

के

ीने

े शरीर ठीक रहता था।

में कहीिं नहीिं है । आयरलैंि की ब्रीऊ की

में आयरन बहुत होता है । इ ी तरह एक

को स्टाउट बोलते हैं। इन दोनों को समक्

करके

ीने

े ताकत समलती

है । म्िन लोगों में आयरन की कमी होती है , कुछ लोग चगनीज़ और स्टाउट समक् ीते हैं और कुछ लोग हैल्थ ड्रिंक बनाने के सलए इ इिंड्िया

र हकूमत करते थे तो उ

ेल एल था। स्टै फोिदशायर का

कहते हैं कक इ

े बनी

ानी

में दि ू भी िाल लेते हैं। िब अूँगरे ज़

मय बीयर इिंग्लैण्ि

का तो नाम भी इिंड्िया

े इिंड्िया आती थी और एक बीयर ानी यहािं अच्छा माना गया है और

बीयर अच्छी होती है । यह िो लागर बीयर है िो कुछ

रिं ग की होती है ( इिंड्िया में स फद लागर ही बबकती है ) यह

हले बहुत कम

के करीब ही यह स फद 2 % होती थी लेककन अब तो यह 30 % इिंड्िया में इ

का ररवाज़ तो

कर के

ाठ

ीले

होती थी। 1970

े भी ज़्यादा बबकती होगी।

हले शरू ु हुआ था। मझ ु े याद है 1967 में मेरी

शादी के वक्त कहीिं कहीिं बीअर समलती थी और दक ु ानदार बोररओिं में बफद िाल कर उ

में

बीयर की बोतलें ठिं िी ककया करते थे लेककन आि तो सलबरलाइिेशन और ग्लोबलाइज़ेशन की विह

े इिंड्िया में बहुत कक म की बीयर बन रही है और लोग आम

द ू रे दे शों को भी एक्

ोटद करता है । यहािं के स्टोरों में इिंड्िया की बनी

ीते हैं और इिंड्िया बीयर समल िाती

है । एक बात और भी है कक यहािं इिंग्लैण्ि में बहुत कक म की बीयर बनती है वहािं अन्य यूर ीन दे शों में वाइन बहुत ककस्मों की बनती है िो ज़्यादा तर तो अिंगरू ों

े बनती है लेककन बहुत


े द ू रे फलों

े भी बनती है । फ्रािं

स् ेन

द ाल और बहुत ुतग

े द ू रे दे शों में बहुत बनती

है । इिंग्लैण्ि में वाइन कम बनती है शायद यहािं के मौ म की विह ौ एकड़ अिंगूरों के फ़ामद हैं। फैक्री में अिंगूरों का र

े। यूर

में

ननकाल कर और कुछ और

ौ दो दो

ीज़ें िाल

कर बड़े बड़े लकड़ी के बने ढोलों (बैरल )में यह वाइन भर दी िाती है और इन को बनने के सलए ज़मीन के नी े बने यह

ैलर

में रख ददया िाता है क्योंकक ज़मीन के नी े गमी होती है ।

कई कई मील तक ज़मीन के नी े बने होते हैं, यह

होते हैं कक के बैरल होने

ैलर

ैदल

टद इन को लगातार

र िब यह वाइन बोतलों में भरी िाती है तो उ ािं

ाल

ुरानी, द

ाल

की कीमत मुकरद र करती है । कुछ ख़ा कीमत भी लाखों िॉलर होती है । फ्रािं बहुत फेम लेककन

क ै करते रहते

हैं और मैच्योर

र वाइन की उम्र और स्रें थ भी

ुरानी या इ

बोतलें तो

ाल तक यह वाइन

े भी ज़्यादा

ाल

ुरानी वाइन उ

ुरानी भी होती हैं म्िन की

की शैध ेन बहुत प्रस द्ि है और एक और

ीज़ भी

है , वोह है माटद ल ब्रािंिी िो कुछ गमद होती है । वै े तो लोग ब्रािंिी यूिं भी

दी िक ु ाम में गमद

हा हा, इ

इतने बड़े और लधबे

ल कर िाने के सलए बहुत वक्त लगता है । कई कई

ड़े रहते हैं और वाइन एक्

सलखी िाती है ।

ैलर

बीयर वाइन की

हू​ूँ। कुछ कम कुछ ज़्यादा

ानी िाल कर भी लोग ैर

ीते हैं

ीते हैं।

े ननकल कर मैं कफर

े टैंट में महमानों के

भी लोग मज़े कर रहे थे और ऊिं ी ऊिं ी हिं

कभी कम हो िाती और कभी ज़्यादा। टैंट की तर ाल बाररश के

ानी

ाथ बैठ िाता

रहे थे। बाररश भी े भर िाती और

नी े की तरफ खख कने लगती। बलविंत एक ब्रूम ले कर तर ाल को ऊ र की तरफ िकेल

दे ता और

कर महमान हिं

ाथ ही

ारा

ानी दोनों तरफ चगर िाता। बलविंत की इ

पवद

को दे ख

ड़ते और बाररश की बातें करने लगते। उिर घर के भीतर औरतों की

महकफ़ल लगी हुई थी, िब कोई समलनी होती तो खब ू हिं ी और तासलओिं की आवाज़ दे ती। क्योंकक हम उन की महकफ़ल को भिंग नहीिं करना थे, मैंने तो बाद में इ

महकफ़ल का

ाहते थे, इ

सलए

न ु ाई

भी इिर ही

ीन पवड्िओ में ही दे खा था। गसमदओिं के ददन यहािं बहुत

बड़े होते हैं, इ ी सलए गसमदओिं के ददनों में शाददयािं बहुत होती है , कारण यह ही है कक एक तो ठिं ि नहीिं होती और द ू रे दे र रात तक बाहर बैठे मज़े कर

कते हैं। याद नहीिं ककतने बिे

खाना ददया गया और बाद में दहल िल ु शरू ु हो गई और महमान िाने के सलए तैयार होने लगे। अमरिीत और ि वीर ने हमारे तैयार ककया म्ि

मिी

ाहब श्री अिीत

में गािर मल ू ी गोभी और अन्य

स हिं हिं

ाल के सलए एक हार

म्ब्िओिं के टुकड़े िाले हुए थे। याद नहीिं


ककया ककया बातें हुईं लेककन इतना याद है कक इ

र खब ू हिं ी मज़ाक हुआ था।

भी

गाड्ड़यों में बैठने लगे थे। िब प क िं ी गाड़ी में बैठ गई तो आि भी मेरे ददल को कुछ कुछ हो रहा था। एक तरफ ख़श ु ी थी और द ु री तरफ बेटी को एक नई दनु नआ में िाते हुए दे ख मन को कुछ कुछ हो रहा था। यिंू तो मझ ु े

भी बच् ों

े प यार रहा है लेककन प क िं ी के

ाथ

बहुत ज़्यादा लगाव था और अभी भी वै ा ही है । आि तक कक ी भी बात को ले कर कोई मशवरा लेना हो तो रवाना हुआ तो ।

हले प क िं ी के

ाथ ही हमारी बहन

भी औरतों ने समल कर बतदन ले गए। अब मैं कुलविंत रीटा और

लेककन लगता था, घर

ाथ ही शेअर करता हू​ूँ। िब यह काफ्ला ुरिीत कौर और उ िंदी

लता…

मान्य होने लगी।

घर में रह गए थे। अकेली प क िं ी ही घर भी उदा

ी गया। कुछ दे र बाद

मैंने प क िं ी को आवाज़ दी लेककन िल्दी ही म्ज़िंदगी

ररवार भी लिंिन को

ले गए

ाफ़ कर ददए और गैरेि में रख ददए और िीरे िीरे

ूना हो गया था।

में कुछ पवस्की िाली और

का

लिंिन को

उदा

भी

े गई थी

बैठे थे। मैंने उठ कर एक ग्ला

ोने के सलए

ला गया।

ुबह उठा तो

मझ आ गया। िीरे िीरे ददन बीतने लगे और


मेरी कहानी - 128 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 09, 2016 भारत में बैठे लोगों को बहुत बातों का

ता नहीिं होता कक बबदे

और उन के मन में अ ने दे श के प्रती ककतना लगाव होता है । प्रेम क्या होता है, यह दे श

े बाहर आकर ही

कक ी लड़की की शादी हो िाने के बाद उ रदे

ता

में भारतीय कै े रहते हैं ही बात तो यह है कक दे श

लता है । एक बात तो

को मायके की याद बहुत आती है , इ ी तरह

में आये भारतीओिं को भारत की याद बहुत आती है । द ू रे दे शों

े आये लोगों के

भी ऐ ा ही होगा लेककन मैं बात स फद भारतीओिं की ही करू​ूँगा। िै े िै े हैं वै े वै े

रदे

में लोग अ ने

ही है कक िै े ाथ

ाल गुज़रते िाते

ैर िमाते िाते हैं, बच् े हो िाते हैं, बड़े हो िाते हैं, उन

कक शादीआिं हो िाती है , कफर उन के बच् े हो िाते हैं, बड़ ू े हो िाते हैं लेककन आख़री दम तक अ ना दे श याद आता है । इ बहुत गिंभीरता

के

े लेते हैं। हर छोटी

ाथ ही अ नी मातर भूसम में हो रही घटनाओिं को े छोटी बात को ले कर बातें होती रहती हैं। आि तो

मीिीया इतना तेज़ हो चगया है कक कुछ भी बुरा या अच्छा हुआ हो, कुछ समनटों में ही खबर हमारे

हुूँ

अब मैं कफर मैं सलख

िाती है । े उ

ज़माने में

ला िाता हू​ूँ, िब 1962 में इिंग्लैण्ि में आया था। बहुत

क् ु का हू​ूँ कक मैं और बहादर बहुत घूमा करते थे, एक तो काम

ै े हमारी िेबों में होते थे, द ू रे िवानी की उम्र और ती रे यहाूँ खाने

र लग गए थे और ीने के सलए बहुत

ीज़ें होती थी। हम इिंड्िया में अ ने दोस्तों को ख़त सलखा करते थे और कुछ बड़ा बताते थे। इिंड्िया में तो हम

हले

ड़ा कर

ड़ाई करते थे लेककन यहाूँ आ कर हम कुछ आज़ाद मह ू

करने लगे थे लेककन इिंड्िया की याद हर दम आती थी लेककन उ

मय एक बात खटकती

थी कक कोई इिंड्िया का अखबार नहीिं होता था, रे ड्िओ ऐ े थे म्िन

र इिंड्िया का कोई भी

स्टे शन नहीिं आता था। इिंड्िया के रे ड्िओ स्टे शन और

ीलोन रे ड्िओ के गाने बहुत सम

करते

थे। कफर कुछ दोस्तों ने बताया कक एक रसशयन रािंम्ज़स्टर रे ड्िओ दक ु ानों में समलता है , म्ि र इिंड्िया के गाने वेव

र बड़ी मुम्श्कल

ुने िा

कते हैं। एक दोस्त

े एक् टनदल

े हम वोह रे ड्िओ भी ले आये लेककन शौटद

पवद ज़ ऑफ ऑल इिंड्िया रे ड्िओ ही

ुन

कते थे, वोह

भी कभी आती कभी नहीिं। कफल्मों के गाने भी िब कोई इिंड्िया िाता तो वोह ररकािद करके ले आता और

भी दोस्त उ के घर िाते रहते और गाने ररकािद करते रहते। अखबार भी हम

िेली टे लीग्राफ, गाड्िदयन या टाइधज़ लेते थे ताकक हमें कोई इिंड्िया की खबर समल

के। यह


ारे

े र मह्नन्घे होते थे लेककन हम यही लेते थे। आम गोरे तो िेली मेल

ही लेते थे म्िन में फ़ौरन नीऊि कम और कई दफा इिंड्िया के मुतलक छोटी

ोटद या गोरी मॉिलों के

न ु ाते।

मैं और बहादर िून 1962 में आये थे और इ ी वर्द अक्तूबर में वक्त इिंगलैंि में टै सलपवयन

आईटीवी। िब ख़बरें आतीिं तो बड़ी उत् क ु ता

र स फद दो े हम

ीन ने इिंड्िया

न ु ते दे खते और दे ख दे खकर दहल िाते भी

ब्ब भरे होते थे

र ख़बरें दे ख दे खकर िर िाते। बहुत बातें होतीिं। कफर कोई इिंड्िया

वह हमारे िवानों की बहादरी के ककस् े े आया शख्

े आता और

ुनाता तो अ ने िवानों की बहादरी की बातें होती

रहतीिं। एक िवान हमारे नज़दीक के गाूँव का ही था िो आठ था। इिंड्िया

बताता था कक रे ड्िओ िालिंिर

र ा होती रहती थी और इनकी बहादरी

ीननयों को मारकर शहीद हुआ

र रोज़

ब ु ह शाम इ

ड़ते थे तो 1959 में नतबत के लोगों ने

खखलाफ पवद्रोह कर ददया था म्ि

ीननयों ने बहुत

भाग कर इिंड्िया आ गया और

था, मैं तो उ

ीककिंग रे ड्िओ

में

के दरमयान हुआ था। इ

िं शील

एक वार फिंि कायम कर ददया था म्ि तन्खोआह ही दान में दे दी। यह भी इकठे करके कक ी को ददए नहीिं थे। ाककस्तान के

को बहुत वेलकम ककया गया था और

न ु ाई दे ते थे। िब

झगिे का ककया कारण था, मैं इ

ब्बों में िा कर लोगों

ीन की दोस्ती

म्उिं लाई भारत आया ुरानी न्यूिरीलें

मझौते के बारे में बताया करते थे िो इिंड्िया और

मय िो हम बाहर रहते भारती मह ू

कुछ लोग

हले भारत

वक्त बहुत छोटा था लेककन बाद में कभी स ननमा घर में

ददखाया करते थे म्ि उ

े कु ला था और दलाईलामा

यही झगिे का कारण था वनाद

म्उिं लाई भारत आया था तो उ

ीनी दहन्दी भाई भाई के नारे

ख्ती

ीननयों के

ाथ ही बहुत नतबती लोग आ गए थे। िवाहर लाल नेहरू ने

दलाईलामा को शरण दी थी। ब तो बहुत थी और िब

िवान की

र दे श प्रेम के गाने बिते थे ।

दरअ ल िब हम इिंड्िया में कालि में को

र हमला

न ै ल ही आते थे, बीबी ी और

कक हमारे ककतने िवान शहीद हो रहे थे। शननवार और रपववार को और टीवी

ोज़ ज़्यादा होते थे।

ी न्यूज़ भी होती तो हम एक द ू रे को ददखाते और िो

ड़े सलखे भाई नहीिं थे, उनको ख़बरें

कर ददया था। उ

न या इिंिी ें िेंट

ीन

के बारे में नहीिं सलखग ूिं ा, मैं तो

करते थे, वह ही सलखग ूिं ा।

ै े इकठे करते। इिंड्िया के हाई कसमश्नर की तरफ में लोग

क ै भेिते। बहुत लोगों ने

ारी की

ारी

न ु ा था कक बहुत लोगों ने ठग्गी भी की थी और ाककस्तानी लोग इ

मबिंद बहुत अच्छे थे। कुछ

लड़ाई

े खश ु थे क्योंकक

े ै े

ीन और

मय बाद 1962 की लड़ाई के बारे में इिंड्िया में


एक कफल्म बनी थी, म्ि

का नाम था हकीकत। मैं और बहादर इ े दे खने के सलए बसमिंघम

के मौ ली इलाके के रीगल स ननमे में दे खने गए थे। वहािं कुछ

ाककस्तानी बैनर ले कर खड़े

थे म्ि

अ ना

र सलखा था “इ

तरह की बोगि कफल्म दे ख कर आ

कीम्िये” और लोगों को कफल्म दे खने उ

ाककस्तानी ने उ को ुसल

े रोक रहे थे। एक स हिं उनके

ाकू मार ददया। उ

मैंन वहािं आ गया और उ

ने एधबुलें

मय मत्त बबादद

ाथ झगड़ने लगा और

के खन ू ननकल रहा था और िल्दी ही एक मिंगवा ली और उ

ाककस्तानी को

कड़ कर

ले गए। इ

लड़ाई के तीन

लगा था क्योंकक

ाल बाद ही

ाककस्तान कश्मीर में गुरीलों के भे

ाककस्तानी िेनरल अयूब खान ने

ो ा होगा कक

कमज़ोर हो गया होगा और वह कश्मीर को आ ानी

में रै गुलर फौिी भेिने ीन

े हार कर भारत

े हा ल कर लगा लेककन अयूब खान ने

भारत को अिंिरएस्टीमेट कर सलया था और उन के भेिे बहुत

े फौिी भारती फ़ौि ने

कड़

सलए और 1965 में यह लड़ाई शरू ु हो गई। उ

मय भारत के प्रिान मिंत्री लाल बहादर

शास्त्री थे ककओिंकी 1964 में िवाहर लाल नेहरू

रलोक स िार गए थे। मुझे याद है टीवी

की एक खबर में लाल बहादर शास्त्री बोल रहे थे ” OUR CITIES MAY BE BOMBED “. इ के द ू रे ददन ही लड़ाई शुरू हो गई। मैं इ स फद यह ही सलखग िंू ा कक उ ाककस्तानी दो वक्त का न्यज़ ू लेककन कोई इिंड्ियन मझ ु े याद है , एक

लड़ाई की िीटे ल में नहीिं िाऊूँगा, मैं तो

मय हम लोग ककया मह ू े र खरीदते और ब ों

ाककस्तानी आ ाककस्तानी म्ि

कर रहे थे।

र िब भी वक्त समलता,

अखबार के

को कोई शरीरक प्रॉब्लम थी और उ

अ ने दे श के सलए

को नीिंद बहुत

में खड़ा खड़ा इिंड्िया

ढ़ रहा था और वह खड़ा खड़ा ही खरु ादटे मार रहा था और

ेिेज़ िीरे िीरे नी े चगर रहे थे और हम उ को दे ख कर हिं

फैक्टीओिं में इिंड्ियन

ाककस्ताननओिं की लड़ाई भी हुई थी। इिंड्ियन और ै े इकठे कर रहे थे। एक फैक्री में इिंड्ियन

रहे थे। कई ाककस्तानी अ ने

ाककस्ताननओिं का झगड़ा हो

गया तो लोग बता रहे थे कक एक स हिं िो बहुत तगड़ा था, ऊिं ी आवाज़ में ज़मीन लकीर खीिं

कर बोला, ” लो बई, इिर है इिंड्िया और उिर है

तरफ आ कर दे खो और मैं तुझे बताऊिंगा कक बॉिदर क्रॉ लोगों ने कती थी।

ड़ते

में लड़ाई की बात न करता।

आती थी और बैठा बैठा ही खरु ादटे मारना शुरू कर दे ता था, वह ब ाककस्तान की लड़ाई की खबर

ब इिंड्ियन

र एक

ाककस्तान, तुम इिंड्िया की

करने की क्या

िा होती है “. कुछ

मझा कर झगड़ा बिंद करा ददया ककओिंकी मैनेिमें ट दोनों को काम

े ननकाल


लड़ाई में

ाककस्तान का बहुत नुक् ान हो गया था और इिंड्िया ने बहुत

ककस्तान

का इलाका अ ने कब्ज़े में ले सलया था क्योंकक भारती फ़ौि तो लाहौर में घूम रही थी । उ वक्त एक खतरा यह भी हो गया था कक यह लड़ाई कहीिं बढ़ ना िाए म्ि में बड़ी ताकतों का शासमल हो िाने का भय था। िब लड़ाई खत्म हुई तो रू में अयब ू खान और लाल बहादर शास्त्री के दरमयान

ल ु ह

। अयूब खान और लाल बहादर शास्त्री अखबारों के फ्रिंट लाल बहादर शास्त्री ताशकिंद में ही और, कक ी को कोई हमारे लोगों

के प्री ीअर को ीम्िन ने ताशकिंद फाई के सलए बहुत काम ककया

ेि

र हाथ समला रहे थे। अ ानक

रलोक स िार गए, क्या हुआ, कोई

मझ नहीिं आ रही थी।

े हमददी कर रहे थे। इ

ाम्ि

थी या कुछ

ारे भारती यहािं बहुत दख ु ी थे और गोरे भी

लड़ाई में एक बात और भी हुई थी कक बब्रदटश प्रै

ाककस्तान की स् ोटद कर रहा था और लाल बहादर शास्त्री को सलटल स् ैरो कह कर सलखते थे। लिंिन में हमारे लोगों ने मुिाहरे ककये थे और बैनरों

र सलखा हुआ था, ” STOP

BRITISH PROPAGANDA “. इ

लड़ाई के छै

ाल बाद ही 1971 में भारत

शुरू हो गई। इ हों। रोज़ टीवी

ाककस्तान की अब तक की

लड़ाई में तो यहािं रहते हमारे भारती िै े खद ु इ र दे खते थे की बािंग्ला दे श

े ररफ्यूिी आ रहे थे।

िैनरल दटक्का खान ने खल ु ी छूट दे दी थी और वह घरों

रहा था, दहन्दओ ु िं को ख़ा

े बड़ी ि​िंग

ि​िंग में शासमल हो गए ाककस्तानी फ़ौि को

भी बािंग्ला दे शी

े ननकाल ननकाल कर मार रही थी। यनू नवस्टीओिं में घु

ड़े सलखें लोगों को

कर लड़ककओिं का बलात्कार हो

कर मारा िा रहा था। यादहया खान ने फ़ौि को कह ददया था कक

” I WANT LAND, NOT BENGALIES “. यह आम कत्लेआम हो रहा था। इिंड्िया में िड़ा िड़ लोग उिड़ कर आ रहे थे। भारत का बबदे श मिंत्री स्वणद स हिं रहा था लेककन उ

की यह बबदे श यात्रा का कोई फकद नहीिं

सलखता हुआ यह ही कहूिंगा कक इिंड्िया के की एअर फ़ो द ने भारत के कई शहरों

अब कोई

ब दे शों का दौरा कर

ड़ा था। इ

को िीटे ल में ना

ारा नहीिं रह गया िब

ाककस्तान

र बधबाट्दमट ैं शुरू कर दी।

कफर इिंद्रा गािंिी ने बयान ददया कक, ” WE HAVE BEEN ATTACKED AND WE DECLARE WAR “. लड़ाई शुरू हो गई इिंग्लैण्ि में लोगों ने िड़ा िड़ शुरू कर ददए। यह लड़ाई 13 ददन रही थी और म्ि ामने

ै े इक्कठे करने

ददन ढाका में िगिीत स हिं अरोड़ा के

ाककस्तान के िेनरल A K NIAZI ने हचथआर िाले तो उ

ददन

ब्ब भरे हुए

थे और लोग बहुत खश ु थे।

ुबह और शाम के दोनों अखबार हम लेते और उन में इिंड्ियन

न्यज़ ू की कदटिंग रखते। एक

े र के फ्रिंट

ेि

र इिंद्रा गािंिी की फोटो थी म्ि

में वह


इिंड्ियन फ़ौि को बोल रही थी,” WHOLE COUNTRY BEHIND YOU “. एक न्यािी को

रें िर करते

े र

मय का काटूदन बना हुआ था, नी े सलखा था ” I WILL FIGHT

TO THE LAST MAN AND OF COURSE I WILL BE THE LAST MAN . शायद 1975 के करीब ही भारत के स आ ी हालात बहुत बबगड़ गए थे और इिंद्रा गािंिी ने एमरिैं ी लगा दी थी। आ ोिीशन के बहुत एम ी िेल भेि ददए गए थे और इन्हीिं ददनों में इिंद्रा गािंिी के बेटे आबादी के

िंिय गािंिी ने स्टै रालाइिेशन का काम शुरू कर ददया था ताकक भारत की

े किंरोल हो

के लेककन इ

का अ र बहुत बरु ा हुआ क्योंकक

ाथ ज़्यादती की गई। बहुत घरों में एक ही बेटा था,

ने ज़मीन हड़प् था। इ

कर लेने की गरि

ुसल

को घू

मय भी लोग बहुत िरे हुए थे। इ

और मुरार िी दे ाई

िंिाब में बहुत लोगों

ुना िाता था कक कुछ

धबम्न्िओिं

दे कर लड़कों को नन ुन् क बना ददया

के िल्दी बाद ही इिंद्रा गािंिी इलेक्शन हार गई

रिान मिंत्री बन गए थे। बब्रदटश प्रै

मुरार िी दे ाई को बहुत

ोटद

कर रही थी और सलख रही थी कक बेछक मरु ार िी दे ाई बढ़ ू ा हैं लेककन शेर की तरह है । बबदे शी लोगों

ोटद लेने की गरि

े इिंद्रा गािंिी बहुत दे शों की यात्रा कर रही थी और

हमारे यहाूँ बसमिंघम में भी आई थी। मैं और बहादर भी इिंद्रा गािंिी का लैक् र गए थे। इिंद्रा गािंिी के था।

लता

ुनने के सलए

ाथ दरबारा स हिं और कुछ अन्य लोग आये हुए थे। हाल भरा हुआ

हले दरबारा स हिं ने लैक् र ददया और कफर इिंद्रा गािंिी बोलने लगी। हाल में ही एक

ाककस्तानी उठ कर नारा मारने लगा KASHMIR FOR KASHMIRIES , लोगों ने उ ी वक्त उ को

ीटना शुरू कर ददया लेककन

बोली,” इन को शायद यह नहीिं हालाूँकक उ लेकर

कर

ता कक मैं भी कश्मीरी हू​ूँ “.

ब्बों में बहुत बातें होतीिं। मुझे उ

गुदद आ ु रे ने उ े

को

ाल का तो याद नहीिं लेककन एक म्स्थनत भी

ैदा

ह ु ान खासलस्तान की बातें कर रहा था लेककन कक ी भी

ोटद नहीिं ककया था । हमारे टाऊन वोल्वरहैं टन के कैनक रोि गुदद आ ु रे में

वह एक हाथ सलखत ग्रन्थ ककये थे और उ को

ाहब की बीड़ ले कर आ रहा था लेककन लोगों ने बहुत मि ु ाहरे

धबोिन करके कहा था, TRAITOR GO BACK और यह बैनर शाम

े र EXPRESS & STAR के फ्रिंट

खासलस्तान का नक्शा भी दे खा था म्ि इ

ने उ े ब ा सलया। कफर इिंद्रा गािंिी हिं

वक्त हमें इतनी नीऊि नहीिं समलती थी लेककन म्ितनी भी समलती, उ

हो गई थी। िाक्टर िगिीत स हिं

के

ुसल

ेि में

र था। एक

ब्ब में मैंने एक लड़के के हाथ में

ाककस्तान का

िंिाब भी शासमल था। आम स ख

लहर को स् ोटद नहीिं करते थे लेककन इिंड्िया की स आ त का यहािं अ र बहुत होता था।

यहािं तक कक िरनैल स हिं सभिंिरावाले का भी यहािं के लोगों

र कोई ख़ा

अ र नहीिं था।


बलू स्टार ऑ रे शन ने स खों के ददलों में इिंद्रा गािंिी के खखलाफ नफरत स ख मह ू

करने लगे कक स्वणद मिंदर

ैदा कर दी और

र हमला करके इिंद्रा गािंिी ने बता ददया था कक

स खों के सलए भारत में कोई िगह नहीिं। इिंद्रा गािंिी के अ ने ही बॉिी गािों ने िब उन को मार ददया तो राम्िव गािंिी का इशारा कक िब कोई बड़ा हज़ारों स खों का कत्लेआम कर ददया, उन को घरों

े ननकाल ननकाल कर मार ददया गया,

उन की प्रॉ टी िला दी गई। इन में बहुत लोग िो यहािं उन में भी मारे गए क्योंकक ददली

े िब हरयाणा

ेड़ चगरता है तो िरती दहलती है ने े भारत आये हुए थे, बहुत लोग

े रे न गुज़रती थी तो उन को रे न

ननकाल ननकाल कर मारा गया, बहुत माताओिं ने अ ने बच् ों को ब ाने के सलए उन के

े रों

के बाल काट ददए थे । इन

ब बातों का अ र हम बबदे ी लोगो

मेरा पवशा नहीिं है बम्ल्क यह ऐ ी बातें हैं, िीना लता…

ड़ता है ।

ड़ता है । कौन दोर्ी होते हैं, कौन ननदोर्, यह

च् ी या झूठी, बाहर बैठे लोगों को इन के

ाथ


मेरी कहानी - 129 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 12, 2016 एक दफा मुझे कुछ िरूरी काम के सलए इिंड्िया आना अकेले ही आना था। ऐग्रीमैंट था कक लेककन मैंने

ािं

ड़ा था और यह वर्द 1982 था। मैंने

ात हफ्ते की छुटी मैंने ले ली। हमारी मैनेिमें ट और यूननयन का हफ्ते की

ेढ हॉसलिे और

ार हफ्ते की अन ेि हॉसलिे समल िाती थी

ात हफ्ते की छुटी बुक करा ली और दटकट ले सलया। नया

बगैरा खरीद सलए। एक ददन कुलविंत कहने लगी कक मैं मुझे भी अच्छी लगी लेककन स्राइक थी, तो

िंदी

ो ा कक

को

िंदी

का

ोटद एक्

िंदी

ायर हो

को भी

फ़ामद ले आया, कफर उ ी वक्त मैं

िंदी

क ु ा था और उिर रे नों की

ोस्ट ऑकफ

हफ्ते रहते थे। को

ोटद आ गया

गया और

ोटद के

को ले कर बैनर िी स्टूड्िओ में गया और उ

फोटो खख वा ली। द ू रे ददन फोटो समल गईं, मैंने फ़ामद भरे , अ ने िाक्टर करवाए और फ़ामद भरके

और क िे

ाथ ले िाऊिं। बात तो

ोटद के सलए एप्लाई कर दे ते हैं, अगर वक्त

ाथ ले िाऊूँगा वनाद नहीिं । मैं उ ी वक्त

ूटके

ोटद ऑकफ

े फोटो

की दटद फाइ

ीटरबरह को भेि ददए। मेरे िाने में अभी तीन

ोमवार को मैंने फ़ामद भेिे थे, हम है रान हो गए िब

ौथे ददन बस् ृ नतवार

ोटद हमारे घर आ गया। मझ ु े अ ने वह ददन याद आ गए िब इिंड्िया में मैंने ककतनी

मुम्श्कल ऑकफ

ोटद बनवाया था। अब तो हमारे सलए आ ान हो गया। मैं रै वल एिेंट के

में गया और

िंदी

की

ीट भी

ाथ ही बुक करा ली। एक शाम हम ने बसमिंघम

फ्लाइट ली और इिंड्िया की ओर रुख कर सलया। िब हम दोनों अमत ृ र रािा ािं ी एअर ोटद

हुिं े तो हमको लेने के सलए कुलविंत के

प ता िी आये हुए थे। एअर ोटद के बाहर िब हम आये तो बाहर इदद चगदद गिंद ही गिंद था। यह भी सलख दूँ ू कक उ

वक्त यह एअर ोटद एक ब

समसलटरी एअर ोटद ही होती थी।

िंदी

के नाना िी

अड्िे िै ा ही था और यह

हले

ाय

र हमें ले

ीने के सलए एक खोखे

गए िो लकड़ी का बना हुआ था। और एक आदमी कोयले की अिंगीठी मेरे सलए तो यह कोई नई बात नहीिं थी लेककन िब में

हले

िंदी

िंदी

के सलए यह

इिंड्िया आया था तो उ की उम्र एक

ाय िाल कर हमें

कड़ा दी।

िंदी

ने िब ग्ला

ाय बनाने लगा।

ब अिीब था ककओिंकी

ाल की ही थी। कड़ा तो उ

ाय वाले ने ग्ला ों

के हाथ

कर चगर गया और टूट गया। कोई बात नहीिं, कोई बात नहीिं, कह कर अब उ एक क

में िाल दी लेककन

ाय में शुगर इतनी थी कक

िंदी

ने वही​ीँ क

े ग्ला ने और

छूट ाय

रख ददया और


कहा कक उ

ने

ाय

ीनी ही नहीिं। यहािं यह भी बता दूँ ू कक इिंगलैंि में

नहीिं िालते बम्ल्क इ

े आिी ही िालते हैं और कई तो बगैर शूगर के

गाड़ी में बैठ गए और िीटी रोि के गेट

यह शख्

मेरे छोटे भाई की

िैनोवाली िंदी

शुरू

रमिीत ने लेट।

ाय

े ही कुछ शमीले भी उ

ब कुछ िानता था कक कड़ सलया। मैं उ

का नाम तर ेम है। घर के भीतर

िंदी

ुभाव का था, द ू रे एक अिनवी दे

आकर खश ु नहीिं था, वह के

िंदी

िाक्टर ने टीका लगा ददया लेककन उ े

ू को िाक्टर के को

ार ाई

इिंिैक्शन

भेिा तो वह आिे घिंटे ानी लाने के सलए

के

कोई

े बबलकुल ठीक हो िाएगा।

स ररिंि की मोटी

ूई दे ख कर मेरे मन में कई पव ार

ेट ददद और िुलाब लग िाने कोई बड़ी बात नहीिं है और ाथ लेता िाऊिं और मैंने ले भी ले गया और

र सलटा ददया और वह उ ी वक्त

े मुझे भी नीिंद आ रही थी लेककन मुझे

की लेककन उ

ने अ ना

ुरानी और नघ ी हुई थी कक मुझे कुछ

को िगाया और रोटी खखलाई। रोटी खाने के बाद वह कफर

कर उ े दे खता रहा।

ाथ

े इिंिैक्शन वाली स ररिंि ननकाली म्ि

सलए थे लेककन मैं यह कैप् ल ू घर ही भल ू आया था। िाक्टर को

क ै ककया और गमद

मेरे िाक्टर ने मुझे कहा था कक मैं इध ोिीअम के कैप् ूल आने लगी। मैंने उ

ाय के

प् ू कह कर बुलाते थे

ाहब ककया यह इिंिैक्शन िरूरी है , आ

और मैिी न नहीिं है ? िाक्टर ने कहा कक इ

ानी बदलने

को

े मैं

ने बताया कक गाूँव में दो िाक्टर हैं

ानी आ गया और िाक्टर बग्गे ने अ ने बैग

खौफ होने लगा। मैंने कहा िाक्टर

था। उ ने ु

को दे ख कर घबरा गया। तर ेम म्ि

को दे खते ही मैं घबरा चगआ ककओिंकी स ररिंि इतनी

थकावट

ाथ

और ती रे

ेट में ददद होने लगी, ददद भी इतनी कक उ

में ही आ गया। िाक्टर ने एक दो समिंट

मैंने उ

र रख दी और

ी कर कुलविंत के प ता िी गाड़ी वाले के

ूछा कक गाूँव में कौन अच्छा िाक्टर है । उ

आ रहे थे। हवा

कर हमारा स्वागत ककया,

ाय बना कर हमारे आगे टे बल

लेककन िाक्टर बग्गा ही ज़्यादा मशहूर है । मैंने बोला।

ुर आ गए। िब हम घर

े प यार करते थे लेककन एक प ता होने की है स यत

बफी िो खाई, आिे घिंटे बाद उ उ को

ने हिं

ीते हैं। खैर हम

ले गए।

अिनवी लोग। यूिं तो

ेट

ड़े और दो घिंटे में राणी

त्नी का भाई था और इ

ाथ ही रख थी एक बफी की

एक तो

हुिं े तो एक अिनवी ने गेट खोला और उ

हम आ गए और छोटी भरिाई वा

ाय में इतनी शूगर

ुबह को मैंने उ

िंदी

को नीिंद

ो गया। दे र रात को ो गया।

की च त िं ा थी और

को िगाया तो उ

िंदी

फर की ारी रात उठ उठ

ने टॉयलेट िाने की इच्छा िाहर

मय तो टॉयलेट गाूँव में कक ी घर में भी नहीिं थी। दरू िाने की म्स्थनत में


िंदी

नहीिं था, इ

सलए घर के

ककया हुआ था म्ि और उ

ाथ ही िो हमारा प्लाट था उ

की दीवारें अभी छै

ात फुट ऊिं ी ही थी।

को बताया कक ऐ े बैठना है लेककन

बैठ नहीिं होता था। बड़ी मम्ु श्कल

में एक कमरा बनाना शुरू

े मैंने उ

िंदी

िंदी

को मैं वहािं ले गया

कभी ऐ े बैठा नहीिं था और अब उ

को ननतकक्रया

े फागद कराया लेककन अब उ

की टािंगों में ददद होने लगा। िंदी

के सलए

ुबह को खाने के सलए मैं काफी

कौली में कुछ कॉनद फ्लेक्

और दि ू िाल कर उ

नहीिं लग रहा था। बड़ी मम्ु श्कल तीन ददन उ िंदी

ीररयल

ाथ ले आया था। िब मैंने एक

को ददए तो उ

े उ ने कॉनद फ्लेक्

को भैं

खाये और कफर

का दि ू अच्छा

ो गया। इ

तरह

को नीिंद आती रही और अब वह घर के इदद चगदद घूमने लगा। छोटे भाई की

की ही उम्र की एक बेटी

बात है कक यह

ोनू थी िो

िंदी

को बहुत प यार करती थी। बड़े दुःु ख की

ोनू बबटीआ 1984 के बाद उन काले ददनों में िब

िंिाब में आतिंकवादीओिं

का िोर था, िायररया के कारण भगवान ् को प यारी हो गई थी क्योंकक िर के मारे कोई िाक्टर नहीिं आया था।

ोनू के

एक ददन हम ने गाूँव का एक ददन मैंने

प् ू को

ाथ

िंदी

अब खेलने लगा था। ऐ े ददन बीतने लगे और

क्क्र लगाया और बहुत लोगों के घरों में गए। ुछा कक बहादर का भाई हरसमिंदर कहाूँ है और ककया करता है तो

प् ू बोला, ” भा िी ! वह तो िेयरी फासमिंग का काम करता है और उ प स्टल हर दम उ

के

होता है ,

बदमाश भी िरते हैं “. मैं ने हुिं े तो लड्िा

उ के घर आती िाती रहती है , उ

की

ीठ हमारी तरफ थी। मैंने िोर

मुड़ कर मेरी ओर दे खते ही मुस्करा

ड़ा और बोला,” ओए

लड्िा यहािं होता था तो हम एक द ू रे को हिं ी बहुत मोटा हो गया था और उ

के बड़े हुए

र था। इ

बारे में मैं अ नी कहानी के शुरू में सलख

िामा उ ने

े बोला,”ओए ?” लड्िा

ीछे

रशाद तू ककथों आ गया ? . िब

रशाद िी कह कर बलाते थे। लड्िा अब

ेट को हाथ लगा कर मैं बोल उठा, ” ओए तू

एह की बणा सलया “. लड्िा हूँ ता रहा और हम तीनों ऊ र को नी े था और घर कुछ ऊिं ाई

े गाूँव के

ड़े। िब हम हवेली नम ु ा घर में गाये भैं ों वाली िेयरी

ारे की मशीन के निदीक खड़ा था। मलमल का कुताद

हना हुआ था और उ

भी िरते हैं,

प् ू को उ ी वक्त हरसमिंदर को समलने के सलए बोला और हम

हरसमिंदर यानन लड्िे को समलने में

ुसल

े तो

घर की िगह गाूँव

ल भ

ड़े। िेयरी वाला दहस् ा े ऊिं ी है म्ि

क् ु का हू​ूँ कक दािंत कथा के दह ाब

के

े यहािं कभी

रानीओिं का महल हुआ करता था िो ढय ढे री हो गया था और इ ी कारण गाूँव का नाम हले राणी थआ यानन खिंिरात और बाद में राणी ु

रु के नाम

े िाना िाने लगा था ।


ऊ र

हुूँ

कर दे खा लड्िे की माूँ

भी वहािं थे। मैंने बहुत

ब को

ल् ू हे के

बैठी थी। लड्िे की

त्नी गुरमीत और बच् े

त स री अकाल बोला और हम हाल कमरे में

िा हुआ था। मैंने कमरे के

ले गए। कमरा

ारों ओर लगी फोटो को दे खा म्िनमें घर के

दस्यों और

उन के बज़ग ु ों की फोटो भी दे खीिं म्िन में कुछ अूँगरे ज़ लोग भी थे। बहादर और लड्िे के बज़ग ु ों का कभी गाूँव

े बहुत दब दबा होता था और एक

बारे में मैं कहानी के शुरू में कुछ ककश्तों में सलख खश ु था। हम

ाय

क् ु का हू​ूँ। लड्िा मुझ

े िा रहे थे तो उन की कार की

हमें झेलनी और

िंदी

रहा था, िब वह आिी रात को

ाबी गटर में चगर गई थी और ककतनी मु ीबत

िी थी। कुछ दे र बातें करने के बाद हम वा अ ने खेतों की ओर

मन खश ु होता लेककन अब कई नए क्योंकक म्िन बच् ों को ब

आ गए। घर आ कर

प् ू मैं

ड़े। रास्ते में बहुत लोग समले और उन को समल कर ह े रे भी ददखने लगे थे म्िन को मैं िानता नहीिं था

न में दे खा था अब िवान हो गए थे। कई बार तो ऐ ा होता कक

कोई मझ ु े आ कर कह दे ता,”भा िी

त स री अकाल “, मैं

बताता कक वह उन का बेटा है तो मैं फट मेरे बहुत

े समल कर बहुत

ीने लगे और इिंगलैंि के उन ददनों को याद करके हूँ ते रहे िब हम खब ू

घुमते रहते थे और कफर लड्िा वह बात याद करके हिं हमारे घर

न् ु दर कोठी भी होती थी म्िन के

मझ िाता। खेतों में घुमते घम ु ते घर आ गए।

े काम थे और उन में एक काम था बहुत

नहीिं थे लेककन एक तो उन

छ ू ता तू कौन है बई ? तो वह

े कक ी ने बहुत

े बैंकों में

ालों

ड़े

ै े िो कोई ज़्यादा तो

े पवआि दिद नहीिं कराया था द ू रे इन

ब खातों को मैंने बिंद करवा कर स फद एक अकाउिं ट ही कर लेना था। एक ददन अ ानक गाूँव की बैंक

िंिाब ऐिंि स ि िं बैंक का मैनेिर हमारे घर ही आ गया और

मुझे

ल् ू हे के नज़दीक ही मेरे

त स री अकाल बोल कर

लगा। मैनेिर मेरी उम्र का ही था और मझ ु े वह बहुत ददल स् कक बैंकों के मैनेिर लोगों और हर

े ख़ा

ाहते हैं कक लोग उन की बैंक में

कर बाहर

ुबह शौ

े आये लोगों के

बैंक में ले आना

ले िाते। एक ददन उ

कोरे कागज़ों

र अ नी

न्िु

ने मुझे

ाहब मेरे और मेरी

ढ़े हैं और मैं उन को एक िगह ही गाूँव में आ

ाहता हू​ूँ ताकक िब भी हम आएिं,

ड़े , मु ीबत यह है कक मेरी

ता था

ाथ ज़्यादा लगाव रखते हैं। हम दोस्त बन गए

के सलए बाहर खेतों में इकठे दरू दरू

े छोटे छोटे अकाउिं ट बबखरे

लगा। यह तो मझ ु े

ै े िमा कराएिं और इ ी सलए वह

ूछा कक अगर कोई काम हो तो मैं उ े बताऊूँ। मैंने कहा, ” के बहुत

बैठ गया और बातें करने

त्नी की

ै े के सलए हम को फगवाड़े िाना ना

त्नी कक ी कारणवश यहािं आ नहीिं

कती लेककन मैं बहुत

त्नी के दस्तखत करा के ले आया हू​ूँ, क्या कुछ हो

कता है ?”


मैनेिर

न्िु बोला, ” गुरमेल स हिं ! कोरे कागज़ों

आ ान कर ददया, लो आि ही फगवाड़े मोटर कुछ

ाइकल ले कर आ मय बाद

कर ददए। राणी

ारे

ै े मेरे

ै े छोड़ कर

ुर को

लते हैं, तुम घर िा कर तैयार हो िाना और मैं

रख कर बाकी

ै े

ारे

हले हम

ड़े और ात

ड़े।

भी बैंकों वाले

नत के अकाउिं ट में रािं फर कर दें , नी े कुलविंत के ै े मेरे अकाउिं ट में हो िाते तो हम पवद्रावल फ़ामद भर ै े ननकलवा लेते। ऐ े ही हम ने

ूनम होटल

र खाने के सलए

ले गए और खा कर

ाल के सलए कफक्

कर ददए।

ात

लेककन हम

ा काम हो गया था और ब

ब बैंक बुक्

मैं राणी

ीिे मैनेिर के ऑकफ

मैनेिर एक भला और हमारे सलए

ुर छोड़ गया था। थोड़ी में

ले गए और उ

िन था, उ ी वक्त उ

कुछ

ा म्ि

ले गया।

ी आना कानी क्लकों ने की

को

ारी बात बताई कक मैं दे र

िी रही और कक ी ने इ े दे खा ही नहीिं।

ने कक ी को बुलाया और बुक उ

को

कड़ा दी

के ऊ र कोई निंबर था, मुझे दे ददया और बताया कक मैं

ै े ले लूँ ।ू बैंक बुक

ै े बुक में छोड़ कर शेर्

कर खाना खाया और वा िंदी

एक अकाउिं ट िालिंिर

ाय मिंगवा ली और काफी दे र हम बातें करते रहे । कुछ दे र बाद हमें एक

ीतल का गोल स क्का े

ै े तकरीबन

रु ानी और फटी हुई थी और कभी पवआि भी कक ी ने लगवाया नहीिं था

बाद इिंड्िया आया था, इ ी सलए यह बुक ऐ े ही

कैसशयर

ीिे

ै े ओ न अकाउिं ट में

ाल में यह

िंिाब नैशनल बैंक में था। द ू रे ददन मैं लड्िे को ले कर िालिंिर

हालािंकक यह

भी बैंकों के खाते बिंद

िंिाब ऐिंि स ि िं बैंक में आ गए और कुछ

िब्ब्ल हो िाते थे। एक ही ददन में बहुत

बैंक बक ु बहुत

न्िु को तो

कक ी बैंक में हम िाते, वही​ीँ बैठ कर एम्प्लकेशन सलख लेते कक

हले ही होते थे, िब ै े लेकर

ब काम

के घर आ िाऊूँगा।

सलए म्ि

कृ ा मेरे अकाउिं ट के दे ते और कुछ

ाइन करा के तो आ ने

न्िु आ गया और हम फगवाड़े को

िानते ही थे, इ दस्तखत तो

र प छले

ारे

ालों का पवआि लगा ददया गया था और

ै े ले कर हम बैंक

राणी

े बाहर आ गए और एक होटल में िा

ुर आ गए। बैंकों का

ारा काम हो गया था और अब मैंने

को भी कुछ घम ु ाना था।

छोटे भाई ननमदल स हिं की बेटी

ोनू के

ाथ

िंदी

बहुत खश ु था। गली के और बच् े भी

हमारे घर आ िाते और रल समल कर खेलते रहते लेककन रखती। राणी

रु

े फगवाड़े को टै ध ू और टाूँगे आम

ोनू

िंदी

का बहुत खखयाल

लते थे। एक ददन मैं

कर अमत ृ र िाने के सलए टाूँगे में बैठ कर फगवाड़े आ गया और वहािं

िंदी

को ले

ीिी अमत ृ र


को िाने वाली ब

कड़ ली। दो ढाई घिंटे बाद हम अमत ृ र

हमने एक ररक्शा सलया और हरमिंददर लेककन उ

वक्त हरमिंददर

ादहब की ओर

ाहब को िाने के सलए

ाहब के नज़दीक ही थे कक एक मोटर

मार दी और

की

ैंट फट गई और िािंघ

े लड़ने लगा लेककन मैंने उ

गए। ब

े उतर कर

ड़े। अब तो मुझे

ता नहीिं

ड़कें बहुत भीड़ी थीिं और रै कफक बहुत

थी। हम हरमिंददर िंदी

हुूँ

र थोड़ी

ाइकल वाले ने ररक्शे में टक्क्र ी खरों

भी आई। ररक्शे वाला उ

को कहा कक िाने दो हम ठीक ठाक हैं और ररक्शे का भी

कोई नुक् ान नहीिं हुआ। िल्दी ही हम हरी मिंददर ड्योढ़ी

ैर िो कर आगे

के सलए खखड़की की ओर

ाहब के आगे थे। हम ने िूते उतार कर िमा कराये और दशदनी

ड़े।

ड़े। भीतर में ख़ा

हुूँ

िंदी

िंदी

रकमाद की और वा

लता कक

ने हमारे बड़े िंदी

े प्र ाद ले कर हरी मिंददर आ गए। अब हम ने बहुत

रोवर के बबलकुल नज़दीक

ाल हुए कुलविंत

को बबठा कर खीिं ी थी। हमारे बड़े

ता ही नहीिं

हले प्र ाद ाहब

कर हम ने प्र ाद भें ट ककया और कफर चगयानी िी ने हमें भी

बात यह है कक

मैंने एक फोटो खीिं ी थी। कुछ इिंड्िया आई थी और

दे ख कर बहुत खश ु हुआ और मैंने

ै े दे कर र ीद ली और एक िगह

ददया। हम दोनों ने माथा टे क कर फोटो खीिं ी। इ

िंदी

िंदी

को बबठा कर

िंदी , हमारी बहु और बच् ों को ले कर

ोते की फोटो ठीक उ ी िगह खीिं ी यहािं कभी मैंने ोते की शकल एक दम

बैठा है या उ

िंदी

े समलती है और

का बेटा। भख ू लग गई थी, लिंगर

े खाना खा

कर हम बाहर आ गए।

भी के सलए हम ने कुछ चगफ्ट खरीदे , कुछ ककताबें खरीदी और

वा

ड़े।

घर की ओर

लता…


मेरी कहानी - 130 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 16, 2016 िंदी

का मन अब गाूँव में लग गया था, ऊ र

िंदी

खश ु हो गया। इ

े प क िं ी रीटा का खत आ गया, इ

खत में इन बच् ों की आ

स ग िं रों के बारे में थीिं िो उ

की बातें थीिं म्िन में ज़्यादा तर कुछ

मय बहुत प्रस द्ि थे, ख़ा

कर शेककन स्टीवन । मैं

को अक् र फगवाड़े ले िाता था और उन्हें अ ना स्कूल ददखाता और मुझे भी की याद आ िाती। िब भी कभी मैं अ ने दोस्त उ ी ने ही राणी

तनाम

ुरे

ुररिंदर की याद आ िाती िो इ ी हले मुझे बताया था कक मेरा

ोस्ट ऑकफ ोस्ट ऑकफ

िंदी

ुराने ददनों

के करीब आता तो मुझे में क्लकद लगा हुआ था और

ोटद बन कर आ गया था और उ

ने खद ु ही

रु की िाक में भेि ददया था।

एक ददन हम लच्छू के ढाबे के नज़दीक िा रहे थे कक एक बुड़ीआ आई और अ नी बाहों में ले कर उ े लगी, ” यह तो मेरा बब्लू

ुतर है ” और कफर बोलने लगी,” मेरा

ली गई। मैं अ नी माूँ के बारे में करती थी । रानी

ुर में तो

नहीिं। मैं

िंदी ो

कुछ उदा

िंदी

प् ू मेरा िै े एक

ओ दे

ेब ननकाल कर ददया और ोतों को ऐ े ही प यार ू एक तो हिं मुख

हायता कर दे ता था ।

ा हो गया। मैंने

ू को

ुछा कक गाूँव में कोई टे लीफोन था या िंदी

की रीटा प क िं ी

प् ू बोला,” भा िी टे लीफोन गाूँव में एक ही है और वह लड्िे के

को ले कर मैं लड्िे के घर की ओर

ही समल गया। मैंने लड्िे को

ड़ा। लड्िा मुझे चगयान की दक ू ान

ारी बात बताई तो लड्िे ने कहा कक

ीिी लाइन तो समलनी अ धभव ही थी। घर

ककया। एक्

को

ोता भी ऐ ा ही है , कनेिा

हारा ही बन गया था।

करके दे ख लेते हैं, अगर लाइन समल िाए। टे लीफोन एक् की

े एक

रहा था कक अगर इिंगलैंि को टे लीफोन लग िाए तो

बात करा दूँ ।ू तर ेम यानन घर है “.

ने अ ने बैग

ो ने लगा कक वह भी अ ने

तबीयत का था द ू रे हर काम में मेरी एक ददन

िंदी

म ू ने लगी िै े अक् र दादी माएिं प यार करती हैं और कहने

में रहता है , कभी कभी आता है “, कफर उ

के

हुूँ

लो कोसशश

ें ि फगवाड़े में होती थी। इिंग्लैंि

कर लड्िे ने एक्

ें ि को टे लीफोन

ें ि में िो ऑ रे टर था, वह लड्िे को िानता ही था। लड्िे ने उ

राि! यार मेरे दोस्त का लड़का है और बहुत उदा

को बोला,”

है , कोसशश करके दे ख अगर

इिंगलैंि की लाइन समल िाए ” लड्िे ने उ े इिंगलैंि का निंबर बताया। दे कोसशश करता रहा लेककन लाइन उ े समल नहीिं रही थी। अब तो इ

बात

राि बहुत दे र तक र मुझे हिं ी ही


आती है लेककन उ

वक्त ककतना मुम्श्कल था बाहर को टे लीफोन करना। इ

के बाद भी कई

ददन हम कोसशश करते रहे लेककन लाइन समली नहीिं। इन्हीिं ददनों में होली का तयोहार था। थीिं और होली के ददन छत

फोटो खीिं ी। मेरी माूँ तो उ ार ाइयों

ोनू ने तरह तरह के रिं ग और दो प

ढ़ कर बच् ों ने एक द ू रे

काररयािं ले रखी

र रिं ग फेंका और मैंने बच् ों की

ददन की ही बहुत खुश थी िब हम राणी

ुर आये थे। रात को

र बैठे हम रिाइयािं ऊ र ले लेते और बहुत बातें करते। हम हारमोननयम बिाना

शरू ु कर दे ते और कुछ गाने मैंने यहािं ररकािद भी ककये थे और ाथ ढोलकी बिाता था। यह अिरू े गाने अब भी मेरे

प् ू

ाथ में एक िब्बे के

हैं। कभी हम माूँ को मिबूर करते

कक वह भी गाये। कभी कभी माूँ हारमोननयम बिाने लगती और उ

का एक ही गाना होता

था,” आ गया बाबा वैद रोगीआिं दा” मैं सलखना भूल गया कक मेरा छोटा भाई ननमदल उ

मय सलबबआ गया हुआ था, नहीिं तो

मज़ा और भी म्िआदा आता। ननमदल बहुत िासमदक पव ारों का है और उ छोटे

े कमरे में ग्रिंथ

ाहब की बीड़ रखी हुई है और कभी कभी मैं इ

माथा टे कता और कुछ

त्रे

कमरे के

क्की

ाथ ही वह

कक ी मु लमान के घर यह

ड़ता। कुछ

ने छत

र एक

कमरे में आ कर

मझ आते, कुछ नहीिं लेककन अच्छा लगता। इ ी

िी हुई थी िो कभी दे श पवभािन के वक्त मेरे बड़े भाई ने

े लाइ थी और उ े दादा िी के गुस् े का सशकार होना

ड़ा था।

क्की दे ख कर मुझे उन काले ददनों की याद आ िाती।

एक ददन मैनेिर

िंिू मुझे कहने लगा कक मैं और

प् ू उन के घर में खाना खाएिं। मुझे इ

में कोई अिीब बात नहीिं लगी और द ु री शाम को मैं और बैंक के ऊ र ही था। यह

प् ू

िंिू के घर

ल गए िो

ारी बबम्ल्ि​िंग अमर स हिं की थी िो इिंगलैंि में रहता था और

इिंगलैंि इन के घर में ही कभी मेरे प ता िी रहा करते थे। यह घर मॉम्स्टन स्रीट में था और िब प ता िी चगयानी िी िी, यह घर आ

े समले थे तो चगयानी िी ने प ता िी को कहा था,”

के रहने के काबल नहीिं है ” और इ

ाथ रहने लगे थे और यहािं

के बाद ही प ता िी चगयानी िी के

े ही हमारी चगयानी िी और उन के

निदीकीआिं बड़ी थीिं िो अब तक

गे

ककओिंकी इ

ारे

धबम्न्िओिं की तरह है । अब इ

आ कर यह मकान बनाया था ककओिंकी अमर स हिं की ज़मीन इ अमर स हिं ररटायर हो

ािू स हिं

ररवार के

ाथ

अमर स हिं ने इिंड्िया

मकान के नज़दीक ही थी।

क् ु का था और कभी इिंड्िआ आ िाता और कभी इिंगलैंि आ िाता

के लड़के इिंगलैंि में ही रहते थे।


द ु री रात को मैं और

प् ू मैनेिर

िंिू के घर िा

रूम भी था और स दटिंग रूम भी और बच् ी को सलए आई और हमें

ाथ में र ोई थी।

िंिू की

त स री अकाल बोला। वह

बाणी में मिरु ता थी। कुछ बातें उ खाना बनाने के सलए

हुिं ।े एक बड़ा

ली गई।

ा कमरा था िो बैि त्नी अ नी छोटी

िी सलखी लड़की थी और उ

की

ने कीिं लेककन अब मझ ु े याद नहीिं और कफर वह र ोई में न्िु उठ कर र ोई में गया और कफ्रि में

े दो बीअर की

बोतलें ले आया और ग्ला ों में िालने लगा और हम बातें करने लगे। कुछ दे र बाद उ त्नी हमारे आगे एक

लेट मीट की रख गई।

की

िंिू भी बहुत खश ु ददल था और अ ने कालि

के ददनों की बातें करने लगा। बातें करते करते मेरी ननगाह खट ू​ूँ ी बोल उठा,”

न्िु

एक मिबूरी ही

ाहब आ

र टिं गे हुए प स्टल

िी िो

प स्तौल के भी शौक़ीन हो तो वह हिं

मझो वनाद मेरे िै े

ादहनतक पव ारों के शख्

मेल ही नहीिं है ” और कफर वह एक घटना बताने लगा म्ि लेना

ड़ा था ।

मड़े के के

में था। मैं

ड़ा और बोला,” यह े इ

प स्तौल का कोई

की विह

े यह प स्तौल उ े

न्िु बोला, गुरमेल स हिं ! तुझे याद है िब हम एक ददन खेतों की तरफ िा

रहे थे तो एक लड़का रास्ते में हमें समला था और समन्नतें कर रहा था ?” हाूँ याद है मैंने िवाब ददया। िंिू बोला,” बैंक के बड़े अचिकारी अक् र यहािं आते ही रहते हैं और कई दफा उन की भी करनी

ड़ती है , इ ी तरह एक ददन कुछ बड़े अचिकारी आये और उन को ड्रिंक दे कर

मैंने उन की आवभगत की, वह तो गाड़ी में वा ही

ी ली थी। रात को मैं

कोई मझ ु

ेवा

ो गया, िब

ले गए लेककन मैने उ

ब ु ह को उठ कर शौ

ददन कुछ ज़्यादा

के सलए बाहर आया तो हर

ूछ रहा था कक मैं ठीक ठाक हू​ूँ, कोई नुक् ान तो नहीिं हुआ, कोई

लगी ? है रान हुआ मैं िब घर आया तो अ नी वाल कर रहे थे, कुछ हुआ था ककया ?” तो

त्नी

ुछा कक रास्ते में लोग इ

त्नी बोली” आ

रात को बाहर बहुत लड़के शोर म ा रहे थे और आ

ोट तो नहीिं

ने ज़्यादा

तरह के

ी ली थी लेककन

को गन्दी गासलआिं दे रहे थे कक ओए

मैनेिरा बाहर ननकल, तेरी बहन की तेरी मािं की ….. और मैंने आ

को िगाया नहीिं था कक

ता नहीिं ककया हो िाए” . और गरु मेल स हिं ! मैंने उ ी वक्त है ि ऑकफ

को टे लीफोन ककया और मुझे िवाब आया

कक मैं टे लीफोन की इिंतज़ार करू​ूँ। आिे घिंटे बाद मझ ु े हम कुछ दरवाज़े खखड़ककयािं तोड़ दें ,

ेफ

सु ल

र कक ी हथौड़े

ु रिैंट का टे लीफोन आया कक ें ट उखाड़ दें और कुस य द ािं मेि


इिर उिर फेंक दें और बैंक बिंद रखें, एक घिंटे में वह आ रहे हैं। िै े कहा गया था, मैंने कर ददया। कुछ दे र बाद दो िी ों में राइफलें गए। आते ही कुछ लड़कों को बैंक

र िाका

ढ़ गया है और

दहल चगया और बहुत लड़के ुसल

ने

कड़ कर

ीट सु ल

किे द

बारह स

कड़

कड़ कर वोह

सु ल

बदमाशों को

ाही और उन का ऑकफ र आ

ीटने लगे। गाूँव में शोर म

गया कक

कड़ रही है ।

सु ल

के िर

ारा गाूँव

कड़ सलए गए।

ीट कर दोपर्ओिं का

ता लगा सलया, एक दो दौड़ गए और कुछ लड़कों को

स्टे शन ले गए। इन में कई लड़के िालिंिर काम करते थे म्िन की नौकरीआिं

नछन गई और अभी तक कोटद में तारीखें भुगत रहे हैं। इ ी सलए वोह लड़का िो रास्ते में समला था समनतें कर रहा था कक उ

की नौकरी

का बहुत ख द हो रहा था। वोह लड़का

ली गई और तारीखें भुगतने के कारण उ

ाहता था कक मैं उ

की मदद कर दूँ ।ू इ

बाद ही मुझे मशवरा ददया चगया था कक गाूँवों में ऐ े वाककआत प स्तौल ले लूँ ू और मैंने ले सलया ककओिंकक लाइ ैं खाना खा कर मैं और इनवाईट ककया और

प् ू वा

घटना के

े नन टने के सलए मैं

की भी कोई ददकत नहीिं थी।

आ गए और कुछ ददन बाद हम ने भी

िंिू को अ ने घर

ाथ ही मैने लड्िे को भी इन्वाइट कर सलया। छोटी भरिाई

रमिीत ने

बहुत अच्छे अच्छे खाने बनाये। शाम को रौनक हो गई और हम बातें करने लगे। बातें करते करते लड्िे ने अ ना प स्तौल ददखाने की ग़रज़ को कोई काम हो तो बताना “, अब

िंिू को बोला, ”

को भी कोई िरुरत हो तो खझझकना नहीिं

“. बातों को कक ी और ददशा में िाते हुए दे ख कर मैंने हिं बहादर हो, तुम फ़ौि में भती हो िाओ “, इ नहीिं

ता था, इ

के बाद मैंने भी

सलए इन

वह भी मुझे नौकर के हाथ आया और मझ ु े बोला कक मैं अकेले ही उ िी थी,

ादटद ओिं

ौंकफया और

बात

कर कहा,” तम ु दोनों बहुत

भी हिं ने लगे और वातावरण

सलया कक गाूँव के मामलों के मुतलक मुझे कुछ

रहे ज़ करू​ूँ। लड्िे के

ाथ तो मेरा प्रेम बहुत था और

िंदेशे भेिता रहता था। एक ददन

ुबह को ही उन का एक नौकर

ाहब

ाहते हैं कक रात को मैं खाना उन के घर खाऊिं।

रात को लड्िे के घर िा

में कधबल ओढ़े कु ी

ाहब अगर आ

िंिू ने भी अ ना प स्तौल ददखा कर कहा,” हरसमिंदर

स हिं यह तो बहुत अच्छी बात है और अगर आ

खश ु गवार हो गया। इ

न्िु

र बैठा था और

हुिं ा। वहािं

हुूँ

कर दे खा कक एक थानेदार वदी

िंतरा माकाद शराब की बोतल उ

के

ामने टे बल

िंतरा मारका शराब का उन ददनों बहुत ररवाज़ था, यह शराब तब

हमीरे में बनती थी। लड्िे ने उ

े मेरा तुआरफ कराया कक मैं इिंगलैंि

े आया था।


थानेदार ने उठ कर बड़े त ाक एक ग्ला

में मुझे भी थोड़ी

ीता था, इ

सलए उ

िब लड्िा इिंगलैंि

े मेरे

ाथ हाथ समलाया और हम बातें करने लगे। लड्िे ने

ी शराब िाल दी। लड्िे को मेरा

ता था कक मैं ज़्यादा नहीिं

ने मुझे ददखा कर मेरी मज़ी के मुताबबक ही िाली थी ।

े राणी

ुर आया था तो उ

को

ता नहीिं था कक उ

के लड़के ककया करने वाले थे और यह बातें लड्िे ने मुझे बहुत थानेदार था म्ि बोल के

बाहर

मबन्िी ही स फद िैसल ी के कारण आ

है , ऐ े लोगों

ाथ ररश्तेदारों

हले बता दी थीिं और यह ही

ने लड्िे की बहुत मदद की थी। बातें उ ी बात

ड़ा कक दे खो गरु मेल स हिं ! ” आ

के

र आ गईं और थानेदार

े ख़श ु ी ख़श ु ी अ ने घर आते हैं और यह घर

का नुक् ान करते हैं तो यह कहाूँ का इन् ाफ

े मैं बहुत नफरत करता हू​ूँ और उन को

ीिा कर दे ता हू​ूँ ” . इ

के बाद

और बातें होने लगी और लड्िा अ ना हारमोननयम ले आया, कुछ दे र बाद वह थानेदार भी बिाने लगा। थानेदार हारमोननयम बहुत अच्छा बिाता था और उ और इ वा

के बाद मैंने भी एक गाना

ने एक गाना भी गाया

न ु ाया। दे र रात तक हम बैठे रहे और आखर में मैं

आ गया।

अब यह बात भी मैं सलख दूँ ू कक इ लड्िा इिंगलैंि

थानेदार का

धबन्ि लड्िे के

ाथ ककओिं था। िब

े गाूँव आया था तो एक ददन लड्िा गाूँव में घूम रहा था कक उ

के नज़दीकी

धबम्न्िओिं के दो लड़के और उन के कुछ दोस्त इकठे हो कर आ गए और लड्िे को गासलआिं दे ने लगे। लड्िे ने उन को ऐ ा करने

े रोका तो वह और भी तिंग करने लगे। िब

एक ने लड्िे को गन्दी गाली ननकाली तो लड्िे ने इतने िोर

े उ

के मुिंह

िं

मारा कक

वह घम ू ता घम ू ता ककतनी दरू िा चगरा। लड्िा बहुत तगड़ा था और िर कर भागने वाला नहीिं था। िब उ

ने द ू रों को भी मुक्का ददखाया तो वह

लड्िे ने रै क्टर की रहे थे तो उ

पवद

भी

ले गए। इ

के कुछ ददन बाद

के सलए रै क्टर को फगवाड़े ले िाना था, तो एक ददन िब वह िा

का नौकर रै क्टर

ला रहा था और लड्िा

ीछे

ीछे मोटर

ाइकल

र िा

रहा था। उिर

े कुछ लड़के आये और लड्िे की तरफ गोली

लगी और लड्िा ब

दहए

गया। खेतों में काम कर रहे लोग आने लगे और वह लड़के भाग गए,

कई लोगों ने लड़कों को था। यह थानेदार कुछ स कुछ लिके

ला दी, गोली मोटर बाइक के

ह ान सलया था। लड्िा

सु ल

स्टे शन गया और वहािं यही थानेदार

ाही ले कर आया, गवाह सलए और लड़कों की भाल शरू ु कर दी।

कड़ सलए गए। थानेदार ने अ नी एक यूननफामद लड्िे को दे दी थी । कुछ


लड़कों को

सु ल

ने ज़मीन

र सलटा सलया और

कहा कक वह भी िी भर कर इन को के कान

र अ ना बूट इतनी िोर

ीटना शुरू कर ददया। थानेदार ने लड्िे को

ीट ले। लड्िे ने मुझे बताया था कक उ

ने एक लड़के

े मारा था कक वह हमेशा के सलए बहरा हो गया था।

अब गाूँव में लड्िे का रोअब बहुत हो गया था। उ

रात को थानेदार के

में िब उ

ने मुझे

ाथ मुलाकात के बाद मैं दो दफा इ

ोरों को

ीटने वाला हिं टर ददखाया था और द ु री दफा िब मैं और

लड्िा क थ द े कक ी काम की विह ू ल

े गए थे। वहािं उ

लड्िे ने एक बात और भी मुझे बताई थी कक उ

की गाये भैं ें उ

खेतों में उ

को समला था, एक दफा थाने

का एक नौकर

ने हमारी बहुत आवभगत की थी।

के गाूँव िग ाल

ुर का एक बदमाश था,

राया करता था। एक ददन उ

की गाये भैं ें लड्िे के

ली गई और बहुत नुक् ान कर ददया। िब लड्िे को इ

ने िा कर उ

लड़के को

कड़ कर बहुत

बात का

ीटा था। लड्िा भी भीतर

का खेत उिाड़ ददया, ऊ र गया। बहुत

ला तो

ीटा। लड़के ने िा कर अ ने मालक को

बताया तो वह राइफल ले कर लड्िे के घर उलाहना ले कर आ गया कक उ क्यों

ता

े राइफल ले कर आ गया कक एक तो उ

ने नौकर को के नौकर ने उ

े वे राइफल ले कर आ गया था । अब यह बदमाश नी ा हो

े लोग इकठे हो गए थे और लड्िे के हक्क में बोल रहे थे। इ

घटना

े भी

लड्िे का दबदबा हो गया था। कफर लड्िे ने मझ ु े बताया था कक गाूँव में रहना बहुत मम्ु श्कल था। बहुत

ालों बाद लड्िा वा

इिंग्लैण्ि आ गया था और यह कहानी भी बहुत अिीब थी।

म्िन कामों के सलए मैं आया था वह था, इ िंदी

ूरे हो गए थे और अब

सलए एक ददन मैंने अमत ृ र िा कर

लता…

भी तिंग आ गया लगता

ीट कन्फमद करवा ली और कुछ ददनों बाद मैं

और उ के नानािी रािा ािं ी अमत ृ र एअर ोटद िा

बादलों के ऊ र उड़ रहे थे।

िंदी

हुिं े और कुछ दे र बाद हम


मेरी कहानी - 131 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 19, 2016 अ नी कहानी के 129 और 130 काूँि में मैं ने अ ने दोस्त बहादर के भाई हरसमिंदर म्ि को हम लड्िा कह कर की ओर

ुकारते थे, के बारे में काफी कुछ सलखा था। यह नाम ब

त ु र मोह में ददया गया नाम था। अगर उ

लड्िा ही, क्योंकक वह ददल का बहुत अच्छा था। उ का काफी तगड़ा था लेककन उ

च् ाई

की बड़ी खास यत थी। हम

को गुस् ा बहुत कम आता था, शरीर ीछे नहीिं हटता था और यही

ाल छोटा था और मेरी उ

ही बड़ी थीिं। बहादर बहुत छोटा था िब उ यह

का नाम लड्िा था तो वह था भी

र िट्ट िाता था और

े कुछ

न मे माूँ

के प ता िी

े मुलाकातें इिंगलैंि में

र ाम की बीमारी

ीड़त हो कर

िं ार छोड़ गए थे और वक्त की नज़ाकत को दे खते हुए बज़ग ु ों ने बहादर की माूँ की

शादी बहादर के प ता िी के छोटे भाई के र स हिं लड्िे के प ता िी

े कर दी थी।

रदार के र स हिं थे और बहादर के र स हिं को

करता था। बहादर और लड्िा के र स हिं

ा ा िी कह कर

े बहुत लगाव रखते थे। के र स हिं ज़्यादा बोलते

नहीिं थे। िब भी मैं बहादर को समलने िाता था तो

ब्ब को िाते

मय बहादर

स हिं को िरूर ले कर िाता था। कभी कभी मैं बहादर को कहता,” यार ! तेरे

ा ा के र ा ा िी के

ामने कोई गल बात नहीिं होती, इ े घर ही रहने दे या यह अ ने कक ी दोस्त के िाए “, बहादर कहता,” यार गरु मेल ! मानों में बहादर का अ ने के िान

ा ा

ीछे अकेला क्या करे गा, ले

ा ा के र स हिं के प्रनत लगाव था। का बहुत

त्कार करता था, इ

ाथ

ला

लते हैं “, यह

ही

ब्ब में िा कर के र स हिं

ाथ ज़्यादा स आ त की बातें ही करते रहते थे। बहादर का अ ने

बहुत लगाव था और उ

क ु ारा

ा ा के र स हिं

बात को मुझ

े ज़्यादा कोई नहीिं

कता।

बहादर की शादी बहुत दे र बच् ी ककरन के ही बनाना

हले हो गई थी और कुछ दे र बाद उ

ाथ आ गई थी। अब तो घर में

ड़ता था, घर की

अब यह काम कमल ने

फाई शॉप ग िं बगैरा

की

ुख हो गया था क्योंकक

हले खाना खद ु

ब काम खद ु ही करना

ड़ता था और

धभाल सलया था। अब यह मकान house

घर में रौनक ही रौनक हो गई थी और

त्नी कमल अ नी

े home हो गया था।

े बड़ी बात ककरन के मोह में के र स हिं

म रूफ ही हो गए थे क्योंकक हर दम उन के मुिंह

े ककनू शब्द ही ननकलता था और ककनू


का मोह भी अ ने बाबा िी के हुए बाल उ

ाथ बहुत था। ककनू लगती भी बहुत प यारी थी, उन के काटे

को बहुत फबते थे।

लड्िा भी ककनू को बहुत प यार करता था। लड्िा भी उ ब

वक्त वैस्टब्रूमपव

की ब

गैरेि में

राइवर लगा हुआ था। यह गैरेि हमारी कध नी का ही दहस् ा थी। कमल को इिंड्िया

आई को अभी बहुत दे र नहीिं हुई थी कक लड्िे ने इिंड्िया िाने का फै ला कर सलया। िब मैंने लड्िे के मुिंह

ुना तो मुझे पवशवा

लेककन मझ ु े तभी

ता

ला िब उ

नहीिं हुआ। मैंने ने

ीट बक ु करवा ली थी। लड्िा मझ ु े कहने लगा, ”

गुरमेल ! हमारी इतनी ज़मीन िायदाद है म्ि कर िेयरी और आया और

ोल्टरी का बबज़नै

करना

ला आया और उ

ता है , उ

काम खब ू

ल रहा था। िल्दी ही उ

र िब हम

का

ने

तक मुझे लाने

को

िंभालने की अब िरुरत है , मैं वहािं िा

ाहता हू​ूँ “, उन की बातों

ो ा कक वह इिंड्िया िा कर रह नहीिं

लड्िा इिंड्िया

ो ा कक वोह यूिं ही बोलता था

केगा और िल्दी वा

े मुझे यकीन नहीिं आ िाएगा।

ोल्टरी और िेयरी का काम शुरू कर ददया लेककन यहािं

ोल्टरी फ़ामद का काम कामयाब नहीिं हुआ था लेककन िेयरी का ने शादी करवा ली थी। अ ने प ता िी के अकाल

भी इिंड्िया गए थे तो उ

ले िाती थी और उन का मेक अप्

की

त्नी गरु मीत हमारे बच् ों को अ ने घर

करती रहती थी और लड्िा भी रीटा प क िं ी को बहुत

प यार करता था। गुरमीत के कक ी ररश्तेदार की लड़की की शादी िालिंिर में थी और लड्िे ने मुझे भी इ

ाथ िाने को बोला था और मैं भी इ

शादी में शासमल हुआ था।

शादी के बारे में वणदन करने का मेरा मक द यह ही है कक मैं यह शादी दे ख कर इ

सलए है रान हुआ था कक लड़का एक थे और औरतें

िी हुई घोड़ी

ि ि​ि कर बािे वालों के

ीछे

र िा रहा था, बािे वाले बािा बिा रहे ीछे ना

रही थीिं। उ

मय मेरे सलए यह

एक नई बात थी कक इिंड्िया ककतना आगे बढ़ गया था और हम इिंगलैंि में रहते इिंड्ियन अभी वही​ीँ ही खड़े थे िब इिंड्िया

े रुख त हुए थे। द ु री बात थी ड्िनर की िो बड़े बड़े टे बलों

िा हुआ था और महमान अ नी अ नी प्लेटों में खद ु अ नी मज़ी के मुताबबक िाल कर म्ि​िर मज़ी ले िाते, यार दोस्त अ ने ग्रु ों में बैठे खाते और हूँ ते। मैंने यह बहुत मज़ेदार मह ू

ककया ककओिंकी िब मैने भारत छोड़ा था तो यह

ब नहीिं होता था। कुछ ही

ालों में

भारत में इतनी तब्दीली आ गई थी। इ

के बाद मैं लड्िे को 1982 में समला था म्ि

के बारे में मैं 129 130 काूँि में सलख

क् ु का हू​ूँ। एक दफा लड्िे ने मुझे कहा था, ” गुरमेल ! गाूँव में रहना बहुत मुम्श्कल है ” और


मुझे

ाल का तो याद नहीिं लेककन लड्िा

ला तो मैं और िगदीश उ

मु

वा

इिंगलैंि आ गया था। िब मुझे

ता

को समलने गए थे। तब बहादर ने अ ना नया घर ले सलया

था। लड्िा बहुत खश ु हुआ और हम ने बहुत बातें कीिं। कुछ दे र बाद ही लड्िा कफर वा ब ों में लग गया। उ

का ररकािद अच्छा था और आते ही काम शरू ु कर ददया। दुःु ख की

बात यह है कक अभी कुछ महीने ही उ ि​िली रोि ह

ने काम ककया था कक उ

को स्रोक हो गया और

ताल में दाखल कर सलया गया।

बहादर का मझ ु े टे लीफोन आया और हम उ ी वक्त बसमिंघम

हुूँ

गए। िब मैं और बहादर

दोनों वािद में गए तो लड्िे को दे ख कर मुझे िक्का लगा ककओिंकी लड्िा बेहोश था और इदद चगदद मशीनें लगी हुई थीिं। दख ु ी दहरदे ! मैं गुरमेल आया हू​ूँ, अगर आूँखें खोली और थोड़ा भी आये हुए थे। इ इ

े मैंने लड्िे का हाथ िीरे

ा हाथ दहलाया। ज़्यादा दे र हम रुक्के नहीिं ककओिंकी समलने वाले और के कुछ ददन बाद ही लड्िे ने हमेशा के सलए अ नी आूँखें बिंद कर लीिं।

बहादर की हर कोसशश यह ही थी कक लड्िे की िाएूँ और वह फ्यूनरल होने

हले

गए और कुछ दे र बाद ही लड्िे की

की िीटे ल में मैं नहीिं िाऊूँगा लेककन

त्नी और बच् े म्ितनी िल्दी हो

त्नी और बच् े भी इिंड्िया

हुूँ

े आ गए। आते ही उन्होंने

ुछा लेककन अभी उन्होंको बताया नहीिं गया ताकक वह कुछ खा

त्नी गुरमीत और उ

के आ

हले आ भी गए। मैं और कुलविंत बहादर के घर

ाहब की बीड़ उ रले कमरे में शुशोबत थी और ग्रिंचथ दो दफा अब लड्िे की

कड़ा और बोला, ” लड्िे

ह ानता है तो अ ना हाथ दहला “. लड्िे ने बड़ी मुम्श्कल

दुःु ख की घड़ी में बहादर को मैं दाद दे ता हू​ूँ। इ

लड्िे के बारे में

ी लें । ग्रन्थ

ाठ करने आता था।

के बच् ों को बताना बहुत कदठन था। मैं और बहादर

ऊ र गए और ग्रिंचथ िी को कहा कक वह बताएिं कक क्या हो गया था। ऐ ी दघ द ना को ु ट बताना ककतना मम्ु श्कल होता है और ख़ा

कर

त्नी और बच् ों को, यह हम मह ू

कर रहे

थे। चगयानी िी नी े आ गए और बैठ कर बातें करने लगे और कफर कुछ दे र बाद गरु मीत को मुखाबत हो कर बोले ,” बीबा ! अब आ मतलब है आ

को मज़बूत होना

ड़ेगा “, गरु मीत ने

का ?, तो चगयानी िी बोले ,” बीबा हरसमिंदर स हिं अब इ

ुछा क्या

दन्ु याूँ में नहीिं रहे

” . यह

ुनते ही गरु मीत ने

ीखें मारनी शुरू कर दी। लड्िे का बड़ा लड़का तो

ागल हो गया, वह बोले िा रहा था,” रब्ब मेरे

ामने आ िाए, मैं उ

. .” , वह गुस् े में बहुत बोल रहा था, बहादर ने उ े

ुन कर िै े

के कुत्रे कर दिं ग ू ा. . .

कड़ा और उ े शािंत करने की कोसशश


की लेककन वह ऊिं ी ऊिं ी बोले िा रहा था और ज़ार ज़ार रोने लगा। यह रोना िोना कब तक

लता, उबल उबल कर

ब शािंत हो गए और

ारी बात िीरे िीरे गुरमीत को बताई

गई। लड्िे की बेटी बहुत रो रही थी। बहुत रात हो गई थी और हम भी वा अब रोज़ हम बहादर के घर िाते और बैठे रहते। क्रीमेशन

िो बहादर के ताऊ िी का बेटा है , लड्िे को नहलाने गए। उ

हले मैं बहादर और

का कुछ

को गोगी

ता नहीिं था कक वह कहाूँ रहता था। बहादर ने रे ड्िओ

िंदेश ददया कक अगर गोगी यह ता नहीिं

े लड्िे को नहलाया

हनाए लेककन ददल रो रहा था। लड्िे का एक छोटा भाई भी है म्ि

कह कर बुलाते हैं, उ

रमिीत

का शरीर मो रद ी में था।

मो रद ी में नहलाने का बहुत अच्छा प्रबिंि था। मैं और बहादर ने दही और क िे

आ गए।

ुन रहा हो तो िल्दी आ कर समले लेककन उ

का कुछ

लता था।

बहुत ददन तक ररश्तेदार ख़ा

कर लड्िे के ब ों वाले दोस्त रोज़ आते थे। लड्िा

दोस्त था और फ्यूनरल वाले ददन बहुत लोग आये थे। हाल लोगों ुन्दर बॉक्

में लड्िे का शरीर

ड़ा था, िब

अिंदर की ओर िाने लगा और

ाथ ही

रोती हुई गुरमीत और बच् ों को बच् ों, बहादर और उ

के

पव

े भरा हुआ था। एक

ऑन हुआ तो बॉक्

दाद बिंद होने लगा और

िीरे िीरे रे सलिंग

ैि मयम्ू िक बिने लगा।

ािंत्वना दे ते हुए बाहर ले आये। लड्िे की

ा ा िी के मन

ब का

त्नी, उ

र क्या गुज़र रही थी, यह हर कोई

के मझ

कता है लेककन मैंने अ ना दोस्त खो ददया था। अ ने प यारे दोस्त के छोटे कता, उ

े इतहा

के

ाथ ही मैं बहादर की श्लाघा ककये बगैर नहीिं रह

ने एक और बहुत बड़ा काम ककया था, एक

कर ददया था म्ि बारे में मैं सलख ैरों

र चगर

े हरा भरा

को अब फल लग गए हैं। बहादर और लड्िे का छोटा भाई गोगी म्ि क् ु का हू​ूँ, उ

का कोई

ता नहीिं

हो गया था। एक ददन बहादर के दरवाज़े के

ूख गए बक्ष ृ को कफर

ल रहा था। लड्िे को गज़ ु रे काफी अ ाद

र दस्तक हुई, िब दरवाज़ा खोला तो गोगी बहादर

ड़ा और मुआफी मािंगने लगा कक वह गुमराह हो गया था। बहादर उ

अिंदर ले आया। गोगी को ड्िप्रैशन हो गया था। बहुत महीनों तक उ यह कहानी बहुत लधबी है म्ि

के

का इलाि

को

लता रहा।

की िीटे ल में मैं नहीिं िाऊूँगा। बहादर ने अ ने भाई गोगी के

सलए बहुत कुछ ककया। एक लड़की

े उ

की शादी करवा दी और अब गोगी की लड़की है

िो काफी बड़ी हो गई है । गोगी का अ ना घर और अच्छा कारोबार है , हिं ी ख़श ु ी रह रहे हैं और यह

ेहरा बहादर के

र ही िाता है ।


लड्िा तो इ

िं ार में नहीिं रहा लेककन उ

की

त्नी और बच् े अच्छी तरह इिंगलैंि में

ैटल हैं। बच् ों की शाददयािं हो गई हैं और लड्िे का

ररवार

ुख

े रह रहा है । बहादर के

ा ा िी बहुत वर्द हुए ररटायर हो कर कभी इिंड्िया आ िाते, कभी इिंगलैंि लेककन कुछ बाद वह इिंगलैंि में ही यह के

िं ार छोड़ गए थे। बहादर की माूँ इिंगलैंि में ही थी, कभी गरु मीत

ाथ रहने लगती, कभी बहादर के

नहीिं बोलती थी लेककन छोड़ गई थी और उ न्मान

त्र में वह

वाकई यह

ब के

ाल

आ िाती। बहादर की माूँ बहुत भोली थी, ज़्यादा

े मुहबत करती थी लेककन बहुत न्मान में मैंने छोटा

न्मान

ाल हुए वह भी इ त्र गुदद आ ु रे में

िं ार को

ड़ा था। इ

ुरानी यादें ही थीिं।

िं ार एक समथ्य ही है , कोई िनम लेता है , कोई

ले िाता है , एक ददन हम भी

नहीिं रहें गे और नए महमान हमारी िगह ले लें गे। िग्ग वाला मेला यारो, थोड़ी दे र का, हूँ ते ही रात िाए, लता…

ता नहीिं

वेर का।


मेरी कहानी - 132 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 23, 2016 प क िं ी की शादी हुए एक वर्द बीत कालि

क् ु का था और रीटा ने भी बीटै क कर सलया था और उ े

े फागद होते ही टीए बी बैंक में िॉब की ऑफर आ गई िो उ

स्वीकार कर ली। बैंक भी टाऊन और रीटा की एक क्ला

ने उ ी वक्त

ेंटर में ही थी और िाना आना भी कोई मम्ु श्कल नहीिं था

फैलो भी कुछ ददन हुए यहीिं काम

रीटा को आईं लेककन िल्दी ही उ

ने

ब कुछ

लगी। कभी मैं उ े छोड़ आता और कभी वह ब

े लगी थी। शुरू में कुछ मुश्कलें

मझ सलया और अ ने काम में े

न द रहने

ली िाती।

अभी कुछ महीने ही हुए थे कक एक ददन बुआ और ननिंदी आये। बुआ ने कुलविंत को बताया कक उन की ननगाह में एक अच्छा लड़का है और खानदान भी अच्छा है , स फद एक ही बात है कक लड़के का प ता ड्रिंक बहुत करता है लेककन शरीफ इतना है कक उन के इतना शरीफ कोई नहीिं है ।

न ु कर मझ ु े कुछ िक्का

ारे खानदान में

ा लगा क़्योंकक अभी एक

हुआ था प क िं ी की शादी को। ऐ े तो घर में एक दम हम अकेले

ढ़ िाएिंगे, मैं

ाल ही तो ो ने लगा।

कुलविंत ने मुझे कहा कक शादी तो हम ने एक ददन करनी है ही, अगर ररश्ता अच्छा समल िाए तो िल्दी क्या और दे र क्या। कफर हम ने रीटा लड़के इ

े समलकर ही कुछ बता

े बात की तो उ

ने कहा कक वह

कती थी।

के कुछ हफ्ते बाद ही लड़का और उन के माता प ता हमारे घर ही आ गए, लड़के के

दादा िी भी

ाथ ही थे।

ाय

ानी के बाद रीटा और कमलिीत को आ

का अव र ददया गया। कुछ दे र बाद िब वह दोनों हमारे अकेले में

छ ू ा कक उ

को लड़का

ाूँवले रिं ग का है लेककन बता दी थी कक इ

में बात करने

आये तो हम ने रीटा को

िंद था या नहीिं। रीटा ने कहा कक बेछक कमलिीत कुछ

ने ुभाव में हमारे खानदान िै ा ही है । यह बातें बआ ु

खानदान में

हले ही हमें

भी बच् े बहुत अच्छे हैं और लगता था कक इन को इिंगलैंि

की कोई हवा ना लगी हो, इिंड्िया में ही रहते हों। रीटा और कमलिीत दोनों के हाूँ कहने कमलिीत के दादा िी ने रीटा को उ ी वक्त शगन ु दे ददया और बात अ नी बहन और

क्की हो गई।

ुरिीत कौर और चगयानों बहन को हम ने बता ददया और वह बहुत खश ु हुए

भी हमें विाइयािं दे ने लगे कक हम युवावस्था में ही कबीलदारी की म्ज़धमेदारी

हो िाएिंगे। अब कफर

े फागद

े वह ही तैयाररयािं होने लगीिं लेककन अब की बार खाना हम ने कक ी

हाल में दे ने का मन बना सलया था और हमारे

मिी मिंगल स हिं िी की भी यही इच्छा थी


ख़ा

कर कमलिीत के दादा िी की। कमलिीत के दादा िी तो इतने अच्छे थे कक शादी के

बाद कभी मैं दे र

े उन्हें समलने आता तो मुझे खझड़कते कक मैं उनको समलने के सलए इतनी

दे र क्यों लगा दे ता हू​ूँ। वह अब नहीिं रहे लेककन आख़री दम तक वह मेरे गाए िासमदक गीतों की टे

को

न ु ते रहे । मैं कोई इतना अच्छा गायक तो नहीिं हू​ूँ लेककन म्ितना भी मझ ु े गाना

आता था रोज़ हारमोननयम

े गाता रहता था और कभी ररकािद भी कर लेता था । एक बात

और भी थी, कक कमलिीत के दादा िी 90 के ऊ र थे, उनके घुटने नकारा हो इ

सलए

ारा ददन अ ने कमरे में बैठे रहते या

िंिाबी के अखबार

क्के थे,

ड़ते रहते या मेरी टे

ुनते रहते। मेरे छोटे भाई तब इिंड्िया में ही रहते थे और मेरी इच्छा थी कक वह भी रीटा की शादी अटैंि करे । ननमदल बहुत दफा इिंग्लैण्ि आने की कोसशश कर नहीिं रहा था। कफर िब एक खत में उ नहीिं है तो मझ ु े एक आईिीआ

क् ु का था लेककन उ

ने सलखा कक इिंगलैंि का

ानी उ

को वीज़ा समल की ककस्मत में

झ ू ा। मैंने एक लैटर बब्रदटश हाई कसमश्नर ऑफ इिंड्िया

ददल्ली को सलखा कक मैं अ नी बेटी रीटा को उ

की शादी

र एक

रप्राइज़ दे ना

ाहता

था। मैंने सलखा कक मेरी बेटी ने मेरे भैया को तब का दे खा हुआ था िब वह बहुत छोटी थी। मैं एक बब्रदटश

ोटद होल्िर था म्ि

का नमबर यह और यह

ीटरबरह

े इ

इशू हुआ था, कृ ा उन को कुछ ददन के सलए आने की इिाित दे दी िाए। मझ ु े अगर वीज़ा समल गया तो यह छै महीने के सलए ही होगा। मैंने ननमदल की हले ही सलख दी थी। ननमदल िब ददली इिंटरवयू के सलए गया तो उन्हों के ड्िटे ल तो

ता था कक

ारी ड्िटे ल भी ा

मेरी

ारी

हले ही मौिूद थी, उन्होंने उ ी वक्त वीज़ा लगा ददया।

इिर तो हम शादी की तैयाररयािं कर रहे थे और उिर चगयानों के छाती में

िेट को

ानी भर गया। एमरिैं ी उन को ह

औ रे शन करना

ड़ा। कुछ ददन ह

कक एक न द ने इिर

नत भैया अिुन द स हिं की

ताल में भती कराया गया और तुरिंत उन का

ताल में रह कर वह घर आ गए और हम

कड़ा एक ने उिर

े हिं ने लगे

कड़ा और उनको ढा सलया। ऐ े बहुत

बातें उन्होंने कहीिं और िीरे िीरे वह अच्छे होने लगे। इ ी दौरान उन के लड़के बलविंत ि विंत अक् र हमारे घर आते रहते और हम उन

े मशवरा करते रहते। गसमदओिं के ददनों

में शाददयािं बहुत होती हैं और इन ददनों हाल समलने मुम्श्कल हो िाते हैं। उन ददनों बड़े होटलों में ड्िनर दे ने का ररवाज़ नहीिं था।


स टी कौं ल के दफ्तर में एक ददन मैं गया और की शादी थी, उ

मेरे उ

तारीख को रीटा

ैंिीफोिद हाई स्कूल का हाल खाली था यानन कक कोई बुककिंग नहीिं थी।

ददन

मैंने उ ी वक्त ड्ि ॉम्ज़ट दे ददया और एक सलए इ

ता कर सलया कक म्ि

रददी खत्म हो गई। इ

के बाद खाने बनाने के

दफा अ ने एक दोस्त की समठाई की दक ू ान में गया। मेरे यह दोस्त

हले ब ों में

ाथ काम ककया करते थे और अब उ ने काम छोड़ कर यह काम शरू ु कर ददया था, के बेटे भी

ाथ थे। यह थे समस्टर वमाद और इन्होने अभी दो

DIOMOND FOOD के नाम िो िो उ

ने

ाल

हले ही यह काम

े शुरू ककया था।

प्लाई करना था, मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्होंने खद ु ही हाल में खाना

ड्िस् ोिेबल रे ओिं में िालना था और हमारे लड़कों ने महमानों को उन्होंने खद ु ही

वद करना था। आखर में

ब बतदन ले िाने थे और हमारी कोई म्ज़धमेदारी नहीिं थी। बीयर

प्लाई के

सलए मैं ब्लॉक् पव

ले गया। िब कभी मैं वाल ाल गैरेि में काम ककया करता था तो

बीअर की दक ू ान इ

गैरेि के

थे, िानता था। बॉब के बैरल के

ाथ

िं

ाथ

ाथ ही होती थी, तब ारी

ैटलमैंट हो गई। उ

कफट कर दे ने थे और

इ ी दौरान बहन चगयानों के कफकरमिंद होने लगे। म्ि

ार

ौ ग्ला

े मैं इ ने

शख्

ले आने थे। यह बड़े काम हो गए थे।

गुदद आ ु रे में शादी की र म होनी थी, उ

अिुन द स हिं गुदद आ ु रे में िा कर प्रिान

भी

ददन हीथ्रो एअर ोटद

भी

गुदद आ द ु रे में भैया अिुन ब कुछ कफक्

कर

के बाद भैया िी कभी गद ु दआ ु रे में नहीिं िा

कुछ ददन बाद मेरे भाई ननमदल का टे लीफोन आ गया कक वह इ और कुलविंत उ

ढ़ गए और हम

त्कार करते थे। एक ददन मैं और भैया

े समल कर शादी के बारे में

सलया था और दुःु ख की बात यह है कक इ

को बौब कहते

ीिा हाल में आकर बीअर के

नत भैया अिुन द स हिं ज़्यादा बीमार

स हिं िी ने बहुत काम ककया था और उनका

म्ि

र िा

के।

तारीख को आ रहा था। मैं

हुिं े। ननमदल हमें दे ख कर खुश हो गया और

हम उ े घर ले आये। ननमदल के आने और कुलविंत काम

े घर में रौनक हो गई। शादी में अभी काफी

मय रहता था और मैं रीटा

र िाते थे। घर में ननमदल अकेला बोर ना हो िाए, इ

लाएब्रेरी ददखा दी थी और

सलए मैंने उ

ारा टाऊन का रास्ता भी ददखा ददया था। ननमदल अ ने आ

लाएब्रेरी में िा कर अख़बार या ककताबें बगैरा

ड़ता रहता और कभी टाऊन को

ले िाता।

मैं भी घर आता िाता ही रहता था और कभी कभी मैं ननमदल को प आि वाले

राठे बना

कर खखलाता। प आि वाले

को

राठे उ

के

िंदीदा थे। कुछ दे र बाद िब मैं और कुलविंत राणी


ुर गए थे तो ननमदल की

त्नी

रमिीत ने हमें बताया था कक एक दफा िब ननमदल के

दोनों बेटे कक ी बात को ले कर झगड़ रहे थे, िै े ब

न में बच् े झगड़ते हैं तो ननमदल

उनको बोल रहा था कक “मेरा भाई इिंगलैंि में इतनी उम्र का हो कर भी अ ने हाथ बना कर मझ ु े खखलाता था और तम ु छोटी ादहए और लड़ना झगड़ना नहीिं

ी बात

र झगड़ रहे हो ” तध ु हें कुछ

राठे

ीखना

ादहए।

शादी के ददन नज़दीक आ रहे थे और इिर भैया अिुन द स हिं की नामरु ाद बीमारी ने उन

र हमला कर ददया था। कुछ

ार ाई

मय

ड़ गए थे, कैं र

हले िो उन की छाती में

ानी भर गया था और ऑ रे शन हुआ था, वह ठीक नहीिं हुआ था और कैं र

ैल शरीर में

फ़ैल गए थे । भैया अिुन द स हिं काफी तगड़े थे और उन्हें कभी बीमार दे खा ही नहीिं था। अब भी वह िब

ार ाई

ड़े थे तो हमारे

ाथ हिं

की बात है वह िल्दी ठीक हो कर शादी के शादी के कािद इ

दफा प क िं ी के

नत

हिं

कर बात कर रहे थे कक कुछ ददनों

ारे काम करें गे।

रनिीत ने पप्रिंट ककये थे क़्योंकक वह पप्रिंदटिंग का काम

ही करते थे। िो नज़दीकी ररश्तेदार थे उन को हम खद ु उन के घर िा कर कािद दे आये थे और अन्य ररश्तेदारों को ननमदल का

ाथ होने

ोस्ट कर ददए थे। कफर

े घर में रौनक होने लगी और इ

े हमें बहुत हौ ला था। बहादर और कमल भी बी

प क िं ी की शादी के वक्त मुझे हर दम कफ़क्र रहता था लेककन इ लगता था िै े खद ु बखुद शकर ारे

बी

दफा

आ िाते।

दफा मैं ननम्श् त िं था।

ब काम हो रहे थे। टैंट कफर लग गया, गोगले

कौड़े मठीआिं

ीरनी बनने लगे।

िीरे िीरे महमान आने शुरू हो गए और एक ददन हल्दी की र म के लोग गीत शुरू हो गए।

ु राल

े प क िं ी भी कुछ ददन

ाथ ही स्त्रीओिं के

हले आ गई थी। म्ि

ड़ ू े की

र म थी, उ

ददन मैं भैया अिन ुद स हिं को समलने गया। उदा

दे खा और रो

ड़े। उन के वह शब्द मझ ु े आि तक नहीिं भल ू े,” रीटा की शादी हो रही है और

मैं बदककस्मत यहािं

ड़ा हू​ूँ “,

नज़रों

ददन

े उन्होंने मेरी तरफ

ुन कर मेरी आूँखों में भी आिं ूिं आ गए। कुछ दे र बैठ कर मैं

आ गया। आि कफर हमारे महमान नानकी छक लेकर हमारे दरवाज़े तरफ िोक् और

के तीर छोड़ रही थीिं और कफर हिं

भी भाई रीटा को

ड़ ू ा

ड़तीिं। कुछ

र खड़े थे। औरतें एक द ु रे की मय बाद

भी भीतर आ गए

हनाने लगे। हम बाहर टैंट में बैठे गप् ें हािंक रहे थे। लेककन

एक बात हमेशा मेरे ददल में रही है कक बलविंत ि विंत और उन की

त्नीआिं हिं

हिं

कर


ब काम कर रही थीिं िब कक उिर उन के िैिी, भैया अिुन द स हिं बात को मैं कभी भी भूल नहीिं

ाया हू​ूँ,

लेककन यह मैं कभी नहीिं भूलूिंगा कक इ हमारा

ाथ ददया है ।

गद ु दआ ु रे िाने

मय

मय

ार ाई

ड़े थे। इ

र पव ारों में अिंतर् आ

चगयानों बहन के खानदान ने हमारे

कता है गों

े ज़्यादा

ब ु ह को उ ी गद ु दआ ु रे रामगदढ़या बोिद में शादी की र म होनी थी।

हले हम ने

ो ा कक भा िी अिदन स हिं को कक ी तरह वील

अ े र में

बबठा कर गुदद आ ु रे में ले िाएूँ और उन की एक फुफड़ की समलनी करा दें । मैं और बलविंत गए लेककन भा िी इतने तिंदरुस्त नहीिं थे, वह कफर रो

हुए हम वा

आ गए।

अब की बार मैरेि की रे म्िस्रे शन गुदद आ ु रे में ही हो िानी थी। बरात बसमिंघम

े ही आखण

थी, इ

सलए िल्दी ही

हुूँ

ड़े। उदा

गई थी । गुदद आ ु रे के बड़े दरवाज़े

र अब कफर लड़ककयािं बारात

के स्वागत के सलए खड़ी थीिं और कुछ हिं ी मज़ाक के बाद बरात को अिंदर आने ददया गया। समलनी की रस्म शुरू हो गई और आि मैं अ ने द ू रे

मिी

रदार मिंगल स हिं के गले में

हार िाल रहा था। समलनी के बाद बरात को ब्रेकफास्ट ददया गया और कुछ दे र बाद ऊ र के हाल में आने लगे। इ

भी

दफा भी ज़्यादा वक्त नहीिं लगा। आनिंद कारि के बाद यहीिं

बैठे बैठे मैरेि ररम्िस्रार ने रीटा और कमलिीत की OATH की र म कर दी और मैरेि दटद कफकेट उ ी वक्त दे ददए। गुदद आ ु रे की

ारी रस्में होने के बाद

ीिे

ि ैं ीफोिद हाई स्कूल के हाल में िाने लगे।

ि ैं ीफोिद स्कूल का हाल तकरीबन तीन मील दरू था। िब हम रीटा को ले कर वहािं ारा हाल महमानों लड़के अ ने

ाि

े भरा हुआ था और हर

ीज़ एक दम

रु कर रहे थे। बीअर वाले ने बीअर के

हुिं े तो

ैट थी। समऊिीकल बैंि वाले ध

कफट कर ददए थे और ग्ला

भर रहा था और लड़के महमानों के आगे रख रहे थे। अब गाने शुरू हो गए थे। कुछ रस्मों के बाद केक काटने का वक्त आ गया। यूिं ही कमलिीत और रीटा ने केक काटा,

टाखे और

कॉन्फैदट की बाररश शुरू हो गई। शैध ेन की बोतल कमलिीत ने खोली और बोतल की झाग दरू दरू तक फ़ैल गई और मिंगल स हिं और उन के

ाथ ही शोर म भी

ाथी

गया और िािं

शुरू हो गया।

ीने के शौक़ीन थे। मिंगल स हिं के प ता िी म्िन को मैं

मा ि िी कह कर बुलाता था, मुझे इच्छारा करके मुझे बुलाते और कहते, ” गुरमेल स हिं ! इ

ग्लॉ ी

े एक घूँट ू

ी ले “. मैं कहता, “मा ि िी! मैंने तो

प्लीज़ रहने दो “,लेककन उन की म्ज़द को दे खते हुए मैं एक स कफर मुझे इच्छारा करते और मुझे अ ने

ारे काम करने हैं, इ

सलए

ले लेता। कुछ दे र बाद वह

बबठा लेते और कहते, ” गुरमेल बेटा मैं बहुत


खश ु हू​ूँ, कक रीटा अब हमारी बेटी हो गई “, कुछ दे र बाद मैं उठ कर आ िाता लेककन यह मा ि िी का समलते हैं अब िािं

च् ा प्रेम था म्ि

को बाद में मैंने िाना। मिंगल स हिं भी वै े ही हैं, िब भी

गे भाईओिं की तरह समलते हैं। फ्लोर

थे। ख़श ु ी ख़श ु ी

भी ना

ारा शादी का

रहे थे। मैं कुलविंत और ननमदल मागम

भी गमद िोशी

ध न हो गया और हम

ाए

ी रहे थे। कुछ दे र बाद रीटा गाड़ी में बैठ गई थी और

े समल रही थीिं। कुलविंत मैं और ननमदल िाने का समश्रण ही तो था। गाड़ी आूँखों गए थे। िीरे िीरे

धबन्िी टैंट में भी

खखआिं उ

भी रो रहे थे। इन आिं ूओिं में ख़श ु ी और बबछुड़ े ओझल हो गई थी और हम उदा

भी अ ने अ ने घरों को

ले गए और द ू री

रनिीत भी

ले गए। कुछ ददन अिीब लगा और म्ज़िंदगी कफर

माि में इ

को ही तो पवचि का पविान कहते हैं।

लता…

रहे

ब घर आ गए और पवदाई

की तैयाररयािं शुरू हो गईं। मिंगल स हिं , मा ि िी और उन के और करीबी बैठे थे और

े ना

हुए भीतर आ

िं ी और ुबह को प क टरी

र आ गई, हमारे


मेरी कहानी - 133 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 26, 2016 रीटा की शादी हो िाने के बाद, घर खाली खाली लग रहा था। और कुलविंत भी काम लाएब्रेरी में

ले िाते और

ले िाता। कुछ

ाल

िंदी

हले ननमदल की

त्नी

थी,

प् ू उ

थी ताकक

आया था।

ू इिंगलैंि में

रमिीत की बहन ने

ैटल हो

के।

कुलविंत

ब ु ह ही कॉवेंरी

में बरात लीि कुलविंत ने

हुूँ

हुूँ

गए थे।

प् ू के

कॉवेंरी आ गए थे और हम भी वा मय बाद ही

समल गया था, इ

ददन बरात लीि को िानी थी, मैं और

अ ने टाऊन आ गए थे।

प् ू की शादी हो िाने के के थे क्योंकक इ

त्नी के शहर लीि में ही रहने लगा था और वही​ीँ उ

सलए उ

को समलने हम िा नहीिं

के थे।

प् ू और उ

लीि के बीस्टन इलाके में अ ना घर ले सलया था। अब ननमदल को था। एक ददन मैं कुलविंत और ननमदल े कुछ क िे मोटरवे M6

प् ू और उ र हम िा

की

ुबह

िब हम लीि

को काम त्नी ने

े समलवाने िाना

ुबह लीि की तरफ ननकल

ड़े। ननमदल इिंड्िया

त्नी के सलए ले के आया था। तकरीबन

ाठ

त्र मील

क् ु के थे, अ ानक ननमदल बोल उठा, “भा िी क िे तो हम घर ही र गाड़ी हम ने खड़ी की,

गाड़ी मोड़ ली। अ ने घर

की

के कुछ

प् ू

भूल आये। बातें करते और हूँ ते हम िा रहे थे कक एक दम उदा ही भूल आये। एक कैफे

में िाना था। तीन घिंटे

ाटद अदा ककया था। शादी के बाद वा

प् ू को समलने के सलए कॉवें री हम िा

प् ू अ नी

प् ू की

ै ल टाऊन गुदद आ ु रे में आनिंद कारि हुआ था और

ाथ बैठ कर एक भाई का

बाद एक दो दफा ही

प् ू के सलए कोई लड़की दे ख रखी

भी बारानतयों को एक को

गई थी। लीि के

रमिीत की बहन रहती

प् ू का ररश्ता लीि में हो गया था और

शादी में हम को भी इन्वाइट ककया गया था। म्ि

ी कर

रमिीत के भाई तर ेम स हिं म्ि

प् ू बोलते थे, इिंग्लैण्ि आ गया था। इिंगलैंि के कॉवें री शहर में ा

ले िाता, मैं

ीछे रह िाता ननमदल। ननमदल भी खा

को

के

स्कूल

हुूँ

हले

ाय बगैरा

कर क िे बगैरा सलए और वा

हुिं े तो एक दो बि

क् ु के थे।

हो गए कक तोहफे तो घर ी और

लीि की तरफ

ड़े।

प् ू को समल कर मन खश ु हो गया।

प् ू

बहुत खश ु तबीयत है । बातें करते करते

प् ू अ ने

सलए खाना ले आया।

त्नी ने अभी घर सलया ही था, इ

प् ू और उ

की

े बन कर आये थे । कुछ दे र बैठ कर हम वा

ीछे की तरफ

ु राल के घर को अ ने शहर को

ले गया और हमारे ड़े।

सलए खाने वही​ीँ


एक ददन हम ने बलैक ूल िाने का प्रोग्राम बना सलया। ब्लैक ूल एक भारतीओिं के सलए ब्लैक ूल एक फेवररट

ाइि शहर है । हम

ी ाइि स् ॉट है । यूिं तो इिंगलैंि में बहुत

ी ाइि

हॉसलिे बी ि हैं लेककन हमारे समिलैंि के ननवास ओिं के सलए ब्लैक ूल बहुत लोग पप्रय है । ब्लैक ल ू में ही

ैर

के आइफल टावर िै ा टावर है , आइफल टावर म्ितना ऊिं ा तो नहीिं है

लेककन कफर भी काफी ऊिं ा है और

ीदढ़यों के ज़ररये ऊ र

सलए लोग बहुत उत् क होते हैं। वै े भी इ शुरू होते ही लाइट् लोग

ारे बी

कैफे

र रिं ग बबरिं गी लाइटों

भी कहा िाता है .बी

ड़े। इ

े बी

िग मगा उठता है । इ

े ज़्यादा मज़ा लेना

लती है , म्ि

ददद यािं

को ब्लैक ूल में बैठ कर

ाहते थे, इ

ौ कारें

ाकद हो

कती हैं और इ

ुसभदा होती है । रै स्टोरैंट, दक ु ाने,

होती हैं। ऐ े कैफे हर

फर लधबा होता है , इ का काम करते हैं। इ

सलए मोटर वे

र बने दो

ाय काफी का मज़ा सलया। कई कैफे तो छोटे हैं लेककन कई तो बहुत

में दो दो तीन तीन

ाकद करने की

ती

मील के फा ले

ैरोल

र मोटर वे

के इलावा बहुत

े रक्क

और गैंबसलिंग मशीनें भी र बने होते हैं। क्योंकक

सलए कुछ दे र आराम करने के सलए यह कैफे एक प कननक स् ौट िगह आ कर मन खश ु हो िाता है । घिंटा आिा घिंटा

भी खा

ी कर

फर शुरू कर दे ते हैं।

िब हम ब्लैक ूल ैम्ल् य

ढ़ने के

का नज़ारा दे ख लेते हैं। मैं कुलविंत और ननमदल तीनों मोटर वे M 6

र हम ठहरे और

आगे का

र दे खने के सलए बहुत कुछ है ।

के ककनारे ककनारे एक राम भी

फर का हम ज़्यादा

बड़े हैं म्ि भी

ारे बी

बी

ढ़ना होता है । इ

हुिं े तो

ूयद अ ने

ूरे यौवन

होगा और ऐ ा ददन मुम्श्कल

भरो ा नहीिं ककया िा

र था और ता मान

ती

ड्िग्री

े समलता है क्योंकक इिंगलैंि के मौ म का कभी

कता। िब हम

हुिं े तो गाड़ी

ाकद करने के सलए बी

के नज़दीक

िगह समल नहीिं रही थी और िब समली तो बहुत दरू समली और हम को बहुत दे र तक लना

ड़ा। िब हम बी

हुिं े तो बहुत रौनक थी और हम ने

लते हम फन फेयर की तरफ खड़े हो गए म्ि

ले गए,

हले हम एक बड़े

ैर शरू ु कर दी। े बुत्त के

को लाकफिं ग मैन कहा िाता था, अब भी यह वहािं होगा मझ ु े

लेककन बहुत दे र तक हम इ

के

लते

िा कर

ता नहीिं

खड़े खड़े हूँ ते रहे । यह लाकफिं ग मैन इतना हिं

था कक िो भी दे खता, हिं े बगैर नहीिं रह

ैदल

रहा

कता था। हिं ने का अिंदाज़ ऐ ा था कक कुछ क्षण

रुक कर यह कफर ऊिं ी ऊिं ी हिं ने और दहलने लगता, कभी हूँ ते हूँ ते दहू रा हो िाता और ाथ ही

ब दे खने वाले हिं ने लगते। इ

कध ाउिं ि में घु

के बाद हम ने दटकट सलए और फन फेयर के

गए िो कई एकड़ िगह में फैला हुआ है और इतने ककस्मों के झूले हैं कक


हम को दे ख कर ही िर लगता था लेककन लड़के लड़ककयािं तो उन

ढ़ कर िोर िोर

ीखें मार रहे थे। हर तरफ बच् ों का शोर ही शोर था। मैं और ननमदल भी एक झूले गए। यह बहुत बड़ा था और इ

र छोटे छोटे ऐरोप्लेन की शकल के बॉक्

में दो दो

र तकरीबन बी

ीटें थीिं। िब इ

झूले

क्क्र में घम ू ने लगा। घम ु ते घम ु ते यह गड्ड़यों

र िोर

तो ककया था, ब बहुत तेज़ी िोर

को

गिीआिं उड़ ना िाएूँ। अब हम ने इदद चगदद दे खना

धभाल रहे थे कक कहीिं चगर ना िाएूँ। कुछ ही दे र में यह

र कफर कभी नहीिं

ामने लोहे के हैंिल को हम ने बहुत

वक्त कोई हमारी फोटो खीिं ता तो हम काटूदन लगते।

आखर में घिंटी बिने लगी और फुल स् ीि दब ु ारा इ

बने हुए थे म्िन

लोग हो गए तो यह झल ू ा गोल गोल

े घूमने लगा और हम घबरा गए। अ ने

कड़ रखा था। अगर उ

ाथ ही ऊिं ा भी होने लगा। मैं और ननमदल ने अ नी

े हाथ रख सलए ताकक अ ने आ

र घूमने लगा, ब

ढ़ें गे। कुछ दे र बाद िीरे िीरे

ऐ ा लग रहा था कक हम ब ऐरोप्लेन नी े आने शुरू हो

गए और हमारी िान में िान आने लगी। िब बबलकुल नी े आ गए तो कुछ दे र बाद खड़े हो गए। िब हम बॉक्

े बाहर आये तो शराबबयों की तरह झूम रहे थे और हम हिं

रहे

थे। एक घिंटा हम फन फेयर में घूम कर लुतफ लेते रहे और कफर

ड़क के दोनों तरफ बनी तरह

तरह की दक ु ानों में िा कर खरीदो फरोख्त करने लगे। िाते िाते हम ने थ्री िी कफल्म दे खने का मन बना सलया। उ

मय एक

ले गए। यह बहुत छोटा कते थे। कुछ लोग फ्लोर

ा िोम शे

ाउिं ि दटकट था और दटकट ले कर हम इ हाल था म्ि

में मुम्श्कल

ली तो लगा हम

था और हम नी े है सलकउ र तेिी

हाड़ों की

ोदटयािं और बी

लोग ही आ

ड़े। एक और कफल्म थी रे न की, म्ि

हाड्ड़यों

र उड़ रहा

में बहती नदी को दे ख रहे थे। अ ानक

े नी े की ओर िाने लगा और

अ ानक रे लवे लाइन

ती

ीन है लीकॉप्टर का था। िब

भी इ ी है लीकॉप्टर में बैठे हैं। है लीकॉप्टर

लगे कक यह क्रैश हो िाएगा लेककन िै े ही िोर भी हिं

र बैठ गए और कुछ खड़े हो गए। मैं और ननमदल खड़े रहे । यह

थ्री िी कफ़ल्में इतनी अच्छी थीिं कक मज़ा ही आ गया। एक कफल्म

के भीतर

ब घबरा गए और कुछ लोग शोर म ाने े नी े चगरा कक कफल्म खत्म हो गई और में हम रे न में बैठे तेिी

र आगे एक बैररयर आ गया और रे न िोर के झटके

हो गई, हमें झटका लगा और ननमदल चगरते चगरते ब ा और बाद में

े िा रहे थे। े एक दम खड़ी

भी हिं ने लगे। ती रा

ीन था एक आदमी के हाथ में तलवार थी और वह इ े घुमाता घुमाता हमारी तरफ आ रहा था। वह तलवार को हमारे मुिंह की तरफ ले कर आ रहा था, िब हमारी तरफ तलवार लाता


तो हमें लगता तलवार हमारे नाक

र लगेगी। कफर िब वह िोर

ीखें मार दीिं। इ

े तलवार को हमारी तरफ

िोर

े लाया तो कुछ लोगों ने

छोटे

े हाल में लाइटें ऑन हो गईं । आिे घिंटे बाद हम बाहर आ गए। बाहर आये तो लोगों

का एक और ककऊ लगा हुआ था। इ

के एक दम कफल्म खत्म हो गई और इ

को दे खने का इतना मज़ा आया कक

ै े व ल ू हो

गए। बाहर आ कर हम खाने के सलए िगह ढूिंढने लगे। एक िगह बैं नमदल बबलकुल शाकाहारी है , इ

दे ख कर हम बैठ गए।

सलए उन की भावनाओिं को मदे निर रखते हुए हम घर

ही बहुत कुछ बना कर ले गए थे। भूख लगी हुई थी और िी भर कर हम ने खाया और कुछ दे र आराम करने के बाद हम बी कै ल बना रहे थे।

मुन्दर का

और िूते उतार कर

ानी में

छोटे छोटे शिंख और स ाय काफी अब

र आ गए। बी ानी काफी दरू

ला गया था लेककन हम वहािं

लने लगे। गीले रे त

ीआिं बगैरा

र रे त ही रे त थी और बहुत बच् े र िैली कफश

मुन्दर का

थे और रै कफक िाम लगा हुआ था और

मुन्दर का

यूिं ही हम रै कफक

े ननकले और मोटरवे

ज़्यादा तेि हम नहीिं कर

ानी भी बबलकुल ककनारे आ लगा था । ौ ककलोमीटर

र मैक् ीमम स् ीि

के बाद ननमदल च गवैल में हमारी बहन के घर रहने

हुूँ

र कर दी। इ

आ गया। हम

काम समल िाए, मगर काम कहीिं समल नहीिं रहा था। दोस्तों

तर मील प्रनत घिंटा

गए।

ला गया। हमारे बहनोई

सलए ननमदल कुछ दे र के सलए उन के

कुछ दे र वहािं रह कर ननमदल कफर हमारे लेककन वह

क ै ककया ककओिंकी अब रास्ते

ौ ककलोमीटर बनती है । दो घिंटे में हम घर

किंस्रक्शन के काम में थे, इ

िैं कै ल

ले तो बहुत लोग िाने शरू ु हो गए

हुिं े , गाड़ी

कते थे क्योंकक मोटरवे

में

िाने की तयारी शुरू कर दी।

ाकद में आ कर गाड़ी का तेल

में हम ने कहीिं भी गाड़ी खड़ी नहीिं करनी थी। िब हम

ही है िो तकरीबन

आ गए, एक टी शॉ

ानी भी िीरे िीरे ककनारे की ओर आ रहा था और िो बच् े

बना रहे वह आ गए थे। कार

ही गए

िी थीिं और िगह िगह

ड़े थे। कुछ दे र बाद हम वा

ी और कुछ दे र इिर उिर घूमने के बाद वा

हुूँ

िैं

ाहब

ाथ काम करने लगा।

ाहते थे कक ननमदल को कोई े

छ ू

छ ू कर एक काम समला

ै े कोई अच्छे नहीिं दे ते थे। अब ननमदल भी कुछ होम स क हो गया था और उ

ने िाने की तयारी कर ली। छै महीने का वीज़ा था और हम और एक् टें ि हो िाए लेककन ननमदल अब िाना

ाहता था।

ाहते थे कक वीज़ा छै महीने का ो एक ददन उ

कन्फमद करा दी गई और कुछ ददन बाद ननमदल इिंड्िया अ ने गाूँव में

हुूँ

की

ीट

गया था।


ककतना भी हम अ ने आ

को फारविद क्यों ना

मझें लेककन बेदटओिं के बारे में ददमाग के

कक ी कोने में च त िं ा रहती ही है । दोनों बेदटओिं की शादी हो िाने

े मैं और कुलविंत कुछ

कुछ अच्छा मह ू

ा मह ू

कर रहे थे।

हले

हल हम को बहुत अिीब

िब हर कोई आ के कहता कक हम कबील्दारी

ख द हो गए थे तो ु रू

होता था लेककन

न ु कर अच्छा

लगता। िब रीटा की शादी के कुछ महीने बाद ही प क िं ी ने एक बेटी को िनम ददया तो हम ख़श ु ी

े फूले नहीिं

अह ा

था । इ

मा रहे थे क्योंकक हम नाना नानी बन गए थे और यह भी एक नया में भी एक अिीब बात हुई थी कक िब प क िं ी और उन के

ने प क िं ी की बेटी का नाम रखना था तो इिर मेरे मन भी बहुत के ज़माने में हम कफ़ल्में बहुत दे खते रहते थे और उ द्मनी, रागनी, और पवि​िंती माला िो बहुत बहुत

े नाम आ रहे थे।

ार ऐक्रे

कूल

होती थीिं अमीता,

रस ि थीिं । अमीता की एम्क्टिं ग हम ख़ा

िंद ककया करते थे। िब हम प क िं ी और उ

प क िं ी की बेटी बहुत

मय

ु राल वालों

कर

की बेटी को दे खने हस् ताल गए थे तो

ुन्दर थी ,बबलकुल अ नी दादी

र गई थी और दादी बहुत गोरी है ।

िब द ु री दफा हम प क िं ी के घर घी और क िे बगैरा ले के गए थे तो रास्ते में मुझे पव ार आ रहे थे प क िं ी की बेटी का नाम अगर अमीता रखा िाए तो बहुत हम प क िं ी के

ु राल

न् ु दर लगेगा और िब

हुिं े तो मेरी है रानी की कोई हद नहीिं रही िब उन्होंने

अमीता नाम रख सलया था, यह नाम प क िं ी की

हले ही

ने रखा था। िब मैंने यह बताया तो

भी है रान और खश ु हो गए। यूिं तो हमारे

बी

करती है । उ

के इमेल मुझे आते ही रहते हैं और हमें खश ु रखती है । बिुगद हो िाने

ख़श ु ी इन

ोते दोहते हमारे

ोते दोहते दोम्ह्नतओिं को दे ख कर होती है , वोह अब हम मह ू

का नाम ही तो म्ि​िंदगी है । लता…

ाथ बहुत लगाव रखते हैं लेककन अमीता हमारा बहुत र िो

कर रहे हैं, इ ी


मेरी कहानी - 134 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन May 30, 2016 मैं हर

ुबह िब बबस्तर

े ननकल कर नी े आता हू​ूँ तो

हले बीबी ी ब्रेकफास्ट शो

दे खता हू​ूँ ताकक आि की ताज़ा खबर दे ख लूँ ।ू हर आिे घिंटे बाद ख़बरें और आि का मौ म बताते ही रहते हैं लेककन मैं िल्दी रे ट दे ख लेता हू​ूँ। इ एक ऐ ी खबर

े टै सलटै क्

में बहुत बच् े भी हैं िो अ ने अ ने न ै ल टनल

में ररवार

न ै ल टनल के नज़दीक कैले

ीररया में मारे गए हैं । हज़ारों की तादाद में इ

मुन्दर के नी े नी े फ्रािं

र रह रहे हैं, म्िन

े बबछुड़ गए हैं और बहुत बच् ों के माता प ता िगह ररफ्यूिी रह रहे

े इिंगलैंि को आती है , म्ि

हैं और एक तरफ रे न भी िाती है । यह ररफ्यि ू ी फ्रािं म्ि

ुबह नी े आया तो

को दे ख कर मन में बहुत पव ार आये।

खबर थी रीकफूम्िओिं के बारे में िो फ्रािं

हैं।

भी ख़बरें , मौ म का हाल और करिं ी

में दो तीन समनट ही लगते हैं लेककन आि िब

ल रही थी म्ि

अफगाननस्तान और

र कारें भी िाती

में बैठे इिंगलैंि आने को उत् क हैं।

एररये में यह लोग रहते हैं, उन को ि​िंगल कहा िाता है ककयोंकक यह ि​िंगल िै ा ही है

और इन को दे ख कर इिंड्िया के झौं ड्ड़यों में रह रहे गरीबों की याद आ िाती है । इिंड्िया के गरीब लोग तो कफर भी अच्छे हैं लेककन यह लोग स फद

रै रटी

सलए कुछ खाने और

दी में यह लोग रह रहे हैं कक रूह

काूँ

हनने को ले कर आती है । इतनी

उठती है क्योंकक हम

र ही ननभदर हैं िो उन के

र ैं ल हीदटिंग लगा कर भी इतने गमद घर में भी ठिं िी मह ू

करते

हैं। आि

ब ु ाह दो बज़ग ु द िो 90 के होंगे, इिंगलैंि के लोगों को कह रहे थे कक इन बच् ों को

इिंगलैंि आने की इिाित दे नी

ादहए। यह दोनों बज़ग ु द िीऊि (यहूदी) हैं। वल्िद वार

बाद यह दोनों बज़ुग,द बच् े ही थे और उ में

मय इिंगलैंि ने द

हज़ार म्िऊि बच् े इिंगलैंि

ैटल ककये थे म्िन में यह बज़ुगद भी थे, इिंगलैंि ने उन बच् ों की रहाएश और

प्रबिंि ककया था। अब यह दोनों बज़ुगद इिंगलैंि के लोगों को कह रहे हैं कक उन को रीफूम्ियों की क्या हालत होती है , इ

सलए इिंगलैंि को ये बच् े ले लेने

बहुत लोग भी उन के हक्क में हैं कक इन बच् ों की मदद करनी

ढ़ाई का ता है कक

ादहए। इिंगलैंि के

ादहए।

में एक बात और भी है कक इिंगलैंि में प छले द

के

ड़े सलखे बच् ों को काम नहीिं समल रहे , बेकारी ददनबददन बढ़ रही है , म्ि

हर तरफ ननरास्ता का आलम है । एक ददन मेरी िमद

ैकिंि के

ालों में इतने लोग आये हैं कक यहािं की विह

त्नी बोलने लगी,” दे खो िी बाहर


इतने लोग आ गए हैं कक उन को दे ख कर िर लगता है , इिंगलैंि में गिंद दे र

त्नी बोलती रही तो मुझ

े रहा नहीिं गया। मैंने

ड़ गया है “, बहुत

त्नी को कहा,” दे श अिंग्रेज़ों का है और

वह लोग उन की मदद कर रहे हैं और तुम ऐ ी बातें कर रही हो, ऐ ा नहीिं मह ू तध ु हें कक यह अूँगरे ज़ लोग ककतने दयावान हैं ? “. सलया कक

त्नी शसमिंदा हो गई और उ

ने मान

ही मानों में यह लोग दयालु हैं।

बात यहीिं खत्म हो गई लेककन मेरे खयालों की

ूई कभी ककिर

आि

ोते को हर

वा

होता

े तकरीबन द

ाल

हले मैं अ ने बड़े

घर आ कर मैं ब्रेकफास्ट करता और कफर लाएब्रेरी में

है और एक दो विे घर आ कर कुछ खा

ली िाती, कभी ककिर।

ब ु ह स्कूल छोड़ने िाता था, ले िाता। लाएब्रेरी नज़दीक ही

ी कर कफर लाएब्रेरी में आ िाता और कफर िब

स्कूल का वक्त होता तो

ोते को ले कर घर आ िाता।

था। लाएबरे ी में और भी

िंिाबी गुिराती दोस्त होते थे और कक ी ना कक ी टॉप क

भी करते रहते थे । एक ददन एक दोस्त ने कौन

ािं

ददन का मेरा यह िेली रूटीन

वाल ककया, ” यार, इिंगलैंि में

र बातें

हला इिंड्ियन

दी में आया होगा ?”.

बातें शरू ु हो गईं, कोई गािंिी नेहरू की सम ाल दे ता, और कोई कक ी और की। कक ी भी नतीिे

र हम

हुूँ

नहीिं

के और लाएब्रेरी

े बाहर आ गए लेककन मेरे ददमाग में यह बात

खटकती रही कक कोई ऐ ी ककताब समल िाए म्ि हो। लायब्रेररयन

े भी

लाएब्रेरी में गया म्ि

में हमारे

हले इिंड्ियन लोगों का इतहा

छ ु ा लेककन कुछ हा ल नहीिं हुआ। कफर एक ददन मैं टाऊन की बड़ी को

र ैं ल लाएब्रेरी बोलते हैं। दहस्टरी एिंि रै वल

उठा उठा कर दे खने लगा। एक ककताब

र मेरी नज़र

ढ़ी। इ

ेक्शन में मैं ककताबें

ककताब का नाम मझ ु े अभी

तक याद नहीिं आता लेककन यह कुछ ऐ ा था, 400 years of indians in britain, यह ककताब मैं घर ले आया और

हले

मझते थे कक इिंगलैंि में इिंड्ियन ज़्यादा है रानी की कोई हद नहीिं रही िब के भारत में आने

प्ै टर को े ज़्यादा

ढ़ कर ही है रान हो गया कक हम तो ौ

ाल

हले आये होंगे लेककन मेरी

ढ़ कर चगयात हुआ कक इिंड्ियन तो ईस्ट इिंड्िया कध नी

हले भी इिंगलैंि में रहते थे। यह ककताब मैंने

िी और बाद में कफर

इ े ढूिंढने की कोसशश की लेककन मुझे समली नहीिं। यह कािंि सलखने के सलए मैंने इिंटरनैट खोि की लेककन उतना कुछ समल नहीिं म्ितना कुछ उ

ाया म्ितना उ

ककताब में था।

ककताब में सलखा था, उन की कुछ बातें िो याद है , सलखना

अक् र हम बातें अिंग्रेज़ों की ईस्ट इिंड्िया कध नी की करते रहते हैं, इ

ाहता हू​ूँ।

सलए हम को अिंग्रेज़ों


े ही नफरत करनी स खाई िाती थी क्योंकक इन्होने भारत

र राि ककया था और दे श को

लूटा था लेककन यह हम भूल िाते हैं कक ि , िेननश, फ्रैं , स्वीड्िश, और ख़ा कर के लोग भी इिंड्िया

े रे ि करते थे और उन्होंने इिंड्िया के कई प्रदे शों

और उन की लोकल रािाओिं उन के

े लड़ाइयािं भी हुई थीिं। गोआ तो उन के

द ाल ुतग

र राि भी ककया था ा

था ही मिंब ु ई भी

ही था िो बाद में एक रीटी के तहत उन्होंने अिंग्रेज़ों को दे ददया था। फ्रैं

तो

1954 में गए थे। छमी दे शों की यह

ारी की

यूर ीन दे शों की आ

ारी कध नीआिं

न 1600 के करीब ही बनी थीिं। उ

मय

में लड़ाइयािं बहुत होती थीिं िो ज़्यादा तर रे ि वार और कलोननओिं के

सलए ही होती थी। 1588 में स् ेन और इिंगलैंि की एक एतहास क लड़ाई हुई थी, म्ि स् ेन ने बहुत बड़ी फ़ौि और

मुिंद्री िहाज़ों के

ें ननश आमादिा कहा िाता है । उ

ाथ इिंगलैंि

वक्त इिंगलैंि

में

र आकमदण ककया था म्ि

को

र कुईन एसलज़बेथ 1 का राि था। इ

की िीटे ल में ना िाते हुए इतना ही सलखग िंू ा कक अिंग्रेज़ों ने यह लड़ाई िीत ली थी क्योंकक उन के इ

र फ्रािंस

रेक िै ा िैनरल था और स् ेननश का बोल बाला खत्म हो गया था।

के बाद ही 1601 में ईस्ट इिंड्िया किं नी की स्था ना हुई थी।

लेककन अिंग्रेज़ों

े बहुत

हले तो

द ाल के वास्कोड्िगामा इिंड्िया के ुतग

ाथ रे ि करते थे

क्योंकक वास्कोड्िगामा तो 1498 में ही इिंड्िया की तरफ रवाना हो गया था और मैंने वह भी दे खा है म्ि

में उ

ने यात्रा शुरू करने

में बात ननकल आई, बहुत दफा मैं उ

वक्त स खों के

कर रहे होंगे। फ्रें

ैह्नले प्राथदना की थी िो सलस्बन में है । बातों

ो ता हू​ूँ कक िब वास्कोड्िगामा इिंड्िया

हले गरु ु नानक दे व िी 29 ि

हुिं ा हुआ था,

ाल के िवान होंगे और मोदीखाने में काम

िेनि स्वीड्िश और अूँगरे ज़ तो इिंड्िया में वास्कोड्िगामा

े बहुत बाद

में आये थे। इ

में एक बात और भी है कक हज़ारों

आये हैं लेककन

ब यूर ीन

की विह

े मुझे यह

े इिंड्िया

र हमले दराद खैबर के रास्ते ही होते

मुन्दर के रास्ते ही आये थे, ईस्टनद कोस्ट में बिंगाल और

ाऊथ वैस्टनद कोस्ट गोआ और मुिंबई इ म्ि

ालों

ब सलखना

इिंड्िया में अ नी फैम्क्रयों और िहाज़ों

में शासमल थे। अब मैं अ ली बात

र आऊिंगा

ड़ा। िब यह यूर ीन िहाज़ आते थे तो उन को र काम करने वाले मज़दरू ों की िरुरत होती थी।

मज़दरू ों की इिंड्िया में कोई कमी नहीिं थी। िवान लड़के इन सश ों में करते थे और इन को गार भी बहुत कम समलती थी लेककन कफर भी इिंड्िया के

टैंि​िद

े उन को ज़्यादा

ै े


समलते थे। यूर ीन लोग इतनी

गार

र काम नहीिं करते थे और यह कध ननयािं मुनाफे को

ही मदे निर रखती थीिं। इन के शेअर होलिरों को ड्िपविेंि बहुत समलता था। इन सश ों में काम करते करते कुछ इिंड्ियन लोग यूर ी दे शों में आ गए थे। ईस्ट इिंड्िया किं नी को िब इिंड्िया के की विह थी 1608 में

र थाम

हुिं ना और िहािंगीर के िंिी करना म्ि

रो का इिंड्िया में आ कर बादशाह िहािंगीर के दरबार में

ाथ इिंगलैंि और इिंड्िया के दरमयान तिारत करने के सलए एक

का राफ्ट मैंने इिंटरनैट

के दरवाज़े खल ु गए थे । इ ीज़ों

ाथ रे ि करने के सलए इिाित समल गई थी, म्ि

ड़ा है , तो ईस्ट इिंड्िया कध नी के सलए भारत

िंिी के बाद इिंगलैंि को इिंड्िया

े भरे िाते और इिंगलैंि

े मशीनों का बना

े िहाज़ म ाले और द ु री

ामान भारत आता म्ि

े ईस्ट इिंड्िया

कध नी के शेयरों की कीमत भी बढ़ती िाती और ड्िपविेंि भी बहुत समलता । बहुत लोग अमीर हो गए। इिंगलैंि में नैपवगेशन ऐक्ट की विह मज़दरू ों की

िंख्य एक

ौथाई हो

े सश ों में काम करने वाले अूँगरे ज़ मज़दरू ों

े अन्य

कती थी, इ ी सलए कध नी इिंड्ियन मज़दरू भती कर

लेती थी क्योंकक उन को मज़दरू ी कम दे नी

ड़ती थी और वह कुछ कह भी नहीिं

कते थे।

इन िहाज़ों में काम करने वाले इिंड्ियन लोगों को लस्कर बोलते थे। अब एक नया काम भी शुरू हो गया था म्ि

में कुछ अूँगरे ज़ अफ र ररटायर होते

इिंगलैंि को ले आते थे और उन

े घर के

मय कुछ इिंड्ियन अ ने

ारे काम करवाते थे।

ाथ

हले म्ितने भी इिंड्ियन

इिंगलैंि आये वह ज़्यादा मु लमान ही थे क्योंकक दहन्द ू िमद में बाहर िाना अच्छा नहीिं मझा िाता था। इ

तरह इिंगलैंि आये इिंड्ियन लोगों के िब उन के अूँगरे ज़ मालक मर िाते तो उन के

कोई काम नहीिं होता था, इ

सलए वह गसलओिं में भीख मािंगते थे। इन की हालत बहुत बरु ी

थी और कई अूँगरे ज़ तो इन लोगों में होते थे तो उन के

वा

र बहुत ज़ल् ु म करते थे। बिंगाली लस्कर िब ऐ ी म्स्थनत

इिंड्िया िाने के सलए कोई ककराया भी नहीिं होता था और न

ही कोई काम। 1785 में एक अखबार ने इन लोगों की हालत बयान की कक बहुत भूख और ठिं ि

े मर गए थे। कुछ अच्छे लोगों ने इन लोगों के सलए

े इिंड्ियन

रै रटी होधि स्थाप त

ककये लेककन यह इिंड्ियन लोग इतने थे कक इन घरों में भेड़ बकररयों की तरह रहते थे क्योंकक िगह बहुत कम होती थी।


है रानी की बात यह भी है कक एक ऐ ा इिंड्ियन भी था िो एक ईस्ट इिंड्िया कध नी के एक सश

का कैप्टन भी बन गया था और उ

खोला था । इ

शख्

एक काफी हाऊ

ने 1810 में लिंदन का

हला इिंड्ियन रै स्टोरैंट

का नाम था िीन मुहमेट ( शायेद दीन मुहमद हो ), बाद में उ

भी खोला और कुछ दे र बाद शैध ू और म ाज़

आयरलैंि

ले गया और एक गोरी

और वा

इिंगलैंि के ब्राइटन शहर में रहने लगा।

ालदर भी। इ

े शादी करा ली। आयरलैंि में उ

ने

के बाद वह

का मन नहीिं लगा

अखबारों में इिंड्ियन लोगों की ख़बरें बहुत आती रहती थीिं कक बहुत इिंड्ियन भख ू और ठिं ि मर रहे थे और इ

के नतीिे

े इन लोगों के सलए बोड्ि​िंग हाऊ

बनाए गए लेककन इन

बोड्ि​िंग हाऊ ों में इतने लोग होते थे की इन में भी बहुत मौतें होती थीिं। 1842 में समशनरी

ो ायटी ने एक रर ोटद छाया की कक बाहर

े मारे गए थे। इ हज़ार

के बाद कुछ कक्रम्श् यन लोगों ने एक

ाली

इिंड्ियन भूख और ठिं ि

रै रटी स्थाप त की और 15000

के।

के बाद बहुत इिंड्ियन

त द ाली सश ों ु ग

े काम छोड़ कर ईस्ट इिंड्िया कध नी के िहाज़ों

में काम करने लगे क्योंकक अिंग्रेज़ों के िहाज़ों में थीिं और की

ाउिं ि इकठे ककये और 1856 में स्रें िरि होम फौर दी एर्ीऐदटक खोला गया ताकक इन

लोगों को ब ाया िा इ

ड़कों

द ाली िहाज़ों ुतग

हूलतें होने लगी

गार भी ज़्यादा समलती थी। 1857 की आज़ादी की लड़ाई के बाद 1858 में इिंगलैंि

ालीमैंट ने ईस्ट इिंड्िया कध नी का रूल िी ौलव करके

सलया था म्ि गई थी।

े अच्छी

के नतीिे के तौर

ीिा कराऊिंन के अिीन कर

र इिंड्िया में ईस्ट इिंड्िया कध नी की मनमानी खत्म हो

ारे इिंड्िया में स्कूल और कालि बनने लगे थे और इिंड्िया के लोग

िीरे िीरे कुछ बच् े इिंगलैंि की यूननवस्टीओिं में भी कर अच्छी अच्छी

ोस्टों

ड़ने लगे थे।

ड़ने आने लगे थे िो बाद में इिंड्िया आ

र लग गए थे, ि​ि वकील भी बनने लग

ड़े थे। इ

में ही गािंिी

नेहरू िै े अनेक लोग थे म्िन्होंने इिंगलैंि में रह कर िान सलया था कक अूँगरे ज़ उन को लट ू रहे थे और इन्होने ही आज़ादी के सलए

िंघर्द ककया और 1947 में भारत आज़ाद हो गया

था। शायद यह इन लोगों के आिंदोलनों का ही नतीिा था कक वल्िद वार ही दे श आज़ाद हो गया और वल्िद वार

ाथ ही अन्य दे श भी अिंग्रेज़ों को छोड़ने

ैकिंि में इिंगलैंि बैंक्रप्ट हो

ैकिंि के बाद िल्दी ड़े।

क् ु का था और इिंगलैंि में अब दे श की रीबबम्ल्ि​िंग का

काम शुरू हो गया था म्िन के सलए इिंगलैंि को लेबर फ़ो द की िरुरत थी, इ ाककस्तान और वेस्ट इिंिीज़

सलए इिंड्िया

े बहुत लोग इिंगलैंि आ कर फैम्क्रओिं में काम करने लगे थे।


इ ी दौरान इिंगलैंि में नैशनल है ल्थ थी और यह िाक्टर इिंड्िया 1962 में इिंगलैंि ा इतहा । लता…

ाककस्तान

िारे थे। ब

पवद

शुरू हो गई थी म्ि

में िाकटरों की बहुत िरूरत

े आने शुरू हो गए। यही

यही है इिंगलैंि में इिंड्ियन लोगों का

मय था िब हम भी ार

ाल का छोटा


मेरी कहानी - 135 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 02, 2016 कड़ी 132 और 133 में मैंने रीटा की शादी की बातें सलखी थीिं।

ाथ ही भैया अिुन द स हिं िी

की बात सलखी थी, शादी के कुछ ददन बाद ही वोह कष्ट भरे ददन छोड़ कर कक ी और में

ले गए थे, यहाूँ

वा

े कभी कोई वा

नहीिं आता। छोटा भाई ननमदल स हिं इिंड्िया को

ले गया था और घर में हम तीनों ही थे, कुलविंत मैं और

बहुत अकेला न मह ू प क िं ी को समलने

िं ार

हो रहा था लेककन िीरे िीरे

िंदी ।

हले

हल हम को

ामान्य हो गया। अब कभी हम

ले िाते और कभी रीटा को। प क िं ी कुछ दरू होने के

कारण इतना िल्दी

नहीिं िा होता था लेककन कफर भी हम कोसशश करते िल्दी िल्दी िाने की और कभी कभी रणिीत और प क िं ी अमीता को ले कर आ िाते और घर में रौनक हो िाती ककओिंकी रीटा ही थी िो नज़दीक थी और नज़दीक होने के कारण वह भी आ िाती। शाम को मयूम्िक में

ेंटर लगा दे ता और

करने लगते और वातावरण मज़ेदार हो िाता। इ

े अच्छी बात यह थी और अब भी है कक हमारे िमाई भी बबलकुल हमारे

मेल खाते हैं और इ करते हैं और इ घरों में

भी िािं

िंदी ुभाव

में हम भागयवान ही रहे हैं कक दोनों िमाई बेदटओिं की बहुत इज़त

के सलए हम भगवान ् का िन्यवाद करते हैं कक दोनों बेदटयािं अ ने अ ने

ुखी हैं। रीटा को िब हम समलने िाते तो हमारे िमाई कमलिीत के दादा िी बहुत

खश ु होते और कमलिीत के प ता िी मिंगल स हिं तो ख़श ु ी

े फूले ना

माते और उ ी

वक्त अ ने भािंिे दे व को टे लीफोन कर दे ते और वह उ ी वक्त आ िाता। दे व भी हमारी उम्र का है । दे व बहुत मिाककआ तबीयत का है । कमलिीत तीन भाई हैं। िब हम क्लब्ब को िाते तो कमलिीत और उन के भाई अ ने दादा िी को भी

ाथ ले िाते। दादा िी के घट ु ने

खराब थे और उन को गाड़ी में बबठाना बहुत मुम्श्कल होता था लेककन वह उन को

कड़ कर

िीरे िीरे गाड़ी में बबठा दे ते। कलब्ब में िब हम ताश खेलते तो दादा िी बराबर खेलते। दो तीन घिंटे हम वहािं रहते और कफर घर आ िाते और बहुत बातें करते। शादी के बाद रीटा ब

कड़ कर काम

े िाती थी और यह बहुत मुम्श्कल

होता था क्योंकक िाने आने में बहुत वक्त लग िाता था। शादी को कई महीने हो गए थे और अब रीटा को बच् ा होने वाला था। रीटा ने रािं फर के सलए एम्प्लकेशन दे रखी थी लेककन िवाब नहीिं समलता था। इ ी दौरान एक ऐ ी बात हो गई म्ि

के कारण अब रीटा

को बसमिंघम रािं फर होना आ ान हो गया। रीटा बैंक में बहुत खश ु थी और

ीनीअर उ


बहुत खश ु थे। कस्टमरि के कारण

े ही उ

ाथ हिं

हिं

कर बातें करने और उ

के अच्छे पववहार के

को िल्दी प्रोमोशन समल गई थी। एक ददन वह काउिं टर

र ग्राहकों को

कर रही थी, काफी बड़ा ककऊ लगा हुआ था और िब एक काला िमेकन शख् आया तो उ ारे िोर

ै े उ

ने गन ननकाल ली और

ारे

के आगे फेंक ददए और

मैनेिर रीटा के आते ही

दबा ददया।

ुसल

ोट आई हो तो बताएिं और

में तफ्तीश करने लगे। रीटा शुरू लेककन मैनेिमें ट उ े बार बार

ारा स्टाफ और

ुसल

ाथ ही उ

ने

वाले ग्राहकों को काले के हुसलए के बारे

ूछ रही थी कक वोह ठीक ठाक है या नहीिं लेककन वह कहती

के बाविूद भी मैनेिर रीटा को घर छोड़ चगया और एक हफ्ते की ाथ हिं

रही थी कक कुछ हुआ तो नहीिं था, कफर भी

मैनेिमें ट इतना कुछ कर रही है । द ु रे ददन मैनेिर और उ

का अस स्टैं ट रीटा को समलने

कफर आ गए और फूलों का बुके ले कर आये। बहुत दे र वोह बैठे रहे और कफर ाथ काम करने वाली कुछ लड़ककयािं

ले गईं तो मैं रीटा

ुसल

े ही ददल की बहादर है और कभी िरने वाली नहीिं है

छुटी दे दी। घर आ कर रीटा हमारे

ददन बाद रीटा के

ारी बैंक में िोर

की गाड्ड़यािं भी आ गईं।

ुछा कक वह ठीक ठाक थी या नहीिं। कुछ

छ ू ने लगे कक उन को कोई

कक वोह नॉमदल है । इ

पव

ै े ले कर भाग गया। िल्दी ही

आ गए। कुछ ही समनटों में

हले रीटा को

काउिं टर

ै े उ े दे दे ने की िमकी दी। रीटा ने उ ी वक्त

ाथ ही एमरिैं ी

े घिंटी बिने लगी और वह काला

वद

ले गए। कुछ

भी फूल ले कर आ गईं। िब वोह

े हिं ने लगा कक ” रीटा ! काले ने तुझे गन क्या ददखाई, तू तो स्टार

बन गई “, रीटा हिं ने लगी। रीटा ने रािं फर के सलए अम्प्लकेशन तो बहुत दे र छोड़ना नहीिं

ाहती थी लेककन इ

ददया कक उ

की रािं फर CAPEHILL की ब्रािं

ु राल के घर द ख़ा आने

समनट

हले घर

ािं

हले की दी हुई थी लेककन मैनेिमें ट उ े

घटना के तकरीबन दो हफ्ते बाद ही मैनि े र ने उ े बता में कर दी गई थी। यह ब्रािं

रीटा के

समनट ही दरू थी। अब तो काम आ ान हो चगया। अब रीटा मज़े े ननकलती और काम

े लग िाती।

कर दादा िी। कमलिीत की दो बहनों की शादी बहुत े एक और नन्हें महमान का इिंतज़ार बे ब्री

बीतते िा रहे थे और बेबी आने

े कुछ हफ्ते

ु राल में हले हो

े हो रहा था ख़ा

हले रीटा को काम

भी रीटा

े खश ु थे,

क ु ी थी और रीटा

के

कर दादा िी को। ददन े छुटी समल गई।

बसमिंघम तो हमारे सलए घर िै ा ही था क्योंकक बसमिंघम स फद बी

ककलोमीटर दरू ही है ।

बुआ, बहादर और अन्य दोस्त ररश्तेदार

सलए बसमिंघम को िाना

ब बसमिंघम में ही है , इ

आना लगा ही रहता था और हम रीटा को समल लेते और

ाथ ही मिंगल स हिं और


कमलिीत के दादा िी

े मुलाक़ात हो िाती। कभी कभी मिंगल स हिं और दादा िी हम को

समलने आ िाते। मिंगल स हिं के

ाथ मेरा ररश्ता एक

मिी होने के नाते कम और एक

दोस्त के नाते ज़्यादा है । ददन बीतते िा रहे थे और एक ददन हमें खबर समल ही गई, म्ि थी। रीटा ने एक बेटे को िनम ददया था।

की इिंतज़ार बहुत ददनों

ब तरफ खश ु ीआिं फ़ैल गईं। मैं और कुलविंत इ

सलए खश ु थे कक हम एक दोहती और एक दोहते के नाना नानी बन गए थे। मैं कुलविंत और िंदी

रीटा को समलने ि​िली रोि ह

हले ही

हुूँ

ताल िा

क ु ा था । मिंगल स हिं मेरे

हुिं ।े मिंगल स हिं और उन का

ाथ हाथ समला कर मेरे गले

मुझे विाई दी। रीटा को हम समले और अ ने दोहते को उ खश ु हो गई। एक घिंटा हम वहािं रहे और मिंगल स हिं के

की cot

ारा

ररवार

े लग गया

और

े उठाया। दे ख कर रूह

ाथ उन के घर आ गए। घर आ

कर मिंगल स हिं ने दे व को टे लीफोन ककया और बोले,” ओ भािंिे ! िल्दी स हिं आया हुआ है “, दे व का घर कार में दो समिंट की दरू ी

े आ िा, गुरमेल

र ही था और िल्दी ही आ

गया। मिंगल स हिं का बहनोई वहीिं ही था और अब समएूँ की दौड़ म ीत तक की कहावत के अनु ार

भी इकठे हो कर

ब्ब को

ड़े। दादा िी को लड़कों ने कार में बबठाया और

ड़े िो नज़दीक ही हाई स्रीट में था। दादा िी आि शादी के ददन

ज़्यादा खश ु थे। िो कक ी ने

ब्ब को

ब्ब की बार में िाते ही दादा िी ने िेब

ीना था, उ

े भी

े अ ना बटुआ ननकाला और िो

का ऑिदर बार मैन को कर ददया और बार मैन को भी उ

िंदीदा ड्रिंक ले लेने को कह ददया। इ

के बाद दादा िी ने बार में बैठे

का

भी लोगों के सलए

भी आिदर दे ददया। दादा िी का यह रू टे बल

मैंने

र िाते और उन को

हली दफा दे खा था । बड़ी मुम्श्कल ूछते कक उन्होंने ककया

े वह छड़ी सलए एक एक

ीना था। बार के

भी लोग गोरे लोगों

को छोड़ कर दादा िी को िानते ही थे और दादा िी को बिाइयािं दे रहे थे। अब हम अ ने टे बलों

र बैठ गए थे। मिंगल स हिं के बहनोई ि

ाइन ऐ ल िइ ू

ले सलया। मैं भी ज़्यादा नहीिं

िी की ख़श ु ी में मैं भी शासमल हो गया। गाड़ी कुलविंत ने

ाहब िो रािा

ुआमी थे और उ

ने

ीता था लेककन आि मिंगल स हिं और दादा लाने का कोई कफ़क्र नहीिं था ककओिंकी गाड़ी

लानी थी। ज़्यादा तो दादा िी भी नहीिं

ीते थे लेककन आि उन्होंने भी कुछ

ज़्यादा ही ले सलया था। एक बात दादा िी और मिंगल स हिं की बहुत अच्छी थी और यह थी दादा िी और मिंगल स हिं का आ थे। मिंगल स हिं ज़्यादा

में लगाव। वह बा

बेटा न हो कर गहरे दोस्तों की तरह

ीते थे लेककन उन को कभी कक ी ने चगरते नहीिं दे खा था, और


आखर तक बहुत अच्छी बातें करते थे िै े उन्होंने कुछ प या ही ना हो। दादा िी के मुिंह एक बात मैंने बहुत दफा “दे ख

ुनी थी, अक् र मिंगल स हिं को मुख़ातब हो कर कहा करते थे,

ुन ! िब मैं मर गया तो मेरे मुिंह में कोई अमत ृ शमरत नहीिं िालना, यह

की कोई िरुरत नहीिं, स फद एक बात

भी हिं

ड़ते। दादा िी एक म्ज़िंदा ददल इिं ान थे और दानी भी बहुत थे।

हले ही ले आया था, िो उ

की गाड़ी में

कते थे क्योंकक बार में बाहर करीब हमारी यह गैंग कार

कौड़े इतने स्वाददष्ट थे कक खाने

िो वह घर कर ही नहीिं

को समले बहुत

भाई घर

भी टूट ाथ

ाथ हिं

भी को दे ने लगा। मेरे नाह नाह करने

थमा ही ददया और बोला, “मा ढ़ िी ! आि तो आ े बड़े हो। दे व हिं

की

नाह

त्नी दे व को

ढ़ता और बोलता,”

ाल हो गए हैं लेककन रीटा बताती है कक दे व अब भी वै ा ही है । ाकद में गुज़ारने के बाद वा

िाने की तयारी हो गई। कमलिीत और उ

भी उन की गाड्ड़यों लाता था,

कमलिीत की बहनों ने खाना िा ददया गया,

हले

ाहे उ

ने ककतनी भी क्यों ना

ी हो।

मिन प्रकाश कौर, कुलविंत और

े ही बना कर रखा हुआ था। कुछ ही समनटों में टे बल

लो िी अब खाना खाइये, कहते हुए

पवरािमान हो गए। तरह तरह के खाने दे ख कर भूख भी लगे। अब कोई भी बोल नहीिं रहा था िै े मा त हुआ तो िीरे िीरे

के

में बैठ गए और दे व भी अ नी गािी में बैठ

िल्दी ही घर आ गए। बैठ कर बातें होने लगीिं। हमारी

िब खाना

कौड़ों का

ीज़ होती है । “, कुछ भी हो दे व महफल को गरमा दे ता था। अब तो दे व

े आ गए और

बिे के

दे व ने पवस्की की बोतल ननकाल ली और प्लाम्स्टक के क

चगया। दे व हमेशा अ नी गाड़ी खद ु

खानों

कौड़ों को दे खते ही

े हट नहीिं होता था। खा रहे थे और

हमेशा कहती कक ररश्ता िो भी हो लेककन तम ु उन

कुछ दे र कार

कौड़े बार में नहीिं ले आ

कते।”, दे व हमेशा मुझे मा ढ़ िी कह कर बुलाता था। उ

दाद भी तो कोई

कौड़ों का भर कर

ाकद में काफी लाइट थी। दे व ने

े ही ले कर आया था, में िाल िाल

भी िबरदस्ती मेरे हाथ में क

एक बैग

े कक ी तरह की फ़ूि ले आने की मनाही थी। द

ाकद में आ गई। कार

कर बातें हो रही थीिं। अब

ड़े थे लेककन यह

बैग ननकाल सलया। दादा िी को गाड़ी में बबठा ददया गया। हिं

खिंि करने

म ा मेरे मिंुह में पवस्की का िाल दे ना।”, दादा िी की इ

दे र रात तक बार में हिं ी मज़ाक होता रहा। दे व अ ने घर

ड़े।

भी अ नी अ नी कु ी

मक उठी थी और

भी का चियान खानों

भी खाने

र ही हो। कुछ ही दे र बाद

भी हाथ िोने के सलए बाथ रूम की ओर िाने लगे।

अब स दटिंग रूम में बैठ कर बातें होने लगीिं लेककन अब

ुस्ती

रही थी। कुलविंत ने आ कर मझ ु े कहा कक अब हम को

लना

ब के

ह े रों

र ददखाई दे

ादहए। अभी बैठो ! बैठो!


करते हम तैयार हो गए। अच्छा िी, अब इिाित दो,

त स री अकाल,

त स री अकाल

कहते हम बाहर आ गए। गाड़ी में बैठ कर कुलविंत ने गाड़ी स्टाटद की और हम अ ने घर की ओर

लता…

ड़े। यह ददन भी

कभी नहीिं भूलेगा।


मेरी कहानी - 136 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 06, 2016 23 मई को ‘िय पविय’ में मनमोहन कुमार आयद िी का एक लेख छ ा था “गीता वैददक िमद” और इ

लेख

कौमैंट सलखा था कक मैं इ प्लाट के बारे में ने ”

र मैंने एक कौमैंट ददया था , िवाब में मनमोहन िी ने भी एक दान

न् ु य

र कोई कहानी सलख।िंू बहुत ददन तक मैं कहानी के

ो ता रहा लेककन कुछ बन नहीिं

ब उ ाचियों

ार और

ाया। कफर 28 मई को लीला टे वानी िी

े ऊ र ” कहानी सलखकर मेरी इ

कमी को

ूरा कर ददया, म्ि

के

सलए मैं उन का िन्यवाद करता हू​ूँ। आि अ ानक मेरे ददमाग में आया कक क्यों ना मैं इ पवर्य को अ नी िीवन कथा का दहस् ा ही बना लूँ ू ? इ अ ने दोस्त को शिािंिसल भी दे

किंू गा।

मेरे दोस्त थे रिं िीत राये िो कुछ

ाल

को मैं तब

े बबछुड़ कर

रलोक में

े िानता था, िब चगयानी िी के बेटे, मेरे दोस्त ि विंत, के

एक फैक्री िैंक् हाऊ

हले हम

े कुछ कह भी

ऐिंि कैटल में काम ककया करता था। मैं भी उ

किंू गा और

ले गए। रिं िीत ाथ यह रिं िीत

मय एक फैक्री ब्रुक

काम्स्टिं ग्ि में काम ककया करता था। काम खत्म करके मैं और ि विंत इक्कठे ब

कड़ते थे और कभी रिं िीत भी हमारे

ाथ आ िाता था। ज़्यादातर रिं िीत ओवरटाइम

रहता था, इ सलए कम ही समलना होता था । उ वह कोई बड़े घर

का गोरा रिं ग और खब ू ूरत

ह े रा दे खकर

े आया लगता था।

एक ददन कक ी ने हमें बताया कक रिं िीत आद्िमी था। हमारे लोगों को एक बात पवर े में ही समली है और वह है कक ी की िात

ात को िान्ने की, कक यह दहन्द ू है , यह नाइ है , यह

दसलत है । एक ददन ि विंत ने उ े

छ ू ही सलया, ” यार ! मेरा खखयाल है आ

“, रिं िीत हिं है और फखर ु

कर बोल

ड़ा,” यार! मैं

े कहता हू​ूँ कक

मार हू​ूँ” , कुछ दे र बाद कफर बोला,”

मड़े का काम करना हमारे

हो गए और ि विंत भी कुछ झूठा

ुरखों का

ढ़ गया । कफर मैं ही बोल

दफा मैंने ऐ ा ननिड़क िवाब

न ु ा है और मझ ु े बहुत ख़श ु ी हुई है यह

हिं

े आि तक ऐ ी बातें

ड़ा और बोला, ” ब

आद िमी हो मार मेरी िात

ेशा था “, कुछ दे र ड़ा,” आि

हली

न ु कर “, रिं िीत भी

ुनता आया हू​ूँ और मुझे इ

में कोई

अिीब बात नहीिं लगती क्योंकक अन्य िानतओिं की तरह हमारी िात भी एक िात ही है और अ ने काम में नन ुण है और वह है िूते बनाना, म्ि

े हमारी उ िीवका बराबर कायम


रहती है और कक ी के आगे हाथ फैलाने की िरुरत नहीिं विह इ

े रिं िीत के

ढ़ती। यही बात थी, म्ि

ाथ मेरी नज़दीकी बढ़ी।

के बाद िल्दी ही मैं ब्रुक हाऊ

े काम छोड़ कर ब ों

े लग गया था और रिं िीत के

ाथ कभी कबार ही समलन होता था लेककन यह समलन दोस्ती का कोई ख़ा के तकरीबन द माता प ता के

की

ाल बाद रिं िीत भी

ाकद लेंन गैरेि में ब ों

नहीिं था। इ

े लग गया। रिं िीत अ ने

ाथ हमारे इलाके में ही रहता था। रिं िीत के दोस्त ऐ े थे िो हर रोज़ काम

खत्म करने के बाद

ाकद लें न की क्लब्ब में इकठे होते थे, बीयर

िॉसमनोि खेलते। यह

ारे समल कर बहुत बहुत ग्ला

बीअर के

ीते और

नक ू र या

ी िाते थे। ऐ ी कध नी

मेरे मुआकफ़क नहीिं थी और मैं बहुत कम िाता था और िाता भी तो कक ी ऐ ी कध नी में नहीिं बैठता था, िल्दी

े एक दो ग्ला

कलब्ब बिंद हो गई। हमारी गैरेि के हमारे लोग इ ब्ब एक

ी कर घर आ िाता था। कुछ ाथ ही एक

ालों बाद यह

ब्ब होता था िो एक गोरे का था और

में कम ही िाते थे क्योंकक यहािं ज़्यादा गोरे ही होते थे। कुछ अ ाद बाद यह

िंिाबी ने ले सलया।

एक ददन काम खत्म करके मैं इ वह उठा और मेरे सलए काउिं टर

ब्ब में

ला गया।

े एक बीयर का ग्ला

ब्ब में रिं िीत बैठा था, मझ ु े दे ख कर ले आया। बैठ कर हम बातें करने

लगे। बातें इतनी हुईं कक एक ही समलन में हम एक द ु रे के नज़दीक आ गए। रिं िीत के ा

अ नी गाड़ी नहीिं थी, िब भी कभी हम इकठे होते तो हम इकठे ही मेरी गाड़ी में

बैठकर घर आ िाते। रिं िीत के इ

में

ारे आदटद कल

कक ी बी ए

हमेशा टे लीग्राफ या टाइधज़ अखबार होता था और वह

ड़ता था। रिं िीत स फद मैदरक

था लेककन उ

े कम नहीिं थी।

वर्ों बीत गए। रिं िीत मझ ु

ािं

छै

ाल छोटा था। उ

की भी शादी हो गई थी और उ

के दो लड़के और एक लड़की थी। मेरी दोनों बेदटओिं की शादी हो बेटे

िंदी

की भी शादी हो गई तो अ नी कबीलदारी

इिंड्िया की और उ

के

की िेनरल नॉलेि

क ु ी थी और िब 1995 में

द हो कर हम ुखरू

नत

त्नी ने

ैर करने का प्रोग्राम बना सलया। इिंड्िया आ कर हम बहुत घूमे। कुलविंत की बहन ती किंु दन स हिं भी

ने दो ददन के सलए आनिंद ही रामगदढ़या स्कूल में

रु ी

िंिाब आये हुए थे, वे मुिंबई में ही आककदटै क्ट थे। हम

ारों

ाहब िाने का प्रोग्राम बना सलया। किंु दन स हिं कभी मेरे

ाथ

ेक्शन में होता था।


ददन किंु दन स हिं और कुलविंत की बहन

रोि

स्टे शन र म्ि

ुन्नी ने अ ने गाूँव निंगल

हे ड़ू के नज़दीक है और हम ने अ ने गाूँव राणी र इकठे होना था। हम

हले

हुूँ

ुर

गए और वक्त

े आना था और फगवाड़े ब ा

करने के सलए मैं

ला गया और मैगज़ीन उठा उठा कर दे खने लगा। एक मैगज़ीन का नाम था ” तकदशील “, यिंू यिंू

ड़ता गया, मैं इ

मैंने अ ने िमद के नज़ररए को कक ी के

े आना था िो िीटी

र मेरी ननगाह

है कक मैं द ू रों

ढ़े । इ

के बाद िब हम वा

मझता था

े सभन्न हू​ूँ। यह मैगज़ीन

मुझे इतना अच्छा लगा की मैंने तीन महीने के एिीशन खरीद सलए। आनिंद कर मैंने चियान

ढ़ी

में िै े गुम हो गया। आि तक

म्ज़कर नहीिं ककया था क्योंकक मैं

कक िरूर मुझ में ही कोई ऐ ी बात है या नुक

े र स्टाल

ुर

े वा

इिंगलैंि आये तो यह मैगज़ीन मैं अ ने

ाथ ही ले आया। रिं िीत म्ि

को

भी राये कह कर बुलाते थे, मेरा दोस्त बन गया था और हमारी बातें

अक् र स आ त और िमद

र ज़्यादा होती। वह अक् र कहता,” भमरा ! हमारे

उनती बहुत की है और इ

का श्रेय िगिीवन राम को िाता है , कािंग्रे

और हमारे लोगों को गरीबी और म्िलत

े बाहर नहीिं ननकल

े भी ज़्यादा करते हैं “।

बातें करते करते मैंने राये को कहा,” यार राये ! मैं इिंड्िया और यह मैगज़ीन हमारे मतलब के हैं “, मैंने उ राये ने उ ी वक्त अ ने कोट की िेब मुझे बसमिंघम

े आता है , अगर एरै

बाद मैंने उ

ते

े कुछ मैगज़ीन ले के आया हू​ूँ

को तकदशील मैगज़ीन के बारे में बताया तो

े तकदशील मैगज़ीन ननकाला और बोला, ” यह तो

नहीिं ?”. मैंने कहा,” हाूँ हाूँ यार, क्या यह तुम इिंड्िया

े मिंगवाते हो ?” तो राये बोला,” यह

ादहए तो ले लो “, मैंने एरै

नोट ककया और इ

के

क ै िाल ददया और तकदशील मेरे घर बराबर आता रहा।

राये के दोस्त बहुत थे और

भी शाम के वक्त कक ी ना कक ी

ब दोस्तों में उन के पव ारों के लोग बहुत कम थे । िब उ

गहरी होने लगी तो हम एक द ू रे के घर िाने लगे और उ िो मेरे घर

के। हमारे घर के

खिंि करते हैं कक मझ ु े गस् ु ा आता है , िो काम मिंददर और गद ु दआ ु रे वाले

करते हैं, हम उन

इन

ादहए थी

े बाहर आना। िगिीवन राम ने वोट के बदले

बहुत कुछ हमें ले के ददया लेककन हम अिंिपवश्वा लोग ही इतने

को वोट

मारों ने

े नज़दीक ही है । बहुत

ाल मैं म्ि

रुट

ब्ब में इकठे होते थे लेककन की दोस्ती मेरे

ाथ

ने अब अ ना घर ले सलया था

े काम ककया, वह राये के घर के


नज़दीक ही िाता था और उ ीट

की

त्नी िब ब

ढ़ती तो

त स री अकाल बुला कर

े बैठती थी।

एक ददन मैंने राये को कहा,” यार राये ! तेरी

त्नी बहुत अच्छी है , बहुत

ड़ी सलखी मालूम

होती है “, राये बोला,” भमरा ! वह बबलकुल अन ढ़ है , कभी स्कूल गई ही नहीिं लेककन वह इतनी अच्छी है कक मैं बता नहीिं ककया,

कता, आि तक उ

ने कभी भी मुझ

े झगड़ा नहीिं

ाहे रात को मैं एक विे ही घर क्यों ना आऊिं, वह िागती रहती है और उ ी वक्त

ताज़ा रोटी

का कर मझ ु े खखलाती है , कभी भी उ

ने सशकायत नहीिं की कक मैं रात को दे र

े आता हू​ूँ, मैं उ े बहुत दफा कहता हू​ूँ कक वह इतनी दे र तक क्यों िागती रहती है तो वह बोलती है ,” मुझे इ

में आनिंद समलता है , रही बात दे र रात िागने की तो इ

बात है , मैं टै ली िो दे ख लेती हू​ूँ ” , भमरा ! “मैं उ

में क्या बड़ी

की बहुत इज़त करता हू​ूँ “, और आि

तक मैंने भी उ े कभी कोई बुरा लफ़ज़ नहीिं बोला” । िमद कमद के मामले में राये को ों दरू था लेककन यह मुझे ही का काम करता था। उ

ने ही मुझे बताया था कक वह एक

the children fund को अ नी तन्खोआह

े हर हफ्ते

ता है कक वह ककतना रै रटी म्ि

का नाम था save

ै े कटाता था। राये

े प्रभापवत हो

कर मैंने भी फ़ामद भर के अ नी मैनेिमें ट को दे ददया था और मेरी तन्खोआह तक िाते रहे , िब तक मैं काम एक

े फारग नहीिं हुआ और इ

रै रटी की दक ु ान खुली थी ि​िली रोि

िूते या और कोई घर का

ामान दे

र, म्ि

रै रटी

ै े तब

के सलए मैं राये का ऋणी हू​ूँ।

में कोई भी अ ने घर के

कता था और वह इन को बे

कर

ुराने क िे

ै े इिंड्िया को

भेिते थे। यह लोग कभी उड़ी ा में कुएिं या नलके लगाते थे और गरीबों के बच् ों के सलए स्कूल खोलते थे और कभी कहीिं और काम करवाते । इ ही बताया था। राये के यह

रै रटी के बारे में भी हमें राये ने

िं ार छोड़ िाने के बाद कुलविंत भी इ

रै रटी शॉ

में िाया

करती थी और अब भी कभी कभी िाती है । कभी बुआ यानन ननिंदी की मधमी कुछ

ाउिं ि दे ती और कभी कुछ अन्य

शासमल हो िातीिं और कुलविंत वहािं िा कर मुझे याद आया, इ शरू ु ककया था। इन के

ारे

त्रीआिं भी इ

में

ै े दे दे ती और र ीद बुआ को दे दे ती।

रै रटी का नाम है ओिंकार समशन म्ि

को एक ररटायिद नेक इिं ान ने

ाथ कुछ और लोग भी िुड़ गए थे और वे उड़ी ा िा कर कुएिं

लगाते थे और वहािं की फोटो एक ऐल्बम में लगी हुई थीिं। म्ितने भी हमारे हुई, कुलविंत उन की ख़श ु ी में इ

रै रटी को

ोते और दोहती

ै े दे ती थी। वह अक् र कहती रहती है ,” यहािं


लिंगर या कोई

ाठ

ूिा करने की ककया िरुरत है , यहािं तो

उन गरीबों को ” और कुलविंत की इन बातों

भी रज्िे हुए हैं, िरुरत तो है

े मझ ु े भी ख़श ु ी होती है क्योंकक मेरी

मुताबबक यही िमद है । नरक में िाएिंगे या स्वगद में ,ऐ ा मैं अगले िनम की, तो अगला िनम तो हमारा बहुत

मझ के

ो ता ही नहीिं हू​ूँ। रही बात

हले ही हो

क् ु का है , यह िो हमारे

बच् े हैं, यही तो अगला िनम है । िब हम ररटायर हो गए थे तो राये हमारे घर अक् र आता िाता ही रहता था, वह गया लेककन उ

ला

के यह शब्द अभी तक मेरे कानों में गिंि ू ते रहते हैं,” भमरा ! मेरे दोस्त तो

बहुत हैं लेककन उन के घरों में मैं िाता नहीिं हू​ूँ , स फद और स फद तुधहारे घर आकर ही मुझे कून

ा समलता है “, और शायद इ

का कारण यह था कक कुलविंत भी हमारे

ाथ बैठ

कर बातें ककया करती थी और कुलविंत की बातें उ े अच्छी लगती थी। राये की िमद को कैं र की नामुराद बीमारी हो गई थी लेककन मुझे इ

बात का

ता ही नहीिं

त्नी

ला क्योंकक

बहुत दे र

े वह हमारे घर आया नहीिं था और हम भी इिंड्िया गए हुए थे। िब इिंगलैंि आ

कर मुझे

ता

ला कक राये की

त्नी यह दन्ु याूँ छोड़ गई थी तो मैं उ

वक्त राये घर में अकेला था, उ

यूननवस्टी

ले गए थे।

र उ

फोटो दे ख कर मन दख ु ी हो गया। उ उ

हुिं ा।

की बेटी कालि में गई हुई थी और दोनों बेटे

ामने दीवार

कोई िासमदक रीती नहीिं की और इ

के घर िा

की

त्नी और रिं िीत की फोटो लगी हुई थी,

ददन राये ने बहुत बातें कीिं और बताया कक उ सलए उ

बारे में बातें कर रहे थे। ” मैं कक

ने

के प ता िी नाराज़ हो गए और बहुत लोग

कक

को

मझाता कक इन

भी लोगों ने मेरे

ाथ

ख ू ी हमददी के स वा ककया ही क्या था, ककया तो उन hospice वालों ने था म्िन्होंने मेरी त्नी के आख़री ददनों में दे ख भाल की थी (hospice एक ददनों में दे ख भाल करती है ) और मैंने इ

रै रटी को

ािं

रै रटी है िो मरीज़ के आख़री हज़ार

ाउिं ि दे ददया था, अगर

मेरे में दहमत होती तो और भी दे दे ता ” . राये की आूँखों में आिं ूिं थे। बातें तो और भी बहुत हुईं लेककन मुझे याद नहीिं और यही याद है कक राये ” राये ! एक बात कहूिं कक इ

दुःु ख

े बबछुड़ते वक्त मैं ने उ

े ननकलने के सलए अ ने आ

को कहा था,

को शराब के प याले में

िूबा ना लेना , अब तुम ने बच् ों के सलए िीना है ” एक दफा मैं कफर गया। उ बताया कक उ थी। उ

ददन वह खश ु था और उ

के बड़े लड़के ने यनू नवस ट द ी में

के लड़के ने बहुत दे र तक उ े इ

ने बहुत बातें कीिं। उ

ड़ते एक अूँगरे ज़ लड़की

सलए नहीिं बताया कक

ने मझ ु े

े दोस्ती कर ली

ता नहीिं मुझ

र इ


बात का क्या अ र हो। िरते िरते िब लड़के ने बताया, ” िैि ! मेरी गलद फ्रेंि एक अूँगरे ज़ लड़की है “, तो मैंने हिं

कर उ

को कहा था, ” मुझे समलवाने के सलए उ े घर कब लाएगा

?” , द ू रे हफ्ते वह अ नी गलद फ्रेंि को घर ले आया। ” मैंने उ

लड़की

े बहुत बातें की

और वह लड़की उ ी वक्त मझ ु े िैि कह कर बल ु ाने लगी, वह लड़की बहुत इिंटैसलिेंट है “, कुछ हफ़्तों बाद वह दोनों कफर घर आये और था और उन दोनों ने समल कर घा कर गािदन को उ

ारे घर की

फाई कर दी, गािदन उिड़ा हुआ

काटा और फूलों की क्याररयों में

े घा

फू

ननकाल

ुन्दर बना ददया।

ददन राये मुझे बबलकुल नॉमदल लगा था बम्ल्क उ

की स हत भी बहुत अच्छी ददखाई दी

थी। बहुत महीनों तक राये के घर मैं गया नहीिं था , शायद अब भी हम इिंड्िया गए हुए थे, तभी एक ददन मुझे कक ी ने बताया कक राये को हाटद अटै क हुआ था और वह ुन कर मुझे िक्का करे कक मैं उ

े समलना

यह बात झूठी भी हो और उ

ाहता हू​ूँ क्योंकक मझ ु े इ

बात

दनु नया में नहीिं थे। ब

की यादों के स वाए है ही क्या।

ढिं ग

े यकीन नहीिं हुआ था,

कती थी। िब कुलविंत ने टे लीफोन ककया तो उ

ने बताया कक िैिी अब इ

और क्या कहूिं, उ लता…

ा लगा। मैंने कुलविंत को ही कहा कक वह राये के घर इ

ल ब ा था। े बात ो ा,

की बेटी ने उठाया

यही है कहानी रिं िीत राये की,


मेरी कहानी - 137 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 09, 2016 मैं अ ने लै

टॉ

े एक ददन “मेरी कहानी” सलख रहा था तो कुलविंत बोली,” यह आ की

कहानी कब ख़तम होगी ?”, मैंने कहा, “ब ड़ा और

ो ने लगा, कक अब इ

। सलखते सलखते कफर नहीिं नहीिं, इ

कहानी को टॉ

आई कक इ

े तो मैं खद ु

अब म्ज़आदा नहीिं है “. मन ही मन में मैं हिं

में िल्दी क्या है , क्या िरूरी घटनाएिं, छोड़ दूँ ू ?

े ही बेइिं ाफी कर िालूिंगा, मैं

हज़ारों इिं ान समलते हैं लेककन म्िन लोगों के छोड़ा िा

गेअर में िाल दूँ ू और िल्दी खत्म कर दूँ ू

कता है । यह बात तो

ाथ बहुत

ो ने लगा। यूिं तो म्ज़िंदगी में

मय बताया होता है , उन को कै े

ही है कक ज़्यादा िीटे ल में कक ी के बारे में सलखना

अ धभव है लेककन उनको अ नी कहानी का दहस् ा तो बनाया ही िा

कता है ।

थोड़ा

ालों

ा अ ने दोस्त मुख्तार स हिं के बारे में सलखग ूिं ा, म्िन को बहुत

े समल नहीिं

का हू​ूँ क्योंकक कुछ गलतफैहसमओिं और इलग्ग पव ारों के कारण हमारा समलना िल ु ना बिंद हो गया था। इ

का यह मतलब नहीिं, हमारा कोई झगड़ा हुआ था, ब

यूिं ही उन को हमारी

कोई बात अच्छी ना लगी होगी और यह समलना िुलना बिंद हो गया। मुख्तार के ल तो नहीिं ना भुलाए िा मेरे बारे में उ बहादर

को बहादर

कते ?. कुछ ददन े ही

ता

ाथ बबताए

हले मुख्तार बहादर को समलने गया था और

ला था कक मेरी स हत ठीक नहीिं है , कफर उ

ने

े मेरा टे लीफोन निंबर सलया और हमारे घर टे लीफोन ककया और कुलविंत ने उ

के

ाथ बातें कीिं। मख् ु तार, राणी स्कूल में मेरे और बहादर के

ाथ ही

ड़ता था। समिल

करने के बाद मैं,

बहादर, िीत और हरभिन तो फगवाड़े हाई स्कूल में दाखल हो गए थे लेककन मख् ु तार छोड़ कर खेती बाड़ी में म रूफ हो गया था। उनके खेत हमारे खेतों के कबार समलना हो िाता था। मुख्तार के प तािी गाूँव के

ाथ ही थे और कभी

टवारी थे और गाूँव की िमीन के

मुआमले में म रूफ रहते थे। मुख्तार का बड़ा भाई भी कहीिं इिंगलैंि में आया तो कुछ

टवारी लगा हुआ था। िब मैं

मय बाद मेरे प तािी िो यहािं ही रहते थे, इिंड्िया

क्योंकक प ता िी ने रै क्टर ले सलया था और खेती करने लगे थे, तो मुख्तार के मेल समला

ढ़ाई

बढ़ गया था। मुख्तार की उम्र मेरी उम्र होने के बाविूद, प ता िी

ले गए थे। ाथ उन का े उ

का

प्रेम बहुत दोस्ताना था, और यह बातें मुख्तार ने यहािं आकर बताई थी, िब मुख्तार भी


इिंगलैंि आ गया था। कुछ बातें उ

ने मुझे बताईं, म्िन के बारे में मुझे कोई चगयात नहीिं

था। मुख्तार के प ता िी क्योंकक

टवारी थे और ज़मीन के मामले में उन्हें

ब कुछ

एक दफा मेरे दादा िी ने मुझे एक खेत के रकबे यानन खेतरफल के बारे में लधबाई

ौड़ाई ऐ ी थी कक खेत के

ना कर

का। दादा िी मेरे

उिर

ाूँ ों ओर

ता था,

ुछा, खेत की

े छोटी बड़ी भुिाएिं थी कक मैं यह

ाथ गुस् े हो गए और बोले, ” तू स्कूल में

े मख् ु तार के प ता िी आ रहे थे और उन्होंने

दो समनट में खेत का रकबा बता ददया और बोले, ”

वाल हल

ड़ता क्या है ?”,

न ु सलया था, आते ही उन्होंने एक

ा ा ! ऐ ी

ढ़ाई यह लड़के नहीिं

िानते, यह तो हमारा ही काम है , हम तो रोज़ाना काम ही यही करते हैं “, मेरे मन का बोझ कम हो गया। िब मुख्तार यहािं आया तो कुछ

ाल बाद मुझे एक दोस्त

हमारे टाऊन में ही रहता था। कफर अ ानक मुख्तार

ता

ला कक मुख्तार भी

े समलना हो गया और उ

ने बताया

कक वह बुशबरी में रहता था। समल कर हम दोनों बहुत खश ु हुए और एक द ू रे के एरै कर सलए। बहादर

नोट

े मैं ने बात की और एक शाम को मैं कुलविंत बहादर और कमल मेरी

गाड़ी में िो लाल रिं ग की वॉक् वैगन बीटल थी में बैठ कर मुख्तार के घर मय हमारी बबटीआ प क िं ी छोटी िब मुख्तार के घर गए तो हम

ले गए। उ

ी थी और बहादर की बबटीआ ककरण भी छोटी हली दफा मुख्तार की

त्नी

ी थी।

े समले और यहािं तक मुझे

याद है , मुख्तार के भी शायद एक बच् ा ही था। मुख्तार के घर ककया ककया बातें हुईं, यह तो याद नहीिं लेककन हम ने प छली दहु राया िो स्कूल के ज़माने में हुई थीिं। मुख्तार उ ब

मय गाड़ी नहीिं

ारी यादों को

लाता था और वह

कड़ कर हमारे घर आने िाने लगा था । मख् ु तार बहुत ही शरीफ है और ददल का

है । िब भी बहादर हमें समलने आता, हम इकठे ही मख् ु तार को समलने बच् े घर में ही रह कर ग

वक्त एक रावायेत ही थी। उ महमानों को

मय यह बात भी आम

ब्ब नहीिं ले िाता था, तो इ को अच्छा नहीिं

बातें करते थे कक “इ ने कोई यह बात कोई ख़ा खर ते हैं।

करतीिं और हम कक ी ना कक ी

ेवा नहीिं की, यह तो किंिू

ाफ़

ले िाते। औरतें और

ब्ब में

ले िाते िो उ

र लत थी कक अगर कोई अ ने मझा िाता था, लोग बाद में है , ग्ला

नहीिं है और आि के बच् े अगर िाते हैं तो

भी नहीिं प लाया “, अब भी

ै े अ ने अ ने


कुछ

ालों बाद मुख्तार ने यह घर बे

था। एक ददन हम मुख्तार को समलने िुलना अक् र वीकऐिंि के बाद गप्

हम उठ कर

स्मोक रूम में था। इ

े कुछ दरू

ैनफील्ि में नया घर ले सलया

ैनफील्ि उन के घर

ले गए। दोस्तों

े यह समलना

र ही होता था, िब बहुत लोगों को छुटी होती थी।

कर के मख् ु तार मझ ु े कहने लगा, “गरु मेल ! ड़े। कुछ दरू ी

र ही एक नया नया बना

ाय

ब्ब को

ानी

ीने

लते हैं ” और

ब्ब था। बार रूम छोड़ हम

ले गए क्योंकक वहािं कुछ शािंत वातावरण था और यह रूम बहुत खब ू ूरत

रूम में अक् र बार रूम

अच्छा होता है । काउिं टर टे बल

कर, हम

भी तरह के ड्रिंक कुछ महिं गे होते हैं लेककन वातावरण

र िाते ही हम ने दो बीअर के ग्ला

सलए और ले कर एक छोटे

र िा बैठे। बहुत बातें हम ने कीिं और कफर मख् ु तार ने एक ददल स्

कहानी

न ु ानी

शुरू कर दी। मुख्तार बोला, ” गुरमेल ! एक ददन रपववार था और शाम को एक टे लीफोन आया, एक शख् बोला, है लो ! यह मख् ु तार का घर है ? िब मैंने हाूँ में िवाब ददया तो वह शख् ाहब आ िब उ

की

त्नी के गाूँव

े तीन चगयानी आये हुए हैं और आ

ने तीनों के नाम सलए तो

बोला, भाई

े समलना

ाहते हैं।

त्नी ने कहा कक वह उन्हें िानती है । मैंने उन को कह

ददया कक वह आ िाएूँ। एक घिंटे बाद हमारे घर के बाहर एक गाड़ी आ खड़ी हुई म्ि तीन चगयानी ननकले िो नीले रिं ग की हुए थे। वह किंु िली दार मिंछ ू ों में अिीब कक ी के

गढीआिं,

ड़ ू ीदार

में

िामे और नीले रिं ग की िैकेट

े लग रहे थे। यह वह

मय था िब

हने

गड़ी कक ी

र ही होती थी।

िब घर में दाखल हुए तो त्नी ने उन को

त्नी को उन्होंने हाथ िोड़ कर

ह ाना नहीिं, कफर िब उन्होंने

िंक्षे

त स री अकाल बल ु ाई, रर य ददया तो

हले तो

त्नी

मझ

गई। वह छोटे छोटे थे िब वह इिंगलैंि आई थी। बातें होने लगीिं म्िन का मुझे तो कुछ

ता

नहीिं था लेककन

ुछा,

भाई िी आ

त्नी को कुछ ददल स् ी हो गई थी।

बीयर बगैरा

थोड़ा…… ,मैं उन की बात घर

े आते वक्त मैंने

ी लेते हो ? तो एक बोल मझ गया और कहा, यह

ाय

ीते

ीते मैंने यूिं ही उन

ड़ा, कोई ज़्यादा तो नहीिं ब ाय रहने दो, हम

त्नी को कह ददया था कक अगर यह लोग

ब्ब को

थोड़ा लते हैं।

ीते हैं तो खाते तो िरूर

होंगे, तू िल्दी िल्दी मीट बना। इ

के बाद हम इ ी

ब्ब में आ गए। यिंू ही हम बार में दाखल हुए तो तीनों चगयानी

कुछ दे ख कर कुछ घबरा

े गए क्योंकक वहािं

ब गोरे ही बैठे थे, ब

एक दो ही इिंड्ियन थे।


मैंने

ार ग्ला

काउिं टर

खाली था। ग्ला हम

े सलए और एक रे में रख कर एक टे बल की ओर आ गया िो र रख ददए। हम बीयर

ीने लगे और इिंड्िया की बातें करने लगे। िब

ी रहे थे तो कुछ गोरे इन चगयाननओिं की ओर दे ख दे ख कर हिं

कुछ शमादए शमादए

े बैठे थे। िब दो दो ग्ला

स हिं िी, अब यहािं

े हमें

लेते हैं। गला लाइ ें

लना ही

पवस्की को दे ख कर उन के

ी सलए तो एक चगयानी बोल

ब चगयानी ड़ा, मख् ु तार

ादहए, अगर घर में ही कुछ है तो वही​ीँ थोड़ा

हम ने खत्म कर सलए और

की दक ू ान थी और मैंने वहािं

रहे थे।

ब्ब

े बाहर आ गए। रास्ते में एक ऑफ

े एक वाइट हौर

की बोतल खरीद ली। अिंग्रेज़ी

ह े रे खखल उठे क्योंकक उ

मय इिंड्िया में पवस्की अमीरों के

ो ले ही थे। घर आ गए और हम फ्रिंट रूम में ही बैठ गए। बोतल मैंने टे बल खब ू ूरत ग्ला ीआिं ननकालीिं और टे बल े

ीनी शुरू कर दी।

के बाद कोक िाल कर गलास आिं भर दीिं और हम ने ीते

ीते उन को िल्दी ही नशा होने लगा। अब वह

खल ु कर बातें करने के मि ू में हो गए। क्योंकक वह ढि (िमरू )

ने अभी आिा घिंटा इिंतज़ार करने को

ैकेट ले कर मैं कफर फ्रिंट रूम में आ गया। मैंने बोतल खोल कर

थोड़ी थोड़ी ग्ला ीओिं में िाली और इ ीअरि कह कर

र रख दी। कफर मैं स दटिंग रूम में गया और सम ेज़

छ ु ा कक मीट को अभी ककतना वक्त लगेगा, तो उ

कहा। कुछ मूिंगफली के

र रख दी और कैबनेट

भी ढािी िथे वाले थे िो

ारिं गी और

े गाते थे, अब वह एक हाथ का िमरू बना कर द ू रे हाथ की उिं गसलओिं

बिाने लगे और कुछ कुछ गाने भी लग गए। कुछ दे र बाद

त्नी हमारे

ामने मीट की प्लेटें

रख गई। मीट की प्लेटें दे ख कर उन की बािंछें खखल गईं।

ब की ग्ला ीआिं खत्म हो गईं थीिं, अब एक

चगयानी ने खद ु ही बोतल उठाई, ढकन खोला और ररवाि है , उन्होंने ग्ला ीआिं उठा कर एक दम हलक लेटों में हाथ अ ली रू

लाने लगे। इतनी िल्दी उन्हें

भी ग्ला

े उतार लीिं और मीट खाने के सलए

ीते दे ख कर मैं है रान हो गया। अब वह अ ने

में आ गए थे और उन में सशष्टा ार की बातें गायब हो गई थी। वह मीट का

टुकड़ा उठाते, टूटे हुए लफ़ज़ बोलते और उन के हाथ ड़ते, कफर

भर ददए। िै े इिंड्िया में

े मीट का टुकड़ा उठाते और यह कफर चगर

र मीट की तरी के छीिंटे

ढ़ कर अिीब

े मीट का टुकड़ा चगर िाता। वह हिं ड़ता। उन के च ट्टे

ी तोते रिं गी रिं गत

ड़ ू ीदार

ैदा कर रहे थे।

िामों


अ ानक एक के मुिंह

े ननकला, अच्छा िी अब हमें इिाित दो, मैंने भी फटा फट िवाब दे

ददया, अच्छा िी मेरा दोस्त आ

को छोड़ आएगा। मैं उठ कर उ ी वक्त

के ही अ ने

दोस्त ननमदल के घर गया और उ े बोला कक वह चगयाननओिं को छोड़ आये। िब दोस्त ने चगयाननओिं की हालत दे खख तो वह हिं ने लगा कक वह इन्हें कै े ले िाएगा, मैंने कहा, यार िै े भी हो इन्हें यहािं

े ले िा। हम दोनों ने बड़ी मम्ु श्कल

े उन चगयाननओिं को गाड़ी में

बबठाया और मेरा दोस्त ननमदल उन्हें ले गया। आिे घिंटे बाद ननमदल वा रहा था और उ

ने बताया कक उ

आ कर हिं े िा

ने उन चगयाननओिं को गुदद आ ु रे के नज़दीक उतार ददया था

और वह इिर उिर झाूँक रहे थे ” मुख्तार और मैं अक् र समलते ही रहते थे। एक ददन बैठे बैठे उन चगयाननओिं को याद करके हिं

रहे थे तो मुख्तार ने चगयाननओिं की एक और बात बता दी। मुख़्तार ने बताया कक कुछ

चगयानी एक गुदद आ ु रे की शिादलू बुदढ़या के घर ककराए

र रहते थे। बुदढ़या मीट अिंिे को बहुत

नफरत करती थी और चगयाननओिं का ददल मीट खाने को करता था लेककन बदु ढ़या के कारण घर में बना नहीिं बना कर

ु के

कते थे। कफर उन्होंने अ ने कक ी दोस्त को कहा कक वह मीट का े उन के

हुिं ा दे । िब बुदढ़या घर

तीला चगयाननओिं को दे आये। चगयानी चगयानी खा कर कहीिं

र नहीिं थी तो दोस्त मीट का

तीला अ ने बैि रूम में ले गए और मज़े

ले गए और िब बुदढ़या घर आई तो उ

ारे घर में घूमने लगी और अ ानक चगयाननओिं के रूम में ने ढकन उठाया तो वह मीट दे ख कर तड़

को अिीब

ली गई ।

चगयाननओिं के सलए यह

े खाया।

ी बू आई। वह

तीले को दे ख उ

उठी और उ ी वक्त गुदद आ ु रे में

भी को चगयाननओिं की करतत ू के बारे में बताया। अब गुदद आ ु रे में लोग इ करने लगे कक इन लोगों को मीट खाना

तीला

हुूँ

गई और

बात

र बह

ादहए था या नहीिं। कुछ लोग बोल रहे थे कक

ब गलत था और कुछ कह रहे थे कक इ

में कोई गुनाह नहीिं था।

आखर में बात गई आई हो गई। बहादर बताता था कक मुख्तार की स हत बहुत अच्छी है और बहुत स हतमन्द है लेककन उ की बीवी को अल्ज़ाइमर रोग हो गया है और उ

की यादाश्त खत्म हो गई है । वह पव ारी

कोई मीट अिंिा बगैरा नहीिं खाती थी और खरु ाक अच्छी खाती थी, कफर भी पव ारी को यह रोग हो गया, अब मख् ु तार उ े छोड़ कर कहीिं िा नहीिं कक ी बच् े को

रहना

कता। कहीिं िाना हो तो उ

ड़ता है । मख् ु तार अ नी बीवी की बहुत

के

ेवा करता है और खद ु


ही उ े खखलाता है और क िे

हनाता है क्योंकक बीवी को कुछ भी याद नहीिं होता। मुख्तार

बहुत ही अच्छा है , इ ी सलए मैंने उ लता…

को भी अ नी कहानी का दहस् ा बनाया।


मेरी कहानी - 138 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 13, 2016 मेरे दोस्तों में थे और

ौिरी

ाहब का नाम भी हमेशा मेरे ददल में रहे गा ,वह एक मु लमान दोस्त

िंिाबी थे। बहुत ही शरीफ थे और कभी कभी मेरे घर आया करते थे। िब भी

समलते, ब

हले बोलते,” भमरा

ाहब ठीक हो ?”, इ

समहनती थे, बहुत ओवरटाइम करते थे और शायद

के बाद ही कोई बात करते। बहुत े ज़्यादा

नज़दीक ही एक िामय मम्स्िद में आया करते थे। तकरीबन द हमारे

ाथ काम करते थे और एक दो तुअ बब लोगों को छोड़

एक गाूँव में रहते थे। यह

भी बीअर

ीते थे और इन का

ै े कमाते थे। हमारे बारह मु लमान लड़के भी ऐ े थे िै े हम

ब इिंड्ियन

े इतना प्रेम था कक

कक ी भी मु ीबत के वक्त दोस्तों की मदद करते थे। खैर मह ु मद तो इतना अच्छा था कक वह कभी कभी गुदद आ ु रे भी

ला िाता था और लिंगर में बैठ कर

शाददा भी छक लेता था।

बहुत ही

ीिा इिं ान था। िमद के मामले में तो वह अक् र एक बात ककया करता था कक

एक शख्

एक बक्ष ृ के नी े अ ने घुटनों

उदा

बैठा दे ख नज़दीक आया और उ

र रखके उदा

की उदा ी का कारण

लगा, ” मैं मिंददर मम्स्िद गद ु दआ ु रे में बहुत दफा िा का

किंू नहीिं समला, उदा

ओर उ

ीठ करके दरू को घाटा ही

ौिरी

ला िा, ब

ारा

छ ु ा तो वह शख्

क् ु का हू​ूँ लेककन मझ ु े कहीिं

हू​ूँ कक कहाूँ िाऊिं”, तो बिुरग बोला, इन े कुछ महीने

ररवार हमारे

हले वह इ

ा ड़ वेले लेककन

के दो बेटे और

एक बेटी थी।

ाककस्तान में उ

ुरखों की िमीन थी और उ

समहनत करके

ाककस्तान में बदढ़या कोठी बनाई थी। मुझे अक् र कहता, ” भमरा

गोग्लों की बाररश हमेशा नहीिं होती, ओवर टाइम लगा के खब ू उ

का घर

वाली थी। िीरे िीरे उ ारा

ररवार इ

को एक

स्ता समल गया, लेककन इ

ै े बनाओ “,मैं हिं

ख्त ाहब यह ड़ता।

ाकद के चगदद

घर

े रर ेयर बहुत होने

ाल लग गया घर रर ेयर करते करते और कफर िब बन

में रहने लगा था। यह घर

ाकद के बबलकुल

मैं वाक् करने के सलए िाया करता था और हमारा समलन इ इकठे हम

ने बहुत

ाकद लेंन गैरेि के नज़दीक था लेककन बाद में उ े हमारे नज़दीक ही काफी बड़ा

मकान समल गया था िो उ े बहुत गया तो

े भी मन

दन्ु याूँ को छोड़ गया।

िंिाबीओिं के बहुत नज़दीक था। उ

की अ नी

बोलने

भी िमद आस्थानों की

यही िमद अच्छा है । खैर मुहमद ने बहुत

ड़ा। ररटायर होने

ाहब का

बैठा था तो एक बज़ुगद उ े

था। इ

ाकद में

ाकद में होता ही रहता था।

क्क्र लगाते और बातें करते रहते। भोिन के मामले में

ौिरी


ाहब बहुत म्स्रक्ट थे, न तो वे कोई ड्रिंक खाते थे, हमेशा घर

े ही लाते थे। फ्रूट

ीते थे और न ही कभी कैंटीन

े कुछ ले के

लाद बहुत खाते थे लेककन इतना करते हुए भी उन

को बाऊल कैं र की सशकायत हो गई। उन का एमरिैं ी ऑ रे शन ककया गया और कीमोथैर ी शरू ु हो गई और ठीक होने लगा। मैं उ ा

को समलने गया और उ

ही बैठ गई और बहुत बातें हुईं। क्योंकक वह काम

े नहीिं िाता था, इ

कुछ क्लेम फ़ामद भरने थे िो हम दोनों ने भरे । दो हफ्ते बाद उ ै े समलने शुरू हो गए थे। कीमोथेरै ी के हर थी और उ काम

को दे ख कर तर

की बीवी हमारे सलए उ

ने

का टे लीफोन आया कक उ े

ैशन के बाद उ

की हालत बहुत बुरी होती

आता था। कुछ महीनों बाद वह बबलकुल ठीक हो गया और

े आने लगा।

अब वे खश ु खश ु रहने लगा था। नए घर का गािदन बहुत बुरा था और वह रोि थोड़ा थोड़ा इ

में काम करता। एक ददन

होने लगी थी और ह ौिरी

ता

ला कक गािदन में फावड़ा

ताल में भती होना

कर मुस्कराए और मैं बैि के

िी कु ी

और मैंने भी कुछ शब्द बोले लेककन मझ ु े उ उ

की यह बेब ी मुझे कभी नहीिं भूली। इ के घर गए। ौिरी

ददन ौिरी

ौिरी

ला कक

ौिरी

ाहब मेरी तरफ दे ख भी हौ ला दे ते

ह े रा अभी तक याद है , िब

े कदहये मेरे खविंद को ठीक कर दे “, उ

के कुछ हफ्ते बाद ही

ौिरी

ाहब इ

दन ु ीआ

ाहब का फ्यूनरल था, मैं और मेरा दोस्त मोहन लाल शमाद उ

ाहब के ररश्तेदार तो थे ही लेककन हमारे

ाहब का शरीर घर के भीतर लाया गया तो ाथ एक अिीब बात हुई,

ौिरी

िंिाबी लोग भी बहुत थे। िब

भी लोग एक एक करके उ

दशदन करने के सलए भीतर आते और दशदन करके द ू रे दरवाज़े में मेरे

ता

के कफर ददद

हुिं ा। िब मैं वािद में

र मैं बैठ गया। मरीज़ को की बीवी का वह

ने मझ ु े कहा था भैया ,” प्लीज़ अ ने गरु ु ले गए। म्ि

ताल में िा

की बीवी और बच् े बैठे थे। ा

लाते उ

ड़ा। दो तीन हफ्ते बाद मझ ु े

ाहब की हालत बहुत बुरी हो गई थी। मैं ह

गया तो वहािं बहुत ररश्तेदार, उ

लाते

े बाहर आ िाते। ऐ ी घड़ी

ाहब के दशदन करने की गज़द

हाथ लगाने ही वाला था कक एक औरत झट्ट

े बोल

के आख़री

े मैंने बॉक्

को

िी,” हाथ ना लगाना ,हाथ ना लगाना

“, कुछ है रान हुआ मैं बाहर आ गया और एक दोस्त को यह बात बताई तो वह कहने लगा,” कुछ लोग हैं िो

ो ते हैं कक आख़री

मय कक ी काफर का हाथ नहीिं लगना

न ु कर मझ ु े बहुत दुःु ख हुआ और मैं और शमाद उ ी वक्त वा ऐ ी गलती ना हो िाए। कुछ भी हो हू​ूँ .

ौिरी

ाहब के

ादहए “, यह

आ गए ताकक कोई और

ाथ बबठाये वोह

ल कै े भूल

कता


मोहन लाल शमाद भी एक बहुत ही शरीफ इिं ान है । एक बात मेरे ददमाग में आई है कक हर शख्

अ ने िै े

ुभा के लोगों

े दोस्ती करके ही अच्छा मह ू

ऐ ा है कक कक ी को कोई बुरी बात कह ही नहीिं

करता है और शमाद तो

कता। एक ब्राह्नमण

ररवार होने के नाते

उन के घर शद् ु ि दे ी भोिन बनता है , िो बहुत ही अच्छा होता है और उ मैं बहुत अच्छा मह ू वह भी नहीिं आ

करता था। अब प छले कुछ

कता क्योंकक उ

को

ाल

लेककन वह बात कक गूिंगे की माूँ ही गूिंगे को रे े भाई कौशल भी हमारे

े उन के घर िा नहीिं

कता और मैं तो उ

मझे, हम एक द ू रे को

कदर

ने

त् िंग रािा

ुआमी बबया

च् ा था कक िब उ

ददया, उ

का पवशवा

े भी बुरा हू​ूँ

मझ लेते हैं। शरमे

ाथ ही काम ककया करते थे और उन की स हत भी हम

े अच्छी थी, कौशल बबलकुल शाकाहारी था और दहकमत का भी उ और उ

का हू​ूँ और

ाककिं न रोग है लेककन हम एक द ू रे को कभी कभी

टे लीफोन कर लेते हैं। बोल वह भी अच्छी तरह नहीिं के

के घर िा के

था कक गुरु िी उ

रहने लगा था और वहािं ही उ

को काफी चगयान था

े नाम सलया हुआ था और उ

को कैं र रोग हुआ तो उ ने आख़री

का पवशवा

ने कोई भी दआ ु ई लेने

े इिंकार कर

की रक्षा करें गे और इ ी सलए वह बबया ािं

आ कर

सलए। कौन िाने अगर वह इिंगलैंि में रह कर

ही इलाि करवाता रहता तो शायद आि म्ज़िंदा होता लेककन अब तो यह

ो ने की बातें

ही रह गईं। कौशल िब भी बात करता, द ु रे को भगत कह कर बुलाता था, भगत उ तककया कलाम ही बन गया था और

भी उ े हिं

र लग गए थे और िब उ

था लेककन एक बेटी के

ु राल वाले उ

गया। उन ददनों शमाद बहुत उदा

ने

ढ़ कर अच्छी

ारे बच् ों की शाददयािं कर दीिं तो वह बहुत खश ु को बहुत दुःु ख दे ने लगे। दो

रहता था। इ

के तकरीबन दो

एक और लड़का दे खा िो हायर स्टिीज़ के सलए इिंड्िया था और इ

का

कर भगत िी कह कर बुलाते थे।

शरमे की म्ज़िंदगी में भी बहुत कठनाइयािं आईं। दो बेटे और दो बेदटयािं नौकररयों

ाल बाद ही तलाक हो

ाल बाद ही बेटी के सलए

े आ कर इिंगलैंि में

ढ़ाई कर रहा

लड़के की माूँ इिंड्िया में कहीिं पप्रिं ी ल लगी हुई थी। ररश्ता हो गया, लड़के की

माूँ िो अ ने आ गई। अब शरमे के

को बहुत ह े रे

ौर्

र कफर

ननकला, यिंू ही उ े शादी करके लड़का तो और और लड़ककओिं

मझती थी, इिंड्िया

े रौनक आने लगी लेककन यह लड़का बहुत दगाबाज़ रमानें ट स्टे समली, उ

े आ गई थी और दोनों की शादी हो के तेवर ही बदल गए और वह

धबन्ि बनाने लगा। अश्लील फोटो उ

की िेबों

े समलने

लगी। अब कफर तलाक का काम शुरू हो गया और िल्दी ही तलाक हो गया। लड़की के अ ने बहुत

ै े िमा थे,

हले तो यह लड़का प यार मुहबत की बातें करके लड़की

े ले के


इिंड्िया अ नी माूँ को भेिता रहा और कफर िब तलाक हुआ तो क़ानून के मुताबबक शरमे की लड़की को अ ने आिे

ै े लड़के को दे ने

लड़के के बारे में

ला िो इिंड्िया

ता

था। यह लड़का बेछक उ

ड़े। अब शमाद बहुत दख ु ी था। िल्दी ही एक और

े ही आया हुआ था लेककन

ड़ा सलखा इतना नहीिं

ढ़ा सलखा इतना नहीिं था लेककन अच्छा बहुत था। शादी हो गई और

के दो बेटे हो गए हैं और लड़की भी इ

लड़के के

ाथ बहुत खश ु है ।

शरमे के दोनों बेटों के दो दो बेदटयािं थीिं और अब भगवान ् ने शरमे को एक बख्श दी है । म्ितना मानस क बोझ शरमे ने एक बेटी के कारण कारण होगा कक शरमे को

ोते की दात

हा था, शायद उ

ाककिं न रोग ने दबा ददया। शमाद मुझ

का ही

हले रीटाएर हो चगया

था और कुछ महीने बाद मैं भी रीटाएर हो चगया था। एक द ू रे के घर हम िाते रहते थे। उ

के घर

की

े कुछ दरू एक

त्नी अभी काम

ाकद थी, म्ि

में हम िा कर फास्ट वॉक ककया करते थे। शरमे

े िाया करती थी। घर आ कर मैं और शमाद

ाय बनाते और मठाई

खाते िो वह हमेशा खाया करता था। िब मझ ु े शरीरक प्रॉब्लम शरू ु हुई तो मझ ु े कुछ मह ू नहीिं होता था, शमाद ही वाली नहीिं है “, इ शायद इ

हला शख् े

था िब उ

हले मुझे कुछ भी

सलए ही बहुत दे र तक मुझे

बताया कक उ एक ददन उ

दआ ु ई लेने लगा। िब शमाद वा वह ह तो उ

ताल के िाक्टर

ला। ऐ े ही एक ददन शरमे ने मुझे ताल िाने को कहा था। कफर

ाककिं न रोग बता ददया था और दआ ु ई दे दी

के बाद िल्दी ही शमाद और उ

े दे ी दआ ु ई खाने लगा और इिंगलैंि आया तो उ

े समलने गया तो उ

त्नी इिंड्िया

ाथ ही एक िाक्टर

की हालत

ने इिंड्िया

की

े भी

हले वाली नहीिं थी। िब

े लाइ दआ ु ई िाक्टर को ददखाई

ने दे खते ही दवाई िस्ट बबन में फेंक दी और कहा कक या तो वह इिंड्िया

कराये या उ इ

ता ही नहीिं

ने बताया कक हस् ताल वालों ने

ले गए और कक ी हकीम

हले

ता नहीिं था। मैं एक् र ाइि बहुत करता था,

के हाथ कािं ने लगे थे और िाक्टर ने उ े ह

थी लेककन शमाद दआ ु ई खाता नहीिं था। इ को

ने कहा था,” भमरा ! तेरी आवाज़

े इलाि

े।

के बाद शमाद कुछ ठीक होने लगा लेककन िाक्टर के बताये मत ु ाबबक शमाद कभी

एक् र ाइि नहीिं करता था। मैंने शरमे को बहुत दफा एक् र ाइि करे लेककन वह कुछ भी करता नहीिं था। उ

मझाया था कक वह रोज़ाना की

त्नी िब भी हमारे घर आती

शरमे की सशकायत करती कक वह कुछ भी नहीिं करता था। िीरे िीरे मैं भी खराब होने लगा और शमाद दो लगा। उ

ोटीआिं

कड़ कर

लने लगा और

ाथ ही उ

का शरीर कमान िै ा होने

का बेटा कभी कभी उ े मेरे घर ले आता और छोड़ िाता और हम

ारा बैठे बैठे


गप्

करते रहते और शाम को उ

ख़राब हो रही है । करवाते हैं और

ोशल

का बेटा उ े ले िाता। ददनबददन शरमे की स हत

वी ज़ वाले हफ्ते में दो दफा घर आ के उ

ार ददन शरमे के

अव र समल िाता है क्योंकक उ

बबताते हैं और उ

की

की एक् र ाइि

त्नी को बाहर िाने का

को शरमे की दे ख भाल बहुत करनी

ड़ती है , यहािं की

हकूमत ड्ि ेबल लोगों का बहुत चियान रखती है और हर तरह की मदद करती है । बहुत दे र

े शरमे को दे ख नहीिं

कह कर बल ु ाते हैं, उ

की

का हू​ूँ लेककन उ

त्नी कुलविंत के

हुिं ाती रहती है कक अब शमाद

का एक ररश्तेदार है म्ि

ाथ लेिीज़ ग्रु

को

ुरी

ाहब

में िाती है और शरमे की खबर

ोफे में ही बैठा रहता है और उ

का शरीर बबलकुल कमान

की तरह मुड़ गया है और ददन में दवाई कई दफा लेनी

ड़ती है ।

और उ

के सलए स्टे यर सलफ्ट लगा दी गई है । उ

भी बच् े शरमे का बहुत करते हैं

और उ

को उदा

लता…

नहीिं होने दे ते। मेरे पव ार

के

े यही स्वगद है ।

ीदढ़यािं

ढ़ नहीिं

कता


मेरी कहानी - 139 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 16, 2016 कुछ

ाल बाद भगवान ् की रज़ा

े प क िं ी को एक बेटे की दात समल गई थी और उिर रीटा

को भी एक और बेटा समल गया था। रीटा और प क िं ी अ ने अब हम

िंदी

था।

बबल्स्टन कालि

िंदी

अक् र उ की

को भी कह रहे थे, कोई लड़की दे खने के सलए मगर वह अभी मानता नहीिं हे सलआिं

कहता था और िब उ

े अ ना को द खत्म करके काम

िंदी

िंदी

का ररश्ता कर ले। कुलविंत ने हिं

े ररश्ते

कर कह ददया,” मुझे यह लड़की िंदी

कर कहा,”तो

तुम हाूँ करो “, कुलविंत ने भी हिं

लड़की के बारे में उ ने कहा था, उ

के माूँ बा

ाहते हैं कक हम

भी मान गया। एक ददन कफर गद ु दआ ु रे में कुलविंत और

ी बड़ी बात है

की

िंद है ”, बात गई आई हो गई। कुछ ददन बाद बलबीर का

हुईं और कुलविंत ने कहा कक उ को इ में कौन

अभी हाूँ नहीिं

े म्ि का नाम बलबीर है , कुछ लड़ककओिं की और

इशारा करके कहने लगी,” यह है , यह है और यह है , ब

लड़की दे ख लें।

िंदी

ने हाूँ की तो कुछ ददन बाद िब कुलविंत गुदद आ ु रे में थी तो उ

लड़की कहाूँ है ?”, तो एक दरू

टे लीफोन आया कक म्ि

े लग गया था। कुलविंत को

के सलए लड़की दे खने को कहतीिं लेककन

खीआिं कहने लगी, अब वह भी

ु राल में बबज़ी हो गई थीिं और

लड़की की द ु री बहन ज़्यादा

िंद थी। उ ने कहा,”

लो द ु री दे ख लो “. िब यह बात कुलविंत ने

कक अब द ु री लड़की के बारे में बात होनी थी तो अभी उ ने शादी करानी ही नहीिं। कफर

िंदी

िंदी

खखआिं इकठी िंदी

को कही

गुस् े हो गया और कहने लगा कक

ने प क िं ी रीटा को बोला कक वह िैिी ममी को

कहें कक उ को फ़ो द ना करें , िब वह तैयार होगा तो वह खद ु बता दे गा। बात यहीिं खत्म हो गई। बात अ ल में यह थी कक

हली लड़की कुछ कुछ

ाूँवले रिं ग की थी और िो द ु री उ

की बहन थी वह गोरे रिं ग की थी, इ ी सलए कुलविंत ने द ू री लड़की दे खने की इच्छा िादहर की थी। इ

बात को एक

ाल हो गया और अब

िंदी

ताश करनी शुरू कर दी। मैंने भी अ ने दोस्तों

भी हाूँ कह रहा था। कुलविंत ने भी अब

में बैठे ब्रेकफास्ट ले रहे थे। मेरे

ूछ

ूछना शुरू कर ददया। एक ददन हम कैंटीन

ामने मेरा दोस्त अवतार बैठा था। अवतार मेरे मामा िी के

दरू के भाई का बेटा है । हमारी दोस्ती अवतार के प ता िी अमर स हिं और मेरे प ता िी की इन

े दोस्ती के कारण ही हुई थी और इ

करते करते मैं ने अवतार को एक

ाल

हले मैं अवतार को िानता नहीिं था। बातें

हले की बात बताई िब हम

िंदी

के सलए लड़की


दे ख रहे थे और

िंदी

अवतार मुझ

ूछने लगा तो मैंने उ े बता ददया। अवतार हिं

ने नाह कर दी थी। लड़की वाले कहाूँ रहते हैं, उनका नाम ककया है , कर कहने लगा, उन को तो

वोह िानता है और वे एक द ु रे के घर िाते आते हैं। अवतार कफर बोला, “तो बात आगे लाऊूँ ?”, मैंने भी कह ददया कक वोह उन े

छ ू े । कफर अवतार कहने लगा, ” भमरा ! यह

ार बहने और एक भाई है , बहुत अच्छी फैसमली है और ाहते थे कक दो बहनों की शादी हमारे बेटों इन लड़ककओिं की िो मामी है वह शरीके

ारों बहने बहुत ही अच्छी हैं, हम

े हो िाए लेककन यह हो नहीिं

े मेरी बहन लगती है “, इन लड़ककओिं के मामा

मामी को हम भी िानते थे क्योंकक इन का घर हमारे नज़दीक ही है और इ िागीर स हिं मेरे

कता था क्योंकक

ाथ ही काम करते थे और यह वोही शख्

थे िो यग ू ािंिा

बब्रदटश स दटज़न थे लेककन एक स्कीम के तहत इन को इिंड्िया आना

मामी के

नत

े आये थे, यह

ड़ा था और इ ी ने ही

मुझे बताया था कक बेछक बब्रदटश हकूमत ने उन के कुछ स दटज़न इिंड्िया की हकूमत को ले लेने की बेनती की थी और ै ा नहीिं ददया था। इ

के कुछ ददन बाद अवतार का टे लीफून आया कक हम

गरु दआ ु रे में आ िाएूँ और उ

ै े भी ददए थे लेककन इिंड्िया की हकूमत ने इन लोगों को कोई िंदी

को भी ले आयें। कौन

ददन गुरदआ ु रे में स फद ग्रिंचथ ही

टे क कर हम और हमें

ा ददन था मझ ु े याद नहीिं लेककन

ाठ कर रहा था। हमारे

ब बैठ गए म्िन में अवतार और उ

रशाद दे ददया और हम

ैिली स्रीट

की

ाथ रीटा भी आ गई थी। माथा

त्नी भी थे । एक चगयानी िी आये

ब नी े लिंगर हाल में आ गए। एक औरत हमारे आगे

कुछ मठाई और

ाय रख गई और बहू ि पविंदर के प ता िी हरम्ि​िंदर स हिं कल ी, अवतार

और मैं अ ने क

ले के कुछ दरू

करते

िंदी

ले गए ताकक औरतें आ

और ि पविंदर को आ

में बातें करने का अव र दे ददया चगया। िब उन की

बातें ख़तम हुई तो कुछ दे र बैठ कर और यह कह कर कक अ ने घर को

कर बता दें गे, हम अ ने

ल ददए।

घर आ कर हम ने

िंदी

कफर भी हम ने उ े दब ु ारा थी और उ े

में बातें कर लें । बातें करते

को

ुछा तो उ

ुछा तो उ

ने हाूँ कह ददया। हमें कुछ ने कहा कक ि पविंदर उ

िंद थी। द ु रे ददन मैंने अवतार को

कहने लगा कक हम दो हफ्ते और

िंदी

के

िंतोर् हो चगया लेककन ुभाव के अनकूल ही

का फै ला बता ददया तो अवतार

पव ार कर लें और कफर लड़की वालों को बता दें गे।

दो हफ्ते बाद मैंने अवतार को आख़री फै ला

न ु ा ददया। अवतार ने हरम्ि​िंदर स हिं

े बात

की और कक ी ददन आ के शगुन दे ने को बोल ददया। कफर एक ददन हरम्ि​िंदर स हिं , उ त्नी और ि पविंदर की दो बहने हमारे घर आ के

िंदी

की

को शगुन दे गए। अब रुकाई या


ठाका होने की र म बाकी थी। इ

का इिंतिाम भी दो हफ्ते बाद ही तय हो चगया। हम ने

अ ने निदीकी ररश्तेदार और दोस्तों को इनवाईट ककया था।

ब महमानों के सलए भोिन का

बिंि कर सलया चगया था। एक दो बिे हरम्ि​िंदर स हिं अ ने तीनों भाईओिं और कुछ ररश्तेदारों के

ाथ मठाई ले कर आया। घर में रौनक हो गई। कुछ दे र बाद

बबठा गया और हरम्ि​िंदर स हिं ने इ

हले

िंदी

िंदी

को एक कु ी

की झोली में शगन ु िाल के प यार दे ददया और

के बाद हरम्ि​िंदर स हिं के भाई और अन्य ररश्तेदारों ने एक एक करके शगुन िाल ददया।

के बाद हमारी ओर

शाम तक यह

े भी

भी ने शगुन िाल ददया। खाने

ारा काम खत्म हो गया और

ीने का प्रबिंि तो था ही और

भी रुख त हो

गए।

कुछ महीने हो गए और एक ददन अवतार का कफर टे लीफोन आया कक वह शादी के सलए कह रहे हैं। बात तो होना

मझ में आती थी कक

ार बेदटओिं के माूँ बा

ाहते थे । हम ने भी घर में मशवरा ककया और

िंदी

उन की शादी करके े

ुछा, तो उ

द ुखरू

ने हाूँ कर दी।

िल ु ाई का महीना तय हो गया और हम तैयाररयािं करने लगे। मैंने अ नी छुटीआिं बक ु करा लीिं ताकक आ ानी

ारे काम हो

कें। एक बात की हम को ख़श ु ी थी कक हमारे घर में इ

आख़री शादी के बाद हम म्ज़धमेदारी

द हो िाएिंगे। कुलविंत तो मुझ ुखरू

थी और यह ख़श ु ी हर बेटे की माूँ को होती ही है । इ वक्त 52

ाल का था और कुलविंत अभी

अभी भी िवान मह ू ही नहीिं

े भी ज़्यादा खश ु

में एक बात और भी थी कक मैं उ

की भी नहीिं हुई थी और हम अ ने आ

कर रहे थे क्योंकक शारीररक दृम्ष्ट

को

े हम तिंदरुस्त थे। वक्त का

ता

ला, कै े यह महीने बीत गए। कािद छ वाने का वक्त आ गया। सलस्ट बन गई

और एक ददन मैं और कुलविंत एक गुिराती की कािद छा ने की पप्रिंदटिंग प्रै म्ि ने अभी नई नई प्रै

खोली थी। उ

सलया और आ गए। एक हफ्ते बाद उ वक्त ले आया क्योंकक यह प्रै

में

ने ड्िज़ाइन ददखाये और हम ने एक

ले गए िंद कर

का टे लीफोन आ गया कक कािद तैयार थे और मैं उ ी

दरू नहीिं थी। म्िन ररश्तेदारों और दोस्तों को हम ने कािद

भेिने थे, सलख सलख कर भेिी िा रहे थे और म्िन को खद ु िा कर दे ने थे, हर रोज़ काम े फागद हो कर हम ददन

हले

ररवारों के के बाद

ले िाते और कुछ दे र उन के घर ठहर कर कािद दे आते। शादी

न् िं ी और बहादर अ ने अ ने ु नी की र म होनी थी। ननम्श् त ददन रीटा, प क ाथ आ गए और आिे घिंटे में हम हरम्ि​िंदर स हिं के घर

न् ु नी की र म शरू ु हो गई। ि पविंदर को एक कु ी

हली दफा मैंने ि पविंदर को अच्छी तरह दे खा क्योंकक म्ि मैंने कोई ख़ा

े कुछ

हुूँ

गए।

ाय

ानी

र बबठा ददया गया। आि ददन गुदद आ ु रे में बात हुई थी,

चियान नहीिं ददया था। ि पविंदर की कु ी के इदद चगदद बहुत

ी औरतें , कुछ


बच् े खड़े थे। अब

िंदी

को ि पविंदर की मािंग में स न्दरू भरने को कहा गया।

िंदी

ने

स न्दरू िाल ददया और काफी फोटो खीिं े गए। बहुत बातें मुझे अब याद नहीिं, इतना याद है कक हम घर को ख़श ु ी ख़ुशी लौट रहे थे। उ ी गुदद आ ु रे में अब भी यह शादी होनी थी, म्ि और हरम्ि​िंदर स हिं ने िो लिं की दरू ी

में हम ने दोनों बेदटओिं की शादी की थी

के सलए हाल बुक कराया, वह हमारे घर

े गाड़ी में

र ही था और इ का नाम था पवक्टोररया बैंकूईट हाल। यह हाल गेट

होता था लेककन अब कुछ गए हैं। िो को था और इ

ाल हुए इ

को ढहा कर इ

हम ने बुक कराई, उ

िगह

समिंट

स्रीट में

र कुछ मकान बना ददए

का राइवर भी कभी हमारे

ाथ काम ककया करता

का नाम था फगूद न, िो एक स्कॉदटश था। शादी के ददन

के सलए ि वीर, अमरिीत, हमारे भतीिे की

ािं

िंदी

को तैयार करने

त्नी और कुछ और लड़ककयािं थी और इिर

रीटा प क िं ी तो बहुत खश ु थीिं। तैयार हो के हम वक्त

र गुदद आ ु रे

हुूँ

गए और अब भी वही

गद ु दआ ु रा और वही बड़ा दरवाज़ा था , स फद इतना फकद था कक अब हम लड़के वाले थे और द ु री ओर

े लड़ककयािं हम

क्योंकक हमारा

र वार कर रही थीिं। आि मुझे बहुत फखर मह ू

हो रहा था

माि ही ऐ ा है । भीतर आते ही समलनी की र म शुरू हो गई और आि मैं

द ू री ओर खड़ा था। यूिं तो मैं और

मिी हरम्ि​िंदर स हिं इ

समलते रहते थे और हमारा आ

नेह भाईओिं िै ा ही था। िब हम

तो मैंने हरम्ि​िंदर स हिं को

हले भी गुदद आ ु रे में अक् र हली दफा समले थे

हले ही कह ददया था कक हम ररश्ते में िरूर

हमारे पववहार में भाईओिं िै ा ररश्ता होना छोटा है और अब तक हमारे बी

ादहए। हरम्ि​िंदर तो मुझ

मिी हैं लेककन

े भी छै

ात

ाल

वह ही भाईओिं िै ा पववहार है । हम ददल खोल कर बातें

ककया करते थे। यह ठीक है कक अब मेरे तिंदरुस्त ना होने के कारण वह ही कभी कभी को ले के आ िाता है लेककन ाय

ािं

छी

ाल

े मैं उन के घर नहीिं िा

ानी का इिंतज़ाम नन ले हाल में ही था। खा

िीरे िीरे हाल भर गया,

िंदी

ी कर

और ि पविंदर गुरु ग्रन्थ

त्नी

का हू​ूँ।

भी ऊ र के हाल में

ले िाते।

ाहब िी के आगे माथा टे क कर

बैठ गए। मैरेि रे म्िस्रे शन का काम आि भी गद ु दआ ु रे में करना तय हो गया था। इिंगलैंि के भी गुदद आ ु रों में यह

पवद

उ लभ्द है और इ

यानन दो दफा यह काम नहीिं करना ररम्िस्रार ने दटद कफकेट

िंदी

और ि पविंदर

का फायदा यह है कक वक्त ब

िाता है

ड़ता। चगयानी िी ने आनिंद कारि कराया और बाद में े oth लेने के सलए अ नी कारद वाई की और मैरेि

कड़ा ददया। मैं ने और हरम्ि​िंदर स हिं ने एक द ू रे को बिाई दी और फोटो

शरू ु हो गया था। िीरे िीरे

भी महमान पवक्टोररया

इ ु ट की ओर िाने लगे। िब हम

ैशन हुिं े


तो हाल भर गया था। शादी का बड़ा काम हो गया था और अब स फद मज़े करने का वक्त था। ड्िस्को वाले हाई वॉसलउम

र ररकािद लगा रहे थे,

ीने वाले अ ने मज़े कर रहे थे। कुछ

दे र बाद केक की र म हुई और शैध ेन की बोतल खल ु ते ही होने लगी और

ाथ ही िािं

शरू ु हो गया। आि मैं ने भी िी भर कर भिंगड़ा

तक महकफ़ल गमद रही और इ को

ल ददए और हम को

के बाद कुछ घर के महमानों को छोड़

में बैठ कर हरम्ि​िंदर स हिं के घर

कमरे में बैठ गए और औरतें द ू रे कमरे में बैठ गईं। शुरू हो गई।

टाखे और कॉन्फैटी की बाररश

ाय

हुूँ

भ ु ावक ही था क्योंकक म्ि

ािं

विे

भी अ ने अ ने घरों

गए।

भी आदमी एक

ानी के बाद पवदाई की र म

ारा ददन खश ु रहने के बाद अब वातावरण गमगीन

की बहने बहुत रो रही थीिं िो

ाया।

ा हो गया था। ि पविंदर

बहन ने उन के

ाथ ब

गुज़ारा था वह अब अ ना घर व ाने िा रही थी। िंदी को उदा

और ि पविंदर गाड़ी में बैठ गए थे और में बैठ गए और अ ने घर की ओर थे लेककन आि बेटे की शादी

ाथ था ि पविंदर का भाई प्रदी । हम

ल ददए। िब बेदटओिं की शादी हुई थी तो हम

र खश ु थे। हम म्ितना भी मज़ी कह लें कक हम बेटी

और बेटे में फरक नहीिं करते लेककन बेटे की शादी कहूिंगा कक यह फरक हमेशा रहे गा क्योंकक म्ि

र िो हमारा पववहार होता है , उ माि में हम रहते हैं उ

फकद आ िाता है िब हम अ नी बेटी का हाथ कक ी द ू रे को

में उ

गम का समश्रण होता है , यह इ ी तरह रहे तो इ

े मैं मय यह

कड़ाते हैं और बेटे की शादी

र कक ी और की लड़की हमारे घर आती है । कुछ भी कहें िो हमारी शाददयों

लता…

र ख़श ु ी और

ख़श ु ी और गम में भी एक लुतफ है ।


मेरी कहानी - 140 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 20, 2016 िंदी

की शादी ि पविंदर के

ाथ हो गई थी और िब हम घर

हुिं े तो कुलविंत ने

ारे

शगुन ककये। घर में अब रीटा प क िं ी और कुछ अन्य लोग रह गए थे। अब हमारा काम कुछ नहीिं था और हम कुछ दोस्त ररलैक्

होने के सलए बाहर को

ड़े, बैगट आरमि

नज़दीक ही था। गसमदओिं के ददन थे और हम बाहर गािदन में अ ने अ ने ग्ला किे आ कर बैठ गए। रफ लकड़ी के बने बहुत मुख़्त र क ड़ों में बैठे बबयर द

ाढ़े द

े बने बैं

हाथ में

और टे बल थे। गोरे गोरीआिं

ी रहे थे और उन के बच् े नज़दीक ही खेल रहे थे। गसमदओिं में

विे तक लौ रहती है और इ ी वक्त लोगों को दो हफ्ते की

होती हैं, इ ी सलए

मर हॉसलिे भी

ब्ब भरे हुए होते हैं और आि भी ऐ ा ही था। खब ू बातें की

ब्ब

बिंद होने तक हम बैठे गप् ें हािंकते रहे । अब हम घर में तीन हो गई थी िै े वह कक मैं एक

हले

ार हो गए थे। ि पविंदर िल्दी ही घर में ऐ े

े ही हमारे घर में रहती थी और

ुर होते हुए भी कुछ भी अिीब मह ू

आते ही घुल समल गई थी। द ू रे ददन हम

र हमारा स्वागत ककया गया और

अव र समला। औरतें भीतर

त स री अकाल,

नहीिं कर रहा था क्योंकक ि पविंदर ले गए। िब हम ि पविंदर के घर

भी ररश्तेदारों को नज़दीक

अ ने

ररवारों के

भी भाई दोस्तों की तरह रहते हैं। प क िं ी और रीटा भी

भी के

बहुत खश ु था और हर एक के ग्ला एक एक करके ब

ह े रों

खखली हुई थी, 25 या

र रौनक ला रहा था। हरम्ि​िंदर स हिं भी आि

में बीयर िाल रहा था। िब

भी ने उठा सलए और

खोला कक ी ने कक्रस्प्

े समलने का

िे हुए थे। हरम्ि​िंदर स हिं के

ाथ आई थीिं। आि भी ददन बहुत अच्छा था, िु

26 ड्िग्री ता मान होगा िो

हुिं े

त स री अकाल करके हिं ने लगी और हम

मदद लोग बाहर गािदन में आ कर बैठ गए यहािं मेि कुस य द ािं तीन भाई उन े छोटे हैं और यह

े ख़श ु ी वाली बात यह थी

ब ने ि पविंदर को लेकर उन के घर िाना था।

तैयार हो कर बारह एक विे हम ि पविंदर के घर तो दरवाज़े

ीअरि करके

ब के ग्ला

ीने लगे। कक ी ने

भर गए तो

ीनट्

का

ैकेट

का और बातें करने लगे। हरम्ि​िंदर का छोटा भाई तो िोक छोड़ने में

े आगे था और हम भी क्या कम थे। हरम्ि​िंदर मेरे

मिीओिं वाली कोई बात है ही नहीिं थी। हमारे िमाई भी लड़कों ने ि पविंदर के भाई

दी

के

ाथ अ ना ग्रु

ाथ ही बैठा था और हम में ाथ ही बैठे थे और इन

बना सलया। इ

समलनी

े हम

ब ब


नज़दीक हो गए, कोई

िंको

की बात है ही नहीिं थी और हम ऐ े थे िै े कक ी क्लब्ब में

बैठे हों। इ

शादी

हले मेरा और हरम्ि​िंदर

बातें हुई थीिं कक हरम्ि​िंदर स हिं मेरे और अभी बड़ी बेटी की शादी ही

का समल्न गुदद आ ु रे में हुआ था। उ

ददन हमारी इतनी

ाथ खल ु गया था। क्योंकक हरम्ि​िंदर की

ार बेदटयािं हैं

हले हुई थी म्ि

के

ाथ कुलविंत,

ाहती थी और यह शादी करके हरम्ि​िंदर कुछ अिीब मह ू के मन

र था। उ

कर रहा था, एक बोझ

के बाद मैंने बहुत बातें की थी। मुझे

नहीिं लेककन इन के अथद यह ही थे कक लड़के वाले, लड़की वालों नहीिं हो िाते “, ब

समलनी के बाद ही हरम्ि​िंदर मेरे

और आि उन के घर बैठा उ

भी बातें याद

े अ र हैंि क्यों रखते हैं।

हरम्ि​िंदर स हिं के लफ़ज़ यह थे िो मुझे कभी भूले नहीिं,” भा िी !

ब लोग आ

िै े क्यों

ाथ बहुत खश ु खश ु रहने लगा था

की ख़श ु ी को अनभव कर रहा था। हरम्ि​िंदर ने रै ि लेवल की

बोतल उठाई, दो ग्लास ओिं में िाली, कुछ

ोिा और आइ

क्यूब िाले और एक ग्लॉ ी उठा

कड़ा दी। अ नी गल ी उठा कर मेरी ग्लॉ ी के

सलए। हरम्ि​िंदर ने अ नी कलाई मेरे किंिे

ाथ टकराई

और हम ने

र रखी और बोला, ” ओ भा िी, आि मैं

बहुत खश ु हू​ूँ “, और हम ने बहुत बातें की। हरम्ि​िंदर का छोटा भाई ि वीर बोल भाई

ाहब, बातें ही करते रहोगे या

खब ू ठहाके

ा उ

िून में दब ु ारा ना भेिना, भले ही कक ी िानवर की िून दे दे ना

“, वह कुछ िज़्बाती हो गए थे। इ

का ररश्ता करना

ददन हमारी बहुत बातें हुईं थी। हरम्ि​िंदर बोला था,” भा िी ! मैं तो यह

कहता हू​ूँ, रब्बा ! मुझे इ

कर मेरे हाथ में

दी

ल रहे थे, िोक

ीओगे भी कुछ ! और हम ने ग्ला ीआिं उठा कर

े िोक

हरम्ि​िंदर की ग्लॉ ी में िाली, इ

ड़ा, ” ए

ल रही थी और अब मैंने बोतल उठाई और

ी लीिं।

हले

के बाद अ नी में । अब महकफ़ल गमद हो गई थी और

दरू रयािं खत्म हो गई थीिं। अब ि वीर ताश ले आया और भाबी दे वर खेलने लगे और यह गेम ऐ ी है िो रोते हुओिं को भी हिं ा दे ती है । िो भाबी बन िाता उ

भी हूँ ते।

ऐ े ही हूँ ते हुए काफी वक्त हो गया और खाने के सलए बुलावा आ गया िो में ही था। िाइननिंग टे बल काफी बड़ा था और उ बड़ा रहे थे। दहल िुल शुरू हो गई, िौंगों में

े मीट

खाने वाले थे और अब हमारे खाये “, ि वीर बोल

गए, गाूँवों

े आये

ामने इतने खाने हैं,

ड़ा, ” ओ भा िी, शरु ी कािंटे

के कमरे

िे तरह तरह के खाने हमारी भख ू ावल और दाल

लेटों में िालने लगे। ि वीर बोला,” बई अब भूख लगी हुई है , ब ि वीर !हम लोग भी कहाूँ फिं

ीिे

ािे

ता ही नहीिं

म्ब्िआिं अ नी अ नी टूट

ढ़ो “, मैंने कहा, ”

ाग और मक्की की रोटी लता क्या खाएिं क्या ना

कड़ो और घड़ी दो घड़ी अूँगरे ज़ बन


िाओ, अब रानी माूँ की गोद में आ गए हैं, मज़े करके दे ख लें “. खाना खाते खाते बातें ककये िा रहे थे। हरम्ि​िंदर स हिं ने अब कफर बोतल उठाई और मेरे सलए िालने लगा तो मैंने उ ी वक्त बोला,” हरम्ि​िंदर स हिं ! प्लीज़, मेरी सलमट ब ी,

लो अब खद ु ही िाल लो “, मैंने बोतल हाथ में

ली। हरम्ि​िंदर खश ु हो गया। अब तरह

इतनी ही थी “,” ओ भा िी ! ब

ब की एक ही

ीज़

भी के

कड़ी और थोड़ी

थोड़ी

ी ग्लॉ ी में िाल

ेट भर रहे थे, बातें बिंद हो गई थीिं, मैिीटे शन की

र नज़र थी “खाना”, कुछ ही समनटों बाद एक के बाद एक स्लो

मोशन में आने लगे और आखर में फुल स्टौ

लग गया और दटशू

े र के

ाथ हाथ

ोंछने

लगे। खाना खत्म हुए कुछ समनट ही हुए थे कक ि पविंदर की बहने स्वीट ड्िश ले कर आने लगी। ओह नो ! ” अब कहाूँ यह िालेंगे ?” ि वीर हिं यह स फद महमानों के सलए है “, मैं बोल

ड़ा।

ड़ा। ” यह आ

के सलए नहीिं है ,

भी हिं ने लगे। स्वीट ड्िश खाये कुछ समनट

ही हुए थे कक हमे अब बाहर गािदन में िाने का

िंदेश समल गया क्योंकक अब लेिीज़ ने खाना

था। हम कफर बाहर आ कर बैठ गए।

ुस्त हो गए थे और अब िाइननिंग रूम

हिं ने की आवाज़ें आ रही थीिं। कुछ दे र बाद वा भी उठ खड़े हुए। अच्छा िी

े औरतों के

िाने की तैयाररयािं शुरू हो गईं। अब हम

त स री अकाल की आवाज़ शुरू हो गईं और एक द ू रे

े हाथ

समलाने शरू ु हो गए, िीरे िीरे बाहर आ कर गाड्ड़यों में बैठने लगे। गाड्ड़यािं स्टाटद हुईं और हम अ ने घर की ओर प क िं ी के

ररवार भी अ ना

ड़े। आिे घिंटे में ही हम अ ने घर

हुूँ

ामान इकठा करने लगे। अ ना अ ना

सलया गया। कुलविंत ने काफी बना ली थी। द अ नी अ नी गाड्ड़यों में बैठ कर

गए। घर आ कर रीटा ामान गाड्ड़यों में रख

िंन्द्रह समनट में काफी खत्म करके

बी

ड़े। रीटा ने तो बसमिंघम ही िाना था और उ

का

आिे घिंटे का ही रास्ता था लेककिंन प क िं ी का रास्ता तीन घिंटे का था और उन्होंने मोटर वे की ओर िाना था। उन के िाते ही और हम दोनों भी ररलैक्

िंदी

और ि पविंदर गाड़ी में बैठ कर बाहर को

होने लगे।

िंदी

ल ददए

और ि पविंदर ने हनीमून के सलए िोसमननकन

रर म्ब्लक की दो हफ्ते की हॉसलिे बुक कराई हुई थी। कुछ ददन बाद ही मैं और हरम्ि​िंदर स हिं अ नी गाड्ड़यािं ले कर दोनों को िहाज़ में ज़्यादा वक्त नहीिं लगा िब बाई करके कार

ाकद

क ै इन

ढ़ाने के सलए मैन स् ै टर एअर ोटद

े ननकल कर दोनों भीतर

े गाड्ड़यािं ले कर वा

बाई बाई करके अ ने घर की ओर

हुूँ

गए।

ले गए तो हम भी बाई

ड़े। यिंू मोटर वे

े उतरे हरम्ि​िंदर स हिं

ड़ा और हम अ ने घर की ओर। घर

हुिं े तो घर


का वातावरण अब बबलकुल शािंत था और हमारा मन भी, होता भी क्यों नहीिं, हम अ नी म्ज़धमेदारी लता…

े फागद हो गए थे।


मेरी कहानी - 141 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 23, 2016 िंदी

और ि पविंदर हनीमून

े वा

आ गए थे। शादी

हले ि पविंदर

ाईल्ि

ोटद

एिें ी में काम ककया करती थी िो ि​िली काउिं ल का ही एक ड्ि ाटद मेंट था और अब यह िी ाटद मेन्ट बहुत दे र क्योंकक इ

में एक तो

िाता है और इ के

ाथ ही काम

था और ब में

में

हले बिंद कर ददया चगया था । काउिं ल की िॉब अच्छी मानी िाती थी श ैं न स्कीम बहुत अच्छी है , द ू रे इ

में काम भी अच्छा

हुलतें भी अनछ होती हैं। इ ी सलए कुछ दे र बाद

े िा लगा।

हले ि पविंदर को मैरी दहल

में बहुत दे र लग िाती थी। अब

िंदी

िंदी

ट ैं र िाना

मझा

भी ि पविंदर

ड़ता था यहािं दफ्तर

के वहािं लग िाने

े दोनों अ नी कार

ले िाते और शाम को कार में ही इकठे आ िाते। इन दोनों का रूटीन बन गया था और

अब कुलविंत और मैंने भी

ो ा कक हम इिंड्िया की

ैर कर आएिं। मैंने छै हफ्ते की छुदटआिं

बुक करा ली। कुलविंत की बहन मुिंबई में रहती है म्ि हाई स्कूल में

के

नत किंु दन स हिं कभी मेरे

ाथ

ड़ते थे। कुलविंत की द ु री बहन ददली में रहती थी िो अब नहीिं है । हम ने

प्लैन बनाया कक

हले हम

ीिे मिंब ु ई

लें और एक हफ्ता मिंब ु ई में बबता कर ददली

िाएूँ, ददली में दो ददन बबता कर फगवाढ़े की रे न

कड़ कर गाूँव

ले

ले िाएूँ ।

छुटीआिं मिंज़ूर हो गई थी और कुलविंत को तो ऐ ी कोई प्रॉब्लम थी ही नहीिं क्योंकक वह तो िब मज़ी छोड़ दे , कोई फरक नहीिं तोहफे और नए

ूटके

ले सलए,

ड़ता था। खरीदो फ़रोख़त शरू ु हो गई, नए क िे, कुछ ीटें बुक हो गईं और एक ददन बसमिंघम एअर ोटद

गए। रीटा और कमलिीत भी हमें समलने एअर ोटद

हुिं े हुए थे।

हुूँ

क ै इन के बाद हम

भी लौंि में बैठ गए। बातें करते करते फ्लाईट की ओर िाने का वक्त आ गया और हम ब को बाई बाई करके गेट के काउिं टर

े अ ने

ोटद ददखा कर िहाज़ की तरफ

ददए। इन याबत्रयों में मझ ु े कुछ मेरे काम के ही दोस्त भी समल गए। अब प्रतीत होने लगा। इ

फर खश ु गवार

िहाज़ में िाने वाले कुछ यात्री मुिंबई िाने वाले थे और द ू रे ददली

िाने वाले थे और हम ने मुिंबई ही उतर िाना था। िब हम मुिंबई एअर ोटद

हुूँ

कर

बाहर आये तो आगे किंु दन स हिं और उन का बड़ा बेटा बबिंदर आये हुए थे। बबिंदर ने अभी कुछ ददन हुए एक हमारे

ुरानी

ी गाड़ी ली थी िो शायद

िुकी थी। बबिंदर अभी कुछ महीने ही हुए

दो महीने रह के गया था। बबिंदर एक सशप ग िं किं नी में काम करता था और एक

को द करने के सलए ही हमारे

आया था, यह को द उ

ने

ाऊथ शील्ि के एक कालि


में ककया था और एग्ज़ाम दे के वा मुिंबई

मुिंबई

ले गया था और

दटद कफकेट कुछ महीने बाद

ोस्ट कर ददया गया था।

गाड़ी में

ामान रख के मैं

कर ददया कक हम

हुूँ

ही एक

गए थे।

ूट के

ी ीओ की तरफ

ले गया और

हुूँ

गए। इदद चगदद

हुूँ

था और हम कुछ अिीब की

त्नी हम

ी मह ू

ब मल्टी स्टोरी फ़्लैट ही थे और इन में

हो रही थी। एअर ोटद ब्ज़ी के

के लगने

मटर की

े मह ू

कर रहे थे। किंु दन स हिं हमें छोड़ कर े हम

त्नी के

र था और सलफ्ट

हली दफा मल्टी स्टोरी फ़्लैट में प्रवेश ककया

े कुछ शमाद रही थी और कुछ बोल नहीिं रही थी, इ

लगी हुई थी। बबिंदर की मटर की

गए। म्ज़िंदगी में हम

में बैठ

ुरानी बातें करते करते ही

ही बबिंदर ने दो बैि रूम का फ़्लैट सलया हुआ था िो शायद स क्स्थ फ्लोर के िररए हम ऊ र

को टे लीफोन

गाड़ी के ऊ र रख ददए गए और हम इ

कर बातें करने लगे। किंु दन स हिं को मैं बहुत वर्ों बाद समला था। हम बबिंदर के घर के निदीक

िंदी

ात आठ विे ही

हुूँ

ले गया। बबिंदर

सलए मुझे कुछ घुटन

गए थे और अब हमें भूख

ाथ कुलविंत खाना बनाने के सलए मदद करने लगी। आलू

ाथ रोटी खाई और बहुत मज़ा आया, भूख भी ककया

े ऐ े लगता है िै े

ता नहीिं ककतने ददनों

ब्ज़ी तरी वाली थी और उ

के ऊ र िननये के

ीज़ होती है कक

े खाना खाया नहीिं होता। आलू त्ते तैर रहे थे और मज़े

े रोटी

खाई। एक दो विे का वकत हो गया था, गमी भी हो गई थी और हम लेट कर आराम लगे। िहाज़ की थकान के कारण बहुत नीिंद आई और शाम हो गई। शाम के खाने का प्रोग्राम बबिंदर ने बाहर रखा हुआ था। गाड़ी में हम कक क्योंकक मुिंबई

ओर िा रहे थे हमें कुछ मालम ू नहीिं था

े हम वाकफ नहीिं थे। कफर एक होटल के बाहर गाड़ी खड़ी हुई तो एक

वदीिारी गेट की र ने हमारी गाड़ी के दरवाज़े खोले। बाहर आये और एक लॉबी में दाखल हो गए। आगे

लते

लते हम एक बड़े

कुछ लोग खाना खा रहे थे। इ

े आूँगन में आ गए यहािं बहुत टे बल लगे हुए थे और

गािदन में दो बक्ष ृ थे और बक्ष ृ ों

बल्व िगमगा रहे थे और एक तरफ स्टे ि लगी हुई थी म्ि

र तरह तरह के रिं ग बबरिं गे र

ार

ािं

िंगीतकार बैठे

कोई गाना गा रहे थे। एक वेटर ने हमें एक टे बल की ओर गाइि ककया। हम बैठ गए और मैन्यू दे खने लगे। अ नी अ नी

िंद के खानों का हम ने आिदर दे ददया और

ाथ ही बबिंदर

ने तीन बीयर का भी आिदर दे ददया। कुछ दे र बाद वेटर एक रे में बीयर और ग्ला आया। ग्ला

टे बल

र रख कर उ

ले

ने बोतलें खोलीिं और ग्ला ों में िीरे िीरे िालने लगा,

इ ी वक्त एक और वेटर आ कर लेिीज़ के सलए िइ ु

ले आया।


अब हम

ीने लगे और बातें करने लगे। गाने वाले बहुत अच्छा गा रहे थे और हम बहुत

मज़े

ुन रहे थे। िब एक गाना खत्म हुआ तो मैं

ीट

े उठ कर स ग िं रि की तरफ

गया, उन के गाने की श्लाघा की और गुलाम की गाई एक ग़ज़ल ” न गए

ीते

मझो कक हम

ीते ” की फरमायश कर दी िो उन्होंने उ ी वक्त गाणी शरू ु कर दी। ग़ज़ल इतनी

अच्छी गाई कक मज़ा ही आ गया। ग़ज़ल खत्म होने

भी ने िोर िोर

े तासलयािं बिाईं।

अब हम बीयर का मज़ा लेने लगे और किंु दन स हिं स्कूल के ज़माने की बातें करके हिं ा रहा था िो मास्टरों के बारे में थीिं। बीयर खत्म होते ही खाना आ गया। बहुत स्वाददष्ट खाना था और मज़ा आ गया। यह 1995 था और ककतना

स्ता ज़माना था कक बबल स फद 1200

रू ए आया था, बबल दे कर हम बाहर आ गए और गाड़ी में बैठ कर घर आ गए। किंु दन स हिं का घर कहीिं दरू था और

हले उन को छोड़ आये थे। आते ही हम

ुबह उठे , नहाया िोया और अिंिे का आमलेट तैयार था। खा और करने लगे। अब वक्त

ो गए। ाय

नहीिं होता था, यह फ़्लैट मझ िं रा ु े एक प ि

ी कर हम आराम ा प्रतीत होता था।

तकरीबन बारह एक विे किंु दन स हिं आ गया और कुछ दे र बाद एक टै क् ी भी आ गई। टै क् ी में

ारा

घर की ओर

ामान रखा, मैं कुलविंत और किंु दन स हिं इ ल

में बैठ गए और किंु दन स हिं के

ड़े। टै क् ी घर के बाहर खड़ी हो गई और कुलविंत की बहन

ननकल कर कुलविंत के गले समली और हम भीतर आ गए। भीतर हली दफा समली क्योंकक इ

शादी

र हम आ नहीिं

ुन्नी बाहर

न् ु नी की छोटी बहु हम को

के थे । यह लड़की स ि िं ी

ाररवार

थी और यह प्रेम पववाह हुआ था। लड़की बहुत ही भोली भाली थी और कम बोलती थी और दो

ाल का उ

का बेटा भी था िो बहुत

बहु ने दाल वड़े तल सलए,

ाय बनाई और हमारे आगे रख दी। यह दाल वड़े हम ने

दफा खाये थे और बहुत स्वाद लगे म्ि खाना खा कर हम ने टै ली दे खा म्ि एक नई बात थी क्योंकक उ

र इिंड्ियन प्रोग्राम

शरीर

और हमारे

ामने दही के

ानी ठिं िा था और हम गमद

ल गई हों। थोड़ी दे र बाद ाथ गमद गमद

न ै ल नहीिं होता था।

ुबह

र बैठना बहुत मम्ु श्कल लग रहा था और

ानी का ड्िब्बा भर के शरीर

र हज़ारों छुररयािं

ल रहे थे और हमारे सलए यह भी

वक्त इिंगलैंि में अभी कोई इिंड्ियन

े मुम्श्कल बात हमें नहाने में हुई क्योंकक हला ही

हली

की रे स् ी कुलविंत ने उ ी वक्त सलख ली। शाम का

उठे , दे ी टॉयलेट में बहुत दे र बाद बैठे म्ि क् ु के थे।

ुन्दर था।

र िाला तो शरीर काूँ

ानी के आदी हो उठा, लगा िै े

ब ठीक हो गया। क िे

राठे आ गए। मज़े

ा कर बैठ गए

े ब्रेकफास्ट सलया।


मैं और किंु दन स हिं म्ि

को स्कूल में किंु दी कह कर ही बुलाते थे, बातें करने लगे। बातों

बातों में किंु दी ने मुझे बताया कक हमारा दोस्त िीत िो कभी मैदरक में हमारे और हमारे गाूँव का था, नज़दीक ही उ

ड़ता था

का घर था। मैं तो खश ु हो गया और किंु दी को िीत

े समलने की इच्छा िाहर की। किंु दी ने टै लीफोन बक ु िीत को टे लीफोन ककया तो आगे िीत ही बोल

े िीत का टे लीफोन निंबर ननकाल कर

ड़ा। किंु दी ने िीत को बताया कक गरु मेल

आया हुआ है । िीत खश ु हो गया, किंु दी ने टे लीफोन मुझे आवाज़

ाथ

कड़ा ददया। िब मैंने है लो की

ुनी तो मैं एक दम बोला,” ओए ककद्दािं कद्द ू ऊ ऊ…… ?” ,

नाम स्कूल में कद्द ू रखा हुआ था। िीत िोर िोर

े हिं

भी लड़कों ने उ

का

ड़ा और बोला,” गुरमेल मैं अ ने

छोटे भाई को गाड़ी दे कर भेिता हू​ूँ, तू अभी आ िा “. मैं और कुलविंत तैयार हो गए। आिे घिंटे में ही िीत का छोटा भाई

ूमों ले कर आ गया। िीत का यह भाई दो तीन

था िब मैंने भारत छोड़ा था। िीत के भाई ने हमें

ाल का ही

त स री अकाल बोला और हम उ

की

गाड़ी में बैठ गए। कुछ दे र बाद हम िीत के घर िा हाल कमरे में गए तो िीत म्ि

ोफे

हुिं ।े घर काफी बड़ा था।

ऊिं ी ऊिं ी हिं

ढ़ कर ऊ र के एक

े उठ कर मेरे गले लग गया। कफर मैं िीत के प ता िी

को वह बा ू िी कह कर बुलाता था के

िीत के बा ू िी अब बहुत बढ़ ू े हो

ीदढ़यािं

रण स् शद ककये और वह भी खश ु हो गया।

क् ु के थे। अब हम बैठ कर

रु ानी बातों को याद करके

रहे थे। इतना हिं े कक लगता था, अभी भी हम स्कूल में ही

कुलविंत और िीत की

त्नी हम को दे ख दे ख मज़ा ले रही थीिं। कफर मैंने कैमकॉिदर ननकाला

और पवड्िओ बनाने लगा। िब मैं पवड्िओ बना रहा था तो

भी ु

करके बैठे थे। मैं बोल

ड़ा, ” यार ! कुछ दहल िुल और बातें भी करो, तुम तो ऐ े बैठे हो िै े बनानी हो “, था िो

भी खखल खखला कर हिं

ोती अ ना छोटा

खाना टे बल

ोटद की फोटो

रु ानी बातें कर रहा

त्नी रोटी का प्रबिंि कर रही थी। िीत की

ािं

छै

ाल

ा कीबोिद ले आई और हमें बिा कर ददखाने लगी। कुछ दे र बाद

र लगा ददया गया और हम खाने लगे। खाना खा कर हम िाने के सलए तैयार

हो गए। अब िीत की िीत की

ड़े और अब िीत हूँ ता हुआ

भी पवड्िओ में ररकािद हैं।

हम बातें कर रहे थे और िीत की की

ढ़ रहे थे।

ोती को

कह ददया कक म्ि

ािं

त्नी कुलविंत के सलए कुछ क िे ले कर आ गई, अब कुलविंत ने भी ौ रू ए ददए और हम िाने के सलए तैयार हो गए। िीत ने मुझे

ददन हम ने ददली के सलए प्लेन लेना था, वह हमें एअर ोटद

ढ़ा कर


आएगा। िीत का भाई किंु दी के घर हमें छोड़ आया। आि का ददन हमारा मुिंबई का अच्छा ददन था क्योंकक मैं और िीत 33 लता…

ाल बाद समले थे।


मेरी कहानी - 142 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 27, 2016 िीत

े समल कर मन बहुत प्र न्न हुआ था। समल कर हम ने वह

कहानी में मैं बहुत

हले सलख

क ु ा हू​ूँ , ख़ा

कर उ

बात

भी बातें कीिं िो अ नी

र तो हम बहुत हिं े थे िब

हमारे कमरे का बल्व फ्यज़ ू हो गया था और हम गरु ु नानक इिंिीननररिंग वक् द फैक्री के े उन के ऐिवटादइज़में ट के बोिद

े बल्व उतार कर लाये थे। िब िीत

ीछे

े समल कर हम

आये तो िीत के बड़े भाई मलकीत का भी मुझे टे लीफोन आया िो एक घिंटे की दरू ी

र ही

रहता था और बोला, ” गुरमेल ! मुझे िरूर समल कर िाना “, इ

कर कक

िीत और मलकीत दोनों भाईओिं के तालुकात अच्छे नहीिं थे, मैं

बात को यह ो

में

ढ़ गया। मुझे

रु ानी बात याद ताज़ा हो आई िब मलकीत की शादी हुई थी और हम मैदरक में िीत अ नी भाभी

े खुश नहीिं था और भाभी की आदतों के बारे में बताया करता था और

अब किंु दी ने भी मुझे बता ददया था कक दोनों भाईओिं के

धबन्ि अच्छे नहीिं थे।

हले दोनों भाईओिं में बहुत प यार होता था लेककन अब को

ड़ते थे। शादी

ब कुछ बदल गया था। इन बातों

कर मैंने मलकीत को समलने का इरादा कैं ल कर ददया ताकक दोनों भाईओिं के

दरमयान कोई गलत फहमी ना हो िाए। द ू रे ददन ब ु ह

हले उ

ने ि ि ु ी

ुबह मज़े

ाहब का

ाठ ककया और कफर अरदा

लगे िो ज़्यादा स आ त की थीिं म्िन में उ उ

के कहने

कुछ भी स्टॉक एक्

ारी मुिंबई खड़ी हो

ता नहीिं था। कफर उ ें ि

े उठे । किंु दी बहुत िासमदक पव ार रखता है । ने बाल ठाकरे के बारे में बहुत कुछ बताया कक

कती थी। इ

ने बताया कक तीन

हले मुझे बाल ठाकरे के बारे में

ाल

र बधब ब्लास्ट हुए थे तो स फद एक घिंटा

घटना का कारण उ

ने कुछ

मय

मक उठी। मज़े

हले 1992 में म्ि हले वह वहािं

हले बाबरी मम्स्िद का िाह

मय मुिंबई में बहुत फ ाद हुए थे, यह भी एक कारण हो करते हमारे आगे दही के

की। अब हम बातें करने

ाथ गमद गमद आलू वाले

े हम ने ब्रेकफास्ट सलया और

ददन मुिंबई

र ही था। इ

दे ना बताया और उ

कता था, बताया

। बातें करते

राठे आ गए म्िन को दे खते ही भूख ाय

ीते

ीते किंु दी ने आि का प्रोग्राम भी

बता ददया कक आि हम किंु दी की बहु के घर िाने वाले थे और उन के था। ब्रेकफास्ट ले कर हम बाहर आ गए और एक खाली प्लाट में आ कर

ररवार

े समलना

म्ब्िओिं को दे खने

लगे िो किंु दी ने बीि रखी थीिं। यह प्लाट किंु दी का ही था िो काफी बड़ा था और भपवष्य में


ने इ

प्लाट

र एक इमारत खड़ी करने का प्लैन भी बताया। उ

प आि, बैंगन और सशमला सम द ही मुझे ददखाई ददए थे।

वक्त इ

लते कफरते किंु दी ने काफी बातें

बताईं िो याद तो नहीिं लेककन एक बात याद है कक किंु दी ने बताया था कक उ रम्ि​िंदर कुमार की कोठी का नक्शा बनाया था और उ

प्लाट में ने ऐक्टर

ने कुछ कुछ कफल्मों की शदू टिंग के

बारे में भी बताया िो अक् र मिंब ु ई में होती रहती हैं। कुछ दे र बाद ल

भी तैयार हो गए और घर

े बाहर ननकल किंु दी के

ड़े। ऊिं ी नी ी तिंग गसलओिं में होते हुए हम उन के घर

लेककन बहुत

ाफ़

ुथरा था। किंु दी के

और एक

भ्​् ारक

कुछ खा

याद नहीिं लेककन उन का खाना िो

ररवार था और उन की बोल

ार ाई

ाय के

ने, दालें और कई तरह के नमकीन

र रखे हुए थे। मुझे नहीिं

र हमे बैठने की बेनती

लगे कक मझ ु

ाल में

ड़े सलखे

ाथ था, अभी तक भूला नहीिं। तरह

ार ाई के

ारों ओर खाली

की गई। िब हम खाने लगे तो यह नमकीन इतने स्वाददष्ट

े रहा नहीिं गया और

क्या घर ही बनाए या बाहर

दाथद थे, यह एक

ता कक उन का यह ढिं ग महमानों

के स्वागत करने का ही ढिं ग था,या िगह की तिंगी के कारण। िगह

ा घर था

ररवार की खश ु बू आ रही थी। भीतर आ कर हम बातें करने लगे िो

तरह की थासलयािं, म्िन में तले हुए िाई हुई

गए। छोटा

मिी ने हाथ िोड़ कर नमस्ते बोला और ननम्रता

द भीतर आने को कहा। यह एक स न्िी ूवक

खब ू ूरत

हुूँ

मिी के घर की ओर

छ ू ही सलया, ” भाई

ाहब ! यह तो बहुत स्वाददष्ट हैं,

े आए हैं “, ” िी हमारे यहािं तो यह

ब घर ही बनाते हैं “,

मचि िी ने िवाब ददया। यह तो बात शुरू करने का एक ढिं ग ही था और खझझक दरू हो गई और ददल खोल कर बातें हुईं। ऐ े लगने लगा िै े हम

िंचि िी की भी हले

े ही

िानते थे। तकरीबन दो घिंटे बबता कर हम घर आ गए। कुलविंत और उ

की बहन

ुन्नी बहुत खश ु थीिं और वह अ नी बातें कर रही थीिं और हम

दोनों अ ने स्कूल के ज़माने की। कुलविंत के प ता िी कभी गया था। अगली

ुन्नी का

ही नाम गुरदी

ुणे में रहा करते

थे और यहीिं उन का नाम प यार

ता करना था की उ

एक सशप ग िं कध नी में काम करता था और उ कहीिं। बबिंदर ने मुझे कहा, ” मा ि िी ! आ ल

न के ददनों में े

ुन्नी

ब ु ह किंु दी का लड़का बबिंदर गाड़ी ले कर आ गया। बबिंदर ने कक ी ऑकफ

में िा कर अ नी अगली अ ाइनमें ट का

में बैठ कर

है लेककन ब

ड़े। यह

रहा। िब मौरीन राइव

ुज़ूकी काफी र हम तेज़

की मेरे

ने कहािं िाना था। बबिंदर

ोम्स्टिं ग कभी कक ी दे श में होती, कभी ाथ

लो “, हम घर

े बबिंदर की

ुरानी लग रही थी और बबिंदर इ े काफी तेज़

ुज़ूकी ला

ल रहे थे तो आगे रै कफक लाइट रै ड्ि हो गई। काफी


दे र तक हम खड़े रहे , अ ानक बबिंदर बोला,” मा ि िी ! ब्रेक और बहुत

ॉफ्ट लग रहा है “, मेरे मुिंह

ैिल

ारा नी े ही िा रहा है

े अ ानक ननकला, ” बबिंदर ! मुझको ब्रेक फेल हो

गए मालूम होते हैं, गाड़ी को यहािं ही खड़ी कर दे , आगे नहीिं िाना”। मैं और बबिंदर गाड़ी बाहर आ गए। गाड़ी करब के हो रहा था। ब

गए, मेरे मिंह ु

बताया कक एक छोटी धभाला और हम ी

ती

ाथ ही थी। मैंने गाड़ी के नी े झािंका तो ब्रेक फ्लय ू ि

ब्रेक

ी कार रर ेयर की

ाल का एक लड़का हमारे

नज़दीक ही थी। बबिंदर ने स्टीररिंग वील

बहुत रस्टी हैं

आया म्ि के हाथ गाड्ड़यों का काम करते हुए

को

और एक

ता

ाइ

ल गया और नी े

फट गया है , आ कता था, आ

े बाहर आ कर बोला, ”

बहुत ककस्मत वाले हैं कक ब

को मशवरा दे ता

हूिं कक

नए िलवा लो क्योंकक द ू रों का भी कोई भरो ा नहीिं”, बबिंदर ने उ

वह

भी

ड़क

ाइ

बदल िाले। “दो घिंटे में गाड़ी तैयार हो िाएगी” उ लने को बोला क्योंकक हम

हम एक मल्टी स्टोरी बबम्ल्ि​िंग के आगे थे। िा

भी ब्रेक

को बोल ददया कक

ने बोल ददया और हम

र आ के टै क् ी का इिंतज़ार करने लगे। एक दो समनट में ही एक टै क् ी आ गई और

बबिंदर ने उ े तेज़

हले ही काफी लेट हो ीदढ़यािं

क्के थे। कुछ दे र बाद

ढ़ कर कर हम शायद

ौथी मिंम्ज़ल

हुिं ,े दफ्तर के बाहर कुछ और लोग भी फाइलें हाथ में सलए खड़े थे। कुछ दे र बाद

बबिंदर भी दफ्तर में

ले गया और द

समनट में ही

िं की अगली अ ाइनमें ट हॉगकॉ गिं की थी। मुिंबई

के नज़दीक ले आए।

को बताया तो वह गाड़ी के नी े लेट गया एक लाइट बल्व

गए, वरना बहुत खतरनाक एक् ीिेंट हो ाइ

वकदशॉ

ब गाड़ी को िक्का लगा के वकदशॉ

ढूिंढने लगा। िल्दी ही उ

ाइ

लीक

े ननकला। कुछ और आदमी नज़दीक आ गए और हमे

काले हो गए थे। िब हम ने उ े नुक्

बाहर आ गया। बबिंदर ने बताया कक े उ

ने

हले ददली िाना था और ददली

े प्लेन बदल कर हॉन्ग काूँग के सलए रवाना होना था। हम घर आ गए और द ू रे ददन हम ने मिंब ु ई की े

ैर का प्रोग्राम बना सलया।

हम अ ररच त थे। ाथ में

न् ु नी और उ

की बहु ने बहुत

ाओ भािी िो वहािं बहुत प्र सलत है ,

ोहा भी बनाया। बहुत

े खाने बनाए म्ि

ुन्नी की बहु ने बनाई और

े और खाने भी बनाए म्िन को कुलविंत ने उन

ीख

सलए और सलख भी सलए िो अभी तक कुलविंत कभी कभी बनाती रहती है । भी खाने दटफनों में भर कर राइव

हुिं

गए और

ाथ ले सलए और घर

मुिंदर के ककनारे ककनारे

े रवाना हो गए। ब लने लगे।

ेवमें ट काफी

कड़ कर मौरीन ौड़ी थी और

फाई इतनी कक मज़ा ही आ गया। मैंने कैमकॉिदर ननकाला और दरू दरू तक का मिंद ु र के द ू री ओर का

ीन सलया।

ीन हॉन्ग कॉन्ग के नज़ारे िै ा दीख रहा था। कुछ दे र यहािं घम ू ने


के बाद किंु दी हम को

ाटी ले आया। यहािं तो खाने ही इतने थे कक दह ाब ही कोई नहीिं था।

हम ने गोल गप् े खाने का मन बना सलया। रे हड़ी वाला बबिली की तेिी भर

ब को दे रहा था और हम भी गोल गप् ों

हों। गोल गप् े खत्म करके किंु दी हमे नाररयल

र ऐ े टूट

े गोल गप् े भर

ड़े थे िै े मौत के मुिंह में आए

ानी वाले की ओर ले गया। नी े ही बहुत

बढ़ा, हरे हरे नाररयलों का ढे र लगा हुआ था। किंु दी ने उ

को मलाई वाला नाररयल दे ने को

कहा। हमे कुछ मालूम नहीिं था कक यह मलाई वाला नाररयल कै ा होता है । िब नाररयल वाले ने काट के हमे ददया तो वाकई नाररयल के बहुत अच्छी लगी। बहुत दफा हम ने ब का बड़ा रे लवे स्टे शन दे खा म्ि था की इ एक्

अब हम थक

कड़ी और एक रे न में भी

ी थी िो हमे

फर ककया और मुिंबई

में एक बहुत बड़ा क्लॉक लगा हुआ था और किंु दी ने बताया

तरह के क्लॉक दन ु ीआ में

ें ि के

ानी में नरम नरम मलाई

ार ही हैं। कुछ दे र बाद किंु दी हमे मुिंबई स्टॉक

ले गया और बताया की बधब फटने

े कुछ दे र

हले ही वह वहािं था।

क् ु के थे ,िल्दी ही हम गेट वे ऑफ इिंड्िआ के नज़दीक आ गए और ताि

महल होटल की बबम्ल्ि​िंग के

घूमने लगे। कुछ दे र बाद हम इिंड्िआ गेट के नज़दीक

छत्र नत सशवा िी के स्टै ू के नज़दीक घा

र बैठ गए और दटकफन खोल कर खाने का

मज़ा लेने लगे। कुछ आराम करके हम नज़दीक ही समूिीअम में

ले गए। भीतर फोटो लेने

की मनाही थी लेककन कफर भी मैंने दो फोटो ले ही लीिं। िल्दी िल्दी हम बाहर आए और अब हम ने एसलफेंटा की गफ ु ाओिं को दे खने िाना था। मैंने तो यह था, म्ि

का म्ज़कर बहुत

वे ऑफ इिंड्िआ के

ाथ ही

हले मैं कर

ी बोटें खड़ी थी और एक में हम

िल्दी ही बोट भर गई, बोट वाले ने इिंम्िन स्टाटद ककया, बोट े,

में दे खा हुआ

क् ु का हूिं लेककन कुलविंत ने यह दे खा नहीिं था। गेट

मुिंदर में बहुत

नज़ारा दे खने लगे। मैं ने कैमकॉिदर

ब 1961

ब बैठ गए।

लने लगी और हम

हले बोट की पवड्िओ ली और कफर दरू दरू का

नज़ारा ररकािद करने लगा। काफी दे र बाद हमारी बोट टा ू के ककनारे िा लगी म्ि एसलफेंटा कहा िाता है । किंु दी ने बताया था कक यह एलीफेंटा नाम क्योंकक

हले मुिंबई

ुरतगेिों के कब्िे में ही था और क्योंकक इ

के बुत्त बने हुए थे तो बोट

ुरतगेिों ने अ नी भार्ा में इ

े उतर कर काफी दरू तक हम

रे ल की

ैदल

ुरतगेिों ने रखा था आइलैंि

लते रहे । इ

े बहुत

े हाचथओिं

रास्ते के दरमयान नैरो गेि की ा

ुराना रे ल इिंम्िन

को बहुत ि​िंगाल लगा हुआ था। लगता था कक ी ज़माने में अिंग्रेज़ों ने इ बनाया होगा और इ

को

टा ू को एसलफेंटा नाम दे ददया था।

टरी बबछी हुई थी और आगे िा कर एक छोटा

एक टूररस्ट प्ले

मुिंदर का

छोटे

ड़ा था म्ि े टा ू को

रे न में बैठ कर लोग एसलफेंटा तक आते िाते होंगे ।


यह छोटा

ा आइलैंि हमे बहुत

बहुत

ीदढ़यािं

ढ़नी

ड़ीिं और

ुिंदर लगा। ढ़ते

हले हम को इ

ढ़ते

ािं

हाड़ी के ऊ र िाने के सलए

फूल गए, इन

ीदढ़यों के दोनों तरफ

छोटी छोटी दक ु ाने थीिं। ऊ र

हुिं

कर हम मूनतदओिं को दे खने लगे िो एक ही

कर बनाई गई थीिं। मैंने यह

ब पवड्िओ में ररकािद ककया। ऐ ी बहुत

के बाहर बड़े बड़े बोिद लगे हुए थे, म्िन म्िन के ज़माने में यह हम ज़्यादा ािं

बिे

सलखा हुआ था,

ब मूनतदआिं बनाई गई थीिं। ता था कक एसलफेंटा

लती थी। मेरा नहीिं खखयाल कक हम ने वहािं दो घिंटे

थी। िब हम

े केवि थीिं और इन

ोला विंश के बारे में इतहा

मय एसलफेंटा में नहीिं रुके क्योंकक किंु दी को

िल्दी िल्दी हम उ ही बोट

टान को काट

िगह िा

हुिं े यहािं

े ज़्यादा

े आखरी बोट

मय सलया होगा।

े बोट गेट वे ऑफ इिंड्िआ की तरफ रवाना होती

हुिं े तो बोट काफी भरी हुई थी लेककन हमे िगह समल गई। द ड़ी और कुछ दे र बाद गेट वे ऑफ इिंड्िआ

हुूँ

समनट बाद

गए। अब हमे कोई च त िं ा

नहीिं थी। मैंने कुछ फोटो ताि महल होटल, गेट वे ऑफ इिंड्िआ और छत्र ती स वा िी की खीिं ी। याद नहीिं हम वा

रे न में आए थे या ब

में लेककन हमारा यह ददन भी हमेशा एक

यादगार ही रहे गा। हमारा मुिंबई का टूर खत्म होने को था और एक ददन हम कफर िीत के घर िा

हुिं ।े इ

दफा उ

ने एक ऐल्बम में स्कूल के ददनों की फोटो ददखानी शुरू कर दी।

इन में दो फोटो हमे बहुत अच्छी लगीिं, एक में मैं िीत और हमारा भल् ु ला राई गािंव का दोस्त अिीत, हम तीनों एक द ू रे के गले में बाहें िाल कर खड़े थे और एक, मेरी और िीत दोनों की थी और इ

फोटो में िीत ने अ ने

र मेरी

गड़ी रखी हुई थी। यह दोनों

फोटो अब िीत की िालिंिर वाली कोठी में रखी हुई है और यह हम ने उ िब मैं और कुलविंत 2001 में इिंड्िआ गए थे। मुधबई के यह ददन

वक्त दे खी थीिं

ता ही नहीिं

ला, कब

बीत गए . एक ददन किंु दी के घर

ुबह हम ने े प क अप्

ािं

विे मुधबई एअर ोटद कर लेना था और कफर

हुिं ना था। िीत के छोटे भाई ने हमे

ीिे एअर ोटद

हुिं

शाम हम ने बहुत बातें कीिं और दे र रात तक बैठे रहे । किंु दी ने तीन विे ैट कर ददया और हम द ू रे ददन के लता…

िाना था। आि ब ु ह का अलामद

फर के इिंतज़ार में कुछ घिंटों के सलए

ो गए।


मेरी कहानी - 143 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन June 30, 2016 आख़री रात मुधबई में बबता कर िब तो हम को उठना ही और इ

ुबह तीन विे अलामद ने हमें उठने की च तावनी दी

ड़ा। म्ितने भी ददन हम ने मुिंबई में बबताए, बहुत मज़े के ददन थे

के बाद हमे मिंब ु ई िाने का कभी वक्त नहीिं समला। दद धबर 2003 में िब हम

गोआ की हॉसलिे

र थे तो

रहे थे कक दो ददन के सलए मुिंबई िा आएिं लेककन हम ने

हध ी दे ख्ने का प्रोग्राम भी बनाया हुआ था म्ि हमारे

ाथ

ुन्नी ने

मान गाड़ी में रखा।

ब को

र हमे ज़्यादा वक्त नहीिं लगा और

ीिे िहाज़ की तरफ रवाना हो गए िो रनवे ा

आए तो मैंने दे खा बबिंदर एक

वक्त कहािं किंिे

ार विे घर आ गया और उ

ने

त स री अकाल बोल कर हम िीत के घर की ओर

िीत भी तैयार बैठा था और हम एअर ोटद की तरफ

के

के। उठ कर

ाय बना ली थी और दो दो टोस्ट भी बना सलए

ार विे हम तैयार बैठे थे। िीत का भाई ठीक

एअर ोटद

ार ददन ख द हो िाने थे और

ार और भी मैधबर थे। कुछ भी हो हम कफर कभी मुिंबई िा नहीिं

हम िल्दी िल्दी तैयार हो गए। थे।

में हमारे तीन

ीट

िरूरत नहीिं थी,

र खड़ा था। िब हम िहाज़ में अ नी

लोगों

ीटों

र बैठा था। हम है रान हो गए कक बबिंदर इ ढ़ने में था। उ

के

आ कर उ

र मैंने हाथ रखा तो बबिंदर भी है रान हो गया और बोला,” मा ि िी ! आ कर कहा, हम तेरे

मैंने बताया कक एअर इिंड्िआ में हमारी

ड़े।

ल ददए।

क ै इन की भी कोई खा

े आ गया। बबिंदर का चियान अखबार

फ्लाइट में िाना था? “, मैंने हिं

के

ाथ हािंगकािंग िा रहे हैं। इ

ने भी इ ी के बाद

ीट ददली तक बुक थी और कुछ ददन के सलए आ

े समलने का हम ने प्रोग्राम बना सलया था। बबिंदर ने बताया कक यही फ्लाइट ददली

हािंगकािंग िाएगी और वह ददली उतरे गा नहीिं। इ

के बाद हम अ नी

ीटों

र बैठ गए। अभी कुछ समनट ही हुए थे कक ब्रेकफास्ट की

खश ु बू आने लगी और िल्दी िल्दी इिंड्ियन ब्रेकफास्ट म्ि

ब के आगे ब्रेकफास्ट

े भरी रे आने लगी। ऐ ा

में स्वाददष्ट आमलेट था, खा कर आनिंद आ गया। मज़े

ाय का

भी मज़ा सलया। ब्रेकफास्ट लेने के बाद िल्दी ही ददली के नज़दीक आने की अनाउिं में ट हो गई। इतनी िल्दी हम ददली ददन मुिंबई

िंिाब िाने का

हुिं

गए, हम है रान थे क्योंकक रे न में तो दो रातें और एक मय लग िाता था। बबिंदर को बाई बाई कह कर हम ने अ ने


बैग उठाए और िहाज़ के लैंि होने कुछ

ीिे एअर ोटद काधप्लैक्

में आ गए। वहािं ही हम ने

ाउिं ि कैश कराए और बाहर आ गए।

कुलविंत का बहनोई अवतार स हिं और उ

का बेटा बहादर बाहर खड़े ददखाई ददए और हम

खश ु हो गए उन्हें दे ख कर। अवतार स हिं को हम ने ओर

ददली

ुसल

त स री अकाल बोला और गाड़ी की

ड़े िो नज़दीक ही खड़ी थी। आि अवतार स हिं बहुत खश ु था क्योंकक बहादर को में नौकरी समल गई थी। बातें करते करते हम नतलक नगर

की बहन और उ की ठिं िी में िू

हुिं

गए। कुलविंत

की दो बहुएिं घर के बाहर ही बैठी थीिं क्योंकक बाहर मज़ेदार िू

थी।

दी

का नज़ारा भी ककतना लुभावना होता है । मुिंबई में तो बहुत गमी थी लेककन

यहािं ददली में तो एअर ोटद

े उतरते वक्त

दी

े हम दठठुर ही गए थे।

कुलविंत की बड़ी बहन माया कुलविंत के गले लग गई और बहुएिं भी नज़दीक आ गईं और मेरे रण स् शद ककए िो मुझे बहुत अिीब लगा क्योंकक इ नहीिं थे। बहादर के सलए

ारा

तीला गै

बहुत मह ू

हले कक ी ने मेरे

ैर छूए ही

मान भीतर ले गया था और हमे भी भीतर आने को कहा गया। कुकर

ाय

र रख ददया गया और हम बैठ कर बातें करने लगे। भीतर ठिं ि

हो रही थी। मैंने कहा कक क्यों ना हम

मौ म खश ु गवार था। घर के बाहर रखी हुई

ाय बाहर ही

ार ाइयों

ही थी और लोग आ िा रहे थे, कोई बाइस कल ैदल

ी लें क्योंकक बाहर

र हम बैठ गए, आगे छोटी

र, कोई मोटरबाइक

ड़क

र और कोई यूिं ही

ल रहा था। मुझे यह नज़ारा बहुत अच्छा लगा।

एक रे हड़ी वाला म्ि

की रे हड़ी के ऊ र गोभी, गािरािं, बैंगन और कुछ और

हुई थीिं, िीरे िीरे इ

को िकेलता हुआ िा रहा था। गािंव िै ा यह नज़ारा बहुत अच्छा लग

रहा था। हम

ाय

ीने लगे। अवतार स हिं का

लगता है िै े लड़ रहा हो लेककन स फद मेरे वह हमेशा खश ु और हिं मुझे ऐ ी कोई

ुभाव बहुत कड़वा है , िब बात करता है तो ाथ ही वह बहुत अच्छा बोलता है , मेरे

कर ही बोलता है । बहुत

े ररश्तेदार तो उ

ाथ तो

े िरते भी हैं लेककन

मस्य नहीिं आई बम्ल्क मेरी तो वह आि तक मदद ही करता आया है ।

बातें करते करते में और अवतार स हिं दक ु ानों की ओर टे लीफोन करना था। एक ािं

ी ी ओ िो एक दक ु ान के बी

को िानता ही था, भीतर िा कर हम बैठ गए। हम समनट में मुझे

म्ब्िआिं रखी

समल गया। मैंने बेटे और बहु

ड़े क्योंकक मैंने इिंग्लैंि बच् ों को ही था और दक ु ानदार अवतार स हिं

हले भी कुछ लोग बैठे थे। कोई बी

े बातें कीिं और उन को

वह प क िं ी रीटा को बता दें कक हम अब ददली आ गए थे।

ी ी ओ

मझा ददया कक

े ननकल कर हम नतलक


नगर के बाज़ार में आ गए, मुझे तो एररये की कोई वाककफयत नहीिं थी लेककन क्योंकक मेरा ैर ददद कर रहा था, इ

सलए मैंने नए

एक दक ु ान में हम गए और रख ददए। एक मुझे अवतार स हिं उ

ॉफ्ट शू ददखाने को कहा। दक ु ानदार ने बहुत

िंद आ गया िो बहुत ही नरम था। कीमत उ े बह

है रानी हुई और

ॉफ्ट शूज़ लेने थे।

करने लगा और आखर में उ

ने आठ

ो ने लगा कक अब मुझे इिंग्लैंि भूल िाना

स हिं ने हूँ ते हुए मझ ु े कहा था, ” गरु मेल ! तू

िंदी

े िूते मेरे आगे

ने 900 रु ए बताई तो ौ के दे ददए। मुझे बहुत

ादहए। कुछ दे र

हले अवतार

की शादी करके आया है , आि हम घर

में मस्ती करें गे। मैं उ

का इशारा

मझ गया था। रास्ते में ही एक वाइन शॉ

दोनों दक ु ान के भीतर

ले गए और अवतार स हिं को कहा, “भा िी ! अ नी मन

बोतल ले लें “, क्योंकक मुझे तो इिंड्िआ के ब्रैंि का

ता नहीिं था, इ

आ गई। हम िंद की

सलए अवतार स हिं ने

एक बोतल ले ली। निदीक ही एक दक ु ान में च कन रोस्ट हो रहे थे और हम ने दो ले सलए। इिर उिर घम ू कर हम वा

घर आ गए।

अब घर बैठे हम टीवी दे ख रहे थे और बातें कर रहे थे। कफर अवतार स हिं हिं “बई अब

िंदी

की

ाटी है , ग्ला

लाओ और उ

ने बोतल बैग

के तीन बेटे हैं, तीनों बहुत अच्छे हैं। एक कमरे में ही

े ननकाली। अवतार स हिं

ब बैठे थे, क्या बातें हुई, कुछ खा

याद नहीिं लेककन हिं ी मज़ाक बहुत हुआ था। दे र रात तक खाते

ीते और बातें करते रहे और

द ू रे ददन का प्रोग्राम हम ने बना सलया था। यूिं तो ददली हम बहुत दफा आ हम ने घूमने की गरि का तय कर सलया।

ािंदनी

ौक और उ

ब ु ह उठ कर नहाया िोया, राठे खाए और बहादर ने एक बड़ी गािी के

बी घर वालों ने हमारे

गािी आते ही बच् े ब

मय ददली

हले ही

ढ़ गए थे। गािी भर गई थी। बहादर ने गािी वाले को ब

हले बिंगला

ाहब गुरदआ ु रे में

ले गए।

में है और इ े स खों के िरनैल बाबा बघेल स हिं ने बनाया था िो

र काबि रहा था, गुरदआ ु रा काफी

ले कर कुछ दे र इिर उिर घम ु ते रहे और कफर यहाूँ ले गए। यह गरु दआ ु रा उ

सलए ददया

ाथ िाना था।

मझा ददया कक कहाूँ कहाूँ िाना था।

यह गुरदआ ु रा कनाट प्ले कुछ

क ु े थे, कफर भी

के बाद लाल ककला और कुतब मीनार िाने

सलए कक ी को टे लीफून ककया। यह ककराए की गािी थी और बड़ी का ऑिदर इ की

कर बोला,

िगह

ुन्दर है । माथा टे क कर और

रशाद

े रकाब गिंि गरु दआ ु रे के दशदन करने

चथत है , यहाूँ गरु ु तेग बहादर िी का अन्तम

स्कार ककया चगया था। िब औरिं गिेब के हुकम

े स खों के नौवें गुरु, बाबा तेग बहादर िी


का शीश कलम कर ददया चगया था तो एक स ख गुरु िी का शीश ले के आनिंद ले चगया था और गुरु गोबबिंद स हिं िी ने प ता िी के शीश का

ुर

ाहब

स्कार ककया था। इ ी

तरह एक स ख गुरु िी का शरीर ले चगया और अ ने घर में ही रख कर अ ने घर को आग लगा दी थी और इज़त के

ाथ शरीर का

स्कार कर ददया था। इ

घर की िगह

र ही

ददली का यह रकाबगिंि गरु दआ ु रा है । इ

के बाद हम

ािंदनी

ौक के गुरदआ ु रा शीश गिंि

ाहब

ले गए। इ

िगह

र ही गुरु

तेग बहादर िी को शहीद ककया चगया था। औरिं गिेब का हुकम था कक या इस्लाम िारण करो, या मरने के सलए तैयार हो िाओ। इस्लाम िारण करने औरिं गिेब ने यह नी बहादर िी ने शहादत उ

मय का

काम ककया था । इ े

कर हम लाल ककले की ओर हम ने कुछ कुतब मीनार

र ही

गुरदआ ु रे में ही एक खह ू ी है , म्ि

हले स्नान ककया था। इ

ीन मन में

े इनकार करने

र गुरु तेग

खह ू ी की ओर दे ख कर कुछ दे र तक मैं

ो ता रहा। गुरदआ ु रे में हम ने लिंगर छका और कुछ दे र ठहर ले गए। यिंू तो यह बहुत दफा दे खा हुआ था लेककन कफर भी

मय यहाूँ बबताया और अब आख़री मिंम्िल हमारी कुतब मीनार थी। हुिं

कर मझ ु े 1961 की याद ताज़ा हो गई िब हम इ

कुतब मीनार के बी

गोल गोल

के ऊ र

ढ़े थे।

ीदढ़यािं ऊ र को िाती थी , अिंिेरा ही अिंिेरा था और कभी

कभी कोई झरोखा आ िाता तो लौ हो िाती। ऊ र

हुिं

कर हम ने फोटो खीिं ी थी। अब

तो शायद ऊ र िाने नहीिं दे ते। 1961 का और अब का यह फकद था कक तब मैं इन एतहास क िगहों को स फद दे खता ही था और अब मैं मन ही मन में उ करने लगा था। यहािं बहुत ने छोटी

ी प कननक

ी को ें ंिं खड़ी थीिं म्िन में टूररस्ट इ े दे खने आए थे। यहािं हम

ाटी की क्योंकक कुलविंत की बहन ने बहुत कुछ बनाया हुआ था। कुछ

गोरे समले िो हमारे नज़दीक के टाऊन में ही रहने वाले थे, उन अब कुछ कुछ ठिं ि होने लगी थी और हम वा

ीट बुक करानी थी।

बाइक

भीड़ भाड़

ीछे बैठ गया लेककन मुझे इ

बहादर वन वे रै कफक

े काफी बातें हुई।

ड़े। घर आ कर बातें करते रहे और

द ू रे ददन हम ने फगवाङे के सलए रे न की र में

वक्त का च त्रण

ुबह को बहादर के मोटर

े िर लग रहा था, खा

र गलत ददशा में िा रहा था तो मैंने कहा,” बहादर ! यह तो गलत

ाइि है और खतरनाक है “, बहादर बोला ! मा ड़ िी, कफकर ना करो, यहाूँ “, मैं

कर िब

ो ने लगा कक बहादर तो खद ु ददली

मैंने आगे कुछ नहीिं बोला।

सु ल

ब िानते हैं

में है और यह भी कानन ू तोड़ रहा है , तो


एक रे लवे के दफ्तर में हम

हुिं

गए यहािं

ीट बुक कराने के सलए लोगों की बहुत लाइनें

लगी हुई थी। यह भी मेरे सलए नया ही तज़ुबाद था। बहादर ने मेरी मदद कर दी और फामद भर के मेरे ब ु ह द वा

ाथ ही लाइन में खड़ा हो गया। शाने विे

लती थी और फगवाड़े तीन या

आ गए और बहादर काम

ककया, ब

घर के बाहर बैठे िू

बबटू हमे रे न स्टे शन नाम और

को

ार विे

ले गया। आि

ीट बुक हो गई िो शायद

हुिं ती थी।

ीट बक ु करा के हम

ारा ददन हम ने कोई खा

का मज़ा लेते रहे । द ू रे ददन बोिद

ुबह बहादर का बड़ा भाई

र ददखाए िो कध यूटर शीट

र थे। ककतना कुछ

ालों में ।

र हम बैठ गए थे और बबटू बाहर खड़ा हमारे

ाथ बातें कर रहा था। कुलविंत ने बबटू

ौ रु ए प यार ददया, वह नाह नाह करता रहा और रे न

ड़ी। अब मेरा

फगवाड़े की ओर था, वह शहर िो अब तक मेरी यादों का खज़ाना रहा है । शाने हमे बहुत अच्छी लगी क्योंकक थे। हमारे के

ीटें बहुत अच्छी थीिं। खखड़की

ॉकलेट और अन्य स्वीट्

िंिाब रे न

े हम बाहर का नज़ारा दे ख रहे

बाहर िू

वे

रहा था। इिंग्लैंि में िो

थे। कैिबरीि फ्रूट ऐिंि नट मेरा फेवररट रहा है । दो बड़े

सलए और रै र उतार कर

मक रही थी, गेहूिं और कहीिं कहीिं

र ों के

ला, कब स्कूलों का वक्त हो गया और एक स्टे शन हाथ में ककताबें सलए हमारे ड्िब्बे में

ीले

े बैठे थे।

िंद्रह

ढ़ गईं और हमारे

और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। द ू रे स्टे शन ली तो फगवाड़े

छोटा भाई ननमदल और उ

लाल लाल क ड़े और बािू

े ले

फर का

न की

ता ही नहीिं

ोला की आठ द

लड़कीआिं

ामने ही बैठ गईं और कक ी में समल कर गाने लगीिं

भी उतर गईं। िब गाड़ी अधबाले

हुिं ने में ज़्यादा दे र नहीिं लगी। का बेटा कमलिीत प्लैटफॉमद

स री अकाल बोल कर िल्दी िल्दी बाहर आ गए। अब हमारे

ॉकलेट मैंने उ

ीले खेत दे ख कर ब

मयूम्िक लै न के बारे में बातें करने लगीिं। कुछ दे र बाद वह आ े

ॉकलेट खाते थे,

ॉकलेट में हे ज़ल नट का आनिंद लेने लगा।

यादें ताज़ा हो रही थी। गाड़ी में कोई भीड़ नहीिं थी, मज़े

स्टे शन

ारा चियान

मय के भारत और आि के भारत में बहुत कुछ नया न लग रहा था। बारह तेरह

ाल का एक लड़का उ

काम नहीिं

र ले गया। मेरे सलए एक और नया तज़ुबाद था कक बबटू ने हमे हमारे

ीटों के निंबर एक नोदट

बदल गया था इन ीटों

िंिाब की

मान उतारा, दो समनट बातें करके गेट

ामने वह ही रे लवे र

र हमारा इिंतज़ार कर रहे थे।

र दटकट दे कर

टे र्न था िो हमारे सलए घर िै ा ही था।

ीतल के बैि लगाए कुली स्कूल कालि के ददन याद ददला


रहे थे। कुछ नहीिं बदला था। ननमदल की गाड़ी नज़दीक ही खड़ी थी। बातें करते हुए हम राणी लता…

र की ओर

ड़े।

मान इ

र रख के


मेरी कहानी - 144 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन July 04, 2016 रे लवे स्टे शन ददए।

े बाहर आ कर हम ने

ारा

ामान गािी में रखा और रानी

ुर की ओर

ड़क के दोनों ओर हम झाूँक रहे थे। कुछ कुछ नया लग रहा था और कुछ अभी भी

वोह ही था िो हम भारत छोड़ते वक्त दे ख गए थे। रे लवे रोि मुझे उ

ने र बबम्ल्ि​िंग की याद हो आई म्ि

ककतनी मम्स्तयाूँ हम ने इ

में

कूल के ददनों में ककराए

बबम्ल्ि​िंग के कमरे में की थीिं । िब हम

आये तो दे खा यह बबम्ल्ि​िंग बहुत खस्ता हालत में थी और इ हले

र िब हम िा रहे थे तो

के

र रहते थे,

ेंरल बैंक के नज़दीक ामने लच्छू का ढाबा

े कहीिं बेहतर था। िीटी रोि के दोनों तरफ हर दक ु ान और बबम्ल्ि​िंग को चियान

दे खते िा रहे थे। शग ू र समल के नज़दीक आए तो फास्ट मोशन कफल्म की तरह ककतनी घटनाएिं ददमाग में स्वाइ

हो गईं। दरू

ददन याद आ गए, िब इ

बबम्ल्ि​िंग के एक

मम्स्तयाूँ हम ने उन ददनों में की थीिं । इ बना हुआ था, म्ि छ ू ा तो उ

ब ु ारे में हम

ार दोस्त रहा करते थे, ककतनी

बबम्ल्ि​िंग के नज़दीक ही अब एक बड़ा

र बड़े बड़े अक्षरों में “िुमेली” सलखा हुआ था। ननमदल को इ

ने बताया कक कोई िुमेली गािंव का शख्

बहुत बबज़ी रहता है । शग ू र समल के िगह

ाना बबम्ल्ि​िंग को दे ख कर 1958 के मैदरक के

है , म्ि

ा होटल के बारे में

ने यह होटल बनाया है और

ामने कभी खल ु ा मैदान हुआ करता था लेकीन अब इ

र दक ु ानें ही दक ु ानें ददखाई दे ती थीिं। बबदे श में रहते भारती िब अ ने दे श में आते हैं

तो ककतनी खश ु ी होती है , यह वह ही िानते हैं। एक एक िगह को दे ख कर ककतनी उत् क ु ता होती है वह गज़ ु रा हुआ ज़माना ढूिंढने की, यह वह ही िानते होते हैं। यहािं यह होता था, वहािं वह होता था, दे खने में एक मज़ा यूिं ही हम िीटी रोि रोि की तरफ राणी

रु की ओर कार मेरे

ा होता आ रहा था। े हुसशयार

र रोि की तरफ मुड़े और आगे

ली तो मझ ु े बारह

ाल

हले की याद ताज़ा हो आई।

बात 1983 की थी िब

िंदी

ाथ इिंड्िआ आया हुआ था। एक ददन

घूम कर िब हम राणी

ुर के सलए कोई तािंगा या टै ध ू लेने के सलए अड्िे

टै ध ू वाले ने हमे दे ख कर आवाज़ दी, ” तो

िंदी िंदी

ारा ददन फगवाड़े र आए तो एक

रदार िी, आओ आओ बैठो “, िब हम

ढ़ने लगे

मुझे बोला,” dad ! look at that tyre, it is dangrous ! “, मैंने टै ध ू के टायर

की ओर दे खा िो नी े बबल्कुल गिंिे मैंने

लाही

को कहा, ”

ल टािंगे

र की तरफ

ाफ था, कोई रै ि ददखाई नहीिं दे ता था।

र बैठते हैं ” और हम द ू री तरफ

ड़े, यहािं टािंगे खड़े


होते थे। टै ध ू तो

हले ही भरा हुआ था और िल्दी ही

ड़ा। टै ध ू के भीतर इतने लोग

नहीिं होंगे म्ितने टै ध ू के इदद चगदद और ऊ र बैठे थे। इतनी बात थी लेककन

िंदी

तािंगा होसशआर और कई मन में

वाररयािं बैठना तो यहािं आम

यह दे ख कर घबरा गया था। तािंगा कोई बी

रु रोि

े राणी

समनट बाद

ला। िब

रु की ओर मड़ ु ा तो इ ी िगह वह ही टै ध ू उल्टा

ड़ा था

वाररयों के खन ू ननकल रहा था। टायर फट गया था। बहुत लोग इकठे हो गए थे। ो ा, आि तो भगवान ने रख सलया था।

िंदी

ना कहता तो शायद हम भी इ ी

टै ध ू में बैठे होते। ठीक इ ी िगह अब मैरेि मुझे एक आदत

ैले

बना हुआ था। कक ी और की बात मैं नहीिं करूिंगा लेककन

ी बनी हुई है , हर

ुरानी िगह को चियान

े दे खने की, शायद कोई और

इ े फोबबआ ही कहे लेककन मैं अ ने मन की बात को छु ाना नहीिं अ ने गािंव राणी

ुर की

की कोसशश कर रहा था।

ाहता। िै े िै े हम

ओर िा रहे थे, मैं हर नई बबम्ल्ि​िंग की िगह लाही ब

अड्िे

के

ाथ ही समन्दर स हिं

करने वाले की दक ु ान होती थी और यहाूँ अक् र दो युवा अचियाप्काएिं के सलए खड़ी होती थीिं और हम भूखी नज़रों बहुत बबज़ी था, इ

र छकड़े या

ा ब

यह

िंिाबी के

ुर आए

त्नी

े गािंवों

ढ़ा े

गए और घर के गेट के बाहर खड़े के गले सल ट गए।

मनदी

भी आ गया,

हो गए थे । रु ानी फोटो

मुगद का बड़ा अिंिा अभी भी वहीिं

ामने लगी थी और शीशे वाली अलमारी में वह शतरु

ड़ा था िो मेरे प ता िी कभी अफ्रीका

में एक बड़ा आम का

ेड़ लगा हुआ था िो

रमिीत ने अ नी

िदरी बनाई हुई थी म्ि

ाथ ही अिंग्रेज़ी दवाओिं

ीते खाया करते

िगह बहुत

रमिीत भी आ गई और ननमदल के का द ू रा बेटा

ब बच् े अब िवान

ड़क एक

े र अिीत में

को हम बीबी कह कर बल ु ाते थे, ने गेट खोला और हम उ

भीतर कमरे में आए तो

बहुत

कभी यह

लते रहते थे और अब यह एक

अड्िा बनने िा रहा है क्योंकक इ

ड़कें आ कर समलती हैं। िल्दी ही हम रानी ननमदल की

ाइकल

अड्िा बना हुआ था और कल ही मैंने

िगह बहुत बड़ा ब

थे। मािं म्ि

े उन्हें दे खा करते थे।

ाइकल रर ेयर ाइकलों में हवा भराने

ड़क थी। ककतना कुछ बदल गया था। बॉनद गािंव, यहािं कभी

थे, अब छोटा

दे खने

र आए तो बहुत रौनक थी। कभी यहािं दाने

भूनने वाली की भट्टी हुआ करती थी और इ

कच् ा रास्ता ही होती थी, म्ि

ुरानी िगह

े भी ,

े लाए थे। आिंगन

हले नहीिं दे खा था। एक तरफ ननमदल और में वह होसमओ ैथी

िदरी में एक बैं

े इलाि करते थे और

मरीिों के बैठने के सलए रखा हुआ था।

ी दवाइयािं एक बड़ी अलमारी में रखी हुई थीिं। इ

िदरी के

ाथ ही इलैक्रीकल गड् ु


की दक ु ान थी िो ननमदल के दोनों लड़के रर ेयर का काम करते थे।

लाते थे और इ

में ही छोटी

ी िगह में वह

िदरी के बाहर एक बोिद लगा हुआ था, म्ि

“िाक्टर ननमदल स हिं भमरा ” और

ाथ ही इलैक्रीकल गुड्

था, ” भमरा इलैक्रीकल स्टोर “. इन दोनो दक ु ानों

र सलखा हुआ था

की दक ु ान के बाहर सलखा हुआ

े अच्छी आमदनी हो िाती थी। दरअ ल

यह दक ु ाने उ ी िगह बनी हुई थी यहािं एक दफा िब

िंदी

दीवारें उ

यही कराया करता था क्योंकक उ

वक्त छोटी छोटी थीिं और

िंदी

को मैं शौ

मेरे

ाथ आया था तो इन की

मय घर में शौ ालय नहीिं होता था । तब ननमदल सलबबया गया हुआ था। इ

िदरी का मैंने इ

सलए म्ज़कर ककया है , क्योंकक िब कभी कोई मरीज़ नहीिं होता था

तो मैं, कुलविंत, ननमदल और ामने

ाथ ही

रमिीत यहािं बैठ कर ग

ड़क िाती थी और िब कभी हम ने ब

बाहर ही खड़े हो िाते थे। दक ु ान के बाहर भी थोड़ी एक शख्

म्ि

के

अखबार ले कर कमीज़ें और

ैरों में ित ू े नहीिं होते थे और क ड़े फटे हुए होते थे, बैठा ननमदल

ड़ता रहता था और

िामे दे ददए थे।

कुलविंत ने उ

को इिंग्लैंि वा

रमिीत ने बताया था कक इ

रमिीत ने यह भी बताया था कक यह शख्

ढ़ाने के बाद इ था

का था। इ

शख्

की

यह शख्

मय कुछ

त्नी और बेटी

कोई काम नहीिं करता

के बाद उ े कोई काम नहीिं समल

े बहुत िोर लड़ाया था कक यह शख् शख्

आते

कभी टी र हुआ करता था और कुछ

की नौकरी छूट गई थी और इ

। मैंने ददमाग

िान नहीिं

या टै ध ू लेना होता तो दक ु ान के

ी िगह बैठने के सलए होती थी और

लोगों के घरों में काम करके कुछ कमा लेती थीिं लेककन था।

ककया करते थे। इन दक ु ानों के

की याद मुझे बहुत

कौन हो

ाल का

कता था लेककन मैं

ाल आती रही कक यह कौन हो

कता

था। कफर एक ददन मुझे चगयान की हट्टी की यादें ताज़ा हो आई और कफर अ ानक एक शख्

का

ह े रा मेरी आिंखों के

था और आिंखों

े काले रिं ग का

ामने आ गया िो शानदार

ट ैं और कमीज़ में आया करता

श्मा होता था, िेब में रुमाल होता था। कहते थे यह कहीिं

मास्टर लगा हुआ था, अब मुझे

मझ आ गई कक वह शख्

के

ड़ा करता था। यह िान कर मुझे बहुत दख ु हुआ कक

ामने निंगे

ािंव बैठा अखबार

यही था िो ननमदल की दक ु ान

इिं ान के ददन कै े बदल िाते हैं। इलैम्क्रक की दक ु ान में ही एक ददन एक आदमी आया, म्ि

की लधबी दाहिी थी । उ

ने ट्यब ू वैल के सलए कुछ

बताया की यह िोचगिंदर है और कभी हमारी क्ला

ाट्द

खरीदने थे। ननमदल ने मझ ु े

में हुआ करता था लेककन मैं िान नहीिं

ाया कक यह कौंन िोचगिंदर है और मैंने कह ददया कक मुझे याद नहीिं आता। िोचगिंदर बोला,” कोई बात नहीिं अक् र

रु ानी बातें भूल ही िाती हैं ” . बात यहीिं

मा त हो गई और इ

के


कुछ

ाल बाद िब एक ददन मैं समिल स्कूल के ददनों में अ ने

ाचथओिं को याद कर रहा

था, तब िोचगिंदर की याद आ गई िो बहुत गोरा था और बहुत बातें ककया करता था, अब मुझे उ

िोचगिंदर की याद आ गई िो ननमदल की दक ु ान में कोई

दम ददमाग में

ब क्लीयर हो गया कक दक ु ान वाला िोचगिंदर और समिल स्कूल वाला

िोचगिंदर एक ही थे। मझ ु े इ

बात

आई िब वह दक ु ान में मेरे

ामने खड़ा था। अब

र बहुत दख ु हुआ कक उ

हम दक ु ान के बाहर खड़े हो िाते, कोई ना कोई ब फगवाड़े आ िाते। फगवाड़े िाते। कुछ घण्टे गप्

होटल में

वक्त मझ ु े याद क्यों नहीिं

छताया ककया होत िब . . . . . .

शायद ही कभी ऐ ा ददन हो, िब मैं और कुलविंत घर

हुिं

ाटद खरीद रहा था। एक

े बाहर ना गए हों। बैग

कड़ कर

या टै ध ू आ िाता और हम

ीिे

े ररक्शा लेते और कुलविंत की बहन दी ो के गािंव निंगल खेड़े शप्

करते

और कफर ररक्शा ले के फगवाड़े आ िाते और कक ी

ले िाते। िीत को हम मुिंबई समल कर आए थे लेककन एक ददन मुझे

ता

ला

कक िीत गािंव में आया हुआ है । िीत के खेतों में एक िगह होती थी और अब भी है , म्ि को मेहदटयाना कहते हैं। यहािं िीत के बा ू िी ने एक छोटी मानना है कक यहािं उन के बज़ुगों की आत्माएिं रहती हैं। इ गए हैं और हर विह

ी िगह बनाई हुई है , उन का िगह

र अब काफी कमरे बन

ाल अखिंि ाठ होता है और बहुत लोग आते हैं। िीत इ

े ही आया था। में अकेला ही एक शाम इन खेतों की ओर

िगह को िाने के सलए

अखिंि ाठ की ड़ा। अब तो इ

ड़क भी बन गई है । ” ओए कद्द ू तू ने मझ ु े बताया नहीिं कक तन ू े

गािंव आना था ” तो िीत कहने लगा, ” यार ! मेरा अ ानक ही प्लैन बन गया वरना मैंने आना नहीिं था “, बहुत बातें हम ने की, दोनों ने बैठ कर लिंगर छका और मैं घर आ गया। ऐ े ही एक ददन हमे हमे समलने राणी

ुन्नी का खत आया कक वह अ ने गािंव निंगल मझा आ रहे हैं और

रु आएिंगे। इ

ने की और एक ददन आनिंद गािंव में

ुराने

रु

के कुछ ददन बाद ही वह राणी

रु आ गए। बहुत बातें हम

ाहब िाने का प्रोग्राम बन गया।

ह े रे अब बहुत कम हमे ददखाई ददए थे क्योंकक िो छोटे छोटे लड़के हम छोड़

गए थे, अब उन के कई कई बच् े थे। कफर भी

ुराने लोग भी अभी काफी थे। उन

करके खश ु ी होती और उन को मैं िान बूझ कर

ुराने ददनों में ले िाता। मैं उन

बातें ब

ूछता। हमारे घर

े कोई

गज़ की दरू ी

र एक बहुत बड़ा

न मैं ने दे खा था, यहािं मु लमान लोग इकठे होते थे। उ

होता था। इ

े बातें े बहुत

ी ल का बक्ष ृ है ,

वक्त यहािं कोई कमरा नहीिं

िगह को बावा खान कहते हैं। मैं गवाह हूिं कक यहािं कुछ भी नहीिं होता था,

स फद मु लमान लोग कभी कभी ददए िलाया करते थे। िब मैं 1962 में इिंग्लैंि आया तो


मुझे िीत का खत आया, म्ि मैहिंघा नाम का उ

में उ

ने हिं

मदकार िो अक् र इ

हिं

कर िीटे ल में सलखा हुआ था कक एक

ी ल के बक्ष ृ की िड़ों में ददए िलाया करता था,

को हवा आने लगी थी और वह

र घुमा घुमा कर खेलने लगा था और लोग आने शुरू

हो गए थे। द ू रे खत में िीत ने सलखा था कक अब दरू दरू और

िंगीतकार भी आने शरू ु हो गए। खल् ु ले ददल

े लोग

े लोग आने शरू ु हो गए थे ै े

ढ़ाने लगे थे और अब

िंगत

के सलए बबम्ल्ि​िंग बनाने की बातें शुरू हो गई थी, कफर खत आया कक अब यह काम कुछ मद्िम

ढ़ गया था क़्योंकक लोग बातें कर रहे थे कक मैहिंघे ने इन

अ ना शानदार मकान बना सलया था और रोज़ शाम को शराब कुछ लोग महिं गे को इज़त छोटा

ा गुदद आ ु रा बना हुआ है और झिंिा झूल रहा है और इ िगह

कलाकार इ

मदकार बस्ती में

ीता था लेककन अभी भी

े बल ु ाते थे। िीत ने मझ ु े बहुत कुछ सलखा था। अब इ

दे खते हैं। अब तो मैं बहुत दे र अब इ

ै ों

िगह को बहुत

े गािंव गया नहीिं हूिं लेककन इिंटरनेट

र बावा खान के नाम

िगह

त्कार

े दे खता रहता हूिं कक

े मेले लगते हैं। कवासलआिं गाई िाती हैं, बड़े बड़े

िगह आते हैं। हज़ारों की तादाद में लोग आते हैं।

इ ी तरह गािंव के द ू री ओर

एक

बोहड़ का बक्ष ृ होता था। क्योंकक इ

ीर म्िन्दे शाह की कबर होती थी और

ाथ में बहुत बड़ा

मुहल्ले में मु लमान लोग ज़्यादा होते थे तो वह अ ने

त्योहार मनाया करते थे। यही िगह थी िब दे श पवभािन के वक्त रहमत अली शराब कर गोसलआिं

ला रहा था,

ारा गािंव िरा हुआ था। रहमत अली बहुत बड़ा बदमाश होता था।

कफर गािंव के लोगों ने इकठे हो कर रहमत अली

र हमला कर ददया था और उ े गोली मार

कर म्ज़िंदा ही िला ददया था, िब गोळयािं

ल रही थीिं तो मैं और मािं अकेले घर में रो रहे

थे। ककतने बुरे ददन थे वह और आि यह

ीर म्िन्दे शाह भी एक िेरा बन गया है और यहािं

भी मेले लगते हैं। एक बात की भारत वास ओिं को दाद दे ता हूिं कक ऐ े िमद अस्थान बनाने में हम ककतना आगे ननकल आए हैं। यह सलखने का मेरा मक द यही है कक ऐ े िेरे रोज़ रोज़ बन रहे हैं, गािंव में कक ी स्कूल या लाएब्रेरी बनाने के सलए हमारे

कोई

ै ा नहीिं

होता लेककन कोई िासमदक अस्थान खड़ा करने के सलए हम खज़ाने खोल दे ते हैं, शायद इ को हम इन्वैस्टमैंट लता…

मझ कर दान दे ते हैं या स्वगद में अ नी

ीट ररज़वद करने के सलए।


मेरी कहानी - 145 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन July 07, 2016 िै ा कक हम ने प्रोग्राम बनाया हुआ था, आनिंद

ुर

ाहब को िाने की हम ने तयारी कर

ली। ननयत ददन हम टै ध ू में बैठ कर फगवाड़े ब एक द ू रे का इिंतज़ार करना था। किंु दी और दे र हो गई और मैं वक्त म्ि

अड्िे

न् ु नी को यहािं

करने की गज़द

े वहािं एक

के बारे में मैं, मेरी कहानी के कािंि 136 में सलख

ुलट कर दे खे और अ ानक मेरी नज़र एक “तकदशील”, इ

मैगज़ीन को

पव ार थे िो इ

ड़ते

हुिं

हुिं ने में कक ी कारणवश बहुत े र स्टाल की ओर

क् ु का हूिं। बहुत

िंिाबी के मैगज़ीन

ड़ते में इ

गए क्योंकक यहािं हम ने

ले गया,

े र मैंने उलट

ड़ी, म्ि

र सलखा था

में गुम ही हो गया क्योंकक यह तो मेरे ही

मैगज़ीन में सलखें हुए थे। इ

में भत ू ों

ड़ ै ों के बारे में , कक ी के शरीर में ु ल

भूत ने अ ना आ न िमा सलया, कक ी के घर कोई लड़की खेलने लगी और कक ी के घर आ कर कोई बाबा वहम िाल कर

ागल हो गई,

ै े ले गया, कक ी के घर अ ानक आग

लगने लगी, कक ी के घर की लड़की प छले िन्म की बातें करने लगी, ऐ ी बहुत सलखी थीिं और इ

तकदशील के मैधबर, लोगों के घर िाकर उन के वहम दरू कर दे ते थे । किंु दी और

ुन्नी आ गए और उन्होंने लेट होने का कारण घर में

अ ानक महमान आ िाना बताया। हम आनिंद ुर

ाहब की ब

का

ता ककया लेककन

आनिंद

रु

ाहब को ब

नहीिं िाती थी, स फद गढ़शिंकर तक ही िाती थी और वहािं

आनिंद

ुर

ाहब को ब

िाती थी। गढ़शिंकर की ब

में ऐ े खोए कक

ी बातें

ता ही नहीिं

ला कब गढ़शिंकर

ीिे

े ही

में हम बैठ गए। कुन्दी और मैं बातों

हुिं

गए। गढ़शिंकर ब

अड्िे

र बहुत

गिंदगी थी और लोग खल ु े में एक दीवार के

ाथ प छाब कर रहे थे और बदबू आ रही थी।

िल्दी ही हमे आनिंद

समल गई और इ

गया। आगे का

ुर

ाहब के सलए ब

फर बहुत आनिंदमई था । ब

और हम है रान थे कक क्यों, रह गया तो आिी ब गया और बोला,” तक उ

ै े हमारे हाथों में थे। िब आनिंद ै े ननकालो “, हम ने

ुर

ाहब दो तीन मील दरू

किंिक्टर हमारे ै े उ

ही आ कर बैठ

को दे ददए, िब बहुत दे र

ने हमे दटकट नहीिं ददया तो मैंने किंिक्टर को दटकट दे ने को कहा, तो वह हीिं हीिं

करके मस् ु कराने लगा और उ ऊ र

फर शुरू हो

किंिक्टर ने हमे कोई दटकट नहीिं ददया था

रास्ते में खाली हो गई थी। ब

रदार िी !

में बैठ कर

ने हमे

े कमाई कर रहा था। कफर मैं उ

ािं

ािं

रु ए वा

कर ददए। हम

े बातें करने लगा और उ

मझ गए कक वे

को बताया कक मैं भी


इिंग्लैंि की ब ों में किंिक्टर रह मैंने उ

क ु ा हूिं, तो वह मेरे

को बताया कक इिंग्लैंि में ऐ ा करने की

वाल

वाल करने लगा। कफर

ज़ा उ ी वक्त काम

अच्छा काम करने वालों को ररवािद भी समलता है । मैंने बहुत बातें उ कुछ शसमिंदा था िो उ आनिंद

के

ह े रे

ुर शहर शुरू हो गया था।

ही दक ु ाने थीिं। गुदद आ ु रा दरू ल

तरफ एक

ब िगह

ुरातन नगाड़ा

ड़क बहुत अच्छी और

ढ़ाई

ढ़नी

ौड़ी थी और दोनों तरफ दक ु ानें े उतर कर हम गुदद आ ु रे की ओर

ड़ी। िब हम ऊ र

हुिं े तो गद ु दआ ु रा दे ख कर ही

िंगमरमर ही ददखाई दे रहा था। इिर उिर हम घूमने लगे। एक

ड़ा था, क्योंकक यहािं कभी बहुत लड़ाइयािं हुई थी और उ

नगाड़े की आवाज़ दरू दरू तक

भीतर

े कीिं और वह कुछ

ाफ ददखाई दे रहा था।

े ददखाई दे ने लगा था। ब

ड़े। आगे हम को काफी

रूह खश ु हो गई। इ

े छुटी है लेककन

वक्त

ुनाई दे ती होगी। माथा टे कने के सलए हम गुदद आ ु रे के

ले गए, कीतदन हो रहा था, हम ने माथा टे का और कुछ दे र के सलए बैठ कर कीतदन

का आनिंद सलया और कफर प्र ाद ले कर बाहर आ गए। भख ू लगी हुई थी, इ लिंगर हाल में

ले गए और लिंगर के

आ गए। क्योंकक हम ने आनिंद ररहायश के सलए हम

राए की ओर

अनचगनत कमरे थे। यह एक बबम्ल्ि​िंग के

ुर

ादे लेककन

सलए हम

ौम्ष्टक भोिन का आनिंद सलया और बाहर

ाहब दो ददन रहने का प्रोग्राम बनाया हुआ था, इ ल

ड़े।

राए की बबम्ल्ि​िंग बहुत बड़ी थी, म्ि

कोर बबम्ल्ि​िंग थी,

ेंटर में काफी बड़ा आूँगन था, म्ि

सलए में

ारों तरफ मल्टी स्टोरी फ्लैट थे और इ में एक लान था म्ि

के

ारों ओर तरह

तरह के फूल खखले हुए थे। कमरा लेने के सलए हम ऑकफ

में गए तो एक

रदार िी ने हम

े दो रातों के

ौ रू ए

सलए िो हम कमरा खाली करने के बाद वा

ले

बबम्ल्ि​िंग फिंि के सलए ही रख ले, हम ने वा

नहीिं लेने थे, इ

रदार िी ने हमें एक

ाबीआिं ले कर हम कमरे की और

ड़े िो द ु री मिंम्िल

और दटकट दे दी। कमरे की

था। कमरे का ताला खोला तो कमरा काफी शावर और शौ ालय भी

ाफ़

थ ु रे थे।

ाफ़

कते थे लेककन हम ने कह ददया कक

ुथरा था और इ

में दो िब्बल बैि थीिं,

ामान रख के कुछ दे र के सलए हम बातें करने लगे।

कुछ आराम भी हो चगया और कफर हम ने भाखड़ा िैम दे खने का प्रोग्राम बना सलया और बाहर आ कर ब

का

ता ककया। नी े ब

अड्िे

े एक ब

किंिकटर ने एक ब

इशारा ककया िो भाखड़ा निंगल को िाती थी। बैठने के बाद िल्दी ही एक यादगार ही है क्योंकक िो

हाड्िओिं में

ड़क थी वह

ािं

की ओर

ड़ी। यह

फर भी

की तरह बल खाती िाती थी

और एक तरफ गहरी खाइयािं दे ख कर िर भी लगता था कक अगर कोई ब

ड़क


कफ ल िाए तो कुछ भी ब ग े ा नहीिं। रास्ते में छोटे छोटे गािंव आ रहे थे िो बने हुए थे और यह

ीदढ़यों की तरह बने हुए थे, नी ,े ऊ र और उ

हाड़ी के ऊ र

के ऊ र मकान बने

हुए थे। यह दे ख कर मुझे बहुत है रानी हो रही थी और मज़े की बात यह भी थी कक के नी े

े ऊ र तक बबिली के खिंभे लगे हुए थे म्ि

का मतलब यह था, यहािं

हाड़ी

ारी

सु भिाएिं थीिं। मैंने अ ना कैमकॉिदर ननकाल सलया क्योंकक नज़ारा ही ऐ ा था कक रहा नहीिं गया। अब निंगल

हुिं

गए। यह बहुत

ाफ और काफी

ौड़ा फुट ाथ था िो

के खिंभे भी थे म्िन वक्त

शेिों

हले बड़े भाई

िंतोख स हिं भाखड़ा िैम

टाऊन को निंगल टाऊनसश

हाड़ी

ड़क के एक ओर ऊिं ी

िंतोख को समलने आया था िो मेरे मामा िी के बेटे में भाखड़ा िैम

ाथ वॉलीबाल खेलने का अव र समला था। नहर का

फर कफर शरू ु हो गया।

ा लगता था। िल्दी ही

ानी ननकल रहा था िो आगे दररया

तलुि में तब्दील हो रहा था। मूवी या फोटोग्रफी की मनाही थी लेककन मैंने ीन ररकािद कर सलया क्योंकक यह बहुत

नज़दीक

हुिं

ड़क

कुछ दे र तक हम

मुिंदर िै े इ

झील के

खा कर द ू री रे हड़ी

िैम को हम दे खने आए थे वह याद नहीिं क्यों। उदा

िाला और इ े समक्

ोिा वाटर की बोतलें ना हमारा

ानी ददखाई दे रहा था।

ानी को दे खते रहे । एक रे हड़ी वाला और एक

ददया। छाबड़ी वाले ने अखबार के कागज़ में दाल र ननधबू नन ोड़ कर र

े कुछ

आ कर खड़ी हो गई और हम िैम के

ागर झील का लहलहाता नीला

छाबड़ी वाला वहािं थे और किंु दी ने छाबड़ी वाले को उ

ु के

ुिंदर नज़ारा था।

र एक िगह ब

गए थे। आगे गोबबिंद

ुल

ीन खतरनाक भी था और खब ू रू त भी।

टाने थी, इतनी ऊिं ी कक दे ख कर भय

की तरह वल खाती हुई

ररवारों के

कूल बने हुए थे और ऑकफ रों की कलब्ब भी थी

भाखड़ा िैम ददखाई दे ने लगा और इन के तीन गेटों

ािं

वक्त इ

र काम करने वालों के सलए

म्ज़आदा इन्ज्नीअर और अन्य ऑकफ र अ ने

में एक दफा मुझे भी उन के

ार करने के बाद

िगह मैं एक दफा

र इिंिननयर लगे हुए थे। दरअ ल उ

ाथ रहा करते थे, यहाूँ बच् ों के सलए म्ि

े बल्व ददखाई दे रहे थे। इ

कहते थे म्ि

कुआटर बनाए गए थे, म्िन में

क्की थी। नहर के ककनारे बहुत

ैर के सलए बनाया हुआ था, नहर के ककनारे बबिली

र बड़े बड़े लैध

1962 में इिंग्लैंि आने हैं। उ

ौड़ी नहर थी िो बबल्कुल

ने की

ीली

िाल कर उ करके हमे

ीली दाल दे ने के सलए कह र म ाला िाला और कफर कड़ा ददया।

ीिं और िैम की तरफ ूरा ना हो

ने की दाल

ल ददए लेककन म्ि

का क्योंकक आगे िाने नहीिं दे ते थे,

हुए इिर उिर हम घम ू ते रहे लेककन ऐ े ककतनी दे र बेविह घम ू


कते थे। वा

िाने के सलए हम

1962 में भैया

ड़क की द ू री तरह ब

के सलए इिंतज़ार करने लगे।

िंतोख ने मुझे िैम का भीतर ददखा ददया था लेककन उ

कधप्लीट नहीिं हुआ था और कुछ काम अभी रहता था ।

वक्त तो अभी

ुना था 1963 में कुछ िैनरे टर

लने शरू ु हो गए थे और बबिली आखण शरू ु हो गई थी। श्री िवाहर लाल का नीिंव ब

त्थर रखा था लेककन 1964 में ही

कड़ कर हम आनिंद

ुर

ाहब वा

हो गए थे।

आ गए। अ ने कमरे में आ कर

ककया और क ड़े बदल कर गद ु दआ ु रे की ओर और कफर कीतदन

िंड्ित िवाहर लाल स्वगदवा

नेहरू िी ने इ

ुनने के सलए गुदद आ ु रे में

ड़े।

हले लिंगर में िा कर

ब ने स्नान र ादा छका

ले। कीतदन के बाद गुरु गोबबिंद स हिं िी के शस्त्र

ददखाए िाते थे, और यह दे खने के सलए मुझे बहुत उत् ुकता थी। तकरीबन 9 विे एक के बाद एक शस्त्र ददखाने लगे िो दे ख कर हम है रान हो गए कक कुछ शस्त्र इतने भारी स्टील के थे कक यह शस्त्र उठा कर कै े मैदाने ि​िंग में लड़ते होंगे। शस्त्र ददखाते वह इ कुछ इतहा

की बातें भी बता रहे थे। एक शस्त्र म्ि

के बारे में

को नागणी कहते थे, वह एक

के बारे में बताया कक एक स हिं ने इ

ािं

शकल की बनी हुई थी और इ

के इतहा

एक शराबी और मस्त हाथी के

र में छे द कर ददया था और दश्ु मन की फौि मैदान छोड़

की

नागणी

कर भाग गई थी। ज़्यादा मुझे याद नहीिं लेककन म्ितने शस्त्र दे खे वह अभी तक मेरी आिंखों के

ामने हैं। द

बिे के करीब हम वा

ददन तैयार हो कर हम ने खाना कक ी ढाबे

आ कर कमरे में बातें करते करते

ो गए। द ू रे

र खाने का मन बना सलया। एक

रदार िी के

ढाबे

र तरह तरह के

मज़े

े खाये।

ढाबे

े ननकल कर हम कुछ इनतहास क गुदद आ ु रे दे खने

गुदद आ ु रा म्ि

िगह

वह िगह दे खी म्ि

राठों की सलस्ट दे ख कर

र एक स हिं ददली

हम ने आिदर दे ददया और दही के

र खड़े हो कर बालक गुरु गोबबिंद स हिं िी ने स खों को ज़ुल्म के

मशवरा कर सलया। नैना दे वी का मिंददर एक दरू

र खड़े हो गए लेककन े आ रही एक

रािं

ूमों गाड़ी हमारे

र यह शख्

थे और अब हम ने इ

हाड़ी

े हम ने नैना दे वी िाने का

र बना हुआ है । रािं

ोटद के सलए हम

ोटद समल नहीिं रही थी। काफी दे र हम इतिंज़ार करते रहे । ा

आ कर खड़ी हो गई। इ

थे और हमे बैठने के सलए बोला। भला हो इ काफी दरू ऊिं ाई

ड़े। काफी गुदद आ ु रे दे खे और एक

े गुरु तेग बहादर िी का शीश ले कर आया था,

खखलाफ लड़ने के सलए तैयार हो िाने को कहा था। यहािं ड़क

ाथ

शख्

का, इ

में एक समआिं बीवी ही

ने हमारी बहुत मदद की।

हमे एक होटल तक छोड़ गया।

राठे खाये कई घिंटे हो गए

होटल में खाना खाने का मन बना सलया। ताज़े ताज़े घर िै े फुल्के


और दाल और कुछ

म्ब्िओिं के

मिंददर की ओर िाने वाली

ाथ खाने का मज़ा सलया। होटल

ड़क

े बाहर आ कर अब हम

लने लगे। िै े िै े हम ऊ र िा रहे थे,

मुम्श्कल हो रही थी ,कभी बैठ िाते, कभी आराम करके कफर ऊ र करके ऊ र

हुिं

ढ़ाई

ढ़नी

ढ़ने लगते। रब रब

गए। ऊ र काफी दक ु ानें बनी हुई थीिं और एक तरफ याबत्रओिं के सलए

लिंगरखाना बना हुआ था िो इतना बड़ा नहीिं था। आखर हम मिंददर के नज़दीक आ गए। दे वी के दशदन करने के सलए याबत्रओिं की लाइनें लगी हुई थीिं। हम भी लाइन में खड़े हो गए। मिंददर के ऊ र बिंदर इिर उिर छलािंगें लगा रहे थे। एक उन

े इ

मिंददर का इतहा

िानना

ाहा, िो उ

िंड्ित िी िो

ने बताया लेककन मुझे अब इतना ही

याद है कक कोई दे वी थी म्ि को पवष्णु भगवान ने

ज़ा दे ने के सलए उ

कर ददए थे और उ

हाड़ी

की आिंखें यानी नैन यहािं इ

दे वी की याद में यह नैना दे वी का मिंददर बना ददया। इ नहीिं कह

कता क्योंकक यह

गोबबिंद स हिं िी स हिं िी ने इ

न ु ी

न ु ाई बात है

भी

करके खाल ा कारनामे

रु

ाहब की िरती

मिंददर का इतहा

ी मूनतद थी म्ि

याद है कक अब हम हले

यज्ञ में गुरु गोबबिंद

कती है “, और इ र वै ाखी वाले ददन

के बाद ही गुरु ािं

प यारे स्थाप त

ैदल ही

ुना था कक इ

हुिं े तो भीतर िाने के सलए दरवाज़ा बहुत छोटा

ा था।

के गले में फूलों के हार थे। और कुछ याद नहीिं, ब

इतना

हाड़ी हाड़ी

े नी े आए, िो काफी मुम्श्कल र

े बहुत

े नी े चगर कर भगवान को प यारे हो गए थे। नी े तक

कड़ कर हम फगवाड़े की ओर

ड़े।

फर था। आठ द

े शिादलू भीड़ और हफरा दफरी की विह

थक गए थे। िाते ही गद ु दआ ु रे में लिंगर छक के अ ने कमरे में

लता…

श्री गरु ु

े महािंरािा रिं िीत स हिं ने खाल ा राि कायम कर ददया था।

भीतर छोटी

हाड़ी

लेककन इ

के बारे में यकीनन मैं कुछ

िंथ की नीिंव रखी थी और स खों को स हिं बना ददया था। गरु ु िी के इ

िब माथा टे कने हम मिंददर तक

ाल

इतहा

ीज़ें आग में फैंक कर तलवार ननकाल ली थी और बोला था,”

यही दे वी है और यही िालम मुगलों का नाश कर गोबबिंन्द स हिं िी ने आनिंद

दे वी के 51 टुकड़े

र चगर गए थे और लोगों ने उ

े भी िुड़ा हुआ है । यहािं एक यज्ञ हुआ था और इ यज्ञ की

ाथ ही खड़े थे, मैंने

हुिं ते

हुिं ते हम बहुत

ो गए और द ू री

ब ु ह ब


मेरी कहानी - 146 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन July 11, 2016 आनिंद

ुर

ाहब की यात्रा

े हमारे मन की मुराद

आनिंद

ुर

ाहब के दशदन ककये हुए थे लेककन मैं

ूरी हो गई थी। कुलविंत ने तो

हली और आख़री दफा ही चगया था।

कुलविंत का निररया िासमदक था लेककन मेरा निररया िमद ाहब की िरती

हले भी

े कुछ म्ज़आदा था। आनिंद

र तो एक ऐ ी कौम की नीिंव रखी गई थी, म्ि

बदल ददया था। मैं कोई इत्हास्कार नहीिं हू​ूँ लेककन मुझे उ

ने

रु

िंिाब का इतहा

ही

िरती के दशदन करने थे म्ि

गुरु गोबबिंद स हिं िी ने स खों को अमत ृ छका कर स हिं बना ददया था। क्योंकक दहन्द ू िमद में नी ी िातों वोह

े पवत्करा ककया िाता था, इ

ब नी ी िातों

सलए गुरु िी ने िब

ािं

े ही सलए गए थे। उन का मक द एक ऐ ा

प यारे बनाये थे तो माि

ैदा करना था िो

इकठे हो कर िालम मुगलों का मुकाबला करें । यही विह है कक

िंिाब में िात

िात के लोग ऊिं ी िातों

ात तो है लेककन कोई ख़ा

नफरत नहीिं है और आि छोटी

े भी आगे हैं। उन के घर बहुत अछे हैं, िाक्टर हैं, टी र हैं, और

मैम्िस्रे ट लगे हुए हैं। बाहर के स खों के तो बच् े भी

मदकारों के बच् ों

हैं। गोबबिंद स हिं िी एक कवी, गुरबाणी र त े ा और कफला फर थे, वोह िब तक दहन्दओ ु िं में एकता का भाव त्त्थर रखा था । इ ी िरती

मझ

क् ु के थे कक

ैदा नहीिं होता, हमलावर उन को मु लमान बनाते ही

रहें गे, यही कारण था कक उन्होंने पव ाखी वाले ददन नीिंव

े शादीआिं कर रहे

ािं

प यारे बना कर एक योिा कौम का

र िब गुरु िी ने फ़ौि तैयार करनी शुरू की तो

हािी

रािे िो मुगलों को खखराि दे कर मज़े कर रहे थे, उन्होंने गुरु िी को तिंग करना शुरू ककया था , म्ि

की विह

गुरु िी ने इ

े गुरु िी को

आनिंद

ुर

हािी रािों के

ाहब की िरती

है कक यह ककले हम दे ख नहीिं

ािं

ाथ युद्ि करने

ड़े और इ ी कारण

ककले बनाए। मुझे अफ़ ो

के क्योंकक किंु दी को वा

बात का

मड़ ु ना था। कफर भी म्ितना दे खा

बहुत अच्छा था। आनिंद

रु

े वा

आ कर कुछ ददन आराम ककया और कफर एक ददन ननमदल ने हवेली ढाबे

में खाना खाने का प्रोग्राम बना सलया। इ कोई

िंिाबी बबदे श

ड़े। हम तो

भी

िंिाब आता है तो यहाूँ िरुर आता है ।

नहीिं था। एक शाम को ननमदल ओर

हवेली ढाबे को

िंिाबी िानते हैं और िब भी हले हम ने यह ढाबा दे खा

रमिीत कमलिीत मैं और कुलविंत गािी में बैठ कर ढाबे की

रु ाना रास्ता यानी मािो

ुर

ाहे िू और िीटी रोि ही िानते थे


लेककन ननमदल ने शॉटद कट कर सलया और हम िल्दी ही ढाबे

तो

ड़ता था लेककन अब तो कोई

ब क े रास्ते होते थे, इ

सलए हमे यही रास्ते

गाूँव रहा ही नहीिं था िो एक द ु रे गाूँव को

ड़क

िब हम िा रहे थे तो रास्ते में एक छोटा

ुल नदी के ऊ र बना हुआ है , याद है म्ि था ?” , मैं नदी म्ि

गए। हमारे

मय में

े ना िुड़ा हो।

ुल आ चगया। ननमदल बोला,” भा िी ! यह

को बार्द के ददनों में

ार करना मुम्श्कल होता

को वेई भी कहते थे, के दोनों तरफ दे खा लेककन यहाूँ अब कोई ख़ा

नदी ददखाई दे ती ही नहीिं थी, बबलकुल

ख ू गई थी। बर ात के मौ म में कभी इ

बाढ़ आती ही रहती थी और यही नदी िीटी रोि ब

े िाना

हुूँ

न में कभी हम इ

ाहे िू के

ुलों के नी े

नदी में

े िाती थी।

में नहा कर तलहन गुरदआ ु रे में मेला दे खने गए थे और द ु रे ददन

कूल में हम को मास्टर िी ने मुगाद बनाया था। नदी की ऐ ी हालत दे ख कर मुझे कुछ दुःु ख

ा हुआ। हम िल्दी ही हवेली ढाबे

हुिं

गए। इ

ढाबे

े कुलविंत का गािंव

िैनोवाली नज़दीक ही है । िब हम

हुिं े तो वहािं कार

मदद कर रहा था, उ ननकल कर हम ढाबे के

ाकद कारों

ने एक िगह

े भरी हुई थी एक आदमी कार र हम को

ामने खड़े थे। गेट

ाकद करने के सलए कह ददया। कार

र एक

एक खह ू ी बनाई हुई थी, म्ि

र एक रस् े

बहुत

र शाकाहारी भोिन ही

और बच् ों के , लोग

में

िंिाब के

े बािंिी हुई बाल्टी

ीन बनाए हुए थे।

ड़ी थी। और भी

वद होता था, इ

िंिाब के

सलए, लोग स्त्रीओिं

ाथ आए हुए थे। हमारे ज़माने में तो कक ी होटल या ढाबे

िरूरत की विह

रदार िी स्माटद यूननफामद में खड़े थे।

हले हम इदद चगदद घूमने लगे। िगह बहुत बड़ी थी म्ि ीन बनाए हुए थे। ढाबे

ाकद करने के सलए

र िाना कक ी

े ही होता था लेककन आि तो बाहर खाना एक आम फैशन ही बन गया है

ि ि​ि के कक ी होटल या ढाबे

र िाते हैं और आि तो

ीज़ा और

ाइनीज़ का

आम फैशन हो गया है । िब हम ढाबे के अिंदर िाने लगे तो दे खा एक रक दीवार को तोड़ता हुआ कुछ आगे ननकला हुआ था, यह

ीन एक आटद का नमूना ही था िो बहुत अच्छा लग्गा।

रदार िी ने हमे

त स री अकाल बोला, हम भीतर दाखल हुए तो दे खा बहुत बड़ा हाल था, म्ि अ ने

ररवारों के

ाथ बैठे खाने का मज़ा ले रहे थे। इ

ददखाने की कोसशश की गई थी । दीवार में कुछ ुराने ताले लगे हुए थे। हर टे बल

िाइननिंग हाल में

रु ाना

में लोग िंिाब

रु ातन ढिं ग के दरवाज़े लगे हुए थे, म्ि

र छोटे छोटे लकड़ी के छकड़े रखे हुए थे, म्िन में गुड़


ौंफ और अन्य

दारथ रखे हुए थे िो खाने के बाद खाये िाते हैं। ऐक लड़का हमे दे ख कर

आया और उ

ने हमे एक टे बल

कुछ दे र हम

ारा

रै

र पवरािमान हो िाने को कहा।

ररवार बातें करते रहे और कफर कोई द

हने हुए हमारे

आया और मैन्यू

कड़ा ददए। मैन्यू

था, फै ला कर सलया। उदद की काली दाल मखनी तो हर कर मेरी तो यह फेवररट दाल है , और इ

समनट बाद एक लड़का

के

िंिाबी

ड़ते हुए हम ने िो िो खाना

िंिाबी की

िंदीदा है और खा

ाथ काफी कुछ ऑिदर दे ने का

म्िन का मझ ु े याद नहीिं। वह लड़का कफर आया और हर एक का ऑिदर सलख के

सलया, ला गया।

कुछ दे र बाद िब वह लड़का एक रॉली

र खाने ले कर आया तो खाने दे खकर ही मज़ा आ

गया। मेरी फेवररट दाल के ऊ र माखन

ड़ा हुआ था िो गािंव की याद ददला रहा था। बड़े

बड़े तिंदरू ी फुल्के स्कूल के

ुराने ददनों की याद ददला रहे थे, िब हम प्रभात होटल

खाया करते थे। खाना खाते खाते और बातें करते करते कर सलया। इ हम ररलैक्

के बाद छोटे

े छकड़े

ड़ी

ता ही नहीिं

र खाना

ला कब खाना खत्म

ौंफ गुड़ और कुछ अन्य

ीज़ें खाईं। अब

हो कर बातें करने लगे और कुछ दे र बाद लड़का बबल ले कर आ गया। ननमदल

ने बबल ददया और हम उठ कर बाहर िाने लगे। बाहर भी खाने के स्टाल लगे हुए थे, म्िन र वे लोग खा रहे थे िो ढाबे के भीतर नहीिं िाना लेककन यह खल ु ा वातावरण बहुत इ

ढाबे के

ाहते थे। खाने का मज़ा तो आया ही

िंद आया।

ाथ ही लक्की ढाबा था म्ि

र शायद मािं ाहारी और बीयर

ीने के शौकीन

िाते थे। इन ढाबों के कुछ दरू ही बहुत बड़ा एक और रै स्टोरैंट बना हुआ था, म्ि सलली था।

ुना था,यहािं खाना कुछ महिं गा था लेककन हम यहािं िा नहीिं

हुए कुलविंत बच् ों को

ाथ ले कर इिंड्िआ आई थी, और उ

नज़दीक ही एक बहुत अच्छा बहुत

िंद ककया था, यहािं

के बतदन बना रहा था।

ाकद बन गया है म्ि िंिाब के

ारे

ारे बच् ों ने रिं गला

रु ातन

का नाम

के थे। कुछ

ाल

ने बताया था कक इन ढाबों के

को रिं गला

िंिाब कहते हैं। बच् ों ने इ े

ीन बनाए गए थे और एक घम ु ार मट्टी

िंिाब बहुत

िंद ककया था और आ कर मुझे

फोटो ददखाई थीिं। ककतना कुछ बदल गया था। इ ी िीटी रोि र िालिंिर स ननमा दे खने िाया करते थे और इ

र कभी हम अ ने

ाइकलों

ड़क के दोनों ओर स फद खेत ही खेत

होते थे, अब तो ि​िंगल में मिंगल बन गया था। यह िे आऊट भी एक अभुल याद है क्योंकक इ हुआ। राणी

ुर वा

के बाद इ

आ कर हम ने गुरदआ ु रा मैम्ह्नदआना

ढाबे

र मेरा िाना कभी नहीिं

ाहब िाने का प्रोग्राम बना


सलया। कुछ ददन बाद हम ने एक राइवर म्ि और हमारी गाड़ी

लाने की कोई

िल्दी ही हम फगवािे

हुिं

के

रददी नहीिं थी।

बड़ी गाड़ी थी, के ुबाह के वक्त हम घर

गए और लुचियाना की तरफ

ाथ बात कर ली े

ड़े।

ड़े। यह गुदद आ ु रा लुचियाना

ड्िम्स्रक्ट में ही है और िगरावािं के नज़दीक है । लचु ियाना िा कर हमे रै कफक का कुछ ामना करना

ड़ा लेककन शहर

े ननकल कर

ड़क

दोनों तरफ दरू दरू तक हरे हरे गें हूिं के खेत थे। िू रहा था। काफी दे र बाद हम गुदद आ ु रा मैम्ह्नदआना गुरदआ ु रे के नज़दीक

हुूँ

कर हम ने गािी

र कोई कोई गाड़ी ही िा रही थी। ननकली हुई थी और

ाहब

हुूँ

फर का मज़ा आ

गए।

ाकद की और अब

ैदल

ड़े।

ामने

गुरदआ ु रा ददखाई दे रहा था। रास्ते में बहुत बुत्त बने हुए थे, िो हम दे खते िा रहे थे। बुत्त स ख इतहा

कर माथा टे क कर

धबिंचित हैं। बुत्त इतने अछे थे कक हम ने रशाद ले लें और बाद में दे खें । बहुत

माथा टे क कर हम ने

की ककताब

ामने

ें दटिंग दे खने लगे।

की बातें याद थीिं लेककन इन को दे ख कर

ब कुछ हो रहा था।

ें दटिंग्ि दे ख कर हम बाहर आ गए और बुत्त दे खने शुरू कर ददए। यह बुत्त दायरे में बने हुए हैं। मुझे उ स ख िगत उ

ें दटिंग

ड़े बगैर ही मालूम हो रहा था। यूिं तो ब

गुदद आ ु रे में और गुर ुरब के दौरान स ख इतहा लगा िै े हमारे

हले गुरदआ ु रे िा

ुन्दर गुरदआ ु रा बना हुआ है ।

रशाद सलया और गद ु आ ु रे में दीवारों

इतनी अच्छी थी कक इतहा

ो ा कक

शख्

का नाम याद नहीिं म्ि

का ऋणी रहे गा क्योंकक उ

ने इतहा

एकड़ के

ने यह बुत्त बनाए लेककन

ारा

को म्ज़िंदा कर ददया है । यह बुत्त दे ख

कर कभी खन ू खौलने लगता है , कभी रोना आता है और कभी उन स हिं ों की कुबादननयों गवद होता है म्िन्होने मुगलों याद नहीिं लेककन कुछ

े लड़ कर दे श

र अ ना

ब कुछ वार ददया था । बहुत तो

ीन नहीिं सलखग ूिं ा तो मेरा यह कािंि सलखना बेकार होगा।

था िो एक बड़े प्लैट फामद

र बना हुआ था, इ

और आग के शोले बाहर आ रहे थे, उ

हला

के ऊ र बहुत बड़ा

तीला रखा हुआ था, म्ि

कर ददया था। भाई दयाला िी आिंखें बिंद करके शािंत च त्त गुरबाणी का िा र

ारा इतहा

सलखा हुआ था। यह

एक और एक दीवार बनी हुई थी म्ि और फतेह स हिं िी को म्ज़िंदा दीवार में

ीन

में एक भट्टी में लकड्ड़आिं िल रही थीिं

भाई दयाला िी को म्ज़िंदा ही उबाला िा रहा था क्योंकक उन्होंने इस्लाम कबल ू करने फ़ामद की दीवार

में े इिंकार

कर रहे थे। प्लैट

ीन दे ख कर आिंखें नम हो गईं।

में गरु ु गोबबिंद स हिं के छोटे

ादहबज़ादे िोरावर स हिं

नाया िा रहा था, दो आदमी ईंटें लगा रहे थे और


कुछ मुगल स

ाही बर्े ले कर इदद चगदद खड़े थे। एक तरफ

बहुत बड़े प्लैटफॉमद रहा था और इ उ

के छोटे

बहुत

र नादर शाह ईरानी के हुकम

का

ारा इतहा

सलखा हुआ था। आगे गए तो बन्दा स हिं बहादर के

और एक तरफ

खीिं

ारा इतहा

रखड़ी

में

ाही हचथआर ले कर आगे

ुनते आ रहे थे कक स खों को

कर मारा गया था, आि हमारे र

ढ़ाया हुआ था, दो बड़े बड़े

ामने वह दहओिं

सलखा हुआ था। आगे भाई मती दा

रखड्िओिं के

रखड़ी को हैंिल

स हिं का शरीर खीिं ा िा रहा था और अिंग खीिं ने की विह ारा इतहा

को

ािं

को आरे

दा

ारा

ढ़ा कर और े बािंिे हुए

े घुमा रहे थे और

े खन ू ननकल रहा था,

े च रवाया िा रहा था और

रों के मोल रख ददए थे, िो कोई स हिं का

रु ए समलते थे, िो स ख के बाल काट कर लाए उ

और यह

ैर रस् े

शरीर दो दहस् ों में हो गया था और खन ू ही खन ू ननकल रहा था। आगे का नादर शाह ने स खों के

ीछे खड़े थे

ीन बनाया हुआ था । एक स हिं को

र एक तरफ उ

थे और द ू री तरफ हाथ बािंिे हुए थे और दो मुगल उ

ज़ा दे नी थी, बन्दे बहादर की

सलखा हुआ था।

े गुदद आ ु रे में अरदा

खीिं

ामने

े बच् े का ददल ननकाल कर बन्दा बहादर के मिंह ु में िाल रहे थे और इदद चगदद

े स हिं प ि िं रों में कैद ककए हुए थे म्िन को बाद में

सलखा हुआ था। एक

े स खों का आम कत्लेआम ककया िा

त्नी को भी बहुत त ीहे ददए िा रहे थे। मुगल स

ारा इतहा

ीन वह था, िब

र काट कर लाए, उ

को कुछ कम

ै े समलते थे

ीन बनाया गया था, िो बहुत ही ददद नाक था। आगे एक िल्लाद, भाई मती

के बाल हाथ में

कड़े खो ड़ी को छुरी

े काट रहा था और मुिंह

र खन ू के फुहारे

रहे थे। इ

के इलावा स ख राि का इतहा

स हिं नलवा और अन्य बहुत गुदद आ ु रे के सलए दान दे ने

े ल

थे। अब एक स हिं ने हमे इ ारे में

बनाया गया था, म्िन में महारािा रिं िीत स हिं , हरी

ीन थे।

ब दे ख कर मन उदा

ड़े, क्योंकक यह िगह की बहुत

हो गया था। अब हम

ै े आगे इतहा

हले

दशादने के काम आते

ी िानकारी दी। िब गुरु गोबबिंद स हिं िी के

ादहबज़ादे शहीद हो गए तो यहािं ही गरु ु गोबबिंद स हिं ने कुछ घा

उखाड़ा था और हाथ

कड़ कर कहा,” अब मुगलों का अिंत हो िाएगा क्योंकक उन की िड़ें उखड़ गई हैं ” और

यहािं बैठ कर ही उन्होंने ज़फर नामा सलखा था िो औरिं गज़ेब को एक च ठी थी और ज़फरनामा

सशदयन में सलखा हुआ है । इ

कहते हैं औरिं गज़ेब ने गुरु िी मर गया था।

में उन्होंने औरिं गज़ेब को झूठा मक्कार कहा है ।

े समलने की इच्छा ज़ाहर की थी लेककन औरिं गज़ेब िल्दी ही


यह

ारा मैंने कैमकॉिदर में ररकािद ककया था लेककन ऐक् ीिेंटली यह ड्िलीट हो गया था

लेककन यह गए म्ि

ब यादें ददल

र छ

गई हैं। यहाूँ

का नाम है ” गुदद आ ु रा कमल

रण

े ननकल कर हम एक और गुरदआ ु रे में ाहब “, यह गुरुदाु रा वह िगह है म्ि

ले

को

कभी माछीवािे का ि​िंगल कहते थे। गरु ु गोबबिंद िी िब प ता िी गरु ु तेग बहादर,मािं, माता गज़ ु री और

ारे

ादहबज़ादे ,

फटे हुए थे और

ैदल

ारा

रबिं

ल कर

कौम

र वार कर यहािं आए थे तो उन के क ड़े

ैरों में छाले

ढ़ गए थे, तो उन्होंने यहाूँ आ कर आराम

ककया था। यहािं ही कुछ ददन आराम करके उन्होंने उ ारण ककया था,” समतर प यारे नूिं हाल मुरीदाूँ दा कहणा “, इ ब

िगह

र बहुत बड़ा गुदद आ ु रा है । इ ी वाक्यात

न में गाया करता था, सलखा गया था,” फुलािं ते

नीआ

नाय दो, ि​िंग

मराए दो,

ैरािं

अब हम एक और गुदद आ ु रे के दशदन करने नहीिं, इतना याद है ,इ

में एक बड़ा

बने हुए थे। एक बात यहािं हुई, उ

ौने वाले, रोड़ों

ौ गए प्रीतम,

ों लहू दे तु के, कम्ण्िआिं ते

ौं गए प्रीतम”

ले गए लेककन मुझे इ

रोवर बना हुआ था और इ ददन इ

में भगती ककया करते थे, उन का कमरा बबल्कुल उ ी तरह बहुत छोटा

गुदद आ ु रे का नाम याद र बड़े बड़े शेरों के बत्त ु

गुदद आ ु रे में बहुत कम लोग थे और दो चगयानी

हमे गुदद आ ु रे के बारे में बहुत कुछ बता रहे थे। उन्होंने बताया कक हम वह कमरा दे खने

र िो गीत मैं

िंत राड़े वाले म्ि

कमरे

धभाल कर रखा हुआ है और

ड़े िो ज़मीन के नी े बना हुआ था। भीतर िाने के सलए दरवाज़ा

ा था। िब हम कमरे में दाखल हुए तो दे खा

िंत िी के क ड़े, बबस्तर

और कुछ िासमदक ककताबें रखी थीिं। िब कमरा दे ख कर हम बाहर आए तो चगयानी िी ने बताया कक तो हमारे घर

िंत िी इिंग्लैंि में शरीर नतआग गए थे तो कुलविंत एक दम बोल े स फद

में िाती रहती है और उ कमरा

गज़ की दरू ी

िंत िी

र ही रहते थे और वह कभी कभी वहािं उ

घर के लोग यहािं

धभाल कर रखा हुआ है और हर

ड़ी कक

घर

िंत िी ने शरीर नतआग ददया था, उन का

ाल उन की

ण् ु य नतचथ मनाते हैं। चगयानी िी

इतने खश ु हुए कक उन्होंने कुलविंत को कहा कक वह तो बहुत भागयवािंन है । इ

गद ु दआ ु रे की एक मरयादा थी कक यहािं लिंगर तैयार नहीिं होता था, स फद शिादलू लोग ही

घर

े बनाकर ले आते थे और वह ही

कोई आया नहीिं था लेककन के

ाथ छके। इ

रोटी को

िंगत को छकाया िाता था। उ

ददन लिंगर लेकर

हले ददन के कुछ फुल्के ब े हुए थे िो हम ने आ ार और भी स ख मीठे

ाय

र ादे कहते हैं और आि हमने म्ज़िंदगी में

हली और आखरी दफा मीठे प्र ादों का आनिंद सलया। क्योंकक भूख लगी हुई थी, इ

सलए


यह

र ादे मीठे

े भी बढ़ कर लगे। लिंगर खाने

सलया, यह यात्रा भी म्ज़िंदगी की लता…

ुनेहरी याद है ।

े बाहर आ कर हम घर की ओर रुख कर


मेरी कहानी - 147 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन July 14, 2016 मैह्नदीआने

े वा

आ कर कई ददन तक वोह

कुबादननयािं स खों ने दी, ि​िंगलों में नछ

ीन मेरे ददमाग में घुमते रहे । ककतनी

कर मुगलों

े गोररला ि​िंग करते और उन

और बच् ों को छुड़ा लेते और उन को उन के घरों तक लूटमार तो करते ही थे,लेककन

े म्स्त्रयािं

हुिं ाते। िो भी हमलावर आते थे,

ाथ ही हज़ारों की तादाद में म्स्त्रओिं को

कड़ कर ले िाते थे

और उन को गज़नी के बाज़ारों में बे ा िाता था । हमारी हालत इतनी तर योग हो गई थी कक गज़नी के लोग बोली दे ने था और ब

े कतराने लगे थे क्योंकक इतने गुलामों को खाना कहािं

ुनते आ रहे थे कक हमारे लोगों को टके टके

ग्राहक इतने नहीिं थे । इस्लामी दे शों में गल ु ामों का आता, लूट कर

र बे ा िाता था क्योंकक

वया ार तो आम बात थी। िो कोई

ब कुछ ले िाता, घर खाली हो गए थे और अहमद शाह अब्दाली के ज़माने

में तो स ख आम कहा करते थे,” खािा

ीता लाहे दा, बाकी अहमद शाहे दा “, ऐ े

िो स हिं ों ने कारनामे ककए उन को स्वणद अक्षरों में सलखा िाना के ि​िंझू ब ाने की खातर गरु ु तेग बहादर िी ने ददली के

मय में

ादहए था लेककन अफ ो

कक स खों को एक दफा कफर 1984 में मारा गया और वह भी उन लोगों की तरफ इ

े दे ना

ािंदनी

े म्िन्हों

ौक में कुबादनी दी थी ।

को स आ त कहें या कुछ और लेककन बात तो वोही है कक” हमे तो अ नों ने मारा,

कक ी को ककया दोर् दे ना “, कई ददन तक मेरे ददमाग में यह बातें घूमती रहीिं। मैं

ो ता था कक कै े स खों ने इतना बड़ा खाल ा राि कायम कर सलया था, म्िन की हदें

कश्मीर और अफगाननस्तान तक

ले गई थीिं। रणिीत स हिं िी के बहादर िरनैल हरी स हिं

नलुए ने तो अफगाननस्तान में इतना खौफ बच् ों को िराती हैं कक अफगाननस्तान

ैदा कर ददया था कक अब तक वहािं माताएिं अ ने

ो िा नहीिं तो ” नलवा रगवा ” यानी नलुआ आ िाएगा। इ ी

े बाबर िै े लोग हमे लट ू ते रहे और

में गुरु नानक दे व िी ने भी भगवान

िंिाब

र कहर ढाते रहे म्ि

े रोर् करते हुए सलखा था,” एती मार

के बारे

इ, कुरलानै, तैं

की ददद नहीिं आया “, बाबर का हमला गुरु नानक दे व िी के

मय ही 1526 में हुआ था िो

इब्राहीम लोिी के खखलाफ था और गुरु नानक दे व िी को भी

कड़ कर िेल में िाल ददया

गया था और उन को लोहा ना लेता तो आि ककले

क्की

े आटा

ी ना

ड़ा था।

ो ता था कक अगर कोई मुगलों

िंिाब इस्लामी दे श होता। महारािा रणिीत स हिं ने तो िमरौि के

र भी कब्ज़ा कर सलया और दरा खैबर तक िा

हुिं ा था। अगर अूँगरे ज़ भारत में ना


आये होते, शायद अफगाननस्तान में स खों का राि होता क्योंकक लाहौर तो महारािा रणिीत स हिं की राि​िानी ही थी। आि तक राि ूत और मरहटे िै ी कौमें मुगलों को ब ाती रही थी लेककन स ख दे श में

े लड़ कर भारत

हले लोग थे, म्िन्होंने दश्ु मन के घर घु

को

ीटा था।

म्ि

का आख़री महारािा हरी स हिं था। दे श पवभािन के वक्त महारािा हरी स हिं अगर

भारत

िंिाब इतना बड़ा हो गया था कक कश्मीर भी

कर उन

े समल िाने का

म ले का एक और कम

मय में

िंकल्

िंिाब का दहस् ा बन गया था,

ले लेता तो आि कश्मीर का झगड़ा कभी ना होता। यह तो

हलू है लेककन बात तो स खों की कुबादननयों की है और उन्होंने इतने

िंिाब का इतहा

नीिंव रखी और स फद

ही बदल ददया। 1699 में गुरु गोबबिंद िी ने खाल ा

ाल बाद इ

का नतीिा,

िंथ की

खाल ा राि कायम हो गया, यह बातें

कई ददन तक मेरे ददमाग में आती रहीिं। इिंग्लैंि में कुलविंत की एक सलखा

ररवार है । हम उन के शादी

खी है िो

मारोहों

मदकार

ररवार

है । उ

के

भी उ

को अिरिं ग हो गया था। नछत्र ने बहुत वर्द अ ने

अब

ािं

छै

ड़ा

र िाते हैं और वै े भी उन का घर नज़दीक

होने के कारण हम एक द ू रे के घर िाते ही रहते हैं। कुलविंत की नत गुि ईयर फमद में अच्छी नौकरी

छोटे बच् ों की खद ु ही

े है लेककन यह

र थे लेककन उ

खी का नाम नछत्र कौर का शरीर अच्छा होते हुए

नत की बहुत

रवररश की और उन की शाददयािं की।

ेवा की थी, छोटे

नत दे व को स्वगदवा

हुए

ाल हो गए हैं लेककन अब नछत्र काम करती है , लेिीज़ के क ड़े इिंड्िआ

इध ोटद करके बे ती है , म्ि बेटे हैं और दो बेटे हमारे मदद करता है और िब

े उ ोतों के

की अच्छी आमदनी हो िाती है । उ

की बेटी के तीन

ाथ स्कूल िाते हैं। नछत्र का बेटा गुलशन मेरी बहुत

िरूरत हो, मैं उ

को ईमेल भेि दे ता हूिं और वह उ ी वक्त हाज़र

हो िाता है । वै े तो मेरा बेटा मेरा बहुत खखयाल रखता है लेककन कभी बेटे के

वक्त ना

हो तो मैं गल ु शन को बल ु ा लेता हूिं। नछत्र का एक भाई ग्लास्गो में रहता है और द ू रा इिंड्िआ में िाक्टर है । नछत्र की मािं हर वा

े इिंग्लैंि आ िाती है, छै महीने रह के

ली िाती है । नछत्र की मािं भी मेरा बहुत करती है । नछत्र का इिंड्िआ में गािंव

राग ुर है िो कुलविंत के गािंव ने नछत्र की मािं और उ म्ि

ाल इिंड्िआ

के

े दो मील दरू ही है और िीटी रोि के उ ारे

ार है । अब हम

ररवार को समलने का प्रोग्राम बनाया। हम ने नछत्र की मािं

का नाम ककशनी है को टे लीफोन कर ददया कक हम उ

वह बहुत खश ु हुई। एक ददन मैं और कुलविंत ने घर

को समलने आ रहे थे,

े टै ध ू सलया और फगवाड़े

हुिं

न ु कर कर


राग ुर के सलए ब हम ने लते

ले ली। आिे घिंटे में ही हम

ैदल ही िाना था, म्ि

राग ुर ब

स्टॉ

के सलए हम को आिा घिंटा

लना

ड़ा।

लते हम दोनों तरफ के मकानों को दे ख रहे थे, म्िन में कुछ कोठीआिं थीिं और कुछ

छोटे मकान थे लेककन लेककन इ

भी मकान बहुत अच्छे थे। इ

बस्ती में

मदकार लोग ही ज़्यादा हैं

बस्ती ने हमे बहुत प्रभापवत ककया क्योंकक िमाने के

बहुत उनती कर ली थी, कोई कम

ाथ

ड़ा सलखा, कोई ज़्यादा लेककन मकान इतहा

ककशनी का घर

हुिं

ूछते

ूछते हम घर के दरवाज़े

कर िवाब ददया,” मैं ठीक हूिं, आ िी हुई थी और फनी र बहुत

तो हमे अ ना गािंव का घर इ और उन के

े घटया लगा। दीवारों

हने हुए थी, वह कक ी ऑकफ

तरह हो ?”, हम

को बैठक कहते थे, में आ िंद ु र था और

फाई दे ख कर

र फोटो लगी हुई थीिं म्िन में नछत्र

में अच्छी नौकरी

बहुत खश ु हो कर हम को समली और कक न में की छोटी बहन रे णु भी आ गई, बहु और रे णु ने े

ाय बनाने

भय

र लगी हुई थी। आते ही

ली गई। कुछ दे र बाद नछत्र

अब हम घर की बातें करने लगे और िब तक ककशनी की

ाय बना ली और कुछ ही दे र में

ाय के

ाथ बहुत कुछ मेज़

र रख

ाय का आनिंद सलया।

कुलविंत ने ककशनी को

ाथ ले कर शॉप ग िं करनी थी और कुछ लेिीज़

िालिंिर छावनी बहुत दरू नहीिं और ककशनी को दक ु ानदारों

कक

नत की फोटो भी थी। बातें कर ही रहे थे कक ककशनी की बहू आ गई िो

माटद रै

ददया। मज़े

बन कर रह गए हैं।

कर मुझे बोला,” गुरमेल ! तू

आिंगन में दाखल हो गए थे िो काफी बड़ा था। स दटिंग रूम म्ि कर हम बैठ गए। बैठक बहुत

ब थे। कभी

गए और बैल की। दरवाज़ा नछत्र

की मािं ने ही खोला और कुलविंत को गले लगा सलया, कफर हिं ककद्दािं ! ठीक हैं ?” ,मैंने भी हिं

ाथ इन लोगों ने

ड़े सलखे

इन लोगों के घर कच् े होते थे लेककन आि तो यह

और

र उतर गए, आगे

ूट स लवाने भी थे ।

ब दक ु ानदार िानते ही थे क्योंकक इन

े ही नछत्र क ड़े मिंगवाती थी िो वह इिंग्लैंि में लोगों को बे ती थी। घर

बाहर ननकल कर हम ने एक थ्री वीलर ले सलया, रे नू भी एक बड़ी क ड़े की दक ु ान में

ले गए और कुलविंत ने

को कहा। शादी के बाद आि

हली दफा कुलविंत के

ाथ ही थी,

हले हम छावनी की

ाड्ड़यािं और कुछ अन्य क ड़े ददखाने ाथ कक ी क ड़े की दक ु ान में गया था।

यह 1995 था और िो बात मुझे है रान कर दे ने वाली थी कक िब दक ु ानदार कक ी

ाड़ी की

कीमत बी

े बड़ी

हज़ार रु ए बताता तो मैं कीमत

न ु कर ही है रान हो िाता और इ

है रानी मुझे तब होती िब ककशनी कहती कक वह तो द हज़ार

र हो िाता। मझ ु े याद नहीिं ककतने क ड़े वहािं

हज़ार दे गी और

ौदा

ौदा

न्द्रािं

े खरीदे लेककन यह याद है कक िब


भी दक ु ानदार कोई नई ाड़ी को अ ने शरीर

ाड़ी ददखाता तो एक लड़का िो दक ु ान र ल ेट का ददखाता, म्ि

र ही काम करता था वह

के अथद यह थे कक

लगेगी। औरतों में मेरा ककया काम था, मैं तो यूिं ही बोर हुआ ाड़ी वह लड़का

हन कर ददखा रहा था, तो मेरे मिंह ु

में दल् ु हन ही लगता है “, दक ु ान में इ

भी लोग हिं

हनी हुई

ाड़ी कै े

ाथ बैठा था। एक के बाद एक

े ननकल गया ,” यार तू तो इ

ड़े।

के बाद दो तीन दक ु ानों में गए और आखर में एक बबम्ल्ि​िंग की द ू री मिंम्ज़ल

गए। इ

बबम्ल्ि​िंग में औरतों के क ड़े

थी िो इ

छोटी

बैठीिं क ड़े उ

ीए िाते थे।

ाली

त ैं ाली

ी फैक्री की मालक थी और वहािं कोई द

ी रही थीिं। कुलविंत िो क ड़े इिंग्लैंि

ाड़ी

हुिं

ाल की एक महला

बारह युवा लड़ककयािं मशीन

े लाई थी, उ

को ददए और बहुत दे र तक

े गुफ्तगू करती रही और क ड़े दे कर हम बाहर आ गए। अब रे णु मझ ु े कहने लगी,”

भा िी, अब हम पवध ी में खाना खाएिंगे “, तो मैंने कहा,” भाई भूख तो मुझे भी लगी हुई है ” और हम पवध ी में कक्रस्

कहते हैं, मज़े

ढ़ रही थी। रे नू के

ले गए, वहािं

ीिे के

े खाया और कोक

ाथ च प्

ी कर

खाये म्िन को इिंड्िया में शायद

िंतुष्ट हो गए। रे णु उ

वक्त बीए

ी में

ाथ यह मुलाक़ात भी एक यादगार ही रहे गी। हम दोनों ने इतनी बातें

कीिं कक रे नू अभी तक इन बातों को भूली नहीिं, यह बातें हर टॉप क

र थीिं, म्िन में इतहा

अथदशास्तर और स आ त थी। रे नू अब अ ने

नत

के

ाथ अमरीका में रहती है , उ

लगा हुआ है और िब भी नशतर या उ

का

नत एक

ीननयर

ोस्ट

की माूँ को रे नू का टे लीफोन आता है तो मेरा

छ ू ती है और नशतर की माूँ िब भी मझ ु े समलने हमारे घर आती है तो कहती है ,” गरु मेल ! रे नू तुझे बहुत याद करती है “,पवध ी

े बाहर आ कर हम ने अब ब

कड़ ली और ब

में

भी हम ने इतनी बातें की कक घर तक हमारी बातें खत्म नहीिं हुईं। घर आए तो ककशनी के ोता

ोती भी स्कूल

े आ गए थे।

बच् े कक ी इिंम्ग्लश स्कूल में

ोती के काटे हुए बाल उ

ड़ते थे और बहुत

को

माटद दीख रहे थे। बातें करने लगे और

कुछ दे र बाद नशतर का छोटा भाई भी आ गया िो कक ी गािंव में था। इ

लड़के ने मेरी बहुत मदद की, मेरे बहुत

ुिंदर बना रहे थे, यह रकारी िाक्टर लगा हुआ

े काम थे और वह मुझे मोटर बाइक

बबठा के हर िगह ले िाता था। नछत्र को रू यों की िरुरत होती थी तो वह हमें टे लीफोन कर दे ती थी और हम नछत्र के भाई को टे लीफोन कर दे ते कक वह आये और वह हमारे घर आता और

ै े ले िाता।

ै े ले िाए।


कुछ दे र बातें करने के बाद हम िाने के सलए तैयार हो गए क्योंकक शाम होने को थी। नछत्र की माूँ और बहन रे नू ब और एक ब

दरू

स्टॉ

र हमारे

ढ़ना हमारे सलए अब ाएिंगे, तो मन ड़क

बाद

गए। अूँिेरा हो ता

हले

राइवर ब

हले हम खझझकते रहते थे और ब

ख्त करके हम ने शुरू कर ददया। ब

कभी कभी तो ऐ ा लगता िै े ब हुूँ

िब आई तो काफी

ढ़ते नहीिं थे लेककन िब दे खा कक ऐ े तो हम कभी ब

र खड़े होते ब

आती थी

ढ़ गए और खड़े हो गए। इतनी भीड़ में ब

िाहरन बात हो गई थी।

में इतनी भीड़ दे ख कर लोग

र हर समिंट बाद ब

े आती दे ख हम ने दोनों को बाई बाई कह ददया। ब

भरी हुई थी, लोग खड़े थे लेककन हम

नहीिं

ाथ आईं, िीटी

िीटी रोि

ढ़ ही

लने लगी। यहािं

को खड़ी कर दे ता और कुछ और लोग

ढ़ िाते।

ब्लैक होल ऑफ कैलकटा हो। आिे घिंटे में हम फगवाड़े

क् ु का था और गाूँव के सलए कोई रािं

ोटद समल नहीिं रही थी। कुछ दे र

ला कक अब आख़री टै ध ू िाने वाला था। दे खते ही दे खते यह टै ध ू भर गया,

कुलविंत टै ध ू के भीतर बैठ गई लेककन मुझे

ीट समली राइवर के

ाथ, यहािं

हले ही एक

आदमी बैठा हुआ था। इतनी मुम्श्कल

े मैं बैठा था कक यह भी मुझे कभी भूलेगा नहीिं। टै ध ू

था िै े दे श पवभािन के वक्त लोग रे न के ऊ र बैठे थे और इ

तरह भरा हुआ

े बुरी बात यह थी कक

टै ध ू की कोई लाइट काम नहीिं कर रही थी। िब टै ध ू

ला तो िीटी रोि और होसशआर

रोि तक तो

े रौशनी आ रही थी लेककन यिंू ही

लाही रोि

ड़क के दोनों ओर तो बबिली के खधभों र टै ध ू िाने लगा तो

ड़क

रु

र बबलकुल अन्िेरा था। मैं भी तो िराइवर के

ाथ ही बैठा था, िब मुझे कुछ भी ददखाई नहीिं दे रहा था तो उ े कै े ददखाई दे रहा होगा। आगे

े िब भी कोई रक्क आता, उ

की रौशनी हमारे मुिंह

और मेरा शरीर कािं ने लगता कक भगवान ् करे हम घर हर रोज़

ता नहीिं ककतनी दफा आता िाता होगा और उ

होगा लेककन हम कहाूँ

र थे, ऐ ा

ले आते। मैंने कहा,” यार

है

िाएूँ। राइवर तो इ को

ता

ीते

ला कक

हुूँ

ाय बनाओ, कफर इ

बता दे ना

ता

र ब

स्टैंि

रमिीत और ननमदल ादहए था और वह हमें

फर का वणदन करू​ूँगा “.

ीते बातें करने लगे। मैंने कहा,” इ ी सलए तो ब ों

त गरु तेरी ओट, यानन अ नी ओर

ता नहीिं लग रहा था कक

गए थे। घर आये तो

छ ू ने लगे कक हम को

ड़क

ड़क के हर दहस् े का

फर हम ने म्ज़िंदगी में कभी नहीिं ककया था। राणी

भी हमारा इिंतज़ार कर रहे थे। वे

ाय

ढ़ कर हमें अिंिे कर दे ती

बताऊूँ मुझे बहुत िर लग रहा था। हमें कुछ भी

िब टै ध ू खड़ा हुआ तो हमें

कफर हम

हुूँ

र सलखा हुआ होता

े हम कोई क र नहीिं छोड़ते मौत के मिंह ु में िाने


की, ब

भगवान ् ही हमें ब ाता है “, इ

लगे। एक दफा मुिंबई में ब्रेक फेल होते ब गए थे। बातें करते करते हम श

करते रहे ,

अिीब बाते लड़की के मेरे

भी हिं ने लगे। दे र रात तक हम बातें करने

गए थे और आि इ

टै ध ू में शहीदी दे ने

ो गए। एक दो ददन हम ने आराम ककया,

िदरी में बैठे गप्

िदरी में कुछ लोग ऐ े भी आ िाते थे म्िन को मैं िानता था। अिीब न ु ी िो मैं कक ी कारणवश सलख नहीिं

धबन्िों के कारण लड़कों को वह

कता, ब

यह ही कहूिंगा कक लड़के

िा दी गई थी िो नघरनत कहने के स वाए

उच त शब्द नहीिं हैं। ज़माना ककतना आगे ननकल गया था और यह लोग वही​ीँ खड़े

थे। कहने को यह लोग बहुत िमी थे, रोज़ गुदद आ ु रे के लाऊि स् ीकर और

ाठ

न ु ते लेककन इन के काम इतने बरु े होते कक

ददन बीत रहे थे और

भी काम खत्म हो रहे थे। एक ददन हम तलहन

में लाने की कोसशश करता हू​ूँ। आि भी मैं उ था म्ि

े यह लोग उठ िाते

ारे गाूँव में इन की बेइज़ती होती।

ारा ददन वहािं गुज़ार ददया। िब भी मैं तलहन िाता हू​ूँ, मैं उन

ले गए थे और

ुराने ददनों की तस्वीर मन

िगह को मन में लाने की कोसशश कर रहा

र अब यह बबम्ल्ि​िंग बनी हुई थी। कभी बक्ष ृ ही बक्ष ृ होते थे और इन के नी े बैठ

कर लोग लिंगर छका करते थे और आि आसलशान बबम्ल्ि​िंग बनी हुई थी। यह भी कक अब इ

गुदद आ ु रे का प्रबिंि करने के सलए गाूँव की

मदकार हैं और कुछ द ु री िातों

तलहन

े आ कर कुछ ददन फगवाड़े शॉप ग िं की और कफर वा

कर ली। एक ददन

ुबह

समिंट में टायर

हुआ था।

ुसल

हिं

ता नहीिं हम कक

वाला आ कर अिीब अिीब

ख्त है और उ

ने

ुसल

ड़े और वह स

ाही झें

वाले

र थे कक आगे

े कुछ ऐ ी बातें कीिं कक उ

ुसल

का नाका लगा

का िवाब

ुन कर हम

ा गया और कहने लगा,” िाओ िी िाओ “, हम

अमत ृ र एअर ोटद

हुिं े तो गमी लग रही थी। गाड़ी

भी ड़े

े हूँ ते रहे । अब लौ होने लगी थी और िब रािा ािं ी

वाले लोगों की लाइन लगी हुई थी और हम भी इ ा

न्द्रािं

ूछने लगा। मेरा छोटा भतीिा काफी

बात

हम

आने की तयारी

ड़े।

िगह वाल

इिंग्लैंि

ेअर टायर ननकाल सलया और

और काफी दे र तक इ र

के कुछ

ल ददए। बातें करते िा रहे कक िालिंिर

िं र हो गया। ननमदल ने

ें ि कर सलया और आगे

अभी भी अूँिेरा ही था और

ला

के। समल िल ु कर बहुत अच्छा प्रबिंि कर रहे हैं।

ार विे हम एअर ोटद को

े कुछ आगे िा कर टायर

ता

िं ायत काम कर रही है म्ि

मैधबर

बी

े ब

े ननकले तो दे खा िहाज़

र िाने

लाइन में शरीक हो गए। आिे घिंटे में ही

ोटद ददखा कर एअर ोटद की पप्रसम ि में दाखल हो गए। ननमदल को हम ने हाथ


ददखा का बाई बाई कह ददया था और कुछ घिंटे एअर ोटद की फॉमैसलटी के बाद िहाज़ में बैठ कर अ ने दे श इिंग्लैंि की ओर उड़ रहे थे। लता…


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