मेरी कहानी - गुरमेल सिंह भमरा - भाग 9

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मेरी कहानी - 9

गरु मेल स हिं भमरा की आत्मकथा का नवा​ाँ भाग (एपि ोड 169 – 201) िंग्रहकर्त्ा​ा एविं प्रस्तत ु कर्त्ा​ा लीला ततवानी


मेरी कहानी - 169 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन September 29, 2016 बसमिंघम

े लुक् र कोई छै घिंटे का

फर था। यह वक्त खाने पीने और मैगज़ीन अखबार

पढ़ने में ऐ े बीता कक पता ही नहीिं चला, कब हम इजिप्ट लुक् र एअरपोटट पर पहु​ुँच गए लेककन िब पहुिंचे तो शाम का वक्त था। एअरपोटट पर पहु​ुँचते ही मन खश ु हो गया क्योंकक हमारे

र पर पगड़ीआिं दे ख कर िो भी इजिजप्शयन हमारे आगे आता, कहता इिंडियन ?

असमताभचन ? दलीप कुमार ?, जिधर

े भी कोई आता, दे ख कर ही खश ु हो कर समलता।

वीज़ा हम ने एअरपोटट पर ही लेना था जि बनते थे।

ब गोरे द

की फी

पाउिं ि थी िो इजिजप्शयन

पाउिं ि दे कर वीज़े की स्टै म्प लगवा रहे थे। िब मैं और ि विंत

आये तो खखड़की पर क्लकट पहले तो खश ु हो कर समला और कफर िब हम ने द उ

ौ पाउिं ि

पाउिं ि

को ददए तो वोह बोला, ” है लो इिंडियन ब्रदर ! वैलकम टू अवर किंट्री “, और कफर उ

ि विंत और मुझ को पचा है रान हुए तो वोह

पचा

इजिजप्शयन पाउिं ि हमें वाप

ने

कर ददए। िब हम कुछ

मझ कर बोला,” इिंडियिंज़ आर अवर ब्रदज़ट। मेरे पा

कैमकॉिटर था, िब

मैंने डिक्लेअर करना चाहा तो एक और इजिजप्शयन िो एअरपोटट अफ र ही होगा, उ

ने

मेरे पा पोटट पर इजिजप्शयन भाषा में कुछ सलख ददया और no problem brother कह कर मुझे मुस्कराया। िब हम बाहर आये तो मैंने ि विंत को कहा, ” हमारे पा पोटट तो ब्रब्रदटश हैं, कफर यह

ब कै े िानते होंगे कक हम इिंडियन हैं “, ि विंत बोला, ” इ

है कक इिंडिया और इजिप्ट के

म्बन्ध बहुत अच्छे हैं “, कफर मेरे ज़हन में एक पुरानी बात

आ गई, िब सशरी िवाहर लाल नेहरू प्रेजज़िेंट ना र होती थी कक नेहरू ने ही ना र को िब ना र ने नहर

एअरपोटट

े समले थे और तब एक आम बात

ए ु ि नहर का कौसमकरण करने का मशवरा ददया था।

ुएि को nationlize ककया था अिंग्रेिों ने लड़ाई छे ड़ दी थी लेककन बाद

में यह लड़ाई बन्द हो गई थी, जि भारत का दोस्त ही

े िाहर होता

के बारे में मुझे कुछ पता नहीिं। इ

के बाद इजिप्ट

मझ िाता रहा है ।

े बाहर ननकले तो आगे थॉम न हॉसलिे वालों का रीप्रीज़ेन्टे दटव खड़ा था, जि

के

हाथ में एक रे जिस्टर था और हमें कोच की तरफ इछारा कर रहा था िो हमारी क्रूज़ बोट को िानी थी। इजिजप्शयन कुली हमारे

ूटके , कोच में रखने लगे। िब कोच भर गई तो उ

ने

ारे याब्रियों की सलस्ट चैक की और कोच ड्राइवर को चलने के सलए बोल ददया। हमारे इदट गगदट इजिजप्शयन लोग घूम रहे थे जिन्होंने गले

े लेकर घुटनों तक एक लिंबी कमीि पहनी


हुई थी जि थी, जि

को इज्प्शन गैलाबाया बोलते हैं और उन के

को वोह अपने

रों पर दो अढ़ाई गज़ की पगड़ी

रों पर ऐ े बाुँध लेते हैं, िै े इिंडिया में

बाुँधते हैं। जस्ियािं भी इ ी तरह की ड्रै

रों पर छोटा

ब औरतों के मिंह ु निंगे थे। कोच

चल पड़ी और हम इदट गगदट खिरू ों के ऊिंचे ऊिंचे पेड़ दे ख रहे थे िो

ड़कों के दोनों तरफ कहीिं

ड़कें बहुत अनछ थीिं और इन के दोनों तरफ बड़े बड़े होटल ददखाई दे रहे

थे। कहीिं कहीिं टाुँगे ददखाई दे रहे थे िो बघी िै े लगते थे और इिंडिया के टािंगों बेहतर थे और घोड़े ख़ा

कर बहुत तगड़े थे । लुक् र शहर बहुत

े कहीिं

ुन्दर ददखाई दे रहा था।

ज़्यादा वक्त नहीिं लगा, िब हम दररयाए नील के नज़दीक आ गए। दररयाए नील काफी नीचे था। ककनारे पर पक्की

ीिीआिं थीिं। अपने

पहु​ुँच कर दे खा हमारी क्रूज़ बोट हमारे इ

ूटके

ड़क

सलए हम नीचे आने लगे। नीचे

ामने थी। एक एक करके

बोट में दाखल होने लगे। यह बोट बाहर

भी बड़े

े दरवाज़े में

े ही बोट लगती थी लेककन िब हम इ

दाखल हुए तो लगा िै े हम बहुत बड़े होटल में आ गए हों। हमारे था जि

ाफा

िो गैलाबाया िै ी ही होती है , पहनें हुए थीिं लेककन

अभी तक हम ने कक ी को बरु का पहने हुए नहीिं दे खा था, कहीिं दीख रहे थे।

में

ामने ही गोल काउिं टर

पर एक यव ु ा इजिजप्शयन गचटी कमीि और बौ टाई में खड़ा था। एक एक करके

भी उ

को पा पोटट और दटकटें दे ने लगे और वोह निंबर लगे हुए बॉक् ों में रख कर चाबी

ददए िाता और एक इजिजप्शयन उन को उनके रूम की तरफ ले िाता। इ ी तरह हम ने भी अपनी चाबी ली और एक लड़के के

ाथ अपने कमरे के नज़दीक आ गए। उ

लड़के ने रूम

के दरवाज़े का ताला खोल कर हमें

ारा रूम ददखा ददया और चाबी हमें पकड़ा दी। रूम कोई

इतना बड़ा नहीिं था लेककन हम दोनों के सलए काफी था। एक तरफ खखड़की थी जि ही शीशा था। इ

कमरे में शावर रूम और

ाथ ही टॉयलेट रूम था। टे बल पर एक टे लीफोन

रखा हुआ था। दो स ग िं ल बैि पिी थीिं, जिन पर कपड़ों के सलए छोटी

ी वािट रोब थी। छोटा

में एक

ुन्दर बैि शीट्

ा कि​ि था जि

और तककये थे। पा में पानी, कुछ

ही

ॉफ्ट डड्रिंक की

बोतलें रखी थीिं और एक तरफ प्लाजस्टक के कप रखे हुए थे। कहने की बात नहीिं, यह कमरा हमारे सलए काफी था। अपने कपिे हम ने

ैट ककये, कुछ समिंट बैि पर लेटे लेटे बातें करने लगे। ि विंत बोला,”

अब बाहर चलते हैं “, हम ने कमरे का ताला लगाया और बाहर हाल में आ गए। थी, जि बोतलें बड़े

के आगे काउिं टर था, जि लीके

पीछे खड़ा था। जि

ामने बार

के पीछे सभन सभन प्रकार की बीअर और वाइन की

िाई हुई थीिं। एक इजिजप्शयन लड़का स्माटट ड्रै को भी कक ी डड्रिंक की िरुरत होती, वोह खद ु ही उ

पहने हुए काउिं टर के लड़के

े ले


आता। अगर कक ी को टे बल पर ही िरुरत होती तो एक और लड़का वहािं ही उ आता और ककताब उ

ाथ ही उन का रूम निंबर और नाम सलख के ले िाता। इन पै ों का दह ाब ददन करना था, जि

ददन इ

क्रूज़ रै स्टोरैंट

के इदट गगदट बैठे बातें कर रहे थे और उन के िािं

े चले िाना था। कुछ लोग टे बलों

ामने बीर के ग्ला

पड़े थे। कुछ दरू ी पर एक

फ्लोर बनी हुई थी, एक तरफ बड़े बड़े स्पीकर और माइक्रोफोन स्टैंि रखे हुए थे। यह

छोटा

ा हाल बहुत बदढ़या लग रहा था।

ौ दो

ौ लोगों के सलए यह काफी लग रहा था।

िब मैं और ि विंत बाहर िाने लगे तो दरवाज़े पर एक आदमी खड़ा था, उ पा

को डड्रिंक दे

दे ददए िो वाप

हम को िल्दी वाप पक्की

आने पर उ

को

ौंप दे ने थे। 9 बिे खाना

ने हम को

वट करना था, इ

सलए

आना भी था। बहुत गोरे पहले ही बाहर िा चक् ु के थे। बाहर आ कर हम

ीड़ीआिं चढ़ने लगे। कोई पिंदरािं बी

लगा। एक तो रात का

स्टै प ही थे। ऊपर आये तो नज़ारा बहुत बड़ीआ

मय, द ू रे लाइटें और ती रे

था। फुटपाथ होगा कोई पिंदरािं फ़ीट चौड़ा और पा

फाई, नज़ारा बहुत

ही

ड़क थी, जि

और कभी कभी कोई तािंगा िा रहा था। आगे गए तो इ

ुन्दर लग रहा

पर कोई कोई कार

फुटपाथ के कुछ नीचे दक ु ाने थीिं

जिन पर पहु​ुँचने के सलए एक रैंप िै ा फुटपाथ बना हुआ था, ज़्यादा तर यह दक ु ाने छोटी छोटी बीअर बार या मीट मछली की ही थीिं और लोग बैठे इन खानों का लुत्फ ले रहे थे। वक्त हमारे पा वाप

ज़्यादा नहीिं था क्योंकक हम ने

पर भी लेना था, इ

आ गए और अपनी क्रूज़ बोट comodore में वाप

सलए हम िल्दी

आ गए। लोग िाइननिंग हाल में

िा रहे थे, हम भी लाइन में लग गए। टे बलों पर नाम सलखे हुए थे। एक टे बल पर एक गोरी बदु ढ़या और उ

की बेटी िो होगी कोई चाली

ीटें थीिं। है लो है लो हुई लेककन कोई ख़ा

वषट की, बैठ िं थीिं। उन के

ामने ही हमारी

बात नहीिं हुई।

भी वेटर यव ु ा और स्माटट ली ड्रैस्ि थे और हर कोई बौ नैकटाई में था। कुछ ही समनटों में उन्होंने हर एक के आगे

प ू के बाउल रख ददए।

र्वट

ूप ख़तम होता, उ ी वक्त एक लड़का आता और खाली िाता। इ

का भी

ूप बाउल और स्पून उठा कर ले

के बाद िल्दी ही मेन को ट आ िाता। यूिं ही मेन को ट की प्लेट खाली होती,

उ ी वक्त कोई उठा कर ले िाता। िब ब लोग बातें करने लगते और नैपककन उ

इतनी क़ुइक थी कक जि

बदु ढ़या और उ

की बेटी

ब लोग खा लेते तो स्वीट का बाउल आ िाता। े हाथ

े हमारी कोई खा

ाफ़ करके िब मज़ी उठ िाते। पहले ददन बात नहीिं हुई। अब हर रोज़ ददन में तीन

दफा खाने के वक्त यही टे बल हम चारों के सलए था। लोग उठ उठ कर हाल में िाने लगे थे। गोरे लोग अक् र खाने के बाद डड्रिंक करते हैं, चाहे एक डड्रिंक लें या ज़्यादा लेककन हम


इिंडियन पाककस्तानी खाने

े पहले डड्रिंक लेते हैं। मैं और ि विंत कोई ज़्यादा पीने के आदी

तो नहीिं थे, कफर भी हम खाने के बाद डड्रिंक ब्रबलकुल नहीिं लेते थे। कुछ वेटर लड़के हाथ में नॉट बुक सलए घूम रहे होते थे और िो भी कक ी को िरुरत होती, वोह सलख कर ले िाता और ला कर उ में उ

के आगे रख दे ता। हम ने दो काफी के कप्प आिटर कर ददए। कुछ समनटों

ने काफी के बड़े बड़े कप हमारे आगे रख ददए और हम बातें करने लगे। बहुत दे र

रात तक हम बैठे बातें करते रहे और आखर में हम अपने कमरे में आ कर थॉम न हॉसलिे वालों का एक ब्लैक बोिट रखा हुआ था, जि सलखा हुआ होता था।

ो गए। हाल में

पर द ू रे ददन का पूरा प्रोग्राम

ुबह आठ बिे ब्रेकफास्ट होता था और 9 बिे कोच में बैठ कर कोई

न कोई मौनम ैं दे खने िाना होता था, दप ू ट ु हर को वाप

बोट में आ कर लिंच होता था, इ

के बाद कफर कहीिं ना कहीिं ले िाते थे। तकरीबन चार बिे चाय का वक्त होता था, वाप कर हम ऊपर के िैक पर आ िाते, जि

पर एक बड़ा हाल िै ा कमरा था और इ

के

ामने खल ट ािं रखी होती थीिं िो जस्वसमिंग पूल ु े में धप ु का मज़ा लेने के सलए बड़ी बड़ी कुस य के इदट गगदट होती थीिं। मौ म ऐ ा था कक ना ज़्यादा गमी और ना ही ठिं ि। इ के पै े दे ने होते थे। चाय के वोह

वक्त चाय

ाथ ब्रबजस्कट या केक होते थे। िो भी कोई आिटर दे ता, वेटर

ब सलख कर ले िाता। कुछ लोग जस्वसमिंग पूल में नहाने भी लगते लेककन जस्वसमिंग

पूल ना ज़्यादा बड़ा था और ना ही छोटा लेककन बहुत अच्छा था। चाय के वक्त कोई बाहर घूमने ननकल िाता था और कुछ गोरे बार में बैठ िाते थे। मैं और ि विंत हर रोज़ चाय के बाद घूमने ननकल िाते थे। बाहर घूमने का भी बहुत मज़ा होता था, स फट एक ही बात अनछ नहीिं थी । िै े इिंडिया में कुछ न कुछ बेचने वाले पीछे पढ़ िाते हैं, इ ी तरह यहािं भी लड़के लड़ककयािं, कई तो बहुत ही छोटे छोटे कुछ बेचने के सलए पीछे पढ़ िाते थे। उन को जितना मज़ी इनकार करो, वोह आधा आधा ककलोमीटर तक

ाथ

ाथ चलते रहते थे। कई लोग तिंग आ कर कुछ ना कुछ खरीद लेते थे। ज़्यादा तर यह लोग छोटे छोटे इजिजप्शयन फैरो उन की राननयािं और इजिजप्शयन मम्मीज़ के बुत्त बेचते थे या पपाय ट के ऊपर पुराने बादशाहों की पें दटिंग्ि होती थी। यह पपाय ट पुराने ज़माने में पेपर होता था िो दररया नील के ककनारों पर उगे हुए ऊिंचे ऊिंचे इ

का ककया नाम था, मझ ु े याद नहीिं। इ

रकिंिे िै े घा

े बनता था।

के इलावा कजततयों वाले लोग भी बहुत पीछे पढ़

िाते थे और आते ही बोलते, you want फ्लक ू ा ?, कतती को इज्पट में फ्लक ू ा बोलते हैं। यह कजततयाुँ कोई बड़ी, कोई छोटी दररया नील में े चलाते थे। यह कजततयाुँ द

ैर करने के सलए थीिं। यह कजततयाुँ चप्पू

मील दरू िाती थीिं। नील का पानी बहुत शािंत होता था


और इन कजततयों में

ैर करना भी मज़ेदार होता था। एक बात हम बहुत ददलचस्पी

करते थे। िब शाम के वक्त हम फुटपाथ पर घूमने िाया करते थे तो कहीिं दरू

े दे खा

े हज़ारों की

तादाद में गचडड़यों िै े पररिंदे बक्ष ृ ों के ऊपर आ कर चूिं चूिं करते शोर मचाते, बक्ष ृ की शाखों पर बैठ िाते और कफर एक दम हो। इ

के बाद बक्ष ृ

थे। यह हमें

ब चप ु हो िाते िै े कक ी ने चप ु रहने का ऑिटर ददया

े कोईं आवाज़ नहीिं आती थे। यह नज़ारा हम हर रोज़ शाम को दे खते

ूझा ही नहीिं कक कक ी इजिजप्शयन

े पूछें कक इन पक्षक्षयों का ककया नाम था

और इन के अचानक चप ु हो िाने का ककया राज़ था। चलता…


मेरी कहानी - 170 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 03, 2016 ुबह उठ कर तैयार हुए और ब्रेकफास्ट के सलए िाइननिंग रूम में आ गए। ब्रेकफास्ट हमेशा ैल्फ

र्वट

ही होती थी। हर कोई प्लेट हाथ में ले कर अपनी प िंद के खाने उ

िाता था । तरह तरह के

ीररयल, बनज़, ब्रैि ऐिंि बटर, िइ ु

में िाले

और इतने खाने होते थे कक

ोचना मुजतकल होता था कक क्या लें , क्या छोड़ें। अिंिे उ ी वक्त हर कक ी की प िंद के िाई करते थे। बहुत

े म ाले रखे होते थे और हम उ

शैफ के कप्प में अपनी मज़ी के म ाले

िाल दे ते और वोह शैफ अिंिे तोड़ कर कप्प में िाल दे ता और उ

को अनछ तरह फैंट कर बड़े

े तवे पर िाल कर एक समिंट में िाई करके प्लेट में िाल दे ता। हर खाने की भरी ट्रे में थोह्ड़ा थोह्ड़ा भी हम लेते, प्लेट ऊपर तक भर िाती। इतना खा तो हम

े होता नहीिं था

लेककन खाने इतने मज़ेदार होते थे, कक कुछ भी छोड़ने को ददल मानता नहीिं था। यह हमारा नहीिं,

भ का हाल यही होता था। िब हम अपने टे बल पर आये तो

बुदढ़या और उ

ामने वाली गोरी

की बेटी की प्लेटें भी हमारी तरह ऊपर तक भरी हुई थी । एक द ू रे की

प्लेटें दे ख कर हम

ब हिं

शायद अनीता था, हिं

पड़े। गोरी बदु ढ़या की लड़की, जि

का नाम मुझे भल ू गया है ,

कर बोली,” i wanted to taste everything ! “, वोह खाये िा रही

थी और लवली लवली कहे िा रही थी। अब हम बातें करने लगे थे। लड़की की कलाई पर दहिंदी में अननत्य सलखा हुआ था । ब

यही

े हमारी बातें शुरू हो गईं और हर रोज़ िब भी

टे बल पर बैठते, बातें होती रहतीिं। ब्रेकफास्ट ले कर 9 बिे हम क्रूज़ बोट िाती थीिं। ऊपर थी। उ

े बाहर आने लगे। आगे पत्थर की

ड़क पर पहुिंचे तो कोच तैयार थी। आि हमारे

ीड़ीआिं ऊपर को

ाथ हमारी गाइि आईशा

ने दहिाब पहना हुआ था लेककन िीन की ट्राउज़र पहने हुए थी और स गरे ट पी रही

थी, कपिे ब्रबलकुल कैिअ ु ल थे। िब

ब कोच में बैठ गए, आइशा ने अपना पररचय ददया। ”

लेिीज़ ऐिंि िैंटलमेन, मैं आप की गाइि हूुँ, मैं कालि में दहस्ट्री की टीचर थी और अब मैंने यह गाइि का काम शुरू ककया है क्योंकक मैं इ को वैली ऑफ दी ककिंग्ज़ की और ले िाउिं गी, जि

को बहुत एन्िॉय करती हूुँ, आि मैं आप के बारे में आप

ब को मालूम ही होगा

“, इ

के बाद वोह बैठ गई। अब वक्त था लुक् र शहर दे खने का और यह शहर बहुत

और

न् ु दर ददखाई दे रहा था। अरबी लोग इधर उधर आ िा रहे थे िो घुटनों तक लिंबे

गैलाबाया पहने हुए थे,

र पर छोटी

ी पगड़ी िो ब्रबलकुल

ाफ़

ाधाहरण ही सलपटी हुई थी, इन


में कोई ख़ा

फैशन नहीिं था िै े स ख लोग पगड़ी पहनते हैं । दे खने को तो इजिजप्शयन

हमारे िै े ही थे,लेककन ज़्यादा तर

ब स फट गैलाबाया ही पहने हुए थे। कोई बी

समिंट बाद

कोच एक िगह आ कर खड़ी हो गई और एक तरफ बहुत ही बड़े दो बुत्त ददखाई दे रहे थे। यह बहुत ही भारी और कोई बी ज़मीन

पची

े ननकालते वक्त टूट गए होंगे।

लेने लगा और मैं भी अपने कैमकॉिटर

फ़ीट ऊिंचे होंगे। कुछ कुछ टूटे हुए थे िो शायद इन्हें ब लोग इन की फोटो लेने लगे, ि विंत भी फोटो े इ

की मूवी बनाने लगा। आइशा ने बताया कक यह

बुत्त बादशाह ऐमन हौनतप ती रे के थे। यह कौन बादशाह था, इ था। द

का हमें कोई पता नहीिं

पिंदरािं समिंट के बाद हम कफर कोच में बैठ गए और कोच आगे चलने लगी। आगे

पत्थर के बड़े बड़े चटान शरू ु हो गए और चढ़ाई भी।

ड़क के दोनों तरफ ब

पत्थर ही

पत्थर ददखाई दे ने लगा। यह ब्रबलकुल ऐ ा था िै े अि​िंता और एलोरा केव्ज़ की बड़ी बड़ी चटाने हैं और इन पत्थरों को काट कर केव्ज़

ी बनी हुई ददखाई दे ने लगीिं। काफी चढ़ाई चढ़

कर एक िगह कोच खड़ी हो गई, यह पाककिंग एररया था और यहािं बहुत कोच में इ

े ननकल कर हम बाहर एक िगह

ी दक ु ाने भी थीिं।

ब इकठे हो गए। अब आइशा ने बताया कक

एररए को वैली ऑफ दी ककिंग्ज़ बोलते हैं। हर बादशाह की मत ृ ु के बाद उन की अपनी

केव बनाई िाती थी, जि छतों पर उ

में उन का अपना ही टूम्ब होता था। इ

का कुछ इनतहा

सलखा िाता था, इनतहा

के

ीन के मुताब्रबक पें दटिंग्ि बनाई

िाती थी िै े आि कल स्लाइि बनाते हैं। िो कोई बादशाह, उ था, उ ी तरह का

ीन बनाया िाता था और

ाथ में उ

टूम्ब की दीवारों और की रानी या

वेन्ट बोलता

वक्त की इजिजप्शयन भाषा में

सलखा भी िाता था कक वोह क्या कह रहे थे। हर टूम्ब को िाने के सलए दटकट की िरूरत थी लेककन हमारे दटकट आइशा के पा

होते थे

जिन की कीमत हम ने अपनी हॉसलिे पैकेि में ही अदा कर दी थी। दरू तक नज़र

े दे ख

कर मालम ु हो गया कक यहािं टूम्ब बहुत थे क्योंकक उन के मख ु दआ ु र ददखाई दे रहे थे, इ ी सलए ही तो इ

का नाम वैली ऑफ दी ककिंग्

था क्योंकक यह

भी टूम्ब बादशाहों का

कबरस्तान ही तो था। दरू तक दे ख कर यह ब्रबलकुल अि​िंता एलोरा केव्ज़ की तरह ही ददखाई दे ता था। आइशा ने दटकट गेट कीपर को ददए और हम टूम्ब के भीतर दाखल होने लगे। िै े ही हम ने दीवारों और छत पर नज़र दौड़ाई तो दे ख कर ही अचिंब्रबत रह गए। ब्रबलकुल वोह ही था िो हम टीवी िाकूमैंटरी में दे खा करते थे। दे खने

भ तरफ पें दटिंग्ि ही पें दटिंग्ि थीिं, जिन को

े पता चल िाता था कक इन तस्वीरों के िररये उ

मय का इनतहा

बताया िा

रहा था। इजिजप्शयन भाषा हर तस्वीर पर सलखी हुई थी, जिन के बारे में आयशा ने बताया


था कक बहुत हद तक यह भाषा पढ़ी िा चक् ु की है । इन तस्वीरों को दे ख कर ही पता चल िाता था कक आप

में कोई बात चीत चल रही है या कक ी को हुकम

ुनाया िा रहा था,

ककया बात चीत हो रही थी, यह सलखा हुआ था। स फट एक बात की मुझे शिंका थी कक यह िो लोगों के

रों पर घोड़े या अन्य िानवरों के मास्क

आइशा ने बताया था कक उ दे वते को वोह मानते थे, उ

मय लोग बहुत

े पहने हुए थे, यह ककया था।

े दे वी दे वताओिं को मानते थे और जि

का ही मास्क पहन लेते थे। उन का र्वशवा

था कक ऐ ा करने

े वोह दे वी दे वता उन की रक्षा करे गा। िै े िै े हम आगे चलते गये आगे ढलान ही ढलान थी। बनी हुई थी। यहािं फोटो नहीिं ले होगा कोई पची

कते थे। दे खते चलते हुए हम एक रूम में पहु​ुँच गए िो

फ़ीट लिंबा और इतना ही चौड़ा। इ

बना हुआ था िो ऊपर

े एक पत्थर के ढकन

आदमी की शक्ल में बना हुआ था और इ होता था लेककन अब यह बॉक्

बताया कक बादशाह के इ ी कमरे में उ उ

े बन्द ककया हुआ था। यह बॉक् बॉक्

का

े पें दटिंग की हुई थी और कुछ

के बीच ही फैरो के शरीर का एक और

ारा खज़ाना रखा िाता था। िै े आि कारें हैं, ोने चािंदी के होते थे। उ

थी कक िो भी चीज़ बादशाह के सलए बहुत कीमती

मझी िाती थी, उ

ही रख ददया िाता था। उन का र्वशवा

यह चीज़ें उन को उ

एक

ननकाल कर मयूजज़यम में रखे हुए हैं। आइशा ने

मय रथ होते थे और बादशाहों के रथ

कौकफन के पा

के बीच बहुत भारी पत्थर का बॉक्

पर कई रिं गों

सलखा हुआ भी था। आइशा ने बताया कक इ बॉक्

ेफ्टी के सलए लकड़ी की रे सलिंग

वक्त यह र्वचारधारा को बादशाह के

होता था कक उन के मरने के बाद

दनु नआिं में समल िाएिंगी यहािं उन्होंने मर कर िाना था। बादशाहों के

द ू रे रा्यों पर हमले तो होते ही रहते थे, और बादशाह लोग यह ख़ज़ाने लूट कर ले भी िाते थे, इ

सलए इन्हीिं केव्ज़ में

के सलए बनाई िाती थीिं और इ चलता था। इन्हीिं कमरों में

े और भी केव बनाई िाती थीिं, िो दतु मन को धोखा दे ने को ऐ े बन्द ककया िाता था की कक ी को पता भी नहीिं

े और भी कई गुपत रास्ते बनाये िाते थे और बाद में बन्द कर

ददए िाते थे। कहने की बात नहीिं, यह पहली ही केव दे ख कर हम अचिंब्रबत रह गए। पिंदरािं समिंट बाद हम बाहर आ गए क्योंकक केव्ज़ तो अभी बहुत रहती थीिं। िब बाहर आये तो अनीता ने आइशा पे

वाल ककया कक इन केव्ज़ को बनाया कै े गया होगा, तो आइशा

बोलने लगी कक यह

ारा पहाड़ पत्थर का एक ही टुकड़ा है । िब भी कोई केव बननी शुरू

होती थी तो कारीगर इ इ

पत्थर को औज़ारों

े धीरे धीरे काटते थे। प्लैन के मुताब्रबक वोह

को काटते िाते और आखर में कमरा भी बन िाता। अब इ

ारी बनी हुई केव और


कमरे को प्लस्तर करना शुरू हो िाता िो दररया नील की मट्टी

े ककया िाता था, जि

वोह कुछ और भी समलाते थे । यह मट्टी ऐ ी होती थी िो

ीमें ट की तरह

थी। िब

ूखने ददया िाता। िब

ारा टूम्ब प्लास्तर हो कर तैयार हो िाता तो उ े

में

ख्त हो िाती ूख

कर तैयार हो िाता तो पेंटर अपना काम शरू ु कर दे ते। ड्राइिंग के मत ु ाब्रबक कुछ कारीगर पैंस ल िै ी कक ी चीज़ िाती तो उ था, इ के बुशट

े हर

को कई दफा चैक ककया िाता, ताकक कोई गलती ना रह िाए। आख़री काम

बनी हुई ड्राइिंग को रिं गों ही

ीन की ड्राइिंग बनाये िाते। िब हर तरफ ड्राइिंग कम्प्लीट हो े भरना। यह काम बहुत ही धीरे धीरे होता था ताकक रिं गों

ही पें ट करें ।

इधर तो यह काम होता रहता था, उधर मरे हुए फैरो की मम्मी तैयार होने लगती थी। फैरो के शरीर को ऐ े ढिं ग

े तैयार ककया िाता था कक उ

का शरीर कभी भी खराब ना हो

क्योंकक फैरो ने द ु री दनु नआिं में िाना होता था। अगर शरीर ही खराब हो गया तो द ु री दनु नआिं में िाना मजु तकल था। इ उ

शरीर को हमेशा रहने के सलए इ

वक्त टै क्नॉलोिी बहुत आगे थी और आि के

पाए कक वोह कौन

की मम्मी बनाते थे।

ाइिं दान अभी तक यह पता नहीिं लगा

े कैसमकल इस्तेमाल करते थे।

े पहले शरीर को उ

ऑपरे दटिंग रूम में ले िाय िाता था। शरीर के कुछ अिंग िो उन के दह ाब खराब कर

कते थे, वोह ऑपरे शन

दे ते थे और

मय के े शरीर को

े ननकाल दे ते थे। सलवर गद ु े और कुछ अिंतडियािं ननकाल

े मजु तकल काम होता था, ददमाग को ननकालना। इ

के सलए वोह कोई

ऐ ा औज़ार इस्तेमाल करते थे कक िो नाक के ज़ररये ददमाग तक पहु​ुँच

के। आइशा बता

रही थी कक ददमाग को ननकालना बहुत ही मुजतकल होता था। िब वोह औज़ार नाक ददमाग तक ले िाते तो

र पर हाथों

े धीरे धीरे थपेड़े लगाते थे और ददमागी दहस् ा

ननकालते िाते थे। इ

को बहुत वक्त लग िाता था। िब शरीर के

भी नाज़क ु दहस् े

ननकाल ददए िाते तो

ारे शरीर पर कई तरह के तेल लगाते िो उ

मय के कोई ख़ा

कैसमकल होते थे। तेल के बाद है कक यह इ

ारे शरीर को नमक में रखा िाता था।

सलए था कक नमक के ज़ररए शरीर का

शरीर में पानी का रहना भी शरीर को खराब कर शरीर के

भी दहस् े ननकालने के बाद, रोज़ाना उ

ाईं दानों का र्वचार

ारा पानी नमक में ज़ज़्ब हो

के।

कता था। पर तेल लगाए िाते और नमक रखा

िाता। यह तीन महीने इ ी तरह चलता रहता। िब उन के दह ाब

ब कुछ ठ क हो

िाता तो आखर में तरह तरह के तेल लगा कर कौटन की लिंबी लिंबी पट्टीयािं सलपटते िाते। यह पट्टीयािं

ारे शरीर को ढाुँप लेतीिं, कफर पट्टीयों के ऊपर भी कोई कैसमकल मलते। िब


ब कुछ ठ क ठ क हो िाता तो इ

के ऊपर शाही गहने और

ोने का मुकट पहनाया

िाता। बादशाह या फैरो के सलए टूम्ब तो तैयार ही होता था। शाही खानदान के लोग इकठे होते थे और बहुत पत्थर का एक बड़ा के

ी रस्मों के

ाथ उ

को आख़री र्वदायगी दे दी िाती थी। टूम्ब के बीच

ा कौकफन रखा होता, जि

पर फैरो का चेहरा बना होता था और उ

र पर ताि और स्पेशल दाहड़ी भी पें ट की िाती थी। बॉक्

ककया िाता था और

को पें ट बहुत

ोने का रिं ग ज़्यादा इस्तेमाल होता था। इ

फैरो का स्पेशल कॉकफन रखा िाता था, जि

रथ होता था,

बड़े कौकफन के बीच में

में कीमती गहने हीरे िवाहरात होते थे। इ

कमरे में फैरो की अन्य प िंदीदा चीज़ें रख दी िाती थी, िै े उ चारपाई, कु ी मेज़, खाने के

े रिं गों

की स्पेशल बनाई गई

िं ार की चीज़ें। िै ा भी उ ोने चािंदी के बतटन और हार सशग

ोने या चािंदी का, वोह भी इ ी कमरे में रख ददया िाता था। वोह

का

भी चीज़ें

रख दी िाती थी िो फैरो को प िंद थीिं। अब आख़री काम होता था, टूम्ब के मिंह ु को बिंद करना यानी इ

टूम्ब को िाने का मख ु

दरवाज़ा बिंद करना। यह काम भी बहुत महत्व रखता था क्योंकक कक े द ू रे दे श के आक्रमण े इ

फैरो के ख़ज़ाने का भेद पता ना चले। इ

ककया िाता था और बाहर की चटान ही हो। इ

े इ

मुख दआ ु र को बड़े बड़े पत्थरों

तरह ददखाई दे ता था कक िै े यह एक

वैली में जितने भी फैरो दफनाए गए, उ

े बिंद

ाधाहरण पत्थर

के मख ु दआ ु र कक ी को भी

ददखाई नहीिं दे ते थे लेककन आयशा ने बताया कक हमले होते ही रहते थे। इ ी कारण लट ु े रों ने बहुत

े टूम्ब लूट भी सलए थे। िो बाकी बचे टूम्ब थे, उन को बहुत

ने ढून्ढ ननकाला था और आि िो इजिप्ट का इनतहा

े अुँगरे ज़ इतहास्कारों

इजिजप्शयन लोगों के पा

अिंग्रेिों का बहुत बड़ा ककरदार है िो काइरो मयूजज़यम में दे खा आ

है , उनमें

कता है ।

एक के बाद एक टूम्ब हम दे खने लगे। कई टूम्ब बहुत बड़े थे और कई छोटे । कई टूम्ब ऐ े थे कक उन का फ्लोर, लैवल होता था और कई ऐ े थे कक बहुत बड़ी ढलान होती। आइशा ने बताया कक इ

का कारण कई दफा पत्थर बहुत नरम होता था िो केव के सलए

ेफ नहीिं

था। याद नहीिं ककतनी केव हम ने दे खीिं लेककन हम थक गए थे। अब खाने का वक्त भी हो गया था। आइशा ने हमें कोच में बैठने को कहा। अब भूख भी बहुत चमक रही थी। आयशा ने हमें एक और बात बता दी कक क्रूज़ बोट में िाने िायेगी। चलता…

े पहले वोह हमें एक और िगह ले


मेरी कहानी - 171 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 06, 2016 वैली ऑफ दी ककिंग्ि दे ख कर हम कोच में बैठ गए। भूख यहाुँ

े ननकल कर एक और

दक ु ानों के पा

ब को लगी हुई थी। अब कोच

ड़क पर िाने लगी। बहुत दे र नहीिं लगी िब हम एक ऐ ी

आ गए िो भारतीय दक ु ानें िै ी ही थीिं, जिन के दरवािों पर बड़े बड़े बोड़ट

लगे हुए थे, जिन पर इिंजग्लश और इजिजप्शयन भाषा में ऐिवटाटइज़में ट दीख रही थी। एक छोटी

ी दक ू ान के

ामने ड्राइवर ने कोच खड़ी कर दी।

ब कोच में

दक ू ान में िाने लगे। दक ु ान तो अभी आगे थी लेककन भीतर िाने

े ननकल कर इ

े पहले हम ने दे खा कुछ

कारीगर पत्थरों को तराश कर तरह तरह की मूनतटयािं बना रहे थे। काम करते करते इिंजग्लश में वोह हिं ी मज़ाक भरी बातें भी कर रहे थे, जि वोह प्रस द्ध फैरो, र्परासमि और पैरासमड्ज़ के जि

को जस्फिंक्

बोलते हैं। िल्दी ही हम

कुछ ना कुछ बेचने की। ज़्यादा

को

न ु कर

बी हिं

रहे थे। यह मनू तटयािं

ामने कुछ दरू ी पर एक शेर की बना रहे थे

मझ गए कक यह उन की ऐिवटाटइज़में ट ही थी,

े ज़्यादा पिंदरािं समिंट ही गुज़ार कर हम एक दरवाज़े

र्पछली ओर िाने लगे तो दे खा वहािं बहुत

े पत्थर पड़े हुए थे िो मनू तटयािं बनाने के सलए

स्टॉक ही था। कोई खा

ददलचस्प बात हम को नहीिं ददखाई दी लेककन यों ही हम एक और दरवाज़े

बहुत बड़े कमरे में दाखल हुए तो दे ख कर ही आुँखें है रान रह गईं। इतनी मूनतटयािं थीिं और इतनी इनतहा

ुन्दर कक ब

दे खते ही रहें ।

े एक

ारे कमरे में शैल्फों पर

भी शो पी

इजिजप्शयन

के बारे में ही थे । िो बाहर हम पत्थर दे ख कर आये थे, वोह तो ब्रबलकुल मामूली

ही था लेककन यहािं तो इतने रिं गों का था कक दे ख दे ख कर मालक िो एक ती

पैंती

भी है रान हो रहे थे। दक ू ान का

वषट का लड़का था, वोह इन शो पी ज़ के बारे में बता रहा था,

कक इन को बनाने में ककतना वक्त लगता था। िब गोरे उन की कीमत पछ ू ते तो ही चप ु हो िाते क्योंकक एक छोटी

न ु कर

ी मूनतट की कीमत हज़ार हज़ार इजिजप्शयन पाउिं ि होती।

बड़ी मूनतटयों की कीमत तो बहुत ज़्यादा होती।

ारी दक ू ान घुमते घूमते

बी काउिं टर के

नज़दीक आ कर खड़े हो गए। अब वोह दक ु ानदार काउिं टर के पीछे आ गया था और कुछ बताने लगा,

भी उत् ुकता

इिंच मोटी और दो फ़ीट लिंबी बताना शुरू कर ददया।

े उ े दे खने लगे। एक बाल्टी में

े उ

रकिंिे िै ी टहनी ननकाली और कफर उ

ने हरी हरी, कोई आधा ने इ

का इनतहा


” यह टहनी उतनी ही पुरानी है , जितना इजिप्ट का इनतहा लेककन इ

टहनी का इजिप्ट के इनतहा

था जि

ददया, जि

ने चाक़ू

के दो दहस् े हो गए तो उ

रख ददया। इ ी तरह उ उ

में महत्व बहुत है क्योंकक इ

को पपाय ट बोलते हैं”, कफर उ

चीर ददया, िब इ

े इ

े पेपर बनाया िाता

रकिंिे िै ी टहनी को

ेंटर में

ने इन दो दहस् ों को काऊिंटर पर पा

ने और भी कई टै हनीआिं चीर कर, भी को एक द ू रे के

े एक चटाई िै ी शक्ल बन गई। अब उ

चटाई पर रख ददया। अब उ

कै े बनाते थे। उ

पुराना है , होगी तो यह पहले भी

ने एक बड़ा

पा

ाथ िोड़

ा लकड़ी का टुकड़ा

ने बताना शुरू कर ददया कक पुराने फैरो के ज़माने में पेपर

ने बताया कक इ ी तरह बड़ी बड़ी चटाइयािं

ी बना कर उन पर भारी

पत्थर रख ददए िाते थे। तकरीबन दो महीने इ ी तरह पत्थर के नीचे रहने दे ते थे। दो महीने बाद इ

का रिं ग बदलने लगता था और यह टै हखणआुँ आप

में िुड़ कर पेपर बन

िाता था । अगर उन को स फट गचट्टे रिं ग की िरुरत होती तो उन को पता होता था कक कब इ

को पत्थर के नीचे

पत्थर को कुछ कई

े ननकालना था। अगर कुछ गहरे रिं ग की िरुरत होती थी तो इ

मय और रहने दे ते थे, जि

ाल तक रह

कता था। कफर उ

े रिं ग कुछ ब्राऊन हो िाता था। यह पेपर कई ने एक बना हुआ पेपर ददखाया िो

े पकड़ कर दे खा और यह कुछ मोटा, बहुत अब उ

ाफ़ और

भी ने हाथ

ख्त ददखाई दे ता था।

ने इ ी पेपर पर बनी पें दटिंग्ि ददखानी शुरू कर दी। िो रािे महारािे वोह बता रहा

था, उन के नाम हमें याद रह ही नहीिं गगण ही नहीिं

कते थे। उ

कते। कफर भी मुझे स फट रामे ज़ फस्टट

मय के उन के दे वते ही इतने थे कक ैकिंि और थिट ही याद रह पाया या

तूतनखामन,ऐमन हौनतप, रानी नैफनतटती िो बहुत क्रुअल रानी का पेपर वोह ही था िो उ

मझी िाती थी। इन पें दटिंग्ि

दक ु ानदार ने ददखाया था। यह पेपर बाहर

े ब्रबलकुल कट नहीिं

ककया गया था, ब्रबलकुल ही नैचरु ल लगता था और इन पर बनी पें दटिंग्ि बहुत ही हुई थीिं। िो कीमत उ

ने बताई, वोह काफी ज़्यादा थी लेककन कफर भी

न् ु दर बनी

भी ने एक दो या

तीन खरीद ली और हम ने भी एक एक खरीद ली िो अभी तक मेरे घर की एक दीवार पर लगी हुई है और कक ी रानी की है , जि

का मुझे कोई पता नहीिं कक वोह कौन थी। कुछ

लोगों ने कुछ मूनतटयािं भी खरीदीिं और हम वहािं

े बाहर आ गए और कोच में बैठ गए। कोच

हमारी क्रूज़ बोट की तरफ चल पिी। बोट में िब पहुिंचे तो खानों की महक आ रही थी। िल्दी िल्दी िाइननिंग हाल में आ कर अपनी अपनी

ीटों पर र्वरािमान हो गए। पािंच समिंट में ही

ूप हमारी मेज़ों पर था।

ूप

ख़तम होते ही मेन को ट बड़ी बड़ी प्लेटों में हमारे आगे रख ददया गया। मेन को ट दे ख कर


ही मज़ा आ गया, जि

में मीट वैजिटे बल्ज़ और मैश पटै टो थे, जिन के ऊपर तरह तरह के

स्पाइ ज़ दीख रहे थे। िी भर के हम ने खाया और इ गई, िो हम मज़े

के बाद िल्दी ही स्वीट डिश आ

े खाने लगे और बातें भी करने लगे। मज़े की बात यह थी कक जितना

हम खाते थे, उतना ही अनीता और उ

की माुँ खा िाती थी और बाहर आ कर ि विंत हिं

पड़ता और कहता, ” मामा ! पता नहीिं यह दोनों इतना कै े खा िाती हैं, िब कक शरीर भी यह बहुत हलकी हैं “, मुझे तो खद ु इ

बात की है रानी है , मैं कहता। बातें करते करते

हम उठने लगे, मैं और ि विंत ऊपर िैक पर आ कर जस्वसमिंग पूल के पा

आ कर बड़ी बड़ी

िैक चेअऱज़ पर लेट गये। कुछ गोरे गोरीआिं नहाने लगे। यह कािंि सलखते सलखते मेरे ददमाग में एक र्वचार आया कक ककया यह क्रूज़ बोट इिंटरनेट पे होगी ?, तो मझ ु े क्रूज़ बोट का नाम तो याद ही था, इ ारी बोट मेरे

ामने ऐ े दीख रही थी, िै े अभी भी मैं इ

याद मेरी आुँखों के में कक

सलए मैंने यूदटऊब पे nile commodore walk through 1 सलखा तो में बैठा हूुँ। 13

ाल पुरानी

ामने आ रही थी और एक एक इिंच का मुझे पता था कक िाइननिंग हाल

टे बल पर हम बैठे थे। वोह ही जस्वसमिंग पूल, वोह ही

वोह ही बार और वोह ही िािं

ब कुछ वै े का वै ा ही था।

फ्लोर। कुलविंत को ददखाया तो वोह कुछ उदा

हो गई कक

काश मैं ठ क होता और हम दब ु ारा इजिप्ट िाते लेककन भाग्य में िो सलखा है , वोह तो हो कर ही रहे गा। ककया मज़ा है इिंटटनेट का, हम तो खामखाह इतनी फोटोग्राफी करते रहे । दो घिंटे

ब ने आराम ककया और आयशा आ गई। कोच

ड़क पर आ गई थी और अब हम

ने कारनैक टै म्पल दे खने िाना था। दरअ ल लुक् र में बहुत टै म्पल हैं और इन को दे खने के सलए बहुत वक्त चादहए। बोट के दरवाज़े पर एक छोटा हुआ था, िो ककनारे पर आ ानी

ा कोई द

े पहु​ुँचने के सलए था क्योंकक बोट

बाहर आना अ िंभव था। बाहर आते ही हम पत्थर की

ीढ़ी

फीट लम्बा पुल बना े छलािंग लगा कर

े ऊपर आ गए और खड़ी कोच

में बैठने लगे। कोच भर गई तो हम टै म्पल की और रवाना हो गए। िब हम कारनैक टै म्पल पहुिंचे तो गेट पर आयशा ने दटकट सलए और हम भीतर दाखल हो गए। रास्ते में छोटे छोटे मौनूमट ैं और बुत बहुत थे। एक िगह खड़े हो गए और आयशा ने एक बत ु ददखाया। यह बुत एक आदमी का था जि उन की आुँखों

का पेट बहुत बड़ा था और उ

की शकल ऐ े थी िै े हिं ते हिं ते

े पानी बह रहा हो। आयशा ने बताया कक राननओिं को िब बच्चा होने लगता

था तो रानी को हिं ाने के सलए ऐ े लोग होते थे, जिन की विह रानी को हिं ी आ कर बचा आ ानी

े पैदा हो िाता था। इ

े उ

बात पर

घोर पीढ़ा के भी हिं ने लगे।

मय


अब हमारे

ामने ही बहुत बड़ा कारनैक टे म्पल था जि

का मुख्दआ ु र बहुत बड़ा था और इ

मिंदर को िाने के सलए फैरो के ज़माने का रास्ता बना हुआ था, जि िै े िानवरों के बुत बने हुए थे िो एक द ु रे के करीब मुजतकल पर होंगे। अब यह रास्ता चाली

पचा

के दोनों ओर भेिीओिं े चार पािंच फीट की दरू ी

फीट ही बचा था। आयशा ने बताया कक उ

मय

यह रास्ता कई मील लम्बा होगा। अब द ु री ओर आबादी है और हकूमत इन घरों को तोड़ कर आगे के बुतों का रास्ता खोदना चाहती है लेककन लोग यह होने नहीिं दे ते। यह मामला कब

े कोटट में है । कफर आयशा ने बताया कक उ

शादी होती थी तो इ

मय िब बादशाह या रािकुमारों की

रास्ते पर बहुत धम ू धाम होती थी। रािे की पालकी यहाुँ

थी और उन के ऊपर फूलों की बाषट होती थी। एक बात उ

मय बादशाह अपनी लड़ककओिं

न ु कर हम

े भी शादी करते थे। यह

ब है रान हो गए कक

ुन कर

लगा। भीतर गए तो दीवारों और छतों पर मूनतटयािं ही मूनतटयािं थी जिन के सलखा हुआ था। अगर भाषा पड़नी आती हो तो इ

इनतहा

को

े गुिरती

ब को बहुत अिीब ाथ इनतहा

भी

मझना मुजतकल नहीिं था

क्योंकक मूनतटयािं ऐ े बनी हुईं थीिं िै े कोई बात चीत चल रही हो। एक िगह आ कर आइशा ने एक पें दटिंग ददखाई जि

पर दो बादशाह अपने अपने हाथों में एक बड़ा रस् ा पकिे, उ

रस् े को गाुँठ दे रहे थे। यह दोस्ती की गाुँठ थी, दो बादशाह, दतु मन के खखलाफ एक मुठ हो गए थे और दोस्ती की गाुँठ पक्की हो गई थी। उन बादशाहों के नाम आइशा ने बताये थे लेककन मुझे कुछ भी याद नहीिं रहा। आगे आगे गए तो रास्ते में बुत ही बुत थे। टै म्पल की दीवारें इतनी कारागरी थी कक है रानी इ

बात की थी कक इतने भारी पत्थर उ

मय में िब क्रेनें भी नहीिं होती

थी, तो कै े एक द ू रे के ऊपर रखे होंगे, कफर ऐक्यूरेट इतने कक के ऊपर रखे हुए थे उन के बीच में

ई ू भी िा नहीिं

आइशा लगातार बताये िा रही थी। एक िगह एक कोई ऑपरे शन कर रहे थे और उन के है रानीकुन लगे कक वोह

े बनाई हुई

ीमें ट के बगैर एक द ू रे

कती थी । दीवारों पर िो

ीन को उ

ने

मझाया कक कुछ

जिटकल टूल एक िगह रखे हुए थे िो हम

भ्यता ककतनी एिवािं

ीन थे िटन

ब को

रही होगी। आगे गए तो एक बहुत बड़ी

दीवार पर फैरो के बड़े बड़े गचि खुदे हुए थे, जिन की लिंबी लिंबी उ

मय के फैशन की

दाहड़ीआिं थीिं। कई िगह तख़्त पर बैठे रािे रानी के पैरों पर झक ु कर कुछ रख रहे थे। इन ब मनू तटयों को दे ख कर मन करता था कक काश हमें यह ददलचस्प लग रहा था।

ब पड़ना आता हो। बहुत ही


इदट गगदट बहुत बुत टूटे पड़े थे। पत्थरों की ककस्मों के बारे में भी आइशा बता रही थी कक बहुत

े ग्रेनाइट िै े

ख्त पत्थर अ वान

े लाये गए थे िो कई

ौ मील दरू है । यह

पत्थर दररया नील के ज़ररये लाये गए होंगे कक छकड़ों पे लाद कर, यह कोई

मझ नहीिं

पाया । कुछ भी हो, इन भारी पत्थरों को आि भी ट्रािं पोटट करना बहुत मजु तकल है और यह बात

ाईं दानों के सलए

र्पल्लर था जि पी

रददी बनी हुई है । आगे एक बहुत ऊिंचा अशोक र्पल्लर िै ा

पर बहुत कुछ सलखा हुआ था और है रानी की बात यह थी कक यह एक ही

में था। यह कम ेकम

ि अस् ी फ़ीट ऊिंचा होगा। नीचे

े यह कोई पची

ती

फ़ीट

चौड़ा होगा और चोटी पर तीन चार फ़ीट चौड़ा होगा। इ े दे ख कर है रानी यह हो रही थी कक इतने बड़े पत्थर को यहािं कै े लाया गया होगा और कफर इ े तराश कर उ सलख कर इ

पर इनतहा

को खड़ा कै े ककया होगा, िो आि तक वै े का वै ा ही खड़ा है । इन

फोटो हम ने लीिं लेककन आि यह

ब इिंटरनैट पे दे खा िा

ब की

कता है ।

बहुत कुछ मझ ु को याद नहीिं लेककन िब दे ख कर हम बाहर आये तो ि विंत बोला, ” मामा ! और दे शों

े भी टूररस्ट लोग बहुत आये हुए हैं लेककन इन

हम शोर तो बहुत मचाते रहते हैं कक अिंग्रेिों ने हमारे इनतहा लेककन

च्ची बात तो यह है कक इिंडियन लोगों को इनतहा

जितने गोरे गोरीआिं हैं, ककतने गधयान ब

े अुँगरे ज़ इतहास्कारों ने इजिप्ट का इनतहा

में रूगच ही कोई नहीिं है । यहािं

ढूढ़ते ढूढ़ते

ारी उम्रें यहािं ही गुज़ार दीिं। हाविट

ारा िोर तूतनखामन को ढूिंढने में लगा ददया। उ

मय तो टै क्नॉलोिी भी इतनी एिवािं

वाल करते हैं और

भी ज़्यादा अिंग्रेिों ने ही ढून्ढ ननकाला है , बहुत

की ममी िरूर वैली ऑफ दी ककिंग्ज़ में ही होगी और उ

को बहुत गलत पेश ककया है

े एक एक चीज़ को दे खते हैं,

े बड़ी बात यह है इजिप्ट का इनतहा

काटट र नें भी अपना

ब में हम दो इिंडियन ही हैं,

नहीिं थी, कफर भी उ

ने

का र्वशवा

च कर ददखाया। उ

ने यह काम कर ददखाया “,

मैंने कहा ि विंत, ” हमें तो तारीख सलखना भी परदे स यों ने स खाया, हम तो ब बात िानते थे कक यह दआ ू पर है , यह िेता है , यह “, ि विंत खखल खखला कर हिं

था कक

एक ही

तयुग है और आि का युग है कल युग

पड़ा।

कई घिंटे यहािं घूम कफर कर हम बोट में वाप क्रूज़ बोट में आ गए। िब हम वाप

आने को तैयार हो गए। आधे घिंटे में ही हम

आये तो थॉम न है सलिे वालों के नोदट

बोिट पर सलखा

हुआ पड़ा। सलखा था, ” कल रात को अरे ब्रबयन नाइट का प्रोग्राम होगा, कृपा अपने सलए इजिजप्शयन गैलाबाया और “, इ

ाथ में पगड़ीआिं भी ले आएिं और पहन कर इ

के बारे में एक इज्प्शन वेटर

े पछ ु ा तो उ

रात का मज़ा लें

ने बताया कक हम बािार में िाएुँ और


कपिे की दक ु ानों

े यह रे िीमेि कपिे ले आएिं। कुछ गोरे बाहर िाने लग पड़े। हम भी एक

एक कप्प कॉफी का ले कर शाम की चलता…

ैर का मज़ा लेने बाहर को चल ददए।


मेरी कहानी - 172 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 10, 2016 कारनैक टै म्पल हम ने दे ख सलया था और यह टै म्पल रात के

मय

ाइट ऐिंि

हम ने

ोच रखा था कक जि

े मशहूर टै म्पल है और इ

में

ाउिं ि शो भी होता है िो हमारी हॉसलिे पैकेि में नहीिं था लेककन ददन हम को अव र समला, िरूर इ े दे खने िाएिंगे। अब हम

बाहर घूमने चल पड़े। नज़ारा बहुत

ुन्दर था। एक तरफ दाईं ओर कुछ नीचे दररयाए नील

के ककनारे बोटें ही बोटें ददखाई दे रही थीिं तो द ु री तरफ लोगों की चहल पहल अनछ लग रही थी। एक बात थी कक कोई ना कोई आ के हमें पूछने लगता,” यू वािंट फ्लूका ?”, या कोई कुछ बेचने वाला हम को घेर कर खड़ा हो िाता और कुछ खरीदने की मािंग करता, कभी कोई टाुँगे वाला आ िाता और शहर का कोई मौनम ैं ददखाने को बोलता लेककन एक बात थी ू ट कक कोई भी सभखारी नहीिं था। अभी तक हम लुक् र टाऊन के भीतर नहीिं गए थे, शाम की ैर के सलए यह फुटपाथ ही काफी था क्योंकक खाने और पीने की दक ु ाने तो यहािं ही बहुत थीिं िो इ

फुटपाथ के नीचे ही एक तरफ बनी हुई थीिं। ब्रबदे शी लोग कैमरे सलए हर तरफ घूम

रहे थे । कई खाने पीने की दक ु ानों पे इिंजग्लश गाने बि रहे थे। कुछ आगे गए तो हम है रान हो गए कक एक ब्रबयर की दक ू ान पर उ

वक्त का एक प्रस द्ध पिंिाबी गाना बि रहा था,”

तू हुणे हुणे होई आिं िवान, मुिंडियािं तों बच के रहीिं “, ि विंत हिं

पड़ा और बोला, ” कहीिं

कक ी स हिं की दक ू ान तो नहीिं ?”, दक ू ान फुटपाथ के नीचे थी। रै म्प के ज़ररये िो ढलान िै ी

ड़क ही थी,हम फुटपाथ

े नीचे उतरने लगे। यहािं कोई

ात आठ दक ु ानें थीिं िो

ज़्यादा बीअर बार ही थीिं। एक दक ू ान पर हमारी बोट के ही कुछ गोरे बीअर पी रहे थे, पिंिाबी गाना यहािं ही बि रहा था। हम भी वहािं ही बैठ गए। एक लड़का आया और हम गया और कुछ ही समनटों में हमारे आगे स्टै ला बीअर की दो बोतलें और ग्ला

े आिटर ले रख गया।

यह बीअर इिंगलैंि में भी समलती है लेककन बोतल के लेवल पर पड़ा तो यह इजिप्ट की ही बनी हुई थी। हमें बताया गया था कक इज्प्शन लोग खद ु बीअर शराब नहीिं पीते, स फट टूररस्ट लोगों को ही बेचते हैं। कोई छुप कर पीता हो तो बात और है लेककन इस्लाम में शराब नोशी की मनाही है । हमारे टे बल पर दो गोरे और उन की पजत्नयािं ही थीिं, होंगे कोई हमारी उम्र के लेककन काफी िैंिली थे। बातें कर ही रहे थे कक हम ने दो इिंडियन औरतों को आते दे खा, िो कोई होगी चाली

पैंताली

की। कुछ खझझकती खझझकती वोह हमारी तरफ ही आ रही थीिं। अपने दे श


का बिंदा अचानक कक ी द ू रे दे श में समल िाए तो ख़श ु ी समल ही िाती है । ि विंत ने उन्हें है लो कहा और वोह भी कुस य ट ािं ले कर हमारे टे बल पर ही आ गईं। पता चला कक वोह भी इिंग्लैंि

े ही थीिं और दोनों

खखयाुँ हॉसलिे के सलए ही आई हुई थीिं। इिंगलैंि की पढ़ी सलखीिं

लड़ककयािं और अनछ नौकरी पर थीिं। उन्होंने अपने सलए कोक ले सलए और बातें होने लगीिं। िै े अक् र होता ही है कक तम ु कहाुँ रहते हो, एक द ू रे को हम ने भी पुछा तो उन्होंने बताया कक वोह लैस्टर की रहने वाली थीिं और गुिराती थीिं। लैस्टर गुिरानतयों का घर ही कहा िाता है । िब ईदी अमीन ने हमारे लोगों को यूगािंिा

े चले िाने का अल्टीमेटम दे

ददया था तो ज़्यादा गुिराती लोग इिंगलैंि में आ कर लैस्टर में ही अपने शहर का नाम सलया तो एक लड़की ने बताया कक उ उ

ने नाम बताया तो मैंने उ

े पुछा कक वोह ब

ैटल हुए थे। िब हम ने

के ररततेदार हमारे शहर में थे।

ड्राइवर तो नहीिं था ?, िब उ

लड़की

ने हाुँ कहा तो मैं बोल पढ़ा कक वोह तो मेरा दोस्त था । लड़की खश ु हो गई और उ बहुत

ी घर की बातें बताईं और यह भी बताया कक वोह अब इ

बोला कक मुझे

ब कुछ पता है और मैंने उ

में हुआ था। उ

के कफ़ऊन्रल पर हमारे काम

दनु नआिं में नहीिं हैं। मैंने

का फ्यूनल अटैंि ककया था िो टे लफोिट शहर े ड्राइवरों की दो ब ें भर कर गई थीिं और उ

के बड़े लड़के ने अपने र्पता िी को एक खत पढ़ कर आख़री र्वदायगी दी थी। इ ुनते

ुनते

मेरे इ

ने

खत को

भी रो पड़े थे।

दोस्त का परू ा नाम तो शायद कक ी को भी नहीिं पता था लेककन

PARMAAR के नाम

भी उ

े ही िानते थे और बुलाते उ े एनिी कह कर ही थे । उ

को N D का एक

तककया कलाम होता था, बैह. चो. , अरे एनिी ककया हुआ ? िब कोई पूछता तो वोह बोलता, होना ककया था, मैं बै . . चो…. लेट हो गया। उ थे। एक बात थी, ददल का बहुत ही अच्छा था। उ उ

ने स्पेन के शहर बैननिोम में िो

और उ बहुत

की इ

बात पर

भी हिं

पढ़ते

का इरादा अली ररटायेमट ें लेने का था।

मन् ु दर के ककनारे पर है , एक प्लाट खरीद सलया था

पर एक मकान बनना शुरू हो गगया था। िब भी मुझे समलता, कहता,” बामड़ा ! ाल काम कर सलया है , अब मज़े करने का वक्त आ गया है , तू भी छोड़ यह काम

और मेरे

ाथ स्पेन चल “, वोह मुझे बामड़ा कह कर बुलाता था। उ

का मकान बन गया

था और कभी कभी दोनों समआिं बीवी बेनीिोम रहने चले िाते थे। एक ददन वोह लहरों के

ाथ मज़े कर रहा था कक वहािं ही उ

की मत ृ ु हो गई थी । इ

नहीिं लगा कक क्या हुआ था, कुछ लोग कहते थे कक उ

मन् ु दर में

का कक ी को पता

को हाटट अटै क हुआ था, कुछ कहते

थे कक लहरों में िूब कर रह गया। कुछ भी हो, एक अच्छा दोस्त हम

े ब्रबछुड़ गया था। इ


लड़की

े मैंने एनिी की काफी बातें कीिं। लड़ककयों ने अपने होटल का नाम बताया। ि विंत

ने उन को बताया कक क्रूज़ बोट में यह हफ्ता गज़ ु ारने के बाद हम होटल र्विंटर पैले

में आ

िाएिंगे। बातें करते करते बहुत वक्त गुज़र गया था। उन दोनों लड़ककयों को गुड़ नाइट बोल कर हम अपनी क्रूज़ बोट की तरफ चल पड़े क्योंकक रात के खाने का वक्त हो गया था। द

समिंट में ही हम बोट में पहु​ुँच गए।

द ू रे

भी लोग बार में डड्रिंक का लुत्फ ले रहे थे और एक

े हिं ी मज़ाक हो रहा था। कुछ दे र के सलए हम भी बैठ गए और बातें करने लगे।

कुछ ही दे र बाद खाने का इछारा हो गया और टे बलों पर र्वरािमान हो गए। बुदढ़या और उ

भी िाइननिंग हाल में आ कर अपने अपने की बेटी अनीता वहािं अपनी

और अब खल ु कर बातें होने लगी थीिं। बातों बातों में ही मैंने उ

ीटों पर बैठ थीिं

को पुछा,” अनीता ! मुझे

तुमारी कलाई पर दहिंदी में कुछ सलखा दे ख कर है रानी हो रही है , यह कहाुँ सलखवाया था, तुझे इ

के अथट मालूम हैं ?”, तो अनीता बताने लगी कक वोह नेपाल िाती रहती है , उ

बोये िैंि भी वहािं िाना प िंद करता है , वहािं बहुत े समलना उन का शौक है । वहािं ही उ

का

े बगु धस्ट टे म्पल हैं और उन धमट गरु ु ओिं

ने यह टै टू बनवाया था लेककन इ

के अथट उ

को

मालूम नहीिं थे । बातों बातों में हम ने िाना कक अनीता के र्वचार कुछ धासमटक और वहमी कक म के थे। अननत्य के अथट तो मुझे भी

ही पता नहीिं था लेककन कफर भी अपनी

के मत ु ाबक मैंने अनीता को बताया कक अननत्य के अथट हैं कक इ नहीिं रहता, इ

सलए इ

मझ

िं ार में कुछ भी हमेशा

िं ार में अछे काम ही करने चादहयें । अनीता यह

न ु कर बहुत

खश ु हो गई और कहने लगी कक वोह अपने बोये िैंि को बताएगी। अब अनीता ने वेटर को एक वाइन की बोतल का आिटर दे ददया और िल्दी ही वेटर एक बोतल खोल कर दो ग्ला उन दोनों के

ामने रख गगया और वोह दोनों मािं बेटी पीने लगीिं। उन को दे ख कर ि विंत

ने मझ ु े पछ ु ा तो मैंने हाुँ कह दी और िल्दी ही वेटर हमारे आगे पीच वाइन की बोतल रख गगया।

ारे टे बलों पर गोरे गोरीआिं डड्रिंक ले रहे थे और ऊिंची ऊिंची हिं

रहे थे।

अचानक हम ने दे खा, कक कुछ वेटर जिन में एक वेटर के हाथ में एक केक था, जि

पर

मोम बनतयाुँ लगी हुई थीिं और इिंजग्लश गाना गाते हुए एक टे बल की ओर िा रहे थे। िब उ

टे बल पर पहुिंचे तो एक गोरी को है पी बथटिे कहने लगे। गोरी कुछ है रान

क्योंकक उ

के पनत ने ही बीवी को

है पी बथटिे टू यू होती रही और कफर

रप्राइज़ ददया था। अब तासलआिं बिने लगीिं। कुछ दे र ाधाहरण बातें करने लगे। ि विंत हिं

! होता यहािं कक ी पिंिाबी का बथटिे तो यहािं ढोल बिता और भिंगड़ा िािं पड़ा। अनीता और उ

ी हो गई कर बोला,” मामा

होता “, मैं भी हिं

की माुँ हमारी तरफ दे ख रही थीिं। ि विंत ने उन को इिंजग्लश में


बताया तो वोह भी हिं

पड़ीिं और अनीता ने बताया कक उ

ने अपनी इिंडियन क्ला

फैलो की

शादी अटैंि की थी और यह बहुत कलरफुल शादी थी। खाना खा सलया था और धीरे धीरे लोग उठने लगे। हम भी उठ गए और कुछ दे र अपने कमरे में आराम ककया, कुछ दे र ताश खेलते रहे और कफर उठ कर हाल में आ गए। हाल में एक अरबी समयजु ज़कल ग्रप ु आया हुआ था और वोह कु ीयों पर बैठे अपने गले में एकॉडिटयन था, एक के

ाज़

रु कर रहे थे। दो बड़े बड़े एम्प्लीफायर थे। एक के

ामने तीन लिंबे लिंबे ड्रम थे, एक के हाथ में बड़ी

ी िफली

थी और एक लड़की थी िो िीन पहने हुए थी। कुछ ही दे र में उन्हों ने मयूजज़क चालु कर ददया। ना

मझते हुए भी, यह मयूजज़क हमें बहुत मज़ेदार लग रहा था। कोई आधा घिंटा यह

मयजू ज़क बिता रहा, कफर अचानक वोह ही लड़की िो िीन पहने हुए थी, बहुत खब ू रू त अरबी ड्रै

पहने हुए िािं

फ्लोर पर आ गई और बैली िािं

पुरानी महीिंपाल की कफल्मों में दे खा करते थे। चारों तरफ कर उ उ

करने लगी। ऐ ी ड्रै

े कुछ रिं गों की रौशनी उ

की ख़ब ू ूरती को चार चाुँद लगा रही थीिं। ड्रम की ताल पर उ

को और भी

ुन्दर ददखा रही थी। िब िािं

हम तो

ख़तम हुआ तो

पर पढ़

के अिंगों की हरकत

ब ने भरपूर तासलयािं

बिाईं। कुछ दे र बाद धमाकेदार मयजू िक कफर शरू ु हो गया और वोह लड़की कफर नत्ृ य करने लगी। भले ही यह िािं

भारतीयों के सलए कुछ अतलील लगे लेककन ऐ ा कहना बहुत गलत

होगा क्योंकक िै े भारत में औरतें क्लास कल िािं है और यह िािं

बचपन

े ही लड़ककयािं

करती हैं, इ ी तरह यहािं बैली िािं

ीखने लगती हैं। िै े हमारे दे श में िािं

शो में मुकाबले होते हैं, इ ी तरह अबट दे शों में मुकाबले होते हैं, जि

होता

इिंडिया िािं

में बड़ी औरतें तो भाग

लेती ही हैं लेककन छोटी उम्र की लड़ककयािं भी भाग लेती हैं। िै े पहले मैं सलख चक् ु का हूुँ कक मैं मास्टर कक ी भी चीज़ में नहीिं हूुँ लेककन कुछ कुछ हर बात को करता हूुँ। इ

ारे िािं

विह

पैंताली

े चाली

मझने की कोसशश

की मैं वीडियोग्राफी भी कर रहा था िो बैटरी ख़तम हो िाने की समिंट की ही बना

और लड़की के अिंगों की गथरकन को

का था। मैं बहुत ही गधयान

े ड्रम की ताल

मझ रहा था। िो ड्रम थे, उन के नाम तो मुझे पता

नहीिं है लेककन इन की आवाज़ कुछ कुछ तबले और कुछ कुछ म्रदिं ग की आवाज़ िै ी थी। इ

लड़की ने िो बैली िािं

िािं

शायद इ

ककया, वोह अभी तक मुझे अनछ तरह याद है । यह मयूजिक और

सलए भी बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकक भातीय

समलता था। कोई कुछ कहे , मझ ु े तो यह िािं

और

भी कभी कभी यू ट्यूब पे दे खता रहता हूुँ। हर िािं बिाते। अब कल रात को अरे ब्रबयन नाइट्

िंगीत और नत्ृ य

े ८०%

िंगीत बहुत अच्छा लगता है और अभी के खात्मे पर गोरे गोरीआिं भरपूर तासलयािं

का प्रोग्राम होना था, इ

सलए यह प्रोग्राम दे ख


कर इिंतज़ार का उत् ाह और बढ़ गया। कुछ दे र के सलए यह िािं चाय पीने लगे। बड़ी फुती

बन्द हो गया और कलाकार

ब लोग ब्रबयर और वाइन के ऑिटर दे रहे थे और इजिजप्शयन युवा लड़के वट कर रहे थे। मैं सलखना भूल गया कक हमारी क्रूज़ बोट हमेशा दरया नील में

चलती रहती थी, स फट उ

ददन ही एक िगह खड़ी होती थी, जि

ददन हम ने कहीिं बाहर

िाना होता था। िब हम बोट में आ िाते, बोट आगे चल पड़ती थी। इ

का कारण यह है

कक जितने भी पुराने खिंिरात हैं, वोह ज़्यादा नील दररया के नज़दीक बने हुए हैं। िब बोट चलती थी, तो पता ही नहीिं चलता था कक यह चलती थी या खड़ी थी। स फट ऊपर िा कर ही पता चलता था कक हम दररया में चल रहे हैं। िब ही कोई नए खिंिरात दे खने होते थे, उ िगह बोट खड़ी हो िाती थी। बोट बहुत धीरे धीरे पिंदरािं बी थी, इ

मील की स्पीि

े ही चलती

सलए पता ही नहीिं चलता था कक हम खड़े हैं या चल रहे हैं। ददन के वक्त िब ऊपर

बैठे हम धप ु का मज़ा ले रहे होते तो बोट चलती रहती थी और हम दोनों तरफ के नज़ारे दे खते रहते थे। कभी कभी दररया के ककनारे बच्चे बैठे होते थे िो हम को हाथ

े बाई बाई

करते थे। यह भी बताना िरूरी होगा कक िो अमीरी, होटलों को दे ख कर मह ू

होती थी,

शहर के बाहर ब्रबलकुल ददखाई नहीिं दे ती थी। दररया नील की द ु री ओर कहीिं कहीिं गाुँव ददखाई दे ते थे िो ब्रबलकुल हमारे दे श िै े थे और वहािं गाये भैं ें भी ददखाई दे ती थीिं। गरीबी ाफ़ ददखाई दे ती थी। कहीिं दररया नील के ककनारे मोटर पम्प लगे हुए थे िो खेतों को पानी दे ने के सलए कफट ककये गए मालुम होते थे। इ

मझ आ गया था कक िै े हमारे दे श में

गरीबी अमीरी है , यहाुँ भी वै ा ही था। लोग डड्रिंक पे रहे थे और अब एक और लड़की िािं

फ्लोर पर आ गई। मयूजिक शुरू हो गया

और यह नई लड़की एक धन ु पर नत्ृ य करने लगी। यह तो कहना मुजतकल होगा कक इ लड़की का नत्ृ य पहली लड़की

े बेहतर था लेककन यह लड़की एक नई धन ु पर नत्ृ य कर रही

थी और यह एक नए अिंदाज़ में एक तलवार को मिंह ु

े पकड़ कर िािं

खतरनाक भी लग रहा था लेककन अच्छा भी लग रहा था। इ नहीिं

का क्योंकक बैटरी िैि हो गई थी। इ

के

र पर एक चौड़ी टोपी थी जि

की ड्रै

कुछ अिीब

ी थी। इ

लड़की के िािं

करने लगी। यह

लड़की का िािं

मैं ररकािट कर

के बाद एक लड़का आया जि

की र्पछली और एक कोई एक फुट ररबन लगा हुआ था। ने घागरे िै ी ड्रै

पहनी हुई थी, िै े स्कॉदटश लोग

ककल्ट पहनते हैं। मयजू िक शरू ु हो गया और यह लड़का घम ू ने लगा। आम तौर पर अगर हम एक िगह ही घूमने लग िाएुँ तो कुछ दे र बाद चक्कर आने लगते हैं और गगरने की िंभावना हो िाती है । ऐ े हम बचपन में ककया करते थे और कफर कुछ दे र बाद चक्कर खा


कर गगरने लगते थे, हमारे सलए यह एक बचपन की खेल ही थी लेककन अब हमारे एक कलाकार िािं

फ्लोर पर घूमे िा रहा था और ब्रबलकुल गगरता नहीिं था। वोह कै े कर

रहा था, मैं बहुत गधयान तो

र को एक झटका

घम ु ते उ

े उ े दे ख रहा था। घुमते हुए िब वोह एक चक्र कम्प्लीट करता ा दे ता। ऐ ा वोह हर चक्र के बाद करता था। कोई पािंच समिंट घम ु ते

का घागरा ऊपर उठने लगा िो एक छतरी िै ा बनने लगा। उ

और आटट इ

घागरे में ही नछपा था। धीरे धीरे और ऊपर उठने लगा और इ

बनने लगे। यह डिज़ाइन बहुत ही गधयान

ुन्दर ददखाई दे ने लगे।

े दे ख रहे थे। मुख़्त र सलख,ूिं उ

घम ू ता रहा, उ

ामने

का घागरा जि

ने कोई आधा घिंटा िािं

ारा ऐक्ट

के डिज़ाइन

ाुँ ें रोक कर बड़े ककया और एक िगह ही

का नाम तो मझ ु े पता नहीिं लेककन ऊिंचा, और ऊिंचा हुए िा

रहा था और आखर में वोह यह घागरा अपने हाथों ले आया। अब िोर िोर

ब लोग

का

े पकड़ कर ब्रबलकुल ऊपर छत के करीब

बी तासलयािं बिाने लगे। यह घागरा खल ु कर एक फ़्लैट कपिा

बन गया था िो गोल दायरे में छतरी िै ा घूम रहा था। िब यह लड़का एक झटके के लगा, तो ब्रबलकुल

ाथ एक दम खड़ा हो गया और झुक कर शुकक्रया अदा करने

गथर था, ज़रा भी िोल नहीिं रहा था। यह ऐक्ट भी हम ने जज़न्दगी में

पहली दफा दे खा था। यह भी एक अभुल याद बन कर रह गई है । रात के शायद दो अढ़ाई बि गए होंगे और

ब उठ उठ कर अपनी अपनी खआ ु वगाह की तरफ िाने लगे। कल को

अरे ब्रबयन नाइट थी और अब हम कल का इिंतज़ार करते करते चलता…

ो गए।


मेरी कहानी - 173 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 13, 2016 र्पछली शाम बैली िािं

और घागरा िािं

दे ख कर

ोये थे।

ुबह उठे तो ि विंत बोला,”

मामा ! कल रात तो मज़ा ही आ गया “, हाुँ ! ” अब लग रहा है कक हम समस्र में हैं “, मैं बोला और हम ब्रेकफास्ट के सलए िाइननिंग हाल में आ गए और खाने के सलए अपनी अपनी प्लेटें हाथ में पकिे लाइन में खड़े हो गए। प्लेटें बहुत बड़ी होती थीिं और ब्रैि ऐिंि बटर

े ही

शुरू होता। आगे आगे चलते िाते और एक एक पी

कक ी केक या अन्य मठाई का टुकड़ा

िाले िाते । तकरीबन

सलए मीट

ब लोग मािं ाहारी ही थे, इ

ौिेि, गैमन, पोकट पाई, स्कॉच एग्ग, बीन्ज़ और

े बने हुए खाने िै े बेकन,

े आखर में होता था एग्ग िाई िो

तरह तरह के म ाले िाल कर लेते थे। एक हाथ में प्लेट पकिे और द ू रे हाथ में चाय या काफी का कप्प पकिे अपने अपने टे बल पर आ िाते। भूख लगी हुई होती थी और

बी लोग

खाने पर टूट पड़ते। यह भी हम ने दे खा था कक इजिप्ट में बहुत भूख लगती थी, शायद यह मौ म की विह

े होगा। अब अनीता और उ

लगता था हम पड़ो

की माुँ

े हम ऐ े घुल समल गए थे कक

में रहते हों और हमारी गफ् ु तगू एक

ाधाहरण पड़ोस यों िै े हो। बातें

करते और हिं ते हिं ते ब्रेकफास्ट ख़तम हो गया और तैयार होने के सलए अपने अपने कमरों में चले गए। मैं और ि विंत ने शायद ही कक ी ददन किंघी

े पीछे की ओर करके रबर बैंि

लेककन अब तो

र पर पगड़ी रखी हो, अपने बाल

े बाुँध लेते थे। उ

मय मेरे

ारे बाल उत्तर गए हैं, शायद मैिीकल किंिीशन की विह

र पर बाल काफी थे े या बुढापे के

कारण। 9 बिे आइशा आ गई थी। हम

ब हाल में आ गए थे। आइशा ने हमें बताया कक आि वोह

हमें ऐड़फू टै म्पल ले िायेगी। कल हमारी बोट कक ी और िगह थी और आि िब हम बाहर आये तो कक ी और िगह थी क्योंकक रात को वही​ीँ हैं या कहीिं और। बोट ऐिफू टै म्पल के

ोये हुए हमें पता ही नहीिं चलता था कक हम

े बाहर आ कर हम कोच में बैठ गए। कोई आधे घिंटे बाद ही हम

ामने खड़े थे। आइशा ने गेट कीपर को दटकट ददए और हम आगे चलने

लगे । यह टै म्पल बहुत ही बड़े थे और दीवारों पर उ थीिं िो है रानीिनक थीिं। उ

मय के

थे, ददखाई पड़ते थे। इन तस्वीरों के सलखा हुआ था। आइशा ने इनतहा

ज़माने के फैरो की तस्वीरें खद ु ी हुई

ीन िो ज़्यादा दे वताओिं की पूिा के ाथ

ाथ उ

मय की भाषा में

म्बन्ध में ही

ब कुछ र्वरतान्त

तो बहुत बताया था लेककन अब ज़्यादा याद नहीिं रहा।


कुछ बातें याद हैं, यह टै म्पल रामे ज़ के ज़माने के बने हुए थे और यह टै म्पल उ

मय

के उन के दे वताओिं की श्रद्धा में बनाये गए थे । उन का प्रस द्ध दे वता फाल्कन गौि होर था और एक और था

ेथ। फाल्कन एक बाज़ िै ा पक्षी होता है । इ ी सलए इन तस्वीरों के

र पर बाज़ िै ी शक्ल बनाई हुई थी। आइशा ने बताया कक यह टै म्पल पटोल्मी के ज़माने में 2200

ाल पहले बने थे जिन का जज़क्र उन की िीर्वनीओिं में समलता है । ऐ े ही इ ी

ज़माने के टै म्पल कौमोम्बो और कफले टै म्पल थे। इन टै म्पलों को दे ख कर यह पता चलता है कक उ

मय दे श बहुत अमीर था। लोग बहुत खश ु हाल थे।

यह एररया भी र्वशाल था, िगह िगह मिंददर ही मिंददर थे। कारीगरी कमाल की थी। एक िगह आइशा ने ददखाया कक उ

मय दररया नील के पानी का लैवल दे खने के सलए ननशाुँ

लगे हुए थे। कई दफा िब दररया नील का पानी ज़्यादा बाशों की विह

े ऊपर आने लगता

था तो खतरे के ननशाुँ को दे खते हुए िान माल की दहफाज़त के सलए इिंतज़ाम शुरू हो िाते थे, िै े आि के ज़माने में

भी दररयाओिं पर पानी के लैवल के ननशान लगे हुए होते हैं

और िब ही पानी खतरे के ननशान

े ऊपर िाने लगता है तो हाहाकार मच िाती है । एक

िगह एक किंु आ बना हुआ था िो अब तो पानी

ूखा था लेककन कक ी ज़माने में दररया नील के

े यह किंू आिं भरा रहता था। इजिप्ट का इनतहा

भी हमारे भारत दे श

े ही समलता

िल ु ता है । िै े हमारे दे श पर ब्रबदे सशयों के हमले होते रहे हैं, इ ी तरह इजिप्ट का इनतहा भी इन हमलों

े भरा पड़ा है । उ

मय इजिप्ट पर नब्रू बयन फैरो ही राि करते थे लेककन

धीरे धीरे रोमन और ग्रीक घु ने लग गए थे । नूब्रबयन लोगों की ताकत ख़तम हो गई और इन रोमन और ग्रीक का प्रभाव बढ़ने लगा। रोमन लोग कट्टर ई ाई थे। उन्होंने ने इन नूब्रबयन लोगों का िीना हराम कर ददया था और उन को उन के ही मिंददरों में िाने

े मना

करते थे और उन को बहुत नफरत करते थे। िै े मु लमानों ने हमारे मिंददर बबाटद ककये थे, इ ी तरह इन कक्रजतचयन लोगों ने यह टै म्पल बबाटद करने शरू ु कर ददए। उन के दे वताओिं के बुत बबाटद कर ददए और कई मिंददरों पे उन के दे वताओिं के चेहरे खराब कर ददए। एक िगह आइशा ने ददखाया, एक टै म्पल की दीवारें और छत काली थी, िो लगता था, इ लगाईं गई थी। इ

को आग

िगह दे खने को बहुत कुछ था। आइशा ने बताया कक धीरे धीरे यह मिंददर

बन्द हो गए थे, या यह भी हो

कता है कक

ारा शहर ही उिाड़ ददया गया हो।

मय के

ाथ रे गगस्तान की मट्टी उड़ उड़ कर इन मिंददरों पे पड़ने लगी और इन मिंददरों के ऊपर चाली

चाली

फुट ऊिंची मट्टी की तह िम गई और यह मिंददर आखों

े दरू हो गए। इन


मिंददरों के ऊपर और घर बन गए और कक ी को कुछ भी पता नहीिं था कक वोह इन मिंददरों के ऊपर रहते है । कफर कोई िैंच मैन आया जि पहले की है । उ

का नाम तो मुझे याद नहीिं लेककन यह बात दो

ने ही पहले नोदट

ककया कक इ

का काम शुरू कराया और इन की

गाुँव के नीचे मिंददर हैं। उ

ाल

ने ही खद ु ाई

फाई शुरू की और आि इन मिंददरों को दे खने दनु नआिं भर

े लोग रोज़ाना आते हैं। आइशा ने एक बात और बताई कक इन मिंददरों की दीवारों पर िो इनतहा की

सलखा हुआ है , उन का ट्रािं लेशन िमटन इतहास्कारों ने ककया है , जि

ही र्पक्चर समल गई है और उ

वोह भी

े उ

मय

मय की िो समथहास क और गलत धारणाएिं थीिं,

मझ आ गई है । बहुत कुछ हम ने यहािं दे खा लेककन बहुत बातें भूल भी गई हैं।

अगर थोह्ड़ा

ा भी इजिप्ट का इनतहा

गए तो एक िगह छोटी िगह इजिजप्शयन

हमें मालूम होता तो और भी मज़ा आ िाता। आगे

ी पाकट बनी हुई थी, कुछ खाने पीने और द ु री दक ु ाने थीिं। एक

िंगीतकार कु ीयों पर बैठे

ारिं गगयों िै े

ाज़ बिा रहे थे िो नेपाली

ारिं गगयों िै े ददखाई दे ते थे और वोह अपनी भाषा में कुछ गा रहे थे। ि विंत के कैमरे में कफल्म ख़तम हो गई थी िो यहाुँ एक दक ू ान लेककन उ

े समल गई। एक गोरे ने भी कफल्म खरीदी

े यह कफल्म अपने कैमरे में लोढ नहीिं हो रही थी। उ

मािंगी। ऐ े कामों में ि विंत बहुत हुसशआर है , उ हो गया। यहािं हम ने एक दक ू ान

े चाय के

ने ि विंत

े मदद

ने तरु िं त कैमरे में लोढ कर दी, गोरा खश ु

ाथ कुछ ब्रबस्कुट सलए। अब आइशा ने वाप

िाने का इछारा कर ददया। िल्दी ही कोच में बैठ कर हम अपनी बोट में वाप

आ गए।

दप ु हर का खाना खा कर हम क्रूज़ बोट के ऊपर िैक चेिट पर लेट गए। आि कोई और िगह िाना नहीिं था, इ

सलए कुछ दे र आराम करके हम ने अपने सलये बाज़ार में गैलाबाया

खरीदने िाना था क्योंकक आि रात को अरे ब्रबयन नाइट का प्रोग्राम होना था और हम ने यह इजिजप्शयन ड्रै

पहन कर हाल में िाना था।

हम दोनों लेटे लेटे बातें कर रहे थे, कक अनीता की माुँ भी हमारे पा

ही एक िैक चेअर पर

लेट गई। बहुत बातें तो याद नहीिं लेककन एक बात याद है । िै े पत ट ाल में एक बदु ढ़या ने ु ग अपनी बेटी के बारे में हमारे में हम

ाथ बातें की थीिं, इ ी तरह अनीता की माुँ भी अनीता के बारे

े बातें करने लगी। बोली, ” अनीता को मैं बार बार कहती हूुँ कक शादी करके

हो िा लेककन यह मेरा कहना मानती ही नहीिं, कई बोये फ़्रैंड्ज़ के शादी नहीिं कराती, अब िो इ भी बहुत अछे

ैटल

ाथ िाती रही लेककन

का नया बोये िैंि है , उ

का अच्छा कारोबार है और लड़का

भ ु ाव का है , मैं चाहती हूुँ कक अनीता इ

े शादी करा ले, बच्चे हों और मैं


भी दादी बन िाऊिं लेककन यह मानती ही नहीिं, इ दे र तक दआ ु ई लेती रही, पता नहीिं इ मुझे इ

बात की

को डिप्रेशन भी हो चक् ु का है और बहुत

के मन में ककया है ”, बुदढ़या उदा

मझ आई कक बेछक हर दे श की

भी हम इिं ान हैं और एक बात

लग रही थी और

भ्यता इलग्ग इलग्ग है लेककन कफर

भी माुँओिं में है कक उन के बच्चे शादीआिं करा लें और वोह

दादा दादी बने। पता नहीिं ककतनी दे र हम ने बातें कीिं, कफर उठ कर हम बादहर िाने के सलए तैयार हो गए क्योंकक हम ने अपने सलए अरबी ड्रै हमारे पीछे कुछ बेचने वाले पढ़ गए। इन लोगों इन्हीिं लोगों

खरीदनी थी। िब हम बाहर आये तो े छुटकारा पाना बहुत मुजतकल होता था।

े तिंग आ कर एक गोरी तो द ू रे ददन ही इजिप्ट छोड़ कर वाप

गई थी। खैर हम भी इ

के आदी हो गए थे और कक ी ना कक ी तरह इन

इिंग्लैण्ि आ े छुटकारा पा

ही लेते। घुमते घुमते हम कपिे की दक ु ानों की ओर आ गए। यह दक ु ाने ब्रबलकुल इिंडिया की तरह ही थीिं। दक ु ानदार ननकल कर बाहर आ िाते और कलाई आते और गैलाबाया हैंगर

े उतार कर हमारे शरीर

बाुँध दे ते। जितनी कीमत वोह मागते, हम उ

े पकड़ कर हमें दक ू ान में ले

े मैच करते और पगड़ी हमारे

े आधी बोलते। कुछ दे र माथापच्ची के बाद

हम दोनों ने गैलाबाया और पगड़ीआिं खरीद लीिं। एक बात हम ने मह ू इिंजग्लश बोलता था, टाुँगे वाले

रों पर

की कक हर कोई

े ले कर छोटे छोटे बेचने वाले बच्चों तक। मैंने नीले रिं ग का

गैलाबाया सलया था और ि विंत ने हरे रिं ग का। अब हम आगे चलने लगे तो एक

ोिा वाटर

वाले की दक ू ान थी और कुछ इजिजप्शयन मदट और औरतें बैठे कोक का मज़ा ले रहे थे। हम ने भी बैठ कर कोक र्पया। एक बात हमारी

मझ में आई कक यह अरे ब्रबयन नाईट का

प्रोग्राम हर बोट और हर िािंस ग िं बार में होता था .इ पाऊिंि के गैलाबाया की इ

दक ू ान

ेल होती होगी .यह एक कक म का ढिं ग ही था

े बाहर आ कर हम होटलों को दे खने लगे। इन्हीिं होटलों में

लड़ककयािं रहती थीिं िो हमें उ उ

े हर रोज़ पता नहीिं ककतने हज़ार ेल बढाने का . े एक में वोह

शाम को समली थीिं। िो पता उन लड़ककयों ने ददया था, हम

में चले गए। वहािं घूम रहे एक कमटचारी को ि विंत ने रूम निंबर बताया कक वोह उन

लड़ककयों को बता दें कक हम लाउिं ि में बैठे हैं। द

समिंट में ही वोह लड़ककयािं नीचे आ गई

और बहुत खश ु हो कर समलीिं। कफर उन्होंने हमारे सलए काफी मिंगवाई। ककया बातें हुईं, मुझे याद नहीिं लेककन कुछ दे र बाद हम बाहर आ गए। यहािं

ड़कें बहुत अनछ थीिं और होटल, एक

े एक बड़ीआ ब्रबजल्ि​िंग थी। कुछ दे र घम ू ने के बाद ि विंत बोला, ” मामा ! टॉयलेट िाने की इच्छा हो रही है “, मैंने कहा,”ि विंत ! कक ी होटल में घु होटल में चले गए। बड़े

िाते हैं “, हिं ते हुए हम एक

े काउिं टर पर बैठा लड़का बहुत खश ु हो कर समला। ि विंत ने

ाफ़


ाफ कह ददया कक वोह टॉलयेट िाना चाहता है । वोह हम को आगे ले गया। कुछ समिंट बाद िब हम बाहर आये तो एक और इजिजप्शयन आ कर हम कुछ दे र बाद बातें बॉलीवुि कफल्मों की शुरू हो गईं। उ टीवी के उ

ामने बैठे इिंडियन कफ़ल्में दे खते हैं और

ने बताया कक कुछ

े समला। बातें होने लगीिं, और

ने बताया कक हर शाम को लोग े र्प्रय हीरो इन का असमताबचन है ।

ाल पहले असमताबचन लक् ु र में आया था। उ

को दे खने के सलए

ारा लुक् र खड़ा हो गया था। शोहले कफल्म यहािं बहुत चली थी और जितना असमताबचन को लोग चाहते थे, उतना ही अमज़द खान को। इ तो वोह शख् इ

के बाद, बात अनछ कफल्मों की होने लगी

बोला,” दरअ ल बॉलीवुि कफ़ल्में मुझे अब इतनी अनछ नहीिं लगती, क्योंकक

में फैंट ी ही होती है , मझ ु े इिंजग्लश कफ़ल्में ज़्यादा प िंद हैं, क्योंकक वोह अ सलयत के

बहुत नज़दीक होती हैं। फैंट ी कफ़ल्में उन की भी हैं लेककन वोह एक फैंट ी कफल्म के तौर पर ही दे खख िाती हैं ” , कुछ दे र बाद हम इ घम ु ते घम ु ते हम अपनी बोट में वाप

होटल

े बाहर आ गए।

आ गए। खरीदे हुए

ामान के बैग हम ने कमरे में

रख कर बार में आ गए और वेटर को दो बीयर लाने को कहा। बहुत गोरे गोरीआिं बैठे ठिं िी बीयर पी रहे थे और ऊिंची ऊिंची बातें हो रही थीिं। पता ही नहीिं चला, कब खाने का वक्त हो गया।

भी उठ कर िाइननिंग हाल में अपनी अपनी

ीटों पर र्वरािमान हो गए। िब खाना

ख़तम हुआ तो हम बातें करने लगे। याद नहीिं, कै े बात चली, बात ्योनतष र्वददया की होने लगी। मैंने अनीता को कहा, ” अनीता ! ज़रा अपना हाथ तो ददखा “, अनीता ने अपना हाथ मेरी ओर बढ़ा ददया। मैं बहुत दे र तक हाथ को दे खता रहा, कफर एक दो दफा उल्ट पुल्ट कर दे खा और बोला,” अनीता ! मैं कोई ्योनतषी तो नहीिं हूुँ, कफर भी कुछ कुछ िानता हूुँ, पहली बात तो यह है कक तुम गया, जि

ोचती बहुत हो “, मेरे इतना कहने

े ही अनीता का मुिंह लाल हो

को मैंने भािंप सलया और कफर बोला,” एक बात और है , तेरे ददमाग में बातें बहुत

आती हैं लेककन तम ु कोई फै ला नहीिं कर पाती कक तुम क्या करना चाहती हो, तेरे र्वचार बहुत अच्छे और धासमटक हैं, धमट कोई भी हो, तुम उन धासमटक बातों को ग्रहण करती हो, िो तेरे मन को भाता है , एक बात और भी है कक तुम जज़न्दगी में बहुत बीमार रह चक् ु की हो। यह बीमारी कोई ऐ ी नहीिं थी िो खतरनाक हो, ब हो लेककन यह बात भी है कक इ

ननराशता

यूिं ही तुम अपने आप में ननराश रहती

े बाहर तम ु तब आओगी, िब तम ु शादी करा

लोगी और शादी के बाद तेरा भर्वष्य बहुत उ्वल होगा ” च बताऊुँ, अनीता का वोह चेहरा अभी तक मुझे याद है । उ आ गई। उ

के चेहरे पर एक चमक

की माुँ भी खश ु हो गई। मैंने कफर कहा,” मैं गलत भी हो

कता हूुँ क्योंकक मैं


कोई प्रोफैशनल नहीिं हूुँ िो हौरोस्कोप के बारे में बोली,” समस्टर भामरा ! िो तू ने बताया वोह

ही िानकारी रखता हो। अनीता हिं ौ फी

दी

कर

च है , अब मैं अपनी जज़न्दगी

का फै ला लेने ही वाली हूुँ “, अभी हमारी बातें ख़तम ही हुई थीिं कक मुझे इ

बात का पता

ही नहीिं चला कक कुछ इजिजप्शयन वेटर मेरी तरफ दे ख रहे थे। एक लड़का िो कोई होगा बी

बाइ

वषट का, हमारे टे बल पर आया और अपना हाथ मेरे आगे कर ददया और कहने

लगा, ” प्लीज़ मेरी ककस्मत में ककया सलखा है , बताएिं “, मैं कुछ है रान

ा हो गया और उ

को कहा कक मैं कोई जियोनतषी नहीिं हूुँ लेककन वोह मेरे पीछे ही पढ़ गया। आखर में मैंने उ का हाथ पकड़ा और दे खा कक उ

के हाथ में एक ही लाइन थी। ऐ ा हाथ मैंने कभी दे खा ही

नहीिं था।

को कहा,” दे खो ! एक ददन तम ु बहुत बड़े आदमी बनोगे

ोच

ोच कर मैंने उ

क्योंकक तुमारा हाथ एक रे अर हैंि है , तुमारी ककस्मत में ब्रबदे अमरीका या कैनेिा हो कुछ ही

कता है , इ

सलखा हुआ है , यह इिंगलैंि

वक्त तुमारे घर की हालत इतनी अनछ नहीिं लेककन

ालों में तुम पै ों में खेलोगे “, वोह लड़का इतना खश ु हुआ कक उ

ने अपने दोस्तों

को भी इजिजप्शयन भाषा में कुछ बोला और वोह भी मेरे पीछे ही पढ़ गए। वोह ीररय

ददखाई दे रहे थे। इ

के बाद उठ कर हम िाइननिंग हाल

भी बहुत

े बाहर आ गए।

कुछ दे र के सलए हम अपने अपने कमरों में आ गए,” मामा ! आि तो तुम को मान गया, भी को खश ु कर ददया “, मैंने कहा, ” ि विंत! आधी बातें तो अनीता की मािं ने बता ही दी थीिं, िब हम ऊपर बैठे थे, इ

के बाद अिंदािा लगाना कोई मजु तकल नहीिं था, रही बात उ

लड़के की, तो चाहे हो इिंडिया, चाहे हो इजिप्ट अमीर बनने के खआ ु ब दे खते हैं,

भी इिंग्लैंि अमरीका िाने के इच्छक हैं और

ो उन के दह ाब

े ही मैंने भर्वष्य बना ददया “, ि विंत

हिं ने लगा और हम अरे ब्रबयन नाइट के सलए गैलाबाया पहनने लगे। हम यह इजिजप्शयन कपड़े पहन कर ऊिंची ऊिंची हिं ने लगे। अिीब काटूटन िै े बन गए थे। इन कपड़ों में बाहर आने को हम शमाटने लगे थे लेककन िब हम हाल में आये तो दे खा थे और एक द ू रे की ओर दे ख दे ख कर हिं में शामल हो गए थे। चलता…

भी अरबी ड्रै

पहने हुए

रहे थे। कुछ दे र बाद हम भी उन लोगों की हिं ी


मेरी कहानी - 174 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 17, 2016 गैलाबाया और पगड़ी पहन कर शमाटते शमाटते िब हम बार में पहुिंच,े तो दे खा वहािं रहे थे। इ े ही

का कारण एक और भी था कक गैलाबाया के नीचे

भी ऊिंची ऊिंची हिं

रहे थे। औरतें भी अरबी ड्रै

दहिाब थे। अनीता की ड्रै

भी बहुत

ुन्दर थी और

हुई हरे रिं ग की दप ु ट्टे िै ी दहिाब थी िो उ

भी हिं

ब पैंटी ही पहने हुए थे। इ

पहने हुए थीिं और

र पर

न् ु दर

र पर रे शमी कपिे की स तारों

को बहुत

ुन्दर बना रही थी।

औरतें इन कपड़ों में पररयों िै ी दीख रही थीिं। कुछ दे र बाद

भी अुँगरे ज़

भी नॉमटल हो गए और बीयर

का मज़ा लेने लगे। स्टे ि पर अरबी मयूजिक बिने लगा और एक लड़की बैली िािं लगी। यह िािं

करने

पहले िै ा ही था लेककन अब वोह िािं र लेिीज़ को पकड़ पकड़ कर िािं

फ्लोर पर ले आने लगी। धीरे धीरे

भी आने लगे और औरतें अपनी अपनी दहप को उ

लड़की की तरह घुमाने लगीिं और हिं ने लगी। ि विंत भी इ इ

में शामल हो गया। मेरी रूगच

में नहीिं थी और मेरे िै े और लोग भी थे। एक वेस्ट इिंडियन काला और उ

पत्नी भी िािं

े िड़ी

की गोरी

करने लगे। वोह वेस्ट इिंडियन ब्रबलकुल भद्दा नाच रहा था, कफर भी गोरे

तासलयािं बिा रहे थे। बहुत दे र तक ऐ े ही

ब िािं

करते रहे और ऊिंची ऊिंची हुँ ते रहे ।

कफर एक किंपीदटशन शुरू हो गया। यह एक प्रकार की गेम थी, जि था। यह खेल कोई आधा घुँटा चला जि

में

भी ने भाग लेना

में ि विंत ने भी एक प्राइज़ िीत सलया।

अब तीन इजिजप्शयन िोकर आ गए। दो आदमी एक घोिा बने हुए थे। एक आदमी झुका हुआ, अपनी दोनों टािंगों और हाथों के बल पर चल रहा था और द ू रा भी झुका हुआ तो था लेककन स फट दोनों टािंगों पर ही और उ हुए थे, जि

े वोह

दे ता था िै े घोड़े पर ड्रै

ारी ऐजक्टिं ग कर रहा था। दे खने को यह ब्रबलकुल घोड़े िै ा ददखाई न् ु दर कपड़ा पहना कर

पहनी हुई थी। ती रा आदमी इ

िा रहा था।

के दोनों हाथ घोड़े के मुिंह िै े बने मास्क में िाले

ारी ऐजक्टिं ग घोड़े के मुिंह

िाया गया हो क्योंकक दोनों के ऊपर घोड़े की

घोड़े की लगाम को पकड़ कर घोड़े को हर टे बल पर ले े ही हो रही थी। वोह

लेककन इतना याद है कक वोह ती रा आदमी मुिंह के मुिंह पर ऐजक्टिं ग करता और

ब बातें तो मुझे याद नहीिं

े बोल रहा था और घोड़े का मुिंह हर गोरी

ाथ ही घोड़े िै ी आवाज़ बोलता, लगता था इ

माइक्रोफोन कफट ककया गया हो । गोरीआिं हिं

हिं

मुिंह में

लोट पोट हो िातीिं। घोड़े का मिंह ु गोरी के

गालों को चम ू ता और पुच पुच िै ी आवाज़ ननकलती। कोई आधा घिंटा यह घोिा

ब को


हिं ाता रहा। आखर में वोह आदमी हर एक को दबके मार कर ऑिटर करता कक तू चल उ िािं

फ्लोर पर। अगर वोह ना उठता, तो वोह शाउट करता और कहता, ”

नहीिं तो तुझे इ

हिं टर

े हिं

की ऐजक्टिं ग

े पीटूिंगा “, उ हिं

के हाथ में छोटे

दहु रे हो रहे थे। आखर में

ुना नहीिं ! उठ,

े हिं टर िै ा ि​िंिा था। ब लोग अरबी ड्रै

ारे लोग

पहने हुए िािं

फ्लोर पर इकठे हो गए। अब अरबी मयजू िक शरू ु हो गया और वोह इजिजप्शयन लड़की भी बैली िािं

करने करने लगी। उ

के

ाथ ही

भी उ

की नक़ल करने लगे। एक तो बीयर

का नशा और द ू रे अरबों िै ा वातावरण ती रे अरबी मयूजिक, ब

एक स्वगीय नज़ारा बन

गया था । िब हम अपने अपने कमरों में िाने को तैयार हुए तो अनीता और उ

की मािं

आ गईं और हम को कहने लगीिं कक हम उन की फोटो लें ताकक यह याद रह िाए। हम ने अरबी कपड़ों में फोटो खीिंची और मैंने वीडियो भी बनाई। यहािं यह भी सलख दुँ ू कक िब हॉसलिे े वाप

आये थे तो मुझे अनीता ने एक पि सलखा था और ऐ ा ही ि विंत को भी सलखा

था। हम ने उ

का िवाब भी ददया था लेककन इ

हम ने सलखा। याद नहीिं ककतने बिे यह

के बाद कोई खत नहीिं आया और न ही

ब ख़तम हुआ लेककन यह रात एक यादगारी रात

बन कर रह गई है । हमारी क्रूज़ बोट भी चली िा रही थी।

ुबह हम ने कफले टै म्पल और अ वान िैम दे खने

िाना था। हम अपने अपने कमरों में िा कर

ो गए थे। क्रूज़ बोट

ारी रात चलती रही।

ब ु ह एक िगह आ कर खड़ी हो गई। नील दररया के ककनारे ककनारे ऐ े क्रूज़ बोट पाककिंग एररये बने हुए हैं िै े

ीपोटट होती है । अब हम ने कफले टै म्पल दे खने िाना था। इ

फर हम ने एक कतती जि

को फ्लूका बोलते हैं

थी। एक बात है कक अुँगरे ज़ लोग है ल्थ ऐिंि शरीर पर

का

े ट्रै वल करना था। यह फ्लूका काफी बड़ी

ेफ्टी पर बहुत गधयान दे ते हैं।

भी याब्रियों को

ेफ्टी िैकेट पहना दी गईं ताकक अगर कतती पानी में उल्ट िाए तो बचाव हो

के। एक एक करके ककतनी दे र लगी, ब

भी फ्लक ू ा में बैठने लगे। यह फ्लक ू ा मोटर

े चलती थी। याद नहीिं

इतना याद है कक िब हम कफले टै म्पल पहुिंचे तो एक एक का हाथ

पकड़ कर ककनारे ले आने लगे। आगे खिंिरात ही खिंिरात नज़र आ रहे थे। बड़ी बड़ी दीवारों पर पुरातन इजिजप्शयन फैरो और आम लोगों की तस्वीरें पत्थरों पर खद ु ी हुई थी। दे खने को तो जिधर भी िाते थे हर िगह ऐ े ही टै म्पल ददखाई दे ते थे लेककन हर टै म्पल का अपना ही इनतहा

था जि

को स फट गाइि ही बता

कता था कक इन तस्वीरों के ककया अथट हैं।

आइशा ने बताया कक िब अ वान िैम बनना था तो यह यूनैस्को ने ही इन को बचाया था। यह िो टै म्पल हैं, उ

ब मौनूमन् ैं ट लेक में िूब िाने थे। लेक की िगह

े पी

बाई पी


यहािं लाया गया था। इन में िगह िोड़ा गया था, जि

े ज़्यादा महत्व वाले मौनूमट ैं अबहु स ब िं ल है िो दरू कक ी

िगह का नाम मुझे अब याद नहीिं। हम ने यह अभूस ब िं ल दे खने

का प्लैन भी बनाया था लेककन िा नहीिं ले िाए गए थे और

के। अभूस ब िं ल के

ारा काम यन ू ेस्को की तरफ

समसलयन पाउिं ि खचट आया था। इन को कक ी और िगह

ारे मौनम ैं ू ट्

भी स्टै चू पी

बाई पी

वहािं

े ही ककया गया और इ

पे पािंच

को दे ख कर लगता ही नहीिं था कक इन

े लाया गया था। ब्रबलकुल ऐ ा ही लगता था, िै े हज़ारों

ालों

यह यहािं ही खड़े हैं। आगे गए तो एक बहुत बड़ा टै म्पल था। अब आइशा ने एक कहानी ुनाई कक कोई आिड़ी अपनी बकररयािं चरा रहा था कक अचानक एक िगह धड़ाम नीचे िा गगरी और

ाथ ही उ

े ज़मीिंन

की बकरी भी। नीचे िाना बहुत कदठन था क्योंकक बकरी

बहुत ही नीचे गगर गई थी। शोर मच गया और एक बड़ी

ीढ़ी लगाईं गई। िब एक शख्

नीचे गया तो दे ख कर ही है रान हो गया कक नीचे पें दटिंग्ि ही पें दटिंग्ि थीिं और कमरे ही कमरे थे, जिन पर इनतहा

सलखा हुआ था।

अब आइशा ने हमें

ुझाव ददया कक हम खुद वोह पें दटिंग्ि दे खें लेककन एक बात है कक नीचे

िाने के सलए अभी भी लकड़ी की

ीढ़ी लगी हुई है ,

ो अगर िाना है तो ज़रा गधयान

ीढ़ी पर अपने पैर रखना क्योंकक अभी भी नीचे कुछ कुछ अुँधेरा है । कुछ आगे गए और एक बहुत ही बड़ी ब्रबजल्ि​िंग में कुछ लोग पहले ही इन गफ ु ा को दे खने के सलए िमा थे। िब हमारा ग्रप ु वहािं पहुिंचा तो एक एक करके हम भी तिंग थी कक ब

जितनी िगह थी, उतनी ही चौड़ी

उतरना पड़ता था, एक इजिजप्शयन इ

ीढ़ी

े नीचे उतरने लगे। यह िगह इतनी

ीढ़ी थी और बहुत गधयान

ीढ़ी के पा

े नीचे

बैठा था और अगर कोई न उत्तर

के

तो उ

की मदद करता था, एक एक करके िब हम नीचे गए तो दे ख कर ही अचिंसभत हो

गए।

भी दीवारें पें दटिंग्ि

े भरी हुई थीिं और

हुआ था। लाइट बहुत कम थी लेककन

ाथ

ाथ परु ातन भाषा में बहुत कुछ सलखा

भी पें दटिंग्ि इिंटैक्ट थी, कोई भी

मय के

ाथ

ाथ

खराब नहीिं हुई थीिं। याद नहीिं ककतनी दे र हम नीचे रहे लेककन यह नज़ारा कभी भूल नहीिं कुँू गा। अभी तक मेरे ददमाग में वोह तस्वीर व ी हुई है । इ और कई मौनूमट ैं दे खे।

के बाद हम ऊपर आ गए

ब पथर ही पत्थर था और यह भी मालूम हो गया कक पत्थर का

इतना इस्तेमाल क्यों ककया गया। िब हर िगह पत्थर ही पत्थर हों तो नहीिं है कक

ारे समस्र में इतने पत्थरों के टै म्पल क्यों हैं।

भारी पत्थरों को अ ैम्बल कै े ककया होगा, िबकक उ

मझना मजु तकल

वाल तो एक ही था कक इतने मय कोई करे न नहीिं होती थी।


याद नहीिं ककतनी दे र हम यहािं रहे और वाप

फ्लक ू ा में बैठ कर अपनी क्रूज़ बोट की तरफ

चल पड़े क्योंकक डिनर का वक्त हो रहा था। कुछ ही दे र बाद हम खाना खा रहे थे। खाने के बाद कुछ दे र ऊपर आ कर िैक चेअऱज़ पर आराम फरमाने लगे। कोई दो घिंटे के बाद आइशा कफर आ गई और अब हम ने अ वान िैम दे खने िाना था िो लेक ना र पर बना हुआ है । इ

के सलए हम कोच में बैठ गए। याद नहीिं ककतनी दे र लगीिं और अब हम िैम के नज़दीक

पहु​ुँच गए। यहाुँ दररया नील बहुत चौड़ा और र्वशाल था। एक िगह कोच खड़ी हो गई और हम

ब िैम की तरफ चलने लगे। कुछ दे र चलने के बाद अब हम िैम के ऊपर चल रहे थे।

यहािं बहुत लोग इ

को दे खने आये हुए थे। एक िगह एक

लगे हुए थे, जिन पर िैम का एक ओर गेटों

ाइि पर बड़े बड़े नोदट

बोिट

ारा नक्शा और दररयाए नील को अनछ तरह दशाटया हुआ था।

ामने बहुत बड़ा ब्रबिली घर ददखाई दे रहा था और द ु री तरफ नील के बाुँध के

े पानी की बड़ी बड़ी धाराएिं बह रही थीिं, तो द ु री तरफ दररया नील का पानी दीख रहा

था। यहािं हम िैम के ऊपर खड़े थे दररया की चौड़ाई कम ेकम एक फलािंग होगी लेककन दरू तक नज़र

े यह एक बहुत बड़ी झील ही ददखाई दे ती थी और इ

का नाम भी लेक ना र

ही था। आइशा ने तो बहुत कुछ बताया था लेककन मझ ु े कुछ कुछ ही याद रहा है । इतना याद है कक इ

िैम को बनाने में ना र को बहुत मुजतकलों का

ामना करना पड़ा था। इ

िैम को बनाने पर इजिप्ट का इनतहा क नुक् ान बहुत हुआ था क्योंकक इ इज्पट की पुरानी यह बहुत

भ्यता के नूब्रबयन लोग रहते थे, जिन को यहािं

ारा एररया पानी में हमेशा के सलए िूब गया। यहािं े टै म्पल बचाये जिन में

े दरू ले िाय गया और

े ही यूनेस्को ने अभूस ब िं ल िै े

े कुछ िमटन िैंच और अुँगरे ज़ अपने अपने दे शों को ले

गए। यह दे श, यह इनतहास क आदटट फैक् बहुत काम ककया था। इन में

िगह ही ज़्यादा

मुफ्त में नहीिं ले के गए, इ

के सलए इन लोगों ने

े कुछ लिंदन के ब्रब्रदटश मयूजज़यम में रखे हुए हैं।

मैंने अपने पिंिाब में भाखड़ा िैम भी दे खा हुआ था लेककन यह अ वान िैम उ था। आइशा ने बताया कक इ

े कहीिं बड़ा

दररया पे एक िैम १९०२ में अिंग्रेिों ने भी बनाया था लेककन

यह इतना कामयाब नहीिं हुआ था। यह िैम बनाने का मक द स फट ब्रबिली पैदा करना ही नहीिं था बजल्क इ

दररया में बाड़ आने

े हर

ाल िो नुक् ान होता था, उ

े भी बचाव

करना था। िब भी बाढ़ आती थी, िान माल और फ ल को भारी नक् ु ान पहु​ुँचता था। एक घुँटा हम यहािं घम ु ते रहे और आखर में िब िाने लगे तो आइशा हिं

कर बोली,” इ

लेक में

क्रॉकोिायल बहुत हैं, ज़रा गधयान रखें , कोई क्रॉकोिायल तुमारा पीछा ना कर रहा हो “, इ पर

भी हिं

पड़े और कोच की तरफ िाने लगे। कोच में बैठ कर हम अपनी बोट की तरफ


रवाना हो गए। िब अपनी बोट में पहुिंचे तो शाम हो गई थी। कुछ दे र बैठ कर मैं और ि विंत बाहर घूमने चल पड़े। आइशा का काम अब ख़तम हो गया था और अब िो भी हम ने दे खना था,हमारी मज़ी थी। इ

बोट में अब हमारा एक ददन ही रह गया था और इ

बाद द ू रे ददन शाम को हम ने र्विंटर पैले

के

होटल में चले िाना था। कई लोगों ने कक ी

और होटल में िाना था, यहािं उन की बकु किंग की गई थी लेककन आखर में हम ने एक ही ऐरोप्लेन में वाप

इिंग्लैंि िाना था।

मैं और ि विंत ने अपने बाल पीछे की ओर ररबन

े बािंधे हुए थे । िब हम कक ी द ू रे दे श

में िाते हैं तो उन के दे श की बहुत बातों का हम को गगयान नहीिं होता। हम को यह ब्रबलकुल मालूम नहीिं था कक इ

दे श में मदों के बाल पीछे बाुँधने के ककया अथट थे। इ

एक बहुत ही हिं ी वाली बात थी िो हम को उ

ददन ही पता चला और हम ने

में

र पर

पगड़ीआिं दब ु ारा रख लीिं। िब हम बािार में घूम रहे थे, तो हम को ब्रबलकुल मालूम नहीिं था कक इजिजप्शयन लोग हम को gay

मझ रहे थे। यह तब हम को पता चला िब हम घम ू

रहे थे तो एक लड़का हमारे पीछे पीछे चलने लगा और हमारे नज़दीक आ कर बोला, ” मैं आप को खश ु कर दिं ग ू ा, मुझे स फट नहीिं लेककन ि विंत िल्दी ही

ौ इजिजप्शयन पाउिं ि दे दो “, पहले तो हम कुछ

मझ गया और िोर

े उ

मझे

को बोला, ” भागता है , या पुसल

बल ु ाऊुँ “, वोह लड़का भाग खड़ा हुआ और हम हिं ने लगे। इ ी तरह एक दफा कफर हुआ, उ

को भी हम ने िािंटा और वोह भी भाग गया। इ

यहािं टूररस्ट का बहुत खखयाल रखा िाता है और पुसल िो कोई टूररस्ट को तिंग करे । इ

े एक बात और भी पता चली कक ऐ े लोगों

के बाद हम ने एक ददन भी पगड़ी

अब तो यह भी पता चल गया कक पगड़ी वाले को बहुत अच्छा

ख्ती र

े पेश आती है , े नहीिं उतारी।

मझते हैं क्योंकक इज्प्शन

लोग खद ु पगड़ी बािंधते हैं। ैर करके िब हम वाप

आये तो शाम के खाने का वक्त होने वाला ही था। बार में िा कर

हम ने दो दो बीयर की बोतलें पीिं और उन इजिजप्शयन लोगों की बातों पर हिं ते रहे । अब ब िाइननिंग हाल में िाने लगे। टे बल पर बैठे खाना खा रहे थे और अनीता और उ े बातें हो रही थीिं कक हमारा यह

की माुँ

ाथ बहुत अच्छा रहा था। अनीता बोल रही थी कक वोह

इिंगलैंि िा कर हम को खत सलखेगी। क्योंकक एक हफ्ता हम चारों ने खाना एक ही टे बल पर खाया तो यह बातें भूलने वाली तो हो ही नहीिं चलता…

कतीिं।


मेरी कहानी - 175 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 20, 2016 ुबह उठे और ब्रेकफास्ट करके हाल में आ गए। द ु रे लोगों

े बातें करते करते हम ऊपर

न िैक पर आ गए और धप ु का मज़ा लेने लगे। एक दो गोररआिं बैठ ककताबें पढ़ रही थीिं। आि

ारा ददन बोट यहाुँ ही खड़ी रहनी थी, इ

था। गोरे लोग पुरानी

सलए हम प्लैन बनाने लगे कक कहाुँ िाना

सभयता को िान्ने के बहुत शौक़ीन हैं और बातें कर रहे थे कक आि

नूब्रबयन र्वलेि दे खा िाए। हम ने नूब्रबयन लोगों के बारे में

ुना तो था लेककन यह कौन

लोग होंगे, यह उत् ुकता हम को भी हो गई और हम ने भी वहािं िाने के सलए हाुँ कह दी। िब बाहर आये तो तकरीबन बी

लोग वहािं िाने को तैयार हो गए। हम

ब को इकठे

चलते दे ख कर, कजततयों वाले हमारे पीछे पढ़ गए। रोि रोि उन का काम यही होता है , इ सलए उन को पता होता है कक यािी कहाुँ िाते हैं। कहाुँ िाना है ! नूब्रबयन र्वलेि ? क्रॉकोिाइल आइलैंि ? बॉटननक गािटन ?, आई है व ए ब्रबग फ्लूका, वैरी चीप ! इ

तरह

कहते हमारे पीछे आने लगे। मोल भाव करने में मैं इतना अच्छा नहीिं हूुँ लेककन ि विंत बहुत अच्छा है । गोरे भी काफी एक् पटट हैं क्योंकक वोह तो घम ु ते ही रहते हैं। एक बात और भी थी, हर िगह लोग ब्रब्रदटश पाउिं ि की मािंग करते थे लेककन हम ने कहीिं भी ब्रब्रदटश पाउिं ि नहीिं ददया क्योंकक हम को पता था कक एक ब्रब्रदटश पाउिं ि के द

इजिजप्शयन पाउिं ि हो िाते हैं।

एक गोरे ने हर एक के बी

इजिजप्शयन पाउिं ि में उन

े बात कर ली। हम ने नूब्रबयन

र्वलेि िाना था। धीरे धीरे

ब लोग एक फ्लूका में बैठ गए और वोह इज्पसशयन चपू

बोट को पानी में ले िाने लगा। दररयाए नील काफी चौड़ा है लेककन पानी शािंत था।

ेफ्टी

िैकेट कक ी के सलए भी नहीिं थी। कुछ गोरे खु र फु र कर रहे थे लेककन वोह इज्पसशयन बोलने लगा कक उ

को यह कतती चलाते बी

रात को इ

ो िाता है । यह इजिजप्शयन होगा कोई चाली

में ही

अनछ इिंजग्लश बोलता था। इ

शख्

वषट हो गए थे और वोह तो कई कई ददन,

के कपिे बहुत ही

पैंताली

का और बहुत

ाधाहरण थे िै े हमारे दे श में गरीब

लोगों के होते हैं। मझ ु े तो वोह इिंडियन ही लग रहा था। कुछ गोरे उ

की जज़न्दगी के बारे में

वाल कर रहे थे कक वोह रोज़ाना ककतने घिंटे काम करता था। एक गोरी पे मुझे कुछ हिं ी भी आई, िब उ

ने पुछा कक वोह कभी हॉसलिे के सलए भी िाता है ?, वोह इजिजप्शयन

बोला कक बोट की लाइ ें

फी ही बहुत थी और कक ी ददन इतने यािी समलते नहीिं क्योंकक

कजततयों वाले और भी बहुत थे। कई कई ददन वोह घर िाता ही नहीिं था और कफर उ बोट की एक तरफ

े एक लकड़ी का टुकड़ा एक ओर ककया और हम

ब ने दे खा, एक

ने


ाधाहरण कही िा

ा ब्रबस्तर लगा हुआ था। यह िगह कोई इतनी नहीिं थी, जि के।

ारे गोरे चप ु हो गए लेककन मैं तो

ाधाहरण हैं। मैं तो खद ु अपने खेतों में बहुत दफा ो चक् ु का हूुँ लेककन गोरे यह बातें

मझ ही नहीिं

को

ोने की िगह

मझता था कक यह बातें हमारे दे श में तो ो चक् ु का हूुँ। मैं तो अपने छकड़े पर भी कते। हॉसलिे के सलए इन लोगों का

ोचना ही मख ट ा होगी क्योंकक यहािं तो बात रोज़ी रोटी की थी। ू त एक बात थी, यह फ्लूका भी हमारी क्रूज़ बोट की तरह ही धीरे धीरे चल रही थी। दररया के ककनारे बैठे बच्चों को दे ख कर भारत के बच्चे ही परतीत हो रहे थे। कभी वोह हम की ओर हाथ दहलाते तो हम भी िवाब दे ते। कभी कोई क्रूज़ बोट रास्ते में समलती तो उ िैक पर बैठे लोग हम को वेव करते और हम भी हिं चलती रही और कफर एक िगह आ कर उ तो यह काम थोह्ड़ा मुजतकल लग रहा था। उ जि

े द

बारह इिंच होगी। िब

न्न

कर िवाब दे ते। कोई आधा घिंटा फ्लूका

ने खड़ी कर दी। अब हम ने बाहर ननकलना था, ने बोट

पर हम ने चलना था। था तो यह तकरीबन द

चौड़ाई मुजतकल

के

े ककनारे तक एक लकड़ी रख दी, बारह फुट का रास्ता लेककन लकड़ी की

ारे उत्तर गए तो फ्लूका वाला शख्

बोला कक

आगे नूब्रबयन लोग रहते हैं, यह इज्पट के पुराने लोग हैं और इन की अपनी ही

भ्यता है ,

अपने ही रीती ररवाज़ हैं और

भी एक िगह ही रहते हैं। अब

भी ककनारे

े ऊपर चढ़ने

लगे क्योंकक नब्रू बयन लोगों के घर काफी ऊिंचाई पर थे । िै े ही हम बस्ती में िाने लगे, पिंदरािं बी

बच्चे हमारे इदट गगदट आ खड़े हुए। एक गोरी ने अपने है ण्ि बैग

े स्वीट्

का

लफाफा ननकाला और बच्चों को एक एक स्वीट दे ने लगी लेककन कुछ ही दे र में एक लड़का पीछे

े आया और गोरी के हाथ

े वोह लफाफा ही छ न कर ले गया। गोरी का

ारा मोह

र्पयार गुस् े में बदल गया और बोली, ” bloody devil !”, मुझे मन ही मन में इिंडिया याद आ गया क्योंकक ऐ ा ही हमारे

मय गाुँव में होता था। दोनों तरफ ऐ ा ददखाई दे रहा था

िै े मैं इिंडिया के कक ी गाुँव में आ गया हूुँ। एक ओर आम के बक्ष ृ थे और कुछ अन्य कक म के थे लेककन लगता था, कक ी खेत में बक्ष ृ खड़े हों। एक गली में दाखल हुए तो दे खा गली के बीच में

े घरों का गन्दा पानी बह रहा था लेककन दोनों तरफ

फाई थी। चलते

चलते िब दाईं ओर मुड़े तो गली के दोनों तरफ िो मकान थे, ब्रबलकुल ही इिंडिया िै े थे, पक्के और खखड़कीआिं तो ब्रबलकुल वोह ही थीिं िो इिंडिया में लोहे की वोह फ्लक ू ा वाला शख् े हम

ुन नहीिं

ीखों

े बनी होती हैं ।

हमारे आगे था और कुछ बता भी रहा था लेककन पीछे होने की विह

के थे। गली के बच्चे हमारे इदट गगदट थे। कभी कभी वोह इजिजप्शयन उन


बच्चों को अपनी भाषा में खझड़कता, वोह चले िाते लेककन कुछ दे र बाद कफर आ िाते, शायद यह तमाशा उन के सलए रोि का था। कुछ ही दे र में उ कफर उ

ने हमें एक घर के भीतर आने को बोला। एक एक करके

भी आ गए।

ने हमें एक कमरे में दाखल होने को बोला और हम अिंदर िाने लगे। कमरा इतना

बड़ा तो नहीिं था लेककन

भी अिंदर आ गए और बैठ गए। अिंदर टीवी चल रहा था और कोई

इजिजप्शयन कफल्म चल रही थी। दो औरतें बैठ थीिं, जिन्होंने पदाट ब्रबलकुल नहीिं ककया हुआ था। वोह स्लाईओिं का कोई कुछ जि

के

े कोई चीज़ बन ु रही थीिं, लगता था कोई है ण्ि बैग होगा या मेज़ के ऊपर

िावट के सलए कुछ हो, िो भी वोह बुन्न रही थीिं बहुत

ुन्दर डिज़ाइन था

ुन्दर रिं ग अभी तक मुझे याद हैं । वोह औरतें उठ कर अिंदर चली गईं। कमरे का

भीतर भी ब्रबलकुल इिंडिया िै ा ददखाई दे ता था और दीवार पर कुछ फोटो लगी हुई थीिं, जिन में ना र की तस्वीर भी थी। याद नहीिं उ

इजिजप्शयन ने नूब्रबयन लोगों के बारे में ककया

ककया बातें बताईं लेककन एक बात थी कक यह नब्रू बयन लोग कुछ ज़्यादा काले रिं ग के थे, िै े

ूिानी या

माली लोग होते हैं। इ

े एक बात तो

ाफ़ हो िाती थी कक इन लोगों

के बज़ुगट िो कभी इजिप्ट पर राि करते थे और फैरो कहलाते थे, उन का रिं ग भी ऐ ा ही होगा। कुछ दे र बाद वोह औरतें कफर अिंदर आ गईं। उन दोनों के हाथ में चाय के कपों भरी दो ट्रे थीिं। इ चाय बहुत

चाय का रिं ग गल ु ाबी रिं ग था और कप शीशे के थे, जि

न् ु दर लग रही थी। इ

चाय में दध ू ब्रबलकुल नहीिं था, ब

शरबत ही ददखाई दे रहा था। हर एक को एक एक कप ददया गया।

की विह

े े

गल ु ाबी रिं ग का गाड़ा च बताऊुँ, ऐ ी चाय

जज़न्दगी में पहली दफा पी और इतना मज़ा आया कक अभी तक भूलता नहीिं। यूिं तो इिंगलैंि में है ल्थ शॉप

े कई तरह की चाय समलती है लेककन ऐ ी चाय कफर कभी नहीिं पी। हर कोई

लवली लवली बोल रहा था। िब क्राफ्ट ददखाने लगीिं, जि

ब ने चाय पी ली तो कफर औरतें अपना बनाया हुआ हैंिी

में बहुत कुछ था। काफी लोगों ने कुछ ना कुछ खरीद सलया, मैं

और ि विंत ने भी छोटे छोटे हैंि बैग खरीदे । अब वोह इजिजप्शयन

ब को घर के ऊपर छत पर ले आया। इिंडिया िै ी ईंटों की

थी। ऊपर एक कोने में एक ए गया हो। यह ए शायद इिंडिया लोग तो

ी पड़ा था जि

ीिीआिं

को ि​िंगाल लगा हुआ था, शायद खराब हो

ी ब्रबलकुल इिंडिया का बना लगता था िो उ े इम्पोटट हुआ हो। छत के इदट गगदट

वक्त इिंडिया में होते थे,

ेफ्टी के सलए ि​िंगला बना हुआ था। गोरे

ारी दनु नआिं घुमते रहते है , इ ी सलए बोल रहे थे कक इन नूब्रबयन लोगों का स्टैंिर

ऑफ सलर्विंग बहुत अच्छा था। हमें भी ऐ ा ही लगा था क्योंकक ना तो बहुत गरीबी ददखाई


दे ती थी और ना ही अमीरी। छत पर

े दरू दरू तक दे ख कर ऐ ा लगता था, िै े भारत के

कक ी गाुँव में कुछ लोगों के घर अच्छे होते हैं और कई लोगों के कुछ छोटे । कुछ दे र छत पर गाुँव का नज़ारा दे ख कर नीचे आ गए और वोह इजिजप्शयन हमें गाुँव के भीतर ले आया। वहािं बहुत

ी दक ु ाने थीिं और एक तरफ उन की एक मजस्ज़द भी थी। यह एक बािार िै ा

था और कुछ यव ु ा लड़के मोटर बाइक पे इधर उधर िा रहे थे। गोरे लोगों ने कुछ ना कुछ यहािं

े भी खरीद सलया लेककन हमें कुछ ख़ा

की ओर आने लगे। एक एक करके चल ददए। िब वाप

ददलचस्प नहीिं लगा। अब हम वाप

भी फ्लूका में बैठ गए और वाप

फ्लूका

क्रूज़ बोट की तरफ

आये तो लिंच का वक्त हो गया था।

खाना खा कर बातें करने लगे कक अब कहाुँ िाना था। फै ला हुआ कक क्रॉकोिायल आइलैंि िाया िाए। क्रूज़ बोट

े ननकल कर कफर हम ने एक फ्लूका ले ली और क्रॉकोिायल आइलैंि

की तरफ चल ददए। यहािं पहु​ुँचने में एक घिंटा लग गया। िब हम पहुिंचे तो वहािं बहुत ही कजततयाुँ खड़ी थीिं और इज्प्शन लोग बच्चों के

ाथ आये हुए थे। ऊपर िाने का रास्ता

इतना अच्छा नहीिं था। एक एक करके दटकट ले कर आगे िा रहे थे। िब हमारा ग्रुप आ गया तो इकठे चलने लगे। आगे बहुत ही हम ने पहले कभी नहीिं दे खे थे।

ुन्दर

ुन्दर पाकट थी जि ड़कें और दोनों तरफ

छोटे , कुछ बड़े और कई बहुत ऊिंचे थे िो खिरू के थे। इ कहते होंगे, मझ ु े

में तरह तरह के बक्ष ृ थे िो ुन्दर फूल और पेड़, कुछ

को क्रॉकोिायल आइलैंि क्यों

मझ नहीिं आया क्योंकक िब आगे गए तो छोटा

ा गचडड़या घर िै ा

एररया था, यहािं तरह तरह के िानवर थे लेककन क्रॉकोिायल स फट एक ही था। इदट गगदट बड़ी फैन्

ेफ्टी के सलए

बनाई हुई थी। यह िानवर दे ख कर इतना मज़ा नहीिं आया लेककन यह

ारा पाकट ही बहुत बदढ़या था, आगे एक रै स्टोरैंट था, खाने के सलए बाहर ही मेज़ कु ीआिं रखे हुए थे। खाना तो हम खा के आये थे लेककन हम ने आइ आइ

क्रीम का ऑिटर दे ददया। यह

क्रीम भी एक याद बन कर ही रह गई है क्योंकक यह बहुत ही स्वाददष्ट थी। घिंटे िेढ़

घिंटे तक यहािं हम रहे और कफर वाप ी शुरू हो गई। यह भी एक शॉटट र्वजज़ट ही थी। क्रॉकोिायल आइलैंि

े वाप

आ कर

भी

न िैक पर आ गए। वेटर घम ू रहा था और हम

ने उ े कॉफी और केक लाने को बोल ददया। कुछ गोरे जस्वसमिंग पूल में नहाने लगे। ि विंत बोला,” मामा ! चल बाहर चलते हैं “, उठ कर हम

ड़क पर आ गए। आगे गए तो इिंडिया

की तरह ही रे हडड़यों पर दक ु ानदार खाने की चीज़ें बेच रहे थे लेककन सभन्न थीिं। एक िगह बहुत

ब चीज़ें इिंडिया

े टाुँगे खड़े थे और वोह हमारे पीछे पड़ने लगे लेककन हम ने

उन्हें बता ददया की हम शॉर्पिंग करने के सलए आये हैं। आगे छोटी छोटी दक ु ानों

े बना


छोटा

ा शॉर्पिंग माल था और

भी दक ु ानें इिंडिया िै ी ही थी। एक दक ू ान

गहनों की थी। दक ु ानदार उठ कर आ गया और हमें भीतर ले आया। उ को ददखाया लेककन हम ने गहने तो खरीदने नहीिं थे। एक चीज़ िो उ

ोने चािंदी के

ने बहुत कुछ हम ने बताईं, उ

की

ओर हम आकर्षटत हो गए। वोह थी, गहनों के ऊपर परु ानी इजिजप्शयन भाषा में नाम सलखना। उ

ने कुछ गहनों के ऊपर इजिजप्शयन भाषा में सलखा हुआ ददखाया, िो हमें प िंद

आ गया। ि विंत ने एक चािंदी की चेन और उ

में बड़ा

ा पें डिट प िंद ककया और उ

ऊपर दक ु ानदार को अपने बेटे का नाम सलखने को बोल ददया। इ

के

पैंिट े की कीमत स फट

इजिजप्शयन पाउिं ि थी और यह मुझे भी प िंद आ गया और मैंने अपने पोते ऐरन के सलये खरीद सलया और उ

के ऊपर ऐरन का नाम एिंग्रेव करने को कह ददया। उ

इजिजप्शयन भाषा का अल्फाबेट था। िो पें डिट पे सलखा िाना था, उ

के पा

परु ातन

ने हमें ददखा ददया।

एक घिंटे बाद दक ु ानदार ने हमें आने को बोल ददया। पै े दे कर हम बाहर आ गए और बािार की तरफ चल पड़े। आगे कुछ बच्चे पुरानी इजिजप्शयन भाषा की लीफलेट बेच रहे थे, जिन पर

ाथ

ाथ इिंजग्लश के लफ्ज़ सलखे हुए थे। हमें यह ददलचस्प लगा और एक एक

हम ने खरीद ली। यह भाषा भी अिीब ही थी। इ हों। बहुत अिीब अक्षर थे। इ

को

के अक्षर ऐ े थे िै े तोते, गचडड़आिं,

ािंप

मझना तो आ ान नहीिं था लेककन हमारे सलए यही

बहुत था कक अगर हम ने कोई नाम सलखना हो तो कौन कौन

े इजिजप्शयन अक्षर सलखने

थे। लुक् र के बािार में हम आ गए थे। िै े िै े हम आगे चलते गए, लग रहा था, हम इिंडिया के बािार में ही घूम रहे हैं, दालें म ाले उ ी तरह बोररयों में रखे हुए थे और बोररयों के मुिंह खोल कर

ब तरफ मुड़े हुए थे। रिं ग बरिं गे म ाले िो इिंडिया िै े तो नहीिं थे लेककन उन में

े अरबी म ालों की खश ु बू आ रही थी। कुछ आगे गए तो एक छोटा

ा पोस्ट ऑकफ

ददखाई ददया। ि विंत बोला, ” मामा कुछ पोस्ट कािट और स्टै म्प ले लेतें हैं ताकक हम इिंग्लैंि को भेि

कें। वही​ीँ हम ने सलखे और वही​ीँ पोस्ट कर ददए लेककन वोह इिंग्लैंि कभी पहुिंचे ही

नहीिं। एक घिंटा बीत चक् ु का था और हम वाप

ुनार की दक ू ान में आ गए। पें डिट उ

ने तैयार कर ददए थे और ले कर हम बोट की तरफ चल ददए। आि रात का खाना खा कर हम ने यहािं

े रुख त हो िाना था। अनीता और उ

की माुँ पहले ही कक ी और होटल में

चले गई थीिं। कुछ लोगों की आि यह आख़री रात ही थी और उन्होंने वाप था, दो ननऊज़ीलैंिर थे, उन्होंने भी

इिंग्लैंि आ िाना

ुबह चले िाना था। मैं और ि विंत बार में बैठ कर

बीअर पीने लगे और कुछ दे र बाद हम काउिं टर पर आ कर अपना दह ाब ककताब चक ु ता


करने सलए, मैनेिर के

ाथ बातें करने लगे। एक हफ्ते के 1600 इजिजप्शयन पाउिं ि बने थे।

पै े दे कर रर ीट ली और कफर अपने पा पोटट और दटकटें भी ले लीिं और कमरे में आ कर अपना

ामान बाुँध सलया । अब हम िाइननिंग हाल की ओर चले गए। द

था। िाइननिंग हाल में आ कर मज़्ज़े अपने कमरों में

े खाना खाया और इ

ामान लाने चले गए।

इिंतज़ार करने लगे। ठ क द

ामान ले कर

बिे कोच आ गई।

कर कक ी और होटल में चले गए। कोई द

के बाद

चलता…

भी उठ कर अपने

भी हाल में आ कर कोच का

भी बैठ कर चल पड़े। कुछ रास्ते में उत्तर

गोरे और हम दोनों िब एक होटल के पा

कर खड़े हुए तो ऊपर दे खा, सलखा हुआ था होटल र्विंटर पैले । होटल यनू नफामट पहने हुए कुछ आदमी हमारा

बिे कोच ने आना

ामान भीतर ले िाने लगे।

े िाकट ब्राऊन रिं ग की


मेरी कहानी - 176 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 24, 2016 रात के वक्त हम क्रूज़ बोट में नहीिं था और इ

के

े र्विंटर पैले

होटल में आ गए थे। होटल कोई ज़्यादा दरू

ामने ही दररया नील था, दरअ ल हमारी क्रूज़ बोट दररया की कुछ

दरू ी पर थी। होटल की ब्रबजल्ि​िंग दे ख कर ही हम है रान हो गए। इतना बड़ा क्लोननअल होटल कक दे ख कर पता चल गगया कक उ

वक्त अिंग्रेिों की शानोशौकत कै ी थी। पहले हम

रर ेप्शन की ओर ही गए। यह काफी बड़ा हाल था, जि ामने ही काउिं टर था, जि हमारा

ामान होटल के

पर एक स्माटट यूननफामट पहने हुए एक इजिजप्शयन खड़ा था। वेन्ट पहले ही ले गए थे और हमारे कमरे में रख ददया गया था,

िो चौथी मिंजज़ल पर था। उ

इज्प्शन ने हमें बॉक्

दटकटें और कुछ िरूरी कागज़ात बॉक् बॉक्

बन्द कर ददया और हमें बॉक्

निंबर ददए और हम ने अपने पा पोटट ,

में रख ददए। उ

ने

ब चीज़ें बॉक्

में रख कर

की चाबी और कमरे की चाबी दे दी। कफर वोह हमें

िाइननिंग हाल ददखाने ले गया िो बहुत ही बड़ा था। इ ब्रेकफास्ट लेना था। इ

की एक तरफ ब्रबयर बार थी,

िाइननिंग हाल में रोज़ाना हम ने

होटल में स फट बैि ऐिंि ब्रेकफास्ट ही हम को समलना था, िो हमारी

हॉसलिे पॅकेि में था। दप ु हर और रात को हम कक ी भी होटल में िा कर खाना ले हम चाहें , इ

होटल में भी खाना खा

कते थे, यह हमारी मज़ी ही थी लेककन इ

कते थे। के पै े

हम को कैश दे ने थे, स फट ब्रेकफास्ट ही िी था। ि विंत बोला, ” मामा ! पहले रूम दे ख लें, कफर नीचे आएिंगे “, एक

वेन्ट हमारे

ाथ हो सलया और हम सलफ्ट के पा

खड़े हो गए।

सलफ्ट आई तो हम बैठ कर चौथी मिंजज़ल पर आ गए। कॉररिोर में िाते िाते हमारा कमरा आ गया। रूम खोल कर हम अिंदर गए, वोह

वेन्ट उ ी वक्त चला गया। हमारे

पहले ही वहािं पड़े थे। रूम दे ख कर रूह खश ु हो गई। क्रूज़ बोट के रूम बड़ा होगा और बैि भी बहुत बड़ी थी, जि

े यह रूम चार गुणा

पर बैि शीट को खब ू ूरत डिज़ाइन बना के

ब्रबछाया हुआ था और बैि के मध्य में दो बड़े बड़े चॉकलेट रखे हुए थे और गल ु ाब के फूलों की कुछ पुँखड़ीआिं ब्रबखरी हुई थीिं और कमरे में अपने कपिे वािटरोब में

ोफे पे बैठ गए। इ

ारी बैि पर

ट ैं की खश ु बू आ रही थी।

ज़ा कर हम नीचे आ गए। वहािं थॉम न हॉसलिे वालों का

ररप्रीजि​िंटेदटव बैठा था और हमारी क्रूज़ बोट के ही कुछ गोरे उ एक

ट ू के

रीर्प्रिेंटेदटव ने हम

े बातें कर रहे थे। हम भी

ब को एक एक कािट ददया। इ

मोबाइल निंबर था िो कक ी एमरिें ी के वक्त हम इस्तेमाल कर

पर उ

का

कते थे क्योंकक हमारी

ेफ्टी की जज़मेदारी थॉम न हौसलिे वालों की थी। कहीिं कोई ऐक् ीिैंट हो िाए, बीमार हो


िाए या कोई आतिंकवादी हमला हो िाए, इ था। उ

मय भी एक आतिंकवादी हमला हुआ था िो हमारे आने

सलए एक दो दफा हमारे उ

मोबाइल निंबर पे हम ने उ

ाथ पुसल

को कािंटैक्ट करना

े पहले हुआ था, इ ी

की गाड़ी भी गई थी।

रीप्रेज़ेन्टे दटव, िो कोई होगा पैंती

वषट का, उ

ने कुछ कुछ इ

होटल का इनतहा

बताया िो ज़्यादा तो याद नहीिं लेककन कुछ कुछ याद है । यह होटल 1907 में इिंगलैंि की सशर्पिंग किंपनी थॉम ददन इ

कुक ने कक ी और ब्रबज़नै

मैंन के

ाथ समल कर बनाया था। जि

होटल का उदघाटन होना था, पहले वैली ऑफ दी ककिंग्ज़ में एक र्पकननक पाटी की

गई थी और कफर बाद में इ

होटल में आ कर डिनर पाटी हुईं थी, जि

स्पीचें दी थीिं जिन में हाविट काटट र भी था। हाविट काटट र उ पुरातन टूम्ब ढूिंढने में लगा हुआ था। िो िो भी काम उ अप्पिेट इ ी होटल में एक नोदट

में बड़े बड़े लोगों ने

वक्त वैली ऑफ दी ककिंग्ज़ में वक्त वोह कर रहा था, उ

बोिट पर सलखा करता था, जि

की

को पढ़ कर न्यूज़ ररपोटट र

िे टू िे ख़बरें अपनी अपनी पताकाटओिं को भेिा करते थे। इ ी होटल में बैजियम के रािा रानी रहने आते थे। िब 1922 में हाविट काटट र ने TOOTANKHAMAN की ममी को ढून्ढ सलया था, तो इ

होटल में दनु नआिं भर के ररपोटट र आया करते थे।

मैं और ि विंत उठ कर होटल का िाएज़ा लेने के सलए उठ खड़े हुए। एक बहुत ही बड़े कॉरीिोर की ओर चल ददए। दोनों तरफ के कमरों को दे खते िा रहे थे िो काफी बड़े ददखाई दे रहे थे और कुछ एक के दरवाज़े खुल्ले हुए थे, जिन में गोरे बैठे खा पी रहे थे। एक कमरे के पा

आ कर हम खड़े हो गए और शीशों में

े कमरे की ओर झाुँकने लगे िो इतना

न् ु दर था कक बहुत दे र तक यहािं हम खड़े रहे । इ और बड़ी बैि पिी थी। एक गोरा गोरी हमारे पा इ

कमरे में बहुत ही एक् पें स व फनीचर आ के खड़े हो गए और हमें बताया कक

कमरे में बैजल्ियम के ककिंग और कुईन रहा करते थे और अब कक े ने इ

गुज़ारनी हो तो, एक रात के पािंच

ौ पाउिं ि थे। कुछ दे र बातें करते हम

कमरे में रात

ब हिं ते रहे और

आगे िाने लगे। आखर में यह कारीिोर बन्द हो िाता था और आखर में आगे बड़ा कमरा था। यहािं इन्फमेशन के सलए काफी कुछ था और यहािं टे लीफोन ककया और तीन समनट के ही द

े ही ि विंत ने अपने बेटे को

पाउिं ि ले सलये गए। उ

टे लीफोन करना बहुत महिं गा था। अब हम वाप

वक्त इजिप्ट

आ गए और िाइननिंग हाल में

े े िाते हुए,

एक और िगह आ गए, यहािं एक पाकट थी। तरह तरह की लाइटें लगी थीिं और कुछ गोरे बैठे डड्रिंक पी रहे थे और ऊिंची ऊिंची हिं

रहे थे। कुछ दे र के सलए हम होटल के गेट

े बाहर


ननकल कर

ड़क की आवज़ाई दे खते रहे और अपने कमरे की ओर चल ददए क्योंकक रात

काफी हो चक् ु की थी और िाते ही

ो गए।

ुबह उठे । नहा कर कपिे पहने और नीचे िाइननिंग हाल में आ गए, यहािं पहले ही गोरे गोरीआिं बैठे ब्रेकफास्ट का मज़ा ले रहे थे। खाने इतने प्रकार के थे कक सलखना ही मुजतकल है क्योंकक यह पाइव स्टार होटल था। पहले टे बल पर िुई लेना ही मुजतकल था कक क्या लें। तरह तरह के िािं

ही इतनी कक म का था कक फै ला

ीररयल थे िो

भी लगता था कक इिंगलैंि

े ही आये हों। प्लेटें यहािं भी काफी बड़ी थीिं। मीट की बनी चीज़ें बहुत थीिं, जिन के

हम दोनों शौक़ीन थे। यहािं भी एक इज्प्शन एग्ग िाई कर रहा था और उ े म ाले और कई कक म की समचें रखी हुई थीिं। कुछ छोटी थीिं। हम ने उ

शख्

पड़ा। खैर, उ

ामने बहुत

ाबत समचें भी थीिं िो बहुत ही छोटी

े पूछ सलया कक यह समचें ज़्यादा तीखी तो नहीिं थीिं। उ

बता ददया कक यह काली समचट िै ी ही थीिं। उ पािंच छै समचें हाथ

के

े ही म ल कर उ

वक्त मैं समचट काफी खा िाता था,

ने ो मैंने

के कप्प में िाल लीिं। वोह इजिजप्शयन दे ख कर हिं

ने अिंिे फैंट कर आमलेट बना कर प्लेट में रख ददया। िब प्लेटें भर गई तो

हम अपने टे बल पर आ कर खाने लगे। अिंिा ही पहले शुरू ककया ताकक समचट का पता चल के लेककन यह समचट इतनी कड़वी नहीिं थी बजल्क स्वाददष्ट थी। पेट पूिा के बाद हम होटल के बाहर आ गए। अब हम िी थे और एक हफ्ता, यहािं भी हम ने िाना हो, हमारी मज़ी थी। ारा ददन हम लक् ु र में घम ु ते रहे । कफर आि रात को हम ने कारनैक टै म्पल में

ाइट ऐिंि

ाउिं ि शो दे खने का प्लैन बना सलया। बोर होने का हमारे पा

वक्त ही नहीिं था। िब चाहें हम बाहर खा पी लेते। िब कुछ अुँधेरा

हुआ तो रात के खाने के सलए हम ने दरू दरू तक चक्कर लगाया। गोरे िािंस ग िं बार में िा रहे थे लेककन हमें इ

में कोई ददलचस्पी नहीिं थी। िगह िगह ओपन एअर बार थीिं, जिन में

बीअर या मीट मछली और डिनर भी ले हम पढ़ ही रहे थे कक इ

कते थे। गेट पर मैननऊ की कीमतें सलखी हुई थीिं।

होटल का मालक लड़का बाहर आ गगया और हम

लगा। ज़ादहर था, वोह हमें अन्दर आने के सलए अपनी

े बातें करने

जव् स् ट ज़ बताये िा रहा था। एक

खल् ु ले आुँगन में कु ीआिं मेज़ रखे हुए थे। कोई छत नहीिं थी। ऐ े लगता था िै े यह कोई पिंिाबी ढाबा हो। रिं ग ब्रबरिं गी रौशनी नहीिं था, शायद यह ददन ऑफ

े वातावरण अच्छा लग रहा था लेककन ग्राहक वहािं कोई

ीज़न होंगे। हम ने दो दो बोतलें स्टै ला की पीिं और

ाथ में

मछली की प्लेटों का भी आिटर दे ददया। याद नहीिं ककतनी दे र हम यहािं बैठे रहे और कफर हम गसलयों में छोटे छोटे होटलों को दे खने लगे। हर होटल में चार चार पािंच पािंच लोग ही बैठे


होते थे। एक छोटे

े होटल के बाहर हम उन के मैन्यू को पड़ने लगे। एक इजिजप्शयन बाहर

ननकल आया और हम को एक म ाले का कैन ददखाने लगा, जि

पर सलखा हुआ था ” रािा

म ाला ” शायद वोह िान गया होगा कक हम इिंडियन हैं, यह म ाला इिंग्लैंि का बना हुआ था िो हम यहािं अक् र इस्तेमाल करते ही रहते हैं। कफर वोह हमें बताने लगा कक वोह हमें गचकन करी ऐिंि राइ

बना कर खखलायेगा। कल आने का वादा करके हम वहािं

े रुख त हो

गए और कक ी को पूछने लगे कक कारनैक टै म्पल को िाने के सलए ट्रािं पोटट कहाुँ समलेगी। उ पची

े पता करके हम वहािं िा पहुिंचे यहािं

े टाुँगे समलते थे। एक िगह कोई बी

टाुँगे खड़े थे। कक ी कक ी के घोड़े चारा खा रहे थे। एक टाुँगे वाले

पाउिं ि पर तािंगा ले कर उ

े बी

इजिजप्शयन

में बैठ गए और कारनैक टै म्पल की ओर चलने लगे। िो रास्ता

इजिजप्शयन ने अजख्तयार ककया वोह लुक् र के बाहर बाहर

रास्ते

े हो कर िाता था, शायद

े िाना नज़दीक होगा।

िै े िै े हम बाहर िा रहे थे, रास्ता बरु ा तो नहीिं था लेककन रास्ता कच्चा था और एक छोटी

ी नहर के

ाथ

ाथ िा रहा था, जि

के दोनों तरफ छोटे छोटे बक्ष ृ थे। एक ओर

यह रास्ता था और नहर की द ु री ओर गरीबों की बस्ती ददखाई दे रही थी। कुछ बच्चे हमारे टाुँगे के पीछे पढ़ गए। अुँधेरा होने के बाविूद वोह यहािं घूम रहे थे,ज़ादहर था वोह हम कोई आशा लगाए हुए थे। हमारे पा लेककन ि विंत के पा फैंक ददए, वोह आप

पािंच छै

उन को दे ने के सलए कोई ख़ा

स्ते

चीज़ तो नहीिं थी

स्ते बायरो पैन थे। ि विंत ने वोह पैन उन की ओर

में छ ना झपटी करने लगे और हम आगे बढ़ गए। याद नहीिं कब

कारनैक टै म्पल पहुिंचे लेककन हम

े पहले चार पािंच

ौ लोग पहले ही ददखाई दे रहे थे और

लाइन में खड़े दटकट ले रहे थे। चार या पािंच पाउिं ि दटकट था और ि विंत ने दो दटकट ले सलए और आगे बढ़ने लगे। आगे बहुत खल ु ी िगह थी और वोह ही भेडड़यों िै े बत्त ु दोनों तरफ ददखाई दे रहे थे िो हम ने उ ाथ

ददन दे खे हुए थे । यहािं दोनों तरफ नीचे दीवार के

ाथ लाइटें थीिं लेक्न िै े ही हम टै म्पल के भीतर िाने लगे, लाइदटिंग इतनी अनछ नहीिं

थी और अुँधेरा ही अुँधेरा था। टै म्पल की कोई चीज़ भी हमें अनछ तरह ददखाई नहीिं दे रही थी और लोग ऐ े ही चले िा रहे थे। काफी दरू तक हमें िाना पड़ा था और कफर एक ऐ ी िगह आ गए, यहािं एक बड़ा

ा तालाब था िो परु ातन

में पानी भी था। एक तरफ स ननमा हाल की तरह पर बैठने के सलए बहुत

मय का ही बना हुआ था और इ

ीड़ीयों की तरह ऊपर नीचे,और नीचे, उ

ी कुस य ट ाुँ रखी हुई थीिं। मालुम होता था, उ

कर रािे महारािे कोई शो दे खते होंगे। अुँधेरा काफी हो चक् ु का था।

मय भी यहािं बैठ


अब िोर िोर

े मयूजिक शुरू हो गया और तरह तरह की लाइटें आने लगीिं।

िै े बादशाह का दरबार हो और उ हों। यह

के दरबारी बादशाह को झुक झुक कर

लाम कर रहे

ब अमेररकन इिंजग्लश में बोला िा रहा था और बार बार YOUR MAJESTY शब्द

बोला िा रहा था। यह शो कोई आधे घिंटे का था लेककन मझ ु े कोई ख़ा और इ ी सलये ही शायद मझ ु को ज़्यादा याद भी नहीिं है कक बाद

ीन ऐ ा था

भी वाप

ददलचस्प नहीिं लगा

ीन ककया ककया थे। इ

के

चल पड़े। यह शो हफ्ते में दो ददन इिंजग्लश, दो ददन िैं च, दो ददन िमटन

भाषा में होता था और स फट एक ददन ही इजिजप्शयन भाषा में होता था। द बाहर आ गए और टाुँगे वालों

समनट में हम

े मोल भाव करने लगे और एक टाुँगे में बैठ कर होटल की

तरफ चल ददए। िब होटल के भीतर लाउिं ि में पहुिंचे तो कुछ गोरे

ोफों पर बैठे बातें कर

रहे थे। हम भी उन की गुफ्तगू में शामल हो गए और लुक् र में दे खने की और कौन कौन ी िगह थी, िान्ने के सलए उन

े पूछ ताश करने लगे। बातों बातों में पता चला कक

लुक् र में बहुत बड़ा एक मयूजज़यम है िो दे खने लायक है । वहािं बैठे बैठे ही हम ने फै ला कर सलया कक कल को मयूजज़यम दे खने चलें गे। एक बात और भी पता चली कक यहािं का ैट यानी िूबता हुआ

य ू ट भी दे खने वाला है । इतने ददन हम को यहािं आये हो गए थे लेककन

हम को पता ही नहीिं था, इ ी सलए हम ने कभी गौर ही नहीिं ककया था। इ

होटल र्विंटर पैले

की पजत्नयों के

में ही और भी कई छोटे छोटे रै स्टोरैंट थे। चार या पािंच गोरे और उन

ाथ हम एक रै स्टोरैंट में बैठ गए। स्माटट ली ड्रैस्ि यव ु ा लड़के डड्रिंक

वट करने

लगे। याद नहीिं ककया बातें हुईं लेककन कोई दो घिंटे के बाद खाना खा के हम अपने कमरों को चल ददए। कुछ दे र मैं और ि विंत अपने कमरे में ताश खेलते रहे । हमारे कुछ कपिे गन्दे हो चक् ु के थे, इ

सलए लॉन्ड्री वाले को दे ने के सलए हम अपने बैग भरने लगे। बैग भरके हम

ने ऊपर नोट रख ददए ताकक फाई वाली लड़ककयों के पा बात नहीिं होती थी। सलखना भूल गया, इ यह होटल दे खा िा चलता…

ब ु ह िो लड़ककयािं

फाई के सलए आती थीिं वोह

भी हमारे कमरे की चाबी होती थी लेककन इ

ुबह मयूजज़यम दे खने का प्रोग्राम बना कर हम होटल, जि कता है ।

मझ लें । इन में िर की कोई

ो गए। एक बात

को SOFITEL WINTER PALACE कहते हैं, इिंटनेट पे


मेरी कहानी - 177 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन October 27, 2016 रात को

ो कर उठे , तैयार हुए और कमरा बिंद करके िाइननिंग हाल में आ गए और ब्रबग

ब्रेकफास्ट का मज़ा लेने लगे। दो हफ्ते हम इजिप्ट में रहे थे लेककन इन दो हफ़्तों में इतना खाया कक ना तो हम ने पहले कभी खाया था और ना ही बाद में कभी खाया। इतना खाते, कफर भी भूख लग िाती। यह भी हो

कता है कक इ

का कारण वातावरण तो था ही, द ू रे

िब हम टै म्पल दे खने िाते थे तो घूमने के कारण भूख ज़्यादा लग िाती थी। िाइननिंग हाल े बाहर आ कर हम होटल के गािटन में आ गए। यह गािटन बहुत तरह के बक्ष ृ थे, ख़ा

ुन्दर और बड़ा था। तरह

कर ऊिंचे ऊिंचे खिूर के बक्ष ृ , जिन पर छोटी छोटी खिूरों के बड़े बड़े

हरे गच् ु छे लटक रहे थे। कुछ आगे गए तो एक जस्वसमिंग पल ू था, जि उन के बच्चे मज़े ले रहे थे। इ दो फ़ीट गहरा होगा और इ

पूल के

में कुछ गोरीआिं और

ाथ ही कुछ दहस् ा ऐ ा था, यहािं पानी मुजतकल

में िगह िगह छोटे छोटे पत्थर रखे हुए थे िो एक एक फुट

की दरू ी पर ही थे। मैं और ि विंत इन पत्थरों पर पैर रख कर धीरे धीरे चलने लगे। इ जस्वसमिंग पल ू के एक तरफ खाने के सलए टी शॉप थी, जि

पर चाय

भकुछ उपलभद था। एक तरफ बहुत बड़ी एक भट्टी थी, जि

े ले कर बीअर तक

में परु ातन ढिं ग

े मीट

भूनते थे। हमारे पूछने पर यह बात हम को एक इजिजप्शयन ने ही बताई थी। कुछ दे र के सलए हम एक बैंच पर बैठ गए और बातें करने लगे। कुछ ही दे र बाद एक गोरी िो होगी कोई पची

ती

वषट की हमारे पा

आ कर बैठ गई। यह गोरी जस्वसमिंग कॉस्ट्यूम में थी।

को दे ख कर मझ ु े कुछ शमट

के सलए यह बात आम हो। मैं तो चप्ु प रहा लेककन ि विंत उ

रहा। वोह हिं था। उ

हिं

ी आ रही थी लेककन वोह तो ऐ े बातें कर रही थी िै े

कर बातें कर रही थी कक एक इज्प्शन लड़का उ

लड़के की टोन ऐ ी थी, वोह चाहता था, मैं उ

यहाुँ पता नहीिं था कक मेरा पनत और मेरी छोटी

ककतने आगे थे। िब वोह चले गई तो मैंने ि विंत ननकालते, इ

गोरी ने हमारे

ाथ बातें करता े बातें करने लगा

े र्पयार करने लगुँू लेककन उन को

ी बेटी मेरे

बहुत कीिं, िो मझ ु े याद नहीिं लेककन एक बात मैं हैं, िो बातें इ

के

ाथ है । उ

लड़की ने बातें

ोचने लगा था कक यह गोरे लोग हम

े बोला,” ि विंत! हम लोग बहुत पीछे

ाथ कीिं, अगर इिंडिया में होते तो इ

के अथट गलत

का पनत वहािं जस्वसमिंग पूल में नहा रहा है और यह हमारे

ाथ इन कपड़ों में

बातें कर रही थी “, ि विंत बोला,” मामा !हम लोग बहुत बुरे हैं, कहने को हम बहुत धमी हैं लेककन हमारे र्वचार ऊिंचे नहीिं, तभी तो हमारे दे श में इतने बरु े काम हो रहे हैं !


कुछ आगे गए तो एक गोरी बुड़ीआ िो होगी कोई कुछ सलख रही थी।

त्तर बहत्तर

ाल की, एक नोट बुक में

टधाह्र्ण ही हम ने उ

को है लो कहा, तो उ

ने नोट बुक पर

े आये हो, इिंगलैंि

े ?”, हमारे हाुँ कहने

े वोह हमारे

हटा कर पुछा, ” कहाुँ

करने लगी। उत् क ु ता के कारण मैंने उन

ऑन दी नाइल”, जि बाद हम वहािं

ाथ बातें

े पछ ू ही सलया कक वोह ककया सलख रही थी। ”

एक नावल सलख रही हूुँ और यह मेरा ती रा नावल है “, बातें उ लेककन एक बात ही याद है िो उ

े गधयान

बड़ ु ीआ

े काफी हुई

ने बताई थी कक अगाथा कक्रस्टी का प्रस द्ध नावल “िैथ

पर कफल्म भी बनी थी, इजिप्ट में ही सलखा गया था। कुछ दे र के

े चल पड़े और होटल

े बाहर आ गए। होटल की लाइन में ही बहुत

े ट्रै वल

एिेंट के दफ्तर थे। दक ु ानों को दे खते दे खते हम काफी दरू आ गए थे। एक िगह खल् ु ला मैदान था और बहुत लोग रे हडड़यों पर खाने पीने की चीज़ें बेच रहे थे और पा

ही बहुत

टाुँगे खड़े थे। एक टाुँगे वाला हमें दे ख कर आ गया और पूछने लगा कक हम ने कहाुँ िाना था। िब हम ने लुक् र मयूजज़यम बोला तो वोह बैठो बैठो कहने लगा लेककन ि विंत ने पै े पूछे तो उ

ने बहुत बताये। िब हम वहािं

े िाने लगे तो वोह हमारे पीछे ही पढ़ गया और

िल्दी ही बारह इजिजप्शयन पाउिं ि पर मान गया। अब वोह कहने लगा,” मैं तझ ु े रास्ते में एक प्रस द्ध मजस्ज़द ददखाऊिंगा, लुक् र की गसलयों में घुम्माऊिंगा अनतआददक” लेककन हम उ े मझ नहीिं पाए थे कक उ

ने हमें दरू दरू घुमा कर, और पै े हम

े व ूल करने थे।

टाुँगे में बैठ कर हम चल पड़े। एक बात हम को बहुत अनछ लग रही थी कक टाुँगे बहुत मज़बूत बघी िै े थे िै े इिंगलैंि में महारानी की बनघ होती है । टाुँगे वाला होगा कोई पचा पचपन

ाल का, वोह हमें लुक् र की छोटी छोटी गसलयों में ले आया। अब हम इिंडिया में

रहते हुए मह ू छोटी

कर रहे थे क्योंकक आगे गए तो एक तरफ दो बकररयािं बाुँधी हुई थीिं, आगे

ी दक ू ान थी। इ

के आगे गए तो लगा िै े हम कक ी मिंिी में आ गए हों। कुछ

लोग हमारे पीछे पढ़ गए थे लेककन हम ने उन को कुछ भी लेने के सलए नाह कह दी। एक लड़के के हाथ में काफी कुरान की ककताबें थीिं और हमें लेने को बोल रहा था, शायद हमारे र पर पगड़ीआिं दे ख कर वोह हमें मु लमान लेककन मैंने उ

मझ रहा होगा। हम ने खरीदी तो नहीिं

के हाथ में पकड़ी ककताबों को अपने माथे

गया और हम आगे चल पड़े। इन गसलयों

े छू सलया, जि

े वोह खश ु हो

े ननकल कर कुछ बाहर आ गए, अब हमारे

ामने बहुत ही बड़ी एक मजस्ज़द थी िो कुछ ऊिंचाई पर थी। यह कौन

ी मजस्ज़द थी, यह

तो मुझे पता नहीिं लेककन बहुत बदढ़या थी। तीन चार स्टै प चढ़ कर मजस्ज़द के आुँगन में आ गए। कुछ आगे एक बड़े दरवाज़े

े मजस्ज़द के भीतर दाखल हो गए। चारों तरफ हम ने


नज़र घुमाई, यह मजस्ज़द आटट का एक नमूना ही था। दीवारों और छत पर कुरान की आयतें इतनी खब ू ूरती मौलवी था। उ

े सलखी गई थीिं कक है रानी होती थी कक यह कै े सलखी गई होगी। वहािं एक ने हमे बहुत कुछ बताया िो अब याद नहीिं। टाुँगे वाले ने हम को उ

मौलवी को कुछ दे ने के सलए बोला, तो हम ने उ मह ू

को पािंच पाउिं ि दे ददए। बाद में हमें

हुआ कक यह भी पै े बनाने का एक ढिं ग ही था।

अब हम मयूजज़यम की तरफ चलने लगे। आगे कुछ चढ़ाई थी और मयूजज़यम की बड़ी दीवार शरू ु हो गई थी। कुछ आगे गए तो मयजू ज़यम का बड़ा लोहे का गेट था, जि इज्पसशयन वदी में खड़े थे। उन

पर दो

े हम ने दटकट सलए और उन्होंने हमें यहािं इिंतज़ार करने

को बोल ददया। पता नहीिं उन का यह ककया अ ूल था, िब दो आदमी गेट

े बाहर आये तो

हमें िाने ददया गया। वोह टाुँगे वाला चले गया और दो घिंटे के बाद आने को कह गया था । मयूजज़यम की ब्रबजल्ि​िंग काफी बड़ी और नई लग रही थी, लगता था द होगी। हो

पिंदरािं

ाल पुरानी ही

कता है , कुछ दहस् ा नया बना हो, यह मझ ु े पता नहीिं। अिंदर गए तो वोह ही

पुराना इजिप्ट का इनतहा

दीख रहा था। अब गाइि तो हमारे

स्टै चू के नीचे इिंजग्लश में इनतहा थे लेककन छोटी छोटी उ

सलखा हुआ था। स्टै चू तो हम ने पहले भी बहुत दे ख सलए

ज़माने की चीज़ें ददलचस्प लगने लगीिं। एक एक स्टै चू को गधयान

े दे खने और पड़ने लगे। एक कमरे में उ की सशलाओिं पर कलम

मय के परस ध सलखारीओिं के बत ु थे िो पत्थर

े सलख रहे थे और यह परु ातन भाषा में खद ु ा हुआ था और बहुत ही

अनछ तरह खद ु ा हुआ था, िै े कक ी र्प्रिंदटिंग प्रै थी कक तीन चार हिार थी, वोह था इ

ाथ कोई नहीिं था लेककन हर

में सलखा गगया हो। है रानी तो इ

ाल पुराने लोग ककतने कारीगर थे। इ

भाषा को

े उत्तम

पौसलश ककया गगया हो। एक बड़े कमरे में ऐ े ही बहुत थे, जिन में िै े कोई टीचर

में दे खने की िो अहम ् बात

ख्त पत्थर ग्रेनाईट पर सलखना। इ

कुछ कुछ ब्राऊन या काला था। िो बत ु बने हुए थे, बहुत

बात की

फाई

पत्थर का रिं ग

े बने हुए थे, िै े उन को

े बत ु थे, जिन में कुछ कुछ ऐ े भी

कूल में बच्चों को स खा रहा हो। इ

बात को अब बारह तेरह

ाल हो गए हैं और बहुत कुछ भूल गगया है लेककन वोह कमरे अभी तक ज़हन में हैं। एक बड़े कमरे में उ

वक्त की जिऊल्री और िूते थे िो लोग उ

मय पहनते थे। है रानी की

बात यह थी कक चप्लों के िीिाइन ब्रबलकुल आि िै े थे और बहुत ही

न् ु दर बने हुए थे

िै े आि की कक ी फैक्टरी में बने हों। इन चप्लों को दे ख कर यह भी िाहर होता था कक इजिप्ट िै े गमट रे गगस्तान में चपल ही कामयाब हो

कती है क्योंकक बिंद िूतों में ऐ े

मौ म में चलना मुजतकल है । कुछ चप्लें िो कक ी फैरो की होंगी,

ोने की बनी हुई थीिं।


औरतों के हार स ग िं ार की चीज़ें िै े माला, बड़े बड़े िीऊलरी

ैट, झुमके इतने

ुन्दर थे कक

लगता ही नहीिं था कक वोह इतने पुराने होंगे। बड़ी बड़ी किंघीआिं शीशे के बक् ों में रखी हुई थीिं। िीउलरी

ैट कुछ तो

ोने चािंदी के थे और बहुत

हुए थे। बहुत कक म के छोटे छोटे दो दो इिंच शायद उ

े रिं ग ब्रबरिं गे कीमती पत्थरों

े बने

े ले कर पािंच छै इिंच बड़े बत्त ु भी थे, िो

मय के बच्चों के सलए खखलौने होंगे। एक िगह उ

के औज़ार थे िो बहुत डिज़ाइन के थे, कै े

िटरी इन

मय के िाक्टरों की

िटरी

े वोह लोग करते होंगे, यह िानना

कदठन था। एक बड़े कमरे में उ

ज़माने के लोग कै े थे और ककया ककया काम करते थे, ऐ ा

बनाया हुआ था िो ब्रबलकुल उ कमरा था जि

ीन

मय के लोगों िै ा था िो काले रिं ग के थे। एक बड़ा

में शीशे के बक् ों में मसमयािं रखी हुई थीिं। इ

कमरे में तापमान उ

मय

िै ा रखा गया था। यह तो अब याद नहीिं कक यह ककन लोगों की लाशें थीिं लेककन इतने हज़ार

ाल

े इन का उ ी तरह रहना है रानीकुन था। वै े यह लाशें इ

तरह ददखाई दे ती

थी कक िै े इन के शरीर पर सलपटी हुई पट्दटयािं आि के ज़माने की हों। यह कपिे की पट्टीयािं अब तक कै े रह गई, इन पर ककया कैसमकल िाला गया था, बहुत है रान कर दे ने वाली बात थी। स फट मुिंह ही ददखाई दे ता था िो ब्रबलकुल काला था और छोटे लगते थे,

र के बाल िो

र के

ारे

रीर

ाथ ही िम्मे हुए थे, भरू े रिं ग के थे शायद

ुकड़ कर मय के

ाथ रिं ग बदल गया हो । इतनी लाशें एक कमरे में पिी ऐ े लगती थीिं िै े हम कक ी हस्पताल में हों जि

में नए िाक्टर

िटरी

ीखते हैं। यह ममी पहली दफा हम दोनों ने दे खीिं

थी िो हमारे सलए है रान कर दे ने वाली थीिं। ककतनी एिवािं

टै क्नॉलोिी उ

मय की होगी,

यह अिंदािा लगाना मुजतकल नहीिं था। इ ी मयूजज़यम में ही ग्रीक और रोमन बादशाहों और कफला फरों के स्टै चू थे िो यह बताते थे कक ग्रीक और रोमन लोगों का प्रभाव इजिप्ट पे पड़ना शरू ु हो गया था। जि करते थे, इ ी तरह उ

तरह हम भारत में पथ् ृ वी राि और िय चन्द के ककस् े पड़ा

ज़माने इजिप्ट में भी

ाज़शें होती रहती थीिं िो बाहर

कारण बनती थीिं। इजिप्ट में दो हफ्ते रह कर हम ने यह िाना कक िो के सलए

ारी दनु नआिं

धीरे ख़तम हो गई जि

े लोग इजिप्ट को आते हैं, वोह

े हमलों का

भ्यता आि दे खने

भ्यता ब्रबदे शी हमलों के कारण धीरे

के आख़री ऐक्टर मु लमान थे जिन्होंने इ

ख़तम कर ददया िै े मु लमानों ने भारत में आ कर भारती

भ्यता को ब्रबलकुल

भ्यता को हमेशा के सलए

बबाटद करने की कोई कोसशश नहीिं छोड़ी थी। अलाउदीन खखलिी का नालिंदा र्वतवर्वददयासलया को बबाटद कर दे ना यही दशाटता है ।


यह तो भला हो, अुँगरे ज़ िैंच और कुछ और पछमी दे शों का जिन्होंने इजिप्ट का पुराना इनतहा

दनु नआिं के

ामने ला ददया और अभी तक इ

में लगे हुए हैं। इजिप्ट के पुरातन

नूब्रबयन लोगों को बचाना भी अिंग्रेि िमटन और िैंच लोगों का काम ही है । िब अ वान िैम बना था तो उ

मय भी इन लोगों ने ही ज़्यादा शोर मचाया था और यन ू ेस्को को इतना

खचट करना पड़ा था। इन पछसम ब्रबदे शी लोगों ने दनु नआिं को लट ू ा भी बहुत था लेककन दे श छोड़ने के बाद दे कर भी बहुत कुछ गए थे । आि का कायरो मयूजज़यम इन लोगों की ही दे न है और इ ी तरह भारत में भी बहुत मयूजज़यम बनाये गए थे जिन की ब्रबजल्ि​िंग भी अभी तक अिंग्रेिों की बनाई हुई ही हैं। लुक् र मयूजज़यम में दो घिंटे हम ने गुज़ारे कुछ फोटो हम ने लीिं और गेट की तरफ चल ददए। टाुँगे वाला अभी आया नहीिं था, इ

सलए गेट कीपरों के छोटे

े कमरे में ही हम

कुस य ट ों पर बैठ गए। कोई आधे घिंटे बाद वोह टाुँगे वाला आया और हम टाुँगे में बैठ कर होटल की तरफ चलने लगे। िब ि विंत पै े दे ने लगा तो वोह और पै े मािंगने लगा और कहने लगा कक वोह हमें िगह िगह घुमाता रहा और मजस्ज़द भी ले गया था। कुछ और पै े दे कर हम ने उ

े पीछा छुड़ाया और हम पहले

ीिीआिं चढ़ कर र्विंटर पैले

की ि​िंट

गैलरी पर आ गए, यहािं एक चाय वाले का स्टाल था और काफी कु ीआिं मेज़ लगे हुए थे। कुछ गोरे गोरीआिं चाय पी रहे थे। हम ने भी दो कप्प चाय और केक का आिटर दे ददया और एक िगह बैठ गए। वोह हमारे आगे दो कप चाय और केक रख गया और चाय का मज़ा लेने लगे और

ाथ ही हम नीचे

ड़क का नज़ारा दे खने लगे। कुछ दे र बाद चाय पी कर

अपने रूम में आ कर कुछ दे र के सलए बैि पर लेट गए। कोई दो घिंटे आराम करके हम स्नान करने लगे। धोये हुए हमारे कपिे वोह

फाई वाली औरतें रख गई थीिं। िब कपिे बदले

तो अुँधेरा होने को था। हम नीचे आ कर बाहर को खाने के सलए चल पड़े। आि हम ने उ इजिजप्शयन के छोटे

े होटल में िाना था, जि

ने हमें रािा म ाला ददखाया था। िब हम

वहािं पहुिंचे तो कुछ गोरे बैठे खा और पी रहे थे। वोह इजिजप्शयन खश ु हो कर हमे समला और हम ने उ े दो स्टै ला लाने को बोला और

ाथ ही गचकन करी का भी कह ददया। कोई एक

घिंटा हम बैठे बातें करते रहे , िब वोह इजिजप्शयन मीट चावल की प्लेटें ले आया िो दे खने में अनछ लगती थीिं। इ

के बाद वोह

लाद और कई चटननयाुँ भी रख गया।

हम खाना खाने लगे लेककन रािा म ाले

े िो करी उ

लगी नहीिं और मैं और ि विंत बातें कर रहे थे कक इ

ने बनाई थी, इतनी अनछ हम को में ककया नुक्

था। मैंने कहा, ” इ

में र्पआि तो ब्रबलकुल है ही नहीिं, स फट म ाला ही म ाला है और समचट भी है नहीिं “, िब


खाना ख़तम हुआ तो वोह ब्रबल ले के आया और हम

े पूछने लगा कक करी कै ी थी। मैंने

ही िवाब ददया कक वै े तो अनछ थी लेककन क्योंकक यह इिंडियन म ाला है, इ

सलए इ

को

बनाने का ढिं ग इलग्ग है और अगर वोह िै े मैं बताऊुँ, उ ी तरह बनाये तो अुँगरे ज़ लोग उ

के होटल में बहुत आएिंगे। वोह तो एक दम अिंदर गया और पेपर पैन ले आया। कफर मैंने

को, ककतने गचकन के सलए ककतने र्पआि अदरक और ल न ु चादहए सलखाया और कब

तक उन को भूनना था, बताया और कफर उ

में टमैटो ककतने चादहए सलखाया। आखर में

म ाला और गचकन िाल कर पकाना बताया। वोह तो इतना खश ु हुआ कक हमें कल कफर आने को बोला और वोह इ ी तरह बना कर हमें खखलायेगा। कल आने का वादा करके और पै े दे कर हम बाहर आ गए लेककन इ उ

होटल में कफर आने का हमें चािं

ने मेरे कहने पर उ ी तरह बनाया होगा या नहीिं, हम को पता नहीिं।

चलता…

ही नहीिं समला।


मेरी कहानी - 178 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 03, 2016 होटल र्विंटर पैले

में काफी दोस्त बन गए थे। इकठे बाहर चले िाते। कभी कहीिं कक ी

दक ु ान पर बैठ कर चाय कॉफ़ी पीते, कभी स्टै ला पीने लगते और कभी कुछ खाने लगते। पै े हम अपने अपने खचट करते थे। कभी हम र्विंटर पैले

के कक ी अन्य रे स्टोरें ट में खाने बैठ

िाते। कभी हम हाल की एक तरफ बनी बार में बैठ िाते। कहते थे कक इ

होटल में पािंच

छै और छोटे छोटे रे स्टोरें ट थे लेककन हम ने तो तीन ही दे खे थे, और भी होंगे लेककन हम उन में गए नहीिं। दो तीन ददन ऐ े ही लुक् र में घुमते, गए। िब हमें पता चला कक हम में

े दो समआिं बीवी

ैर करते करते कई ददन ख़तम हो ुबह र्परासमि दे खने कायेरो िा रहे

थे, तो मझ ु े याद आया कक मैं तो स फट आया ही र्परासमि दे खने के सलए था, लक् ु र का तो मुझे इतना गगयान ही नहीिं था, तो मैंने ि विंत को बोला, ” ि विंत ! इजिप्ट में आये और र्परासमि भी दे ख कर नहीिं गए, यह बात तो अधरू ी ही रह गई, हमारा आना तो कोई माने नहीिं रखता “, ि विंत भी

ोचने लगा और बोला, ” मामा ! बात तो तुमारी

अभी बाहर चलते हैं और पता करते हैं ” और उठ कर बाहर ट्रै वल एिेंट के दफ्तर में घु दरू था। िब हम ने उ हम तुम्हें

े कायरो ककतनी

े बात की तो वोह बोला,” अगर आपने ट्रे न में िाना है , तो

ुबह चार बिे ट्रे न में ब्रबठा दें गे और

रे लवे स्टे शन पर समल लेगा और आप को पछ ु ा तो उ

ड़क पर आ गए और एक

गए। हमें कुछ मालम ू नहीिं था कक लक् ु र

एिेंट

ही है , चल

ुबह 9 बिे हमारा एिेंट आप को कायरो

ब कुछ ददखा दे गा “, िब हम ने बाई एअर का

ने 140 ब्रब्रदटश पाउिं ि बताये, जि

में हमारा

ारे ददन का खाना, जस्फिंक्

और

र्परासमि के दटकट भी शामल थे। फै ला करके हम बता दें गे कह कर हम बाहर आ गए और आगे चल पड़े। कुछ दरू िा कर एक और ट्रै वल एिेंट का दफ्तर था, जि लगा हुआ था JOLLY TRAVELS , कोई चाली

के बाहर बोिट

वषटय का युवक काउिं टर पर बैठा था। एक

गोरा गोरी उ

े बात कर रहे थे और हमारे िाते ही वोह उठ कर चले गए। िब उ

बात की तो उ

ने बताया कक यह गोरा गोरी िो अभी उठ कर गए हैं, वोह भी

िा रहे थे और उन विह उ

े उ

ब ु ह कायरो

ने 125 ब्रब्रदटश पाउिं ि चािट ककये थे लेककन हम इिंडियन होने की

े वोह115 पाउिं ि चािट कर लेगा। ि विंत ने दो

ीटें बुक करने के सलए उ ी वक्त

को कह ददया क्योंकक यह कीमत हम को कोई बुरी नहीिं लगी थी । वोह इजिजप्शयन हमें

कहने लगा कक उ

गोरा गोरी को हम मत्त बताएिं कक उ

थे। हम ने पै े दे ददए और उ

ने हम

े 115 पाउिं ि चािट ककये

ने उ ी वक्त दटकटें र्प्रिंट करके हमें पकड़ा दीिं और हमें


बताया कक उन का ड्राइवर आएगा। ऐरोप्लेन एयरपोटट

ुबह छै बिे हमारे होटल

ात बिे चलेगा और

े हमें ले कर एअरपोटट पर छोड़

ाढ़े आठ कायरो एअरपोटट पर पहु​ुँच िाएगा।

े बाहर आते ही उन का ड्राइवर और एक गाइि लड़की हम को

ैर कराएगी। दप ु हर

को लन्च के बाद हमें काइरो मयजू ज़यम ले िायेगी। शाम को आठ बिे फ्लाइट वाप और द

ाढ़े द

बिे वाप

दटकटें ले कर हम दफ्तर

र्विंटर पैले

में आ िाएिंगे।

े बाहर आ गए और घम ू ने चल पड़े।

ि विंत बोला कक आि शाम को

चलेगी

ैट ( िूबता हुआ

नील पर आ गए और एक ऊिंची िगह खड़े हो गए। ने कभी गधयान ही नहीिं ददया था कक इ

में ख़ा

ारा ददन ऐ े ही बीत गया।

य ू )ट दे खेंगे। शाम को हम दररया

ूयट तो पहले भी िूबता होगा लेककन हम

बात ककया थी। हम

ूयट की ओर दे खने

लगे। धीरे धीरे यह नीचे आ रहा था। ि विंत बोला, ” अब नज़र दटकाये रखना “, हम गधयान

े दे खने लगे। यूुँ ही

ूयट कुछ नीचे आया, एक दम िै े स्लो मोशन में फ़ुटबाल

गगरता है , नीचे आ कर छपन हो गया। हम है रान हो गए। यह भी एक अध्भत ु नज़ारा दे खा। इ

के बाद याद नहीिं कहाुँ कहाुँ घूमें लेककन रात को होटल में आ कर दोस्तों के

हािंकने लगे। रात का खाना यहीिं इ ी र्विंटर पैले अपने रूम में आ कर

ो गए क्योंकक

ुबह पािंच बिे उठे । स्नान आदी

के एक रै स्टोरैंट में खाया और िल्दी ही

ुबह हम ने िल्दी उठना था।

े फ़ागट हो कर कपिे बदले और नीचे आ कर लाउिं ि में

ड्राइवर का इिंतज़ार करने लगे। कोई द

समिंट बाद ही ड्राइवर लाउिं ि में आ गया और हमारी

पगड़ीआिं दे ख कर हमें आने को बोला। गाड़ी उ उ

ाथ गप्पें

की बाहर पोचट के नज़दीक खड़ी थी और हम

में र्वरािमान हो गए और गाड़ी एअरपोटट की ओर रुख त हो गई। अभी अुँधेरा ही था

और

ड़क खाली थी, िल्दी ही एअरपोटट पर पहु​ुँच गए और टै क् ी ड्राइवर हमें छोड़ कर

वाप

चले गया। चैक इन पर गए, लगेि तो हमारे पा

द ू रे याब्रियों के

है नहीिं था, ब

दटकटें ददखा कर

ाथ कु ीयों पर बैठ कर ऐरोप्लेन का इिंतज़ार करने लगे । क्योंकक वहािं

भी अरबी थे और ज़्यादा लोग अरबी ड्रै

गैलाबाया पहने हुए ही थे, कुछ यों ही हमारी तरह

ट्राउज़र कमीि में भी थे। कुछ दे र बाद वोह गोरा गोरी भी आ गए, जिन्होंने हमारे

ाथ ही

िाना था, हम ने उन्हें है लो बोला और बताया कक हम भी उन के

ाथ िा रहे थे, वोह खश ु

हो गए। वक्त पर ऐरोप्लेन लैंि हो गया और कुछ दे र बाद हम इ

में र्वरािमान हो गए।

ऐ ा ऐरोप्लेन हम ने पहली दफा दे खा था क्योंकक भीतर यह बहुत बड़ा हाल लग रहा था, कुछ ही समनटों में प्लेन ऊपर उठ गया और हवा िल्दी िल्दी चाय

े बातें करने लगा,इजिजप्शयन एअरहोस्टे

वट करने लगीिं। चाय पीते पीते और बातें करते हुए पता ही नहीिं चला,कब


हम कायरो लैंि होने को थे। पहले अरबी भाषा और कफर इिंजग्लश में अनाउिं

हो गया कक हम

एअरपोटट पर पहु​ुँचने वाले थे। लैंि होने पर िब हम अराइवल में पहुिंचे तो दे खा, बाहर लौ हो चक् ु की थी। गेट

े बाहर आये तो एक आदमी बाहर हमारा इिंतज़ार कर रहा था। उ

बताया कक वोह हमारा ड्राइवर था। कई टे ड़े मेढ़े रास्तों गए। उ

ड़क के द ु री ओर उ

की बड़ी

े होते हुए हम बाहर

ी टै क् ी खड़ी थी। उ

के

ाथ

ने

ड़क पर आ

ड़क पार करके हम

की टै क् ी में बैठ गए। अब वोह टै क् ी ड्राइवर हमारी गाइि की इिंतज़ार करने लगा। कोई

पिंदरािं समिंट में ही एक युवा लड़की िो कोई होगी पची

ती

की, आते ही उ

को है लो बोला। लड़की बहुत स्माटट और िीन पहने हुए थी, स फट इ

ने हम

र पर ही दहिाब था। अब

गाड़ी में मैं ि विंत, गोरा गोरी और पािंचवीिं वोह गाइि थी। ब

े पहले गाड़ी एक होटल के नज़दीक आ कर खड़ी हो गई। होटल के भीतर गए तो

िाइननिंग हाल में कुछ ब्रबदे शी लोग ब्रेकफास्ट खा रहे थे, िो शायद इ होंगे।

ामने एक बहुत बड़े टे बल पर

ब तरह के खाने पड़े थे। उ

होटल में ही ठहरे हुए लड़की ने हम को

ब्रेकफास्ट कर लेने को कहा तो हम भी प्लेटें ले कर मन प िंद के खाने प्लेट में रख कर एक टे बल पर आ गए। ब्रेकफास्ट ले कर हम वाप

गाड़ी में बैठ गए। कोई बी

समिंट में गाड़ी

एक िगह आ गई, यहािं पहले ही बहुत गाड़ीआिं और कोचें खड़ी थीिं। हमारी गाइि लड़की ने दटकट सलए और एक गेट में

े द ु री ओर दाखल हो गए। अब हमारे

ददखाई दे रहा था। लड़की बताने लगी कक इ फुट और ऊिंचाई 65 फुट है । इ

जस्फिंक्

ामने ही

की टोटल लिंबाई 200 फुट, चौड़ाई 50

का नाक 5 फुट चौड़ा था लेककन कुछ लोग कहते हैं कक यह

नाक नेपोसलयन बोनापाटट की एक तोप में

े ननकले एक गोले के कारण टूट गया था, कुछ

कहते हैं कक तुकी के हमलों के दौरान यह टूट गया था। कुछ भी हो, यह जस्फिंक् पत्थर

े बना हुआ एक शेर है िो लाइम स्टोन

है िो

र पर शाही सलबा

फुट लिंबे हैं। यह े ननकाल कर

कफ़िं क्

कफ़िं क्

े बना हुआ है , जि

पह्ने हुए है और शेष धड़ शेर का है , इ

एक ही

का मिंह ु कक ी फैरो का शेर के पिंिे ही पचा

या शेर रे त के नीचे दब्बा हुआ था और 1907 में इ

को रे त में

ाफ़ ककया गया था, कक ी अुँगरे ज़ या िैंच ने ही ककया होगा िो मुझे पता

नहीिं। आि भी याद करके मैं

ोचता हूुँ कक यह शेर िो एक ही पी

पत्थर कै े यहािं लाया गया होगा। यह

कफ़िं क्

े बना हुआ है , इतना भारी

बनाने का मक द उ

लड़की ने बताया था

कक यह शेर, द ु री तरफ बनी र्परासमि की रखवाली करता था क्योंकक यह उन लोगों का र्वशवा

था, क्योंकक इ

शेर की द ु री ओर ही तीन र्परासमि ददखाई दे ती हैं, जिन में


े बड़ी र्परासमि एक फलािंग पर ही है । अब हम इ पे चढ़ गए, और भी बहुत टूररस्ट थे िो कई दे शों कसलक्क फोटो ले रहे थे। उ ीमें ट

जस्फिंक्

के इदट गगदट ऊिंचे ऊिंचे खिंिरात

े आये हुए थे और

लड़की ने यह भी बताया था कक इ

े ररपेअर करने की कोसशश भी की गई थी लेककन यह

नीचे गगर गया, शायद इ पुराना यह शेर बहुत

भी कसलक्क

जस्फिंक्

ीमें ट कुछ दे र बाद उखड़ कर

लाइमस्टोन को ररपेअर करना मजु तकल था।

ा नघ

के नाक को

ाढ़े चार हज़ार

ाल

गया है लेककन अभी भी उ ी तरह खड़ा लोगों को है रान कर

रहा है । आि िब मैं यह सलख रहा हूुँ तो मन में

ोच आती है कक कुछ वषट ही पहले मैं

कै े इन दीवारों पे चढ़ कर भागता कफरता फोटो लेता था, इ ी सलए तो इ इतना मज़ा आया था। खैर, इ

हॉसलिे का

बात का मझ ु े कोई रिं ि भी नहीिं है क्योंकक यह जज़न्दगी का

एक दहस् ा ही है , कभी कभी समरे कल भी हो ही िाते हैं, ककया मालूम, I MIGHT SEE LIGHT AT THE END OF THE TUNNEL . बहुत दे र हम यहािं रहे और फोटोग्राफी करते रहे । बाहर आ कर कफर गाड़ी में बैठ गए। गोरा बोल रहा था कक यह स वेलाइज़ेशन ककतनी एिवािं में ही रहते थे। उ

की इ

मौनूमट ैं दे खे और आि की

बात पे हम ायें

थी और उ

वक्त हम अुँगरे ज़ तो ि​िंगलों

ब हिं ने लगे, बात भी ठ क ही थी, इतने बड़े बड़े

भी उ

मय की टै क्नॉलोिी को

मझ नहीिं

की। गोरी

बोल रही थी कक मसमयों के शरीर पर सलपटी पट्टीयािं आि भी ऐ े लग रही हैं, िै े आि ही सलपटी गई हों, IT IS AMAZING, गाड़ी चली िा रही थी और बक्ष ृ ों के बीच में

र्परासमि का ऊपरला दहस् ा नज़र आने लगा था और हमारी उत् ुकता बढ़ती िा रही थी। जस्फिंक्

े र्परासमि कोई दरू नहीिं थी और िल्दी ही हम वहािं पहु​ुँच गए। ड्राइवर ने गाड़ी

पाकट की और हमारे

ामने ही बड़ी र्परासमि ददखाई दे रही थी, कुछ दरू ी पर दो र्परासमि

और थीिं । दरअ ल

ब इ , र्परासमि को ही दे खने आते हैं क्योंकक यह

े बड़ी है और

एररए को गीज़ा की र्परासमि या खफ ू ू की र्परासमि बोलते हैं। लड़की ने दटकट सलए और

कुछ कुछ इनतहा

बताने लगी िो ज़्यादा तो याद नहीिं लेककन उ

था कक यह र्परासमि 4000

ाल पहले बादशाह खफ ू ू और उ

का यह बताना ही काफी

की पजत्नयों के सलए बनाई गई

थी। वै े तो और भी 130 र्परासमि बनी थीिं, जज़यादा ढह ढे री हो गई हैं लेककन और अभी तक अनछ हालत में यह र्परासमि ही है । इ

र्परासमि के नीचे बे

े ऊिंची

की चौड़ाई 16

फ़ुटबाल ग्राउिं िों जितनी है और यह र्परासमि की शक्ल बनती हुई ऊपर िा कर तीखी नोंक की तरह ख़तम होती है और इ

की ऊिंचाई 450 फ़ीट है । इ

हैं और इन पत्थरों का एक एक का भार दो

े ले कर ती

पर 25 लाख पत्थर लगे हुए टन तक है । इ

को बनाने में


23

ाल लगे थे और हर रोज़ एक लाख आदमी काम करते थे। कुछ इनतहा कार कहते हैं

कक इ

पर

भी काम करने वाले गुलाम थे लेककन कुछ यकीन रखते हैं कक

तान्खआ ु ह समलती थी लेककन अभी तक यह बह कक बहुत पत्थर अ वान गया था। उ

े कई

ौ ककलोमीटर दरू ी पर है । ज़्यादा

करते हैं कक इन पत्थरों को दररया नील के िररए ट्रािं पोटट ककया

मय कजततयाुँ ककतनी बड़ी होंगी और कजततयों पर रखा कै े गया होगा, यह

अभी तक कोई हमारे

का र्वषय है । यह भी है रानी की बात है

े लाया गया था िो यहािं

इनतहा कार यह ही र्वतवा

ब को बराबर

मझ नहीिं पाया।

ामने कई लोग ऊटों की

वारी कर रहे थे, िगह िगह इजिजप्शयन ऊुँट ले कर घूम

रहे थे क्योंकक उन का यह धिंदा था, याब्रियों

े वोह कमाई कर रहे थे। र्परासमि को गधआन

े हम ने ऊपर दे खा, ऊपर का कुछ दहस् ा ऐ े लगता था िै े इ तरफ प्लस्तर ककया गया हो। मैंने ही उ

लड़की को इ

के बारे में पुछा तो उ

कक ब्रबलकुल, यह पहले प्लस्तर ही ककया हुआ था और इ आठ फ़ीट थी और

ारी र्परासमि इ

थी और चमकती थी। इ

र्परासमि को पहले

ने बताया

पलस्तर की मोटाई तकरीबन

तरह ददखाई दे ती थी कक पॉसलश की हुई ददखाई दे ती

बड़ी र्परासमि के द ु री ओर िो दो और र्परासमि हैं, यह स तारों

की ददशा के अनु ार बनी हुई हैं लेककन इ

पर अभी

ािंई दान उलझे हुए हैं कक यह कक

फामल ूट े के तहत बनाई गई थीिं। कुछ आगे गए तो बहुत पत्थर िो कभी इ पड़े थे। लड़की ने हमें कहा कक हम इ इ

र्परासमि का दहस् ा ही थे, िगह िगह ब्रबखरे

र्परासमि के बीच िा

कते हैं लेककन दो महीने तक

के भीतर िाना मना कर ददया िाएगा क्योंकक नीचे िा कर कुछ लोग बीमार पढ़ िाते

हैं। दटकट उ

लड़की ने हमें दे ददए और हम इ

गए। र्परासमि के दआ ु र पर िो बहुत ही छोटा दटकट हम ने उ

र्परासमि के भीतर िाने के सलए तैयार हो ा था, एक इज्प्शन बैठा दटकट ले रहा था।

को ददए और एक द ू रे के पीछे झुके झुके चलने लगे। यह

ुरिंग मुजतकल

े पािंच पािंच फ़ीट दोनों तरफ चौड़ी होगी। दोनों तरफ पकड़ पकड़ कर िाने के सलए कोई तीन चार इिंच चौड़ी लकड़ी की रे सलिंग लगी हुई थी जि

को पकड़ पकड़ कर हम आगे बढ़ रहे

थे। धीमी धीमी रौशनी थी लेककन भीतर िाते हुए हम िरने लगे थे कक हम ने कोई गलती तो नहीिं की थी, क्योंकक यह

ुरिंग इतनी स्टीप थी कक 45 डिग्री ऐिंगल लग रही थी। झुक

झुक कर नीचे की ओर िाना खतरनाक लग रहा था। कोई

ौ गज़

े भी ज़्यादा हम आगे

बढ़ते रहे और आखर में एक कमरा था, िो होगा कोई पिंदरािं फ़ीट चौड़ा और इतना ही लिंबा। दीवारों पर कोई पें दटिंग नहीिं थी। यहािं ही बादशाह खफ ू ू का खज़ाना रखा हुआ था जि

का


मुझे पता नहीिं कक यह अब कहाुँ रखा हुआ है । पािंच समिंट ही यहािं हम ठहरे और वाप की ओर चढ़ने लगे। ऑक् ीिन की कमी मह ू रही थी। िब हम ऊपर आये तो ताज़ा हवा

हो रही थी और

ाुँ ें घुटी घुटी मह ू

में

े ही आगे बहुत

िो बन्द की हुई हैं। इन में ककिंग्ज़ चैंबर ऊपर है और कुईनज़ चैंबर नीचे है । इ ने पता लगाया था, हमे उ

लड़की

हो

े राहत समली। बाहर आये तो ि विंत ने लड़की

े पछ ु ा कक वहािं तो खाली कमरा था। लड़की ने बताया कक इ कक

ऊपर

रु िं गे हैं,

रु िं ग का

े पूछना भूल गया। बाहर आते ही हम र्परासमि के

भी ओर िाने लगे। िब चक्र ख़तम हो गया तो हम र्परासमि पे चढ़ने लगे क्योंकक बड़े बड़े पत्थर लगता है उ ी तरह ही एक द ू रे के ऊपर रखे हों। और लोग भी चढ़ रहे थे और एक द ू रे की फोटो ले रहे थे। हम ने भी कुछ फोटो लीिं और कुछ दे र बाद नीचे आ गए। ऊुँट की ैर हम ने नहीिं की क्योंकक हमें िर लग रहा था। काफी दे र हम घुमते रहे और कफर हमें फोटो लेने का एक नया आइडिया समला, िो वहािं कुछ लोग कर रहे थे। काफी दरू िा के मैंने अपना एक हाथ नीचे और द ू रा हाथ कोई एक फुट की दरू ी पर ऐ े ककया कक पीछे र्परासमि ऐ े ददखाई दे ती थी िै े मैंने र्परासमि को अपने दोनों हाथों

े पकड़ा हुआ है , और ऐ े ही फोटो खीिंच ली, कफर इ ी तरह ि विंत ने

खखिंचवाई। हमें भूख लगी हुई थी और हमारी गाइि हमें होटल की ओर ले चली। चलता…


मेरी कहानी - 179 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 07, 2016 र्परासमि दे ख कर लगा, िै े मेरी

ारी जि​िंदगी की भूख ख़तम हो गई थी क्योंकक उन ददनों

मुझे िाकूमैंटरी दे खने का बहुत शौक होता था। बीबी ी ही हम ज़्यादा दे खते थे और भारती चैनल उन ददनों बहुत कम होते थे। वै े भी उन ददनों दो बीबी ी चैनल और दो ए टीवी के चैनल ही होते थे, जिन पे हर शननवार को रै सलिंग दे खा करते थे और रात को लेट नाइट ड्रैकुला की कफल्म दे खते थे जि

में र्विंस्टन प्राइ

और कक्रस्टोफर ली की ऐजक्टिं ग बहुत प िंद

ककया करते थे। ट्रै वल िाकुमें ट्रीयािं दे ख दे ख मन में इच्छा थी कक िब ररटायर होंगे तो वल्िट वाइि घूमेंगे लेककन यह हो ना तो शहर बहुत

न् ु दर और

का। र्परासमि दे ख कर िब हम कायरो शहर में घूम रहे थे

ाफ़ ददखाई दे ता था। एक पाकट में अब्दल ु गमल ना र का बहुत

ऊिंचा बुत्त ददखाई दे रहा था। मैं यह कै े इ

ोचने लगा कक इस्लाम में तो बुतपरस्ती की मनाही है , कफर

पाकट में खड़ा कर ददया गया। इ

े मुझे मह ू

काफी आगे हैं। टै क् ी वाला रास्ते में बहुत कुछ इनतहा

हुआ कक इजिप्ट के लोग

की बातें बता रहा था लेककन अब

याद नहीिं। रास्ते में एक बहुत बड़ा महल िै ा मकान था, जि यहािं कोई शाही शेख रहता था िो इिंकलाब के वक्त यहािं

के बारे में उ

ने बताया कक

े भाग गया था क्योंकक यहािं बम्ब

चलाये गए थे। घुमते घम ू ते हमारी टै क् ी एक होटल के बाहर आ कर खड़ी हो गई। यह काफी बड़ा होटल था। होटल के भीतर हम चले गए। यहािं हम ने लिंच लेना था। हमारे िाने

े कोई द

समिंट बाद ही खाने के सलए लाइन लग्ग गई। यहािं भी होटल में आये

ज़्यादा गोरे ही थे। एक बात

े हम खश ु थे कक यहािं

एक फायदा होता है कक मन प िंद खाना प्लेट में िाल चटननयाुँ

ैल्फ

र्वट

ही थी।

बोतल भी पिी थी िो इिंग्लैंि की बनी हुई थी। अब तो कई वक्त यह

र्वट

का

कते हैं। एक टे बल पर तरह तरह की

बगैरा की बोतलें रखी हुई थीिं जिन में मेरे मन प िंद गचली

मैंने नतयाग ककया हुआ है लेककन उ

ैल्फ

हम घर

ालों

की पतली

े यह गचल्ली

का

े ख़तम नहीिं होने दे ते थे।

प्लेटें भर के हम टे बल पर आ गए और खाने का मज़ा लेने लगे लेककन एक बात

े मेरे मन

में कई र्वचार आने लगे। होटल के बाहर कुछ औरतें बड़ी बड़ी रोदटयािं भट्टी पे पका रही थीिं। ऐ ी बड़ी बड़ी रोदटयािं अरब दे शों में आम बनती हैं। बात तो कोई अिीब नहीिं थी लेककन मेरे मन में अमीरी गरीबी का अिंतर दीख रहा था। इन औरतों के कपिे गाुँव की औरतों िै े, गरीबी को दशाट रहे थे। मैंने तो यह

ब दे खा हुआ था लेककन अपने इदट गगदट इतना महिं गा

ही


भोिन खाते दे ख कर, पता नहीिं मन में कुछ कुछ होने लगता था। खैर, भोिन के बाद हम बाहर आ गए और गाड़ी में बैठ कर तादहर

ुकेअर की तरफ िाने लगे क्योंकक यहािं ही

दनु नआिं के बड़े मयूजज़यम की सलस्ट में कायरो का मयूजज़यम है । कायरो की बड़ी बड़ी

ड़कें और ब्रबजल्ि​िंग्ज़ को दे खते हुए कुछ ही समनटों में हम मयूजज़यम के

नज़दीक आ गए। हमें टै क् ी

े उतार कर ड्राइवर कहीिं चला गया। इ

ुकेयर के चारों ओर

हम ने नज़र दौड़ाई, बड़ी बड़ी ब्रबजल्ि​िंग के बीच यह एक बड़ा मैदान दीख रहा था। यह सलखना भी भल ू िंग ू ा नहीिं कक पािंच के खखलाफ प्रदशटन हुए थे और इ बहुत

े आदटट फैक्

ाल पहले २०११ में इ ी

क ु े यर में प्रैिीिैंट होस्नी मब ु ारक

इिंकलाब में बहुत लोग मारे गए थे और इ

मयूजज़यम के

बबाटद और चोरी कर सलए गए थे। हमारी गाइि लड़की ने दटकट सलए

और हम आगे चल पड़े। अब का तो मुझे पता नहीिं लेककन उ को बुके में नहीिं दे खा था, गरीबी अमीरी तो पिी सलखी और एक आज़ादाना सलबा

वक्त हम ने कक ी भी औरत

ब दे शों में है लेककन मुझे औरतें इिंडिया िै ी

में ददखाई दीिं। िै े इिंडिया में मजु स्लम औरतें घम ू रही

हैं, इ ी तरह इजिप्ट में औरतों को घुमते दे खा था। मयूजज़यम के भीतर हम चले गए। दोनों तरफ हम दे खते िा रहे थे। पुराने फैरो, उन की राणीआिं और कफला फरों के बड़े बड़े बुत्त रखे हुए थे िो इतने बड़ीआ और एक दम पॉसलश ककये हुए थे कक दे ख कर है रानी होती थी, कक उ

मय िब मशीनें भी नहीिं होती थीिं तो इतनी अनछ

गाइि लड़की के पा थी। कफर उ

फाई कै े की गई होगी। हमारी

एक टौचट थी और वोह हमें इन स्टै चओ ु िं को बड़ी िीटे ल

े ददखा रही

ने एक स्टै चू िो कक ी बहुत बड़े कफलॉस्फर का था, इतना बड़ीआ था कक

सलखना मुजतकल है । उ

लड़की ने रौशनी उ

की आुँखों पर िाली और हमें इ े गधयान

दे खने को बोला। आुँखें एक दम नैचरु ल, िै े हर शख्

की होती है , इ ी तरह थी। आुँखों की

बारीक बारीक न ें ब्रबलकुल अ ली ददखाई दे रही थी। बुत्त दे खते दे खते हम एक ऐ े कमरे में आ गए, यहािं फैरो के चैररयट यानी रथ रखे हुए थे, जिन पर बेतहाशा बड़ा एक

ोना लगा हुआ था और यह बहुत ही

िंदक ू पड़ा था और यह भी

ोने

ुन्दर थे। एक कोने में बहुत ही

े ही िैकोरे ट ककया हुआ था, इ

बादशाह की कीमती िीऊलरी रखी होती थी। लड़की ने बताया कक इ ी िंदक ू हैं। एक तरफ एक तरफ

ोने की कु ी पिी थी जि

के आमट रे स्ट

ोने की चारपाई िो काफी बड़ी थी और इ

े कोई छै इिंच ऊिंचा होगा। लड़की ने बताया कक यह इ कक

ोते

मय इ

र को खन ू की

िंदक ू में

िंदक ू में और भी

ोने के शेर बनाये हुए थे।

का पैरों वाला दहस् ा,

र वाले दहस् े

सलए था कक वोह लोग िानते थे

प्लाई बराबर िाती रहे गी। एक बहुत बड़ा हाल था,


जि

में ऐ ी बहुत ही कुस य ट ािं मेज़ और आि कल के कॉफी टे बल िै े छोटे छोटे टे बल थे।

आगे गए तो उ

मय यानी तीन चार हज़ार

ाल पहले के लोग ककतने शौक़ीन होंगे

क्योंकक वहािं रखी हुई आम लोगों की चपलें बहुत फैशनदार थीिं। कुछ चमड़े की थीिं और कुछ ोने चािंदी की िो बड़े लोगों की ही होंगी। फैशनदार बड़ी बड़ी किंनघयाुँ जिन में गैप ऐ े था िै े आि की लिंबी लिंबी किंनघयों में कुछ दािंत बारीक बारीक होते हैं और कुछ दािंत खल् ु ले खल् ु ले। िीऊलरी तो इतनी थी कक शैल्फें ही शैल्फें भरी पिी थीिं। ब थी कक उ

दे खने वाली बात तो यह

ज़माने में कै े बनाते होंगे।

मयूजज़यम लोगों

े भरा हुआ था और इन में ज़्यादा ब्रबदे शी लोग ही थे। िल्दी िल्दी दे खते

भी हमें आधा घिंटा हो ही गया था । लड़की ने बताया कक अगर मयूजज़यम की एक एक चीज़ दे खख िाए तो एक

ाल लग िाएगा और इ

में मुझे कोई है रानी वाली बात भी नहीिं लगी

क्योंकक यह मयूजज़यम है ही इतना बड़ा था । मैंने लिंिन का ब्रब्रदटश मयूजज़यम भी दे खा हुआ है और मझ ु े यह मयजू ज़यम उ

े कोई कम ददखाई नहीिं ददया बजल्क ज़्यादा बड़ा ही होगा।

अब हम द ु री मिंजज़ल पर आ गए। यह मिंजज़ल बादशाहों के कॉकफन यानी बड़े बड़े बक् ों ही भरी हुई थी। इन बक् ों में फैरो के मजम्मयािं यानन कपड़ों

े सलपटी हुई लाशें रखी हुई

होती थीिं लेककन अब यह खाली थे क्योंकक लाशें कहीिं और िगह रखी हुई होंगी, यह मुझे पता नहीिं। दे खने वाली बात तो यह थी कक यह कौकफन इतने खब ू रू त रिं गों थे की है रानी होती थी। हर कॉकफन के ऊपर उ बक्

की तस्वीर बनी हुई थी, जि

े पें ट ककये गए की लाश इ

में रखी हुई थी। बहुत बक् ों के नीचे उन के नाम सलखे हुए थे िो याद रह ही नहीिं

कते क्योंकक यह है ही इतने थे। अब

े ज़्यादा िो चीज़ हमारे सलए माने रखती थी, वोह थी तूतनख़ामुन की ममी का

ताबूत जि जि

को हाविट काटट र ने वैली ऑफ दी ककिंग्ज़ लुक् र में

े ढून्ढ ननकाला था और

के सलए वोह तकरीबन बैंकरप्ट होने को था। आगे के कमरे में िब गए तो वहािं लोग

धड़ाधड़ फोटो खीिंच रहे थ और कुछ वीडियोग्राफी कर रहे थे। बड़े बड़े शीशों में रखा तत ू नख़ामन ु का बॉक्

और एक तरफ

ोने

े बना हुआ उ

पर रखा हुआ था। यूुँ तो हम ने बहुत बदढ़या बदढ़या ऐ े बॉक् ुन्दर कोई नहीिं दे खा था। यह बॉक् , जि ढकन इतना

में उ

ुन्दर था कक बताना ही मुजतकल है ।

दे खे हुए थे लेककन इ

का शरीर समला था, उ र पे उ

कलाइयों को एक द ु री के ऊपर रखे, दोनों हाथों में दो पकिे, ऐ ा लगता था िै े वोह शाही सलबा

का खब ू रू त मास्क एक स्टैंि े

का ऊपर वाला

मय का ताि रखे और दोनों

ोने की कोई दो फ़ीट लिंबी खदूुँ टयाुँ

में लेटा हुआ हो। आुँखें ऐ ी बनी हुई थीिं िै े


कक ी ब्रबउटी पालटर में मेक अप्प ककया गया हो। यह े कक ी ने इ

ारा बॉक् , क्योंकक इतने हज़ार

ालों

को छुआ भी नहीिं था, ब्रबलकुल ऐ े लगता था िै े नया नया ही बना हो।

द ु री ओर एक शीशे के स्टैंि पर िो िै े कक ी शो पी

र वाला दहस् ा रखा हुआ था, ऐ े ददखाई दे ता था

की बड़ी दक ू ान में रखा हो। एक द ू रे के ऊपर

े लोग फोटो ले रहे थे।

मैंने यहािं काफी वीडियो बनाई और ि विंत ने भी बहुत फोटो खीिंची। कोई पिंदरािं समिंट यहािं हम ठै हरे और आगे चल पड़े। यह मयूजज़यम तो ख़तम होने को ही नहीिं था क्योंकक जिधर भी िाते, नई नई चीज़ें दे खने को थीिं।

ोने के इतने आटीफैक्ट थे कक ख़तम होने को नहीिं

थे। कफर हमारी गाइि लड़की ने बताया कक आगे एक कमरे में रामे ज़ फस्टट मम्मीज़ यानी उन के र्पिंिर रखे हुए थे। इ

ैकिंि और थिट की

में िाने के सलए हम को दटकट खद ु खरीदना

था। लाइन में खड़े हो कर हम ने दटकट सलए और एक बड़े कमरे में चले गए, इन में कैमरा ले िाना मना था । इ

े आगे कुछ और कमरे ननकलते थे। शीशे के बक् ों में यह र्पिंिर

रखे हुए थे। एक एक को गधयान इनतहा

े हम ने दे खना शुरू ककया। हर बॉक्

इिंजग्लश में टाइप ककया हुआ था। यूुँ तो हम ने ऐ ी ममीज़ लुक् र में भी दे खख थीिं

लेककन इन का इनतहा था। यह लाशें

ज़्यादा महत्व रखता था क्योंकक इन्होंने इजिप्ट पर कभी राि ककया

ख ू ी हुई तो थीिं लेककन

ाथ में

ख ू गया हो, झरु ीयाुँ दीख रही थीिं । इन के

ककन भी ऐ े ददखाई दे ती थी िै े कोई मद ु ाट ारे शरीर पर कोई चार इिंच चौड़ी खादी िै ी

पट्टी सलपटी हुई थी िो पता नहीिं ककतने हज़ार गज़ लिंबी हो क्योंकक ढकना भी काफी समहनत और वक्त ले हज़ार

के ऊपर मुख़्त र

कता है ।

ारे शरीर को इ

र के बाल िम्मे हुए थे लेककन इतने

ाल बाद भी ठ क ददखाई दे रहे थे। इन कमरों में बादशाहों, उन की राननयािं, उन के

बचे और नौकरों की लाशें थीिं। काफी दे र हम यहािं रहे और कफर बाहर आ गए। आगे गए तो एक बहुत बड़ा हाल था, जि

में बड़े बड़े लाल ब्राऊन और काले पत्थरों के स्टै चू थे। इतने

ाफ़ पॉसलश और अच्छे थे कक स फट दे खने

े ही इ

की तारीफ़ की िा

कती है । दे खा तो

बहुत कुछ था लेककन अब बहुत कुछ भूल गया है और हम बाहर आ गए। ड्राइवर हमें एक बािार में ले आया और हमें शॉर्पिंग करने के सलए वक्त दे ददया। उ

लड़की का काम ख़तम

हो गया था और बाई बाई कह कर वोह चली गई। अब हम दक ु ानों के चक्कर लगाने लगे, वोह गोरा गोरी कक ी और तरफ चले गए। कुछ दक ु ानें तो आम िै ी थीिं लेककन एक िगह आये तो वहािं हुक्के ही हुक्के थे और तरह तरह के रिं गदार पैकट शैल्फों पर रखे हुए थे, िाहर था इन में बहुत ककस्मों का तिंबाखू होगा। स ख


तो तिंबाखू का

ेवन करते नहीिं लेककन हम स फट उत् ुकता के कारण इन दक ु ानों में झाुँकने

लगे। हुक्के तो हम ने बचपन

े ही दे खे हुए थे लेककन इन में दे खने की बात यह थी कक

यह हुक्के इतने शानदार ददखाई दे रहे थे कक ददल चाहता था, स फट शो पी खरीद लें लेककन यह भी मम ु ककन नहीिं था क्योंकक कुलविंत तो इ

के सलए ही

को इतनी नफरत करती

कक इ

को दे खते ही बाहर फैंक दे ती। स ख धमट में बचपन

कक इ

को छूना ही पाप है । यह हुक्के बहुत कलरफुल थे, तरह तरह के डिज़ाइन और इन

की नसलयाुँ बहुत लिंबी लिंबी फ्लैक् ीबल ददखाई दे रही थीिं, हो में हों तो

भी इ

का

ेवन करने का लुत्फ ले

खब ू रू त लगती थी, गचलम के ऊपर ाथ छोटी छोटी

े ही हमें यह स खाया गया था कता है िब बहुत लोग घर

कें। इन पर रखी हुई गचलम भी दे खने में

न् ु दर चािंदी या कक ी और रिं ग का ढक्कन और इन के

ुन्दर गचमदटयािं लटक रही थीिं। हुक्के की

भी नसलयों पर कई रिं गों की

मीनाकारी कमाल की लग रही थी। इन को दे खते दे खते मुझ को बचपन की याद आ गई, िब मैंने एक मु लमान बुढ़ीया के घर िा कर हुक्के में िोर

े फूिंक मारी थी और

ारी

राख दरू दरू तक चली गई थी। दक ु ानदार हमारे हाथ पकड़ कर और डिज़ाइन ददखाने की जज़द कर रहे थे, बड़ी मजु तकल

े हम ने पीछा छुड़ाया और आगे चल पड़े। कई छोटी छोटी

चीज़ें हमें प िंद आईं और हम ने खरीदीिं। एक लड़का, िो घड़ीआ बेच रहा था, हमारे पीछे ही पढ़ गया और घडड़यािं ददखाने लगा लेककन इन की कीमत वोह बहुत बताता। मैंने अपनी घड़ी उतार कर उ थी,

को ददखाई और कहा कक यह घड़ी मैंने इिंडिया

ुनते ही वोह वहािं

घिी मैंने पचा

े चल ददया। मैंने तो यूुँ ही उ

े स फट पािंच पाउिं ि में खरीदी

को झूठ बोला था, दरअ ल तो यह

पाउिं ि में इिंगलैंि में ही खरीदी थी। ि विंत बोला, ” मामा ! पीछा छुड़ाने का

ढिं ग अच्छा लगा “, हिं ते हिं ते हम आगे चल पड़े। कुछ दे र बाद ड्राइवर आ गया, वोह थक्का थक्का

ा लग रहा था और हमें गाड़ी में बैठने को

बोला। गाड़ी में बैठ कर चलने लगे और कुछ आगे िा कर वोह गोरा गोरी िो एक दक ु ाुँन में े ननकले ही थे, बैठ गए और गाड़ी कायरो की मजस्िदों की ओर इच्छारा करके उन का इनतहा

ड़कों पर घूमने लगी। रास्ते में वोह कई बताता लेककन मुझे अब कुछ भी याद नहीिं

कक वोह ककया ककया था। कुछ ही दे र बाद गाड़ी एअरपोटट की तरफ िाने लगी और हमें एअरपोटट के

ाइन इिंजग्लशः और इजिजप्शयन में ददखाई दे रहे थे। िब एअरपोटट पर पहुिंचे तो

हमारी फ्लाइट का वक्त भी होने को था। कैफे में बैठ कर हम ने कुछ खाया और कॉफी का कप्प कप्प र्पया। ज़्यादा इिंतज़ार हमें करना नहीिं पढ़ा। अुँधेरा कब का हो चक् ु का था। लुक् र की अनाऊिं मैंट होते ही हम िहाज़ की ओर िाने लगे। कुछ समनटों बाद ही हम िहाज़ में


बैठे आ मान की

ैर कर रहे थे। िेढ़ घिंटे वक्त ही ककया होता है , बातें करते करते ही हम

लुक् र एअरपोटट पर थे। हमारा ड्राइवर भी हमारी इिंतज़ार कर रहा था और उ बैठ कर िल्दी ही हम होटल में पहु​ुँच गए। अब एक ही ददन हमारे पा

की गाड़ी में

बचा था। द ू रे ददन

हम बहुत घम ू ें , इन दो हफ़्तों में हमें ऐ ा मालम ू होने लगा था, िै े हम इजिप्ट में बहुत दे र े रह रहे हों। कायरो िा कर हमें एक

िंतजु ष्ट

ी हो गई थी कक हमारी हॉसलिे पै ों

ज़्यादा कीमती थी। ब ु ह को वाप

भी हॉसलिे मेकरज़ लक् ु र एअरपोटट पर पहु​ुँच गए थे। अब

भी के चेहरों पर घर

िाने की प्र न्ता ददखाई दे रही थी। िहाज़ में बैठे गोरे डड्रिंक पी रहे थे और खश ु खश ु

ददखाई दे रहे थे। िब हम मानचैस्टर एअरपोटट पर पहुिंचे तो अभी भी लौ थी। कुछ ही दे र बाद हम अपने अपने घर िब पहुिंचे तो लगा,

च ही तो कहते हैं कक बाहर हम जितना मज़ी

मज़े कर लें, लेककन” home sweet home ” ही चलता…

ही है ।


मेरी कहानी - 180 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 10, 2016 इजिप्ट

े आ कर जज़न्दगी कफर पहले की तरह चलने लगी। वोह ही ऐरन को स्कूल ले िाना

और वोह ही लाएब्रेरी में दोस्तों के

ाथ गप्पें हािंकना। नए नए दोस्त बन िाते, कफर अचानक

ही उन का आना बन्द हो िाता लेककन हम कुछ दोस्त तो पक्की

ीटें

िंभाले हुए थे। एक

बात है , कक वोह लाएब्रेरी में गुज़ारा वक्त बेकार नहीिं गया। एक तो हर रोज़ अखबार पढ़ लेते, इिंजग्लश पिंिाबी दहिंदी के मैगज़ीन भी पढ़ लेते और

े बड़ी बात हमारे टाऊन की

भी ख़बरें समल िातीिं। बस् ों में काम करते हुए हमारे पुराने रहता। लाएब्रेरी की शैल्फें पिंिाबी दहिंदी की ककताबों

ागथयों का भी पता चलता

े भरी रहती थीिं और मुझे इन का इतना

शौक होता था कक अगर कोई ककताब मैंने ना भी घर को लानी हो, शैल्फों के नज़दीक खड़े हो कर कुछ पिूुँ, ब

ऐड्रै

फे िरूर पढता। मुझे यह कोई फकट नहीिं पड़ता था कक

ारी ककताब पिूुँ या न

दे ख कर लफाफे में पढ़े खत की तरह कुछ कुछ अिंदािा हो िाता था कक इ

ारी ककताब सलखने का मक द ककया था। आयुवेद या होपसमओपैथी की कोई ककताब होती तो उ

को भी पढता, स हत के

म्बन्ध में योग

कराटे

े ले कर किंु गफू की ककताबें भी

थी ककताबों को दे खने की। मुझे

े ले कर मैिीटे शन, ताइची और ि​ि ू ो

र री नज़र

े दे खता। मझ ु े एक भख ू

मझ भी बेछक कुछ ना आये लेककन उ े दे खता िरूर। एक

आदत मेरी यह भी थी कक शायद ही मैंने कोई ककताब ककताबें

ारी की

ारी ना पढ़ कर भी मुझे बहुत कुछ

लड़ाते लेखकों के कलम दशटन हुए, जि लोग अपने आप को ही

ी लगी रहती

ारी पढ़ी हो लेककन यह

मझ आया। धमट के बारे में चोंच

े मझ ु े यह गगयान हास ल हुआ कक

ही मानते हैं, द ू रों में नक् ु

स खों में ही मुझे परस्पर र्वरोधी र्वचारों का आभा लो िी धमट चाहे जितने मज़ी हों लेककन

ारी की

भी धासमटक

ननकालते हैं। मैं एक स ख हूुँ लेककन हुआ। मैंने यह भी बहुत दफा पढ़ा कक

ारे धमट भगवान ् को ही मानते हैं। यह कहने के

बाद कफर भी िब कोई मु लमान, मिंददर की तरफ दे खता है तो उ

के ददल को कुछ कुछ

होने लगता है और इ ी तरह दहन्द ू स ख को भी मजस्ज़द की ओर दे ख के कुछ कुछ होता है । यह मैंने दे खा नहीिं बजल्क खद ु

ुना है । मैं और मेरा दोस्त बहादर इन बातों पर बहुत चचाट

ककया करते थे और बहादर तो यहाुँ तक कह दे ता था कक हम खामोश दतु मन हैं।

भी धमों के लोग एक द ू रे

उन को नफरत करते हैं । रात के

े हिं

हिं

ब झूठे हैं, हम एक द ू रे के

बातें करते हुए भी उन

े दरू हैं,

मय मैं और बहादर घिंटों टे लीफून पर बातें करते रहते।


िब मैं काम ककया करता था तो उ ककया करते थे। क्योंकक हम

मय भी कैंटीन में बैठे हम दोस्त तरह तरह की बातें

भी इिंग्लैंि में तकरीबन एक

मय ही आये थे, इ

सलए हम

भ एक द ू रे के वाककफ थे कक यह लोग िब आये थे तो इन के ककया ककरदार थे और अब िब कक

भी के पा

अपने अपने घर हो गए थे और आगथटक दृष्टी

े भी ठ क ठाक थे तो

इन के ददलों में धासमटक कट्टरता भी भरने लगी थी। मैंने वोह ददन भी दे खे थे, िब हमारे स ख भाई इिंग्लैंि आते ही क्लीन शेव हो िाते थे और जि

के

र पर पगड़ी होती थी, उ

को अिीब नज़रों

े दे खते थे लेककन अब वोह ही लोग हम िै े लोगों पर नुक्ताचीनी करते

थे। मुझे तो इ

े कोई फरक नहीिं पड़ता था, हालािंकक मुझे इ

कुलविंत बहुत

ालों

े गरु दआ ु रे िाती रही है लेककन उ

े फायदा ही होता था।

को भी गरु दआ ु रे िाने

हुआ है । बहुत दफा गुरदआ ु रे में िो होता है , आ कर मुझे बताती है तो िाता हूुँ, लिंगर के सलए खाना बनाते

मय औरतें एक द ु री

े फायदा ही

न ु कर मैं है रान हो

े झगड़ने लगती हैं, पीठ पीछे

चग ु सलयािं करती हैं, कई गुस् े हो कर आना छोड़ दे ती हैं और कक ी और गुरदआ ु रे की शोभा बढ़ाती हैं। हम

ोचते और बातें करते हैं कक अगर गुरदआ ु रे में िा कर इन की मानस क

अवस्था को फकट नहीिं पड़ा तो बाहर ककया करती होंगी। कफर मज़े की बात यह है कक यह औरतें अपनी बहुओिं पे तो नुक्ताचीनी करती हैं और खद ु इन को द

ारी उम्र गुरदआ ु रे िाते रहने

े भी

गुरुओिं के नाम याद नहीिं हुए। गुरदआ ु रे की कमेदटयों में झगिे, यह पै ा खा

गया, वोह खा गया और मामले कोटट तक चले िाते हैं, बहुत दफा तो इतने झगिे होते हैं कक पुसल

आ िाती है । कुलविंत में और मुझ में एक बड़ा फरक यह है कक वोह गुरदआ ु रे िा कर

च्चे ददल िा नहीिं

े माथा टे कती है , पर ाद लेती है और मेरे सलए भी ले कर आती है । अब तो मैं कता लेककन पहले भी मेरी ददलचस्पी इतनी नहीिं थी। यह बात नहीिं कक मैं स ख

धमट में र्वशवा

नहीिं करता था, इ

कोसशश करता था। इ

के र्वपरीत मैं गुरबानी के शालोकों को

मझने की

में मेरी रूगच जज़आदा इतहा क ही होती थी, िै े गुरु गोब्रबिंद स हिं

िी का सलखा ज़फरनामा िो एक ख़त है िो उन्होंने ने औरिं गिेब को सलखा था। यह ज़फरनामा पसशटयन में सलखा गगया था लेककन अब इ इ

का तिटमा पिंिाबी में समल िाता है ।

ज़फनाटमे में गुरु िी ने औरिं गिेब को यह भी सलखा है मेरे चार बच्चे मर गए तो ककया

हुआ, मैं और मेरा खाल ा अभी जि​िंदा है । तू अपने आप को मु लमान कहलाता है , तू ने अपने भाईओिं को मार ददया, अपने र्पता को कैद में रखा, तू कता। इ ी ज़फनाटमे में सलखा हुआ एक शलोक है कक िब

च्चा मु लमान हो ही नहीिं ब कुछ फेल हो िाये तो

तलवार हाथ में पकड़ना एक धमट है । िब िब ऐ ी बातें मैं पड़ता था तो गरु ु िी की कुबाटननओिं पे है रान होता था। धमट के बारे में मेरी ददलचस्पी यहािं तक ही रही है और इ

में


ककताब को माथा टे कना मेरी

मझ

े दरू है । लोग ककया करते हैं, मैं कभी कक ी के

पीछे नहीिं भागा।

लाएब्रेरी में तरह तरह के लोग आते थे। एक शख्

िो कभी बहुत शराब र्पया करता था और

क्लीन शेव होता था, अब एक गुरदआ ु रे में मैनेिमें ट कमेटी में है लेककन धासमटक कट्टरता भरपूर है । ऐ े शख्

े धासमटक बातें करना मुझे फिूल लगता था क्योंकक धमट

े जज़आदा

इन लोगों में स आ त की बातें ही होती थीिं। कुछ तो ऐ े थे िो बहुत गमट हो िाते थे। हमारा दोस्त

ोहन स हिं ही ऐ े लोगों को हिं

हिं

कर िवाब दे ता रहता था। कभी कभी दो

मु लमान भी आ िाया करते थे िो आज़ाद कतमीर के मीर परु जिले के रहने वाले थे। िै े ही वोह लाएब्रेरी में आते, को कतमीर दे दो “, पैंतासल

ोहन स हिं उन की ओर दे ख कर हिं

कर कहता, ” लो िी ! इन

भी हिं ने लगते। इन दोनों में एक आदमी िो कोई होगा चाली

का, वोह हमारे िै े खखयालों का था। वोह मुलाओिं को गासलआिं दे ता रहता और

कहता,” यह मजस्िद

े भी पै े लेते हैं और हकूमत

े भी बैननकफट लेते हैं और

ाथ में

झाड़ फिंू क करके और लोगों को बेवकूफ बना के पै े बटोरते रहते हैं, ककतने झठ ू े हैं यह लोग “, िब यह शख्

अकेला आता तो हम खब ू बातें करते। इन की बातों

चला कक िो चेहरा मु लमानों का हमें ददखाई दे ता है , वै े बहुत लोग हैं िो इन ढोंगी लोगों

े हमें यह भी पता

भी नहीिं है । मु लमानों में भी

े नफरत करते हैं। वै े भी मीर पुर डिजस्ट्रक्ट के लोग हम

पिंिाब्रबओिं की तरह ही हैं। काम पर हमारे बहुत मु लमान दोस्त थे, जिन में कुछ बहुत ही कट्टर र्वचारों के थे और ऐ े लोगों को मु लमान खद ु भी नफरत करते थे। कभी कबार यह हामारे

ाथी लोग हमें बाहर समल िाते तो हम बहुत खश ु हो कर समलते। लाएब्रेरी में तो

कभी ही कोई आता था लेककन िब आता तो हमारी बातें ख़तम ना होतीिं। कभी कभी मैं ब

पकड़ कर टाऊन के चक्कर लगाने चला िाता। क्योंकक मैं ने बस् ों

ररटायमैन्ट ली थी, इ ओर ब

े िी ब पा

पा

सलए मुझे और कुलविंत को जज़न्दगी भर के सलए हमारी किंपनी की समला हुआ था। िब मैं काम करता था तो मुझे तो उ

समला हुआ था लेककन कुलविंत को कुछ

ालों बाद समला था। कुलविंत भी िब काम

पर िाय करती थी तो वोह भी िी ट्रै वल करती थी। कुछ ट्रे न के सलए भी िी पा

वक्त भी िी

ालों बाद तो किंपनी ने हमें लोकल

दे ददया था। िब हमें वक्त समलता तो मैं और कुलविंत ट्रे न पकड़

कर दरू दरू शहरों के चक्कर लगाते और शॉर्पिंग कर आते। कार ले िाने का एक झिंिट


होता था क्योंकक कार पाककिंग के सलए िगह समलनी मुजतकल होती थी, तो ब

में िाना बहुत

आ ान होता था। बोर होने की हमें कोई विह ही नहीिं थी। वीकेंि पर हम बहादर, रीटा या बुआ ननिंदी के घर चले िाते। जज़न्दगी मज़े िब मैं ब क्योंकक

े गुज़र रही थी।

पकड़ कर टाऊन को िाता, तो पहले तो ब

ड्राइवर ही मुस्करा कर है लो बोलता

भी ड्राइवर मुझे िानते ही थे। मैं ड्राइवर के पा

करता रहता। ड्राइवर के पा

ारी उम्र बस् ों पे काम करने

भी लोग िानते थे कक मैं बस् ों पे काम े

ारे टाऊन के लोग हमें िानते थे। बहुत

लोगों को हम नहीिं भी िानते होते थे लेककन लोग हमें िानते थे। अगर टाऊन हो तो ले करके मैं शॉर्पिंग माल जि एक खल ु ी िगह में बहुत

े बातें

खड़े हो कर बातें करना कानून के खखलाफ है लेककन कफर भी

कुछ दे र बातें हम करते ही रहते और यह बातें कर चक् ु का हूुँ।

ही खड़ा हो िाता और उ

को मािंिर

ेंटर बोलते हैं, में आ िाता। मािंिर

े बैंच हैं, यहािं हम बहुत

हर र्वषय पर हमारी बातें होती रहतीिं। यह िगह

े कुछ लेना ेंटर में

े ररटायिट दोस्त इकठे हो िाते थे और ब को अनछ लगती थी। इदट गगदट शॉर्पिंग

के सलए घुमते लोग और कभी कोई िािंस ग िं ग्रुप या कोई गायक गगटार या वाइओसलन बिाता ददखाई दे ता। टॉयलेट चौथी मिंजज़ल पर होती थी, जि मैं हमेशा

के सलए सलफ्ट लग्गी हुई थी लेककन

ीिीआिं चढ़ कर िाता और तेि तेि िाता। इ

े मेरी एक् र ाइज़ हो िाती।

को मैं बहुत प िंद करता था। नीचे आ कर कुछ दे र गप्पें हािंकने के बाद ब

पकड़ कर

मैं

ीधा ऐरन को लेने चले िाता और पैदल घर आते। यह मेरी ररटायरमेंट के बेहतरीन ददन

थे क्योंकक स हत अनछ थी और काम पर िाने का कोई कफ़क्र नहीिं होता था। काम के ददनों में कभी

ुबह चार बिे िाना, कभी शाम तीन चार बिे िाना, ब

लेककन अब वक्त पर

ऐ े ही जज़न्दगी बीत गई

ोना और वक्त पर उठना एक रूटीन हो गया था, जि

एक लत्ु फ था िो मझ ु े काम के बाद ही मह ू

हुआ। रात को िब तक िी चाहे , टै ली दे खना

भी बहुत अच्छा लगता था क्योंकक काम के ददनों में तो कभी कभी ि विंत भी काम

का अपना ही

ब ु ह उठने की ही गचिंता होती थी।

े आते हुए हमारे घर आ िाता। एक दो डिब्बे हम दोनों बीअर

के पीते और कफर वोह अपने घर चला िाता था। एक ददन िब आया तो आते ही बोला, ” मामा ! चल गोआ घूम आएिं “, मैंने कहा, “ि विंत अभी तो हम ने इजिप्ट में इतने पै े खचट कर ददए हैं, एक समल रही है , स फट तीन

ाल ठहर कर िा आएिंगे “, ि विंत बोला,” मामा ! िील बहुत अनछ ौ पाउिं ि दो हफ्ते की कीमत है , और ब्रैि ऐिंि ब्रेकफास्ट समलेगा,

यही हॉसलिे दो हफ्ते बाद आठ रश होता है ,

ौ पाउिं ि हो िायेगी, क्योंकक कक्र म

के वक्त गोआ में बहुत

ोच लेना, दो ददन बाद मैं कफर आऊिंगा”, कह कर ि विंत चले गया। हम दोनों


पर र्वचार करने लगे। कुलविंत खद ु का मन गोआ िाने को करता था और मैंने भी

कक मैं खद ु तो इजिप्ट िा कर आया हूुँ और अगर हम कहीिं नहीिं गए तो कुलविंत के यह ज़्यादती होगी। उ ी रात हम ने िाने का फै ला कर सलया। उ

ने कहा कक वोह काम

ोचा ाथ

िंदीप को हम ने बताया तो

े पता करके हमें बता दें गे क्योंकक ऐरन की दे ख भाल के सलए

भी इिंतज़ाम करना िरुरी था। कुछ ददन ऐ े ही बीत गए, कफर

िंदीप ने बताया कक ि र्विंदर

और वोह एक एक हफ्ते की छुदटयों का इिंतज़ाम कर लें गे। िब छुदटयों का इिंतज़ाम हो गया तो मैंने ि विंत को फोन कर ददया कक हम तैयार थे। कुछ ददन बीतने के बाद ि विंत आया और हमें बता ददया कक 6 . 12 . 2004 की हॉसलिे बुक हो गई थी और बी

दद िंबर को वाप

आना था । ि विंत और उ

की ममी गगयानो

ने िाना था। दो ददन बाद ही ि विंत का कफर टे लीफोन आया और हमें बताया कक हमारे ाथ िाने के सलए एक कप्पल और तैयार हो गया था। इ उ

की पत्नी का नाम

रु िीत कौर है । गगयानो बहन

शख्

का नाम तर ेम स हिं और

रु िीत स हिं की मा ी लगती है और

हम पहले ही इन लोगों को िानते थे। अब तो खब ू मज़ा आएगा, ली। इिंडिया िाने के सलए हम को वीज़ा लेना िरूरी था। इ

ोच कर हम ने तैयारी कर

के सलए एक ददन मैं और

तर ेम स हिं दोनों बसमिंघम हाई कसमतनर के दफ्तर में पहु​ुँच गए। गाड़ी तर ेम स हिं की थी और डि ेबल होने की विह गाड़ी खड़ी कर

े उ

को डि ेबल पाककिंग कािट समला हुआ था। वोह कहीिं भी

कता था। गाड़ी के सलए तो कोई ख़ा

तकलीफ नहीिं हुई लेककन िब हाई

कसमतनर के दफ्तर पहुिंचे तो दफ्तर के बाहर लिंबी लाइन लगी हुई थी, ब्रबलकुल इिंडिया वाला हाल था। हाथों में पा पोटट और फ़ामट पकिे हुए लोग बातें कर रहे थे कक आि तो इिंडिया याद आ गया था। इिंडिया लाइन के होते हुए भी

े एक बात सभन थी कक कोई धकमधका नहीिं था, इतनी बड़ी

भी शाजन्त

9 बिे दरवाज़ा खल ु ा और

े खड़े थे।

भी अिंदर चले गए और एक खखड़की

कुस य ट ों पर बैठने लगे। लोग ज़्यादा थे, इ

सलए कुछ लोग खड़े ही रहे । गोरे लोग भी काफी

थे। तकरीबन एक घिंटे बाद मेरा निंबर आया और मैं खखड़की पर िा खड़ा हुआ और ओर बड़ा ददए। पािंच समन्ट् और बताया कक तीन बिे

े दटकट निंबर ले के

ारे पा पोटट और पै े ले कर एक

ारे फ़ामट और पा पोटट खखड़की पर काम कर रही लड़की की े ज़्यादा नहीिं लगे, िब उ

लड़की ने मुझे एक रर ीट दे दी

ारे पा पोटट तैयार होंगे और मैं आ कर ले िाऊिं। मैं और तर ेम

स हिं नीचे आ कर गाड़ी में बैठ गए और

ोचा कक वक्त तो बहुत है , इ

सलए हम ग्राहम

स्ट्रीट गरु दआ ु रे में चले िाएुँ। कुछ दे र हम दक ु ानों के चक्कर लगाते रहे और कफर गरु दआ ु रे


में आ गए। वहािं ज़्यादा लोग नहीिं थे लेककन दो शख् पता ही नहीिं चला। वक्त अब

हम को िानते थे, इ

सलए वक्त का

े आधा घुँटा पहले ही हम हाई कसमतनर के दफ्तर में पहु​ुँच गए।

भी लोग पा पोटट लेने के सलए ही आये हुए थे। िाते ही पा पोटट हमें समल गए और

हम वाप चलता…

आ गए। अब हम ने स फट गोआ िाने की तैयारी ही करनी थी।


मेरी कहानी - 181 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 14, 2016 गोआ िाने की तयारी हो गई थी। इिंग्लैंि में तो उ

मय बहुत

दी पढ़ रही थी और कुछ

कुछ स्नो पढ़ रही थी। वै े तो स्नो को कोई प िंद नहीिं करता लेककन अगर कक ी वषट कक्र म

े पहले स्नो पढ़ िाए तो लोग खश ु होते हैं कक इ

और अगर कक्र म

ाल वाइट कक्र म

हो गई

के ददन ही स्नो पढ़ने लग िाये तो ख़श ु ी और भी बढ़ िाती है । ि विंत

ने गोआ के मौ म के बारे में इिंटरनेट पे दररयाफ्त कर सलया था कक वहािं तो 25 डिग्री ज़्यादा हो

कती है , इ

सलए भारी कपड़ों की कोई िरुरत ही नहीिं थी। मैिीकल इिंशोरें

की हो गई थी और मानचैस्टर ऐरपोटट को िाने के सलए नैशनल एक् प्रै ीटें भी बक ु हो गई थीिं। जि को हम ने ब गई। ब लेककन इ भी हिं

ददन हम ने िाना था,

में ही िाना था और ब

ही है । अटै चीके

े भी

कोच की ररटनट

भी हमारे घर आ गए। कोच स्टे शन

स्टॉप हमारे घर

और बैग उठाये हम ब

े चाली

पचा

गज़ की दरू ी पर

स्टॉप पर आ गए। चार पािंच समिंट में ही ब

में िब चढ़ रहे थे तो ड्राइवर बोला,” भमरा ! इिंडिया की तैयारी है ?”, मैने कहा हाुँ की बार गोया िा रहे हैं। वोह हिं पढ़े । ब

समिंट में ही ब

कर बोला,” यह ब

स्टे शन पर पहु​ुँच गई और उत्तर कर हम कोच के

स्टॉप पर खड़े हो गए। कुछ ही समनटों में नैशनल एक् प्रे ने कोच के नीचे लगेि कम्पाटट मैंट में अपना हो गए। टाऊन

गोआ ही ले चलें ? “, हम

की कोच आ खड़ी हुई और हम

ामान रखा और कोच की

ीटों पर र्वरािमान

े बाहर आ कर यूुँ ही कोच मोटरवे M54 मोटरवे पर चढ़ी तो हवा

े बातें

करने लगी। ट्रै कफक ठ क ठाक ही थी और कोच ड्राइवर ने िेढ़ घिंटे में हमें मानचैस्टर एअरपोटट पर पहुिंचा ददया। चैक इन पर लाइन लगी हुई थी। इ उन के

ाथ कोई बच्चा भी नहीिं था। कारण यह ही था कक उ

हुई नहीिं थीिं। हम छै ही इिंडियन इ िल्दी ही

ऐरोप्लेन में भी गोआ िाने वाले

वक्त स्कूलों में छुदटयािं अभी

िहाज़ में थे। पािंच पािंच समिंट ही चैक इन पर लगे और

ब लौन्झ में आ कर बैठ गए। कैफे

स हिं की पत्नी

भी गोरे ही थे और

े एक एक कप्प कॉफी का सलया, तर ेम

ुरिीत कौर ने एक ब्रबजस्कट का पैकट खोला और

भी को ऑफर ककया, यह

नए ब्रबजस्कट हम कक ी ने भी पहले खाए नहीिं थे और

ब को इतने स्वाददष्ट लगे कक

पछ ू ने लगे कक यह ब्रबजस्कट कहाुँ

ने स्टोर का नाम बताया तो

े खरीदे थे। िब उ

बोलने लगे कक यह ब्रबजस्कट तो लाने ही पड़ेंगे और मुझे याद है िब हम हौसलिे

भी भी

े वाप


आये थे तो कुलविंत ने उ

स्टोर में िा कर कई पैकेट ब्रबजस्कटों के खरीद सलए थे। ऐ े ही

हम बातें करते रहे । ब्रब्रदटश एयरवेज़ का िहाज़ आ कर रनवे पर खड़ा हो गया था और कुछ ही समिंट बाद गेट ननकले,

दी

े बाहर आ कर हम रनवे पे खड़े ऐरोप्लेन की तरफ चल पढ़े । यूुँ ही बाहर

े मिंह ु लाल होने लगे क्योंकक िगह िगह बफट के ढे र लगे हुए थे। लौन्झ में

तो हीदटिंग थी, हमें कुछ मालम ू हुआ नहीिं लेककन अब पचा

गज़ की दरू ी तै करना भी

मुजतकल लग रहा था। ऐरोप्लेन में घु ते ही कुछ राहत समली। ऊपर रै क में अपने अपने बैग हम ने रख ददए और

ीटों पर र्वरािमान हो गए। कुछ अनाऊिं मैंट हुई और एक लड़की िो

एअर होस्टे

थी, हाथ में एक मास्क पकिे कक ी एमरिें ी के वक्त

ेफ्टी के सलए बताने

लगी कक इ

मास्क को कै े खोलना और मिंह ु पर लगाना था। इिंजिन चलने लगा और कुछ

ही समनटों में रनवे पर दौड़ता हुआ िहाज़ ऊपर उठ गया। हमारा िेजस्टनेशन अब गोआ ही था और िहाज़ ने रास्ते में कहीिं खड़े नहीिं होना था। िहाज़ उड़ता रहा और हम खाते पीते और बातें करते रहे । कुछ ही घिंटों बाद अुँधेरा होने लगा और हमारे नीचे कभी कभी िब कक ी शहर के ऊपर होते तो नीचे दीप माला ददखाई दे ती िो बहुत अनछ लगती। ऑ िंखें बन्द ककये

ारी रात हम उड़ते रहे , नीिंद आने का तो भी

ोने का बहाना बनाये हुए थे। िब

वाल ही पैदा नहीिं होता था।

ुबह हुई तो धीरे धीरे

भी हाथों

में टॉवल टूथ ब्रश पकिे टॉयलेट की ओर िाने लगे। ब्रेकफास्ट की धीमी धीमी खश ु बू भी आने लगी थी और एअर होस्टे

खाने की ट्रे ओिं को हाथों में पकिे तेिी

ब को

वट करने

लगी। इजग्लश ब्रेकफास्ट का भी अपना ही एक मज़ा होता है । बेकन, एग्ग, ौ ेि, ब्रैि ऐिंि बटर, मामलेि और बीन्ज़ दे ख दे ख कर ही भूख चमक उठ थी। मज़े एरहोस्टै

चाय और कॉफी

े खाया और अब

वट करने लगीिं। खा पी कर आराम करने लगे और इिंडिया पहु​ुँचने

का इिंतज़ार करने लगे। याद नहीिं, शायद द और हम िहाज़

बिे का वक्त होगा िब िहाज़ िैबोसलम एअरपोटट गोआ पर उत्तर गया

े ननकल कर कस्टम में आ गए। अब एअरपोटट में हमारे इिंडियन कमटचारी

हाथों में वाकी टाकी सलए घम ू रहे थे क्योंकक उ

मय यह बड़े बड़े वाकी टाकी ही होते थे,

जिन के एररअल रे डियो की तरह बाहर ऊपर की ओर ननकले हुए थे। िब हम एअरपोटट के बाहर ननकले तो एक कमटचारी एक पानी की टूटी पर खाने के बतटन धो रहा था िो पीतल के बने हुए थे, शायद यह बतटन कमटचाररयों की कैंटीन के होंगे। बाहर कोचें खड़ी थीिं और कुछ वदीधारी कमटचारी हाथों में रे जिस्टर पकिे हम हमारे

ब को कोच में ब्रबठा रहे थे और कुछ कुली

ामान को कोच के ऊपर रख रहे थे। िै े िै े लोगों के होटल बुक थे, उ ी दह ाब


याब्रियों को कोचों में ब्रबठाया िा रहा था।

ूयट तेज़ी

े चमक रहा था और धप ु की गमी

कुछ कुछ प ीना भी आने लगा था। स फट बारह घिंटे में ही तापमान का ककतना अिंतर मह ू हो रहा था। कोच चलने लगी। ड्राइवर के इलावा कोच में एक लड़की भी थी िो पानी की छोटी बोतलें

भी को दे रही थी। इिंग्लैंि में तो र्पआ

लगती ही नहीिं है, स फट इ

पीते हैं कक पानी हमारे सलए बहुत िरूरी है । अब र्पआ गमी थी, इ

सलए

ब को लग रही थी क्योंकक यहािं

भी पी रहे थे, कई तो द ु री दफा बोतल मािंग रहे थे। हम छै इिंडियन ही

थे और हमें भारत की भूसम पर आने

े मन ही मन में ख़श ु ी हो रही थी।

गोआ की याद आ गई, िब हम मैदट्रक में पढ़ते थे तो उ बहुत बड़ा िलू लेककन उ

ननकला था जि

में नारे लग रहे थे,

वक्त हमें कुछ भी पता नहीिं था कक

कालि में थे तो हमारे इनतहा उ

सलए ही

वक्त फगवाड़े शहर में एक ददन

ालािार हाय हाय,

ालािार मुदाटबाद

ालाज़ार ककया बला है लेककन िब हम

के प्रोफै र समस्टर टिं िन ने हमें बहुत कुछ बताया था क्योंकक

मय 1961 में भारती आमी ने गोआ पर हमला करके गोआ को पत ट ेज़ों ु ग

करा सलया था और पुतग ट ेज़ों का 450

ाल

े आज़ाद

े चले आ रहे राि का अिंत हो गया था। 19

दद िंबर को गोआ का सलबरे शन िे होता है। उ

वक्त गोआ की आमी 3000 थी और भारत

की 30000 फ़ौि ने हमला कर ददया था, जि

में नेवी और एअरफो ट का इस्तेमाल हुआ था

और इ ी िैबोसलम एअरपोटट पर भी बम्ब फैंके गए थे। इ र्विय ददया गया था। इ

में कोई ख़ा

ऑपरे शन का नाम ऑपरे शन

खन ू खराबा नहीिं हुआ था और गोआ के िैनरल ने

हगथयार िाल ददए थे। महज़ बारह घिंटों में यह ऑपरे शन ख़तम हो गया था। उ कफल्म गनज़ ऑफ गोआ भी बनी थी जि

में महमूद का भी रोल था।

प्रोफे र टिं िन ने बताया था कक गोआ का नाम महाभारत में भी आता है जि गोमािंतक सलखा गया है जि

इ जि

ा टाऊन था और यह बन्दरगाह भी थी, इ

े पहले मिंदोवी नदी पर

का कोई नाम था लेककन गोआ नाम

को पत ट ासलयों ने ही ददया था । इ ी िगह को पत ट ेज़ों ने अपनी रािधानी बनाया था ु ग ु ग को आि ओल्ि गोआ कहते हैं। गोआ पर कभी मोररया विंश के

विंश के रािे भी राि करते थे। िब वास्कोडिगामा यहािं आया था तो उ का

में गोआ को

के अथट बहुत बताये िाते हैं। कुछ गाये चराने वाला दे श और

कुछ उपिाऊ दे श कहते हैं यहािं, फ लें बहुत हों । पुतग ट ेज़ों के आने एक छोटा

वक्त एक

ामना करना पड़ा था लेककन धीरे धीरे उ

प्रस द्ध िरनैल ऐल्फािं ो था । वास्कोडिगामा चक् ु के थे जिन्होंने दहिंन्दओ ु िं के

म्राट अशोक और चोल को बहुत मुजतकलों

ने गोआ पर कब्ज़ा िमा सलया था। उ

का

े बहुत पहले मु लमान गोआ पे काब्रबज़ हो

भी मिंददर ढा ददए थे और बहुत दहिंदओ ु िं को िबरदस्ती


मु लमान बना सलया था। वास्कोडिगामा ने मु लमान रािे आददल शाह को हरा कर कब्ज़ा कर सलया था लेककन कुछ दे र बाद ही आददल शाह ने कफर गोवा पे हमला कर ददया और ऐल्फािं ो को दौड़ कर िान बचानी पिी थी लेककन ऐल्फािं ो ने एक दहन्द ू रािा की मदद आददल शाह को हरा कर कफर

े गोआ पर कब्ज़ा कर सलया और बदले की भावना

े उ

ने

मु लमानों को मारना शरू ु कर ददया था। तीन ददन कत्लेआम चलता रहा,बहुत मु लमान मार ददए गए या उन को कक्रजतचयन बना सलया गया था। अब गोआ बहुत अमीर होने लगा था और इ

को सलज़बन ऑफ दी ईस्ट कहने लगे थे। िब भारत आज़ाद हुआ था तो

िवाहर लाल नेहरू ने गोआ की आिादी के बारे में पुतग ट ाल की हकूमत लेककन उन्होंने बात

न ु ने

े बात की थी

े भी इनकार कर ददया था। गोआ को आज़ाद कराने के सलए

आज़ादी की लड़ाई शुरू हो गई थी।

ारे भारत में बहुत

े आिंदोलन शुरू हो गए थे और गोवा

में भी आिादी के परवाने अपनी िान तली पे धर कर लढ़ रहे थे लेककन पुतग ट ेज़ इन आिंदोलनों को

ख्ती

े कुचल रहे थे, उ

डिक्टे टर था और बहुत

मय पुतग ट ाल में

ख्त था और शायद इ ी विह

मि ु ाहरे हुए होंगे िब लोग बोलते थे,

ालािार की हकूमत थी िो

े फगवाड़े में

ालािार के खखलाफ

ालािार हाय हाय।

हमारी कोच चली िा रही थी और इदट गगदट शीशों में

े झािंकते हुए अपने दे श का नज़ारा ले

रहे थे। हमारी कोच कैलिंगट ू में िोना ीना होटल के बाहर

ड़क पर आ खड़ी हुई।

ाधाहरण

ड़क थी, इधर उधर हम ने दे खा, दे खने को फगवाड़े िै ा ही दीख रहा था। दो कुसलओिं ने ारे

ूटके

छत

े उतार कर

हम होटल के गेट में को

ड़क के एक तरफ रख ददए। अब अपने अपने

ा आ गया लेककन हम

ा पैंताली

भी एक बड़े

पचा

े ऑकफ

कमरों की चाब्रबयािं हमें पकड़ा रही थी। कक ी ने छोटे बॉक् तीन

के सलए एक और छोटा थे और हर बॉक्

ौ रूपए फी

ाल का यह शख्

था। दे ख

ारी िीटे ल रे जिस्टर पर सलख कर

ेफ में पा पोटट या पै े रखने हों तो इ ी

ा कमरा था जि

में

की अपनी अपनी चाबी थी, जि

थी । हम ने अपने

ेफ थी, जि

में बहुत

े छोटे

में िाकूमें ट रखने के सलए

ारे पा पोटट दटकटें बगैरा इ

रख कर चाबी और एक िाकुमें ट ले सलया। इ ी बड़े कमरे में इिंटरनेट की

ेफ के एक बॉक् सु भदा भी थी

लेककन इिंटरनेट स फट ि विंत को ही आता था िो हॉसलिे के दरसमयान वोह कभी कभी इस्तेमाल करता रहा।

में दाखल हो रहे थे। आगे

काउिं टर पर दो लड़ककयािं हर एक यािी का पा पोटट ले कर कमरे में उ

पकड़ी

े होटल के आुँगन में िाने लगे। आगे एक वदी में खड़ा कमटचारी

ैलीऊट मार रहा था। र्वचारा कमज़ोर

कर तर

ूटके

में


हमारे तीन कमरे बुक थे िो द ू री मिंजज़ल पर थे। क्योंकक तर ेम डि ेबल था इ

सलए यह

कमरे द ू री मिंजज़ल पर बुक कराये गए थे ताकक तर ेम को चढ़ने में ज़्यादा तकलीफ ना हो। इलैक्ट्रॉननक लॉक थे और स्वाइप करते ही खल ु िाते थे। हम अपने कमरे में गए। कमरा काफी अच्छा था। टॉयलेट और शावर का इिंतज़ाम था। कमरा कोई बारह बाई बारह का होगा और एक तरफ बैलकनी थी, जि

े बाहर का नज़ारा ददखाई दे ता था और इ

टे बल और दो चेअऱज़ रखी हुई थीिं। बैलकनी स फट दो कमरो के हम ने गप्प छप करनी हो,

ाथ ही थी लेककन िब भी

भी हमारी बैलकनी में आ िाते थे। अपना

करके, कपिे बगैरा वािटरोब में रख के स्नान ककया और बाहर कैलिंगूट की मन बना कर, हम लग रही थी। चलता…

बैलकनी में

ारा

ामान

ैट

ड़क पर घूमने का

भी बाहर चल ददए। अभी भी शायद तीन चार बिे होंगे और गमी काफी


मेरी कहानी - 182 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 17, 2016 अपने अपने कमरों में

ामान रख कर हम बाहर को िाने लगे। कुछ गज़ की दरू ी पर ही

एक कैंटीन िै ा होटल था। इ दे खने के सलए हम इ

में ही हर

ुबह हम ने कौंदटनैंटल ब्रेकफास्ट लेना था। यूुँ ही

के अिंदर चले गए। ि विंत ने एक शख्

कौंदटनैंटल ब्रेकफास्ट में ककया दे ना था, तो उ स्ट्रॉबरी िाम, या कॉनटफ्लेक्

थे और

ामने एक छोटा

और एक तरफ लेट भी

ब ु ह को

ने बताया कक िी में स फट टोस्ट, मामटलेि,

ाथ में चाय और काफी थी लेककन अगर हम और

कुछ लेना हो िै े एग्ग िाई या बेकन कैंटीन के

को पछ ु ा कक

ौ ेि तो उ

के सलए हम को पै े दे ने होंगे। इ ी

ा जस्वसमिंग पूल था, जि

के इदट गगदट कु ीआिं मेज़ रखे हुए थे

य ू ट स्नान करने के सलए लिंबी लिंबी है ि रै स्ट बैंच िै ी कु ीआिं थीिं, जिन पर

कते थे और फोल्ि करके कु ी भी बना

कते थे। इन के ऊपर तेज़ धप ु

के सलए बड़ी बड़ी छतरीयािं भी खल ु ी हुई थीिं। इ ी कैंटीन

े बीअर भी

े बचने

वट होती थी और उ

वक्त कुछ गोरे गोरीआिं बैठे बीअर का आनिंद ले रहे थे। कुछ दरू एक तरफ एक दरिी बैठा था, जि

के आगे कपड़े

ीनें वाली मशीन रखी हुई थी और बहुत

टुँ गे हुए थे। वोह कपड़ों की ररपेयर करता था और बनाना चाहता हो तो वोह उ कमरा था, जि

े कपिे कुछ हैंगरों पर

ाथ में ही अगर कोई अपनी मज़ी की ड्रै

का नाप ले कर वहािं ही बना दे ता था। एक तरफ छोटा

में मा ाि बगैरा होती थी और बाहर एक बोिट लगा हुआ था, जि

कीमतें सलखी हुई थीिं। कुछ आगे गए तो एक कुआिं भी था िो लोहे की

पर

लाखों के िाल

बन्द ककया हुआ था, ज़ाहर था यह कक ी वक्त इस्तेमाल करते होंगे। कुछ आगे वोह ही कमरा था, जि

में हम ने अपने पा पोटट ददखाए थे।

दे खा वोह लड़ककयािं और दो लड़के आप तर ेम स हिं धीरे धीरे छड़ी के

र री नज़र

े हम ने गदट न घम ु ा के

में बातें कर रहे थे।

ाथ चलता आ रहा था। कुछ

ाल हुए, उ

को माइनर

स्ट्रोक हो गया था लेककन स फट एक टािंग में ही तकलीफ थी, वै े वोह ठ क ठाक था और इ

वक्त भी वोह छड़ी के

हारे ही चल

कता है लेककन वोह गाड़ी चलाता है । तर ेम कभी

स्कूल नहीिं गया था लेककन वोह काफी हुसशआर है और अब भी दोनों समआिं बीवी हॉसलिे िाते रहते हैं। होटल के बाहर हम

ड़क पर आ गए थे और एक तरफ चल पड़े। कोई ओपरापन

नहीिं लग रहा था। अपने लोगों की दक ु ाने और िगह िगह खाने के सलए होटल, दे ख कर पिंिाब ही लग रहा था। ब्रबदे शी लोग भी छोटे कपड़ों में आम ही घूम रहे थे।

ोच रहे थे कक


रात का खाना कहाुँ खाया िाए। दोनों तरफ दे खते िा रहे थे। आगे एक चाइनीज़ का होटल था िो खुल्ले में था, छत स फट एक तरपाल ही थी, काफी कु ीआिं मेज़

िे हुए थे। फै ला

हो गया कक रात का खाना यहीिं खाएिंगे। मैन्यू और कीमतें बाहर बोिट पर लगी हुई थीिं। चाइनीज़ का मैं इतना शौक़ीन नहीिं हूुँ लेककन िब

भी चाइनीज़ खाना चाहते हों तो मेरा

रुकावट बनना वाज़व नहीिं था। चलते चलते कुछ कुछ अुँधेरा शरू ु हो गया था, सलए इतना चलना ही ठ क तकलीफ ना हो। हम वाप

ो आि के

मझ क्योंकक हमें तर ेम का भी ख्याल रखना था ताकक उ कमरे में आ गए। इिंग्लैंि

को

े चलते वक्त हम एक इलैजक्ट्रक

कैटल, शूगर और कुछ टी बैग भी ले आये थे ताकक कभी रात को बैठे बैठे चाय को िी चाहे तो हमें बाहर न िाना पड़े। यहािं दध ू की हम को कोई कमी नहीिं थी क्योंकक कैंटीन पा

में

ही थी। हम वाप

कमरे में आ गए और तर ेम के कमरे में ही बैठ गए और

लगे। गोवा की गाइि बक ु हमारे पा दे खने वाला था। हम ने स्पाइ

थी और इ

ुबह का प्लैन बनाने

में दे खने लगे कक गोआ में ककया ककया

गािटन दे खने का मन बना सलया। पता नहीिं ककया ककया बातें

करते रहे और कफर कोई नौ बिे हम खाने के सलए बाहर चल पड़े। इ

वक्त कैंटीन में

रौनक थी। गोरे जस्वसमिंग पूल के नज़दीक बैठे खा पी रहे थे और बीअर का मज़ा ले रहे थे। गोरे लोगों का मज़े करने का ढिं ग यही होता है , वोह ऊिंची ऊिंची कक ी बात पर हिं

रहे थे।

हम ने भी फै ला कर सलया कक कभी कभी यहीिं बैठ कर गप्पें हािंका करे गे। उन्हें है लो है लो बोल कर होटल के बाहर

ड़क पर आ गए।

ड़क पर अब रिं गब्रबरिं गी रौशननयािं ही रौशननयािं

थीिं और लोग खा पी रहे थे। कुछ दरू चल कर हम चाइनीज़ होटल में आ गए। हमारे आने े पहले ही गोरे लोगों

े होटल भरा पड़ा था लेककन हमें कोई ददकत नहीिं हुई। एक चीनी

हमें एक टे बल पर ले गया। कुछ ही समनटों में वेटर ऑिटर लेने आ गया। हम ने ककिंगकफशर बीअर का आिटर ददया और लेिीज़ ने अपने अपने प िंद के में उ

वक्त ककिंगकफशर बीअर ही ज़्यादा पी िाती थी, जि

बोतल थी िो हमारे दह ाब

े बहुत

ॉफ्ट डड्रिंक ऑिटर कर ददए। गोआ की कीमत उ

मय 45 रूपए

स्ती थी। हम पीने और बातें करने लगे, बहुत शािंत

वातावरण था, तकरीबन एक घिंटा बातें करने के बाद खाना जिन को मैं इतना प िंद नहीिं करता था, अब उ

वट होने लगा। चाइनीज़ नूिल

का भरा बाउल मेरे

ामने था। िब मैंने

नि ू ल खाने शरू ु ककये तो इतना मज़ा आया कक मैंने एक बाऊल और लाने को कह ददया। ब यहीिं

े नूिल खाने की मुझे आदत पिी और अब तो कभी कभी बेटा घर भी बना लेता है ।

यह नूिल लेडिज़ के सलए वेजिटे ररअन थे और हमारे सलए नॉन वेजिटे ररअन। नूिल के

ाथ


काफी कुछ था और आखखर में स्वीट डिश आई, यह भी बहुत अनछ लगी। इ अपने होटल में आ गये। आते ही अपने अपने कमरों में

के बाद हम

ोने की तैयारी करने लगे।

ुबह उठे , नहा धो कर अपने अपने बैग उठाये और कैंटीन की तरफ चल पड़े। बहुत गोरे गोरीआिं पहले ही कुछ खा रहे थे और कुछ लाइन में खड़े अपना ब्रेकफास्ट लेने के सलए इिंतज़ार कर रहे थे, हम भी खड़े हो गए। िब हम चाय के काउिं टर पर पहुिंचे तो आगे एक लड़का टोस्ट बना रहा था और हर कोई टोस्ट अपनी प्लेट में रख कर ऊपर अपना मन प िंद याम मामटलेि और माखन लगा के आगे चाय या कॉफी का कप ले लेता था। अपनी अपनी प्लेट ले के हम टे बल पर िा बैठे। खा पी कर हम बाहर

ड़क पर आ गए और टै क् ी का

इिंतज़ार करने लगे। मोटर बाइक टै क् ी, वाले भी िगह िगह घूम रहे थे लेककन हम ने गाड़ी में िाना ही प िंद ककया। एक टै क् ी आ गई और हम ने उ े स्पाइ मैं टै क् ी वाले की पा

की

ीट पर बैठा था और उ

े बातें करने लगा। अपने बारे में वोह

बताने लगा कक वोह एक गाुँव का रहने वाला था और वहािं उ लेककन इ थे। मैं

की खेती बाड़ी का काम है

ीज़न में वोह यहािं आ कर टै क् ी चलाता है और उ

कैथोसलक है । बािार

ने बताया कक वोह रोमन

े ननकल कर टै क् ी बाहर आ गई थी और अब हरे भरे खेत दीख रहे

ोचा करता था कक गोआ

होगी क्योंकक

गािटन चलने को बोला।

मुन्दर के ककनारे होने की विह

े खेती बाड़ी नहीिं होती

मन् ु दर का पानी नमक वाला होता है लेककन यहािं तो हर तरफ हररयाली ही

हररयाली थी। दरू बक्ष ृ ों की और इशारा करके टै क् ी ड्राइवर बता रहा था कक वोह कािू के बक्ष ृ थे। िै े िै े हम बाहर की

ड़कों पर िा रहे थे, हररयाली ही हररयाली दे ख कर मन खश ु हो

रहा था। कफर एक िगह घने बक्ष ृ आ गए और आगे काफी गाड़ीआिं खड़ी थीिं। टै क् ी वाले ने भी गाड़ी खड़ी की और हम स्पाइ जि

पर स्पाइ

गािटन की ओर चल पड़े। बाहर एक बोिट लगा हुआ था

गािटन के इलावा कुछ और भी सलखा हुआ था। िब हम गािटन में दाखल

हुए तो दोनों तरफ बक्ष ृ ों पर लगे लाल रिं ग के फूल दे ख कर बहुत अच्छा लगा। आगे एक लकड़ी का छोटा

ा पुल्ल बना हुआ था। िब इ

पुल्ल के पार हुए तो दो लड़ककयों ने हाथ

िोड़ कर हमारा स्वागत ककया। एक आदमी टोकरी में फूलों के हार सलए खड़ा था। लड़ककयािं ब के माथे पर टीका लगा कर गले में हार पहनाने लगीिं। अब हम इ गए थे। एक लड़की हम को एक छोटे बैंचों पर हम बैठ गए और

े लकड़ी के बने हुए ईदटिंग प्ले

गािटन में दाखल हो की ओर ले आई।

ब को नाररयल पकड़ा ददए, जिन में स्ट्रौ िाला हुआ था।

नाररयल पानी पी कर मज़ा आ गया और अब हम को बताया कक इ 300 रूपए हर एक की थी, जि

में खाना पीना भी शामल था।

गािटन की एिंट्री फी


दटकट ले कर हम उ

लड़की के पीछे पीछे चल पड़े िो अब हमारी गाइि थी। यह गािटन

एक

ाफ़

ुथरा ि​िंगल था। चारों ओर बक्ष ृ ही बक्ष ृ थे। एक िगह लड़की खड़ी हो गई और

हम

ब को शाखों पर लगी हरी इलायची ददखाने लगी।

ारी उम्र इलायची इस्तेमाल करते

रहे और आि दे खा कक कहाुँ लगती है । अब आगे चल पड़े। कुछ दरू आ कर लड़की ने एक बक्ष ृ की और इशारा करके ददखाया यहािं काली समचें लगी हुई थीिं। उ

ने यह भी बताया इन

काली समचों में लाल और हरे रिं ग की काली समचट भी होती है िो हमें स्पाइ िायेगी। कुछ आगे गए तो लड़की िो इिंजग्लश ही बोलती थी, ने एक बक्ष ृ और हम को मुिंह में रखने को कहा। िब हम दािंतों म ालों का स्वाद आ रहा था। उ

े इ

शॉप में समल े कुछ पत्ते तोड़े

को काट रहे थे तो हमें कई

ने छै म ालों के नाम सलए जिन का यह स्वाद था। यह

भी एक अध्भुत बात ही लगी। कुछ आगे गए तो एक िगह िायफल का छोटा हुआ था और एक औरत इ

ढे र को हाथों

ा ढे र लगा

े चारों ओर फैला रही थी िो शायद

ुखाने के

सलए होगा। एक िगह एक हाथी खड़ा था। लड़की ने हमें बताया कक हम हाथी की करना चाहें तो कर िै ा

कते हैं लेककन हम में कोई भी तैयार नहीिं हुआ। एक ओर कुछ पाइप

ामान पड़ा था, लड़की ने बताया कक यहािं कािू

िब हम वाप

वारी

आने लगे तो िै े ही हम उ

े फेनी बनती है । दरू दरू घम ू कर

ईदटिंग प्ले

और स्पाइ

शॉप के नज़दीक

आये तो लड़की बोली, ” प्लीज़ ज़रा ठहररये, हमारी एक रवायत है “, एक एक करके लड़की हमारी कमीि का कालर पकड़ कर पीठ पीछे एक गड़वी में

े थोह्ड़ा

ा पानी िाल दे ती और

हम तरभक उठते और हिं ने लगते। अब हम उ

खाने वाली िगह पर आ गए थे। ब्रबलकुल ि​िंगल की तरह ही यह

लकड़ी का बना हुआ था और एक दीवार पर खाने रखे हुए थे और सलपटी हुई वाइन िै ी बोतलें थीिं, जिन में इ शराब थी, जि पड़े। ग्ला

ाथ में ही घा

गािटन में ही बनी हुई कािू

फू

भी

ाथ में रखे हुए थे। पता नहीिं यह कै ी हो, ले कर अपनी अपनी

तो बहुत मज़ेदार है ” ि विंत बोला और हम

े बनी

आधे आधे भर सलए और मज़े

ोच कर हम ने थोह्ड़ी थोह्ड़ी

ीटों पर आ कर पीने लगे। ” मामा !यह

ब उठ कर दब ु ारा लेने चल पड़े। अब की बार े फेनी का लत्ु फ लेने लगे।

भी के चेहरों पर

मस् ु कराहट थी और एक डड्रिंक और लेने के सलए इशारा हो रहा था। हिं ते हिं ते हम ने एक डड्रिंक और सलया और खाना थासलयों में रखने लगे। खाने में गचकन करी भी थी और कई प्रकार की

को फेनी कहते हैं। औरतें तो खाने लगीिं लेककन हम तीनों फेनी की ओर चल

ही ग्ला ों में िाली और ग्ला हम ने ग्ला

स्पाइ

ारा एररया

जब्ज़यािं और दाल थी। पेट भर के खाया और अब उठ कर हम स्पाइ

शॉप की


तरफ आ गए। काफी म ाले हम ने सलए क्योंकक यह तो वै े भी इिंग्लैंि

स्ते थे। म ालों

के बैग ले कर हम गािटन

े बाहर आ गए और टै क् ी में बैठ कर अपने होटल की तरफ चल

पड़े। टै क् ी वाले ने िािंस

एगज़ेर्वअर चचट ददखाने को बोला तो हम ने उ

कफर कभी

ही। उ

ने अपना मोबाइल निंबर दे ददया। कुछ दे र बाद ही हम हमारे कमरे में

आ कर म ाले वाली चाय बनाने लगे। चलता…

को कहा कक


मेरी कहानी - 183 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 21, 2016 स्पाइ

गािटन मुझे तो इतना अच्छा लगा था कक इ

की याद अभी तक आती है । पूरा

गािटन तो हमें ददखाया ही नहीिं गया था। घर आ कर गाइि बुक दे खख थी, तो िाना अभी और भी बहुत कुछ दे खने को था। कमरे में आ के हम ने स्पाइ

टी बनाई थी और हमारे

कमरे में ही हम बैठे बातें करते रहे थे। हमारी बैलकनी में दो कुस य ट ािं ही रखी हुई थीिं, दो हम ने ि विंत के कमरे में

े उठा लाइ थी क्योंकक हम चारों एक िगह ही बैठा करते थे और

ताश तो रोज़ाना ही खेलते थे। हर रात का खाना हम नए नए होटलों में खाया करते थे। इिंडिया में होने

े हर तरफ हमें अपनापन ही ददखाई दे ता था। इिंडिया के हर पराटन्त की

डिशज़ हमें उपलभ्द थी और हम भी इन खानों का भरपरू मज़ा लेना चाहते थे। आि हम ने िो ा म ाला खाया था और चटननयों का तो बहुत ही मज़ा आया था। िो ा तो इिंग्लैंि में भी कभी कभी खा सलया करते थे लेककन गोआ में तो िो े के

ाथ चटननयाुँ ही बहुत कक म की

और मज़ेदार थीिं। खाने पीने और बीच पर धप ु का मज़ा लेने के स वाए है सलिे होती भी ककया है ?, द ू रे ददन हम कैंटीन में ब्रेकफास्ट ले के कैलिंगट ु बीच की तरफ चल ददए। होटल बाहर आ कर

ड़क पार हम ने की, दोनों तरफ दक ु ाने थीिं, कुछ कपड़ों ित ू ों की और बीच

बीच बीअर बार थी। कोई पचा

गज़ चलने के बाद ही हम रे त पर चलने लगे। बीच अभी

काफी दरू था लेककन आगे रे त ही रे त ददखाई दे ती थी। हमारी चपलें रे त में धुँ चपलों

े चलना मुजतकल लग रहा था। चपलें उतार कर हम ने हाथों

हम नहीिं चल

कते थे। तर ेम तो युँू भी छड़ी के

दरू दरू तक दे खा,

रही थीिं और

े पकड़ लीिं लेककन तेज़

हारे चल रहा था। िब बीच पर पहुिंचे तो

मन् ु दर की लहरें ककनारे की तरफ बढ़ रही थीिं िो बहुत मज़ेदार लग रहा

था। बीच तो हम ने इिंग्लैंि और पुतग ट ाल में भी दे खा हुआ था लेककन गोआ के बीच तो बहुत अच्छे हैं। दरू दरू तक गोरे गोरीआिं िैक चेअर खोल कर लेटे हुए थे, कई मालश करवा रहे थे। बीच पर बहुत लड़के हाथों में तेल के बॉक् बीच

सलए घूम रहे थे।

े कुछ दरू शैक बने हुए थे, जिन में ठिं िी बीअर, मछली और मीट उपलभ्द था। ऐ े

शैक बहुत थे। यह शैक बािं छतें थीिं और इ

की लकडड़यों

े बने हुए थे जिन के ऊपर घा

फू

े बनी हुई

के नीचे बैठने के सलए प्लाजस्टक के कुस य ट ािं मेज़ रखे हुए थे लेककन फ्लोर

स फट रे त ही थी। मैं और ि विंत एक शैक में गए और छै िैक चेअर बीच पर लाने को बोल ददया। ऑिटर दे कर हम वाप

बीच पर आ गए। कुछ ही दे र बाद तीन लड़के िैक चेअऱज़


रख कर छतररयािं रे त में खड़ी कर गए। हम ने उन को तीन ककिंगकफशर और तीन कोक लाने को बोल ददया। ननकरें पहन कर और कमीिें उतार कर हम चेअज़ट पर लेट कर धप ु का मज़ा लेने लगे। धप ू का मज़ा आि पहली दफा आया क्योंकक इिंग्लैंि में इतनी धप ू कभी पड़ती ही नहीिं। इ

में एक बात और भी है कक अगर कभी इिंग्लेंि में गसमटओिं के ददनों में दो चार ददन

के सलए धप ू पढ़ भी िाए तो यह धप ू िाती है । रे डिओ टै ली पर धप ू कता है और शरीर पर

ई ू की तरह चभ ु ने लगती है और खतरनाक

े बचाव करने को बोलते रहते हैं कक इ

मझी

ककन्न कैं र हो

न लोशन मलने की न ीहत दे ते हैं और यहाुँ गोवा में तो बहुत

मज़ा आ रहा था। तापमान इिंग्लेंि

े जज़आदा होने पर भी यहाुँ प ीना शरीर को भा रहा था।

दो लड़के हमारे सलए डड्रिंक ले आये और

ामने एक प्लाजस्टक के टे बल पर रख ददए और

खाने को पूछने लगे। मीट तो हम इिंग्लें ि में हर हफ्ते खाते हैं, मछली भी बहुत समलती है लेककन गोवा की मछली तो ब्रबलकुल ताज़ा होती है क्योंकक गोवा तो मछली का घर है । ि विंत ने उ

को मछली ददखाने को बोला ताकक पता चले कक कै ी है । कुछ दे र बाद एक

लड़का प्लेट में मछली रख कर ले आया जि

पर म ाला लगा हुआ था। मछली होगी कोई

दो ककलो की। मछली हमें प िंद आई और भन ू ने के सलए उ

को कह ददया।

कभी कभी उठ कर हम बीच पर पानी में मज़ा लेने लगते िो ठिं िा था। बहुत अनछ लगतीिं। कुलविंत

मुन्दर की लहरें

रु िीत कौर गगयानो बहन भी अपनी अपनी शलवारों को ऊिंचा

कर के पानी की लहरों का आनिंद लेने लगीिं। शैक

े लड़का मछली ले आया था और हम

खाने लगे। कुलविंत भी मछली की शौक़ीन है और खाते खाते,म ालों का ज़ायज़ा लेने लगी कक इ

में कौन कौन

े म ाले थे ताकक घर आ कर वोह भी इ ी तरह बनाने की कोसशश

करे । मछली खा कर हम तीनों पुरुष ताश खेलने लगे। हमारे इदट गगदट मालश करने वाले लड़के घम ू रहे थे और जज़द कर रहे थे कक हम भी मालश करवा लें । िब खा पी चक ु े तो ताश छोड़ कर हम ने मालश के सलए भी लड़कों को कह ददया। तीन छोटे छोटे लड़के हमारी मालश करने लगे। तेल में

े नाररयल की

ुगिंध आ रही थी और लड़के

चला कक यह नाररयल का तेल ही था। मालश करते हुए उ में ककतना कमा लेते हो ?”, लड़का बोला कक कभी चार पािंच िाता है लेककन यह उ

लड़के

े पूछने पर पता

े मैंने पुछा,” एक ददन

ौ और कभी ज़्यादा भी हो

ीज़न पर ही ननभटर करता है, कक ी ददन कोई ग्राहक भी नहीिं समलता।

ने यह भी बताया कक उ

के तीन छोटे भाई बहन भी हैं और र्पता बीमार रहता है । िब

लड़के मालश कर चक् ु के तो पचा

पचा

रूपए हम ने उन को दे ददए लेककन मन में मैं

ोचने लगा कक हालात इिं ान को कै े कै े काम करने पर मिबूर कर दे ते हैं। ककया मेरे


बच्चे यह काम कर

कते हैं ? नहीिं

कब रुख बदल ले, कोई

मझ ही नहीिं

वाल ही पैदा नहीिं होता लेककन यह जज़न्दगी है , यह कता।

शाम होने को थी, उठ कर हम होटल की तरफ चल पड़े। होटल में आ कर कुछ दे र आराम ककया और कफर िब कुछ अुँधेरा हुआ तो हमें मयूजिक की आवाज़

ुनाई दी। कमरों को बन्द

कर के िब बाहर आये तो जस्वसमिंग पूल पे समउजज़सशयन आये हुए थे। स्टैंि पर कीबोिट रखा हुआ था और एक ओर ड्रम थे, एक लड़का और एक लड़की स ग िं र थे। पता चला कक हफ्ते में दो दफा यहािं

िंगीत का प्रोग्राम होता है । आि यहीिं खाने पीने का प्रोग्राम हम ने बना सलया।

पहले हम कैंटीन में गए और उन का मैन्यू पुछा। एक शैफ था िो हमें बताने लगा कक वोह ददली के एक होटल

े काम छोड़ कर यहािं आया था और अच्छा खाना खखलाने का हम को

भरो ा ददलाया। आि काफी लोग आ रहे थे, इ

सलए हम ने िल्दी

े एक टे बल और ले

सलया और बैठ गए। कुछ ही दे र बाद एक गुिराती समआिं बीवी भी आ गए िो शायद पा के होटल

े होंगे। यह हमारी ही उम्र के थे। उन को दे ख कर हम

ब को बहुत ख़श ु ी हुई

और उन को भी हमारे टे बल पर आ िाने को बोला। अब तो हमारे टे बल पर रौनक हो गई। मयूजिक शुरू हो गया। एक लड़की िो शलवार कमीि पहने हुए थी, इ

कैंटीन में काम

करती थी। लड़की बहुत अनछ और भोली भाली थी और एक गरीब पररवार

े थी, जि

हमें कुछ ददन बाद मालूम हुआ था और कुलविंत ने हॉसलिे के उपरिं त बहुत

े अपने कपिे

का

लड़की को दे ददए थे और वोह बहुत खश ु हुई थी क्योंकक कपिे तकरीबन नए ही थे। यह

लड़की हमारे टे बल पर आई और पूछने लगी कक हम ने ककया पीना था। हम ने ककिंग कफशर का आिटर दे ददया और लेिीज़ के सलए िुइ

कह ददया। वोह गुिराती समआिं बीवी दोनों ने

भी अपने सलए ककिंगकफशर बोल ददया। गुिराती औरतें , पिंिाबी औरतों

े कुछ एिवािं

हैं और

बहुत औरतें डड्रिंक ले लेती हैं। डड्रिंक हम पीने लगे, मयूजिक पे गाना शुरू हो गया लेककन गाने के बोल हमें आ रहे थे। हम ने उ

लड़की

े पुछा की यह कौन

ी भाषा थी, तो उ

मझ में नहीिं

ने बताया कक यह

कुनकनी भाषा थी, िो गोवा की िब ु ािं है । यह भी हमें एक नई बात पता चली, अभी तक हम को कुनकुनी भाषा का कोई गगयान ही नहीिं था और अभी तक तो िो शैफ ददली

े आया हुआ था, उ

भी दहिंदी ही बोल रहे थे।

े हम ने अपना कमाल ददखाने को कहा और उ

को

यह भी हम ने कह ददया कक हम भी खाना बनाने में एक् पटट थे। कोई आधे घिंटे बाद वोह खाना हमारे टे बल पर

िाने लगा। खाना वाकई बहुत ल्ितदार था,

करने लगे। उधर अब इिंजग्लश गाना शरू ु हो गया था क्योंकक ज़्यादा

भी उ

की स फत

रोते तो ब्रबदे शी ही थे।


गोरे गोरीआिं ऊिंची ऊिंची बोल और कभी कभी हिं

पड़ते थे। लगता था,

में ही म रूफ थे। उ

वट कर रही थी, उ

लड़की को िो लोगों को

भी खाने और पीने को मैंने कहा कक वोह

स ग िं रों को कहे कक वोह कोई दहिंदी गाना भी गायें। स ग िं रों ने दहिंदी का एक कफ़ल्मी गाना शुरू कर ददया। गाना इ लगा। इ

तरह वोह गा रहे थे, िै े ररकॉिट बि रहा हो,

के बाद एक और गाना शरू ु हो गया और वोह लड़की

कुछ दे र बाद गोरे गोरीआिं भी उठ कर िािं िािं

ईआिं गाने लगा। इ

गया और उ

को कहा कक क्या मैं

े एक तरफ हो गया और मैं नागगन का िादग ू र

की बोिट की आवाज़ भी बहुत अनछ थी और मुझे खुद भी इ े बिाने

में बहुत मज़ा आया। बाद में कफर अपनी

करने लगी।

रूर था और हम मज़े कर रहे थे।

रात काफी हो चक् ु की थी, अब मैं भी कीबोिट वाले के पा कता था, तो वोह ख़श ु ी

ाथ में िािं

करने लगे। मैं और ि विंत भी उठ कर भिंगड़ा

करने लगे, यूुँ भी बीअर का कुछ कुछ

भी कीबोिट बिा

न ु कर बहुत अच्छा

भी ने तासलयािं बिाईं और मुझे भी मज़ा आ गया। अब मैं

ीट पर आ गया और

बीवी ने बहुत िोक्

भी िोक

न ु ाने में म रूफ हो गए। वोह गि ु राती समआिं

ुनाईं। इधर ि विंत और मैं ही थे। ि विंत ने एक ही िोक

ुनाई

लेककन मेरा अब मि ू हो गया था। मेरी एक िोक तो गुिराती भाई ने अपनी िायरी में ही नोट कर ली। िोक्

तो मैंने काफी

ुनाईं लेककन िो मेरी िोक गुिराती भाई ने िायरी में

नोट की, वोह कोई इतनी बड़ीआ तो नहीिं थी लेककन िो इ उ

को

भ ने मज़ा सलया। िोक तो िोक ही होती है लेककन िोक

श्रीवास्तव िै ा हो तो तभी इ

न ु ाने का मेरा अिंदाज़ था, न ु ाने का ढिं ग रािू

का लुत्फ आता है । िो मेरी िोक थी, वोह कुछ इ

प्रकार

थी,” दो दोस्त थे, एक दोस्त कक ी पागल खाने में काम करता था। द ू रे दोस्त ने पागलखाना दे खने की इच्छा िाहर की तो वोह बोला कक कक ी ददन आ के वोह पागलखाना दे ख ले, वोह उ उ

का दोस्त

को अनछ तरह ददखा दे गा। एक ददन वोह पागलखाना दे खने चला गया और ारा पागलखाना ददखाने चल पड़ा। कुछ दरू गए तो एक छोटे

आदमी खड़ा था, कमरे के आगे लोहे की रो रहा था, उ

की आुँखें रो रो कर

कहाुँ हो मीना ! मैं वषों

लाखें थीिं। वोह आदमी

ूिी हुई थीिं, लगातार बोले िा रहा था, मीना ! तुम वाल ककया कक इ

का दोस्त बोला कक यह कक ी मीना नाम की लड़की े हो ना

लाखों को पकड़ कर खड़ा

े तुमारा इिंतज़ार कर रहा हूुँ मीना ! मैं तेरे ब्रबन रह नहीिं

तम ु कब आओगी मीना ! , दोस्त ने शादी मीना

े कमरे में एक

को ककया हुआ है भाई ? तो उ

े र्पयार करता था लेककन इ

की और यह पागल हो गया। यार, यह तो बहुत बरु ा हुआ इ

ाथ। कुछ आगे गए तो एक कमरे में

कता, की के

लाखों को पकिे एक और आदमी खड़ा था, जि

की


आुँखें लाल लाल, कपिे फ़टे हुए,

र के बाल ब्रबखरे ब्रबखरे ऊपर की तरफ खड़े, बड़े बड़े

नाखन ू और िब यह दोनों दोस्त उ की भाुँती टूट पड़ा और इ

लाखों को पकड़ िोर िोर

को ककया हुआ तो वोह हिं

पर

र्पिंिरे नुमा कमरे के नज़दीक आये तो वोह शख्

े दहाड़ा फुँू फुँू फुँू । दोस्त ने पुछा, यार !

कर बोला, उ ी मीना की शादी इ

भी इतने हिं े यह िोक एक यादगार ही बन गई, इ

होती रहीिं। आि रात हम

शेर

के

ाथ हुई थी”, इ

िोक पर बहुत ददनों तक बातें

भ ने बहुत एन्िॉय ककया। रात काफी हो चक् ु की थी, गुिराती

कपल उठ कर अपने होटल में चला गया था । याद नहीिं ककतने बिे हम ऊठे और अपने कमरों में आ गए। हमारे कमरे एक दो समिंट की दरू ी पर ही थे। ब ु ह को ही

ोचने की बात करके कमरे में िा कर

ुबह को कहाुँ िाना था,

ो गए।

ुबह उठे , नह धो कर अपने अपने बैग हाथों में सलए कैंटीन में आ गए और ददली वाले शैफ े ब्रबग इिंजग्लश ब्रेकफास्ट बनाने को कह ददया। िब तक ब्रेकफास्ट तैयार होता, हम मशवरा करने लगे कक आि हम ने कहाुँ िाना था। मशवरा करने वाले मैं और ि विंत ही थे, शेष मैम्बर तो हमारे पीछे आने वाले ही थे।

ोच

ोच कर फै ला ककया कक आि िािंस

एगज़ेर्वअर चचट और अगुआिा ककला दे खेंगे। ि विंत ने उ जि

ने हमें स्पाइ

गािटन ददखाया था। उ

ने आधे घिंटे में ही आ िाएगा, बोल ददया।

ब्रेकफास्ट तैयार हो गया था और हम इत्मीनान पि ू ा होते ही उठ कर हम बाहर होटल के बाहर एक छोटी

े इिंजग्लश ब्रेकफास्ट का मज़ा लेने लगे। पेट

ड़क पर आ गए और टै क् ी वाले की इिंतज़ार करने लगे।

ी दीवार पर

लेककन मैं और ि विंत यूुँ ही

टै क् ी वाले को मोबाइल ककया,

भी बैठ कर टै क् ी वाले का इिंतज़ार करने लगे

ड़क पर दक ु ानों को दे खने लगे। एक िूतों की दक ू ान पर हम

चपलें दे खने लगे, तभी टै क् ी वाले का मोबाइल आया कक उ

का टायर पिंचर हो गया था

और वोह कुछ समिंट लेट हो िाएगा। हमें भी तो कोई िल्दी नहीिं थी, हम भी मज़े की और िाने लगे। द ू रे िाएगा, अब

े दक ु ानों

दस्यों को हम ने बता ददया कक टै क् ी ड्राइवर कुछ लेट हो

ब दक ु ानों की शोभा बढ़ाने लगे। मैं और ि विंत ने अपने सलए कुछ मोल भाव

करके रबड़ की कैंची चपलें लीिं। इ

में भी एक हिं ी वाली बात हुई। दक ु ानदार बोलने लगा

कक उ

ने यही चपलें एक अुँगरे ज़ को चार

विह

े वोह हमें तीन

ौ रूपए में बेचीिं थी और हम इिंडियन होने की

ौ रूपए की दे दे गा और िब शाम को हम घम ू घाम के होटल में

आये थे तो एक गोरे ने हमारे हाथ में चपलें दे ख कर पछ ु ा था कक ककतने की हम ने खरीदी थीिं तो िब हम ने तीन दक ू ान

े तीन

ौ रूपए बताया तो उ

ौ रूपए की खरीदी थी। इ

ने बताया कक उ

ने भी ऐ ी चपलें उ ी

पर हम बहुत हिं े थे कक वोह दक ु ानदार तो बोल


रहा था कक हम इिंडियन होने की विह

े तीन

ौ रूपए की दे रहा था। यह भी एक िोक ही

बन गई थी और कुछ दे र बाद िब हम इिंग्लॅ ण्ि में थे तो पब में एक गोरे को बहुत हिं

था।

ज़्यादा इिंतज़ार हमें करना नहीिं पड़ा, टै क् ी वाले ने हमें हॉनट ददया और में घु

गए और

ुकड़ कर बैठ गए। कहाुँ पहले िाएुँ, इ

ददया कक पहले चचट दे खने ही िाएुँ क्योंकक वहािं इ ेंट एगज़ेर्वअर का शरीर हर द इ

(तर ेम स हिं ) डि ेबल है , इ चचट को दे खने चल पड़े।

भी उ

की टै क् ी

वाल को टै क् ी वाले ने ही बता

वक्त लिंबी लिंबी लाइनें लगी होंगी क्योंकक

ाल बाद ददखाया िाता है और हम बहुत लक्की हैं कक

वक्त यहािं हैं। वै े तो लाइन में दो घण्टे भी लग

चलता…

ुनाई थी, वोह

कते हैं लेककन हम में

े एक आदमी

सलए हम को प्रायॉररटी दी िायेगी। ड्राइवर की मान कर हम


मेरी कहानी - 184 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 24, 2016 टै क् ी में बैठ कर हम िािंस और घर

एगज़ेर्वअर चचट दे खने चल पड़े। िब हम छुदटयों पर होते हैं

े दरू होते हैं तो मन आज़ाद होता है । घर के खचों और झिंझटों

ब्रबिली गै

टे लीफोन के ब्रबलों की

रददी

े दरू होते हैं।

े मजु क्त होती हैं। पहले पहले िब हम इिंग्लैंि में

आये थे तो अिंग्रेिों को दे ख कर है रान होते थे कक यह लोग हॉसलिे पे िाते ही रहते हैं, हम इिंडियन बातें करते रहते थे कक यह लोग तभी तो आगथटक तिंगी लोग फज़ूल खचट बहुत करते थे। बहुत गोरे लोग

े िूझते रहते हैं कक यह

ारी उम्र काम करते रहने के बाद भी

काउिं ल के घरों में ककराए पर रहते थे िबकक हमारे लोगों ने कुछ ही

ालों में अपने अपने

खद ु के घर ले सलए थे, हमारे लोग काउिं ल के घरों में रहना बेइज़ती

मझते थे । गोरे हम

को महाुँकिंिू

और पै े बचाने वाले लोग

मझते थे। हम लोग काम करते करते ही िीवन

बतीत करते गए। बच्चों की शादीआिं कीिं, शादीयों पे फज़ुल खचट ककये, उन के बच्चे हुए और नए ज़माने के बच्चों के र्वचार इिंग्लैंि में िन्म लेने के कारण हम बच्चे मन मानी करने लगे, तो हम बढ़ ू ों को अब पाने के सलए हॉसलिे पे िाते थे, वोह

े सभन हो गए और बहुत

मझ आई कक िो गोरे स्ट्रै

े ननिात

ही थे। अब हमारी बद् ृ ध पीढ़ी भी कुछ कुछ बाहर

ननकलने लगी। हमारी औरतें िो कभी घर

े बाहर काम पे नहीिं िाती थीिं और िो औरतों ने

पहले पहले बाहर काम करना शुरू ककया, उन पर नुक्ताचीनी करती थीिं और कई तो यहािं तक कह दे ती थीिं कक यह औरत का चलन ठ क नहीिं था। िब औरतें घर पै े लाने लगीिं तो एक द ू री की तरफ दे ख दे ख काम पर िाने लगीिं। अब बढ ू े हो कर हॉसलिे की

मझ आई कक

अब हम को अपने सलए भी िीना चादहए था । गाड़ी में बैठे हम बातें कर रहे थे और कभी कभी हिं

पड़ते थे क्योंकक हम आज़ाद थे। पें शनें

समली हुई थीिं। बच्चे काम पर लगे हुए थे और वोह खद ु हम को कहते थे कक िैि ! ऐिंिौए यूअर पैंशन। कुछ

ालों

े हम लोगों को गोआ की हॉसलिे बहुत रा

हमारे बाहर बैठे भारतीयों को क्यों रा

आया, इ

आ रही थी। गोआ

के पीछे भी एक विह है । 1970 के दौर

में पहले पहल दहप्पी लोगों ने गोआ में दशटन दे ना शुरू ककया था। यह दहप्पी लोग यूपी दे शों के ब्रबगड़े हुए शहिादे थे, जिन का एक ही काम था, ड्रग्ि लेना, बीच पर गचलम नशे में मस्त रहना और लिंबे लिंबे

ुल्फे के

र के बाल रखना यानी िी भर कर अयाशी करना, जि

में लड़ककयािं भी शामल थीिं। गोवा में ड्रग्ि बहुत

स्ता समल िाता था और वै े भी यह लोग


अच्छे कपड़ों

े दरू रहते थे। गिंदे रहना इन लोगों का

ाथ यह लोग कुछ धिंदा भी करने लगे क्योंकक आगथटक के बगैर इिं ान ककतनी दे र रह दहजप्पयों की आमद गया था। इ

ुभाव ही हो गया था।

मय के

ाथ

मस्य तो हर एक की होती है , पै े

कता है ? इन लोगों में अमीर युवक भी थे और इन

े होटल बनने शरू ु हो गए क्योंकक गोआ हॉसलिे स्पॉट बनना शरू ु हो

े पहले गोआ को कोई िानता भी नहीिं था और ना ही गोवा में कक ी की

ददलचस्पी थी। इन दहजप्पयों की एक झलक दे वा नन्द ने अपनी कफल्म हरे रामा, हरे कृष्णा में भी ददखाई गई थी जि

में ज़ीनत अमान को एक ब्रबगड़ी हुई लड़की के रूप में कफल्माया

गया था, यह दहप्पी लोगों की र्वशवा थे।

ही तस्वीर थी,ब

यह दहप्पी ऐ े ही होते थे िो िी लव में

रखते थे। नशे करने और मौि मस्ती करने के स वाए यह लोग कक ी काम के नहीिं

मय बदलता गया, दहप्पी भी बदलते गए, कुछ कपिे या द ु री चीज़ें बेचने लगे और

ाथ ही गोवा की प्रस द्धता भी बढ़ती गई। यूरप

े लोग गोवा आने लगे और

ाथ ही बड़े

बड़े होटलों की गगनती भी बढ़ने लगी। गोआ पर तो पहले भी युरपीयन प्रभाव था, इ यूपीन लोगों को गोआ अच्छा लगने लगा था । इिंग्लैंि कोई इिंडियन भी इिंग्लैंि

सलए

े गोरे लोग बहुत िाते थे। कफर कोई

े गोवा िाने लगा और िब यह लोग आ कर गोवा के बारे में बताते

थे तो हमारे लोगों की भी गोवा के बारे में उत् ुकता बढ़ने लगी और अब तो यह आम बात हो गई है । हमारे बच्चे भी बहुत गोवा को प िंद करते हैं और इ

का कारण एक ही है कक

गोवा हमारा अपना है और यहािं आ कर हर िगह अपनापन ददखाई दे ता है । हमारा टै क् ी ड्राइवर कक्रजतचयन था और चचों के बारे में बता रहा था और बातें बहुत श्रद्धाभाव लोग

े कर रहा था। गोवा का कुछ कुछ इनतहा

तो मुझे पता था कक गोवा के पहले

ब दहन्द ू ही थे और पुतग ट ासलयों ने लोगों को ई ाई बनाने की कोई भी क र नहीिं

छोड़ी थी। पत ट ासलयों के बनाये बड़े बड़े चचट और कैथीड्रल इ ु ग

का

बत ट ाली ू है । पत ु ग

नौकररयािं दे ने में भी भेद भाव करते थे, कुछ आगथटक तिंगी और कुछ िािंस

ऐग्िेवीआर िै े

प्रचारकों का िोर, लोग ई ाई बनते ही गये लेककन एक बात की हमारे लोगों को दाद दे नी होगी कक अभी भी दहन्द ू बहु गगनती में हैं। ज़्यादा तो याद नहीिं, मैंने उ बहुत

वाल पूछे थे। मैंने उ

टै क् ी ड्राइवर

को पुछा था कक गोवा में ई ाई ककतने थे, तो उ

बताया था। ज़्यादा दहन्द ू ही थे और मजु स्लम

े कम थे। एक बात उ

ने 25 %

ने और भी बताई

थी गोवा में बहुत दफा दहन्द ू मजु स्लमों की लड़ाइयािं हो िाती थीिं िब कोई दहन्द ू लड़का कक ी मुजस्लम लड़की

े र्पयार करता या कोई दहन्द ू लड़की मुजस्लम लड़के

े र्पयार करने लगती।

कफर दोनों धमों के बज़ुगों ने समल कर मशवरा ककया कक ऐ े प्रेसमयों को मत रोकें और उन


की शादी में कोई बाधा न बने। उ हम

के बाद कफर कभी कोई दिं गा फ ाद नहीिं हुआ। यह बात

ब को बहुत अनछ लगी कक अगर

ारे भारत में ऐ ा हो िाए तो

कभी होंगे ही नहीिं। और आि िब मैं यह सलख रहा हूुँ तो

म्पदाटएक झगिे

ोचता हूुँ कक अगर ऐ ा

ारे

भारत में हो िाए तो लव जिहाद िै ी बातें होंगी ही नहीिं और दे श के सलए बहुत अच्छा ाबत होगा। िािंस

एगज़ेर्वअर चचट को िाने

गया। इ

े पहले ड्राइवर हमें एक और छोटे

का नाम तो मझ ु े पता नहीिं, शायद उ

चचट के बाहर गाड़ी खड़ी हो गई और हम इ

े चचट को ददखाने चला

ने बताया भी होगा लेककन मझ ु े याद नहीिं।

के अिंदर चले गए। चचट बाहर

े तो ठ क ठाक

ही था लेककन िब भीतर गए तो चारों ओर दीवारों और छत पर नज़र दौड़ाई तो दे ख कर बहुत अच्छा लगा। िी

क्राइस्ट की स्लीव पर तकलीफें

हते हुए की पें दटिंग अपने आप में

एक सम ाल थी। खखड़ककयों के रिं ग ब्रबरिं गे शीशे िो कोई इनतहा क न् ु दर लग रहे थे।

ीन बनाये गए थे, बहुत

ारे हाल में बैठने के सलए िैस्क रखे हुए थे और

ामने प्रीस्ट जि

ई ाई फादर बोलते हैं की िगह थी और यह िगह एक बड़ी स्टे ि िै ी थी, जि धासमटक कहाननयों की पें ट की हुई दीवारें थीिं। उ नहीिं आ रहा कक ककया था, यह ही याद है कक इ सलए खद ु ाई हुई थी तो नीचे बहुत आ रहा। इ

चचट

बक्ष ृ ों के झुण्ि में एक खिंिर हुई ब्रबजल्ि​िंग थी। उ

ड्राइवर ने एक बात कही थी, िो मुझे याद चचट की फ्लोर को नई फ्लोर बनाने के ड़क पर आ गए तो

ड़क के एक तरफ

ने बताया कक यह बहुत बड़ी हवेली हुआ

े लड़ाई के वक्त आदल शाह की तोपों ने इ

कुछ समिंट बाद ही हमें एक कैथीड्रल ददखाई दे ने लगा। इ

को उड़ा ददया था।

में िाने के सलए लोगों की इतनी

लिंबी लाइन थी कक मेरे मन ने तो उ ी वक्त कह ददया कक हम इ

लाइन में नहीिं लगें गे।

िब हम कैथीड्रल की कार पाकट में पहुिंचे तो आगे चचट में िाने के सलए छोटी थी जि

के सलए छोटी

तक ले िाने के सलए थी और क्योंकक हम

ाथ में उ

के

ौ गज़ का

िंबिंगधयों को चचट

ब डि ेबल आदमी (तर ेम )के दोस्त या

सलए चचट में िाने के सलए लाइन में लगने की कोई िरुरत नहीिं थी। यह तो

हमारे सलए ख़श ु ी की बात थी क्योंकक लाइन में इतनी दे र हम ठहर ही नहीिं छोटी

ी रे ल गाड़ी

ी रे लवे लाइन बनी हुई थी क्योंकक यह फा ला कोई दो

होगा। । ड्राइवर ने बताया कक यह रे ल डि ेबल लोगों और ररततेदार हैं, इ

के पीछे

े कॉकफन ननकले थे, इन के बीच में ककया था, याद नहीिं

े ननकल कर िब हम बाहर

करती थी लेककन पुतग ट ीिों

को

ी ट्रे न में हम बैठे और

खश ु ककस्मती ही थी कक

कते थे। इ

ीधे कैथीड्रल के दरवाज़े के नज़दीक पहु​ुँच गए। यह भी हमारी

िंत एगज़ेर्वअर के शरीर का प्रदशटन हर द

ाल बाद होता है और


हम ठ क वक्त पर गोआ आये थे। मुख दआ ु र बहुत ही बड़ा हाल था, जि

े हम

ब इ

के चारों ओर पें दटिंग्ि तो थी,

कैथीड्रल में प्रवेश कर गए।

ाथ ही प्रस द्ध

हुए थे। यह कैथोसलक चचट था और यह भी सलख दुँ ू कक गोवा में इ

का यह ही कारण मैं

जितने

िंत पत ट ाल ु ग

ड्रै

भी कैथोसलक ई ाई ही हैं,

मझता हूुँ कक पत ट ाल में ज़्यादा कैथोसलक पत ु ग ु टगाली ही थे और

े गोवा में प्रचार के सलए आये, वोह

चलते चलते हम आखर में आ गए, यहािं बॉक्

िंतों के बुत्त बने

में पड़ा था, और उ

थी िो अिंतकाल

मय पहनाई गई थी,

े बनी हुई थी लेककन अब पुरानी

ाफ़ ज़ाहर हो रही

थी । कहते हैं कक यह शरीर ब्रबलकुल उ ी तरह है और खराब नहीिं हुआ। कहते थे शरीर में चमत्कारी करामातें हैं। उन की मत ृ ु तो कहीिं और हुई थी लेककन उ ाल बाद गोवा में लाया गया था। यह चचट चार एगज़ेर्वअर की मत ृ ु इ की

े पचा

ूची में है और दनु नआिं भर

चीज़ को बड़े गधयान

हाल में

ेंट एगज़ेर्वअर का शरीर एक शीशे और चािंदी के

के शरीर पर वोही ड्रै

बहुत ही हाई कुआसलटी मोटे कपिे

ब कैथोसलक ही थे। इ

ेंट के

का शरीर दो

ाल पहले बनाया गया था लेककन

ेंट

ाल पहले हुई थी। अब यह चचट यूनेस्को की वल्िट है रीटे ि े लोग इ

े दे खने की। मैंने

को दे खने आते हैं। मुझे एक आदत ेंट के शरीर को बड़े गधयान

ी है , हर

े दे खा। उ

का मिंह ु

हाथ और पैर निंगे थे। पैरों की कुछ उिं गसलयािं ऐ े लग रही थीिं, िै े कक ी ने तोड़ ली हों। टािंगें ऐ े लग रही थीिं िै े गली हुई लकड़ी हो और बीच बीच में खराब हुई लग रही थी। कक ी के र्वशवा र्वशवा

है , उ

की मैं नुक्ताचीनी नहीिं करता लेककन िो मेरे ददल में होता है और मेरा को कहने

े खझझकता भी नहीिं हूुँ। मुझे यह शरीर, एक आम बुत्त िै ा ही

लगा, िै े कक ी ने बहुत ख़ब ू रू ती होती है और दे खने में बहुत

े बनाया हो, िै े मिंददरों में दे वी दे वताओिं की मनू तटयािं

ुन्दर लगती हैं। िब उ

लोगों ने माथा टे कने के बहाने

ड्राइवर ने बताया कक कुछ चालाक

ेंट की उिं गसलयािं तोड़ लीिं क्योंकक लोगों का र्वशवा

था कक

ेंट के शरीर में बीमाररयािं दरू करने की चमत्कारी शजक्त है तो मेरा शक्क यकीन में बदल गया क्योंकक शरीर की कोई हड्िी इ झटके

तरह आ ानी

े टूट नहीिं

कती कक ऐ े ही एक

े टूट िाए । मैंने इजिप्ट में भी परु ाने फैरो के शरीर दे खे हुए थे िो हज़ारों

भी ब्रबलकुल

ाल बाद

ही हड्डियािं ददखाई दे ते थे। यह शरीर ऐ ा नहीिं था और यह तो स फट चार

ाल पुराना ही था। कुछ भी हो, यह इनतहा क चीज़ भी दे ख ली। पिंदरािं समिंट

े ज़्यादा हम

वहािं नहीिं ठै हरे क्योंकक पीछे बहुत लोग आ रहे थे। हम बाहर आ गए। अब भूख लगी हुई थी, इ

सलए एक शाकाहारी होटल में घु

गए। पूररयों के

ाथ बहुत

जब्ज़यािं दाल चटननयािं और आखर में पापड़ थे। भोिन खा कर मज़ा आ गया। अब शॉर्पिंग


का मन हो गया। याद नहीिं ककया ककया खरीदा लेककन एक बात याद है कक ि विंत ने अपने घर के सलए मोर पिंख लेने थे। हमें पता चला कक मोर पिंख बेचने का उ

मय गोवा में बैन

था और कुछ दक ु ानदार चोरी नछपे बेचते थे । बहुत दक ु ानों पे पता ककया, कफर एक दक ु ानदार बोला कक मोर पिंख की एक गदठ उ की कीमत उ

ने पािंच

के पा

थी लेककन कक ी को हम बताएिं नहीिं। इ

ौ रूपए बताई लेककन ि विंत उ

को तीन

गदठ

ौ रूपए में बेचने को

कह रहा था। हमारे सलए तो यह कुछ पाउिं ि की ही बात थी लेककन ि विंत मोल भाव करने में बहुत स ररअ

हो िाता है । ि विंत दक ू ान

कक एक तो गोवा में मोर पिंखों पर उ इ

बात पर कुलविंत भी खीझ

े बाहर आ गया। हम

ब को यह बुरा लगा

वक्त बैन था और द ू रे ि विंत जज़द्दी हो गया था।

ी गई और बोली कक पै े वोह दे दे गी। इ

पर अब ि विंत

को यह मोर पिंख लेने ही पड़े। अब गाड़ी में बैठ कर हम कैलिंगूट पहु​ुँच गए। होटल िाने ही लगे थे कक हमारी

ब की ननगाह कुछ औरतों पर पिी िो छोसलया ( हरे चने ) बेच रही थीिं।

दो ककलो छोसलया हम ने ले सलया। छोसलया, मोटे मोटे चनों को पै े ददए और

ुबह को कफर आने के सलए बोल ददया।

े भरा हुआ था। टै क् ी वाले ुबह हम ने अगुआिा फोटट दे खने

िाना था। कमरे में आ गए और औरतें चाय बनाने लगीिं। घर फायदा हुआ था । अब का तो मझ ु े पता नहीिं, उ गोल होते थे, इ कफक्

हो

सलए हम इिंग्लैंि

े इलैजक्ट्रक कैटल लाने का हमें बहुत वक्त इिंडिया में ब्रबिली के प्लग्ग होल,

े ही ऐ ा पलग्ग ले आये थे जि

कती थीिं। चाय बन गई और ब्रबजस्कटों के

में गोल र्पन भी

ाथ चाय का आनिंद लेने लगे। चाय

पी कर हम तीनों आदमी तो ताश खेलने लगे और स्िीयािं छोसलये

े हरे हरे दाने ननकालने

लगीिं। पिंिाब में िब हम खेती करते थे तो चने भी िरूर बीिते थे और िब थोहड़े पकक िाते थे तो हम इन को इकठा करके, कुछ घा थे। कफर

ारे इ

फू

धन ू ी के इदट गगदट बैठ कर नाखन ू ों

ऊपर िाल कर आग लगा के भन ू ा करते े छ ल कर खाते और बातें करते रहते

थे । हमारे हाथ काले हो िाते थे लेककन मज़ा बहुत आता था। पिंिाब में इन को होलािं कहते थे। हम ने फै ला ककया कक हॉसलिे

े आते वक्त हम और छोसलया खरीदें गे और दाने

ननकाल कर प्लाजस्टक के बैगों में भर लेंगे। इिंग्लैंि में इतना अच्छा छोसलया समलता ही नहीिं था। कुछ दे र हम ने आराम ककया और कोई पािंच बिे हम होटल के खाने के सलए होटलों का ज़ायज़ा लेने चल पड़े। चलता…

े कफर बाहर आ कर रात


मेरी कहानी - 185 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन November 28, 2016 कैलिंगूट की हाई स्ट्रीट में आ कर हम दोनों तरफ के होटलों का ज़ायज़ा लेते िा रहे थे कक एक िगह हमारी नज़र पड़ी , बड़े अक्षरों में सलखा हुआ था ” हवेली “, दे खते ही हमें चहे ड़ू के नज़दीक िीटी रोि पर बने प्रस द्ध हवेली ढाबे की याद आ गई। खल् ट ाुँ लगे ु ले में मेि कुस य हुए थे। काफी खल ु ी िगह थी। एक तरफ एक हलवाई कुछ तल रहा था। ढाबे का मासलक िो चाली

पैंताली

वरष का पिंिाबी ही था, हमारे पा

आ गया और हमें बैठने के सलए कहने

लगा कक वोह हमें मच्छ के पकौड़े बना के खखलायेगा। उ एक बड़े

े टे बल पर आ गए। वै े भी यह खल् ु ला

की बात

े प्रभार्वत हो कर हम

ा आुँगन हमें बहुत अच्छा लगा। कुछ

लोग पहले भी बैठे हुए थे और खा पी रहे थे। चार पािंच बिे का वक्त होगा और गमी भी थी लेककन इतनी नहीिं कक अ हनीय हो। कफश पकौड़े, शाकाहारी पकौड़े और ने हमारे टे बल पर रख ददए। इ लग रहे थे। तर ेम हिं

में कोई शक नहीिं कक चटननयों के

मो े उ ी नौिवान

ाथ यह बहुत मज़ेदार

पड़ा और बोला,” यह िो पकौड़े हम खा रहे हैं, उन का अ र तो

मच्छरों पर ही हो रहा है “, तर ेम की बात पर हिं ी आ गई क्योंकक टे बल के नीचे मच्छर निंगे पैरों और टािंगों को काट रहे थे। ि विंत ने उ कक यहािं तो मच्छर बहुत हैं। वोह शख् खल् ु ला था, उ

शख्

को कहा

कुछ दे र बाद एक मट्टी का बतटन िो ऊपर

में कोयले िाल कर ले आया। पता नहीिं उ

हल्का हल्का धआ ु िं हो गया और

को आवाज़ दी और उ

में ककया िाला, टे बल के नीचे

ाथ ही मच्छर दे वते भी कहीिं भाग गए। अब ि विंत ने

तीन र्वस्की का आिटर दे ददया। र्वस्की पीते पीते मि ू बन गया और खाने का भी एक और आिटर दे ददया। वोह हवेली का मासलक हमारे पा उ

ने बताया कक आि रात को उ

हफ्ते में एक ददन होता है । यह को इ

आ के बातें करने लगा। बातें करते करते

के होटल में “पिंिाबी नाइट” का प्रोग्राम होना था, िो

ुन कर हम ने उ ी वक्त फै ला कर सलया कक आि रात

पिंिाबी नाइट का मज़ा लें गे। ज़्यादा हम ने अब खाया नहीिं और कुछ दे र बाद हम

उठ खड़े हुए और होटल में आ गए। 9 बिे तैयार हो कर हम हवेली में पिंिाबी नाइट का लुत्फ लेने चल पड़े। अब बैठने का इिंतज़ाम होटल के अिंदर था जि

का मुिंह दाईं

ड़क की तरफ था । एक बड़े दरवाज़े

े हम

भीतर चले गए। कुछ घिंटे पहले हम खल् ु ले में बाहर के टे बलों पर बैठे थे, लेककन यह दहस् ा उ

के पीछे की ओर था। िब हम दाखखल हुए तो पहले ही बहुत लोग वहािं बैठे बीअर का


मज़ा ले रहे थे, जिन में तकरीबन आधे गोरे गोरीयाुँ और आधे पिंिाबी थे िो द ू रे होटलों आये हुए थे। रिं ग ब्रबरिं गी रौशननयों

े होटल िग मग, िग मग कर रहा था। एक तरफ

टे बलों पर तरह तरह के स्टाटट र खाने रखे हुए थे और यह

ैल्फ

र्वट

थी। अपनी अपनी

प्लेट भर के हम एक टे बल के इदट गगदट बैठ गए। यह दह ा भी ऊपर था लेककन में न मील के सलए इ एक बड़ा

ा बक्ष ृ भी था, जि

एक मयूजिक

े खाली आ मान ही

की एक तरफ बहुत बड़ा कमरा था। इ

खल् ु ले दहस् े में

के ऊपर भी रिं ग ब्रबरिं गे बल्व लग्गे हुए थे और

ेंटर भी रखा हुआ था, जि

ाथ में ही

पर गाने ब्ि रहे थे। कभी कभी होटल मालक,

वो ही लड़का माइक पर कुछ कुछ अनाऊिं मैंट भी करने लगता। कोई एक घिंटे बाद िब

लोग बातों में मगन थे तो होटल मालक बोला कक अगर कक ी ने कोई भी गाना गाना हो तो वोह यहािं आ कर

ुना दे ।

ाज़ बगैरा कोई नहीिं था, ब

अुँगरे ज़ औरत उठ और उ लेककन गाया उ गाना

ने एक इिंजग्लश गाना

ने बहुत अच्छा।

ाज़ के बगैर गाना था। एक

ुनाया। ज़्यादा

मझ तो नहीिं आया

ब ने तासलयािं बिाईं। एक ने दहिंदी में कक ी कफल्म का

ुनाया, यह भी बहुत अच्छा था। इ

मझ ु े िोर दे ने लगे कक मैं भी

यूुँ ही

के बाद कोई नहीिं उठा। कुलविंत और ि विंत

न ु ाऊुँ। मैं कुछ दहचककचा रहा था लेककन कुछ दे र बाद मैंने

र्वस्की का एक घूुँट र्पया और उठ कर माइक हाथ में पकड़ सलया।

ोच

का एक बहुत ही पुराना गाना गाने लगा, यह गाना बचपन में बहुत

ुना करता था और

शायद ही कक ी ने अब

ोच कर मैं पिंिाबी

ुना हो। मैं गाने लगा, ” लड़की बोलती है , ओ चन्ना, मैं दोवें हथ

बना, न मल्ल खह ू दा बन्ना, घड़ा मैंनूिं भर लेन दे , अब लड़का बोलता है , ओ बल्ले, घड़ा रख थल्ले, कक आपािं दोवें कल्ले कक बल् ु ले

ानिंू लट ु लेन दे “,

लेककन इतने पर ही

े तासलयािं बिा दीिं। कुछ दे र बाद

पर भिंगड़ा िािं बी पा

बी ने िोर िोर

ारा गाना तो मझ ु े आता नहीिं था बी पिंिाबी गानों

करने लगे। आधी रात तक यह काम चलता रहा और कफर धीरे धीरे उठ कर

के हाल कमरे में िाने लगे। यहािं भी खाना टे बलों पर रखा हुआ था, हर कोई प्लेट

पकिे लाइन में आगे आगे िा रहा था और टे बलों के पीछे खड़े वेटर प्लेटों में खाना िाल रहे थे। आधे घिंटे में खाना खा कर हम वाप याद ही रह गई क्योंकक इ

होटल में आ गए। हवेली की पिंिाबी नाइट भी एक

हवेली में अब नए दोस्त बन गए थे, जिन के

ाथ कभी कभी

हमारा समलन हो िाता था। ब ु ह दे र

े उठे । टै क् ी वाले को कुछ दे र

े आने को बोल रखा था, इ

सलए हमें कोई

िल्दी नहीिं थी। दो लड़के हमारे कमरे में आ गए और हमें पूछने लगे कक कोई कपिे धोने वाले हों तो उन्हें दे दें । हमारे कपिे भी अब कुछ गन्दे हो गए थे क्योंकक हमें आये काफी


ददन हो गए थे और वै े भी गोवा में कुछ गमी थी। धो कर कैंटीन में चले गए और स फट कॉनटफ्लेक् काफी खाया था और इ ही हम ने टै क् ी वाले के

को बैलें

भी ने उन को कपिे दे ददए। अब नहा

ही सलए क्योंकक र्पछले ददन और रात को

करने के सलए हल्का भोिन ही सलया। कैंटीन में बैठे बैठे

े बात की और उ

ने बता ददया कक कुछ समनटों में ही वोह होटल

ामने इिंतज़ार करे गा। बातें करते करते हम उठ खड़े हुए और

दे र इिंतज़ार करना नहीिं पड़ा और टै क् ी वाला आ गया और उ

ड़क पर आ गए। ज़्यादा को अगुआिा फोटट िाने को

बोल ददया। अगुआिा फोटट कैंिोसलम के नज़दीक ही है और अरब

ागर के ककनारे बना हुआ

है । कुछ कुछ हम ने गाइि बुक में पड़ा हुआ था। कोई आधा घिंटा वहािं पहु​ुँचने में लग गया। गाड़ी पाकट करके हम ककले की तरफ चलने लगे िो हमारे

ामने ही था। कुछ समनटों में हम

ककले की दीवार के नज़दीक पहु​ुँच गए। ककले की दीवार के

ाथ

अक् र हर ककले के इदट गगदट होती ही थी। इ थी ताकक इ मुख दआ ु र

खाई के

में कोई गगर ना िाए। याद नहीिं इ

ाथ

ाथ एक खाई थी िो ाथ लोहे की रे सलिंग लगी हुई

ककले को दे खने का दटकट था या नहीिं,

े हम भीतर चले गए। यह ककला मुगलों के ककले

े बहुत सभन्न था क्योंकक

यहािं कोई महल या चचट नहीिं था। कोई िैकोरे शन कहीिं भी नहीिं थी। ककले के भीतर एक खल् ु ला

ा मैदान था जि

पत ट ासलयों ने गोवा में आने के तकरीबन एक ु ग स फट डिफैं

था या यरू प

की एक कॉनटर में लाइट हाऊ ौ

ाल बाद बनाया था। इ

था। यह ककला का मक द

े आने वाले िहािों के सलए था। यह ककला आने वाले िहािों के

सलए पानी प्रदान करता था, इ ी सलए इ

को अगुआिा ककला बोलते हैं क्योंकक पुतग ट ाली

भाषा में अगुआिा पानी को बोलते हैं। इ

में लाखों लीटर पानी िमा ककया िा

ाथ में लाइट हाऊ

भी िहाज़ों के सलए बनाया गया था। पुतग ट ासलयों ने यह ककला इ

भी बनाया था कक यह िच और मरहटों के हमलों यरु पीयन लोग आप

कता था। सलए

े भी बचाता था। है रानी होती है कक

में ही मिंडियों के सलए शतरु ता रखते थे। इ ी सलए तो इिंडिया में भी

अुँगरे ज़ िैंच पुतग ट ाली िच आप

में लड़ते रहे । मिंडियों और कलोनीआिं बनाने के सलए कहाुँ

कहाुँ यह युरपीयन लोग लड़ते रहे , है रानी वाली बात है । इ ी सलए तो अुँगरे ज़ इिंडिया पर काब्रबज़ हो गए क्योंकी इन लोगों का तो बहुत तज़ुबाट था। जितनी दे र कक ी दे श

ाथ ही यह लोग र्वयोपारी थे।

े इन को मन ु ाफा होता रहा, उतनी दे र इन्होंने राि ककया, िब दे खा

कक कोई फायदा नहीिं तो छोड़ कर आ गए। अगुआिा ककला गोवा में पुतग ट ासलयों के सलए एक ऐ ी दीवार थी जि नहीिं था। उ

को पर करना आ ान

मय मरहठे भी बहुत ताकतवर थे और एक तरफ मु लमान हुक्मरान थे। इ


ककले में कोई 80 तोपें रखी हुई थीिं और बहुत बड़ा बारूदखाना था। इ इिंतज़ाम ककया गया था, यहािं तक कक लड़ाई के इ

ककले में एक चोर दरवाज़ा था िो एक

लाभ भी होता था क्योंकक यरू प मय हर

में लड़ाई का

मय कोई ब्रबपता आन पड़े तो उ

ुरिंग की और खल ु ता था। इ

ककले

ारा के सलए

े आगथटक

े आते िहाज़ यहािं पानी भरते थे और लाइट हाऊ

ात समिंट बाद िहाज़ों को लाइट दे ता था और बाद में यह हर आधे समिंट बाद

लाइट दे ने लगा था। उ

मय एसशया का यह

े बड़ा लाइट हाऊ

था। िब हम इ

ककले में घूम रहे थे तो बहुत लोग इधर उधर घूम रहे थे। यह एक खल् ु ला था और बड़ी बड़ी दीवारों

ा मैदान लग रहा

े नघरा हुआ था और कुछ लोग इन दीवारों पर चढ़ के नज़ारा दे ख

रहे थे। उन को दे ख कर हम भी दीवार पर चढ़ गए और फोटो लेने लगे। कफर हम ने लाइट हाऊ

को दे खने का मन बना सलया। इ

के सलए दटकट लेना था और लाइन लगी हुई थी।

यहािं दटकट सलए, यह तो मुझे याद है लेककन ककले के मुख दआ ु र पर दटकट सलए या नहीिं, यह याद नहीिं। लाइट हाऊ

के भीतर दाखल हुए तो गोल दायरे में

ीिीआिं ऊपर को िा रही

थी। यह चार मिंिला टावर था। िब ऊपर पहुिंचे तो मध्य में बहुत बड़ा गोल दायरे में लैम्प की गचमनी िै ा शीश लगा हुआ था, जि

के बीच रौशनी दे ने के सलए बल्व िै ी कोई चीज़

थी िो अब याद नहीिं रहा कक क्या थी। खैर, लाइट हाऊ

के ऊपर भी जज़न्दगी में पहली

दफा चढ़ कर दे खा। कुछ समिंट ही ठहरे क्योंकक ज़्यादा दे र खड़े होना कोई माने नहीिं रखता था। ब

यह भी एक याद ही बन गई क्योंकक इ

े पहले ना कोई लाइट हाऊ

दे खा था

और ना ही बाद में दे खने का अव र समला। इ

ककले

े नीचे अरब

अिीब घबराहट

ागर की लहरे ददखाई दे ती थीिं। यहािं

े नीचे पानी की ओर दे ख कर

ी मुझे हो रही थी, पता नहीिं क्यों। िब हम घूम रहे थे तो हमारे ड्राइवर ने

बताया था कक यहािं अिंग्रेिों ने भगत स हिं को कैद करके रखा था लेककन बाद में मझ ु े खखयाल आया कक यह उ

ही नहीिं हो

कता क्योंकक गोवा पर तो पत ट ेज़ों का राि था। हो ु ग

को कुछ गलत फहमी हो। यह बात

कैददयों को रखा िाता था िो उ था इ

ही है कक यहािं

ालािार के ज़माने में पोसलदटकल

की हकूमत के खखलाफ थे। क्योंकक

सलए पुतग ट ाल में िो लोग उ

के खखलाफ थे, उन को इ

करके रखा िाता था। कुछ दे र और घम ू घाम के हम वाप

कता है

ालािार एक डिक्टे टर

अगुआिा ककले में कैद

चल पड़े। होटल में आ कर कुछ

आराम ककया, चाय बगैरा पी और मैं ि विंत और तर ेम कफर बाहर को चल ददए। होटल के बाहर आये तो एक टै क् ी ड्राइवर लॉटरी वाले स्क्रैच कािट बाुँट रहा था। हम तीनों ले सलए और तर ेम की लॉटरी ननकल आई िो कक एक वाइन बोतल थी और

ाथ में सशरी लिंका की


हॉसलिे ऑफर थी। टै क् ी वाले को स्क्रैच कािट ददखाया तो वोह झूम उठा और हमें टै क् ी में बैठने को कहा कक वोह हमें िी में उ गए थे। चलता…

होटल में ले िाएगा जि

की ओर

े यह कािट बािंटे


मेरी कहानी - 186 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 01, 2016 टै क् ी वाले ने िो स्क्रैच कािट हम को ददए थे, उन में तर ेम की हौसलिे की लाटरी ननकल आई थी। ड्राइवर की टै क् ी में बैठ कर हम उ

होटल पर िा पहुिंच।े इ

होटल के ि​िंट पर

बैठने और चाय पीने के सलए कु ीआिं मेज़ रखे हुए थे लेककन मेन होटल कुछ चढाई पर था। चढाई चढ़ते चढ़ते हम थक गए। यह होटल तो बहुत ही बड़ा था। टै क् ी वाले के

ाथ हम

होटल में चले गए। टै क् ी वाले ने वोह कािट ददखाया और होटल मालक को बताया की तर ेम को हॉसलिे समली है । उ गोरी थीिं, हो

ने कुछ लड़ककयों को हमारे पा

भेि ददया। यह लड़ककयािं

कता है पुतग ट ीज़ लड़ककयािं हों। वोह हमें हॉसलिे के बारे में

है सलिे िी थी लेककन ककराया अपना दे ना था। कलिंबू की हॉसलिे थी, बहुत ने तर ेम को दे ददए और उ ी चाय वाली िगह

मझाने लगीिं कक े फ़ामट भरके उ

ाथ ही एक वाउचर पकड़ा ददया कक वाइन की बोतल हम नीचे

े ले लें। हॉसलिे के बारे में

ोच कर बता दें गे, कह कर हम नीचे उ

चाय वाली िगह पर आ गए। वाऊचर ददखा कर वाइन की बोतल हम ले कर टै क् ी वाले के ाथ कैलिंगट ू अपने होटल की तरफ चल पड़े । टै क् ी वाले को होटल की तरफ लाने के सलए कमीशन समलना था, इ की बोतल समल गई, हॉसलिे कक

े ग्राहक

सलए वोह खश ु था, हम खश ु थे कक हमें िी में वाइन

ने िाना था ?, कुछ दरू ही कक ी और

ड़क पर गए तो

वहािं एक आदमी छसलआिं ( भुट्टे ) भून रहा था। यह दे ख कर हम है रान हो गए कक गोवा में हरे चने और छसलआिं, एक ही मौ म में ! दे ख कर हमें है रानी हुई क्योंकक पिंिाब में तो गें हू और मक्की इलग्ग इलग्ग मौ म में होते हैं। इ ी गोवा को गोमािंतक क्यों बोलते होंगे। इ

े मझ ु े याद आया कक परु ातन

मय में

के माने थे गाये चराने का दे श या उपिाऊ दे श,

यहािं फ लें बहुत हों, यहािं घा

हो, वहािं फ लें तो होंगी ही । शायद इ ी सलए एक ही मौ म

में हरे चने और छसलआिं

ाथ समल रही थीिं। छै भुट्टे हम ने ले सलए और होटल में आ

गए। भुट्टे दे ख कर

ाथ

भी औरतें है रान हो गईं कक एक ही मौ म में दो दो फ लें ।

भुट्टे खा कर चाय पी और कफर शाम को बाहर खाने के सलए चल पड़े। एक होटल में खाना खा कर हम वाप था और इ

आ गए और द ू रे ददन का प्लैन बनाने लगे। द ू रे ददन बुधवार का ददन

ददन अिंिुना में बहुत बड़ी माककटट लगती है । द ू रे ददन भी हम ने टै क् ी ली

और अिंिन ु ा ओपन माककटट के नज़दीक आ गए। टै क् ी हमें कुछ दरू खड़ी करनी पिी और हम पैदल ही खेतों में चलने लगे। इन खेतों

े गें हूुँ काटी गई दीख रही थी। यहािं

े ही हमारे


ाथ एक पिंिाबी बज़ुगट स ख समल गया। उ यहािं आना पड़ता है क्योंकक इ

ने बताया कक उ

को हर

ाल इ

मौ म में

वक्त पिंिाब में बहुत ज़्यादा ठिं ि होती है और वोह दमे का

मरीज़ है । कुछ घरों की तरफ इशारा करके उ

ने बताया कक वहािं वोह एक कमरा ककराए पर

ले लेता है और अपना खाना खद ु ही बनाता है । यहािं कमरा बहुत

स्ते में समल िाता है ।

अिंिन ु ा माककटट में हम आ गए। खल् ु ले आ मान के नीचे यह माककटट बहुत बड़ी थी और बेचने वालों के तरह तरह की चीज़ों के स्टाल लग्गे हुए थे जिन में कुछ गोरे लोग भी बेच रहे थे। बहुत

े कपड़े हम ने बच्चों के सलए और अपने सलए भी खरीदे । यूुँ तो ऐ ी चीज़ें इिंग्लैंि में

भी समल िाती है लेककन यहािं बहुत

स्ती थी क्योंकक हम पाउिं ि के दह ाब

थे। िो चीज़ इिंग्लैंि में चार पािंच पाउिं ि में समलती थी, वोह यहािं िाती थी। इ

वा

े दह ाब करते ौ रूपए की समल

माककटट में काफी घूमे। कुछ लड़के यहािं छोटे छोटे ढोल बेच रहे थे। हम उन

मोल भाव करने लगे तो कुलविंत कहने लगी कक ढोल ले िाने की हमें खामखाह ददक्कत होगी,

ो हम ने रहने ददया। अब

भी को भूख लगी हुई थी। खाने पीने के सलए एक िगह

हमे समल गई। यहािं बाहर ही तरपाल के नीचे कुस य ट ािं मेि लगे हुए थे। काफी लोग बैठे खा पी रहे थे। काफी दे र हम यहािं बैठे रहे और कफर बाहर घम ू ने लगे। एक िगह थक कर हम तीिंन तो िमीन पर ही बैठ गए लेककन औरतें आदटट कफशल िीऊलरी खरीदने के सलए स्टालों के चक्कर लगाने लगीिं। अचानक मेरे किंधे पर िोर बोलूिं ककया ” के लफ्ज़ दोस्त कभी मेरे में

े हाथ लगा और

ाथ ही ” रािा पूछे

ुनाई ददए। पीछे मुड़ कर दे खा तो मेरा एक दोस्त हिं

रहा था। यह

ाथ काम ककया करता था और यह िोक एक दफा मैंने दोस्तों की महफल

न ु ाई थी। तभी

े िब भी यह दोस्त समलता था तो रािा पछ ू े बोलिंू ककया दहु रा और हिं

कर मुझे बुलाता था। ” ओए तुँू एथे ककदािं ?” मैंने उ े पुछा। कफर उ दो हफ्ते के सलए यहािं आये थे और

ुबह को वाप

ने बताया कक वोह भी

इिंग्लैंि िा रहे थे। कुछ दे र हम बातें

करते रहे । अब

ब ने मशवरा ककया की हम अिंिुना बीच पर ही

ारा ददन गुज़ारें । टै क् ी वाले को बता

ददया कक हमें बीच पर छोड़ कर चला िाए और िब हम ने वहािं

े होटल को िाना होगा

बता दें गे। कुछ समनटों में ही हम बीच पर पहु​ुँच गए और टै क् ी वाला चला गया। बीच पर बहुत दक ु ानें थीिं और आगे कक ी गोवा के मिंिी या प्रधान मिंिी का बत्त ु लगा हुआ था, याद नहीिं कक

का था। आगे बीच पर िाने के सलए

ीिीआिं थीिं।

ीिीआिं उत्तर कर हम बीच पे

आ गए। यहािं आि बहुत रौनक थी क्योंकक आि अिंिुना में माककटट िे भी होता है । लोकल लोग भी यहािं आते होंगे क्योंकक हर बीच एक शहर

ा ही है । टै क् ी वाले ने बताया था कक


गोवा में ती

े भी ज़्यादा बीच हैं लेककन ज़्यादा प्रस द्ध द

कैलिंगूट बीच

या गयारह हैं। यह बीच हमें

े भी ज़्यादा अच्छा लगा क्योंकक यह बहुत खल् ु ला एररया था। हर तरफ रे त ही

रे त थी। रे त पैरों को बहुत अनछ मह ू रे त में धिं ते िा रहे थे, जि

होती थी, चपलें हम ने उतार ली थीिं और हमारे पैर

े मज़ा आता था। िैक चेअऱज़ िाते ही हम ने ले लीिं और

लेट कर धप ु का मज़ा लेने लगे। बीअर और खाने का आिटर हम ने उ था, यहािं

शैक में ही दे ददया

े िैक चेअऱज़ ली थी। कुछ दे र खाते पीते रहे , कफर ताश खेलने के बाद लड़कों

मालश करवाने लगे। मालश करने वाले लड़कों का यह तो रोज़ का काम होता है , इ ी विह े इन की मालश कहते हैं, कक

े बहुत आनिंद समलता है । यह आनिंद कोई आधा घिंटा लेते रहे लेककन

पल क्या हो िाए, कोई नहीिं िानता। अब मेरी जज़न्दगी का एक ऐ ा

अगधयाये शरू ु होने वाला था, जि मालश के बाद उठ कर हम पहन राखी थीिं और

का कभी

ोचा ही नहीिं था !

मुन्दर के पानी का मज़ा लेने लगे। हम ने स फट ननकरें ही

ारे शरीर निंगे ही थे। तर ेम तो बैठा रहा लेककन मैं और ि विंत पानी

में लहरों का मज़ा लेने लगे। तीनों औरतें भी अपनी अपनी शलवारों को ऊिंचा कर के अपने पैर पानी में िाल कर बातें कर रही थीिं। मुझे पानी

े कभी भी िर नहीिं लगा था क्योंकक मैं

तो बचपन में ही वेईं (नदी ) और किंू एिं में छलािंगें लगाया करता था। मैं और ि विंत पानी में कुछ आगे चले गए लेककन अभी हम इतना भी आगे नहीिं गए थे कक हम को एक पानी की बहुत बड़ी पिंदरा

ोलािं फ़ीट ऊिंची छल्ल ( लहर )आती ददखाई दी। यह छल इतनी िल्दी आई

कक ि विंत तो ऊिंची छलािंग लगा के बच गया लेककन मुझे िब यह छल मेरी आुँखों के जज़न्दगी का अिंनतम और यह छल कुछ

िंभलने का मौका ही नहीिं समला।

ामने आई तो मुझे उ ी क्षण यह अह ा

हुआ कक अब मेरी

मय आ गया है । छल मेरे ऊपर आते ही मैं पानी में गुम्म हो गया ककिंटों में ही मझ ु े

मन् ु दर में घ ीट कर ले गई। मेरे मिंह ु में पानी चला

गया और मझ ु े कुछ भी मालम ू नहीिं था कक यह ककया हो रहा था। कुछ दे र बाद, वोही छल ने मुझे वाप

बीच पर ऐ े फैंक ददया िै े कक ी ट्रक में

े बोरी फैंक दी गई हो। मेरी

ननक्कर उत्तर गई और मैं निंगा हो गया। मुझे एक ही आवाज़ कुलविंत की वे ि विंत ! मामा गया ! वे ि विंत उ मैं पागल

को पकड़ “, यह

ा खड़ा था और कुलविंत ने मेरी ननकर िल्दी

ऐ े लगा िै े हड्िी टूट गई हो।

ारा कन्धा पत्थर

मैं ठ क हूुँ, ठ क हूुँ बोलने लगा। मेरे इदट गगदट किंधे में ददट हो रही थी। वोही लड़का जि

ब कुछ

ुनाई दे रही थी, ”

ककिंटों में ही हो गया।

े मझ ु े पहनाई। मेरा दायािं कन्धा

ा हो गया। अब मझ ु े

मझ आई और

ारे इकठे हो गए थे और मैंने बताया कक मेरे

ने मेरी मालश की थी, कुलविंत ने उ े बुलाया और


उ े दब ु ारा मालश करने को कहा। मैं िैक चेअर पर लेट गया और लड़के को बताया कक कहाुँ मालश करनी थी। लड़के ने अनछ तरह मेरे किंधे, पीठ और कलाई पर िोर िोर मालश की। अब मुझे कुछ चैन आया और

े तेल

मान्य हो गया। घबराहट दरू हो गई थी और बैठ

कर धप ु का आनिंद लेने लगे लेककन मझ ु े पता था कक मेरा

ारा शोल्िर

दटफ्फ़ हो गया था।

कोई एक घिंटा और बैठ कर हम ने टै क् ी वाले को फोन ककया कक वोह आ िाए। टै क् ी में बैठ कर िब हम वाप

होटल को िा रहे थे तो कुलविंत बोले िा रही थी कक आि

तो भगवान ् ने हाथ दे के रख सलया। टै क् ी ड्राइवर को िब पता चला कक क्या हुआ था तो उ

ने बताया कक कैलनगूट और अिंिुना बीच पर बहुत मौतें हो चक् ु की हैं। अब तक तो मैं

ब्रबलकुल झटका

मानय ही था लेककन उ

टै क् ी ड्राइवर की बात

ा लगा और अब मुझे िर मह ू

गया, जि

ुन कर मेरे ददमाग को एक

हुआ। शायद यही िर आगे िा के कुछ और बन

को बहुत कम लोग िानते हैं। खैर, ददट तो मेरे हो ही रहा था, िब होटल आये

तो मैंने पेन ककलर ले लीिं और बेस क दआ ु इआिं तो हर वक्त

ाथ ही कुछ कुछ कलाई को धीरे धीरे घम ु ाता रहा। कुछ फर में हम पा

ही रखते थे। कन्धा तो दख ु ता ही था लेककन

अब बात आई गई हो गई। शाम का भोिन कफर हम ने होटल की कैंटीन में ही लेने का फै ला कर सलया। दो हफ्ते हम गोवा में रहे थे और इ

दौरान ब्रबलकुल ही बाररश नहीिं हुई

थी और मौ म बहुत ही मज़ेदार रहा था। शाम को कफर जस्वसमिंग पल ू के नज़दीक हम ने िेरे ला सलए। ि विंत एक गोरे

े बातें कर रहा था िो फैसमली

हत दध ु ागर दे ख कर आया

था, बता रहा था कक दध ु ागर हम िरूर दे खें िो ब्रबलकुल कैनेिा के नायग्रा फाल िै ा है , पहाड़ी के ऊपर

े पानी गगरता है । उ

ने ब

रुट भी बताया कक रे लवे ऊपर पहाड़ी पर िाती

है लेककन चलना बहुत पड़ता है और डि ेबल के सलए बहुत कदठन है । ि विंत ने कहा, ” मामा ! चल अभी कम्पयट ू र रूम में चलते हैं “, हम कम्पयट ू र रूम में चले गए। ि विंत ने दध ू ागर सलखा और

ामने

ब्रबलकुल िा ही नहीिं

कता था और उ

वाप

कैंटीन के पा

ारे

आ गए और

ीन ददखाई दे रहे थे। दे ख कर

ोचा कक तर ेम तो

की पत्नी के भी घुटने इतने ठ क नहीिं थे। हम

ब को बताया कक िगह तो दे खने वाली है लेककन ऊपर

िाना बहुत कदठन है । बातें कर ही रहे थे कक वोह गुिराती समआिं बीवी कफर आ गए। उन को दे ख कर

ब खश ु हो

गए। अब हम ककिंगकफशर पीने लगे और बातें करने लगे। याद नहीिं ककया ककया बातें हुईं। कुछ दे र बाद ि विंत बोला,” मामा ! िो तेरा दोस्त आि अिंिुना में समला था, वोह ककया बोला था ? रािा पछ ू े

िं । मैंने कहा, ” ि विंत ! वोह िोक नहीिं थी, ब मगथग

ऐ े ही िोक


िै े ही कहानी थी लेककन तुम को इ

की

मझ शायद ना आये क्योंकक इ

कहानी में

रामायण की बातें हैं “, ि विंत ने बोला की कुछ कुछ वोह रामायण के बारे में िानता था। ुनाइये

ुनाइये िब शुरू हो ही गई तो मैंने भी कहानी शुरू कर दी। मैंने बोला, ” एक गाुँव

में एक बदु ढ़या रहती थी, जि का एक शख् बुदढ़या उ

के चार बेटे थे िो कोई काम धिंदा नहीिं करते थे। इ ी गाुँव

कक ी रािे का वज़ीर लगा हुआ था। एक ददन िब वोह गाुँव आया तो वोह

विीर की समन्त बगैरा करने लगी कक उ

वज़ीर को कुछ तर

के कक ी बेटे को नौकरी ददलवा दे ।

आया और एक बेटे को कहा कक वोह उ

नौकरी ददलवा दे गा। िब वज़ीर लड़के को ले कर वाप को भगवा कपड़े पहना कर गल में बहुत

के

ाथ चले, वोह उ

महलों में आया तो उ

ी मालाएिं पहना दी और उ

गगया और उ े वहािं पढी एक लकड़ी की चौंकी पर ब्रबठा ददया और उ वोह इ ी तरह

ारा ददन बैठा रहे और मुिंह

कर चला गया लेककन उ

ने उ

लड़के

को शाही मिंददर में ले के कान में कहा कक

े एक भी शब्द ना बोले। वज़ीर उ

लड़के ने मिंददर में दे खा,

को

को ब्रबठा

भी ओर बड़े बड़े र्वद्वान भगवा कपड़े

पहने और हाथों में बड़ी बड़ी ककताबें सलए खड़े थे। वोह लड़का उन की ओर दे ख के घबरा गया कक अगर रािे ने उ

को कुछ पछ ु ा तो वोह ककया िवाब दे गा क्योंकक उ

की कोई बात भी पता नहीिं थी । उ

के मुिंह

यह शब्द वोह बार बार बोलने लगा। मिंददर के िूब गए। ऐ े ही वोह लड़का पूछे बोलूिं ककया “. िब इ गया और उ

े ननकल गया, ” रािा पूछे बोलूिं ककया “, ब भी र्वद्वान एक द ू रे को दे ख कर है रानी में

ारा महीना हर रोज़ यही उच्चारण मुिंह लड़के की तान्खआ ु ह उ

ने द ू रे लड़के को भी वज़ीर के पा

भगवा कपिे पहना ददए और उ

को तो धमट

े करता रहा,” रािा

की मािं को पहुिंची तो माुँ का लालच बढ़ भेि ददया। वज़ीर ने उ

को भी उ ी मिंददर में उ

के भाई के पा

लड़के को भी ब्रबठा ददया और

ना बोलने को कह कर चला गया। अब इ

भाई ने िब अपने भाई को यह बोलते

गया कक यह रािे

े िरता बोल रहा है । अब उ

न ु ा कक रािा पछ ू े बोलिंू ककया तो वोह के मुिंह

मझ

े ननकल गया, ” िो हाल तेरा

मेरा यानी पता मुझ को भी कुछ नहीिं “, दोनों भाई बोलने लगे और पिंडित है रान हो रहे थे। अब बुड़ीआ ने ती रे लड़के को भी भेि ददया। वज़ीर नें उ ी तरह उ ाथ ब्रबठा ददया। अब इ िो हाल तेरा

भाई ने िब भाइयों को बोलते

ो मेरा तो यह भाई

हो िाएगा। अब उ

को भी भाइयों के

न ु ा कक रािा पछ ू े बोलिंू ककया और

ोचने लगा कक यह नहीिं ननभेगी, यानी यह काम खराब

ने बार बार यहीिं बोलना शुरू कर ददया कक यह नहीिं ननभेगी, यह नहीिं

ननभेगी। आखर में बुदढ़या ने चौथे बेटे को भी भेि ददया। वज़ीर ने इ

को भी भगवा कपिे


पहना के उ

के भाइयों के पा

ब्रबठा ददया। िब इ

ने दे खा कक उ

है रािा पूछे बोलूिं ककया, द ू रा बोलता है , िो हाल तेरा

का एक भाई बोल रहा

ो मेरा और ती रा बोलता है , यह

नहीिं ननभेगी, तो अब मैं ककया करूुँ ?, वोह बोलने लगा, ” नहीिं ननभेगी तो ना ननभे, नहीिं ननभेगी तो ना ननभे “, अब और र्वद्वानों ने रािा के पा

ारे भाई रोि रोि इ ी तरह बोलने लगे। मिंददर के

भी पिंडितों

शकायत की कक वज़ीर, रािा को धोखा दे रहा था और मख ु ट

लोगों को भगवा कपिे पहना कर पै े बना रहा था। रािे ने

ुन कर अपनी तलवार खीिंच ली

और वज़ीर को पकड़ कर मिंददर में ले आया और चारों भाइयों की ओर दे ख कर पूछने लगा कक यह ककया बकवा

कर रहे हैं, वज़ीर बोला,” महािंराि धीरे बोसलये, यह चारों भाई रामायण

के एक भाग का िाप कर रहे हैं, पहला भाई बोलता है , ” रािा पछ ू े बोलिंू ककया “, यह वाक्यात उ वहािं एक इ

मय का है िब सशरी राम लक्ष्मण और ोने का दहरन कुदटया के पा

आ गया,

दहरन की मग ृ शाळा चादहए, राम िी के

ीता ि​िंगल में रहते थे। एक ददन

ीता, राम को जज़द करने लगी कक उ े

मझाने पर िब

ीता नहीिं मानी तो सशरी राम

तीर कमान ले के मग ृ के पीछे चल पढ़े । राम िी ने दहरन पर ननशाना गया और गगरते

ार ही ऊिंची आवाज़ में उ

ने बोला, लक्ष्मण !

ने लक्ष्मण को भेिने पर मिबूर कर ददया कक उ िाना ही पड़ा लेककन िाते वक्त उ गया लेककन उ वाप

पछ ू ें गे कक

ीता !, यह

न ु कर

ीता

का भाई खतरे में था और तब लक्षण को

ने लक्ष्मण रे खा खीिंच दी और सशरी राम के पीछे चले

के िाने के बाद रावण

कुदटया में आया तो

ाधा और दहरन गगर

ीता को उठा कर ले गया। िब लक्ष्मण ढूिंढता हुआ

ीता वहािं नहीिं थी, अब लक्ष्मण रोने लगा कक िब भैया उन

ीता कहाुँ है तो वोह ककया िवाब दे गा “, वज़ीर रािे को बोला, ” महाराि यह

न्या ी वोह ही बोल रहा है कक रािा पूछे ,बोलूिं ककया यानी राम चन्दर िी पूछेंगे कक

ीता

कहाुँ है तो लक्ष्मण ककया िवाब दे गा” यह द ू रा ककया बोल रहा है , रािे ने पछ ु ा। वज़ीर बोला, ” महाराि ! अब

ब को मालम ू हो

गया था कक ककया हुआ था, लक्ष्मण एक तरफ ढूिंढने चल पढ़ा और सशरी राम िी द ु री तरफ

ीता िी को ढूिंढने चले गए, ढूुँढ़ते ढूुँढ़ते दोनों भाइयों का आमना

बोलने की दहमत तो दोनों भाइयों में नहीिं थी, ब

आुँखों ही आुँखों

दे ख और खमोश भाषा में एक द ू रे को बोले कक िो हाल तेरा कोई

े एक द ू रे की तरफ

ो मेरा, यानी

रु ाग नहीिं समला”, और यह ती रा ककया बोल रहा है , रािे ने वज़ीर

वज़ीर बोला, महािंराि ! िब रावण

ीता को लिंका ले आया तो उ

ामना हो गया,

ीता िी का वाल ककया।

के भाई भवीशन ने रावण

को बोला कक, भाई तू इतने बड़े दे वते की पत्नी को ले आया, अच्छा नहीिं ककया, यह नहीिं


ननभेगी, लड़ाई अवतय होगी और लिंका का

वटनाश हो िाएगा और चौथा भाई िो बोल रहा है

कक नहीिं ननभेगी तो ना ननभे, यह रावण के एक और भाई की बात कर रहा है । िब सभर्वषण बोला था कक यह नहीिं ननभेगी तो नज़दीक ही मेघनाथ बैठा था, वोह गुस् े में बोल उठा, नहीिं ननभेगी तो ना ननभे यानी वोह लड़ाई के सलए तैयार है । ब

महािंराि ! यह चारों र्वद्वान

रामायण का िाप कर रहे हैं। रािा बहुत प न ट हुआ और और चारों भाइयों की तान्खआ ु ह बढ़ाने को बोल ददया। िब यह कहानी

माप्त हुई तो

भी ने तासलयािं बिा दीिं। वोह गि ु राती कप्पल तो बहुत दे र

तक हिं ते रहे । यहािं तो यह कहानी मैंने मुक्त र ही सलखी है लेककन उ म ाले ला ला कर और ऐजक्टिं ग करके

ुनाया था जि

े मुझे

वक्त मैंने इ

को

ुनाने में भी मज़ा आया था।

आखर में िब उठे तो मैने ि विंत को बताया कक यही बात आि अिंिुना माककटट में मेरे दोस्त ने कही थी, ” रािा पूछे बोलूिं ककया “, हिं ते हिं ते हम अपने कमरों में चले गए। चलता…

ोने के सलए


मेरी कहानी - 187 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 05, 2016 ुबह उठे और मशवरा करने लगे कक आि कहाुँ िाना था तो मैंने कहा ि विंत ! इतने ददन हो गए लेककन अभी तक गोवा की रािधानी पिंजिम नहीिं दे खख, क्यों न आि पिंजिम ही चलें। इ

बात

खान ामे हाई स्ट्रीट

हमत हो गए। तैयार हो कर कैंटीन में ब्रेकफास्ट सलया और कैं टीन के

े पुछा कक पिंजिम िाना कै े आ ान है तो उ े ब

ने बताया कक हम को कैलनगूट

ले लेनी चादहए और मोपा ा के द ु री ओर ही मिंिोवी नदी पर फैरी में बैठ

िाएुँ, यह फैरी द ु री ओर पिंजिम जि मान कर हम ने कैलनगट ू

े ब

को पणिी भी कहते हैं, पहुिंचा दे गी। उ

ले ली। िब ब

नहीिं दे रहा, वै े ही पै े पकड़ रहा था। इ ऐ ा कभी दे खा ही नहीिं कक ब याद नहीिं, दे कर हम ब

बात

में बैठे तो किंिक्टर कक ी को भी दटकट े हमें बहुत है रानी हुई क्योंकक आि तक

में कोई दटकट ना दे । चार या पािंच रुपये दटकट होंगे, पूरा

में बैठ गए। यह ब

िल्दी ही रहाइशी इलाके में िाने लगी।

काफी दरू िा कर हम मोपा ा शहर में आ गए। यहािं ट्रै कफक बहुत थी क्योंकक इ दक ु ाने शॉर्पिंग फा ला द

ेंटर बहुत थे। इ

ककलोमीटर

भीड़

शहर में

े ननकल कर पिंजिम की ओर िा रहे थे लेककन यह

े भी ज़्यादा लगा। एक िगह ब

उत्तर पड़े। कुछ दरू चलने पर मिंदोवी नदी अब हमारे

खड़ी हो गई और हम ब

ामने थी। नदी की चौड़ाई काफी बड़ी

थी। अभी फैरी आई नहीिं थी। यहािं काफी खल ु ी िगह थी और छोटी रही थी और काफी दक ु ाने भी थीिं। मिंदोवी के ककनारे ईंटों की ीदढ़यों

की बात

े उत्तर कर नदी के पानी तक चले गए और इ

ी बन्दरगाह िै ी लग

ीिीआिं भी थी। मैं और ि विंत

में मछसलयों को दे खने लगे िो

पानी में तैर रही थीिं। नदी के द ु री ओर खड़ी फैरी हमे ददखाई दे ती थी िो अब हमारी ओर आखण शुरू हो गई थी। मैं और ि विंत ऊपर आ गए और फैरी के सलए इिंतज़ार करने लगे। और भी बहुत लोग नदी के द ु री ओर पिंजिम िाने के सलए एकि हो गए थे। यह ऐ े ही था िै े ब

पकड़ने के सलए लोग इिंतज़ार करते हों। फैरी के ऊपर इिंजिन का धआ ु िं ननकलता

दीख रहा था। कुछ ही समनटों में फैरी ककनारे आ लगी और गेट खल ु गया। कुछ मोटर ाइकल एक कार और बहुत िब

े लोग धीरे धीरे उतरने लगे।

ब लोग उत्तर गए तो हम चढ़ गए, एक कार और दो तीन स्कूटर भी चढ़ गए। धीरे

धीरे यह प्लैटफामट

ा एररया भरने लगा। हम लोहे की दीवार के

अनछ तरह फैरी भर गई तो कक ी सलवर

ाथ खड़े हो गए। िब

े यह गेट बिंद कर ददया गया और फैरी पानी में


चलने लगी। फैरी के इिंजिन की आवाज़ ऐ ी थी िै े िीज़ल वाले ट्रै क्टर की आवाज़ हो। मिंदोवी की चौड़ाई काफी थी। ि विंत बोला, मामा ! यह तो दररया नील िै ी है । मैंने कहा कक यह ब्रबलकुल ऐ े ही लगती है । अभी तक तो फैरी चलती थी, लेककन कक ी ने बताया था कक यहाुँ ब्रब्रि बन िाएगा और फैरी बिंद हो िायेगी। अभी यह फैरी वहािं है या नहीिं, मझ ु े मालम ू नहीिं। कुछ ही समनटों में हम नदी के पार हो गये। इ

तरफ भी फैरी पकड़ कर

मिंदोवी के द ु री ओर िाने वाले बहुत लोग इिंतज़ार कर रहे थे और कुछ मोटर भी खड़े थे। हम ऊपर आ गए और पिंजिम की

ाइकल

ड़कों पर घूमने लगे। तर म े , छड़ी के

वार ाथ

धीरे धीरे चल रहा था लेकीन हमें कोई िल्दी तो है नहीिं थी। आगे पिंजिम की दक ु ाने और बाज़ार बहुत मुझे

ाफ़ लग रहा था। पिंजिम में हम ने कोई ख़ा

मौनम ैं नहीिं दे खा। इ ू ट

बात की

मझ नहीिं आ रही कक पिंजिम की इत्हास क िगहों को दे ख्ने का प्लैन हम ने क्यों नहीिं

बनाया, िब कक वहािं दे खने की चीज़ें काफी थीिं। चचट मिंददर मजस्िद और एक गुरदआ ु रा भी था। इ

बात का मुझे अफ़ ो

ही रहे गा।

पिंजिम शहर पुत्गाटसलओिं ने 1842 में बनाया था, पहले रािधानी द ु री ओर ओल्ि गोवा में होती थी। इ

की आबादी अभी भी इतनी जज़आदा नहीिं है लेककन जितना हम ने दे खा उ

को दे ख कर अिंदािा लगाना आ ान है कक यह शहर बहुत ददओ इकठे ही होते थे लेककन अब कुछ दे श का

े छोटा

ालों

ुन्दर है । पहले गोवा दमन और

े गोवा अकेला ही एक प्रािंत है और शायद

ब ू ा है । हम घम ू रहे थे और िगह िगह छोटे छोटे लड़के ढोल बेच रहे

थे और हमारी तरफ आते और ढोल लेने को कहते। आखर मैने एक ढोल ले ही सलया, याद नहीिं शायद तीन

ौ रूपए का होगा। दक ु ानों के चक्र लगा ही रहे थे कक ि विंत मेरे खरीदे

हुए ढोल की तरफ दे ख कर बोला, “मामा ! यह ढोल तो फटा हुआ है “, दे खकर मुझे भी मालम ू हो गया कक वाकई ढोल फटा हुआ था। हम उ

लड़के को ढूिंढने लगे। दक ु ानों को हम

दे ख रहे थे ताकक हमें कोई गोवा की कोई अनछ चीज़ समल िाए लेककन कोई ख़ा

चीज़

अपने मतलब की हमें समली नहीिं। कुछ दरू गए तो वोह ही लड़का िो ढोल बेच रहा था, हमें समल गया। ढोल उ

ने उ ी वक्त बदल ददया। पिंजिम शहर हमें पिंिाब के चिंिीगढ़ िै ा

ाफ ददखाई दे ता था। अब हमें भूख लगी हुई थी और एक होटल में दाखल हो गए िो दो मिंिला था और हम द ु री फ्लोर पर चले गए। काफी लोग बैठे खा पी रहे थे। यह शाकाहारी होटल था और शायद म ाला िो ा इन की स्पेसशऐसलटी होगी, क्योंकक

ब लोग म ाला िो ा

ही खा रहे थे। स्टील की थासलयों में छोटी छोटी कई प्रकार की दालें और चटननयाुँ दे ख कर भूख चमक उठ थी। एक लड़का आया और हम ने

ब के सलए आिटर दे ददया। िब थासलयािं


हमारे आगे रखी गईं तो दे ख कर ही आनिंद में महकती हुई चटननयाुँ, ब

ा आ गया। बड़े बड़े िो े और गोवा के म ालों

एक लुत्फ ही था। िी भर के खाने का आनिंद सलया और होटल

के बाहर आ कर कफर घूमने लगे। घुँटा भर घुमते रहे और कफर आराम करने के सलए एक िगह

ब बैठ गए। कुछ दरू ी पर ही फैरी ददखाई दे रही थी, लोग उत्तर चढ़ रहे थे। अब हम

बातें करने लगे कक अब आगे का ककया प्रोग्राम था तो

ब ने फै ला ककया कक अगले ददन

हिं पी दे खने चलें। यहािं बैठे बैठे ही ि विंत ने मोबाइल पे उ दरू का

फर है , इ

टै क् ी ड्राइवर

े बात की और यह भी कहा कक

सलए गाड़ी बड़ी होनी चादहए ताकक

वाले ने कहा कक वोह

ूमों ले आएगा। उ

ब आ ानी

े बैठ

कें। टै क् ी

ने यह भी बताया कक एक ददन िाने के सलए

और एक ददन आने के सलए और एक ददन हम्पी दे खने के सलए लगेगा । तीन ददन के वोह 12 हज़ार रूपए चािट करे गा। हमें यह कीमत वाज़ब ही लगी क्योंकक 2000 रूपए प्रनत यािी के दह ाब सलए हमें

े यह ज़्यादा नहीिं था। टै क् ी वाले ने कहा कक िाने में आठ घिंटे लग िाएिंगे, इ ुबह द

गया। हमारे पा

बिे ननकल िाना चादहए। टै क् ी वाले

में

के बीच में मट्टी का छोटा

े कोयलों का धआ ु िं ननकल रहा था। एक एक लफाफा

कर खाने लगे। नछलके, क्योंकक ना फैंकें और कफर

ब ने सलया और वही​ीँ बैठ

बी लोगों ने बाहर ही फैंके हुए थे, इ

भी मज़े

े खाने लगे। हा हा, मोदी िी का

नहीिं हुआ था। कुछ ही दरू ी पर टॉयलेट् ओर चले गए। वहािं

गए, टॉयलेट्

सलये हम ने भी

की

के

वशता असभयान अभी शुरू

ाइन ददखाई दे रहे थे, मूिंगफली खा कर

भी

फाई काबले तारीफ थी। बाहर आते ही हम फैरी की ओर चलने लगे। में

वार हो कर द ू रे ककनारे आ पहुिंच।े कुछ दे र

समन्नी बिंदरगाह पर घूमने के बाद हम ने ब

में आ कर चाय पी।

ी हुई कक नछलके

फाई कमटचारी नें पािंच पािंच रूपए सलए और हम भीतर दाखल हो

हमारे िाते ही फैरी आ गई और हम इ इ

ैटल हो

ा मटका रखा हुआ था,

बाहर ही फैंकने शुरू कर ददए। बाहर रहने के कारण पहले पहले खझझक

ही एक रे हड़ी वाला था िो मूिंगफली मुरूिंिा बगैरा बेच रहा था। रे हड़ी पे

मूिंगफली का ढे र लगा हुआ था, जि जि

े बात हो गई,

पकड़ ली और कैलनगूट आ पहुिंच।े कमरे

बी आराम करने लगे लेककन मैं और ि विंत पाउिं ि कैश कराने के

सलये बाहर चल पड़े क्योंकक द ू रे ददन के सलए हमें काफी पै े चादहए थे। कैलनगूट हाई स्ट्रीट में आ गए। िगह िगह ऐ े बोिट लग्गे हुए थे, िो ब्रबदे शी मुद्रा बदलते थे। एक िगह द ु री मिंजज़ल पर एक ऑकफ

था। उ

े पुछा तो उ ने िो रूपए पाउिं ि के

बताये, हमें कम लगे। उठ कर हम द ु री िगह आ गए। इ

ने एक रूपए ज़्यादा भाओ


ददया। यहािं हम ने पै े ले सलए। िब बाहर ननकले तो एक

रदार िो हमें हवेली में समला

था, आता ददखाई ददया। बातों बातों में हमें पता चला कक गोवा में वोह कोई प्रापटी खरीद रहा था। उ

ने कई ब्रबल्िरों के नाम बताये। वोह स हिं िब चला गया तो ि विंत कहने

लगा, ” क्यों ना हम भी प्रापटी के बारे में पता करें । उ बताया था, िो दरू नहीिं था, स फट कैलनगट ू हाई स्ट्रीट रोि पर हम चल पड़े। कोई दो इ

में

े ही छोटी

फ़्लैट थे िो चकोर शक्ल में बने हुए थे। चारों ओर इ

े कुछ ही दरू ी पर था। एक छोटी

ौ गज़ की दरू ी पर ही हमें उ

ी एक गली थी। िब हम इ

दरसमयान में एक बड़ा

ब्रबल्िर का बोिट ददखाई ददया।

के भीतर गए, तो आगे मल्टी स्टोरी ात आठ मिंिला फ़्लैट बने हुए थे और

ा जस्वसमिंग पल ू था। हम ऑकफ

के एक कॉनटर में बहुत

रदार ने एक ब्रबल्िर के बारे में

में िा घु े िो काफी बड़ा था और

े गोल ककये हुए मकानों के नक़्शे पड़े हुए थे। उ

कर हाथ समलाया और ज़्यादा बातें ि विंत ने ही कीिं। बातें करते करते उ

शख्

ने उठ

ने बताया कक इन

फ्लैटों की द ु री ओर िो खेत हैं, उन में वोह नए फ़्लैट बना रहे हैं। कफर वोह हमें उन खेतों की ओर ले गया यहािं ईंटें और बिरी के ढे र लगे हुए थे और जि इ

े मालूम होता था कक

िगह ब्रबजल्ि​िंग उ ारी िाने वाली थी। कफर वोह हमें उन फ्लैटों में ले आया, यहािं कुछ

कुछ फ्लैटों में अभी भी पें ट बगैरा हो रहा था। तीन बैि रूम के एक फ़्लैट को दे ख कर हम खश ु हो गए क्योंकक जि

दह ाब

े यह बना था, बहुत ही

ुन्दर लग रहा था और यह था

भी ग्राउिं ि फ्लोर पर। इ

को दे ख कर हम बाहर आ गए और एक तरफ कैफे भी बना हुआ

था। काफी पीने के सलए अिंदर चले गए। काफी पी के हम कफर उ हम ने अपने नाम ऐड्रै

के आकफ

में चले गए।

और टे लीफोन निंबर सलखवाये। ब्रबल्िर ने बताया कक िो फ़्लैट हम

ने दे खा था, ऐ े तीन फ़्लैट फॉर

ेल थे। कफर उ

ने यह भी बताया कक अगर हम ने

ककराए पर फ़्लैट दे ने थे तो वोह हमें पचा

हज़ार रूपए

ाल का ककराया हमारे आकउिं ट में

िमा करा ददया करे गा और अगर हम हर

ाल गोवा में हॉसलिे के सलए आना चाहें तो हमें

छै हफ्ते के सलए िी फ़्लैट दे गा। जितनी कीमत फ़्लैट की उ

वक्त उ

ने हमें बताई, वोह

हमें वाज़ब ही लगी थी और हमारे बिट के दायरे में ही थी । । हम ने फै ला कर सलया कक दो फ़्लैट ले लेंगे। उ

ब्रबल्िर के ब्राउचर सलए और यह बोल कर कक हम अपने घर मशवरा करके उ े बता

दें गे, हम अपने होटल की तरफ आ गए और यह बातें कमरे में बैठ कर हुईं तो कुलविंत ने उ ी वक्त बगैर दे खे हाुँ कह दी, वोह तो प िंद आया था। तर ेम और उ

ुन कर ही खश ु हो गई क्योंकक गोवा हमें बहुत

की पत्नी ने कोई ददलचस्पी नहीिं ददखाई और यह ठ क ही


था क्योंकक वोह दोनों पनत पत्नी पड़े सलखे नहीिं थे और उन के सलए यह

रददी ही थी। रात

का खाना खाने के सलए आि हम ने एक इिंजग्लश रै स्टोरैंट में खाने का मन बना सलया िो हमारे होटल चलता…

े दरू नहीिं था और इ ी कैलनगूट की हाई स्ट्रीट में था ।


मेरी कहानी - 188 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 08, 2016 द ू रे ददन

ुबह को हम िल्दी तैयार हो गए क्योंककिं हम ने हम्पी दे खने िाना था। होटल

की कैंटीन

े ही ब्रेकफास्ट सलया और ड्राइवर का इिंतज़ार करने लगे। कोई आधे घन्टे बाद

ड्राइवर होटल के बाहर गाड़ी खड़ी करके हमें लेने आ गया। उठ के हम उ

के

ाथ हो सलए

और िब होटल के बाहर आये तो ड्राइवर ने गाड़ी की ओर इछारा ककया। दे ख कर गाड़ी प िंद आ गई क्योंकक यह मज़े

ूमों थी और नई िै ी लग रही थी। गाड़ी में

े बैठ गए। रास्ते का

फर अब आ ान होगा, हम

वार हो गए और

मझ गए थे। गोवा

े काफी दरू

आ कर पहाड़ी रास्ता शुरू हो गया। कभी ऊपर को चढ़ाई आ िाती, कभी नीचे की ओर िाने लगते। कभी शापट बैंि आ िाता और एक दम ड्राइवर हॉनट बिाता और आगे आवाज़ आती।

े भी हॉनट की

ड़क के एक तरफ ऊिंची पहाड़ी होती और द ु री तरफ गहरी वादीआिं होतीिं।

एक बात है कक

ड़क बहुत अनछ थी, कहीिं

े भी टूटी हुई ददखाई नहीिं दी। ऐ े पहाडियों के

ीन तो पहले भी मैंने दे खे हुए थे लेककन गोवा की पहाड़ीयािं बहुत अनछ लगीिं। कई िगह नज़ारा बहुत

न् ु दर लगता, िब हम कोई बैंि ख़तम करके आगे िाते, तो जि

पार करके हम अभी अभी ही आये होते वोह तीन तीन यह

ड़क एक तरफ हमारे नीचे ददखाई दे ती। ऐ े

ड़कें भी एक तरफ ददखाई दे तीिं, जिन पर

ड़क काफी ब्रबज़ी थी और द ु री तरफ

ड़क को

फर करके हम अभी अभी आये होते।

े ट्रक बहुत आ रहे थे। िब भी बैंि आता हानट

शुरू हो िाते और बहुत दफा िब बैंि पार करते एक दम कोई ट्रक आ िाता तो िर भी लगने लगता। मैं कभी कभी कैमकॉिटर

े कफल्म भी ले लेता।

यह पहाड़ी

मतल हो गई। अब हम बातें करते करते िोक

लगे थे। इ

फर ख़तम होते ही े

ड़क

फर आ ान हो रहा था।

ुनाने

ड़क के दोनों ओर खेत ही खेत ददखाई दे रहे थे

जिन में ज़्यादा समचों के खेत ही थे। लगता था यहािं की ज़मीन बहुत उपिाऊ थी क्योंकक हर तरफ हररयाली ही हररयाली दीख रही थी। बीच बीच कक ानों के खेतों में लाल लाल समचों के बड़े बड़े ढे र लगे हुए ददखाई दे रहे थे, कक ान और उन की स्िीयािं कोई काम कर रहे थे। इतने ऊिंचे समचों के ढे र भी जज़न्दगी में पहली दफा हम ने दे खे। कोई िगह हम खड़े हो गए, गए।

भी को र्पछाब भी करना था, इ

ौ मील चल के एक

सलए इधर उधर

ब खेतों में चले

ड़क के द ु री ओर बड़े बड़े समचों के ढे र लगे हुए थे। गगयानों बहन को यह बड़ी बड़ी

समचें अनछ लगी। क्योंकक उ

को अपने गािटन में कुछ न कुछ बीिने का बहुत शौक है ,


कहने लगी कक इन समचों के बीि ले लेने चादहयें और वाप दे खेगी। कक ान की स्िी ने बहुत

इिंग्लैंि िा के इन को बीि कर

ी समचें दे दीिं। ग्यानों बहन ने पै े दे ने चाहे लेककन उ

सलए नहीिं। कक ान गरीब होते हुए भी फराख ददल होता है , इ

ने

का मुझे पहले ही पता था

क्योंकक कक ान के खेत में कभी भी कोई िाए, वोह िो भी खेत में हो, दे ने की कोसशश करे गा। गन्ने का खेत हो, तो वोह िरूर कहे गा, ” गन्ना ले लो िी ! मल ू ी ले लो िी ! “, कुछ भी हो, गुड़ बनाता हो तो गुड़ खखलाने की कोसशश करे गा। इ कीमत नहीिं लगा

कता, यह हमारी

अब हम आगे चल पड़े।

भ्यता की दें न है ।

फर लिंबा, कोई आठ घिंटे का था।

और लगातार झटके लगते रहते थे लेककन अड्िा आया। शायद यह कोई छोटा हुई थीिं। एक छोटे

ड़क

ड़क, कहीिं कहीिं पे टूटी हुई थी

मतल ही थी। कुछ दरू िा के कोई ब

ा शहर होगा। िूट रे हड़ी वालों की दक ु ानें आम लग्गी

े ढाबे पर हम ने चाय पी और

ाथ में कुछ नमकीन खाया। ज़्यादा दे र

यहािं ठहरे नहीिं और आगे चल पड़े। मौ म बहुत अच्छा था, पची और धप ु अनछ लग रही थी। यह कक ी और

मेहमान ननवाज़ी की कोई

ड़क िीटी रोि की तरह

ड़क पर िाना नहीिं पड़ा और

ती

डिग्री के करीब होगा

ीधी ही थी। कहीिं पे भी हमें

े अनछ बात थी, दोनों तरफ लहलहाती हुई

फ लों का होना, िो बहुत ही मन लुभावनी परतीत हो रही थीिं। शायद दो गए थे और अब कोई बड़ा शहर आ गया जि

ौ ककलोमीटर आ

में ट्रै कफक बहुत ज़्यादा थी। यहािं हम ने खाना

खाने का मन बना सलया। ड्राइवर ने एक िगह गाड़ी खड़ी कर दी, यह पाककिंग के सलए ही िगह होगी क्योंकक बी

पची

गाड़ीआिं पहले भी खड़ी थीिं। एक अच्छा होटल हमें ददखाई

ददया। यहािं के खाने पिंिाब के खानों

े कुछ हट कर थे लेककन हम ने पूररआिं खाना ही प िंद

ककया। ड्राइवर को स फट इिली ही प िंद थी, इ दालों

जब्ज़ओिं के

सलए उ

ने इिली के

ाथ चावल ले सलए।

ाथ कुछ चटननयाुँ और गमट गमट फूली हुई परू रयािं मज़ेदार लग रही थी।

खाना खा कर एक एक कप्प काफी का ले सलया और बातें करने लगे। कोई आधा घिंटा आराम करके

फर कफर शुरू हो गया।

फर लिंबा होने के बाविूद इतना मह ू

नहीिं ककया।

हमारा पड़ाव hospit था। यहािं होटल बहुत हैं और बड़ीआ बदढ़या हैं। िब हम हौस्पीट पहुिंचे तो शाम हो गई थी लेककन अभी लौ थी। एक होटल के पा

आ कर हम रुक गए। ड्राइवर ने

गाड़ी होटल के बाहर खड़ी कर दी और मैं और ि विंत होटल के रर ेप्शन में चले गए। कुछ गोरे बक ु ककिंग के सलए पहले ही खड़े थे। फस्टट क्ला इ

राहायश की हमें कोई िरूरत थी नहीिं,

सलए तीन कमरे हम ने बुक्क करा सलए, एक में कुलविंत और गगयानो बहन, द ू रे में

तर ेम और उ

की पत्नी और ती रे में मैं ि विंत और ड्राइवर ने

ोना था। दो रातों के


सलए कमरे बुक हो गए। होटल काफी बड़ा था। चाब्रबयािं ले कर कमरों में

ामान रखा और

फै ला ककया कक पहले नहा धो लें। हर कमरे में टॉयलेट और बाथ रूम थे। होते हुए भी बहुत अच्छे थे। िब नहा कर हम िाइननिंग एररया रहाइशी एररये

ाधाहरण कमरे

भी बाहर आये तो अुँधेरा हो चक् ु का था।

े इलाग्ग था, िो ऊपर खल् ु ले में था और यहािं

े नीचे

ड़क

पर आवािाई ददखाई दे रही थी। कुछ गोरे गोरीआिं बैठे थे और कुछ इिंडियन, जिन में स हिं भी थे और कुछ लोग बीअर ले कर बैठे गप्पें मार रहे थे। हम ने भी अपने सलए डड्रिंक ऑिटर कर ददए और बातें करने लगे। ड्राइवर ने इिली चावल और दाल बगैरा का आिटर ददया और हमारा

ब का खाना भी इलग्ग इलग्ग ही था। गगयानो बहन और

शाकाहारी था लेककन हमारा

ुरिीत कौर का खाना

ब का नॉन वेजिटे ररअन था। मैं और ि विंत ने वेटर को कहा

कक हमारे सलए मीट में समचट ज़्यादा और करारी िाले। टे बल काफी बड़ा था और गगदट बैठे थे। कुछ ही दे र में टे बल खानों

े भर गया। इ

खाने में कोई ख़ा

भी इ

के

बात तो नहीिं

थी, आम खानों की तरह ही थे लेककन िो बात हम को कभी नहीिं भूलेगी, वोह थी मीट में समचट। हम ने वेटर को कहा था कक हमारे सलए समचट करारी रखे लेककन िब हम ने खाना शरू ु ककया तो समचट इतनी करारी थी कक जज़न्दगी में कभी इतनी खाई ही नहीिं। मीट तो स्वाद था लेककन समचट इतनी थी कक हम

ी कर रहे थे। हम ने वेटर को बुलाया और

कहा कक यह तो ऐ े लग रहा था िै े समचट की कड़शी भर के हमारी प्लेटों में ही िाल दी गई थी। वेटर,

ौरी

थे। हम ने उ े िल्दी

ौरी बोल रहा था और उ े आइ

क्रीम की प्लेटें लाने को कहा। खाना तो खा सलया था मगर

समचट ने हम को नानी याद करा दी। आइ पै े दे कर हम बाहर आ गए और भी इन

के चेहरे पर गचिंता के लक्षण ददखाई दे रहे

क्रीम

भी ने खाई और हम को कुछ चैन आई।

ड़क पर घूमने लगे। हवा में मच्छर बहुत था लेककन हम

े मुकाबला करने के सलए पूरा इिंतज़ाम कर सलया था और हर रोज़ मलेररया की

गोसलयािं ले रहे थे। काफी दे र घूमने के बाद हम वाप

होटल में आ कर अपने अपने कमरों में

ुबह िल्दी उठना था और हिं पी दे खने िाना था। और

ो गए क्योंकक

ुबह उठे और नहा धो कर तैयार हो गए

ीधे ब्रेकफास्ट के सलए चले गए। ब्रेकफास्ट एक और िगह था। इ

में हम ने इिंडियन

ब्रेकफास्ट पराठे दही और कुछ चटननयाुँ लीिं। मज़ा आ गया खा के। अपने बैग ले के हम नीचे आ गए। िब हम गाड़ी में बैठने लगे तो छोटे छोटे बच्चे हाथों में छोटे छोटे फूलों की मालाएिं सलए हुए हमारी गाड़ी की तरफ आ गए। दो बच्चे िो भाई बहन ही लगते थे, होंगे कोई द

बारह

ाल की उम्र के, उन्होंने दो हार गाड़ी के आगे दोनों वाइपरों पर िाल ददए।


इतनी

ुबह इन बच्चों को दे ख कर तर

आ गया और कुलविंत ने उन को पचा

ददए। दोनों बच्चे खश ु हो गए, शायद उन की उम्मीद

े ज़्यादा पै े उन को समल गए थे।

थोह्ड़ी थोह्ड़ी ठिं ि थी और कुछ कुछ धुिंद भी थी। ड्राइवर ने शीशे कर हिं पी की ओर िाने लगे।

रूपए दे

ाफ़ ककये। गाड़ी में बैठ

ड़क इतनी बरु ी नहीिं थी। रास्ते में कहीिं कहीिं परु ाने खिंिर भी

दीख रहे थे लेककन हमें कुछ नहीिं पता था कक यह ककया थे । यह यह तो याद नहीिं लेककन अिंदाज़े के मुताब्रबक होगी कोई पिंदरािं बी

ड़क ककतनी लिंबी होगी, मील।

िब हैंपी के नज़दीक पहु​ुँचने लगे तो ऊिंचे ऊिंचे पत्थर ददखाई दे ने लगे। िब ब्रबलकुल ही नज़दीक पहु​ुँच गए तो दोनों तरफ ऊपर

ड़क पर एक, दो पत्थरों का दआ ु र ददखाई ददया। दो बड़े बड़े पत्थर

े एक द ू रे के

ाथ समले हुए थे। इतने भारी पत्थर कै े िोड़े गए होंगे,

यह है रानी की बात थी। यह दो पत्थरों के पुल के नीचे ही यह खड़े हो गए और गौर

ड़क िा रही थी। हम यहािं

े इ े दे खने लगे, क्योंकक यह कारागरी का नमूना था और यह

इिंटरनेट पे भी दे खा िा

कता है , बजल्क

हम खिंिरों के नज़दीक पहुिंचे तो वहाुँ बहुत बेच रहे थे। एक गाइि

ारे हिं पी के खिंिर इिंटरनेट पे दे खे िा

े गाइि खड़े थे और कुछ लोग हिं पी की ककताबें

े हम ने बात की और उ

वादा ककया। मैंने हिं पी के इनतहा

ने पािंच

ौ रूपए में

की एक ककताब खरीद ली जि

ब कुछ ददखाने का

को पढ़ के मुझे बहुत कुछ

पता चला िो आि तक याद है । गाइि ने हमें बताया कक हमें शॉटट कट्ट रास्ते चादहए, है तो थोह्ड़ा मजु तकल लेककन इ

शक्ल

ाफ़

ी इमारतों और मिंददरों को गगराया गया होगा क्योंकक पत्थरों की

े ही ज़ाहर हो रहा था। कोई पिंदरािं समिंट ऊपर चढ़ने को लग गए। िब टी ी पर पहुिंचे

तो दे खा खिंिर हुए मिंददरों को। यह मिंददर िब अपनी इनतहा

े िाना

े हमें बहुत कुछ दे खने को समलेगा। हम पत्थरों के

एक टीले पर चढ़ने लगे। ड्राइवर ने तर ेम का हाथ पकड़ा हुआ था। इन पत्थरों ददखाई दे ता था कक बहुत

कते हैं। िब

का र्वदयाथी ही

र्विय नगर था िो उ

मझ

कता है । हमारा गाइि

ाथ

को

ाथ बता रहा था कक यह

मय दहन्द ू रािाओिं की रािधानी होती थी।

हर िगह पत्थर ही पत्थर थे और पर एक छोटा

िंद ु रता में होंगे,कै े होंगे, इ

ाफ़ ददखाई दे ता था कक तबाह हुआ शहर था। कुछ दरू ी

ा मिंददर था जिन की ओर िाना तर ेम के सलए अ म्भब था। तर ेम बैठ

गया और हम उ

मिंददर की ओर चल पड़े। ऊपर नीचे टूटे हुए पत्थरों पर चलते हुए हम

मिंददर तक पहु​ुँच गए। मिंददर तो इतना बड़ा नहीिं था, हो हो लेककन दे ख कर

ाफ़ ज़ाहर होता था कक इन में

कता है उ

ज़माने में बहुत बड़ा

भी मूनतटयों को तोिा गया था क्योंकक

कक ी मनू तट का मिंह ु परू ा ददखाई नहीिं दे ता था और कक ी का कोई द ू रा अिंग तोिा गया था।


इन खिंिरों की इनतहा क िानकारी मैं और ि विंत ही मझ रहा था। कुलविंत को इनतहा

मझ

की िानकारी हो या ना हो लेककन उ

चीज़ों को दे खने का शौक उतना ही है जितना मझ ु को। इ तो एक गोरा पता नहीिं कक और

ाथ

कते थे और कुलविंत को मैं मिंददर को दे ख कर बाहर आये

दे श का होगा खड़ा एक बहुत ही बड़े कैमरे

े मिंददर में पहुिंचे िो शायद कक ी बड़े मिंददर का एक दहस् ा ही होगा। इन

पर छोटी छोटी मूनतटयािं बनाई हुई थीिं िो टूटे होने के बाविूद उ थी। अब हम नीचे की ओर िाने लगे, हमारे रहा था। मिंददर में िाने े चाय

े पहले हम दक ु ानों की ओर िाने लगे। टॉयलेट के बारे में कक ी ाफ़

ुथरी थीिं। बाहर आ कर पहले हम ने

मो े खाये और मिंददर में दाखल हो गए। गाइि ने बताया तो बहुत कुछ

था लेककन यह ही याद रहा है कक इ र्विय नगर बनने

मय की कला दशाट रही

ामने अब बहुत बड़ा और ऊिंचा मिंददर ददखाई दे

पुछा तो पता चला कक नज़दीक ही थीिं। टॉयलेट्

े आठ

र्विय नगर के हुक्मरानों ने इ हालत में इ

े फोटो ले रहा था

ाथ एक नोट बक ु पर कुछ सलख रहा था। अब हम पत्थरों के बीच चलते हुए एक

और बहुत छोटे

एक दक ू ान

को इन पुरानी

मिंददर को वीरूपक्ष मिंददर बोलते हैं और यह मिंददर

ाल पहले भी मौिूद था िो पहले छोटा

ा मिंददर था लेककन

को बहुत बड़ा बना ददया था। यह मिंददर ब्रबलकुल

सलए बच गया था कक इ

ही

मिंददर में मु लमानों के पर्वि नाम अल्ला का नाम

एक दीवार पर खद ु ा हुआ था। गाइि ने वोह ननशान अल्ला हमें ददखाया। यह दहन्द ू रािे बहुत फराख ददल थे और

ब धमों की कदर करते थे। िैन मिंददर भी बहुत बनाये गए थे।

धमों के लोगों को हर तरह की आज़ादी थी। फ़ौि में मु लमान स पाही भी थे और दहन्द ू िैनी तो थे ही। हमलावरों ने इ ी सलए यह मिंददर नहीिं तोिा कक इ आगे गए तो आटट ऐ ा ददखाई दे रहा था कक इ ने बताया कक यहािं चौर्व

में अल्ला का नाम था।

को लफ़्ज़ों में बताया नहीिं िा

घिंटे वेद मन्िों का उच्चारण होता रहता था और आि भी यह

परिं परा कायम है । एक बात याद आई, गाइि ने यह भी बताया था कक इ पम्पापनत मिंददर भी बोलते हैं। कफर उ

ने एक कहानी भी

की बेटी थी जि

े हो गया था जि

पता कक यह बात

कता। उ

का र्ववाह सशव िी

ही है या गलत, मैंने तो िो उ

मिंददर को

ुनाई थी कक पिंपा र्वशनूिं भगवान ् को पारवती कहते हैं। मुझे नहीिं

गाइि ने बताया था, सलख ददया है । इ

मिंददर में प्रवेश करने पर ही एक हाथी खड़ा होता है , िो लोगों को आशीवाटद दे ता है । उ मालक पा

खड़ा होता है । िब कोई इ

हाथी को कोई नोट ददखाता है , तो हाथी अपनी

े नोट पकड़ कर अपने मालक को दे दे ता है और नोट दे ने वाले के कर आशीवाटद दे दे ता है । हम ने भी बी

बी

र पर अपनी

रूपए दे कर आशीवाटद सलया और फोटो

का िंि ू

ूिंि रख


खखिंचवाई। हमारा मक द स फट हाथी के कतटव्य पर ही गाइि ने हमें अपना चलता…

ामान

ीमत था। यहािं बिंदर भी बहुत थे और

िंभाल कर रखने को बोल ददया था।


मेरी कहानी - 189 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 12, 2016 वीरूपक्ष मिंददर में गाइि हमें एक ऐ े दहस् े में ले गया िो बहुत ही है रानीकुन था। यह बहुत ही छोटे छोटे कमरों में बिंटा हुआ था। एक बहुत ही छोटे रखी हुई थी, जि की

ायें

े कमरे में कक ी दे वता की मूती

पर फूल की मालाएिं थीिं और कुछ आगे िा कर िो दे खा, वोह पन्द्रवीिं

का कमाल था। इ

कमरे में कोई चार इिंच

मिंददर का मुख दआ ु र और नीचे पहले कैमरों की तरह था जि

े ऊपर का

ुकेअर गली ( hole )थी, जि

ारे दहस् े ब्रबलकुल एक लकड़ी

आगे दो िानवर बने हुए थे, शायद हाथी के थे, याद नहीिं। इ है , स फट दे ख कर ही मह ू

मय

े ननकल कर हम एक तरफ को पीछे चले गए। यहािं

पत्थर का एक रथ पड़ा था। यह रथ, हमारे गाइि ने बताया कक उ रथ के पदहये और

ककया िा

मय ब्रबलकुल चलता

े बने रथ िै े थे और इ

के

रथ को बताना ही मुजतकल

कता है । यह रथ बहुत कफल्मों में भी ददखाया गया

है क्योंकक यहािं शदू टिंग हुई होगी। इ ी िगह में और भी बहुत मिंददर थे। एक मिंददर पर रामायण को बताने के सलए छोटे छोटे बुत और ाथ के

ारी

ीन बने हुए थे। एक मिंददर के बाहर दीवारों

पर छोटे छोटे जितने भी बुत बने हुए थे, वोह एक द ू रे बेसम ाल कारीगरी थी। यह मिंददर और

े सभन थे। यहािं मूनतट कला की

ारे मिंददर इ ी सलए बच गए कक यहािं एक

दीवार पर अल्ला शब्द सलखा हुआ था। यह मिंददर ब्रबलकुल

ही

लामत बच गया था और इ

में बहुत कुछ दे खने वाला था। इ

मिंददर को दे खने के बाद गाड़ी में बैठ कर हम द ु री तरफ चल पड़े। काफी दरू िा कर गाइि ने ददखाया, एक बहुत ही बड़े बािार के खिंिरों को, जि िगह

के ननशान ददखाई दे रहे थे। इ

ोने चािंदी और हीरों का बहुत बड़ा बािार होता था। र्वयोपारी लोग अबट ईरान

कर यहािं खरीदो फरोख्त करते थे। इ समलता है , ख़ा

में कक ी भी इिं ान

की नैगेदटव फोटो उलटी ददखाई दे ती थी। यह है रान कर दे ने वाली बात थी कक उ

था। इ

में

ारा दहस् ा उल्टा दीख रहा था। यह ब्रबलकुल

को pin hole camera कहते थे और उ

टै क्नॉलोिी इतनी आगे थी । यहािं

दी

बािार का हवाला उ

कर पुतग ट ीिों की ककताबों में , जि

ने पूरी िीटे ल में हम्पी के बारे में सलखा है । गोवा

मय की बहुत

े आ

ी ककताबों में

में पेज़ का नाम ज़्यादा प्रस द्ध है , जि े पुतग ट ीिों का र्विय नगर के

वीओपर बहुत होता था। पेज़ ने सलखा है कक हम्पी दनु नआिं का

ाथ

े अमीर शहर था और

लोग बहुत खश ु हाल थे। मु लमानों की तोड़ फोड़ के बाद भी यह बड़ी बड़ी दक ु ानों के खिंिर


मय की अमीरी को दशाट रहे थे। यहािं

े हम लोट

के ददनों में राननयों के सलए महल होता था। जि

टैंपल दे खने चले गए। यह गसमटयों

मय यह अपनी शान में होगा, अिंदाज़ा

लगाना मुजतकल नहीिं है कक यह ककतना खब ू ूरत होगा। इ इ

महल को ठिं िा रखने के सलए इ

महल की ख़ा

ारे महल में पत्थर के पाइपों के ज़ररये पानी

होता रहता था िो गसमटयों में महल को ठिं िा रखता था। उ भी कारगरी की एक सम ाल थी। इ

के बाद गाइि हमें उ

िंगल

कटु लेट

मय का यह कूसलिंग स स्टम िगह ले गया यहािं रािे के हाथी

रखे िाते थे। हर हाथी के सलए एक इलग्ग कमरा बना हुआ था िो उ काफी था। इ

बात यह थी कक

के बैठने के सलए भी

कमरे में हाथी के सलए खाने का इिंतज़ाम होता था और हाथी की एक टािंग को

े बिंधने की र्ववस्था की गई थी।

लाइन के आखर

भी हागथयों के कमरे एक लाइन में थे और इ

े, राइट ऐिंगल में एक और कमरों की लाइन थी, जि

में हागथयों के

मुहावत रहते थे, िो हागथयों की दे ख भाल करते थे, खाना दे ते और उन को नहलाते रहते थे। गाइि ने बताया कक होली के वक्त इन हागथयों को बहुत हागथयों के

ाथ िोरो शोरों

िाया िाता था और शहर में

े होली का उत् व मनाया िाता था। हागथयों की ब्रबजल्ि​िंग के

ामने ही एक कमरे में छोटा

ा अिायब घर बना हुआ था, जि

में हिं पी के आदटट फैक्ट्

रखे हुए थे। यहािं

े ननकल कर हम उ

हुआ था। इ

महल में आ गए यहािं राननयों के सलए नहाने का तालाब बना

तालाब के चारों ओर घम ू ने के सलए बरामदे बने हुए थे। हम यह कह

कक यह राननयों का जस्वसमिंग पूल था। इ िब यह अपनी चरण इ

कते हैं

ारी ब्रबजल्ि​िंग के बारे में सलखना अ िंभव है , ब

ीमा में होगी तो बहुत ही खब ू ूरत रही होगी। गाइि ने बताया कक

जस्वसमिंग पूल के पानी में तरह तरह के फूलों की पतीआिं िाल दी िाती थी, जि

हवा महक थी, जि

े भरपरू हो िाती थी। इ

में मगरमछ रखे होते थे ताकक यहािं कोई मदट आ ना

ऊपर लकड़ी का छोटा था। इ

ब्रबजल्ि​िंग के बाहर एक खाई थी िो पानी

ारी

े भरी रहती

के। मख ु दआ ु र पर खाई के

ा पुल होता था िो राननयों के अिंदर िाते ही ऊपर उठा ददया िाता

पूल को दे ख कर हम बाहर आ गए। यहािं चारों ओर घा

और बक्ष ृ थे, शायद

नज़दीक ही कोई स्कूल होगा। एक ब्रब्रक्ष के नीचे एक गोरा टीचर बच्चों को पढ़ा रहा था। गाइि हमें एक और तरफ ले गया यहािं कोई बी नास म ट ा बताया, िो हमें कुछ

मझ नहीिं आया। इ

रों का छि बनाया हुआ था, जि का चेहरा िरावना

फ़ीट ऊिंचा बत्त ु था, जि

को उ

बत ु के

को उ

र के ऊपर बहुत

ने ािंपों के

ने शेष नाग को छाया करते बताया था। इ

ा लगता था। क्योंकक यह मु लमानों के हमले की तोड़ फोड़ के वक्त

बुत


कुछ टूटा हुआ था,

रकार के कक ी महकमे ने इ

ीमें ट की एक पट्टी

े िोड़ ददया है । अब

होटल में आ गए। खाना

बुत के दोनों घुटनों को इफ़ाज़त के सलए

ब को भूख लग्गी हुई थी और हम एक छोटे

ादा ही था लेककन भूख में तो

की अजग्न शािंत हो गई। कुछ लड़के हिं पी के इनतहा

ूखी रोटी भी मज़ेदार लगती है , पेट

की ककताबें बेच रहे थे और फोटो भी।

मैंने एक ककताब ले ली िो कक ी अुँगरे ज़ की सलखी हुई थी। इ िानने को समला और यह भी पता चला कक हिं पी को

ककताब

े मझ ु े बहुत कुछ

न 1800 में एक अुँगरे ज़ कॉसलन

मेकैंज़ी ने खोि ननकाला था। आगे गए तो उ

मय की

ती औरतों के बुत बने हुए थे। गाइि ने बताया कक

के बुतों को लोग बहुत श्रद्धा

े पूिते थे।

नतयों के ऐ े बहुत बुत थे और

बच गए थे। आगे गए तो एक तकरीबन पची गगदट पानी था और इ

सलिंग पर उ

ती औरतों

ही

लामत

फ़ीट ऊिंचा सलिंग बना हुआ था जि

के इदट

मय लगातार तुिंगभद्रा नदी का पानी गगरता रहता था

और आगे यही पानी खेतों को चले िाता था जि

के सलए पत्थरों के नाले बने हुए थे। इ

सलिंगा की अब भी लोग पूिा करते हैं। अब हम आगे गए तो एक और मिंददर था जि शायद ब्रबठल मिंददर कहते थे। इ में बताया ही नहीिं िा भल ू

मिंददर में मुनतट कला जितनी कमाल की थी, उ

कता लेककन

कती ही नहीिं। यह थी इ

को लफ़्ज़ों

े अचिंब्रबत बात िो गाइि ने ददखाई, वोह तो मुझे

मिंददर में द

बारह पत्थर के स्तम्भ िो बहुत ही ख़ब ू रू ती

े बने हुए थे और हर एक स्तम्भ को हाथों की उिं गसलयों ननकलना। इन

को

ारे स्तिंभों को हाथों और उिं गसलयों

े उ े एक

ाज़ की तरह आवाज़

े बिा कर राग पैदा होते थे। कुछ स्तिंभों

े अभी भी आवाज़ें ननकलती हैं िै े तबले की आवाज़, ढोलक की आवाज़। गाइि ने बताया कक इन स्तिंभों की आवाज़

े िो राग बिाए िाते थे, उ

ाज़ों की आवाज़ तीन तीन मील दरू तक

पर नत्ृ य होता था। इन स्तम्भों के

न ु ाई दे ती थी । अिंग्रेिों ने एक स्तम्भ को काट

कर दे खने की कोसशश की थी कक इन स्तिंभों में ककया भरा हुआ था लेककन वोह है रान रह गए कक इन में कुछ भी नहीिं था। यह स्तिंभ उ ी तरह कटा हुआ है । यह बात मैं बहुत दफा ोचता हूुँ कक यह र्पलर कै े बनाये गए होंगे क्योंकक दे खने में यह कफर गाइि ने एक बात और बताई, इ होना, जि

को उ

ब एक िै े थे।

मिंददर के द ु री ओर पहाड़ी पर

ुग्रीव का रा्य

के भाई बाली ने छ न सलया था। यहािं राम चन्द्र िी ने बाली को मारा

था, वहािं एक मिंददर है । कुछ दरू ी पर ही हनुमान एक पत्थरों की गुफा में रहता था और यहािं ही राम चन्द्र िी और लक्ष्मण, हनम ु ान िी

ीता िी को ढूुँढ़ते ढूुँढ़ते हुए आये थे और उन का समलन

े हुआ था िो रामायण में चमकते स तारे की तरह रहे गा। याद नहीिं, गाइि ने


शायद इ इ

को ककशककिंदा नगरी बताया था। दःु ख इ

बात का है कक हम वहािं िा नहीिं

के।

का कारण शायद यह है कक एक तो गाइि ने भी अपना वक्त बचाने के सलए वहािं िाने

के सलए खझझक कर ली और द ू रे हम में भी मुझ के स वाए और कक ी को इतनी ददलचस्पी नहीिं थी। इ

मिंददर को दे ख कर हम बाहर आये तो हमारे

ामने द

बारह

ाल

के कुछ लड़के हनम ू ान बने हुए घम ू रहे थे, जिन के हाथों में गदाएुँ थीिं। हमारी ओर आये और हम यहािं

े पै े मािंगने लगे। कुछ पै े हम ने उन को दे ददए और वोह खश ु हो गए। अब

े ननकल कर हम उ

िगह आ गए यहािं रािा के महल होते थे और एक तरफ पिंदरािं

ोलािं फ़ीट ऊिंच्चा प्लैट फ़ामट बना हुआ था, जि

के ऊपर चढ़ने के सलए

फूटी थीिं और ऊपर चढ़ना कुछ मजु तकल था । मैं और ि विंत इ और लोग भी थे। इ लेककन इ

ोच में आ गया। इ

लकड़ी का बना हुआ वरािंिा होता था। इ कार्विंग की हुई थी। इ के सलए उन की ख़ा क्योंकक यह िगह था, तो इ

के ऊपर चढ़ गए, कुछ

प्लैट फॉमट के बारे में वै े तो तो मैंने बाद में

को दे ख कर मुझे वोह ज़माना

की छत और

ीिीआिं थीिं िो टूटी

ब कुछ पढ़ सलया था

प्लैट फ़ामट पर

िंदल की

भी र्पलर पर बहुत ही खब ू ूरत

के बीच में रािा का स घ िं ा न होता था और दरबाररयों के खड़े होने िगह होती थी।

ब लकड़ी की बनी हुई थी, इ

को आग लगा दी गई थी और

सलए िब आक्रमणकाररयों ने हमला ककया

ब कुछ िल कर राख हो गया था। आि भी यह

र्पलरों के नीचे के ननशान ददखाई दे ते हैं। मैं और ि विंत ने नीचे के खिंिरों की फोटो लीिं। नीचे आये तो गाइि आगे ले गया यहािं कभी रािे के महल हुआ करते थे। अब इ ननशान ही ददखाई दे ते थे। एक िगह छोटी

ीिीआिं नीचे को िाती थी। इ

के स फट

में उत्तर गए।

गाइि ने बताया कक यहािं रािे के छुपने के सलए गुप्त दरवाज़ा होता था। क्योंकक हमले तो होते ही रहते थे, इ जि

सलए रािा और उ

का पता रािा और उ

बहुत ही

के ख़ा

ुन्दर तालाब था, जि

के पररवार के सलए यह गप्ु त अस्थान होता था,

दरबाररयों को ही होता था। इ

में िाने के सलए बहुत ही

के कुछ आगे गए तो

ुन्दर डिज़ाइन की

ीिीआिं बनी

हुई थी। बीच में पानी अभी भी था। मैं और ि विंत नीचे पानी तक चले गए और ऊपर को दे खा तो यह भी आटट का एक नमूना था। इ

तालाब के कोई बी

पत्थर की नासलयािं बनी हुई थीिं, जिन के िररए इ तिंग ु भद्रा नदी

पची

गज़ की दरू ी पर

तालाब को पानी आता था। यह पानी

े आता था। छोटे छोटे पल ु ों पर बनी यह नासलयािं उ

ज़माने की इिंिीननररिंग

दशाट रहा था। यह नासलयािं दरू दरू तक ददखाई दे ती थीिं लेककन कुछ िगह

े टूटी हुई थीिं।


और भी काफी कुछ दे खा। हम यह

ब अब थक चक् ु के थे और वाप

ारा हिं पी दे खने के सलए एक ददन और चादहए था लेककन

चले िाना था क्योंकक वाप

िाने की तैयारी कर ली। ुबह को हम ने वाप

इिंग्लैंि आने को भी अब ज़्यादा वक्त नहीिं रह गया था। गाड़ी में

बैठ कर हम वाप

हॉजस्पट की ओर िाने लगे। हमारे गाइि ने बोला कक उ

में ही आता है , इ

सलए उ

बता रहा था कक उ इनतहा

गोवा

को वहािं उतार दें । अब हम गाइि

का गाुँव रास्ते

े बातें कर रहे थे और वोह

ने बीए तक पढ़ाई की थी लेककन कोई काम नहीिं समला। क्योंकक वोह

का र्वदयाथी रहा था, इ

सलए उ

ने गाइि बन िाना ही ठ क

भी बताया कक वोह बिरिं ग दल का ऐजक्टव मैम्बर है । उ में कुछ भी पता नहीिं था। बातें करते करते उ

मझ। उ

ने यह

वक्त हम को बिरिं ग दल के बारे

का गाुँव आ गया था और वोह नमस्ते बोल

कर उत्तर गया। कुछ ही दे र बाद हम अपने होटल िा पहुिंच।े नहा धो कर मैं ककताब पढ़ने लगा िो मैंने हिं पी इनतहा

े खरीदी थी। ककताब कोई बड़ी नहीिं थी लेककन इ

सलखा हुआ था। िो गाइि ने हमें बताया था, वोह तो शायद द

में हिं पी का

ारा

प्रनतशत भी नहीिं

था। थोह्ड़ा बहुत तो मैंने कालि के ददनों में र्विय नगर एम्पायर के बारे में पड़ा हुआ था। गोलकिंिा, बीिा परु , ब्रबदर और अहमद नगर के

ल् ु तानों को पड़ा हुआ था लेककन इ

ज़्यादा मुझे कुछ भी पता नहीिं था। िै े िै े इ

ककताब को मैं पड़ता गया, मुझे ऐ े लगने

लगा िै े यह चला कक भारती

ब मेरी आुँखों के भ्यता उ

बबाटद कर ददया था। चलता…

ामने ही हुआ हो। हिं पी को दे ख कर मुझे यह भी पता

वक्त ककतनी उनत थी और इस्लामी हमलों ने ककतना इ

को


मेरी कहानी - 190 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 15, 2016 हिं पी को दे खना मेरे सलए तो बहुत ही अच्छा हुआ है क्योंकक इ

े मुझे एक

िंतुजष्ट

ी ही

गई थी कक हमारी गोवा की हॉसलिे बहुत ही कामयाब रही थी। ि विंत तो कभी कभी आि भी वोह बातें याद करता है । कुलविंत, बेछक इतनी पढ़ी सलखी नहीिं है , कफर भी उ पुरातन चीज़ों

े बहुत लगाव ् है , इ ी सलए वोह गसमटयों के ददनों में अपनी

ाथ अपने गरुप्प की के

खी रशपाल के

खखओिं को इनतहा क िगाएिं दे खने ले िाती है । शेरे पिंिाब महािंराि

स हिं के बेटे दलीप स हिं को अुँगरे ज़ इिंग्लैंि ले आये थे और जि कब्र है , उ

को

िगह

ाथ ही दलीप स हिं का स्टै चू है । कुलविंत वहािं िा कर

भी खखिंचवा आई है लेककन मैं अभी तक दे ख नहीिं

समट्री में उ खखओिं के

की िंग फोटो

का हूुँ। कुलविंत ने भी हिं पी बहुत प िंद

ककया था । दरअ ल हिं पी को दे खने के सलए कमज़कम दो ददन चादहए थे। बहुत कुछ दे खना रह गया था। इ

े अिंदािा लगाना मुजतकल नहीिं है कक र्विय नगर ककतना बड़ा और

ुन्दर शहर हुआ करता था। िो ककताब मैं हिं पी ली थी, शेष िब हम गोवा वाप ही ककताब पढ़ने

े लाया था, आधी तो मैंने होटल में ही पढ़

आये तो पढ़ ली थी। यही कारण है कक हिं पी दे खने के बाद

े बहुत बातें अभी तक याद हैं।

रात का खाना खा कर हम

ो गए। होटल का ब्रबल रात को ही दे ददया था।

िल्दी उठे । होटल में ब्रेकफास्ट तो नौ द खाने का

ोच कर होटल

और ठिं िा

ा मह ू

बिे के करीब समलता था, इ

े चल पड़े। कुछ कुछ धद ुिं

हो रहा था। होटल

ुबह बहुत

सलए रास्ते में ही

ी पड़ी हुई थी और वातावरण

ुहावना

े ननकले ही थे कक चाय पानी की िगह ददखाई दी।

खाने को क्या समलता है , दे खने के सलए हम उत्तर पड़े। पता चला कक चाय काफी और ब्रबजस्कट टोस्ट समल िाते थे। मेि और बैंच बाहर ही पड़े थे,

ब बैठ गए, मैं और ि विंत

चाय काफी के कप्प ले आये और दो दो टोस्ट के सलए भी आिटर कर ददया। ज़्यादा दे र नहीिं लगी, पिंदरािं बी

समिंट में लाइट ब्रेकफास्ट कर के हम चल पड़े। िब तक

बढ़ती हम ने आधा

ड़क पे ट्रै कफक

फर तय कर सलया था। एक दो का वक्त होगा हम उ ी शहर में आ

गए, यहािं आते वक्त हम ने भोिन ककया था। गाड़ी पाकट करके हम उ ी होटल में आ गए, यहािं तीन ददन पहले भोिन ककया था। आि कफर हम ने पूररयों का आिटर दे ददया। गमट गमट परू रयों के

ाथ पेट पि ू ा करके हम कफर चल पड़े। ड्राइवर ने पैट्रोल का टैंक भरवा सलया था,

और अगला पड़ाव गोवा ही होगा, ऐ ा हम ने ड्राइवर को बोल ददया।

ड़क पर ट्रै कफक इतनी


ज़्यादा नहीिं थी, इ

सलये हमें कहीिं भी गाड़ी खड़ी करने की िरुरत नहीिं पड़ी। कुछ ही घिंटों

में गोवा की पहाडड़यों में आ गए। अब यहािं कभी कभी गाड़ी स्लो हो िाती क्योंकक शापट बैंि बहुत थे। इन पहाडड़यों में एक िगह हम गाड़ी खड़ी करके बाहर आ गए। बहुत ही खब ू ूरत वादी थी और हम फोटोग्राफी करने लगे। कोई पिंदरािं समिंट हम ठहरे और कफर चल पड़े। यहािं तक मझ ु े याद है , कोई चार बिे के करीब हम अपने होटल में आ गए थे । तर ेम के कमरे में

ब बैठे थे और कुलविंत चाय बनाने लगी। ड्राइवर को हम ने बारह हज़ार रूपए दे ने थे

लेककन हम ने दो

ौ रूपए और दे ददए, जि

े वोह भी खश ु हो गया। चाय पी कर ड्राइवर

तो चला गया और हम अपने अपने कमरों में आराम करने के सलए चल पड़े। बैि पे लेट कर मैं ककताब ले कर हिं पी का इनतहा

पड़ने लगा।

हिं पी कनाटटक रा्य में है । इस्लाम का प्रभाव तो आठवीिं

दी में स ध िं के रािा दादहर के हार

िाने के बाद हो ही गया था और मु सलम भारत में अनछ तरह स्थार्पत हो गए थे। कनाटदटक में छोटे छोटे बहुत

े मजु स्लम रा्य स्थार्पत हो चक् ु के थे। दहन्द ू रािों और मजु स्लम रािों

की लड़ाइयािं अक् र होती रहती थी। इ ी बीच हक्का और बक्का राये दो दहन्द ू भाइयों ने हिं पी और इ

के इदट गगदट अपना रा्य स्थार्पत कर सलया था रा्य बढ़ता बढ़ता इतना ताकतवर

हो गया था कक दो बन गया था। इ पेि ने, िो उ

ककताब के दह ाब

े तुिंगभद्रा दररया के

ने सलखा कक उ

नज़र गई, घर, मिंददर,

ाथ लगता है और तीन तरफ ऊिंची ऊिंची

ने पहाड़ी के ऊपर चढ़ कर दे खा और यहािं तक उ

ने यह भी सलखा कक र्विय नगर में

छाुँव के सलए घने बक्ष ृ थे और लोगों के ठहरने के सलए इ

ड़क हॉजस्पट

की

शहर का कोई अिंत ारी दनु नआिं

र्वयोपारी आते थे। र्वयोपारीओिं के सलए ठहरने का परू ा बिंदोबस्त ककया हुआ था, गया था। पेि ने तो िो

े अमीर रा्य

ीननयर को एक खत सलखा था कक यह

न् ु दर बाग़ और महल ही ददखाई दे ते थे। इ

ददखाई नहीिं दे ता था। कफर उ

े राम राय की फ़ौि में पािंच लाख स पाही थे। पत ट ीज़ ु ग

वक्त घोड़ों का र्वयोपारी था, अपने

र्वियनगर एक तरफ पहाड़ीयािं हैं। उ

ाल बाद रािा राम राय के ज़माने में दनु नआिं का

े ड़कों पर

राए और पानी का इिंतज़ाम ककया

े हिं पी को िाती है , उ

के बारे में भी सलखा है कक

ड़क के दोनों तरफ घने बक्ष ृ थे और लोगों के सलए आराम घर बने हुए थे। र्विय नगर

के मिंददर इतने बड़ीआ थे कक कारीगरी दे ख कर ही है रानी होती थी।

ोने चािंदी

े दक ु ाने भरी

हुई थीिं। यह बात 1540 के करीब थी और उ

वक्त पुतग ट ीज़ गोवा में अनछ तरफ स्थार्पत

हो चक् ट ीज़ र्वयोपारी र्वियनगर के ु के थे। पुतग

ाथ तिारत करते रहते थे और िो हम ने

वाटर स स्टम दे खा था, हमारे गाइि का कहना था कक यह पुतग ट ीज़ इिंिीननयरों ने बनाया था।


ब्रबदे सशयों ने हिं पी के बारे में बहुत कुछ सलखा है और यह भी सलखा है कक र्वियनगर यानी हिं पी रोम

े भी बहुत ज़्यादा

र्विय नगर, राम राय के

ुन्दर और बड़ा था। मय में बहुत उनत हुआ था। इदट गगदट बीिा पुर, गोलकिंिा,

अहमद नगर, ब्रबदर और बरार, कक

भी राम राय

ब मुजस्लम रा्य थे लेककन दहन्द ू रा्य इतना ताकतवर था

े खौफ खाते थे। दहन्द ू रा्य में

भी धमों को

मानता समलती थी।

राम राय की फ़ौि में िैनी और मु लमान भी थे और ऊिंचे ऊिंचे पदों पर थे लेककन कुछ मजु स्लम स पाह लारों ने बहुत धोखा ददया। यह लोग बीिा परु और गोलकिंिा के समले हुए थे और

ारे भेद उन को बताते रहते थे। क्योंकक

े खौफ खाते थे, इ ने अलाएिं

बी मुजस्लम

ल् ु तानों

ुलतान, राम राय

सलए बीिा पुर, गोलकिंिा, अहमद नगर, ब्रबदर और बरार के

ुल्तानों

बना सलया और र्विय नगर पर हमला करने की तैयारी कर ली। पाुँचों

ुल्तानों

की फ़ौि ने र्वियनगर पर हमला कर ददया। राम राय

े टक्कर लेना इतना आ ान नहीिं

था लेककन “घर का भेदी लिंका ढाये “, राम राय के मु लमान िैनरल थे। घम ान की लड़ाई हुई लेककन महलों के अिंदर आ गए और 70 दहन्द ू फ़ौि भाग गई, िो उ

ल् ु तानों

े समले हुए

ुल्तानों की फ़ौि शहर के अिंदर आ गई। बहुत ाल के बूढ़े राम राय का उन्होंने

र काट ददया।

े स पाही ारी

मय होता था कक रािे के हारने के बाद फ़ौि भाग िाती

थी। रािे के मरने के बाद र्विय नगर को ग्रहण लग गया। अब

ारी मु लमान फ़ौि शहर में

आ गई थी और िनता का कत्लेआम शुरू हो गया। इतना कत्लेआम हुआ कक इस्लामी फ़ौि 50,000 दहिंदओ ु िं को मार कर ितन मनाती थी। िो लड़ककयों का हाल हुआ, उ ही मुजतकल है । शहर में कोई नहीिं बच पाया, िो भाग गए वोह बच गए। इ

को दशाटना के बाद लूट

मार शुरू हो गई। मिंददरों की इतनी तोड़ फोड़ हुई कक वीरूपक्ष मिंददर के स वा कुछ नहीिं बचा। यह लूट मार और तोड़ फोड़ दो महीने तक चलती रही। पेि ने सलखा है कक शहर में कोई इिं ान नहीिं बचा था, स फट कुत्ते ही िगह िगह घम ू रहे थे और लाशों को खा रहे थे। इ हमले के बाद र्विय नगर का इनतहा पत्थरों के नीचे दब गया। दो कफर

े इ

ब कुछ

ाल के बाद, भला हो अिंग्रेिों का कक कॉसलन मेकैंज़ी ने

को दनु नआिं के नक़्शे पर ला खड़ा ककया। अब यह यूनैस्को की वल्िट है ररटे ि की

ूची में है । दनु नआिं भर बन गए हैं। भारत इ

ख़तम हो गया। इतनी तोड़ फोड़ हुई कक

े लोग इ े दे खने आ रहे हैं। हिं पी और हॉजस्पट में बड़े बड़े होटल

रकार का आककटओलॉिी डिपाटट मेंट भी अब इ

इलाके में मैंगनीज़ और कच्चे लोहे के भिंिार हैं और इ

की खुदाई में िुटा है ।

की खाणें हैं। कुछ इनतहा कार


आवाज़ उठा रहे हैं कक इन खाणों

े हिं पी के खिंिरात को नुक् ान पहु​ुँच

का शौक रखने वालों को मैं हिं पी दे खने की

कता है । इनतहा

फारश करूुँगा।

ारी ककताब मैंने पढ़ ली थी। यह ककताब बहुत

ाल मेरे पा

रही। कोई दोस्त मुझ

े मािंग

कर ले गया लेककन अभी तक ककताब मुझे वाप

नहीिं की। खैर हिं पी तो मेरे ददमाग में र्प्रिंट

हो गया है । शाम को हम बाहर चल पड़े। होटल

े बाहर ही कुछ औरतें हरा छोसलया बेच रही

थीिं। क्योंकक अब हमारे पा

एक ही ददन बचा था, इ

सलए दो ककलो छोसलया ले के दौड़ के

अपने कमरे में रख आये और खाने के सलए चल पड़े। एक चाइनीज़ होटल में बैठ गए और कल की शॉर्पिंग के बारे में बातें करने लगे। ि विंत बोला ” मामा ! गोवा में र्वस्की ब्रािंिी इिंग्लैंि

े आधी कीमत पर समलती है और गोवा की कािुओिं

है , क्यों ना यहािं खरीद लें, क्योंकक कक्र म

े बनी फेनी शराब भी

स्ती

को भी कुछ ददन बचे हैं “, मैंने हाुँ कर दी कक

जितनी ले िाने की इिाित थी, उतनी ले लें गे। खाना खा कर हम जस्वसमिंग पूल के नज़दीक बैठ गए। दे र रात तक बातें करते रहे और कफर अपने अपने कमरों में िा कर ददन

ुबह दे र

चल पड़े। जि

ो गए। द ू रे

े उठे और तैयार हो कर नीचे आ गए। ब्रेकफास्ट सलया और शॉर्पिंग के सलए ददन

े गोवा आये थे, कक ी वाइन की दक ू ान में गए नहीिं थे। आि यह ही

काम करना था। कक्र म

के वक्त िो डड्रिंक्

हम इिंग्लैंि के स्टोरों

े लेते हैं, यहािं ही लेने

का र्वचार कर सलया। यह दे ख कर हम है रान हो गए कक िो र्वस्की ब्रािंिी और सलक्कर की बोतलें हम इिंग्लैंि के स्टोरों खरीद नहीिं

े खरीदते थे, यहािं आधी कीमत पर समल रही थी। ज़्यादा हम

कते थे क्योंकक इिंग्लैंि की एअरपोटट पर कस्टम ड्यूटी लगती थी। कफर भी हम

ने काफी बोतलें खरीद लीिं और दो दो फेनी की बोतलें भी ले लीिं। काफी भार हो गया, इ सलए मैं और ि विंत दौड़ कर पहले इ

को होटल में रख आए।

अब और शौर्पिंग शुरू हो गई। कुछ कपिे जिन में एक िो गसमटओिं में पहनता हूुँ।

ारा ददन ऐ े ही बीत गगया।

पर िाना था और आि शाम को जस्वसमिंग पूल के पा िो हमेशा हमें थी और उ छोटे

मर ननक्कर अभी भी मेरे पा

वट करती थी, कुलविंत को उ

के

रहते थे। कुलविंत ने उ

ाथ रहती थी। इ

ाथ

नेह हो गगया था। वोह र्वचारी गरीब होटल के एक कोने में ही एक

लड़की को हम अक् र बालकोनी

को पुछा कक अगर वोह चाहे तो कुलविंत उ

कती थी क्योंकक कुलविंत और उ और कुलविंत के

ुबह को हम ने कैंिोसलम एअरपोटट

ही बैठ गए। कैंटीन की एक लड़की

की तम्खआ ु ह भी इतनी नहीिं थी और वोह इ

े कमरे में अपनी माुँ के

है

े दे खते

को अपने कुछ कपिे दे

लड़की का शरीर एक िै ा ही था। वोह तो खश ु हो गई

ाथ हमारे कमरे में दोनों चली गईं और कुलविंत ने उ

को तीन शलवार


ूट दे ददए।

ूट एक दो दफा ही पहने हुए थे और नए िै े थे। कुलविंत ने बाद में बताया

कक वोह लड़की तो उ

के गले लग गई थी। कुछ दे र बाद अपने कमरों में आ कर

पैक अप्प ककया और

ो गए।

ुबह को हॉसलिे वालों की ब

भी लोग अपने अपने पा पोटट और दटकट बगैरा ले कर बाहर

ड़क पर आ गए। दो कुली

ट ू के

ेफ में ब

ामान

होटल के बाहर आ गई थी और े ले आये थे। अब अपना

के ऊपर रखने लगे। िब

भी बैठ गए

तो कैंिोसलम एअरपोटट की ओर चल पड़े और दो तीन घिंटे बाद ऐरोप्लेन में बैठ कर हम अपनी मुिंह बोली माि भूसम की ओर बादलों के ऊपर उड़ रहे थे। चलता…

ामान


मेरी कहानी - 191 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 19, 2016 गोवा कैंिोसलम एअरपोटट

े िब उड़े थे तो दप ु हर का वक्त था।

ुबह छै

ात बिे हम

इिंग्लैंि की मानचैस्टर एअरपोटट के बाहर आ गए। बाहर स्नो पढ़ी हुई थी। कैफे में बैठ कर हम नैशनल ऐक् प्रै

कोच का इिंतज़ार करने लगे, हमारी ररटनट

ीटें पहले

े ही बक ु थी।

कोच आने में अभी एक घिंटे का वक्त रहता था। चाय काफी पीते पीते हम शीशे की दीवार बाहर कोच को भी दे ख रहे थे। चाय काफी पीते पीते बातों में वक्त का पता ही नहीिं चला और कोच आ कर खड़ी हो गई। अपना अपना पड़े। कुछ

ैकिंि में ही हम अपना

ामान ट्रौली में रख कर हम बाहर को चल

ामान लगेि कम्पाटट मैंट में रख कर और दटकटें ददखा कर

कोच में िा बैठे। बाहर बफट के ढे र लगे हुए थे लेककन कोच के अिंदर का तापमान गमट था। कुछ ही समनटों में कोच भर गई और ड्राइवर ने दरवाज़ा बिंद कर ददया और कोच को ररव ट करके चल पढ़ा। कुछ ही समनटों में हम मोटरवे पर आ गए और कोच ने स्पीि पकड़ ली। िै े िै े हम अपने शहर के नज़दीक आ रहे थे, स्नो का कोई नामोननशान नहीिं था। रास्ते में ही हम ने

िंदीप को मोबाइल कर ददया कक वोह वक्त पर कोच स्टे शन पर आ िाए।

तर ेम ने भी अपने बेटे को मोबाइल कर ददया। गगआरािं बारािं बिे हम कोच स्टे शन पर आ गए। गाड़ीआिं आई हुई थीिं और बैठ कर घर आ गए। ककतनी ख़श ु ी होती है , अपने घर आ कर। इ ी सलए तो कहते हैं, EAST OR WEST, HOME IS THE BEST . घर आ के

ामान ननकाला और खाली

िं मशीन में िाल ददए, कपिे वासशग

ूटके

ऊपर लॉफ्ट में रख ददए। कुलविंत ने गिंदे

र्वच ऑन ककया और कपड़े मशीन में घूमने लगे। बच्चों

के तोहफे उन को दे ददए और बेदटयों के तो उन को कक्र म आराम ककया और रात को

ो कर

पे ही दे ना था। एक ददन तो

फर की थकान दरू हो गई और द ू रे ददन 21 दद िंबर

को मैं और कुलविंत टाऊन में शॉर्पिंग के सलए चले गए। टाऊन में बहुत भीड़ थी क्योंकक कक्र म

की विह

े लोग पागलों की तरह स्टोरों में घूम रहे थे। उ

बहुत होती थीिं। आि तो कुछ रर ैशन की विह े बहुत दक ु ानें बिंद हो गई हैं।

मय टाऊन में दक ु ानें

े और कुछ ऑन लाइन शॉर्पिंग की विह

ारा ददन घूम कर हम घर आ गए। द ू रे ददन ग्रॉ री के

सलए चले गए और ट्रॉली ऊपर तक भर कर ले आये। बहुत दफा हम हिं ते हैं कक पता नहीिं कक्र म

पे आ कर लोग इतने पागल क्यों हो िाते हैं, िब कक हम रोज़ उतनी ही खरु ाक

खाते हैं। कि​ि िीज़र भर िाते हैं। गोरे लोग कक्र म

डिनर और कक्र म

पुडि​िंग की ही बात


करते हैं, िो होता तो स्पेशल है लेककन ककतना खा लेंगे। तरह तरह की शराब, वाइन, सलकर और बीअर खरीद कर घर भर लेते हैं। कई गोरे तो कक्र म कर दे ते हैं और नशे में लुटकते कफरते हैं और कक्र म

ईव के ददन ही शराब पीना शुरू

के ददन

िाते हैं। कुछ भी हो, रौनक बहुत होती है और रात को कक्र म िग मग िग मग कर रहा होता है । बच्चों के खखलौनों कक्र म

र पकड़ कर अधमुँए ु की ख़ा

लाइटों

े हो

े टाऊन

े उन के कमरे भर िाते हैं लेककन

के कुछ ही ददनों बाद इन खखलौनों की, कक ी की टािंग नहीिं होती और कक ी के

हाथ नहीिं होते। टाऊन में

ेल शुरू हो िाती है और वोह ही चीज़ें आधी कीमत पर होतीिं है

और लोग ऐ े करते हैं िै े लूट मची हो। कई बड़े स्टोरों में कक ी ख़ा

ददन

ेल के ब्रबल

बोिट लग िाते हैं और कई लोग तो रात को ही लाइन में लग िाते हैं। यह नज़ारा हम तो टीवी पर ही दे खते हैं और हम कभी नहीिं गए। यह कक्र म उत् ाह भ

का त्योहार है तो ई ाइयों का लेककन हम इिंडियन पाककस्तानी भी उतने ही

े मनाते हैं। बेछक दहन्द ू हों या स ख,

भी घर में कक्र म

ट्री

िाते हैं, बच्चों को

े ज़्यादा ख़श ु ी होती है । मुझे याद है , िब हमारे बच्चे छोटे होते थे तो कक्र म

ददन पहले हम एक ददन के सलए उन को चॉकलेट और अन्य स्वीट्

के

ुपर माककटट ले िाते थे और

े कुछ

े पहले उन को

ैक्शन में ले िा कर कहते,” चक्क लो ,,,,,” और बच्चे टूट

पड़ते थे और अपनी मन प िंद के चौकलेट ट्रौली में फैंकते िाते थे। उन को दे ख कर हम बहुत खश ु होते थे और कफर वोह घर आ कर अपने अपने चौकलेट यह कुछ ददन ऐ े ही शॉर्पिंग करते गुज़र गए। कक्र म थे, मैं वाइन का एक ग्ला

िंभाल कर रख लेते थे।

ईव को हम घर बैठे, टीवी दे ख रहे

ले कर बैठा था। टीवी चल रहा था, उ

मय ज़्यादा बीबी ी ही

दे खा करते थे। तभी ननऊज़ फ्लैश आई, ” sunaami in indoneshia “, कुछ दे र बाद कफर न्यज़ ू आई कक

मन् ु दर में भू किंप आया है और बहुत बड़ी पानी की दीवार आगे बढ़ रही है ।

एक घिंटे बाद कफल्म आखण शरू ु हो गई और दे खा कक

मन् ु दर में बी

पची

फ़ीट ऊिंची पानी

की दीवार ककनारे की ओर बढ़ रही है । िो लोग बीच पर हॉसलिे के सलए बैठे थे, में रूढ़ रहे हैं, बीच के कुस य ट ािं मेज़ और धीरे धीरे में बह रही हैं,

ाुँ ें रुकी हुई थीिं।

का वक्त था और उधर िो गोरे लोग कक्र म

गए हुए थे, वोह पानी में बह रहे थे। तकलीफ तो लोग कक्र म

े टूट कर पानी

क ैं ड़ों कारें पानी में तैर रही हैं और पानी आगे बढ़ता िा रहा है , अब बड़ी

बड़ी ब्रबजल्ि​िंग्ज़ गगरने लगी हैं। दे ख दे ख कर हमारी इधर कक्र म

भ दक ु ाने पानी के बहाव

भी पानी

मनाने के सलए द ू रे दे शों को

ब लोगों को हो रही थी लेककन इिंग्लैंि में

मना रहे थे, ऐ ा त्योहार बिंद तो ककया नहीिं िा

कता था लेककन

ाथ

ाथ


पल पल की खबर हम दे ख रहे थे। कुछ ही घिंटों में यह और इिंडिया िा पहुिंची । द ू रे ददन कक्र म इ

ुनामी

े द

े अढ़ाई लाख

नक् ु ान हुआ, उ

के ददन तो ख़बरें

भी चैनलों पर आ रही थीिं।

े भी ज़्यादा दे श प्रभावत हुए और इिंडिया में इ

े बहुत नुक् ान हुआ।

े ज़्यादा लोगों की मत ृ ु हुई और दो लाख बेघर हुए। प्रॉपटी का िो का तो अिंदाज़ा लगाना ही मजु तकल है । इन की उ

यू ट्यूब पे दे खख िा कौम के नाम

ुनामी थाईलैंि, कफर सशरी लिंका

कती है । हर कक्र म

न्दे श होता है । इ

मय की वीडियो अब

को शाम के तीन बिे इिंग्लैंि की महारानी का

दफा राणी ने शोक िाहर ककया। द ू रे ददन बॉजक् िंग िे

भी ऐ े ही ितन में बीत गया। शाम को बैठे बैठे मुझे गोवा के अिंिुना बीच की याद आ गई और र्वचार आया कक हो ना हो िब मझ ु े वोह ऊिंची लहर पानी में ले गई थी तो यह उ ुनामी की विह

े ही होगा िो अभी आई तो नहीिं थी लेककन कहते हैं ना coming

events cast their shadows before । गोवा में तक यह ही वहम हो

ुनामी आई तो नहीिं थी लेककन मैं अभी

ोचता हूुँ कक यह गोवा की बड़ी लहर उ

कता है लेककन िो मेरे

ाथ हुआ, मैं उ

एक बात मैं सलखनी भूल गया, इ ी था िो अब बारह

ुनामी का कारण ही होगी। मेरा यह को इ

ुनामी

ाल स तिंबर में हमारे घर पोते िोश ने भी िनम सलया

ाल का हो चक् ु का है । कुछ ददन यह

ुनामी की ख़बरें आती रहीिं और कफर

जज़न्दगी पहले की तरह चलने लगी। कुछ ददनों बाद ही रात को मह ू

होने लगी, इतनी कक

े ही िोड़ता हूुँ।

ोते

मय मझ ु े बहुत

दी

ारी रात कािंपता रहा। द ु री रात भी ऐ ा ही हुआ और मैंने

इलैजक्ट्रक ब्लैंककट इस्तेमाल करनी शुरू कर दी। कफर मैं कैसमस्ट शॉप

े थमाटमीटर ले आया।

अिीब बात थी कक मेरे शरीर का तापमान ब्रबलकुल ठ क था। ऐ ा ही रोज़ रात को होता और मैं अपना टै म्प्रेचर चैक करता तो वोह ब्रबलकुल

ही होता। मेरी आई टै स्ट के सलए

अपॉएिंटमें ट लैटर आया हुआ था और एक ददन मैं ब

पकड़ कर ऑप्टीसशयन की दक ू ान में

टाऊन िा पहुिंचा। उ िम्मी हुई थी और

ददन स्नो पढ़ी हुई थी और ऊपर दी बहुत थी, शायद माइन

पािंच छै

के िब मैं बाहर आया तो मेरा शरीर एक दम िम था। मुझे

ड़कों पर बफट

होगी। आुँखें चैक करा

ा गया और पैर उठाना मुजतकल हो रहा

फैलो हररदत्त आता ददखाई ददया। कुछ दे र

े बातें कीिं लेककन मेरा शरीर ऐ ा हो रहा था िै े बफट बन गया हो। हररदत्त

करके बड़ी मुजतकल था। ब

ैल ीअस्

मझ नहीिं आ रही थी कक यह ककया हो रहा था क्योंकक पहले ऐ ा कभी नहीिं हुआ

था। कुछ ही दरू गया तो मेरा एक परु ाना क्ला उ

े िॉस्ट पढ़ने

े ब

े बातें

स्टॉप की ओर िाने लगा। एक एक कदम चलना मुजतकल हो रहा

स्टॉप पर पहु​ुँच कर ब

की इिंतज़ार करने लगा। पािंच समिंट बाद ही ब

आ गई और


बहुत ही मुजतकल

े मैं ब

में चढ़ा। पिंदरािं समिंट में घर आ गया। घर में

ट्र ैं ल हीदटिंग

काफी गमी थी। अब मुझे कुछ चैन आया और कुलविंत को चाय बनाने के सलए कहा। चाय पी कर राहत हुई और मैंने कुलविंत को आि का ब्रबताटन्त

ुनाया। कुलविंत गुस् ा हो गई कक

मैं फोन कर दे ता और वोह गाड़ी ले कर आ िाती। बात गई आई हो गई और जज़न्दगी पहले की तरह चलने लगी। रात को इलैजक्ट्रक ब्लैंकेट

बैि गमट होती और रात बीत िाती। ऐ े ही गसमटयों के ददन आ गए। यूुँ तो गसमटयािं कहने को ही हैं क्योंकक इन गसमटयों में भी अगर पची

डिग्री तापमान हो िाए तो कहते हैं, ददन अच्छा

है । एक ददन मज़ेदार धप ु थी और लॉन का घा

काट कर बैंच पे बैठे थे कक कुलविंत कहने

लगी कक मैं कुछ कािट बोिट तोड़ कर कूड़े के ब्रबन में िाल दुँ ।ू इन कािट बोिों में कोई इलैजक्ट्रक की चीज़ें खरीदी थीिं। मैं इन को तोड़ने लगा। एक बॉक् को अपने पैर नािंक

े तोिना चाहा। िब िोर

े मैंने पैर मारा तो मैं मुिंह के भार गगर पढ़ा। मेरे

े खन ू ननकलना शरू ु हो गया। मेरे माथे

े भी खन ू ननकलने लगा। कुलविंत दौड़ कर

आई। ककया हुआ, ककया हुआ बोलने लगी। कफर िल्दी ाफ़ ककये। कुलविंत ने िाक्टर के पा

ाफ़ कपिे ले कर आई और िख्म

िाने बोला तो मैंने इनकार कर ददया कक यह तो

मामूली बात थी। इ ी तरह एक ददन मैं ऐरन के ाथ गािटन में घा

काफी बड़ा था। मैंने इ

ाथ गािटन में मस्ती कर रहा था, उ

के

पर फ़ुटबाल खेल रहा था, िै े ही मैंने एक ककक्क मारी तो मैं उ ी

वक्त पीछे की ओर गगर गया। कुलविंत हिं ने लगी। उठ कर मैं कफर खेलने लगा। एक ददन मैं गािटन के पत्ते बगैरा िस्ट ब्रबन में िाल रहा था, ब्रबन भर गया। ब्रबन के नीचे दो पदहये होते हैं। िै े ही मैंने ब्रबन धकेला, ब्रबन आगे चले गया और मैं कफर गगर गया लेककन कोई चोट नहीिं आई। मैं क्यों गगर रहा हूुँ, मैंने इ

बारे में कुछ नहीिं

हम ब्रबसमिंघम गए, ननिंदी की मामी िी के घर उ

ोचा। इ ी तरह एक ददन

के पोते का िनम ददन मनाया िा रहा

था। गािटन में टैंट लगा हुआ था, जि

में लिंगर आदी का प्रबिंध ककया हुआ था। बहुत मेहमान

आये हुए थे और मैं एक ररततेदार के

ाथ हिं

हिं

बातें कर रहा था। मैंने टॉयलेट िाना था।

मैं उन को अभी आया कह कर टॉयलेट की तरफ रवाना हो गया। यह घर का एररया गािटन े कुछ ऊिंचा था और पािंच छै

ीड़ीओिं के स्टै प थे।

ीदढ़यों के दोनों तरफ पकड़ने के सलए

कुछ नहीिं था। िै े ही मैं चढ़ा, मझ ु े चढ़ने में कुछ अिीब लगा और दो स्टै प चढ़ कर मैं गगर गया।

िंदीप दे ख के दौड़ा आया और मझ ु े पकड़ कर ऊपर ले आया। कुलविंत ने कुछ दटशू

पेपर मुझे ददए और मैंने माथे का खन ू तो

िंदीप कि​ि

ाफ़ ककया और टॉयलेट चले गया। िब बाहर आया

े एक प्लाजस्टक के बैग में आइ

िाल कर ले आया और मेरे माथे पर बैग


रख ददया। मेरा नािंक और माथा

ूि गया था । गाड़ी में बैठ कर हम वाप

घर आ गए।

यह िखम भी धीरे धीरे ठ क हो गए लेककन अभी तक मुझे कोई इल्म नहीिं था कक कुछ गलत हो रहा है। मेरे शरीर में कोई तब्दीली तो आ रही थी लेककन मैं इ

े बेखबर पहले की तरह जज़न्दगी

िी रहा था। शायद अगस्त स तिंबर का महीना होगा। रर्ववार के ददन हम गुरदआ ु रे में गए। भी िानते ही थे और लिंगर खाने में कुस य ट ों पर बैठे बातें कर रहे थे। एक मेरा ररततेदार दोस्त भी मेरे पा

की

ीट पर बैठा था। इ

उन को कुछ ढीला बोलने की विह

दोस्त का नाम तो ननमटल स हिं है लेककन हम

े स्लो स हिं बोलते थे। कुछ दे र बाद वोह बोला, ” भमरा

! तेरी आवाज़ को ककया हुआ है , पहले िै ी नहीिं “, मैंने हिं

कर िवाब ददया कक उ

वहम था। ददन िै े िै े बीतते गए, मैं इन बातों को भूल ही गया। एक द ू रे टाऊन में एक शादी

मारोह में िाना था। उ

को

ददट यािं आ गईं। हम ने

ददन भी बफट पढ़ी हुई थी। गुरदआ ु रे

में शादी की र म होने के बाद एक हाल में खाने का प्रबिंध था। कार पाकट में गाड़ी खड़ी करके िब हम हाल की तरफ िाने लगे तो मेरी टािंगें अकड़ने लगीिं। हाल में पहु​ुँचने में कोई द और

समिंट लग गए लेककन िाते िाते मेरा शरीर अकड़

ा गया था। कुछ दोस्तों के

ाथ मैं

िंदीप एक टे बल पर बैठे थे कक एक दोस्त बोला,” भमरा ! तेरी आवाज़ को ककया हुआ

?” , कुछ नहीिं कह कर हम हिं ने लगे लेककन अब मझ ु े कुछ

िंदेह हुआ कक यह िो बार बार

लोग मझ ु े मेरी आवाज़ के बारे में पछ ू रहे हैं, िरूर कुछ होगा। शादी के बाद घर को आते वक्त मैंने अब कुलविंत है लेककन कोई ख़ा

े पुछा कक मेरी आवाज़ में कोई फकट है ! तो कुलविंत बोली कक कुछ

नहीिं है ।

िंदीप ने भी यही बोला। इ

के बारे में पूछने लगे तो मैंने भी िाक्टर की चलता…

के बाद िब और लोग भी आवाज़

ोच सलया कक मुझे िाक्टर के पा

िटरी में टे लीफोन करके िाक्टर

े अपॉएिंटमें ट ले ली।

िाना चादहए और मैंने


मेरी कहानी - 192 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 22, 2016 एक तो मैं बार बार गगर पढ़ता था, द ु रे मेरी आवाज़ बदल रही थी। गगरने का तो मुझे इतना गधयान नहीिं था लेककन िाक्टर

भी कह रहे थे कक मेरी आवाज़ बदल गई थी, इ

े अपॉएिंटमें ट बना ली थी। िब मैं

ररखी नहीिं थी। उ अच्छा था। उ

िटरी में पहुिंचा तो मेरी अपनी िाक्टर सम ज़

की िगह लोकम िाक्टर समस्टर मैहता था। िाक्टर मैहता भी बहुत

को मैंने अपनी आवाज़ के बारे में बताया कक

आवाज़ में फकट आ गया है । मैहता रहा था और इ

सलए मैंने

ाहब हिं

कर बोले कक यह

भी यही कह रहे थे कक मेरी ब उम्र बढ़ने के कारण हो

में घबराने वाली बात कोई नहीिं थी। मैं घर आ गया लेककन मेरे मन में

अभी भी कोई गचिंता की बात नहीिं थी। कफर धीरे धीरे मैं मह ू

करने लगा कक मेरे हाथों में

वोह शजक्त नहीिं थी िो पहले थी, चलता भी था तो लगता था िै े मैं कोई बोझ उठाये िा रहा हूुँ। यह

दी में बाहर िाता तो ऐ े अकड़ कर चलता िै े मेरे घुटनों का ऑपरे शन हुआ हो।

ब इतना धीरे धीरे हो रहा था कक मुझे पता ही नहीिं लगा कक मैं कक ी रोग

हूुँ। ऐ े ही दो खरु ाक शरू ु

ाल बीत गए और अब कभी कभी मैं घर में ही अचानक गगर िाता। मेरी े ही बहुत अनछ रही है और कुछ कुछ एक् र ाइज़ की आदत मझ ु े शरू ु

थी लेककन इन चीज़ों

े कोई फकट नहीिं पढ़ रहा था। ऐ े ही दो

े ही

ाल बीत गए। िब मेरा

गगरना ज़्यादा हो गया तो मैं और कुलविंत िॉक्टर सम ज़ ररखी की को

े ग्रस्त

िटरी में पहुिंचे और उ

ब कुछ बताया। सम ज़ ररखी ने कुछ टै स्ट ककये। यह टै स्ट ऐ े थे िै े पाककिं न रोग

के होते हैं। सम ेज़ ररखी ने कहा कक रोज़ लेता था, उ था। िाक्टर की

ब ठ क है और मैं एक कोलैस्ट्रोल की गोली िो मैं हर

ने कहा मैं वोह गोली बन्द कर दुँ ू क्योंकक मेरा कोलैस्ट्रोल ब्रबलकुल ठ क िटरी

े हम बाहर आ गए।

धीरे धीरे मेरे हाथों की शजक्त इतनी कम हो गई कक मेरी हैंिराइदटिंग में भी फकट पढ़ने लगा। ज़्यादा सलख ना होता और अक्षर उतने अच्छे सलख ना होते। ऐ े ही तीन मेरे खश ु ककस्मती यह रही कक घर

ाल बीत गए और

े बाहर अब तक मैं गगरा नहीिं था । जितनी दफा भी

गगरा घर के अिंदर ही गगरा। अब मेरे खाने की शजक्त भी कम होने लगी और

ाथ ही मेरी

िीभ भी भारी होनी शुरू हो गई। कई दफा खाते खाते फ़ूि मेरे गले में ही फिं

िाती और

ािं और

रुक िाता। बढ़ी मजु तकल

े खाना अिंदर िाता। एक ददन घर बैठे बैठे मेरी गरदन में

र के दाईं ओर इतना ददट शुरू हो गया कक अ ह्न्य हो रहा था। रात का वक्त था,


िंदीप मुझे

ीधा हस्पताल ले गया। िब वहािं पहुिंचे तो एमरिें ी पेशट ैं हमारे पहले भी बहुत

थे, कुछ तो बहुत ही

ीररय

थे। दो घिंटे बाद मुझे बुलाया गया और िाक्टर ने बहुत

िं ककये। आखर उन्होंने नगथग

ीररय

और स्पॉन्िेलाइट्

रुख त कर ददया। घर आया तो पेन ककलर चलता तो बहुत

कह कर,पेन ककलर दे कर मुझे

े कुछ राहत हुई। अब ऐ ा हो गया कक िब मैं

िंभल कर चलता क्योंकक मझ ु े मह ू

रहा था। आखर मैं कफर िाक्टर के पा

े टै स्ट

होने लगा था कक मेरा बैलें

पहुिंच गया और

ब कुछ बताया। िाक्टर ने

हॉजस्पटल को गचठ्ठ सलख दी। कुछ हफ्ते बाद मुझे हस्पताल पकड़ कर हस्पताल िा पहुिंचा। मेरी अपॉइिंटमें ट ननओरो

ोच कर

े खत आ गया और मैं ब

िटन िाक्टर बैनमर

बैनमर बहुत ही कुआसलफाइि ननओरोलॉजिस्ट है और उ

खराब हो

े थी। िाक्टर

की एक टीम है , जि

में कुछ

अन्य ननयोरोलॉजिस्ट भी हैं। बैनामर ने मुझे अपने दोनों हाथों की उिं गसलयों आ ानी लेककन इ को बोला, दह ाब

े कर ददया। कफर उ

े नाक को टच करने को कहा, िो मैंने

ने मझ ु े चलने को कहा और पीछे

े मैं गगरा नहीिं, कफर उ

े हलके

े धक्का ददया

ने िीभ बाहर ननकालने को बोला, बैठ कर खड़े होने

ब ठ क था। जितने टै स्ट ककये, दे ख कर उ े अभी मैं ठ क ठाक था लेककन बाद में इ

ने मुझे डिस्चािट कर ददया। उ

बात की मुझे

ही दे खता था कक मुझ में ककया तबदीली आ रही थी। घड़ी की

के

मझ आई कक वोह यह

इ ू यों की तरह धीरे धीरे मैं

कमज़ोर हो रहा था। अब मैं बाहर िाता तो अपनी छतरी ले िाता और छतरी को पकड़ कर चलता, छड़ी मैं इ

सलए नहीिं पकड़ता था कक मुझे छड़ी

में एक ऐ ी बात है कक इ क्यों। अब िाक्टर के पा

को पहले पहले इ

े शमट आती थी, यह हमारे

को पकड़ने

माि

भी कतराते हैं, पता नहीिं

िाना हो या हस्पताल तो ि र्विंदर मुझे ले िाती और वोह मेरा

एक हाथ पकड़ लेती क्योंकक मझ ु े गगरने का िर होता था। एक ददन मैं घर में ही गगर पड़ा और मैं रोने लगा।

िंदीप मझ ु े पकड़ कर मझ ु े

ािंत्वना दे रहा था और कह रहा था DAD

YOU ARE MAKING IT WORSE ! लेककन मुझे

े रोना किंट्रोल नहीिं हो रहा था कक यह

मुझे क्या हो रहा था, मेरी जज़न्दगी STAND STILL हो रही थी। अब तो मेरे जज़न्दगी का लुत्फ लेने के ददन थे, क्योंकक

ारी उम्र तो काम में ही गुज़र गई थी, अभी तो मैंने पोतों के

ाथ मस्ती करनी थी और अब मैं अनछ तरह बोल ही नहीिं अब

िंदीप कफर मुझे िाक्टर के पा

ले गया और

कता था।

ब कुछ बताया। सम ेज़ ररखी ने कफर

बैनमर को खत सलखा। अपॉएिंटमें ट आने पर हम बैनमर की

िटरी में पहुिंच।े कोई द

समिंट

बाद बैनमर मझ ु े बोला, ” I WILL SEE YOU IN QUEEN ELIZBETH HOSPITAL


BIRMINGHAM ” और हम वाप हस्पताल

आ गए। कोई एक महीने बाद मुझे कुईन एसलज़बेथ

े खत आ गया। मैं कुलवन्त और

एिसमट हो गया। कुलविंत और

िंदीप वाप

िंदीप हस्पताल िा पहुिंचे और मैं हस्पताल में आ गए और मुझे बैि समल गई जि

के

ाथ ही

मेरे कपिे और अन्य चीज़ें रखने के सलए एक कैबननट रखी हुई थी। यह माचट 2008

ाल था

और बफट पिी हुई थी। पच्छमी दे शों के हस्पताल की कोई री

न् ु दर

नहीिं,

न् ु दर बैि शीट,

नरम नरम गचट्टे तककये और पीछे न ट को एमरिें ी बुलाने के सलए एमरिें ी बैल और बैठ कर लेटे लेटे ही दे खने के सलए टीवी और कोई कफल्म ऑिटर करनी हो तो टे लीफोन करके मन प िंद कफल्म दे ख

कते थे। दटप दटप करती करती घूमती हुई पररयों िै ी न ,ें आधा दःु ख

तो ऐ े वातावरण

े ही दरू हो िाता है , कफर इन न ों की मीठ मीठ बोल चाल, एक

ा समल िाता था। मेरे पा

की बैि पर एक 35 वषटय गोरा था जि

तकलीफ थी।

ामने की बैि पर एक पचा

थी। एक पैंती

चाली

वषटय गोरा था जि

वषट िमैकन था िो उठ नहीिं

किंू

को ऐपीलैप् ी की

को मेरे िै ी ही शकायत

कता था, पता नहीिं उ

को ककया

तकलीफ थी। बैि पर बैठा मैं टीवी दे ख रहा था। एक कफल्म दे खख। कफर घर को टे लीफोन ककया कक मेरे सलए कुछ ककताबें और मैगज़ीन लेते आएिं क्योंकक हस्पताल में वक्त काटना बहुत मुजतकल होता है । एक न ट आई और हर एक को रात का मैननऊुँ पकड़ा गई और िो िो चीज़ कक ी ने लेनी थी, उ

पर दटक्क कर दे ना था और

ाथ ही द ू रे ददन

ब ु ह का मैननऊुँ भी था ।

यूुँ तो इिंडियन खाने भी उपलब्ध थे लेककन वोह अपने घर िै े नहीिं होते, इ

सलए मैंने

इिंजग्लश खाने ही दटक्क कर ददए। पािंच बिे खाने की ट्रॉली आ गई और एक गोरी

भी के

टे बलों पर जिन के नीचे पदहये थे गमट गमट खानों की ट्रे रखने लगी। ट्रे घ ीट कर मैंने बैि के नज़दीक कर ली और खाने लगा। कहने की बात नहीिं कक इिंजग्लश खानों में तड़के और तेज़ म ाले ना होने के बगैर भी बहुत स्वाददष्ट थे। खाने के बाद हर रोज़ एक स्वीट डिश होती थी िो बहुत मज़ेदार होती थी। खाना खाने के कुछ दे र बाद गोरी खाली ट्रे ले गई। एक बात है कक हस्पताल में इतनी

हूलत होते हुए भी वक्त काटना बहुत मुजतकल होता है । कुछ

दे र हस्पताल में रखे मैगज़ीन पढता रहा।

ात बिे र्विदटिंग टाइम था, िब

र्प्रय बीमार लोगों को दे खने आते हैं। कुलविंत और करने लगे। कुछ ककताबें मैगज़ीन चला कब वक्त बीत गया और लगे। रात को

भी लोग अपने

भी बच्चे भी आ गए और हम बातें

िंदीप ले आया था। हिं ते बातें करते करते पता ही नहीिं ारे हस्पताल में घिंटी बि गई और

ो गगया। बहुत िल्दी

ुबह मेरे नाक में दहलिुल

भी उठ कर बाहर िाने ी होने

े मुझे िाग आ


गई। एक वेस्ट इिंडियन िाक्टर मेरे दोनों नथनों में कौटन बड्ि िाल कर स्वब्ब ले रहा था। यह एक प्रकार का टै स्ट है , िो मैं कफर

ो गया। स्नान आदी

फ्लेक् , बटर बन और थी।

ाथ ही िइ ु

थी, टी या कॉफी

ुबह को

ोते

े नर्वरत हुआ तो ब्रेक फास्ट आ गया, जि

ाथ एक छोटी

का छोटा

ी दटककया बटर और छोटी

में कौरन

ी दटककया मामलेि की

ा काटट न था। खा कर पेट भर गया और अब टी लेिी आ गई

ब को बोल रही थी। हर कोई अपना प िंदीदा डड्रिंक ले रहा था। यह खाने

और चाय वाली लेिीज़ बहुत हिं मुख होती हैं। इ ी तरह इ

मय सलया िाता है । िाक्टर के िाने के बाद

ाथ

ाथ लोगों

े बातें भी करती रहती हैं,

वािट में भी थीिं।

कोई गगयारा बारह बिे एक न ट ब्लि लेने आ गई। पािंच छै शीशीयािं उ

ने भरीिं और अपना

ामान ले कर चलती बनीिं। एक बात है कक हस्पतालों में कक ी को कोई िल्दी नहीिं होती, ब पेशट ैं ररलैक्

हुए अपनी अपनी बैि पर लेटे हुए होते हैं या बैि के पा

बैठे कोई मैगज़ीन या ककताब पढ़ रहे होते हैं, जि मन प िंद कफल्म दे खनी हो तो पा सलए पै े दे ने होते हैं।

िाक्टर आते हैं और बैि के

का मन चाहे वोह टीवी दे खता रहता है ।

रखे टे लीफोन

ब पेशट ैं एक द ू रे

रखी कु ी पर

े ऑिटर की िा

कती है लेककन इ

के

े बातें भी करते रहते हैं। हर रोज़ एक दफा

ाथ पिी पेशट ैं ररपोटट पड़ते हैं। कक ी का बीपी हाई लो हो या

तापमान कम लो हो तो न ों को इिंस्ट्रक्शन दे दे ते हैं। हर पेशेंट का ब्लि प्रेशर तो हर रोज़ तीन दफा चैक करते हैं। आि

ारा ददन बार बार न ट आ कर ब्लि ले िाती रही। मैंने हिं

कर न ट को कह ददया कक वोह तो मेरा

ारा खन ू ननकाल लेगी ! वोह हिं

वरी समस्टर भामरा, है व ए कप्प ऑफ टी, इट र्वल बैलें

कर बोली, िौन्ट

अप्प क़ुइकली। अब ऐ े ही रूटीन

शुरू हो गया। एक ददन दो न ें आईं और एक बोली, समस्टर भामरा, आई वािंट टू

ी हाउ

स्ट्रॉन्ग यू आर। कफर उ

को बैक

ने मझ ु े

ाइि के भर होने को बोला। न ट ने बोला, ” इ

पिंचर कहते हैं, बैक बोन में पिंचर करके हम ब्रेन फ्लअ ू ि लें गे, यह ब्रेन फ्लअ ू ि अमत ृ की भाुँती र्पयोर होता है “, कफर उ

ने मेरी बैक बोन में िोर

ूई िाल दी, मुझे इतनी ददट

हुई कक मैंने अपने दािंतों को भीिंच सलया। दो समिंट तक वोह फ्लूअि ननकालती रही। इ बाद

ूई ननकालके उ

ने पीठ पर प्लास्टर लगा ददया। वैल िन भमरा कह कर उ

वोह फ्लअ ू ि की भरी शीशी मझ ु े ददखाई िो बहुत ही है व ए रै स्ट कह कर न ें चली गईं। पा

ने मुझे

ाफ़ पानी की तरह ददखाई दे ता था।

की बैि पर पड़ा गोरा बोला कक उ

एक हफ्ता पहले हुआ था और कई ददनों तक उ

के

को ददट होता रहा था।

का यह टै स्ट


अब दो तीन ददन तक कोई टै स्ट नहीिं हुआ और कुछ ही ददनों में मेरे पीठ की ददट भी ख़तम हो गई। एक ददन दप ु हर को बूआ ननिंदी और उ बहुत

की पत्नी मुझे दे खने आ गए और

ाथ में

ा िूट, एक लुकूज़ेि की बोतल भी ले आये। ज़्यादा लोगों को हम ने बताया नहीिं था।

मैं नहीिं चाहता था कक कक ी को खामखाह परे शान करूुँ। मैंने अपनी बेदटयों को भी नहीिं बताया था। ऐ े ही एक हफ्ता बीत गया और िाक्टर ने

भी नौन अिेन्ट पेशट ैं को बता

ददया कक अगर हम चाहें तो शननवार और रर्ववार, दो ददन के सलए घर िा इन दो ददनों में नौन अिेन्ट के ों को दे खने िाक्टर नहीिं आते थे। इ को टे लीफोन कर ददया कक वोह आ कर मुझे ले िाए।

कते हैं क्योंकक

सलए मैंने भी

िंदीप आ कर मुझे घर ले आया और

मझ ु े बहुत ख़श ु ी हुई। हस्पताल में तो अनछ तरह नीिंद भी नहीिं आती क्योंकक

ारी रात न ें

आती िाती रहती हैं और ब्लि प्रेशर चैक करती रहती हैं। यह दो ददन मज़े के गुज़रे । चलता…

िंदीप


मेरी कहानी - 193 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 26, 2016 दो ददन घर रह कर मैं कफर हस्पताल आ गगया। मेरा ब्लि लेने रोज़ ही कोई ना कोई न ट आ िाती और कुछ शीसशयािं भर कर ले िाती। एक ददन दो तीन ट्रे नी िाक्टर आये। िाक्टर ने मझ ु यानी मेरे हाथ की ऊुँगली

ुबह दो िाक्टर और उन के

ाथ

े वोह ही करने को कहा िो बैनमर ने कहा था,

े नाक को स्पशट करने को कहा, कफर उ

ने मुझे कहा कक मैं

िाक्टर की ऊुँगली की ओर दे ख।ूिं िाक्टर अपने हाथ की ऊुँगली को पहले नीचे, कफर धीरे धीरे ऊपर की ओर ले गया। मैं उ ने पीठ पर छोटा

की ऊुँगली की िायरै क्शन के मुताब्रबक दे खता रहा, कफर उ

ा धक्का ददया लेककन मैं गगरा नहीिं, कफर उ

ने मुझे वािट में कुछ कदम

चलने को बोला, मैं चलता रहा और कफर मैंने िाक्टर को बताया कक बेछक मैं चल रहा हूुँ लेककन मैं

िंभल कर चलता हूुँ क्योंकक मुझे खदशा है कक मैं गगर िाऊुँगा । कुछ और टै स्ट

करके िाक्टर द ू रे मरीिों को दे खने लगे और मैं कु ी पर बैठ कर ककताब पड़ने लगा। वािट का इतना अच्छा वातावरण होने के बाविूद वक्त काटना मुजतकल परतीत होता था। हर

ुबह

कभी न ट आ कर बीपी चैक करती, कभी कोई न ट दवायों वाली ट्रॉली ले कर आ िाती और भी मरीिों को उन की दवाइआिं दे कर उन के ग्ला बोलती।

पानी

े भर दे ती और दआ ु ई लेने को

ुबह पहले ब्रेकफास्ट आ िाता, कफर चाय वाली आती, कफर मैन्यू कािट वाली आ

िाती, दप ु हर को लािंच आ िाता, चार बिे कफर चाय आ िाती, कभी कभी कोई वाली आ िाती,

ात

िैं र्वच

े आठ र्विदटिंग टाइम आ िाता, मरीिों के ररततेदार िाने के बाद ही

रात का खाना आ िाता। नौ द सलए कोई आती रहती, द

बिे कफर चाय आ िाती,

ारा ददन ब्लि चैक करने के

बिे वािों की बर्त्तयािं ऑफ कर दी िातीिं लेककन

ारी रात न ें

वािट में आती िाती रहतीिं। बहुत दफा कक ी मरीज़ को तकलीफ होती तो वोह एमरिें ी बटन दबा दे ता और न ट उ

को दे खने लग िाती। इ

तरह रात को भी नीिंद अच्छ तरह ना

आती। फाइव स्टार वािट होने के बाविूद वक्त काटना आ ान ना होता। एक ददन

ुबह ही एक गोरा िो होगा कोई पैंती

चाली

का, बहुत

में आया और मुझे एक छड़ी पकड़ा कर टै स्ट करने लगा कक इ मह ू

ी छडड़यािं ले कर वािट

को पकड़ कर मैं कै े

कर रहा हूुँ, ककतनी ऊिंचाई की मुझे िरुरत थी। जज़न्दगी में पहली दफा छड़ी पकड़कर

एक धक्का

ा लगा क्योंकक हम लोग अक् र छड़ी को अच्छा नहीिं

यह बात जज़न्दगी का दहस् ा ही हो िाती है । गोरा उ

मझते बेशक बाद में

छड़ी को ऊपर नीचे ऐि​िस्ट करके


मुझ

े पूछ रहा था कक ककतनी ऊिंची छड़ी

े मैं किंफ़टट मह ू

बता ददया तो कफर वोह पूछने लगा कक मैं कौन कर ली और उ

कर रहा हूुँ। िब मैंने उ

को

ी छड़ी प िंद करता हूुँ। मैंने एक छड़ी प िंद

को बता ददया और वोह चले गया। उ ी ददन वोह कफर शाम को मेरी

स लैक्ट की हुई छड़ी को ले कर आया और मझ ु े इ को पकड़ कर चलने को कहा। मैंने वािट में छड़ी के इ

शख्

ाथ चलना

ेफ मह ू

ककया बेशक मझ ु े दहचकचाहट भी मह ू

के चले िाने के बाद, छड़ी का

यह छड़ी ठ क लगी बेशक इ

हो रही थी।

हारा ले कर मैं टॉयलेट की तरफ गया और मुझे

को मैंने ज़्यादा इस्तेमाल नहीिं की। मुझे याद आया इ ी शाम

को रात के बारह एक बिे मैं िाग ही रहा था कक मेरे पा

की बैि पर पड़े गोरे के कराहने

की आवाज़ आई। मैं उठ कर बैि के नज़दीक गया तो दे खा, वोह इकठा हुए िा रहा था और अिीब अिीब हरकतें कर रहा था। मैंने उ

को पुछा, ” you need help ?”, लेककन वोह

कुछ नहीिं बोल रहा था। घबराकर मैंने अपनी एमरिैं ी बैल दबा दी। कुछ ही समनटों में न ट मेरी बैि के नज़दीक आ गई और मैंने उ

गोरे की ओर इशारा कर ददया। न ट ने गोरे की

बैि के इदट गगदट पदाट तान ददया और उ को कुछ ककया, िो मैं दे ख नहीिं

कता था। कुछ

समिंट बाद गोरा कुछ शािंत हो गया और न ट चले गई। द ू रे ददन मैंने गोरे होगा और उ चीज़

ोच

े पुछा कक रात को ककया हुआ था। गोरा मुजतकल

े चाली

वषट का

ने मझ ु े बताया कक वोह अपनी स हत को लेकर बहुत गधयान रखता था, हर मझ

े खाता था, ना वोह शराब पीता था और ना ही मीट खाता था, यहाुँ तक

कक वोह कफश अिंिा भी नहीिं खाता था और हफ्ते में तीन ददन जिम्म िाता था। उ बेटे थे, है पी फैसमली थी लेककन एक ददन अचानक उ गया और शरीर अकड़ने लगा, उ

के मुिंह

के दो

को कुछ हो गया और वोह नीचे गगर

े झाग िाने लगी और बोल नहीिं हो रहा था।

एमरिें ी िाक्टर आधे घिंटे में आ गया और आते ही इिंिेशन ददया। कुछ दे र बाद वोह ठ क हो गया। िाक्टर ने ऐम्बल ू ैं

बल ु ा कर मझ ु े हस्पताल में एिसमट करा ददया। बहुत टै स्ट होने

के बाद मुझे ऐपीलैप् ी बता ददया। और बातें भी उ

ने बताईं िो मुझे याद नहीिं। गोरे की

बीवी और बच्चे हर रोज़ आते रहते थे लेककन िब भी मैं उ बच्चों को दे खता तो मुझे तर

की खब ू ूरत युवा बीवी और

ा आ िाता। जितनी दे र र्विदटिंग टाइम होता वोह

ददखाई दे ते लेककन मेरे मन में कुछ अिीब

ब खश ु

ा होता। पता नहीिं क्यों, मैं बहुत भावक ु र्वचार

रखता हूुँ। वािट में द ू रे मरीिों की ओर मैं दे खता तो मझ ु े अपना दःु ख बहुत कम लगता। एक ददन न ट मुझे बुला कर मुझे हस्पताल के एक िाक्टर के पा पहना हुआ था और छड़ी के

हारे चलता हुआ उ

ले चली। मैंने गाउुँ न

कमरे में पहु​ुँच गया, यहािं एक िमटन


िाक्टर बैठा था। न ट चले गई और िॉक्टर ने मुझे एक बैंच पे लेटा ददया। एक मशीन पदहयों े घ ीट कर मेरे नज़दीक ले आया। उ गचपका दीिं। उ

ने मुझे

ने बहुत

मझाया कक इन

ी तारें ऊपर

े नीचे तक मेरे शरीर पर

े वोह मेरी म ल पावर दे खना चाहता था। मेरे

शरीर के हर दहस् े में इलैजक्ट्रक करिं ट लगता और िाक्टर मझ ु े िोर लगाने को कहता। हर अिंग को मझ ु े

क ु ोड़ना होता और मशीन पर ग्राफ बनता िाता। यह टै स्ट कोई आधा घिंटे

चले और मैं वाप

अपने वािट में आ गया। मैं भल ू ना िाऊिं, यह हस्पताल दनु नआिं के

बेहतरीन हस्पतालों में गगना िाता है और यह वोह ही हस्पताल है , यहािं पाककस्तान की मलाला का इलाि हुआ था। हर शुक्रवार को मैं घर आ िाता था और िाता था। इ

ोमवार को कफर आ

दौरान पता नहीिं ककतने ब्लि टै स्ट हुए और आखर में एक ददन मेरा और

टै स्ट होना था, जि

का नाम शायद रे डिएशन टै स्ट था। बेटा मुझे वील चेअर में ब्रबठा कर

हस्पताल के उ

डिपाटट मेंट में ले आया, यहािं यह टै स्ट होना था। पहले मुझे एक इिंिेशन

ददया गया, जि

के बारे में न ट ने मुझे बता

ककया थे। आधे घिंटे बाद मुझे एक बड़े िाक्टर ने मेरे

मझा ददया कक इ

इिंिेक्शन के

ाइि इफैक्ट

े कमरे में ले िाय गया, यहािं दो िाक्टर थे। एक

र पर रबड़ की एक कैप कफक्

हैं। कफर एक बैंच पर लेटा ददया गया, जि

के

कर दी िै े तैरने के दौरान लड़ककयािं पहनती र की ओर आचट की शक्ल में मशीन थी।

कुछ दे र बाद मशीन चालु हो गई और मुझे लगा िै े तेज़ी

े इिंजिन घूम रहा हो। कभी यह

मशीन एक तरफ को दटल्ट हो िाती कभी द ु री तरफ। आधा घिंटा यह काम चलता रहा और वाप इ

आ गया। यह टै स्ट आख़री था। टै स्ट के बाद नए नए ब्लि टै स्ट होने के स वा और कुछ नहीिं हुआ और चार हफ्ते

हस्पताल में रह कर मैं वाप

घर आ गया। हस्पताल में यह भी एक तरह की हॉसलिे ही थी

बेशक कुछ बोर भी हुआ था। हस्पताल

े डिस्चािट होने

े पहले है ि न ट ने मझ ु े बता था

कक अब कुछ और द ू रे टै स्ट मेरे टाऊन के हस्पताल नीऊ क्रॉ

हस्पताल में होंगे, जि के

सलए मुझे लैटर आएगा। दो हफ्ते बाद ही यह लैटर मुझे आ गया और बहु मुझे हस्पताल ले आई। यह 2008 था और इन चार छड़ी पकड़ कर मैं चल था, इ

ालों में मेरी शारीरक शजक्त बहुत कम हो गई थी। बेशक

कता था लेककन एक वािट

े द ू रे वािट तक िाना मुजतकल हो गया

सलए बहू मझ ु े वील चेअर में ब्रबठाकर ले िाती। आखर में एक वािट में मझ ु े बैि दे दी

गई, िो कुछ घिंटे आराम करने के सलए थी । कफर तकरीबन तीन चार बिे एक न ट आई और मुझे हिं

कर बोली, ” समस्टर भमरा ! यह पेनफुल टै स्ट है , इ

यह टै स्ट ऐ ा था कक मेरी दहप्प की हड्िी में

सलए तैयार हो िाओ “,

ूई िाल कर फ्लूअि लेना था। िै े िै े यह


ूई मेरी हड्िी में िा रही थी, मेरे इतनी ददट हो रही थी कक बताना ही मुजतकल है । कोई दो समिंट लग्गे और न ट बोली, ” ब्रेव बोये “, बहू भी हिं “, इ

के बाद न ट ने बताया कक इ

पिी और बोली, ” िैि इज़ वैरी स्ट्रॉन्ग

फ्लूअि को दो महीने लैबॉरट्री में रखा िाएगा, यह

दे खने के सलए कक गोवा में िो हुआ था, वहािं कोई ऐ ी वायर

तो कैच नहीिं हुई। इ

के बाद हम घर आ गए। क्वीन ऐसलिबैथ हस्पताल में िो भी हुए या अब इ हुए, इ

दौरान मैं अपने ननयोरोलॉजिस्ट िाक्टर बैनमर

पता चला कक यह मुझे ननऊ क्रॉ

थी और

हस्पताल

े नहीिं समला। दरअ ल बाद में मुझे

े खत आया कक मुझे िाक्टर बैनमर

े समलना था।

ामने मैं बैठा था। वोह बोलने लगा कक उ

की ररपोटट आ गई थी और िाक्टरों के पैनल ने इ

है और तीन

े पक ु ारते हैं, इ

को अक् र वोह

का अभी तक कोई इलाि नहीिं बेशक इ

ाल में मैं बैि में पड़ िाऊुँगा और वोह इ

बात

पर रर चट िारी

े ननपटने के सलए िो उ

वक्त मदद करें गे, वोह वक्त के मुताब्रबक दे खा िाएगा लेककन मुझे हर तरह की मुहैया की िायेगी। पािंच समिंट में हम बाहर आ गए, मेरे ककया हो गया। इतने

हूलत

र पर िै े पहाड़ टूट पड़ा कक यह

ाल तो मैंने कोई कफ़क्र नहीिं ककया था लेककन अब यह

न ु कर तो िै े मेरे होश ही उड़ गए। मैं बहुत उदा

के पा

पर अपनी अपनी राय दी

ब का र्वचार था कक मुझे PLS की सशकायत है और इ

िीिैनरे शन नाम

हस्पताल में

ारे टै स्ट बैनमर की दहदायत के अनु ार ही हुए थे। कोई तीन महीने बाद

बेटा मुझे हस्पताल ले गया। बैनमर के भी टै स्ट्

टै स्ट

ारी कहानी

रहने लगा, मेरी आवाज़ ददनबददन

बदल रही थी और बोलने के सलए मेरा िोर लगता था और खाना खाते खाते मेरे गले में फिं िाता था और

ािं

लेना मुजतकल हो िाता, कुलविंत मेरी पीठ पीछे िोर िोर

थपथपाती। खाना गले

े हाथों

े नीचे उतरता तो चैन आता। जि​िंदगी क्या क्या हमें ददखा दे ती है ,

ख़श ु ी ख़श ु ी िीवन काट रहे थे, हमें कोई कफकर नहीिं था और आि अचानक इ र्वराम लग गगया था। दख ु द बात यह भी थी कक इ

ब पर

का कोई इलाि नहीिं था। बैन्मर ने मझ ु े

एक खत दे ददया था िो मैंने अपने िाक्टर को दे ना था। हस्पताल

े बाहर आते ही मैंने इ े

खोल सलया था, बेछक यह मुझे खोलना चादहए नहीिं था क्योंकक यह कॉजन्फिेंशल होता है । इ

में

ब कुछ सलखा था और

िाता है , इ

ाथ में यह भी सलखा था कक ऐ े पेशट ैं को डिप्रेशन हो

सलए शरू ु में डिप्रैशन की द

की गोली दी िा

समलीग्राम की गोली और धीरे धीरे 150 समलीग्राम

कती है और 150 समलीग्राम भी काम करना बिंद कर दे तो कफर हस्पताल

में वोह दे खेंगे। बैनमर ने मुझे यह भी बताया था कक मुझे वैस्ट पाकट हस्पताल

े खत

आएगा और वोह मेरी स्पीच थैरेपी शुरू करें गे ताकक मेरे मुिंह और िीभ के म ल में शजक्त


आ िाए। याद नहीिं ककतने बुरे बुरे खखयाल मेरे ददमाग में आ रहे थे और िब मैं घर पहुिंचा तो फुट फुट कर रोने लगा। मुझे मौत

े कोई िर नहीिं था, ब

लग रहा था। आि यह भी मैं मह ू

घुट घुट कर िीने

े िर

कर रहा हूुँ कक िब शारीरक शजक्त नष्ट होने लगती है

तो बरु े र्वचार मन को प्रभावत करने लगते हैं। इ ी सलए तो बैनमर ने डिप्रेशन की गोसलयािं प्रैस्क्राइब की थीिं क्योंकक उ

को पता था कक ऐ े रोगगयों को यह

कुलविंत बहुत मज़बूत र्वचारों की है , उ

की तुलना में मैं बहुत भावुक और कमज़ोर मन का

हूुँ। वोह बार बार मझ ु े हौ ला दे रही थी कक वोह नहीिं होने दें गे। ज़्यादा इ

मस्या होती ही है ।

ब मेरे पा

हैं और मझ ु े कोई तकलीफ

े ज़्यादा तकलीफ होगी तो वोह मेरी बैि नीचे ले आएिंगे। रोना शायद

सलए भी मुझे आ रहा था कक इ

रोग में रोगी इमोशनल होने लगता है । रोने लगे तो

रोना रुकता नहीिं, हिं ी आ िाए तो हिं ी रूकती नहीिं, अचानक कोई खटाक हो तो शरीर एक दम त्र्भक उठता है और हाथ हस्पताल मैं इ

े पकड़ी चीज़ गगर िाती है , शरीर बहुत

े मझ ु े छड़ी समल गई थी लेककन इ

के

को पकड़ने की दहमत मझ ु में नहीिं थी और

हारे के बगैर ही चलना चाहता था। इ

बगैर चलने की प्रैजक्ट

ैं दटव हो िाता है ।

सलए मैं धीरे धीरे रोज़ कमरे में छड़ी के

करता। इतनी कोसशश करने के बाविूद टािंगों में ताकत नहीिं आती

थी। बैनमर ने उधाहरण दे कर मुझे

मझाया था कक िै े घर में ब्रबिली का एक

डिजस्ट्रब्रबयश ू न बॉक्

में

होता है और उ

े जितनी तारें , प्लग्ग और लाइटों को आती हैं,

उन

े पलग्ग और लाइटें अपना अपना काम करती हैं लेककन अगर इ ी डिजस्ट्रब्रबयश ू न

बॉक्

में ब्रबिली का करिं ट कमज़ोर हो िाए तो

अगर ददमाग के िाता है , जि ाथ

ैल कमज़ोर होने लगें तो उ

भी बल्व धीमे हो िाते हैं, इ ी तरह ही का करिं ट शरीर के अिंगों पर भी कमज़ोर पढ़

े शारीरक शजक्त भिंग होने लगती है । इ ी सलए तो मेरी शारीरक कमज़ोरी के

ाथ मेरे बोलने की शजक्त भी कमज़ोर हो रही थी और िो भी शब्द मैं बोलता, उ

बोलने के सलए मेरा िोर लगता। इ बोलना चाहता है वोह बोल नहीिं

रोग में डिप्रेशन इ

को

सलए भी होता है कक इिं ान िो

कता और कफर मन में गुस् ा आता है , कक ी को कह

कता नहीिं और अपने भीतर उबलता रहता है । हम अक् र कह दे ते हैं कक नीचे की ओर दे खना चादहए, तब हमें कुछ राहत समलती है लेककन ऐ ा हो पाता नहीिं और यह बहुत मजु तकल है । कहते हैं कक िब कोई कक ी के

र पर ि​िंिा मारता है तो ि​िंिा उठाने और

पर लगने के दरसमयान िो वक्त होता है , वोह बहुत कष्टदाई होता है , िब ि​िंिा लग गया कफर तो लग गया। ब

ऐ े ही बैनमर

े समलने के बाद िो शौक लगा था, ब

अब तो


लग ही गया था। अब जज़न्दगी रो कर गुज़ार लुँ ू या हिं और ऐ े ही ददन बीतने लगे। चलता…

कर, जज़न्दगी तो िीनी ही पढ़े गी


मेरी कहानी - 194 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन December 29, 2016 बैनमर के कहने के मुताब्रबक वैस्ट पाकट अस्पताल

े मुझे खत आ गया कक स्पीच थेरपी के

सलए मैं वहािं पहुिंच।ू मैं और कुलविंत अस्पताल िा पुँह ु चे। हम िब उ

े पहले एक और पेशट ैं था।

का लै न ख़तम हुआ तो एक गोरी मस् ु कराती हुई मेरे पा

आई और बोली, ”

hello young man ! ” और मेरा हाथ पकड़कर कमरे में ले आई, कुलविंत भी

ाथ ही थी।

take your seats please कहकर वो मेरी फ़ाइल दे खने लगी। फ़ाइल दे ख कर पहले मुझ बातें करने लगी, स फट यह दे खने के सलए कक मेरा शब्दों का उच्चारण कै ा था। कफर उ ने एक पेपर शीट ननकाली और उ

पर सलखे आ ान शब्द बोलने को कहा, यह शब्द ऐ े थे

िै े िोर मोर शोर । हर शब्द मझ ु े िोर

े बोलना था। पहले लै न में बहुत छोटे और

शब्द थे। इ के बाद मुझे मुिंह और िीभ की एक्

रल

ाटइज़ज़ करने को कहा। वो पहले खद ु

करती थी और कफर मुझे ऐ ा करने को बोलती। हर दफा िब मैं बोलता तो वोह वैरी गुड़, एक् ेलट ैं , बोलती। यह लै न एक घिंटे का था और उ

ने इतनी अच्छ तरह मुझे

कक मझ ु े लगा िै े मैं पहले

में एक बात मैं िरूर सलखग िंू ा कक

े ही उ े िानता हूुँ। इ

काश ऐ ा वताटव भारत के अस्पतालों में भी हो िाए। आधा दःु ख तो न ों के बताटव

मझाया े ही

दरू हो िाता है । मैंने फगवाड़े के स र्वल हस्पताल में न ों का व्यवहार दे खा हुआ था, िब मेरी भतीिी गुड्िी की ऊुँगली चारा काटने वाली मशीन हुए यह ही सलखग ूिं ा कक उ

े काट गई थी। ज़्यादा ना सलखते

स्पीच थेरेर्पस्ट नें एक फ़ाइल में वो शीट रख के मुझे पकड़ा दी

और मझ ु े बोला कक आयन्दा शीटें भी इ

फ़ाइल में रखता िाऊिं और यह मेरी प न ट ल फ़ाइल

बन िायेगी िो धीरे धीरे कम्प्लीट को ट हो िाएगा और कफर इ

को ट को मैं घर पर ही

एक् र ाइज़ करनी थी। द ू रे हफ्ते की अपॉएिंटमें ट लेकर हम घर आ गए। ऐ े छै हफ्ते बीत गए और कम्प्लीट फ़ाइल बन गई। इ में बहुत कुछ था। अगर मेरी िीभ भारी ना होती तो मेरी स्पीच ब्रबलकुल

ही हो िाती। इ

मीच थैरेपी का एक फायदा यह हुआ कक मेरी

स्पीच ब्रबलकुल बिंद नहीिं हुई और अपने घर में काम चला लेता हूुँ। इ

थैरेपी का नाम था

LEE SILVER MAN VOICE TREATMENT . ुबह के वक्त ज़्यादातर कुलविंत ही बच्चों को स्कूल छोड़ने िाती थी। एक ददन बफट बहुत पिी हुई थी और कुलविंत की गाड़ी जस्लप होकर एक और गाड़ी नहीिं हुआ था और गाड़ी दो हफ़्तों में इिंतयोरें

े टकरा गई। ज़्यादा िैमेि

वालों ने ररपेअर कर दी। इ के बाद मैंने कार


चलाना छोड़ ददया और अपना लाइ ें कुलविंत के

समननस्ट्री ऑफ ट्रािं पोटट को भेि ददया। अब मैं

ाथ चले िाता था और ड्राइर्विंग पूरी तरह बन्द कर दी। बेशक मैं गाड़ी चला

कता था लेककन कानून के मुताबक यह ररस्की था। अब हफ्ते में दो तीन दफा कुलविंत मुझे लाएब्रेरी में छोड़ आती और कफर ले भी आती। कुछ दे र ऐ े चलता रहा लेककन अब ऐ ी जस्थनत आ गई कक लाएब्रेरी में िाना भी बेकार लगने लगा क्योंकक मेरे स्पीच ऐ ी थी कक दोस्तों को बहुत कम

मझ लगती थी। ऐ ा नहीिं कक मुझे कक ी ने कुछ कहा हो, ब

मुझे

अपने आप में ही शमट आनी शुरू हो गई थी और मैंने लाएब्रेरी में िाना ही छोड़ ददया। कुलविंत को मेरे टे स्ट का पता था, इ कम्पयट ू र के बारे में

सलए वो लाएब्रेरी

े ककताबें मुझे ला दे ती। मैंने कभी

ोचा नहीिं था, बेशक लाएब्रेरी में कई कम्पयट ू र रखे हुए थे और इन को

इस्तेमाल करने वाले इिंडियन या िमैकन ही होते थे। एक ददन हम ब्रबसमिंघम अपनी छोटी ब्रबदटया के घर गए। अब मैं वाककिंग िेम थे। ब्रबदटया का एक छोटा

ा लैपटॉप

इ में ककया है िो तुम हर दम इ

े चलने लगा था। ब्रबदटया के घर खा पीकर बैठे

ोफे पर पड़ा था। यूुँ ही मैंने ब्रबदटया

े पुछा, ” रीटा !

को पढ़ती रहती हो ?”, ब्रबदटया ने मुझे मेरी प िंदीदा

ककताब िो शैक् पीयर की “दी टैंपेस्ट” थी, लैपटॉप पर ददखा दी। कफर उ ने कै े कक ी भी इन्फमेशन के सलए स फट कीबोिट पर सलख दे ना था और वो

मझाया कक ामने स्क्रीन पर

आ िाना था। िै े िै े ब्रबदटया मुझे ददखाती गई, मेरे ददमाग में तो िै े लौ हो गई हो। वहािं बैठा बैठा ही मैं एक के बाद एक चीज़ िायल करने लगा। मुझे लगा कक अब मुझे लाएब्रेरी िाने की िरुरत ही नहीिं थी क्योंकक

भी ई-पेपर स्क्रीन पर उपलब्ध थे। उ ी

मय

मैंने फै ला कर सलया कक मैं अपना लैप टॉप लिंूगा। बेटा कहने लगा कक वो तो बहुत दे र

मुझे कह रहा था लेककन मैं ही नहीिं माना था। द ू रे हफ्ते ही बेटा एक नया लेनोवो लैपटॉप मेरे सलए ले आया और मेरा ईमेल ऐड्रै

भी बना

ददया और ईमेल करना स खा ददया। जितनी दे र मैं लैपटॉप पे ब्रबज़ी रहता, वक्त कट िाता लेककन कफर मैं उदा

हो िाता। कोई इिं ान

ारी जि​िंदगी एजक्टव रहा हो और अचानक

डि ेबल हो िाए तो इ को स फट वो ही िान लग िाए। मयूजिक का बचपन

कता है जि की जज़न्दगी को अचानक ब्रेक

े ही कुछ शौक था और काफी महिं गा की बोिट मैंने सलया

हुआ। की बोिट पे मेरी उिं गसलयािं पानी की तरह चलती थी लेककन अब मेरे हाथ बहुत कमज़ोर हो गए, यहािं तक कक चाय पानी का ग्ला

भी दोनों हाथों

अक्षर टे ढ़े मेढ़े हो िाते। एक् र ाइज़ की खातर मैं बगैर करते पता नहीिं ककतनी दफा गगरा। आखर में

ोशल

े पकड़ना पड़ता। सलखता तो पोटट के चलने की कोसशश करते

वी ज़ डिपाटट मेंट वाले मुझे

ीट में


बैठ कर नहाने के सलए एक बहुत अच्छा कमोि दे गए जि और आगे के सलए ननत्य कक्रया के सलए भी इस्तेमाल कर

में बैठ कर मैं नहा

कता था

कता था। घर में हर िगह

दरवािों के दोनों तरफ उन्होंने पकड़ने के सलए हैंिल लगा ददए। गािटन वाली दहलीज़ के सलए दहलीज़ के दोनों तरफ रैंप लगा ददए ताकक बाहर िाने के सलए मझ ु े पैर ऊपर ना उठाना पड़े क्योंकक इ

में मेरे गगरने का िर था। ऊपर िाने के सलए

ीदढयों के नीचे और ऊपर दो दो

हैंिल कफट कर ददए। एक नई व्हील चेअर मुझे दे दी। खाना खाने के सलए मुझे स्पेशल चेअर दे दी और चाय पानी के सलए स्पेशल ट्रॉली दे दी जि मज़ी

े इधर उधर घुमा

कता हूुँ, इ

के नीचे चार पदहये हैं और अपनी

के ऊपर मैं अपनी ककताबें या अखबार र ाले रख

कता हूुँ। मक् ु त र में िो भी चीज़ अपनी

हूलत के सलए चादहए वो मैं उन

े मािंग

कता

हूुँ। मेरे कहने पर उन्होंने ने मुझे दो कैचर भी दे ददए। कोई चीज़ नीचे गगर िाए तो मुझे झुकने की िरुरत नहीिं है , खड़े खड़े ही मैं इ हैंिल में एक कसलप्प है । इ कती है । बहुत

की

हायता

े उठा

कता हूुँ क्योंकक इ

के

को दबा कर नीचे पिी या ऊपर शैल्फ पर पड़ी चीज़ पकड़ी िा

होलतें ऐ ी भी हैं जिन्हें हम इस्तेमाल करते ही नहीिं, ज़्यादा गोरे ही यह

हूलतें लेते हैं, मजस्लन घर का कोईं

दस्य मेरी दे ख भाल करता हो, वो केअर अलाउिं

हकदार है । कुलविंत मेरी दे ख भाल करती है । उ हॉसलिे बगैरा कर

के, इ

के सलए वो

िं कुलविंत अपनी ऎिौयमै न्ट कर

का

को भी हक़ है कक कुछ हफ्ते के सलए

ोशल वकटर का इिंतज़ाम करते हैं, उतनी दे र तक

कती है । इ

के इलावा और भी बहुत

हूलतें हैं, जिन की

हम कोई परवाह ही नहीिं करते। इतनी

हूलतें गॉवनटमेंट दे ती है , यह कोई मुफ्त नहीिं होती, इ

हकूमत को टै क्

और इिंतयोरें

के पै े ददए होते हैं। यह टै क्

के सलए

ारी जज़न्दगी हम ने

और इिंतयोरें

तनखाह का

तकरीबन चौथा दहस् ा होती थी। इन कटाये पै ों का फायदा बढ ु ापे और दःु ख के िाता है । यह स स्टम इिंडिया में भी हो

कता है लेककन हकूमत को कोई टै क्

नहीिं। आि िो काला धन लोग घरों में ढे रों के ढे र छुपाये बैठे है , अगर वो बैंकों में िमा कराएिं तो हकूमत को टै क् कती और इिंडिया में स फट वो ही टै क् पिंिाब में

समलेगा। टै क्

दे ने को रािी ही तरीके

के बगैर कोई हकूमत नहीिं चल

दे रहे हैं िो नौकरी पेशा लोग है । मुझे याद आया

ाइकलों पर टोकन लगते थे। जिन लोगों के

ाइकलों पर टोकन लग िाते थे वो

ड़कों पर शोर मचाते िाते थे कक ” ओए आगे ना िाओ, और लोग िरते वाप

मय समल

मड़ ु आते थे। ऐ े में िब कोई टै क्

ाइकलों पर टोकन लग रहे हैं ” ना दे तो

छापने पड़ेंगे। खैर, यह तो मेरा हक़ ही था िो मुझे पता था लेककन

रकार को नोट ही ेहत को लेकर क्या करूुँ


? यही

ोच हर दम ददमाग में रहती। स्पीच थैरेपी के लै न मैंने दो छै हफ्ते में कम्प्लीट

कर सलए थे और मैंने घर पर ही प्रैजक्ट बन ना पाता और अभी तक कोई ख़ा दस्य धीरे धीरे मेरी बात इ सलए मैं कह

करनी थी िो मैं लगातार करता रहता लेककन कुछ फकट नहीिं पढ़ा। ब

मझ लेते हैं। इ

इतना ही है कक मेरे घर के

रोग में स्पीच ब्रबलकुल ख़तम हो िाती है ,

कता हूुँ कक कुछ ना कुछ फायदा तो हुआ ही है ।

े ज़्यादा तकलीफ

मुझे तब होती थी िब कोई ररततेदार हमारे घर आता था । मैं कुछ बोलता और वो कुछ और मझ लेते, जि

े मन ही मन में मुझे बहुत तकलीफ पहु​ुँचती।

गसमटयों के ददन थे और एक ददन घा

फू

कुछ

ुहावनी धप ु थी। कुलविंत फूलों की क्याररयों में वीि, यानी

ननकाल रही थी। िै े भी गसमटयों के ददन इिंग्लैंि में हों, मैं गािटन में ही बैठ कर

कून

ा अनुभव मह ू

करता। यह ददन बहुत ही

ुहावना था। हमारे गािटन में उ

वक्त एक ऐपल ट्री, एक चैरी ट्री, और एक पेअर ट्री होता था। शायद मई िून का महीना होगा। फलों के बक्ष ृ ों पर फूल खखले हुए थे जिन्होंने बाद में फल की शक्लें अखखतयार कर लेनी थी। ऐपल ट्री के फूलों की ओर दे खते दे खते अचानक मेरी नज़र एक छोटे

े स्पाइिर

पर पढ़ी िो अपना िाल बुनने में मस्त था। यूुँ तो मेरे नज़र बहुत अच्छ है लेककन पता नहीिं क्यों अचानक मेरी नज़र इ अपने वॉककिंग िेम के मैग्नीफाइिंग ग्ला

स्पाइिर और उ

के वेब्ब पर ऐ ी पढ़ी कक मैं उठा और

हारे भीतर चला गया और मैग्नीफाइिंग ग्ला

तकरीबन चार इिंच र्वआ

दे खना बहुत आ ान हो िाता था। इ पहले मैं ने स्पाइिर के बारे में

का था और ध्यान

ले आया। यह

े हर छोटी चीज़ को बड़ा

स्पाइिर की कारागारी दे खते ही बनती थी। इ

ुना पढ़ा तो बहुत दफा था लेककन यह स्पाइिर बुनाई कै े

करता है , कभी दे खा नहीिं था। मैं अपनी कु ी ऐपल ट्री के नज़दीक ले आया और मैग्नीफाइिंग ग्ला

की मदद

े ध्यान

े दे खने लगा क्योंकक इ

शीशे में स्पाइिर और उ

काफी बड़ा ददखाई दे ता था। वै े यह स्पाइिर बहुत बड़ा नहीिं था, ब था। इ

का वेब्ब

एक मधम ु क्खी िै ा

को ताना बाना बुनते दे ख मेरी है रानी की कोई हद्द नहीिं रही कक यह इतना अच्छा

और एक पैट्रन में यह वेब्ब याने, एक िाल बना रहा था कक मैं है रान रह गया। उ

के मुिंह

में कोई गोंद िै ी चीज़ थी। िब मेरी नज़र इ

स्पाइिर पर पढ़ी थी तो उ

वक्त इ

ही अपना काम शुरू ककया होगा क्योंकक अभी उ

स्पाइिर नें लगता था, अभी अभी

ने दो तीन गोल चक्र में ही बुनाई की थी।

यह बुनाई ऐ ी थी िै े मछसलयािं पकड़ने का िाल बन रहा हो। छोटे में बन ु ाई करके वोह कुछ दे र रुकता, कफर उ

े रै क्टऐिंगल की शक्ल

के मिंह ु की हरकत लगातार होती रहती िै े


मुिंह

े कुछ मैटीररयल बना रहा हो और कफर एक दम छलािंग लगाके,

ाथ में बरीक तार

छोड़ता हुआ द ू रे ककनारे पहु​ुँच िाता। यह ऐ े लगता था, िै े स्पाइिर मैंन एक ब्रबजल्ि​िंग

द ु री ब्रबजल्ि​िंग पर छलािंग लगाता है । कुछ दे र इिंतज़ार करके मुिंह दहलाता रहता और कफर िै े उ

के मिंह ु में बन ु ाई का मैटीररयल तैयार हो िाता तो एक दम छलािंग लगाके द ु री

तरफ चला िाता। िै े हम कक ी िाल को फैलाने के सलए उ बाुँध दे ते हैं, इ ी तरह इ बनाई हुई थीिं, जिन के

स्पाइिर नें भी बुनाई करने

के चारों तरफों को रस् ों

े पहले चारों तरफ पत्तों पर

लेककन यह काम बहुत स्लो था। हर आता, यह पहले पड़ो

ब ु ह मैं गािटन में आ कर इ

ने

ी बन रही थीिं

को दे खता। िब भी मैं

े बड़ा होता और धीरे धीरे यह काफी बड़ा हो गया। कुछ ददन हो गए,

में कोई नए लोग आये थे और उन के बच्चे अपने गािटन में फ़ुटबाल

कक अचानक उन का फ़ुटबाल हमारे ऐपल ट्री पर आ गगरा, जि ा छे द हो गया। मुझे लगा िै े मेरे कक ी गस् ु ा आया लेककन इ मुझे उन की इ

े तारें

हारे यह बड़ा िाल बन रहा था। चारों तरफ तारें बाुँध के उ

समिल में ही यह िाल बुनना शुरू ककया होगा। गोल दायरे में यह डिब्रबया

े खेल रहे थे

े स्पाइिर के िाल में बड़ा

गे का मकान ढा ददया गया हो। मुझे बहुत

दे श में बच्चों को कोई कुछ नहीिं कह

कता। बहुत अफ़ ो

हुआ

हरकत पर।

अब स्पाइिर वेब्ब पर यूुँ ही बैठा रहता, िै े अपना घर ढह िाने का मातम कर रहा हो। कुछ ददन बाद िब मैं गािटन में आया तो मेरी है रानी की कोई हद्द नहीिं रही, िब दे खा कक स्पाइिर ने कफर

े िाल ररपयेर कर सलया था। ख़श ु ी

कुलविंत मेरी तरफ दे खने लगी। मेरी ने अपनी दहमत कर

े मैंने दोनों हाथों

े ताली बिाई,

ोच का घोड़ा दौड़ने लगा कक िब एक छोटे

े अपना टूटा हुआ घर कफर

े िानवर

े आबाद कर सलया है तो मैं क्यों नहीिं कोसशश

कता ! मैंने उ ी वक्त हाथों की एक् र ाइज़ शरू ु कर दी। ददनबददन मेरे हाथों में कुछ

फकट पड़ने लगा। कुछ हौ ला बढ़ा और एक् र ाइज़ को जितना भी हो लगा। चाय का कप्प आ ानी

े पकड़ होने लगा और हैंिराइटननिंग में भी

कता था, बढ़ाने ुधार आने लगा।

अब कु ी पर बैठ कर हाथ पाुँव दहलाने िुलाने लगा। पहले मैं हाथों को ऊपर ले िा नहीिं कता था, कफर मैंने दीवार के पा

खड़े होकर हाथों को ऊपर ले िाने की कोसशश करना

शरू ु ककया। कुछ हफ्ते बहुत मजु तकल लगा लेककन धीरे धीरे आ ान हो गया। कफर मैंने उठते ही बैि में एक् र ाइज़ शरू ु कर दी िो अब तक िारी है । कुलविंत ने मेरे सलए इलैजक्ट्रक चेअर का ऑिटर दे ददया। इ

पर बैठकर िब चाहे इ

करके एक् र ाइज़ करना आ ान हो गया । हाथों की

को ऊिंचा नीचा या टे ढ़ा

ख्त एक् र ाइज़ के सलए बेटे ने

ब ु ह


हाथों

े दबाने वाले जस्प्रिंग दे ददए। पहले पहले इन को दबाना मेरे सलए अ िंभव था क्योंकक

यह बहुत

ख्त जस्प्रिंग होते हैं। एक दो करते करते अब मैं पचा

मैं अपनी टािंग को ऊपर उठा नहीिं दफा द ु री टािंग ऊपर नीचे उठा

कता था, अब पचा

पर पहु​ुँच गया हूुँ। लेटकर

दफा एक टािंग और कफर पचा

कता हूुँ।

बैनमर ने मुझे छै महीने बाद हस्पताल में बुलाया था। चैक करके उ अपॉएिंटमें ट कफर दे दी। जितनी दफा मैं उ

ने छै महीने की

को समलता उतनी दफा वो यह दे ख कर है रान

होता कक मैं अभी तक ठ क हूुँ। कफर उ ने

ाल बाद बल ु ाया और मझ ु े दे खकर बोला, कक वो

मुझे दे खकर है रान है क्योंकक यह किंिीशन बहुत तेज़ी

े िीटे ररओरे ट होती है । बेटे ने उ

को

बताया कक िैि हर रोज़ एक् र ाइज़ करता है । गोरे अक् र कहते हैं, we should learn to live with what we have got और मैंने भी अब इ इ

की गचिंता छोड़ दी थी।

ोशल

वी ज़ की ओर

हालात में िीना

ीख सलया था और

े मुझे चलने के सलए दो िेम ददए हुए

थे। एक को मैं नें बैि रूम में चलने के सलए रख सलया और द ू रा नीचे, जि े मैं गािटन में भी ले िाता था। कुलविंत के

ेंटर में उ की एक

खी को माइनर स्ट्रोक हो गया था और

उ ने कुछ ठ क हो कर एक थ्री वीलर िेम ले सलया था, जि िाती, उ

के

हारे चले िाती। उ

े वो

ारा ददन यहीिं भी

को दे खकर कुलविंत ने मुझे पुछा कक अगर मैं ऐ ा ही

चाहूुँ तो वोह मझ ु े ला दे । मैंने इिंटरनैट पे दे खा और मझ ु े प िंद आ गया क्योंकक इ

के

ही एक बैग और ऊपर ट्रे कफट थी, जि

कता था।

में मैं अपना कुछ िरूरी

ामान भी रख

ाथ

बेटे ने अमाज़ोन पर आिटर कर ददया। द ू रे ददन ही मुझे समल गई। यह िेम मुझे बहुत प िंद आया। इ िरूरी

ामान रख

बन गया। चलता…

थ्री वीलर िेम को चलाना बहुत आ ान था और इ कता था। तब

के बैग में मैं अपना

े अब तक यह िेम मेरी रोज़ाना जज़न्दगी का िरूरी अिंग


मेरी कहानी - 195 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन January 02, 2017 जि

हालात में भी मैं था, मैंने रहना कबूल कर सलया था। वक्त दौड़ा िा रहा था और मैं

अपनी एक् र ाइज़ के िोर ब्रेन

े एक िगह खड़ा हो गया था। िाक्टर ने बताया था कक यह

ैल िीिैनरे शन है और िै े िै े ब्रेन

ैल िैि होते िाएिंगे मेरा शरीर ब्रबलकुल टूट कर

हमेशा के सलए बैि का मोहताज़ हो िाएगा। अब यह मेरी जज़द कह लुँ ू या कोसशश, मैं इ को हरगगज़ होने नहीिं दे ना चाहता था। मैं ने भी अब सलए पड़ िाने

ोच सलया था कक बैि में हमेशा के

े एक् र ाइज़ करना बहुत आ ान है । वै े भी मेरे पा

था। अब िब मैं यह सलख रहा हूुँ तो

तो वक्त ही वक्त

ोचता हूुँ कक मैं हूुँ तो डि ेबल ही लेककन उन ददनों

मेरे शरीर की ताकत बहुत बहुत बढ़ी है । िब मैंने एक् र ाइज़ शरू ु की थी तो टािंगों को ऊपर उठा ही नहीिं

कता था लेककन आि लेटकर हर एक टािंग को पचा

कता हूुँ। ऐ ी बहुत आ न की पचा

ी ऐ ी ऐक्

दफा ऊपर ननचे कर

ाटइज़ज़ हैं, िो मेरी अपनी इज़ाद की हुई हैं और हर एक

मूवमें ट करता हूुँ। आधा घुँटा तो पहले बैि पर ही बहुत

हूुँ। कफर शौच आदद

े ननपट कर एक कप्प चाय का लेता हूुँ और

अन्य मव ू मैन्ट , िो एक घुँटा िारी रहती हैं, जि

ी मूवमैंट करता

ाथ ही शरू ु हो िाती है

में कु ी पर बैठ कर उठना बैठना,

झुकना और ऊपर उठना, नैक मूवमैंट , अनुलोम र्वलोम, कपालभानत, भजस्िका, स हिं आ न और कुछ अन्य िीभ की एक्

ाइज़ज़ िो मुझे स्पीच थैरेपी के दौरान बताई गई थीिं। कफर

ब्रेकफास्ट ले के कोई ककताब या अखबार ऊिंची ऊिंची पढ़ने की कोसशश करता हूुँ, गाना गाने की कोसशश भी करता हूुँ ताकक कुछ कुछ बोलता रहूुँ। ज़्यादा तो बोल नहीिं वालों को तो कुछ कुछ

कता लेककन घर

मझा ही दे ता हूुँ। मेरी एक् र ाइज़ यहािं ही ख़तम नहीिं होती, शाम

के खाने के बाद अपने थ्री वीलर िेम के

हारे आधा घुँटा कमरे में ही इधर उधर घूमता हूुँ।

पहले पहले दो तीन दफा घूमता रहता था और

ीिीआिं भी पिंदरािं बी

लेककन अब स फट एक दफा आधा घुँटा ही चलता हूुँ, और बार बार

दफा चढ़ लेता था ीड़ीआिं चढ़ना बिंद कर

ददया है , जि का कारण आगे सलखग िंू ा। मेरी स हत की विह जिन को हम

े इिंडिया िाना मेरे सलए अ िंभव हो गया था। बहुत

मेटना चाहते थे। जज़न्दगी में बहुत दफा हम

ऐ ा काम कर लेते हैं, जिनका फायदा उ

मझदारी

े ऐ े काम थे

े काम ले के कोई

मय होता है , िब अचानक मेरी तरह शरीर की

घड़ी स्लो हो िाती है । हम कोई अमीर तो नहीिं हैं लेककन िो भी अब तक हमारी

ेर्विंग है ,


वोह कुलविंत और मेरे नाम िौएिंट ही रही हैं, जि का फायदा हमें िब मैं कभी अकेला भी िाता था तो बैंक में कोई तकलीफ नहीिं होती थी और अब क्योंकक मैं तो इिंडिया िा नहीिं कता था और आगे के सलए कोई आशा नहीिं थी, बच्चे इिंडिया िाना नहीिं चाहते, र्वचार ककया कक कुलविंत इिंडिया िाए और अकाउिं ट बन्द करा दे , नहीिं तो िाएगा। एक बात

ो हमने

ब कुछ बेकार हो

े तो हम बच ही गए थे कक हम गोवा में फ़्लैट लेने के इच्छक थे लेककन

बाद में हम ने इग्नोर कर ददया था। अगर ले लेते तो यह भी एक

रददी बन िाती। 2009

में हम ने मशवरा ककया कक कुलविंत इिंडिया िा आये और यह भी कक कुलविंत के

ाथ

िंदीप

ि र्विंदर और बच्चे भी िाएुँ और इिंडिया घूम आएिं। फै ला माचट 2010 में िाने का हुआ क्योंकक अप्रैल में ईस्टर की छुदटयाुँ थीिं। बच्चों ने काम पर अपनी छुदटयािं बक ु करवा लीिं। इ के बाद

ीटें और है ल्थ इिंशोरें

का बिंदोबस्त कर सलया गया। मेरी दे ख भाल के सलए बेदटयों

ने दो दो हफ्ते की छुदटयाुँ ले लीिं। िंदीप ने एअरपोटट को अपनी गाड़ी में ही िाना था और गाड़ी एअरपोटट पर ही पाकट कर दे नी थी, इ

े इिंडिया

े आते वक्त भी कोई तकलीफ होने का अिंदेशा नहीिं था। पोतों के सलए

भी यह एक ऐिवैंचर ही थी क्योंकक वोह पहली दफा िा रहे थे। िा चक् ु का था और ि र्विंदर भी एक दफा िब वोह 14 ननयत ददन

भी बसमिंघम एअरपोटट

िंदीप तो दो दफा पहले भी

ाल की थी, इिंडिया हो आई थी।

े इिंडिया की तरफ उड़ने लगे। आि की रात मैं घर में

अकेला ही था क्योंकक छोटी बेटी ने द ू रे ददन आना था। वै े कुलविंत ने गगयानों बहन के छोटे बेटे बलबिंत को बता ददया था कक अगर मुझे कोई िरूरत हो तो वोह आ िाए और वोह शाम को मेरे पा कह कर वाप

ोने को ही कह रहा था लेककन मैंने उ को कोई कफ़क्र की बात नहीिं है ,

भेि ददया था।

ुबह पािंच बिे

े मैं इिंडिया ददली एअरपोटट पर

े बच्चों के

टे लीफोन की इिंतज़ार कर रहा था। िब छै बि गए तो मैंने ही छोटे भाई ननमटल को उ मोबाइल पर फोन ककया। जि

वक्त मैंने टे लीफोन ककया, वोह

ननकल कर घर की तरफ िा रहे थे, े

के

भी गाड़ी में बैठे एअरपोटट

ब लोग बातें करते हुए ट्रै वल करते िा रहे थे। कुलविंत

ब कुछ पुछा, त ल्ली हो गई और मैं कफर

हर रोज़ मैं टे लीफोन कर लेता था, और उ

ो गया।

ददन कहाुँ गए, क्या ककया, बात हो िाती और

मैं भी ननजतचन्त हो िाता। एक ददन कुलविंत बच्चों को ले कर दीपो बहन को समलने चले गई । िब मैंने दीपो के घर टे लीफोन ककया तो

भी ऊिंची ऊिंची हिं

मज़े में थे। िब

िंदीप मेरे

दीपो मा ी

का समलन एक दफा ही हुआ था। दीपो बहन बहुत गरीब है , घर बहुत

े उ

ाथ इिंडिया आया था तो उ

रहे थे, लगता था बहुत

वक्त वोह 9

ाल का था और


छोटा और

ाधारण है , इ सलए मेरे ददल में कुछ कुछ

प िंद ना करें लेककन मुझे इ दीपो मा ी के घर मज़े ककये। मझ ु े बताया कक

बात की बहुत ख़श ु ी हुई कक

े ज़्यादा

भी बच्चों ने

िंदीप बेशक ज़्यादा बोलता नहीिं है लेककन बाद में कुलविंत ने

िंदीप ने दीपो के

ाथ बहुत मस्ती की और हिं

मा ी ! तू बोलती बहुत है और मझ ु े बोलने का चािं दीपो ने इन

िंदेह था कक शायद बच्चे वहािं रहना

कर दीपो को कहता, ” दीपो

नहीिं दे ती ” और दीपो बहुत खश ु होती।

बके सलए तरह तरह के खाने बनाये हुए थे और िब बच्चे वाप

वोह कह रहे थे कक मेरे मन को भी

आये थे तो

े ज़्यादा खाने का मज़ा दीपो मा ी के घर ही आया। इन बातों

िंतोष होता था कक बच्चे इिंडिया गए हैं और उन्हें कक ी कक म की परे शानी

नहीिं थी।

एक बात की ख़श ु ी मुझे और भी हुई कक हर द ू रे ती रे ददन

िंदीप ब

में ि र्विंदर और

बच्चों को लेकर कभी फगवाड़े और कभी िालिंधर ले िाता और उन को तरह तरह की स्ट्रीट फ़ूि खखलाता। बेछक राणीपुर

े ही टै क् ी समल िाती थी, कफर भी वोह ब

चले िाते और घम ु ते रहते। एक ददन वोह अमत ृ र चले गये, कफर वोह गए। ददल्ली नतलक नगर में कुलविंत की अब वोह कुछ जि

इिंजग्लश बोलते दे ख पड़ो

िंदीप और ख़ा कर दोनों पोतों ाथ बहुत खेलते और उनको

के बच्चे भी आ िाते और हमारे पोतों को पिंिाबी स खाते। कुलविंत

की बहन का एक बेटा ददल्ली पुसल

में काम करता है और वोह

िंदीप को बहुत घुमाता।

ने ददल्ली की बहुत िगह ददखाईं। कुछ ददन ददल्ली में गुज़ार के

पिंिाब चले आये और बड़ी गाड़ी बुक करा के और दीपो को भी चले गए।

ाथ रहती थी (

ाल हुए भगवान ् को र्पयारी हो गई है ) , टे लीफोन मैं हर रोज़ करता था,

े मुझे हर रोज़ की िानकारी समल िाती थी। ददल्ली में

भी को उ

भी ददल्ली चले

ब े बड़ी बहन अपने पररवार के

ने बहुत मस्ती की। कुलविंत की बहन के पोते हमारे पोतों के

यहािं

पकड़ कर ही

ाथ ले के

भी

भी आगरा दे खने

िंदीप ने ताि महल बहुत प िंद ककया।

ताि महल दे ख कर िब यह

भ वाप

घर आये तो एक अिीब बात हो गई। द

अप्रैल

को आइ लैंि में वोल्केनो ( िुआला मुखी ) इरपट्ट हो गया। आइ लैंि में िुआलामुखी अक् र फटते ही रहते हैं लेककन यह इतना भयानक था कक इ का धआ ु िं राख के

ाथ

आ मान में फैलने लगा िो बढ़ता ही िा रहा था। लावा उबल उबलकर पानी की तरह बह


रहा था और िो कुछ भी रास्ते में आता हो रहे थे। इ

राख

े घर

ड़कें

ुआहा ककये िा रहा था। हरे भरे बक्ष ृ िल कर राख

ब दब्बे िा रहे थे। लाल लाल लावा नददयों की तरह दरू

दरू पानी की तरह िा रहा था। 24 घिंटे यह ख़बरें टै ली पर आ रही थीिं। राख वाला धआ ूिं िं मीलों तक ऊपर आ मान की तरफ िा रहा था। युँू तो आइ लैंि में िआ ु ला मख ु ी ब्रबस्फोदटक होते ही रहते हैं लेककन यह बहुत बड़ा था जि प्रभावत हो गए । एअर ट्रै कफक डिस्रप्शन

े नॉदट नट यरू प के तेरह चौदह दे श

े बुरी बात हुई, जि की विह

चलने बिंद कर ददए गए क्योंकक यह धआ ूिं िं इिंजिन में फिं

कर हाद ा हो

एयरपोटों पर याब्रियों का िो हाल हुआ, वोह रीफ्यूिी कैम्पों

े एरोप्लेन

कता था ।

े कम नहीिं था। ईस्टर की

छुदटयािं होने के कारण बहुत लोग द ू रे दे शों में छुदटयािं ब्रबताने के सलए गए हुए थे और उन्होंने हॉसलिे

े वाप

आ के अपने अपने काम पे वाप

भी िाना था, पै े भी उनके पा

ख़तम हो रहे थे, एयरपोटों पर इतने लोगों के सलए र्ववस्था नहीिं थी, होटलों के बड़े बड़े ब्रबल चक ु ाना भी अ िंभव हो रहा था, बहुत लोग िो अपनी दवाइओिं पर ननभटर थे, उनके पा दवाइआिं ख़तम हो रही थीिं। एयरपोटों पर िहाज़, बस् ों के अड्िों की तरह िमा हो गए थे। िो भी िहाज़ आता, आगे ना िाता, वही​ीँ पाकट कर ददया िाता । बहुत लोग ट्रे नें पकड़ पकड़ कर, एक द ू रे दे शों में बैजल्ियम और िािं

े हो कर िाने लगे। इिंग्लैंि को आने वाले यािी कई दे शों

की कैले बिंदरगाह

े फैरी ले कर इिंग्लैंि आने लगे।

यह दे ख कर मैंने कुलविंत को फोन ककया कक जितनी िल्दी हो क्योंकक अभी इिंडिया

े कुछ उड़ाने कक ी और रुट

उ ने बताईं। कुलविंत को मैं रोज़ बताता था लेककन वोह इ इ

मझती थी कक कोई छोटी

िंदीप वाप

को इतनी

आया तो

ीरीय ली नहीिं ले

वक्त कम्पयूटर अभी इतने नहीिं थे।

को गाुँव में कक ी के घर िाने का अव र समला जि े

आ िाएुँ

ी बात होगी और क्योंकक मैं िल्दी घबरा िाता हूुँ,

सलए वोह अपनी शॉर्पिंग में ही मगन थी। उ

इिाित

के वोह वाप

े आ रही थीिं। इिंडिया में लोग यह बातें

िानते ही नहीिं थे और ख़बरें भी मुख़्त र होती थीिं। यह बातें िब रही थी। वोह

े होते हुए

िंदीप

के घर में कम्पयट ू र था। घर वालों की

िंदीप ने कम्पयूटर पे बीबी ी ख़बरें दे खीिं तो िर गया और घर आके

ि र्विंदर टै क् ी ले कर िालिंधर चले गए और एअरलाइन्

िंदीप और

के दफ्तर में चले गए और उन

ीट बुक कर दे ने को कहने लगे। अब इिंडियन लोगों का तो यह वक्त होता है पै ा बनाने का। वोह तिंग करने लगे कक अभी तो चार हफ्ते तक कोई वोह एक

ीट दे

ीट थी ही नहीिं। कफर बोले कक

कते हैं। अप ैट हो कर वोह शाम को घर आ गए। मैं रोज़

िंदीप को


बताता कक यूरप में लोग एयरपोटों पर फिं े हुए हैं, अगर ट्रै वल एिेंट को पै े भी दे ने पड़ें तो दे दें । द ू रे ददन

िंदीप और ि र्विंदर कफर िालिंधर चले गए और क्लकट

े बातें करने लगे।

िब बहुत दे र तक यह बैठे रहे और वोह महाशय बोले ही नहीिं तो ि र्विंदर उन के इिंजग्लश में तेि तेि बातें करने लगी और उ ने धमकी दी कक वोह है ि ऑकफ ररपोटट करे गी। यह बात

न ु कर वोह शख्

िंदीप वहािं

पहुिंचे ही थे कक उ ी वक्त एिेंट का टे लीफोन आ गया कक

यह

ीट पक्की हो गई थी और कहा कक

ुनकर एक तरफ तो

में उ की

घबरा गया और वादा ककया कक वोह िल्दी

का बिंदोबस्त करे गा। गुस् े में ही ि र्विंदर और भ की

ाथ

भी

ीटों

े उठकर आ गए। अभी यह घर ुबह द

बिे की फ्लाइट में उन

ीधे एअरपोटट पर पहु​ुँच िाएुँ।

भ खश ु हो गए लेककन द ु री तरफ भाग दौड़ शुरू हो गई। बहुत

े धोये हुए कपिे थे, इन्होंने वोह घर में ही छोड़ ददए। हफरादफरी में पैककिंग शुरू कर दी। यह भी अच्छा था कक छोटा भाई ननमटल घर में ही था और गाड़ी भी अपनी ही थी। दे र रात तक पैककिंग होती रही और

ो गए।

ुबह चार बिे उठ कर चाय के कप्प पीकर पािंच बिे

इन्होंने गाुँव छोड़ ददया। िब यह अमत ृ र एअरपोटट पर पहुिंचे तो यह लोग है रान हो गए कक इ

िहाज़ में िाने वाले इतने यािी है ही नहीिं थे। िालिंधर वाला एिेंट खामखाह पै े बटोरने

के सलए इनको तिंग कर रहा था। दरअ ल बात यह थी कक बहुत लोगों को आइ लैंि की घटना के बारे में पता ही नहीिं था। िब यह यहािं आये तो टीवी दे खकर दिं ग रह गए कक बहुत अच्छा हो गया कक वक्त पर पहु​ुँच गए नहीिं तो पता नहीिं ककतने ददन और ठै हरना पड़ता। हमारे टाऊन के एिेंट का द ू रे ददन टे लीफोन आ गया कक यह लोग कै े िल्दी आ गए और अमत ृ र एयपोटट पर हालात कै े थे। बहु ने था। कहते हैं, अिंत भला

ब कुछ बताया कक एरोप्लेन तो आधा खाली

ो भला, इनके आने के कुछ ददन बाद लोग इतने दख ु ी हुए कक कई

लोग द ु री एअऱलाइिंज़ में ज़्यादा पै े खचट के इिंग्लैंि पहुिंच।े िब लोगों को आइ लैंि के बारे में पता चला तो मचाना फायदे मिंद चलता…

ब लोग पैननक में आ गए थे। कलविंत हिं ने लगी कक मेरा इतना शोर ाबत हुआ।


मेरी कहानी - 196 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन January 05, 2017 कुलविंत की इिंडिया यािा के बाद जज़न्दगी पहले की तरह चलने लगी। इिंडिया रहकर िो िो काम हमने करने चाहे थे, वोह कुलविंत ने मुकमल कर ददए थे और हम बेकफक्र हो गए थे। ददन पहले की तरह बीतने लगे। 18 या 19 िल ु ाई होगी। हर रोज़ की तरह शाम को, शाम का खाना खा के मैं

ो गया। कोई एक घुँटे बाद मुझे अचानक िाग आ गई, मेरे पेट में िोर

की ददट होने लगी। नासभ के दाईं ओर ददट इतनी तेज़ होने लगी कक कुलविंत ने

हना मुजतकल हो गया।

ौफ अिवायन इलायची िाल कर चाय बनाई, पीने के बाद भी कोई फकट नहीिं

पड़ा। ददट बढ़ती ही िा रही थीिं। बाद आया। आते ही उ

िंदीप ने ऐमिे ी िाक्टर को फोन ककया लेककन वोह दो घिंटे

ने मझ ु े अनछ तरह चैक अप्प ककया। मेरा पेट बहुत

था, पत्थर की तरह। िाक्टर ने अपनी

ख्त हो गया

ोच के मुताब्रबक मुझे िुलाब के सलए दवाई दे दी

लेककन कई घिंटे बाद भी ना तो मुझे शौच िाने की इच्छा मह ू

हुई और न ही मेरी ददट

कम हुई। दो ददन ऐ े ही बीत गए। िाक्टर को टे लीफोन करते तो वोह दवाई िारी रखने को कह दे ता। िब ती रा ददन हो गया और मेरी ददट कम नहीिं हुई तो कुलविंत िाक्टर सम ज़ ररखी की

िटरी में चले गई और

मुझे दे खने आ गई। िब उ ऐम्बुलें

ब कुछ बताया। सम ज़ ररखी शाम को

ने मुझे चैक अप्प ककया तो उ

के सलए टे लीफोन कर ददया और

ने

िटरी बन्द करके

ीधा हस्पताल को

ाथ ही एक पेपर पर मेरा नाम और

ारी िीटे ल

सलख कर हमें दे दी और हमें

मझाया कक िब ऐम्बुलें

आये तो यह ररपोटट ऐम्बुलें

को दे दे ना। सम ज़ ररखी की

मझ में आ गया था कक मझ ु े ककया तकलीफ थी। मैं भल ू ना

िाऊिं, अब सम ेज़ ररखी ररटायर हो गई है और अपनी बेटी के पनत बहुत वषट हुए भगवान ् को र्पयारे हो गए थे और उ उ के सलए

दनु नआिं

के

की बेटी िो खुद िाक्टर है , ही े, वरना एक दो

े रुख त हो िाने वाला था।

सम ज़ ररखी चले गई। उ के िाने के बाद एक घुँटे बाद ऐम्बुलें ड्राइवर के

ाथ रहती है क्योंकक उ

ब कुछ है । आि मैं जज़िंदा हूुँ तो स फट सम ज़ ररखी की विह

ददन में ही मैं इ

वालों

आ गई। ऐम्बुलें

में

ाथ एक आदमी और था। वीह्ल चेअर ले के दोनों घर के अिंदर आ गये। कुलविंत

ने मेरे कपड़ों का बैग पहले ही तैयार कर सलया था। रात के कोई आठ नौ बिे होंगे। उन्होंने मझ ु े वीह्ल चेअर में ब्रबठाया और घर के बाहर ले आये। ऐम्बल ु ें

की सलफ्ट पीछे के दरवाज़े

पर थी। उन्होंने सलफ्ट ऑन कर दी और िब नीचे आ गई तो वह वीह्ल चेअर को धकेल कर


ऐम्बुलें

के अिंदर ले आये। ड्राइवर अपनी ड्राइर्विंग

ीट पर आ गया और उ

सलफ्ट ऑन करके इ को अिंदर ले आया और र्पछली िोर बन्द कर दी। इ

के अस स्टें ट ने के बाद उ

मेरे मुिंह पर ऑक् ीिन मास्क लगा ददया। दोनों गोरे बहुत अच्छे थे और मेरे कर रहे थे। इन ऐम्बल ु ें पेशेंट को

ने

ाथ बातें भी

वालों को बहुत ट्रे ननिंग समली हुई होती है और इन को हर तरह के

िंभालने की सशक्षा समली होती है । न्यू क्रॉ

हस्पताल जज़यादा दरू नहीिं था, बी

समिंट में हम हस्पताल पहु​ुँच गए। इन दोनों ने बड़ी दहफाज़त

े मुझे वीह्ल चेअर में ब्रबठाया,

वीह्ल चेअर को रैंप पर रख कर बटन दबाया और वीह्ल चेअर नीचे ज़मीिं पर थी। अब यह दोनों वीह्ल चेअर को धकेल कर हस्पताल के भीतर ले आये। रर ैप्शन के काउिं टर पर क्लकट लड़ककयािं बैठ थी। ऐम्बल ु ें

वालों ने

ारे िाक्यम ू ें ट्

उन लड़ककयों को दे ददए। कुछ दे र बाद

एक और वीह्ल चेअर ले कर गोरा आया और मुझे उ

में ब्रबठाकर एक िगह ले आया और

मुझे एक कमरे में एक चेअर पर ब्रबठा कर चले गया। एक न ट ने आ कर मुझ

े कुछ

वाल पूछे िो मुझे याद नहीिं और कफर वोह एक और वीह्ल चेअर में ब्रबठाकर एक छोटे कमरे में मुझे ले आई, यह छोटा

ा कमरा स फट मेरे सलए ही ररिवट कर ददया गया था,

जि

ाथ मेरे कपिे रखने के सलए छोटी

में एक बैि थी और बैि के

कमरे में एक छोटे िाक्टर आया और उ

ी कैबनेट थी। इ ी

े कमरे में टॉयलेट और शावर नहाने के सलए था। कुछ दे र बाद एक ने मुझे अनछ तरह चैक अप्प ककया, बहुत

वाल पूछे िो मुझे अब

याद नहीिं, िाहर है , कै े ददट हुआ, क्या खाया था, ऐ े ही होंगे। ररपोटट सलख कर उ

ने कहा

कक पहले वोह ऐम आर आई स्कैन करें गे और वोह चले गया।

मुझे कुछ पेन ककलर दे ददए गए थे और पेन ककलरज़

े पेन कुछ कम हुई थी और मैं बैि

पे लेट कर एक मैगज़ीन पड़ने लगा। अभी तक खाने के सलए मुझे कुछ भी ददया नहीिं गया था और ना ही मुझे भूख थी। कोई आधे घिंटे बाद एक न ट ट्रॉली ले कर आई, जि लेटने के सलए बैि थी। उ

पर

ने पकड़कर धीरे धीरे मुझे ट्रॉली पे लेटा ददया और मुझे उ

कमरे की ओर ले चली यहािं मेरा एमआरआई स्कैन होना था। िब कमरे में पहुिंचे तो दो न ों ने मुझे ट्रॉली

े उतार कर स्कैन करने वाली बैंच पे लेटा ददया। एक न ट ने जस्वच ऑन

ककया और बैंच पीछे की ओर िाने लगी और मेरा

र उ

यहािं मेरा स्कैन होना था। कफर उ

गोल मशीन के नीचे कर ददया। उ

ने मेरा पेट उ

गोल मशीन के नीचे आ गया, ने

मुझे कुछ इिंस्ट्रक्शन्ज़ भी दी थी, िो मुझे याद नहीिं। कुछ दे र बाद िब स्कैननिंग हो गई तो दो न ों ने कफर मझ ु े पहले वाली ट्रॉली पे लेटा ददया और वोह ही न ट मझ ु े मेरे कमरे में छोड़


आई और िाती हुई मुझे बता गई कक िाक्टर स्कैननिंग की ररपोटट दे खकर मेरे कमरे में आएगा और मेरे

ाथ डिस्क

करे गा। इ ी दौरान मेरे पेट में गड़बड़ होने लगी और टॉयलेट िाने की

िबरदस्त इच्छा हुई। यह भी हम ने अच्छा ककया था कक घर वीह्लर वॉककिंग िेम भी ले आया था। बड़ी मजु तकल

े आते वक्त मैं अपना थ्री

े मैं टॉयलेट तक पहुिंचा और मेरे कपड़े

काफी खराब हो गए। दरअ ल िो एमरिैं ी िाक्टर घर पर बल ु ाया था, उ

ने िल ु ाब के

सलए दवाई दी थी, जि

मय को याद

का अ र अब हुआ। यह िो मैं सलख रहा हूुँ, उ

कर एक नघन और बेबस् ी की बात याद आ िाती हैं। एक तो मेरा चलना मुजतकल, द ू रे पेट की हालत को

म्भालना मुजतकल, मुझे भय

ा लग रहा था की नीचे फशट पर गगर ना िाऊिं,

अगर मैं गगर गया तो मझ ु े उठाएगा कौन। एमरिें ी बैल मैं इ सलए बिाता नहीिं था की जि

हालत में मैं था, मुझे खद ु

शौच

े शमट आ रही थी।

े फ़ागट हो कर मैंने अपने आप को दटशू पेपर

पेप्परों

ाफ़ करना शुरू ककया लेककन दटशू े मेरे वॉककिंग िेम के बैग में बड़ा

े ककया होता, यहािं तो हाल ही बुरा था। भाग्य

ककचन रोल था। अब मैंने नीचे के आप को धोया। इ वहािं पड़े बैग में जि

ारे कपिे उतार ददए और धीरे धीरे शावर है ि

के बाद मैं िेम की मदद

े वाप

े नए कपिे ननकाले। कपिे मैंने बैि पर रख ददए और एक बड़ा कैररअर बैग

में कपिे थे, उ

को खाली करके कफर टॉयलेट में आ गया। े

ारे गन्दे कपिे इ

पे लेट गया। जज़न्दगी में इतना कुछ थी की मैंने अपने आप को की आि मुझे स फट इ आुँखों के

बैग

ाफ़ ककया। अनछ तरह त ल्ली

करके मैं अपनी बैि के नज़दीक आ के नए कपिे पहन सलए और ननढाल

की िीत

े अपने

अपनी बैि के नज़दीक आया और

में िाले और फ्लोर को धीरे धीरे ककचन रोल के पेपरों

हा था और अब मुझे स फट इ

ा हो कर मैं बैि

बात

े त ली हो रही

ाफ़ करके, कपिे पहन सलए थे। इिं ान की कै ी र्विम्बना है ,

बात

े त ल्ली हो रही थी की जि

हालत में अभी अभी मैं था,

े ही मुझे अपने आप पर गवट हो रहा था। यह घटना अब भी उ ी तरह मेरी

ामने रहती हैं।

खाने के सलए मुझे कुछ नहीिं ददया गया था और ना ही मुझे इ बिे होंगे एक िाक्टर आया, जि

के हाथ में बहुत

और बोला की एमआरआई की ररपोटट में कुछ

ीररय

की इच्छा थी । कोई द

े फ़ामट थे। िाक्टर मेरे पा

बैठ गया

दीख रहा है , लगता है बाऊल में छे द


है और अगर हुआ तो यह बहुत अगर ना भी हुई तो मैं कभी बैि

ीररय

है । उ ने कहा कक इ

े िैथ भी हो

े उठूिंगा नहीिं और मेरी जज़न्दगी

ाल या दो

कती है और ाल

ज़्यादा नहीिं होगी और ऑपरे शन के बाद मुझे वेस्टपाकट हस्पताल में बैि दे दी िायेगी। अगर मैं ऑपरे शन चाहूुँ तो मेरे घर के नज़दीकी

दस्य के हस्ताक्षर की िरुरत होगी लेककन यह

ऑपरे शन िल्दी होना चादहए। यहािं के िाक्टर मरीज़

ाफ़

भी छुपाते नहीिं हैं। अब तक मैंने इतना कुछ दे खा था, इ शजक्त आ गई थी और िाक्टर की बातों

ाफ़ बातें करते हैं और कुछ

को झेलते झेलते मुझ में एक

े मुझे कोई िर नहीिं लगा। मैंने िाक्टर को कहा की

हस्ताक्षर मैं खद ु करता हूुँ और मेरा ऑपरे शन िल्दी हो िाए। कौन ेंट वाला फामट काफी बड़ा था। इ

को पड़ना मैंने मन ु ास ब नहीिं

मझ और दस्तखत कर ददए। मझ ु े पता था की इ

फ़ामट में यह ही होगा की अगर ऑपरे शन कुछ गलत हो गया तो हस्पताल जज़मेदार नहीिं होगा। िाक्टर चले गया। रात के उ

ाढ़े बारह बिे थे। एक न ट ट्रॉली लेकर आ गई और मुझे

पर लेटा ददया और बताया कक हम ऑपरे शन गथयेटर को िा रहे हैं। िब ऑपरे शन

गथयेटर में पहुिंचे तो वहािं दो

िटन और एक ऐनेजस्थदटसशयन था। इन में एक

था जि ने फ़ामट पर मेरे दस्तखत कराये थे। वोह आप मैडिकल के

म्बन्ध में थीिं, जिनको मैं

एक बिे ऐनेजस्थदटसशयन मेरे पा ने

मझ नहीिं

आया, जि

ूई मेरी कलाई में घोंप दी और मुझे द

िटन वोह ही

में बातें करते िा रहे थे िो उनकी

कता था।

के हाथ में एक इिंिेक्शन की स ररिंि थी। उ तक गगनने को बोला। मुझे याद है , पािंच तक

पहु​ुँच कर मैं बेहोश हो गया था । कोई तीन बिे एक

िटन ने मेरे गाल पर छोटी

ी चपत

लगाईं और बोला, “gurmail ! wake up ! it is appendics, lucky ! you will be ok “, मुझे ऐ ा लग रहा था िै े मेरे गले में कुछ फिं ा हुआ है । मैं ने इछारा ककया कक मेरे गले में कुछ था। उ

ने कहा कक मेरे गले में कुछ नहीिं था, स फट मुझ को फीसलिंग ही थी क्योंकक

ऑपरे शन के वक्त मेरे मह ुिं में ब्रीददिंग ककट थी। ऑपरे शन के बाद मुझे एमरिें ी वािट में ले आये। इ

वािट में मेरे िै े पेशट ैं ही थे। एक न ट ने हर दम मेरे पा

रहना था। वािट में

अुँधेरा था क्योंकक अभी भी रात थी। र्पछाब के सलए ट्यूब कफट की हुई थी और बैि के एक स्टैंि पर प्लाजस्टक बैग रखा हुआ था। ट्यूब में

ाथ

े र्पछाब कतरा कतरा आता हुआ उ

बैग में गगर रहा था। मेरे ऊपर एक चादर थी, चादर के नीचे मैंने अपना हाथ िाल कर मह ू

ककया। पेट के ऊपर

े नीचे तक पट्टी की हुई थी, जि

े मैंने अिंदािा लगाया कक


कमज़कम आठ नौ इिंच पेट फाड़ा होगा। न ट थोह्ड़ी थोह्ड़ी दे र बाद मेरा ब्लि प्रेशर और टै म्प्रेचर चैक्क ककये िा रही थी।

ब ु ह के द

बि गए थे। मैं कक ी तरफ भी दहल नहीिं

हुआ था। यहािं

कता था। पीठ के बल

ीधा लेटा

ब मेरे िै े ही थे, कई तो बेहोश थे। कुछ दे र बाद एक मुस्कराता हुआ चेहरा

ददखाई ददया, यह मेरी बड़ी ब्रबदटया का था, िो मेरी ओर दे ख कर मुस्करा रही थी । ओ है लो र्पिंकी ! मैंने कहा। र्पिंकी और िमाई रािा लिंदन ली थी और कोई ख़ा

भ को एक

बोल तो नहीिं

िंतुजष्ट

े आ गए थे।

भी ने िाक्टर

े ररपोटट ले

ी हो गई थी कक ऑपरे शन ठ क ठाक हो गया था। मैं

कता था लेककन

भी को मस् ु कराकर अिंगठ ू े खड़े कर दे ता कक मैं

कफट हूुँ। कुछ दे र बाद बाते करके र्पिंकी और िमाई रािा, चरनिीत चले गए और कफर एक एक करके

भी समलकर चले गए। कुलविंत आखर में आई, उ की आुँखों में आिं ू थे, मैंने

कहा कफ़क्र की कोई बात नहीिं थी।

िंदीप ि र्विंदर भी आ गए थे और बातें करके

गए। एक घिंटा ही र्विदटिंग टाइम होता है और यह िल्दी ही बीत गया और वाप

चले गए। दरअ ल मेरे पेट में अपें डिक्

फट गगया था, जि

के कारण

ब चले

भी घर को ारे शरीर में

ज़हर फ़ैल गगया था, अगर दे र हो िाती तो पता नहीिं आि मैं यह सलख रहा होता या नहीिं। मेरे ददमाग में उ

वक्त क्या था, क्या क्या

ोच रहा था, मुझे याद नहीिं, ब

है कक मेरे मन में कोई घबराहट नहीिं थी, िै े दख ु ों को झेलना मैंने चलता…

इतना ही याद

ीख सलया था।


मेरी कहानी - 197 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन January 09, 2017 ऐमरिैं ी वािट में मैं तीन ददन तीन रातें ऐ े ही पड़ा रहा, कोई दहलिुल नहीिं थी, खाना तो दरू की बात, पानी पीने की इिाित नहीिं थी। मेरे लब और िीभ पानी के सलए इच्छारा करता तो वोह छोटे

े स्पिंि

ूख रहे थे। न ट को मैं

े मेरे लब गीले कर दे ती। मैं

गया था कक पानी पीने की मुझे इिाित नहीिं थी। दप ु हर और शाम को

मझ

भी मुझे समलने

आते। कुलविंत मेरी तरफ दे ख कर आुँखें भर लेती लेककन मैं अपने अिंगूठे उठा कर, मैं ठ क हूुँ का इशारा कर दे ता। गगयानो बहन का बेटा ि विंत इ ी हस्पताल में काम करता था। वोह हर रोज़ एक दो दफा मेरे पा

आ िाता था, जि

े मेरे चेहरे पर कुछ मुस्कराहट आ

िाती। तीन ददन तक मझ ु े कोई पानी नहीिं ददया गया। मेरी दोनों कलाइयों पर बहुत लग्गे हुए थे, जिन में मुझे खन ू ददया िा रहा था और लगातार दवाई िा रही थी। गुलुकोज़ के डड्रप्

ाथ ही ऐिंदटबॉयोदटक्

े पाइप

के बैग में

े ही मेरे शरीर को एनिी समल रही थी। पेट

में दो पाइप लग्गे हुए थे, एक नासभ के दाईं ओर और द ू रा नासभ के नीचे, यहािं

े गिंदा

खन ू तप ु का तप ु का बाहर आ रहा था िो एक प्लाजस्टक बैग में िा रहा था। मिंह ु पर ऑक् ीिन का मास्क लगा हुआ था। मेरे लब और िीभ हो रहे थे। िीभ तो बहुत ही रफ मह ू

ख ू कर लकड़ी की भाुँनत मह ू

हो रही थी। ती रे ददन छोटे

े कप्प में , जि

में

चार पािंच चम्मच ही पानी होगा, मुझे पीने के सलए ददया गया। न ट ने यह कप्प मेरे लबों को लगाया ही था, कक मैं पीने के सलए ऐ े ककया िै े पानी का बड़ा ग्ला यह कुछ चमचे पीने

े यह पानी मझ ु े अमत ृ

मेरे

ामने हो।

ामान लगा। मन चाहता था, दो तीन ग्ला

पानी के पीने को समलें। चौथे ददन मुझे िैनरल वािट में सशफ्ट कर ददया। इ हालत ऐ ी थी कक कमज़ोरी की विह

वािट में पिंदरािं

े मैं ब्रबलकुल ही बोल नहीिं

ोलह पेशेंट होंगे। मेरी कता था, इ

सलए कोई

तकलीफ हो तो मैं पैंन

े एक पेपर पर सलख दे ता। न ों ने मुझे बता ददया था कक मुझे

िुलाब बहुत आएिंगे, इ

सलए िब भी मह ू

लगातार मुझे डड्रप

े ददया िा रहा था, उ

ननकलना था। आगे का कुछ सलखने माुँ की तरह मेरी

हो मैं बैल बिा ददया करूुँ। ऐिंदटबॉयोदटक् े िुलाब आकर शरीर की

े पहले मैं उन न ों को

ेवा की। यह बात कभी भी मैं भल ू नहीिं

के सलए अनछ तान्खआ ु ह दी िाती थी, कफर भी हिं

हिं

िो

ारी ज़हर को बाहर

लाम करता हूुँ, जिन्होंने एक कता। बेशक उन को इ

कर वोह मुझे

काम

ाफ़ करती थी और


उ ी वक्त अगर गिंद का एक ननशान भी बैि शीट पर लगा होता तो वोह इ

शीट को नीचे

े ननकाल कर उ ी वक्त नई अिंिे की तरह गचटी बैि शीट र्वछा दे ती। हर दफा दो न ें होती थीिं। उन का तरीका भी कमाल का था। पहले वोह दोनों िोर लगा कर मेरे शरीर को एक तरफ रोल कर दे तीिं, कफर गिंदी शीट इकठ कर दे तीिं। इ हुई शीट की िगह पर ब्रबछा दे ती। कफर वोह वाप

के बाद नई शीट आधी इकठ की

मेरे शरीर को द ू री तरफ रोल करके गिंदी

शीट ननकाल दे ती और नई शीट पूरी तरह ब्रबछा दे तीिं। िब भी मुझे िुलाब आना मह ू होता, मैं बैल दबा दे ता और एक न ट उ ी वक्त आ कर पहले मेरी बैि के इदट गगदट का पदाट तान दे ती, कफर वोह मुझे अपना शरीर नीचे मेरे नीचे गत्ते का बना पैन रख दे ती। इ

े उठाने को कहती। िब मैं उठा लेता तो वोह

के बाद मझ ु े बोल िाती कक िब मेरी त ल्ली हो

िाए तो मैं बैल का बटन दबा दुँ ।ू िब मेरी त ल्ली हो िाती तो मैं बैल दबा दे ता। वोह आती और मुझे अनछ तरह िै े बच्चों को शीट थोह्ड़ी

ाफ़ करती, कफर ऐिंटी ैजप्टक क्रीम लगा के पाऊिर लगा दे ती,

ाफ़ ककया िाता है और हिं

कर बाई बाई कह िाती। इ ी दौरान अगर मेरी

ी भी खराब होती तो वोह नई शीट ले आती और दो न ें आ कर मेरी शीट भी

बदल दे ती। इ

दौरान वोह दोनों न ें हिं ती हुई आप

िातीिं। इन न ों को मैं कभी भूल नहीिं

में उन की कोई बात भी करती

कता। इन को कोई नफरत नहीिं होती थी और ना ही

कोई बदबू आती थी। पहले पहल मुझे बहुत शमट आती थी लेककन धीरे धीरे मेरी शमट और खझझक काफी हद तक दरू हो गई थी। मेरे पा

की बैि, एक

करता था। इ हूुँ, मुझे इ को बल ु ाने

शख्

रदार की थी, जि

ने अमत ृ छका हुआ था और रोज़ पाठ ककया

ने मुझे कभी नहीिं बुलाया और ना ही मेरी कोई मदद की।

े नफरत हो गई थी और उ े पहले मैं अपने पैंन

च बोलता

की तरफ दे खने को भी िी नहीिं चाहता था। न ट

े पेपर पर सलख दे ता था कक मुझे क्या िरुरत थी। एक

ददन सलखते सलखते पैंन नीचे गगर गया, मैं बोल तो

कता नहीिं था, उ

भी मुझे पैंन नहीिं पकड़ाया। तीन ददन बाद यह स हिं हस्पताल कई ददन तक मैं उ को याद करके नफरत करता रहा।

रदार ने दे ख कर

े डिस्चािट हो गया था लेककन

ोचता था, इ

शख्

का व्यवहार

अपने घर में कै ा होगा। खैर, उ ने मेरा कुछ ब्रबगाड़ा तो नहीिं था, स फट इिं ानी कफतरत ही है कक मैं उ

े नफरत कर रहा था। वािट में हर

ब ु ह

िटन और बड़े िाक्टर आकर हर

मरीज़ की ररपोटट दे खते थे और न ों को दहदायत दे दे ते थे। ददन रात न ें ब्लि प्रेशर और टै म्प्रेचर चैक करती रहतीिं। कभी खाना आ गया, कभी चाय काफी आ गई, कभी दआ ु इआिं लेकर आ गईं, कभी

िैं र्वच ब्रबजस्कट लेकर आ गईं,

ारा ददन ऐ ा चलता रहता था। एक


हफ्ता हो गया था और मुझे कुछ कुछ पानी पीने की इिाित समल गई थी लेककन चाय काफी और खाना अभी भी वजिटत था। र्पशाब के सलए बैग लगा हुआ था और एक ट्यूब

खद ु बखुद तुपका तुपका करके प्लाजस्टक के बैग में िा रहा था। िब बैग भर िाता तो न ट उ की िगह नया बैग लगा दे ती और मझ ु े इ एक ददन ऐ ा हुआ कक बैग र्पछाब ऐिंदटबॉयोदटक् मेरा

की कोई तकलीफ नहीिं थी।

े भर गया। कक ी न ट के गधयान में नहीिं आया।

के ड्रॉप, गुलूकोज़ के ड्रॉप और ब्लि लगातार शरीर को िा रहा था। इ

ारा शरीर गब ु ारे की तरह फूलने लगा। मेरी टािंगें, कलाइयािं, हाथ पैर यानी

ारा शरीर

फूल गया। मेरे हाथ बड़े बड़े हो गए। हाथों को दे ख कर मैंने एमरिें ी बैल दबाई। न ट आ गई और मैंने अपने हाथ उ को ददखाए तो वोह घबरा गई। पहले तो उ

ने िल्दी

े नया

बैग लगाया और कफर िाक्टर को बुलाया। िाक्टर ने आते ही कोई कैप् ूल बताया और न ट ने मुझे पानी के िखम

ाथ लेने को कहा। तीन ददन में मेरा शरीर नॉमटल हो गया। हर रोज़ मेरे

ाफ़ करके ऊपर दवाई की टे प लगा दी िाती थी। ऑपरे शन को टै टेननयम के टाुँके

लगे हुए थे िो बहुत मज़बूत मैटल के होते हैं। िब मैं इन टािंकों को दे खता तो अपना पेट दे खकर अिीब

ा लगता क्योंकक मेरी नासभ अपनी िगह

गई थी, पेट की शक्ल ब्रबलकुल ही ब्रबगड़ गई थी। कोई द

े दो तीन इिंच एक तरफ को हो ददन बाद दो न ें आईं। मुझे

कहने लगीिं कक ” गरु मेल ! आि आप उठें गे ” और दो न ों ने मझ ु े दोनों तरफ और िोर

े मझ ु े

े पकड़ा

ीधा करके धीरे धीरे पैर बैि के नीचे रखने को कहा लेककन टाुँके इतने ददट

कर रहे थे कक मेरी हर मूवमैंट बहुत कष्ट भरी लग रही थी। कोई द

समिंट मुझे पैर फशट पर

रखने को लगे। कफर उन्होंने मुझे धीरे धीरे कु ी पर ब्रबठा ददया। कुछ दे र बैठने के बाद उन्होंने मुझे एक रे हड़ी पर चढ़ने को बोला िो पा पैर इ

ही खड़ी थी। बड़ी मुजतकल

े मैंने अपने

रे हड़ी के प्लैटफामट पर रखे। मैं ने खड़े हो कर रे हड़ी को लगे दो स्कूटर िै े हैंिलों

को स्कूटर की तरह पकड़ सलया। अब दो न ें इ

रे हड़ी को धीरे धीरे धकेलने लगीिं और

ारे

वािट के दो चक्कर लगाए। अपनी अपनी बैिों पर पड़े मरीज़ तासलयािं बिा रहे थे और मुझ को चीअर अप्प कर रहे थे। ब

आि की एक् र ाइज़ इतनी ही थी। द ू रे ददन भी दो न ें आईं और मुझे वीह्ल चेअर

में ब्रबठा कर जिम्नेजज़यम रूम में ले आईं। यहािं मुझ िै े मरीिों के सलए थीिं िो इ

तरह बनी थी कक एक तरफ छै स्टै प थे और ऊपर

ीदढ़यािं बनी हुई

मतल प्लैट फ़ामट बना हुआ

था और द ु री तरफ उतरने के सलये कफर छै स्टै प थे। मुझे कहा गया कक मैं एक तरफ ऊपर िाऊिं और द ु री तरफ

े नीचे उतरूिं। ऐ ा मैंने दो दफा ककया। न ,ें वैरी गड़ ैं ु एक् ेलट


बोलने लगी और मुझे कफर वािट में ले आईं। ती रे ददन न ें एक वाककिंग िेम ले आईं और मुझे इ का

हारा लेकर कुछ स्टै प चलने को कहा। कोई पिंदरािं समिंट मैं वािट में धीरे धीरे

चला और मरीज़ तासलयािं बिा रहे थे। मैं

ोच रहा था कक यह भी तो एक कल्चर ही थी कक

भी गोरे मरीज़ तासलयािं बिाकर मेरा हौ ला बड़ा रहे थे और द ु री तरफ मेरा अपना इिंडियन भाई एक धमी होकर भी मझ ु

े बोला नहीिं था। तेरह ददन हो गए थे और अभी तक

मुझे खाने को नहीिं ददया गया था। आि लाद की प्लेट और

ाथ में है म (स्लाइस्ि स्टीम्ि मीट) ददया िाए। यह ददन भी भूलने

वाला नहीिं है , िब टे बल पर मेरे चार पािंच स्लाइ

ामने एक बड़ी

लाद की प्लेट और काफी बड़े बड़े है म के

रखे हुए थे तो दे ख कर ही आुँखों में चमक आ गई। लैदट , टमाटर, रै डिश

और कीऊकम्बर के स्लाइ हो

ुबह िाक्टर ने हदायत दे दी थी कक मुझे आि

खाकर मज़ा आने लगा। खाने की कीमत एक भूखे को ही मालूम

कती है । तेरह ददन बाद यह खाना आि तक भूलता नहीिं है ।

क्योंकक ि र्विंदर और

िंदीप काम पर िाते थे, इ

सलए कुलविंत ही ददन में दो दफा मुझे

समलने आती थी। मेरे ऑपरे शन के बारे में , मैंने कुलविंत को बताया हुआ था कक वोह कक ी को बताये नहीिं क्योंकक मैं कक ी को तकलीफ दे ना नहीिं चाहता था, कफर भी कुलविंत ने भुआ, गगआनो बहन और बहादर के घर टे लीफोन कर ही ददया था। बहादर और कमल उ

वक्त

इिंडिया गए हुए थे और उनका बेटा हरदीप मझ ननिंदी और ु े समलने के सलए आया था। भआ ु गगआनों बहन अपने छोटे बेटे बलविंत के

ाथ भी आई थी। मेरी कफतरत है कक मैं खामखाह

कक ी को कष्ट नहीिं दे ना चाहता था और मैंने कुलविंत को भी कह ददया था कक वोह स फट शाम को बच्चों के

ाथ ही आया करे और ददन के वक्त उ

ने आना छोड़ ददया था। कुछ

ददन बाद मेरी बैि एक कमरे में सशफ्ट कर दी गई। अब यह कमरा स फट मेरे सलए ही था। एक टे बल, एक चेअर, और एक कैबनेट मेरी बैि के

ाथ थी। कैबनेट में मैंने अपना

ामान

रखा हुआ था, कुछ कपिे, कुछ ककताबें मैगज़ीन बगैरा थे। अभी तक तो हस्पताल की ओर दीया हुआ गाऊन ही मैंने पहना हुआ था और स्पैशल चपलें भी हस्पताल की ओर खद ु के कपिे तो स फट हस्पताल

े डिस्चािट होते

मय ही मैंने पहनने थे। इ

े थी, मेरे

कमरे में

मुझे एक प्राइवे ी समल गई थी। अब मुझे खाना समलना शुरू हो गया था। कोई

ीररयल आ िाता, जि

ुबह उठते ही चाय काफी आ िाती, एक घिंटे बाद

में कभी बीटाब्रबक्

तो कभी कॉनटफ्लेक्

होते। बाद में कफर

चाय काफी आ िाती। क्योंकक अब मैं खाना खाने लगा था तो शौच की हाित भी होने लगी थी, जि

के सलए अब मुझे बैि पे शौच करने की िरूरत नहीिं थी। टॉयलेट और शावर मेरे


कमरे में ही था। िब मुझे टॉयलेट िाना होता, मैं बैल बिा के न ट को बता दे ता और वोह धीरे धीरे मुझे टॉयलेट

ीट पर ब्रबठा दे ती और दरवाज़ा बिंद करके चले िाती और कह िाती

कक त ल्ली होने पर मैं बैल दबा दुँ ।ू िब मैं फ़ागट हो िाता तो बैल दबा दे ता और न ट आ िाती। मैं दोनों तरफ के हैंिल पकड़ कर मजु तकल

े उठता और न ट बच्चों की तरह मझ ु े

ाफ़ कर दे ती और ऐिंटी ैजप्टक क्रीम लगा दे ती और मैं टॉयलेट

े बाहर आकर या तो बैि पे

लेट िाता या कु ी पे बैठ िाता। न ट मेरी पीठ के पीछे दो तककये रख िाती। कुछ ददन बाद ुबह न ट आई और मुझे मेरी कैबननट

े टूथ पेस्ट और ब्रश ननकाल कर मुझे दािंत

ाफ़

करने में मदद करने लगी। इ के बाद वोह मुझे नहलाने लगी, जि को वे स्पिंि करना बोलते हैं। चलता…


मेरी कहानी - 198 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन January 12, 2017 न ट मेरी पीठ के पीछे दो तककये रख िाती थी । कुछ ददन बाद मेरी कैबननट इ

े टूथ पेस्ट और ब्रश ननकाल कर मुझे दािंत

के बाद वोह मझ ु े नहलाने लगी, जि

तौसलये ले के आई थी। उ

ाफ़ करने में मदद करने लगी।

को वे स्पिंि करना बोलते हैं। वोह अपने

ने मुझे स्पिंि को

ाबुन लगा के अपनी कलाइयों को

को बोला। मैंने धीरे धीरे अपने हाथ, कलाइयािं और मुिंह तौसलये कर

कता था, ककया और मेरी पीठ पर उ

कर ददया। मुझे अनछ तरह

ाफ़ करके उ

ुबह न ट आई और मुझे

ने अनछ तरह

होता था, यह भी एक भय

ाबुन लगा के तौसलये

ाफ

ने मुझे नया गाऊन पहना ददया और हिं ती हुई

े होती थी और करवट लेते

ददट नहीिं हुई

मय मुझे बहुत गधयान रखना

ा होता था कक टािंके कहीिं खल ु ना िाएुँ । ददट ज़्यादा ना होने का

कारण, ऑपरे शन करने के वक्त ही

िटन ने मझ ु े पूछ सलया था कक पेन

सलए वोह मेरी पीठ के पीछे जस्टक्कर लगा

कते थे लेककन इन

थे। यह मेरी मज़ी थी कक मैं स्टीकर लगाऊिं या ना लगाऊिं। मैंने ददया था। इ

ाफ़ करने

ाफ़ ककया। जितना मैं

बाई बाई कह के चले गई। इतना बड़ा मेरा ऑपरे शन था लेककन मझ ु े कोई ख़ा थी, स फट बैि पे करवट लेने

ाथ कई

सलए मुझे कोई ख़ा

ददन में कई दफा िेम ले कर कमरे

ददट नहीिं हुई थी। दो हफ्ते

े छुटकारा पाने के

टीकरों के

ाइि इफैक्ट भी

टीकर लगाने को बोल े ज़्यादा हो गए थे और मैं

े बाहर आ कर िैनरल वािट में चलता कफरता रहता था।

कुलविंत और बच्चे अब स फट शाम को ही समलने आते थे। मैंने तो उन्हें कहा था कक बेछक वोह शाम को भी ना आएिं लेककन कुलविंत मानती नहीिं थी और वोह अब क्योंकक मेरा खाना नॉमटल हो गया था, इ

भी रोज़ आ िाते थे।

सलए कुछ ददन तो मैंने खूब खाया लेककन

अब इतना खा नहीिं होता था। खाना, इतनी दफा आता कक मैं तिंग आ िाता। ले के बारह बिे लिंच आ िाता, िो बहुत होता था और

ुबह ब्रेकफास्ट

ाथ में ही स्वीट डिश होती थी िो

बहुत होती थी। कफर िाक्टरों की हदायत के मुताब्रबक मुझे ददन में दो बोतलें प्रोटीन डड्रिंक की पीनी पड़ती, िो थीिं तो बहुत स्वाददष्ट लेककन मेरा पेट भरा भरा मह ू

होता। दो बिे

तीन बिे तक र्विदटिंग टाइम होता था। यह टाइम ख़तम होने के बाद ही कफर चाय काफी िैं र्वच केक या ब्रबजस्कट आ िाते। मैं आधा खाता और आधा ट्रे में ही छोड़ दे ता। शाम को छै

ात बिे तक कफर र्विदटिंग टाइम आ िाता और टाइम ख़तम होते ही कफर रात का

खाना आ िाता। दो तीन घिंटे बाद कफर चाय और

ाथ में

िैं र्वच या ब्रबजस्कट केक होते थे


लेककन मैं इन को लेने

े मना कर दे ता। है रानी मुझे इ

खाना खाने के बाद भी न ों

बात की थी कक गोरे लोग इतना

े और मािंग लेते थे । मुझे है रानी होती कक यह लोग इतना

कै े खा लेते थे। शायद दो हफ्ते बाद ही िाक्टर मुझे डिस्चािट कर दे ते लेककन मेरे एक नीचे के वाले टािंके

े खन ू बहने लगा था, इ

सलए रोज़ ददन में कई दफा

े आखखर

फाई करके न ें नई

पट्टी बदलती रहती थीिं। तीन हफ्ते बाद खन ू तकरीबन बिंद हो गया और एक ददन िाक्टर की हदायत के अनु ार

ारे टाुँके खोल ददए गए। िखम भर गए थे लेककन मेरे पेट की

शक्ल ही खराब हो गई थी। थोह्ड़ा थोह्ड़ा मैं रोज़ ही वाककिंग िेम के लेककन टाुँके खोल दे ने के बाविूद खीिंच

ाथ चलता रहता था

े होते थे और मुझे एक िर या वहम रहता था कक

कहीिं टाुँके खल ु ना िाएुँ। िब भी मैं बैि पे लेटता मुझे ऑक् ीिन मास्क लेना पड़ता था िो िाक्टर की हदायत के मुताबक ही था। इ

में एक बात और भी थी कक मुझे

तकलीफ होती थी िो शायद दवाइयों का अ र होगा। मझ ु े भय ािं

की तकलीफ शुरू ना हो िाए, शायद इ

िी को पिंप

ािं

ािं

लेने में

ा लगा रहता था कक मझ ु े

का कारण यह भी था कक मैंने अपने फुफड़

लेते हुए दे खा हुआ था, क्योंकक उन को दमे का रोग था। कुछ भी हो

अब कुछ कुछ मैं बेहतर होने लगा था और िी चाहता था कक मैं घर आ िाऊिं, लेककन िाक्टर की मज़ी के बगैर यह अ िंभव था। एक ददन O T डिपाटट मेंट हस्पताल

े है ि न ट आई और मझ ु े बताया कक एक दो ददन में मुझे

े छुटी हो िायेगी और मेरे घर िाने

कुछ चीज़ें वोह दे दें गे। क्योंकक टॉयलेट न ट ने एक स्पैशल टॉयलेट कफक्

को मेरे घर की टॉयलेट

सलए

ीट के ऊपर

ीट ऊिंची हो िाए और मेरा बैठना आ ान हो

के सलए एक न ट घर आएगी और यह

ीट कफट कर दे गी। द ू रा उ

एक स्पैशल चेअर की फोटो ददखाई िो ऊिंची नीची अपनी िरुरत के दह ाब थी, जि

हूसलयत के सलए

ीट पर बैठना मेरे सलए अभी मजु तकल था, इ

ीट मुझे ददखाई कक इ

कर ददया िाएगा ताकक टॉयलेट

िाएगा। इ

े पहले मेरे सलए घर में

ने मुझे

े की िा

कती

पर बैठ कर मैंने रोज़ाना स्नान करना था और यह चेअर भी न ट मेरे घर छोड़

िायेगी। कफर उ

ने मुझे पुछा कक मेरे घर में मेरे

ोने के सलए बैि कै ी थी, इ

का

अ ै मैंट न ट घर आके करे गी और यह भी बताया कक हर रोज़ न ट मेरे घर आ के मेरे िखम की ड्रैस ग िं करने आएगी और एक न ट और आएगी िो मुझे इ

स्पैशल चेअर पर

ब्रबठा के स्नान कराएगी और मेरे कपिे पहनाएगी और थोह्ड़ी थोह्ड़ी एक् र ाइज़ भी कराएगी। और भी काफी कुछ बताया लेककन मझ ु े अब याद नहीिं।


के दो ददन बाद िाक्टर आया और मुझे बोला कक कल को मैं घर िा

मेरे पा

कता हूुँ, अगर

ट्रािं पोटट का इिंतज़ाम नहीिं है तो हस्पताल की वैन मुझे छोड़ आएगी। मैंने िाक्टर को

वैन में िाने को बोल ददया क्योंकक

िंदीप और ि र्विंदर ने तो काम पर होना था। िाक्टर के

िाते ही मैंने कुलविंत को मोबाइल पे धीरे धीरे

मझाया कक कल को मुझे हस्पताल

डिस्चािट कर ददया िाएगा और वोह मेरे सलये नए कपड़े लेती आये। आि मेरा

ारा ददन

ख़श ु ी ख़श ु ी बीत गया, अपने घर िाने की भी क्या ख़श ु ी होती है ! शाम को कुलविंत मेरे नए कपड़े ले आई और पुराने कपिे बैग में रख सलए । आि

भी प न ट थे। ऑपरे शन ठ क ठ क

हो गया था और एक बात की और भी मुझे ख़श ु ी थी, िब मेरा ऑपरे शन हो गया था तो िटन के उ

वक्त के बोल मझ ु े अभी तक याद थे, ” गरु मेल इट वाज़ ओनली अपैंडिक्

इट र्वल नैवर कम बैक “,इ

ऐिंि

े मुझे त ल्ली थी कक अब ज़ख्म ठ क होने को ही वक्त

लगना था और दब ु ारा यह तकलीफ मुझे कभी नहीिं होगी । आि र्विदटिंग टाइम िल्दी बीत गया, कुलविंत को भी इतने ददन मु ीबत

हनी पड़ी थी क्योंकक हर रोज़ आना कोई आ ान

तो होता नहीिं और कुलविंत पोतों को भी स्कूल छोड़ने िाती थी और कफर उन को खाने को भी दे ना, काफी मजु तकल भरे ददन थे। आि मैं बहुत खश ु इ िी भर के

सलए भी था कक घर िा कर

ोऊिंगा क्योंकक हस्पताल में इतनी नीिंद आती ही नहीिं क्योंकक

ारी रात तो न ों

की भाग दौड़ लगी रहती है । द ु री

ब ु ह द

बिे वोह िाक्टर मेरे वािट में आ गया, जि

के पा

एक फ़ाइल थी, जि

कुछ सलखता रहा। कफर उ

में बहुत

ने मझ ु े डिस्चािट करना था। उ

े फ़ामट थे। कोई पिंदरािं बी

समिंट वोह इन फामों पे

ने एक फ़ामट पर मेरे दस्तखत कराये और उठ कर िाने

े पहले

मुझे बोल गया कक मैं तैयार रहूुँ और वैन ड्राइवर आ के मुझे मेरे घर छोड़ आएगा। कोई एक घिंटा मैं कु ी पर बैठा रहा और बोर

ा हो गया। तभी अचानक यनू नफामट पहने हुए वैन

ड्राइवर, वीह्ल चेअर घ ीटते हुए आ गया और मेरी ओर आते ही बोला, ” रै िी समस्टर बामरा ?”, मैंने मुस्करा कर उ

को है लो बोला और वोह वीह्ल चेअर मेरे पा

की आरम्ज़ को मज़बूती

े पकड़ कर उठा और ड्राइवर ने मुझे पकड़ कर धीरे धीरे वीह्ल

चेअर पर ब्रबठा ददया। है ि न ट आ गई थी, उ पर

ले आया। मैं चेअर

के हाथ में एक फ़ामट था, ड्राइवर ने उ

फ़ामट

ाइन कर ददए और मेरी वीह्ल चेअर धकेलते हुए चल पड़ा। कुछ दे र वोह कारीिोर में

चलता रहा और कफर बाहर िाने वाले दरवाज़े

े कार पाकट में आ गया। बाहर धप ु खखली हुई

थी। वैन नज़दीक ही थी और वैन की बैक िोर पर एक न ट िो उ

की अस स्टैंट थी, ने वैन

की सलफ्ट को नीचे ला ददया। ड्राइवर ने वीह्ल चेअर को सलफ्ट पे पाकट कर ददया और न ट


ने बटन दबा कर सलफ्ट को ऊपर उठा ददया। अब ड्राइवर वैन की द ू री िोर आ गया था और वोह मेरी वीह्ल चेअर को धकेल कर एक मुझे वीह्ल चेअर मझ ु

े उठा कर वैन की

े पहले भी द

े वैन के अिंदर

ीट के नज़दीक ले आया और

ीट पर ब्रबठा ददया। वैन में कोई बी

ीटें होंगी और

बारह गोरे गोरीआिं बैठे थे, जिन्हों को वे हस्पताल के द ू रे वािों

े ले

कर आये थे। वैन चल पढ़ी और वोह एक और वािट के नज़दीक चले गए और ड्राइवर वीह्ल चेअर ले कर उ

वािट में िा के एक और पेशट ैं को ले आया। इ ी तरह वोह दो और वािों में

िा कर दो और मरीिों को ले आये और अब वैन शीशों

ड़क पर आ गई। चलती हुई वैन के

े मैं बाहर के नज़ारे दे ख रहा था।

ोच रहा था कक पिंदरािं समिंट में मैं घर पहु​ुँच िाऊुँगा लेककन मैं कुछ है रान

ा हुआ, िब वैन

द ु री ओर िाने लगी। वैन वैस्ट पाकट हस्पताल की कार पाकट में आ कर खड़ी हो गई, और न ट ने वैन का र्पछ्ला दरवाज़ा खोल कर सलफ्ट को नीचे कर ददया और ड्राइवर एक मरीज़ को वीह्ल चेअर में ब्रबठा कर बाहर आ गया और मरीज़ को हस्पताल के भीतर ले गया। अब मैं

मझ गया था कक मरीिों को एक द ू रे हस्पताल में अक् र सशफ्ट कर ददया िाता है ।

कोई द

समिंट में ही ड्राइवर आ गया और वैन में बैठ कर वैन चलाने लगा। द

वैन मेरे घर के उ

ामने खड़ी थी। कुलविंत खखड़की में

समिंट में ही

े दे ख ही रही थी और बाहर आ कर

ने ड्राइवर को बोला की वोह वीह्ल चेअर घर की र्पछली ओर ले आये क्योंकक र्पछला

दरवाज़ा कुछ बड़ा था और वीह्ल चेअर अिंदर ले आना आ ान था। ड्राइवर ने पािंच समिंट लगाए और मुझे भीतर छोड़ गया। िब मैं अपनी इलैजक्ट्रक चेअर में बैठा तो इदट गगदट दे खा, कमरे में वैलकम होम के पोस्टर लगे हुए थे। मुझे अपना दःु ख भूल गया और एक अिंतरीव ख़श ु ी का अह ा बनाई और

ाथ में कुछ खाया। अभी एक घिंटा ही हुआ था, O T डिपाटट मट ैं की ओर

न ट आ गई, जि पहले उ

ा हुआ। बच्चे काम पे गए हुए थे और पोते स्कूल में थे। कुलविंत ने चाय की गाड़ी में मेरे सलए टॉयलेट

ने आ कर शावर रूम दे खा, जि

ीट कफट कर दी। इ

के बाद उ

और लेटने के सलए वोह बैि के

में उ

े एक

ीट और नहाने के सलए स्पेशल चेअर थी। ने चेअर रखनी थी, कफर एक टॉयलेट पर

ने मेरी बैि दे खख और उ

ने कहा कक बैि पर

ाथ एक स्पैशल हैंिल कफट कर दे गी, जि

े उठने

को पकड़ कर

मेरे सलए बैि पे लेटना और उठना आ ान हो िाएगा। अब उ एक बॉक्

ने धीरे धीरे

ारा

ामान गाड़ी में

े ननकाला। नहाने के सलए िो चेअर थी, वोह

में थी िो ब्रबलकुल नई और डि मैंटल करके पैक की हुई थी। उ

ननकाले और कोई आधे घिंटे में चेअर कम्प्लीट कर दी जि

ने

ारे पाट्ट

के नीचे चार वील थे। दोनों तरफ


पैर रखने के सलए दो छोटे छोटे पैिल

े बने हुए थे। अब वोह इ

शावर रूम में रख आई और आ कर बोली कक शावर रूम में मेरी

चेअर को धकेल कर ेफ्टी के सलए कोई गरै ब

हैंिल नहीिं है , वोह अपने डिपाटट मेंट को बता दे गी और उन का मकैननक आके हैंिल कफट कर िाएगा। अब वोह बैि रूम में चले गई और बैि के

ाथ उ

िो कभी भी हम अपनी मज़ी के मत ु ाबक ऐि​िस्ट कर बता गई कक कल

ने एक

न् ु दर हैंिल लगा ददया

कते थे। िाने

े पहले वोह हमें

े एक न ट मेरी ड्रैस ग िं यानी पट्टी बदलने के सलए आया करे गी और एक

न ट हर रोज़ मुझे नहलाने आएगी। तीन बिे कुलविंत पोतों को स्कूल

े लेने के सलए चली गई। िब पोते आ गए तो उन को

दे ख कर मुझे बहुत ख़श ु ी हुई और वोह भी मुझे दे ख कर बहुत खश ु हो गए। शाम को और ि र्विंदर भी आ गए। बातें करते करते और खाना खाते हुए मेरे

ात बि गए। कुलविंत ने

ोने का इिंतज़ाम नीचे ककया हुआ था। हमारे बैि रूम ऊपर हैं। इ

ऊपर बैि रूम में ही िाने की कोसशश करूुँगा।

सलए मैने कहा कक मैं

ीड़ीओिं के दोनों तरफ की रे सलिंग को पकड़

पकड़ कर मैं धीरे धीरे चढ़ ही गया और बैि के हैंिल को पकड़ कर बड़े गधआन इतने ददनों बाद मैं अपनी बैि पर

िंदीप

ोया था, लेट कर एक आनिंद का अह ा

े लेट गया। ा हुआ। वै े

भी मैं कहीिं भी िाऊिं मुझे अपने घर आ कर अपनी बैि पर ही मज़ेदार नीिंद आती है । आि रात मैं इतना

ोया कक

ब ु ह बहुत दे र

बड़े बड़े खरु ाटे लगाते रहे ” और मैं हिं चलता…

े उठा। कुलविंत हिं पड़ा।

रही थी कक, ” आप

ारी रात


मेरी कहानी - 199 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन January 16, 2017 रात भर उ

ो कर

र कुछ हल्का

को मैंने दोनों हाथों

ा हो गया। बैि के

े पकड़ा और कुछ कुलविंत ने

वै े मेरे ददट इतनी नहीिं होती थी, स फट उठने बैठने धीरे धीरे उठ कर मैं वाककिंग िेम की मदद हाथ धोया। टॉयलेट

ाथ िो स्पैशल हैंिल लगाया गया था, हारा ददया और मैं बैि पर बैठ गया।

े ही टािंकों की बिह

े टॉयलेट तक चले गया। ब्रश ककया और मुिंह

ीट काफी ऊिंची कफट की गई थी, जि

हो गया था । टॉयलेट रूम

े ददट होती थी।

े मुझे

े फ़ागट हो कर कुलविंत की मदद

पहला ददन था और मेरे बैि रूम िाने और नीचे उतरने

ीट पर बैठना आ ान

े धीरे धीरे नीचे आ गया। यह

े मुझे कुछ हौ ला हो गया कक अब

मझ ु े कोई तिंगी नहीिं आएगी। िख़्म ठ क होने के सलए तो बहुत वक्त की िरूरत थी और इ का मुझे गगयान था। ब्रेकफास्ट, ककया लेना है , कुलविंत ने पुछा था। मैंने हिं बहुत दे र के बाद घर का खाना न ीब हुआ है , इ

सलए दही के

पराठा हो िाए। कुलविंत ककचन में पराठे बनाने लगी और मैं पा

कर कहा था कक

ाथ र्पआि और िीरे वाला ही अपनी

ीट पर बैठ

गया। पराठे बनते दे ख मिंह ु में पानी आ रहा था। एक पराठा बना कर कुलविंत ने प्लेट में रख कर मेरे

ामने रख ददया और

ाथ ही दही और प्लेट में एक तरफ आम का अचार रख

ददया, क्यों कक कुलविंत को पता था कक आम का अचार मेरा प िंदीदा अचार है । हस्पताल आ कर घर के इ कक इ

पहले ब्रेकफास्ट का मज़ा मुझे अभी तक याद है । इतना मज़ा आ रहा था

अकेले दही पराठे के खाने

हस्पताल में एक

े मुझे छत्ती प्रकार के भोिन का आनिंद आ रहा था।

े बढ़ कर एक खाने थे लेककन हमारे इ

है । खाना खा कर धीरे धीरे कुलविंत के

दे ी भोिन की कोई री

हारे मैं स दटिंग रूम में आ कर

नहीिं

ोफे में बैठ गया।

बाद में कुलविंत ने भी ब्रेकफास्ट सलया और मैं टीवी पे न्यूज़ दे खने लगा। कोई गगयारा बिे न ट आ गई। आते ही मस् ु करा कर उ रख ददया, जि उ

ननकल रहा था। वोह िखम हिं

ारा

ामान नीचे

में दआ ु इआिं और अन्य चीज़ें थीिं। let me see your bandage कह कर

ने धीरे धीरे मेरे पेट पर

था। न ट को हिं

ने गड़ ु मॉननिंग बोला और अपना

े प्लास्तर उतारना शुरू कर ददया। थोह्ड़ा थोह्ड़ा खन ू अभी भी ाफ़ करने लगी और मैं अपने पेट की बुरी हालत को दे ख रहा

कर मैंने बोला, ” my belly button is on the wrong side ! “, वोह भी

पिी और बोली ” you dont have any belly button ” , कोई आधा घिंटा वोह अपना

काम करती रही, कफर उ

ने नया प्लास्टर लगा ददया। कफर उ

ने बहुत

े फ़ामट भरे और


इन को एक फ़ाइल में रख कर वोह फ़ाइल हमें दे दी और बाई बाई कह के चले गई। कोई ने मुझे नहलाना था। वाककिंग िेम

एक घिंटे बाद एक और न ट आ गई, जि शावर रूम की ओर िाने लगा। न ट

ाथ

े मैं धीरे धीरे

ाथ िा रही थी। शावर रूम में पहु​ुँच कर उ

मेरे कपिे उतारने में मेरी मदद करनी शरू ु कर दी। पहली दफा कक ी न ट के उतारना मझ ु े मजु तकल परतीत हो रहा था और खझिक और शमट मह ू इन न ों को मेरा धीरे धीरे मुझे उ

लाम ! dont be shy कह कर उ

ने मेरे

ामने कपिे

हो रही थी लेककन

ारे कपिे उतार ददए और

चेअर पर ब्रबठा ददया िो एक न ट छोड़ गई थी। चेअर बहुत अनछ थी,

न ट ने मेरे दोनों पैर

पोटट के सलए चेअर के पैिलों पर रख ददए और शावर है ि

पानी िालने लगी। मेरे हाथ में उ

ने

ाबन ु पकड़ा ददया और कहा कक मैं खद ु

क्योंकक यह भी एक् र ाइज़ का ही एक दहस् ा होता है । जितना मुझ

े हो

े मेरे ऊपर ाबन ु लगाऊिं

कता था, मैंने

ककया, शेष न ट ने कर ददया और मुझे अनछ तरह नहला के,बाद में तौसलये के े पानी

ने

ाथ शरीर पर

ूखा ददया और मुझे कपिे पहना ददए। smart man कह कर धीरे धीरे वोह मुझे

स दटिंग रूम में ले आई। कफर उ

ने वोह फ़ाइल मािंगी और उ

पर कुछ सलखती रही और

बाई बाई कह कर चले गई। अब यह िेली रूटीन हो गया था लेककन आि मेरे मन में बहुत र्वचार आ रहे हैं कक ज़माना कै े बदलता है । कोई ज़माना था, िब यही गोरीआिं कभी हमारे दे श में मेम

ाहब कहलाया

करती थी और हम अिंग्रेिों के गल ु ाम थे। यही गोरे कभी हमारे ही दे श में अपने घरों के नज़दीक दहिंदस् ु ताननओिं को आने नहीिं दे ते थे, अपने बच्चों की परवररश के सलए आया रखी होती थीिं। हर अुँगरे ज़ के कई कई दहिंदस् ु तानी नौकर हुआ करते थे। यहािं तक कक कई अमीर गोरे तो इिंग्लैंि को आते तो हमारे खाने हम को

मय दहिंदस् ु तानी नौकर भी ले आते थे। पहले पहल िब हम आये थे

े यह लोग नफरत करते थे। हमारे खानों की खश ु बू इन को बदबू लगती थी।

ीधे कह दे ते थे कक ” you smell garlic ” और आि यही गोरे कहते हैं कक ल न ु

के बहुत फायदे हैं। हमारे होटलों में अब खाना खाते हैं। हैं। बहुत दफा हम ने अपने घर में अुँगरे ज़ लोगों

मो े कबाब तो बहुत प िंद करते

े कई काम करवाये और यह लोग गचकन

मािंग लेते थे और कुलविंत उन को गचकन करी और नान खखलाती थी और

ाथ में म ाले

वाली चाय। लवली लवली करते थैंक यु बोलते थे। आि अुँगरे ज़ लड़ककयािं हमारे लड़कों शादीआिं कर रही हैं और हमारी लड़ककयािं भी अुँगरे ज़ लड़कों दोस्त थे, जिन्होंने अुँगरे ज़ लड़ककयों

े शादीआिं कर रही हैं। मेरे बहुत

े शादी की हुई थी। मैं अपने दोस्तों

रहता था कक ककया यह लड़ककयािं हमारे भारती खाने प िंद करती थीिं ! तो

वाल पूछता भी यही बताते थे


कक उन की अुँगरे ज़ बीवीयािं भारती खाने हमारे औरतों ककया हमें ददखा दे ता है । 54 बदलाव दे खे हैं कक कभी कभी

ाल

े मैं इ

े भी बड़ीआ बनाती थीिं। वक्त ककया

दे श में रह रहा हूुँ और इ

दौरान मैंने इतने

ोच कर है रानी होती है । आि यही गोरे गोरीआिं हमारे लोगों

के सलए काम करती हैं, यहाुँ तक कक हमारे घरों में

फाई का काम तक भी कर िाती हैं।

द ू रे ददन पहले एक न ट आई, जि

ाफ़ करके ऊपर प्लास्टर लगाया, कफर

ने मेरा िख्म

के िाने के बाद एक मेल न ट िो एक वेस्ट इिंडियन युवक था, ने मझ ु े नहलाया। कफर

ने थोह्ड़ी थोह्ड़ी हाथ पाुँव की एक् र ाइज़ शरू ु करा दी। यह एक् र ाइज़ बहुत आ ान

थी, िै े कु ी पर बैठ कर दोनों पैरों को ऊपर नीचे करना और हाथों को दोनों तरफ घुमाना। ब

इतनी ही थी और उ

ने मुझे तीन दफा रोज़ करने को कह ददया। दो हफ्ते इ ी तरह

चलता रहा। ती रे हफ्ते न ट ने मुझे पुछा कक क्या अब मैं अपने आप यह , उ

ब कर

कुँू गा !

ने यह भी बताया कक वोह दो हफ्ते ही मदद करते हैं, अगर िरुरत हो तो वे कुछ

मय और दे

कते हैं। कुलविंत ने पिंिाबी में मझ ु े कहा ” अब इन की कोई िरुरत तो है

नहीिं, खामखाह इिंतज़ार करना पड़ता है , कह दो अब कोई िरुरत नहीिं “, मैने धीरे धीरे न ट को

मझ ददया कक ” अब मैं ठ क हूुँ ” , न ट ने फ़ामट भरके मेरे

अपने पा

रखा और इ

ाइन कराये, एक पेपर

की कॉपी मेरी फ़ाइल में रख दी और कहा कक अब यह फ़ाइल मैं

अपने घर रख लुँ ।ू िाती हुई न ट मझ ु े यह भी बता गई कक अब हस्पताल

े मझ ु े

िटन का

खत, चैक अप्प के सलए आएगा। अब मैं अपने आप पर ननभटर हो गया, स फट नहलाने में ही कुलविंत मेरी मदद करती थी। गसमटयों के ददन थे और एक ददन कुलविंत ने मुझे कहा कक मैं बाहर गािटन में िाने की कोसशश करूुँ। बड़ी मुजतकल

े इिंग्लैंि में धप ू समलती है और आि

बहुत अच्छा ददन था। धीरे धीरे मैं वाककिंग िेम धकेलता हुआ गािटन में आ गया। बाहर आ कर आुँखों में एक चमक

ी आ गई। कई हफ़्तों

े मैं पहले हस्पताल और कफर अपने घर

के अिंदर ही रहा था। कुलविंत ने एक चेअर पर कुछ गद्दे रख ददए थे ताकक

ीट नरम रहे ।

पहले मैं कु ी पर बैठा, कफर गािटन के फूलों की ओर नज़र दौड़ाई। यह मौ म फूलों का ही होता है , मैंने

भी पौदों की ओर दे खा। तरह तरह के फूल िै े मुझ,े मेरे घर आने का

वागत कर रहे थे। िूट के बक्ष ृ ों पर छोटे छोटे ऐपल, पेअर और चैरी िूट मन लुभा रहे थे। छोटे

े लान का घा

कभी मैं कु ी

कटा हुआ था और यह छोटा

ा गािटन बहुत नीट लग रहा था। कभी

े उठता और कुछ कदम चल कर बार बार चारों ओर फूलों को ननहारता। कुछ

दरू एक गोरे ने अपने गािटन में नततसलयािं रखी हुई थीिं, उन में कुछ उड़ कर हमारे गािटन के फूलों पर बैठ िातीिं। उन के रिं ग, उन के पैटनट दे ख कर कुदरत की कला पर है रानी होती।


आि शाम तक हम गािटन में ही बैठे रहे , यहािं ही कुलविंत चाय बना कर ले आई। पोते भी स्कूल

े आ गए थे और आते ही गािटन में अपने फ़ुटबाल

भी काम खाया।

े खेलने लगे।

िंदीप ि र्विंदर

े आ गए और शाम का खाना भी बना कर गािटन में ले आये और गािटन में ही ात बिे बच्चे अपने घर चले गए लेककन हम 8 बिे तक बाहर बैठे रहे क्योंकक इन

महीनों में दे र रात तक लौ रहती है । बाहर

ारे िखम

ददन काम

ूख गए थे। एक ददन हस्पताल

े िल्दी आ िाती थी, इ

ि र्विंदर मेरे सलए हस्पताल

े खत आ गया। ि र्विंदर क्योंकक दो

सलए वोह मझ ु े हस्पताल ले गई। हस्पताल पहु​ुँच कर

े एक वील चेअर ले आई और उ

में मुझे ब्रबठा कर

कमरे के बाहर बैठ कर हम इिंतज़ार करने लगे। ज़्यादा दे र नहीिं लगी और अस स्टैंट न ट हमारे पा

आ गई और हम को उ

तरह हाथ

समिंट बाद ही

िटन आ गया और आते ही उ

िटन की इिंतज़ार ने िख्मों को अनछ

े दे खा और मुझे कह ददया कक अब ब्रबलकुल ठ क है और दब ु ारा हस्पताल आने

की मुझे कोई िरुरत नहीिं थी। हम घर आ गए। वै े तो िखम बाहर थे लेककन ऐ े ऑपरे शन के बाद अिंदर के िखम ठ क होने में कई अब मझ ु े इ

ऑपरे शन की कोई ख़ा

हर वक्त मुझे मह ू

े अनछ तरह

ूख गए

ाल लग िाते हैं। वै े तो

तकलीफ नहीिं है लेककन अभी भी मेरा पेट वोह नहीिं

िो पहले था । पेट ऐ ा है , िै े दो दहस् ों को रस् ी अपें डिक्

िटन की

के पीछे आने को बोला। अिंदर िा कर

न ट ने मुझे एक बैंच पर लेटा ददया। ि र्विंदर बाहर चले गई और मैं करने लगा। कोई द

िटन के

े क

होती है । कुछ भी हो अब यह अपें डिक्

कर बाुँधा गया हो। यह फीसलिंग हमेशा के सलए चले गया। यह

हर एक के पेट में होता है । यह करता कुछ नहीिं है , यों ही बेकार वस्तू की तरह

हर एक के पेट में पड़ा रहता है लेककन िब यह गड़बड़ी पे आ िाता है , शरीर ्वाला मुखी बन िाता है । वक्त पर पता लगने तो की होल

िटरी

े इ

े इ

का िल्दी ऑपरे शन हो िाता है और आि कल

को काट कर ननकाल ददया िाता है लेककन अगर यह फट िाए

और पता ना लगे तो बचना मुजतकल हो िाता है । भगवान ् का शुक्र है कक सम ज़ ररखी ने ही अिंदािा लगा सलया था और वक्त पर मुझे हस्पताल भेि ददया। सम ज़ ररखी का धन्यवाद करने के सलए मेरे पा

शब्द नहीिं हैं। उ

ने एक दफा मेरी माुँ जि

को हम बीबी

कहते थे, को िब स्ट्रोक हुआ था तो हमें बचा सलया था क्योंकक बीबी का यहािं कोई मैिीकल कािट बना हुआ नहीिं था। सम ज़ ररखी ने हमारे सलए कुछ गलत काम करके हमें बचा सलया था, नहीिं तो पता नहीिं ककतना ब्रबल बनता, शायद हमारा घर भी र्वक िाता। सम ज़ ररखी के पनत ने हमारी मदद करने

ाफ़ इनकार कर ददया था। भला हो सम ज़ ररखी का, जि

ने


हमें बचा सलया था। यह उ

ने कै े ककया, आि तक मुझे पता नहीिं। उ

बुरे ददन थे और यहािं के हमारे अपने भी हमारा कोई ना हो, उ

वक्त हमारे बहुत

ाथ छोड़ गए थे। कहते हैं ना ” जि

का भगवान ् होता है “, सम ज़ ररखी के भे

का

में भगवान ् ने हमारी मदद कर

दी थी। अब जज़न्दगी कफर

े पटरी पर आ गई थी। कुछ कुछ एक् र ाइज़ मैंने शुरू कर दी थी

लेककन ज़्यादा करना अभी

ेफ नहीिं था। बहुत दफा कोई अनछ आदतें हमारे बहुत काम आती

हैं। मेरी एक् र ाइज़ की आदत मझ ु े शरू ु हुआ तो

े ही थी। जितना भी रोज़ करूुँ, एक ददन भी सम

ारा ददन मन में रहता है कक कोई बहुत िरूरी काम सम

हो गया। इ ी आदत के

कारण अभी तक ठ क िा रहा हूुँ। कल ही बीबी ी पर एक खबर ददखा रहे थे कक बहुत लोग हैं िो बहुत दःु ख झेल रहे हैं और वोह िाक्टर की मदद चाहते हैं लेककन यहािं का कानून इ

े अपनी जज़न्दगी ख़तम करना

काम की इिाित नहीिं दे ता। जस्वट्ज़रलैंि िै े कुछ दे शों

में assisted suicide का कानन ू है । कई लोग िो तड़प तड़प कर िी रहे हैं, वोह अपनी मज़ी

े िाक्टरों

े टीका लगा लेते हैं, जि

में मरीज़ को मरने के दौरान कोई तकलीफ नहीिं

होती। बीबी ी पर मेरी ही किंिीशन का एक गोरा ददखा रहे थे, जि घबराहट होती थी। वोह अस स्टि लेककन उ

की हालत दे ख कर ही

ु ाईि करना चाहता था लेककन कानून इिाित नहीिं दे ता

ने कोटट में अपील की हुई है और इ

की बह

पासलटमेंट में होगी कक ऐ े लोगों

को आतमहतया की इिाित समलनी चादहए या नहीिं। यह खबर दे ख कर कुलविंत उठ कर मेरे गले लग गई और बोली, ” मैं आप को नमस्कार करती हूुँ िो अपने सलए और हमारे सलए इतनी एक् र ाइज़ की समहनत करके अभी तक ठ क िा रहे हैं “, मैंने हिं इ

कर कहा, ” मैं

े भी अच्छा हो कर ददखाऊिंगा “, कफर हम और बातें करने लगे।

किंपयूटर ने मेरे जज़न्दगी ही बदल दी थी। शुरू

े ही मेरी एक आदत यह रही है कक मेरा हर

नई चीज़ को िान्ने की उत् ुकता होती है । कम्पयूटर पर हर पूरा

ब्िेक्ट मैंने कभी भी र्वस्तार

होती थी। पिंिाबी में इ

े नहीिं पड़ा। ब

ब्िैक्ट को मैं दे खता, पड़ता।

हर वक्त कुछ नया दे खने की इच्छा

को कहते थे, ” अग्गा दौड़, र्पछा चौड़ “, यानी आगे आगे दौड़े

िाना और पीछे को छोड़ दे ना। ना भी कुछ हास ल हो, वक्त का पता ही नहीिं चलता था कक कै े बीत गया। कुलविंत लगातार बोलती रहती थी, ” ककहड़े वेले दे तु ीिं बैठे हो, कफर कहना र दख ु दा “, कुलविंत होता था। िब

ही थी, इ

े मेरा

र बहुत दख ु ता था लेककन किंपयूटर

र ज़्यादा दख ु ता तो मैं यू ट्यूब पर गाने

े उठ नहीिं

ुनता रहता। गाने की तरफ होता

तो यह उत् क ु ता होती कक इिंडिया में पहला गाना कब ररकािट हुआ और इ

को गाने वाला


कौन था। ज़ाकर नायक और तारक फतह को को दे ख कर है रान होता और यह भी लािवाब हो िाता है । मैं

ुनता। िाकर नायक की दहन्द ू धमट की स्टिी

मझता कक यह इिं ान ककतना हुसशआर है कक हर कोई

मझता था कक यह इस्लाम के प्रचार का एक ऐ ा ढिं ग है , जि

बहुत लोग अपने अपने धमट छोड़ कर इस्लाम में दाखल हो रहे थे। तारक फतह को तो वोह एक

च्चा मु लमान लगता। आि तक पता नहीिं ककतने वैब ाइट

लेककन हूुँ तो ब

न ु ता

दे ख चक् ु का हूुँ

master of none .

बाहर तो मैं िा नहीिं ले िाती है । कोई एक कक कफर

कता, हाुँ कभी कभी हस्पताल की अपॉएिंटमें ट हो तो बेटा या ि र्विंदर ाल बाद मैंने एक् र ाइज़ को कुछ आगे बढ़ाया। एक ददन मैंने

े पहले वाली एक् र ाइज़ शुरू करूुँ िो ऑपरे शन

ोचा

े पहले मैं फ्लोर पर लेट के

ककया करता था। कुछ आ न ककये और कफर पेट के बल लेट कर िो पहले मैं ककया करता था, शुरू ककया। कर तो मैंने सलया लेककन बाद में मेरा ऑपरे शन कफर ददट करने लगा और मेरा ददल कच्चा कच्चा होने लगा िै े उलटी आखण हो। मैं िर गया और एक् र ाइज़ बिंद कर दी। दो ददन बाद मैं ठ क हो गया लेककन मैंने ज़्यादा

ख्त एक्

ाइज़ अभी छोड़ दी

और आ ान आ न करने लगा। मन चाहता था, और ज़्यादा करूुँ लेककन िर भी लगने लगता। अगर अपैंडिक्

की

मस्या ना होती तो मैं एक् र ाइज़ बहुत बड़ा दे ता। पेट के बल

की एक् र ाइज़ छोड़ के मैंने और आ न करने शरू ु कर ददए, जिन में अभी तक थोह्ड़ी दे र बाद एक नया आ न शरू ु कर दे ता हूुँ। िब करके हटता हूुँ तो मन में एक है । इ ी तरह स्ट्रगल करते करते 2014 शुरू हो गया और कािंि शुरू हो गया। चलता…

िंतष्ु टता

ी होती

ाथ ही जज़न्दगी का एक नया


मेरी कहानी - 200 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन January 19, 2017 जि​िंदगी कफर

े पटरी पर आ गई और मैं कुलविंत के

े ले आता। इ

ाथ गािी में बैठ कर बच्चों को

में कोई जज़आदा वक्त तो लगता नहीिं था लेककन इ

कूल

े कुछ अिंतरीव

प त िं ा समल िाती थी। बाहर दरू कहीिं िाना तो ब्रबलकुल बिंद हो गगया था और आि तक बिंद ही है लेककन मैं घर में रह कर बोर ब्रबलकुल नहीिं था और अभी तक भी नहीिं हूुँ। बच्चे

मझते हैं और कोई र्ववाह शादी हो, वोह

ब चले िाते हैं और मैं घर में ही रहता हूुँ। वोह

मुझे टे लीफून बाकायदा करते रहते हैं, जि

े उन को भी बेकफक्री हो िाती है । यहाुँ तक हो

के अभी तक कुछ न कुछ करने की कोसशश करता हूुँ। िब कुलविंत बच्चों को कहीिं िाती है , तो चाय और आ ानी

ाथ कुछ खाने के सलए इ

ाथ ले कर

तरह रख िाती है कक मेरा हाथ

े पहु​ुँच िाए। मैं माइक्रोवेव में पानी का कप्प रख के, उ

में दध ू और टी बैग िाल

कर चाय बना लेता हूुँ और खाने के सलए अगर कुछ गमट करना ही तो वोह भी माइक्रोवेव में रख कर गमट कर लेता हूुँ। अपनी स्पैशल चेअर में बैठ कर मज़े बैलें

अब ब्रबलकुल ख़त्म है लेककन अपने थ्री वीलर वाककिंग िेम

े खा पी लेता हूुँ। मेरा े अपना आप मैनेि कर

लेता हूुँ। वै े िब कुलविंत घर भी हो और थक्की थक्की हो तो मैं दोनों के सलए चाय बना लेता हूुँ और स दटिंग रूम में आ कर बैठ िाता हूुँ। कुलविंत बनी हुई चाय को क्प्पों में िाल कर अन्दर ले आती है और हम दोनों बातें करते हुए चाय का मज़ा लेते हैं। मुझे हिं ी आती है , कभी कभी कुलविंत टे लीफून पे अपनी

खखओिं को भी मेरी इ

बात को बहुत बड़ा चढ़ा के बताती है । मझ ु े पता है , वोह खश ु इ दहम्मत करता हूुँ। कभी कभी घर में छोटा मोटा

छोटी

ी चाय बनाने वाली

सलए होती है कक मैं बहुत

कररऊ ढीला हो तो वोह भी टाइट कर दे ता

हूुँ। घड़ी में बैटरी िालनी हो तो वोह भी खद ु िाल लेता हूुँ। जज़न्दगी में काम नहीिं की थी, इ टाइट करने

सलए अभी तक आदत छूटती नहीिं। अब ऐ ी जस्थनत है कक एक

े ही मुझे एक

न्तुष्टता

ुस्ती

कररऊ

ी समल िाती है ।

द ु री बात िो आदत मुझे पढ़ने की थी, उ लाएब्रेरी

े कभी

ने मुझे बोर नहीिं होने ददया। अभी तक कुलविंत

े मुझे ककताबें ला दे ती है , जिन को पड़ता भी हूुँ और कुछ समिंट ऊिंची ऊिंची बोल के

स्पीच थैरेपी भी करता हूुँ। हाथों की एक् र ाइज़ तो

े ज़्यादा करता हूुँ, चाहता हूुँ हाथों

की स्पीि बढ़ िाए और दब ु ारा नया कीबोिट ले लुँ ।ू और नहीिं तो कमज़कम कफ़ल्मी गानों की धन ु ें बिाता रहूुँ। इन

े ज़्यादा मेरी रूगच लैप टौप में बहुत बढ़ गई है , जि

का फायदा


मुझे बहुत है । इिंटरनेट पे मैंने ककताबों एक दो समिंट में मेरी आखों के नहीिं होती, ब

े भी ज़्यादा हास ल ककया,कोई भी बात मन में आये,

ामने होती है । कोई भी चीज़ ज़्यादा पड़ने की मुझे िरुरत

कुछ पैराग्राफ पढ़के त ल्ली हो िाती है और कफर कोई और वैब ाइट की

ओर गधआन चले िाता है । इन

े ऊपर मझ ु े फायदा हुआ ईपेपर दे खने का, जि

का

पहले मझ ु े कोई गगयान नहीिं था। इ

े कुछ पहले की बात करूुँ ! धीरे धीरे मैंने ईपेपर पड़ने शुरू ककये तो मेरी ददलचस्पी इन

में बढ़ने लगी और नई नई अखबारों को, जिन को मैंने इिंडिया में पढ़ा हुआ था, िायल करके दे खने लगा और इ

तरह दे खते दे खते अचानक ही मुझे नवभारतटाईम्ज़ ददखाई ददया। यह

पेपर मुझे अच्छा लगा और रोज़ाना इ े पढ़ने लगा। इिंडिया के पेपर तो और भी बहुत हैं लेककन मेरे ददलचस्पी नवभारतटाईम्ज़ तक ही

ीमत हो गई, िो मेरी िरुरत के मुताबक

काफी था। अभी तक भी मुझे इिंटरनेट की ख़ा

ूझ बूझ नहीिं थी। ब्लॉग ककया होता है ,

मझ ु े पता ही नहीिं था। यह ईपेपर रोज़ाना दे खते दे खते मेरी नज़र एक ब्लॉग पर पढ़ी, कक ने सलखा होगा, मुझे याद नहीिं लेककन पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा। इ

ब्लॉग पर लोगों

के कॉमें ट भी सलखे हुए थे। मैं भी अपना कॉमें ट दे ना चाहता था लेककन मुझे पता नहीिं था कक कै े सलखना है । िर भी लगता था कक कुछ गलत ना कर दुँ ू और कुछ खराब हो िाए। खझ्​्कते खझ्कते मैंने अिंग्रेज़ी के अक्षरों उत् ाह और ख़श ु ी समली। छोटा

े दहन्दी टाइप करना शरू ु ककया, जि

े बहुत

ा कॉमें ट सलखने में काफी वक्त लगा, खझझकते खझझकते

िैं कर ददया। कोई एक घिंटे बाद मेरे कॉमें ट का िवाब आ गया। इ

को पढ़ कर इतनी

ख़श ु ी हुई कक मैं एक के बाद एक कॉमें ट सलखने लगा। कफर मैं नभाटा की ख़बरों के कॉमें ट भी दे ने लगा। िवाब आते और मैं उत् ाहत होता,

ाथ ही इिंजग्लश में दहिंदी का अभ्या

बढ़ने

लगा। यह ददन मेरे ऐ े थे िै े मझ ु े कोई बहुत बड़ी उपलभ्दी समल गई हो। दे र रात तक मैं नभाटा पे कॉमें ट सलखता रहता। ब्लॉग पड़ने की रूगच भी बढ़ गई और मैं समहनत करके लिंबे लिंबे कॉमें ट सलखता लेककन मुझे उ

का िवाब मुक्त र

होती, मैं चाहता था, मेरे कॉमें ट का िवाब र्वस्तार करता था लेककन कोई ख़ा

ा समलता, जि

े समले। ब्लॉग सलखने वाले पर मैं

वाल

िवाब नहीिं आता था, यह मेरे सलए ननराशािनक होता था।

कफर एक ददन एक चमत्कार हुआ, मैं इ े चमत्कार ही कहूिंगा, क्योंकक इ विह

े मुझे ननरास्ता

चम्तकार की

े ही आि मैं यह “अपनी कहानी” सलख रहा हूुँ िो माचट 2015 में शुरू की थी और

अब िल्दी ख़तम होने िा रही है । ब्लॉग पड़ते पड़ते लीला तेवानी िी के ब्लॉग के दशटन हुए। यह ब्लॉग था “आि का श्रवण कुमार 12 मारच 2014 “, इ

ब्लॉग को पढ़ कर मन


में एक क क

ी उठ और मैंने कॉमें ट सलखना शुरू कर ददया। इ

कॉमें ट का िवाब इतना

अच्छा आया कक लगा िै े, मुझे अपने कॉमें ट के िवाब की तलाश ख़तम हो गई थी और यहीिं

े शुरू हुआ लीला तेवानी िी

िंपकट। इ

ब्लॉग के कॉमें ट मैंने बहुत भावुक हो कर

सलखे थे और कुछ चीज़ें गलत भी सलख हो गई थी, िै े गोवा में दघ ट ना मैंने हम्पी ु ट के बाद सलखी थी, िब कक यह हम्पी िाने मैं अब उ

ब्लॉग और उन के कॉमें ट्

े आने

े पहले हुई थी। एक दो और गलनतयािं हैं लेककन

को उ ी तरह सलखग ूिं ा िो नीचे है , इ

में मेरा पहला

कॉमें ट नीचे है और द ू रा कुछ ऊपर, दरअ ल यह मेरा एक ही कॉमें ट था िो दो पाटों में सलखा हुआ था । इ सलखे। इ

के बाद लीला बहन ने गुरमेल गौरव गाथा और ऐ े कई ब्लॉग हम पर

ब्लॉग के बाद लीला बहन के कलम दशटन आि तक िारी हैं। मेरी

ारी ईबक् ु

उन्होंने बना कर मुझे एक नई ददशा की ओर ला खड़ा ककया। एक बात लीला िी ने और की, मेरा

िंपकट र्विय स घ िं ल िी की ियर्विय पब्रिका, िो उ

करा ददया, जि

वक्त युवा ुघोष कहलाती थी,

में मेरी पहली रचना एक लघु कथा दल् ु ला 13 िून 2014 में प्रकाशत हुई

और यह स सलस ला “मेरी कहानी” के

ाथ

के सलए मैं र्विय स घ िं ल िी का तहे ददल

ाथ लगातार आि तक चला आ रहा है और इ े बहुत बहुत आभारी हूुँ। अगर यह पब्रिका ना

होती तो शायद आि मेरी कहानी भी ना होती। अपनी रचना को कक ी पब्रिका में छपी हुई दे खना भी एक तरह का नशा ही होता है । लीला बहन के पहले ब्लॉग ,जि दी थी, उ और यह

को मैने कॉमें ट ारे का

मेत

ारे का

ारा ब्लॉग मैंने इ

पर मैंने दस्तक

ारा उ ी तरह पजब्लश कर ददया है , िो नीचे है

सलए सलखा है , क्योंकक यहािं

एक नया कािंि शरू ु हुआ था. . . . . . . .

Navbharat Times Blogsब्लॉग् बस्क्राइब करें |ब्लॉग Helpline र लीला लीला नतवानी आि का श्रवणकुमार लीला नतवानी Wednesday March 12, 2014

े ही मेरी जज़न्दगी का


Platinum: 47K

हमने बचपन

े ही माता-र्पता की अथक

न ु चक ु े हैं. आि हम जि

ेवा करने वाले श्रवणकुमार िै े

श्रवणकुमार की चचाट कर रहे हैं वे एक

ुपुि की बात

प ु ि ु नहीिं बजल्क, एक

ुपुि के सलए गिब का त्याग करने वाले दनु नया के ‘बेस्ट पापा’ हैं. पेइगचिंग के इ ि्बे को

लाम ककए ब्रबना आप भी नहीिं रह पाएिंगे. चीन का यह शख्

अपने बेटे को पढ़ा-सलखाकर कुछ बनाने का

पना

िन्म

र्पता के े अपादहि

िंिोए हर ददन उ े पीठ पर लेकर 18

मील ( करीब 29 ककलोमीटर) चलता है . वह बेटे को स्कूल छोड़ता है , कफर वाप

लौटकर

काम पर िाता है और कफर बेटे के स्कूल िाकर उ े पीठ पर लादकर घर लाता है . पीठ में तकलीफ के बाद भी यह िुनूनी र्पता हार मानने को तैयार नहीिं है . अच्छ खबर यह है कक स्थानीय मीडिया में खबर आने के बाद स्थानीय प्रशा न अब इ आवा

दे ने की

ही

ोच रहा है . चीन के शुचव ु ान प्रािंत में रहने वाले 40 वषीय ये सशयािंग का 12

ाल का बेटा सशयािंओ गचयािंग िन्म अपनी पत्नी

बच्चे को स्कूल के पा

े शारीररक रूप

े अक्षम है . सशयािंग नौ

ाल पहले

े अलग हो चक ु े हैं। सशयािंग ने बेटे को अकेले पालने और उ े अच्छ

े अच्छ

सशक्षा दे ने की ठानी है .

सशयािंग ने बताया कक, “आ पा उन्हें घर

के स्कूलों में उनके बेटे को दाखखला नहीिं समला. आखखरकार

े 5 मील (करीब 8 ककलोमीटर) दरू शुचुवान प्रािंत के प्राइमरी स्कूल में दाखखला

समला। इलाके में ब

की

र्ु वधा न होने को कारण सशयािंग के

ामने

ब े बड़ी

मस्या बेटे

को स्कूल ले िाने की थी. सशयािंग ने बेटे को पीठ पर लादकर स्कूल लाने-ले िाने का बेहद कदठन फै ला सलया. उन्होंने इ के सलए एक खा जि

तरह का टोकरा बनाया (ठ क उ ी तरह

प्रकार हमारे श्रवणकुमार ने माता-र्पता की तीथटयािा की इच्छा पूरी करने के सलए बहिं गी

बनाई जि के, एक पलड़े में माता थी और द ू रे में र्पता ). इ सशयािंग स तिंबर

टोकरे में बेटे को रखकर

े रोि बेटे को स्कूल ले िाते हैं.”

सशयािंग ने बताया कक, “वह हर कफर ऊबड़-खाब़ड़ रास्तों

ुबह 5 बिे उठ िाते हैं. बेटे के सलए लिंच बनाते हैं और

े गुज़रते हुए उ े स्कूल छोड़ते हैं. कफर काम करने के सलए वाप


आते हैं. इ के बाद वह कफर स्कूल िाते हैं और बेटे को घर लाते हैं. बेटे को पीठ पर लगातार ले िाने के कारण उनकी पीठ में तकलीफ भी शुरू हो गई है , लेककन वह हार मानने को तैयार नहीिं है .”

सशयािंग कहते हैं कक, “मेरा बेटा शारीररक रूप कता. 12

क्षम न होने के कारण स्कूल नहीिं िा

ाल का होने के बाद भी उ का कद 90

बेटे पर गवट है . वह अपने क्ला कामयाबी की

में

ब े आगे रहता है . मुझे भरो ा है कक वह एक ददन

ीदढ़यािं चढ़े गा. सशयािंग का

सशयािंग भाई आपके और आपके

ेंटीमीटर बढ़ा है . लेककन मुझे अपने

पना बेटे को कॉलेि में पढ़ाने का है .”

ुपुि सशयािंओ गचयािंग के िज़्बे को कोदटशः

लाम. मासलक

आपकी मुरादें पूरी करें . इ

पोस्ट में व्यक्त र्वचार ब्लॉगर के अपने र्वचार है । यदद आपको इ

पोस्ट में कही गई

कक ी भी बात पर आपर्त्त हो तो कृपया यहाुँ जक्लक करें | इ

पोस्ट पर टोटल (18) कॉमें ट | द ू रे रीि ट के कॉमें ट पढ़े और अपना कॉमें ट सलखे|

कॉमें ट भेिने में कोई ददक्कत आए तो हमें इ

पते पर बताएिं —

nbtapnablog@gmail.com

शेयर करें |

रे दटिंग4.99/5 (334 वोट् )12345 (वोट दे ने के सलए क रट स्टार पर ले िाएिं और जक्लक करें ) इ

आदटट कल को ट्वीट करें ।


र्पछलाप्रेम के भीने-भीने रिं ग में रिं ग िाए अगला गुरमैल-गौरव-गाथा

कॉमें ट: छािंटें:

ब े नया |

ब े पुराने | पाठकों की प िंद (16) |

ब े ्यादा चगचटत | लेखक के

िवाब (9)

Prakash Gupta (Ghaziabad, India) April 13,2014 at 05:31 PM IST 14 Followers Gold: 3221 हमेशा की टरह प्रेरणादायक प्र िंगों को िनता के पाि हें . बहुत

ामने लाने के सलये आप पुन: बधाई की

ुन्दर व मासमटक प्र िंग सलखा है आपने टीचर िी.

िवाब दें इ

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हमत (1)

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े अ हमत (0)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (0) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

(Prakash Gupta को िवाब )- लीला नतवानी (Unknown) April 13,2014 at 06:14 PM IST


68 Followers Platinum: 47K र्प्रय ब्लॉगर भाई प्रकाश िी, खब ू ूरती को पाि हैं. इतने हाददट क कामें ट के सलए ह्रदय

च्चे मन

े पहचानने वाले आप भी बधाई के

े शकु क्रया और धन्यवाद.

िवाब दें इ

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े अ हमत (0)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (0) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

Rahim Gautm (gurgaon) March 16,2014 at 03:29 PM IST 225 Followers अच्छा ककया…याद ददला ददया..शकु क्रया….अभी थोड़ी दे र पहले टीवी दे ख रहा था…रोहतक के पा

ननमवाला गाव मे एक मज़दरू के लड़के ने अिंटी हॅ ककिंग

ॉफ्टवेयर बनाया और

माइक्रो ॉफ्ट को उ का िेमो ददया…अब माइक्रो ॉफ्ट वालो ने उ को 1.50 करोड़ तन्खवाह का ऑफर ददया है …यह उ तक बच्चा

पररवार की लगन थी..जि

मे मा कह रही है की िब

ोता नही था..वो िागती रहती थी..क्योकक लाइट ना होने की विह

का इिंतज़ाम रखना पड़ता था…यही लगन आि उ को उ का फल दे रही है … िवाब दें इ

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बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (7)

ाल की े मोमबती


यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है (Rahim Gautm को िवाब )- लीला नतवानी (Unknown) March 16,2014 at 06:49 PM IST 68 Followers Platinum: 47K

गौतम भाई, आपने भी बहुत अच्छे श्रवणकुमार का उल्लेख ककया है . कहीिं बेटा श्रवणकुमार होता है तो, कहीिं र्पता श्रवणकुमार और आपके उदाहरण में पूरा पररवार ही श्रवणकुमार की भसू मका में है . परू े पररवार को हमारी ओर शुकक्रया और धन्यवाद. िवाब दें इ

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बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (3) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

Leela Tewani (Unknown) March 16,2014 at 10:39 AM IST 68 FollowersFollowing Platinum: 47K

े भी बधाई. इतने हाददट क कामें ट के सलए ह्रदय


आि 16 माचट का ददन कक्रकेट के बेताि बादशाह मास्टर ब्लास्टर

गचन तें दल ु कर के प्रथम

अिंतराष्ट्रीय शतक के सलए याद ककया िाएगा. उनको हमारी हाददट क बधाई. िवाब दें इ

कॉमें ट

कॉमें ट

हमत (0) े अ हमत (0)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (8) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

Leela Tewani (Unknown) March 16,2014 at 10:38 AM IST 68 FollowersFollowing Platinum: 47K

आि 16 माचट को महान

ादहत्यकार अयोध्या स हिं उपाध्याय ‘हररऔध’ की पण् ु यनतगथ है .

उनका नाम खड़ी बोली को काव्य भाषा के पद पर प्रनतजष्ठत करने वाले कर्वयों में बहुत आदर

े सलया िाता है . उन्नी वीिं शताब्दी के अजन्तम दशक में 1890 ई. के आ -पा

अयोध्यास हिं उपाध्याय ने नमन. िवाब दें इ

कॉमें ट

हमत (0)

कॉमें ट

े अ हमत (0)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (8)

ादहत्य

ेवा के क्षेि में पदापटण ककया. उनको हमारा कोदट-कोदट


यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

leela tewani (Unknown) March 15,2014 at 11:33 AM IST 68 FollowersFollowing Platinum: 47K

आि दे श की गिंगा िमनी तहिीब के अमर स्तम्भ िॉ राही मा ूम रज़ा की पुण्यनतगथ है . 15 माचट

न 1992 को इ

गाुँव, टोपी शुक्ला,

बेहतरीन शजख् यत ने हमें अलर्वदा कह ददया. नीम का पेड़,आधा

ीन 75 तथा दहम्मत िौनपुरी नामक उनके उपन्या

र्वसशष्ट र्वभूनत हैं. कक ी

मय के

वाटगधक लोकर्प्रय महाभारत टी वी

दहिंदी

ादहत्य की

ीररयल में उन्होंने

िंवाद एविं पटकथा लेखन का काम ककया. इ के अनतररक्त भी अनेक कफल्मों व की पटकथा व

िंवाद सलखे िो, अत्यिंत

िवाब दें इ

कॉमें ट

हमत (0)

कॉमें ट

े अ हमत (1)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (17) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

leela tewani (Unknown) March 15,2014 at 11:20 AM IST 68 FollowersFollowing

राहे गए. उनको हमारा कोदट-कोदट नमन.

ीररयल्


Platinum: 47K

आि

ुप्रस द्ध कवनयिी,

ादहत्यकार व दे शभजक्त की नानयका

ुभद्राकुमारी चौहान की

पण् ु यनतगथ है . गािंधीिी के अ मय व दख ु द दे हाव ान के ग़म में इन्होंने चार ददन तक कुछ नहीिं खाया-पीया. उनको हमारा कोदट-कोदट नमन. िवाब दें इ

कॉमें ट

हमत (1)

कॉमें ट

े अ हमत (2)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (17) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

leela tewani (Unknown) March 14,2014 at 10:50 AM IST 68 FollowersFollowing Platinum: 47K

आि 10 माचट को ही स ने िगत के सलए एक और खश ु खबरी है . आि ही के ददन 1965 में ुप्रस द्ध-बहुमुखी प्रनतभा के धनी आसमर खान का िन्मददन भी है . उनको हमारी कोदट-कोदट शभ ु कामनाएिं. िवाब दें इ

कॉमें ट

हमत (2)

कॉमें ट

े अ हमत (0)


बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (26) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

leela tewani (Unknown) March 14,2014 at 10:47 AM IST 68 FollowersFollowing Platinum: 47K

आि 14 माचट स ने िगत के सलए एक र्वशेष ददव कफल्मों

े बोलती स नेमा में कफल्म “आलमआरा”

कोदट-कोदट शुभकामनाएिं. िवाब दें इ

कॉमें ट

हमत (1)

कॉमें ट

े अ हमत (0)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (26) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

Gurmail (Unknown) March 13,2014 at 08:19 PM IST 66 Followers Gold: 11.5K

है . इ ी ददन स नेमा-िगत ने मक ू े प्रवेश ककया था. स ने िगत को हमारी


मैं भीतर

े मैग्नीफाइिंग गला

ले आया जि

इतना अच्छा बुन रहा था िै े औरतें करोसशये होता. कफर अचानक पड़ो गगरा और उन छोटी

के घर के आिंगन

े बहुत

ॉफ ददखाई दे रहा था. स्पाईिर

े मेि पोश बनाती हैं. मैं दे ख दे ख कर खश ु े खेलते हुए बचों का गें द आ कर उ

िाल पर

ी गली हो हो गई. मझ ु े बहुत दख ु हुआ और बचों को को ने लगा. हर

ब ु ह मैं फुलवारी जि

को हम यहाुँ गािटन कहते हैं में बैठ िाता पर स्पाईिर वहीिं ऐक िगह

बैठा होता िै े अपना घर टूट िाने का मातम कर रहा हो. ऐक ददन िब आ कर दे खा तो आुँखों को र्वतवा

नहीिं हुआ. स्पाईिर ने

ारा िाल रीपेअर कर ददया था और ऐक तरफ़

बैठा था िै े वोह िीत गगया हो. मेरी खश ु ी का कोई दठकाना न रहा और दोनो हाथों ताली विाई. वाइफ मेरी तरफ़ दे खने लगी और मस् ु कराई. ब

उ ी वक्त मैने हाथों की

ऐइक् र ाइज़ शुरु कर दी. धीरे धीरे मैं ऐइक् र ाइज़ बड़ाता चला गगया. कभी कभी हार िाता, कफर हौ ला करता और लग िाता. ऐक वषट के बाद कुछ चें ि ददखाई दे ने लगी. यहाुँ मैं चाए का कप दो हाथों

े उठाता था अब दो ककल्लो के ि​िंबल

की क्षमता हो गई. यहाुँ दस्तखत करने भी अच्छे हैंिराइदटिंग

ेट की 100 मूवमैंट करने

े िर लगता था आि मैं कई

े. यहाुँ मैं लेट कर अपनी टािंग को उठा नहीिं

दफा उठाता हूुँ. हर रोज़ िेढ़ घिंटा

कता था, आि मैं 100

ुबाह को ऐइक् र ाइज़ करता हूुँ, कफर

आधा घिंटा कमरे में इधर उधर घूमता हूुँ. बन पड़ता ददखाई नहीिं दे ता. इ

फे सलख लेता हूुँ वोह टैंि के

हारे

पीच की भी ऐइक् र ाइज़ करता हूुँ लेककन कुछ

का यह मतलब भी नहीिं कक मैने हार मान ली है . हर छे

महीने बाद हस्पताल िाता हूुँ और मेरा ननउरो िटन समस्टर बैन्मर है रान हो िाता है और कहता है कक उ

की जज़िंदगी में मैं पहला पेशेंट हूुँ िो अभी तक

रवाइव कर रहा हूुँ. मझ ु े

भी पता है कक यह बीमारी ठ क नहीिं होगी ककओिंकी अभी तक इ

का कोई इलाि नही है .

बीमारी में िीन समउटे शन हो िाती है . इ

करनी िरूरी है जि

का स फट यह ही है कक रोज़ाना ऐइक् र ाइज़

े िीने के ददन बि िाते हैं. अब मैं अपनी कहानी

करने की चाहत रखता हूुँ कक स्पाईिर ने अपनी दहम्मत

े िैमेि हुआ िाल रीपेअर कर

ददया और मैने अपने को कफर पटड़ी पर ला खड़ा ककया. बैहनों भाइओ दख ु इिं ान वोह ही है िो यहाुँ गगरे वहीिं िीपरै शन आ ानी

े समल िाएगा.

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े खद ु उठे . रोने

े द ू रों को परे रत े मत घबराओ.

े और तो कुछ समलेगा नहीिं, हािं


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बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (30) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है (Gurmail को िवाब )- लीला नतवानी (Unknown) March 13,2014 at 10:31 PM IST 68 Followers Platinum: 47K

गरु मैल भाई, आपके ददल को दे खने के सलए तो मैग्नीफाइिंग ग्ला है . आपके अनुभवों

े एक भी व्यजक्त प्रेरणा पा

के तो,

की भी आवतयकता नहीिं

माि का कल्याण हो िाए. हम

आपकी कहानी को ब्लॉग के रूप में सलखने की अवतय कोसशश करें गे. आपकी दररयाददली व इतने हाददट क कामें ट के सलए ह्रदय

े शुकक्रया और धन्यवाद

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बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (30) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है (Gurmail को िवाब )- लीला नतवानी (Unknown) March 17,2014 at 10:13 AM IST 68 Followers Platinum: 47K


गुरमैल भाई, आपके कामें ट का उत्तर दे ने के बाद मेरे पा

एक पोस्टर आया िो, इ

प्रकार

है , “मासलक को यह कहने के पहले कक, आपको क्या चादहए, मासलक ने िो आपको पहले

ही दे रखा है , उ के सलए उ का धन्यवाद करो.” आपकी गाथा छप गई है , दे ख लीजिएगा. इतने हाददट क कामें ट के सलए ह्रदय

े शकु क्रया और धन्यवाद.

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Gurmail (Unknown) March 13,2014 at 07:18 PM IST 66 Followers Gold: 11.5K

लीला बैहन,आप ने अनत उतम शबद सलखे जि पहले मैं यह बताना िरूरी

के मैं आप का बहुत अभारी हूुँ.

मझता हूुँ कक 70 वषट का ऐक retired र्वअक्ती हूुँ और इिंग्लैंि

में रहता हूुँ. मेरी वाइफ और बच्चे

भी मुझे

पोटट दे ते हैं और हकूमत की तरफ़

मदद समलती है . अगर मैं इिंडिया होता तो आप

े मदद लेने को

भ ु ागशाली

बहुत अच्छा ददल रखती हैं. अक् र मैं इिंडियन मीडिया में खबरें दे ख कर

े भी बहुत

मझता. आप

ोच में प़ि िाता

हूुँ कक मेरे दे श में लोग कै े हो गये हैं, भरशटाचार बेईमानी घू खोरी को दे ख कर मन बुझ ा िाता है . लेककन आप िै े लोग भी हैं िो द ू रों के परनत इतनी च्च है कक ी चीज़ का बी्ना बड़े ध्यान

हानभूनत रखते हैं.

नहीिं होता. यहाुँ बुराई है वहिं अच्छाई भी है , बुराई को हम

े दे खते हैं लेककन अच्छाई को

र री नज़र

कहानी सलखता हूुँ, आप चाहें तो कक ी र ाले में छाप

े दे खते हैं. हाुँ तो अब मैं अपनी कती हो. 2003 में हम समयाुँ बीवी


गोआ आये, कफर कनाटदटक हैंपी रुइिंज़ दे खने गये िो कभी र्विय नगर ऐम्पाएर कहलाता था. वार्प

कफर गोआ आ गये और अिंिुना बीच पर घूम रहे थे कक ऐक बहुत ऊिंची पानी की

लहर आई और मुझे पानी में घ ीट कर ले गई, मुझे लगा मेरा अिंत हो िायेगा. कफर ऐक और लहर ने मझ ु े बीच पर पटक ददया और बहुत चोटें लगीिं. िब हम इिंग्लैंि आये तो मैं गगरने लगा, आवाज़ बदलने लगी. शरीर में शजक्त खतम होने लगी. िाक्टरों की

मझ में

कुछ नहीिं आ रहा था. धीरे धीरे हाथों की शजक्त इतनी कमज़ोर हो गई कक चाए का कप दो हाथों

े पकड़ना पड़ता, दस्तखत करना मुजतकल हो गगया. कफर मेरे िाक्टर ने मुझे हौजस्पटल

भेि ददया. वहािं

भी टै स्ट हुए और िाक्टरों ने बताया कक मोटर ननऊरोंन िीज़ीज़ है और तीन

वषट में ब्रबस्तरे में प़ि िाऊगा. ऐक वषट तक मैं बीवी ही

मझ पाती. मैने

ारी जज़िंदगी बहुत

ोफे में रोता रहता. मेरी आवाि स फट मेरी ख्त समहनत की थी. इिंडिया खेतों में हल

चलाए, बीए तक पड़ाई भी की और इिंग्लैंि आ के 40 वषट काम ककया और इिंडिया आ कर चैररटी का काम भी करते. अब अचानक के पीछे ऐक छोटी

ी फुलवारी है , उ

टैंि

े खश ु ना होता. ऐक ददन मैं

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बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (30) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है (Gurmail को िवाब )- लीला नतवानी (Unknown) March 13,2014 at 10:24 PM IST

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ब ु ह

ब ु ह बादहर

ेब के दरख्त पर ऐक स्पाईिर पर पड़ी िो ताना बाना बुन रहा था.

आगे ,,,,

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े जज़िंदगी बोझ लगने लगी. घर

में बैठा फूलों को दे खता रहता. वाइफ हर तरह मेरी

ददलिोई करती रहती पर मेरा मन भीतर आया तो अचानक नज़र

ॅदटल होने


गरु मैल भाई, हम तो आपके आभारी हैं कक, आपने अपनी आपबीती के एक उत्तम

िंदेश ददया है .

आप शायद र्वतवा

चमुच आपके अनुभव

ाथ- ाथ हमको भी

े बहुत लोग हौ ले की प्रेरणा ले

ही करें गे क्योंकक, आपका ददल नेक और

कते हैं.

ाफ है कक, मैं इिं ाननयत

िुड़े प्र िंग व ब्लॉग आदद ही पढ़ती हूिं व उन पर कामें ट भी करती हूिं. रािनीनतक व ािंप्रदानयक आलेख मुझे रा शभ ु कामना के

नहीिं आते.आप के हौ ले की फुलवारी फलती-फूलती रहे . इ ी

ाथ इतने हाददट क कामें ट के सलए ह्रदय

े शकु क्रया और धन्यवाद

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बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (28) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है

Gurmail (Unknown) March 13,2014 at 01:46 AM IST 66 Followers Gold: 11.5K

लीला बैहन,आप के इ हूुँ. र्पछ्ले द

ाल

लेख ने िो े बोल नहीिं

च्च है मेरी आुँखें नम कर दी ककओिंकी मैं खद ु डि ेबल कता बादहर नहीिं िा

कता.

टैंि के

हारे चलता हूुँ वोह

भी स फट अपने घर में . सशयािंग िो अपने बेटे के सलये कुबाटनी दे रहा है उ

की सम ाल कहीिं

नहीिं समलेगी. मैं 99% पौ ेदटव हूुँ, कफर भी इिं ान हूुँ कभी िोल भी िाता हूुँ. भला हो जि ने कॅंर्पयूटर इज़ाद ककया है . पड़ने का मुझ को बचपन

े शौक था. इ

सलये

और इन्टरनैट पर खो िाने में बतीत हो िाता है . मुझे डि ेब्रबसलटी का

ारा वकत पड़ने

ोचने के सलये वकत


ही नहीिं. इ ी तरह सशयािंग अपने बेटे को उ के बारे में

मुकाम पर पौहञ्चा दे गा यहाुँ वोह डि ेब्रबसलटी

ोचेगा भी नहीिं. ऐ े लोगों को मेरा कोदट कोदट परनाम.

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बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (36) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है (Gurmail को िवाब )- लीला नतवानी (Unknown) March 13,2014 at 07:50 AM IST 68 Followers Platinum: 47K

गुरमैल भाई,

ब े पहले तो, आप पहली बार हमारे ब्लॉग

े िुड़े और हमारा हौ ला बुलिंद

ककया, उ के सलए आपका हाददट क स्वागत और धन्यवाद. आप की इ

आपबीती ने तो

चमुच हमारी आुँखें भी नम कर दीिं. आपने सलखा है कक, आप खद ु डि ेबल हैं, बोल नहीिं कते, ब्रबना

हारे चल नहीिं

कते, बाहर नहीिं िा

कते कफर भी, इतनी दहम्मत और हौ ले

े िी रहे हैं कक, 99% पोज़ेदटव हैं. भाई, यह िानकर कक आप पढ़ने और इिंटनेट पर खो िाने में व्यस्त रहते हैं, यह आपके सलए प्रभु का एक शुभ वरदान है . कम- े-कम आप सलखकर तो अपने र्वचार प्रकट कर

कते हैं. प्रभु एक दरवाज़ा बिंद करते हैं तो, द

खोल दे ते हैं. दोषी तो हम लोग हैं िो, आपकी

दरवाज़े

हायता नहीिं कर पा रहे. जिनके पा

कुछ है वे भी, 01% भी पोज़ेदटव नहीिं हैं तभी तो, दनु नया में इतनी हाय-तौबा मची हुई है और आप िै े महान पोज़ेदटव लोग गम ु नाम जज़िंदगी िी रहे हैं. िहािं तक आपने यहािं पर डि ेब्रबसलटी के बारे में न

ोचने वाली बात कही है , हमने खद ु अपनी आिंखों

एक बड़े बैंक ऑकफ र हैं वे, अपनी 90 रहाकर उनकी हर तरह

ाल की डि ेब्रबल

ेवा करते थे बजल्क, बैंक

े दे खा है कक,

को न स फ़ट अपने घर

े आकर उनको पीठ पर लादकर पा


के

ाईं बाबा मिंददर ले िाते थे और जितनी दे र वे वहािं बैठ

पुनः पीठ पर लादकर घर वार्प

लाते थे. अच्छे लोग

कती थीिं, उनके

ब िगह समल िाते हैं. प्रभु आपको

भी कोई-न-कोई राह अवतय ददखाएिंगे. तब तक आप मेरे ब्लॉग िो, मेरी दृजष्ट को प्रोत् ादहत करने वाले हैं, पढ़ते रदहए और

ाथ बैठकर

बकी पोज़ेदटवने

मेरा कोदट कोदट प्रणाम और इतने हाददट क कामें ट के सलए ह्रदय

े पोज़ेदटवने

बढ़ाते रदहए. आप को भी े शकु क्रया और धन्यवाद.

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हमत (1) े अ हमत (0)

बहुत बदढ़या कॉमें ट है ! (35) यह कॉमें ट आपर्त्तिनक है (Gurmail को िवाब )- लीला नतवानी (Unknown) March 13,2014 at 11:17 AM IST 68 Followers Platinum: 47K

गरु मैल भाई, आपकी आपबीती ने

चमच ु हमें झकझोर ददया है . अध्यार्पका होने के नाते

हमारा नाता बहुत- े ऐ े छािों और अध्यापकों

े रहा है जिनको हम डि ैजब्लि कहते हैं

लेककन, उनके हौ ले को दे खकर हमें तो ऐ ा मह ू ही उनके

ामने बौने हैं.

होता था कक, वे परफैक्ट हैं और हम

बमें ऐ ा कोई-न-कोई हुनर होता था कक, अध्यापकों

को समलता था और छािों के हुनर को हम पहचानकर उनके उ परू ी कोसशश करते थे. मैं अक् र ऐ े लोगों

े हमें

ीखने

हुनर को परवान करने की

त्यकथाएिं सलखती हूिं और मेरे बहुत- े ब्लॉग्

में आपको

े समलने का अव र समलेगा. मैं आपको ई.मेल करूिंगी, आप मझ ु े अपना प्रोफाईल

भेि दीजिएगा, हम े िो कुछ बन पड़ेगा, आपके सलए करें गे. आिकल तो बहुत- ी एन.िी.ओ. आप िै े लोगों को स्वननयिंब्रित गाड़ी आदद ददलाते हैं. आप अपने आ पा कक ी एन.िी.ओ

के

े बात कररए. आपका पता समलते ही हम भी कोसशश करें गे. अच्छा तो यह


होगा कक, आप इ

कामें ट के िवाब में कामें ट पर ही पता सलख दें ताकक, हमारे पाठकगण व

ब्लॉग ट भी आपकी कुछ

हायता कर

कें. आपमें सलखने का हुनर तो है ही, उ को उभाररए

ही, अन्य कोई हुनर हो तो उ े भी उिागर कीजिए. आप के हौ ले को भी हमारा कोदट कोदट प्रणाम और इतने हाददट क कामें ट के सलए ह्रदय चलता…

े शकु क्रया और धन्यवाद.


मेरी कहानी - 201 गरु मेल स हिं भमरा लिंदन January 23, 2017 अब मैं चाहता हूुँ कक लीला बहन के मुझ पर सलखे

भी ब्लॉग एक एक करके “मेरी कहानी”

की कडड़यािं बनाऊिं, क्योंकक इन के बगैर यह मेरी कहानी

म्पूणट नहीिं हो

कती। यूुँ तो इन

ब्लॉग्ज़ में िो सलखा है वह मैं “मेरी कहानी” में बहुत कुछ सलख चक ु ा हूुँ, कफर भी मैं, लीला िी के ब्लॉग्ज़ के रिं ग मेरी कहानी में िरूर भरूुँगा । इन ब्लॉग्ज़ पर ककतनी प्रनतकक्रयाएिं आईं, यह छोड़ कर मैं स फट ब्लॉग् भी शीषटक को गूगल

के नामों

े आपको पररगचत करवाना चाहूिंगा। आप कक ी

चट करके इनका आनिंद ले

कते हैं. आपकी

ुर्वधा के सलए ई.बुक्

के सलिंक भी मौिूद हैं. नवभारत टाइम्

के अपना ब्लॉग में लीला नतवानी के ब्लॉग ‘र लीला’ में गुरमैल भाई पर

आधाररत ब्लॉग्

की ई. बुक-1 का सलिंक :

https://issuu.com/shiprajan/docs/gurmail_bhai_ebook 1.गुरमैल-गौरव-गाथा-17 माचट 2014. 2. पना

ाकार हुआ-31 माचट 2014.

3.िन्मददन का उपहार-08 अप्रैल 2014. 4.कहानी कुलविंत कौर की-14अप्रैल 2014. 5.यादों का दरीचा-28अप्रैल 2014. 6.हम तुम्हारे सलए, तुम हमारे सलए-20 अगस्त 2014. 7.मेरी पहली कर्वता-01 स तिंबर 2014. 8.स्वच्छता असभयान

े दे श के र्वका

तक-03 नविंबर 2014.

9.गुरमैल-गररमा-गाथा-24 नविंबर 2014. 10.िन्मददन तम् ु हारा : प्रेम-पि हमारा-29 दद िंबर 2014. 11.गगने

वल्िट ररकॉिट

े ऊिंची, आपकी ऊिंचाई:गुरमैल भाई-िनवरी 19 2015.


12.ई.बुक’ की बधाई, शुभकामनाएिं गुरमैल भाई- अप्रैल 12, 2015

नवभारत टाइम्

के अपना ब्लॉग में लीला नतवानी के ब्लॉग ‘र लीला’ में गुरमैल भाई पर

आधाररत ब्लॉग्

की ई. बक ु -2 का सलिंक :

https://issuu.com/shiprajan/docs/gurmail_bhai_ebook_2 1.गगने

वल्िट ररकॉिट

े ऊिंची : प्रनतकक्रयाएिं- अप्रैल 16, 2015.

2.एक अनचीन्हा रूप- अप्रैल 23, 2015 3.मात ृ ददव 4. ह ु ाना

की वेला, कुलविंत कौर के घर मेला- मई 10, 2015 फर- िल ु ाई 20, 2015

5.एक नवीन प्रयोग (कहानी)- दद म्बर 03, 2015 6.गुरमैल भाई, 7.र्वननिंग मोमें ट्

म्मान की बधाई- िनवरी 08, 2016 की तस्वीर- फरवरी 02, 2016

8.उपलजब्धयािं दबे पािंव आती है - अप्रैल 14, 2016 9.र्वराट मन की व्यापक स्मनृ तयािं- िुलाई 10, 2016 10.िन्मददन हमारा: उद्गार आपके-हमारे - स तम्बर 10, 2016 11.बल ु िंद हौ ले को कोई नहीिं रोक पाया है : कुलविंत- दद म्बर 25, 2016 12.कुछ ज़माना बदले कुछ हम- िनवरी 06, 2017

”मेरी कहानी” के

भी एपी ोड्

की ई.बक् ु

के सलिंक इ

प्रकार है -

http://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_1-21_gurmail_singh http://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_22-42_gurmail_singh https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_43-63_gurmail_singh


https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_64-84_gurmail_singh https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_85-105_gurmail_singh https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_106-126_gurmail_singh_3 https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_127-147_gurmail_singh https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_148-168_gurmail_singh https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_169-201_gurmail_singh

पाठकों को मेरा धन्यवादइ

कड़ी के बाद कफलहाल हम र्वराम ले रहे हैं, लेककन इ

कामें टेट ट को धन्यवाद दे ना चाहें गे, िो प्रोत् ाहन

े पहले हम उन

राबोर प्रनतकक्रयाओिं

ब पाठकों और

े िोश का

िंचार

करते रहे । ब्रबना हुिंकारे के तो दादी-नानी की छोटी- ी कहानी भी आगे नहीिं बढ़ती, आप लोगों ने तो अपनी उत् ुकता के अलख

े मेरे

ाह

और मैं मेरी कहानी के 201 एपी ोि आपके

की मशाल को ननरिं तर प्र्वसलत ककए रखा ामने प्रस्तुत कर

कफलहाल शकु क्रया और धन्यवाद। गुरमेल स हिं भमरा गुरमेल स हिं भमरा की िय र्विय की वेब ाइट का सलिंकhttp://jayvijay.co/author/gurmailbhamra/ चलता…

का. कफर समलने के सलए,


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