Pukhraaj habaa mein ud ra'e ein

Page 1

पुखराज हबा में उड़ रए एँ ब्रज-गजल :- नवीन सी. चतुवेदी


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

पुखराज हबा में उड़ रए एँ

नवीन सी. चतव ु ेदी

ब्रज-गजल

जय श्री कृष्ण, जय बिहारी जी की, जमना मैया की जय। िचपन सूँ जो भी ब्रज साबहत्य पबि​िे कूँ बमल्यौ सगरौ ही नागरी ब्रज-भासा में बमल्यौ। मथुरा में िोली जायिे िारी, सर-नरसी आबि की जो भासा हतै िा कूँ नागरी ब्रज-भासा कहतु एूँ । अि बजन लोगन नें ब्रज-यात्रा करे होय अथवा तौ बजन कूँ ब्रज में बिचररिे कौ सौभाग्य बमल्यौ होय उन नें ग्रामीण ब्रज भासा कौ आनन्ि हू लट्यौ होयगौ। ग्रामीण ब्रज-भासा कौ आनन्ि अलग्गई हतै। जा कारन सूँ ग्रामीण ब्रज-भासा कौ चुनाव करौ। ब्रज भासा नें बवश्व-साबहत्य कूँ अपररबमत भण्डार सौंपे हतें। अमीर खुसरो की िात करें बक जलालुद्दीन अकिर की; अवधी की डगर पे चलते भए तुलसीिास की िात होय बक अष्ट-छाप के कबवन की; रीबतकाल, भबि-काल के अलावा आज िारे आधुबनक काल के टी वी सीररयल्स में हू अपनी ब्रज-भासा की बमठास कूँ इस्तेमाल बकयौ जाय रह्यौ है। मन में बवचार आयौ और बवद्वान लोगन सूँ पछ्यौ तौ मलुम परौ बक प्रोपर गजल की स्टाइल में ब्रज-भासा में गजल उपलब्ध नाूँय नें। उपरोि द्वै िातन कूँ ध्यान में राबख कें एक छोटौ सौ प्रयास भयौ है, जो माूँ शारिा के चरनन में राखत भए आप सभी तक सािर पहूँचायौ जाय रह्यौ है। आसा करूँ बक यै प्रयास आप कूँ पसन्ि आवैगौ। आप की प्रबतबिया sms या whatsapp या email के द्वारा भेजवे की कृपा करें । आप कौ अपनौ नवीन सी. चतुवेिी जन्म – मथुरा, हाल मुकाम – मुम्िई मोिाइल : +91 9967024593 e-mail: navincchaturvedi@gmail.com Web: http://www.saahityam.org/ navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

आप की हू क बिल में जो उठिे लगी बजन्िगी सगरे पन्ना उलबटिे लगी िस बनहारौ हतो आप कौ चन्र-मुख जा बि​िे की निी घाट चबि​िे लगी मैं जो तबनिे लग्यौ, िन गई िौ लता बछन में चबि​िे लगी - बछन उतररिे लगी प्रेम कौ रङ्ग जीिन में रस भर गयौ रे त पानी सौ ब्यौहार कररिे लगी मन की आिाज सुन कें भयौ जै गजि ओस की िूँि सूँ प्यास िुझिे लगी

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

िजारन में बिखिे लगे चन्रमा बसतारे ऊ िबनिे लगे चन्रमा बि​िे में हलबसिे लगे चन्रमा अटाररन पे चबि​िे लगे चन्रमा समझ ल्यो नई रौसनी बमल गई बकतािन कूँ पबि​िे लगे चन्रमा पि्यौ जि सूँ िुस्यन्त-साकुन्त्लम फररस्तन सूँ डररिे लगे चन्रमा खुिइ तन सूँ ि​िरन कूँ बलपटाय कें अूँधेरेन सूँ बमलिे लगे चन्रमा

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

सि कछ हतै कन्रौल में तौ बफर परे सानी ऐ चौं सहरन में बभच्चमबभच्च और गामन में िीरानी ऐ चौं जा कौ डसयौ कुरुछे त्र पानी माूँगत्वै ि​िरान में अजहू ूँ खुपबियन में िु ई कीिा सुलेमानी ऐ चौं धरती पे तारे लायिे की बजद्द हम नें चौं करी अि कर िई तौ रात की सत्ता पे हैरानी ऐ चौं सगरौ सरोिर सोख कें िस िूँि भर िरसातु एूँ िच्चन की मैया- िाप पे इत्ती महरिानी ऐ चौं सब्िन पे नाहीं भािनन पे ध्यान धर कें सोबचयो सहरन कौ बखिमतगार गामन कौ हिा-पानी ऐ चौं

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

घर की अूँबखयान कौ सुरमा जो हते ि​ि कें रहनौ पयौ - िद्दा जो हते बिन बिनन खिइ मस्ती लटी हम सिन्ह के बलएूँ िच्चा जो हते आप के बिन कछ नीकौ न लगे टोंट से लगतु एूँ सीसा जो हते चन्ि ि​िरन नें हमें िाूँक ियो और का करते चूँिरमा जो हते पेि तौ काट कें म्हाूँ रोप ियौ बकन्तु जा पेि के पत्ता जो हते? पैठ पाए न महल के भीतर बिप्र-छत्री अरु िबनया जो हते िेख बसच्छा कौ चमत्कार ’नवीन‘ ठाठ सूँ रहतु एूँ मङ्गा जो हते

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

एक लाइन में आउते िालक एक लाइन में जाउते िालक धर-मट्टी उिाउते िालक मैल मन कौ बमटाउते िालक लौट सहरन सूँ आउते िालक जोत की लौ िचाउते िालक िन सकतु ऐ नसीि धरती पे िेख पिते-पिाउते िालक रस िैठी गरर की गुम्ि​ि गुलगुली सूँ मनाउते िालक बकस्न िन कें जसोिा मैया कूँ ता-ता थैया नचाउते िालक बकतनी टीचर बकतेक ररस्तेिार सि की सि सूँ बनभाउते िालक घर की िुगगत हजम न कर पाये हूँस कें पत्थर पचाउते िालक और एक बिन असान्त ह्वे ई गये सोर कि लौं मचाउते िालक navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

िौररिे िारे न के बपछिािें िुलत्ती िै िई रें गिे िारे न कूँ मैराथन की रॉफ़ी िै िई जैसें ई पेटी में डायौ िोट - कछ ऐसौ लग्यौ िेितन नें जैसें मबहसासुर कूँ िेटी िै िई मैंने म्हों जा ताई ं खोल्यौ ताबक पीिा कह सकूँ िा री िुबनया तैनें मो कूँ बफर सूँ रोटी िै िई सि कूँ ऊपर िारौ फल-िल सोच कें ई िेतु ऐ मन्मथन कूँ मन िये मस्तन कूँ मस्ती िै िई जन्म लीनौ जा कुआूँ में िाई में मर जाते हम सुबिया ऐ िोस्त जो हाथन में रस्सी िै िई

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

लौट आमङ्गे सि सफर िारे हाूँ! ‘नवीन’ आप के सहर िारे आूँख िारे न कूँ लाज आितु ऐ िेखत्वें ख्वाि जि नजर िारे नेंकु तौ िेख तेरे समग ुख ई का-का करत्वें बतहारे घर िारे एक कौने में धर ियौ तो कूँ खि चोखे - बतहारे घर िारे रात अम्मा सूँ िोलत्वे िाप आमत्वें स्वप्न मो कूँ डर िारे खि िूँ िे, बमले न सहरन में सङ्ग-साथी निी-नहर िारे जि पी कें बसखायौ िा नें हमें िोल बजन िोबलयो जहर िारे

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

हमारी गैल में रपटन मचायिे िारे तनौ ई रबहयो हमन कूँ बगरायिे िारे िस एक बिन के बलएूँ मौन-ब्रत कूँ रख कें िेख मेरी जिान पे तारौ लगायिे िारे जनम-जनम तोबह अपनेन कौ सङ्ग-साथ बमले हमारे गाम सूँ हम कूँ हटायिे िारे हमारे लाल बतहारे कछ भी नाूँइ नें का हमारे ‘नाज में कङकर बमलायिे िारे हमें जराय कें अपनी हिस कूँ सान्त न कर पलक-पलक सूँ नबिन कूँ िहायिे िारे

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

सङ्ग-साबथन कूँ ही सन्सार समझ लेमतु एूँ लोग टीलेन कूँ कुहसार समझ लेमतु एूँ िर अम्िर में कोऊ आूँख लहू रोमतु ऐ हम बहंयाूँ िा कूँ चमत्कार समझ लेमतु एूँ कोऊ िप्पार सूँ भेजतु ऐ बिचारन की फौज हम बहंयाूँ खुि कूँ कलाकार समझ लेमतु एूँ पैलें हर िात पे हम लोग झगर परतु हते अि तौ िस रार कौ इसरार समझ लेमतु एूँ भल कें हू कि पैंजबनया कूँ पाजेि न िोल सि की झनकार कूँ फनकार समझ लेमतु एूँ एक हू मौकौ गूँिायौ न जखम िैिे कौ आउ अि सङ्ग में उपचार समझ लेमतु एूँ अपनी िातन कौ ितङ्गि न िनाऔ भैया सार एक पल में समझिार समझ लेमतु एूँ

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

कमल, गुलाि, जुही, गुलमुहर िचात भए महक रयौ ऊूँ महकते नगर िचात भए सरि की रात में चन्िा के घर चली पनम अधर, अधर पे धरै गी अधर िचात भए सरल समबझयो न िा कूँ घनी चपल ऐ िौ नजर में सि कूँ रखतु ऐ नजर िचात भए त अपने आप कूँ इतनौ समझ न खिसरत िौ मेरे सङ्ग हू नाची, मगर िचात भए जे खण्डहर नहीं जे तौ धनी एूँ महलन के बिखर रए एूँ जो िच्चन के घर िचात भए जो छन्ि-िन्ध सूँ डरत्वें िे िेख लेंइ खुिइ मैं कह रहयौ हू ूँ गजल कूँ िहर िचात भए चमन कूँ िेख कें माबलन के म्हों सूँ यों बनकस्यौ कटैगी सगरी उमररया सजर िचात भए

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

लोमबिन के राज में हम बफर सूँ िन्िर ह्वै गए ऐसे-ऐसे गुल बखलाए खेत ऊसर ह्वै गए अि न कोऊ चौंतरा लीपै न छींके टाूँगत्वै कैसे-कैसे घर हते, सि ई ंट-पत्थर ह्वै गए जो हते जल्िी में िे सगरे तो िन िैठे कपर जो ठहरनौ चाहूँत्वे िे धप-गगर ह्वै गए लोग खुि सूँ आमें, खामें, बफर हमें गररयातु ऊ एूँ िेख िुबनया हम हू अि तेरे िरब्िर ह्वै गए एक िेरी सच्च में घनश्याम नें िोल्यौ हो झठ ति सूँ ही ऊधौ हमारे रग समन्िर ह्वै गए

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

िाकी सि साूँचे ह्वै गए मतिल हम झठे ह्वै गए कैसे-कैसे हते िल्लान अि तौ िूँटिारे ह्वै गए सि कूँ अलग्गइ रहनौ हतो िेख ल्यो घर महूँगे ह्वै गए इतने िरस िाि आए हौ आईने सीसे ह्वै गए िाूँधन सूँ छट्यौ पानी खेतन में नाले ह्वै गए हाथ िूँटान लगी औलाि कछुक िरि हल्के ह्वै गए बगनिे िैठे बतहारे करम पोरन में छाले ह्वै गए घर कौ रसता सझत नाूँय हम सच में अन्धे ह्वै गए

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

कहाूँ गागर में सागर होतु ऐ भैया समन्िर तौ समन्िर होतु ऐ भैया हररक तकलीफ कौं अूँसुआ कहाूँ बमलत्वें िुखन कौ ऊ मुकद्दर होतु ऐ भैया बछमा तौ माूँग और सूँग में भलौ हू कर बहसाि ऐसें िरब्िर होतु ऐ भैया सिेरें उठ कें िासे म्हों न खाऔ कर जे अबतथी कौ अनािर होतु ऐ भैया किउ खुद्दऊ तौ गीता-सार समझौ कर बजसम सि कौ ई नस्वर होतु ऐ भैया जिै हाथन में मेरे होतु ऐ पतिार तिै पाूँइन में लङ्गर होतु ऐ भैया बिना आकार कछ होित नहीं साकार सि​ि कौ मल - अक्षर होतु ऐ भैया

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

िेखत रह गए ताल-तलैया भैंस पसर गई िगरे में गरमी झेल न पाई भैया भैंस पसर गई िगरे में िीस िखत िोल्यौ हो तो सूँ िानौ पानी कम न परै अि का कतग ु ए हैया-हैया भैंस पसर गई िगरे में ऐसी-िैसी चीज समझ मत जे तौ है सरकार की सास जैसें ई िेखे नकि रुपैया भैंस पसर गई िगरे में कारी मौटी धमधसर सी नार बथरकिे कूँ बनकरी नाचत-नाचत ता-ता थैया भैंस पसर गई िगरे में खान-पान के असर कूँ िेखौ जैसें ई कीचम-कीच भई पि-पि भज गई गैया-मैया, भैंस पसर गई िगरे में

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

सरगम की धुन गिवे िारे साज हिा में उि रए एूँ पगडबण्डन पे चलिे िारे बमजाज हिा में उि रए एूँ रात अूँधेरी, नील-गगन, चलते भए िािर, तेज हिा िच्चा िोले पानी िारे जहाज हिा में उि रए एूँ िर अकास में ल्हौरे -ल्हौरे तारे न की पङ्गत कूँ िेख ऐसौ लागत है जैसें पुखराज हिा में उि रए एूँ सच्ची िात तौ जे है - पानी जैसौ िहनौ हो - लेबकन माफी िीजो भैया - सगरे समाज - हिा में उि रए एूँ मन में आयौ माखनचोर कूँ माखन-बमसरी भोग धरूँ िा बिन सूँ ही यार अनाज और प्याज हिा में उि रए एूँ और कहाूँ बटकते भैया जी सि की काया सि के मन महारानी धरती पे हैं महाराज हिा में उि रए एूँ अि तक के सगरे राजा-महाराजा आय कें िेखौ खुि प्रेम सिन कौ है सरताज और ताज हिा में उि रए एूँ

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

जा लूँग भीर िहत है भैया कछ तौ सरकौ पलग गूँ कूँ अपनी-अपनी तसरीफन की िीन िजाऔ पलग गूँ कूँ जा लूँग टाट-िरी के प्रेमी पलग गूँ बसंहासन िारे प्रेमी हौ तौ जा लूँग आऔ नई ं तौ टरकौ पलग गूँ कूँ हम सूँ जािा बकस्न के पाछें भत पयौ हो पलायन कौ कछ जने जा लूँग भी ठहरौ सि बजन जाऔ पलग गूँ कूँ खेतन में िरसात कौ पानी भरउ गयो तौ का बचन्ता तबनक िहाऔ पानी जा लूँग - तबनक उलीचौ पलग गूँ कूँ बकत्ती पुस्त बगनौगे भैया - जे तौ पुरानौ ररिाजइ ए जा लूँग आूँगन साफ़ करौ - और - धर उिाऔ पलग गूँ कूँ

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


पख ु राज हबा में उड़ रए एँ

ब्रज-गजल

नवीन सी. चतव ु ेदी

अपनी खुसी सूँ थोरें ई सि नें करी सही िोहरे नें िाि-ि​ि कें करिा लई सही जै सोच कें ई सिनें उमर भर िई सही समझे बक अि की िार की है आखरी सही पहली सही नें लट लयो सगरौ चैन-चान अि और का हरै गी मरी िसरी सही मन कह रह्यौ है िोहरे की िबहयन कूँ फार िऊूँ बफर िेखूँ काूँ सों लाउतै पुरखान की सही धौंताए सूँ नहर पे खिो है मुनीम साि रुक्का पे लेयगौ मेरी सायि नई सही म्हाूँ- म्हाूँ जमीन आग उगल रइ ए आज तक घर-घर परी ही िन कें जहाूँ िीजरी सही तो कूँ भी जो ‘नवीन’ पसन्ि आिै मेरी िात तौ कर गजल पे अपने सगे-गाम की सही

navincchaturvedi@gmail.com

+91 9967024593

http://www.saahityam.org/


Turn static files into dynamic content formats.

Create a flipbook
Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.