मेरी कहानी - 4
गरु मेल स हिं भमरा की आत्मकथा का चौथा भाग (एपि ोड 64 – 84)
िंग्रहकर्त्ाा एविं प्रस्तुतकर्त्ाा लीला ततवानी
मेरी कहानी - 64 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन September 28, 2015 ट्रै वल एजैंट के दफ्तर
े ननकल कर और कुछ मठाई ले कर मैं गााँव आ गगया लेककन मैंने
मााँ को कुछ नह िं बताया। जो खत मैंने लिंदन कालज को डाला था,उ जाएगा इ
का जवाब मुझे समल
की कोई मुझे आशा नह िं थी क्योंकक जो इिंडडया में दे ख रहा था उ
के हह ाब
े
तो कभी जवाब आएगा ह नह िं। मेरे ज़हन में तो इिंग्लैण्ड का स स्टम इिंडडया जै ा ह होगा। अब क्योंकक इिंग्लैण्ड जाने की तमन्ना थी,तो हर रोज़ कोई न कोई ऐ ा लड़का समल जाता जो एक एजेंट समस्टर जोशी के दफ्तर को आता जाता। जजतने भी बाहर जाने वाले लड़के समलते,उन
भी के ररश्तेदार इिंग्लैंड या कैनेडा अमर का में होते। पा पोटट के सलए कहााँ
जाना,क्या करना मैं उन
े पछ ू ता रहता। उन
े अच्छा ट्रै वल एजैंट था। इ
े मझ ु े यह भी पता चल गगया कक जोशी
जोशी का दफ्तर फगवाड़े के पसु ल
स्टे शन के बबलकुल
था और जनता मैडीकल स्टोर के कर ब ह था। जोशी के दफ्तर की ओर कभी
ब ामने
र र नज़र
े ह दे खा करता था,अब बहुत गियान े दे खता। बहुत इस्री मदट और बच्चे जोशी के दफ्तर में कुस ओ ट िं पर बैठे होते और जोशी हमेशा कुछ टाइप ह करता होता। लोगों के हाथों में पा पोटट होते,कागज़ होते या जोशी को रुपय दे रहे होते। यह शायद माचट अप्रैल १९६२ का मह ना होगा और १ जल ु ाई नज़द क आ रह थी और मझ ु े ऐ ा लगता जै े
ब लोग इिंग्लैण्ड
की तैयार में हों। उिर बहादर भी जब समलता तो एक ह बात कहता,” यार गुरमेल !मेरे
अफ र चाचा कुछ करते ह नह िं हैं, कहााँ तक मेरे पेपर पौहिं च चक् ु के हैं कुछ पता ह नह िं चलता”. मैं इ
का क्या जवाब दे ता, मुझे तो अपनी ह किक्र थी। दो हफ्ते हो गए थे और
मैं लिंडन को सलखे ख़त को इतना गियान
े
ोचता भी नह िं था लेककन कभी कभी यह
ववचार जरूर आता कक मैं भी अपने वपता जी को राहदार के सलए सलखूिं लेककन हौ ला नह िं
पड़ता था कक पता नह िं वोह क्या जवाब दें । इ ी उिेड़ बुन में तीन हफ्ते बीत गए। एक हदन जब मैं कालज
े घर आया तो मााँ ने मुझे एक काफी बड़ा पा ल ट पकड़ा हदया जो
का पोस्ट मैन भगवान ् दा हाऊ
इन््नीररिंग कालज
मैं जल्द जल्द प्रॉस्पेक्ट
ुबह गााँव
दे कर गगया था। मैंने पा ल ट खोला तो दे खा कक यह फैराडे
े था। एक गलौ ी प्रॉस्पेक्ट के पेजज़ दे खने लगा जज
था और
ाथ में बहुत े िामट थे। में कालज की बबजल्डिंग और शानदार
कमरे थे और इ
में गोरे लड़के लड़ककआिं अपने अपने काम में लगे हुए थे। कोई लैबोरे टर में था तो कोई मशीनों पे काम कर रहा था। यह प्रॉस्पैक्ट मेरे सलए एक अध्भुत चीज़ थी क्योंकक इ
े पहले मैंने यह कभी दे खा ह नह िं था। पता नह िं ककतनी दफा मैंने
दे खे और पड़े। आखर में मैंने ऐडसमशन िामट ऊपर कोई मुजश्कल नह िं था। इ भेजनी थी। इन फामों के की ऐजललकेशन।
े ले कर नीचे तक पड़ा जज
ारे
फे
को भरना
िामट के नीचे ऐडसमशन फी तीन पाउिं ड सलखी हुई थी जो मुझे ाथ ह एक िामट था इिंडडया की हकूमत े िौरन एक् चें ज लेने
अब तो मुझे वपता जी को सलखना पड़ेगा ह कक मैं इिंग्लैण्ड आना चाहता था ककओिंकक मुझे तीन पाऊिंड फी
जो जमा करानी थी और इ
के बाद ह मुझे कालज में एडसमशन समलनी
थी। मैंने िामट भर हदया और एक काफी बड़ा ख़त शमाटते शमाटते वपता जी को सलख हदया कक मैं इिंग्लैण्ड आना चाहता हूाँ। एक बात की मुझे अब तक है रानी होती है कक जब बहुत लोग अपने अपने बेटों को इिंग्लैण्ड बुला रहे थे तो मेरे वपता जी को यह खखयाल क्यों नह िं आया जब कक उ
वक्त मेरा आना बहुत आ ान था। हो कता है कक उ वक्त रहने की बहुत तिंगी थी,एक एक घर में बी बी आदमी रहते थे जज में ककराया कमरे के हह ाब े नह िं बजल्क बैड के हह ाब
े था। कई लोग तो इ
लगा कर आ कर बैड पे
ो जाता और जज
तरह रहते थे कक एक आदमी रात की सशफ्ट की मॉननिंग सशफ्ट होती वोह इ ी बैड
े ननकल
कर काम पर चले जाता,बैड गमट ह रहती थी और बैड को आराम नह िं समलता था। यह बैड लोहे की होती थीिं जजन पर बड़े मोटे गद्दे होते थे जजन को मैट्रे
कहते थे। हो
कता है यह
कारण हो,और द ु रे खद ु वपता जी इिंग्लैण्ड रहने को प िंद नह िं करते थे,इ ी सलए उन्होंने
मुझे ना बुलाया होगा। कुछ भी हो मैंने डरते डरते ख़त रे जजस्टडट पोस्ट में भेज हदया। अब तक इ
बात का पता स फट मुझे ह था और दादा जी या छोटे भैया को भी नह िं बताया,खैर
छोटा भाई तो अभी छोटा ह था। उ
वक्त टे ल फून तो होता नह िं था,ख़त ह एक जर या था जज
को बहुत दे र लग जाती थी। िामट भेजते वक्त मैंने वपता जी को सलखा था कक लल ज़ वोह एक हदन भी जाया न करें और फैराडे कालज को तीन पाऊड फी
भेज दें ककओिंकक १ जुलाई
े पहले पहले पा पोटट
बन जाना चाहहए था। मुझे लगता है वपता जी ने भी एक हदन भी सम कालज को फी
नह िं ककया और
भेज द ,जज
का नतीजा यह हुआ कक दो तीन हफ्ते में मुझे फैराडे हाऊ एडसमशन लैटर आ गगया। मेर ख़श ु ी का कोई हठकाना नह िं रहा और अब मैंने मााँ दादा जी
और छोटे भाई को बता हदया कक मैं पा पोटट के सलए एललाई कर रहा हूाँ और इिंग्लैण्ड चला जाऊाँगा। घर के भी लोग खश ु हो गए ककओिंकक उ वक्त बाहर जाना बहुत बड़ी बात मझी जाती थी।
ुबह उठ कर मैं एडसमशन के
ारे िामट ले कर फगवाड़े जोशी के दफ्तर
में पौहिं च गगया. जोशी ने अभी अभी दफ्तर खोला ह था और मैंने उ े
ारे िामट पकड़ा हदए
कक मैं पा पोटट के सलए एललाई करना चाहता था. यहााँ मैं यह भी बता दाँ ू कक जोशी अब होगा या नह िं मुझे पता नह िं लेककन वोह बहुत अच्छा नेक इिं ान था,उ का वववहार बहुत ह अच्छा था,वोह अपने काम के पै े लेता था जो बबलकुल वाज़व होते थे और जजतनी दे र भी
वोह दफ्तर में होता बहुत शािंत होता. उ ने िामट दे खते ह मुझे बता हदया कक पा पोटट में कोई हदकत पेश नह िं आएगी और मझ ु े ५०० रूपए ट्रे वल कन् ेशन भी समल जाना था जो स्टूडैंट को समलता था,उ
वक्त एअर इिंडडया का ककराया १८०० रूपए होता था और मझ ु े
१३०० रूपए ह दे ने पड़ने थे. जोशी
ाहब ने पा पोटट के सलए एलल केशन टाइप करनी शरु
े
कर द , जब टाइप हो गई तो उ
ने मेरे दस्तखत करवाए और अपने काम के पै े मािंगे जो
मैंने दे हदए और यह जज़आदा भी नह िं थे। कफर उ
ने मुझे
मझाया कक वोह इन
ारे
कागजों को त ील में जा कर त ीलदार के दफ्तर में दाखल करा दें गे। कफर मुझे यह भी मझाया कक कुछ हदनों बाद मुझे त ीलदार की ओर
े गााँव में ख़त आएगा और मैं अपने
गााँव के नम्बरदार को ले कर तह ीलदार के दफ्तर में पौहिं च जाऊिं। त ीलदार के दफ्तर में त ीलदार के
ामने नम्बरदार को गवाह दे नी होगी कक वोह मुझे जानता है और आप की
ककतनी ज़मीन है । जब यह काम हो गगया यानी त ीलदार के दस्तखत हो गए तो कागज़ पसु ल ब कुछ
स्टे शन चले जायेंगे। पसु ल
ारे
स्टे शन में कक्रसमनल ररकाडट दे खने के बाद अगर
ह हुआ तो थानेदार कागजों को डडजस्ट्रक्ट कपथ ू ाटले को डी ी के दफ्तर को भेज दे गा। अगर कपथ ू ाटले ब कुछ ठीक हुआ तो डी ी अपने दस्तखत करके ारे कागज़ वाप फगवाड़े ए यह
डी एम के दफ्तर में भेज दे गा। अगर ए
ारे कागज़ यहााँ
ऑकफ र जाएगा।
े हदल पा पोटट ऑकफ
डी एम को
ारे कागज़
में चले जायेंगे और हदल
ह लगे तो
े पा पोटट
ब ठीक दे ख कर पा पोटट जार कर दे गा और मुझे गााँव में पोस्ट कर हदया
यह एक लम्बा प्रौ ै
था और मुझे
ब कुछ मालूम हो गगया। एक लड़का,जज
का पा पोटट
बन गगया था मुझे बोला,” गुरमेल! वक्त कम है और मैं तुझे मशवरा दे ता हूाँ कक हर जगह दफ्तरशाह है और झट
भी पै े खाते हैं,ब
यहािं कोई द
रुपय मािंगे बी
े हो जाएगा,वरना कागज़ वह ीँ पड़े रहें गे”. ऐ े कामों
पड़ा था लेककन मैं लोगों की बातें
दे दो,तुम्हारा काम
े मेरा पहले कभी वास्ता नह िं
ुन
ुन कर हुसशआर हो गगया था। जोशी ाहब ने कागज़ कचहर में त ीलदार के दफ्तर में दे हदए थे क्योंकक मैंने जोशी ाहब े पहले ह पता कर सलया था। एक हफ्ते बाद ह मुझे त ीलदार के दफ्तर
े खत आ गगया जज
की मुझे है रानी
और ख़श ु ी हुई। खत पड़ते वक्त ह मैं उठ कर नम्बरदार के घर जा पौहिं चा और उ को मेरे ाथ कचहर में जाने की बात कह । नम्बरदार े हमारे म्बन्ि बहुत अच्छे थे और वोह खश ु हो गगया। इ
नम्बरदार की बेट आिं
ी ो और जीतो मेर बहन के
ाथ हमारे घर में
चक्की
े आटा पी ा करती थी और बहुत े और काम जै े दर आिं बुनने का काम भी करती थीिं और कभी कभी हमारे घर ह ो जाया करती थीिं. नम्बरदार स्वणट स हिं ने मुझे विाई द और मुझे पुछा कक कब जाना था। मैंने कहा,”चाचा ! कल को ह जाना होगा
ककओिंकक वक्त बहुत कम है ”. यहााँ मैं स्वणट स हिं का कुछ छोटा ा इतहा भी सलखना चाहूाँगा। नम्बरदार स्वणट स हिं और उ की बीवी बिंतो बहुत गर ब थे,उन का एक बेटा ोहन था और दो बेहटया जीतो उर
ी ो थी। जीतो और
थी और उन की मााँ बिंतो ववचार तो मेर मााँ कपड़ा कभी दाल जी ने हिं ी
ी ो हमारे घर बहुत आती जाती रहती े बहुत ह नज़द क थी। मााँ कभी कभी कोई
ब्जी, ाग आहदक बिंतो को दे हदया करती।
ी ो का नाम तो मेरे वपता
े गाबो रखा हुआ था। जीतो रिं ग की बहुत गोर थी लेककन
ी ो बहुत ह
ीिी
ािी और रिं ग की काल थी।
भी कहते थे कक ककया
ी ो की शाद कभी हो
कौन इ े लेगा ? लेककन भाग्य की बात दे खो,जीतो जो ािे कक ान
े हो गई लेककन
ुन्दर थी,उ
ी ो की शाद स घ िं ा पुर
की शाद एक
े आये एक नौजवान
पड़ा सलखा था और शौक़ीन भी था। शाद होने के बाद यह लड़का जज था इिंग्लैण्ड आ गगया और
ी ो को भी इिंग्लैण्ड बुला सलया। उ
कानून था कक लड़की अपने मााँ बाप को इिंग्लैण्ड बुला स हिं और बिंतो को इिंग्लैण्ड अपने पा
कती थी।
बल ु ा सलया और इ
केगी ? ीिे
े हो गई जो
का नाम अनूप स हिं
वक्त इिंग्लैण्ड में एक
ी ो ने अपने बाप स्वणट
के बाद स्वणट स हिं ने अपने बेटे
ोहन स हिं को भी बल ु ा सलया, ोहन स हिं के दो बेटे गोगी और बहादर थे,उन्होंने बहुत काम ककया और घर की गर बी,अमीर में बदल गई। स्वणट स हिं बिंतो ोहन स हिं और ी ो भी ब दन ु ीआिं छोड़ चक ु ें हैं लेककन
ी ो के बच्चों की शाद हम ने अटैंड की थी और वोह भी
कह िं ठीक ठाक हैं। स्वणट स हिं की बहुत
ी बातें मझ ु े याद हैं।
द ु रे हदन मैंने स्वणट स हिं को अपने बाइस कल की वपछल
ीट पर बबठाया और त ीलदार
के दफ्तर को चल पड़े। नम्बरदार को दे ख कर दो आदमी और हमारे
ाथ चल पड़े। इन का
कोई काम तो था नह िं लेककन जै े गााँवों में होता है कुछ खाने पीने के लालच में हमारे चल पड़े। द
गगआरा वजे हम कचेहर पौहिं च गए। घर
ककओिंकक मुझे कुछ भी पता नह िं था कक त ीलदार त ीलदार के दफ्तर
ाथ
े मैं काफी पै े ले आया था
े समलने में ककतने पै े लग जायेंगे।
े एक चपरा ी ननकला और ऊिंची
े आवाज़ द ,” गुरमेल स हिं बलद
ािू स हिं राणी पुर हाजर हो !!!!!!!!!” मैं और स्वणट स हिं त ीलदार के
ामने पेश हो गए।
दफ्तर बहुत बड़ा नह िं था लेककन त ीलदार एक ऊिंची कु ी पे बैठा था जज के इदट गगदट लकड़ी की रे सलिंग थी जै े कोटट में होता है । त ीलदार ने मेरे कागजों की िाइल दे खनी शुरू कर द । मन में एक भय एलल केशन के
ा था कक कह िं कुछ रुकावट ना आ जाए,कुछ कह ना दे कक
ाथ यह नह िं लगाया वोह नह िं लगाया जै ा कक मैं अक् र
ुना करता था।
कुछ दे र बाद त ीलदार नम्बरदार को बोला,”नम्बरदार जी ! आप गुरमेल स हिं को कब
े
जानते है और इन की जमीन जायेदाद ककतनी है ?”. नम्बरदार बोला,जनाब यह तो मेरे हाथों में खेला है और इ
के वपता जी इ
है । कफर त ीलदार मुझ
वक्त इिंग्लैण्ड में हैं और खेती बाडी की जमीन भी बहुत े बोला गुरमेल स हिं ,” तुम को पचा रूपए रै ड क्रॉ के दे ने पड़ेंगे
और १५ रूपए का फुट बाल मैच का हटकट लेना पड़ेगा जो कपूथाटले में हो रहा है ”मैंने जल्द े ६५ रूपए ननकाल कर त ीलदार को पकड़ा हदए और उ
ने मुझे रै ड क्रा
के
हटट कफकेट
और िुटबाल मैच का हटकट पकड़ा हदया। कफर त ीलदार ने नम्बरदार को अपनी स्टै म्प लगाने को कहा। स्वणट स हिं ने अपनी जेब
े एक बड़ी
ी अिंगूठी ननकाल जज
पर उदट ू में
स्टै म्प बनी हुई थी। नम्बरदार ने इिंक पैड पर अिंगठ ू ी को नघ ाया और कागजों पर अपनी मोहर लगा द और ाइन कर हदए। ाथ ह मैंने भी अपने ाइन कर हदए। तह ीलदार ने
हमें बता हदया कक वोह और हम बाहर आ गए।
ारे कागज़ पुसल
स्टे शन को भेज दें गे। हमारा काम हो गगया था
मैं खश ु हो गगया था,यह पहला पहला काम था और बाहर आते ह मैं स्वणट स हिं को बोला,” चाचा अब खाना ककया है ? स्वणट स हिं बोला,” बाई गुरमेल स हिं ब जाए”.हम परभात होटल की ओर हो सलए और पड़े। अब मैं उन को इनकार तो कर नह िं वाला मझ ु े जानता ह था। उ होटल
ाथ चल
कता था और वोह भी ढ ठ थे। परभात होटल
ने खाने की ललेटें हमारे आगे ला रखीिं। हम ने खब ू खाया और ाइकल के पीछे बबठा कर गााँव की ओर
ाइकल दौडाने लगा। वोह दो आदमी पता नह िं ककिर गए, ोचते होंगे मफ् ु त में
इतना बहढया खाना समल गगया था। मैंने भी ह ह तो है । स्वणट स हिं के
ोचा दाने दाने पे सलखा है खाने वाले का नाम
ाथ बातें करता करता मैं घर आ गगया और नम्बरदार भी
अपने घर की ओर जाने लगा जो पािंच छ: घर दरू ह था। चलता…
ाथ रोट हो
ाथ ह वोह दो आदमी भी हमारे
े बाहर आ गए और मैं नम्बरदार को अपने
ख़श ु ी ख़श ु ी
मीट के
मेरी कहानी - 65 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 01, 2015
तह ीलदार का काम हो गगया था और यह बड़ा काम था ककओिंकक मैंने
ुन रखा था कक यह
तह ीलदार बहुत ख्त था और िाइल में छोट ी गलती भी होने े िाइल को ररजेक्ट कर दे ता था और ब कुछ कफर े शुरू करना पड़ता था। अब तह ीलदार का मुिंह दब ु ारा नह िं दे खना पड़ेगा, इ
बात
े मुझे
िंतुजटट हो गई थी। मेरा एक दोस्त था कुलद प स हिं , उ
का
पा पोटट बन चक ु ा था और वोह मेर भी मदद कर रहा था। यह कुलद प रहाणा जटटािं गााँव का रहने वाला था। इ कक उ
के वपता जी ऑस्ट्रे सलया काम करते थे और कुलद प ने बताया था
का डैडी १५
ाल बाद इिंडडया आया था और वोह उ
वक्त बहुत छोटा था और उ े कुछ भी याद नह िं था। यह कुलद प दे खने में भी वपयारा लगता था और बात करने में भी ऐ ा लगता था जै े उ
के मिंह ु
े फूल गगर रहे हों। कुलद प को
भी लड़के कुल्लो कह कर
पक ु ारते थे और एक हदन मैंने भी कह हदया,”कै े ओए कुल्लो?”. वोह खखल खखला कर हिं पड़ा और बोला,”कै े ओए गल् ु लो?”. दे र तक हम दोनों हाँ ते रहे । इ
के बाद हम एक द ू रे
को कुलो गल ु ो कह कर ह पक ु ारने लगे थे। कफर कुलद प ने मझ ु े पछ ू ा,”तुमारे पेपर पसु ल
स्टे शन चले गए क्या ?” मैंने कहा कक मझ ु े पता नह िं था। कुलद प बोला,”चल अभी जा कर पता करते हैं, और एक बात मैं तझ ु े कहता हूाँ, अगर काम जल्द करना है तो पै ों की किंजू ी मत करना”. और हम पुसल स्टे शन की ओर चल पड़े। वहािं पौहिं च कर बड़े दरवाज़े के नीचे अक्षरों में सलखा था पुसल
े जज
का उपरला हहस् ा गोल था जज
स्टे शन। आगे दो पुसल
के आदमी खड़े थे जजन के पा
और उन की पगडड़ओिं पर लाल रिं ग की पटट थी। एक भय वोह यम राज हों। आगे गए तो एक बड़े पा उन
कुछ गिंदे
े टे बल के पा
े रै जजस्टर पड़े थे। कुलद प ने जाते ह उ
डिंडे थे
ा लगा उन को दे ख कर जै े
कु ी पे एक मुिंशी बैठा था जज को
े हाथ समलाया और मैंने भी ऐ ा ह ककया। कुलद प उ
गुरमेल के कागज़ तो दे खो, आ गए हैं या नह िं”. उ
पर बड़े बड़े
के
त स र अकाल बोला और
को बोला,” रदार जी जरा
ने रै जजस्टर दे खा और कहा कक आ गए
थे। कफर कुलद प बोला, बादशाओ, जरा इन पे घुगी मार दो यानी दस्खत करा दो। वोह मुिंशी ीिा ह बोला,”घुगी मारने के द
और बोला, बादशाओ तुम द खश ु हो गगया और वाप
रूपए लगें गे”मैंने फट
ककया बी
े बी
रूपए ननकाल कर दे हदए
ले लो लेककन काम जल्द होना चाहहए। वोह तो
ारे कागज़ ले कर पता नह िं कक
कमरे में गगया और द
समनट में
आ गगया। कफर वोह बोला,”हम यह कागज़ कपूरथले को पोस्ट करने हैं लेककन मैं तुम्हें
ऐ े ह दे दे ता हूाँ और तम ु खद ु कपूरथले डी ी के दफ्तर ले जाओ और वहािं है ड क्लकट है , उ को दे दे ना और मेरा नाम ले दे ना कक मैंने हदए हैं। वोह काम जल्द कर दे गा। उ है ड
क्लकट का नाम मुझे अब याद नह िं। हमें है रानी हुई कक ककतना बड़ा ररस्क वोह ले रहा था कक कागज़ हमें ऐ े ह पकड़ा हदए। ख़श ु ी ख़श ु ी हम पुसल उ ी वक्त ब
स्टे शन के बाहर आ गए और मैंने कुलद प का िन्यवाद ककया और मैं
अड्डे पर पौहिं च गगया और कपूरथले की ब
कुलद प के दशटन कभी नह िं हो को रवाना हो गगया हो। इ कपरू थले पौहिं च गगया। ब
के, हो
में बैठ गगया। इ
कता है वोह अपने वपता जी के
के बाद
ाथ ऑस्ट्रे सलआ
े पहले मैं कभी कपरू थले गगया नह िं था। दो घिंटे में मैं
में बैठे बैठे मैंने कपरू थले का नज़ारा सलया। यह शहर कभी
महाराजा जगतजीत स हिं का शहर हुआ करता था. महाराजा ने यह शहर व ेल्ज़ के डडज़ाइन का बनाया हुआ था, इ की ड़कें पैर की ड़कों की तरह थी। कई जगह मैंने त िं रे के बक्ष ृ दे खे जो पहले कभी नह िं दे खे थे। जगह जगह लाल रिं ग की बड़ी बड़ी बबजल्डिंग थीिं जज में अब
रकार दफ्तर खल ु े हुए थे। ज़्यादा तो मैं दे ख नह िं का लेककन कुछ ाल बाद जब मैं कक ी काम के सलए कपूरथले कफर आया था तो बहुत कुछ दे खा था। जल्द ह मैं डी ी ऑकफ
पौहिं च गगया। यह बबजल्डिंग भी महाराजा जगतजीत स हिं की ह कोई इमारत थी जो
बहुत बड़ी थी और बाहर पूछता पूछता मैं
े लाल रिं ग की थी।
ैकिंड फ्लोर पर है ड क्लकट के दफ्तर में पौहिं च गगया। वहािं एक गुरस ख
रदार जी बैठे थे। मैंने
तस र अकाल बोला और अपने आने का मक द बताया और
फगवाड़े वाले मुिंशी का नाम भी बताया कक उ ने मुझे भेजा था। थे। कभी कभी
रदार जी बहुत अछे इिं ान ोच आती है कक अगर ऐ े अफ र हों तो भारत में स्वगट ना बन जाए !
रदार जी िाइल को गियान
े दे खने लगे। कफर उन्होंने कोई रे जजस्टर दे खा, कुछ नोट
ककया और आ कर कु ी पर बैठ गए और बोले, मेरा अस स्टैं ट कह िं गगया हुआ है , तुम बाहर बरामदे में बैंच पर बैठ जाओ, उ के आने पर ब काम हो जाएगा। तकर बन एक घिंटे बाद एक स हिं जो पाजामा पहने हुए और हाथ में झोला ा था आया और है ड क्लकट के कमरे में घु गगया। कोई द समनट बाद वोह मेर िाइल ले कर कह िं दरू कक ी कमरे में चला गगया और कोई पिंद्रा समनट बाद आ गगया और मेरे पा
आ कर बैंच पर बैठ गगया। वोह िाइल के
पेजज़ पलटने लगा और कुछ दे र बाद बोला,”अच्छा पहले ह तैयार था लेककन उ ी वक्त दफ्तर में िीमे
े बोले,”नह िं रहने दो”और
यमराज का बच्चा लगता था मुझे
उ
रूपए ननकालो”. मैं तो
रदार जी बाहर ननकल आये और उ को
रदार जी कफर वाप
दफ्तर में चले गए। लेककन यह
ूखा छोड़ने वाला नह िं था और िाइल के पन्ने पलटता
पलटता वक्त बबाटद कर रहा था, कफर िीरे ह ननकालो”.
े
रदार जी द
रदार जी एक दम दफ्तर
े मुझे बोला,”अच्छा, मैंने पैन् ल लेनी है , पािंच
े कफर बाहर आ गए जै े बातें
े िाइल जै े खीिंच कर मझ ु े पकड़ा द । है ड क्लकट
रदार जी मझ ु
न ु ह रहे हों और
े बातें करने लगे
कक मैंने इिंग्लैण्ड में जाकर ककया करना था, मेरा वहािं कौन था। और भी काफी बातें कीिं।
यकीन के
ाथ कह
कता हूाँ कक ऐ ा इिं ान जजिंदगी में मुझे कभी नह िं समला, इतना इमानदार, वोह मुझे अभी तक याद हैं। रदार जी का िन्यवाद ककया और वहािं
े चल पड़ा। बाहर आ कर जल्द जल्द एक रे हड़ी
े आलू छोले और दो कुलचे खाए और ब े ह पकड़ी या
ड़क पर
पकड़ने के सलए चल पड़ा। याद नह िं ब
े ह लेककन जल्द ह मैं फगवाड़े की ओर
फगवाड़े पौहिं च कर जल्द जल्द ए ामने ऐ
िर कर रहा था।
डी ऐम के दफ्तर की ओर चल पड़ा। ऐ
दफ्तर मेरे ट्रै वल एजेंट जोशी के नज़द क ह था और डाक्टर बग्गा की
अड्डे
डी ऐम का
जटर के बबलकुल
ड़क की द ु र ओर था। दफ्तर बिंद होने में अभी आिा घिंटा बाकी था। उ
वक्त
डी ऐम के दफ्तर में दो क्लकट होते थे, एक था गलु ता और एक था रािा। यह दोनों के
बारे में मशहूर था कक यह घू बहुत लेते थे। जजतनी दे र कोई घू के पेपर हदल को डेस्पैच नह िं करते थे। जब मैं वहािं पौहिं चा तो उ िाइल रािे को पकड़ाई और हिं
कर उ
नह िं दे ता था यह पा पोटट वक्त रािा ह था। मैंने
े बोला,”बाई रािे मेरे पेपर जल्द हदल को भेज दे
क्योंकक अब मुझे पाटी तो करनी ह है और मेरा मन भी अब बहुत करता है पाटी करने को क्योंकक पता नह िं इिंग्लैण्ड की ीट कब पक्की हो जाए। रािा शायद मेरा इशारा
मझ गगया था और बोला,”किक्र न कर,
फाइलों और अन्य पेपरों को दे ख कर पोस्ट कर दिं ग ू ा। मैं ऐ
ाहब शुकरवार को
भी
ाइन करें गे और मैं उ ी हदन तुम्हारे कागज़ हदल को
डी ऐम के दफ्तर
े बाहर ननकला और एक दक ू ान की ओर चल पड़ा
यहािं मैंने अपना बाइस कल रखा हुआ था। भूख लगी हुई थी लेककन ोचा अब तो घर जा कर ह खाऊिंगा। गााँव की ओर मैं चल पड़ा। आज मैं बहुत खश ु था, आज मैंने एक हदन में ह कई हफ़्तों का काम कर हदया था। ारे काम हो गए थे, अब तो आख़र आशा हदल े ह रह गई थी। घर आ कर खाना खाया और
ो गगया। द ू रे हदन
जोशी के दफ्तर की ओर गगया और उ े बताया कक कागज़ अब ऐ
ुबह उठा और कफर
डी ऐम के दफ्तर में आ
गए थे। जोशी कुछ मुस्कराया और बोला,”जल्द पेपर हदल को भेजने हैं तो रािे के मुिंह पर चािंद की जुत्ती मार दे ना, यानी उ
को कुछ पर ाद दे दे ना”. जोशी की बात मैं
मझ गगया
और कालज की ओर चले गगया। वहािं कुछ लड़के समले जो पहले भी समलते थे और इिंग्लैण्ड
के पा पोटट के सलए ह घुमते रहते थे। रािा और गुलता की बातें बहुत होतीिं थीिं कक यह दोनों बहुत बुरे थे। जै ा
ुना था रािा वै ा ह ननकला और उ
थे, बहाने करने लगा कक
ने कहने के मुताबक कागज़ हदल को नह िं भेजे
ाहब ने दस्तखत नह िं ककये थे। मैं हर रोज़ आता लेककन रािा
कोई न कोई बहाना बना दे ता। अब तो मैं बहुत दख ु ी हो गगया और एक हदन मैंने उ को कह हदया कक मैं ीिा ाहब के दफ्तर में चला जाऊाँगा। इ बात े रािा कुछ हहल गगया
और बोला,”गुरमेल स हिं कल आना, कल तो मैं काम करवा ह दिं ग ू ा”. मैं वाप
गााँव आ गगया
और द ू रे हदन जब मैं रािे को समला तो वोह कहने लगा,”गुरमेल तेरा काम हो गगया है और यह ले डेस्पैच निंबर”. उ
ने एक पेपर हदया, जज
डेट दे खी तो है रान हो गगया क्योंकक ए
पर निंबर सलखा हुआ था और जब मैंने डी ऐम ने द तख़त द ू रे हदन ह कर हदए थे जज
हदन मैं कागज़ों की िाइल दे कर गगया था और पेपर हदल को भेज हदए गए थे। मुझे बहुत गुस् ा आया लेककन चप ु रहा। रािा बोला,”गुरमेल अब पाटी कब दे नी है ?”. मैंने कहा कक
अगले हफ्ते आ कर पाटी दिं ग ू ा और मैं चला आया। मेरे मन में एक तो गस् ु ा था द ू रे मझ ु को पता था अब रािा कुछ नह िं कर मैंने भी
ोच सलया था कक इ
कता था क्योंकक यहािं का काम खत्म हो गगया था और
रािे के बच्चे को कुछ नह िं दिं ग ू ा।
घर आ कर मैंने दो हदन आराम ककया और
ोमवार को हदल जाने का इरादा कर सलया।
जनता मेल रात आठ वजे फगवाड़े रे लवे स्टे शन
े चलती थी। शाम को ह मैं
तनाम परु े
अपनी मा ी के घर आ गगया। मैं पहले सलख चक् ु का हूाँ मेर मा ी का घर शूगर समल के नज़द क रे लवे लाइन्ज़ के बबलकुल नज़द क था और इ
एररये को
यह एररआ हमारे कालज तक जाता है । मा ी के घर मैंने अपना लाइन्ज़ के
ाथ
तनाम पुरा कहते हैं और
ाइकल रखा और रे लवे
ाथ रे लवे स्टे शन की ओर जाने लगा। मा ी के घर
े रे लवे स्टे शन द
समनट दरू ह था। मैंने हटकट सलया और ट्रे न में बैठ गगया। अब तो पता नह िं लेककन उ वक्त यह ट्रे न हर छोटे बड़े स्टे शन पर खड़ी होती थी, इ वजे हदल पौहिं चती थी।
ार रात बारा घिंटे का
सलए शाम को चल कर
ुबह आठ
फर होता था, ( अब तो चार घिंटे में
शताब्द पौहिं च जाती है ). जब ट्रे न हदल पौहिं ची तो हाथ मुिंह िोया और कुछ खाने के सलए एक स्टाल पर गगया। स्टाल वाला बोला,” ाहब टोस्ट बना दाँ ? ू ” मैंने कहा बना दो। उ
ने दो
टोस्ट कोयले की अिंगीठी पर बनाये। जज़िंदगी में पहले मैंने कभी टोस्ट नह िं खाए थे, उ ऊपर बटर लगाया और दो टोस्ट ललेट में रख कर मुझे दे हदए लेककन स्वाद नह िं लगे शायद इ
ने
च कहूाँ मुझे बबलकुल
सलए कक मैंने पहले कभी खाए नह िं थे या यह कोयले पर बनाने
के कारण कुछ जले हुए थे। मैंने कक ी
े पा पोटट ऑकफ
का पता ककया। कनॉट लले
जल्द ह एक बड़ी बबजल्डिंग के पा
े मैंने स्कूटर ररक्शा सलया और
पौहिं च गगया। कुछ ट्रै वल एजेंट मेरे पीछे आ गए और
मुझे कहने लगे कक वोह मेरा काम जल्द करवा दें गे लेककन अब मैं बहुत हुसशआर हो गगया था और हूाँ हााँ करता रहा, एक रदार जी मेरे ाथ चलने लगे। इ रदार े एक फायदा तो मुझे हो ह गगया कक वोह मुझे हदया कक कक
जगह िामट भरके उ
हो गगया। एक बड़ा
ीिा इन्फमेशन ऑकफ
ले गगया और
ब कुछ बता
पर डेस्पैच निंबर सलखना था। यह मेरे सलए भी आ ान
ा हाल कमरा था यहािं बहुत लोग कुस ओ ट िं पर बैठे अपने अपने निंबर का इिंतज़ार कर रहे थे। एक टे बल पर बहुत िामट पड़े थे। जै ा रदार जी ने मझ ु े बताया मैंने
उ ी तरह िामट भरके ऑकफ पर बैठ गगया। जज जाता। जब उ
में दे हदया और वाप
का नाम बोला जाता वोह उठ कर पा पोटट ऑकफ र के दफ्तर में घु
का काम हो जाता तो कक ी और का नाम बोला जाता। मैं कु ी पर बैठा
अखबार पड़ने लगा जो मैंने क्नॉटलले करने लगा। वोह पा पोटट अफ र
े खर द थी और अपना नाम बोलने की इिंतज़ार
रदार जी उठ कर चले गए थे और जाते जाते मुझे कह गए थे कक उ ने
े मेरे बारे में बोल हदया था लेककन मैं
जी कोई और मग ु ाट ढूिंढने गए थे. चलता…
आ कर द ू रे लोगों की तरह एक कु ी
ब
मझता था। लगता था
रदार
मेरी कहानी - 66 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 05, 2015 पा पोटट ऑकफ
में बहुत लोग बैठे थे और द समनट तो हर एक को अफ र े बातें करने में लग ह जाता था। तकर बन दो घिंटे बाद मेरा नाम बोला गगया और मैं उठ कर दफ्तर में चला गया। वहािं एक बड़े तगड़े हिं मुख और स्माटट आदमी बैठे थे। उन्होंने मुझे कु ी पर बैठने का इशारा ककया और मैं उन के
ामने बैठ गगया। वोह िाइल में मेरे पेपर दे खने लगे।
काफी दे र तक दे खते रहे । मेरे मन में कुछ ऐ ा चल रहा था कक कह िं कुछ गड़बड़ न हो जाए, मेर एलल केशन ररजेक्ट ना हो जाए, कोई ऐ ा े उ ी मु ीबत में फिं
वाल ना पूछ ले जज
जाऊिं कक रािे जै े लोगों का मुिंह कफर
समनट घिंटे जै ा लग रहा था। उ दे खना शरू ु कर हदया। जब उ
के कारण कफर
े दे खना पड़ जाए। एक एक
ने एक दफा िाइल पड़ कर दब ु ारा एक एक पेज को
की त ल्ल हो गई तो कहने लगे,” your passport will be
despatched in three days”. यह लिज़ मझ ु े अभी तक याद हैं और इन को मझ ु े लगा मैं ख़श ु ी
े फट जाऊाँगा लेककन मैं अपने आप को किंट्रोल में रख कर ऑकफ र को
बोला,” ककया आप मझ ु े आज ह दे नह िं
है ,स फट पोस्ट ह ककये जाते हैं। मैंने थैंक् इतना खश ु था कक बताना मजु श्कल है । इ वोह
बबजल्डिंग
न ु कर
केंगे ? वोह बोले नह िं,ऐ ी उन की पॉसल ी नह िं बोला और ऑकफ
े बाहर आ गगया। मेरा मन
े बाहर आ कर मैं स्कूटर ररक्शा की इिंतज़ार करने लगा। मेरा खखयाल था कक
रदार जी जो मेरे पीछे पड़ गए थे कह िं
े आ िमकेंगे लेककन वोह हदखाई नह िं हदए
और जब तक एक ररक्शा आ गगया और मैंने उ े रे लवे स्टे शन को चलने के सलए बोला। जल्द ह रे लवे स्टे शन पर आ गया लेककन जब ट्रे न का पता ककया तो उ
को अभी कई घिंटे
रहते थे। मैं इिर उिर घूमने लगा और हदल का नज़ारा लेने लगा। भूख भी लग गई थी और मैं एक छोटे जगह थी और इ
े होटल में खाना खाने के सलए बैठ गगया। इ
होटल में बहुत ह कम होटल की स फट एक बात याद है और वोह है एक पिंडडत जी जज के माथे
पर नतलक लगा हुआ था और कपडे भगवा थे और यह स आ त की बातें कर रहा था। मुझे तो स आ त में इतनी हदलचस्पी नह िं थी लेककन वोह बोले जा रहा था,” इ नेहरू को ककया पता है , इ
े ज़्यादा पड़ा सलखा और
मशवरा परताप स हिं कैरों के
मझदार तो परताप स हिं कैरों है और नेहरू
ारा
ाथ ह करता है ”.
परताप स हिं कैरों उ
वक्त पिंजाब का चीफ समननस्टर हुआ करता था और बहुत अच्छा हुक्मरान हुआ करता था और इ ने डिंडे के जोर पर रूल ककया था लेककन बाद में इ को कुछ लोगों ने मार हदया था। उ वक्त पिंजाबी ूबे के बारे में मुजाहरे हुआ करते थे लेककन कैरों ने इन्हें
ख्ती
े कुचल हदया था। हर रोज़ जालिंिर रे डडओ पर उन का एक नारा बोला
जाता था जो पूरा तो याद नह िं लेककन कुछ लिज़ अभी भी याद हैं,” हमें परताप स हिं कैरों के इन लफ़्ज़ों को कभी भूलना नह िं चाहहए” और इ जो
के बाद कोई जोर शोर
ूबा,जो दे श अपने शह दों को भूल जाता है वोह अपना इतहा
और एक ह रहें गे”. यह नारा काफी लम्बा होता था लेककन
े बोलता था,”
भूल जाता है , हम एक हैं
ारा मुझे याद नह िं।
काफी दे र तक मैं यहािं बैठा रहा ताकक वक्त बीत जाए। कफर मैं रे लवे स्टे शन पर जा पौहिं चा,हटकट सलया और ट्रे न में जा बैठा। ट्रे न चलने लगी और ररलैक् खखयालों में गम ु हो गगया। वपछल रात मैं लेककन मझ ु े इ
हो कर मैं अपने
ोया नह िं था और यह रात भी ऐ े ह बीतनी थी
की कोई परवाह नह िं थी क्योंकक मझ ु े
फर में कभी नीिंद आती ह नह िं है ।
वै े मझ ु े ऐ ी ट्रे ने जो हर स्टे शन पर खड़ी होती है में ट्रै वल करने में बहुत मज़ा आता है । मैं बबलकुल बोर नह िं होता हूाँ। हर स्टे शन पर लोगों की रौनक े आनिंद अनभ ु व करता हूाँ। पता ह नह िं चला कक
वक्त
ब ु ह गाड़ी फगवाड़े रे लवे स्टे शन पर आ पौहिं ची। बाहर आ कर मैं
मा ी के घर की ओर चल पड़ा।
ुबह का वक्त था और मा ी ने पराठे बनाये और गरमा
गमट मैंने खा कर चाय पी और गााँव की और चल पड़ा। घर पौहिं च कर मााँ को बताया कक मेरा पा पोटट कुछ ह हदनों में बन कर आ जायेगा। घर में एक ख़श ु ी की लहर आ गई।
अब मैंने बहादर को भी बता हदया कक मेरा पा पोटट भी बन रहा था लेककन यह नह िं बताया कक मेरा पा पोटट एक दो हदन में आने वाला था। बहादर कुछ गचिंतत था कक उ
का पा पोटट
बन नह िं रहा था,उ
के चाचा गुरदयाल स हिं बहुत भाग दौड़ कर रहे थे लेककन कुछ पता नह िं चल रहा था। वक्त बीत रहा था और ब की चाहत यह थी कक १ जुलाई े पहले पहले काम बन जाए।
तीन हदन बीत गए लेककन मेरा पा पोटट आया नह िं,कुछ गचिंता होने लगी। हदन बीतने लगे और एक हफ्ता हो गगया लेककन पा पोटट मुझे समला नह िं। तरह तरह की बातें हदमाग में आने लगी, कभी कभी
ोचता शायद पा पोटट ऑकफ र ने जान बूझ कर कुछ ऐ ा कर हदया हो,
ोचता पोस्ट ऑकफ
में कक ी ने चरु ा ना सलया हो क्योंकक अक् र
ुनते रहते थे कक
पा पोटट चोर हो जाते और बेच हदए जाते थे और एजेंट उन पर कक ी और की फोटो लगा कर उ
को बाहर भेज दे ते थे और हज़ारों रूपए बना लेते थे। इ ी उिेड़ बुन में रहने के बाद
मैं कफर एक रात कफर जनता मेल में बैठ कर हदल को रवाना हो गगया। द ऑकफ
पौहिं च गगया और कुछ दे र बाद पा पोटट ऑकफ र के
वजे मैं पा पोटट
ामने बैठ गगया और मैंने उ
को कहा कक वपछले हफ्ते मुझे बताया गगया था कक तीन हदन में मुझे पा पोटट समल जाएगा लेककन अभी तक आया नह िं। ऑकफ र उठ कर अिंदर गगया और कुछ दे र के बाद आ कर मझ ु े कहने लगा कक जो पा पोटट की फी
के पै े भेजे गए थे उ
की रर ीट नह िं समल रह
थी,अब कन्फमट हो गया है और आप के पै े समल गए हैं, अब आप का पा पोटट तीन हदन
में डडस्पैच कर हदया जाएगा। मैं बाहर आ गगया और शीश गिंज गुरदआ ु रे चले गगया। काफी
घिंटे मैंने वहािं बताये और लिंगर खा कर घूमने लगा। शाम को ट्रे न पकड़ी औए घर आ गगया। एक हफ्ता कफर बीत गगया लेककन मेरा पा पोटट नह िं आया। अब तो मुझे बहुत गचिंता होने लगी,हदल टूटने जै ा हो गगया,लगने लगा कक पा पोटट मुझे नह िं समलेगा। हौ ला करके मैं कफर एक रात को जनता मेल में बैठ गगया। बुझा बुझा
ा मन था। वक्त बीतता नज़र नह िं
आ रहा था। रब रब करके मैं हदल पौहिं च ह गगया और गगया। कुछ घिंटे बाद जब मैं ऑकफ र के
ीिा पा पोटट के दफ्तर में चले
ामने बैठा तो मैं बोला,”
र मैं ती र दफा आया
हूाँ, यहााँ पौह्नन्चने में मझ ु े बारह घिंटे लग जाते हैं और पै े भी बहुत खचट हो जाते हैं”. िाइल को दे खने के बाद वोह अिंदर गगया और जाते ह बहुत जोर े कक ी को बोला,” यह ककया हो रहा है , यहााँ लोग बार बार ककयों आते हैं,ककयों काम नह िं हो रहा ?”. ऐ े ह वोह मेरे ामने आ कर बैठ गगया,गस् ु ा अभी भी उ
के चेहरे पर था और आते ह बोला,” हम आज ह
आप का पा पोटट भेज रहे हैं।
शाम को कफर ट्रे न में बैठ गगया लेककन मन में शिंकाएिं थीिं कक पा पोटट समलेगा या नह िं। घर आ गगया। हदन बीतने लगे,एक हफ्ता कफर हो गगया लेककन पा पोटट नह िं समला। हदल टूट
चक् ु का था,अब तो कुछ करने को रह ह नह िं गगया था। कालज जाते,बहादर और मैं रोज़ वोह ह बातें करते। अब तो हम दोनों ह एक कश्ती के
वार थे। एक हदन मैं अकेला ह अपनी
बाइक पर हहदआबाद रोड पर कालज को जा रहा था। मैं पहले सलख चक् ु का हूाँ कक कालज तक यह
ारा एररआ
तनाम पुरा कहलाता है और इ ी रोड पर
तनाम पुरा पोस्ट ऑकफ
हुआ करता था जो शायद आज भी होगा। जब हम मैहट्रक में पड़ते थे तो हमारे ेक्शन े एक लड़का द वीिं पा करने के बाद इ ी पोस्ट ऑकफ में क्लकट लग गगया था और इ लड़के की शाद हमारे गााँव के ह एक लड़के की बहन में हमारे
ाथ पड़ा करता था। कुछ
ाल इ
े हो चक् ु की थी जो कभी समडल स्कूल
को पोस्ट ऑकफ
में काम करते हो गए थे
और कभी कभी हमार मुलाकात गााँव में ,कभी हहदआबाद रोड पर हो जाती थी, इ नाम
जब मैं
लड़के का
ुररिंदर था।
ाइकल पर जा रहा था तो द ु र ओर
और हमेशा की तरह एक द ू रे को है लो बोला।
े
ुररिंदर भी आ रहा था। हम खड़े हो गए
ुररिंदर बोला,” गुरमेल ! तुम को पा पोटट की
विाई हो”. मैंने कहा” यार क्यों मखौल कर रहे हो, अभी तो समला ह नह िं”. क्यों झूठ बोल रहे हो,मैं ने अपने हाथों
े तो तुम्हारे गााँव की डाक में भेजा है और इ
को पािंच हदन हो गए हैं”. शहर के बड़े पोस्ट ऑकफ थी,हमारे गााँव की डाक इ ी
ुररिंदर बोला”
तनाम परु े पोस्ट ऑकफ
े जजतनी भी डाक बाहर े हो कर जाती थी।
बात
े आती
रु रिंदर की बात
ुन कर मैं अपने गााँव की ओर चल पड़ा और
के घर पौहिं च गगया और उ भगवान दा
ीिे हमारे गााँव के पोस्ट मैंन भगवान दा
का दरवाज़ा खटखटाया।
ने ह दरवाज़ा खोला,और मैं
ीिे ह बोला,” मेरा पा पोटट !”. भगवान दा
मुस्करा कर बोला,” तो अब लेना है ?”. मैंने गुस् े में कहा,” पा पोटट को आये पािंच हदन हो गए हैं और तूने अभी तक मुझे क्यों नह िं हदया ?”. भगवान दा का लफाफा ले आया,उ
अिंदर गगया और पा पोटट
ने मेरे दस्तखत कराये और बोला,” पा पोटट की ख़श ु ी में अब हमार
भी कुछ चाय पानी हो जाए”. मैंने कहा,” अगर तम ु उ ी हदन पा पोटट दे दे ते तो मैं तम् ु हें
खश ु कर दे ता,लेककन जो तम ु ने घर में इतने हदन पा पोटट रख कर मझ ु े परे शान ककया है उ
की वजह
े एक पै ा भी नह िं दिं ग ू ा”. और मैं उ ी वक्त घर को आ गगया।
घर आ कर मैंने लफाफा खोला और पा पोटट पर अपनी फोटो और कुछ ठीक था। एक एक करके
भी डीटे ल्ज़ पड़ीिं।
ब
भी पेजज़ मैंने दे खे। जब त ल्ल हो गई तो पहले मााँ को
हदखाया और कफर छोटे भाई को हदखाया। जब दादा जी आये तो उन को भी हदखाया। खश ु थे। दादा जी कहने लगे,” इ हलवे हाऊ
यह पहल स्टे ज थी। जज
ख़श ु ी में अब हलवा बनाओ”. दादा जी की ख़श ु ी या तो
े मनाई जाती थी या पकौड़े बनाने
कालज को खत सलखने
हदन पा पोटट समला,उ
१ जुलाई
भी
े। मााँ ने हलवा बनाया और
ब ने खाया। फैराडे
े ले कर आज तक जजतनी मिं्लें पार कीिं, इिंग्लैंड जाने की
हदन तीन जून थी। अब मेरे सलए मुजश्कल
े पहले। अब रह गगया स फट
े चार हफ्ते बचे थे
ीट बुक कराने का काम। दादा जी को मैंने
ीट के
सलए पै े ले आने को कहा। दादा जी और मैं द ू रे हदन फगवाड़े को अपने अपने बाइस कल पर चल पड़े। दादा जी ने पै ों का इिंतज़ाम करना था और मैंने जोशी पौहिं च कर दादा जी स्टे ट बैंक की ओर चल पड़े जो कचहर के
े समलना था। शहर
ाथ ह होती थी और मैं
जोशी के दफ्तर में चले गगया। यहािं मैं यह भी सलखना चाहता हूाँ कक जोशी के दफ्तर े पची ती गज़ की दरू पर ह वोह दफ्तर था जज ने मेरे सलए फैराडे हाऊ कालज को खत सलखा था लेककन मैं उ ारा काम तो उ
को भूल ह गगया, हो
कता है यह जोशी के कारण हो क्योंकक
ने ह ककया था।
जोशी को मैंने पा पोटट हदया और
ीट बुक कराने के सलए बोला। जोशी बोला,” जब तक मैं
आप के पेपर तैयार करता हूाँ, तुम जा कर एक गचठ्ठी ले आओ जो यह बताये कक तुम रामगह़िया कालज के ववद्याथी थे। मैं उ ी वक्त कालज को चल पड़ा। पहले मैं तनाम परु े पोस्ट ऑकफ
जा कर
ाथ ककया था।
रु रिंदर को समला और उ
को
ब बताया जो भगवान दा
रु रिंदर का मैंने िन्यवाद ककया कक वक्त पर उ
ने मेरे
ने पा पोटट के बारे में मझ ु े
बता हदया था वरना पता नह िं अभी और ककतने हदन लग जाते। यहािं मैं यह भी सलखना चाहता हूाँ कक ुररिंदर और मेरा समलन आज े बी हुआ जब हम कक ी के फ्यूनरल पर इकठे हुए थे। तरफ आ कर मुझे कहा,” कै े गुरमेल स हिं ?”. उ
वर्ट पहले बसमिंघम के एक कबरस्तान में ुररिंदर ने ह मुझे पहचाना और मेर
ुररिंदर हूाँ”हम इतने खश ु हुए कक बता नह िं कता। ुररिंदर का चेहरा बहुत बदल चक् ु का था, बहुत कमज़ोर और कुछ बू़िा ा लगता था। हम ने पुरानी बातें याद कीिं। कालज पौहिं च कर मैं
ने खद ु ह कहा,”मैं
ीिा है ड क्लकट गरु मीत स हिं के दफ्तर में गगया और उ
को
कन्फमेशन लैटर के सलए बोला। कहावत है ,” अब आया ऊाँट पहाड़ के नीचे”. जब हम टूर पर गए थे तो हमारा खचट बहुत हो गगया था और हम को ौ ौ रूपए और दे ने को बोला गगया था लेककन मैंने नह िं हदए थे क्योंकक मैंने ोच रखा था कक मैं तो इिंग्लैण्ड चले जाना है , बाद में कौन पछ ू ता है । गरु मीत स हिं ने एक बड़ा बाद बोला,”गुरमेल ! तेरे अकाउिं ट में तो ननकालो,कफर ह क्ल रै न् ह द बी
द
ा रै जजस्टर दे खना शरू ु कर हदया और कुछ दे र
ौ रूपए बाकी दे ने वाले हैं,पहले
समलेगा। फिं ी तो फटकन कै ा ! मैंने
ौ रूपए
ौ रूपए ननकाले और
ाथ
के दो नोट और ननकाले,मैंने कहा लो भाई गुरमीत स हिं , ौ रूपए कालज के और
रूपए में
ब दोस्तों को कैंट न में चाय वपला दे ना।
गुरमीत स हिं खश ु हो गगया, उ
ने एक पेपर टाइप ककया और वप्रिं ीपल के दफ्तर में जा कर
ाइन करवा कर ले आया। अपने
ाइन उ
ने पहले ह कर हदए थे और आते ह वोह पेपर
मुझे दे हदया। जब मैं जोशी के दफ्तर में पौहिं चा तो दादा जी पहले ह वहािं बैठे थे। जोशी ाहब उ
पेपर उ
वक्त टाइपराइटर पर म रूफ थे। कुछ दे र बाद मुझ
े पुछा,” ले आये ?” मैंने
के हाथ में दे हदया। जोशी ने पड़ कर बोला,” ठीक है , अब तेराह
लगें गे, क्योंकक पािंच
ौ रूपए स्टूडेंट कन् ेशन है ।”. मैंने दादा जी
े तेराह
ौ रुपय हटकट के
ौ रूपए सलए और
जोशी जी को दे हदए। जोशी जी कक ी को टे ल फून पर बातें करने लगे और मेरा नाम बोलने लगे। मैं
मझ गगया कक मेर
ीट की बात हो रह थी। कुछ दे र बाद उन्होंने टे ल फून का
रर ीवर रख हदया और मुझ को बोले,” गुरमेल स हिं तुम्हार
ीट एअर इिंडडया की १९ जून
को बुक हो गई है , अठरा जून को रे लवे स्टे शन पर जनता मेल के सलए आ जाना,उ
हदन
मैंने भी एक काम के सलए जाना है ,इकठे ह चलेंगे। ीट बुक हो गई और इ
बात
े भी मुझे ख़श ु ी हो गई कक जोशी भी मेरे
और दादा जी गााँव को चल पड़े। उ एक भय
ा भी था कक यह
ाथ चलेगा। मैं
मय मैं १९ वर्ट का था और मन में ट्रै वल करने का
ब कै े होगा,कभी एयरपोटट दे खी नह िं थी,कभी एरोललेन में बैठा
नह िं था, कफर भी यिंग ह तो था !. दादा जी भी कुछ चलु प पौहिं च गए। मेरे जाने की तार ख
े थे। कुछ ह दे र बाद हम घर
ब को मालम ू हो गई, कुछ चप ु चप ु
ा माहौल था घर में ।
कुछ दे र बाद मैंने ह इ
उन्होंने उ ी वक्त दे हदए।
चप ु को तोडा और दादा जी को शॉवपिंग के सलए कुछ रूपए मािंगे जो
ुना था इिंग्लैण्ड में ठिं ड बहुत है ,इ सलए एक नया ूट और गमट ओवरकोट स लवाना था और एक ूटके जज को अटै चीके कहते थे भी कपड़ों के सलए लेना था। द ू रे हदन शहर जाने का प्रोग्राम बना कर मैं हदमाग में ,याद नह िं। चलता…
ो गगया,क्या क्या चल रहा था मेरे
मेरी कहानी - 67 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 08, 2015
एक हदन बहादर मुझे समला और मैंने उ े पा पोटट के बारे में पुछा तो वोह कुछ परे शान लग रहा था कक उ
ा
के पा पोटट का कुछ भी पता नह िं चल रहा था कक अभी कागज़ कहााँ
पड़े थे। जब मैंने बताया कक मेरा पा पोटट समल गगया था और
ीट भी पक्की हो गई थी तो
वोह और भी गचिंतत हो गगया लेककन बहादर का
के चाचा जी मास्टर गुरदयाल
ारा काम उ
स हिं पर ह मुनस् र था और गुरदयाल स हिं अपने चचेरे भाई जो कक एक ऑकफ र था, उ पे भरो ा करके बैठा था और पता चला कक उ
ऑकफ र ने कुछ भी ककया नह िं था। अब
गुरदयाल स हिं ने दौड़ िूप करनी शुरू कर द थीिं। बहादर
े मैंने ववदा ल और शहर को
शॉवपिंग के सलए चल पड़ा। उ
वक्त रै डी मेड कपडे तो होते नह िं थे और टे लर के पा
नानक क्लाथ हाऊ
ह जाना पड़ता था। मैं गरु ु
वालों की कपडे की दक ू ान पर गगया और एक थ्री पी
सलया और दो कमीज़ों का कपडा भी सलया,कुछ अन्य कपडे भी सलए। इ
ट ू का कपडा
के बाद मैं गऊ
शाळा रोड पर लिंदन टे लररिंग वालों की दक ू ान पर गगया,अपना नाप हदया, उन्होंने एक हफ्ते में कपडे तैयार करने का वादा ककया और मैं
ाथ ह बााँ ााँ वाले बाजार में बाटा शू की दक ू ान
पर चले गगया। अच्छे अच्छे शूज़ मैंने दे खे और एक जोड़ा सलया जो उ फैशन में था। इ
के बाद मैंने लेना था अटै ची के ,यह भी बााँ ााँ वाले बाजार
मोट चीज़ें जै े टूथ ब्रश,पेस्ट आदक लेकर मैं वाप की दक ु ान पर गया और उ
आ गया। इ
मय बहुत ह
े सलया। कुछ और छोट के बाद मैं
ीिा जोशी
े मुलाकात की। जोशी मुझे कहने लगा,”१९ जून की फ्लाइट है
और तुम १८ जून शाम आठ वजे जनता मेल के सलए फगवाड़े रे लवे स्टे शन पर आ जाना, और मुझे भी
ाथ ह जाना है क्योंकक मुझे एक काम है ”. इ
बात
े मुझे हौ ला हो गया
कक ललेन में बैठने के सलए आ ानी हो जायेगी क्योंकक मैं अनाड़ी ह तो था। जोशी के दफ्तर में यह मेरा आख़र जाना था और इ
के बाद जज़िंदगी में कभी यह दफ्तर दे खा ह नह िं और
ना ह कभी खखयाल आया। मैं घर वाप
आ गगया। अब
भी ररश्तेदारों के
ुरजीत कौर बाहो पुर गािंव में रहती थी, इ
ाथ समलना रह गगया था। मेर
गी मा ी
सलए एक हदन मैं अपने बाइक पर बाहो पुर को
चल पड़ा। मा ी के तीन बेटे थे जो मेरे भाई लगते थे, वोह मुझे समल कर बहुत खश ु हुए। रात मैं वहािं रहा और द ु रे हदन घर वाप आ गगया। ती रे हदन मैं हदल्ल को रवाना हो गया क्योंकक वहािं मेरे मामा जी की बेट मेर बहन रहती थी। वोह हदल्ल के बाहर ह एक
नई बन रह कलोनी में रहते थे, याद नह िं यह नतलक नगर था या कोई और नगर क्योंकक उ
मय यहािं नए नए घर बन रहे थे और नज़द क खेत ह खेत थे। कह िं एक घर बना
हुआ था कह िं दो तीन। जगह जगह ईंटें और बजर बबखर पडी थी। मैंने रे लवे स्टे शन े ह ऑटो कर सलया था और वोह ऑटो चालक ढूिं़िता पूछता हुआ मुझे बहन के घर छोड़ गगया। बहन मुझे दे ख कर बहुत खश ु हुई क्योंकक हम बहुत ालों बाद समले थे,जीजा जी घर में नह िं थे। बहन ने तरह तरह के खाने मेरे सलए बनाये और मैंने मज़े े खाना खाया। गमी बहुत थी और अभी बबजल कफट नह िं हुई थी। बातें करते करते बहन कहने लगी,” तम् ु हारे गााँव का लड़का ोमनाथ नज़द क ह रहता है और वोह बहुत अच्छा पें टर है ”. ोम नाथ मेरे ाथ ह प़िा करता था और उ को एक मास्टर के बहुत पीटने के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा था, इ बात को कई ाल हो गए थे। ोम को समलने के सलए मैं बहन के ाथ चल पड़ा। जल्द ह हम वहािं पौहिं च गए। उ
वक्त
ोम कोई तस्वीर पें ट कर रहा था। हम ने एक
द ू रे को पहचान सलया, ोम बहुत खश ु था। कुछ दे र बाद चाय आ गई। हम ने चाय पी और कफर ोम मुझे अपने ड्राइिंग रूम में ले गगया। ड्राइिंग रूम एक आटट गैलर जै ा था। कमरे के
चारों और बड़ी बड़ी पेजन्टिं ग्ज़ थीिं,कुछ पैंस ल शेड में बनी हुई थीिं,कुछ वाटर कलर में और कुछ ऑइल पेजन्टिं ग्ज़ थीिं। ऐक्टर प्राण की तस्वीर जो पें स ल े बनी हुई थी मुझे बहुत अच्छी लगी। बड़े कालरों वाल कमीज़ में प्राण बहुत स्माटट लगता था और उ के एक हाथ में स गरे ट थी जज थे।
में
े िआ ननकल रहा था और मुिंह ुाँ
भी पेजन्टिं ग्ज़ मुझे बहुत अच्छी लगी। गगया।
ोम के
े िए ु िं के गोल गोल लच्छे ननकल रहे
ाथ कुछ दे र बैठ कर मैं वाप
आ
शाम को जीजा जी भी आ गए और हम ने बहुत बातें कीिं। द ू रे हदन मैं अपने गािंव वाप आ गगया। इ के बाद मैं अपने नननहाल डीिंगर आिं चले गगया। मामा मामी े समला। मामा मामी अब बू़िे हो चक् ु के थे और अकेले ह रहते थे, उनके दो लड़के यानी मेरे भाई एक तो
भाखड़े निंगल में इन्जीननयर लगा हुआ था और द ू रा छोटा कह िं शहर में काम करता था। रात रह कर वाप गााँव आ गगया। कफर मैंने भाखड़ा निंगल को जाने की तैयार कर ल , वहािं मामा जी का बड़ा लड़का
िंतोख रहता था और भाखड़ा डैम पर इन्जीननयर लगा हुआ था। िं ोख भैया और भाभी ने मुझे खब त ू खखलाया वपलाया। शाम को भैया मुझे अपने ाथ
वॉल बाल खेलने के सलए अपने दोस्तों के पा ुबह को गााँव के सलए ब
था.
ले गए,हमने बहुत मज़ा ककया। रात रह कर पकड़ ल और शाम को घर आ गगया। ब अब कह िं नह िं जाना
१८ जून को घर में कुछ उदा ी का माहौल था। शाम को मैं, मेरा छोटा भाई ननमटल और मेरा भतीजा जो उ
वक्त पािंच छै
ाल का था फगवाड़े को जाने के सलए तैयार हो गए।
भी
ऊिंची ऊिंची रो रहे थे, कक ी के मुिंह
े कोई बात ननकल नह िं रह थी, यह घड़ी बहुत ग़मगीन थी, मैं रो नह िं रहा था लेककन मेरे भीतर एक तूिान ा था जज को मैं बयान नह िं कर
कता। मैं बहुत रोना चाहता था लेककन तेज़ बहते पानी को एक बााँि की तरह रोक कर रखे हुए था। दो बाइस कलों पर हम घर े चल पड़े लेककन कुछ दरू जा कर ह मेरे भीतर का रोका हुआ बााँि टूट गगया और मैं जोर जोर े रोने लगा। मझ ु े दे ख मेरा छोटा भाई भी रो पड़ा। भतीजे ववचारे के तो कुछ पता ह नह िं था कक मैं कहााँ जा रहा हूाँ। शहर पौहिं चते पौहिं चते हम
मान्य हो गए।
कफर मेरे हदमाग में आया कक ट्रे न के सलए तो अभी वक्त बहुत था, क्यों न एक फोटो खखचवा लें। ट्रे न स्टे शन के नज़द क ह एक है लन स्टूडडओ होता था, हम वह ीँ चले गए और उ को फोटो खीिंचने के सलए बोला। मेरे और मेरे छोटे भाई के दरजम्यान हमारा भतीजा बैठ गगया। फोटो खीिंच ल गई और इ
के बाद हम रे लवे स्टे शन की ओर चल पड़े। रे लवे स्टे शन
पर पुहिंच कर मैंने हदल्ल का हटकट सलया और हम वेहटिंग रूम में बैठ गए और बातें करने लगे। कुछ दे र बाद जोशी भी आ गगया, उ ने भी हटकट सलया और हमारे
ाथ आ बैठा। ट्रे न
का वक्त जब हुआ तो मैंने अपनी छोटे भाई को जाने के सलए बोला। हम गले लग कर समले, भतीजे को कुछ पै े हदए और रे लवे ललैट फॉमट की ओर जाने लगे। उ वक्त की हमार फोटो अभी भी हमारे गााँव राणी पुर में कह िं रखी हुई है । ट्रे न आ गई,मैं और जोशी इ
में बैठ कर
जोशी मुझे एक होटल में ले गगया और
फर करने लगे।
ुबह हम हदल पौहिं च गए।
ारे हदन के सलए एक कमरा भी बुक करा सलया।
ब्रेक फास्ट लेने के बाद जोशी कह िं चले गगया, उनके बहुत े काम हदल में करने वाले थे। जोशी ने मुझे कहा कक वोह शाम को आकर मुझे समलेगा, जब तक मैं आराम े ो लाँ ।ू ारा हदन मैं
ोया रहा और तरो ताज़ा हो गया। शाम को जोशी भी आ गया और हम ने
खाना खाया। तकर बन रात छ: वजे हम एक ऑकफ
में पुहिंच गए, यह कौन
मुझे कुछ भी पता नह िं लेककन जोशी ने वहािं के एक क्लकट को
भ
मेर पूर मदद कर दें और वक्त पर मुझे एअर पोटट पर पौहिं चा दें । इ े हाथ समलाया और चले गगया कक उ
ने कक ी
े समलना था, उ
मुझे एअर पोटट पर समलेगा।
ा ऑफ
मझा हदया कक वोह के बाद जोशी ने मुझ
ने मुझे कहा कक वोह
मैं एक कु ी पर बैठ गगया। यह ऑकफ वहािं कोई नह िं था। मैं अकेला उदा
था
बहुत ह छोटा ा था, वहािं दो क्लकट ह थे। और बैठा रहा। कभी कभी वोह क्लकट कक ी को टे ल फून
करते या कक ी का आ जाता। तकर बन ९ वजे एक गाड़ी आई और उ
में बैठने के सलए
मुझे कहा गगया। हम दोनों ह थे, ड्राइवर और मैं। कुछ दे र बाद हम एअरपोटट पर पौहिं च।े
ड्राइवर मुझे लौंज में बबठा कर चले गगया। अभी कुछ ह समनट हुए थे कक जोशी भी आ गया। उ ने मुझे चैक इन पर जाने को कहा। चैक इन पर मेरा अटै ची के तो उन्होंने रख सलया जो कक एयरोललेन में जाना था और मुझे
ीट निंबर समल गगया।
अब जोशी ने मुझे कहा कक मैं िौरन करिं ी ले लाँ ू,जो उ तकर बन चाल
वक्त तीन पाउिं ड समलती थी।
रूपए में मझ ु े तीन पाउिं ड समल गए क्योंकक उ
रूपए समलते थे। अब मेरे पा
बी
वक्त एक पाउिं ड के तेरह
रूपए बच गए थे जो मैंने जोशी को दे हदए क्योंकक अब
इनकी जरुरत मझ ु े नह िं थी। जोशी ने मझ ु
े हाथ समलाया और चले गगया। इ
के बाद
हमार मल ु ाकात कभी नह िं हुई। मैं भी द ू रे याबरओिं के ाथ ाथ आगे चलने लगा, भी बबदे शी थे,एक भी इिंडडयन नह िं था। चलते चलते हम एक दरवाज़े पर पौहिं च गए यहााँ एक खब ू रू त
ाड़ी में एक जवान लड़की हाथ जोड़ कर
भी को नमस्ते बोल रह थी।
अिंदर दाखल हुए तो बहुत ह मज़ेदार ीटों पर अाँगरे ज़ लोग बैठे थे,ऐ ी ीटें मैंने जज़िंदगी में कभी भी दे खी नह िं थीिं। मुझे पता ह नह िं चला कक मैं एरोललेन में आ गगया हूाँ। एक एअर होस्टै
ने मेरा
ीट निंबर दे खा और मुझे एक
ीट पर बबठा हदया, मेरे है ण्ड बैग को ऊपर
रै क में रख हदया और द ू रे याबरओिं की मदद करने लगी। मैंने अपनी गदट न घुमाई और चारों तरफ दे खा, भी अाँगरे ज़ लोग ह थे,एक भी इिंडडयन नह िं था। मुझे अभी भी यकीन नह िं हो रहा था कक मैं एरोललेन में ह बैठा हूाँ। कभी कभी गगया है , अब तो छोटे छोटे बच्चे शायद कोई
मझ ह नह िं
ोचता हूाँ,कक अब ककतना ज़माना बदल
ार दनु नआ की बातें जान गए हैं लेककन उ
मय को
कता। एक बात और भी सलखना चाहूिंगा कक उ वक्त बेछक मैंने अिंग्रेजी पड़ी थी लेककन मैं स फट सलख और पड़ ह कता था,बोल बबलकुल नह िं कता था क्योंकक कक ी ने भी हमें बोलने की सशक्षा नह िं द थी। मेर
ीट एक दरवाज़े के नज़द क थी। कुछ दे र बाद एक पायलेट ने आ कर दरवाज़े को बिंद
कर हदया और कुछ ह समनटों में इिंजजन की आवाज़ गूिंजने लगी, अब मुझे यकीिंन हो गगया
कक मैं एरोललेन में ह बैठा हूाँ। कक ी औरत की आवाज़ एक स्पीकर े आने लगी जो इिंजग्लश में थी और मुझे इ की कुछ मझ नह िं आई। अब कुछ हरकत ी हुई और ललेन रनवे पर चलने लगा लेककन इिंजजन की आवाज़ इतनी ज़्यादा थी कक मेरा एक कान ददट करने लगा जो बचपन में कभी ददट करता रहता था। ललेन दौड़ने लगा और दौड़ता दौड़ता एक दम ऊपर उठ गगया। मैंने वविंडो में
े बाहर की ओर झााँका और दे खा कक हम मकानों के ऊपर उड़ रहे थे जजन
े रौशनी आ रह थी क्योंकक रात का वक्त था।
जज़िंदगी में यह मेर पहल उड़ान थी। दे खते ह दे खते हम बहुत ऊपर जा रहे थे। नीचे तारे ह तारे हदख रहे थे जै े तारे आ मान को छोड़ नीचे आ गए हों, लगता था जै े १९ जून द पावल की रात हो। मेरे कानों में ददट इतनी हो रह थी कक
मझ नह िं आ रह थी कक क्या
करूाँ। कान इतने भार हो गए थे जै े मैं बहरा हो गया हूाँ। अब एक एअर होस्टे हाथ में स्वीट ले कर आ रह थी,हर कोई एक या दो स्वीट उठा लेता और थैंक् कह दे ता। यह थैंक् थैंक्
लिज़ मुझे पहल दफा ह अ ल मानों में
ुनने को समला क्योंकक इ
हमारे सलए कुछ भी नह िं था। मैंने भी दो स्वीट
शमाटते शमाटते। यह मेरा पहला थैंक्
ल िं और थैंक्
था। कुछ घिंटे बाद
े पहले तो
बोल हदया लेककन
ब ु ह की लौ होने लगी। कुछ लोग
हाथों में टूथ ब्रश और पेस्ट पकडे टॉयलेट की ओर जा रहे थे लेककन मैं तो अपना ब्रश और पेस्ट अटै चीके ह ऊाँगल
में ह रख कर भल ू गगया था,वै े ह मैं भी टॉयलेट में चले गगया और वै े
े दािंत
ाि कर सलए और वाप
अपनी
ीट पर आ बैठा।
ब्रेकफास्ट की ट्रे आनी शुरू हो गईं। जहाज़ की तकर बन लेककन मेरे
भी
ीटों पर दो दो यारी बैठे थे
ाथ कोई भी बैठा नह िं था पता नह िं क्यों लेककन इ
का मुझे तो फायदा ह हो
गगया क्योंकक कुछ गलत भी करता तो कमज़क्म कक ी और को तो पता नह िं लग
कता
था। जब ब्रेकफास्ट की ट्रे मेरे आगे भी रखी गई तो मुझे कुछ भी नह िं पता था कक इ कै े खोलना था,इ
में क्या क्या खाने को था क्योंकक मैं तो ऐ े था जै े एक जानवर शीश
महल में आ गगया हो। मैं द ू रे मु ाफरों की ओर दे खने लगा,जब ट्रे खोल ल । इ
को
में आमलेट, बटर बन, बटर की छोट
ब दे ख सलया तो अपनी
ी टब, मामलेड,नमक के छोटे
पैकेट,शूगर कीउब्ज़,कुछ नाइफ फोक् ट और स्पून थे और
ाथ ह हाथ
े
ाि करने के सलए
छोटे छोटे पैकटों में हटशू पेपर थे। मेरे सलए
ब कुछ नया था। जज़िंदगी में नाइफ फोकट
े कभी नह िं खाया था। मैंने द ू रे
मु ाफरों को खाते दे खा और उन की कापी करने लगा,जल्द ह
ीख गगया और
ारा
आमलेट खाया जो बहुत स्वाहदटट लगा। कफर बन को नाइफ े बीच में काटा, ऊपर बटर और मामलेड लगाया और खाने लगा,यह भी बहुत स्वाद लगा। एक आाँख े मैं गोरों की तरफ दे ख रहा था कक मैं
ह थी वरना कक ी को मुझ
ह ढिं ग
े खा रहा हूाँ या नह िं लेककन यह मेर भूल और खझजक े क्या लेना दे ना था। अब एक एअर होस्टे चाय और कॉफी
ले कर आई और मैंने क्योंकक जज़िंदगी में कॉफी कभी पी नह िं थी,इ सलया। चाय पी कर हटशू
े हाथ
सलए चाय का कप ले
ाि ककये और खा कर मन खश ु हो गगया।
हम कराची के नज़द क आ रहे थे और कक ी ने बोला कक हम कराची एअरपोटट पर लैंड होने वाले हैं। मेरा कान कफर ददट करने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ कानों पर रख सलए। कफर मैंने एअर होस्टै
को बोलने के सलए अिंग्रेजी के लिज़
ोचने शरू ु कर हदए। यों ह लड़की मेर
तरफ आई मैंने हाथ
े इशारा ककया,वोह एक दम मेरे पा
आ गई। मैं ने अपनी
अिंग्रेजी बोल द , i have been suffering from earache since morning !.उ कुछ पुछा लेककन मुझे कुछ
मझ में नह िं आया। मैंने कह हदया कान में ददट हो रहा है । वोह
मुस्कराती हुई गई और कुछ दे र बाद दो गोसलआिं और पानी का ग्ला मैंने गोसलआिं ले ल िं।
लेकर आ गई और
अब जहाज़ भी नीचे आना शरू ु हो गगया था और कुछ समनट बाद लैंड हो गगया। बैठे रहे और कुछ यारी कराची एअरपोटट होगा कोई पची
ती
ोची हुई लड़की ने
वर्ट का मेरे
भी लोग
े जहाज़ में बैठे जजन में एक पाककस्तानी लड़का जो
ाथ की
ीट पर आ बैठा और उ
ने मझ ु े
लामलेकुम
बोला। मैंने भी जवाब हदया,वालेकम लाम। अब मझ ु े कुछ हौ ला हो गगया,मझ ु े ऐ ा लगा मेरा कोई अपना मेरे चलता…
ाथ आ बैठा है । कुछ दे र बाद कफर
े हम आ मान में उड़ने लगे।
मेरी कहानी - 68 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 12, 2015 कराची
े हम चल चुके थे.वोह पाककस्तानी लड़का मेरे
बोल रहा था जजतना मैंने
ोचा था. हो
ाथ बैठा था लेककन वोह इतना नह िं
कता है वोह मेर पगड़ी दे ख कर कुछ खझझकता
हो.कुछ भी हो मुझे तो कुछ हौ ला हो ह गया था.वोह लड़का बार बार एअर होस्टै बुलाता और कभी कुछ मािंगता,कभी कुछ.जब भी वोह बोलता उ है रान हो जाता ककओिंकक मेरे खखयाल
े तो वोह
लफ्ज़ बोलता लेककन उन की अिंग्रेजी वोह मन ह मन में मैं समलते थे,यह तो
ोच रहा था कक ऐ ी अिंग्रेजी सलखने
अच्छा ह था.
ुन कर मैं
ब कुछ गलत बोल रहा था,वोह टूटे टूटे
मझ लेतीिं और उ
ब गलत बोल रहा था लेककन
की अिंग्रेजी
को
को जो मािंगता वोह दे दे तीिं.
े तो हम को अछे माक् ट ह नह िं
ोचता था कक कुछ भी हो मझ ु
अब गोरे लोगों ने शराब के आडटर दे ने शरू ु कर हदए थे.तकर बन हर गोरा गोर के
े तो
ामने
बीअर शराब के ग्ला
रखे हुए थे.उ पाककस्तानी ने मझ े पछ ु ु ा कक क्या मैं कोई डड्रिंक लाँ ग ू ा ?. जब मैंने नह िं में जवाब हदया तो उ ने लड़की को डब्बल ववस्की का आडटर हदया.
कुछ दे र बाद वोह पाककस्तानी लड़का ववस्की में कोई और डड्रिंक समला कर पी रहा था लेककन मुझे इ था.
े कोई फकट नह िं पड़ने वाला था ककओिंकक मैं अपने डैडी को पीते दे खता ह रहता
भी गोरे बार बार डड्रिंक का आडटर दे रहे थे और मैं चप ु चाप बैठा
ब दे ख रहा था.मैंने
जजिंदगी में इ
े पहले बहुत कम गोरे लोग दे खे थे,एक ने हमारे कॉलेज में लैक्चर हदया था और कुछ जब जवाहर लाल नेहरू को समलने गए,तब दे खे थे लेककन इतने इकठे गोरे कभी
नह िं दे खे थे. कुछ गोरे नशे में गाने लगे थे जो मुझे बहुत अजीब लग रहे थे क्यों कक मुझे तो उन का एक लफ्ज़ भी मझ नह िं आ रहा था. पा बैठा पाककस्तानी डड्रिंक पे डड्रिंक ले रहा था और कुछ कुछ शराबी होने लगा था.अब मुझे कुछ गचिंता होने लगी कक वोह कुछ कर ना दे .
कुछ दे र बाद लड़ककआिं खाने का आडटर लेने आ गईं और हर यारी को पूछने लगी। वै े तो मैं मीट खा लेता था लेककन खाना हम
ोचा,क्या पता कै ा हो क्योंकक मैं ने
ुन रखा था कक अिंग्रेज़ों का
े खाया नह िं जाता। मैंने वेजजटे ररअन खाने का आडटर दे हदया।
ारे एरोललेन में
खाने की भीनी भीनी खशबू आ रह थी। खाने की ट्रे आने लगीिं। अब मेर खझजक दरू हो गई थी। मैंने ट्रे को खोला और दे ख कर खश ु हो गगया क्योंकक खाना इिंडडयन था। पाककस्तानी ने नॉन वैज सलया था जज
में गचकन भी इिंडडया की तरह ह द ख रहा था। खाने में समचट नाह
के बराबर थी लेककन मुझे बहुत स्वाहदटट लगा। इतना अच्छा खाना मैंने जज़िंदगी में पहल दफा ह खाया क्योंकक इ े पहले मैं ने स फट एक दफा ह जालिंिर रै स्टोरैंट में डैडी के ाथ
खाना खाया था। खाना खा कर बहुत े लोग आाँखें बिंद करके ररलैक् होने लगे थे लेककन मैं तो बाहर की तरफ ह दे ख रहा था। हम बादलों के ऊपर उड़ रहे थे,कभी कभी बादल ना होते तो नीचे कभी कोई पहाड़ी हदखाई दे ती तो कभी कोई शहर आ जाता जज
के मकान बच्चों
के खखलौनों जै े लगते। कुछ दे र बाद अनाउिं में ट हुई कक हम बैरूत एअरपोटट पर लैंड होने वाले हैं। ऊपर े मुन्दर के पानी का रिं ग नीला हदखाई दे रहा था,यह पानी का नज़ारा अभी तक भूल नह िं का हूाँ। इतना न् ु दर था जै े नीचे नीले रिं ग का कपडा बबछा हो। बैरूत एअरपोटट पर लैंड होने के बाद हम को एअरपोटट के लाउिं ज में बबठा हदया गगया। कुछ लोग शॉवपिंग करने लगे, वोह
पाककस्तानी लड़का भी घम ू ने लगा लेककन मैं वह ीँ बैठा रहा। यह पाककस्तानी लड़का इिंग्लैण्ड
में ह काम करता था, इ ी सलए उन को कक ी बात की खझझक नह िं थी। शायद दो घिंटे के बाद हम कफर एरोललेन में बैठ गए और आ मान में उड़ने लगे। अब की उड़ान बहुत लिंबी थी और कुछ बोररयत लगने लगी थी। जै े जै े उड़ते जा रहे थे हदन खत्म होने को नह िं आ रहा था।
बहुत घिंटे उड़ने के बाद अनाऊिं मैंट हुई कक हम ह थ्रो एअरपोटट लिंदन लैंड होने वाले थे। मेर मिंजज़ल कर ब आ रह ह और मैं नीचे दे खने लगा। नीचे िप ू द ख रह थी। बेछक मैं ह थ्रो पहुाँचने वाला था लेककन मेर मिंजज़ल अभी दरू थी क्योंकक मैंने लिंदन बसमिंघम के सलए लेनी थी और यह
े एक और फ्लाइट
ाथ ह बुक हो चक् ु की थी। जब मैं अपना
ामान ले कर
लाउिं ज में बैठा तो वोह पाककस्तानी तो पता ह नह िं कहााँ चले गगया था और मैं वहािं बैठा ोच रहा था कक अब मैं क्या करूाँ। आज तो बच्चे काम के स लस ले में
रहते हैं लेककन ५३
ाल पहले मेर जस्थनत एक पागल जै ी थी।
ार दनु नआ घुमते
एअरपोटट पर दरू दरू तक एक भी इिंडडयन हदखाई नह िं हदया. मुझे वपछाब आया हुआ था और ामने लेडीज़ और जैंटलमैन सलखा हुआ था लेककन मुझे कुछ नह िं पता था कक इ में लोग क्यों जा आ रहे हैं। मेरे इदट गगदट पररओिं जै ी गोर लड़ककआिं लड़कों के मुिंह में मुिंह डाले
ककस ग िं कर रह थी और मुझे बहुत अजीब लग रहा था और ब े बड़ी बात वोह लड़ककआिं स्कटट पहने हुए थीिं जो मैंने कभी नह िं दे खी थी। कुछ दे र मैं बैठा रहा और मन में अिंग्रेजी याद करके मैं एक गोल काउिं टर पर खड़ी गोर लड़की की ओर गगया और उ
को अपना
हटकट हदखाया और कहा कक मैंने बसमिंघम को जाना था। इ
े पहले कक मैं और सलख,िंू यह बताना चाहूिंगा कक गोरे लोगों की जजतनी भी नक् ु ताचीनी हम कर लें लेककन इतनी मदद करते हैं कक इिंडडया में हम ोच भी नह िं कते। उ लड़की ने मेरा हटकट दे खा,कफर उ
ने अपनी
ाथी लड़की को कुछ बोला और मझ ु को कहा,कम
ऑन समस्टर स हिं ! और उ द
ने मेरा बैग पकड़ा और मैं उ
के
ाथ चल पड़ा। तकर बन
समनट चल कर एक काउिं टर पर जा कर गोर लड़की खड़ी हो गई और काउिं टर पर खड़ी
लड़की को कुछ बोला और मुझे बाई बाई और यह कह कर चल पडी कक अब यह लड़की मेर मदद करे गी। इ
नई लड़की ने मेरा अटै चीके
बोल ,” समस्टर स हिं है व ए
सलया,उ
ीट”.
कोई आिे घिंटे बाद वोह लड़की मेरे पा
पर एक लेबल लगाया और मुझे
आई और बोल ,” समस्टर स हिं फौलो द ज़ पीऊपल”.
और भी बहुत लोग थे जजन्होंने बसमिंघम जाने वाले ललेन में बैठना था। दो समनट चलने के बाद हम एरोललेन के नज़द क पौहिं च गए जो कुछ दरू खड़ा था। इन याबरओिं में भी कोई इिंडडयन नह िं था,
भी अाँगरे ज़ थे। जब हम एरोललेन के भीतर गए तो एअर होस्टे
बोल ,”
लल ज़ स ट वेअर ऐवर यू लाइक”. अब तो मझ ु े ऐ ा लगा जै े मैं ब
में बैठने लगा हूाँ ा था। आिे घिंटे में हम बसमिंघम एयरपोटट पर आ पह ु िं च।े अब
क्योंकक यह ललेन बहुत छोटा तो कोई चैककिंग नह िं थी और मैं अपना अटै चीके
और बैग ले कर बाहर आ गगया। अब तो
बसमिंगम एयरपोटट एक बहुत बड़ी इिंटरनैशनल एयरपोटट है लेककन उ एक बड़ा ा ब ों का अड्डा हो। मैं बाहर आ कर एक ब
शैल्टर के नीचे खड़ा हो गगया। मेरे पा
मय यह ऐ ी थी जै े
तीन पाउिं ड थे।
ोच रहा
था कक टै क् ी कै े लाँ ,ू तभी दो स हिं आते हदखाई हदए। उन को दे ख कर ह मुझ में हौ ला बड़ गगया। हदल
रदार जी आप के
े रवाना होने के बाद यह पहले इिंडडयन मुझे समले थे,वोह आते ह बोले,” ाथ कोई और भी आया है ?” मैंने कहा नह िं तो, वोह आप
में बातें
करने लगे। वोह कहने लगे कक उन के भाई ने आना था और वोह उ े लेने के सलए आये थे। मुझे अपनी किक्र थी कक मैं ककया करूाँ,इ वुल्वरहै म्टन जाना है और मेरे पा कर
सलए मैंने उन लोगों को कहा,” भाई
ाहब मैंने
तीन पाउिं ड हैं,ककया आप मेरे सलए एक टै क् ी का प्रबिंि
कते हैं ?”.
उन लोगों ने आप
में कोई बात की और मुझे कहने लगे,” चलो,हम तझ ु े छोड़ आते हैं” और
अपनी कार की ओर चलने लगे। उन्होंने मेरा अटै चीके
और बैग अपनी गाड़ी में रखा और
चलने लगे। अब कुछ कुछ अाँिेरा होने लगा था लेककन शाम के द को मैं हदल
े चला था और अभी भी १९ जून ह थी,यानी हदन इतना बड़ा हो गगया था
क्योंकक गसमटओिं के हदनों में इिंडडया और इिंग्लैण्ड की घड़ीओिं का है और वै े भी द हैं और द
वज चक् ु के थे। १९ जून
ा़िे द
ा़िे चार घिंटे का फकट होता
वजे के बाद अाँिेरा होने लगता है ,द ू रे २१ जून तक हदन ब़िते ह जाते वजे तक भी लौ रहती है ।
हम बसमिंघम स ट
ेंटर की और ब़िने लगे। मुझे है रानी हुई, कह िं े भी गाड़ी के हॉनट की आवाज़ नह िं आ रह थी,इतनी शाजन्त थी कक लगता था जै े हमारे इदट गगदट कोई गाड़ी ह न हो और
फाई इतनी कक मैं तो दे ख दे ख है रान हो रहा था, कक ी के गिंदे कपडे हदखाई नह िं
हदए। गाड़ी के दोनों तरफ मैं दे खता जा रहा था। कफर अचानक ऐक स हिं द ू रे ग्ला
पीने का खखयाल है ?”. द ू रे ने जवाब हदया,” चलो दो दो ग्ला
े बोला,”
पी लेते हैं”. कफर वोह
अपनी गाड़ी एक बहुत बड़े पब्ब की कार पाकट में ले गए और पाकट करके पब्ब के भीतर जाने लगे। इिंडडया के िंस्कारों की वजह े मैं डर रहा था की यह स हिं मेरे ाथ कोई हे रा फेर न कर लें और मेरा अटै चीके
कह गम ु ना कर दें लेककन मेर यह
ोच बेबनु नाद ह थी क्योंकक
यहािं तो लोग इतने ईमानदार हुआ करते कक ड़क पर पड़े ोने की चीज़ को भी उठा कर उ के मालक को ढूिंढने की कोसशश करते थे,इतनी ईमानदार होती थी।
जब हम पब्ब में दाखल हुए तो ारा पब्ब गोरे गोररओिं े भरा हुआ था और आज वै े भी वीकैंड था। ार कु ीआिं भर हुई थीिं और लोग खड़े हो कर हाथों में बड़े बड़े ग्ला सलए
बबयर पी रहे थे और एक गोरा अकॉडडटयन वजा रहा था और कुछ गा रहे थे। स गरे ट के िए ु िं े
ारा हाल जज
सलए और मुझ सलए औरें ज जू
को स्मोक रूम कहा जाता है ,भरा हुआ था। स हिं जी ने दो ग्ला बबयर के े पुछा कक क्या मैं भी बबयर लूिंगा ? जब मैंने कहा कक नह िं तो उन्होंने मेरे का ग्ला
ले हदया और पीने लगे। उन्होंने जल्द जल्द ग्ला
खत्म ककये
ड़क पर एक गोरा लड़का खड़ा सलफ्ट मािंग रहा था तो
रदार जी ने
और पब्ब के बाहर आ गए। अब हम स ट की तरफ जा रहे थे।
गाड़ी खड़ी कर ल और उ नाम बताया और वोह मेरे
को पुछा कक उ ाथ वपछल
ेंटर को पार कर चक् ु के थे और वोल्वरहै म्पटन ने कहााँ जाना था। गोरे ने कक ी टाऊन का
ीट पर आ बैठा। स हिं जी उ
गोरे
े बातें करने
लगे। जल्द ह हम वुल्वरहै म्पटन पहुिंच गए। वोह गोरा रास्ते में उत्तर गगया था और हम मेरे डैडी के हठकाने के दरवाज़े पर पहुिंच गए। जब दरवाज़े पर दस्तक द तो कुछ दे र बाद डैडी ने
दरवाज़ा खोला और मुझे दे ख कर है रान हो कर बोले,” यह ककया ?तुम ने तो कल को आना था ?”. वोह स हिं जी जाने लगे तो डैडी ने उन को अिंदर आने को बोला लेककन वोह कहने लगे कक
ुबह को उन्होंने काम पर जाना था। डैडी और मैंने उन का िन्यवाद ककया और वोह
चले गए और
नह िं। अटै चीके
ाथ ह मेरे सलए एक याद छोड़ गए क्योंकक मुझे कभी भी वोह स हिं भूले ले कर मैं कमरे के अिंदर आ गगया। डैडी
क्योंकक शननवार और रवववार को
े बीअर की महक आ रह थी
भी बबयर पीते थे,हमारे लोगों की यह एक एन्टरटे नमें ट
होती थी और ९९% लोग वीकेंड पर बबयर पीने जाते थे।
डैडी ने मुझ को पुछा कक आज मैं कै े आ गगया क्योंकक जो मैंने टे ल ग्राम भेजी थी उ
पर
तो बी
जून सलखा हुआ था। अब मुझे अपनी गलती का पता चला क्योंकक मैंने तो ोचा था कक १९ जून को चल कर बी जन ू को पौहिं चन् ु गा लेककन यह मुझे पता नह िं था कक एक तो इिंडडया और इिंग्लैण्ड के टाइम का
ा़िे चार घिंटे का फकट था और द ू रे जै े जै े मैं इिंग्लैण्ड
की तरफ जाता रहूाँगा हदन बड़ा होता जाएगा और उ ी हदन पौहिं च जाऊाँगा। खैर डैडी ने मुझे पुछा कक अगर भूख लगी है तो मैं मीट खा लाँ ू क्योंकक इ वक्त रोट के इिंतज़ाम का मजु श्कल था। मैंने कहा,चलो मीट ह खा लेता हूाँ। डैडी ने अपने चारपाई के नीचे
े मीट का पैन ननकाला और मझ ु े पकड़ा हदया। मैंने एक पी
उठाया और मीट खाने लगा लेककन मझ ु े कुछ स्वाद नह िं आया और यह मीट इिंडडया के मीट
े बहुत सभन्न था। एक पी ब्रैड का खाया लेककन कुछ भी मज़ा नह िं आया। हम ोने की तैयार लगे। एक ह डब्बल बैड थी और जै ी डैडी ने कहा हम दोनों एक ह बैड पर ो गए। इ
े पहले बचपन में हम बाप बेटा कब
ोये थे मुझे कुछ भी याद नह िं लेककन यह एक
मजबूर थी, हालात ह कुछ ऐ े थे। यह इिंग्लैण्ड में मेर पहल रात थी। चलता…
मेरी कहानी - 69 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 15, 2015
जब वोह स हिं मुझे छोड़ कर गए तो मैं ने एक पी ब
ब्रैड का और एक पी
मीट का खा कर
कर द ककओिंकक मुझे कुछ स्वाद नह िं लगा। डैडी ने बताया कक द ु रे हदन की उन्हों को
छुट थी ककओिंकक एअरपोटट पर मुझे रर ीव करने के सलए उन्होंने छुट ल हुई थी। रात बहुत हो चक् ु की थी और हम ो गए। ुबह उठे तो पहले डैडी ने मझाया कक टॉयलेट बाहर थी। वोह मेरे
ाथ गए और मुझे
भ कुछ
मझाया। यह टॉयलेट रूम मुजश्कल
े तीन िीट
चौड़ा और चार िीट लम्बा होगा। ऐ ी टॉयलेट को आज कोई जानता ह नह िं है । पानी वाल टैंकी बहुत ऊपर थी जज की बड़ी ी जिंजीर को खीिंच कर पानी फ्लॅ श होता था। टॉयलेट े फागट हो कर मैं बाहर आया तो डैडी ने मझ ु े छोटा ा ककचन हदखाया जज में गै कुकर था और उ
के चार बनटर थे।
ाथ ह बतटन िोने के सलए स क िं था। गै
कुकर मैंने जज़िंदगी में
पहल दफा दे खा और दे ख कर है रान हुआ कक खाना बनाना तो बहुत आ ान था। घर के पीछे छोटा ा गाडटन था जो कोई होगा पिंदरा िीट चौड़ा और बी िीट लम्बा। इ में घा ह घा
था,कोई फूल बगैरा नह िं था।
बाहर ननकल कर दे खा स्ट्र ट के
भी घर एक द ू रे घर के
ाथ जड़ ु े हुए थे और उन भ की छतें स्लेट की और ऐिंगुलर थीिं। दे ख कर मुझे बहुत अजीब लगा कक घर तो बहुत छोटे थे। हमारा राणी पुर वाला घर तो इ े तीन गुणा बड़ा होगा। डैडी ने चाय बनाई और स हटिंग रूम में बैठ कर हम पीने लगे। तभी ऊपर के द ू रे कमरे ्जन आये और
ाथ ह उन का बेटा भी आया। उन्होंने हम को
और इिंडडया का हाल चाल पुछा। इन
े ननकल कर एक और
त स र अकाल बोला
जन का नाम था अजटन स हिं लेककन उ
जी कह कर बुलाते थे। उन के बेटे का नाम था ज विंत स हिं । मेर और मेर
को गगयानी ार फैसमल
की जज़िंदगी में इन गगयानी जी और उन के
ारे खानदान का बहुत बड़ा अहम रोल है और अभी तक हम समलते हैं चाहे वोह कुछ दरू रहते हैं। गगयानी जी का गााँव था शाद पुर जो नूर महल के कर ब है । बातें करने लगे। गगयानी जी ने बहुत अच्छी बातें कीिं, च्च कहूाँ तो इतनी अच्छी बातें मैंने जज़िंदगी में पहल दफा न ु ी,मुझे बहुत आनिंद आया। गगयानी जी क्ल न शेव,कुछ दब ु ले े थे और उन का लड़का ज विंत मेर उम्र का था और क्ल न शेव था। इिंग्लैंड आ कर डैडी भी क्ल न शेव हो गए थे और पहल दफा उन्हें ऐ े दे ख कर मुझे एक झटका
ा लगा था। गगयानी जी के
समल गगया था। मैंने शमाटते शमाटते पूछ ह सलया कक वोह चप ु रहे लेककन गगयानी जी बोले,” बेटा ! हम इ
ाथ मैं जल्द ह घुल
भी क्ल न शेव क्यों थे,तो डैडी तो
दे श में आये हैं और इ
की कीमत भी
हमें अदा करनी पड़ रह है क्योंकक एक तो हम यहािं काले हैं और द ू रे अाँगरे ज़ लोग पगड़ी दे ख कर हम
े नफरत करते हैं और काम नह िं दे ते।
हज़ारों मील दरू
े हम आये हैं,काम के बगैर यहािं रहा नह िं जा
कता,खचट इतना है कक पै े
के बगैर हम
ब ज़ीरो हैं,मैं तुम्हें बताता हूाँ कक मैं श्रोमखण कमेट अमत ृ र में बहुत े गुरदआ ु रों के अकाउिं ट चैक करने के सलए इिंस्पैक्टर लगा हुआ था और मैंने अमत ृ भी छका हुआ था, काफी इज़त थी लेककन यहािं आ कर कोई काम समलता नह िं था,मेर पगड़ी और दाहड़ी को दे ख कर गोरे हिं ने लगते थे और नो वेकें ी बोल दे ते थे। जाऊिं क्योंकक मैं तो ककराया भी शाह जी
ोचता था पीछे कै े
े उिार ले के आया था और वोह तब मझ ु े समला
जब मैंने एक खेत की गरिं ट सलख कर द थी। दख ु ी हो कर मैंने बाल कटवा हदए और कुछ हदनों बाद मझ ु े गड ु यीअर टायर फैक्ट्र में काम समल गगया। कफर मैंने ज विंत के बाल भी कटवा हदए और इ
को भी स्पीयर ऐिंड जैक् न टूल फैक्ट्र में काम समल गगया है ।
इ ी तरह तेरे डैडी तो एक कार गर आदमी थे लेककन उन को भी काम नह िं दे ते थे तो बाल कटवाने के बाद बबजल्डिंग है और पै े भी उन
ाइट पर एक अच्छे काम पर लग गए जो कई गोरों
े ज़्यादा हैं,
े भी अच्छा
ो बेटा जी इिंडडया की बातें भूल जा और तू भी अपने बाल
कटवा दे और कालज की बातें भी अब छोड़ दे क्योंकक लिंदन एक तो बहुत दरू है द ू रे लिंदन राजिानी है और वहािं के खचे इतने ज़्यादा हैं कक तेरे डैडी अफोडट ह नह िं कर कते,इ सलए कोई काम समल जाए तो तेरे सलए अच्छा होगा लेककन काम भी मुजश्कल
े समलते हैं। कुछ
इिंडडयन हैं जो गोरों को कुछ पै े दे कर काम हदलवा दे ते हैं और कुछ खद ु रख लेते हैं। इ के बगैर कोई चारा भी नह िं है क्योंकक यहािं हर दम घर रहना भी बहुत मुजश्कल है ” गगयानी जी की बातें
ुन कर मैं बफट जै ा ठिं डा हो गगया और पहले ह हदन उदा
हो गगया।
इिंग्लैण्ड आने का उत् ाह खत्म हो गगया। गगयानी जी तीन सशफ्टों में काम करते थे 6 वजे तक,2
े 10 वजे तक और 10
े 6 वजे तक। इ
सशफ्ट थी जो रात 10 वजे शुरू हो कर को नहाने के सलए बोला तो डैडी हिं है ,वोह भी पै े दे कर। इ बाथ ऐवेन्यू ले जाएिंगे और
हफ्ते गगयानी जी की रात की
ुबह 6 वजे खत्म होती थी। कुछ दे र बाद मैंने डैडी
पड़े कक”यहािं तो हफ्ते में एक दफा ह नहाना पड़ता
हफ्ते क्योंकक गगयानी जी की रातों की सशफ्ट है ,इ भ कुछ
सलए यह तुझे
मझा दें गे”। कुछ दे र बाद डैडी जी ने ब्रेकफास्ट बनाया
जो टोस्ट बेक्ड बीन्ज़ और एग्ग का था। ब्रेकफास्ट मुझे
वाहदटट लगा। कफर डैडी ने मुझे
कपडे चें ज करने को कहा और बोले,” अब हम बाहर जाएिंगे ताकक तुझे एररये जाए”.
े 2
े वाक़िी हो
कपडे बदल कर मैं और डैडी घर
े बाहर जाने लगे। यहािं मैं यह भी बता दाँ ू कक यह घर
वुल्वरहै म्पटन की 19 मॉजस्टन स्ट्र ट था जो स्टै वले रोड मकानों की ओर दे खने लगा जो दे ने लगे जो
े ननकलती है । बाहर आ कर मैं
बी एक जै े लगते थे। अब कह िं कह िं इिंडडयन लोग हदखाई
भी क्ल न शेव ह थे। वोह मेर ओर दे खते और आप
कक” यह भाई बिंद नया नया आया लगता है ”. अपने लोगों को
में बातें करने लगते
बी आप
में भाई बिंद कहते
थे और एक लिज़ और भी था जो उ अनप़ि ह होते थे,इ
मय बहुत मशहूर था। क्योंकक ज़्यादा तर लोग सलए कभी कक ी अाँगरे ज़ े बात करनी होती तो एक द ू रे को पछ ू ते,”
क्यों भाई बात जानते हो ?”. बात के अथट होते थे इिंजग्लश जानना। यह बहुत मजु श्कल काम था। इ
सलए हर शननवार और रवववार को अनप़ि लोग गगयानी जी के पा
गगयानी जी
बी के िामट भरते,उन के घरों को खत सलखते और कभी कभी अगर कक ी का
वकील के
ाथ कोई काम होता तो वीक डेज़ में गगयानी जी उन के
ना जाऊिं,गगयानी जी अब इ चाहते तो उ
ाथ जाते। सलखना भूल
िं ार में नह िं हैं लेककन उन्होंने लोगों के उ
ककये और वोह भी एक पै ा भी सलए बगैर कक उन की नह िं कर
आते रहते थे और
वक्त इतने काम
मनृ त को नमन करता हूाँ। वोह
वक्त हज़ारों पाउिं ड बना लेते लेककन जजतनी कुबाटनी उन्होंने की शायद कोई
कता,उन्होंने जो जो काम ककये उन को मेर कलम सलख नह िं
कुछ आदमी थे जजन्होंने लोगों
कती। उ
वक्त
े बहुत पै ा बनाया था। गगयानी जी हर ुबह जपुजी ाहब का पाठ करते थे और शाम को रह्नऱ का पाठ करते थे। अगर काम पर होते तो काम करते वक्त मुिंह में पाठ करते रहते। मैं और डैडी चले जा रहे थे और कभी कभी रास्ते में कोई डैडी को जानने वाला समलता तो वोह उन
े बातें करने लगते। वोह मेरे बारे में पछ ू ता तो डैडी जी बताते कक मैं उन का बेटा
हूाँ और कल ह इिंडडया े आया हूाँ,कफर डैडी उ को मेरे सलए स्फारश करते कक वोह मेरे सलए अपनी फैक्ट्र में काम दे खें। कुछ दे र बाद हम एक स्ट्र ट में गए,जज का नाम था है रो स्ट्र ट। एक दरवाज़े पर डैडी ने दस्तक द और कुछ दे र बाद एक औरत ने दरवाज़ा खोला। हम ने त स र अकाल बोला और भीतर चले गए। भीतर एक
्जन थे जज
का नाम डैडी ने
चनन स हिं बताया। और यह भी बताया कक यह चनन स हिं मेरे मामा जी के दरू
े भाई
लगते थे और इन का एक भाई अमर स हिं कक ी और स्ट्र ट में रहता था। जब परदे जाते हैं तो अपना आदमी दे ख कर ककतनी ख़श ु ी होती है , यह उ
हदन मुझे अह ा
में
हुआ। ुबह का बुझा हुआ मन कफर खखल उठा,कुछ अपनापन दे खने को समला। चाय पानी पी कर हम कफर बाहर आ गए।
डैडी ने जो बात बताई वोह उ
वक्त हमारे लोगों के सलए एक वरदान बन कर आया था,वोह
था इिंग्लैण्ड के पब। इिंडडया के लोगों को यह शायद अजीब और अ भ्य लगे लेककन इन पब्बों ने हमारे लोग़ों को बहुत हारा हदया था क्योंकक द द बारह बारह घिंटे काम करके थक्के टूटे हमारे लोगों को इन पब्बों में आ कर दो बीअर के ग्ला पी कर ारे हदन की थकावट उत्तर जाती थी और पीछे इिंडडया की गचिंताओिं
े मुजक्त समल जाती थी। और कोई ऐ ी जगह
होती ह नह िं थी,ना कोई गुरदआ ु रा मिंहदर मजस्जद होते थे यहािं जा कर बातें करके मन के गब ु ार ननकाल
कें। द ू रे एक बात और भी होती थी कक कक ी का भी इिंग्लैण्ड में पक्के तौर
पर रहने का कोई इरादा नह िं था। लोग चार पािंच
ाल काम करते,पै े पीछे भेजते रहते और
कोई गााँव में नया घर बनाता और कोई खेती के सलए ज़मीन खर दता। अब एक नया ट्रैंड शरू ु हो गगया था और वोह था एक द ू रे की दे खा दे खी अपने बेटों को इिंग्लैण्ड बल ु ाना ताकक और पै े जमा हो
कें और गािंव में और ज़मीन खर द जा
के।
डैडी मुझे एक पब्ब में ले गए, भी गोरे मेर तरफ दे खने लगे,शायद इिंडडयन आ गगया। डैडी ने मुझ
ोचते होंगे कक एक नया
े पुछा कक ककया मैं बीअर लूिंगा ? जब मैंने नह िं बोला तो
वोह काउिं टर पर गए,अपने सलए बबयर का ग्ला
ले आये और मेरे सलए कोक का ग्ला
ले
आये। कफर मुझे बबयर के नाम बताने लगे,” जो मैं पी रहा हूाँ यह माइल्ड बबयर है ,एक होती
है बबटर,गगनीज़, ैम ब्राऊन,लागर,मैके न, न्यू कै ल ब्राऊन और जो उलट टिं गी हुई बोतलें हैं उन में ववस्की ब्रािंडी और अन्य शराबें”. डैडी मुझे बहुत कुछ बताते गए और मैं ुनता गगया लेककन मुझे कुछ
मझ नह िं आया। पब्ब
े हम बाहर आये और घर को वाप
चलने लगे।
घर आये तो गगयानी जी अभी भी बैठे अखबार पड़ रहे थे। कफर बातें होने लगीिं और मुझे कहा गगया कक द ू रे हदन मैं गगयानी जी के
ाथ जा कर बारबर
े अपने बाल कटवा आऊिं।
शाम हुई तो ककचन में डैडी जी ने ब्ज़ी बनाई,आटा गाँि ू ा और रोट आिं पकाने लगे। ज विंत जो ुबह का काम पर गगया हुआ था,आ गगया था और वोह भी रोट आिं पकाने लगा। ज विंत के सलए
ब्ज़ी गगयानी जी बना हदया करते थे,वोह खद ु रोट नह िं खाते थे। उन का खाना
बहुत शुद्ि और अच्छा होता था और ऐ ा खाना कोई भी खाता नह िं था, इ के बहुत े कारण थे जजन को मैं बाद में सलखग ूिं ा। हम स हटिंग रूम में बैठ कर रोट खाने लगे और
गगयानी जी भी अपना खाना खा कर गुड ईयर फैक्ट्र को काम करने चले गए क्योंकक उन की नाइट सशफ्ट थी। मैं बताना भूल गगया,इ ी मकान के एक कमरे में एक काला काल
यानी जमेकन पनत पत्नी भी रहते थे। पती का नाम था लल और पत्नी का नाम था जीन। वोह भी अपना खाना बनाने लगे। इतने काले लोग पैहल दफा दे ख कर मैं तो डर
ा गगया
था। उन के घिंग ै का भमट होता था। वै े भी लल तो बहुत शर फ ु राले बाल दे ख कर भत ू चड़ ु ल था लेककन जीन इतनी बद्तमीज़ थी कक बात बात पर हमारे ाथ झगड़ती रहती थी। इन लोगों का खाना भी बहुत अजीब होता था। यह लोग बीफ का एक बड़ा
ा टुकड़ा गै
कुकर
की गग्रल में रख दे ते थे जो घिंटों कुक होता रहता था,इ केले और यैम जो जमेका अन्य
की बू हमें बहुत बुर लगती थी। हरे े आते थे,इन का मेन स्टे पल िूड था। इ के इलावा बीन्ज़ और
जब्जआिं होती थीिं। कभी कभी मक्की के आटे
लड्डू जै े बना कर गग्रल में कुक करते थे. इन का एक
पैशाल डड्रिंक होता था जज
े डम्पसलिंग बनाते थे जो गोल गोल
िंडे को इन का स्पेशल डडनर होता था जज
में
में गगनीज़ बबयर समल्क मैके न बबयर और कुछ
जड़ी बूट आिं डाल हुई होती थीिं। गगनीज़ में आयरन बहुत होता है । इतना ररच खाना तो हम भारती पचा भी नह िं कते। इ ी सलए यह लोग बहुत तगड़े होते हैं। खाना खा कर हम ऊपर अपने कमरे में चले गए। डैडी जी ने एक टै ल ववयन अपने कमरे में रखा हुआ था जज का बॉक् लकड़ी का बना हुआ था और स्क्रीन मजु श्कल े पिंद्रा ोला इिंच होगा। यह टै ल ववयन ऐ ा था जै ा मैंने हदल कनॉट लले में दे खा था। ज विंत भी हमारे कमरे में आ कर बैठ गगया। मेरा वपता जी का नाम
ािू स हिं था और ज विंत उन्हें
स हिं कह कर ह बुलाता था। ज विंत की दोस्ती वपता जी के हों,इ
ािू
ाथ ऐ े थी जै े वोह हम उम्र
का एक ह कारण था कक जब वीकैंड पर बबयर पीने पब्ब को जाते थे तो इकठे जाते
थे और इन दोनों की खब ू बनती थी और इ ी तरह मेर और गगयानी जी की बनती थी। कुछ दे र बातें करने के बाद ज विंत अपने कमरे की ओर चले गगया जो बबलकुल था और दोनों बाप बेटा भी एक बैड पर ह
दख ु द बात को मैं अगर नह िं सलखग ूिं ा तो उ
ोते थे। उ
ामने ह
मय के हालात और शमटनाक या
मय के इतहा
े बेइिं ाफी करूाँगा और वोह
है अपने अपने कमरों में वपछाब की बाल्ट आिं रखना। टॉयलेट क्योंकक दरू होती थी और रात को ख़ा
कर
कर लेते और
हदट यों में बाहर जाना बहुत मुजश्कल था,इ सलए रात को वपछाब बाल्ट में ह ुबह को टॉयलेट जाते वक्त बाल्ट ाथ ले जाते थे। इ तरह के हदन हम ने
दे खे हैं। यह बातें आज के बच्चों को पता नह िं है । कहने को हम वलाएत में रहते थे लेककन यह बात हम इिंडडया में
ोच भी नह िं
हो गगया हूाँ,इ
कािंड को यह िं ववराम दे ता हूाँ।
चलता…
सलए इ
कते थे। खैर,इ
बात को याद करके मैं कुछ भावुक
मेरी कहानी – 70 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 19, 2015
मिंगलवार को रात की सशफ्ट ख़तम करके आये गगयानी जी तकर बन एक वजे उठे थे और मुझे कहने लगे,”गुरमेल ! आज हम ने बहुत काम करने हैं, ो तैयार हो जा”. कुछ खा पी कर पहले हम बारबर के ैलून की ओर चल पड़े। यह बारबर का ैलन ू ब्राइट स्ट्र ट में होता था। जब हम वहािं पुहिंचे तो वहािं दो तीन गोरे गाहक भी बैठे थे। उन का काम होने के बाद बाबटर ने मुझे इशारा ककया और मैं उ
की कु ी पर बैठ गगया। जज़िंदगी में पैहल दफा जब मैं बैठा
तो मेरे ज़हन में बहुत कुछ चल रहा था जज े बताना मुजश्कल है । मैंने अपनी पगड़ी उतार कर गगयानी जो की दे द जो उन्होंने एक बैग में रख ल । बारबर ने मुझे पुछा,” how would you like sir ?” मझ ु े तो बालों के बारे में कुछ भी पता नह िं था,इ
सलए कह
हदया,”just like yours”. इ
के बाद उ
ने अपना काम शरू ु कर हदया। पहले कैंची
े बाल काटने शरू ु कर हदए।
जै े जै े कैंची चलती थी मेरे हदल पर जै े छुर चल रह थी। मेरे बाल बहुत लम्बे होते थे। मैं हमेशा अपने बालों में एक लकड़ी का किंगा रखता था जो भी स ख रखते हैं। बारबर ने मझ ु
े पछ ु ा कक क्या वोह मेरा किंगा रख
कता है ? मैंने उ े कहा कक वोह रख ले क्योंकक
अब तो यह मेरे कक ी काम का नह िं था लेककन यह मुझे पता नह िं था कक गोरे इतहा
के
सलए ऐ ी चीज़ें रख लेते हैं। इन लोगों को ऐ ी चीज़ें कुलैक्ट करने का बहुत शौक है क्योंकक यह चीज़ें बहुत ालों बाद ऐन्ट क हो जाती हैं और उन की कीमत बड़ जाती है । िीरे िीरे उ
ने बाल काट हदए और कफर शैंपू
ड्रायर
कफर उ मुझ
े
े िोने लगा। उन को तौसलये
ुखाने और स्टाइल दे ने लगा। जब
ने शीशे
े ड्राई ककया और हे अर
ब खत्म हो गगया तो उ
ने मेर शेव की।
े मुझे हदखाया। मैं एक नया लड़का बन गगया था। उ
े सलए और हम उ
के
ैलून
ने द
सशसलिंग
े बाहर आ गए।
गगयानी जी कहने लगे,”गुरमेल तू तो बहुत स्माटट लगता है ”. मैंने कोई जवाब नह िं हदया क्योंकक मुझे अपने आप में ह शमट आ रह थी। इ के बाद गगयानी जी मुझे बाथ ऐवेन्यू ले आये। बाथ ऐवेन्यू में एक बहुत बड़ी बबजल्डिंग होती थी जज में कौं ल का इन्र्ुरेन् ऑकफ होता था। क्योंकक मैं इिंडडया े आया था,इ सलए मुझे इिंश्योरें निंबर लेना था। यह निंबर
ार उम्र के सलए हर कक ी को लेना पड़ता है क्योंकक हर एक औरत मदट का ररकाडट इ ी पर
डडपें ड है । हम एक काउिं टर पर गए। एक गोर लड़की आई और उ शुरू कर हदया। उ
ने मेरे पा पोटट
े
भी डीटे ल्ज़ सलए, राहाएश का ऐड्रे
ाइन करवाये और सलख कर मुझे मेरा इिंशोरें
गए। इ
बबजल्डिंग के
ने खद ु ह िामट भरना
निंबर दे हदया। इ
ामने ह एक बबजल्डिंग थी जज
सलखा और मेरे
के बाद हम बाहर आ
में नहाने के सलए बाथ बने हुए थे
और स्वीसमिंग पूल भी था। गगयानी जी ने मुझे
ब
मझा हदया और कहा कक यहािं हम
शननवार को आएिंगे।
आज इिंग्लैण्ड के हर शहर में इतने गुरदआ ु रे मिंहदर और मजस्जद हैं कक रोज़ रोज़ नए िमट अस्थान में भी जाएाँ तो
ारे िमट अस्थान दे खने के सलए बहुत हदन लग जाएिंगे। गुरदआ ु रे इतने आसलशान हैं कक दे ख कर ह रूह खश ु हो जाती है । ाथ ह िासमटक जोश भी इतना है
कक हर गरु ु घर के अपने अपने अ ल ू हैं। िासमटक कटटरता भी बड़ी है और शािंतमई गरु ु घर भी हैं जजन का कक ी स आ ी
िंघठन के
ाथ कोई लेना दे ना नह िं है । कई गरु ु घरों में
पिंजाबी भी प़िाई जाती है और इ ी तरह मिंहदरों में हहिंद की क्ला ें लगती हैं। गरु ु ओिं के जनम हदन मनाये जाते हैं और
ड़कों पर जलू
ननकलते हैं। अाँगरे ज़ लोगों ने हर तरह की
िासमटक आज़ाद दे रखी है । वै ाखी मेले पाकों में लगते हैं यहािं अच्छे अच्छे कलाकर लोगों का मनोरिं जन करते हैं. पाटी पॉसलहटक्
के सलए भी बहुत ऐमपी हमारे िमट अस्थानों में आते रहते हैं। हर तरह की िासमटक आज़ाद हम को यहााँ है लेककन अगर मैं ५३ ाल पहले की बात सलखूिं तो पड़ने में बहुत अजीब लगेगी। इ बात का भी मुझे दुःु ख है कक आज तक कक ी लेखक ने यह सलखने की हहमत नह िं की। वोह यह है कक जब मैं यहािं आया था तो कक ी के
र पर भी पगड़ी नह िं थी बजल्क अपने ह स ख भाई कक ी पगड़ी वाले को दे ख
कर हाँ ते थे। मुझे याद है ,हमारे इलाके में एक आदमी था जो पगड़ी करके रखता था।
ब स हिं उ
अभी भी उ
र पे रखता था लेककन दाहड़ी शेव
को पगड़ी वाला कह कर बुलाते थे,इतने हम गगर गए थे।
वक्त के लोग हैं। वोह अब पूरे स हिं बने हुए हैं और गुरदआ ु रों में आगू बने हुए हैं। यह लोग पगड़ी वालों पर हिं ा करते थे। मुझे याद है हमारे ाथ एक स हिं काम पर आया था,जज हैं उ
ने खल ु दाहड़ी रखी हुई थी और यह लोग जो अब गुरदआ ु रे में ल डर बने हुए को मखौल े बाबा जी कहा करते थे लेककन यह दाहड़ी वाला शख् काफी पड़ा सलखा
था और स ख िमट को बहुत अच्छी तरह जानता था और आगे चल कर यह शख् हमार यूननयन का चेयरमैन बन गगया था। मुझे बहुत दफा हिं ी आ जाती है कक कुछ लोग जो अब गुरदआ ु रे में आगू बने हुए हैं,जो बबयर नह िं पीते थे या कम पीते थे उन को यह लोग नीचा मझते थे कक” भाई यह तो बबयर ह नह िं पीता,किंजू है ,पै े बचाता है ” आहदक। ककया कारण थे जो
भी स हिं क्ल न शेव हो जाते थे ?, इ
के बहुत े कारण थे, ब े मझते थे जै े हम जाहहल हों,अनप़ि हों।
पहले तो गोरे हमें बहुत नीचा मझते थे, ऐ ा ब्लैक बास्टडट कह कर गाल ननकालना तो इन गोरे लोगों के सलए आम और मामल ू बात थी और हम कुछ नह िं कह
कते थे क्योंकक हमार
ह आये हुए थे और अिंग्रेजी बोल ह नह िं
न ु वाई है ह नह िं थी।
कते थे। अब हम स्कूलों
भी लोग गााँवों
े तो आये थे लेककन
े
हमार इिंजग्लश भी ऐ ी थी कक कुछ कहने के सलए हम
ेंटें
ोचते रहते थे और गोरे हमें
ौ बातें कह दे ते थे क्योंकक उन की तो अिंग्रेजी मातर भार्ा थी। एक और बात भी थी कक
हम परदे ी तो काम के सलए आये थे और कक ी झगडे में पड़ कर पुसल चाहते थे क्योंकक इ
स्टे शन नह िं जाना
का भी एक खतरा जौब खो जाने का होता था।
द ू रे मौ म भी हमारे अनकूल नह िं था। इिंडडया में तो हम नहा कर अपने बालों को खल ु ा छोड़ कर िप ू में
ख ु ा सलया करते थे। दाहड़ी को अच्छी तरह कफक् ो लगा कर एक कपडे के
ाथ बााँि सलया करते थे, इ
कपडे को ठाठी बोलते थे। ती रे नहाने में बहुत हदकत थी जो हफ्ते में एक दफा ह नहाया जा कता था। चौथे काम इतने भार और मटट वाले और गिंदे होते थे कक बालो और दाहड़ी को अच्छी तरह
म्भालना मजु श्कल हो जाता था और कई काम
तो इतने गमट होते थे कक उबलते हुए स्ट ल की बोगगओिं के यह वोह
मय था जब इिंग्लैण्ड द ु र जिंग
ामने खड़े होना पड़ता था।
े ननजात पा कर उठा था। जगह जगह फैजक्ट्रयािं
फाऊन्ड्रीआिं लगी हुई थीिं और काम जोरों शोरों े हो रहा था,एक् पोटट बहुत हो रह थी। मुझे याद है ,छोट छोट चीज़ें इिंडडया पाककस्तान बमाट आहदक दे शों को एक् पोटट हो रह थीिं। घर े ननकल कर कुछ दरू जा कर ह फैजक्ट्रयों की गचमखणओिं
े ननकलता िआ ु िं हदखाई दे ने लगता
था। िआ ु िं तो इतना था कक अपने अपने गाडटनों में रजस् ओिं पर काले हो जाते थे,इ
सलए जल्द ह रस् ी
काम करते थे और वहािं रबड़ का ह शर र
ूखने को पाये हुए कपडे भी े उतार लेते थे। गगयानी जी गुड यीअर फैक्ट्र में
ारा काम होता था,जब वोह घर आते तो उन के
ारे
े रबड़ की मुश्क आया करती थी।
कफर एक हदन गगयानी जी मुझे टाऊन में ले गए। वहािं वुल्वरहै म्पटन का अनएम्ललॉएमें ट ऑकफ
था जो एक बबजल्डिंग में था जो चब्ज़ फैक्ट्र के नज़द क था। अब तो यहािं बहुत कुछ बन गगया है । इ ऑकफ में मैंने जॉब काडट तो बनाना ह था, ाथ में अनएम्ललॉएमें ट बेननकफट के सलये भी रे जजस्टर होना था। एक अाँगरे ज़ ऑकफ र के
ामने मैं बैठ गगया,उ
ने
मेरे
ारे डीटे ल सलए,जै े मैं कब इिंग्लैण्ड में आया,मैर ड हूाँ या स ग िं ल, मेरा एड्रे और ककतने पै े मैं ककराए के दे ता था। उ ने मुझे बता हदया कक मुझे चार पाउिं ड हफ्ते के बेननकफट समलेगा जो मेरे घर हर हफ्ते पोस्टल आडटर आ जाया करे गा,दो पाउिं ड कमरे के ककराए के सलए और दो पाउिं ड हफ्ते के खाना खाने के सलए। वहािं
ेंटर में आ गए। दक ु ाने दे ख कर मैं बहुत है रान हुआ ख़ा कर माक् ट स्पैं र और वल ू वथट को दे ख कर। दक ु ानों में इतनी फाई कक मैं मन ह मन में इिंडडया की दक ु ानों
े हम टाऊन
े कम्पेयर करने लगा। कुईंज़ केअर में गए तो इतनी शानदार दक ु ानें दे ख कर दिं ग
रह गगया। वहािं लौएड्ज़ बैंक के
ामने एक लड़के को दे खा तो हदल खखल गगया क्योंकक वोह
हमारे ह कालज का ववद्याथी होता था जो हम
े एक क्ला
था मोहन स हिं और यह कालज में पहलवान भी था और तूिंबी
आगे होता था। इ
का नाम
े लोक गीत भी गाया करता
था। मुझे दे ख कर वोह मेर तरफ आया और मझ ु हम वाप
े हाथ समलाया,बहुत ी बातें हुईं और घर की ओर चल पड़े क्योंकक गगयानी जी ने शाम को काम पर भी जाना था।
घर आ कर हम स हटिंग रूम में बैठ गए और गगयानी जी डेल टे ल ग्राफ पड़ने लगे और ख़बरें पड़ते पड़ते मेरे
ाथ बातें भी करते जाते। अखबारें र ाले अच्छी अच्छी ककताबें पड़ने की
आदत मझ ु े गगयानी जी
े ह समल । पहले तो मैं नावल ह पड़ा करता था लेककन जनरल
नॉलेज की ककताबें पहले पहल गगयानी जी
े ह समल । पहल ककताब थी ईस्टनट ररल जन
ऐिंड वैस्टनट थॉट ।
च कहूाँ कक इ की मझ ु े कोई मझ नह िं आई, यह ककताब शायद रािा कक्रटनन की सलखी हुई थी। द ु र थी,रामा कृटना। गगयानी जी मझ ु े बीच बीच में े पड़ कर बताते लेककन मझ ु े इतना
मझ नह िं आता था,या मेर उम्र ह ऐ ी थी कक यह बातें मेरे
सलए फीकी थीिं।
कुछ भी हो जब कुछ वर्ों बाद मैं काम में वय त हो गगया तो कभी कभी लाइब्रेर में जाने लगा जो नज़द क ह थी। यह भी बता दाँ ू कक गगयानी जी की एजुकेशन स फट मैहट्रक पा लेककन वोह बी ए
े ज़्यादा नॉलेज रखते थे। गुरबाणी की बात सलखूिं तो वोह गुरु ग्रन्थ
ाहब को इतना जानते थे कक वोह हमें बताते रहते थे कक कक
गुरु
हबान ने कक
थी
मय
वोह श्लोक सलखे और क्यों सलखे, जै े जब बाबर ने हहन्दस् ु तान पे हमला ककया था तो गुरु
नानक दे व जी ने सलखा था,”एती मार पई कुलाटणै तै की ददट न आया”, यानी बाबर ने इतना ज़ुल्म ककया था कक नानक जी ने भगवान को मुखातव करके कहा था कक हम हहन्दस् ु तानी बाबर के हमले
े इतने दख ु ी है और तुझे ददट नह िं आया ?.
गगयानी जी अपना खाना बनाने लगे क्योंकक उन का काम पे जाने का वक्त नज़द क आ रहा था और मैं भी अपने और डैडी के सलए रोट के सलए आटा गूिंिने लगा। गगयानी जी ने पाठ करना भी शुरू कर हदया था। कुछ दे र बाद ह डैडी जी भी आ गए और ज विंत भी आ गगया। घर में रौनक
ी हो गई और मैं इिंग्लैण्ड की जज़िंदगी में िीरे िीरे जज़ब होने लगा।
डैडी जी ने आते ह कट हुई गोभी आलू और लयाज़ एक पतीले में डाल हदए और ाथ ह आिी हटककया बटर की डाल द और ाथ ह डाल हदया नमक हल्द और म ाला बगैरा। डैडी ने गै
कुकर पर तवा रख हदया और रोट आिं पकाने लगे। मैं और ज विंत हिं ने लगे और
ाथ ह डैडी भी। पिंद्रािं बी
समनट में रोट और
ब्ज़ी तैयार थी। डैडी जी ललेटों में रोट और
ब्ज़ी डाल कर स हटिंग रूम में लगे टे बल पर ले आये और हम खाने लगे।
मुझे बहुत है रानी हुई कक मेरे ोचने के मुताबक कक ब्ज़ी स्वाहदटट नह िं बनी होगी,बहुत स्वाद थी। मैं तो है रान था कक कोई तड़का नह िं भूना,कफर भी स्वाद कै े हो कती है ?
गगयानी जी और ज विंत भी खाना खाने लगे थे। हम ने खाना खा सलया था और डैडी जी ललेटें उठा कर ककचन में िोने लगे। एक घिंटे जी शाम का अखबार एक् प्रे
े भी पहले इ
भ काम
े फागट हो कर डैडी
ऐिंड स्टार पड़ने लगे। मैंने पूछ ह सलया डैडी जी ! आप तो
खाना बहुत जल्द बना लेते हो। डैडी बोले, गुरमेल !” यहािं की जज़िंदगी बहुत बबज़ी है , मेरे काम के नज़द क ह ब्ज़ी की दक ू ान है और ब्रेक टाइम के वक्त ब्जी खर द कर वह ीँ काट लेता हूाँ,घर आते ह ार ब्ज़ी पतीले में डाल दे ता हूाँ और ाथ ह म ाले घी बगैरा भी, उिर तवा गै कूकर पर रखा और ाथ ह दो रोट के सलए आटा गाँूिना शरू ु ककया। तवा गमट हुआ तो वेलन े रोट बेल कर तवे पे डाल द । जब तक रोट बन जाती है तैयार हो जाती है ,ब एक घिंटे में फ्री हो जाता हूाँ”. अब गगयानी जी ज विंत और मैं
भी हिं ने लगे। गगयानी जी बोले,” बई
ब्ज़ी भी
ािू स हिं जी तो
बहुत फुतीले हैं”. डैडी जी भी हिं कर बोले,” यहािं कौन ी महलाएिं हैं जो हमें बने बनाये खाने खखलाये,यहािं तो ब खद ु ह नौकर और खद ु ह मालक,पता होता कक इिंग्लैण्ड में इतना काम करना पड़ता है तो कभी आता ह नह िं”. मैं बोला,” डैडी जी अब तो मैं भी आ गगया हूाँ,अब तो मैं भी आप का हाथ बिंटा दे खग ूिं ा कक तू ककया करता है ”.
कता हूाँ”. डैडी बोले,” जब काम पे लगेगा तो कफर
बहुत दे र बातें करने के बाद गगयानी जी तैयार हो कर अपने काम पर चल हदए। अब जमेकन औरत जीन भी अपना खाना बनाने के सलए ककचन में घु गई। वोह लोग लेट खाना बनाते थे क्योंकक उनके खाने को कई घिंटे लग जाते थे। हम भी ऊपर अपने कमरे में आ गए और ट वी दे खने लगे। ज विंत भी हमारे कमरे में आ गगया था। उ
मय ट वी पे दो ह
चैनल हुआ करते थे बीबी ी और आईट वी,वोह भी ब्लैक ऐिंड वाइट। नौ वजे की ख़बरें दे ख कर ज विंत अपने कमरे में ोने चले गगया और हम भी बातें करने लगे और मैंने ब कुछ बताया कक
ारा काम हो गगया था और अब काम के सलए कोसशश करनी रह गई थी,जो
मुजश्कल काम था। कुछ दे र बाद बातें करते करते हम चलता…
ो गए।
मेरी कहानी – 71 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 22, 2015
आज जब यह ऐवप ोड मैं सलखने बैठा तो कुछ दे र पहले की एक बात याद आ गई। वोह यह कक एक ब्लॉग के जररए मेरा
िंपकट ल ला नतवानी जी
े हो गगया था,जो नवभारत टाइम्
में
ब्लॉगर हैं, उनके ब्लॉग में कॉमें ट सलखते सलखते यह ररश्ता एक बहन भाई में तब्द ल हो गगया। उन्होंने ह मेरा
िंपकट ववजय स घ िं ल जी
े करवा हदया। यूिं तो कुछ
मैं रे डडओ के सलए कहानीआिं सलखता रहता था लेककन युवा
ाल पहले
ुघोर् (अब जय ववजय)
े ह े मुझे
और प्रेरणा समल और मैं बाकायदा सलखने लगा। ल ला बहन मुझे बहुत दे र े कहती आ रह थी कक मैं अपनी आत्म कथा सलखूिं लेककन मुझे एक खझझक ी थी कक कै े सलखग ूिं ा क्योंकक आत्म कथा सलखने में कुछ मजु श्कलें पेश आती हैं। आज ह ल ला बहन का ईमेल आया और
सलखा कक मेर कहानी उन्हें बहुत अच्छी लगती है । जवाब में मैंने सलखा कक”ल ला बहन, यह ब आप के कारण ह हुआ है ”. ल ला जी का ईमेल कफर आया,”गरु मेल भाई, आप हमें श्रेय भले ह दे द जजए,यह हमारा तो
ौभाग्य है । हमें तो स फट बाबा जी ने जररया बना हदया। हम
ब को सलखने के सलए प्रेररत करते हैं,जो हदल की दस्तक
है , कामयाबी उ जगाने
के चरण चम ू लेती है । आप में पहले
न ु कर अव र झटक लेता
े ह यह प्रनतभा ववद्यमान थी, जो
े जग गई”. क्योंकक कहते हैं कक जज़िंदगी का ककया भरो ा,इ
सलए मैं ल ला नतवानी
जी और ववजय स घ िं ल जी का िन्यवाद करना चाहता हूाँ। लो ! अब मैं इ गगया हूाँ और अपनी कहानी को आगे ले जाता हूाँ। हदन बीतने लगे और मैं भी इ
काम
े मुक्त हो
नए वातावरण में म रूफ होने लगा। वपता जी के दोस्त एक
एक करके हर रोज़ मुझे समलने आते। कुछ तो हमारे गााँव के ह थे। डैडी जी उन को मेरे
सलए काम के बारे में कहते रहते कक वोह मुझे अपने काम पर ले जाएाँ और मैनेजर को पूछ कर काम हदलवा दें लेककन उन हदनों काम समलना बहुत मुजश्कल था. अिंग्रेज़ों को तो जल्द काम समल जाता था लेककन हमारे सलए बहुत मुजश्कल होता था। इ का कारण यह भी था कक उ
मय इिंडडया पाककस्तान और जमेका
े बहुत लोग आ रहे थे और इ के कारण गोरे लोग हम को और भी जज़आदा नफरत करते थे ककओिंकक उन के मुताबक हम बबदे ी उन की नौकर आिं छीन रहे थे। ककओिंकक १ जूलाई
े नया इसमग्रेशन एक्ट लागू हो जाना था,इ
सलए िडािड जहाज़ भर
भर के इिंडडयन पाककस्तानी और जमेकन लोग जजन को हम काले कहते थे,आ रहे थे। हमारे कुछ लोगों ने अपने मकान ले कर ककराए पर हदए हुए थे जजन में बहुत बहुत लोग रहते थे. दो या तीन बैड रूम के घर होते थे और एक होता था फ्रिंट रूम। गोरे लोग तो इ को बैठने के सलए रखते थे लेककन हमारे लोग इ
में भी
ोया करते थे। घर बहुत छोटे होते थे लेककन
मुहब्बत इतनी थी कक जब भी कोई नया आदमी आता उ घर के तीन चार लोग भी आप मय पन्दरा बी
में समल जुल कर शाजन्त
आदमी भी इतफाक
े काम पर जाता था,इ कर दे ते थे। घरों में
सलए
ुबह
सलए
े नह िं रह
कते लेककन उ
े रहते थे। हर एक आदमी अपनी सशफ्ट के हह ाब
े ह अपनी अपनी दाल
ब्जी रोट बगैरा बनाना शुरू
ारा हदन कोई जाता कोई आता चलता ह रहता था।
ककचन ककओिंकक छोट होती थी और दाल थे,इ
को एडजस्ट कर लेते थे। आज
ब्जी के
भी पतीले ककचन में रखने मजु श्कल
भी अपने अपने पतीले बैड के नीचे रख लेते थे। कई कई हदनों के सलए दाल
ब्जी बना कर रखना आम बात थी। हर कोई शननवार को मीट बनाता था और यह मीट ोमवार और कभी कभी मिंगलवार तक खाते रहते थे। आप बजल्क जब भी कोई नया इिंडडया
े आता उ
में झगडा बहुत कम होता था को पछ ू ते कक वोह इिंडडया े कोई क़ज़ट तो नह िं
ले कर आया !. ऐ ी जस्थनत में इकठे हो कर उ इिंडडया का क़ज़ट उतार दे । इ और
ब
को
के बाद वोह िीरे िीरे
भी पै े दे दे ते कक वोह पहले अपना
ागथओिं को पै े वाप
े बड़ी बात यह होती थी कक जब तक इिंडडया
लगता था उ
े नया आया शख्
े रोट के पै े लेते नह िं थे। तब तक वोह शख्
करता रहता। काम पर नह िं
फ्री खाना खाता रहता,जब
तक वोह काम पर नह िं लग जाता। दक ु ाने अाँगरे ज़ लोगों की ह होती थी,वोह भी बहुत छोट छोट ,इिंडडयन दक ु ाने बहुत कम होती थीिं और समचट म ाले लेने के सलए दरू जाना पड़ता था। ३२ पाऊिंड आटे का बैग होता था और उ
के सलए भी दो मील दरू टाऊन जाना पड़ता था।
वहािं एक आटे की बहुत बड़ी समल हुआ करती थी,वहािं जा कर आडटर दे ना पड़ता था. इ की समल का नाम होता था JN.MILLAR. समल वाले आटे का बैग घर छोड़ जाते थे। आटे के बैग के पै े उ
का
आटे
भी अपने अपने हहस् े के दे ते थे। कक ी का कोई गैस्ट आ जाए, भी
न्मान करते थे। एक और बात होती थी,जब भी कोई इिंडडया
बीअर भी अपनी जेब
े नया आता उ
को
हदट ओिं में ककओिंकक ठण्ड बहुत जज़आदा होती थी,इ सलए कोएले खर दने पड़ते थे। हर घर के ाथ एक कोल रूम होता था। टाऊन में कोएले की एक दक ू ान होती थी जज था कक उ थी। इ
े वपलाते थे।
पर सलखा होता था,national coal board,यह नाम इ
सलए होता
वक्त इिंग्लैण्ड की कोल इिंडस्ट्र नैश्न्लाइज़्द होती थी और गवनटमेंट की ह होती
शौप में जा कर कोय्लों का आडटर दे दे ते थे,कई दफा द
उन के लौर ड्राइवर डडसलवर कर जाते थे और कोल रूम कोयेलों काम स फट गोरे ह करते थे और उन के मुिंह कोले
बैग,कई दफा पिंदरािं बैग। े भर जाता था। कोले का
े काले होते थे। यह कोयले के पै े भी
भी आदमी शेयर कर लेते थे।
घरों को गमट करने के ल ये हर कमरे में एक अिंगीठी हुआ करती थी,जज में कोयले डाल कर आग जलाते थे,जज े कमरा गमट हो जाता था। क्योंकक हर एक आदमी के पा इतना
वक्त नह िं होता था,इ
सलए आम तौर पर स हटिंग रूम की अिंगीठी में ह आग जलाते थे।
भी कमरे में बैठ कर बातें करते रहते और अपने आप को तापते रहते थे। अिंगीठी के पा एक बाल्ट कोयले
े भर रखी होती थी,और जब आग जरा िीमी होती तो अिंगीठी में और
कोयले डाल दे ते। ख़ा
कर शनन और रवववार को यह कमरा भरा होता था। बातें करते रहते
और अपने अपने घरों की
म याओिं के बारे में भी बातें होती रहती। हमारे घर में शनन और
रवववार को बहुत े लोग गगयानी जी सलखवाते रहते। एक कक म का मेला
े अपने िामट भरवाते या अपने घरों को गचठीआिं ा लगा रहता।
भी लोग फैजक्ट्रयों में ह काम करते थे। कई तो आते ह खा पी कर
ोला
ोला घिंटे काम करते थे और घर
ो जाते थे। कई लोग फाऊन्ड्रीओिं में काम करते थे और उन के काम
बहुत भार और गमट होते थे क्योंकक उन को ढलाई का काम करना पड़ता था। उबलते हुए स्ट ल या कक ी और मैटल की बोगगओिं के ाथ ारा ारा हदन काम करना पड़ता था। इन लोगों के हाथ भी बड़े और स्ट ल जै े
ख्त हो जाते थे। कभी कभी उबलती हुई मैटल के छीिंटे भी इन लोगों के ऊपर पड़ जाते थे,जज के कारण उन को कई कई मह ने हस्पताल में रहना पड़ता था,चमड़ी बबाटद हो जाती थी। ब
े
ख्त काम होता था मोल्डर का। जज
े एक ख़ा
कक म की मटट
जजन को करें न
े ह उठाया जा
े बॉक्
कक ी मशीन का पुज़ाट बनाना हो,उ ी हह ाब
बनाये जाते थे। कई पुज़े छोटे कई बहुत बड़े होते थे कता था। दो आदमी ारा हदन यह बक् े बनाते रहते
थे,इ
काम के सलए तगड़े आदमी की जरुरत होती थी। जब बहुत े बॉक् तयार हो जाते तो करें न े उबलते हुए मैटल की बोगी एक एक बॉक् के ऊपर जाती और एक ख़ा टूट वोह पानी जै ी मैटल बॉक् बोगी द ू रे बॉक्
की एक गल में डाल जाती। जब वोह बॉक्
की और चल जाती। जब
इन बॉक् ों को तोडा जाता जज तगड़ा आदमी ह कर मशीन करते थे।
मैटल
े भर जाते तो आगे जा कर
े इलग्ग हो जाता। यह काम बहुत कता था क्योंकक इन बॉक् ों को बड़े बड़े हथौड़ों े भी तोडा जाता जो
े टूटते नह िं थे और इ
इन फाऊन्ड्रीओिं के
भी बॉक्
भर जाता तो
े मैटल का पुज़ाट मटट
काम के पै े भी बहुत होते थे। गोरे इिंडडयन
भी यह काम
ाथ ह पब्ब होते थे। जब डडनर टाइम यानी आिी छुट होतो तो पहले
भाग कर पब्ब में चले जाते और कई कई मघ बबयर के पी जाते। क्योंकक डडनर टाइम में रश होता था,इ
सलए पब्ब वालों ने भी बबयर के ग्ला
भर भर कर काउिं टर पहले ह भरा होता
था और लोग आते ह बबयर उठा लेते थे। बबयर पी कर हमारे इिंडडयन भाई अपनी अपनी रोट आिं और
ब्ज़ी मैटल की बोगगओिं के ऊपर ह गमट कर लेते और वहािं ह बैठ कर खाते।
गोरे लोग भी अपने अपने
डैं ववच वहािं ह गमट कर लेते और खाने लगते। इतने भार काम
े
ारा हदन करके शर र थक कर चकनाचरू हो जाता था।
थी कक कुछ
ाल काम करके इिंडडया वाप
भी के मन में एक ह बात होती
जायेंगे और घर बार बनायेंगे। उिर ववचार उन
की पत्नीआिं इिंडडया में इिंतज़ार करती रहतीिं। कई तो
िंतों के ढे रों के चक्क्र लगाती रै हती इ
किक्र में कक कह िं उन के मदट ने कोई गोर ने ककया भी था। इ
े शाद न करा ल हो क्योंकक ऐ ा बहुत लोगों के बारे में मैं तल्हन के एक डेरे के बारे में सलख भी चक् ु का हूाँ। इन
औरतों की कुबाटनी का कोई मोल नह िं लगा
कता जो उन्होंने द है ।
आज तो बहुत कुछ बदल गगया है और अब पब्ब भी उतने नह िं रहे क्योंकक वोह फैजक्ट्रयािं ह नह िं रह िं और ज़्यादा तर पब्ब बिंद हो गए हैं। उ वक्त तो हर स्ट्र ट में एक पब्ब होता था, कई स्ट्र टों में तो दो दो पब्ब होते थे। गोरे तो तकर बन रोज़ बीवी बच्चों को ले कर पब्ब में जाते थे लेककन अपने लोग अक् र शननवार और रवववार को ह जाते थे। हर पब्ब में एक बार रूम होता था और एक स्मोक रूम होता था और जज
ाथ ह एक होता था गचल्ड्रन रूम
में अिंग्रेज़ों के बच्चे खेलते रहते थे और कुछ खाते पीते रहते थे। एक रात को मुझे भी
डैडी जी पब्ब में ले गए। अभी गए ह थे कक डैडी के कई दोस्त आ गए और पूछने लगे कक हम ने ककया पीना था। डैडी ने उन को माइल्ड बबयर लाने को कहा। जल्द ह एक शख् हमारे आगे दो बड़े बड़े ग्ला
बीयर के हमारे रख गगया।
डैडी ने मुझे बबयर पीने को कहा। मैं भी पीने लगा लेककन मुझे स्वाद कुछ अजीब
ा लगा।
डैडी जी ने दो पैक्ट नमक वाल मूिंगफल के जजन को यहािं पी नट कहते हैं ला हदए। हम पी नट खाने लगे और ग्ला
ाथ ह बबयर पीते गए। अभी ग्ला
और हमारे आगे रख गगया। यह भी इिंडडया
त्कार होता था। इिंडडया
े नया आया शख्
उन के आगे बबयर के ग्ला
खत्म नह िं हुए थे कक कोई दो े आये नए शख् का एक कक म का
ब का
ााँझा होता था। कफर डैडी जी ने भी
रख हदए। जै े जै े मैं बबयर पीता गगया,मझ ु े मज़ा आने लगा
और बबयर स्वाहदटट लगने लगी। एक आदमी हिं
पड़ा और कहने लगा,” ओए बोई को
वपछाब तो करा लाओ !”. बात उन की
च्ची थी क्योंकक बबयर पी कर टॉयलेट भी बार बार जाना पड़ता है । डैडी जी
मुझे टॉयलेट की ओर ले गए और बताया कक एक gents है और द ू रा ladies. स फट gents में ह जाना है , ladies में नह िं, नह िं तो फाइन हो
कता है । टॉयलेट बहुत ह ाि थीिं। आज पहल दफा ऐ ी टॉयलेट में गगया था। मुझे याद नह िं ककतने ग्ला बबयर के मैंने वपए लेककन जब हम बाहर आये तो मुझे मज़ा आ रहा था और मैं बातें भी करने लगा था। एक आदमी डैडी जी के पा
आया और कहने लगा,” कल को मैं तम् ु हारे घर आऊिंगा और आ के
गरु मेल को काम की ट्राई के सलए ले जाऊाँगा, हो
कता है कोई काम समल जाए”. हम घर
आ गए, खाना खाया और डैडी जी ने मुझे
ब
मझा हदया कक फैक्ट्र में जा कर काम के
सलए ककया ककया बोलना था। द ू रे हदन वोह शख् ने एक ब इ
आया, जज
का नाम वपयारा था और मुझे अपने
ाथ ले गगया। हम
पकड़ी और कुछ दरू जा कर उत्तर गए और कफर एक फैक्ट्र की और जाने लगे।
फैक्ट्र का नाम था BRITOOL LIMITED. यह मेर पहल ट्राई थी। वपयारे ने मुझे आगे
जा कर मैनेजर
े बात करने को कहा। मैं गगया और गड ु मॉननिंग बोला। गोरे ने भी मस् ु करा
कर गड ु मॉननिंग बोला। मैंने पहल दफा अच्छी अिंग्रेज़ी बोल और कहा कक मैं इिंडडया
े नया
नया आया हूाँ और काम की तलाश में हूाँ,अगर कोई काम हो तो मैं अभी े करने को तैयार हूाँ। वोह अिंदर गगया,कुछ दे र बाद वाप आया और बोला, ॉर , अभी तो कोई वेकें ी नह िं है लेककन नैक्स्ट वीक कोसशश करना,शायद कोई जॉब खाल हो जाए। हम दोनों वाप और वपयारा मझ ु े कहने लगा कक एक हफ्ते तक कफर ट्राई करें गे। हम वाप
आ गए
आ गए।
जॉब तो मुझे समल नह िं लेककन एक नया तज़ुबाट हो गगया था। वपयारा मुझे मेरे घर तक
छोड़ कर चले गगया। एक हफ्ता यूिं ह गुज़र गगया और मैं कुछ कुछ बाहर जाने लगा। दरू
दरू तक चले जाता और कभी कोई अपना इिंडडयन समल जाता और मुझे मेरे गााँव का नाम
पूछता। मेरे जै े स्कूल ल वर मुझे समलने लगे और दोस्त भी बनने लगे। एक हदन डैडी जी काम
े आते ह बोले,” लो तुम्हारा दोस्त बहादर भी आ गगया है ,मुझे एक हमारे गााँव वाले
ने बताया है जो उ
के चाचे के र स हिं को समलने बसमिंघम गगया हुआ था”. कफर बोले,” रवववार को हम उन े समलने चलेंगे”. यह खबर
ुन कर मुझे इतनी ख़श ु ी हुई कक बता नह िं कता। यह तो ऐ ा था जै े कक ी लड़ाई के वक्त अपनी अपनी जान बचाने के सलए हम एक द ू रे े ववछुड़ गए थे और अब
शाजन्त के वक्त हमें एक द ू रे के हठकाने का पता चल गगया हो और जल्द जल्द समलने के सलए तड़प रहे हों। उ वै े ह ब
वक्त टे ल फून तो घरों में होते नह िं थे ताकक बात चीत हो
के। ब
पकड़ कर कक ी के घर चले जाते थे और आज मैं भी बहादर को समलने के सलए
ह बेताब हो रहा था। यह तो ऐ ा लग रहा था जै े कफल्मों में बचपन के ववछुड़े हुए दोस्त अचानक समल जाते हैं। इ इिंतज़ार में भी ककतना आनिंद था। चलता…
मेरी कहानी - 72 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 26, 2015 बहादर को समलने की तमन्ना सलए मैं रात को
ो गया। द ु रे हदन मैं और डैडी जी ने ब
पकड़ी और टाऊन जा पुहिंच।े कुछ दरू हमें पैदल चलना पड़ा और हम जा पुहिंचे चचट के नज़द क जो ब
डैपो के नज़द क होता था,इ
ब
ेंट जॉ्ज़ट
डैपो का नाम होता था क्ल वलैंड
रोड डैपो (अब यह डैपो बहुत ालों े बिंद हो गगया है ) और कुछ ालों बाद यहािं ह मैंने कई ाल काम ककया था। इ चचट के नज़द क ह ेंट जॉ्ज़ट परे ड े एक ब चलती थी निंबर 90. इ
चचट की जगह में अब बहुत बड़ी िूड प े ज़बर बनी हुई है . यह ब ु र माककटट न् पकड़ के हम WEST BROMWICH जा पह ु िं च,े वहािं े हम ने 74 निंबर ब पकड़ी और बसमिंघम
ौहो रोड पर जा पह ु िं च।े यह एर आ अब समनी इिंडडया बना हुआ है क्योंकक यहािं कोई गोरा मजु श्कल े हदखाई पड़ता है और इ रोड के नाम पर ह पिंजाबी का एक मशहूर गाना
बना हुआ है ,” ौहो रोड उते तैनू लभदा कफरााँ नी मैं कन ववच मिंद ु रााँ पा के” लेककन उ वक्त इिंडडयन कम हदखाई पड़ते थे और गोरे ज़्यादा होते थे। कुछ दरू जा कर एक रोड थी जज का नाम था THORNHILL ROAD. इ
रोड में जा कर एक घर के दरवाज़े पर डैडी ने
दस्तक द । कुछ दे र बाद बहादर के चाचा जी ने दरवाज़ा खोला। डैडी जी और बहादर के चाचा जी के र स हिं ने एक द ू रे वोह इिंडडया में
दोनों दोस्त आप में है ।
े हाथ समलाये। मैंने बहादर के चाचा जी को बहुत वर्ों बाद दे खा था,तब र पर पगड़ी रखते थे और अब क्ल न शेव थे। हम अिंदर चले गए। वोह
में बातें करने लगे और के र स हिं ने मुझे कहा कक़ बहादर ऊपर बैड रूम
ीडीआिं च़ि कर मैं ऊपर गगया और एक कमरे के आिे खल ु े दरवाज़े को कुछ िकेला
और अिंदर चले गगया। मैंने दे खा बहादर बैड पर एक काँवल ओ़िे बैठा था। जै े ह उ ने मुझे दे खा, उ का चेहरा खखल गगया, उ बोला,” क म
का वोह चेहरा अभी तक मुझे याद है । मुझे दे खते ह
े गुरमेल तू तो बहुत स्माटट लगता है ”. मैं भी मुस्करा उठा और उ के ाथ ह बैड पर बैठ गगया। हम ने बहुत बातें कीिं, हमार बातें खत्म होने को नह िं हो रह थीिं। डैडी जी और बहादर के चाचा जी नीचे बैठे छोट छोट ग्लास ओिं में ववस्की पी रहे था। हम भी नीचे आ गए थे। यह मकान काफी बड़ा था और इ
में और लोग भी रहते थे। यहािं मैं यह
भी बता दाँ ू कक बहादर का छोटा भाई हरसमिंदर पहले
े ह यहािं अपने चाचा के र स हिं के
पा
रहता था लेककन उ
हदन वोह घर पर नह िं था। ककतनी दे र हम यहािं रहे याद नह िं
लेककन हम ने एक द ू रे को आगे बहादर और मैं बचपन हफ्ते के वक्फे
े समलने का प्रोग्राम बना सलया था।
े इकठे ह खेले और इकठे ह स्कूल कालज की प़िाई की और एक
े हम इिंगलैंड भी इकठे ह आये थे। यह
फर इतना लम्बा है कक इ
उम्र
में अब ववछुड़ जाना नामुमककन है । अगर मैं पीछे की ओर झााँक कर दे खूिं तो यह
फर बहुत ह ु ावना रहा है और अभी भी हमार जीवन गाड़ी उ ी पटर पर चल रह है और ाथ ह
ह इ
गाड़ी के नए यारी। अगर हम दोनों इ
बहादर की अिािंग्नी कमल इ रह हैं। बचपन
गाड़ी के ड्राइवर हैं तो मेर अिािंग्नी कुलविंत और
गाड़ी के इिंजजन में कोयले डाल कर चलता रखने का काम कर
े ले कर आज तक इतने दोस्त थे कक
भी एक एक करके कक ी न कक ी
स्टे शन पर उत्तर गए लेककन हम बराबर जोर शोर
े आगे बड़ रहे हैं. पुराने दोस्त अब बहुत कम समलते हैं,अगर समलते भी हैं तो उन की आदतें बहुत बदल चक् ु की हैं, यह शायद उम्र के ब़िने इ
े या पररवार के बड़ जाने के कारण हो।
मय के
बदलाव का कारण बन जाते हैं लेककन मैं फखर
ाथ
भी के पाररवाररक म ले भी
े कह
कता हूाँ कक मैं और बहादर बबलकुल नह िं बदले। जै े हम जवानी के हदनों में थे तै े ह अब हैं, इ का कारण है हमार अिािंजग्नआिं जो बबलकुल हमारे जै ी हैं। जब बच्चे छोटे थे तो शायद ह कोई वीकैंड होगा
जब हम ना समले हों। उन हदनों हम ने इतनी मस्ती की कक सलखने के सलए भी बहुत वकत चाहहए। अब मैं तो बाहर जा नह िं कता लेककन बहादर और कमल कभी कभी हम े समल जाते हैं और जब समलते हैं तो मन का की कोई पररभार्ा नह िं होती,यह तो ब
ारा गुबार ननकाल लेते हैं। मेरा ववचार है कक दोस्ती
होती है और इ
पर कोई बात नह िं की जाती। मेरा
यह भी ववचार है कक दोस्त तो एक ह बहुत होता है और जज वोह भागयशाल होता है । बहादर को समल के हम ने ब गाड़ी में बैठ गगया था और
का कोई यह एक होता है
पकड़ ल और वुल्वरहै म्पटन आ गए। अब मैं इिंग्लैण्ड की
फर शुरू हो गगया था। डैडी जी तो रोज़ काम पर चले जाते और
ज विंत भी चले जाता,इन दोनों की मॉननिंग सशफ्ट होती थी,
ुबह जाते और शाम को घर
आते लेककन गगयानी जी की तीन सशफ्तें होने के कारण दो सशफ्टों में हदन के वक्त उन के ाथ बातें करने का अव र समलता रहता था जज
का मुझे बहुत फायदा हुआ। एक तो मेरा वक्त काट जाता,द ू रे क्योंकक वोह कुछ ना कुछ पड़ते रहते थे,इ सलए मेर भी अखबार र ाले बगैरा पड़ने में रूगच बड़ गई। कभी कभी मैं वैस्ट पाकट में चले जाता,यहािं इिंडडयन
पाककस्तानी लोग बहुत समलते जो मेर तरह बेकार होते थे ख़ा कर शननवार और रवववार को तो मेला लगा रहता था। इ पाकट में नए नए दोस्त बनने लगे। यह पाकट उ वक्त भी बहुत ुन्दर थी और अब भी है लेककन फकट यह है कक तब पाकट लोगों े भर होती थी लेककन अब वोह बात नह िं रह । अब या तो औरतें और मरद पाकट के गगदट तेज चलने के सलए जाते हैं या कुछ फूलों को दे ख कर मन खश ु करने के सलए जाते हैं। उ में लोग बोहटिंग करने भी जाया करते थे जो अब नह िं है । उ
मय तो पूल
मय हर रवववार को पाकट के
ेंटर में बने बैंड स्टैंड पर गोरों का बैंड ग्रप ु बैंड बजाया करता था और लोग
ामने कुस ओ ट िं
पर बैठे मयजू जक का लत ु फ उठाया करते थे। पाकट में एक कैफे होता था जो हर वक्त लोगों े भरा होता था। यह कैफे अभी भी है लेककन अब वोह बात नह िं रह । जगह जगह आइ
क्रीम की गाड़ीआिं होती थी जजन पर आइ
क्रीम लेने वालों की बड़ी बड़ी लाइनें लगी होती
थी। इ
पाकट में मेरे बहुत दोस्त बन गए थे और आप में मशवरा करके ोमवार े शुकरवार तक इकठे हो कर काम ढूिंढने जाया करते थे। हम ट्रे नों में बैठ कर दरू दरू तक चले जाते और फैजक्ट्रयों के गेट पर खड़े
ककोहटट गाडट
भी समलता नह िं था। कभी कभी
े काम के बारे में पूछते रहते लेककन काम कह िं
ोचता हूाँ कक हम काम ढूिंढने ऐ े इलाकों में इतनी दरू गए यहािं जज़िंदगी में दब ु ारा कभी भी जाने का इतिाक नह िं हुआ। हिं ी भी आती है कक हम बातें करते रहते थे कक गोरे पर हम हिं
े अिंग्रेज़ी कक
तरह मिंह ु टे हड़ा बना कर अिंग्रेज़ी बोलनी थी और इ
पड़ते थे। अब बहादर भी ब
तक चले जाते। एक दफा हम एक छोटे
पकड़ कर मझ ु े समलने आ जाता और हम दरू दरू
े टाऊन ओकन गेट चले गए और चाए पीने एक
कैफे में चले गए। अिंग्रेज़ों के खानों का हमें कोई गगयान नह िं था। काउिं टर पर सलखा था हौट डौग्ज़ अवेलेबल। बहादर बोला,” यार यह हौट डौग ककया होगा ?”. मेरे मुिंह गगया”गमट कुत्ते”. इ
पर हम जोर जोर
लगे। इन कैफे में जाने
े ननकल
े हिं ने लगे और कैफे के गोरे हमार तरफ दे खने
े हमें अिंग्रेज़ों के तरह तरह के
डैं ववच को जानने का अव र समल
गगया था। एक दफा हम दोनों वुल्वरहै म्पटन इन डोर माककटट में गए। वहािं एक दक ू ान थी जज बबजस्कट और ब्रैड बगैरा समलते थे। एक काफी बड़ा केक था जज
पर केक
पर सलखा था दो सशसलिंग।
दरअ ल वोह केक दो सशसलिंग का एक पाउिं ड था। हम ने गोर को कहा,that cake please. हम ने
ोचा था कक इतना बड़ा केक दो सशसलिंग का तो बहुत स्ता था. गोर ने हमें पुछा,”whole of it ?”. हम ने कहा,”yes”. अ ल में हम दोनों को उन की अिंग्रेजी मझ
नह िं आई और वोह गोर केक को स्केल पर तोलने लगी और केक 18 सशसलिंग का हुआ.हम को गोरों की अिंग्रेजी इतनी आती नह िं थी,हम यह भी कहने की जुरटत नह िं कर के कक हम ने केक नह िं लेना था और हम को इ
ारा केक लेना पड़ा जज
को हम एक हफ्ता खाते रहे .
बात को याद करके हम अक् र हाँ ते रहते थे. कभी मैं बसमिंघम चले जाता.इम्ललोयेमेंट
एक् चें ज उ
े हमें चार पाऊिंड हफ्ते के समलने शुरू हो गए थे. ककओिंकक चार पाऊिंड की कीमत
वक्त बहुत हुआ करती थी,इ सलए हम इन पै ों े हफ्ता भर मज़े करते रहते. बसमिंघम में इिंडडयन स ननमे काफी हुआ करते थे जज में हम कफलम दे खने चले जाते थे. मेरे डैडी जी ने कई लोगों को मेरे सलए काम के बारे में पूछ रखा था। एक हदन एक आदमी हमारे घर आया और डैडी को बोला,” ािू स आिं ! मेर फैक्ट्र में एक वेकें ी है और गोरे फोरमैन को द के सलए उ
पाउिं ड दे ने पड़ेंगे,अगर तम ु चाहते हो तो फोरमैन
े बात करूाँ”. डैडी ने जौब
को बोल हदया कक वोह जौब हा ल करवा दे । कुछ हदनों बाद वोह कफर आया
और बोला कक जौब रातों की है और गुरमेल ई माशटल फैक्ट्र पर खड़े
ोमवार को ब्लैकल ग्रीन में मैक्रोम रोड पर
ककोहटट गाडट को बता दे ,वोह रख लेगा। उ
होते थे। अपने आदमी जजन की दोस्ती गोरे फोरमैनों
ी
वक्त द
पाउिं ड बहुत े होती थी अपने लोगों को काम पर
लगा दे ते थे और आिे पै े खद ु रख के आिे फोरमैन को दे दे ते थे। इिंडडया की बुर बातें हम ने गोरों को स खानी शुरू कर द थी यानी घू और इिंडडयन के
ाथ मैं फैक्ट्र में जा पौहिं चा।
उ ने मेरा नाम पता और इिंशोरें गगयानी जी के
दे ना शुरू हो गगया था।
ोमवार रात को एक
ेक्योररट गाडट को मैंने अपना नाम बताया।
निंबर पछ ु ा जो मैं कुछ हदन पहले इिंशोरें
ऑकफ
े
ाथ जा कर लाया था। िामट भरने के बाद वोह मझ ु े भीतर काम पर छोड़
गगया।
एक बड़े हाल कमरे में बहुत ी मशीने थीिं। इन मशीनो े कारों के बने पज़ ु ों को पासलश ककया जाता था। पहले दो हफ्ते मझ ु े ट्रे ननिंग द जानी थी। एक काफी बड़ी मशीन मझ ु े द गई जज
पर बहुत बड़ा वील तेज़ी े घूम रहा था. इ घुमते हुए वील के ाथ कक ी पुज़े को जब नघ ाया जाता था तो वोह चमकने लगता था लेककन पज़ ु ाट इतना गमट हो जाता था की हाथों की उजन्ग्लआिं
ड़ने लगती थीिं। यों तो हाथों पर चमड़े के दस्ताने होते थे लेककन इ
के पहने होने पर भी हाथों और उिं गसलओिं पर छाले पड़ जाते थे. दे खने में यह काम जजतना आ ान लगता था,करने में उतना ह मुजश्कल था। पुज़े को कम नघ ते तो था,ज़्यादा नघ ते तो पुज़ाट बेकार हो जाता था। दो हफ्ते तो मुझे द े पै े समलते रहे लेककन ती रे हफ्ते मेरा पी
ह नह िं होता
पाउिं ड हफ्ते के हह ाब
वकट काम था,यानी जजतने पुज़े मैं पॉसलश
करूाँ,उतने ह पै े समलने थे। ती रे हफ्ते मुझे स फट चार पाउिं ड समले। जब मैं घर आया तो मैं बहुत उदा
था कक चार पाउिं ड तो मुझे एम्ललॉयमें ट ऑकफ
जल्द ह हमें इ
े समलते थे।
बात का पता भी चल गगया कक फैक्ट्र में भी हे राफेर होती थी।
ह पुज़ों
को बेकार कह कर कम पै े दे दे ते थे और वकटर खद ु ह काम छोड़ कर चले जाता था और उ
द उ
की जगह द ू रा वकटर ले सलया जाता था,जज
े वोह इिंडडयन और गोरा फोरमैन कफर
पाउिं ड कमा लेते थे। डैडी जी उ ी वक्त हमारे गााँव के एक और आदमी के घर गए और
को
ार बात बताई। इ
े आया हुआ था। यह आदमी बहुत अच्छा था और गााँव में हमारे मुहल्ले का ह रहने वाला था और इ के ाथ हमारे तौलकात शुरू े ह बहुत अच्छे रहे हैं ( कुछ ाल हुए ुच्चा स हिं यह िं ार छोड़ चक् ु का है )। जाएगा और उ ी ई माशटल
शख्
का नाम था
िं ा पर ुचा स हिं जो स घ
ुचा स हिं बोला कक वोह अपनी फाऊिंडर के गोरे फोरमैन आर के घर
े बात करे गा।
े मैंने काम छोड़ हदया था और घर पर ह रहता था। एक हदन
च् ु चा स हिं
आया और बोला कक काम बन गगया था और यह काम भी रात का था, रात 9 वजे
े लेकर
ुबह 7 वजे तक यानी द
घिंटे की सशफ्ट थी। उ
मय हर फैक्ट्र में अपने कुछ लोग गोरे
िोरमैनों को हाथ में रखते थे और यह लोग अपने लोगों की मदद कर दे ते थे। यह लोग
अक् र अपने लोगों में प्रस द्ि हुआ करते थे। अगर कक ी को काम की जरुरत होती तो अक् र लोग यह ह कहते” ुच्चा स हिं को समलो भाई,वोह काम पर लगा दे गा” च् ु चा स हिं जै े लोग तकर बन हर जगह होते थे लेककन अनप़ि था लेककन उ
ुचा स हिं बहुत ह नेक इिं ान था,बबलकुल ने इतने लोगों का भला ककया कक ोच कर ह है रानी होती है कक
बबलकुल अनप़ि होने के बावजद ू उ था,उ
हदन मैं
ने इतने काम कर हदए। जज
हदन मैंने काम पर जाना
च् ु चा स हिं के कहने के मत ु ाबक वेड्नेस्फील्ड के छोटे
े इलाके के एक पब्ब
के नज़द क पौहिं च गगया।
च् ु चा स हिं मेरा इिंतज़ार कर रहा था।
च् ु चा स हिं मझ ु को बोला,” गरु मेल! इ
पब्ब में गोरा
फोरमैन रोज़ रात को काम पर जाने
े पहले बबयर पीने आता है । वोह बबटर बबयर ह पीता
है ,तू काउिं टर
ले कर फोरमैन के आगे रख दे ना,मैं तुझे बता दिं ग ू ा कक
े बबटर बबयर का ग्ला
कौन गोरा फोरमैन है ”. इ गोरे को है लो बोला और उ गगया कक इ
के बाद हम पब्ब के अिंदर चले गए, ुच्चा स हिं ने अिंदर जाते ह के
के आगे ह ग्ला
ाथ टूट फूट अिंग्रेजी में बातें करने लगा जज
रखना है । मैं ने काउिं टर
फोरमैन के आगे रख हदया। फोरमैन ने जल्द ह ग्ला इशारे
े पब्ब के बाहर आने लगा। टॉयलेट बाहर थी उ
हम बाहर आये तो
को काम
ुच्चा स हिं ने गोरे को पािंच पाउिं ड पकड़ा हदए। गोरे ने थैंक्
की ओर चलने लगे।
सलया और ुच्चा स हिं के
के नज़द क हम खड़े हो गए। जब
ैक”( आर ! यह स्कूल
नया है , अच्छा काम करने वाला है , लड़का तगड़ा है , इ
चलता…
खत्म कर हदया और
मझ
ुच्चा स हिं अपनी पिंजाबी अिंग्रेजी में गोरे को बोला,” आर ! ह स्कूल, ह
नीऊ, गुड वरका, स्ट्रौंग बोई, नो काडट, नो के बाद
े बबयर का ग्ला
े मैं
े पड़ कर आया है , अभी
े जवाब नह िं दे ना), इ कहा और हम फाऊिंडर
मेरी कहानी – 73 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन October 30, 2015 पब्ब
े ननकल कर हम तीनों मैं
ुच्चा स हिं और गोरा फोरमैन फाऊिंडर की तरफ जाने लगे।
फाऊिंडर पौहिं च कर जब गेट के भीतर हम दाखल हुए तो गेट पर ह एक ऑकफ था। पहले यहािं मेरे ारे डीटे ल्ज़ सलए गए और आगे चल पड़े। बहुत खल ु जगह थी और जगह जगह बड़े बड़े पुज़े पड़े थे जै े कक ी रे लवे इिंजजन के या बड़ी बड़ी मशीनों के हों। एक और बड़े दरवाज़े
े हम अिंदर गए और मुझे दे ख कर बहुत अजीब ा लगा क्योंकक जज़िंदगी में ऐ ी फैक्ट्र मैंने कभी दे खी ह नह िं थी। अाँगरे ज़, इटै सलयन, पोसलश,इिंडडयन और ्मेकन लोग काम कर रहे थे। ऊपर एक बहुत बड़ी करें न थी,जज को एक गोरा फैक्ट्र के कभी एक तरफ ले जाता कभी द ू र तरफ। करे न को एक िंगल लगा हुआ था जज के ाथ नीचे के स रे पर एक हुक्क़ लगी हुई थी जज को बड़े बड़े पुज़ों के ाथ फिं ा कर उन पज़ ु ों को दरू ले जाया जाता था।
भी लोगों के गले में चमड़े के ऐप्रन डाले हुए थे और हाथों पर चमड़े के गल्लव यािंनी दस्ताने थे जज े उन के शर र की हहफाज़त होती थी और कक ी कक म की चोट े बचाव हो जाता था। फोरमैन मझ ु े वहािं छोड़ कर चले गगया और जाते हुए द ू रे वकटजट को बता गगया कक मझ ु े ककया काम करना था। मेरा चेहरा दे ख कर अपने ारे इिंडडयन भाई मझ गए कक मैं नया नया स्कूल
े पड़ कर आया हूाँ।
भी मेरे नज़द क आ गए और कहने लगे,” बोई किक्र ना
कर,कुछ हदन िीरे िीरे काम करना,हम तेर मदद करें गे और इिर दे ख,यह थानेदार होता था,लोगों को पीटता था,अब इ हिं
रहे थे। और इिर दे ख बोई,” यह
गिों को प़िाता होगा, और अब यहािं इ
ाला इिंडडया में
की थानेदार यहािं ननकल रह है ”, और
भी
ाला इिंडडया के कक ी स्कूल में प़िाया करता था,शायद फाऊिंडर में डडग्री कर रहा है ”, उन की ऐ ी बातों
मुझे अपनापन मह ू
होने लगा। काम बहुत भार था और गिंदा भी बहुत था लेककन एक तो मैं जवान था,द ू रे मैंने खेतों में काम ककया हुआ था,इ सलए मैं जल्द ह ब ीख गगया। उन
ब के बराबर मैं काम करने लगा लेककन वोह
िीरे िीरे कर,हम गए और फैक्ट्र का
ब
भी मुझे बार बार कह रहे थे,” बोई !
िंभाल लेंगे”. काम करते हुए चार घिंटे पता ह नह िं चला कक कब हो ायरन बज गगया, खाने पीने का वक्त हो गगया था।
भी अपनी अपनी चाय की फ्लास्क में
े कपों में चाय डालने लगे और
भी लगे। मैं कुछ नह िं लाया था क्योंकक मुझे पता ह नह िं था।
ाथ में कुछ खाने
भी मुझे कुछ न कुछ दे ने
लगे और एक कप में मुझे चाय भी डाल कर द । खाते खाते बातें भी कर रहे थे। थानेदार
मुझे पूछने लगा कक मैं ककया पड़ कर आया था। कफर वोह अपने बारे में बताने लगा कक वोह थानेदार था लेककन इिंगलैंड आने के सलए इतनी अच्छी नौकर छोड़ द थी। इिंगलैंड के लालच
े
में इतनी अच्छी
ववट
खराब कर ल थी लेककन अब तो वाप
जाया नह िं जा
कफर वोह मुझे कहने लगा,” बोई अब तू कुछ आराम कर ले”, इ गगया और द ू रे भाईओिं की तरह मैं भी नीचे ह लेट गगया। और
कता था।
के बाद वोह नीचे ह लेट
ायरन दो वजे कफर बज गगया
भी उठ कर काम पर लग गए। जब भी वोह एक द ू रे को बुलाते गिंद गाल ननकाल
कर ह बोलते लेककन उन की गिंद ग़ासलओिं में बहुत मुहब्बत थी,एक अपनापन था, भी भाई भाई थे। वोह मुहब्बत अब बहुत कम हो गई है । ार रात मैं नए दोस्तों के ाथ काम करता रहा और पता ह नह िं चला कब
ात बज गए।
ायरन की आवाज़ के
ाथ ह हम
ब अपने कपडे ठीक करने लगे और बाहर आ कर हर एक ने अपना क्लॉक काडट पिंच ककया जज
पर काम शरू ु और खत्म करने का टाइम वप्रिंट हो जाता था।
फाऊिंडर ब
े बाहर ननकल कर हम ब
जो वल् ु वरहै म्पटन
टाऊन
े एक और ब
स्टॉप की और चल पड़े जो नज़द क ह था। 59 निंबर
े वैडन फील्ड को जाती थी,उ
में बैठ कर टाऊन आ गए और
पकड़ कर घर आ गए। जब मैं घर के नज़द क आया तो ज विंत
काम पर जाने के सलए घर
े अभी ननकला ह था। मेर ओर दे ख कर बहुत जोर े हिं पड़ा। कफर कहने लगा,” ओए गुरमेल अपना मुिंह तो िो लेता,शीशे में जा कर दे ख और तू इ ी तरह ब
में भी आ गगया”. ज विंत चले गगया और जब अिंदर जा कर मैं शीशे के
ामने खड़ा हुआ तो है रान हो गगया कक मेरा मुिंह एक दम काला था जै े मैं कोयले की कान में े ननकल कर आया हूाँ, मझ ु े अपने आप में बहुत शमट आई कक मैं इतनी दे र ब में बैठ कर ऐ े ह आ गगया था। जल्द
े मैंने ककचन में जा कर
ाबन
े मुिंह िोया,कपडे बदले
और कुछ खाने के सलए दे खा। डैडी जी मेरे सलए पराठे बना कर रख गए थे। मैंने चाय बनाई, ब्ज़ी के
ाथ पराठे खाए और कुछ दे र आराम करके बैड में घु
गगया। कहते हैं, ख्त
काम करने वालों को काटों पे भी नीिंद आ जाती है । जल्द ह मैं नीिंद की आगोश में चले गगया। मैं ऐ ा े वाप
ोया कक मुझे पता ह नह िं चला कब शाम हो गई और डैडी जी और ज विंत काम
भी आ गए थे। आते ह डैडी जी ने मुझे जगाया और बोले,” ओ गुरमेल तू ने काम
पर नह िं जाना ?”. आाँखें मलते हुए मैंने डैडी की ओर दे खा। जब मैं बैड् े उठने लगा तो मेरा ारा शर र अकड़ गगया था और हड्डी हड्डी ददट कर रह थी। रात को काम करते वक्त तो मह ू
नह िं हुआ लेककन अब उठा ह जा नह िं रहा था। बड़ी मुजश्कल े मैं उठा लेककन मैंने कक ी को भी नह िं बताया कक मेरा ारा शर र ददट कर रहा था। मैंने मुस्करा कर कहा
कक मुझे पता ह नह िं चला। मैं ज विंत और गगयानी जी को भी बताना नह िं चाहता था कक
मेरा अिंग अिंग ददट कर रहा था। डैडी जी ने रोट बनाई और हम ने बैठ कर खाई। जब मझ ु े काम के बारे में पछ ु ा तो कह हदया कक ठीक ठाक ह था। कुछ दे र बाद डैं ववच और चाय की थमो
ले कर मैं द ू र रात के सलए चल पड़ा। उ
भी को घर में छोड़ मय गाडड़यािं
कक ी के पा
नह िं होती थीिं,बहुत कम लोगों के पा
समनट बाद ब
थीिं। ब
ववट
इतनी थी कक पािंच द
आ जाती थी. जल्द ह मैं काम पर पौहिं च गगया।
थानेदार मुझे दे ख कर हिं
पड़ा और बोला,” बोई ! तू पा
तेरे जै े लड़के आये,एक रात काम करके वाप
हो गगया, आज
नह िं आये क्योंकक इ
े पहले जजतने
फाऊिंडर को बुचड़
फाऊिंडर बोलते हैं क्योंकक काम बहुत भार और गिंदा है ” मैंने हिं कर कहा,अिंकल !” स हिं कभी डरता नह िं है ,अब यहािं ह डट जाऊाँगा”. द ू र रात भी काम ककया और घर जाने े
पहले स क िं पर हाथ मिंह ु िोये और घर आ गगया। अब काम का रूट न बन गगया था और
काम पे रोज़ जाने लगा। कफर भी था तो नया नया ह ,बहुत बातों का मझ ु े पता नह िं था। ब्रेक टाइम में
भी खा पी कर
लेककन जब मैं ब्रेक टाइम में
ो जाते थे। बचपन
े आज तक मेर नीिंद बहुत अच्छी रह है ो जाता था तो मेरे ाथी कभी कभी मुझे जगा हदया करते थे.
अभी मैंने तीन हफ्ते ह काम ककया था कक एक हदन फोरमैन ने आ कर मझ ु े जगाया और मुझे कहा कक मैनेजर दो दफा आ कर तुझे ब्रेक टाइम के बाद सलए तुझे काम
े जवाब है और उ
ने एक हफ्ते का नोहट
पड़ा और है रान हो गगया। मुझे आज तक यह मालूम नह िं हो
ोते हुए दे ख गगया है ,इ मुझे पकड़ा हदया। मैंने नोहट का कक मेरे
ाथी लोगों ने
मुझे जान बूझ कर नह िं उठाया था या ककया कारण था।
घर आ कर मैंने डैडी को बताया,वोह भी है रान हो गए। उ ी वक्त डैडी जी की ओर चल पड़े। जा कर था,इ
सलए उ
करे गा। नोहट
का
ब कुछ बताया।
को कुछ भी पता नह िं था।
मय खत्म होने पर मुझे
ुच्चा स हिं के घर
ुच्चा स हिं क्योंकक हदन की सशफ्ट करता
ुच्चा स हिं ने भरो ा हदलाया कक वोह
ब कुछ
ारे पै े और मेरा काडट मुझे दे हदया गगया और मैं घर
आ गगया। अब मैं बहुत उदा हो गगया। शाम को भी घर आ गए और बातें होने लगीिं। मैं ारे हदन का इतना उदा था कक मैं फूट फूट कर रोने लगा और डैडी जी को कहा कक मैं वाप
इिंडडया चला जाऊाँगा। डैडी जी ने मुझे अपनी ओर खीिंच सलया और बोले,” तू घबराता
क्यों हैं,मैं जो हूाँ,बोल तुझे ककतने पै े चाहहए, नह िं काम समलता तो कभी न कभी तो समलेगा ह ,इतनी जल्द ककया है ” गगयानी जी भी मझ ु े न ीहतें दे ने लगे और ज विंत तो मुझे उठा
कर बाहर ले गगया और बोला,” गुरमेल ! मुझे तीन मह ने काम समला ह नह िं था,ऐ ा तो हर कक ी के
ाथ होता ह रहता है ,तू घबरा ना,मैं भी अपनी फैक्ट्र में कोसशश करूाँगा” और वोह
मुझे पब्ब में ले गगया। दो दो ग्ला आ गए।
बबयर के हम ने वपए। मन कुछ शािंत हुआ और हम घर
द ू रे हदन मैं अकेला ह बाहर गगया और मेरे जै े और लड़कों के चल पड़ा। वल् ु वरहै म्पटन में एक फाऊिंडर होती थी जज
ाथ मैं काम ढूिंढने के सलए
का नाम था कौल कास्ट। इ
का
मैनेजर एक टािंग
े लिंगड़ा था और पिंजाबी उ
को लिंगा कहते थे,
ुना था इ
की टािंग
वल्डट वार के दौरान एक लड़ाई के दौरान कट गई थी। यह इिंडडया रह चक् ु का था। जब हम गेट पे गए तो हमारे जाते ह बोला” जाओ,नो वेकें ी”। इ
के बारे में यह मशहूर था कक जब यह कक ी को काम पे रखता था तो पहले यह दे खता था कक उ के म ल कै े थे, अपने हाथों
े मस् ल दे खता था। खद ु वोह बहुत तगड़ा था। इ फाऊिंडर में काम बहुत ह भार होते थे लेककन पै े भी बहुत होते थे,इ सलए भी की कोसशश यह होती थी कक यहािं काम समल जाए। यहािं भी हमारे कुछ लोग लिंगे थे। कफर हम
े समले हुए थे और पै े ले कर काम पर रख लेते भी गड ु यीअर फैक्ट्र की ओर चल पड़े जो स्टै फोडट रोड पर होती थी और इ
में कई हज़ार लोग काम करते थे। इ ी फैक्ट्र में ह गगयानी जी भी काम करते थे लेककन इ
में काम बहुत मजु श्कल समलता था। अब तो बहुत नए नए घर बन गए हैं। जब हम गुडईयर में गए तो एक बड़े
े ऑकफ
ाल पहले यह फैक्ट्र बिंद हो कर यहािं
में हमें बबठा हदया गगया। कुस ओ ट िं पर बैठे
बैठे ह हमें िामट दे हदए गए और हम को इ े भरने के सलए कहा गगया था। हम ने िामट
भर के मैनेजर को दे हदए। मैनेजर बोला,” अगर आप की ऐजललकेशन कामयाब हुई तो हम आप को घर लैटर डाल दें गे”. इ के बाद हम भी बाहर आ गए। कुछ हदन बाद मुझे गुडईयर
े लैटर आया। सलखा था,” हमें अि ो
है कक इ
वक्त यहािं कोई काम नह िं
है ,अगर कोई काम हुआ तो आप को ूगचत कर हदया जाएगा”. ऐ े खतों का मैं अब आद हो चक् ु का था और मैंने तुरिंत इ े फाड़ कर फैंक हदया। उिर
ुच्चा स हिं का भी जोर लगा हुआ था। एक हदन घर आया और डैडी जी को अपने ाथ ले गगया। दोनों हदन की ड्यूट वाले फोरमैन के घर गए। उ े बात की,उ के दो बच्चों को पािंच पािंच पाउिं ड हदए और मुझे हदन का काम उ ी फाऊिंडर में समल गगया यहािं े जवाब समला था। इ
का फायदा मुझे यह भी हो गगया कक
पािंच शै गज़ की दरू पर ह था। मेरे
ाथ ह था क्योंकक उ
े मुझे काम
ुच्चा स हिं का काम मुझ
ोमवार को पहले हदन मैं जब घर
की फैक्ट्र स्पीयर ऐिंड जैक् न मेरे काम
े चला तो ज विंत भी े एक दो फलािंग की
दरू पर ह थी। अब मेरा काम कोई मुजश्कल नह िं था। मैं पहले बता चक् ु का हूाँ कक इ फाऊिंडर में बड़े बड़े पुज़ट बनते थे। इन पुज़ों पे जो फज़ूल लोहा लगा होता था,उ को एक गोरा ऐस्टल न कटर के फ्लेम जै ी होती थी उ
े काटता और मैं उ
पुज़े को एक बोगी जो एक बड़ी बाल्ट
में डाल दे ता और स्क्रैप को ऐक द ू र बोगी में । अब काम रे गुलर हो
गगया और काम खत्म होने पर मैं और ज विंत इकठे घर आ जाते क्योंकक ज विंत मेर फैक्ट्र के गेट पर मेरा इिंतज़ार करता रहता था।
े
काम तो ठीक हो गगया लेककन एक मु ीबत और थी कक उ वकटर को आिी तन्खआ ु ह समलती थी और मैं अभी बेइिं ाफी मैं 21
ा़िे उनीिं
ाल की उम्र होने तक झेलता रहा।
ाल उम्र
े कम
ाल का भी नह िं था। यह
ात मह ने मैं इ ी काम पर लगा रहा
और मुझे आठ नौ पाउिं ड हफ्ते के समलते जब कक द ू रे फोरमैन ने मुझे काम पर रखा था उ
मय 21
ने मेर मदद इ
ाथी मुझ
े ज़्यादा कमाते। जज
तरह की कक मेर जॉब बदल द
और मुझे पुज़े ग्राइिंड करने वाल मशीन पे लगा हदया। यह काम काफी मुजश्कल था। एक
बहुत बड़ी मशीन थी जज में दो िीट ववआ चार इिंच चौड़ा पथर का वील बहुत तेज़ गनत े घम ू ता था. जमीिंन पर पड़े पज़ ु े को उठा कर,उ का िालतू लोहे का स्क्रैप ाि करने के सलए इ
वील
े नघ ाया जाता था जज
े चिंगाड़े ननकलते थे।
ेफ्ट के सलए आाँखों पर
शीशे के गौगल्ज़ पहने होते थे लेककन कफर भी कभी कोई लोहे का ककनका आाँख में पड़ जाता था और बहुत दफा हमें न ट के पा जाना पड़ता था जज की जटर फैक्ट्र में नज़द क ह थी। कई दफा तो ऐ ा होता था कक न ट े ननकलता ह नह िं था और हमें आाँखों के हस्पताल आई इन्फमटर जो चैपलैश में होती थी,जाना पड़ता था और वोह लोहे का ककनका ननकाल कर आाँख पे पटट बािंि दे ते थे। द ू रे हदन हम कफर काम करने लग जाते थे। ज़्यादा तर तो हम खद ु ह इतने एक् पटट हो गए थे कक माच आाँख को अिंगूठे और ऊाँगल
की तील को वील
े चौड़ी करके िीरे
े तीखा करके
ाथी की
े ककनका ननकाल दे ते थे।
एक दफा तो ऐ ा हुआ कक मैं इिंडडया आया हुआ था और मैं और मेरा छोटा भाई शहर जा रहे थे। छोटे भाई की आाँख में कुछ पड़ गगया जो ननकल नह िं रहा था और आाँख लाल हो गई थी,पानी बह रहा था। मैंने जमीिंन पर पडी एक तील उठाई,उ
को नाख़न ू
े तीखा ककया
और कहा,” ले मैं ननकाल दे ता हूाँ” छोटा भाई कााँप गगया और नाह नाह करने लगा। मैंने कहा,तू ज़रा खड़ा हो जा और मैंने एक दम तील चैन आ गगया। कफर मैंने उ
े वोह ककनका ननकाल हदया और भाई को
को अपनी ट्रे ननिंग के बारे में बताया तो वोह हिं
मुजश्कल तो था लेककन वक्त के
ाथ
भ कुछ
ीख गगया और अब नए लोगों को भी ट्रे ननिंग
दे ने लग गगया था। तन्खआ ु ह तो अभी भी आिी थी लेककन इ थी। मैं और ज विंत का
पड़ा। यह काम
काम के कारण कुछ बड़ गई
ाथ भी मज़ेदार हो गगया था। पािंच हदन काम करते और शननवार
को हम पब्ब में जाते जो हमारे लोगों में ह जाते थे। इ
े भरे हुए होते थे क्योंकक हमारे लोग कुछ ख़ा पब्बों का कारण यह था कक बहुत पब्बों में हमारे ाथ ववतकरा ककया जाता था
और गोरे ह वहािं जाते थे। हदनबहदन मैं इिंगलैंड की जज़िंदगी में जज़्ब होने लगा था। चलता…
मेरी कहानी - 74 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 03, 2015
बहादर को भी काम समल गगया था और हमार जेब में पै े आने लगे थे जज हौ ला
े हम को
ा हो गगया था। हम एक द ु रे को अपने नए नए तजुबे बताते रहते। एक दफा मैं ने
पाइन ऐपल के फ्रूट का ट न सलया,घर आ कर उ स्वाहदटट लगा कक जब बहादर मेरे पा
को खोल कर खाया तो मुझे इतना
आया तो मैंने उ े खखलाया,उ
को इतना स्वाहदटट
लगा कक वोह भी रोज़ ह खाने लगा, ऐ ी ह कोई कोई नई खाने की चीज़ बहादर दे खता तो मुझे आ कर हदखाता,नए नए कपडे हम खर दते और
ब
े बह़िया शुगल था कफल्म दे खना
जो अक् र शनीवार और रवववार को ह लगती थी और बहुत भीड़ होती थी। जब बहादर मुझे वल् ु वरहै म्पटन समलने आता तो हम अक् र वैस्ट पाकट में चले जाते और फूलों की ककआररओिं के पा उ
खड़े हो कर फोटो खीिंचते रहते। उ
वक्त की कुछ फोटो अभी भी मेरे पा
मय के कपड़ों के बारे में भी बताती हैं जो उ
कोट जै ी ड्रै
होती थी जज
बहादर फूलों के पा
मेरे
मय पचटलत थे। उ
हैं जो
मय एक ओवर
को मैकनटोश या मैक कहते थे। एक जगह यह मैक पहन कर ाथ खड़ा है । इन फोटो को दे ख कर वोह जवानी की यादें ताज़ा हो
जाती हैं. दोस्ती की कीमत परदे
में ह पता चलती है । यिंू तो अब बहुत दो त बन गए थे लेककन मेरे और बहादर के इकठे होने े हम में एक इिंकलाब ह आ गगया था जो उ मय तो हम मह्न ू जज
नह िं करते थे लेककन आज मैं
फाऊिंडर में मुझे काम समला था,उ
CASTINGS LIMTED. इ
ोचता हूाँ कक हम ककतने आज़ाद और खश ु थे।
का नाम होता था BROOK HOUSE
फाऊिंडर के इदट गगदट इतनी फैजक्ट्रयािं थी कक कोई हह ाब ह
नह िं, यह फैजक्ट्रयािं बहुत बड़ी होती थीिं। हज़ारों लोग इन में काम ककया करते थे। जब छुट होती तो हज़ारों लोग ब ें पकड़ने के सलए ब स्टॉपों पर बड़ी बड़ी लाइनें लगा दे ते थे। एक ब
भर जाती और एक समनट बाद द ु र आ जाती। इतने लोग ब
लेककन कोई झगड़ा नह िं होता था बजल्क कोई गलती दे ता,”
ॉर ,आप मुझे
े पहले हैं”. और द ू रा थैंक्
गचमनीआिं हदखाई दे ती थी जजन में
पकड़ने के सलए होते थे
े आगे आ गगया तो वोह खद ु ह कह
कह दे ता। दरू दरू तक गचमनीआिं ह
े िआ ु िं ननकलता रहता था। अब यह
ार फैजक्ट्रयािं बिंद
हो गई हैं और इन की जगह हाउजज़िंग एस्टे ट भी फैजक्ट्रयों की जगह शॉवपिंग
बनी हुई हैं। ब्रुक हाऊ और इदट गगदट की ें र,स ननमा, मैकडॉनल्ड,वपज़्ज़ा हटट और केएफ ी जै े ट
रै स्टोरैंट बन गए हैं,बड़े बड़े पब्ब और जजम्नेजजयम और हैं। कभी कभी मैं ब्रुक हाऊ
की जगह को मन में
मझ नह िं आता था कक वोह कहााँ थी।
ाथ ह बड़े बड़े कार पाकट बन गए
ोचने की कोसशश करता था तो कुछ
ब्रुक हाऊ
में काम करते करते हम ऐ े हो गए थे जै े कई
ालों
े कर रहे हों। काम बहुत ब कुछ भूल जाते।
गिंदे थे लेककन जब हर शुकरवार को तन्खआ ु ह का पैक्ट समलता तो शुकरवार को काम खत्म करके हम पहले हफ्ते भर के गिंद को शर र तौसलआ और छोट
ी
हम
ीिे ह बाथ ऐवेन्यू को नहाने के सलए जाते और
े उतारते। पहले र ैलशन
े दो सशसलिंग दे कर एक
ाि
ुन्दर
ाबुन की हटककया खर दते और आगे जा कर एक कु ी पर बैठ जाते।
े पहले भी बहुत लोग इिंतज़ार में बैठे होते थे। पची ती बाथ रूम होते थे। जब भी कोई नहा के बाहर ननकलता तो पहले एक गोर उ बाथ रूम को अच्छी तरह मौप े ाि करती और बाद में आवाज़ दे ती, next please ! और उ ी वक्त एक आदमी उठ कर बाथ रूम में घु
जाता। अक् र
और ररलैक्
भी दोस्त बाथ टब्ब में पड़े पड़े एक द ू रे
े बातें करते रहते
होते रहते। मैं और ज विंत नहाने के सलए इकठे ह जाते थे। नहा कर और
कपडे बदल कर जो हम
ाथ ह ले आते थे,बाहर आ जाते और पैदल ह घर को चले आते।
हफ्ते के दो हदन हमारे मज़े करने के हदन होते थे। घर आ कर पहले हम दाल
ब्ज़ी बगैरा
बनाते और कभी कभी यह काम हमारे डैडी कर दे ते। कफर हम पब्ब जाने के सलए तैयार हो जाते। एक पब्ब तो घर पर स्टै वले रोड पर ह था, जज था लेककन इ
े पची
ती
गज़ की दरू
का नाम होता था ऑस्ट्रे सलयन इन्न। यह काफी बड़ा पब्ब
में हम कम ह जाते थे और आगे जा कर ग्रेटहै म्पटन स्ट्र ट में दो पब्ब
ाथ
ाथ ह होते थे. हम ऐश ट्र में जाया करते थे। तब यह पब्ब बहुत छोटा ा होता था और इ का मालक मोटा ा गोरा होता था जज की दोस्ती मेरे डैडी जी के ाथ बहुत होती थी,कारण यह था कक कभी यह गोरा भी ऐफ्रीका रह चक् ु का था और क्योंकक डैडी जी भी डड्रिंक का मज़ा लेते थे और गोरा भी बबयर
वट करते करते पीता ह रहता था। दोनों काउिं टर पर ह
खड़े पीते और बातें करते रहते थे। मैं और ज विंत कुछ दरू पर बैठते थे ताकक हम खल ु कर बातें कर
कें। हम बार रूम में ह बैठते थे। स्मोक रूम में एक तो स गरटों का िआ ज़्यादा ुाँ
होता था द ू रे बबयर की कीमत एक पैनी ज़्यादा होती थी। हमारे लोग ज़्यादा बार रूम में ह बैठा करते थे। पब्ब एक दम खचाखच भरा होता था। ररवाज़ यह होता था कक जब
भी
दोस्त इकठे बैठते तो हर एक को अपनी वार दे नी होती थी। पहले एक दोस्त काउिं टर पे जा कर बबयर के कई कई ग्ला
खर दता और ट्रे में रख कर टे बल पे ले आता। जब ग्ला
खत्म
हो जाते तो द ू रा दोस्त ले आता,कफर ती रा। ऐ ा चलता ह चलता रहता था, बबयर इतनी स्ट्रौंग नह िं होती थी,तीन या
ा़िे तीन प ट ें ह होती थी,इ
सलए चार पािंच बड़े बड़े ग्ला
तो आम आदमी पी जाते थे और कई तो छै , ात और आठ ग्ला
तक भी पी जाते थे,कुछ
समनट बाद टॉयलेट जाते रहते और कफर बीअर पीने लग जाते।
ाथ
ाथ बातें करते रहते
और अपने काम की बातें भी करते रहते। कुछ लोग अपनी जेब
े उ
हफ्ते की तन्खआ ु ह
की
सललप ननकाल कर हदखाते कक उ
अक् र कहा करते थे,मैंने इ
ने उ
हफ्ते ककतने पाउिं ड कमाए थे ( इ
हफ्ते इतने पै े चक् ु के ),उ
को
का ककतना ओवर टाइम लगा था।
उ
मय कुछ लोग गोरे फोरमैनों को बबयर वपला कर ओवर टाइम लेते थे( अब यह
बबलकुल नह िं है ),
ैचरडे
न्डे के सलए काम लेते थे।
ैचरडे का रे ट डे़िा होता था और
न्डे का डब्बल होता था, जज
लाना यानी
े तन्खआ ु ह बहुत हो जाती थी। इ को कहते थे, त्तो ात ात हदन काम करना और जज के ात हदन लगते थे उ को लक्की बोलते
थे। पब्ब में अक् र बातें होती रहतीिं कक उ
के पै े इतने नह िं होते थे और वोह दोस्तों को
बोलता रहता था और कहता था कक उ े अपनी फैक्ट्र में काम हदला दे । कोई बताता कक उ ने गााँव में एक खेत खर दा था,कक ी ने घर की ररपेअर कर ल थी। हर एक का गियान अपने गााँव की ओर ह होता था। आज तो ऐ ा है कक इिंडडया जाना ऐ े हो गगया है जै े ट्रे न की
ीट बक ु कराई और
वक्त तो बहुत बहुत ाल लोग जाते ह नह िं थे क्योंकक एक तो यह डर होता था कक इिंडडया े वाप आ के काम समले या न समले,इ
ीिे इिंडडया लेककन उ
की कोई गरिं ट नह िं थी और समले भी तो अच्छा न समले यह भी किक्र होती थी
और ती रे कक ी का इरादा इिंग्लैण्ड में पक्के तौर पर रहने का नह िं होता था,इ
सलए जजतने
ाल भी लगा कर पै े कमा सलए जाएाँ अच्छा ह था। वोह हदन ऐ े थे कक न तो कक ी को द ु हरे का ना द वाल के हदन का पता चलता था, हदन मनाना तो दरू की बात थी। गुरदआ ु रा भी कोई नह िं था,ब भी अपनी पजत्नओिं
एक पब्ब ह थे जज
में
ब मन के गुबार ननकालते थे।
े दरू थे और कुछ लोग अपनी मानस क और शर रक भूख समटाने के
सलए गोररओिं की तरफ खीिंचे जाते थे। आयररश गोर आिं जो ििंदा करती थीिं पब्बों में आती
रहती थीिं और सशकार ढूिं़िती रहती थीिं। गोरा रिं ग और शराब का नशा हमारे लोगों को उन की ओर खीिंचता था। कुछ लोग थे जो इन गोररओिं को अपने
ाथ ले जाते थे। गोर आिं इन लोगों
े पै े कमा लेती थीिं। अपने लोग जो गोररओिं को ले जाते थे उन की बातें कर के हाँ ते
रहते थे। कुछ लोग ऐ े भी थे जजन के बच्चे इिंडडया थे और इिंगलैंड में टूट हुई गोररओिं के ाथ रहते थे। अक् र हम हाँ ते रहते थे कक बहुत लोग ऐ े थे जजन को बबलकुल ह अिंग्रेजी नह िं आती थी लेककन गोररओिं के अफ्रीका का दोस्त जज गए। उ
का नाम मुझे याद नह िं, उन के एक दोस्त को समलने उ
आदमी ने एक गोर के
जब हम ने डोर बैल की तो उ बच्चा जो उ
ाथ रहते थे। एक दफा मैं और डैडी जी और एक डैडी का
ाथ शाद कराई हुई थी और उन का एक बच्चा भी था। आदमी ने दरवाज़ा खोला। जब हम अिंदर गए तो उन का
कमरे में था रोने लगा। उ
आदमी ने अपनी गोर पत्नी को ऊिंची आवाज़
द ,” ओए ईडी ी़ ! बेबी कराई ई ई ई”. जब हम उ
आदमी
कर हिं ने लगे और यह ईडी बेबी कराई की बात बहुत
े समल कर आये तो बाहर आ
ालों तक कर कर के हाँ ते रहे ।
कभी कभी उदा ीन वातावरण भी पैदा हो जाता था। एक दफा मैं डैडी के दोस्तों के क्रौ
के घर
स्ट्र ट में गगया जो वाटरलू रोड के नज़द क होती थी, (अब रै ड क्रौ
ाथ रै ड
स्ट्र ट और पा
की
भी स्ट्र टें ढा कर उ एक शख्
जगह आज़डा
तर ेम स हिं रहता था,उ
तो तर ेम स हिं और उ
के कुछ
ुपर माककटट बनी हुई है ). इ स्ट्र ट के एक घर में को समलने के सलए ह ब गए थे। जब उ के घर गए
ाथी पब्ब
हे ग ववस्की पीने लगे थे जो उन के
ामने मेज़ पर पड़ी थी। उन्होंने हम को भी ऑफर की।
मैं तो ववस्की पीता नह िं था,लेककन द ू रे रोने लगा। उ
के
े आये थे और अब छोट छोट ग्लास ओिं में
भी उन के
ाथ बैठ गए। पीते पीते तर ेम स हिं
ाथी तर ेम को गासलआिं ननकाल कर बोलने लगे कक अब उ
हो गगया था। रोते रोते तर ेम बोला,” यार ककया जज़िंदगी है हमार ,मझ ु े आठ
को ककया
ाल इिंडडया
े
आये हुए हो गए हैं,जब मैं इिंडडया े चला था तो मेरे बेटा हुआ था,उ वक्त वोह दो मह ने का था और अब आठ ाल का हो गगया होगा,ककतना बदककस्मत बाप हूाँ मैं !” भी चप ु कर गए,कुछ दे र बाद एक आदमी बोला,” ओए ासलआ, तू ने बताया ह नह िं कक तेरे बेटा हुआ था, ककया नाम है उ
का ?”. तर ेम बोला, बट ू ा !. वोह आदमी कफर गाल ननकाल कर
बोला,” ओए ! चल एक बोतल और ववस्की की ले के आ,आज बट ू े की विाई करते हैं, उ का जनम हदन मनाते हैं”. तर ेम के चेहरे पर मस् ु कराहट आ गई और वोह जा कर एक बोतल ववस्की की और ले आया। अब दे र बाद हम वाप
भी हिं ने लगे थे और तर ेम भी हिं
रहा था। कुछ
आ गए लेककन तर ेम के बेटे के नाम पर एक कहावत जुड़ गई थी। जब
भी हम कुछ दोस्त इकठे हो कर पीने का प्रोग्राम बनाते तो हिं की विाई करते हैं”.
BROOK HOUSE में नए नए लोग आ गए थे। मेरे पा
कर बोलते” चलो आज बूटे
की मशीन पर एक इटै सलयन
काम करने लगा था,यह बहुत तगड़ा था और शर फ भी बहुत था। उ के ाथ मेर नज़द की बहुत हो गई थी। जब यह खाता था तो उ का डैं ववच बहुत बड़ा और मोटा होता था जज में पहले चीज़ होती,कफर बीफ का पी
लाड होता और चौथी में बहुत कच्चा ल न ु होता था। अक् र वोह स हत की बातें करता रहता कक बीफ में बहुत ताकत होती है और ल ुन और
ऐ े लगता था जै े पैंताल स खाता जल्द ह
होता,ती र तह में
लाड हदल के सलए अच्छा होता है । वोह का हो। वोह मुझ
ीख जाता लेककन उ
े हहिंद के लिज़
ाठ वर्ट का था लेककन
ीखता रहता। जो भी मैं
का प्रोनजन् एशन कुछ अजीब
ा होता था।
आते ह मुझे बोलता,”शुभ प्रभात”,प्रभात को वोह प्राभात बोलता था,कफर कहता” आज का मौ म”. ऐ े ह हम बोलते रहते और मैंने भी उ
े कुछ लिज़ इटै सलयन के
थे। जब वोह मुझे शुभ प्रभात बोलता मैं भी उ े कहता,” बिंजोरनो अमीगो” कफर मैं उ पूछता,”कौमें
उ
को
ुबह
दी
ीख सलए को
ताते ?”,यानी तुम ठीक हो तो वोह हहिंद में बोलता,”ठीक है ”.
इटै सलयन के बाद एक नया पिंजाबी लड़का आ गगया, जज
का नाम था मोहन स हिं लेककन
भी मोहणी ह बल ु ाते थे। मोहणी मेर उम्र का ह था और मू ा परु गााँव का था
और कक ी कालज
ा
े पड़ कर आया था। यह लड़का बहुत हुसशआर था और बातें बहुत ककया
करता था। मोहणी ने कोई पािंच छै मह ने ह हमारे ब
किंडक्टर लग गगया। इ
हम काम
लड़के के कारण मेर
ार जज़िंदगी बदल गई क्योंकक जब भी
में किंडक्टर हुआ करता था और हमेशा मुझे कहता रहता,”यार गुरमेल, छोड़ यह गिंदा काम और आ जा ब ों पे”. वोह इिंडडया
े फारग हो कर ब
ाथ काम ककया और छोड़ कर ब ों में
पकड़ते थे तो कभी कभी मोहणी उ ी ब
मय ऐ ा था कक ब ों पे हमारे लोग बहुत कम हुआ करते थे लेककन िीरे िीरे े पड़ कर आये लड़के ब ों में काम करने लग गए थे और अपने लोग ब ों पे काम
करने वाले लड़कों को उन की क्योंकक हमारे लोगों के पा प्रेरणा
न् ु दर वदी को दे ख कर बहुत इज़त की नज़र े दे खते थे इ े बड़ीआ कोई काम था ह नह िं। इ लड़के मोहणी की
े ह कुछ मह नों बाद मैं भी ब
किंडक्टर लग गगया था और जज़िंदगी के ३६
ाल इ
काम पे बबताये और आखर में मझ ु े इ
का फायदा भी बहुत हुआ। भल ू न जाऊिं, मोहणी ने े शाद कर ल थी जो बहुत ह अच्छी थी लेककन वविाता
एक बहुत न् ु दर अाँगरे ज़ लड़की को मोहणी की ख़श ु ी मिंज़ूर नह िं थी और कुछ
ालों बाद जालिंिर के नज़द क मोटर
ाइकल
पर जाते हुए कक ी वाहन े टकरा कर मोहणी इ दनु नआ को छोड़ गगया था। उ की पत्नी इिंडडया आई थी और कुछ दे र इिंडडया में रह कर वाप आ गई थी। मोहणी ब का इतना चहे ता था कक आज भी जब कभी हम पुराने ररटायर हुए दोस्त समलते हैं तो मोहणी की बात जरूर होती है । चलता…
मेरी कहानी - 75 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 05, 2015 उ
मय की कुछ मजेदार बातें मैं अगर नह िं सलखग ूिं ा तो यह कहानी पूणट नह िं होगी और
आज के बच्चे, अगर कोई उन को बताएिं तो हिं
हम रहते थे यह 19 mostyn street था और इ इ
घर का मालक दशटन और उ
थे, एक में खद ु , उ बच्चों के स्टै ण्डडट
ाथ इिंडडया
हिं
कर लोट पोट हो जायेंगे। जज
के पा
घर में
वाले घर 17 mostyn street में
का मामा गुरदे व स हिं रहते थे यानी दशटन के दो घर होते
का मामा गुरदे व स हिं और दशटन की पत्नी जो अभी अभी दो छोटे छोटे े आई थी रहते थे और द ु रे में हम
भी रहते थे. उ
े हम अच्छी तरह रहते थे ककओिंकक दो बैड रूम के घर में हम स फट
मय के
ात लोग रहते
थे.एक में मैं और डैडी जी, द ु रे में ज विंत और गगयानी जी और ती रे (जो फ्रिंट रूम था उ
को भी बैड रूम के सलए ह इस्तेमाल करते थे ) में वोह जमेकन लल, उ
जीन और उन का एक पािंच कमरे का ककराया दे ते थे जज
ाल का बेटा दानी रहते थे. हम में बबजल और गै
की वाइफ
भी दो दो पाऊिंड हफ्ते का
का बबल भी शामल होता था यानी हम
स फट दो पाऊिंड कमरे का ककराया दे ते थे, और हमें कुछ नह िं दे ना पड़ता था. मेरे डैडी जी पहले 30 mostyn street में रहते थे जो हमारे एक गााँव वाले स हिं (नाम नह िं सलखग ूिं ा) का मकान होता था, जज
में बहुत लोग रहते थे. डैडी जी इ में मजबूर वश ह रह रहे थे ककओिंकक मकान मालक की आदतें अच्छी नह िं थी और बात बात पे बबजल और गै
बबल की बातें करता रहता था कक तुम बबजल और गै
बहुत जलाते हो. कभी कोई की आदत ऐ ी थी कक जब भी
बल्व ऑफ करना भूल जाए तो बहुत बोलता था. खद ु उ मौका समले द ु रे लोगों के पतीलों े ब्जी दाल चरु ा लेता था. उ तील
हह ाब
े जलाया जाता था और यह माच े लानी पड़ती थी. इ
की डडबबया
वक्त गै
को माच
की
की डडबबया हर एक को अपनी अपनी वार के
मकान मालक की आदत इतनी कमीनी थी कक यह हर एक
े एक दो तील कभी कभी ननकालता रहता और एक खाल डडबबया जो वोह छुपा
के रखता था को भरता रहता और जब उ
की वार आती तो वोह डडबबया ले आता और
कहता,”लो भई यह मेर डडबबया है ”. ककओिंकक मेरे डैडी जी ने अफ्रीका में बहुत अच्छी जजिंदगी बताई थी, उन को यह बातें बहुत बुर लगती थीिं. मेरे डैडी जी ने बताया कक वोह स्ट्रौब्री जाम के बहुत शौक़ीन होते थे और इ े डैं ववच बनाया करते थे। वोह अपना ारा ामान एक अलमार में रखते थे। एक हदन जब वोह डैं ववच बनाने लगे तो दे खा कक स्ट्रौब्री जाम का जार आिा हुआ हुआ था। उन्होंने ोचा कक उन्होंने तो स फट एक दफा ह डैं ववच बनाया था, कफर यह आिा कै े हो गगया! डैडी जी बहुत हुसशआर होते थे। उन्होंने जाम खाना ह छोड़ हदया और दे खा कक हदनबहदन जाम का
जार नीचे की ओर आ रहा था, जब बबलकुल नीचे आ गगया तो और ननकालना बिंद हो गगया। डैडी जी ने
मझ सलया कक इ
मालक के पा
अलमार की दो चाबीआिं होंगी और द ु र चाबी उ
मकान
ह होगी जो जाम खाता रहता था और जाम को जूठा करता रहता। इ
बात
पर डैडी जी बहुत हिं ा करते थे।
उन्होंने एक बात और बताई कक एक हदन वोह मकान मालक ककचन में रोट आिं पका रहा था, तभी एक ्मेकन जो कभी इ हो तो उ
मकान में रहा करता था, पछ ू ने आया कक उ
को दे हदया जाए। मकान मालक स हिं को पता नह िं ककया
रोट आिं पकाने वाला वेलन उ जमेका अपना हाथ
के
र पर मार हदया। उ
र पर रख के वावप
के
र
का कोई लैटर
मझ आई कक उ
ने
े खन ू बहने लगा। वोह
चले गगया। डैडी जी ने जब दे खा तो उन को पता
चल गगया कक अब झगड़ा बड़ जाएगा क्योंकक वोह अफ्रीका में रहते हुए इन काले लोगों को अच्छी तरह जानते थे कक वोह अब इकठे हो कर आएिंगे और जम कर लड़ाई होगी। डैडी जी उ ी वक्त पुसल काला अपने
स्टे शन की ओर चले गए जो नज़द क ह डिंस्टल रोड पर होता था। वोह
ाथ दो आदमी ले कर आ गगया और पहले एक आदमी हरबिं
स हिं लुहार जो
हमारे गााँव का ह था और दरवाज़े के नज़द क ह खड़ा था उ के मुिंह पर मुक्के मार हदए और हरबिं
के माथे
े खन ू बहने लगा। कफर उन्होंने एक और आदमी को पकड़ कर पीटना
शुरू कर हदया। जल्द ह डैडी जी और दो पुसल
मैन आ गए और उन्होंने आते ह लड़ाई
बिंद करवा द । मकान मालक जज
ने वेलन मारा था वोह बच गगया लेककन ननदोर् पीटे गए।
वोह ज़माना अच्छा था और पुसल
ने कक ी को भी चाजट नह िं ककया क्योंकक वोह जानते थे
कक यह लोग परदे ी थे और उनके काम का नुक् ान हो जाएगा। कफर एक हदन मेरे डैडी जी की मुलाकात गगयानी जी
े हो गई। गगयानी जी कहने लगे,” ािू
स हिं जी, यह घर आप के रहने के लायक नह िं है , आप हमारे
ाथ आ कर रहें और आज ह
एक कमरा खाल हुआ है ” उ ी हदन डैडी जी ने गगयानी जी के ाथ इ घर में रहना शुरू कर हदया और आज तक इ गगयानी जी के खानदान े हम जुड़े हुए हैं। हम चारों बहुत
खश ु थे लेककन वोह काल ्मेकन औरत बहुत बदहदमाग थी। उ के र पर जै े भूत वार हो जाता था, बात बात पे बोलती रहती थी, पता नह िं उ को क्या तकल फ होती थी। एक तो उन लोगों की अिंग्रेजी भी इतनी अजीब थी कक ऐ ा प्रोनन् ीएशन हम ने कभी नह िं था, अिंग्रेज़ों की तो हम कुछ कुछ
मझने लग गए थे लेककन इन लोगों को
ुना ह
मझना
अ िंभव था और ख़ा
कर इन के गाने तो ऐ े थे जो हम को बहुत वर्ों बाद पता चला कक उन को रै गे बोलते हैं और उन के गानों की टयून हमेशा गगटार पे एक जै ी िक् ु क चक् ु क, िक् ु क चक् ु क ह होती रहती थी। रवववार को वोह अपने कमरे में रे डडओग्राम हाई वौल ओम पर लगाते और डािं
करते ख़ा
कर जब हम अपने अपने कमरों में
रे डडओग्राम की आवाज़ हमें बहुत दख ु ी करती।
ोते तो उन के
कभी कभी जीन के भाई भी आ जाते और कुछ उन के दोस्त भी आ जाते और घर में इतना शोर होता कक हम तिंग आ जाते लेककन कुछ कह न
कते। कफर एक हदन हमें पता चला कक
वोह लोग यह घर छोड़ कर जा रहे हैं तो हम बहुत खश ु हुए। जब वोह घर छोड़ कर चले गए तो उन का कमरा एक आदमी जगद श लाल जोशी ने ले सलया। जगद श लाल जोशी ी़ हहदयाबाद गााँव का रहने वाला था जो फगवाडे रामगह़िया कालज के बबलकुल नज़द क है । जगद श ने अकेले ने ह कमरा सलया था, इ
सलए हम पािंच ह घर में रह गए जो हमारे
सलए बहुत अच्छा ाबत हुआ। जगद श लाल के दो भाई मेरे ाथ इिंडडया में रामगह़िया स्कूल में पड़ते थे लेककन अभी इिंडडया े आये नह िं थे। शननवार और रवववार को हमारे घर गगयानी जी को समलने बहुत लोग आया करते थे जो ज़्यादा तर गगयानी जी के गााँव के ह होते थे। गगयानी जी उन के िामट बगैरा भरते रहते, और जब कोई ना आता तो अपने घर को गचठ्ठी सलखनी शरू ु कर दे ते। जब गगयानी जी घर को खत सलखते तो हासशये पर भी सलखते रहते, यहािं तक कक खत का हर एक हहस् ा भर दे ते। खत वोह बहुत ह प्रीत िीरे और बहुत अच्छी हाथ सलखत े। ब्रुक हाऊ
में मेरा काम अब अच्छा हो गगया था और चार पािंच
े सलखते थे, िीरे
ौ पाउिं ड जमा भी कर सलए
थे और मुझे कुछ हौ ला हो गगया था। मैं और ज विंत अक् र हाँ ते रहते थे कक हम इिंडडया को शाद कराने तब जाएिंगे जब हमारे पा
एक हज़ार पाउिं ड जमा हो जाएगा। उ
मय
हज़ार पाउिं ड बहुत होता था। एक बात मुझे हमेशा खटकती रहती थी कक इिंडडयन गाने बहुत मुजश्कल े समलते थे और मुझे गानों का शौक बहुत होता था। कुछ लोग थे जो जब इिंडडया
जाते थे तो इिंडडया को इलैजक्ट्रक की टे प ररकाडटर ले जाते थे और वहािं जालिंिर, ववभद भारती और रे डडओ
ीलोन
े गाने ररकाडट कर के ले आते थे. जब इन लोगों के घर मैं गाने
ुनता
था तो मुझे बहुत अच्छे लगते थे। एक हदन मैं और डैडी जी टाऊन को गए, एक इलैक्ट्र कल चीज़ों की दक ू ान में हम ने एक टे प ररकाडटर दे खी जो हमें बहुत अच्छी लगी, इ का नाम था GRUNDIG TK 23. इ
के ऊपर दो बड़ी बड़ी र लें थीिं जो बहुत बड़ी थीिं और यह फोर ट्रै क थी। फोर ट्रै क होने के कारण इ में ौ के कर ब गाने ररकाडट हो जाते थे। हम ने उ ी वक्त यह टे प ररकाडटर ककश्तों पर ले ल । अब मैं गाने ढूिंढने लगा, कभी कक ी के घर, कभी कक ी के घर जाता। एक हदन मुझे एक दोस्त समल गगया जज उ
े
के पा
टे प ररकाडटर और कई
लगा कक
की टे प ररकाडटर और
भी गाने मैं घर ले आया। छुट का हदन था और दोस्त की टे प ररकाडटर
टे प ररकाडटर पर गाने ररकाडट करने लगा। भी हो
ौ गाने थे। उ
ब ु ह
े अपनी
े शाम हो गई। मझ ु े लालच था कक जजतने
कें गाने ररकाडट कर लाँ ।ू शाम को मकान मालक दशटन आ गगया और आते ह बोलने ब ु ह
े शाम तक ककतनी बबजल खचट हो गई थी। कफर वोह गै
के बारे में भी
बोलने लगा कक उ
का बबल बहुत आ रहा था। मेरा ारा मज़ा ककरककरा हो गगया और जब डैडी जी आये तो मैंने उन े कहा कक हम इ घर में नह िं रहें गे और अपना घर खर दें गे। गगयानी जी ने भी इ
बात का बहुत बुरा मनाया और डैडी जी भी अप ैट हो गए।
मैंने घर दे खना शुरू कर हदया। एक दो दे खे भी लेककन उन की ररपेअर बहुत होने वाल थी। एक हदन जगद श का एक भाई हर बिं मुझे रास्ते में समला (जगद श ात भाई थे)। मैंने उ
जज
को कोई घर दे खने को बोला। कुछ हदनों बाद हर बिं
हमारे घर आया और बोला कक
रोड पर वोह रहता है वहािं एक अाँगरे ज़ बज़ग ु ट समआिं बीवी अपना घर बेच रहे हैं और उन
के घर के
ामने for sale का बोडट लगा हुआ है । हम दोनों उ ी वक्त घर दे खने चल पड़े। जब हम ने गोरा गोर का घर दे खा तो दे खते ह प िंद आ गगया। यह घर दो बैड रूम का था और हमारे सलए काफी था। घर की कीमत थी 1250 पाउिं ड। मैंने 1200
ौ की ऑफर द
लेककन वोह 1250 पाउिं ड पर ह अड़े हुए थे। हर बिं पिंजाबी में मझ ु को बोला,” गरु मेल ! तझ ु े अब जरुरत है , घर भी अच्छा है , इ सलए ले ले”. हमारा ौदा हो गगया। घर आ कर मैंने डैडी जी को बताया और वोह खश ु हो गए। कुछ पै े कम थे, जी ने मुझे दे हदए और द ू रे हदन बाकी पै े मैंने बैंक के दफ्तर में । उ
को बताया कक मकान मालक
े मेरा
ौ पाउिं ड डैडी
े सलए और जा पौहिं चा एस्टे ट एजेंट ौदा हो गगया था। 650 पाउिं ड उ
को मैंने कैश दे हदए और 600 पाऊिंड के लोन के सलए बब्रटै नीआ बबजल्डिंग
ो ाइट को
अललाई कर हदया। मैंने अपना वकील वुले ऐिंड कम्पनी कर सलया था जो मेरे सलए काम करने लगे थे। कुछ ह हदनों बाद मुझे बबजल्डिंग
ो ाइट
े खत आ गगया कक मेरा लोन एप्रूव हो
गगया था जो मैंने 15 पाउिं ड मह ने की ककश्त के हह ाब
े द
ालों में वाप
करना था।
तकर बन 6 हफ्ते बाद मझ ु े मेरे वकील का कफर खत आया कक मैं घर की चाबी ले लाँ ।ू द ू रे हदन मैं वकील के दफ्तर में पौहिं चा और उ
े चाबी ले कर घर आ गगया।
डैडी जी बहुत खश ु हुए और मेर हहम्मत की दाद द । उ ी वक्त हम अपने घर की ओर चल पड़े। यह घर 34 CARTER ROAD था। डैडी जी को मैंने चाबी पकड़ा द , उन्होंने दरवाज़ा खोला और हम भीतर चले गए। ककचन दे ख कर डैडी जी खश ु हो गए। लगता था, गोरे ने घर बेचने
े पहले ह डेकोरे ट ककया होगा। आम घरों की तरह टॉयलेट और कोल रूम बाहर
ह थे और छोटा
ा गाडटन था।
ारा घर अच्छी तरह दे ख कर हम वाप
आ गए और
गगयानी जी और ज विंत को बताया कक कुछ फनीचर खर द कर हम चले जाएिंगे। गगयानी जी उदा
हो गए और डैडी जी को बोले,” ािू जी ! हम भी आप के
ाथ ह जाएिंगे, आप के
बगैर हमारा मन नह िं लगेगा”. डैडी जी बोले,”गगयानी जी यह तो बहुत अच्छा होगा, अगर आप भी हमारे ाथ चलो तो”.
उन हदनों हमारे लोग नया फनीचर बहुत कम खर दते थे बजल्क भी पुराना ह खर दते थे। टाऊन में औक्शन होती थी और बोल दे कर खर द लेते थे। कुछ ह हदनों में मैंने कुस य ट ािं
मेज़ और अल्मार आिं बगैरा खर द सलए लेककन बैड नए ह खर दे । यह फनीचर बेशक पुराना था लेककन बहुत अच्छी हालत में था। िीरे िीरे घर भरने लगा। ककचन के सलए नए बतटन और फ्लोर ाि करने के सलए ब्रूम और मौप बगैरा ब ले सलए। फ्लोर पर नई लाइनो ववछा द गई। यह काम करके हम ने बबजल और गै हम ने वैन हायर की और
ारा
का कुनैक्षन सलया। कफर एक हदन
ामान अपने घर में ले आये। गगयानी जी ने पहले अरदा
की और बैठ कर बातें करने लगे। गगयानी जी मेर हहम्मत की दाद और मझ ु े शाबाशी दे ने लगे कक ककतनी जल्द
ारा काम कर सलया था।
अब हमारा एक और जरूर काम था और वोह था दाल चारों राशन खर दने चल पड़े। उ ग्रो र शॉप खोल ल थी। वहािं
जब्ज़यााँ आटा दि ू बगैरा लाना। हम
वक्त लैस्टर स्ट्र ट में जो नज़द क ह थी एक स हिं ने े हम ने
ारा राशन खर दा और घर आ गए। यह हदन
हमारा ख़श ु ी का हदन था। खाना पका के मैं डैडी जी और ज विंत तीनों पब में चले गए जो
बहुत ह नज़द क था. गगयानी जी डड्रिंक नह िं करते थे इ सलए वोह घर पर ह रहे , इ पब्ब का नाम था JUNCTION INN. जब हम लब्ब में गए तो भी गोरे हमार तरफ दे खने लगे। वोह वक्त ऐ ा था कक बहुत लब्बों में हमें वट भी नह िं ककया जाता था अगर करते भी तो ववत्करा करने के उन के अपने ढिं ग होते थे। मुझे याद है एक दफा मैं और बहादर एक लब्ब में गए थे जो जिंक्शन इन ् के ह नज़द क था। गोरे ने हमें ग्ला
तो दे हदए लेककन जब हम
बबयर पी रहे थे तो बहादर मुझ को बोला,” गुरमेल ! जरा गियान पा
ललेन गला ज़ है , लेककन हम को उन्होंने हैंडल वाले ग्ला
े दे ख,
हदए हैं, इ
भी लोगों के सलए हम यहााँ
े चलते हैं”. यह भी हमको नीचा हदखाने का एक ढिं ग होता था। डैडी जी मैं और ज विंत लोगों को दे ख एक एक ग्ला ऐश ट्र की और चल पड़े जो द
पी कर पब्ब
े बाहर आ गए और
समनट की दरू पर ह था। ऐश ट्र हमारे सलए अपने घर
जै ा ह होता था। ज विंत और डैडी जी की दोस्ती में उम्र का कोई बिंिन नह िं था, ज विंत अक् र डैडी जी को”ककद्दािं बहुत शैताना!” कह कर बुलाया करता था, इ में उनका एक अपनापन छुपा होता था। जब हम जिंक्शन इन े ननकलने लगे थे तो पब्ब वाले की पत्नी मोट बुडडया को दे खकर मैंने उ े” ाल ट्रक बुडड़आ हमार ओर दे ख रह थी, वोह
ी” बोला था और हम तीनों हिं
मझ गई थी कक हमने उ
पड़े थे। गोर
के बारे में ह बोला होगा
और वोह हमार तरफ घरू घूर कर दे ख रह थी। अब हम ऐश ट्र में बैठे बबयर पी रहे थे
और ज विंत डैडी को बोला,”बहुत शैताना, गरु मेल की ट्रक वाल बात पे मुझे इतनी हिं ी आई कक मेरे हाथ े ग्ला छूटने लगा था”. हमारे ाथ जो ववतकरा ककया जाता था, उ का खात्मा बहुत
ालों बाद हुआ जब discrimination act पा
हुआ था और इ
के बाद हम
कह िं भी जा
कते थे और कोई गोरा हमारे
ाथ ववतकरा करता तो उ
के खखलाफ के
कर
कते थे। अब तो वोह बात रह ह नह िं और यह भी एक इतहा ालों बाद यह
का ह हहस् ा है । बहुत ारे पब हमारे लोगों ने ह खर द सलए थे और अब गोरे हमारे पब्बों में जाने
लगे थे, उलट गगनती शुरू हो गई थी। काफी दे र हम तीनों बीयर पीते रहे और घर आ गए, रोट खाई और बातें करने लगे। दशटन के घर
े ननकल कर हमें लगा जै े हम को एक
घर के
दस्य की तरह रहने लगे थे, एक नया अगिआए शरू ु हो गगया था,
हो गई थी, जै े हम जेल
ािं
आ रहा हो। अब हम
ब
ार टैंशन खत्म
े ननकल कर खल ु हवा में आ गए हों। हमारा आप
इतना था कक घर तो मेरा था लेककन लोग चलता…
ख ु का
में वपयार
मझते कक यह घर गगयानी जी का था।
मेरी कहानी - 76 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 09, 2015 बहादर, उ
का छोटा भाई हरसमिंदर जज
को हम लड्डा बोलते थे (लड्डा उ
का बचपन का
वपयार का नाम था) और मैं तकर बन दो तीन हफ्ते बाद जरुर इकठे होते थे। बहादर और उन के चाचा जी के र स हिं ने तो अपना मकान बहुत पहले ह ले सलया था जो 155 NINVEH ROAD था। और हमारे ाथ एक और लड़का होता था जगद श। जगद श और बहादर की दोस्ती तो अभी तक बरकरार है और हर रोज़ लाएब्रेर में समलते हैं। जगद श और बहादर की यह दोस्ती इ सलए है कक जब यह इिंडडया आये थे और ककओिंकक जगद श ने अपने जज
े आये थे तो इकठे एक ह ललेन में
ररश्तेदार के घर जाना था वोह बहादर के चाचा
जी को भी जानता था और उनका घर भी बहुत दरू नह िं था, इ सलए यह दोस्ती एक ररश्तेदार की तरह ह हो गई। बहुत पहले मैं हे मराज हलवाई के बारे में सलख चक् ु का हूाँ जो जगद श का ह ररश्तेदार था और हे मराज बनाने
ीखे थे, जज
े ह जगद श ने वववाह शाद ओिं के सलए खाने
े वोह एक परस ि हलवाई बन गगया था. जब भी हम समलते, चारों
दोस्त इकठे हो कर मस्ती करने जाते। हम किल्में दे खने जाते, पाकों में जाते और आखर में बहढया
े बहढया लब्ब में जाते और बीअर का मज़ा लेते। बीअर तो एक बहाना ह होता था
इकठे समल बैठने का। बीअर हम को इतनी माने नह िं रखती थी जजतनी बातें करके मज़ा लेने की होती थी। हम ताश खेलते, डाटट खेलते, और खब ू बातें करते। 1960
े पहले जो लोग आये थे वोह ज़्यादा तर पजत्नओिं के बगैर ह होते थे क्योंकक इिंग्लैण्ड
में रहने का कक ी का भी ववचार नह िं होता था। एक ह मक द होता था कक कुछ पै े जमा हो जाएाँ और गााँव में अपने अपने घरों की आगथटक वयवस्था अच्छी कर लालच होता था कक एक पाउिं ड के 13 रूपए इिंडडया में समल जाते थे जज
कें। एक यह भी
े इिंडडया में काफी
पै े समल जाते थे और हमारे आने के बाद तो एक काम और भी शुरू हो गगया था और वोह था ब्लैक में पै े भेजने का। मुझे यह नह िं पता कक यह कै े होता था लेककन मुझे याद है
पब्बों में हमारे कुछ इिंडडयन लोग एजेंट बने हुए थे जो इिंडडया में एक पाउिं ड के बी बाइ रूपए दे दे ते थे और यह ब़िते ब़िते चाल रूपए तक हो गए थे। इ के कुछ दे र बाद तो इ
े भी अगिक हो गए थे। आज जब भारत में बबदे ों में काले िन की बात होती है तो
मुझे लगता है यह भी काले िन का ह एक हहस् ा होगा क्योंकक बहुत अमीर लोग इिंडडया में अपनी अन टै क्स्टड मनी को इिंडडया में ह स्ते दामों पर बााँट दे ते होंगे और इ के पाउिं ड और डॉलर बबदे
में ले कर बबदे शी बैंकों में ह रख दें गे होंगे। यह मेरा अिंदाज़ा ह है , मैं
गलत भी हो
कता हूाँ। मेरा सलखना तो इ सलए ह है कक हमारे लोग करड़ी मुशकत करके अपने अपने घरों को पै े भेजते थे ताकक इिंडडया में अपनी और अपने भाईओिं की आगथटक वयवस्था
ुिर
के।
लेककन 1960 के बाद स्कूलों कॉलजों तो
गाई करवा के आते थे और कुछ
लेते और इिंग्लैंड में वाप
े जवान लड़के आने शुरू हो गए थे। इन में कई लड़के ाल काम करके वाप
इिंडडया जा कर शाद करवा
आ कर अपना घर खर दने की कोसशश करते। कुछ दे र बाद उन
की पत्नीआिं भी आ जातीिं। उ की फोटो
वक्त तो बहुत शाहदयािं ऐ ी भी होती थीिं की इिंडडया में लड़के े ह शाद कर द जाती थी और बाद में जब वोह लड़का इिंगलैंड में अपना घर
खर द लेता तो वोह अपनी पत्नी को मिंगवा लेता। इ कोई जरुरत नह िं होती थी, द ू रा उ
े एक तो लड़के को काम छोड़ने की
का ककराया आहदक बच जाता था। जवान लड़कों की
दे खा दे खी अब तो परु ाने लोग भी घर लेने लगे थे और उन के बच्चे इिंडडया
े आने लगे थे
जजन में कई बच्चे तो अब बहुत बड़े थे जो आ कर काम करने लगे थे। वल् ु वरहै म्पटन में पहला गरु दआ ु रा किनी स्ट्र ट में एक परु ाना चचट खर द कर बनाया गगया था। यह बहुत खस्ता हालत में था और इ
में गगयानी भी कोई नह िं था।
स फट कुछ लोग जो थोह्नड़ा बहुत गुरबाणी प़िना जानते थे वोह काम े वाप आ कर गुरदआ ु रा खोल लेते और पाठ करने लगते। क्योंकक कोई तजुबेकार गगयानी तो होता नह िं था, मुझे याद है एक आदमी की तो एक जोक परचलत थी, वोह यह कक एक आदमी की यहािं मत्ृ यु हो गई। उ उ
के फ्यन ू रल के बाद जब गुरदआ ु रे में भोग पाया गगया तो अरदा
आदमी ने अरदा
अरदा
गलत बोल द । गुरु ग्रन्थ
कर रहा था तो उ
ने गलती
ाहब के
े कह हदया,”हे
के वक्त
ामने खड़ा हो कर जब वोह
च्चे पातशाह, इ
परशाद की दे ग हाजर है ” कुछ लोग उ ी वक्त खड़े हो गए और उ को
ख़श ु ी में कड़ाह
ह अरदा
करने के
सलए कहा गगया। यह जोक बहुत दे र तक परचलत रह कक ववचारा अरदा करने वाला ारा हदन बारह घिंटे काम कर करके तो पहले ह पागल था, अरदा ककया होनी थी। अब कुछ
कुछ शाहदयािं भी यहािं ह होनी शुरू हो गई थीिं जो घरों में ह कुछ दोस्त इकठे हो के कर दे ते और इ
के बाद पब्ब में चले जाते। घर के लोग ह इकठे हो कर
ादा भोजन बना दे ते। घर
में बैठ कर ह खाना खाने के बाद लड़की को ववदा कर हदया जाता। उन हदनों को याद करके कभी कभी हिं ी भी आ जाती है । कभी कभी हम चारों पब्ब
े आते
वक्त मीट जो ज़्यादा तर गचकन का ह होता था, ले आते। एक बड़े पतीले में पािंच छै लयाज़ काट कर डाल दे ते और उ
में एक हटक्की बटर की जो आिा पाउिं ड की होती थी डाल दे ते।
बीच में अिरक ल ुन और हर समचें डाल दे ते और तड़का भूनना शुरुम कर दे ते और म ाले भी डाल दे ते। लड्डा आटा गूिंिने लगता। आटा गूिंिते वक्त उ
ारे
की उिं गसलओिं को दे ख
दे ख कर हम हाँ ते लेककन यह काम हमेशा लड्डे के जज़मे ह होता था और रोट आिं भी वोह पकाया करता था जो कक ी दे श के नक़्शे जै ी ढ ल
ी होतीिं थीिं। मीट में घी ज़्यादा होने के
कारण बहुत ह स्वाहदटट होता था। जब मीट बन जाता तो पतीले के इदट गगदट बैठ कर खाने
लगते और बातें भी करते रहते। कभी कभी तो
भी पतीले में ह खाने लग जाते। इ
में
इतना मज़ा होता था कक बताना मुजश्कल है । मेरे डैडी जी चार पािंच मील दरू dudley में काम करने लग गए थे। पर पौहिं चना मुजश्कल हो जाता था, इ
हदट ओिं के हदनों में काम
सलए उन्होंने वह ीँ dudley के netherton इलाके में
ककराए पर कमरा ले सलया था। कभी कभी डैडी जी मुझ को समलने आ जाते और कभी मैं वहािं चले जाता। टे ल फून होता नह िं था, इ
सलए कोई जरूर काम हो तो खत डाल हदया
करते थे। एक दफा डैडी जी ने मझ ु े खत डाल कर मझ ु े netherton बल ु ाया। जब मैं वहािं पौहिं चा तो उ
हदन डैडी जी कुछ ज़्यादा ह खश ु थे। मेरे जाते ह वोह मझ ु े एक पब्ब में ले
गए। दो दो ग्ला
बीअर के पी के हम वाप
आ गए। कफर डैडी जी ने रै ड वाइन की बोतल
खोल और हम पीने लगे। पीते पीते डैडी जी ने मझ ु े बताया कक उन्होंने इिंडडया जाने की बक ु करा ल थी। डैडी जी मझ ु को कहने लगे,” गरु मेल ! अब मैं तिंग आ गगया हूाँ, तेरा बड़ा भईया अफ्रीका में अफ्रीका में
ैट है और तू यहािं
ीट
ार जज़िंदगी बबदे ों में काट कर
ैट है , तेर बहन जी भी शाद करा के
ैट हो जा और कुछ दे र बाद इिंडडया आ कर शाद करा के
अपनी पत्नी को यहािं ले आ, क्योंकक घर तो तूने अब ले ह सलया है । तेरा छोटा भईया इिंडडया में
ैट हो जाएगा, इ
सलए मैं तुम
ब की ओर
े फ्री हो जाऊाँगा, अब बाकी की
जज़िंदगी मैं गााँव में ह गुज़ारना चाहता हूाँ”. मुझे कुछ झटका डैडी जी ने मेरे गलॉ
ा लगा और उदा
हो गगया।
में कुछ वाइन और डाल द और बोतल ख़त्म हो गई थी। वाइन में
ज़्यादा नशा नह िं होता, इ
सलए हम
मान्य बातें करते रहे । खाना बना कर पहले ह डैडी
जी ने रखा हुआ था। खाना खा कर मैं वुल्वरहै म्पटन को आने के सलए तैयार हो गगया। डैडी जी मुझे ब पर च़िाने के सलए आये। ब पकड़ कर मैं वल् ु वरहै म्पटन वाप आ गगया। इ
के एक हफ्ते बाद डैडी जी अपना
ारा
ामान ले कर मेरे पा
पर जाने की तैयार करने लगे। डैडी जी हमेशा बाई डॉकयाडट
आ गए और हम
ी ह जाना प िंद करते थे। सशप हटलब्री
े चलना था। नीयत हदन हम वुल्वरहै म्पटन रे लवे स्टे शन
े लिंदन की ट्रे न में बैठ
गए और दो घिंटे में लिंदन पैडडिंगटन रे लवे स्टे शन पर पौहिं च गए। वहािं ट्रे न पकड़ी और
ीिे हटलबर
ीपोटट पर जा पुहिंच।े डैडी जी
जहाज़ की ट्रै वल किंपनी पी ऐिंड ओ के ऑकफ इिंडडयन आदमी मेरे पा
आया और मुझ
कह िं खो गगया था और उ
के पा
पाउिं ड दे दाँ ू और वोह मेरे घर द
े हम ने अिंडरग्राउिं ड
ामान के पा
मुझे छोड़ कर
की और चले गए। तभी एक वैल
े अिंग्रेजी में बातें करने लगा कक उ
ूटड बूटड
का बटुआ
कोई पै ा नह िं था। मुझे कहने लगा कक मैं उ
पाउिं ड का चैक भेज दे गा। मैं द
लगा था कक उिर डैडी जी ने दे ख सलया और वहािं
ीपोटट
पाउिं ड उ
को द
को दे ने ह
े ह मझ ु को बोले,” दफा कर इ
को !
ऐ े बहुत चालाक आदमी दे खे हैं, यह दगाबाज लोग हैं”. डैडी जी की बात न ु कर मझ ु े मन ह मन में डैडी जी पर बहुत गस् ु ा आया कक उन्होंने बहुत गलत बोला था। वोह शख् वहािं
े एक दम चले गगया। कुछ दे र बाद मैं और डैडी जी अपना
ामान सशप की और ले जाने
लगे तो मुझे यह दे ख कर बहुत है रानी हुई कक जो शख् मुझ े पै े मािंग रहा था, वोह अपने दोस्तों के ाथ जजन में कुछ फैशनेबल कटे हुए बालों और स्कटट पहने हुए लड़ककआिं भी थीिं वोह हिं
हिं
कर उन े बातें कर रहा था। मुझे ताउज़ब हुआ कक डैडी जी ककतने ह और हुसशआर थे कक उन्होंने ककतनी जल्द पहचान सलया था कक यह शख् चालाक था। ार जज़िंदगी में मुझे ऐ ा शख् कभी नह िं समला और मैं भी इ बात े हुसशआर हो गगया था कक कुछ लोग इ
दनु नआ में हैं जो हमार शराफत का नाज़ायज़ फायदा उठा
ट्रॉल पर हम ने अपना डैडी जी ने पा नज़द क ाथ
ामान रखा और सशप में जाने के सलए तैयार हो गए। मेरे सलए भी
ले सलया था। सशप तो नज़द क ह खड़ा था जै े हम कक ी शहर के पा
हों।
े मैंने कभी भी सशप नह िं दे खा था। रैंप पर मैं ट्रॉल घ ीट रहा था और डैडी जी
ाथ बड़े बड़े बैग पकडे आ रहे थे। आगे गए तो स्माटट कैप और गचटटे कपड़ों में एक
कैपटन जै ा गोरा खड़ा था, उ कक
कते हैं।
ने पा पोटट और ट्रै वल डाकुमें ट दे खे और डैडी जी की बथट
ओर थी, इशारा कर हदया। हम ऐ े जा रहे थे जै े गसलओिं मुहल्लों में घूम रहे हों।
कमरे ह कमरे हदखाई दे रहे थे जजन पर निंबर लगे हुए थे। डैडी जी को तो बहुत तज़ुबाट था, इ सलए उन्होंने जल्द ह अपना कैबबन ढून्ढ सलया। चाबी लगा कर डैडी जी ने दरवाज़ा खोला और हम अिंदर चले गए। छोटा जी ने अपने हह ाब
े
ारा
ा कैबबन था लेककन बहुत बड़ीआ था। कैबबन में डैडी ामान रख हदया। कफर डैडी जी मुझे कहने लगे,”चल तुझे ारा
सशप घुमा कर हदखाऊिं” और हम चल पड़े। दे ख दे ख कर मैं है रान हो रहा था कक यह सशप था या कोई छोटा
ा शहर। जहाज़ में बहुत ी मिंजज़लें दे ख दे ख कर मैं है रान हो रहा था। एक मिंजज़ल पर तो दरू दरू तक कारें ह कारें हदखाई दे ती थीिं, एक पर बड़े बड़े कन्टे नर रखे
हुए थे, पता नह िं उन में ककया ककया होगा। एक स्टोर पर गए तो कुछ गोरे स्वीसमिंग पूल में नहा रहे थे, एक जगह टै नन खेल रहे थे। कफर हम ने डाइननिंग हाल दे खा जो बहुत बड़ा था और उ
पर टे बल और कुस य ट ािं रखे हुए थे। एक तरफ बहुत बड़ीआ बीअर बार थी और काउिं टर के पीछे तरह तरह की बोतलें रखी हुई थी। एक जगह बड़ा ा खाल ललैटफॉमट ा था। डैडी जी ने बताया कक इ
पर गोरे गोर आिं डािं
करते हैं और बैंड वाले बैंड बजाते हैं।
घूम घूम कर हम थक गए थे। हम वाप अब मैंने अकेले ह रहना था, इ
कैबबन में आ गए। बहुत बातें हम ने कीिं। क्योंकक सलए उन्होंने मुझे बहुत ी न ीहतें द िं। यह भी कहा कक
कुछ दे र बाद मैं इिंडडया आ कर शाद करा लाँ ू और इिंगलैंड में गले लग कर समले और भरे मन आाँखों में
े मैं वाप
ैट हो जाऊिं। हम बाप बेटा
चल पड़ा। पीछे मुड़ कर मैंने दे खा डैडी जी की
े आिं ू बह रहे थे। रोता रोता मैं भी चलने लगा। ट्रे न पकड़ कर मैं पैडडिंगटन रे लवे
स्टे शन पर पह ु ाँ च गगया।(उन हदनों लिंदन पैडडिंगटन पर ह जाया करते थे लेककन बाद में आज तक हम यस् ू टन रे लवे स्टे शन पर ह जाते हैं)। वल् ु वरहै म्पटन का हटकट मैंने सलया और ट्रे न
में बैठ कर वुल्वरहै म्पटन की ओर रुख त हो गगया, ककया मालुम था कक अब इिंगलैंड ह मेरा दे श बन जाएगा और भारत मेरे सलए स फट चलता…
पनों का दे श ह रह जाएगा।
मेरी कहानी - 77 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 11, 2015 डैडी जी को को ववदा करके जब मैं ने पैडडिंगटन
े ट्रे न पकड़ी तो मेरे मन में बहुत खखयाल आ रहे थे। मुझे वोह हदन याद आये जब मैं राणी पुर े चला था। एक कफल्म की तरह ारे ीन हदमाग में घूम रहे थे। गगयानी जी और ज विंत का
जजन को पहले कभी दे खा ह नह िं था एक कर कर के
ाथ और इतने लोगों का समलना
पने जै ा लग रहा था। इन
ार बातों को याद
ूई बहादर लड्डे और जगद श पर आ हटकती।
ज विंत और मेरा
ाथ रोज का था लेककन यह इ
बात तक ह
ीमत था कक हम रोज़
इकठे काम पर जाते और शननवार और रवववार को पब्ब में जा कर बीअर और वहािं के वातावरण में लोगों की बातों का मज़ा लेते। इ की इजाजत थी और ना ह उ
के स वा न तो ज विंत को स ननमा दे खने
को जेब खचट के सलए हदए गए पै ों
े ज़्यादा खचट करने की
इजाजत थी। गगयानी जी बहुत अच्छे इिं ान थे लेककन पै े के मआ िं मी ु मले में बहुत ह ज थे। जब भी ज विंत को तन्खआ ु ह समलती तो घर आ कर तन्खआ ु ह का लफाफा बगैर खोले
गगयानी जी को पकड़ा दे ता। गगयानी जी लफाफे को खोल कर ज विंत को एक पाउिं ड दे दे ते और बाकी पै ों को हफ्ते का राशन खर द कर अपनी तन्खआ ु ह के दे ते। यह एक पाउिं ड ज विंत का
ारे हफ्ते का ब
ाथ बैंक में जमा कर
का ककराया और बीअर का खचट होता था।
गगयानी जी की जज़िंदगी गर बी में बतीत हुई थी,और शायद यह ह कारण था कक वोह एक भी पैनी फज़ूल खचट नह िं करते थे और ना ह ज विंत को करने दे ते थे। इ सलए मेरा और ज विंत का
पले बच्चे उ
ाथ ब
इतना ह होता था। हर घर का अपना एक स स्टम होता है ,जज
के मुताबक ह चलने लगते हैं। बहादर तो मुिंह में चािंद के चमचे के
में
ाथ ह
जन्मा था और मेरे डैडी क्योंकक जवानी की उम्र में ह अफ्रीका चले गए थे,और अच्छी जज़िंदगी जीने के आहद थे,इ
सलए हम को पै े खचट करने की कोई बिंहदश नह िं थी। जो जी चाहे हम
खर द लेते और यहािं चाहें हम चले जाते थे। जज़िंदगी में पहल दफा मैंने कोई इिं ान दे खा जो हर पैनी को रै जजस्टर में सलखता हो। गगयानी जी ने एक बहुत बड़ा रै जजस्टर रखा हुआ था। उ रहते। हफ्ते का ककतना ककराया हदया,ककतने की कौन
ी जरूर चीज़ खर द । इन
समल तन्खआ ु ह में
ज विंत गगयानी जी वोह इ
े इ
में वोह एक एक चीज़ की कीमत सलखते ब्ज़ी खर द ,ककतने के लयाज़ खर दे ,हफ्ते में
ब चीज़ों के खचे को हफ्ते के आखखर में जोड़ करते और
खचे को ननकाल करके दे खते कक उ
हफ्ते ककतने पै े बचे थे।
े भी आगे था। हर हफ्ते कोई सशसलिंग या आिा सशसलिंग बच जाता तो
को जमा करता रहता और इ
को तब खचटता जब पब्ब में ज़्यादा बीअर पीने को
उ
का मन करता हो। ज विंत की एक ह हॉबी थी और वोह थी बीअर पीने की,इ
स वा उ
के
को कक ी बात का भी शौक नह िं था,ना पड़ने के सलए लाएब्रेर जाने का,ना स ननमा
दे खने का और ना कह िं घूमने का। डैडी जी कई दफा हिं
कर गगयानी जी को कह दे ते थे,” गगयानी जी यह रे जजस्टर की ककया
जरुरत पड़ गई, ककया आप का कोई बबज़ने
है ?”. गगयानी जी जवाब दे ते,”
ािू स हिं
जी,मैंने शरोमखण कमेट में इिंस्पैक्टर का काम ककया है और मैं बहुत े गरु दआ ु रों का अकाउिं ट चैक ककया करता था और इ बात े ह मैंने घर का अकाउिं ट रखना ीखा है ,हफ्ते के आखखर में अगर एक पैनी का भी फरक पड़ जाए तो तब तक मैं हह ाब करता रहता हूाँ जब तक वोह पैनी का पता न लग जाए कक कहााँ पर फरक पड़ा था”. डैडी जी हिं पड़ते और पीठ पीछे गगयानी जी को महााँ किंजू
कह दे ते।
एक दफा तो ऐ ा हुआ,मैं काम े आया और खाना खाने के सलए मैंने दाल को तड़का लगाना था। मेरे लयाज़ खत्म हो गए थे,इतना वकत मेरे पा नह िं था कक जा कर दक ू ान ले आऊिं क्योंकक मैंने वाप
काम पर जाना था। मैंने एक लयाज़ गगयानी जी की टोकर
े े
सलया,तड़का लगाया और खाना खा कर काम पर चले गगया। द ू रे हदन गगयानी जी जगह जगह ककचन में कुछ ढून्ढ रहे थे। आखर में उन के मुिंह
े ननकल ह गगया,” कब
े ढूिंढ
रहा हूाँ,एक लयाज़ कम है ,पता नह िं कहााँ चले गगया”. मैंने कहा गगयानी जी,” मैंने सलया
था,क्योंकक मेरे खत्म हो गए थे,मैं कल को ला दिं ग ू ा”. गगयानी जी बोले,” नह िं नह िं वाप की कोई जरुरत नह िं, मैं तो स फट
दे ने
ोच रहा था कक पािंच लयाज़ थे,अब चार हैं,एक कहााँ
गगया”. इतना हह ाब गगयानी जी रखते थे। मुझे नह िं पता कक उन की यह आदत अच्छी थी या नह िं लेककन इतना मझ ु े पता है कक इ
हह ाब ककताब का उन को शायद ह कोई फायदा हुआ हो,इ लयाज़ की बात े मैंने बहुत शमट मह ू की थी और जज़िंदगी में आगे े कभी भी कोई चीज़ नह िं चरु ाई। यूिं तो अब मेरे
बहुत दोस्त बन गए थे लेककन बहादर और लड्डे को समले बगैर मन को कून नह िं समलता था। कई दफा हम एक द ू रे को खत सलखते जजन में मज़ाक की बातें सलखते। मुझे याद है एक दफा मैंने बहादर और लड्डे को एक खत सलखा था जज
में बहुत मज़ाक और हिं ी वाल बातें सलखी हुई थीिं और जब मैं बसमिंघम उन दोनों को समलने गगया तो लड्डे ने मेरा वोह खत ननकाला और पड़ पड़ कर हम बहुत हाँ े। गगयानी जी की
िंजमी बातों को ले कर मैंने कभी भी
ोचा नह िं था। मेरा उन का
ाथ तो
एक गरु ु सशटय जै ा था,मैं उन की बहुत इज़त करता था। एक दफा वोह खद ु ह मझ ु े बताने लगे,गरु मेल !” मेर कुछ आदतें शायद लोगों को अच्छी ना लगती हो लेककन जज मजु श्कल
दौर
े मैं गुज़रा हूाँ वोह बताने े कुछ फकट नह िं पड़ेगा,वोह तो स फट मेह ू ह ककया जा कता है । पड़ने में मैं हुसशआर था लेककन घर की गर बी मुश्कलें खड़ी कर रह थीिं। मेरे बापू खेती करते थे लेककन जमीन इतनी नह िं थी,मेर मााँ रूक्मण जज को हम भी रुक्को बोलते थे,ववचार हदन रात काम में म रूफ रहती थी। मेरे दो छोटे भाई थे जो अभी बहुत छोटे थे और एक बहन भी थी। मेरे बापू खाने पीने के स लस ले में बहुत बे मझ थे,लड्डू खाने शरू ु करते तो एक ेर ह खा जाते,जलेबबयााँ शरू ु की तो खाए ह जाना। एक दफा उ
ने इतनी जलेबबयााँ खाई कक उ
गगया,इलाज के सलए इतने पै े नह िं थे और इ घर का
रोग
को
िंगग्रहणी का रोग हो
े ह वोह हमें अलववदा कह गगया और
ारा बोझ मेरे कन्िों पर छोड़ गगया। मैंने मैहट्रक कर ल थी और काम ढूिंढने की
ोच में था लेककन बापू की वजह
े खेती करनी पडी। मझ ु े खेती का इतना तज़ब ु ाट नह िं था।
हल कभी चलाया नह िं था।
जब खेत में हल चलाना शुरू ककया तो बैल भाग गए। लोग हिं ने लगे कक यह स्कूल का
लड़का क्या ख़ाक करे गा खेती !. मैंने भी अब ठान सलया था कक इन गााँव वालों को काम करके हदखाऊिंगा। िीरे िीरे काम शुरू हो गगया। बापू ने कभी भी ठीक तरह
े काम नह िं
ककया था,मैंने खेती की कुछ ककताबें पड़ीिं,अपनी खाद बनाने पर जोर हदया,कई कई दफा हल चलाया,खेतों में
े घा
ननकाला और खेतों की मटट आटे जै ी हो गई। फ लें ऐ ी होने
लगीिं कक लोग है रान होने लगे। िीरे िीरे छोटे बहन भाई बड़े हो गए,उन की शाहदयािं कीिं। छोटे भाई खेती करने लग गए थे और मैं भी अब
ारा काम उन पर छोड़ कर शरोमखण
कमेट अमत ु रों का हह ाब ककताब करने के सलए नौकर ले ल । और कुछ ृ र में गुरदआ काम करके मैंने इिंगलैंड आने की
ोची। ककराए के पै े पा
बेचने का मशवरा हदया लेककन उ
वक्त एक दोस्त मेर मदद पे आया जज
ाल
नह िं थे, ररश्तेदारों ने ज़मीनिं ने बगैर कक ी
सलखत के मुझे पै े दे हदए और मैं यहााँ आ गगया और मुझे काम भी जल्द ह समल गगया। ब
े पहले मैंने दोस्त के पै े वाप
ककये”
गगयानी जी की आाँखों में नमी थी और कफर बोले,” गुरमेल ! गुड ईयर टायर फैक्ट्र में मैं ने चार
ाल
ोला
ोला घिंटे खाम ककया। यों तो आठ घिंटे की सशफ्ट होती थी लेककन जब
ोला घिंटे काम करना हो तो इ
को डब्बल कहते थे,एक दो डब्बल हफ्ते की तो
भी कर
लेते थे लेककन मैंने पािंच पािंच डब्बल हफ्ते की लगाईं,बहुत पै े कमाए,इन पै ों े मैंने गााँव में आठ एकड़ जमीिंन खर द ,गााँव में बल्ले बल्ले हो गई। मैं कफर काम पे आ गगया और कफर डब्बल लगानी शरू ु कर द । एक हदन मैं काम पर खड़ा खड़ा गगर गगया और मझ ु े एम्बुलें
में हस्पताल ले गए,दो मह ने मैं हस्पताल में रहा,मेरा शर र आिा रह गगया था,िीरे िीरे ठीक
होने लगा और अपने आप में है ,अगर मरना है तो इ
ोचने लगा कक अगर मुझे जीना है तो आठ घिंटे काम बहुत ोला घिंटे करता रहूाँ। तिंदरुस्त हो कर मैं वाप काम पे चला गगया और
के बाद कभी भी चाल
रखना शुरू कर हदया जज आज मैं पैं र वल ू वथट
घिंटे
े ज़्यादा काम नह िं ककया और अब
े स हत का गियान
के सलए ककताबें पड़नी शुरू कर द िं”
ोचता हूाँ कक गगयानी जी स हत का इतना खखयाल रखते थे कक वोह माक् ट ऐिंड े बडडआ कुआसलट की लैहट और टमाटर खर दते,बड़ीआ कुआसलट की जब्जआिं े लेते और कफर चले जाते ह थ ऐिंड ह थज़ट के है ल्थ स्टोर में ( इ
हौलैंड ऐिंड बैरेट है )। वहािं की होती थी और यहािं
े उन की अपनी ब्रैंड की ब्रैड खर दते जो
ब
का नाम अब
े बड़ीआ कक म
े ह वोह ड्राई फ्रूट,शहद की पीपी जो तकर बन दो ककलो की होती
थी,बारले,बड़ीआ कक म के ओट
जज
ववटे समन्ज़। और इ
े ब्रेकफास्ट के सलए दसलआ बनाते,बहुत
े
के इलावा वोह ब्रैन जो गें हूाँ का नछलका होता है लेते जज को वोह दसलये में डालते थे। बड़ीआ कक म का फ्रूट लेते थे। और भी बहुत चीज़ें थीिं जो वोह इस्तेमाल करते थे। स हत के बारे में हर दफा कोई न कोई ककताब ह थ ऐिंड ह थर को डाक्टर के पा
े ले आते। मैंने कभी भी उन
जाते नह िं दे खा था। आख़र हदन तक जब वोह 90
ब्लड प्रेशर एक जवान जै ा था और डाक्टर है रान थे। आख़र हदनों में
ाल के थे,उन का
ब ने उ
की बहुत े ा की थी। आज जब मैं यह सलख रहा हूाँ तो उन की याद बहुत आती है । उन की बातें व
सलखने को तो बहुत हैं, जो सलखा है उन में बहुत ी तो बाद की बातें हैं,मैं तो स फट जब वपता जी को हटलब्री छोड़ कर वुल्वरहै म्पटन आ रहा था तो मन उदा था और बहुत कुछ हदमाग में घूम रहा था। आज जब सलखने बैठा तो गगयानी जी के एक
ाथ बीते हदन याद आ गए.गगयानी जी की जज़िंदगी
िंत जै ी थी जजन को ना तो कोई अपने सलए अच्छे कपडे की जरुरत थी ना अच्छे
जूतों की। वोह तो अपने पररवार के सलए ह काम करते थे। एक
ेवा होता था। उ
ोशल वकट करना उन के सलए
मय जो लोग पहले आये थे वोह ज़्यादा तर अनप़ि ह होते थे
और गगयानी जी कभी कक ी के
ाथ कभी कक ी के
का काम करने जाते ह रहते थे। काम
े वाप
ाथ वकीलों डाक्टरों के पा
आ कर कक ी के
दोभावर्ए
ाथ जाना इतना आ ान
नह िं होता लेककन वोह कक ी को इिंकार नह िं करते थे। गुरबाणी में उन का लगाव बहुत होता था। ुबह वेरे दो वक्त पाठ करते, इ के इलावा गुरबानी की ककताबें और भी पड़ते। जब वोह लाइब्रेर जाते तो कभी कभी मेरे पा
वक्त होता तो मैं भी उन के
ाथ चले जाता।
ज विंत का
ुभाव इ
के बबलकुल ववपर त था,ना तो उ
के कोई िासमटक ववचार थे। उ
को कोई पड़ने की आदत ना उ
का तो स फट एक ह शौक था,बीयर पीना और वोह भी ज़्यादा
पीना। वोह पब्ब में एन्जॉय करने के सलए नह िं जाता था बजल्क स फट पीने के सलए ह जाता था और यह आदत कुछ
ालों बाद बहुत आगे बड़ गई थी। गगयानी जी अक् र बातें करते करते कहा करते थे कक,” यह ुभाव आदतें भगवान की ह दे न होती है ,मेर वाइफ ार उम्र मुझ को
मझ नह िं
की,ज विंत की १% आदत भी मुझ
जी के दोनों लड़के श्री चिंद और लख्मी दा
े नह िं समलती। गुरु नानक दे व
अपने वपता जी को
मझ नह िं
परमात्मा रखे वहािं ह ठीक है ”. भगवान करें ,यहािं भी वोह हों शाजन्त चलता…
े रहें ।
के.ब
यहााँ
मेरी कहानी - 78 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 16, 2015
डैडी जी इिंडडया चले गए थे और िीरे िीरे मेर जज़िंदगी की नई शुरुआत हो गई। काम पर मैं रोज़ जाता, नए नए दोस्त बन गए थे। एक लड़का काम पर नया नया आया था जज
का
नाम दे व था, बहुत ह शर फ था लेककन लगता था वोह नॉमटल नह िं था। जब भी कभी इिंडडया की बात होती तो वोह अपनी मााँ को गाल ननकाल दे ता, पता नह िं क्यों ? मैंने उ को काम की ट्रे ननिंग द थी लेककन कई दफा मुझ गुस् ा नह िं ककया था ककओिंकक उ
े ह गलत बात कह दे ता लेककन मैंने उ
का कभी
को मेरे दरू के मामा जी चनन स हिं है रो स्ट्र ट वाले ने ह
यहााँ काम पर लगाया था, द ू रे मैं यह भी जानता था कक दे व हदल का बुरा नह िं था। इ बाद मैं तो ब्रक ु हाऊ
छोड़ कर बस् ों पे लग गगया था १९६७ में जब मैं इिंडडया शाद कराने
के सलए आया था तो इ एड्रे
के
लड़के दे व की मााँ मझ ु को समलने आई थी,पता नह िं उ
को मेरा
कै े मालम ू हुआ होगा।
दे व की मााँ काफी कमज़ोर और बड़ ू ी थी,वोह रो रह थी कक उ
के बेटे को कक ी ने कुछ कर
हदया था,इ ी सलए वोह घर को ख़त नह िं सलखता था। वोह मझ ु े बार बार बोल रह थी,”बेटा उ
को कहना ब
एक दफा मझ ु े समल जा,बताना कक तेर बड़ ू ी मााँ हर वक्त तझ ु े याद करके
रोती रहती है ”. कफर वोह मेर मााँ घर की क्या
े बातें कर कर के रो रह थी। मुझे नह िं पता कक उन के
मस्य थी लेककन जब मैं वाप
आया तो दे व को समलने मैं है रो स्ट्र ट गगया
और दे व को समला। मैं उ े घर के बाहहर ले आया और उ
की मााँ की बातें उ े
लेककन वोह उ
मझाया लेककन लगता था उ
को गासलआिं दे ने लगा। मैंने उ
की मानस क जस्थनत वोह नह िं थी। इ
को बहुत
ुनाईं
हदन के बाद मुझे वोह कभी भी हदखाई नह िं हदया। एक दफा जब हम ब्रुक हाऊ
काम कर रहे थे और
हदट ओिं के हदन थे, तो कुछ गोरे अपना काम छोड़ कर और
बगैरा अपने लॉकरों में रख कर जा रहे थे. हमें कोई तीन वजे ह वोह क्यों जा रहे थे। उन के पािंच वजे
में ारे कपडे
मझ नह िं आ रह थी कक हदन के दो
ाथ दे व भी काम छोड़ कर चले गगया था। जब
ायरन बजा तो हम भी जाने लगे। यों ह हम ने गेट खोला तो आगे कुछ भी
हदखाई नह िं दे ता था। ऐ े लगता था जै े गचटटे घने बादल हों। एक गोरा बोला,” ओ माई गौड़ इट इज़ फौग !”. यों तो इिंडडया में
हदट ओिं के मौ म में िद ुिं दे खी हुई ह थी लेककन ऐ ी िद िंु (फौग ) हम ने जज़िंदगी में कभी भी दे खी या ुनी नह िं थी। दो तीन गज़ के आगे कुछ हदखाई ह नह िं दे ता था,अिंिों जै ा हाल हमारा हो गगया था। करें ।
मझ नह िं आती थी कक क्या
आखखर में हम ने एक द ू रे के हाथ पकडे और िीरे िीरे चलने लगे। फैक्ट्र में रोज़ आने
जाने के कारण हमें कुछ कुछ अिंदाजा था कक गेट ककिर था। गेट पर पुहिंचे तो कुछ हदखाई हदया,गेट के बाहर आते ह कफर वोह ह कक ी ना कक ी तरह ब गए लेककन ब
मस्य थी। अब हमारे
ामने एक ह बात थी कक
स्टॉप पर पौहिं चें। कक ी ना कक ी तरह हम ब
स्टॉप पर चार पािंच लोग ह खड़े थे जब कक इ
थी। बहुत दे र तक हम खड़े रहे ,आखर में एक ब जजन में फौग लाइटें भी थीिं जग रह थीिं और ब को हहला हहला कर ड्राइवर को
स्टॉप तक पहुाँच वक्त तो बहुत भीड़ होती
िीरे िीरे आ रह थी जज का किंडक्टर ब
की
भी लाइटें
के आगे आगे एक कपडे
ीिा ड्राइव करने के सलए इशारा कर रहा था,ब
पर भी
ात
आठ लोग ह बैठे थे। यह दे ख कर हम ने भी
ोचा कक ब
में बैठने का कोई फायदा नह िं है ,इ
फुट पाथ पर िीरे िीरे हम चलने लगे। हम क्योंकक फौग में
ािं
लेने
े एक घुटन
सलए अिंदाज़े
भी ने अपने अपने मिंह ु मफ्लरों
े बािंिे हुए थे हो रह थी और यह स हत के सलए
ी मैह ू
अच्छी नह िं थी। कोई एक मील हम चलते रहे ,अचानक हमें लगा कक हम गलत रहे हैं, भी खड़े हो गए,कक पीछे
को पूछें कक हम ठीक थे या गलत यह एक
े मुझे ज विंत की आवाज़
े
ुनाई थी जो कक ी के
ड़क पर जा
मस्य थी। तभी
ाथ बातें करता आ रहा था। मैं ने
आवाज़ द ,” ज विंत तू हैं ?”. ज विंत बोला,”हााँ मैं ह हूाँ”.
थोह्नड़ी दे र में हम इकठे हो गए और आगे चलने लगे क्योंकक हमें यकीन हो गगया था कक हम
ह जा रहे थे। जब हम टाऊन में पुहिंचे तो वहािं इतनी फौग नह िं थी और अच्छा हदखाई
दे रहा था। हाँ ते हुए हम घर की ओर चलने लगे।
कफर मैंने ज विंत को बोला,” चल पहले है रो स्ट्र ट में जा कर दे व का पता करते हैं कक वोह ह
लामत घर पौहिं च गगया था या नह िं”. जब है रो स्ट्र ट में हम पुहिंचे तो हमें पता चला
कक दे व तो घर आया ह नह िं था। ज विंत बोला,” आज तो दे व घर नह िं पहुिंचग े ा”. मुझे उ की गचिंता हो गई क्योंकक वोह तो कब का फैक्ट्र छोड़ गगया था। मैं और ज विंत वाप उ
को ढूिंढने चल पड़े। कुछ ह दरू गए थे कक मौसलननउ फुट बाल स्टे डडयम के नज़द क दे व की आवाज़
ुनाई द ,हम खड़े हो गए। जब दे व हमारे नज़द क आया तो मैंने उ
को पुछा कक”तू
कहााँ चले गगया था ?”. तो दे व बोला कक वोह गलत रोड पर पड़ कर कैनक रोड की तरफ चले गगया था. हम हिं ने लगे और उ
को घर छोड़ कर अपने घर आ गए।
फौग तो अब भी पड़ती है लेककन उ
मय जै ी नह िं। इ
मय इतनी फैजक्ट्रयािं होती थी कक उन की गचमननयों आ मान की तरफ जाने
े रोक लेता था जज
रहती थी और ववजजबबसलट कम हो जाती ह । उ
का एक ह कारण था कक उ
े ननकलने वाला िआ िद िंु को ाँु
े यह िद िंु घनी हो जाती थी और नीचे ह मय बीबी ी पर एक कॉमेडी
ीररयल
आया करता था जो एक बहन भाई का होता था। एक हदन दोनों बहन भाई घर में अिंगीठी के आगे बैठे थे कक अिंगीठी में कोयले कम हो गए। भाई बाल्ट ले कर कोयले लेने बाहर कोल रूम में जाने लगा,बाहर घनी िद ुिं थी और वोह िुिंद में हदखाई ना दे ने के कारण गलती पड़ो
के कोल रूम में चले गगया। उ
तरह पड़ो
ने कोयलों
े
े बाल्ट को भरा और िद ुिं में ह अिंिों की
के घर में चले गगया और उन की अिंगीठी में कोयले डालने लगा। कोयले डाल कर
ोफे पर बैठ गगया।
ोफे पर पड़ो ी की पत्नी बैठी कोई ककताब पड़ रह थी। उ
खखयाल ककया था कक वोह अपनी बहन के
ाथ बैठा है , उ
ने तो
ने दे खा ह नह िं था। ऊपर के
कमरे
े आते हुए जब उ औरत के पहलवान पनत ने पराये मरद को अपनी पत्नी के ाथ बैठे दे खा तो उ ने आते ह उ के मिंह ु पर मक् ु के जड़ हदए और उ की आाँखें ज ू गईं। इ
पर लोग बहुत हाँ ते हैं। उ एवप ोड था।
मय जो िद िंु प़िती थी,उ
को दशाटने के सलए ह यह
एक हदन हम काम खत्म करके बाहर ननकले और हमेशा की तरह वैडन फील्ड रोड पकड़ी। ब
में मोहणी ह ब
किंडक्टर था।
आ गगया और बोला,” गुरमेल ! इ है ,अगर ब ों पे आना है तो ब
ार ब
में हटकटें काट कर मोहणी मेरे पा
वक्त डैपो में कुछ वेकेंस यािं हैं और रे क्रूहटिंग हो रह
डैपो आ कर ट्राई कर लेना,जॉब समल ह जायेगी,छोड़ यह
काम,और पै े भी वहािं अच्छे हैं”. मोहणी की बात को मैंने गियान हदन क्ल वलैंड रोड ब
े ब
डैपो के रे क्रूटमें ट ऑकफ
े
पौहिं च गगया। मेरे जाने
ुना
मझा और द ू रे
े पहले ह वहािं चार
पािंच इिंडडयन,कुछ गोरे और कुछ काले वैस्ट इिंडडयन कुस ओ ट िं पर बैठे थे। मैं भी बैठ गगया। कुछ दे र बाद एक आदमी आया जज आगे हह ाब के
का नाम इिंस्पैक्टर लाल था। आते ह उ
वाल पेपर रख हदए और
ने
ाथ ह पलेन शीट और पैंन रख हदए। उ
कहा,” मेरा नाम समस्टर लाल है और मैं एक काम हटकटें दे कर ककराया व ूल करना है , इ
ीननयर इिंस्पैक्टर हूाँ। क्योंकक ब
भी के ने
किंडक्टर का
सलए आप को हह ाब ककताब करना आना
बहुत जरूर है । बी वाल हैं और आिे घिंटे में हल करने होंगे। अब आप शुरू हो जाएाँ और मैं आिे घिंटे बाद आप े समलूिंगा”. ऐ े
वाल तो हम प्राइमर स्कूल में ककया करते थे जो बहुत ह ािाहरण थे, इतने हज़ार हटकट हैं और अ़िाई पैनी हटकट की कीमत हो तो ककतने पाउिं ड सशसलिंग और पैं बनेगे। भी जवाब हम ने द जवाब की शीट ह उ
ने फै ला
समनट में ह सलख हदए। आिे घिंटे बाद लाल ने आ कर हम
ले ल िं। क्योंकक लाल को जवाब पहले ह पता था,इ ुना हदया।
भी पा
े
सलए कुछ समनट बाद
थे लेककन एक गोरा और एक वैस्ट इिंडडयन फेल थे।
यह दे ख कर हम इिंडडयन बड़े है रान हुए कक कुछ लोग इतने आ ान वालों के जवाब भी दे नह िं कते थे। जजतने लड़के पा हुए थे, उन ब को लाल ने कहा कक” स्टोर रूम में जा
कर अपनी अपनी यूनीफामट ले लो और कल को मुझे ववक्टोररआ में समलना”.
स्टोर रूम नज़द क ह था,हम इ था जज
के भीतर चले गए। वहािं एक काला वैस्ट इिंडडयन दज़ी बैठा
का पूरा नाम तो मुझे याद नह िं लेककन इ
का नाप सलया और उ
ुकेअर की ट्रािं पोटट कैन्ट न
के हह ाब
को चाली बोलते थे। चाली ने हर एक
े दो दो ट्राऊज़ज़ट,दो दो जैकेट , यानी कोट,दो दो
कमीज़ें,एक बड़ा ओवर कोट और दो दो कैप जो बहुत स्माटट ल बनी हुई थीिं हमें पैक कर द िं। यनू नफामट के बिंडल ले कर हम अपने अपने घर आ गए। घर आ कर मैंने गगयानी जी को
बताया कक मझ ु े ब ों में काम समल गगया था। गगयानी जी खश ु हो गए। यनू नफामट का बण्डल घर रख कर मैंने ब
पकड़ी और
में जा कर अपना रै जज़ग्नेशन नोहट
ीिा ब्रक ु हाऊ
फाऊिंडर जा पह ु ाँ चा और उन के ऑकफ
दे हदया जो मैं पहले ह घर
े सलख कर ले गगया था।
जब मैंने नोहट
हदया तो मैनेजर बहुत परे शान हो गगया कक मैं उन्हें बताऊाँ कक मझ ु े ब्रक ु में ककया तकल फ थी,वोह मेर तन्खआ ु ह बड़ा दे गा लेककन मैंने कहा कक मुझे कोई
हाऊ
तकल फ नह िं थी लेककन मैंने ब ों पे काम करना प िंद कर सलया था। मैनेजर ने मुझे बहुत कहा कक मैं काम ना छोड़ूाँ लेककन मैं अपनी जज़द पे था और नोहट दे कर आ गगया। द ू रे हदन मैं ट्रािं पोटट की कैंट न में जा पहुिंचा,मेरे द ू रे नए ाथी मुझ े पहले ह आ कर बैठे थे। अब हम भी कुल ग बन गए थे और आप में बातें करने लगे थे। कुछ दे र बाद इिंस्पैक्टर लाल आ गगया और आते हम ह थी। हम
ब अपनी अपनी
ब
ड्राइवर बना और उ
में ले गगया जो कैंट न के पा
ीट पर बैठ गए। लाल ने हम को छोटा
ज़्यादा तो मुझे याद नह िं लेककन उ इिंस्पैक्टर लाल हूाँ,पची
ब को ऑकफ
में
ा लैक्चर हदया जो
के अथट कुछ कुछ याद हैं। लाल बोला,” दोस्तों मैं
ाल पहले मैंने एक किंडक्टर के तौर पर काम शुरू ककया था,कफर
के बाद इिंस्पैक्टर बन गगया, वै े तो मैं ब ों में हटकट चैककिंग का
काम करता हूाँ लेककन आप को ट्रे ननिंग दे नी भी मेरे काम का एक हहस् ा ह है । ब
े पहले मैं इिंगलैंड की ब
पहल ब
ववट
का थोह्नड़ा
ववट
ा इतहा
बताना चाहूिंगा। इिंगलैंड में को घोड़े खीिंचते थे, इ के बाद 1870
1824 के कर ब शुरू हुई थी जज के कर ब स्ट म ब शुरू हुई थी, यम मोटर ब तो वल्डट वार फस्टट के बाद ह शुरू हुई थी और अब हैं ट्रॉल ब ें जो बबजल े चलती हैं। आप ने दे खा ह है कक ब के ऊपर दो पोल जो ऊपर बबजल की तारों के कॉन्टै क्ट में होते हैं,जो ब ब
को चलाता है । जब ब
कक ी
कक ी रुट पे
ड़क को मड़ ु ना होता है तो इ
लगे हुए हैं जजन के
को पावर दे ते हैं जज
े ड्राइवर
ीिी जाती है , तब तो ठीक है लेककन जब ब
के सलए
ने
ड़कों के नज़द क बड़े बड़े बबजल के खम्भे
ाथ एक हैंडल जै ा ल वर लगा हुआ होता है ।
ब
तो तुम जानते ह हो कक पीछे
कक ब
े उत्तर कर उ
चले जाएिंगे और ब
उ
े खल ु होती है ,इ
ल वर को नीचे दबा दे । उ
सलए ब
किंडक्टर की यह ड्यूट है
के दबाते ह ब
के पोल द ू रे ट्रै क पर
रोड को मुड़ जायेगी और किंडकर को जिंप करके कफर
े ब
में च़ि
जाना होता है । गियान रहे कक अगर किंडकर पोल दबाने में लेट हो गगया तो पोल ट्रै क उत्तर कर
ीिे खड़े हो जाएिंगे और क्योंकक बबजल का कॉन्टै क टूट जाएगा,इ
खड़ी हो जायेगी और चलेगी नह िं। इन पोलों को एक बािं
सलए ब
ह ट्रै कों पे लाने के सलए हर ब
े भी
के नीचे
के एक स रे पर एक लोहे की हुक लगी होती है । इ पोल को ब के नीचे े ननकाल कर ब के आऊट ऑफ ट्रै क हुए पोलों की हुक में फिं ा कर और नीचे खीिंच कर कफर े बबजल के ट्रै क पे लाना होता है । दोनों पोलों को ह ट्रै क पे ले आने के बाद ब
का पोल होता है ,जज
में कफर
े पावर आ जाती है और ब
कफर
े चलने के काबल हो जाती है और
यह काम भी किंडक्टर को ह करना होता है । यह काम कोई मुजश्कल नह िं है ,आप िीरे िीरे
ीख जाएिंगे। बहुत दफा ऐ ा भी हो जाता है कक ऊपर की बबजल की तारों का कोई हहस् ा टूट जाता है ,जज के नतीजे े कोई ब भी आगे जा नह िं
कती,जजतनी ब ें और भी पीछे
े आ रह होती है
भी एक द ू रे के पीछे
आ कर खड़ी होने लग जाती हैं,ब ों की एक लाइन लग जाती है और इ मकैननक आ कर ऊपर की तारों को ररपेअर कर दे ते हैं और हैं”।
और भी काफी कुछ इिंस्पैक्टर लाल ने
के सलए हमारे
भी ब ें कफर
े चलने लगती
मझाया लेककन ज़्यादा अब याद नह िं। कुछ दे र और
बातें करने के बाद लाल ने कहा,” यह लो टोकन और कैंट न में जा कर खा पी लो और
टोकन कैंट न वालों को दे दे ना और एक बजे कफर यहािं आ जाना”. हम कैं ट न में चले गए और जी भर कर हम ने फ्री का खाना खाया। कैं ट न में ब
किंडक्टर ड्राइवर आ जा रहे थे।
हम बैठे उन को दे ख रहे थे और गलपें हााँक रहे थे। एक बजे हम कफर ऑकफ
में चले गए।
लाल हमारा इिंतज़ार कर रहा था। लाल बोला,” आप की ट्रे ननिंग दो हफ्ते की होगी, एक हफ्ता मैं तुम्हें यहािं ट्रे ननिंग दिं ग ू ा,द ू रे हफ्ते तुम हर एक को एक टाइम टे बल दे हदया जाएगा और हर रोज़ तुम को एक एक रुट पर कक ी द ू रे किंडक्टर के ट्रे ननिंग दे गा। तुम हटकटें काटोगे और ब
ाथ जाना होगा जो तुम को
का किंडक्टर तुम को स खाएगा। कै े हटकट दे ना
है ,कै े चें ज दे नी है ,फेअर सलस्ट को कै े दे खना है यानी अगर कोई पूछे कक उ टाऊन को जाना है उ
का ककराया फेअर सलस्ट में कै े दे खना है ,यह
भी ब
ने कक ी
का किंडक्टर
स खाएगा। दो हफ्ते बाद तुम को खद ु को काम करना होगा और तुम्हार मदद करने वाला कोई नह िं होगा। इ
सलए इन दो हफ़्तों में अच्छी तरह
ीख लो।”
कफर लाल ने एक लोहे का बॉक्
खोला जो उ
काटने वाल मशीन थी और उ
ने पा
ह रखा हुआ था। बॉक् में हटकट े ब्लैंक हटकट रोल भी थे। लाल ने मशीन को
में बहुत पीछे े खोला,जज में पािंच हटकट रोल पड़े हुए थे,हर रोल में पािंच ौ हटकट ननकाले जा कते थे। यह हटकट 1, 2,3,5,6 पैनी के होते थे। हर हटकट ननकालने के सलए उ के ाथ एक ल वर लगा हुआ था। लाल ने हटकट काटने शुरू ककये। हटकट के सलए जो भी हटकट कॉटना हो,उ के ल वर को नीचे दबाया जाता था और हटकट बाहर ननकल आता था और कफर हटकट को ऊपर खीिंच कर फाड़ा जा
कता था। कई हटकट ऐ े होते थे जो दो फाड़ने
पड़ते थे, जै े 9 पैनी का हटकट कक ी ने लेना होता था तो 6 और 3 के दो हटकट काटने पड़ते थे। कई दफा एक शख् दे ता था। इ
चार पािंच लोगों के हटकट मािंग लेता था और एक पाउिं ड का नोट पकड़ा
ब का हह ाब कम्लयट ू र की तरह जल्द करना होता था और जल्द
दे नी होती थी क्योंकक यारी इतने होते थे कक यह
ब बबजल की तेजी
े चें ज
े करना होता था
और ब
स्टॉप बहुत नज़द क नज़द क होते थे और हर स्टॉप पे द पिंदरा लोग उत्तर जाते और इतने ह च़ि जाते। यह ब हमें तब मैह ू हुआ जब हम खद ु करने लगे थे। लाल ने हमें यह ब हमें ट्रे ननिंग के दौरान मझाया था कक हमारा काम ऐ ा होगा। काफी कुछ लाल ने हमें
मझाया और हमें द ू रे हदन आने को कहा।
यह मेरा नया तज़ुबाट होने चला था। चलता…
ी ई माशटल और ब्रक ु हाऊ
के बाद
मेरी कहानी - 79 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 19, 2015
द ु रे हदन हम कफर ववक्टोररया स्क्वायर चले गए। लाल हमार इिंतज़ार कर रहा था। लाल
ने एक लड़के के गले में हटकटों वाल मशीन डाल द और गले की द ु र तरफ एक चमड़े का बैग डाल हदया जज
में कुछ पै े डाले हुए थे। अब हटकट काटने की प्रैजक्ट होने लगी। लाल कभी कोई हटकट मािंगता कभी कोई और उ लड़के को एक पाऊिंड पकड़ा दे ता। लड़का हटकट के हह ाब लगा ताकक जल्द
े बाकी चें ज वाप े पै े वाप
करता। यह काम पहले िीरे िीरे , कफर तेजी
ककये जा
े होने
कें। हमें बताया गगया था कक जब तकर बन बी
हटकट मशीन में रह जाएाँ तो नया रोल मशीन में डाल लें । नया रोल डालना भी कुछ मुजश्कल था ककओिंकक नए रोल को खोल कर, उ था ख़तम हो रह टे प
के स रे पर लगी टे प को, जज
े जोड़ना पड़ता था। काम तो यह मजु श्कल नह िं था लेककन रश आवर
में जब अचानक हटकट ख़तम हो जाएाँ तो जल्द जल्द टे पों को आप कफर ब
को गोंद लगा होता
में जोड़ कर मशीन
े चालु करना एक फुती का काम होता था। े जज़आदा मजु श्कल था हटकटों का हह ाब करना ककओिंकक जल्द जल्द
पै े कुलैक्ट करने थे। इ
ब यारीओिं
में एक खतरा यह होता था कक अगर हम ने कक ी को जज़आदा
े
चें ज के पै े वाप
कर हदए तो बहुत लोग पै े वाप दे ते नह िं थे क्योंकक इिंगलैंड में आम लोगों की आदत यह ह होती थी कक बगैर गगने ह लोग जेब में डाल लेते थे जो बहुत हद तक यह आदत आज भी है क्योंकक हे रा फेर कोई करता ह नह िं है ख़ा
कर चें ज वाप
के मुआमले में , कुछ लोग गगण कर वाप
ारा हदन काम करके
दे भी दे ते थे। आठ नौ घिंटे
दे ने
हह ाब कैसशअर को दे ना होता था। अगर पै े कम हुए तो हह ाब में सलख सलए जाते थे और हफ्ते बाद तन्खआ ु ह में े काट सलए जाते थे। आिा आिा घिंटा ब ने मशीन पर प्रैजक्ट की। एक बजे हम को कफर खाने के सलए टोकन दे हदए गए और हम ने कैं ट न में मज़े का खाना खाया। खाना खाने के बाद कफर मशीन की प्रैजक्ट आज
भी का
शुरू हो गई।
ख्त हदन था। लाल ने हमें बताया कक चमड़े के बैग में तीन खाने थे। बड़े
खाने में हम ने पैनी के स क्के डालने थे जो अक् र लोग ज़्यादा दे ते थे,एक में तीन पैनी के, छै पैनी और एक सशसलिंग के स क्के ती रे खाने में , दो सशसलिंग और अ़िाई सशसलिंग के स क्के जजन को हाफ कराऊन भी बोलते थे उन को कोट की जेब में डालना था (यह जेबें बहुत बड़ी होती थीिं ). नोट ककओिंकक कभी कभी ह कोई दे ता था,उन को ऊपर की छोट जेब में डालना होता था। ब
में जब यारी कम हों तो पै े गगन गगन कर पेपर के बैगों में डालने होते थे।
यह पेपर बैग तीन रिं गों के होते थे। एक ब्राऊन बैग होता था जज थी ककओिंकक 240 पैनी
में 240 पैनी डाल जाती
े एक पाऊिंड हो जाता था(आज तो पाउिं ड में 100 पैनी होती हैं )।
एक ब्लू बैग होता था जज
में तीन पैनी के 80 स क्के डाले जाते थे और इ
पाऊिंड हो जाता था। स ल्वर बैग में
भी समक्
े भी एक
स क्के यानी छै पैनी,एक सशसलिंग,दो सशसलिंग
और अ़िाई सशसलिंग के स क्के डाले जाते थे और यह पािंच पाऊिंड हो जाते थे। जब पै े जमा कराने होते थे तो यह
भी स क्के मशीन पर तोल सलए जाते थे। अगर एक भी स क्का कम
होता तो मशीन बता दे ती थी, जज़आदा होता तो भी। यह प्रैजक्ट काम कर
हम दो हदन और करते रहे ,जज कते हैं। शक्र ु वार को लाल के
हफ्ता हम ने द ू रे किंडक्टरों के ब
े हम को कुछ यकीन हो गगया कक अब हम
ाथ हमारा आख़र हदन था और इ
के बाद एक
ाथ काम करना था जो हमने ह करना था और ड्यट ू वाले
किंडक्टर ने हमार गलनतओिं को दरुस्त करके ठीक ढिं ग
े काम करना स खाना था।
शक ु रवार के हदन लाल ने स फट लैक्चर ह हदया। लाल बोला,” फ्रैन्ड्ज़ ! मैंने
ब कुछ आप
को बता हदया है कक कै े काम करना है लेककन आज मैं तम ु को वोह बातें बताऊिंगा जज की वजह
े आप की और मेर रोज़ी रोट चलती है । यह जो ब
नह िं हैं बजल्क आप के कस्टमरज़ हैं और इन की वजह और आप का और मेरा घर चलता है ,इ अच्छी
े अच्छी
ववट
पर पै ेंजर च़िते हैं यह पै ेंजर
े ह आप को तन्खआ ु ह समलती है
सलए आप का िज़ट बनता है कक कस्टमरज़ को
दें ।
कस्टमरज़ आप के लौडट हैं, customer is always right के वप्रिं ीपल पर हम काम करते हैं। वोह आप को आप की द हुई ववट के पै े दे ते हैं। आप उन पर कोई अह ान नह िं कर रहे बजल्क वोह आप पर अह ान कर रहे हैं। अगर आप उन को उन के पै ों की ह कीमत नह िं दे ते हैं तो उन का आप के खखलाफ शकायत करने का हक़ है । इ ी सलए जब आप काम करने लगें गे तो जान जाएिंगे कक कुछ लोग आप की गलती मैनेजर
े आप की शकायत करें गे और आप को मैनेजर के
े नाराज़ हो कर डैपो जा कर ामने ऐ े पेश होना पड़ेगा जै े
कोटट में जा कर जज के
ामने। वहािं मैनेजर है समस्टर बटलर। बटलर बहुत शख्त है ,वोह आप को कस्टमर की ररपोटट पड़ कर ुनाएगा और आप को उ का जवाब दे ना होगा। आप की ट्रािं पोटट यूननयन का र प्रीज़ेंटेहटव भी आप के लेककन समस्टर बटलर आप की
ाथ बैठा होगा जो आप को डडफेंड करे गा
ुनेगा नह िं और आप को शाऊट करे गा, टे बल पर जोर जोर
े हाथ मारे गा। आप की, की हुई गलती और उ का फै ला मैनेजर बटलर के ररकाडट में सलख सलया जाएगा और ऐ ा ह तुम्हारे यनू नयन के ररकाडट में भी सलख हो जाएगा। जब आप की शकायत कफर कोई करता है तो बटलर के हुई गल्तीआिं पड़ कर ुनाई जाएिंगी। इ (इ पर भी हिं पड़े ).
ाथ पेशी के दौरान पहले आप की पहल की
के बाद कफर
े आप का ओवर हाल ककया जाएगा”
लाल कफर बोला,” आप को गगआत ह है कक
भी ब ें ज़्यादा तर डब्बल डैकर यानी दो छतों
वाल हैं लेककन चार ब ें डैपो में स ग िं ल डैकर भी हैं जो किंट्र रुट यानी छोटे छोटे िामट में व े गााँवों को जाती है यहािं लो बब्रज होते हैं और डब्बल डैकर ब ें उन के नीचे हो
कतीिं। डब्बल डैकर ब
में जब लोग ब
े पा
पर च़िते हैं तो कोई नीचे बैठ जाता है और
कोई ऊपर चले जाता है । आप को हटकट ऊपर जा कर जल्द जल्द काटने होंगे और मशीन पर लगे ल वर को घुमा कर हटकट पर इिंस्पैक्टर को पता चल
के कक कोई कस्टमर कहााँ
जब कक ी ब
स्टॉप पर
को
े ब
े
में बैठा था,कोई तीन पैनी का
ह घिंट बजा कर दशाटना होता है कक उ
चलानी
ने ककया करना है ।
े लोग च़ि गए तो चलने के सलए किंडक्टर को दो दफा घिंट
बजानी है ,डडिंग डडिंग !और ड्राइवर ब
को चला दे गा। अगर कक ी ने अगले ब
उतरना हो तो एक दफा घिंट बजाना है । अगर ब हैं तो किंडक्टर को तीन घिंट बजानी होगी,जज और वोह ब
ाथ ह
ह स्टे ज वप्रिंट करनी होगी ताकक हटकट
हटकट ले कर दरू तो नह िं जा रहा,यहािं ककराया ज़्यादा लगता है ! ड्राइवर ने तो ब है लेककन किंडक्टर ने उ
नह िं
भर गई है और इ े ड्राइवर
स्टॉप पर
में पािंच लोग खड़े भी
मझ लेगा कक ब
भर हुई है को कह िं खड़ी नह िं करे गा जब तक कक कक ी ने उतरना ना हो। इ को कहते
हैं थ्री बैल लोड यानी भर हुई ब । अगर अचानक कोई एमरजैं ी जै ी बात हो जाए जै े कोई अचानक बीमार हो गगया या गगर पड़ा हो या ब पर लड़ाई शुरू हो गई हो तो किंडक्टर को चार घिंट आिं बजानी होगी,यह एमरजैं ी स्टॉप होगा और ड्राइवर एक दम ब दे गा और ड्राइवर अपनी कैब में
े बाहर ननकल कर आप के पा
खड़ी कर
आ जाएगा और हालात
े
ननपटने के सलए आप की मदद करे गा”. लाल ने हम को मील टोकन दे हदए और हम कैंट न में खाने के सलए चले गए। मुफ्त का खाना, हमने ललेटें भर कर खाईं। एक घिंटा हम बातें करते रहे । इ के पा
आ गए। लाल बोला,” वुल्वरहै म्पटन के तीन ब
कापोरे शन चलाती है । एक ब पर
डैपो पाकट लेन पर
के बाद हम कफर लाल
डैपो हैं। इन को समऊिं ीपल
गथत है ,द ू रा बबल् टन माउिं ट ललैज़ट ैं रोड
गथत है और ती रा यह क्ल वलैंड रोड गैरेज है । यूिं तो आप इ
लेककन आप को इन तीन गैरजों में कह िं भी भेजा जा
गैरेज
े ह काम करें गे
कता है । वै े द ु र गैरेज में काम
करने के सलए आप को आिा घिंटा ट्रै वसलिंग टाइम समलेगा यानी आिे घिंटे के पै े और समलेंगे। काम शुरू करने
े पहले यह आप की जज़मेदार बनती है कक आप के मशीन बौक
में काफी हटकट रोल रखे हों ताकक ड्यूट के दौरान खत्म ना हो जाएाँ,अगर हटकट रोल कम हों तो ऑफ कई दफा ब
े और ले लें।
में लोग च़िते हैं तो अपने पै े घर भल ू आते हैं। ब
में बैठने पर उन को
अपनी जेब में हाथ डालने पर पता चलता है । ऐ े में अगर कोई आप को कहे कक उन के
पा जज
पै े नह िं हैं तो आप को कफर भी उ े हटकट दे ना होगा,आप को कुछ काडट हदए जाएिंगे को कहते हैं अन पेड फेयर काडट। इ
सलखना होगा और एक कापी उ
शख्
पर उ
शख्
का नाम और पता आप को
को दे नी होगी और द ु र कापी आप को अपने पा
रखनी होगी जो आप ने ड्यूट खत्म होने पर पै ों के
ाथ जमा करा दे नी होगी। वोह शख्
इिंस्पैक्टर उ
े कोई लेना दे ना नह िं होगा।
48 घिंटे के भीतर डैपो आ कर ककराए के पै े दे दे गा। अगर वोह नह िं दे ने आता तो हमारा
ब
शख्
के घर जाएगा और आप का इ
में गगर कर चोट लगना या अचानक बीमार हो जाना आम बात है ,ऐ े में ब
एमरजैं ी घिंट बजा कर खड़ी कराना आप का िज़ट है । जज हो गगया है ,आप को उ
े पछ ू ना होगा कक अगर उ
शख्
सलए टे ल फून करना होगा और आप को एम्बल ू ैं आप की ब
में बैठे
भी याबरओिं को पीछे
ब ों के किंडक्टरों को भी बताना होगा कक दब ु ारा हटकट ना लेने प़िें । जब एम्बूलैं
आ जायेगी तो उ
के
के चोट लगी है या बीमार
को एम्बल ु ैं
अगर वोह हस्पताल जाना चाहता है तो कक ी भी टे ल फून बथ ू
की जरूरत है या नह िं।
े हस्पताल को एम्बल ु ें
े आ रह ब ों में च़िाना होगा और उन की
भी याबरओिं ने हटकट सलए हुए हैं ताकक लोगों को
ाथ पुसल
की कार भी आ जायेगी जो
कोटट में जाना चाहता है और ब
आप के पा
आता है कक ब
कारण या कक ी कील सलख ल जजये और ब ड्रै
कें कक कक
में कह िं उ की ड्रै
ब
ार तफ्तीश
में बैठे आप को दो तीन गवाह भी
लेने होंगे और उन का नाम और पता अपनी डायर में सलख लेना होगा। यह क्लेम करना चाहता है तो गवाह बता
के
के सलए इिंतज़ार करना होगा। इ ी वक्त
करे गी कक यह चोट कै े लगी या ककया बीमार है । ब सलए है कक अगर वोह शख्
को
ब कुछ इ
कम्पनी पर मुआवज़े का
का क ूर था। इ
के इलावा अगर कोई
में पड़ी कक ी पकाटर की गिंदगी के
े लग कर खराब हो गई है या फट गई है तो उ
का नाम और पता
डैपो आ कर ररपोटट िामट भर कर द जजये क्योंकक वोह शख्
अपनी
के मुआवज़े का क्लेम करे गा।
हमेशा
ड़क पर रहने के कारण कार एक् ीडेंट होते ह रहते हैं। ऐ े में भी अगर कुछ लोग
जख्मी हो गए हों तो एम्बुलें
को फोन करना होगा और गवाह भी लेने होंगे,पुसल
अपने
आप आ जायेगी। आखर में ड्यूट खत्म करके डैपो में आ कर आप को एक् ीडेंट ररपोटट िामट भरना होगा कक कै े एक् ीडेंट हुआ था, एक् ीडेंट की जगह का छोटा ा नक्शा भी बनाना होगा। जख्मी हुए और गवाहों के नाम और पते र पोेेटट में सलखने होंगे। बहुत दफा ऐ ा होता है कक कुछ लोग अपनी चीज़ें ब में भल ू जाते हैं। डेजस्टनेशन पर पहुाँच कर ब को चैक करें और अगर कोई चीज़
िामट भर कर जमा करा दें । जज
ीट पर पड़ी हदखती है तो उ शख्
को उठा लें और डैपो आ कर
की वोह चीज़ गआ ु ची हुई है ,अगर वोह डैपो में आ
कर पूछता है तो डैपो वाले उ को दे दें गे और उ
को उ
की आइडेंहटकफकेशन पूछ कर उ
े कुछ पै े भी चाजट करें गे और उ
जाएगा।
छोट छोट चीज़ें कुछ और हैं जै े कभी कभी ब में च़ि जाएिंगे और आप की ब
की वोह चीज़ उ
का कुछ प ट ें े ज आप को भी हदया
स्टॉप पर खड़े ब
इिंस्पैक्टर आप की ब
को चैक करें गे। अगर आप कक ी स्टॉप
े टाइम टे बल
े
पहले आ गए या गलत हटकट काट हदए गए तो वोह आप को बक ु कर दे गा,जज के सलए आप को समस्टर बटलर के आकफ
में जाना होगा। इ के इलावा अगर पता चल गगया कक
अगर आप ने अपने कक ी दो त या ररश्तेदार को हटकट नह िं हदया या पै े की हे राफेर की तो काम
े उ ी वक्त छुट हो जायेगी, कोई अपील नह िं हो
कर आप जरूर पज़ल्ड हो गए होंगे लेककन िीरे िीरे आप कुछ दे र बाद आप को ब इनस्ट्रक्टट र आप को ब टे स्ट लेगी। अगर पा लाइ ैं चला
ड्राइवविंग का चािं
केगी। मेर इन बातों को ब
ीख जाएिंगे।
भी हदया जाएगा जज के सलए हमारे ब
ड्राइवविंग स खाएिंगे और आखर में समननस्ट्र ऑफ ट्रािं पोटट आप का
हो गए तो आप को PSV यानी पजब्लक
समल जाएगा। इ
ववट
वैहहकल ड्राइवविंग
का फायदा आप को और भी होगा,आप इ ी लाइ ैं
े कार भी
केंगे। यह को ट छै हफ्ते का होगा और चार हफ्ते खत्म होने पर और टे स्ट पा
पर आप को
भी ब
हम
किंडक्टर के
ाथ समल कर काम
ीखें गे तो कुछ और बातें भी
यह ह है आप की ट्रे ननिंग। now good luck to you.”.
भी उठ खड़े हुए और अपने अपने घर को जाने और ब की ओर चल पड़े। चलता…
करने
रुट हदखाए जाएिंगे ताकक आप हर रुट को अच्छी तरह जान जाएाँ।
ोमवार को जब आप ब जान जाएिंगे। ब
न ु
पकड़ने के सलए ब
स्टे शन
मेरी कहानी - 80 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 22, 2015 लाल के और घर अजीब
ाथ हमार ट्रे ननिंग खत्म हो चक् ु की थी।
े चल पड़ा,अब
े मेरा ब
ोमवार को मैंने वदी पाई, र पर है ट ल
का ककराया भी फ्री था। वदी में मैं अपने आप को
ा मह ू
कर रहा था लेककन अच्छा लग रहा था ककओिंकक वदी बहुत अच्छी बनी हुई थी। मेरे द ु रे दोस्त मुझ े पहले ह ब डैपो पहुाँच चक् ु के थे। ब डैपो पुहिंचे तो हम ब को बता हदया गगया कक हम ने कक कक किंडक्टर के ाथ काम करना था। मैंने एक अाँगरे ज़ लड़के ररचडट के
ाथ काम करना था। ररचडट का पूरा नाम तो मुझे याद नह िं लेककन
यह मेर उम्र का ह एक लड़का था जो बहुत चल ु बुला हुसशआर लड़का था। मेरे बौक् में उ ने खद ु ह मशीन ननकाल और मेरे गले में लटका द ,इ ी तरह गले में द ु र तरफ
े
चमड़े का बैग डाल हदया। हम ड्राइवर के
ाथ उ
तरफ चल पड़े यहााँ बस् ें खड़ी थीिं। कुछ दरू एक ब
शैड में हम
पहुाँच गए यहााँ 100 के कर ब बस् ें खड़ी थीिं। एक द वार पर बड़ा ा ब्लैकबोडट लगा हुआ था जज पर टाइम के हह ाब े बस् ों के निंबर सलखे हुए थे। ररचडट ने मझ ु े ब्लैकबोडट पर सलखी बस् ों के बारे में मझाया कक इतनी बस् ों में े अपनी ब को कै े ढूाँढना था। कफर जज ब
में हम ने काम करना था उ
को ढून्ढ कर उ में हम दोनों च़ि गए और ड्राइवर ने ब
चलानी शुरू कर द ,कोई िआ नह िं था,ब ूाँ की पावर तारों के
े चलती थी जै े लाल ने हमें
ाथ जुड़े हुए थे जज
की आवाज़ नह िं थी ककओिंकक कुछ बस् ें बबजल मझाया था। ब
में पावर थी।
पहले हदन मैंने 58 निंबर रूट पे काम करना था जज वुल्वरहै म्पटन
े डडल को जाती थी और वहािं
का नाम था डडल और ब
े ह वाप
खड़ा हुआ तो मुझ े बैलें रखना मुजश्कल हो रहा था। बड रहा था। वुल्वरहै म्पटन स्नोहहल े जब हम ने ववट बैठे थे। ररचडट मेरे
के ऊपर दो पोल थे जो ऊपर
आती थी। चलती ब
में जब मैं
ीटों को पकड़ पकड़ कर मैं आगे स्टाटट की तो चार पािंच लोग ह
ाथ था और मैंने हटकट दे ने शुरू कर हदए और पै े लेकर चें ज भी दे नी
शुरू कर द लेककन बहुत िीरे िीरे । ररचडट मुझे दे ख रहा था कक मैं ककतनी चें ज वाप कर रहा हूाँ। जै े जै े हर स्टॉप े लोग चड़ते गए मेर स्पीड भी बड़ने लगी। ब ु ह का वक्त था
और डडल तक पहुाँचते पहुाँचते मुझे काफी कुछ मझ में आ गगया था। मुझे मालुम था कक मैं गजल्तआिं भी कर रहा था लेककन ररचडट मुझे हौ ला दे रहा था और कह रहा था” you are doing well mr. bhamra !”.
जै े जै े हदन च़िता गगया यारी भी ब़िने लगे और मेर स्पीड भी ब़िने लगी। काम करता रहा,कभी नीचे कभी ब
ारा हदन मैं
की ऊपर की मिंजजल पर। ऊपर नीचे भाग भाग कर मेर
क रत हो रह थी। ररचडट मेरे सलए घिंट बजा रहा था क्योंकक कभी कक ी ने उतरना या च़िना होता तो ड्राइवर को घिंट की जरुरत थी ताकक वोह
ह तर के
े ब
चला
के। पहले
हदन मुझे कुछ हौ ला हो गगया। कभी कोई यारी कक ी जगह का ककराया पूछता तो मैं ककराए वाल ककताब(fare list ) को ननकाल कर,उ
पर दे ख कर बताता और हटकट काट
दे ता। द ू रे हदन मैं कक ी और किंडक्टर के
ाथ था और अब मैं घिंट भी खद ु बजाने लगा
किंडक्टर को कपडे के बैग हदए जाते थे जज
में
था। बहुत हद तक मैं अपने आप पर हो गगया था लेककन कभी जरुरत पड़ती तो ड्यट ू किंडक्टर मदद कर दे ता। नए नए किंडक्टर को पै े गगनने मजु श्कल होते थे,इ के सलए हर ार चें ज डाल ल जाती थी. ड्यट ू खत्म
करके कैश रूम में पै े गगनने के सलए जो बड़े बड़े स्ट ल के टे बल होते थे उन के ऊपर
ारे
पै े ढे र कर दे ते थे और कफर गगण गगण कर पेपर बैगों में भरते जाते। ड्यट ू शरू ु होने
े
पहले हमें एक शीट द जाती थी जज
को way bill कहते थे। पहले उ
नाम,roll number,ड्यूट निंबर और हटकटों के शुरू करने के
पर हम अपना
भी निंबर सलखते थे और जब
ड्यूट खत्म होती थी तो way bill पर हटकटों के closing numbers सलखते थे। जब हम हह ाब करते तो हमें पता चल जाता था कक कौन कौन
ी हटकटें ककतनी बेचीिं गईं और
ककतने पाउिं ड हुए। कफर हम way bill पर हटकटों का इकठे ककये गए पै ों का मैच करते थे। कई दफा कुछ पै े कम हो जाते थे और कई दफा कुछ ज़्यादा होते थे। अगर कम होते तो हम जमा तो करवा दे ते लेककन हफ्ते के आखखर में हमार तन्खआ ु ह थे,इ
के।
े काट सलए जाते
सलए काम करते वक्त हम बहुत गियान रखते थे कक चें ज कक ी को ज़्यादा न द जा
शुकरवार को हर एक का टै स्ट सलया जाना था। अगर पा
हो गए तो कफर हम काम पर
पक्के हो जाना था,अगर फेल हो गए तो एक हफ्ते की ट्रे ननिंग और द जानी थी। शुक्रवार को जब मैंने काम शुरू ककया तो इिंस्पैक्टर लाल मेर ब एग्जासमनेशन शीट थी जज
में च़ि गगया। उ
के हाथ में
पर वोह मेर हर हरकत को सलख रहा था। कभी कभी वोह लोगों
की हटकटें चैक करता और दे खता कक मैंने
ह हटकटें द थीिं या गलत। जब
भी हटकटें
काट ल जाती थी तो हम लोगों को ऊिंची ऊिंची आवाज़ में शाऊट कर के बार बार पूछते रहते थे कक,”any more fares please !”. यानी कोई हटकट के बगैर तो नह िं बैठा था। अगर कोई बगैर हटकट के बैठा होता तो वोह अपना खाथ खड़ा कर दे ता और हम उ दे ते थे। लाल यह
को हटकट दे
ब दे ख दे ख कर अपनी शीट पर सलख रहा था। क्योंकक घिंट का महत्व
बहुत था,लोगों को च़िा कर ड्राइवर को आगे जाने का इशारा करना,कक ी ने उतरना हो तो घिंट बजाना, कफर चलने का इशारा करना यह बहुत काम थे लेककन मैं अब हुसशआर हो गगया था और ब काम फुती े कर रहा था। एक घिंटे बाद लाल ने मझ ु े बता हदया कक मैं पा
हूाँ। इ के बाद लाल द ू रे किंडक्टर का टै स्ट लेने के सलए चल पड़ा और हम अपने काम में बबज़ी हो गए। ारा हदन काम करके घर आया और बेकफक्र हो गगया। ोमवार
े मेरे
की बातें अब चाहता है ,उ
ाथ कक ी को भी नह िं होना था लेककन यह हफ्ता काम करके मुझे लाल
मझ आने लगीिं। लाल ने कहा था,” दोस्तो ! कस्टमर हमेशा अच्छी को आप की कक ी भी बात
ववट
े हदलचस्पी नह िं होती कक आप की काम पर
ककया मश्ु कलें हैं,काम पर ककया तकल फें हैं,आप घर के कक ी मामले के कारण भीतर में दख ु ी हैं, उ
को तो स फट ब
में
ीट चाहहए और उ
का
फर कम्फटे बल हो। ज़रा
ोचो !
अगर आप कक ी बैंक में जाते हो तो आप ककया चाहते हैं,यह न कक बैंक अगिकार आप मस् ु करा कर बोले,आप को बोले how can i help you ?. तो आप ररलैक् काम बताएाँगे। कुछ समनटों में वोह आप का काम कर दे तो आप उ
हो कर अपना
को thank you
बोलेंगे। अगर यह बैंक अगिकार आप की तरफ दे खता ह नह िं और बोलता भी है तो मुिंह बात भी नह िं करता तो आप ककया करें गे,आप उ अगिकार को वाननिंग हो जायेगी,अगर कफर भी उ इ
े
की ररपोटट मैनेजर
ीिे
े करें गे और उ
का बबहे ववयर नह िं बदला तो उ
को काम
े छुट हो जाएगी। इ ी सलए इिंग्लैण्ड में कस्टमर केअर की ट्रे ननिंग द जाती है । कस्टमर को े कोई मतलब नह िं होता कक कक ी भी कमटचार पर ककतना काम का या घर का प्रेशर
है ,उ
को तो अच्छी
ववट
चाहहए। ब
होगी। अगर ड्राइवर अपनी ब है जज
उ इ
को अच्छी तरह नह िं चलाता,बार बार जोर जोर
ववट
दे नी
े ब्रेक मारता
े पै ेंजर गगर जाए,उन के चोट लग जाये तो वोह ड्राइवर काम करने के काबल नह िं
होगा और उ आप
के ड्राइवर और कॅंडकटर दोनों को अच्छी
को काम
े छुट हो जायेगी। एक बात और कक अगर कोई पै ेंजर ब
े लड़ता है ,आप को गाल ननकालता है तो आप उ को हाथ लगाएिंगे। अगर कोई खतरा मह ू
के बाद पुसल
ह उ
को कुछ नह िं बोलें गे और ना ह
हो तो आप पुसल
े बात करे गी। आप स फट ब
में
को टे ल फून कर दो और
में बैठे लोगों
े गवाह के सलए
उन के नाम और पते अपनी डायर में सलख लें । ब
में बैठे लोग बहुत होंगे जो आप के गवाह बन जाएिंगे। ड्यूट खत्म करके आप को ररपोटट िामट भरना पड़ेगा कक ब में ककया
ककया और कहााँ हुआ था, ाथ ह गवाहों के नाम और पते सलखेंगे। ररपोटट सलख कर डैपो में क्लकट को दे दें गे। ारािंश यह है कक आप पजब्लक को अच्छी े अच्छी ववट दोगे”. मैं
ोचने लगा कक यह बातें तो मेरे हदमाग में आई ह नह िं थी कक मैं खद ु भी जब कक ी
भी ऑकफ
में जाता था तो एक दो समनट
े ज़्यादा वक्त लगता ह नह िं था। कई दफा घर
के बबल बहुत जमा हो जाते थे,जै े बबजल गै पानी और काऊन् ल टै क् के तो मैं काम पर जाने े आिा घिंटा पहले चले जाता था और भी दफ्तरों में जा कर बबल की अदाएगी करके काम पर चले जाता था,हर दफ्तर में दो तीन समनट
े ज़्यादा लगता ह नह िं था। हर
जगह दो तीन काउिं टर होते थे,लाइनें लगी हुई होती थीिं,अगर कक ी काऊिंटर पर कोई न होता
तो गोर next please कह कर आवाज़ दे दे ती थी और कुछ लोग उ जाते। इ
के ववपर त जब राणी पुर
काउिं टर पर चले
े मैं फगवाडे. बबजल घर में बबजल का बबल जमा
कराने के सलए जाया करता था तो कलकट का मुिंह दे ख कर ह मन को कुछ होने लगता था और कई घिंटे पै े जमा कराने को लग जाते थे। कफर जब मैंने पा पोटट बनवाया था तो ककतनी मुश्कलें पेश आई थी। दो समनट के काम के सलए ककतने ककतने हदन लग जाते
थे,वक्त की कोई अहसमयत ह नह िं थी। इिंडडया में तो हर जगह एक ह बात होती थी,वोह थी ररश्वत। अब तो इ की इतनी फी मैं
है ,उ
को ररश्वत भी नह िं मानते थे,इ को फी
को फी
कह दे ते थे कक उ
क्लकट
दे दो और काम हो जाएगा।
ोचने लगा कक यहािं बबजल का बबल जमा कराने के सलए अगर पािंच समनट भी लगें और
इिंडडया में दो घिंटे भी लगें तो हम इिंडडया में ककतने प्रनतशत इिंग्लैण्ड
े पीछे हैं। अगर एक
गर ब ररक्शा वाला बबजल का बबल जमा कराने के सलए जाता है तो उ
का ककतना नक् ु ान
होता है । और पिंजाब की ब ों में तो मैंने बहुत कुछ दे खा हुआ था। यहािं तो लाल कहता था कक हमार छोट ी भी चोर के कारण एक दम काम े छुट कर द जायेगी और कोई अपील भी नह िं होगी तो मैं मन ह मन में हिं को होला महल्ला दे खने के सलए ब नह िं हदया था। जब अनिंद पर
पड़ा। बहुत ाल पहले हम अनिंद पुर ाहब में जा रहे थे और किंडक्टर ने बहुत े लोगों को हटकट
ाहब के नज़द क आये तो किंडक्टर ने
भी
े पै े ले सलए
और कक ी को भी हटकट नह िं हदया था और ना ह लोगों ने हटकट के सलए पुछा था। रास्ते में एक इिंस्पैक्टर भी च़िा था लेककन वोह दोनों आप भी जानते थे कक यह
भी आप
रहिं द
हिं
बातें कर रहे थे और यह
में पै े बााँट लेंगे।
एक दफा हम दोनों समआिं बीवी चिंडीग़ि समल थी।
में हिं
े ब
में आ रहे थे लेककन हमें ब
रहिं द तक ह
समल नह िं रह थी। और भी बहुत लोग थे और परे शान थे। तीन चार बज गए थे और हमें गचिंता हो रह थी कक कै े घर पहुिंचेंगे। तभी एक आदमी आया और िीरे
े आगे हमें ब
े बोला,” कक ी ने नमे शहर तक जाना है तो आ जाएाँ”. हम ने
नमे शहर तक ह ब
ह और वहािं
े फगवाडे. के सलए और ब
ले लेंगे। पिंद्रा बी
ोचा चलो
लोग इ
में बैठ गए लेककन कक ी ने भी हमें हटकट नह िं हदया। जब नमे शहर के नज़द क आये
तो किंडक्टर ने तीन तीन रूपए हम नह िं हदया गगया। कहााँ यह ब
े मािंगे।
भी ने पै े दे हदए लेककन कक ी को भी हटकट
जा रह थी और क्यों हटकट नह िं हदया गगया, हमें कुछ नह िं
पता चला। और इिर लाल ने बताया था कक कुछ सशसलिंग की हे रा फेर करने छुट हो
े काम
े
कती थी।
ोमवार को मैं अपने आप पर हो गगया था। जवानी की उम्र थी और थकान नाम की कोई बात ह नह िं थी। ऊपर नीचे, नीचे ऊपर
ारा हदन यह काम होता था। और तो
ब कुछ
ठीक था लेककन एक बात की मुझे तकल फ हुई थी और यह थी हर रोज़ ड्यूट का टाइम बदला जाना। आज ात बजे स्टाटट करते तो द ू रे हदन शाम को तीन बजे,ती रे हदन ुबह चार बजे और द ू रे हदन दप ु हर को बारह बजे। कई दफा रात को बारह बजे खत्म करते तो द ू रे हदन
ुबह पािंच बजे काम पर आना पड़ता,यानी
ोने के सलए कुछ घिंटे ह समलते थे।
ऐ े में हम हदन के वक्त ड्यूट खत्म करके घर आ कर थी कक पहले करना (इ
ुबह को चार
ो जाते थे। कोई ड्यूट ऐ ी होती
ा़िे चार घिंटे काम करना और कफर शाम को चार पािंच घिंटे काम
को split ड्यट ू बोलते थे ). उन हदनों को याद करके आज हिं ी भी आती है कक
बहुत दफा मेर घड़ी का अलामट बज कर बिंद हो जाता था और मझ ु े जाग नह िं आती थी क्योंकक बचपन े ह मेर नीिंद बहुत अच्छी रह है । ऐ े में गगयानी जी अपने कमरे में े उठ कर मेरे कमरे में आ जाते थे और मझ ु े हहला हहला कर कहते,” ओ गरु मेल ओ गरु मेल,काम पर नह िं जाना ?” मैं हड़बड़ा कर उठता और जल्द जल्द तैयार हो कर काम पर भाग जाता।
एक दफा तो मुझे अपने आप पर बहुत गुस् ा आया कक मुझे जाग क्यों नह िं आती। मैंने द वार पर एक कील गाडा और क्लॉक को एक रस् ी े बााँि कर उ कील के ाथ बााँि हदया जज
े कलौक बबलकुल मेरे
बजता तो मेरे
र के नज़द क होने
र के कुछ इिंच ऊपर ह लटक रहा था। जब क्लॉक
क्लॉक बज कर बिंद हो गगया और मैं
े मुझे जाग आ जाती लेककन एक हदन इ
तरह भी
ोता रहा। गगयानी जी और ज विंत दोनों मेरे कमरे में
आ कर और टिं गे हुए क्लॉक को दे ख दे ख कर हिं रहे थे। मुझे जाग आ गई और मैं बहुत शसमिंदा हो गगया था। कफर मैं उठ कर तैयार हुआ और काम पर चले गगया। यह ब रोज़ रोज़ की सशफ्ट बदलने के कारण था क्योंकक नीिंद का स स्टम बबगड़ गगया था लेककन िीरे िीरे मैं इ
का आहद हो गगया था लेककन इ
रहता था कक गुरमेल ने क्लॉक इ भी ककया हदन थे ! चलता…
बात को याद करके ज विंत अक् र हाँ ता
तरह बााँिा हुआ था जै े कुकड़ टिं गा हुआ हो। हा हा वोह
मेरी कहानी - 81 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 26, 2015 जब मैंने काम शुरू ककया था, उ
मय बहुत े इिंडडयन पाककस्तानी और जमेकन लोग बस् ों पे काम करने के सलए आ रहे थे लेककन अभी भी गोरे लोग जज़आदा ह थे और यूननयन में भी
ारे गोरे लोग ह थे. यूननयन का चेअर मैंन होता था samy clark और
ैक्टर होता था harry willium, इन दोनों ने हमार कभी भी मदद नह िं की, हदल
े यह
हमारे लोगों के खखलाफ थे और हम को नफरत करते थे। गोरे लोगों में भी जज़आदा आएरश, पोसलश और कुछ इटै सलयन थे, लेककन हम इन को भी अाँगरे ज़ ह
मझते थे,इन के बारे में
हमें बहुत दे र बाद पता चला था. इन भी लोगों का जोर होता था ककओिंकक यह भी इकठे होते थे और हमको ऐ े मझते थे जै े हम बहुत गर ब दे श के अनप़ि और अ भ्य लोग हों और शाएद इ
का कारण यह था कक हम बहुत बहुत लोग एक ह घर में रहते थे और फाई का हमें कोई ख़ा खखयाल नह िं होता था, ना ह हम अपने गाडटन का कोई खखयाल
रखते थे,शायद इिंग्लैण्ड के तौर तर कों
े हम अच्छी तरह वाक़ि ह नह िं थे, ब का यह
ववचार होता था कक एक हदन हम ने अपने दे श को चले जाना है . द ू र बात, हमार मातभ ू िंट ृ ार्ा इिंजग्लश न होने के कारण हम गोरे लोगों की तरह फ्लऐ इिंजग्लश नह िं बोल
कते थे ककओिंकक वोह तो शाएद ग्रैमर भी जानते नह िं थे और लफ़्ज़ों को
ऐ ा बोलते थे कक हमने कभी पड़ा
ुना ह नह िं था और द ु रे हमें काम छूट जाने का डर
लगा रहता था और ती रे अगर हम झगडा करते और काम
े छुट हो जाती तो हमारे लोग
ह हम पर हाँ ते रहते कक जरुर हमारा ह कोई क ूर होगा। वोह वक्त ह ऐ ा था कक आम अाँगरे ज़ लोग हम को अच्छा नह िं
मझते थे ककओिंकक हम परदे ी उन की नौकर आिं छीन रहे
थे। जब भी कोई जहाज़ इिंडडयन लोगों का इिंडडया
े आता तो शाम के पेपर express &
star के फ्रिंट पेज पर खबर होती थी और गोरे गस् ु े में हमें coming !और हम कोई जवाब ना दे
ुनाकर बोलते more indians
कते। जमेकन लोग हम े कुछ अच्छी हालत में थे
ककओिंकक एक तो उन की ज़ुबान ह इिंजग्लश थी और द ु रे यह
ुभाव
है और जब यह लड़ते थे तो काम की परवाह भी नह िं करते थे,इ
े ह एक लडाकी कौम
सलए अाँगरे ज़ इन
े डरते
थे। जै े जै े बाहर
े लोग आ रहे थे,अिंग्रेजों के हदलों में हमारे खखलाफ नफरत बड रह थी।
आज तो इतने दे शों
े लोग आ गए हैं और अभी भी
अब हमको अपने नज़द क
ीर या ईराक
े आ रहे हैं कक गोरे
मझते हैं और नए आने वालों को नफरत करते हैं। नए आने
वालों को हम भी नफरत कर रहे हैं ककओिंकक उन्होंने इिंग्लैण्ड में इतना गिंद पा हदया है कक इिंग्लैण्ड कक ी थडट वल्डट दे श की तरह लगने लगा है लेककन उ ह हो रहा था। उ
मय एक नई पाटी बन गई थी जज
मय हमारे
ाथ भी ऐ ा
को NATIONAL FRONT बोलते
थे। इन में जज़आदा युवा लड़के होते थे। यह अपने बड़े बूट पहनते थे। इन के
र बबलकुल शेव करके रखते थे और बड़े
र शेव होने के कारण इन को जस्कन है ड बोलते थे। रात के
मय यह जस्कन है ड क्लब्बों में
े ननकलते थे और बस् ों पर च़ि कर बहुत शोर मचाते थे और इिंडडयन पाककस्तानी लोगों को ककराया भी नह िं दे ते थे। ककराया दे तो बाद में दे ते थे लेककन किंडक्टर को तिंग बहुत करते थे, वोह दे गा यह दे गा करते रहते थे ख़ा कर अगर ड्राइवर और किंडक्टर दोनों इिंडडयन हों तो। कई किंडक्टरों को इन्होने पीटा भी था। ख़ा कर इन लड़कों के
ाथ जब लड़ककआिं होती तो उनको इम्प्रै
बद लक ू ी करते। जब यह गैंगों में होते थे तो इन दो तीन हफ्ते लगातार
करने के सलए किंडक्टर के
े डर लगता था।
ब ु ह की सशफ्ट होती थी और कफर शाम की सशफ्ट आ जाती थी। यह
शाम की सशफ्ट में काम तो कम होता था लेककन रात के द क्लबों मय
ाथ
े ननकलते थे तो एक भय
गगआरा बजे जब यह छोकरे
ा लगा रहता था। आज तो मोबाइल फोन हैं लेककन उ
ड़कों पर मील दो मील की दरू पर टे ल फून बूथ होते थे और वहािं जा कर पुसल
टे ल फून करना भी एक
को
मस्या होती थी। जब मैंने ब ों पे काम शुरू ककया था तो 1965
था। डैपो के रुट बहुत होते थे और 1965 में ह मैंने ारे रूटों पर काम कर सलया था और ार जानकार हो गई थी। इ के बाद मुझे एक पक्का रुट और ाथी ड्राइवर समल गगया था जो
भी को यह चािं
दे ते थे। ड्राइवर और किंडकर की जोड़ी बन जाती थी और हमेशा इकठे
ह काम करते थे, मेरे ड्राइवर का नाम था harry weaver. हमार जोड़ी बहुत बड़ीआ थी। वीवर बहुत अच्छा और कमीडडयन टाइप का आदमी था और ब को हिं ाता रहता था। वीवर के पा
एक पुरानी
ी गाड़ी मौर
ऑक् फोडट होती थी जज
हम वीवर के घर चले जाते और खद ु ह ब्रेकफास्ट बनाते जज
में बैठ कर कभी कभी
में अक् र बेकन
ॉ ेज एग्ग
और हाइन्ज़ बेक्ड बीन्ज़ होते थे। पहला कफ्रज मैंने वीवर के घर ह दे खा था जो मुझे बहुत अच्छा लगा था। कभी-कभी वीवर का लड़का ब्राएन हमारे सलए चाय केक बबजस्कट ले कर ड़क पर आ जाता जब हम वीवर के घर के नज़द क के रुट पर होते थे। इ
े मुझे इिंडडया
की याद आ जाती जब मैं अपने दादा जी को खेतों में खाना दे ने जाया करता था। मैं वीवर को बताता और वोह हिं
पड़ता। बीवर की पत्नी इतना नह िं बोलती थी। एक दफा मैंने अपने
मकान के स हटिंग रूम में पें ट करना था। मैंने वीवर को बताया तो उ ब्रश
े पें ट करने की बजाये मैं स्पौंज रोलर
ने मुझे बताया कक
े पें ट करूाँ। मैंने हरे और गचटटे रिं ग का पें ट
ककया था और एक हदन वीवर मेरा काम दे खने आया। दे खते ह वोह है रान हो गगया कक मेरा काम बहुत ह नीट था और उ का घर भी पें ट करने के सलए मुझे कहा। एक रवववार को मैंने वीवर के घर का फ्रिंट रूम भी पें ट कर हदया। उ की पत्नी इतनी खश ु हुई कक मझ ु े पािंच पाउिं ड दे ने लगी लेककन मैंने पै े लेने
े इिंकार कर हदया। इ का कज़ाट वीवर के लड़के ब्राएन
ने वर्ों बाद चक ु ाया जब वोह बड़ा हो कर कार मकैननक बन गगया था और बहुत दफा मेर कार रपेयर की थी और कोई पै ा नह िं सलया था। वीवर के
ाथ बहुत अच्छे हदन बीते थे और जब मैं भी ड्राइवर बन गगया था तो भी वीवर मेरे घर आ जाया करता और ाथ ह ब्राएन होता था। कभी कभी गसमटओिं के हदनों में मेरे गाडटन के ऐपल ट्र
े कुककिंग ऐपल तोड़ कर ले जाया करता था और कुककिंग ऐपल
े ऐपल
पाई बना कर दे जाता था जो बहुत ह स्वाहदटट होती थी। कुछ वर्ों बाद मैं क्ल वलैंड रोड डैपो े ट्रािं फर करके पाकट लेन डैपो चले गगया था, तब भी हम समलते रहे । कुछ वर्ों बाद जब वोह ररटायर हो गगया तो हमारा समलना तकर बन खत्म हो गगया था। इ
बात को वर्ों
बीत गए,मेर शाद हुई और बाद में बहुत वर्ों बाद पहले बड़ी बेट की शाद हुई कफर छोट बेट की शाद हुई तो शाद के बाद छोट बेट और जमाई ने हनीमन ू के सलए बसमिंघम एअरपोटट
े च़िना था। हम
बातें कर रहे थे कक दरू
भी दोनों को जहाज च़िाने के सलए गए थे। हम कैफे में बैठे
े वीवर ने हमें दे खा और हमारे नज़द क आ गगया और मुझे है लो
बोला लेककन पहले तो मैंने उ े पहचाना नह िं क्योंकक अब वोह बहुत ह बू़िा हो गगया था, कफर जब वीवर अपनी पुरानी मुस्कराहट के ाथ मुझे बोला,”dont recognize me mister braama !” वीवर हमेशा मुझे ब्रामा कह कर ह पुकारा करता था। मैं भी मुस्करा पड़ा और उठ कर उ
के गले लग गगया। हमने बहुत बातें कीिं। यह हमार आख़र मुलाकात थी क्योंकक कुछ ह मह नों बाद वीवर यह दनु नआ छोड़ गगया था।
नविंबर 1966 था और काम पर आते ह बुककिंग क्लकट ने मुझे एक लैटर पकड़ा हदया जज पर सलखा था कक मुझे 6 हफ्ते के सलए ड्राइवविंग duntun के
ाथ जाना होगा। यह
भी ज़्यादा होती थी और इ
ीखने के सलए ड्राइवविंग इिंस्ट्रक्टर viki
ुनते ह मैं खश ु हो गगया क्योंकक ड्राइवर की तन्खआ ु ह
ड्राइवर के रैंक को भी अच्छा
मझा जाता था। डैपो में चार
ड्राइवविंग इिंस्ट्रक्टर होते थे, viki duntun, rawley, joe klansee और एक और था जज चेहरा तो मेर आाँखों के
ामने है लेककन नाम याद नह िं आ रहा।
एक ननहाल स हिं था (ननहाल पिंद्रािं एक पाककस्तानी जज
ाल पहले अचानक हाटट अटै क
का
ीखने के सलए एक मैं था, े दनु नआ छोड़ गगया था)]
को भटट बोलते थे ( ुना था भटट भी यह दनु नआ छोड़ गगया था)
और एक गोरा था। क्योंकक अब इलैजक्ट्रक ब ें खत्म हो जानी थीिं, इ
सलए हमें मोटर ब
की ट्रे ननिंग ह समलनी थी जो िीरे िीरे बहुत रूटों पर चल भी रह थीिं। भाग्य े मेरा इिंस्ट्रक्टर ववक्की डिंटन ब े अच्छा आदमी था। यह आयरश था और चरु ट पीता था। बबजल पर चलने वाल ब ों को टरौल ब ज़ कहते थे लेककन अब इन को िीरे िीरे खत्म करके डीज़ल ब ों को लाया जा रहा था। टरौल ब ज़ दो तीन
ालों में खत्म कर द गई थी
और अब ऐ ी ब ें कह िं समऊजज़यम में पडी हैं। जब मैंने शरू ु ककया था तो काफी रूटों पे यह
टरौल ब ज़ ह चलती थीिं लेककन जल्द ह इन का खात्मा हो गगया था। वुल्वरहै म्पटन में
आखखर में दो रुट डडल और डालेस्टन ह रह गए थे जजन पर टरौल चलती थी। इन ब ों पर पर मैंने बहुत काम ककया था और यह ब े बबज़ी रुट होते थे। अब हमार ट्रे ननिंग मोटर ब की होनी थी जो भी डब्बल डैकर थीिं। हमारे ारे टयूटर अपने अपने शागगदों को ब में बबठा कर ब ें
ड़क पर ले आये। ववक्की मुझे वैस्ट पाकट के पा
ले आया क्योंकक यह
बहुत चौड़ी रोड थी और पाकट के इदट गगदट घूमती थी। ववक्की ने मुझे कैब में बबठा हदया और पहले ारा कुछ मझ ु े मझाया। इ
ब
के बारे में कुछ बताना चाहूिंगा कक यह guy की ब थी जो हमारे द ू रे डैपो जो पाकट लेन में था वहािं नज़द क ह एक फैक्ट्र गाई मोटज़ट में बनी हुई थी। इ ब के इिंजन पर छोटा ा स्ट ल का रै ड इिंडडयन का स्टै चू बना हुआ था. इ फैक्ट्र में हज़ारों लोग काम
करते थे और बहुत ालों बाद यह फैक्ट्र ley land ने खर द ल थी। इ फैक्ट्र के ाथ ह ऐवरै डी बैटर की फैक्ट्र होती थी जज में कार, ब और रे डडओ के सलए बैटररयािं बनती थी। यूिं तो यह ब
बहुत अच्छी थी लेककन इ की ख़ा बात यह थी कक इ के क्लच्च को हट्रपर बोलते थे और इ में एक खतरा ा होता था। पहले गेअर में डालने के सलए, पहले गेअर
हटक को पहले गेअर में डालकर कफर हट्रपर (क्लच्च पैडल ) को बहुत जोर े नीचे दबाया जाता था, इ े ब पहले गेअर में हो जाती थी, चाहे पैडल को छोड़ भी हदया जाए। कफर चाहे ब
को खड़ी कर लो, यह पहले गेअर में ह रहती थी और इ ी तरह द ू रे गेअर
में डालने के सलए पहले गेअर
हटक को द ू रे गेअर में डाला जाता था और कफर बड़े जोर
हट्रपर को नीचे दबाया जाता था और ब जोर जज
े दबा कर गेअर
े
द ू रे गेअर में पड़ जाती थी। जब तक हट्रपर को
हटक को न्यूट्रल में नह िं लाया जाता था ब
उ ी गेअर में रहती थी
में वोह डाल गई हो। इ में खतरा यह होता था कक अगर हट्रपर को अच्छी तरह दबाया
नह िं जाता था तो हट्रपर एकदम बबजल की तेजी
े बड़े जोर
े ऊपर को आ जाता था और
पैर पर इतनी चोट लगती थी कक कई दफा कई कई हफ्ते घर बैठना पड़ता था क्योंकक चोट े पैर
ूज जाता था। ववक्की ने मुझे
अब मैंने ब
मझा हदया था।
को पहले गेअर में डाला और हट्रपर को बड़े जोर
े नीचे दबाया तो ब
गेअर में हो गई और मैं िीरे िीरे स्ट यररिंग वील को पकड़ कर ब ववक्की ने गेअर और ब
को चलाने लगा। कफर
हटक नीचे की ओर द ू रे गेअर में डालने को बोला। जब मैंने
नीचे की ओर ककया तो ववक्की ने हट्रपर को जोर
पहले
हटक को
े नीचे दबाने को बोला और मैंने दबा हदया
द ू रे गेअर में चले गई। अब मैं िीरे िीरे चलाने लगा। इ
के बाद मैंने ती रे और
चौथे गेअर में भी डाल द और पाकट के गगदट जाने लगा। ववक्की बहुत खश ु हुआ कक मैंने बहुत जल्द वपक अप कर सलया था। मैंने कई चक्कर पाकट के इदट गगदट लगाए और कफर तेज चलाने लगा। एक लै न में ह मैंने
मझ सलया था। कफर ववक्की मझ ु े द ु र रोड पर ले
गगया। मुझे अपने आप पर भरो ा हो गगया था। ववक्की ने मुझे किंट्र हदया यहािं िामट ह िामट थे। इन फामों में एक पब्ब था जज ववक्की मुझे वहािं ले गगया और कार पाकट में हमने ब
ाइड में जाने को कह
का नाम था four ashes.
खड़ी कर द । कुछ दे र बाद द ू रे
टयूटर और उन के शागगदट भी आ पुहिंच।े टयूटर हमें पब्ब में ले गए और अपनी जेब हमारे सलए बीयर के ग्ला
े
सलए। उन हदनों ड्यूट पे बीयर पीना कानून के खखलाफ नह िं होता
था। हमने खब ू मज़े ककये। rawley बहुत मोटा था और हमेशा पाद मारता रहता था जज पर भी हिं पड़ते थे। पाद मार कर वोह कहता that s better. हम बहुत हाँ ते। आखर में हम वाप
डैपो आ गए। ववक्की ने मझ ु े well done बोला और द ू रे हदन आने को बोल हदया।
चलता…
मेरी कहानी - 82 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन November 30, 2015 पहला हदन हमारा कामयाब रहा था. ब हदन मैंने डडपो
े ब
ननकालने
को चलाने का कुछ आइडडया हो गगया था. द ु रे
े पहले ब
में तीनों तरि DRIVER UNDER
INSTRUCTIONS के बोडट खद ु ह लगाए और ब
की कैब में जा बैठा. viki dunton मुझे
बोला,”are you sure you can take it out of depot yourself mister bhamra?”. o yes मैं बोला और िीरे िीरे ब बोला और मैं ब
को बाहर ले आया. ववक्की ने मुझे कफर वैस्ट पाकट जाने को
को वैस्ट पाकट रोड पर ले आया. एक दो चक्कर मैंने पाकट के गगदट लगाए
और कफर ववक्की मुझे बोला,” आज मैं तुम्हें ब उ
ररव ट करनी स खाऊिंगा” और वोह मुझ को
जगह ले आया यहााँ devon road है जो पाकट रोड में
मजु श्कल
े चासल
े ह ननकलती है . यह रोड
फीट लम्बी होगी. जै ा ववक्की ने कहा मैं ने वेस्ट पाकट पर खड़ी ब
ररव ट गेअर में डाला और ब
को
के दायें शीशे की ओर दे ख दे ख कर पीछे की ओर ले जाने
लगा.. कुछ दरू आ कर ववक्की बोला”STOP!”. मैंने ब
खड़ी कर द . ववक्की ने मझ ु े एक
घर की एक तीन चार फीट ऊिंची इिंटों की द वार पर खद ु े हुए एक क्रॉ की तरफ इशारा ककया और कहा कक जब भी मैं इ क्रॉ के ामने आऊाँ तो ब के स्ट यररिंग वील को मोड़ना शरू ु कर दाँ ू और devon road में आते ह ब चलता रहूाँ. जै े ववक्की ने मुझे इ
क्रॉ
को
ीिी कर दिं ू और िीरे िीरे पीछे की ओर
मझाया वै े ह मैंने ककया और बार बार ररव ट करता रहा.
और devon road का जज़कर मैंने इ
यादें जुडी हैं. इ
जगह ह
भी र वस ग िं करना
सलए ककया है , ककओिंकक इ ीखते थे और इ ी जगह
जगह
े मेर
भी का ड्राइवविंग
टै स्ट हुआ करता था. इ ी जगह हमारे टयूटर अक् र हम को बहुत शाउट ककया करते थे ककओिंकक यहााँ ह गजल्तआिं होती थीिं. यहािं ह मैंने दो हफ्ते बाद पहला और उ के दो हफ्ते बाद द ू रा टै स्ट पा
ककया था और मुझे पजब्लक
ववट
वैहहकल (PSV) लाइलें
समला था।
कुछ मह ने हुए बेटे के ाथ मैं हस्पताल े आ रहा था तो मैंने बेटे को devon रोड की तरफ जाने को बोला। जब हम वहािं पुहिंचे तो मैंने दे खा कक वोह खद ु ा हुआ क्रॉ अब भी वहािं ह मौजूद है । दे ख कर मुझे मेर पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। पुराने मकानों की जगह नए मकान बन चक् ु के हैं लेककन पता नह िं क्यों, कक ी ने उ
द वार को नह िं तोडा। मकान नए हैं
लेककन वोह द वार अभी तक ओररजनल है । अभी चार हदन ह हुए मैंने बेटे को कहा था कक वोह मेरे सलए उ क्रॉ की फोटो खखिंच कर लाये। हद िंबर 1966 में मैंने ड्राइवविंग टे स्ट यहािं ह पा
ककया था, इ
यह ड्राइवविंग
द िंबर को ड्रावविंग टे स्ट पा
ीखने के हदन हम
अपने शागगदट को शहर
ककये हुए मुझे 49
भी के सलए एक हॉसलडे
े दरू ले जाता और प्रैजक्ट
ाल हो जाएिंगे।
े कम नह िं थे। हर टयूटर अपने
होती रहती थी। कभी कभी
ब इकठे हो
जाते और बैठ कर हिं ी मज़ाक चलता रहता। हम चारों शागगदट अपनी बातें करते रहते। भटट
स गरे ट बहुत वपया करता था, इतनी कक बुझने नह िं दे ता था। एक खत्म होती तो द ु र लगा लेता था। उन हदनों स गरे ट के नुक् ान की बातें नह िं होती थीिं बजल्क जो पीते थे, फखर े पीते थे। कुछ गोरे हम पर जोक करते रहते थे कक इिंडडयन लोग कोई स्मोक नह िं करते और इतना डड्रिंक भी नह िं करते थे और पै े बचाते थे। मेरा यकीिंन है कक भटट स गरे ट पीने की वजह
े ह इ
दनु नआ
े गगया होगा। ननहाल की मुझे कभी
मझ नह िं आई क्योंकक न तो
वोह शराब पीता था ना मीट और अिंडा खाता था और शर र का भी बहुत सलम था, कफर भी वोह इतनी जल्द दनु नआ छोड़ गगया था। ननहाल की यादें तो बहुत हैं लेककन मझ ु े उ की एक बात भल ू ती नह िं। उ
वक्त आदमी 65 की उम्र हो जाने पर ररटायर होते थे। जब
ननहाल के ररटायर होने को चार मह ने रह गए थे तो वोह बहुत खश ु था। अपनी उम्र के हह ाब े वोह बहुत जवान लगता था। अक् र वोह कहता रहता था,”अब तो मेरे ाहे के हदन हैं” यानी ररटायरमें ट समलने में अब ज़्यादा वक्त नह िं था। ररटायर हो कर अभी एक
ाल ह हुआ था कक एक ब ु ह जब वोह पोते को स्कूल छोड़ने के सलए तैयार हो रहा था तो बूटों के तस्मे बािंिते वक्त ह वोह एक तरफ लु़िक गगया था। ननहाल की लड़की मेरे रामगह़िया स्कूल के ह एक
ाथी अवतार स हिं महे ड़ू गााँव वाले के लड़के
े वववाह हुई थी। यह जज़िंदगी भी ककया अजीब है !. ननहाल की एक बात और याद है । ड्राइवविंग के दौरान गल्तीआिं तो होती ह रहती थीिं और हमारे इिंस्ट्रक्टर हम पर बहुत शाऊट ककया करते थे। ननहाल अक् र भोला ा मुिंह बना कर कहता” every body is alright, me fukin no good”. इ
पर
काम पर जाने
भी खखल खखला कर हिं
े पहले एक
उन्होंने सलखा था कक मेरे
पड़ते थे।
ुबह मुझे इिंडडया
े आया वपता जी का खत समला, जज
ुर जी राणी पर आये थे और जोर दे रहे थे कक अब हमार
शाद हो जानी चाहहए। वपता जी ने सलखा था कक काम शाद करके अपनी पत्नी को भी का टै ट पा प्रैजक्ट
में
े छुट ले कर मैं आ जाऊिं और
ाथ लेता चलाँ ।ू खत पड़ कर मैंने
कर लाँ ,ू कफर ह कुछ
शुरू हो गई। दो अ़िाई घिंटे ब
ोचा कक पहले ड्राइवविंग
ोचग ूिं ा। जब काम पर मैं आया तो रोज़ाना की तरह की प्रैजक्ट
करके जै ा हमारे गुरुओिं ने बोला हम
बब्रजनौरथ रोड की तरफ चल हदए। बब्रजनौरथ रोड बहुत लम्बी रोड है । तकर बन आिा मील चल कर एक पब्ब जो अभी भी है में हमें जाने को बोला गगया। इ पब्ब का नाम था मरमेड इन (MERMAID) मरमेड इिंग्लैण्ड का एक समगथहा क नाम है । मरमेड ऊपर खब ू ूरत लड़की होती है और नीचे
े एक
े एक मछल होती है । यह वै े ह है जै े पररओिं की
कहानीआिं होती हैं। इ हम
पब्ब के बाहर ऐ ी ह एक मरमेड की पें हटिंग का बोडट लगा हुआ है । भी ने अपनी अपनी ब ें खड़ी कीिं और मरमेड इन के भीतर चले गए। माइल्ड बीअर
के ग्ला
ले कर हम बाहर आ गए और गाडटन में
गए जजन के
जे हुए लकड़ी के बैंचों पर बबराजमान हो ामने लकड़ी के ह मेज थे। बीयर लस् ी की तरह गाहड़ी और स्वाहदटट थी।
ग्ला ों के ऊपर तक लस् ी की तरह झाग थी और एक घाँट ू पी कर ह मज़ा आ गगया। अब
बीयर पीने लगे तो मैंने ननहाल को वपता जी के खत की बात बताई। ननहाल और भटट दोनों ह हिं ने लगे और मुझे विाई द । ननहाल को मैंने पिंजाबी में बोला कक वोह गोरों को न बताये क्योंकक मेर ड्राइवविंग ट्रे ननिंग में गड़बड़ हो में शाद करा कर अपनी पत्नी को
कती थी। ननहाल एक
ाल पहले ह इिंडडया
ाथ ले आया था और भटट ने भी कुछ दे र बाद
पाककस्तान को शाद के सलए जाना था। भटट आज़ाद कश्मीर के मीर पुर जजले का रहने वाला था। भटट हमेशा हाँ ता ह रहता था। मैं पहले बता चक् ु का हूाँ कक जो लोग हम आये थे और कुछ ाल काम करके वाप कॉलजों
े पहले आये थे वोह अपने पररवार पीछे छोड़ कर इिंडडया चले जाते थे लेककन अब जो लड़के स्कूलों
े पड़ कर आये थे उन में बहुत े तो ऐ े थे जजन की गाई मेर तरह पहले ह हो चक् ु की थी और बहुत े अब इिंडडया को शाद कराने जा रहे थे। बहुत लड़के इिंडडया जाते और शाद करा कर वाप
आ जाते और बाद में घर ले कर अपनी बीववओिं को इिंगलैंड बल ु ा लेते
थे। कुछ ककस् े ऐ े भी लड़के की फोटो
ुने थे कक लड़का इिंगलैंड में होता था और उ
की शाद इिंडडया में
े ह कर द जाती थी और बाद में लड़का अपनी बीवी को बुला लेता था।
बीवीओिं को इिंगलैंड में लाने का एक इन्कलाब ह आ गगया था। नए लड़कों को दे ख कर अब जो पुराने लोग आये हुए थे वोह भी अपने अपने पररवारों को बुलाने लगे थे। नई नई दल् ु हनें अक् र अपने पनतओिं के ाथ खब ू ूरत कपडे पहने शौवपिंग करती हदखाई दे ने लगी थीिं। ड्राइवविंग पे प्रैजक्ट
करके जब मैं घर आया तो मैं
ह हो चक् ु की थी जज बीवी कै ी होगी, उ
ोचने लगा कक मेर
को इतने वर्ट बीत गए थे कक यह जानना ह मुजश्कल था कक मेर
के ववचार कै े होंगे, ककया वोह मुझे प िंद करे गी भी या नह िं।
ोच कर मैंने अपने वपता जी को ख़त सलखा कक मैं अपने जीवन चाहता था, इ
गाई तो बचपन में
सलए वोह मेरे
ख़त सलख
ुर
ाहब
ोच
ाथी को ख़त सलखना
े पूछ कर बताएिं कक ककया मैं अपनी बीवी को
कता हूाँ या नह िं। वोह मय ह ऐ ा था कक गााँवों में ऐ ी बातें ोचना भी मुजश्कल था। कुछ हफ़्तों बाद मुझे जवाब समल गगया। मुझे इजाजत समल गई थी। इ का
कारण शाएद यह ह था कक मेरे और मेर पत्नी के वपता जी दोनों कुछ आज़ाद ववचारों के थे। 1966 में मैंने अपनी पत्नी को पहला पर सलखा और जवाब का इिंतज़ार करने लगा। द ु र तरफ मेरा
करने पर लगा हुआ था। दो हफ्ते प्रैजक्ट करके मेरा और द ु रे दोस्तों का टै स्ट वेस्ट पाकट रोड और devon road पर हुआ। यह टै स्ट हमारे गैरेज के ह
ारा गियान ड्राइवविंग टै स्ट पा
ीननअर इिंस्पैक्टर ने सलया था। हम तीनों एसशयन पा
गोरा फेल हो गगया था। इ
पहले टै स्ट
हो गए थे लेककन
े ह हम खश ु हो गए थे और फाइनल टै स्ट की
तयार में म रूफ हो गए। कुछ हदन बाद मझ ु े मेर अिािंग्नी का ख़त समला। ख़त में कोई ख़ा
बात तो नह िं थी लेककन जजतना भी था मैं बार बार उ े पड़ता, पता नह िं उ
में मेर
इतनी हदलचस्पी ककयों हो गई थी कक यह ख़त मुझे बहुत ह अच्छा लगता था। द ु रे ख़त में मैंने अपनी बीवी को अपनी फोटो भेजने के सलए कहा और जवाब का इिंतज़ार करने लगा। ड्राइवविंग में अब हमें नई नई बस् ों पर प्रैजक्ट थीिं वोह ओपन बैक होती थी जज
कराई जाने लगी थी। जो हट्रपर वाल बस् ें
के पीछे किंडक्टर खड़ा होता था लेककन यह नई बस् ों के
दरवाज़े इिंजजन के नज़द क होते थे और एअर प्रैशर
े खल ु ते और बिंद होते थे और यह
चलाने में भी बहुत आ ान थीिं। यह ैमी ऑटोमैहटक थीिं और चलाने के सलए बहुत ह आ ान थीिं, स्ट ररिंग वील के बबलकुल नज़द क गेअर ल वर जो स फट दो इिंच ऊिंचा होता था, उ
को एक दो तीन और चार गेअरों में डाला जा
कता था और ररव ट करने के सलए भी
ऐ ा ह गेअर ल वर था। हट्रपर वाल बस् ें भी कुछ ह
ालों में ख़तम कर द गई थीिं और
अब तो नई नई फुल ऑटोमैहटक आ गई थीिं। कफर दो हफ्ते बाद हमारा फाइनल टै स्ट जो
समननस्टर ऑफ ट्रािं पोटट के इिंस्पेक्टर ने लेना था, वोह हदन भी आ गगया। ववक्की ने मझ ु े
बहुत कुछ मझाया और कहा कक मैं कोई गलती न करूाँ, नह िं तो वोह बहुत ननराश होगा। टे स्ट उ ी जगह पाकट रोड devon road पर होना था और पहला टै स्ट मेरा ह था। रोड ड्राइवविंग का टै स्ट तो इतना मुजश्कल नह िं होता था लेककन र वस ग िं का एक चैलेन्ज ह होता था ककओिंकक ब
बहुत बड़ी होती थी और उन हदनों पावर स्ट यररिंग नह िं होते थे और स्ट यररिंग वील को मोड़ना बहुत मुजश्कल होता था क्योंकक यह बहुत भार होता था। थोह्नड़ी भी ब कवट को लग जाती तो फेल कर दे ते थे। यह मेरा भाग्य ह था कक उ हदन मेर
ी
र वस ग िं इतनी अच्छी हुईं जो पहले प्रैजक्ट के दौरान भी कभी नह िं हुई थी। तीन दफा मेर र वस ग िं करवाई गई और तीनों दफा परफैक्ट थीिं। इिंस्पेक्टर ने उ ी वक्त पा कह हदया और मेरे मन का बोझ उतर गगया। VIKKI DUNTON ने मुझे विाई द और ब हम गैरेज की तरफ चल हदए। गैरेज में ब
ले कर
खड़ी कर के मैं घर आ गगया। घर आ कर
गचहठआिं दे खीिं तो मेर पत्नी कुलविंत का लफाफा समला जज
में उ
की फोटो थी। फोटो मुझे
इतनी अच्छी लगी कक दे खता ह रह गगया। आज का हदन मेरे सलए बहुत अच्छा था। पता नह िं ककतनी दफा मैंने फोटो दे खी। फोटो के पीछे जनम नतगथ भी सलखी हुई थी जै ा कक मैंने अपनी गचठ्ठी में सलखा था। द ू रे ह हदन मैंने स्पॉन् रसशप िामट भरा और दफ्तर में चले गगया। ऑकफ
ॉसलस्टर
चले गगया। पोस्ट ऑकफ
स्पॉन् रसशप िामट
ॉसलस्टर के
े स्पॉन् रसशप िामट अटै स्ट करवाया और उ ी वक्त पोस्ट में बैठ कर ह मैंने बीवी को खत सलखा कक वोह इ
े पा पोटट के सलए एललाई कर दें । पा पोटट बन जाने पर मैं इिंडडया आ
जाऊाँगा। हमार थी, यह
गाई बचपन में ह मेरे और कुलविंत के दादाओिं ने एक कुएिं पर बैठे बैठे ह कर द
ाल 1955 था। मैं स फट बारह वर्ट का था और कुलविंत 9 वर्ट की थी। हुआ यिंू कक मेरे दादा जी कक ी काम के स लस ले में जालिंिर को जाय करते थे और रास्ते में जी ट रोड
पर कुलविंत के दादा जी के किंू एिं पर अक् र पानी पीने के सलए ठहर जाते थे। एक हदन दोनों बज़ुगट अपने अपने पोतों पोनतओिं की बातें करने लगे। बातें करते करते वहािं बैठे ह उन्होंने
हमारा ररश्ता पक्का कर हदया। घर आ कर जब दादा जी ने मेरे वपता जी को बताया तो वोह गुस् े में आ गए और झगड़ा शुरू हो गगया कक इतनी छोट उम्र में उन्होंने ककया कर हदया था। दादा जी ने भी गुस् े में आ कर घर छोड़ने का अल्ट मेटम दे हदया। आखखर वपता जी को भी हार माननी पडी और हमार
गाई हो गई जो बारह
ाल तक चल क्योंकक 1967 में
जा कर ह हमार शाद हुई थी और इ बात का हमें फखर है कक बज़ग ु ों के ककये इ े हमारा जीवन बहुत अच्छा गज़ ु रा और अभी तक गज़ ु र रहा है । मैं ननहाल और भटट तीनो पा
ररश्ते
हो गए थे और अब दो हफ्ते हम ने नए नए रुट ह दे खने
थे। यह दो हफ्ते हमारे मज़े के थे क्योंकक हदमागी टैंशन दरू हो चक् ु की थी। हम दरू दरू फामों में चले जाते और वहािं
े ताज़ी
जब्जआिं और आलू लयाज के बड़े बड़े बैग खर द लाते। ऐ े
ऐ े िामट हम ने दे खे जजन पर जाने का जज़िंदगी में दब ु ारा कभी इतिाक नह िं हुआ। मैं अब बहुत खश ु रहने लगा था। हर वक्त पत्नी के खत का इिंतज़ार लगा रहता। पता नह िं मुझे ककया हो गगया था। यह दो हफ्ते पता ह नह िं लगा, कै े बीत गए और मैं खद ु ड्राइवविंग
करने लगा था। ड्राइवविंग मुझे बहुत अच्छी लगती थी क्योंकक लोगों े अब कोई ख़ा वास्ता ह नह िं था। किंडक्टर घिंट बजाता और मैं चल दे ता। घर आता तो खत का इिंतज़ार रहता। कुलविंत के डैडी ने पा पोटट के सलए एललाई कर हदया था। कुछ ह हफ़्तों में अिािंगगनी का
पा पोटट बन भी गगया था। हमारे खत िीरे िीरे बड़े होते जा रहे थे और कभी कभी मैं हफ्ते में दो खत भी सलख दे ता था। कुलविंत के खत भी पहले
े बड़े होने लगे थे लेककन मेरे खत
तो ऐ े हो रहे थे जै े मैं एक लेखक बन गगया था। उन हदनों एक नया पैन बाजार में आया था जज
में आठ रिं गों की स्याह होती थी और मैंने एक खत को आठ रिं गों और आठ पेजज़
में सलखा था। शाद के बाद जब एक दफा हम ने वोह खत दे खे थे तो यह एक बहुत बड़ा बिंडल बन गगया था और बहुत े हम ने फाड़ हदए थे। जवानी के वोह हदन। चलता…
मेरी कहानी - 83 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन December 04, 2015
बहादर और लड्डा यानी बहादर का छोटा भाई हरसमिंदर कभी कभी शननवार या रवववार को आते ह रहते थे. क्यूिंकक उ
मय टे ल फून तो होते नह िं थे, इ
सलए वोह अचानक ह आ
जाते थे. मेरे सलए मुजश्कल यह होती थी कक मैं एक रवववार काम पे जाता था और एक
रवववार को छुट होती थी. जब यह आते तो मुझे रवववार को काम पर ना जाने के सलए जजद करते. मैं बताता कक मेरे सलए यह मुजश्कल था लेककन हदल मेरा भी भीतर
े कहता होता था
दे ता और कहता कक पहले मैं डडपो जा कर
में डाल आऊाँ जो
कक मैं काम पे ना जाऊिं. जब यह दोनों बार बार मुझे कहते तो आखर में मैं भी हााँ कर ह ारे हफ्ते की ड्यूट शीट बॉक्
हर एक को हफ्ते बाद डालनी पड़ती थी। लड्डा और बहादर खश ु हो जाते और हिं ने लगते
और हम तीनों मेरे डैपो की ओर चलने लगते और वहािं पहुाँच कर ारे हफ्ते का हह ाब करके शीट बॉक् में डाल दे ता। अब हम फ्री होते थे और मटरगश्ती करने ननकल प़िते। कभी कभी हम डालेस्टन र गल स नीमे में कफल्म दे खने चले जाते और कभी
ैर करते करते कक ी पब्ब
में चले जाते। डालेस्टन के इ ी र गल स नीमे में हम ने जनतिंदरा की शायद पहल कफल्म थी”गीत गाया पत्थरों ने” दे खी थी. यह स ननमा शो शननवार और रवववार को ह होते थे। इ ी तरह एक हदन हम घूमते घूमते वाटरलू रोड पर नए बने एक पब्ब BARLEY MOW में चले गए। हम तीनों एक टे बल पर बैठ गए और बातें करने लगे। कुछ ह दरू एक बड़े टे बल पर आठ द
इिंडडयन और भी बैठे थे जजन में उनका एक पाककस्तानी दोस्त भी बैठा
था। वोह बातें कर रहे थे और कुछ दे र बाद हम भी उन की बातों में हहस् ा लेने लगे। बातें करते करते बात स आ त की होने लगी। इ ी दौरान वोह पाककस्तानी लड़का इिंडडया के खखलाफ बातें करने लगा। वोह तो
भी दो त थे और शायद रोज़ ह ऐ ी बातें करते होंगे
क्योंकक बहुत वर्ों बाद मुझे पता चला था कक वोह भी कौमननस्ट ववचारों के थे और अपने आप को कामरे ड कहलाते थे लेककन लड्डे को उ पाककस्तानी की बात पर गस् ु ा आ गगया। लड्डा गुस् े वाला था और उ
े झगड़ा करने लगा। लगता था झगड़ा बड़ जाएगा लेककन
उन लोगों में एक लड़का था जो मैंने इिंडडया में दे खा हुआ था और पलाह गााँव का था. शायद उ ने भी हमें दे खा हुआ था। बहुत दे र बाद मुझे पता चला था कक यह लड़का मेरे दोस्त का ह छोटा भाई था और इ हिं
का नाम लयारा स हिं था। इ
कर बोला,” यारो ! तम ु कौन
लड़के ने बात को बदल कर और
े गााँव के हो ?” हम ने कहा राणी पुर। वोह जोर
े हिं ा
और बोला,” यार ! तुम तो हमारे भाई हो, हम पलाह के हैं और तुम्हारे गााँव का मास्टर
स्वणट स हिं हमारे गााँव के स्कूल का है ड मास्टर हुआ करता था। इ बात े ब हिं ने लगे और एक ह टे बल पर इकठे हो गए। अब माहौल खश ु गवार हो गगया था। जब हम उठ कर चलने लगे तो एक द ू रे के
ाथ हाथ समला रहे थे।
हम घर आ गए और लड्डा रोट आिं पकाने लगा। मीट बना हुआ था और हम तीनों ने मज़े ले ले कर रोट आिं खाईं, पतीले में ह खाते रहे क्योंकक अगर ललेटें लेते तो आखर में हम ने ह िोनी थी। कफर मैंने अपनी पत्नी का खत बहादर को हदखाया और फोटो भी हदखाई। फोटो दे ख कर बहादर बोला,”बई गुरमेल ! तेर वाइफ तेरे
े ऊपर है ”. फोटो बहुत अच्छी और स्माटट थी और लगता भी ऐ ा ह था। क्योंकक कोई बात हम आप में छुपाते नह िं थे, इ ी सलए ह मैंने खत भी बहादर को हदखा हदया था। खत में बार बार हर लाइन में जी शब्द
सलखा हुआ था। इ बात पर बहादर इ जी शब्द की सममक्री करने लगा और हिं ने लगा। कुछ दे र बाद दोनों बसमिंघम को वाप चले गए। जब मैं बसमिंघम को जाया करता था तो जगद श भी आ जाता था और हम चारों घम ू ने चल पड़ते थे। हरसमिंदर कुछ गस् ु े वाले का था और कभी कभी बहादर और हरसमिंदर की आप तो इ
भ ु ाव
में बोल चाल बिंद भी हो जाती थी,
हालत में मैं दोनों को मनाया करता था। जगद श भी मनाने की कोसशश करता था
और हमार समहनत रिं ग ले आती थी और हम दोनों उन के हाथ समला दे ते थे, जज कारण माहौल कफर
े खुशगवार हो जाता था। यह कोई
ीर य
के
लड़ाई नह िं होती थी बजल्क
जै े दो भाईओिं में अक् र हो जाती है , ऐ ा ह होता था। अब जज़िंदगी भर के सलए मैं ड्राइवर बन गगया था। रोज़ नए नए किंडक्टर मेरे आठ या नौ घिंटे की ड्यूट होती थी और उ ववक्टोररआ
ुकवाएर के पा
में कोई ब्रेक नह िं होती थी। कभी ब
होती तो हम भाग कर कैंट न में चाय और
कई दफा एक मोबाइल कैंट न जो मैनेजमें ट की तरफ पर आ कर खड़ी हो जाती और ब और गमट गमट
डैं ववच ले लेते।
े हमारे सलए होती थी, कक ी
ड़क
खड़ी करके हम मोबाइल कैं ट न में बैठ कर चाय पीते
डैं ववच खाते। यह कैंट न ब
में पािंच छै बैठने के सलए
ाथ आते।
ीटें भी होती थीिं। ब
े कुछ छोट वैन के में बैठे लोग
बर
ाइज़ की होती थी जज े हमारा इिंतज़ार करते
रहते थे क्योंकक उन को पता होता था कक हम ने ब्रेकफास्ट लेना था। कभी ड्यूट खत्म करके हम कैंट न में जा कर बैठ जाते और
ागथओिं के
ाथ गलप छप करते और ताश खेलते
रहते। जमेकन लोग डौसमनोज़ खेलते रहते और मोहरों को जोर जोर मारते। कैं ट न हर दम भर रहती थी। कोई आता कोई जाता, था। कई दफा हम कैंट न में ह डडनर खा लेते, इ समल जाता था।
े डौसमनो के बोडट पर
ारा हदन ऐ ा ह चलता रहता
े हमें घर जा कर बनाने
े छुटकारा
एक हदन घर आ कर मैंने गगयानी जी को भी बता हदया कक मैं जल्द ह इिंडडया जाने वाला था क्योंकक मेरे घर वाले मेर शाद के सलए जोर दे रहे थे। गगयानी जी बोले कक यह तो बहुत अच्छी बात थी। हम ने काफी बातें कीिं। कुछ दे र बाद गगयानी जी बोले,”गुरमेल ! एक बात मैं भी बहुत दे र
े
ोच रहा था कक ज विंत भी इिंडडया चला जाए और इिंडडया जा कर शाद
करवा ले, मेरे इिंडडया वाले छोटे भाई ने ह ज विंत के ररश्ते की बात की थी और लड़की के वपता को मैं भी जानता हूाँ जो एक दफा इलेक्शन में खड़ा भी हुआ था, उन का गााँव स्ीिं शिंकर है । अगर तू जा रहा है तो यह तो बहुत अच्छी बात है और तुम दोनों इकठे ह इिंडडया चले जाओ और शाद करा लाओ”. गगयानी जी की बात ुन कर मैं खश ु हो गगया कक इकठे जाने
े हमारा
फर बहुत मज़ेदार रहे गा। मेरा भी बड़ा काम ड्राइवविंग टे स्ट पा करने का ह था तो वोह तो समल गगया था, इ सलए अब मैं फ्री था। फ्री इ सलए था कक मुझे मालूम था कक इिंडडया
े वाप
था क्योंकक उ भरके पा पोटट के
आने पर मझ ु े जॉब समल ह जायेगी। मेरा पा पोटट र न्यू होने वाला
मय पा पोटट पािंच
ाल के सलए ह समलता था,
ो मैंने ऐजललकेशन िामट
ाथ इिंडडयन हाई कमीशन बसमिंघम को भेज हदया। गगयानी जी भी ज विंत
की तैयाररयों में म रूफ हो गए। मैं और ज विंत हर रोज़ अब इिंडडया की बातें करते रहते। इिंडडया जाने का एक चाव याद आने लगी थी, उन और ख़ा
ा था। पािंच
ाल हो चक् ु के थे इिंडडया दे खे हुए। परु ाने दोस्तों की े समलने का एक उत् ाह ा था, राणी परु की गसलओिं में खेतों में
कर फगवा़िे के रामगह़िया हाई स्कूल और कालज को दे खने का। मााँ दादा जी और
छोटे भाई ननमटल को भी दे खने का चाव
ा था।
अब मैंने बहादर को भी बता हदया था कक मैं इिंडडया जा रहा हूाँ। वोह भी खश ु हो गए। आज मैं
ोचता हूाँ कक यह तो ठीक है कक हम ने बहुत ख्त काम ककया था लेककन मेर और बहादर की कम्पनी ऐ ी थी कक हम को कुछ मालूम ह नह िं हुआ। माना, काम का प्रेशर बहुत था लेककन जब वीकैंड पर समलते तो ब कुछ भूल जाते और मज़े करते। इ ी ाल जब जुलाई की छुहटयााँ थी तो एक हदन बहादर लड्डा और एक आदमी और था, आये थे, जज
का फगवा़िे पुसल
स्टे शन के
ामने जनता मैडीकल स्टोर होता था जज
डाक्टर गोपाल स हिं के सलए दआ ु इआिं लाया करते थे। इन्होने
े हम
ाउथहॉल जाने का प्रोग्राम
बनाया हुआ था और मुझे भी ाथ जाने को बोला जो मैंने भी उ ी वक्त मान सलया। मुझे अच्छी तरह याद नह िं कक हम कै े लिंडन ाउथहॉल गए। मुझे लगता है कक उ वक्त बहादर या लड्डे ने एक गाड़ी ले ल थी जज ाउथहॉल पुहिंच गए। वहािं मोहणी और
का नाम था”हहलमैन इम्प”. खैर हम पााँचों
ोहणी दो भाई रहते थे जजन
े बहादर की फैसमल
का बहुत प्रेम होता था। यह दोनों भाई मािो पुर गााँव के थे जो हमारे गााँव मील ह दरू है । मोहणी तो हमारे स्कूल में ह पड़ता था लेककन ोहणी हम था। बहादर के पा
इन का ऐड्रे
था, इ
े स फट दो अ़िाई े कई
ाल बड़ा
सलए हम ने जल्द ह उन का घर ढून्ढ सलया।
वोह दोनों भाई बहुत खश ु हुए और हमें एक क्लब्ब में ले गए और बीअर वपलाई और उ के बाद खाना भी खखलाया। बहादर और ोहणी मोहणी के दोनों खानदानों का छोटा ा इतहा हैं कक इन की इतनी मह ु बत क्यों थी। बहादर ने ह मझ ु े बताया था कक एक दफा मोहणी ोहणी के दादा कक ी कतल के
थी। तभी बहादर के दादा जी ने उ
में फिं
गए थे और उन को उम्र कैद या फािं ी हो
को वर करवाया था क्योंकक उ
कती
मय बहादर के दादा
जी का र ूख बहुत होता था। इ के बाद ह बहादर के दादा और मोहणी िमट के भाई बन गए थे और इन दो खानदानों का आप ी प्रेम बहुत था। मोहणी
ोहणी
े समल कर हम जनता मैडीकल स्टोर वाले के
को अपने एक दोस्त को समलाने चल पड़ा। उ समला यहािं कुछ लड़के फुटबॉल खेल रहे थे। इ
ोहणी के दादा
ाथ हो सलए और वोह हम
का वोह दो त हमें एक िुटबाल ग्राउिं ड में शख्
को भुल्लर
ाहब बोलते थे। भुलर हमें
स्टे डडयम की जजमखाना क्लब्ब में ले गगया। वहािं हमारे इिंडडयन लड़के बड़े
े जग्ग में बीअर
डाले हुए भी को वट कर रहे थे, जग्ग में बीअर दे ख कर हम बड़े है रान हुए थे। यहािं इिंडडया जै ा माहौल ह था। एक बात थी कक यह जनता मेडडकल स्टोर वाला फूसलश बातें करके करके हमें बोर बहुत कर रहा था और हम उ े तिंग आ गए थे। यहािं े हम ाउथहॉल हाई स्ट्र ट में आ गए यहािं इिंडडयन लोग बहुत थे। हम चले जा रहे थे कक मैं है रान हो गगया जब
ामने
े मेरे रामगह़िया स्कूल के दोस्त ननमटल और जीत भल् ु ला राई वाले हदखाई हदए.
समल कर हम इतने खश ु हुए को वोह अपने ाथ जाने को कहने लगे लेककन मैने कहा कक मैं तो बहादर के ाथ हूाँ। वोह कफर भी जज़द करने लगे तो मैंने बहादर े पुछा कक मैं ककया करूाँ। बहादर भी कुछ अप ैट हो गगया कक मैं तो उन के पा रहा था कक मैं उन के बहादर कुछ नाराज़ ररलक्टैंटल उन के पा
ाथ आया था। ननमटल बहुत जोर ाथ चलाँ ू। आखर में पता नह िं कै े मैं उन के ाथ चल पड़ा।
ा हदखाई दे रहा था लेककन मैं ननमटल के आगे
ाथ चल पड़ा। ननमटल जीत और मैंने उ
गाड़ी थी और वोह रात को मुझे
प्रस द्ि पब्ब ग्लॉ ी जिंक्शन है । उ और
ाउथहॉल की मय इ
भी बाहर लान में बैठे बीअर के ग्ला
ुरिंडर हो गगया था और
रात बहुत मस्ती की। जीत के रै कराने चल पड़े। ाउथहॉल में एक
का नाम कुछ और था। गसमटओिं के हदन थे
हाथों में सलए गलपें मार रहे थे। हम भी ग्ला
ले कर बाहर आ कर बैठ गए। मैं है रान हो गगया कक हमारे कालज के ह कुछ लड़के जो एम ए में पड़ते थे वहािं बैठे थे। मैं उन के नाम तो नह िं जानता था लेककन हम ने एक द ू रे को दे खा हुआ था। उन
े हाथ समलाये, बहुत बातें कीिं।
द ू रे हदन जीत और ननमटल मुझे लिंदन घुमाने ले गए। पहले ललैननटोररयम हदखाया जज
के
भीतर जब गए तो ऐ े लगा जै े हम तारों भरे आ मान के नीचे बैठे हैं। ककया हमें बताया गगया था, अब याद नह िं लेककन यह था। इ
ब स्पे
के बारे में ह था जो हमें बहुत अच्छा लगा के बाहर आ कर नज़द क ह MADAME TUSSADE का म्यूजजयम था। जीत ने
ह हटकट सलया लेककन मुझे नह िं बताया कक इ
में ककया था। जब हम भीतर गए तो ऐ े
लगा जै े लोग शीशों के पीछे खड़े हैं। मैं
ोचने लगा कक यह लोग यहााँ ककयों खड़े हैं। जब
लोग जाते जाते नीचे दे ख रहे थे तो मझ ु े
मझ आई कक यह तो स्टै चू थे जो वैक्
े बने
हुए थे। इतने र अल कक मैं तो है रान ह हो गगया, बबलकुल ह औरतें आदमी खड़े लग रहे थे। उन के र के बाल और क्लाईओिं पर छोटे छोटे बाल और मु ाम भी बबलकुल र अल
लग रहे थे। कफर मैं
मझ गगया। आगे महात्मा गािंिी और एक स हिं का स्टै चू भी था जज
को वल्डट वार में ववक्टोररया क्रॉ
समला हुआ था। महात्मा गािंिी का बुत्त इ तरह लगता था कक च्च में डिंडा पकडे हुए महात्मा गािंिी खड़ा है । एक घिंटा हम भीतर रहे लेककन मज़ा आ गगया। कफर मैंने कुछ पोस्ट काडट उठाये और काऊिंटर पर खड़ी एक लड़की को पै े दे ने लगा लेककन वोह अपनी जगह
े हहल ह नह िं रह थी। जल्द ह मैं
स्टै चू ह थी। आज के हदन मज़ा आ गगया। द ू रे हदन
ुबह जीत और ननमटल मुझे
वल् ु वरहै म्पटन की ट्रे न में बबठा आये। ऐ े ह थे वोह हदन। चलता…
मझ गगया कक यह भी
मेरी कहानी - 84 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन December 07, 2015
एक हदन हमारे घर के स हटिंग रूम की अिंगीठी में कोएले जल रहे थे और कमरा बहुत गमट लग रहा था। गगयानी जी रोज़ की तरह fire place (अिंगीठी ) के आगे बैठे गाडडटयन पेपर पड़ रहे थे। उ
हदन गगयानी जी ने रात 9 वजे काम पर जाना था। मैंने भी 3 वजे जाना
था। मैं भी अिंगीठी के पा
बैठ गगया और एक मैगज़ीन जज
लगा। यह मैगज़ीन गुरबक् थे,ननकालते थे। गुरबक् गुरबक्
स हिं जो गुरबक्
स हिं प्रीतलड़ी के नाम
े जाने जाते
स हिं के ववचारों
स हिं के ववचारों को
इन््नीअर थे लेककन कुछ
का नाम प्रीत लड़ी था,पड़ने
े मैं बहुत परभावत था और गगयानी जी भी राहते थे। गुरबक् स हिं काफी पड़े सलखे थे और अमर का में
मय बाद इिंडडया आ गए थे और यह प्रीतलड़ी मैगज़ीन ननकाला
था। यह कुछ कमनु नस्ट ववचारों के थे। जब
े मैं इिंगलैंड आया था गगयानी जी और मैं इ ी तरह बैठ कर बातें ककया करते थे। जब
मैं पेपर लेता था तो पहले इिंडडया की कोई खबर ढूिं़िता था,अगर होती तो पड़ कर लगता कक पेपर की कीमत व ल ू हो गई,नह िं तो
खु खटआिं दे ख कर पेपर को बिंद कर दे ता था लेककन
गगयानी जी परू ा नह िं तो आिा पेपर तो जरूर पड़ते थे और मझ ु े आवाज़ दे ते,” गरु मेल इिर आ, यह खबर दे ख”,कफर वोह
ार खबर पड़ते और उ
पर बातें करते रहते। वोह
मय ह
ऐ ा था कक ना तो इिंडडया का कोई रे डडओ होता था ना ह कोई इिंडडया का अखबार प्रालत होता था। इिंडडया
े यह ह एक मैगज़ीन मिंगवाते थे जो एक मह ने बाद बाई
ी आता था
जब तक खबर भी पुरानी हो जाती थी। कभी कभी थोह्नड़ी बहुत खबर इिंडडया की जो समलती थी वोह स फट डेल टै ल ग्राफ,गाडडटयन या द टाइम्ज़ में समलती थी। 1962 में जब मैं आया था तो कुछ मह नों बाद ह चीन ने भारत पर हमला कर हदया था।
ख़बरों के सलए यहािं के अखबारों पर ह हम ननभटर थे। वार फिंड के सलए लोग हदल खोल कर पै े दे रहे थे। बहुत लोगों ने अपनी तन्खआ ु हों के पैकट बगैर खोले ह दान में दे हदए थे। दे श के सलए कुछ लोग कह रहे थे कक पे पैकेट खोलना ह हराम है . इतना जोश था लोगों में । यह को
ारा पै ा इिंडडयन हाई कमीशन फिंड में जा रहा था। यहािं के पेपर प़ि प़ि कर एक द ू रे
ुनाते। चौ इन्लाई को गासलआिं दे ते कक उ
हदया था.
जब शाजन्त होती है तो लोग दक ु ानों पर लेककन जब लड़ाई होती है तो लोग गल हुई,इिंडडया
ने भारत जै े दोस्त की पीठ में छुरा घोंप
ब्जीआिं भी अच्छी अच्छी ढून्ढ कर खर दते हैं ड़ी भी खर द लेते हैं। यह बात उ
े कुछ समसलट्र के ऑकफ र यहािं समसलट्र का
मय यहािं
ामान खर दने आये थे क्योंकक
इिंडडया के पा
उ
वक्त समसलट्र का
कक नेहरू हकूमत ने डडफैं
ामान खत्म होने को था। इ
का कारण यह ह था
पर कोई गियान ह नह िं हदया था, शायद वोह चीन पर भरो ा
कर के बैठे थे कक चीन तो भारत का दोस्त है । यहािं डोननिंगटन में उ CENTRAL ORDINANCE DEPOT होता था जज
वक्त एक
को COD बोलते थे। एक दफा मैं भी
वहािं काम ढूिंढने गगया था लेककन तन्खआ ु ह बहुत कम थी इ सलए मैंने काम सलया नह िं था,स फट इिंटरवीऊ दे कर और तन्खआ ु ह ुन कर ह वाप आ गगया था। इ डैपो में समसलट्र का
ारा
ामान था जो
ैकिंड वल्डट वार का बचा हुआ था। ामान खर द कर ले गए थे। इन का बचा खच ु ा
न ु ा था,इिंडडया के समसलट्र अफ र ारा
ामान ववक गगया था।
1962 के बाद ह इिंडडया ने डडफें क्योंकक तीन
पर गियान दे ना शरू ु ककया था। यह भी अच्छा ह हुआ ाल बाद 1965 में इिंडडया की लड़ाई पाककस्तान े शरू ु हो गई. उ वक्त
हमारे परिान मिंरी लाल बहादरु शास्री जी थे जजन को अाँगरे ज़ little sparrow बोलते थे
क्योंकक वोह बहुत छोटे थे। मुझे याद है जब शास्री जी ने लड़ाई शुरू होने े पहले इिंडडया ट वी पर बोला था,” our cities may be bombed”. उ ी वक्त गगयानी जी ने बोला था,” अब पाककस्तान के
ाथ घम ान का युद्ि होगा”. और यह बात
ह हुई थी। इ लड़ाई में ड़कों पर खाने की चीज़ें ले
हमारे बहुत जवान मारे गए थे लेककन ुना था,पिंजाब में औरतें कर जगह जगह खड़ी थीिं और हमारे जवानों को जबरदस्ती खखला रह थीिं, यहािं अब भी हमारे लोग पै े इकठे कर रहे थे,लोगों में बहुत जोश था। यहािं का प्रै
पाककस्तान की ज़्यादा स्पोटट कर रहा था क्योंकक उ
वक्त पाककस्तान, अमर का
और इिंगलैंड का दोस्त हुआ करता था। इ का कारण यह था कक एक तरफ तो इिंडडया की पॉसल ी नौन अलाइनमें ट की थी और द ु र तरफ इिंडडया की दोस्ती रू के ाथ थी जज के ाथ अमर का और उ
मुजाहरे भी ककये थे जज PROPAGANDA”.
के
ाथी दे शों
े कोल्ड वार चल रह थी। लिंदन में हमारे लोगों ने
के बैनरों पर सलखा हुआ था”STOP BRITISH
कुछ दे र बाद गगयानी जी मुझ को बोले,”गुरमेल ! ज विंत का पा पोटट बन कर आ गगया है
और तुम्हारा इिंडडया जाने का कब इरादा है ?”. मैंने कहा,”गगयानी जी ! मैं फरबर के आखखर या माचट के शुरू में जाना चाहता हूाँ क्योंकक जब तक इिंडडया में गमी शुरू हो जायेगी।” गगयानी जी बोले,”जब भी जाना हो अपनी और ज विंत की ीट पक्की करा लेना।” मैंने कहा”गगयानी जी, मैं
ोच रहा हूाँ कक हम AIR AFGAAN में ट्रै वल करें क्योंकक एक तो यह अमत ृ र जाती है द ू रे इ में ककराया भी बहुत कम है ।” गगयानी जी बोले,”जै ा भी करना हो मझ ु े बता के पै े ले जाना।” इ
के बाद गगयानी जी गाडडटयन में छपे एक आहटट कल के
बारे में बातें करने लगे जज कहानी सलखी हुई थी।
में पाककस्तान के जैन्रल अजूब खान और kristeen keelar की
कक्रस्ट न कीलर की कहानी कभी एक बहुत बड़ा स्कैंडल हुआ करती थी और आखर में इ को जेल हो गई थी, कुछ ह ाल हुए इ की मत्ृ यु हो चक् िं ु की है । कक्रस्ट न कीलर के िंबि
बहुत े समननस्टरों के ाथ थे यहािं तक कक एक प्रस द्ि समननस्टर perfumo के ाथ भी थे। एक आदमी stevan Ward ने तो आतम हत्या कर ल थी और आज के पेपर में अजब ू खान और कक्रस्ट न कीलर के
िंबिंिों की भी बात सलखी हुई थी लेककन अजूब खान ने अपनी फाई में कहा था कक कक्रस्ट न कीलर के ाथ उ के कोई िंबि िं नह िं थे,वोह तो स फट होटल
में जब कक्रस्ट न कीलर जस्वसमिंग पल ू में नहा रह थी तो वोह उ यह के
कई मह ने कोटट में चला था क्योंकक इ
गगयानी जी ने जज
ार खबर पड़ कर मुझे
को स फट दे ख ह रहा था।
में गौरमें ट के कई
ीक्रेट
भी इन्वौल्व थे।
ुनाई और बातें होने लगी वपछले
ाल हुई लड़ाई की में भारत की जीत हुई थी और पाककस्तान का बहुत नुक् ान हुआ था। जब ताशकिंद में
लाल बहादरु शास्री जी और अजूब खान के दरजम्यान
मझौता हुआ था तो लाल बहादरु भी बोल रहे थे कक इ में कोई
शास्री जी को हाटट अटै क हुआ था और चल व े थे। ाजश थी। शाश्री जी का शर र बड़ी इज़त के ाथ भारत लाया गगया था और शोक मनाया गगया था। एक आदमी इिंडडया
ारे दे श में
े आता हुआ लड़ाई के हदनों का एक अिंग्रेजी का अखबार जो शायद टबबटऊन था, लाया था जज में एक काटूटन था जज में एक बॉजक् िंग ररिंग था,जज
के एक कोने में शास्री जी बॉजक् िंग गल्व और ननक्कर पहने खड़े थे और द ू रे कोने
में अजूब खान ग्लव्व पहने खड़ा था। एक कोने में रसशयन कैमरा मैंन खड़ा शास्री जी की
फोटो ले रहा था और द ू रे कोने में अमेररकन कैमरा मैन खड़ा अजूब खान की फोटो ले रहा था।
कुछ दे र बाद डोर बैल हुई और मैंने दरवाज़ा खोला। बाहर एक आदमी खड़ा था जज को मैंने पहले भी दे खा हुआ था और यह गगयानी जी के गााँव का था। भीतर आते ह गगयानी जी को बोला,” ओए गगआनीआिं मैं भी इिंडडया ने पुछा।” ओए मैं भी इिंडडया
े एक
ुगात
ी ले आया हूाँ”. ककया ?” गगयानी जी े वववाह करके एक कुड़ी ले आया हूाँ,ओए गगयानीआिं ! बहुत
कमजोर है ,घर वालों ने भूखी मार द ,मैंने आते ह द
सशसलिंग का कुकड़ ला कर हदया और
कहा,खाह और तगड़ी हो” गगयानी जी हिं ने लगे और मुझे भी उ
की बातों पे हिं ी आ गई।
एक दो दफा इ
आदमी को मैंने दे खा हुआ था क्योंकक यह अक् र गगयानी जी े िामट भरवाने के सलए आया करता था। यह आदमी एक अनप़ि गिंवार और ककया ककया सलखिंू मेरे पा
शब्द नह िं हैं। 45 46 का होगा और इिंडडया
े शाद करके ले आया था।
े कक ी गर ब की 19 20
ाल की लड़की
जब यह शख् लड़की को
चला गगया तो गगयानी जी बोलने लगे,” लो !यह इ ुगात
मझता है ”. थोह्नड़ा
ा इतहा
ज विंत ने मुझे इ
मा ूम
ी गाये जै ी
खानदान के बारे में
पहले ह बता हदया हुआ था। यह आठ भाई थे और इन की मााँ को गााँव के लोग आठ पुती कहते थे। इिंडडया में इन भी भाईओिं की शाद नह िं हो की थी क्योंकक बहुत गर ब घर था इनका और कोई जमीिंन जयदाद भी नह िं थी, कक ानों की जमीिंन ना हो तो उन की शाद अ िंभव हो जाती थी। भाग्य
े एक बड़ा भाई यहािं आ गगया था और उ
भाईओिं को भी यहािं बल ु ा सलया था।
ब
ने अपने तीन और
े बड़ा भाई जब यहािं आया था तो वोह कौलकास्ट
फाऊिंडर में काम पर लग गगया था। यह शर र का बहुत तगड़ा था और इ फाऊिंडर में काम भी बहुत भार थे और पै े भी अच्छे थे। इ ी सलए कुछ ह मय में इ ने अपना घर ले सलया था। 50
ाल की उम्र में वोह इिंडडया
इवज़ में इ
े 25 26
ने अपनी बीवी के भाई और उ
ाल की लड़की
े शाद करा कर ले आया था।
के बाप को यहािं बुला सलया था। इन
भी
भाईओिं के बच्चे हुए और पड़ सलख कर बाद में अच्छी नौकररओिं पर लग गए। खद ु तो यह भाई कब के यह िं ार छोड़ चक् ु के हैं लेककन इन की बीववओिं के बारे में मुझे कुछ नह िं पता
कक वोह हैं या नह िं लेककन मैं उन को झुक कर नमस्कार करता हूाँ कक उन्होंने अपने पनतओिं े उम्र में इतनी छोट होने के बावजूद बड़ी इज़त के ाथ अपने अपने घरों को चलाया था। गािंवों में इ
तरह की शाहदयािं होती ह रहती थीिं। लोग हिं
जवान लड़की को बू़िे के
कर बातें ककया करते थे कक
िंग ववदा कर हदया। जाग्रुलता के सलए ऐ ी शाहदओिं के ररकाडट भी
बने हुए थे जो अक् र पहले ग्रामोफोन पर और बाद में लाऊड स्पीकरों पर गर ब लोग इिंगलैंड के लालच में बेहटओिं की शाद बू़िों
े वववाह दे ते थे, या यूिं कहें कक
अपनी बेहटओिं की बसल दे दे ते थे ताकक घर का कोई और आदमी अब आया था,पीठ पीछे इ
ुनते रहते थे।
दस्य बाहर जा
को कुल्हाड़ा बोलते थे क्योंकक इ
कुल्हाड़े जै ी रफ थी। जब वोह चले गगया तो गगयानी जी मुझ
के। यह जो
की बोल चाल ह
े बातें करने लगे कक इन
लड़ककओिं की ककतनी बदककस्मती थी कक अपने अरमानों को दबा कर बू़िों के
ाथ जज़िंदगी
बबता रह थीिं। गगयानी जी ने बहुत कुछ बोला था जो मुझे याद नह िं लेककन अथट यह थे कक हमार गाये जै ी लड़ककओिं के ाथ ज़ल ु म हो रहा था। ऐ ी लड़ककआिं उ वक्त बहुत थीिं,एक तो अभी भी हमारे नज़द क रहती है लेककन अब वोह मुझ े भी दो
े भी बू़ि हो चक ु ी है और मुझ
ाल बड़ी है । कई लड़ककआिं ऐ ी भी थीिं जजन्होंने बू़िे पनतओिं की परवाह करनी
छोड़ द थी और उन के बारे में बहुत बातें होती रहती थीिं। अब तो बहुत लोग इ दनु नआ े जा चक् ु के हैं और उन के पोते पोतीआिं भी बड़े हो चक् ु के हैं,लोग ब कुछ उन के बारे में भल ू चक् ु के हैं और यह बातें अब एक इतहा
बन कर रह गई हैं।
स हटिंग रूम में मैं और गगयानी जी इ आता था और ना ह उ
तरह बातें करते ह रहते थे। ज विंत को ना तो कुछ
को इन बातों में कोई हदलचस्पी होती थी। ज विंत गगयानी जी को
भाईया कह कर बुलाता था जब कक मैं जब वपता जी यहािं थे तो उन को भाईया जी कह कर बुलाता था। एक दफा गगयानी जी कक ी बात पर ज विंत बोलने लगे,” तुम्हें गुरमेल
े
े गुस् े हो गए और ज विंत को
ीखना चाहहए जो हमेशा अपने डैडी को भाईया जी कह कर
बल ु ाता है ,लेककन तू हमेशा मझ ु े अनप़िों की तरह भाईया कह कर बल ु ाते हो”. ज विंत को शमट ी मह ू
हुई और गगयानी जी को भाईया जी कह कर बल ु ाने लगा लेककन उ का बोलना ऐ ा था जै े एक औरत अपने पनत को बल ु ाती है । ज विंत गगयानी जी को बोलता,” जी !तम ु अब रोट खा लो”,कई दफा बोलता,” जी ! आप दि ू पी लो”. एक हदन गगयानी जी हिं
पड़े और बोले,” जज
इिं ान ने कभी अच्छा लिज़ ना बोला हो,वोह
अचानक अच्छा लिज़ बोलना शुरू कर दे तो उ
के मुिंह
े अच्छा लिज़ अच्छा नह िं
लगता,तू मुझे अकेला भाईया ह कह सलया कर”. मेर और ज विंत की दोस्ती एक इलग्ग तरह की होती थी। हर शननवार को मैं उ इिंडडया
को मीट बना के दे ता था। पहले पहल जब मैं
े आया नह िं था तो गगयानी जी ज विंत को मीट बना कर दे ते थे लेककन जब मेरे
वपता जी के इिंडडया जाने के बाद ज विंत मेरा बना मीट खाता था तो उ आता था। कुछ
मय बाद ज विंत ने मुझ
बना हदया कर और मैं ब
ारे घर की
फाई कर हदया करूाँगा”।
यह हमारा रूट न ह बन गगया था, मैं उ
बकेट में गमट पानी और उ भी
में
को बहुत मज़ा े कह ह हदया कक”गुरमेल ! तू मेरे सलए मीट
का मीट बना दे ता और ज विंत
ोडा समला कर मौप
े फ्लोर
ारे घर में
ाि कर दे ता और गै
कुकर
ाि कर दे ता था। गगयानी जी ना तो मीट खाते थे और ना ह बीअर पीते थे लेककन
ज विंत को खाने पीने
े मना नह िं करते थे क्योंकक इतना
ख्त काम करके
भी लड़के
हफ्ते के आखर में मस्ती ककया करते थे। गगयानी जी कहा करते थे कक इिंग्लैण्ड की तो यह जीवन शैल ह है ,कफर इ
में बड़ी बात ककया थी। इिंडडया की तो बात ह इलग्ग थी,क्योंकक
वहािं तो शराब पी कर लोग गसलओिं में गगरते थे, यहािं तो गोरे लोग गाते भी हैं , बच्चे भी ाथ चले जाते हैं और गचल्ड्रन रूम में स्नूकर खेलते रहते हैं। कुछ भी हो
भी ने बहुत ख्त काम ककया लेककन जीवन शैल ह ऐ ी थी कक हाँ ते हाँ ते अपनी जवानीआिं इिंगलैंड को अपटण कर द िं। चलता…